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पोिलयो क टीक क आगमन क बाद िवकिसत देश म यह रोग लगभग समा हो चुका ह। यहाँ तक िक भारत
म भी वष 2011 पोिलयो-मु वष घोिषत िकया जा चुका ह य िक इस वष उसका एक भी मामला काश म
नह आया था। सरकार ारा इले ॉिनक और ि ंट मीिडया क ज रए बार-बार प स पोिलयो अिभयान चलाए
जाने तथा 5 वष से कम आयु समूह क ब को पोिलयो ॉ स िपलाने म अपनी सारी श लगा िदए जाने से
यह ल य ा िकया जा सका। ितर ण (इ यूनाइजेशन) काय म क एक भाग प म छोट ब को पोिलयो
इजे शन भी िदए जाते ह। यह रोग हो जाने क बाद उसका इलाज करना मु कल होता ह, िफर भी यह देखा गया
ह िक उसे और अिधक िबगड़ने से रोकने तथा जोड़ एवं मांसपेिशय म दद और जकड़न पर काबू पाने म रोगी
क मदद करने म ए यू ेशर िचिक सक प ित सहायक होती ह।
इस रोग से राहत पाने क िलए नीचे िदए गए म क अनुसार ेशर वॉइ स को दबाएँ :
GB-2 कान क ठीक सामने जबड़ क जॉइट पर थत ह। लकवे से पीि़डत चेहर क इलाज क िलए यह
िन त वॉइट ह।
GB-12 मे टोइड बोन क पीछ और नीचे, कान क पीछ क ग म थत ह। लकवा- पीिड़त चेहर क इलाज
क िलए िनिद ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे क खाली जगह पर थत ह। इस वॉइट क दोन ओर एक साथ ह क से
लेकर म यम तक लगातार दबाव देना चािहए। इसका भाव उसक नाम ‘gates of consciousness’
गरदन क े म आई जकड़न को दूर करने क िलए अ यंत लाभदायक वॉइट क साथ ब त मेल खाता ह। यह
जुकाम भी दूर करता ह। लैडर और िकडनी मे रिडयंस म ऊजा का वाह बहाल करने क िलए B-23 और B-
47 वॉइ स को उ ी क िजए। बी-23 क थित ‘ रब कज’ और ‘िहप बोन’ क बीच बीच भीतरी िसर पर
कमर क म य म खोजी जा सकती ह। बी-47 रीढ़ क ह ी क बाहरी ओर चार अंगुल क दूरी पर कमर क
म य म थत ह। ये पॉइटस, न कवल पीठ क िनचले िह से म दद से राहत िदलाते ह, ब क मांसपेिशय क
तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमे को भी कम करते ह। इसक बाद K-27 ‘Elegant Mansion’ को
हो ड कर, जो आपक कॉलरबोन क बीच नीचे थत ह। अंत म ट सी नामक K-3 (Bigger Stream) पर
हाथ रख। यह िलवर और िकडनी क ‘ियन’ को उ ी करता ह और यांग को सु बना देता ह। गहरी साँस लेते
और धीर-धीर छोड़ते ए इनम से येक वॉइट को एक-एक िमनट तक दबाएँ।
ST-36 नी-कप से चार अंगुल नीचे िशनबोन क बाहरी भाग म एक अंगुल चौड़ाई म थत ह। यह वॉइट पूर
शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को सु ढ़ बनाता ह तथा ‘ची’ और र क पुनर ीवन म मददगार पाया
गया ह। उदर और ित ी क मे रिडयंस क िलए इसे उ ी कर।
‘Adjoining Valley’ नामक वॉइट LI-4 दद से राहत िदलाने और ‘ची’ संच रत करने क मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर जो ‘ ज’ बनती ह, उसक िसर पर थत होता ह। यह
आँत क ज रए िवषैले पदाथ को ख म करने क ि या उ ी करता ह। यह ‘ची’ क अव संचरण को भी
मु करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
‘Crooked Pond’ नामक वॉइट LI-11 कोहनी क ‘ ज’ क बाहरी ऊपरी िसर पर थत ह। इसे
एलज िनयंि त करने वाले सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अित संवेदनशील भी ह,
इसिलए इस वॉइट पर ेशर ब त सावधानी से िदया जाना चािहए, अ यथा वह बेहद संवदनशील बन सकता ह।
बड़ी आँत और फफड़ क मे रिडयंस क िलए इस वॉइट पर मािलश जैसा ेशर भी िदया जा सकता ह।
‘Sea of Tranquility’ नामक वॉइट CV-17 ‘बे्र ट बोन’ क आधार से करीब एक हथेली पर े ट
बोन क म य म थर ह। यह छोटी आँत दय क मे रडयंस संतुिलत करने क िलए एक उ म िबंदु ह, जो मशः
हमार शरीर म भावना मक संतुलन लाता ह।
LV-3 पैर क ऊपर अँगूठ और उसक पास वाली उगली क बीच थत ह। यह िवषैले पदाथ को बाहर
िनकालनेवाले सबसे श शाली अंग िलवर और िलवर मे रिडयन म ‘क ’ क वाह को िनयिमत करता तथा
सश बनाता ह। इस वॉइट पर दबाव देने से अ यिधक शारी रक म क कारण गॉल लैडर और िलवर
मे रिडयंस म ई ित को िनयंि त करने म मदद िमलती ह, िजससे मोच और ऐंठन पैदा हो सकते ह।
‘Sunny side of the Mountain’ नामक वॉइट GB-34 घुटने क बाजू म ह ी क उभार क
नीचेवाले ग पर थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु ऊ मा को साफ करता ह और िलवर क
‘ियन’ को उ ी करता ह। चूँिक िलवर ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता म सुधार होता ह। घुटने क अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव आिद म राहत देता ह।
‘Jumping Circle’ नामक वॉइट GB-30 िहप पेन म राहत देनेवाला सबसे मह वपूण वॉइट ह। पूरी
टाँग और पीठ क िनचले िह से म संचरण को उ ी करता ह। इसे िहप और टल बोन क बीच क एक-ितहाई
दूरी पर िनतंब पर ढढ़ा जा सकता ह। इसे पया ेशर क साथ, ज री होने पर अपनी कोहनी से दबाया जाना
चािहए। दबाव दोन तरफ िदया जाना चािहए।
‘Support the Mountain’ नामक वॉइट B-57 आपक टखने क ह ी और घुटने क पीछ म य क
पास िबंदु क लगभग बीच बीच िपंडली क मांसपेशी क िनचले बॉडर क पास बने अंगे्रजी अ र V क म य म
थत ह। यह ेशर वॉइट टाँग म दद और जकड़न को दूर करने म मदद करता ह।
B-58 : यह वॉइट B-57 से अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे और थोड़ा बाहर क ओर थत ह। टाँग म दद
म राहत देता ह।
GB-29 : इस वॉइट क थित जानने क िलए कमर क ऊचाई पर अपनी बे ट क दोन ओर हाथ रिखए।
हाथ को हथेली क चौड़ाई िजतना नीचे िहप बोन पर ले जाएँ। अँगूठ से दोन तरफ दबाएँ। क ह का दद दूर
करने क िलए अित भावी वॉइट ह।
‘Outer Gate’ नामक वॉइट TW-5 कलाई क सलवट से कोहनी क िदशा म करीब तीन अंगुल
चौड़ाई ऊपर, कलाई क बाहरी (िपछले) िह से पर उलना और रिडयस ब स क बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। ‘The Tripple Warmer Channel’ बाँह क पीछ से कधे और
गरदन तक ऊपर जाता ह, िफर एक च र लगाकर गरदन क साइड म आ जाता ह। बाँह, कधे और गरदन से
जुड़ी िकसी भी तरह क सम या क उपचार क िलए इस वॉइट का यापक प से उपयोग िकया जाता ह।
‘Shoulder Well’ नामक यह वॉइट GB-21 गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट को कधे क दोन ओर एक साथ दबाया जा सकता ह। जब
आप िविभ िबंदु पर दबाव दे रह ह , उस समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस ले, तो यह और यादा
लाभ प चाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर का ऊपरी भाग) म ‘ची’ क सामा य वाह को बहाल करता ह। कधे
म तनाव, घबराहट और थकान दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट नह दबाना चािहए।
सं या 3 : ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ नामक SP-6 टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग क
िदशा म थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से चार अंगुल ऊपर ह। जैसा िक इसक नाम से
प ह िक यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ तीन मे रिडयंस अथा ित ी,
िलवर और गुरदे क ‘ियन’ को पु करता ह। इसे नारी अंग को िनयिमत करनेवाला ‘मा टर पॉइट’ भी माना
जाता ह और इसीिलए मािसक धम को िनयिमत करने, मोच म आराम प चाने, रजोिनवृि को सुगम बनाने
इ यािद क िलए उपयोगी ह। गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
सं या 5 : ‘िबगर रिशंग’ क नाम से ात LV-3 पैर क अँगूठ और इसक पासवाली उगली क संिध- थल पर
थत ह। यह वॉइट अकसर ब त संवेदनशील पाया गया ह, इसिलए शु आत ह क दबाव से कर और उसे धीर-
धीर म यम दरजे तक ले जाएँ। अगर इस वॉइट पर दबाव दोन पैर पर एक साथ िदया जाए तो बेहतर होगा। यह
शरीर म ‘ची’ क िन लता को रोकता ह तथा तनाव दूर करने और ितर ण तं को मजबूत बनाने म ब त
मदद करता ह। इस वॉइट क मह व क बार म बोलते ए कभी-कभी कछ सुिव यात ए यू ेशर/ए यूपं र
िचिक सक कहते ह िक अगर आप से शरीर क कवल एक वॉइट को दबाने क िलए कहा जाए, तो इसी वॉइट
को दबाएँ।
सौभा य से तनाव को कम करने म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी क एक बड़ी भूिमका ह। िलवर, उदर, बड़ी
तथा छोटी आँत, ासनली आिद से संबंिधत र ले स वॉइ स पर दबाव देने से शु आत कर। इन े क
नजदीक थित पु तक क अंत म िदए गए र ले सोलॉजी चाट से जानी जा सकती ह।
तजनी और अँगूठ क संिध थल पर थत LI-4 वॉइट पर दबाव दीिजए। इस वॉइट को दोन हाथ पर
बारी-बारी से दबाया जा सकता ह। यह अंति़डय क सि यता बढ़ाता ह तथा क ज और पेट फलने क थित म
भी राहत देता ह।
ST-36 अथा ‘ ी माइल पॉइट’ िजसे घुटने क िनचले िसर से चार अंगुल नीचे तथा िशन बोन से एक अंगुल
बाहरी ओर आसानी से खोजा जा सकता ह, एक ‘गे ोइट टाइनल टॉिनक’ क प म काय करता ह। यह क ज
दूर करता ह, गैस बनने और पेट फलने से भी बचाता ह। इस वॉइट पर 30 से लेकर 60 सेक स तक दबाव
दीिजए।
इसक बाद ित ी, िलवर और गुरद क मे रिडयंस क संिध थल पर थत वॉइट SP-6 पर जाइए। यह टखने
क ह ी से ऊपर, आपक टाँग क भीतरी भाग म थत ह। गभवती मिहला क िलए इस वॉइट को दबाना
विजत ह।
LV-3 एक और ेशर वॉइट ह। जो तनाव दूर करने म ब त लाभदायक पाया गया ह। यह पैर क अँगूठ और
उसक पासवाली उगली क बीच थत ह तथा पेट फलना, मतली, उलटी और पेटदद जैसे िवकार को दूर करता
ह।
CV-12 े ट बोन और नािभ क बीच थत यह वॉइट अपच सीने म जलन और पेटदद दूर करने म सहायक
होता ह।
न 34 : एलज दूर करने म ए यू ेशर िकस तरह सहायक हो सकता ह?
उ र : िकसी पदाथ क ित संवेदनशील होने को ‘एलज ’ कहा जा सकता ह। कारण कोई िविश खा
पदाथ, जैसे कला या अंडा, धूल, पराग, पालतू जानवर क बाल या िकसी खास तरह का कपड़ा, कछ भी हो
सकते ह। यहाँ तक िक एक छोटा सा कण भी एलिजक रए शन पैदा कर सकता ह, िजसक प रणाम व प नाक
बहना, छ क, आँख लाल होना, साँस लेने म परशानी, मोच और बुखार जैसी सम याएँ हो सकती ह। आमतौर
पर, हमारा ितर ण तं िह टमाइन नामक रसायन रलीज करक वयं ही इनसे िनपटने क कोिशश करता ह।
एलज क कई ल ण से छटकारा पाने क िलए ए यू ेशर एक भावी तरीका ह। शरीर म ऊजा क वाह को
संतुिलत करक ऐसा िकया जाता ह। ेशर थेरपी हमार तं को इतना सश बना सकती ह िक एलिजक िति या
दोबारा न होने पाए। ज द आराम पाने क िलए हम नीचे विणत वॉइ स म से एक या अिधक वॉइ स का
उपयोग कर सकते ह।
LV-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच क घाटी पर थत ह। उसपर करीब
30-45 सेक स तक दबाव दीिजए। यह ि या सभी कार क एलिजक िति या, िवशेष प से लाल आँख
और यूरोम युलर िवकार म आराम प चाती ह।
LI-4 ‘एंटी िह टमाइन पॉइट’ माना जाता ह। यह आपक अँगूठ और तजनी क संिध थल क म य म थत ह।
इसे दबाएँ और धीर-धीर दबाव कम कर। दोन हाथ पर बारी-बारी से 60 सेक स तक यही ि या 3-4 बार
दोहराएँ। सव क समय पीड़ा बढ़ाने क िलए इसका सफलतापूवक उपयोग िकया जा सकता ह, गभवती
मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
TW-5 को कलाई क सलवट से दो अंगुल ऊपर, फोरआम क ऊपरी भाग पर पाया जा सकता ह। यह हमार
ितर ण तं को सश बनाकर एलज से राहत िदलाता ह।
LI-11, िजसे ‘करकड पॉ ड’ भी कहा जाता ह, कोहनी क सलवट क ऊपरी और बाहरी िसर पर थत ह।
एलज को िनयंि त करने क िलए इसे सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अित संवेदनशील
भी ह, इसिलए इस डर से िक वह अ यंत संवेदनशील न बन जाए, िक कपड़ क पश से भी दद होने लगे, इसपर
दबाव पूरी सावधानी से तथा ह का िदया जाना चािहए। इस वॉइट पर मािलश जैसा दबाव भी िदया जा सकता ह।
B-10 खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे, मे दंड क दोन ओर आधा इच क दूरी पर थत ह। इसे
‘हवनली िपलस’ का नाम िदया गया ह और यह सूजी ई आँख, िसरदद, थकान जैसे एलिजक रए शंस से
छटकारा िदलाता ह। अपनी उगिलय को िसर क पीछ फसाकर, गरदन पर पकड़ बनाते ए इस वॉइट पर करीब
एक िमनट तक ढ़ता से सधा आ ेशर िदया जा सकता ह।
K-27 े टबोन क बाजू म, कॉलरबोन क नीचे हॉलो म थत ह। यह छाती म जकड़न, साँस फलना, दमा,
गल-शोथ (सोर ोट) आिद क प म कट ई एलज को दूर करने म सहायक ह। इसे ‘एलीगट मशन’ नाम
िदया गया ह।
बी-2 : ‘गेदड बबू’ क नाम से ात, नाक क ि ज क पास, छोटी खाली जगह म, आई सॉक स क भीतरी िसर
पर थत ह। यह िसरदद, साइनस कजे न और एलज क अ य ल ण को दूर करने म सहायक ह।
LI-20 आपक ऊपरी ह ठ से ऊपर, नथुन क ठीक नीचे दोन ओर थत ह। दोन हाथ क तजनी से आँख
क िदशा क ओर एक साथ दबाव दीिजए। वेलकम गरस क नाम से ात, यह वॉइट नाक से जुड़ी एलज ज
िवशेष प से टफ नोज और साइनस म अ यिधक लाभदायक ह। एक िमनट तक दबाव िदया जा सकता ह।
SI-18 एक और मह वपूण वॉइट ह, िजससे खास तौर पर साइनस कजे न से छटकारा पाने क िलए,
अिधकतम लाभ उठाया जा सकता ह। ‘चीक बोन िवस’ नामक यह पॉइट, जैसा िक इसक नाम से जािहर ह,
गाल क ह ी क म य म थत ह और उसे चीक बोन क ठीक नीचे, दोन हाथ क तीन उगिलयाँ रखकर और
अपने चेहर को उगिलय म धँसाते ए एक िमनट तक दबाव िदया जा सकता ह।
‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात CV-6 नािभ से दो अंगुल नीचे थत ह। यह क ज, गैस, थकान,
कमजोरी, आिद क बाद होनेवाली एलज से छटकारा िदलाता ह।
ST-36 एलज रोकने और उससे आराम िदलाने क िलए पूर शरीर को सश बनाता ह। इसे ी माइल वॉइट
कहा जाता ह।
नोटः यह ज री नह िक सभी पॉइटस एक ही बैठक म दबाए जाएँ। उपल ध समय क अनुसार आप एक
समय म दो या तीन पॉइ स का उपयोग कर सकते ह।
न 35 : कठ-शूल (एंजाइना) या ह और य होता ह? या ए यू ेशर इसक उपचार म कोई मदद
कर सकता ह?
उ र : सीने क े म उठ दद, जो कधे, बाई भुजा और कभी-कभी किन ा क िसर तक फल जाता ह। इसे
एंजाइना कहते ह। यह दय क ओर जाने वाली धमिनय म िकसी अवरोध या उनक िसकड़ने क वजह से दय
क मांसपेशी तक पया मा ा म ऑ सीजन न प च पाने क कारण होता ह।
ज दी गु सा आना, आल य ( यायाम न करना), धू पान (जो र म काबन मोनोऑ साइड का तर बढ़ा
देता ह) इस रोग का एक कारण हो सकता ह। परतु मु य अपराधी ह वसायु भोजन, य िक उससे
र वािहकाएँ सँकरी हो कर र क आपूित को बािधत करती ह और प रणाम व प दय क िलए आव यक
ऑ सीजन उस तक नह प च पाता।
पारप रक िचिक सा िविधयाँ तेज दवा से दय रोग का इलाज करती ह िजससे कॉले ोल का तर कम और
उ र चाप िनयंि त हो जाता ह। एंिजयो ला टी और बाइपास सजरी जैसे िवक प भी उपल ध ह। परतु,
जोिखम और दु भाव से भरपूर दवाइय और सिजकल ि यािविधय पर भारी खच आता ह, िजसे आम आदमी
वहन नह कर पाता। रसच ने दरशाया ह िक ए यू ेशर जैसे ाकितक उपाय से िदल क दौर का जोिखम काफ
कम हो जाता ह। परतु चेतावनी क तौर पर दो श द : अगर एंजाइना अटक या दय क दशा गंभीर हो, तो िबना
व गँवाए िचिक सीय सहायता ली जानी चािहए। ए यू ेशर कवल एक िनरोधक उपाय या ाथिमक उपचार क
तौर पर उिचत ह। िफर भी पारप रक िचिक सा प ित क अंतगत चल रह उपचार क साथ-साथ ए यू ेशर
िचिक सा जारी रखने म कोई हािन नह ह, य िक वह रोगी/रोिगय क ठीक होने क गित म तेजी लानेवाला उपाय
पाया गया ह और उसक सकारा मक प रणाम को देखते ए कई िति त अ पताल क उ अहता ा दय
रोग िवशेष ने अपने इलाज म इस तकनीक का समावेश करना शु कर िदया ह।
शु आत म HT-7, िजसे ‘माइड डोर’ भी कहा जाता ह, को दबाया जाना ज री ह। यह वॉइट आपक बाई
कलाई क बाहरी भाग क ह ी क बगल म थत ह। ठीक उसी े म, जहाँ हथेली और कलाई िमलते ह। यह
हाट मे रिडयन का ोत िबंदु ह और अ यिधक भावी भी। यह न कवल दय का पोषण करता ह, ब क मन को
शांत करक भावना को मधुर भी बनाता ह।
PC-6 को ‘हाट ोट टर’ क नाम से भी जाना जाता ह। जैसा इसक नाम से जािहर ह, इस मह वपूण वॉइट
को दबाने से दय सश बनता ह। यह दय े म हो रह दद और बेचैनी को भी दूर करता ह। इसक
अित र , यह दय े म, ची और र क वाह को पहले क तरह सुगम बनाता ह। दोन हाथ पर थत इस
वॉइट पर मजबूती से, िकतु म यम दरजे का दबाव दीिजए, िवशेष प से बाएँ हाथ पर इसक अविध एक समय
म 30 सेक स ह। दबाव धीर-धीर बढ़ाएँ और वैसे ही घटाएँ। दबाव को 2-3 बार दोहराया जा सकता ह। इस
वॉइट क ठीक-ठीक थित कलाई क हथेलीवाली िदशा म, कलाई क सलवट से दो अँगूठ िजतनी चौड़ाई
ऊपर बाँह क म य म ह।
सीने क े म िकसी भी कार क तकलीफ म PC-4 अ यंत लाभदायक ह। ‘ े ट गेट’ क नाम से ात
यह वॉइट कोहनी क सलवट और कलाई क सलवट क बीच बीच थत ह। इसक ठीक-ठीक थित जानने
क िलए आपको उपरो म यिबंदु से, कलाई क िदशा म एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे आना होगा।
वा तव म जब दद या तकलीफ यादा हो तो यही वह वॉइट ह, िजसे सबसे पहले दबाया जाना चािहए। दोन
बाँह पर दबाव देना ज री ह। धड़कन बढ़ जाने क थित म भी यह वॉइट मददगार पाया जा सकता ह। दद
ब त यादा होने पर इस वॉइट पर म यम दरजे का दबाव 3-4 बार दोहराया जा सकता ह।
इस सीिटग का कोस पूरा करने क िलए LI-4 और LV-3 पर दबाव दीिजए। इन दोन क मेल को ‘फोर
गे स’ का नाम िदया गया ह और हमार भीतर शरीर म मे रिडयंस क पूरी रज म ‘ची’ को वािहत करने क
अपनी मता क िलए जाना जाता ह। हमारी अव ऊजा को मु करक यह हम शारी रक और मानिसक,
दोन तरह से लाभ प चाता ह तथा दय को व थ बनाए रखने म भी लाभदायक ह। इन वॉइ स क थित क
बार म न सं. 32 क उ र म बताया जा चुका ह।
न 36 : अंगे्रजी श द ‘Worry’ और ‘Anxiety’ म या फक ह? या इनसे छटकारा पाने
म ए यू ेशर मदद कर सकता ह?
उ र : यह एक मािणत त य ह िक शारी रक क क अपे ा मानिसक तनाव यादा ऊजा का उपभोग
करता ह। यह माना जाता ह िक ज रत से यादा सोचने से हमार शरीर म काफ ऊजा खच हो जाती ह और वह
शरीर को अ याव यक ‘ची’ से भी वंिचत कर देती ह। दूसरी ओर, इस बात से भी इनकार नह िकया जा सकता
ह िक िचंता (वरी) हमार जीवन का एक वाभािवक अंग ह और वह हमार जीवन म आनेवाली चुनौितय का
सामना करने क िलए हम तैयार करती ह। वा तव म एं जाइटी और वरी, दोन एक-दूसर से संबंिधत ह। जहाँ
एं जाइटी हािलया घटना पर अिधक कि त होती ह। िचंता का फोकस भिव य होता ह। एं जाइटी का दौरा पड़ने
पर आपको ऐसा महसूस हो सकता ह, जैसे आपका िदल डब रहा हो, साँस फलना और मानिसक अशांित अ य
ल ण हो सकते ह। Worry क थित म आपक ऊजा का य होता ह। एं जाइटी और वरी से कभी-कभी
ऊजा ित ी और उदर मे रिडयंस म इक ी हो जाती ह, ये मे रिडयंस मानिसक गितिविधय को शािसत करते ह।
जब तक इन मे रिडयंस म ‘ची’ का संतुलन बना रहता ह हम बेहतर ढग से सोच पाते ह, जीवन क मह वपूण
पहलु पर पया यान दे पाते ह, हमारा पाचन तं भी मजबूत बना रहता ह तथा आप और हम बेहतर ढग से
सोच सकते ह तथा िव ेषण कर पाते ह। जैसे ही यह संतुलन िबगड़ता ह, हमारी तकश ीण होने लगती ह
और वह िचंता को ज म देती ह। उदर एवं ित ी से संबंिधत मे रिडयंस म ची का असंतुलन हाट मे रिडयन म भी
गड़बड़ी पैदा करता ह। इटर यू, परी ा, पहला भाषण आिद कछ ऐसे उदाहरण ह, जो हमार जीवन म एं जाइटी क
आम कारण होते ह। उस घटना क हो चुकने पर वरी और एं जाइटी अपने आप ख म हो जाती ह। परतु अगर
एं जाइटी लंबे समय तक जारी रहती ह और हमार रोजमरा क कामकाज म दखल देने लगती ह या सं ास
(पैिनक) क दौर या भय (फोिबया) से जुड़ जाती ह तो िबना समय गँवाए डॉ टर क मदद ली जानी चािहए। नीचे
क गई चचा क अनुसार हमारी टीन िदनचया वरी और एं जाइटी म से अिधकांश पर ए यू ेशर क उपयोग से
काबू पाया जा सकता हः
GB-13 : भ ह क बाहरी िसर पर जाइए और एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर ठीक उस े तक जाइए,
जहाँ से बाल शु होते ह। यह वॉइट मन को शांत करता ह और एं जाइटी दूर करता ह। इसे ‘माइड ट’ क नाम
से जाना जाता ह।
‘माइड कोटयाड’ क नाम से ात यह वॉइट माथे पर हयरलाइन क ठीक भीतर क ओर थत ह। यह भी मन
को शांत करता ह। करीब एक िमनट तक म यम दरजे का, िकतु मजबूती से दबाव दीिजए और िफर मशः
दबाव हटा लीिजए।
‘माइड डोर’ नामक वॉइट H-7 कलाई पर हाट मे रिडयन पर थत ह तथा िचंता और भय कम करने क िलए
ब त भावी वॉइट माना जाता ह। इसक ठीक-ठीक थित आपक बाई कलाई क बाहरी भाग म कलाई क
सलवट और उठी ई ह ी क बीच ह। ेशर दोन हाथ पर, हर हाथ पर 30 सेक स तक मजबूती से और
धीर-धीर रलीज करते ए िदया जाना चािहए।
LV-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच म थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म, िजतना बताया जाए, वह कम होगा। यह िनणय लेते समय होनेवाली िचंता और तनाव को दूर करता ह।
यह िलवर तथा ‘ची’ क सुगम वाह का िनयमन करता और िलवर को मजबूत भी बनाता ह।
अगर समय हो तो उदर, िलवर, ित ी, रीढ़ क ह ी का पूरा भाग, अथा पैर क अँगूठ क ऊपरी भाग से
लेकर एड़ी, चे ट ए रया, िजसम िवशेष जोर दय और फफड़ पर िदया जाए, से जुड़ र ले स ए रयाज पर
दबाव देने क िलए कछ समय िबताएँ। िप यूइटरी थायरॉइड एवं ए न स तथा डाय ाम क आसपास क े पर
भी दबाव दीिजए। इनसे संबंिधत े क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए िच क मदद ल।
न 37 : गिठया (आथराइिटस) या ह? या ब - चा रत यायाम क दैिनक काय म और
ए यू ेशर क मदद से उस पर काबू पाया जा सकता ह?
उ र : गिठया का अथ ह जोड़ म या उनक आसपास क े म सूजन, िजसका प रणाम दद और कड़ापन
ह। य िप 100 से अिधक कार क जोड़ ात ह, िफर भी उनम से अिधकांश को दो वग म बाँटा जा सकता हः
(क) ओ टयोआथराइिटस (ओ.ए.) तथा
(ख) आथराइिटस क सूजन वाली टाइप म मेटॉइड आथराइिटस (आरए) शािमल ह, जबिक बसाइिटस और
टडनाइिटस, जो टट-फट (िवअर एंड िटअर) से पैदा ए बदलाव क कारण होते ह, को आथराइिटस क दायर म
नह माना जाता।
आथराइिटस एंड मेिट म नामक जनल म जुलाई 2002 म छपे एक अ ययन क प रणाम इस बात क पुि
करते ह, िक अगर आप चल-िफर नह तथा अपनी मांसपेिशय को मजबूत और जोड़ को लचीला न बनाए रख,
तो आपक गिठया संबंधी सम याएँ और बढ़ जाएँगी। घुटने क ऑ टयोआथराइिटस से पीि़डत 107 लोग पर
िकए गए अ ययन क िन कष क बाद शोधकता ने ितभािगय से पूछा िक आथराइिटक सम या क उ हो
जाने क दौरान वे िकस हद तक शारी रक गितिविधय से बचते ह। शोधकता का िन कष था िक िजन लोग ने
अपनी गितिविधयाँ बंद कर दी थ , उनक पंगु होने क संभावना उन लोग से यादा थी िज ह ने अपनी गितिविधयाँ
जारी रखी थ , भले ही कछ प रवतन क साथ ऐसा िकया हो। एक और अ ययन म शोधकता ने पाया िक
मेटॉइड आथराइिटस से पीि़डत उन मिहला क ऊव थ (फमर बोन) भी अिधक ठोस और मजबूत थी
िजनक जाँघ क मांसपेिशयाँ सबसे यादा मोटी थ । यह िन कष ऑ टयोपोरोिसस से होनेवाले क दायक
स को रोकने क ि से मांसपेिशय और ह य को सश बनाए रखने म यायाम का मह व दरशाता
ह। यायाम फाय ोमाय जया से पीि़डत लोग क उपचार का सबसे भावी मा यम बन सकता ह, य िक वह
मांसपेिशय म गहर दद, हमेशा बनी रहनेवाली थकान और परशान कर देनेवाले अ य ल ण से राहत देने म मदद
करता ह।
गिठया से पीि़डत लोग क िलए यायाम क और भी कई लाभ ह। िनयिमत यायाम िदमाग म अ फा तरग
उ प करता ह, जो सुकन का एहसास देती ह, िचंता और तनाव कम करती ह और य को स िच बनाती
ह। इसक अित र , यायाम क दौरान शरीर एंडोिफस रलीज करता ह, िदमाग क ये रसायन ाकितक प से
मूड सुधारनेवाले और ददिनवारक ह। परतु अगर आप अपना इलाज करवा रह ह और यायाम का काय म शु
करना चाहते ह, तो पहले अपने डॉ टर से पता कर िक कह उनक ारा बताई गई कोई दवाई से हाट-रट या
र चाप म तो भाव नह पड़ रहा। शु आत म आप िकतना किठन यायाम कर सकते ह, इस बार म उनसे
सलाह भी ल। गिठया क मरीज ारा उठाए गए िन निलिखत कदम ब त लाभदायक िस ह गे।
कदम 1 : यायाम करने से पहले गिठया- त जोड़ या दद करती मांसपेिशय पर 15 िमनट तक नमीयु
हीट से सक दे या बरफ रगड़। नमीयु हीट र धमिनय को फला देती ह िजससे ददवाले थल तक र और
ऑ सीजन का वाह सुगम हो जाता ह। आप एक नमीयु हीिटग पैड या गरम पानी से भीगा आ टॉवेल
इ तेमाल कर सकते ह। आप शॉवर क नीचे खड़ या बैठ भी सकते ह तािक भािवत अंग पर गरम पानी िगर
सक। यायाम करने क कछ िमनट बाद अगर कछ िमनट क िलए यही ि या दोहराई जाए तो जोड़ का
कड़ापन कम होने म मदद िमलेगी। कछ मरीज आइसपै स को ाथिमकता देते ह, जो र धमिनय को संकिचत
बना कर सूजन और दद कम करता ह। कछ शोध काय क िन कष क अनुसार गाउट जैसी गिठया म ‘आइस
पै स’ मददगार हो सकते ह। गीले गरम तौिलए और बफ क बारी-बारी से इ तेमाल करने से सबसे अ छ
प रणाम िमल सकते ह। सबसे यादा मह वपूण िकसी ऐसी िचिक सा प ित का पता लगाना ह, जो दद से
छटकारा िदलाती हो और आपक िलए सव म हो। यायाम से पहले और बाद म उसे अपनी आदत बना लीिजए।
1. LI-4 : अँगूठ और तजनी को जोड़ रखने क थित म मांसपेशी क सबसे ऊचे थल पर थत ह। इन दोन
क संिध थल पर दबाव देते ए तजनी क आधार वाली ह ी क ओर जाएँ। सूजन कम करनेवाला यह वॉइट
पूर शरीर म गिठया से पैदा ए दद, िवशेष प से हाथ , कलाइय , कोहिनय और कध म से छटकारा िदलाने म
लाभदायक ह।
2. LU-10 : हाथ क हथेली क ओरवाले भाग म अँगूठ क बेस पर बने बड़ पवत क म य म थत ह। अँगूठ
और हथेली क संिध थल पर बने पैड क म य म अ छा खासा दबाव दीिजए। यह वॉइट हाथ म गिठया क
िशकायत दूर करता ह।
3. TW-5 : अपना हाथ पीछ क ओर मोड़कर आप इसका पता लगा सकते ह। यह वॉइट आपक फोरआम
क बाहरी भाग म कलाई क सलवट से डढ़ इच नीचे थत ह। अलना और रिडयस क बीच जोर देकर दबाएँ।
अ छा दबाव देने क िलए अपनी कलाई को मु ी म कस ल। येक बाँह पर थत इस वॉइट को कसकर
पकड़। यह वॉइट कध म जकड़न या दद को दूर करने म सहायक ह। यह वचा क लचीलेपन और मांसपेिशय
क टोन म सुधार लाने म भी मदद करता ह।
4. LI-10 : अपनी बाँह को इस तरह से मोड़ िक कोहनी क जोड़ पर एक रखा बन जाए, पर इसका पता
लगाया जा सकता ह। यह वॉइट इस रखा क िसर से हाथ क िदशा म करीब एक इच दूर एक मांसपेशी पर
थत ह। फोरआम क मांसपेशी क म य म दबाव मशः बढ़ाइए। सूजन दूर करनेवाला यह वॉइट शरीर क
ऊपरी भाग, िवशेष प से हाथ, कलाई और कोहनी क जोड़ म गिठया से राहत देता ह। दद, मांसपेिशय और
जोड़ म थकान दूर करने क िलए इस वॉइट का ब त मह व ह। दोन बाँह पर थत यह वॉइट शरीर क ऊपरी
भाग, िवशेष प से हाथ, कलाई और कोहनी क जोड़ म गिठया से राहत देता ह। दद, मांसपेिशय और जोड़ म
थकान दूर करने क िलए इस वॉइट का ब त मह व ह। गिठया क मरीज, सुबह जब भी वे सोकर उठ, दोन
बाँह पर थत इस वॉइट को दबाने क आदत डाल ल।
5. LI-11 : हाथ मोड़ने पर बनी रखा क बाहरी िसर पर कोहनी क जोड़ पर यह थत ह। अपनी बाँह को थोड़ा
सा मोड़कर इस वॉइट पर कछ देर तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव डाल। यह जोड़ , िवशेष प
से कोहनी और कध क जोड़ म सूजन से राहत देता ह।
6. SI -10 : यह वॉइट बाँह और पीठ क संिध थल पर कधे क ह ी क टॉप और बगल क बीच बनती रखा
क िपछले िह से क बीच थत ह। कधे क जोड़ पर बनी मांसपेशी क र ु (काड) को दबाएँ। यह वॉइट
गिठया, बसाइिटस और मेिट म से राहत देता ह। कधे और पीठ क ऊपरी भाग म दद को भी दूर करता ह।
7. TW 15 : कधे क शीष अथा आपक गरदन क बेस क बाहरी भाग और कधे क बाहरी भाग क बीच,
थल से करीब आधा इच नीचे थत ह। येक शो डर लेड क म य भाग से ऊपर कधे क मांसपेिशय पर
ह क से, परतु मजबूती से दबाव डाल। मेिट म सिहत कधे और गरदन क अकड़न ( टफनेस) और दद म
आराम देता ह।
8. B-10 : मे दंड से बाहर क ओर एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर, गरदन क ऊपरी भाग पर थत ह।
अपनी चार उगिलय और अँगूठ क बीच गरदन क मांसपेशी भ चते ए गरदन का िपछला भाग पकड़। गरदन
और पीठ म अकड़न और दद पर काबू पाने म यह िवशेष प से लाभदायक ह।
9. GB-20 : यह खोपड़ी क बेस क नीचे िववर (हॉलो) म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर कछ देर
तक एक साथ ह क से म यम दरजे तक का दबाव डालना चािहए। यह गिठया दद, पीठ दद और गरदन म
अकड़न ( टफनेस) से छटकारा िदलाता ह।
10. B-47 : मे दंड से करीब डढ़ इच दूर दूसरी और तीसरी लंबर वट ा क बीच, पीठ क िनचले भाग पर
थत ह। मु याँ बनाकर पीठ क िनचले भाग पर तेजी से रगड़ कर दबाव डाला जा सकता ह। यह पीठ क
िनचले भाग म दद, थकान आिद दूर करता ह।
11. ST-36 : आपक नीकप से चार अंगुल नीचे और िशनबोन से एक अंगुल बाहर क ओर थत ह। अपनी
एड़ी को इस वॉइट पर रगड़ते ए बाएँ पैर को उ ी करने क िलए दािहनी एड़ी का और दाएँ पैर क िलए बाई
एड़ी का उपयोग कर। वयं रोगी ारा इस वॉइट को सव म तरीक से उ ी िकया जा सकता ह। पूर शरीर
म, िवशेष प से घुटने क जोड़ म गिठया का दद दूर करने म मदद करता ह। दुखती, थक ई मांसपेिशय और
सामा य थकान दूर करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर वॉइट माना जाता ह। इस वॉइट पर िदया गया
दबाव पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय म जान डालता ह, पाचन ि या म सहायक होता ह और पेट संबंधी
िवकार को ठीक करता ह।
12. GB-41 : पैर क ऊपर चौथी और पाँचवी मेटाटसल बोन क बीच थत ह। इस वॉइट पर दबाव देने क
िलए आपको संिध थल से ठीक नीचे दबाते ए अपनी तजनी या म यमा को ऊपर क ओर िखसकाना होगा।
इससे घुटन क दद म आराम िमलता ह तथा यह िहप एंड शो डर टशन, मेिट म, अ यिधक पानी जमा होने
और साइिटका, इ यािद सम या म भी राहत देता ह।
न 38 : या ए यू ेशर दमे क इलाज म भी भावी ह?
उ र : दमे से पीि़डत रोगी साँस लेने म तकलीफ छाती म िखंचाव क और घरघराहट क साथ साँस लेना,
आिद अनुभव करता ह। अिधकांशतः खाँसी क साथ बलगम िनकलता ह। ास-नली क दीवार म जकड़न
महसूस होती ह, वायु माग सँकरा हो जाता ह और रोगी क िलए साँस बाहर िनकालना मु कल हो जाता ह। दमे
क ब सं यक थितयाँ एलज तथा घास, फल क पराग, जानवर क बाल और धूल जैसे दूषणकारी और
पदाथ से उ प होती ह। जलवायु प रवतन इस रोग का एक और मह वपूण कारण ह। साँस लेने म किठनाई से
शरीर म िवषा ता बढ़ सकती ह। हमार शरीर क सभी कोिशकाएँ, अंग और िस टम ठीक से काम करते रह,
इसक िलए उसे ऑ सीजन क पया आपूित ज री होती ह और जब रोगी को साँस लेने म किठनाई हो रही हो,
तो उसे यह नह िमल पाती, हम चौबीस घंट साँस लेते रहते ह, परतु उसक बार म कभी सोचते नह । अिनयंि त
दमा सबसे आपात थितय म से एक ह, िजसम थोड़ी सी वायु ा करने क िलए रोगी तड़पता ह, यह हमार
जीवन म वायु क मह व क याद िदलाता ह। ॉ कोडायलेटस, जो िकयल मांसपेशी को रले स करक साँस
लेना सुगम बना देते ह, इनक मदद से आधुिनक िचिक सा िव ान दमा रोग से आसानी से िनपट सकता ह। परतु
ऐसी दवाइय क नकारा मक साइड इफ स हो सकते ह, उदाहरण क िलए िदल क धड़कन बढ़ जाना, जो वयं
जानलेवा हो सकता ह। ेशर वॉइट िचिक सा णाली दमा से काफ हद तक राहत दे सकती ह। अपने खानपान
म बदलाव और कछ यायाम राहत दे सकता ह। अपने खानपान म बदलाव और कछ यायाम क साथ िमलकर
यह िचिक सा प ित दमा रोग को िनयंि त करने म मदद कर सकती ह तथा जो दवाइयाँ आप ले रह ह, उनम
कमी लाना या उन पर िनभरता से पूरी तरह मु हो जाना संभव बना सकती ह, बेशक आपका इलाज कर रह
डॉ टर क सहमित से। बकले, किलफोिनया थत ए यू ेशर इ ◌ीयूट ारा िकए गए एक आरिभक शोध
अ ययन से यह पाया गया, िक अ थमा क िजन वय क रोिगय का परी ण िकया गया, बीस िमनट क ए यू ेशर
िचिक सा क तुरत बाद उनम पाँच म से चार क फफड़ क मता म 20 ितशत वृ ई थी।
ए यू ेशर िकसी भी आयु क दमा रोगी क िलए भावी ह। िफर भी, वह ब और नौजवान क िलए िवशेष
प से लाभदायक ह। ए यू ेशर से इनहलस क उपयोग म कोई हािन नह प चती। आप ए यू ेशर से इलाज
कराते ए इसका इ तेमाल जारी रख सकते ह। हमारी सलाह यह ह िक आप अपने डॉ टर क सलाह से
‘इनहलर’ क उपयोग, पर नजर रख और उसका उपयोग कम करते जाएँ। ब त ज द आपको पता चल जाएगा
िक करीब पाँच सीिटग क बाद ही आप इनहलर क िबना रह पाएँगे या उसका उपयोग कभी-कभी (अथा
संकटकाल म ही) करना पड़गा। िन निलिखत ेशर वॉइ स का उपयोग िकया जाना चािहएः
B-13 : शो डर लेड क ऊपरी िसर से बस एक उगली क चौड़ाई िजतना नीचे मे दंड और क युला बोन
क बीच थत ह। इसे फफड़ से संबंिधत वॉइट क नाम से जाना जाता ह। यह दमा, खाँसी, छ क आिद म आराम
देता ह।
K-27 : े टबोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉलो) म थत ह। यह वॉइट साँस लेने म
किठनाई, चे ट कजे न, खाँसी और छाती म तनाव को दूर करता ह।
LU-9 : अँगूठ क बेस क नीचे कलाई क मोड़ पर बने खाँचे म थत ह। यह फफड़ से संबंिधत सम या ,
खाँसी और दमे म राहत देता ह।
LU-10 : अँगूठ क पैड क म य म, हाथ क हथेलीवाली साइड पर थत ह। इसे िफश बॉडर कहा जाता ह
और यह साँस लेने म किठनाई तथा खाँसी और गले म सूजन म आराम देता ह।
GB-21 : शो डर क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िसर क बीच बीच थत ह। यह
वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट को कध क दोन ओर एक साथ दबाया जा सकता ह। इ ह
दबाते समय अगर रोगी धीर-धीर गहरी साँस ले तो यह ि या अिधक लाभदायक िस हो सकती ह। यह वॉइट
फफड़ म ची का सामा य वाह बहाल करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डलवाना
चािहए।
LU 1 : ‘स ल रिजडस’ क नाम से ‘ ात’ ‘लंग मे रिडयन’ पर थत यह पहला वॉइट ह। यह घरघराहट
क साथ साँस लेना और खाँसी रोकने म सहायक ह, फफड़ म नई जान डालता ह। यह दमा तथा सभी तरह क
साँस क तकलीफ से छटकारा िदलाने म सहायक ह। यह तनाव और व े म कजे न भी कम करता ह।
यह व क मांसपेशी और पहली तथा दूसरी पसली क बीच क जगह म बने ड टॉइड क बीच थत ह। इस
वॉइट तक प चने का एक और तरीका कॉलर बोन से दो इच नीचे या बगल से एक इच भीतर क ओर जाना ह।
LU-6 : इस वॉइट तक प चने क िलए अपने हाथ को आगे क ओर फलाएँ, हथेली ऊपर क ओर हो।
कोहनी क लाइन क म य से लेकर कलाई क रखा तक एक का पिनक रखा ख च, इस रखा को आधा-आधा
बाँट और इसी रखा पर कोहनी क िदशा म एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना बढ़। इस वॉइट पर म यम दरजे का
दबाव द। यह फफड़ से संबंिधत िकसी भी गंभीर थित म ब त उपयोगी ह।
LU-7 : अँगूठ क ओर क कलाई क लाइन से ऊपर, LU-9 पॅइट से करीब डढ़ इच ऊपर थत ह।
इसका नाम ‘ ोकन सी स’ रखा गया ह और फफड़ म नई जान डालने क िलए इसका उपयोग िकया जाता ह।
CV-17 : चौथी और पाँचव पसिलय क बीच सीधे े टबोन पर थत ह। पु ष म यह िनप स क लेबल
पर होता ह। मिहला म आप उसे े टबोन क बॉटम से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर आसानी
से खोज सकते ह। दबाव देने क िलए तीन उगिलय क िसर का उपयोग कर। अगर CV-17 और B-13
वॉइ स को एक क बाद दूसरा दबाया जाए, तो अिधक लाभकारी होगा। दमे क पुराने रोग म यह वॉइट
लाभदायक पाया गया ह।
थित क माँग और समय होने पर िन निलिखत वॉइ स भी उपयोगी हो सकते ह: B-23, ST-36 और
ST-40।
यह ज री नह ह िक उपरो सभी वॉइ स को एक ही स क दौरान दबाया जाए, आप एक स म उनम से
कछ को छोड़ सकते ह और दूसर स म उ ह शािमल करक कछ ऐसे वॉइ स छोड़ सकते ह, िजन पर िपछले
स म दबाव िदया जा चुका था।
अगर आप र ले सोलॉजी म उपयोग िकए जानेवाले ेशर वॉइ स को भी शािमल करना चाहते ह, तो पैर क
ऊपर और नीचे थत फफड़ और ॉ कपल र ले सेज, पैर और हथेली पर थत सोलर एले सस/डाय ाम
पॉइट, ए न स और साइनस र ले सेज आिद े पर भी दबाव डाल। अंितम पृ पर िदए गए िच को देख।
न 39 : एक बड़ी सं या म रोगी पीठ दद से पीि़डत रहते ह। या ए यू ेशर उनक मदद कर
सकता ह? उसक कारण या ह?
उ र : आमतौर पर पीठ दद अ थायी तकलीफ ह, जो आता-जाता रहता ह तथा असाधारण प से लगातार
कठोर म करने क कारण होता ह। इसम पीठ क िनचले िह से, मे दंड िट स, िकसी हादसे म इस े म चोट
लगने या झटका आने क कारण, दद, क या िकसी घोर ित प ा मक और कड़ी मेहनतवाले खेल, आलमारी
जैसी भारी चीज को धकलने, पानी से भरी बड़ी बालटी को गलत तरीक से उठाने, बैठते और ाइिवंग करते समय
गलत मु ा रखने आिद जैसा कोई भी कारण हो सकता ह। कछ ही ऐसे भा यवा य होगे, िज ह ने कभी पीठ
दद सहन न िकया होगा। कछ जैिवक कारक (उदाहरण क िलए ब े को ज म देना) और संभवतः उनक पीठ
म लंबर कक होने क कारण, इस रोग से पु ष क अपे ा मिहलाएँ कह अिधक पीि़डत रहती ह। तस ी क
बात कवल यह ह िक अिधकांश मामल म यह दद सहनीय होता ह और कछ ही मामल म इतना भयंकर होता ह
िक य िब तर पकड़ने क िलए मजबूर हो जाए। अ य कारण म मोटापा, कमजोर मांसपेिशय , शारी रक
गितिविधय का अभाव, आिद हो सकते ह।
परतु इससे पीि़डत य अपनी मांसपेिशय को मजबूत और लचीला बनाने क िलए कछ यायाम कर सकता
ह। गलत मु ा म बैठने को भी ठीक िकया जा सकता ह। इस सम या से िनपटने म ए यू ेशर वरदान िस हो
सकता ह। अगर आप पीठदद से पीि़डत ह, तो आपक मन म सबसे पहली बात अपने लैडर मे रिडयन म ऊजा
क वाह को ठीक करने क आनी चािहए य िक यही वह मे रिडयन ह, जो आँख से शु होकर आपक िसर क
ऊपर से होता आ पैर क छोटी उगली तक प चता ह और आपक पूरी पीठ से गुजरता ह। पीठ दद का कारण
लैडर मे रिडयन म ‘ची’ का अव होना माना जाता ह।
Li-4 : ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात वॉइट दद और सूजन दूर करने तथा शरीर म ‘ची’ संच रत करने
क मता क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने से बननेवाली रखा क िसर पर थत ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
P-6 : ‘द इनर गेट’ क नाम से ात यह वॉइट फोरआम क भीतरी साइड क बीच म, कलाई क सलवट से
ढाई अंगुल िजतनी चौड़ाई से ऊपर (कोहनी क िदशा म) थत ह। यह कलाई का दद दूर करता ह।
P-7 : ‘द िबग माउड’ कलाई क म य म (हथेली क तरफ) थत ह। इस वॉइट पर अँगूठ क सहायता से
करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव देने से एक बड़ी हद तक कलाई म दद (कापल टनल िसं ोम),
मेिट म और टडवाइिटस ठीक होने म मदद िमलती ह।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क रखा से करीब ढाई
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस क बीचोबीच थत ह। कलाई दद को दूर
करने तथा िकसी चीज को पकड़ने क यास म दद का एहसास, कापल टनल िसं ोम इ यािद से राहत पाने क
िलए इस वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और
सश वॉइट माना जाता ह।
े र वॉइट तकनीक और र ले सोलॉजी ारा यह रोग आसानी से ठीक िकया जा सकता ह। अिधकांश
श
मामल म सम या त वट ा क पहचान करने क िलए आपको ए स-र करवाने क भी ज रत नह पड़ती। पैर
क अँगूठ या हाथ क अँगूठ क पहली गाँठ क पश से ही अनुभवी ए यू ेशर िचिक सक उसक ठीक ठीक
थित बता सकता ह। इसक अित र , जब तक िक यह सम या वष से न चली आ रही हो, यह रोग 8-10
िसिट स क भीतर ही िनयंि त िकया जा सकता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
म यम दरजे तक लगातार दबाव िदया जाना चािहए। इससे गिठया, िसरदद, पीठ दद और अकड़ी ई गरदन म
राहत िमलती ह।
GB-21 ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच -बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। इस वॉइट पर कध क दोन ओर एक साथ दबाव िदया जा सकता
ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक लाभकारी
हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ म ची का सामा य वाह बहाल करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर
दबाव नह िदया जाना चािहए।
B-10 खोपड़ी क बेस से डढ़ इच नीचे, मे दंड क दोन ओर आधा इच दूरी पर थत ह। इसे हवनली िपलस
नाम िदया गया ह। यह आँख म सूजन, िसरदद, थकान आिद म आराम िदलाता ह। अपने िसर क पीछ दोन हाथ
क उगिलय को एक क बाद एक रखकर, उनसे गरदन पर पकड़ बनाकर करीब एक िमनट तक दबाव िदया जा
सकता ह।
Si-3 : मु ी बंद कर उसे मोड़, िफर अपनी किन ा उगली को देखने क िलए अपनी कलाई को घुमाएँ।
अँगूठ का उपयोग करते ए, किन ा क गाँठ क नीचे, ह ी और मांसपेशी क बीच अपनी हथेली क साइड पर
दबाव द। करीब एक िमनट तक अ छा दबाव द।
इस रोग पर र ले सोलॉजी क ज रए काबू पाने क िलए दोन पैर और हाथ क अँगूठ क पहली गाँठ तक
सवाइकल वट ा से जुड़ र ले स े पर दबाव डाल। ‘शो डर ले स’ क बीच क े को उ ी करने क
ि से पैर और हाथ क अँगूठ क नीचे बने पै स पर भी दबाव डाल। सुिनिद े क थित जानने क िलए
पु तक क अंत म िदया गया िच देख।
न 44 : या ए यू ेशर र संचरण से जुड़ी सम या क समाधान म मदद कर सकता ह?
उ र : जीवन क िकसी भी व प म गितहीनता अ छी नह मानी जाती ह। एक नदी म पानी तभी तक ताजा
रहता ह, जब तक वह अ छी गित से बह रहा हो। बहाव क कते, अव होते ही उसम बदबू आना शु हो
जाता ह। कायालय म भी, जब कमचा रय को तर क कोई उ मीद नह होती, तो उनम अवसाद क भावना
घर करने लगती ह और उनक उ पादकता पर नकारा मक भाव पड़ता ह। इसी कार, हमार शारी रक वा य
क संदभ म, जैिवक श ‘ची’ क वाह म गितहीनता आ जाना अिधकांश रोग का कारण ह। हमार शरीर क
िविभ मे रिडयंस म इस अ याव यक जैिवक श का अव वाह ही रोग को ज म देता ह।
गलत खानपान, अकम य जीवन-शैली शारी रक या मानिसक तनाव, जो सीधे-सीधे हमारी न द को पूरी तरह या
आंिशक प से भािवत करता ह, हमार शरीर म ‘ची’ क सुगम वाह को अव करने का कारण हो सकता
ह। हमार शरीर म र संचरण क िलए ‘ची’ ही मु यतया िज मेदार ह। इसीिलए, शरीर म ची का वाह अव
होने पर बेहतर र संचरण बनाए रखने क ि से सबसे यादा मह वपूण यह ह िक ची क वाह म िकसी भी
तरह क अवरोध को दूर िकया जाए। अगर यह ल य ा कर िलया जाए, तो वह शरीर क पूर िस टम को बेहतर
वा य और संतुलन क माग पर ले आता ह।
िन निलिखत ेशर वॉइ स क मदद से ए यू ेशर र संचरण क वाह म आए अवरोध को हटाने म मदद
कर सकता हः
Li-4 : अँगूठ और तजनी को िमलाने से बनी मांसपेशी क शीष पर थत ह। दोन क बीच बने वेब पर दबाव
देना शु कर और उसे तजनी क जड़ म बनी ह ी क िदशा म ले जाएँ। ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी ात
Li-4 ‘ची’ क वाह म आए अवरोध को दूर करनेवाला मा टर वॉइट माना जाता ह। और इस तरह बाक इलाज
को यादा आसान एवं भावी बनाने म मदद करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट इ तेमाल नह करना
चािहए, य िक उसक प रणाम व प समय-पूव संकचन और गभपात हो सकते ह।
न 45 : या ए यू ेशर जुकाम से होनेवाली परशानी दूर करने म िकसी तरह से मदद कर सकता
ह?
उ र : जब आपक शरीर क रोग ितरोधक मता कम हो जाती ह तो आप थका आ-सा महसूस करते ह
और आपका िस टम बदलते मौसम क अनुसार खुद को तेजी से नह ढाल पाता। यही वह समय ह, जब आप
जुकाम क चपेट म आसानी से आ सकते ह। आपका यूकस मै ेन जुकाम क वायरस का जनन थल बन
जाता ह। ये वायरस हमारी नाक और गले म पनपते रहते ह तथा जब शरीर क हालात उनक अनुकल होते ह,
उदाहरण क िलए, वातावरण म तापमान और नमी उनक अनुकल हो, तब वे हमला कर देते ह। जुकाम एक
ल ण ह और वायरस से वयं को बचाने क यास म शरीर उ ह बहा देने क उ े य से और अिधक े मा
( यूकस) पैदा करने लगता ह।
मजेदार बात यह ह िक यह कहा जाता ह िक जुकाम का इलाज िकसी भी तरह से नह िकया जा सकता, अथा
अगर आप दवाई ल, तो उसे ठीक होने म सात िदन लगगे और अगर आप कोई भी दवा न ल, तो वह एक ह ते
क भीतर ठीक हो जाएगा। इसी तज पर यह कहा जा सकता ह िक ए यू ेशर भी जुकाम ठीक नह कर सकता,
परतु िन त प से वह उससे होनेवाली परशानी कम करने म आपक मदद ज र कर सकता ह। वह शरीर म
दािखल हो चुक वायरस को बाहर िनकालने म मदद कर सकता ह तथा भिव य म आपको जुकाम क हमले से
बचाने क िलए शरीर क रोग ितरोधक मता बढ़ाने म स म ह।
‘िबअ रग सपोट’ नामक वॉइट B-36 जुकाम का मुकाबला करने क उ े य से शरीर क रोग ितरोधक
मता बढ़ाने क िलए उ म ह। यह कहा जाता ह िक वायु और ठड मे दंड क पास, शो डर ले स पर थत
इस वॉइट (जैसा िक िच म िदखाया गया ह) पर वचा क िछ से वेश करते ह। अपने दोन हाथ से कध को
पकड़कर इस वॉइट पर आसानी से दबाव िदया जा सकता ह। इस े अथा पीठ का ऊपरी भाग, कधे और
गरदन पर अ छ से क गई मािलश भी (कजे शन) दूर करने म सहायक ह।
B-2 भ ह क भीतरी िकनार (ि ज ऑफ िद नोज) क बगल म छोट ग म थत ह। दोन हाथ क म यमा
उगिलय को एक साथ 30 से लेकर 60 सेक स तक दोन ओर दबाएँ, ह क दबाव से शु करते ए हो ड
कर, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। दबाव देते समय आँख बंद रख और गहरी साँस ल। इससे जुकाम, साइनस
कजे शन और िसरदद म आराम प चता ह।
K-27 े टबोन क बाजू म कॉलर बोन क नीचे बने धँसाव (हौलो) म थत ह। यह वॉइट साँस लेने म
किठनाई, चे ट कजे न, खाँसी, चे ट क े म तनाव और गल-शोथ (सोर ोट) म राहत देता ह।
St-25 बेली बटन क दोन ओर उससे दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर थत ह। आँत संबंधी कई तरह क
िवकार और क ज का भी उपचार करने क िलए यह सबसे मह वपूण वॉइ स म से एक माना जाता ह। एक
िमनट तक दोन ओर एक साथ म यम दरजे का, िकतु मजबूती से दबाव डालने क कोिशश कर।
Cv-12, जैसा िक उसक नाम ‘िमिडल टमक’ से जािहर ह, यह वॉइट े टबोन और बेली बटन क
बीच बीच थत ह। करीब एक िमनट तक फम ेशर दीिजए। ‘फोर डोस’ क नाम से ात Cv6, St25 तथा
CV-12 का यह संयोजन अ यिधक लाभदायक ह एवं क ज और डाय रया सिहत िकसी भी कार क उदर या
गै ो-इट यइलनल रोग क इलाज क िलए उपयोग िकया जा सकता ह।
क ज का एक और कारण, अित र आंत रक ऊ मा ह। वह मल को इतना स त बना देती ह िक उसका
िवसजन किठन हो जाता ह। Tw 6, जो आपक फोरहड क पीछ, कलाई क ज से तीन उगिलय क चौड़ाई
िजतना दूर, अलना और रिडयस ब स क बीच म थत ह, इस पर दबाव डाल। अगर रोगी ारा िवसिजत मल
ब त स त और काला हो, तो क ज को ठीक करने क िलए इसे Li 4 और Li-11 क संयोजन से दबाया जाए,
जैसा िच म बताया गया ह, तो वह रोगी क शरीर म से अित र उ मा को िनकाल देता ह। जहाँ Li-4 का काय
अित र उ मा को कम करना ह, Li-11 शरीर म सामा य प से पाई जानेवाली उ मा को िनकालकर बड़ी
आँत क गितिविध िनयिमत करता और बाउल मूवमट करक उसे सुगम बनाता ह।
न 47 : हम खाँसी य आती ह और उसका कारण या ह? या ए यू ेशर उसे ठीक करने म
मदद कर सकता ह?
उ र : आमतौर पर फफड़ म ‘ची’ का वाह नीचे क ओर होता ह। िकसी भी कारण से अगर ‘लंग ची’
ऊपर क ओर बहना शु कर दे तो हम खाँसने लगते ह। आमतौर पर खाँसी और जुकाम साथ-साथ चलते ह।
और अगर आप एक ही समय म दोन से पीि़डत ह तो खाँसी से छटकारा पाने क िलए यहाँ िजन ेशर वॉइ स
क चचा क जा रही ह, उनक अित र जुकाम से राहत पाने क िलए उन वॉइ स पर भी दबाव दीिजए, िजनक
चचा ऊपर क जा चुक ह।
िन निलिखत वॉइ स पर दबाव देने क ज रए ए यू ेशर खाँसी से छटकारा िदलाने म सहायक हो सकता ह।
Lu-7 उस थल पर बने कदरती धँसाव म थत ह, जहाँ अँगूठ का बेस कलाई से िमल जाता ह। अपनी
कोहनी क ओर ख कर और अँगूठ क तरफ करीब डढ़ इच क दूरी पर आपको यह वॉइट िमल जाएगा। चूँिक
इस वॉइट पर मांस यादा नह ह, हम अँगूठ क मदद से ह का दबाव देकर काम चला सकते ह। इस वॉइट पर
दोन हाथ पर दबाव िदया जाना ज री ह। यह वॉइट ची का वाह उलटी िदशा म, अथा नीचे क ओर करक
राहत देता ह। जुकाम, छ क, और नाक बहने से छटकारा िदलाने क िलए भी इसका उपयोग िकया जा सकता ह।
‘हवन ोजे शन’ क नाम से ात Cv-22 कॉलरब स क बीच, बने ग म थत ह, जहाँ वे बे्र टबोन से
िमलती ह, इस वॉइट पर तजनी या म यमा क ज रए दस तक िगनती पूरी होने तक नीचे क ओर, न िक भीतर
क ओर, िदया गया ह का दबाव अ यिधक लाभदायक पाया गया ह। दबाव को 2-3 बार दोहराया जा सकता ह,
परतु इस बात क पूरी सावधानी बरती जाए िक दबाव ब त ही ह का और मुलायम हो।
St 40 पैर क बाहरी ओर टखने क ह ी तथा नी-कप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का
पता लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतनी दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप यह महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न दूर
करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
‘ यूिबट माश’ क नाम से ात Lu5 कोहनी क ज पर अँगूठ क तरफ (जब हथेली ऊपर क ओर हो)
थत ह। दूसर हाथ क अँगूठ से करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव द। यह ताप कम करक गले म
नमी लाएगा। दूसर हाथ पर भी यही ि या दोहराएँ।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग से छटकारा पाने क िलए हथेिलय और तलव क र ले स े को वॉम
अप कर तथा छाती, फफड़ , ॉ कयल ए रया, साइनस वॉइ स, गले और गरदन से संबंिधत े , इ यािद क
र ले स ए रयाज पर दबाव डाल। िविभ अंग से संबंिधत र ले स ए रयाज क करीबी थित जानने क िलए
पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच देख।
न 48 : ऐंठन या मरोड़ ( स) य होती ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी से इस परशानी म
राहत िमल सकती ह?
उ र : ऐंठन या मरोड़ आमतौर पर मांसपेिशय म तनाव क कारण होती ह। वे शरीर म कह भी िवकिसत हो
सकती ह, परतु आमतौर पर वे उन मांसपेिशय म होती ह, िजनका उनक मता से अिधक उपयोग िकया जाता
ह। ऐंठन क दौरान भािवत मांसपेशी क नाड़ी अ यिधक सि य (हाइपरए टव) हो जाती ह, िजससे संबंिधत
मांसपेशी म अ यिधक संकचन पैदा हो जाता ह। धावक क टाँग म स हो जाते ह। वे अकसर िपंडिलय म
होती ह तथा यायाम या शारी रक म क दौरान या उसक बाद महसूस होती ह। कभी-कभी तो अपनी टाँग को
थोड़ा बलपूवक फलाने से भी प हो जाता ह। शरीर म पानी क कमी हो जाने पर भी टाँग म स हो सकते ह
और इसिलए िखलाि़डय को यह सुिन त कर लेना चािहए िक जब तक वे मैदान म ह, उ ह पया मा ा म
पानी िमलता रह। ए यू ेशर म िन निलिखत ेशर वॉइ स इस अ यिधक पीड़ादायक रोग से पीि़डत य को
काफ राहत दे सकते ह:
‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात Cv 6 शरीर क म य रखा पर नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना
नीचे थत ह। यह रजोिनवृि क दौरान होने वाले स से छटकारा िदलाता ह।
B 47 पीठ क िनचले भाग पर, मे दंड से करीब डढ़ इच बाहर क ओर दूसरी और तीसरी लंबर वट ा क
बीच थत ह। मु ी बनाकर उसे पीठ क िनचले भाग पर तेजी से रगड़कर दबाव िदया जा सकता ह। पीठ क
िनचले िह से म दद, पे वक टशन और ोिण देश (पे वक रीजन) म स म राहत देता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए, कम होगा। यह यकत को िनयिमत करता ह और उसम नई जान डालता ह, ‘ची’ क
वाह को सुगम बनाता ह, और िकसी भी तरह क प से छटकारा िदलाता ह।
B57 िपंडली (Calf Musle) क म य म, घुटने और एड़ी क तकरीबन बीच बीच क िनचले िह से पर
थत ह। इस वॉइट पर 2 से लेकर 3 िमनट तक ह का, िकतु सीधा दबाव देकर िपंडिलय क मांसपेिशय म
आई ऐंठन म आराम पाने क िलए इसका उपयोग िकया जाता ह। दबाने पर यह वॉइट ब त दद देता ह, परतु
साथ-ही-साथ यह अित लाभदायक भी ह।
इस रोग से छटकारा पाने क िलए र ले सोलॉजी का उपयोग करते ए दोन पैर पर, पैर क अगले और
िपछले दोन तरफ मािलश क तरह अ चं ाकार प म आगे-पीछ टखने क ह ी क आसपास का े
उ ी क िजए। इन े पर िकया गया उ ीपन ब त मददगार सािबत होता ह। अँगूठ और तजनी क सहायता
से दोन पैर क एिकिलस नस, जो पैर क पीछ क ओर एड़ी क बेस से चार से पाँच इच ऊचाई पर थत ह, क
े पर भी दबाव दीिजए। इसक बाद अपने अँगूठ से िपंडली क मांसपेशी पर, पाँव क पीछ क ओर घुटने क
ज तथा टखने क बेस क बीच क िबंदु पर दबाव दीिजए। दबाने पर यह वॉइट ब त तकलीफ देता ह, परतु
उतना ही भावी भी ह। इस वॉइट पर अपने अँगूठ से करीब 30 सेक स तक म यम दरजे का दबाव बनाए रख,
गहरी सांस ल और दबाव धीर धीर हटाएँ। यही ि या 2-3 बार दोहराएँ। इस थल पर मौजूद दुखन को हटाने क
िलए अपनी हथेली से इस े पर मािलश कर।
न 49 : अवसाद (िड ेशन) या ह और यह य होता ह? या अवसाद दूर करने म ए यू ेशर
मदद कर सकता ह?
उ र : अवसाद यह सूचना देनेवाला संकत ह िक जीवन म कछ कमी ह। हर य क जीवन म देर-सवेर
एक समय ऐसा आता ह, जब सब कछ मनमािफक या योजनानुसार न हो रहा हो। ऐसा लगता ह, मानो हर चीज
काबू से बाहर होती जा रही हो। ऐसी थित म कोई भी य बुरा महसूस करगा। परतु कछ लोग, िज ह ने समय
क साथ जीना और जीवन म जो कछ िजस तरह से सामने आता ह, उसे वैसे ही हण करना सीख िलया ह, बुर
व का दंश उतना यादा महसूस नह करते और इस तरह उसका सामना करने म स म होते ह। परतु कछ लोग
ऐसे भी होते ह, जो हर छोटी-छोटी बात को िदल पर लगा लेते ह, थित पर उनका कोई िनयं ण नह होता और
जब उ ह कोई हािन होती ह या प रवार क िकसी ि य सद य या िकसी करीबी र तेदार क मृ यु हो जाती ह तो वे
बेहद दुःखी हो जाते ह। ऐसी थित म ये लोग जीवन क नकारा मक प पर ही अपना यान कि त कर लेते ह।
उनक िलए जीवन म सबकछ समा हो गया होता ह। सं ेप म, उनक जीवन म कोई आकषण नह बचा होता
और वे वयं म ऊजा क कमी महसूस करने लगते ह। कभी-कभी तो उनक मनः थित गंभीर प धारण कर
लेती ह और इससे त य िकसी से अपने मन क बात कहना या कोई भी बात करना नह चाहते। वे िकसी
से बात करना पसंद नह करते और िबना िकसी प कारण क फट-फटकर रोने लगते ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। गभवती मिहला को
इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए, कम होगा। यह लीवर और लीवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत और टोन-
अप करता ह। इन दोन वॉइ स का संयोजन हौसला बढ़ाने और भावना मक उथल-पुथल, जो अवसाद का
कारण बनती ह, को शांत करने म स म ह।
Tw-3 हाथ क िपछले भाग म, किन ा और मुि का उगिलय क बीच बने चैनल म, उगली क गाँठ और
कलाई क तकरीबन बीच क ग म थत ह। दोन हाथ पर करीब एक िमनट तक दबाएँ।
Gv-20 को ‘ह ड मीिट स’ भी कहा जाता ह, य िक शरीर क सभी यांग चैन स इसी वॉइट पर िमलते ह।
इस वट स पर थत ह। करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव डाल।
‘वाइटल डाय ाम’ नामक वॉइट B-38 दय क लेबल पर शो डर ले स और मे दंड क बीच थत ह।
यह िचंता, िवषाद, भावना मक उथल-पुथल और अवसाद दूर करने म सहायक ह।
B-10 मे दंड से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर, गरदन क ऊपरी भाग म थत ह। गरदन क
मांसपेशी को भ चने क िलए अपनी सभी उगिलयाँ एक ओर तथा दूसरी ओर अँगूठ का उपयोग करते ए गरदन
क िपछले भाग को पकड़। यह गरदन म टफनेस, रिजिडटी और गिठया का दद दूर करनेवाला एक मुख
वॉइट माना जाता ह तथा तनाव, िसर म भारीपन और अवसाद दूर करने म िवशेष प से लाभदायक ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। यह िसरदद म, गरदन अकड़न, च र आना,
िचड़िचड़ापन और अवसाद दूर करता ह। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ क शसनेस’ क अनु प ही ह।
अवसाद दूर करने क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
K 27 बे्र टबोन क बगल म, कॉलरबोन क नीचे बने ग म थत ह। यह वॉइट िचंता और अवसाद दूर
करता ह।
Gv 24.5 भ ह क बीच म उस थल पर बने ग म थत ह। जहाँ बाँसा (ि ज ऑफ िद नोज) और माथा
िमलते ह, यह अंतः ावी तं (एंड ाइन िस टम), िवशेष प से िप युइटरी लड को टोन-अप करता ह। यह पूर
शरीर को टोन-अप करता ह, तनाव कम करता ह तथा हड कजे न, टफ नोज, िसरदद तथा अवसाद और
भावना मक असंतुलन म भी आराम िदलाता ह।
‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात वॉइट Cv17 े टबोन क बेस से चार अंगुल ऊपर, े टबोन क
म य म थत ह। यह घबराहट, िवषाद, अवसाद, िह टी रया तथा अ य भावना मक असंतुलन ठीक करने म
सहायक ह।
B 23 का कमर क बीच -बीच, पसिलय और क ह क ह ी (भीतरी िकनारा) क बीच होता ह। यह
अवसाद भय और सदमे म राहत िदलाता ह।
B 47 मे दंड से बाहर क ओर चार अंगुल दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न कवल पीठ क िनचले
िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमा भी कम करता ह।
St 36 ( ी माइल पॉइट) नी कप क िनचली सीमा से चार उगली नीचे तथा िशनबोन से एक उगली बाहर क
ओर थत ह। यह गे ोइट टाइनल टॉिनक का काम करता ह, क ज दूर करता ह, पूर शरीर क मांसपेिशय को
सु ढ़ बनाता ह, भावना को संतुिलत करता ह तथा अवसाद दूर करने म भी मदद करता ह। इस वॉइट पर 30
से लेकर 60 सेक स तक दबाव दीिजए।
न 50 : डायिबटीज क ल ण या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी क ारा इसे ठीक िकया
जा सकता ह?
उ र : डायिबटीज क मु य ल ण ह:
1. अ यिधक यास लगना,
2. बार-बार पेशाब आना,
3. भूख यादा लगना,
4. मीठा खाने का मन करना,
5. वजन घटना इ यािद
पि याज ारा इसुिलन क अपया या शू य उ पादन से डायिबटीज रोग पैदा होता ह। इसुिलन क कमी से
र म शकरा का तर बढ़ जाता ह। िजन लोग को डायिबटीज नह ह, उनका शुगर लेवल खाली पेट (फा टग)
80-100 तक होना चािहए और ना ता करने क बाद वही तर (पीपी) 120 से 140 तक होना चािहए। दीघकाल
म डायिबटीज से पैदा होनेवाली जिटलता म आँख क पीछ थत रिटना म ित, मोितयािबंद, गुरद म ित,
अ सर, उ र चाप और दय रोग शािमल ह।
डायिबटीज एक ऐसा रोग ह, िजसे ठीक नह िकया जा सकता, परतु िन त प से उसे िनयं ण म रखा जा
सकता ह। उसे िनयं ण म रखने म ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी सश भूिमका िनभा सकती ह। परतु इस रोग क
बार म एक िदलच प बात यह ह िक उसक िनयं ण म दवाइयाँ कवल एक आंिशक भूिमका ही िनभाती ह। यह
कहना गलत नह होगा िक कोई दवाई, यहाँ तक िक इसुिलन म इजे शन भी र म शकरा क तर को िनयं ण
म नह रख सकते, जब तक रोगी वयं अपने खानपान पर अ छी तरह िनयं ण करक, कलोरी क उपभोग क ित
अ यिधक सचेत रहकर ितिदन पया यायाम करक या सुबह और शाम िमलाकर 4 से 6 िकलोमीटर पया
प से तेज चलकर अपनी मदद खुद नह करता। परतु वा य संबंधी िकसी अ य सम या क कारण अगर कोई
य तेज नह चल सकता, तो सामा य गित से चलना भी ठीक रहगा।
ए यू ेशर तकनीक क ारा इस रोग का उपचार आव यक प से पारप रक िचिक सा क संयोजन म चलना
चािहए और ऐसा करते समय हमारा मु य ल य र संचरण तं तथा रोग ितरोधक तं को उ ी करना
चािहए, िजसक िलए िन निलिखत कायसूची क अनुसार चल।
Li 4 अँगूठ और तजनी को िमलाने से उभरी मांसपेशी क शीष पर थत ह। उन दोन क बीच बने बेस पर
दबाव देना शु कर और उसे तजनी क बेस पर थत ह ी क ओर ले जाएँ। Li-4 िजसे ‘एडजॉइिनंग वैली’
भी कहा जाता ह, ची क वाह म आए ग यवरोध को दूर करनेवाला मा टर वॉइट माना जाता ह। गभवती
मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए, य िक उसक प रणमा व प समय-पूव संकचन और
गभपात हो सकता ह।
ऊजा क वाह का गेट खोलने क बाद अब हम ‘िबगर रश’ नामक सश वॉइट क बात करते ह। Lv-3
हमार पूर शरीर म और िवशेष प से लीवर मे रिडयन म ‘ची’ का वाह िनियिमत करने, क िलए सबसे भावी
वॉइट क प म जाना जाता ह। िजससे हमार पूर शरीर म ‘ची’ का वाह सुगम बना रहता ह, एक बार लीवर म
ऊजा का वाह गड़बड़ा जाए, तो येक मे रिडयन म ‘ची’ और र क वाह म िन लता और असंतुलन पैदा
हो जाता ह, िजसका प रणाम होता ह क और रोग। य िप आमतौर पर यह वॉइट अ यंत मृदु पाया गया ह
उसक उपयोिगता को देखते ए, उसे भूले िबना और टीन क तौर पर वकआउट म शािमल िकया जाना चािहए।
जहाँ तक संभव हो, इस वॉइट को दोन पैर पर एक साथ उ ी िकया जाना चािहए। इस वॉइट क मह व का
बखान करते ए कभी-कभी कछ सु िस ए यू ेशर/ए यूपं र िचिक सक कहते ह िक अगर आपको अपने
शरीर पर कवल एक वॉइट पर दबाव देने क िलए कहा जाए, तो यही वॉइट दबाएँ।
‘ ी ियन मीिटग वॉइट’ नामक वॉइट Sp-6 टाँग क भीतर क ओर िपछले भाग पर, टखने क ह ी क
ऊपर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। यह सबसे
मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह ित ी, लीवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को सश
बनाता ह। यह लीवर ‘ची’ को पूर शरीर म वािहत करने म भी मदद करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
Sp-10 एक और मह वपूण वॉइट ह, िजसे र क वाह म िन लता को दूर करने क िलए सफलतापूवक
उपयोग िकया जा सकता ह। St-6 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नी-कप क म य भाग क बीच बीच
थत ह। िटिबआ का पता लगाएँ तथा ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न
कम करने म यह ब त मददगार ह।
St-40 टखने क ह ी क आधे भाग म पैर क बाहरी और घुटने क कप क बीच थत ह। टीिबया ह ी
का पता लगाएँ तथा बाहर क ओर ह ी से दो उगिलय क दूरी तक जाएँ। कनजेशन कम करने म यह ब त
सहायक ह।
St-36 घुटने क कप से चार उगिलयाँ नीचे क ओर थत ह। सामने पैर क एड़ी क मदद से वाइट को
दबाया जा सकता ह। Sp-6 क साथ उपयोग से, ये ची तथा र क वाह को बढ़ाते ह। यह मा टर वाइट ी
माइल फट नाम से भी जाना जाता ह।
St-6 नी-कप से चार उगिलयां नीचे थत ह। इस वॉइट को दूसर पैर क एड़ी से भी दबाया जा सकता ह।
Sp-6 क संयोजन म उपयोग करने से ‘ची’ और र दोन टोन-अप होते ह, और शरीर को श दान करते
ह। यह मा टर वॉइट ‘ ी माइल फट’ क नाम से जाना जाता ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह वॉइट ‘सु ीम
ीम’ क नाम से जाना जाता ह। यह पूर शरीर क ‘ियन और यांग’ क मूल प म जाना जाता ह तथा िकडनी
मे रिडयन का मु य ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस मे रिडयन और पूर शरीर पर जबरद त
पुि कारक भाव पड़ता ह।
B-23 : पॉइट, गुरदे का एक संब वॉइट ह, यह मे दंड क दोन ओर उससे डढ़ इच क दूरी पर, आपक
नािभ क लेवल से ऊपर पीठ क म य भाग से नीचे थत ह। मे दंड क दोन ओर आपक पीठ पर थत इन
दोन वॉइ स को अपने हाथ से आसानी से उ ी िकया जा सकता ह। Kd-3 क संयोजन म यह वॉइट गुरदे
क ‘ची’ का टोन अप करता ह।
Cv-6 नािभ से दो उगिलय क चौड़ाई िजतनी नीचे थत ह। यह डाय रया से आराम िदलाता ह, और उदर
क मांसपेिशय को पु करता ह।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, पाचन ि या को
श देता ह, तथा पेट क दूसरी गड़बि़डय को ठीक करता ह। Sp-4 पैर क तलवे पर आक पर, पैर क बॉल
से एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना पीछ थत ह। यह क ज, डाय रया, पेट दद और मतली आिद म राहत देता ह।
Lv-2 पैर क अँगूठ और उसक साथवाली उगली क संिध थल पर थत ह। डाय रया, पेट दद और मतली म
आराम िदलाता ह।
Sp-6 िजसे ‘ ी ियन मीिटग’ वॉइट भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी दूरी पर थत ह।
दोन तरफ क वॉइ स को एक साथ दबाया जाना चािहए।
Cv-12 े टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। डाय रया से राहत पाने क िलए
इस वॉइट पर म यम दरजे का, िकतु मजबूत दबाव डाल।
St-44 पैर क ऊपरी भाग म दूसरी और तीसरी उगली क मािजन म बने ग म थत ह। अगर डाय रया
दूिषत चीज खाने या फड पॉइजिनंग क कारण आ ह, तो यह वॉइट ब त भावी ह।
न 52 : च र आना (िडजीनेस) या ह, यह य होता ह? या ए यू ेशर इसे ठीक करने म
मदद कर सकता ह?
उ र : रजोिनवृि , मोशन िसकनेस सवाइकल प िडलोिसस या माइ ेन, च र आने का कारण हो सकता ह।
जब रोगी यह महसूस करता ह िक या तो उसका िसर घूम रहा ह या उसक आसपास क चीज घूम रही ह, इसे
कान क भीतरी िह से म ‘मेिनअस िडसीज’ नामक एक रोग का ल ण भी बताया जाता ह। अगर च र आने क
साथ-साथ शरीर सु पड़ जाना, बोलने म किठनाई, धुँधला िदखाई पड़ना, सीने म दद या दय क े म भारी
बेचैनी हो रही हो तो आपको तुरत मेिडकल सहायता लेनी चािहए, य िक ये आस दयाघात क ल ण हो
सकते ह।
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे तीन मे रडयंस क ‘ियन’ को पु करता ह। यह नारी अंग को िनयिमत करनेवाला मा टर वॉइट भी
माना जाता ह और इसिलए मािसक धम िनयिमत करने, मोच ठीक करने, रजोिनवृि सुगम बनाने इ यािद म
उपयोगी ह। St-36 क संयोजन म यह गे ो-इट टाइनल टर ट क सामा य गितिविध बहाल करने म भी ब त
मददगार माना जाता ह। यह ‘ची’ का पोषण करने और श बढ़ाने म सहायक ह। गभवती मिहला को इस
वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, पाचन ि या म मदद
करता ह तथा पेट क दूसरी गड़बि़डय को ठीक करता ह।
Cv-12 बे्र टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। डाय रया से राहत पाने क िलए
इस वॉइट पर म यम दरजे का, िकतु फम दबाव दीिजए।
‘एडजॉइिनंग’ वैली क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। गभवती मिहला को
इस वॉइट पर दबाव नह डलवाना चािहए।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, ाई क ज से करीब ढाई
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। इस वॉइट को Tw-17 क संयोजन से उ ी करक कान म िकसी भी
कार क सम या म लाभकारी पाया गया ह। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और सश वॉइट
माना जाता ह।
Tw-17 लोलक (इअरलोब) क पीछ बने ाकितक ग म थत ह। ह का दबाव द, य िक यह वॉइट
मृदु हो सकता ह।
िलसिनंग पेलेस क नाम से ात Si-19 मुँह खोलने पर बननेवाले ग म थत ह। इसे अपनी तजनी से अपने
चेहर क साइड म (कान क पास) टटोलने क कोिशश क िजए, जैसा िच म बताया गया ह। इस पूर े को
उ ी करने क उ े य से इस वॉइट पर दबाव देने क िलए आप अपनी दूसरी, तीसरी और चौथी उगिलय को
एक साथ इ तेमाल कर।
अगर ए यू ेशर वॉइ स को टीन क तौर पर इ तेमाल िकया जाए तो आँख को िकसी भी तरह का न िदए
िबना बेहतर और साफ ि बनाए रखने म ब त मददगार िस हो सकता ह। हम आँख पर न पड़ने या
उनक सं िमत होने का इतजार करने और उसक बाद ए यू ेशर का सहारा लेने का काम नह करना चािहए।
हमार चेहर पर आँख क पास ही ब त से ेशर वॉइ स मौजूद ह और आँख को दु त बनाए रखने म स म
ह। वे ह:
‘आइ े रटी’ नाम से ात B1 भ ह और आँख क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ ने कोटर (आइ सॉकट)
नाक को पश करता ह। नाक (और ऊपर) क ओर ह क-ह क दबाएँ। पाँच तक िगनने तक दबाव बनाए रख,
िफर धीर-धीर दबाव कम कर।
‘ े टग बंबू’ नामक वॉइट B2, B1 से ठीक ऊपर, ठीक उस जगह पर थत ह, जहाँ बाँसा (अथा ि ज
ऑफ िद नोज) से भ ह शु होती ह। B1 क िलए बताए अनुसार ही दबाव दीिजए।
उसक बाद अपनी भ ह को इस तरह पकड़ िक वे अँगूठ (भ ह क नीचे क ओर) और तजनी क िगर त म
आ जाएँ। भ ह क भीतरी भाग से िपंच करते ए बाहर क ओर जाएँ। भ ह क पूर े पर िचकोटी काटने क यह
ि या कम-से-कम तीन बार दोहराएँ। अिन ा, अवसाद आिद रोग से िनपटने क िलए भी इन वॉइ स पर दबाव
िदया जाता ह, य िक यह आँख और तंि का तं को सुकन प चाते ह।
‘ यूिपल िवस’ नामक वॉइट Gb1 भ ह क बाहर क ओर थत ह। येक हाथ क तजनी या म यमा
उगली क ज रए दबाव डाल। दबाव क िदशा िकिचत ऊपर और बाहर क ओर हो। पाँच िगनने तक दबाव डाल
िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। इसे पाँच बार दोहराएँ।
चूँिक ि े ‘िलवर मे रिडयन’ से जुड़ा आ ह, वॉइट Lv-3 दबाएँ।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए कम ह। यह िलवर को पु और िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत बनाता
ह। इस वॉइट को उ ी करने से ि को ब त फायदा होता ह।
न 55 : िमरगी (एिपले सी) या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी इस भाग क इलाज म मदद
कर सकता ह?
उ र : िमरगी तंि का तं (नवस िस टम) का एक रोग ह, िजसम म त क म असामा य गितिविध क कारण
य को दौरा पड़ता ह या वह बेहोश हो जाता ह। यह रोग आमतौर पर बचपन या िकशोराव था म कट होता
ह।
ए यू ेशर म शरीर म संतुलन और श बहाल करने क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग िकया जाता ह,
िजससे य को इस रोग से बाहर लाने म मदद िमलती ह। कई सश ‘ रवाइवल वॉइ स’ म से Gv-26
सबसे अिधक उपयोगी ह। यह नाक क ठीक नीचे ऊपरी ह ठ क म य म थत ह। रोगी को तुरत सामा य बनाने
क िलए इस वॉइट को अकले या कछ अ य वॉइ स क संयोजन म इ तेमाल िकया जा सकता ह। शरीर को पुनः
श दान करने क िलए यह वॉइट शरीर क नेचुरल मेकिन म को भी उ ी करता ह। इस संदभ म सबसे
मह वपूण ह तंि का तं को मजबूत िकया जाना। इस रोग म दोबारा कट होने पर मेिडकल सहायता लेना तथा
िन निलिखत ेशर वॉइ स को शािमल करते ए ए यू ेशर िचिक सा जारी रखना उिचत होगा।
B23 रब कज तथा क ह क ह ी क भीतरी िकनार क बीच बीच कमर क म य म ढढ़ा जा सकता ह। यह
अवसाद भय, और सदमे म राहत िदलाता ह।
B47 मे दंड से बाहर क ओर चार अंगुल चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न कवल
पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमे म
भी राहत िदलाता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच म थत ह। िमरगी क कारण
आई बेहोशी, ऐंठन या सदमे म राहत दान करने क िलए यह एक मह वपूण थम वॉइट ह।
St-36 िशन बोन क बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह।
र ले सोलॉजी तकनीक का उपयोग करते ए िमरगी से पीि़डत एक रोगी का इलाज करते समय िसर और
म त क से संबंिधत र ले स जोस म आनेवाले र ले स वॉइ स अथा सोलर ले सस, ए नल ल स,
िप युइटरी लड, थायरॉइड लड को उ ी करने क अित र दोन तलव को उ ी कर और उन सभी
वॉइ स क तलाश कर, जो दबाने पर तकलीफ देते ह और उ ह बार-बार उ ी कर। िमरगी का इलाज करने
क िलए िवशेष प से मे दंड, गरदन का े तथा पाचन तं से संबंिधत सभी र ले सेज को उ ी िकया
जाना ज री ह, िजनम पैराथायरॉइड लड पर यादा जोर िदया गया हो। पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और
तलव क िच म उ ी िकए जानेवाले वांि त े देखे जा सकते ह।
लंबे समय तक राहत पाने क िलए उपरो ेशर वॉइ स को आरभ म दस िदन तक और उसक बाद 2-3
महीन तक ह ते म एक बार दबाना चािहए तथा बेहोशी क घटनाएँ कने क बाद फॉलो-अप क तौर पर महीने
म एक बार काफ होगा। अगर एक साल तक भी यह रोग दोबारा कट न हो, तो फॉलो-अप को भी बंद िकया
जा सकता ह।
न 57 : या ए यू ेशर हमेशा बनी रहने वाली थकान दूर करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : ‘ ॉिनक फटीग’ एक ऐसा रोग ह जो ब त से लोग को िनढाल कर देता ह। इस रोग म य हर
समय थका-थका महसूस करता ह। इसका कोई िन त कारण नह बताया जा सकता ह। एकमा कारण सोचा
जा सकता ह, वह शायद यही ह िक हर कोई आपाधापी म लगा आ ह, िजसका प रणाम होता ह शारी रक और
मानिसक थकान। एक और संभािवत कारण, शरीर म िवषैले पदाथ जमा हो जाने से ऊजा अव हो सकती ह,
जो आपको हर समय थका-माँदा महसूस कराती ह और शरीर क रोग ितरोधक मता कम करक उसक य
का माग श त करती ह। बेहतर वा य हािसल करने और रोग ितरोधक मता बढ़ाने क िलए िवषैले पदाथ
शरीर से बाहर िनकालना एक मह वपूण कदम ह। भरपूर पानी पीना डीटॉ सीिफकशन क िदशा म एक अ छा
कदम ह। ए यू ेशर और र ले सोलॉजी—दोन िमलकर ब त लाभकारी हो सकते ह, य िक वे एक-दूसर क
पूरक ह। िन निलिखत ेशर वॉइ स क अनुशंसा क जाती ह—
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत बनाता ह, जो डीटॉ सीिफकशन क िलए सबसे श शाली अंग
माना जाता ह।
Sp-6 ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे—तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायक ह। गभवती मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
इस वॉइट पर रोगी क लेट रहने क थित म दबाव िदया जा सकता ह। (उस समय मू ाशय खाली होना
चािहए)। यह सामा य थकान दूर करता ह और रोग ितरोधक मता बढ़ाता ह।
K-27 े टबोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉल ) म थत ह। यह गुरद को पु करता
ह, जो िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला एक मुख अंग माना जाता ह।
H-6 हाथ क हथेली क तरफवाले भाग पर, दो टडस क बीच, कलाई क ज से दो अँगूठ क चौड़ाई
िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह।
ॉिनक फटीग का मुकाबला करने क िलए ऊपर बताई गई ए यू ेशर िचिक सा िविध क साथ-साथ
िन निलिखत र ले स े पर दबाव देना अ यिधक लाभदायक होगा :
1. पैर क अँगूठ पर िप युइटरी लड से संबंिधत र ले स ए रया
2. तलव क पैड क नीचे और िकडनी वॉइट से ठीक ऊपर ए न स े
3. पैर क दोन ओर टखने क ह ी क े क आसपास से स ल स
4. ित ी क कडीशिनंग, िजसका र ले स पॉइट, बाएँ पैर पर हाट वॉइट क नीचे थत ह, य िक यह अंग भी
शरीर म जैिवक श का भंडारगृह और लाल र कण क उ पादन क िलए िज मेवार भी माना जाता ह।
5. साथ ही िलवर, जो शरीर म ‘ची’ का संचरण बढ़ाने क िलए जाना जाता ह, ‘ ॉिनक फटीग’ का मुकाबला
करने क िलए ब त लाभकारी िस होगा।
इस रोग म सुधार क िलए संबंिधत ेशर वॉइ स पर दबाव देने क िलए िन निलिखत कायसूची का अनुसरण
कर। कभी-कभी तो रोगी पं ह िदन या एक महीने क भीतर ही ठीक हो जाता ह। परतु कभी-कभी पूरी तरह से
ठीक होने म 6 से लेकर 9 महीन तक लग सकते ह। िफर भी, रोगी पूरी तरह ठीक होता ज र ह। ज रत िसफ
इस बात क ह िक उसम ठीक होने क इ छा श और धैय हो।
‘फोर हाइ स’ क नाम से ात St-2 ने कोटर (आइ सॉकट) क लोअर रज से एक उगली क चौड़ाई
िजतना नीचे आइ रस क म य भाग क सीध म, गाल क ग म थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह तथा
चार िदशा म ि म सुधार लाता ह।
‘फिशयल यूटी’ क नाम से ात St-3 पुतली और गाल क ह ी क नीचे थत ह। िपचक ए गाल म
उभार लाता ह तथा फिशयल स युलेशन म सुधार लाता ह।
St-4, यह खास रोग क इलाज क िलए एक लोकल वॉइट ह।
यी फग क नाम से ात Si-17 कान क ह ी क पीछ बने ग म थत ह। चेहर और िसर से जुड़ रोग क
इलाज क िलए इसे एक मह वपूण वॉइट माना जाता ह। वायु िवकार दूर करता ह।
GB-1 आँख क बाहरी कोण क बगल म बने ग म थत ह। वायु िवकार दूर करता ह।
GB-2 जबड़ क जॉइट पर कान क ठीक सामने थत ह। यह वॉइट फिशयल पेरािलिसस क इलाज म िवशेष
प से उपयोगी ह।
GB-12 मे टॉइड बोन क पीछ और नीचे, कान क पीछ बने ग म थत ह। चेहर क लकवे क इलाज क
िलए खास वॉइट ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव उसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’
क अनुसार ही ह। गरदन क े म आई अकड़न को ठीक करने क िलए अ यंत लाभदायक ह। यह वायु िवकार
और जुकाम दूर करता ह।
न 59 : फाय ॉइ स या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी उनक इलाज म िकसी काम आ
सकते ह?
उ र : फाय ॉइ स सामा य, हािनरिहत यूमस ह, जो गभाशय क भीतर िवकिसत होते ह। वे छोट या एक
अंगूर क आकार तक िवकिसत होते ह। एक वृह तर फाय ॉइड उदर क िनचले िह से म दद क साथ-साथ भारी,
लंबे समय तक चलनेवाली या अिनयिमत रजोिनवृि क प म सामने आ सकता ह, िजसका प रणाम र ा पता
होता ह। अ य सम या म पीठ का दद, क ज तथा बार-बार पेशाब आना या पेशाब करने म किठनाई शािमल
ह। अगर आपक उदर क िनचले िह से म तेज ॉिनक दद हो, तो तुरत अपने डॉ टर से िमल।
पोषणहीन आहार, बेमेल खा पदाथ का सेवन तथा ठीक से चबाए िबना, ज दी-ज दी खाना इस रोग क
कारण हो सकते ह। जब हम कछ खाते या (िवशेष प से ॉ क ज रए) पीते ह या काब नेटड पेय पीते ह तो
वायु अंदर लेते ह। इसक ल ण म पेट फलना, पेट म ऐंठन, ख ी डकार तथा गुदा माग से गैस पास करना
शािमल ह।
अगर आप ब स, स जयाँ, फल और अनाज जैसे हाइ फाइबर फड खाते ह तो उनक आंिशक प से पचे सैल
क बाहरी िह से आपक आँत म चले जाते ह। जहाँ बै टी रया खमीर उठाने क अपनी ि या शु कर देते ह,
िजससे गैस पैदा होती ह। कछ मामल म डयरी उ पाद जैसे दूध और दही क सेवन से भी गैस पैदा होती ह। यह
रोग िकसी पेशेवर िचिक सक क सहायता क िबना, नीचे बताए गए ए यू ेशर शे यूल और र ले सोलॉजी क
उपयोग से वयं आपक ारा ठीक िकया जा सकता ह।
Sp-6, को ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह। यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संचा रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बनने वाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क
रा ते िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायक ह। गभवती मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना
चािहए।
Cv-6 : ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत
ह। इस वॉइट पर, रोगी क लेट रहने क थित म दबाव िदया जा सकता ह। उस समय मू ाशय खाली होना
चािहए। यह सामा य थकान दूर करता ह और रोग ितरोधक मता बढ़ाता ह।
St-36 ‘िशन बोन’ से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूरी पर नीकप से चार उगिलय क
चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह और मांसपेिशय को पु बनाता ह।
St-27 शरीर क सामनेवाले भाग म ‘िमिडल ए सस’ क साइड से कछ दूर, नािभ से तीन उगिलय क
चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह उदर-वायु से छटकारा िदलाता ह। Cv-8 बेली बटन पर थत ह। यह नािभ क
े म दद तथा आँत म सं मण (दोन ती तथा ॉिनक) से छटकारा िदलाने म सहायक ह।
Sp-13 जघना थ ( यूिबक बोन) से थोड़ा ऊपर िमिडल ए सस क साइड म चार अँगूठ क चौड़ाई िजतना
दूर थत ह। यह उदर/आँत म तनाव, पेट फलना और वायु म आराम देता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए छोटी और बड़ी आँत , मलाशय और मल ार,
पेट, पि याज, यूअडनम, िलवर, गॉल लैडर, सोलर ले सस, ए नल ल स, डाय ाम तथा मे दंड े ,
िवशेष प से व े क र ले स ए रयाज पर यान कि त क िजए। इन ए रयाज क ठीक-ठीक थित जानने
क िलए कपया पु तक क अंत म िदए गए िच क सहायता ल।
न 61 : ‘ ोजन शो डर’ या ह? या ए यू ेशर इसक इलाज म सहायक हो सकता ह?
उ र : ‘ ोजन शो डर’ एक ऐसा रोग ह, िजसम कधे स त और पीड़ादायक बन जाते ह। यह रोग इस कदर
िबगड़ सकता ह िक रोगी अपने रोजमरा क सामा य काय भी न कर पाए। यहाँ तक िक कपड़ पहनना या बाल म
कघी करना भी मु कल हो जाता ह, अथा बाँह को उठाने-िगराने म किठनाई होती ह। इसीिलए, इसे ोजन
शो डर नाम िदया गया ह। रोगी अपना हाथ कोहनी क ऊचाई से ऊपर नह उठा पाता ह। दद गरदन से लेकर
हाथ तक तथा पीठ और सीने क पूर े म फल सकता ह। यह रोग कभी-कभी सवाइकल पॉ डलाइिटस क
एक हद से यादा उपे ा करने से हो सकता ह। गितिविधय तथा यायाम का अभाव भी इस रोग का कारण बन
सकता ह।
Li-5 को ‘कॉनर ऑफ शो डर’ नाम िदया गया ह और यह कधे क जोड़ क ठीक नीचे थत ह। यह वॉइट
कधे म जोड़ क दद म िवशेष प से लाभदायक ह।
Sp-6, को ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह।
Si-10 : ‘िद वॉइट एट मसल ॉिमनस’ नामक यह वॉइट कधे क जोड़ क पीछ थत ह तथा िवशेष प से
कधे क जोड़ का दद दूर करता ह।
K6 : ‘शाइिनंग सी’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क भीतर क ओर थत ह। यह ियन क कमी दूर करने
क िलए ियन-रन मे रिडयन का माग खोलता ह।
Si-5 : ‘लेटरल पास’ नामक यह वॉइट Si-4, से थोड़ा ऊपर, जो यूमरस बोन क, बाजू म थत ह, यह
भी ‘ची’ क िन लता दूर करता ह।
Si-14 : ‘शो डर ओपिनंग’ क नाम से ात यह वॉइट कधे क पीछ क ह ी क नीचे बने ग म थत ह
तथा कधे क जोड़ म दद म िवशेष प से लाभदायक ह।
GB-21 : ‘वेल ऑफ शो डर’ नामक यह वॉइट उस थल पर पाया जा सकता ह, जहाँ गरदन का बेस कधे
से िमलता ह, यह वायु िवकार दूर करता ह।
GB-34 : ‘यांग माउड ंग’ नामक यह वॉइट घुटने क लेटरल भाग उभरी ह ी क नीचे बने ग म
थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु ऊ मा को बाहर िनकालता ह तथा िलवर क ियन को उ ी
करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क गितशीलता म
सुधार होता ह।
न 62 : सबसे आम परशानी, िसरदद का कारण या ह? या ेशर वॉइ स िचिक सा णाली
(ए यू ेशर) क पास इसका कोई हल ह?
उ र : िसरदद िकसी तरह क तनाव (शारी रक, मानिसक या भावना मक) गलत मु ा म उठने-बैठने, ोध,
िचंता क कारण, िसर, गरदन या कध आिद क मांसपेिशय म आए तनाव क कारण हो सकता ह। यह उन र
धमिनय को संकिचत कर सकता ह जो ेन क नव से स को ऑ सीजन उपल ध कराती ह। मांसपेिशय म तनाव
िसर तक जानेवाली ऊजा क वाह को अव कर सकता ह। जब-जब ऑ सीजन या जैिवक ऊजा क
अपया आपूित होती ह, शरीर दद अथा िसरदद क प म यह परशानी उठा सकता ह। अकसर लोग गोिलयाँ
लेकर शरीर ारा ऑ सीजन या जैिवक ऊजा क अपया आपूित क सूचना देनेवाले इन संकत को दबा देना
पसंद करते ह। य िप ये गोिलयाँ किथत प से िसरदद ठीक करती ह, परतु स ाई यह ह िक वे िसरदद क
कारण को दूर करने क िलए कछ नह करत , कवल अ थायी राहत प चाती ह। जहाँ ददिनवारक दवा दद का
एहसास कम करने म सहायक हो सकती ह, वह दद क कारण को दूर करने क िलए कछ नह होता, यह कारण
क ज, िचंता अपया ऑ सीजन या गलत ढग से उठना-बैठना, कछ भी हो सकता ह।
‘एडजॉइनिगं वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायता करता ह। यह ची क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला
को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
GB-13 (माइड ट) आँख क बाहरी िकनार क सीध म माथे से ऊपर हयर लाइन क ठीक भीतर थत ह।
यह िच को शांत करता ह और िसरदद दूर करता ह। एक या दो िमनट थर दबाव डाल।
‘ कल सपोट’ क नाम से ात वॉइट St-8, GB-13 क तर पर करीब एक इच बाहर क ओर थत ह।
और िसरदद दूर करने क िलए एक अ यंत भावी वॉइट ह। इस वॉइट पर भी एक या दो िमनट मजबूती से
दबाव डालना होगा।
Tw-5 ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
न 63 : या ेशर वॉइट थेरपी या र ले सोलॉजी वण संबंधी सम या क इलाज म सहायक
हो सकती ह?
उ र : चीन क िचिक सा प ित म वण संबंधी सम या को दो वग म बाँटा गया ह। पहला ह कमी
(डिफिशएंसी) और दूसरा ह आिध य। कमी क सम या का कारण ह गुरदे क ची का ठीक से काम न करना।
यह उ बढ़ने क साथ वण मता क िमक स का प लेता ह। इसक पीछ संबंिधत मे रिडयन म गुरदे क
ऊजा का कमजोर पड़ जाना ह। इस रोग से छटकारा पाने क िलए बस िकडनी क ‘ची’ को पु करना ज री ह।
आिध य िलवर या गॉल लैडर क मे रिडयन म अचल ची क अिधकता होने का कारण होता ह, ऐसा माना जाता
ह िक कभी-कभी इस थित क प रणाम व प कछ ही िदन म वण मता अचानक कम हो जाती ह। इस
थित से बाहर आने क िलए हम िलवर/गॉल लैडर मे रिडयंस म जमा अित र ऊजा को बाहर िनकालना होगा,
तािक िफर से संतुलन थािपत हो सक। ेशर वॉइट िचिक सा क बात कर तो ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची उपयोगी िस ह गीः
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब
तीन उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल। इस वॉइट को Tw-17 क संयोजन से उ ी करना कान म
िकसी भी कार क सम या म लाभकारी पाया गया ह। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और सश
वॉइट माना जाता ह।
Tw-3 हाथ क िपछले भाग म, किन ा और मुि का उगिलय क बीच बने चैनल म उगली क गाँठ और
कलाई क तकरीबन बीच क ग म थत ह। दोन हाथ पर करीब एक िमनट तक दबाएँ।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह वॉइट
‘सु ीम ीम’ क नाम से जाना जाता ह। यह पूर शरीर क ियन और यांग क मूल क प म जाना जाता और
िकडनी मे रिडयन का मु य ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस मे रिडयन और पूर शरीर पर जबरद त
पुि कारक भाव पड़ता ह। इस रोग म इस वॉइट पर दबाव डालना ब त ही उपयोगी होगा।
Si-19 मुँह खोलने पर बननेवाले ग म थत ह। इस वॉइट को उ ी करते समय अपना मुँह खुला रख।
यह सुिन त कर िक आप उपरो तरीक से बननेवाले ग क क पर दबाव दे रह ह। अपने हाथ क तीन
उगिलयाँ जोड़कर इस वॉइट पर दबाव द, तािक इस वॉइट से करीब आधा इच ऊपर और नीचे थत दो और
वॉइ स पर भी साथ-साथ दबाव िदया जा सक। यह गॉल लैडर और ि पल वॉमर मे रिडयंस का ांिसंग वॉइट
ह तथा कान क वण-श पर लाभकारी भाव डालता ह।
न 64 : िहचक य आती ह? या ए यू ेशर क मदद से उसे रोका जा सकता ह?
उ र : िहचक से ब त िचढ़ पैदा होती ह। वे डाय ाम, फफड़ और कभी-कभी गले म होनेवाले र क
पा मस ह। िहचक य और कसे आती ह, इसका कोई प कारण शायद उपल ध नह ह। वे शु होती ह
और कछ समय बाद अपने आप क जाती ह। अिधकांशतः थोड़ा सा गुनगुना पानी का घूँट लेना और आराम क
मु ा म बैठकर गहरी साँस लेना इस परशानी से छटकारा पाने का सबसे सरल उपाय हो सकता ह। िफर भी, अगर
यह सम या बनी रहती ह या बार-बार कट होती ह तो ेशर वॉइट िचिक सा क िन निलिखत कायसूची उपयोगी
िस होगी। परतु एक बार िफर हम िनधा रत ेशर वॉइ स पर दबाव डालते समय यथासंभव आरामदायक
थित म बैठने या लेटने तथा गहरी साँस लेने क मह व पर यान आकिषत करना चाहगे।
‘ े टग बंबू’ नामक वॉइट B-2, B-1 से ठीक ऊपर, ठीक उस जगह पर थत ह, जहाँ बाँसा (ि ज ऑफ
िद नोज) से भ ह शु होती ह। 2-3 िमनट तक म यम दरजे का दबाव द।
Cv-12 े टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। राहत पाने क िलए इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव द। अगर दबाव उस समय द, जब पीि़डत य का
पेट खाली हो, तो बेहतर होगा। यह िहचिकय , पेट म ऐंठन, भावना मक तनाव आिद म आराम िदलाता ह।
K-27 े ट बोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉलो) म थत ह। यह गुरद को पु करता
ह, जो िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला एक मुख अंग माना जाता ह। यह िहचिकय , सीने क जकड़न और
िचंता से छटकारा िदलाता ह।
Tw-17 इअरलोब क पीछ बने ाकितक धँसाव म थत ह। ह का दबाव द य िक यह वॉइट मृदु (टडर)
हो सकता ह। दोन तरफ थत इस वॉइट पर धीमी, िकतु गहरी साँस लेते ए दबाव द। यह िहचिकय से
छटकारा पाने क सबसे तेज तरीक म से एक माना जाता ह।
Cv-22 : ‘हवन रिशंग आउट’ नामक यह वॉइट गले क बेस पर कॉलरब स क बीच बीच थत ह। यह गले
और सीने म जकड़न तथा िहचिकय म आराम प चाता ह। सी ऑफ िलटी क नाम से ात वॉइट सीवी-17
े टाबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर, े टोन क म य म थत ह। यह पैिनक अट स
क अित र िचंता और िहचिकय से छटकारा िदलाता ह।
Lu-1 : ‘लेिटग गो’ नामक यह वॉइट सीने क बाहरी ओर, बगल क ज से करीब ढाई उगली चौड़ाई
िजतना ऊपर (करीब एक इच भीतर) थत ह। यह िहचिकय और साँस लेने म किठनाई म आराम िदलाने म
सहायक ह।
‘इनर गेट’ क नाम से ात PC-6 हथेली क ओरवाली कलाई पर कलाई क ज से करीब तीन उगिलय
क चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। यह डाय ाम क सामा य ि या बहाल करक िहचिकय म
राहत प चाता ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह ची क िन लता
को दूर करता ह और इस तरह हॉट लश से छटकारा िदलाता ह।
‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात वॉइट Cv-17 े टबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई
िजतना ऊपर, े टबोन क म य म थत ह। यह िचंता से छटकारा िदलाता ह, न स को शांत करता ह और हॉट
लश को दूर करता ह।
K-6 : ‘शाइिनंग’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क भीतर क ओर थत ह। यह ियन क कमी दूर करने
क िलए ियन-रन मे रिडयन का माग खोलता और इस तरह हॉट लश क मूल कारण को दूर करता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत बनाता ह। जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह, रजोिनवृि क सभी कार क ल ण को दूर करने क िलए इसका उपयोग िकया जा
सकता ह।
Sp-6, को ी ियन मीिटग वॉइट भी कहा जाता ह, यह टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर थत ह। जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण
ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और गुरदे तीन मे रिडयंस क ियन को पु
करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म सहायक ह। यह य क कोई भी सम या को
िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गलत खानपान (अथा अिधक चरबी और कॉले ॉल यु भोजन) मानिसक तनाव, अ यिधक शारी रक म,
यायाम का अभाव, मिदरापान, धू पान, अपया न द इस रोग क कछ कारण हो सकते ह। उ र चाप किथत
प से यांग क अिधकता या कफ और नमी क अिधकता से भी हो सकता ह। इस तरह क कमी गुरदे या
िलवर, म हो सकती ह, जो ची क संचरण को िनयंि त करते ह।
यहाँ िजन ेशर वॉइ स क चचा क जा रही ह, उनका उपयोग करक उ र चाप को िनयं ण म रखा जा
सकता ह। अगर रोगी एक िनयिमत जीवन-शैली अपना ले और सुबह-शाम घूमना, अगर वह भोजन म नमक
यादा लेता हो तो नमक कम खाना, चरबी/कॉले ॉल रिहत भोजन, िजसम हरी प ेवाली स जय , पया पानी
पीने पर जोर िदया गया हो तथा उिचत यायाम करना शु कर दे तो उसक िलए मददगार होगा।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु और िलवर मे रिडयन म ची क
वाह को िनयिमत करता ह। उ र चाप क मुख कारण म से एक िलवर मे रिडयन का अव हो जाना ह
और इस वॉइट पर दबाव देने से यह अवरोध हट जाता ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। Li-11 क साथ उपयोग करने से यह वॉइट अ छ प रणाम देता ह।
अिधक खून बह जाने, कपोषण क कारण होनेवाली खून क कमी और कभी-कभी, एक झटक म शरीर क
मु ा बदल लेने से र चाप नीचे जा सकता ह, िजसक प रणाम व प च र आना या अ थायी मू छा जैसी
परशािनयाँ खड़ी हो सकती ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह लीवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। िन न र चाप क मुख कारण म से एक, िलवर मे रिडयन का अव हो जाना ह
और इस वॉइट पर दबाव देने से यह अवरोध हट जाता ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। Li-11 क साथ म उपयोग करने म यह वॉइट अ छ प रणाम देता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम, ‘गे स ऑफ कांशसनेस’
क अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए यह अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म, दोन पै स क बीच, पैर क बॉल क नीचे थत ह।
एक िमनट तक फम ेशर दीिजए।
Li-11 कोहनी क सलवट क बाहरी िसर पर थत ह। यह वॉइट जुकाम, बुखार दूर करने और रोग
ितरोधक मता बढ़ाने, िजससे शरीर भिव य म होनेवाले जुकाम का मुकाबला कर सकता ह। चूँिक यह वॉइट
पश करने पर ब त कोमल हो जाता ह, इस पर ह का या मािलश जैसा दबाव ही डाला जाना चािहए। इस वॉइट
को Ht-3, क साथ दबाएँ, जो कोहनी क सलवट से किन ा उगली क तरफ, Li-11 क ठीक सामने थत
ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए दय से संबंिधत र ले स ए रयाज पर दबाव
दीिजए। हाथ और पैर क सबसे छोटी उगिलय क नाखून से जुड़ी वचा पर अँगूठ से उलटी िदशा म दबाव देने,
जैसा उ र चाप क मामले म िकया जाता ह, क बजाय म यमा उगिलय और पैर क छोटी उगिलय पर हाथ
और पैर क अँगूठ क िदशा म औसत दबाव देते ए इस े पर 10-15 बार मािलश कर। बाक े , िज ह
उ ी िकया जाना ह, वही ह गे जो उ र चाप म िकए जाते ह।
न 68 : रोग ितरोधक तं या ह? या ए यू ेशर हमारी रोग ितरोधक मता बढ़ाने म मदद
कर सकता ह?
उ र : हमारा रोग ितरोधक तं एक जिटल संजाल या नैटवक ह, िजसम हमार शरीर का येक पहलू
शािमल ह। वचा वायरस क िखलाफ हमारी पहली र ा पं होने से िलंफ ल स असं य ेत र
कोिशका का िनमाण एवं भंडारण करती ह, जो हम रोग से बचाते ह। यहाँ तक िक हमार िवचार, चाह वे
सकारा मक ह या नकारा मक, हमार रोग ितरोधक तं को मजबूत या कमजोर बना सकते ह। जीवाणु और
िवषाणु क हमार शरीर म वेश करते ही वह उनका पता लगाकर पहचान करता ह और उ ह न कर देता ह।
हमार शरीर म ऊजा का असंतुलन हमार ितरोधक तं को कमजोर करता ह। अगर हम समुिचत आहार ल,
पया यायाम कर, पया िव ाम भी कर और श से अिधक म न कर, तो हमारा रोग ितरोधक तं
अथा रोग से मुकाबला करने क हमारी मता सश बनी रहती ह। यह पाया गया ह िक िन नानुसार िकसी
िवशेष गितिविध का आिध य रोग ितरोधक तं को कमजोर करता हः
1. अ यिधक खड़ रहना मू ाशय और गुरदे क मे रिडयंस को ित प चाता ह और उससे थकान एवं पीठ का दद
हो सकता ह।
2. अ यिधक बैठ रहना उदर एवं ित ी क मे रिडयंस पर ितकल भाव डालता ह।
3. अ यिधक लेट रहना सीधे-सीधे बड़ी आँत और फफड़ क मे रिडयंस को भािवत करता ह।
4. आँख पर अ यिधक जोर देना या भावना मक तनाव सीधे-सीधे छोटी आँत और दय क मे रिडयंस पर
ितकल भाव डालता ह।
5. अ यिधक शारी रक म गॉल लैडर और िलवर क मे रिडयंस को भािवत करता ह।
मू ाशय और गुरदे क मे रिडयंस को पहले क तरह सामा य बनाने क िलए B-23 और B-47 को उ ी
कर। B-23 को रब कज और क ह क ह ी क भीतरी िकनार क बीच बीच, कमर क म य भाग म पाया जा
सकता ह। B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क म य भाग म थत ह।
ये वॉइ स न कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देते ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद,
भय और सदमा भी कम करते ह। इसक बाद एिलगट मशन वॉइट K-27 जो आपक कॉलरबोन क ठीक नीचे
ह, पर दबाव डाल, उसक बाद K-3 (िबगर ीम) पर दबाव द। यह िलवर और गुद क ियन को उ ी और
यांग को शांत करता ह। इन वॉइ स म से येक पर एक िमनट तक दबाव डाल। दबाव डालते समय गहरी साँस
ल और धीर-धीर छोड़।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह। तथा ची और र म
नई जान डालने म मददगार पाया गया ह। उदर और ित ी क मे रिडयंस को लाभ प चाने क िलए इसे उ ी
कर।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ची क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
Li-11 : ‘ कड पॉ ड’ नामक यह वॉइट कोहनी क ऊपरी सलवट क बाहरी िसर पर थत ह। इसे एलज को
िनयंि त करनेवाले सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अ यिधक संवेदनशील भी ह, इसिलए
इस वॉइट पर दबाव ब त सावधानी से िदया जाना चािहए, अ यथा यह अ यंत मृदु बन जाता ह। मृदु बनने क
बाद कपड़ का पश भी पीड़ादायक हो सकता ह। इस वॉइट पर मािलश जैसा दबाव भी िदया जा सकता ह। बड़ी
आँत और फफड़ क मे रिडयंस को लाभ प चाने क िलए इन दोन वॉइ स पर साथ-साथ दबाव िदया जाना
चािहए।
Cv-17 : ‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात यह वॉइट े टबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई
िजतना ऊपर े टबोन क म य म थत ह। यह छोटी आँत और दय क मे रिडयंस को संतुिलत करने क िलए
यह एक उ म वॉइट ह। जो हमार शरीर म भावना मक संतुलन पैदा करता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत करता ह। जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। अ यिधक शारी रक म क कारण गॉल लैडर और िलवर क मे रिडयंस को ई ित
मोच और ऐंठन का कारण बन सकती ह। इसे िनयंि त करने क िलए इस वॉइट पर दबाव द।
न 69 : या ए यू ेशर या ा त सुधारने और मन को एक एका करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : हाँ, एक बड़ी हद तक ए यू ेशर इसम सहायक हो सकता ह। वा तव म आज क भीषण ित प ा क
युग म हम सभी को एक तेज िदमाग और पैनी या ा त क ज रत ह तािक हम िदए गए काय पर अपना यान
बेहतर तरीक से कि त कर सक। या ा त कमजोर होने क पीछ तनाव या गे ोइट टाइनल िस टम से जुड़ी कोई
सम या हो सकती ह। अगर हमारा भोजन संतुिलत नह ह तो खानपान क आदत भी एक बड़ा कारक हो सकती
ह। कधे या गरदन म तनाव भी एक कारक त व हो सकता ह। अपनी या ा त बढ़ाने क िदशा म पहले कदम क
तौर पर काब हाइ स से यु आहार, जैसे ताजी स जयाँ, साबुत अनाज, अंक रत दाल, गे क ताजी घास का
रस आिद लेना शु कर द। अगर अपना खानपान दु त करने और यायाम करने क बाद भी आपक या ा त
न सुधर तो इस बात क तस ी कर लेने क िलए िक दय रोग या उ र चाप जैसे उसक रोग तो नह , अपने
डॉ टर क सलाह ल। चीन क पारप रक िचिक सा प ित क अनुसार म त क क काय णाली सीधे-सीधे गुरदे
मे रिडयन म ची क व थ वाह से जुड़ी ई ह। ेशर वॉइट थेरपी (ए यू ेशर) क िन निलिखत कायसूची ब त
लाभदायक िस होगी य िक वह गुरदे क ची को पु बनाकर या ा त और एका िच ता बढ़ाने म सहायक
होगीः
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर नीकप से चार उगलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। यह शरीर म जमा अित र नमी को भी दूर करता ह और इसे ेन फॉग दूर
करनेवाला वॉइट भी माना जाता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नीकप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न,
म त क को आ छािदत कर देता ह, इसे दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
Kd-3 : ‘सु ीम ीम’ नामक यह वॉइट िलवर और गुरदे क ियन को उ ी तथा यांग को शांत करता ह
एवं इस मे रिडयन और पूर शरीर पर मजबूती से असर डालता ह।
ए यू ेशर म शरीर म पुनः संतुलन कायम रखने और उसम नई जान डालने क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग
िकया जाता ह। पुन ीवन क कई सश वॉइ स म Gv-26 सबसे अिधक उपयोगी ह। यह नाक क ठीक
नीचे, ऊपर क ह ठ क म य म थत ह। रोगी को त काल भला-चंगा बनाने क िलए इस वॉइट को अकले या
कछ अ य वॉइ स क संयोजन म उपयोग िकया जा सकता ह। यह वॉइट पुनः वा य-लाभ क िलए शरीर क
ाकितक तं को भी उ ी करता ह। इस संदभ म करने यो य सबसे मह वपूण चीज ह तंि का तं को मजबूत
बनाना।
न 70 : या ए यू ेशर यौन संबंधी सम या , िवशेष प से नपुंसकता क समाधान म सहायक
हो सकता ह?
उ र : से स से जुड़ मु पर खुलापन होने क बावजूद यौन जीवन म असंतुि अब भी संबंध म
असामंज य क मूलभूत कारण म से एक बना आ ह। अिधकांश लोग क िलए से स यार और जुड़ होने क
एहसास क अिभ य ह। से स से संबंिधत कछ सम याएँ काियक (ऑगिनक) और जैिवक (बायोलॉिजकल)
हो सकती ह, उदाहरण क िलए लो-से स ाइव, नपंसुकता और इन-फिटिलटी, जो से स से जुड़ी सम या म
शायद अिधक िवषादकारी ह। दूसरी ओर पु ष म संभोग ठीक से न कर पाने का भय और िचंता तथा य म
भावना मक अवरोध, योिन म सं मण, क◌ स, यौने छा म कमी या गु ांग से संबंिधत अ य सम या का
कारण बन सकते ह। अगर आप इस तरह क िकसी भी सम या से पीि़डत ह तो यह पता लगाने क िलए िक कह
आपक सम या शारी रक कारण से तो नह ह, सबसे पहले अपने पा रवा रक िचिक सक से सलाह लीिजए।
चीन क पारप रक िचिक सा प ित म माना गया ह िक जनन मता यौन-गितिविधयाँ गुरद से िनयंि त होती
ह। गुरद का ीण पड़ता ऊजा तर वा य पर ितकल भाव डाल सकता ह, िजससे यौन वा य भी
भािवत होता ह। थकान और पीठ क िनचले िह से म दद भी असंतोषपूण यौन जीवन क कारक हो सकते ह। यह
कमी न कवल गुरद से ब क Ren मे रिडयन (अथा शरीर क सामनेवाले भाग से गुजरनेवाला िमडलाइन
चैनल, कस शन वेसल) से भी संबंिधत हो सकती ह। अपने माग क कारण रन मे रिडयन जननांग से जुड़ा आ
ह। नपुंसकता का इलाज बुिनयादी तौर पर गुरद क यांग को उ ी करना ह, तािक संतुलन पुनः थािपत हो
सक। िनयिमत यायाम और संतुिलत आहार क ज रए वा य म सुधार लाकर यौन मता को बढ़ाया जा सकता
ह। ब स (सेम), िवशेष प से लैक ब स गुरद संबंधी रोग पर लाभकारी भाव क िलए जाना जाता ह तथा
अिनयिमत मािसक धम, बाँझपन और यौन उदासीनता को ठीक करने म सहायक ह। तीन भाग अनाज और एक
भाग ब स से बने आट क रोटी, िजसम सभी ज री अमीन एिस स मौजूद ह, का सेवन शरीर को पया ोटीन
उपल ध कराता ह तथा पु ष और ी, दोन क जनन तं को भी मजबूत बनाता ह। अ यिधक मीठा खाने से
बच य िक वह ित ी, पि याज और िलवर क ि या को असंतुिलत कर सकता ह, िजससे गुरद पर
अित र भार पड़ता ह। सम वा य और ऊजा का तर बढ़ाने क िलए साबुत दाल , ताजी स जय , ताजे
फल ( ितिदन एक सेब) का संतुिलत आहार ल। यौन मता बढ़ाने क िलए ये सब ज री ह।
ेशर वॉइट तकनीक क ह क े (पे वक रीजन) म मांसपेिशय का तनाव दूर करने म सहायक ह। िजससे
नपुंसकता यौने छा म कमी, वीक इर शन, समयपूव खलन, योिन म सं मण और मािसक धम संबंधी
सम या का समाधान हो सकता ह। हािलया शोध से पता चला ह िक भावना मक तनाव क अित र तंग कपड़
पहनने, पट क जेब म मोबाइल फोन रखने (रिडएशन इफ ट), यायाम का अभाव और गलत मु ा म उठने-
बैठने से यह गंभीर सम या पैदा हो सकती ह। पे वक रीजन म तनाव दूर होने से सहवास क आनंद म वृ हो
सकती ह। ए यू ेशर क िन निलिखत कायसूची का अनुसरण कर और अपने जीवन म बदलाव महसूस कर :
B-23 रब कज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच, कमर क म य म थत ह। यह अवसाद
और भय से छटकारा िदलाता ह। जनन मता, नपुंसकता और समय पूव खलन पर सकारा मक भाव डालता
ह।
B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, और भय भी
कम करता ह। जनन मता, नपुंसकता और समयपूव खलन पर सकारा मक भाव डालता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच थत ह। नपुंसकता और हॉट
लश दूर करने क िलए यह एक मह वपूण वॉइट ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय और जनन तं को पु बनाता ह।
नपुंसकता दूर करता ह।
B-27 से लेकर B-34 ऐसे ेशर वॉइ स ह, जो मे दंड क से ल पाट पर थत ह और उन पर दोन हाथ
क मु य क ज रए भी दबाव डाला जा सकता ह, जब रोगी बैठा या पेट क बल लेटा हो। वतमान संदभ म, ये
वॉइ स जनन तं को मजबूत बनाने, नपुंसकता, बाँझपन दूर करने, योिन से अिनयिमत ाव और गु ांग म दद
ठीक करने म सहायक ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह से स संबंधी
तनाव , मािसक धम म अिनयिमता, आिद ठीक करने म सहायक ह।
Cv-4 ‘गेट ओ रिजन’ नामक यह वॉइट नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। नपुंसकता
दूर करने और अिनयिमत रजोधम को ठीक करने म सहायक ह।
Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह जनन संबंधी सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह।
‘इनकॉ टनस’ गुरदे या ित ी म ऊजा क कमी क कारण होता ह। इससे मू या मल िवसजन संबंधी परशानी
हो सकती ह। ित ी क ऊजा शरीर क मसल टोन को िनयिमत करती ह। ण मसल टोन इस परशानी क जड़
ह। अिधकांशतः यह सम या उपरो दोन अंग म कमी का प रणाम होती ह। इसका एक सकारा मक पहलू यह
ह िक इससे पीि़डत अिधकांश या लगभग सभी लोग को ए यू ेशर िचिक सा प ित से लाभ हो सकता ह। इस
संबंध म िन निलिखत कायसूची उपयोगी िस ह गीः
Sp-6, िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे—तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाना ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क िकसी भी तरह क सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर उगली क चौड़ाई िजतनी दूर नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना
नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6 क
साथ दबाव डालने पर पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह से स संबंधी
तनाव , मािसक धम म अिनयिमतता आिद को ठीक करने म सहायक ह। इस वॉइट से, घुटने क िदशा म, तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर Kd-7 वॉइट ह। अँगूठ से करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
अगला वॉइट िजस पर दबाव िदया जाना ह, वह ह Cv-3। यह वॉइट Cv-4 (गेट ओ रिजन), से एक अँगूठ
क चौड़ाई िजतना नीचे ह, जो नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह, लैडर मे रिडयन पर
अपने भाव क कारण यह लगभग िविश वॉइट ह। अगर लैडर खाली करने क बाद इस वॉइट पर करीब
एक िमनट तक थर दबाव िदया जाए, तो बेहतर तथा और अिधक भावी रहगा।
B-28 यू रनरी लैडर का एक संब वॉइट ह और पीठ क िमड-से ल ए रया म, मे दंड क दोन ओर
करीब डढ़ इच दूरी पर थत ह। Cv-3 और B-28 यू रनरी लैडर क िविश वॉइ स ह, इ ह उ ी करने
क िलए उन पर कछ िमनट तक दबाव द।
न 72 : बदहजमी और हाटबन या ह? उनका कारण या ह? उनक इलाज म ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी िकस तरह से सहायक हो सकते ह?
उ र : बदहजमी और दय-शूल (हाटबन) दोन का मुख ल ण ासनली (इसोफगस) से लेकर े टबोन
तक क े म जलन महसूस होना ह। अ लशूल क पीछ मानिसक तनाव तथा यादा खा लेने या भोजन को ठीक
से चबाए िबना ज दी-ज दी खाने या ऐसी बासी चीज खाने, जो हमार िस टम क अनुकल न ह , उपरो ल ण
क कारण हो सकते ह, िजनक साथ कभी-कभी मतली और उलटी जैसी सम याएँ भी हो सकती ह। बै टी रया से
सं िमत खाना खाने से फड पॉइजिनंग भी हो सकती ह, िजसक कारण पेट म ऐंठन, उलटी, डाय रया और कभी-
कभी च र भी आ सकते ह।
अिधकांशतः बदहजमी या पेट क गड़बड़ी यादा खा लेने या डाइजे टव एिस स का पेट से उलटी िदशा म,
ासनली म वािहत हो जाने क कारण होती ह और इसी वजह से अलशूल भी। इस रोग से छटकारा पाने क िलए
िन निलिखत ेशर वॉइ स क कायसूची का अनुसरण कर:
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह तथा पाचन-ि या क साथ-साथ ची और र पर
िवशेष प से लाभदायक भाव डालता ह।
‘इनरगेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क तरफ कलाई पर, कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क
चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। यह पेट क गड़बड़ी म आराम देने क िलए जाना जाता ह। करीब
एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव डाल, िफर धीर-धीर दबाव बढ़ाते ए, स क अंत तक धीर-धीर दबाव
हटाएँ। यही ि या दूसर हाथ पर भी दोहराएँ।
Cv-12 े टबोन क तले पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर करीब एक िमनट
तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव डाल। इस वॉइट पर दबाव देते समय अगर रोगी का पेट खाली हो तो
बेहतर होगा। यह पेट म मरोड़, भावना मक तनाव आिद दूर करता ह।
Sp-4 को ‘ ांडफादर- ांडसन’ क नाम से जाना जाता ह। इस वॉइट तक प चने क िलए उस संिध थल से
शु कर, जहाँ पैर का अँगूठा पैर से िमलता ह। ह ी पर से िखसकते ए संिध थल क म य से टखने क िदशा
म करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। उसक ठीक नीचे Sp-4 ह। पेट क ची क संतुलन क िलए
यह अित मह वपूण वॉइट ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग का इलाज करते ए सोलर ले सस, डाय ाम, ए नल ल स, मे दंड तथा
पाचन तं क सभी अंगो जैसे उदर, पि याज, युओडनम, िलवर, गॉल लैडर, बड़ी और छोटी आँत इ यािद से
संबंिधत र ले स ए रयाज पर यान कि त क िजए। इन सभी े पर अपने अँगूठ और तजनी या म यमा उगली
को भी, अपनी सुिवधा अनुसार करीब एक से लेकर दो िमनट तक दबाव देकर उ ी कर। िविभ अंग से
संबंिधत र ले स ए रयाज क करीबी थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए िच का अवलोकन कर।
Sp-6, िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क िकसी भी तरह क सम या को िनयिमत करने वाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डालना चािहए। यह पता चलते ही िक एक मिहला ने गभधारण
कर िलया ह, इस वॉइट पर दबाव नह िदया जाना चािहए।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
Sp-12 (रिशंग डोर) और Sp-13 (मशन कॉटज) पे वक रीजन म उस ज क बीच म थत ह, जहाँ टाँग
धड़ से िमलती ह। नपुंसकता और इनफिटिलटी क सम या दूर करने क िलए ये वॉइ स ब त भावी ह। ये दोन
वॉइ स मािसक धम से जुड़ी िकसी भी तरह क परशानी दूर करने म िवशेष प से कारगर ह।
Cv-4 : ‘गेट ओ रिजन’ नामक यह वॉइट नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। नपुंसकता
दूर करने और अिनयिमत रजोधम को ठीक करने म सहायक ह।
Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह जनन संबंधी सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह तथा सम जनन तं
को सश बनाता ह। उदर े को पु बनाने और जनन मता बढ़ाने क िलए यह िविश वॉइट माना जाता
ह। इसे 10 से लेकर 15 या इससे भी यादा िदन तक हर दूसर िदन तब तक िनयिमत प से दबाया जाना ज री
ह, जब तक िक ी गभधारण न कर ले। (मािसक धम क दौरान न दबाएँ)।
B-23 रब कज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच -बीच कमर क म य म पाया जाता ह। यह
अवसाद और भय दूर करता ह तथा जनन मता, नपुंसकता और शी पतन पर सकारा मक भाव डालता ह।
B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद और भय भी
कम करता ह। जनन मता नपुंसकता और शी पतन पर सकारा मक भाव डालता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच थत ह। नपुंसकता और हॉट
लश दूर करने क िलए यह मह वपूण वॉइट ह।
Lv-11 : ‘ियन कॉनर’ क नाम से ात यह वॉइट जाँघ क ह ी ( यूिबक बोन) क ऊपरी िकनार से दो
अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। इनफिटिलटी दूर करने क िलए यह भी एक मह वपूण वॉइट ह।
जैसे िक ऊपर चचा क गई ह, ऐसे रोगी को र ले सोलॉजी स देते समय जो इनफिटिलटी क सम या से
छटकारा पाना चाहता/चाहती हो, जनन तं से संबंिधत सभी अंग क र ले स वॉइ स तथा तनाव दूर करनेवाले
वॉइ स को उ ी करना ब त उपयोगी होगा। ऐसा करने क िलए गभाशय िडब ंिथय िडबवाही निलय से
संबंिधत सभी र ले स ए रयाज को अ छी तरह उ ी कर। अँगूठ और तजनी या म यम उगली, जो भी
सुिवधाजनक लगे, क सहायता से बारी-बारी से दबाव डाल और येक र ले स ए रया को पया समय द।
दोन हाथ पर, कलाई क दोन ओर थत िडब ंिथय को और गभाशय क र ले स वॉइ स जैसा पु तक क
अंत म हथेिलय और तलव पर शरीर क िविभ र ले स वॉइ स क थित दरशानेवाले िच क अनुसार
उ ी कर।
Sp-6 िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर पॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। ियन का पोषण और मन को शांत करने क अपने मुखी भाव क कारण यह अिन ारोग से
छटकारा िदलानेवाला मह वपूण वॉइट बन जाता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से लेकर
म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह। यह गैस
और जुकाम भी दूर करता ह। अिन ारोग ठीक करने क िलए एक अ छा वॉइट ह।
‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात Cv-17 े टबोन क बेस से एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर,
े टबोन क म य म थत ह। यह िचंता से छटकारा िदलाता ह, घबराहट को शांत करता ह और हॉट लश कम
करता ह। यह अिन ारोग ठीक करने म सहायक ह।
‘इनर गेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क तरफ कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना
ऊपर, भुजा क म य म थत ह। मन को शांत करनेवाले भाव क ज रए यह अिन ारोग से छटकारा िदलाता ह।
Gv-16 : ‘िवंड मशन’ नामक यह वॉइट िसर क िपछले िह से क म य म खोपड़ी क बेस क नीचे बने
धँसाव म थत ह। यह मानिसक तनाव और अिन ा, रोग से छटकारा िदलाता ह।
k6 : (जॉयफल लीप) टखने क भीतरी भाग क नीचे बने ग म पाया जाता ह। अिन ा और िचंता दूर करता
ह।
B-62 : ‘काम लीप’ नामक यह वॉइट टखने क बाहरी भाग पर बने ग म थत ह। यह पीठ का दद दूर
करता ह, िजसक कारण सोने म किठनाई होती ह।
चूँिक बार-बार आनेवाले अिन ा क दौर रोगी को सु त बना सकते ह, अगर सोने से पहले िन निलिखत
र ले स वॉइ स को उ ी िकया जाए तो वह रले स महसूस करगा और उसे चैन क न द आने क संभावना
बढ़गी। दोन पैर और हथेिलय क सोलर ले सस ए रया को अँगूठ से धीर-धीर कई बार दबाकर उ ी कर।
इसक बाद दोन पैर और दोन हाथ क अँगूठ पर थत िसर और म त क क संबंिधत र ले स ए रयाज पर
अँगूठ क ज रए दबाव द। दबाव अँगूठ क साइ और टम, दोन पर िदया जाना चािहए।
न 75 : िव ु ध आँत क अव था ‘इ रटबल बाउल िसं ोम’-आइबीएस) या ह? या ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी इसक इलाज म सहायक हो सकते ह?
उ र : आइबीएस एक ऐसा श द ह, जो कई तरह क िवकार , को विणत करता ह, जो आँत को भािवत
करते और ब त से ल ण पैदा करते ह, िजनम बारी-बारी से क ज और डाय रया होना, अ यिधक उदर-वायु,
मतली, भूख कम लगना, पेट म मरोड़ तथा सु ती और कमजोरी का एहसास शािमल ह, इस रोग का कोई ात
कारण नह ह। िफर भी यह माना जाता ह िक तनाव तथा वाय वचिलत (Autonomic) तंि का तं
(नवस िस टम) क कारक त व हो सकते ह जो तनाव पर िति या य करता ह, कछ खा पदाथ भी आँत
को िव ु ध कर सकते ह। चीन क पारप रक चीनी िचिक सा शा क अनुसार यह थित हमार शरीर म जमीनी
ऊजा (अथ इनज ) जो हमार शरीर क पाँच मूलभूत त व म से एक ह, म िकसी कार का असंतुलन आ जाने क
कारण बनती ह। अगर आपक िस टम पर अथ एनज हावी ह तो आप खाने क शौक न या यादा खाने क ओर
वृ हो सकते ह और यह आपक पाचन संबंधी सम या को बढ़ा सकते ह। इसक प रणाम व प आपक
िलए अपना वजन िनयंि त करना किठन हो सकता ह। एक बार असंतुिलत होने पर आपको िमठाइय , चॉकलेट
आिद क ललक हो सकती ह, जो आपक सम या को और बढ़ा देगा।
कई अ य िवकार पेट और सीने म जलन, खाने क बाद पेट फल जाना, डकार तथा खाना िनगलने म किठनाई
जैसी सम याएँ पैदा कर सकते ह। इनम नॉन-अ सरिटव, िड पे सया, गे ाइिटस और पे टक अ सर आिद
शािमल ह। उनक शारी रक ल ण िमलते-जुलते लगते ह, पेट और गले म अ लता का एहसास तकलीफ बढ़ा
देता ह। पे टक अ सर अकसर एक ऐसे अ सर को ज म देता ह िजससे पेट या ऊपर आँत क दीवार का रण
हो जाता ह। गे ाइिटस टमक म ेन का इ रटशन ह। ए प रन का सेवन इस इ रटशन का कारण हो सकता ह।
इसी तरह भारी तनाव, धू पान तथा जीवन शैली से जुड़ ए अ य कारक भी गे ाइिटस का कारण हो सकते ह।
इसी तरह भारी तनाव, धू पान तथा जीवन शैली से जुड़ ए अ य कारक भी े ाइिटस का कारण हो सकते ह।
पाचन संबंधी सम या का एक और कारण सू म जीव , जैसे बे टी रया का हमला ह। िन त प से
आइबीएस से पेट दद और पाचन संबंधी सम याएँ भी पैदा हो सकती ह।
Sp-6 ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह साथ ित ी, िलवर और
गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह य क िकसी भी कार क सम या िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नी-कप क म य रोग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह, तो कजे न, जो
िदमाग को आ छािदत कर देता ह, दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव डालने से ब त अ छ प रणाम सामने
आएँगे। यह वॉइट ‘अथ इनज ’ म असंतुलन दूर करने क मता क िलए जाना जाता ह।
Cv-12 े टबोन क तले पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर करीब एक िमनट
तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव डाल। इस वॉइट पर दबाव डालते समय अगर रोगी का पेट खाली हो, तो
बेहतर होगा। यह िहचिकयाँ, पेट म मरोड़, भावना मक तनाव दूर करता ह और ‘अथ इनज ’ म संतुलन बहाल
करने म सहायक ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालने क िलए सबसे
सश अंग माना जाता ह। िमतली, उलटी, पेट म दद और पेट फलने म आराम देने क अित र यह गॉल
लैडर क वा य म भी सुधार लाता ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
से शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। डाय रया, क ज और पेटदद सिहत आँत क सम ि याशीलता म
सुधार क िलए एक अ छा वॉइट ह। यह ची क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट
का उपयोग नह करना चािहए।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए पाचन तं क सभी े से जुड़ िन निलिखत
र ले स वॉइ स पर यान कि त कर : सोलर ले सस, ए नल ल स, डाय ाम, रीढ़ क ह ी (िवशेष प
से व ीय े ), कलाई क चार ओर िलंफिटक िस टम से गुरदे और मू ाशय क े पर। इनम से येक े
पर करीब 2-3 िमनट तक घड़ी क सुइय क गित क िदशा म मािलश जैसा दबाव डाल। यह ि या कछ िदन
तक दोहराई जानी चािहए तथा रोग क थित गंभीर होने पर तो िदन म दो बार ऐसा िकया जाना चािहए। िजन
े पर दबाव िदया जाना ह, उनक थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क
िच का अवलोकन कर।
न 76 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी घुटन का दद ठीक कर सकते ह?
उ र : जब हम खड़ होते या चलते ह तो घुटन क जोड़ शरीर का काफ भार ज ब (ए जॉब) करते ह। खेल
से जुड़ी गित-िविधय म भाग लेने या अिधक वजनवाले लोग अकसर घुटन क दद से पीि़डत रहते ह। नी-कप से
ठीक नीचे, उतने ही भाग पर होनेवाला (लोकलाइ ड) दद पेटलर टडनाइिटस का ल ण हो सकता ह। शरीर क
िनचले िह से म लगनेवाली आम चोट से घुटने भािवत होते ह। कदने से नी-कप या पैटलर क ठीक नीचे क गस
(टडन) फट सकती ह, िजससे पैटलर टडनाइिटस (इसे ‘जंपस’ नी क नाम से भी जाना जाता ह) हो सकता ह।
घुटने क जोड़ म दद, फमर और िटिबआ क बीच, कािटलेज म टटन क कारण भी हो सकता ह। अ यिधक
खेलकद या यायाम क मसल फायबस फट सकते ह, िजसक प रणाम व प मांसपेिशय म लूड जमा हो
सकता ह, िजससे घुटन म दद, सूजन और मृदुता आिद हो सकते ह। अ यिधक चलना-िफरना (जोिगंग) भी इस
जोड़ पर ितकल भाव डाल सकता ह।
ए यू ेशर और र ले सोलॉजी दोन , घुटने म दद दूर करने सूजन कम करने तथा घुटन क े म र संचरण
बढ़ाने म मदद कर सकते ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची सहायक होगीः
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ची क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट योग नह करना चािहए।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह उदर क ितकल ची को भी शांत करता
ह। यह घुटन का दद भी दूर करता ह।
Lv-2 िजंग-िजयान क नाम से ात यह वॉइट पैर क अँगूठ और उसक पासवाली उगली क संिध थल पर
थत ह। यह ियन को उ ी और यांग को शांत करता ह। बेहतर प रणाम क िलए अगर संभव हो तो दोन पैर
पर थत इस वॉइट पर साथ-साथ दबाव देने क कोिशश कर।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह।
GB-41 : ‘फॉिलंग िटअस’ नामक यह वॉइट पैर क ऊपरी भाग म चौथी और पाँचव उगली क बीच बने
चैनल म, इन दोन उगिलय क बीच बने वेब मािजन क लगभग बीच बीच थत ह। यह ऊजा क वाह को
बहाल करक दद और तकलीफ से छटकारा िदलाता ह। चूँिक यह वॉइट ब त ही कोमल हो जाता ह, शु आत
ह क दबाव से कर और उसक बाद, दद सहने क रोगी क मता क अनुसार दबाव धीर-धीर बढ़ाएँ, हो ड कर
एवं धीर-धीर दबाव हटाएँ।
GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क बाजू क तरफ उठी ई ह ी क नीचे
बने ग म थत ह। वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता तथा िलवर क ियन
को उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता बढ़ जाती ह। घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव आिद दूर करता ह।
St-35 : ‘का स नोज’ नामक यह वॉइट नी-कप क नीचे बने बाहरी ग म थत ह। यह घुटन का दद,
अकड़न और सूजन (इडीमा) को कम करने म सहायक ह।
B-53 : ‘कमांिडग ए टिवटी’ नामक यह वॉइट घुटने क बाहरी ओर घुटना मोड़ने पर बनने वाली ज क
िसर पर थत ह। यह घुटने म अकड़न और दद दूर करने म सहायक ह।
B-54 : घुटने क िपछले भाग क म य म, घुटना मोड़ने पर बननेवाली सलवट पर थत ह। यह घुटन (और
पीठ) म अकड़न और दद दूर करने क िलए ब त ही लाभदायक वॉइट ह। साइिटका का दद कम करने क िलए
भी यह ब त उपयोगी वॉइट ह।
K-10 : ‘न रिशंग वैली’ क नाम से ात यह वॉइट घुटने क ज क भीतरी िकनार पर दो टडस क बीच
बने ग म थत ह। यह घुटने क दद से छटकारा िदलाने म सहायक ह।
Sp-9 टाँग क भीतरी भाग म, िशन बोन क नीचे उठी ई मांसपेशी क ठीक नीचे थत ह। यह इडीमा, वॉटर
रटशन, सूजन और घुटन क अ य सम या को कम करने म सहायक ह।
Lv-8 : ‘ कड ंग’ घुटने क भीतरी भाग म घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज क छोर पर थत ह। यह
घुटन म दद और सूजन से छटकारा िदलाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए गुरदे, िलवर, और ित ी क र ले स ए रयाज को
उ ी कर। उदर और मू ाशय क र ले स पॉइ स को भी उ ी कर। दोन पैर क छोटी और दूसरी उगली
क बीच बने चैनल म, दोन उगिलय क बीच क दूरी क आधे से कछ कम दूरी पर, पैर क िपछले भाग पर टखने
क चार ओर (आगे और पीछ, दोन तरफ) दबाव देना ब त ही लाभदायक ह। घुटने क िपछले भाग पर, पैटला
बोन क ठीक नीचे, बाहर क ओर करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे पैर क छोटी उगली क िदशा म
दबाव देना भी ब त लाभकारी माना जाता ह। इन े को दो िदन तक िनयिमत प से और अगर आप वयं
दबाव दे रह ह तो िदन म दो बार उ ी कर तािक अिधकतम लाभ हो सक।
न 77 : सव वेदना और सव का या अथ ह? या ए यू ेशर संकचन को े रत करने और
सव-पीड़ा को कम करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : उस िचंता और भय से िनपटने क िलए, जो अकसर आपक पहले ब े क ज म क समय और उससे
पहले मन म होता ह, अपनी देखभाल वयं कर जैसे काय म म भाग ल, इससे आपम आपक िलए ज री
आ मिव ास म वृ होती ह। सव-पूव क थम ल ण का पता लगाना किठन हो सकता ह य िक वे
िविभ मिहला म िभ -िभ होते ह। कछ मिहला को िनयत समय से कछ ह ते पहले संकचन शु हो
जाते ह। म यम ती ता जो बढ़ती नह ह, वाले ये संकचन अिनयिमत प से आते ह और कछ समय बाद कम या
शांत हो जाते ह। ए टव लेबर क अव था तब कही जाती ह जब ‘वॉटर ेक’ होता ह, योिन से िनकलनेवाला यह
लूड, गभ थ िशशु को संर ण देता ह, यह कवल एक टपकन या धारा क प म हो सकता ह। अ य ल ण म
खून क ध ब से यु यूकस का ह का ाव या गभ म िनयिमत अंतराल से होनेवाले संकचन शािमल ह।
B-67 पैर क छोटी उगली क नाखून से ठीक ऊपर वचा पर थत ह। करीब एक िमनट तक फम दबाव द,
दबाव धीर-धीर हटाएँ और िफर दबाएँ। यह ि या 3-4 बार दोहराएँ। यह वॉइट इतना कारगर ह िक िमनट म ही
मिहला महसूस करगी िक गभ थ िशशु सही पोजीशन म आ गया ह। यह सव क किठन मामल म अ यिधक
भावी तथा भू्रण क गलत थित को ठीक करने म स म ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संचा रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को
यह वॉइट उपयेग नह करना चािहए।
GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क साइड क तरफ उठी ई ह ी क
नीचे बने ग म थत ह। यह वायु दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता ह तथा िलवर क
ियन को उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, अतः इस वॉइट पर दबाव देने से
जोड़ क गितशीलता बढ़ जाती ह। यह घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव, आिद दूर करता ह।
GB-30 : ‘जंिपंग सकल’ नामक यह वॉइट क ह क दद ठीक करने क िलए सबसे मह वपूण वॉइट ह।
टाँग और पीठ क िनचले भाग क पूर े म र -संचरण उ ी करता ह। यह क ह क ह ी और टलबोन क
बीच क कल दूरी क करीब एक-ितहाई भाग दूर िनतंब पर थत ह। इसे पया दबाव क साथ दबाया जाना
चािहए, ज री हो तो अपनी कोहनी क ज रए दोन तरफ क वॉइ स पर दबाव िदया जाना चािहए।
B-36 : ‘ रसीिवंग सपोट’ नामक यह वॉइट क ह क मांसपेशी क नीचे जाँघ क िपछले भाग पर ठीक म य
म थत ह। अँगूठ क ारा दोन वॉइ स पर एक साथ दबाव िदया जा सकता ह। अपने आप दबाव देने क
िलए फश या स त बेड पर पीठ क बल लेट जाएँ और इस वॉइट क नीचे मु ी रखकर करीब तीन िमनट तक
लेट रह।
B-57 : ‘सपोट िद माउटन’ नामक यह वॉइट टखने क ह ी और घुटने क पीछ िमड वॉइट क तकरीबन
बीच बीच, ‘काफ मसल’ क िनचले बॉडर क बीच बने अंगे्रजी क ‘V’ आकार क म य म थत ह। यह वॉइट
टाँग म दद और अकड़न दूर करने म सहायक ह।
B-58 : यह वॉइट B-57 से कछ बाहर क ओर, उससे करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह टाँग म दद म राहत देता ह।
GB-29 : इस वॉइट का पता लगाने क िलए अपने हाथ को कमर क तर पर अपनी बे ट क दोन ओर
रख। हाथ को करीब एक हथेली क चौड़ाई िजतना िखसकाते ए क ह क ह ी तक लाएँ। अँगूठ से दोन
तरफ दबाएँ। क ह का दद दूर करने क िलए यह ब त भावी वॉइट ह।
अगर दद एक से दूसरी जगह िश ट हो रहा हो तो इस सम या क समाधान क िलए िन निलिखत दो वॉइ स
मददगार ह गेः
GB-20, िजसे ‘िवंडपूल’ भी कहा जाता ह, खोपड़ी क बेस पर गरदन क हयरलाइन से एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना ऊपर, गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। यह दोन हाथ क अँगूठ म अकड़न,
िसरदद, कध म दद/भारीपन, आिद दूर करने म ब त उपयोगी ह और ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत
करता ह।
Sp-10 : (सी ऑफ लड) घुटने से करीब दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर जाँघ क उठी ई मांसपेशी
(आगे क ओर) पर थत ह। यह वॉइट र क िन लता रोकता ह, िवशेष प से उदर क िनचले े म।
न 79 : रजोिनवृि (मेनोपॉज) या ह और इसक साथ कौन-से ल ण कट होते ह? या
ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इसका सामना करने म मदद कर सकते ह?
उ र : यह एक ी क जीवन का सं मण काल ह। मािसक च क समा एक ी क संतानो पादक
अविध क समा क सूचक ह और वह पीड़ाजनक मािसक च , प रवार िनयोजन उपाय क झंझट और
गभधारण करने क भय आिद से मु हो जाती ह। िकस आयु म इसका आगमन होगा, िन त प से नह कहा
जा सकता; परतु आमतौर पर यह चालीस लस क आयु म शु होता ह और कछ मामल म पचास क दशक क
आरिभक वष तक भी जा सकता ह। अगर एक ी लगातार छह महीन तक रज वला नह होती तो यह माना जा
सकता ह िक रजोिनवृि क ि या शु हो चुक ह। िफर भी, अगर कोई ी गभ धारण नह करना चाहती तो
उसे मािसक धम बंद ए पूरा एक साल बीतने तक प रवार िनयोजन का कोई उपाय जारी रखना चािहए। इसक
ल ण िविभ य म ब त अलग-अलग तरह क होते ह। जहाँ कछ याँ इस सं मण काल से आसानी से
गुजर जाती ह, कई अ य म हॉट लश, रात म पसीना आना, योिन म सूखापन, मूड ज दी-ज दी बदलना,
िचड़िचड़ापन और कभी-कभी तो अवसाद तक क ल ण कट होने लगते ह। आमतौर पर यह ि या धीर-धीर
होती ह और इससे जुड़ ए बदलाव कई वष क दौरान घिटत होते ह।
कछ िन त ेशर वॉइ स को उ ी करने से ियन का पोषण होता ह और शरीर म ‘ियन और यांग’ का
बेहतर संतुलन थािपत होता ह, जो य ारा झेली जा रही सम या क ती ता कम करता ह।
ेशर वॉइट थेरपी अथा ‘ए यू ेशर’ मांसपेिशय को िशिथल बनाकर ऊजा क वाह म आए अवरोध दूर
करक, तनाव दूर करक और म त क क कोिशका क िलए अ याव यक ऑ सीजन क आपूित म सुधार
करक दद का कारण दूर करने म हमारी मदद करता ह। िन निलिखत कायसूची मददगार िस ह गी।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ का संचार करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते शरीर
से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
GB-20 : खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनुसार ही ह। गरदन क े म अकड़न दूर करने क िलए अ यंत लाभदायक वॉइट ह। वह वायु िवकार और
जुकाम भी दूर करता ह।
GB-41 : पैर क ऊपरी भाग म चौथी और पाँचव मेटाटसल ह य क बीच थत ह। इस वॉइट पर फम
ेशर देने क िलए आपको अपनी तजनी या म यम उगली ारा इस संिध थल क ठीक नीचे दबाव देते हएु उसे
ऊपर क ओर िखसकाना होगा। यह वॉइट ‘ची’ का वाह बहाल करता ह और रजोिनवृि क दौरान होनेवाला
िसरदद ठीक करता ह।
Sp-6 ‘ ीन ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से ही िविदत होता ह िक यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क कोई भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह।
गभवती मिहला को इस वॉइ स पर दबाव नह डालना चािहए।
‘ ोकन सी स’ क नाम से ात Lu-7 का िवशेष मह व ह। यह कसे शन वेसल चैनल को खोलता ह। इसे
‘सी ऑफ ियन’ क नाम से भी जाना जाता ह, यह वॉइट उस थल पर, जहाँ अँगूठा कलाई से िमलता ह, कलाई
क ज क पास बने ाकितक ग से करीब दो उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह। चूँिक इस वॉइट क
ऊपर मांस नह ह, इसिलए ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जाना चािहए।
‘शाइिनंग सी’ नामक वॉइट Kd-6 पैर क तलवे क िदशा म टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई
िजतना नीचे (अँगूठ क ओर) थत ह। इस पर फम ेशर दीिजए चूँिक रजोिनवृि क ल ण म गुरदे क ियन क
िन लता भी एक कारक ह, इसिलए इस वॉइट पर दबाव देने से वह पु होता ह। अगर इसे Lu-7 क बाद
दबाया जाए, तो यह ‘सी ऑफ ियन’ खोलने म भी सहायक होता ह।
र ले सोलॉजी ारा इस सम या का इलाज करते समय िप यूइटरी, गभाशय, ए न स, िलंफिटक िस टम,
िलवर, मे दंड, दय, म त क, थायरॉइड और पैराथायरॉइड से संबंिधत र ले स ए रयाज उ ी कर। थायरॉइड
को छोड़कर सभी वॉइ स पर घड़ी क िदशा म दबाव दीिजए। िविभ र ले स ए रयाज क थित जानने क
िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
Li-14 बाँह क ऊपरी भाग म बाहर क ओर Li-11 से करीब सात अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह।
यह गरदन, गले या बगल आिद म िलंफ नेज से जुड़ी सम या म उपयोगी ह।.
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग क रोकथाम क िलए िप यूइटरी, थायरॉइड और पैराथायरॉइड मे दंड
(सवाइकल और व ीय े पर िवशेष जोर देते ए) ए न स सोलर ले सस, गभाशय िडब ंिथय चे ट और
फफड़ आिद क र ले स ए रयाज पर यान कि त कर। येक र ले स ए रया पर अपने अँगूठ से दोन तलव
और हथेिलय पर 1-2 िमनट तक दबाव द। उपरो र ले स ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक क अंत
म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 84 : मािसक धम शु होने से पहले क परशािनयाँ ( ीम अल िसं ोम) या ह? या
ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ज रए इससे होनेवाली परशािनय और संबं रोग को ठीक िकया जा
सकता ह?
उ र : जैसा हम जानते ह, मािसक च य म ाकितक ि या ह और यह च शु होने से पहले इससे
जुड़ मानिसक और शारी रक दोन तरह क दद और क िविभ लड़िकय म अलग-अलग ती ता क होते ह।
ीम अल िसं ोम (पीएमएस) क ल ण म िचड़िचड़ापन, अवसाद िकसी चीज म मन न लगना, तन म मृदुता,
बार-बार मूड बदलना, वजन बढ़ना और लूइड रटशन शािमल ह। य िप अिधकांश लड़िकयाँ इसे जीवन का एक
िह सा मानकर उसे वीकार कर लेती ह, जो लड़िकयाँ िजनका खानपान ठीक नह ह और जो यादा समय बैठ-
ठाले िबताती ह, वे उन लड़िकय क तुलना म अिधक क उठाती ह जो िनयिमत प से टहलती/ यायाम करती
ह और संतुिलत आहार लेती ह। अपनी जीवनशैली म कछ बदलाव लाकर इस दौर से जुड़ ए क से काफ हद
तक बचा जा सकता ह। टीसीएम क अनुसार िलवर और पूरा िलवर मे रिडयन मािसक च शु करते ह। इसिलए
पीएमएस क ल ण क िलए िलवर मे रिडयन म असंतुलन तथा िलवर ‘ची’ क िन लता िज मेदार ह।
इस असंतुलन को दूर करने क िलए उपरो क अित र अगर आप ए यू ेशर और/या र ले सोलॉजी क
िन निलिखत कायसूची का पालन कर तो पाएँगे िक जीवन बदल गया ह। आप इस काय-सूची को अपने सा ािहक
काय म (आपक पास उपल ध समय क अनुसार ह ते म कम-से-कम तीन से चार बार) क प म अपना सकते
ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालने वाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। इस वॉइट पर दबाव देने से सम या का कारण दूर होगा और ब त राहत महसूस होगी।
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह ी रोग से जुड़ी िकसी भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
GB-41 पैर क ऊपरी भाग म, चौथी और पाँचव मेटाटसल ह य क बीच थत ह। इस वॉइट पर फम
ेशर देने क िलए आपको अपनी तजनी या म यमा उगली क ारा उस संिध थल क ठीक नीचे दबाव देते ए
उसे ऊपर क ओर िखसकाना होगा। यह वॉइट ‘ची’ का वाह बहाल करता ह और पी एम एस म आराम िदलाता
ह।
GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क उभार क तरफ उठी ई ह ी क नीचे
बने ग म थत ह। वायु दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता ह तथा िलवर क ियन को
उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता बढ़ जाती ह। यह घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव, आिद दूर करता ह।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
अगर तन म अ यिधक मृदुता हो तो ेशर वॉइट Pc-6 (इनर गेट) का उपयोग कर। यह हथेली क ओर वाली
कलाई पर, कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। Pc-6
चे ट क े म िकसी भी कार क दद म अ यिधक भावकारी ह य िक यह र क ‘ची’ को िनयिमत करता
ह।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग का इलाज करने क िलए पाचन तंि का तथा जनन तं क अंतगत आनेवाले
र ले स ए रयाज और साथ ही अंतः ावी ंिथय से संबंिधत र ले स ए रयाज पर यान कि त िकया जाना
चािहए। ऐसा करने क िलए िप यूइटरी, पि याज, थायरॉइड पैराथायरॉइड, ए न स, िलवर, गॉल लैडर, छोटी
और बड़ी आँत गभाशय, िडब ंिथय , फलोिपयन यू स, मे दंड, गुरदे, सोलर ले सस आिद से संबंिधत र ले स
वॉइ स पर दबाव डाल। येक े पर अपने अँगूठ तजनी या म यमा उगली, जो भी आपको सुिवधाजनक लगे,
क ारा करीब एक से दो िमनट तक दबाव डाल। उपरो र ले स ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक
क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 85 : ोले स या लप िड क या ह? इसक ल ण या ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी
इस रोग म लाभदायक िस हो सकते ह?
उ र : ोले ड या लप िड क एक ब त ही क दायक रोग ह। दद इतना ती होता ह िक िब तर पर करवट
लेना भी मु कल हो जाता ह। खाँसने या छ कने से भी भयंकर दद होता ह। रोगी को िब तर पकड़ने क िलए
मजबूर होना पड़ता ह। इस रोग क उपे ा करना मु कल ही नह , नामुमिकन ह, परतु अगर आपने ऐसा िकया तो
उससे थायी ित हो सकती ह, यहाँ तक िक, लकवा भी हो सकता ह।
‘इटर-विट ल िड स’ असल म लचीले पै स ह, जो कशे का (वट ा) क बीच मजबूती से सट रहते ह
और मे दंड क रचना करते ह। येक पैड एक चपटा, गोलाकार क सूल जैसा होता ह, जो मजबूत फाय स
आउटर म बे्रन से बना होता ह। ये िड स कशे का क बीच मजबूती से सट रहते ह और िलगाम स ारा
जकड़ रहते ह। उनक अपनी जगह से िहलने या िखसकने क गुंजाइश ब त कम होती ह। ये कशे काएँ िजन
वॉइ स पर वा तव म टन होती ह, फसेट जॉइ स कहलाते ह, जो वट ा क दोन ओर पंख क तरह फले होते ह,
और वट ा को उतना अिधक झुकने या मुड़ने से बचाते ह िक रीढ़ क ह ी ही ित त हो जाए। कभी-कभी इन
िड कस को मे दंड क शॉक ए जॉबस भी कहा जाता ह। ये िड कस कशे का को एक-दूसर से अलग भी
रखती ह िजससे वे आपस म रगड़ खाकर ित त होने से बची रहती ह। परतु उ बढ़ने क साथ वे स त होने
लगती ह य िक उनको र क आपूित काफ हद तक कम हो जाती ह। कभी-कभी दबाव पड़ने पर इनर
मेटी रयल या तो सूज जाता ह या हिनया हो जाता ह और िड क क आउटर म ेन को तोड़कर बाहर िनकल जाता
ह। एक कमजोर थल पर यह मेटी रयल पूरी तरह या आंिशक प से आउटर किसंग को तोड़कर बाहर िनकल
आता ह िजससे आसपास क न स पर दबाव आता ह। और अिधक गितिविध या चोट म ेन को तोड़ सकता ह,
िड क मेटी रयल मे दंड या फली ई न स को ित प चा सकता ह। यह ित लाइलाज भी हो सकती ह। जहाँ
सभी हिनया यु िड कस न स पर दबाव नह डालत , यह संभव ह िक िकसी य क िड कस का आकार
िबगड़ गया हो और उसे कोई दद या तकलीफ भी न होती हो।
यह रोग आमतौर पर गलत तरीक से भारी सामान उठाने, कसकर अँगड़ाई लेने, खेलकद म िकसी दुघटना क
दौरान या ऊचाई से कदने से लगने, यहाँ तक िक गलत ढग से लेट-लेट फोन रसीवर उठाने जैसी सामा य
गितिविधय क कारण होता ह। परतु कभी-कभी यह सम या िबना िकसी प कारण क भी कट हो सकती ह।
मोटापा भी पाइन और िड स को अपनी जगह थर रखनेवाले िलगाम स पर अ यिधक दबाव डाल सकता ह।
इस रोग म पारप रक मेिडकल उपचार, क साथ-साथ ए यू ेशर या र ले सोलॉजी िचिक सा अित भावी पाई
गई ह, जो आमतौर पर िव ाम और ददनाशक दवा पर आधा रत होता ह, इस िचिक सा क कछ ही स रोगी
को दद से इस हद तक राहत देते ह िक वह 30 से 40 ितशत तक राहत महसूस करता ह। उपचार क पहले या
दूसर स म ही दद म काफ आराम तीत होता ह।
िन निलिखत ेशर वॉइ स लाभदायक ह गेः
Gv-3 मे दंड क िनचले भाग पर चौथे नंबर वट ा क ठीक नीचे थत ह। क ह क ह ी क ऊपरी िकनार
को टटोल और पाइन क उ म े म इस वॉइट क तलाश कर। इस वॉइट पर अपने अँगूठ क ारा घड़ी क
सुई क िदशा म करीब एक िमनट तक दबाव द। इसक बाद आप अपनी हथेली क ग ी से एक या दो िमनट
मािलश जैसा दबाव दे सकते ह। अगर रोगी गभवती मिहला हो तो इस वॉइट को उ ी नह िकया जाना चािहए।
Gv-4 : यह वॉइट दूसरी और तीसरी कशे का क बीच, बेली बटन क सीध म पीछ क ओर थत ह।
अपने अँगूठ क मे दंड क म यरखा क दोन ओर एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर तक म यम से लेकर भारी
(रोगी क सहनशीलता क अनुसार) दबाव द।
GV-14 सातव सिवकल वट ा और पहली थोरिसक वट ा क बीच थत ह तथा अपना िसर नीचे झुकाकर
आसानी से इसका पता लगाया जा सकता ह। आपक िसर झुकाने पर (आपक गरदन क नीचे) सबसे यादा िदखाई
देनेवाली ह ी सातव वट ा ह। करीब एक िमनट तक C-7 और T-1 क बीच म यम दरजे का, िकतु फम
दबाव द।
GV-20 आपक िसर क ऊपर, कान क ऊपरी भाग को जोड़नेवाली का पिनक रखा क बीच बीच थत ह।
अपने अँगूठ या तजनी क ज रए दबाव द। अगर आप उ र चाप से पीि़डत ह, तो इस वॉइट पर दबाव न द।
GV-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बांसा िमलते ह। यह वॉइट
िप युइटरी लड को संतुिलत करता ह, जो इसी म म थायरॉइड लड क काय णाली को भी उ ी और
दु त करता ह। इस वॉइट पर करीब 30 सेक स तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जा
सकता ह।
B-60 एिकिलस टडन और टखने क बाहरी ह ी क बीच थत ह। यह पीठ क िनचले और ऊपरी िह से
तथा टाँग म दद म आराम प चाता ह। दद से छटकारा पाने क िलए GV-4, पर भी दबाव दीिजए, जो कमर पर
बी-23 वॉइट से 2-3 उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
चूँिक पीठ पर थत कछ वॉइ स को दबाने म किठनाई महसूस हो सकती ह, हाथ क पृ भाग म थत
िन निलिखत वॉइ स पर दबाव िदया जा सकता ह, जो अ यंत लाभदायक पाया गया ह :
Li-4 : ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात यह दद से राहत देने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क अपनी
मता क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने से बननेवाली ज क छोर पर थत ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए। इस वॉइट से बस आधा इच ऊपर और नीचे दो और
वॉइ स ह, जो पीठ दद से राहत देने म अित लाभदायक ह। इन वॉइ स पर दूसर हाथ क अँगूठ क सहायता से
पया प से भारी दबाव दीिजए। इसी ि या को दूसर हाथ पर भी दोहराएँ। हाथ क पृ भाग म दो और
वॉइ स ह। पहला पोर या उगली क गाँठ (नकल) और कलाई क बीच, दूसरी और तीसरी िफगर ब स क बीच
तथा दूसरा वह पर, चौथी और पाँचव िफगर बो स क बीच थत ह। अगर दद वापस आता ह तो कछ स तक
यह ि या दोहराएँ य िक वह पूरी तरह ठीक होने म कछ समय ले सकता ह।
B-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ, दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज पर थत ह। िनचली
पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस वॉइट को कमांड वॉइट भी कहा जाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए मे दंड क र ले स ए रया क अंतगत आनेवाले
अंग (िवशेष प से लंबर और से ल रीजन) क र ले स ए रयाज घुटन क ज क पीछ टखने क ह ी क
दोन ओर घड़ी क सुई क िदशा म और इससे उलटी िदशा म भी मािलश जैसा दबाव द। एि़डय क बेस पर
थत और एिकिलस टडन क ऊपरी े क ेशर पॉइटस को भी एड़ी क बेस से डढ़ इच क ऊचाई पर, उ ी
कर। ब त मृदु होने क बावजूद इस े को उ ी करने से ब त राहत िमलती ह। इन िविश र ले स ए रयाज
क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 86 : या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी ॉ टट ंिथ से जुड़ी सम या क समाधान म सहायक
हो सकते ह?
उ र : ॉ टट पु ष क मू ाशय क नीचे, अंडाशय और मल ार क बीच -बीच थत ंिथ ह। यह उस लुड
का उ पादन और वण करती ह, जो सिव स क ओर जाते ए शु ाणु ( पम) को संर ण दान करता ह। यह
यूर ा नामक यूब को घेर रहती ह, जो मू को मू ाशय से िलंग क ओर ले जाती ह। पु ष म सबसे यादा आम
सम या इस ंिथ का बढ़ जाना ह और 45-50 वष से अिधक आयु-समूह क कम-से-कम 50 ितशत पु ष इससे
भािवत होते ह। बढ़ी ई ॉ टट ंिथ का भाव यह होता ह िक यह यूर ा म से मू क सुगम वाह को बािधत
करती ह। िजसक प रणाम व प इस रोग से पीिड़त पु ष को रात म कई बार पेशाब क िलए उठना पड़ता ह।
इसक साथ-साथ पेशाब धीर-धीर आना, किठनाई से शु होना, पेशाब करने क बाद बूँद-बूँद टपकना या कभी-
कभी पेशाब करते समय जलन महसूस करना, जैसी सम याएँ भी होती ह। ये सम याएँ ॉ टट ंिथ क वृ क
सूचक ह। अगर आपक शरीर म इनम से कोई भी ल ण कट हो तो बु मानी इसी म ह िक आप अपने फिमली
डॉ टर से उसक जाँच और ज री परी ण कराने क बाद इलाज कराएँ, तािक उसक गंभीर प धारण करने क
संभावना न रह।
उपरो िचिक सा क साथ-साथ या वैसे भी ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का उपचार ब त
लाभदायक होगा। िन निलिखत ेशर वॉइ स को दबाएँ :
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु करता ह। इस पर दबाव देने से मूल
कारण दूर होगा और ब त राहत महसूस होगी।
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे, तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक
ह।
St-36 : ‘िशनबोन’ से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह पेट क ितकल ‘ची’ को भी शांत करता ह।
अगला वॉइट िजसे दबाया जाना ह, वह ह CV-3। यह वॉइट CV-4 (गेट ओ रिजन) जो नािभ से चार
उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह, से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह लैडर
मे रिडयन पर अपने भाव क मामले म तकरीबन िविश ह। अगर मू ाशय खाली करने क बाद इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक थर दबाव िदया जाए तो यह बेहतर तथा और अिधक भावी होगा।
B-28 यू रनरी लैडर का संब वॉइट ह और पीठ क िमड-से ल ए रया म, मे दंड क दोन ओर करीब डढ़
इच दूरी पर थत ह। CV-3 और B-28, यू रनरी लैडर क लगभग िविश वॉइ स ह, इ ह उ ी करने क
िलए उन पर कछ िमनट तक दबाव द।
B-23 रबकज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच कमर क म य म थत ह। यह अवसाद
और भय से छटकारा िदलाता ह। जनन अंग पर सकारा मक भाव डालता ह, इसिलए ॉ टट, नपुंसकता और
समय पूव खलन जैसी यािधय को ठीक करने म सहायक ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए गुरदे, ए न स, यूरटस आिद से संबंिधत र ले स
ए रयाज को उ ी कर। दो े और भी ह, िज ह उ ी िकया जाना ह और जो ब त लाभदायक ह, िवशेष
प से ॉ टट संबंधी सम या म। इन वॉइ स क थित जानने क िलए टखने क ह ी क सबसे िनचले तल
और एड़ी क सबसे िनचले भाग क बीच एक का पिनक रखा ख च तथा उसे दो भाग म िवभािजत कर। दोन
थान का म य िबंदु ही वह े ह, िजसे उ ी िकया जाना ह। यही ि या पैर क दूसरी ओर भी दोहराएँ और
उस े को भी उ ी कर। जो ब त मृदु, िकतु भावी ह। अपने अँगूठ क पै स को िजतना संभव हो उतनी
गहराई से करीब एक िमनट तक धीर-धीर घुमाते ए दोन पैर पर थत इन वॉइ स पर दबाव डाल। इसक बाद
एड़ी क िपछले भाग क बेस से 4-5 इच ऊपर, एिकिलस टडन क सीध म इस े को उ ी कर। एिकलस
टडन को अपने अँगूठ और तजनी से इस े को उ ी कर। एिकिलस टडन को अपने अँगूठ और तजनी से
पकड़कर इस पूर े पर मािलश जैसा दबाव डाल। सवािधक लाभ क िलए दोन पैर पर करीब 1-2 िमनट तक
दबाव देते ए इस पूर े को उ ी कर। इस खास र ले शन ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक क
अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 87 : साइिटका होने क या कारण ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इस रोग को ठीक
करने म सहायक हो सकते ह?
उ र : साइिटका या पीठ क िनचले िह से से जुड़ी सम या म से अिधकांश म पीठ और उसक बाजु म
भयकर दद होता ह, जो अिधकांशतः िहप जॉइट े से टखने क ह ी क ओर जाता ह। कभी-कभी तो थित
इतनी गंभीर हो जाती ह िक रोगी को कदम उठाने म भी किठनाई होती ह और साथ ही पूर पाँव म भयंकर दद होता
ह। साइिटका क अिधकांश सम या क मूल कारण होते ह तनाव, गलत मु ा म उठना-बैठना, चोट या कमजोर
मासपेिशयाँ। चूँिक पीठ क मांसपेिशय और िलगाम स म िखंचाव भी संभािवत कारण म से एक ह तो बेहतर यह
होगा िक अपनी रीढ़ और पीठ क मांसपेिशय को सश और साथ ही लचीला बनाए रखा जाए। यह ल य एक
टीन क तौर पर ह ते म तीन बार भी ह का यायाम करने से आसानी से हािसल िकया जा सकता ह।
साइिटका अकसर िनचले लंबर ए रया म टटी या िखसक ई िड क क कारण होता ह। जब चोट त िड क
नव से टकराती ह तो एक विनग पेन िनतंब क रा ते जाँघ तक प च जाती ह। ये दो साइिटका तंि काएँ हमार
शरीर क सबसे बड़ी ायु तंि काएँ (Nerve) ह, जो मे दंड क िनचले िह से से दोन पाँव से गुजरती ह, जहाँ
से तंि का क दोन ओर कई शाखाएँ िनकलती ह। इसीिलए यह संभव ह िक एक पैर पर थत कोई र ले स
वॉइट दूसर पैर क समक र ले स वॉइट से अिधक मृदु और संवेदनशील हो।
ए यू ेशर मांसपेिशय म तनाव और िखंचाव दूर करने म अ यिधक भावी पाया गया ह। जो यह तनाव और
िखंचाव साइिटका का मूल कारण ह, दूर करने म अ यिधक भावी पाया गया ह। दूरगामी भाव क िलए ए यू ेशर
क साथ-साथ हीिटग पै स या गरम पानी क बोतल क इ तेमाल (अगर सूजन न हो तो) से ररशर वॉइ स का
भाव बढ़ाया जा सकता ह। िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव कारगर होगाः
B-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ, दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज पर थत ह। िनचली
पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस वॉइट को ‘कमांड पॉइट’ भी कहा जाता ह।
B-wx çÚUÕ ·ð¤Á ¥æñÚU ·ê¤ËãðU ·¤è ãUÇ÷UïÇUè (ÖèÌÚUè ç·¤ÙæÚðU) ·ð¤ Õè¿æð´Õè¿, ·¤×ÚU ·ð¤ ×ŠØ ×ð´ çSÍÌ ãñUÐ ØãU
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çÙ¿Üð çãUSâð ×ð´ ÎÎü ÌÍæ ÖØ¢·¤ÚU ÎÎü ·ð¤ ·¤æÚU‡æ ãUæðÙðßæÜð âæ§çÅU·¤æ ¥æñÚU Í·¤æÙ ·¤× ·¤ÚUÙð ×ð´ âãUæØ·¤ ãñUÐ
CV-{ (âè ¥æòȤ §ÙÁèü) ÙæçÖ âð ÌèÙ ©¡U»çÜØæð´ ·¤è ¿æñǸUæ§ü çÁÌÙæ Ùè¿ð çSÍÌ ãñUÐ ØãU Œßæò§¢ÅU ©UÎÚU
ÿæð˜æ ·¤æð ÂécÅU ÕÙæÙð ·ð¤ çÜ° °·¤ çßçàæcÅU Œßæò§¢ÅU ×æÙæ ÁæÌæ ãñUÐ
B-47 : मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय तथा B-
23 क संयोजन से साइिटका दद भी कम करता ह।
B-48 से ल रीजन से 1-2 उगिलय क चौड़ाई िजतना बाहर क ओर क ह क ह ी क शीष तथा िनतंब क
बेस क बीच बीच थत ह। यह साइिटका, क ह और पीठ क िनचले िह से म दद, तथा इस े म तनाव दूर
करता ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग का इलाज करने हतु यह सुिन त करने क िलए िक कोई दबी ई नस न हो,
हम मे दंड क िनचले भाग क र ले स ए रया, िवशेष प से लंबर और से ल रीजंस पर दबाव डालना होगा।
अपने दोन अँगूठ का उपयोग करते ए दोन ओर दबाव डाल। य िक साइिटका नस पाइन से नीचे क ओर
आती ह। उपचारा मक श य को लोअर लंबर रीजन क सभी सूजे और िखंचे ए िह स तक प चाने क िलए
कमर से लेकर एड़ी तक क े पर यान कि त कर। हमारा अगला काम उस र ले स का पता लगाना ह, जहाँ
साइिटका नस पैर को ॉस करती ह। यह वॉइट ‘हील पैड’ क बेस पर थत ह। पैर का यह े िनतंब म
साइिटक तंि का दाब वॉइट से संब ह। इस े को दबाने से आप तेज दद महसूस करगे। परतु एड़ी क इस
भाग क मोटाई क कारण बेहतर यह होगा िक इसे िकसी उपकरण क सहायता से दबाएँ, उ ी कर य िक
अँगूठ का दबाव पया नह भी हो सकता ह। साइिटक र ले स क थित जानने क बाद आप िजतना दद सहन
कर सक, उतना गहर उसपर उपकरण रोल कर। धीर-धीर दबाव कम कर और संभािवत मृदुता का यान रखते ए
ह क से रोल कर। इसक बाद िहप और बटक क र ले सेज क बीच म दबाव द। उस वॉइट पर दबाव देते ए,
जहाँ साइिटक तंि का एड़ी को ॉस करती ह, पैर क बाहरी िह से से शु करते ए अँगूठ को पूर पैर पर घुमाएँ।
यह े भी मृदु होगा इसिलए उस पर सावधानी से ह का दबाव डाल। पाइन क लंबर और से ल र ले स
ए रयाज पर भी दबाव डाल। दोन पैर पर आक ऑफ िद फट क िनचले िह से म ये थत ह। इन खास र ले स
ए रयाज क पहचान करने क िलए पु तक क अंत म िदए गए तलव क िच का अवलोकन कर।
न 88 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी कध म तनाव/दद कम करने म सहायक हो सकते ह?
उ र : दद जीवन क एक वा तिवकता ह। वह चोट लगने, घर क कामकाज म जी तोड़ मेहनत करने, सारा
िदन गाड़ी चलाने, कोई भारी व तु उठाने से मांसपेिशय म िखंचाव या बीमारी आिद क कारण हो सकता ह। वह
आपक भावना मक या शारी रक परशानी का सूचक भी हो सकता ह, िजसक कारण कभी-कभी कध और गरदन
क े म अकड़न महसूस हो सकती ह। तनावपूण जीवनशैली और भावना मक तनाव भी अपना योगदान दे सकते
ह। लंबे समय तक क यूटर पर काम करना, टाइिपंग, मशीन /ड क पर काम करना, देर तक टीवी देखना कध म
तनाव या दद क अ य कारक हो सकते ह। एक तरह से वे हमार कधे ही ह, जो हमार अिधकांश तनाव को वहन
करते ह। यह तनाव महीन या वष क अविध तक म इक ा होता रहता ह। कध म तनाव दूर करक, िजसम कछ
समय लग सकता ह, बाँह और हाथ म भी ब त राहत महसूस क जा सकती ह।
कध म तनाव/दद कम करने म ए यू ेशर अ यंत भावी पाया गया ह। इस सम या क समाधान क िलए ेशर
वॉइ स क िन निलिखत कायसूची का पालन कर:
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ भी कहलाता ह, उस उभार (माउट) क ज पर थत ह, जो अँगूठ और तजनी को
िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने हाथ पर
दबाव डाला जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य भाग म दद दूर करने, मांसपेिशय को िशिथल करने
तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर एवं
ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य करता ह। गभवती मिहला को
यह वॉइट नह दबाना चािहए य िक ऐसा करना गभपात का कारण बन सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ते समय
बननेवाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल।
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह, इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह शरीर से अ यिधक
गरमी और नमी दूर करने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने क िलए भी ब त उपयोगी ह। एलज दूर
करने और टिनस ए बो क उपचार क िलए भी यह एक मह वपूण वॉइट ह।
TW-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब
तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
‘िद ि पल वॉमर चैनल’ भुजा क पीछ से ऊपर कधे और गरदन तक जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म
आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह कधे और गरदन से जुड़ी िकसी भी कार क सम या क इलाज क िलए यापक
प से उपयोग िकया जाता ह।
Tw-10 : (हवनली वेल) कोहनी क िसर से (कधे क िदशा म) एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह।
यह वॉइट कोहनी म दद तथा कोहनी और कधे म अकड़न दूर करने म सहायक ह। अपने अँगूठ या म यमा ारा
करीब एक िमनट तक फम दबाव डाल, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। अगर साथ-साथ गहरी साँस भी ली जाएँ तो
इस वॉइट का भाव और भी बढ़ जाता ह।
GB-20, ‘िवंड पूल’ भी कहलाता ह, खोपड़ी क बेस पर, गरदन और हयरलाइन से एक अँगूठ क चौड़ाई
िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। दोन हाथ क अँगूठ से आसानी से
एक साथ दबाव िदया जा सकता ह। यह वॉइट गरदन म अकड़न, िसरदद, कध म दद/भारीपन आिद दूर करने म
ब त उपयोगी ह और ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत करता ह।
GB-21 : ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट पर कधे क दोन ओर एक साथ दबाव डाला जा सकता ह।
िविभ वॉइ स पर दबाव डालते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक लाभकारी
होगा। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ‘ची’ का सामा य वाह बहाल करता ह। यह कध म तनाव,
घबराहट, और थकान से छटकारा िदलाता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
Tw-15 (हवनली रीजुिवनेशन) गरदन क बेस और कध क बाहरी िकनार क बीच बीच, कधे क शीष से आधा
इच नीचे, कध पर थत ह। यह मांसपेिशय म तनाव, गरदन क अकड़न और कधे क दद से छटकारा िदलाता
ह।
Li-14 (आउटर आम बोन) कधे क शीष से कोहनी तक क कल दूरी ऊपर से एक-ितहाई दूरी पर, बाँह क
ऊपरी भाग क बाहरी सतह पर थत ह। यह बाँह म दद, कध म तनाव और गरदन म अकड़न से छटकारा
िदलाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए पैर क अँगूठ क ठीक नीचे, उस ाकितक ज क
ऊपर थत र ले स ए रया पर दबाव डाल, जो अँगूठ और पैर क तलवे क पैड क िमलन- थल पर बनती ह।
पैड क ऊपर और इदिगद भी दबाव डाल तथा यही ि या दोन तलव पर दोहराएँ। तलव क उ तम भाग पर
थत र ले स ए रया को भी उ ी कर, जहाँ पैर क छोटी उगली तलव पर, पैर क िनचले िह से से िमलती ह।
यह े कध से जुड़ा ह और उसे उ ी करने से कधे क े म तनाव काफ हद तक कम होता ह। उस वॉइट
से दो उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे, जहाँ पाँव का िनचला िह सा पैर से िमलता ह, दोन पैर क ऊपरी भाग क
मािलश कर। यह े भी कध क कपुला ले स क बीच क े से जुड़ा ह और इन ले स क बीच क थल
पर तनाव/दद दूर करने म काफ लाभदायक ह। पैर क अँगूठ क इदिगद मािलश-जैसा दबाव देना भी मददगार
िस होगा।
न 89 : साइनसाइिटस या ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इस रोग क इलाज म सहायक हो
सकते ह?
उ र : साइनसेज हमारी नाक क दोन ओर छोट-छोट वायु से भर थल ह। नाक क िववर (किवटी) म नमी
बनाए रखने और उस वायु को िफ टर करने क िलए े मा ( यूकस) का एक सँकरा माग ह। िजसे हम साँस क
ज रए भीतर लेते ह, नाक को धूल और दूषण क अ य व प से मु रखने, तािक यह सब हमार फफड़ तक
प चकर उ ह ित न प चा सक, बै टी रया क सं मण, जुकाम, पराग जैसे कारक से ये साइनसेज अव या
सूज जाते ह और हम िसर म भारीपन या दद महसूस करते ह तथा हमारी नाक बंद हो जाती ह या बहने लगती ह।
कछ मामल म किवटी सूख जाती ह, नाक बंद हो जाती ह और उसम पपड़ी बन जाती ह।
आपक साइनसेज संबंधी दीघकािलक सम या , जैसे वाद या गंध क संवेदना समा हो जाना आिद क
मामले म अपने डॉ टर क सलाह ल य िक उसक पीछ कछ अ य कारण हो सकते ह जैसे क ज, अपौि क
खानपान, िजसे डॉ टर क सलाह से ठीक िकया जाना ज री हो। इस सम या क समाधान म ए यू ेशर और
र ले सोलॉजी दोन सहायक हो सकते ह और अिधकांश मामल म मेिडकल ह त ेप ज री नह होगा और सजरी
िजसक ऐसे मामल म आमतौर पर िसफा रश क जाती ह आव यक नह होगी। अपना असर िदखाने क िलए इस
िचिक सा िविध को उिचत समयाविध दो या तीन ह ते-दीिजए और आमतौर पर आप ठीक हो जाएँगे। ेशर पॉइ स
क िन निलिखत कायसूची का पालन िकया जा सकता हः
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी ात ह, उस उभार (माउड) क ज पर थत ह, जो अँगूठ और
तजनी को िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने
हाथ पर दबाव डाला सकता ह। इसे िसर दद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने, मांसपेिशय को िशिथल
करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर
एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह बाउल मूवमट को भी सि य करता ह। गभवती मिहला
को यह वॉइट नह दबाना चािहए य िक इससे गभपात हो सकता ह।
GV-20 आपक िसर क ऊपर कान क ऊपरी भाग को जोड़नेवाली का पिनक रखा क बीच बीच वट स पर
थत ह। अपने अँगूठ या तजनी क ज रए दबाव डाल। अगर आप उ र चाप से पीि़डत ह तो इस वॉइट पर
दबाव न द।
GV-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बाँसा िमलते ह। यह वॉइट
िप यूइटरी लड को संतुिलत करता ह, जो इसी म म थायरॉइड लड क काय णाली को भी उ ी और
दु त करता ह और साथ ही साइनस कजे न, िसरदद और आँख क थकान भी दूर करता ह। इस वॉइट पर
करीब 30 सेक स तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जा सकता ह।
B-10 मे दंड क दोन ओर आधा इच दूर, खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे थत ह। इसे ‘हवनली
िपलस’ नाम िदया गया ह और यह आँख म सूजन, िसरदद, थकान आिद जैसे एलिजक रए शंस से छटकारा
िदलाता ह। अपने िसर क पीछ अपनी उगिलय को एक-दूसर से फसाकर और गरदन को उनक पकड़ म लेकर
करीब एक िमनट तक कसकर दबाव िदया जा सका ह।
B-2 : ‘गेदड बबू’ नाम से ात यह पाइट आपक आइसॉकट क भीतरी िसर पर बाँसा क पास बने एक छोट से
ग म थत ह। यह िसरदद, साइनस कजे न तथा एलज क अ य ल ण को ठीक करने म सहायक ह।
St-3 पुतली क सीध म, गाल क ह ी क सबसे िनचले भाग पर थत ह। यह टफ नोज, हड कजे न,
आँख म जलन और सूजन जैसी परशािनय से छटकारा िदलाता ह।
GV-26 नाक क म य भाग क ठीक बीच म, ऊपर क ह ठ पर थत ह। इस वॉइट को अकसर रोगी को होश
म लाकर खड़ा करने क िलए ाथिमक उपचार क तौर पर उपयोग िकया जाता ह। मोच, बेहोशी, च र आने म
भी इसका उपयोग िकया जाता ह, यह िसरदद, साइनस पेन और हड कजे यन भी ठीक करता ह।
Li-20 (वेलकिमंग पर यूम) ऊपर क ह ठ क ऊपर, नथुन क साइड म (नीचे, उससे सटा होता ह।) साइनस
दद, नाक म कजे न और चेहर पर सूजन दूर करता ह।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग का इलाज करने क िलए दोन हाथ और पैर क सभी उगिलय (अँगूठ
सिहत) क िसर पर वॉइ स उ ीपन कर, येक उगली क अगली पोर पर घड़ी क सुई क िदशा म 20-30
सेक स तक दबाव डाल। उगिलय क बीच क चैन स को भी उ ी कर। ए न स हाथ और पैर क अँगूठ क
बाहरी िकनार को भी उ ी कर य िक इन े को उ ी करने से नाक और िसर म कजे न दूर करने म
मदद िमलती ह।
न 90 : या ए यू ेशर वचा से जुड़ी सम या क समाधान म भी सहायक हो सकता ह?
उ र : वचा हमार शरीर क अ णी र ा पं क प म काम करती ह। वह हमारी शरीर को एक तरह का
आवरण दान करती ह और पसीने क लघु, ंिथय ारा िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म मदद करती ह एवं
इस तरह शरीर को शु बनाए रखती ह। अगर िकसी कारण से गुरदे मू क ज रए िवषैले पदाथ को बाहर नह
िनकाल पाते ह या कोई य क ज से पीि़डत ह तो बचे- खुचे िवषैले पदाथ वचा म दािखल हो जाते ह। हमारी
वचा म कई तरह क सम याएँ पैदा होती ह और हर एक सम या का िभ कारण होता ह। आमतौर पर वचा
शु क या तैलीय कार क होती ह। िकसी दवाई से उपजे एलिजक रए शन या िकसी अ य कारण से वचा पर
ददौर (रशेज) उभर आते ह, मुहाँसे और वचाशोथ (डिमटाइिटस) भी ब त आम ह।
इन सम या क मूल कारण म अपौि क खानपान, कमजोर पाचन श , गुरदे, िलवर आिद जैसे कछ
आंत रक अंग का ठीक से काम न करना, हाम न संबंधी गड़बड़ी आिद शािमल ह। अ य रोग क तरह तनाव भी
हमारी वचा क कित तय करने म एक मुख भूिमका िनभाता ह।
इन सम या क समाधान क िलए ब आयामी ए ोच सव म होगी। छोटी-मोटी सम या म तनाव पर
िनयं ण पाने क िलए पया यायाम, योग और यान या अ य कोई तरीका, ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची क साथ-साथ संतुिलत आहार लेना काफ होगा। परतु अगर रोग बढ़ गया हो तो तेज गित से और
दीघकािलक प रणाम हािसल करने क िलए िकसी वचा रोग िवशेष से सलाह लेना और उनक इलाज क साथ
ए यू ेशर जारी रखना उिचत होगा।
Sp-6 : इसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतनी नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन से यह पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह पेट क ितकल ‘ची’ को भी शांत करता ह।
जो मतली और उलटी का कारण ह।
Li-11 ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ते समय बनने
वाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल। दबाने
पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह। इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह शरीर से अ यिधक गरमी
और नमी दूर करने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने क िलए भी उपयोगी ह। एलज दूर करने और
टिनस ए बो क उपचार क िलए भी यह मह वपूण वॉइट ह।
TW-5 ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
‘िद ि पल वॉमर चैनल’ बाँह क पीछ से ऊपर कधे और गरदन तक जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म
आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह, कधे और गरदन से जुड़ी िकसी भी कार क अकड़न/तनाव क इलाज क िलए
यापक प से उपयोग िकया जाता ह। यह शरीर से वायु और गरमी बाहर िनकालने म सहायक ह।
Sp-10 एक और मह वपूण वॉइट ह। इसे र क वाह म िन लता दूर करने म सफलतापूवक उपयोग
िकया जा सकता ह, जो मशः र से अित र गरमी को बाहर िनकालने म सहायक ह, जो वचा रोग का
कारण बनती ह।
GB-31, िवंड माकट : इसे खड़ होकर जब आपक हाथ जाँघ को दोन तरफ से छ रह ह , ढढ़ा जा सकता ह।
यह वॉइट उस जगह पर थत ह, जहाँ आपक तजनी जाँघ को छ रही हो। इस वॉइट पर कसकर दबाव डाला
जा सकता ह। यह शरीर से अित र वायु बाहर िनकालने और इस तरह खुजली क परशानी दूर करने म सहायक
ह।
बी-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली पीछ दो टडस क ठीक बीच
म बननेवाली ज पर थत ह। िनचली पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस
वॉइट को कमांड वॉइट भी कहा जाता ह। यह वॉइट र से अित र गरमी बाहर िनकालने और इस तरह वचा
रोग को ठीक करने म भी सहायक ह। यह ए जमा क इलाज म िवशेष प से उपयोगी पाया गया ह।
न 91 : गल-शोथ (सोर ोट) क या कारण ह? या ए यू ेशर इसक इलाज म मदद कर सकता
ह?
उ र : जीवाणु सं मण शायद गल-शोध का मु य कारण हो सकता ह य िप ब त यादा ठडा पानी पीना,
ब त ठड कमर से िनकलकर यकायक तेज धूप म आ जाना, वर-तंि य पर ब त भार आ जाना, पराग या एलज
पैदा करनेवाली अ य चीज, आिद जैसे कई अ य कारण भी हो सकते ह। यह रोग ेशर वॉइट िचिक सा से
आसानी से ठीक हो सकता ह। िसवाय उस सूरत म, जब गल-शोध जीवाणु सं मण से आ हो। उस थित म एक
एलोपैिथक डॉ टर क सहायता लेना ज री होगा, य िक रोगी को कोई एंटीबायोिटक दवा देना ज री होता ह।
परतु तुरत आराम पाने और भिव य म इस रोग से बचने क िलए रोग- ितरोधक मता िवकिसत करने क िलए
डॉ टर क इलाज क साथ-साथ ए यू ेशर ारा भी सहायता ली जानी चािहए। ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची क अनुशंसा क जाती ह, जो उपयोगी िस होगीः
Li-4, ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस उभार (माउड) क ज पर थत ह, जो अँगूठ
और तजनी को िमलाने से बनती ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा
दािहने हाथ पर दबाव डाला जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने, मांस-पेिशय को
िशिथल करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी
ए यू ेशर एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य करता ह। यहाँ इस
वॉइट का सुझाव इसिलए िदया जा रहा ह िक इस मे रिडयन का माग सीधे गरदन से होकर जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए, य िक उससे गभपात हो सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ने पर
बननेवाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल।
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह इसलिए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह वॉइट शरीर से
अ यिधक गरमी और नमी दूर करने म ब त उपयोगी ह और इसीिलए गले से भी गरमी दूर करने म सहायक ह।
Li-4 क संयोजन से इ तेमाल िकए जाने पर यह वॉइट इस रोग को ठीक करने म ब त मददगार ह।
Lu-10 अँगूठ क पैड क म य म, हाथ क हथेलीवाली साइड पर थत ह। इसे ‘िफश बॉडर’ कहा जाता ह
और साँस लेने म किठनाई, खाँसी और गले म सूजन म आराम देता ह।
Kd6 : ‘शाइिनंग सी’ नामक यह वॉइट पैर क तलवे क िदशा म, टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना नीचे (अँगूठ क ओर) थत ह। इस पर कसकर दबाव डाल। चूँिक, रजोिनवृि क ल ण म गुरदे
क ‘ियन’ क िन लता भी एक कारक ह, इसिलए इस वॉइट पर दबाव देने से गुरदे का ‘ियन’ पु होता ह और
वह गले को भी नम और शीतल बनाए रखता ह।
Lu-5 : ‘ युिबट माश’ नामक यह वॉइट Li-11 से अँगूठ क िदशा म करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना
दूर, कोहनी क ज म थत ह। यह वॉइट गले से गरमी बाहर िनकाल कर उसम नमी लाता ह। ॉिनक सोर
ोट क इलाज म यह ब त उपयोगी ह।
Lu-11 : ‘लेसर मेटल’ नामक यह वॉइट अँगूठ पर उसक नाखून क नीचे कॉनर म थत ह। यह वॉइट भी
शरीर से अित र गरमी बाहर िनकालता ह और इस तरह ‘ ॉिनक सोर ोट’ को ठीक करने म सहायक ह।
St-44 : (इनर कोटयाड) पैर क ऊपरी भाग म दूसरी और तीसरी उगली क मािजन म बने ग क म य म
थत ह। इस वॉइट को अँगूठ और तजनी म से एक माना जाता ह, जो शरीर से अित र गरमी बाहर िनकालने म
सहायक ह। गल-शोध ठीक करने क िलए एक उपयोगी वॉइट ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग क इलाज क िलए हाथ क अँगूठ क जॉइट क नीचे का े और पैर क अँगूठ
क उस जगह को उ ी कर, जहाँ अँगूठा पैर क तलवे पर पैर क िनचले िह से म िमलता ह। दूसर पैर पर भी
यही ि या दोहराएँ। पैर क पहली और दूसरी उगली क बीच अं ेजी अ र V क आकार म बने े को भी
करीब एक उगली क चौड़ाई िजतनी गहराई तक उ ी कर। यह े गले और ासनली क े से संबंिधत ह
और गले को आराम प चाता ह, य िप इस े पर दबाव ब त पीड़ादायक होता ह। िविभ र ले स ए रयाज
क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेली और तलवे क िच का अवलोकन कर।
न 92 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी िकसी य म बार-बार मोच आने क वृि दूर करने म
सहायक हो सकते ह?
उ र : इस सम या क समाधान म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी एक बड़ी हद तक मदद कर सकते ह। इन
दोन क पीछ यही िस ांत िनिहत ह िक तनाव दूर करक चोट का इलाज करना, ऐसी थित म मोच दूर करना
तथा तदनु पी र ले स े को उ ी करक भािवत अंग का उपचार तथा दद से आराम िदलाना ह। चूँिक
िकसी अंग क भािवत भाग पर सीधे दबाव नह िदया जा सकता, उससे संबंिधत अंग म थत र ले स वॉइ स/
ए रयाज क मदद ली जाती ह, अथा बाएँ पैर क टखने म चोट लगने/मोच आ जाने क मामले म बाएँ हाथ क
कलाई पर थत संबंिधत र ले स वॉइ स/ए रयाज आराम दगे और दाएँ पैर क टखने म मोच आने पर इससे
उलट होगा।
हमार शरीर का अिधकांश भार हमारी एड़ी और टखन पर िटका होता ह। जीवन क एक और स ाई यह ह िक
हम ब त सा समय खड़-खड़ या चलते ए िबताना होता ह और अगर हमारी एड़ी या टखने म दद, चोट या तनाव
हो, तो िहलना-डलना, चलना-िफरना किठन हो जाता ह। कमजोर टखने क ह क ह ी और घुटन पर ब त
दबाव डालते ह। यह आनेवाले डीजेनरिटव ऑ टयोआथराइिटस का एक कारक हो सकता ह। ए यू ेशर म ेशर
वॉइ स और र ले सोलॉजी म र ले स ए रयाज टखने और घुटन क जोड़ को मजबूत बना सकते ह, जो
मशः उपरो संभावना से हम बचा सकते ह। अगर टखने म मोच आती ह तो शरीर क वाभािवक िति या
उसे अपने तरीक से संर ण देने क होती ह और हम देखते ह िक उसक आसपास क मांसपेिशयाँ स त हो जाती
ह तथा उस े म सूजन आ जाती ह, जो एकल जॉइट को लगभग िन ल बना देते ह। ऐसी थित म अगर आप
िकसी डॉ टर से सलाह लेने क िलए जाएँ तो शायद वह भी यही राय देगा तथा हो सकता ह िक भािवत टखने को
और अिधक िव ाम देने क िलए वह कछ सूजन-रोधी और ददनाशक दवाइयाँ बताने क साथ-साथ उसपर ‘ प
बडज’ भी बाँध द।
इस सम या म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी, दोन पया राहत प चा सकते ह। इसका सव म पहलू यह ह
िक दोन िविधय से आप टखने क े को मजबूत बना सकते ह तािक यह सम या बार-बार न खड़ी हो, जैसा उन
लोग क मामले म होता ह, िजनम इन जोड़ म िकसी कमजोरी क कारण अकसर टखने मुड़ने और मोच खाने क
वृि होती ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची का पालन िकया जा सकता हः
Gb-40 : ‘िव डरनेस माउड’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क बाहरी ह ी से आगे क ओर बने ग
म थत ह। यह वॉइट टखने म मोच, पैर क उगिलय म ऐंठन आिद म आराम देता ह।
Kd-3 टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म एिकिलंस टडन क बीच थत ह। यह
वॉइट टखने म दद, पैर म सूजन म राहत देता ह तथा टखने क जोड़ को मजबूत भी बनाता ह।
Kd-6 : ‘शाइिनंग सी’ नामक यह वॉइट जो पैर क तलवे क िदशा म, टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ
क चौड़ाई िजतना दूर नीचे थत ह, पर कस कर दबाव डाल। चूँिक रजोिनवृि क ल ण म गुरदे क ियन भी
िन लता का एक कारण ह, इस वॉइट पर दबाव देने से गुरदे का ‘ियन’ पु होता ह तथा यह एड़ी और तलव
म दद और टखन म सूजन कम करने म भी सहायक ह।
B-62 : ‘काम लीप’ नामक यह वॉइट टखने क बाहरी भाग पर बने ग म थत ह। यह पीठ, टखने, एड़ी
और पैर म दद दूर करता ह।
B-60 : एिकिलस टडन और टखने क बाहरी ह ी क बीच बीच थत ह। यह पीठ क िनचले और ऊपर क
िह से तथा टाँग म दद म आराम प चाता ह। यह मोच क कारण टखने म दद व सूजन कम करता ह।
अगर टखने क भािवत े म मृदुता या सूजन इतनी यादा हो िक उसे पश न िकया जा सकता हो तो भािवत
साइड क कलाई े (कलाई क दोन ओर) और साथ ही किन ा उगली पर उभरी ई ह ी क े को भी
उ ी कर। मुक मल मािलश जैसा दबाव डाल। भािवत टखने पर बारी-बारी से क गई गरम और ठडी िसंकाई
भी ब त राहत देगी। ज द आराम पाने क िलए िसंकाई क बाद भािवत िह से को सुखा ल और उस पर प
बडज बाँधने से पहले मांसपेिशय को रले स करनेवाली कोई म लगा द। बार-बार मोच आने क वृि से
बचने क िलए टखने और पैर को मजबूत बनाने क िलए कछ समय तक चलना-िफरना कम-से-कम कर।
न 93 : गरदन म अकड़न क कारण पर िवचार कर। या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी इस रोग क
इलाज म सहायक हो सकते ह?
उ र : गरदन म तनाव, गरदन और कधे क े म अकड़न तथा दद ब त आम एवं सामा यतः उपेि त
परशानी ह। आमतौर पर लोग कित ारा शरीर क इस भाग क ारा िदए गए िसगनल को तब तक महसूस नह
करते और उसपर यान देना शु नह करते, जब तक िक वह काफ िबगड़कर गंभीर प धारण नह कर लेता,
उदाहरण क िलए गरदन पूरी तरह अकड़ जाती ह, िजसे गरदन का ऐंठना (Wry Neck Condition)भी कहा
जाता ह। हमार शरीर म ब त से मे रिडयंस हमारी बाँह और धड़ से होकर गुजरते ह तथा वे गरदन पर इक हो
जाते ह। इसीिलए, हमार शरीर का यह भाग ब त मह वपूण हो जाता ह य िक एक तरह से यह हमार शरीर म
‘ची’ या जैिवक ऊजा क वाह का जं शन ह। चूँिक हमारी वृि अपनी गरदन और कध म तथा उनक आसपास
क े म ब त सा तनाव और ंि◌चाव लेकर चलने क होती ह, ‘ची’ का वाह आसानी से अव हो जाता ह
और यह अवरोध इस े म अकड़न एवं दद का कारण बन जाता ह। हम इस तनाव को महसूस तो करते ह, परतु
कधे क े म मांसपेिशय क अनचाह संकचन क ारा उसे इक ा िकए जाते ह, जो गरदन और कध म
इदिगद क मांसपेिशय म तनाव, िखंचाव और उनक स त हो जाने का कारण बनता ह। एक समयाविध क बाद
इसक प रणाम व प मांसपेिशयाँ स त हो जाती ह, िजससे सवाइकल पाइन का कवचर और अलाइनमट भािवत
हो सकते ह। इस तरह क थित से बचने क िलए हम अिधक समझदारी से समय रहते कछ करना चािहए और
इस रोग क साथ-साथ आनेवाले तनाव को एक समयाविध म इक ा होने देकर अिधक पीड़ादायक थित को
आमंि त करने क बजाय उसपर काबू पाना चािहए।
ेशर वॉइ स और संबंिधत े म पड़नेवाले र ले स ए रयाज क उ ीपन क िन निलिखत कायसूची काफ
मददगार िस ह गीः
Li-4 : ‘एडजॉइिनग वैली’ क नाम से ात यह वॉइट दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ क संचार मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषेले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
GV-16 : ‘िवंड मशन’ नामक यह वॉइट िसर क िपछले िह से क म य म, खोपड़ी क बेस क नीचे बने
धँसाव म थत ह। यह मानिसक तनाव और गरदन क अकड़न से छटकारा िदलाता ह।
B-2 (ि िलंग बबू) भ ह क बीच बाँसा पर बने ग म थत ह। यह आँख म थकान, गरदन और िसर म दद
से छटकारा िदलाता ह।
GB-20 : िजसे ‘िवंडपूल’ भी कहा जाता ह, खोपड़ी क बेस पर, गरदन क हयरलाइन से एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। इसपर दोन हाथ क अँगूठ से
आसानी से एक साथ दबाव डाला जा सकता ह। यह वॉइट गरदन म अकड़न, िसरदद, कध म दद/भारीपन आिद
क इलाज म ब त उपयोगी ह तथा ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत करता ह।
GB-21 : ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। कधे क दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ दबाव डाला जा
सकता ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी एवं गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक
लाभकारी हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ‘ची’ का सामा य वाह बहाल करता ह। यह
कधे म तनाव, घबराहट और थकान दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट नह दबाना चािहए।
बी-10 : मे दंड क दोन ओर आधा इच दूर, खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे थत ह। इसे ‘हवनली
िपलस’ नाम िदया गया ह और यह आँख म सूजन, िसरदद, तनाव और गरदन म अकड़न, आिद जैसे एलिजक
रए शंस से छटकारा िदलाता ह। अपने िसर क पीछ अपनी उगिलय को एक-दूसर म फसाकर और गरदन को
उनक पकड़ म लेकर करीब एक िमनट तक कसकर दबाव डाला जा सकता ह।