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समपण

यह पु तक मेर आदरणीय िपताजी ( वग य) ी िव ाधर स सेना को समिपत ह, िज ह ने एक संत क तरह


जीवन िजया था। उ ह ने मुझे हमेशा दूसर क िलए जीने और िनः वाथ भाव से कम करने क िलए े रत िकया। 13
जनवरी, 1968 को जब उनका वगवास आ, म लगभग 19 वष का था। मुझे कछ ऐसा करने क ेरणा देते ए
उनक महा आ मा हमेशा मेर साथ रही ह, जो आनेवाले समय म लोग क कछ काम आ सक।
म यह पु तक अपने ‘िम दाशिनक एवं मागदशक’ पूव पुिलस महािनरी क तथा िनदेशक (मेिडकल) सीमा
सुर ा बल और इससे पूव िलखी गई पु तक ‘िमर युलस इफ स ऑफ ए यू ेशर’ तथा ‘ए यू ेशर और व थ
जीवन’ क सह-लेखक प ी ( वग य) डॉ. एल.सी. गु ा को भी समिपत करता । िचिक सा िव ान पर 112
पु तक िलखकर उ ह ने िव म क ितमान थािपत िकया था। वे ‘अपने-आप म एक सं था’ थे। वे उदार मन,
ानी और िवनोदि य थे। चाह वह एक पु तक िलखनी हो या एक कायशाला चलानी हो, उनक उप थित मा ही
मेर िलए ेरणा का मुख ोत बन जाती थी। इस पु तक को पाठक क सामने लाने का िवचार भी उ ह का था
और उ ह ने ऐसे संभािवत न कागज पर उतारने म मेरी ब त मदद क , जो इस ‘कला और िव ान’ क बार म
लोग को परशान करते रह ह। इस पु तक को पाठक क सामने लाने का अवसर देने और इस तरह प ी
( वग य) डॉ. एल.सी. गु ा क अधूर छट गए काय को पूरा करने क िलए म ई र का आभारी ।
—ए.क. स सेना
ए यू ेशर िश ण एवं िचिक सा क
ए यू ेशर कवल रोगनाशक ही नह ह, काफ हद तक वह रोग िनवारक और िनदाना मक भी ह। वह रोग को जड़
से ही न कर देता ह। यह ऐसी िविध ह, िजसका ितकल भाव नह पड़ता ह तथा न ही इससे िकसी कार क
कोई बाधा आती ह। इसक अित र उसे सीखना एवं यवहार म लाना आसान ह और उसक कोई अनचाह भाव
भी नह पड़ते।
कोई भी य इस तकनीक का उपयोग करक इलाज करना सीख सकता ह। उसम शै िणक यो यता क कोई
बाधा नह ह और िकसी भी ऐसे य को वयं अपनी सहायता करने क िलए िशि त िकया जा सकता ह, िजसे
बोलचाल क लायक अं ेजी या िहदी भाषा का ान हो, जो समिपत भाव से कड़ी मेहनत करने क िलए तैयार हो।
यहाँ तक िक गृिहिणयाँ भी इस तकनीक का इ तेमाल करक इलाज करना सीख सकती ह। यिद आप इस अवसर
का लाभ उठाना चाहते ह, तो कपया इस पते पर संपक कर—
िनदेशक ए यू ेशर िश ण एवं िचिक सा क ,
बी-702, मदीप अपाटम स, लॉट बी-9/1-बी,
से टर 62, नोएडा -201301 (उ र देश), भारत
फोन : 09810484242/09810430343
वैब : acupressureguide.org
िवशेषताएँ :
िश ण वयं डॉ. ए.क. स सेना ारा िदया जाता ह।
तीन महीने का/(एक महीने का) करश कोस* उपल ध ह।
शु क ( . 5000) मा *
यावहा रक िश ण अिनवाय ह।
संदेश-1
06-11-2008
म डॉ. ए.क. स सेना को य गत प से तब से जानता , जब हमने 2006 म एक गंभीर प से अ व थ
रोगी क िचिक सा म उनक सहायता ली थी। दय धमनी क रोग से त 45 वष य स न को एंिजयो ाफ क
बाद िदल का दौरा पड़ा था और उ ह सीपीआर जारी रखते ए आपातकालीन बायपास सजरी क िलए अ पताल म
दािखल िकया गया था। सजरी क बाद रोगी म गंभीर हायपॉ सक एनकफलोपैथी और ि िटकल इलनेस
मायो यूरोपैथी क ल ण कट होने लगे। वे कोमा म चले गए थे और अब वे अपना कोई भी अंग िहला नह सकते
थे। एमआरआई कन से पता चला िक पूवानुमान ठीक से नह लगाया गया था। पारप रक िचिक सा क साथ-साथ
डॉ. ए.क. स सेना ने रोगी का िनयिमत प से ए यू ेशर िचिक सा प ित से भी इलाज िकया। डॉ. स सेना क
उपचार क बाद रोगी क तंि का थित ( यूरोलॉिजकल टटस) म आ यजनक प से सुधार िदखाई िदया और
धीर-धीर रोगी पूरी तरह ठीक हो गया। उ ह अ पताल से छ ी दे दी गई, वे िनयिमत प से अपने काम पर जाने
लगे और बाद म जाँच िकए जाने पर उनम िनरतर सुधार िदखाई देता रहा। हमार अ पताल म इसी वष इसी कार
का एक और रोगी था, िजसे िदल क दौर क बाद हायपॉ सक एनकफलोपैथी और ि िटकल इलनेस
मायो यूरोपैथी क िशकायत थी। उसने भी डॉ. ए.क.स सेना क ए यू ेशर िचिक सा प ित से उपचार कराया और
इसक अ छ प रणाम सामने आए। म गंभीर रोग से त मरीज क साझे उपचार म डॉ. ए.क. स सेना क हमेशा
उ सुकता से ती ा करता रहता ।
म उनक सभी यास म सफलता क कामना करता ।
डॉ. दीप जैन
एम.डी. मेिडिसन (पीजीआई)
डी.एम.कािडयोलॉजी (ए स)
फलो, इिडयन कॉलेज ऑफ कािडयोलॉजी
फलो, कािडयोलॉिजकल सोसाइटी ऑफ इिडया
सीिनयर कस टट इटरवशनल कािडयोलॉजी
इ थ अपोलो हॉ पट स
िद ी
संदेश-2
29.11.2011
जनवरी 2008 म मेरी िड क म एल5 एस1 तर पर तेज दद होने लगा, इस दद से िनजात पाने क िलए एलोपैथी,
हो योपैथी और िफिजयोथेरपी सिहत सार इलाज नाकाम हो चुक थे। जुलाई 2008 म मने डॉ. स सेना क ए यू ेशर
िचिक सा प ित का पहला कोस िलया और उसक बाद 3 महीने तक (लगातार नह ) यह िचिक सा चलती रही।
उससे िबना कोई दवाई खाए, मुझे दद से पूरी तरह छटकारा िमल गया। वे अपनी िचिक सा क ित ब त आ त
थे और इस इलाज क मेर िलए सचमुच च काने वाले प रणाम सामने आए। म उनक ब त आभारी । जून 2011
तक मुझे कोई दद नह आ, परतु धीर-धीर बढ़ती ती ता क साथ, िवशेष प से मेर बाएँ पैर म, िफर से दद होने
लगा। अ ूबर तक वह असहनीय हो गया, यहाँ तक िक म रात म सो भी नह पाती थी। मने डॉ. स सेना से िफर
बात क और य त काय म क बावजूद डॉ. स सेना और उनक टीम ने मुझे तुरत ही समय दे िदया।
मने 10 बैठक का अपना कोस पूरा कर िलया ह। जैसी आशा थी, िकसी भी ददनाशक दवाई का सेवन
िकए िबना दद म लगभग 70 ितशत तक क कमी आई ह। और म काफ बेहतर थित म । दद क कारण रात
को मेरी न द म खलल नह पड़ती तथा मुझम अपने ठीक होने का सुखद एहसास लौट आ रहा ह। वे मेर िलए
ह ते म एक बैठक करने का िवचार कर रह ह। मुझे िव ास ह िक ब त ज द ही मुझे दद से पूरी तरह छटकारा
िमल जाएगा। म समझती िक न कवल यह उपचार प ित उ क ह, ब क डॉ. स सेना का समपण-भाव और
ान भी असाधारण ह। अपने वा य क ित उनक िचंता और उनक यास क िलए म उ ह हािदक ध यवाद
देती ।

(डॉ. ( ीमती) जॉली रोहतगी)


एम.एस. (ऑ थलमलॉजी)
ोफसर ऑफ ऑ थलमलॉजी
ने रोग िवभाग
यूसीएमएस एवं जीटीबी हॉ पटल
िद ी-95
संदेश-3
26-05-2011
म डॉ. स सेना, क ित हािदक आभार य करता , िजनम ए यू ेशर तकनीक क ारा इलाज क िलए
आनेवाले सभी मरीज क िलए स यास समपण भाव ह और सहयोग क भावना ह। मेरी ‘साइिटका’ और ‘पीठदद’
ठीक करने म डॉ. स सेना ने िनरतर सहायता क । म उनक दय से शंसा करता । वे न कवल एक सफल
िचिक सक ह, ब क इनसािनयत क भावना क साथ लोग का इलाज करते ह। म उनका आदर करता तथा
उनक दीघ और सुखी जीवन क िलए ई र से ाथना करता ।
इस ाचीन िचिक सा प ित पर उनक िवचार और इस प ित से इलाज करनेवाले य य क लाभाथ िलखी
गई रचनाएँ ‘िमर युलस इफ स ऑफ ए यू ेशर’ नामक पु तक म संगृहीत ह और इस िचिक सा प ित क
तकनीक क समझ पैदाकर रोिगय क उपचार म मदद िमल सकती ह। इस संपूण उपचार प ित क संवधन और
उसक बारीिकय को समझने क ि से इस पु तक का अ य भाषा म अनुवाद सचमुच एक आनंद का िवषय
होगा।
लाख रोग त लोग क िलए डॉ. स सेना एक ब मू य संपदा ह।

(डॉ. आर.एल. ि पाठी)


पी-एचडी (एफ एम एस)
एसोिसएट ोफसर ऐंड कोऑिडनेटर
हॉ पटल लैब सिवसेज िडपाटमट ऑफ बायोकिम ी
यूिनविसटी कॉलेज ऑफ मेिडकल साइसेज
(िद ी यूिनविसटी)
एवं गु तेगबहादुर हॉ पटल िद ी-110095
आमुख
अपने आदरणीय गु डॉ. अ र िसंह क आ ह पर मने ए यू ेशर पर पहली पु तक‘िमर युलस इफ स ऑफ
ए यू ेशर’, प ी डॉ. एल.सी. गु ा क साथ अं ेजी भाषा म िलखी थी। इस पु तक क काशन क बाद से मुझे
ब त से प िमल रह थे तथा फोन कॉ स आ रह थे, िजनम ब त यादा तकनीक श द का इ तेमाल िकए िबना
ब त सरल भाषा म पु तक िलखने क िलए मुझे बधाई दी गई थी। असल म, िजस चीज ने मुझे ऐसा करने क िलए
े रत िकया था, वह थी, समाज क िनचले तर पर रह रह िविभ रोग से त लोग तक प चने क इ छा। मने
लोग को कई तरह क लड ट ट, ए स-र, अ ासॉिनक और अ य परी ण पर अ छा-खासा पैसा और समय
खच करते ए तथा उसक बाद कछ कारण से इलाज बीच म ही छोड़ देते देखा ह, इस वृि क पीछ
िन निलिखत कारण थे (1) महगा इलाज (2) तािवत श य िचिक सा पर आने वाले खच। मेरी मा यता थी िक
अगर ाकितक िचिक सा क अंतगत उपल ध िविभ िचिक सा प ितय , उदाहरण क िलए ‘ए यू ेशर’ प ित
का उपयोग िकया जाता ह, तो उनम से ब त से मामल म दवाई या श य िचिक सा क िबना रोग से छटकारा पाया
जा सकता ह। साथ ही, अंतहीन लड ट ट, ए सरज अ ासॉिनक परी ण , यहाँ तक िक एमआरआई आिद से
गुजरने क झंझट से भी छटकारा, इन जाँच को आजकल टीन तौर पर तजबीज िकया जा रहा ह, बेशक, एक लंबे
समय तक िकसी रोग से त रहने क बाद ये परी ण आव यक हो जाते ह। परतु मेरी नजर म सवाइकल
पॉ डलाइिटस, घुटने क दद, माइ ेन, साइनसाइिटस या साइिटका आिद से पीि़डत रोिगय क जीवन को कोई
खतरा नह होता ह, उ ह एमआरआई क िलए भेजने का कोई तुक नह ह, य िक ए यू ेशर तकनीक का उपयोग
करक इन रोग का आसानी से इलाज िकया जा सकता ह।
मेर पाठक और मेर िव ाथ भी लगातार यह माँग करते आ रह ह िक उ ह ए यूपं र से इलाज करने वाल
ारा उपयोग िकए जा रह ि गर वॉइ स क जानकारी दी जाए। एक और वग ारा नो र प म पु तक
िलखने क माँग क जा रही थी, िजसम उन सवाल क जवाब ह , जो इस िचिक सा प ित क भावो पादकता
और उपयोिगता क बार म िव ािथय /पाठक क मन म आमतौर पर उठते रहते ह। ब त समय से चली आ रही इस
माँग को पूरा करने क िलए मेरी यह तीसरी पु तक ‘ए यू ेशर और र ले सोलॉजी पर 101 नो री’ पाठक क
सामने लाई जा रही ह। िजसका िवचार मेर व र सहकम प ी ( वग य) डॉ. एल.सी. गु ा क मन म आया
था, जैसा िक पु तक क शीषक से जािहर ह, इसम पाठक क मन म उठनेवाले संभािवत न का उ र देने का
यास िकया गया ह। िजतनी अिधक प ता से संभव था, िच म िदखाए गए ि गर वॉइ स क ठीक-ठीक
थित समझाने क सभी संभव यास िकए गए ह। इस यास म डॉ. ीित पइ, ने मेरी भरपूर सहायता क ह। जो
10 साल से भी अिधक समय से ए यूपं र और ए यू ेशर क ै टस करती आ रही ह।
पु तक म रह गई िकसी कमी क िलए मायाचना करने से पहले, पु तक म और अिधक सुधार क उ े य से
पाठक क सकारा मक सलाह और आलोचना का वागत ह। और यह आशा करता िक आनेवाले समय म
मानव-जाित क क याण क िलए हमारी इस कित का उपयोग िकया जाएगा। इस िस उ रण क साथ, म
आमुख का समापन करता िक िकसी भी दौड़ म सही िदशा म िकया गया आगाज, दौड़ क अंत म अ यिधक
लाभदायक सािबत होता ह।
—ए.क. स सेना
लेखक य
ए यू ेशर शरीर क सतह पर थत िविभ िबंदु को उ ी ( ट युलेट) करने क तकनीक पर आधा रत
शायद दुिनया क सबसे पुरानी िचिक सा िविधय म से एक ह, िजसम दद या क से छटकारा पाने क मु य
उ े य से ए यू वॉइ स/ि गर वॉइ स (िज ह र ले स वॉइ स भी कहा जाता ह) को दबाया जाता ह। यह माना
जाता ह िक मानव-शरीर म अपनी यािधय को ठीक करने क अ यिधक मता ह। जब भी शरीर क भीतरी अंग
से संबंिधत र ले स वॉइ स को दबाया जाता ह तो उ ह उ ीपन िमलता ह तथा दद और क दूर हो जाते ह,
िज ह ऊजा क असंतुलन का सूचक माना जाता ह, और मरीज राहत महसूस करता ह। यह सब कसे हािसल िकया
जाता ह? सरल भाषा म यह कहा जा सकता ह िक जब चुिनंदा र ले स वॉइ स पर दबाव डाला जाता ह, तो
मांसपेिशयाँ तनाव मु होती ह और र का वाह बनता ह, जो शरीर क ाण-श को उ ी करक रोग-
मु म सहायक होता ह।
इसम िकसी दवाई/सजरी क ज रत न होने से शरीर पर ितकल भाव नह पड़ता ह। यह लीक से हटकर ह,
दु भाव नह ह, न ही इससे कोई बाधा उ प होती ह। इस कारण से ए यू ेशर को ब त मह व िमलने लगा ह।
इसक अित र , िविभ रोिगय क साथ 25 वष से अिधक का मेरा अनुभव दरशाता ह िक यह िचिक सा प ित,
अगर म कछ नाम िगनाऊ, तो सवाइकल/लंबर पॉ डलाइिटस, साइनसाइिटस, पीठदद, घुटन का दद, तलव का
दद, साइिटका, ोले ड िड क, क ज, आइबीएस, पीएमएस, अिन ा, अवसाद, टिनस ए बो, दमा, उ
र चाप, माइ ेन, यूरो से संबंिधत सम या आिद से पीि़डत रोिगय क मदद करने म ब त कारगर ह।
सीखने और यवहार म लाने म आसान इस िचिक सा प ित क भावो पादकता को देखकर पारप रक
िचिक सा प ितय क ै टशनस भी इसे अपनाने लगे ह।िविभ िति त अ पताल , जहाँ आइसीयू म भरती
गंभीर रोग से त लोग का इलाज करने क िलए बुलाए जाने पर म उपचार करता , लगभग सात वष से
अिधक क अविध म यह असंिद ध प से िस हो चुका ह िक िजन मामल म िकसी भी पारप रक िचिक सा
णाली क साथ-साथ ए यू ेशर प ित से इलाज िकया गया (अथा रोिगय का सह-उपचार), वहाँ ती , भावी
प रणाम ह। आसानी से िव ास ही नह होता, िकतु इसका एक और लाभ यह ह िक िकसी कार क साइड
इफ स से डर िबना, इस सरल और स ती िचिक सा णाली का उपयोग घरलू उपचार क तौर पर करने क िलए
िकसी को भी िशि त िकया जा सकता ह। अपने वतमान व प म ए यू ेशर और ए यूपं र का आरभ चीन से
माना जाता ह, जहाँ इन प ितय को अिधक भावी और लोकि य बनाने क िलए गहन शोध और उ ेखनीय
काय िकए गए ह। 1972 म अपनी ऐितहािसक चीन या ा क दौरान अमरीक रा पित रचड एम. िन सन और
उनक प नी पैट ने ए यू ेशर म गहरी िच कट क और इससे अमरीका तथा कछ अ य देश म इस प ित क
ओर लोग का यान यापक प से आकिषत आ। आज ीलंका, को रया, जापान, इडोनेिशया, मलेिशया, भारत
आिद देश म बड़ पैमाने पर इसका उपयोग िकया जा रहा ह।
वा तव म बीसव सदी क आरिभक वष म ए यू ेशर या र ले सोलॉजी या जोनथेरपी को वै ािनक आधार
िमला, जब अमरीका िति त मेिडकल िफिजिशयन एवं सजन डॉ. िविलयम एच. िफटजेरा ड, ए डी. (1872-
1942) ने आधुिनक जोन थेरपी िवकिसत क । ये हाटफोड, कने टकट थत सट ांिसस हॉ पटल क नाक और
गला िवभाग क मुख थे।
डॉ. एडिवन एफ. बॉवस, एम.डी. और डॉ. जॉज टर हाइट इसी समय क दो अ य िचिक सक ह, िज ह ने
िचिक सा क इस अनोखे िस ांत को सिव तार ितपािदत करने म मह वपूण काय िकया। डॉ. जो शे बी रले और
उनक प नी एिलजाबेथ एन रले दो अ य अ यवसायी डॉ टर थे, िज ह ने अपने ब त से मरीज पर इस प ित को
आजमाया और उसक िवकास म अतु य योगदान िदया। डॉ. रले ने जोन थेरपी पर बारह पु तक िलख , िजनम से
पहली का कॉपीराइट 1917 म और आिखरी का 1942 म िलया गया था। लगभग एक दशक क हािलया अविध म
कई तरह क वैक पक िचिक सा णािलयाँ उभरकर आई ह, जैसे सुई रिहत (ए यू ेशर को िदया गया एक नया
नाम, ेशर वॉइट थेरपी) जोन थेरपी, र ले सोलॉजी, िशया सु, मसाज, मे नेटो थेरपी, हाइ ोथेरपी इ यािद। परतु
बेहतर यह होगा िक उ ह पूरक िचिक सा प ितय क नाम से पुकारा जाए य िक ‘वैक पक िचिक सा प ित’
श द का उपयोग यह गलत संदेश दे सकता ह िक पारप रक और वैक पक उपचार प ितय से इलाज करनेवाले
िचिक सक क बीच कोई आपसी टकराव ह, जबिक सोच यह ह िक रोिगय क लाभाथ ये प ितयाँ एक-दूसर क
पूरक बन, न िक एक दूसर का िवक प। श द पूरक सही अिभ ाय भी कट करता ह, य िक उसम वीकित का
भाव िनिहत ह िक पारप रक िचिक सा प ित और पूरक िचिक सा प ित दोन का उ े य एक ही ह तथा
इसिलए दोन को अपनी-अपनी भूिमका सहजता से अदा करने क छट दी जानी चािहए। रोगी और डॉ टर दोन का
एक ही ल य होना चािहए िक िजतनी ज दी संभव हो, रोग से छटकारा पाना।
शायद यही उपयु समय ह, जब अपने मरीज क वा य लाभ क िलए पारप रक और पूरक िचिक सा
प ितय क िचिक सक िमल-जुलकर काम कर। बढ़ती ई सं या म डॉ टर ारा पूरक िचिक सा प ितय म
िडि याँ हािसल करने से इस ि कोण क सार म गित िमल रही ह। पारप रक िचिक सा णाली क ै टस
करनेवाले ब त कम डॉ टर शरीर, मन और आ मा पर बल िदए जाने से असहमत ह गे, वा य और श क
िलए भोजन, जनसाधारण क मन म यायाम क ित बढ़ती जाग कता, शारी रक भावना मक मानिसक एवं
आ या मक वा य म सुधार क िलए वावलंबी लाभ ह, उपाय अपनाना। पूरक िचिक सा प ितय क दो
अिधकांश डॉ टर क तुलना म पूरक िचिक सा प ित से इलाज करनेवाले िचिक सक क पास आपक सम या
क बार म सुनने क िलए यादा समय होता ह। दूसर, इन िदन पूरक िचिक सा प ितय क माँग काफ यादा ह
और इसक पीछ कारण शायद दवाइय क दु भाव (साइड इफ स) क ित जनसाधारण क बीच बढ़ती
जाग कता और डॉ टर ारा िलखी गई कछ दवाइय क भारी लागत ह, िजसे वहन करना आम आदमी क बूते
से बाहर ह। पूरक िचिक सा प ितय क माँग बढ़ने का एक और कारण यह ह िक अब बीमारी क बजाय
वा य पर और रोग क इलाज क बजाय उनक रोकथाम पर यादा जोर िदया जा रहा ह। उनक आकषण का
एक और कारण ह तंद त रहने क मता से यु ाण श य , पर बल िदया जाना िज ह यूनतम यास से
संतुिलत और पुनः यव थत िकया जा सकता ह, इसक अित र िकसी साइड इफ ट से डर िबना ( य िक
दवाइय क ज रत नह ह) उसे सीखना और यवहार म लाना आसान ह। ये प ितयाँ िकसी भी कार का
नुकसान नह प चाती ह। इनम महगे और िव ान यं क ज रत नह होती, िजससे इन पर कोई लागत भी नह
आती ह। एक और बड़ा लाभ यह ह िक यह प ित रोग क इलाज क बजाय उसक रोकथाम पर कि त ह।
‘(रोग क) इलाज से बेहतर ह उसक रोकथाम’, यह सामा य िस ांत इसका सार ह। इसका अ य लाभ ह िक यह
िचिक सा प ित आंिशक प से नैदािनक (डाय नो टक) भी ह। एक अ छा और अनुभवी ए यू ेशर िचिक सक
िवरले ही आपको ए स-र या एम.आर.आई. कराने क िलए कहगा।
अगर एक य िनयिमत प से िनधा रत काय म क अनुसार अपने शरीर पर थत कवल बारह िबंदु को
दबाने क ि या करता रह, तो वह वयं को दु त तथा रोग और दवाइय से दूर रख सकता ह। चूँिक इन िबंदु
को दबाने से आप अपने रोग ितरोधक तं और अ य मह वपूण िस टम को उ ी करते ह, यह ि या आपको
ाकितक प से चु त-दु त रखने म मदद करती ह।
ाचीन िचिक सक ने इस ाण-श चेतना को समझ िलया था। जो येक ाणी को जीिवत रखती ह। उ ह ने
समझ िलया था िक वह ाण ऊजा इस भौितक जग क सभी त व म होती ह। ाचीन िचिक सक ने यह
अवलोकन िकया था िक यह ाण ऊजा कई िविश माग से शरीर म वािहत होती ह, िज ह ‘मे रिडयंस’ कहा
जाता ह। वे िबंदु (िज ह ए यू- वॉइ स या ि गर पॉइ स क नाम से भी जाना जाता ह) ह, जहाँ से ाण-श क
वाह को सबसे यादा कारगर तरीक से भािवत िकया जा सकता ह।
िकसी भी समय िबंदु पर शरीर क ‘मे रिडयंस’ क ज रए; ऊजा का वाह हमार वा य क दशा तय करता ह।
जब यह वाह सहज, संतुिलत और िनबाध होता ह, हम व थ होते ह। जब ाण-श क वाह म कावट
उ प होती ह, तब दद और रोग कट हो सकते ह। मुख दबाव िबंदु पर अपने अँगूठ या उगिलय क िसर से
ह का सा दबाव देना सीखकर इन असंतुलन को ठीक करक दोबारा नीरोग आ जा सकता ह या दद से छटकारा
पाया जा सकता ह।
ए यू ेशर िचिक सा प ित ‘ची’ या ाण-श क वाह को संतुिलत और सहज बनाए रखने क िस ांत पर
आधा रत ह। यायाम क कमी या गलत खानपान भी हमार िस टम को िबगाड़ सकता ह। पेट क गड़बड़ी,
जुकाम, एलज , अ यिधक थकान आिद कछ यािधयाँ ह, जो हम इस बात से आगाह कर देती ह िक ाण-ऊजा क
वाह म कोई सम या ह अथा वह अव ह। अगर इन छोट-मोट असंतुलन को समय रहते ठीक न िकया
जाए, तो यादा गंभीर सम याएँ पैदा हो सकती ह।
यह दरशाने क िलए अब पया सबूत ह िक ए यू ेशर तंि का तं (नवस िस टम) और र वाह को िनयिमत
करने म स म ह। र वाह म तेजी लाने से शरीर म मौजूद िवषैले त व को बाहर िनकालने तथा पोषक त व
और ऑ सीजन को हमारी सभी कोिशका तक प चाने म मदद िमलती ह। वह िदमाग को एंडोिफन रसायन,
रलीज करने क िलए भी पे्र रत करता ह। जो दद कम करने और मरीज म एक सुखद एहसास जगाने क िलए
जाना जाता ह।
ाचीन िचिक सक यह महसूस करते थे िक जब तक हमार शरीर क िविभ अंग म सम वय और सहयोग बना
रहता ह, हम व थ बने रहते ह। जब िकसी कारण से शरीर म यह ाकितक संतुलन भंग हो जाता ह तब असंतुलन
या िव ोभ क कित और इसक ती ता क अनुपात म ती ता क अनुसार एक या अिधक यािधयाँ कट होने
लगती ह। ए यू ेशर को शरीर क काय णाली को ाकितक तरीक से पुनः सामा य बनाने का सव म तरीका पाया
गया ह। ए यू ेशर उन िवषैले पदाथ और अशु ता को शरीर से िनकाल देता ह, जो नस क िसर पर जमा होकर
कई रोग को ज म देती ह। ये िवषैले त व िविभ अंग तक जानेवाले ऊजा क सामा य वाह को अव करते
ह। िजससे पूर शरीर का संतुलन िबगड़ जाता ह। िविभ अंग क र ले स क पर दबाव देने से हथेिलय और
तलव क नस क िसर म बारीक कण क प म जमा िवषैले त व, क शयम, यू रया को िविभ मािणत रा त
से शरीर से बाहर िनकाल िदया जाता ह।
अंत म यह कहा जा सकता ह िक यह मािणत त य ह िक मानव-शरीर म िकसी भी रोग को वयं ठीक कर
लेने क भरपूर ाकितक श होती ह। ाण-ऊजा को पुनः जा करने क िलए कवल ाकितक श का
उपयोग करने क ज रत ह। ए यू ेशर उन चंद ाकितक िविधय म से उभरा ह, जो सभी तरह क रोग को ठीक
करने क िलए शरीर क भीतर िछपी श को पुनः जा करने म स म ह।
भूिमका
ए यू ेशर 5000 से अिधक वष पहले एिशया म िवकिसत एक ाचीन िचिक सा कौशल कला ह, िजसम वयं
को ठीक कर लेने क शरीर क ाकितक मता को उ ी करने क िलए वचा पर थत मु य थल (ऊजा
क , िज ह ए यू- वॉइ स भी कहा जाता ह) या अँगूठ, या उगिलय से दबाव डाला जाता ह। ये ऊजा क या
ए यू- वॉइ स मे रिडयंस नामक ऊजा माग (िजन पर ऊजा ‘ची’ का आवागमन होता ह) पर पाए जाते ह।
ए यू ेशर शरीर को ऊजा क एक तं (िस टम) क प म लेता ह तथा शरीर क भीतर ‘अव ’ या ‘जमा’ ऊजा
क क पहचान करक रोग ल ण को दूर करता ह।
आमतौर पर उगिलय या अँगूठ, और कभी-कभी िकसी बोथरी डडीनुमा व तु से ए यू वॉइ स को ह क से
दबाया जाता ह, िजससे ए यू ेशर करानेवाले य को आराम िमलता ह। अब यह िचिक सा प ित िबना
सुइय वाले ए यूपं र (ए यू ेशर को िदया गया एक नया नाम- ेशर वॉइटथेरपी), र ले सोलॉजी, जोन थेरपी,
िशया सु, मसाज, मे नेटो थेरपी, हाइ ो थेरपी जैसी ाचीन एिशयाई वैिक पक िचिक सा प ितय म से एक
प ित क प म वै क तर पर बेहद लोकि य हो रही ह।
इन िदन इन वैक पक/पूरक िचिक सा प ितय क भारी माँग ह, संभवतः इसिलए िक जनसाधारण क बीच
एलोपैिथक िचिक सा प ित क ितकल भाव और भारी खच को लेकर जाग कता बढ़ गई ह। आज उसका
खच उठाना आम आदमी क बूते से बाहर हो गया ह। इन पूरक िचिक सा प ितय क बढ़ती माँग का एक और
कारण यह ह िक इनम सम िचिक सा एक भाग क प म बीमारी क बजाय वा य पर और रोग क इलाज क
बजाय उनक रोकथाम पर यादा जोर िदया जाता ह। एक बढ़ती ई सं या म डॉ टर ारा इन वैक पक/पूरक
िचिक सा प ितय म िडि याँ हािसल करने क साथ-साथ समाज म यह ि कोण जोर पकड़ रहा ह। पारप रक
िचिक सा प ितय क ब त कम िचिक सक इस तरह तन, मन, और आ मा तीन पर जोर िदए जाने, वा य द
भोजन, जनसाधारण म यायाम योग क ित बढ़ती जाग कता, शारी रक, भावना मक, मानिसक एवं आ मक
वा य और सुखमय जीवन क ओर ले जानेवाले वावलंबी उपाय क उपयोिगता से असहमत ह गे।
दोन लेखक ब त वष से िविभ िति त अ पताल म रोिगय का उपचार करते रह ह, िजनम गंभीर रोग से
त मरीज भी शािमल ह। अब तक यह भली भाँित मािणत तरह से थािपत हो चुका ह िक पारप रक िचिक सा
क िकसी भी शाखा क साथ-साथ ए यू ेशर क ारा भी उपचार िकया जाए, तो प रणाम अिधक व रत और
भावी ह गे।
इस िवषय पर मौिलक लेखन क शु आत करते ए ए.क. स सेना इस ए यू ेशर िचिक सा िविध पर पहले ही
दो पु तक िलख चुक ह: एक ह अं ेजी म ‘िमर युलस इफ स ऑफ ए यू ेशर’ (इसक गुजराती और मराठी
सं करण भी उपल ध ह) और दूसरी ह िहदी म ‘ए यू ेशर और व थ जीवन’, िजसक पाठक क सं या ब त
अिधक ह। असमी भाषा म पु तक काशनाधीन ह।
नो र व प म यह पु तक ‘ए यू ेशर और र ले सोलॉजी पर 101 नो री’ ए यू ेशर और
र ले सोलॉजी िव ान तथा कला सीखने क इ छक िव ािथय क िलए ब मू य होगी, य िक इसका उ े य
वैक पक/पूरक िचिक सा प ितय क उपयोिगता क बार म लोग क मन म उठ रह सवाल का जवाब देना ह।
डॉ. ए.क. स सेना और डॉ. ीित पइ ने इस िचिक सा प ित को सीखनेवाले य य क मन-म त क को
उ ेिलत करनेवाले सभी संभािवत न का उ र देने का बीड़ा उठाया ह और उनका यास सराहनीय ह।
मुझे आशा ह िक यह पु तक अपने उस उ े य म सफल होगी, िजसने इन अनुभवी, सुिव और ितब
लेखक को यह काय अपने हाथ म लेने क िलए े रत िकया ह।
म उनक पूण सफलता क कामना करता ।
—बृज क. तै नी
आई.ए. एस. (सेवािनवृ )
ए यू ेशर और र ले सोलॉजी पर 101 नो री
न 1 : ए यू ेशर क बार म आप या जानते ह? इससे होने वाले लाभ पर कछ काश डािलए।
उ र : ए यू ेशर शरीर क सतह पर थत िविभ मुख िबंदु को उ ी ( ट युलेट) करने क तकनीक पर
आधा रत शायद दुिनया क सबसे पुरानी िचिक सा-िविधय म से एक ह, िजसम दद या क से छटकारा पाने क
मु य उ े य से उपरो ए यू वॉइ स/ि गर वॉइ स को दबाया जाता ह। यह माना जाता ह िक मानव-शरीर म
वतः यािधय को ठीक करने क अ यिधक मता ह। जब भी शरीर क भीतरी अंग से संबंिधत ‘ र ले स
वॉइ स’ को दबाया जाता ह, वे उ ी हो जाते ह तथा दद और क दूर हो जाते ह, िज ह ऊजा असंतुलन का
सूचक माना जाता ह, तथा मरीज राहत महसूस करता ह। यह सब कसे हािसल िकया जाता ह? सरल भाषा म यह
कहा जा सकता ह िक जब चुिनंदा ‘ र ले स वॉइ स’ पर दबाव डाला जाता ह, तो मांसपेशीय तनाव उ प होता
ह और इससे र का वाह बनता ह। इस तरह शरीर क ाण-श को यह िविध उ ी करक रोग-मु म
सहायक होती ह।
‘ए यू ेशर’ एक लैिटन भाषा का श द ह िजसम ‘ए यू’ का अथ ह—अँगूठा, जबिक ेशर का अथ ह दबाव। यह
वतः प ह। इस तकनीक से इलाज करने म अँगूठ या उगिलय का उपयोग करते ए िविभ चुिनंदा र ले स
वॉइ स पर दबाव िदया जाना ज री ह। परतु यिद कम समय म ब त से मरीज का इलाज करना हो, तो
िचिक सक क ऊजा बचाए रखने क िलए इस उ े य से बनाए गए उपकरण क ज रए भी दबाव िदया जा सकता
ह। 5000 से भी अिधक वष क दौरान क गई शोध/अवलोकन क आधार पर शरीर क िविभ अंग से संबंिधत
‘ र ले स वॉइ स’ क पहचान मु य प से हथेिलय और तलव पर क गई ह। आमतौर पर ये ए यू वॉइ स
जोड़ म आते ह। लेिकन दय और यकत (लीवर) अपवाद ह। दय से संबंिधत र ले स वॉइ स बाएँ तलवे और
बाई हथेली पर तथा यकत क मामले म वे दाई हथेली और दाएँ तलवे म पाए जाते ह।
समय बीतने क साथ-साथ ठीक इस कारण से िक इसम िकसी दवाई/सजरी क ज रत न होने से यह उनक
दु भाव से पूरी तरह मु ह, ए यू ेशर को ब त मह व िमलने लगा ह। वह पूरी तरह से परपरागत िचिक सा
िविध से िभ , दु भाव रिहत अन-अित मणकारी और अह त ेपी ह। इसक अित र , िविभ रोिगय क साथ
25 वषो से अिधक का मेरा अनुभव दरशाता ह िक यह िचिक सा प ित, अगर म कछ नाम िगनाऊ तो सवाइकल/
लंबर पॉ डलाइिटस, साइनसाइिटस, पीठदद, घुटन का दद, तलव का दद, साइिटका, ोले ड िड क, क ज,
आईबीएस, पीएमएस, अिन ा, अवसाद, टिनस ए बो, दमा, उ र चाप, माइ ेन, यूरो से संबंिधत सम या
आिद से पीि़डत रोिगय क मदद करने म ब त कारगर ह। सीखने और यवहार म लाने म आसान इस िचिक सा
प ित क भावो पादकता को देखकर पारप रक िचिक सा प ितय क पै्र टशनस भी इसक ित खुलने लगे
ह। िविभ िति त अ पताल से करीब छह वष से मेर जुड़ होने से यह असंिद ध प से िस हो चुका ह िक
िजन मामल म िकसी भी पारप रक िचिक सा णाली क साथ-साथ ए यूपे्रशर प ित से इलाज िकया गया, वहाँ
प रणाम ती तर और कभी-कभी तो अिव सनीय रह ह। इसका एक और लाभ यह ह िक िकसी कार क
दु भाव से डर िबना इस स ती िचिक सा णाली का उपयोग एक घरलू उपचार क तौर पर करने क िलए औसत
बु क य को भी िशि त िकया जा सकता ह।
न 2 : ए यू ेशर क ऐितहािसक पृ भूिम या ह?
उ र : िचिक सा क इस ाचीन कला, जो सुई रिहत ए यूपं र, जोन थेरपी, र ले सोलॉजी, िशया सु, ेशर-
वॉइट थेरपी आिद नाम से भी जानी जाती ह; इसक उ म क बार म कई दावे और ित-दावे िकए गए ह। परतु
इस स ाई से इनकार नह िकया जा सकता िक मसाज या दबाव क तकनीक पर आधा रत यह शायद दुिनया क
सबसे पुरानी ाकितक िचिक सा िविधय म से एक ह। पहले लोग ारा यह मान िलया जाता था िक शायद इस
िचिक सा प ित क उ पि चीन म ई थी। परतु एक और िवचारधारा क माननेवाल का मत था िक इस
अवधारणा क प रक पना का ेय ाचीन भारतीय िचंतक को जाता ह तथा िव ान, तीथया ी आिद यह से इस
कला और िव ान को दुिनया क अ य भाग म ले गए। शोध क ज रए सवािसय ने भी इसी मत का समथन िकया
ह िक इस कला और िव ान का ज म थान भारत ह। 1957 म टट प लिशंग हाउस ऑफ मेिडकल िलटरचर,
लेिनन ाड िडपाटमट ारा एन.ए.बोगोयावल क िलिखत इसी आशय का एक लेख ‘इिडयन मेिडिसंस इन एंशट
रिशयन ीटमट ऑफ िडसीसेज’ म कािशत िकया गया था।
अगर हम गहने पहनने क भारतीय परपरा को यान से देख तो यह प हो जाता ह िक शायद हमार पूवज ेशर
तकनीक का मह व जानते थे और इसी कारण अँगूिठय क प म उगिलय म तथा कलाइय और टखन म चाँदी
या सोने क पतली और मोटी चूि़डय तथा पायल क प म भारी गहने पहनने क भारतीय परपरा ह, य िक यह
पर लसीका तं (िलंफिटक िस ट स) क साथ-साथ गु ांग क ेशर वॉइ स भी थत ह। ये वॉइ स गहन क
भार से उ ी हो जाते ह। इसी कार, कान और नाक छदने क परपरा म भी य का स दय बढ़ाने से कछ
और यादा भी िनिहत ह।
8व सदी क एक और मुख चीनी िव ा ेन सांग ने भारत क नालंदा िव िव ालय म कई साल िबताए थे।
अपने देश वापस लौटने पर उ ह ने एक पु तक िलखी, िजसम इसका िव तृत वणन िकया गया ह िक नालंदा
िव िव ालय म िचिक सा शा िवषय म या- या पढ़ाया जाता था। चीन क ही एक और मुख िव ा इया
िजन, ने स 673 म भारत क या ा क थी और कई वष तक नालंदा िव िव ालय म अ ययन भी िकया था;
उ ह ने अपनी रचना म इसका वणन िकया ह िक सुइयाँ चुभोकर इलाज करने क कला और िव ान क बार म
भारतीय िकस तरह से िश ा देते थे, िजसे अब ए यूपं र क नाम से जाना जाता ह। उसने िचिक सा शा क
िविभ शाखा का भी उ ेख िकया ह, जो उस समय भारत म फल-फल रही थ । दशन-शा , खगोलशा ,
गिणत और िचिक सा शा पर कई भारतीय पांडिलिपय क चीनी अनुवाद चीन क कई पु तकालय म आज भी
उपल ध ह। िचिक सा शा पर भारतीय ान चीन से होकर ित बत और कई अ य देश तक प चा।
बोगोयावल क क पु तक म एक िदलच प और साथ ( भावी) िच भी िदया गया ह। इसम रोगहर दाहन
(कॉटराइजेशन) और ए यूपं र क उ े य से मानव शरीर क िविभ िबंदु और े दरशाए गए ह। यह िच
रचना ईसा प ा ◌् पहली शता दी म बनाया गया था और यह पूव भारत से िमला था। इन रचना ने िनःसंदेह
ए यू ेशर और ए यूपं र क े म भारत क पथ दशक भूिमका िस क ह। र ले सोलॉजी क इितहासकार
ि टन इजेल ने उ ेख िकया ह िक कछ पारप रक िच म िहदु क देवता िव णु क पैर पर ठीक उ ह थल
पर तीक िच बने ए ह, जहाँ ‘ र ले स’ वॉइ स होते ह, िजससे इस बात क पुि होती ह िक ाचीन काल
म भारत म यापक प से ए यू ेशर का चलन था। अपनी पु तक ‘हीिलंग फॉर िद एज ऑफ एनलाइटनमट’ म
टनले बरोज ने यह मािणत करने का यास िकया ह िक इस कार क िचिक सा िविध ाचीन भारत क कई
भाग म ात और चलन म थी। कछ मकबर पर क गई िच कारी म एक िवशेष थित म रखे पैर पर मािलश
करते िदखाया गया ह; इस आधार पर यह माना जा सकता ह िक ाचीन काल म िम वासी भी ए यू ेशर जैसी
िकसी िचिक सा िविध का उपयेग करते रह ह गे। कछ नई िचिक सा िविधय क आगमन क साथ ए यू ेशर और
ए यूपं र को कछ ध ा लगा, परतु एक लंबे समय तक इन प ितय क अनदेखी न क जा सक । उनक
िचर थायी गुण ने िचिक सा यवसाय से जुड़ तथा अ य लोग का भी यान आकिषत िकया। वष 1582 म यूरोप
क दो िति त िचिक सक डॉ. एडमस और डॉ. ए.टिटस ने जोन थेरपी पर एक पु तक िलखी िजसने िचिक सा
क इस ारिभक ाचीनता िविध को ित ा िदलाई।
वा तव म, ए यू ेशर या र ले सोलॉजी या जोन थेरपी को वै ािनक व प बीसव सदी क आरिभक वष म
िमला, जब अमरीका क िति त िचिक सक और सजन डॉ. िविलयम एच. िफ जेरा ड एम.डी. (1872-1942)
ने आधुिनक जोन थेरपी िवकिसत क । ये हाटफोड, कने टकट क सट ांिसस हॉ पटल म नाक एवं गला िवभाग
क मुख थे, डॉ. एडिवन एफ. बॉवस, एम.डी.और डॉ. जॉज टर हाइट इसी अविध क दो अ य महा
िचिक सक थे, िज ह ने िचिक सा क इस अनोखे िस ांत क िव तृत ितपादन म मह वपूण काय िकया। डॉ. जो
शे बी रले और उनक प नी एिलजाबेथ एन रले दो अ य अ यवसायी डॉ टर थे, िज ह ने अपने ब त से मरीज
पर इस प ित को आजमाया और इसक िवकास म अतुलनीय योगदान िदया। डॉ. रले ने जोन थेरपी पर बारह
पु तक िलख , िजनम से पहली का कॉपीराइट 1917 म और आिखरी का 1942 म िलया गया था।
अपने ब त से मरीज को लाभ प चाकर तथा र ले सोलॉजी पर ‘ टोरीज द फ ट कन टल’ और ‘द टोरीज द
फ ट हव टो ड’ सिहत कछ अ छी पु तक िलखकर यूयॉक टट सोसाइटी ऑफ मेिडकल मैसस क एक सद य
यूिनस डी ईघम ने भी शंसनीय काय िकया। इस प ित को िचिक सा िव ान क एक प रपूण शाखा बनाने क
िलए 1930 क दशक क आरिभक वष से लेकर 1974 म उनक मृ यु तक यूिनस ने पूर उ साह से काय िकया।
अपने वतमान व प म ए यू ेशर और ए यूपं र क उ पि चीन से मानी जाती ह, जहाँ इन प ितय को
अिधक भावी और लोकि य बनाने क िलए गहन शोध और उ ेखनीय काय िकए गए ह। 1972 म अपनी
ऐितहािसक चीन या ा क दौरान अमरीक रा पित रचड एम. िन सन और उनक प नी पैट ने ए यू ेशर म गहरी
िच कट क तथा इससे अमरीका तथा कछ अ य देश म इस प ित क ओर लोग का यान आकिषत आ।
डनमाक म भी, सभी पूरक िचिक सा प ितय म र ले सोलॉजी सबसे यादा लोकि य ह।
जापान ने ‘िशया सु’ नामक एक िविश िचिक सा प ित, जो ए यू ेशर क िस ांत पर ही आधा रत ह,
िवकिसत करने और लोकि य बनाने म अ णी भूिमका िनभाई ह। जापानी भाषा म ‘िश’ का अथ ह उगिलयाँ और
‘अ सु’ का अथ दबाव ह। ज म से दि ण को रयाई ो. सर पाक जे वू, ने 1986 म दुिनया को िचिक सा क सु
जॉक णाली दी, िजसक जड़ ए यू ेशर म ह। िज ह ने अपनी अकादमी मा को म थािपत क ह।
हाल क वष म इस प ित क ज म थान भारत सिहत यूरोप, अमरीका, कनाडा, जमनी तथा कई अ य देश म
उ िश ा ा वा य पेशे से जुड़ ोफशनल ने र ले सोलॉजी म अ यिधक िच कट क ह। अपनी पु तक
‘द र ले सोलॉजी वकआउट’ म टफनी रक ने बताया ह िक इन िदन यूरोप म लगभग छह हजार िचिक सा
किमय ने िचिक सा ि या एक भाग क प म र ले सोलॉजी शािमल क ह। ऐसे िचिक सक क सं या बढ़ती
जा रही ह। इसक भावो पादकता को देखते ए यादा-से- यादा लोग इस प ित म गहरी िच ले रह ह। इस
कार, यह िन कष िनकालना सही होगा िक पूर िव क कई देश म इस समय म ए यू ेशर ाकितक िचिक सा
क सवािधक लोकि य प ितय म से एक तो चुका ह।
न 3 : वैक पक/पूरक िचिक सा प ित क बार म आप या जानते ह? यह िचिक सा प ित इतनी
लोकि य य हो रही ह?
उ र : लगभग एक दशक क हािलया अविध म कई तरह क वैक पक िचिक सा णािलयाँ, उदाहरण क िलए
सुई रिहत ए यू ेशर (ए यू ेशर को िदया गया एक नया नाम, ेशर वॉइट थेरपी) जोन थेरपी, र ले सोलॉजी,
िशया सु मसाज, मे नेटो थेरपी, हाइ ो थेरपी इ यािद उभरकर आई ह। परतु हम उ ह पूरक िचिक सा प ितयाँ
कहना पसंद करगे, य िक ‘वैक पक िचिक सा प ित’ का उपयोग यह गलत संदेश दे सकता ह िक पारप रक
और वैक पक उपचार प ितय से इलाज करनेवाले िचिक सक क बीच कोई आपसी टकराव ह, जबिक सोच
यह ह िक रोिगय क लाभ क िलए ये प ितयाँ एक-दूसर क पूरक बन, न िक एक-दूसर का िवक प। श द
‘पूरक’ सही अिभ ाय भी कट करता ह, य िक उसम यह भाव िनिहत ह िक पारप रक िचिक सा प ित और
पूरक िचिक सा प ित, दोन का उ े य एक ही ह तथा इसिलए दोन को अपनी-अपनी भूिमका सहजता से अदा
करने क छट दी जानी चािहए, य िक रोगी का तो एक ही उ े य ह—िजतनी ज दी संभव हो, रोग से छटकारा
पाना। कसे और िकस मा यम से, इससे उसे कोई मतलब नह ह।
शायद यही उपयु समय ह, जब अपने मरीज क लाभ क िलए पारप रक और पूरक िचिक सा प ितय क
िचिक सक िमल-जुलकर काम कर। बढ़ती ई सं या म डॉ टर ारा पूरक िचिक सा प ितय म िडि याँ
हािसल करने से इस ि कोण क सार को गित िमल रही ह। पारप रक िचिक सा णाली क ै टस करने वाले
ब त कम डॉ टर ऐसे ह गे, जो शरीर, मन और आ मा पर समान बल देते ए सम उपचार िविधय क
सकारा मक भाव, वा य एवं ाण ऊजा क िलए भोजन हण करने, यायाम क ित आम जनता म बढ़ती
जाग कता, शारी रक भावना मक, मानिसक और अ या मक वा य क उ य तथा क याण को बढ़ावा देने
वाले वावलंबी उपाय क मह व से असहमत हो, इसे नकारते ह ।
पूरक िचिक सा प ितय क दो िनिववाद लाभ म से एक ह, अिधकांश डॉ टर क तुलना म पूरक िचिक सा
प ित से इलाज करनेवाले िचिक सक क पास आपक सम या क बार म सुनने क िलए यादा समय होता ह।
दूसर, इन िदन पूरक िचिक सा प ितय क माँग काफ यादा ह और इसक पीछ कारण शायद ये ह िक दवाइय
क दु भाव (साइड इफ स) क ित जनसाधारण क बीच बढ़ती जाग कता और उन पर आने वाले खच म
बढ़ोतरी, िजसे वहन करना आम आदमी क बूते से बाहर ह। पूरक िचिक सा प ितय क माँग बढ़ने का एक और
कारण यह ह िक इसम रोग क बजाय वा य पर यादा जोर िदया जाता ह। उनक आकषण का एक और कारण
ह, वयं को ठीक कर लेने क मता से यु ाण श य पर बल िदया जाना। िज ह यूनतम यास से संतुिलत
िकया करक पुनः ( यव थत िकया) जा सकता ह, पर बल िदया जाता ह। इसक अित र , िकसी साइड इफ ट
से डर िबना ( य िक दवाइय क ज रत नह ह) इसे सीखना और यवहार म लाना आसान ह। यह पूरी तरह से
सुरि त िविध ह। इसम बड़ और महगे यं क ज रत नह होती। िजससे इसक लागत लगभग शू य हो जाती ह।
एक और बड़ा लाभ यह ह िक यह प ित रोग क इलाज क बजाय उसक रोकथाम पर कि त ह। इलाज से
बेहतर ह उसक रोकथाम’ यह सामा य िस ांत उसका आदश वा य ह। इसका एक और लाभ यह िचिक सा
प ित आंिशक प से नैदािनक (डाय नो टक) भी ह। एक अ छा और अनुभवी ए यू ेशर िचिक सक िवरले ही
आपको ए स-र कराने क िलए कहगा। इसका कारण यह ह िक शरीर क िकसी खास अंग से संबंिधत र ले स
वॉइट छ कर वह आपको उस अंग क आंत रक थित क बार म बता सकता ह। अगर कोई य ीवा क दद
(सवाइकल पेन) से पीि़डत हो, तो िचिक सक ारा पैर क अँगूठ पर कछ ेशर वॉइ स दबाकर रोग त े क
ठीक-ठीक थित, यानी कशे का (वट ा) क ठीक-ठीक सं या अथा सी-1 से सी-7 तक कोई भी, को देखते
ए इलाज िकया जाता ह। जो एक ए स-र भी दरशाता ह, परतु वह खच ला तो ह ही, हमार वा य क िलए भी
ठीक नह ह। इसी कार कलाई पर थत कछ िबंदु को पश करक एक अनुभवी िचिक सक िडब ंथी,
(ओवहरीज) गभाशय जैसे आंत रक अंग क थित बता सकता ह। हाट मे रिडयन पर थत ेशर वॉइ स को
पश करक यह बताया जा सकता ह िक वह य र चाप से पीि़डत ह या नह ।
अगर कोई य इस पु तक म विणत दैिनक काय म पर अमल करता ह, िजसम शरीर क कवल 12 िबंदु
को दबाना होता ह तो वह वयं को रोग और दवाइय से मु रख सकता ह। चूँिक इन िबंदु से आप अपने रोग
ितरोधक तं (इ यून िस टम) तथा शरीर क अ य मह वपूण तं को उ ी करते ह, इसिलए यह ि या
आपको िबलकल ाकितक तरीक से िफट बनाए रखने म मदद करती ह।
न 4 : ए यू ेशर िकस तरह से काम करता ह?
उ र : चीनवािसय ने एक ाण ऊजा, एक ाण श क पहचान क थी, जो सभी ािणय म वािहत होकर
उ ह जीवंत बनाए रखती ह। ाचीन िचिक सक ने समझ िलया था िक ाण ऊजा भौितक जग क सभी त व म
या होती ह। इस ाण ऊजा को चीनी भाषा म ‘ची’ जापानी म ‘क ’ और भारतीय योग म ‘ ाण’ कहा जाता ह।
ये सभी श द एक ही त व क कई नाम ह, िज ह प म म ‘लाइफ इनज ’ या ‘लाइफ फोस’ क नाम से जाना
जाता ह। ाचीन िचिक सक यह मानते थे िक यह ाण ऊजा कई िविश माग , से शरीर म वािहत होती ह िज ह
मे रिडयंस कहा जाता ह। इनम से येक माग म जगह-जगह िबंदु थत ह िजनक सं या ब त अिधक ह। ये ही वे
िबंदु (िज ह ए यू- वॉइ स या ि गर वॉइ स क नाम से भी जाना जाता ह) ह, जहाँ से ाण-श क वाह को
सबसे यादा कारगर तरीक से भािवत िकया जा सकता ह।
िकसी भी समय इन िबंदु पर शरीर क मे रिडयंस क ज रए हो रहा ऊजा का वाह हमार वा य क दशा तय
करता ह। जब यह वाह सहज, संतुिलत और िनबाध होता ह, हम व थ होते ह। जब ाण-श क वाह म
िव ोभ उ प होता ह, तब दद और रोग कट हो सकते ह। मुख दबाव िबंदु पर अपने अँगूठ या उगिलय क
िसर से ह का सा दबाव डालना सीख कर इन असंतुलन को ठीक करक दोबारा रोग या दद से छटकारा पाया जा
सकता ह। ए यू ेशर िचिक सा प ित ‘ची’ या ाण-श क वाह को संतुिलत और सहज बनाए रखने क
िस ांत पर आधा रत ह। यायाम का अभाव या गलत खानपान भी हमार िस टम को िबगाड़ सकता ह। पेट क
गड़बड़ी जुकाम, एलज , अ यिधक थकान आिद कछ ऐसी यािधयाँ ह, जो हम इस बात से आगाह कर देती ह िक
ाण-ऊजा क वाह म कोई सम या ह, अथा वह िव ु ध या अव ह। अगर इन छोट-मोट असंतुलन को
समय रहते ठीक न िकया जाए, तो यादा गंभीर सम याएँ पैदा हो सकती ह।
यह दरशाने क िलए अब पया सबूत ह िक ए यू ेशर िविध तंि का तं (नवस िस टम) और र - वाह यव था
को िनयिमत करने म स म ह। र - वाह म तेजी लाने से शरीर म मौजूद िवषैले त व को बाहर िनकालने तथा
पोषक त व और ऑ सीजन को हमारी सभी कोिशका तक प चाने म मदद िमलती ह। वह िदमाग को ऐसा
रसायन, ‘एंडोिफस’ रलीज करने क िलए भी े रत करता ह, जो दद कम करने और मरीज म एक सुखद एहसास
जगाने क िलए जाना जाता ह।
ाचीन िचिक सक यह महसूस करते थे िक जब तक हमार शरीर क िविभ अंग म सम वय और सहयोग बना
रहता ह, हम व थ बने रहते ह। जब िकसी कारण से शरीर म यह ाकितक संतुलन भंग हो जाता ह, तब
असंतुलन या िव ोभ क कित और ती ता क अनुसार एक या अिधक यािधयाँ कट होने लगती ह। ए यू ेशर
को शरीर क काय णाली को ाकितक तरीक से पुनः सामा य बनाने का सव म तरीका माना गया ह। ए यू ेशर
उन िवषैले पदाथ और अशु य को शरीर से िनकाल देता ह, जो नस क िसर पर जमा होकर कई रोग को ज म
देती ह। ये िवषैले त व िविभ अंग तक जानेवाले ऊजा क सामा य वाह को अव कर देते ह, िजससे पूर
शरीर का संतुलन िबगड़ जाता ह। िविभ अंग क र ले स क पर दबाव देने से हथेिलय और तलव क नस
क िसर म बारीक कण क प म जमा क शयम तथा यू रया िडपॉिजट को िविभ न िनकास क ज रए शरीर से
बाहर िनकाल िदया जाता ह।
अंत म यह कहा जा सकता ह िक यह एक मािणत त य ह िक मानव शरीर म िकसी भी रोग को वयं ठीक कर
लेने क भरपूर ाकितक श होती ह। ाण ऊजा को पुनः जा करने क िलए कवल इस ाकितक श का
उपयोग करने क ज रत ह। ए यू ेशर उन चंद ाकितक िविधय म से एक बनकर उभरा ह और सभी तरह क
रोग को ठीक करने क िलए शरीर क भीतर िछपी श को पुनः जा करने म स म ह। पारप रक िचिक सा
णाली क साथ िमलकर कसे वह उन बीमा रय तक को ठीक कर देने क अ ुत प रणाम िदखाता ह, िजनम रोगी
और उसक प रवारजन सारी उ मीद छोड़ चुक ह । उसक इस अिव नीय काय णाली को लेकर कई तरह क
िस ांत चिलत ह। परतु हम यह वीकार करना होगा िक यह रह य अब तक बना आ ह िक िविभ रोग को
ठीक करने म यह िचिक सा प ित शरीर क भीतर कसे काम करती ह।
न 5 : ए यूपे्रशर, र ले सोलॉजी और ए यूपं र, इन श द क प रभाषा द। यिद उनक बीच कोई
िभ ता हो तो उस पर काश डाल।
उ र : ए यू ेशर अपने हाथ क अँगूठ या उगिलय का उपयोग करते ए सामा य प से शरीर पर और िवशेष
प से हथेिलय और तलव पर थत सुिनिद मुख िबंदु , िज ह ि गर वॉइ स भी कहा जाता ह, को उ ी
करक दद और क से छटकारा पाने और वा य-लाभ करने का एक ाकितक तरीका ह। असल म, हम
आनेवाले खतर से आगाह करने का शरीर का ाकितक तरीका ह। शरीर क िकसी भी भाग म दद या क महसूस
होता ह, यह दरशाता ह िक शरीर म ऊजा का कछ असंतुलन पैदा हो चुका ह और िकसी रोग क उभरने क
चेतावनी दे रहा ह, ए यू ेशर म ऊजा क इस असंतुलन को दूर करने क उ े य से इन ए यू वॉइ स, को उ ी
िकया जाता ह िज ह ि गर वॉइ स भी कहा जाता ह। ये ए यू वॉइ स मे रिडयंस क उन माग पर थत होते ह, जो
हमार पूर शरीर म फले ए ह और शरीर क सभी अंग को एक सू म जोड़ते ह। दबाने पर ये ेशर वॉइ स
काफ क दायक होते ह और ऐसा लगता ह िक मानो कोई नुक ली चीज चुभोई जा रही हो। वे रमोट क ोल क
तरह काम करते ह, य िक पैर या हाथ क अँगूठ पर थत िकसी िबंदु को दबाने से गरदन या िसर म हो रहा दद
दूर िकया जा सकता ह। इससे हमार शरीर म ऊजा क वाह म आए असंतुलन को दूर करने म भी मदद िमलती ह।
अपने मूल िस ांत म र ले सोलॉजी ए यू ेशर क समान ही ह। इस िचिक सा प ित म भी तलव और हथेिलय
पर कछ सुिनिद थल को उ ी करक ऊजा क वाह को संतुिलत बनाकर इलाज िकया जाता ह। ये थल
हमार शरीर क िविभ अंग और भाग से संबंिधत होते ह। ए यू ेशर और र ले सोलॉजी दोन शरीर क कछ
संबंिधत रोग त अंग या अंग से संबंिधत सुिनिद े , को दबाकर या मािलश जैसा दबाव बनाकर ऊजा क
वाह म संतुलन लाने क िदशा म काम करते ह। इन सुिनिद र ले स ए रयाज पर दबाव डालने से शरीर म
ऊजा का वाह संतुिलत होता ह और इससे सकारा मक प रणाम सामने आते ह अथा एक अंग का ठीक से काम
करने लगना या दद म कमी आना, तब हम कहते ह िक रोगी का इलाज हो गया।
ए यूपं र, जो किथत प से चीन म करीब 5000 वष से चिलत ह, यह भी इस िस ांत पर आधा रत ह िक
अ छा वा य हमार शरीर म ऊजा क वाह म संतुलन पर िनभर ह। िजसे चीनी भाषा म ‘क ’ या ‘ची’ क तरह
पेल और ‘ची’ उ ा रत िकया जाता ह, यह माना जाता ह िक ‘ची’ पूर शरीर म वािहत होता ह और उन माग म
संकि त होता ह, िज ह मे रिडयंस क नाम से भी जाना जाता ह। हाथ और पैर से 14 मे रिडयंस धड़ और िसर तक
जाते ह। ए यूपं र का उ े य ‘ची’ क समान और िवपरीत गुण अथा ियन (िन य) और यांग (सि य) क
बीच संतुलन बनाए रखकर य क शारी रक, भावना मक मानिसक और आ मक पहलु म िफर से संतुलन
कायम करना और अ छा वा य बनाए रखना ह। चीनी िचिक सा शा क एक िस ांत क अनुसार िचंता, भय,
दुःख, तनाव, ज रत से कम या यादा खाना, पयावरणीय या पेशेगत प र थितयाँ, वंशानुगत कारक, सं मण और
आघात या सदमा जैसे अनेक कारक ‘ियन’ और ‘यांग’ क बीच संतुलन को िबगाड़ सकते ह; यह असंतुलन या
रोग का कारण बन सकता ह। ए यूपं र ियन और यांग क बीच िफर से संतुलन कायम करने म मदद करता ह।
और इस तरह रोगी को वा य एवं सामंज य क ाकितक अव था म ले जाने म मदद करता ह। ए यूपं र म
काम आनेवाली सुइयाँ इतनी पतली और तेज होती ह िक एक कशल िचिक सक क हाथ से ब त कम दद होता ह
अथवा क प चाती ह। मॉ सीब न ए यूपं र म सहायक होता ह। इस ि या म रोगी या तो सुइय क गरम
होने से सीधे या वचा पर थत कछ िबंदु या े क गरम होने से अ य प से गमाहट अनुभव करता ह।
ए यूपं र और मॉ सीब न क मेल को ‘जेन िजयु’ क नाम से जाना जाता ह, िजसका अथ ह, चुभोना और
जलाना।
यह देखा जा सकता ह िक मु यतया िचिक सा क तीन व प अथा ए यू ेशर, र ले सोलॉजी और ए यूपं र
कमोबेश एक जैसे ही ह। तीन व प का आधारभूत िस ांत दद और क दूर करने क उ े य से शरीर म
ऊजा क वाह म आए असंतुलन को दूर करना ह। िफर भी, उनक बीच कछ िभ ताएँ ह। ए यू ेशर को यवहार
म लाना आसान ह और उसे एक घरलू उपचार माना जा सकता ह। उसे औसत बु वाला कोई भी य सीख
सकता ह, य िक उससे लाभ उठाने क िलए ब त अिधक प रशु ता क आव यकता नह होती। इसक
अित र , वह ब त कम खच ला ह और इससे घर बैठ लाभ उठाने क िलए थोड़ से यास से य अपना
इलाज खुद कर सकता ह।
जहाँ तक र ले सोलॉजी का सवाल ह, वह िस ांत प म ए यू ेशर क समान ह, िफर भी इन दोन क बीच भी
कछ िभ ताएँ ह। जहाँ ए यू ेशर मे रिडयंस और ए यू वॉइ स क आधार पर काम करता ह, र ले सोलॉजी
‘ र ले स जोन’ नामक माग क आधार पर चलती ह। इसक अित र , एक र ले सोलॉिज ट अपना उपचार
मु यतया रोगी क पैर क ज रए करता ह तथा ज री होने पर ही हाथ क बारी आती ह। उनक कथनानुसार रोगी
क पेर पर ठीक से िदया गया दबाव पूर शरीर को श या िशिथलता दान करता ह। र ले सोलॉजी क तहत
िकए जानेवाले उपचार का फोकस बुिनयादी तौर पर र ले स जोन पर होता ह, जो ए यू ेशर म उपयोग िकए
जानेवाले सुिनिद वॉइ स क मुकाबले अिधक सामा य े होते ह। िफर भी, चूँिक ब त से मे रिडयंस पैर से
होकर गुजरते ह, शायद इसीिलए र ले सोलॉजी इतनी भावी होती ह। इसक अित र पैर क मािलश एक
सावभौिमक और समय क कसौटी पर खरा उतरा ह। र ले सोलॉजी क जड़ एिशया क ाचीन ेशर
वॉइटिस टम म ह, य िप 19व सदी क अंत और 20व सदी क आरभ म उसे पुनः अ वेिषत और पुनिवकिसत
िकया गया था। डॉ टर िविलयम िफटजेरा ड ने पता लगाया था िक रोगी क हाथ म कछ िबंदु को दबाने क बाद
छोटी-मोटी श य-ि या करते समय उसे दद नह होता था। उसने इन िबंदु क पहचान शरीर क र ले स जोन
क प म क थी और अपने काय को जोन थेरपी नाम िदया था।
ए यूपं र क बात कर तो जहाँ यह िचिक सा-िविध भी र ले सोलॉजी का अनुसरण करती ह और िविभ
मे रिडयंस से गुजर रह ऊजा क वाह म िफर से संतुलन थािपत करने क िदशा म काम करती ह, लेिकन उसक
ि यािविध िबलकल अलग ह। सबसे पहली बात तो यह ह िक एक घरलू उपचार क तरह सभी इसका इ तेमाल
नह कर सकते, य िक इसम िबलकल सही-सही थल पर सुइयाँ चुभोने क ज रत होती ह। यह कहना गलत
नह होगा िक इसम प रशु ता (ि सीजन) क ज रत एक सजन से भी यादा होती ह। दूसर, इस िविध का
उपयोग करनेवाले यादा िचिक सक आसानी से उपल ध नह होते ह। यही नह यह एक खच ली िचिक सा ह और
इसक तुलना िकसी भी तरह से ए यू ेशर से नह क जा सकती। िड पोजेबल/अ यथा सुइय क एक अलग सेट
क ज रत होती ह, जो काफ खच ला होता ह। ए यूपं र िचिक सक क अभाव क कारण प तया उनक
फ स भी ऊची होती ह। तीसर, कशल िचिक सक ारा सुइयाँ चुभोने से दद यूनतम हो सकता ह। िफर भी सुइयाँ
चुभोए जाने का डर भी एक और कारण ह, जो रोिगय को इस िव ा से दूर रखता ह।
न 6 : या उपचार क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग शु करने से पहले मे रिडयंस का पूरा ान
होना ज री ह?
उ र : मे रिडयंस ऐसे माग या चैन स ह, िजनक ज रए ‘ची’ शरीर म वािहत होती ह और यह हमार र संचरण
तं या तंि का तं (नवस िस टम) क समान ही ह। इन माग क तुलना शरीर क इलै कल िस टम म वाय रग
से ली जा सकती ह, जहां से ाण श वािहत होती ह।
उपचार क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग शु करने से पहले मे रिडयंस ( दय/फफड़ आिद) क िव तृत समझ
होना ज री नह ह। िफर भी अंतिनिहत िस ांत का बुिनयादी ान, इस बार म हम और अिधक आ मिव ास पूण
बना देगा िक हम जो कछ कर रह ह और य कर रह ह।
सं ेप म, बारह मु य मे रिडयंस ह, िजनक ज रए ाणाधार जैिवक ऊजा पूर शरीर म संच रत होती ह। येक
मे रिडयन शरीर क भीतर एक तय रा ते से गुजरता ह और कछ िविश सुिनिद अंग को जोड़ता ह। उदाहरण क
िलए हाट मे रिडयन चे ट क बगल से िनकलकर काख (आमिपट) क नीचे से होता आ बाँह क भीतर-भीतर
किन उगिल तक प चता ह। यही वह माग ह, िजस पर से िदल का दौरा पड़ने पर दद गुजरता ह।
ये बारह मे रिडयस शरीर क जोड़ (पेयस) म मौजूद ह अथा शरीर क दाएँ और बाएँ भाग से गुजरनेवाले
मे रिडयंस -ब- एक-दूसर क समान होते ह। छह जोड़ बाँह से होते ए धड़ तक जाते ह और छह अ य जोड़
पैर और धड़ को जोड़ते ह।
मे रिडयंस क ये बारह जोड़ शरीर क मुख अंग क ि याशीलता को भािवत और ितिबंिबत करते ह।
छह भुजा मे रिडयंस इस कार ह—
LI......बड़ी आँत
Si.......छोटी आँत
H.............. दय
PC.............प र दय (पे रकािडयम)
TW............ितगुना उ णक (ि पल वॉमर) (उदर कोटर (ए डोिमनल किवटी) िजससे शरीर क भीतर गमाहट
बनती रहती ह।
L.........फफड़ा
टाँग क छह मे रिडयंस
Gb.......गॉल लैडर
B..........िप ाशय (यू रनरी लैडर)
K............गुरदे (िकडनी)
LV..........यकत (िकडनी)
St...............पेट ( टमक)
Sp................ित ी और अ नाशय ( लीन एंड पि याज)
इनक अित र दो मे रिडयंस, जो जोड़ म नह ह और िकसी खास अंग से संब भी नह ह। ब क यांग
(सि य) और ियन (िन य) ऊजा क कड ( रजवॉयर) ह। िद गविनग वेसल (Gv) मे दंड, म त क और
तंि का तं को जोड़ता ह। वह ‘टल बोन’ से िनकलकर सीधे पीठ क रा ते िसर से होता आ ऊपरी ह ठ क म य
तक प चता ह। इसका मु य काय शरीर क सारी यांग मे रिडयंस पर िनयं ण रखना ह। इस मे रिडयन पर थत
िबंदु रीढ़ क अकड़ाहट, बुखार, िचड़िचड़ापन और पीठ क मांसपेिशय म ऐंठन जैसी यािधय को दूर करने म
मदद कर सकता ह। िबना जोड़ का दूसरा मे रडयन ‘िद कसे शन वेसल’ (CV) ‘गविनग वेसल’ का ‘ियन
पाटनर’ ह। यह मे रिडयन सभी ियन माग क िलए िज मेवार ह। यह पाचन और जनन तं से संब ह तथा शरीर
‘िद पे रिनयम’ क सामनेवाले भाग म (गुदा और जननांग क बीच का एक िबंदु) से िनचले ह ठ तक ऊपर क ओर
वािहत होता ह। इन मे रिडयन पर थत िबंदु से खाँसी, दमा, मू या जननांग से जुड़ी सम या जैसी
यािधयाँ ठीक क जा सकती ह।
अब हम मह वपूण मे रिडयंस म से कवल एक ‘िकडनी या गुरदे क मे रिडयन’ पर िवचार करगे—
गुरदा ‘ची’ का भंडार गृह माना जाता ह। यह म त क से जुड़ी होती ह और यौन ऊजा, मू तं और ह य को
िनयंि त करती ह। जब गुरद म चुर मा ा म ऊजा होती ह तो वाइटल ऑगस क ि याशीलता बढ़ जाती ह तथा
श और रचना मकता उ तर पर प च जाती ह। दूसरी ओर, अगर आप थका-थका-सा महसूस करते ह तो
इसका अथ गुरद म ‘ची’ का भंडार कम ह या गुरदे का (िकडनी) मे रिडयन अव ह।
िकडनी मे रिडयन पैर क उगली से पैर क तलवे पर थत अपने पहले ेशर वॉइट क ओर जाता ह। वह एड़ी को
पार करक भीतर-ही-भीतर टखने क ह ी तक प चता ह, िफर टाँग क भीतर से गुजरकर घुटने को पार करक
जाँघ क रा ते अनुि क (कॉकिस स) तक प च जाता ह। वहाँ से वह गुरद तक प चता ह, िफर यकत, डाय ाम,
और फफड़ से होता आ गले और जीभ क जड़ तक प चता ह। इस मे रिडयन पर 27 मु य ेशर वॉइ स ह।
इस मे रिडयन पर कह असंतुलन पैदा हो जाने से य दमा, साँस फलना, जीभ सूखना, गले म दद, शोफ
(इिडमा) डाय रया , पैर म कमजोरी, पीठ क िनचले िह से म दद और यौन ऊजा म कमी, जैसे ल ण का
अनुभव कर सकता ह। अगर ‘िकडनी मे रडयन’ पर थत वॉइ स को पश करने से दद होता हो, तो यह ज री
नह िक वयं गुरदा ही कमजोर हो, ब क यह संभव ह िक इस मे रिडयन म ऊजा का वाह अव , अ यिधक
या अंसतुिलत ह। इस मे रिडयन से संब िविभ वॉइ स को दबाने से ऊजा का वाह खुल सकता ह और कई
यािधय को ठीक करने म मदद िमल सकती ह। उदाहरण क िलए, क-1 वॉइट पर दबाने से नपुंसकता और हॉट
लशेज से छटकारा पाने म मदद िमल सकती ह। क-2 पर यही ि या करने से अिनयिमत मािसक धम और पैर म
मोच क िशकायत दूर हो सकती ह। k6 दबाने से अिन ा रोग से आराम पाया जा सकता ह और इसी तरह अ य
िबंदु को दबाने से कई दूसरी बीमा रयाँ ठीक हो सकती ह।
न 7 : यह कहा जाता ह िक ए यू ेशर का घरलू उपचार क तरह भी उपयोग िकया जा सकता ह।
पेशेवर लोग को र ले स वॉइ स और मे रिडयंस का ान होता ह, इनसे अलग सामा य य ेशर
वॉइ स का कसे पता लगा सकता ह, तािक इ छत प रणाम हािसल हो सक?
उ र : हाँ, यह कहना सही ह िक ए यू ेशर का एक घरलू उपचार क तरह उपयोग िकया जा सकता ह। य िप
उिचत यह होगा िक स शु करने से पहले अपने खास रोग से संबंिधत कौन से र ले स पॉइटस को तलवे तथा
हथेिलय या शरीर क अ य भाग पर दबाना ह, उनक ठीक-ठीक थित क बार म जानने क िलए रोगी िकसी
पेशेवर िचिक सक से सलाह ले ले। आमतौर पर इस मामले म पेशेवर िचिक सक ऐसे रोिगय क मदद उ ह एक
चाट देकर करते ह, जो उनक पास बार-बार आने का खच नह उठा सकते। जैसा पहले बताया जा चुका ह, कवल
औसत बु और सामा य प से बोली जानेवाली भाषा अथा अंगे्रजी या िहदी क समझ ज री ह।
जब उन वॉइ स को जान िलया जाता ह, िज ह दबाना ह, तो िन निलिखत िनदश का पालन करते ए कोई भी
य उन िबंदु पर आसानी से दबाव डाल सकता ह।
िकसी बेलननुमा व तु को 30 सेकड से लेकर एक िमनट तक उस पूर े पर अ छी तरह घुमाएँ, जहाँ ेशर
वॉइ स थत ह। आमतौर पर ये वॉइ स तलव या हथेिलय पर होते ह। इस तरह रोल करने से वह िन त े
दबाव झेलने क िलए उ ी या तैयार हो जाता ह। अब अपने अँगूठ क मदद से या अपनी तजनी या म यमा
उगली को िकसी खास वॉइट पर रखकर दूसर हाथ क अँगूठ से उस पर दबाव देना शु कर। इस तरह से दबाव
क मा ा दुगुनी हो जाती ह। एक य धीर-धीर दबाव को ज रत क अनुसार समायोिजत करना सीख सकता ह।
ऐसा करते समय दबाए जा रह ेशर वॉइट क िति या पर नजर रखना ज री ह। अगर आप सही थल पर
दबाव दे रह ह तो एक खास तरह का दद महसूस होगा, जैसे कोई सुई या काँच का टकड़ा चुभोया जा रहा हो। इस
तरह का एहसास उस थित से िबलकल अलग होगा जब आप सही थल पर दबाव नह दे रह ह गे, इसका
कारण यह ह िक यिद कोई खास अंग जैसे गुरदा या यकत ठीक से काम नह कर रहा ह, य िक िकसी कारण से
उस अंग तक जानेवाला ऊजा का वाह अव ह, तो दबाने से सुई चुभने जैसा दद महसूस होगा य िक दबाए
गए ि गर/ ेशर वॉइट पर उस अंग से संबंिधत दाने क आकार क कोई चीज दबाव से कचल जाती ह और उस
मे रिडयन म आया अवरोध हट जाता ह। अवरोध हट जाने और जैिवक श /ऊजा का वाह सामा य हो जाने पर
भािवत अंग पूरी तरह उ ी हो जाता ह तथा अपनी ऊजा से काम करने लगता ह और हम कहते ह िक रोग
ठीक हो गया। परतु यिद एक वॉइट पर पया दबाव डालने क बाद भी कोई चीज चुभने जैसा दद नह होता, तो
इसका अथ ह िक आप सही िबंदु पर दबाव नह डाल रह ह और आपको सही िबंदु क तलाश करनी होगी।
िन त ही, आपको वह िबंदु उस थल क आसपास, कछ िमिलमीटर दूर ही िमल जाएगा, जहाँ आप दबाव डाल
रह थे। धीर-धीर िबना िकसी सम या क आप वह िबंदु खोज पाएँगे, िजसे दबाना ह। उस उ े य क िलए िवशेष
प से िडजाइन िकए गए िक ह उपकरण क मदद से भी दबाव डाला जा सकता ह, तािक लगातार कई मरीज
का इलाज करने क िलए ‘हीलर िचिक सक’ अपनी ऊजा को बचाए रख सक।
एक और मह वपूण बात अपनी अपे ा को यथाथ परक बनाए रखने क ह। अगर आपको प रणाम तुरत हािसल
न ह , तो िनराश न ह और न यह उपचार बंद करने क सोच, हो सकता ह उपचार म अ छी गित कछ ही कदम
क फासले पर हो। आिखरकार, पुरानी बीमा रयाँ रात रात उजागर नह होत , इसिलए यह मान लेना अ यावहा रक
होगा िक वे रात रात ठीक हो जाएँगी। उपचार क शु आत म अगर धीर-धीर गित हो, अथा एक स क अंत
तक आपको एक या दो घंट क िलए आंिशक प से आराम िमले, तो इ मीनान रिखए, आपको लाभ होगा और
सीिटग क एक घंट बाद िफर से दद उभर आए, तो भी परशान न ह । धीर-धीर दद पूरी तरह से चला जाएगा।
इस उपचार प ित म िव ास रख और आ त रह िक आप अपना ल य ा करगे य िक अंततः आपका
शरीर ही आपको प रणाम िदलाएगा। यह कभी न भूल िक हमार शरीर म रोग से लड़ने क अ यिधक ाकितक
श होती ह। बस रोग से छटकारा पाने क िलए, अपने शरीर क श याँ/बल को सही िदशा म मोड़ने क
ज रत ह। ए यू ेशर क ज रए हम अपने शरीर क मह वपूण अंग क ि गर पॉइटस को दबाकर शरीर म वािहत
ाण श को पुनः जा करने का यास करते ह। याद रिखए, कित कभी असफल नह होती और इसिलए
इस उपचार प ित को उिचत ‘ ायल’ देने क बाद भी अगर आपको आराम न िमले, तो िकसी पेशेवर िचिक सक
से सलाह ल। दूसर श द म, हमारा ि कोण ‘िचिक सक को दोष द, न िक िचिक सा णाली को’ होना चािहए।
िफर भी, सावधानी क तौर पर म कहना चा गा िक इस तकनीक का उपयोग पहले से चल रही पारप रक िचिक सा
क िवक प क प म नह करना चािहए, िवशेष प से तब, जब रोग मह वपूण अंग से संबंिधत हो। बेहतर
प रणाम पाने क िलए सुरि त तरीका यही होगा िक पहले से चल रही िचिक सा क थान पर इसका उपयोग करने
क बजाय उसक साथ-साथ िकया जाए।
न 8 : उपचार क िलए ए यू ेशर तकनीक सीखने क िलए िकस तरह का ान होना ज री ह? घरलू
उपचार क तौर पर उसका उपयोग करने म स म होने क िलए या य को औपचा रक िश ण
लेना ज री ह?
उ र : इस सीधे-सादे सवाल का जवाब देना असल म किठन ह। हम सब जानते ह िक ान का कोई िवक प नह
ह। हम िजतना अिधक ान होगा, उतना ही बेहतर होगा। िवशेष प से, जब हम दूसर का उपचार करने क बात
करते ह तो यह कहने क ज रत नह िक एक ऐसा य , िजसे शरीर रचना, रोग , शरीरिव ान आिद का पया
बुिनयादी ान न हो, ए यू ेशर का ोफशनल िचिक सक बनने क बार म सोच भी नह सकता और नह सोचना
चािहए।
य िप यह कहा जाता ह िक ए यू ेशर सीखना और उसे यवहार म लाना आसान ह, िफर भी उसे सीखने क
इ छक य को हमार शरीर क िविभ िस ट स, उदारहरण क िलए पाचन, र संचरण, मलमू िवसजन,
सन, ककाल, जनन, इ यािद तं , िविभ अंत ावी (एंडो ाइन) ंिथय क भूिमका और ि याशीलता का
अ छा ान होना चािहए, य िक हमारा शरीर पर पर संबंिधत ऐसा तं ह, िजसम येक अंग एक मह वपूण
भूिमका अदा करता ह। ान का अभाव अनथकारी हो सकता ह। िफर भी, अगर िकसी को शरीर क काय- णाली
का कछ बुिनयादी ान, शरीर म िविभ अंग क थित और उनक काय, जोन थेरपी तथा हथेिलय , तलव और
शरीर क अ य भाग म र ले स वॉइ स क थित और शरीर क िविभ अंग क साथ उनक संबंध क बार म
कछ समझ हो, तो वह घरलू उपचार क तौर पर यह तकनीक सीखकर काम चला सकता ह। उसे यह बात यान म
रखनी चािहए िक रोगी क िलए सुरि त यही होगा िक ए यू ेशर ारा इलाज शु कराने से पहले अपने रोग क
ठीक-ठीक िनदान क िलए वह िकसी यो य डॉ टर से सलाह ले ले और उसक बाद ही ए यू ेशर िचिक सा प ित
अपनाए। ऐसी थित म भी उिचत तो यह होगा िक िकसी िवशेष यािध क िलए ेशर वॉइ स का ठीकठाक ान
ा करने क िलए पहले िकसी ए यू ेशर िचिक सक से सलाह ली जाए। अगर ऐसा नह िकया गया, तो डर यह
ह िक ऐसे बड़ ल ण अथा उस दद, जो िकसी िन त यािध क ओर हमारा यान आकिषत करने क िलए
शु आत म ही हमारा शरीर संकत देता ह, और उस खास रोग पर पया एवं समुिचत यान िदया जाना चािहए था,
उसे न िदया जाए। िकसी यो य ोफशनल पेशेवर डॉ टर ारा पहले रोग का िनदान करवा लेना और इसक बाद
ही ए यू ेशर क ज रए इलाज करवाना हमेशा ही एक सुरि त माग ह।
सव म प रणाम हािसल करने क िलए िन निलिखत बात का भी यान रखना ज री हः
1. दबाव कहाँ डालना ह?
2. िकतनी देर तक दबाना ह?
3. िकतना दबाव डालना ह?
4. िकतने अंतराल क बाद, आिद?
जहाँ तक वाइट (1) अथा कहाँ दबाना ह, का सवाल ह, िपछले न क उ र म इसक चचा िव तार से क जा
चुक ह। कवल एक बात, िजसे यहाँ प िकया जाना ज री ह, वह यह ह िक उपचार क िलए रोगी को एक
ऐसी थित और जगह पर िबठाया या िलटाया जाना चािहए, जो ब त आरामदायक और शांत हो, जहाँ उसका
यान न बँट और उसे ठीक से समझा िदया जाना चािहए िक उसका या इलाज िकया जा रहा ह तथा उससे या
फायदे िमल सकते ह। रोिगय क साथ वष क अनुभव से मने यह महसूस िकया ह िक रोगी क मन से डर दूर
िकया जाना अ यंत मह वपूण ह। चूँिक कई िचिक सक वॉइट को ब त जोर से दबाने म िव ास करते ह, जो रोगी
को दद से चीखने पर मजबूर कर देता ह, वह डर उसे शांतिच रहने नह देता ह। अगर रोगी को पहले से ही बता
िदया जाए िक िचिक सक कभी भी इतना दबाव नह डालेगा िक रोगी दद बरदा त ही न कर सक और यह िक वह
ऐसा होने पर थोड़ा सा भी संकत देगा तो दबाव इतना घटा िदया जाएगा िक वह रोगी का दद सहन करने क मता
क अनुकल हो जाए, तो वह शांत िच रहकर अपना इलाज करवा सकगा। अगर संभव हो, तो म म आवाज म
संगीत भी बजाया जा सकता ह। वह रोगी क मन और शरीर पर शांितदायक भाव डालेगा। जहाँ तक दबाव क
अविध का सवाल ह, वह एक वॉइट पर एक समय म 10 सेकड हो सकती ह और उसे तीन बार दोहराया जा
सकता ह, अथा एक वॉइट पर कल 30 सेकड। जहाँ तक दबाव क सीमा का न ह, जैसािक पहले ही उनपर
चचा क जा चुक ह, हम रोिलंग ेशर से ह क ेशर और िफर म यम (मॉडरट) दबाव का माग अपनाना चािहए।
िकसी भी थित म दबाव यादा नह डालना चािहए। दबाव क अविध ( सी) रोग क िविश ता क अनुसार
तय क जानी चािहए। आमतौर पर पहली तीन बैठक दैिनक आधार पर रखी जाती ह उसक बाद, शरीर ारा िदया
गया ितसाद ( र पॉ स) रोगी क ज रत, उसका रोग तथा उसक पास उपल ध समय, य िक कछ रोगी, जो दूर
शहर या िवदेश से आते ह , क पास इस काम क िलए कछ ही िदन/ह ते होते ह, दो बैठक क बीच यादा
अंतराल नह रख सकते। इसी कार, साइिटका या ॉले ड िड क से पीि़डत मरीज को उनक दद क ती ता क
अनुसार कभी-कभी एक ही िदन म दो बार बैठक क ज रत हो सकती ह।
आमतौर पर, सवाईकल/ लंबर पॉ डलाइिटस, एड़ी/ घुटने/ पीठ का दद/ साइनसाइिटस, बवासीर, माइ ेन,
अिन ा, टिनस ए बो, िहचक , एिसिडटी, क ज पु ष / य क रोग , िब तर गीला करना, ो टट आिद रोग क
उपचार क िलए 15 से 20 िसिट स काफ होती ह।
लकवा, जोड़ का रोग, ोजेन शो डर और कभी-कभी अवसाद जैसे रोग क उपचार म इससे यादा समय भी
लग सकता ह, जहाँ रोगी एक लंबे समय से स क भाव म रहा हो।
सं ेप म, यिद कोई य ए यू ेशर क तकनीक क ज रए उपचार क इस कला और िव ान को सीखने का
इ छक ह, तो उसे घरलू उपचार क तौर पर थोड़ समय म ही िशि त िकया जा सकता ह, परतु वयं को औसत
बु समझने और भाषा (िहदी/अं ेजी) का ान न होने पर उसे एक ोफशनल क प म उतने समय म िशि त
नह िकया जा सकता।
न 9 : ए यू ेशर क ै टस करने क िलए बुिनयादी उपकरण या ह?
उ र : ‘ए यू ेशर’ श द वयं दो श द से िमलकर बना ह अथा ए यू िजसका अथ ह अँगूठा और ेशर,
िजसका अथ ह दबाव। आमतौर पर ए यू ेशर िबना िकसी उपकरण क मदद से िकया जा सकता ह। परतु तलवे
क कछ भाग जैसे एड़ी पर दबाव देते समय, उसक मोटी और स त वचा को देखते ए िकसी उपकरण क
ज रत महसूस क जाती ह। एड़ी पर थत कछ मह वपूण ेशर पॉइटस पर या उनक पीछ दबाव देने क िलए
ब त जोर लगाना पड़ता ह। इसी कार जब आपको कतार म बैठ कई रोिगय का उपचार करना हो, तो दो या तीन
मरीज का उपचार करने क बाद ही आप थकान महसूस करने लगते ह। ऐसे समय पर आप िक ह उपकरण , क
ज रत महसूस करते ह। जो आपक ऊजा बचाए रखने म सहायक ह , इसे देखते ए कछ उपकरण बनाए गए ह
और वे बाजार म आसानी से उपल ध ह। उनका िववरण िदया जा रहा ह, परतु लेखक यहाँ यह प करना चाहगे
िक जब तक आप गंभीरता से इन उपकरण को इ तेमाल करने क मंशा नह रखते ह, उ ह हािसल करना यथ ह,
जबिक ये उपकरण महगे नह ह। कारण यह ह िक वे आपक िलए तभी उपयोगी ह गे, जब आप उनका उपयोग
करगे। कवल सजावट क िलए उ ह खरीदने का कोई तुक नह ह। हम हर रोज ब त से ऐसे मरीज क संपक म
आते ह, जो हम बताते ह िक उ ह ने बाजार से ब त से उपकरण खरीदे ह, परतु जब उनसे उ ह बताने या उनक
योग का तरीका पूछा जाता ह तो वे कहते ह िक वे घर म कह पड़ ह गे। इसिलए आप क पना कर सकते ह िक
आपक घर क एक कोने म पड़-पड़ वे आपक िलए िकतने उपयोगी हो सकते ह।
यहाँ कछ उपकरण क नाम िदए जा रह ह, जो बाजार म अकसर देखे जाते ह—
1. िजमी
2. मैिजक मसाजर
3. फट रोलर
4. िपरािमड लेट
5. ि टर
6. पाइन रोलर, इ यािद
इनम से पहले तीन अथा िजमी, मैिजक मसाजर और फट रोलर घरलू उपयोग क िलए काफ ह, इनका िववरण
नीचे िदया गया ह।
वयं पर और दूसर पर दबाव देने क िलए िजमी का उपयोग िकया जाता ह। आमतौर पर यह स त रबर से बना
होता ह। परतु लकड़ी से बने िजमी भी बाजार म उपल ध ह। उस पूर े म रोिलंग ेशर देने क िलए भी िजमी का
उपयोग िकया जा सकता ह, जहाँ थत ेशर वॉइ स पर दबाव िदया जाना ह।
‘मैिजक मसाजर’ एक और औजार ह। िजसे अगर ठीक से इ तेमाल िकया जाए तो ब त-ब त उपयोगी हो सकता
ह। यह भी स त रबर का बना होता ह और िजमी म एक उभार क बजाय इसम चौदह उभार होते ह। यह उन
रोिगय क िलए एक वरदान सािबत आ ह, जो एक िचिक सक क पास अपने आप िनयिमत प से न जा सकते
ह , िवशेष प से बुजुग और ऐसे मरीज, िज ह िब तर छोड़ना मना ह। जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, इसक 14
उभार म से कम-से-कम 10 एक समय म िविभ अंग से संब र ले स वॉइ स दबाते ह और जब हम इस
जादुई मसाजर को अपनी दोन हथेिलय क बीच दबाते ह तो एक बार म कम-से-कम 16 से लेकर 20 पॉइटस
तक दब जाते ह। इससे हमार शरीर क िविभ अंग /भाग क ि गर वॉइ स उ ी हो जाते ह। इस मसाजर क
िनयिमत उपयोग क ारा हम अपने अंग का यान रखते ह और खुद को चु त-दु त रखने क िलए उसे एक
रोग िनरोधक उपाय क प म इ तेमाल करते ह। इस मसाजर को एक िदन म दो या तीन बार और हर बार लगभग
तीन िमनट तक इ तेमाल िकया जा सकता ह। कवल एक बात का यान रखना ज री ह िक लंच या िडनर क बाद
लगभग दो घंट बीतने से पहले इसका उपयोग नह िकया जाना चािहए।
उ गुणव ावाली लकड़ी से बना फट रोलर ए यू ेशर को एक घरलू उपचार क तौर पर इ तेमाल करने क
मकसद से ब त उपयोगी पाया गया ह जब इसक पाइ स एक जैसे ह । यह एक ब उपयोगी उपकरण ह। अगर
आप िदन भर क काम करने क बाद अपनी थकान दूर करना चाहते ह तो एक करसी पर आराम क मु ा म बैठ
जाइए और अपने दोन तलवे फट रोलर पर इस तरह रिखए िक आपक पैर पर बने आक क बीच का िह सा
उसक ठीक ऊपर हो। अब अपने पैर क उगिलय क िसर से लेकर एि़डय तक तलवे उसपर रोल क िजए। इस
ि या क दो-तीन िमनट बाद ही आप महसूस करगे िक आपक शरीर म र संचार बढ़ा ह, थकान का एहसास
चला गया ह, और आप ताजगी महसूस करने लगे ह। अगर आप अपने शरीर क िनचले भाग, जैसे कमर क नीचे,
क िकसी सम या का समाधान चाहते ह तो पैर का एड़ीवाला भाग रोलर क ऊपर घुमाएँ, िजससे एि़डय पर दो-
तीन िमनट तक दबाव पड़ता रह। उदर े क िकसी सम या क िलए करीब तीन िमनट क उसी अविध तक
तलवे म बने आक वाला भाग रोलर पर घुमाएँ तथा गले से ऊपर क िह से क िकसी सम या से िनपटने क िलए
तलवे का ऊपरी भाग रोलर पर घुमाएँ।
परतु अगर रोलर का इ तेमाल वजन घटाने, जो उसका मु य काय ह, क िलए करना हो तो रोगी को एक डाइिनंग
चेयर क िकनार पर आराम से इस तरह बैठना चािहए िक वह िगर न जाए। रोलर पर अपने दोन पैर ऐसी थित म
रख िक तलवे म बने आक का म य भाग ठीक उसक ऊपर हो। िफर अपने शरीर का वजन, िजतना आप सहन
कर सकते ह, उसपर डाल। अब अपने पैर को रोलर पर तेजी से घुमाएँ। शु आत म अपने पैर क म य े पर
दबाव आने द। िफर धीर धीर एड़ीवाले भाग पर भी ऐसा ही होने द। हर रोज तीन िमनट सुबह और तीन िमनट शाम
को तेजी से रोल करने क बाद हम एक महीने म िबना डायिटग िकए 2-3 िकलो वजन घटा सकते ह। परतु यह
ल य ा करने क िलए खानपान क सामा य बंिदश , उदाहरण क िलए चॉकलेट/आइस म/ ाईफर स/
िमठाइयाँ/तेल और चरबीवाले पदाथ का यूनतम उपयोग का पालन करना होगा। यान रखने लायक एक और
मह वपूण बात यह ह िक पहले ही िदन इसे तीन िमनट तक करने क कोिशश नह करनी चािहए। अपने टिमना
और आयु क अनुसार करीब एक िमनट क अविध से शु क िजए और उसक उपयोग का समय मशः आधा-
आधा िमनट बढ़ाएँ, तािक एक ह ते, ब क दो ह ते म आप तीन िमनट क लि त अविध तक प च सक, ऐसा
इसिलए िक आपक जाँघ और िपंडिलय क मांसपेिशय पर ब त यादा जोर न पड़ और वे सामा य हलचल क
लायक बनी रह। धीर-धीर आप इस ि या क अविध अिधकतम पाँच िमनट तक बढ़ा सकते ह। वजन से संबंिधत
अपना ल य ा करने क बाद, कवल अपना वजन उस आदश तर पर बनाए रखने क िलए यह उपचार ह ते म
एक या दो बार कर सकते ह।
िपरािमड लेट को येक अवसर पर करीब तीन िमनट तक उपयोग िकया जा सकता ह और उसका उपयोग
कमोबेश ‘फट रोलर’ जैसा ही ह। अगर सम या आपक शरीर क िनचले िह से म ह तो आप अपने शरीर का वजन
एि़डय क िह से पर डाल सकते ह, अगर सम या कधे से ऊपर क ह तो पंज पर तथा उदर े म कोई सम या
होने पर तलव क बीच क िह से, अथा आक पर शरीर का वजन डाल सकते ह।
‘ि टर’ का मह व िचिक सा से यादा साज-स ा क ि से ह। इसका उपयोग मोट लोग ारा अपने शरीर
को सुगिठत बनाने क िलए िकया जा सकता ह। परतु इसक उपयोग म सावधानी बरतनी चािहए और अगर िकसी
को अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने म किठनाई आ रही हो, तो िकसी चीज का सहारा लेने म कोई बुराई नह
ह। मसलन िकसी दरवाजे का हडल, यह कमर/क ह क आसपास या जाँघ म टायस क प म जमा िशिथल
मांसपेिशय /चरबी को सश बनाने/टाइट करने म मदद करता ह, य िक जब कोई अपने शरीर को आगे-पीछ या
दाएँ-बाएँ घुमाता ह, तो इस े क मांसपेिशयाँ फल जाती ह और इससे चरबी जलाने म भी मदद िमलती ह।
इसक प रणाम व प अंततः शरीर सुडौल होता ह।
न 10 : अगर आपने गलत वॉइ स पर दबाव डाल िदया तो या होगा?
उ र : अगर हम न 7 क उ र पर िफर से नजर डाल तो पाएँगे िक उसम प प से बताया गया था िक जब
भी हम िकसी र ले स पॉइट, या जब भी हम शरीर क िकसी िह से/अंग से जुड़ रफले स िबंदु पर दबाव डालते
ह, तो ऐसा दद होता ह, मान कोई सुई या काँच का टकड़ा चुभ रहा हो। जब हम िकसी ेशर वॉइट को दबाते ह,
और उससे कोई चीज चुभने जैसा दद नह होता, तो हम उस सही थल को खोजना होता ह, जहाँ दबाने से दद हो।
इसिलए, अगर दोन म से कोई भी य अथा दबाव देनेवाला और दबाव हण करनेवाला, थोड़ा सचेत रह तो
भी िकसी गलत वॉइट को दबाने क संभावना ब त कम होगी।
एक बार यह मान भी िलया जाए िक दोन य य म से िकसी को भी मालूम नह आ िक सही जगह पर दबाव
नह िदया जा रहा ह। यह कहना िफर से एक दूर क कौड़ी लगती ह, य िक िकसी ऐसी थित क बार म सोचना
कोरी क पना ही होगी। इसम दबाए जा रह पाँच या छह ेशर वॉइ स क सेट म से कोई भी सही जगह पर ठीक
से दबाया न जा रहा हो। परतु जैसा पहले कहा गया ह, 5-6 ेशर वॉइ स, म से अगर 3-4 वॉइ स भी सही
थल पर ठीक से दबाए जा रह ह , तो वह कछ अंग को पूरी तरह उ ी करने म मददगार होगा और इस कारण
से िकसी दबाव देने से पहले, उन ेशर वॉइ स को धारण िकए पूर े पर ‘िजमी’ घुमाकर उ ी िकया जाता
ह, इससे गलत या गलत ढग से दबाए जा रह वॉइ स से जुड़ अ व थ अंग को भी राहत िमलेगी। उस े पर
िजमी घुमाते समय वहाँ थत र ले स वॉइ स को कछ उ ीपन तो िमलता ही ह, य िप उतना नह , िजतना उन
वॉइ स पर िवशेष प से दबाव देने पर िमलता। दूसर श द म, रोग त अंग से जुड़ र ले स पॉइटस पर
आंिशक अ य दबाव पड़ने से भी लाभ तो होगा, भले ही उसम समय यादा लगे।
परतु एक ऐसी थित क क पना क िजए, िजसम पीिलया से पीि़डत एक य का इलाज करना ह और इसक
िलए सबसे मह वपूण अंग, िजसे उ ीपन क ज रत ह, यकत ह। परतु जो य घर म यह िचिक सा कर रहा
ह, वह न तो इस रोग क बार म जानता ह और न िलवर से संबंिधत र ले स वॉइट क बार म। उसे बस हथेली क
एक खास िह से पर दबाव देने क िलए कहा गया ह। एक गैर-िवशेष होने क कारण वह दाई हथेली क बजाय
बाई हथेली क कछ थल को दबाता ह। अब दाई हथेली पर उसी जगह थत ेशर वॉइट िलवर से संबंिधत ह
और बाई हथेली पर उसी जगह थत ेशर वॉइट दय से। उसका अथ ह, रोगी अपने िलवर क बजाय दय को
उ ी करवा रहा ह। प तया, वह रोगी लाभ क थित म ह, जहाँ तक उसक दय का संबंध ह, रोगी को
फायदा हो रहा ह परतु नुकसान भी। य िक िलवर का वॉइट, िजसे उ ीपन क ज रत ह, पर उसे कोई दबाव
नह पड़ रहा ह। इस थित म उसक मु य यािध िन य ही ठीक नह होगी। परतु शायद आपको यह जान कर
आ य होगा िक उसे कवल आंिशक हािन होगी। य िक दबाए गए ेशर वॉइ स क समूह म कछ ऐसे भी ह गे,
जो िलवर को ठीक उ ी कर रह ह गे। उन वॉइ स क दबने से कछ प रणाम तो हािसल ह गे, य िप उनक
गित धीमी होगी। इसक अित र , इसक पूरी संभावना ह िक िचिक सा करनेवाला य अगली बार वही गलती
नह दोहराएगा, िफर नुकसान भी नह होगा।
इस मह वपूण पहलू को प करने क िलए एक और उदाहरण यह होगा िक अगर मधुमेह क एक रोगी को
पि याज से संबंिधत ेशर वॉइ स पर दबाव न िदया जाए तो या होगा (य िप यह िफर से संभावना कम होगी,
य िक दबाव दोन हथेिलय और दोन तलव पर िदया जाना ह। और दबाव देनेवाला य इन चार म से सभी
को भूल जाए, यह िव सनीय नह लगता)। जो भी हो, यिद ेशर वॉइ स पर दबाव देनेवाले य ने पूर े
अथा हथेली क म य भाग तलवे म आक तथा हथेिलय और तलव क चार थल म से कम-से-कम दो पर
रोिलंग ेशर िकया हो तथा साथ ही एंडो ाइन (अंतः ावी) िस टम क मा टर ंिथ, पीयूष ंिथ (िप यूइटरी
लड) से संबंिधत ेशर वॉइट पर ठीक से दवाब िदया हो। इससे उपचार म होने वाली हािन क आंिशक ितपूित
हो सकती ह।
न 11 : इस िचिक सा प ित क साइड इफ स या हो सकते ह? या कोई ात साइड इफ स
ह?
उ र : आधुिनक िचिक सा शा क संदभ म अं ेजी क ‘साइड इफ ट’ इन दो श द ने डरावने आयाम ले िलये
ह। लगभग हर एक य यहाँ तक िक वा य और तो और िचिक सा िव ान क बार म औसत जानकारी
रखनेवाला य भी इस डर से बेचैन ह िक जो कोई भी दवाई वह ले रहा ह, उसक साइड इफ स या दु भाव
ज र ह गे। वे उन दवा क ित भी आशंिकत हो जाते ह िजनका कोई दु भाव नह होता, या कम-से-कम
उजागर नह आ ह। जो भी हो, अपने वा य क सव म िहत म शायद येक नाग रक को, िजस िचिक सा
प ित से वह अपना इलाज करानेवाला ह उसक, और दी गई दवाइय क दु भाव (साइड इफ स), क बार म
जानने का अिधकार ह।
जहाँ तक ेशर वॉइट िचिक सा अथा ए यू ेशर और र ले सोलॉजी का संबंध ह, हमारी छ बीस वष क
ै टस क अनुभव क आधार पर हम सुरि त प से कह सकते ह िक इस िचिक सा णाली का कोई दु भाव
ात, साइड इफ स नह ह। िफर भी, हम कछ थितयाँ आपको बताना चाहगे, जो िविभ रोग से पीि़डत
िविभ आयु वग क मरीज का इलाज करते समय पैदा ई थ ।
जैसा िपछले पृ म बताया गया ह, एक रोगी क ेशर वॉइ स पर दबाव देना शु करने से पहले सबसे पहली
ज रत िचिक सक और रोगी क बीच इस बार म समझ पैदा करने क ह िक िकस हद तक दबाव डाला जाएगा।
अगर िचिक सक क मन म रोगी क दद सहन करने क सीमा क बार म सही समझ हो, और रोगी को भी यह पता
हो िक दद क तय सीमा से अिधक दबाव हण करने से कोई यादा फायदा न होगा। (यह भी संभव िक ज दी
ठीक होने क यास म रोगी अिधक दबाव झेलने क ओर वृ हो) तो इस अथ म यह ि या िन फल हो सकती ह
िक वह े , िजसम कोई िन त वॉइट थत ह, अ यिधक संवेदनशील/नाजुक बन जाए और एक ह क से
पश, कभी-कभी तो कपड़ा छने से भी दद होने लगे। इसीिलए हमने काउटर- ॉड टव श द का उपयोग िकया ह,
य िक अगली िसिटग म रोगी उस वॉइट या े पर दबाव नह झेल पाएगा और पूव- थित म आने म समय
बरबाद होगा। य िप यह एक साइड इफ ट नह ह, हम इसे िन फल ि या मानते ह, य िक उस थल से मृदुता
(टडरनेस) को जाने म करीब 2-3 िदन लग जाएँग।े
इसी कार, कभी-कभी अगर अ यिधक दबाव िदया जाए, जो रोगी क दद सहन करने क मता से पर हो, तो
कछ कमजोर मरीज बेहोश भी हो सकते ह। य िप सुनने म यह एक गंभीर थित तीत हती ह, लेिकन रोगी को
उससे बाहर िनकालना भी उतना ही आसान ह। ऐसा करने क िलए रोगी क दोन हाथ क किन ा और मुि का
उगिलय पर मािलश जैसा (आगे-पीछ, दाएँ-बाएँ) दबाव तेजी से िदया जाता ह। बीस सेकड से लेकर एक िमनट
तक क इस ि या से रोगी सामा य थित म आ जाएगा।
एक और थित यह हो सकती ह िक करीब 500 से 1000 मरीज म से कोई एक, िकसी स क अंत म कमजोरी
का एहसास होने क िशकायत कर। हमने पाया िक कभी-कभी कोई मरीज िकसी कारण से उस िचिक सा णाली
से इलाज कराने से ब त डरा होता ह। अिधकांश मामल म यह पाया गया िक यिद पहले कोई िचिक सक, जो
अपने मरीज क हाथ /तलव पर ब त कठोर दबाव देता रहा हो, वयं उसे रोगी को या उसक िकसी र तेदार/िम
को ए ददनाक अनुभव क कारण रोगी बेहद डरा आ था। परतु ऐसे मामल म सव म उपाय रोगी को आ त
करना ह िक िकसी भी थित म उसक दद सहने क मता से अिधक दबाव नह डाला जाएगा। ज री होने पर
इलाज रोक कर मरीज को तब आने क िलए कहा जा सकता ह, जब वह अिधक आ मिव ास महसूस कर। इससे
कभी-कभी रोगी क मन म आ मिव ास पैदा होता ह और वह ज द ही वापस आकर लाभदायक नतीजे हािसल
करता ह।
न 12 : या िविभ रोग से संबंिधत ेशर वॉइ स अपने से इतर रोग क इलाज म दखल डालते ह?
उ र : हाँ, िविभ रोग से संबंिधत ेशर वॉइ स कभी-कभी ऐसा करते ह। कारण यह ह िक अिधकांश मामल
म जब एक मरीज आपक पास आता ह तो वह बीमा रय क एक लंबी सूची क साथ आता ह। य िप ए यू ेशर
िचिक सा णाली अब ब त लोकि य हो गई ह, िफर भी सच यही ह िक लोग अकसर अिधकांश उपल ध
िवक प को आजमाने और उनसे िनराश होने क बाद ही इस िचिक सा णाली क ओर ख करते ह। और उन
सबसे थक-हारकर जब एक रोगी िकसी गैर-पारप रक िचिक सक क पास जाता ह, तो उसक उ मीद ब त यादा
होती ह तथा उसका धैय लगभग जवाब दे चुका होता ह। कल िमलाकर नतीजा यह होता ह िक यह सुिन त करने
क िलए िक रोगी का िव ास न टट और साथ ही इस मह वपूण उ े य क िलए िचिक सक को अपने सव म
यास करने पड़ते ह िक ए यू ेशर िचिक सक ारा िदखाए गए नतीजे रोगी क मन म और उसक ज रए लोग
तक इस िचिक सा णाली क भावो पादकता क बार म कोई गलत संदेश न प चाए।
ऐसे मामल म, रोगी को सबसे पहले यह बता िदया जाना चािहए िक एक समय म, अगर संभव हो, तो हम दो या
यादा-से- यादा तीन बीमा रय का इलाज करगे, अ यथा नतीज म घालमेल हो जाता ह। अब न क उस भाग
को समझने क िलए, िजसम िविभ अंग से संबंिधत ेशर वॉइ स को दबाने से िचिक सा म घालमेल (ओवर
लैिपंग) क संभावना का िज िकया गया ह हम क पना करते ह िक एक रोगी आथराइिटस, ो टट और
डायिबटीज से पीि़डत ह। चूँिक जोड़ म दद रोग म यू रया का तर बढ़ जाता ह, हम अ य र ले स वॉइ स क
अित र उ सजन तं (ए स टरी िस टम) क सबसे मुख अंग िकडनी से संबंिधत र ले स वॉइ स को
उ ी करना होगा। अब अगर हम ो टट क सम या क ओर नजर डाल, तो मू रोग से संबंिधत इस सम या
से हम िफर गुरद को उ ी करना होगा और इसिलए तीसरा रोग, िजसका इलाज करना ह, डायिबटीज क ओर
मुड़ तो, गुरद का डायिबटीज से कोई लेनादेना नह ह। िफर भी, शुगर लेवल 170 से ऊपर जाने पर शुगर मू म
चले जाने क कारण न होने पर भी मधुमेह से पीि़डत य य म गुरद को अित र म करना पड़ता ह तथा गुरद
को ित से बचाने क िलए उ ह उ ी िकया जाना ज री ह। इस तरह, हम देखते ह िक तीन अलग-अलग रोग
म एक ही अंग तथा उसी से जुड़ ेशर वॉइ स क भूिमका ह।
इसी कार, यिद पीिलया से पीि़डत एक रोगी ह, िजसे क ज तथा पाचन तं से जुड़ी अ य सम याएँ भी ह, उसका
इलाज करना हो तो इन सभी रोग क िलए िलवर से संबंिधत ेशर वॉइ स उ ी करने ह गे। यह भी र ले स
वॉइ स क ओवरलैिपंग का मामला ह। परतु इससे रोगी का इलाज करने म कोई सम या नह आती, ब क एक
ही र ले स वॉइट उ ी करक एक साथ एक से अिधक रोग का इलाज कर पाने क कारण, िचिक सक का
समय ही बचता ह।
उस संदभ म शायद यह प करना ासंिगक होगा िक जोन थेरपी क िस ांत क अनुसार अगर शरीर क एक
िविश जोन म आनेवाले िकसी अंग म कोई सम या पैदा हो जाती ह तो उस जोन म थत सभी अंग से संबंिधत
र ले स पाइ स पश क ित मृदु हो जाते ह। ऐसा इसिलए होता ह िक उस जोन म आनेवाले सभी अंग एक ही
ाण श से जुड़ ए ह। उदाहरण क िलए यिद आँख म कोई सम या उ प होती ह तो उस जोन म आनेवाली
सभी अंग क र ले स वॉइ स अथा आँख , गुरद , िलवर, तथा छोटी आँत क र ले स वॉइ स भी पश क
ित मृदु हो जाते ह ऐसी थित म, आँख क इलाज क िलए उस पूर जोन और उसम आनेवाले सभी अंग म ऊजा
का वाह बहाल करने क ि से आँख से संबंिधत वॉइ स को दबाने क अित र हम गुरद , िलवर तथा छोटी
आँत क र ले स वॉइ स को भी दबाना होगा। सभी रोग क िलए यही ि यािविध अपनानी होगी और इस कारण
भी ेशर वॉइ स ओवरलैप करते ह।
न 13 : या इस प ित से क जानेवाली िचिक सा को पहले से चल रही एलोपैिथक िचिक सा क
साथ-साथ अपनाया जा सकता ह या एलोपैिथक दवाइय का सेवन बंद करना होगा?
उ र : अगर िकसी य क उसी या िकसी अ य रोग क एलोपैिथक िचिक सा चल रही ह तो उसे एलोपैिथक
दवाइय का सेवन बंद करने क कोई ज रत नह ह, य िक वह ए यू ेशर िचिक सा प ित क काय णाली को
िकसी तरह भी भािवत नह करती। परतु यिद रोगी साइिटका या साधारण पीठ दद जैसे रोग का इलाज करवा रहा
ह और कवल दद िनवारक दवाइयाँ ले रहा ह तो उसक िहत म यही होगा िक ए यू ेशर से सुधार शु होने पर दद
िनवारक दवाइयाँ लेना कम कर दे और उनक सेवन क बीच अंतराल को मशः 6 से 8 और िफर 12 घंट तक
बढ़ाता जाए। ए यू ेशर क 4-6 िसिटग होने क बाद आमतौर पर दवाइय का उपयोग आपातकालीन थितय तक
ही सीिमत करना होता ह। परतु मान लीिजए िक शरीर म िकसी दद का इलाज करवा रहा य उ र चाप और
मधुमेह से भी पीि़डत हो तो उसक दवाइयाँ बंद करने क सलाह मूखतापूण होगी। इसम कोई संदेह नह िक
ए यू ेशर िचिक सा क दौरान वह िनयिमत प से अपनी दवाइयाँ ले सकता ह।
सच तो यह ह िक यह पाया गया ह िक यिद ए यू ेशर िचिक सा पारप रक िचिक सा क साथ-साथ चलाई जाए,
िचरकािलक ( ॉिनक) बीमा रय का इलाज करवा रह रोगी म बेहतर और ती तर अनुि या ( र पॉ स) होती ह।
न 14 : एक रोग क िचिक सा क िलए आमतौर पर यूनतम िकतनी िसिट स ज री होती ह? एक
ए यू ेशर िचिक सक एक िसिटग म औसत प से िकतना समय लेता ह?
उ र : िन यपूवक यह कहना किठन होगा िक एक रोग क िचिक सा क िलए िकतनी िसिट स ज री ह गी। सब
कछ रोगी क आयु, रोग, िजससे वह पीि़डत ह, रोग कब से घर िकए बैठा ह, आिद बात पर िनभर ह। इससे भी
यादा मह वपूण शरीर ारा िदया जा रहा र पॉ स और दद सहन करने क रोगी क मता या सीमा। कभी-कभी
आपक सामने एक ऐसा रोगी आता ह जो थोड़ा सा पश करने पर भी रोने लगता ह, यहाँ तक िक रोिलंग ेशर भी
सहन नह कर पाता। ऐसे मामल म िसिट स क सं या उस रोगी क तुलना म कह अिधक होगी जो ह क से
लेकर म यम दरजे का दबाव झेलने म स म ह। आमतौर पर, सभी आयु-वग और अ य वग से आए िविभ
कार क रोिगय क हमार अनुभव क आधार पर लकवा, ोजन शो डर, जोड़ का दद, अवसाद, आिद रोग को
छोड़कर अिधकांश रोग म औसतन 10 से 15 सीिटग क ज रत हो सकती ह। इन रोग म रोग क अविध तथा
रोगी क इ छा श एवं दद सहन करने क उसक मता पर इलाज िनभर करता ह। िजनक मामले म रोग
िकतना पुराना ह, रोगी क इ छाश तथा दद सहन करने क उसक सीमा पर ब त कछ िनभर ह, को छोड़कर
अिधकांश रोग म, औसत प से 10 से लेकर 15 सीिटग क ज रत हो सकती ह। परतु उनपर अपवाद व प
बताई गई बीमा रय म िसिट स क सं या 30 से 50 तक या इससे भी यादा तक बढ़ सकती ह। डायिबटीज, उ
र चाप जैसे रोग क मामल म रोगी क साथ कवल 3-4 िसिट स क जानी चािहए और इन बैठक म िचिक सा
क दौरान या िकया जाना ह, इस बार म उसे िशि त करने क यास िकए जाने चािहए। परतु उ ह एक या दो
महीने तक िनयिमत प से घर पर ए यू ेशर लेते रहना चािहए। शु आत म हर रोज, ब क िदन म दो बार और
बाद म ह ते म 2-3 बार।
इसी कार, िचिक सक ारा िलया जानेवाला समय रोग पर िनभर करगा। लकवा या जोड़ क दद से पीि़डत
रोिगय क मामल म उन ेशर वॉइ स क सं या काफ यादा ह, िजन पर दबाव िदया जाना ह, इसक अित र ,
ऐसे रोिगय का अपने अंग पर ब त कम या कोई िनयं ण नह होता, इसिलए सीिटग 40 से 50 िमनट तक क हो
सकती ह। अ यथा, सामा य मामल म एक सीिटग क अविध रोग या रोग क कित क अनुसार 10 से लेकर 30
िमनट तक क हो सकती ह।
न 15 : या इलाज शु करने से पहले रोगी का पेट खाली होना चािहए?
उ र : नह , इलाज कराने से पहले खाली पेट होना ज री नह ह। सीिटग से पहले रोगी ह का ना ता ले सकता
ह। चाय/कॉफ /दूध आिद लेने क भी इजाजत ह।
िफर भी, लंच या िडनर लेने क बाद 2-3 घंट तक ेशर िचिक सा लेने से बचना चािहए, य िक उ ीपन क िलए
रोिलंग िकए जाते समय, ेशर वॉइ स उस े म थत हो सकते ह, जो पेट आिद क र ले स जोन या
मे रिडयन म आते ह और जब पेट भरा हो, तो इस थित से बचना चािहए। स क समा क तुरत बाद लंच या
िडनर लेने पर कोई पाबंदी नह ह।
न 16 : या ए यू ेशर प ित से िकया गया इलाज थायी होता ह?
उ र : जब कोई रोगी ए यू ेशर िचिक सक से पहली बार िमलता ह, तो यह सवाल अकसर पूछा जाता ह। इस
सवाल का जवाब देने से पहले म हमेशा रोगी से एक ित न पूछता और वह ह : या आप िकसी एक रोग,
एक दवाई या एक डॉ टर का नाम बता सकते ह, जो यह दावा कर सक िक िकसी खास बीमारी को हमेशा क
िलए ठीक िकया जा सकता ह? जब रोगी को यह बताया जाता ह िक कोई भी इलाज थायी नह हो सकता, हाँ
उसे एक लंबी अविध का इलाज ज र कहा जा सकता ह अथा यह िक वह रोग उसी िदन िफर से कट नह
होना चािहए। िजस िदन िचिक सा समा ई हो अथा सीिटग पूरी हो चुक ह , तो वह संतु हो जाता ह।
आमतौर पर यह देखा गया ह िक रोगी क पूरी तरह ठीक हो जाने क बाद वष तक वह दद दोबारा वापस नह
आता। परतु ोले ड िड क जैसे रोग क दोबारा कट होने क हमेशा पूरी संभावना रहती ह, अगर रोगी सावधानी
क साथ न िजए अथा वह एक सीमा से अिधक वजन उठाए या कोई कठोर यायाम कर, शरीर को आगे क ओर
झुकाए या झटका दे तो उसे दद दोबारा हो सकता ह।
असल म, कछ रोग क खास वृि होती ह। उदाहरण क िलए, िकडनी टोन क सजनी क बाद अगर खानपान
संबंधी परहज न िकया जाए, तो उसक दोबारा कट होने क पूरी संभावना ह। हाई ि िसजन बायपास सजनी क
मामले म भी यही थित ह। अगर दूसरी सजरी से बचना ह तो रोगी को खानपान पर कड़ाई से िनयं ण करना
होगा।
न 17 : या यह सच ह िक हमार शरीर म िविभ अंग से संबंिधत अिधकांश र ले स वॉइ स
हमारी हथेिलय और तलव म थत ह?
उ र : हाँ, पु तक क अंत म िदए गए दो चाट हमार तलव और हथेिलय म हमार शरीर क िविभ अंग /िह स
से संबंिधत र ले स वॉइ स क करीबी थित दरशाते ह। परतु एक बात यान म रखनी चािहए िक ये वॉइ स
हर एक य म ठीक उसी थान पर नह भी हो सकते ह, य िक हर शरीर का आकार िभ होता ह। इसिलए
एक य क शरीर क संरचना क अनुसार उसक िकसी अंग से संबंिधत र ले स वॉइ स क थित िकिचत
िभ हो सकती ह। परतु वे उसी जोन म थत ह गे। शरीर क कछ भाग /अंग से संबंिधत र ले स वॉइ स एक-
दूसर को ओवरलैप करते ह, य िक िविभ अंग/गं◌िथयाँ शरीर म एक-दूसर से गुँथी होती ह और ओवरलैप भी
करते ह, उदाहरण क िलए एक ओर गॉल लैडर, ऊपर क ओर बढ़ती बृह (एसिडग कोलन) का ऊपरी भाग
और िलवर तथा दूसरी ओर गुरदे एवं छोटी आँत। कभी-कभी तो वे इतने करीब और व तुतः एक दूसर से सट
ओवरलैप होते ह िक ेशर देते समय यिद एक वॉइट पर दद होता ह तो ठीक से यह कहना मु कल होता ह िक
कौन सा अंग वा तव म सम या त ह।
हथेिलय और तलव क उन भाग को ठीक से समझने क िलए नीचे एक चाट िदया गया हः जहाँ शरीर क िविभ
भाग से संबंिधत र ले स वॉइ स थत होते ह।

न 18 : यह कहा जाता ह िक जोन थेरपी र ले सोलॉजी या ए यू ेशर का आधार ह। या यह सच


ह? यिद हाँ, तो िव तार से बताएँ।
उ र : ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी िचिक सा क एक शानदार प ित ह, जो समझने और यवहार म लाने म
आसान ह। वह अ यिधक भावी और दु भाव (साइड इफ स) रिहत पूरी तरह सुरि त िचिक सा िविध पाई गई
ह। अपने रोग तथा र ले स वॉइ स का कछ बुिनयादी ान रखनेवाला कोई भी य िबना िकसी महगे औजार/
मशीन क, घर बैठ इसका लाभ उठा सकता ह। अगर कोई य हमार शरीर म दस अ य ज स क िस ांत का
कछ ान एवं समझ हािसल कर लेता ह तो यह पूरी िव ा और आसान हो जाती ह। इस िचिक सा प ित क बार
म सबसे अ छी बात यह ह िक इसे कह भी और िकसी भी समय िकसी भी आयु क य तथा ी-पु ष क बार
म अपनाया जा सकता ह। हर राह म जीत-ही-जीत ह य िक हमार पास खोने क िलए कछ नह ह। ए यू ेशर क
इस अनोखे गुण क कारण एक बड़ी सं या म गितशील और िन प सोच रखनेवाले िचिक सा िवशेष इस
िचिक सा प ित को स मान देते ह तथा अपने कई मरीज को पहले से चल रही िचिक सा क साथ-साथ ए यू ेशर
िचिक सा क िसफा रश करते ह।
यह सच ह िक जोन थेरपी र ले सोलॉजी या ए यू ेशर का आधार ह। उसे तब एक नया आयाम और वै ािनक
मा यता िमली, जब उसक उपयोिगता िस करने क िलए बीसव सदी क आरिभक वष म अमरीक ईएनटी
पेशिल ट डॉ. िविलयम एच. िफ जेरा ड ने इससे संबंिधत शोध काय अपने हाथ म िलया। शु आत म, उनक
साथी डॉ टर , को ठीक से समझने क िलए नीचे एक चाट िदया गया हः िजनक शायद उनक गितशील और
िन प सोच नह थी। परतु डॉ. िफ जेरा ड क सतत और समिपत यास से मानव शरीर म 10 ऊजा ज स क
उप थित काश म आई। ये जोन, जो र ले सोलॉजी और ए यू ेशर का आधार ह। इ ह समझना ब त आसान ह।
उसक अनुसार, हमार शरीर म िसर से लेकर पैर और हाथ (क सभी उगिलय क िसर , जैसा िक िच -1 म
िदखाया गया ह) तक अ य ाण श क धाराएँ बह रही ह। ाण श क येक धारा क अंतगत आनेवाला
सुिनिद े एक जोन कहलाता ह। कल िमलाकर, समानुपात म हमार शरीर क दाई ओर पाँच देशांतरीय
(लॉ ग यूिडनल) जोन तथा पाँच वैसे ही जोन बाई तरफ ह। ज स क ये दोन जोड़ एक-दूसर क समानांतर िसर से
चेहर, कधे, बाँह , हाथ , सीने, पेट, जननांग , टाँग से होते ए पैर तक प चते ह।
जोन-1
यह िसर क ऊपर से शु होकर माथे क बीचोबीच, नाक, तालू, ह ठ , ठ ी, रीढ़ क ह ी, पेट और टाँग से
होता आ पैर क अँगूठ तक जाता ह। यह जोन कध और बाँह को शािमल करता आ हाथ क अँगूठ तक भी
जाता ह। इस तरह जोन-1 शरीर म वा तिवक थित क अनुसार इस जोन म आनेवाले अंग अथा िसर, िदमाग,
रीढ़ क ह ी नाक, मुँह, ठ ी, िप यूइटरी, िपिनअल, थायरॉइड, थायमस एवं ए ीनल ल स, फफड़, दय
(बाई और दाई दोन ओर) भोजन-निलका (इसोफगस) पेट, यूओडनस, छोटी आँत, िलवर (दाई ओर का), मू -
वािहिनयाँ, गभाशय, जननांग, ो टट, यू रनरी लैडर मलाशय (र टम), और गुदा को आंिशक या पूण प से
पोिषत करता ह।
जोन-2
िसर क ऊपर से िनकलकर पैर क अँगूठ क पासवाली उगली और इसी तरह तजनी क िसर तक प चता ह। इस
जोन क अंतगत म त क का कछ भाग, आँख, साइनस, टॉ स स, फफड़, ास निलयाँ, दय (दाएँ और बाएँ
दोन तरफ) पेट, िलवर, (दाई ओर का), सोलर ले सस, पि यस (बाई ओर क), गुरदे और छोटी आँत आते ह।
जोन-3
िसर क ऊपर से आकर पैर क दूसरी उगली और हाथ क म यमा उगली तक जाता ह। इसक अंतगत िदमाग
का कछ िह सा, आँख, फफड़, दय (बाई तरफ) पेट (बाई ओर का), सोलर ले सस, पि यस (बाई ओर
का), िलवर (दाई ओर का) गुरदे, अपिड स (दाई ओर का) और छोटी आँत आते ह।
जोन-4
िसर क ऊपर से लेकर पैर क तीसरी उगली तथा हाथ क मुि का उगली तक फला आ ह। यह जोन िदमाग क
कछ िह स , कान , कध , फफड़ , दय (बाई तरफ का) पेट, ित ी और अ नाशय (पि यस) (तीन बाई तरफ
क), िलवर, गॉल लैडर और एपिड स (तीन दाई ओर क) छोटी आँत तथा दोन तरफ क कोलन को पोिषत
करता ह।
जोन-5
िसर क ऊपर से चलकर पैर और हाथ क छोटी उगिलय क तरफ नीचे जाता ह। पाँचव जोन क अंतगत िसर
का बाहरी िह सा, िदमाग क कछ िह से, कान, कधे, बांह का ऊपरी भाग, ित ी (बाई ओर क ), िलवर, गॉल
लैडर, इिलयोिसकल वा व और अपिड स (सभी चार दाई ओर क) तथा दोन तरफ क कोलन आते ह।
य िप पैर और हाथ क सभी अँगूठ और उगिलयाँ िदमाग और िसर क र ले स ए रयाज म शािमल ह, िफर
भी िदमाग एवं िसर क मुख र ले स पैर तथा हाथ म शािमल ह, और िदमाग एवं िसर क मुख र ले स पैर
और हाथ क अँगूठ म ही मौजूद होते ह। िदलच प बात यह ह िक पैर और हाथ क अँगूठ (अपनी-अपनी तरफ
क) िदमाग तथा िसर क आधे-आधे भाग क र ले सेज धारण करते ह। इसक अित र , हाथ और पैर क
अँगूठ पाँच ज स म उप-िवभािजत हो जाते ह।
िविभ अंग से संबंिधत िविभ र ले स वॉइ स क सुगमता से व रत और सही पहचान करने क िलए
जोन थेरपी क वतक ने हाथ और पैर को तीन अित र आड़ ( ैितजीय) ज स म िवभािजत िकया ह। इस
तरह, जोन थेरपी से अिधकतम लाभ लेने क िलए यह ज री ह िक एक य , शरीर क िविभ अंग क थित
क बार म बुिनयादी जानकारी रखे।
न 19 : या ए यू ेशर रोग का जड़ से इलाज करता ह?
उ र : जैसा पहले बताया गया था, कोई भी रोग हमार शरीर क एक या अिधक अंग क ठीक से काम न करने
का प रणाम होता ह। बुिनयादी प से, उन अंग से संबंिधत मे रिडयंस म ऊजा क वाह म आए असंतुलन क
कारण ऐसा होता ह। अगर िकसी तरह से इस असंतुलन को दूर कर क भािवत अंग क माग (मे रिडयंस) म
ाण श या ऊजा का वाह बहाल कर िदया जाए तो वे अंग अपनी आदश ज रत क अनुसार काम करने
लगते ह।
ेशर वॉइट तकनीक अथा ए यू ेशर क मदद से यह हािसल करना ब त आसान ह। रोग का कारण दूर होने
पर रोग अपने आप चला जाता ह। यही कारण ह िक ए यू ेशर िचिक सक आमतौर पर कहते ह िक वे िकसी रोग
का नह , ब क अंग का इलाज करते ह। जब सभी अंग अपने आदश तर पर काम करना शु कर देते ह, तो
रोगी व थ हो जाता ह और उसक शरीर म रोग क िलए कोई जगह नह बचती।
न 20 : या ए यू ेशर िचरकािलक ( ॉिनक) रोग क मामल म भी मदद करता ह?
उ र :िव वा य संगठन ने इस त य को वीकार िकया ह िक िचिक सा क यह पारप रक प ित मनु य
क वा य और गुणव ापूण जीवन क िदशा म ब मू य योगदान देती ह। उ ह ने जोड़ क दद, बसाइिटस,
टडनाइिटस, पीठ का दद, साइिटका, गरदन और कधे का दद, माइ ेन तथा तनावजिनत िसर दद आिद रोग क
इलाज क िलए अिधका रक प से ए यूपं र क िसफा रश क ह। ए यू ेशर म हम ठीक उ ह वॉइ स का
उपयोग करते ह, जो ए यूपं र म उपयोग िकए जाते ह, कवल उनक उपयोग क तरीक म फक ह अथा
ए यू ेशर म सुइयाँ नह चुभोई जाती ह। वष क यवहार क बाद यह पाया गया ह िक उनक आधार पर बताई गई
सभी बीमा रय म ब त उ साहव क नतीजे ा ए ह। इसिलए िन संकोच यह िन कष िनकाला जा सकता ह
िक गंभीर और लंबे समय से चले आ रह रोग म ए यू ेशर मदद करता ह।
यह ेशर वॉइट िचिक सा प ित (ए यू ेशर), असल म ए यूपं र का ही एक सरलीकत प ह और िजसे
‘िबना सुइय वाला’ ए यूपं र भी कहा गया ह,’ इसे फ शनल िड ऑडस, जनन संबंधी सम या , हमेशा
थकावट महसूस करना, पाचन संबंधी िवकार , दमा, अिन ा, घबराहट और अवसाद जैसे ब त से रोग क इलाज
म अ यिधक सफल पाया गया ह।
न 21 : एक रोगिनरोधक उपाय क प म ए यू ेशर या भूिमका िनभा सकता ह?
उ र : रोग से बचने क िलए कछ ेशर वॉइ स पर ह का सा दबाव डालते ए बस कछ िमनट ॒ िबताइए।
ऊजा का वाह खोलकर तनाव से मु होना आपक शरीर को व थ (िफट) रखने का एक अ ुत तरीका ह।
ाचीन काल म चीन म पा रवा रक िचिक सक, प रवार क सद य क व थ रहने पर ही फ स िलया करते थे।
उनक अनुसार एक बीमार य का इलाज करना वैसा ही था, जैसा यास लगने पर कआँ खोदना।
सभी लोग तक यह संदेश प चाने क िलए उपरो उ रण को जानबूझकर शािमल िकया गया ह िक हम
िकसी बीमारी क कट होने से पहले ही उसे रोकने क हर संभव यास करने चािहए। अ छ खान-पान, यायाम,
यान तथा वयं को िशिथल छोड़ देने क ज रए मन और शरीर को शांत रखकर यह ल य हािसल िकया जा
सकता ह। उसक साथ, साथ ेशर वॉइट थेरपी का उपयोग हम सश बनाए रखने तथा हमार शरीर म ऊजा क
वाह म आए छोट-मोट असंतुलन को वा य संबंधी गंभीर सम या म तबदील हो जाने से बचाने म हमारी
मदद करता ह।
‘रोग िनरोधक उपाय का एक स िचिक सा क एक प ड क बराबर होता ह’, इस कहावत क मूल भावना
तक जाते ए आप ज द ही महसूस करगे िक वा य क देखभाल का सबसे भावी और यावहा रक तरीका
रोग से बचाव ह। आप बीमार पड़ने और उसक बाद इलाज क िलए भागदौड़ करने तक इतजार य कर, जो
महगा भी ह और शायद ‘साइड इफ टस’ से भरा भी।
िजस िदन आप ए यू ेशर िचिक सा प ित अपनाते ह, उसी िदन से आप अपने वा य क बागडोर अपने
हाथ म ले लेते ह। िजतना-िजतना आप अपने शरीर क बार म जाग क होते जाएँगे, उतनी ज दी अपनी गरदन,
कध का शरीर क िकसी भी भाग म होनेवाली असामा य हलचल पर यान दे पाएँगे। अब, इससे पहले िक वह
एक गंभीर सम या का प धारण कर ले, आप अपने आप ही उस असंतुलन को वह और त काल दूर कर
सकते ह। इससे पहले िक छोटी-छोटी यािधयाँ और असंतुलन बड़ी बीमा रय का प लेते ह, ेशर वॉइट
िचिक सा णाली, ए यू ेशर को अपनाकर आप पैसे बचा सकगे, दद और अ मता से बच सकगे और अ छा
वा य बना रहगा।
न 22 : या ए यू ेशर धू पान, मिदरापान, स क लत जैसी बुरी आदत पर काबू पाने म मदद
कर सकता ह?
उ र : आमतौर पर, जब आप उपरो लत म से िकसी क िशकार य य से बात करते ह तो वे कहते ह
िक वे तनाव दूर करने क िलए ऐसी आदत का सहारा लेते ह। कछ लोग कहते ह िक धू पान करते समय उनका
िदमाग बेहतर ढग से काम करता ह।
तनाव दूर करनेवाले और बॉडी िस टम को उ ी करनेवाले अपने गहर भाव क कारण ए यू ेशर िचिक सा
णाली उन लोग क िलए ब त मददगार ह जो िकसी तरह खुद को बरबाद करनेवाली इन आदत , क िशकार हो
जाते ह। िजनसे धन और वा य दोन क हािन होती ह। तनाव दूर करनेवाले उन वॉइ स, कछ ऐसे सुिनिद
वॉइ स भी ह, िजनका आप अपनी सोच म प ता लाने, अपनी भूख को िनयिमत करने और अपनी पाचन
ि या को संतुिलत करने म उपयोग कर सकते ह। गहरी शांित से उपजा सुखद एहसास नशे क तलब पर िवजय
पाने म आपक मदद करगा तथा धू पान, मिदरापान और ऐसी ही नकारा मक आदत छोड़ देने क संक प को
मजबूत करगा।
न 23 : या ए यू ेशर स दय बढ़ाने म मदद कर सकता ह?
उ र : हाँ, मिहला का ाकितक स दय बढ़ाने क िलए चीन म सैकड़ वष से ए यू ेशर िचिक सा का
उपयोग िकया जाता रहा ह। य िप उसे रात रात हािसल नह िकया जा सकता, जैसा एक यूटी पालर म जाने से
होता ह, िफर भी उसका उ ल प यह ह िक जहाँ यूटी पॉलर क ज रए ा क गई सुंदरता कवल कछ घंट
या िदन क िलए होती ह और वह भी ऊची क मत पर, ए यू ेशर क एक समय-सा रणी क अनुसार चलने से
बढ़ी सुंदरता उससे कह लंबी अविध क िलए होती ह और वह भी िबलकल मु त! आपको िसफ इतना करना ह
िक अपनी य त िदनचया म से कवल 15-20 िमनट ए यू ेशर क िलए िनकालने ह, जो यूटी पॉलर को िदए गए
समय से िफर भी ब त कम ह। इस स य को नकारा नह जा सकता िक उ क साथ एक िदन हम सभी क चेहर
पर झु रयाँ पड़ जाएँगी, िफर भी मह वपूण बात ह, सुखद एहसास और अ छा वा य।
हम सब जानते ह िक जब हम वयं को शांत ( रले ड) महसूस करते ह, हम बेहतर िदखाई देते ह, इसिलए
आपक सुंदरता बढ़ाने क िलए पहली िटप ह, खुद को, तनावमु , रले ड महसूस करना तथा अपने सम
वा य और ओज वता बढ़ाने क ओर यान देना। वह आपक ाकितक स दय को िनखारने म आपक और
यादा मदद करगा। आप अपने चेहर क मांसपेिशय को रले स करना और कछ िन त ेशर वॉइ स को
उ ी करना भी सीख सकती ह, जो आपक र वाह को सुगम बना कर आपक रग म िनखार लाते ह। कछ
ेशर वॉइ स ऐसे भी ह, िजन पर दबाव देने क ि या को आप अपनी िदनचया म शािमल कर सकती ह, जो
दीघाविध म आपक चेहर और शरीर पर झु रयाँ आने से रोकने म आपक मदद कर सकते ह। िविभ रोग से
संबंिधत खंड म इन वॉइ स क बार म िव तार से चचा क जाएगी।
न 24 : िकन प र थितय म ए यू ेशर क उपयोग से बचना चािहए?
उ र : य िप ए यू ेशर िचिक सा पूरी तरह से िनरापद ह और वह िकसी भी उ क िकसी भी य को कह
भी और कभी भी दी जा सकती ह, िफर भी िन निलिखत थितय म उसका उपयोग न करना ही बेहतर होगाः
1. शरीर क िकसी कट ए या ऐसे भाग पर, जहाँ क ह ी टट गई हो,
2. अगर िजस थल पर दबाव िदया जाना ह, वहाँ सूजन हो।
3. एक ी क गभाव था का पता चलने क तुरत बाद, ब क गभधारण करने क पहले महीने क बाद ही,
य िक कछ ेशर वॉइ स पर दबाव देने से संकचन पैदा हो सकता ह, िजसका प रणाम गभपात हो सकता ह।
परतु अगर सवाइकल, माइ ेन, अिन ा या िमतली जैसे गभाव था से संबंिधत रोग क मामल म ए यू ेशर
िचिक सा ज री हो जाए, तो वह िकसी पेशेवर िचिक सक ारा ही दी जानी चािहए और िकसी भी प र थित म
िकसी अ िशि त य ारा घर पर नह दी जानी चािहए।
4. लंच या िडनर लेने क बाद कम-से-कम 2 घंट तक ेशर नह िदया जाना चािहए।
5. ान करने या पूर शरीर पर मािलश कराने या िकसी िजम या खेल क मैदान म शारी रक यायाम करने या
खेलने क बाद कम-से-कम आधे घंट तक ए यू ेशर िचिक सा से बचना चािहए।
न 25 : भयंकर दद म ए यू ेशर कसे राहत देता ह?
उ र : ए यू ेशर या ेशर वॉइट िचिक सा हमार शरीर को रले स होने क िलए ो सािहत करती ह। इसका
हमार शरीर क काय णाली पर सम प से सकारा मक भाव पड़ता ह। वह हमार शरीर से ऐसे तनाव दूर
करती ह, जो हमारी मांसपेिशय को िसकोड़कर हमार कािडयो व युलर िस टम म र वाह म बाधा डालने का
कारण बनते ह, जब हमारी मांसपेिशयाँ िशिथल ( रले स) होती ह, र संचरण सुगम हो जाता ह और र
ऑ सीजन तथा अ य पोषक त व को हमार शरीर क कोिशका तक प चा पाता ह। यह हमार शरीर म जमा
िवषैले त व को ख म करने म भी मदद करता ह। भयंकर दद पर इसका सीधा भाव पड़ता ह। इसक अित र
जब ेशर वॉइ स दबाए जाते ह, रोगी का शरीर एंडोिफस जैसे कदरती दद-िनवारक हारमोन रलीज करता ह, जो
उसक दद क एहसास म कमी लाते ह।
न 26 : या इस िचिक सा क साथ पूरक आहार या आहार संबंधी कछ ितबंध ज री ह?
उ र : आहार उन कई कारक म से एक ह, जो हमार वा य को भािवत करते ह। अगर हम सचमुच
अ छ और व थ िदखना चाहते ह तो अपने खानपान क बार म हम और समझदारी बरतनी होगी। जहाँ इस
िचिक सा प ित से इलाज शु कराने से पहले िवशेष प से कोई पूरक आहार नह सुझाया गया ह, रोगी से यह
अपे ा क जाती ह िक व थ रहने क िलए वह संतुिलत आहार लेने क सामा य िनयम का पालन कर रहा होगा।
िफर भी, उन लोग क िलए, जो यह समझते ह िक चूँिक वे जवान ह इसिलए कछ भी खाकर पचा सकते ह,
कछ बुिनयादी िट स िदए जा रह ह। जब हम कहते ह, ‘कछ भी’ तो हमारा इशारा िवशेष प से जंक फड,
अ छी खासी मा ा म चीज, आइस म और चॉकले स आिद लेने क चलन क ओर होता ह। हमार भोजन का
एक आव यक अंग, हरी स जय का सेवन शायद एक दूर क संभावना ह। परतु जो लोग िनयिमत प से अपने
भोजन म पोषक त व शािमल करते ह साथ ही रशेदार फल-स जय का सेवन भी करते ह, वे िन त प से
बेहतर थित म ह, जहाँ तक चु त-दु त रहने का संबंध ह। एक और बात, िजसका उ ेख करना ज री ह।
लोग आमतौर पर िदन भर कड़ी मेहनत करने क बाद रात को ग र भोजन लेते ह। यह एक सही तरीका नह ह।
सबसे यादा भोजन, िबना ज दी मचाए, लंच क समय लेना चािहए, य िक दोपहर को हमारा पाचन तं सबसे
यादा सश होता ह। रात को देर से छककर खाया भोजन पचाने म लंबा समय लगता ह, जब तक िक हम यह
सुिन त न कर ल िक िडनर लेने क कम-से-कम 2-3 घंट बाद ही हम सोने क िलए जाएँगे। अगर हम भरपूर
िडनर लेने क तुरत बाद सो जाएँ तो शायद हम चैन क न द न सो पाएँ या सुबह जब सोकर उठ तो तरोताजा
महसूस न कर। अगर आप दय संबंधी िकसी रोग या उ र चाप से पीि़डत ह तो अपने भोजन म वसा क
मा ा कम करने क कोिशश कर और उसे यूनतम तर पर ले आएँ। वसायु भोजन िदल का दौरा पड़ने या
कसर का मुख कारक ह। हमेशा ताजा और ाकितक आहार लेने क कोिशश कर तथा जहाँ तक संभव हो,
िड बाबंद या ोजन फ स से बच। स जयाँ, ताजे फल (िवशेष प से मौसमी फल) और साबुत अनाज
(अंक रत) चुर मा ा म खाएँ तथा िचकन या िफश/रड मीट से बच। सं ेप म, कम वसायु , अिधक रशेदार
आहार ल। आथराइिटस और अ य म युलोसकलेटल िवकार से पीि़डत रोिगय को राजमा, लोिबया, साबुत उड़द
एवं दही इ यािद से बचना चािहए।
न 27 : ए यू ेशर िचिक सक क तौर पर या आप अ छ वा य क िलए कोई िदशा-िनदश देना
चाहगे?
उ र : अगर आपको वा य संबंधी कोई सम या ह, या नह ह, तो भी आपको अपने वा य क बार म
सम सोच रखनी चािहए। वा तव म हमारी िदनचया खानपान, जीवनशैली, यहाँ तक िक हमार रोजगार संबंधी
ज रत जैसे कारक हमार वा य को भािवत करते ह और अगर हम अपने जीवन को िनयिमत और कित क
िनयम क अनुसार चलाने का भरपूर यास कर, तो हम व थ जीवन जी सकते ह। यहाँ कछ िदशा-िनदश िदए
जा रह ह, जो आपको चु त-दु त बनाए रखने म मदद करगेः
क. परहज इलाज से बेहतर ह, आपका जीवन इस िस ांत पर चलना िचाहए।
ख. पया िव ाम क िजए। यह ब त मह वपूण ह। जब आप थक ए होते ह, तब अपना सव म काय दशन
नह कर पाते। एक िदन म छह से सात घंट क न द ज री ह।
ग. चु त-दु त बने रहने क िलए अ छी-खासी गित से आधा घंटा चलना पया यायाम ह। दय रोिगय को
अ यिधक म से बचना चािहए।
घ. कभी भी भूख से यादा न खाएँ। आपका आहार संतुिलत होना चािहए और उसम ताजे फल , स जय ,
अंक रत अनाज, आिद का समावेश होना चािहए। वसायु पदाथ सीिमत मा ा म िलये जाने चािहए।
ड. तनाव से िनपटना सीख। मन क शांित क िलए िकसी-न-िकसी प म यान लगाएँ। कम-से-कम 70 ितशत
वा य संबंधी सम याएँ तनाव से पैदा होती ह। योग का अ यास ब त लाभदायक प रणाम दे सकता ह।
च. नकारा मक भावना से मु होना सीिखए। ोध, िचंता, अवसाद तनाव क भावना मक व प ह, जो
आपक ायुतं को भािवत करते ह। नकारा मक अनुभूितयाँ वा य संबंधी सम याएँ पैदा करती ह।
न 28 : िकस तरह क रोग म यह िचिक सा प ित िवशेष प से भावी होती ह?
उ र : जैसा हम पहले कह चुक ह, इस थेरपी क ज रए हम िकसी रोग का इलाज नह करते, ब क भािवत
अंग से संबंिधत र ले स वॉइ स पर दबाव देकर िविभ अंग को उ ी ( ट युलेट) करते ह। भािवत
अंग म ऊजा का वाह बहाल होने पर रोग ठीक हो जाता ह। इस थित म इस थेरपी क िलए ऐसी कोई सीमा
नह ह िक वह िकसी खास रोग को ठीक कर पाए और िकसी अ य को नह । िफर भी, इसम कोई संदेह नह िक
सवाइकल/लंबर पॉ डलाइिटस, पीठ का दद, घुटन का दद, एड़ी का दद, साइनसाइिटस, च र आना,
माइ ेन, िसरदद, बवासीर, पाचन तं से जुड़ रोग, िब तर गीला करना, अवसाद, साइिटका, अकड़ी ई गरदन,
दमा, सोलर ले सस, पे टक अलसर, िमरगी, जैसे रोग 12-15 िसिट स म िबना िकसी सम या क ठीक िकए जा
सकते ह, बशत ये रोग ब त लंबे समय से न चले आ रह ह ।
परतु, जब ए यू ेशर को पारप रक िचिक सा णाली क पूरक प म उपयोग िकया गया, तब उसने जिटलतम
मामल , यहाँ तक िक कािडयोव युलर और यूरोलॉिजकल सम या क अंतगत कई अंग क काम न करने क
मामल म भी आ यजनक प रणाम दरशाए ह। लकवा से पीि़डत िकसी रोगी का इस प ित से िजतनी ज दी
इलाज शु िकया जाए, उतनी ही तेजी से प रणाम ा ह गे।
न 29 : पोिलयो मे टस या ह? या ए यू ेशर कोई भूिमका िनभा सकता ह?
उ र : पोिलयो एक ऐसे वायरस से पैदा होनेवाला सं मण ह, जो नाक और मुँह क ज रए शरीर म वेश
करता ह तथा िदमाग क ‘नव से स’ और रीढ़ क ह ी पर हमला करता ह। 6 महीने से लेकर 5 वष तक क
आयु-समूह क ब े इसक चपेट म सबसे यादा आते ह। कम उ म ही इस रोग म बुखार, िमतली और उलटी,
िसरदद, गले म सं मण, बदनदद जैसे ल ण कट होते ह और करीब 24 घंट क भीतर ये गायब भी हो जाते ह।
परतु इसक दूसर व प म ल ण कमोबेश वही होते ह। परतु वे एक लंबे समय तक बने रहते ह। शरीर का
तापमान बढ़ जाता ह, मांसपेिशयाँ कमजोर हो जाती ह, कध , गरदन और िहप क जोड़ अकड़ जाते ह तथा रोगी
को िहलने- डलने म किठनाई होने लगती ह। टाँग, गरदन और पीठ अकड़ जाती ह। िजन मामल म, ेन टम क
‘नव से स’ ित त हो जाते ह, उनम लकवे क संभावना रहती ह। समय बीतने क साथ जोड़ क जकड़न बढ़
जाती ह और अपया र संचरण क कारण अंग क मांसपेिशयाँ िसकड़ने लगती ह।

पोिलयो क टीक क आगमन क बाद िवकिसत देश म यह रोग लगभग समा हो चुका ह। यहाँ तक िक भारत
म भी वष 2011 पोिलयो-मु वष घोिषत िकया जा चुका ह य िक इस वष उसका एक भी मामला काश म
नह आया था। सरकार ारा इले ॉिनक और ि ंट मीिडया क ज रए बार-बार प स पोिलयो अिभयान चलाए
जाने तथा 5 वष से कम आयु समूह क ब को पोिलयो ॉ स िपलाने म अपनी सारी श लगा िदए जाने से
यह ल य ा िकया जा सका। ितर ण (इ यूनाइजेशन) काय म क एक भाग प म छोट ब को पोिलयो
इजे शन भी िदए जाते ह। यह रोग हो जाने क बाद उसका इलाज करना मु कल होता ह, िफर भी यह देखा गया
ह िक उसे और अिधक िबगड़ने से रोकने तथा जोड़ एवं मांसपेिशय म दद और जकड़न पर काबू पाने म रोगी
क मदद करने म ए यू ेशर िचिक सक प ित सहायक होती ह।
इस रोग से राहत पाने क िलए नीचे िदए गए म क अनुसार ेशर वॉइ स को दबाएँ :
GB-2 कान क ठीक सामने जबड़ क जॉइट पर थत ह। लकवे से पीि़डत चेहर क इलाज क िलए यह
िन त वॉइट ह।
GB-12 मे टोइड बोन क पीछ और नीचे, कान क पीछ क ग म थत ह। लकवा- पीिड़त चेहर क इलाज
क िलए िनिद ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे क खाली जगह पर थत ह। इस वॉइट क दोन ओर एक साथ ह क से
लेकर म यम तक लगातार दबाव देना चािहए। इसका भाव उसक नाम ‘gates of consciousness’
गरदन क े म आई जकड़न को दूर करने क िलए अ यंत लाभदायक वॉइट क साथ ब त मेल खाता ह। यह
जुकाम भी दूर करता ह। लैडर और िकडनी मे रिडयंस म ऊजा का वाह बहाल करने क िलए B-23 और B-
47 वॉइ स को उ ी क िजए। बी-23 क थित ‘ रब कज’ और ‘िहप बोन’ क बीच बीच भीतरी िसर पर
कमर क म य म खोजी जा सकती ह। बी-47 रीढ़ क ह ी क बाहरी ओर चार अंगुल क दूरी पर कमर क
म य म थत ह। ये पॉइटस, न कवल पीठ क िनचले िह से म दद से राहत िदलाते ह, ब क मांसपेिशय क
तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमे को भी कम करते ह। इसक बाद K-27 ‘Elegant Mansion’ को
हो ड कर, जो आपक कॉलरबोन क बीच नीचे थत ह। अंत म ट सी नामक K-3 (Bigger Stream) पर
हाथ रख। यह िलवर और िकडनी क ‘ियन’ को उ ी करता ह और यांग को सु बना देता ह। गहरी साँस लेते
और धीर-धीर छोड़ते ए इनम से येक वॉइट को एक-एक िमनट तक दबाएँ।

ST-36 नी-कप से चार अंगुल नीचे िशनबोन क बाहरी भाग म एक अंगुल चौड़ाई म थत ह। यह वॉइट पूर
शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को सु ढ़ बनाता ह तथा ‘ची’ और र क पुनर ीवन म मददगार पाया
गया ह। उदर और ित ी क मे रिडयंस क िलए इसे उ ी कर।
‘Adjoining Valley’ नामक वॉइट LI-4 दद से राहत िदलाने और ‘ची’ संच रत करने क मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर जो ‘ ज’ बनती ह, उसक िसर पर थत होता ह। यह
आँत क ज रए िवषैले पदाथ को ख म करने क ि या उ ी करता ह। यह ‘ची’ क अव संचरण को भी
मु करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
‘Crooked Pond’ नामक वॉइट LI-11 कोहनी क ‘ ज’ क बाहरी ऊपरी िसर पर थत ह। इसे
एलज िनयंि त करने वाले सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अित संवेदनशील भी ह,
इसिलए इस वॉइट पर ेशर ब त सावधानी से िदया जाना चािहए, अ यथा वह बेहद संवदनशील बन सकता ह।
बड़ी आँत और फफड़ क मे रिडयंस क िलए इस वॉइट पर मािलश जैसा ेशर भी िदया जा सकता ह।

‘Sea of Tranquility’ नामक वॉइट CV-17 ‘बे्र ट बोन’ क आधार से करीब एक हथेली पर े ट
बोन क म य म थर ह। यह छोटी आँत दय क मे रडयंस संतुिलत करने क िलए एक उ म िबंदु ह, जो मशः
हमार शरीर म भावना मक संतुलन लाता ह।
LV-3 पैर क ऊपर अँगूठ और उसक पास वाली उगली क बीच थत ह। यह िवषैले पदाथ को बाहर
िनकालनेवाले सबसे श शाली अंग िलवर और िलवर मे रिडयन म ‘क ’ क वाह को िनयिमत करता तथा
सश बनाता ह। इस वॉइट पर दबाव देने से अ यिधक शारी रक म क कारण गॉल लैडर और िलवर
मे रिडयंस म ई ित को िनयंि त करने म मदद िमलती ह, िजससे मोच और ऐंठन पैदा हो सकते ह।
‘Sunny side of the Mountain’ नामक वॉइट GB-34 घुटने क बाजू म ह ी क उभार क
नीचेवाले ग पर थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु ऊ मा को साफ करता ह और िलवर क
‘ियन’ को उ ी करता ह। चूँिक िलवर ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता म सुधार होता ह। घुटने क अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव आिद म राहत देता ह।

‘Jumping Circle’ नामक वॉइट GB-30 िहप पेन म राहत देनेवाला सबसे मह वपूण वॉइट ह। पूरी
टाँग और पीठ क िनचले िह से म संचरण को उ ी करता ह। इसे िहप और टल बोन क बीच क एक-ितहाई
दूरी पर िनतंब पर ढढ़ा जा सकता ह। इसे पया ेशर क साथ, ज री होने पर अपनी कोहनी से दबाया जाना
चािहए। दबाव दोन तरफ िदया जाना चािहए।

‘Support the Mountain’ नामक वॉइट B-57 आपक टखने क ह ी और घुटने क पीछ म य क
पास िबंदु क लगभग बीच बीच िपंडली क मांसपेशी क िनचले बॉडर क पास बने अंगे्रजी अ र V क म य म
थत ह। यह ेशर वॉइट टाँग म दद और जकड़न को दूर करने म मदद करता ह।
B-58 : यह वॉइट B-57 से अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे और थोड़ा बाहर क ओर थत ह। टाँग म दद
म राहत देता ह।
GB-29 : इस वॉइट क थित जानने क िलए कमर क ऊचाई पर अपनी बे ट क दोन ओर हाथ रिखए।
हाथ को हथेली क चौड़ाई िजतना नीचे िहप बोन पर ले जाएँ। अँगूठ से दोन तरफ दबाएँ। क ह का दद दूर
करने क िलए अित भावी वॉइट ह।
‘Outer Gate’ नामक वॉइट TW-5 कलाई क सलवट से कोहनी क िदशा म करीब तीन अंगुल
चौड़ाई ऊपर, कलाई क बाहरी (िपछले) िह से पर उलना और रिडयस ब स क बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। ‘The Tripple Warmer Channel’ बाँह क पीछ से कधे और
गरदन तक ऊपर जाता ह, िफर एक च र लगाकर गरदन क साइड म आ जाता ह। बाँह, कधे और गरदन से
जुड़ी िकसी भी तरह क सम या क उपचार क िलए इस वॉइट का यापक प से उपयोग िकया जाता ह।
‘Shoulder Well’ नामक यह वॉइट GB-21 गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट को कधे क दोन ओर एक साथ दबाया जा सकता ह। जब
आप िविभ िबंदु पर दबाव दे रह ह , उस समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस ले, तो यह और यादा
लाभ प चाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर का ऊपरी भाग) म ‘ची’ क सामा य वाह को बहाल करता ह। कधे
म तनाव, घबराहट और थकान दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट नह दबाना चािहए।

‘Heavenly Rejuvenation’ अथा TW-15 कध क टॉप से आधा इच नीचे, गरदन क बेस और


कध क बाहरी भाग क बीच बीच थत ह। यह मांसपेिशय क तनाव, अकड़ी ई गरदन और कध क दद से
राहत देता ह।
‘Outer Arm Bone’ अथा LI-14 कधे क टॉप से कोहनी क बीच ऊपर से एक-ितहाई दूर ऊपर आम
क बाहरी सतह पर थत ह। बाँह म दद, कधे म तनाव और अकड़ी ई गरदन म राहत देता ह।
उस रोग क उपचार क िलए र ले सोलॉजी का उपयोग करते ए, चूँिक यह रोग सीधे बे्रन और नवस िस टम
से जुड़ा आ ह, बे्रन, विटकल कॉलम, दय, िलवर, गुरदे, फफड़ जैसे अित मह वपूण अंग तथा िप युइटरी,
ए न स, थायरॉइड पैरा-थायरॉइड जैसी अंतः ावी ंिथय और साथ ही िलंफ ल स, क युला ले स टखन
पर थत ेशर वॉइ स (जहाँ टाँग पैर से िमलती ह, उस े पर और उसक आसपास क) पर िदन म कम-से-
कम एक बार और अगर जकड़न और दद यादा ह तो करीब एक महीने तक, शु आत क 3-4 िदन म िदन म
दो बार और उसक बाद िदन म एक बार और िफर ह ते म दो या तीन बार अ छ से दबाव देना चािहए। ऊपर
बताए गए िविभ अंग से संबंिधत र ले स वॉइ स क थित जानने क िलए कपया पु तक क अंत म िदए
गए हथेिलय और तलव क िच देख।
न 30 : या ए यू ेशर हमार ितर ण तं (इ यून िस टम) को उ ी करने और िवषैले पदाथ
को शरीर से बाहर कर देने म िकसी तरह से उपयोगी हो सकता ह?
उ र : हाँ, ब त से रोग म ए यू ेशर डीटो सिफकशन और ितर ण तं क उ ीपन म यापक प म
उपयोगी पाया गया ह। वा तव म, गुरदे, िलवर, फफड़, बड़ी आँत, हमारा िलंफिटक िस टम और वचा ऐसे
मुख अंग ह, जो िवषैले पदाथ को शरीर से बाहर िनकालने म हमारी मदद करते ह। इन सबसे संबंिधत र ले स
वॉइ स को हमारी हथेिलय और तलव पर आसानी से ढढ़ा जा सकता ह। हमार ितर ण तं को सश बनाने
क अित र हम उससे एक और लाभ उठा सकते ह और वह ह िवषैले पदाथ को शरीर से बाहर िनकाल कर
वजन घटाना। इसक अित र , अगर हम ए नल ल स से संबंिधत र ले स पॉइट, जो पैर क बॉल क ठीक
नीचे थत ह, को दबाएँ तो वह तनाव क मामले म िमल रह ितसाद को िनयंि त करता ह। शरीर क िवषैले
पदाथ बाहर िनकालने म ए न स अ यंत मददगार होते ह।
न 31 : या ए यू ेशर िचिक सा प ित सीखने और ै टस करनेवाले य क िलए िवशेष
श याँ या ब त गहन िश ण ज री होता ह?
उ र : यह कहना सही नह ह िक ए यू ररशर िचिक सा प ित सीखने क इ छक य क पास कछ
िवशेष श याँ होना या उसे यापक िश ण लेना ज री ह। ज रत िसफ इस बात क ह िक आपक मन म यह
प होना चािहए िक कहाँ दबाव देना ह, िकतने समय तक और िकतनी ताकत से दबाव देना ह। आमतौर से
िकसी कशल ोफशनल क संर ण म ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जाना चािहए। इसक
अित र , आप जो कछ कर रह ह, उसे लेकर आपम आ मिव ास होना चािहए परतु अित आ मिव ास भी
ठीक नह होगा। अपने प रवार म िकसी सद य या िम क मदद करने क उ े य से उन वॉइ स पर दबाव देने,
क िलए िकसी िवशेषीकत िश ण क ज रत नह ह। िजनक बार म पहले ही बताया जा चुका ह, परतु जिटल
रोग क िचिक सा या वतं प से ए यू ेशर र ले सोलॉजी क ोफशनल इ तेमाल क िलए िवशेष कार का
िश ण आव यक होगा।
न 32 : ए यू ेशर से अिधकतम लाभ उठाने क िलए या कछ ेशर वॉइ स िनधा रत िकए जा
सकते ह, िजन पर रोज दबाव िदया जा सक? उनक थत और उपयोिगता क बार म भी बताएँ।
उ र : हमार पूर शरीर पर ब त सुिवधाजनक थल पर मौजूद कछ ेशर वॉइ स क ज रए ए यू ेशर का
अिधकतम लाभ देने क िलए 12 मा टर वॉइ स को दबाने का दैिनक काय म तैयार िकया जा सकता ह। येक
वॉइ स पर 30 सेक स से लेकर एक िमनट तक ह का म यम तर का दबाव िदया जा सकता ह। इस तरह
िनधा रत दैिनक वकआउट पूरा करने क िलए इन मह वपूण वॉइ स तक प चने म लगनेवाले समय सिहत
आपको अिधक-से-अिधक 20 िमनट लगगे और आप वयं देख सकगे िक आपको िकतना फायदा आ ह।
उनका आसानी से पता लगाने क िलए इन वॉइ स को सामने िदए गए िच म दरशाया गया ह।

सं या 1 : Li-4, िजसे ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस सलवट पर थत ह, जो अँगूठ


और तजनी को िमलाने से बनती ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा
दािहने हाथ पर दबाव िदया जा सकता ह। उसे िसरदद और शरीर क अ य भाग म दद दूर करने, मांसपेिशय क
तनाव को दूर करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे
भावी ए यू ेशर एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह बाउल मूवमट को भी सि य करता ह।
गभवती मिहला को यह वॉइट नह दबाना चािहए य िक इससे गभपात हो सकता ह।
सं या 2 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात LI-11, अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ते समय
बननेवाली सलवट क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव
दीिजए। दबाने पर यह वॉइट ब त संवेदनशील हो जाता ह इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह
शरीर से अ यिधक गरमी और नमी दूर करने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने क िलए भी ब त
उपयोगी ह। एलज दूर करने और टिनस ए बो क उपचार क िलए भी यह एक मह वपूण वॉइट ह।

सं या 3 : ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ नामक SP-6 टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग क
िदशा म थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से चार अंगुल ऊपर ह। जैसा िक इसक नाम से
प ह िक यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ तीन मे रिडयंस अथा ित ी,
िलवर और गुरदे क ‘ियन’ को पु करता ह। इसे नारी अंग को िनयिमत करनेवाला ‘मा टर पॉइट’ भी माना
जाता ह और इसीिलए मािसक धम को िनयिमत करने, मोच म आराम प चाने, रजोिनवृि को सुगम बनाने
इ यािद क िलए उपयोगी ह। गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।

सं या 4 : ST-36 (नी-कप) से चार अंगुल नीचे क ओर थत ह। इस वॉइट को दूसर पैर क एड़ी से भी


दबाया जा सकता ह। Sp-6 क साथ उपयोग िकए जाने पर श दान करने क िलए वह ‘ची और र ’, दोन
को टोन अप करता ह। इस मा टर वॉइट को ी माइल फट क नाम से भी जाना जाता ह।

सं या 5 : ‘िबगर रिशंग’ क नाम से ात LV-3 पैर क अँगूठ और इसक पासवाली उगली क संिध- थल पर
थत ह। यह वॉइट अकसर ब त संवेदनशील पाया गया ह, इसिलए शु आत ह क दबाव से कर और उसे धीर-
धीर म यम दरजे तक ले जाएँ। अगर इस वॉइट पर दबाव दोन पैर पर एक साथ िदया जाए तो बेहतर होगा। यह
शरीर म ‘ची’ क िन लता को रोकता ह तथा तनाव दूर करने और ितर ण तं को मजबूत बनाने म ब त
मदद करता ह। इस वॉइट क मह व क बार म बोलते ए कभी-कभी कछ सुिव यात ए यू ेशर/ए यूपं र
िचिक सक कहते ह िक अगर आप से शरीर क कवल एक वॉइट को दबाने क िलए कहा जाए, तो इसी वॉइट
को दबाएँ।

सं या 6 : Kd-3 टखने क िपछले िसर पर टखने क ह ी और एिकिलस टडन (नस) क बीच थत ह।


इस वॉइट को ‘सु ीम ीम’ क नाम से जाना जाता ह। इसे पूर शरीर क ‘ियन और यांग’ क जड़ क प म
जाना जाता ह। और िकडनी मे रिडयन क मामले म यह मु यतः ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस
मे रिडयन और पूर शरीर पर एक जबरद त टोनीफाइग भाव पड़ता ह।

सं या 7 : B-23 यह पॉइट, जो गुरदे से संबंिधत ह, आपक नािभ क तर से ऊपर और पीठ क क क


नीचे मे दंड क दोन ओर डढ़ इच क दूरी पर थत ह। आपक पीठ पर मे दंड क दोन ओर थत इन वॉइ स
को हाथ क सहायता से आसानी से उ ी िकया जा सकता ह। Kd-3 क साथ िमलकर यह वॉइट गुरदे क
‘ची’ को तेजी से टोन अप करता ह।
सं या 8 : Gb-20 ‘िवंड पूल’ भी कहा जाता ह, खोपड़ी क बेस पर, गरदन क हयरलाइन से अँगूठ क
चौड़ाई िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग पर थत ह। दोन हाथ क अँगूठ क
सहायता से आसानी से साथ-साथ दबाव िदया जा सकता ह। यह वॉइट गरदन क अकड़न, िसरदद, कधे म दद/
भारीपन आिद म ब त उपयोगी ह तथा ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत करता ह।
सं या 9 : सी ऑफ लड, SP-10 जाँघ क मांसपेशी क अ वत उभार पर, घुटने से दो अँगूठ िजतनी
चौड़ाई ऊपर थत ह। यह वॉइट र को िन य होने से, िवशेष प से िनचले उदर- े म रोकता ह। यह
वॉइट वचा क पोषण म भी िवशेष प से उपयोगी ह।
सं या 10 : ST-40 पैर क बाहरी ओर क टखने क ह ी और घुटने क म यभाग क बीच बीच थत ह।
िटिबआ का पता लगाएँ और ह ी से दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना बाहर क ओर जाएँ। यह े मा ( यूकस)
और कजे न को कम करने म ब त मददगार ह।
सं या 11 और 12 : िच म िदखाए गए अनुसार अित र वॉइ स ये कलाई क सलवट और कोहनी क
सलवट क बीच कलाई (फोरआ स) क म य भाग म थत ह। जहाँ दािहनी भुजा पर थत वॉइट ऊजा क य
को रोकता ह, बाई भुजा क म य िबंदु से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे (कलाई क ओर) थत
वॉइट (िजसे PC-4 भी कहा जाता ह) दय को उ ी करने म ब त मददगार पाया गया ह।

न 33 : या ए यू ेशर अ लता (एिसिडटी) को िनयंि त करने म मदद कर सकता ह?


उ र : इस ल ण क उपचार क बार म कछ कहने से पहले बेहतर यह होगा िक हम उसक कारण क बार म
कछ जान, तािक जहाँ तक संभव हो, उन कारक से बचकर हम एिसिडटी पैदा ही न होने द।
ब त से लोग एक या अिधक ल ण , उदाहरण क िलए गैस बनने, डकार, उदर-वायु और ासनली
(इसोफगस) क े म जलन से पीि़डत रहते ह। इसक कारण क ओर नजर डालने पर हम आसानी से कह
सकते ह िक गलत खानपान इसका मु य कारण हो सकता ह। कछ लोग िकसी िवशेष कार क या िमच
मसालेवाले भोजन या तले ए यंजन क ित संवेदनशील हो सकते ह। इस सम या को बदतर बनाने का एक
और कारक तनाव भी हो सकता ह। िकसी एंटिसड या अ य िचिक सक य उपाय का सहारा लेने क बजाय हमारा
दीघकािलक ल य खानपान म सुधार होना चािहए।

सौभा य से तनाव को कम करने म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी क एक बड़ी भूिमका ह। िलवर, उदर, बड़ी
तथा छोटी आँत, ासनली आिद से संबंिधत र ले स वॉइ स पर दबाव देने से शु आत कर। इन े क
नजदीक थित पु तक क अंत म िदए गए र ले सोलॉजी चाट से जानी जा सकती ह।
तजनी और अँगूठ क संिध थल पर थत LI-4 वॉइट पर दबाव दीिजए। इस वॉइट को दोन हाथ पर
बारी-बारी से दबाया जा सकता ह। यह अंति़डय क सि यता बढ़ाता ह तथा क ज और पेट फलने क थित म
भी राहत देता ह।
ST-36 अथा ‘ ी माइल पॉइट’ िजसे घुटने क िनचले िसर से चार अंगुल नीचे तथा िशन बोन से एक अंगुल
बाहरी ओर आसानी से खोजा जा सकता ह, एक ‘गे ोइट टाइनल टॉिनक’ क प म काय करता ह। यह क ज
दूर करता ह, गैस बनने और पेट फलने से भी बचाता ह। इस वॉइट पर 30 से लेकर 60 सेक स तक दबाव
दीिजए।
इसक बाद ित ी, िलवर और गुरद क मे रिडयंस क संिध थल पर थत वॉइट SP-6 पर जाइए। यह टखने
क ह ी से ऊपर, आपक टाँग क भीतरी भाग म थत ह। गभवती मिहला क िलए इस वॉइट को दबाना
विजत ह।
LV-3 एक और ेशर वॉइट ह। जो तनाव दूर करने म ब त लाभदायक पाया गया ह। यह पैर क अँगूठ और
उसक पासवाली उगली क बीच थत ह तथा पेट फलना, मतली, उलटी और पेटदद जैसे िवकार को दूर करता
ह।
CV-12 े ट बोन और नािभ क बीच थत यह वॉइट अपच सीने म जलन और पेटदद दूर करने म सहायक
होता ह।
न 34 : एलज दूर करने म ए यू ेशर िकस तरह सहायक हो सकता ह?
उ र : िकसी पदाथ क ित संवेदनशील होने को ‘एलज ’ कहा जा सकता ह। कारण कोई िविश खा
पदाथ, जैसे कला या अंडा, धूल, पराग, पालतू जानवर क बाल या िकसी खास तरह का कपड़ा, कछ भी हो
सकते ह। यहाँ तक िक एक छोटा सा कण भी एलिजक रए शन पैदा कर सकता ह, िजसक प रणाम व प नाक
बहना, छ क, आँख लाल होना, साँस लेने म परशानी, मोच और बुखार जैसी सम याएँ हो सकती ह। आमतौर
पर, हमारा ितर ण तं िह टमाइन नामक रसायन रलीज करक वयं ही इनसे िनपटने क कोिशश करता ह।
एलज क कई ल ण से छटकारा पाने क िलए ए यू ेशर एक भावी तरीका ह। शरीर म ऊजा क वाह को
संतुिलत करक ऐसा िकया जाता ह। ेशर थेरपी हमार तं को इतना सश बना सकती ह िक एलिजक िति या
दोबारा न होने पाए। ज द आराम पाने क िलए हम नीचे विणत वॉइ स म से एक या अिधक वॉइ स का
उपयोग कर सकते ह।

LV-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच क घाटी पर थत ह। उसपर करीब
30-45 सेक स तक दबाव दीिजए। यह ि या सभी कार क एलिजक िति या, िवशेष प से लाल आँख
और यूरोम युलर िवकार म आराम प चाती ह।

LI-4 ‘एंटी िह टमाइन पॉइट’ माना जाता ह। यह आपक अँगूठ और तजनी क संिध थल क म य म थत ह।
इसे दबाएँ और धीर-धीर दबाव कम कर। दोन हाथ पर बारी-बारी से 60 सेक स तक यही ि या 3-4 बार
दोहराएँ। सव क समय पीड़ा बढ़ाने क िलए इसका सफलतापूवक उपयोग िकया जा सकता ह, गभवती
मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
TW-5 को कलाई क सलवट से दो अंगुल ऊपर, फोरआम क ऊपरी भाग पर पाया जा सकता ह। यह हमार
ितर ण तं को सश बनाकर एलज से राहत िदलाता ह।
LI-11, िजसे ‘करकड पॉ ड’ भी कहा जाता ह, कोहनी क सलवट क ऊपरी और बाहरी िसर पर थत ह।
एलज को िनयंि त करने क िलए इसे सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अित संवेदनशील
भी ह, इसिलए इस डर से िक वह अ यंत संवेदनशील न बन जाए, िक कपड़ क पश से भी दद होने लगे, इसपर
दबाव पूरी सावधानी से तथा ह का िदया जाना चािहए। इस वॉइट पर मािलश जैसा दबाव भी िदया जा सकता ह।

B-10 खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे, मे दंड क दोन ओर आधा इच क दूरी पर थत ह। इसे
‘हवनली िपलस’ का नाम िदया गया ह और यह सूजी ई आँख, िसरदद, थकान जैसे एलिजक रए शंस से
छटकारा िदलाता ह। अपनी उगिलय को िसर क पीछ फसाकर, गरदन पर पकड़ बनाते ए इस वॉइट पर करीब
एक िमनट तक ढ़ता से सधा आ ेशर िदया जा सकता ह।

K-27 े टबोन क बाजू म, कॉलरबोन क नीचे हॉलो म थत ह। यह छाती म जकड़न, साँस फलना, दमा,
गल-शोथ (सोर ोट) आिद क प म कट ई एलज को दूर करने म सहायक ह। इसे ‘एलीगट मशन’ नाम
िदया गया ह।
बी-2 : ‘गेदड बबू’ क नाम से ात, नाक क ि ज क पास, छोटी खाली जगह म, आई सॉक स क भीतरी िसर
पर थत ह। यह िसरदद, साइनस कजे न और एलज क अ य ल ण को दूर करने म सहायक ह।
LI-20 आपक ऊपरी ह ठ से ऊपर, नथुन क ठीक नीचे दोन ओर थत ह। दोन हाथ क तजनी से आँख
क िदशा क ओर एक साथ दबाव दीिजए। वेलकम गरस क नाम से ात, यह वॉइट नाक से जुड़ी एलज ज
िवशेष प से टफ नोज और साइनस म अ यिधक लाभदायक ह। एक िमनट तक दबाव िदया जा सकता ह।
SI-18 एक और मह वपूण वॉइट ह, िजससे खास तौर पर साइनस कजे न से छटकारा पाने क िलए,
अिधकतम लाभ उठाया जा सकता ह। ‘चीक बोन िवस’ नामक यह पॉइट, जैसा िक इसक नाम से जािहर ह,
गाल क ह ी क म य म थत ह और उसे चीक बोन क ठीक नीचे, दोन हाथ क तीन उगिलयाँ रखकर और
अपने चेहर को उगिलय म धँसाते ए एक िमनट तक दबाव िदया जा सकता ह।
‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात CV-6 नािभ से दो अंगुल नीचे थत ह। यह क ज, गैस, थकान,
कमजोरी, आिद क बाद होनेवाली एलज से छटकारा िदलाता ह।
ST-36 एलज रोकने और उससे आराम िदलाने क िलए पूर शरीर को सश बनाता ह। इसे ी माइल वॉइट
कहा जाता ह।
नोटः यह ज री नह िक सभी पॉइटस एक ही बैठक म दबाए जाएँ। उपल ध समय क अनुसार आप एक
समय म दो या तीन पॉइ स का उपयोग कर सकते ह।
न 35 : कठ-शूल (एंजाइना) या ह और य होता ह? या ए यू ेशर इसक उपचार म कोई मदद
कर सकता ह?
उ र : सीने क े म उठ दद, जो कधे, बाई भुजा और कभी-कभी किन ा क िसर तक फल जाता ह। इसे
एंजाइना कहते ह। यह दय क ओर जाने वाली धमिनय म िकसी अवरोध या उनक िसकड़ने क वजह से दय
क मांसपेशी तक पया मा ा म ऑ सीजन न प च पाने क कारण होता ह।
ज दी गु सा आना, आल य ( यायाम न करना), धू पान (जो र म काबन मोनोऑ साइड का तर बढ़ा
देता ह) इस रोग का एक कारण हो सकता ह। परतु मु य अपराधी ह वसायु भोजन, य िक उससे
र वािहकाएँ सँकरी हो कर र क आपूित को बािधत करती ह और प रणाम व प दय क िलए आव यक
ऑ सीजन उस तक नह प च पाता।
पारप रक िचिक सा िविधयाँ तेज दवा से दय रोग का इलाज करती ह िजससे कॉले ोल का तर कम और
उ र चाप िनयंि त हो जाता ह। एंिजयो ला टी और बाइपास सजरी जैसे िवक प भी उपल ध ह। परतु,
जोिखम और दु भाव से भरपूर दवाइय और सिजकल ि यािविधय पर भारी खच आता ह, िजसे आम आदमी
वहन नह कर पाता। रसच ने दरशाया ह िक ए यू ेशर जैसे ाकितक उपाय से िदल क दौर का जोिखम काफ
कम हो जाता ह। परतु चेतावनी क तौर पर दो श द : अगर एंजाइना अटक या दय क दशा गंभीर हो, तो िबना
व गँवाए िचिक सीय सहायता ली जानी चािहए। ए यू ेशर कवल एक िनरोधक उपाय या ाथिमक उपचार क
तौर पर उिचत ह। िफर भी पारप रक िचिक सा प ित क अंतगत चल रह उपचार क साथ-साथ ए यू ेशर
िचिक सा जारी रखने म कोई हािन नह ह, य िक वह रोगी/रोिगय क ठीक होने क गित म तेजी लानेवाला उपाय
पाया गया ह और उसक सकारा मक प रणाम को देखते ए कई िति त अ पताल क उ अहता ा दय
रोग िवशेष ने अपने इलाज म इस तकनीक का समावेश करना शु कर िदया ह।
शु आत म HT-7, िजसे ‘माइड डोर’ भी कहा जाता ह, को दबाया जाना ज री ह। यह वॉइट आपक बाई
कलाई क बाहरी भाग क ह ी क बगल म थत ह। ठीक उसी े म, जहाँ हथेली और कलाई िमलते ह। यह
हाट मे रिडयन का ोत िबंदु ह और अ यिधक भावी भी। यह न कवल दय का पोषण करता ह, ब क मन को
शांत करक भावना को मधुर भी बनाता ह।
PC-6 को ‘हाट ोट टर’ क नाम से भी जाना जाता ह। जैसा इसक नाम से जािहर ह, इस मह वपूण वॉइट
को दबाने से दय सश बनता ह। यह दय े म हो रह दद और बेचैनी को भी दूर करता ह। इसक
अित र , यह दय े म, ची और र क वाह को पहले क तरह सुगम बनाता ह। दोन हाथ पर थत इस
वॉइट पर मजबूती से, िकतु म यम दरजे का दबाव दीिजए, िवशेष प से बाएँ हाथ पर इसक अविध एक समय
म 30 सेक स ह। दबाव धीर-धीर बढ़ाएँ और वैसे ही घटाएँ। दबाव को 2-3 बार दोहराया जा सकता ह। इस
वॉइट क ठीक-ठीक थित कलाई क हथेलीवाली िदशा म, कलाई क सलवट से दो अँगूठ िजतनी चौड़ाई
ऊपर बाँह क म य म ह।
सीने क े म िकसी भी कार क तकलीफ म PC-4 अ यंत लाभदायक ह। ‘ े ट गेट’ क नाम से ात
यह वॉइट कोहनी क सलवट और कलाई क सलवट क बीच बीच थत ह। इसक ठीक-ठीक थित जानने
क िलए आपको उपरो म यिबंदु से, कलाई क िदशा म एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे आना होगा।
वा तव म जब दद या तकलीफ यादा हो तो यही वह वॉइट ह, िजसे सबसे पहले दबाया जाना चािहए। दोन
बाँह पर दबाव देना ज री ह। धड़कन बढ़ जाने क थित म भी यह वॉइट मददगार पाया जा सकता ह। दद
ब त यादा होने पर इस वॉइट पर म यम दरजे का दबाव 3-4 बार दोहराया जा सकता ह।
इस सीिटग का कोस पूरा करने क िलए LI-4 और LV-3 पर दबाव दीिजए। इन दोन क मेल को ‘फोर
गे स’ का नाम िदया गया ह और हमार भीतर शरीर म मे रिडयंस क पूरी रज म ‘ची’ को वािहत करने क
अपनी मता क िलए जाना जाता ह। हमारी अव ऊजा को मु करक यह हम शारी रक और मानिसक,
दोन तरह से लाभ प चाता ह तथा दय को व थ बनाए रखने म भी लाभदायक ह। इन वॉइ स क थित क
बार म न सं. 32 क उ र म बताया जा चुका ह।
न 36 : अंगे्रजी श द ‘Worry’ और ‘Anxiety’ म या फक ह? या इनसे छटकारा पाने
म ए यू ेशर मदद कर सकता ह?
उ र : यह एक मािणत त य ह िक शारी रक क क अपे ा मानिसक तनाव यादा ऊजा का उपभोग
करता ह। यह माना जाता ह िक ज रत से यादा सोचने से हमार शरीर म काफ ऊजा खच हो जाती ह और वह
शरीर को अ याव यक ‘ची’ से भी वंिचत कर देती ह। दूसरी ओर, इस बात से भी इनकार नह िकया जा सकता
ह िक िचंता (वरी) हमार जीवन का एक वाभािवक अंग ह और वह हमार जीवन म आनेवाली चुनौितय का
सामना करने क िलए हम तैयार करती ह। वा तव म एं जाइटी और वरी, दोन एक-दूसर से संबंिधत ह। जहाँ
एं जाइटी हािलया घटना पर अिधक कि त होती ह। िचंता का फोकस भिव य होता ह। एं जाइटी का दौरा पड़ने
पर आपको ऐसा महसूस हो सकता ह, जैसे आपका िदल डब रहा हो, साँस फलना और मानिसक अशांित अ य
ल ण हो सकते ह। Worry क थित म आपक ऊजा का य होता ह। एं जाइटी और वरी से कभी-कभी
ऊजा ित ी और उदर मे रिडयंस म इक ी हो जाती ह, ये मे रिडयंस मानिसक गितिविधय को शािसत करते ह।
जब तक इन मे रिडयंस म ‘ची’ का संतुलन बना रहता ह हम बेहतर ढग से सोच पाते ह, जीवन क मह वपूण
पहलु पर पया यान दे पाते ह, हमारा पाचन तं भी मजबूत बना रहता ह तथा आप और हम बेहतर ढग से
सोच सकते ह तथा िव ेषण कर पाते ह। जैसे ही यह संतुलन िबगड़ता ह, हमारी तकश ीण होने लगती ह
और वह िचंता को ज म देती ह। उदर एवं ित ी से संबंिधत मे रिडयंस म ची का असंतुलन हाट मे रिडयन म भी
गड़बड़ी पैदा करता ह। इटर यू, परी ा, पहला भाषण आिद कछ ऐसे उदाहरण ह, जो हमार जीवन म एं जाइटी क
आम कारण होते ह। उस घटना क हो चुकने पर वरी और एं जाइटी अपने आप ख म हो जाती ह। परतु अगर
एं जाइटी लंबे समय तक जारी रहती ह और हमार रोजमरा क कामकाज म दखल देने लगती ह या सं ास
(पैिनक) क दौर या भय (फोिबया) से जुड़ जाती ह तो िबना समय गँवाए डॉ टर क मदद ली जानी चािहए। नीचे
क गई चचा क अनुसार हमारी टीन िदनचया वरी और एं जाइटी म से अिधकांश पर ए यू ेशर क उपयोग से
काबू पाया जा सकता हः

GB-13 : भ ह क बाहरी िसर पर जाइए और एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर ठीक उस े तक जाइए,
जहाँ से बाल शु होते ह। यह वॉइट मन को शांत करता ह और एं जाइटी दूर करता ह। इसे ‘माइड ट’ क नाम
से जाना जाता ह।
‘माइड कोटयाड’ क नाम से ात यह वॉइट माथे पर हयरलाइन क ठीक भीतर क ओर थत ह। यह भी मन
को शांत करता ह। करीब एक िमनट तक म यम दरजे का, िकतु मजबूती से दबाव दीिजए और िफर मशः
दबाव हटा लीिजए।
‘माइड डोर’ नामक वॉइट H-7 कलाई पर हाट मे रिडयन पर थत ह तथा िचंता और भय कम करने क िलए
ब त भावी वॉइट माना जाता ह। इसक ठीक-ठीक थित आपक बाई कलाई क बाहरी भाग म कलाई क
सलवट और उठी ई ह ी क बीच ह। ेशर दोन हाथ पर, हर हाथ पर 30 सेक स तक मजबूती से और
धीर-धीर रलीज करते ए िदया जाना चािहए।

K-27 कॉलरबोन क नीचे े टबोन क बाजू म बने ग पर थत ह। यह ब त सश वॉइट ह तथा


िसरदद, मानिसक तनाव, सामने आई थित को ठीक से न समझ पाना, िचंता और धड़कन बढ़ने जैसे िवकार को
दूर करने म मदद करता ह। ‘ ेट मे ोपोिलस’ नामक वॉइट SP-2 पैर क भीतरी भाग म अँगूठ क बेस म थत
बड़ संिध थल जोड़ (जॉइट) पर थत ह। यह बेचैनी दूर करता ह तथा उदर और ित ी क मे रिडयंस म ‘ची’
क वाह का िनयमन करता ह एवं इस तरह हाट मे रिडयन क भी मदद करता ह।

LV-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच म थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म, िजतना बताया जाए, वह कम होगा। यह िनणय लेते समय होनेवाली िचंता और तनाव को दूर करता ह।
यह िलवर तथा ‘ची’ क सुगम वाह का िनयमन करता और िलवर को मजबूत भी बनाता ह।
अगर समय हो तो उदर, िलवर, ित ी, रीढ़ क ह ी का पूरा भाग, अथा पैर क अँगूठ क ऊपरी भाग से
लेकर एड़ी, चे ट ए रया, िजसम िवशेष जोर दय और फफड़ पर िदया जाए, से जुड़ र ले स ए रयाज पर
दबाव देने क िलए कछ समय िबताएँ। िप यूइटरी थायरॉइड एवं ए न स तथा डाय ाम क आसपास क े पर
भी दबाव दीिजए। इनसे संबंिधत े क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए िच क मदद ल।
न 37 : गिठया (आथराइिटस) या ह? या ब - चा रत यायाम क दैिनक काय म और
ए यू ेशर क मदद से उस पर काबू पाया जा सकता ह?
उ र : गिठया का अथ ह जोड़ म या उनक आसपास क े म सूजन, िजसका प रणाम दद और कड़ापन
ह। य िप 100 से अिधक कार क जोड़ ात ह, िफर भी उनम से अिधकांश को दो वग म बाँटा जा सकता हः
(क) ओ टयोआथराइिटस (ओ.ए.) तथा
(ख) आथराइिटस क सूजन वाली टाइप म मेटॉइड आथराइिटस (आरए) शािमल ह, जबिक बसाइिटस और
टडनाइिटस, जो टट-फट (िवअर एंड िटअर) से पैदा ए बदलाव क कारण होते ह, को आथराइिटस क दायर म
नह माना जाता।

आथराइिटस एंड मेिट म नामक जनल म जुलाई 2002 म छपे एक अ ययन क प रणाम इस बात क पुि
करते ह, िक अगर आप चल-िफर नह तथा अपनी मांसपेिशय को मजबूत और जोड़ को लचीला न बनाए रख,
तो आपक गिठया संबंधी सम याएँ और बढ़ जाएँगी। घुटने क ऑ टयोआथराइिटस से पीि़डत 107 लोग पर
िकए गए अ ययन क िन कष क बाद शोधकता ने ितभािगय से पूछा िक आथराइिटक सम या क उ हो
जाने क दौरान वे िकस हद तक शारी रक गितिविधय से बचते ह। शोधकता का िन कष था िक िजन लोग ने
अपनी गितिविधयाँ बंद कर दी थ , उनक पंगु होने क संभावना उन लोग से यादा थी िज ह ने अपनी गितिविधयाँ
जारी रखी थ , भले ही कछ प रवतन क साथ ऐसा िकया हो। एक और अ ययन म शोधकता ने पाया िक
मेटॉइड आथराइिटस से पीि़डत उन मिहला क ऊव थ (फमर बोन) भी अिधक ठोस और मजबूत थी
िजनक जाँघ क मांसपेिशयाँ सबसे यादा मोटी थ । यह िन कष ऑ टयोपोरोिसस से होनेवाले क दायक
स को रोकने क ि से मांसपेिशय और ह य को सश बनाए रखने म यायाम का मह व दरशाता
ह। यायाम फाय ोमाय जया से पीि़डत लोग क उपचार का सबसे भावी मा यम बन सकता ह, य िक वह
मांसपेिशय म गहर दद, हमेशा बनी रहनेवाली थकान और परशान कर देनेवाले अ य ल ण से राहत देने म मदद
करता ह।
गिठया से पीि़डत लोग क िलए यायाम क और भी कई लाभ ह। िनयिमत यायाम िदमाग म अ फा तरग
उ प करता ह, जो सुकन का एहसास देती ह, िचंता और तनाव कम करती ह और य को स िच बनाती
ह। इसक अित र , यायाम क दौरान शरीर एंडोिफस रलीज करता ह, िदमाग क ये रसायन ाकितक प से
मूड सुधारनेवाले और ददिनवारक ह। परतु अगर आप अपना इलाज करवा रह ह और यायाम का काय म शु
करना चाहते ह, तो पहले अपने डॉ टर से पता कर िक कह उनक ारा बताई गई कोई दवाई से हाट-रट या
र चाप म तो भाव नह पड़ रहा। शु आत म आप िकतना किठन यायाम कर सकते ह, इस बार म उनसे
सलाह भी ल। गिठया क मरीज ारा उठाए गए िन निलिखत कदम ब त लाभदायक िस ह गे।
कदम 1 : यायाम करने से पहले गिठया- त जोड़ या दद करती मांसपेिशय पर 15 िमनट तक नमीयु
हीट से सक दे या बरफ रगड़। नमीयु हीट र धमिनय को फला देती ह िजससे ददवाले थल तक र और
ऑ सीजन का वाह सुगम हो जाता ह। आप एक नमीयु हीिटग पैड या गरम पानी से भीगा आ टॉवेल
इ तेमाल कर सकते ह। आप शॉवर क नीचे खड़ या बैठ भी सकते ह तािक भािवत अंग पर गरम पानी िगर
सक। यायाम करने क कछ िमनट बाद अगर कछ िमनट क िलए यही ि या दोहराई जाए तो जोड़ का
कड़ापन कम होने म मदद िमलेगी। कछ मरीज आइसपै स को ाथिमकता देते ह, जो र धमिनय को संकिचत
बना कर सूजन और दद कम करता ह। कछ शोध काय क िन कष क अनुसार गाउट जैसी गिठया म ‘आइस
पै स’ मददगार हो सकते ह। गीले गरम तौिलए और बफ क बारी-बारी से इ तेमाल करने से सबसे अ छ
प रणाम िमल सकते ह। सबसे यादा मह वपूण िकसी ऐसी िचिक सा प ित का पता लगाना ह, जो दद से
छटकारा िदलाती हो और आपक िलए सव म हो। यायाम से पहले और बाद म उसे अपनी आदत बना लीिजए।

कदम 2 : यायाम को िव ाम क अविध से संतुिलत क िजए, य िक यायाम क एक स क बाद गिठया से


पीि़डत अिधकांश रोगी परशानी महसूस करते ह। अगर आपका दद या तकलीफ नमी-यु गरम िसंकाई या बफ
रगड़ने से कम न हो तो थोड़ी देर और आराम कर। यादा से यादा 24 घंट क िव ाम और गरम या ठडी
िसकाई, जो आपक िलए उपयु हो, क बाद िफर से यायाम शु क िजए। यह सुिन त कर िक इस बार
पुनरावृि कम ह और यायाम क बाद, गरम या ठडी िसकाई कर। इस पूरी ि या क अविध धीर-धीर बढ़ाएँ।
कदम 3 : अगर िकसी यायाम क दौरान आपका दद ब त यादा बढ़ जाए तो डॉ टर से बात करने तक उसे
बंद कर द। परतु थोड़ी परशानी क बावजूद अगर आप उसे जारी रख सकते ह तो उसे कम बार दोहराएँ और िफर
मशः बढ़ाएँ। याद रख िक अगर आपक जोड़ म सूजन ह तो कछ तरह क यायाम ठीक नह ह गे। इसिलए
अपने यायाम का काय म जारी रखने से पहले अपने डॉ टर से बात कर। दद या तकलीफ बढ़ने पर यान रख
िक यायाम और िव ाम क बीच संतुलन बना रह।
ऐसे ए यू ेशर वॉइ स ह, जो िक ह खास जोड़ को मजबूत बनाते ह तथा गिठया और मेिट म क ल ण
से छटकारा िदलाते ह। हर रोज इन वॉइ स पर उगिलय से दबाव देकर तथा गरम और ठडी िसकाई करक आप
सम प से अपने हालात म सुधार ला सकते ह और गिठया पर काबू पा सकते ह।

1. LI-4 : अँगूठ और तजनी को जोड़ रखने क थित म मांसपेशी क सबसे ऊचे थल पर थत ह। इन दोन
क संिध थल पर दबाव देते ए तजनी क आधार वाली ह ी क ओर जाएँ। सूजन कम करनेवाला यह वॉइट
पूर शरीर म गिठया से पैदा ए दद, िवशेष प से हाथ , कलाइय , कोहिनय और कध म से छटकारा िदलाने म
लाभदायक ह।
2. LU-10 : हाथ क हथेली क ओरवाले भाग म अँगूठ क बेस पर बने बड़ पवत क म य म थत ह। अँगूठ
और हथेली क संिध थल पर बने पैड क म य म अ छा खासा दबाव दीिजए। यह वॉइट हाथ म गिठया क
िशकायत दूर करता ह।
3. TW-5 : अपना हाथ पीछ क ओर मोड़कर आप इसका पता लगा सकते ह। यह वॉइट आपक फोरआम
क बाहरी भाग म कलाई क सलवट से डढ़ इच नीचे थत ह। अलना और रिडयस क बीच जोर देकर दबाएँ।
अ छा दबाव देने क िलए अपनी कलाई को मु ी म कस ल। येक बाँह पर थत इस वॉइट को कसकर
पकड़। यह वॉइट कध म जकड़न या दद को दूर करने म सहायक ह। यह वचा क लचीलेपन और मांसपेिशय
क टोन म सुधार लाने म भी मदद करता ह।
4. LI-10 : अपनी बाँह को इस तरह से मोड़ िक कोहनी क जोड़ पर एक रखा बन जाए, पर इसका पता
लगाया जा सकता ह। यह वॉइट इस रखा क िसर से हाथ क िदशा म करीब एक इच दूर एक मांसपेशी पर
थत ह। फोरआम क मांसपेशी क म य म दबाव मशः बढ़ाइए। सूजन दूर करनेवाला यह वॉइट शरीर क
ऊपरी भाग, िवशेष प से हाथ, कलाई और कोहनी क जोड़ म गिठया से राहत देता ह। दद, मांसपेिशय और
जोड़ म थकान दूर करने क िलए इस वॉइट का ब त मह व ह। दोन बाँह पर थत यह वॉइट शरीर क ऊपरी
भाग, िवशेष प से हाथ, कलाई और कोहनी क जोड़ म गिठया से राहत देता ह। दद, मांसपेिशय और जोड़ म
थकान दूर करने क िलए इस वॉइट का ब त मह व ह। गिठया क मरीज, सुबह जब भी वे सोकर उठ, दोन
बाँह पर थत इस वॉइट को दबाने क आदत डाल ल।
5. LI-11 : हाथ मोड़ने पर बनी रखा क बाहरी िसर पर कोहनी क जोड़ पर यह थत ह। अपनी बाँह को थोड़ा
सा मोड़कर इस वॉइट पर कछ देर तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव डाल। यह जोड़ , िवशेष प
से कोहनी और कध क जोड़ म सूजन से राहत देता ह।
6. SI -10 : यह वॉइट बाँह और पीठ क संिध थल पर कधे क ह ी क टॉप और बगल क बीच बनती रखा
क िपछले िह से क बीच थत ह। कधे क जोड़ पर बनी मांसपेशी क र ु (काड) को दबाएँ। यह वॉइट
गिठया, बसाइिटस और मेिट म से राहत देता ह। कधे और पीठ क ऊपरी भाग म दद को भी दूर करता ह।
7. TW 15 : कधे क शीष अथा आपक गरदन क बेस क बाहरी भाग और कधे क बाहरी भाग क बीच,
थल से करीब आधा इच नीचे थत ह। येक शो डर लेड क म य भाग से ऊपर कधे क मांसपेिशय पर
ह क से, परतु मजबूती से दबाव डाल। मेिट म सिहत कधे और गरदन क अकड़न ( टफनेस) और दद म
आराम देता ह।
8. B-10 : मे दंड से बाहर क ओर एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर, गरदन क ऊपरी भाग पर थत ह।
अपनी चार उगिलय और अँगूठ क बीच गरदन क मांसपेशी भ चते ए गरदन का िपछला भाग पकड़। गरदन
और पीठ म अकड़न और दद पर काबू पाने म यह िवशेष प से लाभदायक ह।
9. GB-20 : यह खोपड़ी क बेस क नीचे िववर (हॉलो) म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर कछ देर
तक एक साथ ह क से म यम दरजे तक का दबाव डालना चािहए। यह गिठया दद, पीठ दद और गरदन म
अकड़न ( टफनेस) से छटकारा िदलाता ह।
10. B-47 : मे दंड से करीब डढ़ इच दूर दूसरी और तीसरी लंबर वट ा क बीच, पीठ क िनचले भाग पर
थत ह। मु याँ बनाकर पीठ क िनचले भाग पर तेजी से रगड़ कर दबाव डाला जा सकता ह। यह पीठ क
िनचले भाग म दद, थकान आिद दूर करता ह।
11. ST-36 : आपक नीकप से चार अंगुल नीचे और िशनबोन से एक अंगुल बाहर क ओर थत ह। अपनी
एड़ी को इस वॉइट पर रगड़ते ए बाएँ पैर को उ ी करने क िलए दािहनी एड़ी का और दाएँ पैर क िलए बाई
एड़ी का उपयोग कर। वयं रोगी ारा इस वॉइट को सव म तरीक से उ ी िकया जा सकता ह। पूर शरीर
म, िवशेष प से घुटने क जोड़ म गिठया का दद दूर करने म मदद करता ह। दुखती, थक ई मांसपेिशय और
सामा य थकान दूर करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर वॉइट माना जाता ह। इस वॉइट पर िदया गया
दबाव पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय म जान डालता ह, पाचन ि या म सहायक होता ह और पेट संबंधी
िवकार को ठीक करता ह।
12. GB-41 : पैर क ऊपर चौथी और पाँचवी मेटाटसल बोन क बीच थत ह। इस वॉइट पर दबाव देने क
िलए आपको संिध थल से ठीक नीचे दबाते ए अपनी तजनी या म यमा को ऊपर क ओर िखसकाना होगा।
इससे घुटन क दद म आराम िमलता ह तथा यह िहप एंड शो डर टशन, मेिट म, अ यिधक पानी जमा होने
और साइिटका, इ यािद सम या म भी राहत देता ह।
न 38 : या ए यू ेशर दमे क इलाज म भी भावी ह?
उ र : दमे से पीि़डत रोगी साँस लेने म तकलीफ छाती म िखंचाव क और घरघराहट क साथ साँस लेना,
आिद अनुभव करता ह। अिधकांशतः खाँसी क साथ बलगम िनकलता ह। ास-नली क दीवार म जकड़न
महसूस होती ह, वायु माग सँकरा हो जाता ह और रोगी क िलए साँस बाहर िनकालना मु कल हो जाता ह। दमे
क ब सं यक थितयाँ एलज तथा घास, फल क पराग, जानवर क बाल और धूल जैसे दूषणकारी और
पदाथ से उ प होती ह। जलवायु प रवतन इस रोग का एक और मह वपूण कारण ह। साँस लेने म किठनाई से
शरीर म िवषा ता बढ़ सकती ह। हमार शरीर क सभी कोिशकाएँ, अंग और िस टम ठीक से काम करते रह,
इसक िलए उसे ऑ सीजन क पया आपूित ज री होती ह और जब रोगी को साँस लेने म किठनाई हो रही हो,
तो उसे यह नह िमल पाती, हम चौबीस घंट साँस लेते रहते ह, परतु उसक बार म कभी सोचते नह । अिनयंि त
दमा सबसे आपात थितय म से एक ह, िजसम थोड़ी सी वायु ा करने क िलए रोगी तड़पता ह, यह हमार
जीवन म वायु क मह व क याद िदलाता ह। ॉ कोडायलेटस, जो िकयल मांसपेशी को रले स करक साँस
लेना सुगम बना देते ह, इनक मदद से आधुिनक िचिक सा िव ान दमा रोग से आसानी से िनपट सकता ह। परतु
ऐसी दवाइय क नकारा मक साइड इफ स हो सकते ह, उदाहरण क िलए िदल क धड़कन बढ़ जाना, जो वयं
जानलेवा हो सकता ह। ेशर वॉइट िचिक सा णाली दमा से काफ हद तक राहत दे सकती ह। अपने खानपान
म बदलाव और कछ यायाम राहत दे सकता ह। अपने खानपान म बदलाव और कछ यायाम क साथ िमलकर
यह िचिक सा प ित दमा रोग को िनयंि त करने म मदद कर सकती ह तथा जो दवाइयाँ आप ले रह ह, उनम
कमी लाना या उन पर िनभरता से पूरी तरह मु हो जाना संभव बना सकती ह, बेशक आपका इलाज कर रह
डॉ टर क सहमित से। बकले, किलफोिनया थत ए यू ेशर इ ◌ीयूट ारा िकए गए एक आरिभक शोध
अ ययन से यह पाया गया, िक अ थमा क िजन वय क रोिगय का परी ण िकया गया, बीस िमनट क ए यू ेशर
िचिक सा क तुरत बाद उनम पाँच म से चार क फफड़ क मता म 20 ितशत वृ ई थी।

ए यू ेशर िकसी भी आयु क दमा रोगी क िलए भावी ह। िफर भी, वह ब और नौजवान क िलए िवशेष
प से लाभदायक ह। ए यू ेशर से इनहलस क उपयोग म कोई हािन नह प चती। आप ए यू ेशर से इलाज
कराते ए इसका इ तेमाल जारी रख सकते ह। हमारी सलाह यह ह िक आप अपने डॉ टर क सलाह से
‘इनहलर’ क उपयोग, पर नजर रख और उसका उपयोग कम करते जाएँ। ब त ज द आपको पता चल जाएगा
िक करीब पाँच सीिटग क बाद ही आप इनहलर क िबना रह पाएँगे या उसका उपयोग कभी-कभी (अथा
संकटकाल म ही) करना पड़गा। िन निलिखत ेशर वॉइ स का उपयोग िकया जाना चािहएः
B-13 : शो डर लेड क ऊपरी िसर से बस एक उगली क चौड़ाई िजतना नीचे मे दंड और क युला बोन
क बीच थत ह। इसे फफड़ से संबंिधत वॉइट क नाम से जाना जाता ह। यह दमा, खाँसी, छ क आिद म आराम
देता ह।
K-27 : े टबोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉलो) म थत ह। यह वॉइट साँस लेने म
किठनाई, चे ट कजे न, खाँसी और छाती म तनाव को दूर करता ह।
LU-9 : अँगूठ क बेस क नीचे कलाई क मोड़ पर बने खाँचे म थत ह। यह फफड़ से संबंिधत सम या ,
खाँसी और दमे म राहत देता ह।
LU-10 : अँगूठ क पैड क म य म, हाथ क हथेलीवाली साइड पर थत ह। इसे िफश बॉडर कहा जाता ह
और यह साँस लेने म किठनाई तथा खाँसी और गले म सूजन म आराम देता ह।
GB-21 : शो डर क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िसर क बीच बीच थत ह। यह
वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट को कध क दोन ओर एक साथ दबाया जा सकता ह। इ ह
दबाते समय अगर रोगी धीर-धीर गहरी साँस ले तो यह ि या अिधक लाभदायक िस हो सकती ह। यह वॉइट
फफड़ म ची का सामा य वाह बहाल करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डलवाना
चािहए।
LU 1 : ‘स ल रिजडस’ क नाम से ‘ ात’ ‘लंग मे रिडयन’ पर थत यह पहला वॉइट ह। यह घरघराहट
क साथ साँस लेना और खाँसी रोकने म सहायक ह, फफड़ म नई जान डालता ह। यह दमा तथा सभी तरह क
साँस क तकलीफ से छटकारा िदलाने म सहायक ह। यह तनाव और व े म कजे न भी कम करता ह।
यह व क मांसपेशी और पहली तथा दूसरी पसली क बीच क जगह म बने ड टॉइड क बीच थत ह। इस
वॉइट तक प चने का एक और तरीका कॉलर बोन से दो इच नीचे या बगल से एक इच भीतर क ओर जाना ह।
LU-6 : इस वॉइट तक प चने क िलए अपने हाथ को आगे क ओर फलाएँ, हथेली ऊपर क ओर हो।
कोहनी क लाइन क म य से लेकर कलाई क रखा तक एक का पिनक रखा ख च, इस रखा को आधा-आधा
बाँट और इसी रखा पर कोहनी क िदशा म एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना बढ़। इस वॉइट पर म यम दरजे का
दबाव द। यह फफड़ से संबंिधत िकसी भी गंभीर थित म ब त उपयोगी ह।
LU-7 : अँगूठ क ओर क कलाई क लाइन से ऊपर, LU-9 पॅइट से करीब डढ़ इच ऊपर थत ह।
इसका नाम ‘ ोकन सी स’ रखा गया ह और फफड़ म नई जान डालने क िलए इसका उपयोग िकया जाता ह।
CV-17 : चौथी और पाँचव पसिलय क बीच सीधे े टबोन पर थत ह। पु ष म यह िनप स क लेबल
पर होता ह। मिहला म आप उसे े टबोन क बॉटम से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर आसानी
से खोज सकते ह। दबाव देने क िलए तीन उगिलय क िसर का उपयोग कर। अगर CV-17 और B-13
वॉइ स को एक क बाद दूसरा दबाया जाए, तो अिधक लाभकारी होगा। दमे क पुराने रोग म यह वॉइट
लाभदायक पाया गया ह।
थित क माँग और समय होने पर िन निलिखत वॉइ स भी उपयोगी हो सकते ह: B-23, ST-36 और
ST-40।
यह ज री नह ह िक उपरो सभी वॉइ स को एक ही स क दौरान दबाया जाए, आप एक स म उनम से
कछ को छोड़ सकते ह और दूसर स म उ ह शािमल करक कछ ऐसे वॉइ स छोड़ सकते ह, िजन पर िपछले
स म दबाव िदया जा चुका था।
अगर आप र ले सोलॉजी म उपयोग िकए जानेवाले ेशर वॉइ स को भी शािमल करना चाहते ह, तो पैर क
ऊपर और नीचे थत फफड़ और ॉ कपल र ले सेज, पैर और हथेली पर थत सोलर एले सस/डाय ाम
पॉइट, ए न स और साइनस र ले सेज आिद े पर भी दबाव डाल। अंितम पृ पर िदए गए िच को देख।
न 39 : एक बड़ी सं या म रोगी पीठ दद से पीि़डत रहते ह। या ए यू ेशर उनक मदद कर
सकता ह? उसक कारण या ह?
उ र : आमतौर पर पीठ दद अ थायी तकलीफ ह, जो आता-जाता रहता ह तथा असाधारण प से लगातार
कठोर म करने क कारण होता ह। इसम पीठ क िनचले िह से, मे दंड िट स, िकसी हादसे म इस े म चोट
लगने या झटका आने क कारण, दद, क या िकसी घोर ित प ा मक और कड़ी मेहनतवाले खेल, आलमारी
जैसी भारी चीज को धकलने, पानी से भरी बड़ी बालटी को गलत तरीक से उठाने, बैठते और ाइिवंग करते समय
गलत मु ा रखने आिद जैसा कोई भी कारण हो सकता ह। कछ ही ऐसे भा यवा य होगे, िज ह ने कभी पीठ
दद सहन न िकया होगा। कछ जैिवक कारक (उदाहरण क िलए ब े को ज म देना) और संभवतः उनक पीठ
म लंबर कक होने क कारण, इस रोग से पु ष क अपे ा मिहलाएँ कह अिधक पीि़डत रहती ह। तस ी क
बात कवल यह ह िक अिधकांश मामल म यह दद सहनीय होता ह और कछ ही मामल म इतना भयंकर होता ह
िक य िब तर पकड़ने क िलए मजबूर हो जाए। अ य कारण म मोटापा, कमजोर मांसपेिशय , शारी रक
गितिविधय का अभाव, आिद हो सकते ह।

परतु इससे पीि़डत य अपनी मांसपेिशय को मजबूत और लचीला बनाने क िलए कछ यायाम कर सकता
ह। गलत मु ा म बैठने को भी ठीक िकया जा सकता ह। इस सम या से िनपटने म ए यू ेशर वरदान िस हो
सकता ह। अगर आप पीठदद से पीि़डत ह, तो आपक मन म सबसे पहली बात अपने लैडर मे रिडयन म ऊजा
क वाह को ठीक करने क आनी चािहए य िक यही वह मे रिडयन ह, जो आँख से शु होकर आपक िसर क
ऊपर से होता आ पैर क छोटी उगली तक प चता ह और आपक पूरी पीठ से गुजरता ह। पीठ दद का कारण
लैडर मे रिडयन म ‘ची’ का अव होना माना जाता ह।

शु आत म B-23, जो रबकज और क ह क ह ी क भीतरी िसर क बीच कमर क बीच बीच थत ह तथा


B-47, जो इर टर मसल क बाहरी ओर कमर क म य म थत ह, पर दबाव दीिजए। ये वॉइ स न कवल पीठ
क िनचले िह से म दद से राहत देते ह, ब क मांसपेिशय म तनाव या िखंचाव भी कम करते ह।
इसक बाद, B-28 और B-48 को दबाया जाना ह, जो ि का थ (से म) क टॉप और बॉटम क बीच तथा
लैडर लाइन क भीतरी और बाहरी िकनार क बीच भीतरी लैडर लाइन पर थत ह, जैसा िक िच म िदखाया
गया ह। ये वॉइ स पीठ क िनचले िह से, िनतंब और से ल रीजन म होनेवाले दद म ब त लाभदायक ह। वे
साइिटका दद से राहत देने म भी सहायक ह।
B-40 : घुटने क पीछ बनी लाइन क बीच म थत ह। ‘ची’ का वाह घुटन से गुजारने और इस तरह घुटने
का दद, पा म स तथा पीठ क िनचले े म दद कम करक यह पॉइ पीठ क िनचले िह से म दद, अकड़न,
तनाव इ यािद दूर करने क िलए अ यिधक लाभदायक ह।

GB-30 : क ह क ह ी और टल बोन क बीच क कल दूरी क करीब एक-ितहाई भाग दूर, िनतंब पर


थत ह। अपने अँगूठ का उपयोग करते ए इस वॉइट को जोर से दबाइए और अगर िनतंब क मांसपेिशयाँ
ब त भारी ह तो कोहनी का उपयोग भी कर सकते ह। यह क ह क जोड़ म सूजन, मांसपेिशय म मोच तथा पीठ
क िनचले िह से म जकड़न ( पा म) और दद कम करने म सहायक ह। यह वॉइट साइिटका का दद कम करने
म भी उपयोगी ह।
B-60 एिकिलस टडन और टखने क बाहरी ह ी क बीच थत ह। यह पीठ क िनचले और ऊपरी िह स
तथा टाँग म दद म आराम प चाता ह। दद से छटकारा पाने क िलए GB-4, पर भी दबाव डाल। जो कमर पर
B-23, वॉइट से 2-3 उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
चूँिक पीठ पर थत कछ वॉइ स को दबाने म किठनाई महसूस हो सकती ह, हाथ क िपछले भाग म थत
िन निलिखत वॉइ स पर भी दबाव डाला जा सकता ह, जो अ यंत लाभदायक पाया गया हः
Li-4 : ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात यह वॉइट दद से राहत देने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क
मता क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने से बननेवाली रखा क छोर पर थत ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए। इस वॉइट से बस आधा इच ऊपर और नीचे दो और
पॉइटस ह, जो पीठ दद से राहत देने म अित लाभदायक ह। इन वॉइ स पर दूसर हाथ क अँगूठ क सहायता से
पया प से दबाव डाल। उसी ि या को दूसर हाथ पर भी दोहराइए।
िदलच प बात यह ह िक यह पाया गया ह िक अगर दद पीठ क बाई ओर ह तो दािहने हाथ पर डाला गया
दबाव बेहतर प रणाम देता ह और अगर दद दाई ओर ह, तो दबाव बाएँ हाथ पर िदया जाना चािहए। हाथ क पृ
भाग म दो और वॉइ स ह। पहली पोर या उगली क गाँठ (नकल) और कलाई क बीच, दूसरी और तीसरी
अंगुली क ह ी क बीच थत ह। दूसरा वह पर चौथी और पाँचव अंगुली क ह ी क बीच थत ह। अगर
दद वापस आता ह तो कछ स तक िफगर ब स का यायाम दोहराएँ, य िक वह पूरी तरह ठीक होने म कछ
समय ले सकता ह।
न 40 : सभी तरह क दद दूर करने और वा य संबंधी अ य सम या से िनपटने म सहायक
होने क अित र या ए यू ेशर स दय िनखारने म भी मददगार हो सकता ह?
उ र : इस संबंध म कछ सुझाव न 23 क उ र म िदए जा चुक ह। िबना कछ खच िकए, घर बैठ
दीघकािलक ाकितक स दय ा करने क िलए ेशर वॉइट थेरपी क िन निलिखत काय म क अनुसार चल:
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी ात यह वॉइट चेहर और िसर क िलए मा टर वॉइट माना जाता ह।
यह ऊजा क वाह को चेहर और िसर क ओर मोड़ता ह तथा इस तरह बाक बचे इलाज को अिधक सुगम और
भावी बनाने म मदद करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए, य िक इसक
कारण समय-पूव संकचन और गभपात हो सकता ह। चेहर और िसर क े क ओर ऊजा क वाह का गेट
खोलने क बाद, अब हम भव और पलक का बेहतर लुक पाने और वचा को कांितमय बनाने क िलए भी,
आँख क आसपास क मांसपेिशय को टोन-अप करने पर यान कि त करना होगा।
Si-17 : लोल क (ईअर लोब) क ठीक पीछ ग म पाया जा सकता ह। वचा क रगत िनखारने क िलए
यह थायरॉइड ंिथ को उ ी करता ह। शायद इसीिलए इसका नाम हवनली अपीयरस रखा गया ह।
GV-24.5 भव क बीच उस ग म थत ह, जहाँ ि ज ऑफ द नोज माथे से िमलता ह। यह अंतः ावी
तं को (एंडो ाइन िस टम) िवशेष प से िप यूइटरी लड को भावशाली बनाता ह। यह पूर शरीर क रगत
िनखारता ह, तनाव कम करता ह और इस तरह ऊजा से सराबोर दमकते चेहर का कारण बनता ह।
GV-16 : को रीढ़ क ह उी क शीष पर खोपड़ी क आधार पर बने ग म पाया जा सकता ह। इस वॉइट
पर दबाव ह का और सावधानी से िदया जाना चािहए। यह आँख, कान, नाक और गले को सम प से टोन-
अप करने म सहायक ह, िजसक प रणाम व प स दय म वृ होती ह।
B-2 भव क भीतरी िकनार पर ि ज ऑफ द नोज क बगल म बने छोट ग म थत ह। इस वॉइट पर दोन
हाथ क म यमा उगिलय को जोड़कर, दोन ओर 30 से लेकर 60 सेक स तक दबाव डाल, शु म ह का
दबाव डाल और धीर-धीर दबाव हटाएँ। दबाव डालते समय आँख बंद रखकर गहरी साँस ल।

GB-14 आपक भ ह से एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर भ ह क बीच म थत ह। दबाव को हयरलाइन


क िदशा म ले जाते ए तजनी या म यमा उगली क ारा करीब एक िमनट तक दबाव िदया जा सकता ह।
TW-23 भ ह क रखा म भ ह क बाहरी िकनार पर थत ह। तजनी या म यमा उगली, जो भी आपको
सुिवधाजनक लगे, क सहायता से दोन ओर क ग म करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए।
GB-1 : भ ह क बाहरी ओर बने ग पर िड ेशन को महसूस करने क कोिशश क िजए, जैसा िच म
बताया गया ह। तजनी या म यमा उगली क मदद से दोन ओर थत वॉइ स पर पया दबाव डाल। दबाव क
िदशा िकिचत ऊपर तथा बाहर क ओर हो।
ST-1 आइ सोकट क ठीक नीचे, पुतली क म य भाग क रखा पर थत ह। ने कोटर क ह ी क रज को
महसूस क िजए। ह ी क िदशा म करीब 3 सेक स तक ह का, िकतु सीधे दबाव डाल। इसक बाद, पुतिलय
क नीचे उसी रखा पर ST-1 क नीचे थत ST-2 वॉइट पर दबाव दीिजए। यह वॉइट नथुन क ऊपरी सीमा
पर मौजूद ह। दोन हाथ क दूसरी और तीसरी उगिलय का उपयोग करते ए एक साथ दबाव डाल।
ST-4 ह ठ क िसर से ठीक बाहर क ओर उन ग म थत ह, जो मुसकराते समय आपक गाल पर
पड़ते ह। अपनी तजनी से 30 सेक स तक दबाइए।
ST-6 को अपने दाँत भ चते और उस वॉइट क तलाश करते ए, जहाँ जबड़ क एंड वॉइ स िमलते ह,
आसानी से खोजा जा सकता ह। म यमा और तजनी उगिलय क सहायता से करीब एक िमनट तक उभर ए
िबंदु पर ह का दबाव दीिजए।
Si-18 : अपनी दोन आँख क साइ स पर आँख क कोने से शु करते ए अपनी उगिलय को ने कोटर
क बाहरी िकनार से सरकाते ए गाल क ह य (चीक ब स) क िनचली सीमा तक ले जाएँ। अपनी तीन
उगिलय को दोन गाल क ह य क नीचे रखकर करीब एक िमनट या उससे कम समय तक अपने चेहर को
उन पर दबाएँ।
St-2, St-4, St-6 और Si-18, ये वॉइ स गाल म कसाव और उभार लाने म सहायक ह।
अगर आप र ले सोलॉजी म उपयोग िकए जानेवाले ेशर वॉइ स को भी शािमल करना चाहते ह, तो कछ
मह वपूण े , आप छोड़ नह सकते ह; ये वाइट पैर क िनचले िह से म थत लंग वॉइ स ह जो व थ
वचा, ऊजा और चयापचय (मेटाबॉिल म) क िलए अ याव यक ऑ सीजन अिधक मा ा म ा करने क िलए
चे ट को खोलते ए साँस लेना सुगम बनाते ह। पाचन तं ठीक करने और िवषैले पदाथ शरीर से बाहर िनकालने
क िलए सोलर ले सस/डाय ा म वाइट ए न स, उदर एवं यकत, गुरदे, बड़ी और छोटी आँत क वाइ स पर
दबाव डाल। िवषैले पदाथ बाहर िनकालने क िलए पैर क उगिलय और लसीका े (िलंफ ए रया) क बीच
वेिबंग पर दबाव िदया जाना चािहए। जहाँ पैर और टाँग का िनचला िह सा िमलता ह, र संचरण म सुधार लाने,
साइनस वॉइ स पर भी दबाव दीिजए। िजसक प रणाम व प पूर शरीर क वचा व थ और कांितमय बनेगी,
यहाँ बताए गए िविभ अंग से जुड़ र ले स े क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए तलव
और हथेिलय क डाय ाम देख।
न 41 : िब तर गीला करना या ह? या इस रोग क उपचार म ए यू ेशर मदद कर सकता ह?
उ र : िब तर गीला करना एक ऐसे रोग क प म देखा जाता ह, िजसम जल त व म िकसी कमी क कारण
मू िवसजन पर िनयं ण नह रह पाता, िजसका अथ ह—गुरदे और यू रनरी लैडर से संबंिधत मे रिडयंस को
सश िकए जाने क ज रत ह। आमतौर पर छोटी आयु क ब े इस सम या से पीि़डत रहते ह और उसक पीछ
कोई बड़ा कारण नह होता, समय क साथ यह रोग अपने आप ठीक हो जाता ह। परतु अगर तीन वष क आयु
क बाद भी यह सम या बनी रहती ह या कभी-कभी वय क लोग भी अपना िब तर गीला कर देते ह , तो इस ओर
यान देना ज री ह। आमतौर पर लोग कहते ह िक पानी या कोई तरल पदाथ पीना कम करने से िवशेष प से
राि 8 बजे क बाद, इस पर िनयं ण पाया जा सकता ह, परतु इन सब बात म यादा स ाई नह ह। यह सम या
दूर करने या उसपर िनयं ण पाने क िलए ए यू ेशर क काय म, का अनुसरण करना उपयोगी िस हो सकता
ह, प रणाम व प पूर शरीर क वचा व थ और कांितमय बनेगी।

B-23 : मे दंड क साइ स पर, कमर क तर पर थत ह। यह गुरदे क ची को पु करता ह। यह यूरो-


जेिनटल तं क िवकार क उपचार क िलए एक मु य वॉइट माना जाता ह और गुरद को सीधे-सीधे भािवत
करता ह।
B-28, से ल रीजन अथा मे दंड क सबसे िनचले भाग क साइड म थत ह और यह वाइट लैडर क
‘ची’ को सश बनाता ह।
CV-3, झ गजी क नाम से जाना जाता ह, िजसका अथ ह, ठीक म य म। जैसा िक इसक नाम से जािहर ह
यह वॉइट यूिबक बोन से कछ ही ऊपर, उदर क म यरखा पर ठीक बीच बीच थत ह। यह मू े (यूरीनरी
ट) से जुड़ रोग क इलाज म उपयोगी होता ह। गुवान युआन अथा ‘ची’ का भंडारगृह क नाम से ात CV-
4, Ren-3 से थोड़ा ऊपर, उदर क म यरखा पर थत ह। यह गुरदे को सश बनाता ह।
Cv-6 को ‘ची ह’ नाम िदया गया ह, िजसका अथ ह—ची का सागर। यह Ren-4 क ऊपर और नािभ से
थोड़ा नीचे उदर क म यरखा पर थत ह। यह वॉइट भी िकडनी को सश बनाता ह।
न 42 : ‘कापल टनल िसं ोम’ एवं ‘टड नाइिटस’ या ह? यह रोग कसे पैदा होता ह? या इसक
इलाज म ए यू ेशर मदद कर सकता ह?
उ र : हमार रोजमरा क काम करने क िलए कछ ही जोड़ (जॉइ स) यादा मह वपूण ह, िजतने हाथ और
कलाइय क जोड़। ए यू ेशर कलाई म मोच से लेकर, कापल टनल िसं ोम और टडनाइिटस तक का उपचार
करने म भावी पाया गया ह। डॉ. क थ क यॉन ने पाया िक ए यू ेशर कलाई म गिठया क सम या से भी
छटकारा िदलाता ह। कापल टनल िसं ोम एक ब त क दायक यािध हो सकती ह। कापल टनल एक सुरग ह,
जो आपक कलाई म से गुजरती ह, िजसम से होकर नस, धमिनयाँ, और ायु हाथ तक जाती ह। इसका कारण
सूजन ह, जो मीिडया ायु पर दबाव बनाती ह और यह सूजन क यूटर पर घंट तक काम करते रहना, वीिडयो
गे स खेलना और मोबाइल फोन पर बार-बार एसएमएस भेजते रहना, जैसी गितिविधय म कलाई क अ यिधक
उपयोग से पैदा होती ह। इसी कार, टडनाइिटस टडन (नस ) क अ यिधक उपयोग क कारण आई सूजन क
कारण होता ह। जब नस म सूजन आ जाती ह तो वे आपक हाथ म जानेवाली मीिडयन ायु को दबा देती ह।
िजन ेशर वॉइ स क नीचे चचा क गई ह, वे कलाई से जुड़ी नस और मांसपेिशय को िशिथल करने म स म
ह तथा िज ह दबाने से उगिलय का उपयोग करने म कम दद होता हः

Li-4 : ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात वॉइट दद और सूजन दूर करने तथा शरीर म ‘ची’ संच रत करने
क मता क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने से बननेवाली रखा क िसर पर थत ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
P-6 : ‘द इनर गेट’ क नाम से ात यह वॉइट फोरआम क भीतरी साइड क बीच म, कलाई क सलवट से
ढाई अंगुल िजतनी चौड़ाई से ऊपर (कोहनी क िदशा म) थत ह। यह कलाई का दद दूर करता ह।
P-7 : ‘द िबग माउड’ कलाई क म य म (हथेली क तरफ) थत ह। इस वॉइट पर अँगूठ क सहायता से
करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव देने से एक बड़ी हद तक कलाई म दद (कापल टनल िसं ोम),
मेिट म और टडवाइिटस ठीक होने म मदद िमलती ह।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क रखा से करीब ढाई
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस क बीचोबीच थत ह। कलाई दद को दूर
करने तथा िकसी चीज को पकड़ने क यास म दद का एहसास, कापल टनल िसं ोम इ यािद से राहत पाने क
िलए इस वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और
सश वॉइट माना जाता ह।

Tw-4 : ‘ए टव प ड’ क नाम से ात यह वॉइट कलाई क बाहरी िह से म ज क ग क बीच बीच


थत ह। इस वॉइट पर कलाई क बाहरी सलवट क क पर अँगूठा रखकर, दबाव िदया जा सकता ह। जबिक
उगिलयाँ कलाई क भीतरी भाग से सपोट कर रही ह , अ छा दबाव द और रोगी से गहरी लंबी साँस लेने क िलए
कह। कलाई का दद कम होने तक एक या दो िमनट तक दबाव देते रह। दबाव धीर-धीर काम कर। इस पूरी
ि या क दौरान रोगी से गहरी, धीमी, साँस लेने क िलए कह। यही ि या दूसरी कलाई पर दोहराएँ।
न 43 : एक बड़ी सं या म लोग सवाइकल पॉ डलॉिसस से पीि़डत ह। या ए यूपे्रशर, ऐसे
रोिगय क िकसी तरह से मदद कर सकता ह?
उ र : ‘सवाइकल पॉ डलॉिसस’ आज शायद सबसे आम बीमारी ह, िजससे आबादी का 50 ितशत से
यादा भाग पीि़डत ह। िदलच प बात यह ह िक पीि़डत आबादी म से करीब 50 ितशत का 70 ितशत भी यह
नह जानता ह िक वे इस रोग से पीि़डत ह। बुिनयादी तौर पर गलत मु ा म उठने-बैठने, चलने-िफरने को इस रोग
का एक मुख कारण बताया जा सकता ह। हथेली पर िसर रखे लेट-लेट या अधलेटी थित म घंट तक टीवी
देखते रहना, घंट तक क यूटर पर काम करते रहना, हर िदन कार ाइव करते ए लंबा सफर तय करना, कटर,
मोटरसाइिकल पर या कार म गलत मु ा म बैठना भी इस रोग का एक कारण हो सकता ह।
मेिडकल श दावली म इसे सवाइिकल वट ा का िचरकािलक ( ॉिनक) य कहा जा सकता ह। आमतौर पर
यह रोग 30 वष से अिधक आयु क पु ष और य को होता ह। वैसे आयु का कोई बंधन नह ह और युवा
तथा बुजुग भी इस रोग से पीि़डत देखे गए ह। जो ल ण इस रोग क आगमन क सूचना देते ह, वे ह गरदन म
अकड़न, तकलीफ या दद, जो कध से होता आ बाँह क िनचले िह से तक जाता ह। हाथ, या कभी-कभी तो
उगिलय तक का भाग सु पड़ जाने क प म भी ये ल ण सामने आते ह। इनक साथ-साथ िसरदद या च र
भी आ सकते ह और रोग क बढ़ी ई थित म च र क ती ता क कारण रोगी को ऐसा एहसास हो सकता ह,
मानो वह िब तर पर बैठ-बैठ या लेट ए ही िगर जाएगा। कभी-कभी तो सवाइकल पॉ डलॉिसस क ल ण
कठ-शूल (एंजाइना) क ल ण से इतना अिधक िमलते ह िक लोग को गलतफहमी हो जाती ह। इन दोन क
बीच मु य अंतर यह ह िक सवाइकल अटक क मामले म, पसीना भी नह आता और चे ट क े म तकलीफ
भी तुलना मक प से ब त कम होती ह।

े र वॉइट तकनीक और र ले सोलॉजी ारा यह रोग आसानी से ठीक िकया जा सकता ह। अिधकांश

मामल म सम या त वट ा क पहचान करने क िलए आपको ए स-र करवाने क भी ज रत नह पड़ती। पैर
क अँगूठ या हाथ क अँगूठ क पहली गाँठ क पश से ही अनुभवी ए यू ेशर िचिक सक उसक ठीक ठीक
थित बता सकता ह। इसक अित र , जब तक िक यह सम या वष से न चली आ रही हो, यह रोग 8-10
िसिट स क भीतर ही िनयंि त िकया जा सकता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
म यम दरजे तक लगातार दबाव िदया जाना चािहए। इससे गिठया, िसरदद, पीठ दद और अकड़ी ई गरदन म
राहत िमलती ह।
GB-21 ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच -बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। इस वॉइट पर कध क दोन ओर एक साथ दबाव िदया जा सकता
ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक लाभकारी
हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ म ची का सामा य वाह बहाल करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर
दबाव नह िदया जाना चािहए।
B-10 खोपड़ी क बेस से डढ़ इच नीचे, मे दंड क दोन ओर आधा इच दूरी पर थत ह। इसे हवनली िपलस
नाम िदया गया ह। यह आँख म सूजन, िसरदद, थकान आिद म आराम िदलाता ह। अपने िसर क पीछ दोन हाथ
क उगिलय को एक क बाद एक रखकर, उनसे गरदन पर पकड़ बनाकर करीब एक िमनट तक दबाव िदया जा
सकता ह।
Si-3 : मु ी बंद कर उसे मोड़, िफर अपनी किन ा उगली को देखने क िलए अपनी कलाई को घुमाएँ।
अँगूठ का उपयोग करते ए, किन ा क गाँठ क नीचे, ह ी और मांसपेशी क बीच अपनी हथेली क साइड पर
दबाव द। करीब एक िमनट तक अ छा दबाव द।
इस रोग पर र ले सोलॉजी क ज रए काबू पाने क िलए दोन पैर और हाथ क अँगूठ क पहली गाँठ तक
सवाइकल वट ा से जुड़ र ले स े पर दबाव डाल। ‘शो डर ले स’ क बीच क े को उ ी करने क
ि से पैर और हाथ क अँगूठ क नीचे बने पै स पर भी दबाव डाल। सुिनिद े क थित जानने क िलए
पु तक क अंत म िदया गया िच देख।
न 44 : या ए यू ेशर र संचरण से जुड़ी सम या क समाधान म मदद कर सकता ह?
उ र : जीवन क िकसी भी व प म गितहीनता अ छी नह मानी जाती ह। एक नदी म पानी तभी तक ताजा
रहता ह, जब तक वह अ छी गित से बह रहा हो। बहाव क कते, अव होते ही उसम बदबू आना शु हो
जाता ह। कायालय म भी, जब कमचा रय को तर क कोई उ मीद नह होती, तो उनम अवसाद क भावना
घर करने लगती ह और उनक उ पादकता पर नकारा मक भाव पड़ता ह। इसी कार, हमार शारी रक वा य
क संदभ म, जैिवक श ‘ची’ क वाह म गितहीनता आ जाना अिधकांश रोग का कारण ह। हमार शरीर क
िविभ मे रिडयंस म इस अ याव यक जैिवक श का अव वाह ही रोग को ज म देता ह।

गलत खानपान, अकम य जीवन-शैली शारी रक या मानिसक तनाव, जो सीधे-सीधे हमारी न द को पूरी तरह या
आंिशक प से भािवत करता ह, हमार शरीर म ‘ची’ क सुगम वाह को अव करने का कारण हो सकता
ह। हमार शरीर म र संचरण क िलए ‘ची’ ही मु यतया िज मेदार ह। इसीिलए, शरीर म ची का वाह अव
होने पर बेहतर र संचरण बनाए रखने क ि से सबसे यादा मह वपूण यह ह िक ची क वाह म िकसी भी
तरह क अवरोध को दूर िकया जाए। अगर यह ल य ा कर िलया जाए, तो वह शरीर क पूर िस टम को बेहतर
वा य और संतुलन क माग पर ले आता ह।

िन निलिखत ेशर वॉइ स क मदद से ए यू ेशर र संचरण क वाह म आए अवरोध को हटाने म मदद
कर सकता हः
Li-4 : अँगूठ और तजनी को िमलाने से बनी मांसपेशी क शीष पर थत ह। दोन क बीच बने वेब पर दबाव
देना शु कर और उसे तजनी क जड़ म बनी ह ी क िदशा म ले जाएँ। ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी ात
Li-4 ‘ची’ क वाह म आए अवरोध को दूर करनेवाला मा टर वॉइट माना जाता ह। और इस तरह बाक इलाज
को यादा आसान एवं भावी बनाने म मदद करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट इ तेमाल नह करना
चािहए, य िक उसक प रणाम व प समय-पूव संकचन और गभपात हो सकते ह।

शरीर म ऊजा क वाह का गेट खोलने क बाद, अब हम ‘िबगर-रश’ क नाम से ात एक और सश वॉइट


Lv-3 क ओर ख करते ह, जो हमार पूर शरीर, िवशेष प से िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को अवरोध
मु करनेवाला सबसे भावी वॉइट माना जाता ह। एक बार यकत म ऊजा का वाह असंतुिलत हो जाए, तो
उसका प रणाम होता ह येक मे रिडयन म ‘ची’ और र क वाह म ग यवरोध तथा असंतुलन आ जाना, जो
रोग एवं तकलीफ को ज म देता ह। य िप आमतौर पर यह वॉइट ब त ही संवेदनशील पाया जाता ह, परतु
उसक उपयोिगता को देखते ए उसे भूले िबना िनयिमत प म अपने वकआउट म शािमल िकया जाना चािहए,
य िक उसे छने भर से शरीर म कह भी, िकसी भी कार क ग यवरोध का पता लगाया जा सकता ह।
Sp-6, को ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, यह टाँग क भीतरी और िपछली साइड पर, टखने क
ह ी क ऊपर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार अंगुल चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक उसक नाम से जािहर ह िक यह सवािधक मह वपूण वॉइ स म से एक ह य िक एक साथ ित ी,
यकत और गुरदे क मे रिडयंस क ‘ियन’ को सश बनाता ह। यह ‘िलवर ची’ को पूर शरीर म संच रत करने म
भी सहायक ह। गभवती मिहला म यह वॉइट इ तेमाल नह करना चािहए।
Sp-10 एक और मह वपूण वॉइट ह, र संचरण म आई जड़ता को दूर करने क िलए इसका
सफलतापूवक उपयोग िकया जा सकता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर टखने क ह ी तथा नी-कप क म यभाग क बीचोबीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी क बाहरी ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतनी दूर जाएँ। यह र संकलता (कजे न) कम करने
म ब त मददगार ह।

न 45 : या ए यू ेशर जुकाम से होनेवाली परशानी दूर करने म िकसी तरह से मदद कर सकता
ह?
उ र : जब आपक शरीर क रोग ितरोधक मता कम हो जाती ह तो आप थका आ-सा महसूस करते ह
और आपका िस टम बदलते मौसम क अनुसार खुद को तेजी से नह ढाल पाता। यही वह समय ह, जब आप
जुकाम क चपेट म आसानी से आ सकते ह। आपका यूकस मै ेन जुकाम क वायरस का जनन थल बन
जाता ह। ये वायरस हमारी नाक और गले म पनपते रहते ह तथा जब शरीर क हालात उनक अनुकल होते ह,
उदाहरण क िलए, वातावरण म तापमान और नमी उनक अनुकल हो, तब वे हमला कर देते ह। जुकाम एक
ल ण ह और वायरस से वयं को बचाने क यास म शरीर उ ह बहा देने क उ े य से और अिधक े मा
( यूकस) पैदा करने लगता ह।

मजेदार बात यह ह िक यह कहा जाता ह िक जुकाम का इलाज िकसी भी तरह से नह िकया जा सकता, अथा
अगर आप दवाई ल, तो उसे ठीक होने म सात िदन लगगे और अगर आप कोई भी दवा न ल, तो वह एक ह ते
क भीतर ठीक हो जाएगा। इसी तज पर यह कहा जा सकता ह िक ए यू ेशर भी जुकाम ठीक नह कर सकता,
परतु िन त प से वह उससे होनेवाली परशानी कम करने म आपक मदद ज र कर सकता ह। वह शरीर म
दािखल हो चुक वायरस को बाहर िनकालने म मदद कर सकता ह तथा भिव य म आपको जुकाम क हमले से
बचाने क िलए शरीर क रोग ितरोधक मता बढ़ाने म स म ह।

‘िबअ रग सपोट’ नामक वॉइट B-36 जुकाम का मुकाबला करने क उ े य से शरीर क रोग ितरोधक
मता बढ़ाने क िलए उ म ह। यह कहा जाता ह िक वायु और ठड मे दंड क पास, शो डर ले स पर थत
इस वॉइट (जैसा िक िच म िदखाया गया ह) पर वचा क िछ से वेश करते ह। अपने दोन हाथ से कध को
पकड़कर इस वॉइट पर आसानी से दबाव िदया जा सकता ह। इस े अथा पीठ का ऊपरी भाग, कधे और
गरदन पर अ छ से क गई मािलश भी (कजे शन) दूर करने म सहायक ह।
B-2 भ ह क भीतरी िकनार (ि ज ऑफ िद नोज) क बगल म छोट ग म थत ह। दोन हाथ क म यमा
उगिलय को एक साथ 30 से लेकर 60 सेक स तक दोन ओर दबाएँ, ह क दबाव से शु करते ए हो ड
कर, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। दबाव देते समय आँख बंद रख और गहरी साँस ल। इससे जुकाम, साइनस
कजे शन और िसरदद म आराम प चता ह।
K-27 े टबोन क बाजू म कॉलर बोन क नीचे बने धँसाव (हौलो) म थत ह। यह वॉइट साँस लेने म
किठनाई, चे ट कजे न, खाँसी, चे ट क े म तनाव और गल-शोथ (सोर ोट) म राहत देता ह।

GV 24.5 भ ह क बीच, माथे क िमलन थल पर बने ग म थत ह। यह अंतः ावी तक (एंडो ाइन


िस टम), िवशेष प से िप युटरी ंिथ को टोन-अप करता ह। इसक अित र यह पूर शरीर को श देता ह,
तनाव कम करता ह, (िसर म भारीपन) हड कजे न, बंद नाक और िसरदद म आराम देता ह।
Gv-16, मे दंड क शीष पर खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। इस वॉइट पर दबाव ह का और
सावधानी से िदया जाना चािहए। यह िसर म भारीपन, आँख लाल होना, तनाव, िसरदद और अकड़ी ई गरदन म
राहत देता ह।
Li-4 अँगूठ और तजनी को िमलाने पर उभरी मांसपेशी क िशखर पर थत ह। दोन क बीच बने वेब पर
दबाव द और उसे तजनी क बेस पर थत ह ी क ओर ले जाएँ। एडजॉइिनंग वैली क नाम से ात Li-4 ची
क वाह म अवरोध को दूर करनेवाला मा टर वॉइट माना जाता ह और इस तरह बाक इलाज को यादा आसान
और असरदार बनाने म मददगार ह। गभवती मिहला म यह वॉइट नह दबाना चािहए। य िक ऐसा करने से
समय पूव संकचन होने से गभपात हो सकता ह। यह जुकाम, लू, कजे न इन िद हड और िसरदद म राहत देता
ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ थर
(ह क से लेकर म यम दरजे तक का) दबाव िदया जाना चािहए। िसर क भारीपन (हड कजे न), िसर दद,
गरदन दद, अकड़ी ई गरदन और िचड़िचड़ापन दूर करता ह।
Li-11, कोहनी क ोज क बाहरी िसर पर थत ह। यह वॉइट जुकाम, बुखार क ल ण को दूर करने तथा
भिव य म जुकाम से लड़ने क मता िवकिसत करने क िलए शरीर क रोग ितरोधक मता बढ़ाने म ब त
भावी ह। चूँिक पश करने पर यह वॉइट ब त कोमल लगता ह, ह का मािलश जैसा दबाव ही िदया जाना
चािहए।
St-3 आँख क पुतली क रखा म चीक बोन क नीचे होता ह। यह बंद नाक, िसर म भारीपन, आँख म जलन
और सूजन जैसी तकलीफ म आराम देता ह।
Li-20, येक नथुने क बाहर गाल पर थत ह। इन वॉइ स पर दबाव देने से बंद नाक, साइनस और चेहर
पर सूजन कम होती ह।

न 46 : क ज िकन कारण से होता ह? या ए यू ेशर िचिक सा से उसे ठीक िकया जा सकता


ह?
उ र : पया फल , हरी स जय से रिहत अ वा यकर भोजन, अपया रशेदार खा पदाथ/अनाज, एक
ही भोजन-काल म कई तरह क यंजन का सेवन, चोकर-रिहत सफद आटा और इन सब क अित र यायाम
का अभाव क ज पैदा करते ह। कभी-कभी होनेवाला क ज कोई गंभीर सम या पैदा नह करता, परतु िचरकािलक
क ज क प रणाम गंभीर हो सकते ह और अपिश पदाथ को बाहर िनकालने म बाधा उ प करता ह। इससे
बड़ी आँत (कोलन) अव हो जाती ह। कोलन क मांसपेशी अ यिधक िशिथल या अ यिधक कसी ई और
इस कारण जड़ बन सकती ह। यह माना जाता ह िक संतुिलत आहार और िनयिमत यायाम, ब क तेज-तेज
चलने, जॉिगंग आिद क ज रए य इस रोग से िनपट सकता ह। पया मा ा म पानी/तरल पदाथ भी िलये जाने
चािहए।

इस रोग से िनपटने क िलए िन निलिखत काय म क अनुसार ए यू ेशर िचिक सा भी क जा सकती हः


‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात CV-6 नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। रोगी को
िलटाकर (जब उसका मू ाशय खाली हो) इस वॉइट पर दबाव िदया जा सकता ह। यह पेटदद, क ज,
कोलाइिटस और गैस म आराम देता ह।
St-36 आपक नी-कप से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे और आपक िशनबोन से एक उगली
क चौड़ाई िजतना बाहर क ओर थत ह। इस वॉइट को उ ी करने का सबसे बि़ढया तरीका यह ह िक इस
वॉइट पर रोगी वयं अपनी एड़ी रगड़ (बाएँ पैर को उ ी करने क िलए दाई एड़ी और दाएँ पैर क िलए बाई
एड़ी का इ तेमाल कर)। यह घाव, मांसपेिशय म और सामा य थकान दूर करने म सहायक ह। इस वॉइट पर
िदया गया दबाव पूर शरीर को सश बनाता ह, मांसपेिशय को सु ढ़ बनाता ह तथा आँत से जुड़ िवकार को दूर
करक क ज जैसी पेट क गड़बि़डय को ठीक करता ह।

St-25 बेली बटन क दोन ओर उससे दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर थत ह। आँत संबंधी कई तरह क
िवकार और क ज का भी उपचार करने क िलए यह सबसे मह वपूण वॉइ स म से एक माना जाता ह। एक
िमनट तक दोन ओर एक साथ म यम दरजे का, िकतु मजबूती से दबाव डालने क कोिशश कर।

Cv-12, जैसा िक उसक नाम ‘िमिडल टमक’ से जािहर ह, यह वॉइट े टबोन और बेली बटन क
बीच बीच थत ह। करीब एक िमनट तक फम ेशर दीिजए। ‘फोर डोस’ क नाम से ात Cv6, St25 तथा
CV-12 का यह संयोजन अ यिधक लाभदायक ह एवं क ज और डाय रया सिहत िकसी भी कार क उदर या
गै ो-इट यइलनल रोग क इलाज क िलए उपयोग िकया जा सकता ह।
क ज का एक और कारण, अित र आंत रक ऊ मा ह। वह मल को इतना स त बना देती ह िक उसका
िवसजन किठन हो जाता ह। Tw 6, जो आपक फोरहड क पीछ, कलाई क ज से तीन उगिलय क चौड़ाई
िजतना दूर, अलना और रिडयस ब स क बीच म थत ह, इस पर दबाव डाल। अगर रोगी ारा िवसिजत मल
ब त स त और काला हो, तो क ज को ठीक करने क िलए इसे Li 4 और Li-11 क संयोजन से दबाया जाए,
जैसा िच म बताया गया ह, तो वह रोगी क शरीर म से अित र उ मा को िनकाल देता ह। जहाँ Li-4 का काय
अित र उ मा को कम करना ह, Li-11 शरीर म सामा य प से पाई जानेवाली उ मा को िनकालकर बड़ी
आँत क गितिविध िनयिमत करता और बाउल मूवमट करक उसे सुगम बनाता ह।
न 47 : हम खाँसी य आती ह और उसका कारण या ह? या ए यू ेशर उसे ठीक करने म
मदद कर सकता ह?
उ र : आमतौर पर फफड़ म ‘ची’ का वाह नीचे क ओर होता ह। िकसी भी कारण से अगर ‘लंग ची’
ऊपर क ओर बहना शु कर दे तो हम खाँसने लगते ह। आमतौर पर खाँसी और जुकाम साथ-साथ चलते ह।
और अगर आप एक ही समय म दोन से पीि़डत ह तो खाँसी से छटकारा पाने क िलए यहाँ िजन ेशर वॉइ स
क चचा क जा रही ह, उनक अित र जुकाम से राहत पाने क िलए उन वॉइ स पर भी दबाव दीिजए, िजनक
चचा ऊपर क जा चुक ह।

िन निलिखत वॉइ स पर दबाव देने क ज रए ए यू ेशर खाँसी से छटकारा िदलाने म सहायक हो सकता ह।
Lu-7 उस थल पर बने कदरती धँसाव म थत ह, जहाँ अँगूठ का बेस कलाई से िमल जाता ह। अपनी
कोहनी क ओर ख कर और अँगूठ क तरफ करीब डढ़ इच क दूरी पर आपको यह वॉइट िमल जाएगा। चूँिक
इस वॉइट पर मांस यादा नह ह, हम अँगूठ क मदद से ह का दबाव देकर काम चला सकते ह। इस वॉइट पर
दोन हाथ पर दबाव िदया जाना ज री ह। यह वॉइट ची का वाह उलटी िदशा म, अथा नीचे क ओर करक
राहत देता ह। जुकाम, छ क, और नाक बहने से छटकारा िदलाने क िलए भी इसका उपयोग िकया जा सकता ह।
‘हवन ोजे शन’ क नाम से ात Cv-22 कॉलरब स क बीच, बने ग म थत ह, जहाँ वे बे्र टबोन से
िमलती ह, इस वॉइट पर तजनी या म यमा क ज रए दस तक िगनती पूरी होने तक नीचे क ओर, न िक भीतर
क ओर, िदया गया ह का दबाव अ यिधक लाभदायक पाया गया ह। दबाव को 2-3 बार दोहराया जा सकता ह,
परतु इस बात क पूरी सावधानी बरती जाए िक दबाव ब त ही ह का और मुलायम हो।
St 40 पैर क बाहरी ओर टखने क ह ी तथा नी-कप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का
पता लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतनी दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप यह महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न दूर
करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
‘ यूिबट माश’ क नाम से ात Lu5 कोहनी क ज पर अँगूठ क तरफ (जब हथेली ऊपर क ओर हो)
थत ह। दूसर हाथ क अँगूठ से करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव द। यह ताप कम करक गले म
नमी लाएगा। दूसर हाथ पर भी यही ि या दोहराएँ।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग से छटकारा पाने क िलए हथेिलय और तलव क र ले स े को वॉम
अप कर तथा छाती, फफड़ , ॉ कयल ए रया, साइनस वॉइ स, गले और गरदन से संबंिधत े , इ यािद क
र ले स ए रयाज पर दबाव डाल। िविभ अंग से संबंिधत र ले स ए रयाज क करीबी थित जानने क िलए
पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच देख।
न 48 : ऐंठन या मरोड़ ( स) य होती ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी से इस परशानी म
राहत िमल सकती ह?
उ र : ऐंठन या मरोड़ आमतौर पर मांसपेिशय म तनाव क कारण होती ह। वे शरीर म कह भी िवकिसत हो
सकती ह, परतु आमतौर पर वे उन मांसपेिशय म होती ह, िजनका उनक मता से अिधक उपयोग िकया जाता
ह। ऐंठन क दौरान भािवत मांसपेशी क नाड़ी अ यिधक सि य (हाइपरए टव) हो जाती ह, िजससे संबंिधत
मांसपेशी म अ यिधक संकचन पैदा हो जाता ह। धावक क टाँग म स हो जाते ह। वे अकसर िपंडिलय म
होती ह तथा यायाम या शारी रक म क दौरान या उसक बाद महसूस होती ह। कभी-कभी तो अपनी टाँग को
थोड़ा बलपूवक फलाने से भी प हो जाता ह। शरीर म पानी क कमी हो जाने पर भी टाँग म स हो सकते ह
और इसिलए िखलाि़डय को यह सुिन त कर लेना चािहए िक जब तक वे मैदान म ह, उ ह पया मा ा म
पानी िमलता रह। ए यू ेशर म िन निलिखत ेशर वॉइ स इस अ यिधक पीड़ादायक रोग से पीि़डत य को
काफ राहत दे सकते ह:
‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात Cv 6 शरीर क म य रखा पर नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना
नीचे थत ह। यह रजोिनवृि क दौरान होने वाले स से छटकारा िदलाता ह।
B 47 पीठ क िनचले भाग पर, मे दंड से करीब डढ़ इच बाहर क ओर दूसरी और तीसरी लंबर वट ा क
बीच थत ह। मु ी बनाकर उसे पीठ क िनचले भाग पर तेजी से रगड़कर दबाव िदया जा सकता ह। पीठ क
िनचले िह से म दद, पे वक टशन और ोिण देश (पे वक रीजन) म स म राहत देता ह।

Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए, कम होगा। यह यकत को िनयिमत करता ह और उसम नई जान डालता ह, ‘ची’ क
वाह को सुगम बनाता ह, और िकसी भी तरह क प से छटकारा िदलाता ह।

Gv-26 नाक क ठीक नीचे, ऊपर क ह ठ क म य म थत ह। इस वॉइट का एक ाथिमक उपचारा मक


रवाइवल वॉइट क तौर पर अकसर उपयोग िकया जाता ह और च र आने इ यािद म भी इसका उपयोग िकया
जाता ह।

B57 िपंडली (Calf Musle) क म य म, घुटने और एड़ी क तकरीबन बीच बीच क िनचले िह से पर
थत ह। इस वॉइट पर 2 से लेकर 3 िमनट तक ह का, िकतु सीधा दबाव देकर िपंडिलय क मांसपेिशय म
आई ऐंठन म आराम पाने क िलए इसका उपयोग िकया जाता ह। दबाने पर यह वॉइट ब त दद देता ह, परतु
साथ-ही-साथ यह अित लाभदायक भी ह।

इस रोग से छटकारा पाने क िलए र ले सोलॉजी का उपयोग करते ए दोन पैर पर, पैर क अगले और
िपछले दोन तरफ मािलश क तरह अ चं ाकार प म आगे-पीछ टखने क ह ी क आसपास का े
उ ी क िजए। इन े पर िकया गया उ ीपन ब त मददगार सािबत होता ह। अँगूठ और तजनी क सहायता
से दोन पैर क एिकिलस नस, जो पैर क पीछ क ओर एड़ी क बेस से चार से पाँच इच ऊचाई पर थत ह, क
े पर भी दबाव दीिजए। इसक बाद अपने अँगूठ से िपंडली क मांसपेशी पर, पाँव क पीछ क ओर घुटने क
ज तथा टखने क बेस क बीच क िबंदु पर दबाव दीिजए। दबाने पर यह वॉइट ब त तकलीफ देता ह, परतु
उतना ही भावी भी ह। इस वॉइट पर अपने अँगूठ से करीब 30 सेक स तक म यम दरजे का दबाव बनाए रख,
गहरी सांस ल और दबाव धीर धीर हटाएँ। यही ि या 2-3 बार दोहराएँ। इस थल पर मौजूद दुखन को हटाने क
िलए अपनी हथेली से इस े पर मािलश कर।
न 49 : अवसाद (िड ेशन) या ह और यह य होता ह? या अवसाद दूर करने म ए यू ेशर
मदद कर सकता ह?
उ र : अवसाद यह सूचना देनेवाला संकत ह िक जीवन म कछ कमी ह। हर य क जीवन म देर-सवेर
एक समय ऐसा आता ह, जब सब कछ मनमािफक या योजनानुसार न हो रहा हो। ऐसा लगता ह, मानो हर चीज
काबू से बाहर होती जा रही हो। ऐसी थित म कोई भी य बुरा महसूस करगा। परतु कछ लोग, िज ह ने समय
क साथ जीना और जीवन म जो कछ िजस तरह से सामने आता ह, उसे वैसे ही हण करना सीख िलया ह, बुर
व का दंश उतना यादा महसूस नह करते और इस तरह उसका सामना करने म स म होते ह। परतु कछ लोग
ऐसे भी होते ह, जो हर छोटी-छोटी बात को िदल पर लगा लेते ह, थित पर उनका कोई िनयं ण नह होता और
जब उ ह कोई हािन होती ह या प रवार क िकसी ि य सद य या िकसी करीबी र तेदार क मृ यु हो जाती ह तो वे
बेहद दुःखी हो जाते ह। ऐसी थित म ये लोग जीवन क नकारा मक प पर ही अपना यान कि त कर लेते ह।
उनक िलए जीवन म सबकछ समा हो गया होता ह। सं ेप म, उनक जीवन म कोई आकषण नह बचा होता
और वे वयं म ऊजा क कमी महसूस करने लगते ह। कभी-कभी तो उनक मनः थित गंभीर प धारण कर
लेती ह और इससे त य िकसी से अपने मन क बात कहना या कोई भी बात करना नह चाहते। वे िकसी
से बात करना पसंद नह करते और िबना िकसी प कारण क फट-फटकर रोने लगते ह।

अ पकािलक अवसाद, अ पकािलक प र थितय क कारण होता ह, जो आती-जाती रहती ह, िज ह हम


मुसीबत कहते ह, और ॉिनक या चंड अवसाद क थित म काउसिलंग या इलाज क िलए िकसी पेशेवर
डॉ टर क ज रत होती ह, इनक बीच फक करना ब त मह वपूण ह।
अवसाद क कारण बाहरी हो सकते ह, जैसी ऊपर चचा क गई ह, या बायलॉिजकल, जो िस टम म िकसी
रासायिनक असंतुलन से पैदा हो सकते ह। या मनोवै ािनक, जो इस थित म हो सकते ह जब आप एक लंबे
समय तक अपने गु से को दबाए रखते ह और उसे य नह करते। यह दबा आ गु सा भीतर-ही-भीतर वयं
आपक िखलाफ जाकर अवसाद का कारण बन सकता ह। इस तरह अवसाद दबी ई भावना और अचल ऊजा
अथा ‘ची’ क अव वाह, िवशेष प से िलवर मे रिडयन म, का प रणाम हो सकता ह। कभी-कभी वह
िवटािमन सी और ई क कमी क कारण भी हो सकता ह, िजसक ितपूित अजमोद (पासली) और ककड़ी क
सलाद, िजसम ताजा न बू का रस िमलाया गया हो, खाने से क जा सकती ह। भावना मक असंतुलन, जो कभी-
कभी उथली साँस लेने क कारण हमार र म ऑ सीजन क अपया आपूित क कारण पैदा होता ह, दूर करने
क िलए गहरी साँस लेना भी उपयोगी ह। मे रिडयंस, जो हमारी भावना पर ितकल भाव डालते ह, म ‘ची’
का सुगम वाह बहाल करने और उसम एक नई जान डालने क ज रए ए यू ेशर इस रोग का सफलतापूवक
इलाज कर सकता ह। िन निलिखत कायसूची मददगार होगीः

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। गभवती मिहला को
इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए, कम होगा। यह लीवर और लीवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत और टोन-
अप करता ह। इन दोन वॉइ स का संयोजन हौसला बढ़ाने और भावना मक उथल-पुथल, जो अवसाद का
कारण बनती ह, को शांत करने म स म ह।
Tw-3 हाथ क िपछले भाग म, किन ा और मुि का उगिलय क बीच बने चैनल म, उगली क गाँठ और
कलाई क तकरीबन बीच क ग म थत ह। दोन हाथ पर करीब एक िमनट तक दबाएँ।
Gv-20 को ‘ह ड मीिट स’ भी कहा जाता ह, य िक शरीर क सभी यांग चैन स इसी वॉइट पर िमलते ह।
इस वट स पर थत ह। करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव डाल।
‘वाइटल डाय ाम’ नामक वॉइट B-38 दय क लेबल पर शो डर ले स और मे दंड क बीच थत ह।
यह िचंता, िवषाद, भावना मक उथल-पुथल और अवसाद दूर करने म सहायक ह।
B-10 मे दंड से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर, गरदन क ऊपरी भाग म थत ह। गरदन क
मांसपेशी को भ चने क िलए अपनी सभी उगिलयाँ एक ओर तथा दूसरी ओर अँगूठ का उपयोग करते ए गरदन
क िपछले भाग को पकड़। यह गरदन म टफनेस, रिजिडटी और गिठया का दद दूर करनेवाला एक मुख
वॉइट माना जाता ह तथा तनाव, िसर म भारीपन और अवसाद दूर करने म िवशेष प से लाभदायक ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। यह िसरदद म, गरदन अकड़न, च र आना,
िचड़िचड़ापन और अवसाद दूर करता ह। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ क शसनेस’ क अनु प ही ह।
अवसाद दूर करने क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
K 27 बे्र टबोन क बगल म, कॉलरबोन क नीचे बने ग म थत ह। यह वॉइट िचंता और अवसाद दूर
करता ह।
Gv 24.5 भ ह क बीच म उस थल पर बने ग म थत ह। जहाँ बाँसा (ि ज ऑफ िद नोज) और माथा
िमलते ह, यह अंतः ावी तं (एंड ाइन िस टम), िवशेष प से िप युइटरी लड को टोन-अप करता ह। यह पूर
शरीर को टोन-अप करता ह, तनाव कम करता ह तथा हड कजे न, टफ नोज, िसरदद तथा अवसाद और
भावना मक असंतुलन म भी आराम िदलाता ह।

‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात वॉइट Cv17 े टबोन क बेस से चार अंगुल ऊपर, े टबोन क
म य म थत ह। यह घबराहट, िवषाद, अवसाद, िह टी रया तथा अ य भावना मक असंतुलन ठीक करने म
सहायक ह।
B 23 का कमर क बीच -बीच, पसिलय और क ह क ह ी (भीतरी िकनारा) क बीच होता ह। यह
अवसाद भय और सदमे म राहत िदलाता ह।
B 47 मे दंड से बाहर क ओर चार अंगुल दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न कवल पीठ क िनचले
िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमा भी कम करता ह।
St 36 ( ी माइल पॉइट) नी कप क िनचली सीमा से चार उगली नीचे तथा िशनबोन से एक उगली बाहर क
ओर थत ह। यह गे ोइट टाइनल टॉिनक का काम करता ह, क ज दूर करता ह, पूर शरीर क मांसपेिशय को
सु ढ़ बनाता ह, भावना को संतुिलत करता ह तथा अवसाद दूर करने म भी मदद करता ह। इस वॉइट पर 30
से लेकर 60 सेक स तक दबाव दीिजए।
न 50 : डायिबटीज क ल ण या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी क ारा इसे ठीक िकया
जा सकता ह?
उ र : डायिबटीज क मु य ल ण ह:
1. अ यिधक यास लगना,
2. बार-बार पेशाब आना,
3. भूख यादा लगना,
4. मीठा खाने का मन करना,
5. वजन घटना इ यािद
पि याज ारा इसुिलन क अपया या शू य उ पादन से डायिबटीज रोग पैदा होता ह। इसुिलन क कमी से
र म शकरा का तर बढ़ जाता ह। िजन लोग को डायिबटीज नह ह, उनका शुगर लेवल खाली पेट (फा टग)
80-100 तक होना चािहए और ना ता करने क बाद वही तर (पीपी) 120 से 140 तक होना चािहए। दीघकाल
म डायिबटीज से पैदा होनेवाली जिटलता म आँख क पीछ थत रिटना म ित, मोितयािबंद, गुरद म ित,
अ सर, उ र चाप और दय रोग शािमल ह।
डायिबटीज एक ऐसा रोग ह, िजसे ठीक नह िकया जा सकता, परतु िन त प से उसे िनयं ण म रखा जा
सकता ह। उसे िनयं ण म रखने म ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी सश भूिमका िनभा सकती ह। परतु इस रोग क
बार म एक िदलच प बात यह ह िक उसक िनयं ण म दवाइयाँ कवल एक आंिशक भूिमका ही िनभाती ह। यह
कहना गलत नह होगा िक कोई दवाई, यहाँ तक िक इसुिलन म इजे शन भी र म शकरा क तर को िनयं ण
म नह रख सकते, जब तक रोगी वयं अपने खानपान पर अ छी तरह िनयं ण करक, कलोरी क उपभोग क ित
अ यिधक सचेत रहकर ितिदन पया यायाम करक या सुबह और शाम िमलाकर 4 से 6 िकलोमीटर पया
प से तेज चलकर अपनी मदद खुद नह करता। परतु वा य संबंधी िकसी अ य सम या क कारण अगर कोई
य तेज नह चल सकता, तो सामा य गित से चलना भी ठीक रहगा।
ए यू ेशर तकनीक क ारा इस रोग का उपचार आव यक प से पारप रक िचिक सा क संयोजन म चलना
चािहए और ऐसा करते समय हमारा मु य ल य र संचरण तं तथा रोग ितरोधक तं को उ ी करना
चािहए, िजसक िलए िन निलिखत कायसूची क अनुसार चल।
Li 4 अँगूठ और तजनी को िमलाने से उभरी मांसपेशी क शीष पर थत ह। उन दोन क बीच बने बेस पर
दबाव देना शु कर और उसे तजनी क बेस पर थत ह ी क ओर ले जाएँ। Li-4 िजसे ‘एडजॉइिनंग वैली’
भी कहा जाता ह, ची क वाह म आए ग यवरोध को दूर करनेवाला मा टर वॉइट माना जाता ह। गभवती
मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए, य िक उसक प रणमा व प समय-पूव संकचन और
गभपात हो सकता ह।
ऊजा क वाह का गेट खोलने क बाद अब हम ‘िबगर रश’ नामक सश वॉइट क बात करते ह। Lv-3
हमार पूर शरीर म और िवशेष प से लीवर मे रिडयन म ‘ची’ का वाह िनियिमत करने, क िलए सबसे भावी
वॉइट क प म जाना जाता ह। िजससे हमार पूर शरीर म ‘ची’ का वाह सुगम बना रहता ह, एक बार लीवर म
ऊजा का वाह गड़बड़ा जाए, तो येक मे रिडयन म ‘ची’ और र क वाह म िन लता और असंतुलन पैदा
हो जाता ह, िजसका प रणाम होता ह क और रोग। य िप आमतौर पर यह वॉइट अ यंत मृदु पाया गया ह
उसक उपयोिगता को देखते ए, उसे भूले िबना और टीन क तौर पर वकआउट म शािमल िकया जाना चािहए।
जहाँ तक संभव हो, इस वॉइट को दोन पैर पर एक साथ उ ी िकया जाना चािहए। इस वॉइट क मह व का
बखान करते ए कभी-कभी कछ सु िस ए यू ेशर/ए यूपं र िचिक सक कहते ह िक अगर आपको अपने
शरीर पर कवल एक वॉइट पर दबाव देने क िलए कहा जाए, तो यही वॉइट दबाएँ।

‘ ी ियन मीिटग वॉइट’ नामक वॉइट Sp-6 टाँग क भीतर क ओर िपछले भाग पर, टखने क ह ी क
ऊपर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। यह सबसे
मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह ित ी, लीवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को सश
बनाता ह। यह लीवर ‘ची’ को पूर शरीर म वािहत करने म भी मदद करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
Sp-10 एक और मह वपूण वॉइट ह, िजसे र क वाह म िन लता को दूर करने क िलए सफलतापूवक
उपयोग िकया जा सकता ह। St-6 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नी-कप क म य भाग क बीच बीच
थत ह। िटिबआ का पता लगाएँ तथा ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न
कम करने म यह ब त मददगार ह।
St-40 टखने क ह ी क आधे भाग म पैर क बाहरी और घुटने क कप क बीच थत ह। टीिबया ह ी
का पता लगाएँ तथा बाहर क ओर ह ी से दो उगिलय क दूरी तक जाएँ। कनजेशन कम करने म यह ब त
सहायक ह।
St-36 घुटने क कप से चार उगिलयाँ नीचे क ओर थत ह। सामने पैर क एड़ी क मदद से वाइट को
दबाया जा सकता ह। Sp-6 क साथ उपयोग से, ये ची तथा र क वाह को बढ़ाते ह। यह मा टर वाइट ी
माइल फट नाम से भी जाना जाता ह।
St-6 नी-कप से चार उगिलयां नीचे थत ह। इस वॉइट को दूसर पैर क एड़ी से भी दबाया जा सकता ह।
Sp-6 क संयोजन म उपयोग करने से ‘ची’ और र दोन टोन-अप होते ह, और शरीर को श दान करते
ह। यह मा टर वॉइट ‘ ी माइल फट’ क नाम से जाना जाता ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह वॉइट ‘सु ीम
ीम’ क नाम से जाना जाता ह। यह पूर शरीर क ‘ियन और यांग’ क मूल प म जाना जाता ह तथा िकडनी
मे रिडयन का मु य ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस मे रिडयन और पूर शरीर पर जबरद त
पुि कारक भाव पड़ता ह।

B-23 : पॉइट, गुरदे का एक संब वॉइट ह, यह मे दंड क दोन ओर उससे डढ़ इच क दूरी पर, आपक
नािभ क लेवल से ऊपर पीठ क म य भाग से नीचे थत ह। मे दंड क दोन ओर आपक पीठ पर थत इन
दोन वॉइ स को अपने हाथ से आसानी से उ ी िकया जा सकता ह। Kd-3 क संयोजन म यह वॉइट गुरदे
क ‘ची’ का टोन अप करता ह।

Gb-20, को ‘िवंडपूल’ भी कहा जाता ह। यह खोपड़ी क बेस पर गरदन क हयरलाइन क एक अँगूठ क


चौड़ाई िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। दोन हाथ क अँगूठ से
आसानी से एक साथ दबाव डाला िदया जा सकता ह। यह वॉइट ऊजा क आंत रक वाह को िनयिमत करता ह।
Li-11 : ‘पूल एट द करक’ क नाम से ात यह वॉइट उस ज क बाहरी िसर पर थत ह, जो अपने कधे
को छने क िलए अपने हाथ को मोड़ने पर बनती ह। दोन हाथ पर दबाव डाल। दबाने पर यह वॉइट ब त नरम
पड़ जाता ह, इसिलए शरीर से अित र गरमी और नमी बाहर िनकालने म ब त उपयोगी इस वॉइट को दबाते
समय भरसक सावधानी बरत। अित र वॉइ स, जो िच म िदखाए गए ह : ये पॉइ स फोर आ स क बीच बीच
कलाई और कोहनी क ज क बीच थत ह। जहाँ सीधी बाँह पर थत वॉइट ऊजा क य को रोकता ह, बाई
बाँह पर थत वह वॉइट (िजसे पीसी-4 भी कहा जाता ह) जो म य-िबंदु से कलाई क िदशा म करीब एक
अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह, दय को उ ी करने म ब त सहायक पाया गया ह।

अनुभव क आधार पर हम यह महसूस करते ह िक ह ते म कम-से-कम पाँच बार िनयिमत प से ‘ि गर


वॉइ स’ पर दबाव देकर िन निलिखत अंग से जुड़ र ले स ए रयाज को उ ी करना रोगी क शुगर लेवल
को िनयं ण म रखने म ब त मददगार ह, तािक इस रोग से पैदा होनेवाली भयानक जिटलता से य बचा
रह। मधुमेह रोगी का इलाज करते समय यह सावधानी रखना ब त ज री ह िक ह का दबाव ही डाला जाए,
य िक ऐसे रोगी क वचा पतली हो जाती ह और उसे आसानी से चोट लग सकती ह। पि याज क र ले सेज
पर दबाव ब त सावधानी से डाल कर यह सुिन त िकया जाना चािहए िक वह ह का हो।
िजन मह वपूण े को उ ी िकया जाना ह, वे ह :
1. पि याज
2. िप युइटरी लड
3. ए नल लड
4. थायरॉइड ंिथ
5. दय
6. आँख
7. गुरदे और मू ाशय
8. लीवर और
9. आँत
आपक सुिवधा क िलए उपरो अंग क र ले स ए रयाज को थित को पु तक क अंत म िदए गए िच म
दरशाया गया ह। जहाँ (5) से लेकर (9) तक िदखाए गए र ले स वॉइ स का डायिबटीज पर िनयं ण से कोई
संबंध नह ह, िफर भी इस रोग से पैदा होनेवाली जिटलता /दु भाव से बचने क िलए इन अंग को उ ी
करना अित मह वपूण ह। येक र ले स जोन को ठीक से उ ी िकया जाना चािहए और उसक बाद येक
े पर तीस सेक स से लेकर एक िमनट तक ह क से म यम दरजे तक का दबाव िदया जाना चािहए।
न 51 : डाय रया होने का कारण या ह? ेशर वॉइट िचिक सा िविध का उपयोग करते ए
उसका इलाज कसे िकया जा सकता ह, इस पर चचा कर।
उ र : डाय रया हमार शरीर ारा अपनाया गया वह ाकितक तरीका ह िजसक ारा िवषैले पदाथ को
हमार िस टम से बाहर िनकाल िदया जाता ह। बार-बार होनेवाले असाधारण प से पतले मल िवसजन से इस रोग
का पता चलता ह। कमजोर पाचन श , अ वा यकर और अ व छ भोजन से बै टी रया का सं मण होने पर
वह डाय रया क प म कट हो सकता ह। कभी-कभी यह रोग िवषा भोजन या कोई तेज, एंटीबायोिटक दवा
लेने से भी होता ह। आमतौर पर कछ घंट क भीतर ही इसका कोप कम होता ह, परतु अगर 24 घंट से भी
अिधक समय तक वह ठीक न हो, तो शरीर म पानी क कमी (डीहाइ शन) से बचने क िलए आपको तरल
पदाथ का सेवन बढ़ा देना और अ य सभी संभव एहितयाती उपाय करने चािहए। डीहाइ शन क ल ण ह सूखे
ह ठ, धँसी ई आँख, च र आना इ यािद और उसक िलए तुरत डॉ टर से संपक करना चािहए।
िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव देकर हम इस रोग को सुगमता से िनयंि त कर सकते ह :

Cv-6 नािभ से दो उगिलय क चौड़ाई िजतनी नीचे थत ह। यह डाय रया से आराम िदलाता ह, और उदर
क मांसपेिशय को पु करता ह।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, पाचन ि या को
श देता ह, तथा पेट क दूसरी गड़बि़डय को ठीक करता ह। Sp-4 पैर क तलवे पर आक पर, पैर क बॉल
से एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना पीछ थत ह। यह क ज, डाय रया, पेट दद और मतली आिद म राहत देता ह।
Lv-2 पैर क अँगूठ और उसक साथवाली उगली क संिध थल पर थत ह। डाय रया, पेट दद और मतली म
आराम िदलाता ह।

Sp-6 िजसे ‘ ी ियन मीिटग’ वॉइट भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी दूरी पर थत ह।
दोन तरफ क वॉइ स को एक साथ दबाया जाना चािहए।

Cv-12 े टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। डाय रया से राहत पाने क िलए
इस वॉइट पर म यम दरजे का, िकतु मजबूत दबाव डाल।
St-44 पैर क ऊपरी भाग म दूसरी और तीसरी उगली क मािजन म बने ग म थत ह। अगर डाय रया
दूिषत चीज खाने या फड पॉइजिनंग क कारण आ ह, तो यह वॉइट ब त भावी ह।
न 52 : च र आना (िडजीनेस) या ह, यह य होता ह? या ए यू ेशर इसे ठीक करने म
मदद कर सकता ह?
उ र : रजोिनवृि , मोशन िसकनेस सवाइकल प िडलोिसस या माइ ेन, च र आने का कारण हो सकता ह।
जब रोगी यह महसूस करता ह िक या तो उसका िसर घूम रहा ह या उसक आसपास क चीज घूम रही ह, इसे
कान क भीतरी िह से म ‘मेिनअस िडसीज’ नामक एक रोग का ल ण भी बताया जाता ह। अगर च र आने क
साथ-साथ शरीर सु पड़ जाना, बोलने म किठनाई, धुँधला िदखाई पड़ना, सीने म दद या दय क े म भारी
बेचैनी हो रही हो तो आपको तुरत मेिडकल सहायता लेनी चािहए, य िक ये आस दयाघात क ल ण हो
सकते ह।

ह क च र आने क मामल म कभी-कभी भूख कम लगने या हमेशा थका-थका-सा रहने क िशकायत भी


सामने आई ह। ऐसे मामल म हम ‘ची’ को पु और र का पोषण करक रोगी म सम प से श का
संचार करने मा से इस रोग पर काबू पा सकते ह।
िन निलिखत ेशर वॉइ स सामा य कित क च र म राहत िदलाएँगेः

Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे तीन मे रडयंस क ‘ियन’ को पु करता ह। यह नारी अंग को िनयिमत करनेवाला मा टर वॉइट भी
माना जाता ह और इसिलए मािसक धम िनयिमत करने, मोच ठीक करने, रजोिनवृि सुगम बनाने इ यािद म
उपयोगी ह। St-36 क संयोजन म यह गे ो-इट टाइनल टर ट क सामा य गितिविध बहाल करने म भी ब त
मददगार माना जाता ह। यह ‘ची’ का पोषण करने और श बढ़ाने म सहायक ह। गभवती मिहला को इस
वॉइट का उपयोग नह करना चािहए।

St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, पाचन ि या म मदद
करता ह तथा पेट क दूसरी गड़बि़डय को ठीक करता ह।
Cv-12 बे्र टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। डाय रया से राहत पाने क िलए
इस वॉइट पर म यम दरजे का, िकतु फम दबाव दीिजए।

Lv-2 पैर क अँगूठ और उसक साथवाली उगली क संिध थल पर थत ह। यह वॉइट ती भावना से


उपजी अित र ‘ची’ को संतुिलत करने म उपयोगी ह।
Gb-21 ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। इस वॉइट पर कधे क दोन ओर एक साथ दबाव िदया जा सकता
ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह, तो यह और अिधक
लाभकारी हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ‘ची’ का सामा य वाह बहाल करता ह।
गभवती मिहला म इस वॉइट पर दबाव नह िदया जाना चािहए।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। यह िसरदद, गरदन म अकड़न, च र आना,
िचड़िचड़ापन और अवसाद दूर करता ह। इसका भाव ‘इसक’ नाम ‘गे स ऑफ कॉ शसनेस’ क अनु प ही ह।
अवसाद दूर करने क िलए यह अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
न 53 : या ए यू ेशर कान म दद दूर करने म सहायक हो सकता ह? कान म दद होने क कारण
या हो सकते ह?
उ र : कान म दद ब त आम रोग ह और ए यू ेशर ारा उससे आसानी से िनपटा जा सकता ह। आमतौर
पर यह रोग िवरले ही गंभीर होता ह। िफर भी अगर तकलीफ दो िदन म कम न हो तो कान म सं मण, अगर
कोई हो, तो पैदा होनेवाली जिटलता से बचने क िलए डॉ टर क सलाह लेना बेहतर होगा। अ यथा, दद कान
क बाहरी कनाल या कान क भीतरी भाग म सं मण क कारण हो सकता ह। हवाई या ा क दौरान किबन ेशर
म बदलाव, जो भीतरी और बाहरी ईयर म म असमान दबाव पैदा कर सकता ह, क कारण भी हो सकता ह।

‘एडजॉइिनंग’ वैली क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। गभवती मिहला को
इस वॉइट पर दबाव नह डलवाना चािहए।

Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, ाई क ज से करीब ढाई
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव दीिजए। इस वॉइट को Tw-17 क संयोजन से उ ी करक कान म िकसी भी
कार क सम या म लाभकारी पाया गया ह। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और सश वॉइट
माना जाता ह।
Tw-17 लोलक (इअरलोब) क पीछ बने ाकितक ग म थत ह। ह का दबाव द, य िक यह वॉइट
मृदु हो सकता ह।
िलसिनंग पेलेस क नाम से ात Si-19 मुँह खोलने पर बननेवाले ग म थत ह। इसे अपनी तजनी से अपने
चेहर क साइड म (कान क पास) टटोलने क कोिशश क िजए, जैसा िच म बताया गया ह। इस पूर े को
उ ी करने क उ े य से इस वॉइट पर दबाव देने क िलए आप अपनी दूसरी, तीसरी और चौथी उगिलय को
एक साथ इ तेमाल कर।

न 54 : या ए यू ेशर हमारी आँख को व थ बनाए रखने और थक ई आँख को राहत देने म


मदद कर सकता ह?
उ र : हमारी आँख को व थ बनाए रखने और हमारी ि को सश बनाए रखने म भी ए यू ेशर ब त
राहत दान कर सकता ह। वा तव म हम सभी और िवशेष प से उ दराज लोग, िज ह टाइिप ट/ टनो ाफर क
तौर पर काम करना पड़ता ह, या वे लोग, जो लंबे समय तक क यूटर पर काम करते ह, या वे लोग, िजनका
यादातर समय टीवी देखने म गुजरता ह, या वे लोग, जो िदन म 50 िकलोमीटर से यादा ाइव करते ह, सभी
अपनी आँख पर दबाव डालते ह।

अगर ए यू ेशर वॉइ स को टीन क तौर पर इ तेमाल िकया जाए तो आँख को िकसी भी तरह का न िदए
िबना बेहतर और साफ ि बनाए रखने म ब त मददगार िस हो सकता ह। हम आँख पर न पड़ने या
उनक सं िमत होने का इतजार करने और उसक बाद ए यू ेशर का सहारा लेने का काम नह करना चािहए।
हमार चेहर पर आँख क पास ही ब त से ेशर वॉइ स मौजूद ह और आँख को दु त बनाए रखने म स म
ह। वे ह:
‘आइ े रटी’ नाम से ात B1 भ ह और आँख क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ ने कोटर (आइ सॉकट)
नाक को पश करता ह। नाक (और ऊपर) क ओर ह क-ह क दबाएँ। पाँच तक िगनने तक दबाव बनाए रख,
िफर धीर-धीर दबाव कम कर।
‘ े टग बंबू’ नामक वॉइट B2, B1 से ठीक ऊपर, ठीक उस जगह पर थत ह, जहाँ बाँसा (अथा ि ज
ऑफ िद नोज) से भ ह शु होती ह। B1 क िलए बताए अनुसार ही दबाव दीिजए।
उसक बाद अपनी भ ह को इस तरह पकड़ िक वे अँगूठ (भ ह क नीचे क ओर) और तजनी क िगर त म
आ जाएँ। भ ह क भीतरी भाग से िपंच करते ए बाहर क ओर जाएँ। भ ह क पूर े पर िचकोटी काटने क यह
ि या कम-से-कम तीन बार दोहराएँ। अिन ा, अवसाद आिद रोग से िनपटने क िलए भी इन वॉइ स पर दबाव
िदया जाता ह, य िक यह आँख और तंि का तं को सुकन प चाते ह।

‘ यूिपल िवस’ नामक वॉइट Gb1 भ ह क बाहर क ओर थत ह। येक हाथ क तजनी या म यमा
उगली क ज रए दबाव डाल। दबाव क िदशा िकिचत ऊपर और बाहर क ओर हो। पाँच िगनने तक दबाव डाल
िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। इसे पाँच बार दोहराएँ।
चूँिक ि े ‘िलवर मे रिडयन’ से जुड़ा आ ह, वॉइट Lv-3 दबाएँ।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए कम ह। यह िलवर को पु और िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत बनाता
ह। इस वॉइट को उ ी करने से ि को ब त फायदा होता ह।
न 55 : िमरगी (एिपले सी) या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी इस भाग क इलाज म मदद
कर सकता ह?
उ र : िमरगी तंि का तं (नवस िस टम) का एक रोग ह, िजसम म त क म असामा य गितिविध क कारण
य को दौरा पड़ता ह या वह बेहोश हो जाता ह। यह रोग आमतौर पर बचपन या िकशोराव था म कट होता
ह।

ए यू ेशर म शरीर म संतुलन और श बहाल करने क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग िकया जाता ह,
िजससे य को इस रोग से बाहर लाने म मदद िमलती ह। कई सश ‘ रवाइवल वॉइ स’ म से Gv-26
सबसे अिधक उपयोगी ह। यह नाक क ठीक नीचे ऊपरी ह ठ क म य म थत ह। रोगी को तुरत सामा य बनाने
क िलए इस वॉइट को अकले या कछ अ य वॉइ स क संयोजन म इ तेमाल िकया जा सकता ह। शरीर को पुनः
श दान करने क िलए यह वॉइट शरीर क नेचुरल मेकिन म को भी उ ी करता ह। इस संदभ म सबसे
मह वपूण ह तंि का तं को मजबूत िकया जाना। इस रोग म दोबारा कट होने पर मेिडकल सहायता लेना तथा
िन निलिखत ेशर वॉइ स को शािमल करते ए ए यू ेशर िचिक सा जारी रखना उिचत होगा।
B23 रब कज तथा क ह क ह ी क भीतरी िकनार क बीच बीच कमर क म य म ढढ़ा जा सकता ह। यह
अवसाद भय, और सदमे म राहत िदलाता ह।
B47 मे दंड से बाहर क ओर चार अंगुल चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न कवल
पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमे म
भी राहत िदलाता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच म थत ह। िमरगी क कारण
आई बेहोशी, ऐंठन या सदमे म राहत दान करने क िलए यह एक मह वपूण थम वॉइट ह।

St-36 िशन बोन क बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह।
र ले सोलॉजी तकनीक का उपयोग करते ए िमरगी से पीि़डत एक रोगी का इलाज करते समय िसर और
म त क से संबंिधत र ले स जोस म आनेवाले र ले स वॉइ स अथा सोलर ले सस, ए नल ल स,
िप युइटरी लड, थायरॉइड लड को उ ी करने क अित र दोन तलव को उ ी कर और उन सभी
वॉइ स क तलाश कर, जो दबाने पर तकलीफ देते ह और उ ह बार-बार उ ी कर। िमरगी का इलाज करने
क िलए िवशेष प से मे दंड, गरदन का े तथा पाचन तं से संबंिधत सभी र ले सेज को उ ी िकया
जाना ज री ह, िजनम पैराथायरॉइड लड पर यादा जोर िदया गया हो। पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और
तलव क िच म उ ी िकए जानेवाले वांि त े देखे जा सकते ह।

न 56 : या ए यू ेशर बेहोश य को होश म लाने म मदद कर सकता ह? या इस तकनीक


का उपयोग करते ए इस रोग से एक लंबे समय क िलए छटकारा पाया जा सकता ह?
उ र : ए यू ेशर म शरीर म पुनः संतुलन थािपत करने और श दान करने क िलए ेशर वॉइ स का
उपयोग िकया जाता ह, िजससे रोगी अचेताव था से बाहर आ जाता ह। कई सश रवाइवल वॉइ स म से
Gv-26 सबसे यादा उपयोगी ह। यह नाक क ठीक नीचे-नीचे ऊपर क ह ठ क म य म थत ह। रोगी को तुरत
सामा य बनाने क िलए इस वॉइट को अकले या कछ अ य वॉइ स क संयोजन से इ तेमाल िकया जा सकता
ह। शरीर को पुनः श दान करने क िलए यह वॉइट शरीर क नेचुरल मेकिन म भी उ ी करता ह। इस
संदभ म सबसे मह वपूण ह तंि का तं को मजबूत िकया जाना। इस रोग क कट होने पर मेिडकल सहायता
लेना तथा िन निलिखत ेशर वॉइ स को शािमल करते ए ए यपु्रशर िचिक सा जारी रखना उिचत होगा।
B23 रबकज तथा क ह क ह ी क भीतरी िकनार क बीच बीच, कमर क म य भाग म ह। यह अवसाद,
भय और सदमे म राहत िदलाता ह।
B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार अंगुल चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न कवल
पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय और सदमा भी
कम करता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच म थत ह। िमरगी क कारण आई
बेहोशी, ऐंठन या सदमे म राहत दान करने क िलए एक मह वपूण थम वॉइट ह।
St36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह और मांसपेिशय को पु बनाता ह। यह रोगी को
होश म लाने म भी सहायक ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। इस वॉइट क मह व क
बार म िजतना कहा जाए कम ह। यह िलवर को पु और िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत बनाता
ह। ये दोन वॉइ स अथा St 36 और Lv-3 िमलकर ह सला बढ़ाने और भावना मक परशािनय को दूर करने
म स म ह। यह बेहोशी, च र आना, थकान, ायु संबंधी िवकार और लंबे समय से हो रह िसरदद म राहत
दान करता ह।

लंबे समय तक राहत पाने क िलए उपरो ेशर वॉइ स को आरभ म दस िदन तक और उसक बाद 2-3
महीन तक ह ते म एक बार दबाना चािहए तथा बेहोशी क घटनाएँ कने क बाद फॉलो-अप क तौर पर महीने
म एक बार काफ होगा। अगर एक साल तक भी यह रोग दोबारा कट न हो, तो फॉलो-अप को भी बंद िकया
जा सकता ह।
न 57 : या ए यू ेशर हमेशा बनी रहने वाली थकान दूर करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : ‘ ॉिनक फटीग’ एक ऐसा रोग ह जो ब त से लोग को िनढाल कर देता ह। इस रोग म य हर
समय थका-थका महसूस करता ह। इसका कोई िन त कारण नह बताया जा सकता ह। एकमा कारण सोचा
जा सकता ह, वह शायद यही ह िक हर कोई आपाधापी म लगा आ ह, िजसका प रणाम होता ह शारी रक और
मानिसक थकान। एक और संभािवत कारण, शरीर म िवषैले पदाथ जमा हो जाने से ऊजा अव हो सकती ह,
जो आपको हर समय थका-माँदा महसूस कराती ह और शरीर क रोग ितरोधक मता कम करक उसक य
का माग श त करती ह। बेहतर वा य हािसल करने और रोग ितरोधक मता बढ़ाने क िलए िवषैले पदाथ
शरीर से बाहर िनकालना एक मह वपूण कदम ह। भरपूर पानी पीना डीटॉ सीिफकशन क िदशा म एक अ छा
कदम ह। ए यू ेशर और र ले सोलॉजी—दोन िमलकर ब त लाभकारी हो सकते ह, य िक वे एक-दूसर क
पूरक ह। िन निलिखत ेशर वॉइ स क अनुशंसा क जाती ह—

Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत बनाता ह, जो डीटॉ सीिफकशन क िलए सबसे श शाली अंग
माना जाता ह।
Sp-6 ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे—तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायक ह। गभवती मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए।

Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
इस वॉइट पर रोगी क लेट रहने क थित म दबाव िदया जा सकता ह। (उस समय मू ाशय खाली होना
चािहए)। यह सामा य थकान दूर करता ह और रोग ितरोधक मता बढ़ाता ह।
K-27 े टबोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉल ) म थत ह। यह गुरद को पु करता
ह, जो िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला एक मुख अंग माना जाता ह।
H-6 हाथ क हथेली क तरफवाले भाग पर, दो टडस क बीच, कलाई क ज से दो अँगूठ क चौड़ाई
िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह।
ॉिनक फटीग का मुकाबला करने क िलए ऊपर बताई गई ए यू ेशर िचिक सा िविध क साथ-साथ
िन निलिखत र ले स े पर दबाव देना अ यिधक लाभदायक होगा :
1. पैर क अँगूठ पर िप युइटरी लड से संबंिधत र ले स ए रया
2. तलव क पैड क नीचे और िकडनी वॉइट से ठीक ऊपर ए न स े
3. पैर क दोन ओर टखने क ह ी क े क आसपास से स ल स
4. ित ी क कडीशिनंग, िजसका र ले स पॉइट, बाएँ पैर पर हाट वॉइट क नीचे थत ह, य िक यह अंग भी
शरीर म जैिवक श का भंडारगृह और लाल र कण क उ पादन क िलए िज मेवार भी माना जाता ह।
5. साथ ही िलवर, जो शरीर म ‘ची’ का संचरण बढ़ाने क िलए जाना जाता ह, ‘ ॉिनक फटीग’ का मुकाबला
करने क िलए ब त लाभकारी िस होगा।

न 58 : चेहर पर लकवा (फिशयल पैरािलिसस) या ह? या यह तंि का तं (नवस िस टम) म


आई िकसी गड़बड़ी क कारण होता ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी िकसी तरह उपयोगी हो सकता
ह?
उ र : तंि का तं शरीर क सबसे जिटल यव था ह, यह एक ही समय म कई गितिविधय को िनयिमत
करता ह। वह हम दूसर से संवाद थािपत करने और महसूस करने म स म बनाता ह। वह हमार शरीर क सभी
गितिविधय पर िनगरानी और उन पर िनयं ण रखता ह। तंि का तं से जुड़ ए र ले स ए रयाज पैर क अँगूठ ,
हाथ क अँगूठ और उगिलय पर थत ह। िद ससरी मोटर कॉट स हमारी सायास (कांशस) हरकत क पहचान
और उ ह िनदिशत करता ह। मा टर लड, अथा हरकत क पहचान और उ ह िनदिशत करता ह। मा टर लड,
अथा िप यूइटरी सभी गितिविधय को िनदिशत करती ह। अनुम त क (से रबेलम) हमारी गितिविधय और
संतुलन क िलए िज मेवार ह। ‘ ेन टम’ कॉमन पाथ ह तथा ेन से आनेवाली और ेन क ओर जानेवाली
सूचना क वाह का सम वय करता ह। उ ीपन का अभाव सम तंि का तं को भािवत करता ह।

‘फिशयल पैरािलिसस’, को बे स पा सी भी कहा जाता ह, फिशयल नव क अित मण (इिपंजमट) क कारण


चेहर क एक तरफ होनेवाला प ाघात ह। चूँिक सबक नजर पहले उसी पर पड़ती ह, रोगी क िलए वह ब त ही
ल ाजनक और मानिसक संताप का कारण बन जाता ह। आमतौर पर इसक साथ-साथ शरीर क कम-से-कम
एक तरफ प ाघात हो जाता ह। अंग म रिजिडटी क प म कट होनेवाले लकवे क इलाज क िलए
र ले सोलॉजी क तकनीक िवशेष प से बे्रन े पर इ तेमाल क जाती ह। अपने अंग पर य का
िनयं ण समा हो जाने क प म कट होनेवाले लकवे क िलए हम मे दंड को टारगेट बनाना होगा। पैर और
हाथ क अँगूठ क े पर दबाव देने क अित र अगर हम आँख और कान क र ले स ए रयाज पर भी दबाव
द तो वह लाभदायक होगा। य िक ये े भी करिनयल न स को र ले स करते ह। जहाँ सेर ल पा सी क
मामले म हम इस तकनीक का इ तेमाल चेहर क दोन तरफ करना होगा, (अ य मामल म) इस तकनीक का
उपयोग लकवा त साइड क दूसरी ओर करना होगा।

इस रोग म सुधार क िलए संबंिधत ेशर वॉइ स पर दबाव देने क िलए िन निलिखत कायसूची का अनुसरण
कर। कभी-कभी तो रोगी पं ह िदन या एक महीने क भीतर ही ठीक हो जाता ह। परतु कभी-कभी पूरी तरह से
ठीक होने म 6 से लेकर 9 महीन तक लग सकते ह। िफर भी, रोगी पूरी तरह ठीक होता ज र ह। ज रत िसफ
इस बात क ह िक उसम ठीक होने क इ छा श और धैय हो।
‘फोर हाइ स’ क नाम से ात St-2 ने कोटर (आइ सॉकट) क लोअर रज से एक उगली क चौड़ाई
िजतना नीचे आइ रस क म य भाग क सीध म, गाल क ग म थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह तथा
चार िदशा म ि म सुधार लाता ह।
‘फिशयल यूटी’ क नाम से ात St-3 पुतली और गाल क ह ी क नीचे थत ह। िपचक ए गाल म
उभार लाता ह तथा फिशयल स युलेशन म सुधार लाता ह।
St-4, यह खास रोग क इलाज क िलए एक लोकल वॉइट ह।
यी फग क नाम से ात Si-17 कान क ह ी क पीछ बने ग म थत ह। चेहर और िसर से जुड़ रोग क
इलाज क िलए इसे एक मह वपूण वॉइट माना जाता ह। वायु िवकार दूर करता ह।
GB-1 आँख क बाहरी कोण क बगल म बने ग म थत ह। वायु िवकार दूर करता ह।
GB-2 जबड़ क जॉइट पर कान क ठीक सामने थत ह। यह वॉइट फिशयल पेरािलिसस क इलाज म िवशेष
प से उपयोगी ह।
GB-12 मे टॉइड बोन क पीछ और नीचे, कान क पीछ बने ग म थत ह। चेहर क लकवे क इलाज क
िलए खास वॉइट ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव उसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’
क अनुसार ही ह। गरदन क े म आई अकड़न को ठीक करने क िलए अ यंत लाभदायक ह। यह वायु िवकार
और जुकाम दूर करता ह।
न 59 : फाय ॉइ स या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी उनक इलाज म िकसी काम आ
सकते ह?
उ र : फाय ॉइ स सामा य, हािनरिहत यूमस ह, जो गभाशय क भीतर िवकिसत होते ह। वे छोट या एक
अंगूर क आकार तक िवकिसत होते ह। एक वृह तर फाय ॉइड उदर क िनचले िह से म दद क साथ-साथ भारी,
लंबे समय तक चलनेवाली या अिनयिमत रजोिनवृि क प म सामने आ सकता ह, िजसका प रणाम र ा पता
होता ह। अ य सम या म पीठ का दद, क ज तथा बार-बार पेशाब आना या पेशाब करने म किठनाई शािमल
ह। अगर आपक उदर क िनचले िह से म तेज ॉिनक दद हो, तो तुरत अपने डॉ टर से िमल।

िवशेष प से गभाशय म या उस पर होनेवाले फाय ॉइ स यूमस होते ह जो िविभ आकार क होते ह और


आमतौर पर धीर-धीर िवकिसत होते ह तथा इनका कोई बुरा भाव नह पड़ता। वे 35 वष से अिधक आयु क
20 ितशत से अिधक मिहला म कट होते ह। य िप वे सम या मूलक नह ह, वे गभाशय का आकार बढ़ने
और िवकत होने का कारण बन सकते और गभधारण करने म बाधा प चा सकते ह। आमतौर पर एक मिहला को
फाय ॉइ स होने का पता तब चलता ह, जब िकसी टीन पे वक ए जािमनेशन क दौरान उसका डॉ टर उनक
उप थित महसूस करता ह, अ ासाउड कन क ज रए इनक पुि कराई जा सकती ह। कभी-कभी, आपक
गभाशय म फाय ॉइड और अिधक न बढ़, उसक िलए आपका डॉ टर आपको गभिनरोधक गोिलयाँ न लेने या
िकसी तरह क हाम न र लेसमट िचिक सा जारी न रखने क िलए कह सकता ह।

ए यू ेशर और र ले सोलॉजी जैसी वैक पक िचिक सा िविधयाँ गभाशय क इस रोग क ल ण , िवशेष प


से उससे होनेवाले दद को दूर करने म सहायक हो सकती ह, परतु बेहतर यह होगा िक बेहतर नतीजे हािसल करने
क िलए उनका उपयोग पारप रक िचिक सा क पूरक क तौर पर िकया जाए।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर,
डीटॉ सीिफकशन क िलए सबसे श शाली अंग माना जाता ह, यह इस अंग को पु और िलवर मे रिडयन म
ची क वाह को िनयिमत करता ह।
SP-6 को ी ियन मीिटग वॉइट भी कहा जाता ह। यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करती ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह।
CV-4 अथा ‘गेट ओ रिजन’ नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। नपुंसकता दूर करने
तथा अिनयिमत रजोधम को ठीक करने म सहायक ह।
CV-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह जनन संबंधी सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह। पूर जनन तं को पु
करता ह।
SP-8 ‘लोअर लेग’ क भीतरी ओर, घुटने से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे बने ग म थत ह।
िपंडली और ‘लेग बोन’ क बीच मजबूती से दबाव डाल।
र ले सोलॉजी तकनीक ारा फाय ॉइ स का इलाज करते समय हम गभाशय, ओवरीज, फलोिपयन यू स,
िप यूइटरी लड, िलंफिटक िस टम, मे दंड, िकडनी और लैडर ए रया तथा पाचन तं से जुड़ सभी े से
संबंिधत र ले स क ए रयाज पर यान कि त करना होगा। येक र ले स ए रया पर 2-3 िमनट तक दबाव
डाल। कई सैशन म इलाज कराने से काफ आराम िमलेगा।
न 60 : उदर-वायु ( ले युलस) से या ता पय ह और उसक कारण या ह? या ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी से उसक इलाज म मदद िमल सकती ह?
उ र : गैस बनना हमारी पाचन ि या का एक सामा य िह सा ह। लोग एक िदन म दस या उससे यादा बार
गैस पास करक भी पूरी तरह तंदु त बने रह सकते ह। गुदा या मल ार क ज रए गैस पास करने को ले युलस
कहा जाता ह तथा कभी-कभी ब त बदबूदार गैस िनकलती ह, जो ब त अ िचकर और ल ाजनक होती ह। पेट
क ऊपरी भाग से िन कािसत गैस को डकार का नाम िदया गया ह।

पोषणहीन आहार, बेमेल खा पदाथ का सेवन तथा ठीक से चबाए िबना, ज दी-ज दी खाना इस रोग क
कारण हो सकते ह। जब हम कछ खाते या (िवशेष प से ॉ क ज रए) पीते ह या काब नेटड पेय पीते ह तो
वायु अंदर लेते ह। इसक ल ण म पेट फलना, पेट म ऐंठन, ख ी डकार तथा गुदा माग से गैस पास करना
शािमल ह।
अगर आप ब स, स जयाँ, फल और अनाज जैसे हाइ फाइबर फड खाते ह तो उनक आंिशक प से पचे सैल
क बाहरी िह से आपक आँत म चले जाते ह। जहाँ बै टी रया खमीर उठाने क अपनी ि या शु कर देते ह,
िजससे गैस पैदा होती ह। कछ मामल म डयरी उ पाद जैसे दूध और दही क सेवन से भी गैस पैदा होती ह। यह
रोग िकसी पेशेवर िचिक सक क सहायता क िबना, नीचे बताए गए ए यू ेशर शे यूल और र ले सोलॉजी क
उपयोग से वयं आपक ारा ठीक िकया जा सकता ह।
Sp-6, को ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह। यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह।

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संचा रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बनने वाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क
रा ते िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायक ह। गभवती मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना
चािहए।
Cv-6 : ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत
ह। इस वॉइट पर, रोगी क लेट रहने क थित म दबाव िदया जा सकता ह। उस समय मू ाशय खाली होना
चािहए। यह सामा य थकान दूर करता ह और रोग ितरोधक मता बढ़ाता ह।
St-36 ‘िशन बोन’ से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूरी पर नीकप से चार उगिलय क
चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह और मांसपेिशय को पु बनाता ह।
St-27 शरीर क सामनेवाले भाग म ‘िमिडल ए सस’ क साइड से कछ दूर, नािभ से तीन उगिलय क
चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह उदर-वायु से छटकारा िदलाता ह। Cv-8 बेली बटन पर थत ह। यह नािभ क
े म दद तथा आँत म सं मण (दोन ती तथा ॉिनक) से छटकारा िदलाने म सहायक ह।

Sp-13 जघना थ ( यूिबक बोन) से थोड़ा ऊपर िमिडल ए सस क साइड म चार अँगूठ क चौड़ाई िजतना
दूर थत ह। यह उदर/आँत म तनाव, पेट फलना और वायु म आराम देता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए छोटी और बड़ी आँत , मलाशय और मल ार,
पेट, पि याज, यूअडनम, िलवर, गॉल लैडर, सोलर ले सस, ए नल ल स, डाय ाम तथा मे दंड े ,
िवशेष प से व े क र ले स ए रयाज पर यान कि त क िजए। इन ए रयाज क ठीक-ठीक थित जानने
क िलए कपया पु तक क अंत म िदए गए िच क सहायता ल।
न 61 : ‘ ोजन शो डर’ या ह? या ए यू ेशर इसक इलाज म सहायक हो सकता ह?
उ र : ‘ ोजन शो डर’ एक ऐसा रोग ह, िजसम कधे स त और पीड़ादायक बन जाते ह। यह रोग इस कदर
िबगड़ सकता ह िक रोगी अपने रोजमरा क सामा य काय भी न कर पाए। यहाँ तक िक कपड़ पहनना या बाल म
कघी करना भी मु कल हो जाता ह, अथा बाँह को उठाने-िगराने म किठनाई होती ह। इसीिलए, इसे ोजन
शो डर नाम िदया गया ह। रोगी अपना हाथ कोहनी क ऊचाई से ऊपर नह उठा पाता ह। दद गरदन से लेकर
हाथ तक तथा पीठ और सीने क पूर े म फल सकता ह। यह रोग कभी-कभी सवाइकल पॉ डलाइिटस क
एक हद से यादा उपे ा करने से हो सकता ह। गितिविधय तथा यायाम का अभाव भी इस रोग का कारण बन
सकता ह।

िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव देने से दद दूर होता ह और गितशीलता म वृ होती ह।


Lu-2 ‘ ाउड डोर’ नामक यह वॉइट कॉलरबोन क बाहरी िसर क नीचे बने ग म थत ह, जैसा िच म
बताया गया ह। कधे से जुड़ रोग को ठीक करने क िलए ब त भावी ह।
Lu-4 : ‘ ोकन ाउ स’ नामक यह वॉइट कलाई पर अँगूठ क िदशा म, उठी ई ह ी क ऊपर थत
ह। यह फफड़ क ‘ची’ को पु करता ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायक ह। यह ‘ची’ क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को
यह वॉइट योग नह करना चािहए।

Li-5 को ‘कॉनर ऑफ शो डर’ नाम िदया गया ह और यह कधे क जोड़ क ठीक नीचे थत ह। यह वॉइट
कधे म जोड़ क दद म िवशेष प से लाभदायक ह।
Sp-6, को ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह।
Si-10 : ‘िद वॉइट एट मसल ॉिमनस’ नामक यह वॉइट कधे क जोड़ क पीछ थत ह तथा िवशेष प से
कधे क जोड़ का दद दूर करता ह।
K6 : ‘शाइिनंग सी’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क भीतर क ओर थत ह। यह ियन क कमी दूर करने
क िलए ियन-रन मे रिडयन का माग खोलता ह।

Si-5 : ‘लेटरल पास’ नामक यह वॉइट Si-4, से थोड़ा ऊपर, जो यूमरस बोन क, बाजू म थत ह, यह
भी ‘ची’ क िन लता दूर करता ह।
Si-14 : ‘शो डर ओपिनंग’ क नाम से ात यह वॉइट कधे क पीछ क ह ी क नीचे बने ग म थत ह
तथा कधे क जोड़ म दद म िवशेष प से लाभदायक ह।
GB-21 : ‘वेल ऑफ शो डर’ नामक यह वॉइट उस थल पर पाया जा सकता ह, जहाँ गरदन का बेस कधे
से िमलता ह, यह वायु िवकार दूर करता ह।
GB-34 : ‘यांग माउड ंग’ नामक यह वॉइट घुटने क लेटरल भाग उभरी ह ी क नीचे बने ग म
थत ह। यह वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु ऊ मा को बाहर िनकालता ह तथा िलवर क ियन को उ ी
करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क गितशीलता म
सुधार होता ह।
न 62 : सबसे आम परशानी, िसरदद का कारण या ह? या ेशर वॉइ स िचिक सा णाली
(ए यू ेशर) क पास इसका कोई हल ह?
उ र : िसरदद िकसी तरह क तनाव (शारी रक, मानिसक या भावना मक) गलत मु ा म उठने-बैठने, ोध,
िचंता क कारण, िसर, गरदन या कध आिद क मांसपेिशय म आए तनाव क कारण हो सकता ह। यह उन र
धमिनय को संकिचत कर सकता ह जो ेन क नव से स को ऑ सीजन उपल ध कराती ह। मांसपेिशय म तनाव
िसर तक जानेवाली ऊजा क वाह को अव कर सकता ह। जब-जब ऑ सीजन या जैिवक ऊजा क
अपया आपूित होती ह, शरीर दद अथा िसरदद क प म यह परशानी उठा सकता ह। अकसर लोग गोिलयाँ
लेकर शरीर ारा ऑ सीजन या जैिवक ऊजा क अपया आपूित क सूचना देनेवाले इन संकत को दबा देना
पसंद करते ह। य िप ये गोिलयाँ किथत प से िसरदद ठीक करती ह, परतु स ाई यह ह िक वे िसरदद क
कारण को दूर करने क िलए कछ नह करत , कवल अ थायी राहत प चाती ह। जहाँ ददिनवारक दवा दद का
एहसास कम करने म सहायक हो सकती ह, वह दद क कारण को दूर करने क िलए कछ नह होता, यह कारण
क ज, िचंता अपया ऑ सीजन या गलत ढग से उठना-बैठना, कछ भी हो सकता ह।

े र वॉइट थेरपी अथा ए यू ेशर मांसपेिशय को िशिथल करने, ऊजा माग म अव


श ऊजा को रलीज
करने, तनाव से छटकारा िदलाने तथा म त क क कोिशका क िलए अ याव यक ऑ सीजन क आपूित म
सुधार करक दद क कारण को दूर करने म हमारी मदद करता ह। इस संबंध म िन निलिखत काय सूची मददगार
िस ह गीः

‘एडजॉइनिगं वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म सहायता करता ह। यह ची क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला
को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए।

GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से


लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव उसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’
क अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न को ठीक करने क िलए अ यंत लाभदायक ह। यह वायु िवकार
और जुकाम दूर करता ह।
GB-41 पैर क ऊपर चौथी और पाँचवी मेटाटसल ब स क बीच थत ह। इस वॉइट पर दबाव देने क िलए
आपको संिध थल से ठीक नीचे दबाते ए अपनी तजनी या म यमा को ऊपर क ओर लाइड करना होगा। यह
वॉइट ची क वाह को बहाल करता ह और िसरदद से छटकारा िदलाता ह।

GB-13 (माइड ट) आँख क बाहरी िकनार क सीध म माथे से ऊपर हयर लाइन क ठीक भीतर थत ह।
यह िच को शांत करता ह और िसरदद दूर करता ह। एक या दो िमनट थर दबाव डाल।
‘ कल सपोट’ क नाम से ात वॉइट St-8, GB-13 क तर पर करीब एक इच बाहर क ओर थत ह।
और िसरदद दूर करने क िलए एक अ यंत भावी वॉइट ह। इस वॉइट पर भी एक या दो िमनट मजबूती से
दबाव डालना होगा।
Tw-5 ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
न 63 : या ेशर वॉइट थेरपी या र ले सोलॉजी वण संबंधी सम या क इलाज म सहायक
हो सकती ह?
उ र : चीन क िचिक सा प ित म वण संबंधी सम या को दो वग म बाँटा गया ह। पहला ह कमी
(डिफिशएंसी) और दूसरा ह आिध य। कमी क सम या का कारण ह गुरदे क ची का ठीक से काम न करना।
यह उ बढ़ने क साथ वण मता क िमक स का प लेता ह। इसक पीछ संबंिधत मे रिडयन म गुरदे क
ऊजा का कमजोर पड़ जाना ह। इस रोग से छटकारा पाने क िलए बस िकडनी क ‘ची’ को पु करना ज री ह।
आिध य िलवर या गॉल लैडर क मे रिडयन म अचल ची क अिधकता होने का कारण होता ह, ऐसा माना जाता
ह िक कभी-कभी इस थित क प रणाम व प कछ ही िदन म वण मता अचानक कम हो जाती ह। इस
थित से बाहर आने क िलए हम िलवर/गॉल लैडर मे रिडयंस म जमा अित र ऊजा को बाहर िनकालना होगा,
तािक िफर से संतुलन थािपत हो सक। ेशर वॉइट िचिक सा क बात कर तो ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची उपयोगी िस ह गीः

Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब
तीन उगली चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल। इस वॉइट को Tw-17 क संयोजन से उ ी करना कान म
िकसी भी कार क सम या म लाभकारी पाया गया ह। ए यू ेशर िचिक सा म इसे एक अित भावी और सश
वॉइट माना जाता ह।

Tw-17 लोलक (इअरलोब) क पीछ बने ाकितक ग म थत ह। ह का दबाव द, य िक यह वॉइट


मृदु (टडर) हो सकता ह।

Tw-3 हाथ क िपछले भाग म, किन ा और मुि का उगिलय क बीच बने चैनल म उगली क गाँठ और
कलाई क तकरीबन बीच क ग म थत ह। दोन हाथ पर करीब एक िमनट तक दबाएँ।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह वॉइट
‘सु ीम ीम’ क नाम से जाना जाता ह। यह पूर शरीर क ियन और यांग क मूल क प म जाना जाता और
िकडनी मे रिडयन का मु य ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस मे रिडयन और पूर शरीर पर जबरद त
पुि कारक भाव पड़ता ह। इस रोग म इस वॉइट पर दबाव डालना ब त ही उपयोगी होगा।

B-23 पसिलय और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच कमर क म य म होता ह। Kd-3 क


संयोजन म यह वॉइट गुरदे क ची को टोन-अप करता ह।
Lv-2 पैर क अँगूठ और उसक साथवाली उगली क संिध थल पर थत ह। यह वॉइट िलवर मे रिडयन से
अित र ऊजा बाहर िनकालने क िलए सव म वॉइट माना जाता ह।
GB-43 ‘ ड ीम’ नामक यह वॉइट पैर क चौथी और पाँचव उगली क बीच वेब मािजन म थत ह।
गॉल लैडर मे रिडयन म अित र ऊजा बाहर िनकालने और राहत पाने क िलए इस वॉइट पर दबाव डालना
सव म िवक प ह।

Si-19 मुँह खोलने पर बननेवाले ग म थत ह। इस वॉइट को उ ी करते समय अपना मुँह खुला रख।
यह सुिन त कर िक आप उपरो तरीक से बननेवाले ग क क पर दबाव दे रह ह। अपने हाथ क तीन
उगिलयाँ जोड़कर इस वॉइट पर दबाव द, तािक इस वॉइट से करीब आधा इच ऊपर और नीचे थत दो और
वॉइ स पर भी साथ-साथ दबाव िदया जा सक। यह गॉल लैडर और ि पल वॉमर मे रिडयंस का ांिसंग वॉइट
ह तथा कान क वण-श पर लाभकारी भाव डालता ह।
न 64 : िहचक य आती ह? या ए यू ेशर क मदद से उसे रोका जा सकता ह?
उ र : िहचक से ब त िचढ़ पैदा होती ह। वे डाय ाम, फफड़ और कभी-कभी गले म होनेवाले र क
पा मस ह। िहचक य और कसे आती ह, इसका कोई प कारण शायद उपल ध नह ह। वे शु होती ह
और कछ समय बाद अपने आप क जाती ह। अिधकांशतः थोड़ा सा गुनगुना पानी का घूँट लेना और आराम क
मु ा म बैठकर गहरी साँस लेना इस परशानी से छटकारा पाने का सबसे सरल उपाय हो सकता ह। िफर भी, अगर
यह सम या बनी रहती ह या बार-बार कट होती ह तो ेशर वॉइट िचिक सा क िन निलिखत कायसूची उपयोगी
िस होगी। परतु एक बार िफर हम िनधा रत ेशर वॉइ स पर दबाव डालते समय यथासंभव आरामदायक
थित म बैठने या लेटने तथा गहरी साँस लेने क मह व पर यान आकिषत करना चाहगे।

‘ े टग बंबू’ नामक वॉइट B-2, B-1 से ठीक ऊपर, ठीक उस जगह पर थत ह, जहाँ बाँसा (ि ज ऑफ
िद नोज) से भ ह शु होती ह। 2-3 िमनट तक म यम दरजे का दबाव द।

Cv-12 े टबोन क बॉटम पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। राहत पाने क िलए इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव द। अगर दबाव उस समय द, जब पीि़डत य का
पेट खाली हो, तो बेहतर होगा। यह िहचिकय , पेट म ऐंठन, भावना मक तनाव आिद म आराम िदलाता ह।
K-27 े ट बोन क बगल म कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉलो) म थत ह। यह गुरद को पु करता
ह, जो िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला एक मुख अंग माना जाता ह। यह िहचिकय , सीने क जकड़न और
िचंता से छटकारा िदलाता ह।

Tw-17 इअरलोब क पीछ बने ाकितक धँसाव म थत ह। ह का दबाव द य िक यह वॉइट मृदु (टडर)
हो सकता ह। दोन तरफ थत इस वॉइट पर धीमी, िकतु गहरी साँस लेते ए दबाव द। यह िहचिकय से
छटकारा पाने क सबसे तेज तरीक म से एक माना जाता ह।
Cv-22 : ‘हवन रिशंग आउट’ नामक यह वॉइट गले क बेस पर कॉलरब स क बीच बीच थत ह। यह गले
और सीने म जकड़न तथा िहचिकय म आराम प चाता ह। सी ऑफ िलटी क नाम से ात वॉइट सीवी-17
े टाबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर, े टोन क म य म थत ह। यह पैिनक अट स
क अित र िचंता और िहचिकय से छटकारा िदलाता ह।
Lu-1 : ‘लेिटग गो’ नामक यह वॉइट सीने क बाहरी ओर, बगल क ज से करीब ढाई उगली चौड़ाई
िजतना ऊपर (करीब एक इच भीतर) थत ह। यह िहचिकय और साँस लेने म किठनाई म आराम िदलाने म
सहायक ह।
‘इनर गेट’ क नाम से ात PC-6 हथेली क ओरवाली कलाई पर कलाई क ज से करीब तीन उगिलय
क चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। यह डाय ाम क सामा य ि या बहाल करक िहचिकय म
राहत प चाता ह।

न 65 : ‘हॉट लशेज’ या ह? या ए यू ेशर क ारा इ ह ठीक िकया जा सकता ह?


उ र : हॉट लशेज को ड फ ट और मूड वं स आिद रजोिनवृि क साथ साथ होनेवाले कछ ल ण ह। यह
एक ी क जीवन का सं मण काल ह और यह कहना गलत नह होगा िक रजोिनवृि अथा मािसक धम का
सदा क िलए क जाना एक ी क जनन मता क अविध क समा हो जाने क सूचना देता ह और वह
क दायक मािसक धम, प रवार िनयोजन उपाय अपनाने का झंझट और गभधारण क भय से मु हो जाती ह या
यूँ कह िक यह उसक जीवन म एक नए चरण का आरभ ह। ऐसा होने क कोई िन त आयु नह ह, िफर भी,
आमतौर पर यह चालीस क ऊपर क आयु म शु हो जाती ह और कछ मामल म तो वह पचास क दशक क
आरिभक वष तक िखंच जाती ह। यिद एक ी को लगातार छह महीने तक रज ाव नह होता तो यह मान िलया
जा सकता ह िक रजोिनवृि क ि या शु हो चुक ह। परतु अगर कोई ी गभधारण करना नह चाहती तो
उसे मािसक धम क पूरा एक साल बीतने से पहले प रवार िनयोजन उपाय जारी रखने चािहए।
रजोिनवृि क भाव िविभ य म िभ कार क होते ह। जहाँ कछ याँ इस सं मण काल से आसानी
से गुजर जाती ह, कई अ य म हॉट लशेज रात म पसीना आना, योिन म सूखापन, मूड ज दी-ज दी बदलना,
िचड़िचड़ापन और कभी-कभी तो अवसाद तक क ल ण कट होने लगते ह। यह सब शरीर म ियन क कमी क
कारण होता ह। रजोिनवृि क आयु तक प चते-प चते अिधकांश फॉिलक स ख म हो चुकते ह, िजसका
प रणाम होता ह हॉम न तर का बेहद कम हो जाना। ियन क कमी क कारण शरीर को ठडा रखने क मता म
आई कमी हॉट लशेज़ जैसे ल ण पैदा करती ह। इस असामा यता को दूर करने का एकमा तरीका उन ेशर
वॉइ स को उ ी करना ह तो ियन क कमी को पूरा करते तथा शरीर म ियन और यांग का अ छा संतलुन
थािपत करते ह। यिद आप उ सं मण काल को सुगमता से गुजारना चाहते ह तो ेशर वॉइ स क
िन निलिखत तािलका का अनुसरण कर।

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह ची क िन लता
को दूर करता ह और इस तरह हॉट लश से छटकारा िदलाता ह।

‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म, दोन पै स क बीच थत ह। हॉट लशेज से


छटकारा पाने क िलए यह एक ब त उपयोगी वॉइट ह।
K-27 े टबोन क बगल म, कॉलरबोन क नीचे बनी दुगदुगी (हॉलो) म थत ह। यह गुरद को पु करता
ह, जो िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला एक मुख अंग माना जाता ह। यह हॉट लश, िचंता और अवसाद दूर
करने म सहायक ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनुसार ही ह। हाट लशेज, िचड़िचड़ापन और तनाव दूर करने क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह।

‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात वॉइट Cv-17 े टबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई
िजतना ऊपर, े टबोन क म य म थत ह। यह िचंता से छटकारा िदलाता ह, न स को शांत करता ह और हॉट
लश को दूर करता ह।
K-6 : ‘शाइिनंग’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क भीतर क ओर थत ह। यह ियन क कमी दूर करने
क िलए ियन-रन मे रिडयन का माग खोलता और इस तरह हॉट लश क मूल कारण को दूर करता ह।

Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत बनाता ह। जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह, रजोिनवृि क सभी कार क ल ण को दूर करने क िलए इसका उपयोग िकया जा
सकता ह।
Sp-6, को ी ियन मीिटग वॉइट भी कहा जाता ह, यह टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर थत ह। जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण
ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और गुरदे तीन मे रिडयंस क ियन को पु
करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म सहायक ह। यह य क कोई भी सम या को
िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक ह।

Lu-7 : ‘ ोकन सी स’ नामक यह वॉइट कलाई क ज से (कोहनी क िदशा म) करीब दो उगिलय


क चौड़ाई िजतना ऊपर अँगूठ क सीध म थत ह। चूँिक इस थल पर मांस नह ह और दबाव ह ी पर िदया
जाना ह, उसका ह का, िकतु थर होना ज री ह। इस वॉइट को Kd-6 क संयोजन म उपयोग करने से
कसे शन वेसल चैनल खुल जाता ह। िजसे ‘सी ऑफ ियन’ क नाम से जाना जाता ह। हॉट लशेज को दूर करने
क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
H-6 : ‘ियन े ट’ क नाम से ात यह वॉइट हथेली क तरफ, किन ा उगली क िदशा म, कलाई क
ज से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह। यह रात म पसीना आने और िचड़िचड़पन से
छटकारा िदलाता ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह और हॉट लशेज दूर
करने म सहायक पाया गया ह।
न 66 : उ र चाप (हाइपरटशन) या ह और यह य होता ह? या ए यू ेशर इस रोग को
िनयंि त करने म िकसी तरह क सहायता कर सकता ह?
उ र : दय हमार शरीर का एक मुख अंग ह। यह कािडयक मसल नाम क एक मांसपेशी, जो िशशु क गभ
म आने क कछ िदन बाद ही िसकड़ने और फलने क ि या शु कर देती ह, तथा मृ युपयत जारी रहती ह, से
बना सबसे सश अंग माना जाता ह। जब यह मांसपेशी िसकड़ती ह, वह चबस म जमा र को ध ा देकर
धमिनय म वािहत कर देती ह, िफर फलकर चबस म िफर से र क आपूित करती ह। इस ि या को िदल क
धड़कन (हाटबीट) का नाम िदया गया ह। िसकड़ने और फलने क गित तंि का तं ारा िनयिमत क जाती ह।
िशशु क मामले म यह हाटबीट सबसे तेज होती ह, जब तक एक य वय क होता ह, वह 72 क आसपास
धड़कन ित िमनट क दर पर थर हो जाती ह। िविभ थितय , जैसे बुखार, ोध, िचंता या यायाम करते
समय, उसक गित बदलती रहती ह। जहाँ कई तरह क थितयाँ हमार दय को भािवत कर सकती ह, एक रोग
जो दय पर ितकल भाव डाल सकता ह, वह ह उ र चाप (हाइपरटशन)। इस रोग क ल ण म डल
हडक, नाक से खून बहना, (कभी-कभी च र आना, िसर भारी होना आिद शािमल ह, परतु कभी-कभी यह रोग
िकसी तरह क ल ण कट नह करता और इसीिलए उसे एक साइलट िकलर भी कहा जाता ह। इसे िनयंि त
रखना ही सव म तरीका ह और समय-समय पर उसक जाँच कराते रहना तथा जैसे ही दयचाप िनधा रत सीमा
(िस टोिलक 115-130 तथा डाय टोिलक 75-85) से कम या यादा हो तो तुरत डॉ टर से सलाह लेना ज री ह,
य िक लड ेशर क रज म उतार-चढ़ाव न कवल आपक दय को भािवत कर सकता ह ब क वह गुरदे क
रोग , ेन हमरज, आँख क सम या, यहाँ तक िक लकवा जैसे रोग का कारण भी बन सकता ह।

गलत खानपान (अथा अिधक चरबी और कॉले ॉल यु भोजन) मानिसक तनाव, अ यिधक शारी रक म,
यायाम का अभाव, मिदरापान, धू पान, अपया न द इस रोग क कछ कारण हो सकते ह। उ र चाप किथत
प से यांग क अिधकता या कफ और नमी क अिधकता से भी हो सकता ह। इस तरह क कमी गुरदे या
िलवर, म हो सकती ह, जो ची क संचरण को िनयंि त करते ह।

यहाँ िजन ेशर वॉइ स क चचा क जा रही ह, उनका उपयोग करक उ र चाप को िनयं ण म रखा जा
सकता ह। अगर रोगी एक िनयिमत जीवन-शैली अपना ले और सुबह-शाम घूमना, अगर वह भोजन म नमक
यादा लेता हो तो नमक कम खाना, चरबी/कॉले ॉल रिहत भोजन, िजसम हरी प ेवाली स जय , पया पानी
पीने पर जोर िदया गया हो तथा उिचत यायाम करना शु कर दे तो उसक िलए मददगार होगा।

Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु और िलवर मे रिडयन म ची क
वाह को िनयिमत करता ह। उ र चाप क मुख कारण म से एक िलवर मे रिडयन का अव हो जाना ह
और इस वॉइट पर दबाव देने से यह अवरोध हट जाता ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। Li-11 क साथ उपयोग करने से यह वॉइट अ छ प रणाम देता ह।

GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से


लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए
यह अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म, दोन पै स क बीच, पैर क बॉल क नीचे थत ह।
एक िमनट तक फम ेशर दीिजए।
Li-11 कोहनी क ज क बाहरी िसर पर थत ह। यह वॉइट जुकाम, बुखार दूर करने और हमारी रोग
ितरोधक मता बढ़ाने म ब त भावी ह, तािक शरीर भिव य म होनेवाले जुकाम का मुकाबला कर सक। चूँिक
यह वॉइट पश करने पर ब त कोमल हो जाता ह, इस पर ह का या मािलश जैसा दबाव ही िदया जाना चािहए।
इस वॉइट को Ht-3, जो कोहनी क ज से किन ा उगली क तरफ थत ह, क साथ दबाएँ। Li-11 क
ठीक सामने थत ह।
Lv-2 : िजंग िजयान क नाम से ात यह वॉइट पैर क अँगूठ और उसक पासवाली उगली क संिध थल पर
थत ह। यह वॉइट ियन को उ ी और यांग को शांत करता ह। उ र चाप को िनयंि त करने क िलए
इसका उपयोग Lv-3 क साथ िकया जाता ह।
जैसा िच म दरशाया गया ह B-23 गुरदे क काय णाली को उ ी करता ह।
Ren-12 (Cv-12) ‘जोज वान’ नामक यह वॉइट नािभ से कछ दूर, उदर क म यरखा पर थत ह और
उ र चाप क उपचार क िलए एक खास वॉइट माना जाता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नीकप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न दूर
करने क िलए इस वॉइट पर दबाव ब त अ छ प रणाम देगा।
K-3 : ‘ताइ सी’ नामक यह पॉइट िलवर और गुरदे क ियन को उ ी और यांग को शांत करता ह।
न 67 : िन न र चाप या ह और यह य होता ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी भी इसे
ठीक करने म सहायक हो सकते ह?
उ र : अगर िकसी य का र चाप 90-60 क रज, अथा िस टोिलक 90 और डाय टोिलक 60 से नीचे
बना रहता ह तो उसे िन न र चाप क थित माना जाता ह और हम कहते ह िक वह हाइपो-टशन से पीि़डत ह।
परतु इसपर मतभेद ह िक र चाप क िकस तर को िन न र चाप क थित माना जाए। यह सापे थित ह
और एक से दूसर य म िभ होती ह। र चाप को तब तो िन न मानना ही होगा, जब वह यान देने यो य
ल ण पैदा कर रहा हो।

कछ मुख ल ण, जो कट हो सकते ह, वे ह बेहोशी, च र आना या दय से संबंधी कोई रोग। ब त िन न


र चाप हािनकारक हो सकता ह, य िक वह म त क तथा अ य मुख अंग को ऑ सीजन और अ य पोषण
त व से वंिचत कर सकता ह। वह घातक भी हो सकता ह, इसिलए जिटलता से बचने क िलए इस रोग,
िजसक आमतौर पर उ र चाप क तुलना म लोग ारा अनदेखी क जाती ह, म भी उतनी ही सावधानी
बरती जानी चािहए। र चाप म अचानक आई िगरावट खतरनाक हो सकती ह।

अिधक खून बह जाने, कपोषण क कारण होनेवाली खून क कमी और कभी-कभी, एक झटक म शरीर क
मु ा बदल लेने से र चाप नीचे जा सकता ह, िजसक प रणाम व प च र आना या अ थायी मू छा जैसी
परशािनयाँ खड़ी हो सकती ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह लीवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। िन न र चाप क मुख कारण म से एक, िलवर मे रिडयन का अव हो जाना ह
और इस वॉइट पर दबाव देने से यह अवरोध हट जाता ह।

St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। Li-11 क साथ म उपयोग करने म यह वॉइट अ छ प रणाम देता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम, ‘गे स ऑफ कांशसनेस’
क अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए यह अ यंत लाभदायक वॉइट ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म, दोन पै स क बीच, पैर क बॉल क नीचे थत ह।
एक िमनट तक फम ेशर दीिजए।
Li-11 कोहनी क सलवट क बाहरी िसर पर थत ह। यह वॉइट जुकाम, बुखार दूर करने और रोग
ितरोधक मता बढ़ाने, िजससे शरीर भिव य म होनेवाले जुकाम का मुकाबला कर सकता ह। चूँिक यह वॉइट
पश करने पर ब त कोमल हो जाता ह, इस पर ह का या मािलश जैसा दबाव ही डाला जाना चािहए। इस वॉइट
को Ht-3, क साथ दबाएँ, जो कोहनी क सलवट से किन ा उगली क तरफ, Li-11 क ठीक सामने थत
ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए दय से संबंिधत र ले स ए रयाज पर दबाव
दीिजए। हाथ और पैर क सबसे छोटी उगिलय क नाखून से जुड़ी वचा पर अँगूठ से उलटी िदशा म दबाव देने,
जैसा उ र चाप क मामले म िकया जाता ह, क बजाय म यमा उगिलय और पैर क छोटी उगिलय पर हाथ
और पैर क अँगूठ क िदशा म औसत दबाव देते ए इस े पर 10-15 बार मािलश कर। बाक े , िज ह
उ ी िकया जाना ह, वही ह गे जो उ र चाप म िकए जाते ह।
न 68 : रोग ितरोधक तं या ह? या ए यू ेशर हमारी रोग ितरोधक मता बढ़ाने म मदद
कर सकता ह?
उ र : हमारा रोग ितरोधक तं एक जिटल संजाल या नैटवक ह, िजसम हमार शरीर का येक पहलू
शािमल ह। वचा वायरस क िखलाफ हमारी पहली र ा पं होने से िलंफ ल स असं य ेत र
कोिशका का िनमाण एवं भंडारण करती ह, जो हम रोग से बचाते ह। यहाँ तक िक हमार िवचार, चाह वे
सकारा मक ह या नकारा मक, हमार रोग ितरोधक तं को मजबूत या कमजोर बना सकते ह। जीवाणु और
िवषाणु क हमार शरीर म वेश करते ही वह उनका पता लगाकर पहचान करता ह और उ ह न कर देता ह।
हमार शरीर म ऊजा का असंतुलन हमार ितरोधक तं को कमजोर करता ह। अगर हम समुिचत आहार ल,
पया यायाम कर, पया िव ाम भी कर और श से अिधक म न कर, तो हमारा रोग ितरोधक तं
अथा रोग से मुकाबला करने क हमारी मता सश बनी रहती ह। यह पाया गया ह िक िन नानुसार िकसी
िवशेष गितिविध का आिध य रोग ितरोधक तं को कमजोर करता हः

1. अ यिधक खड़ रहना मू ाशय और गुरदे क मे रिडयंस को ित प चाता ह और उससे थकान एवं पीठ का दद
हो सकता ह।
2. अ यिधक बैठ रहना उदर एवं ित ी क मे रिडयंस पर ितकल भाव डालता ह।
3. अ यिधक लेट रहना सीधे-सीधे बड़ी आँत और फफड़ क मे रिडयंस को भािवत करता ह।
4. आँख पर अ यिधक जोर देना या भावना मक तनाव सीधे-सीधे छोटी आँत और दय क मे रिडयंस पर
ितकल भाव डालता ह।
5. अ यिधक शारी रक म गॉल लैडर और िलवर क मे रिडयंस को भािवत करता ह।

अगर ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची का सावधानी से पालन िकया जाए तो वह इस तं को सव म


तरीक से काम करने क िलए े रत करक हम व थ बनाए रखने म भारी मददगार सािबत होगा :

मू ाशय और गुरदे क मे रिडयंस को पहले क तरह सामा य बनाने क िलए B-23 और B-47 को उ ी
कर। B-23 को रब कज और क ह क ह ी क भीतरी िकनार क बीच बीच, कमर क म य भाग म पाया जा
सकता ह। B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क म य भाग म थत ह।
ये वॉइ स न कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देते ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद,
भय और सदमा भी कम करते ह। इसक बाद एिलगट मशन वॉइट K-27 जो आपक कॉलरबोन क ठीक नीचे
ह, पर दबाव डाल, उसक बाद K-3 (िबगर ीम) पर दबाव द। यह िलवर और गुद क ियन को उ ी और
यांग को शांत करता ह। इन वॉइ स म से येक पर एक िमनट तक दबाव डाल। दबाव डालते समय गहरी साँस
ल और धीर-धीर छोड़।

St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह। तथा ची और र म
नई जान डालने म मददगार पाया गया ह। उदर और ित ी क मे रिडयंस को लाभ प चाने क िलए इसे उ ी
कर।

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ची क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
Li-11 : ‘ कड पॉ ड’ नामक यह वॉइट कोहनी क ऊपरी सलवट क बाहरी िसर पर थत ह। इसे एलज को
िनयंि त करनेवाले सबसे भावी वॉइ स म से एक माना जाता ह और यह अ यिधक संवेदनशील भी ह, इसिलए
इस वॉइट पर दबाव ब त सावधानी से िदया जाना चािहए, अ यथा यह अ यंत मृदु बन जाता ह। मृदु बनने क
बाद कपड़ का पश भी पीड़ादायक हो सकता ह। इस वॉइट पर मािलश जैसा दबाव भी िदया जा सकता ह। बड़ी
आँत और फफड़ क मे रिडयंस को लाभ प चाने क िलए इन दोन वॉइ स पर साथ-साथ दबाव िदया जाना
चािहए।

Cv-17 : ‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात यह वॉइट े टबोन क बेस से करीब एक हथेली क चौड़ाई
िजतना ऊपर े टबोन क म य म थत ह। यह छोटी आँत और दय क मे रिडयंस को संतुिलत करने क िलए
यह एक उ म वॉइट ह। जो हमार शरीर म भावना मक संतुलन पैदा करता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग पर, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत करता ह। जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। अ यिधक शारी रक म क कारण गॉल लैडर और िलवर क मे रिडयंस को ई ित
मोच और ऐंठन का कारण बन सकती ह। इसे िनयंि त करने क िलए इस वॉइट पर दबाव द।
न 69 : या ए यू ेशर या ा त सुधारने और मन को एक एका करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : हाँ, एक बड़ी हद तक ए यू ेशर इसम सहायक हो सकता ह। वा तव म आज क भीषण ित प ा क
युग म हम सभी को एक तेज िदमाग और पैनी या ा त क ज रत ह तािक हम िदए गए काय पर अपना यान
बेहतर तरीक से कि त कर सक। या ा त कमजोर होने क पीछ तनाव या गे ोइट टाइनल िस टम से जुड़ी कोई
सम या हो सकती ह। अगर हमारा भोजन संतुिलत नह ह तो खानपान क आदत भी एक बड़ा कारक हो सकती
ह। कधे या गरदन म तनाव भी एक कारक त व हो सकता ह। अपनी या ा त बढ़ाने क िदशा म पहले कदम क
तौर पर काब हाइ स से यु आहार, जैसे ताजी स जयाँ, साबुत अनाज, अंक रत दाल, गे क ताजी घास का
रस आिद लेना शु कर द। अगर अपना खानपान दु त करने और यायाम करने क बाद भी आपक या ा त
न सुधर तो इस बात क तस ी कर लेने क िलए िक दय रोग या उ र चाप जैसे उसक रोग तो नह , अपने
डॉ टर क सलाह ल। चीन क पारप रक िचिक सा प ित क अनुसार म त क क काय णाली सीधे-सीधे गुरदे
मे रिडयन म ची क व थ वाह से जुड़ी ई ह। ेशर वॉइट थेरपी (ए यू ेशर) क िन निलिखत कायसूची ब त
लाभदायक िस होगी य िक वह गुरदे क ची को पु बनाकर या ा त और एका िच ता बढ़ाने म सहायक
होगीः

St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर नीकप से चार उगलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, तथा ची और र म नई
जान डालने म सहायक पाया गया ह। यह शरीर म जमा अित र नमी को भी दूर करता ह और इसे ेन फॉग दूर
करनेवाला वॉइट भी माना जाता ह।

St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नीकप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न,
म त क को आ छािदत कर देता ह, इसे दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
Kd-3 : ‘सु ीम ीम’ नामक यह वॉइट िलवर और गुरदे क ियन को उ ी तथा यांग को शांत करता ह
एवं इस मे रिडयन और पूर शरीर पर मजबूती से असर डालता ह।

GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से


लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए यह अ यंत लाभदायक वॉइट ह। यह गैस और
जुकाम भी दूर करता ह। मानिसक एका ता और या ा त बढ़ाने क िलए अ छा वॉइट ह।
Ex-2 : ‘सन पॉइट’ नामक यह वॉइट भ ह से डढ़ इच बाहर क ओर, कनपटी पर बने ग म थत ह।
यह या ा त और एका ता बढ़ाने म सहायक ह।

ए यू ेशर म शरीर म पुनः संतुलन कायम रखने और उसम नई जान डालने क िलए ेशर वॉइ स का उपयोग
िकया जाता ह। पुन ीवन क कई सश वॉइ स म Gv-26 सबसे अिधक उपयोगी ह। यह नाक क ठीक
नीचे, ऊपर क ह ठ क म य म थत ह। रोगी को त काल भला-चंगा बनाने क िलए इस वॉइट को अकले या
कछ अ य वॉइ स क संयोजन म उपयोग िकया जा सकता ह। यह वॉइट पुनः वा य-लाभ क िलए शरीर क
ाकितक तं को भी उ ी करता ह। इस संदभ म करने यो य सबसे मह वपूण चीज ह तंि का तं को मजबूत
बनाना।
न 70 : या ए यू ेशर यौन संबंधी सम या , िवशेष प से नपुंसकता क समाधान म सहायक
हो सकता ह?
उ र : से स से जुड़ मु पर खुलापन होने क बावजूद यौन जीवन म असंतुि अब भी संबंध म
असामंज य क मूलभूत कारण म से एक बना आ ह। अिधकांश लोग क िलए से स यार और जुड़ होने क
एहसास क अिभ य ह। से स से संबंिधत कछ सम याएँ काियक (ऑगिनक) और जैिवक (बायोलॉिजकल)
हो सकती ह, उदाहरण क िलए लो-से स ाइव, नपंसुकता और इन-फिटिलटी, जो से स से जुड़ी सम या म
शायद अिधक िवषादकारी ह। दूसरी ओर पु ष म संभोग ठीक से न कर पाने का भय और िचंता तथा य म
भावना मक अवरोध, योिन म सं मण, क◌ स, यौने छा म कमी या गु ांग से संबंिधत अ य सम या का
कारण बन सकते ह। अगर आप इस तरह क िकसी भी सम या से पीि़डत ह तो यह पता लगाने क िलए िक कह
आपक सम या शारी रक कारण से तो नह ह, सबसे पहले अपने पा रवा रक िचिक सक से सलाह लीिजए।
चीन क पारप रक िचिक सा प ित म माना गया ह िक जनन मता यौन-गितिविधयाँ गुरद से िनयंि त होती
ह। गुरद का ीण पड़ता ऊजा तर वा य पर ितकल भाव डाल सकता ह, िजससे यौन वा य भी
भािवत होता ह। थकान और पीठ क िनचले िह से म दद भी असंतोषपूण यौन जीवन क कारक हो सकते ह। यह
कमी न कवल गुरद से ब क Ren मे रिडयन (अथा शरीर क सामनेवाले भाग से गुजरनेवाला िमडलाइन
चैनल, कस शन वेसल) से भी संबंिधत हो सकती ह। अपने माग क कारण रन मे रिडयन जननांग से जुड़ा आ
ह। नपुंसकता का इलाज बुिनयादी तौर पर गुरद क यांग को उ ी करना ह, तािक संतुलन पुनः थािपत हो
सक। िनयिमत यायाम और संतुिलत आहार क ज रए वा य म सुधार लाकर यौन मता को बढ़ाया जा सकता
ह। ब स (सेम), िवशेष प से लैक ब स गुरद संबंधी रोग पर लाभकारी भाव क िलए जाना जाता ह तथा
अिनयिमत मािसक धम, बाँझपन और यौन उदासीनता को ठीक करने म सहायक ह। तीन भाग अनाज और एक
भाग ब स से बने आट क रोटी, िजसम सभी ज री अमीन एिस स मौजूद ह, का सेवन शरीर को पया ोटीन
उपल ध कराता ह तथा पु ष और ी, दोन क जनन तं को भी मजबूत बनाता ह। अ यिधक मीठा खाने से
बच य िक वह ित ी, पि याज और िलवर क ि या को असंतुिलत कर सकता ह, िजससे गुरद पर
अित र भार पड़ता ह। सम वा य और ऊजा का तर बढ़ाने क िलए साबुत दाल , ताजी स जय , ताजे
फल ( ितिदन एक सेब) का संतुिलत आहार ल। यौन मता बढ़ाने क िलए ये सब ज री ह।
ेशर वॉइट तकनीक क ह क े (पे वक रीजन) म मांसपेिशय का तनाव दूर करने म सहायक ह। िजससे
नपुंसकता यौने छा म कमी, वीक इर शन, समयपूव खलन, योिन म सं मण और मािसक धम संबंधी
सम या का समाधान हो सकता ह। हािलया शोध से पता चला ह िक भावना मक तनाव क अित र तंग कपड़
पहनने, पट क जेब म मोबाइल फोन रखने (रिडएशन इफ ट), यायाम का अभाव और गलत मु ा म उठने-
बैठने से यह गंभीर सम या पैदा हो सकती ह। पे वक रीजन म तनाव दूर होने से सहवास क आनंद म वृ हो
सकती ह। ए यू ेशर क िन निलिखत कायसूची का अनुसरण कर और अपने जीवन म बदलाव महसूस कर :
B-23 रब कज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच, कमर क म य म थत ह। यह अवसाद
और भय से छटकारा िदलाता ह। जनन मता, नपुंसकता और समय पूव खलन पर सकारा मक भाव डालता
ह।
B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, और भय भी
कम करता ह। जनन मता, नपुंसकता और समयपूव खलन पर सकारा मक भाव डालता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच थत ह। नपुंसकता और हॉट
लश दूर करने क िलए यह एक मह वपूण वॉइट ह।

St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय और जनन तं को पु बनाता ह।
नपुंसकता दूर करता ह।

B-27 से लेकर B-34 ऐसे ेशर वॉइ स ह, जो मे दंड क से ल पाट पर थत ह और उन पर दोन हाथ
क मु य क ज रए भी दबाव डाला जा सकता ह, जब रोगी बैठा या पेट क बल लेटा हो। वतमान संदभ म, ये
वॉइ स जनन तं को मजबूत बनाने, नपुंसकता, बाँझपन दूर करने, योिन से अिनयिमत ाव और गु ांग म दद
ठीक करने म सहायक ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह से स संबंधी
तनाव , मािसक धम म अिनयिमता, आिद ठीक करने म सहायक ह।
Cv-4 ‘गेट ओ रिजन’ नामक यह वॉइट नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। नपुंसकता
दूर करने और अिनयिमत रजोधम को ठीक करने म सहायक ह।

Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह जनन संबंधी सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह।

Sp-12 (रािशंग डोर) और Sp-13 (मशन कॉटज) पे वक रीजन म उस ज क बीच म थत ह, जहाँ


टाँग धड़ से िमलती ह। नपुंसकता दूर करने क िलए ये वॉइ स ब त भावकारी ह। ये दोन वॉइ स मािसक धम
से जुड़ी िकसी भी तरह क परशानी दूर करने म िवशेष प से कारगर ह।
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क िकसी भी तरह क सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
K-6 : ‘शाइिनंग सी’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क भीतर क ओर थत ह। यह ियन क कमी दूर
करने क िलए ियन-रन मे रिडयन का माग खोलता ह।
Du-4 ‘गेट ऑफ लाइफ’ नामक यह वॉइट पीठ क म यरखा पर गुरदे क तर पर थत ह। गुरद क यांग
को पुनः सि य बनाने करने क िलए यह मह वपूण वॉइट ह।
Du-20 : ‘मेनी मीिट स’ नामक यह वॉइट यू रनरी लैडर, िलवर और ाउन ऑफ िद हड क Du
मे रिडयन क ितराह पर थत ह। यह यांग-ची को िनयिमत और गितशील बनाता ह।
Ren-3 यूरोजेिनटल तं से जुड़ रोग क इलाज का एक मुख वॉइट ह तथा गुरद पर उसक सीधे भाव क
िलए उसका उपयोग िकया जाता ह। उदर क म य रखा, पर Ren-3 क ऊपर थत Ren-4 पर भी दबाव
डाल। यह गुरद क यांग को सश बनाता ह।
न 71 : ‘इनकॉ टनस’ का या अथ ह? ए यू ेशर इस सम या से कसे िनपट सकता ह?
उ र : पेशाब रोक पाने म असमथता को ‘इनकॉ टनस’ कहा जाता ह। यह सम या बुजुग , िवशेष प से
मिहला म अिधक पाई जाती ह, य िक उनका मू माग छोटा होता ह। कछ मिहला म यह सम या सव क
बाद होती ह। इस ल ाजनक अव था, जो एक रोग नह ह, क डर से लोग को घर से िनकलने म परशानी होती
ह िक ऐसा होने पर अगर टॉयलेट तुरत सामने न आ तो या होगा।

‘इनकॉ टनस’ गुरदे या ित ी म ऊजा क कमी क कारण होता ह। इससे मू या मल िवसजन संबंधी परशानी
हो सकती ह। ित ी क ऊजा शरीर क मसल टोन को िनयिमत करती ह। ण मसल टोन इस परशानी क जड़
ह। अिधकांशतः यह सम या उपरो दोन अंग म कमी का प रणाम होती ह। इसका एक सकारा मक पहलू यह
ह िक इससे पीि़डत अिधकांश या लगभग सभी लोग को ए यू ेशर िचिक सा प ित से लाभ हो सकता ह। इस
संबंध म िन निलिखत कायसूची उपयोगी िस ह गीः

Sp-6, िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे—तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाना ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क िकसी भी तरह क सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर उगली क चौड़ाई िजतनी दूर नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना
नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6 क
साथ दबाव डालने पर पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह से स संबंधी
तनाव , मािसक धम म अिनयिमतता आिद को ठीक करने म सहायक ह। इस वॉइट से, घुटने क िदशा म, तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर Kd-7 वॉइट ह। अँगूठ से करीब एक िमनट तक दबाव डाल।

अगला वॉइट िजस पर दबाव िदया जाना ह, वह ह Cv-3। यह वॉइट Cv-4 (गेट ओ रिजन), से एक अँगूठ
क चौड़ाई िजतना नीचे ह, जो नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह, लैडर मे रिडयन पर
अपने भाव क कारण यह लगभग िविश वॉइट ह। अगर लैडर खाली करने क बाद इस वॉइट पर करीब
एक िमनट तक थर दबाव िदया जाए, तो बेहतर तथा और अिधक भावी रहगा।
B-28 यू रनरी लैडर का एक संब वॉइट ह और पीठ क िमड-से ल ए रया म, मे दंड क दोन ओर
करीब डढ़ इच दूरी पर थत ह। Cv-3 और B-28 यू रनरी लैडर क िविश वॉइ स ह, इ ह उ ी करने
क िलए उन पर कछ िमनट तक दबाव द।
न 72 : बदहजमी और हाटबन या ह? उनका कारण या ह? उनक इलाज म ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी िकस तरह से सहायक हो सकते ह?
उ र : बदहजमी और दय-शूल (हाटबन) दोन का मुख ल ण ासनली (इसोफगस) से लेकर े टबोन
तक क े म जलन महसूस होना ह। अ लशूल क पीछ मानिसक तनाव तथा यादा खा लेने या भोजन को ठीक
से चबाए िबना ज दी-ज दी खाने या ऐसी बासी चीज खाने, जो हमार िस टम क अनुकल न ह , उपरो ल ण
क कारण हो सकते ह, िजनक साथ कभी-कभी मतली और उलटी जैसी सम याएँ भी हो सकती ह। बै टी रया से
सं िमत खाना खाने से फड पॉइजिनंग भी हो सकती ह, िजसक कारण पेट म ऐंठन, उलटी, डाय रया और कभी-
कभी च र भी आ सकते ह।

अिधकांशतः बदहजमी या पेट क गड़बड़ी यादा खा लेने या डाइजे टव एिस स का पेट से उलटी िदशा म,
ासनली म वािहत हो जाने क कारण होती ह और इसी वजह से अलशूल भी। इस रोग से छटकारा पाने क िलए
िन निलिखत ेशर वॉइ स क कायसूची का अनुसरण कर:
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह तथा पाचन-ि या क साथ-साथ ची और र पर
िवशेष प से लाभदायक भाव डालता ह।

‘इनरगेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क तरफ कलाई पर, कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क
चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। यह पेट क गड़बड़ी म आराम देने क िलए जाना जाता ह। करीब
एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव डाल, िफर धीर-धीर दबाव बढ़ाते ए, स क अंत तक धीर-धीर दबाव
हटाएँ। यही ि या दूसर हाथ पर भी दोहराएँ।
Cv-12 े टबोन क तले पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर करीब एक िमनट
तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव डाल। इस वॉइट पर दबाव देते समय अगर रोगी का पेट खाली हो तो
बेहतर होगा। यह पेट म मरोड़, भावना मक तनाव आिद दूर करता ह।
Sp-4 को ‘ ांडफादर- ांडसन’ क नाम से जाना जाता ह। इस वॉइट तक प चने क िलए उस संिध थल से
शु कर, जहाँ पैर का अँगूठा पैर से िमलता ह। ह ी पर से िखसकते ए संिध थल क म य से टखने क िदशा
म करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। उसक ठीक नीचे Sp-4 ह। पेट क ची क संतुलन क िलए
यह अित मह वपूण वॉइट ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग का इलाज करते ए सोलर ले सस, डाय ाम, ए नल ल स, मे दंड तथा
पाचन तं क सभी अंगो जैसे उदर, पि याज, युओडनम, िलवर, गॉल लैडर, बड़ी और छोटी आँत इ यािद से
संबंिधत र ले स ए रयाज पर यान कि त क िजए। इन सभी े पर अपने अँगूठ और तजनी या म यमा उगली
को भी, अपनी सुिवधा अनुसार करीब एक से लेकर दो िमनट तक दबाव देकर उ ी कर। िविभ अंग से
संबंिधत र ले स ए रयाज क करीबी थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए िच का अवलोकन कर।

न 73 : इनफिटिलटी या ह और इसक कारण या हो सकते ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी


इससे िनपटने म सहायक हो सकते ह?
उ र : गभधारण करने म अ मता को ‘इनफिटिलटी’ (बाँझपन) क नाम से जाना जाता ह। पु ष और य ,
दोन म इनफिटिलटी क सम या आम ह। संतान क इ छक दंपितय क िलए यह सम या तनाव और िचंता का
पया कारण ह, िफर भी स ाई यह ह िक तनाव तथा िचंता इस सम या को और भी बदतर बना देते ह।
‘इनफिटिलटी’ क अ य कारण ी क िडबवाही निलय (फलोिपयन यू स) म अवरोध अथवा गभाशय या
अंडाशय (ओवरी) का कोई रोग तथा पु ष म शु ाणु क कम सं या आिद हो सकते ह। परतु अगर िकसी
ी को गभधारण करने म सम या आ रही हो तो आव यकतानुसार पित और प नी दोन क जाँच करक तदनुसार
इलाज िकया जाना चािहए। इस संबंध म यह भी देखा गया ह िक कछ मामल म ब त आम सम याएँ जैसे पीठ
क िनचले िह से म दद, कधे या गरदन म तनाव/दद भी इसका कारण हो सकते ह।

इस रोग क इलाज म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी दोन ही अ यंत लाभदायक हो सकते ह। चीन क


पारप रक िचिक सा प ित भी ‘इनफिटिलटी’ को कई तरह क असंतुलन का प रणाम मानती ह। पे वक ए रया
म िकसी अवरोध क कारण मािसक धम म गड़बड़ी तथा गभाशय और िडबवाही निलय (वे निलयाँ, जो
िडब ंिथय को गभाशय से जोड़ती ह) संबंधी कोई शारी रक सम याएँ भी हो सकती ह। पे वस म गरमी क कमी
या र और ऊजा का सामा य अभाव अ य कारक हो सकते ह। अगर उपरो दोन तकनीक का साथ-साथ
उपयोग करते ए रोगी का इलाज िकया जाए, तो बेहतर होगा। जनन तं से संबंिधत सभी अंग क र ले स
वॉइ स तथा तनाव दूर करनेवाले वॉइ स को उ ी करने क अित र िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव
डालना ब त उपयोगी होगा।

Sp-6, िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ
भाग पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह।
जैसा िक इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क िकसी भी तरह क सम या को िनयिमत करने वाले सव म वॉइ स म से एक ह।
गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डालना चािहए। यह पता चलते ही िक एक मिहला ने गभधारण
कर िलया ह, इस वॉइट पर दबाव नह िदया जाना चािहए।

St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
Sp-12 (रिशंग डोर) और Sp-13 (मशन कॉटज) पे वक रीजन म उस ज क बीच म थत ह, जहाँ टाँग
धड़ से िमलती ह। नपुंसकता और इनफिटिलटी क सम या दूर करने क िलए ये वॉइ स ब त भावी ह। ये दोन
वॉइ स मािसक धम से जुड़ी िकसी भी तरह क परशानी दूर करने म िवशेष प से कारगर ह।
Cv-4 : ‘गेट ओ रिजन’ नामक यह वॉइट नािभ से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। नपुंसकता
दूर करने और अिनयिमत रजोधम को ठीक करने म सहायक ह।
Cv-6 ‘सी ऑफ इनज ’ क नाम से ात यह वॉइट नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह जनन संबंधी सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह तथा सम जनन तं
को सश बनाता ह। उदर े को पु बनाने और जनन मता बढ़ाने क िलए यह िविश वॉइट माना जाता
ह। इसे 10 से लेकर 15 या इससे भी यादा िदन तक हर दूसर िदन तब तक िनयिमत प से दबाया जाना ज री
ह, जब तक िक ी गभधारण न कर ले। (मािसक धम क दौरान न दबाएँ)।
B-23 रब कज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच -बीच कमर क म य म पाया जाता ह। यह
अवसाद और भय दूर करता ह तथा जनन मता, नपुंसकता और शी पतन पर सकारा मक भाव डालता ह।

B-47 मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद और भय भी
कम करता ह। जनन मता नपुंसकता और शी पतन पर सकारा मक भाव डालता ह।
‘बबिलंग ं स’ क नाम से ात K-1 पैर क तलवे म दोन पै स क बीच थत ह। नपुंसकता और हॉट
लश दूर करने क िलए यह मह वपूण वॉइट ह।
Lv-11 : ‘ियन कॉनर’ क नाम से ात यह वॉइट जाँघ क ह ी ( यूिबक बोन) क ऊपरी िकनार से दो
अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। इनफिटिलटी दूर करने क िलए यह भी एक मह वपूण वॉइट ह।
जैसे िक ऊपर चचा क गई ह, ऐसे रोगी को र ले सोलॉजी स देते समय जो इनफिटिलटी क सम या से
छटकारा पाना चाहता/चाहती हो, जनन तं से संबंिधत सभी अंग क र ले स वॉइ स तथा तनाव दूर करनेवाले
वॉइ स को उ ी करना ब त उपयोगी होगा। ऐसा करने क िलए गभाशय िडब ंिथय िडबवाही निलय से
संबंिधत सभी र ले स ए रयाज को अ छी तरह उ ी कर। अँगूठ और तजनी या म यम उगली, जो भी
सुिवधाजनक लगे, क सहायता से बारी-बारी से दबाव डाल और येक र ले स ए रया को पया समय द।
दोन हाथ पर, कलाई क दोन ओर थत िडब ंिथय को और गभाशय क र ले स वॉइ स जैसा पु तक क
अंत म हथेिलय और तलव पर शरीर क िविभ र ले स वॉइ स क थित दरशानेवाले िच क अनुसार
उ ी कर।

न 74 : हम ेशर वॉइट तकनीक और र ले सोलॉजी का उपयोग करते ए कसे अिन ा रोग का


मुकाबला कर सकते ह?
उ र : अिन ा रोग से पीि़डत य सामा यतः छह से आठ घंट तक चैन से सो नह सकता, जो उसक आयु
क अनुसार येक मनु य क िलए आव यक ह। इससे िचड़िचड़ाहट पैदा होती ह और िफर िदन भर क भागदौड़
क बाद शरीर को पया िव ाम न िमल पाने क कारण उसका वा य पर भी बुरा असर पड़ता ह। कभी-कभी
दद, दुःख और िचंता जैसे कारक भी न द म खलल डाल सकते ह।
चीन क पारप रक िचिक सा प ित क अनुसार ऊजा क असमान िवतरण या यांग से ियन म संचरण सुगमता
से न होने, या उसका वाह अव हो जाए तो इसका प रणाम अिन ारोग हो सकता ह। शरीर क ियन का
सम प से पोषण करने तथा यांग और ियन का व थ संतुलन बनाए रखने क िलए न द ज री ह। न द क
कमी हम िचड़िचड़ा और अकशल बना देती ह।
ऐसी थित म कछ मे रिडयंस पर भार बढ़ जाता ह, जबिक कछ अ य अव हो जाते ह, परतु एक ऐसी
िदनचया से इ ह ठीक िकया जा सकता ह िजसम तनाव और थकावट दूर करने क िलए ए यू ेशर, िव ाम और
उपयु भोजन का समावेश हो। सं ेप म, अिन ा रोग से छटकारा पाने क िलए ए यू ेशर ब त भावी ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। िलवर, शरीर से िवषैले
पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, यह इसे पु और िलवर मे रिडयन म ची क वाह
को िनयिमत करता ह। इस वॉइट पर दबाव देने से सभी कार क तनाव को दूर करने म मदद िमलती ह और
यह मन को शांत बनाए रखता ह।

Sp-6 िजसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर पॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु करता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म
सहायक ह। ियन का पोषण और मन को शांत करने क अपने मुखी भाव क कारण यह अिन ारोग से
छटकारा िदलानेवाला मह वपूण वॉइट बन जाता ह।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से लेकर
म यम दरजे तक का थर दबाव िदया जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनु प ही ह। गरदन क े म आई अकड़न ठीक करने क िलए यह एक अ यंत लाभदायक वॉइट ह। यह गैस
और जुकाम भी दूर करता ह। अिन ारोग ठीक करने क िलए एक अ छा वॉइट ह।
‘सी ऑफ िलटी’ क नाम से ात Cv-17 े टबोन क बेस से एक हथेली क चौड़ाई िजतना ऊपर,
े टबोन क म य म थत ह। यह िचंता से छटकारा िदलाता ह, घबराहट को शांत करता ह और हॉट लश कम
करता ह। यह अिन ारोग ठीक करने म सहायक ह।

‘इनर गेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क तरफ कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना
ऊपर, भुजा क म य म थत ह। मन को शांत करनेवाले भाव क ज रए यह अिन ारोग से छटकारा िदलाता ह।

Gv-24.5 भ ह क बीच म उस थल पर बने ग म थत ह, जहाँ बाँसा (ि ज ऑफ िद नोज) और माथा


िमलते ह। यह अंतः ावी तं (एंडो ाइन िस टम), िवशेष प से पीयूष ंिथ (िप यूइटरी लड) को टोन-अप
करता ह। यह पूर शरीर को फित दान करता ह, तनाव कम करता ह तथा हड कजे न, बंद नाक, िसरदद,
अवसाद और भावना मक असंतुलन म भी आराम िदलाता ह तथा इस तरह एक अ छी न द लाने क िलए रोगी
को आराम प चाता ह।
B-10 मे दंड से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर गरदन क ऊपरी भाग म थत ह। गरदन क
मांसपेशी को भ चने क िलए अपनी सभी उगिलयाँ एक ओर तथा दूसरी ओर अँगूठ का उपयोग करते ए गरदन
क िपछले भाग को पकड़। यह गरदन अकड़न और रिजिडटी दूर करनेवाला एक मुख वॉइट माना जाता ह तथा
अिन ारोग से छटकारा िदलाता ह।
H 7 : ‘ प रट गेट’ नामक यह वॉइट किन ा उगली क िदशा म कलाई क ज सलवट क भीतर थत
ह। यह न द न आने का कारण िचंता दूर करता ह और इस तरह ब त उपयोगी ह।

Gv-16 : ‘िवंड मशन’ नामक यह वॉइट िसर क िपछले िह से क म य म खोपड़ी क बेस क नीचे बने
धँसाव म थत ह। यह मानिसक तनाव और अिन ा, रोग से छटकारा िदलाता ह।
k6 : (जॉयफल लीप) टखने क भीतरी भाग क नीचे बने ग म पाया जाता ह। अिन ा और िचंता दूर करता
ह।
B-62 : ‘काम लीप’ नामक यह वॉइट टखने क बाहरी भाग पर बने ग म थत ह। यह पीठ का दद दूर
करता ह, िजसक कारण सोने म किठनाई होती ह।
चूँिक बार-बार आनेवाले अिन ा क दौर रोगी को सु त बना सकते ह, अगर सोने से पहले िन निलिखत
र ले स वॉइ स को उ ी िकया जाए तो वह रले स महसूस करगा और उसे चैन क न द आने क संभावना
बढ़गी। दोन पैर और हथेिलय क सोलर ले सस ए रया को अँगूठ से धीर-धीर कई बार दबाकर उ ी कर।
इसक बाद दोन पैर और दोन हाथ क अँगूठ पर थत िसर और म त क क संबंिधत र ले स ए रयाज पर
अँगूठ क ज रए दबाव द। दबाव अँगूठ क साइ और टम, दोन पर िदया जाना चािहए।
न 75 : िव ु ध आँत क अव था ‘इ रटबल बाउल िसं ोम’-आइबीएस) या ह? या ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी इसक इलाज म सहायक हो सकते ह?
उ र : आइबीएस एक ऐसा श द ह, जो कई तरह क िवकार , को विणत करता ह, जो आँत को भािवत
करते और ब त से ल ण पैदा करते ह, िजनम बारी-बारी से क ज और डाय रया होना, अ यिधक उदर-वायु,
मतली, भूख कम लगना, पेट म मरोड़ तथा सु ती और कमजोरी का एहसास शािमल ह, इस रोग का कोई ात
कारण नह ह। िफर भी यह माना जाता ह िक तनाव तथा वाय वचिलत (Autonomic) तंि का तं
(नवस िस टम) क कारक त व हो सकते ह जो तनाव पर िति या य करता ह, कछ खा पदाथ भी आँत
को िव ु ध कर सकते ह। चीन क पारप रक चीनी िचिक सा शा क अनुसार यह थित हमार शरीर म जमीनी
ऊजा (अथ इनज ) जो हमार शरीर क पाँच मूलभूत त व म से एक ह, म िकसी कार का असंतुलन आ जाने क
कारण बनती ह। अगर आपक िस टम पर अथ एनज हावी ह तो आप खाने क शौक न या यादा खाने क ओर
वृ हो सकते ह और यह आपक पाचन संबंधी सम या को बढ़ा सकते ह। इसक प रणाम व प आपक
िलए अपना वजन िनयंि त करना किठन हो सकता ह। एक बार असंतुिलत होने पर आपको िमठाइय , चॉकलेट
आिद क ललक हो सकती ह, जो आपक सम या को और बढ़ा देगा।
कई अ य िवकार पेट और सीने म जलन, खाने क बाद पेट फल जाना, डकार तथा खाना िनगलने म किठनाई
जैसी सम याएँ पैदा कर सकते ह। इनम नॉन-अ सरिटव, िड पे सया, गे ाइिटस और पे टक अ सर आिद
शािमल ह। उनक शारी रक ल ण िमलते-जुलते लगते ह, पेट और गले म अ लता का एहसास तकलीफ बढ़ा
देता ह। पे टक अ सर अकसर एक ऐसे अ सर को ज म देता ह िजससे पेट या ऊपर आँत क दीवार का रण
हो जाता ह। गे ाइिटस टमक म ेन का इ रटशन ह। ए प रन का सेवन इस इ रटशन का कारण हो सकता ह।
इसी तरह भारी तनाव, धू पान तथा जीवन शैली से जुड़ ए अ य कारक भी गे ाइिटस का कारण हो सकते ह।
इसी तरह भारी तनाव, धू पान तथा जीवन शैली से जुड़ ए अ य कारक भी े ाइिटस का कारण हो सकते ह।
पाचन संबंधी सम या का एक और कारण सू म जीव , जैसे बे टी रया का हमला ह। िन त प से
आइबीएस से पेट दद और पाचन संबंधी सम याएँ भी पैदा हो सकती ह।

आदश समाधान तो यह होगा िक अपने खानपान को िनयिमत कर और इसे एक बेहतर व प द। यह िकसी


भी य का दीघकािलक ल य होना चािहए। पया पानी िपएँ ितिदन कम-से-कम 8 से 10 िगलास, वसायु
भोजन से बच, हमेशा अ छी तरह पकाया आ भोजन खाएँ, य िक अधपका भोजन आपक ित ी पर अिधक
भार डालता ह। यह ऐसा अंग ह, जो भोजन को खंिडत करता और उससे आव यक पोषक त व हण करता ह।
सूप और भाप से पक यंजन ( यू) ित ी क िलए अ छ पोषक आहार माने जाते ह। कॉफ , शराब,पा ता और
बेकरी उ पाद आिद का सेवन कम कर तथा यादा-से- यादा पोषक त व लेने क तरीक िनकाल। इसी बीच
ए यू ेशर और र ले सोलॉजी आपक सम याएँ कम करने म सहायक हो सकते ह, य िक ये दोन तकनीक
तनाव दूर करने क उ म साधन पाए गए ह। जो शायद इस रोग क मुख कारण म से एक ह। दूसर श द म
ए यू ेशर और र ले सोलॉजी वही करने म शरीर क मदद करते ह, िजसका यास वह पहले ही कर रहा होता
ह, अथा वयं को ठीक करना।
‘इनर गेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क तरफ कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना
ऊपर, भुजा क म य म थत ह। अपने शांतकारी भाव क ारा यह आईबीएस (िवशेष प से मतली, गभवती
मिहला से लेकर क मोथेरपी क रोिगय और समु ी या ा करनेवाले लोग म) से छटकारा िदलाने म सहायक
ह।

Sp-6 ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह साथ ित ी, िलवर और
गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ची और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह य क िकसी भी कार क सम या िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।

St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नी-कप क म य रोग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह, तो कजे न, जो
िदमाग को आ छािदत कर देता ह, दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव डालने से ब त अ छ प रणाम सामने
आएँगे। यह वॉइट ‘अथ इनज ’ म असंतुलन दूर करने क मता क िलए जाना जाता ह।
Cv-12 े टबोन क तले पर बने खाँचे और नािभ क बीच बीच थत ह। इस वॉइट पर करीब एक िमनट
तक म यम दरजे का, िकतु फम दबाव डाल। इस वॉइट पर दबाव डालते समय अगर रोगी का पेट खाली हो, तो
बेहतर होगा। यह िहचिकयाँ, पेट म मरोड़, भावना मक तनाव दूर करता ह और ‘अथ इनज ’ म संतुलन बहाल
करने म सहायक ह।

Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ची क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालने क िलए सबसे
सश अंग माना जाता ह। िमतली, उलटी, पेट म दद और पेट फलने म आराम देने क अित र यह गॉल
लैडर क वा य म भी सुधार लाता ह।

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
से शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। डाय रया, क ज और पेटदद सिहत आँत क सम ि याशीलता म
सुधार क िलए एक अ छा वॉइट ह। यह ची क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट
का उपयोग नह करना चािहए।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए पाचन तं क सभी े से जुड़ िन निलिखत
र ले स वॉइ स पर यान कि त कर : सोलर ले सस, ए नल ल स, डाय ाम, रीढ़ क ह ी (िवशेष प
से व ीय े ), कलाई क चार ओर िलंफिटक िस टम से गुरदे और मू ाशय क े पर। इनम से येक े
पर करीब 2-3 िमनट तक घड़ी क सुइय क गित क िदशा म मािलश जैसा दबाव डाल। यह ि या कछ िदन
तक दोहराई जानी चािहए तथा रोग क थित गंभीर होने पर तो िदन म दो बार ऐसा िकया जाना चािहए। िजन
े पर दबाव िदया जाना ह, उनक थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क
िच का अवलोकन कर।
न 76 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी घुटन का दद ठीक कर सकते ह?
उ र : जब हम खड़ होते या चलते ह तो घुटन क जोड़ शरीर का काफ भार ज ब (ए जॉब) करते ह। खेल
से जुड़ी गित-िविधय म भाग लेने या अिधक वजनवाले लोग अकसर घुटन क दद से पीि़डत रहते ह। नी-कप से
ठीक नीचे, उतने ही भाग पर होनेवाला (लोकलाइ ड) दद पेटलर टडनाइिटस का ल ण हो सकता ह। शरीर क
िनचले िह से म लगनेवाली आम चोट से घुटने भािवत होते ह। कदने से नी-कप या पैटलर क ठीक नीचे क गस
(टडन) फट सकती ह, िजससे पैटलर टडनाइिटस (इसे ‘जंपस’ नी क नाम से भी जाना जाता ह) हो सकता ह।
घुटने क जोड़ म दद, फमर और िटिबआ क बीच, कािटलेज म टटन क कारण भी हो सकता ह। अ यिधक
खेलकद या यायाम क मसल फायबस फट सकते ह, िजसक प रणाम व प मांसपेिशय म लूड जमा हो
सकता ह, िजससे घुटन म दद, सूजन और मृदुता आिद हो सकते ह। अ यिधक चलना-िफरना (जोिगंग) भी इस
जोड़ पर ितकल भाव डाल सकता ह।

ए यू ेशर और र ले सोलॉजी दोन , घुटने म दद दूर करने सूजन कम करने तथा घुटन क े म र संचरण
बढ़ाने म मदद कर सकते ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची सहायक होगीः

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ची क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट योग नह करना चािहए।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-
6 क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह उदर क ितकल ची को भी शांत करता
ह। यह घुटन का दद भी दूर करता ह।
Lv-2 िजंग-िजयान क नाम से ात यह वॉइट पैर क अँगूठ और उसक पासवाली उगली क संिध थल पर
थत ह। यह ियन को उ ी और यांग को शांत करता ह। बेहतर प रणाम क िलए अगर संभव हो तो दोन पैर
पर थत इस वॉइट पर साथ-साथ दबाव देने क कोिशश कर।
Kd-3 टखने क ह ी और एिकिलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह।
GB-41 : ‘फॉिलंग िटअस’ नामक यह वॉइट पैर क ऊपरी भाग म चौथी और पाँचव उगली क बीच बने
चैनल म, इन दोन उगिलय क बीच बने वेब मािजन क लगभग बीच बीच थत ह। यह ऊजा क वाह को
बहाल करक दद और तकलीफ से छटकारा िदलाता ह। चूँिक यह वॉइट ब त ही कोमल हो जाता ह, शु आत
ह क दबाव से कर और उसक बाद, दद सहने क रोगी क मता क अनुसार दबाव धीर-धीर बढ़ाएँ, हो ड कर
एवं धीर-धीर दबाव हटाएँ।

GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क बाजू क तरफ उठी ई ह ी क नीचे
बने ग म थत ह। वायु िवकार दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता तथा िलवर क ियन
को उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता बढ़ जाती ह। घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव आिद दूर करता ह।
St-35 : ‘का स नोज’ नामक यह वॉइट नी-कप क नीचे बने बाहरी ग म थत ह। यह घुटन का दद,
अकड़न और सूजन (इडीमा) को कम करने म सहायक ह।

B-53 : ‘कमांिडग ए टिवटी’ नामक यह वॉइट घुटने क बाहरी ओर घुटना मोड़ने पर बनने वाली ज क
िसर पर थत ह। यह घुटने म अकड़न और दद दूर करने म सहायक ह।
B-54 : घुटने क िपछले भाग क म य म, घुटना मोड़ने पर बननेवाली सलवट पर थत ह। यह घुटन (और
पीठ) म अकड़न और दद दूर करने क िलए ब त ही लाभदायक वॉइट ह। साइिटका का दद कम करने क िलए
भी यह ब त उपयोगी वॉइट ह।
K-10 : ‘न रिशंग वैली’ क नाम से ात यह वॉइट घुटने क ज क भीतरी िकनार पर दो टडस क बीच
बने ग म थत ह। यह घुटने क दद से छटकारा िदलाने म सहायक ह।
Sp-9 टाँग क भीतरी भाग म, िशन बोन क नीचे उठी ई मांसपेशी क ठीक नीचे थत ह। यह इडीमा, वॉटर
रटशन, सूजन और घुटन क अ य सम या को कम करने म सहायक ह।
Lv-8 : ‘ कड ंग’ घुटने क भीतरी भाग म घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज क छोर पर थत ह। यह
घुटन म दद और सूजन से छटकारा िदलाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए गुरदे, िलवर, और ित ी क र ले स ए रयाज को
उ ी कर। उदर और मू ाशय क र ले स पॉइ स को भी उ ी कर। दोन पैर क छोटी और दूसरी उगली
क बीच बने चैनल म, दोन उगिलय क बीच क दूरी क आधे से कछ कम दूरी पर, पैर क िपछले भाग पर टखने
क चार ओर (आगे और पीछ, दोन तरफ) दबाव देना ब त ही लाभदायक ह। घुटने क िपछले भाग पर, पैटला
बोन क ठीक नीचे, बाहर क ओर करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे पैर क छोटी उगली क िदशा म
दबाव देना भी ब त लाभकारी माना जाता ह। इन े को दो िदन तक िनयिमत प से और अगर आप वयं
दबाव दे रह ह तो िदन म दो बार उ ी कर तािक अिधकतम लाभ हो सक।
न 77 : सव वेदना और सव का या अथ ह? या ए यू ेशर संकचन को े रत करने और
सव-पीड़ा को कम करने म सहायक हो सकता ह?
उ र : उस िचंता और भय से िनपटने क िलए, जो अकसर आपक पहले ब े क ज म क समय और उससे
पहले मन म होता ह, अपनी देखभाल वयं कर जैसे काय म म भाग ल, इससे आपम आपक िलए ज री
आ मिव ास म वृ होती ह। सव-पूव क थम ल ण का पता लगाना किठन हो सकता ह य िक वे
िविभ मिहला म िभ -िभ होते ह। कछ मिहला को िनयत समय से कछ ह ते पहले संकचन शु हो
जाते ह। म यम ती ता जो बढ़ती नह ह, वाले ये संकचन अिनयिमत प से आते ह और कछ समय बाद कम या
शांत हो जाते ह। ए टव लेबर क अव था तब कही जाती ह जब ‘वॉटर ेक’ होता ह, योिन से िनकलनेवाला यह
लूड, गभ थ िशशु को संर ण देता ह, यह कवल एक टपकन या धारा क प म हो सकता ह। अ य ल ण म
खून क ध ब से यु यूकस का ह का ाव या गभ म िनयिमत अंतराल से होनेवाले संकचन शािमल ह।

सामा य सव क दौरान ज री होने पर ‘इिपिसयोटॉमी’ नामक एक ि यािविध क ज रए योिनमाग को,


सिजकली बढ़ाया जा सकता ह। एक ‘िसजे रयन से शन’ म सजरी क ारा िशशु को गभ से िनकाल िलया जाता
ह। यह ि यािविध आमतौर पर िकसी आपातकाल म अपनाई जाती ह। जब िशशु या माँ को जान का खतरा हो।
सामा यतः आपका डॉ टर आपक कस क थित और िवक प क बार म आपको अवगत कराता रहता ह।
एक कालाविध म ब त से मामल म यह देखा गया ह िक पे्रशर वॉइ स को उ ी िकए जाने से सव-पूव
संकचन क िनयिमतता और ती ता म वृ ई ह तथा मातृ व-सुख क अपे ा कर रही मिहला म तनाव, दद,
एवं थकान काफ हद तक दूर होने से उसक आ मिव ास म भी वृ ई ह। सव-वेदना से त मिहला क
उपचार क प म िविभ ेशर वॉइ स उ ी िकए जाने क कछ देर बाद ही िन निलिखत भाव पड़ते ह:

B-67 पैर क छोटी उगली क नाखून से ठीक ऊपर वचा पर थत ह। करीब एक िमनट तक फम दबाव द,
दबाव धीर-धीर हटाएँ और िफर दबाएँ। यह ि या 3-4 बार दोहराएँ। यह वॉइट इतना कारगर ह िक िमनट म ही
मिहला महसूस करगी िक गभ थ िशशु सही पोजीशन म आ गया ह। यह सव क किठन मामल म अ यिधक
भावी तथा भू्रण क गलत थित को ठीक करने म स म ह।

Kd-3 टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म ‘एिकिलस टडन’ क बीच थत ह। यह


सव-पीड़ा, थकान और पीठ का दद दूर करता ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ची संच रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता को भी दूर करता ह। यह वॉइट संकचन को
े रत और सव पीड़ा को कम करने म सहायक ह।
GB-21 : ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। इस वॉइट पर कधे क दोन ओर एक साथ दबाव डाला जा सकता
ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक लाभकारी
हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ची का सामा य वाह बहाल करता ह। यह सव म
सहायक ह तथा घबराहट और दद, थकान, हाथ-पैर ठड पड़ जाना जैसी परशािनय से छटकारा िदलाता ह।
B-27 से लेकर B-34 तक वे ेशर वॉइ स ह, जो मे दंड क से ल पाट पर थत ह और उन पर दोन
हाथ क मु य क ज रए भी दबाव डाला जा सकता ह, जब रोगी बैठा या पेट क बल लेटा हो। सव क दौरान
पीड़ा को कम करने क उ े य से यह गभाशय और पे वक े को िशिथल करने म सहायक ह।
न 78 : या ए यू ेशर टाँग क िनचले भाग, जाँघ और क ह का दद दूर करने म सहायक हो
सकता ह?
उ र : जब कोई ब ा भूखा या यासा होता या उसक शरीर क िकसी भी भाग म तकलीफ होती ह तो वह
दूसर का यान आकिषत करने क िलए रोता ह, उसी तरह दद भी शायद शरीर क िकसी भी भाग, िजस पर यान
िदया जाना ज री ह, क ओर हमारा यान आकिषत करने क िलए शरीर क एक अिभ य ह। दद छोटी-बड़ी
चोट लगने, िकसी अ थबंध (िलगामट) क िखंच या फट जाने या मोच आ जाने क कारण होता ह। हमारा शरीर
म त क या शरीर क िकसी भी भाग म र क बािधत आपूित को भी दद क प म अिभ य कर सकता ह।
दद ह का, पंदनशील, टीस उठनेवाला या ती हो सकता ह।
जैसे-जैसे हम बड़ होते ह, वह हमारा साथी या जीवन का एक िह सा बन जाता ह और कभी-कभी लोग उसक
इतने आदी हो जाते ह िक वे उसक साथ जीना सीख लेते ह। टाँग, क ह और जाँघ म होनेवाला दद भी शायद
ब त आम तरह का दद ह, जो हम अपनी रोजमरा क िजंदगी म अनुभव करते ह। उसे ब त अिधक यास या
दवाइय क िबना ठीक िकया जा सकता ह, जब तक िक वह हमारी ह य पर लगी एक बड़ी चोट या िकसी
मांसपेशी क िट यूज क बुरी तरह फट जाने क कारण न हो रहा हो। ए यू ेशर टाँग , क ह और जाँघ म टीन
टाइप क दद को दूर करने तथा ए सीडट, ऊचाई से िगरने आिद क प रणाम व प िकसी बड़ी चोट से उपजे दद
को भी कम करने म सहायक हो सकता ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची मददगार सािबत होगी।

‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संचा रत करने क अपनी मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को
यह वॉइट उपयेग नह करना चािहए।
GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क साइड क तरफ उठी ई ह ी क
नीचे बने ग म थत ह। यह वायु दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता ह तथा िलवर क
ियन को उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, अतः इस वॉइट पर दबाव देने से
जोड़ क गितशीलता बढ़ जाती ह। यह घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव, आिद दूर करता ह।
GB-30 : ‘जंिपंग सकल’ नामक यह वॉइट क ह क दद ठीक करने क िलए सबसे मह वपूण वॉइट ह।
टाँग और पीठ क िनचले भाग क पूर े म र -संचरण उ ी करता ह। यह क ह क ह ी और टलबोन क
बीच क कल दूरी क करीब एक-ितहाई भाग दूर िनतंब पर थत ह। इसे पया दबाव क साथ दबाया जाना
चािहए, ज री हो तो अपनी कोहनी क ज रए दोन तरफ क वॉइ स पर दबाव िदया जाना चािहए।
B-36 : ‘ रसीिवंग सपोट’ नामक यह वॉइट क ह क मांसपेशी क नीचे जाँघ क िपछले भाग पर ठीक म य
म थत ह। अँगूठ क ारा दोन वॉइ स पर एक साथ दबाव िदया जा सकता ह। अपने आप दबाव देने क
िलए फश या स त बेड पर पीठ क बल लेट जाएँ और इस वॉइट क नीचे मु ी रखकर करीब तीन िमनट तक
लेट रह।

B-57 : ‘सपोट िद माउटन’ नामक यह वॉइट टखने क ह ी और घुटने क पीछ िमड वॉइट क तकरीबन
बीच बीच, ‘काफ मसल’ क िनचले बॉडर क बीच बने अंगे्रजी क ‘V’ आकार क म य म थत ह। यह वॉइट
टाँग म दद और अकड़न दूर करने म सहायक ह।
B-58 : यह वॉइट B-57 से कछ बाहर क ओर, उससे करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
यह टाँग म दद म राहत देता ह।
GB-29 : इस वॉइट का पता लगाने क िलए अपने हाथ को कमर क तर पर अपनी बे ट क दोन ओर
रख। हाथ को करीब एक हथेली क चौड़ाई िजतना िखसकाते ए क ह क ह ी तक लाएँ। अँगूठ से दोन
तरफ दबाएँ। क ह का दद दूर करने क िलए यह ब त भावी वॉइट ह।
अगर दद एक से दूसरी जगह िश ट हो रहा हो तो इस सम या क समाधान क िलए िन निलिखत दो वॉइ स
मददगार ह गेः
GB-20, िजसे ‘िवंडपूल’ भी कहा जाता ह, खोपड़ी क बेस पर गरदन क हयरलाइन से एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना ऊपर, गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। यह दोन हाथ क अँगूठ म अकड़न,
िसरदद, कध म दद/भारीपन, आिद दूर करने म ब त उपयोगी ह और ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत
करता ह।
Sp-10 : (सी ऑफ लड) घुटने से करीब दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर जाँघ क उठी ई मांसपेशी
(आगे क ओर) पर थत ह। यह वॉइट र क िन लता रोकता ह, िवशेष प से उदर क िनचले े म।
न 79 : रजोिनवृि (मेनोपॉज) या ह और इसक साथ कौन-से ल ण कट होते ह? या
ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इसका सामना करने म मदद कर सकते ह?
उ र : यह एक ी क जीवन का सं मण काल ह। मािसक च क समा एक ी क संतानो पादक
अविध क समा क सूचक ह और वह पीड़ाजनक मािसक च , प रवार िनयोजन उपाय क झंझट और
गभधारण करने क भय आिद से मु हो जाती ह। िकस आयु म इसका आगमन होगा, िन त प से नह कहा
जा सकता; परतु आमतौर पर यह चालीस लस क आयु म शु होता ह और कछ मामल म पचास क दशक क
आरिभक वष तक भी जा सकता ह। अगर एक ी लगातार छह महीन तक रज वला नह होती तो यह माना जा
सकता ह िक रजोिनवृि क ि या शु हो चुक ह। िफर भी, अगर कोई ी गभ धारण नह करना चाहती तो
उसे मािसक धम बंद ए पूरा एक साल बीतने तक प रवार िनयोजन का कोई उपाय जारी रखना चािहए। इसक
ल ण िविभ य म ब त अलग-अलग तरह क होते ह। जहाँ कछ याँ इस सं मण काल से आसानी से
गुजर जाती ह, कई अ य म हॉट लश, रात म पसीना आना, योिन म सूखापन, मूड ज दी-ज दी बदलना,
िचड़िचड़ापन और कभी-कभी तो अवसाद तक क ल ण कट होने लगते ह। आमतौर पर यह ि या धीर-धीर
होती ह और इससे जुड़ ए बदलाव कई वष क दौरान घिटत होते ह।
कछ िन त ेशर वॉइ स को उ ी करने से ियन का पोषण होता ह और शरीर म ‘ियन और यांग’ का
बेहतर संतुलन थािपत होता ह, जो य ारा झेली जा रही सम या क ती ता कम करता ह।
ेशर वॉइट थेरपी अथा ‘ए यू ेशर’ मांसपेिशय को िशिथल बनाकर ऊजा क वाह म आए अवरोध दूर
करक, तनाव दूर करक और म त क क कोिशका क िलए अ याव यक ऑ सीजन क आपूित म सुधार
करक दद का कारण दूर करने म हमारी मदद करता ह। िन निलिखत कायसूची मददगार िस ह गी।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ का संचार करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते शरीर
से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
GB-20 : खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनुसार ही ह। गरदन क े म अकड़न दूर करने क िलए अ यंत लाभदायक वॉइट ह। वह वायु िवकार और
जुकाम भी दूर करता ह।
GB-41 : पैर क ऊपरी भाग म चौथी और पाँचव मेटाटसल ह य क बीच थत ह। इस वॉइट पर फम
ेशर देने क िलए आपको अपनी तजनी या म यम उगली ारा इस संिध थल क ठीक नीचे दबाव देते हएु उसे
ऊपर क ओर िखसकाना होगा। यह वॉइट ‘ची’ का वाह बहाल करता ह और रजोिनवृि क दौरान होनेवाला
िसरदद ठीक करता ह।
Sp-6 ‘ ीन ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से ही िविदत होता ह िक यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी,
िलवर और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह। यह य क कोई भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह।
गभवती मिहला को इस वॉइ स पर दबाव नह डालना चािहए।
‘ ोकन सी स’ क नाम से ात Lu-7 का िवशेष मह व ह। यह कसे शन वेसल चैनल को खोलता ह। इसे
‘सी ऑफ ियन’ क नाम से भी जाना जाता ह, यह वॉइट उस थल पर, जहाँ अँगूठा कलाई से िमलता ह, कलाई
क ज क पास बने ाकितक ग से करीब दो उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह। चूँिक इस वॉइट क
ऊपर मांस नह ह, इसिलए ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जाना चािहए।
‘शाइिनंग सी’ नामक वॉइट Kd-6 पैर क तलवे क िदशा म टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई
िजतना नीचे (अँगूठ क ओर) थत ह। इस पर फम ेशर दीिजए चूँिक रजोिनवृि क ल ण म गुरदे क ियन क
िन लता भी एक कारक ह, इसिलए इस वॉइट पर दबाव देने से वह पु होता ह। अगर इसे Lu-7 क बाद
दबाया जाए, तो यह ‘सी ऑफ ियन’ खोलने म भी सहायक होता ह।
र ले सोलॉजी ारा इस सम या का इलाज करते समय िप यूइटरी, गभाशय, ए न स, िलंफिटक िस टम,
िलवर, मे दंड, दय, म त क, थायरॉइड और पैराथायरॉइड से संबंिधत र ले स ए रयाज उ ी कर। थायरॉइड
को छोड़कर सभी वॉइ स पर घड़ी क िदशा म दबाव दीिजए। िविभ र ले स ए रयाज क थित जानने क
िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।

न 80 : या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी माइ ेन का दद कम करने म िकसी कार से सहायक


हो सकते ह? इस रोग क साथ कट होनेवाले ल ण या ह?
उ र : माइ ेन अ यंत क दायक रोग ह जो कभी-कभी िसर क कवल एक िह से पर होता ह और उसक साथ
अकसर च र, उलटी और ि िवकार जैसी सम याएँ भी आती ह। उसक कारण म आनुवंिशकता, िकसी खास
तरह का भोजन, जो रोगी क िस टम क अनुकल न हो, शािमल ह तथा ब त अिधक समय तक धूप या ती काश
म रहने से भी यह रोग हो सकता ह। तनाव, थकान रहने से भी यह रोग हो सकता ह। इनक अित र , तनाव
थकान और खानपान संबंधी गलत आदत (खानपान और खाने का समय दोन ) अ य ेरक कारक हो सकते ह।
कभी-कभी इस रोग म पारप रक मेिडकल सहायता क ज रत हो सकती ह। िफर भी, मेिडकल सहायता क साथ-
साथ ए यू ेशर और र ले सोलॉजी को िनरापद प से उपयोग िकया जा सकता ह।
े र वॉइट थेरपी अथा ए यू ेशर मांसपेिशय को िशिथल बनाकर, ऊजा क वाह म आए अवरोध दूर करक,

तनाव कम करक और म त क क कोिशका क िलए अ याव यक ऑ सीजन क आपूित म सुधार लाकर दद
का कारण दूर करने म हमारी मदद करता ह। िन निलिखत कायसूची मददगार िस होगीः
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संचा रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ि ज पर थत ह। यह मल क रा ते शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
GB-20 खोपड़ी क बेस क नीचे बने ग म थत ह। दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ ह क से
लेकर म यम दरजे तक का थर दबाव डाला जाना चािहए। इसका भाव इसक नाम ‘गे स ऑफ कांशसनेस’ क
अनुसार ही ह। गरदन क े म अकड़न दूर करने क िलए अ यंत लाभदायक वॉइट ह। वायु िवकार और जुकाम
भी दूर करता ह।

GB-41 पैर क ऊपरी भाग म, चौथी और पाँचव मेटाटसल ह य क बीच थत ह। इस वॉइट पर फम


ेशर देने क िलए आपको अपनी तजनी या म यमा उगली ारा उस संिध थल क ठीक नीचे दबाव देते ए उसे
ऊपर क ओर िखसकाना होगा। यह वॉइट ‘ची’ का वाह बहाल करता ह और माइ ेन से आराम िदलाता ह।
‘फिशयल यूटी’ क नाम से ात St-3 पुतली और गाल क ह ी क नीचे थत ह। यह आँख म थकान
और भारीपन दूर करता ह, िसर और आँख म िखंचाव और िसरदद दूर करता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, इसे पु और िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क
वाह को िनयिमत करता ह। िमतली, उलटी, पेट दद और पेट फलने म आराम देने क अित र यह गॉल लैडर
क वा य म भी सुधार लाता ह।
Gv-16 : ‘िवंड मशन’ नामक यह वॉइट िसर क िपछले िह से क म य म, खोपड़ी क बेस क नीचे बने
धँसाव म थत ह। यह मानिसक तनाव और अिन ारोग से छटकारा िदलाता ह।
B-2 : (ि िलंग बबू) भ ह क बीच बाँसा (ि ज ऑफ िद नोज) क ऊपर बने ग म थत ह। यह आँख म
थकान/दद और िसरदद म आराम िदलाता ह।
Gv-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच, उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बाँसा िमलते ह। यह
िप युइटरी लड को टोन-अप करता ह तथा िसरदद और आँख म थकान दूर करता ह।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग का इलाज करने क िलए शरीर क िन निलिखत अंग /अवयव क र ले स
ए रयाज को येक र ले स वॉइट पर अँगूठ से 2-3 िमनट तक दबाव देते ए, उ ी िकया जाना ज री ह :
िसर और म त क, गरदन, ए न स, िप यूइटरी, िलंफिटक िस टम पाचन तं का पूरा े मे दंड (िवशेष प से
पैर क अँगूठ क अंतगत आनेवाला े )। सोलर, ले सस, सोलर ले सस, डाय ाम आँख, गुद, और मू ाशय
आिद। भ ह को अँगूठ और तजनी क बीच दबाकर, बाँसा, जहाँ से भ ह शु होती ह, से लेकर अंत तक पूरी भ ह
पर भी दबाव द। अँगूठ और तजनी क बीच मांसल िह से पर दबाव द। इस े म जहाँ-जहाँ गाँठ आएँगी, रोगी
को दद महसूस होगा। जैसे-जैसे ये गाँठ िडजॉ व होती जाएँगी, दद क ती ता और अविध म कमी आती जाएगी।
न 81 : या ए यू ेशर ‘मॉिनग िसकनेस’ और ‘मोशन िसकनेस’ जैसी सम या क समाधान म
मदद कर सकता ह?
उ र : टमक अ सस, गै ाइिटस, डायिबटीज, मेिनंजाइिटस यहाँ तक िक िविभ कार क कसर क दौरान
िदया जानेवाला क मोथेरपी उपचार भी िमतली पैदा कर सकता ह। गभाव था क दौरान मािनग िसकनेस और या ा
क दौरान मोशन िसकनेस हो सकते ह। इन िवकार से पीि़डत य ल त महसूस करता ह और उसे उलटी हो
जाएगी, ऐसा भय लगा रहता ह। यह परशानी तब और बढ़ जाती ह जब पेट म टशन जमा हो जाती ह और उदर क
सामा य काय णाली म बाधा आती ह।
इससे पाचन तं और संबंिधत अंग पर दबाव पड़ता ह तथा आप अ व थ महसूस करने लगते ह। ए यू ेशर
इस सम या से िमनट म छटकारा िदला सकता ह। शोध ने गभाव था, क मोथेरपी-जिनत मतली और मोशन
िसकनेस से पैदा ई सम या क इलाज म इस िचिक सा-िविध क भावका रता क पुि क ह। वतमान म
पारप रक िचिक सा क कई डॉ टर ने इस और कई अ य रोग क इलाज क िलए इस गैर-पारप रक िचिक सा-
िविध ( ेशर वॉइट िथरपी) को अपनाना शु कर िदया ह।
िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव देना ब त मददगार िस होगाः
‘इनर गेट’ क नाम से ात Pc-6 हथेली क ओरवाली कलाई पर, कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क
चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। अपने शांतकारी भाव क ज रए यह आईबीएस इरीटवल बाउल
िसं ोम (िवशेष प से मतली-गभवती मिहला , क मोथेरपी क रोिगय और समु ी या ा करनेवाले लोगो म भी)
से छटकारा िदलाने म सहायक ह।
St-36 िशनबोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना
नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6 क
संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। पेट क उ न ‘ची’ जो मतली और उलटी का
कारण ह, को भी शांत करता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नीकप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह तो कजे न, जो
िदमाग को धूिमल कर देता ह, दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
P-5 कलाई क भीतरी ज क म य से चार उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर, टडस क बीच थत ह। यह
मतली और उलटी क अित र पेट क गड़बड़ी से छटकारा िदलाता ह।
St-45 (सीिवयर माउथ) पैर क अँगूठ क पासवाली उगली म नाखून क बेस क बाहरी ओर थत ह। यह
िमतली, अपच, फड पॉइजिनंग और पेटदद से छटकारा िदलाता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु और िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क
वाह को िनयिमत करता ह। इस वॉइट को दबाने से अ यिधक शारी रक म क कारण गॉल लैडर और िलवर
मे रिडयंस को ई ित, को िनयंि त करने म मदद िमलती ह। िजसक प रणाम- व प मतली, ऐंठन आिद हो
सकते ह।
न 82 : मोटापा या ह और उसक या कारण ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ारा इस
सम या का समाधान िकया जा सकता ह?
उ र : आपका आदश वजन आपक ऊचाई आयु, िलंग और पेशे पर िनभर ह। अगर आपक शरीर का वजन
आपक आदश वजन से 20 ितशत अिधक ह या आपक शरीर म वसा का ितशत पु ष म 25 से अिधक और
मिहला म 30 से अिधक ह तो आप वयं को मोट लोग क ेणी म रखकर अपना वजन घटाने क सभी
िवक प पर काम करना शु कर सकते ह य िक अ यथा आप दयरोग, उ र चाप, डायिबटीज, ास
संबंधी सम या, ब क कसर तक का खतरा मोल ले रह ह गे। िवशेष प से तब, जब आपक शरीर क वृि
आपक जाँघ क आसपास चरबी जमा करने क बजाय कमर क आसपास करने क हो। मोटापा आँकने का एक
अिधक िव सनीय तरीका बीएमआई (बॉडी मास इड स) ह, जो मोटापे क सीमा वजन क आधार पर तय करने
क बजाय शरीर म जमा चरबी क आधार पर करता ह। आपका वजन भले ही आपक ऊचाई क िहसाब से उतना
ही हो, िजतना मोट लोग का होता ह, परतु अगर आपक ह याँ मोटी और मांसपेिशयाँ पु ह तथा शरीर म
चरबी क मा ा अपे ाकत कम हो, तो आपको मोटा नह माना जाएगा।
सामा य िस ांत यह ह िक अगर आप उससे यादा कलोरीज का उपभोग करते ह, िजतना जलाते ह तो आपको
वजन बढ़ता ह। चूँिक आपक यह वृि बदली नह जा सकती, आपको यह समझना चािहए िक आपक सम या
क अनुसार चल रह इलाज क अित र आपको अपने खानपान को लेकर सावधान रहना होगा और िनयिमत प
से यायाम करना होगा।
इस सम या क मुख कारण ह—गलत खानपान, अपया यायाम, आनुवांिशकता और थायरॉइड से उपजी
सम याएँ। कभी-कभी मधुमेह भी वजन बढ़ने या घटने का कारण होता ह। दु भाव क प म कछ दवाइयाँ भी
मोटापा बढ़ा सकती ह। उपरो कारक क अित र , एक हािलया अ ययन ने दरशाया ह िक मांसपेिशय और
वसा कोिशकाएँ मोटापे म एक अहम भूिमका िनभाती ह। जब आप अपना वजन घटाने क कोिशश करते ह,
आपक मांसपेिशयाँ अिधक कायकशल हो जाती ह और कलोरीज को कम मा ा म जलाती ह एक और अ ययन
म यह िन कष सामने आया िक अगर उ ह ने वजन घटाने क अपनी कवायद म यायाम को शािमल न िकया हो।
खानपान क ारा अपना वजन घटाने वाले लोग म से 95 ितशत लोग िफर से मोट हो गए, य िप आपक
खानपान म वसा और फाइबर क मा ा एक अहम भूिमका िनभाती ह, यायाम िजतना मह वपूण और कछ नह ह।
इसिलए आपको मोटापा िनयंि त करने क व रत काय म , िजनक बंद करते ही आपका वजन िफर से बढ़ने
लगता ह, क बजाय थायी बदलाव क बार म सोचना चािहए, िजसे आप जारी रख सक और िजससे दीघकािलक
लाभ हो। अपने डॉ टर, क सलाह से खानपान का एक काय म तैयार कर और उस पर ढ़ता से चल। जो
आपक िलए एक लंबे समय क िलए कम वसा, कम शुगर और अिधक फायबर-यु भोजन क ारा कम
कलोरीवाला भोजन िनधा रत करगा, इसक अित र , िनयिमत यायाम का भी एक काय म बनाएँ। हमारी समझ
म अगर सुबह घूमना संभव न हो, तो लंच क बाद आधे घंट टहलना पया और भावी होगा।
अगर खानपान और यायाम क उपरो काय म क पूरक क प म वैक पक िचिक सा, जैसे ए यू ेशर
और र ले सोलॉजी का उपयेग िकया जाए तो वे बेहतर ढग से काम करगी। ेशर वॉइट िचिक सा क
िन निलिखत कायसूची का पालन कर:
Sp-6 ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर पॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुद, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह य क कोई भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
Sp-9 टाँग क भीतरी भाग म, िशन बोन क नीचे, उभरी ई मांसपेशी क ठीक नीचे थत ह। यह इिडमा, वॉटर
रटशन सूजन तथा घुटन क अ य सम या को कम करने म सहायक ह।
St-36 : िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन से पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। पेट क उ न ितकल ‘ची’ को भी शांत करता ह।
St-40 पैर क बाहरी ओर, टखने क ह ी और नीकप क म य भाग क बीच बीच थत ह। िटिबआ का पता
लगाएँ और ह ी से बाहर क ओर दो अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर जाएँ। कजे न कम करने म यह ब त
मददगार ह। अगर आप महसूस कर रह ह िक आपक फफड़ म ब त सारा बलगम जमा ह, तो कजे न जो,
िदमाग को धूिमल कर देता ह, दूर करने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना ब त अ छ प रणाम देगा।
दीघकािलक आधार पर कछ वजन घटाने म मदद करने क िलए शरीर क िविभ अंग से संबंिधत िन निलिखत
र ले स ए रयाज पर यान कि त कर। येक े पर अपने अँगूठ या िकसी उपकरण, जो आपको सुिवधाजनक
लगे, क सहायता से करीब 1-2 िमनट तक दबाव द। परतु, जैसा ऊपर बताया गया ह, नतीजे तभी हािसल ह गे,
जब आपका खानपान िनयंि त (संतुिलत) होगा। हम नह चाहते िक आप वयं को भूख मार और यायाम का भी
समुिचत यान रखा जाए।
उदर, आँत, िलवर, िप यूइटरी, ए न स, गुरदे, मू ाशय थायरॉइड और पैराथायरॉइड, पि याज, िलंफिटक
िस टम तथा सोलर ले सस जैसे पाचन तं से संबंिधत सभी र ले स ए रयाज को उ ी िकया जाना चािहए।
इन र ले स ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का
अवलोकन कर।
सुबह और शाम दोन समय फट रोलर पर 3 िमनट तक ि क रोिलंग करने से आपको हर महीने 2-3 िकलो
वजन घटाने म मदद िमलेगी। िव तृत िववरण क िलए न-9 देख।
न 83 : ओ टयोपोरोिसस या ह? या ए यू ेशर इस रोग क इलाज म िकसी तरह क मदद कर
सकता ह?
उ र : ऑ टयोपोरोिसस का अथ ह ‘िछि त ह ी’। यह एक ऐसा रोग ह िजसक कारण ह याँ धीर-धीर
कमजोर हो जाती ह और उनम र होने का खतरा बढ़ जाता ह। य िप इससे पूर शरीर क ह याँ भािवत
होती ह। िफर भी क ह, रीढ़ और कलाइय क ह याँ सबसे यादा भािवत होती ह। बुजुग म क ह क ह ी
टटना ब त आम ह। आमतौर पर ऊव थ (नेक आफ फमर) क गरदन पर टट-फट होती ह। लंबे समय तक लेट
रहने से घाव (बेडसोस) हो जाते ह, जो इस रोग को और जिटल बना देते ह।
अ ययन से पता चला ह िक य क ह याँ अपे ाकत हलक होने और उनक शरीर म हाम नल बदलाव
(िवशेष प से रजोिनवृि क बाद) से होनेवाली ित क कारण उनम इस रोग क संभावना अिधक होती ह। उनक
तुलना म पु ष म इस रोग क संभावना कम होती ह।
इस रोग का ठीक-ठीक कारण तो ात नह ह, लेिकन ह य म उनक सार त व क शयम क कमी होने
लगती ह। अिधकांश मामल म 35 से 40 वष क आयु म ऐसा होता ह। य म रजोिनवृि क बाद ह य क
घन व (बोनडिसटी) म कमी आने लगती ह। य िक शरीर म ब त हद तक ए ोजन का उ पादन कम हो जाता ह।
जो ह य म क शयम बनाए रखता ह। य िप ह य क घन व म कछ कमी उ बढ़ने क साथ होती ही ह,
िफर भी कछ मिहला म यह रोग आनुवांिशक कारण से भी होता ह। उन मिहला , म यह रोग होने का खतरा
अिधक होता ह जो चालीस वष क आयु से पहले िकसी कारणवश अपने अंडाशय िनकलवा लेती ह। एक शोध
अ ययन क िन कष क अनुसार िजन य क बाल चालीस वष क आयु से पहले 50 ितशत से अिधक सफद
हो जाते ह, उनम दूसर क अपे ा इस रोग क संभावना चार गुना अिधक होती ह।
गुरदे क रोग या हायपरथायरोिड म जैसे रोग, भी ऑ टयोपोरोिसस का कारण हो सकते ह। जो क शयम ज ब
करने क शरीर क मता को भािवत करते ह, चूँिक ऑ टयोपोरोिसस एक ऐसा रोग ह, िजससे सामा य अव था
म लौटना किठन ह, सव म िवक प उसक रोकथाम ह, जो ए यू ेशर और र ले सोलॉजी जैसी वैक पक
िचिक सा प ितय क ारा िबलकल संभव ह। परतु इस रोग म दबाव अ यिधक सावधानी से िदया जाना चािहए
य िक ह याँ ब त कमजोर हो जाती ह और अिधक दबाव से ह ी टट भी सकती ह, िवशेष प से कलाई,
मे दंड, आिद क े म दबाव देते समय।
इस रोग क आगमन से ब त पहले ही इसक रोकथाम क िलए िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव द:
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह। यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे, तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह य क कोई भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
Gv-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बाँसा िमलते ह। यह वॉइट
िप यूइटरी लड को संतुिलत करता ह, जो इसी म म थायरॉइड लड क काय- णाली को भी उ ी और
दु त करता ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह। जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह, यह गॉल लैडर क वा य म सुधार करता ह।
‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात Li-4 दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता क िलए
जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते शरीर
से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट
उपयोग नह करना चािहए।
Kd-3 टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म एिकिलस टडन क बीच थत ह। यह गुरद
को उ ी करने क अलावा से स से जुड़ तनाव और मािसक धम क अिनयिमतता ठीक करने म सहायक ह।
TH-13 बाँह क ऊपरी भाग म पीछ क ओर कधे से ठीक नीचे थत ह। यह थॉयरॉराइड लड से संबंिधत
सम या गरदन, गले या बगल म िलंफ े म िलंफ माग क सं मण को ठीक करता ह। यह इस रोग क
रोकथाम म सहायक ह।
Si-10 शो डर लेड क ऊपरी िकनार क नीचे, Si-9 क सीध म पाया जाता ह। यह गरदन और गले क े
म िलंफ नेज से जुड़ी सम या को दूर करने म सहायक ह।

Li-14 बाँह क ऊपरी भाग म बाहर क ओर Li-11 से करीब सात अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह।
यह गरदन, गले या बगल आिद म िलंफ नेज से जुड़ी सम या म उपयोगी ह।.
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग क रोकथाम क िलए िप यूइटरी, थायरॉइड और पैराथायरॉइड मे दंड
(सवाइकल और व ीय े पर िवशेष जोर देते ए) ए न स सोलर ले सस, गभाशय िडब ंिथय चे ट और
फफड़ आिद क र ले स ए रयाज पर यान कि त कर। येक र ले स ए रया पर अपने अँगूठ से दोन तलव
और हथेिलय पर 1-2 िमनट तक दबाव द। उपरो र ले स ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक क अंत
म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 84 : मािसक धम शु होने से पहले क परशािनयाँ ( ीम अल िसं ोम) या ह? या
ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ज रए इससे होनेवाली परशािनय और संबं रोग को ठीक िकया जा
सकता ह?
उ र : जैसा हम जानते ह, मािसक च य म ाकितक ि या ह और यह च शु होने से पहले इससे
जुड़ मानिसक और शारी रक दोन तरह क दद और क िविभ लड़िकय म अलग-अलग ती ता क होते ह।
ीम अल िसं ोम (पीएमएस) क ल ण म िचड़िचड़ापन, अवसाद िकसी चीज म मन न लगना, तन म मृदुता,
बार-बार मूड बदलना, वजन बढ़ना और लूइड रटशन शािमल ह। य िप अिधकांश लड़िकयाँ इसे जीवन का एक
िह सा मानकर उसे वीकार कर लेती ह, जो लड़िकयाँ िजनका खानपान ठीक नह ह और जो यादा समय बैठ-
ठाले िबताती ह, वे उन लड़िकय क तुलना म अिधक क उठाती ह जो िनयिमत प से टहलती/ यायाम करती
ह और संतुिलत आहार लेती ह। अपनी जीवनशैली म कछ बदलाव लाकर इस दौर से जुड़ ए क से काफ हद
तक बचा जा सकता ह। टीसीएम क अनुसार िलवर और पूरा िलवर मे रिडयन मािसक च शु करते ह। इसिलए
पीएमएस क ल ण क िलए िलवर मे रिडयन म असंतुलन तथा िलवर ‘ची’ क िन लता िज मेदार ह।
इस असंतुलन को दूर करने क िलए उपरो क अित र अगर आप ए यू ेशर और/या र ले सोलॉजी क
िन निलिखत कायसूची का पालन कर तो पाएँगे िक जीवन बदल गया ह। आप इस काय-सूची को अपने सा ािहक
काय म (आपक पास उपल ध समय क अनुसार ह ते म कम-से-कम तीन से चार बार) क प म अपना सकते
ह।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालने वाला सबसे
सश अंग माना जाता ह। इस वॉइट पर दबाव देने से सम या का कारण दूर होगा और ब त राहत महसूस होगी।

Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से जािहर ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे तीन मे रिडयंस क ियन को पु बनता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक ह।
यह ी रोग से जुड़ी िकसी भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
GB-41 पैर क ऊपरी भाग म, चौथी और पाँचव मेटाटसल ह य क बीच थत ह। इस वॉइट पर फम
ेशर देने क िलए आपको अपनी तजनी या म यमा उगली क ारा उस संिध थल क ठीक नीचे दबाव देते ए
उसे ऊपर क ओर िखसकाना होगा। यह वॉइट ‘ची’ का वाह बहाल करता ह और पी एम एस म आराम िदलाता
ह।
GB-34 : ‘सनी साइड ऑफ िद माउटन’ नामक यह वॉइट घुटने क उभार क तरफ उठी ई ह ी क नीचे
बने ग म थत ह। वायु दूर करता ह, नमीयु उ णता शरीर से बाहर िनकालता ह तथा िलवर क ियन को
उ ी करता ह। चूँिक िलवर का ियन जोड़ का पोषण करता ह, इस वॉइट पर दबाव देने से जोड़ क
गितशीलता बढ़ जाती ह। यह घुटन म अ यिधक दद, मांसपेिशय म तनाव, आिद दूर करता ह।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
अगर तन म अ यिधक मृदुता हो तो ेशर वॉइट Pc-6 (इनर गेट) का उपयोग कर। यह हथेली क ओर वाली
कलाई पर, कलाई क ज से करीब तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। Pc-6
चे ट क े म िकसी भी कार क दद म अ यिधक भावकारी ह य िक यह र क ‘ची’ को िनयिमत करता
ह।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग का इलाज करने क िलए पाचन तंि का तथा जनन तं क अंतगत आनेवाले
र ले स ए रयाज और साथ ही अंतः ावी ंिथय से संबंिधत र ले स ए रयाज पर यान कि त िकया जाना
चािहए। ऐसा करने क िलए िप यूइटरी, पि याज, थायरॉइड पैराथायरॉइड, ए न स, िलवर, गॉल लैडर, छोटी
और बड़ी आँत गभाशय, िडब ंिथय , फलोिपयन यू स, मे दंड, गुरदे, सोलर ले सस आिद से संबंिधत र ले स
वॉइ स पर दबाव डाल। येक े पर अपने अँगूठ तजनी या म यमा उगली, जो भी आपको सुिवधाजनक लगे,
क ारा करीब एक से दो िमनट तक दबाव डाल। उपरो र ले स ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक
क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 85 : ोले स या लप िड क या ह? इसक ल ण या ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी
इस रोग म लाभदायक िस हो सकते ह?
उ र : ोले ड या लप िड क एक ब त ही क दायक रोग ह। दद इतना ती होता ह िक िब तर पर करवट
लेना भी मु कल हो जाता ह। खाँसने या छ कने से भी भयंकर दद होता ह। रोगी को िब तर पकड़ने क िलए
मजबूर होना पड़ता ह। इस रोग क उपे ा करना मु कल ही नह , नामुमिकन ह, परतु अगर आपने ऐसा िकया तो
उससे थायी ित हो सकती ह, यहाँ तक िक, लकवा भी हो सकता ह।
‘इटर-विट ल िड स’ असल म लचीले पै स ह, जो कशे का (वट ा) क बीच मजबूती से सट रहते ह
और मे दंड क रचना करते ह। येक पैड एक चपटा, गोलाकार क सूल जैसा होता ह, जो मजबूत फाय स
आउटर म बे्रन से बना होता ह। ये िड स कशे का क बीच मजबूती से सट रहते ह और िलगाम स ारा
जकड़ रहते ह। उनक अपनी जगह से िहलने या िखसकने क गुंजाइश ब त कम होती ह। ये कशे काएँ िजन
वॉइ स पर वा तव म टन होती ह, फसेट जॉइ स कहलाते ह, जो वट ा क दोन ओर पंख क तरह फले होते ह,
और वट ा को उतना अिधक झुकने या मुड़ने से बचाते ह िक रीढ़ क ह ी ही ित त हो जाए। कभी-कभी इन
िड कस को मे दंड क शॉक ए जॉबस भी कहा जाता ह। ये िड कस कशे का को एक-दूसर से अलग भी
रखती ह िजससे वे आपस म रगड़ खाकर ित त होने से बची रहती ह। परतु उ बढ़ने क साथ वे स त होने
लगती ह य िक उनको र क आपूित काफ हद तक कम हो जाती ह। कभी-कभी दबाव पड़ने पर इनर
मेटी रयल या तो सूज जाता ह या हिनया हो जाता ह और िड क क आउटर म ेन को तोड़कर बाहर िनकल जाता
ह। एक कमजोर थल पर यह मेटी रयल पूरी तरह या आंिशक प से आउटर किसंग को तोड़कर बाहर िनकल
आता ह िजससे आसपास क न स पर दबाव आता ह। और अिधक गितिविध या चोट म ेन को तोड़ सकता ह,
िड क मेटी रयल मे दंड या फली ई न स को ित प चा सकता ह। यह ित लाइलाज भी हो सकती ह। जहाँ
सभी हिनया यु िड कस न स पर दबाव नह डालत , यह संभव ह िक िकसी य क िड कस का आकार
िबगड़ गया हो और उसे कोई दद या तकलीफ भी न होती हो।
यह रोग आमतौर पर गलत तरीक से भारी सामान उठाने, कसकर अँगड़ाई लेने, खेलकद म िकसी दुघटना क
दौरान या ऊचाई से कदने से लगने, यहाँ तक िक गलत ढग से लेट-लेट फोन रसीवर उठाने जैसी सामा य
गितिविधय क कारण होता ह। परतु कभी-कभी यह सम या िबना िकसी प कारण क भी कट हो सकती ह।
मोटापा भी पाइन और िड स को अपनी जगह थर रखनेवाले िलगाम स पर अ यिधक दबाव डाल सकता ह।
इस रोग म पारप रक मेिडकल उपचार, क साथ-साथ ए यू ेशर या र ले सोलॉजी िचिक सा अित भावी पाई
गई ह, जो आमतौर पर िव ाम और ददनाशक दवा पर आधा रत होता ह, इस िचिक सा क कछ ही स रोगी
को दद से इस हद तक राहत देते ह िक वह 30 से 40 ितशत तक राहत महसूस करता ह। उपचार क पहले या
दूसर स म ही दद म काफ आराम तीत होता ह।
िन निलिखत ेशर वॉइ स लाभदायक ह गेः
Gv-3 मे दंड क िनचले भाग पर चौथे नंबर वट ा क ठीक नीचे थत ह। क ह क ह ी क ऊपरी िकनार
को टटोल और पाइन क उ म े म इस वॉइट क तलाश कर। इस वॉइट पर अपने अँगूठ क ारा घड़ी क
सुई क िदशा म करीब एक िमनट तक दबाव द। इसक बाद आप अपनी हथेली क ग ी से एक या दो िमनट
मािलश जैसा दबाव दे सकते ह। अगर रोगी गभवती मिहला हो तो इस वॉइट को उ ी नह िकया जाना चािहए।
Gv-4 : यह वॉइट दूसरी और तीसरी कशे का क बीच, बेली बटन क सीध म पीछ क ओर थत ह।
अपने अँगूठ क मे दंड क म यरखा क दोन ओर एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर तक म यम से लेकर भारी
(रोगी क सहनशीलता क अनुसार) दबाव द।

GV-14 सातव सिवकल वट ा और पहली थोरिसक वट ा क बीच थत ह तथा अपना िसर नीचे झुकाकर
आसानी से इसका पता लगाया जा सकता ह। आपक िसर झुकाने पर (आपक गरदन क नीचे) सबसे यादा िदखाई
देनेवाली ह ी सातव वट ा ह। करीब एक िमनट तक C-7 और T-1 क बीच म यम दरजे का, िकतु फम
दबाव द।
GV-20 आपक िसर क ऊपर, कान क ऊपरी भाग को जोड़नेवाली का पिनक रखा क बीच बीच थत ह।
अपने अँगूठ या तजनी क ज रए दबाव द। अगर आप उ र चाप से पीि़डत ह, तो इस वॉइट पर दबाव न द।
GV-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बांसा िमलते ह। यह वॉइट
िप युइटरी लड को संतुिलत करता ह, जो इसी म म थायरॉइड लड क काय णाली को भी उ ी और
दु त करता ह। इस वॉइट पर करीब 30 सेक स तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जा
सकता ह।
B-60 एिकिलस टडन और टखने क बाहरी ह ी क बीच थत ह। यह पीठ क िनचले और ऊपरी िह से
तथा टाँग म दद म आराम प चाता ह। दद से छटकारा पाने क िलए GV-4, पर भी दबाव दीिजए, जो कमर पर
बी-23 वॉइट से 2-3 उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह।
चूँिक पीठ पर थत कछ वॉइ स को दबाने म किठनाई महसूस हो सकती ह, हाथ क पृ भाग म थत
िन निलिखत वॉइ स पर दबाव िदया जा सकता ह, जो अ यंत लाभदायक पाया गया ह :
Li-4 : ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से ात यह दद से राहत देने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क अपनी
मता क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने से बननेवाली ज क छोर पर थत ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट का उपयोग नह करना चािहए। इस वॉइट से बस आधा इच ऊपर और नीचे दो और
वॉइ स ह, जो पीठ दद से राहत देने म अित लाभदायक ह। इन वॉइ स पर दूसर हाथ क अँगूठ क सहायता से
पया प से भारी दबाव दीिजए। इसी ि या को दूसर हाथ पर भी दोहराएँ। हाथ क पृ भाग म दो और
वॉइ स ह। पहला पोर या उगली क गाँठ (नकल) और कलाई क बीच, दूसरी और तीसरी िफगर ब स क बीच
तथा दूसरा वह पर, चौथी और पाँचव िफगर बो स क बीच थत ह। अगर दद वापस आता ह तो कछ स तक
यह ि या दोहराएँ य िक वह पूरी तरह ठीक होने म कछ समय ले सकता ह।
B-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ, दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज पर थत ह। िनचली
पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस वॉइट को कमांड वॉइट भी कहा जाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए मे दंड क र ले स ए रया क अंतगत आनेवाले
अंग (िवशेष प से लंबर और से ल रीजन) क र ले स ए रयाज घुटन क ज क पीछ टखने क ह ी क
दोन ओर घड़ी क सुई क िदशा म और इससे उलटी िदशा म भी मािलश जैसा दबाव द। एि़डय क बेस पर
थत और एिकिलस टडन क ऊपरी े क ेशर पॉइटस को भी एड़ी क बेस से डढ़ इच क ऊचाई पर, उ ी
कर। ब त मृदु होने क बावजूद इस े को उ ी करने से ब त राहत िमलती ह। इन िविश र ले स ए रयाज
क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 86 : या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी ॉ टट ंिथ से जुड़ी सम या क समाधान म सहायक
हो सकते ह?
उ र : ॉ टट पु ष क मू ाशय क नीचे, अंडाशय और मल ार क बीच -बीच थत ंिथ ह। यह उस लुड
का उ पादन और वण करती ह, जो सिव स क ओर जाते ए शु ाणु ( पम) को संर ण दान करता ह। यह
यूर ा नामक यूब को घेर रहती ह, जो मू को मू ाशय से िलंग क ओर ले जाती ह। पु ष म सबसे यादा आम
सम या इस ंिथ का बढ़ जाना ह और 45-50 वष से अिधक आयु-समूह क कम-से-कम 50 ितशत पु ष इससे
भािवत होते ह। बढ़ी ई ॉ टट ंिथ का भाव यह होता ह िक यह यूर ा म से मू क सुगम वाह को बािधत
करती ह। िजसक प रणाम व प इस रोग से पीिड़त पु ष को रात म कई बार पेशाब क िलए उठना पड़ता ह।
इसक साथ-साथ पेशाब धीर-धीर आना, किठनाई से शु होना, पेशाब करने क बाद बूँद-बूँद टपकना या कभी-
कभी पेशाब करते समय जलन महसूस करना, जैसी सम याएँ भी होती ह। ये सम याएँ ॉ टट ंिथ क वृ क
सूचक ह। अगर आपक शरीर म इनम से कोई भी ल ण कट हो तो बु मानी इसी म ह िक आप अपने फिमली
डॉ टर से उसक जाँच और ज री परी ण कराने क बाद इलाज कराएँ, तािक उसक गंभीर प धारण करने क
संभावना न रह।
उपरो िचिक सा क साथ-साथ या वैसे भी ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का उपचार ब त
लाभदायक होगा। िन निलिखत ेशर वॉइ स को दबाएँ :
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु करता ह। इस पर दबाव देने से मूल
कारण दूर होगा और ब त राहत महसूस होगी।
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे, तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक
ह।
St-36 : ‘िशनबोन’ से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह पेट क ितकल ‘ची’ को भी शांत करता ह।
अगला वॉइट िजसे दबाया जाना ह, वह ह CV-3। यह वॉइट CV-4 (गेट ओ रिजन) जो नािभ से चार
उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह, से करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह लैडर
मे रिडयन पर अपने भाव क मामले म तकरीबन िविश ह। अगर मू ाशय खाली करने क बाद इस वॉइट पर
करीब एक िमनट तक थर दबाव िदया जाए तो यह बेहतर तथा और अिधक भावी होगा।
B-28 यू रनरी लैडर का संब वॉइट ह और पीठ क िमड-से ल ए रया म, मे दंड क दोन ओर करीब डढ़
इच दूरी पर थत ह। CV-3 और B-28, यू रनरी लैडर क लगभग िविश वॉइ स ह, इ ह उ ी करने क
िलए उन पर कछ िमनट तक दबाव द।
B-23 रबकज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच कमर क म य म थत ह। यह अवसाद
और भय से छटकारा िदलाता ह। जनन अंग पर सकारा मक भाव डालता ह, इसिलए ॉ टट, नपुंसकता और
समय पूव खलन जैसी यािधय को ठीक करने म सहायक ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए गुरदे, ए न स, यूरटस आिद से संबंिधत र ले स
ए रयाज को उ ी कर। दो े और भी ह, िज ह उ ी िकया जाना ह और जो ब त लाभदायक ह, िवशेष
प से ॉ टट संबंधी सम या म। इन वॉइ स क थित जानने क िलए टखने क ह ी क सबसे िनचले तल
और एड़ी क सबसे िनचले भाग क बीच एक का पिनक रखा ख च तथा उसे दो भाग म िवभािजत कर। दोन
थान का म य िबंदु ही वह े ह, िजसे उ ी िकया जाना ह। यही ि या पैर क दूसरी ओर भी दोहराएँ और
उस े को भी उ ी कर। जो ब त मृदु, िकतु भावी ह। अपने अँगूठ क पै स को िजतना संभव हो उतनी
गहराई से करीब एक िमनट तक धीर-धीर घुमाते ए दोन पैर पर थत इन वॉइ स पर दबाव डाल। इसक बाद
एड़ी क िपछले भाग क बेस से 4-5 इच ऊपर, एिकिलस टडन क सीध म इस े को उ ी कर। एिकलस
टडन को अपने अँगूठ और तजनी से इस े को उ ी कर। एिकिलस टडन को अपने अँगूठ और तजनी से
पकड़कर इस पूर े पर मािलश जैसा दबाव डाल। सवािधक लाभ क िलए दोन पैर पर करीब 1-2 िमनट तक
दबाव देते ए इस पूर े को उ ी कर। इस खास र ले शन ए रयाज क थित जानने क िलए पु तक क
अंत म िदए गए हथेिलय और तलव क िच का अवलोकन कर।
न 87 : साइिटका होने क या कारण ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इस रोग को ठीक
करने म सहायक हो सकते ह?
उ र : साइिटका या पीठ क िनचले िह से से जुड़ी सम या म से अिधकांश म पीठ और उसक बाजु म
भयकर दद होता ह, जो अिधकांशतः िहप जॉइट े से टखने क ह ी क ओर जाता ह। कभी-कभी तो थित
इतनी गंभीर हो जाती ह िक रोगी को कदम उठाने म भी किठनाई होती ह और साथ ही पूर पाँव म भयंकर दद होता
ह। साइिटका क अिधकांश सम या क मूल कारण होते ह तनाव, गलत मु ा म उठना-बैठना, चोट या कमजोर
मासपेिशयाँ। चूँिक पीठ क मांसपेिशय और िलगाम स म िखंचाव भी संभािवत कारण म से एक ह तो बेहतर यह
होगा िक अपनी रीढ़ और पीठ क मांसपेिशय को सश और साथ ही लचीला बनाए रखा जाए। यह ल य एक
टीन क तौर पर ह ते म तीन बार भी ह का यायाम करने से आसानी से हािसल िकया जा सकता ह।
साइिटका अकसर िनचले लंबर ए रया म टटी या िखसक ई िड क क कारण होता ह। जब चोट त िड क
नव से टकराती ह तो एक विनग पेन िनतंब क रा ते जाँघ तक प च जाती ह। ये दो साइिटका तंि काएँ हमार
शरीर क सबसे बड़ी ायु तंि काएँ (Nerve) ह, जो मे दंड क िनचले िह से से दोन पाँव से गुजरती ह, जहाँ
से तंि का क दोन ओर कई शाखाएँ िनकलती ह। इसीिलए यह संभव ह िक एक पैर पर थत कोई र ले स
वॉइट दूसर पैर क समक र ले स वॉइट से अिधक मृदु और संवेदनशील हो।
ए यू ेशर मांसपेिशय म तनाव और िखंचाव दूर करने म अ यिधक भावी पाया गया ह। जो यह तनाव और
िखंचाव साइिटका का मूल कारण ह, दूर करने म अ यिधक भावी पाया गया ह। दूरगामी भाव क िलए ए यू ेशर
क साथ-साथ हीिटग पै स या गरम पानी क बोतल क इ तेमाल (अगर सूजन न हो तो) से ररशर वॉइ स का
भाव बढ़ाया जा सकता ह। िन निलिखत ेशर वॉइ स पर दबाव कारगर होगाः
B-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ, दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली ज पर थत ह। िनचली
पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस वॉइट को ‘कमांड पॉइट’ भी कहा जाता ह।
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B-47 : मे दंड से बाहर क ओर चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर, कमर क बीच थत ह। यह वॉइट न
कवल पीठ क िनचले िह से म दद म आराम देता ह, ब क मांसपेिशय म तनाव, थकान, अवसाद, भय तथा B-
23 क संयोजन से साइिटका दद भी कम करता ह।
B-48 से ल रीजन से 1-2 उगिलय क चौड़ाई िजतना बाहर क ओर क ह क ह ी क शीष तथा िनतंब क
बेस क बीच बीच थत ह। यह साइिटका, क ह और पीठ क िनचले िह से म दद, तथा इस े म तनाव दूर
करता ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग का इलाज करने हतु यह सुिन त करने क िलए िक कोई दबी ई नस न हो,
हम मे दंड क िनचले भाग क र ले स ए रया, िवशेष प से लंबर और से ल रीजंस पर दबाव डालना होगा।
अपने दोन अँगूठ का उपयोग करते ए दोन ओर दबाव डाल। य िक साइिटका नस पाइन से नीचे क ओर
आती ह। उपचारा मक श य को लोअर लंबर रीजन क सभी सूजे और िखंचे ए िह स तक प चाने क िलए
कमर से लेकर एड़ी तक क े पर यान कि त कर। हमारा अगला काम उस र ले स का पता लगाना ह, जहाँ
साइिटका नस पैर को ॉस करती ह। यह वॉइट ‘हील पैड’ क बेस पर थत ह। पैर का यह े िनतंब म
साइिटक तंि का दाब वॉइट से संब ह। इस े को दबाने से आप तेज दद महसूस करगे। परतु एड़ी क इस
भाग क मोटाई क कारण बेहतर यह होगा िक इसे िकसी उपकरण क सहायता से दबाएँ, उ ी कर य िक
अँगूठ का दबाव पया नह भी हो सकता ह। साइिटक र ले स क थित जानने क बाद आप िजतना दद सहन
कर सक, उतना गहर उसपर उपकरण रोल कर। धीर-धीर दबाव कम कर और संभािवत मृदुता का यान रखते ए
ह क से रोल कर। इसक बाद िहप और बटक क र ले सेज क बीच म दबाव द। उस वॉइट पर दबाव देते ए,
जहाँ साइिटक तंि का एड़ी को ॉस करती ह, पैर क बाहरी िह से से शु करते ए अँगूठ को पूर पैर पर घुमाएँ।
यह े भी मृदु होगा इसिलए उस पर सावधानी से ह का दबाव डाल। पाइन क लंबर और से ल र ले स
ए रयाज पर भी दबाव डाल। दोन पैर पर आक ऑफ िद फट क िनचले िह से म ये थत ह। इन खास र ले स
ए रयाज क पहचान करने क िलए पु तक क अंत म िदए गए तलव क िच का अवलोकन कर।
न 88 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी कध म तनाव/दद कम करने म सहायक हो सकते ह?
उ र : दद जीवन क एक वा तिवकता ह। वह चोट लगने, घर क कामकाज म जी तोड़ मेहनत करने, सारा
िदन गाड़ी चलाने, कोई भारी व तु उठाने से मांसपेिशय म िखंचाव या बीमारी आिद क कारण हो सकता ह। वह
आपक भावना मक या शारी रक परशानी का सूचक भी हो सकता ह, िजसक कारण कभी-कभी कध और गरदन
क े म अकड़न महसूस हो सकती ह। तनावपूण जीवनशैली और भावना मक तनाव भी अपना योगदान दे सकते
ह। लंबे समय तक क यूटर पर काम करना, टाइिपंग, मशीन /ड क पर काम करना, देर तक टीवी देखना कध म
तनाव या दद क अ य कारक हो सकते ह। एक तरह से वे हमार कधे ही ह, जो हमार अिधकांश तनाव को वहन
करते ह। यह तनाव महीन या वष क अविध तक म इक ा होता रहता ह। कध म तनाव दूर करक, िजसम कछ
समय लग सकता ह, बाँह और हाथ म भी ब त राहत महसूस क जा सकती ह।
कध म तनाव/दद कम करने म ए यू ेशर अ यंत भावी पाया गया ह। इस सम या क समाधान क िलए ेशर
वॉइ स क िन निलिखत कायसूची का पालन कर:
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ भी कहलाता ह, उस उभार (माउट) क ज पर थत ह, जो अँगूठ और तजनी को
िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने हाथ पर
दबाव डाला जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य भाग म दद दूर करने, मांसपेिशय को िशिथल करने
तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर एवं
ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य करता ह। गभवती मिहला को
यह वॉइट नह दबाना चािहए य िक ऐसा करना गभपात का कारण बन सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ते समय
बननेवाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल।
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह, इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह शरीर से अ यिधक
गरमी और नमी दूर करने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने क िलए भी ब त उपयोगी ह। एलज दूर
करने और टिनस ए बो क उपचार क िलए भी यह एक मह वपूण वॉइट ह।
TW-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब
तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
‘िद ि पल वॉमर चैनल’ भुजा क पीछ से ऊपर कधे और गरदन तक जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म
आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह कधे और गरदन से जुड़ी िकसी भी कार क सम या क इलाज क िलए यापक
प से उपयोग िकया जाता ह।
Tw-10 : (हवनली वेल) कोहनी क िसर से (कधे क िदशा म) एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह।
यह वॉइट कोहनी म दद तथा कोहनी और कधे म अकड़न दूर करने म सहायक ह। अपने अँगूठ या म यमा ारा
करीब एक िमनट तक फम दबाव डाल, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। अगर साथ-साथ गहरी साँस भी ली जाएँ तो
इस वॉइट का भाव और भी बढ़ जाता ह।
GB-20, ‘िवंड पूल’ भी कहलाता ह, खोपड़ी क बेस पर, गरदन और हयरलाइन से एक अँगूठ क चौड़ाई
िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। दोन हाथ क अँगूठ से आसानी से
एक साथ दबाव िदया जा सकता ह। यह वॉइट गरदन म अकड़न, िसरदद, कध म दद/भारीपन आिद दूर करने म
ब त उपयोगी ह और ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत करता ह।
GB-21 : ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त कोमल होता ह। इस वॉइट पर कधे क दोन ओर एक साथ दबाव डाला जा सकता ह।
िविभ वॉइ स पर दबाव डालते समय अगर रोगी धीमी और गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक लाभकारी
होगा। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ‘ची’ का सामा य वाह बहाल करता ह। यह कध म तनाव,
घबराहट, और थकान से छटकारा िदलाता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
Tw-15 (हवनली रीजुिवनेशन) गरदन क बेस और कध क बाहरी िकनार क बीच बीच, कधे क शीष से आधा
इच नीचे, कध पर थत ह। यह मांसपेिशय म तनाव, गरदन क अकड़न और कधे क दद से छटकारा िदलाता
ह।
Li-14 (आउटर आम बोन) कधे क शीष से कोहनी तक क कल दूरी ऊपर से एक-ितहाई दूरी पर, बाँह क
ऊपरी भाग क बाहरी सतह पर थत ह। यह बाँह म दद, कध म तनाव और गरदन म अकड़न से छटकारा
िदलाता ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग का इलाज करने क िलए पैर क अँगूठ क ठीक नीचे, उस ाकितक ज क
ऊपर थत र ले स ए रया पर दबाव डाल, जो अँगूठ और पैर क तलवे क पैड क िमलन- थल पर बनती ह।
पैड क ऊपर और इदिगद भी दबाव डाल तथा यही ि या दोन तलव पर दोहराएँ। तलव क उ तम भाग पर
थत र ले स ए रया को भी उ ी कर, जहाँ पैर क छोटी उगली तलव पर, पैर क िनचले िह से से िमलती ह।
यह े कध से जुड़ा ह और उसे उ ी करने से कधे क े म तनाव काफ हद तक कम होता ह। उस वॉइट
से दो उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे, जहाँ पाँव का िनचला िह सा पैर से िमलता ह, दोन पैर क ऊपरी भाग क
मािलश कर। यह े भी कध क कपुला ले स क बीच क े से जुड़ा ह और इन ले स क बीच क थल
पर तनाव/दद दूर करने म काफ लाभदायक ह। पैर क अँगूठ क इदिगद मािलश-जैसा दबाव देना भी मददगार
िस होगा।
न 89 : साइनसाइिटस या ह? या ए यू ेशर या र ले सोलॉजी इस रोग क इलाज म सहायक हो
सकते ह?
उ र : साइनसेज हमारी नाक क दोन ओर छोट-छोट वायु से भर थल ह। नाक क िववर (किवटी) म नमी
बनाए रखने और उस वायु को िफ टर करने क िलए े मा ( यूकस) का एक सँकरा माग ह। िजसे हम साँस क
ज रए भीतर लेते ह, नाक को धूल और दूषण क अ य व प से मु रखने, तािक यह सब हमार फफड़ तक
प चकर उ ह ित न प चा सक, बै टी रया क सं मण, जुकाम, पराग जैसे कारक से ये साइनसेज अव या
सूज जाते ह और हम िसर म भारीपन या दद महसूस करते ह तथा हमारी नाक बंद हो जाती ह या बहने लगती ह।
कछ मामल म किवटी सूख जाती ह, नाक बंद हो जाती ह और उसम पपड़ी बन जाती ह।
आपक साइनसेज संबंधी दीघकािलक सम या , जैसे वाद या गंध क संवेदना समा हो जाना आिद क
मामले म अपने डॉ टर क सलाह ल य िक उसक पीछ कछ अ य कारण हो सकते ह जैसे क ज, अपौि क
खानपान, िजसे डॉ टर क सलाह से ठीक िकया जाना ज री हो। इस सम या क समाधान म ए यू ेशर और
र ले सोलॉजी दोन सहायक हो सकते ह और अिधकांश मामल म मेिडकल ह त ेप ज री नह होगा और सजरी
िजसक ऐसे मामल म आमतौर पर िसफा रश क जाती ह आव यक नह होगी। अपना असर िदखाने क िलए इस
िचिक सा िविध को उिचत समयाविध दो या तीन ह ते-दीिजए और आमतौर पर आप ठीक हो जाएँगे। ेशर पॉइ स
क िन निलिखत कायसूची का पालन िकया जा सकता हः
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी ात ह, उस उभार (माउड) क ज पर थत ह, जो अँगूठ और
तजनी को िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने
हाथ पर दबाव डाला सकता ह। इसे िसर दद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने, मांसपेिशय को िशिथल
करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी ए यू ेशर
एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह बाउल मूवमट को भी सि य करता ह। गभवती मिहला
को यह वॉइट नह दबाना चािहए य िक इससे गभपात हो सकता ह।
GV-20 आपक िसर क ऊपर कान क ऊपरी भाग को जोड़नेवाली का पिनक रखा क बीच बीच वट स पर
थत ह। अपने अँगूठ या तजनी क ज रए दबाव डाल। अगर आप उ र चाप से पीि़डत ह तो इस वॉइट पर
दबाव न द।
GV-24.5 (थड आइ पॉइट) भ ह क बीच उस जगह पर थत ह, जहाँ भ ह और बाँसा िमलते ह। यह वॉइट
िप यूइटरी लड को संतुिलत करता ह, जो इसी म म थायरॉइड लड क काय णाली को भी उ ी और
दु त करता ह और साथ ही साइनस कजे न, िसरदद और आँख क थकान भी दूर करता ह। इस वॉइट पर
करीब 30 सेक स तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का दबाव िदया जा सकता ह।
B-10 मे दंड क दोन ओर आधा इच दूर, खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे थत ह। इसे ‘हवनली
िपलस’ नाम िदया गया ह और यह आँख म सूजन, िसरदद, थकान आिद जैसे एलिजक रए शंस से छटकारा
िदलाता ह। अपने िसर क पीछ अपनी उगिलय को एक-दूसर से फसाकर और गरदन को उनक पकड़ म लेकर
करीब एक िमनट तक कसकर दबाव िदया जा सका ह।
B-2 : ‘गेदड बबू’ नाम से ात यह पाइट आपक आइसॉकट क भीतरी िसर पर बाँसा क पास बने एक छोट से
ग म थत ह। यह िसरदद, साइनस कजे न तथा एलज क अ य ल ण को ठीक करने म सहायक ह।
St-3 पुतली क सीध म, गाल क ह ी क सबसे िनचले भाग पर थत ह। यह टफ नोज, हड कजे न,
आँख म जलन और सूजन जैसी परशािनय से छटकारा िदलाता ह।
GV-26 नाक क म य भाग क ठीक बीच म, ऊपर क ह ठ पर थत ह। इस वॉइट को अकसर रोगी को होश
म लाकर खड़ा करने क िलए ाथिमक उपचार क तौर पर उपयोग िकया जाता ह। मोच, बेहोशी, च र आने म
भी इसका उपयोग िकया जाता ह, यह िसरदद, साइनस पेन और हड कजे यन भी ठीक करता ह।
Li-20 (वेलकिमंग पर यूम) ऊपर क ह ठ क ऊपर, नथुन क साइड म (नीचे, उससे सटा होता ह।) साइनस
दद, नाक म कजे न और चेहर पर सूजन दूर करता ह।
र ले सोलॉजी क ज रए इस रोग का इलाज करने क िलए दोन हाथ और पैर क सभी उगिलय (अँगूठ
सिहत) क िसर पर वॉइ स उ ीपन कर, येक उगली क अगली पोर पर घड़ी क सुई क िदशा म 20-30
सेक स तक दबाव डाल। उगिलय क बीच क चैन स को भी उ ी कर। ए न स हाथ और पैर क अँगूठ क
बाहरी िकनार को भी उ ी कर य िक इन े को उ ी करने से नाक और िसर म कजे न दूर करने म
मदद िमलती ह।
न 90 : या ए यू ेशर वचा से जुड़ी सम या क समाधान म भी सहायक हो सकता ह?
उ र : वचा हमार शरीर क अ णी र ा पं क प म काम करती ह। वह हमारी शरीर को एक तरह का
आवरण दान करती ह और पसीने क लघु, ंिथय ारा िवषैले पदाथ को बाहर िनकालने म मदद करती ह एवं
इस तरह शरीर को शु बनाए रखती ह। अगर िकसी कारण से गुरदे मू क ज रए िवषैले पदाथ को बाहर नह
िनकाल पाते ह या कोई य क ज से पीि़डत ह तो बचे- खुचे िवषैले पदाथ वचा म दािखल हो जाते ह। हमारी
वचा म कई तरह क सम याएँ पैदा होती ह और हर एक सम या का िभ कारण होता ह। आमतौर पर वचा
शु क या तैलीय कार क होती ह। िकसी दवाई से उपजे एलिजक रए शन या िकसी अ य कारण से वचा पर
ददौर (रशेज) उभर आते ह, मुहाँसे और वचाशोथ (डिमटाइिटस) भी ब त आम ह।
इन सम या क मूल कारण म अपौि क खानपान, कमजोर पाचन श , गुरदे, िलवर आिद जैसे कछ
आंत रक अंग का ठीक से काम न करना, हाम न संबंधी गड़बड़ी आिद शािमल ह। अ य रोग क तरह तनाव भी
हमारी वचा क कित तय करने म एक मुख भूिमका िनभाता ह।
इन सम या क समाधान क िलए ब आयामी ए ोच सव म होगी। छोटी-मोटी सम या म तनाव पर
िनयं ण पाने क िलए पया यायाम, योग और यान या अ य कोई तरीका, ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची क साथ-साथ संतुिलत आहार लेना काफ होगा। परतु अगर रोग बढ़ गया हो तो तेज गित से और
दीघकािलक प रणाम हािसल करने क िलए िकसी वचा रोग िवशेष से सलाह लेना और उनक इलाज क साथ
ए यू ेशर जारी रखना उिचत होगा।
Sp-6 : इसे ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहा जाता ह, टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म
सहायक ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नीकप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतनी नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन से यह पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह। यह पेट क ितकल ‘ची’ को भी शांत करता ह।
जो मतली और उलटी का कारण ह।
Li-11 ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ते समय बनने
वाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल। दबाने
पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह। इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह शरीर से अ यिधक गरमी
और नमी दूर करने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने क िलए भी उपयोगी ह। एलज दूर करने और
टिनस ए बो क उपचार क िलए भी यह मह वपूण वॉइट ह।
TW-5 ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस बोन क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल।
‘िद ि पल वॉमर चैनल’ बाँह क पीछ से ऊपर कधे और गरदन तक जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म
आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह, कधे और गरदन से जुड़ी िकसी भी कार क अकड़न/तनाव क इलाज क िलए
यापक प से उपयोग िकया जाता ह। यह शरीर से वायु और गरमी बाहर िनकालने म सहायक ह।
Sp-10 एक और मह वपूण वॉइट ह। इसे र क वाह म िन लता दूर करने म सफलतापूवक उपयोग
िकया जा सकता ह, जो मशः र से अित र गरमी को बाहर िनकालने म सहायक ह, जो वचा रोग का
कारण बनती ह।
GB-31, िवंड माकट : इसे खड़ होकर जब आपक हाथ जाँघ को दोन तरफ से छ रह ह , ढढ़ा जा सकता ह।
यह वॉइट उस जगह पर थत ह, जहाँ आपक तजनी जाँघ को छ रही हो। इस वॉइट पर कसकर दबाव डाला
जा सकता ह। यह शरीर से अित र वायु बाहर िनकालने और इस तरह खुजली क परशानी दूर करने म सहायक
ह।
बी-40 : ‘िमिडल ऑफ िद क’ नामक यह वॉइट पीठ क िनचले िह से म दद दूर करने म ब त मददगार ह।
यह आपक घुटने क पीछ दो टडस क ठीक बीच म और घुटना मोड़ने पर बननेवाली पीछ दो टडस क ठीक बीच
म बननेवाली ज पर थत ह। िनचली पीठ से जुड़ी सभी सम या पर इसक सश भाव क कारण इस
वॉइट को कमांड वॉइट भी कहा जाता ह। यह वॉइट र से अित र गरमी बाहर िनकालने और इस तरह वचा
रोग को ठीक करने म भी सहायक ह। यह ए जमा क इलाज म िवशेष प से उपयोगी पाया गया ह।
न 91 : गल-शोथ (सोर ोट) क या कारण ह? या ए यू ेशर इसक इलाज म मदद कर सकता
ह?
उ र : जीवाणु सं मण शायद गल-शोध का मु य कारण हो सकता ह य िप ब त यादा ठडा पानी पीना,
ब त ठड कमर से िनकलकर यकायक तेज धूप म आ जाना, वर-तंि य पर ब त भार आ जाना, पराग या एलज
पैदा करनेवाली अ य चीज, आिद जैसे कई अ य कारण भी हो सकते ह। यह रोग ेशर वॉइट िचिक सा से
आसानी से ठीक हो सकता ह। िसवाय उस सूरत म, जब गल-शोध जीवाणु सं मण से आ हो। उस थित म एक
एलोपैिथक डॉ टर क सहायता लेना ज री होगा, य िक रोगी को कोई एंटीबायोिटक दवा देना ज री होता ह।
परतु तुरत आराम पाने और भिव य म इस रोग से बचने क िलए रोग- ितरोधक मता िवकिसत करने क िलए
डॉ टर क इलाज क साथ-साथ ए यू ेशर ारा भी सहायता ली जानी चािहए। ेशर वॉइ स क िन निलिखत
कायसूची क अनुशंसा क जाती ह, जो उपयोगी िस होगीः
Li-4, ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस उभार (माउड) क ज पर थत ह, जो अँगूठ
और तजनी को िमलाने से बनती ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा
दािहने हाथ पर दबाव डाला जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने, मांस-पेिशय को
िशिथल करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी सबसे भावी
ए यू ेशर एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य करता ह। यहाँ इस
वॉइट का सुझाव इसिलए िदया जा रहा ह िक इस मे रिडयन का माग सीधे गरदन से होकर जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए, य िक उससे गभपात हो सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ने पर
बननेवाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल।
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह इसलिए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह वॉइट शरीर से
अ यिधक गरमी और नमी दूर करने म ब त उपयोगी ह और इसीिलए गले से भी गरमी दूर करने म सहायक ह।
Li-4 क संयोजन से इ तेमाल िकए जाने पर यह वॉइट इस रोग को ठीक करने म ब त मददगार ह।
Lu-10 अँगूठ क पैड क म य म, हाथ क हथेलीवाली साइड पर थत ह। इसे ‘िफश बॉडर’ कहा जाता ह
और साँस लेने म किठनाई, खाँसी और गले म सूजन म आराम देता ह।
Kd6 : ‘शाइिनंग सी’ नामक यह वॉइट पैर क तलवे क िदशा म, टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना नीचे (अँगूठ क ओर) थत ह। इस पर कसकर दबाव डाल। चूँिक, रजोिनवृि क ल ण म गुरदे
क ‘ियन’ क िन लता भी एक कारक ह, इसिलए इस वॉइट पर दबाव देने से गुरदे का ‘ियन’ पु होता ह और
वह गले को भी नम और शीतल बनाए रखता ह।
Lu-5 : ‘ युिबट माश’ नामक यह वॉइट Li-11 से अँगूठ क िदशा म करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना
दूर, कोहनी क ज म थत ह। यह वॉइट गले से गरमी बाहर िनकाल कर उसम नमी लाता ह। ॉिनक सोर
ोट क इलाज म यह ब त उपयोगी ह।
Lu-11 : ‘लेसर मेटल’ नामक यह वॉइट अँगूठ पर उसक नाखून क नीचे कॉनर म थत ह। यह वॉइट भी
शरीर से अित र गरमी बाहर िनकालता ह और इस तरह ‘ ॉिनक सोर ोट’ को ठीक करने म सहायक ह।
St-44 : (इनर कोटयाड) पैर क ऊपरी भाग म दूसरी और तीसरी उगली क मािजन म बने ग क म य म
थत ह। इस वॉइट को अँगूठ और तजनी म से एक माना जाता ह, जो शरीर से अित र गरमी बाहर िनकालने म
सहायक ह। गल-शोध ठीक करने क िलए एक उपयोगी वॉइट ह।
र ले सोलॉजी ारा इस रोग क इलाज क िलए हाथ क अँगूठ क जॉइट क नीचे का े और पैर क अँगूठ
क उस जगह को उ ी कर, जहाँ अँगूठा पैर क तलवे पर पैर क िनचले िह से म िमलता ह। दूसर पैर पर भी
यही ि या दोहराएँ। पैर क पहली और दूसरी उगली क बीच अं ेजी अ र V क आकार म बने े को भी
करीब एक उगली क चौड़ाई िजतनी गहराई तक उ ी कर। यह े गले और ासनली क े से संबंिधत ह
और गले को आराम प चाता ह, य िप इस े पर दबाव ब त पीड़ादायक होता ह। िविभ र ले स ए रयाज
क थित जानने क िलए पु तक क अंत म िदए गए हथेली और तलवे क िच का अवलोकन कर।
न 92 : या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी िकसी य म बार-बार मोच आने क वृि दूर करने म
सहायक हो सकते ह?
उ र : इस सम या क समाधान म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी एक बड़ी हद तक मदद कर सकते ह। इन
दोन क पीछ यही िस ांत िनिहत ह िक तनाव दूर करक चोट का इलाज करना, ऐसी थित म मोच दूर करना
तथा तदनु पी र ले स े को उ ी करक भािवत अंग का उपचार तथा दद से आराम िदलाना ह। चूँिक
िकसी अंग क भािवत भाग पर सीधे दबाव नह िदया जा सकता, उससे संबंिधत अंग म थत र ले स वॉइ स/
ए रयाज क मदद ली जाती ह, अथा बाएँ पैर क टखने म चोट लगने/मोच आ जाने क मामले म बाएँ हाथ क
कलाई पर थत संबंिधत र ले स वॉइ स/ए रयाज आराम दगे और दाएँ पैर क टखने म मोच आने पर इससे
उलट होगा।
हमार शरीर का अिधकांश भार हमारी एड़ी और टखन पर िटका होता ह। जीवन क एक और स ाई यह ह िक
हम ब त सा समय खड़-खड़ या चलते ए िबताना होता ह और अगर हमारी एड़ी या टखने म दद, चोट या तनाव
हो, तो िहलना-डलना, चलना-िफरना किठन हो जाता ह। कमजोर टखने क ह क ह ी और घुटन पर ब त
दबाव डालते ह। यह आनेवाले डीजेनरिटव ऑ टयोआथराइिटस का एक कारक हो सकता ह। ए यू ेशर म ेशर
वॉइ स और र ले सोलॉजी म र ले स ए रयाज टखने और घुटन क जोड़ को मजबूत बना सकते ह, जो
मशः उपरो संभावना से हम बचा सकते ह। अगर टखने म मोच आती ह तो शरीर क वाभािवक िति या
उसे अपने तरीक से संर ण देने क होती ह और हम देखते ह िक उसक आसपास क मांसपेिशयाँ स त हो जाती
ह तथा उस े म सूजन आ जाती ह, जो एकल जॉइट को लगभग िन ल बना देते ह। ऐसी थित म अगर आप
िकसी डॉ टर से सलाह लेने क िलए जाएँ तो शायद वह भी यही राय देगा तथा हो सकता ह िक भािवत टखने को
और अिधक िव ाम देने क िलए वह कछ सूजन-रोधी और ददनाशक दवाइयाँ बताने क साथ-साथ उसपर ‘ प
बडज’ भी बाँध द।
इस सम या म ए यू ेशर और र ले सोलॉजी, दोन पया राहत प चा सकते ह। इसका सव म पहलू यह ह
िक दोन िविधय से आप टखने क े को मजबूत बना सकते ह तािक यह सम या बार-बार न खड़ी हो, जैसा उन
लोग क मामले म होता ह, िजनम इन जोड़ म िकसी कमजोरी क कारण अकसर टखने मुड़ने और मोच खाने क
वृि होती ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत कायसूची का पालन िकया जा सकता हः
Gb-40 : ‘िव डरनेस माउड’ क नाम से ात यह वॉइट टखने क बाहरी ह ी से आगे क ओर बने ग
म थत ह। यह वॉइट टखने म मोच, पैर क उगिलय म ऐंठन आिद म आराम देता ह।
Kd-3 टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म एिकिलंस टडन क बीच थत ह। यह
वॉइट टखने म दद, पैर म सूजन म राहत देता ह तथा टखने क जोड़ को मजबूत भी बनाता ह।
Kd-6 : ‘शाइिनंग सी’ नामक यह वॉइट जो पैर क तलवे क िदशा म, टखने क ह ी से करीब एक अँगूठ
क चौड़ाई िजतना दूर नीचे थत ह, पर कस कर दबाव डाल। चूँिक रजोिनवृि क ल ण म गुरदे क ियन भी
िन लता का एक कारण ह, इस वॉइट पर दबाव देने से गुरदे का ‘ियन’ पु होता ह तथा यह एड़ी और तलव
म दद और टखन म सूजन कम करने म भी सहायक ह।
B-62 : ‘काम लीप’ नामक यह वॉइट टखने क बाहरी भाग पर बने ग म थत ह। यह पीठ, टखने, एड़ी
और पैर म दद दूर करता ह।
B-60 : एिकिलस टडन और टखने क बाहरी ह ी क बीच बीच थत ह। यह पीठ क िनचले और ऊपर क
िह से तथा टाँग म दद म आराम प चाता ह। यह मोच क कारण टखने म दद व सूजन कम करता ह।
अगर टखने क भािवत े म मृदुता या सूजन इतनी यादा हो िक उसे पश न िकया जा सकता हो तो भािवत
साइड क कलाई े (कलाई क दोन ओर) और साथ ही किन ा उगली पर उभरी ई ह ी क े को भी
उ ी कर। मुक मल मािलश जैसा दबाव डाल। भािवत टखने पर बारी-बारी से क गई गरम और ठडी िसंकाई
भी ब त राहत देगी। ज द आराम पाने क िलए िसंकाई क बाद भािवत िह से को सुखा ल और उस पर प
बडज बाँधने से पहले मांसपेिशय को रले स करनेवाली कोई म लगा द। बार-बार मोच आने क वृि से
बचने क िलए टखने और पैर को मजबूत बनाने क िलए कछ समय तक चलना-िफरना कम-से-कम कर।
न 93 : गरदन म अकड़न क कारण पर िवचार कर। या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी इस रोग क
इलाज म सहायक हो सकते ह?
उ र : गरदन म तनाव, गरदन और कधे क े म अकड़न तथा दद ब त आम एवं सामा यतः उपेि त
परशानी ह। आमतौर पर लोग कित ारा शरीर क इस भाग क ारा िदए गए िसगनल को तब तक महसूस नह
करते और उसपर यान देना शु नह करते, जब तक िक वह काफ िबगड़कर गंभीर प धारण नह कर लेता,
उदाहरण क िलए गरदन पूरी तरह अकड़ जाती ह, िजसे गरदन का ऐंठना (Wry Neck Condition)भी कहा
जाता ह। हमार शरीर म ब त से मे रिडयंस हमारी बाँह और धड़ से होकर गुजरते ह तथा वे गरदन पर इक हो
जाते ह। इसीिलए, हमार शरीर का यह भाग ब त मह वपूण हो जाता ह य िक एक तरह से यह हमार शरीर म
‘ची’ या जैिवक ऊजा क वाह का जं शन ह। चूँिक हमारी वृि अपनी गरदन और कध म तथा उनक आसपास
क े म ब त सा तनाव और ंि◌चाव लेकर चलने क होती ह, ‘ची’ का वाह आसानी से अव हो जाता ह
और यह अवरोध इस े म अकड़न एवं दद का कारण बन जाता ह। हम इस तनाव को महसूस तो करते ह, परतु
कधे क े म मांसपेिशय क अनचाह संकचन क ारा उसे इक ा िकए जाते ह, जो गरदन और कध म
इदिगद क मांसपेिशय म तनाव, िखंचाव और उनक स त हो जाने का कारण बनता ह। एक समयाविध क बाद
इसक प रणाम व प मांसपेिशयाँ स त हो जाती ह, िजससे सवाइकल पाइन का कवचर और अलाइनमट भािवत
हो सकते ह। इस तरह क थित से बचने क िलए हम अिधक समझदारी से समय रहते कछ करना चािहए और
इस रोग क साथ-साथ आनेवाले तनाव को एक समयाविध म इक ा होने देकर अिधक पीड़ादायक थित को
आमंि त करने क बजाय उसपर काबू पाना चािहए।
ेशर वॉइ स और संबंिधत े म पड़नेवाले र ले स ए रयाज क उ ीपन क िन निलिखत कायसूची काफ
मददगार िस ह गीः
Li-4 : ‘एडजॉइिनग वैली’ क नाम से ात यह वॉइट दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ क संचार मता क
िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बननेवाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क रा ते
शरीर से िवषेले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह ‘ची’ क िन लता को भी दूर करता ह। गभवती मिहला को यह
वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
GV-16 : ‘िवंड मशन’ नामक यह वॉइट िसर क िपछले िह से क म य म, खोपड़ी क बेस क नीचे बने
धँसाव म थत ह। यह मानिसक तनाव और गरदन क अकड़न से छटकारा िदलाता ह।
B-2 (ि िलंग बबू) भ ह क बीच बाँसा पर बने ग म थत ह। यह आँख म थकान, गरदन और िसर म दद
से छटकारा िदलाता ह।
GB-20 : िजसे ‘िवंडपूल’ भी कहा जाता ह, खोपड़ी क बेस पर, गरदन क हयरलाइन से एक अँगूठ क
चौड़ाई िजतना ऊपर, आपक गरदन क वट ा क दोन ओर बने ग म थत ह। इसपर दोन हाथ क अँगूठ से
आसानी से एक साथ दबाव डाला जा सकता ह। यह वॉइट गरदन म अकड़न, िसरदद, कध म दद/भारीपन आिद
क इलाज म ब त उपयोगी ह तथा ऊजा क आंत रक वाह को भी िनयिमत करता ह।
GB-21 : ‘शो डर वेल’ क नाम से ात यह वॉइट गरदन और कधे क बाहरी िकनार क बीच बीच थत ह।
यह वॉइट अकसर ब त मृदु पाया जाता ह। कधे क दोन ओर थत इस वॉइट पर एक साथ दबाव डाला जा
सकता ह। िविभ वॉइ स पर दबाव देते समय अगर रोगी धीमी एवं गहरी साँस लेता रह तो यह और अिधक
लाभकारी हो जाता ह। यह वॉइट फफड़ (शरीर क ऊपरी भाग) म ‘ची’ का सामा य वाह बहाल करता ह। यह
कधे म तनाव, घबराहट और थकान दूर करता ह। गभवती मिहला को यह वॉइट नह दबाना चािहए।
बी-10 : मे दंड क दोन ओर आधा इच दूर, खोपड़ी क बेस से करीब डढ़ इच नीचे थत ह। इसे ‘हवनली
िपलस’ नाम िदया गया ह और यह आँख म सूजन, िसरदद, तनाव और गरदन म अकड़न, आिद जैसे एलिजक
रए शंस से छटकारा िदलाता ह। अपने िसर क पीछ अपनी उगिलय को एक-दूसर म फसाकर और गरदन को
उनक पकड़ म लेकर करीब एक िमनट तक कसकर दबाव डाला जा सकता ह।

Tw-16 : खोपड़ी क बेस पर बने ग म ईयरलोब से करीब दो इच पीछ थत ह। खोपड़ी क आकार क


अनुसार थित िभ हो सकती ह। यह गरदन म अकड़न, कधे और गरदन म दद आिद से छटकारा िदलाता ह।
एक और वॉइट ह, िजसे अित र वॉइट क तौर पर जाना जाता ह, तजनी और म यमा उगिलय क बीच क
चैनल म हाथ पर बने ाकितक ग म कलाई क ओर करीब एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर थत ह। एक
िमनट तक कसकर दबाव डाल। गरदन म दद और अकड़न कम करने क िलए यह एक उ म वॉइट ह।
र ले सोलॉजी क ारा इस रोग को ठीक करने क िलए पैर क इदिगद और नीचे क र ले स ए रयाज को
उ ी कर। अँगूठ क नीचे तलवे क पैड पर रोिलंग या गूँथने जैसा उ ीपन द। पैर क छोटी उगली क िदशा म
तलवे क ऊपरी भाग, छोटी उगली से करीब दो इच दूर का े उ ी कर। यह े कध क े से संबंिधत ह।
न 94 : कई रोग क पीछ तनाव को उनक मु य कारक म से एक माना गया ह। हमार जीवन म
तनाव य आता ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी तनाव क कारक से िनपटने म सहायक हो सकते
ह?
उ र : यह एक स ाई ह िक तनाव हमार अिधकांश रोग क पीछ क मुख कारक म से एक ह और ितशत
क िहसाब से कहा जाए तो एक अ प अनुमान क अनुसार शायद हमारी शारी रक और भावना मक सम या म
से 60-70 ितशत से अिधक स फ टर क कारण पैदा होती ह। थकान, काय े म लगातार कड़ी धूप म काम
करना, वाहन और विन दूषण तथा काम का दबाव जैसे भौितक कारण क अित र परी ाएं, पा रवा रक
सम याएँ, िनराशा, आपक ि य य का िबछड़ जाना आिद जैसे भावना मक कारण भी तनाव क िलए िज मेदार
हो सकते ह। कभी-कभी हम पर ल य ा करने और िनधा रत अविध से पहले काम पूरा कर लेने का दबाव होता
ह। परतु य य क सहन श और वभाव म िभ ता क कारण िविभ य य म इस तरह का तनाव झेलने
क मता भी अलग-अलग होती ह।
इसक साथ ही, इन तनाव क ती ता हमार शरीर क जैव-रासायिनक िति या और भी बढ़ा देती ह तथा इसक
प रणाम व प वा य संबंधी कई तरह क सम याएँ पैदा हो सकती ह, जैसे दमे का दौरा, उ र चाप, पाचन-
तं म गड़बड़ी, मािसक च म गड़बड़ी, डायिबटीज और कभी-कभी तो तनाव का तर ब त ऊचा होने पर वह
हाट अटक या िवि ता जैसे घातक रोग को भी आमंि त कर सकता ह। बेशक, वह हमार सम रोग- ितरोधक
तं को भी भािवत करता ह।
अपने वभाव क अनुसार हमम से कछ तनावपूण प र थितय से सही-सलामत गुजर जाते ह, जबिक उ ह
प र थितय म कई अ य टट जाते ह। ऐसी थित से बचने क िलए एक कदम ह, तनाव बंधन क कला सीखना,
तािक उसक दु प रणाम यूनतम ह । इसे यायाम, वयं को ढीला छोड़ देने क तकनीक , यान, योग, आिद ारा
हािसल िकया जा सकता ह। ेशर वॉइट िचिक सा भी तनाव बंधन म ब त लाभकारी पाई गई ह य िक चीनी
िचिक सा प ित क अनुसार हमार शरीर पर तनाव का मु य भाव ‘ची’ अथा जैिवक ऊजा क सुगम वाह म
गड़बड़ी क प म सामने आता ह। चूँिक ए यू ेशर इस अवरोध को भावी तरीक से दूर करने और शरीर म
जैिवक श का वाह बहाल करने म स म ह, वह आसानी से इस रोग का इलाज कर सकता ह। ेशर वॉइ स
क िन निलिखत सूची मददगार िस होगी :
Pc-6 को ‘इनर गेट’ क नाम से जाना जाता ह। यह हथेली क ओरवाली कलाई पर कलाई क ज से करीब
तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर, भुजा क म य म थत ह। डाय ाम िफर से ठीक से काम करने लगे, इसम
मदद करता ह, िजससे िहचिकयाँ बंद हो जाती ह। करीब एक िमनट तक म यम दरजे का दबाव डाल। िफर धीर-
धीर दबाव बढ़ाते ए स क अंत तक धीर-धीर दबाव हटाएँ। यही ि या दूसर हाथ पर भी दोहराएँ।
Lv-3 पैर क ऊपरी भाग म अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर, जो शरीर से
िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे सश अंग माना जाता ह, को पु और िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क
वाह को िनयिमत करता ह। इस तरह यह तनाव कम करने म सहायक ह।
Li-4 : ‘एड जॉइिनंग वैली’ नाम से ात यह वॉइट दद दूर करने और शरीर म ‘ची’ संच रत करने क मता
क िलए जाना जाता ह। यह अँगूठ और तजनी को िमलाने पर बनने वाली ज क िसर पर थत ह। यह मल क
रा ते शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालता ह। यह मांसपेिशय म तनाव कम करने म भी सहायक ह। गभवती
मिहला को यह वॉइट उपयोग नह करना चािहए।
‘ियन तांग’ अित र वॉइट ह, जो भ ह क बीच, बाँसा से ऊपर, लगभग Gv-24.5 क पोजीशन म थत ह
और अपने शांतकारी भाव क िलए जाना जाता ह। करीब एक िमनट तक ह क से लेकर म यम दरजे तक का
दबाव डाल।
H-7 : ‘ प रट गेट’ नामक यह वॉइट किन ा उगली क िदशा म कलाई क ज क भीतर थत ह। यह
न द न आने का कारण, िचंता दूर करता ह और इस तरह ब त उपयोगी ह। करीब आधे िमनट तक दबाएँ और
धीर-धीर दबाव हटाएँ। इसका िदमाग और भावना पर शांतकारी भाव होता ह तथा यह तनाव दूर करने का एक
भावी उपाय माना जाता ह।
र ले सोलॉजी ारा इस सम या क समाधान क िलए तलव और हथेिलय पर थत िदमाग, साइनस सभी
अंतः ावी ंिथय , पाचन तं िलवर, गुरदे और दय से संबंिधत र ले स ए रयाज पर दबाव देकर उलट उ ी
कर। अिधकतम लाभ पाने क िलए और हाथ क अँगूठ पर और उनक इदिगद क र ले सेज पर िवशेष जोर देना
ज री ह य िक सिवकल ए रया से िनकलने वाली नस शरीर क िसर और गरदनवाले भाग का पोषण करती ह।
न 95 : हमार शरीर म सूजन (इिडमा/वॉटर रटशन) का कारण या ह? या ए यू ेशर इसक
इलाज म सहायक हो सकता ह?
उ र : ‘वॉटर रटशन’ क कारण होनेवाली सूजन/इिडमा शरीर क िकसी भी भाग को भािवत कर सकती ह।
पैर और टखने आम तौर पर सूज जाते ह। मािसक च क दौरान या उससे पहले य को अपना पेट या जाँघ
फली ई या अपने तन भी मृदु नजर आ सकते ह। यह थित कोिशका क बीच क जगह म पानी भरा रह
जाने क कारण होती ह। सूजन मोच, र, शरीर म िकसी तरह क सं मण जैसे कई कारण से आ सकती ह।
परतु यहाँ हम कवल ‘वॉटर रटशन’ क कारण होनेवाली सूजन या इिडमा क चचा कर रह ह। टीसीएम क अनुसार
ित ी और गुरदे ऐसे मु य अंग ह, जो हमार शरीर म पानी क चयापचय (वॉटर मेटाबॉिल म) को शािसत करते
ह। इस तरह, इस रोग पर काबू पाने को इन दोन अंग से जुड़ िविभ ेशर वॉइ स और साथ ही कछ अ य
वॉइ स, जो इन दोन अंग से सीधे-सीधे पर पर जुड़ करते ह, उ ी करने से वॉटर रटशन क सम या पर
काबू पाने म मदद िमल सकती ह य िक इन मे रिडयंस म संतुलन थािपत करना हमार शरीर म सहायक होता ह।
ेशर वॉइ स क िन निलिखत सूची मददगार हो सकती हः
Sp-6, ‘ ी ियन मीिटग पॉइट’ भी कहलाता ह, यह टखने क ह ी से ऊपर टाँग क भीतरी और पृ भाग पर
थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा िक
इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर पॉइटस म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर और
गुरदे क मे रिडय स क ‘ियन’ को मजबूत बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची’ और र को वािहत करने म सहायक
ह। यह य क िकसी भी सम या को िनयिमत करनेवाले सव म वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती
मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डालना चािहए।
St-36 : िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन म तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
CV-4 (सी ऑफ इनज ) नािभ से तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना नीचे थत ह। यह जनन संबंधी
सम या , अिनयिमत मािसक धम और नपुंसकता को ठीक करता ह। यह सम जनन तं को सश बनाता ह।
म यम दरजे का दबाव द, एक िमनट तक हो ड कर, गहरी साँस ल और धीर-धीर दबाव हटाएँ। पूर शरीर म ‘ची’
को सश बनाने और उसे संच रत करने म यह ब त भावी ह। गभवती मिहला को यह वॉइट उपयोग नह
करना चािहए।
Sp-9 टाँग क भीतरी भाग म, ‘िशन बोन’ क नीचे उभरी ई मांसपेशी क ठीक नीचे थत ह। यह इिडमा, वॉटर
रटशन सूजन तथा घुटन क अ य सम या को कम करने म सहायक ह य िक यह वॉइट हमार शरीर म
‘वॉटर मेटाबोिल म’ िनयिमत करने और इस तरह इिडमा/सूजन दूर करने, िवशेष प से हमार शरीर क िनचले
िह से म अ यंत लाभदायक ह।
Kd-3, टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म एिकलस टडन क बीच थत ह। यह से स
से जुड़ तनाव , मािसक धम म अिनयिमतता आिद दूर करने म सहायक ह। इस वॉइट से घुटने क िदशा म, तीन
उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर Kd-7 वॉइट ह। अँगूठ म करीब एक िमनट तक दबाव डाल। यह वॉइट गुरदे
क ‘ची’ क यांग, िजसे इस रोग पर काबू पाने क िलए मजबूत बनाना ज री ह, क िलए पेिसिफक ह।
न 96 : टिनस ए बो या ह और यह य होता ह? या ए यू ेशर उसक इलाज म सहायक हो
सकता ह?
उ र : कछ मांसपेिशयाँ, जो कोहनी क बाहर क ओर थत ह ी पर बनी अपनी नस से बँधी ई ह,
उगिलय और कलाई क मूवमट क िलए िज मेदार ह। एक लंबे समय तक इन मांसपेिशय क लगातार अिधक
इ तेमाल से इन नस पर अ यिधक दबाव पड़ता ह। और इस कारण कोहनी म दद होना शु हो सकता ह, जो
कलाई तक जाता ह। यह सम या उन गृिहिणय म, जो अपने िकचन, घर क सफाई, कपड़ धोने, आिद म कड़ी
मेहनत करती ह या कारखान म काम करनेवाले उन लोग म, जो हथौड़ या अ य भारी औजार इ तेमाल करते ह
और बढ़ई म पैदा हो सकती ह, कभी-कभी बेडिमंटन और बेसबॉल िखलाड़ी भी इस रोग से पीि़डत रहते ह। चूँिक
आम तौर पर इस सम या का सामना टिनस िखलाि़डय ारा िकया जाता ह, इस रोग को टिनस ए बो नाम िदया
गया ह। इस सम या से रह-रह कर उठनेवाला दद ब त तेज होता ह और उसपर आसानी से काबू नह पाया जा
सकता।
कोहनी क े म लाइफ फोस ‘ची’ क संचरण को संतुिलत करक इस रोग को ठीक िकया जा सकता ह। ेशर
वॉइ स क िन निलिखत कायसूची इस दु सा य रोग क पीड़ा कम करने/उसे ठीक करने म उपयोगी पाई जाएगीः
Li-4 : िजसे ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस उभार (Mound) क ज पर थत ह,
जो अँगूठ और तजनी को िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और
तजनी ारा दािहने हाथ पर दबाव डाला जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने,
मांसपेिशय को िशिथल करने तथा शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह संतुिलत करने क िलए भी
सबसे भावी ए यू ेशर एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य
करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए य िक उससे गभपात हो सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे को छने क िलए अपना हाथ मोड़ने पर
बननेवाली ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे बारी-बारी से दोन हाथ पर दबाव डाल।
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह, इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए।
यह वॉइट शरीर से अ यिधक गरमी और नमी को बाहर िनकालने तथा कोहनी, बाँह और कध म दद दूर करने
म ब त उपयोगी ह। एलज का मुकाबला करने और टिनस ए बो क इलाज क िलए भी यह एक मह वपूण वॉइट
ह।
TW-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क सलवट से करीब
तीन उगिलय क चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस अ थय क बीच बीच थत ह।
इस वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल। िद ि पल वॉमर चैनल बाँह क पीछ से ऊपर कधे और गरदन
तक जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह, कधे, और गरदन से जुड़ी िकसी
भी कार क सम या क इलाज क िलए यापक प से उपयोग िकया जाता ह।
TW-10 (हवनली वेल) कोहनी क िसर से (कधे क िदशा म) एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना ऊपर थत ह।
यह वॉइट कोहनी म दद तथा कोहनी और कधे म अकड़न दूर करने म सहायक ह। अपने अँगूठ या म यमा क
करीब एक िमनट तक कसकर दबाएँ, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। अगर साथ-साथ गहरी साँस भी ली जाएँ तो इस
वॉइट का भाव और भी बढ़ जाता ह।
St-36 : ‘िशन बोन’ से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से SP6
क संयोजन से तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
H-3 कोहनी क भीतरी ज पर (किन ा उगली क िदशा म) थत ह। यह वॉइट ब त मृदु ह और इसे
ह क मािलश जैसे दबाव से उ ी िकया जाना चािहए। यह कोहनी क े म थत तंि का म दद कम करने म
िवशेष प से उपयोगी ह।
H-4 हथेली क तरफ बाँह पर कलाई क ज से करीब डढ़ अँगूठ या कह, दो उगिलय क चौड़ाई िजतना
ऊपर (किन ा उगली क िदशा म) थत ह। बाँह म दद और मांसपेिशय म ऐंठन कम करने म सहायक ह।
Tw-11 कोहनी क वॉइट से (कधे क िदशा म) तीन उगिलय क चौड़ाई िजतनी दूर, बाँह क पीछ ाइसे स
मांसपेशी क टडन म थत ह। बाँह, कधे और शो डर ले स म दद दूर करने क िलए इसका उपयोग िकया जाता
ह।
Tw-12 कोहनी और कधे क बीच बीच ाइसे स मांसपेशी म थत ह। यह वॉइट भी बाँह क ऊपरी भाग म
दद से छटकारा िदलाता ह।
न 97 : िट टस या कान बजना या ह? या ए यू ेशर/ र ले सोलॉजी इस रोग पर िनयं ण पाने
म सहायक हो सकते ह?
उ र : िट टस परशान कर देनेवाली और दुबल कर देनेवाली कान म घंटी बजने या शोरपूण आवाज ह। यह
कान से संबंिधत आम िशकायत म से एक ह। इस िशकायत से पीि़डत रोिगय को एक या दोन कान म परशान
कर देनेवाली कानफोड़ आवाज, जो आमतौर पर िकडनी मे रिडयन म अ यिधक ‘ची’ होने क कारण या ब त
धीमी आवाज, जो िकडनी मे रिडयन म ‘ची’ क कमी हो जाने क कारण सुनाई देती ह। इसका ठीक-ठीक कारण
बताना तो मु कल ह। परतु इतना तय ह िक यह एक अिधक गंभीर सम या का ल ण भी हो सकती ह।
ए यू ेशर या र ले सोलॉजी क ज रए तेज आवाज क मामलो म, अथा जो िकडनी म अ यिधक ‘ची’ होने क
कारण आती ह, बेहतर और व रत प रणाम हािसल िकए जा सकते ह य िक ‘ची’ क कमी पूरी करने क तुलना
म अित र ‘ची’ को बाहर िनकालना यादा आसान ह। िफर भी, ‘ची’ क कमीवाले मामल म भी अ छ नतीजे
हािसल होते ह, य िप उसक िलए अिधक धैय, इस िचिक सा िविध म िव ास और अपे ाकत लंबी अविध तक
इसक लगातार ै टस ज री होगी। िव ास रख, आपको सकारा मक प रणाम हािसल ह गे। इस परशान कर
देनेवाले रोग पर काबू पाने क िलए ेशर वॉइ स क िन निलिखत सूची का पालन िकया जा सकता हः
TW-7 : ‘एंसे ल गेद रग’ क नाम से ात यह वॉइट बाँह क पीछ क ओर, कलाई क ज से एक हथेली
क चौड़ाई िजतना दूर बाहरी टडन पर थत ह। यह बहरापन, िटनाइटस और कान क अ य रोग को ठीक करने
क िलए उपयोगी ह।
TW-16 (सेले टयल िवंडो) ईअरलोब क िनचले िह से क कछ पीछ मांसपेशी म थत ह। यह एकाएक बहर
हो जाना, चेहर पर सूजन और च र आना जैसी थितय म उपयोगी ह।
TW-17 (िवंड न) लोलक (ईअरलोब) क नीचे खोपड़ी क ह ी क उस थल पर पाया जाता ह, जहाँ
वह जबड़ क ह ी से िमलती ह। यह वॉइट बहरापन, िटनाइटस और विटगो, आिद म उपयोग िकया जाता ह।
TW-21 ( ईअरगेट) कान क म य भाग क पास, गाल क ह ी से ठीक ऊपर थत ह। यह बहरापन,
िटनाइटस, कान म सं मण और कान म दद क िलए उपयोगी ह।
TW-22 (हामनी बोनहोल) जैसा िक िच म िदखाया गया ह, कान क ओपिनंग क सामने, ह ी पर करीब
दो उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर और गाल क ह ी से ऊपर क मांसपेशी म करीब एक अँगूठ क चौड़ाई
िजतना भीतर क ओर थत ह। यह िटनाइटस और कान म दद क िलए एक उपयोगी वॉइट ह।
SI-19 (हीय रग पेलेस) कान क ओपिनंग क सामने, ग म थत ह। यह कान क बहरापन, िटनाइटस, कान
म सं मण और विटगो आिद म दबाया जाता ह।
GB-2 (हीय रग मीिटग) SI-19 क ठीक नीचे ह। यह वॉइट भी िटनाइटस, बहरापन और कान क अ य रोग
म दबाया जाता ह।
KD-3 टखने क ह ी और एिकलस टडन क बीच, टखने क िपछले िकनार पर थत ह। यह वॉइट सु ीम
ीम क नाम से जाना जाता ह। यह पूर शरीर क ‘ियन और यांग’ क मूल प म ात ह तथा िकडनी मे रिडयन
का मु य ोत िबंदु माना जाता ह। इस वॉइट का इस मे रिडयन और पूर शरीर पर जबरद त पुि कारक भाव
पड़ता ह। इस वॉइट पर दबाव देना िटनाइटस क िलए भी ब त उपयोगी ह।
B-23 रब कज और क ह क ह ी (भीतरी िकनार) क बीच बीच कमर क म य म थत ह। कडी-3 क
संयोजन से यह वॉइट गुरदे क ‘ची’ को सश बनाता ह।
Lv-2 पैर क अँगूठ और उसक साथवाली उगली क संिध थल पर थत ह। यह वॉइट िलवर मे रिडयन से
अित र ऊजा बाहर िनकालने क िलए सव म वॉइट माना जाता ह।
Gb-43 ( ड ीम) पैर क चौथी और पाँचव उगली क बीच वेब मािजन म थत ह। गॉल लैडर
मे रिडयन म अित र ऊजा भी इस रोग का एक मुख कारण ह। उ मे रिडयन से अित र ऊजा बाहर
िनकालने और राहत पाने क िलए इस वॉइट पर दबाव देना सव म िवक प ह।
र ले सोलॉजी से इस रोग का इलाज करने क िलए कान से संबंिधत र ले स ए रयाज, पैर क दूसरी और
पाँचव उगली क नीचे उस संिध थल पर ह जहाँ ये दोन उगिलयाँ तलवे से िमलती ह, इ ह उ ी कर। इसक
अित र पैर क दोन अँगूठ पर उनक इदिगद और अँगूठ क नीचे बनी ज को अ छी तरह उ ी कर य िक
यह ए रया गरदन और कान क े क तंि का को उ ी करता ह। कभी-कभी बहरापन गरदन क े म
जैिवक श क मु वाह म िन लता क कारण भी होता ह। इस े को उ ी करने से का आ वाह
िफर शु हो जाता ह और वह कान से संबंिधत कछ सम या क समाधान म भी मदद करता ह।
न 98 : दाँत म दद क या कारण ह? या ए यूपे्रशर इससे छटकारा पाने म मदद कर सकता ह?
उ र : दाँत म दद, य या ऐसी चोट क कारण हो सकता ह, जो उनक जड़ म थत तंि का को भािवत
कर। यह कोई अकल दाढ़ आने अथवा मसूढ़ म िकसी सं मण या सूजन क कारण भी हो सकता ह। जहाँ
ए यू ेशर अ थायी प से दद कम करने म सहायक हो सकता ह, सं मण क कारण होनेवाला दद दीघकािलक
तौर पर ठीक नह िकया जा सकता, इसिलए सही इलाज पाने क िलए रोगी को िबना समय गँवाए िकसी दंत
िचिक सक क पास जाना चािहए, य िक दाँत म दद क दायक होता ह। इसी बीच, दद क ती ता बढ़ने से बचने
क िलए ठड और मीठ पदाथ खाने से बच। भािवत दाँत पर ल ग या ांडी का फाहा रखने से आपको अ थायी
राहत िमल सकती ह, िजससे काफ हद तक दद कम होगा और आप सो पाएँग।े
यह माना जाता ह िक दाँत म दद उदर मे रिडयन म अ यिधक गरमी क कारण होता ह। इसिलए दाँत म दद दूर
करने क िलए बड़ी आँत क मे रिडयन पर थत ेशर वॉइ स का उपयोग िकया जाता ह। ेशर वॉइ स क
िन निलिखत सूची का पालन िकया जाए :
Li-4 : िजसे ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस उभार (Mound) क ज पर थत ह,
जो अँगूठ और तजनी को िमलाने से बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और
तजनी ारा दािहने हाथ पर दबाव िदया जा सकता ह। इसे िसरदद और शरीर क अ य अंग म दद दूर करने और
मांसपेिशय को िशिथल करने क िलए सबसे भावी ए यू ेशर एवं ए यूपं र वॉइ स म से एक माना जाता ह।
यह शरीर क िनचले और ऊपरी भाग म ऊजा का वाह भी संतुिलत करता ह। यह ‘बाउल मूवमट’ को भी सि य
करता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह डालना चािहए य िक उससे गभपात हो सकता ह।
Tw-5 : ‘िद आउटर गेट’ नामक यह वॉइट कलाई क बाहर (पीछ) क ओर, कलाई क ज से करीब तीन
उगिलयाँ चौड़ाई िजतना ऊपर (कोहनी क िदशा म) अलना और रिडयस ह य क बीच बीच थत ह। इस
वॉइट पर करीब एक िमनट तक दबाव डाल। िद ि पल वॉमर चैनल बाँह क पीछ से ऊपर कधे और गरदन तक
जाता ह, िफर घूमकर गरदन क साइड म आ जाता ह। इस वॉइट को बाँह, कधे और गरदन से जुड़ी िकसी भी
कार क सम या क इलाज क िलए यापक प से उपयोग िकया जाता ह।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतना दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन से तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
St-6 : (जॉ बोन) उस मांसपेशी क म य म थत ह, जो जबड़ पर उभरी रहती ह। दोन ओर थत इस वॉइट
पर हाथ क अँगूठ और तजनी उगली या दोन हाथ क तजनी उगिलय क ारा एक साथ दबाव द। करीब 30
सेकड तक ह का दबाव द।
St-7 ‘लोअर गेट’ नामक यह वॉइट कान क ऊपरी िसर से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतना दूर भ ह क
बाहरी िसर पर थत ह। यह वॉइट अ थायी प से दाँत म दद दूर करने म सहायक ह।
St-44 : ‘इनर कोट’ नामक यह वॉइट पैर क दूसरी और तीसरी उगिलय क बीच, वचा क िकनार पर थत
ह। यह नाक और गले म सं मण, दाँत और िसर म दद दूर करने म सहायक ह।
Li-1 (मेटल यांग) तजनी उगली क बाजू म (अँगूठ क तरफ) उसक नाखून क बॉटम लेवल पर थत ह। यह
मुँह और गले क े म भारी सं मण, गल-शोथ मसूड़ म सं मण आिद को ठीक करने म सहायक ह।
न 99 : टॉ सलाइिटस या ह? या ए यपु्रशर/ र ले सोलॉजी इसक इलाज म सहायक हो सकते
ह?
उ र : टॉ स स गले क िपछले भाग म थत िलंफिटक िट यूज का गु छा ह। वे उन एंटीबॉडीज का उ पादन
करते ह, जो सं मण से लड़ने म हमार शरीर क सहायता करते ह।
असल म, टॉ स स शरीर को सं मण से बचाते ह। जब ये िट यूज वयं सं िमत हो जाते ह, तो उस थित
को टॉ सलाइिटस कहा जाता ह।
टॉ सलाइिटस क मुख ल ण म लाल सूजे ए टॉिनस स, िजनसे हाइट िड चाज होता हो या उन पर ध बे
पड़ गए ह , क साथ भारी गल-शोथ, जबड़ क नीचे, गरदन म मृदु िलंफ नो स, िनगलने म किठनाई, कान म दद
जैसे अ य ल ण क साथ ह का बुखार और िसरदद शािमल ह। इस रोग म एक बड़ी हद तक र ले सोलॉजी
मदद कर सकता ह। परतु अगर टॉ सलाइिटस क दौर भयंकर और बार-बार आते ह , तो वे ब े क वा य पर
असर डाल सकते ह। ऐसी थित म ऑपरशन ारा टॉ स स को िनकलवा देना सव म िवक प हो सकता ह।
ए यू ेशर क ारा इसका इलाज करने क िलए ेशर वॉइ स क सूची उपयोगी हो सकती ह, िजसक चचा
नीचे क गई हः
Li-4 को ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उभार क ज पर थत ह, जो अँगूठ और तजनी
को िमलाने पर बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने हाथ
पर दवाब डाला जा सकता ह। मुँह और गले क े म सं मण क इलाज क िलए यह सबसे भावी ेशर
वॉइ स म से एक माना जाता ह। गभवती मिहला को इस पॉइट पर दबाव नह देना चािहए य िक उससे
गभपात हो सकता ह।
Li-11 : ‘पूल एट िद क’ नाम से ात यह वॉइट अपने कधे छने क िलए अपना हाथ मोड़ने पर बननेवाली
ज क बाहरी िसर पर थत ह। जो हाथ खाली ह, उससे दबाव डाल, बारी-बारी से दोन हाथ से ि या दोहराएँ
दबाने पर यह वॉइट ब त मृदु हो जाता ह इसिलए भरसक सावधानी बरती जानी चािहए। यह वॉइट शरीर से
अ यिधक गरमी और नमी बाहर िनकालने म ब त उपयोगी ह। एलज और गल-शोध का मुकाबला करने क िलए
भी यह मह वपूण वॉइट ह।
Kd-3 टखने क ह ी क भीतरी भाग और टखने क पृ भाग म एिकिलस टडन क बीच थत ह। यह गले
और मुँह से जुड़ी सम या का समाधान
करने और टॉ सलाइिटस ठीक करने म सहायक ह।
TW-10 (हवनली वेल) कोहनी क िसर से (कधे क िदशा म) एक अँगूठ क चौड़ाई िजतनी ऊपर थत ह।
यह वॉइट कोहनी म दद तथा कोहनी और कधे म अकड़न दूर करने म सहायक ह। अपने अँगूठ या म यमा उगली
क ारा करीब एक िमनट तक कसकर दबाएँ, िफर धीर-धीर दबाव हटाएँ। अगर साथ गहरी साँस भी ली जाएँ तो
इस वॉइट का भाव और भी बढ़ जाता ह। यह गरदन और गले म ‘िलंफ पैसेज’ क सूजन कम करने म मदद
करता ह। अगर टॉ सलाइिटस से पीि़डत ह तो यह एक मददगार वॉइट ह।
St-44 : ‘इनरकोट’ नामक यह वॉइट पैर क दूसरी और तीसरी उगिलय क बीच, वचा क िकनार पर थत
ह। यह नाक और गले म सं मण, दाँत और िसर म दद दूर करने म सहायक ह।
Li-1 (मेटल यांग) तजनी उगली क बाजू म (अँगूठ क तरफ) उसक नाखून क बॉटम लेवल पर थत ह। यह
मुँह और गले क े म भारी सं मण, गल-शोध मसूड़ म सं मण, आिद को ठीक करने म सहायक ह।
Li-14 (अपर आम) बाँह क ऊपरी िह से म बाहर क ओर थत ह। गरदन, गले और बगल म िलंफ नेज
तथा आँख से जुड़ी सम या क समाधान म सहायक ह।
St-9 (मस ॉ नोिसस) ‘एड स’ एपल क दोन ओर करीब एक अँगूठ क चौड़ाई िजतना दूर थत ह। गले
और मुँह म सं मण को िनयं ण म रखता ह।
र ले सोलॉजी का उपयोग करते ए इस रोग का इलाज करने क िलए िन निलिखत र ले स वॉइ स पर
फोकस होः गले, टॉिनस स, िलंफिटक िससटम, कान, िसर, म त क, ए न स सोलर ले सस, डाय ाम गरदन
और फफड़ से संबंिधत र ले स ए रयाज को उ ी कर। येक े पर एक से दो िमनट तक दबाव डाला जा
सकता ह। िलंफिटक िस टम, ए न स, कान, गरदन और गले क े पर िवशेष यान िदया जा सकता ह।
न 100 : ाइजेिमनल यूर जया क ल ण या ह? या ए यू ेशर इस रोग क िनयं ण म सहायक
हो सकता ह?
उ र : जैसा िक उसक नाम से प ह, यूर जया या तंि का म दद एक तंि का या ायु क अितसंवेदी होने
या सूज जाने क कारण होता ह। तंि का माग से वािहत होनेवाला यह दद ती या दीघकािलक तथा ह क से
लेकर अस तक हो सकता ह। चेहर म दद क साथ-साथ होनेवाले यूर जया को ब -शाखीय करिनयल नव, जो
भािवत होती ह, क 50 वष से अिधक आयु क लोग म होता ह और मिहला म इस रोग क संभावना अिधक
होती ह। िनतंब और टाँग क तंि का को भी इस रोग का खतरा होता ह। साएिटक नव म अित संवेदना
( रटशन) सायिटका क नाम से ात यूरा जया को ज म देती ह। इसका एक और व प प रसृप (हप ज) प ा
यूरा जया ह, जो अकसर उस कार क हप ज इ फ शन क बाद अपना कोप कट करती ह िजसक िविश
ल ण म लगातार जलन होना शािमल ह।
तंि का म यह दद अचानक, तेज टीस देने या जलनवाला हो सकता ह। कभी-कभी इसक साथ खुजली भी हो
सकती ह। यह शरीर क कवल एक साइड म होता ह। दद क- ककर या लगातार हो सकता ह। यह कई िदन या
ह त तक जारी रह सकता ह और बाद म भी यदा-कदा आ सकता ह। अगर उसका इलाज ठीक से न िकया जाए।
चेहर का यूरा जया िकसी आँख तक प चकर उसे ित भी प चा सकता ह, दद अस हो जाता ह।
िकसी को इस तरह क रोग क इलाज क िलए कवल वैक पक िचिक सा पर िनभर नह रहना चािहए। परतु
पारप रक िचिक सा क पूरक प म ए यू ेशर रोगी क थित म सुधार लाने म ब त मददगार होगा। ेशर वॉइ स
क िन निलिखत सूची का पालन िकया जा सकता हः
Li-4 ‘एडजॉइिनंग वैली’ क नाम से भी जाना जाता ह, उस उभार क ज पर थत ह, जो अँगूठ और तजनी
को िमलाने पर बनता ह। बाएँ हाथ पर दबाव दािहने हाथ से तथा बाएँ हाथ क अँगूठ और तजनी ारा दािहने हाथ
पर दबाव डाला जा सकता ह। मुँह और गले क े म सं मण क इलाज क िलए यह सबसे भावी ेशर
वॉइ स म से एक माना जाता ह। दद िनवारण म भी यह ब त मददगार ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर
दबाव नह देना चािहए य िक उससे गभपात हो सकता ह।
St-44 ‘इनर कोट’ नामक यह वॉइट पैर क दूसरी और तीसरी उगिलय क बीच वचा क िकनार पर थत ह।
यह नाक और गले मे सं मण, दाँत और िसर म दद दूर करने म सहायक ह।
Si-18 : ‘चीक बोन होल’ नामक यह वॉइट आँख क बाहरी िकनार क नीचे, जाइगोमेिटक बोन क नीचे बने
एक ग म थत ह। यह चेहर क दद, फिशयल पैरािलसस और ाइजेिमनल यूर जया म राहत देता ह।
Si-19 : मुँह खोलने पर बनने वाले ग म थत ह। इस वॉइट को मुँह खुला रखकर उ ी कर। यह
सुिन त कर िक आप इस तरह बनने वाले ग क म य म दबाव डाल रह ह। इस वॉइट पर अपनी तीन
उगिलय को साथ रखकर दबाव डाल द, तािक उस वॉइट से आधा इच ऊपर और नीचे थत दो और वॉइ स
पर भी साथ-साथ दबाव डाला जा सक। यह गॉल लैडर और ि पल वॉमर मे रिडयन क ॉिसंग पर थत ह तथा
कान क वण-श और ाइजेिमनल तंि का पर इसका भाव लाभदायक ह। यह तंि का म दद दूर करता ह।
Li-20 येक नथुने से बाहर, गाल पर थत ह। इस वॉइट पर दबाव डालने से नाक म सं मण, साइनस और
चेहर पर सूजन म लाभ होता ह।
TH-21 : ‘ईअर गेट’ नामक यह वॉइट कान क सामने उस वॉइट पर थत ह, जहाँ जाइगोमेिटक बोन का
िकनारा कान से िमलता ह। यह ाइजेिमकल तंि का म सं मण क अित र कान से जुड़ी सम या (सं मण
और विन, दोन से संबंिधत) का समाधान करता ह।
न 101 : यू रनरी टर ट म सं मण (यूटीआइ) या ह और इसक कारण या ह? या ए यू ेशर/
र ले सोलॉजी इसक इलाज म सहायक हो सकते ह?
उ र : यूरीनरी टर ट क मु य आव यक अंग ह—गुरदे, मू वािहनी, मू ाशय और मू माग। मू ाशय ( लैडर)
म सं मण इस े क सबसे आम सम या ह। इस रोग को िस टाइिटस क नाम से जाना जाता ह। आमतौर पर,
यह रोग आँत या मल ार से आए ए जीवाणु ारा पैदा िकए गए मू ाशय क यूकस म ेस क सं मण क
कारण होता ह। इसक ल ण म बार-बार पेशाब करने क इ छा होना, पेशाब करते समय अ यिधक पीड़ा क
साथ-साथ हर बार पेशाब क मा ा ब त कम हो सकती ह।

पु ष क तुलना म याँ यूटीआई क अिधक िशकार होती ह, इसका एक कारण यह ह िक पु ष क तुलना म


य क मू माग क लंबाई कम होती ह, इसिलए जीवाणु मल ार से मू ाशय तक क या ा तेजी से तय कर लेते
ह। मू ाशय म सं मण िवशेष प से उन लोग म अिधक होता ह जो पया मा ा म पानी नह पीते। इसिलए,
उनक मू ाशय क धुलाई-सफाई ठीक से नह हो पाती।
चूँिक यूरीनरी लैडर मे रडयन पैर क बाहर क ओर से और िकडनी मे रिडयन पैर क भीतरी भाग से गुजरते ह,
इन मे रिडयंस पर थत ेशर वॉइ स यूरीनरी टर ट पर सरलता से भाव डालते ह। इस तरह से ए यू ेशर
पारप रक िचिक सा का भावी पूरक उपाय हो सकता ह। ेशर वॉइ स क िन निलिखत सूची लाभदायक िस
होगी।
Sp-6 : ‘ ी ियन मीिटग वॉइट’ भी कहलाता ह, वह टखने क ह ी से ऊपर, टाँग क भीतरी और पृ भाग
पर थत ह। इसक ठीक-ठीक थित टखने क ह ी से करीब चार उगिलय क चौड़ाई िजतनी ऊपर ह। जैसा
िक इसक नाम से प ह, यह सबसे मह वपूण ेशर वॉइ स म से एक ह, य िक यह एक साथ ित ी, िलवर
और गुरदे, तीन मे रिडयंस क ‘ियन’ को पु बनाता ह। यह पूर शरीर म ‘ची और र ’ को वािहत करने म
सहायक ह। यह ी रोग से जुड़ी िकसी भी सम या को िनयिमत करने क िलए सव म वॉइ स म से एक माना
जाता ह। गभवती मिहला को इस वॉइट पर दबाव नह देना चािहए।
St-36 िशन बोन से बाहर क ओर एक उगली क चौड़ाई िजतनी दूर, नी-कप से चार उगिलय क चौड़ाई
िजतना नीचे थत ह। यह वॉइट पूर शरीर को श देता ह, मांसपेिशय को पु बनाता ह, िवशेष प से Sp-6
क संयोजन से तथा पूर शरीर म श का पुनः संचार करता ह।
LV-3 पैर क ऊपरी भाग म, अँगूठ और उसक पासवाली उगली क बीच थत ह। यह िलवर को पु और
िलवर मे रिडयन म ‘ची’ क वाह को िनयिमत करता ह, जो शरीर से िवषैले पदाथ बाहर िनकालनेवाला सबसे
सश अंग माना जाता ह।
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पैर से संबंिधत क
हाथो से संबंिधत क

मेर गु जी डॉ. अ र िसंह क पु तक ‘ए यू ेशर ड-इट-योरसे फ थेरपी’


से साभार

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