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आज के समय के दोहे

नयी सदी में मिल रही दर्द भरी सौगात।

बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात।।

पानी आंखों का मरा, मरी शर्म और लाज।

कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज।।

मंदिर में पूजा करे, घर में करे कलेश।

बाप तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश।।

सास ससुर लाचार है, बहू न पूछे हाल।

डेरे में सेवा करे, बाबा हुआ निहाल।।

अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल।

बोझ समझ मां बाप को, घर से रहा निकाल।।

मां की ममता बिक रही, बिके पिता का प्यार।

मिलते है बाजार में, वफा बेचते यार।।

भाई भाई में हुआ, अब कुछ ऐसा बेर।

रिश्ते टू टे खून के, प्यारे लगते गैर।।

रिश्तों को यूं तोड़ते, जैसे कच्चा सूत।

बंटवारा मां बाप का, करने लगे कपूत।।

वक़्त पड़े पर साथ दे , होता सच्चा यार।


यादव सच्चे यार हित, जीवन करो निसार।।

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