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12वी फैल हिन्दी उपन्यास
12वी फैल हिन्दी उपन्यास
-अनुराग पाठक
लखीं। गय औी छत ऩय सॊ यहे मनोज औी नींद भक्खिमों औे फाय फाय फबनफबनाने से कुल खई। उसऔा दॊस्त
विष्णु अऩनी छत ऩय खयणत औे सवाल हल औय यहा था। खयणत औे सवाल तॊ मनोज को बी हल औयने
र्ाफहए, क्योंकऔ आज औक्षा फायह औा ऩहला ऩेऩय खयणत औा ही है, लेकऔन उसे खयणत औे सवाल बफलऔुल
सभझ नहीं आते। फपय बी उसने ऩास ऩड़ी खयणत औी कऔताफ उठाई ओय ऩढ़ने औी औॊभिि औयने लखा।
लेकऔन औुछ ही देय भें वह सभझ खमा कऔ इस तयह कऔताफ ऩऔड़े यहने औा औॊई लाब नहीं।
मनोज अऩनी तायीफ़ से फरृत उत्साफहत हॊता है इसयलए जफ उसने देका कऔ उसऔे गय औे साभने औे औुाँए
ऩय भॊहल्रे औी भफहलामें ऩानी बय यही हैं, तॊ उन्हें प्रबाबवत औयने औे यलमे वह छत ऩय टहलते रृए खयणत औे
सवाल ऊाँ र्ी आवाज भें ऩढने लखा। भफहलाऒ ं तऔ उसऔी आवाज ऩरृाँर् खई ।
एऔ भफहला उसऔी तयप इिाया औयऔे फॊली - "हभायॊ भॊड़ा बफलऔुल ना ऩढ़त। एऔ मनोज है, यात बय
छत ऩे लालटेन से ऩढ़त यहतॊ।”
मनोज औा उद्देश्य ऩूया रृआ, अऩनी तायीफ़ सुनऔय वह कुि हॊ खमा। उसने खयणत औी कऔताफ नीर्े यक दी
ओय खुलिन नंदा औा उऩन्यास 'जलती र्ट्टान' कॊल यलमा। यात औॊ एऔ फजे तऔ लालटेन औी यॊिनी भें ऩढ़ने
औे फाद बी उसऔे क्लाइभेक्स औे दॊ ऩेज यह खए थे। उसने दस बभकनट भें उऩन्यास ऩूया कऔमा ओय फाहय औुाँए
ऩय आ खमा। भफहलामें अबी बी ऩानी बय यही थीं ।
एऔ फुजुखच भफहला औॊ औुाँए से फाल्टी कीर्ने भें फरृत औष्ट हॊता था। मनोज ने उसऔा औष्ट देकऔय उसऔी
फाल्टी बय दी।
ऩुयस्काय भें उसे भफहला औा आिीवाचद प्राप्त रृआ -"लल्रा तू पस्ट से ऩास हॊमखॊ।”
तफ तऔ उसऔे सहऩाठी विष्णु औे फऩता ऩळित औालीर्यण औुाँए ऩय आ खमे। खााँव औे स्कूल भें औक्षा आठ
तऔ खयणत ऩढ़ाने वाले ऩंकडत औालीर्यण मनोज ओय उसऔी मॊग्यता औॊ अच्छे से जानते थे।
उसे देकते ही ऩळित जी फॊल ऩड़े - "ऩयीक्षा औी तैमायी औैसी है भनॊज? खयणत भें ऩास हॊना भजाऔ नहीं
है।”
फपय ऩळित जी ने अऩने फेटे विष्णु औी तायीप औयना िुरू औी - "भैंने तॊ विष्णु से औह फदमा है कऔ पस्टच
कडवीजन से ऩास नहीं रृआ तॊ भैं तॊ उसऔी ऩढ़ाई फन्द औया दूंखा। ऩय भैं जानता रॄाँ विष्णु खयणत भें रृभिमाय
है। उसऔे भन भें ही ऩढ़ने औी लखन है। ”
मनोज इस सच्चाई औॊ नऔाय नहीं सऔा। उसने ऩळित जी औी भदद औे उद्देश्य से उनऔे हाथ से ऩानी औी
फाल्टी ले ली ओय उनऔे साथ साथ र्लने लखा।
उसने ऩळितजी से उनऔे फेटे औी तायीफ़ औी -"ताऊ विष्णु जैसा रृभिमाय लड़औा तॊ ऩूये भजले भें नहीं है।
भुझे तॊ ऩूया बयॊसा है कऔ वॊ इस फाय भजले भें पस्टच आमेखा।" मह औहते रृए मनोज औी आाँ कों औे साभने
२.
भुयनै ा भजला भुख्यालम से तीस कऔलॊभीटय दूय जोया तहसील से सटे बफलग्राभ भें फदन औी िुरुवात हॊ र्ुऔी
थी। साभान्य सा मह फदन नमा भसपच इस फात भें था कऔ आज खााँव औे औुछ लड़औे लड़कऔमााँ ट्ढेल्थ औा ऩहला
ऩेऩय देने जा यहे थे। मनोज जफ ऩळित जी औॊ उनऔे गय छॊड़औय वाऩस आमा तॊ उसऔी भााँ अऩने गय औे
दयवाजे ऩय दॊ भफहलाऒ ं औे साथ फातर्ीत भें भग्न थी।
मनोज द्वाया फुलामे जाने ऩय भााँ ने इिाये से औह फदमा -"रुऔ जा आती रॄाँ।”
वह जानता था कऔ भााँ से वाताचलाऩ जल्दी कत्म औयऔे आने औी उम्मीद औयना व्यथच है ।इसयलए वह तैमाय
हॊऔय ऩयीक्षा देने औे यलए कनऔल खमा।
फेटे औॊ तैमाय हॊऔय जाते रृए देक भााँ देहयी ऩय फैठे फैठे फॊली -"रुऔ जा भॊड़ा,रजनी ने यॊटी ना फनाई औा?
।काली ऩेट ऩेऩय देफे भत जा।”
म ाँ ने यॊटी फनाने औा औाभ ऩन्द्रह साल औी फेटी रजनी औॊ सौंऩ फदमा था ओय कुद औॊ र्र्ाचऒ ं भें व्यस्त औय
यलमा था। मनोज औी बूक आज भय र्ुऔी थी। उसने खयणत औी खाइड हाथ भें ले ली ओय बफना औुछ औहे गय
से कनऔल खमा। भााँ फपय से र्र्ाच औे औाभ भें व्यस्त हॊ खई।
मह खााँव तहसील औॊ भजले से जॊड़ने वाली सड़औ औे कऔनाये ऩय फसा था। इसयलए आवाखभन औी सुबवधा से
बाग्यिाली था।हय दस बभकनट भें भुयनै ा से जोया ओय जोया से भुयनै ा आने जाने वाली फसें इस खााँव से खुजयती
थी। सुफह औे नो फजे बफलग्राभ औी ऩुयलमा ऩय सवारयमों औी बीड़ फढ़ने लखी। मनोज ऩुयलमा औे ऩास फने
हनुभान जी औे भरन्दय भें हाथ जॊड़औय कड़ा हॊ खमा। वह हनुभान जी औी मूर्तत औे साभने फुदफुदामा –“हे
हनुभान जी खयणत भें फेड़ा ऩाय लखा देना, तुम्हाया ही सहाया है ।“
हनुभान जी से खयणत भें ऩास औयाने औी प्राथचना औयऔे जफ वह ऩुयलमा ऩय आमा तॊ वहां ऩहले से विष्णु
ओय उसऔे फऩता ऩळित औालीर्यण फस औा इं तज़ाय औय यहे थे ।
ऩुयलमा ऩय फैठे एऔ लड़औे ने पंवडत क लीचरण से ऩूछा -"ऩळित जी क्या विष्णु औॊ नऔल औयाने जा यहे
हॊ जोया?”
ऩळित जी विष्णु औॊ ऩयीक्षा फदलाने ले जा यहे थे। इस तयह औा व्यंग्य सुनऔय उन्हें ऩीड़ा रृई।
बववाद फढ़ता देक खााँव औे औुछ लॊख बी टेम्पॊ औे ऩास आ खए। खााँव भें एऔता फदकाने औा अच्छा भोक़ा था
मह। फस औंडक्टय अऔेला ऩड़ खमा । फस भें फैठे ड्राइवय ने औंडक्टय औॊ वाऩस फुला यलमा था।
अधेड़ उम्र औे ड्राइवय ने अऩने अनुबव से मही सीका था कऔ जफ कऔसी खााँव भें अऔेले भगय जाऒ तॊ वहां से
बाख लेना ही सही यणनीबत है। फाद भें अऩने इलाऔे भें इस संगर्च औॊ गसीटऔय लाने औी औॊभिि औयनी
र्ाफहए। औंडक्टय बुनबुनाता रृआ वाऩस फस भें र्ला खमा।
अबी दुफे सय द्वाया फदमा खमा ऩहला उत्तय ब्लैऔ फॊडच ऩय उताया ही जा यहा था कऔ स्कूल औे फाहय हलर्ल रृई
। एऔ सपेद यंख औी ऩीली फत्ती लखी फॊलेयॊ स्कूल औे औम्पाउं ड भें आऔय रुऔ खई। ऩुयलस औी वदी भें ऩांर्
भसऩाही सीधे ऩयीक्षा वाले भैदान भें ऩरृंर् खए। ऩुयलस औॊ देकऔय दुफे सय ऩहले तॊ हड़फड़ाए फपय उन्हें लखा
कऔ मह तॊ ओऩर्ारयऔ र्ेकऔिंख है जॊ हय साल ऩहले ऩेऩय औे फदन िासन द्वाया औी जाती है,ऩय जफ ऩुयलस औे
भसऩाफहमों ने लड़औों से खाइड,नऔल औी ऩभर्ि मां आफद लेऔय एऔ फॊये भें बयना िुरू कऔमा तॊ दुफे औॊ मह
सभझते देय नहीं लखी कऔ भाभला खम्भीय है। दुफे जी ने गफयाहट भें फीड़ी सुलखा ली। वह ब्लैऔ फॊडच डस्टय से
साफ़ औय बाख यलए ओय स्कूल औे संर्ालऔ जखत भसिं ह औे ऩीछे कड़े हॊ खए। सबी बवद्याभथि मों औॊ बयॊसा था
कऔ दस बभकनट औी औवामद औे फाद ऩुयलस र्ली जामखी उसऔे फाद उत्तयों औी सप्लाई फपय से िुरू हॊ
जामखी। इसी बयॊसे ने बवद्याभथि मों ने धैमच फनामे यका था।
लेकऔन दस बभकनट फीत खमे ओय भाभला सेटल नहीं रृआ तॊ बवद्याभथि मों औी फेर्ैनी फढ़ने लखी। उनऔे ऊऩय
पेल हॊने औा कतया भंडयाने लखा।
आज औे इस यंखभंर् औे औेंद्र भें कड़े एऔ मुवऔ औी ऒय इिाया औयते रृए एऔ लड़औा फॊला - "जे तॊ
एसडीएभ यागवेंद्र भसिं ह है।”
यागवेंद्र भसिं ह ने जखत भसिं ह से औहा -"आऩऔॊ िभच आनी र्ाफहए,आऩ कुले आभ नऔल औया यहे हैं।
३.
मनोज औी ऩयीक्षा औा रयजल्ट अबी तऔ नहीं आमा था। एऔ सुफह फल्रे औे गय औे दयवाजे ऩय खााँव भें
फिऔेट केलने वाले लड़औे प्लाकनिं ख औय यहे थे। मनोज बी इस सभूह औा अच्छा रकलाड़ी भाना जाता था। िह
िॉट भायने औे यलए नहीं, फऴल्क फॉल औॊ यॊऔने भें भाफहय था। जफ टीभ जल्दी जल्दी आउट हॊती थी तफ िह
िीज ऩय जाऔय बवऔेट बखयने से यॊऔ सऔता था।
फल्रे ने लड़औों से फॊलना िुरू कऔमा- "आज जोया भें टू नाचभटें िुरू हॊ यहा है। सो रूऩमे एं री पीस है। दस
रुऩमे औी फॉल आमखी। इसयलए सफऔॊ दस दस रुऩमे देने हैं।
मनोज ने भन ही भन सॊर्ा -"दस रूऩमे औहााँ से आएं खे ?"
वह जानता था कऔ उसऔे यलए दस रूऩमे जुटाना इतना आसान नहीं है। भम्मी से भांखने ऩय बी उसे दस रूऩमे
औी औॊई उम्मीद नहीं थी।ऩाऩा औॊ खए सात भहीने हॊ खमे थे। सात भहीने ऩहले अक्टू फय भें ऩाऩा कडिं डॊयी से
आमे थे तफ भम्मी औॊ दस हजाय रूऩमे दे खए थे। सात भहीने भें सफ रूऩमे कर्च हॊ खए । भम्मी अफ उधाय भांख
औय गय र्ला यही है। आज तऔ न ऩाऩा आमे न ही उन्होंने तनख्वाह बेजी। फस इसी बयॊसे गय र्ल यहा है कऔ
गय भें गुसने से ऩहले उसने देका कऔ भम्मी ऩड़ॊस औी ताई से उनऔे उनऔे दयवाजे ऩय कड़े हॊऔय फातें औय यही
हैं। छॊटा बाई दीऩऔ गय भें नहीं है मा तॊ वह सड़औ कऔनाये ऩुयलमा ऩय फैठा हॊखा मा बफना औहे कऔसी फस
मा टेम्पॊ भें फैठऔय जोया कनऔल खमा खमा हॊखा। कनरूद्देश्य आवाया गूभना ही उसऔा िोऔ है। उसने भााँ औॊ
अं दय फुलामा। भााँ औी फैठऔ बी कत्म हॊ खई थी। उन्हें भजफूयन गय आना ऩड़ा।
उसने ऩूछा -"भम्मी दस रुऩैमा दे यही है क्या,भैर् केलफे जानॊ है ?”
भम्मी ने भर्ढ़ते रृए उत्तय फदमा -"भुझ ऩे नहीं है ऩैसा। तेये फाऩ ने तॊ सात भहीना से भुंह ना
फदकाऒ,भैं उधाय भांख भांख औे गय र्लामे यही हों। औहााँ से लाऊाँ ऩैसा?"
भम्मी, ऩाऩा औॊ औॊसती रृई अं दय औभये भें र्ली खई। मनोज औॊ लख यहा था कऔ उसऔा केलना अफ
भुळिल है। लेकऔन भन औी कनयािा औॊ दूय औयते रृए उसने कऔसी उम्मीद औे बयॊसे सपेद से भटभैले ऩड़ र्ुऔे
औऩड़े औे जूते ऩहने ओय लखबख दोड़ते रृए फल्रे औे गय औे फाहय ऩरृाँर् खमा। आत्मबवश्ऱास से बया मनोज
टीभ भें भसलेक्शन औी उम्मीद यलए तैमाय हॊऔय आ खमा था।
जोया औे खांधी आश्रभ भैदान ऩय टू नाचभेंट औा आमॊजन यका खमा था। टीभ औे फैठने ओय औभेंरी औे यलए एऔ
टेंट लखा फदमा खमा था। ऩर्ास प्लाऱस्टऔ औी औुभसि मां डाल दी खईं थीं । फायह लॊखों औी टीभ भें मनोज औॊ
छॊड़औय सबी ने पीस दे दी थी इसयलए उसऔा नाभ फायहवें रकलाड़ी औे रूऩ भें यलक फदमा खमा।
औभेंरी औी फाखडॊय जोया औे दमाल फेंड भें खाना खानेवाले ऩप्पू भसिं ह औे फहस्से भें आई । उसने औभेंरी औयना िुरू
औी -
" हैलॊ भाइऔ टेऱस्टिं ख हैलॊ।भैर् िुरू हॊ यहा है, भैर् औा भजा लेने वालों से खुजारयस है कऔ फैठ जाए। ए लाल
िटच फऩर् ऩे भबत र्ले,ए औाली िटच वॊ खाम गुस यही है भैदान भें जल्दी हटा।"-आाँ कों देका वणचन िुरू हॊ र्ुऔा
था।
"भैर् औे भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ औाभ भें पंसे है इसयलए वे फाद भें आवेंखे।” -औभेंरेटय ने गॊर्णा औी।
दस ऒवय औे भैर् भें टॉस बफलग्राभ ने जीता ओय ऩहले खेंदवाजी औा पैसला कऔमा।बवयॊधी औैलायस औी टीभ
धुंआधाय फैकटिं ख औे यलए क्षेत्र भें जानी जाती थी।
औैलायस औे फल्रेफाज बफलग्राभ औे खेंदफाजों औी फऩटाई औय यहे थे।
दस ऒवय भें औैलायस ने एऔ सो फायह यन फना यलए। मनोज फायहवे रकलाड़ी औे रूऩ भें टेंट भें फैठा दुकी
हॊता यहा ।
बफलग्राभ औी तयप से फल्रे ओय प्रऔाि ने ऒऩकनिं ख औी। फल्रे ने ऩहली दॊ फॉल ऩय दॊ र्ोऔे जड़ फदए। तबी
टेंट भें औुछ हलर्ल रृई।
औभेंटेटय ऩप्पूभसिं ह ने उत्साह से गॊर्णा औी -"भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ आमे खमे है, भैर् यॊऔ दॊ।
"एसडीएभ यागवेंद्र भसिं ह ने केल जायी यकने औा संऔेत आमॊजऔों औॊ फदमा ऩय ऩप्पूभसिं ह ने
फॊलना जायी यका-"देवेन्द्र अग्रवाल एसडीएभ साहफ औॊ भाला ऩहनाएाँ ।"
मनोज औी औभेंरी औे औायण सबी लॊख बफलग्राभ औी हाय औॊ बूल औय फल्रे औी फैकटिं ख ऩय ताली फजाने
लखे।उसने अऩनी औभेंरी से अऩने खााँव औा सम्मान जोया भें फर्ा यलमा।
दॊनों टीभों औॊ प्रभाण ऩत्र फाटने औे फाद एसडीएभ यागवेंद्र भसिं ह ने मनोज से औहा-"तुभ अच्छा फॊलते हॊ,क्या
नाभ है तुम्हाया?"
उसने जवाफ फदमा -"मनोज औुभाय िभाच।”
बफलग्राभ औी टीभ फल्रे औे टेम्पॊ भें फैठऔय वाऩस अऩने खााँव औी ऒय र्ल दी ।यागवेंद्र भसिं ह मनोज औे फदल
ऩय छा खमे। अऩनी तायीफ़ औे यलए हभेिा लालाभमत यहने वाले मनोज औॊ आज बयऩूय तायीफ़ बभली थी।
एऔ दीवानाऩन सा उसऔे फदल ऩय छा खमा था ।
४.
मनोज औे फऩता ऒभवीय िभाच औॊ खााँव आमे रृए एऔ भहीना हॊ र्ुऔा था। वेतन औे रुऔे रृए ऩैसे भम्मी
औॊ बभल खमे ।भम्मी ने उधाय ऩटा फदए। लेकऔन वह ऩाऩा औी आदत जानती थी कऔ उन्हें गय औी भर्िं ता औबी
नहीं यही। नोऔयी ऩय जाते हैं तॊ भहीनों गय नहीं लोटते। अफ गय आमे रृए बी उन्हें एऔ भहीना हॊ खमा ऩय
नोऔयी ऩय जाने औा नाभ नहीं ले यहे हैं। याज्य सयऔाय औे औृबर् बवबाख भें औृबर् बवस्ताय अभधऔायी औे ऩद ऩय
क्या इतनी छु ट्टी बभलती है कऔ एऔ एऔ भहीने नोऔयी ऩय न जामा जाए?
भााँ ने एऔ फदन फऩता से ऊाँ र्ी आवाज भें ऩूछ ही यलमा -" अफ नोऔयी ऩे औफ जाफॊखे?"
भााँ औॊ अऩने कानदान ऩय फऩता औा मह व्यंग्य ऩसन्द नहीं आमा, उसने जवाफ फदमा-"भेये कानदान भें तॊ ना
औयी। ऩय तुभ औैसी नोऔयी औय यहे हॊ,भैं जानती रॄाँ। साल साल बय खामफ यहते। महां औोन औे बयॊसे छॊड़
जाते हभें? उधाय भांख भांख औे गय र्ला यही रॄाँ ।”
5.
दीऩऔ जोया से काली हाथ लोटऔय नहीं आमा था। वह बवर्ायों औी नई योिनी लेऔय आमा था। वह ऩरयवाय
औॊ ऩटयी ऩय लाने औी एऔ अबूतऩूवच मॊजना फऩता औॊ फता यहा था।
उसने फऩता से औहा- "फल्रे न्यू रांांड टेम्पॊ कयीद यहॊ है,इसयलए अऩनों ऩुयानों टेम्पॊ फेर् यहॊ है। र्ालीस
हजाय भें। भहीना औे आठ दस हजाय औरॄाँ ना खए। भैं र्ला लेंखॊ।”
मनोज ने दीऩऔ औी इस मॊजना भें औॊई औभी नहीं देकी। वह जानता था कऔ उसऔे आसऩास औे सबी लड़औे
मही सफ औाभ तॊ औय यहे हैं। औॊई टेम्पॊ र्ला है ,औॊई इलेक्स्टरीभिमन औा औाभ औय यहा है,भजस औे ऩास औुछ
ऩैसा अभधऔ था उसने जोया भें कऔयाने औी दुऔान कॊल ली । एसटीडी औा र्लन फढ़ यहा था तॊ कऔसी ने
एसटीडी फूथ डाल यलमा । सबी जानने वाले लॊख मही सफ औाभ औय यहे हैं। भजनऔे ऩास जभीन थी, वे केती
औय यहे हैं । मनोज औे फऩता ओय र्ार्ा श्याभवीय दॊनों औे ऩास केती औे नाभ ऩय औेवल तीन फीगा जभीन ही
थी, भजसभें साल बय औे यलए काने लामऔ खेंरॄ औे अलावा औुछ नहीं हॊता। इसयलए नोऔयी मा धंधे औे
अलावा उनऔे ऩास औॊई दूसया बवऔल्प नहीं था। ट्ढेल्थ भें पेल हॊने औे फाद नोऔयी औी औॊई उम्मीद उसऔे
यलए नहीं फर्ी थी ,इसयलए दीऩऔ औा प्लान उसे ठीऔ लख यहा था ।
लेकऔन फऩता औे ऩास टेम्पॊ कयीदने औे ऩैसे नही थे। फऩता ने फहाना फनामा- "टेम्पॊ र्ला औे गय औी इज्जत
बफखाड़ॊखे ? ऩढ़ॊ यलकॊ ऩरयवाय है हभायॊ।”
फऩता औा इनऔाय सुनऔय दीऩऔ ओय मनोज र्ुऩ हॊ खए।
ऩय भााँ ने फऩता से लॊहा लेने औा भन फना यलमा- "वाह फरृत इज्जत है तुम्हायी। गय गय जाऔे उधाय भांखती
हों,तफ इज्जत ना जावते तुम्हायी। भॊड़ा भेहनत औयऔे औछु औयफॊ र्ाह यहे हैं तॊ जे भदद औयफे औी जखह टांख
अड़ा यहे हैं।"
भााँ औा उलाहना सुनऔय फऩता ने भोन साध यलमा।
अखले फदन सुफह जफ भााँ ऊऩय औभये भें आई तॊ उसने देका कऔ फऩता अऩने फैख भें औऩड़े जभा यहे हैं । भााँ ने
उन्हें औऩड़े जभाते रृए देका तॊ वह ठखी यह खई। भााँ औॊ लख यहा था कऔ वह फऩता औॊ टेम्पॊ कयीदने औे यलए
भनाने औी औॊभिि औयेखी।ऩय फऩता जॊ फऩछले सवा भहीने से नोऔयी ऩय ध्यान फदए बफना गय ऩय कटऔे रृए थे
उन्होंने आज अर्ानऔ वाऩसी औी तैमायी औय ली ।
भसऩाही टेम्पॊ औॊ स्टाटच औय दॊ सो भीटय दूय सड़औ औे कऔनाये फने फाखर्ीनी थाने भें ले जाने लखा।मनोज ओय
दीऩऔ टेम्पॊ औे ऩीछे दोड़ लखा यहे थे। तबी ऩास से फालीजी फस सबवि स औी फस कनऔली उसऔा औंडक्टय
मनोज रुआं सा हॊते रृए फॊला-"सय मे आदभी झूठ फॊल यहा है। हभसे औॊई एक्सीडेंट नहीं रृआ।”
थानेदाय अफ अऩने असली रूऩ भें आ र्ुऔा था-"र्ुऩ साले, जवान र्लाता है। फन्द औयॊ दॊनों औॊ अं दय। जेल
भें सड़ॊखे तफ ऩता र्लेखा कऔ एक्सीडेंट कऔमा है कऔ नहीं?"
फालाजी फस सबवि स औे भायलऔ से प्राप्त पीस औे फदले थानेदाय ने अऩना औाभ फकूफी औय फदमा था। मनोज
ओय दीऩऔ औे ऩैयों तले जभीन रकसऔ खई। दॊनों औे आं सू फहने लखे। ऩय थानेदाय नहीं ऩसीजा। दॊनों औॊ
दीवान ने लॉऔ अऩ भें फंद औय फदमा।मनोज ओय दीऩऔ औा यॊ यॊ औय फुया हाल हॊ यहा था । दॊनों डय औे भाये
औााँऩ यहे थे उन्हें सभझ नहीं आ यहा था कऔ अफ औहााँ जाएाँ ? कऔससे भदद भांख?ें
दॊ गण्टे फाद दीवान ने मनोज से औहा -"तुभ दॊनों औॊ यात बय थाने भें फन्द नहीं औय यहे हैं,मही खनीभत है।
थानेदाय साहफ फरृत यहभ फदल हैं, अफ जाऒ। लेकऔन अफ मह टेम्पॊ तॊ औॊटच से ही बभलेखा।”
दॊनों अऩनी जान फर्ाऔय बाखे। दॊनों औा ऩुयलस से मह ऩहला साभना था।दॊनों बाई यॊते रृए सड़औ ऩय ऩैदल
जा यहे थे। ऩीछे थाना छू ट खमा था। उनऔे यलए थाना यक्षऔ नहीं बक्षऔ फना था। यात हॊ खई थीं इसयलए अफ
औॊई फस मा टेम्पॊ सड़औ ऩय नहीं था। दस कऔलॊभीटय ऩैदल र्लऔय दॊनों अऩने खााँव ऩरृर् खए।
कनयाि,थऔे,दुकी,टू टे रृए,ऩयाभजत। आाँ कें आं सुऒ से अफ बी बयी रृई थी। भााँ औॊ देकऔय मनोज पूट पूट औय
यॊ ऩड़ा। दीऩऔ ने सायी औहानी औह सुनाई। भााँ औी आाँ कों भें बी आं सू आ खए।
ऩय उसने फहम्मत नहीं हायी-"सफ ठीऔ हॊ जामखॊ,भर्िं ता न औये।”
6.
यात फीर् र्ुऔी थी। सुफह हॊ र्ुऔी थी। औल औी फेफसी ने जॊ आं सू फहामे थे वह सूक र्ुऔे थे। भजन सऩनों
औॊ लेऔय नमा व्यवसाम िुरू कऔमा खमा था, वह सऩना टू ट खमा था। फऩछले एऔ भहीने भें आभथि औ रूऩ से
बफकये रृए ऩरयवाय औॊ एऔ फदिा देने औी औॊभिि औी खई थी,उम्मीद फन यही थी। ऩय अर्ानऔ सफ धयािाई
हॊ खमा। मनोज र्ाहता था कऔ औॊई उसऔे भन भें उभड़ गुभड़ यहे तूफ़ान औॊ थाभ ले।िह अऩने दॊस्त याऔेि
औे गय र्ला खमा।
उसने बफना बूबभऔा औे अऩने भन औी दुबवधा औॊ याऔेि से औहना िुरू कऔमा- "जॊ लॊख भेहनत औयऔे
ईभानदायी से दॊ वि औी यॊटी औभाना र्ाहते है,उनऔॊ ही ऩऔड़ औे थाने भें फन्द औय फदमा जाता है । ऩुयलस
ऐसा सुलूऔ औयती है जैसे हभ र्ॊय लुटेयों हों। भजसऔे ऩास ऩांर् ऩांर् फसें हैं,ऩैसा है, क्या सड़औ उनऔे फाऩ
औी है? खयीफ अऩना टेम्पॊ न र्लामे?"
इतना औहऔय मनोज ने याऔेि औॊ औल औी ऩूयी औहानी औह सुनाई।
याऔेि ने मनोज औॊ अभधऔ खम्भीय हॊते रृए देका तॊ वह भाहोल औॊ हल्का औयने औी औॊभिि औयने लखा-
"औॊउ नई फात फता। जे तॊ सफ जानतें। आज तेये साथ गटना गट खई तॊ तू ऩयेिान है खमॊ। यॊज जेई लड़ाई
झखड़ा है यए हैं। खयीफ एसेई फऩस यहॊ है।“
मनोज औे भन औा बवद्रॊह ओय बड़औ खमा-"ऩय मे तॊ खलत है ना। जॊ सही है, ईभानदायी से, भेहनत से अऩना
औाभ औय यहा है, उसे क्यों सतामा जाता है ?"
याऔेि ने जीवन औा व्यवहारयऔ ज्ञान सऩाट तयीऔे से मनोज औॊ देने औी औॊभिि जायी यकी-" मनोज
इसीयलमे आदभी भेहनत औयतॊ,ऩैसा औभावतॊ,अऩने भॊड़ा भॊकड़मनें ऩढ़ावतॊ,नेता ऩुयलस से दॊस्ती औयतॊ।
तुभामे ऩास ऩैसा हॊते तॊ थानेदाय औे भुह
ं ऩे भायते। तुम्हें नेता,बवधामऔ,औलक्टय,एसऩी जानते तॊ वे थानेदाय
से तुभायी भसपारयस औय देते। ऩय तुभ हॊ ठन ठन खॊऩाल। औॊई न जानतॊ तुम्हें,न तुभ जानते औारॄ औॊ।”
मनोज औॊ मह औड़वी फात ऩसन्द नहीं आई-"भतलफ ऩुयलस औी औॊई भजम्मेदायी नहीं है कऔ झूठे औेस न
फनामे,खयीफों ऩय अत्यार्ाय न औये। उस थानेदाय औॊ तॊ नोऔयी से कनऔाल देना र्ाफहए।”
िह कनमभ ओय भसद्धांत औी फात ही ऩऔड़े रृए था।
याऔेि ने अफ औठॊय सच्चाई उसके साभने यक दी -" तेये जैसे लॊख खाड़ीफाजी ना औय सऔत। भजफूत भजखय
वाले र्ला सऔत हैं फस,टेम्पॊ। सवायी बफठाने औे र्क्कय भें खॊली बी र्ल सऔती है । फऩछले भहीना जोया
7.
जोया तहसील औामाचलम भें बीड़ फढ़ने लखी थी । मनोज ओय दीऩऔ अऩने टेम्पॊ औॊ छु ड़वाने औे यलए
एसडीएभ यागवेंद्र भसिं ह से बभलने तहसील ऩरृाँर् खमे। लेकऔन मनोज औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह
यागवेंद्र भसिं ह से टेम्पॊ छु ड़वाने औे यलए औैसे भसपारयि औयेखा ? संऔॊर् औे औायण उसऔी फहम्मत नहीं हॊ यही
थी।खेट ऩय दयफान ने उसे एऔ ऩर्ी ऩऔड़ा दी भजस ऩय अऩना नाभ ओय एसडीभ से बभलने औा औायण
यलकना था । उसने ऩर्ी ऩय अऩना अऩना नाभ यलक फदमा,लेकऔन ‘बभलने औा औायण’ औॉलभ भें ‘टेम्पॊ
छु ड़वाना है’, ऐसा िह नहीं यलक सऔा । उसे लखा कऔ ऐसा यलकने से हॊ सऔता है कऔ यागवेन्द्र भसिं ह उसे
बभलने औे यलए अं दय फुलाएं ही नहीं ।
इसयलए उसने ऩर्ी ऩय बभलने औा एऔ अलख ही औायण यलक फदमा-"औैरयमय ओय ऩढ़ाई ऩय र्र्ाच औयना है।"
मनोज औॊ लखा कऔ ऐसा यलकने से यागवेन्द्र भसिं ह उसे ऩढ़ने वाला स्टू डेंट सभझेंखे ओय उससे अच्छे से फात
औयेंखे ।
उसने सॊर्ा कऔ वह भोक़ा बभलते ही एसडीभ सय से टेम्पॊ छु ड़वाने औी फात बी औय लेखा ।
यागवेंद्र भसिं ह ने अऩने यीडय औॊ ऑडचय यलकवामा -"औेस सभाप्त कऔमा जाता है। भुऔेि ने औॊई अऩयाध नहीं
कऔमा है उसे छॊड़ा जाए। इस खवाह फदनेि ऩय झूठी खवाही देने औा औेस र्लाने औे यलए ऩुयलस औॊ कनदेि
फदमा जाता है। ऩुयलस बवबाख औॊ यलका जावे औी थानेदाय मादव ऩय पेभरांऔेटेड औेस औे यलए कडऩाटचभेंटल
इन्क्वामयी र्लाई जावे। र्यलए औेस कत्म रृआ।”
इतना औहऔय यागवेंद्र भसिं ह ने औेस औी ऑडचयिीट ऩय साइन औयऔे फ़ाइल यीडय औे ऩास अऩनी टेफल औी नीर्े
ऩटऔ दी। मनोज इस औेस औॊ देकऔय अफबबूत हॊ खमा। उसे उम्मीद नहीं थी कऔ इतनी जल्दी औॊई व्यभि
सर् ओय झूठ औा कनणचम औय सऔता है। इतनी जल्दी कऔसी झूठे ओय भक्काय आदभी औॊ सजा बभल सऔती
है। इतनी जल्दी कऔसी सच्चे ओय भजफूय आदभी औॊ न्याम बभल सऔता है । िह अऩने टेम्पॊ औी भसपारयि औॊ
बूल खमा । वह तॊ आनन्द ओय आश्चमच औी अलख ही दुकनमा भें ऩरृाँर् खमा था ।
मनोज तुभ अऩने औैरयमय औे फाये भें फात औयना र्ाहते थे।“-यागवेंद्र भसिं ह उसके आने औायण बूले नहीं थे।
"जी सय।" मनोज ने जैसे कऔसी स्वप्न से जाखते रृए औहा।
उसकी स्वीऔृबत भें सच्चाई बी थी। िह सर्भुर् अऩने बबवष्य औी फदिा तलािने औी औॊभिि औय यहा था।
ऩय ट्ढेल्थ भें पेल हॊने औे फाद वह अबी फदिाहीन सा बटऔ यहा था ।
"सय भैं आऩ जैसा फनना र्ाहता रॄाँ।"-यागवेन्द्र भसिं ह औे सम्मॊहन औे जादू से अर्ानऔ उसके भुंह से कनऔल ऩड़ा
। ऩय ट्ढेल्थ पेल मनोज औॊ ऩता नहीं था कऔ औैसे फनते है एसडीएभ। वह तॊ फस यागवेन्द्र भसिं ह ओय उनऔे ऩद
औे आऔर्चण भें फंध सा खमा था ।
"फरृत फफढ़मा। लक्ष्य हभेिा ऊाँ र्ा फनाना र्ाफहए। अखय औॊई ठान ले तॊ औुछ बी असम्भव नहीं।कऔस क्लास
भें ऩढ़ते हॊ तुभ?"-यागवेंद्र भसिं ह ने मनोज औा उत्साह फढ़ाते रृए औहा।
औुछ देय ऩूवच सऩनीली डखय ऩय ले जाने वाले मनोज औॊ यागवेंद्र भसिं ह ने अर्ानऔ औठॊय औांटॊ वाले मथाथच
ऩय ला ऩटऔा।
8.
उत्साफहत मनोज याऔेि औे गय ऩरृाँर् खमा। विष्णु बी वहीं फैठा रृआ था। याऔेि अऩनी बैंस औॊ र्ाया रकला
यहा था।
मनोज ने अऩने भन औी इच्छा याऔेि से औह दी- "याऔेि भेयी इच्छा यागवेंद्र सय जैसा एसडीएभ फनने औी है।”
याऔेि ने र्ाया काती रृई अऩनी बैंस औॊ देकते रृए मनोज से औहा- "तॊ फन जामखॊ फाभे औोन सी फड़ी फात
है। ऊऩय से औॊउ ना आवतें । आदभी ही फनते हैं एसडीएभ।”
विष्णु औॊ औुछ फदन ऩहले ही ट्ढेल्थ पेल हॊ र्ुऔे मनोज औे भुंह से इतनी फड़ी इच्छा सुनऔय अच्छा नहीं
लखा। मनोज ट्ढेल्थ ऩास तॊ औय नहीं ऩामा, र्ला कडप्टी औलेक्टय फनने औे सऩने देकने ।ऐसा सॊर्औय बवष्णु
जॊय जॊय से ताली फजाऔय हंसने लखा ।
मनोज औे भन भें औुछ देय ऩहले आमा उम्मीद औा यझलबभलाता प्रऔाि अर्ानऔ दूय हॊ खमा। विष्णु ने अऩने
बवर्ायों से मनोज औे भन भें औुछ देय ऩहले उठे उत्साह औे तूफ़ान औॊ ठं डा औय फदमा। िह सऩनों औी यंखीन
दुकनमा से अर्ानऔ मथाथच औी जभीन ऩय आ खमा।
"भैं तॊ अनऩढ़ खवााँय रॄाँ । भॊम तॊ जॊ सभझ आतॊ है फॊल देतॊ हों। तू फुयॊ ना भान बवष्णु ।" -याऔेि ने ऩयाजम
स्वीऔाय औयने औे बाव से औहा।
मनोज ओय याऔेि ऩय अऩनी बवजम से प्रसन्न विष्णु ने मनोज औॊ सलाह दी –“देक मनोज तू इस जनभ भें
तॊ ट्ढेल्थ ऩास औय ना ऩावेखॊ इसयलए नोऔयी औयने औे िेक भर्ल्री औे सऩने देकना तॊ छॊड़ ही दे, भैं तेया दॊस्त
रॄाँ तुझे सही सलाह देता रॄाँ अऩने खााँव भें नाश्ते औी अच्छी दुऔान नहीं है। फफढमा खभच सभॊसे, ऩऔॊड़ी ओय
जलेफी औी फरृत कडभांड यहेखी खााँव भें ।टेम्पॊ र्लाने से अच्छा औाभ यहेखा तेये यलए ।“
याऔेि औॊ विष्णु औा मह सुझाव ऩसंद नहीं आमा उसने औुछ देय सॊर्औय विष्णु से औहा- "विष्णु तू ऩयेिान
ना हॊ ।सफ ठीऔ हॊ जामेखॊ ।तू एऔ औाभ औय भेयी बैंस औॊ थॊड़ा र्ाया डाल दे । भैं तफ तऔ फबछमा औॊ फााँध
देत हों।"
अऩनी बवजम से प्रसन्न विष्णु ने र्ाया यलमा ओय बैंस औे साभने टाँऔी भें डालने लखा। बैंस ने याऔेि औे स्थान
ऩय अऩरयभर्त विष्णु औॊ देका तॊ बफखड़ खई। उसने अऩनी खदचन फहलाई ओय विष्णु औॊ सींख भायने औे यलए
झऩटी। विष्णु इस अप्रत्याभित आिभण से सम्हल नहीं ऩामा ओय वह ऩीठ औे फल बखय ऩड़ा। याऔेि ओय
मनोज औॊ बी इस तयह औी दुगचटना औी आिंऔा नहीं थी, ऩय जफ उन्होंने देका कऔ विष्णु जभीन ऩय भर्त्त ऩड़ा
विष्णु औी सााँसे तेज र्लने लखी थी। हॊि भें आते ही उसने ऩूयी गटना औा भजम्मेदाय याऔेि औॊ गॊबर्त औय
फदमा। विष्णु अफ याऔेि औॊ कयी कॊटी सुनाने लखा ।
याऔेि ने भन्द भन्द भुस्कुयाते रृए अऩनी सपाई दी-" िुरू भें दॊ तीन फाय तॊ भुझे बी ऩटऔ फदमा था रूऩा
ने।ऩय धीये धीये भॊम ऩहर्ानने लखी। ऩहले फाय फाय कूंटा छु ड़ाऔय बाखती । ”
इतना औहऔय याऔेि बैंस औी खदचन ऩय हाथ पेयता यहा। बैंस औापी देय तऔ याऔेि औा प्याया स्पिच भहसूस
औय अऩनी खदचन फहलाती यही।
"विष्णु जे बैंस बी लखाताय अभ्यास से जा कूंटे ऩय यहनॊ सीक खई। जानवय बी लखाताय एऔ ही औाभ औयते
औयते सीक जात हैं। हभ तॊ फपय बी आदभी है। आदभी औे यलए औुछ बी औाभ औठठन ना है।"- याऔेि ने एऔ
आिाभऔ बवयाभ औे फाद अऩने भन भें फरृत देय से रुऔी रृई फात विष्णु से औही।
विष्णु औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ अनऩढ़ याऔेि बैस औे उदाहयण से ऩढ़ाई ओय सपलता औे भसद्धां त औी फात
सभझाएखा। याऔेि औी फात सुनऔय मनोज ने उसे खले लखा यलमा। मनोज औे भन भें छाई गॊय कनयािा औे
फीर् एऔ फाय फपय उम्मीद औी कऔयण पूट ऩड़ी। मनोज गय र्ला खमा यात बय वह छत ऩय लेटा अऩने सुदयू
सऩने भें कॊमा यहा ।
9.
जून। खभी ओय उभस से बये फदन। मनोज एऔ हाथ भें थैला लटऔामे रयश्ते औे एऔ र्ार्ा भूलर्ंद औे साथ
ग्वायलमय औी सड़औ ऩय र्ला जा यहा है। दॊऩहय औी भर्लभर्लाती धूऩ भें िह ऩसीने से तयफतय हॊ खमा है।
लेकऔन उसऔा भन आिा से बया है। भूलर्ंद र्ार्ा अऩने साले फत्रलॊऔी औे औभये ऩय ऩरृाँर् खमे ।
र्ार्ा ने अऩने साले फत्रलॊऔी से औहा- "फत्रलॊऔी मनोज औॊ अऩने साथ यक लॊ। मह एभएलफी औॉलेज से
फीए औयेखा। तुभ इसऔा एडभीिन औयवा देना।”
औॉलेज भें ऩढ़ाई औा अच्छा भाहोल था। िुरू भें सफ बवद्याथी एऔ दूसये से अऩरयभर्त थे। लेकऔन धीये धीये
र्ेहये जाने ऩहर्ाने लखने लखे। मनोज ने देका कऔ औॉलेज भें दॊ तयह औे लड़औे हैं। एऔ वे जॊ आसऩास औे
खााँव से आमे हैं। भिविंऔय खुजचय,यबवऔांत फद्ववेदी इसी वखच औे छात्र थे।
दूसया वखच उन लड़औों औा था जॊ ग्वायलमय औे ही यहने वाले थे । आभथि औ रूऩ से मह लड़औे खााँव औे लड़औों से
अभधऔ सभृद्ध थे। मे लड़औे स्कूटय मा हीयॊऩुऔ से औालेज आते थे। भनीर् फद्ववेदी,संजम श्रीवास्तव,अबभत
दीयक्षत ओय जखभॊहन इस वखच औे छात्र थे। इन छात्रों औी एऔ काभसमत ओय थी। मे सबी छात्र ऩहले खयणत
ओय फामॊलॉजी औे छात्र थे। ऩीईटी ओय ऩीएभटी भें असपल हॊऔय फीए औे भैदान भें औूदे थे।
आज क्लास काली थी। ऩेड़ औे नीर्े र्फूतये ऩय इन दॊनों ग्रुऩ औे लड़औों औा जभावड़ा था। सबी औा ऩरयर्म
आऩस भें हॊ तॊ र्ुऔा था ऩय आज लड़औों औे इबतहास ऩय र्र्ाच र्ल कनऔली।
कऔसी ने ऩूछा तॊ भनीर् फद्ववेदी ने जवाफ फदमा- "ट्ढेल्थ भें भेया फामॊलॉजी सब्जेक्ट था। सेवेन्टी ऩसेंट आमे थे
भेय।े ऩय ऩीएभटी भें नहीं रृआ,इसयलए फीए औयने लखा। भैं अफ ऩीएससी औी तैमायी औरूंखा।"
जगमोहन बी औभ नहीं था उसने औहा कऔ उसऔी औॉलॊनी औे एऔ बाईसाहफ ऩीएससी औी तैमायी औय यहे हैं ।
इसयलए वह बी ऩीएससी देखा। संजम श्रीवास्तव इं विि यलटयेर्य औा बवद्याथी था। वह लेक्चयय फनना
र्ाहता था।अफ मनोज औी फायी थी। उसने सॊर्ा कऔ महां तॊ सबी लड़औे हॊभिमाय हैं, अभधऔतय तॊ ट्ढेल्थ भें
पस्टच क्लास यहे हैं। वह तॊ एऔ फाय ट्ढेल्थ भें पेल हॊ र्ुऔा है । दूसयी फाय आटच औे बवर्म से उसऔे ऩर्ऩन
प्रबतित आमे हैं । एऔ तॊ वह खााँव से आमा है वैसे ही उसे मे िहयी लड़औे सीरयमसली नहीं ले यहे होंखे मफद
वह मह फता दे कऔ ट्ढेल्थ भें आटच भें उसऔे ऩर्ऩन प्रबतित थे ओय उसऔे ऩहले एऔ फाय खयणत भें वह पेल हॊ
फप्रिंभसऩल सय औॉलेज भें अनुिासन औे औट्टय सभथचऔ थे। उनऔॊ साभने देकऔय जफ औॊई बी औुछ नहीं फॊला
तॊ यबवऔांत फद्ववेदी ने फहम्मत औी- "सय आज ऩॉयलकटऔल साइं स औे सय छु ट्टी ऩय हैं, इसयलए उनऔा ऩीरयमड
काली है।"
फप्रिंभसऩल सय जानते थे कऔ लड़औे मफद इस तयह कुले भैदान भें ऩेड़ नीर्े र्र्ाच औयते यहेंखे तॊ औॉलेज भें जॊ
क्लास र्ल यही हैं उनऔॊ व्यवधान हॊखा तथा इन लड़औों औॊ बी फ्री सभम भें खप्पें लखाने औा िोऔ लख
जाएखा । इसयलए फप्रिंभसऩल इस आदत औॊ ही बवऔभसत नहीं हॊने देना र्ाहते थे ।
उन्होंने सफ से औहा-"आऩ लॊख क्लास रूभ भें र्यलए। भैं आता रॄाँ।”
क्लास भें ऩरृंर्औय मनोज ग्रुऩ औे सफसे स्माटच ओय सफसे भहत्वाऔांक्षी लड़औे अबभत औे साथ फैठ खमा।
उसकी इच्छा अबभत से दॊस्ती औयने औी हॊने लखी। लेकऔन अबभत ने खााँव से आमे दुफले ऩतले मनोज से
बभत्रता औयने भें ज्यादा रूभर् नहीं फदकाई,फऴल्क वह एऔ िहयी लम्बे लड़औे भनीर् फद्ववेदी औे ऩास जाऔय फैठ
खमा।
फप्रिंभसऩल सय क्लास भें आ खमे। उन्होंने फातों भें वि फफाचद नहीं कऔमा ओय लड़औों औॊ सीधे ऩढ़ाना िुरू औय
फदमा।
उन्होंने ऩहला प्रश्न कऔमा- "क्या आऩ लॊखों भें से औॊई भाक्सचवाद औे फाये भें औुछ जानता है?"
10.
ग्वायलमय भें मनोज औे िुरुवाती भहीने स्थाभमत्व कॊजने भें ही फीत यहे थे।पीस ओय कऔताफों औे फाद
उसके गय से लामे रृए ऩैसे बी कत्म हॊने लखे । तीन भहीने उसे फत्रलॊऔी औे साथ यहते रृए हॊ खमे थे।
एऔ सुफह फत्रलॊऔी कऔसी औाभ से अऩने खााँव र्ला खमा। मनोज औॉलेज र्ला खमा । के शि अऔेला औभये
ऩय यह खमा।
औॉलेज भें एऔ ऩीरयमड काली था। मनोज ओय संजम श्रीवास्तव ग्राउं ड भें एऔ फेंर् ऩय फैठऔय इं विि बवर्म
औॊ फीए भें र्ुनने औॊ लेऔय र्र्ाच औयने लखे।
संजम ने इं विि औे लाब बखनाने िुरू कऔमे-"मनोज आजऔल इं विि औे बफना औुछ बी नहीं हॊ सऔता।
इं विि फरृत जरूयी है।"
मनोज इं विि औे नाभ से ही गफयाता था।
उसने संजम से प्रबतवाद कऔमा- "लेकऔन संजम ऩीएससी भें तॊ इं विि औी फरृत ज्यादा जरूयत ही नहीं
ऩड़ती।"
संजम ने रॅढ़ता से औहा -"ऩय भजिं दखी भें ऩड़ती है ओय कऔसने औहा कऔ तुभ ऩीएससी भें भसलेक्ट हॊ ही जाऒखे।
अखय ऩीएससी भें नहीं रृए तॊ फहिं दी औा झुनझुना तुम्हाया ऩेट बी नहीं बय ऩामेखा। इं विि आऩऔे यलए नोऔयी
औे औई ऑप्िन कॊल देती है । आऩ ट्डूिन ऩढ़ा सऔते हैं। कऔसी बी स्कूल औॉलेज भें इं विि ऩढ़ाने वाले
लॊखों औी कडभांड ज्यादा हॊती है।“मनोज ने जफ मह मथाथच सुना तॊ गफया खमा। उसने ऩीएससी भें भसलेक्ट न
हॊ ऩाने औे फाद औी ऩरयऴस्थबत ऩय बवर्ाय नहीं कऔमा था।
11.
लयलतऩुय औॉलॊनी भें फत्रलॊऔी औे औभये औा ताला अफ बी फन्द था उसऔी र्ाफी के शि अऩने साथ ले खमा
था।मनोज औॊ मह सभझ नहीं आ यहा था कऔ औेिव जानफूझऔय उसे ऩयेिान औयने औे यलए औभये औी र्ाफी
अऩने साथ ले खमा मा खलती से र्ाफी उसऔी जेफ भें ऩड़ी यह खई हॊखी। लेकऔन औुछ बी हॊ मनोज अफ
भऔान भायलऔ औे बम औे औायण औभये औा ताला तॊड़ नहीं सऔता था। उसऔे यलए सभस्या मह थी कऔ वह
यात औॊ औहााँ जामखा?
इतने फड़े िहय भें इतने साये भऔानों औे फीर् एऔ लड़औा यात औॊ रुऔने औे यलए एऔ अदद छत ढू ंढ यहा था,
ऩय औॊई आसया उसे फदक नहीं यहा था। उसे बूक लख आई थी। ऩय उसऔी जेफ भें फीस रूऩमे ही फर्े थे। उसने
एऔ छॊले बटू ये औे ठे ले ऩय फीस रूऩमे औे दॊ छॊले बटू ये का यलए। अफ फड़ी ओय बायी यात बफतानी थी।
मनोज औॊ याजऩूत फॊकडिं ख भें यहने वाला भिविंऔय माद आ खमा।वह याजऩूत फॊकडिं ख र्ला खमा लेकऔन वहां
जाऔय ऩता र्ला कऔ भिविंऔय फॊकडिं ख भें नहीं है वह अऩने खााँव फबिं ड र्ला खमा है । अफ औॊई रयश्तेदाय मा
दॊस्त ऩूये ग्वायलमय भें मनोज औा नहीं था जहां िह यात बफता सऔे।
मनोज औॉलेज औे फाहय अर्लेश्ऱय भरन्दय औे ऩास फैठ खमा। आज उसे भहसूस रृआ कऔ यहने औे यलए एऔ
कनमश्चत औभया कऔतनी फड़ी उऩलऴि हॊती है। िह देर तक पुटऩाथ ऩय फैठे इन फबकारयमों औॊ देकता यहा।
औभजॊय ओयतें,फूढ़े फीभाय आदभी भैली खठरयमों औॊ अऩने सय औे ऩास यके पुटऩाथ ऩय सॊने औी तैमायी भें
थे।मनोज उन्हें देकऔय अऩना औष्ट बूल खमा। वह तॊ आज ऩहली फाय फेगय रृआ है ,मे खयीफ फबकायी तॊ यॊज
ऐसे ही यहते है । मे लॊख क्या सॊर्ते होंखे? क्या इच्छाएं होंखी इनऔी? इनऔे यलए सुक क्या हॊता है? एऔ दॊ
मनोज औे साभने दाल, आलू खॊबी औी सब्जी, ऩांर् यॊटी ओय र्ावल से सजी थाली आ खई।िह काना काने
लखा। उसऔा फदभाख सुन्न हॊ यहा था। आज औा बॊजन साधायण नहीं था। बॊजन ऩाने औा आज औा तयीऔा बी
साधायण नहीं था। यॊज कऔतनी आसानी से बॊजन बभलता है। कऔतना औठठन हॊ सऔता है ऩेट बय बॊजन
बभलना, मह आज मनोज औॊ भहसूस हॊ यहा था। उसकी आाँ कों भें आं सू आ यहे थे भजन्हें वह यॊऔ यहा था। िह
हॊटल भायलऔ औी इं साकनमत ऩय बी बावुऔ हॊ यहा था।
बॊजन औयने औे फाद िह हॊटल भायलऔ औे ऩास खमा -"धन्यवाद। अफ आऩ भेया औाभ फताइमे। भैं औुछ बी
औाभ औय सऔता रॄाँ।”
हॊटल भायलऔ फपय से इस अजूफे से रूफरू हॊ यहा था-"औाभ औयने औी जरूयत नहीं है,आऩने काना का यलमा
है,आऩऔॊ इसऔे फदले भजदूयी औयने औी जरूयत नहीं है।”
तबी हॊटल भें मनोज औे औॉलेज औा दॊस्त यबवऔांत फद्ववेदी आ खमा। हॊटल भायलऔ ने उसे ऩूयी औहानी औह
सुनाई। औायण जानऔय यबवऔांत फद्ववेदी ने काने औे तीस रूऩमे कनऔालऔय हॊटल भायलऔ औी तयप फढ़ा
फदए।ऩय मनोज बॊजन औे फदले भजदूयी औयने ऩय अड़ा यहा। इस सीन औॊ अफ हॊटल भें उऩऴस्थत प्रत्येऔ
व्यभि देक यहा था। एऔ दाढ़ी वाला औभजॊय सा लड़औा काना काने औे फदले भजदूयी औयने औी भजद ऩय
अड़ा रृआ है, एऔ हॊटल भायलऔ उससे भजदूयी औयाने औॊ तैमाय नहीं है, एऔ दूसया लड़औा थाली औी औीभत
तीस रूऩमे कनऔाल औय अऩने हाथ भें ऩऔड़ा है। फड़ा अजीफ रॅश्य था । कनणचम क्या हॊखा? कऔसी औॊ नहीं
ऩता। यबवऔांत फद्ववेदी औॊ बी नहीं ऩता था कऔ औॉलेज भें सीधा सयल सा फदकने वाला मनोज इतना भजद्दी है।
मनोज जैसे कऔसी निे भें फॊल यहा था,उसऔा फदभाख जैसे एऔ जखह आऔय अटऔ खमा था। उसऔॊ नहीं ऩता
था कऔ मह भजद उसऔे बीतय क्यों ओय औैसे आ खई?
नोऔयों औॊ अजीफ लखा। इस हॊटल भें औई लॊख फ्री काऔय र्ले खए। औई उधाय काऔय वाऩस नहीं आमे।
ऩय हॊटल भायलऔ ने औबी कऔसी से फतचन नहीं धुलफामे। हॊटल भायलऔ औा मह व्यवसाम था, ऩय उसने औबी
बी ऩढ़ने वाले लड़औों औॊ ऩैसों औे यलए ऩयेिान नहीं कऔमा। फपय बी उसऔा हॊटल उसे फरृत औभाऔय देता
था। ऩय आज हॊटल भायलऔ औॊ इस नोजवान औी भजद ने भजफूय औय फदमा। हॊटल भायलऔ ने एऔ फाय वही
फात दॊहयाई तॊ नोऔय मनोज औॊ अं दय ले खमा।
मनोज ने अं दय जाऔय आधा गण्टे तऔ फतचन साफ़ कऔमे। यबवऔांत फद्ववेदी हॊटल भें फैठऔय उसऔे फाहय आने
औा इन्तजाय औयता यहा। मनोज ने वाऩस आऔय हॊटल भायलऔ से औहा -"बॊजन औे यलमे आऩऔा फरृत
फरृत धन्यवाद।”
उसकी आाँ कों भें संतुफष्ट औी र्भऔ थी । हॊटल भायलऔ अऩनी औुसी से उठा ओय औाउं टय से फाहय आ खमा।
मनोज औॊ उसने दयवाजे तऔ छॊड़ा ओय जाते सभम हाथ बभलाने औे यलए अऩना हाथ फढ़ा फदमा। मनोज ने
हॊटल भायलऔ से हाथ बभलामा। हॊटल भायलऔ औुछ फॊलना र्ाह यहा था ऩय फॊल न सऔा। यबवऔांत फद्ववेदी
उसे अऩने औभये ऩय ले खमा।
1२.
यबवऔांत ने मनोज से औहा-"मनोज तुभ तीन फदन से तुभ फाहय बटऔ यहे थे , तुम्हें एऔ फाय अऩनी ऩयेिानी
भुझे फताना तॊ र्ाफहए थी।"मनोज यबवऔांत औी फात सुनऔय बावुऔ हॊ खमा।
उसने यबवऔांत से औहा- "मे तॊ जीवन औे अनुबव है जॊ भुझे भजफूत फनाते है ।इसभें ऩयेिानी औैसी? कऔतने
ही लॊख यात औॊ कुली छत औी नीर्े सॊते हैं। कऔतने ही बूके ऩेट सॊते हैं। इन तीन फदनों भें भैं उस खयीफ ओय
दुकी वखच औे ओय अभधऔ नजदीऔ ऩरृंर्ा रॄाँ, भजसे भाक्सच ने सवचहाया औी संज्ञा दी है। हभें अऩनी कनष्ठा इसी
उन्होंने औहा-"ऩढ़ा देंखे। आज तॊ भैं फरृत थऔ खमा रॄाँ। एऔ औाभ औय दॊ , भेये तलवे ददच औय यहे है थॊड़ा दफा
दॊ।"
खुरु औी सेवा औयने भें मनोज औॊ औॊई संऔॊर् नहीं था। इस सेवा औे द्वाय से ही ज्ञान औी प्राफप्त हॊखी ऐसा िह
सॊर् यहा था। उसने खुरु औी आज्ञा औा ऩालन उनऔी उम्मीद से बी फेहतय तयीऔे से औयना र्ाहा। एऔ फाल्टी
भें खभच ऩानी डालऔय खुरु जी औे ऩैय उसभे डाल फदए ओय यखड़ यखड़ औय तलवों औी भायलि औयने लखा।
मनोज औॊ मह प्रस्ताव उऩमॊखी लखा । खुरूजी उसे फ्री भें औॊभर्िं ख देने वाले थे इसयलए उन्होंने नहाने औे फाद
अऩने औऩड़े धॊना फन्द औय फदए। मनोज फाथरूभ भें नहाने जाता तॊ ऩहले खुरूजी औे र्ड्डी फकनमान धॊऔय
डाल देता।िाभ औॊ िह इं विि औी औॊभर्िं ख जाने लखा। एऔ गण्टे औी क्लास भें ऩन्द्रह बभकनट इं विि औी
ऩढ़ाई हॊती थी। िेर् सभम भें इं विि औे नाभ ऩय लड़औे लड़कऔमों औा जभावड़ा ही अभधऔ हॊता था। खुरु जी
प्रजेंट टेन्स से क्लास िुरू औयते थे ओय तीन भहीने भें ऩास्ट टेन्स तऔ ऩरृर्ते थे । खुरु जी इं विि औा अकफाय
मा औॊई भैखजीन ले आते थे भजसे लड़औे लड़कऔमााँ ऩढ़ते थे ओय खुरु जी उसऔा अथच फताते थे। खुरूजी जानते
थे कऔ इं विि सीकना एऔ अनन्त प्रकऔमा है, इसभें जल्दीफाजी नहीं औयनी र्ाफहए। धीभी खबत से सीकने ऩय
ही मह बवदेिी बार्ा सभझ आ ऩामेखी। इसयलए खुरु जी औॊ इं विि भसकाने ओय फच्चों औॊ सीकने औी औॊई
जल्दफाजी नहीं थी । दस लॊखों औी क्लास भें र्ाय लड़कऔमााँ थी ओय छुः लड़औे थे। मनोज औॊ क्लास भें
आते आते भहीना बय हॊ खमा लेकऔन िह अफ तऔ प्रजेंट टेन्स बी ठीऔ से सीक नहीं ऩामा था। 'ही खॊज' 'ही
खॊ' 'ही इज खॊइं ख' औे प्रमॊख भें िह औॊई फन्धन नहीं भानता था।
औुछ लड़औे खुरु जी औे महां साल बय ऩढ़ते ऩय उऩलऴि औे नाभ ऩय एऔ अदद प्रेबभऔा औे अबतरयि उनऔे
हाथ भें औुछ नहीं आता था। औुछ प्रेबभऔाऒ ं औॊ प्रेभी बी बभल जाते थे। अथाचत खुरूजी औा मह संस्थान एऔ
प्रेभ औेंद्र औे रूऩ भें अभधऔ बवऔभसत हॊ खमा था। एभएलफी औॉलेज भें लड़कऔमााँ नहीं ऩढ़ती थी ओय
औेआयजी औॉलेज भें लड़औे नहीं ऩढ़ते थे इसयलए प्रेभ औे यलए लालाभमत लड़औे लड़कऔमााँ औहााँ जाते ? खुरु
जी ने अऩना औॊभर्िं ख सेंटय कॊलऔय इस फदिा भें भहान औाभ कऔमा था।
र्ूंकऔ औॊभर्िं ख भें साया इन्वेस्टभेंट खुरु जी ने ही कऔमा था इसयलए प्रेभ औयने औा ऩहला अभधऔाय खुरु जी
अऩना ही भानते थे। प्रत्येऔ वर्च खुरूजी ओसतन दॊ मा तीन प्याय औयते थे । इस फैर् भें खुरु जी औे यलए अबी
तऔ औॊई नमा प्याय तैमाय नहीं रृआ था।
भॊना औेआयजी खर्ल्च औॉलेज से फीएससी औय यही थी। ऩुयाने फैर् बफना इं विि सीके अऩना एऔ वर्च ऩूया औय
सभाप्त हॊ र्ुऔे थे। उन फैर्ों भें ऩनऩने वाले खुरु जी औे फऩछले प्रेभ बी िादी औय अऩनी ससुयाल जा र्ुऔे थे ,
इसयलए खुरु जी औी भॊना से प्रेभ औयने औी जरूयत भहसूस हॊ यही थी। ऩय भॊना खुरु जी ऩय ध्यान नहीं देती
थी।लेकऔन खुरु जी ऩुयाने रकलाड़ी थे जन्मफदन प्रेभ औॊ प्रायम्भ औयने औा फफढ़मा भोक़ा हॊ सऔता है ऐसा खुरु
खुरु जी ने एऔ लड़औे औॊ एसएस और्ोड़ी वाले औे महां से सफऔे यलए जलेफी ओय और्ोड़ी लाने औे यलए बेज
फदमा।
इन फदनों भें भॊना ने मनोज औॊ देकना िुरू औय फदमा था, उसक सीधाऩन भॊना औॊ बाने लखा था । भॊना
औॉऩी,ऩेन, भैखजीन औी अदला फदली औे नाभ ऩय उससे फात औयने औे फहाने ढू ंढने लखी थी ।
भॊना औॊ लखा कऔ मनोज औे हैप्पी फथच डे औहने से उसऔा फथच डे सर्भुर् हैप्पी हॊ खमा है । खुरूजी औे
इन्वेस्टभेंट औा प्रॉफपट मनोज औे अऔाउं ट भें जा यहा था। खुरूजी बफजकनस भें इस तयह औे लॉस ऩहले बी देक
र्ुऔे थे।
मनोज ओय भॊना औे यास्ते अलख फदिा भें थे लेकऔन एऔ फदन क्लास औे फाद दॊनों ने साथ र्लने औी फहम्मत
औी।मनोज भॊना से फात औयने औे यलए फातर्ीत औा औॊई भसया ढू ंढ यहा था।
उसने भॊना से साधायण सा प्रश्न ऩूछा - "तुभ फीएससी औे फाद क्या औयॊखी? ऩीएससी औी तैमायी औयॊखी
क्या ?"
"नहीं,भैं तॊ िादी औरूंखी।" –भॊना ने भनॊज औी उम्मीद से उलट जवाफ फदमा। औुछ देय दॊनों र्ुऩर्ाऩ र्लते
यहे। भॊना औा गय भजस फदिा भें था वह भॊड़ आ खमा था।
भॊना अऩने गय जाने औे यलए दानाऒली औी खली भें जाने लखी, मनोज वहीं कड़ा भॊना औॊ देकता यहा। जफ
भॊना उसकी आाँ कों से ऒझल हॊ खई तॊ िह वाऩस र्ला खमा।
एऔ फदन एऔ लड़औे ने औॊभर्िं ख भें सय से औहा कऔ औल मनोज औा फथचडे है, औल मनोज ऩाटी देखा। क्लास
औा मह कनमभ फन खमा था कऔ भजसऔा फथच डे हॊता वह सभॊसा जलेफी औी ऩाटी क्लास भें देता। लेकऔन
मनोज औे ऩास ऩैसे नहीं थे।
मनोज ने अऩना सर् औह फदमा । उसे सर् औहने भें औॊई संऔॊर् औॊई िभच भहसूस नहीं रृई। अखले फदन ऩाटी
औे अबाव भें कऔसी ने उसे हैप्पी फथचडे नहीं फॊला। लेकऔन भॊना सभॊसे ओय जलेफी ले आई थी।भॊना द्वाया औी
खई मनोज औी मह बविेर् भर्िं ता खुरु जी औॊ अकय खई। खुरु जी ईष्याच भें जलने लखे। उन्हें मनोज ऩय िॊध
आने लखा ।
क्लास औे फाद भॊना ने मनोज औॊ एऔ ग्रीकटिं ख औाडच फदमा।ग्रीकटिं ख भें लाल यंख औा फदल फना रृआ था। ग्रीकटिं ख
भें भॊना औी सुंदय याइकटिं ख भें यलका था - "हैप्पी फथच डे भन।“
भॊना ने मनोज औा ऩूया नाभ ग्रीकटिं ख औाडच ऩय न यलकऔय एऔ अलख नाभ यलक फदमा था भजस नाभ से इस ऩूयी
दुकनमा भें उसे औॊई नहीं ऩुऔायता था। भॊना ही खुनखुनाती यहती थी मह नाभ अऩने भन भें।
यात औॊ बतवायी सय औभये ऩय आमे।मनोज औुसी टेफल ऩय फैठा ऩढ़ यहा था। भॊना औा ग्रीकटिं ख औाडच वहीं
टेफल ऩय यका रृआ था। औई भहीने से िह वति री सर की सेवा औय यहा था। लेकऔन आज बतवायी सय औी
ईष्याच र्यभ ऩय थी । उन्होंने िॊध भें जलते रृए मनोज से उलट सीध कहन शुरू कर कदय जब इससे भी
उनक मन नहीं भर तो उन्होंने मनोज के द्व र लामे खए हीटय ओय भटऔे भें लात भाय दी। हीटय ओय
भटऔा टू ट खमा। बतवायी ने खुस्से भें भॊना द्वाया मनोज औॊ फदमा ग्रीकटिं ख औाडच बी पाड़ औय पैंऔ फदमा ओय
उसे औभया ख़ाली औयने औा अल्टीभेटभ दे फदमा।
मनोज औी आाँ कों से आं सू फहने लखे।वह दुकी भन से अऩना साभान सभेटने लखा। अऩना साभान उठाऔय जैसे
ही वह फाहय कनऔला बतवायी ने जॊय से दयवाजा फन्द औय फदमा।
13.
मनोज औुछ फदनों औे यलए अऩने खााँव र्ला खमा। फऩता जफ से खए थे तफ से एऔ फाय बी खााँव नहीं
आमे थे। ऩय फऩता ने इस फाय औुछ ऩैसे गय बेज फदए थे भजससे अफ गय औी आभथि औ ऩयेिानी औुछ औभ हॊ खई
थी। दीऩऔ अबी बी टेम्पॊ र्ला यहा था। भााँ ने उसे वाऩस ग्वायलमय जाते सभम आखे औे कर्े औे यलए एऔ
हजाय रूऩमे दे फदए। फीए पस्टच इमय औी ऩयीक्षा नजदीऔ थीं ।
टॊऩे वाले भॊहल्रे भें िह सफसे गुलबभल खमा था। वह ऩड़ॊभसमों औी तायीफ़ ऩाने औी औॊभिि औयता
यहता। इसयलए वह हभेिा ऩढ़ाई औयता था। महां तऔ कऔ यात औॊ बी छत ऩय लैम्प जलाऔय ऩढ़ता। औई
औई फाय तॊ सुफह र्ाय ऩांर् फजे तऔ िह छत ऩय ऩढ़ता यहता। टॊऩे वाले भॊहल्रे भें औॊई लड़औा इस तयह
ऩढ़ाई औयने वाला नहीं था इसयलए सबी ऩड़ॊसी उसकी फरृत प्रिंसा औयते। ऩड़ॊसी भफहलाएं अऩने गुभक्कड़
ओय आवाया फच्चों औॊ उससे सीक लेने यलए औहतीं। उसऔे ऩास ग्वायलमय औे सभाज भें सम्मान ओय प्रिंसा
प्राप्त औयने औे यलए ऩढ़ाई औे अलावा औॊई दूसया तयीऔा नहीं था। पस्टच इमय औी ऩयीक्षा हॊ खई ।इं विि
यलटयेर्य भें ऩाभसिं ख भाक्सच आने औे औायण उसक टॊटल औेवल ऩर्ऩन प्रबतित ही यहा ।
छु फट्टमााँ खााँव भें बफताने औे फाद सेऔेि इमय औी ऩढ़ाई औे यलए िह वाऩस ग्वायलमय आ खमा । फदसम्बय भें
एऔ फदन जखभॊहन ने उससे औहा-"मनोज क्या तुभ बववेऔानन्द औेंद्र औे तीन फदन औे मुवा प्रेयणा भिबवय भें
र्लॊखे?"
उसने जखभॊहन से बववेऔानन्द औेंद्र औे फाये भें ओय अभधऔ जानऔायी जानऔायी र्ाही।
जखभॊहन ने फतामा- "मह एऔ सभाजसेवी संखठन है जॊ मुवा लॊखों औॊ देि बभि ओय सभाज सेवा औे यलए
प्रेरयत औयता है। तुम्हायी रूभर् औा औाभ है तुम्हें जरूय र्लना र्ाफहए।"
मनोज औे यलए मह एऔ फरृत अच्छा प्रस्ताव था। मह औेंद्र एऔ आश्रभ जैसा था जॊ ग्वायलमय औी एऔ
ऩहाड़ी ऩय ऴस्थत था।लखबख साठ मुवा लड़औे ओय लड़कऔमााँ भिबवय भें तीन फदन रुऔने वाले थे। िह भी सो
रूऩमे पीस देऔय जखभॊहन औे साथ भिबवय भें ऩरृाँर् खमा ।
भिबवय औे ऩहले फदन सुफह ऩांर् फजे से भिबवय औी खबतबवभधमां िुरू हॊ खईं।” सवे बवन्तु सुरकनुः" श्रॊऔऩाठ
से फदन औी िुरुवात हॊती थी। फपय व्यामाभ , नाश्ता। उसऔे फाद एऔ देि औे भहाऩुरुर्ों औे जीवन ऩय प्रेयणा
दामऔ बार्ण देने ग्वायलमय औे बवद्वानौ विा आते थे। िाभ औे र्र्ाच सत्र भें मुवाऒ ं औे ग्रुऩ फन जाते थे
भजसभे 'आतंऔवाद' 'मुवाऒ ं औी सही फदिा' नायी सिभिऔयण'जैसे बवर्मों ऩय ग्रुऩ कडस्किन हॊते थे। मनोज
फढ़ र्ढ़औय सबी खबतबवभधमों भें फहस्सा लेता।
मनोज बववेऔानंद औेंद्र औे औाभ, उसऔी बवर्ायधाया एवं वहां औे औामचऔताचऒ ं से सम्मॊफहत सा हॊ खमा था।
जखदीि तॊभय जी ने एऔ प्रॊजेक्ट सफऔे साभने यका भजसभें अखले यबववाय गय गय जाऔय सफदि मों औे औऩड़े
इऔट्ठा औयने थे ओय उन्हें खयीफ जरूयतभंदों औॊ देना था।उसने अबी तऔ देिबभि औे औेवल बार्ण सुने थे, ऩय
महां वह देिबभि औामच रूऩ भें फदल यही थी।
भिबवय सभाप्त हॊ खमा। मनोज औॊ सवचश्रेठ प्रबतबाखी औा प्रभाणऩत्र बभला। भजस औायण उसे अऩने बवर्ाय
भिबवय भें व्यि औयने औा भोक़ा बभला।उसने अऩने बार्ण भें मह संऔल्प यलमा कऔ वह हभेिा ईभानदाय
यहऔय देि औी सेवा औयेखा। वहां उऩऴस्थत सबी लॊखों नें ताली फजाऔय उसके बावनात्मऔ संऔल्प औी प्रिंसा
औी। इन प्रिंसात्मऔ तायलमों से िह आत्मबवश्ऱास से बय खमा ।
अखले यबववाय उसने औऩड़े एऔफत्रत औय फांटने औा औाभ कऔमा। वाऩस आऔय उसने अऩनी डामयी भें यलका-
"भैंने कूफ औऩड़े इऔट्ठे कऔमे। कऔसी ने सम्मान कऔमा, कऔसी ने अऩभान। ऩय खयीफी औॊ देकऔय भन फरृत
आहत रृआ। लॊख कऔस तयह से टू ट ऩड़ते थे औऩड़ों ऩय। हे बखवान क्या हॊखा इनऔा? तॊभय जी ने ठीऔ ही
औहा कऔ गय गय जाऔय सभाज औे यलए औुछ भांखने से हभाया इखॊ कत्म हॊता है ओय हभ मह सीक जाते हैं कऔ
सभाज ही सफ औुछ है हभ औुछ बी नहीं । ”
14.
उसने फीए सेऔेि इमय औी ऩयीक्षा दे दी। सेऔेि इमय भें बी वह सेऔेि कडवीजन से ऩास हॊ खमा । इं विि
यलटयेर्य भें उसऔे फपय से ऩास हॊने मॊग्य अं औ ही आ ऩाए थे ।
मनोज छु फट्टमों भें खााँव र्ला खमा। वाऩस आऔय पाइनल इमय औी तैमायी औयने लखा।भसतम्बय भें एऔ फाय
फपय िह बववेऔानन्द औेंद्र औे भिबवय भें हॊ आमा। इस फाय ऩन्द्रह फदन औा भिबवय था। िह भिबवय से ऩूयी तयह
र्ाजच हॊऔय वाऩस आमा। वाऩस आऔय उसने बववेऔानन्द औा साफहत्य ऩढ़ना िुरू कऔमा।
उसने अऩनी डामयी भें यलका-"बववेऔानन्द औॊ ऩढ़ने औा प्रमास कऔमा जया सा। छुः सात कऔताफें ऩढ़ी है फस।
अफ इसऔे आखे भुझभें दभ नहीं। बफलऔुल साहस नहीं कऔ आखे ऩढ़ सऔूं । भन भें आख लखी है। तन जल यहा
है। उठते फैठते हय सभम बववेऔानन्द औेंद्र औा औामचऔताच फनने औी अदम्य इच्छा उबय यही है ।मह इच्छा औुछ
इस औदय फलवती हॊ यही है कऔ भुझे वह फदन दूय नहीं लखता जफ भैं स्वमं औॊ याष्ट्र औॊ सभफऩि त औय दूं ।”
मनोज औे ऩैसे कत्म हॊ खए । िह खााँव र्ला खमा। भााँ ओय छॊटी फहन रजनी खााँव भें नहीं थीं। औई भहीनों से
फऩता औे खााँव न आने से ऩयेिान भााँ रजनी औॊ लेऔय ऩाऩा औी कफय लेने कडिं डॊयी र्ली खई थी।
मनोज ने औहा - "भेया लक्ष्य देि औी सेवा औयना है। इस देि औे जरूयत भंद लॊखों औे प्रबत भैं कुद औॊ सभफऩि त
औय देना र्ाहता रॄाँ । "
याऔेि ने फपय ऩूछा- "तॊ तू गय छॊड़ देखॊ? भम्मी,ऩाऩा,दीऩऔ,छॊटी फहन रजनी सफे छॊड़औे खयीफ औी सेवा
औयेखॊ? "
याऔेि औे यलए अफ मनोज औॊ सभझाना औठठन हॊ यहा था। फपय बी उसने औॊभिि जायी यकी- "तेये फाऩ औॊ
तॊ तू जानता है । अखय तू बी गय से बभज खमॊ तॊ रजनी औॊ ब्याह औोन औयेखॊ? गय औोन सम्हालेखॊ?"
"भेये यलए देि औी हय लड़औी भेयी फहन है। हय भफहला भेयी भााँ है।"- मनोज ऩूये जॊि भें था। उस ऩय याष्ट्र सेवा
औा बूत सवाय था। याऔेि बूत उतायने औे यलए झाड़ पूंऔ भें व्यस्त था।
याऔेि -" क्या एसडीएभ, थानेदाय, जनता औी सेवा नहीं औयते? एसडीएभ यागवेंद्र भसिं ह ने औैसे दॊ बभन्ट भें
थानेदाय औे झूठे औेस से भुऔेि औॊ फयी औय फदमा था? वॊ सभाज सेवा ना हती? आज भजसऔे ऩास ताऔत है
वही जनता औॊ न्याम फदला सऔता है। मफद थानेदाय ईभानदाय हॊता तॊ तेया टेम्पॊ ऩऔड़ता ? ना ऩऔड़ता ।
ऩुयलस, और्हयी, थाने भें अच्छे ओय ईभानदाय लॊखों औी जरूयत है ओय तू ऩीएससी छॊड़फॊ र्ाह यहॊ है। ऩढ़फे
औी दभ ना फर्ी औा? फहाने ना फना।"
याऔेि औा मथाथच औड़वा हॊता जा यहा था। मनोज औी मॊग्यता औॊ ललऔाय यहा था याऔेि। उसे उम्मीद नहीं
थी कऔ सीधा सयल याऔेि उसऔे ऩीएससी छॊड़ने औे पैसले से इतना उग्र हॊ सऔता है ।
याऔेि ने देका कऔ दुश्मन गामल हॊ खमा है तबी उसने दूसया वाय कऔमा - "मनोज तुझे क्या लाखता है, गय
छॊड़ छाड़ औे संत भहात्मा फनऔे ही देि औी सेवा हॊत है? भास्टय, दुऔानदाय,ऩुयलस औॊ भसऩाही, कऔसान
,भजदूय , जे देि औी सेवा नहीं औय यहे? जॊ आदभी अऩनों औाभ ठीऔ ढंख ते औय यहॊ वॊ देि औी सेवा औय यहॊ,
मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ याऔेि उसे ध्वस्त औयने औी तैमायी औयऔे फैठा है । ऩय उसके फदभाख भें याऔेि ने
हलर्ल भर्ा दी।उसने अऩने भन औी दिा औॊ सभझते रृए ओय अऩने डखभखाते रृए संऔल्प औॊ बवयाभ देते
रृए याऔेि से औहा- "याऔेि भेया उद्देश्य कऔसी बी तयह देि औी सेवा औयना है। तू सही औह यहा है, ऩीएससी
औी तैमायी से बाखना औामयता हॊखी। लॊख मही औहेंखे कऔ भुझभें ऩयीक्षा ऩास औयने औी दभ नहीं थी इसयलए
तैमायी छॊड़ दी।भुझे ऩहले अऩनी मॊग्यता एवं क्षभता औॊ जांर्ना है । इसयलए भैं ऩीएससी भें भसलेक्ट हॊऔय
ही देि औी सेवा औरूंखा ।”
मनोज ने फपय से अऩनी छू टी रृई याह थाभने औा कनणचम ले यलमा।उसऔा द्वंद्व सभाप्त हॊ खमा। ऩीएससी भें
सपल हॊना ही एऔ भात्र लक्ष्य था अफ उसऔा ।
भाता फऩता औे फदिं डॊयी से न आने औे औायण मनोज भाता फऩता से बभलने कडिं डॊयी र्ला खमा ।कडिं डॊयी भें एऔ
सयऔायी वाटचय भें भाता फऩता ओय रजनी यह यहे थे। ऩता र्ला कऔ फऩता सस्पेंड हॊ र्ुऔे हैं। फऩता औॊ आधा
वेतन ही बभलता है भजससे फड़ी भुळिल से खुजाया हॊ ऩा यहा हैं।
ऩूछने ऩय फऩता ने औहा-"भैं कडप्टी डामयेक्टय औॊ फफाचद औय दूंखा। भैं हाय नहीं भानूंखा। भैं ईभानदाय रॄाँ। वे सफ
फेईभान हैं। भैं सफऔॊ ठठऔाने लखा दूंखा। भैंने प्रधानभंत्री औॊ ऩत्र यलका है। भैंने याष्ट्रऩबत औॊ बी ऩत्र यलका है।
भुझे हाईऔॊटच से ही न्याम औी उम्मीद है। ”
भााँ ने फऩता औे इन उद्गायों औा बवयॊध कऔमा -"इनसे नोऔयी ना हॊ ऩावते। दुकनमा नोऔयी औय यही है औे जे
अनोके नोऔयी औय यहे हैं। फस लड़फॊ जानते। उल्टॊ सीधॊ फॊल आवतें अभधऔायी से। बयी भीकटिं ख भें अऩनी
र्प्पल कनऔाल औे भाय दई कडप्टी डामयेक्टय कों। औय दमे सस्पेंड।”
फऩता औॊ भााँ औे द्वाया कऔमा खमा मह यहस्यॊद्घाटन ऩसन्द नहीं आमा। फऩता ने भााँ औॊ डााँटते रृए औहा-" तू
औछु ना जानती। खयीफ कऔसान औॊ ऩैसा फेईभानी से का यहे हैं सफ, वे जूता से ही भानते।”
भााँ आज रुऔने वाली नहीं थी- "उनऔॊ औछु ना बफखड़ॊ। फफाचद तॊ हभ हॊ यमे हैं। भॊड़ा औे ऩास पीस बयवे औों
ऩैसा ना है। जा भॊड़ी औॊ ब्याह औयॊखे औे नहीं?" भााँ औी फातों औा फऩता ऩय औॊई असय नहीं रृआ ।इस र्र्ाच औा
औॊई कनष्कर्च नहीं कनऔला ।
15.
मनोज फीए पाइनल औे यलए वाऩस ग्वायलमय आ खमा। िह सभझ नहीं ऩा यहा था कऔ ऩीएससी औी
ऩयीक्षा औे यलए क्या ऩढ़ें? औैसे ऩढ़े? ऩीएससी औी फप्रयलम्स ऩयीक्षा औैसे कनऔाली जाती है मह यणनीबत ही
अबी उसने नहीं सीकी थी।भुख्य ऩयीक्षा ओय साक्षात्काय तॊ फपय फरृत दूय औी फात थी। उसऔे आसऩास औॊई
बी ऐसा सीकनमय नहीं था भजसने ऩीएससी औी ऩयीक्षा ऩास औी हॊ ।उसे अबी तऔ ऩूये ग्वायलमय भें ऐसा औॊई
ग्रुऩ नहीं बभला था जॊ ऩीएससी औी खम्भीय तैमायी औय यहा हॊ । इस औायण वह ऩीएससी औे यलए अबी तऔ
फदिाहीन ऩढ़ाई ही औय यहा था।
एऔ फदन औॉलेज भें जगमोहन ने मनोज से औहा कऔ उसऔे एऔ ऩरयभर्त सीकनमय हैं भजनऔा इस साल औी
ऩीएससी औा प्रीयलम्स एक्जाभ क्लक्लमय हॊ खमा है ओय वह भुख्य ऩरयक्षा औी तैमायी औय यहे हैं ,मनोज उन
सीकनमय से बभलने औा भोक़ा खंवाना नहीं र्ाहता था ।
दीनदमाल नखय भें कऔयाए औे एऔ औभये भें वह बाईसाहफ यहते थे,मनोज ओय जखभॊहन उनऔे औभये ऩय
ऩरृाँर् खमे ।दॊऩहय औे दॊ फज र्ुऔे थे। दयवाजा अं दय से फन्द था। जगमोहन ने दयवाजा कटकटाने औे यलए
हाथ फढ़ामा। अर्ानऔ जगमोहन औी नजय दयवाजे ऩय भर्ऩऔी एऔ शिऩ ऩय ऩड़ी। भजस ऩय बाईसाहफ औा
टाइभ टेफल यलका था ' सुफह आठ से एऔ ऩढ़ाई,एऔ से दॊ बॊजन ,दॊ फजे से तीन आयाभ ( औॊई दयवाजा न
कटकटामे'),तीन से सात ऩढ़ाई, सात से आठ बॊजन,आठ से नो टहलना,नो से फायह ऩढ़ाई। जगमोहन ने जॊय
से शिऩ औी इफायत ऩढ़ी। टाइभ टेफल औे अनुसाय मह सभम बाईसाहफ औे आयाभ औयने सभम था इसयलए
दॊनों ने तीन फजे तऔ खेट औे ऩास फैठऔय ओय फाहय टहलऔय अऩना वि खुजाया। ठीऔ तीन फजे बाईसाहफ
औा दयवाजा कुला।
दयवाजे ऩय ऩरयभर्त जगमोहन औॊ देकऔय बाईसाहफ ने भुस्कुयाऔय दॊनों औॊ अं दय औभये भें फुला यलमा।अं दय
फैठने औे यलए जखह नहीं थी। ऩूये ऩलंख ऩय कऔताफें पैली रृई थी। औुछ कुली रृई थी,औुछ फन्द थी। ऩूये औभये
भें बायत,बवश्ऱ ओय भध्यप्रदेि औे नक्शे लखे रृए थे। औभये भें औुछ नॊट्स बी भर्ऩऔे रृए थे। भजसभे संबवधान औे
बाईसाहफ ने अऩना सय गुटवा यलमा था। जगमोहन औॊ गुटा रृआ सय देकऔय बाईसाहफ औे ऩरयवाय भें कऔसी
औे भयने औी आिंऔा रृई उसने बाईसाहफ से ऩूछा-"बाई साहफ क्या गय भें खभी हॊ खई है? "
बाईसाहफ औॊ िामद इस तयह औे प्रश्न दूसयों ने ऩहले बी ऩूछे थे ,वह इस प्रश्न औे अभ्यस्त थे। उन्होंने अऩने सय
ऩय हाथ पेयते रृए जवाफ फदमा- “नहीं फालों से ऩढ़ाई भें कडस्टफच हॊता था। इसयलए औटा फदए।”
मनोज औॊ सभझ नहीं आमा कऔ फाल औैसे ऩढ़ाई औॊ कडस्टफच औय सऔते हैं । बाईसाहफ दॊनों औे र्ेहयों ऩय
भर्ऩऔे प्रश्नभर्ह्न ऩहर्ान खए-"अये फालों औे औायण यॊज नहाना ऩड़ता था। अफ कऔस औे ऩास यॊज नहाने औा
टाइभ है। नहाने औे फाद बी फाल सुकाऒ तेल, औंगा, हजाय झंझट है अफ ऩढ़ाई औयें मा मे सफ औयें? इसयलए
फाल ही औटा फदए।"
बाईसाहफ औी तऩस्या देकऔय मनोज आश्चमचर्कऔत यह खमा। इतनी कतयनाऔ ऩढ़ाई उसने ऩहले औबी कऔसी
औी नहीं देकी थी। अऩनी अफ तऔ औी ऩढ़ाई बाईसाहफ औी फ़ैली रृई कऔताफों औे साभने मनोज औॊ फोनी
लख यही थी।
मनोज ने ऩूछा -"बाई साहफ प्रीयलम्स भें आऩऔा क्या बवर्म हैं?"
मनोज औा बी एऔ बवर्म इबतहास था।उसे लखा कऔ बाईसाहफ से ऩीएससी औी तैमायी औा अच्छा खाइडेंस
बभल जाएखा ।उसने बाईसाहफ से फप्रयलम्स ऩयीक्षा औे यलए इबतहास औी कऔताफों औे नाभ ऩूछे । बाईसाहफ ने
बायतीम इबतहास औी दस कऔताफों ओय तीन र्ाय खाइड औे नाभ यलका फदए। प्रीयलम्स ऩयीक्षा औे दूसये जरूयी
बवर्म साभान्य अध्यमन औे यलए कऔताफों औे नाभ यलका फदमे ।
मनोज ने बाईसाहफ से ऩीएससी औी ऩढ़ाई औयने औी यणनीबत औे फाये भें ऩूछा तॊ बाईसाहफ ने फतामा–“मफद
भसलेक्ट हॊना है तॊ यॊज अठायह अठायह गण्टे ऩढ़ाई औयनी ऩड़ेखी ।सॊना, काना ऩीना, सफ बूलना
ऩड़ेखा।दॊस्ती मायी,गूभना फपयना,फफ़ल्में, तभािे,िादी बववाह, रयश्तेदायी सफ से दूय यहना ऩड़ेखा।”
बाईसाहफ ने ऩीएससी औे यलए तऩस्या औयने औा बमावह भर्त्र कींर् फदमा।मनोज इस भर्त्रण से गफया खमा
उसने बाईसाहफ से ऩूछा –“कऔतने साल औी तैमायी औे फाद कडप्टी औलेक्टय फन सऔते हैं?”
जीवन औे साये सुक त्याखऔय लखाताय ऩांर् साल यॊज अठायह गंटे ऩढने औे फावजूद बाई साहफ कडप्टी
औलेक्टय फनने औा सऩना नहीं देक ऩा यहे थे।बाईसाहफ ने कडप्टी औलेक्टय फनने औी भजम्मेदायी बाग्य औॊ सौंऩ
दी थी। मनोज औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ क्या ऩीएससी सर् भें इतनी औठठन है भजतनी बाईसाहफ फता
यहे हैं।मनोज तॊ सॊर् यहा था कऔ एऔ दॊ साल भें भेहनत औयऔे वह ऩीएससी कनऔाल लेखा ऩय बाईसाहफ ने
तॊ अलख ही सभम सीभा तम औय दी।
मनोज औे साथ आमे जगमोहन औे भन भें बी िामद मही फात र्ल यही थी उसने बाईसाहफ से औहा–
“बाईसाहफ भुझे लखता है कऔ भैं ज्यादा से ज्यादा दॊ मा तीन साल भें भेहनत औयऔे ऩीएससी औी ऩयीक्षा ऩास
औय लूंखा।“
“िुरू भें भुझे बी मही लखता था जग्गू ,ऩय ऐसा हॊता नहीं है। ” -बाई साहफ ने औहा ।
तीन फजऔय तीस बभकनट ऩय ठीऔ आधा गण्टे औे फाद बाईसाहफ ने अऩनी इबतहास औी कऔताफ उठा ली ओय
ऩढ़ने लखे। दॊनों लड़औे एऔ दूसये औा भुंह ताऔने लखे। बाईसाहफ ने फॊलना फन्द औय फदमा जैसे रयऔाडच औी
रृई औैसेट भें बयी रृई रयऔाकडिं ख कत्म हॊ खई हॊ। जगमोहन ने दयवाजे ऩय लखे टाइभ टेवल औॊ देका तॊ उसभे
साढ़े तीन फजे इबतहास ऩढ़ने औा वि था। गड़ी औी सुई साढ़े तीन फजा यही थी। बाईसाहफ ने इबतहास औी
कऔताफ कॊल ली थी। मनोज सभम औी इस ऩाफन्दी से हतप्रब यह खमा। दॊनों लड़औे कड़े रृए ओय बाईसाहफ
औॊ नभस्ते औयऔे औभये औे फाहय कनऔल आमे। बाईसाहफ ने अऩनी कऔताफ भें नजय खड़ामे दॊनों औॊ फस अऩनी
खदचन फहलाऔय बवदा औय फदमा।
16.
हभेिा औी तयह ऩाभसिं ख भाक्सच आमे। उसने अऩनी डामयी भें यलका-"अफ भुझे ऩीएससी औे भैदान भें औूदना है।
ऩता नहीं औफ ओय औैसे भैं सपल हॊउाँ खा? ऩय जानता रॄाँ आखे औे दॊ साल भुझे औड़ी भेहनत औयना हैं।"
तैमायी ऩूयी न हॊने औे फावजूद उसने फीए ऩास हॊते ही अनुबव लेने औे यलए ऩीएससी औा फ़ाभच बय फदमा
था।फप्रयलम्स ऩयीक्षा औा औेंद्र नईसड़औ ऩय भाधव औॉलेज भें था।इबतहास औा ऩहला ऩेऩय हॊने औे फाद
साभान्य अध्यमन औे अखले ऩेऩय भें दॊ गण्टे औा खेऩ था । र्फूतये ऩय फैठा मनोज प्रबतमॊबखता दऩचण ऩढ़ यहा
था ।
तबी एऔ लड़औे ने मनोज औे ऩास आऔय उससे हाथ बभलाते रृए अऩना ऩरयर्म फदमा -"हैलॊ भैं बविभाफदत्य
ऩांडे। भेया नाभ फड़ा ओय फॊलने भें भेहनत औयाने वाला है ,इसयलए भुझे भसपच ऩांडे ही औहें तॊ आऩऔॊ सुबवधा
यहेखी।” मनोज ने बी भुस्कुयाऔय अऩना ऩरयर्म फदमा ।
फपय बफना मनोज औा औॊई जवाफ सुने कुद ही फॊलने लखा-"वैसे तॊ ऩयीक्षा हॉल औे फाहय कनऔलते ही सबी
औे सो भें से नब्बे प्रश्न सही हॊते हैं। ऩय जैसे जैसे उन प्रश्नों औॊ कऔताफों से र्ेऔ औयते हैं। सही उत्तय औभ हॊने
लखते हैं।"
ऩांडे- "फपय तॊ तुम्हायी फप्रयलम्स नहीं कनऔलेखी। फीस तुभ अबी खलत भान यहे हॊ। भजन अस्सी औॊ तुभ सही
भान यहे हॊ उनभे से ऩन्द्रह मा फीस अबी तुम्हाये ओय खलत होंखे।”
मनोज इस तयह औी मथाथचवादी ओय औटु व्याख्या सुनने औॊ तैमाय नहीं था।उसे उम्मीद नहीं थी कऔ ऩहली
फाय बभलने वाला लड़औा उससे इतनी औटु ओय कनयाि औयने वाली फात औयेखा। ऩांडे औी व्याख्या औे अनुसाय
उसकी फप्रयलम्स ऩयीक्षा क्लक्लमय नहीं हॊखी।लख तॊ उसे बी यहा था कऔ वह आज औी ऩयीक्षा क्लक्लमय नहीं औय
ऩामेखा,क्योंकऔ उसऔी तैमायी तॊ अबी िुरू ही रृई थी ।
ऩांडे ने उसे एऔ रॅश्य फदकामा भजसभे एऔ लड़औा कऔसी दूसये लड़औे औा ऩेऩय र्ेऔ औय यहा था। ऩेऩय र्ेऔ
औयते सभम वह लड़औा फेददी से साभने वाले औे उत्तयों ऩय िॉस लखा यहा था ओय औहता जा यहा था - "तुम्हें
मह बी नहीं आता, इतना सयल प्रश्न खलत औय फदमा ,मह तॊ भुझसे सॊते सभम बी ऩूछ लॊ। इसऔा ' ए' उत्तय
ऩांडे ने रॅश्य फदकाते रृए औहा मनोज से औहा - "देकॊ वॊ लड़औा भेया बभत्र है। ऩास ही दबतमा भजले औे
इं दयखढ़ खााँव औा यहने वाला है। फऩछले साल उसऔी फप्रयलम्स क्लक्लमय हॊ खई थी ऩय भुख्य ऩयीक्षा भें ऩास नहीं
हॊ ऩामा था। फप्रयलम्स भें उसऔा औॉरिडेन्स फरृत हाई है।”
खुप्ता फुन्देलकि औे थे।इसयलए ऩांडे ने उनसे फुन्देलकिी भें फात औी। खुप्ता फरृत प्रसन्न ओय आत्मबवश्ऱास से
बये रृए थे। उनऔा मह आत्मबवश्ऱास फऩछले साल फप्रयलम्स ऩास औयने औे औायण अभधऔ था -"फरृत फफढ़मा
खऒ। धांसू। जॊ सभझॊ औे पाड़ दऒ। सो भें सें सन्तानवे सही हैं। तीन डाउट भें है।"
खुप्ता औे फड़फॊलेऩन ऩय ऩांडे औॊ मऔीन नहीं रृआ। ऩांडे ने खुप्ता औे प्रश्नों औॊ जांर्ना िुरू कऔमा- "खुप्त वंि औी
स्थाऩना र्न्द्रखुप्त प्रथभ ने नहीं औी थी, श्रीखुप्त ने औी थी। मे खलत हॊ खमा,तुभ सही भान यहे थे। लॊ, एऔ ओय
खलत हॊ खमा । सल्तनत औाल भें 'लोह ओय यि औी नीबत' अलाउद्दीन रकलजी ने नहीं र्लाई थी, फलफन ने
र्लाई थी। वहीं फैठे फैठे ऩांडे ने खुप्ता औे दस प्रश्न खलत औय फदए। खुप्ता औॊ ऩांडे औे साथ अफ भजा नहीं आ
यहा था। अऩने प्रश्न खलत देकऔय खुप्ता थॊड़ा दुकी बी हॊ खमा था। ऩांडे औे इन्हीं दुखुचणों औे औायण खुप्ता उसे
ऩसन्द नहीं औयता था।
उसने ऩांडे से ऩेऩय छीना ओय फॊला-" औभया ऩे जाऔे र्ेऔ औयेंखे। तुम्हायी फात औामे भानें? जे सफ खलत नहीं
हैं। फपय बी इन्हें हभ डाउट भें डाय देत हैं।”
खुप्ता र्ला खमा।ऩांडे ने भनॊज से खुप्ता से उसऔे व्यभित्व औा भूल्यांऔन औयते हए औहा –“थॊथा र्ना फाजे
गना । “
मनोज औॊ ऩांडे औी फातों भें अफ यस आने लखा। ऩांडे मनोज से ऐसे फात औय यहा था जैसे उसऔा फरृत
ऩुयाना दॊस्त हॊ। उसने ऩांडे औॊ अऩने औभये औा एड्रेस दे फदमा ,उसे उम्मीद थी कऔ ऩांडे ऩढ़ाई भें साथ देने
वाला फफढ़मा स्टू डेंट हॊ सऔता है।ऩांडे औॊ बी मनोज एऔ खम्भीय स्टू डेंट लखा।
ऩांडे औे गय से मनोज औा औभया ज्यादा दूय नहीं था। इसयलए ऩांडे हय दूसये तीसये फदन उसके औभये ऩय जाने
लखा। इतने कदनों में प ंडे यह ज न गय थ कक मनोज एक योग्य और गम्भीर स्टूडेंट है। दोनों की
अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। प ंडे के वनयवमत उसके कमरे पर ज ने और पढ़ ई पर वडस्कशन से मनोज
की पढ़ ई भी अच्छी होने लगी।
एऔ फदन ऩांडे मनोज औे औभये ऩय आमा।फऩता औे सस्पेंिन ओय फढ़ते आभथि औ संऔट से दुकी मनोज ने
ऩािे औॊ अऩने फऩता औे संगर्च ओय उनऔे सस्पेंिन औी औहानी सुनाई। औहानी सुनाते सभम िह अऩने फऩता
औॊ एऔ हीयॊ औे तोय ऩय प्रस्तुत औय यहा था। उसे उम्मीद थी कऔ ऩांडे उसऔे फऩता औी भहानता औी प्रिंसा
औयेखा ओय ऐसे भहान फऩता औे ऩुत्र औे नाते उसऔा सम्मान बी ऩांडे औी नजय भें फढ़ जाएखा ।
ऩय ऩांडे ने ऩूयी औहानी सुनऔय उससे औहा - "आऩऔे फऩता अऩने अहंऔाय भें अऩने फच्चों औा जीवन नष्ट औय
यहे हैं। उन्हें अऩने ऩरयवाय ओय फच्चों औॊ छॊड़ सफऔी भर्िं ता है । वे दूसयों औॊ गकटमा ओय कुद औॊ श्रेष्ठ भानने
वाले व्यभि हैं। भेया बवर्ाय है कऔ आऩऔॊ उनसे भदद औी औॊई उम्मीद नहीं औयना र्ाफहए।”
उम्मीद औे बवऩयीत ऩांडे द्वाया कऔमा खमा फऩता औा र्रयत्र भर्त्रण उसे ऩसंद नहीं आमा ।लेकऔन ऩांडे औी फात
ऩय ध्यान न देऔय िह अऩने फऩता औॊ श्रेष्ठ व्यभित्व औा धनी ही भानता यहा, उसने ऩांडे से औहा –“ऩांडे तुभ
अबी नहीं जानते कऔ ईभानदायी औे यास्ते भें कऔतने संऔट आते है ।मेरे वपत खर सोन है,एकदम
ईम नद र।“
उसकी ब त सुनकर प ंडे के चेहरे पर व्यंग्य त्मक हाँसी तैर गई। पर उसने मनोज से कु छ कह नहीं ।
मनोज ने ऩास औी यतन औॉलॊनी भें एऔ एऔ गय कटकटाऔय,गण्टी फजाऔय ट्डूिन औे फाये भें ऩूछा। तीन
र्ाय भफहलाऒ ं ने तॊ भना औय फदमा कऔ उनऔे गय भें फच्चे नहीं है। एऔ भफहला ने औहा कऔ उसऔा फच्चा
क्लास टेंथ भें है उसे औेवल खयणत ओय फपभजक्स औे टीर्य औी जरूयत है ।खयणत ओय फपभजक्स उसके फस
औी फात नहीं थी। एऔ भफहला ने औहा कऔ उसऔे फच्चे सेवेंथ क्लास भें है ऩय वे इं विि भीकडमभ औे बवद्याथी
है। िह ऩूया भसलेफस इं विि भीकडमभ भें नहीं ऩढ़ा सऔता था। औई फदनों तऔ गय गय जाऔय ट्डूिन भांखने औे
फावजूद उसे एऔ बी ट्डूिन नहीं बभला।
उसने अऩनी डामयी भें यलका- "भैं अऩने आऩऔॊ कऔतना हॊभिमाय भानता था, ऩय आज सभझ आ खमा कऔ भैं
कऔतना अमॊग्य रॄाँ। भुझे औॊई हऔ नहीं है इतने फड़े सऩने देकने औा। भुझे ऩता र्ल खमा है अऩना बबवष्य।
भुझे वाऩस खााँव जाना ऩड़ेखा। "
मनोज भानभसऔ ओय िायीरयऔ थऔान भहसूस औय यहा था।उसे फुकाय आ खमा।श म हो चुकी थी, िह
अऩनी छत ऩय कनयाि फैठा सूनी आाँ कों से आसभान ताऔ यहा था। उसकी डामयी ऩास ही यकी थी । तबी ऩांडे
आ खमा। उसने एऔ पीऔी भुस्कुयाहट औे साथ ऩांडे औा स्वाखत कऔमा। मनोज ओय ऩांडे औुछ देय र्ुऩर्ाऩ
फैठे यहे। ऩांडे ने उसऔी डामयी उठाई ओय अं बतभ ऩेज ऩढ़ने लखा। कनयािा भें डू फे मनोज औा भन ऩांडे ऩढ़ यहा
था ।
डामयी ऩढ़ने औे औुछ देय फाद उसने औेवल इतना औहा कऔ- "तुम्हायी तबफमत ठीऔ नहीं है ,आज रकर्ड़ी
फनाऔय का लेना।"
ऩांडे जफ मनोज औी डामयी ऩढ़ यहा था तफ मनोज औॊ लखा कऔ ऩांडे सम्वेदनिील है ओय उसऔे औष्ट औॊ
सभझ यहा है। ऩय जफ ऩांडे उसे रकर्ड़ी फनाऔय काने औी सलाह देऔय र्ला खमा तॊ उसे ऩांडे ऩय फरृत
खुस्सा आमा।वह सभझ खमा कऔ िहय औे लड़औों भें सम्वेदनाएाँ नहीं हॊती, इन्हें कऔसी औे दुुःक से औॊई भतलफ
नहीं हॊता। उसके दूसये दॊस्त बी फीए औे फाद से उसऔे सम्पऔच भें नहीं थे।िह ग्वायलमय भें अफ एऔदभ
अऔेला ऩड़ खमा था।
सुफह मनोज औा फुकाय फढ़ खमा। उसके ऩास डॉक्टय औॊ फदकाने औे यलए ऩैसे नहीं फर्े थे। ऩूया फदन िह
फुकाय भें तऩता रृआ। ऩड़ॊस औी आं टी उसके यलए रकर्ड़ी फना लाईं।अखले फदन दॊऩहय तऔ बी जफ फुकाय
नहीं उतया तॊ िह ऩास औे डॉक्टय जैन औे क्लीकनऔ ऩय र्ला खमा।
डॉक्टय औे साभने फैठऔय उसने सफसे ऩहले औहा -"सय भेये ऩास आऩऔी पीस देने औॊ ऩैसा नहीं है।”
उसे लखा कऔ उसऔी सच्चाई ओय दुुःक से डॉक्टय उसे बफना पीस औे देक लेखा ओय दवा दे देखा। ऩय डॉक्टय
साबवत्री बॊजनालम औे मुवा भायलऔ जैसा बावुऔ ओय सयल नहीं था।मनोज औे ऩास पीस न हॊने औे औायण
डॉक्टय ने उसे अऩने क्लीकनऔ से बखा फदमा। मनोज डॉक्टय औे व्यवहाय से अं दय तऔ फहल हॊ खमा। वह
17.
तीन र्ाय साल टेम्पॊ र्लाने औे फाद दीऩऔ ने टेम्पॊ र्लाना फंद औय फदमा । सेऔेि हैंड टेम्पॊ फेर् फदमा खमा
भजससे उधायी औे ऩैसे ऩटा फदए खए। गय औी तयप से फऩता फेफपि हॊ खमे थे। उन्होंने घर पर ध्य न देन
पूरी तरह बंद कर कदय ।
खााँव भें औुछ फदन यहने औे फाद मनोज औी तबफमत ठीऔ हॊ खई। भााँ ने उससे एऔ फदन औहा- "फेटा तू अफ
खफायलमय र्लॊ जा। ऩढ़ाई ऩे ध्यान देफे। जे ऩांर् सो रूऩमा भॊ ऩे धये हैं तू यक ले।"
भााँ औी जीवटता ओय फेफसी ऩय उसकी आाँ कों भें आं सू आ खए। उसने ग्वायलमय जाने से ऩहले याऔेि औॊ अऩने
गय औी भजफूयी फताई। याऔेि मह जानता था कऔ मनोज इस सभम फरृत औठठन सभम से खुजय यहा है।
याऔेि ने उसक उत्साह फढ़ाते रृए औहा - "मनोज औुछ बी हॊ जाए तू अऩनी ऩढ़ाई ना छॊकड़मॊ। हभेिा ऐसे
ही फदन ना यहेंखे। मे औठठनाई ही तुझे आखे फढ़ावेखी।"
मनोज औे भन भें याऔेि औे प्रबत अर्ानऔ प्याय पूट ऩड़ा।उसने भहसूस कऔमा कऔ याऔेि भें ओय िहय औे
दॊस्तों भें कऔतना अं तय है ,याऔेि उसऔी सभस्याऒ ं से कऔतना भर्िं बतत हॊ जाता है जफकऔ ऩांडे उसऔी
सभस्याऒ ं से उदासीन ही यहता है ।इतना सॊर्औय उसने याऔेि औॊ खले लखा यलमा।
इस फाय मनोज मह तम औयऔे ग्वायलमय आमा कऔ र्ाहे औुछ हॊ जाए वह औॊई जरूय नोऔयी ढू ंढेखा ओय
बमानऔ ऩढ़ाई औयेखा। इतनी ऩढ़ाई औयेखा भजससे कऔ अखले एऔ साल औी तैमायी औे फाद ऩीएससी भें
पाइनल भसलेक्शन हॊ जाए।
मनोज औॊ ग्वायलमय आमे रृए दॊ फदन हॊ खए ।इस फाय उसने औुछ प्राइवेट स्कूलों भें नोऔयी ढू ंढी ऩय औहीं बी
उसे नोऔयी नहीं बभली । बफना ऩैसे औे िह आखे ग्वायलमय भें ऩीएससी औी तैमायी औैसे औयेखा?उसे सभझ नहीं
आ यहा था ।
मनोज ऩांडे औा र्ेहया देकता यहा।फपय दॊनों अलख अलख फदिाऒ ं भें र्ले खए।
18.
मनोज औे ऩास साभान औे नाभ ऩय एऔ सूटऔेस, फाल्टी, औुछ कऔताफें ओय एऔ खद्दा था। िह एऔ तांखे
भें अऩना साभान यकऔय दोलत खंज ऴस्थत साफहत्य सबा औी लाइरांेयी ऩरृाँर् खमा। साभने सो साल ऩुयानी
बफऴडिं ख थी। भजसऔे बूतल ऩय कटम्बय औी दुऔाने थीं ओय प्रथभ तल ऩय ऩय ‘साफहत्य सबा’ औा फॊडच लखा था।
खॊल र्क्कयदाय सीफढ़मों से अऩना साभान यलए वह सबा औी लाइरांेयी भें ऩरृाँर् खमा। इस फड़े हॉल भें र्ायों
तयप कऔताफों से बयी अलभारयमां,फीर् भें ऩाठऔों औे ऩढ़ने औे यलए टेफल ओय फैंर् ,औाव्य सम्मेलन ओय दूसये
साफहळत्यऔ औामचिभ औे यलए दॊ तख्त औा छॊटा सा भंर् , भंर् औे ऩास भें लेक्चय डेस्क ओय भाइऔ यका था।
लाइरांेयी औी दीवायों ऩय देि औे तभाभ फड़े साफहत्यऔायों ओय भहाऩुरुर्ों औी तस्वीयें लखी रृई थीं।
मनोज ने यात औॊ सॊने औे यलए भंर् औॊ ही अऩना बफस्तय फना यलमा। सुफह िाभ दॊ गंटे लाइरांेयी भें लॊख
कऔताफें ऩढ़ने आते थे। फाऔी सभम िह लाइरांेयी भें अऔेला ही यहता। इस अऔलेऩन औॊ दूय औयने औा औाभ
उसके वलए लाइरांेयी औी कऔताफें औयती थीं।उसने लाइरांेयी औी कऔताफें ऩढ़ना िुरू औय दीं। वह इबतहास,
साफहत्य, जीवकनमां , प्रबतमॊबखता दऩचण जैसी ऩफत्रऔाएं ऩढ़ने लखा। उसने अरांाहभ यलिं औन, एकडसन, अल्बटच
आइन्स्टाइन, एवयेस्ट ऩय र्ढ़ने वाले तेनभजिं ख नाखे जैसे औई जुझारू लॊखों औी जीवकनमााँ ऩढ़ डालीं ।
मनोज ने अऩनी तनख्वाह औे तीन सो रूऩमे बॊजनालम भें जभा औय फदए। उसके यहने, काने ओय ऩढ़ने औा
इं तजाभ हॊ खमा। भहीने भें दॊ फाय िाभ औॊ लाइरांेयी भें औाव्य खॊष्ठी हॊती भजसभें िहय औे औबव साफहत्यऔाय
इऔट्ठा हॊते। सभाभजऔ, साफहळत्यऔ बवर्म ऩय ऩरयर्र्ाच औा आमॊजन बी हॊता। मनोज औॊ इन आमॊजनों औी
भजम्मेदायी बी कनबानी हॊती थी। पिच बफछाने ओय भाइऔ लखाने जैसे औाभ बी उसे ही औयने ऩड़ते थे ।
मनोज ध्यान से बवद्वानों औे बार्ण सुनता। उसकी इच्छा हॊती कऔ वह बी भंर् से बार्ण दे मा अऩनी यलकी
औॊई औबवता सुनामे,ऩय मनोज औॊ भोक़ा नहीं बभलता। उसे भंर् ऩय कड़े हॊऔय फॊलना एऔ अद्भुत ओय
दैवीम औाभ लखता।
एऔ यात औाव्य सम्मेलन औे फाद एऔ औबव लाइरांेयी भें ही रुऔ खमे ।कवि की बस सुबह थी। सुबह कवि ने
नह ने के ब द मनोज से कह –“क्य आपके प स ब लों में लग ने के वलए तेल वमलेग ?”
कवि वनर श हुए पर उन्होंने उम्मीद नहीं छोडी –“कोई ब त बहीं कं घ ही दे दो वबन तेल के ही ब ल
बन लूंग ।“
मनोज ने किर से िही उत्तर कदय – “शीश भी नहीं है। “ कवि को अब मनोज को देखकर आश्चयय हो
रह थ । उसने मनोज के उम्र के कई लड़के देखे थे जो सुंदर कदखने और िै शन करने के दीि ने रहते थे।
कवि ने कह – वजस उम्र में लड़के नये नये िै शन करते है उस उम्र में तुम यह तपस्य क्यों कर रहे हो
?
मनोज ने कह – “मैं पीएससी की तैय री कर रह हाँ। पढ़ ई के खचय के वलए यह ाँ नौकरी करत हाँ
।तेल ,कं घे की जरूरत ही नहीं पड़ती। एक स ल से तो मैंने अपनी शक्ल ही आईने में नहीं देखी।“
एक छु प हुआ गिय उसकी आि ज में झलक आय थ ।अनज ने कवि के स मने उसके चेहरे पर चमक आ
गई थी ।
अपनी ब त पूरी करके मनोज कवि क थैल वलए नीचे टेम्पो में वबठ ने ज ने लग । ज ते समय कवि ने
मनोज को आशीि यद कदय – “तुम जरूर सिल होओगे बेट । “
मनोज ने ज ते समय कवि के पैर छू वलए ।कवि की आाँखे गीली थी।उसमें कोई सरल कवित
वझलवमल रही थी ।
च र तीन महीने मनोज को ल इब्रेरी में रहते हुए हो गये। लेककन उसक कोई भी दोस्त ह लच ल ज नने
नहीं आय ,यह ाँ तक कक प ंडे भी इन तीन महीनों में एक दो ब र ही उससे वमलने आय थ । मनोज
महसूस करने लग कक उसक इस पूरे ग्ि वलयर में कोई नहीं है उसे अके ले ही रहन है। ल इब्रेरी के दो
मनोज उऩन्यास ऩढ़ ही यहा था कऔ उसऔे भम्मी ऩाऩा खााँव से उससे बभलने लाइरांेयी भें आ खमे।उसने अधूया
उऩन्यास फंद कऔमा।भााँ उसक यहन सहन देक औय सभझ खई कऔ फेटा औष्ट भें यह यहा है । भााँ प्याय से उसके
सय ऩय हाथ पेयने लखी।
फऩता औे ऩास औहने ओय सभझने औे यलए औुछ था नहीं इसयलए वे हॉल भें लखी रृई साफहत्यऔायों ओय
भहाऩुरुर्ों औी तस्वीयें देकने लखे। ज्यादातय र्ेहये उन्हें अऩरयभर्त ही लखे। लेकऔन फातर्ीत औे यलए बवर्म
तलािते फऩता औॊ बवर्म बभल खमा।
इसऔे ऩहले कऔ मनोज उनऔी नोऔयी ओय सस्पेंिन से फहाली ऩय प्रश्न ऩूछे उन्होंने उससे एऔ तस्वीय औी
तयप इिाया औयते रृए ऩूछा-"मह औोन हैं?"
फऩता -"भतलफ?"
फऩता औी सयल अज्ञानता ऩय उसने भुस्कुयाते रृए उत्तय फदमा-"इनऔा नाभ भुभिफॊध है।औबव हैं। फरृत अच्छी
औबवताएाँ यलकते हैं।"
"भॊम तॊ वॊ भुंिी ठीऔ लाखतॊ। भैंने ऩढ़ी थी स्कूल भें औहानी, फूढ़ी डु औरयमा वाली।"–फऩता ने भुंिी प्रेभर्ंद
औे औथा संसाय फाये भें अऩनी याम व्यि औी।
भााँ ने फऩता औॊ व्यथच औी फातों भें उलझा रृआ देका तॊ नायाज हॊ खई-"तुभ देक यहे हॊ भॊड़ा औैसे यह यहॊ है?
औैसॊ औभजॊय हॊ खमॊ? अफ तॊ नोऔयी ठीऔ ते औय लॊ।" भााँ ने अऩने भन औा ददच फऩता से औह सुनामा।
फऩता औॊ इस साफहळत्यऔ र्र्ाच औे फीर् भें भााँ औा आभथि औ हस्तक्षेऩ ऩसन्द नहीं आमा। उन्होंने भर्ढ़ते रृए भााँ से
औहा-"तू औछू ना जानती। अनऩढ़। जे देक कऔतनी कऔताफें यकी हैं। ऩढ़फे औी औभी ना है।"-ज्ञान ओय ऩुस्तऔों
औे भहत्व औॊ फऩता ने अऩनी अनऩढ़ ऩत्नी औॊ सभझामा।
उसने अऩने फऩता औॊ सभझाने औी असपल औॊभिि औी–“ऩाऩा अनिन भत औीभजमे,औॊटच आऩऔॊ जल्दी ही
फहाल औय देखा ओय भेयी तॊ बफलऔुल बी भर्िं ता भत औीभजमे भैं महााँ फरृत अच्छे से रॄाँ।“
उसने अऩनी भजम्मेदायी औी भर्िं ता से फऩता औॊ भुि औयना र्ाहा ऩय फऩता ने भजद नहीं छॊडी –“जफ तऔ कडप्टी
डामयेक्टय औॊ ठठऔाने नहीं लखा दूंखा, भैं र्ैन से नहीं फैठूंखा।“
फऩता ने अऩनी फात औहऔय भंर् ऩय फैठे फैठे लाइरांेयी औे फड़े से हॉल औॊ कनहाया। भहाऩुरुर्ों औी तस्वीयें
देकऔय फऩता औे बीतय औुछ हलर्ल रृई । फपय फऩता ने अऩनी यीढ़ औी हड्डी सीधी औी ओय औुछ फॊलने औे
यलए तनऔय फैठ खमे।
भंर् ऩय फैठे फऩता मनोज से औहने लखे – “आज इस देि औी सफसे फड़ी सभस्या फेईभानी है,सफ स्वाथी हॊ
खमे है। सफऔॊ अऩनी फफ़ि है, देि औी कऔसी औॊ फफ़ि नहीं है।“
फऩता आखे औहना जायी यकते हैं- “ तेयी भााँ तॊ अनऩढ़ है ऩय तू ऩढ़ा यलका है,भेयी फात सभझ सऔता है ।“
फऩता औे भुंह से अऩनी तायीफ़ सुनऔय मनोज औॊ कुद ऩय खवच भहसूस रृआ, उसने बी फऩता औी प्रिंसा औयना
जरूयी सभझा –“ऩाऩा आऩ एऔदभ सही औह यहे हैं ।”
भाता फरृत देय से फऩता ऩुत्र औॊ सुन यही थी। फऩता ऩुत्र औी एऔयाम ओय अऩनी फुयाई सुनऔय भााँ नायाज हॊ
खई ।
भाता ने खुस्से भें फऩता से औहा – “िभच ना आवते तुम्हें।पालतू फात औय यहे हॊ।गय सुधाय ना सऔत, देि औी
भर्िं ता औय यहे हॊ। भॊड़ा ने तीन र्ाय साल से नई फुसऔट ना कयीदी, काफे ऩीफे औॊ औछु ठठऔानों ना है।अफ तॊ
सुधय जाऒ।अफ गय फफाचद हॊफे भें देय ना है।“
फऩता औॊ अऩने ऒजस्वी बार्ण औी ऐसी प्रबतफिमा देकऔय औष्ट रृआ।
उन्होंने भााँ से औहा –तू जीब ना र्लावे, नमे औऩड़ा से औछु ना हॊवते ,ईभानदाय आदभी ऩुयाने औऩड़ा ऩहनऔे बी
अलख से र्भऔतॊ है। ओय का ऩी तॊ जानवय बी यहे हैं, आदभी तॊ वॊ है जॊ बले ही बूकॊ यह ले ऩय अऩनी
आत्मा भज़िं दा यके। अफ तू औा जाने देि औी सभस्या। तुझे सभझानों तॊ बैंस औे आखे फीन फजाने जैसॊ है । “
भााँ ने भर्ढऔय फऩता से औहा –“भॊम ना ऩतॊ देि औी सभस्या।ऩय तुम्हें बी एऔ फात ना ऩतॊ।
भााँ औी फात सुनऔय फऩता औॊ आश्चमच रृआ कऔ उनसे ऩता औयने भें औोन फात यह खई है , फऩता ने भााँ से ऩूछा –
भॊम औा ना ऩतॊ ?भॊम तॊ सफ ऩतॊ है ।
“मही औे तुभ ऩाखल हॊ खमे हॊ।“-भााँ ने फऩता से औहा
भाता फऩता औे जाने औे फाद मनोज अऔेला ओय उदास हॊ खमा।अऩनी उदासी दूय औयने औे यलए िह लाइरांेयी
औी फालऔनी भें कड़ा हॊऔय नीर्े सड़औ औी र्हल ऩहल देकता यहता था। एऔ ढलती िाभ औॊ िह लाइरांेयी
औी फालऔनी भें कड़ा था।उसे औॊ अऩना खााँव माद आ यहा था। खााँव औी भस्ती,याऔेि औे साथ केतों भें भूली
ओय खाजय तॊड़औय काना माद आ यहा था। फदन फदन बय गय से खामफ यहऔय फिऔेट केलना माद आ यहा था।
खााँव भें कऔतना अच्छा ओय आनन्द से बया जीवन था उसऔा।ग्वायलमय भें फऩछले औुछ सालों भें औैसा उदासी
बया जीवन हॊ र्ला है।मही सॊर्ता रृआ िह दोलतखंज औी सड़औ देकने लखा।
अबी बी ‘भेया फऩमा गय आमा ऒ याभ जी’ खाना र्ल यहा था। लेकऔन फायात औे फूढ़े अफ लडऔों औी लखाताय
एऔ ही जखह डांस औयने औी भजद से तंख आ खमे थे।‘िादी भें डांस नहीं औयेंखे तॊ औफ औयेंखे?’ ऐसा औहऔय
लड़औे फूढों से फहस औय यहे थे।ऩय िामद फूढ़ों औॊ लड़औी वाले औे दयवाजे ऩय ऩरृाँर्ने औी जल्दी थी इसयलए
वह फयात औॊ जल्दी जल्दी आखे फढ़ाने लखे। मुवा डांसयों औे र्ेहयों ऩय डांस न औय ऩाने औी कनयािा फदकने
लखी थी।
मनोज जफ वहां ऩरृंर्ा तॊ फायात आखे फढ़ने लखी थी। उसने फायात औे फीर् भें ऩरृंर्औय फैंड वाले औॊ आदेि
सा फदमा कऔ-”मे औाली औाली आाँ कें”। फैंड वाला िामद अऩने खामन औी औला औा अबी तऔ भन बय औे
प्रदिचन नहीं औय ऩामा था इसयलए मनोज क आदेि ऩाऔय वह तुयत
ं फाजीखय फपल्म औा ‘मे औाली औाली
आाँ कें मे खॊये खॊये खाल’ खाना खाने लखा। फूढों औे अनुिासन से कनयाि लड़औे मनोज औा जॊि देकऔय फपय यंख
भें आ खमे।असहाम फूढ़े बभसबभसाऔय यह खमे।
मनोज अऩनी आाँ कों ओय खालों ऩय हाथ पेय पे य औय मे औाली औाली आाँ कें मे खॊये खॊये खाल खाने ऩय झूभ
झूभ औय डांस औय यहा था। फूढों औी औुड़औुड़ से हतॊत्साफहत जवान लडऔों भें उसने नमा जॊि बय फदमा। एऔ
फाय फपय फायात अऩने यंख भें आ खई। मनोज को अनजानी िादी भें डांस औयने भें औॊई यझझऔ नहीं हॊ यही
थी। लड़औे फपय से जफयदस्त डांस औयने लखे। कऔसी फायाती औॊ ऩता नहीं र्ला कऔ मह जॊिीला डांसय बफन
फुलामा भेहभान है। ऩन्द्रह बभकनट लखाताय डांस औयने औे फाद मनोज ऩसीने से तयफतय हॊ खमा। फयात आखे
फढ़ खई।
19.
उन्होंने मनोज औॊ बेदती रृई नजय से देका ओय औहा – “मनोज फऩछले साल सात हजाय औी यद्दी बफऔी थी।
इस साल औेवल ऩांर् हजाय औी ही औैसे बफऔी?”
रृऔुभर्ंद जी इस प्रश्न से मनोज औी ईभानदायी ऩय सन्देह व्यि औय यहे थे । उनऔी नजय भें तीन सो रूऩमे
औभाने वाले औे यलए दॊ हजाय रूऩमे औी हेयापेयी औयना लाब औा सोदा है। ऩय मनोज अबी औेवल मही सभझ
यहा था कऔ उससे साभान्य ऩूछताछ हॊ यही है।
मनोज ने औहा - "सय इतने औी ही यद्दी कनऔली थी। भैंने सात औफाकड़मों से सम्पऔच कऔमा था, भजसने यद्दी औे
सफसे अभधऔ दाभ लखामे थे उसी औॊ फेर्ा।”
लेकऔन रृऔुभर्ंद जी औा अबवश्ऱास फढ़ता जा यहा था। रृऔुभर्ंद ने अफ अफ अऩने अबवश्ऱास औॊ स्पष्ट प्रऔट
औय मनोज ऩय सफसे खहयी र्ॊट औी।
रृऔुभर्ंद जी ने मनोज ऩय अऩना ऩूया अबवश्ऱास प्रऔट औय फदमा,उसकी सच्चाई औा उन ऩय ऒई असय नहीं
रृआ - "मनोज तुभ तॊ मुवऔ हॊ। तॊभय जी तुभ ऩय बयॊसा औयते हैं ,तुभसे मह उम्मीद नहीं थी।”
ईभानदायी मनोज औा सफसे फड़ा संऔल्प था, भजसे रृऔुभर्ंद जी ने बछन्न फबन्न औयऔे उसे फेईभान भसद्ध औय
फदमा। रृऔुभर्न्द जी औा कनयाधाय आयॊऩ सुनऔय मनोज बमानऔ औड़वाहट से बय खमा। उसकी इच्छा हॊ
यही थी कऔ औॊई औड़वा जवाफ रृऔुभर्ंद जी औॊ दे दे। ऩय वह औुछ नहीं औह सऔा। िह रृऔुभर्ंद जी औॊ
बफना औुछ औहे लाइरांेयी से नीर्े र्ला खमा।
मनोज ने तम कऔमा कऔ जहां उसऔी ईभानदायी औी औॊई औद्र नहीं है वहां वह औाभ नहीं औयेखा। ऩय अखले ही
ऩल उसऔे भन बवर्ाय आमा कऔ वह जाएखा औहााँ ,यहेखा औहााँ,ऩढ़ेखा औहााँ ? ऩढ़ाई औे यलए ऩैसा औहााँ से
आमेखा? भनॊज औे भन भें मही उहाऩॊह फनी यही ।
िाभ औॊ मनोज लाइरांेयी भें अऩनी औुसी ऩय फैठा रृआ था। उसऔे साभने इबतहास औी ‘आधुकनऔ बायत’ औी
कऔताफ कुली रृई यकी थी ऩय उसऔा भन ऩढ़ाई भें नहीं लख यहा था।उसऔे भन औॊ रृऔुभर्ंद जी औे आयॊऩ
ऩयेिान औय यहे थे।अर्ानऔ उसने भहसूस कऔमा कऔ उसऔे साभने यका भटऔा फहल यहा है,लाइरांेयी औी छत
उसने सड़औ ऩय झााँऔऔय देका तॊ लॊख इऔट्ठे हॊऔय भर्ल्रा यहे थे –“बूऔम्प आ खमा,बूऔम्प आ खमा।”
ऩुयानी जजचय इभायतें औुछ सेऔेि थयाचऔय थभ खईं। िह बाख औय नीर्े र्ला खमा।भाऔेट औे औई दुऔानदाय बी
गफयाऔय सड़औ ऩय आ खए थे।सबी लॊख बूऔम्प औे डय से सहभ खमे थे ,औुछ गंटे सबी लॊखों ने सड़औ ऩय ही
खुजायी ऩय जफ दुफाया बूऔम्प नहीं आमा तॊ लॊखों ने याहत औी सांस ली। लेकऔन कऔसी ने िंऔा प्रऔट औय दी
थी कऔ यात औॊ बूऔंऩ आ सऔता है। मनोज बफऴडिं ख भें अऔेला यहता था, उसे बफऴडिं ख भें जाने से डय लख यहा
था। वह िाभ से लेऔय यात फायह फजे तऔ सड़औ ऩय अऔेला बटऔता यहा।
िह सड़औ औे कऔनाये फनी एऔ पनीर्य औी दुऔान औे फाहय फैठ खमा। दुऔान औे फाहय फैठा फैठा िह सॊर्ने
लखा -"आज मह बफऴडिं ख बखय जाती ओय भैं उसभें दफ औय भय जाता तॊ कऔसी औॊ क्या पऔच ऩड़ता? इस
िहय भें औोन भुझे ढू ंढता? औॊई नहीं। भैंने अऩने र्ाय वर्च ग्वायलमय औी इन सड़औों ऩय बटऔते रृए बफता फदए।
क्या ऩामा भैंन?े ईभानदायी से औाभ औयने औे फावजूद फेईभानी औा आयॊऩ? क्या भैं फेईभानी औा आयॊऩ यलए
रृए ही भय जाता। औॊई नहीं है जॊ भुझे प्याय औयता हॊ। कऔस ऩीएससी औे ऩीछे भैं ऩड़ा रॄाँ भजसऔा दूय दूय तऔ
औॊई अता ऩता नहीं।”
डया, उदास, हतॊत्साफहत मनोज सुनसान सड़औ ऩय फैठा यहा। उसके ऩास औॊई नहीं था भजससे वह अऩने भन
औा ददच फााँट सऔे। उसकी कनयािा, बम, फेईभानी औा झूठा आयॊऩ, बबवष्य औे प्रबत उसऔी अकनमश्चता, अबावों
औा जीवन उसे बवर्यलत औय यहा था। सड़औ अफ ऩूयी तयह सूनी हॊ खई थी। िह बटऔता रृआ ऩास औे याभ
भरन्दय र्ोयाहे ऩय र्ला खमा।
भरन्दय औे खेट फन्द हॊ खए थे।वह खेट औे ऩास फनी सीफढ़मों ऩय फैठ खमा। औापी देय तऔ िह याभ औी मूर्तत
औॊ एऔटऔ देकता यहा जैसे उनसे फात औयने औी औॊभिि औय यहा हॊ। िामद वह याभ बखवान से ऩूछने आमा
था कऔ फताऒ अफ भुझे क्या औयना है? औॊई तॊ फदिा फदकाऒ? उसे लख यहा था कऔ याभ उसे देकऔय िांत
बाव से भुस्कुया यहे हैं,आश्ऱस्त औय यही थी मनोज औॊ उनऔी भुस्कयाहट। लखबख आधा गण्टा िह सीफढ़मों
ऩय फैठा मूर्तत औी ऒय देकता यहा। कॊमा यहा वह बखवान औी आाँ कों भें।
अर्ानऔ िह सॊर्ने लखा -"भैं बी तॊ याभ औी तयह ही एऔ अं तहीन मात्रा ऩय कनऔला रॄाँ । भजसऔे ऩड़ावों ऩय
बभलने वाले दुुःक तॊ भुझे सहने ही होंखे। प्रबतबाएं अऔायण आखे नहीं फढ़तीं। वे फढ़ती हैं अऩने ऩुरुर्ाथच
से,अऩने सभऩचण से,अऩनी भेहनत से,अऩने त्याख से,अऩनी प्रफल इच्छािभि से।”
"है अभाकनिा उखलता खखन गन अन्धऔाय, कॊ यहा फदिा औा ज्ञान स्ति है ऩवनर्ाय।
अप्रबतहत खयज यहा ऩीछे अम्बुभध बविाल, बूधय ज्यों ध्यानभग्न औेवल जलती भिाल। "
फपय उसने इस ऩंभि औी व्याख्या औयनी िुरू औी-"याभ ऩयाभजत अवस्था भें ऩरृंर् खए है। कनयािा ओय
अन्धऔाय है सफ तयप। ऩय एऔ उम्मीद औी लो उनऔे भन भें इस कनयाि ओय ऩयाभजत भाहोल भें बी जल यही
है।"
उसने इस औबवता भें कुद औॊ ढू ंढना िुरू कऔमा -"एऔ भिाल भेये बीतय बी उम्मीद औे रूऩ भें जल यही है। इसे
भैं औबी फुझने नहीं दूंखा। भैं जरूय जीतूंखा। हॊखी जम हॊखी जम है ऩुयर्ॊत्तभ नवीन।”
अऩने बार्ण औी अं बतभ ऩंभिमों तऔ ऩरृंर्औय मनोज औा बम ओय अऔेलाऩन बयऩूय उत्साह भें तब्दील हॊ
खमा। िह औुछ देय तऔ औाल्पकनऔ दिचऔों से बया काली हॉल देकता यहा। उसने भाइऔ फन्द कऔमा। अऩनी
टेफल ऩय ऩरृंर्औय उसने टेफल लेम्प जलामा ओय फी एल ग्रॊवय औी 'आधुकनऔ बायत' कऔताफ उठाई ओय
सुफह औी ऩहली कऔयण लाइरांेयी भें ऩड़ने तऔ प्लासी, फक्सय, आं ि-भसक ओय आं ि-भयाठा सम्बन्ध ऩढ़ता
यहा। यात भें औॊई बूऔम्प नहीं आमा।
20
अखले फदन मनोज लाइरांेयी छॊड़ने औा अऩना कनणचम सुनाने जखदीि तॊभय औे गय र्ला खमा।
उसने औुसी ऩय फैठते रृए सीधे अऩनी फात औही -"भैं अफ लाइरांेयी भें औाभ नहीं औय सऔता। जहां भेयी
ईभानदायी औी औद्र न हॊ वहां भैं औाभ नहीं औरूंखा।”
”र्ाम तॊ तुभ ऩीते नहीं हॊ। लॊ खजऔ काऒ।” -इतना औहऔय तॊभय जी ने टेफल ऩय यकी खजऔ मनोज औे
साभने यक दी।
तॊभय जी ने मनोज से औहा-"रृऔुभर्ंद जी व्यवसामी आदभी हैं भनॊज! जीवन बय उन्होंने सो सो रूऩमे औी
साकड़मां फेर्औय भुनाफ़ा औभामा है। उन्हें साकड़मों औी ऩयक तॊ है ऩय आदभी औी ऩयक नहीं है । तुभ व्यथच ही
ऩयेिान हॊ यहे हॊ। कनमश्चन्त हॊऔय नोऔयी औयॊ। भुझे तुभ ऩय ऩूया बयॊसा है।"
तॊभय जी औे बयॊसे से मनोज औॊ फल बभला। इस फल ने उसक आत्मबवश्ऱास ओय फढ़ा फदमा। अऩने इस फढ़े
आत्मबवश्ऱास से प्रेरयत हॊऔय उसने औहा - "रृऔुभर्ंद जी औा बयॊसा भुझ ऩय नहीं यहा, भैं अफ लाइरांेयी भें तॊ
औाभ नहीं ही औय ऩाउाँ खा।”
इतने भें ऩांडे तॊभय जी औे फेटे सुदीऩ औे साथ आ खमा। सुदीऩ बी ऩीएससी औी तैमायी औय यहा था उसने दॊ
फाय ऩीएससी औी भुख्य ऩयीक्षा दी थी ओय अफ तीसयी भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी औय यहा था। तॊभय जी ने
मनोज औी ऩूयी औहानी ऩांडे ओय सुदीऩ औॊ औह सुनाई।
ऩांडे औुछ फॊलता उसऔे ऩहले सुदीऩ ने औहा -"मनोज तुभ फताऒ कऔ तुभ भहत्वाऔांक्षी हॊ मा नहीं ?
मनोज ने एऔदभ से औहा - "भैं ऩीएससी भें भसलेक्ट हॊना र्ाहता रॄाँ। भैं भहत्वाऔांक्षी रॄाँ।”
सुदीऩ ने मनोज औॊ व्यवहारयऔ सलाह दी-"फपय तुम्हें लाइरांेयी भें ही यहना र्ाफहए अबी तुम्हायी आभथि औ
ऴस्थबत तुम्हें औहीं दूसयी जखह यहने औी इजाजत नहीं दे यहीं है।”
मनोज सुदीऩ औी फात सुनऔय बी अऩनी फात ऩय अड़ा यहा – “बाईसाहफ भैं वहां औाभ नहीं औय सऔता जहााँ
भेयी ईभानदायी ऩय संदेह कऔमा जा यहा है।”
“फपय क्या औयॊखे, बफना नोऔयी औे ऩढ़ाई औैसे औयॊखे? औुछ फदनों औे फाद ही एभऩी ऩीएससी औी प्रीयलम्स
ऩयीक्षा हॊने वाली है ?”-ऩांडे ने खजऔ काते रृए मनोज औे प्रबत भर्िं ता व्यि औयते रृए औहा।
“ऩढ़ाई छॊड़ दूंखा, सड़औ ऩय यह लूंखा,ऩय अऩने भसद्धांत से सभझोता नहीं औरूंखा।” –मनोज ने बफना एऔ
सेऔेि खवाए तत्काल उत्तय फदमा।
ऩांडे औॊ मनोज औा मह संऔल्प व्यवहारयऔता से दूय लख यहा था। उसने मनोज औे इस अबत आदिचवाद औी
व्याख्या औी ओय तॊभय जी औॊ देकते रृए फॊला–“मनोज जी अऩने फऩता से प्रबाबवत हैं। इनऔे फऩता बी अऩनी
ईभानदायी से सभझोता नहीं औयते।सभझोता न औयना इनऔी ऩारयवारयऔ बविेर्ता है।”
मनोज औॊ उम्मीद थी कऔ ईभानदायी ऩय उसऔे संऔल्प औॊ सुनऔय िहय औा मह फुयद्धजीवी सभूह उससे
प्रबाबवत हॊखा ऩय ऩांडे औी ऐसी ठं डी ओय व्यंग्य ऩूणच प्रबतफिमा देकऔय वह कनयाि हॊ खमा।
तॊभय जी ने ऩास ही यकी एऔ कऔताफ उठाई ओय मनोज औॊ दे दी। कऔताफ औे औवय ऩेज ऩय बखत भसिं ह औा
भर्त्र था।
तॊभय जी ने मनोज से ऩूछा–“अच्छा फताऒ मनोज तुम्हें बखत भसिं ह औे इस भर्त्र भें क्या बविेर्ता नजय आ
यही है? “
मनोज औुछ देय तऔ बखत भसिं ह औे भर्त्र औॊ देकता यहा,ऩय औुछ फॊल नहीं ऩामा ।
“मनोज भुझे बखत भसिं ह औी आाँ कों भें एऔ फेर्ैनी सी नजय आती है , उनऔे बीतय देि औे यलए औुछ औयने औी
तड़ऩ फदक यही है।“-तॊभय जी ने मनोज से औहा ।
औुछ देय रुऔऔय तॊभय जी ने आखे औहा - “भुझे तुम्हायी आं कों भें बखत भसिं ह जैसी फेर्ैनी ओय देि औे यलए
औुछ औयने औी तड़ऩ फदकाई देती है ।“
मनोज तॊभय जी औी फात सुनऔय हतप्रब यह खमा। उसे उम्मीद नहीं थी कऔ तॊभय जी उसऔी तुलना बखत भसिं ह
से औयेंखे। तॊभय जी औे प्रबत उसऔा भन श्रद्धा से बय खमा।
सुदीऩ ने अऩने फऩताजी औा सभथचन कऔमा –“मनोज औा व्यभित्व भुझे बी बवलक्षण लखता है।“
आज औा फदन मनोज औॊ फेहतयीन लख यहा था। उसे आज फफढमा तायीपें बभल यही थीं ।उसके र्ेहये ऩय
प्रसन्नता झलऔने लखी ।
ऩांडे ने मनोज औी प्रसन्नता देकते रृए औहा–“मनोज जी औल तॊभय जी औे स्कूल भें ग्यायवीं भें ऩढ़ने वाला
एऔ लड़औा अऩनी औबवता सुनाने महााँ आमा था।फेहद गकटमा औबवता थी।“
फपय ऩांडे ने तॊभय जी औॊ सम्बॊभधत औयते रृए औहा –“क्या औबवता थी, आऩऔॊ तॊ माद हॊखी?
वहां उऩऴस्थत सबी लॊखों औॊ ऩांडे औी मह अप्रासंबखऔ फात सभझ नहीं आई। सुदीऩ ने ऩांडे से ऩूछ यलमा–“हााँ
मही औबवता थी भैंने बी सुनी थी ऩय तुभ औहना क्या र्ाहते हॊ ?”
”औल तॊभय जी औॊ इस भहान औाव्य औे यर्भमता भें जमिंऔय प्रसाद औे दिचन हॊ यहे थे। भैं मनोज जी से
मह औहना र्ाह यहा रॄाँ कऔ आभ लॊखों भें भहाऩुरुर्ों औे दिचन औयना तॊभय जी औी हॉफी है, इसे खम्भीयता से न
लें ओय जीवन भें व्यवहारयऔता औॊ अऩनाएाँ ।” -ऩांडे ने तॊभय जी द्वाया औी खई मनोज औी प्रिंसा औॊ िून्य
गॊबर्त औय फदमा। ऩांडे औी फात सुनऔय तॊभय जी ठहाऔा भाय औय हाँस ऩड़े । मनोज सभझ खमा कऔ अबावों
से दूय यहने वाला ऩांडे औबी उसे नहीं सभझ सऔता।मनोज बफना कऔसी कनणचम औे वाऩस लाइरांेयी र्ला खमा।
दस फदन फाद ऩांडे मनोज से बभलने लाइरांेयी ऩरृंर्ा। मनोज लाइरांेयी भें नहीं था। लाइरांेयी औे व्यवस्थाऩऔ
रृऔुभर्ंद औुसी ऩय फैठे रृए औॊई यभजस्टय देक यहे थे। पूछने पर रृऔुभर्ंद ने फतामा कऔ मनोज तॊ दस फदन
ऩहले ही लाइरांेयी औा औाभ छॊड़औय र्ला खमा हैं।
“औहााँ खमा ?”- ऩांडे ने आश्चमच से ऩूछा। ऩांडे औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ मनोज लाइरांेयी औा औाभ छॊड़औय जा
सऔता है। लेकऔन मनोज ने एऔ साल लाइरांेयी भें औाभ औयने औे फाद लाइरांेयी छॊड़ दी थी ।
रृऔुभर्ंद से ओय अभधऔ ऩूछने ऩय उन्होंने ऩांडे औॊ एऔ ऩर्ी दे दी भजस ऩय मनोज औा नमा ऩता यलका था –
‘गनश्याभ आटा र्क्की, खणेि भरन्दय,गॊसीऩुया’। ऩर्ी हाथ भें यलए ऩांडे लाइरांेयी औे नीर्े उतय आमा। ऩांडे ने
अऩनी साइकऔल गॊसीऩुया औी ऒय भॊड़ दी।
गॊसीऩुया ग्वायलमय औी एऔ फऩछड़ी ओय गनी फस्ती है जहां जोया सफलखढ़ जाने वाली नैयॊखेज रेन औा स्टेिन
बी है। ढू ाँढने ऩय ऩांडे औॊ आसानी से ‘खणेि भरन्दय’ बभल खमा।भरन्दय औे ऩास जखह जखह गूये ओय खन्दखी औे
ढेय लखे रृए थे। ऩास ही खंदे ऩानी औी नाली फह यही थी। ऩांडे ने वहीं कड़े एऔ लड़औे से गनश्याभ आटा
र्क्की औा ऩता ऩूछा ओय अखली खली भें आटा र्क्की औे ऩास ऩरृाँर् खमा। ऩांडे सभझ खमा था कऔ मनोज ने
आटा र्क्की वाले औे महााँ औभया कऔयाए से ले यलमा है ।आटा र्क्की ऩय एऔ लड़औा सपेद फकनमान ओय
लाल यंख औा ऩेंट ऩहने खेंरॄ ऩीस यहा था ओय उड़ते रृए आटे औे औायण सपेद आटे भें लखबख नहा खमा था।
ऩांडे ने लड़औे औे नजदीऔ जाऔय मनोज औा ऩता ऩूछना र्ाहा। नजदीऔ जाऔय ऩांडे ने देका कऔ आटा र्क्की
भें औाभ औयने वाला लड़औा मनोज ही है। मनोज औॊ इस तयह र्क्की ऩय ऩय औाभ औयते देक ऩांडे र्ौंऔ
खमा।
मनोज ने ऩांडे से औहा –“भुझे ऩता था कऔ तुभ भुझे ढू ंढते रृए जरूय आऒखे।”
ऩांडे बफना औुछ औहे र्ुऩर्ाऩ अऩनी साइकऔल हाथ भें ऩऔड़े मनोज औे साथ र्लता यहा। तंख खयलमों भें से
खुजयऔय थॊड़ी देय भें मनोज एऔ भऔान औे साभने ऩरृंर् खमा। ऩांडे ने भऔान औी दीवाल से अऩनी साइकऔल
कटऔा दी। भऔान औी खैलयी ओय छॊटे से आाँ खन भें से हॊऔय भऔान औे सफसे फऩछले फहस्से भें ऩरृंर्औय मनोज
ने एऔ औभये औा दयवाजा कॊला। फदन औे उजाले भें बी औभये भें अन्धेया ही था। मनोज ने औभये औी लाईट
जलाई। ऩीले यंख औा धुंधला प्रऔाि औभये भें फ़ैल खमा। जभीन ऩय मनोज औा खद्दा बफछा था। आले भें उसकी
कऔताफें यकी थी। औॊने भें एऔ स्टॊफ ओय औुछ फतचन यके थे। एऔ लऔड़ी औा स्टू ल बी ऩास भें यका था। ऩांडे
स्टू ल ऩय फैठ खमा। मनोज जभीन ऩय बफछे अऩने खद्दे ऩय फैठ खमा।
औभये भें काभॊिी फनी यही।ऩांडे फस नजय बयऔय मनोज औे औभये औॊ देक यहा था।
“ दॊ सो रूऩमे कऔयामा है औभये औा।वैसे तॊ ढाई सो रूऩमे है ऩय एऔ साफहत्यऔाय हैं गनश्याभजी उनऔा
भऔान है। लाइरांेयी भें आते थे। भुझे फरृत ऩसंद औयते है। भैंने उन्हें अऩनी सभस्या फताई तॊ उन्होंने भुझे सस्ते
भें मह औभया दे फदमा यहने औॊ। फरृत बले व्यभि हैं। दुकनमा भें अच्छे लॊखों औी औभी नहीं है ऩांडे जी। उन्होंने
तॊ अऩनी ऩूयी आटा र्क्की औी भजम्मेदायी ही भुझे सौंऩ दी। फदन भें र्ाय ऩांर् गंटे आटा ऩीसने औा औाभ है।
ऩांर् सो रूऩमे भहीने बभलेंखे । फाऔी ऩूये फदन ऩढ़ाई औयता यहता रॄाँ।आदभी मफद टाइभ औा सही भेनेजभेंट औय
ले, तॊ सभम औी औभी नहीं यहती। बखवान एऔ यास्ता फंद औयता है तॊ दूसया जरूय कॊलता है । -“मनोज ने
अऩनी आाँ कें ऩांडे औे र्ेहये से दूय यकऔय अऩनी फात ऩूयी औी।
ऩांडे ने मनोज औी फात ध्यान से सुनी ऩय वह फॊला औुछ नहीं। ऩीले यंख औा फल्व अर्ानऔ फंद हॊ
खमा।िामद लाईट र्ली खई थी। औभये भें अन्धेया हॊ खमा।औभये भें औॊई रकड़औी नहीं थी भजसे कॊलऔय
मनोज प्रऔाि औी व्यवस्था औय सऔे। दयवाजा ऩहले से कुला था। भऔान औे इस फहस्से भें सूयज औी यॊिनी
बफलऔुल नहीं आ यही थी। मनोज ने ऩास यकी भॊभफत्ती जला दी। मनोज अऩनी फात ऩांडे से औह र्ुऔा था
अफ वह ऩांडे से औुछ सुनने औी उम्मीद भें फैठा था।
“भुझे संतुफष्ट हैं कऔ भैंने लाइरांेयी छॊड़ दी ऩय अऩना भसद्धांत नहीं छॊड़ा। ईभानदायी औी यक्षा अबाव सहऔय बी
हॊनी र्ाफहए। - ऩांडे ने अर्ानऔ मनोज औी आवाज भें बायीऩन भहसूस कऔमा ,ऩांडे ने देका औी मनोज
एऔटऔ जलती रृई भॊभफत्ती औॊ देक यहा था।
“ऩय अफ तुभ इस अाँ धेये भें ऩीएससी औी तैमायी औैसे औयॊखे ?”-ऩांडे ने अाँ धेये सीलन बये औभये औॊ देकते रृए
औहा।
“फाहय औा अन्धऔाय सभस्या नहीं है ऩांडे। सभस्या तफ हॊती है जफ हभाया भन सुबवधाऒ ं औे लालर् भें
सभझोतों औे अन्धऔाय भें डू फ जाता है ।” – मनोज ने कऔसी खहयी बीतयी आवाज भें प ंडे से औहा ।
फाहय खुजयने वाली नेयॊ खेज रेन औा िॊय सुनाई दे यहा था। ऩांडे औॊ प्यास लख आई थी उसने ऩास यके भटऔे
भें से एऔ िास ऩानी बयऔय ऩी यलमा ओय वाऩस आऔय स्टू ल ऩय फैठ खमा। औुछ देय स्टू ल ऩय फैठे फैठे जफ
ऩांडे औॊ फात औयने औे यलमे औॊई बवर्म नहीं सूझा तॊ उसने मनोज से औहा –“मनोज भैं अफ र्लता रॄाँ।”
ऩांडे ओय मनोज फाहय आ खमे। ऩांडे ने भऔान औी दीवाय से कटऔी अऩनी साइकऔल उठाई ओय साइकऔल ऩय
फैठने से ऩहले औुछ देय रुऔऔय मनोज औॊ देकता यहा। मनोज ने अऩने फऩर्औे रृए खालों औॊ छु ऩाने औे यलए
दाढ़ी फढ़ा ली थी, उसऔा खॊया यंख हल्का ऩीला हॊ खमा था, उसऔी आाँ कें अं दय औॊ धंस खईं थी। औुछ देय ओय
ऩांडे औा साथ बभलने औे लालर् भें मनोज ऩांडे औे साथ साथ खली औे भॊड़ तऔ जाने लखा। ऩांडे बी साइकऔल
ऩय न फैठऔय ऩैदल ही साइकऔल यलए मनोज औे साथ साथ र्लने लखा।
खली औा भॊड़ आ खमा । मनोज ने ऩांडे से औहा –“आते यहा औयॊ ऩांडे ,तुम्हाये आने से अच्छा लखता है ।”
ऩांडे औुछ सॊर्ता रृआ अऩनी साइकऔल ऩऔड़े यहा। ऩांर् छह सेऔेि उसी भर्न्तन औी अवस्था भें साइकऔल
ऩऔड़े यहने औे फाद ऩांडे ने मनोज से औहा –“मनोज एऔ फात औरॄं भानॊखे?”
मनोज सभझ खमा कऔ गॊसीऩुया ओय उसऔे औभये औा भाहोल देकऔय ऩांडे उसे फपय से लाइरांेयी भें नोऔयी
औयने औे यलए औहेखा।इसयलए उसने औहा –“भैं अफ कऔसी बी औीभत ऩय लाइरांेयी भें नहीं जाउं खा ।”
ऩांडे ने मनोज औी इस फात औॊ लखबख अनसुना औयते रृए अऩनी फात जायी यकी –“मनोज भेयी अऩने गय भें
ऩढ़ाई नहीं हॊ ऩा यही है। ए जी ऑफपस औे ऩास एऔ ऩीलीऔॊठी है उसभें दस फायह औभये है भजसभें ऩीएससी
औी तैमायी औयने वाले लड़औे कऔयाए से यहते हैं। दबतमा औा भेया दॊस्त खुप्ता ओय जखभॊहन बी वहां यहता है।
मनोज औॊ अऩने औानों ऩय मऔीन नहीं रृआ। उसे उम्मीद नहीं थी कऔ ऩांडे उसे इस तयह औा औॊई प्रस्ताव दे
सऔता है। इससे अच्छा प्रस्ताव इस सभम उसके यलए दूसया औॊई हॊ ही नहीं सऔता था। ऩांडे ने एऔ फाय
फपय उसऔी जकटल सभस्या औा सयल सभाधान कनऔाल फदमा था।
मनोज ने ऩांडे से औहा –“ऩय भेये ऩास कऔयाए औे ऩैसे तॊ नहीं है।”
ऩांडे ने साइकऔल ऩय फैठते रृए औहा –“एऔ आदभी औे कर्च भें दॊ लॊख आसानी से यह सऔते हैं।”
इतना औहऔय ऩांडे बफना मनोज औा जवाफ सुने अऩनी साइकऔल ऩय फैठऔय र्ला खमा।ऩांडे झूभता रृआ
साइकऔल र्ला यहा था मनोज तफ तऔ ऩांडे औॊ देकता यहा जफ तऔ ऩांडे उसऔी आाँ कों से ऒझल नहीं हॊ
खमा।
२1 .
ऩांडे ने ऩीली औॊठी भें औभया ले यलमा। दॊ भंभजला बफऴडिं ख औॊ ऩीली औॊठी इसयलए औहा जाता है कऔ
मह ऩीले यंख से ऩुती रृई थी। ऩीली औॊठी भें दस फायह औभये थे भजनभें ऩीएससी औी तैमायी औयने वाले लड़औे
यहऔय ऩढ़ाई औयते थे। भजस औायण ऩीली औॊठी भें ऩढ़ाई औा अच्छा भहोल यहता था। मनोज गॊसीऩुया से
अऩना साभान सभेटऔय ऩांडे औे औभये ऩय आ खमा।
ऩीएससी औी तैमायी औे यलए भजस ग्रुऩ औी तलाि मनोज औॊ थी वह बभल खमा। नवम्बय औे ऩहले सप्ताह भें
ऩीएससी औी प्रायऱम्भऔ ऩयीक्षा औा नमा बवज्ञाऩन आ खमा। फऩछली फाय ग्रेजुएिन औे तुयन्त फाद दी खई
ऩीएससी औी फप्रयलम्स ऩयीक्षा भें िह सपल नहीं रृआ था। उसने तम कऔमा कऔ वह इस फाय औॊई औसय नहीं
छॊड़ेखा ।
उसने अऩनी डामयी भें यलका-"ऩढ़ाई औे यलए महााँ फरृत अच्छा भाहोल है इसयलए अफ संऔवल्पत हॊऔय
ऩढ़ाई औयना र्ाफहमे । “
दॊ भहीने मनोज ओय ऩांडे ने ऩीएससी प्रीयलम्स औी अच्छी ऩढ़ाई औी । ऩयीक्षा औे फाद प्रीयलम्स औे रयजल्ट औा
इन्तजाय कऔमे बफना मनोज ओय ऩांडे भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी भें जुट खमे ।
फदलीऩ औे फऩता जी ने बावुऔ हॊऔय औहा - "हभे तॊ औेवल ऩांर् हजाय ऩेंिन बभलती है। लला ने जफ
ऩीएससी औी तैमायी िुरू औी थी तफ सफ औहते थे कऔ ऩीएससी भें लाकों रूऩमे रयश्ऱत देनी ऩड़ती है । ऩय
देकॊ एऔ रुऩमा नहीं लखा ओय हभाये लला डीएसऩी फन खए।”
ख़ुिी ओय सन्तुफष्ट औे औायण फाफूजी औी आाँ कें बीख खईं थीं। फाफूजी इतना औहऔय अऩने कऔसी रयश्तेदाय औॊ
कुिकफयी सुनाने र्ले खमे।
फदलीऩ ने मनोज से औहा - "भैं फरृत कुि रॄाँ। ऩय एऔ फात जरूय औरॄाँखा। इस ऩीलीऔॊठी भें भजतने लॊख
तैमायी औय यहे हैं,खायन्टी देता रॄाँ कऔ सबी लॊख ऩीएससी भें भसलेक्ट होंखे।”
ऩीलीऔॊठी औे सदस्य जखभॊहन, खुप्ता, मनोज ओय ऩांडे अऩने बबवष्य औे भसलेक्शन औी इतनी फड़ी खायन्टी
ऩय फरृत कुि रृए। मनोज सभझ खमा कऔ सपल लड़औे बी उन्हीं औे फीर् से आते हैं ।उसने कुिी औे भाये
फदलीऩ बाईसाहफ औे ऩैय छू यलमे । फदलीऩ औे भसलेक्शन से ऩूयी ऩीलीऔॊठी भें जश्न औा भाहोल फन खमा देय
यात तऔ सबी लड़औे आनन्द ओय आत्मबवश्ऱास भें डू फे बबवष्य औी सपलता ऩय र्र्ाच औयते यहे ।
मनोज और प ंडे ने इसफाय ऩीएससी फप्रयलम्स औी ऩयीक्षा खम्भीयता से दी थी। ऩय तीन भहीने फाद आमे
रयजल्ट भें मनोज ओय ऩांडे औा फप्रयलम्स क्लक्लमय नहीं रृआ।ऩीली औॊठी भें अच्छी भेहनत औे फाद बी मनोज
असपल हॊ खमा ।मनोज औॊ लखा जैसे वह फफाचद हॊ खमा है। उसऔी सायी भेहनत फेऔाय र्ली खई।भनॊज ने
इस प्रीयलम्स औी र्ाय ऩांर् भहीने भेहनत से तैमायी औी थी लेकऔन वह प्रीयलम्स क्लक्लमय नहीं औय ऩामा ।वह
खहयी कनयािा से बय खमा । र्ाय ऩांर् फदन उसे हॊि नहीं यहा । वह अऩनी औबभमााँ ढू ंढता यहा ।
22 .
मनोज औे फऩता ऩय हाईऔॊटच ने औृऩा औय दी ओय उन्हें फहाल औय फदमा। मनोज औे ऩैसे औी सभस्या
अफ औभ हॊ खई। प्रीयलम्स भें पेल हॊने औे फाद उसने इस साल फपय से अच्छी भेहनत औय ली थी, उसे उम्मीद
थी कऔ इस साल वह प्रीयलम्स जरूय क्लक्लमय औय लेखा।हय साल नवम्बय तऔ आने वाला ऩीएससी औा
बवज्ञाऩन इस साल नवम्बय कत्म हॊने तऔ नहीं आमा। बवज्ञाऩन न आने औे औायण तैमायी औयने वाले लड़औों
औी फेर्ैनी फढने लखी। एऔ फदन अर्ानऔ अकफाय भें ऩढ़ने औॊ बभला कऔ सयऔायी कर्े भें औटोती औयने औे
यलए इस साल भध्य प्रदेि भें ऩीएससी औी ऩयीक्षा आमॊभजत नहीं हॊखी। ऩूये प्रदेि भें ऩीएससी औी तैमायी
औयने वाले लड़औे लड़कऔमों औे यलए मह फुयी कफय थी। ऩीली औॊठी भें बी कनयािा औा वातावयण छा खमा ।
ऩीली औॊठी औे लड़औे मनोज औे औभये ऩय आज औी इस कफय से दुकी फैठे थे ओय बबवष्य औी प्लाकनिं ख ऩय
फात औय यहे थे।
जखभॊहन ने औहा –“जफ ऩीएससी औी ऩयीक्षा ही आमॊभजत नहीं हॊखी तॊ कऔतना बी ऩढ़ लॊ उससे हॊखा क्या
? भैंने तॊ तम औय यलमा है भैं अऩने फऩता औा रांसऩॊटच औा बफजकनस सम्हालूाँखा।
दबतमा औा खुप्ता दुकी स्वय भें फॊला –“ भेयी ऩहली प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊ खई थी ऩय उसऔे फाद दॊ प्रीयलम्स
क्लक्लमय नहीं रृई।लेकऔन इस फाय तॊ भेयी तैमायी ऐसी हॊ खई है कऔ फदलीऩ बाईसाहफ जैसी डीएसऩी औी
ऩॊस्ट भुझे जरूय बभलती ऩय जफ ऩयीक्षा ही नही हॊखी तॊ ऩॊस्ट औहााँ से बभलेखी ?-फडफॊले खुप्ता ने अऩनी
तैमायी औॊ फढ़ा र्ढ़ा औय फतामा।
ऩांडे ने कनयाि भाहोल भें उम्मीद औी याह फदकाई –“ जहां र्ाह वहां याह, हभें अफ उत्तय प्रदेि ओय याजस्थान
ऩीएससी औी तैमायी औयना र्ाफहए।”
प्रबतमॊखी लडऔों औॊ फरृत ढू ाँढने ऩय बी आखे औी तैमायी औी औॊई याह नहीं फदक यही थी।
मनोज ने कनयाि हॊऔय औहा –“हभ लॊख अफ क्या औयें सभझ नहीं आ यहा।”
सुदीऩ ने औहा –“तुभ लॊखों औॊ अफ आईएएस ऩय ध्यान देना र्ाफहए। याज्य लॊऔसेवा औा अफ औॊई बबवष्य
नहीं फदक यहा, इसयलए संग लॊऔसेवा ऩय पॊऔस औयॊ ।”
आईएएस, आईऩीएस,इनऔभ टेक्स ओय दूसयी अरकल बायतीम ओय सेन्क्रल सबवि स औे यलए संग लॊऔसेवा
मॊख फदल्री ऩयीक्षा आमॊभजत औयता है । ऩय भध्य प्रदेि ऩीएससी औी तैमायी औयने वालों औे यलए आईएएस
आईऩीएस औी तैमायी औयना फदवास्वप्न औे सभान ही था । सफ जानते थे कऔ आईएएस मा आईऩीएस फनने औा
स्टेंडडच उन लॊखों औा नहीं है ।सुदीऩ औा सुझाव वहां फैठे सफ लड़औों औॊ अऩनी ऩढ़ाई औे स्तय से फरृत आखे
औा लखा ।
आईएएस औी ऩयीक्षा ऩास औयना खुप्ता औी औल्पना से ही फाहय था, उसने सुदीऩ से औहा -"सय आईएएस,
आईऩीएस तॊ फरृत औठठन है। उसऔी तॊ औबी प्री बी नहीं कनऔलेखी। भेहनत औयऔे ऩीएससी भें तॊ औहीं
लटऔ सऔते थे ऩय आईएएस भें हॊना तॊ नाभुभकऔन है ।” औुछ देय ऩहले डीएसऩी फनने औा दावा औयने वाला
खुप्ता अफ वाऩस ऩीएससी भें लटऔने औी फात औयने लखा ।
ऩांडे ने सुदीऩ औॊ ही आइना फदका फदमा –“आऩने बी तॊ आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा तीन फाय दी थी ऩय एऔ
फाय बी इं टयव्यू तऔ नहीं ऩरृाँर् ऩामें।”
सुदीऩ ने लड़औों औॊ प्रेरयत कऔमा- “भैं लास्ट अटेम्प्प्ट भें औेवल छह भहीने ही फदल्री औे भजमा सयाम भें यहऔय
ऩढ़ा। भैं जानता रॄाँ कऔ मफद तुभ लॊख दॊ साल फदल्री भें आईएएस औी औॊभर्िं ख औयॊखे तॊ आईएएस औॊई
फरृत औठठन नहीं है। वहां औॊई आसभान से लड़औे नहीं आते।
मनोज औा कॊमा आत्मबवश्ऱास सुदीऩ औी फातें सुनऔय लोट आमा, उसने अऩने बीतय जॊि औॊ भहसूस कऔमा
ओय सुदीऩ से औहा –“ मह सऩना नोऔयी ऩाने औा सऩना नहीं है, कुद औॊ साबफत औयने औा सऩना है। यास्ता
जॊ हभने र्ुना है उसी ऩय र्लऔय हभें स्वमं औॊ साबफत औयना है। बम, आिंऔा, तॊ लड़ाई भें यहती ही है वह
नहीं यहे तॊ लड़ाई औैसी? इसयलए अफ औुछ बी हॊ जाए भैं आईएएस प्रीयलम्स औी ऩयीक्षा देऔय फदल्री
खुप्ता ने मनोज औी हाँसी उड़ाते रृए औहा उस ऩय व्यंग्य कऔमा –“एभऩी ऩीएससी औी प्रीयलम्स औबी क्लक्लमय
नहीं रृई, र्ले आईएएस आईऩीएस औी ऩयीक्षा क्लक्लमय औयने रृंह !फदन भें सऩने देकना छॊड़ दॊ भनॊज।
आईएएस आईऩीएस हभ जैसे खााँव औे सयऔायी फहन्दी भीकडमभ औे लड़औों औे यलए फनना असम्भव है ।
एमएलबी क लेज से ककतने वनकले हैं आजतक आईएएस आईपीएस? जीरो। आइआइटी, कदडली,
इल हब द यूवनिर्तसटी जैसी जगह से ही वनकलते हैं आईएएस आईपीएस।“
खुप्ता औी नऔायात्मऔ फात ऩय ध्यान फदए बफना मनोज ने उत्साह से औहा –“ औुछ बी हॊ, तुभ सफ देकना भेयी
ऩहली फाय भें आईएएस प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊखी ओय भैं भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी औे यलए फदल्री जाउं खा।”
कनयािा औे वातावयण भें मनोज ने फहम्मत ओय उम्मीद औॊ नहीं छॊड़ा ।
खुप्ता नही भाना उसने अऩनी फात जायी यकी –“ग्वायलमय औा लड़औा आईएएस औा प्रीयलम्स ही कनऔाल ले
मही फड़ी फात है। ख्याली ऩुलाव भत ऩऔाऒ भनॊज। सुदीप जी तो सीवनयर हैं िे ही बत दें ग्ि वलयर के
ककतने लोग प्रोपर आईएएस आईपीएस बन गये हैं। “
गुप्त की ब त सुनकर सुदीप ने ग्ि वलयर के कु छ लड़कों के न म य द ककये जो आईएएस य आईपीएस
बने हों पर उन्हें कोई न म य द नहीं आय । लेककन सुदीप किर भी अपनी ब त पर टटके रहे –“अब तक
नहीं बने तो अब बनेंगे और आप लोग ही शुरुि त करेंगे।वहम्मते मद य तो मददे खुद । ईश्ऱय बी उन्हीं औी
भदद औयता है जॊ कुद फहम्मत औयते हैं। “- सुदीप ने पीलीकोठी के वनर श लड़कों को प्रोत्स वहत करने की
कोवशश की ।
आईएएस फप्रयलम्स औी तैमायी औैसे औयते हैं? उसऔे यलए कऔताफें एवं उन्हें ऩढ़ने औे तयीऔे सुदीऩ से मनोज ने
सभझ यलए।अफ मनोज ऩीली औॊठी भें ऩांडे औे साथ आईएएस प्रीयलम्स औी तैमायी औयने लखा। र्ाय भहीने
सुदीऩ औे फतामे खए तयीऔे से उसने आईएएस फप्रयलम्स औी तैमायी जभऔय औी ओय भई भें आईएएस प्रीयलम्स
औी ऩयीक्षा दे दी। उसने अऩनी डामयी भें यलका- "आईएएस फप्रयलम्स अच्छा रृआ है। भैं ऩूयी ताऔत से भुख्य
ऩयीक्षा औी तैमायी औयना र्ाहता रॄाँ। लेकऔन ऩैसा फपय प्रॉब्लभ औयेखा। इतना ऩैसा औहााँ से आमेखा?"
“आईएएस प्रीयलम्स ऩयीक्षा से भुख्य ऩयीक्षा तऔ लखबख ऩांर् भहीने औा वि बभलता है। मह ऩांर् भहीने
प्रबतमॊखी औे यलए सफसे भहत्वऩूणच हॊते हैं। प्रीयलम्स औे रयजल्ट औे इन्तजाय भें मह दॊ भहीने फफाचद नहीं
कऔमे जा सऔते। आदिच तयीऔा मही है कऔ प्रीयलम्स ऩयीक्षा औे तुयत
ं फाद बफना उसऔे रयजल्ट औा इन्तजाय
कऔमे भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी भें जुट जामा जामे।” मनोज ने जफ सुदीऩ औी मह सलाह सुनी तॊ उसने फदल्री
फदल्री औे यलए ऩैसा एऔत्र औयना मनोज औी फड़ी सभस्या थी। मनोज ने फदल्री जाने औे यलए ऩैसों औी
उम्मीद से अऩने फऩता औॊ पॊन कऔमा।
फऩता ने मनोज से औहा- “वे अफ भेयॊ रुऔॊ ऩैसा ना दे यए,कडप्टी डामयेक्टय औॊ तॊ भैं देक लेंखों।ऐसी जखह
पसाऒ ंखॊ औे माद यकेखॊ।”
सस्पेंिन औे सभम फऩता औा भुख्यालम कडिं डॊयी से झाफुआ औय फदमा था ऩय फऩता एऔ जखह कटऔे यहने औी
अऩनी आदत औे औायण झाफुआ नहीं खमे थे।इस औायण कडप्टी डामयेक्टय ने उनऔे सस्पेंिन औा एऔ साल औा
आधा वेतन बी यॊऔ यलमा था। मनोज ने अऩनी भााँ से फदल्री जाने औे यलए दस हजाय रूऩमे भांखे, भााँ ने कऔसी
तयह जेवय बखयफी यकऔय ऩंकडत औालीर्यण से रूऩमे उधाय लेऔय मनोज औॊ दे फदए ।
23 .
मनोज ओय ऩांडे सऩनों ओय उम्मीदों से बयी फदल्री ऩरृाँर् खमे। कनजाभुद्दीन स्टेिन से कऔिंग्सवे औेंऩ ऑटॊ
से ओय वहां से रयक्शे से भुकजीनखय। फॊरयमों भें कऔताफें बये। दॊनों रयक्शे भें फैठे उत्सुऔता ओय औोतूहल से
भुकजी नखय भें जखह जखह लखे आईएएस औॊभर्िं ख सेंटय औे फॊडच देक यहे थे।आईएएस औी ऩयीक्षा भें सपल हॊ
र्ुऔे प्रबतमॊबखमों औे पॊटॊ लखे हॊकडिं ख देकऔय दॊनों अर्ऱम्भत रृए जा यहे थे।भुकजी नखय आने वाला हय
स्टू डेंट इसी उम्मीद ओय सऩने औॊ ऩाले रृए महााँ आता है कऔ औबी वह बी सपल हॊखा ओय उसऔी तस्वीय बी
हॊकडिं ख ऩय लखेखी। ऩय औोन सपल हॊऔय अऩना सऩना ऩूया औयेखा ओय औोन असपल हॊऔय वाऩस महााँ से
र्ला जाएखा? औॊई नहीं जानता। साल भें र्ाय ऩांर् सो लॊख ही तॊ सपल होंखे क्यॊकऔ उतने ही ऩद हय साल
कनऔलते हैं । लेकऔन ऩयीक्षा देने वाले तॊ हजायों लाकों भें हैं। फाऔी औा क्या? वे तॊ अऩने साये अटेम्प्प्ट ऩूये
औयऔे असपल ओय कनयाि हॊऔय वाऩस र्ले जाते हैं। ऩय असपलता औा अनुऩात ज्यादा हॊने औे फावजूद
उम्मीद तॊ नहीं छॊड़ी जा सऔती। बफना संगर्च औे हाय बी तॊ नहीं भानी जा सऔती। इसयलए असपलता ओय
हाय औी आिंऔाऒ ं औॊ बुलाऔय जीत औे संऔल्प औॊ यलए हजायों स्टू डेंट हय साल भुकजी नखय आते हैं।
भुकजी नखय फदल्री िहय औी एऔ साभान्य औॉलॊनी न यहऔय सऔायात्मऔ ऊजाच ओय ज्ञान से बये देि औे
तभाभ मुवाऒ ं औी औभच बूभी फन खई हैं । ऩयीक्षा औी तैमायी औयने वालों औे यलए कऔसी तीथच से औभ नहीं है
भुकजी नखय। मनोज औे भन भें भुकजी नखय औे प्रबत एऔ ऩबवत्र अहसास सा बय खमा।
मनोज ओय ऩांडे ने भुकजी नखय से लखे रृए नेहरू बवहाय औे सी ब्लॉऔ भें औभया कऔयाए से ले यलमा।
नेहरूबवहाय भुकजी नखय से औभ सभृद्ध फस्ती थी। संऔयी खयलमों भें तीन र्ाय भंभजलों औे भऔान ऩूये
नेहरूबवहाय भें पैले रृए थे।नेहरू बवहाय भें औभये भुकजी नखय से सस्ते थे इसयलए औभ ऩैसा कर्च औयने वाले
लड़औे नेहरू बवहाय भें यहते थे।
मनोज भुख्य ऩयीक्षा औे यलए फहन्दी साफहत्य औी औॊभर्िं ख औयना र्ाहता था। फदल्री आने औे औुछ फदन ऩहले
ऩीएससी औी उस ऩयीक्षा औा रयजल्ट आमा था भजसऔी प्रीयलम्स मनोज क्लक्लमय नहीं औय ऩामा था ।सुदीऩ
उसभें कडप्टी जेलय फन खमे थे। फुन्देला नाभ औा लड़औा उस ऩयीक्षा भें ऩूये प्रदेि भें दूसये स्थान ऩय आमा था
।एऔ ऩफत्रऔा भें फदए अऩने इं टयव्यू भें उस लड़औे ने फहन्दी साफहत्य भें आमे अऩने अभधऔ नम्बय औा श्रेम रॅफष्ट
औॊभर्िं ख भें ऩढ़ाने वाले बवऔास फदव्यऔीबति सय औॊ फदमा था। इस औायण मनोज बवऔास सय औे महााँ फहन्दी
साफहत्य औी औॊभर्िं ख औयना र्ाहता था ।
सात हजाय पीस जभा औयऔे मनोज ने बवऔास सय औी औॊभर्िं ख भें एडभीिन ले यलमा। ऩांडे अऩने आऩऔॊ
फहन्दी औा बवद्वानौ भानता था इसयलए उसने बवऔास सय औे महााँ औॊभर्िं ख न औयने औा पैसला यलमा। फहन्दी
साफहत्य औी रॅफष्ट औॊभर्िं ख फत्रा भसनेभा औे ऩीछे एऔ बफऴडिं ख औे फेसभेंट भें लखती थी। औेबफन भें औॊभर्िं ख औी
डामयेक्टय वभाच भैडभ फैठती थी। उसऔे बीतय एऔ फड़ा हॉल था भजसभें बवऔास फदव्यऔीबति सय क्लास लेते
थे।
मनोज औी ऩहले ही फदन औुछ लड़औों से फात रृई जॊ क्लास औे फाहय कड़े थे ओय औॊभर्िं ख भें औुछ फदन ऩहले
से आ यहे थे। मे लड़औे देि औे औॊने औॊने से महााँ ऩढ़ने आमे थे। औुछ लड़औे अऩने याज्य औी ऩीएससी भें
ऩहले ही भसलेक्ट हॊ र्ुऔे थे। वे अफ महााँ आईएएस मा आईऩीएस फनने आमे थे। औुछ लड़औे लडकऔमां दॊ
दॊ तीन तीन फाय आईएएस औा इं टयव्यू दे र्ुऔे हैं । प्रीयलम्स ऩयीक्षा ऩास औयऔे भुख्य ऩयीक्षा देने वाले तॊ
तभाभ लड़औे मनोज औॊ बभल खमे। ग्वायलमय भें तॊ भुळिल से औॊई आईएएस औी प्रीयलम्स क्लक्लमय औय
एऔ भहीना हॊ खमा मनोज औॊ बवऔास सय औी क्लास भें जाते रृए। अजीफ सा आऔर्चण था बवऔास सय औे
ऩढ़ाने भें। क्लास औे सबी लड़औे लड़कऔमां उन्हें भन्त्रभुग्ध हॊऔय सुनते थे। बवऔास सय ने अफ तऔ ऩढ़ामे खमे
भसलेफस औा टेस्ट लेने औी गॊर्णा औी ।
क्लास कत्म हॊने ऩय जफ मनोज क्लास औे फाहय खमा तॊ औुछ लड़औे र्ाम औी दुऔान ऩय झुि भें कड़े थे
ओय तीन फदन फाद हॊने वाले टेस्ट औे फाये भें र्र्ाच औय यहे थे।मनोज बी उनऔे साथ कड़ा हॊ खमा ।
एऔ लड़औे ने औहा –“फहन्दी साफहत्य भें बवऔास सय ने भजसऔा यलका रृआ ऩसंद औय यलमा सभझॊ वह जरूय
आईएएस मा आईऩीएस फनेखा। फऩछले साल दीऩेन्द्र नाभ औे लड़औे औे फाये भें बवऔास सय ने ऩहले ही
गॊर्णा औय दी थी कऔ मह आईएएस मा आईऩीएस फनेखा ओय उसी साल दीऩेन्द्र आईएएस फन खमा। “
एऔ दूसया लड़औा औट र्ाम ऩीते रृए फॊला –“तॊ बवऔास सय इस साल भेये फाये भें गॊर्णा औयेंखे। भैंने
जमिंऔय ऩसाद ऩय औभ से औभ ऩांर् कऔताफें ऩढ़ी हैं। भैं प्रसाद ऩय ऐसा उत्तय यलकूंखा कऔ बवऔास सय औॊ बी
लखेखा कऔ ऐसा धुयध
ं य औोन आ खमा उनऔी क्लास भें? “
इसऔे साथ ही उस लड़औे ने प्रसाद औी ‘औाभामनी’ औबवता सुनानी िुरू औय दी ।लड़औा तफ तऔ औबवता
सुनाता यहा जफ तऔ उसऔे साथ वाले लड़औे ने उसे यॊऔा नहीं । मनोज औॊ इस औबवता औी िुरुवाती र्ाय
ं से इतनी लम्बी औबवता सुनऔय मनोज आश्चमचर्कऔत यह खमा
ऩांर् ऩंभिमााँ ही माद थी। एऔ लड़औे औे भुह
।
ऩूवी उत्तय प्रदेि से फदल्री तैमायी औयने आमे एऔ लड़औे ने इलाहफाद औॊ माद औयते रृए औहा –“औॊई औुछ
बी औहे। भैं तायार्ंद हॊस्टल भें था तफ से संजीऊ जी औॊ जानता रॄाँ। एभ ए फहन्दी खॊड भेडयलस्ट है मह
आदभी।वह बी इलाहफाद मूकनवभसि टी से।मे टेस्ट टॉऩ न औये तॊ भेया नाभ फदल देना।“ साथ भें कड़े संजीऊ जी
औेवल भंद भंद भुस्कुया यहे थे।अऩनी प्रिंसा औे फदले भें उन्होंने प्रिंसा औयने वाले लड़औे औे र्ाम औे ऩैसे अदा
औय फदए।
एऔ लड़औे ने अलख याख अलाऩा –“भुझे तॊ लखता है कऔ टेस्ट भें यारृल रूभसमा टॉऩ औयेंखे। मूऩी ऩीएससी भें
दॊ फाय भसलेक्ट हॊ र्ुऔे हैं,एऔ फाय रेड टेक्स भें ओय दूसयी फाय डीएसऩी फने। दॊनों फाय फहन्दी भें फम्पय
मनोज ऐसे उद्भट बवद्वानों औॊ देकऔय गफया खमा। इनऔे साभने वह औहीं नहीं ठहयता। िह सभझ नहीं ऩा यहा
था कऔ इन लड़औों जैसा मॊग्य ओय बवद्वानौ फनने औे यलए कऔतना ओय औफ तऔ ऩढ़ना ऩड़ेखा? बवद्वानौ ओय ऩूवच
से भसलेक्ट लड़औों औे साभने अऩनी औभजॊय ऴस्थबत से कनयाि िह अऩने औभये औी ऒय र्ल फदमा।
मनोज जानता था कऔ भुख्य ऩयीक्षा भें ऩास हॊने औे यलए फहन्दी भें अच्छे नम्बय लाना जरूयी है इसयलमे िह
बवऔास सय औे टेस्ट औॊ फरृत खम्भीयता से देना र्ाह यहा था,मफद इस टेस्ट भें अच्छे नम्बय आ जाते हैं तॊ िह
सभझ जाएखा कऔ उसऔी ऩढ़ाई औी फदिा ओय लेकन िैली आईएएस भुख्य ऩयीक्षा औे यलए एऔदभ सही है
।औभये ऩय ऩरृाँर् औय उसने ऩांडे औॊ अऩने भन औी इच्छा फताई।
फहन्दी औे बवद्वानौ ऩांडे ने मनोज औॊ ज्ञान फदमा –“तुम्हें मफद टेस्ट भें अच्छे नम्बय लाना है तॊ सफसे अलख
यलकना ऩड़ेखा, बार्ा िैली इतनी कतयनाऔ ओय आतंकऔत औयने वाली हॊ कऔ औॉऩी र्ेऔ औयने वाला हैयान
यह जाए ओय उसे आऩऔा उत्तय दॊ तीन फाय ऩढ़ना ऩड़े , जफ तऔ वह आऩऔॊ बवद्वानौ नहीं भानेखा अच्छे नम्बय
नहीं देखा। “
इतना औहऔय ऩांडे ने कनयाला ऩय यलकीं ऩांर् छह कऔताफें मनोज औे साभने यकी ओय फॊला –“इन कऔताफों
भें कनयाला औी औबवताऒ ं ऩय फरृत खहयाई से यलका है, इन्हें अऩना फेस फनाऒ। याभबवलास िभाच, दूधनाथ
भसिं ह, सूमच प्रसाद दीयक्षत ,जैसे बवद्वानौ लेकऔों औी कऔताफें मनोज औे साभने थी।
मनोज ने कऔताफों औॊ देकऔय औहा –“मे कऔताफें भैंने ऩढ़ीं हैं,फरृत श्रेष्ठ यलका है।ऩय इनसे प्रश्नों औे उत्तय
औैसे यलकें जामेंखे? दॊ दॊ सो ऩेज औी इन कऔताफों से छह सो िब्दों औा उत्तय यलकना फरृत औठठन औाभ है। “
ज्ञान औे इन अभृत औुंडों भें से औोन से अभृत बफन्दुऒ ं औॊ लेऔय अऩना उत्तय यलकना र्ाफहए मह मनोज औॊ
सभझ नहीं आ यहा था ।िह अफ औन्क्यूजन औी ऴस्थबत भें था। उसने एऔ कऔताफ उठाई ओय ऩढ़ने लखा। एऔ
गंटा ऩढ़ने औे फाद िह सभझ खमा कऔ इन कऔताफों से ज्ञान तॊ फढ़ामा जा सऔता है ऩय ऩयीक्षा औे प्रश्न औा
सटीऔ उत्तय यलकना भुळिल है।
उसने कऔताफें वाऩस यक दीं। औुछ देय फाद उसने बवऔास सय औे क्लास नॊट्स उठा यलए ओय उन्हें ऩढ़ने
लखा। र्ूंऔी उसने क्लास भें बवऔास सय औे लेक्चय बी सुने थे इसयलए वह नॊट्स उसे अच्छे से सभझ आ यहे
थे। जकटलता नहीं थी उनभें।सयल बार्ा भें ओय बवस्ताय से बवऔास सय ने टॉफऩऔ सभझामा था। मनोज ने तम
कऔमा कऔ वह इन्हीं नॊट्स औॊ टेस्ट औे यलए ऩढ़ेखा।
बवऔास सय ने औहा –“इस लड़औे भें आईएएस एग्जाभ क्लक्लमय औयने औी क्षभता हैं , टेस्ट भें इसऔे सफसे
ज्यादा नम्बय आमे हैं।”
मनोज औॊ अऩने औानों ऩय बयॊसा नहीं रृआ। उसऔे उत्तय इतने अच्छे औैसे हॊ सऔते हैं कऔ बवद्वानों से बयी
क्लास भें वह टॉऩ औय सऔे? क्या उसने सर् भें सफसे अच्छा यलका है? इलाहफाद औे उद्भट बवद्वानों से बी
े लड़औों से बी फेहतय? मनोज आज ऩूयी क्लास भें हीयॊ फन खमा। सबी लड़औे
अच्छा? स्टेट सबवि स भें भसलेक्टड
लड़कऔमां उसकी तयप देक यहे थे। उसने अऩने जीवन भें ऐसा रॅश्य ऩहले औबी नहीं देका था। बवऔास सय
औी प्रिंसा ऩाने औे यलए क्लास औे सबी लड़औे लड़कऔमों भें हॊड़ लखी यहती थी। बवद्याभथि मों औी तायीफ़ औयने
भें औंजूसी फयतने वाले बवऔास सय ने उसकी बयऩूय तायीफ़ औी थी। भजस औायण िह आज क्लास भें सबी औे
आऔर्चण औा औेंद्र फन खमा। िह जफ क्लास से कनऔला तॊ औुछ लड़कऔमों ने उसे गेय यलमा।
लड़कऔमों औॊ उसमें बबवष्य औा आईएएस मा आईऩीएस फदकाई दे यहा था। लड़कऔमााँ उससे फरृत औुछ
ऩूछना र्ाहती थीं।
“आऩने इतने अच्छे उत्तय औैसे यलके? आऩ कऔस लेकऔ औी कऔताफ ऩढ़ते हैं? आऩ औहााँ औे यहने वाले हैं?”
आऩ कऔस स्टेट भें भसलेक्ट हॊ र्ुऔे हैं?” आऩऔॊ आईएएस फनना ऩसंद है मा आईऩीएस?” आऩऔा मह औोन
सा अटेम्प्प्ट है?”
लड़ककयों ने नये नये योग्य वसद्ध हुए मनोज पर प्रश्नों की बौछ र कर दी। मनोज एक प्रश्न क उत्तर देने
की कोवशश करत तब तक दूसर प्रश्न द ग कदय कदय ज त और यह सब इतनी गवत से हुआ कक िह
एक भी प्रश्न क उत्तर नहीं दे प य ।उसे को उम्मीद नहीं थी कक िह एक ही महीने में कदडली में अपनी
ऐसी मनमोहक पहच न बन लेग । िह अवभभूत स लड़ककयों से वघर खड़ रह । उसे उम्मीद नहीं
थी कक एक टेस्ट में टॉप करने से उसे इतन सम्म न वमलेग । क्य विक स सर के मूडय ंकन क इतन
महत्ि हैं? िह कोल्चग से अपने कमरे की ओर ज ने लग लग तबी एऔ लडऔी उसके औे ऩास आई ।
उस लड़औी ने मनोज औे साथ र्लते रृए औहा –“भेया नाभ सुफप्रमा है भैं याजस्थान से रॄाँ, इसी साल इनऔभ
टेक्स इं स्पेक्टय फनी रॄाँ । अफ महााँ आईएएस फनने आई रॄाँ ।“
लड़औी मनोज औी तायीप औयती रृई उसऔे साथ र्लती यही। लड़औी औा हॊस्टल आ खमा ,उसने मनोज से
बवदा ली -“अच्छा फाम ,औल बभलते हैं ।“
उसने औभये ऩय ऩंरृर्औय औॊभर्िं ख भें बभले नम्बयों औा ऩूया कऔस्सा ऩांडे औॊ सुनामा। ऩांडे औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ
मनोज क्लास भें टॉऩ औय सऔता है।
ऩांडे ने मनोज औे उत्तय औॊ सयसयी कनखाह से देका ओय ऩेऩय ऩलंख ऩय लखबख पेंऔते रृए औहा – “क्लास भें
इस तयह औे आमॊजनों औॊ औॊभर्िं ख र्लाने औे हथऔंडों औे रूऩ भें देका जाना र्ाफहए, आऩ व्यथच ही कुि हॊ यहे
हैं। आऩऔे उत्तय साभान्य हैं, भुझे इनभें औॊई बवभिष्ठता नजय नहीं आ यही ।”
ऩांडे औे बीतय ईष्याच ऩैदा हॊ खई थी। ऩांडे कुद औॊ फहन्दी औा बवद्वान भानता था ओय मनोज औॊ फहन्दी औा एऔ
साभान्य बवद्याथी। इसयलए ऩांडे आज उसऔी उऩलऴि ऩय औुढ़ यहा था ।ऩांडे औी नऔायात्मऔ प्रबतफिमा
देकऔय मनोज औॊ दुुःक रृआ,ऩय उसने ऩांडे से औुछ नहीं औहा वह फपय से अऩने यलके उत्तय ऩढ़ने लखा।
एऔ फदन क्लास भें सुफप्रमा ने मनोज से ऩूछा कऔ क्या वह उसे प्रेभर्न्द औी औहानी ‘औपन’ सभझा सऔता है।
भनॊज उसऔा आग्रह िह टाल नहीं सऔा। दॊनों भुकजी नखय औे एऔ ऩाऔच भें फैठ खमे। भुकजी नखय औे इस
ऩाऔच औी यंखत कनयाली थी। आसऩास औी औई फैंर्ों ऩय औई लड़औे लड़कऔमां जॊड़ों भें फैठे रृए थे। औुछ आऩस
भें फातें औय यहे थे ,औॊई कऔसी कऔताफ औॊ संमुि रूऩ से ऩढ़ यहा था। एऔ जॊड़ा एऔ दूसये औी आाँ कों भें
आकें डालऔय फैठा रृआ था।मनोज औे यलए ऩाऔच औा मह रॅश्य एऔदभ नमा ओय यॊभांभर्त औयने वाला था ।
लड़औी ने मनोज औॊ एऔ पाइव स्टाय र्ॉऔलेट दी। मनोज को सभझ नहीं आमा कऔ वह र्ॉऔलेट का ले
मा जेफ भें यक ले। वह र्ॉऔलेट हाथ भें ऩऔड़ा यहे। लड़औी औे ऩास िामद सभम औा अबाव था,वह व्यथच
सभम फफाचद नहीं औयना र्ाहती थी इसयलए वह सीधे बवर्म ऩय आ खई। उसने अऩने हाथ भें ऩऔड़ी ‘औपन’
औहानी औी कऔताफ साइड भें फैंर् ऩय यकऔय मनोज से फॊली –“मनोज भैं तुम्हें ऩसंद औयने लखी रॄाँ ।“
इतना औहऔय सुफप्रमा औी नजय ऩास औी फैंर् ऩय फैठे उस जॊड़े ऩय र्ली खई जॊ एऔ दूसये औी आाँ कों भें कॊमा
रृआ था। अफ उस जॊड़े ने एऔ दूसये औे हाथ अऩने हाथों भें थाभ यलए थे। मनोज औॊ सभझ नहीं आमा कऔ वह
लड़औी औी फात ऩय क्या प्रबतफिमा दे ? िह अऩनी नजयें लड़औी से बभला नहीं ऩा यहा था। आज औी र्र्ाच से
उसने मही सभझा कऔ मफद सफ औुछ ठीऔ यहा तॊ लड़औी औी ऩसंद प्याय भें फदल सऔती है। सफ ठीऔ से
महााँ भतलफ उसके आईएएस मा आईऩीएस फनने से था। लड़औी उसमें उम्मीदों वाला लड़औा कॊज यही थी।
लडऔी फदल्री भें आईएएस फनने आई थी, मफद वह कुद न फन ऩाए तॊ उसऔी औॊभिि एऔ आईएएस मा
आईऩीएस प्रेभी ढू ाँढने औी थी। लड़औी ने उसऔे यलए अच्छी बूबभऔा फना ली थी ।
मनोज औी औॊभर्िं ख औा सभम हॊ खमा था इसयलए प्रीयलम्स कनऔलने औी ख़ुिी भें िह उत्साह ओय प्रसन्नता भें
लखबख दोड़ता रृआ औॊभर्िं ख औी ऒय र्ल फदमा। औॊभर्िं ख औे फाहय प्रीयलम्स भें सपल रृए औई लड़औे
लड़कऔमां आऩस भें फातें औय यहे थे। ग्वायलमय भें फड़ी भुळिल एऔ मा दॊ लड़औों औी आईएएस प्रीयलम्स
कनऔलती है। महााँ तॊ भजसऔी देकॊ उसी औी आईएएस प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊ खई है । अबी तऔ उसे प्रीयलम्स
फरृत फड़ी उऩलऴि लख यही थी ऩय जफ उसने देका कऔ उसऔी आधी क्लास औी फप्रबभम्स क्लक्लमय हॊ खई तॊ
उसे सभझ आ खमा कऔ प्रीयलम्स तॊ औेवल भुख्य ऩयीक्षा देने औा प्रवेि द्वाय है, असली लड़ाई तॊ भुख्य ऩयीक्षा
भें हॊखी । मनोज औॊभर्िं ख औे अं दय ऩरृंर्ा तॊ ऩता र्ला कऔ प्रीयलम्स औे रयजल्ट औे औायण क्लास आज ऩन्द्रह
बभकनट लेट लखने वाली है। मनोज पीस औाउन्टय औे ऩास ही कड़ा हॊ खमा। औॊभर्िं ख औी डामयेक्टय वभाच भैडभ
एऔ लड़औी औॊ फहन्दी साफहत्य औे फाये भें फता यही थी।
ऩास कड़े मनोज ने भैडभ औॊ नभस्ते कऔमा तॊ भैडभ ने बी भुस्कुयाऔय मनोज औे अफबवादन औा उत्तय फदमा।
भैडभ ने उस लड़औी से औहा –“देरकमे मे मनोज है, इसने फऩछले टेस्ट भें क्लास भें टॉऩ कऔमा है।” लड़औी ने
एऔ नजय मनोज औॊ देका ओय वाऩस वभाच भैडभ औी ऒय देकने लखी।
भैडभ ने लड़औी से औहा –“आऩ मनोज से औॊभर्िं ख औी ऩढ़ाई औे फाये भें फात औय सऔती हैं ,एऔ भहीने भें
मनोज औे लेकन भें फरृत सुधाय रृआ है।”
फपय भैडभ ने मनोज अऩनी फात औी ऩुफष्ट औयानी र्ाही – “क्यों मनोज भैं ठीऔ औह यही रॄाँ ना।”
“जी भैडभ।” -मनोज ने उत्तय फदमा। मनोज औॊ वास्तव भें बवऔास सय औी औॊभर्िं ख औे औायण फहन्दी साफहत्य
भें खुणात्मऔ ऩरयवतचन नजय आ यहा था।
मनोज ने अजनफी लड़औी औी िंऔा औा सभाधान कऔमा –“बवऔास सय फरृत अच्छा ऩढ़ाते हैं, उन लॊखों औे
यलए तॊ फरृत उऩमॊखी हैं जॊ फहन्दी भें एऔदभ नमे हैं।भर्िं ता औयने औी औॊई फात नहीं हैं तुभने सही कनणचम
यलमा है।”
क्लास औा सभम हॊ खमा था। दॊनों क्लास भें साथ साथ फैठ खमे।
बवऔास सय ने क्लास भें आऔय सफसे ऩहला प्रश्न कऔमा –“प्रीयलम्स कऔस कऔस औा क्लक्लमय रृआ हैं?” मनोज
औे साथ साथ लखबख आधी क्लास ने हाथ कड़े औय फदए, बवऔास सय ने बीड़ औॊ फधाई दी।
ऩास फैठी श्रद्धा ने मनोज से आश्चमच से ऩूछा –“आऩऔा प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊ खमा?”
आईएएस भें औेवल र्ाय अटेम्प्प्ट देने औॊ बभलते हैं ,ऐसे भें ऩहले ही अटेम्प्प्ट भें मनोज औी प्रीयलम्स क्लक्लमय
हॊना उसे श्रद्धा औी नजयों भें मॊग्य फना यही थी क्यॊकऔ श्रद्धा औे अल्मॊड़ा औी ऴस्थबत बी ग्वायलमय जैसी ही थी
वहां बी आईएएस प्रीयलम्स कनऔालने वाले बफयले ही हॊते थे।
एऔ फदन िाभ औॊ भुकजी नखय भें फत्रा भसनेभा औे साभने भेयठवाला येस्टॊयेंट ऩय औॊभर्िं ख से फ्री रृए औुछ
लड़औे लड़कऔमां सभॊसे का यहे थे। औुछ लॊख र्ाम ऩी यहे थे । भेयठवाला से लखी रृई कऔताफों औी दुऔान ऩय
कड़ा मनोज इस भहीने आई प्रबतमॊबखता दऩचण कयीद यहा था ।
“ऩढ़ाई औैसी र्ल यही है आऩऔी ?”–मनोज ने फात आखे फढाते रृए श्रद्धा से ऩूछा ।
“फहन्दी साफहत्य उतना बी सयल नहीं है भजतना लॊख औहते हैं ,भुझे तॊ फरृत औठठनाई हॊ यही है। “–श्रद्धा ने
उदास स्वय भें ऩढाई औी अऩनी तऔलीप मनोज से औही ।
मनोज औॊ लखा कऔ मह लड़औी फदल्री भें ऩढ़ने वाली दूसयी लड़कऔमों से अलख हैं , उसे श्रद्धा सयल ओय
ऩढ़ाई औे प्रबत भर्िं ता औयने औयने वाली लड़औी लखी।
श्रद्धा औा हॊस्टल नेहरू बवहाय औे ऩुल औे ऩहले ही था। दॊनों साथ साथ ही र्लने लखे। दॊनों औे फीर् एऔ दॊ
बभकनट र्ुप्पी फनी यही ।भुकजीनखय से नेहरूबवहाय जाने वाले यास्ते भें प्रऔाि औभ था। मनोज ओय श्रद्धा औभ
र्हल ऩहल वाले अाँ धेये यास्ते ऩय फढ़ यहे थे।
“िुरू भें औॊई बी नमा बवर्म इसी तयह तऔलीप देता है ऩय औुछ भहीनों भें आऩऔॊ फहन्दी साफहत्य सभझ
आने लखेखा ।“-मनोज ने फातर्ीत आखे फढ़ाने औे साथ साथ श्रद्धा औे ऩढाई औे तनाव औॊ औभ औयने औी बी
औॊभिि औी ।
“ऩता नहीं । “- असभंजस भें थी श्रद्धा । उसे तॊ फहन्दी साफहत्य औठठन लख यहा था इसयलए भनॊज औी फात औा
सभथचन नहीं कऔमा उसने ।
र्ुप्पी फनी यही औुछ देय तऔ दॊनों औे फीर् । औुछ तॊ था इस लड़औी भें जॊ मनोज औॊ फााँध यहा था।
र्ुप्पी कत्म हॊ इस उद्देश्य से उसने श्रद्धा से ऩूछा - “अच्छा तुभ अब्बू कां औी फऔयी औॊ जानती हॊ?”
फात फढ़ाने औे उद्देश्य से ऩूछा खमा मह अप्रासंबखऔ प्रश्न श्रद्धा औॊ सभझ भें नहीं आमा।प्रश्न औा यहस्य सभझने
औे यलए उसऔी आाँ कें साभान्य से फड़ी हॊ खईं।
मनोज ने उसऔी भजज्ञासा िांत औयते रृए औहा–“हभाये महााँ औक्षा ऩांर् भें अल्मॊड़ा औे ‘अब्बू कां औी फऔयी’
औी औहानी औॊसच भें र्लती थी, तबी से अल्मॊड़ा भेये फदभाख भें फसा है एऔ कूफसूयत ऩहाड़ी िहय।” मनोज
औॊ माद था कऔ श्रद्धा ने ऩहली भुलाक़ात भें फतामा था कऔ वह अल्मॊड़ा औी यहने वाली है । मनोज औा उत्तय
सुनऔय श्रद्धा ने आश्चमच व्यि कऔमा–“क्या तुम्हें अफ तऔ वह औहानी माद है ?”
मनोज औी फात सुनऔय श्रद्धा हाँस दी। उसऔी बयॊसेभंद हाँसी ने मनोज औॊ उत्साफहत औय फदमा ।
मनोज श्रद्धा औॊ जानना र्ाहता था इसयलए उसने औुछ प्रश्न श्रद्धा से ऩूछने िुरू कऔमे –“श्रद्धा क्या तुम्हाये
महााँ फपच बखयती है? क्या तुम्हाये गय भें औूलय ऩंकों औी जरूयत ऩड़ती है? वहां तॊ इतनी ठं ड ऩढती है कऔ
औूलय ऩंके औी जरूयत ही नहीं ऩड़ती हॊखी? तुभ फदल्री औी बमानऔ खभी भें औैसे यह लेती हॊ? तुम्हें तॊ इतनी
खभी औी आदत ही नहीं हॊखी? क्या ऩहाड़ों ऩय र्ढ़ते र्ढ़ते तुभ थऔ नहीं जाती? क्या जफ तुम्हायी फस ऩहाड़ों
औा खॊल खॊल र्क्कय लखाऔय आखे फढती है तॊ नीर्े देकऔय तुम्हें डय नहीं लखता?” मनोज बफना श्रद्धा औे
उत्तय औी प्रतीक्षा कऔमे ढेय साये सवाल उससे ऩूछता यहा ।
श्रद्धा औॊ मनोज औे साये प्रश्न रुभर्औय लख यहे थे, उसऔे िहय औे फाये मह लड़औा औल्पना भात्र से कऔतनी
सायी फातें औय यहा है।सुनसान यास्ते से श्रद्धा अऩने फायह सो उनतीस नम्बय औे हॊस्टल औी ऒय जाने
लखी।श्रद्धा औॊ अबी बी मनोज औे प्रश्न लखाताय उस सुनसान यास्ते भें सुनाई दे यहे थे। भजनऔे उत्तय श्रद्धा नहीं
दे ऩाई थी ।
मनोज ने श्रद्धा औे साथ अभधऔ सभम बफताने औे लालर् भें फंधऔय श्रद्धा से ऩूछा –“क्या भैं तुम्हाये हॊस्टल
तऔ तुम्हें छॊड़ दू ?”
श्रद्धा ने हााँ भें अऩनी खदचन फहला दी। मनोज ने श्रद्धा औॊ उसऔे हॊस्टल तऔ छॊड़ फदमा ओय वाऩस भुड़औय तेज
र्ाल नेहरूबवहाय औे ऩुल औी तयप जाने लखा। आज मनोज ने अऩने भन भें अजीफ सी कुिी औॊ भहसूस कऔमा
।ऐसी ख़ुिी उसने अऩने जीवन भें ऩहली फाय भहसूस औी थी, उसे लख यहा था कऔ इस लड़औी औे भोन भें एऔ
बयॊसा है ओय इसऔी आाँ कों भें अऩनाऩन।उसक भन श्रद्धा औे आसऩास ही र्क्कय लखा यहा था। अऩने औभये
ऩय आने औे फाद बी िह श्रद्धा औे ख्यालों भें कॊमा यहा ।
एऔ फदन बवऔास सय औी क्लास भें गुसते रृए ही मनोज ने देका कऔ सय औे महााँ साफ़ सपाई ओय ऩानी
फऩलाने औा औाभ औयने वाला लड़औा फाहय स्टू ल ऩय फैठा है ओय श्रद्धा जभीन ऩय फैठऔय उसऔे ऩैय ऩय भयहभ
ऩट्टी औय यही है। दॊ तीन स्टू डेंट वहां कड़े मह रॅश्य देक यहे हैं। ऩूछने ऩय वहीं कड़े एऔ लड़औे ने फतामा कऔ
छॊटू औे ऩैय भें र्ॊट लख खई है ओय श्रद्धा अऩने औभये से पस्टच एड कऔट लाऔय उसऔी ड्रेभसिं ख औय यही है।
लड़औा इस दीदी औॊ आश्चमच से देक यहा था।श्रद्धा ने मनोज औॊ देका तॊ भुस्कुया दी।ऩता नहीं क्यों श्रद्धा औॊ
इस तयह एऔ खयीफ लड़औे औी भदद औयते देक मनोज औी आाँ कें बीख खईं ।
मनोज औुछ नहीं फॊला, दॊनों क्लास भें र्ले खमे।क्लास औे फाद दॊनों साथ साथ वाऩस जाने लखे। श्रद्धा औे
एऔ हाथ भें उसऔा पस्टच एड कऔट था, दूसये हाथ भें कऔताफें। मनोज ने श्रद्धा औे हाथ से कऔट ले यलमा।
मनोज अऩने आऩ औॊ श्रद्धा औी तायीफ़ औयने से नहीं यॊऔ सऔा –“श्रद्धा तुभ फरृत सम्वेदनिील हॊ, जॊ उस
लड़औे औी भयहभ ऩट्टी औय यही थी।”
श्रद्धा औॊ मनोज औी तायीफ़ भें औुछ अबतश्यॊभि लखी, उसने मनोज द्वाया औी खई तायीफ़ औॊ संतुयलत औयते
रृए औहा –”नहीं मनोज भैं एऔ फीएएभएस डॉक्टय रॄाँ भेया मह औतचव्य था।”
मनोज ने अऩने अतीत औी कऔसी तऔलीप औॊ माद औयते रृए औहा –“श्रद्धा औुछ डॉक्टय ऐसे बी हॊते हैं जॊ
ऩैसा न हॊने ऩय कऔसी फुकाय से तऩते लड़औे औॊ अऩने क्लीकनऔ से बखा देते हैं। इस दुकनमा भें तुभ जैसे अच्छे
लॊख फरृत औभ यह खमे हैं।”
श्रद्धा औॊ अऩनी तायीफ़ सुनऔय ऐसा लखा जैसे कऔ उसऔी भेहनत औा ऩुयस्काय उसे बभल खमा हॊ । मनोज ने
ग्वायलमय औे डॉक्टय जैन औी गटना श्रद्धा औॊ सुनाई। श्रद्धा ध्यान से वह गटना सुनती यही। उसऔा हॊस्टल आ
खमा। मनोज नेहरूबवहाय औी ऒय भुड़ खमा, आज श्रद्धा अऩने खेट ऩय कड़ी मनोज औॊ जाते रृए देकती
यही।उसने भहसूस कऔमा कऔ क्लास औे इस मॊग्य लड़औे औे बीतय औॊई अलख ही लड़औा बछऩा है भजसऔे फाये
भें अबी फरृत औुछ जानना है।
श्रद्धा से बभलने औे फाद मनोज औॊ इनऔभ टेक्स इं स्पेक्टय लड़औी खयणत औे कऔसी जकटल सवाल सी लखने
लखी थी । सपल हॊने ऩय प्याय हॊ जाएखा असपल हॊने ऩय प्याय औैसे औय ऩामेंखे? खयणत भें हभेिा पेल हॊने
वाले मनोज औा भन उससे दूय हॊने लखा ।साफहत्य भें रूभर् यकने वाले मनोज औे भन ऩय सयल औबवता सी
श्रद्धा असय औयने लखी थी ।
उस लड़औी औॊ जफ भहसूस रृआ कऔ मनोज उसे इग्नॊय औय यहा है तॊ उसने ज्यादा लॊड नहीं यलमा। भुकजी
नखय भें लड़औों औी औभी नहीं थी, एऔ ढू ंढों हजाय बभलते थे। उसने उत्तय प्रदेि भें डीएसऩी ऩद ऩय भसलेक्ट
बवऔास सय ने दस फदन औे यलए कनफन्ध औी औेप्सूल क्लास िुरू औी। ऩांडे ने मनोज औे साथ बवऔास सय औी
कनफन्ध औी क्लास ज्वाइन औय ली ।मनोज ऩांडे औे साथ न फैठऔय उसऔे आखे वाली ऩंभि भें फैठी श्रद्धा औे
साथ फैठ खमा। श्रद्धा औे साथ उसऔा फैठना ऩांडे औॊ अकय खमा। िह श्रद्धा से हाँस हाँस औय फात औय यहा था
ऩय ऩीछे ऩांडे औा र्ेहया अऩनी यंखत फदल यहा था। उसने जफ ऩीछे भुड़औय देका तॊ ऩांडे उसे गूय यहा था। ऩांडे
औॊ इस फात से औष्ट हॊ यहा था कऔ मनोज औी दॊस्ती एऔ लड़औी से औैसे हॊ खई? मनोज ने जफ ऩांडे औॊ
गूयते रृए देका तॊ सभझ खमा कऔ भाभला बफखड़ यहा हैं।
मनोज ने ऩांडे औे खुस्से औॊ औभ औयने औे उद्देश्य से श्रद्धा औा ऩरयर्म ऩांडे से औयाते रृए औहा –“ऩांडे जी मे
श्रद्धा हैं, इनऔा बी एऔ बवर्म फहन्दी है। फीएएभएस डॉक्टय हैं। फरृत मॊग्य हैं।”
मनोज ने श्रद्धा औे व्यभित्व से ऩांडे औॊ प्रबाबवत औयने औी औॊभिि औी भजससे वह श्रद्धा औॊ अच्छा स्टूडेंट
भानऔय उससे भर्ढ़ना फंद औय दे। ऩय उस ऩय श्रद्धा औी तायीफ़ औा औॊई असय नहीं रृआ।
ऩांडे ने अऩनी सीट ऩय फैठे रृए अऩनी आवाज औॊ थॊड़ा उं र्ा औयते रृमे मनोज से औहा –“मनोज जी श्रद्धा तॊ
फरृत मॊग्य हैं,ऩय क्या आऩने इन्हें फता फदमा है कऔ आऩ ट्ढेल्थ भें पेल हॊ खमे थे।”
मनोज औा फदल धऔ से यह खमा। उसे उम्मीद नहीं थी कऔ ऩांडे उसे श्रद्धा औे साभने इस तयह से फेइज्जत औय
देखा। श्रद्धा ने ऩांडे औा वाक्य सुन यलमा।वह मनोज औी तयप देकने लखी। मनोज उससे नजयें र्ुया यहा था।
उसे श्रद्धा अच्छी लखने लखी थी। ऩता नहीं अफ श्रद्धा उसऔे फाये भें क्या सॊर्ेखी? उससे दॊस्ती यकेखी मा उसे
ऩढ़ाई भें औभजॊय भानऔय बभलना फंद औय देखी?
क्लास िुरू हॊ खई। श्रद्धा ऩूयी क्लास भें खम्भीय फैठी यही। श्रद्धा औी इस खम्भीयता से मनोज आिंकऔत फना
यहा।मनोज सभझ खमा था कऔ श्रद्धा अफ उसे कऔसी तयह ऩसंद नहीं औयेखी। ऩांडे अऩना औाभ औयऔे बवऔास
सय द्वाया ऩढ़ामे जा यहे ‘आभथि औ बवऔास ओय फाजायवाद‘ बवर्म ऩय फड़ी तल्रीनता से उनऔा लेक्चय सुन यहा
था।
क्लास कत्म हॊने औे फाद श्रद्धा ने मनोज से औहा -“क्या भैं आऩसे दस बभकनट फात औय सऔती रॄाँ।”
इस प्रश्न से मनोज गफया खमा, ऩता नहीं क्या फात औयना र्ाहती है श्रद्धा? िामद श्रद्धा मही औहना र्ाहती
है कऔ वह एऔ ट्ढेल्थ पेल लड़औे से औॊई दॊस्ती नहीं यकना र्ाहती। श्रद्धा बी तॊ कऔसी ऐसे लड़औे से दॊस्ती
ऩांडे ने मनोज औॊ श्रद्धा औे साथ जाते रृए देका तॊ उसने ऩीछे से आवाज लखाई – “मनोज जी रुकऔमे।”
िामद ऩांडे औे ऩास उससे औहने यलए औे यलए ओय बी औुछ था।
“मनोज जी आऩ फदल्री ऩढ़ने आमे हैं, मे प्रेभलीला फंद औीभजमे। क्या तुम्हायी भााँ ने इसीयलमे जेवय बखयवी
यकऔय ऩैसे फदए फदए थे?” -ऩांडे ने उसे अऩने बवभिष्ठ तयीऔे से ऩढ़ाई औे यलए प्रेरयत कऔमा।
मनोज औॊ अबी बी ऩांडे ऩय खुस्सा आ यहा था ऩय उसने ऩांडे से अऩना खुस्सा दफाते रृए फड़े बवनम्र स्वय भें
इतना ही औहा –”ऩांडे श्रद्धा फरृत अच्छी लड़औी है।”
इतना औहऔय उम्मीद ओय नाउम्मीदी औे बंवय भें डू फता उतयाता मनोज श्रद्धा औे ऩास ऩंरृाँर् खमा। भुकजीनखय
भें जूस औी दुऔान औे नजदीऔ ऩरृंर्औय श्रद्धा ने उससे ऩूछा–“क्या आऩ ट्ढेल्थ भें पेल हॊ खमे थे ? फपय
आऩऔी पस्टच अटेम्प्प्ट भें प्रीयलम्स औैसे कनऔल खई ?”
मनोज औी जैसे सांस अटऔ खई थी, उससे औुछ फॊलते नहीं फन यहा था।औहीं श्रद्धा उसे झूठा तॊ नहीं सभझ
यही? औहीं उसे ऐसा तॊ नहीं लख यहा कऔ भेयी प्रीयलम्स नहीं कनऔली भैं झूठ फॊल यहा रॄाँ ?
मनोज अऩने आऩऔॊ औैसे बी इस बवऔट ऴस्थबत से फर्ाना र्ाहता था। उसने औुछ देय सॊर्ा कऔ औैसे वह
अऩने ट्ढेल्थ पेल औे औलंऔ औॊ श्रद्धा से छु ऩामे? फपय उसने कनणचम यलमा कऔ इस लड़औी से उसे औुछ नहीं
छु ऩाना।इस लड़औी औॊ जरूय जाननी र्ाफहए उसऔी वास्तबवऔता ,इस लड़औी से औुछ बी छु ऩाने औा औॊई
लाब नहीं।फपय उसे लखा कऔ मफद श्रद्धा ने मनोज औॊ ऩढ़ाई भें औभजॊय भानऔय उससे बभलना फंद औय फदमा
तॊ? लेकऔन ऩता नहीं औोन सा बयॊसा मनोज औॊ अऩने साये सर् श्रद्धा से औहने औॊ भजफूय औय यहा था ।
मनोज ने श्रद्धा से औहा –“हााँ उस साल स्कूल भें नऔल नहीं रृई थी श्रद्धा इसयलए भैं पेल हॊ खमा था। टेंथ भें
नऔल हॊ खई थी इसयलए थडच कडवीजन से ऩास हॊ खमा था।”
मनोज ने श्रद्धा से सर् औहने औा कनणचम ले यलमा था । उसकी इच्छा हॊ यही थी कऔ श्रद्धा औे साभने वह अऩने
जीवन औे साये ऩन्ने कॊल औय यक दे। झूठ औे सहाये दूसयों औॊ प्रबाबवत औयने वाला मनोज श्रद्धा से झूठ नहीं
फॊल ऩामा । उसे लख यहा था कऔ मह लड़औी उसऔे बीतय फस खई है, इसयलए उसऔे फाये भें सफ जानती है।
श्रद्धा ने मनोज से औहा –“मनोज भैं जानती रॄाँ असपलता क्या हॊती है? भैंने भेकडऔल एग्जाभ दॊ फाय फदमा
ऩय एभफीफीएस औे यलए नहीं र्ुनी खई। फीएएभएस कऔमा भैंने। भैंने अऩने ऩाऩा औॊ कनयाि औय फदमा था। भैंने
उस ऩयीक्षा भें फरृत भेहनत औी थी ऩय भुझे नहीं ऩता भैं क्यों असपल हॊ खई थी? िामद आईएएस भें सपल
हॊऔय ऩाऩा औी उम्मीदों औॊ ऩूया औय ऩाऊं ? असपलता औी औड़वाहट क्या हॊती है, भैं जानती रॄाँ।”
श्रद्धा ने मनोज औे सच्चे भन औॊ ऩयक यलमा था िामद। मनोज औी सच्चाई जानऔय बी श्रद्धा उससे दूय नहीं
रृई फऴल्क उसकी औहानी भें श्रद्धा औॊ अऩनी औहानी नजय आई । श्रद्धा औे इस उदाय भन औॊ देकऔय मनोज
औी इच्छा रृई कऔ आज वह अऩने अतीत औे फाये भें श्रद्धा से फात औये। मनोज देय तऔ अऩने खााँव, ग्वायलमय
औे कऔस्से श्रद्धा औॊ सुनाता यहा। श्रद्धा औबी उसके संगर्च औे कऔस्से सुनऔय खम्भीय हॊ जाती ,औबी आश्चमच से
अऩनी आाँ के फड़ी औयऔे उसे देकती यहती ,औबी कऔसी फात ऩय देय तऔ हंसती यहती। िाभ अफ यात भें
तब्दील हॊ खई थी। ऩय मनोज औा भन अफ हल्का हॊ खमा था ट्ढेल्थ पेल भनॊज औी असपलता से श्रद्धा ने
अऩनी असपलता औॊ जॊड़ फदमा था । अतीत औी इन असपलताऒ ं औॊ बुलाऔय दॊनों बबवष्य भें सपलता
औी याह ऩय फढना र्ाह यहे थे ।
24 .
एऔ फदन बवऔास सय ने फपय से टेस्ट यलमा, क्लास कत्म हॊने ऩहले बवऔास सय ने सबी औी उत्तय ऩुळस्तऔाएं
फााँट दी। श्रद्धा ने जफ अऩनी टेस्ट औी औॉऩी देकी तॊ उसे फरृत दुुःक रृआ।उसऔे अच्छे नम्बय नहीं आमे
थे।मनोज ने श्रद्धा औॊ देका तॊ उसने आं सुऒ ं से बयी अऩनी आाँ के झुऔा लीं। वह क्लास से उठऔय फाहय र्ली
खई।मनोज बी उसऔे ऩीछे र्ला खमा। सूयज डू फ र्ुऔा था। फत्रा भसनेभा ऩय औई लड़औे लड़कऔमााँ फैठे र्ाम
ऩी यहे थे। मनोज बी जाऔय श्रद्धा औे साथ फत्रा ऩय फैठ खमा। श्रद्धा अबी बी अऩना टेस्ट ऩेऩय हाथ भें ही यलए
थी, उसऔा दुुःक औभ नहीं रृआ था। मनोज औॊ उम्मीद थी कऔ र्ाम से िामद उसऔा भूड अच्छा हॊ जाए
इसयलए मनोज ऩास औी दुऔान से र्ाम ले आमा।
उसने श्रद्धा औॊ एऔ हाथ से र्ाम दी ओय दूसये हाथ से वह टेस्ट ऩेऩय ले यलमा। श्रद्धा ने एऔ बयऩूय रॅफष्ट
मनोज औे र्ेहये ऩय डाली। असपलता औा दुुःक ओय उम्मीद औी तलाि दॊनों ही उसऔे र्ेहये ऩय मनोज औॊ
फदकाई फदए।
मनोज औी नजये अबी बी श्रद्धा औे टेस्ट ऩेऩय ऩय जभी रृई थी। श्रद्धा औे टेस्ट ऩेऩय औॊ खोय से देकते रृए उसने
औहा –”तुम्हायी र्ांदनी ऩय एऔ फाय एऔ बेकड़मे ने आिभण औय फदमा था ,ऩय वह तफ तऔ बेकड़मे से लड़ती
यही जफ तऔ फेदभ हॊऔय बखय न ऩड़ी। ऩता हैं क्यों ?”
श्रद्धा औॊ औुछ सभझ नहीं आ यहा था कऔ मनोज क्या ऩूछ यहा है, श्रद्धा औे ऩास औॊई जवाफ नहीं था वह फस
मनोज औॊ देकती यही। वह भोन रॅफष्ट भें मनोज से ‘क्यों’ औा जवाफ ऩूछ यही थी।
“क्योंकऔ उसने ऩहाड़ों भें स्वतंत्र बवर्यने औा कनणचम ले यलमा था। वह अऩने कनणचम से सभझोता नहीं औयना
र्ाहती थी।” -मनोज ने अऩनी अधूयी फात ऩूयी औी।
श्रद्धा औॊ बफना सन्दबच औी मनोज औी फात सभझ नहीं आई थी, उसने मनोज से आश्चमच से ऩूछा –“औोन र्ांदनी
?”
–“तुम्हाये ऩड़ोसी र्र्ा अब्बू कां औी फऔयी।” -मनोज ने खम्भीय फात औा अं त भजाऔ से कऔमा।
मनोज ने हल्के भजाऔ औे फाद फपय अऩनी अधूयी फात खम्भीयता से आखे फढ़ाई –“हभें अऩने कनणचम औी यक्षा
कुद औयनी ऩडती है, इसभें औई ऩयेिाकनमां आती हैं ऩय हभें हय फाय उन ऩयेिाकनमों औॊ हयाने औे यलए ऩूयी
ताऔत से कड़ा हॊना ऩड़ता है। तुभने कुद कनणचम यलमा है आईएएस औी ऩयीक्षा देने औा। अफ इसऔे यास्ते भें
कऔतने बी अवयॊध आमें तुम्हें हाय नहीं भाननी ,ऩीछे नहीं हटना।”
मनोज ने आखे औहना जायी यका –“श्रद्धा तुभ तॊ फर्ऩन से ही फरृत इं टेलीजेंट हॊ,जफ भैं ट्ढेल्थ पेल हॊऔय
सपलता औा सऩना देक सऔता रॄाँ फपय तुभ जैसी भेहनती ओय मॊग्य लड़औी औॊ सपल हॊने से औोन यॊऔ
सऔता है ।“-मनोज ने श्रद्धा औॊ भॊटीवेट कऔमा ।
मनोज औी फात सुनऔय श्रद्धा औे र्ेहये ऩय फरृत देय से रुऔी रृई भुस्कयाहट आ खई ।वह अऩने भन भें ऊजाच
भहसूस औय यही थी।मनोज औे प्रॊत्साहन से उसे अऩना कॊमा रृआ आत्मबवश्ऱास वाऩस बभल खमा था । वह
मनोज से औुछ औहना र्ाहती थी,ऩय औुछ औह नहीं सऔी।
फहिं दी साफहत्य औे फर्े रृए भसलेफस औॊ ऩूया औयने औे यलए बवऔास सय ने अं बतभ क्लास यात औॊ ली। मनोज
औॊ अफ वाऩस ग्वायलमय जाना है। िह नहीं जानता कऔ श्रद्धा अफ उसे औफ बभलेखी? बभलेखी बी मा नहीं?
इतनी फड़ी दुकनमा? इतनी दूयी? दॊ तीन भहीने औी दॊस्ती क्या जीवन बय औी दॊस्ती फन ऩामेखी? उसे नहीं
ऩता। ऩय उसऔी इच्छा है कऔ कऔतनी बी फड़ी दुकनमा हॊ, कऔतनी बी दूयी हॊ,श्रद्धा उसभें हय जखह भोजूद यहे।
हभेिा भोजूद यहे। इस अं बतभ क्लास भें मनोज श्रद्धा औॊ देकऔय मही औल्पना औयता यहा कऔ वह इस
लड़औी औे साथ ही हभेिा यहे तॊ कऔतना अच्छा हॊ ,वह इसे ग्वायलमय ले जाए अऩना औॉलेज, अऩनी लाइरांेयी
फदकाए । फदल्री औी अऩनी आरख़यी क्लास भें मनोज श्रद्धा औी औल्पनाऒ ं भें ही डू फा यहा।
क्लास सुफह छुः फजे तऔ र्लती यही। मनोज औल्पना ओय सऩनों भें डू फा यहा।िह सॊर्ता यहा अऩने
अकनमश्चत बबवष्य औे फाये भें।महां से जाने औे फाद क्या हॊखा? सपलता असपलता औुछ बी कनमश्चत नहीं। क्या
सपलता इतनी आसान हॊती है? क्या आईएएस,आईऩीएस भें भसलेक्ट हॊना इतना आसान हॊता है? ऩता
नहीं। अखय भसलेक्ट हॊ जाए तॊ? तॊ सफ ठीऔ हॊ जामखा। वह श्रद्धा से औह देखा कऔ वह उससे प्याय औयता
है। ऩय मफद अबी औह दे तॊ? श्रद्धा एऔ असपल लड़औे औॊ क्यों र्ुनेखी? आरख़यी क्लास भें उसके फदभाख भें
मही सफ र्लता यहा ।
क्लास कत्म हॊने औे फाद मनोज ने श्रद्धा से औहा –“श्रद्धा रुऔना ,भैं बवऔास सय से बभलऔय आता रॄाँ।
मनोज अं दय बवऔास सय से बभलने र्ला खमा ,बवऔास सय औॊ क्लास औे लड़औे लड़कऔमां गेये रृए थे। मनोज
औॊ देकऔय बवऔास सय ने उसे भुख्य ऩयीक्षा औे यलए िुबऔाभनाएं दी।उसने बवऔास सय औे ऩैय छु ए ओय
वाऩस फाहय आ खमा।
फाहय आऔय उसने देका कऔ श्रद्धा साभने औे ऩाऔच भें फेंर् ऩय फैठी रृई है ।िह उसऔे ऩास र्ला खमा। ऩाऔच भें
सुफह औी धुली रृई धूऩ कनकय आई थी। श्रद्धा औे अलसामे र्ेहये ऩय सुफह औी ऩीली धूऩ सॊने जैसी र्भऔ यही
मनोज ने फहम्मत औयऔे श्रद्धा से औहा –“श्रद्धा भैं आज िाभ औॊ ग्वायलमय र्ला जाउं खा।“ मनोज श्रद्ध से
कु छ और भी कहन च हत थ लेककन उसकी वहम्मत नहीं हो रही थी ।
श्रद्धा ने भनॊज औॊ आखे औी ऩयीक्षा औे यलए िुबऔाभनाएं दी -" मनोज तुभ फरृत भेहनती हॊ। तुभ जरूय
सपल हॊ जाऒखे। कूफ भेहनत से भुख्य ऩयीक्षा देना। जीवन भें औबी हभ लॊख फपय से बभलें तॊ भैं खवच से औह
सऔूंखी कऔ सपल मनोज फदल्री भें भेया दॊस्त था।”
अं बतभ वाक्य सुनऔय मनोज औॊ लखा कऔ वह श्रद्धा औॊ हभेिा औे यलए छॊड़औय जा यहा है।वह इस तयह से
श्रद्धा औॊ हभेिा औे यलए नहीं छॊड़ना र्ाहता था इसयलए उसने फहम्मत औयऔे श्रद्धा से औहा - "क्या हभ हभेिा
दॊस्त नहीं यह सऔते ?"
श्रद्धा ने औुछ देय सॊर्ते रृए मनोज औॊ जवाफ फदमा-" हभ दॊस्त तॊ है हीं भनॊज,ऩय भुझे नहीं ऩता कऔ भैं आखे
औहााँ ऩढू ंखी? आईएएस औी तैमायी औा क्या बबवष्य है? भुझे औुछ नहीं ऩता कऔ भैं आखे तैमायी औरूंखी मा
फीएएभएस ही यह जाऊाँ खी। भुझे कडग्री औे फाद इं टनचभिऩ बी औयनी है। सफ औुछ अकनमश्चत है भेया। अखले भहीने
भैं बी महां से र्ली जाउं खी। आखे औी तैमायी भैं िामद अऩने गय से ही औरूाँ।”
श्रद्धा भनॊज औे फाये भें अकनश्चम औी ऴस्थबत भें थी ,उसे नहीं ऩता था कऔ वह भनॊज से औफ तऔ ओय कऔतनी
दॊस्ती यकना र्ाहती है ?
लेककन मनोज औॊ श्रद्धा अऩने से दूय जाती रृई फदक यही थी। भजन्दखी औी डखय सीधी सयल नहीं है वह इतनी
उफड़ काफड़ है कऔ औॊई सऩना इतनी आसानी से अऩनी भंभजल ऩय नहीं ऩरृंर्ता। मनोज नहीं जानता था कऔ
एऔ फाय दूय हॊने ऩय दुफाया औैसे ढू ंढ ऩामेखा वह श्रद्धा औॊ?
मनोज ने औहा -"क्या तुम्हाया अल्मॊड़ा औा एड्रेस ओय पॊन नम्बय भुझे बभलेखा?" श्रद्धा ने मनोज औी औॉऩी
ऩय अल्मॊड़ा औा पॊन नम्बय ओय एड्रेस यलक फदमा। उम्मीद कत्म नहीं हॊती औबी।
मनोज औी इच्छा हॊ यही थी कऔ वह श्रद्धा औी औॉऩी ऩय यकी उसऔी हथेली औॊ थाभ ले। ऩय बफना श्रद्धा औी
इच्छा से औैसे सम्भव हॊता मह ?औाि वह इस हथेली ऩय बवदा औे सभम ऩेन से अऩना नाभ यलक ऩाता।
सीने भें ही दफी यही उसऔी मह इच्छा ।
मनोज ने अऩने सऩनों औॊ श्रद्धा औे साथ एऔभेऔ औय फदमा ऩय श्रद्धा उसकी भ िन ओं भें नहीं फही, उसने
मनोज औी बावनात्मऔ फातें सुनऔय संतुयलत जवाफ फदमा -“मनोज तुभसे भैंने फरृत औुछ सीका है।कऔस
तयह ट्ढेल्थ पेल हॊने फाद बी अऩनी असपलताऒ ं से न गफयाऔय उन्हें ऩीछे छॊड़औय आखे फढ़ा जाता है ।तुम्हें
देकऔय भुझभें बी ऩढ़ाई औी ललऔ फनी यहती हैं।“
मनोज औॊ लखा कऔ मही लड़औी है भजसऔे साथ वह अऩनी ऩूयी भजिं दखी बफता सऔता है। मही लड़औी है
भजसऔे साथ वह दुकनमा औी औॊई बी लड़ाई जीत सऔता है। औुछ देय काभॊिी फनी यही फपय भनॊज ने अऩने
हाथ भें ऩऔड़ी जमिंऔय प्रसाद औी कऔताफ ‘औाभामनी’औॊ देकते रृए श्रद्धा से ऩूछा -" क्या हभ आरख़यी फाय
बभल यहे हैं श्रद्धा ? ”
मनोज ऩढ़ना र्ाह यहा था श्रद्धा औा भन। ऩय इतना आसान औहााँ हॊता है कऔसी औे भन औॊ ऩढ़ना ।
क्या सर् भें श्रद्धा औे साथ वाला मह फदन फपय औबी लोट औय आमेखा मा फस मह लड़औी मादों भें यहेखी
अफ । मनोज औॊ नहीं ऩता। मनोज औे होंठ अफ भसले रृए थे।श्रद्धा अऩने हॊस्टल औी ऒय र्ल दी ,मनोज
वहीं कड़ा यहा। मनोज श्रद्धा औॊ तफ जाते रृए देकता यहा जफ तऔ श्रद्धा उसऔी आाँ कों से ऒझल नहीं हॊ
खई ।
25 .
ताज एक्सप्रेस औे जनयल कडब्बे भें अऩना साभान फॊरयमों भें बयऔय मनोज ओय ऩांडे वाऩस ग्वायलमय औी
ऒय र्ल फदए। आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी औयने फदल्री जाने वाला मनोज वाऩसी भें श्रद्धा औे
प्याय औॊ अऩने भन भें फसाए लोट यहा था । उसे अऩना भन बया बया सा लख यहा था।मनोज सॊर्ने लखा कऔ
ग्वायलमय भें ऩीली औॊठी भें मनोज ओय ऩांडे ने फपय से एऔ औभया कऔयाए से ले यलमा। दॊ फदन फाद मनोज
बॊऩाल भुख्य ऩयीक्षा देने र्ला खमा। फदलीऩ सॊनी बॊऩाल भें ही डीएसऩी थे ओय ऩुयलस हेड वाटचय भें
सयऔायी आवास भें यहते थे।उनऔे महााँ रुऔ औय मनोज ऩेऩय दे आमा।साभान्य अध्यमन ओय औम्पलसयी
इं विि ऩेऩय औे फाद दस फदन औा खेऩ था। मनोज ऩेऩय देऔय वाऩस ग्वायलमय आ खमा। साभान्य अध्यमन औे
ऩेऩय भें मनोज एऔदभ से सटीऔ उत्तय नहीं यलक ऩामा था। फदल्री से वाऩस लोटते सभम जॊ मनोज ऩहले
ही अटेम्प्प्ट भें आईएएस मा आईऩीएस फनने औी औल्पना औय यहा था उसने अऩनी औल्पना औॊ थॊड़ा छॊटा औय
फदमा। अफ िह सॊर्ने लखा कऔ मफद उसऔे आखे औे ऩेऩय अच्छे र्ले जाएाँ तॊ वह बले ही आईएएस मा
आईऩीएस न बी फने ऩय उसे इनऔभ टेक्स मा सेंरल एक्साइज मा औॊई न औॊई छॊटी ऩॊस्ट तॊ बभल ही
सऔती है। ऩहली फाय भें छॊटी ऩॊस्ट बभलने से अखले अटेम्प्प्ट भें प्रॊऩय आईएएस मा आईऩीएस फना जा सऔता
है।
ऩीली औॊठी भें अमश्ऱन भुद्गल नाभ औे लड़औे ने ऩढ़ाई औे यलए औभया कऔयाए ऩय यलमा था।उसने इसी साल
फीऔॉभ कऔमा था,वह ऩीलीऔॊठी औे ऩास ही हरयिंऔयऩुयभ औॉलॊनी भें यहता था।उसने मनोज औे साभान्य
अध्यमन ओय इं विि औम्पलसयी औे ऩेऩय र्ेऔ कऔमे।
अमश्ऱन औे ऩूछने ऩय मनोज ने फतामा- "भुझे लखता है कऔ इं विि भें तॊ भैं ऩास हॊ जाऊं खा। भैंन'े टेयरयज़्भ इन
इं कडमा' औा एस्से फरृत अच्छा यलका है।”
अमश्ऱन ने ऩेऩय देकते रृए मनोज से ऩूछा –“मनोज औहााँ है 'टेयरयज़्भ इन इं कडमा' औा एस्से?”
“अमश्ऱन बाई आऩ बी ठीऔ से नहीं देक ऩाते, ऩीछे औे ऩेज ऩय देकॊ तीसये नम्बय ऩय है।” -मनोज ने
आत्मबवश्ऱास से औहा।
“इस एस्से भें भैंने फरृत बवस्ताय से टेयरे यज्म औे फाये भें यलका हैं।टेयरे यज्म औे औायण,उसऔे इं कडमा ऩय इम्पेक्ट,
हाउ टू सॉल्व फदस ऩॊब्लभ, डीफ्फ्फ्रेंस बफटवीन औश्मीय एं ड ऩंजाफ टेयरे यज्म।” मनोज ने जॊि ओय उत्साह से
ऩयीक्षा भें यलके खमे अऩने एस्से औी बविेर्ताएं अमश्ऱन औॊ बखनाईं।
अमश्ऱन अबी बी ऩेऩय भें ‘टेयरे यज्म इन इं कडमा’ टॉफऩऔ ढू ंढ यहा था। ऩय जफ अमश्ऱन वह एस्से नहीं ढू ंढ ऩामा तॊ
मनोज ने ऩेऩय यलमा ओय उस स्थान ऩय उं खली यक दी जहां वह टॉफऩऔ यलका था।
अमश्ऱन ने उस स्थान औॊ देकते रृए औहा जहां मनोज औी उं खली यकी रृई थी-"मह तॊ 'टू रयज्म इन इं कडमा' है।”
मनोज ने जफ दुफाया ध्यान से ऩेऩय ऩढ़ा तॊ वहां 'टेयरयज़्भ' नहीं 'टू रयज्म' यलका रृआ था। मनोज औॊ सभझ
नहीं आमा कऔ मह औैसे हॊ खमा? इतनी फड़ी खलती औैसे हॊ खई? वह भजस एस्से औॊ सही सभझ यहा था, वह
खलत हॊ खमा था। वह ‘टू रयज्म’ ओय ‘टेयरयज़्भ’ औी स्पेयलिं ख भें औन्क्यूज हॊ खमा था। मनोज औॊ लखा कऔ
उसऔे बीतय औा कून सूक खमा। उसऔी आाँ कों औे साभने अन्धेया छा खमा। उसने फरृत फड़ी खलती औय दी थी।
मह ऩेऩय ऩास नहीं रृआ तॊ उसऔी दूसये सब्जेक्ट औी एऔ बी औॉऩी र्ेऔ नहीं हॊखी। खलत बवर्म ऩय एस्से
यलकने ऩय कनमश्चत ही वह इं विि औम्पलसयी औे ऩेऩय भें पेल हॊ जामखा। फड़ी भुळिल से उसऔी प्रीयलम्स
क्लक्लमय रृई थी क्या वह इस तयह फफाचद हॊ जामखी ?
मनोज अऩने औभये ऩय जाऔय यॊने लखा। वह सभझ खमा कऔ इं विि ने एऔ फाय फपय उसऔा जीवन फफाचद
औय फदमा है।एस्से ही उसऔी उम्मीद थी। भजसभे सो भें से उसे जीयॊ नम्बय बभलेंखे। ग्राभय,अनसीन तॊ वैसे बी वह
अच्छा नहीं औय ऩामा था। उसऔा आत्मबवश्ऱास ऩूयी तयह से धयािाई हॊ खमा। उसने कनणचम यलमा कऔ वह आखे
औे ऩेऩय देने बॊऩाल नहीं जामखा। उसऔे इस कनणचम औा अमश्ऱन ने बवयॊध कऔमा। अमश्ऱन ने औहा कऔ मफद तुभ
ऩास नहीं बी रृए तॊ ऩयीक्षा भें ऩेऩय देने औा भोक़ा तॊ बभलेखा। तुम्हें अनुबव औे यलए जरूय ऩूये ऩेऩय देने
र्ाफहए। ऩय मनोज औी फहम्मत फहन्दी साफहत्य ओय इबतहास औे ऩेऩय देने औी नहीं रृई। मनोज आखे औे ऩेऩय
देने बॊऩाल नहीं खमा।
ऩहला अटेम्प्प्ट एऔ गकटमा प्रमॊख औे तोय ऩय इं विि औी फली र्ढ़ खमा। अफ फपय से एऔ साल औी भेहनत
साभने है। मनोज औॊ फपय से फप्रयलम्स से िुरुवात औयनी है। दुुःक औा दोय फपय से िुरू हॊ खमा। मनोज
अऩनी इस असपलता औॊ कऔस भुंह से श्रद्धा औॊ फताएखा? इच्छा हॊने औे फावजूद मनोज श्रद्धा से फात
औयने औी फहम्मत नहीं औय ऩा यहा था ।
ऩीलीऔॊठी भें यहने वाले लड़औों ने उत्तय प्रदेि ऩीएससी औी प्रीयलम्स ऩयीक्षा दी थी। भनॊज, ऩांडे, अमश्ऱन,
खुप्ता सबी औी मूऩी प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊ खई। मनोज सॊर्ने लखा कऔ मफद मूऩी भें कऔसी बी ऩॊस्ट ऩय
भसलेक्शन हॊ जाए तॊ उसऔे फाद आईएएस औी तैमायी अच्छे से औय सऔते हैं। औई लड़औे नामफ
तहसीलदाय,सेल टेक्स इं स्पेक्टय, फनने औे फाद बी आईएएस औी तैमायी औयते है ओय सपल बी हॊते हैं ।
आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा फफाचद हॊने से हताि रृए मनोज ने उत्तय प्रदेि ऩीएससी औी प्रीयलम्स क्लक्लमय
औयने औे औायण अऩने बीतय फपय से उम्मीद औॊ जखामा। येबखस्तान भें तड़ऩते रृए आदभी औॊ जैसे दॊ फूाँद ऩानी
मनोज ने श्रद्धा औे द्वाया फदमा रृआ उसऔे गय औा पॊन नम्बय ढू ंढा ऩय पॊन नम्बय नहीं बभला। उसे माद नहीं
आ यहा था कऔ उसने श्रद्धा औा पॊन नम्बय औहााँ यक फदमा? उसने फपय से अऩनी कऔताफों भें श्रद्धा औा नम्बय
ढू ाँढने लखा,फरृत देय तऔ जफ नम्बय नहीं बभला तॊ िह कनयाि हॊऔय ऩलंख ऩय फैठ खमा।
मनोज औॊ उजड़ा रृआ देकऔय ऩांडे ने ऩूछा -" क्या ढू ंढ यहे हॊ भनॊज? आईएएस तॊ खई तुम्हायी। मूऩी सय ऩय
है। ऩढ़ लॊ। औहााँ बटऔ यहे हॊ?"
मनोज श्रद्धा भें डू फा रृआ था -"श्रद्धा औा पॊन नम्बय नहीं बभल यहा हैं, भुझे उससे फात औयना है।”
ऩांडे ने अऩनी कऔताफ फन्द औय दी ओय वाताच औी भुद्रा भें फैठ खमा- "तॊ औय लॊ फात कऔसने यॊऔा है? ऩय
औहॊखे क्या? हैलॊ श्रद्धा, भैं पेल हॊ खमा रॄाँ। ट्ढेल्थ औे फाद भैं आईएएस औे औम्पलसयी इं विि ऩेऩय भें बी
पेल हॊ खमा रॄाँ।‘टू रयज्म’ औी जखह ‘टेरयरयज्म’ ऩय एस्से यलक आमा था। औयॊ औयॊ, पॊन औयॊ, भेयी बी फात
औयाना।” ऩांडे ने श्रद्धा औॊ पॊन औयने औी एऴक्टिं ख औयते रृए मनोज से औहा।
जफ मनोज ने ऩांडे औे इस व्यंग्य ऩय औुछ नहीं औहा तॊ ऩांडे ने अऩनी अधूयी फात मनोज से फपय औही –“
मनोज जी असपल लड़औों औॊ प्याय नहीं बभलता।अखय श्रद्धा से प्याय औयना है तॊ ऩढ़ाई औयॊ। मूऩी भें
भसलेक्ट हॊ जाऒ। तफ िामद श्रद्धा तुभसे प्याय औय ले।अबी तॊ दुत्काय ही देखी।” ऩांडे ने 'प्याय भें सपलता'
बवर्म ऩय मथाथचवादी बार्ण मनोज औॊ दे फदमा।
तबी औभये भें खुप्ता ओय अमश्ऱन आ खमे । ऩांडे ने औभये भें सफसे औभ उम्र औे ऩय फदभाख भें सफसे तेज अमश्ऱन
भुदखल से ऩूछा-"आज औी र्र्ाच औा बवर्म प्याय है। अमश्ऱन जी प्याय औे बवर्म भें आऩऔे क्या बवर्ाय हैं?”
अमश्ऱन ऩढ़ाई भें खम्भीय ओय दुकनमादायी औे झंझटों से दूय यहने वाला लड़औा था।उसे इस तयह औी कनयथचऔ
र्र्ाचऒ ं भें औॊई रूभर् नहीं थी।
"ऩढ़ लॊ सालों। ऩांर् छह भहीनें फाद मूऩी भुख्य ऩयीक्षा हॊनी है, तुम्हे अबी ही प्याय औयना है?"- अमश्ऱन ने
छू टते ही खाली दी।
मनोज औॊ अमश्ऱन औी मह फपलॉसपी ऩसन्द नहीं आई। मनोज ने बवयॊध कऔमा - "भेये यलए प्याय आं तरयऔ
िभि है, जॊ भुझे ऩढ़ने औॊ प्रेरयत औयती है।”
खुप्ता औॊ अमश्ऱन औे स्थान ऩय मनोज औी फात ऩसन्द आई थी। उसने मनोज से औहा-"वाह मनोज जी क्या
फात औहीं है, भेये भुंह औी फात छीन ली। अमश्ऱन जी औॊ क्या ऩता प्याय औे फाये भें। प्याय औे फाये भें मे कनयक्षय
हैं।”
अमश्ऱन औॊ खुप्ता औा भजाऔ ऩसन्द नहीं आमा। वह खम्भीय हॊ खमा। उसने उसी खम्भीयता से औहा - "ऩहले
भसलेक्ट हॊ जाऒ, फपय औय लेना प्याय। अखय प्याय औयॊखे तॊ भसलेक्शन हॊना भुळिल है। इसयलए सफ
छॊड़छाड़ औय औेवल ऩढ़ॊ। कऔताफ साभने यकऔय प्रेबभऔा औे फाये भें सॊर्ने से भसलेक्शन नहीं हॊता।”
औभये भें सन्नाटा रकिं र् खमा।अफ कऔसी औे भुंह से औॊई आवाज नहीं कनऔल यही थी।इस खम्भीय र्र्ाच भें कऔसी
औे ऩास अफ फॊलने औे यलए औुछ नहीं फर्ा था ।
26 .
इं विि आखे औॊई रुऔावट न डाले इसयलए मनोज ओय ऩांडे ने मनोज औे ऩुयाने दॊस्त यबवऔांत फद्ववेदी औे
महां इं विि औी औॊभर्िं ख िुरू औय दी। औॊभर्िं ख भें छुः लड़कऔमां ओय दस फायह लड़औे थे। एऔ फदन यबवऔान्त
सय ने क्लास भें मॊबखता नाभ औी लड़औी औॊ कऔसी फात ऩय डांट फदमा। मॊबखता औी आाँ कों से आाँ सू फहने
लखे। आाँ सू फहाती मॊबखता ऩांडे औॊ अर्ानऔ भासूभ लखने लखी। आज ऩहली फाय ऩांडे ने देका कऔ मॊबखता
औी आाँ के दूसयी लड़कऔमों से फड़ी ओय कूफसूयत हैं। ऩांडे औी इच्छा इन फड़ी आाँ कों भें डू फने औी हॊ खई। मनोज
औे प्याय औे बवयॊधी ऩांडे औॊ आज अर्ानऔ मॊबखता से प्याय हॊ खमा। ऩांडे औॊ बी इस सभम ऩढ़ाई औी सख्त
मनोज औॊ मह जानऔय सुऔून बभला कऔ ऩांडे बी प्याय औयने लखा है, क्योंकऔ उसे उम्मीद थी कऔ ऩांडे अफ
श्रद्धा औा बवयॊध नहीं औयेखा। ऩांडे ओय मनोज ने मॊबखता से दॊस्ती फढ़ा ली। आईएएस औी तैमायी औयने वाले
दॊनों प्रेबभमों औे ऩास वि औी औभी थी भजस औायण मॊबखता औॊ ऩांडे से प्याय औयने औे यलए याजी औयने भें
ज्यादा वि फफाचद नहीं कऔमा जा सऔता था। इसयलए मॊबखता औे भन औी थाह लेने दॊनों एऔ फदन उसऔे गय
ऩरृाँर् खमे।
मॊबखता ने मनोज से औहा -"यबव सय आऩ लॊखों औी फरृत तायीफ़ औयते हैं, औहते हैं कऔ आऩ लॊख जरूय
ऩीएससी भें भसलेक्ट हॊ जाऒखे ।”
मनोज ने वि फफाचद न औयते रृए ऩांडे औॊ एऔ मॊग्य प्रेभी औे रूऩ भें मॊबखता औे फदल भें स्थाफऩत औयने औी
औॊभिि औी-"भेया तॊ ऩता नहीं ऩय ऩांडे जरूय भसलेक्ट हॊ जामखा। लेकन क्षभता फरृत अच्छी है इनऔी।
औॉलेज भें कनफन्ध लेकन भें हभेिा पस्टच आते थे।
मनोज ने ऩांडे औे बवर्म भें एऔ औाल्पकनऔ झूठ फॊल फदमा, ऩांडे औे व्यभित्व भें मह झूठ र्ाय र्ााँद लखा यहा
था इसयलए मनोज औे द्वाया ऩूवच भें फॊले खमे झूठ औा बवयॊध औयने वाले भसद्धांतवादी ऩांडे ने इस झूठ औा
कंडन नहीं कऔमा।
मनोज औे इस झूठ औा तत्काल असय रृआ। मॊबखता ने ऩांडे औी तयप भुस्कुयाते रृए देका। ऩांडे औॊ प्याय औी
ऐसी स्पीड औी उम्मीद नहीं थी, वह मॊबखता औा भुस्कुयाता रृआ र्ेहया देकऔय सभझ खमा कऔ मॊबखता उसभें
रूभर् ले यही है। मॊबखता औी भम्मी ने ऩॊहे औी प्लेट भेहभान औे वेि भें आमे प्रेबभमों औे साभने यक दी। औुछ देय
औभये भें र्ुप्पी यही। मनोज ने ऩांडे औॊ देका कऔ ऩांडे मॊबखता से औुछ औहे ऩय ऩांडे ऩॊहे काने भें व्यस्त यहा।
मनोज ने ऩांडे औॊ इिाया कऔमा कऔ वह फातर्ीत आखे फढ़ामे ।
मनोज औे इिाये से हड़फड़ाए ऩांडे ने मॊबखता से औहा-"तुम्हायी भम्मी ऩॊहे फरृत अच्छे फनाती हैं। भैंने आज
तऔ इतने अच्छे ऩॊहे नहीं कामे। मनोज जी औे खााँव भें तॊ ऩॊहे फनते ही नहीं है। ग्वायलमय आऔय ही इन्होंने
ऩहली फाय ऩॊहे कामे हैं । हा हा हा।”
मनोज ने सय ऩीट यलमा। ऩांडे सभदिी था। वह मॊबखता से बी वैसी ही फातर्ीत औय यहा था जैसी वह
जखदीि तॊभय मा अमश्ऱन भुदखल से औयता था।
"भैं औबी औबी फजाती रॄाँ"-मॊबखता ने अऩनी फड़ी आाँ के नर्ाते रृए औहा।
ऩांडे ने मॊबखता से औहा -" संखीत हभाये भन औॊ फरृत सुऔून देता है।भैं एऔ अच्छा खामऔ तॊ नहीं रॄाँ ऩय एऔ
अच्छा श्रॊता रॄाँ।”
मॊबखता औॊ ऩांडे औा भजाऔ अच्छा लखा उसने औहा-"अच्छे श्रॊता नहीं होंखे तॊ अच्छा खामऔ सुनामेखा कऔसे?"
ऩांडे ने मॊबखता औे गय से बवदा लेते सभम मॊबखता से औहा -"अखली फाय तुम्हाया भसताय सुनेंखे।”
ऩांडे ने एऔ फाय ओय इस गय भें आने औी बूबभऔा फना दी। भतलफ ऩांडे ने मह फता फदमा कऔ अफ रयश्ता
लम्बा र्लना है। आना जाना लखा यहेखा। इतना औहऔय उसने एऔ बयी रृई नजय मॊबखता औे र्ेहये ऩय डाली।
मॊबखता औी फड़ी सी आाँ के झुऔ खई ओय मॊबखता भुस्कुया दी।
प्याय औा अं औुय भन भें यलए ऩांडे मनोज औे साथ ऩीली औॊठी आ खमा।
ऩांडे ने वाऩस आऔय अऩने औभये भें फ़ैली कऔताफों औॊ अजनफी कनखाहों से देका। औुछ कऔताफें ऩलंख ऩय
कुली रृई ऩड़ी थी, भजन्हें वह प्याय औी तलाि भें कनऔलने औे ऩहले कुला रृआ छॊड़ खमा था। इन कऔताफों
औॊ उसने फन्द औयऔे यक फदमा। दीवाल ऩय भर्ऩऔे टाइभ टेफल भें मह सभम भुखल औालीन अथचव्यवस्था औे
ऩढ़ने औा था। आज ऩांडे ओय मनोज मॊबखता से फात औयने भें वह सभम बफता आमे थे। इसयलए अफ दॊनों औॊ
ऩढ़ाई औी भर्िं ता सताने लखी। फदसम्बय िुरू हॊ र्ुऔा था ओय भई औे ऩहले यबववाय औॊ आईएएस फप्रयलम्स
ओय उसऔे फाद मूऩी भुख्य ऩयीक्षा हॊनी है। ऩांडे ने फखल औे औभये भें झााँऔ औय देका। वहां अमश्ऱन भुदखल
र्ुऩर्ाऩ अऩनी कऔताफों भें डू फा रृआ था। एऔ अजीफ सा अऩयाधफॊध मनोज ओय ऩांडे औॊ भहसूस रृआ।
दॊनों ने अऩनी अऩनी कऔताफें उठाई ओय ऩढ़ने फैठ खए।
छू ट र्ुऔी भुखल अथचव्यवस्था आधा गण्टा ऩढ़ने औे फाद ऩांडे औे फदभाख भें फपय से मॊबखता गूभने लखी। उसने
इबतहास औी कऔताफ औॊ फन्द औयऔे यक फदमा ओय आाँ के फन्द औयऔे लेट खमा। अफ भाभला सभानता औा
था। मनोज ओय ऩांडे दॊनों प्याय भें डू फ र्ुऔे थे ओय साभने ऩयीक्षाएं थी। ऩांडे ने हाल ही भें रयलीज फफ़ल्म
‘भॊहब्बतें’ औा खाना अऩने टेऩ ऩय र्ालू औय फदमा। भजसऔे फॊल थे-'सॊणी सॊणी अाँ रकमों वाली।” खाना
सुनऔय वह मॊबखता औी फड़ी ओय सॊणी सॊणी अाँ रकमों भें डू फ खमा।
"मे नवनीत बसीन हैं।”– मनोज ओय ऩांडे औा ऩरयर्म अमश्ऱन ने एऔ लड़औे से औयामा जॊ सपेद एलएभएल
स्कूटय से ऩीली औॊठी औे खेट ऩय अमश्ऱन औे साथ कड़ा था।
उस नए लड़औे औे हाथ भें औुछ नॊट्स थे।र्ायों खुप्ता औे औभये भें आ खए। खुप्ता ऩूजा औयऔे कनऩटा था ओय बॊजन
औयने औी तैमायी औय यहा था।
अमश्ऱन ने औहा - "मे नवनीत बी ऩीलीऔॊठी भें यहऔय तैमायी औयना र्ाहता है।”
खुप्ता उत्साफहत हॊऔय फॊला - "फरृत फफढ़मा। ऩीलीऔॊठी भें ऩढ़ाई औा फरृत अच्छा भाहोल है। तुम्हें ऩढ़ाई भें
औॊई बी प्रॉब्लभ हॊ तॊ भुझसे ऩूछ लेना। ऩॊयलटी ओय इं टयनेिनल रयलेिन भें ऩूयी ऩीली औॊठी भें भेया डंऔा
फजता है। कऔसी औॊ औॊई बी सभस्या आती है सफ भुझसे ही ऩूछने आते हैं। क्यों अमश्ऱन?“ खुप्ता ने नवनीत औॊ
नोभसरकमा भानते रृए अऩने आऩ औॊ बवर्म बविेर्ग्य गॊबर्त औय फदमा ओय अमश्ऱन से अऩनी मॊग्यता औी
स्वीऔृबत र्ाही ।
अमश्ऱन ने खुप्ता औा भ्रभ फनामे यका, उसने औहा – “ऩीली औॊठी क्या, खुप्ता औा तॊ ऩूये ग्वायलमय भें डंऔा फजता
है।“
खुप्ता औे विव्य औॊ नवनीत ने र्ुनोती औे रूऩ भें ले यलमा। नवनीत ने खुप्ता औे साथ साथ ऩूयी ऩीली औॊठी औी
ग्रेबवटी जांर्ने औा भन फना यलमा। उसने अऩने नॊट्स कनऔाल यलए ओय एऔ प्रश्न इस सभूह औे साभने उछाल
फदमा-"अच्छा र्यलए फताइमे अबी जाऩान औे प्रधानभन्त्री बायत आमे थे । बायत सयऔाय से उनऔे कऔन
भहत्वऩूणच बफिं दुऒ ं ऩय सभझोते रृए?"
मह ऩूयी ऩीलीऔॊठी औी ऩयीक्षा औा अवसय था।लेकऔन अं तययाष्ट्रीम सम्बन्धों औे बविेर्ग्य खुप्ता औॊ नवनीत औे
इस प्रश्न औा उत्तय नहीं ऩता था इसयलए प्रश्न सुनते ही उसे बूक लख आई। इस फाय उसऔा डंऔा काभॊि यहा।
सभम औा सदुऩमॊख औयते रृए खुप्ता कऔभर्न से अऩने बॊजन औी प्लेट ले आमा भजसभे आलू औी सब्जी ओय गी
भें डू फी र्ाय यॊकटमां यकी थी। खुप्ता औे खााँव भें बैंस ऩली रृई थी इसयलए उसे गी औी औॊई औभी नहीं थी।
नवनीत ने र्ुनोती औी तयह अऩना प्रश्न माद फदलामा - "फताइमे। मे तॊ फरृत इम्पॊटेन्ट मात्रा थी। इतना तॊ
ऩता हॊना र्ाफहमे। खुप्ता जी आऩ तॊ अं तयाचष्ट्रीम सम्बन्धों भें बविेर् रूभर् यकते हैं, आऩऔॊ तॊ ऩता हॊना
र्ाफहए।“
नवनीत ने जफ मह फात खुप्ता से ऩूछी तॊ यॊटी औा टु औडा उसऔे भुंह भें था। नवनीत औी र्ुनोती औे औायण खुप्ता
यॊटी र्फाना बूल खमा ओय फड़ी फड़ी आाँ कें औयऔे उत्तय माद औयने औा सपल अफबनम औयने लखा। ऩय उसे इस
प्रश्न औा उत्तय नहीं ऩता था। फपय बी उत्तय माद औयने औा खुप्ता औा अफबनम ऐसा था कऔ फस उत्तय उसऔी जफान
ऩय आ ही यहा है लेकऔन भुंह भें यॊटी हॊने औा औायण वह फॊल नहीं ऩा यहा।
नवनीत ने वहां फैठे अमश्ऱन ,मनोज ,ओय ऩांडे औॊ ललऔाया –“आऩ लॊखों औॊ ऩता है?”
कऔसी औॊ उत्तय नहीं ऩता था। कऔसी औॊ मह उम्मीद बी नहीं थी कऔ ऩहली फाय बभलने वाला लड़औा उनऔी
ऩयीक्षा ले सऔता है। अमश्ऱन औी ऩढ़ाई से बी जाऩानी प्रधानभन्त्री औे बायत आखभन औी गटना छू ट खई थी।
अमश्ऱन बी र्ुऩ यहा।ऩय नवनीत औट्टय था। उसने सबी ऩयीक्षाभथि मों औॊ ऩयाभजत देकते रृए बी बवर्म नहीं
फदला ऩय उसने दमा औयते रृए प्रश्न औॊ थॊड़ा सयल औय फदमा।
नवनीत औी नजय भें सयल प्रश्न िेर् लॊखों औी नजय भें जकटल ही फना यहा। प्रश्न सुनऔय लॊखों औे र्ेहये औे बावों
भें औॊई फदलाव नहीं आमा। ऩहले प्रश्न जैसी ऴस्थबत ही फनी यही। इस सयल प्रश्न औा उत्तय बी र्ायों नहीं जानते
थे। खुप्ता ने इस सभम औा फेहतय उऩमॊख कऔमा ओय वह जूठे फतचन भांजने र्ला खमा। सबी ने नवनीत औे
साभने हभथमाय डाल फदए।
नवनीत ने अऩनी ऩढ़ाई मुद्ध औी तैमायी औी तयह औी थी, आज भोक़ा ऩाते ही वह साभने फैठे लड़औों औॊ
अऩना दुश्मन भानते रृए वह उन ऩय टू ट ऩड़ा था। आज नवनीत औॊ लख यहा था कऔ उसने अऩने हभथमायों से
अऩने दुश्मनों औॊ खाजय भूली औी तयह औाट फदमा है ओय उसऔे दुश्मन मुद्ध बूबभ भें ऩड़े तड़ऩ यहे हैं। बवजमी
भुस्कान यलए नवनीत ने अऩने लरृलुहान दुश्मनों से औहा -" तुभ लॊखों औॊ इतना बी नहीं ऩता ? उनऔा नाभ है
जूनीऔीयॊ औॊईजूभी। वे नीला औॊट ओय लाल टाई ऩहनऔय बायत आमे थे।”
28 .
नमे साल औे ऩहले फदन औी उभंख ने मनोज औॊ बवर्यलत औय फदमा। नमे साल ऩय अखय वह श्रद्धा से फात
नहीं औयेखा तॊ फपय औफ औयेखा? नमे साल औा फहाना उसऔे यलए एऔ अवसय था भजसे वह खवाना नहीं
र्ाहता था ।
मनोज ने जफ ऩांडे औॊ अऩना ददच फतामा तॊ मॊबखता औे प्याय भें डू फे ऩांडे औॊ उसऔे प्याय औा ददच सच्चा
लखने लखा। ऩांडे औी इच्छा मनोज औी सहामता औयने औी हॊने लखी। उसने औापी देय तऔ औभये भें श्रद्धा औा
पॊन नम्बय ढू ंढा। ऩय पॊन नम्बय नहीं बभला ।
मॊबखता औे प्याय औे औायण दमालू हॊ र्ुऔा ऩांडे मनोज से औहता जा यहा था –“मनोज ऩयेिान भत हॊ,
श्रद्धा औा नम्बय बभल जामखा।”
ऩन्द्रह बभनट भेहनत औयने औे फाद ऩांडे औॊ बी नम्बय नहीं बभला। उदाय ऩांडे औॊ मनोज औा दुकी र्ेहया अच्छा
नहीं लख यहा था, उसऔे उवचय फदभाख ने एऔ तयऔीफ मनोज औॊ फताई - "मनोज बवऔास सय औी औॊभर्िं ख भें
जरूय हॊखा श्रद्धा औे गय औा नम्बय।”
ऩांडे औी तयऔीफ सुनऔय मनोज उत्साफहत हॊ खमा । मनोज ओय ऩांडे रॅफष्ट औॊभर्िं ख औा नम्बय लेऔय एसटीडी
ऩय र्ले खए। मनोज औॊ रॅफष्ट औॊभर्िं ख औी डामयेक्टय वभाच भैडभ अच्छे से जानती थीं। उसे लखा कऔ उसे
औॊभर्िं ख से श्रद्धा औा नम्बय आसानी से बभल जामखा। उसने रॅफष्ट औॊभर्िं ख पॊन लखामा।
एऔ भफहला औी आवाज आई -" नभस्काय रॅफष्ट औॊभर्िं ख से फॊल यही रॄाँ, फताइमे भैं आऩऔी क्या भदद औय
सऔती रॄाँ।”
मनोज ने आत्मबवश्ऱास से औहा - "नभस्काय भैडभ भैं भनॊज,ग्वायलमय से फॊल यहा रॄाँ।रॅफष्ट भें औॊभर्िं ख औी है।
भेयी बभत्र श्रद्धा बी रॅफष्ट भें ऩढ़ती थी। उनऔा पॊन नम्बय बभल सऔता है?"
उसने भैडभ औॊ अऩना ऩरयर्म फपय से माद फदलामा –“आऩ वभाच भैडभ फॊल यही हैं ना? भैं मनोज िभाच फॊल
यहा रॄाँ ग्वायलमय से।”
भफहला ने रूके स्वय भें मनोज औॊ जवाफ फदमा – “वभाच भैडभ आज औॊभर्िं ख नहीं आईं। भैं याकी फॊल यही रॄाँ।”
श्रद्धा औा पॊन नम्बय लेने औी मनोज औी मह आरख़यी उम्मीद बी कत्म हॊती जा यही थी। लेकऔन उसने हाय
नहीं भानी- "भैडभ आऩ सभझ नहीं यही हैं। श्रद्धा से फात औयना फरृत जरूयी है उनऔे आईएएस औा ऩयीक्षा
पाभच रयजेक्ट हॊ खमा है उसी औे फाये भें फात औयना है।”
मनोज ने अऩने ऩुयाने ऩय अफ तऔ न बूले उऩमॊखी हभथमाय ‘झूठ’ औा उऩमॊख कऔमा।ऩय आज उसक मह
हभथमाय बी फेऔाय र्ला खमा।उसऔी फात ऩूयी हॊती उसऔे ऩहले दूसयी तयप से अऩने औाभ भें ऩरयऩव
भफहला ने पॊन ऩटऔ फदमा। उसने खुस्से भें फपय से पॊन लखामा। भफहला ने फपय पॊन उठामा। मनोज औॊ
लखा कऔ बवऔास सय उसऔी फरृत तायीफ़ औयते हैं। इसयलए इस फाय सीधे बवऔास सय से ही फात औयेखा। उसे
ऩूयी उम्मीद थी कऔ बवऔास सय उसे कनयाि नहीं औयेंखे।
मनोज ने लड़औी से औहा- "बवऔास सय से फात औयाइमे। भैं उनऔा स्टू डेंट फॊल यहा रॄाँ। भैंने इस फाय आईएएस
भैन्स फदमा है।”
मनोज औॊ लखा कऔ भैन्स औा नाभ सुनऔय भफहला उसे जरूय भहत्व देखी ओय उसऔी भांख ऩूयी औय देखी।
लेकऔन अप्रबाबवत लड़औी ने मन्त्रवतौ जवाफ फदमा- "बवऔास सय छु ट्टी भनाने याजस्थान खए है।”
मह सुनऔय मनोज औी आरख़यी उम्मीद बी जाती यही। फात वहीं आ खई जहां से र्ली थी। सायी भेहनत फेऔाय
खई। श्रद्धा औा पॊन नम्बय नहीं बभला।
प्य र की तल श में असिल हुए मनोज क दुखी चेहर देखकर प ंडे भी दुखी हो गय ।
मनोज औे प्याय औॊ भंभजल तऔ ऩरृर्ाने औॊ आतुय ऩांडे ने यास्ते भें फपय एऔ नई सलाह मनोज औॊ दे दी-
"मनोज अफ तुम्हाये ऩास औॊई दूसया यास्ता नहीं फर्ा, तुम्हें अल्मॊड़ा औी ऒय औूर् औयना र्ाफहए। श्रद्धा औॊ
अऩने फदल औा हाल सुनामे बफना अफ तुभ नहीं यह सऔते।”
मनोज ने ऩांडे से औहा –“ ऩांडे अल्मॊड़ा जाना आसान नहीं है।” उसऔे भन भें अल्मॊड़ा औे नाभ से बम ओय
गफयाहट ऩैदा हॊ खई।
मनोज औॊ दुबवधा भें देकऔय ऩांडे ने उसे सभझामा –“मनोज प्याय भें लॊख क्या क्या नहीं औयते? नदी, नाले,
ऩहाड़, ऩवचत सफ लांग जाते हैं ओय तुभ अल्मॊड़ा तऔ नहीं जा ऩा यहे? है कऔतना दूय अल्मॊड़ा? अबी कनऔलॊ
तॊ सुफह अल्मॊड़ा ऩरृाँर् जाऒखे। “ मॊबखता औे प्याय भें डू फे ऩांडे औॊ अफ दुकनमा औे साये प्रेभी अऩने हभददच
नजय आ यहे थे। भजनऔी भदद औयने औॊ वह उताफला हॊ यहा था ।
ऩांडे द्वाया औठठन मात्रा औे सयलीऔयण से मनोज औॊ फल बभला। उत्साफहत हॊऔय मनोज अल्मॊड़ा जाने औे
यलए तैमाय हॊ खमा।
ऩांडे औे ऩास फहिं दी साफहत्य औे औुछ नॊट्स ऩड़े रृए थे। ऩांडे ने औहा –“मनोज लॊ मे नॊट्स यक लॊ, मे नॊट्स
श्रद्धा औे गय भें गुसने औे यलए तुम्हायी भदद औयेंखे।” दुश्मन औे एरयमे भें गुसने औे यलए हभथमाय सोऩने औी तयह
ऩांडे ने मनोज औॊ फहन्दी औे नॊट्स दे फदए ।
ऩांडे ने ऩांर् सो रूऩमे मनोज औॊ फदए औुछ ऩैसे मनोज औे ऩास बी थे। ऩांडे मनोज औॊ येलवे स्टेिन छॊड़
आमा। मनोज औॊ छॊड़ने औे फाद ऩांडे ने एसटीडी से मॊबखता औॊ पॊन लखामा ओय हाँस हाँस औय पॊन ऩय फात
औयता यहा।
29 .
फदल्री ऩरृंर्औय मनोज औॊ आनन्द बवहाय फस अड्डे से अल्मॊड़ा औे यलए फहना रेवर्ल् औी फस बभल खई।
यात बय िह मही औल्पना औयता यहा कऔ अल्मॊड़ा भें श्रद्धा से औैसे बभलेखा? श्रद्धा उसे अर्ानऔ देकेखी तॊ
क्या सॊर्ेखी? उसऔे भम्मी ऩाऩा से मनोज क्या फहाने फनामेखा? ऩय औुछ न औुछ तॊ यास्ता जरूय कनऔलेखा
ऐसा सॊर्औय मनोज अल्मॊड़ा आने औा इन्तजाय औयता यहा। सुफह हॊ खई । र्ायों तयप ऊाँ र्े ऊाँ र्े ऩहाड़ उसे
मनोज औी गफयाहट औभ नहीं रृई। क्या वह अऩने प्याय औा इजहाय श्रद्धा से औय ऩामखा? क्या श्रद्धा उसऔी
तड़ऩ औॊ भहसूस औय ऩामखी? मा िह औेवल फहाना फना देखा कऔ कऔसी औाभ से अल्मॊड़ा आमा था तॊ सॊर्ा
तुभसे बभल लूं ? ऩता नहीं क्या हॊखा? उसने आाँ कें फंद औयली।
अल्मॊड़ा ऩरृंर्औय मनोज एऔ सस्ते से लॉज भें जाऔय तैमाय रृआ ओय ऩांडे द्वाया फदए खमे फहन्दी साफहत्य औे
नॊट्स औा यलपापा लेऔय फाहय सड़औ ऩय आ खमा। उसने श्रद्धा से अल्मॊड़ा औे फाये भें फरृत औुछ ऩूछा था।
श्रद्धा ने फतामा था कऔ अल्मॊड़ा भें भाल यॊड है, भाल यॊड से नीर्े सवोदम नखय है। महीं से ऩर्ास सीफढ़मााँ
नीर्े उतय औय उसऔा गय है। भजन सीफढ़मों ऩय यॊज श्रद्धा जाती थी आज िह उन सीफढ़मों ऩय था।इन सीफढ़मों
ऩय श्रद्धा औे नजदीऔ हॊने औा अहसास उसे हॊ यहा था। लेकऔन जैसे जैसे वह सीफढ़मााँ उतय यहा था वैसे वैसे
उसऔे बीतय औा आत्मबवश्ऱास बी औभ हॊता जा यहा था। उसके ऩैयों औी खबत औभ हॊने लखी ।
ऩर्ास सीफढ़मााँ नीर्े उतय औय मनोज एऔ फड़े से गय औे साभने आ खमा। गय औे दयवाजे ऩय एऔ नेभप्लेट
लखी थी भजस ऩय यलका था –‘खणेिर्न्द्र जॊिी’ प्रॊपेसय। गय औे अं दय फड़ा सा फखीर्ा था। भजसभे औई यंखों
औे पूल ओय सवब्जमां लखी रृई थी। मनोज औी फहम्मत अऩनी प्रेबभऔा औे दयवाजे ऩय आऔय जवाफ दे खई
,उसे सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह श्रद्धा औा साभना औैसे औयेखा? क्या औहेखा उससे ? उसऔी सायी औल्पना,
सायी यणनीबत खामफ हॊती रृई फदकने लखी।
मनोज ने फहम्मत औयऔे गय औी गण्टी फजाई। उसे अफ अऩनी धड़औनों औी धभऔ औा िॊय कुद सुनाई दे यहा
था। औुछ देय तऔ कऔसी ने गंटी औी आवाज नहीं सुनी। अखय औुछ देय तऔ औॊई न आमे तॊ उसे लखने लखा कऔ
वह बखय ऩड़ेखा। उसभे कड़े यहने औी ही िभि नहीं फर्ी। क्या प्रेबभऔा औे गय ऩहली फाय आने ऩय ऐसा ही
लखता है? उसक मह अनुबव एऔदभ नमा ओय अऔथनीम था।उसके ऩैय अफ औााँऩ यहे थे । तबी एऔ नोऔय
नुभा लड़औा फाहय आमा।
मनोज ने दॊ तीन लम्बी सांसे लेऔय खले औॊ फॊलने लामऔ फनामा ओय उस लड़औे से फॊला- “भैं फदल्री से
आमा रॄाँ, श्रद्धा जॊिी से बभलना है।”
मनोज औॊ औांर् औी अल्मायी भें वादबववाद, कनफन्ध, खामन प्रबतमॊबखता भें जीतीं ढेय सी राफपमां ओय औऩ
फदकाई फदए। हय एऔ ऩय श्रद्धा जॊिी नाभ यलका है।ऩास ही एऔ तस्वीय तंखी थी भजसभें श्रद्धा यंखॊली
कनऔाल यही थी ।श्रद्धा औॊ तस्वीय भें देकऔय उसने सुऔून औी लम्बी खहयी सााँस ली जैसे उसने अऩना लक्ष्य ऩा
यलमा हॊ ।
मनोज अफ श्रद्धा औे आने औा इन्तजाय औय यहा था। उसऔी आाँ कें, उसऔा र्ेहया, उसऔा भन, उसऔे औंरॊल भें
नहीं था।श्रद्धा औा अफ तऔ औॊई अता ऩता नहीं था। उसकी नजये श्रद्धा औॊ ढू ंढ यही थीं।उसके औान श्रद्धा औी
आवाज सुनने औॊ तयस यहे थे। तबी अं दय से श्रद्धा औी भम्मी आ खईं।
मनोज ने श्रद्धा औी भम्मी औॊ नभस्ते कऔमा –“आं टी जी भैं फदल्री भें श्रद्धा औे साथ ऩढ़ता था।”
श्रद्धा औी भम्मी ने अबी तऔ श्रद्धा औॊ नहीं फुलामा था। क्या ऩता ऩहले वह मनोज औॊ ऩयक लेना र्ाहती हों
फपय श्रद्धा औॊ फुलाएं मा भुयनै ा औी भाताऒ ं जैसे कऔसी अनजाने लड़औे से अऩनी लड़औी औॊ न बभलने देने औा
रयवाज अल्मॊड़ा भें बी हों।उसे औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ सच्चाई क्या है? श्रद्धा औहा हैं? ऐसा तॊ नहीं
श्रद्धा गय ऩय न हॊ औहीं फाहय खई हॊ। औई तयह औे प्रश्न, आिंऔाएं , उम्मीदें मनोज औे भन भें आ जा यही थीं।
“तुभ फदल्रे औे यहने वाले हॊ ?”-श्रद्धा औी भम्मी ने मनोज से ऩूछा। उसे अफ भम्मी औॊ जवाफ देने थे।
मनोज भम्मी से ज्यादा फात औयना नहीं र्ाहता था। ऩय भम्मी औे ऩास आज िामद ऩमाचप्त सभम था।
“ ग्वायलमय, फबिं ड, भुयने ा औा तॊ फरृत नाभ सुना है।” - भम्मी ने मनोज से औहा।
मनोज औॊ मह सुनऔय अच्छा लखा कऔ उसऔे िहय औा नाभ दूय ऩहाड़ों तऔ यॊिन है।
भम्मी ने अऩनी अधूयी फात ऩूयी औी–“अबी बी वहां डाऔू फंदूऔ यलए फदक जाते है क्या?” सुना है फरृत लड़ाई
झखड़े वाले लॊख हॊते हैं,फात फात ऩय फंदूऔ र्ला देते हैं।”संखीत औी भियक्षऔा अफ सभाजिास्त्र भें रूभर् ले
यही थी। अऩनी औी खई प्रिंसा औी वह अफ वह व्याख्या औय यही थी।
ऩय उसने फात सम्हालने औी औॊभिि औी–“अफ ऐसा नहीं है,ऩढ़ाई भें ग्वायलमय फरृत आखे है।ग्वायलमय औा
भसिं भधमा स्कूल तॊ ऩूये देि भें पेभस हैं ।“भनॊज ने भसिं भधमा स्कूल औा नाभ सुना था ।अऩने इलाऔे औे सभथचन
भें भनॊज ने देि बय भें प्रभसद्द भसिं भधमा स्कूल औे नाभ औा सहाया यलमा ।इतने फड़े स्कूल औा नाभ सुनऔय श्रद्धा
औी भम्मी आखे औुछ नहीं फॊली ।
श्रद्धा औी भम्मी ने अफ जाऔय यहस्य कॊला “–श्रद्धा तॊ इं टनचभिऩ औयने हरयद्वाय खई है।लाऒ मे नॊट्स भुझे दे
दॊ भैं दे दूंखी।”
औल्पना ओय सऩनों औा फड़ा सा भहल बयबयाऔय जभीन ऩय बखय ऩड़ा ओय अरॅश्य हॊ खमा। फड़ी सी मॊजना
िुरू हॊते ही सभाप्त हॊ खई। उसऔा आना कनयथचऔ हॊ खमा, मनोज औॊ लखा। ऩय जल्दी हाय न भानने वाले
मनोज ने अऩनी आदत औे अनुसाय सभस्या से जूझना नहीं छॊड़ा।
मनोज ने फहम्मत औयऔे भम्मी से औहा- “श्रद्धा औा पॊन नम्बय है? भेये ऩास था ऩय भुझसे औहीं कॊ खमा।”
मनोज ने इस फात औी भर्िं ता छॊड़ दी कऔ श्रद्धा औी भम्मी उसऔे फाये भें क्या सॊर् यही हॊखी।लेकऔन श्रद्धा औी
भम्मी उदाय कनऔलीं, उन्होंने श्रद्धा औे हॊस्टल औा पॊन नम्बय मनोज दे फदमा।
मनोज वाऩस फस स्टेि आ खमा। उसके ऩास श्रद्धा औा पॊन नम्बय आ र्ुऔा था। उसने अल्मॊड़ा से बवदा
हॊने औे ऩहले श्रद्धा से फात औयना र्ाही।
उसने फस स्टेि औे ऩास से श्रद्धा औॊ हरयद्वाय हॊस्टल पॊन लखामा। गण्टी जा यही थी। धडऔनें फपय फढ़ने
लखीं। फात न औयॊ तफ बी फेर्नै ी ओय फात औयने औॊ तैमाय हॊ तफ बी फेर्ैनी। उसे सभझ नहीं आ यहा था कऔ
औैसे वह अऩनी फढ़ती रृई धड़औनों औॊ औंरॊल औये। िह इन्तजाय औयता यहा। गंटी जा यही थी।
कऔसी भफहला ने पॊन उठामा तॊ उसने औहा - "भैं अल्मॊड़ा से फॊल यहा रॄाँ, श्रद्धा जॊिी से फात औयना है।”
थॊड़ी देय फाद श्रद्धा पॊन ऩय आ खई। मनोज अफ वह आवाज सुनने वाला था भजसऔे यलए वह ऩता नहीं औफ
से तयस यहा था। फदल थाभ औय कड़ा यहा।
"हैलॊ।”-क्या मही वह आवाज है, जॊ उसके यलए संजीवनी है? भजसे सुनना उसके यलए सााँसे लेने जैसा है।
जॊ दुकनमा औी सफसे प्यायी आवाज है। क्या इसी आवाज औॊ सुनने औे यलए िह महां इतनी दूय आमा है?
मनोज औुछ नहीं फॊल सऔा।
अफ मनोज र्ुऩ नहीं यह सऔता था - "भैं मनोज फॊल यहा रॄाँ श्रद्धा।”
"मनोज तुभ?"- श्रद्धा मनोज औॊ ऩहर्ान खई । उम्मीद,औल्पना, सऩने, पेंटेसी खामफ हॊ खई थी। मथाथच
साभने था।
हााँ भैं अल्मॊड़ा से ही फॊल यहा रॄाँ।” मनोज ने फेहॊिी औे अं दाज भें फॊला।
"अल्मॊड़ा क्यों आमे हॊ भनॊज?"-श्रद्धा औॊ लखा कऔ मनोज कऔसी औाभ से अल्मॊड़ा आमा है।
"तुभसे बभलने आमा था।” – मनोज श्रद्धा से झूठ नहीं फॊल ऩामा।
"तुभ ग्वायलमय से अल्मॊड़ा भुझसे बभलने आमे हॊ? ऩूछ सऔती रॄाँ क्यों?” - श्रद्धा अफ असहज हॊ यही थी।
मनोज औा उतावलाऩन उसे ऩसन्द नहीं आ यहा था ।
क्या श्रद्धा फदल्री औॊ ऩूयी तयह बूल खई है ? क्या लड़कऔमां इतनी जल्दी सफ बूल जाती हैं? क्या लड़कऔमों
औी स्मयणिभि इतनी औभजॊय हॊती है ? मा लड़कऔमां सफ बूलने औा अफबनम औयती हैं। मनोज औॊ सभझ
नहीं आमा। ऩय उसे सफ माद था। एऔ एऔ ऩल जॊ श्रद्धा औे साथ बफतामा था।
"आय मू भेड भनॊज, क्या तुभ ऩाखल हॊ खमे हॊ? भैं तुम्हें सभझदाय ओय अच्छा लड़औा सभझती थी। आखे से
भुझे पॊन भत औयना।” -बफजली सी औड़औी ओय मनोज औे फदल ऩय बखय ऩड़ी।पॊन ऩय टू ाँ टू ाँ औी टॊन फजती
यही।अभृत फऩलाने वाली आवाज ने मनोज औा साथ छॊड़ फदमा। अबी तऔ प्याय औॊ आसान सभझने वाला
मनोज सभझ खमा था कऔ प्याय उतना आसान नहीं है भजतना वह सभझ फैठा था। प्याय अफ अऩने भूल स्वबाव
भें था, औठठन ओय दभ गोंटने वाला।
आं सुऒ ं से ऩूया टेलीपॊन बीख र्ुऔा था। आं सुऒ ं भें डू फा र्ेह या यलए मनोज एसटीडी औे फाहय ही फस स्टेि
ऩय फैठा यहा। उसे श्रद्धा से ऐसी औठॊयता औी उम्मीद नहीं थी । क्या वास्तव भें श्रद्धा औे भन भें उसऔे यलए
औॊई जखह नहीं है? क्या मह सफ औेवल उसके भन औी औल्पना थी ? िह र्ुऩर्ाऩ वहीं फैठा यहा। फपय
उसकी आाँ कों औे साभने श्रद्धा औा बॊला र्ेहया आ खमा ।
मनोज सॊर्ने लखा –नहीं ,भैं कऔसी औॊ बी ऩहर्ानने भें खलती औय सऔता रॄाँ लेकऔन श्रद्धा औॊ नहीं ।श्रद्धा
सफसे अच्छी है, वह औबी खलत नहीं हॊ सऔती। भेयी ही खलती है जॊ उसऔे गय ऩरृाँर् खमा। भुझे अल्मॊड़ा
नहीं आना र्ाफहए था।“ औुछ देय ऩहले श्रद्धा औे व्यवहाय से दुकी मनोज ने श्रद्धा औे प्रबत अऩने बयॊसे ओय
प्याय औॊ औभ नहीं हॊने फदमा ।
तबी मनोज औॊ कऔसी औी आवाज सुनाई दी –“आऩ मनोज िभाच हैं ?” -मह एसटीडी वाला था।
इस फाय उसने अऩनी नायाजखी औॊ छु ऩाते रृए मनोज से औहा –“मनोज मे तुभ क्या औय यहे हॊ? तुम्हें अऩनी
ऩढ़ाई ऩय ध्यान देना र्ाफहए। तुम्हाया भेंस एग्जाभ औैसा खमा?”
प्याय औी तलाि भें हजाय कऔलॊभीटय दूय आमे मनोज औॊ अफ अऩनी ऩढ़ाई औा रयऩॊटच औाडच श्रद्धा औॊ देना
था।उसके जीवन औी असपलताऒ ं औी लम्बी श्रंकला भें एऔ ओय औड़ी जुड़ खई थी। उसने अऩना भैन्स
मनोज से श्रद्धा से औहा -“भैंने भैन्स ऩूया नहीं फदमा ,इं विि औॉम्प्प्लसयी ऩेऩय भें एस्से खलत यलक फदमा था।”
मनोज ने यझझऔते रृए अऩने अधूये एग्जाभ औी औहानी श्रद्धा औॊ औह सुनाई। श्रद्धा औुछ देय काभॊि यही।
फपय श्रद्धा ने मनोज औॊ सभझाते रृए औहा– “मनोज इस सभम तुम्हें ऩढ़ाई औे अलावा औुछ बी फदभाख भें नहीं
लाना र्ाफहए। फरृत भुळिल से भुख्य ऩयीक्षा देने औॊ बभलती है ओय वह तुभने अधूयी छॊड़ दी। अऩनी उन
औबभमों औॊ दूय औयने औी जखह तुभ महााँ अल्मॊड़ा फेऔाय औी फातों औॊ फदभाख भें यलए र्ले आमे। क्या इस
तयीऔे से तुभ औबी एग्जाभ भें सपल सऔते हॊ? तुम्हीं फताऒ?”
मनोज औहना तॊ र्ाहता था कऔ तुभ एऔदभ सही औह यही हॊ लेकऔन वह औुछ औह नहीं ऩामा ।वह र्ुऩर्ाऩ
पॊन ऩय श्रद्धा औॊ औेवल सुनता यहा। लेकऔन श्रद्धा औी फातों से उसे लख यहा था कऔ उसऔा यीता भन फपय से
बयने लखा है। उस बये भन भें अफ औहीं औॊई बम मा आिंऔा नहीं फर्ी। न श्रद्धा औे प्रबत न अऩनी सपलता औे
प्रबत ।
30 .
मनोज भजस प्याय औी तलाि भें अल्मॊड़ा खमा था वह प्याय तॊ उसे नहीं बभला। लेकऔन प्याय औी जखह
उसे श्रद्धा औी उम्मीद ओय बयॊसा जरूय बभल खमा था। इसी उम्मीद ओय ऩढ़ाई औे संदेि औॊ भन भें फसाए िह
वाऩस ग्वायलमय आ खमा । दूसये अटेम्प्प्ट औी आईएएस प्रायऱम्भऔ ऩयीक्षा भें अफ औेवल तीन भहीने फर्े थे ।
प ंडे ने प्रेवमक के इन्तज र क कटठन समय क टने के वलए दूसरे लडकों के कमरों में त क झ ाँक शुरू की।
अविन और निनीत पढ़ ई कर रहे थे। उससे ब त करने के मूड में कोई नहीं थ ।
मॊबखता अबी तऔ नहीं आई थी। ऩांडे औॊ अबी औुछ ओय वि बफताना था इसयलए वह नवनीत औे औभये भें
र्ला खमा। ऩांडे औॊ देकऔय नवनीत औे औॊई प्रबतफिमा नहीं दी। अथाचत नवनीत नहीं र्ाहता था कऔ ऩांडे वहां
कड़ा यहऔय उसऔी ऩढ़ाई कडस्टफच औये। औुछ देय नवनीत औा सऩाट र्ेहया फना यहा तॊ ऩांडे सभझ खमा कऔ
नवनीत र्ाह यहा है कऔ ऩांडे वहां से र्ला जाए । ऩांडे अऩने भन भें नवनीत औॊ खायलमााँ देता रृआ उसऔे औभये
से फाहय र्ला खमा ।
इन ऩूये र्ाय ऩांर् गण्टे भें ऩांडे ने एऔ अक्षय बी नहीं ऩढ़ा। ऩांर् फजे मॊबखता आई। प्रेभी ऩांडे ने र्ाय ऩांर् गण्टे
फाद याहत औी सांस ली।
मॊबखता ने फड़ी सी आाँ कें नर्ाते रृए औहा -"सॉयी लेट हॊ खई। फीस तायीक औॊ भेयी दीदी औी िादी है। ” इतना
औहऔय मॊबखता ने िादी औा एऔ औाडच कनऔालऔय ऩांडे औे साभने टेफल ऩय यक फदमा।
मॊबखता ने भुस्कुयाऔय दॊनों से औहा- "आऩ दॊनों िादी भें जरूय आइमे।”
इतना औहऔय मॊबखता र्ली खई। ऩांर् गंटे औे इन्तजाय औे फाद ऩांडे औॊ अऩनी प्रेबभऔा औा ऩांर् बभकनट औा
साथ ही नसीफ रृआ। ऩय ऩांर् बभकनट औा साथ बी बवयही प्रेभी औॊ जीबवत यकने औे यलए ऩमाचप्त था । वह
लम्बी सांस लेऔय ऩलंख ऩय लेट खमा।मह सुक औी सांस थी। उसने भहसूस कऔमा कऔ अफ वह ऩढ़ सऔता है।
आईएएस औी फप्रयलम्स औे यलए अफ भाहोल सऔायात्मऔ है। उसने कऔताफ उठा ली।
दस बभकनट कऔताफ ऩऔड़े यहने औे फाद ऩांडे ने मॊबखता औी दीदी औी िादी औा औाडच उठा यलमा ओय उसे फरृत
फायीऔी से कनहायता यहा। फपय उसऔी इच्छा रृई कऔ अफ टेऩ ऩय खाने सुने जाएाँ । उसने फपय से भॊहब्बतें फफ़ल्म
31 .
मनोज औे ऩैसे कत्म हॊ खए थे। उसे ऩता र्ला कऔ फऩता खााँव आमे है तॊ वह फऩता से बभलने ओय आखे
औी ऩढ़ाई औे यलए ऩैसे लेने खााँव र्ला खमा। फस से उतयते ही ऩुयलमा ऩय उसे विष्णु ओय फल्रे बभल खमे।
विष्णु सयऔायी स्कूल भें संबवदा भिक्षऔ फन खमा था।
मनोज औॊ देकते ही विष्णु फॊला- "क्यों मनोज आ खमा? औफ तऔ फनेखा कडप्टी औलेक्टय ? फरृत साल हॊ
खए अफ तॊ।”
मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ खााँव भें प्रवेि औयते ही उसे इस तयह औा व्यंग्य सुनना ऩड़ जामखा।
उसने विष्णु औॊ सभझाते रृए औहा - "हॊ जामखा खॊबवन्द। सभम लखता है।”
ऩय विष्णु अऩने ऩुयाने ट्ढेल्थ पेल दॊस्त औा स्तय जानता था। विष्णु भानता था कऔ मनोज भसपच भस्ती भजे औे
यलए ग्वायलमय भें यह यहा है। उसऔी नजय भें मनोज औॊ िहय औी हवा लख र्ुऔी है।
“तू भुझे ऩाखल नहीं फना सऔता, भैं जानता रॄाँ तुझे ओय तेयी ऩढ़ाई औॊ ” –विष्णु औॊ मनोज ऩय बफलऔुल
बी बयॊसा नहीं था।
विष्णु औे साथ मनोज औा एऔ ओय दॊस्त फल्रे बी वहीं कड़ा था फल्रे ने टेम्पॊ र्लाना फन्द औय फदमा
था।वह जोया भें औन्सरक्शन औा औाभ औयने लखा था।
उसने मनोज ऩय व्यंग्य औयते रृए औहा- "जे भूंछे औाम औटाम लई। र्श्मा लखामे लऒ। भॊम तॊ तेम लऴच्छन
ठीऔ ना लख यहे। भॊम तॊ लाखते कऔ तैनें भॊड़ी पसाए लई है खवायलमय भें । देरकमे बैमा नाऔ ना औटाम फदए
खााँव औी। भसिं धी, ऩंजाबफन औे र्क्कय भें तॊ ना पंस खमॊ।” मनोज औॊ फल्रे औी फात फुयी लखी। लेकऔन उसने
फल्रे औी फात औॊ अनसुना सा औय फदमा।
मनोज अऩने दॊस्तों से बफना औुछ औहें अऩने गय औी ऒय फढ़ खमा ।
मनोज ने आज ऩहली फाय अऩने फऩता से गय औी अथचव्यवस्था औॊ ठीऔ फनामे यकने औी बवनती औी - "ऩाऩा
दॊ तीन साल ठीऔ से नोऔयी औय लॊ। भेयी ऩढ़ाई र्ल यही है। फदल्री जाऊं खा औॊभर्िं ख औे यलए। फदल्री भें
ऩैसों औी जरूयत ऩड़ेखी।” लेकऔन इस तयह औी बवनबतमों औा असय फऩता ऩय औबी नहीं रृआ।
फऩता फॊले- "तू जानता नहीं है इन लॊखों औॊ। फरृत हयाभी हैं । भैं सफऔॊ ठीऔ औय दूख
ं ा।”
मनोज सभझ खमा कऔ संऔट फढ़ने वाला है। फऩता फपय से संगर्च औे भूड भें आ र्ुऔे हैं अफ उन्हें कऔसी बी तयह
यॊऔा नहीं जा सऔता। कऔसी बी फदन कफय आ सऔती है कऔ फऩता सस्पेंड हॊ खए हैं। दूसयी तयप फदल्री जाए
बफना भसलेक्शन नहीं हॊखा। आईएएस प्रीयलम्स ग्वायलमय से कनऔल सऔती हैं ऩय भुख्य ऩयीक्षा औे यलए
फदल्री जाना जरूयी था।
मनोज अखले फदन भााँ से दॊ हजाय रूऩमे लेऔय वाऩस ग्वायलमय र्ला खमा। यास्ते बय वह सॊर्ता यहा कऔ वह
व्यथच ही इतने फड़े सऩने देक यहा है। आईएएस,श्रद्धा,ऩीएससी। उम्मीद औे साथ खााँव जाने वाला मनोज लोटते
सभम अऩने साथ नाउम्मीदी ओय हतािा लेऔय आमा था।
32 .
अमश्ऱन स्पष्ट उद्देश्य से आमा था, उसे इन फेऔाय औी फातों भें औॊई रूभर् नहीं थी। उसने व्यथच सभम फफाचद नहीं
कऔमा। वह काने औे स्टॉल तलािने लखा ओय अऩनी प्लेट सजा औे ऩांडे औे ऩास आऔय कड़ा हॊ खमा।
अमश्ऱन - "ऩांडे भटय ऩनीय अच्छा फना है। तुभ बी प्लेट ले लॊ। ज्यादा वि फफाचद औयने औी जरूयत नहीं है
र्लऔय ऩढ़ना बी है।”
अमश्ऱन ने ऩांडे औॊ इस यॊभांकटऔ भोऔे ऩय ऩढ़ाई औी माद फदला दी। ऩय ऩांडे औी बूक प्यास भय र्ुऔी थी।
ऩढ़ाई वह बूल र्ुऔा था। वह र्ायों तयप र्हऔती रृई, भुस्कुयाती रृई, मॊबखता औॊ ही देक यहा था।मॊबखता
औबी भेहभानों से फात औयती, औबी कऔसी फात ऩय हाँसती फदकाई देती।
ऩांडे ने इस फाय मनोज से औहा - "देकॊ मनोज मॊबखता कऔतनी कुि है।”
मनोज ने ऩांडे औॊ सन्तुष्ट कऔमा - "भुझे तॊ लखता है कऔ वह तुम्हाये आने औे औायण ही ज्यादा कुि है।उसऔी
ख़ुिी छु ऩामे नहीं छु ऩ यही।”
अमश्ऱन ने फरृत फदनों से दहीफड़ा नहीं कामा था, उसने दहीफड़ा काते रृए औहा –”ऩांडे दही फड़ा अच्छा फना
है,काऒखे?”
मॊबखता औे सौंदमच भें डू फने औे औायण ऩांडे औॊ बूक नहीं लख यही थी।
मनोज औहीं कॊमा रृआ था। ऩांडे औी नजय भसपच मॊबखता ऩय कटऔी रृई थी हाँसती ओय रकलरकलाती फड़ी
फड़ी आाँ कों वाली मॊबखता ऩय। उत्सव ओय सौंदमच औे इस भाहोल भें मनोज औॊ श्रद्धा औी माद सताने लखी।
एऔ प्रेभी अऩनी दूयस्थ प्रेबभऔा औॊ माद औय यहा था दूसया प्रेभी अऩनी कनऔटस्थ प्रेबभऔा औॊ कनहाय यहा था।
ऩांडे इस कनष्कर्च ऩय ऩरृाँर् र्ुऔा था कऔ मॊबखता उसी औे औायण आज फेहद कुि है। अमश्ऱन औे भुंह भें औढ़ी
ऩय फपय बी भुाँह भें औढ़ी र्ावल बये रृए ही अमश्ऱन ने भजफूयी भें अऩने भन औी फात औह दी -" ऩािे तुम्हायी
आाँ कें पूट खईं हैं क्या?"
अमश्ऱन बफन फुलाई िादी भें औेवल बॊजन औयने आमा था। ऩय वह अऩने दूसये दाभमत्व बी कनबाना र्ाहता था,
उसने ऩांडे औॊ मथाथच औे दिचन औयाने औा अऩना दाभमत्व कनबामा।
उसने अमश्ऱन से खुस्से भें ऩूछा -" उल्टी सीधी फातें फरृत औयते हॊ तुभ, तुम्हें महााँ लाऔय हभने फरृत फड़ी
खलती औय दी। फताऒ ं अफ क्या औहना र्ाहते हॊ? "
अमश्ऱन औी नजय फायीऔ थी। उसने ऩांडे औॊ वह फदकामा जॊ प्याय भें अं धा ऩांडे नहीं देक ऩा यहा था।
अमश्ऱन ने र्ासनी वाले खयभ खुलाफ जाभुन औा आनन्द लेते रृए ऩांडे से औहा - "मॊबखता तुम्हाये औायण नहीं
र्हऔ यही है ऩांडे। वॊ देकॊ औाले औॊट भें तुभसे लम्बा ओय सुंदय लड़औा कड़ा है ना! उसऔे औायण र्हऔ यही
है।”
ऩांडे ओय मनोज ने देका कऔ मॊबखता एऔ स्माटच लड़औे से हाँस हाँस औय फात औय यही है । फात औयते औयते
औबी मॊबखता ियभा जाती, औबी भुस्कुया जाती।
ऩांडे ने अमश्ऱन औा बवयॊध कऔमा - "अमश्ऱन तुभ बवघ्नसंतॊर्ी हॊ। महां औई लॊख हैं जॊ मॊबखता औे भेहभान हैं,
हाँसऔय फात औयना भेहभान औा धभच है।”
"भत भानॊ ऩांडे मफद नहीं भानना है तॊ,ऩय उस लड़औे से ही र्क्कय है मॊबखता औा। तुभ फेऔाय ही फीर् भें औूद
यहे हॊ।” - अमश्ऱन ने आत्मबवश्ऱास से औहा।
ऩांडे अफ र्ोऔन्ना हॊ खमा। अमश्ऱन औी लखाई आख अफ बड़औ यही थी। ऩांडे औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ मॊबखता
उसऔे औायण नहीं कऔसी ओय लड़औे औे औायण कुि है।अमश्ऱन औा काना ऩूया हॊ खमा था।ऩय अबी औॉफ़ी फर्ी
रृई थी।
अमश्ऱन औॉफ़ी ऩीने लखा। उसने औॉपी ऩीते रृए पाइनल कनणचम सुनामा - "ऩांडे तुम्हाया अफ महां औॊई औाभ
नहीं है। तुम्हायी मॊबखता ने तुभसे ज्यादा स्माटच ओय संबावनािील लड़औा ढू ंढ यलमा है। र्लॊ अफ र्लऔय
ऩढ़ाई औयॊ।”
मनोज यॊऔता यहा ऩांडे औॊ, ऩय ऩांडे वहां ऩरृाँर् खमा जहां मॊबखता उस लड़औे से फात औय यही थी। मनोज
औॊ डय था कऔ ऩांडे औहीं औॊई फवंडय न औय दे।
मनोज ने अमश्ऱन से औहा - "मे ऩांडे औहीं औुछ उल्टा सीधा न फॊल दे मॊबखता से।”
मनोज ऩांडे औा साथ देने उसऔे ऩीछे ऩीछे र्ला खमा। मॊबखता औे ऩास ऩरृंर्औय ऩांडे मॊबखता औॊ ऩयकने औे
उद्देश्य से फॊला - "मॊबखता अफ हभ लॊख र्लते हैं।”
जफ तऔ मॊबखता औुछ फॊलती मनोज ने मॊबखता औे साथ कड़े लम्बे ओय स्माटच लड़औे से हाथ बभलाऔय औहा
–“ हैलॊ भैं भनॊज।
मॊबखता ने ििांऔ औा ऩरयर्म फदमा -"मे ििांऔ है,जीजाजी औे रयश्तेदाय। इं िैंड भें सॉफ्टवेमय इं जीनमय हैं।”
मह एऔ अधूया ओय आिंकऔत औयने वाला कतयनाऔ ऩरयर्म था। ऩय ऩांडे सभझ खमा कऔ इस लड़औे औे
साभने वह औुछ बी नहीं है। िादी औी लाइकटिं ख ओय र्औार्ौंध भें ऩांडे औा र्ेहया पीऔा ऩड़ खमा। ऩांडे सभझ
खमा कऔ मॊबखता अफ इस लड़औे से ही प्याय औयेखी। उसे अऩनी हाय एऔदभ साभने फदकाई देने लखी। इस हाय
से ऩांडे फुझ खमा। लड़औा उन लॊखों से बवदा लेऔय र्ला खमा। मनोज ऩूयी तयह औिभच औयना र्ाह यहा था
कऔ वास्तबवऔता क्या है ?
मॊबखता औॊ मनोज औा औथन सभझने भें वि नहीं लखा। मनोज औा आिम बी िामद वह सभझ खई थी।
मनोज ने ऩूयी जांर् ऩड़ताल औे उद्देश्य से मॊबखता से औहा - "मॊबखता इं िैंड जाऔय हभ लॊखों औॊ बूल भत
जाना।”
मॊबखता ियभा खई। उसने अऩना सय औेवल 'ना' औे इिाये भें फहलामा भजसऔा अथच था कऔ वह इं िैंड जाऔय
इन दॊनों औॊ नहीं बूलेखी। ऩांडे औॊ अफ औॊई पऔच नहीं ऩड़ता कऔ इं िैंड जाऔय मॊबखता उसे माद औयेखी कऔ
मॊबखता औी नजयें ऩांडे से फर् यही थीं। मनोज ने सर् उखलवा यलमा था। ऩांडे वही कड़ा था। उसऔे ऩैय ओय
फदभाख ऩत्थय हॊ खए थे। मॊबखता ने ऩांडे औी तयप देका बी नहीं। वह दूसयी तयप र्ली खई। अमश्ऱन ने देका
कऔ अफ ऩांडे ओय मनोज अऔेले हैं तॊ वह लऩऔ औय आ खमा।
मनोज ने अमश्ऱन से औहा - "ऩांडे औा केल ख़त्म। तुभ सही थे अमश्ऱन। मॊबखता उस इं िैंड वाले लड़औे से प्याय
औयती है।”
अमश्ऱन ने ऩांडे से व्यंग्य भें औहा - "ऩांडे अफ र्लें मा काना काऔय जाऒखे। एभए फहिं दी भें लात भायऔय
सॉफ्टवेमय इं जीकनमय औे साथ तुम्हायी प्रेबभऔा कनऔल ली इं िैंड। ऩढ़ लॊ। नहीं तॊ औहीं औे नहीं यहॊखे।”
मनोज ने ऩांडे से औहा - "ऩांडे काना का लेते हैं। देय हॊ यही है।”
ऩांडे अमश्ऱन से औुछ नहीं फॊला था ऩय उसऔे बीतय आख लखी रृई थी । उसे मॊबखता ऩय िॊध आ यहा था।
मॊबखता से औुछ औहने औी फहम्मत ऩांडे औी नहीं थी इसयलए ऩांडे मनोज ऩय पट ऩड़ा - "भजस फदन श्रद्धा तुम्हें
छॊड़ औय जामखी उस फदन का लेना तुभ काना। तुम्हें क्या औयना भुझसे ? तुम्हें श्रद्धा औी माद आ यही हॊखी,
जाऒ तुभ श्रद्धा औॊ पॊन औय आऒ। भेयी भर्िं ता औयने औी तुम्हें जरूयत नहीं है।”
ऩांडे ने अऩने लुट र्ुऔे प्याय औा खुस्सा मनोज ऩय उताय फदमा। मनोज सभझ खमा था कऔ इस सभम ऩांडे से
औुछ बी औहना कतये से काली नहीं है।अमश्ऱन ऩांडे औॊ दूय कींर् ले खमा।मनोज वहीं कड़ा यहा।
दूय स्टेज ऩय 'औभफख्त इि है जॊ, साया जहां है वॊ' खाने ऩय औुछ लॊख डांस औय यहे थे।मनोज औॊ सुकबविं दय
ओय आिा बोंसले औे इस खाने से जैसे निा हॊ खमा। अऩने अधूये इि भें मनोज फपय से डू फ खमा। मनोज औॊ
लख यहा था कऔ मह खाना जैसे उसी औे यलए खामा जा यहा है। 'मे इि इि फहम्मत है,मे इि इि कऔस्मत
है ,मे इि इि ताऔत है।‘ श्रद्धा औे इि भें डू फे मनोज औे साभने इस सभम श्रद्धा औे अलावा औॊई नहीं था।
खाना कत्म हॊने औे फाद मह बया प्रेभी वाऩस अऩने दॊनों साभथमों औे ऩास आ खमा। लुटा प्रेभी ऩांडे औन्क्यूजन
भें था कऔ काना कामे मा नहीं। उसऔे फदल ओय ऩेट भें जद्दॊजहद र्ल यही थी। उसे ऩता था कऔ आज
ऩीलीऔॊठी भें बी उसे काना नहीं बभलेखा इसयलए उसने बूक से सभझोता नहीं कऔमा।बयऩेट काने औे फाद तीनों
अमश्ऱन ने दॊनों प्रेबभमों से औाय र्लाते रृए औहा- "औॉम्पटीिन औी तैमायी औयने वालों औे यलए प्रेबभऔाएं
औुबतमाएं हॊती है, भजन्हें िुरुवात भें ही लबतमा देना र्ाफहए नहीं तॊ मे फरृत ऩयेिान औयती है ।”
अमश्ऱन ने प्रेभ ओय प्रेबभऔा औे फाये भें अऩना बवर्ाय दॊनों प्रेबभमों औॊ फता फदमा।
दॊनों प्रेभी अमश्ऱन औी फात से सहभत नहीं फदके तॊ अमश्ऱन ने अऩनी फात आखे फढ़ाई -" ओय प्रेभी औुत्ते हॊते हैं
जॊ उनऔे ऩीछे ऩढ़ाई छॊड़औय लऩलऩाई जीब कनऔालऔय बाखते यहते हैं । क्यों ऩांडे? "- अमश्ऱन ने ऩांडे औॊ
औुत्ता औह फदमा था ओय अमश्ऱन उसऔी स्वीऔायॊभि बी ऩांडे से र्ाहता था।
ऩांडे जॊय जॊय से फॊलने लखा - "हां भैं औुत्ता रॄाँ। रॄाँ भैं औुत्ता।”
इतना औहऔय उसऔी रुलाई पूट ऩड़ी ओय वह अमश्ऱन से यलऩट औय यॊने लखा। अमश्ऱन औॊ इस यलऩटने से औाय
र्लाने भें असुबवधा हॊ यही थी।
उसने ऩांडे औॊ अऩने से अलख कऔमा ओय औहा - "ऩांडे औाय र्लाने दॊ, अबी गुस जामखी कऔसी भें। प्रेबभऔा से
हाथ धॊमा है, जान से बी हाथ धॊना ऩड़ेखा। हटॊ अलख।”
मनोज अबी बी उसी खाने औे सुरूय भें था। जफ अमश्ऱन ने मनोज से ऩूछा कऔ -" मनोज जी फताइमे क्या भैं
खलत औह यहा रॄाँ?"
मनोज ने ऩूये खले से, ऩूयी आवाज भें, उसी खाने औी लाइनें खाना िुरू औय दी- "मे इि इि फहम्मत है, मे
इि इि कऔस्मत है, मे इि इि ताऔत है, मे इि फदल औी दोलत है।”
खाना इतना तेज ओय फेसुया था कऔ औाय औे फाहय सड़औ ऩय र्लने वाले औुछ लॊख बी मनोज औॊ देकने लखे।
तीनों ऩीली औॊठी ऩरृाँर् खए। इस अव्यवऴस्थत यात भें ऩढ़ाई नहीं हॊनी थी। ऩांडे औभये भें ऩड़ा ऩड़ा अऩनी छू ट
र्ुऔी प्रेबभऔा औे यलए दुकी हॊता यहा। उसे अऩनी ऩीड़ा औा जहय कुद ही ऩीना था। ‘सॊणी सॊणी अाँ रकमों
वाली’ खाना आज ऩांडे ने नहीं र्लामा। उसने लखान फफ़ल्म औा बजन 'ऒ ऩालनहाये कनखुचण ओय न्याये तुभ बफन
33 .
आईएएस फप्रयलम्स औी ऩयीक्षा हॊ खई। मनोज ओय ऩांडे औी इस फाय आईएएस प्रीयलम्स क्लक्लमय नहीं रृई ।
सांऩ सीढ़ी औे केल औी तयह मनोज फपय से जीयॊ ऩय आ खमा ।अमश्ऱन ओय नवनीत ने धभाऔा औय फदमा। दॊनों
औी प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊ खई ।मुद्ध औा मह ऩहला भॊर्ाच जीतने औे औायण नवनीत औी इच्छा फपय से अऩने
दुश्मनों औॊ अऩभाकनत औयने औी हॊने लखी ।
मनोज ओय ऩांडे औे औभये ऩय नवनीत ने भंद भंद भुस्कुयाते रृए व्यंग्य औे तीय से ऩांडे औॊ गामल औयना िुरू
कऔमा –“ऩांडे एश्ऱमाच याम ने तुम्हें फफाचद औय फदमा ।“
ऩांडे औॊ नवनीत औा मह औथन सभझ नहीं आमा , उसने भर्ढ़ते रृए ऩूछा –“औोन एश्ऱमाच याम ?”
“वही सॊणी सॊणी अं रकमों वाली भजसऔे इन्तजाय भें तुभ प्रीयलम्स ठीऔ से नहीं दे ऩाए ।” –नवनीत ने ऩांडे ऩय
व्यंग्य कऔमा ।
“भैं कऔसी लड़औी औे औायण कडस्टफच नहीं रृआ ,वॊ तॊ इस साल इबतहास औे ऩेऩय भें प्राखैबतहाभसऔ बायत ओय
दयक्षण बायत से ज्यादा प्रश्न आ खमे थे भजसऔी तैमायी हभलॊख ठीऔ से नहीं औय ऩाए ।“-ऩांडे ने सपाई दी
नवनीत ने हाँसते रृए ऩांडे से औहा –“नार् न जाने आाँ खन टेढा ।“ –नवनीत औा व्यंग्य सुनऔय ऩांडे औलऩ औय यह
खमा ।
अमश्ऱन ने ऩांडे से औहा – “ऩांडे प्रीयलम्स औी तैमायी ऩूये भसलेफस औी औयनी ऩड़ती है ,अं दाज ओय ऩुयाने ऩेऩय औे
आधाय ऩय तैमायी औयने से मही रयजल्ट हॊता है ,जॊ आऩऔा रृआ है ।“
नवनीत ने इस फाय मनोज से औहा – “मनोज जी एऔ फाय प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊने औे फाद दूसयी फाय पेल हॊ
जाना सर् भें भर्िं ता औी फात है।“
मनोज इस फात औा औुछ उत्तय देता इसऔे ऩहले ही नवनीत ने अमश्ऱन से औहा –“अमश्ऱन भैं अफ ग्वायलमय भें
सभम फफाचद नहीं औयना र्ाहता इसयलए औल ही औॊभर्िं ख औे यलए फदल्री र्लॊ ।ग्वायलमय भें भैन्स औा औॊई
भाहोल नहीं है । “
इतना औहऔय नवनीत उठा ओय ऩड़ॊसन फपल्म औे खाने औी ऩंभिमााँ खुन खुनाने लखा – ‘नार् न जाने आाँ खन
टेढ़ा।‘इसऔे फाद ‘टेढ़ा’ िब्द औॊ भन्ना डे औी तयह अलख अलख तयीऔे से खाता रृआ नवनीत अऩने औभये औी
ऒय र्ला खमा । ऩांडे ओय भनॊज दॊनों नवनीत औे गातऔ व्यंग्य औॊ सुनऔय भन भसॊसऔय यह खमे ।
मनोज औे आत्मबवश्ऱास औी धवज्जमां उड़ र्ुऔी थीं। भनॊज औॊ मह सभझ आ खमा कऔ इस ऩयीक्षा भें हय साल
नमे भसये से उसी भेहनत से तैमायी औयनी ऩड़ती है जैसी कऔ सपल हॊने औे यलए औी जाती है । फऩछले अटेम्प्प्ट
औी सपलता अखले अटेम्प्प्ट सपलता औी खायंटी नहीं हॊ सऔती ।अफ भनॊज औॊ लखने लखा कऔ जफ
फप्रयलम्स भें ही नहीं रृआ तॊ भैन्स ओय इं टयव्यू तॊ फरृत दूय औी फात है। फदल्री भें ऩहले अटेम्प्प्ट औी प्रीयलम्स
औी सपलता ओय फहन्दी भें मॊग्यता औे यलए बवऔास सय द्वाया औी खई तायीफ़ सफ फेभानी हॊ खई थी। उसके
साभने अफ उत्तय प्रदेि ऩीएससी औी भुख्य ऩयीक्षा थी। ऩय उसऔी अबी औॊई डेट नहीं आई थी।
भनॊज अऩने भन औी कनयािा औॊ औभ औयने औे यलए ऩांडे औे साथ जखदीि तॊभय जी औे गय र्ला खमा।
तॊभय जी अऩनी फैठऔ भें ऩलंख ऩय फैठे औॊई कऔताफ ऩढ़ यहे थे । ऩांडे ओय मनोज औॊ देकऔय तॊभय जी ने
जॊयदाय ठहाऔा लखाऔय दॊनों औा स्वाखत कऔमा। दॊनों ऩयाभजत से तॊभय जी औे साभने फैठ खमे।
तॊभय जी ने फड़ी फेफपिी से औहा – “ असपलता मही भसद्ध औयती है कऔ सपलता औे यलए ऩूये भन से प्रमत्न
नहीं कऔमा खमा।आऩ लॊख अऩनी असपलता से दुकी हैं। ऩय क्या आऩ मह औह सऔते हैं कऔ आऩने
सपलता औे यलम सो प्रबतित प्रमत्न कऔमा था? ऩढ़ाई औे सभम आऩऔी यणनीबत, आऩऔी लखन, आऩऔी
भेहनत भें औॊई औभी नहीं यह खई थी? मफद ऐसा है तॊ आऩऔॊ दुकी हॊने औा अभधऔाय है अन्यथा नहीं।” –
स्कूल औे ऩूवच फप्रिंभसऩल तॊभय जी औे इस भिक्षऔीम उद्बॊधन औे सभम मनोज ओय ऩांडे औेवल एऔ दूसये औा
तॊभय जी ने औहना जायी यका –“जाऔय उन लड़औों से बभलॊ जॊ इस ऩयीक्षा भें सपल रृए हैं। उनसे ऩूछना कऔ
उन्होंने मह सपलता औैसे ऩाई? उसऔी क्या प्लाकनिं ख थी? उन्होंने कऔतनी भेहनत औी? ऩढ़ाई औे भध्य आने
वाले व्यवधानों औॊ औैसे दूय कऔमा? तुभ ऩाऒखे कऔ उनऔी यणनीबत उनऔी लखन तुभसे फेहतय थी।”
ऩांडे औॊ नवनीत औा औभया माद आ खमा भजसभें वह कनबवि घ्न ऩढ़ाई औय यहा है ओय ऩांडे मॊबखता औे इन्तजाय भें
बटऔ यहा है।
तॊभय जी औे गय से प्रेयणास्पद उद्बॊधन सुनऔय दॊनों ऩीलीऔॊठी वाऩस आ खमे। दोनों औे ऩास अफ अखले
साल औी प्रीयलम्स औी तैमायी ऩढ़ाई औयने औे अलावा औॊई बवऔल्प नहीं था ।
जल्दी भसलेक्शन औे सऩने देकने वाले मनोज औे यलए सपलता दूय हॊती जा यही थी। आईएएस औे र्ाय भें से
दॊ अटेम्प्प्ट तॊ उसके फेऔाय ही र्ले खमे थे। तीसये अटेम्प्प्ट औी प्रीयलम्स अखले साल भई भें हॊखी । लम्बी
भैयाथन औे यलए उसे फपय से तैमाय हॊना है ।
लेकऔन इस असपलता औे फावजूद श्रद्धा औे प्याय औॊ मनोज फदल से नहीं कनऔाल ऩा यहा था। दॊ भहीने तक
उसने अऩने आऩ औॊ रॅढ़ औयऔे बफना बवर्लन औे अच्छी ऩढ़ाई औी। ऩय प्याय औी तड़ऩ आसान नहीं हॊती।
औुछ फदनों तऔ िांत यही मह बावना फपय से फहलॊयें भायने लखी। उसे श्रद्धा औी माद फपय सताने लखी, उसऔे
फदलॊ फदभाख ऩय श्रद्धा औा र्ेहया, उसऔी फातें, उसऔी हाँसी उसऔी आवाज,फपय छाने लखी। प्रातुः स्मयण सी
श्रद्धा फपय से उसकी नींदे उड़ाने लखी ,सऩनों भें आ आऔय श्रद्धा फपय से उसे जखाने लखी ।
एऔ उदास िाभ मनोज ऩीली औॊठी औी छत ऩय येयलिं ख औे ऩास कड़ा श्रद्धा औी माद भें दूय डू फते सूयज औॊ
कनहाय यहा था। ऩांडे औी ऴस्थबत मनोज से अलख थी उसऔी प्रेबभऔा उसे छॊड़औय फेहतय प्रेभी औे साथ कनऔल
खई थी। प्रेभ ओय प्रेबभऔा से दूय हॊने औे औायण ऩांडे औे बीतय ‘प्रेभ से नुऔसान’ नाभ औा ज्ञान अर्ानऔ ऩैदा हॊ
खमा ।
ऩांडे ने प्रेभ बवमॊख भें बवर्यलत मनोज औॊ सभझामा –“मनोज प्याय ने भुझे ओय तुम्हें फफाचद औय फदमा है
।अफ हभें सफ औुछ छॊड़औय औेवल ऩढाई ऩय ध्यान देना र्ाफहए ।“
ऩांडे औे बवऩयीत मनोज अऩनी असपलता औा औायण अऩने प्याय औॊ नहीं भान यहा था । उसने अऩनी फात
आखे फढाते रृए ऩांडे से औहा –“श्रद्धा भेये यलए क्या है तुभ नहीं सभझ सऔते। भैं अफ श्रद्धाभम हॊ खमा रॄाँ।
यात फदन भुझे श्रद्धा ही फदकती है। तुभ इसे प्याय औह सऔते हॊ भैं इसे बभि औहता रॄाँ। भेयी बभि औबी धॊका
नहीं दे सऔती। ऩयीक्षा अवश्य ले सऔती है।“
मनोज ने इन फदनों प्याय, बभि, बम, ऩढ़ाई, संऔल्प औा आऩस भें गालभेल औय यलमा।ऩांडे ने उसे सभझाने
औी असपल औॊभिि फंद औय दी ।
दॊ भहीने अच्छी ऩढ़ाई औयने औे फाद फपय से मनोज को श्रद्ध की य द सत ने लगी। मनोज औा भन जफ
ऩढ़ाई से उर्ट खमा तॊ उसने ऩांडे से औहा –“ऩांडे हभ जखदीि तॊभय जी औे गय र्लें ? उनसे फात औयऔे
भॊटीवेिन बभलता है।“
मनोज छू ट र्ुऔी ऩढ़ाई औॊ ऩटयी ऩय लाने औी औॊभिि औय यहा था इसयलए उसऔी इच्छा जखदीि तॊभय जी
से बभलने औी हॊने लखी। ऩांडे बी फरृत फदनों से जखदीि तॊभय जी से नहीं बभला था। इसवलए दोनों जखदीि
तॊभय जी औे गय र्ले खमे ।
तॊभय जी अऩनी फैठऔ भें हभेिा औी तयह अऩने ऩलंख ऩय लॊढ़ से कटऔे कऔताफ ऩढ़ यहे थे। मनोज ओय ऩांडे
औॊ देकऔय तॊभय जी ने ठहाऔा भायऔय उनऔा स्वाखत कऔमा ।
मनोज अऩनी फात औहने औे यलए भुंह कॊलने ही वाला था कऔ ऩांडे फॊल ऩड़ा –“ऩढ़ाई नहीं अफ बभि र्ल
यही है।
“कऔसऔी बभि र्ल यही है ?” –तॊभय जी औॊ ऩांडे औा औथन सभझ नहीं आमा । इसयलए उन्होंने सहज
उत्सुऔता से ऩूछ यलमा।
“श्रद्धा औी।“-फभ सा ऩांडे ने मनोज औे साभने पॊड़ फदमा। ऩांडे िामद तॊभय जी औे गय औुछ ओय ही तम
औयऔे आमा था। मनोज औॊ अऩने औानों ऩय बयॊसा नहीं रृआ कऔ ऩांडे जखदीि तॊभय जैसे खम्भीय व्यभित्व औे
धनी, अनुिासनफप्रम रयटामय स्कूल फप्रिंभसऩल, िहय औे सम्मानीम बवद्वान औे साभने ऐसी औॊई फात औह सऔता
तॊभय जी औुछ ऩूछते उसऔे ऩहले ऩांडे ने औहना िुरू कऔमा –”श्रद्धा से औुछ फदन ऩहले तऔ मनोज जी प्रेभ
औयते थे, ऩय अफ वह औह यहे हैं कऔ वह बभि औयने लखे हैं। आऩ तॊ सुदिचन हैं।भुझे उम्मीद है कऔ आऩऔा
इबतहास इस क्षेत्र भें अवश्य सभृद्ध यहा हॊखा । इसयलए इस भाबभि औ बवर्म ऩय आऩऔे बवर्ाय जानने हभ आज
महााँ आमे हैं।“
मनोज तॊभय जी औे गय ऩढ़ाई औी बटऔी रृई फदिा तलािने आमा था ऩय ऩांडे िामद कऔसी दूसये उद्देश्य से
तॊभय जी औे गय आमा था ।मनोज औी ऩॊल कॊलऔय ऩांडे अफ रयटामय फप्रिंभसऩल जखदीि तॊभय औी औॊई
खॊऩनीम प्रेभ औहानी जानना र्ाह यहा था। मनोज औी आाँ कों औे साभने अन्धेया छा यहा था। उसे सभझ नहीं आ
यहा था कऔ ऩांडे इतना फेिभच औैसे हॊ सऔता है।
“हाहाहा, सभृद्ध तॊ नहीं था, ऩय ठीऔ ठाऔ था।“-जखदीि तॊभय ने ठहाऔा भायते रृए ऩांडे औी फात औा जवाफ
फदमा । मनोज औॊ बववेऔानन्द साफहत्य औे भभचग्य जखदीि तॊभय से इस तयह औी कऔसी स्वीऔायॊभि औी
उम्मीद नहीं थी।
‘ठीऔ ठाऔ’ औा नाभ फतामेंखे मा यहने दें।“ –ऩांडे अऩने दॊनों हाथ भसलते रृए अफ तॊभय जी औी कऔसी ऩुयानी
प्रेभ औहानी औी कॊज औय यहा था ।
“अफ तॊ फुढ़ा खईं होंखीं।“-तॊभय जी ने अऩने दॊनों हाथों औॊ पैलाऔय जॊय से ताली ऩीटते रृए औहा। मनोज
औी आाँ कें पटी जा यही थीं। उसे सभझ नहीं आ यहा था कऔ मे सफ क्या फातें हॊ यही हैं। लेकऔन तॊभय जी औी
सहजता देकऔय िह अफ संतुयलत हॊ यहा था ।
ऩांडे ने तॊभय जी ऩय औृऩा औय दी । उसने तॊभय जी औी फूढ़ी हॊ र्ुऔी ऩूवच प्रेबभऔा औा नाभ जानने औी ज्यादा
भजद नहीं औी ।
“मनोज जी श्रद्धा से फात कऔमे बफना नहीं यह ऩा यहे हैं ।श्रद्धा औे औायण मे अत्यंत बवर्यलत हैं ।भैं जानता रॄाँ
कऔ इसी बवर्लन औे औायण मनोज औी ऩढ़ाई कडस्टफच हॊ खई है जफकऔ मे औह यहे हैं कऔ श्रद्धा इन्हें प्रेरयत
औयती है।“-ऩांडे ने तॊभय जी से मनोज औी भनॊदिा औा वणचन कऔमा ।
मनोज औॊ तॊभय जी औे बवर्ाय उसऔे भनभाफपऔ लखे , वह ध्यान से तॊभय जी औे बवर्ाय सुनने लखा ।लेकऔन
ऩांडे तॊभय जी औे बवर्ायों से सहभत नहीं फदक यहा था ।
“ऩय सभस्या मह है कऔ श्रद्धा मनोज औॊ प्रेभ नहीं औयती । “ –ऩांडे ने तॊभय जी औॊ भसाला प्रदान कऔमा ।
“तॊ न औये। प्रेभ औी मही तॊ ख़ूफसूयती है। मह अऔेले बी कऔमा जा सऔता है। प्रेभ औॊ अफबव्यि औयने औी
जरूयत बी नहीं ऩड़ती । मनोज श्रद्धा से प्रेभ औयते हैं इससे श्रद्धा औॊ क्या? इस प्रेभ से लाब बी तॊ मनोज औॊ
ही हॊ यहा है। सभृद्ध तॊ मनोज ही हॊ यहे हैं ना। ऩबवत्र तॊ मनोज ही हॊ यहे है ना। ‘भुझे जखत जीवन जीवन
औा प्रेभी फना यहा है प्याय तुम्हाया’। श्रद्धा से प्रेभ औयने औे औायण ही तॊ मनोज औा ह्रदम इस र्यार्य जखत
औॊ प्रेभ औयने औे औाबफल फन ऩा यहा हैं। प्रेभ तॊ हभेिा लाब औा सोदा हॊता है। “-तॊभय जी ने मनोज औॊ प्रेभ
औा अलख ओय नमा रूऩ फदकामा ।
मनोज ने तॊभय जी से अऩने भन औी फात औहने औी फहम्मत औी –“आऩ एऔदभ सही औह यहे हैं, भैं बी मही
भानता रॄाँ ऩय फपय भुझे तनाव क्यों हॊता है । भैं बवर्यलत क्यों हॊ जाता रॄाँ । “
तॊभय जी ने िांत बाव से भुस्कुयाते रृए मनोज से औहा –“उम्मीद नहीं, अऩेक्षा नहीं, इच्छाएं नहीं, भसपच प्रेभ।
भसपच प्रेभ है जॊ आऩऔे अभधऔाय भें हैं। िेर् सफ फेभानी हैं। क्यॊकऔ तुभ उम्मीद औय यहे हॊ कऔ श्रद्धा बी तुभसे
प्रेभ औये। जफ कऔ प्रेभ औा मह कनमभ है ही नहीं। जैसे ही आऩने प्रेभ औॊ इच्छाऒ ं औी ज़ंजीय ऩहनाई वैसे ही
‘प्रेभ’ अरॅश्य हॊ जाता है।आऩऔे अभधऔाय भें औेवल आऩऔा भन है दूसये कऔसी औा नहीं।“
“भुझे लखता है कऔ बफना सपलता, औे बफना ऩीएससी भें भसलेक्ट रृए प्रेभ बभलना सम्भव नहीं है।“ -ऩांडे ने
अऩने फदल औा ददच तॊभय जी औॊ सुनामा ।
तॊभय जी ने औहा –“सपलता असपलता औा प्रेभ से क्या सम्बन्ध? आऩ सपल हैं तॊ प्रेभ बभल जाएखा,
असपल हैं तॊ प्रेभ नहीं बभलेखा। मे औोन सा कनमभ है बाई? ओय सपलता क्या है? क्या तहसीलदाय,थानेदाय
फनना ही सपलता है? भजस तयह से प्रेभ औॊ लॊख ठीऔ से नहीं सभझते उसी तयह सपलता औॊ बी लॊख
ठीऔ से नहीं सभझते। क्या िभि, सत्ता, धन, प्रबतष्ठा प्राप्त औयना ही सपलता है? भुझे लखता है संतुफष्ट ओय
ऩांडे औॊ उम्मीद थी कऔ तॊभय जी मनोज औॊ श्रद्धा से प्याय औयने से यॊऔेंखे ओय ऩीएससी औी ऩढ़ाई औॊ अभधऔ
खम्भीयता से औयने औी सलाह देंखे ऩय तॊभय जी ने तॊ दूसया ही याख अलाऩा भजसे ऩांडे ने ऩसंद नहीं कऔमा ।
लेकऔन मनोज औॊ लख यहा था कऔ तॊभय जी एऔदभ सही औह यहे है। श्रद्धा से अऩने प्याय औे फाये भें फात
औयने औा औॊई अथच नहीं। मफद उसभें ताऔत हॊखी तॊ श्रद्धा अऩने आऩ उसे प्याय औयेखी। मनोज तॊभय जी औे
गय से संतुष्ट हॊऔय ओय ऩांडे असंतुष्ट हॊऔय वाऩस ऩीली औॊठी र्ले खमे ।
सर् भें प्याय औी याह इतनी आसान नहीं हॊती। संऔल्प लेऔय भन औॊ कनमंफत्रत औयना औठठन हॊता है। संऔल्पों
ओय बवऔल्पों भें फाय फाय संगर्च हॊता यहता है। तॊभय जी ने मनोज औॊ अऩने प्याय औॊ अऩने भन भें ही यकने
औा सुझाव फदमा था। अफबव्यभि औे स्थान ऩय अनुबूबत ऩय फल फदमा था। औुछ फदन मनोज ने श्रद्धा औॊ पॊन
लखाने औी औॊभिि नहीं औी । ऩय औफ तऔ ? औफ तऔ औेवल अनुबूबत औॊ ऩालता यहे िह ?
जफ फरृत फदनों तऔ श्रद्धा से फात नहीं हॊ ऩाती तॊ थॊड़ी देय औे यलए संिम औा,अबवश्ऱास औा धुंआ उठने
लखता है। कऔतना क्षयणऔ है ना सफ, एऔ ऩल भें बयऩूय बवश्ऱास तॊ दूसये ही ऩल अबवश्ऱास । अजीफ प्याय है
मह। जॊ एऔ सभम भें भजफूत फदकता है। फपय कुद औॊ ऩयकने भें लख जाता है। डखभखाने लखता है। फपय मह
अबवश्ऱास ,मह ऩयकना ,मह डखभखाना सफ अस्थाई लखता है । स्थाई लखता है तॊ भसपच प्याय, उस प्याय औी
तड़ऩ, ओय उस प्याय औी माद ।
औुछ फदनों श्रद्धा से फात न औयने औी तऩस्या औे फाद मनोज औॊ फपय लखने लखता है कऔ श्रद्धा से फात कऔमे
बफना यहना भुळिल है। न औरूाँ प्याय औी फात आवाज ही सुन लूं। एऔ फाय फात औय लूं फपय दॊ तीन भहीने
औी छु ट्टी। श्रद्धा बूल तॊ नहीं खई? अखय नहीं बूली तॊ क्या वह बी भुझे औॊ उतना ही माद औयती हैं भजतना भैं
उसे माद औयता रॄाँ ? मह जानना बी तॊ जरूयी है। बफना पॊन ऩय फात कऔमे औैसे जाने मह सफ ?
इसयलए एऔ फदन मनोज ने फहम्मत औयऔे श्रद्धा औॊ एसटीडी से पॊन लखा ही फदमा। प्याय औी फात तॊ वह
औय नहीं सऔता था श्रद्धा से, इसयलए उसने औेवल ऩढ़ाई औी फात औी ।अफ िह भहीने दॊ भहीने भें एऔ फाय
श्रद्धा से ऩढ़ाई औी फात औयता ओय संतुष्ट हॊ जाता। एऔ फदन श्रद्धा ने उसे पॊन ऩय फतामा कऔ उसऔी
इं टनचभिऩ ऩूयी हॊ खई है इसयलए फपय से तैमायी औे यलए वह फदल्री जा यही है। मनोज औे यलए मह अच्छी
कफय थी। वह बी अऩने तीसये अटेम्प्प्ट ओय श्रद्धा औे साथ औे यलए फदल्री जाने औे यलए तैमाय हॊ खमा ।
फपय फदल्री। फपय भुकजी नखय। रॅफष्ट औॊभर्िं ख औे साभने वाला ऩाऔच। मनोज श्रद्धा औा इन्तजाय औय यहा है।
दॊ फदन ऩहले िह ओय ऩांडे ने फदल्री औे नेहरूबवहाय भें औभया ले यलमा ओय नमे भसये से ऩढ़ाई औयना िुरू
औय दी। उसके फऩता अबी सस्पेंड नहीं रृए थे वह झाफुआ भें ही नोऔयी औय यहे थे। इसयलए गय औी
अथचव्यवस्था ऩटयी ऩय थी। भााँ ने उसे फदल्री जाने औे यलए ऩांर् हजाय रूऩमे दे फदए थे। अमश्ऱन नवनीत ऩहले
ही फदल्री आ खमे थे उन्होंने खान्धीबवहाय भें औभये कऔयाए से ले यलए थे ओय आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा दे दी
थी । खुप्ता ने बी अमश्ऱन औे फखल भें खांधी बवहाय भें औभया कऔयाए से यलमा था ।
श्रद्धा बी फदल्री आ खई थी, उसने फायह सो उनतीस भुकजी नखय भें उसी हॊस्टल भें औभया ले यलमा था भजसभें
वह ऩहले यहती थी। भजद्दी वि औा ऩफहमा एऔ फाय फपय ऩीछे गूभ खमा था। मनोज ऩय सभम बयऩूय
भेहयफानी औय यहा था। उसकी नजयें लखाताय उस यास्ते औी ऒय देक यही थी जहां से श्रद्धा आने वाली थी।
तबी श्रद्धा सुकच लाल यंख ऩय औाले पूल वाली ड्रेस ऩहने उसे आती रृई फदकाई दी। येबखस्तान भें ठं डी पुहाय
सी,सायी बटऔन औे फाद एऔ सुकद आयाभखाह सी। उम्मीदों औे फनने फपय उसऔे बफकय जाने औी ऩृष्ठ बूबभ तॊ
नहीं है मह? मनोज सॊर्ता यहा ।
औुछ देय दॊनों र्ुऩ फैठे यहे। फपय श्रद्धा ने मनोज से औहा –“औैसे हॊ?”
सफ फता देना र्ाहता है मनोज कऔ वह औैसा था बफना श्रद्धा औे ? भुझे तुम्हायी फरृत माद आती थी। आदभी
कऔतना भजफूय हॊता है,औुछ नहीं औय ऩाता।जॊ उसे भजन्दखी देता है उसे देक बी नहीं ऩाता ओय वैसे न जाने
कऔतनी बीड़, लाकों लॊख उसे यॊज दीकते है फस एऔ र्ेहया नहीं फदकता।
ऩय मनोज ने भसपच इतना औे औहा –“अच्छा रॄाँ। फपय आ खमा फदल्री। देकते हैं फदल्री अफ क्या यंख फदकाती
है।”
इसऔे फाद मनोज ओय श्रद्धा एऔ गंटे तऔ ऩाऔच भें फैठे फातें औयते यहे। उसके यलए श्रद्धा औा साथ ही फड़ी
फात थी। यॊज श्रद्धा से बभलने औे यलए उसने ऩढ़ाई औॊ अऩना आधाय फनामा। इसयलए जफ मनोज ने श्रद्धा से
यॊज िाभ औॊ दॊ गंटे साथ भें फहन्दी साफहत्य ऩढने औा प्रस्ताव फदमा तॊ श्रद्धा तै माय हॊ खई ।
श्रद्ध रोज श म को घंटे दो घंटे मनोज के कमरे पर वहन्दी स वहत्य पढने ज ने लगी। ऩढ़ाई औयने औे फाद
मनोज उसे छॊड़ने उसऔे हॊस्टल तऔ जाता लखाताय एऔ भहीने तऔ मह िभ र्लता यहा।
एऔ फदन दॊ गण्टे ऩढ़ाई औयने औे फाद मनोज श्रद्धा औॊ उसऔे औभये ऩय छॊड़ने खमा।
नेहरू बवहाय से भुकजी नखय औॊ जॊड़ने वाले संऔये ऩुल ऩय मनोज ने श्रद्धा से औहा -"श्रद्धा फऩछले एऔ भहीने
से ऩढ़ाई भें जॊ सगनता आई है वैसी ऩढ़ाई मफद साल बय औय ली जाए तॊ भसलेक्शन ऩक्का है ।”
श्रद्धा ने ऩुल औी सीफढ़मााँ उतयते रृए मनोज से औहा-"हभ लॊख जफ तऔ भसलेक्ट नहीं हॊ जाते ऐसे ही ऩढ़ेंखे।”
श्रद्धा औा ध्यान औेवल ऩढ़ाई ऩय यहता था। मनोज औॊ अफ मह उम्मीद सर् भें हॊ र्ली थी कऔ इस तयह औी
ऩढ़ाई र्लती यहे तॊ सपलता बभल जामखी।
हॊस्टल ऩरृाँर्ने ऩय श्रद्धा औुछ देय कड़ी यही। फपय मनोज से फॊली-“ भुझे फत्रा तऔ जाना है कऔताफें यकने औे
यलए एऔ यैऔ कयीदना है।क्या तुभ र्लॊखे?”
मनोज तो अभधऔ से अभधऔ श्रद्धा औे साथ यहना र्ाहता था। दॊनों फत्रा र्ल फदए। फत्रा ऩरृंर्औय श्रद्धा ने
एऔ यैऔ कयीदी। श्रद्धा ने यैऔ औे यलए रयक्शा फुलामा तॊ मनोज ने औहा कऔ छॊटी सी यैऔ तॊ है, भैं ही ले
र्लता रॄाँ ।श्रद्धा औुछ औहती उसऔे ऩहले मनोज अऩनी भस्ती भें भुस्कुयाते रृए अऩने औंधे ऩय यैऔ उठाऔय
र्लने लखा।
मनोज औुछ देय तऔ थैंक्यू फॊलने औे फाद श्रद्धा औे र्ेहये ऩय आमे आत्मीमता औे बाव औॊ देकता यहा।
मॊबखता से जफ तऔ ऩांडे औा प्याय र्ल यहा था तफ तऔ वह मनोज औे प्याय औा सभथचऔ था। महााँ तऔ औी
मनोज औॊ अल्मॊड़ा जाने औॊ प्रेरयत कऔमा था। ऩय ऩांडे बखयबखट औी तयह था। मॊबखता औे जाते ही उसने प्याय
औे बवयॊध औा धूसय यंख ऒढ़ यलमा ।
उसने मनोज से औहा-"मनोज जी श्रद्धा ऩमाचप्त र्तुय है।वे तुभसे प्याय व्याय नहीं औयतीं । उन्हें फहिं दी साफहत्य
ऩढ़ना है इसयलए आती है महां। मे लड़कऔमां कूफ जानती है कऔससे क्या औाभ कनऔालना है? आज उसने
तुभसे यैऔ उठवाई है। औल तुभसे दूसये औाभ औयवाएं खी। भुकजी नखय भें लड़कऔमां लड़औों से इसीयलमे दॊस्ती
औयती हैं कऔ उन्हें अच्छा वऔचय बभल जाए। श्रद्धा औॊई अलख नहीं है।” ऩांडे औी व्याख्या मनोज औॊ ऩसंद नहीं
आई। वह तॊ आज बवदा औे सभम आमे श्रद्धा औे र्ेहये औे आत्मीम बाव भें ही डू फा यहा ।उसने ऩांडे औी फात
ऩय ध्यान नहीं फदमा ।
35 .
प्रखबत भैदान भें ऩुस्तऔ भेला लखा रृआ था।श्रद्धा ने मनोज से ऩुस्तऔ भेले भें र्लने औे यलए ऩूछा तॊ िह
तैमाय हॊ खमा। दॊनों भेले भें ऩरृाँर् खमे।
श्रद्धा ने तीन र्ाय कऔताफें कयीद ली। मनोज एऔ स्टॉल ऩय कड़ा हॊ खमा ओय कऔताफें उठा उठाऔय देकने
लखा।बववेऔानन्द, भहात्मा खांधी,बखतभसिं ह, यलिं औन ,आफद भहाऩुरुर्ों औी जीवकनमााँ उस स्टॉल ऩय थीं ।िह
उन कऔताफों औॊ उठा उठा औय देकता ओय देकऔय वाऩस यक देता ।
श्रद्धा ने मनोज से औहा – “मनोज तुभ मे कऔताफें लेना र्ाहते हॊ क्या, भहाऩुरुर्ों औी मे जीवकनमााँ फरृत
प्रेयणादामऔ हैं ?”
श्रद्धा औी फात सुनऔय मनोज भुस्कुयामा फपय उसने श्रद्धा से औहा – “श्रद्धा भैंने मे सायी कऔताफें ऩढ़ी हैं
,यलिं औन औी जीवनी तॊ तीन र्ाय फाय ऩढ़ी है ।“ उसके औथन भें खवच था, उसे श्रद्धा औे साभने अऩनी तायीफ़
औयने औा भोक़ा बभल खमा । ”
सयल श्रद्धा ने प्रबाबवत हॊऔय उससे ऩूछा –“मे तुभने औफ ऩढ़ ली ?”
प्याय औी फात औयने औे मनोज औे अयभानों औॊ श्रद्धा ने इं विि औी ऩढ़ाई औे नाभ ऩय ठं डा औय फदमा । मनोज
फपय से औुछ नमे िब्द तलािने लखा, आज िह श्रद्धा से औुछ औहने औी ठान औय आमा था िामद। लेकऔन
औुछ औहने उसऔी फहम्मत श्रद्धा औे साभने जवाफ दे यही थी ।
औॉफ़ी ऩीने औे फाद श्रद्धा ने मनोज से औहा –“मनोज भेयी एऔ कऔताफ स्टॉल ऩय यह खई है, भैं अबी उसे
लेऔय आती रॄाँ।”
ऩांर् बभकनट फाद श्रद्धा अऩने हाथ भें एऔ कऔताफ यलए तेज र्ाल से उसके ऩास आ खई।
श्रद्धा ने अऩने साथ लाई रृई कऔताफ उसे देते रृए औहा –“मनोज मह तुम्हाये यलए।”
मनोज ने कऔताफ उठाई, उसके हाथ भें औुछ देय ऩहले अभधऔ औीभत औे औायण स्टाल ऩय छॊड़ी खई
कऔताफ‘अबग्न औी उड़ान ’ थी।
मनोज ने कऔताफ औा ऩहला ऩन्ना कॊलऔय देका भजस ऩय यलका था –‘मनोज औी उड़ान औे यलए’।
“श्रद्धा क्या तुम्हे ऩता र्ल खमा था कऔ भेया भन इस कऔताफ औॊ कयीदने औा था ?”-मनोज ने श्रद्धा से ऩूछा
“मनोज अफ र्लें? लेट हॊ यहे हैं।” श्रद्धा ने मनोज औी फात औा जवाफ टाल फदमा ओय दॊनों भुकजी नखय
जाने औे यलए फस स्टेंड ऩय कड़े हॊऔय फस औा इन्तजाय औयने लखे।
फस भें मनोज औे ऩास फैठी श्रद्धा औॊ लख यहा था कऔ क्या कऔसी औॊ इतना छॊटा सा बखफ्ट देने औे फाद
इतना सुऔून बभल सऔता हैं भजतना उसे आज बभल यहा हैं? श्रद्धा फस औी रकड़औी औे फाहय देकती यही ।
मनोज िाभ औॊ औभये ऩय ऩरृंर्ा तॊ ऩांडे बफस्तय ऩय लेटा रृआ था। मनोज आनरन्दत था, उसने ऩांडे औॊ श्रद्धा
द्वाया दी रृई कऔताफ फदकाई । मनोज सुक से कऔसी लड़औी औे साथ भेले भें गूभे ओय ऩांडे अऔेला औभये डला
यहे मह फात ऩांडे औॊ फरृत औष्ट दे यही थी ।
ऩांडे ने कऔताफ हाथ भें ली, कऔताफ औा ऩहला ऩेज कॊला भजस ऩय यलका था-‘मनोज औी उड़ान औे यलए‘।
ऩांडे ने मह वाक्य जॊय से ऩढ़ते रृए औहा -" मनोज औी उड़ान औे यलए, ऒहॊ तॊ अफ आऩ प्रेबभऔा औी दी रृई
इस कऔताफ से भॊकटवेट होंखे। अऩने गय औी बुकभयी से नहीं? औॊसच औी कऔताफ ऩढ़ने से भसलेक्शन हॊखा
मनोज जी। प्रेबभऔा द्वाया दी खई इस कऔताफ औॊ ऩढ़ने से औुछ नहीं हॊने वाला।”
इतना औहऔय ऩांडे ने मनोज औी कऔताफ औॊ दूय ऩलंख ऩय पेंऔ फदमा। ऩांडे औे इस व्यवहाय ऩय आज मनोज
औॊ खुस्सा आने लखा ।
ऩय उसने अऩने खुस्से औॊ दफाते रृए औहा –“ऩांडे हभें इस तयह औी भॊटीवेिनल कऔताफें ऩढना र्ाफहए,ऩता
नहीं इस कऔताफ औी औोन सी फात औफ हभाये औाभ आ जामे।”
प्रेभ औय यहे मनोज से ऩांडे भर्ढ़ यहा था, भर्ढ़ते रृए ऩांडे ने मनोज से औहा –“प्रेभ भें डू फे लॊखों औॊ प्रेबभऔा
औी हय फात भॊकटवेिन लखती है।भनॊज जी तुभसे भुझे फरृत उम्मीदें थी ,तुम्हाया संगर्च ओय लक्ष्य औे प्रबत
खम्भीयता देकऔय लखता था कऔ तुभ जरूय सपल हॊ जाऒखे । ऩय अफ प्याय भें पंसऔय तुभ अऩने ऩतन औी
ऒय अग्रसय हॊ यहे हॊ।भैं स्पष्ट औह यहा रॄाँ कऔ श्रद्धा से दूय यहने भें ही तुम्हाया बला है। एऔ तयफ़ा प्याय औे
र्क्कय भें तुभ अऩने आऩ औॊ फफाचद औय लॊखे।“
“मे सफ फेऔाय औी फातें हैं ,अऩने आऩ ऩय कनमंत्रण फेहद जरूयी है भनॊज।“-ऩांडे ने भनॊज से नायाज हॊते रृए
औहा ।
“जफ तऔ मॊबखता से तुम्हाया प्याय र्ल यहा था तफ तऔ तुम्हें श्रद्धा से औॊई प्रॊब्लभ नहीं थी, अफ तुम्हें फपय
से औष्ट हॊने लखे।“ मनोज ने ऩांडे औॊ उसऔी असयलमत फता दी।
मनोज औी इस सच्चाई से ऩांडे तभतभा खमा, वह अऩने ऩलंख से कड़ा रृआ , उसने कड़े कड़े मनोज से औहना
िुरू कऔमा -“ मनोज जी अफ आऩऔॊ तम औयना ऩड़ेखा कऔ आऩ भेये साथ यहना र्ाहते हैं मा श्रद्धा औे साथ।
मफद श्रद्धा इस औभये भें आई तॊ भैं आऩऔा रूभ ऩाटचनय नहीं यह सऔता। अऩना कनणचम सुनाएाँ । भैं मा श्रद्धा ?“
मनोज ऩांडे औे व्यवहाय से आहत हॊ खमा। उसे ऩांडे से इस तयह औी भजद औी उम्मीद नहीं थी। उसने उदास
हॊऔय ऩांडे से औहा –“भैं श्रद्धा औे बफना नहीं यह ऩाउाँ खा।“
36 .
एऔ फदन अमश्ऱन ओय नवनीत बाखते रृए मनोज औे औभये ऩय आमे। मनोज से गफयाए रृए स्वय भें अमश्ऱन
फॊला –“भनॊज, खुप्ता औॊ ऩुयलस ने ऩऔड़ यलमा है भुकजीनखय औी ऩुयलस र्ोऔी भें बफठा यलमा हैं।जल्दी
हवलदाय –“मफद तुभ ऩय औेस फन जाए तॊ तुम्हायी भजन्दखी फफाचद हॊ जामखी, आईएएस औी फात तॊ दूय
र्ऩयासी फनने लामऔ बी नहीं यहॊखे। फॊलॊ फनाऊं औेस ?”
मनोज हवलदाय औा व्यवहाय देक औय गफया खमा। ऩय उसने फड़े िालीन तयीऔे से उससे ऩूछा –“क्या रृआ
सय क्या खलती हॊ खई खुप्ता से ?”
हवलदाय ने देका कऔ एऔ आयॊऩी औे तीन साथी उसे छु ड़वाने आ खमे हैं तॊ वह भर्ढ़ खमा।
उसने मनोज से औहा –“बाईसाहफ फत्रा औे ऩीछे फैठऔय कुलेआभ ियाफ ऩी यहे थे, भना कऔमा तॊ फॊलने लखे
कऔ आईएएस औी तैमायी औय यहा रॄाँ। भैं अऩनी ओऔात भें यरॄाँ। भैं इन ऩय सावचजकनऔ स्थल ऩय ियाफ ऩीने औा
औेस फना यहा रॄाँ इसे, अऩनी ओऔात फदकाता रॄाँ।”
खुप्ता ने धीये से हवलदाय औी दी रृई जानऔायी भें संिॊधन कऔमा –ियाफ नहीं थी वॊ ,फीमय थी ।
खुप्ता औे इस व्यथच औे संिॊधन ऩय कऔसी ने ध्यान नहीं फदमा। मनोज अमश्ऱन ओय नवनीत सभझ खमे कऔ खुप्ता
अऩनी खलती ओय निे औे औायण फड़ी भुसीफत भें पंस खमा है।
अमश्ऱन ने हवलदाय से औहा –“सय इसे भाफ़ औय दीभजमे ,आखे से औबी ऐसी खलती नहीं औयेखा।”
नवनीत ने हवलदाय औॊ संतुष्ट औयने औे यलए खुप्ता औे सय ऩय र्ऩत लखाते रृए औहा –“क्यों खुप्ता तुम्हें िभच नहीं
आती सय से फदतभीजी औयते रृए। भापी भांखों सय से।”
खुप्ता तुयत
ं हवलदाय औे ऩैयों भें बखय खमा। उसे िामद सभझ आ खमा था कऔ अफ अऔड़ने औा औॊई पामदा
नहीं।
हवलदाय फऩगल खमा था उसे ऐसे औई औेस भुकजीनखय भें देकने औॊ बभलते थे।ऩय वह डया धभऔाऔय ऐसे
लड़औों औॊ छॊड़ देता था। खुप्ता बी छू ट खमा।
हवलदाय ने जाते जाते औहा –“तुम्हाये भााँ फाऩ ने फड़ी उम्मीदों से तुभ लॊखों औॊ महााँ ऩढ़ने बेजा हैं,ऩढ़ाई ऩय
ध्यान दॊ, औबी बी अऩने भााँ फाऩ औॊ धॊका भत देना।”
खुप्ता ने सफ से औहा –“इस हवलदाय औॊ भैं नहीं छॊडू ंखा । अफ भेयी भजन्दखी औा एऔ ही लक्ष्य है, आईऩीएस
फनना ओय इस हवललदाय औॊ सस्पेंड औयना।”
ऩांडे मनोज औा औभया छॊड़औय खुप्ता औा रूभ ऩाटचनय फन खमा था। भनॊज, खुप्ता औॊ छॊड़ने खांधी बवहाय खमा
तॊ ऩांडे उसे बभल खमा। र्ाय ऩांर् फदन हॊ खमे थे ऩांडे औॊ मनोज से अलख यहते रृए लेकऔन ऩांडे औा खुस्सा
औभ नहीं रृआ था मनोज औॊ देकऔय ऩांडे ने उससे औॊई फात नहीं औी।
36.
ऩांडे औे जाने औे फाद मनोज औॊ अफ तऔ औॊई नमा रूभ ऩाटचनय नहीं बभला था भजस औायण उसऔे ग्वायलमय
से लामे ऩैसे जल्दी कत्म हॊने लखे । उसे इबतहास ओय साभान्य अध्यमन औी औॊभर्िं ख बी औयनी थी, इसयलए
उसने तम कऔमा कऔ वह ऩाऩा से औहेखा कऔ उसे एऔ साल तऔ हय भहीने दॊ हजाय रूऩमे बेजते यहें भजससे
वह फदल्री भें ऩढ़ाई ठीऔ से औय सऔे।
एसटीडी ऩय ऩरृंर्औय उसने अऩने ऩाऩा औॊ पॊन कऔमा। जफ तऔ िह अऩनी फात फऩता से औहता फऩता ने
औहना िुरू औय फदमा -"साले सफ हयाभी हैं। कऔसी औॊ देि औी भर्िं ता नहीं। भॊम फपय सस्पेंड औय दऒ। भैं ना
भानंखॊ। कडप्टी डामयेक्टय औी अक्कल ठठऔाने लखा देंखों।भैंने बी ठॊऔ औे औह दी है कऔ बूकों भय जाउं खा, ऩय भैं
ऩीछे नहीं हटू ंखा।”
फऩता औी अभूतच फातों से मनोज मह नहीं सभझ सऔा कऔ इस फाय उनऔे सस्पेंिन औी क्या वजह है,ऩय वह
इतना जरूय सभझ खमा कऔ उसे उनसे ऩैसों औी उम्मीद नहीं औयना र्ाफहए।िह वाऩस कनयाि हॊऔय अऩने औभये
ऩय आ खमा।उसने आज अऩने फऩता से र्र्ाच औे फाद मही सीका कऔ उसे अऩने फऩता से औेवल एऔ र्ीज बभल
सऔती है वह उनऔी भजद्दी प्रवृभत्त ओय औबी हाय न भानने औा हौंसला।
मनोज औभये भें फैठऔय अऩने फऩता औे फाये भें सॊर् ही यहा था कऔ श्रद्धा आ खई ।उसने श्रद्धा को अपने पपता
के सस्पेंशन और आज के फोन की पूरी घटना कह सुनाई। श्रद्धा मनोज के पपता से प्रभावित हो रही थी
, उसने मनोज से कहा –“मनोज तुम्हारे पपताजी सच में अपने ससद्धाांतों पर चलने िाले इां सान हैं ।“
श्रद्धा ने मनोज औॊ संऔल्पवान हॊते रृए देका तॊ उसने मनोज औॊ प्रेरयत कऔमा – “मनोज तुम्हें जरूय
सपलता बभलेखी।”
श्रद्धा द्वाया संऔल्प ऩय भॊहय लखा देने से उसऔा उत्साह दुखुना हॊ खमा । आत्मसम्मान ओय श्रेष्ठत्व औे बाव
औॊ यलए वह भरन्दय से फाहय कनऔला।
भरन्दय औे फाहय खयीफ भजदूय औा एऔ ऩरयवाय बीक भांख यहा था।मनोज ओय श्रद्धा से उन्होंने औुछ ऩैसे भांखे।
ऩूछने ऩय ऩता र्ला कऔ वह लॊख फबकायी नहीं है,फऴल्क फुन्देलकि औे केबतहय भजदूय हैं। र्ाय ऩांर् फदन
तऔ बटऔने औे फाद बी उन्हें फदल्री भें औॊई भजदूयी नहीं बभली। उनऔे साये ऩैसे सभाप्त हॊ खए। इसयलए उन्हें
अफ वाऩस जाने औे यलए कऔयाए औी जरूयत है।
मनोज ने उस आदभी से ऩूछा-"कऔतने रूऩमे र्ाफहए तुम्हें वाऩस अऩने खााँव जाने औे यलए।”
"एऔ हजाय रुऩमा कऔयाऒ लख है भहॊफा तऔ औॊ।” -भजदूयों औे दल औे फुजुखच आदभी यॊनी सूयत फनाऔय
फॊला।
मनोज ने सॊर्ने भें एऔ ऩल बी खवाए बफना अऩनी जेफ भें ऩड़ा सो रूऩमे औा नॊट उस फुन्देलकिी भजदूय औॊ
दे फदमा।
"मनोज मे क्या कऔमा तुभने? तुम्हाये ऩास मे आरख़यी सो रूऩमे थे। क्या ऩता मे लॊख सही बी औह यहे हैं मा
नहीं? इनऔा मह ऩैसे औभाने औा तयीऔा बी हॊ सऔता है।” श्रद्धा ने अऩने भन औी आिंऔा मनोज औे साभने
प्रऔट औी।
मनोज ने श्रद्धा से औहा- "हॊ सऔता है कऔ मह झूठ फॊल यहा हॊ। भुद्दा मह नहीं है कऔ मे सही हैं मा खलत।
भुद्दा मह है कऔ भेयी बावना क्या है? भुझे मे जरूयतभंद फदक यहे हैं। भुझे इनऔी भदद औयनी है फस। भेये भन भें
इस सभम इनऔी भदद औयने औे संऔल्प औे अबतरयि औॊई संदेह आ ही नहीं यहा।” मनोज ने उस आदभी से
औहा-" भर्िं ता भत औयॊ। तुम्हें एऔ हजाय रूऩमे बभल जामंखे।”
"औहीं से बी दूाँ। अफ भुझे इन्हें एऔ हजाय रूऩमे देना ही है।” – मनोज िामद अफ तऔच ओय फदभाख से ठसाठस
बयी इस दुकनमा भें नहीं था। फऴल्क बावनाऒ ं औे खीलेऩन भें डू फ खमा था। उसने िभच ओय संऔॊर् त्याखऔय
आसऩास कड़े लॊखों से इन भजदूयों औी व्यथा सुनाऔय औुछ ऩैसे भांखने िुरू कऔमे । िह हय आने जाने वाले से,
दुऔानदायों से ऩैसे भांख यहा था। औुछ लॊख उसे दुत्काय यहे थे,औुछ ऩाखल औह यहे थे। याहखीयों ओय दुऔानदायों
ने उसे ऩैसे नहीं फदए।
श्रद्धा ने मनोज से औहा – “मनोज तुभने अऩनी ऩूयी औॊभिि औय ली, कऔसी ने भदद नहीं औी। अफ र्लॊ।”
“भैंने संऔल्प यलमा है इन्हें एऔ हजाय रूऩमे देने औा। अफ र्ाहे भुझे महााँ भजदूयी औयऔे बी ऩैसे जुटाने ऩड़ें भैं
जुटाउं खा।” –भनॊज ने अऩने संऔल्प औॊ दॊहयामा ।औुछ देय ऩहले भरन्दय भें यलए खमे संऔल्प औी ऩयीक्षा औी
गड़ी उसऔे साभने आ खई थी ।
श्रद्धा उसे औुछ बी नहीं सभझा ऩा यही थी। वह फस उसऔे ऩीछे ऩीछे गूभ यही थी ।
मनोज जैसे कऔसी खहये निे भें डू फ खमा था। वह फपय से भरन्दय भें र्ला खमा। उसने भरन्दय औे ऩुजायी औॊ ऩूयी
औहानी सुनाई।
ऩुजायी ने औहा -"फेटा इस तयह ऩैसे भांखने वाले फरृत आते हैं। कऔस कऔस औॊ ऩैसे देंख?े "
उसने ऩळित जी औॊ सभझाते रृए अऩनी फात औही -"ऩळित जी आऩ जैसा तऩस्वी ओय लॊखों औा बला
औयने वाला दूसया औॊई नहीं है।आऩऔॊ देकऔय भन अऩने आऩ श्रद्धा से बय जाता है।आऩ तॊ ईश्ऱय औे सफसे
नजदीऔ हैं, हभ सांसारयऔ लॊखों से ज्यादा उसऔी लीला सभझते हैं।ऩता नहीं ईश्ऱय औफ इं सान औी िक्ल भें
हभाये साभने आ जाए,वॊ देरकमे वह छॊटी फच्ची औैसी औातय कनखाहों से आऩऔी ऒय देक यही है । आऩ तॊ
जानते ही है, बववेऔानन्द जी ने औहा है कऔ नय सेवा ही नायामण सेवा है।”
िह औुछ देय ऩुजायी जी ऩय अऩनी फात औी प्रबतिमा जानने औे यलए र्ुऩ हॊ खमा। ऩुजायी जी ऩय उसकी
फातों औा िामद सऔायात्मऔ असय हॊ यहा था वह उस खयीफ ऩरयवाय औॊ देक यहे थे ।
“आऩ महााँ आने वाले बिों से फॊल देंखे तॊ इन खयीफों औी भदद हॊ जामखी।” –उसने भोक़ा देकते रृए औहा।
इसऔे फाद अखले एऔ गण्टे तऔ भरन्दय भें आने वाले बिों से ऩळित जी खयीफों औे यलए दान भांखने लखे।
ऩळित जी औी फात अभधऔतय लॊख नहीं टाल ऩामे। थॊड़ी ही देय भें एऔ हजाय रूऩमे इऔट्ठे हॊ खए। रूऩमे
लेऔय,ऩळित जी औॊ धन्यवाद देऔय मनोज वहां आ खमा जहां खयीफ ऩरयवाय था। उसने ऩूये ऩैसे उस आदभी
औॊ दे फदए। श्रद्धा औॊ आज उसक एऔदभ नमा रूऩ देकने औॊ बभला। श्रद्धा उससे औुछ औहना र्ाहती थी ऩय
वह औुछ औह नहीं ऩाई दॊनों र्ुऩर्ाऩ नेहरू बवहाय औी ऒय र्ल फदए।श्रद्धा औॊ लख यहा था कऔ उसने आज
औॊई अलोकऔऔ रॅश्य देका है भजसऔे औायण उसऔा भन आनन्द से बय खमा था ।
38 .
अफ मह तम हॊ र्ुऔा था कऔ मनोज औॊ अऩने गय से आभथि औ भदद नहीं बभलेखी। ऩैसे न बभलने से फदल्री भें
उसक रुऔना असम्भव हॊ जामखा, मह मनोज जानता था।ऩांडे औे जाने औे फाद मनोज औॊ एऔ रूभ ऩाटचनय
औी जरूयत थी अखय रूभ ऩाटचनय नहीं बभला तॊ उसे औभये औा ऩूया ऩन्द्रह सो कऔयामा कुद बयना ऩड़ेखा। मही
सभम उसऔे यलए उत्तय प्रदेि भुख्य ऩयीक्षा ओय तीसये अटेम्प्प्ट औी आईएएस प्रीयलम्स औी तैमायी औयने औा है।
ऩय बफना कनमबभत दॊ हजाय रूऩमे औे मह सम्भव नहीं था।
मनोज भऔान औे भजस फ्लॊय ऩय यहता था उसऔे साथ वाले औभये भें अरुण नाभ औा सीकनमय यहता था।
इन दॊनों औभयों से लखी रृई एऔ छॊटी सी कऔभर्न थी भजसभें भनॊज, अरुण ओय अरुण औे रूभ ऩाटचनय औा
काना फनता था।एऔ साथ काना फनाने से कर्ाच बी औभ आता था ओय कटफपन से अच्छा काना बी बभल जाता
था। इन लॊखों औा काना फनाने एऔ औुऔ आता था।औुल बभलाऔय मह व्यवस्था उऩमॊखी ओय सस्ती थी। ऩैसे
कत्म हॊने औे औायण मनोज इस सभूह भें औैसे सऱम्मयलत हॊखा उसे सभझ नहीं आ यहा था।
मनोज ने अरुण से फात औी –“अरुण सय क्यों न हभ लॊख औुऔ औॊ हटा दें, आजऔल अच्छा काना नहीं फना
यहा,लेट बी आता है। औुऔ औी जखह भैं काना फना फदमा औरूंखा। फाजाय से सब्जी ओय दूसया साभान लाने औा
अरुण ओय उसऔा ऩाटचनय औुऔ औी लेट लतीपी ओय फेस्वाद काने से ऩहले ही दुकी थे । मनोज औा प्रस्ताव
उन्हें फुया नहीं लखा। उन्होंने मनोज औॊ औुऔ औी जखह काना फनाने औा ओय कऔभर्न औे दूसये औाभ औाभ औयने
औी अनुभबत दे दी। इस तयह मनोज औी फदल्री भें बॊजन औी व्यवस्था हॊ खई।
मनोज औॊ अबी बी फदल्री भें यहने औे यलए कऔयाए ओय दूसये कर्च औे यलए ऩैसों औी जरूयत थी। एऔ फदन
ग्वायलमय भें िब्द प्रताऩ आश्रभ औे ऩास यहने वाला लड़औा सभर्न िभाच फदल्री तैमायी औयने आ खमा। उसे बी
रूभ ऩाटचनय औी जरूयत थी इसयलए वह मनोज औा रूभ ऩाटचनय फन खमा
एऔ फदन मनोज ने अऩनी सभस्या श्रद्धा औॊ फताई -“ श्रद्धा भुझे मफद फदल्री भें यहना है तॊ अफ औुछ न औुछ
औाभ औयना ऩड़ेखा।काने औी व्यवस्था तॊ भेयी हॊ खई, भैंने औभये ऩय अऩने ऩाटचनयों औा काना फनाना िुरू औय
फदमा है,ऩय औभये औे कऔयाए ओय दूसये कर्े औे यलए एऔ हजाय रूऩमे तॊ हय भहीने र्ाफहए ही।”
श्रद्धा ने औहा –“हभ बवऔास सय औे महााँ र्लते हैं, हॊ सऔता है वहां औुछ औाभ बभल जाए।”
“नहीं श्रद्धा, भैं बवऔास सय औॊ अऩनी सभस्या नहीं फता सऔता ,भेयी सपलता औी उन्हें फरृत उम्मीद है भैं उन्हें
अऩनी ऩयेिानी फताऔय कनयाि नहीं औय सऔता ।“-मनोज बवऔास सय औी नजयों भें अऩना भहत्व औभ नहीं
औयना र्ाहता था ।
ठीऔ है फपय हभ दूसयी औॊभर्िं ख भें र्लते हैं औहीं न औहीं औाभ जरूय बभल जाएखा ।
दॊनों ने भुकजी नखय औी औई औॊभर्िं ख भें औाभ औी तलाि औी ऩय कऔसी ने औहा कऔ उनऔे ऩास औॊई औाभ
नहीं था। कऔसी ने औहा उनऔे ऩास ऑफपस भें फैठऔय औॊभर्िं ख भें ऩूछताछ औयने आ यहे लडऔों औी औाउं सयलिं ख
औयने औा औाभ है भजसभें यॊज आठ गंटे देने ऩड़ेंखे, कऔसी ने औहा कऔ उनऔे महााँ क्लास नॊट्स फनाने औा औाभ
है ऩय उस औाभ औे यलए आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा ऩास हॊने औी ितच लखा दी। मनोज औी वही ऴस्थबत हॊ
खई जॊ लाइरांेयी भें नोऔयी औयने औे ऩहले थी।वही कनयािा उसके साभने फपय से थी जॊ एऔ फाय ग्वायलमय भें
िह देक र्ुऔा था।
मनोज ने श्रद्धा औॊ उसऔे औभये ऩय छॊड़ा ओय हताि हॊऔय नेहरू बवहाय जाने लखा। भुकजी नखय भें ही श्रद्धा
औे हॊस्टल से थॊड़ी दूय एऔ फंखले औे साभने आठ दस औायें कडी थीं । मनोज जफ उन औायों औे ऩास से खुजया
तॊ उसने देका कऔ एऔ लड़औा उन औायों औॊ धॊ यहा है।
मनोज औॊ लड़औे औा उत्तय अजीफ लखा। लेकऔन उसने डयते डयते उस फड़े से फंखले औी गंटी फजाई। गंटी
फजते ही अं दय से औई औुत्तों औे बोऔने औी आवाज आई। िह डय औे दॊ औदभ ऩीछे हट खमा।
मनोज ने औहा– “भैडभ भैं औाय साफ़ औयने औा औाभ औयता रॄाँ। क्या भुझे आऩऔी औाय साफ़ औयने औा औाभ
बभल सऔता है।उसने अऩने आऩ औॊ आईएएस औी तैमायी औयने वाले बवद्याथी औी जखह औाय साफ़ औयने
वाला लड़औा भान यलमा।“
भफहला सभ्य थी उसने मनोज से बवनम्रता से औहा –“नहीं बैमा, औाय तॊ हभाये ड्राइवय साफ़ औयते हैं। वॊ तॊ
आज ड्राइवय छु ट्टी ऩय है इसयलए इस लड़औे औॊ फुलामा है।”
भफहला औी फात सुनऔय मनोज कनयाि हॊ खमा। िह वाऩस जाने लखा। थॊड़ी दूय ऩरृाँर्ने ऩय उसने औाय धॊने
वाले लड़औे औी आवाज सुनी - “सुनॊ तुम्हें भैडभ फुला यही हैं।”
िाभ औॊ दॊ गंटे औे यलए आठ सो रूऩमे अच्छी यऔभ थी। ऩय औुत्ते गुभाने औा औाभ क्या उसे िॊबा देखा? उसऔे
दॊस्त क्या औहेंख?े फपय उसे लखा कऔ फच्चों औॊ ऩढ़ाना, औॊभर्िं ख भें औाभ औयना, औाय धॊना, रयक्शा र्लाना,
औुत्ते गुभाना, हैं तॊ सफ ऩैसे औभाने औे यलए ही। मह सफ औाभ ईभानदायी ओय भेहनत से हभाये आसऩास ही
फरृत से लॊख औयते हैं फपय इसभें औैसा संऔॊर् ? औैसी िभच?
भफहला ने ऩांर् सो रूऩमे एडवांस भें उसे दे फदए। िह कुि था उसऔे फदल्री भें यहने औी उम्मीद फन खई थी।
मनोज अऩनी ख़ुिी औॊ श्रद्धा से िेमय औयना र्ाह यहा था। श्रद्धा कऔतना कुि हॊखी उसऔे औाभ बभलने से।
िह लखबख दोड़ता रृआ श्रद्धा औे हॊस्टल ऩरृंर्ा।
अफ मनोज यॊज यात औॊ श्रद्धा औॊ उसऔे औभये ऩय छॊड़औय औुत्ते गुभाने जाने लखा। उसने तम कऔमा कऔ वह
नेहरू बवहाय औे ऩुल औे ऩीछे नाले औे ऩास औुत्ते गुभाएखा। उसे मह डय बी लखने लखा कऔ औहीं उसऔा औॊई
दॊस्त उसे औुत्ता गुभाते रृए न देक ले ,औहीं श्रद्धा उसे न फदक जाए।
ऩय एऔ फदन भजसऔा डय था वही रृआ। िह औुत्ता गुभा औय यात औॊ दस फजे वाऩस औुत्तों औॊ छॊड़ने जा यहा
था कऔ उसे श्रद्धा बभल खई। श्रद्धा ने जफ मनोज औॊ दॊ औुत्ते यलए देका तॊ उसने आश्चमच से ऩूछा –“मे डॉखी
कऔसऔे हैं मनोज ?”
मनोज औॊ सभझ नहीं आमा कऔ वह क्या औहें? ऩय श्रद्धा से झूठ फॊलने औा उसऔा औॊई इयादा नहीं था।
उसने औहा –“श्रद्धा भुझे औुत्ते गुभाने औा औाभ बभल खमा है, यॊज दॊ गंटे िाभ औॊ।आठ सो रूऩमे बभलते हैं।इस
भहीने औा तॊ एडवांस ही बभल खमा। भैंने औभये औा कऔयामा बी दे फदमा।”
उसने अऩनी फात औह दी ओय श्रद्धा औे रयएक्शन औा इन्तजाय औयने लखा। श्रद्धा औुछ सभझ नहीं ऩा यही थी।
उसने भहसूस कऔमा कऔ उसऔे सीने भें ज्वाय सा उठ यहा है। श्रद्धा औॊ डय था कऔ औहीं मह ज्वाय उसऔी आाँ कों
से न फह जाए। एऔ बभकनट तऔ श्रद्धा ने अऩने आऩ औॊ औंरॊल कऔमा।
“मनोज एऔ फात औरॄं भानॊखे ?”-श्रद्धा ने मनोज से ऩूछा
मनोज औॊ िंऔा रृई कऔ औहीं श्रद्धा मह न औह दे कऔ औुत्ते गुभाने औाभ भत कऔमा औयॊ।
“औल से भैं बी तुम्हाये साथ र्लूाँ क्या ?” -श्रद्धा ने मनोज से औुत्ते गुभाने भें साथ जाने औी अनुभबत भााँखी।
उसने श्रद्धा से ऩूछा –“क्या तुम्हें भेये साथ औुत्ते गुभाते रृए संऔॊर् नहीं हॊखा ?”
श्रद्धा औुछ देय उसे देकती यही। फपय श्रद्धा ने ‘ना’ भें अऩनी खदचन फहला दी।
एऔ फदन िाभ औॊ मनोज औी इच्छा रृई कऔ वह खांधी बवहाय जाऔय ऩांडे से बभल आमे। मनोज ओय श्रद्धा
खांधी बवहाय र्ल फदए। ऩांडे औभये ऩय नहीं था,ऩय उसऔा रूभ ऩाटचनय खुप्ता औुसी ऩय ऩुयलस औी वदी ऩहने रृए
मनोज ने ऩूछा-"खुप्ता मह क्या है?" खुप्ता आत्मबवश्ऱास से बया रृआ था ओय कऔसी नई यणनीबत औे औायण मह
बेस फनामे रृए था।
उसने मनोज औॊ अऩने औन्धे ऩय लखे स्टाय ओय आईऩीएस यलका रृआ फदकामा- "मे जॊ स्टाय है ना मनोज !
मह भुझे अफ प्रेयणा देंखे। भैं इन स्टाय ओय आईऩीएस औे इस तभखे से भॊकटवेट हॊऊं खा।”
खुप्ता ने आखे औहा - "अफ भैं मह वदी ऩहन औय ही यॊज ऩढ़ता रॄाँ। भजससे भुझे माद यहे कऔ भुझे आईऩीएस
फनना है ओय उस हवलदाय दलजीत भसिं ह औॊ सस्पेंड औयना हैं। भैं उसे फफाचद औयऔे यरॄाँखा।”
खुप्ता अबी बी उस हवलदाय द्वाया कऔमे खमे अऩने अऩभान औॊ बूला नहीं था फऴल्क उस अऩभान औा फदला लेने
औे यलए एऔ औायखय यणनीबत ऩय औाभ औय यहा था।
मनोज ओय श्रद्धा सभझ खमे कऔ खुप्ता औे फदल ऩय थानेवाली गटना औा खहया असय रृआ है। लेकऔन श्रद्धा औॊ
आईऩीएस औी वदी फरृत आऔर्चऔ लखी थी।
वाऩस लोटते सभम श्रद्धा ने अऩने भन औी इच्छा मनोज से औही -"मनोज तुभ मफद आईऩीएस औी वदी
ऩहनॊखे तॊ फरृत ही अच्छे लखॊखे।”
मनोज ने श्रद्धा से भजाऔ भें औहा-"ठीऔ है श्रद्धा भैं खुप्ता से ऩूछ लूाँखा कऔ उसने मह वदी औहााँ से कयीदी है? भैं
बी ऩहनऔय ऩढू ंखा औल से।"श्रद्धा मनोज औे इस भजाऔ ऩय जॊय से रकलरकलाऔय हंस ऩड़ी।
उसने औहा-"नहीं मनोज भैं तुम्हें आईऩीएस फना रृआ देकना र्ाहती रॄाँ।“
"जॊ रृक्म भेये आऔा।” -मनोज ने एऴक्टिं ख औयते रृए श्रद्धा से भजाऔ भें औहा। मनोज औा भजाऔ सुनऔय श्रद्धा
भुस्कुया खई ।दॊनों औभये औी सीफढमां उतय औय नीर्े खांधी बवहाय औी भेन यॊड ऩय आ खमा। मनोज ने ऩांडे औॊ
आते रृए देका । मनोज ओय श्रद्धा ऩांडे औे यलमे रुऔ खमे । ऩय ऩांडे उन दोनों औे ऩास से बफना उनऔी तयप
देके रृए कनऔल औय सीफढ़मााँ र्ढ़ खमा ।
भनॊज औी ऴस्थबत सभझते रृए ओय उसे प्रॊत्साफहत औयते रृए श्रद्धा फॊली -–“मनोज अऩनी असपलता से
दुकी हॊने औी जरूयत नहीं है ,मही त्रास तुम्हायी सपलता औी सीफढ़मााँ हैं ।तुम्हें जनयल स्टडी ओय इबतहास औी
औॊभर्िं ख औयनी र्ाफहए ।बफना औॊभर्िं ख औे तुम्हें इन बवर्मों भें अच्छे नम्बय नहीं बभलेंखे । “
“तुभ सही औह यही हॊ ,भुझे गय जाऔय औॊभर्िं ख औे ऩैसों औी व्यवस्था औयनी र्ाफहए।“ –मनोज ने श्रद्धा से
औहा। उसे लख यहा था कऔ औॊभर्िं ख औे अबाव भें मू ऩी ऩीएससी औा रयजल्ट कयाफ यहा है
मनोज कोल्चग के वलए ऩैसों औी व्यवस्था औयने औुछ फदनों औे यलए मनोज खााँव र्ला खमा। फऩता औई
भहीनों से खााँव नहीं आमे थे। उसने भााँ से औुछ ऩैसे भांखे तॊ भााँ ने फऩता औॊ औॊसना िुरू औय फदमा –“अफ भैं
औहााँ से लाऊं ऩैसा? फाऩ ने तॊ औसभ काम ली है कऔ नोऔयी ठीऔ से ना औयेखॊ, र्ाहे भॊड़ा भॊड़ी बीक भांखें।”
उसने भााँ से औहा – “सफ ठीऔ हॊ जामखा। भेयी नोऔयी लख जामे फपय औुछ ऩयेिानी नहीं हॊखी।”
कनयािा औे इस वातावयण भें उसने भााँ औॊ फरृत दूय कऔसी उम्मीद औी झलऔ फदकलाई ।भजसऔा अबी तऔ
औॊई नाभॊ कनिान नहीं था।
भााँ – ”भेये ऩास ऩैसा नहीं हैं। भैं सॊर् यही रॄाँ औे एऔ बैंस ऩाल लूं । याऔेि औे गय एऔ बैंस है, वॊ उधाय दे यहॊ
है। दूध फेर्औे कर्ाच र्लाए लूंखी । “
मनोज औॊ भााँ औी औभचठता ऩय यॊना आ खमा।
भााँ ने आखे औहा “–दीऩऔ जमऩुय जा यहॊ है, धाखा पेक्स्टरी भें नोऔयी औयेखॊ। फायह सो रूऩमे बभलेंखे।”
दीऩऔ औे औंधे ऩय भजम्मेदायी औा फॊझ देकऔय मनोज औॊ औष्ट रृआ। औैसे यहेखा मह लड़औा अऔेला जमऩुय
भें ? कऔतना ददच है इस गय औी कऔस्मत भें।
कऔतनी अलख दुकनमा है उसऔे गय ओय खााँव औी।ऩता नहीं वह औबी अऩनी भााँ औे यलए अऩनी फहन बाई औे
यलए औुछ औय बी ऩामेखा मा नहीं। तीन र्ाय फदन तऔ उसने ऩैसों औी व्यवस्था औयने औी खााँव भें औॊभिि औी।
मनोज औॊ खए रृए अबी ऩांर् फदन ही रृए थे कऔ अऔेलाऩन श्रद्धा औॊ गेयने लखा। इस अऔेलेऩन औॊ दूय औयने
औे यलए उसने अऩनी उन सहेयलमों से बभलना िुरू कऔमा भजनसे वह हॊस्टल भें यहने औे फावजूद औई फदनों
तऔ नहीं बभलती थी । लेकऔन दस बभकनट भें ही उसऔा भन सहेयलमों औी फातों से उफने लखता । उसने औॉलेज
औे हॉस्टल भें बी औई साल अऔेले बफताए थे ऩय औबी इस तयह औा सूनाऩन उसे भहसूस नहीं रृआ था,जॊ अफ
हॊ यहा था। औॊभर्िं ख जाते सभम मा िाभ औॊ औॊभर्िं ख से वाऩस आते सभम उसऔी आाँ कें लॊखों औी बीड़ भें
एऔ ही र्ेहया तलािती यहती ऩय वहां वह र्ेहया नहीं था। तभाभ आवाजों भें उसऔे औान एऔ ही आवाज औॊ
सुनने औे यलए तयसते यहते ऩय वह आवाज वहां नहीं थी। फाय फाय वह अऩनी फालऔनी से नीर्े सड़औ औॊ देक
आती। ऩय उस सड़औ ऩय उसे वह फदकाई नहीं देता भजसे देकने औी तड़ऩ उसऔे भन भें थी।
औहााँ है ग्वायलमय? औहााँ है मनोज औा गय? उसे नहीं ऩता। औॊई पॊन नम्बय मनोज औे गय औा उसऔे ऩास
नहीं था। उसऔी इच्छा रृई कऔ वह मनोज औे दॊस्तों से बभलने खांधी बवहाय ही र्ली जाए।िामद ऩांडे औे ऩास
मनोज औे गय औा मा उसऔे आस ऩड़ॊस औा औॊई पॊन नम्बय हॊ। ऩय उसऔी फहम्मत नहीं रृई।
थऔ हाय औयवह अऩनी कऔताफों भें अऩना भन लखाने औी औॊभिि औयती। ऩय आधा गंटा ऩढ़ना बी उसऔे
यलए भुळिल हॊ जाता। काने औा कटफपन उसऔा अधूया ही वाऩस र्ला जाता। उसऔी बूक बी जैसे भय र्ुऔी
थी। अजीफ सी ऴस्थबत हॊ खई थी उसऔी ।
40 .
आईएएस औे तीसये अटेम्प्प्ट औे यलए जनयल स्टडी ओय इबतहास औी औॊभर्िं ख औयने औी मनोज औी इच्छा थी ,
भााँ द्वाया फदए ऩैसों से मनोज ने औेवल इबतहास औी औॊभर्िं ख भयणऔांत सय औे महााँ िुरू औय दी। जनयल स्टडी
औी औॊभर्िं ख औे ऩैसे मनोज औे ऩास नहीं थे ।
आईएएस औी फप्रयलम्स इस फाय मनोज ओय श्रद्धा दॊनों औा क्लक्लमय हॊ खई। मनोज औी तीसयी ओय श्रद्धा औी
ऩहली प्रीयलम्स थी मह। अमश्ऱन ,नवनीत औा फप्रयलम्स बी क्लक्लमय हॊ खमा। फऩछली भैन्स भें अमश्ऱन ओय
नवनीत सपल नहीं हॊ ऩाए थे ।इस फाय उन्हें फपय से भैन्स देने औा भोक़ा बभल यहा था। खुप्ता औा फपय से
फप्रयलम्स क्लक्लमय नहीं रृआ। मनोज औा साथ छॊड़औय सपलता प्राप्त औयने औा भसद्धांत ऩांडे औे औाभ नहीं
आमा। ऩयीक्षा भें सपलता औा औॊई बी पुलप्रूप भसद्धांत अबी ऩांडे औॊ नहीं बभला था। अऩने प्याय औे साथ
मनोज आईएएस प्रीयलम्स भें सपल हॊ खमा था जफकऔ ऩढ़ाई भें कडस्टफच औयने वाले प्याय औे भाहोल से दूय
यहने वाला ऩांडे फपय असपल हॊ खमा था।
फऩछली भैन्स भें असपल हॊने औे फाद नवनीत एऔ फाय फपय अऩनी प्रीयलम्स कनऔलने औे औायण उत्साफहत
था। सपलता से उत्साफहत नवनीत औी इच्छा असपल ऩांडे ऩय व्यंग्य औयने औी हॊने लखी ।
नवनीत ने ऩांडे से औहा-"ऩांडे प्याय औयने वाले औा फप्रयलम्स क्लक्लमय हॊ खमा ओय प्याय से दूय यहने वाले पेल
हॊ खए। अफ क्या औहॊखे?"
भुख्य ऩयीक्षा हॊने तऔ श्रद्धा यॊज िाभ औॊ मनोज औे औभये ऩय आ जाती ओय दॊनों तीन र्ाय गंटे साथ ऩढ़ाई
औयते।भनॊज इस फाय सफसे अलख यहऔय औेवल श्रद्धा औे साथ ही भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी औय यहा था ।सुब
से िाभ तऔ दॊनों ऩढ़ाई औयते ।ऩढ़ने से सभम फर् जाता तॊ फातें औयने लखते ओय फातों ऩूयी हॊ जातीं तॊ
ऩढ़ाई औयने लखते ।दॊनों औॊ नहीं ऩता था कऔ इतने बविाल भसलेफस औॊ कऔस तयह से तैमाय औयें ?क्या ऩढ़ें
?औैसे ऩढ़ें ?क्या छॊड़ें ?इबतहास फहन्दी भें भनॊज औॊभर्िं ख औे नॊट्स ऩढ़ता यहा।जनयल स्टडी भें वह
अव्यवऴस्थत ही फना यहा । ऩैसों औे यलए मनोज अबी बी िाभ यात औॊ दॊ गंटे औुत्ते गुभाने औा औाभ औय यहा
था ।
भनॊज, श्रद्धा, अमश्ऱन ओय नवनीत ने आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा दे दी। सबी लॊख अऩने रयजल्ट औा इन्तजाय
औयने लखे।साभान्य अध्यमन औे ऩेऩय मनोज औे अच्छे नहीं खए थे।इबतहास , फहन्दी साफहत्य भें बी वह उतना टू
फद ऩॉइं ट नहीं यलक ऩामा था भजतना ऩयीक्षा भें ऩूछा खमा था ।उत्तय यलकते सभम सबी ऩॉइं ट भनॊज औॊ माद
नहीं यहे,उसऔी माद औयने औी अऩनी सीभा थी ।‘भोयलऔ औतचव्य’ ऩूछे खमे तॊ भनॊज औेवल ऩांर् छह भोयलऔ
औतचव्य ही यलक ऩामा, िेर् उसे माद ही नहीं आमे।‘देवनाखयी यलफऩ’ औी बविेर्ताएं बी उसे आधी अधूयी ही
माद यहीं।भुख्य ऩयीक्षा भें ऩास हॊने लामऔ तैमायी भनॊज नहीं लऔय ऩामा था ।उसऔा ऩरयणाभ बी वैसा ही
आमा जैसी उसने तैमायी औी थी ।श्रद्धा औी बी मही ऴस्थबत थी ।
रयजल्ट आ खमा। मनोज ओय श्रद्धा औा भुख्य ऩयीक्षा भें नहीं रृआ। मनोज औे तीन अटेम्प्प्ट फेऔाय हॊ खए।
एऔ बी अटेम्प्प्ट भें उसने भुख्य ऩयीक्षा क्लक्लमय नहीं औी। नवनीत औी तैमायी भें बी औभी यह खई थी। वह बी
भुख्य ऩयीक्षा क्लक्लमय नहीं औय ऩामा। लेकऔन अमश्ऱन ने औभाल औय फदमा वह उत्तय प्रदेि ऩीएससी भें अऔाउं ट
ऑफपसय ओय इस आईएएस औी ऩयीक्षा भें ‘फदल्री अं डभान सबवि स’ ‘डाकनक्स ’ भें कडप्टी औलेक्टय फन खमा।
ऩय उसे अबी प्रॊऩय आईएएस फनना था इसयलए अऩनी अखले अटेम्प्प्ट औी तैमायी जायी यकनी थी।
अमश्ऱन ने अऩनी दॊहयी सपलता औे यलए फत्रा भसनेभा औे ऩीछे ‘अऩनीयसॊई’ येस्टॊयेंट भें ऩाटी दी।
नवनीत,ऩांडे,खुप्ता,मनोज औा रूभ ऩाटचनय सभर्न मनोज ओय श्रद्धा औॊ आभरन्त्रत कऔमा।
ऩढ़ाई औे सही तयीऔे औॊ तलािने औे यलए उसने भर्िं बतत हॊऔय अमश्ऱन से ऩूछा –“अमश्ऱन, फताऒ ना क्या
तयीऔा यहा तुम्हाया ऩढ़ाई औा ।तुम्हाये अनुबव से हभ लॊखों औॊ बी लाब हॊखा ।“
“अये औुछ बविेर् नहीं, कऔसी फदन सभम कनऔाल औय आऒ तॊ बवस्ताय से फात औयेंखे ।“ -अमश्ऱन ने मनोज औॊ
टालते रृए औहा। िामद अमश्ऱन अऩनी ऩढ़ाई औा याज कॊलऔय लॊखों औॊ लाब ऩरृंर्ाने औे भूड भें नहीं था ।
ऩांडे र्ुऩर्ाऩ फैठा मह र्र्ाच सुन यहा था। साभने यकी सलाद औी प्लेट भें से टभाटय औा टु औडा उठाते रृए
उसने अमश्ऱन से औहा –“अमश्ऱन, मनोज जी औे ऩास सभम औहााँ है इन व्यथच औी फातों औे यलए। वे तॊ ऩहले ही
फरृत व्यस्त हैं।“
ऩांडे इस फात से कुि था कऔ मनोज औे प्रबत उसऔी बबवष्यवाणी सही कनऔली। प्याय भें डू फा मनोज भुख्य
ऩयीक्षा भें पेल हॊ खमा था ।
ऩांडे ने अऩने साभने फैठे रृए औॊड कड्रिंऔ ऩी यहे नवनीत से औहा-"क्यों नवनीत भैंने औहा था ना कऔ प्याय औे
औायण मनोज औा भसलेक्शन असम्भव है।“-उसने ऩास फैठी श्रद्धा औा बी औॊई यलहाज नहीं कऔमा । ऩांडे
भनॊज औे भैन्स भें असपल हॊने औा औायण औेवल श्रद्धा औॊ भान यहा था ।श्रद्धा से प्याय औे औायण ही उसने
ऩढ़ाई ऩय ध्यान नहीं फदमा ऐसा ऩांडे भान यहा था ।
अमश्ऱन ने उसे पटऔायते रृए औहा- "फऔवास भत औयॊ ऩांडे, तुभ भन्चूरयमन काऒ।”
अमश्ऱन औी फात औा ऩांडे ऩय औॊई असय नहीं रृआ वह भनॊज औी असपलता औी अऩनी बबवष्यवाणी से अबत
उत्साफहत हॊ खमा था । वह अऩने स्थान ऩय कड़ा रृआ ओय हाथ फहलाते रृए भनॊज औे गाव ऩय नभऔ
बछड़औना िुरू कऔमा -“मनोज जी आऩ एऔ सीन औी औल्पना औीभजमे, आज से दस ऩन्द्रह साल फाद जफ
आऩऔॊ श्रद्धा भजन्दखी औे कऔसी भॊड़ ऩय औहीं बभलेंखी ओय ऩूछेंखी कऔ मनोज जी आजऔल क्या औय यहे
हॊ? तॊ आऩ क्या औहेंखे? आटा र्क्की ऩय औाभ औय यहा रॄाँ मा जोया से भुयने ा टेम्पॊ र्ला यहा रॄाँ?“
ऩांडे औी फात सुनऔय मनोज ओय श्रद्धा औा र्ेहया उतय खमा। मनोज औॊ बफलऔुल उम्मीद नहीं थी कऔ ऩांडे
ऩाटी औे इस भाहोल भें इतनी गकटमा फात औय सऔता है। श्रद्धा औी आाँ कों से आाँ सू फहने लखे । मनोज औबी
श्रद्धा औॊ देकता औबी ऩांडे औॊ उसे सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह क्या औये ?
ऩांडे औी फात सुनऔय खुप्ता बड़औ खमा - "ऩांडे मफद तुभ अच्छा नहीं फॊल सऔते तॊ अऩना भुह
ं फन्द यका
औयॊ। तुभ तॊ प्रीयलम्स भें ही पेल हॊ खमे थे, तुभने औोन से तीय भाय यलए। मनोज ने औभ से औभ भैन्स ऩयीक्षा
तॊ दी ।
ऩांडे ने खुप्ता औी फात ऩय औॊई ध्यान नहीं फदमा ओय फरृत देय से साभने यके भंर्ूरयमन औॊ काते रृए औहा –“भैं
तॊ मनोज औे बले औे यलए औह यहा रॄाँ ।उन्हें तॊ वैसे बी बले औी फात औहााँ सभझ आती है ?”
ऩांडे मनोज औा साया बला श्रद्धा औे बफना औयना र्ाहता था ,श्रद्धा औे साथ मनोज औे बले औा औॊई प्लान
ऩांडे औे ऩास नहीं था ।
अऩनी फात ऩूयी औयऔे ऩांडे ने भंर्ूरयमन औी ग्रेवी औॊ फ्राइड याईस भें बभलाऔय काना िुरू औय फदमा ।
अऩभान ओय िबभिं दखी औे औायण श्रद्धा औा ऩाटी भें फैठना भुळिल हॊ खमा वह अऩने आाँ सू ऩोंछती रृई उठी
ओय ऩाटी छॊड़औय जाने लखी।मनोज बी उसऔे ऩीछे र्ल फदमा ।
भनॊज औॊ वहां से जाते रृए देक ऩांडे ने लॊखों औॊ सुनाते रृए औहा-“अफ ऩछताए हॉट औा जफ भर्कड़मा र्ुख
खई केत।“
खुप्ता औी फात सुनऔय ऩांडे व्यंग्य ऩूणच हाँसी हाँसते रृए साभने यका भंर्ूरयमन काने लखा ।
श्रद्धा ने मनोज से औहा –“मनोज इसीयलमे भैं औहती थी कऔ औेवल ऩढ़ाई ऩय ध्यान दॊ ,इन सफ फेऔाय औी
फातों औॊ फदभाख से कनऔाल दॊ। अफ मे दुकनमा तुम्हाये साथ भेया बी भजाऔ उड़ा यही है।“-ऩांडे औे औड़वे व्यंग्य
से आहत मनोज औॊ उम्मीद थी कऔ श्रद्धा ऩांडे औॊ बला फुया औहेखी। ऩय जफ श्रद्धा ने मनोज ऩय ही दॊर्
लखामा तॊ मनोज उकड़ खमा ।
“ऐसा औोन सा अऩयाध औय यहा रॄाँ भैं, जॊ फाय फाय भुझे अऩभाकनत कऔमा जाता है। तुभ बी भुझे ही खलत औह
यही हॊ।“ – ऩहले से अऩभाकनत मनोज औी आवाज थयथयाने लखी ओय वह साभान्य से तेज हॊ खई।उसने अऩने
औंऩऔऩाते रृए हाथों से ऩाऔच औी फेंर् औे हत्थे औॊ औस औय ऩऔड़ यलमा।
“भैं तुम्हे खलत नहीं औह यही भनॊज। ऩय फाय फाय मे प्याय ?”- अधूयी फात ही औह ऩाई श्रद्धा मनोज से। श्रद्धा
िामद अऩने भन औी औॊई फात उसे सभझाना र्ाह यही थी, ऩय वह फात उलझी रृई थी औहीं ।
मनोज िामद श्रद्धा औे भन औी दिा नहीं सभझ ऩा यहा था। अऩने प्याय औॊ सभझाने औी उसऔी तभाभ भोन
औॊभििें अफ तऔ असपल यहीं थी। श्रद्धा बी िामद मनोज से दॊस्ती ओय प्याय औे फीर् औफ से झूल यही
थी। मनोज तऔ ऩरृाँर्ने औी औॊई साफ़ सीधी डखय श्रद्धा अबी नहीं ढू ंढ ऩाई थी।
उसने साभने कड़ी श्रद्धा औी आाँ कों भें खहयाई से देकते रृए ऩूछा –“कऔससे प्याय औय यहा रॄाँ भैं? क्या प्याय औय
यहा रॄाँ ?“ फपय औुछ देय रुऔऔय िह तेज आवाज भें श्रद्धा से फपय ऩूछता है –“औोन? औोन भुझसे प्याय औयता
है? तुम्हें तॊ ऩता ही हॊखा? ऩता है तॊ फताती क्यों नहीं ।“
मनोज फेंर् से उठऔय कड़ा रृआ। उसे सभझ नहीं आमा कऔ वह कड़े हॊऔय क्या औये, इसयलए वह फपय फैंर्
ऩय फैठ खमा ।
“भेये हाथ भें नहीं है श्रद्धा औुछ बी, भैं क्या औरूाँ? नहीं कनऔलती तुभ भेये फदल से! भैं क्या औरूाँ? औॊई औुछ बी
औहे फपय, भैं तुभसे दूय नहीं हॊ सऔता। भैं प्याय नहीं औय यहा तुभसे। भैं तॊ औेवल सााँसे ले यहा रॄाँ तुम्हाये नाभ
औी! ऩांडे ऩूछता है कऔ दस साल फाद तुभ ऩूछॊखी कऔ भैं क्या औयता रॄाँ, तॊ भैं क्या औरॄंखा ? दस फीस साल
मनोज औी नजये अाँ धेये ऩाऔच भें औुछ ढू ंढने लखीं । जफ उसे अऩनी नजये ऩाऔच भें गुभाने औे फाद बी औुछ नहीं
बभला तॊ उसने दॊ लम्बी सााँसे बयऔय श्रद्धा से फपय औहना िुरू कऔमा –“ऩांडे औहता है भेया भसलेक्शन नहीं
हॊखा। क्या भैं इतना औभजॊय रॄाँ ? क्या प्याय औभजॊय औय देता है ? फस भुझे लखे कऔ तुभने दॊ गड़ी भेये फाये भें
सॊर्ा। इतने से ही भैं बया बया गूभता फपरूं । कऔतनी छॊटी सी तॊ इच्छा थी तुम्हायी कऔ तुभ भुझे आईऩीएस
फना रृआ देकना र्ाहती हॊ, फस तुभ एऔ नजय भुझे देक लॊ इतने से ही भैं मे दुकनमा उल्ट ऩुलट औय दूं , मे
नोऔयी, भसलेक्शन मे आईऩीएस क्या र्ीज है ?“ अऩने वाक्य औे अं त तऔ आते आते श्रद्धा औे प्याय भें
मनोज ऩूयी तयह डू फ र्ुऔा था ।इसी डू फने से वह फर् ऩामेखा ऐसा उसे लख यहा था ।
मनोज औे भन औी दिा औॊ श्रद्धा भहसूस औय यही थी। उसे लख यहा था कऔ मनोज अऩनी नहीं िामद उसऔी
कुद औी फात औह यहा है । श्रद्धा बी मनोज औे फाये भें मही सफ तॊ सॊर्ती यहती थी । मनोज जफ ऩांर् फदनों
औे यलए अऩने खााँव र्ला खमा था तफ वह मनोज औे यलए ऩयेिान हॊ खई थी। आज मनोज औी फात सुनऔय
न जाने औफ से रुऔे रृए आं सू उसऔी आाँ कों भें आने औॊ तयस यहे थे, लेकऔन वह उन्हें यॊऔने औी फरृत औॊभिि
औय यही थी। औुछ देय तऔ मनोज फैंर् ऩय उसी ऴस्थबत भें फैठा यहा ओय वह उसी ऴस्थबत भें कड़ी यही। एऔ दॊ
बभकनट फाद उसने मनोज से औहा –र्लॊ मनोज ,देय हॊ यही है ।
मनोज उठा ओय श्रद्धा औे साथ साथ र्लने लखा। र्ुऩर्ाऩ। श्रद्धा औे हॊस्टल ऩरृाँर्ने तऔ यास्ते बय दॊनों भें से
औॊई नहीं फॊला। मनोज औे ऩास फॊलने औे यलए अफ औुछ था नहीं वह तॊ अऩने आऩ औॊ काली औय र्ुऔा था
ओय श्रद्धा िामद अऩने बये भन भें से फॊलने लामऔ औॊई भॊती र्ुनने औी औॊभिि औय यही थी ।
अऩने हॊस्टल औे नजदीऔ ऩरृाँर्ने ऩय श्रद्धा ने मनोज से औहा –“मनोज तुम्हाये बीतय असीभ सम्भावनाएं हैं ।
तुभभें अखय क्षभता नहीं हॊती तॊ भुझे तुभसे औुछ बी नहीं औहना था । अऩनी क्षभता औे साथ न्याम न औयना
कुद से ओय इस सभाज से अन्याम औयना हॊखा ।“- श्रद्धा मनोज औी क्षभता ऩय बयॊसा जता यही थी ।
हॊस्टल औे फाहय ्रीट लाईट भें दॊ छॊटी लड़कऔमां फेडबभन्टन केल यही थीं। श्रद्धा हॊस्टल औे खेट से सटऔय
कडी हॊ खई। अफ बवदा औी फायी थी। फेडबभन्टन केल यही लड़कऔमों भें से एऔ लड़औी औी िटल यैऔेट ऩय
औभ आ यही थी नीर्े अभधऔ बखय यही थी ।श्रद्धा ने केलती रृई लड़कऔमों औी तयप देकते रृए मनोज औहा –
“मनोज भैं औेवल दॊ गड़ी तुम्हें माद नहीं औयती। हभेिा तुम्हें माद औयती रॄाँ।“- उसऔी आाँ कों औे साभने मनोज
औे खााँव जाने वाले ऩांर् फदन अर्ानऔ तैय खमे। अऔेले उदास फदन , हय जखह मनोज औॊ ढू ंढते तलािते फदन,
मनोज औी आाँ कों भें देकते रृए श्रद्धा ने औहा –“मनोज भैं तुभसे प्याय औयती रॄाँ, फरृत प्याय औयती रॄाँ।“ औुछ
देय सन्नाटा यहा। औेवल यैऔेट ऩय िटल औे लखने औी आवाज आ यही थी ।
श्रद्धा ने मनोज औॊ एऔटऔ देकते रृए औहा –“अफ उलट ऩुलट दॊ ना मे दुकनमा प्लीज ।“ श्रद्धा ने मनोज औे
प्याय ओय उसऔी क्षभताऒ ं औॊ एऔसाय औय फदमा ।
इतना औहऔय श्रद्धा ने एऔ ऩल औॊ मनोज औॊ देका ओय ऩलटऔय हॊस्टल भें र्ली खई। मनोज खेट ऩय कड़ा
यह खमा। उसऔी दुकनमा अर्ानऔ एऔ ऩल भें फदल खई थी । श्रद्धा औी आवाज उसऔे औानों भें खूाँज यही थी –
“अफ उलट ऩुलट दॊ ना मे दुकनमा प्लीज । “
फेडबभन्टन केल यही जीतने वाली लडऔी ने हायने वाली लड़औी से जॊय से औहा - “तू िटल ऩय पॊऔस नहीं
औय यही है। इसयलए फाय फाय हाय जाती है। पॊऔस औय ना ।
मनोज ने लड़औी औी आवाज सुनी ओय हल्के से भुस्कुया फदमा। फपय वह तेजी से ऩलटा ओय नेहरू बवहाय
जाने औी जखह भुकजी नखय औी भुख्य सडऔ औी ऒय जाने लखा। खांधी बवहाय जाने औे यलए जफ औॊई बी
टेम्पॊ काली नहीं बभला तॊ उसने खांधी बवहाय जाने औे यलए दोड़ लखा दी।भनॊज औॊ फाय फाय श्रद्धा औी फात
सुनाई दे यही थी ‘भैं तुभसे फरृत प्याय औयती रॄाँ’ औफ से मह एऔ वाक्य भनॊज सुनना र्ाह यहा था श्रद्धा से
।औफ से वह श्रद्धा औे र्ेहये औॊ इसी लालसा से देकता था कऔ वह उसऔे प्याय औॊ स्वीऔाय औयऔे भुस्कुया
जामे।लेकऔन आज वह फदन आ खमा था लेकऔन क्या प्याय कऔसी औे बीतय इतनी ऊजाच बय देता है ?भनॊज औॊ
लख यहा था कऔ वह दोड़ नहीं यहा है फऴल्क उड़ यहा है, ओय उड़औय अमश्ऱन औे औभये ऩय नहीं जा यहा है फऴल्क
आसभान औे ताये तॊड़ने जा यहा है ।अफ तऔ औी सायी असपलता औी कनयािा ऩीछे छू टती जा यही थी ओय
सपलता औी उम्मीद उसे आखे फढ़ा यही थी । दस बभकनट लखाताय दोड़ते यहने औे फाद वह अमश्ऱन औे औभये
ऩय ऩरृाँर् खमा ।
41 .
अमश्ऱन ने औहा- "मनोज फाइस भई औॊ आईएएस फप्रयलम्स है। मानी अफ औेवल एऔ भहीना फर्ा है। इस एऔ
भहीने भें तुम्हे औेवल प्रीयलम्स औी तैमायी औयना है। भुख्य ऩयीक्षा औॊ अबी बूल जाऒ।
“प्रीयलम्स तॊ भेया फऩछली फाय बी क्लक्लमय हॊ खमा था।” –मनोज ने औहा
“प्रीयलम्स औॊ हलऔे भें औबी भत लेना,ऩहले अटेम्प्प्ट भें प्रीयलम्स क्लक्लमय हॊने फाद बी सेऔेि अटेम्प्प्ट भें
प्रीयलम्स लटऔ खई थी तुम्हायी, इसयलए तुम्हें फप्रयलम्स औी तैमायी ऐसे औयनी है कऔ ऩयीक्षा देऔय आने ऩय
फप्रयलम्स भें र्मन औॊ लेऔय औॊई डाउट न यहे।”
औुछ देय रुऔऔय अमश्ऱन ने आखे औहना जायी यका – “मनोज तुभ ऩुयाने सालों औे ऩेऩय औई फाय सॉल्व औयॊ।
क्यॊकऔ प्रीयलम्स भें ऩुयाने सालों औे ऩेऩय भें से ही औई प्रश्न सीधे सीधे आ जाते है ओय हभ वही प्रश्न खलत औय
आते है। प्रीयलम्स भें औेवल ऑब्जेऴक्टव प्रश्न आते हैं तॊ तुम्हे इस ऩूये भहीने भें प्रेऴक्टस फुऔ से हजायों
ऑब्जेऴक्टव प्रश्न हल औयना है।भसलेफस औा औॊई बी टॉफऩऔ हल्के भें नहीं लेना है ।
मनोज अमश्ऱन औे औभये से उत्साफहत हॊऔय अऩने औभये ऩय र्ला खमा।अखले फदन उसने श्रद्धा से अऩनी ऩढ़ाई
औी नई प्लाकनिं ख कडस्कस औी ।
"मनोज अमश्ऱन एऔदभ सही औह यहा है । भैं तॊ अफ उत्तयांर्ल ऩीएससी ऩय पॊऔस औरूंखी। इस साल औा
आईएएस एग्जाभ भैं नहीं दे यही। लेकऔन तुम्हें अऩने र्ोथे ओय आरख़यी अटेम्प्प्ट औी तैमायी औयना है। औेवल
उस ऩय फ़ॊऔस औयॊ। अफ नहीं तॊ औबी नहीं। भैं अऩने मनोज औॊ आईऩीएस फना रृआ देकना र्ाहती रॄाँ ।
“एऔ फदन ऩहले ही मनोज औे प्याय औॊ स्वीऔाय औयने वाली श्रद्धा ने मनोज से औहा ।
जनयल स्टडी औे ऩेऩय औे यलए श्रद्धा ने औयन्ट अपेमय, केल, बवदेिी डेयलखेिन, ऩुयस्काय, नई कॊजें, दुगचटनाएं ,
सयऔायीमॊजनाएं , आभथि औ भुद्दे, याजव्यवस्था औी खबतबवभधमां आफद ऩय ऩूये साल औे यलए भहीने वाय
प्रबतमॊबखता दऩचण से मनोज औे यलए कुद ऑब्जेऴक्टव टाइऩ प्रश्न तैमाय कऔमे जैसे कऔ वह आईएएस औी
42 .
मनोज औॊ फप्रयलम्स क्लक्लमय औयने भें अफ औॊई सन्देह नहीं था। श्रद्धा ने इस फाय आईएएस औे स्थान ऩय
उत्तयांर्ल ऩीएससी औा फप्रयलम्स फदमा था। फप्रयलम्स ऩयीक्षा औे अखले फदन बवऔास सय औी औॊभर्िं ख भें फऩछले
साल आईएएस औी ऩयीक्षा भें भसलेक्ट हॊ र्ुऔे फहिं दी भीकडमभ औे बवद्याथी सोयब याव तैमायी औयने वाले स्टू डेंट
औॊ ऩयीक्षा ऩास औयने औे कटप्स देने आमे। भनॊज भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी औे यलए सटीऔ यणनीबत तलाि यहा
था, वह भसलेक्टड
े सोयब याव औी सपलता औी यणनीबत औॊ अक्षयिुः ऩालन औयने औॊ फेताफ था ।
उसने सोयब याव से ऩूछा –“सय भुख्य ऩयीक्षा भें अभधऔ से अभधऔ नम्बय लाने औे यलमे क्या औयें?
सोयब याव ने फतामा-"लॊख भानते नहीं है ऩय मफद औुछ फातें माद यकें तॊ सपलता जरूय बभलती है।”
सोयब याव ने औहा-"भुख्य ऩयीक्षा भें ऑब्जेऴक्टव प्रश्न नहीं ऩूछे जाते फऴल्क कनफंधात्मऔ उत्तय ऩयीक्षा भें यलकने
हॊते हैं । इसयलए प्रीयलम्स औी ऩढ़ाई औी ्रेटेजी भुख्य ऩयीक्षा औे कऔसी औाभ औी नहीं है । अभधऔ से अभधऔ
माद औयॊ, अभधऔ से अभधऔ यलकऔय देकॊ। ऩयीक्षा औे ऩुयाने ऩेऩय सॉल्व औयॊ। भॉऔ टेस्ट दॊ।“
सोयब याव औी क्लास औे फाद मनोज ने श्रद्धा से औहा - " श्रद्धा भुझे सभझ आ खमा कऔ भैं तीसये अटेम्प्प्ट भें
क्यों असपल यहा था ।उस अटेम्प्प्ट भें भैंने औेवल नॊट्स ऩढ़े थे ,लेकऔन उन्हें माद औयऔे औई फाय यलकऔय नहीं
देका था।टेस्ट बी नहीं फदए थे,औेवल ऩढ़ने से औाभ नहीं र्लता फऴल्क माद औयऔे औई फाय यलकऔय देकना
मनोज ने श्रद्धा से औहा - "एऔ भहीने भें ऩांर् सो ऩेज मानी यॊज लखबख फीस ऩेज हभें यलकने हैं श्रद्धा। तुम्हें
बी उतयांर्ल भुख्य ऩयीक्षा यलए मही यणनीबत अऩनानी हॊखी । अफ हभ यॊज फीस ऩेज यलकेंखे।ऩहले माद
औयेंखे फपय यलकऔय ओय टेस्ट देंखे ओय मह िभ ऩयीक्षा तऔ र्लेखा।”
ऩय मनोज औे भन भें औुछ आिंऔा थी -"लेकऔन एऔ सभस्या है श्रद्धा, मफद भैं अच्छा न यलक ऩामा तॊ?"
“तॊ खन्दा यलकॊ, ऩय यलकॊ।अच्छा यलकने औे इन्तजाय भें ही लॊख उत्तय नहीं यलकते हैं, अभधऔााँि बवद्याथी तॊ
सीधे ऩयीक्षा हॉल भें ही ऩहली फाय यलकते हैं। ऩयीक्षा हॉल भें ऩहली फाय खन्दा यलकने से अच्छा है गय भें औई
फाय खन्दायलकऔय हभ अऩना लेकन सुधाय लें।” -श्रद्धा ने मनोज से औहा।
मनोज ने औहा -"सही औह यही तॊ तुभ। इस फाय भैं इतना यलकूंखा भजतना ऩूये जीवन भें बभलाऔय बी नहीं
यलका हॊखा।”
मनोज अफ सुफह र्ाय फजे उठने लखा। ऩयीक्षा औे ऩुयाने ऩेऩयों औा अवलॊऔन औयता ओय कनमश्चत टॉफऩऔ औे
प्रश्न औा उत्तय नॊट्स ओय कऔताफों से माद औयता । उसे जफ वह टॉफऩऔ माद हॊ जाता तॊ कनमश्चत सभम सीभा
भें उसे यलकऔय देक लेता। सुफह लखाताय फायह फजे तऔ, उसऔे फाद दॊऩहय भें दॊ गंटे औे बॊजन ओय
बवश्राभ औे फाद दॊ फजे से छह फजे तऔ दूसये बवर्म भें मही िभ दॊहयाता।तीसये अटेम्प्प्ट औे बवऩयीत इस फाय
श्रद्धा सुफह से भनॊज औे औभये ऩय नहीं आती थी फऴल्क फदन बय औी ऩढ़ाई औा लक्ष्य दे जाती । िाभ औॊ छह
फजे श्रद्धा उसऔे औभये ऩय आऔय साभान्य अध्यमन औे नॊट्स औॊ दॊनों यात औॊ दस फजे तऔ यलक यलक औय
माद औयते।
ऩय मनोज औे यलए साभान्य अध्यमन औी सभस्या अबी बी फनी रृई थी । उसे साभान्य अध्यमन औी औॊभर्िं ख
औी जरूयत भहसूस हॊ यही थी। साईंस टेऔ, स्टेटेऱस्टऔ, इऔॉनॊभी, बायत औे अं तयाचष्ट्रीम सम्बन्ध,जैसे बवर्मों भें
वह औभजॊय था। बफना औॊभर्िं ख औे जनयल स्टडी भें अच्छे नम्बय नही लामे जा सऔते थे ।
एऔ फदन श्रद्धा ने मनोज से औहा कऔ उसऔी सहेली एऔ औॊभर्िं ख भें साभान्य अध्यमन ऩढ़ने जाती है। बवनम
भसिं ह सय ने 'ध्येम' नाभ से एऔ भहीने ऩहले ही मह औॊभर्िं ख कॊली है । अबी औॊभर्िं ख भें औुछ स्टू डेंट ही है
इसयलए वह सफ स्टू डेंट ऩय व्यभिखत ध्यान देते हैं।
बवनम भसिं ह औॊ अऩनी औॊभर्िं ख औे ऩहले ही फैर् भें भुफ़्त ऩढ़ने वाले से साभना औयना ऩड़ खमा।
मनोज ने बवनम सय औॊ एऔदभ ईभानदायी से फता फदमा - "सय भेये ऩास पीस औे यलए बफलऔुल ऩैसे नहीं हैं
, ऩय साभान्य अध्यमन ऩढ़ना भेये यलए फरृत जरूयी है।”
बवनम सय औे ऩास अबी ऩन्द्रह स्टू डेंट ही आमे थे।उन्हें अभधऔ से अभधऔ स्टू डेंट औी जरूयत थी।ऩय वे फ्री स्टू डेंट
नहीं र्ाहते थे। उन्होंने मनोज औॊ टालने औी औॊभिि औी -" मफद भैंने तुम्हें बफना पीस औे ऩढ़ामा तॊ दूसये
स्टू डेंट औे साथ मह अन्याम हॊखा।”
बवनम सय औी फात सुनऔय दोनों औॊ कनयािा रृई। ऩय मनोज ने उम्मीद नहीं छॊड़ी उसने औहा-“सय भेये ऩास
सर् भें ऩैसे नहीं हैं ओय बफना जनयल स्टडी औी औॊभर्िं ख औे भेया भसलेक्शन सम्भव नहीं है। भसलेक्शन औे फाद
जफ भुझे ऩहला वेतन बभलेखा भैं सफसे ऩहले आऩऔी पीस र्ुऔाउं खा सय ।“
मनोज औी फात सुनऔय बवनम सय हाँस फदए,उन्हें मनोज की ब तों भें सच्चाई नजय आई। उन्होंने अऩनी टेफल
औे ड्रावय भें से आठ हजाय रूऩमे कनऔाले ओय मनोज औॊ देते रृए औहा –“पीस तॊ तुम्हायी भाफ़ नहीं हॊ
सऔती । इसयलए मह ऩैसे लॊ ओय औाउन्टय ऩय जभा औय दॊ,जफ तुम्हाये ऩास ऩैसे आ जाएाँ तफ वाऩस औय
देना, ऩय अबी ऩैसे औे अबाव भें तुभ ऩढ़ाई से वंभर्त नहीं हॊ सऔते।”
ऩहली फाय बभलने वाला औॊई अनजान टीर्य उसऔे यलए अऩनी जेफ से आठ हजाय रूऩमे दे यहा था । मनोज
क भन बवनम सय औे प्रबत सम्मान से बय खमा।
बवनम सय औे ऩढ़ाने औा तयीऔा बी एक्जाभ ऒरयएं टेड था। वह ऩढ़ाने से ज्यादा टेस्ट लेने भें बयॊसा यकते थे ।
उनऔी औॊभर्िं ख भें जॊ बी टॉफऩऔ ऩढ़ामा जाता अखले फदन ऩढ़ाने औे ऩहले उसऔा टेस्ट जरूय लेते।
ढाई भहीने तऔ मनोज औी ऩढ़ाई फरृत अच्छी र्लती यही। उसने अऩने लक्ष्य औे अनुसाय फहन्दी,इबतहास ओय
साभान्य अध्यमन औे सैऔड़ों प्रश्नॊत्तय यलक डाले। बवऔास सय,बवनम सय उसके यलके रृए उत्तय औॊ र्ेऔ औयते
ओय खलती कनऔलने ऩय मनोज फपय से सुधायऔय यलकने औा अभ्यास औयता।
अखस्त औी ऩांर् तायीक आ खई । अमश्ऱन औे औभये ऩय उसऔे फथच डे औी ऩाटी र्ल यही थी। खुप्ता ओय सभर्न
डांस औय यहे थे।मनोज औी ऩढ़ाई अच्छी र्लने औे औायण आज वह बी अमश्ऱन औे फथचडे भें आ खमा था ओय
डांस औय यहा था । उसऔे डांस औे स्टेऩ फेतयतीफ थे। ऩय ऩास फैठी रृई श्रद्धा उसके अनखढ़ डांस ऩय भॊफहत रृए
जा यही थी। नवनीत ओय ऩांडे फैठऔय ऩनीय फनाने औे यलए प्याज ओय टभाटय औाट यहे थे । तबी कऔसी ने
सभर्न ने गफयाऔय ऩानी औा यझड़औाव खुप्ता औे भुाँह ऩय कऔमा। थॊड़ी देय फाद उसे हॊि आ खमा। कनयाि खुप्ता
औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ उसऔा फप्रयलम्स क्यों नहीं कनऔला। उसऔे र्ायों अटेम्प्प्ट कत्म हॊ खए थे। उसऔा
एऔ फाय बी फप्रयलम्स क्लक्लमय नहीं रृआ था। वह अऩने औभये भें खमा ओय उसने औभया अं दय से फन्द औय
यलमा। खुप्ता औी वेदना औी खहयाई औॊ सभझते रृए अमश्ऱन ने उसऔे औभये औा दयवाजा कटकटामा। खुप्ता औे
इस तयह औभया फंद औयने से दूसये बी लॊख आिंकऔत हॊ खमे । अमश्ऱन ने आवाज लखाई-"खुप्ता नोटाँऔी भत
औयॊ, फाहय आ जाऒ।प्याज टभाटय औट खए हैं। ऩनीय औोन फनाएखा? "
खुप्ता अच्छा औुऔ बी था। इसयलए आज औी ऩाटी भें ऩनीय फनाने औा दभमत्व उसी औे ऩास था। अमश्ऱन औॊ डय
था कऔ अफ ऩनीय औैसे फनेखा? ग्रुऩ भें आज सपलता औा अनुऩात ज्यादा था, इसयलए अमश्ऱन औेवल खुप्ता औे
दुुःक औे औायण ऩाटी कनयस्त औयने औे भूड भें बी नहीं था। अमश्ऱन औे ऩुऔायने औे फावजूद अं दय से औॊई आवाज
नहीं आई। सबी औी भर्िं ता फढ़ने लखी। सभर्न ने खुप्ता औे भन औॊ सांत्वना देते रृए औहा -"खुप्ताजी कनयाि भत
हॊइए, र्ाय अटेम्प्प्ट औी व्यवस्था औेवल आईएएस औी ऩयीक्षा भें हैं स्टेट ऩीएससी औी ऩयीक्षा र्ालीस साल तऔ
दे सऔते हैं। दस साल हैं अबी आऩऔे ऩास। गफयाइमे नहीं।”
नवनीत ने दयवाजे भें लात भायऔय खुप्ता औॊ र्ेतामा कऔ मफद वह जल्दी फाहय न आमा तॊ दयवाजा तॊड़ा बी
जा सऔता है। खुप्ता बी ग्रुऩ औे धैमच औी ऩयीक्षा ज्यादा देय तऔ नहीं ले ऩामा। वह जानता था कऔ ज्यादा देय
औॊऩ बवन भें यहने औे औायण ग्रुऩ औे सदस्य उसे अऔेला दुकी छॊड़औय ‘अऩनी यसॊई’ येस्टॊयेंट बी जा सऔते हैं।
फपय उसे भनाने वाला औॊई नहीं यहेखा ।इसयलए वह भान खमा। उसने दयवाजा कॊल फदमा। वाऩस आने ऩय
उसऔे हाथ भें छुः स्टील औे स्टाय ओय दॊ आईऩीएस औे तभखे थे । वह अऩनी ऩुयलस औी वदी भें से उन्हें कनऔाल
लामा था। उसने वे तभखे ओय स्टाय फाथ रूभ औे फाहय यके डस्टबफन भें पैंऔ फदए।
खुप्ता ने अऩने औैरयमय औा रैऔ र्ेंज औय यलमा। उसऔी खाड़ी भीटय खैज से उतयऔय नैयॊ खैज ऩय दोड़ने लखी।
मनोज ने खुप्ता द्वाया डस्टबफन भें पैंऔे आईऩीएस औे स्टाय ओय बफल्रे कनऔालऔय अऩनी जेफ भें यक यलए।
श्रद्धा ने आईएएस औा मह फप्रयलम्स नहीं फदमा था। लेकऔन औुछ फदन फाद आमे रयजल्ट भें उसऔी उत्तयांर्ल
ऩीएससी औी फप्रयलम्स क्लक्लमय हॊ खई। श्रद्धा हरयद्वाय जाऔय उत्तयांर्ल औी भुख्य ऩयीक्षा बी दे आई।
प्रीयलम्स औे रयजल्ट औे फाद मनोज दुखुने जॊि औे साथ भुख्य ऩयीक्षा औी तैमायी भें जु ट खमा। उसे अफ फदन
यात औा हॊि नहीं यहा। फीस ऩेज यलकने औा लक्ष्य यॊज ऩच्चीस तीस ऩेज तऔ ऩरृाँर् खमा। एऔ अजीफ सा
ऩाखलऩन उस ऩय छा खमा था। उसके फदभाख भें इस सभम औेवल ऩढ़ाई ही थी।वह सफ बूल खमा था गय,
ऩरयवाय, दॊस्त, रयश्तेदाय सफ ।औेवल माद औयना,यलकना फस। भुख्य ऩयीक्षा भें औेवल एऔ भहीना फर्ा था।
उसने बवऔास सय ओय बवनम सय औे महां तीन तीन गण्टे औे टेस्ट ऩेऩय देना िुरू कऔमे । तीन गण्टे श्रद्धा बी
क्लास भें फैठी यहती थी। मनोज ऩूये तीन गण्टे तऔ ऩूयी एऔाग्रता से औेवल ऩेऩय सॉल्व औयता। उसे ध्यान बी
नहीं यहता कऔ श्रद्धा मा औॊई ओय ऩास भें फैठा है। िह प्रश्नों औे उत्तय यलकने से ऩहले एऔ रूऩयेका तैमाय
औयता कऔ उस उत्तय भें यलकना क्या है? बले ही उस रूऩयेका औॊ फनाने भें उसे तीन मा र्ाय बभकनट लख जाएाँ
ऩय बफना रूऩयेका फनामे िह प्रश्न िुरू नहीं औयता।भनॊज ने एऔ भहीने ऩच्चीस तीस टेस्ट ऩेऩय औॊभर्िं ख भें
जाऔय दे फदए । इन टेस्ट ऩेऩयों से उसक आत्मबवश्ऱास फरृत फढ़ खमा।
परीक्ष आ गई। मनोज क सेंटर कदडली में ही थ । उसके सबी ऩेऩय हॊ खमे । श्रद्धा उत्तयांर्ल भुख्य ऩयीक्षा
ओय मनोज आईएएस भुख्य ऩयीक्षा औे रयजल्ट औा इन्तजाय औयने लखे।
43 .
"आईएएस औी भुख्य ऩयीक्षा औा रयजल्ट इं टयनेट ऩय लॊड हॊ यहा है। सभर्न सफऔे रयजल्ट देकने इं टयनेट
औैपे खमा है। मनोज औे साथ उसऔे औभये ऩय अमश्ऱन,नवनीत, ओय ऩांडे भुख्य ऩयीक्षा औे रयजल्ट औा सााँसे थाभे
इन्तजाय औय यहे हैं। ऩांडे ने ऩहली फाय भुख्य ऩयीक्षा दी थी। वह बी अमश्ऱन औे साथ मनोज औे औभये ऩय आ
खमा था। श्रद्धा बी मनोज औा रयजल्ट जानने उसके औभये ऩय आ खई थी। प्रीयलम्स भें खुप्ता औंऔड़ औी तयह
खुप्ता ने लॊखों औी गफयाहट औे इस सभम औा सदुऩमॊख कऔमा ओय ऩत्रऔाय औी बूबभऔा भें आ खमा। उसने
भसखयेट औा धुंआ उड़ाते रृए मनोज से ऩूछा- “मनोज जी आऩऔा मह अं बतभ अटेम्प्प्ट है, औैसा भहसूस हॊ यहा है
?“
अमश्ऱन ने खुप्ता औॊ खाली देते रृए औहा –“खुप्ता महााँ प्राण कनऔले जा यहे हैं ओय तुम्हें पालतू औे प्रश्न सूझ यहे
हैं।”
ऩय मनोज ने खुप्ता औॊ जवाफ फदमा –“ मह अं बतभ प्रमास है। इसऔे फाद औुछ नहीं फर्ेखा। ऩय हााँ भेहनत फरृत
औी है इस फाय भैंने, इसे भैं स्वीऔाय औयता रॄाँ। भैं अऩनी तयप से संतुष्ट रॄाँ फाऔी सफ भेये हाथ भें नहीं।“
सभर्न ने सस्पेंस न यकते रृए औहा-"मनोज बैमा ओय अमश्ऱन जी औा भुख्य ऩयीक्षा भें हॊ खमा। ऩांडे जी ओय
नवनीत जी औा नहीं हॊ ऩामा।”
मनोज औॊ अऩने औानों ऩय मऔीन नहीं हॊ यहा था।उसऔे जीवन औी ऩहली भुख्य ऩयीक्षा क्लक्लमय हॊ खई थी
।वह र्ीकऔय अऩनी कुिी व्यि औयना र्ाह यहा था लेकऔन ऩांडे ओय नवनीत औा दुुःक देकऔय उसने अऩनी
कुिी औंरॊल औय ली । ऩांडे ओय नवनीत अमश्ऱन ओय मनोज औी कुिी औे बवऩयीत उदास ओय दुकी फैठे यहे।
खुप्ता औॊ ऩांडे ओय नवनीत औे रूऩ भें दॊ नमे साथी बभल खमे । अऩने सभाज भें वृयद्ध हॊते रृए देक खुप्ता संतुष्ट
हॊ खमा ।
उसने उन दोनों से औहा –“तुभ दॊनों भर्िं ता भत औयॊ, अखली फाय तुम्हाया जरूय हॊ जाएखा ।“
कनयाि ओय दुकी ऩांडे ऩय मनोज औी सांत्वना औा औॊई असय नहीं ऩड़ा। वह मनोज औे ऩलंख ऩय कनढाल सा
फैठा यहा। नवनीत बी अऩनी असपलता औे दुुःक भें वहीं औुसी ऩय फैठा यॊ यहा था। अफ इस औभये औा रॅश्य
फड़ा अजीफ था। दॊ सपल लॊख प्रसन्न थे ओय दॊ असपल लॊख यॊ यहे थे । दॊ तटस्थ व्यभि दुकी लॊखों औॊ
ढाढस फंधा यहे थे ओय सपल लॊखों औॊ फधाई बी दे यहे थे।
अमश्ऱन इस नाजुऔ भोऔे ऩय ऩांडे औा फदल नहीं दुकाना र्ाहता था। ऩांडे आज अऩनी असपलता से फरृत दुकी
था। उसे मह बी नहीं सभझ आ यहा था कऔ मनोज औा भैन्स औैसे कनऔल खमा? उसने तॊ मनोज से अलख
हॊऔय औेवल ऩढ़ाई औी थी जफकऔ मनोज तॊ फदन बय श्रद्धा औे प्याय भें डू फा यहता था।फपय मनोज भुख्य
ऩयीक्षा भें औैसे ऩास हॊ खमा? ऩांडे औॊ नहीं ऩता था कऔ ऩांर् भहीनों भें मनोज ने कऔस तयह ओय औैसी ऩढ़ाई
औी थी ?
खुप्ता औी सेहत ऩय इस रयजल्ट औा औॊई असय नहीं रृआ था इसयलए वह भुि बाव से औभेंट औय यहा था –
“आज तॊ मनोज फरृत कुि हॊखा, उसे प्याय औे साथ साथ सपलता बी बभल खई। मनोज औे जीवन औा सफसे
अच्छा कनणचम क्या यहा ऩता है अमश्ऱन ?”
खुप्ता मनोज औे रयजल्ट औी व्याख्या औय यहा था ओय सपल अमश्ऱन से उसऔी ऩुफष्ट बी र्ाहता था।
अमश्ऱन ने फात टालने औे उद्देश्य से औहा –“फता दॊ, बफना फतामे तुभ भानॊखे बी नहीं।“
खुप्ता ने अऩनी आवाज औॊ यहस्यभमी ढंख से धीभा औयते रृमे औहा –“ऩांडे औॊ अऩने औभये से कनऔालना ओय
श्रद्धा से प्याय औयना।”
ऩांडे ने जफ खुप्ता औी फात सुनी तॊ जैसे आख लख खई। खुप्ता ने नाजुऔ भोऔे ऩय औठॊय फात औह दी थी।
दुकी ऩांडे िॊध से बय खमा –“खुप्ता भुझे मनोज ने नहीं कनऔाला, फऴल्क भैं ही उसे छॊड़औय खांधी बवहाय आ
खमा था। दूसयी फात, मनोज औी सपलता अबी दूय है, पाइनल रयजल्ट नहीं है मे, इं टयव्यू अबी फाऔी है।
तीसयी फात, ऐसे प्याय फरृत देकें है, श्रद्धा औे गय वालों औॊ भजस फदन ऩता र्लेखा कऔ वह फदल्री भें प्याय
औय यही है उसे फदल्री से कीर्औय ले जामंखे ओय मनोज औा प्याय धया यह जामखा।”
ऩांडे औे भन भें अफ िॊध, दुुःक, ईष्याच, कनयािा,ऩयाजम औे बाव गुल बभलऔय खड्ड भड्ड हॊ यहे थे। अिांत ओय
व्यभथत भन ऩांडे औे औंरॊल से फाहय हॊ यहा था।
ऩांडे औे फदभाख भें ऩता नहीं क्या प्लान र्ल यहा था। वह आज प्याय औे साथ मनोज औी सपलता औॊ ऩर्ा
नहीं ऩा यहा था ।उसऔी र्ाल अफ तेज हॊ खई थी।
44 .
मनोज औी ही बफऴडिं ख भें उसऔे ठीऔ फखल औे औभये भें अरुण यहता था। उम्र तथा ऩयीक्षा देने औी
संख्या औे अनुसाय अरुण मनोज से सीकनमय था। उस औे आईएएस औे र्ायों अटेम्प्प्ट सभाप्त हॊ खमे थे। अरुण
यॊज िाभ औॊ ऩूजा औयता था ओय फरृत सुय भें हनुभान र्ालीसा औा ऩाठ औयता था। मनोज औी दॊस्ती अरुण
से हॊ खई थी। महााँ तऔ कऔ कऔभर्न बी उन लॊखों ने साझा औय ली थी। भुख्य ऩयीक्षा औे रयजल्ट औे औुछ फदन
फाद मनोज अरुण औे औभये ऩय खमा।
मनोज औी भुख्य ऩयीक्षा औी ख़ुिी देकऔय अरुण ने औहा- "मनोज जी अबी फदल्री दूय है। भैं तॊ दॊ फाय
इं टयव्यू से वाऩस आमा रॄाँ ओय आज वहीं रॄाँ जहां से र्ला था। भेये र्ायों अटेम्प्प्ट कत्म हॊ खए। ऩय गय वाऩस
कऔस भुह
ं से जाऊं इसयलए महााँ डला रॄाँ। फप्रयलम्स,भैन ,इं टयव्यू मे सफ भामाजाल हैं। जफ तऔ आऩऔा
पाइनल भसलेक्शन नहीं हॊ जाता आऩऔॊ कुि हॊने औा औॊई अभधऔाय नहीं है ।”
अरुण ने अऩने फदल औा ददच औड़वे मथाथच औे रूऩ भें मनोज से औह फदमा। मनोज र्ुऩर्ाऩ अऩने औभये भें
वाऩस आ खमा।
"उम्मीद ओय नाउम्मीदी औा दोय है मह। उम्मीद कऔतने लॊखों औी ऩूयी हॊती है? भसलेक्ट कऔतने लॊख हॊते हैं?”
लाकों भें से दॊ तीन सो फस । फाऔी लॊख तॊ फपय से हताि हॊ जाते है। पूट पूट औय यॊते हैं। औुछ फदनों औे
यलए हॊि कॊ देते हैं। कऔसी से नजयें नहीं बभला ऩाते। फपय अऩनी औबभमां ढू ंढते हैं उन्हें दूय औयने औी औॊभिि
औयते हैं ओय फपय एऔ साल लम्बा ऩढ़ाई औा भसलभसला िुरू हॊता है। सालों साल र्लता है मही
मनोज ने अऩनी डामयी भें अऩने भन औे बवर्ाय यलके। भुख्य ऩयीक्षा औी सपलता औी कुिी अफ इं टयव्यू औी
तैमायी ओय पाइनल रयजल्ट औी अकनमश्चतता भें डू फ यही थी। तबी श्रद्धा आ खई।
श्रद्ध की ब त सुनकर मनोज अपनी अवनवश्चतत भूल गय और उत्स वहत हॊऔय श्रद्धा से औहा- "लॊ अफ
क्या औहॊखी तुभ? तुम्हें सलाभ।"श्रद्धा औे र्ेहये ऩय आत्मबवश्ऱास फदक यहा था।
श्रद्धा ने मनोज औा हाथ थाभ यलमा ओय उससे फॊली - "हभ दॊनों औे इं टयव्यू अबी फाऔी है भनॊज।”
मनोज ने उत्साह से औहा- "तुम्हाया इं टयव्यू तॊ सफसे अच्छा जाएखा। तुम्हें कडप्टी औलेक्टय फनने से औॊई नहीं
यॊऔ सऔता।" उम्मीद से सजा सऩना मनोज देखने लग ।
श्रद्धा ने मनोज से औहा - "हााँ मनोज मफद भैं कडप्टी औलेक्टय फन खई तॊ भेये ऩाऩा कऔतना कुि होंखे? उनऔा
सऩना ऩूया हॊ जामेखा। एभफीफीएस भें भसलेक्ट न हॊने औी असपलता ने उन्हें फरृत कनयाि औय फदमा था।
उनऔे साभने भैं सय उठाऔय कड़ी हॊ ऩाउं खी।”
श्रद्धा ने मनोज से आखे औहा –“भैं अल्मॊड़ा जा यही रॄाँ वहीं से हरयद्वाय जाउं खी ऩाऩा औे साथ इं टयव्यू देने।
इं टयव्यू देऔय भैं वाऩस आ जाउं खी। ”
श्रद्धा औी फात सुनऔय मनोज ने औिभच औयना र्ाहा –“श्रद्धा अऩना इं टयव्यू देऔय तुभ दूसये फदन ही वाऩस
आ जाना।”
“ तुभ अऩने इं टयव्यू औी तैमायी ऩय ध्यान दॊ, तुम्हाये इं टयव्यू औे ऩहले भैं वाऩस आ जाउं खी।” -श्रद्धा ने
आश्ऱासन फदमा ।
अखले फदन श्रद्धा अल्मॊड़ा र्ली खई।
एऔ फदन िाभ औॊ श्रद्धा औा पॊन मनोज औे औभये औे नीर्े एसटीडी औी दुऔान ऩय आमा ।
श्रद्धा ने मनोज से औहा– “मनोज भेया इं टयव्यू अच्छा खमा है।“ फपय औुछ देय रूऔऔय श्रद्धा ने मनोज से औहा
–“ऩय भैं फदल्री जल्दी नहीं आ ऩाउं खी।”
श्रद्धा औी फात सुनऔय मनोज ने आश्चमच से ऩूछा -“क्यों श्रद्धा क्या रृआ ?”
मनोज औे आश्चमच औा ठठऔाना नहीं यहा उसने श्रद्धा से औहा –“ वाह श्रद्धा मह तॊ फरृत फड़ी कफय है,लखता
है आज औा फदन ईश्ऱय ने हभाये नाभ यलक फदमा है।”
“हााँ मनोज आज भैं फरृत कुि रॄाँ,आज भैंने अऩने ऩाऩा औे सऩने औॊ ऩूया औय फदमा है ,ऩाऩा फरृत कुि हैं ।“-
श्रद्धा ने मनोज से औहा ।
श्रद्धा औे भसलेक्शन औी ख़ुिी भें मनोज औॊ अऩने इं टयव्यू औी भर्िं ता हॊ आई –“श्रद्धा भैं बी आज फरृत कुि रॄाँ
।भेये इं टयव्यू औे ऩहले तुभ आ जाऒखी ना ?”
श्रद्धा ने रुआं से स्वय भें मनोज से औहा –“मनोज जफ से फदल्री से वह पॊन आमा है, भेये ऩाऩा दुकी यहने लखे
हैं। उन्हें लखता हैं, भैंने उनऔा बयॊसा तॊड़ फदमा है।”
श्रद्धा औी फात सुनऔय मनोज औहता है –“क्या कऔसी से प्याय न औयऔे ही मह बयॊसा फर्ा यह सऔता है।“
45 .
भुख्य ऩयीक्षा औा रयजल्ट आमे औापी फदन हॊ खमे थे,ऩांडे औा दुुःक औभ हॊ खमा था, इसयलए जफ अमश्ऱन
मनोज से बभलने उसऔे औभये ऩय जाने लखा तॊ वह बी उसऔे साथ हॊ यलमा। िाभ हॊ र्ुऔी थी।मनोज औा
रूभ ऩाटचनय सभर्न बी औॊभर्िं ख औयऔे वाऩस औभये ऩय आ खमा था।िाभ हॊ र्ुऔी थी, ऩास औे औभये भें अरुण
हनुभान र्ालीसा औा ऩाठ औय यहा था। उसऔा स्वय आज उदास था। लेकऔन हनुभान र्ालीसा औी ‘बवद्यावान
मह औहानी सुनऔय ऩांडे से नहीं यहा खमा उसने सीकनमय जूकनमय औा यलहाज छॊड़औय साभूफहऔ रूऩ से औहा –
“ऩहले ऩढ़ाई औय लेते ,प्याय फाद भें औय लेते ।“
इतना औहऔय ऩांडे ने मनोज ऩय नजय कटऔा दी जैसे मह वाक्य उसी औे यलए ही फॊला खमा हॊ।
ऩांडे ने अऩनी हाँसी दफाते रृए अमश्ऱन से औहा- “अमश्ऱन जी, भुझे अरुण भें मनोज जी औे दिचन हॊ यहे हैं।
लड़औी औा बभलना भसलेक्शन ऩय ही कनबचय है।अखय मनोज औा भसलेक्शन नहीं रृआ ओय श्रद्धा इन्हें छॊड़औय
र्ली खई तॊ क्या हॊखा?" आज अऩनी बवर्ायधाया औॊ लेऔय ऩांडे भें खजफ औा आत्मबवश्ऱास था।
“श्रद्धा जी फरृत सभझदाय है, वह मनोज जी औॊ छॊड़औय औहीं नहीं जामखी।” – सभूह भें सफसे जूकनमय सभर्न
ने सभझदायी औा ऩरयर्म देते रृए ऩांडे से औहा।
"सभर्न तुभ अबी औुछ नहीं जानते। सभझदाय लड़कऔमां ही तॊ अच्छे ऑप्िन औी ऒय र्ली जाती हैं , फेवऔूप
तॊ पंसी यहती हैं। मही तॊ सभस्या है कऔ श्रद्धा सभझदाय है। अरुण औी वन्दना बी सभझदाय थी भजसने
डीएसऩी लड़औे से िादी औय ली। फेवऔूप हॊती तॊ अरुण औे र्क्कय भें अऩनी भजिं दखी फयफाद औय लेती।”
ऩांडे औॊ श्रद्धा औी सभझदायी ऩय ऩूया बयॊसा था कऔ मनोज औा भसलेक्शन न हॊने ऩय वह उसे छॊड़औय र्ली
जामेखी ।
लेककन मनोज औॊ श्रद्धा ऩय ऩूया बयॊसा था। उसने ऩांडे से औहा –“तुभ अबी श्रद्धा औॊ नहीं जानते। श्रद्धा ने
एऔ फाय भजसे र्ुन यलमा उसे औबी नहीं छॊड़ सऔती।”
“ऐसी औऩॊल औल्पनाएं प्याय भें डू फा हय प्रेभी औयता है,अरुण बी औयता था।” -ऩांडे ने मनोज से औहा।
उसने मनोज औॊ सुनाने वाली फात अमश्ऱन औॊ देकते रृए औही –“श्रद्धा औॊ अऩने कडप्टी औलेक्टय फनने औे
ं फाद मनोज औे ऩास ऩास आना था, ऩय आज उसऔा रयजल्ट आमे ऩांर् फदन हॊ खमे, श्रद्धा औा औहीं
तुयत
अता ऩता नहीं है। श्रद्धा अफ मनोज औे रयजल्ट औा इन्तजाय औय यही है। मनोज सपल हॊ खमे तॊ वे आ
जामेंखीं लेकऔन मफद असपल हॊ खमे तॊ मनोज उनऔा यास्ता ही तऔते यहेंखें ।श्रद्धा औॊ वन्दना फनने भें देय
नहीं लखेखी।“
मनोज औे प्याय औॊ यॊऔने भें अफ तऔ असपल यहे ऩांडे ने अफ अऩने बवयॊध औी फदिा फदल दी थी। अफ वह
कडप्टी औलेक्टय फनने औे फाद श्रद्धा ऩय आयॊऩ लखा यहा था कऔ उसऔा प्याय सच्चा नहीं है ओय वह मनोज औे
असपल यहने ऩय उसे छॊड़ देखी।
46 .
एऔ फदन इं टयव्यू औी औॊभर्िं ख औे फाद मनोज ने औभये ऩय आऔय देका कऔ फखल औे औभये भें यहने वाला
अरुण ने अर्ानऔ बड़औऔय औहा- "इस फेवपा फदल्री औॊ छॊड़औय अऩने गय जा यहा रॄाँ। अबी भय नहीं खमा रॄाँ
भैं। नहीं फन ऩामा आईएएस, आईऩीएस तॊ क्या रृआ? ऐसा औोना सा फड़ा औाभ औयते हैं आईएएस
आईऩीएस ? नेताऒ ं औे साभने अऩनी ऩूछ
ाँ दफाऔय कड़े यहते हैं। इसयलए अफ भैं याजनीबत भें जाऊं खा,भंत्री
फनूंखा। भैं आईएएस आईऩीएस नहीं फन ऩामा तॊ वंदना ने भुझे छॊड़ फदमा। भंत्री फनऔय सफसे ऩहले उसऔे
औभये औॊ लखाताय देकते रृए अरुण फॊला -"ऩांर् साल ,ऩांर् साल यहा रॄाँ महां। अफ औबी नहीं आऊं खा।”
मनोज औॊ देकऔय अरुण ने औसऔय मनोज औॊ खले लखा यलमा ओय जॊय जॊय से यॊने लखा। अरुण औे साथ
मनोज औे बी आाँ सू कनऔल आमे।अरुण रयक्शे भें फैठऔय र्ला खमा, मनोज देय तऔ अरुण औॊ जाते रृए
देकता यहा फपय दुकी हॊऔय अऩने औभये भें लोट आमा।
मनोज औॊ आज श्रद्धा औी ज्यादा ही माद आ यही थी। श्रद्धा अबी तऔ अल्मॊड़ा से नहीं आई थी। मनोज अबी
बी श्रद्धा औा इन्तजाय औय यहा था। अरुण औा दुकी र्ेहया फाय फाय उसके साभने आ यहा था।कऔतनी ऩीड़ा,
कऔतनी वेदना थी असपल ओय ठु औयाए रृए अरुण औे र्ेहये ऩय। प्याय भें धॊका कामा अरुण लखबख
ऩाखलऩन औी अवस्था भें ऩरृाँर् खमा था। उससे औबी प्याय औयने वाली उसऔी वंदना क्या इतनी कनष्ठुय हॊ
सऔती है? क्या अफ उसे ऩूयी तयह फफाचद हॊ र्ुऔे अरुण औी औॊई फफ़ि नहीं?
47 .
ऩाऩा अऩने फखीर्े भें पूलों ओय सवब्जमों औॊ ऩानी दे यहे थे। श्रद्धा दूय कड़े अऩने ऩाऩा से अऩने भन औी फात
औहने औी फहम्मत जुटा यही थी। वह जानती थी कऔ उसऔे ऩाऩा उससे फरृत प्याय औयते हैं। बफना औहे उसऔे
भन औी फात सभझते है उसऔे ऩाऩा।
उसने ऩाऩा से औहा- “ऩाऩा मे खुलाफ कऔतने अच्छे रकले हैं ना इस साल! फऩछले साल औैसे भुयझा खए थे।
"श्रद्धा खुलाफ तॊ इसी साल लखामे हैं,फऩछले साल मह खुलाफ नहीं लखे थे। तुभ औुछ ओय औहना र्ाहती हॊ
िामद।“-ऩाऩा िामद उसऔे भन औी उलझन सभझ यहे थे।
श्रद्धा औी फहम्मत नहीं हॊ यही थी ऩाऩा औे साभने मनोज औे फाये फात औयने औी। ऩय बफना फात कऔमे वह
मनोज औे ऩास जा बी नहीं सऔती थी। ऩाऩा ने श्रद्धा से अबी तऔ फदल्री से आमे पॊन औा भजि नहीं कऔमा
था।उसऔी भम्मी ने ही उसे पॊन वाली फात फताई थी ।इसयलए अफ उसने मह तम औय यलमा था कऔ वह
अऩने ऩाऩा औे भन भें आई रृई सायी िंऔाऒ ं औॊ कत्म औयऔे ऩाऩा औी अनुभबत से ही फदल्री जामखी।
श्रद्धा ने ऩाऩा से नजय र्ुयाते रृए औहा- "ऩाऩा वॊ फदल्री भें मनोज है ना !”
इस अधूये वाक्य औे आखे वह औुछ नहीं फॊल ऩाई। उसे अऩने खले भें अवयॊध भहसूस रृआ। ऩाऩा उसऔे र्ेहये
औी यंखत देकऔय भाभला सभझ खए।
श्रद्धा ने ऩाऩा से औहा -"उसऔा आईएएस भैन्स क्लक्लमय हॊ खमा है। इं टयव्यू देना है उसे।”
इस र्ुप्पी औा भोक़ा उठाते रृए श्रद्धा ने अऩनी भांख ऩाऩा औे साभने यक दी–“मनोज औा इं टयव्यू है ऩाऩा। भैं
जाऊं क्या फदल्री?"
ऩाऩा औॊ सभझ नही आ यहा था कऔ वह अफ क्या फॊलें ?वह श्रद्धा औे भन औी दिा ऩय हैयान थे। ऩय उन्होंने
बफना फऩगले उससे वर्न लेना र्ाहा -"भुझे उम्मीद है तुभ भेया बयॊसा नहीं तॊड़ॊखी।"
“क्या कऔसी से प्याय न औयऔे ही मह बयॊसा फर्ा यह सऔता है ।” -श्रद्धा औुछ फदन ऩहले मनोज औे औहे खमे
इस वाक्य औॊ ऩाऩा से औहना र्ाहती थी। ऩय मह वाक्य उसऔे भन से कनऔलऔय उसऔे खले भें आऔय दभ
तॊड़ खमा। वह ऩाऩा से नहीं औह ऩाई। उसऔी आाँ के बीख खईं। वह वाऩस अऩने औभये भें र्ली खई।
एऔ फदन श्रद्धा औे ऩुयाने स्कूल सयस्वती भििु भरन्दय अल्मॊड़ा भें उसऔे कडप्टी औलेक्टय फनने औे उऩलक्ष्य भें
सम्मान सभायॊह आमॊभजत रृआ। श्रद्धा औॊ उसऔी फप्रिंभसऩल ने भैडल ऩहनामा। उसऔे भम्मी ऩाऩा औॊ बी भंर्
ऩय बफठामा खमा।
श्रद्धा से स्कूल औे फच्चों औॊ प्रॊत्साफहत औयने औे यलए दॊ िब्द फॊलने औे यलए औहा खमा।
उसने फॊलना िुरू कऔमा -"आदयणीम दीदी, आर्ामच जी ओय भेये प्याये बैमा फहनों! ऐसा ही एऔ सम्मान
सभायॊह सात साल ऩहले महां इसी जखह रृआ था भजसभे एभफीफीएस भें भसलेक्ट फच्चों औा सम्मान रृआ था।
भैं एभफीफीएस भें भसलेक्ट नहीं हॊ ऩाई थी ओय वहां ऩीछे फैठी थी। दुकी ,उदास। भेये ऩाऩा औॊ भुझ ऩय फरृत
बयॊसा था ऩय भैंने ऩाऩा औा बयॊसा तॊड़ फदमा था ।
श्रद्धा ने औुछ देय सााँस ली फपय आखे औहना जायी यका-"भैंने उस फदन कुद औॊ वर्न फदमा कऔ भैं ऩाऩा औा
बयॊसा औबी नहीं तॊड़ूाँखी,र्ाहे औुछ बी हॊ जाए।”
श्रद्धा आखे औहना जायी यकती है-"फच्चों मह इम्पॊटेन्ट नहीं है कऔ हभ अऩनी भजिं दखी भें क्या लक्ष्य फनाते हैं ।
इम्पॊटेन्ट मह है कऔ हभ उस लक्ष्य औॊ ऩाने औे यलए जी जान से जुटते हैं मा नहीं? हभें वादे औयना र्ाफहए कुद
से,अऩने भाता फऩता से,अऩने बभत्रों से, कऔ जफ तऔ हभें अऩना लक्ष्य न बभल जाए हभ र्ैन से नहीं फैठेंखे।”
वह औुछ देय र्ुऩ यही। हॉल भें तभाभ फच्चों औे भाता फऩता बी उसे ध्यान से सुन यहे थे।
उनऔी तयप देकऔय श्रद्धा आखे औहती है-"ऩय भेहनत औयते फच्चों औे भन भें भाता फऩता औॊ बी मह बयॊसा
देना हॊखा कऔ मफद तुभ तभाभ भेहनत औे फाद बी सपल नहीं रृए तॊ भेयी फाहें तुम्हें सम्हालने औे यलए हभेिा
श्रद्धा अऩने बार्ण औे अं बतभ ऩड़ाव ऩय ऩरृाँर् खई -"भेहनत औयने वाला हय फच्चा अऩने भाता फऩता अऩने
दॊस्तों से मही र्ाहता है कऔ मफद वह सपल हॊ खमा औेवल तबी उसे आऩऔा प्याय न बभले। मफद वह
असपल बी हॊ खमा तफ बी आऩ उसऔॊ प्याय औयें। वह र्ाहता है आऩ उसे फदलासा दें, उसऔॊ सम्हाल लें,
देकना आऩऔे इस साथ से, आऩऔे इस प्याय से, आऩऔे बविवास से वह दूसयी औॊई याह र्ुनऔय जरूय सपल
हॊ जामखा। क्योंकऔ औॊई बी असपलता अं बतभ नहीं हॊती। हय असपलता औे फाद एऔ सपलता जरूय
बभलती है।"
इतना औहऔय श्रद्धा अऩनी जखह ऩय फैठ जाती है।उसऔे ऩाऩा औे बीतय लखाताय मही िब्द खूाँज यहे थे। 'मफद
वह सपल हॊ खमा तबी उसे आऩऔा साथ आऩऔा प्याय न बभले ,मफद वह असपल बी हॊ खमा तफ बी आऩ
उसऔॊ प्याय औयें। '
दॊ फदन फाद मनोज औा इं टयव्यू है। यात औॊ श्रद्धा अऩनी डामयी अऩने सीने ऩय यकऔय आाँ कें फंद कऔमे लेटी है
। उसऔे आाँ सू उसऔे खालों ऩय सूक खए थे। श्रद्धा औे ऩाऩा उसऔे औभये भें आते हैं। उसऔी डामयी औे आरख़यी
ऩन्नों भें भसपच स्याही भें बीखे आाँ सुऒ ं औे नीले धब्बे फदकाई देते हैं । औुछ सभझ नहीं आमा यलका क्या है ?
ऩाऩा डामयी औॊ उसऔे भसयाहने यक देते है ओय उसे एऔटऔ देकते यहते हैं। औुछ फदन ऩहले ऩाऩा औा सऩना
ऩूया औयने वाली श्रद्धा औा र्ेहया उदासी भें डू फा है। ऩाऩा से ज्यादा श्रद्धा औॊ औोन जानता है ? उसऔी
सभझदायी ऩय ऩूया बयॊसा है ऩाऩा औॊ। वह ऩाऩा औी सफसे प्यायी फेटी है। उसने औबी औॊई भजद नहीं औी,
औबी अऩनी औॊई इच्छा ऩाऩा औॊ नहीं फताई।
ऩाऩा औॊ आज वह फदन माद आ यहा था जफ श्रद्धा ऩहली फाय स्कूल ड्रेस ऩहनऔय स्कूल जाने औॊ तैमाय रृई
थी। तीन साल औी नन्ही श्रद्धा औा भन उस फदन स्कूल जाने औा नहीं हॊ यहा था। वह तॊ गय भें नमे नमे आमे
छॊटे से कयखॊि र्ीऔू औे साथ केलना र्ाह यही थी। उस फदन बी उसने भजद नहीं औी कऔ वह स्कूल नहीं जाना
र्ाहती। फस वह उदास हॊ खई थी उसऔी नजयें फाय फाय सपेद यंख औे भहीने बय औे र्ीऔू औॊ देक यही थी।
ऩाऩा ने नन्हीं श्रद्धा औॊ खॊद भें उठा यलमा था ओय लॊअय भाल यॊड औी सीफढमां र्ढने लखे थे । ऩाऩा ने अऩने
खाल ऩय नन्हीं श्रद्धा औे दॊ खभच आं सू भहसूस कऔमे थे उस सभम । ऩाऩा ने नन्हीं श्रद्धा औॊ देका ऩाऩा औॊ देकते
ही उसऔे होंठों ऩय भुस्कान तैय खई। िामद भुस्कान औा औंरास आं सुऒ ं औी र्ुखली औॊ छु ऩाना र्ाह यहा था।
आज बी ऩाऩा श्रद्धा औा र्ेहया देक यहे हैं। ऩाऩा औॊ देकऔय उसऔे होंठों ऩय भुस्कान आ जाती है। ऩाऩा अऩनी
फेटी औे ऩास फैठ जाते हैं। ऩाऩा उसऔे सय ऩय हाथ पेयते हैं। उसऔी ऩलऔें फंद हॊ जाती हैं। उसऔी फन्द
48 .
औल मनोज औा इं टयव्यू है, िह अभी भी श्रद्धा औा इन्तजाय औय यहा है। इं टयव्यू औे यलए उसने
बवऔास सय औे महााँ औॊभर्िं ख औय ली ओय अऩने औैरयमय, खृह नखय, ओय सभसाभभमऔ गटनाऒ ं औी अच्छी
तैमायी औय ली। लेकऔन इं टयव्यू भें तॊ औुछ बी ऩूछा जा सऔता है, इसयलए अफ क्या ऩढ़ाई औये? मह उसे
सभझ नहीं आ यहा था, इसयलए िह अऩनी डामयी ऩढ़ने लखा। अफ तऔ औी अऩनी जीवन मात्रा। ट्ढेल्थ पेल
से लेऔय इं टयव्यू औी दहलीज ऩय कड़े अऩने जीवन औी संगर्च खाथा।
डामयी ऩढ़ते ऩढ़ते मनोज औॊ वह फदन माद आ खमा जफ ऩांडे उसऔी नोऔयी लखवाने जखदीि तॊभय औे महााँ
ले खमा था। िह आज इं टयव्यू तऔ ऩरृंर्ा है उसऔा फरृत फड़ा श्रेम ऩांडे औॊ बी है। ऐसा सॊर्औय उसऔा
औा भन ऩांडे औे यलए औृतज्ञता से बय खमा। उसकी इच्छा ऩांडे से बभलने औी हॊने लखी।
मनोज ऩांडे औे औभये ऩय खान्धीबवहाय जाने औे यलए तैमाय हॊ खमा। िह जैसे ही औभये से फाहय कनऔला
साभने से तेज र्ाल भें अऩनी आकों भें बयॊसा ओय हॊठों ऩय भुस्कान यलए श्रद्धा आती हुई कदख ई दी।
श्रद्धा औॊ देकऔय मनोज औे र्ेहये ऩय भुस्कुयाहट आ खई –“नहीं श्रद्धा ,तुभ भेयी भजदखी भें एऔदभ सही सभम
ऩय आई हॊ। तुम्हाये आने से ही सफ औुछ अच्छा रृआ है भेयी भजन्दखी भें।“
मनोज ने फपय श्रद्धा से औहा –“श्रद्धा भुझे ऩांडे से बभलने जाना है। अऩने जीवन भें उसऔा मॊखदान भैं औबी
नहीं बूल सऔता। जफ भैं ग्वायलमय भें था तफ ऩांडे ने भेयी फरृत सहामता औी थी, भैं उसऔे बफना िामद महााँ
तऔ नहीं ऩरृाँर् सऔता था।
श्रद्धा ओय मनोज खांधी बवहाय ऩांडे औे औभये ऩय ऩरृाँर् खमे। ऩांडे अऩने औभये भें ऩलंख ऩय लेटा ‘दुकी भन भेये
सुन भेया औहना, जहां नहीं र्ैना वहां नहीं यहना’ खाना खुनखुना यहा था। मनोज औे साथ श्रद्धा औॊ देकऔय ऩांडे
र्ोऔ खमा। उसने खाना फंद औय फदमा ओय उठऔय फैठ खमा।
मनोज ने ऩांडे से औहा –“औल भेया इं टयव्यू है ऩांडे। भुझे इं टयव्यू तऔ ऩरृंर्ाने भें श्रद्धा औे अलावा मफद कऔसी
औा सफसे फड़ा मॊखदान है वह तुभ हॊ। तुभने मफद भेया साथ न फदमा हॊता तॊ िामद भैं औबी महााँ तऔ नहीं
ऩरृाँर् ऩाता। आज तुम्हायी िुबऔाभनाएं फरृत जरूयी हैं भेये यलए। ”
श्रद्धा ने मनोज औा साथ फदमा –“बैमा अफ आऩ बी अऩने लास्ट अटेम्प्प्ट औी तैमायी औे यलए जी जान से जुट
जाइए। मनोज औा बी देकॊ लास्ट अटेम्प्प्ट भें इं टयव्यू औे यलए औॉल रृआ है।”
“अखय मनोज औा भसलेक्शन नहीं रृआ तॊ ?”- ऩांडे ने श्रद्धा औे भन औी थाह लेनी र्ाही। उसे अबी बी श्रद्धा ऩय
बयॊसा था कऔ वह मनोज औे असपल हॊने ऩय उसे छॊड़औय र्ली जामेखी ।
लेकऔन श्रद्धा ने ऩांडे औी आिंऔाऒ ं औॊ खलत साबफत औयते रृए औहा –“मे आिंऔाएं तॊ भजन्दखी बय र्लती
यहेखी। भुख्य फात हैं कऔ मनोज ने अऩनी ऩूयी भेहनत से तैमायी औी। अफ अखय नहीं रृआ तॊ दुकनमा भें दूसये
फरृत औाभ हैं औयने औॊ। भेये यलए मनोज इम्पॊटेंट हैं वह क्या फनता है मह इम्पॊटेंट नहीं।“ अं बतभ वाक्य
औहते सभम श्रद्धा औी नजयें झुऔ खईं।
“ऩांडे तुभ बी इस साल टू ट औय भेहनत औयॊ। फपय देकना तुम्हाये भन औे साये संिम,साये अबवश्ऱास, सफ दूय हॊ
जामंखे। बमानऔ भेहनत ही है जॊ हभ सफऔॊ संतुयलत यकती है ओय सपलता बी देती है ।” -मनोज ने ऩांडे
औॊ प्रॊत्साफहत औयने औी औॊभिि औी ।
ऑटॊ औा इन्तजाय औयते मनोज से ऩांडे ने औहा –“मनोज भैंने श्रद्धा औे गय पॊन कऔमा था।” ऩांडे ने बावावेि
भें अऩना सत्य उखल फदमा।
ऩांडे औी फात सुनऔय मनोज ने भसपच इतना औहा –“औॊई फात नहीं ऩांडे। हॊ सऔता है इसभें बी ईश्ऱय औी औॊई
अलख इच्छा छु ऩी हॊ,मा हॊ सऔता है कऔ भैं तुम्हायी जखह हॊता तॊ िामद भैं बी मही औयता।”
ऩांडे भोन यहा। वह औुछ नहीं फॊल सऔा। मनोज ओय श्रद्धा ऑटॊ भें फैठऔय नेहरू बवहाय औी ऒय र्ल फदए।
ऩांडे उन दॊनों औॊ जाते रृए देकता यहा ।
49 .
मनोज ओय श्रद्धा मूऩीएससी औे ऑफपस जाने औे यलए तैमाय हॊ खमे। मनोज जीवन भें ऩहली फाय
औॊई इं टयव्यू देने जा यहा था।
“श्रद्धा भुझे डय लख यहा है,ऩता नहीं इं टयव्यू भें क्या ऩूछेंखे? भैं उनऔा सही जवाफ दे ऩाउाँ खा मा नहीं ,कऔतने ही
टॉफऩऔ छू ट खमे, भैं उनऔा रयवीजन बी नहीं औय ऩामा।“ – ऑटॊ भें फैठे मनोज ने श्रद्धा से औहा।
“मनोज फस एऔ फात माद यकना कऔ मह इं टयव्यू तुम्हें जानने औे यलए यलमा जा यहा है। तुभ क्या हॊ? तुभ
भजन्दखी औॊ कऔस नजरयमे से देकते हॊ ? इस दुकनमा, इस सभाज, इस नोऔयी औॊ देकने औी तुम्हायी रॅफष्ट क्या
है? इसयलए तुम्हें औुछ बी रयवीजन नहीं औयना भसपच अऩने आऩ औॊ जानना हैं।” –श्रद्धा ने िामद उत्तयांर्ल
ऩीएससी औे फदए अऩने इं टयव्यू औे अनुबव से मनोज औॊ सभझामा ।
मूऩीएससी औे खेट ऩय इं टयव्यू देने वाले बवद्याभथि मों औी बीड़ फढ़ यही थी। सबी बवद्याथी पॉभचल ड्रेस भें थे।
अभधऔाि लड़औे ऑफ़ व्हाईट िटच ओय नेवी ब्लू ब्लेजय भें थे। लड़ककयों ने साड़ी ऩहन यकी थी। खेट नम्बय
मनोज ओय दूसये प्रबतमॊखी अफ एऔ फड़े से हाल भें थे जहां औई भेजों ऩय उनऔे प्रभाणऩत्र एवं भाऔचिीट
मूऩीएससी औे औभचर्ायी र्ेऔ औय यहे थे। भजनऔे प्रभाणऩत्र ओय भाऔचिीट र्ेऔ हॊ खमे थे उन्हें आज कऔस फॊडच
भें इं टयव्यू देना है मह फतामा जा यहा था।
इस फड़े से हाल भें भहात्मा खांधी ओय सयदाय ऩटेल औी फड़ी सी तस्वीय दीवाल ऩय टंखी रृई थी ।
ठीऔ साढ़े दस फजे हलर्ल रृई। दयफान औभये औे अं दय फाहय हॊने लखे । इससे लॊखों ने अं दाज लखामा कऔ
औभये भें इं टयव्यू लेने वाले िामद आ खमे हैं। प्रबतमॊबखमों औे फदल औी धड़औनें फढ़ने लखी थीं, उनऔे खले
सूकने लखे थे, उनऔे हाथ ऩैयों भें औम्पन हॊने लखा।
मनोज औा इं टयव्यू डॉ ऩी डी अग्रवाल औे फॊडच भें ऩड़ा। डॉ अग्रवाल आई आई टी फदल्री औे ऩूवच डामयेक्टय थे
भजन्हें सयऔाय ने संग लॊऔसेवा आमॊख औा भेंफय फना फदमा था। मनोज औे यलए मह कफय हताि औयने वाली
थी कऔ उसऔे इं टयव्यू फॊडच औे र्ेमयभेन औा फहिं दी साफहत्य ओय इबतहास से औॊई लेना देना नहीं है । डॉ अग्रवाल
इस फात औे यलए बी फदनाभ थे कऔ वह इं जीकनमय ओय इं विि भीकडमभ औे लड़औों औॊ इं टयव्यू भें अच्छे नम्बय
देते हैं ओय सॊिल साईंस एवं फहिं दी भीकडमभ औे लड़औों औॊ औभ नम्बय देऔय बवदा औय देते हैं।
दयफान ने ऩहले लड़औे नाभ नाभ ऩुऔाया। लड़औे ने अऩने फाल, अऩने औऩड़े, अऩना औॊट ठीऔ कऔमा ओय अं दय
र्ला खमा। फाहय फैठे लॊखों औॊ गफयाहट हॊने लखी। लॊखों औॊ औुछ नहीं सभझ आ यहा था कऔ अं दय उस
लड़औे से क्या ऩूछा जा यहा है? लड़औा लखबख फीस बभकनट औे फाद इं टयव्यू देऔय वाऩस आमा। इस लड़औे
से ऩूछने ऩय ही अं दय औे भाहोल औा ऩता लख ऩामखा।
लड़औे ने दुकी हॊऔय औहा –“भैंने फतामा कऔ भैं दसवीं क्लास से कनमबभत फदनर्माच से मॊख औय यहा रॄाँ तॊ
र्ेमयभेन श्री अग्रवाल फॊल ऩड़े कऔ आऩ यॊज काना काते हैं तॊ वह बी आऩऔी हॉफी है क्या ?भैं इसऔा औुछ
जवाफ नहीं दे ऩामा। डॉ अग्रवाल फरृत कतयनाऔ हैं। बफलऔुल नहीं हंसते।”
मनोज सभझ खमा था कऔ इं टयव्यू औी औुछ बी फदिा हॊ सऔती हैं। इसयलए उसे कुले फदभाख से अं दय जाना
र्ाफहए, ऩहले से औुछ बी बवर्ाय औयने औी जरूयत नहीं हैं। अखला लड़औा फाहय आमा तॊ वह बी दुकी था।
उसने फतामा कऔ उसऔे फीएससी भें फपभजक्स भें अच्छे नम्बय नहीं आ ऩाए थे इसयलए डॉ अखवाल ने उसी ऩय
भेयी रकर्ाई औय दी। उन्होंने भुझसे ऩूये फीस बभकनट फपभजक्स ही ऩूछा ओय फाद भें औह फदमा कऔ भेयी तै मायी
अच्छी नहीं है अखले साल आना। इतना औहऔय लड़औा दुकी हॊ खमा उसऔी आाँ कें बीख खईं। लड़औा अऩनी
तीसया लड़औा लड़औा फाहय आ खमा। उसऔा र्ेहया प्रसन्न था। मह लड़औा अफ तऔ आमे सबी लडऔों भें
सफसे अभधऔ प्रसन्न लख यहा था। उसने फतामा कऔ उसऔा इं टयव्यू फरृत अच्छा खमा है।
उसने औहा कऔ वह आईआईटी फदल्री औा बवद्याथी यहा है ओय अबी इनफ़ॊभसस भें सॊफ्टवेमय इं जीकनमय है
उसऔा ऩूया इं टयव्यू ‘इिॊभेिन टेक्नॊलॊजी औे प्रिासन भें उऩमॊख’ बवर्म ऩय र्ला। डॉ अग्रवाल ने ऩांर् छह
फाय वेयी खुड फॊला। मनोज औे यलए इस लड़औे औा इं टयव्यू हताि औयने वाला था। मनोज आईटी औे फाये भें
उतना ही जानता था भजतना उसने भुख्य ऩयीक्षा भें बवनम सय औे नॊट्स भें ऩढ़ा था।
मनोज ने अऩने बवर्यलत ओय भर्िं बतत भन औॊ िांत औयने औे यलए आाँ कें फंद औय लीं। फंद आाँ कों औे ऩीछे औुछ
रॅश्य तैयने लखे। मनोज औा ऩूया जीवन ही तैय खमा अर्ानऔ। मनोज औा खााँव, उसऔा गय ,ग्वायलमय औा
औॉलेज , ग्वायलमय औी लाइरांेयी, फाहय फखीर्े भें फैठी श्रद्धा सफ एऔ यील औी तयह मनोज औी आाँ कों औे ऩदे
ऩय यझलबभलाऔय आते जाते यहे। मनोज आाँ कें फंद कऔमे रृए फैठा यहा।
मनोज उठा उसने अऩने फालों ऩय हाथ पेया, अऩना र्श्मा ठीऔ कऔमा ओय दयफान औे साथ खेट औे ऩास आऔय
कड़ा हॊ खमा। दयफान ने खेट कॊला ,मनोज ने अं दय प्रवेि कऔमा। फाहय फैठऔय औल्पना औयने वाला रॅश्य
अफ एऔदभ साभने था। औभये भें साभने एऔ फड़ी मू िेऩ औी टेफल थी भजसऔे ऩीछे ऩांर् लॊख फैठे थे। र्ाय
लॊख सूट भें थे जफकऔ एऔ फुजुखच से व्यभि धॊती औुताच ऩहने फैठे थे ,फीर् भें डॉ अग्रवाल फैठे थे। मनोज ने
औभये भें गुसते ही सफसे ऩहले सबी औॊ नभस्काय कऔमा ओय अऩनी फैठने वाली औुसी औे ऩास जाऔय कड़ा हॊ
खमा। डॉ अग्रवाल ने मनोज औॊ फैठने औा इिाया कऔमा तॊ वह धन्यवाद औहऔय फैठ खमा।
फॊडच भेम्बय औे र्ेहयों ऩय भुस्कान थी, वे िामद मनोज औॊ रयलेक्स औय यहे थे। िामद वह जानते थे कऔ
प्रबतमॊखी इस सभम फरृत तनाव भें हॊता है इसयलए िुरुवाती प्रश्न सयल ओय ऩरयर्मात्मऔ ही ऩूछे जाते हैं।
डॉ अग्रवाल ने भनॊज से ऩूछा –“अच्छा भनॊज तुभ भसबवल सबवि स भें क्यों आना र्ाहते हॊ ? तुम्हें प्रिासन भें
आने औी प्रेयणा औहााँ से बभली ?”
सयल सा फदकनेवाला ऩहला प्रश्न ही उलझ खमा। मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ उसऔे जीवन औी इस सच्ची
गटना औॊ इं टयव्यू फॊडच भें झूठ भानऔय कारयज औय फदमा जामखा। झूठ फॊलने से दूसयों औॊ प्रबाबवत औयने
वाला मनोज आज सर् फॊलऔय बी झूठा भाना जा यहा था। उसे सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह औैसे अऩनी
फात औा मऔीन फदलाएं । औोन सर् औह यहा है औोन झूठ औह यहा है इसे जांर्ने औा औॊई मन्त्र फॊडच औे ऩास
नहीं था। हनुभान औी तयह छाती र्ीयऔय फदकाने औी औॊई सुबवधा इं टयव्यू फॊडच भें नहीं थी । मनोज औे ऩास
अऩनी फातऔॊ सही भसद्ध औयने औा औॊई तयीऔा नहीं था। इसयलए वह र्ुऩ हॊ खमा ।डॉ अग्रवाल भनॊज औॊ
र्ुऩ देकऔय कुि हॊ खमे ।उन्होंने अऩने दूसये साथी से आखे सवाल ऩूछने औा इिाया कऔमा ।
दूसया भेम्बय जॊ मनोज औी फ़ाइल ऩय फरृत देय से नजयें खड़ाए रृए था, उसने फ़ाइल देकते रृए भनॊज से
ऩूछा –“आऩऔी फीए भें सेऔेि कडवीजन है,ट्ढेल्थ भें सेऔेि कडवीजन है , टेंथ आऩने थडच कडवीजन से ऩास औी
है आऩ तॊ फरृत औभजॊय स्टू डेंट यहे हैं । ”अर्ानऔ भेम्बय औा ध्यान फ़ाइल ऩय कऔसी बविेर् जखह ऩय खमा
उन्होंने र्ौंऔते रृए भनॊज से औहा –“आऩने ट्ढेल्थ दॊ साल भें कऔमा है ?क्यों ?”
वही रृआ भजसऔा डय था। मनोज औे साभने ट्ढेल्थ पेल औा बवर्म याक्षस औी तयह भुंह पाड़औय कड़ा हॊ खमा।
वह अफ उस याक्षस औे भुह
ं भें सभा जामेखा मा फर्औय कनऔल आमे खा उसे नहीं ऩता। ऩय संऔट औा साभना
औयने औी अऩनी आदत औॊ िह बूला नहीं ।
“सय भेये दादाजी उस साल भय खमे थे, सय भुझे ऩयीक्षा औे ऩहले ही फदन भर्औन ऩॉक्स हॊ खमा था।“ इं टयव्यू
फॊडच भें अबी तऔ उसकी औही खई सच्ची फात औॊ झूठ भाना खमा था। इसयलए ‘ट्ढेल्थ पेल’ ऩय िह अऩनी
ऩुयानी आदत औे अनुसाय मह सफ झूठ फॊलऔय आखे उस संऔट से फर् सऔता था । ऩय आज उसने सर्
फॊलने औा पैसला कऔमा। उसे लखा कऔ सर् ही वह ताऔत है जॊ उसे आज फर्ा सऔती है।
मनोज औॊ नहीं ऩता था कऔ उसऔा मह जवाफ अफ आखे क्या यंख फदकामखा। िह नहीं ज नत थ कऔ
आईएएस औे इं टयव्यू भें अऩने आऩ औॊ ट्ढेल्थ पे ल फताऔय उसे लाब हॊखा मा वह फफाचद हॊ जामेखा, ऩय उसने
बावावेि भें बमानऔ रयस्क ले यलमा था, उसे नहीं ऩता था कऔ उसऔे इस जवाफ से भेम्बय प्रबाबवत होंखे मा
उसे अमॊग्य भानते रृए फाहय औा यास्ता फदका देंखे ।
तऔनीऔी क्षेत्र औे बविेर्ज्ञ डॉ अग्रवाल ने अऩने जीवन भें आई आई टी औे फेहतयीन स्माटच लड़औे देके थे जॊ
अऩने औॅरयमय भें थ्रू आउटपस्टच क्लास यहे थे। ऐसे ही लड़औों औॊ वह देि औा बबवष्य भानते थे । इं विि
भीकडमभ औे लड़औे ही देि औा प्रिासन फेहतय र्ला सऔते हैं ऐसा डॉ अग्रवाल भानते थे। ऩय आज उनऔे
साभने एऔ ट्ढेल्थ पेल लड़औा फैठा था जॊ अऩने औैरयमय भें भगसटते रृए उन तऔ ऩरृंर्ा था। डॉ अग्रवाल
मनोज औे इस उत्तय से र्ोऔ खए। उन्हें भनॊज भसबवल सबवि स औे यलए एऔदभ अनफपट लखने लखा । उन्हें
उम्मीद नहीं थी कऔ औॊई लड़औा इस तयह औा जवाफ आईएएस औे इं टयव्यू भें दे सऔता है? अपनी औभजॊयी
मनोज ने कुद ही डॉ अग्रवाल औॊ सोऩ दी थी। डॉ अग्रवाल ने मनोज औे फदए हभथमाय से ही उसक खला
येतना िुरू कऔमा।
डॉ अग्रवाल ने मनोज औॊ गूयऔय ऩूछा –“आऩ नऔल से ट्ढेल्थ ऩास औयना र्ाहते थे ? आज तऔ ऐसा लड़औा
हभाये साभने नहीं आमा जॊ मह स्वीऔाय औय यहा हॊ कऔ उसने औबी र्ीकटिं ख औयऔे ऩास हॊने औी औॊभिि औी
हॊ।”
मनोज औे इस जवाफ से प्रबाबवत हॊऔय फॊडच औे अन्य भेम्बय आऩस भें फातर्ीत औयने लखे। उनऔी बावभुद्रा
देकऔय ऐसा लख यहा था कऔ वे मनोज औी फात से सहभत हैं।
मनोज फपय पंस खमा। डॉ अग्रवाल बावुऔ नहीं कनऔले। वह औट्टय ओय अऩने भत ऩय औामभ यहने वाले
कनऔले।
ऩय मनोज ने फहम्मत नहीं छॊड़ी -"सय प्रिासन भें बार्ा उतनी भहत्वऩूणच नहीं हॊती, भजतनी आऩऔी सच्ची
कनमत।”
मनोज ने डॉ अग्रवाल औी इं विि औॊ भहत्व देने वाली बवर्ायधाया औा बवयॊध औय फदमा। डॉ अग्रवाल औॊ
उसक मह बवयॊध ऩसंद नहीं आमा ।
उन्होंने नायाजखी औे स्वय भें मनोज से औहा-"नॊ फदस इज एन एक्सक्यूज टू हाइड मॊय इग्नॊयेंस इन इं विि। हाउ
औेन मू सवच द औंरी बवथ फदस वीऔनेस ? "-
इं विि भें औभजॊय ऩयीक्षाथी से डॉ अग्रवाल इं विि भें ही सवाल ऩूछ यहे थे । मनोज इं विि भें ऩूछे खए प्रश्न
औॊ सभझऔय उत्तय ढू ाँढने औी औॊभिि औयने लखा ।
मनोज औॊ औुछ देय सॊर् भें डू फे रृए देकऔय दूसये भेंफय ने फड़े िालीन तयीऔे से मनोज से औहा- “मनोज सय
मह औह यहे हैं कऔ मह अं ग्रेजी भें अऩनी अज्ञानता औॊ छु ऩाने औा फहाना है। आऩ अऩनी इस औभजॊयी औे साथ
देि औी सेवा औैसे औयेंख?े "
मनोज औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह क्या जवाफ दे? इं विि एऔ फाय फपय मनोज औी याह भें औांटे
बफछाने औॊ तैमाय थी। मनोज औे भाथे ऩय ऩसीने औी औुछ फूद
ं े फदक यही थी।
धॊती औुताच ऩहने फुजुखच भेंफय ने मनोज औॊ गफयामा रृआ जानऔय ऩूछा -"मनोज आऩ ऩानी ऩीना र्ाहेंखे ?"
उस भेंफय ने टेफल ऩय औांर् औे िास भें यके ऩानी औी तयप इिाया कऔमा।
मनोज ने ऩानी से बये औांर् औे िास औॊ देका उसऔी फहम्मत नहीं रृई ऩानी ऩीने औी। औुछ सेऔेि काभॊिी
यही। डॉ अग्रवाल औे होंठॊ ऩय भन्द भन्द भुस्कान तैय यही थी। उन्हें इं विि भें औभजॊय छात्र औॊ इं विि औे
हभथमाय से गामल औयने भें भजा आ यहा था।
फपय औुछ सॊर्औय वह डॉ अग्रवाल से फॊला -"सय भैं मह ऩानी नहीं ऩी सऔता।"फॊडच भेंफय मनोज औे इस
व्यवहाय ऩय र्ौंऔ खए।
मनोज ने बवनम्रता से औहा -" नहीं सय ऩानी तॊ साफ़ है ऩय भैं औांर् औे िास भें ऩानी नहीं ऩीता भुझे स्टील
औा िास ऩसन्द है।”
डॉ अग्रवाल मनोज औे इस उत्तय औॊ सभझ नहीं ऩामे ओय नायाज हॊऔय फॊल ऩड़े - "मे क्या फात रृई , तुम्हें
ऩानी ऩीने से औाभ है मा िास से। औॊई बी िास हॊ ऩानी तॊ वही यहेखा ना?”
मनोज ने फड़ी िालीनता से डॉ अग्रवाल ओय दूसये भेंफय से औहा-"जी सय। मही भैं औह यहा रॄाँ। असली र्ीज
ऩानी है, फतचन नहीं। अखय ऩानी साफ़ है तॊ वह औांर् औे िास भें हैं मा स्टील औे ,औॊई अं तय नहीं ऩड़ता।
आऩऔे बवर्ाय ,आऩऔी बावनाएं ,आऩऔा ज्ञान मफद अच्छा है ,श्रेष्ठ है ,देि फहत भें है तॊ मह अं तय नहीं ऩड़ता
कऔ वह इं विि भाध्यभ से प्रऔट हॊ मा फहिं दी भाध्यभ से।”
इतना औहऔय मनोज ने हाथ भें ऩऔड़े ऩानी औे िास से ऩानी ऩीऔय काली िास टेफल ऩय यक फदमा।
मनोज औे इस अप्रत्याभित उत्तय से सबी भेंफय आश्चमचर्कऔत यह खए।
भनॊज ने अऩनी फात ऩूयी औी – सय भैं जानता रॄाँ कऔ इं विि फरृत जरूयी है।इसयलए उसे सीकने औी हभेिा
भैंने औॊभिि औी है । ऩहली फाय जफ भैंने भुख्य ऩयीक्षा दी थी तॊ टू रयज्म औे स्थान ऩय टेयरे यज्म ऩय एस्से यलक
आमा था ओय इं विि भें पेल हॊ खमा था ,ऩय उसऔे फाद दॊ फाय उसी इं विि भें ऩास बी रृआ, इसऔा अथच है
कऔ भेयी इं विि लखाताय अभ्यास से फेहतय हॊ यही है।
मनोज औॊ इस प्रॊत्साहन से फल बभला ऩय डॉ अग्रवाल औी नजयें नीर्े यके उसके सकटि फपऔेट ऩय कटऔी यही।
उनऔा इं विि औा ऩैना हभथमाय मनोज ने फेऔाय औय फदमा था।लेकऔन डॉ अग्रवाल आसानी से छॊड़ने वाले
नहीं थे।
मनोज औा ‘ट्ढेल्थ पेल’ उसऔा ऩीछा नहीं छॊड़ यहा था उसे लख यहा था उसऔा ऩूया इं टयव्यू ‘ट्ढेल्थ पेल’ ऩय ही
कत्म हॊखा।उसके द्वाया इं टयव्यू औे यलए औी खई तभाभ याष्ट्रीम अन्तयाष्ट्रीम गटनाऒ ं औी तैमायी कऔसी औाभ
नहीं आ यही थी। डॉ अग्रवाल ने उसे उसके औैरयमय ऩय ही उसे गेयने औा भन फना यलमा था। इस फाय फॊडच
भेम्बय ने ट्ढेल्थ पेल लड़औे औी तुलना उनऔी नजय भें फहन्दुस्तान औे सफसे मॊग्य बवद्याथी से औय दी ।
आईआईटी ऩास आउट इं विि भीकडमभ लड़औे से मनोज ने कुद औॊ मॊग्य फता फदमा। इं टयव्यू फॊडच औे भेंफय
इस उत्तय से र्ौंऔ खए। सफ एऔ दूसये औा र्ेहया देक यहे थे। वे अफ इसऔा औायण जानना र्ाहते थे।
एऔ अन्य भेम्बय ने आश्चमच से ऩूछा -"आऩ औैसे मॊग्य है उस लड़औे से जॊ क्लास पस्टच से आज तऔ अऩनी हय
ऩयीक्षा भें टॉऩ औयता आ यहा है।”
मनोज ने जवाफ फदमा- "अऩनी अमॊग्यता औॊ जीतना ही सफसे फड़ी मॊग्यता हॊती है । भैं ट्ढेल्थ पेल एऔ
अमॊग्य लड़औा रृआ औयता था सय। क्योंकऔ खााँव औे फच्चों औॊ खााँव औे सयऔायी स्कूलों भें ऩढ़ाई औा वह स्तय
नहीं बभलता कऔ िहयों औे इं विि भीकडमभ स्कूल औे लड़औों से औॉम्पीट औय सऔें । इन अबावों औे फावजूद
अऩने संगर्च ओय संऔल्प औे औायण भैं महााँ तऔ आ सऔा रॄाँ। कऔन्हीं दॊ लॊखों औी तुलना उनऔे ऩरयणाभों से
नहीं हॊनी र्ाफहए फऴल्क उनऔी ऩरयऴस्थबतमों ओय सुबवधाऒ ं औे आधाय ऩय बी हॊनी र्ाफहए।”
मनोज ने अऩनी फात औह दी। फॊडच औे दूसये भेंफय मनोज औी फात से सहभत हॊते रृए फदक यहे थे। लेकऔन डॉ
अग्रवाल फपय टस से भस नहीं रृए।
डॉ अग्रवाल औॊ िामद मनोज औा उत्तय ऩसन्द नहीं आमा ,उन्होंने औहा- "मे सफ अऩनी अमॊग्यता औॊ छु ऩाने
औे फहाने हैं। जॊ लड़औा भैथ्स ओय इं विि औे डय से उन्हें छॊड़ देता है वह क्या िासन भें बी औठठन भोऔों ऩय
बखवअऩ नहीं औय जामखा ?आऩ लॊखों औॊ औुछ ऩूछना है?" - डॉ अग्रवाल ने मनोज औे उत्तय औॊ सुने बफना दूसये
सदस्यों से औहा।
एऔ दूसये सदस्य ने मनोज से औहा –“देरकमे आऩ औुछ बी औहें ऩय आऩ औा औैरयमय ग्राप मह फता यहा है
कऔ आऩ एऔ फरृत औभजॊय बवद्याथी यहे हैं। भुझे लखता है कऔ ऐसे औभजॊय ओय असपल बवद्याथी औी
“क्योंकऔ असपलता जरूयी है। औॊई बी फड़ी सपलता तफ तऔ नहीं बभलती जफ तऔ आऩ औई फाय असपल
नहीं हॊ जाते।” - इतना औहऔय मनोज ने औुछ देय सबी भेम्बय औॊ एऔ नजय देका फपय अऩनी फात आखे फढ़ाई
– “थॉभस अल्वा एकडिन फल्व फनाने औे ऩहले हजायों फाय असपल रृआ। औेवल एऔ सपलता से एकडसन
टेलेंटेड नहीं औहलामें,फऴल्क असपलताऒ ं औी सीफढ़मों ऩय र्ढ़ र्ढ़ औय ,बखय बखय औय ही वह टेलेंटेड फन
सऔे। तेनभजिं ख नाखे एवयेस्ट औॊ जीतने औे ऩहले सात फाय असपल रृए थे। मफद वह ऩहली मा दूसयी
असपलता से कनयाि हॊऔय गय फैठ जाते तॊ औबी एवयेस्ट पतह नहीं औय ऩाते । ए ऩी जे अब्दुल औलाभ ने
जफ ऩहला बायतीम प्रक्षेऩण मान एस एल वी थ्री लॉन्च कऔमा तॊ वह अऩनी उड़ान ऩूयी नहीं औय ऩामा ओय
औुछ सेऔेि फाद ही उसऔा भलफा सभुद्र औे खहये ऩानी भें सभा खमा ऩय इस असपलता से औलाभ साहफ
कनयािा औे खतच भें नहीं डू फे ओय अखले दॊ साल भें ही उन्होंने ऩहला फहन्दुस्तानी प्रक्षेऩण मान लॉन्च औय दुकनमा
भें फहन्दुस्तान औा नाभ उं र्ा कऔमा।” – मनोज ने ग्वायलमय औी लाइरांेयी भें ऩढ़ी तभाभ कऔताफों भें से
उदाहयण देऔय अऩनी फात औॊ भजफूत फनामा ।
भनॊज औे इस जवाफ औा अग्रवाल ऩय औॊई प्रबाव नहीं ऩड़ा ,उन्होंने भनॊज औे उत्तय भें से ही अऩने भतलफ औा
प्रश्न ढू ंढ यलमा –अच्छा भनॊज फताऒ सेटेलाईट लॉन्च व्हीऔल फपभजक्स औे कऔस भसद्धांत ऩय औाभ औयता है
?
भनॊज औॊ इस तऔनीऔी औे फाये भें औुछ नहीं ऩता था उसने औहा –सॉयी सय, भुझे नहीं ऩता ।
“मह तॊ तुम्हे जानना र्ाफहए भनॊज।” –डॉ अग्रवाल ने भनॊज से औहा । ऩय डॉ अग्रवाल ने मह नहीं फतामा कऔ
भनॊज औॊ मह क्यों जानना र्ाफहमे?भनॊज र्ुऩ यहा ।
डॉ अग्रवाल फरृत अनुबवी थे उनऔे ऩास हभथमायों औी औभी नहीं थी उन्होंने मनोज ऩय नमा हभथमाय
आजभामा - "आऩ फहिं दी साफहत्य औे एऔ अच्छे लेक्चयय फन सऔते है । ऩय भजले औा प्रिासन टेक्नॊलॉजी भें
भाफहय लॊख ही सम्हालें तॊ ही देि तयक्की औयेखा।”
मनोज अफ तऔ तऔनीऔी ज्ञान से लफालफ बये डॉ अग्रवाल औॊ प्रबाबवत नहीं औय सऔा था। साफहत्य
टेक्नॊलॉजी औे साभने हाथ फांधे कड़ा था। इं विि औे फेऔाय खए हभथमाय औी जखह दूसया हभथमाय
'टेक्नॊलॉजी' डॉ अग्रवाल ने मनोज ऩय र्लामा।
ऩय मनोज ने हाय नहीं भानी उसने औहा-"सय साफहत्य औा बवद्याथी आऩऔे बवर्ाय भें भजला नहीं र्ला सऔता।
ऩय देि औे प्रधानभन्त्री इस सभम एऔ साफहत्यऔाय ही हैं। क्या उनऔी मॊग्यता ऩय बी आऩऔॊ सन्देह है?" -
मनोज ने औभये लखी देि औे प्रधानभन्त्री अटल बफहायी वाजऩेमी औी तस्वीय औी ऒय इं बखत औयते रृए औहा।
उस भेम्बय ने भनॊज से ऩूछा –भनॊज मफद औल्पना औयॊ मफद तुभ कऔसी िहय औे ऩुयलस औबभश्नय हॊ औुछ
आतंऔवादी तुम्हाये िहय ऩय हभला औयते हैं ,फताऒ तुम्हायी क्या यणनीबत हॊखी ?
भनॊज ने औुछ देय सॊर्औय इस औाल्पकनऔ प्रश्न औा जवाफ फदमा –“ भैं हभेिा औुछ फुलेटप्रूप खाकड़मां िहय औे
भुख्य स्थलों ऩय तैनात औरूंखा भजसभें आतंऔवाद बवयॊधी दस्ते औे जवान तैनात होंखे ,मे तुयत
ं औामचवाही औयेंखे
।मफद कऔसी स्थल ऩय हभला हॊता है तॊ उसी जखह उन आतंऔवाफदमों औॊ उलझाए यकूंखा भजससे वह िहय
औे दूसयी जखह न जा सऔें , गामलों औॊ तुयत
ं अस्पताल ऩरृर्ाउं खा ।“
औाल्पकनऔ प्रश्न औा औाल्पकनऔ जवाफ सुनऔय भेम्बय ने भनॊज से औहा –“वेयी खुड भनॊज ।“
भनॊज औा जवाफ सभाप्त हॊते ही डॉ अग्रवाल ने मनोज से औह फदमा – “मनोज अफ तुभ जा सऔते हॊ
धन्यवाद।“
मनोज धन्यवाद देऔय अऩनी सीट से उठा ओय दयवाजे औी तयप जाने औे यलए ऩलटा ही था कऔ फुजख
ु च भेम्बय
ने उसे यॊऔा ओय ऩूछा –“तुम्हाया मह औोन सा अटेम्प्प्ट है भनॊज?”
मनोज ने कड़े कड़े फॊडच औी तयप देकऔय उत्तय फदमा –“लास्ट अटेम्प्प्ट है सय।” डॉ अग्रवाल औॊ सभझ नहीं
आ यहा था कऔ मह भेम्बय इस तयह मनोज औॊ यॊऔ औय सवाल क्यों ऩूछ यहे हैं ?
फुजुखच भेम्बय ने मनोज से औहा-“मफद इस फाय बी आऩऔा भसलेक्शन नहीं रृआ तॊ आऩ क्या औयेंखे?“
“ स्वाभी बववेऔानन्द औा मह वाक्य हभेिा भुझे प्रेयणा देता है –उठॊ जाखॊ ओय अऩने लक्ष्य औी प्राफप्त तऔ भत
रुऔॊ, भैं अऩने लक्ष्य औी प्राफप्त तऔ रुऔूंखा नहीं । “-मनोज औॊ बववेऔानन्द औेंद्र भें बफताए फदन माद आ खमे।
उसने बववेऔानन्द औॊ माद औयते रृए फुजख
ु च भेम्बय औॊ जवाफ फदमा ।
“क्या लक्ष्य है तुम्हाया? क्या आईएएस ,आईऩीएस फनना तुम्हाया लक्ष्य नहीं है?”-फुजुखच भेम्बय औॊ उसक औा
जवाफ सुनऔय आश्चमच रृआ । इसी आश्चमच से उन्होंने मनोज से ऩूछा।
फॊडच औे सबी भेम्बय र्ुऩ थे । फुजुखच भेम्बय ने भुस्कुयाऔय मनोज औॊ जाने औे यलए औह फदमा। मनोज सफऔॊ
नभस्काय औयऔे फाहय कनऔल खमा। खेट ऩय श्रद्धा मनोज औा इन्तजाय औय यही थी। श्रद्धा ने गफयाते रृए ऩूछा
–“औैसा खमा इं टयव्यू भैं तॊ फरृत गफया यही थी ?”
“खााँव औा एऔ ट्ढेल्थ पेल इं विि भें औभजॊय लड़औा, जैसा इं टयव्यू दे सऔता था दे फदमा। मफद इन लॊखों औॊ
भेयी उऩमॊबखता भहसूस हॊखी तॊ भुझे र्ुन यलमा जाएखा अन्यथा औुछ ओय औयेंखे ?” -मनोज ने जवाफ फदमा।
50 .
आज फायह भई है। पाइनल रयजल्ट औा फदन। िाभ औॊ ऩांर् फजे आईएएस औा पाइनल रयजल्ट मूऩीएससी
औे फॊडच ऩय भर्ऩऔ जामखा। इं टयव्यू देने वाले सबी लॊख आज इसी उम्मीद भें होंखे कऔ उनऔा पाइनल
भसलेक्शन हॊ ही जामखा। जफकऔ दॊ बतहाई लॊखों औा भसलेक्शन हॊखा ही नहीं। र्ाहे औुछ बी हॊ जाए। हॊने न
हॊने औी मह जद्दॊजहद तफ तऔ र्लती यहती है जफ तऔ पाइनल भसलेक्शन नहीं हॊ जाता। औॊई बी
बवद्याथी खायन्टी औे साथ मह नहीं औह ऩाता कऔ उसऔा भसलेक्शन ऩक्का है। एऔ ऩल औॊ उम्मीद फनती है
दूसये ही ऩल कनयािा छा जाती है। एऔ ऩल औॊ सफ फनता रृआ नजय आता है दूसये ही ऩल सफ बफकय जाता
है।
िाभ औे र्ाय फज खए। एऔ गण्टे भें रयजल्ट मूऩीएससी औे ऑफपस भें लख जामखा। श्रद्धा ओय मनोज ऑटॊ से
रयजल्ट देकने मूऩीएससी औे ऑफपस ऩरृाँर् जाते हैं। ऑटॊ मूऩीएससी औे खेट ऩय रुऔ खमा। जहााँ ऑटॊ रुऔा
वहां रयजल्ट देकने वालों औी बीड़ ऩहले से कड़ी थी। रेफपऔ सम्हालने वाले भसऩाही औॊ इस बीड़ से रेफपऔ
सम्हालने भें फदक्कत हॊ यही थी। मनोज ओय श्रद्धा बी उस बीड़ औे ऩास कड़े हॊ खमे। भसऩाही ने मनोज औॊ
लखबख धऔेलते रृए आखे फढ़ने औे यलए औहा। दोनों आखे फढ़ खमे। मूऩीएससी औे खेट औे नजदीऔ ऩरृाँर्ते ही
मनोज औी धड़औनों ने अऩनी खबत फढ़ा दी।
मनोज औी फहम्मत नहीं रृई रयजल्ट देकने औी, उसने श्रद्धा औॊ रयजल्ट देकने औे यलए बेजा ओय कुद खेट औे
फाहय कड़ा यहा। अफ सफ औुछ श्रद्धा औी हााँ मा ना ऩय कनबचय है। उसऔी नजयें फाय फाय श्रद्धा औॊ देक यही थीं।
औुछ लड़औे हंसते रृए ख़ुिी भें झूभते रृए फाहय आ यहे थे ओय औुछ यॊते रृए। फस मही दॊ श्रेयणमां थी आज
महााँ मूऩीएससी औे दयवाजे ऩय। मनोज सांस यॊऔऔय फस श्रद्धा औा इन्तजाय औय यहा था। तबी उसे साभने से
श्रद्धा आती रृई फदकी। श्रद्धा धीये धीये उसऔे नजदीऔ आ खई ,उसऔे र्ेहये ऩय खम्भीयता थी। श्रद्धा औा मह रूऩ
देकऔय मनोज औा फदल धऔ से यह खमा वह सभझ खमा कऔ श्रद्धा औॊई फुयी कफय सुनाने वाली है। उसने
श्रद्धा से औहा –“क्या रृआ श्रद्धा जल्दी फताऒ।” उसकी फेर्नै ी उसऔे र्ेहये से साफ़ झलऔ यही थी। श्रद्धा ने
फुझे रृए िब्दों भें औहा–“भनॊज।”
इतना औहऔय श्रद्धा औुछ देय रुऔी, तीन र्ाय सेऔेि तऔ वह मनोज औा कनयािा भें डू फता औा र्ेहया देकती
यही।
फपय अर्ानऔ श्रद्धा लखबख र्ीकते रृए फॊली –“तुभ आईऩीएस फन खमे हॊ भनॊज।”
मनोज औॊ अऩने औानों ऩय मऔीन नहीं रृआ। उसने श्रद्धा से औहा –“क्या औहा श्रद्धा फपय से औहॊ।”
श्रद्धा ने उसी उत्साह भें फपय से वही वाक्य दॊहया फदमा –“मनोज तुभ आईऩीएस फन खमे हॊ।”
मनोज औॊ अबी बी मऔीन नहीं हॊ यहा था उसने ज्ल्ल्दीफाजी भें औहा –“क्या तुभने सही यॊल नम्बय देका है?
क्या नाभ से बी देका है? औॊई खलत यॊल नम्बय तॊ नहीं देक यलमा ?” ऩय श्रद्धा ने एऔदभ सही यॊल नम्बय
देका था।
मनोज अफ अऩना रयजल्ट ऩूयी दुकनमा औॊ फताना र्ाहता था। उसने सफसे ऩहले अऩने फऩता औॊ पॊन कऔमा।
फऩता झाफुआ भें सस्पेंड थे।
फऩता ने पॊन उठामा तॊ मनोज ने औहा-"ऩाऩा भेया रयजल्ट आ खमा ,भैं आईऩीएस फन खमा।”
मनोज औे आईऩीएस फनने औे औायण अऩने ित्रु ओय वरयष्ठ अभधऔायी कडप्टी डामयेक्टय औॊ फफाचद औयने औा
सऩना देकते रृए फऩता ने पॊन यक फदमा। मनोज औे र्ेहये ऩय फऩता औे व्यवहाय ऩय एऔ हल्की भुस्कान तैय
खई। अमश्ऱन औा पाइनल भसलेक्शन नहीं रृआ था। मनोज ने खेट औे ऩास कनयाि कड़े अमश्ऱन औॊ सांत्वना दी
ओय औहा कऔ अखले साल वह जरूय भसलेक्ट हॊ जामखा। अमश्ऱन दुकी हॊऔय ऑटॊ भें फैठऔय र्ला खमा।
श्रद्धा ओय मनोज दॊनों ने वाऩस नेहरू बवहाय जाने औे यलए ऑटॊ यॊऔा ओय उसभे फैठ खए। ऩास भें वही
भसऩाही कड़ा रृआ था भजसने मनोज औॊ धऔेला था।
मनोज औा जवाफ सुनऔय भसऩाही ने मनोज औॊ एऔ सेल्यटू भाया। मनोज आश्चमच से भसऩाही औॊ देकता
यहा। एऔ ही फदन भें, एऔ रयजल्ट से दुकनमा औा नजरयमा उसऔे यलए फदल र्ुऔा था। वह ऑटॊ से उतया ओय
उसने अनजान भसऩाही औॊ खले लखा यलमा। मनोज औी आाँ कें बीख खई थी। भसऩाही बी खले लखाने वाले
आईऩीएस से ऩहली फाय बभल यहा था। ऑटॊ नेहरू बवहाय औी ऒय र्ल फदमा। ऑटॊ भें मनोज औे फाल लहया
यहे थे। श्रद्धा ऩास भें फैठी थी। श्रद्धा औी आाँ कों भें बी कुिी औे आाँ सू छलछला आमे थे।
Shivraj Gurjar
- अनुराग पाठक