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12 - ावहा रकी िशि का >

ि कमकधातूनां कमिण योगे कारक व था


posted 2017. 11. 14. 오후 7:32 by Swarup Bhai [ updated 2017. 12. 19. 오전 9:33 ]

िवषयः - ि कमकधातूनां कमिण योगे कारक व था

कत र योगः - “िभ ुकः धिनकम् आहारं याचते” / “िभ ुकः धिनकात् आहारं याचते” इित वा यमिप
साधु |

अनयोः वा योः कमिण योगः कथं भवित ? अध नयोः योगयोः कः योगः साधुः ?

"िभ ुकेण धिनकः आहारं या ते" उत "िभ ुकेण धिनकम् आहारः या ते" ?  

उ रम्

"िभ ुकेण धिनकः आहारं या ते" इ ेव साधुः योगः |

- ि कमकधातूनां व था एवं यत् कत र योगे योः कमपदयोम े य िवक ेन अ िवभ क ं


भवित, तत् गौणकमपदम् इ ु ते | अ त् कमपदं ि तीयािवभ ौ एव भवित इित कारणतः त पदं
धानकमपदम् |

- अ धिनक-श ः िवक ेन धिनकं/धिनकात् इित कृ ा गौणकमपदम्; आहार-श ः िन ं


ि तीयािवभ ौ 'आहारम्' इित कृ ा धानकमपदम् |

- अतः “िभ ुकः धिनकम् आहारं याचते” इ न् “आहारम्” इित धानकमपदं च “धिनकम्” इित
गौणकमपदम् |

- कतुरी ततमं कम (१.४.४९) इ नेन आहार-श कमसं ा, अकिथतं च (१.४.५१) इ नेन धिनक-
श कमसं ा |

- षोडश औपदे िशकाः ि कमकधातवः स ये िस ा कौमु ाम् अनेन ोकेन िनिद ाः |

दु ह-् याच्-पच्-द ् - िध- -िच- ू-शासु-िज-मथ्-मुषाम् |


कमयुक् ादकिथतं तथा ात् नी- -कृष्-वहाम् ||

- एषां षोडशानां ि कमकधातूनां , तदथकानां च योगे धानकमपदं च गौणकमपदं भवतः |

- कमिण योगे कमपदं थमािवभ ौ भवित इित अ ािभबु ते | बालकः ं पठित → बालकेन ः
प ते, इित सामा ानम् |

- िक ु ि कमकधातूनां योगे कम ये सित कमिण योगे योम े क कमणः थमािवभ ेन


प रवतनं ात् इित ः उदे ित |

- कमिण योगे एषु षोडशसु धातुषु ादशानां गौणकमणः थमािवभ ः; अविश ानां चतुणा धानकमणः
थमािवभ ः |

- “गौणे कमिण दु ादे ः धाने नी कृ हाम्” इ नेन िस ा कौमुदीवचनेन क कमणः


थमािवभ ः ात् इित िनदशः ा ते |

- ि कमकधातूनां कमिण योगे कारक व थायाः बोधसौकयाय एते षोडश ि कमकधातवः समूह ये
िवभ ाः |

- थमः समूहः दु ह-् याच्-पच्-द ् - िध- -िच- ू-शासु-िज-मथ्-मुष् इ ेषां सङ् हः; दु ािदगणः
इ ु ते |

- दु ह धातुः अदािदगणे अ | कत र योगे अयं गणः "दु हादयः" इ ु ते; कमिण योगे पम् अ
दु ते इित कारणतः दु ादयः इित उ ते |

- ि तीयः समूहः नी- -कृष्-वह् इ ेषां चतुणा ि कमकधातूनां सङ् हः |

- दु ािदगणे अ भूतानां धातूनां कमिण योगे गौणकमणः थामािवभ ः -- “गौणे कमिण दु ादे ः” |

- नी- -कृष्-वह् इ ेषां कमिण योगे धानकमणः थामािवभ ः -- “ धाने नी कृ हाम्” |

-अ आधारे ण दु ािदगणे अ भूत याच्-धातोः कमिण योगे गौणकमणः थामािवभ ः|

- अतः "िभ ुकेण धिनकः आहारं या ते" इित योग साधु ं िस ित य गौणकम “धिनकः”
थमािवभ ं भवित |

- एवमेव, ि तीयसमूहे अ भूतानां नी- -कृष्-वह् इ ेषां धातूनां कमिण योगे धानकमणः थमिवभ ः
भवित |

- उदाहरण ेन, “बालकेन ामं शुनकः नीयते”, अ नी-धातोः कमिण योगे “शुनकः” इित धानकमणः
थमािवभ ः |

- कमिण योगे ि यापदं कमपदे न सह अ ेित इ तः ि यापद वचनं कमपद वचनम् अवल
िनण यते |
- "िभ ुकेण धिनकाः आहारं या े” इ न् वा े कम थ िन ं ि यापदं “या े” इित ब वचने,
“धिनकाः” इ ब वचना ात् |

- “बालकेन ामं शुनकाः नीय े” इ न् वा े कम थ िन ं ि यापदं “नीय े” इित ब वचने,


“शुनकाः” इ ब वचना ात् |

- अ तो ग ा ि कमकधातूनां व था एता शी अ इित तु स ं; पर ु य िप दु ादीनां गौणकमणः


थमािवभ ः, तथािप वा े गौणकमपदं नो ं चेत्, य मपदम् उ ं त ैव थमािवभ ः | िभ ुकः
आहारं याचते → िभ ुकेण आहारः या ते | एवमेव नी- -कृष्-वह् इ ेिभः घिटते वा े धानकमपदं
नो ं चेत्, य मपदम् उ ं त ैव थमािवभ ः | बालकः ामं नयित → बालकेन ामः नीयते |

प रिश म्

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गौणे कमिण दु ादे ः धाने नी कृ हाम् |

बु भ ाथयोः श कमणां च िनजे या  |

यो कम ेषां ानां लादयो मता ||

िस ा कौमु ाः ोकेनानेन ि कमक थले क न् कमिण थमािवभ ः भवित इित सुचना ा ते


|

“गौणे कमिण दु ादे ः” इ ात् दु ादीनां कमिण योगे गौणे कमिण थमािवभ ः ात् इित
िनदशः |

कत र योगः -  पाचकः त ु लान् ओदनं पचित | पाचकः त ु लैः ओदनं पचित |

कमिण योगः - पाचकेन त ु लाः ओदनं प े|

“ धाने नी कृ हाम्” इ ात् नी कृ हां कमिण योगे धाने कमिण थमािवभ ः ात् इित
िनदशः |
कत र योगः -  सेवकः को ं भारं वहित | सेवकः को े * भारं वहित | ( को ाय अिप समीचीनम्
|)

कमिण योगः - सेवकेन को ं भारः उ ते |

“बु भ ाथयोः श कमणां च िनजे या” इ ात् बु थकानां , भ थकाणां , श कमकाणां


िणज ाव थायां िनजे या नाम व ुः इ या कमिण योगे गौणे कमिण अथवा धाने कमिण
थमािवभ ः ात् इित िनदशः |

कत र योगः -  िश कः छा ं िवषयं बोधयित | “छा म्” इित गौणकमपदम् | “िवषयम्” इित
धानकमपदम् |

कमिण योगः - िश केण छा ः िवषयं बो ते | िश केण छा ं िवषयः बो ते |

“ यो कम ेषां ानां” इ ात् अ ेषां िणज धातूनां योगे य कम यं यु ते त


यो कमिण थमािवभ ः भवित | अणौ—अिणज थले—यः कता अ , सः यो कता भवित
िणज थले | िणज ाव थायां यो कता कम ेन प रवतनं ा यो कम भवित |

कत र योगः -  पु ः िव ालयं ग ित → िपता पु ं िव ालयं गमयित | “पु ः” यो कता | कम ेन


प रविततं, “पु म्” इित यो कम |

कमिण योगः - िप ा पु ः िव ालयं ग ते |

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