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2019-07-30 द्विकर्मकधातूनां कर्मणिप्रयोगे कारकव्यवस्था
2019-07-30 द्विकर्मकधातूनां कर्मणिप्रयोगे कारकव्यवस्था
कत र योगः - “िभ ुकः धिनकम् आहारं याचते” / “िभ ुकः धिनकात् आहारं याचते” इित वा यमिप
साधु |
अनयोः वा योः कमिण योगः कथं भवित ? अध नयोः योगयोः कः योगः साधुः ?
"िभ ुकेण धिनकः आहारं या ते" उत "िभ ुकेण धिनकम् आहारः या ते" ?
उ रम्
- अतः “िभ ुकः धिनकम् आहारं याचते” इ न् “आहारम्” इित धानकमपदं च “धिनकम्” इित
गौणकमपदम् |
- कतुरी ततमं कम (१.४.४९) इ नेन आहार-श कमसं ा, अकिथतं च (१.४.५१) इ नेन धिनक-
श कमसं ा |
- कमिण योगे कमपदं थमािवभ ौ भवित इित अ ािभबु ते | बालकः ं पठित → बालकेन ः
प ते, इित सामा ानम् |
- कमिण योगे एषु षोडशसु धातुषु ादशानां गौणकमणः थमािवभ ः; अविश ानां चतुणा धानकमणः
थमािवभ ः |
- ि कमकधातूनां कमिण योगे कारक व थायाः बोधसौकयाय एते षोडश ि कमकधातवः समूह ये
िवभ ाः |
- थमः समूहः दु ह-् याच्-पच्-द ् - िध- -िच- ू-शासु-िज-मथ्-मुष् इ ेषां सङ् हः; दु ािदगणः
इ ु ते |
- दु ह धातुः अदािदगणे अ | कत र योगे अयं गणः "दु हादयः" इ ु ते; कमिण योगे पम् अ
दु ते इित कारणतः दु ादयः इित उ ते |
- दु ािदगणे अ भूतानां धातूनां कमिण योगे गौणकमणः थामािवभ ः -- “गौणे कमिण दु ादे ः” |
- अतः "िभ ुकेण धिनकः आहारं या ते" इित योग साधु ं िस ित य गौणकम “धिनकः”
थमािवभ ं भवित |
- एवमेव, ि तीयसमूहे अ भूतानां नी- -कृष्-वह् इ ेषां धातूनां कमिण योगे धानकमणः थमिवभ ः
भवित |
- उदाहरण ेन, “बालकेन ामं शुनकः नीयते”, अ नी-धातोः कमिण योगे “शुनकः” इित धानकमणः
थमािवभ ः |
- कमिण योगे ि यापदं कमपदे न सह अ ेित इ तः ि यापद वचनं कमपद वचनम् अवल
िनण यते |
- "िभ ुकेण धिनकाः आहारं या े” इ न् वा े कम थ िन ं ि यापदं “या े” इित ब वचने,
“धिनकाः” इ ब वचना ात् |
प रिश म्
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“गौणे कमिण दु ादे ः” इ ात् दु ादीनां कमिण योगे गौणे कमिण थमािवभ ः ात् इित
िनदशः |
“ धाने नी कृ हाम्” इ ात् नी कृ हां कमिण योगे धाने कमिण थमािवभ ः ात् इित
िनदशः |
कत र योगः - सेवकः को ं भारं वहित | सेवकः को े * भारं वहित | ( को ाय अिप समीचीनम्
|)
कत र योगः - िश कः छा ं िवषयं बोधयित | “छा म्” इित गौणकमपदम् | “िवषयम्” इित
धानकमपदम् |