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1. कार्यालय प्रमुख का नाम - श्रीयू.एस.

तोमर
2. ऑफिस फ़ोन नंबर - 07542-252713
3. विभागीय ई-मेल आई-डी -ddagrigun@mp.gov.in , pdatmaguna@gmail.com
4. विभाग से सम्बंधित वेबसाइट- www.mpkrishi.org , guna.mpkrishi.org
5. विभाग के बारे में -कार्यालय उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला गुना
(कृषिविभाग) की स्थापना वर्ष 1965 में हुई है | दिनांक 11 अगस्त 2003 को नवीन जिला
अशोकनगर घोषित हो जाने के फलस्वरूप वर्त्तमान मैं जिला गुना मैं सात तहसील एवं पांच
विकास खण्डों मैं विभाजित है | अनुविभागीय कृषि अधिकारी के दो उपसंभाग
गुनाएवंराघोगढ़तथा सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी के दो उपसंभाग गुना एवं आरोन हैं और
सहायकसंचालक कृषि (गन्ना) जिला गुना का एक कार्यालय है |

जिला गुना कृषि जलवायु के दृष्टिकोण से दो जलवायुक्षेत्रों के अंतर्गत आता है जो


निम्न हैं| विन्ध्यप्लेटो जोन अंतर्गत राघोगढ़, आरोनतथा चांचौडा विकासखंड आते हैं और गिर्द के
अंतर्गत गुना तथा बमोरी विकासखंड आते हैं|

कार्यालय का नाम अधिकारी का नाम एवं दरू भाष क्रमांक

कार्यालय अनवि
ु भागीय कृषि अधिकारी उपसंभाग श्री जी.एस. तोमर 07542-259799,
गुना 9725633848

कार्यालय अनुविभागीय कृषि अधिकारी उपसंभाग श्री बी.एल. उच्चारिया07544-262802,


राघोगढ़ 9479335278

कार्यालय सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी उपसंभाग श्री एस.एस. चौहान 07542-259788,
गुना 9425196208

कार्यालय सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी उपसंभाग श्रीआर.के.एस. भदोरिया07545-258679,


आरोन 9753679733
कार्यालय सहायक संचालक कृषि(गन्ना) जिला गुना श्री एन.के. त्यागी(प्रभारी) 8871562462

कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जिला गन


ु ा श्री एन.एस. राजपूत 07542-259920,
9993769469

कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जिला श्री जी.एस. तोमर 07540-270510,
बमोरी 9300770846

कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जिला श्री बी.एस. तोमर 07544-262215
राघोगढ़ 9826236631

कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जिला श्री वी.एन. शर्मा07545-256676


आरोन 9754314533

कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जिला श्रीडी.एस. कुशवाह 07546-240140


चाचौड़ा 9425462346

विभाग के अंतर्गत कृषक हितग्राही मूलक योजनाओं मैं कृषकों को अनुदान पर आदान सामग्री
उपलब्ध कराई जाती है |कृषकों के खेतों पर नयी तकनीकी आधारित प्रदर्शन , कृषक खेत
पाठशाला आयोजित की जाती हैं तथा कृषक प्रशिक्षण, कृषक भ्रमण आयोजित कर कृषकों को
नयी तकनीक अपनाने हे तु सतत प्रेरित किया जा रहा है |
गुना जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 630766 हे क्टे यर है ,इनमे से 334612 हे क्टे यर निरा
फसलीय क्षेत्र व 200574 हे क्टे यरसिंचित क्षेत्र है |
गुना जिले मैं खरीफ सीजन में सोयाबीन, ज्वार, मक्का, मूंगफली, तिल, रामतिल,
सूरजमुखी, अरहर, मूंग, आदि फासलें बोई जाती हैं जो की मुख्यतः वर्षा पर निर्भर हैं |जिले की
औसत वर्षा 1053 मि.मी. है |रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों, धनियाप्रमुख फसलें हैं |

6.विभाग की योजनाए एवं योजनाओं से सम्बंधित आवेदन पत्र-

 आइसोपाम योजना- यह केंद्र प्रवर्तितयोजना है इसका तिलहन की फसलों का


उत्पादन, उत्पादकतातथाक्षेत्रमें वद्धि
ृ करना है | इस योजना के विभिन्न घटकों जैसे
प्रमाणित बीज वितरण, पौध संरक्षण यन्त्र वितरण, स्प्रिंकलर सेट, जिप्सम आई.पी.एम ्.
आदि में अनुदान सहायता प्रदाय करने का प्राबधान हैं|
 सरू जधारा योजना - यहयोजनाराज्यपोषितहै | इसयोजनामें सभीदलहन,
तिलहनफसलोंकोसम्मिलितकियाजाताहै |75% अनद
ु ान पर कृषकों को दलहन,
तिलहनफसलों का बीज उपलब्ध कराया जाता है | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित
जनजाति के कृषकों को लाभान्वित किया जाता है |
 मक्का विकास -इसकाउद्देश्य मक्का फसल के उत्पादन मैं वद्धि
ृ करना है | कृषकों को
तकनीकी ज्ञान पहुँचाने के लिए विभिन्न घटकों में अनुदान का प्राबधान है |
 अन्नपूर्णा योजना - यह योजना राज्य पोषित योजना है |अनुसूचित जाति के लघु
एवं सीमान्त कृषकों को बीज अदला बदली, बीज स्वावलंबन एवं बीज उत्पादन
अंतर्गत खाद्यान फसलों का बीज उपलब्ध कराया जाता है | चयनित कृषको को एक
हे क्टे यर तक का बीज उपलब्धकराने का प्राबधान है एवं75% अनुदान पर कृषकों को
दलहन, तिलहनफसलों का बीज उपलब्ध कराया जाता है |
 बलराम तालाब- इसमें अनुदान सामान्य कृषकों को ४० प्रतिशत अधिकतम ८००००
हजार रुपये तथा अनुसूचित जनजाति के कृषकों को ७५ प्रतिशत अधिकतम एक
लाख रुपये है |
 कृषि यंत्रों पर टॉप अप अनुदान योजन - हस्त/बैलचलित कृषि यंत्रों पर राज्य शासन
द्वारा यन्त्र क्रय करने पर ५० प्रतिशत अनुदान दिया जाता है |
 सब मिशन आन एग्रीकल्चर मेकेनाइजेसन- सब मिशन आन एग्रीकल्चर
मेकेनाइजेसन (SMAM) कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहित करने हे तु योजना है | इस
योजना में हस्तचलित, पशुचलित, कृषि यन्त्र व ट्रे क्टर पर कृषकों को अनुदान पर
अनुदान पर वितरण करने की योजना है |

आवेदन पत्र सलग्न हैं |

7.फोटोग्राफ-
8.विभाग की उपलब्धियां- सोयाबीन की रिज एंड फेरो पद्धति, धान की एस.आर.आई. पद्धति, सरसों
की एस.एम ्.आई पद्धति, गेहूं की एस.डब्लू.आई. पद्धति को बढ़ावा दिया गया है | स्प्रिंकलर,
पाइपलाइन से सिंचाई क्षमता में वद्धि
ृ | कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है |

9.अन्य कोई जानकारी-


जैविक खेती सम्रद्ध किसान

मैं कृषक बाबू/ रूपा पटे ल्या ग्राम रतनपरु ा विकासखंड गन


ु ा जिला गुना का निवासी हूँ | मेरे
पास छः बीघा कृषि योग्य भूमि है तथा १०-१२पतलू पशु हैं जिसमें छः दे शी गएँ हैं | मुझे ग्रामीण
कृषि विस्तार अधिकारी श्री कांती प्रसाद अग्रवाल ने जैविक खेती के लाभ के विषय में मुझे
बताया जिससे प्रेरित होकर मैंने दो बीघा मैं जैविक फसल उत्पादन लेने का मन बनाया |उन्होंने
बताया की लगातार रासायनिक उर्वरकों एवं दबाओं के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो
रही है तथा मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है | इसप्रभाव से बचने के लिए आप जैविक
खेती करें |सलाह अनुसार मैंने दे शीगाये के गौमूत्र एवंमट्ठे से बीज उपचार किया साथ ही जैविक
कीट नियंत्रण हे तु मैंने शेष बचे मट्ठे को १५ दिन मटके मैं सड़ने दिया फिर उसमे ताजा गौमूत्र
मिलाया| दो लीटर मट्ठे मैं एक लीटर गौमूत्र का अनुपात रखा तथा इस मिश्रण को १५ लीटर के
स्प्रे पंप मैं भरकरगेहूं फसल पर छिडकाव किया, तो पाया की फसल के कीड़े भाग गए जिससे
फसल को कोई नुक्सान नहीं हुआ | कई दिनों तक दे खा गया की सड़े मट्ठे की बदबू से कीड़े खेत
के बहार चले गए |इस प्रकार से कीट नियंत्रण पर होने वालादबाई खर्च लगभग ५००० हजार
रुपये नहीं करना पड़ा तथा बीज उपचार करने से फसल अंकुरण भी अच्छा हुआ |इसकेपूर्व मैंने
खेत में नाडेप एवं भू-नाडेप विधि से तैयार की गयी जैविक खाद को डाला एवं रासायनिक खाद
का उपयोग बिलकुल नहीं किया | जिसके परिणाम स्वरुप मुझे १२ क्विंटल गेहूं की पैदावार प्राप्त
हुई| पहले से ४ क्विंटल कम हुई लेकिन बाजार भाव सामान्य गेहूं का १५०० रुपये मिलता था
इसके स्थान पर जैविक गेहूं का भाव मुझे २५०० रुपये प्रति क्विंटल मिला जिससे मुझे आर्थिक
नुक्सान भी नहीं हुआ | उच्च गुणवत्ताका उत्पादन प्राप्तहोने से गाँवके अन्य कृषक भी जैविक
खेती करने हे तु प्रेरित हो रहे हैं |
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