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Astrologer Rohit Gupta

7 जून 2016 ·

होरा कंु डली ********** वै दक योितष म ल न कंु डली के साथ अ य कई वग कंु डिलयो से जातक के वषय म अ ययन कया जाता है । जसमे होरा
कु डली से जातक क धन-संप का पर ण कया जाता है ।होरा कंु डली को बनाने के िलए 30अंश को दो बराबर भागो म बाटा जाता है । जसमे 15-
15अंश के दो बराबर भाग बनते है ।कंु डली को दो भागो म बाटने पर केवल सूय या चं ह क होरा आती है ।कंु डली दो भागो, सूय और चं क होरा म
बट जाती है ।सम रािश म 0 से 15अंश तक चं मा क होरा होती है तथा 15 से 30अंश तक सूय क होरा होती है । वषम रािश म यह थित वपर त
होती है । वषम रािश म 0 से 15अंश तक सूय क होरा होती है तथा 15 से 30अंश तक चं मा क होरा होती है । ल न कंु डली मु य कंु डली होती है ।
ल न कु डक म 12 भाव होते हाउ।इन 12 भावो के वषय म व तार से जानना है तो वग कंु डिलयो का गहराई से अ ययन करना आव यक होता है ।
कई बार ल न कंु डली म कई ह बली अव था म होते है और यह बली ह वग कंु डली म िनबल हो जाते है ।ऐसी थित म अनुकूल फल िमलने म
द कतो का सामना करना पड़ता है । ल न कंु डली से जीवन के सभी छे का अ ययन कया जाता है ।इस कंु डली म 12 भाव, 9 हो आ द का
अ ययन कया जाता है ।ल न कंु डली म एक भाव 30अंश का होता है ।वग कंु डली म ह कसी भी भाव या रािश म बेठा हो ले कन सभी वग कंु डिलयो
क गणना ज म कंु डली म ह क जाती है । होरा कंु डली से जातक क धन-स पदा, सुख-सु वधा के वषय म वचार कया जाता है ।होरा ल न या तो
सूय का होता है या चं मा का।य द जातक का ज म सूय क होरा म होता है तो वह वािभमानी और बु मान माना जाता है ।होरा कंु डली म सूय के
साथ य द शुभ और पाप दोन तरह के ह हो तो जातक को जीवन के ारं िभक समय म संघष करना पड़ सकता है ।य द सूय क होरा म पाप ह हो
तो जातक को प रवार व आिथक लाभ म कमी का सामना करना पड सकता है ।काय छे म प र म अिधक करना होता है ।य द जातक का ज म
चं मा का होरा म होता है और शुभ ह चं क होरा म हो तो जातक को स पदा, प रवार का सुख ा होने के योग बनते है ।इसके वपर त य द चं
क होरा म पाप ह हो तो जातक को मानिसक तनाव अिधक रह सकता है ।

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