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BHAGVAT GITA

IN IDEOGRAPHIC LANGUAGE
THIS IS A BOOK ON BHAGVAT GITA WRITTEN BY
DR.ANUPAM NIRVIKAR ,IT DESCRIBES THE MEANINGS OF
WORDS IN A CONTEXT BASED AND IDEOGRAPHIC
LANGUAGE . THIS BOOK IS NOT COMPLETED YET IT IS FOR
PREVIEW

KSHTRGYN.CO.IN

WORDPRESS

SANSKRIT LANGUAGE

ANCIENT LANGUAGES

10/10/2020
Contents
1. *प्रथभोऽध्माम्*............................................................................................................................................ 2

2. *अथ द्वितीमोऽध्माम्*................................................................................................................................. 5

3. *अथ तत
ृ ीमोऽध्माम्*.................................................................................................................................. 10

4 TH CHAPTER ............................................................................................................................................. 12
5. *अथ ऩञ्चभोऽध्माम्* ................................................................................................................................ 14

6. *अथ षष्ठोऽध्माम्* .................................................................................................................................... 16

7. *अथ सप्तभोऽध्माम्* ................................................................................................................................ 18

8. *अथाष्टभोऽध्माम्* .................................................................................................................................... 19

9. *अथ निभोऽध्माम्* .................................................................................................................................. 21

10. *अथ दशभोऽध्माम्* ................................................................................................................................ 23

11. *अथैकादशोऽध्माम्* ................................................................................................................................. 25

12. *अथ द्िादशोऽध्माम्* .............................................................................................................................. 28

13. *अथ त्रमोदशोऽध्माम्*.............................................................................................................................. 29

14. *अथ चतुददशोऽध्माम्* .............................................................................................................................. 31

15. *अथ ऩञ्चदशोऽध्माम्* ............................................................................................................................ 32

16. *अथ षोडशोऽध्माम्* ................................................................................................................................ 33

17. *अथ सप्तदशोऽध्माम्* ............................................................................................................................ 34

18. *अथाष्टादशोऽध्माम्* ............................................................................................................................... 35

INDEX .......................................................................................................................................................... 38

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1. *प्रथभोऽध्माम्*
1.धत
ृ याष्र उिाच धभदऺेत्रे कुरुऺेत्रे सभिेता मम
ु त्ु सि् । भाभका् ऩाण्डिाश्चैि ककभकुिदत सॊजम ॥१-१॥

2 सॊजम उिाच दृष््िा तु ऩाण्डिानीकॊ व्मूढॊ दम


ु ोधनस्तदा । आचामदभुऩसॊगम्म याजा िचनभब्रिीत ्

3 ऩश्मैताॊ

4 अत्र शूया भहे ष्िासा बीभाजन


ुद सभा मुधध । मुमुधानो वियाटश्च द्रऩ
ु दश्च भहायथ्� ॥१-४॥

5 धष्ृ टकेतुश्चेककतान् काशशयाजश्च िीमदिान ् । ऩुरुजजत्कुजततबोजश्च शैब्मश्च नयऩुङ्गि् ॥१-५॥

6 मुधाभतमुश्च विक्रातत उत्तभौजाश्च िीमदिान ् । सौबद्रो द्रौऩदे माश्च सिद एि भहायथा् �॥१-६॥

7 अस्भाकॊ तु विशशष्टा मे ताजतनफोध द्विजोत्तभ । नामका भभ सैतमस्म सॊऻाथं तातब्रिीशभ ते ॥१-७॥

8 बिातबीष्भश्च कणदश्च कृऩश्च सशभततॊजम् । अश्ित्थाभा विकणदश्च सौभदवत्तस्तथैि च ॥१-८॥

9 अतमे च फहि् शूया भदथे त्मक्तजीविता् । नानाशस्त्रप्रहयणा् सिे मुद्धविशायदा्�♂ ॥१-९॥

10 अऩमादप्तॊ तदस्भाकॊ फरॊ बीष्भाशबयक्षऺतभ ् । ऩमादप्तॊ जत्िदभेतष


े ाॊ फरॊ बीभाशबयक्षऺतभ ् ॥१-१०॥

11 अमनेषु च सिेषु मथाबागभिजस्थता् । बीष्भभेिाशबयऺततु बितत् सिद एि हह ॥१-११॥

12 तस्म सॊजनमतहषं कुरुिद्ृ ध् वऩताभह् । शसॊहनादॊ विनद्मोचचै् शङ्खॊ दध्भौ प्रताऩिान ् ॥१-१२॥

13 तत् शङ्खाश्च बेमश्द च ऩणिानकगोभुखा् । सहसैिाभ्महतमतत स शब्दस्तुभुरोऽबित ् ॥१-१३॥

14 तत् श्िेतैहदमैमक्
ुद ते भहतत स्मतदने जस्थतौ । भाधि् ऩाण्डिश्चैि हदव्मौ शङ्खौ प्रदध्भतु् ॥१-१४॥

15 ऩाञ्चजतमॊ रृषीकेशो दे िदत्तॊ धनञ्जम् । ऩौण्रॊ दध्भौ भहाशङ्खॊ बीभकभाद िक


ृ ोदय् ॥१-१५॥

16 अनततविजमॊ याजा कुततीऩुत्रो मुधधजष्ठय् । नकुर् सहदे िश्च सुघोषभणणऩुष्ऩकौ ॥१-१६॥

17 काश्मश्च ऩयभेष्िास् शशखण्डी च भहायथ् । धष्ृ टद्मम्


ु नो वियाटश्च सात्मककश्चाऩयाजजत् ॥१-१७॥

18 द्रऩ
ु दो द्रौऩदे माश्च सिदश् ऩधृ थिीऩते । सौबद्रश्च भहाफाहु् शङ्खातदध्भु् ऩथ
ृ क्ऩथ
ृ क् ॥१-१८॥

2|Page
19 स घोषो धातदयाष्राणाॊ रृदमातन व्मदायमत ् । नबश्च ऩधृ थिीॊ चैि तभ
ु र
ु ो व्मनन
ु ादमन ् ॥१-१९॥

20 अथ व्मिजस्थतातदृष््िा धातदयाष्रातकवऩध्िज् । प्रित्त


ृ े शस्त्रसॊऩाते धनुरुद्मम्म ऩाण्डि् ॥१-२०॥

21 रृषीकेशॊ तदा िाक्मशभदभाह भहीऩते । अजन


ुद उिाच सेनमोरुबमोभदध्मे यथॊ स्थाऩम भेऽचमुत ॥१-२१॥

22 मािदे ताजतनरयऺेऽहॊ मोद्धक


ु ाभानिजस्थतान ् । कैभदमा सह मोद्धव्मभजस्भन ् यणसभद्
ु मभे ॥१-२२॥

23 मोत्स्मभानानिेऺेऽहॊ म एतेऽत्र सभागता् । धातदयाष्रस्म दफ


ु द्
ुद धेमद्
ुद धे वप्रमधचकीषदि् ॥१-२३॥

24 सॊजम उिाच एिभुक्तो रृषीकेशो गुडाकेशेन बायत । सेनमोरुबमोभदध्मे स्थाऩतमत्िा यथोत्तभभ ् ॥१-२४॥

25 बीष्भद्रोणप्रभख
ु त् सिेषाॊ च भहीक्षऺताभ ् । उिाच ऩाथद ऩश्मैतातसभिेतातकुरूतनतत ॥१-२५॥

26 तत्राऩश्मजत्स्थतातऩाथद् वऩतॄनथ वऩताभहान ् । आचामादतभातुरातरातॄतऩुत्रातऩौत्रातसखीॊस्तथा ॥१-२६॥

27 श्िशुयातसुरृदश्चैि सेनमोरुबमोयवऩ । तातसभीक्ष्म स कौततेम् सिादतफतधूनिजस्थतान ् ॥१-२७॥

28 कृऩमा ऩयमाविष्टो विषीदजतनदभब्रिीत ् । अजन


ुद उिाच दृष््िेभॊ स्िजनॊ कृष्ण मम
ु ुत्सॊु सभऩ
ु जस्थतभ ् ॥१-२८॥

29 सीदजतत भभ गात्राणण भुखॊ च ऩरयशुष्मतत । िेऩथुश्च शयीये भे योभहषदश्च जामते ॥१-२९॥

30 गाण्डीिॊ स्रॊसते हस्तात्त्िक्चैि ऩरयदह्मते । न च शक्नोम्मिस्थातुॊ रभतीि च भे भन् ॥१-३०॥

31 तनशभत्तातन च ऩश्माशभ विऩयीतातन केशि । न च श्रेमोऽनऩ


ु श्माशभ हत्िा स्िजनभाहिे ॥१-३१॥

32 न काङ्ऺे विजमॊ कृष्ण न च याज्मॊ सुखातन च । ककॊ नो याज्मेन गोवितद ककॊ बोगैजॉवितेन िा ॥१-३२॥

33 मेषाभथे काङ्क्षऺतॊ नो याज्मॊ बोगा् सुखातन च । त इभेऽिजस्थता मुद्धे प्राणाॊस्त्मक्त्िा धनातन च ॥१-३३॥

34 आचामाद् वऩतय् ऩत्र


ु ास्तथैि च वऩताभहा् । भातर
ु ा् श्िशयु ा् ऩौत्रा् श्मारा् सॊफजतधनस्तथा ॥१-३४॥ I

35 एतातन हततुशभचछाशभ घ्नतोऽवऩ भधुसूदन । अवऩ त्रैरोक्मयाज्मस्म हे तो् ककॊ नु भहीकृते ॥१-३५॥

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36 तनहत्म धातदयाष्रातन् का प्रीतत् स्माज्जनादद न । ऩाऩभेिाश्रमेदस्भातहत्िैतानाततातमन् ॥१-३६॥

37 तस्भातनाहाद िमॊ हततुॊ धातदयाष्रातस्िफातधिान ् । स्िजनॊ हह कथॊ हत्िा सुणखन् स्माभ भाधि ॥१-३७॥

38 मद्मप्मेते न ऩश्मजतत रोबोऩहतचेतस् । कुरऺमकृतॊ दोषॊ शभत्रद्रोहे च ऩातकभ ् ॥१-३८॥

39 कथॊ न ऻेमभस्भाशब् ऩाऩादस्भाजतनिततदतुभ ् । कुरऺमकृतॊ दोषॊ प्रऩश्मद्शबजदनादद न ॥१-३९॥

40 कुरऺमे प्रणश्मजतत कुरधभाद् सनातना् । धभे नष्टे कुरॊ कृत्स्नभधभोऽशबबित्मुत ॥१-४०॥

41 अधभादशबबिात्कृष्ण प्रदष्ु मजतत कुरजस्त्रम् । स्त्रीषु दष्ु टासु िाष्णेम जामते िणदसॊकय् ॥१-४१॥

42 सॊकयो नयकामैि कुरघ्नानाॊ कुरस्म च । ऩतजतत वऩतयो ह्मेषाॊ रुप्तवऩण्डोदककक्रमा् ॥१-४२॥

43 दोषैयेतै् कुरघ्नानाॊ िणदसॊकयकायकै् । उत्साद्मतते जाततधभाद् कुरधभादश्च शाश्िता् ॥१-४३॥

44 उत्सतन कुरधभादणाॊ भनुष्माणाॊ जनादद न । नयकेऽतनमतॊ िासो बितीत्मनुशुश्रुभ ॥१-४४॥

45 अहो फत भहत्ऩाऩॊ कतुं व्मिशसता िमभ ् । मद्राज्मसुखरोबेन हततुॊ स्िजनभुद्मता् ॥१-४५॥


46 महद भाभप्रतीकायभशस्त्रॊ शस्त्रऩाणम् । धातदयाष्रा यणे हतमस्
ु ततभे ऺेभतयॊ बिेत ् ॥१-४६॥

47 सॊजम उिाच एिभुक्त्िाजुदन् सॊख्मे यथोऩस्थ उऩाविशत ् । विसज्


ृ म सशयॊ चाऩॊ शोकसॊविग्नभानस् ॥

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2. *अथ द्वितीयोऽध्यायः*
1. सॊजम उिाच तॊ तथा कृऩमाविष्टभश्रऩ
ु ण
ू ादकुरेऺणभ ् । विषीदततशभदॊ िाक्मभि
ु ाच भधस
ु द
ू न् ॥२- १॥

2 श्रीबगिानुिाच कुतस्त्िा कश्भरशभदॊ विषभे सभुऩजस्थतभ ् । अनामदजुष्टभस्िग्मदभकीततदकयभजन


ुद ॥२- २॥

3 क्रैब्मॊ भा स्भ गभ् ऩाथद नैतत्त्िय्मुऩऩद्मते ।ऺुद्रॊ रृदमदौफदल्मॊ त्मक्त्िोवत्तष्ठ ऩयततऩ ॥२- ३॥

4 अजन
ुद उिाच कथॊ बीष्भभहॊ सॊख्मे द्रोणॊ च भधुसूदन । इषुशब् प्रतत मोत्स्माशभ ऩूजाहादिरयसूदन ॥२- ४॥

5 गुरूनहत्िा हह भहानुबािातश्रेमो बोक्तुॊ बैक्ष्मभऩीह रोके ।हत्िाथदकाभाॊस्तु गुरूतनहै ि बुञ्जीम बोगान ् रुधधयप्रहदग्धान ्
॥२- ५॥

6 न चैतद्विद्भ् कतयतनो गयीमो मद्िा जमेभ महद िा नो जमेमु् । मानेि हत्िा न जजजीविषाभस्तेऽिजस्थता् प्रभुखे
धातदयाष्रा् ॥२- ६॥

7 काऩदण्मदोषोऩहतस्िबाि् ऩचृ छाशभ त्िाॊ धभदसम्भढ


ू चेता् । मचरे म् स्माजतनजश्चतॊ ब्रहू ह ततभे शशष्मस्तेऽहॊ शाधध भाॊ
त्िाॊ प्रऩतनभ ् ॥२- ७॥

8 न हह प्रऩश्माशभ भभाऩनुद्माद्मचछोकभुचछोषणशभजतद्रमाणाभ ् । अिाप्म बूभािसऩत्नभद्ृ धॊ याज्मॊ सुयाणाभवऩ


चाधधऩत्मभ ् ॥२- ८॥

9 सॊजम उिाच एिभुक्त्िा रृषीकेशॊ गुडाकेश् ऩयततऩ । न मोत्स्म इतत गोवितदभुक्त्िा तूष्णीॊ फबूि ह ॥२- ९॥

10 तभुिाच रृषीकेश् प्रहसजतनि बायत । सेनमोरुबमोभदध्मे विषीदततशभदॊ िच् ॥२- १०॥

11 श्रीबगिानुिाच अशोचमानतिशोचस्त्िॊ प्रऻािादाॊश्च बाषसे । गतासूनगतासूॊश्च नानुशोचजतत ऩजण्डता् ॥२- ११॥

12 न त्िेिाहॊ जातु नासॊ न त्िॊ नेभे जनाधधऩा् । न चैि न बविष्माभ् सिे िमभत् ऩयभ ् ॥२- १२॥

13 दे हहनोऽजस्भतमथा दे हे कौभायॊ मौिनॊ जया । तथा दे हाततयप्राजप्तधॉयस्तत्र न भुह्मतत ॥२- १३॥

14 भात्रास्ऩशादस्तु कौततेम शीतोष्णसुखद्ु खदा् । आगभाऩातमनोऽतनत्मास्ताॊजस्तततऺस्ि बायत ॥२- १४॥

15 मॊ हह न व्मथमतत्मेते ऩरु
ु षॊ ऩरु
ु षषदब । सभद्ु खसख
ु ॊ धीयॊ सोऽभत
ृ त्िाम कल्ऩते ॥२- १५॥

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16 नासतो विद्मते बािो नाबािो विद्मते सत् । उबमोयवऩ दृष्टोऽततस्त्िनमोस्तत्त्िदशशदशब् ॥२- १६॥

17 अविनाशश तु तद्विद्धध मेन सिदशभदॊ ततभ ् । विनाशभव्ममस्मास्म न कजश्चत्कतभ


ुद हदतत ॥२- १७॥

18 अततितत इभे दे हा तनत्मस्मोक्ता् शयीरयण् । अनाशशनोऽप्रभेमस्म तस्भाद्मुध्मस्ि बायत ॥२- १८॥

19 म एनॊ िेवत्त हततायॊ मश्चैनॊ भतमते हतभ ् । उबौ तौ न विजानीतो नामॊ हजतत न हतमते ॥२- १९॥

20 न जामते शिमते िा कदाधच- तनामॊ बूत्िा बविता िा न बूम् । अजो तनत्म् शाश्ितोऽमॊ ऩुयाणो न हतमते
हतमभाने शयीये ॥२- २०॥

21 िेदाविनाशशनॊ तनत्मॊ म एनभजभव्ममभ ् । कथॊ स ऩुरुष् ऩाथद कॊ घातमतत हजतत कभ ् ॥२- २१॥

22 िासाॊशस जीणादतन मथा विहाम निातन गह्ृ णातत नयोऽऩयाणण । तथा शयीयाणण विहाम जीणाद तमतमातन सॊमातत
निातन दे ही ॥२- २२॥

23 नैनॊ तछतदजतत शस्त्राणण नैनॊ दहतत ऩािक् । न चैनॊ क्रेदमतत्माऩो न शोषमतत भारुत् ॥२- २३॥

24 अचछे द्मोऽमभदाह्मोऽमभक्रेद्मोऽशोष्म एि च । तनत्म् सिदगत् स्थाणयु चरोऽमॊ सनातन् ॥२- २४॥

25 अव्मक्तोऽमभधचतत्मोऽमभविकामोऽमभुचमते । तस्भादे िॊ विहदत्िैनॊ नानुशोधचतुभहदशस ॥२- २५॥

26 अथ चैनॊ तनत्मजातॊ तनत्मॊ िा भतमसे भत


ृ भ ् । तथावऩ त्िॊ भहाफाहो नैिॊ शोधचतुभहदशस ॥२- २६॥

27 जातस्म हह ध्रुिो भत्ृ मुध्रि


ुद ॊ जतभ भत
ृ स्म च । तस्भादऩरयहामेऽथे न त्िॊ शोधचतुभहदशस ॥२- २७॥

28 अव्मक्तादीतन बूतातन व्मक्तभध्मातन बायत । अव्मक्ततनधनातमेि तत्र का ऩरयदे िना ॥२- २८॥

29 आश्चमदित्ऩश्मतत कजश्चदे न- भाश्चमदिद्िदतत तथैि चातम् । आश्चमदिचचैनभतम् शण


ृ ोतत श्रुत्िाप्मेनॊ िेद न चैि
कजश्चत ् ॥२- २९॥

30 दे ही तनत्मभिध्मोऽमॊ दे हे सिदस्म बायत । तस्भात्सिादणण बत


ू ातन न त्िॊ शोधचतभ
ु हदशस ॥२- ३०॥

31 स्िधभदभवऩ चािेक्ष्म न विकजम्ऩतुभहदशस । धम्मादद्धध मुद्धाचरे मोऽतमत्ऺत्रत्रमस्म न विद्मते ॥२- ३१॥

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32 मदृचछमा चोऩऩतनॊ स्िगदद्िायभऩाित
ृ भ ् । सणु खन् ऺत्रत्रमा् ऩाथद रबतते मद्
ु धभीदृशभ ् ॥२- ३२॥

33 अथ चेत्त्िशभभॊ धम्मं सॊग्राभॊ न करयष्मशस । तत् स्िधभं कीततं च हहत्िा ऩाऩभिाप्स्मशस ॥२- ३३॥

34 अकीततं चावऩ बूतातन कथतमष्मजतत तेऽव्ममाभ ् । सम्बावितस्म चाकीततदभयद णादततरयचमते ॥२- ३४॥

35 बमाद्रणादऩ
ु यतॊ भॊस्मतते त्िाॊ भहायथा् । मेषाॊ च त्िॊ फहुभतो बूत्िा मास्मशस राघिभ ् ॥२- ३५॥

36 अिाचमिादाॊश्च फहूतिहदष्मजतत तिाहहता् । तनतदततस्ति साभर्थ्मं ततो द्ु खतयॊ नु ककभ ् ॥२- ३६॥

37 हतो िा प्राप्स्मशस स्िगं जजत्िा िा बोक्ष्मसे भहीभ ् ।तस्भादवु त्तष्ठ कौततेम मुद्धाम कृततनश्चम् ॥२- ३७॥

38 सुखद्ु खे सभे कृत्िा राबाराबौ जमाजमौ । ततो मुद्धाम मुज्मस्ि नैिॊ ऩाऩभिाप्स्मशस ॥२- ३८॥

39 एषा तेऽशबहहता साॊख्मे फद्


ु धधमोगे जत्िभाॊ शण
ृ ु । फद्
ु ध्मा मक्
ु तो ममा ऩाथद कभदफतधॊ प्रहास्मशस ॥२- ३९॥ *

40 नेहाशबक्रभनाशोऽजस्त प्रत्मिामो न विद्मते । स्िल्ऩभप्मस्म धभदस्म त्रामते भहतो बमात ् ॥२- ४०॥

41 व्मिसामाजत्भका फुद्धधये केह कुरुनतदन । फहुशाखा ह्मनतताश्च फुद्धमोऽव्मिसातमनाभ ् ॥२- ४१॥

42 माशभभाॊ ऩुजष्ऩताॊ िाचॊ प्रिदतत्मविऩजश्चत् । िेदिादयता् ऩाथद नातमदस्तीतत िाहदन् ॥२- ४२॥

43 काभात्भान् स्िगदऩया जतभकभदपरप्रदाभ ् । कक्रमाविशेषफहुराॊ बोगैश्िमदगततॊ प्रतत ॥२- ४३॥

44 बोगैश्िमदप्रसक्तानाॊ तमाऩरृतचेतसाभ ् । व्मिसामाजत्भका फुद्धध् सभाधौ न विधीमते ॥२- ४४॥

45 त्रैगण्ु मविषमा िेदा तनस्त्रैगण्ु मो बिाजन


ुद । तनद्दितद्िो तनत्मसत्त्िस्थो तनमोगऺेभ आत्भिान ् ॥२- ४५॥

46 मािानथद उदऩाने सिदत् सॊप्रुतोदके । तािातसिेषु िेदेषु ब्राह्भणस्म विजानत् ॥२- ४६॥

47 कभदण्मेिाधधकायस्ते भा परेषु कदाचन । भा कभदपरहे तुबभ


ूद ाद ते सङ्गोऽस्त्िकभदणण ॥२- ४७॥

48 मोगस्थ् कुरु कभादणण सङ्गॊ त्मक्त्िा धनॊजम । शसद्ध्मशसद्ध्मो् सभो बत्ू िा सभत्िॊ मोग उचमते ॥२- ४८॥

49 दयू े ण ह्मियॊ कभद फुद्धधमोगाद्धनॊजम । फुद्धौ शयणभजतिचछ कृऩणा् परहे ति् ॥२- ४९॥

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50 फद्
ु धधमक्
ु तो जहातीह उबे सक
ु ृ तदष्ु कृते । तस्भाद्मोगाम मज्
ु मस्ि मोग् कभदसु कौशरभ ् ॥२- ५०॥

51 कभदजॊ फुद्धधमुक्ता हह परॊ त्मक्त्िा भनीवषण् । जतभफतधवितनभक्


ुद ता् ऩदॊ गचछतत्मनाभमभ ् ॥२- ५१॥

52 मदा ते भोहकशररॊ फुद्धधव्मदतततरयष्मतत । तदा गतताशस तनिेदॊ श्रोतव्मस्म श्रुतस्म च ॥२- ५२॥

53 श्रतु तविप्रततऩतना ते मदा स्थास्मतत तनश्चरा । सभाधािचरा फद्


ु धधस्तदा मोगभिाप्स्मशस ॥२- ५३॥

54 अजन
ुद उिाच जस्थतप्रऻस्म का बाषा सभाधधस्थस्म केशि । जस्थतधी् ककॊ प्रबाषेत ककभासीत व्रजेत ककभ ् ॥२-
५४॥

55 श्रीबगिानुिाच प्रजहातत मदा काभातसिादतऩाथद भनोगतान ् । आत्भतमेिात्भना तुष्ट् जस्थतप्रऻस्तदोचमते ॥२- ५५॥

56 द्ु खेष्िनद्
ु विग्नभना् सख
ु ेषु विगतस्ऩह
ृ ् ।िीतयागबमक्रोध् जस्थतधीभतुद नरुचमते ॥२- ५६॥

57 म् सिदत्रानशबस्नेहस्तत्तत्प्राप्म शुबाशुबभ ् ।नाशबनतदतत न द्िेजष्ट तस्म प्रऻा प्रततजष्ठता ॥२- ५७॥

58 मदा सॊहयते चामॊ कूभोऽङ्गानीि सिदश् ।इजतद्रमाणीजतद्रमाथेभ्मस्तस्म प्रऻा प्रततजष्ठता ॥२- ५८॥

59 विषमा वितनितदतते तनयाहायस्म दे हहन् ।यसिजं यसोऽप्मस्म ऩयॊ दृष््िा तनितदते ॥२- ५९॥

60 मततो ह्मवऩ कौततेम ऩुरुषस्म विऩजश्चत् ।इजतद्रमाणण प्रभाथीतन हयजतत प्रसबॊ भन् ॥२- ६०॥

61 तातन सिादणण सॊमम्म मुक्त आसीत भत्ऩय् ।िशे हह मस्मेजतद्रमाणण तस्म प्रऻा प्रततजष्ठता ॥२- ६१॥

62 ध्मामतो विषमातऩॊस
ु ् सङ्गस्तेषऩ
ू जामते ।सङ्गात्सॊजामते काभ् काभात्क्रोधोऽशबजामते ॥२- ६२॥

63 क्रोधाद्बितत सॊभोह् सॊभोहात्स्भतृ तविरभ् ।स्भतृ तरॊशाद्फुद्धधनाशो फुद्धधनाशात्प्रणश्मतत ॥२- ६३॥

64 यागद्िेषविमुक्तैस्तु विषमातनजतद्रमैश्चयन ् ।आत्भिश्मैविदधेमात्भा प्रसादभधधगचछतत ॥२- ६४॥

65 प्रसादे सिदद्ु खानाॊ हातनयस्मोऩजामते ।प्रसतनचेतसो ह्माशु फद्


ु धध् ऩमदिततष्ठते ॥२- ६५॥

66 नाजस्त फुद्धधयमुक्तस्म न चामुक्तस्म बािना ।न चाबािमत् शाजततयशाततस्म कुत् सुखभ ् ॥२- ६६॥

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67 इजतद्रमाणाॊ हह चयताॊ मतभनोऽनु विधीमते ।तदस्म हयतत प्रऻाॊ िामन
ु ादिशभिाम्बशस ॥२- ६७॥

68 तस्भाद्मस्म भहाफाहो तनगहृ ीतातन सिदश् ।इजतद्रमाणीजतद्रमाथेभ्मस्तस्म प्रऻा प्रततजष्ठता ॥२- ६८॥

69 मा तनशा सिदबूतानाॊ तस्माॊ जागततद सॊमभी ।मस्माॊ जाग्रतत बूतातन सा तनशा ऩश्मतो भुने् ॥२- ६९ ।।

70 आऩूमभ
द ाणभचरप्रततष्ठॊ सभुद्रभाऩ् प्रविशजतत मद्ित ् ।तद्ित्काभा मॊ प्रविशजतत सिे स शाजततभाप्नोतत न
काभकाभी ॥२- ७०॥

71 विहाम काभातम् सिादन ् ऩुभाॊश्चयतत तन्स्ऩहृ ् ।तनभदभो तनयहॊ काय् स शाजततभधधगचछतत ॥२- ७१॥

72 एषा ब्राह्भी जस्थतत् ऩाथद नैनाॊ प्राप्म विभुह्मतत । जस्थत्िास्माभततकारेऽवऩ ब्रह्भतनिादणभचृ छतत ॥२- ७२॥

73 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे साॊख्ममोगो नाभ
द्वितीमोऽध्माम् ॥२॥

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3. *अथ तत
ृ ीयोऽध्यायः*
1. अजन
ुद उिाच ज्मामसी चेत्कभदणस्ते भता फद्
ु धधजदनादद न ।तजत्कॊ कभदणण घोये भाॊ तनमोजमशस केशि ॥३- १॥
2 व्माशभश्रेणेि िाक्मेन फुद्धधॊ भोहमसीि भे । तदे कॊ िद तनजश्चत्म मेन श्रेमोऽहभाप्नुमाभ ् ॥३- २॥
3. श्रीबगिानुिाच रोकेऽजस्भतद्विविधा तनष्ठा ऩुया प्रोक्ता भमानघ । ऻानमोगेन साॊख्मानाॊ कभदमोगेन मोधगनाभ ्
॥३- ३॥
4 न कभदणाभनायम्बातनैष्कम्मं ऩुरुषोऽश्नुते ।न च सॊतमसनादे ि शसद्धधॊ सभधधगचछतत ॥३- ४॥
5 न हह कजश्चत्ऺणभवऩ जातु ततष्ठत्मकभदकृत ् ।कामदते ह्मिश् कभद सिद् प्रकृततजैगण
ुद ै् ॥३- ५॥
6 कभेजतद्रमाणण सॊमम्म म आस्ते भनसा स्भयन ् ।इजतद्रमाथादजतिभढ
ू ात्भा शभर्थ्माचाय् स उचमते ॥३- ६॥
7 मजस्त्िजतद्रमाणण भनसा तनमम्मायबतेऽजन
ुद ।कभेजतद्रमै् कभदमोगभसक्त् स विशशष्मते ॥३- ७॥
8 तनमतॊ कुरु कभद त्िॊ कभद ज्मामो ह्मकभदण् ।शयीयमात्रावऩ च ते न प्रशसद्ध्मेदकभदण् ॥३- ८॥
9 मऻाथादत्कभदणोऽतमत्र रोकोऽमॊ कभदफतधन् ।तदथं कभद कौततेम भुक्तसङ्ग् सभाचय ॥३- ९॥
10 सहमऻा् प्रजा् सष्ृ ्िा ऩुयोिाच प्रजाऩतत् ।अनेन प्रसविष्मध्िभेष िोऽजस्त्िष्टकाभधुक् ॥३- १०॥
11 दे िातबािमतानेन ते दे िा बािमततु ि् ।ऩयस्ऩयॊ बािमतत् श्रेम् ऩयभिाप्स्मथ ॥३- ११॥
12 इष्टातबोगाजतह िो दे िा दास्मतते मऻबाविता् ।तैददत्तानप्रदामैभ्मो मो बङ्
ु क्ते स्तेन एि स् ॥३- १२॥
13 मऻशशष्टाशशन् सततो भुचमतते सिदककजल्फषै् ।बुञ्जते ते त्िघॊ ऩाऩा मे ऩचतत्मात्भकायणात ् ॥३- १३॥
14 अतनाद्बिजतत बूतातन ऩजदतमादतनसम्बि् ।मऻाद्बितत ऩजदतमो मऻ् कभदसभुद्बि् ॥३- १४॥
15 कभद ब्रह्भोद्बिॊ विद्धध ब्रह्भाऺयसभुद्बिभ ् ।तस्भात्सिदगतॊ ब्रह्भ तनत्मॊ मऻे प्रततजष्ठतभ ् ॥३- १५॥
16 एिॊ प्रिततदतॊ चक्रॊ नानुितदमतीह म् ।अघामुरयजतद्रमायाभो भोघॊ ऩाथद स जीितत ॥३- १६॥
17 मस्त्िात्भयततये ि स्मादात्भतप्ृ तश्च भानि् ।आत्भतमेि च सततष्ु टस्तस्म कामं न विद्मते ॥३- १७॥
18 नैि तस्म कृतेनाथो नाकृतेनेह कश्चन ।न चास्म सिदबूतष
े ु कजश्चदथदव्मऩाश्रम् ॥३- १८॥
19 तस्भादसक्त् सततॊ कामं कभद सभाचय ।असक्तो ह्माचयतकभद ऩयभाप्नोतत ऩूरुष् ॥३- १९॥
20 कभदणैि हह सॊशसद्धधभाजस्थता जनकादम् ।रोकसॊग्रहभेिावऩ सॊऩश्मतकतभ
ुद हदशस ॥३- २०॥
21 मद्मदाचयतत श्रेष्ठस्तत्तदे िेतयो जन् ।स मत्प्रभाणॊ कुरुते रोकस्तदनुितदते ॥३- २१॥
22 न भे ऩाथादजस्त कतदव्मॊ त्रत्रषु रोकेषु ककॊ चन ।नानिाप्तभिाप्तव्मॊ ितद एि च कभदणण ॥३- २२॥
23 महद ह्महॊ न ितेमॊ जातु कभदण्मतजतद्रत् ।भभ ित्भादनि
ु तदतते भनष्ु मा् ऩाथद सिदश् ॥३- २३॥
24 उत्सीदे मुरयभे रोका न कुमां कभद चेदहभ ् ।सॊकयस्म च कताद स्माभुऩहतमाशभभा् प्रजा् ॥३- २४॥
25 सक्ता् कभदण्मविद्िाॊसो मथा कुिदजतत बायत ।कुमादद्विद्िाॊस्तथासक्तजश्चकीषर
ुद ोकसॊग्रहभ ् ॥३- २५॥
26 न फुद्धधबेदॊ जनमेदऻानाॊ कभदसङ्धगनाभ ् ।जोषमेत्सिदकभादणण विद्िातमुक्त् सभाचयन ् ॥३- २६॥
27 प्रकृते् कक्रमभाणातन गुणै् कभादणण सिदश् ।अहॊ कायविभूढात्भा कतादहशभतत भतमते ॥३- २७॥
28 तत्त्िवित्तु भहाफाहो गुणकभदविबागमो् ।गुणा गुणेषु ितदतत इतत भत्िा न सज्जते ॥३- २८॥
29 प्रकृतेगण
ुद सॊभढ
ू ा् सज्जतते गण
ु कभदसु ।तानकृत्स्नविदो भतदातकृत्स्नवितन विचारमेत ् ॥३- २९॥

10 | P a g e
30 भतम सिादणण कभादणण सॊतमस्माध्मात्भचेतसा ।तनयाशीतनदभभ
द ो बत्ू िा मध्
ु मस्ि विगतज्िय् ॥३- ३०॥
31 मे भे भतशभदॊ तनत्मभनतु तष्ठजतत भानिा् ।श्रद्धािततोऽनसम
ू ततो भच
ु मतते तेऽवऩ कभदशब् ॥३- ३१॥
32 मे त्िेतदभ्मसूमततो नानुततष्ठजतत भे भतभ ् ।सिदऻानविभूढाॊस्ताजतिद्धध नष्टानचेतस् ॥३- ३२॥
33 सदृशॊ चेष्टते स्िस्मा् प्रकृतेऻादनिानवऩ ।प्रकृततॊ माजतत बूतातन तनग्रह् ककॊ करयष्मतत ॥३- ३३॥
34 इजतद्रमस्मेजतद्रमस्माथे यागद्िेषौ व्मिजस्थतौ ।तमोनद िशभागचछे त्तौ ह्मस्म ऩरयऩजतथनौ ॥३- ३४॥
35 श्रेमातस्िधभो विगुण् ऩयधभादत्स्िनुजष्ठतात ् ।स्िधभे तनधनॊ श्रेम् ऩयधभो बमािह् ॥३- ३५॥
36.अथ केन प्रमुक्तोऽमॊ ऩाऩॊ चयतत ऩरु
ू ष् ।अतनचछतनवऩ िाष्णेम फराहदि तनमोजजत् ॥३- ३६॥
37 श्रीबगिानुिाच काभ एष क्रोध एष यजोगुणसभुद्बि् ।भहाशनो भहाऩाप्भा विद्ध्मेनशभह िैरयणभ ् ॥३- ३७॥
38 धूभेनावव्रमते िजह्नमदथादशो भरेन च । मथोल्फेनाित
ृ ो गबदस्तथा तेनेदभाित
ृ भ ् ॥३- ३८॥
39 आित
ृ ॊ ऻानभेतेन ऻातननो तनत्मिैरयणा ।काभरूऩेण कौततेम दष्ु ऩूयेणानरेन च ॥३- ३९॥
40 इजतद्रमाणण भनो फुद्धधयस्माधधष्ठानभुचमते ।एतैविदभोहमत्मेष ऻानभाित्ृ म दे हहनभ ् ॥३- ४०॥
41 तस्भात्त्िशभजतद्रमाण्मादौ तनमम्म बयतषदब ।ऩाप्भानॊ प्रजहह ह्मेनॊ ऻानविऻाननाशनभ ् ॥३-
42 इजतद्रमाणण ऩयाण्माहुरयजतद्रमेभ्म् ऩयॊ भन् ।भनसस्तु ऩया फद्
ु धधमो फद्
ु धे् ऩयतस्तु स् ॥३- ४२॥
43 एिॊ फुद्धे् ऩयॊ फुद्ध्िा सॊस्तभ्मात्भानभात्भना । जहह शत्रुॊ भहाफाहो काभरूऩॊ दयु ासदभ ् ॥३- ४३॥

11 | P a g e
4 TH CHAPTER
1.श्रीबगिानुिाच इभॊ वििस्िते मोगॊ प्रोक्तिानहभव्ममभ ् । वििस्िातभनिे प्राह भनुरयक्ष्िाकिेऽब्रिीत ् ॥४-१॥
2 एिॊ ऩयम्ऩयाप्राप्तशभभॊ याजषदमो विद्ु । स कारेनेह भहता मोगो नष्ट् ऩयततऩ ॥४-२॥
3 स एिामॊ भमा तेऽद्म मोग् प्रोक्त् ऩुयातन् । बक्तोऽशस भे सखा चेतत यहस्मॊ ह्मेतदत्त
ु भभ ् ॥४-३॥
4 अजन
ुद उिाच अऩयॊ बितो जतभ ऩयॊ जतभ वििस्ित् । कथभेतद्विजानीमाॊ त्िभादौ प्रोक्तिातनतत ॥४-४॥
5 श्रीबगिानि
ु ाच फहूतन भे व्मतीतातन जतभातन ति चाजन
ुद । तातमहॊ िेद सिादणण न त्िॊ िेत्थ ऩयततऩ ॥४-५॥
6 अजोऽवऩ सतनव्ममात्भा बत
ू ानाभीश्ियोऽवऩ सन ् । प्रकृततॊ स्िाभधधष्ठाम सॊबिाम्मात्भभाममा ॥४-६॥
7 मदा मदा हह धभदस्म ग्रातनबदितत बायत । अभ्मुत्थानभधभदस्म तदात्भानॊ सज
ृ ाम्महभ ् ॥४-७॥
8 ऩरयत्राणाम साधूनाॊ विनाशाम च दष्ु कृताभ ् । धभदसॊस्थाऩनाथादम सम्बिाशभ मुगे मुगे ॥४-८॥
9 जतभ कभद च भे हदव्मभेिॊ मो िेवत्त तत्त्ित् । त्मक्त्िा दे हॊ ऩुनजदतभ नैतत भाभेतत सोऽजन
ुद ॥४-९॥
10 िीतयागबमक्रोधा भतभमा भाभुऩाधश्रता् । फहिो ऻानतऩसा ऩूता भद्बािभागता् ॥४-१०॥
11 मे मथा भाॊ प्रऩद्मतते ताॊस्तथैि बजाम्महभ ् । भभ ित्भादनि
ु तदतते भनष्ु मा् ऩाथद सिदश् ॥४-११॥
12 काङ्ऺतत् कभदणाॊ शसद्धधॊ मजतत इह दे िता् । क्षऺप्रॊ हह भानष
ु े रोके शसद्धधबदितत कभदजा ॥४-१२॥
13 चातुिण्द मं भमा सष्ृ टॊ गुणकभदविबागश् । तस्म कतादयभवऩ भाॊ विद्ध्मकतादयभव्ममभ ् ॥४-१३॥
14 न भाॊ कभादणण शरम्ऩजतत न भे कभदपरे स्ऩहृ ा । इतत भाॊ मोऽशबजानातत कभदशबनद स फध्मते ॥४-१४॥
15 एिॊ ऻात्िा कृतॊ कभद ऩूिैयवऩ भुभुऺुशब् । कुरु कभैि तस्भात्त्िॊ ऩूिै् ऩूित
द यॊ कृतभ ् ॥४-१५॥
16 ककॊ कभद ककभकभेतत किमोऽप्मत्र भोहहता् । तत्ते कभद प्रिक्ष्माशभ मज्ऻात्िा भोक्ष्मसेऽशुबात ् ॥४-१६॥ *
17 कभदणो ह्मवऩ फोद्धव्मॊ फोद्धव्मॊ च विकभदण् । अकभदणश्च फोद्धव्मॊ गहना कभदणो गतत् ॥४-१७॥
18 कभदण्मकभद म् ऩश्मेदकभदणण च कभद म् । स फद्
ु धधभातभनष्ु मेषु स मक्
ु त् कृत्स्नकभदकृत ् ॥४-१८॥
19 मस्म सिे सभायम्बा् काभसॊकल्ऩिजजदता् । ऻानाजग्नदग्धकभादणॊ तभाहु् ऩजण्डतॊ फुधा् ॥४-१९॥
20 त्मक्त्िा कभदपरासङ्गॊ तनत्मतप्ृ तो तनयाश्रम् । कभदण्मशबप्रित्त
ृ ोऽवऩ नैि ककॊ धचत्कयोतत स् ॥४-२०॥
21 तनयाशीमदतधचत्तात्भा त्मक्तसिदऩरयग्रह् । शायीयॊ केिरॊ कभद कुिदतनाप्नोतत ककजल्फषभ ् ॥४-२१॥
22 मदृचछाराबसॊतुष्टो द्ितद्िातीतो विभत्सय् । सभ् शसद्धािशसद्धौ च कृत्िावऩ न तनफध्मते ॥४-२२॥
23 गतसङ्गस्म भक्
ु तस्म ऻानािजस्थतचेतस् । मऻामाचयत् कभद सभग्रॊ प्रविरीमते ॥४-२३॥
24 ब्रह्भाऩदणॊ ब्रह्भ हविब्रदह्भाग्नौ ब्रह्भणा हुतभ ् । ब्रह्भैि तेन गततव्मॊ ब्रह्भकभदसभाधधना ॥४-२४॥
25 दै िभेिाऩये मऻॊ मोधगन् ऩमऩ
ुद ासते । ब्रह्भाग्नािऩये मऻॊ मऻेनैिोऩजुह्ितत ॥४-२५॥
26 श्रोत्रादीनीजतद्रमाण्मतमे सॊमभाजग्नषु जुह्ितत । शब्दादीजतिषमानतम इजतद्रमाजग्नषु जुह्ितत ॥४-२६॥
27 सिादणीजतद्रमकभादणण प्राणकभादणण चाऩये । आत्भसॊमभमोगाग्नौ जुह्ितत ऻानदीवऩते ॥४-२७॥
28 द्रव्ममऻास्तऩोमऻा मोगमऻास्तथाऩये । स्िाध्मामऻानमऻाश्च मतम् सॊशशतव्रता् ॥४-२८॥
29 अऩाने जह्ु ितत प्राणॊ प्राणेऽऩानॊ तथाऩये । प्राणाऩानगती रुद्ध्िा प्राणामाभऩयामणा् ॥४-२९॥
30 अऩये तनमताहाया् प्राणातप्राणेषु जुह्ितत । सिेऽप्मेते मऻविदो मऻऺवऩतकल्भषा् ॥४-३०॥
31 मऻशशष्टाभत
ृ बुजो माजतत ब्रह्भ सनातनभ ् । नामॊ रोकोऽस्त्ममऻस्म कुतोऽतम् कुरुसत्तभ ॥४-३१॥
32 एिॊ फहुविधा मऻा वितता ब्रह्भणो भुखे । कभदजाजतिद्धध तातसिादनेिॊ ऻात्िा विभोक्ष्मसे ॥४-३२॥

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33 श्रेमातद्रव्मभमाद्मऻाज्ऻानमऻ् ऩयततऩ । सिं कभादणखरॊ ऩाथद ऻाने ऩरयसभाप्मते ॥४-३३॥
34 तद्विद्धध प्रणणऩातेन ऩरयप्रश्नेन सेिमा । उऩदे क्ष्मजतत ते ऻानॊ ऻातननस्तत्त्िदशशदन् ॥४-३४॥
35 मज्ऻात्िा न ऩुनभोहभेिॊ मास्मशस ऩाण्डि । मेन बूतातमशेषेण द्रक्ष्मस्मात्भतमथो भतम ॥४-३५॥
36 अवऩ चेदशस ऩाऩेभ्म् सिेभ्म् ऩाऩकृत्तभ् । सिं ऻानप्रिेनैि िजृ जनॊ सततरयष्मशस ॥४-३६॥
37 मथैधाॊशस सशभद्धोऽजग्नबदस्भसात्कुरुतेऽजन
ुद । ऻानाजग्न् सिदकभादणण बस्भसात्कुरुते तथा ॥४-३७॥
38 न हह ऻानेन सदृशॊ ऩवित्रशभह विद्मते । तत्स्िमॊ मोगसॊशसद्ध् कारेनात्भतन वितदतत ॥४-३८॥
39 श्रद्धािाॉल्रबते ऻानॊ तत्ऩय् सॊमतेजतद्रम् । ऻानॊ रब्ध्िा ऩयाॊ शाजततभधचये णाधधगचछतत ॥४-३९॥
40 अऻश्चाश्रद्दधानश्च सॊशमात्भा विनश्मतत । नामॊ रोकोऽजस्त न ऩयो न सुखॊ सॊशमात्भन् ॥४-४०॥
41 मोगसॊतमस्तकभादणॊ ऻानसॊतछतनसॊशमभ ् । आत्भिततॊ न कभादणण तनफध्नजतत धनॊजम ॥४-४१॥
42 तस्भादऻानसम्बूतॊ रृत्स्थॊ ऻानाशसनात्भन् । तछत्त्िैनॊ सॊशमॊ मोगभाततष्ठोवत्तष्ठ बायत ॥४-४२॥
43 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे ऻानकभदसॊतमासमोगो नाभ
चतुथोऽध्माम् ॥ ४ ॥

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5. *अथ पञ्चमोऽध्यायः*
1.अजन
ुद उिाच सॊतमासॊ कभदणाॊ कृष्ण ऩन
ु मोगॊ च शॊसशस । मचरे म एतमोये कॊ ततभे ब्रहू ह सतु नजश्चतभ ् ॥५- १॥
2 श्रीबगिानुिाच सॊतमास् कभदमोगश्च तन्श्रेमसकयािुबौ । तमोस्तु कभदसॊतमासात्कभदमोगो विशशष्मते ॥५- २॥
3 ऻेम् स तनत्मसॊतमासी मो न द्िेजष्ट न काङ्ऺतत । तनद्दितद्िो हह भहाफाहो सुखॊ फतधात्प्रभुचमते ॥५- ३॥
4 साॊख्ममोगौ ऩथ
ृ ग्फारा् प्रिदजतत न ऩजण्डता् । एकभप्माजस्थत् सम्मगुबमोविदतदते परभ ् ॥५- ४॥
5 मत्साॊख्मै् प्राप्मते स्थानॊ तद्मोगैयवऩ गम्मते । एकॊ साॊख्मॊ च मोगॊ च म् ऩश्मतत स ऩश्मतत ॥५- ५॥
6 सॊतमासस्तु भहाफाहो द्ु खभाप्तभ
ु मोगत् । मोगमक्
ु तो भतु नब्रदह्भ नधचये णाधधगचछतत ॥५- ६॥
7 मोगमक्
ु तो विशुद्धात्भा विजजतात्भा जजतेजतद्रम् । सिदबत
ू ात्भबत
ू ात्भा कुिदतनवऩ न शरप्मते ॥५- ७॥
8 नैि ककॊ धचत्कयोभीतत मुक्तो भतमेत तत्त्िवित ् । ऩश्मञ्श्रण्ृ ितस्ऩश
ृ जञ्जघ्रतनश्ननगचछतस्िऩञ्श्िसन
् ् ॥५- ८॥
9 प्ररऩजतिसज
ृ तगह्
ृ णतनुजतभषजतनशभषतनवऩ । इजतद्रमाणीजतद्रमाथेषु ितदतत इतत धायमन ् ॥५- ९॥
10 ब्रह्भण्माधाम कभादणण सङ्गॊ त्मक्त्िा कयोतत म् । शरप्मते न स ऩाऩेन ऩद्भऩत्रशभिाम्बसा ॥५- १०॥
11 कामेन भनसा फुद्ध्मा केिरैरयजतद्रमैयवऩ । मोधगन् कभद कुिदजतत सङ्गॊ त्मक्त्िात्भशुद्धमे ॥५- ११॥
12 मक्
ु त् कभदपरॊ त्मक्त्िा शाजततभाप्नोतत नैजष्ठकीभ ् । अमक्
ु त् काभकाये ण परे सक्तो तनफध्मते ॥५- १२॥ A
13 सिद कभादणण भनसा सॊतमस्मास्ते सख
ु ॊ िशी । निद्िाये ऩयु े दे ही नैि कुिदतन कायमन ् ॥५- १३॥
14 न कतत्दृ िॊ न कभादणण रोकस्म सज
ृ तत प्रबु् । न कभदपरसॊमोगॊ स्िबािस्तु प्रितदते ॥५- १४॥
15 नादत्ते कस्मधचत्ऩाऩॊ न चैि सुकृतॊ विबु् । अऻानेनाित
ृ ॊ ऻानॊ तेन भुह्मजतत जतति् ॥५- १५॥
16 ऻानेन तु तदऻानॊ मेषाॊ नाशशतभात्भन् । तेषाभाहदत्मिज्ऻानॊ प्रकाशमतत तत्ऩयभ ् ॥५- १६॥
17 तद्फुद्धमस्तदात्भानस्तजतनष्ठास्तत्ऩयामणा् । गचछतत्मऩुनयािवृ त्तॊ ऻानतनधूदतकल्भषा् ॥५- १७॥
18 विद्माविनमसॊऩतने ब्राह्भणे गवि हजस्ततन । शुतन चैि श्िऩाके च ऩजण्डता् सभदशशदन् ॥५- १८॥
19 इहै ि तैजजदत् सगो मेषाॊ साम्मे जस्थतॊ भन् । तनदोषॊ हह सभॊ ब्रह्भ तस्भाद्ब्रह्भणण ते जस्थता् ॥५- १९॥
20 न प्ररृष्मेजत्प्रमॊ प्राप्म नोद्विजेत्प्राप्म चावप्रमभ ् । जस्थयफुद्धधयसॊभूढो ब्रह्भविद्ब्रह्भणण जस्थत् ॥५- २०॥
21 फाह्मस्ऩशेष्िसक्तात्भा वितदत्मात्भतन मत ् सुखभ ् । स ब्रह्भमोगमुक्तात्भा सुखभऺमभश्नुते ॥५- २१॥
22 मे हह सॊस्ऩशदजा बोगा द्ु खमोनम एि ते । आद्मततितत् कौततेम न तेषु यभते फुध् ॥५- २२॥
23 शक्नोतीहै ि म् सोढुॊ प्राक्शयीयविभोऺणात ् । काभक्रोधोद्बिॊ िेगॊ स मुक्त् स सुखी नय् ॥५- २३॥
24 मोऽतत्सख
ु ोऽततयायाभस्तथाततज्मोततये ि म् । स मोगी ब्रह्भतनिादणॊ ब्रह्भबत
ू ोऽधधगचछतत ॥५- २४॥
25 रबतते ब्रह्भतनिादणभष
ृ म् ऺीणकल्भषा् । तछतनद्िैधा मतात्भान् सिदबूतहहते यता् ॥५- २५॥
26 काभक्रोधविमुक्तानाॊ मतीनाॊ मतचेतसाभ ् । अशबतो ब्रह्भतनिादणॊ ितदते विहदतात्भनाभ ् ॥५- २६॥
27 स्ऩशादतकृत्िा फहहफादह्माॊश्चऺुश्चैिाततये रुिो् । प्राणाऩानौ सभौ कृत्िा नासाभ्मततयचारयणौ ॥५- २७॥
28 मतेजतद्रमभनोफुद्धधभतुद नभोऺऩयामण् । विगतेचछाबमक्रोधो म् सदा भुक्त एि स् ॥५- २८॥
29 बोक्तायॊ मऻतऩसाॊ सिदरोकभहे श्ियभ ् । सुरृदॊ सिदबूतानाॊ ऻात्िा भाॊ शाजततभचृ छतत ॥५- २९॥

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30 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे कभदसॊतमासमोगो नाभ
ऩञ्चभोऽध्माम् ॥ ५ ॥

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6. *अथ षष्ठोऽध्यायः*
1. श्रीबगिानि
ु ाच अनाधश्रत् कभदपरॊ कामं कभद कयोतत म् । स सॊतमासी च मोगी च न तनयजग्ननद चाकक्रम् ॥६- १॥
2 मॊ सॊतमासशभतत प्राहुमोगॊ तॊ विद्धध ऩाण्डि । न ह्मसॊतमस्तसॊकल्ऩो मोगी बितत कश्चन ॥६- २॥
3 आरुरुऺोभन
ुद ेमोगॊ कभद कायणभुचमते । मोगारूढस्म तस्मैि शभ् कायणभुचमते ॥६- ३॥
4 मदा हह नेजतद्रमाथेषु न कभदस्िनुषज्जते । सिदसॊकल्ऩसॊतमासी मोगारूढस्तदोचमते ॥६- ४॥
5 उद्धये दात्भनात्भानॊ नात्भानभिसादमेत ् । आत्भैि ह्मात्भनो फतधुयात्भैि रयऩुयात्भन् ॥६- ५॥
6 फतधुयात्भात्भनस्तस्म मेनात्भैिात्भना जजत् । अनात्भनस्तु शत्रुत्िे ितेतात्भैि शत्रुित ् ॥६- ६॥
7 जजतात्भन् प्रशाततस्म ऩयभात्भा सभाहहत् । शीतोष्णसख
ु द्ु खेषु तथा भानाऩभानमो् ॥६- ७॥
8 ऻानविऻानतप्ृ तात्भा कूटस्थो विजजतेजतद्रम् । मक्
ु त इत्मच
ु मते मोगी सभरोष्टाश्भकाञ्चन् ॥६- ८॥
9 सुरृजतभत्रामद
ुद ासीनभध्मस्थद्िेष्मफतधुषु । साधुष्िवऩ च ऩाऩेषु सभफुद्धधविदशशष्मते ॥६- ९॥
10 मोगी मुञ्जीत सततभात्भानॊ यहशस जस्थत् । एकाकी मतधचत्तात्भा तनयाशीयऩरयग्रह् ॥६- १०॥
11 शुचौ दे शे प्रततष्ठाप्म जस्थयभासनभात्भन् । नात्मुजचरतॊ नाततनीचॊ चैराजजनकुशोत्तयभ ् ॥६- ११॥
12 तत्रैकाग्रॊ भन् कृत्िा मतधचत्तेजतद्रमकक्रम् । उऩविश्मासने मुञ्ज्माद्मोगभात्भविशुद्धमे ॥६- १२॥
13 सभॊ कामशशयोग्रीिॊ धायमतनचरॊ जस्थय् । सम्प्रेक्ष्म नाशसकाग्रॊ स्िॊ हदशश्चानिरोकमन ् ॥६- १३॥
14 प्रशाततात्भा विगतबीब्रदह्भचारयव्रते जस्थत् । भन् सॊमम्म भजचचत्तो मक्
ु त आसीत भत्ऩय् ॥६- १४॥
15 मुञ्जतनेिॊ सदात्भानॊ मोगी तनमतभानस् । शाजततॊ तनिादणऩयभाॊ भत्सॊस्थाभधधगचछतत ॥६- १५॥
16 नात्मश्नतस्तु मोगोऽजस्त न चैकाततभनश्नत् । न चातत स्िप्नशीरस्म जाग्रतो नैि चाजन
ुद ॥६- १६॥
17 मुक्ताहायविहायस्म मुक्तचेष्टस्म कभदसु । मुक्तस्िप्नािफोधस्म मोगो बितत द्ु खहा ॥६- १७॥
18 मदा वितनमतॊ धचत्तभात्भतमेिािततष्ठते । तन्स्ऩहृ ् सिदकाभेभ्मो मुक्त इत्मुचमते तदा ॥६- १८॥
19 मथा दीऩो तनिातस्थो नेङ्गते सोऩभा स्भत
ृ ा । मोधगनो मतधचत्तस्म मुञ्जतो मोगभात्भन् ॥६- १९॥
20 मत्रोऩयभते धचत्तॊ तनरुद्धॊ मोगसेिमा । मत्र चैिात्भनात्भानॊ ऩश्मतनात्भतन तुष्मतत ॥६- २०॥
21 सुखभात्मजततकॊ मत्तद् फुद्धधग्राह्मभतीजतद्रमभ ् । िेवत्त मत्र न चैिामॊ जस्थतश्चरतत तत्त्ित् ॥६- २१॥
22 मॊ रब्ध्िा चाऩयॊ राबॊ भतमते नाधधकॊ तत् । मजस्भजतस्थतो न द्ु खेन गुरुणावऩ विचाल्मते ॥६- २२॥
23 तॊ विद्माद्द्ु खसॊमोगविमोगॊ मोगसॊक्षऻतभ ् । स तनश्चमेन मोक्तव्मो मोगोऽतनविदण्णचेतसा ॥६- २३॥
24 सॊकल्ऩप्रबिातकाभाॊस्त्मक्त्िा सिादनशेषत् । भनसैिेजतद्रमग्राभॊ वितनमम्म सभततत् ॥६- २४॥
25 शनै् शनैरुऩयभेद्फद्
ु ध्मा धतृ तगह
ृ ीतमा । आत्भसॊस्थॊ भन् कृत्िा न ककॊ धचदवऩ धचततमेत ् ॥६- २५॥
26 मतो मतो तनश्चयतत भनश्चञ्चरभजस्थयभ ् । ततस्ततो तनमम्मैतदात्भतमेि िशॊ नमेत ् ॥६- २६॥
27 प्रशाततभनसॊ ह्मेनॊ मोधगनॊ सुखभुत्तभभ ् । उऩैतत शाततयजसॊ ब्रह्भबूतभकल्भषभ ् ॥६- २७॥
28 मुञ्जतनेिॊ सदात्भानॊ मोगी विगतकल्भष् । सुखेन ब्रह्भसॊस्ऩशदभत्मततॊ सुखभश्नुते ॥६- २८॥
29 सिदबूतस्थभात्भानॊ सिदबूतातन चात्भतन । ईऺते मोगमुक्तात्भा सिदत्र सभदशदन् ॥६- २९॥
30 मो भाॊ ऩश्मतत सिदत्र सिं च भतम ऩश्मतत । तस्माहॊ न प्रणश्माशभ स च भे न प्रणश्मतत ॥६- ३०॥
31 सिदबत
ू जस्थतॊ मो भाॊ बजत्मेकत्िभाजस्थत् । सिदथा ितदभानोऽवऩ स मोगी भतम ितदते ॥६- ३१॥
32 आत्भौऩम्मेन सिदत्र सभॊ ऩश्मतत मोऽजुदन । सुखॊ िा महद िा द्ु खॊ स मोगी ऩयभो भत् ॥६- ३२॥

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33 अजन
ुद उिाच मोऽमॊ मोगस्त्िमा प्रोक्त् साम्मेन भधस
ु द
ू न । एतस्माहॊ न ऩश्माशभ चञ्चरत्िाजत्स्थततॊ जस्थयाभ ् ॥६-
३३॥
34 चञ्चरॊ हह भन् कृष्ण प्रभाधथ फरिद्दृढभ ् । तस्माहॊ तनग्रहॊ भतमे िामोरयि सुदष्ु कयभ ् ॥६- ३४॥
35 श्रीबगिानुिाच असॊशमॊ भहाफाहो भनो दतु नदग्रहॊ चरभ ् । अभ्मासेन तु कौततेम िैयाग्मेण च गह्ृ मते ॥६- ३५॥
36 असॊमतात्भना मोगो दष्ु प्राऩ इतत भे भतत् । िश्मात्भना तु मतता शक्मोऽिाप्तुभुऩामत् ॥६- ३६॥
37 अजन
ुद उिाच अमतत् श्रद्धमोऩेतो मोगाचचशरतभानस् । अप्राप्म मोगसॊशसद्धधॊ काॊ गततॊ कृष्ण गचछतत ॥६- ३७॥
38 कजचचतनोबमविरष्टजश्छतनारशभि नश्मतत । अप्रततष्ठो भहाफाहो विभढ
ू ो ब्रह्भण् ऩधथ ॥६- ३८॥
39 एततभे सॊशमॊ कृष्ण छे त्तभ
ु हदस्मशेषत् । त्िदतम् सॊशमस्मास्म छे त्ता न ह्मुऩऩद्मते ॥६- ३९॥
40 श्रीबगिानुिाच ऩाथद नैिेह नाभुत्र विनाशस्तस्म विद्मते । न हह कल्माणकृत्कजश्चद्दग
ु तद तॊ तात गचछतत ॥६- ४०॥
41 प्राप्म ऩुण्मकृताॊ रोकानुवषत्िा शाश्िती् सभा् । शुचीनाॊ श्रीभताॊ गेहे मोगरष्टोऽशबजामते ॥६- ४१॥
42 अथिा मोधगनाभेि कुरे बितत धीभताभ ् । एतद्धध दर
ु ब
द तयॊ रोके जतभ मदीदृशभ ् ॥६- ४२॥
43 तत्र तॊ फुद्धधसॊमोगॊ रबते ऩौिददेहहकभ ् । मतते च ततो बूम् सॊशसद्धौ कुरुनतदन ॥६- ४३॥
44 ऩि
ू ादभ्मासेन तेनैि हिमते ह्मिशोऽवऩ स् । जजऻासयु वऩ मोगस्म शब्दब्रह्भाततितदते ॥६- ४४॥
45 प्रमत्नाद्मतभानस्तु मोगी सॊशुद्धककजल्फष् । अनेकजतभसॊशसद्धस्ततो मातत ऩयाॊ गततभ ् ॥६- ४५॥
46 तऩजस्िभ्मोऽधधको मोगी ऻातनभ्मोऽवऩ भतोऽधधक् । कशभदभ्मश्चाधधको मोगी तस्भाद्मोगी बिाजन
ुद ॥६- ४६॥
47 मोधगनाभवऩ सिेषाॊ भद्गतेनाततयात्भना । श्रद्धािान ् बजते मो भाॊ स भे मुक्ततभो भत् ॥६- ४७॥
48 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे आत्भसॊमभमोगो नाभ
षष्ठोऽध्माम् ॥ ६ ॥
1 ॐ श्रीऩयभात्भने नभ्

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7. *अथ सप्तमोऽध्यायः*
1. श्रीबगिानि
ु ाच भय्मासक्तभना् ऩाथद मोगॊ मञ्
ु जतभदाश्रम् । असॊशमॊ सभग्रॊ भाॊ मथा ऻास्मशस तचछृणु ॥७- १॥
2 ऻानॊ तेऽहॊ सविऻानशभदॊ िक्ष्माम्मशेषत् । मज्ऻात्िा नेह बम
ू ोऽतमज्ऻातव्मभिशशष्मते ॥७- २॥
3 भनुष्माणाॊ सहस्रेषु कजश्चद्मततत शसद्धमे । मतताभवऩ शसद्धानाॊ कजश्चतभाॊ िेवत्त तत्त्ित् ॥७- ३॥
4 बूशभयाऩोऽनरो िामु् खॊ भनो फुद्धधये ि च । अहॊ काय इतीमॊ भे शबतना प्रकृततयष्टधा ॥७- ४॥ *
5 अऩये मशभतस्त्ितमाॊ प्रकृततॊ विद्धध भे ऩयाभ ् । जीिबूताॊ भहाफाहो ममेदॊ धामदते जगत ् ॥७- ५॥
6 एतद्मोनीतन बूतातन सिादणीत्मुऩधायम । अहॊ कृत्स्नस्म जगत् प्रबि् प्ररमस्तथा ॥७- ६॥
7 भत्त् ऩयतयॊ नातमजत्कॊधचदजस्त धनॊजम । भतम सिदशभदॊ प्रोतॊ सत्र
ू े भणणगणा इि ॥७- ७॥
8 यसोऽहभप्सु कौततेम प्रबाजस्भ शशशसम
ू म
द ो् । प्रणि् सिदिद
े े षु शब्द् खे ऩौरुषॊ नष
ृ ु ॥७- ८॥
9 ऩुण्मो गतध् ऩधृ थव्माॊ च तेजश्चाजस्भ विबािसौ । जीिनॊ सिदबूतष
े ु तऩश्चाजस्भ तऩजस्िषु ॥७- ९॥
10 फीजॊ भाॊ सिदबूतानाॊ विद्धध ऩाथद सनातनभ ् । फुद्धधफद्
ुद धधभताभजस्भ तेजस्तेजजस्िनाभहभ ् ॥७- १०॥
11 फरॊ फरिताॊ चाहॊ काभयागवििजजदतभ ् । धभादविरुद्धो बूतष
े ु काभोऽजस्भ बयतषदब ॥७- ११॥
12 मे चैि साजत्त्िका बािा याजसास्ताभसाश्च मे । भत्त एिेतत ताजतिद्धध न त्िहॊ तेषु ते भतम ॥७- १२॥
13 त्रत्रशबगण
ुद भमैबादिैयेशब् सिदशभदॊ जगत ् । भोहहतॊ नाशबजानातत भाभेभ्म् ऩयभव्ममभ ् ॥७- १३॥
14 दै िी ह्मेषा गण
ु भमी भभ भामा दयु त्ममा । भाभेि मे प्रऩद्मतते भामाभेताॊ तयजतत ते ॥७- १४॥
15 न भाॊ दष्ु कृततनो भूढा् प्रऩद्मतते नयाधभा् । भाममाऩरृतऻाना आसुयॊ बािभाधश्रता् ॥७- १५॥
16 चतुविदधा बजतते भाॊ जना् सुकृततनोऽजन
ुद । आतो जजऻासुयथादथॉ ऻानी च बयतषदब ॥७- १६॥
17 तेषाॊ ऻानी तनत्ममुक्त एकबजक्तविदशशष्मते । वप्रमो हह ऻातननोऽत्मथदभहॊ स च भभ वप्रम् ॥७- १७॥
18 उदाया् सिद एिैते ऻानी त्िात्भैि भे भतभ ् । आजस्थत् स हह मुक्तात्भा भाभेिानुत्तभाॊ गततभ ् ॥७- १८॥
19 फहूनाॊ जतभनाभतते ऻानिातभाॊ प्रऩद्मते । िासद
ु े ि् सिदशभतत स भहात्भा सद
ु र
ु ब
द ् ॥७- १९॥
20 काभैस्तैस्तैरृदतऻाना् प्रऩद्मततेऽतमदे िता् । तॊ तॊ तनमभभास्थाम प्रकृत्मा तनमता् स्िमा ॥७- २०॥
21 मो मो माॊ माॊ तनुॊ बक्त् श्रद्धमाधचदतुशभचछतत । तस्म तस्माचराॊ श्रद्धाॊ ताभेि विदधाम्महभ ् ॥७- २१॥
22 स तमा श्रद्धमा मुक्तस्तस्मायाधनभीहते । रबते च तत् काभातभमैि विहहताजतह तान ् ॥७- २२॥
23 अततित्तु परॊ तेषाॊ तद्बित्मल्ऩभेधसाभ ् । दे िातदे िमजो माजतत भद्बक्ता माजतत भाभवऩ ॥७- २३॥
24 अव्मक्तॊ व्मजक्तभाऩतनॊ भतमतते भाभफुद्धम् । ऩयॊ बािभजानततो भभाव्ममभनुत्तभभ ् ॥७- २४॥
25 नाहॊ प्रकाश् सिदस्म मोगभामासभाित
ृ ् । भढ
ू ोऽमॊ नाशबजानातत रोको भाभजभव्ममभ ् ॥७- २५॥
26 िेदाहॊ सभतीतातन ितदभानातन चाजन
ुद । बविष्माणण च बूतातन भाॊ तु िेद न कश्चन ॥७- २६॥
27 इचछाद्िेषसभुत्थेन द्ितद्िभोहे न बायत । सिदबूतातन सॊभोहॊ सगे माजतत ऩयततऩ ॥७- २७॥
28 मेषाॊ त्िततगतॊ ऩाऩॊ जनानाॊ ऩुण्मकभदणाभ ् । ते द्ितद्िभोहतनभक्
ुद ता बजतते भाॊ दृढव्रता् ॥७- २८॥
29 जयाभयणभोऺाम भाभाधश्रत्म मतजतत मे । ते ब्रह्भ तद्विद्ु कृत्स्नभध्मात्भॊ कभद चाणखरभ ् ॥७- २९॥
30 साधधबूताधधदै िॊ भाॊ साधधमऻॊ च मे विद्ु । प्रमाणकारेऽवऩ च भाॊ ते विदम
ु क्
ुद तचेतस् ॥७- ३०॥
31 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे ऻानविऻानमोगो नाभ
सप्तभोऽध्माम् ॥ ७ ॥

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8. *अथाष्टमोऽध्यायः*
1.अजन
ुद उिाच ककॊ तद्ब्रह्भ ककभध्मात्भॊ ककॊ कभद ऩरु
ु षोत्तभ । अधधबत
ू ॊ च ककॊ प्रोक्तभधधदै िॊ ककभच
ु मते ॥८- १॥
2 अधधमऻ् कथॊ कोऽत्र दे हेऽजस्भतभधस
ु द
ू न । प्रमाणकारे च कथॊ ऻेमोऽशस तनमतात्भशब् ॥८- २॥
3 श्रीबगिानुिाच अऺयॊ ब्रह्भ ऩयभॊ स्िबािोऽध्मात्भभुचमते । बूतबािोद्बिकयो विसगद् कभदसॊक्षऻत् ॥८- ३॥
4 अधधबूतॊ ऺयो बाि् ऩुरुषश्चाधधदै ितभ ् । अधधमऻोऽहभेिात्र दे हे दे हबत
ृ ाॊ िय ॥८- ४॥
5 अततकारे च भाभेि स्भयतभुक्त्िा करेियभ ् । म् प्रमातत स भद्बािॊ मातत नास्त्मत्र सॊशम् ॥८- ५॥
6 मॊ मॊ िावऩ स्भयतबािॊ त्मजत्मतते करेियभ ् । तॊ तभेिैतत कौततेम सदा तद्बािबावित् ॥८- ६॥
7 तस्भात्सिेषु कारेषु भाभनस्
ु भय मध्
ु म च । भय्मवऩदतभनोफुद्धधभादभेिैष्मस्मसॊशमभ ् ॥८- ७॥
8 अभ्मासमोगमक्
ु तेन चेतसा नातमगाशभना ।ऩयभॊ ऩरु
ु षॊ हदव्मॊ मातत ऩाथादनधु चततमन ् ॥८- ८॥
9 कविॊ ऩुयाणभनुशाशसताय- भणोयणीमाॊसभनुस्भये द्म् । सिदस्म धातायभधचतत्मरूऩ भाहदत्मिणं तभस् ऩयस्तात ् ॥८-
९॥
10 प्रमाणकारे भनसाचरेन बक्त्मा मुक्तो मोगफरेन चैि । रुिोभदध्मे प्राणभािेश्म सम्मक्स तॊ ऩयॊ ऩुरुषभुऩैतत
हदव्मभ ् ॥८- १०॥
11 मदऺयॊ िेदविदो िदजतत विशजतत मद्मतमो िीतयागा् । महदचछततो ब्रह्भचमं चयजतत तत्ते ऩदॊ सॊग्रहे ण प्रिक्ष्मे
॥८- ११॥
12 सिदद्िायाणण सॊमम्म भनो रृहद तनरुध्म च ।भूध्तमादधामात्भन् प्राणभाजस्थतो मोगधायणाभ ् ॥८- १२॥
13 ओशभत्मेकाऺयॊ ब्रह्भ व्माहयतभाभनुस्भयन ् ।म् प्रमातत त्मजतदे हॊ स मातत ऩयभाॊ गततभ ् ॥८- १३॥
14 अनतमचेता् सततॊ मो भाॊ स्भयतत तनत्मश् ।तस्माहॊ सुरब् ऩाथद तनत्ममुक्तस्म मोधगन् ॥८- १४॥
15 भाभुऩेत्म ऩुनजदतभ द्ु खारमभशाश्ितभ ् ।नाप्नुिजतत भहात्भान् सॊशसद्धधॊ ऩयभाॊ गता् ॥८- १५॥
16 आब्रह्भबि
ु नाल्रोका् ऩन
ु यािततदनोऽजन
ुद ।भाभऩ
ु ेत्म तु कौततेम ऩन
ु जदतभ न विद्मते ॥८- १६॥
17 सहस्रमुगऩमदततभहमदद्ब्रह्भणो विद्ु ।यात्रत्रॊ मुगसहस्रातताॊ तेऽहोयात्रविदो जना् ॥८- १७॥
18 अव्मक्ताद्व्मक्तम् सिाद् प्रबितत्महयागभे ।यात्र्मागभे प्ररीमतते तत्रैिाव्मक्तसॊऻके ॥८- १८॥
19 बूतग्राभ् स एिामॊ बूत्िा बूत्िा प्ररीमते ।यात्र्मागभेऽिश् ऩाथद प्रबित्महयागभे ॥८- १९॥
20 ऩयस्तस्भात्तु बािोऽतमोऽव्मक्तोऽव्मक्तात्सनातन् ।म् स सिेषु बूतष
े ु नश्मत्सु न विनश्मतत ॥८- २०॥
21 अव्मक्तोऽऺय इत्मुक्तस्तभाहु् ऩयभाॊ गततभ ् ।मॊ प्राप्म न तनितदतते तद्धाभ ऩयभॊ भभ ॥८- २१॥
22 ऩरु
ु ष् स ऩय् ऩाथद बक्त्मा रभ्मस्त्िनतममा ।मस्मातत्स्थातन बत
ू ातन मेन सिदशभदॊ ततभ ् ॥८- २२॥
23 मत्र कारे त्िनािवृ त्तभािवृ त्तॊ चैि मोधगन् ।प्रमाता माजतत तॊ कारॊ िक्ष्माशभ बयतषदब ॥८- २३॥
24 अजग्नज्मोततयह् शुक्र् षण्भासा उत्तयामणभ ् ।तत्र प्रमाता गचछजतत ब्रह्भ ब्रह्भविदो जना् ॥८- २४॥
25 धूभो यात्रत्रस्तथा कृष्ण् षण्भासा दक्षऺणामनभ ् ।तत्र चातद्रभसॊ ज्मोततमोगी प्राप्म तनितदते ॥८- २५॥
26 शुक्रकृष्णे गती ह्मेते जगत् शाश्िते भते ।एकमा मात्मनािवृ त्तभतममाितदते ऩुन् ॥८- २६॥
27 नैते सत
ृ ी ऩाथद जानतमोगी भुह्मतत कश्चन ।तस्भात्सिेषु कारेषु मोगमुक्तो बिाजन
ुद ॥८- २७॥
28 िेदेषु मऻेषु तऩ्सु चैि दानेषु मत ् ऩण्ु मपरॊ प्रहदष्टभ ् ।अत्मेतत तत्सिदशभदॊ विहदत्िा मोगी ऩयॊ स्थानभऩ
ु ैतत
चाद्मभ ् ॥८- २८॥

19 | P a g e
29 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे अऺयब्रह्भमोगो
नाभाष्टभोऽध्माम् ॥८॥

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9. *अथ निमोऽध्यायः*
1. श्रीबगिानि
ु ाच इदॊ तु ते गह्
ु मतभॊ प्रिक्ष्माम्मनसूमिे । ऻानॊ विऻानसहहतॊ मज्ऻात्िा भोक्ष्मसेऽशुबात ् ॥९-
१॥
2 याजविद्मा याजगुह्मॊ ऩवित्रशभदभुत्तभभ ् । प्रत्मऺािगभॊ धम्मं सुसुखॊ कतुभ
द व्ममभ ् ॥९- २॥
3 अश्रद्दधाना् ऩुरुषा धभदस्मास्म ऩयततऩ । अप्राप्म भाॊ तनितदतते भत्ृ मुसॊसायित्भदतन ॥९- ३॥
4 भमा ततशभदॊ सिं जगदव्मक्तभूततदना । भत्स्थातन सिदबूतातन न चाहॊ तेष्ििजस्थत् ॥९- ४॥
5 न च भत्स्थातन बूतातन ऩश्म भे मोगभैश्ियभ ् । बूतबतृ न च बूतस्थो भभात्भा बूतबािन् ॥९- ५॥
6 मथाकाशजस्थतो तनत्मॊ िाम्ु सिदत्रगो भहान ् । तथा सिादणण बत
ू ातन भत्स्थानीत्मऩ
ु धायम ॥९- ६॥
7 सिदबत
ू ातन कौततेम प्रकृततॊ माजतत भाशभकाभ ् । कल्ऩऺमे ऩन
ु स्तातन कल्ऩादौ विसज
ृ ाम्महभ ् ॥९- ७॥
8 प्रकृततॊ स्िाभिष्टभ्म विसज
ृ ाशभ ऩुन् ऩुन् । बूतग्राभशभभॊ कृत्स्नभिशॊ प्रकृतेिश
द ात ् ॥९- ८॥
9 न च भाॊ तातन कभादणण तनफध्नजतत धनॊजम । उदासीनिदासीनभसक्तॊ तेषु कभदसु ॥९- ९॥
10 भमाध्मऺेण प्रकृतत् सूमते सचयाचयभ ् । हे तुनानेन कौततेम जगद्विऩरयितदते ॥९- १०॥
11 अिजानजतत भाॊ भूढा भानुषीॊ तनुभाधश्रतभ ् । ऩयॊ बािभजानततो भभ बूतभहे श्ियभ ् ॥९- ११॥
12 भोघाशा भोघकभादणो भोघऻाना विचेतस् । याऺसीभासयु ीॊ चैि प्रकृततॊ भोहहनीॊ धश्रता् ॥९- १२॥
13 भहात्भानस्तु भाॊ ऩाथद दै िीॊ प्रकृततभाधश्रता् । बजतत्मनतमभनसो ऻात्िा बत
ू ाहदभव्ममभ ् ॥९- १३॥
14 सततॊ कीतदमततो भाॊ मतततश्च दृढव्रता् । नभस्मततश्च भाॊ बक्त्मा तनत्ममुक्ता उऩासते ॥९- १४॥
15 ऻानमऻेन चाप्मतमे मजततो भाभुऩासते । एकत्िेन ऩथ
ृ क्त्िेन फहुधा विश्ितोभुखभ ् ॥९- १५॥
16 अहॊ क्रतुयहॊ मऻ् स्िधाहभहभौषधभ ् । भतत्रोऽहभहभेिाज्मभहभजग्नयहॊ हुतभ ् ॥९- १६॥
17 वऩताहभस्म जगतो भाता धाता वऩताभह् । िेद्मॊ ऩवित्रभोंकाय ऋक्साभ मजुयेि च ॥९- १७॥
18 गततबदताद प्रब्ु साऺी तनिास् शयणॊ सरृ
ु त ् । प्रबि् प्ररम् स्थानॊ तनधानॊ फीजभव्ममभ ् ॥९- १८॥
19 तऩाम्महभहॊ िषं तनगह्
ृ णाम्मुत्सज
ृ ाशभ च । अभत
ृ ॊ चैि भत्ृ मुश्च सदसचचाहभजन
ुद ॥९- १९॥
20 त्रैविद्मा भाॊ सोभऩा् ऩूतऩाऩा मऻैरयष््िा स्िगदततॊ प्राथदमतते । ते ऩुण्मभासाद्म सुयेतद्ररोक- भश्नजतत
हदव्माजतदवि दे िबोगान ् ॥९- २०॥
21 ते तॊ बुक्त्िा स्िगदरोकॊ विशारॊ ऺीणे ऩुण्मे भत्मदरोकॊ विशजतत । एिॊ त्रमीधभदभनुप्रऩतना गतागतॊ काभकाभा
रबतते ॥९- २१॥
22 अनतमाजश्चततमततो भाॊ मे जना् ऩमऩ
ुद ासते । तेषाॊ तनत्माशबमक्
ु तानाॊ मोगऺेभॊ िहाम्महभ ् ॥९- २२॥
23 मेऽप्मतमदे िताबक्ता मजतते श्रद्धमाजतिता् । तेऽवऩ भाभेि कौततेम मजतत्मविधधऩूिक
द भ ् ॥९- २३॥
24 अहॊ हह सिदमऻानाॊ बोक्ता च प्रबुयेि च । न तु भाभशबजानजतत तत्त्िेनातश्चमिजतत ते ॥९- २४॥
25 माजतत दे िव्रता दे िाजतऩतॄतमाजतत वऩतव्र
ृ ता् । बूतातन माजतत बूतज्
े मा माजतत भद्माजजनोऽवऩ भाभ ् ॥९- २५॥
26 ऩत्रॊ ऩुष्ऩॊ परॊ तोमॊ मो भे बक्त्मा प्रमचछतत । तदहॊ बक्त्मुऩरृतभश्नाशभ प्रमतात्भन् ॥९- २६॥
27 मत्कयोवष मदश्नाशस मज्जुहोवष ददाशस मत ् । मत्तऩस्मशस कौततेम तत्कुरुष्ि भदऩदणभ ् ॥९- २७॥
28 शुबाशुबपरैयेिॊ भोक्ष्मसे कभदफतधनै् । सॊतमासमोगमक्
ु तात्भा विभक्
ु तो भाभऩ
ु ैष्मशस ॥९- २८॥
29 सभोऽहॊ सिदबूतष
े ु न भे द्िेष्मोऽजस्त न वप्रम् । मे बजजतत तु भाॊ बक्त्मा भतम ते तेषु चाप्महभ ् ॥९- २९॥

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30 अवऩ चेत्सद
ु यु ाचायो बजते भाभनतमबाक् । साधयु े ि स भततव्म् सम्मग्व्मिशसतो हह स् ॥९- ३०॥
31 क्षऺप्रॊ बितत धभादत्भा शश्िचछाजततॊ तनगचछतत ।कौततेम प्रतत जानीहह न भे बक्त् प्रणश्मतत ॥९- ३१॥
32 भाॊ हह ऩाथद व्मऩाधश्रत्म मेऽवऩ स्मु् ऩाऩमोनम् । जस्त्रमो िैश्मास्तथा शूद्रास्तेऽवऩ माजतत ऩयाॊ गततभ ् ॥९-
३२॥
33 ककॊ ऩुनब्रादह्भणा् ऩुण्मा बक्ता याजषदमस्तथा । अतनत्मभसुखॊ रोकशभभॊ प्राप्म बजस्ि भाभ ् ॥९- ३३॥
34 भतभना बि भद्बक्तो भद्माजी भाॊ नभस्कुरु । भाभेिैष्मशस मुक्त्िैिभात्भानॊ भत्ऩयामण् ॥९- ३४॥
35 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे
याजविद्मायाजगुह्ममोगो नाभ निभोऽध्माम् ॥९॥

22 | P a g e
10. *अथ दशमोऽध्यायः*
1.श्रीबगिानि
ु ाच बम
ू एि भहाफाहो शण
ृ ु भे ऩयभॊ िच् । मत्तेऽहॊ प्रीमभाणाम िक्ष्माशभ हहतकाम्ममा ॥१०- १॥
2 न भे विद्ु सयु गणा् प्रबिॊ न भहषदम् । अहभाहदहहद दे िानाॊ भहषॉणाॊ च सिदश् ॥१०- २॥
3 मो भाभजभनाहदॊ च िेवत्त रोकभहे श्ियभ ् । असॊभूढ् स भत्मेषु सिदऩाऩै् प्रभुचमते ॥१०- ३॥
4 फुद्धधऻादनभसॊभोह् ऺभा सत्मॊ दभ् शभ् । सुखॊ द्ु खॊ बिोऽबािो बमॊ चाबमभेि च ॥१०- ४॥
5 अहहॊसा सभता तुजष्टस्तऩो दानॊ मशोऽमश् । बिजतत बािा बूतानाॊ भत्त एि ऩथ
ृ जग्िधा् ॥१०- ५॥
6 भहषदम् सप्त ऩूिे चत्िायो भनिस्तथा । भद्बािा भानसा जाता मेषाॊ रोक इभा् प्रजा् ॥१०- ६॥
7 एताॊ विबतू तॊ मोगॊ च भभ मो िेवत्त तत्त्ित् । सोऽविकम्ऩेन मोगेन मज्
ु मते नात्र सॊशम् ॥१०- ७॥
8 अहॊ सिदस्म प्रबिो भत्त् सिं प्रितदते । इतत भत्िा बजतते भाॊ फध
ु ा बािसभजतिता् ॥१०- ८॥
9 भजचचत्ता भद्गतप्राणा फोधमतत् ऩयस्ऩयभ ् । कथमततश्च भाॊ तनत्मॊ तुष्मजतत च यभजतत च ॥१०- ९॥
10 तेषाॊ सततमुक्तानाॊ बजताॊ प्रीततऩूिक
द भ ् । ददाशभ फुद्धधमोगॊ तॊ मेन भाभुऩमाजतत ते ॥१०- १०॥
11 तेषाभेिानुकम्ऩाथदभहभऻानजॊ तभ् । नाशमाम्मात्भबािस्थो ऻानदीऩेन बास्िता ॥१०- ११॥
12 अजन
ुद उिाच ऩयॊ ब्रह्भ ऩयॊ धाभ ऩवित्रॊ ऩयभॊ बिान ् । ऩरु
ु षॊ शाश्ितॊ हदव्मभाहददे िभजॊ विबुभ ् ॥१०- १२॥
13 आहुस्त्िाभष
ृ म् सिे दे िवषदनादयदस्तथा । अशसतो दे िरो व्मास् स्िमॊ चैि ब्रिीवष भे ॥१०- १३॥
14 सिदभेतदृतॊ भतमे मतभाॊ िदशस केशि । न हह ते बगितव्मजक्तॊ विददु े िा न दानिा् ॥१०- १४॥
15 स्िमभेिात्भनात्भानॊ िेत्थ त्िॊ ऩुरुषोत्तभ । बूतबािन बूतश
े दे िदे ि जगत्ऩते ॥१०- १५॥
16 िक्तुभहदस्मशेषेण हदव्मा ह्मात्भविबूतम् । माशबविदबूततशबरोकातनभाॊस्त्िॊ व्माप्म ततष्ठशस ॥१०- १६॥
17 कथॊ विद्माभहॊ मोधगॊस्त्िाॊ सदा ऩरयधचततमन ् । केषु केषु च बािेषु धचतत्मोऽशस बगितभमा ॥१०- १७॥
18 विस्तये णात्भनो मोगॊ विबूततॊ च जनादद न । बूम् कथम तजृ प्तहहद शण्ृ ितो नाजस्त भेऽभत
ृ भ ् ॥१०- १८॥
19 श्रीबगिानि
ु ाच हतत ते कथतमष्माशभ हदव्मा ह्मात्भविबूतम् । प्राधातमत् कुरुश्रेष्ठ नास्त्मततो विस्तयस्म भे
॥१०- १९॥
20 अहभात्भा गुडाकेश सिदबूताशमजस्थत् । अहभाहदश्च भध्मॊ च बूतानाभतत एि च ॥१०- २०॥
21 आहदत्मानाभहॊ विष्णुज्मोततषाॊ यवियॊ शुभान ् । भयीधचभदरुताभजस्भ नऺत्राणाभहॊ शशी ॥१०- २१॥
22 िेदानाॊ साभिेदोऽजस्भ दे िानाभजस्भ िासि् । इजतद्रमाणाॊ भनश्चाजस्भ बूतानाभजस्भ चेतना ॥१०- २२॥
23 रुद्राणाॊ शॊकयश्चाजस्भ वित्तेशो मऺयऺसाभ ् । िसूनाॊ ऩािकश्चाजस्भ भेरु् शशखरयणाभहभ ् ॥१०- २३॥
24 ऩयु ोधसाॊ च भख्
ु मॊ भाॊ विद्धध ऩाथद फह
ृ स्ऩततभ ् । सेनानीनाभहॊ स्कतद् सयसाभजस्भ सागय् ॥१०- २४॥
25 भहषॉणाॊ बग
ृ ुयहॊ धगयाभस्म्मेकभऺयभ ् । मऻानाॊ जऩमऻोऽजस्भ स्थाियाणाॊ हहभारम् ॥१०- २५॥
26 अश्ित्थ् सिदिऺ
ृ ाणाॊ दे िषॉणाॊ च नायद् । गतधिादणाॊ धचत्रयथ् शसद्धानाॊ कवऩरो भुतन् ॥१०- २६॥
27 उचचै्श्रिसभश्िानाॊ विद्धध भाभभत
ृ ोद्बिभ ् । ऐयाितॊ गजेतद्राणाॊ नयाणाॊ च नयाधधऩभ ् ॥१०- २७॥
28 आमुधानाभहॊ िज्रॊ धेनूनाभजस्भ काभधुक् । प्रजनश्चाजस्भ कतदऩद् सऩादणाभजस्भ िासुकक् ॥१०- २८॥
29 अनततश्चाजस्भ नागानाॊ िरुणो मादसाभहभ ् । वऩतॄणाभमदभा चाजस्भ मभ् सॊमभताभहभ ् ॥१०- २९॥
30 प्रह्रादश्चाजस्भ दै त्मानाॊ कार् करमताभहभ ् । भग
ृ ाणाॊ च भग
ृ ेतद्रोऽहॊ िैनतेमश्च ऩक्षऺणाभ ् ॥१०- ३०॥
31 ऩिन् ऩिताभजस्भ याभ् शस्त्रबत
ृ ाभहभ ् । झषाणाॊ भकयश्चाजस्भ स्रोतसाभजस्भ जाह्निी ॥१०- ३१॥

23 | P a g e
32 सगादणाभाहदयततश्च भध्मॊ चैिाहभजुदन । अध्मात्भविद्मा विद्मानाॊ िाद् प्रिदताभहभ ् ॥१०- ३२॥
33 अऺयाणाभकायोऽजस्भ द्ितद्ि् साभाशसकस्म च । अहभेिाऺम् कारो धाताहॊ विश्ितोभख
ु ् ॥१०- ३३॥
34 भत्ृ मु् सिदहयश्चाहभुद्बिश्च बविष्मताभ ् । कीततद् श्रीिादक्च नायीणाॊ स्भतृ तभेधा धतृ त् ऺभा ॥१०- ३४॥
35 फहृ त्साभ तथा साम्नाॊ गामत्री छतदसाभहभ ् । भासानाॊ भागदशीषोऽहभत
ृ ूनाॊ कुसुभाकय् ॥१०- ३५॥
36 द्मूतॊ छरमताभजस्भ तेजस्तेजजस्िनाभहभ ् । जमोऽजस्भ व्मिसामोऽजस्भ सत्त्िॊ सत्त्ििताभहभ ् ॥१०- ३६॥
37 िष्ृ णीनाॊ िासुदेिोऽजस्भ ऩाण्डिानाॊ धनॊजम् । भुनीनाभप्महॊ व्मास् किीनाभुशना कवि् ॥१०- ३७॥
38 दण्डो दभमताभजस्भ नीततयजस्भ जजगीषताभ ् । भौनॊ चैिाजस्भ गह्ु मानाॊ ऻानॊ ऻानिताभहभ ् ॥१०- ३८॥
39 मचचावऩ सिदबूतानाॊ फीजॊ तदहभजन
ुद । न तदजस्त विना मत्स्मातभमा बूतॊ चयाचयभ ् ॥१०- ३९॥
40 नाततोऽजस्त भभ हदव्मानाॊ विबूतीनाॊ ऩयततऩ । एष तूद्दे शत् प्रोक्तो विबूतवे िदस्तयो भमा ॥१०- ४०॥
41 मद्मद्विबूततभत्सत्त्िॊ श्रीभदजू जदतभेि िा । तत्तदे िािगचछ त्िॊ भभ तेजोंऽशसॊबिभ ् ॥१०- ४१॥
42 अथिा फहुनैतेन ककॊ ऻातेन तिाजन
ुद । विष्टभ्माहशभदॊ कृत्स्नभेकाॊशेन जस्थतो जगत ् ॥१०- ४२॥
43 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे विबूततमोगो नाभ
दशभोऽध्माम् ॥ १० ॥

24 | P a g e
11. *अथैकादशोऽध्माम्*
1. अजन
ुद उिाच भदनग्र
ु हाम ऩयभॊ गह्
ु मभध्मात्भसॊक्षऻतभ ् । मत्त्िमोक्तॊ िचस्तेन भोहोऽमॊ विगतो भभ ॥११- १॥
2 बिाप्ममौ हह बत
ू ानाॊ श्रत
ु ौ विस्तयशो भमा । त्ित्त् कभरऩत्राऺ भाहात्म्मभवऩ चाव्ममभ ् ॥११- २॥
3 एिभेतद्मथात्थ त्िभात्भानॊ ऩयभेश्िय । द्रष्टुशभचछाशभ ते रूऩभैश्ियॊ ऩुरुषोत्तभ ॥११- ३॥
4 भतमसे महद तचछक्मॊ भमा द्रष्टुशभतत प्रबो । मोगेश्िय ततो भे त्िॊ दशदमात्भानभव्ममभ ् ॥११- ४॥
5 श्रीबगिानुिाच ऩश्म भे ऩाथद रूऩाणण शतशोऽथ सहस्रश् । नानाविधातन हदव्मातन नानािणादकृतीतन च ॥११- ५॥
6 ऩश्माहदत्मातिसून्रुद्रानजश्िनौ भरुतस्तथा । फहूतमदृष्टऩूिादणण ऩश्माश्चमादणण बायत ॥११- ६॥
7 इहै कस्थॊ जगत्कृत्स्नॊ ऩश्माद्म सचयाचयभ ् । भभ दे हे गडु ाकेश मचचातमद् द्रष्टुशभचछशस ॥११- ७॥
8 न तु भाॊ शक्मसे द्रष्टुभनेनैि स्िचऺुषा । हदव्मॊ ददाशभ ते चऺु् ऩश्म भे मोगभैश्ियभ ् ॥११- ८॥
9 सॊजम उिाच एिभुक्त्िा ततो याजतभहामोगेश्ियो हरय् । दशदमाभास ऩाथादम ऩयभॊ रूऩभैश्ियभ ् ॥११- ९॥
10 अनेकिक्त्रनमनभनेकाद्बुतदशदनभ ् । अनेकहदव्माबयणॊ हदव्मानेकोद्मतामुधभ ् ॥११- १०॥
11 हदव्मभाल्माम्फयधयॊ हदव्मगतधानुरेऩनभ ् । सिादश्चमदभमॊ दे िभनततॊ विश्ितोभुखभ ् ॥११- ११॥
12 हदवि सूमस
द हस्रस्म बिेद्मुगऩदजु त्थता । महद बा् सदृशी सा स्माद्बासस्तस्म भहात्भन् ॥११- १२॥
13 तत्रैकस्थॊ जगत्कृत्स्नॊ प्रविबक्तभनेकधा । अऩश्मद्दे िदे िस्म शयीये ऩाण्डिस्तदा ॥११- १३॥
14 तत् स विस्भमाविष्टो रृष्टयोभा धनॊजम् । प्रणम्म शशयसा दे िॊ कृताञ्जशरयबाषत ॥११- १४॥
15 अजन
ुद उिाच ऩश्माशभ दे िाॊस्ति दे ि दे हे सिांस्तथा बूतविशेषसॊघान ् । ब्रह्भाणभीशॊ कभरासनस्थ-
भष
ृ ीॊश्च सिादनुयगाॊश्च हदव्मान ् ॥११- १५॥
16 अनेकफाहूदयिक्त्रनेत्रॊ ऩश्माशभ त्िाॊ सिदतोऽनततरूऩभ ् । नाततॊ न भध्मॊ न ऩुनस्तिाहदॊ ऩश्माशभ विश्िेश्िय
विश्िरूऩ ॥११- १६॥
17 ककयीहटनॊ गहदनॊ चकक्रणॊ च तेजोयाशशॊ सिदतो दीजप्तभततभ ् । ऩश्माशभ त्िाॊ दतु नदयीक्ष्मॊ सभतता-
द्दीप्तानराकदद्मुततभप्रभेमभ ् ॥११- १७॥
18 त्िभऺयॊ ऩयभॊ िेहदतव्मॊ त्िभस्म विश्िस्म ऩयॊ तनधानभ ् । त्िभव्मम् शाश्ितधभदगोप्ता सनातनस्त्िॊ ऩुरुषो भतो भे
॥११- १८॥
19 अनाहदभध्माततभनततिीमद- भनततफाहुॊ शशशसूमन
द ेत्रभ ् । ऩश्माशभ त्िाॊ दीप्तहुताशिक्त्रॊ स्ितेजसा विश्िशभदॊ
तऩततभ ् ॥११- १९॥
20 द्मािाऩधृ थव्मोरयदभततयॊ हह व्माप्तॊ त्िमैकेन हदशश्च सिाद् । दृष््िाद्बत
ु ॊ रूऩभग्र
ु ॊ तिेदॊ रोकत्रमॊ प्रव्मधथतॊ
भहात्भन ् ॥११- २०॥
21 अभी हह त्िाॊ सुयसॊघा विशजतत केधचद्बीता् प्राञ्जरमो गण
ृ जतत । स्िस्तीत्मुक्त्िा भहवषदशसद्धसॊघा् स्तुिजतत त्िाॊ
स्तुततशब् ऩुष्कराशब् ॥११- २१॥
22 रुद्राहदत्मा िसिो मे च साध्मा विश्िेऽजश्िनौ भरुतश्चोष्भऩाश्च । गतधिदमऺासुयशसद्धसॊघा िीऺतते त्िाॊ
विजस्भताश्चैि सिे ॥११- २२॥
23 रूऩॊ भहत्ते फहुिक्त्रनेत्रॊ भहाफाहो फहुफाहूरुऩादभ ् । फहूदयॊ फहुदॊ ष्राकयारॊ दृष््िा रोका् प्रव्मधथतास्तथाहभ ् ॥११-
२३॥

25 | P a g e
24 नब्स्ऩश
ृ ॊ दीप्तभनेकिणं व्मात्ताननॊ दीप्तविशारनेत्रभ ् । दृष््िा हह त्िाॊ प्रव्मधथताततयात्भा धतृ तॊ न वितदाशभ
शभॊ च विष्णो ॥११- २४॥
25 दॊ ष्राकयारातन च ते भुखातन दृष््िैि कारानरसजतनबातन । हदशो न जाने न रबे च शभद प्रसीद दे िेश
जगजतनिास ॥११- २५॥
26 अभी च त्िाॊ धत
ृ याष्रस्म ऩुत्रा् सिे सहै िाितनऩारसॊघै् । बीष्भो द्रोण् सूतऩुत्रस्तथासौ सहास्भदीमैयवऩ मोधभुख्मै्
॥११- २६॥
27 िक्त्राणण ते त्ियभाणा विशजतत दॊ ष्राकयारातन बमानकातन । केधचद्विरग्ना दशनाततये षु सॊदृश्मतते
चूणणदतैरुत्तभाङ्गै् ॥११- २७॥
28 मथा नदीनाॊ फहिोऽम्फुिेगा् सभुद्रभेिाशबभुखा द्रिजतत । तथा तिाभी नयरोकिीया विशजतत िक्त्राण्मशबविज्िरजतत
॥११- २८॥
29 मथा प्रदीप्तॊ ज्िरनॊ ऩतङ्गा विशजतत नाशाम सभद्ृ धिेगा् । तथैि नाशाम विशजतत रोका- स्तिावऩ िक्त्राणण
सभद्
ृ धिेगा् ॥११- २९॥
30 रेशरह्मसे ग्रसभान् सभतता-ल्रोकातसभग्रातिदनैज्िदरद्शब् । तेजोशबयाऩम
ू द जगत्सभग्रॊ बासस्तिोग्रा् प्रतऩजतत
विष्णो ॥११- ३०॥
31 आख्माहह भे को बिानुग्ररूऩो नभोऽस्तु ते दे ििय प्रसीद । विऻातुशभचछाशभ बिततभाद्मॊ न हह प्रजानाशभ ति
प्रिवृ त्तभ ् ॥११- ३१॥
32 श्रीबगिानुिाच कारोऽजस्भ रोकऺमकृत्प्रिद्ृ धो रोकातसभाहतशुद भह प्रित्त
ृ ् । ऋतेऽवऩ त्िाॊ न बविष्मजतत सिे
मेऽिजस्थता् प्रत्मनीकेषु मोधा् ॥११- ३२॥
33 तस्भात्त्िभवु त्तष्ठ मशो रबस्ि जजत्िा शत्रन
ू ् बङ्
ु क्ष्ि याज्मॊ सभद्
ृ धभ ् । भमैिैते तनहता् ऩि
ू भ
द ेि तनशभत्तभात्रॊ बि
सव्मसाधचन ् ॥११- ३३॥
34 द्रोणॊ च बीष्भॊ च जमद्रथॊ च कणं तथातमानवऩ मोधिीयान ् । भमा हताॊस्त्िॊ जहह भा व्मधथष्ठा मुध्मस्ि जेताशस
यणे सऩत्नान ् ॥११- ३४॥
35 सॊजम उिाच एतचुत्िा िचनॊ केशिस्म कृताञ्जशरिेऩभान् ककयीटी । नभस्कृत्िा बूम एिाह कृष्णॊसगद्गदॊ
बीतबीत् प्रणम्म ॥११- ३५॥
36 अजन
ुद उिाच स्थाने रृषीकेश ति प्रकीत्माद जगत्प्ररृष्मत्मनयु ज्मते च । यऺाॊशस बीतातन हदशो द्रिजतत सिे
नभस्मजतत च शसद्धसॊघा् ॥११- ३६॥
37 कस्भाचच ते न नभेयतभहात्भन ् गयीमसे ब्रह्भणोऽप्माहदकत्रे । अनतत दे िेश जगजतनिास त्िभऺयॊ सदसत्तत्ऩयॊ
मत ् ॥११- ३७॥
38 त्िभाहददे ि् ऩुरुष् ऩुयाण-स्त्िभस्म विश्िस्म ऩयॊ तनधानभ ् । िेत्ताशस िेद्मॊ च ऩयॊ च धाभ त्िमा ततॊ
विश्िभनततरूऩ ॥११- ३८॥
39 िामम
ु भ
द ोऽजग्निदरुण् शशाङ्क् प्रजाऩततस्त्िॊ प्रवऩताभहश्च । नभो नभस्तेऽस्तु सहस्रकृत्ि् ऩन
ु श्च बम
ू ोऽवऩ नभो
नभस्ते ॥११- ३९॥

26 | P a g e
40 नभ् ऩयु स्तादथ ऩष्ृ ठतस्ते नभोऽस्तु ते सिदत एि सिद । अनततिीमादशभतविक्रभस्त्िॊ सिं सभाप्नोवष ततोऽशस सिद्
॥११- ४०॥
41 सखेतत भत्िा प्रसबॊ मदक्
ु तॊ हे कृष्ण हे मादि हे सखेतत । अजानता भहहभानॊ तिेदॊ भमा प्रभादात्प्रणमेन िावऩ
॥११- ४१॥
42 मचचािहासाथदभसत्कृतोऽशस विहायशय्मासनबोजनेषु । एकोऽथिाप्मचमुत तत्सभऺॊ तत्ऺाभमे त्िाभहभप्रभेमभ ्
॥११- ४२॥
43 वऩताशस रोकस्म चयाचयस्म त्िभस्म ऩज्
ू मश्च गरु
ु गदयीमान ् । न त्ित्सभोऽस्त्मभ्मधधक् कुतोऽतमो
रोकत्रमेऽप्मप्रततभप्रबाि ॥११- ४३॥
44 तस्भात्प्रणम्म प्रणणधाम कामॊ प्रसादमे त्िाभहभीशभीड्मभ ् । वऩतेि ऩुत्रस्म सखेि सख्मु् वप्रम् वप्रमामाहदशस दे ि
सोढुभ ् ॥११- ४४॥
45 अदृष्टऩूिं रृवषतोऽजस्भ दृष््िा बमेन च प्रव्मधथतॊ भनो भे । तदे ि भे दशदम दे ि रूऩॊ प्रसीद दे िेश जगजतनिास
॥११- ४५॥
46 ककयीहटनॊ गहदनॊ चक्रहस्त- शभचछाशभ त्िाॊ द्रष्टुभहॊ तथैि । तेनैि रूऩेण चतब
ु ुदजेन सहस्रफाहो बि विश्िभत
ू े ॥११-
४६॥
47 श्रीबगिानुिाच भमा प्रसतनेन तिाजन
ुद ेदॊ रूऩॊ ऩयॊ दशशदतभात्भमोगात ् । तेजोभमॊ विश्िभनततभाद्मॊ मतभे
त्िदतमेन न दृष्टऩूिभ
द ् ॥११- ४७॥
48 न िेदमऻाध्ममनैनद दानै- नद च कक्रमाशबनद तऩोशबरुग्रै् । एिॊरूऩ् शक्म अहॊ नर
ृ ोके द्रष्टुॊ त्िदतमेन कुरुप्रिीय
॥११- ४८॥
49 भा ते व्मथा भा च विभढ
ू बािो दृष््िा रूऩॊ घोयभीदृङ्भभेदभ ् । व्मऩेतबी् प्रीतभना् ऩन
ु स्त्िॊ तदे ि भे रूऩशभदॊ
प्रऩश्म ॥११- ४९॥
50 सॊजम उिाच इत्मजन
ुद ॊ िासुदेिस्तथोक्त्िा स्िकॊ रूऩॊ दशदमाभास बूम् । आश्िासमाभास च बीतभेनॊ बूत्िा ऩुन्
सौम्मिऩुभह
द ात्भा ॥११- ५०॥
51 अजन
ुद उिाच दृष््िेदॊ भानष
ु ॊ रूऩॊ ति सौम्मॊ जनादद न । इदानीभजस्भ सॊित्त
ृ ् सचेता् प्रकृततॊ गत् ॥११- ५१॥
52 श्रीबगिानुिाच सुददु द शदशभदॊ रूऩॊ दृष्टिानशस मतभभ । दे िा अप्मस्म रूऩस्म तनत्मॊ दशदनकाङ्क्षऺण् ॥११- ५२॥
53 नाहॊ िेदैनद तऩसा न दानेन न चेज्ममा । शक्म एिॊविधो द्रष्टुॊ दृष्टिानशस भाॊ मथा ॥११- ५३॥
54 बक्त्मा त्िनतममा शक्म अहभेिॊविधोऽजुदन । ऻातुॊ द्रष्टुॊ च तत्त्िेन प्रिेष्टुॊ च ऩयॊ तऩ ॥११- ५४॥
55 भत्कभदकृतभत्ऩयभो भद्बक्त् सङ्गिजजदत् । तनिैय् सिदबूतष
े ु म् स भाभेतत ऩाण्डि ॥११- ५५॥
56 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे
श्रीकृष्णाजुदनसॊिादे विश्िरूऩदशदनमोगो नाभैकादशोऽध्माम् ॥ ११ ॥

27 | P a g e
12. *अथ द्िादशोऽध्माम्*
1.अजन
ुद उिाच एिॊ सततमक्
ु ता मे बक्तास्त्िाॊ ऩमऩ
ुद ासते । मे चाप्मऺयभव्मक्तॊ तेषाॊ के मोगवित्तभा् ॥१२- १॥
2 श्रीबगिानि
ु ाच भय्मािेश्म भनो मे भाॊ तनत्ममुक्ता उऩासते । श्रद्धमा ऩयमोऩेतास्ते भे मक्
ु ततभा भता् ॥१२- २॥
3 मे त्िऺयभतनदे श्मभव्मक्तॊ ऩमऩ
ुद ासते । सिदत्रगभधचतत्मॊ च कूटस्थभचरॊ ध्रुिभ ् ॥१२- ३॥
4 सॊतनमम्मेजतद्रमग्राभॊ सिदत्र सभफुद्धम् । ते प्राप्नुिजतत भाभेि सिदबूतहहते यता् ॥१२- ४॥
5 क्रेशोऽधधकतयस्तेषाभव्मक्तासक्तचेतसाभ ् । अव्मक्ता हह गततदद ्ु खॊ दे हिद्शबयिाप्मते ॥१२- ५॥
6 मे तु सिादणण कभादणण भतम सॊतमस्म भत्ऩया् ।अनतमेनैि मोगेन भाॊ ध्मामतत उऩासते ॥१२- ६॥
7 तेषाभहॊ सभद्
ु धताद भत्ृ मस
ु ॊसायसागयात ् । बिाशभ नधचयात्ऩाथद भय्मािेशशतचेतसाभ ् ॥१२- ७॥
8 भय्मेि भन आधत्स्ि भतम फद्
ु धधॊ तनिेशम । तनिशसष्मशस भय्मेि अत ऊध्िं न सॊशम् ॥१२- ८॥
9 अथ धचत्तॊ सभाधातुॊ न शक्नोवष भतम जस्थयभ ् । अभ्मासमोगेन ततो भाशभचछाप्तुॊ धनॊजम ॥१२- ९॥
10 अभ्मासेऽप्मसभथोऽशस भत्कभदऩयभो बि । भदथदभवऩ कभादणण कुिदजतसद्धधभिाप्स्मशस ॥१२- १०॥
11 अथैतदप्मशक्तोऽशस कतुं भद्मोगभाधश्रत् । सिदकभदपरत्मागॊ तत् कुरु मतात्भिान ् ॥१२- ११॥
12 श्रेमो हह ऻानभभ्मासाज्ऻानाद्ध्मानॊ विशशष्मते । ध्मानात्कभदपरत्मागस्त्मागाचछाजततयनततयभ ् ॥१२- १२॥
13 अद्िेष्टा सिदबत
ू ानाॊ भैत्र् करुण एि च । तनभदभो तनयहॊ काय् सभद्ु खसख
ु ् ऺभी ॥१२- १३॥
14 सॊतष्ु ट् सततॊ मोगी मतात्भा दृढतनश्चम् ।भय्मवऩदतभनोफद्
ु धधमो भद्बक्त् स भे वप्रम् ॥१२- १४॥
15 मस्भातनोद्विजते रोको रोकातनोद्विजते च म् ।हषादभषदबमोद्िेगैभक्
ुद तो म् स च भे वप्रम् ॥१२- १५॥
16 अनऩेऺ् शुधचदद ऺ उदासीनो गतव्मथ् ।सिादयम्बऩरयत्मागी मो भद्बक्त् स भे वप्रम् ॥१२- १६॥
17 मो न रृष्मतत न द्िेजष्ट न शोचतत न काङ्ऺतत ।शुबाशुबऩरयत्मागी बजक्तभातम् स भे वप्रम् ॥१२- १७॥
18 सभ् शत्रौ च शभत्रे च तथा भानाऩभानमो् ।शीतोष्णसुखद्ु खेषु सभ् सङ्गवििजजदत् ॥१२- १८॥
19 तल्
ु मतनतदास्ततु तभौनी सततष्ु टो मेन केनधचत ् ।अतनकेत् जस्थयभततबदजक्तभातभे वप्रमो नय् ॥१२- १९॥
20 मे तु धम्मादभत
ृ शभदॊ मथोक्तॊ ऩमुऩ
द ासते ।श्रद्दधाना भत्ऩयभा बक्तास्तेऽतीि भे वप्रमा् ॥१२- २०॥
21 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे बजक्तमोगो नाभ
द्िादशोऽध्माम् ॥ १२ ॥

28 | P a g e
13. *अथ त्रयोदशोऽध्यायः*
1.श्रीबगिानि
ु ाच इदॊ शयीयॊ कौततेम ऺेत्रशभत्मशबधीमते । एतद्मो िेवत्त तॊ प्राहु् ऺेत्रऻ इतत तद्विद् ॥१३- १॥
2 ऺेत्रऻॊ चावऩ भाॊ विद्धध सिदऺेत्रेषु बायत । ऺेत्रऺेत्रऻमोऻादनॊ मत्तज्ऻानॊ भतॊ भभ ॥१३- २॥
3 तत्ऺेत्रॊ मचच मादृक्च मद्विकारय मतश्च मत ् । स च मो मत्प्रबािश्च तत्सभासेन भे शण
ृ ु ॥१३- ३॥
4 ऋवषशबफदहुधा गीतॊ छतदोशबविदविधै् ऩथ
ृ क् । ब्रह्भसूत्रऩदै श्चैि हे तुभद्शबविदतनजश्चतै् ॥१३- ४॥
5 भहाबूतातमहॊ कायो फुद्धधयव्मक्तभेि च । इजतद्रमाणण दशैकॊ च ऩञ्च चेजतद्रमगोचया् ॥१३- ५॥
6 इचछा द्िेष् सुखॊ द्ु खॊ सॊघातश्चेतना धतृ त् । एतत्ऺेत्रॊ सभासेन सविकायभुदारृतभ ् ॥१३- ६॥
7 अभातनत्िभदजम्बत्िभहहॊसा ऺाजततयाजदिभ ् । आचामोऩासनॊ शौचॊ स्थैमभ
द ात्भवितनग्रह् ॥१३- ७॥
8 इजतद्रमाथेषु िैयाग्मभनहॊ काय एि च । जतभभत्ृ मज
ु याव्माधधद्ु खदोषानद
ु शदनभ ् ॥१३- ८॥
9 असजक्तयनशबष्िङ्ग् ऩुत्रदायगहृ ाहदषु । तनत्मॊ च सभधचत्तत्िशभष्टातनष्टोऩऩवत्तषु ॥१३- ९॥
10 भतम चानतममोगेन बजक्तयव्मशबचारयणी । विविक्तदे शसेवित्िभयततजदनसॊसहद ॥१३- १०॥
11 अध्मात्भऻानतनत्मत्िॊ तत्त्िऻानाथददशदनभ ् । एतज्ऻानशभतत प्रोक्तभऻानॊ मदतोऽतमथा ॥१३- ११॥
12 ऻेमॊ मत्तत्प्रिक्ष्माशभ मज्ऻात्िाभत
ृ भश्नुते । अनाहद भत्ऩयॊ ब्रह्भ न सत्ततनासदच
ु मते ॥१३- १२॥
13 सिदत् ऩाणणऩादॊ तत्सिदतोऽक्षऺशशयोभख
ु भ ् । सिदत् श्रतु तभल्रोके सिदभाित्ृ म ततष्ठतत ॥१३- १३॥
14 सिेजतद्रमगण
ु ाबासॊ सिेजतद्रमवििजजदतभ ् । असक्तॊ सिदबच
ृ चैि तनगुण
द ॊ गण
ु बोक्त ृ च ॥१३- १४॥
15 फहहयततश्च बूतानाभचयॊ चयभेि च । सूक्ष्भत्िात्तदविऻेमॊ दयू स्थॊ चाजततके च तत ् ॥१३- १५॥
16 अविबक्तॊ च बूतष
े ु विबक्तशभि च जस्थतभ ् । बूतबतदृ च तज्ऻेमॊ ग्रशसष्णु प्रबविष्णु च ॥१३- १६॥
17 ज्मोततषाभवऩ तज्ज्मोततस्तभस् ऩयभुचमते । ऻानॊ ऻेमॊ ऻानगम्मॊ रृहद सिदस्म विजष्ठतभ ् ॥१३- १७॥
18 इतत ऺेत्रॊ तथा ऻानॊ ऻेमॊ चोक्तॊ सभासत् । भद्बक्त एतद्विऻाम भद्बािामोऩऩद्मते ॥१३- १८॥
19 प्रकृततॊ ऩरु
ु षॊ चैि विद्ध्मनादी उबािवऩ । विकायाॊश्च गण
ु ाॊश्चैि विद्धध प्रकृततसॊबिान ् ॥१३- १९॥
20 कामदकयणकतत्दृ िे हे तु् प्रकृततरुचमते । ऩुरुष् सुखद्ु खानाॊ बोक्तत्ृ िे हे तुरुचमते ॥१३- २०॥
21 ऩुरुष् प्रकृततस्थो हह बुङ्क्ते प्रकृततजातगुणान ् । कायणॊ गुणसङ्गोऽस्म सदसद्मोतनजतभसु ॥१३- २१॥
22 उऩद्रष्टानुभतता च बताद बोक्ता भहे श्िय् । ऩयभात्भेतत चाप्मुक्तो दे हेऽजस्भतऩुरुष् ऩय् ॥१३- २२॥
23 म एिॊ िेवत्त ऩुरुषॊ प्रकृततॊ च गुणै् सह । सिदथा ितदभानोऽवऩ न स बूमोऽशबजामते ॥१३- २३॥
24 ध्मानेनात्भतन ऩश्मजतत केधचदात्भानभात्भना । अतमे साॊख्मेन मोगेन कभदमोगेन चाऩये ॥१३- २४॥
25 अतमे त्िेिभजानतत् श्रत्ु िातमेभ्म उऩासते । तेऽवऩ चातततयतत्मेि भत्ृ मॊु श्रतु तऩयामणा् ॥१३- २५॥
26 माित्सॊजामते ककॊ धचत्सत्त्िॊ स्थाियजङ्गभभ ् । ऺेत्रऺेत्रऻसॊमोगात्तद्विद्धध बयतषदब ॥१३- २६॥
27 सभॊ सिेषु बूतष
े ु ततष्ठततॊ ऩयभेश्ियभ ् । विनश्मत्स्िविनश्मततॊ म् ऩश्मतत स ऩश्मतत ॥१३- २७॥
28 सभॊ ऩश्मजतह सिदत्र सभिजस्थतभीश्ियभ ् । न हहनस्त्मात्भनात्भानॊ ततो मातत ऩयाॊ गततभ ् ॥१३- २८॥
29 प्रकृत्मैि च कभादणण कक्रमभाणातन सिदश् । म् ऩश्मतत तथात्भानभकतादयॊ स ऩश्मतत ॥१३- २९॥
30 मदा बूतऩथ
ृ ग्बािभेकस्थभनुऩश्मतत । तत एि च विस्तायॊ ब्रह्भ सॊऩद्मते तदा ॥१३- ३०॥
31 अनाहदत्िाजतनगुदणत्िात्ऩयभात्भामभव्मम् । शयीयस्थोऽवऩ कौततेम न कयोतत न शरप्मते ॥१३- ३१॥
32 मथा सिदगतॊ सौक्ष्म्मादाकाशॊ नोऩशरप्मते । सिदत्रािजस्थतो दे हे तथात्भा नोऩशरप्मते ॥१३- ३२॥

29 | P a g e
33 मथा प्रकाशमत्मेक् कृत्स्नॊ रोकशभभॊ यवि् । ऺेत्रॊ ऺेत्री तथा कृत्स्नॊ प्रकाशमतत बायत ॥१३- ३३॥
34 ऺेत्रऺेत्रऻमोये िभततयॊ ऻानचऺुषा । बत
ू प्रकृततभोऺॊ च मे विदम
ु ादजतत ते ऩयभ ् ॥१३- ३४॥
35 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे ऺेत्रऺेत्रऻविबागमोगो नाभ
त्रमोदशोऽध्माम् ॥ १३ ॥

30 | P a g e
14. *अथ चतद
ु द शोऽध्यायः*
1.श्रीबगिानि
ु ाच ऩयॊ बम
ू ् प्रिक्ष्माशभ ऻानानाॊ ऻानभत्त
ु भभ ् । मज्ऻात्िा भन
ु म् सिे ऩयाॊ शसद्धधशभतो गता् ॥१४- १॥
2 इदॊ ऻानभऩ
ु ाधश्रत्म भभ साधम्मदभागता् । सगेऽवऩ नोऩजामतते प्ररमे न व्मथजतत च ॥१४- २॥
3 भभ मोतनभदहद्ब्रह्भ तजस्भतगबं दधाम्महभ ् । सॊबि् सिदबूतानाॊ ततो बितत बायत ॥१४- ३॥
4 सिदमोतनषु कौततेम भूतम
द ् सॊबिजतत मा् । तासाॊ ब्रह्भ भहद्मोतनयहॊ फीजप्रद् वऩता ॥१४- ४॥
5 सत्त्िॊ यजस्तभ इतत गुणा् प्रकृततसॊबिा् । तनफध्नजतत भहाफाहो दे हे दे हहनभव्ममभ ् ॥१४- ५॥
6 तत्र सत्त्िॊ तनभदरत्िात्प्रकाशकभनाभमभ ् । सुखसङ्गेन फध्नातत ऻानसङ्गेन चानघ ॥१४- ६॥
7 यजो यागात्भकॊ विद्धध तष्ृ णासङ्गसभद्
ु बिभ ् । तजतनफध्नातत कौततेम कभदसङ्गेन दे हहनभ ् ॥१४- ७॥
8 तभस्त्िऻानजॊ विद्धध भोहनॊ सिददेहहनाभ ् । प्रभादारस्मतनद्राशबस्तजतनफध्नातत बायत ॥१४- ८॥
9 सत्त्िॊ सुखे सॊजमतत यज् कभदणण बायत । ऻानभाित्ृ म तु तभ् प्रभादे सॊजमत्मुत ॥१४- ९॥
10 यजस्तभश्चाशबबूम सत्त्िॊ बितत बायत । यज् सत्त्िॊ तभश्चैि तभ् सत्त्िॊ यजस्तथा ॥१४- १०॥
11 सिदद्िाये षु दे हेऽजस्भतप्रकाश उऩजामते । ऻानॊ मदा तदा विद्माद्वििद्ृ धॊ सत्त्िशभत्मुत ॥१४- ११॥
12 रोब् प्रिवृ त्तयायम्ब् कभदणाभशभ् स्ऩहृ ा । यजस्मेतातन जामतते वििद्ृ धे बयतषदब ॥१४- १२॥
13 अप्रकाशोऽप्रिवृ त्तश्च प्रभादो भोह एि च । तभस्मेतातन जामतते वििद्ृ धे कुरुनतदन ॥१४- १३॥
14 मदा सत्त्िे प्रिद्ृ धे तु प्ररमॊ मातत दे हबत
ृ ् । तदोत्तभविदाॊ रोकानभरातप्रततऩद्मते ॥१४- १४॥
15 यजशस प्ररमॊ गत्िा कभदसङ्धगषु जामते । तथा प्ररीनस्तभशस भूढमोतनषु जामते ॥१४- १५॥
16 कभदण् सुकृतस्माहु् साजत्त्िकॊ तनभदरॊ परभ ् । यजसस्तु परॊ द्ु खभऻानॊ तभस् परभ ् ॥१४- १६॥
17 सत्त्िात्सॊजामते ऻानॊ यजसो रोब एि च । प्रभादभोहौ तभसो बितोऽऻानभेि च ॥१४- १७॥
18 ऊध्िं गचछजतत सत्त्िस्था भध्मे ततष्ठजतत याजसा् । जघतमगुणिवृ त्तस्था अधो गचछजतत ताभसा् ॥१४- १८॥
19 नातमॊ गण
ु ेभ्म् कतादयॊ मदा द्रष्टानऩ
ु श्मतत । गण
ु ेभ्मश्च ऩयॊ िेवत्त भद्बािॊ सोऽधधगचछतत ॥१४- १९॥
20 गुणानेतानतीत्म त्रीतदे ही दे हसभुद्बिान ् । जतभभत्ृ मुजयाद्ु खैविदभुक्तोऽभत
ृ भश्नुते ॥१४- २०॥
21 अजन
ुद उिाच कैशरदङ्गैस्त्रीतगुणानेतानतीतो बितत प्रबो । ककभाचाय् कथॊ चैताॊस्त्रीतगुणानततितदते ॥१४- २१॥
22 श्रीबगिानुिाच प्रकाशॊ च प्रिवृ त्तॊ च भोहभेि च ऩाण्डि । न द्िेजष्ट सॊप्रित्त
ृ ातन न तनित्त
ृ ातन काङ्ऺतत ॥१४- २२॥
23 उदासीनिदासीनो गुणैमो न विचाल्मते । गुणा ितदतत इत्मेि मोऽिततष्ठतत नेङ्गते ॥१४- २३॥
24 सभद्ु खसुख् स्िस्थ् सभरोष्टाश्भकाञ्चन् । तुल्मवप्रमावप्रमो धीयस्तुल्मतनतदात्भसॊस्तुतत् ॥१४- २४॥
25 भानाऩभानमोस्तल्
ु मस्तल्
ु मो शभत्रारयऩऺमो् । सिादयम्बऩरयत्मागी गण
ु ातीत् स उचमते ॥१४- २५॥
26 भाॊ च मोऽव्मशबचाये ण बजक्तमोगेन सेिते । स गुणातसभतीत्मैतातब्रह्भबूमाम कल्ऩते ॥१४- २६॥
27 ब्रह्भणो हह प्रततष्ठाहभभत
ृ स्माव्ममस्म च । शाश्ितस्म च धभदस्म सुखस्मैकाजततकस्म च ॥१४- २७॥
28 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे गुणत्रमविबागमोगो नाभ
चतुददशोऽध्माम् ॥१

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15. *अथ ऩञ्चदशोऽध्माम्*
1. श्रीबगिानि
ु ाच ऊध्िदभर
ू भध्शाखभश्ित्थॊ प्राहुयव्ममभ ् । छतदाॊशस मस्म ऩणादतन मस्तॊ िेद स िेदवित ् ॥१५- १॥
2 अधश्चोध्िं प्रसत
ृ ास्तस्म शाखा गण
ु प्रिद्
ृ धा विषमप्रिारा् । अधश्च भर
ू ातमनस
ु ॊततातन कभादनफ
ु तधीतन भनष्ु मरोके
॥१५- २॥
3 न रूऩभस्मेह तथोऩरभ्मते नाततो न चाहदनद च सॊप्रततष्ठा । अश्ित्थभेनॊ सुविरूढभूर- भसङ्गशस्त्रेण दृढे न तछत्त्िा
॥१५- ३॥
4 तत् ऩदॊ तत्ऩरयभाधगदतव्मॊ मजस्भतगता न तनितदजतत बूम् । तभेि चाद्मॊ ऩुरुषॊ प्रऩद्मे मत् प्रिवृ त्त् प्रसत
ृ ा ऩुयाणी
॥१५- ४॥
5 तनभादनभोहा जजतसङ्गदोषा अध्मात्भतनत्मा वितनित्त
ृ काभा् । द्ितद्िैविदभक्
ु ता् सख
ु द्ु खसॊऻै- गदचछतत्मभढ
ू ा्
ऩदभव्ममॊ तत ् ॥१५- ५॥
6 न तद्बासमते सूमो न शशाङ्को न ऩािक् । मद्गत्िा न तनितदतते तद्धाभ ऩयभॊ भभ ॥१५- ६॥
7 भभैिाॊशो जीिरोके जीिबूत् सनातन् । भन्षष्ठानीजतद्रमाणण प्रकृततस्थातन कषदतत ॥१५- ७॥
8 शयीयॊ मदिाप्नोतत मचचाप्मुत्क्राभतीश्िय् । गहृ हत्िैतातन सॊमातत िामुगतद धातनिाशमात ् ॥१५- ८॥
9 श्रोत्रॊ चऺु् स्ऩशदनॊ च यसनॊ घ्राणभेि च । अधधष्ठाम भनश्चामॊ विषमानऩ
ु सेिते ॥१५- ९॥
10 उत्क्राभततॊ जस्थतॊ िावऩ बञ्ु जानॊ िा गण
ु ाजतितभ ् । विभढ
ू ा नानऩ
ु श्मजतत ऩश्मजतत ऻानचऺुष् ॥१५- १०॥
11 मतततो मोधगनश्चैनॊ ऩश्मतत्मात्भतमिजस्थतभ ् । मतततोऽप्मकृतात्भानो नैनॊ ऩश्मतत्मचेतस् ॥१५- ११॥
12 मदाहदत्मगतॊ तेजो जगद्बासमतेऽणखरभ ् । मचचतद्रभशस मचचाग्नौ तत्तेजो विद्धध भाभकभ ् ॥१५- १२॥
13 गाभाविश्म च बूतातन धायमाम्महभोजसा । ऩुष्णाशभ चौषधी् सिाद् सोभो बूत्िा यसात्भक् ॥१५- १३॥
14 अहॊ िैश्िानयो बूत्िा प्राणणनाॊ दे हभाधश्रत् । प्राणाऩानसभामुक्त् ऩचाम्मतनॊ चतुविदधभ ् ॥१५- १४॥
15 सिदस्म चाहॊ रृहद सॊतनविष्टो भत्त् स्भतृ तऻादनभऩोहनॊ च । िेदैश्च सिैयहभेि िेद्मो िेदाततकृद्िेदविदे ि चाहभ ्
॥१५- १५॥
16 द्िाविभौ ऩुरुषौ रोके ऺयश्चाऺय एि च । ऺय् सिादणण बूतातन कूटस्थोऽऺय उचमते ॥१५- १६॥
17 उत्तभ् ऩुरुषस्त्ितम् ऩयभात्भेत्मुदारृत् । मो रोकत्रमभाविश्म त्रफबत्मदव्मम ईश्िय् ॥१५- १७॥
18 मस्भात्ऺयभतीतोऽहभऺयादवऩ चोत्तभ् । अतोऽजस्भ रोके िेदे च प्रधथत् ऩुरुषोत्तभ् ॥१५- १८॥
19 मो भाभेिभसॊभढ
ू ो जानातत ऩुरुषोत्तभभ ् । स सिदविद्बजतत भाॊ सिदबािेन बायत ॥१५- १९॥
20 इतत गह्ु मतभॊ शास्त्रशभदभक्
ु तॊ भमानघ । एतद्फद्
ु ध्िा फद्
ु धधभातस्मात्कृतकृत्मश्च बायत ॥१५- २०॥
21 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे ऩुरुषोत्तभमोगो नाभ
ऩञ्चदशोऽध्माम् ॥ १५ ॥

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16. *अथ षोडशोऽध्यायः*
1.श्रीबगिानि
ु ाच अबमॊ सत्त्िसॊशुद्धधऻादनमोगव्मिजस्थतत् । दानॊ दभश्च मऻश्च स्िाध्मामस्तऩ आजदिभ ् ॥१६- १॥
2 अहहॊसा सत्मभक्रोधस्त्माग् शाजततयऩैशुनभ ् । दमा बत
ू ष्े िरोरप्ु त्िॊ भादद िॊ िीयचाऩरभ ् ॥१६- २॥
3 तेज् ऺभा धतृ त् शौचभद्रोहो नाततभातनता । बिजतत सॊऩदॊ दै िीभशबजातस्म बायत ॥१६- ३॥
4 दम्बो दऩोऽशबभानश्च क्रोध् ऩारुष्मभेि च । अऻानॊ चाशबजातस्म ऩाथद सॊऩदभासुयीभ ् ॥१६- ४॥
5 दै िी सॊऩद्विभोऺाम तनफतधामासुयी भता । भा शुच् सॊऩदॊ दै िीभशबजातोऽशस ऩाण्डि ॥१६- ५॥
6 द्िौ बूतसगौ रोकेऽजस्भतदै ि आसुय एि च । दै िो विस्तयश् प्रोक्त आसुयॊ ऩाथद भे शण
ृ ु ॥१६- ६॥
7 प्रिवृ त्तॊ च तनिवृ त्तॊ च जना न विदयु ासयु ा् । न शौचॊ नावऩ चाचायो न सत्मॊ तेषु विद्मते ॥१६- ७॥
8 असत्मभप्रततष्ठॊ ते जगदाहुयनीश्ियभ ् । अऩयस्ऩयसॊबत
ू ॊ ककभतमत्काभहै तुकभ ् ॥१६- ८॥
9 एताॊ दृजष्टभिष्टभ्म नष्टात्भानोऽल्ऩफुद्धम् । प्रबितत्मुग्रकभादण् ऺमाम जगतोऽहहता् ॥१६- ९॥
10 काभभाधश्रत्म दष्ु ऩूयॊ दम्बभानभदाजतिता् । भोहाद्गहृ ीत्िासद्ग्राहातप्रितदततेऽशुधचव्रता् ॥१६- १०॥
11 धचतताभऩरयभेमाॊ च प्ररमातताभुऩाधश्रता् । काभोऩबोगऩयभा एतािहदतत तनजश्चता् ॥१६- ११॥
12 आशाऩाशशतैफद्
द धा् काभक्रोधऩयामणा् । ईहतते काभबोगाथदभतमामेनाथदसञ्चमान ् ॥१६- १२॥
13 इदभद्म भमा रब्धशभभॊ प्राप्स्मे भनोयथभ ् । इदभस्तीदभवऩ भे बविष्मतत ऩन
ु धदनभ ् ॥१६- १३॥
14 असौ भमा हत् शत्रहु दतनष्मे चाऩयानवऩ । ईश्ियोऽहभहॊ बोगी शसद्धोऽहॊ फरिातसख
ु ी ॥१६- १४॥
15 आढ्मोऽशबजनिानजस्भ कोऽतमोऽजस्त सदृशो भमा । मक्ष्मे दास्माशभ भोहदष्म इत्मऻानविभोहहता् ॥१६- १५॥
16 अनेकधचत्तविरातता भोहजारसभाित
ृ ा् । प्रसक्ता् काभबोगेषु ऩतजतत नयकेऽशुचौ ॥१६- १६॥
17 आत्भसॊबाविता् स्तब्धा धनभानभदाजतिता् । मजतते नाभमऻैस्ते दम्बेनाविधधऩूिक
द भ ् ॥१६- १७॥
18 अहॊ कायॊ फरॊ दऩं काभॊ क्रोधॊ च सॊधश्रता् । भाभात्भऩयदे हेषु प्रद्विषततोऽभ्मसूमका् ॥१६- १८॥
19 तानहॊ द्विषत् क्रुयातसॊसाये षु नयाधभान ् । क्षऺऩाम्मजस्रभशुबानासयु ीष्िेि मोतनषु ॥१६-
20 आसुयीॊ मोतनभाऩतना भूढा जतभतन जतभतन । भाभप्राप्मैि कौततेम ततो मातत्मधभाॊ गततभ ् ॥१६- २०॥
21 त्रत्रविधॊ नयकस्मेदॊ द्िायॊ नाशनभात्भन् । काभ् क्रोधस्तथा रोबस्तस्भादे तत्त्रमॊ त्मजेत ् ॥१६- २१॥
22 एतैविदभुक्त् कौततेम तभोद्िायै जस्त्रशबनदय् । आचयत्मात्भन् श्रेमस्ततो मातत ऩयाॊ गततभ ् ॥१६- २२॥
23 म् शास्त्रविधधभुत्सज्
ृ म ितदते काभकायत् । न स शसद्धधभिाप्नोतत न सुखॊ न ऩयाॊ गततभ ् ॥१६- २३॥
24 तस्भाचछास्त्रॊ प्रभाणॊ ते कामादकामदव्मिजस्थतौ । ऻात्िा शास्त्रविधानोक्तॊ कभद कतशुद भहाहदशस ॥१६- २४॥
25 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासऩ
ू तनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे दै िासयु सॊऩद्विबागमोगो
नाभ षोडशोऽध्माम् ॥१६॥

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17. *अथ सप्तदशोऽध्यायः*
1.अजन
ुद उिाच मे शास्त्रविधधभत्ु सज्
ृ म मजतते श्रद्धमाजतिता् । तेषाॊ तनष्ठा तु का कृष्ण सत्त्िभाहो यजस्तभ् ॥१७-
१॥
2 श्रीबगिानुिाच त्रत्रविधा बितत श्रद्धा दे हहनाॊ सा स्िबािजा । साजत्त्िकी याजसी चैि ताभसी चेतत ताॊ शण
ृ ु ॥१७- २॥
3 सत्त्िानुरूऩा सिदस्म श्रद्धा बितत बायत । श्रद्धाभमोऽमॊ ऩुरुषो मो मचरद्ध् स एि स् ॥१७- ३॥
4 मजतते साजत्त्िका दे िातमऺयऺाॊशस याजसा् । प्रेतातबूतगणाॊश्चातमे मजतते ताभसा जना् ॥१७- ४॥
5 अशास्त्रविहहतॊ घोयॊ तप्मतते मे तऩो जना् । दम्बाहॊ कायसॊमुक्ता् काभयागफराजतिता् ॥१७- ५॥
6 कषदमतत् शयीयस्थॊ बत
ू ग्राभभचेतस् । भाॊ चैिातत्शयीयस्थॊ ताजतिद्ध्मासयु तनश्चमान ् ॥१७- ६॥
7 आहायस्त्िवऩ सिदस्म त्रत्रविधो बितत वप्रम् । मऻस्तऩस्तथा दानॊ तेषाॊ बेदशभभॊ शण
ृ ु ॥१७- ७॥
8 आमु्सत्त्िफरायोग्मसुखप्रीततवििधदना् । यस्मा् जस्नग्धा् जस्थया रृद्मा आहाया् साजत्त्िकवप्रमा् ॥१७- ८॥
9 क्िम्ररिणात्मुष्णतीक्ष्णरूऺविदाहहन् । आहाया याजसस्मेष्टा द्ु खशोकाभमप्रदा् ॥१७- ९॥
10 मातमाभॊ गतयसॊ ऩूतत ऩमवुद षतॊ च मत ् । उजचछष्टभवऩ चाभेध्मॊ बोजनॊ ताभसवप्रमभ ् ॥१७- १०॥
11 अपराकाङ्क्षऺशबमदऻो विधधदृष्टो म इज्मते । मष्टव्मभेिेतत भन् सभाधाम स साजत्त्िक् ॥१७- ११॥
12 अशबसॊधाम तु परॊ दम्बाथदभवऩ चैि मत ् । इज्मते बयतश्रेष्ठ तॊ मऻॊ विद्धध याजसभ ् ॥१७- १२॥
13 विधधहीनभसष्ृ टातनॊ भतत्रहीनभदक्षऺणभ ् । श्रद्धावियहहतॊ मऻॊ ताभसॊ ऩरयचऺते ॥१७- १३॥
14 दे िद्विजगुरुप्राऻऩूजनॊ शौचभाजदिभ ् । ब्रह्भचमदभहहॊसा च शायीयॊ तऩ उचमते ॥१७- १४॥
15 अनुद्िेगकयॊ िाक्मॊ सत्मॊ वप्रमहहतॊ च मत ् । स्िाध्मामाभ्मसनॊ चैि िाङ्भमॊ तऩ उचमते ॥१७- १५॥
16 भन् प्रसाद् सौम्मत्िॊ भौनभात्भवितनग्रह् । बािसॊशुद्धधरयत्मेतत्तऩो भानसभुचमते ॥१७- १६॥
17 श्रद्धमा ऩयमा तप्तॊ तऩस्तजत्त्रविधॊ नयै ् । अपराकाङ्क्षऺशबमक्
ुद तै् साजत्त्िकॊ ऩरयचऺते ॥१७- १७॥
18 सत्कायभानऩज
ू ाथं तऩो दम्बेन चैि मत ् । कक्रमते तहदह प्रोक्तॊ याजसॊ चरभध्रि
ु भ ् ॥१७- १८॥
19 भूढग्राहे णात्भनो मत्ऩीडमा कक्रमते तऩ् । ऩयस्मोत्सादनाथं िा तत्ताभसभुदारृतभ ् ॥१७- १९॥
20 दातव्मशभतत मद्दानॊ दीमतेऽनुऩकारयणे । दे शे कारे च ऩात्रे च तद्दानॊ साजत्त्िकॊ स्भत
ृ भ ् ॥१७- २०॥
21 मत्तु प्रत्मुऩकायाथं परभुद्हदश्म िा ऩुन् । दीमते च ऩरयजक्रष्टॊ तद्दानॊ याजसॊ स्भत
ृ भ ् ॥१७- २१॥
22 अदे शकारे मद्दानभऩात्रेभ्मश्च दीमते । असत्कृतभिऻातॊ तत्ताभसभुदारृतभ ् ॥१७- २२॥
23 ॐतत्सहदतत तनदे शो ब्रह्भणजस्त्रविध् स्भत
ृ ् । ब्राह्भणास्तेन िेदाश्च मऻाश्च विहहता् ऩुया ॥१७- २३॥
24 तस्भादोशभत्मद
ु ारृत्म मऻदानतऩ्कक्रमा् । प्रितदतते विधानोक्ता् सततॊ ब्रह्भिाहदनाभ ् ॥१७- २४॥
25 तहदत्मनशबसतधाम परॊ मऻतऩ्कक्रमा् । दानकक्रमाश्च विविधा् कक्रमतते भोऺकाङ्क्षऺशब् ॥१७- २५॥
26 सद्बािे साधुबािे च सहदत्मेतत्प्रमुज्मते । प्रशस्ते कभदणण तथा सचछब्द् ऩाथद मुज्मते ॥१७- २६॥
27 मऻे तऩशस दाने च जस्थतत् सहदतत चोचमते । कभद चैि तदथॉमॊ सहदत्मेिाशबधीमते ॥१७- २७॥
28 अश्रद्धमा हुतॊ दत्तॊ तऩस्तप्तॊ कृतॊ च मत ् । असहदत्मुचमते ऩाथद न च तत्प्रेत्म नो इह ॥१७- २८॥
29 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे श्रद्धात्रमविबागमोगो नाभ
सप्तदशोऽध्माम् ॥१७॥

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18. *अथाष्टादशोऽध्यायः*
1.अजन
ुद उिाच सॊतमासस्म भहाफाहो तत्त्िशभचछाशभ िेहदतभ
ु ् । त्मागस्म च रृषीकेश ऩथ
ृ क्केशशतनषद
ू न ॥१८- १॥
2 श्रीबगिानि
ु ाच काम्मानाॊ कभदणाॊ तमासॊ सॊतमासॊ किमो विद्ु । सिदकभदपरत्मागॊ प्राहुस्त्मागॊ विचऺणा् ॥१८- २॥ f
3 त्माज्मॊ दोषिहदत्मेके कभद प्राहुभदनीवषण् । मऻदानतऩ्कभद न त्माज्मशभतत चाऩये ॥१८- ३॥
4 तनश्चमॊ शण
ृ ु भे तत्र त्मागे बयतसत्तभ । त्मागो हह ऩुरुषव्माघ्र त्रत्रविध् सॊप्रकीततदत् ॥१८- ४॥
5 मऻदानतऩ्कभद न त्माज्मॊ कामदभेि तत ् । मऻो दानॊ तऩश्चैि ऩािनातन भनीवषणाभ ् ॥१८- ५॥
6 एतातमवऩ तु कभादणण सङ्गॊ त्मक्त्िा परातन च । कतदव्मानीतत भे ऩाथद तनजश्चतॊ भतभुत्तभभ ् ॥१८- ६॥
7 तनमतस्म तु सॊतमास् कभदणो नोऩऩद्मते । भोहात्तस्म ऩरयत्मागस्ताभस् ऩरयकीततदत् ॥१८- ७॥
8 द्ु खशभत्मेि मत्कभद कामक्रेशबमात्त्मजेत ् । स कृत्िा याजसॊ त्मागॊ नैि त्मागपरॊ रबेत ् ॥१८- ८॥
9 कामदशभत्मेि मत्कभद तनमतॊ कक्रमतेऽजुदन । सङ्गॊ त्मक्त्िा परॊ चैि स त्माग् साजत्त्िको भत् ॥१८- ९॥
10 न द्िेष््मकुशरॊ कभद कुशरे नानुषज्जते । त्मागी सत्त्िसभाविष्टो भेधािी तछतनसॊशम् ॥१८- १०॥
11 न हह दे हबत
ृ ा शक्मॊ त्मक्तुॊ कभादण्मशेषत् । मस्तु कभदपरत्मागी स त्मागीत्मशबधीमते ॥१८- ११॥
12 अतनष्टशभष्टॊ शभश्रॊ च त्रत्रविधॊ कभदण् परभ ् । बित्मत्माधगनाॊ प्रेत्म न तु सॊतमाशसनाॊ क्िधचत ् ॥१८- १२॥
13 ऩञ्चैतातन भहाफाहो कायणातन तनफोध भे । साॊख्मे कृतातते प्रोक्तातन शसद्धमे सिदकभदणाभ ् ॥१८- १३॥
14 अधधष्ठानॊ तथा कताद कयणॊ च ऩथ
ृ जग्िधभ ् । विविधाश्च ऩथ
ृ क्चेष्टा दै िॊ चैिात्र ऩञ्चभभ ् ॥१८- १४॥
15 शयीयिाङ्भनोशबमदत्कभद प्रायबते नय् । तमाय्मॊ िा विऩयीतॊ िा ऩञ्चैते तस्म हे ति् ॥१८- १५॥
16 तत्रैिॊ सतत कतादयभात्भानॊ केिरॊ तु म् । ऩश्मत्मकृतफुद्धधत्िातन स ऩश्मतत दभ
ु तद त् ॥१८- १६॥
17 मस्म नाहॊ कृतो बािो फुद्धधमदस्म न शरप्मते । हत्िावऩ स इभाॉल्रोकातन हजतत न तनफध्मते ॥१८- १७॥
18 ऻानॊ ऻेमॊ ऩरयऻाता त्रत्रविधा कभदचोदना । कयणॊ कभद कतेतत त्रत्रविध् कभदसॊग्रह् ॥१८- १८॥
19 ऻानॊ कभद च कताद च त्रत्रधैि गण
ु बेदत् । प्रोचमते गुणसॊख्माने मथािचछृणु तातमवऩ ॥१८- १९॥
20 सिदबूतष
े ु मेनैकॊ बािभव्ममभीऺते । अविबक्तॊ विबक्तेषु तज्ऻानॊ विद्धध साजत्त्िकभ ् ॥१८- २०॥
21 ऩथ
ृ क्त्िेन तु मज्ऻानॊ नानाबािातऩथ
ृ जग्िधान ् । िेवत्त सिेषु बूतष
े ु तज्ऻानॊ विद्धध याजसभ ् ॥१८- २१॥
22 मत्तु कृत्स्निदे कजस्भतकामे सक्तभहै तुकभ ् । अतत्त्िाथदिदल्ऩॊ च तत्ताभसभुदारृतभ ् ॥१८- २२॥
23 तनमतॊ सङ्गयहहतभयागद्िेषत् कृतभ ् । अपरप्रेप्सुना कभद मत्तत्साजत्त्िकभुचमते ॥१८- २३॥
24 मत्तु काभेप्सुना कभद साहॊ काये ण िा ऩुन् । कक्रमते फहुरामासॊ तद्राजसभुदारृतभ ् ॥१८- २४॥
25 अनफ
ु तधॊ ऺमॊ हहॊसाभनिेक्ष्म च ऩौरुषभ ् । भोहादायभ्मते कभद मत्तत्ताभसभच
ु मते ॥१८- २५॥
26 भुक्तसङ्गोऽनहॊ िादी धत्ृ मुत्साहसभजतित् । शसद्ध्मशसद्ध्मोतनदविदकाय् कताद साजत्त्िक उचमते ॥१८- २६॥
27 यागी कभदपरप्रेप्सुरब्ुद धो हहॊसात्भकोऽशुधच् । हषदशोकाजतित् कताद याजस् ऩरयकीततदत् ॥१८- २७॥
28 अमुक्त् प्राकृत् स्तब्ध् शठो नैष्कृततकोऽरस् । विषादी दीघदसूत्री च कताद ताभस उचमते ॥१८- २८॥
29 फुद्धेबेदॊ धत
ृ श्े चैि गुणतजस्त्रविधॊ शण
ृ ु । प्रोचमभानभशेषेण ऩथ
ृ क्त्िेन धनॊजम ॥१८- २९॥ *
30 प्रिवृ त्तॊ च तनिवृ त्तॊ च कामादकामे बमाबमे । फतधॊ भोऺॊ च मा िेवत्त फुद्धध् सा ऩाथद साजत्त्िकी ॥१८- ३०॥
31 ममा धभदभधभं च कामं चाकामदभेि च । अमथाित्प्रजानातत फद्
ु धध् सा ऩाथद याजसी ॥१८- ३१॥
32 अधभं धभदशभतत मा भतमते तभसाित
ृ ा । सिादथादजतिऩयीताॊश्च फुद्धध् सा ऩाथद ताभसी ॥१८- ३२॥

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33 धत्ृ मा ममा धायमते भन्प्राणेजतद्रमकक्रमा् । मोगेनाव्मशबचारयण्मा धतृ त् सा ऩाथद साजत्त्िकी ॥१८- ३३॥ *
34 ममा तु धभदकाभाथादतधत्ृ मा धायमतेऽजुदन । प्रसङ्गेन पराकाङ्ऺी धतृ त् सा ऩाथद याजसी ॥१८- ३४॥
35 ममा स्िप्नॊ बमॊ शोकॊ विषादॊ भदभेि च । न विभुञ्चतत दभ
ु ेधा धतृ त् सा ऩाथद ताभसी ॥१८- ३५॥
36 सुखॊ जत्िदानीॊ त्रत्रविधॊ शण
ृ ु भे बयतषदब । अभ्मासाद्रभते मत्र द्ु खाततॊ च तनगचछतत ॥१८- ३६॥ *
37 मत्तदग्रे विषशभि ऩरयणाभेऽभत
ृ ोऩभभ ् । तत्सुखॊ साजत्त्िकॊ प्रोक्तभात्भफुद्धधप्रसादजभ ् ॥१८- ३७॥
38 विषमेजतद्रमसॊमोगाद्मत्तदग्रेऽभत
ृ ोऩभभ ् । ऩरयणाभे विषशभि तत्सुखॊ याजसॊ स्भत
ृ भ ् ॥१८- ३८॥
39 मदग्रे चानफ
ु तधे च सख
ु ॊ भोहनभात्भन् । तनद्रारस्मप्रभादोत्थॊ तत्ताभसभद
ु ारृतभ ् ॥१८- ३९॥
40 न तदजस्त ऩधृ थव्माॊ िा हदवि दे िेषु िा ऩुन् । सत्त्िॊ प्रकृततजैभक्
ुद तॊ मदे शब् स्माजत्त्रशबगुदणै् ॥१८- ४०॥
41 ब्राह्भणऺत्रत्रमविशाॊ शूद्राणाॊ च ऩयततऩ । कभादणण प्रविबक्तातन स्िबािप्रबिैगण
ुद ै् ॥१८- ४१॥
42 शभो दभस्तऩ् शौचॊ ऺाजततयाजदिभेि च । ऻानॊ विऻानभाजस्तक्मॊ ब्रह्भकभद स्िबािजभ ् ॥१८- ४२॥
43 शौमं तेजो धतृ तदादक्ष्मॊ मुद्धे चाप्मऩरामनभ ् । दानभीश्ियबािश्च ऺात्रॊ कभद स्िबािजभ ् ॥१८- ४३॥
44 कृवषगौयक्ष्मिाणणज्मॊ िैश्मकभद स्िबािजभ ् । ऩरयचमादत्भकॊ कभद शूद्रस्मावऩ स्िबािजभ ् ॥१८- ४४॥
45 स्िे स्िे कभदण्मशबयत् सॊशसद्धधॊ रबते नय् । स्िकभदतनयत् शसद्धधॊ मथा वितदतत तचछृणु ॥१८- ४५॥
46 मत् प्रिवृ त्तबत
ूद ानाॊ मेन सिदशभदॊ ततभ ् । स्िकभदणा तभभ्मचमद शसद्धधॊ वितदतत भानि् ॥१८- ४६॥
47 श्रेमातस्िधभो विगुण् ऩयधभादत्स्िनुजष्ठतात ् । स्िबाितनमतॊ कभद कुिदतनाप्नोतत ककजल्फषभ ् ॥१८- ४७॥
48 सहजॊ कभद कौततेम सदोषभवऩ न त्मजेत ् । सिादयम्बा हह दोषेण धूभेनाजग्नरयिाित
ृ ा् ॥१८- ४८॥
49 असक्तफुद्धध् सिदत्र जजतात्भा विगतस्ऩहृ ् । नैष्कम्मदशसद्धधॊ ऩयभाॊ सॊतमासेनाधधगचछतत ॥१८- ४९॥
50 शसद्धधॊ प्राप्तो मथा ब्रह्भ तथाप्नोतत तनफोध भे । सभासेनैि कौततेम तनष्ठा ऻानस्म मा ऩया ॥१८- ५०॥
51 फद्
ु ध्मा विशुद्ध्मा मक्
ु तो धत्ृ मात्भानॊ तनमम्म च । शब्दादीजतिषमाॊस्त्मक्त्िा यागद्िेषौ व्मद
ु स्म च ॥१८- ५१॥
52 विविक्तसेिी रघ्िाशी मतिाक्कामभानस् । ध्मानमोगऩयो तनत्मॊ िैयाग्मॊ सभुऩाधश्रत् ॥१८- ५२॥
53 अहॊ कायॊ फरॊ दऩं काभॊ क्रोधॊ ऩरयग्रहभ ् । विभुचम तनभदभ् शाततो ब्रह्भबूमाम कल्ऩते ॥१८- ५३॥
54 ब्रह्भबूत् प्रसतनात्भा न शोचतत न काङ्ऺतत । सभ् सिेषु बूतष
े ु भद्बजक्तॊ रबते ऩयाभ ् ॥१८- ५४॥
55 बक्त्मा भाभशबजानातत मािातमश्चाजस्भ तत्त्ित् । ततो भाॊ तत्त्ितो ऻात्िा विशते तदनततयभ ् ॥१८- ५५॥
56 सिदकभादण्मवऩ सदा कुिादणो भद्व्मऩाश्रम् । भत्प्रसादादिाप्नोतत शाश्ितॊ ऩदभव्ममभ ् ॥१८- ५६॥
57 चेतसा सिदकभादणण भतम सॊतमस्म भत्ऩय् । फद्
ु धधमोगभऩ
ु ाधश्रत्म भजचचत्त् सततॊ बि ॥१८- ५७॥
58 भजचचत्त् सिददग
ु ादणण भत्प्रसादात्तरयष्मशस । अथ चेत्त्िभहॊ कायातन श्रोष्मशस विनङ्क्ष्मशस ॥१८- ५८॥
59 मदहॊ कायभाधश्रत्म न मोत्स्म इतत भतमसे । शभर्थ्मैष व्मिसामस्ते प्रकृततस्त्िाॊ तनमोक्ष्मतत ॥१८- ५९॥
60 स्िबािजेन कौततेम तनफद्ध् स्िेन कभदणा । कतुं नेचछशस मतभोहात्करयष्मस्मिशोऽवऩ तत ् ॥१८- ६०॥ O
61 ईश्िय् सिदबूतानाॊ रृद्दे शेऽजन
ुद ततष्ठतत । राभमतसिदबूतातन मतत्रारूढातन भाममा ॥१८- ६१॥
62 तभेि शयणॊ गचछ सिदबािेन बायत । तत्प्रसादात्ऩयाॊ शाजततॊ स्थानॊ प्राप्स्मशस शाश्ितभ ् ॥१८- ६२॥
63 इतत ते ऻानभाख्मातॊ गुह्माद्गह्ु मतयॊ भमा । विभश्ृ मैतदशेषेण मथेचछशस तथा कुरु ॥१८- ६३॥
64 सिदगुह्मतभॊ बूम् शण
ृ ु भे ऩयभॊ िच् । इष्टोऽशस भे दृढशभतत ततो िक्ष्माशभ ते हहतभ ् ॥१८- ६४॥
65 भतभना बि भद्बक्तो भद्माजी भाॊ नभस्कुरु । भाभेिैष्मशस सत्मॊ ते प्रततजाने वप्रमोऽशस भे ॥१८- ६५॥

36 | P a g e
66 सिदधभादतऩरयत्मज्म भाभेकॊ शयणॊ व्रज । अहॊ त्िाॊ सिदऩाऩेभ्मो भोऺतमष्माशभ भा शुच् ॥१८- ६६॥
67 इदॊ ते नातऩस्काम नाबक्ताम कदाचन । न चाशुश्रष
ू िे िाचमॊ न च भाॊ मोऽभ्मसम
ू तत ॥१८- ६७॥
68 म इभॊ ऩयभॊ गुह्मॊ भद्बक्तेष्िशबधास्मतत । बजक्तॊ भतम ऩयाॊ कृत्िा भाभेिैष्मत्मसॊशम् ॥१८- ६८॥
69 न च तस्भातभनुष्मेषु कजश्चतभे वप्रमकृत्तभ् । बविता न च भे तस्भादतम् वप्रमतयो बुवि ॥१८- ६९॥
70 अध्मेष्मते च म इभॊ धम्मं सॊिादभािमो् । ऻानमऻेन तेनाहशभष्ट् स्माशभतत भे भतत् ॥१८- ७०॥
71 श्रद्धािाननसूमश्च शण
ृ ुमादवऩ मो नय् । सोऽवऩ भुक्त् शुबाॉल्रोकातप्राप्नुमात्ऩुण्मकभदणाभ ् ॥१८- ७१॥
72 कजचचदे तचुतॊ ऩाथद त्िमैकाग्रेण चेतसा । कजचचदऻानसॊभोह् प्रनष्टस्ते धनॊजम ॥१८- ७२॥
73 अजन
ुद उिाच नष्टो भोह् स्भतृ तरदब्धा त्ित्प्रसादातभमाचमुत । जस्थतोऽजस्भ गतसतदे ह् करयष्मे िचनॊ ति ॥१८-
७३॥
74 सॊजम उिाच इत्महॊ िासुदेिस्म ऩाथदस्म च भहात्भन् । सॊिादशभभभश्रौषभद्बुतॊ योभहषदणभ ् ॥१८- ७४॥
75 व्मासप्रसादाचुतिानेतद्गुह्मभहॊ ऩयभ ् । मोगॊ मोगेश्ियात्कृष्णात्साऺात्कथमत् स्िमभ ् ॥१८- ७५॥
76 याजतसॊस्भत्ृ म सॊस्भत्ृ म सॊिादशभभभद्बुतभ ् । केशिाजन
ुद मो् ऩुण्मॊ रृष्माशभ च भुहुभुदहु् ॥१८- ७६॥
77 तचच सॊस्भत्ृ म सॊस्भत्ृ म रूऩभत्मद्बत
ु ॊ हये ् । विस्भमो भे भहान ् याजतरृष्माशभ च ऩन
ु ् ऩन
ु ् ॥१८- ७७॥
78 मत्र मोगेश्िय् कृष्णो मत्र ऩाथो धनुधयद ् । तत्र श्रीविदजमो बूततध्रि
ुद ा नीततभदततभदभ ॥१८- ७८॥
79 ॐ तत्सहदतत श्रीभद्बगिद्गीतासूऩतनषत्सु ब्रह्भविद्मामाॊ मोगशास्त्रे श्रीकृष्णाजन
ुद सॊिादे भोऺसॊतमासमोगो
नाभाष्टादशोऽध्माम् ॥१८॥

37 | P a g e
INDEX

A F

Assemble fame
सभिेता ............................................................................. 2 कीततद् ............................................................................. 24
female
नायीणाॊ............................................................................ 24
B
fight
bowmen मुधध ................................................................................. 2
भहे ष्िासा ........................................................................... 2 मुमत्ु सि् ........................................................................... 2
future
बविष्मताभ ......................................................................
् 24
C

cheat G
छरमताभजस्भ ................................................................... 24
compound gamble
साभाशसकस्म .................................................................... 24 द्मूतॊ .............................................................................. 24
conqueror of enemy glorious
ऩयततऩ ................................................ 5, 12, 13, 18, 21, 24 श्रीभदजू जदतभेि ................................................................... 24
God
रोकभहे श्ियभ ्................................................................... 23
D

death K
भत्मेषु ............................................................................. 23
भत्ृ मु् .............................................................................. 24 karma
demigods कभद............................................... 7, 10, 12, 14, 16, 18, 19
दे िानाॊ ............................................................................. 23 king
सुयगणा् .......................................................................... 23 अश्ित्थाभा......................................................................... 2

divine उत्तभौजाश्च ........................................................................ 2


हदव्मानाॊ........................................................................... 24 कणदश्च.............................................................................. 2
DOUBT काशशयाजश्च ....................................................................... 2
विष्टभ्माहशभदॊ ................................................................... 24 कृऩश्च .............................................................................. 2
doubt - द्रऩ
ु दश्च ............................................................................. 2
असॊभूढ् ........................................................................... 23 द्रौऩदे माश्च ......................................................................... 2
Duryodhan धष्ृ टकेतश्ु चेककतान् .............................................................. 2
दम
ु ोधनस्तदा ....................................................................... 2
ऩुरुजजत्कुजततबोजश्च ............................................................ 2
बिातबीष्भश्च..................................................................... 2
E बीभाजुन
द सभा...................................................................... 2
मुधाभतमुश्च ....................................................................... 2
eternal
मुमुधानो ............................................................................ 2
अहभेिाऺम्...................................................................... 24
विकणदश्च........................................................................... 2
exist
वियाटश्च ........................................................................... 2
मत्स्मातभमा ..................................................................... 24
शैब्मश्च............................................................................. 2
सॊजम ............................................................................... 2
सौबद्रो .............................................................................. 2

38 | P a g e
सौभदवत्तस्तथैि .................................................................... 2 चयाचयभ..........................................................................
् 24
KING my
धत
ृ याष्र ............................................................................. 2 भाभका् ............................................................................ 2
ऩाण्डिाश्चैि ........................................................................ 2 my opulence
सॊजम .................................................................... 2, 3, 4, 5 मद्मद्विबूततभत्सत्त्िॊ .......................................................... 24

king arjun
एिभक्
ु त्िाजन
ुद ्..................................................................... 4 N
तिाजन
ुद ........................................................................... 24
king bheem no end
बीभाशबयक्षऺतभ ् ................................................................... 2 नाततोऽजस्त ...................................................................... 24

king bhishma
बीष्भाशबयक्षऺतभ ..................................................................
् 2 O
king dhananjay
धनॊजम् ........................................................................... 24 opulences
king dhritrashtra विबत
ू ीनाॊ ......................................................................... 24
धातदयाष्रा ........................................................................... 4 विबत
ू ेविदस्तयो.................................................................... 24
king krishna
भधुसूदन .................................................................. 3, 5, 17
P
भधुसूदन् ........................................................................... 5
king vasudev pandavas
िासद
ु े िोऽजस्भ .................................................................... 24 ऩाण्डिानीकॊ ........................................................................ 2
king vrsni phalanx
िष्ृ णीनाॊ ........................................................................... 24 व्मढ
ू ॊ ................................................................................. 2
know PLACE
विद्ु ............................................................. 12, 18, 19, 23 कुरुऺेत्रे.............................................................................. 2
knowledge धभदऺेत्रे ............................................................................. 2
अध्मात्भविद्मा .................................................................. 24 preposition
ऻातेन ............................................................................. 24 अथिा ....................................................................... 17, 24
ऻानॊ ....................................................... 13, 14, 18, 21, 24 punish
ऻानिताभहभ ....................................................................
् 24 दण्डो .............................................................................. 24

फुद्धधऻादनभसॊभोह् ............................................................. 23
विद्मानाॊ .......................................................................... 24 Q

quantity
L
कृत्स्नभेकाॊशन
े .................................................................. 24

listen द्ितद्ि् .......................................................................... 24

शण
ृ ु ............................................................................ 7, 23 फहुनैतन
े .......................................................................... 24

M S

middle sage vyas


भध्मॊ ......................................................................... 23, 24 व्मास्....................................................................... 23, 24

month sages
भासानाॊ ........................................................................... 24 भहषदम् ........................................................................... 23

moral भहषॉणाॊ .......................................................................... 23


नीततयजस्भ ........................................................................ 24 भुनीनाभप्महॊ .................................................................... 24
move season spring

39 | P a g e
कुसुभाकय् ........................................................................ 24
V
secrets
गह्
ु मानाॊ ........................................................................... 24 victory
SEE जमोऽजस्भ ........................................................................ 24
दृष््िा ........................................................................... 2, 8 जजगीषताभ ् ...................................................................... 24
seed
फीजॊ .......................................................................... 18, 24
W
separation
दभमताभजस्भ .................................................................... 24
world face
silence विश्ितोभख
ु ् ..................................................................... 24
भौनॊ................................................................................ 24
sin
सिदऩाऩै् ........................................................................... 23 अ

speech
अऺय
प्रोक्तो ............................................................................. 24
अऺयाणाभकायोऽजस्भ .......................................................... 24
िक्ष्माशभ..................................................................... 19, 23
अजुन

िचनभब्रिीत ् ....................................................................... 2
तदहभजुन
द ....................................................................... 24
श्रीबगिानि
ु ाच ...... 5, 8, 10, 11, 12, 14, 16, 17, 18, 19, 21, 23
श्रीिादक्च ........................................................................... 24
SPEECH क
उिाच ................................. 2, 3, 5, 8, 10, 12, 14, 17, 19, 23
speech - arguments किी
प्रिदताभहभ......................................................................
् 24 किीनाभुशना .................................................................... 24
splendour
तेजस्तेजजस्िनाभहभ ्..................................................... 18, 24

तेजोंऽशसॊबिभ ् .................................................................. 24

गचछ

T तत्तदे िािगचछ ................................................................... 24

teacher

आचामदभऩ
ु सॊगम्म ................................................................. 2
tribe
छतद
कुरॊ .................................................................................. 4
छतदसाभहभ.....................................................................
् 24
कुरऺमकृतॊ......................................................................... 4
कुरऺमे ............................................................................. 4
कुरघ्नानाॊ .......................................................................... 4 प
कुरधभाद्............................................................................ 4
ऩाण्डि
कुरधभादणाॊ ......................................................................... 4
ऩाण्डिानाॊ ........................................................................ 24
कुरधभादश्च......................................................................... 4
प्रीम
कुरजस्त्रम् .......................................................................... 4
प्रीमभाणाम....................................................................... 23
कुरस्म .............................................................................. 4


U

unborn फाह
भाभजभनाहदॊ .................................................................... 23 भहाफाहो ..................................... 6, 9, 10, 11, 14, 17, 18, 23

40 | P a g e
फह
ृ त्साभ ............................................................................... 24

भ सत्त्ि
सत्त्ििताभहभ ्................................................................... 24
बत
ू सगाद
सिदबत
ू ानाॊ ........................................................ 9, 14, 18, 24 सगादणाभाहदयततश्च ............................................................ 24
बूतॊ सिदहयश्चाहभुद्बिश्च............................................................... 24
बूतॊ 24 स्भतृ त
स्भतृ तभेधा ....................................................................... 24

ि

व्मिसामोऽजस्भ ....................................................................... 24

हहत
हहतकाम्ममा ..................................................................... 23

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