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विदे श यात्रा कराने वाले योग:क्रूर ग्रह कराते हैं विदे श यात्रा:विदे श यात्रा में बाधा हो तो क्या करें

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विदे श यात्रा कराने वाले योग:क्रूर ग्रह कराते हैं विदे श यात्रा:लम्बी और छोटी यात्रा :विदे श यात्रा में बाधा हो तो क्या
करें :विदे शी स्रोत से धन :विदे श में अमीर बनने के योग:रे खाएं पढ़िए जाइये विदे श:लग्न के अनुसार विदे श गमन:who are
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विदे श यात्रा कराने वाले योग

एक जमाना था जब विदे श जाना दुर्भा ग्य माना जाता था लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। आज उसे भाग्यशाली
माना जाता है जिनकी कुण्डली में विदे श यात्रा का योग होता है। युवाओं में तो विदे श यात्रा का क्रेज बना हु आ है सभी विदे श
जाकर नाम, धन और यश कमाना चाहते हैं। कुण्डली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को विदे श ले जाते हैं। अगर आप
भी विदे श जाने के इच्छुक हैं तो दे खिए क्या आपकी कुण्डली में विदे श यात्रा के योग हैं।
क्रूर ग्रह कराते हैं विदे श यात्रा
जब कंु डली के द्वादश स्थान में राहु , मंगल जैसे क्रूर ग्रह बैठे हों तो जातक विदे श यात्रा करता है। तृतीय, नवम और द्वादश
इन तीनों भावों का संबंध यात्रा से होता है। जब इनका पारस्परिक संबंध हो तो जातक कई विदे श यात्राएं करता है। जब राहु
कंु डली में लग्न, दशम या द्वादश भाव में हो तो जातक विदे श यात्रा करता है।
लम्बी और छोटी यात्रा
लग्न का स्वामी अगर 12 वें भाव में हो तो जातक घर से बहु त दूर या विदे श में रहता है। लग्न, तृतीय व नवें भाव का स्वामी
यदि 12 वें, द्वितीय, तृतीय अथवा 9 वें भाव में हो तो जातक छोटी विदे श यात्रा करता है। यदि नवम भाव का स्वामी स्वगृही
हो और साथ ही नवम भाव में हो व लग्न का स्वामी लग्न में हो तो जातक विदे श भ्रमण करता है। भाग्य भाव में तुला, कंु भ,
मकर का शनि भी कई विदे श यात्राएं कराता है। अगर लग्नेश नवम में और नवमे श लग्न में हो तो जातक विदे श का रुख
करता है। अष्टमे श के 8 वें भाव में होने से या सूर्य के अष्टम भाव में होने से भी विदे श यात्रा होती है।

विदे श यात्रा में बाधा हो तो क्या करें

विदे श यात्रा की चाहत रखने वाले बहु त से लोग ऐसे भी होते हैं जो विदे श जाने के लिए बहु त अधिक प्रयास करते हैं लेकिन
कोई न कोई बाधा आ जाती है और वे विदे श यात्रा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोग यह कहते हैं कि उनकी किस्मत में विदे श
यात्रा का योग ही नहीं है। लेकिन, कुछ उपाय ऐसे हैं जिनसे आप विदे श यात्रा में आने वाली बाधा को दूर कर सकते हैं।
मंत्र से बनेगा विदे श यात्रा का योग
विदे श यात्रा में आ रही बाधाएं निम्न उपाय करने से दूर हो जाती हैं। चार से छह रत्ती का गोमे द त्रिधातु में पहनना चाहिए तथा
बुधवार से शुरू करके 49 दिन तक कबूतरों को बाजरा दें । तुलसी की माला लेकर इस मंत्र का जप करें -अनन्याश्चितयंतो माये
जनापयर्पासने। नेषा नित्या मियुक्तानां योगक्षेम वहांम्यहम्।। मंत्र जप गुरुवार से शुरू करें । विदे श यात्रा की स्थिति बन जाने
पर माला किसी नदी में प्रवाहित कर दें ।

विदे श में अमीर बनने के योग

विदे श जाकर खूब सारा पैसा कमाने की चाहत बहु त से लोगों की होती है इसके लिए वह काफी प्रयास भी करते हैं। लेकिन,
जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति विदे श में जाकर खूब सारा धन कमाए। विदे श में धन उन्हीं को मिलता है जिनकी किस्मत में वहां
धन कमाना लिखा होता है। अगर आप भी विदे श में जाकर धन कमाने की ख्वाहिश रखते हैं तो दे खिए क्या आपकी
किस्मत में है विदे श में धनवान बनना।
परदे श में पैसा
ज्योतिषशास्त्र में विदे श यात्रा या यूं कहिए विदे श जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है।
कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदे श जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं।
ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदे श भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से
दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है। यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश
द्वादश स्थान में होता है।
कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदे ष यात्रा का योग बनता है। पंचम भाव में तृतीयेश अथवा
द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमे श विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो
विदे श में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है। भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह
नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदे श में आजीविका की संभावना को बल मिलता है।
विदे शी स्रोत से धन
चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदे श जाकर
धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है। आपका जन्म मकर लग्न में हु आ है और लग्नेश शनि छठे भाव
में बैठा है तो विदे श में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदे शी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है। इसी प्रकार का फल उन
मे ष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है।
विदे श जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में
हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये। इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में
बनता है तो विदे श जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदे श में आप धन कमा सकते हैं।

कैसे होगी विदे श यात्रा

किस्मत कब किसे कहां ले जाए यह कोई नहीं जानता। आप अगर नहीं भी सोचें तब भी कुछ न कुछ योग ऐसे बनते हैं कि
आपको जहां पहु ंचना होता है आप पहु ंच ही जाते हैं। मसलन आपको विदे श जाना है तो कुछ ऐसी स्थिति बनेगी कि आपको
विदे श यात्रा का अवसर प्राप्त हो जाएगा। आप दे खिए कि आप किस उद्दे श्य से विदे श जाएं गे।
ये उद्दे श्य ले जाएं गे विदे श
मंगल पर्वत को स्पर्श करती यात्रा रे खा किसी विशिष्ट कार्य हे तु विदे श यात्रा के अवसर प्रदान करती है। यात्रा रे खा शनि
पर्वत पर जाती है तो जातक व्यापारिक औचित्य के लिए विदे श यात्रा करता है। यात्रा रे खा गुरू पर्वत पर जाती है तो राजकीय
कार्यों के लिए जातक को विदे श यात्रा कराती है। शुक्र पर्वत को छू ने वाली यात्रा रे खा मनोरं जन, कला संस्कृति के कार्य से
विदे श भ्रमण कराती है। यात्रा रे खा आयुष्य रे खा के पास आती हो और वहां से भाग्य रे खा निकल कर शनि क्षेत्र पर जाती हो
तो उच्च शिक्षा के लिए विदे श यात्रा कराती है। गुरू पर्वत की ओर यात्रा रे खा का जाना भी यात्रा की सूचना दे ती है। यह यात्रा
धार्मिक, राजकीय सम्मान अथवा शिक्षा के लिए हो सकती हैं।

रे खाएं पढ़िए जाइये विदे श

विदे श जाने की इच्छा है तो इसके लिए परे शान होने की बजाय अपनी हथेलियों में खींची हु ई लकीरों को पढ़िए। सामुद्रिक
ज्योतिष में हाथेली को कुण्डली माना गया है और हथेली पर खींची गई लकीरों को ब्रह्मा का लेख कहा गया है। अपने हाथों
की लकीरों से आप जान सकते हैं कि आपकी किस्मत में विदे श यात्रा के योग हैं या नहीं।
ऐसी रे खाएं कराती हैं यात्रा
हथेली में चन्द्र पर्वत पुष्ट तथा उन्नत हो तथा उससे सीधी स्पष्ट पतली रे खा बुध पर्वत तक पहु ंचती है तो विदे श यात्रा का
योग बनता है। यदि यात्रा रे खा से कोई रे खा सूर्य पर्वत पर पहु ंचती है हाथ में सूर्य रे खा स्पष्ट है तो वह इस यात्रा द्वारा प्रसिद्धि
प्राप्त करता है। यात्रा सफलता तथा समृद्धि दे ने वाली साबित होती है। मणिबंध से निकल कर कोई रे खा यदि चंद्र पर्वत पर
आती हैं तो ऐसा व्यक्ति दूर दे श की यात्रा करता हैं। विदे शों में आना जाना लगा रहता है।
विपरीत लिंग की मदद से यात्रा
भाग्य रे खा की लम्बाई अधिक हो अथवा चंद्र पर्वत पर अन्य यात्रा रे खाएं हो तो जातक की विपरीत लिंग वाले की मदद से
लाभदायक विदे शी यात्रा होती है। चन्द्र पूर्ण विकसित हो तथा उससे एक सीधी एवं दोष रहित रे खा निकल कर किसी पर्वत
की ओर जाती हो तो उन पर्वतों के फलानुसार व्यावसायिक अथवा अन्य कार्यों के लिए जातक विदे शी यात्राएं करता है। चंद्र
पर्वत पर भंवर का चिह्न कुछ जल यात्रा का योग बनाती है। लेकिन इसके साथ ही यह जल घात का लक्षण भी है। मुख्य यात्रा
रे खा की शाखा चंद्र पर्वत से नीचे की ओर चल रही हो तो छोटी-छोटी लाभदायक यात्रा कराती है।

रे खाओं से जानिए विदे श में धनयोग


विदे श जाने की इच्छा रखने वालों के अपने-अपने उद्दे श्य होते हैं। कोई शिक्षा के लिए विदे श जाना चाहता है तो कोई व्यापार
के लिए। कुछ लोग मौज-मस्ती एवं सैर-सपाटे के लिए विदे श जाना चाहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते है जो विदे श में पैसा
कमाना चाहते हैं। विदे शी मुद्रा कमाने की चाहत रखने वालों को अपनी हथेली देखनी चाहिए फिर विदे श गमन की योजना
बनानी चाहिए।
ऐसी रे खाएं दिलाती हैं धन
यात्रा रे खा से कोई रे खा सूर्य पर्वत पर पहु ंचती है हाथ में सूर्य रे खा स्पष्ट है तो व्यक्ति विदे श यात्रा द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
यात्रा सफलता तथा समृद्धि दे ने वाली साबित होती है। मणिबंध से निकलकर एक रे खा जीवन रे खा से जा मिले तो ऐसे
जातक को विदे श से धन की प्राप्ति होती है। बहु त से जातक विदे श में ही अपना घर बना लेते हैं। चंद्र पर्वत से यात्रा रे खा
निकल कर आयुष्य रे खा को बीच से काटती हु ई उसके समानान्तर मंगल क्षेत्र में जाती हो तो लम्बी विदे श यात्रा होती है।
ऐसा जातक लम्बे समय विदे श में रहकर बहु त धन कमाता है।

विदे श यात्रा के योग  

विदे श में कितने समय के लिए वास्तव्य होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता
है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदे श में थोड़े समय का ही प्रवास होता है।
विदे श यात्रा के योग के लिए चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान जो तृतीय स्थान होता है, उस पर गौर करना पड़ता है। इसके साथ-
साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमे श का भी विचार करना होता है। परदे स जाना यानी नए माहौल में जाना।
इसलिए उसके व्यय स्थान का विचार करना भी आवश्यक होता है। जन्मांग का व्यय स्थान विश्व प्रवास की ओर भी संकेत
करता है।
विदे श यात्रा का योग है या नहीं, इसके लिए तृतीय स्थान, नवम स्थान और व्यय स्थान के कार्येश ग्रहों को जानना
आवश्यक होता है। ये कार्येश ग्रह यदि एक दूजे के लिए अनुकूल हों, उनमें युति, प्रतियुति या नवदृष्टि योग हो तो विदे श यात्रा
का योग होता है। अर्थात उन कार्येश ग्रहों की महादशा, अंतरदशा या विदशा चल रही हो तो जातक का प्रत्यक्ष प्रवास संभव
होता है। अन्यथा नहीं।

  इसके साथ-साथ लंबे प्रवास के लिए नवम स्थान तथा नवमे श का भी विचार करना होता है। परदे स जाना यानी नए माहौल में जाना।      

इसलिए इस बारे में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है व्यय स्थान। विदे श यात्रा का निश्चित योग कब आएगा, इसलिए उपरोक्त
तीनों भावों के कार्येश ग्रहों की महादशा-अंतरदशा-विदशा पर गौर करने पर सही समय का पता किया जा सकता है।
विदे श में कितने समय के लिए वास्तव्य होगा, यह जानने के लिए व्यय स्थान स्थित राशि का विचार करना आवश्यक होता
है। व्यय स्थान में यदि चर राशि हो तो विदे श में थोड़े समय का ही प्रवास होता है। व्यय स्थान में अगर स्थिर राशि हो तो कुछ
सालों तक विदे श में रहा जा सकता है। यदि द्विस्वभाव राशि हो तो परदे स आना-जाना होता रहता है। इसके साथ-साथ व्यय
स्थान से संबंधित कौन-से ग्रह और राशि हैं, इनका विचार करने पर किस दे श में जाने का योग बनता है, यह भी जाना जा
सकता है।
सर्वसाधारण तौर पर यदि शुक्र का संबंध हो तो अमे रिका जैसे नई विचार प्रणाली वाले दे श को जाने का योग बनता है। उसी
तरह अगर शनि का संबंध हो तो इंग्लैंड जैसे पुराने विचारों वाले दे श को जाना संभव होता है। अगर राहु -केतु के साथ संबंध
हो तो अरब दे श की ओर संकेत किया जा सकता है।
तृतीय स्थान से नजदीक का प्रवास, नवम स्थान से दूर का प्रवास और व्यय स्थान की सहायता से वहाँ निवास कितने
समय के लिए होगा यह जाना जा सकता है।
1. नवम स्थान का स्वामी चर राशि में तथा चर नवमांश में बलवान होना आवश्यक है।
2. नवम तथा व्यय स्थान में अन्योन्य योग होता है।
3. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान या व्यय स्थान के ग्रह की दशा चल रही हो।
4. तृतीय स्थान, भाग्य स्थान और व्यय स्थान का स्वामी चाहे कोई भी ग्रह हो वह यदि उपरोक्त स्थानों के स्वामियों के नक्षत्र
में हो तो विदे श यात्रा होती है।
यदि तृतीय स्थान का स्वामी भाग्य में , भाग्येश व्यय में और व्ययेश भाग्य में हो, संक्षेप में कहना हो तो तृतियेश, भाग्येश और
व्ययेश इनका एक-दूजे के साथ संबंध हो तो विदे श यात्रा निश्चित होती है।
ज्योतिष और परदे स यात्रा
यात्रा के सामान्य योग तीसरे भाव से बनते हैं। कुंडली का तीसरा भाव उन यात्राओं के लिए दे खा जाता है जो आमतौर पर
छोटे समय की यात्रा होती है। मूल रूप से यह भाव साहस और सहजता का है। अगर लग्न से तीसरा भाव मजबूत हो तो ही
व्यक्ति सफल यात्राएं कर पाता है। इसके साथ ही बारहवां भाव घर छोड़ने में मदद करता है। विदे शी संबंधों को भी बारहवें भाव
से ही दे खा जाता है। यह भाव मूल रूप से क्षरण का भाव है। यह क्षरण पैसा खर्च होने के रूप में भी हो सकता है और शारीरिक
क्षरण के रूप में भी।
किसी लग्न विशेष में तीसरे भाव के अधिपति और बारहवें भाव के अधिपति की दशा या अंतरदशा आने पर जातक को घर से
बाहर निकलना पड़ता है। जब तक यह दशा रहती है, जातक घर से दूर रहता है।
अधिकतर मामलों में दशा बीत जाने के बाद जातक फिर से घर लौट आता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में लग्न और बारहवें
भाव के अधिपतियों का अंतसंü बंध होता है वे न केवल घर से दूर जाकर सफल होते हैं, बल्कि परदे स में सालों बितानें के बाद
वहीं बस भी जाते हैं।
पारं परिक भारतीय ज्योतिष के अनुसार तीसरे भाव और बारहवें के अधिपति की दशा या अंतरदशा में जातक छोटी यात्राएं
करता है। वहीं नौंवे और बारहवें भाव के अधिपति की दशा या अंतरदशा में लंबी यात्राओं के योग बनते हैं या लंबे समय तक
विदे श में रहने के यिोग बनते हैं। छोटी और लंबी यात्रा का पैमाना सापेक्ष है। छोटी यात्रा कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों तक
की हो सकती है तो लंबी यात्रा कुछ महीनों से सालों तक की।
इसी के साथ छोटी यात्रा जन्म या पैतक ृ निवास से कम दूरी के स्थानों के लिए हो सकती है तो लंबी यात्राएं घर से बहु त
अधिक दूरी की यात्राएं भी मानी जा सकती हैं। दक्षिण के प्रसिद्ध ज्योतिष के.एस. कृष्णामूर्ति द्वारा बनाई गई केपी पद्धति के
अनुसार जब तीसरे , नौंवे और बारहवें भाव के कारक ग्रहों की दशा या अंतरदशा आती हैं, तब जातक यात्राएं करता है। कारक
ग्रह का निर्धारण तीसरे , नौंवे और बारहवें भाव में मौजूद राशि के अधिपति यानी तृतीयेश, नवमे श या द्वादशेश जिन नक्षत्रों में
बैठे हों उनके अधिपति के अनुसार होता है।
लग्न के अनुसार विदे श गमन 

मे ष लग्न के जातकों के लिए बुध या गुरू की दशा या अंतरदशा में विदे श जाने के योग बनते हैं। ऎसे जातकों की कुंडली में
अगर शनि बेहतर स्थिति में हो तो विदे श में अच्छी सफलताएं भी अर्जित कर पाते हैं। शनि भगवान की आराधना विदे श में
अच्छा लाभ अर्जित करा सकती है। बुध की दशा में जहां छोटी यात्राएं होती हैं वहीं गुरू की दशा में लंबी विदे श यात्राओं के योग
भी बनते हैं।
वृष लग्न के जातकों के लिए चंद्रमा या मंगल की दशा या अंतरदशा में विदे श जाने के योग बनते हैं। इन जातकों की कुंडली
में गुरू बेहतर स्थिति में होने पर विदे श में सफलताएं अर्जित करना आसान हो जाता है। गुरू का लाभ लेने के लिए जातक
को नियमित मंदिर जाना चाहिए। इस राशि में शनि की बेहतर स्थिति धार्मिक यात्राएं कराती हैं।
मिथुन लग्न के जातक सूर्य की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं और शुक्र की दशा या अंतरदशा में लंबी दूरी या
अधिक समय तक घर से दूर रहने वाली यात्राएं करते हैं। इन जातकों को शनि की शुभ स्थिति धार्मिक यात्राएं कराती हैं।
विदे श में अच्छा लाभ अर्जित करने के लिए इन जातकों को हनुमान या मुरूगन दे वता की आराधना करनी चाहिए।
कर्क लग्न के जातक बुध की दशा या अंतरदशा में विदे श यात्रा का सुख लेते हैं। कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होने पर ये
जातक यात्रा भी विलासितापूर्ण अंदाज में करते हैं। ऎसे जातकों को यात्रा के दौरान थोड़ी भी असुविधा परे शान कर दे ती है।
आमतौर पर ये लोग यात्राओं को तब तक टालने का प्रयास करते हैं जब तक कि इन्हें पूरा भरोसा न हो जाए कि यात्रा की
सभी व्यवस्थाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
सिंह लग्न के जातक शुक्र की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं और चंद्रमा की अंतरदशा में विदे श प्रस्थान करते
हैं। परदे स की इनकी सफलता का आधार बुध की स्थिति है। अगर इनकी कुंडली में बुध बेहतर स्थिति में भी है तो बुध के
वक्री, मार्गी, अस्त और उदय होने से इनका लाभ प्रभावित होते रहते हैं।
कन्या लग्न के जातकों को मंगल की दशा या अंतरदशा में घर से कुछ समय के लिए बाहर रहने का मौका मिलता है। सूर्य
की दशा में ये लोग विदे श यात्राएं भी कर पाते हैं। शुक्र की बेहतर स्थिति इन जातकों को धार्मिक यात्राएं कराती हैं। विदे श में
कितने सफल होंगे, यह इन जातकों की चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। शिव आराधना इन जातकों को विदे श में भी
सफलता दिला सकती है।
तुला लग्न के जातकों को गुरू की दशा या अंतरदशा में यात्रा करने का मौका मिलता है। बुध की अंतरदशा में ये जातक घर
से अधिक दूरी की यात्राएं कर पाते हैं। विदे श में अच्छा लाभ हासिल करने के लिए ऎसे जातकों की कुंडली में सूर्य बेहतर
स्थिति में होना चाहिए।
वृश्चिक लग्न के जातकों को शनि की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करनी पड़ती हैं। शनि की दशा में ये जातक कई बार
यात्राएं कर वापस घर लौटते हैं। शुक्र की दशा या अंतरदशा में इन्हें घर से दूर रहने का मौका मिलता है। ऎसे जातकों की
कुंडली में बुध की स्थिति बेहतर होने पर विदे श में सफल होने की स्थिति बनती है।
धनु लग्न के जातक शनि की दशा या अंतरदशा में घर से बाहर निकलते हैं। इस दशा में जातक छोटी यात्राएं करता है और
लंबी यात्राएं करने या अधिक समय तक विदे श में टिकने के लिए इन जातकों को मंगल का सहयोग लेना पड़ता है। अगर
कुंडली में शुक्र बेहतर स्थिति में हो तो जातक विदे श जाकर अच्छा धन कमा पाता है और सफलताएं अर्जित करता है।
मकर लग्न के जातक गुरू की दशा में विदे श यात्रा करते हैं। गुरू की दशा या अंतरदशा में ये जातक छोटी या लंबी दूरी दोनों
तरह की यात्राएं कर पाते हैं। ऎसे जातकों की कुंडली में मंगल की बेहतर स्थिति विदे श में लाभ का वादा करती है। हनुमानजी
की आराधना करना इन जातकों के लिए विदे श में सफलता दिलाने वाली सिद्ध हो सकती है।
कुंभ लग्न के जातक मंगल की दशा या अंतरदशा आने पर छोटी यात्राएं करते हैं। वहीं शनि की दशा या अंतरदशा इन
जातकों को लंबी दूरी की यात्राएं कराती है। विदे श में इन जातकों को कितना लाभ होगा, यह गुरू की स्थिति पर निर्भर
करता है। विष्णु की आराधना इन जातकों को विदे श में अच्छा लाभ दिला सकती है।
मीन लग्न के जातक शुक्र की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं और शनि की दशा या अंतरदशा में विदे श यात्रा
करते हैं। अगर शनि बेहतर स्थिति में बैठा हो और शुभ हो तो जातक न केवल लंबी विदे श यात्रा करता है बल्कि अच्छी
सफलताएं भी अर्जित करता है।
किसे कहें गे विदे श
कोई व्यक्ति विदे श कब जाएगा? यह सवाल आधी सदी पहले तक एक महत्वपूर्ण सवाल हु आ करता था। घर को छोड़कर
दूसरे दे शों की लंबी यात्राओं पर गए परिवार के सदस्य की खोज खबर भी केवल चिnी पत्री से हो पाती थी।
समय के साथ परिवहन के साधनों और संचार माध्यमों का जाल बढ़ा है। ऎसे में किसी जातक के लिए हवाई यात्रा, ट्रेन या
बस से यात्रा करने के अलावा विदे श यात्रा के बारे में ना नहीं कहा जा सकता। इसके इतर विदे श यात्रा से अर्थ यह लगाया
जाने लगा है कि जातक घर से दूर और लाभ या हानि कमाने वाला समय। अगर केवल यात्री की भांति पांच या सात दिन में
घूमकर लौट आए, तो उसे विदे श यात्रा में शामिल करना मुश्किल है।

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