Professional Documents
Culture Documents
भारतीय द ड सं
हता म अ याय 4 अने
क तर ा से स बंधत हैतथा इस अ याय को साधारण अपवाद कहा जाता है|
भारतीय द ड सं
हता म सभी अपराध पर यह धारा लागू
होता है
, अ याय 4 म धारा 76 से
106 कु
ल 31 धारा है इन सभी
अपराध को एक अ याय म उपबं धत करनेका मुय कारण यह हैक इ ह व भ अपराध के साथ पु
नः दोहराने
क
आव यकता न रहे|
अ याय 4 दो व तृ
त कार के
अपराध से
स बं
धत है
–
यु सं
गत
2- यु सं
गत – अगर ऐसी प र थ तयांव मान है जो अपराध को यु सं
गत बनाती हो तो उस दशा म भी अपराधी को
माफ कर दया जाता है
इसका वणन धारा 79, 96 से
106 तक म है |
साधारण अपवाद –
भू
ल (धारा 76, 79)
वा याव था या शै
शवाकाल (धारा 82, 83)
च वकृ
त (धारा 84)
सहम त (धारा 87 से
91)
तु
छ काय (धारा 95)
ाइवे
ट तर ा का अ धकार (धारा 96 से
106)
आव यक त व –
यह व ास त य क भू
ल के
कारण होना चा हए |
उसने
सद्भावपू
वक व ास कया हो |
ा त – व ध के
समादे
शो के
अनु
वतन म अपने
व र आ फसर के
आदे
श से
एक सै
नक क भीड़ पर गोली चलाता है
, क ने
कोई अपराध नह कया |
आरo बनाम वेलेकेवाद म जहाज के क तान को एक ऐसेअपराध केलए द डत कया गया जसे या ा के
दौरान अपराध
घो षत कया गया था, क तान का यह तक क उसे इस व ध क जानकारी नह थी मा य नह कया गया |
धारा 77. या यकतः काय करतेए यायाधीश का काय – कोई बात अपराध नह है
, जो या यकतः काय करतेए
यायाधीश ारा ऐसी कसी श के योग म क जाती है , जो या जसकेबारेम उसेसद्भावपू वक व ास हैक वह उसे
व ध ारा द गयी है |
पर तुन न शत केअधीन होगा – जहाँएक यायाधीश या यकतः काय कर कर रहा हो एवंऐसा काय करतेए वह अपने
अ धकार ेसे बाहर चला जाता है
साथ ही वह इस कार का काय करतेए यह व ास रखता हैक उसे ऐसा काय करने
क अ धका रता ा त हैअथात ऐसा व ास उसके ारा सद्भावपू वक कया गया हो तो वह यह बचाव पाने
का अ धकारी
होगा |
पर तु
उसने यह काय सद्भावपू
वक न कया हो तो उसेव ध क भू
ल के
अंतगत बचाव नह मले
गी ऐसी थ त म उसके
साथ साधारण य जै
सा वहार कया जाये
गा |
भू
ल दो कार क होती है
–
त य क भू
ल
व ध क भू
ल
1. त य क भू
ल – भू
ल को तर ा का आधार होने
केलए यह आव यक हैक वह त य से
स बं
धत हो न क व ध से
|
न न प र थ तय म त य क भू
ल का बचाव नह लया जा सकता –
य द उ चत पू
छताछ पर त य को जाना जा सकता था |
2. व ध क भू
ल – जस कार से त य क भू ल य हैव ध क भू ल य नह होती हैयो क य द व ध क भू
ल को
बचाव म वीकार कर लया जाए तो हर अपराधी यह तक उठाएगा क उसेव ध क जानकारी नह थी |
धारा 79. व ध ारा यायानु मत या त य क भूल सेअपनेको व ध ारा यायानुमत होनेका व ास करने
वाले ारा
कया गया काय – कोई बात अपराध नह है , जो ऐसे ारा क जाए, जो उसे
करने केलए व ध ारा यायानु
मत हो,
या त य क भू ल के कारण, न क व ध क भू ल केकारण सद्भावपू वक व ास करता हो क वह उसे करनेकेलए व ध
ारा यायानु
मत है|
आव यक त व –
भू
ल व ध से
स बं
धत नह होनी चा हए ब क भू
ल त य से
स बं
धत होनी चा हए |
भू
ल सद्भावना पू
वक होना चा हए |
व ध ारा यायानु
मत – व ध ारा यायानु
मत से
ता पय ऐसे
काय से
हैजो व ध ारा न ष नह है
|
“ एक व ध ारा यायानु
मत माना जाता है
जब व ध उससे
कुछ करने
क अपेा करती है
|“
धारा 76 व धारा 79 म अं
तर –
ा त – क कुहाड़ी से
लकड़ी काट रहा है
अचानक कुहाड़ी सेफाल नकल जाता है
और उसके पास खड़े को लग
जाता हैअगर क ने
उ चत सावधानी बरततेए काय कया है
तो उसेइस धारा क तर ा होगी |
आव यक त व –
काय घटना या भा यवश हो – धारा 80 केअंतगत काय घटना या भा यवश होना चा हए | घटना का अथ सं
योग ारा
कोई घटना नही है
अ पतुघटना ऐसी अनाश यत हो अथात सामा य ववे
क से
परे
कोई अ या शत घटना जसका हम
प रक पना न कर सके|
घटना व धक साधन ारा व धक री त सेकये गए कसी व धक काय का प रणाम हो – ज देर बनाम इ परर इसम एक
सरे को घू
स
ंे से
मार रहा था, तभी उसक प नी दो माह का ब चा गोद म लए आई और उसे बचाने
का य न
कया पर पहले नेम हला पर भी हार कया मगर चोट उसको न लगकर ब चे को लग गई और उसक मृयु
हो गई |
यह न णत कया गया क ब चे को अक मात चोट आयी | चूँक अ भयु एक व धक काय, व धक री त से नह कर रहा था
अतः वह भारतीय द ड संहता क धारा 80 का बचाव नह ले सकता है |
सतकता व सावधानी पू
वक कया गया काय – काय पू
र ी सतकता व सावधानी पू
वक कया गया होना चा हए |
भू
प सह बनाम गु जरात रा य केवाद म एक पु
लस वाले नेअपनेऊपर के पु
लस को गोली मार द उसका कहना था क
उसनेमृतक को बां
ध केमनार टावर पर टहलतेए देखा और वह सोचा क वह मीनार को आग लगा रहा है
तथा उसने
उसेदो बार आवाज भी द लेकन उसके तरफ सेकोई उ र नह मला तब उसनेउसपर गोली चलाई यहाँयायालय नेउसे
उ रदाई ठहराया यो क उसक ओर से सतकता एवंसावधानी पू
वक काय नह कया गया था |
आव यक त व –
काय सद्भावपू
वक कया गया हो |
उदाहरण – दो जो लकड़ी के
एक त ते को पकड़ने केलए संघष कर रहे है
पर तु
वह त ता केवल एक का
बोझ ही सह सकती है
य द उनमे
सेएक सरे को ध का दे
ता है
और उसके डू
बने सेमृयु
हो जाती है
तो वह दोषी नह होगा
यो क उसने उसे
ऐसेअवसर पर छोड़ दया ता क वह सरा त ता खोज सके, उसनेऐसा मा आव यकतावश कया |
माउस का मामला – एक ना वक ने
अपीलकता के
सामान को उठाकर नद म फ़क दया ता क तू
फान से
या य क र ा क
जा सकेयहाँउसेउ रदाई नह माना गया |
काय सद्भावपू
वक कया गया हो – इस धारा के वतन केलये
काय सद्भावपू
वक होना आव यक है
|
सद्भावपू
वक को इस सं
हता क धारा 52 म बताया गया |
आरo बनाम डड॒ ले एवंट फस के वाद म A, B, C तथा एक अवय क बालक एक नाव म या ा कर रहे थेवेसमुम तूफान
केकारण बह गए थे , कुछ दन बीत गए तो उनके पास खा साम ी समा त हो गयी तथा जो अवय क बालक था वह भी
कमजोर हो रहा था | इस पर A ने
B व C को सलाह दया क इस बालक को मारकर य न खा लया जाए | इस पर C ने
अपनी सहम त नह द , तथा A व B ने उसे मार दया और तीनो नेउसे खाया | जब A, B, C तीनो सु
र त घर आयेतो
अ भयोजन के दौरान उ ह ने बचाव म यह तक लया क लड़के क हालत नाजु क थी और इस बात क स भावना थी क वह
तीनो से
पहले मरता, अगर तीनो नेब चेको मारकर न खाया होता तो वेभी जी वत नह बचते और इसके अलावा उनकेपास
कोई और साधन भी न था | यायालय नेनणय दया क ऐसी कोई आव यकता न थी जो अ भयु के इस काय को
यायो चत ठहरा सके
|
डॉ टर हरी सह गौड़ा ने
उपरो नणय सेन न ल खत नयम को नकाला –
आ म सं
र ण एक परम आव यकता नह है
|
कसी को सरे
का जीवन ले
कर अपना सं
र ण करने
का अ धकार नह है
|
तीसरे
नयम का अथ हैक कोई भी आव यकता क सु
र ा हे
तुमानववध को यायो चत नह ठहराती क तु
इसका
एक अपवाद है
वह यह हैक आ मर ा एवं
लोक याय अथवा सु
र ा हे
तुकया गया मानववध अपराध नह है|
वकृ
तच से
ता पय ऐसे से
हैजो व थ च का नह है
ऐसे चार कार के
होते
हैजनके
बारे
म कहा
जा सकता हैक वेव थ च के
नह है
–
4- म – जो गाँ
जा आ द पीता हो | वकृ
त च के
काय को ाचीन आं
ल व ध म भी आपरा धक दा य व से
छु
ट ात
थी पर तुव ध व थत नह हो पायी थी |
आरo बनाम है
टफ ड के मामले म व त ा त परी ण तपा दत कया गया | इसकेअनु
सार पागलपन का नधारण उस
उ माद म केअं
तगत होना चा हए जससे
पी ड़त होकर अ भयु ने
अपराध कया है|
यह आव यक हैक कृ य करते
समय अ भयु ऐसे
म त क दोष से
पी ड़त हो क वह अपने
कृय तथा उसके
प रणाम को
समझनेम असमथ हो |
मान सक व म से त आपरा धक दा य व से
मु का अ धकारी है
|
एक च क सक, जसने
अ भयु के
परी ण के
पूव कभी नह दे
खा हो, क राय ा नह क जानी चा हए |
द ड सं
हता क धारा 84 मैनाटन के
वाद म तपा दत स ां
तो पर आध रत है
इसकेन न ल खत आव यक त व है
-
कृ
य एक वकृ
तच ारा कया गया हो |
ऐसी च वकृ
तता काय करते
समय हो |
वह यह जानने
म असमथ हो क,
काय क कृ
त या
काय दोषपू
ण है
या
काय व ध के तकू
ल है
|
आव यक त व क ववे
चना –
1- काय एक वकृ
तच ारा कया गया होना चा हए |
बसं
ती बनाम टे ट (1989) केवाद म एक म हला जो अपनेब चेकेसाथ आ मह या करना चाहती थी, आ मह या करने
से
पू
व ही बचा ली गयी | यायालय ने
उसे धारा 84 के
अंतगत लाभ नह दया |
घू
घ
ंर मल बनाम इ परर (1989) इस वाद म अ भयु मृतक को प थर सेमारने
केबाद नद क ओर चला गया था, वहा उसने
पहले अपनेकपड़ो को छपाया फर शरीर पर लगे खू
न केध बो को साफ कया यायालय ने
उसे
धारा 84 का बचाव दे
ने से
मना कर दया यो क मामलो क प र थ तय से यह न कष नह नकाला जा सकता था क अ भयु अपराध के समय
वकृ त च ता के
कारण काय क कृ त जाननेम असमथ था |
पारसराम बनाम पं
जाब रा य के
वाद म दे
वी को स करने
केलए ब ल चढाने
पर सभी अ भयु को धारा 84 का सं
र ण
नह ा त आ था |
एस. तु
बा चे
तया बनाम असम रा य, 1976 – व धक वकृत च हे
तु यह स करना आव यक हैक स बं धत क
ाना मक मताएं ऐसी हैक वह नही जानता हैक उसनेया कया हैया उसके
काय का प रणाम या होगा |
सु
धीर च द व ास बनाम प म बं गाल केमामलेम अ भयु क उ के ता या सनक या वहार क व च ता से उ मु
के
वल व धक पागलपन ही दान करता है | इसे
ग ठत करनेहे
तु आव यक हैक म त क क वकृ त ऐसी हो जससे
अपराधी काय क कृ त जानने म या यह जानने
म क वह व ध व काय कर रहा है
, असमथ है
| ऐसी मनः थ त अपराध
करतेसमय होनी चा हए न तो उसके पहलेऔर न ही उसकेबाद |
वकृ
त च ता क स भा रता – वकृ त च ता क स भा रता अ भयु पर होती है ऐसा उपबंध भारतीय सा य अ ध नयम
क धारा 105 म हैजसे
के. एम. नानावती बनाम महारा रा य के
वाद म अपनाया गया था |
मीतुखा दया बनाम उड़ीसा रा य केवाद म यह अवधा रत कया गया क वकृ त च ता या पागलपन को पू
ण प सेस
कया जाना चा हए | स करने का दा य व अ भयु पर होता है
| यायालय अ भले
ख पर उपल ध सा य तथा मामले
के
त य एवंप र थ तय के आधार पर अ भयु को साधारण अपवाद का लाभ दे सकता है|
भारतीय व ध – भारतीय द ड सं
हता म म ता से स बंधत व ध का वणन धारा 85 तथा धारा 86 म कया गया है
| धारा
85 जहांअनैछक म ता से स बंधत हैवही धारा 86, वैछक म ता से स बं धत है|
धारा 85 के
अनु सार म ारा कया गया आपरा धक काय य है जब क काय करतेसमय अ भयु या अपने
कृय क कृ त तथा काय दोषपू
ण है या व ध के तकू ल है जानने
म असमथ होता है
जब क वह व तुजससेउसको म ता
ई उसे उसके ान केबना या इ छा केव द गयी हो |
धारा 85 के
आव यक त व न न ल खत ह –
अ भयु यह जानने
म असमथ हो , क – (a) काय क कृ
त, या (b) काय क दोषपू
ण है
, या (c) काय व ध के तकू
ल
है
|
वह व तुजससे
म ता यी वह उसके ान केबना या इ छा केव द गयी हो |
वकृ
त च ता एक तवाद है
चाहे
वह म ता से
उप ई हो या अ यथा |
आरo बनाम लीपमै
न – इस वाद म दवा के
अ य धक से
वन केकारण अ भयु को लड़क सांप दखाई दे
ती है
और वो उसे
मार डालता है
उसे
आपरा धक मानववध केलए दोषी ठहराया गया न क ह या केलए |
धारा 86 के
आव यक त व –
कोई कृ
य अपराध न होता जब तक क व श आशय या ान से
न होता |
म करने
वाली व तु
उसने
अपनेान या इ छा सेलया हो |
इस कार धारा 86 सेप हैक यह उन मामलो म बचाव तु त नह करती जनमे व श ान का होना अपराध का एक
आव यक त व है | चूँ
क इस धारा का सरा भाग व श आशय केस ब ध म मौन है
अतः यह ऐसे
मामलो म बचाव का
आधार हो सकती है|
म ता से
स बंधत भारतीय व ध क प ा या वासु
दे
व बनाम पे
सूरा य (1956 S.C.) केवाद म उ चतम यायालय ने
क | इसम एक बारात गया आ था खानेकेसमय जगह केलए उसने एक ब चे को खसकने केलए कहा
उसकेइनकार करने पर उसनेउसे गोली मार द | उ चतम यायालय ने
अ भयु को ह या केलए दोष स करतेए कहा
क जहाँतक ान का हैम को एक सामा य ा वाले के ान से
मु माना जाना चा हए | जहाँतक
आशय का हैउसका नधारण म ता को उ चत थान दे तेए सामा य प र थ तय सेकया जाना चा हए | य द अ भयु
अपना होशो-हवाश खो चु
का था तो उसकेव आव यक आशय क प रक पना नह क जाये गी |
डॉ टर हरी सह गौड़ के
अनु
सार म ता स ब धी भारतीय व ध न न ल खत प म व णत है
–
अनैछक म ता पू
ण बचाव है
|
वैछक म ता के
वल आशय के
स ब ध म बचाव है
पर तुान के
मामलो म नह |
धारा 87. स म त सेकया गया काय जससे मृयुया घोर उपह त का रत करने का आशय न हो और न उसक सं भा ता का
ान हो – कोई बात, जो मृयुया घोर उपह त का रत करने केआशय से न क गई हो और जसके बारे
म कता को यह ान न
हो क उससे मृ युया घोर उपह त का रत होना सं
भा है , कसी ऐसी अपहा न के कारण अपराध नह हैजो उस बात से 18
वष से अ धक आयु के को, जसने वह अपहा न सहन करने क चाहेअभ चाहेवव त स म त देद हो, का रत
हो या का रत होना कता ारा आश यत हो अथवा जसके बारेम कता को ात हो क वह उपयु जै सेकसी को,
जसने उस अपहा न क जो खम उठाने क स म त दे द है , उस बात ारा का रत होनी सं
भा है|
धारा 87 आं ल व ध के
सू'स मत काय से त नही होती' ( valenti non fit injuria ) पर आधा रत है
| आं
ल व ध का
यह पुर ाना स ां
त हैक य द कोई कृय पी ड़त क सहमती सेकया गया है और उस कृ य के
प रणाम व प उसे
कोई त या अपहा न होती है तो ऐसा काय अपराध नही होता है
|
'जो स म त दे
ता है
उसे त नही होती' यह रोमन व धशा क पु
र ानी उ है
|
सहम त का अथ – सहम त का ता पय है
, कयेजा रहे
काय को वीकार कर लेना | सहमती तथा समपण के
बीच अं
तर है
ये
क सहमती म समपण होता है पर तु येक समपण म सहमती नही होती है
|
धारा 87 के
आव यक त व –
काय न तो मृयुया गं
भीर चोट का रत करने
केआशय सेकया गया है
और न तो इस ान सेक काय ारा मृ
युया गं
भीर
चोट का रत होने
क सं भावना है;
सहम त प या वव त हो सकती है
1. ये
क अपनेहत का उ म नणायक है
स म त से
स बं
धत उपबं
ध साधारण अपवाद के
अधीन है
अतः इस बचाव क स भा रता का दा य व अ भयु का है
|
धारा 88 तपा दत करती हैक कता उस काय केलए द डत नही कया जाएगा जससे
स म त दाता को त होती हो,
भले ही वह काय त केआशय या ान के साथ कया गया हो |
धारा 88 के
आव यक त व –
काय मृ
युका रत करने
केआशय या उसके
संभा ता के ान से
न कया गया हो |
काय सद्भावपू
वक कया गया हो |
स म त दाता स म त दे
ने
हे
तु
स म हो |
सु
क क वराज के मामलेम अ भयु नेएक केबवासीर का आपरे
शन साधारण चाक़ूसेकर दया तथा वह वशे
ष
भी नही था | उसे
स म त का सं
र ण नही ा त होगा यो क उसनेकाय सद्भावपू वक नही कया |
नटे
शन के
वाद म एक कू ल का अ यापक जो अपनेश य को उ चत एवं
उपयु शारी रक द ड दे
ता है
ता क कू
लम
अनु
शासन बना रहे
, इस धारा के
अंतगत सं
र त होगा |
जहां
एक पता अपने
पुको आ थक लाभ केलए नपु
ं
सक बना दे
ता है
, वह इस धारा के
अंतगत सं
र त नह होता है
|
धारा 88 केअंतगत मृ
युके
अ त र कोई भी त का रत क जा सकती है
जब क धारा 87 के
अंतगत मृ
युतथा गं
भीर
चोट के अ त र कोई त का रत क जा सकती है
|
धारा 88 म सहम त दे
नेवाले के
आयु
का वणन नह कया गया है
जब क धारा 87 म सहम त दे
ने
वाले क आयु
18 वष से अ धक होनी चा हए |
धारा 89. सं
र क ारा या उसक स म त सेशशु या उ म केफायदे
केलए सद्भावपू वक कया गया काय –
कोई बात, जो 12 वष सेकम आयु के या वकृ तच केफायदेलए सद्भावपू वक उसके सं
र क के , या व धपू
ण
भारसाधक कसी सरे के ारा, या क अ भ या वव त स म त सेक जाए, कसी ऐसी अपहा न के कारण,
अपराध नह है जो उस बात से
उस को का रत हो, या का रत करने
का कता का आशय हो या का रत करने क
सं
भा ता कता को ात हो |
परं
तु
–
धारा 89 के
आव यक त व –
काय सं
र क ारा या उसक सहम त से
या व धपू
ण भारसाधक ारा कया गया हो ;
काय सद्भावपू
वक कया गया हो ;
काय 12 वष के
कम आयु
के ( शशु
) या वकृ
तच केलए कये
गया हो ; और
काय फायदे
केलए कया गया हो |
मृ
युतथा गं
भीर चोट के
अतर अ य मामलो म |
अपहा न के
उन मामलो म भी जनमेमृ
युका रत हो जाती हैक तु
मृयु
का रत करने
का आशय नह रहता अ पतु
सद्भाव से उस केलाभ हे
तु
काय कया जाता है
उम क स म त – य द वह स म त ऐसे ने
द हो जो च वकृ त या म ता के
कारण उस बात क , जसके
लए वह स म त दे
ता है
, कृ
त और प रणाम को समझने
म असमथ हो ; अथवा
शशु
क स म त – जब तक क स दभ से
त तकू
ल तीत न हो, य द वह स म त ऐसे ने
द हो जो 12 वष से
कम
आयु
का है
|
अपहा न के
भय से
एक ारा द गयी सहम त ;
त य के म के
अंतगत द गयी स म त ;
12 वष से
कम आयु
केशशुारा द गयी सहम त ;
वकृ
त च वाले ारा द गयी सहम त ;
अपहा न का भय – धारा 90 के अनुसार य द एक अपहा न के भय से अपनी सहम त देदेता हैऔर उसी समय य द
वह जो काय करता है या उसेव ास करने का कारण हैक सहम त इस भय के कारण द गयी है तो वह एक उ चत
सहम त नही होगी | अपहा न या त, जैसी क धारा 44 म प रभा षत है
, का अथ हैशरीर, म त क, यश या सं
प क त
का भय |
दशरथ पासवान के वाद म अ भयु लगातार तीन वष तक परी ा म असफल रहा और अपना जीवन समा त करना चाहा
तथा इसक सू चना अपनी प नी को भी दया | प नी ने
कहा क वह पहले उसका जीवन समा त कर देफर अपना करेगा
उसने प नी को मार डाला व अपनेआ मह या करने से
पू
व ही पकड़ा गया | यह नणय दया गया क प नी अपनी सहम त
त के भय से या त य के म म नही दया था अतः अ भयु ह या का दोषी नही है
अ पतुमानववध का दोषी है
|
त य का म – त य के म के
अंतगत द गयी सहम त उ चत एवं
वै
ध सहम त नही है
|
पु
नाई फाते
म ा के
वाद म सपे
र ा ने को उकसाया क वह सां
प से कटवा ले
तथा वह उसे
कुछ होने
न दे
गा | यहाँ
पर सपे
रा
उस क सहम त को बचाव के प म तु त नही कर सकता |
यूo बनाम बै
र ेकेवाद म यह नणय दया गया क एक व त लड़क केसाथ जो कै
द को पहचाननेएवं
उसका वणन
करने म असमथ है तथा जो पू
ण वक सत एक औरत थी जो अपनी अश थ त केबावजू
द, ती पाश वक कृ
त सेयु
हो सकती थी, मा सं
पक बला कार का पया त कारण नही है
|
इस धारा के
अनुसार य द कया गया काय का रत अपहा न केबना भी एक अपराध हैतो कता सहम त के
आधार पर अपना
बचाव नही कर सकता | उदाहरण केलए गभपात का रत करना, लोक यूसस करना, लोकसुर ा व नै
तक आचरण केव
अपराध |
धारा 92. स म त केबना कसी केफायदे केलए सद्भावपू वक कया गया काय – कोई बात जो कसी के
फायदे केलए सद्भावपू वक य प उसक सहम त केबना क गई है , ऐसी कसी अपहानी के
कारण, जो उस बात सेउस
को का रत हो जाए, अपराध नही है
य द प र थ तयां
ऐसी हो क उस केलए यह असं भव हो क वह अपनी
स म त कट करे या वह सहम त देने
केलए असमथ हो और उसका कोई सं र क या व धपू
ण भारसाधक कोई अ य
न हो जससे
ऐसे
समय पर स म त अ भ ा त करना सं
भव हो क वह बात फायदे
केसाथ क जा सके
|
सद्भावपू
वक कया गया हो ;
ां
त–
A – क, घोड़े
सेगरकर बेहोश हो गया तथा एक श य च क सक ख क यह राय हैक उसका कपाल श य या आव यक है
य द वह मृयु
का रत करनेकेआशय केबना, क के फायदेकेलए श य या करता है, तो ख ने
कोई अपराध नही कया है
|
अपवाद – धारा के
साथ सं
ल न पर तु
क धारा के
अपवाद बताते
हैअथात न न ल खत प र थ तय म धारा 92 का बचाव
नही मले
गा –
धारा 92 का व तार साशय मृ
युका रत करने
या मृ
युका रत करने
के यास पर न होगा |
धारा 92 का व तार मृ
युया घोर उपह त केनवारण के
या कसी घोर रोग या अं
ग शै
थ य से
मु करने
के योजन सेभ
कसी अ य योजन केलए नह होगा |
जब जानबू
झकर चोट प चाई गई हो |
जब कसी ऐसे
अपराध का े
रण कया गया हो जसपर भारतीय सं
हता न लागू
होती हो |
उ ेय – यह ावधान सं हता म सं
भवतः इस कारण रखा गया हैक मरणास मरनेसेपू
व अपनी इ छा क पूत
कर लेतथा वसीयत, दान-धम आ द जो भी वह करना चाहता है
उसे
करके लौ कक कत ो तथा ब धन सेमु ा त कर
सके|
ा त – जहां
एक च क सक सद्भावपू वक मरीज को यह बताता हैक उसक राय म वह अब जी वत नही रह सकता |
इस आघात के प रणाम व प उस रोगी क मृ
युहो जाती है
, च क सक ने
कोई अपराध नही कया है
|
धारा 94 के
अनु
सार कोई काय अपराध नही होता जो कसी ारा धम कय सेववश कये
जाने
केकारण कया गया
हो बशत धमक ऐसी हो जससे उसे–
मृ
युया गं
भीर त क आशं
का उ प हो गयी हो ;
आशं
का यु यु एवं
ता का लक हो ;
ऐसी आशं
का काय कये
जाने
तक वधमान रही हो ;
अपराधकता ने
जानबू
झकर अपने
को ऐसी थ त म न डाला हो |
कया गया काय ह या या रा य केव मृ
यु
द ड से
दं
डनीय अपराध सेभ हो |
धारा 94 का आधार – धारा 94 का आधार लैटन सू“Actus me invito factus non est mens actus“ हैजसका
अथ है र ेारा मे
“मे रे
इ छा केव कया गया काय मे
र ा नही है
”|