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8.

लोक- शां
त केव अपराध केवषय म (धारा 141-160)

धारा 141. व ध व जमाव (Unlawful Assembly) – धारा 141 व ध व जमाव को प रभा षत करती है
इसके
अनुसार न न ल खत शत क पू त होने
पर य केकसी जमाव को व ध व जमाव कहा जाता है –

A - पां
च या पां
च से
अ धक य का कोई जमाव हो, और

B - ऐसे
जमाव का सामा य उ ेय, न न ल खत म से
कोई एक हो -

(1) आपरा धक बल के योग या उसके दशन ारा आतं


कत करना -

a- क सरकार को, या

b- रा य सरकार को, या

c- सं
सद को, या

d- रा य वधानमं
डल को, या

c- लोक से
वक ( जो व धपू
णश का योग कर रहा हो ), अथवा

(2) कसी व ध या वै
ध आदे
शका केन पादन का तरोध कर रहा हो, अथवा

(3) र या आपरा धक अ तचार या कोई अ य अपराध कर रहा हो (अ य अपराध म कोई भी अपराध स म लत है


), अथवा

(4) आपरा धक बल के योग या दशन ारा –


a- कसी स प को क जे
म ले
रहा हो, या

b- कसी को उसके
मागा धकार या जल योगा धकार या कसी अ य अ धकार से
वंचत करना, या

c- कसी अ धकार या कसी अनु


मत अ धकार को लागू
करना,

(5) आपरा धक बल के योग या उसके दशन ारा कसी को ववश करना –

a- जो वै
ध प से
हकदार होतेए कसी काय का लोप करने
केलए, या

b- वै
ध प से
हकदार न होतेए कसी काय को करने
केलए |

प ीकरण - जो जमाव ार भ सेव धपू


ण है
वह उसके
सद य के
प ातवत काय के
कारण व ध व बन सकता है
|

पां
च या अ धक – व ध व जमाव ग ठत करनेकेलए पां च या पां
च से
अ धक य का होना आव यक है, य द कसी
वधव जमाव म मौजूद सात ना मत य म से चार दोषमु हो गयेहो तो सरेतीनो य को व ध व
जमाव के सद य होनेकेनाते
ब वा करने के
अपराध का दोषी नही ठहराया जा सकता तथा प भारतीय द ड सं
हता क धारा
34 क सहायता से उ ह फर भी मुय अपराध को का रत करने केस ब ध म स दोष ठराया जा सकता है |

सामा य उ ेय – यह आव यक हैक जमाव करने


वाले य का उ ेय सामा य हो अथात वे
सब के
सब उस उ ेय से
अवगत एवं सहमत हो |

वधव जमाव का सार है जमाव को न मत करनेवाले


सामा य उ ेय जमाव को ग ठत करने
वाले य का उ ेय
सभी केलए सामा य होना चा हए अथात सभी को उसका ान होना चा हए और सब उससेसहमत ह |

मोतीदास (1954 S.C.) म अवधा रत कया गया क एक जमाव जो आर भ म व ध अनु


कू
ल था, अपने
सद य के
बाद म
कये गयेकाय ारा व ध व म प रव तत हो सकता है
|
बालाद न बनाम रा य (1956) S.C. के
वाद म उ चतम यायालय ने यह मत कया क जमाव केथान पर दशक के
पम य के इक ा हो जाने
सेव ध व जमाव नही हो जाता है
|

धारा 142. व ध व जमाव का सद य होना (Being Member of Unlawful Assembly) – यह धारा यह प


करती हैक य द कोई यह जाननेकेबावजू द क जमाव व ध व था व ध व जमाव म बना रहता है
तो यह
समझा जाएगा क वह व ध व जमाव का सद य था और उस प म द डनीय होगा |

धारा 143. द ड (Punishment) - जो कोई व ध व जमाव का सद य होगा, वह दोन म सेकसी भी भां


त के
कारावास से, जसक अव ध 6 मास तक क हो सके गी, या जु
म ाने
से
, या दोन से
द डत कया जाएगा |

धारा 144. घातक आयु ध से स जत होकर व ध व जमाव म स म लत होना – जो कोई कसी घातक आयु ध से
, या
कसी ऐसी चीज सेजससे आ मण आयु ध के प म उपयोग कये जाने
पर मृ युका रत होनी सं
भा है
, स जत होतेए
कसी व ध व जमाव का सद य होगा, वह दोन म सेकसी भांत केकारावास से
, जसक अव ध दो वष तक क हो
सकेगी, या जु
म ाने
सेया दोन से
, द डत कया जाएगा |

धारा 145. कसी व ध व जमाव म यह जानतेए क उसकेबखर जाने का समादे


श देदया गया है
, स म लत होना या
उसम बने रहना - जो कोई कसी व ध व जमाव म यह जानतेए क उसेबखर जाने का समादेश व ध ारा व हत
कार सेदया जा चु का है, स म लत होता हैया बना रहता है
, वह दोन मे
सेकसी भांत केकारावास सेजसक अव ध 2
वष तक क होगी या जु म ाने से
, या दोन से
द डत कया जाएगा |

धारा 146. ब वा करना (Rioting) - जब कसी व ध व जमाव ारा या उसकेकसी सद य ारा ऐसे जमाव केसामा य
उ ेय को अ सर करने म बल या हसा का योग कया जाता है
, तब ऐसे
जमाव का हर सद य ब वा करने
केअपराध का
दोषी होगा |

इस धारा का आव यक त व – उपयु प रभाषा का व ष


ेण करने
पर ब वा केन न आव यक त व प होते
ह–

वधव जमाव पां


च या पां
च से
अ धक य ारा हो ;

ऐसे
जमाव का एक सामा य उ ेय हो ;

ऐसे
जमाव या उसकेकसी सद य ारा बल या हसा का योग कया गया हो |
1- यह प हैक ब वा के अपराध केलए कम से कम पांच य का होना आव यक है
य द पां
च म से
दो य को
दोषमु कर दया गया हैतो शे
ष तीन य को ब वा केअपराध केलए द डत नही कया जा सकता पर तु य द पां

या पां
च सेअ धक य का व ध व जमाव सा बत हो जाता है
, य द कु
छ य क शना त नही हो पाती या फरार
हो तो शे
ष को द डत कया जा सकता है
| (क पलदेव सह बनाम रा य )

ब वा काय कलाप क एक व श थ त म मा एक व ध व जमाव है


, वह बल योग या हसा से
यु रहता है
| बल
योग ब वा को व ध व जमाव से
अलग रखता है
|

बल तथा हसा का अथ – भारतीय द ड सं


हता क धारा 349 म ‘बल’ श द को प रभा षत कया गया है
, यहाँ
इस श द का
योग उसी अथ म आ है, ”यह के
वल य केव बल योग तक ही सी मत है |”

हसा के
वल य केव बल योग तक ही सी मत नही है
| अतः हसा बल सेव तृ
त हैयो क इसम सं
प एवं
अय
नज व व तु केव बल योग भी स म लत है
|

2 – सामा य उ ेय (Common Object) – इस अपराध का आव यक त व है सामा य उ ेय क ा त हेतुबल योग


करना, एक त य ारा मा बल योग उनमे सेसभी को ब वा करनेकेलए उ रदायी नह ठहराता एवंजमाव का
सामा य उ ेय अवैध नह है
तो यह ब वा करना नह हैभलेही उस जमाव केकसी सद य ारा बल योग आ हो |

आक मक झगड़ा (Sudden Quarrel) – य द ब त से कसी वै


ध उ ेय से
इक ेए है
, और बना कसी पू

आशय या कामना के
अचानक झगड़नेलगते हैतो वे
ब वा करने
केलए द डत नह ह गे
|

ब वा तथा व ध व जमाव के बीच भे


द – य द दोन प अपने उ ेय को हसा ारा यथाथतः न पा दत करते है
, तथा
उप वी ढंग सेएक त होते है
, तो यह एक ब वा होगा, क तु
य द वेएक योजन वश के वल मलते है
, जसेसंपा दत कया
जाए तो वेब वाकारी बन जातेहै तथा बना कु
छ कये और अपनेयोजन को सं पा दत कये ही वेबखर जातेहै
, तो यह एक
वधव जमाव माना जाएगा |

ब वा और दं
गा म अं
तर – दं
गा ब वे
सेभ होता है

दं
गा कसी ाइवे
ट थान पर नह कया जा सकता क तु
वहां
पर ब वा हो सकता है
|

दं
गा के
वल दो या उससे
अ धक य ारा कया गया हो सकता है
पर तु
ब वा पां
च या अ धक य ारा ही कया जा
सकता है|
ब वा के
अपराध केलए लोकशां
तम व नप च
ंना आव यक नह है
वही दं
गा का अपराध तभी ग ठत होगा जब क
लोकशांतम व नप चंे
|

ब वा और हमला –

ब वा कसी सावज नक थान पर कया जा सकता है


, जब क हमला कही भी कया जा सकता है
|

ब वा सावज नक शां
त केव अपराध है
, जब क हमला कसी केव अपराध है
|

धारा 147. ब वा करने


केलए द ड (Punishment for Rioting) – जो कोई ब वा करने
का दोषी होगा वह न न प से
द डनीय होगा –

दोन म सेकसी भां


त के
कारावास से
, जसक अव ध दो वष तक क हो सके
गी |

या जु
म ाने
से
, या दोन से
|

धारा 148. घातक आयुध सेस जत होकर ब वा करना – जो कोई घातक आयु ध से, या कसी ऐसे चीज से
, जससे
आ मण आयु ध के प म कये जानेपर मृ
युका रत होनी सं
भा हो, स जत होतेए ब वा करने का दोषी होगा, वह दोन
म सेकसी भां त के
कारावास से
, जसक अव ध तीन वष तक क हो सके गी या जुम ानेसेया दोन सेद डत कया जाएगा |

नोट – यह एक संे
य अपराध है
, जो क थम ण
ेी के
मज े
ट ारा जमानतीय और वचारणीय है
|

धारा 149. व ध व जमाव का ये


क सद य, सामा य उ ेय को अ सर करने
केलए कये
गए अपराध का दोषी –

सामा य उ ेय (Common Object) – भारतीय द ड सं हता 1860 क धारा 149 म सामा य उ ेय का उ लेख है जो इस
कार है -यद वध व जमाव केकसी सद य ारा उस जमाव के सामा य उ ेय को अ सर करनेम अपराध कया
जाता है
, या कोई ऐसा अपराध कया जाता है
, जसका कया जाना उस जमाव के सद य उस उ ेय को अ सर करने म
सं
भा जानते थे, तो हर , जो उस अपराध केकये
जानेकेसमय उस जमाव का सद य है , उस अपराध का दोषी होगा |

इसे
इस कार भी कया जा सकता हैक –

वधव जमाव केकसी सद य ारा कोई अपराध कया जाना चा हए |

ऐसा अपराध जमाव के


सामा य उ ेय को अ सर करने
म कया जाना चा हए या ऐसा हो जसका कया जाना जमाव का हर
सद य सं
भा जानता हो |
सामा य उ ेय का अथ – जब व ध व जमाव केकसी सद य ारा कोई आपरा धक कृ
य कर दया जाता है
तो माना
जाएगा क सभी सद य उस कृ य केहोने
का सं
भा जानतेथे|

आव यक त व – इसकेन न ल खत आव यक त व है

वधव जमाव केकसी सद य ारा,

जमाव के
सद य ारा अपराध का रत करना,

ऐसा अपराध जो सामा य उ ेय को अ सर करने


म कया गया,

ऐसा काय जसका होना जमाव के


सभी सद य सं
भा जानते
थे|

वधव जमाव केकसी सद य ारा – व ध व जमाव के स ब ध म भारतीय द ड सं


हता 1860 क धारा 141 म
उ ले
ख कया गया हैजसके अनुसार – पां
च या अ धक य का जमाव “ व ध व जमाव” कहा जाता है
य द उन
य का, जनसे वह जमाव ग ठत आ है सामा य उ ेय हो |

मू
सा खां
बनाम महारा रा य के
मामले म अदालत नेनणय दया क दशक, या ी या अचानक भीड़ म आ जाने
वाले
को
वधव जमाव का सद य नह माना जाएगा |

इस कार जब तक क यह सा बत न हो जाए क वह उ ेय जानता था, और य द वह जमाव के


हर याकलाप म
शा मल हो तो व ध व जमाव का सद य माना जाएगा |

जमाव के
सद य ारा अपराध का रत करना – जमाव केकसी सद य ारा कोई अपराध का रत कया जाता है
तो उस
जमाव के
सभी सद य उस घटना केलए ज मे दार ह गे
|

यू
नस बनाम म य देश (2003) इस मामलेम उ चतम यायालय नेयह अ भ नधा रत कया क दोष स केलए अ भयु
क वधव जमाव के सद य के प म उप थ त ही पया त है
यह त य क अ भयु व ध व जमाव का सद य था
और घटना थल पर उसक उप थ त ववा दत नह है , उसे
दोषी अ भ नधा रत करने
केलए पया त हैभलेही उस पर कोई
य कृ य करने
का दोष नह है |

ऐसा अपराध सामा य उ ेय को अ सर करने


म कया गया – जमाव के
सद य ारा कया गया काय व ध व जमाव के
उ ेय को अ सर करने म कया गया हो |
रमेश एवंअ य बनाम ह रयाणा रा य (2001) S.C. के
वाद म अपीलाथ गण अ से सु
स जत होकर एक थान पर एक
ए और उसके प ात घटना थल पर आये और एक साथ हमला या हार करना शु कर दया | जब मृ तक ने इसका
तरोध कया तब उस जमाव के एक सद य नेउस पर घातक हार कर मृयुका रत कर द , इन त य के
आधार पर यह
अ भ नधा रत कया गया क अपीलाथ व ध व जमाव केसद य हैऔर अपराध सामा य उ ेय के अ सर करने म
का रत कया गया है, अतएव उनमे से येक वधव जमाव केकसी सद य ारा का रत अपराध हे तुभी दा य वाधीन है
|

ऐसा काय जसका होना जमाव के सभी सद य सं


भा जानते थे– वधव जमाव केकसी सद य ारा का रत कसी
घटना केस ब ध म यह माना जाता हैक सं
भा तः सभी जमाव केसद य जानते
थे|

पी. सी. मै
थू
बनाम टे ट के वाद म पु
लस नेदो य को पकड़ लया था जसको छु ड़ाने
केलए गाँव केलोग लाठ -डं
डेसे
लैस होकर थानेका घेर ाव कया जहांपुलस एवंामीण क झड़प मे दो पु
लस वालो क मृयु
हो गयी | यायालय नेनणय
दया क रा के 12 बजे थानेपर लाठ डं
डेसे लै
स होकर जाना यह सा बत करता हैक सभी ामीण इस भयं कर प रणाम
को जानते थे
, अतः पू
र ेामीण को दोषी माना गया |

सामा य आशय तथा सामा य उ ेय म अं


तर –

वरे सह बनाम म य दे
श रा य (2011) के
वाद म भारतीय द ड सं
हता क धारा 34 और 149 म अं
तर प कया गया
जो न न है

1 – जब पां
च या पां
च से
अ धक लोग मलकर कोई काय करते
हैया काय करने
का आशय रखते
ह तब भारतीय द ड
संहता क धारा 34 और 149 दोन ही लागू
हो सकते
ह|

धारा 149, धारा 34 क अपेा अ धक व तृ त अथ वाली है


और ऐसेमामलो म जहांधारा 149 लागू
होती है
, वह त न हत
दा य व उन लोगो के स ब ध म होती है
जो वा त वक प से अपराध का रत नही करते
ह|

2 – धारा 34 तथा 149 दोन धाराएं


संयु आपरा धक दा य व केस ां त से
स बंधत है
तथा लगभग सम प है | बार
कुमार घोष बनाम ए परर केमामलेम वी क सल ने यह नद शत कया क सम पता के बावजू
द यह धारा 34 तथा 149
के ेतथा लागू होनेम अ यंत अं
तर है
| धारा 34 क अपेा धारा 149 अ धक व तृ
त है
|
नानक च बनाम पं
जाब रा य 1955 S.C. केमामले
म तथा अ य मामलो म भी उ चतम यायालय ने
धारा 34 तथा धारा
149 म अं
तर प कया है, संपेम दोन धारा म न न मह वपूण अंतर है–

धारा 34 सामा य आशय के


बारे
म है
, वही धारा 149 सामा य उ ेय के
बारे
म है
|

धारा 34 सा य केएक नयम का उ ले


ख करती है
तथा कसी व श अपराध का सृ
जन नही करती है
| धारा 149 सा य के
नयम के साथ-साथ व श अपराध का सृ
जन करती है
|

धारा 34 के
अंतगत सामा य आशय कसी भी कार का हो सकता है | धारा 149 के
अंतगत सामा य उ ेय धारा 141 म
व णत उ ेय म सेही हो सकता है
| इस कोण से धारा 34 अ धक व तृ त दखती है
पर तु
यह स य नही हैय क धारा
141 के ख ड 3 केअंतगत “अ य अपराध" म कोई भी अपराध शा मल है |

धारा 34 म अपराध के
पू व सभी सद य केम य म त क का मलन आव यक है वही धारा 149 केलए म त क का पू

मलन आव यक नही है , अवैध सभा क सद यता मा ही पया त है
| इस कोण से
धारा 149, धारा 34 क अपेा
ापक है |

धारा 34 के
अंतगत सामा य आशय क वृ केलए कये गयेअपराध ही के
वल द डनीय है धारा 149 म अवै
ध सभा के
सद य कये गये
अपराध के साथ-साथ उन काय केलए भी उ रदायी है
, ज ह सामा य उ ेय क पू त म कयेजाने

सं
भा ता ात होती है, इस कोण सेभी धारा 149 ापक है
|

धारा 34 केलए कम से
कम दो य का होना अ नवाय है
धारा 149 केलए कम से
कम पां
च य का होना
अ नवाय है|

धारा 34 जन सामा य से
स बं
धत है
, धारा 149 लोक शां
त से
स बं
धत है
|

धारा 150. व ध व जमाव म स म लत करनेकेलए य को भाड़े


पर ले
ना या भाड़े
पर लेनेके त मौनानु कूलता -
इस धारा म उन य केलए द ड का ावधान कया गया है
जो न तो े
रक है
, और न ही भागीदार, वरन वेव ध व
जमाव के सृजन म सहायक होनेकेनाते
द डत होते
ह|

इस धारा के
अनु
सार कसी को द डत करने
केलए न न शत अपेत ह –

1- य द –

उसनेकसी को व ध व जमाव के
सद य होने
केलए लया हो या वचनब कया हो या नयो जत कया हो |

उसनेकसी को व ध व जमाव का सद य बनाने


अथवा उसम स म लत होने
केलए भाड़े
पर ले
ते
समय या
नयो जत करते
समय े रत कया अथवा मौन वीकृत कया |

2- ऐसे
भाड़े
पर लए गये ने
भाड़े
पर ले
ने
या वचनब करने
या नयो जत करने
केअनु
सरण म एक अपराध कया हो |
धारा 151. पां
च या अ धक य के जमाव को बखर जाने का समादेश दए जानेकेप ात उसम जानतेए स म लत
होना या बने
रहना - जहाँ
पां
च या अ धक य के जमाव को बखर जाने का समादे
श दए जाने
के प ात भी कोई
उसम स म लत होगा, बना रहे
गा, वह 6 मास का कारावास या जु
म ाने
या दोन सेद डत कया जाएगा |

प ीकरण – य द वह जमाव धारा 141 के


अथ के
अंतगत व ध व जमाव हो, तो अपराधी धारा 145 के
अधीन द डनीय
होगा |

धारा 152. लोक सेवक जब ब वे इ या द को दबा रहा हो, तब उसपर हमला करना या उसे बा धत करना – इस धारा का
आशय एक लोक से वक केव यु बल योग को नरो धत करना है , जब क वह अपने पद य कत ो केनवहन म
कसी व ध व जमाव केबखरने का या ब वेया दं
गे को दबाने का यास कर रहा हो तब, य द कोई उसपर हमला
करेगा या उसको हमलेका धमक दे गा या उसके काम म बाधा डाले गा या डालने का य न करे गा या ऐसे
लोक सेवक पर
आपरा धक बल का योग करे गा या करने क धमक दे गा, या करने का य न करे गा, वह दोन म सेकसी भां त केकारावास
से
, जसक अव ध तीन वष तक क होगी, या जु म ाने
से, या दोन से, द डत कया जाये गा |

धारा 153. ब वा कराने


केआशय से या वै रता सेकोपन दे ना – य द ब वा कया जाए – य द बलवा न कया जाए - जो
कोई अवैध बात करनेारा कसी को वैमन यता से या वैरता सेको पत इस आशय से या यह सं
भा जानतेए
करेगा क ऐसेकोपन के प रणाम व प ब वे का अपराध कया जाएगा, तो वह दोन म सेकसी भां त केकारावास से
,
जसक अव ध 6 माह तक क हो सके गी या, जु
म ाने
सेया दोन से, द डत कया जाएगा |

पर े
ष ( वै
मन यता ) – ‘ प र े
ष से
‘ का अथ है
, भावना से
| अतः प र े
ष का ता पय है
, अ य धक श ु
तापू
ण री त से
|
अथात घोर राशय, |

वै
रता से
– इस श द का ता पय असावधानी से
, अ वचार से
तथा उ चत अथवा प रणाम को सोचेबना से
है|

धारा 153-A. धम, मू


लवंश, ज म- थान, नवास- थान, भाषा इ या द के
आधार पर व भ समू ह के बीच श ु
ता का
संवतन और सौहा बने रहनेपर तकू ल भाव डालने वालेकाय करना – इस धारा को 2005 म संशोधन ारा जोड़ा गया
है
, धम, मू
लवं
श, भाषा, ज म- थान, नवास- थान इ या द आधार पर व भ समू ह के बीच श ु
ता का संवतन और सौहा
बने रहनेपर तकू ल भाव डालने वाले काय को अपराध घो षत करती है|

यह धारा दो खं
डो म है
| उपधारा दो के
अनु
सार, जो कोई उपधारा एक म व न द अपराध कसी पू जा केथान म या कसी
जमाव म जो धा मक पूजा या धा मक काय करने म लगा आ हो, करेगा वह कारावास से
जो पां
च वष तक हो सके
गा और
जु
म ाने
सेभी द डत होगा |

शव कु मार म बनाम उ र दे श रा य केवाद म इलाहाबाद उ च यायालय ने अ भ नण त कया क धारा 153-A इस


मामले म लागू
नही होती, य क अ भक थत ले ख म अ भयु ने ऐसा कु
छ नही कहा था जससेव भ धा मक, जातीय या
भाषायी वग या जा तय या समु
दाय के बीच धम, वग, भाषा, जात या समु
दाय केआधार पर ई या या व े
ष क भावना
उ प हो | (अ भक थत ले ख म जसमे लोगो ने
अपील कया था क वे चु
नाव का ब ह कार कर, न सली या-कलाप को
बढ़ावा द )

धारा 153-B. रा ीय अखं डता पर तकू ल भाव डालनेवाले


लांछन, ा यान – यह धारा इस सं
हता क धाराओ 153-A
तथा 295-A म व णत उपबं धो को पूण करने
के उ ेय से
जोड़ी गयी है
| व मान धाराएं
लोगो क आप जनक कायवा हय
को द डत करती है , क तुयह धारा एक संथा को उसके
आप जनक उ ेय केलए द डनीय बनाती है | यह धारा ऐसी
संथा क आप जनक कायवा हय को समा त करने का यास करती है|

धारा 154. उस भूम का वामी या अ धभोगी, जसपर व ध व जमाव कया गया – इस धारा केअं
तगत वह भूम का
वामी या अ धभोगी दोषी होगा, जसक भू म पर व ध व जमाव कया गया है
| इस धारा के
अंतगत तीन कार से
लोगो
को दा य वाधीन बताया गया हैजो न न ह –

भू
वामी

अ धभोगी तथा

उस भू
म, जस पर व ध व जमाव या ब वा कया गया है
, म हत रखने
वाला या हत का दावा करने
वाला |

धारा 155. उस का दा य व, जसके


फायदेकेलए ब वा कया जाता है
– इस धारा के
अंतगत वह ब वे
का
दायी होगा जसके
फायदेकेलए ब वा कया गया हो |

नोट – यह धारा मा ब वा कये


जाने
सेस बं
धत है
, वधव जमाव से
नही |

धारा 156. उस वामी या अ धभोगी केअ भकता का दा य व, जसके फायदेकेलए ब वा कया जाता है
– यह धारा ऐसे
को दा य वधीन ठहराती है
जो कसी वामी या अ धभोगी का अ भकता है
तथा जसके फायदेकेलए ब वा कया
जाता है|

धारा 157. व ध व जमाव केलए भाड़ेपर लायेगए यो को संय देना – इस धारा के


अनु
सार जो कोई अपने
अ धभोग या नयंण के
अधीन कसी गृ
ह या प रसर म क ही यो को यह जानतेए क वे वधव जमाव म
स म लत होनेया सद य बनने केलए भाड़े पर लाए गए हैया वचनब या नयो जत कये
गए है
, उ ह संय दे
गा या
स म लत करेगा वह छः मास केकारावास या जु
म ाने
सेया दोन सेद डत होगा |

धारा 158. व ध व जमाव या ब वेम भाग लेने


केलए भाड़े पर जाना – यह धारा व ध व जमाव या ब वेम भाग
लेनेकेलए भाड़े पर लए जानेको द डनीय घो षत करती है
, अतः अपराधी को छः मास तक के
कारावास या जु
म ाने
या
दोन से द डत कया जाएगा |

धारा 159. दं
गा (Affray) – जब क दो या अ धक लोक थान म लड़कर लोक शां त म व न डालतेहै
, तब यह कहा
जाता हैक वे “दंगा करते
” है| दं
गा श द का अंे
जी affray होता है
, जो च भाषा के affraier से
बना हैजसका अथ है
“आतं कत करना” इस कार दं गा केअपराध का अथ है - जनता को आतं कत करना |

धारा के
आव यक त व –

कसी लोक थान म लड़ाई ई हो |

दो या दो से
अ धक य के
बीच लड़ाई ई हो |

लड़ाई के
कारण लोक शां
त म बाधा प च
ंे|

1. सावज नक थान म लड़ाई – दं गा केअपराध केलए यह आव यक हैक लड़ाई सावज नक थान पर हो | सावज नक
थान वह थान होता हैजहाँजनता जाती है| कसी को उस थान पर जाने
का अ धकार है
, क नह यह बात मह पूण
है
, कोई बना ा धकार केजाता हैतो अ तचारी के
दायरेम आयेगा | जै
से
– रे
लवेटे
शन, च क सालय, सने म ाहाल,
मं दर, म जद आ द म दं
गा हे
तु
दो या अ धक य केबीच हार का आदान दान आव यक होता है |

2. दो या अ धक – दं
गा के
अपराध केलए कम से
कम दो य का होना आव यक है
, ले
कन य क संया
दो सेभी अ धक हो सकती है
|

3. लोकशां त म बाधा डालना – दं


गा के
अपराध केलए आव यक हैक लोकशां
तम वधान पड़े
| लोगो को असु
वधा
प चंाना लोकशां त म भं
ग नह माना जाता है
|

दं
गा और ब वा म अं
तर –
दं
गा लोक थान म हो सकता है
, जब क, ब वा नजी या सावज नक दोन थान म हो सकता है
|

दं
गा म दो या अ धक य का होना आव यक है
, जब क, ब वा म कम से
कम पां
च य का होना आव यक है
|

दं
गा म व ध व जमाव आव यक नह है
, जब क ब वा म व ध व जमाव आव यक है
|

धारा 160. दंगा केलए द ड – दं


गा केलए एक माह तक का कारावास या जु
म ाने
सेजसक रा श एक सौ पये
तक का
हो सकेगा या दोन सेद डत कया जाएगा |

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