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एक छोटे बच्चे की हसने की आवाज़ आती है .

Narration :- क्या आप पहचान सकते है ये हसने वाला है या हसने वाली. कुछ सेकंड का सन्नाटा

मश्कि
ु ल हुआ न पहचानना की वो बच्चा एक लड़का है , लड़की है या ( कुछ दे र का सन्नाटा) अर्धनारीश्वर
क्योकि भगवान जमीन पर लड़का लड़की नही एक बच्चे को भेजते हैं. लेकिन समाज उसे कभी लिंग, कभी
धर्म तो कभी जाति के आधार पर बाँट दे ता है . जब भगवान ने बच्चे की हसी या रोने में भेदबाव नहीं
किया तो शायद ये समाज उससे बड़ा ही होगा जो आज भी लिंग को दो हिस्सों में बांटता है . लेकिन
तीसरा जिनमे दोनों मौजूद है उसे हमेशा धिक्कारता हैं. कहते है माँ बाप साथ हो तो सब मुश्किल आसान
होती है लेकिन समाज के दबाव की वजह से वो भी इनसे मुह मोड़ लेते हैं . जब भी इनका नाम आता है
तो इंजिनियर डॉक्टर टीचर आदि की जगह बस ताली और गाने की आवाज़ याद आती है . समाज ने उन्हें
कागज़ी तौर पर अधिकार दे दिया पढने का लेकिन मानसिक तौर पर उन्हें सिर्फ दी है तो प्रताड़नाए. कहा
लिखा है की उनका काम सिर्फ गाना और ताली बजाना है आप मौका तो दीजिये वो दनि
ु या जीत के
दिखाएँगे.

जब भगवान ने उनमे भेदबाव नहीं किया तो हम कौन होते है . सिर्फ कागज़ी तौर पर नहीं उन्हें सामाजिक
तौर पर उनके अधिकार दीजिये. उन्हें पढने दीजिये, उन्हें जीने दीजिये उनसे सम्मान का हक न छीनिए

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