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UTHHAN

Pooja Agnihotri ( Public Relations Executive)


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लॉक डाउन ने कारीगरों से छीना उनका निवाला, उत्थान ने दी एक नयी रौशनी की किरण
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भारत में कला और कारीगरों की कभी भी कमी नही रही हैं. अगर कमी रही है तो वो इन
कारीगरों को सम्मान उनका हक मिलने की. उनकी बनाई हुई कलाकृति का उपयोग दे श और दनि
ु या
भर के शीर्ष डिजाइनरों द्वारा बिना किसी श्रेय के किया जाता है । लॉक डाउन की वजह से जनता को
शारीरिक व ् आर्थिक दोनों तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है . इस लॉक डाउन का सबसे
ज्यादा बुरा असर कारीगरों व ् मजदरू ों पर हुआ है जिनका रोजाना काम उनकी आय का श्रोत होता है .
2012 से यूटीएचएएन टीम ने कई कारीगरों से मुलाकात की, जिन्होंने दस
ू रो के घरो को सजाने के लिए
कई संद
ु र उत्पाद बनाए, लेकिन अपने जीवन यापन के लिए पैसा भी नहीं कमा सके। परिणामस्वरूप
अब कारीगर अपनी इन्ही अद्भत
ु कलाओं से नफरत करने लगे है और इसे जारी नही रखना चाहते हैं.

दे श में इन कारीगरों की संख्या लगभग 47 लाख से भी ज्यादा है लेकिन इनमे से कितने ऐसे हैं
जिनके परिवार का पालन अच्छे से हो पा रहा हैं. इस समय दे श एक ऐसे खतरनाक वायरस से लड़
रहा है जिसने सब कुछ तबाह कर रखा है . कई ऐसे काम है जिनकी वजह से हमारे घरो की रौनक तो
सजती है लेकिन इनके घरो की रौनक आजकल लॉक डाउन की वजह से बझ
ु ी हुई है . यह लोग लॉक
डाउन की वजह से अपनी आमदनी के साधन खो चुके हैं. ऐसे में इनके लिए दो वक़्त की रोटी भी
इकठा करना बहुत मुश्किल हो रहा है . ऐसे में उत्थान इनकी मदद कर सकता है .

उत्थान ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से कारीगरों का सामान लोगों तक पहुंचाता है . इसमें लोगों
और कारीगरों के बीच सीधा संपर्क होने की वजह से उन्हें उनकी मेहनत का परू ा पैसा मिलता है . आज
कई अलग प्लेटफार्म है जो हस्तशिल्प के सहारे पैसा कमा रहे हैं लेकिन क्या इनको बनाने वाले को
सही पैसा मिल रहा है . इससे कारीगरों को नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। कारीगरों के
समुदाय का समर्थन करें क्योंकि यह भारत में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है । UTHHAN- भारत में
कारीगरों को सशक्त बनाने वाली पहली पहल है जहाँ बिना किसी बिचौलिए के कलाकृतियों की बिक्री
का लाभ सीधे कारीगर के पास जाता है .

यूटीएचएएन एक ईकॉमर्स-आधारित मॉडल का अनुसरण करता है , जहां यह सीधे कारीगरों के उत्पादों


को प्रदर्शित करता है । कीमत का फैसला कारीगरों द्वारा ही किया जाता है । यहा बहुत ही उचित दामों
में कारीगरों के उत्पाद को लोगो तक पहुँचाया जाता है . इस लॉक डाउन के समय पर यह कारीगर
अपने घरों से अपने द्वारा बनाए उत्पादों को उत्थान के जरिये बेच रहें हैं. लॉक डाउन के समय में
उत्थान के जरिये करीब 1000 परिवार की आमदनी हो रही है जिससे उनके रोज़मर्रा के खर्चे चल रहें
हैं. दे श के कई राज्य जैसे ओड़िसा, कर्नाटका, केरे ला बिहार और झारखण्ड के कारीगरों को लॉक डाउन
के समय उत्थान के जरिये मदद मिल रही है . उत्थान ने कारीगरों के लिए वेबसाइट और मोबाइल एप
दोनों ऊंच किये है ताकि किसी प्रकार की कोई परे शानी न आए.
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UTHHAN मोबाइल एप्लिकेशन कई भाषाओं (अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, तमिल, मलयालम और तेलुगु) में
लॉन्च किया गया है ताकि विभिन्न जगहों के लोग इससे आसानी से जुड़ सकें. 10000 से अधिक
कारीगरों के परिवारों का नामांकन पहले ही पूरा हो चुका है . योजना के तहत परिवारों को कारीगर
पहचान पत्र (एआईडी) जारी किया जाता है . कारीगर परिवारों के उत्पादों की विस्तत
ृ श्रंख
ृ ला पहले से ही
प्रदर्शित की गई है .

उत्थान के संस्थापक लेमन रवि ने अपने वक्तव्य में कहा की, “हमारा मिशन हमारे कारीगरों के
लिए उचित मल्
ू य सनि
ु श्चित करना है , जबकि धीरे -धीरे एक आत्मनिर्भर उद्यम का निर्माण करना है ।
हम शिल्प को बढ़ावा दे ने और समर्थन की आवश्यकता के लिए लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए
तत्पर हैं.” उत्थान का उद्देश्य क्षेत्र और जिले के अनुसार अधिकतम परिवारों का नामांकन करना और
एक ही छत के नीचे सहयोग करना है । एक बार परिवारों को नामांकित होने के बाद, यह उन्हें
हस्तकला डिजाइन बनाने में मदद करता है जो बाजार में लोकप्रिय हैं। चूंकि यह एक ऑनलाइन
मार्के ट प्लेस है , इसलिए यह कारीगरों को मात्रा के बजाय विविधता पर जोर दे ने के लिए प्रेरित कर
रहा है । अंतिम उपयोगकर्ता से भुगतान बिना किसी बिचौलियों के सीधे संबंधित कारीगर के खातों में
जाएगा।

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