You are on page 1of 108

राष्ट्रीय शिक्षा नीशि

2020

मानव संसाधन शवकास मंत्रालय

भारि सरकार
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या

पररचय 5

भाग I. स्कूल शिक्षा

1. प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाल और शिक्षा: सीखने की नी ंव 11

2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने के शलए एक िात्काशलक 13


आवश्यकिा और पूववििव

3. ड्र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की 16


साववभौशमक पहंच सुशनशिि करना

4. स्कूलचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र: अशधगम समग्र, एकीकृि, 18


आनंददायी और रुशचकर हचना चाशहए

5. शिक्षक 32

6. समिामूलक और समावेिी शिक्षा: सभी के शलए अशधगम 40

7. स्कूल कॉम्प्लेक्स/क्लस्टर के माध्यम से कुिल संसाधन और प्रभावी गवनेंस 46

8. स्कूली शिक्षा के शलए मानक शनधावरण और प्रत्यायन 50

भाग II. उच्िर शिक्षा

9. गुणवत्तापूणव शवश्वशवद्यालय एवं महाशवद्यालय: भारिीय उच्िर शिक्षा 54


व्यवस्था हेिु एक नया और भशवष्यचन्मुखी दृशष्ट्कचण

10. संस्थागि पुनगवठन और समेकन 56

11. समग्र और बह-शवषयक शिक्षा की ओर 59

12. सीखने के शलए अनुकूलिम वािावरण व छात्रचं कच सहयचग 63

13. प्रेररि, सशक्रय और सक्षम संकाय 66

1
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या

14. उच्िर शिक्षा में समिा और समावेि 68

15. शिक्षक शिक्षा 69

16. व्यावसाशयक शिक्षा का नवीन आकल्पन 72

17. नवीन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डे िन (एनआरएफ) के माध्यम से सभी क्षेत्रचं 74


में गुणवत्तायुक्त अकादशमक अनुसंधान कच उत्प्रेररि करना

18. उच्िर शिक्षा की शनयामक प्रणाली में आमूल-चूल पररविवन 77

19. उच्िर शिक्षा संस्थानचं के शलए प्रभावी िासन और नेिृत्व 81

भाग III. अन्य केंद्रीय शवचारणीय मुद्दे

20. व्यावसाशयक शिक्षा 83

21. प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपयंि सीखना 85

22. भारिीय भाषाओं, कला और संस्कृशि का संवधवन 88

23. प्रौद्यचशगकी का उपयचग एवं एकीकरण 94

24. ऑनलाइन और डिडिटल डिक्षा: प्रौद्यचशगकी का न्यायसम्मि उपयोग 97


सुडनडित करना

भाग IV. शक्रयान्वयन की रणनीशि

25. केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बचड्व का सिक्तीकरण 101

26. शवत्त पचषण: सभी के शलए वहनीय एवं गुणवत्तापूणव शिक्षा 101

27. कायावन्वयन 103

प्रयुक्त संकेिाक्षरचं की सूची 105

2
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

पररचय

शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के शवकास और राष्ट्रीय
शवकास को बढावा दे ने के शिए मूिभूत आवश्यकता है । गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक सावणभौशमक पहुँच प्रदान
करना वैशिक मंच पर सामाशजक न्याय और समानता, वैज्ञाशनक उन्नशत, राष्ट्रीय एकीकरर् और सां स्कृशतक
संरक्षर् के संदभण में भारत की सतत प्रगशत और आशथणक शवकास की कुंजी है। सावणभौशमक उच्चतर स्तरीय
शिक्षा वह उशचत माध्यम है, शजससे दे ि की समृद्ध प्रशतभा और संसाधनों का सवोत्तम शवकास और संवद्धण न
व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और शवि की भिाई के शिए शकया जा सकता है । अगिे दिक में भारत दु शनया का
सबसे युवा जनसंख्या वािा दे ि होगा और इन युवाओं को उच्चतर गुर्वत्तापू र्ण िैशक्षक अवसर उपिब्ध
कराने पर ही भारत का भशवष्य शनभणर करे गा।

भारत द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत शवकास एजेंडा 2030 के िक्ष्य 4 (एसडीजी 4) में पररिशक्षत वैशिक
शिक्षा शवकास एजेंडा के अनुसार शवि में 2030 तक ‘’सभी के शिए समावेिी और समान गुर्वत्तायुि
शिक्षा सुशनशित करने और जीवन-पयंत शिक्षा के अवसरों को बढावा शदए जाने’’ का िक्ष्य है । इस तरह के
उदात्त िक्ष्य के शिए संपूर्ण शिक्षा प्रर्ािी को समथणन और अशधगम को बढावा दे ने के शिए पुनगणशित करने
की आवश्यकता होगी, ताशक सतत शवकास के शिए 2030 एजेंडा के सभी महत्वपूर्ण टागेट और िक्ष्य
(एसडीजी) प्राप्त शकए जा सकें।

ज्ञान के पररदृश्य में पूरा शवि तेजी से पररवतणन के दौर से गुजर रहा है । शबग डे टा, मिीन िशनंग और
आशटण फीशसयि इं टेशिजेंस जैसे क्षेत्ों में हो रहे बहत से वैज्ञाशनक और तकनीकी शवकास के चिते एक ओर
शवि भर में अकुिि कामगारों की जगह मिीनें काम करने िगेंगी और दू सरी ओर डे टा साइं स, कंप्यूटर
साइं स और गशर्त के क्षेत्ों में ऐसे कुिि कामगारों की जरूरत और मांग बढे गी जो शवज्ञान, समाज शवज्ञान
और मानशवकी के शवशवध शवषयों में योग्यता रखते हों। जिवायु पररवतणन, बढते प्रदू षर् और घटते प्राकृशतक
संसाधनों की वजह से हमें ऊजाण , भोजन, पानी, स्वच्छता आशद की आवश्यकताओं को पूरा करने के नए
रास्ते खोजने होंगे और इस कारर् भी जीव शवज्ञान, रसायन शवज्ञान, भौशतक शवज्ञान, कृशष, जिवायु शवज्ञान,
और समाज शवज्ञान के क्षेत्ों में नए कुिि कामगारों की जरूरत होगी। महामारी और महामारी के बढते
उद्भव संक्रामक रोग प्रबंधन और टीकों के शवकास में सहयोगी अनुसंधान और पररर्ामी सामाशजक मुद्दे
बह-शवषयक अशधगम की आवश्यकता को बढाते हैं। मानशवकी और किा की मांगबढे गी , क्ोंशक भारत
एक शवकशसत दे ि बनने के साथ-साथ दु शनया की तीन सबसे बडी अथणव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर
अग्रसर है।

रोज़गार और वैशिक पाररक्तस्थशतकी में तीव्र गशत से आ रहे पररवतणनों की वजह से यह जरुरी हो गया है शक
बच्चे, जो कुछ शसखाया जा रहा है, उसे तो सीखें ही और साथ ही वे सतत सीखते रहने की किा भी सीखें।
इसशिए शिक्षा में शवषयवस्तु को बढाने की जगह जोर इस बात पर अशधक होने की ज़रूरत है शक बच्चे

3
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

समस्या-समाधान और ताशकणक एवं रचनात्मक रूप से सोचना सीखें, शवशवध शवषयों के बीच अंतसंबंधों को
दे ख पायें, कुछ नया सोच पायें और नयी जानकारी को नए और बदिती पररक्तस्थशतयों या क्षेत्ों में उपयोग में
िा पायें। जरूरत है शक शिक्षर् प्रशक्रया शिक्षाथी-केक्तित हो, शजज्ञासा, खोज, अनुभव और संवाद के आधार
पर संचाशित हो, िचीिी हो और समग्रता और समक्तित रूप से दे खने-समझने में सक्षम बनाने वािी और,
अवश्य ही, रुशचपूर्ण हो। शिक्षा शिक्षाशथणयों के जीवन के सभी पक्षों और क्षमताओं का संतुशित शवकास करे
इसके शिए पाठ्यक्रम में शवज्ञान और गशर्त के अिावा बुशनयादी किा, शिल्प, मानशवकी, खेि और
शफटनेस, भाषाओं, साशहत्य, संस्कृशत और मूल्य का अवश्य ही समावेि शकया जाये। शिक्षा से चररत् शनमाणर्
होना चाशहए, शिक्षाशथणयों में नैशतकता, ताशकणकता, करुर्ा और संवेदनिीिता शवकशसत करनी चाशहए और
साथ ही रोज़गार के शिए सक्षम बनाना चाशहए।

सीखने के पररर्ामों की वतणमान क्तस्थशत और जो आवश्यक है , उनके बीच की खाई को प्रारं शभक
बाल्यावस्था दे खभाि और उच्चतर शिक्षा के माध्यम से शिक्षा में उच्चतम गुर्वत्ता, इक्तिटी और शसस्टम में
अखंडता िाने वािे प्रमुख सुधारों के जररए पाटा जाना चाशहए।

2040 तक भारत के शिए एक ऐसी शिक्षा प्रर्ािी का िक्ष्य होना चाशहए जो शक शकसी से पीछे नहीं है , एक
ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां शकसी भी सामाशजक और आशथणक पृष्ठभूशम से संबंध रखने वािे शिक्षाशथणयों को
समान रूप से सवोच्च गुर्वत्ता की शिक्षा उपिब्ध हो।

यह राष्ट्रीय शिक्षा नीशत 2020, 21वीं िताब्दी की पहिी शिक्षा नीशत है शजसका िक्ष्य हमारे दे ि के शवकास
के शिए अशनवायण आवश्यकताओं को पूरा करना है I यह नीशत भारत की परं परा और सांस्कृशतक मूल्यों के
आधार को बरक़रार रखते हए, 21वीं सदी की शिक्षा के शिए आकां क्षात्मक िक्ष्यों, शजनमें एसडीजी
4िाशमि हैं, के संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसके शनयमन और गवनेंस सशहत, सभी पक्षों के सुधार और
पुनगणिन का प्रस्ताव रखती है । राष्ट्रीय शिक्षा नीशत प्रत्येक व्यक्ति में शनशहत रचनात्मक क्षमताओं के शवकास
पर शविेष जोर दे ती है । यह नीशत इस शसद्धांत पर आधाररत है शक शिक्षा से न केवि साक्षरता और
संख्याज्ञान जैसी ‘बुशनयादी क्षमताओं’ के साथ-साथ ‘उच्चतर स्तर’ की ताशकणक और समस्या-समाधान
संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं का शवकास होना चाशहए बक्ति नैशतक, सामाशजक और भावनात्मक स्तर पर
भी व्यक्ति का शवकास होना आवश्यक है ।

प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और शवचार की समृद्ध परं परा के आिोक में यह नीशत तैयार की गयी है।
ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय शवचार परं परा और दिणन में सदा सवोच्च मानवीय िक्ष्य माना
जाता था। प्राचीन भारत में शिक्षा का िक्ष्य सांसाररक जीवन अथवा स्कूि के बाद के जीवन की तैयारी के
रूप में ज्ञान अजणन नहीं बक्ति पूर्ण आत्म-ज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया था। तक्षशििा, नािंदा,
शवक्रमशििा और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत के शवि-स्तरीय संस्थानों ने अध्ययन के शवशवध क्षेत्ों में शिक्षर्
और िोध के ऊंचे प्रशतमान स्थाशपत शकये थे और शवशभन्न पृष्ठभूशम और दे िों से आने वािे शवद्याशथणयों और
शवद्वानों को िाभाक्तित शकया था। इसी शिक्षा व्यवस्था ने चरक, सुश्रुत, आयणभट, वराहशमशहर, भास्कराचायण,

4
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

ब्रह्मगुप्त, चार्क्, चक्रपाशर् दत्ता, माधव, पाशर्शन, पतंजशि, नागाजुणन, गौतम, शपंगिा, िंकरदे व, मै त्ेयी,
गागी और शथरुवल्लुवर जैसे अनेकों महान शवद्वानों को जन्म शदया। इन शवद्वानों ने वैशिक स्तर पर ज्ञान के
शवशवध क्षेत्ों, जैसे गशर्त, खगोि शवज्ञान, धातु शवज्ञान, शचशकत्सा शवज्ञान और िल्य शचशकत्सा, शसशवि
इं जीशनयररं ग, भवन शनमाणर्, नौकायान-शनमाणर् और शदिा ज्ञान, योग, िशित किा, ितरं ज इत्याशद में
प्रामाशर्क रूप से मौशिक योगदान शकये। भारतीय संस्कृशत और दिणन का शवि में बडा प्रभाव रहा है।
वैशिक महत्व की इस समृद्ध शवरासत को आने वािी पीशढयों के शिए न शसफण सहेज कर संरशक्षत रखने की
जरूरत है बक्ति हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर िोध कायण होने चाशहए, उसे और समृद्ध शकया जाना
चाशहए और नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाशहए।

शिक्षा व्यवस्था में शकये जा रहे बुशनयादी बदिावों के केंद्र में अवश्य ही शिक्षक होने चाशहए। शिक्षा की नई
नीशत को शनशित तौर पर, हर स्तर पर शिक्षकों को समाज के सवाण शधक सम्माननीय और अशनवायण सदस्य के
रूप में पुनः स्थान दे ने में सहायता करनी होगी क्ोंशक शिक्षक ही नागररकों की हमारी अगिी पीढी को
सही मायने में आकार दे ते हैं । इस नीशत द्वारा शिक्षकों को सक्षम बनाने के शिए हर संभव कदम उिाये
जाने की आवश्यकता है शजससे वे अपने कायण को प्रभावी रूप से कर सकें। नयी शिक्षा नीशत को हर स्तर
पर शिक्षर् के पेिे में सबसे होनहार िोगों का चयन करने में सहायता करनी होगी शजसके शिए उनकी
आजीशवका, सम्मान, मान-मयाणदा और स्वायत्तता सुशनशित करनी होगी, साथ ही तंत् में गुर्वत्ता शनयं त्र्
और जवाबदे ही की बुशनयादी प्रशक्रयाएं भी स्थाशपत करनी होंगी।

नयी शिक्षा नीशत को सभी शवद्याशथणयों के शिए, चाहे उनका शनवास स्थान कहीं भी हो, गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा
व्यवस्था उपिब्ध करानी होगी। इस कायण में ऐशतहाशसक रूप से हाशिए पर रह रहे समुदायों, वंशचत और
अल्प-प्रशतशनशधत्व वािे समूहों पर शविेष ध्यान शदए जाने की जरूरत होगी। शिक्षा बराबरी सुशनशित करने
का बडा माध्यम है और इसके द्वारा समाज में समानता, समावेिन और सामाशजक-आशथणक रूप से
गशतिीिता हाशसि की जा सकती है । ऐसे समूहों के सभी बच्चों के शिए, पररक्तस्थशतजन्य बाधाओं के
बावजूद, हर संभव पहि की जानी चाशहए शजससे वे शिक्षा व्यवस्था में प्रवेि भी पा सकें और उत्कृष्ट्
प्रदिणन भी कर सकें।

इन सभी बातों का नीशत में समावेि भारत की समृद्ध शवशवधता और संस्कृशत के प्रशत सम्मान रखते हए और
साथ ही दे ि की स्थानीय और वैशिक संदभण में आवश्यकताओं का ध्यान रखते हए होना चाशहए। भारत के
युवाओं को भारत दे ि के बारे में और इसकी शवशवध सामाशजक, सां स्कृशतक, और तकनीकी
आवश्यकताओं सशहत यहाुँ की अशद्वतीय किा, भाषा और ज्ञान परं पराओं के बारे में ज्ञानवान बनाना राष्ट्रीय
गौरव, आत्मशविास, आत्मज्ञान, परस्पर सहयोग और एकता की दृशष्ट् से और भारत के सतत ऊंचाइयों की
ओर बढने की दृशष्ट् से अशतआवश्यक है।

5
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शपछली नीशियााँ

शिक्षा पर शपछिी नीशतयों का जोर मुख्य रूप से शिक्षा तक पहुँच के मुद्दों पर था। 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा
नीशत, शजसे 1992 (एनपीई 1986/92) में सं िोशधत शकया गया था, के अधूरे काम को इस नीशत के द्वारा पूरा
करने का भरपूर प्रयास शकया गया है । 1986/92 की शपछिी नीशत के बाद से एक बडा कदम शन:िुि
और अशनवायण शिक्षा अशधशनयम 2009 रहा है शजसने सावणभौशमक प्रारं शभक शिक्षा सुिभ कराने हेतु कानूनी
आधार उपिब्ध करवाया।

इस नीशि के आधार शसद्ांि

िैशक्षक प्रर्ािी का उद्दे श्य अच्छे इं सानों का शवकास करना है - जो तकणसंगत शवचार और कायण करने में
सक्षम हो, शजसमें करुर्ा और सहानुभूशत, साहस और िचीिापन, वैज्ञाशनक शचंतन और रचनात्मक
कल्पनािक्ति, नैशतक मूल्य और आधार हों। इसका उद्दे श्य ऐसे उत्पादक िोगों को तैयार करना है जोशक
अपने संशवधान द्वारा पररकक्तल्पत - समावेिी, और बहितावादी समाज के शनमाणर् में बेहतर तरीके से
योगदान करे ।

एक अच्छी िैक्षशर्क संस्था वह है शजसमें प्रत्येक छात् का स्वागत शकया जाता है और उसकी दे खभाि की
जाती है, जहाुँ एक सुरशक्षत और प्रेरर्ादायक शिक्षर् वातावरर् मौजूद होता है , जहाुँ सभी छात्ों को सीखने
के शिए शवशवध प्रकार के अनुभव उपिब्ध कराए जाते हैं और जहाुँ सीखने के शिए अच्छे बुशनयादी ढांचे
और उपयुि संसाधन उपिब्ध हैं। ये सब हाशसि करना प्रत्येक शिक्षा संस्थान का िक्ष्य होना चाशहए।
तथाशप, साथ ही शवशभन्न संस्थानों के बीच और शिक्षा के हर स्तर पर परस्पर सहज जुडाव और समिय
आवश्यक है।

मूिभूत शसद्धांत जो बडे स्तर पर शिक्षा प्रर्ािी और साथ ही व्यक्तिगत संस्थानों दोनों का मागणदिणन करें गे,
ये हैं:
❖ हर बच्े की शवशिष्ट् क्षमिाओं की स्वीकृशि, पहचान और उनके शवकास हेिु प्रयास करना –
शिक्षकों और अशभभावकों को इन क्षमताओं के प्रशत संवेदनिीि बनाना शजससे वे बच्चे की
अकादशमक और अन्य क्षमताओं में उसके सवांगीर् शवकास पर भी पूरा ध्यान दें ।
❖ बुशनयादी साक्षरिा और संख्याज्ञान कच सवावशधक प्राथशमकिा दे ना – शजससे सभी बच्चे कक्षा
3 तक साक्षरता और संख्याज्ञान जैसे सीखने के मू िभूत कौििों को हाशसि कर सकें।
❖ लचीलापन, ताशक शिक्षाशथणयों में उनके सीखने के तौर-तरीके और कायणक्रमों को चुनने की क्षमता
हो, और इस तरह वे अपनी प्रशतभा और रुशचयों के अनुसार जीवन में अपना रास्ता चुन सकें;
❖ किा और शवज्ञान के बीच, पाियक्रम और पाठ्येतर गशतशवशधयों के बीच, व्यावसाशयक और
िैक्षशर्क धाराओं, आशद के बीच कचई स्पष्ट् अलगाव न हचं, शजससे ज्ञान क्षेत्ों के बीच हाशनकारक
ऊंच-नीच और परस्पर दू री एवं असंबद्धता को दू र शकया जा सके;

6
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

❖ सभी ज्ञान की एकिा और अखंड्िा कच सुशनशिि करने के शलए एक बह-शवषयक दु शनया के


शलए शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान, किा, मानशवकी और खेि के बीच एक बह-शवषयक (multi-
disciplinary) और समग्र शिक्षा का शवकास
❖ अवधारणात्मक समझ पर जचर, न शक रटं त पद्धशत और केवि परीक्षा के शिए पढाई;
❖ रचनात्मकिा और िाशकवक सचच ताशकणक शनर्णय िेने और नवाचार को प्रोत्साशहत करने के शिए;
❖ नैशिकिा, मानवीय और संवैधाशनक मूल्य जैसे, सहानुभूशत, दू सरों के शिए सम्मान, स्वच्छता,
शिष्ट्ाचार, िोकतांशत्क भावना, सेवा की भावना, सावणजाशनक संपशत्त के शिए सम्मान वैज्ञाशनक
शचंतन, स्वतंत्ता, शजम्मेदारी, बहितावाद, समानता और न्याय;
❖ बह-भाशषकिा और अध्ययन-अध्यापन के कायण में भाषा की िक्तक्त को प्रोत्साहन
❖ जीवन कौिल जैसे, आपसी संवाद, सहयोग, सामूशहक कायण, और िचीिापन;
❖ सीखने के शलए सिि मूल्यांकन पर जचर, इसके बजाय शक साि के अंत में होने वािी परीक्षा को
केंद्र में रखकर शिक्षर् हो शजससे शक आज की ‘कोशचंग संस्कृशत’ को ही बढावा शमिता है ;
❖ िकनीकी के यथासंभव उपयचग पर जचर – अध्ययन-अध्यापन कायण में, भाषा संबंधी बाधाओं को
दू र करने में, शदव्यांग बच्चों के शिए शिक्षा को सुिभ बनाने में और िैक्षशर्क शनयोजन और प्रबंधन
में;
❖ सभी पाठ्यक्रम, शिक्षर्-िास्त्र और नीशत में स्थानीय संदभण की शवशवधिा और स्थानीय पररवेि
के शलए एक सम्मान, हमेिा ध्यान में रखते हए शक शिक्षा एक समवती शवषय है ;
❖ सभी िैशक्षक शनणवयचं की आधारशिला के रूप में पूणव समिा और समावेिन, साथ ही शिक्षा
को िोगों की पहुँच और सामर्थ्ण के दायरे में रखना – यह सुशनशित करने के शिए शक सभी छात्
शिक्षा प्रर्ािी में सफिता हाशसि कर सकें;
❖ स्कूिी शिक्षा से उच्चतर शिक्षा तक सभी स्तरों के शिक्षा पाठ्यक्रम में तािमेि, प्रारं शभक
बाल्यवस्था दे ख-भाि तथा शिक्षा से;
❖ शिक्षकचं और संकाय कच सीखने की प्रशक्रया का केंद्र मानना - उनकी भती और तैयारी की
उत्कृष्ट् व्यवस्था, शनरं तर व्यावसाशयक शवकास, और सकारात्मक कायण वातावरर् और सेवा की
क्तस्थशत;
❖ िैशक्षक प्रर्ािी की अखंड्िा, पारदशिविा और संसाधन कुिलिा ऑशडट और सावणजशनक
प्रकटीकरर् के माध्यम से सुशनशित करने के शिए एक 'हल्का, लेशकन प्रभावी' शनयामक ढांचा –
साथ ही साथ स्वायत्तिा, सुिासन, और सिक्तीकरण के माध्यम से नवाचार और आउट-
ऑफ-द-बॉक्स शवचारों को प्रोत्साशहत करना;
❖ गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा और शवकास के शिए उत्कृष्ट् स्तर का िचध;
❖ िैशक्षक शविेषज्ञों द्वारा शनरं तर अनुसंधान और शनयशमत मूल्यांकन के आधार पर प्रगति की सिि
समीक्षा;
❖ भारिीय जड़चं और गौरव से बंधे रहना, और जहाुँ प्रासंशगक िगे वहाुँ भारत की समृद्ध और
शवशवध प्राचीन और आधुशनक संस्कृशत और ज्ञान प्रर्ाशियों और परं पराओं को िाशमि करना और
उससे प्रेरर्ा पाना;

7
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

❖ शिक्षा एक साववजशनक सेवा है; गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक पहं च को प्रत्येक बच्चे का मौशिक
अशधकार माना जाना चाशहए;
❖ एक मजबूि, जीवंि साववजशनक शिक्षा प्रणाली में पयावप्त शनवेि - साथ ही सच्चे परोपकारी
शनजी और सामुदाशयक भागीदारी को प्रोत्साहन और सुशवधा।

इस नीशि का शवज़न

इस राष्ट्रीय तिक्षा का तिजन भारिीय मूल्यों से तिकतसि तिक्षा प्रणाली है जय सभी कय उच्चतर गुणित्ता
तिक्षा उपलब्ध कराके और भारि कय िैतिक ज्ञान महािक्ति बनाकर भारि कय एक जीिोंि और न्यायसोंगि
ज्ञान समाज में बदलने के तलए प्रत्यक्ष रूप से ययगदान करे गी। नीति में पररकक्तिि है तक हमारे संस्थानों
की पाठ्यचयाा और तिक्षातिति छात्यों में अपने मौतलक दातयत्यों और सोंिैिातनक मूल्यों, दे ि के साथ जुडाि
और बदलिे तिि में नागररक की भूतमका और उत्तरदातयत्यों की जागरूकिा उत्पन्न करे । नीति का तिजन
छात्यों में भारिीय हयने का गिा न केिल तिचार में बक्ति व्यिहार, बुक्ति और कायों में भी और साथ ही ज्ञान,
कौिल, मूल्यों और सयच में भी हयना चातहए जय मानिातिकारयों, स्थायी तिकास और जीिनयापन िथा िैतिक
कल्ाण के तलए प्रतिबि हय, िातक िे सही मायने में िैतिक नागररक बन सकें।

भाग I. स्कूल शिक्षा

यह नीशत वतणमान की 10 + 2 वािी स्कूिी व्यवस्था को 3 से 18 वषण के सभी बच्चों के शिए पाठ्यचयाण और
शिक्षर्-िास्त्रीय आधार पर 5 + 3 + 3 + 4 की एक नयी व्यवस्था में पुनगणशित करने की बात करती है,
जैसा शक यहाुँ दी गयी आकृशत में शदया गया है और अध्याय 4 में भी इस पर शवस्तृत शववरर् शदया गया है ।

पिछला अकादपिक ढाांचा नया शैक्षपिक और िाठ्यक्रि ढाांचा

4
Secondary
2
(Class 9 to 12)
(Ages16-18)
(Ages14-18)

10
Middle Preparatory

(Ages 6-16) 3
(Class 6 to 8)
(Ages 11-14)

3
(Class 3 to 5)
(Ages 8-11)
Foundational

2 years
(Class 1 & 2)
(Ages 6-8)
.............………………
3 years
(Anganwadi/ pre-
school/Balvatika)
8 (Ages 3-6)
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

वतणमान में 3 से 6 वषण की उम्र के बच्चे 10 + 2 वािे ढांचे में िाशमि नहीं हैं क्ोंशक 6 वषण के बच्चों को
कक्षा 1 में प्रवेि शदया जाता है। नए 5+3+3+4 ढांचे में 3 वषण के बच्चों को िाशमि कर प्रारं शभक
बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की एक मजबूत बुशनयाद को िाशमि शकया गया है शजससे आगे
चिकर बच्चों का शवकास बेहतर हो, वे बेहतर उपिक्तब्धयां हाशसि कर सकें और खुिहाि हों।

1. प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाल और शिक्षा : सीखने की नी ंव

1.1 बच्चों के मक्तस्तष्क का 85 प्रशतित शवकास 6 वषण की अवस्था से पूवण ही हो जाता है। बच्चों के मक्तस्तष्क
के उशचत शवकास और िारीररक वृक्तद्ध को सुशनशित करने के शिए उसके आरं शभक 6 वषों को महत्वपूर्ण
माना जाता है । वतणमान समय में, शविेष रूप से सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत पृष्ठभूशम के करोडों बच्चों
के शिए, गुर्वत्तापूर्ण प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा उपिब्ध नहीं है। इसशिए ईसीसीई में
शनवेि करने से इसकी पहुँ च दे ि के सभी बच्चों तक हो सकती है शजससे सभी बच्चों को िैशक्षक प्रर्ािी में
भाग िेने और तरक्की करने के समान अवसर शमि सकेंगे। ईसीसीई संभवतया, समता स्थाशपत करने में
सबसे िक्तििािी माध्यम हो सकता है। प्रारं शभक बाल्यावस्था शवकास, दे खभाि के शिए गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा
के सावणभौशमक प्रावधान को जल्द से जल्द, शनिय ही वषण 2030 से पूवण, उपिब्ध शकया जाना चाशहए, ताशक
यह सुशनशित शकया जा सके शक पहिी कक्षा में प्रवेि पाने वािे सभी बच्चे स्कूिी शिक्षा के शिए पूरी तरह
से तैयार हों।

1.2 ईसीसीई में मुख्य रूप से िचीिी, बहआयामी, बह-स्तरीय, खेि-आधाररत, गशतशवशध-आधाररत, और
खोज-आधाररत शिक्षा को िाशमि शकया गया है। जैसे अक्षर, भाषा, संख्या, शगनती, रं ग, आकार, इं डोर एवं
आउटडोर खेि, पहेशियाुँ और ताशकणक सोच, समस्या सुिझाने की किा, शचत्किा, पेंशटं ग, अन्य दृश्य
किा, शिल्प, नाटक, किपुतिी, संगीत तथा अन्य गशतशवशधयों को िाशमि करते हए इसके साथ अन्य
कायण जैसे सामाशजक कायण, मानवीय संवेदना, अच्छे व्यवहार, शिष्ट्ाचार, नैशतकता, व्यक्तिगत और
सावणजशनक स्वच्छता, समूह में कायण करना और आपसी सहयोग को शवकशसत करने पर भी ध्यान केंशद्रत
शकया गया है। ईसीसीई का समग्र उद्दे श्य बच्चों का िारीररक-भौशतक शवकास, संज्ञानात्मक शवकास,
समाज-संवेगात्मक-नैशतक शवकास, सांस्कृशतक शवकास, संवाद के शिए प्रारं शभक भाषा, साक्षरता और
संख्यात्मक ज्ञान के शवकास में अशधकतम पररर्ामों को प्राप्त करना है।

1.3 एनसीईआरटी द्वारा 8 वषण की आयु तक के सभी बच्चों के शिए दो भागों में प्रारं शभक बाल्यावस्था की
शिक्षा के शिए एक उत्कृष्ट् पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचा (एनसीपीएफईसीसीई) शवकशसत शकया जाएगा,
अथाणत् 0-3 वषण के बच्चों के शिए एक सब-फ्रेमवकण और 3-8 साि के शिए एक अन्य सब-फ्रेमवकण का
शवकास शकया जाएगा। उपरोि शदिाशनदे िों के अनुसार, ईसीसीई राष्ट्रीय और अंतराण ष्ट्रीय नवाचार एवं
सवोत्तम प्रथाओं पर नवीनतम िोध को िाशमि करे गा। शविेष रूप से, उन प्रथाओं को जो भारत में कई
िताक्तब्दयों से बाल्यावस्था की शिक्षा के शवकास के शिए समृद्ध है और वे स्थानीय परं पराओं में शवकशसत हईं

9
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

हैं, शजनमें किा, कहाशनयां , कशवता, खेि, गीत, और बहत कुछ िाशमि हैं , इन सभी को मुख्य रूप से
िाशमि शकया जाएगा। शिक्षा का यह मॉडि माता-शपता दोनों के साथ-साथ आं गनवाडी के शिए भी एक
मागणदिणक के रूप में काम करे गा।

1.4 भारत में चरर्बद्ध तरीके से पूरे दे ि में उच्चतर गुर्वत्ता वािे ईसीसीई संस्थानों के शिए सावणभौशमक
पहुँच सुशनशित करना वृहद िक्ष्य होगा।इस प्रारं शभक बाल्यावस्था में दे खभाि और शिक्षा जैसे महत्वाकांक्षी
िक्ष्य तक पहुँच सुशनशित करने के शिए इसे सभी छात् तक पहंचाना होगा। शपछडे शजिों और उन क्षेत्ों पर
शविेष ध्यान और प्राथशमकता दे नी होगी जो सामाशजक और आशथणक रूप से शपछडे हैं । शवस्तृत और
सिि ईसीसीई संस्थानों द्वारा ईसीसीई प्रर्ािी को िागू शकया जाएगा शजसमें (क) पहिे से काफी शवस्तृत
और सिि रूप से अकेिे चि रहे आं गनवाशडयों के माध्यम से (ख) प्राथशमक शवद्याियों के साथ क्तस्थत
आं गनवाशडयों के माध्यम से (ग) पूवण प्राथशमक शवद्याियों, जो कम से कम 5 से 6 वषण पूरा करें गे, और
प्राथशमक शवद्याियों के साथ क्तस्थत हैं , इनके माध्यम से (घ) अकेिे चि रहे प्री-स्कूि के माध्यम से इसे िागू
शकया जाएगा। ये सभी शवद्यािय ईसीसीई के पाठ्यक्रम और शिक्षर् में प्रशिशक्षत कमणचाररयों/ शिक्षकों को
भती करें गे।
1.5 प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की सावणभौशमक पहुँच के शिए, आं गनवाडी केंद्रों
को उच्चतरगुर्वत्ता के बुशनयादी ढांचे, खेिने के उपकरर् और पूर्ण रूप से प्रशिशक्षत आं गनवाडी
कायणकशत्यों / शिक्षकों के साथ सिि बनाया जाएगा। प्रत्येक आं गनवाडी में समृद्ध शिक्षा के वातावरर् के
साथ अच्छी तरह से शडजाइन शकया हआ हवादार, बाि-सुिभ और शनशमणत भवन होगा। आं गनवाडी केिों
में बच्चे गशतशवशध से भरे पयणटन करें गे – और अपने स्थानीय प्राथशमक स्कूिों के शिक्षकों और छात्ों से
शमिेंगे, ताशक आं गनवाडी केिों से प्राथशमक स्कूिों में संक्रमर् को सुचारू बनाया जा सके। आुँ गनवाशडयों
को स्कूि पररसरों / समूहों, में पूरी तरह से एकीकृत शकया जायेगा और आं गनवाडी बच्चों, माता-शपता और
शिक्षकों को स्कूि / स्कूि के शवशभन्न कायणक्रमों में परस्पर – भाग िेने के शिए आमंशत्त शकया जायेगा।

1.6 यह पररकल्पना की गई है की 5 वषण की आयु से पहिे हर बच्चा एक प्रारं शभक कक्षा या "बािवाशटका"
(जो शक कक्षा 1 से पहिे है) में स्थानांतररत हो जायेगा शजसमे एक ईसीसीई योग्य शिक्षक हैं तैयारी कक्षा में
सीखने को मुख्य रूप से खेि-आधाररत शिक्षा पर आधाररत होना चाशहए, शजसमें संज्ञानात्मक, भावनात्मक
और िारीररक क्षमताओं और प्रारं शभक साक्षरता और संख्या-ज्ञान शवकशसत करने पर ध्यान केंशद्रत शकया
जाएगा। दोपहर के (मध्याह्न) भोजन कायणक्रम को प्राथशमक शवद्यािय के साथ-साथ तैयारी कक्षाओं तक भी
शवस्ताररत शकया जाना चाशहए। स्वास्थ्य के शवकास की शनगरानी और जांच -परीक्षर् जो आं गनवाडी
व्यवस्था में उपिब्ध हैं, उसे प्राथशमक स्कूिों की तैयारी कक्षाओं के छात्ों को भी उपिब्ध कराया जाएगा।

1.7 ईसीसीई शिक्षकों के िुरुआती कैडर को तैयार करने के शिए आं गनवाडी कायणकशत्यों /शिक्षकों को
एनसीईआरटी द्वारा शवकशसत पाठ्यक्रम/शिक्षर्-िास्त्रीय फ्रेमवकण के अनुसार एक व्यवक्तस्थत तरीके से
प्रशिक्षर् शदया जाएगा। 10 + 2 और उससे अशधक योग्यता वािे आं गनवाडी कायणकत्ी /शिक्षक को
ईसीसीई में 6 महीने का प्रमार्पत् कायणक्रम कराया जाएगा; और कम िैक्षशर्क योग्यता रखने वािों को
एक वषण का शडप्लोमा कायणक्रम कराया जाएगा शजसमें प्रारं शभक साक्षरता, संख्या और ईसीसीई के अन्य

10
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्रासंशगक पहिुओं को भी िाशमि शकया जाएगा। इन कायणक्रमों को शडशजटि / दू रस्थ माध्यम से डीटीएच
चैनिों के साथ-साथ स्माटण फोन के माध्यम से चिाया जा सकता है , शजससे शिक्षकों को अपने वतणमान
कायण में न्यूनतम व्यवधान के साथ ईसीसीई योग्यता प्राप्त करने में सहूशियत शमि पाएगी। आं गनवाडी
कायणकशत्यों / शिक्षकों के ईसीसीई प्रशिक्षर् को शिक्षा शवभाग के क्लस्टर ररसोसण सेंटर द्वारा मेंटर शकया
जाएगा और शनरं तर मूल्यांकन के शिए कम से कम एक माशसक कक्षा भी चिाएगा। दीघाण वशध में, राज्य
सरकारों को चरर्-शविेष में व्यावसाशयक प्रशिक्षर्, मागणदिणन की व्यवस्था और कॅररयर मैशपंग के जररये
आरं शभक बाल्यावस्था में दे खभाि और शिक्षा के शिए व्यावसाशयक रूप से योग्य शिक्षकों के कैडरों को
तैयार करना चाशहए। इन शिक्षकों की प्रारं शभक व्यावसाशयक तैयारी और उसके सतत व्यावसाशयक शवकास
(सीपीडी) के शिए आवश्यक सुशवधाओं का भी शवकास शकया जाएगा।

1.8 ईसीसीई को चरर्बद्ध तरीके से आशदवासी बहि क्षेत्ों की आश्रमिािाओं में भी िुरू शकया जाएगा।
आश्रमिािाओं में ईसीसीई को एकीकृत करने और इसे िागू करने की प्रशक्रया ऊपर शदए गए शववरर् के
जैसी ही होगी।

1.9 ईसीसीई पाठ्यक्रम और शिक्षर्-शवशध की शजम्मेदारी मानव संसाधन शवकास मंत्ािय की होगी ताशक
प्राथशमक शवद्यािय के माध्यम से पूवण-प्राथशमक शवद्यािय तक इसकी शनरं तरता सुशनशित की जा सके और
शिक्षा के मूिभूत पहिुओं पर ध्यान केक्तित शकया जा सके। प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा
पाठ्यक्रम की आयोजना और शक्रयाियन मानव संसाधन शवकास मंत्ािय, मशहिा और बाि शवकास
(डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और पररवार कल्यार् मंत्ािय (एमएचएफडब्ल्यू), और जनजातीय कायण मंत्ािय
द्वारा संयुि रूप से शकया जाएगा। स्कूिी शिक्षा में प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा के सुचारु
एकीकरर् एवं सतत मागणदिणन के शिए एक शविेष संयुि कायण बि (टास्क फोसण) का गिन शकया
जाएगा।

2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने के शलए एक िात्काशलक आवश्यकिा और


पूववििव

2.1 सभी शवद्याियों के छात्ों द्वारा पढने और शिखने और संख्याओं के साथ कुछ बुशनयादी संशक्रयाएं करने
की क्षमता आगे की स्कूिी शिक्षा में और जीवन-भर सीखते रहने की बुशनयाद रखती है और भशवष्य में
सीखने की एक पूवणितण भी है । हािांशक, शवशभन्न सरकारी, साथ ही गैर-सरकारी सवेक्षर्ों से यह संकेत
शमिता है शक हम वतणमान में सीखने की एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं । वतणमान में प्राथशमक शवद्यािय
में बडी संख्या में शिक्षाशथणयों ने - शजसकी अनुमाशनत संख्या 5 करोड से भी अशधक है - बुशनयादी साक्षरता
और संख्या-ज्ञान भी नहीं सीखा है; अथाणत ऐसे बच्चों को सामान्य िेख को पढने, समझने और अंकों के साथ
बुशनयादी जोड और घटाव करने की क्षमता भी नहीं है ।

11
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

2.2 सभी बच्चों के शिए मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को प्राप्त करना तत्काि रूप से एक राष्ट्रीय
अशभयान बनेगा शजसे कई मोचों पर शकए जाने वािे तात्काशिक उपायों और स्पष्ट् िक्ष्यों के साथ अल्पावशध
में प्राप्त शकया जाएगा (शजसमें प्रत्येक छात् को कक्षा-3 तक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को
आवश्यक रूप से प्राप्त करना िाशमि शकया गया है )। शिक्षा प्रर्ािी की सवोच्च प्राथशमकता 2025 तक
प्राथशमक शवद्यािय में सावणभौशमक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करना होगा। सीखने की
बुशनयादी आवश्यकताओं (अथाणत, मूिभूत स्तर पर पढना, शिखना और अंकगशर्त) को हाशसि करने पर
ही हमारे शवद्याशथणयों के शिए बाकी नीशत प्रासंशगक होगी। इसके तलए, मानि सोंसािन तिकास मोंत्ालय
(एमएचआरडी) द्वारा प्राथशमक आधार पर आिारभूि साक्षरिा एिों सोंख्यात्मकिा पर एक राष्ट्रीय तमिन
स्थातपि तकया जाएगा। उसके अनुसार सभी प्राथशमक और उच्चतर प्राथशमक शवद्याियों में सावणभौशमक
मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान के शिए राज्य या केंद्रिाशसत प्रदे ि की सरकारें , 2025 तक प्राप्त शकए
जा सकने वािे चरर्-वार शचक्तित कायों और िक्ष्यों की पहचान करते हए और उसकी प्रगशत को बारीकी
से जांच और शनगरानी करते हए अशविंब एक शक्रयाियन योजना तैयार करें गी।

2.3 सवणप्रथम, शिक्षकों के ररि पदों को जल्द से जल्द और समयबद्ध तरीके से भरा जाएगा – शविेष रूप
से वंशचत क्षेत्ों और उन क्षेत्ों में , जहाुँ शिक्षक-बच्चों का अनुपात दर ज्यादा हो या जहाुँ साक्षरता की दर
शनम्न हो, वहाुँ स्थानीय शिक्षक या स्थानीय भाषा से पररशचत शिक्षकों को शनयुि करने पर शविेष रूप से
ध्यान शदया जाना चाशहए। यह सुशनशित शकया जाएगा शक प्रत्येक स्कूि में शिक्षक-शवद्याशथणयों का अनुपात
(पीटीआर) 30:1 से कम हो और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत बच्चों की अशधकता वािे क्षेत्ों के स्कूिों
में शिक्षक – शवद्याशथणयों का अनुपात (पीटीआर) 25:1 से कम हो। कक्षा स्तर से नीचे के बच्चों को मूिभूत
साक्षरता और संख्या-ज्ञान शसखाने के उद्दे श्य से शिक्षकों को सतत व्यावसाशयक शवकास (सीपीडी) के साथ
संबशित, उत्साशहत और प्रशिशक्षत शकया जाएगा।

2.4 पाठ्यचयाण में बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर अशतररि ध्यान शदया जाएगा और पूरे प्रारं शभक
और माध्यशमक स्कूि पाठ्यचयाण के दौरान, एक मजबूत सतत रचनात्मक और अनुकूि मूल्यांकन प्रर्ािी
के साथ शविेष रूप से प्रत्येक बच्चों का सीखना टर ै क शकया जाएगा और सामान्यतया पढने, शिखने, बोिने,
शगनने, अंकगशर्त और गशर्तीय शचंतन पर अशधक ध्यान केक्तित होगा। शवद्याशथणयों को इन क्षेत्ों में
प्रोत्साशहत करने के शिए उन पर प्रशतशदन अशतररि ध्यान शदया जाएगा और वषण भर शवशभन्न मौकों पर इन
शवषयों से संबंशधत गशतशवशधयों को िागू शकया जाएगा। मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर नए शसरे से
जोर दे ने के शिए शिक्षक शिक्षा और प्रारं शभक ग्रेड पाठ्यचयाण को नए शसरे से शडजाइन शकया जाएगा।

2.5 वतणमान समय में ईसीसीई की सभी तक पहुँच नहीं होने के कारर् बच्चों का एक बडा शहस्सा प्रथम
कक्षा में प्रवेि पाने के कुछ ही हफ्ों बाद अपने सहपाशियों से शपछड जाता है । इसशिए एनसीईआरटी
और एससीईआरटी के द्वारा कक्षा -1 के शवद्याशथणयों के शिए अल्पकािीन 3 महीने का प्ले-आधाररत ‘स्कूि
तैयारी मॉड्यूि’ बनाया जाएगा शजसमें गशतशवशधयाुँ और वकणबुक होगी शजनमें अक्षर, ध्वशनयाुँ , िब्द, रं ग,
आकार, संख्या आशद िाशमि होंगे। इस मॉड्यूि को शक्रयाक्तित करने में सहपाशियों और अशभभावकों का

12
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

भी योगदान शिया जाएगा। इससे यह सुशनशित करने में मदद शमिेगी शक हर शवद्याथी स्कूि के शिए तैयार
है।

2.6 द शडशजटि इन्फ्फ्रास्टर क्चर फॉर नॉिेज िेयररं ग (दीक्षा) पर बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर
उच्चतर-गुर्वत्ता वािे संसाधनों का एक राष्ट्रीय भंडार उपिब्ध कराया जाएगा। तकनीकी दखि को
शिक्षकों के शिए एक मदद के रूप में पहिे प्रयोगात्मक शकया जाएगा और शफर िागू शकया जाएगा। इसमें
शिक्षक और शवद्याशथणयों के बीच भाषायी बाधाओं को भी दू र करने के उपाय िाशमि हैं ।

2.7 वतणमान में बडे पैमाने पर बच्चे नहीं सीख रहे हैं । यह एक बडा संकट है , सभी के शिए साक्षरता और
संख्या-ज्ञान प्राप्त करने के इस महत्वपूर्ण शमिन में शिक्षकों का सहयोग करने के शिए सभी व्यावहाररक
तरीकों का पता िगाया जाएगा। दु शनया भर के अध्ययन से पता चिता है शक जब सहपािी एक-दू सरे से
सीखते-शसखाते हैं यह काफी प्रभावी होता है । इस प्रकार, प्रशिशक्षत शिक्षकों की दे खरे ख में और सुरक्षा
पहिुओं का उशचत ध्यान रखकर साथी छात्ों के शिए शपयर ट्यूटररं ग को एक स्वैक्तच्छक और आनंदपूर्ण
गशतशवशध के रूप में शिया जा सकता है। स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार के प्रशिशक्षत वोिेंशटयसण के
शिए इस बडे पैमाने के अशभयान में भाग िेना बहत आसान बनाया जायगा। यशद समुदाय का प्रत्येक
साक्षर सदस्य शकसी एक छात् को पढाने के शिए प्रशतबद्ध हो जाए, तो इससे दे ि का पररदृश्य िीघ्र ही
बदि जाएगा और इस शमिन को अत्यशधक प्रोत्साशहत और समथणन शकया जाएगा। राज्य इस तरह के
शिक्षर् संकट के दौरान मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को बढावा दे ने के शिए इस तत्काि राष्ट्रीय
शमिन में, शपयर ट्यूटररं ग और वोिेंशटयसण को बढावा दे ने के शिए नवीन मॉडि स्थाशपत करने पर शवचार
कर सकते हैं , साथ ही साथ शिक्षकों को समथणन दे ने के शिए अन्य कायणक्रम भी िुरू कर सकते हैं।

2.8 सभी भारतीय और स्थानीय भाषायों में शदिचस्प और प्रेरर्ादायक बाि साशहत्य और सभी स्तर के
शवद्याशथणयों के शिए स्कूि और स्थानीय पुस्तकाियों में बडी मात्ा में पुस्तकें उपिब्ध करायी जाएुँ गी शजसके
शिए आवश्यकतानुसार उच्चतर गुर्वत्ता के अनुवाद (आवश्यकतानुसार तकनीकी मदद से ) भी करवाए
जायेंगे। दे ि भर में पढने की संस्कृशत के शनमाण र् के शिए सावणजशनक और स्कूि पुस्तकाियों का शवस्तार
शकया जाएगा। शडशजटि पुस्तकािय भी स्थाशपत शकये जायेंगे। गांवों में स्कूि िाइब्रेरी की स्थापना से
समुदाय को भी िाभ होगा जो स्कूिी समय के पिात् उसका िाभ िे सकते हैं । बुक क्लब के सदस्य इन
स्कूिी/सावणजशनक िाइब्रेरी में शमि सकते हैं शजससे पढने की संस्कृशत को प्रोत्साहन शमिेगा। एक राष्ट्रीय
पुस्तक संवधणन नीशत तैयार की जाएगी और सभी स्थानों, भाषाओं, स्तरों और िैशियों में पुस्तकों की
उपिब्धता, पहुँच, गुर्वत्ता और पािकों को सुशनशित करने के शिए व्यापक पहि की जाएगी।

2.9 जब बच्चे कुपोशषत या अस्वस्थ होते हैं तो वे बेहतर रूप से सीखने में असमथण हो जाते हैं । इसशिए,
बच्चों के पोषर् और स्वास्थ्य (मानशसक स्वास्थ्य सशहत) पर ध्यान शदया जाएगा, पुशष्ट्कर भोजन और अच्छी
तरह से प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताणओ,ं काउं सिर, और स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी में समुदाय की भागीदारी
के साथ-साथ शिक्षा प्रर्ािी के अिावा शवशभन्न सतत उपायों के माध्यम से कायण शकया जाएगा। सभी

13
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शवद्यािय के बच्चे स्कूिों द्वारा आयोशजत शनयशमत स्वास्थ्य जांच में भाग िेंगे और इसके शिए बच्चों को
स्वास्थ्य काडण जारी शकए जाएं गे। इसके अिावा, कई सारे अध्ययन से यह पता चिता है शक सुबह के
पौशष्ट्क नाश्ते के बाद के कुछ घंटों में कई सारे मुक्तिि शवषयों का अध्ययन अशधक प्रभावी होता है , इस
उत्पादक और प्रभावी समय का िाभ उिाया जा सकता है , यशद सुबह और दोपहर में बच्चों को क्रमि:
पौशष्ट्क नाश्ता और भोजन शदया जाए। जहाुँ पके हए गमण भोजन की व्यवस्था करना संभव नहीं होगा, वहाुँ
सादा िेशकन पौशष्ट्क शवकल्प, जैसे गुड के साथ मूंगफिी/गुड शमशश्रत चना और/या स्थानीय स्तर पर
उपिब्ध फि उपिब्ध कराया जा सकता है । सभी स्कूली बच्यों की शविेष रूप से 100% टीकाकरण के
तलए स्कूलयों में तनयतमि स्वास्थ्य जााँच कराई जाएगी और इसकी तनगरानी के तलए हेल्थ कार्ा जारी तकए
जाएाँ गे।

3. ड्र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की साववभौशमक पहंच
सुशनशिि करना

3.1 स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी के प्राथशमक िक्ष्यों में हमें यह सुशनशित करना है शक बच्चों का स्कूि में नामांकन
हो और उिें शनयशमत रूप से शवद्यािय भेजा जाए। सवण शिक्षा अशभयान (अब समग्र शिक्षा) और शिक्षा का
अशधकार अशधशनयम जैसी पहि के माध्यम से भारत ने हाि के वषों में प्राथशमक शिक्षा में िगभग सभी
बच्चों का नामां कन प्राप्त करने में उल्लेखनीय प्रगशत की है। हािांशक, बाद के आं कडे बच्चों के स्कूिी
व्यवस्था में िहराव संबंधी कुछ गंभीर मुद्दों की ओर इिारा करते हैं । कक्षा छिी से आिवीं का जीईआर
90.9 प्रशतित है, जबशक कक्षा, 9-10 और 11-12 के शिए यह क्रमिः केवि 79.3% और 56.5% है। यह
आं कडे यह दिाण तें हैं शक शकस प्रकार से कक्षा 5 और शविेष रूप से कक्षा 8 के बाद नामांशकत छात्ों का
एक महत्वपूर्ण अनुपात शिक्षा प्रर्ािी से बाहर हो जाता है। वषण 2017-18 में एनएसएसओ के 75वें राउं ड
हाऊसहोल्ड सवे के अनुसार, 6 से 17 वषण के बीच की उम्र के शवद्यािय न जाने वािे बच्चों की संख्या 3.22
करोड है। इन बच्चों को यथासंभव पुनः शिक्षा प्रर्ािी में िीघ्र वापस िाना दे ि की सवोच्च प्राथशमकता
होगी। इसके साथ ही 2030 तक प्री स्कूि से माध्यशमक स्तर में 100% सकि नामांकन अनुपात प्राप्त
करने के िक्ष्य के साथ आगे बढना होगा और भशवष्य के छात्ों का डर ॉपआउट दर भी कम करना होगा।
पूवण-प्राथशमक से कक्षा 12 तक की शिक्षा - व्यावसाशयक शिक्षा सशहत दे ि के सभी बच्चों को सावणभौशमक
पहंच और अवसर प्रदान करने के शिए एक िोस राष्ट्रीय प्रयास शकया जाएगा।

3.2 कुि शमिाकर दो पहि की जाएुँ गी शजससे बच्चों का शवद्यािय में वापसी और आगे के बच्चों को
डर ॉपआउट होने से रोका जा सके। पहिा प्रभावी और पयाणप्त बुशनयादी ढाुँचा प्रदान करता है ताशक सभी
छात्ों को इसके माध्यम से प्री-प्राइमरी स्कूि से कक्षा 12 तक सभी स्तरों पर सुरशक्षत और आकषणक स्कूिी
शिक्षा प्राप्त हो सके। इसके अशतररि, प्रत्येक स्तर पर तनयतमि प्रतिशक्षि तिक्षक उपलब्ध कराने के
अलािा तििेष दे खभाल की जाए िातक यह सुतनतिि तकया जाए तक तकसी स्कूल में अिस्थापना की कमी न
हय। सरकारी स्कूलयों की तििसनीयिा तिर से स्थातपि की जाएगी और ऐसा मौजूदा स्कूलयों का उन्नयन और
तिस्तार करके, जहाुँ स्कूल नहीं हैं िहााँ अतिररि गुणित्ता स्कूल बनाकर और छात्ािासयों तििेषकर

14
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

बातलका छात्ािासयों िक सुरतक्षि और व्यािहाररक पहाँ च प्रदान करके तकया जा सकिा है िातक सभी बच्यों
कय अच्छे स्कूल में जाने और समुतचि स्तर िक पढ़ने का अिसर तमले। प्रिासी मज़दू रयों के बच्यों और
शवशवध पररक्तस्थतिययों में स्कूल छयडने िाले बच्यों कय मुख्यिारा तिक्षा में िापस लाने के तलए तसतिल समाज
के सहययग से िैकक्तिक और निीन तिक्षा केंद्र स्थातपि तकए जाएाँ गे।

3.3 दू सरा यह है शक स्कूिों में सभी बच्चों की सहभाशगता सुशनशित हो, इसके शिए बहत ध्यान से सभी
शवद्याशथणयों की टर ै शकंग करनी होगी, साथ-साथ उनके सीखने के स्तर पर भी नज़र रखनी होगी ताशक यह
सुशनशित शकया जा सके शक वे (क) स्कूि में दाक्तखिा िे रहे हैं और उपक्तस्थत हो रहे हैं (ख) डर ॉपआउट
बच्चों के िौटने और यशद वे पीछे रह गए हैं तो उिें पुनः मुख्य धारा से जोडने के शिए पयाणप्त सुशवधाएं
उपिब्ध हैं। फाउं डेिनि स्टे ज से िेकर कक्षा 12 तक की स्कूिी शिक्षा के जररये 18 वषण की आयु तक
सभी बच्चों को समान गुर्वत्ता वािी शिक्षा प्रदान करने के शिए बुशनयादी सुशवधा उपिब्ध कराई जाएगी।
प्रशिशक्षत शिक्षकों और काशमणकों की भती शवद्यािय में की जाएगी शजससे शिक्षक हमेिा छात्ों और उसके
अशभभावक के साथ कायण कर सकें। इसके साथ यह भी सुशनशित शकया जा सके शक सभी शवद्याथी शवद्यािय
आ रहे हैं और सीख रहे हैं । राज्य और शजिा स्तर पर शदव्यां ग व्यक्तियों के सििीकरर् से जुडे शसशवि
सोसायटी संगिन/ सामाशजक न्याय और अशधकाररता शवभागों के प्रशिशक्षत और योग्य सामाशजक कायणकताण
राज्य / केि िाशसत प्रदे ि सरकारों द्वारा अपनाए गए शवशभन्न नवीन तंत्ों के माध्यम से इस आवश्यक कायण
को करने में स्कूिों से जुडे हो सकते हैं।

3.4 जब एक बार शवद्यािय का अवसंरचनात्मक ढांचा और बच्चों की भागीदारी सुशनशित हो जाए, तो कक्षा
की गुर्वत्ता को सुशनशित करने के शिए काम करना होगा और छात्ों को कक्षा से जोडे रखना एक
महत्वपूर्ण काम होगा, ताशक छात् (शविेष रूप से िडशकयां और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों
के शवद्याथी) और उनके माता-शपता स्कूि में भागीदारी के प्रशत अपनी रुशच न खोएं । इसके शिए एक
मजबूत चैनि और स्थानीय भाषा के ज्ञान के साथ उत्कृष्ट् शिक्षकों के शिए प्रोत्साहन प्रर्ािी की
आवश्यकता होगी, जो उन क्षेत्ों में तैनात शकए जाएं जहाुँ डर ॉपआउट दरें शविेष रूप से अशधक हैं।

3.5 सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों (एसईडीजी) पर शविेष जोर दे ते हए सभी छात्ों को सीखने
में मदद करने के शिए स्कूिी शिक्षा के दायरे को व्यापक बनाना होगा ताशक औपचाररक और
अनौपचाररक शिक्षा के अंदर सीखने के शवशभन्न रास्ते उपिब्ध हो सकें। भारत के उन युवाओं के शिए जो
शकसी संस्थान में शनयशमत रूप से अध्ययन नहीं कर सकते नेिनि इं स्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूशिं ग
(एनआईओएस) और राज्यों के ओपन स्कूिों द्वारा प्रस्तुत ओपन एं ड शडस्टें स िशनंग(ओडीएि) कायणक्रम
का शवस्तार और सुदृढीकरर् शकया जाएगा, ताशक ऐसे युवाओं की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा
शकया जा सके। एनआईओएस अपने वतणमान कायणक्रमों के अिावा शनम्नशिक्तखत कायणक्रमों को भी ऑफर
करे गा : ए, बी और सी स्तरों की शिक्षा जो औपचाररक स्कूि प्रर्ािी के कक्षा 3, 5 और 8 के बराबर हैं;
माध्यशमक शिक्षा कायणक्रम जो कक्षा 10 और 12 के बराबर हैं ; व्यावसाशयक शिक्षा पाठ्यक्रम / कायण क्रम;
और वयस्क साक्षरता और जीवन-संवधणन कायणक्रम। एनआईओएस की तजण पर राज्य सरकारों को

15
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्रोत्साशहत शकया जाएगा शक वे अपने राज्यों में पूवण से स्थाशपत स्टे ट इं स्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूशिंग
(एसआईओएस) को सिि करके और नए संस्थानों की स्थापना करें और क्षेत्ीय भाषाओं में उपरोि
कायणक्रम इन संस्थानों के जररये चिाएं ।

3.6. दोनों, सरकारों और गैर-सरकारी संस्थाओं, के शिए शवद्यािय के शनमाणर् को सरि करने के शिए;
संस्कृशत, भूगोि और सामाशजक-संरचना के आधार पर स्थानीय शवशवधताओं को प्रोत्साशहत करने, और
शिक्षा के वैकक्तल्पक मॉडि बनाने की अनुमशत दे ने के शिए स्कूिों के शनमाण र् संबंधी शनयमों को हिा
बनाया जाएगा। इसका फोकस इनपुट पर कम और वांशछत सीखने के पररर्ामों से संबंशधत आउटपुट
क्षमता पर अशधक केक्तित होगा। इनपुट्स संबंशधत शवशनयम कुछ शविेष क्षेत्ों तक सीशमत होंगे शजनका
अध्याय 8 में उल्लेख शकया गया है । स्कूिों के अन्य मॉडिों को भी पायिट शकया जाएगा, शजसमें
सावणजशनक-शफिैंथ्रोशफक साझेदाररयां िाशमि हैं ।

3.7 बच्चों के अशधगम में सु धार के शिए भूतपूवण शवद्याशथणयों और समुदाय से स्वयंसेवी प्रयासों को प्रोत्साशहत
शकया जायेगा। इसमें िाशमि हैं – स्कूिों में एक-एक बच्चे के शिए ट्यूटररं ग, साक्षरता शिक्षर् और अन्य
मदद हे तु अशतररि कक्षाएं आयोशजत करना, शिक्षकों को शिक्षर् में मागणदिणन और मदद उपिब्ध कराना,
शवद्याशथणयों को व्यवसाय संबंधी मागणदिणन दे ना, प्रौढ शिक्षा केिों में प्रौढ साक्षरता में सहयोग करना; आशद।
इस दृशष्ट् से स्कूि के भूतपूवण शवद्याशथणयों और स्थानीय समुदाय के स्वस्थ वररष्ठ नागररकों से उपयुि
व्यक्तियों की पहचान की जाएगी। इस उद्दे श्य की पूशतण के शिए साक्षर स्वयंसेवकों, सेवाशनवृत्त वैज्ञाशनकों/
सरकारी / अिा सरकारी कमाचाररयों, भूतपूवण शवद्याशथणयों और शिक्षाशवदों का एक डे टाबेस तैयार शकया
जायेगा।

4. स्कूलचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र : अशधगम समग्र, एकीकृि, आनंददायी और


रुशचकर हचना चाशहए

5+3+3+4 के नए शड्जाईन में स्कूल पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र कच पुनगवशठि करना

4.1 स्कूिी शिक्षा के पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे को पुनगणशित शकया जाएगा ताशक 3-8, 8-11, 11-14
और 14-18 की उम्र के शवशभन्न पडावों पर शवद्याशथणयों के शवकास की अिग-अिग अवस्थाओं के मुताशबक
उनकी रुशचयों और शवकास की ज़रूरतों पर समुशचत ध्यान शदया जा सके। इसशिए स्कूिी शिक्षा के शिए
पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे और पाठ्यक्रम रूपरे खा एक 5+3+3+4 शडजाइन से मागणदशिणत होगी,
शजसके तहत क्रमि: फाउं डेिनि स्टे ज( दो भागों में अथाण त् आं गनवाडी/प्री-स्कूि के 3 साि+प्राथशमक
स्कूि में कक्षा 1-2 में 2 साि, 3 से 8 वषण के बच्चों सशहत), शप्रपरे टरी स्टे ज (कक्षा 3-5, 8 से 11 वषण के बच्चों
सशहत), शमशडि स्कूि स्टे ज (कक्षा 6-8, 11 से 14 वषण के बच्चों सशहत), और सेकेंडरी स्टे ज (कक्षा 9 से 12,
दो फेज में, यानी पहिे फेज में 9 और 10 और दू सरे में 11 और 12, 14 से 18 वषण के बच्चों सशहत) िाशमि
होगी।

16
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

4.2 फाउं डेिनि स्टे ज में पां च वषीय िचीिी, बह-स्तरीय खेि / गशतशवशध आधाररत अध्ययन और जैसा
पहिे शजक्र शकया गया शक ईसीसीई के पाठ्यक्रम और शिक्षर्िास्त्र िाशमि होंगे। इसमें अच्छे व्यवहार,
शिष्ट्ाचार, नैशतकता, व्यक्तिगत और सावणजशनक साफ़-सफाई/स्वच्छता, टीम वकण और सहयोग इत्याशद पर
भी ध्यान केंशद्रत शकया जाएगा। प्रीप्रेटरी स्टे ज तीन वषण की होगी जो फाउं डेिनि स्टे ज की खेि-खोज और
गशतशवशध आधाररत शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी से आगे बढे गी और कुछ हिे-फुिे पाठ्यपुस्तक आधाररत
शिक्षर् को भी िाशमि शकया जायेगा और इस प्रकार ज्यादा औपचाररक िेशकन संवादात्मक कक्षा िैिी के
जररये अध्ययन-अध्यापन की ओर बढे गी, शजसमे पढने, शिखने, बोिने, िारीररक शिक्षा, किा, भाषा,
शवज्ञान और गशर्त भी िाशमि होंगे। शमशडि स्टे ज में भी तीन वषण की शिक्षा होगी और इसमें शवषय शविेषज्ञ
शिक्षकों द्वारा शवषय की अमूतण अवधारर्ाओं पर काम िुरू होगा शजसके शिए शवद्याशथणयों की पयाणप्त तैयारी
हो चुकी होगी। यह कायण शवज्ञान, गशर्त, किा, खेि, सामाशजक शवज्ञान, मानशवकी और व्यावसाशयक शवषयों
में होंगे। हर शवषय में अनुभव आधाररत शिक्षर् और शवषय-शविेषज्ञों के आ जाने के बावजूद शवषयों के बीच
परस्पर सम्बन्ध दे खने को प्रोत्साशहत शकया जायेगा। हाई स्कूि (या सेकेंडरी) स्टे ज में चार साि के बह-
शवषयक अध्ययन िाशमि होंगे, जो इस स्टे ज के शवषय-उन्मुख शिक्षाक्रमीय और शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी पर
आधाररत होंगे, िेशकन अशधक गहराई, अशधक आिोचनात्मक सोच, जीवन आकां क्षाओं पर अशधक ध्यान
और शवद्याशथणयों द्वारा शवषयों के चुनाव को िेकर अशधक िचीिेपन के साथ होंगे। शविेष रूप से, यशद शकसी
की इच्छा हो तो ग्रेड 10 के बाद व्यवसाशयक या शकसी शविेषज्ञताप्राप्त स्कूि में ग्रे ड 11-12 में अन्य कोसण
के चुनाव के शवकल्प िगातार शवद्याशथणयों के शिए बने रहें गे।

4.3 उपरोि चरर् शविुद्ध रूप से पाठ्यक्रमर्ीय और िैक्षशर्क हैं , शजिें कुछ इस तरह शडज़ाइन शकया
गया है ताशक बच्चों के संज्ञानात्मक शवकास के अनुरूप शवद्याशथणयों का सीखना हो सके; ये चरर् राष्ट्रीय और
राज्य शिक्षाक्रमों और सीखने-शसखाने की रर्नीशतयों के शवकास को मागणदिणन दे ने में मदद करें गे, िेशकन
इनका प्रभाव भौशतक अवसंरचना पर नहीं पडे गा।

शवद्याशथवयचं का समग्र शवकास

4.4 सभी स्तरयों पर पाठ्यचयाा और तिक्षा तिति का समग्र केंद्रतबोंदु तिक्षा प्रणाली कय रटने की पुरानी प्रथा से
अलग िास्ततिक समझ और ज्ञान की ओर ले जाना है। तिक्षा का उद्दे श्य केिल सोंज्ञानत्मक समझ न हयकर
चररत् तनमााण और इक्कीसिी ििाब्दी के मुख्य कौिल से सुसक्तिि करना है । िास्ति में ज्ञान एक छु पा
हआ ख़ज़ाना है और तिक्षा व्यक्ति की प्रतिभा के साथ इसे प्राप्त करने में मदद करिी है। पाठ्यचयाा और
तिक्षातिति कय इन लक्ष्यों की प्राक्तप्त के तलए पुनः िैयार तकया जाएगा। पूिा तिद्यालय से उच्चतर तिक्षा िक
प्रत्येक स्तर में एकीकरण के तलए तितभन्न क्षेत्यों में तितिष्ट् कौिल और मूल्यों की पहचान की जाएगी।
तिक्षण और अतिगम प्रतिया में इन कौिल और मूल्यों को आत्मसात तकया जा रहा है यह सुतनतिि करने
के तलए पाठ्यचयाा ढााँचा और सम्पका िोंत् तिकतसि तकया जाएगा। एनसीईआरटी इन अपेतक्षि कौिल की

17
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

पहचान करे गा और आरं शभक बाल्यावस्था एिों स्कूल तिक्षा के तलए राष्ट्रीय पाठ्यचयाा ढााँचे में उनके
व्यिहार के तलए िोंत् िातमल करे गा।

अशनवायव अशधगम और आलचचनात्मक शचंिन कच बढ़ाने के शलए पाठ्यक्रम की शवषय-वस्तु कच कम


करना

4.5 पाठ्यक्रम की शवषय-वस्तु को प्रत्येक शवषय में कम करके इसे बेहद बुशनयादी चीज़ों पर केक्तित शकया
जाएगा ताशक आिोचनात्मक शचंतन और समग्र, खोज-आधाररत, चचाण -आधाररत और शवश्लेषर्-आधाररत
अशधगम पर ज़रूरी ध्यान शदया जा सकें। यह शवषय-वस्तु अब मुख्य अवधारर्ाओं, शवचारों, अनुप्रयोगों और
समस्या-समाधान पर केंशद्रत होगी। शिक्षर् और सीखना अशधक संवादात्मक तरीके से संचाशित होगा;
सवाि पूछने को प्रोत्साशहत शकया जाएगा, और कक्षाओं में शनयशमत रूप से अशधक रुशचकर, रचनात्मक,
सहयोगात्म्क और खोजपूर्ण गशतशवशधयाुँ होगी ताशक गहन और प्रायोशगक सीख सुशनशित शकया जा सकें।

प्रायचशगक अशधगम

4.6 सभी चरर्ों में, प्रायोशगक आधाररत अशधगम को अपनाया जाएगा, शजसमें अन्य चीज़ों के अिावा स्वयं
करके सीखना और प्रत्येक शवषय में किा और खेि को एकीकृत शकया जाएगा, और कहानी-आधाररत
शिक्षर्-िास्त्र को प्रत्येक शवषय में एक मानक शिक्षर्-िास्त्र के तौर पर दे खा जाएगा। साथ ही शवशभन्न
शवषयों के बीच संबंधों की खोज को प्रोत्साशहत शकया जाएगा। वतणमान अशधगम प्रशतमान (िशनंग आउटकम)
और वांछनीय अशधगम पररर्ामों के बीच खाई को पाटने के शिए कुछ शवषयों में कक्षा-कक्षीय प्रशक्रयाओं में
पररवतणन होंगे, जहाुँ भी उशचत होगा वहाुँ इिें दक्षता-आधाररत अशधगम और शिक्षा की ओर उन्मुख शकया
जाएगा। आकिन के उपकरर्ों (शजसमें सीखने "के रूप में", "का" "के शिए" आकिन िाशमि है ) को शदए
गए वगण के हर शवषय के अशधगम पररर्ामों, क्षमताओं और रुझानों के साथ भी संरेक्तखत शकया जाएगा।

4.7 किा-समिय (आटण -इं टीग्रेिन) एक क्रॉस-कररकुिर िैक्षशर्क दृशष्ट्कोर् है शजसमें शवशवध-शवषयों की
अवधारर्ाओं के अशधगम आधार के रूप में किा और संस्कृशत के शवशभन्न अवयवों का उपयोग शकया जाता
है। अनुभव आधाररत अशधगम पर शविेष बि शदए जाने के अंतगणत किा-समक्तित शिक्षर् को कक्षा
प्रशक्रयाओं में स्थान शदया जायेगा शजससे न शसफण कक्षा ज्यादा आनंदपूर्ण बनेगी बक्ति भारतीय किा और
संस्कृशत के शिक्षर् में समावेि से भारतीयता से भी बच्चों का पररचय हो पायेगा। इस एप्रोच से शिक्षा और
संस्कृशत के परस्पर संबंधों को भी मजबूती शमिेगी।

4.8 खेि-समिय एक और क्रॉस-कररकुिर िैक्षशर्क दृशष्ट्कोर् है शजसके तहत स्थानीय खेिों सशहत
शवशवध िारीररक गशतशवशधयों का शिक्षर् प्रशक्रयाओं में उपयोग शकया जाता है , ताशक परस्पर सहयोग, स्वत:
पहि करना, स्वयं शनदे शित होकर कायण करना, स्व-अनुिासन, टीम भावना, शजम्मेदारी, नागररकता, आशद
जैसे कौिि शवकशसत करने में सहायता हो सके। खेि समिय अशधगम कक्षा के दौरान होगा ताशक छात्ों

18
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

को शफटनेस को एक आजीवन दृशष्ट्कोर् के रूप में अपनाने और शफट इं शडया मूवमेंट में पररकक्तल्पत शकए
गए अनुसार शफटनेस के स्तर के साथ-साथ संबंशधत जीवन कौिि प्राप्त करने में मदद शमि सके। शिक्षा
में खेिों के समिय की आवश्यकता को पहिे ही पहचाना जा चुका है क्ोंशक इससे बच्चों के िारीररक
और मनोवैज्ञाशनक कल्यार् के माध्यम से सवांगीर् शवकास होता है और संज्ञानात्मक क्षमताएुँ भी बढती हैं।

कचसव चुनाव के शवकल्पचं में लचीलेपन के माध्यम से छात्रचं कच सिक्त बनाना

4.9 शवद्याशथणयों को शविेष रूप से माध्यशमक शवद्यािय में अध्ययन करने के शिए अशधक िचीिापन और
शवषयों के चुनाव के शवकल्प शदए जाएं गे - इनमें िारीररक शिक्षा, किा और शिल्प तथा व्यावसाशयक शवषय
भी िाशमि होंगे - ताशक शवद्याथी अध्ययन और जीवन की योजना के अपने रास्ते तैयार करने के शिए स्वतंत्
हो सकें। साि दर साि समग्र शवकास और शवषयों और पाठ्यक्रमों के शवस्तृत चुनाव शवकल्पों का होना
माध्यशमक शवद्यािय शिक्षा की नई शवशिष्ट् शविेषता होगी। 'पाठ्यक्रम', 'अशतररि-पाठ्यक्रम' या 'सह-
पाठ्यक्रम', 'किा', 'मानशवकी' और 'शवज्ञान', अथवा 'व्यावसाशयक' या 'अकादशमक' धारा जैसी कोई
श्रेशर्यां नहीं होंगी। शवज्ञान, मानशवकी और गशर्त के अिावा भौशतक शिक्षा, किा और शिल्प, और
व्यावसाशयक कौिि जैसे शवषयों को, यह शवचार करते हए शक उम्र के प्रत्येक पडाव पर शवद्याशथणयों के शिए
क्ा रुशचपूर्ण और सुरशक्षत है और क्ा नहीं, स्कूि के पूरे पाठ्यक्रम में िाशमि शकया जाएगा।

4.10 स्कूिी शिक्षा के चार चरर्ों में से प्रत्येक, शवशभन्न क्षेत्ों में जो संभव है उसके अनुसार, एक सेमेस्टर या
अन्य प्रर्ािी की ओर बढने पर शवचार कर सकता है जो छोटे मॉड्यू ि को िाशमि करने की अनुमशत दे ता
है, या ऐसे कोसण शजनमें वैकक्तल्पक शदनों पर शिक्षर् होता है , ताशक अशधक शवषयों का एक्सपोज़र शमिे और
अशधक िचीिेपन को सुशनशित शकया जा सके। राज्यों को किा, शवज्ञान, मानशवकी, भाषा, खेि और
व्यावसाशयक शवषयों सशहत व्यापक श्रे र्ी के शवषयों के अशधक से अशधक िचीिेपन और आनंद के इन
उद्दे श्यों को प्राप्त करने के शिए अशभनव तरीकों पर ध्यान दे ना चाशहए।

बहभाषावाद और भाषा की िक्तक्त

4.11 यह सवणशवशदत है शक छोटे बच्चे अपनी घर की भाषा / मातृभाषा में साथणक अवधारर्ाओं को अशधक
तेजी से सीखते हैं और समझ िेते हैं। घर की भाषा आमतौर पर मातृभाषा या स्थानीय समुदायों द्वारा बोिी
जाने वािी भाषा है। हािांशक, कई बार बहभाषी पररवारों में, पररवार के अन्य सदस्यों द्वारा बोिी जाने वािी
एक घरे िू भाषा हो सकती है , जो कभी-कभी मातृभाषा या स्थानीय भाषा से शभन्न हो सकती है । जहाुँ तक
संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक िेशकन बेहतर यह होगा शक यह ग्रेड 8 और उससे आगे तक भी हो,
शिक्षा का माध्यम, घर की भाषा / मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्ीय भाषा होगी। इसके बाद, घर / स्थानीय
भाषा को जहाुँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढाया जाता रहेगा। सावणजशनक और शनजी दोनों तरह के
स्कूि इसकी अनुपािना करें गे। शवज्ञान सशहत सभी शवषयों में उच्चतर गुर्वत्ता वािी पाठ्यपुस्तकों को
घरे िू भाषाओं/मातृ-भाषा में उपिब्ध कराया जाएगा। यह सुशनशित करने के शिए सभी प्रयास जल्दी शकए
जाएं गे शक बच्चे द्वारा बोिी जाने वािी भाषा और शिक्षर् के माध्यम के बीच यशद कोई अंतराि मौजूद हो तो

19
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

उसे समाप्त शकया जा सके। ऐसे मामिों में जहाुँ घर की भाषा की पाठ्य-सामग्री उपिब्ध नहीं है , शिक्षकों
और छात्ों के बीच संवाद की भाषा भी जहाुँ संभव हो, वहाुँ घर की भाषा बनी रहे गी। शिक्षकों को उन छात्ों
के साथ शजनके घर की भाषा/मातृ-भाषा शिक्षा के माध्यम से शभन्न है , शद्वभाषी शिक्षर्-अशधगम सामग्री
सशहत शद्वभाषी एप्रोच का उपयोग करने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा। सभी भाषाओं को सभी छात्ों को
उच्चतर गुर्वत्ता के साथ पढाया जाएगा; एक भाषा को अच्छी तरह से शसखाने और सीखने के शिए इसे
शिक्षा का माध्यम होने की आवश्यकता नहीं है।

4.12 जैसा शक अनुसंधान स्पष्ट् रूप से शदखातें हैं शक बच्चे 2 और 8 वषण की आयु के बीच बहत जल्दी भाषा
सीखते हैं और बहभाशषकता से इस उम्र के शवद्याशथणयों को बहत अशधक सं ज्ञानात्मक िाभ होता है,
फाउं डेिनि स्टे ज की िुरुआत और इसके बाद से ही बच्चों को शवशभन्न भाषाओं में (िेशकन मातृभाषा पर
शविेष जोर दे ने के साथ) एक्सपोज़र शदए जाएं गे। सभी भाषाओं को एक मनोरं जक और संवादात्मक िैिी
में पढाया जाएगा, शजसमें बहत सारी संवादात्मक बातचीत होगी, और िुरुआती वषों में पढने और बाद में
मातृभाषा में शिखने के साथ - ग्रेड 3 और आगे की कक्षाओं में अन्य भाषाओं में पढने और शिखने के शिए
कौिि शवकशसत शकये जाएं गे। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से दे ि भर की सभी क्षेत्ीय भाषाओं,
और शविेष रूप सोंतििान की आठिीों अनुसूची में ितणाि सभी भाषाओों में बडी संख्या में भाषा शिक्षकों में
शनवेि का एक बडा प्रयास होगा। राज्य, शविेष रूप से भारत के शवशभन्न क्षेत्ों के राज्य, अपने-अपने राज्यों
में शत्-भाषा फामूणिे को अपनाने के शिए, और साथ ही दे ि भर में भारतीय भाषाओं के अध्ययन को
प्रोत्साशहत करने के शिए बडी संख्या में शिक्षकों को शनयुि करने के शिए आपस में शद्व-पक्षीय समझौते
कर सकते हैं । शवशभन्न भाषाओं को सीखने के शिए और भाषा शिक्षर् को िोकशप्रय बनाने के शिए तकनीक
का बृहद उपयोग शकया जायेगा।

4.13 संवैधाशनक प्रावधानों, िोगों, क्षेत्ों और संघ की आकां क्षाओं और बहभाषावाद और राष्ट्रीय एकता को
बढावा दे ने की ज़रूरत का ध्यान रखते हए शत्-भाषा फॉमूणिे को िागू शकया जाना जारी रहे गा। हािाुँशक,
तीन-भाषा के इस फ़ॉमूणिे में काफी िचीिापन रखा जाएगा और शकसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं
जाएगी। बच्चों द्वारा सीखी जाने वािी तीन भाषाओं के शवकल्प राज्यों, क्षेत्ों, और शनशित रूप से छात्ों के
स्वयं के होंगे, शजनमें से कम से कम तीन में दो भाषाएुँ भारतीय भाषाएुँ हों। शविेष रूप से, जो छात् तीन में
से एक या अशधक भाषाओं को बदिना चाहते हैं , वे ऐसा ग्रेड 6 या 7 में कर सकते हैं िेशकन ऐसा करने के
शिए उिें तीनों भाषा में, शजसमें एक भारतीय भाषा को उसके साशहत्य के स्तर पर अध्ययन करना िाशमि
है, माध्यशमक कक्षाओं के अंत तक बुशनयादी दक्षता हाशसि करके शदखाना होगा।

4.14 इस संबंध में, उच्चतर गुर्वत्ता वािी शवज्ञान और गशर्त में शद्वभाषी पाठ्यपुस्तकों और शिक्षर्-
अशधगम सामग्री को तैयार करने के सभी प्रयास शकए जाएं गे ताशक शवद्याथी दोनों शवषयों पर सोचने और
बोिने के शिए अपने घर की भाषा/मातृभाषा और अंग्रेजी दोनों में सक्षम हो सकें।

20
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

4.15 जैसा शक दु शनया भर के कई शवकशसत दे िों में यह दे खने को शमिता है शक अपनी भाषा, संस्कृशत
और परं पराओं में शिशक्षत होना कोई बाधा नहीं है , बक्ति वास्तव में िैशक्षक, सामाशजक और तकनीकी
प्रगशत के शिए इसका बहत बडा िाभ ही होता है । भारत की भाषाएं दु शनया में सबसे समृद्ध, सबसे
वैज्ञाशनक, सबसे सुंदर और सबसे अशधक अशभव्यंजक भाषा में से हैं , शजनमें प्राचीन और आधुशनक साशहत्य
(गद्य और कशवता दोनों) के शविाि भंडार हैं । इन भाषा में शिखी गयी शफल्म, संगीत और साशहत्य भारत की
राष्ट्रीय पहचान और धरोहर हैं। सांस्कृशतक और राष्ट्रीय एकीकरर् की दृशष्ट् से सभी युवा भारतीयों को
अपने दे ि की भाषाओं के शविाि और समृद्ध भण्डार और इनके साशहत्य के खज़ाने के बारे में जागरूक
होना चाशहए।

4.16 इस प्रकार दे ि में प्रत्येक शवद्याथी पढाई के दौरान 'द िैंग्वेजेज ऑफ इं शडया' पर एक मजेदार
प्रोजेक्ट / गशतशवशध में भाग िेगा; उदाहरर् के शिए, ग्रेड 6-8 में ‘एक भारत श्रे ष्ठ भारत’ पहि। इस प्रोजेक्ट
/ गशतशवशध में, छात् अशधकांिरूप से प्रमुख भारतीय भाषाओं की उल्लेखनीय एकता के बारे में जानेंगे,
शजसके तहत उनके सामान्य ध्वन्यात्मक और वैज्ञाशनक रूप से व्यवक्तस्थत वर्णमािा और शिशपयों, उनकी
सामान्य व्याकरशर्क संरचनाओं, संस्कृत और अन्य िास्त्रीय भाषा से इनकी िब्दाविी के स्रोत और
उद्भव को ढू ुँ ढने से िेकर इन भाषा के समृद्ध अंतर-प्रभाव और अंतरों को समझना िाशमि है । वे यह भी
जानेंगे शक कौन से भौगोशिक क्षेत् में कौन सी भाषाएं बोिते हैं , आशदवासी भाषाओं की प्रकृशत और संरचना
को समझेंगे, और भारत की हर प्रमुख भाषा में कुछ पंक्तियाुँ और प्रत्येक के समृद्ध और उभरते साशहत्य के
बारे में कुछ कहना सीखेंगे (आवश्यक अनुवाद के माध्यम से)। इस तरह की गशतशवशध से उिें भारत की
एकता और सुंदर सांस्कृशतक शवरासत और शवशवधता दोनों का एहसास होगा और अपने पूरे जीवन भर वे
भारत के अन्य शहस्सों के िोगों से शमिने और घुिने-शमिने में सहज महसूस करें गे। यह प्रोजेक्ट /
गशतशवशध एक रुशचकर और आनंददायी गशतशवशध होगी और इसमें शकसी भी रूप में मूल्यांकन िाशमि नहीं
होगा।

4.17 भारत की िास्त्रीय भाषाओं और साशहत्य के महत्व, प्रासंशगकता और सुंदरता को भी नजरअंदाज


नहीं शकया जा सकता है। संस्कृत, सोंतििान की आठिीों अनुसूची में ितणाि एक महत्वपूर्ण आधुशनक भाषा
होते हए भी, इसका िास्त्रीय साशहत्य इतना शविाि है शक सारे िैशटन और ग्रीक साशहत्य को भी यशद
शमिाकर इसकी तुिना की जाए तो भी इसकी बराबरी नहीं कर सकता। संस्कृत साशहत्य में गशर्त, दिणन,
व्याकरर्, संगीत, राजनीशत, शचशकत्सा, वास्तुकिा, धातु शवज्ञान, नाटक, कशवता, कहानी, और बहत कुछ
(शजिें "संस्कृत ज्ञान प्रर्ाशियों" के रूप में जाना जाता है ), के शविाि खजाने हैं। इन सबको शवशभन्न धमों के
िोगों के साथ-साथ गैर-धाशमणक िोगों और जीवन के सभी क्षेत्ों और सामाशजक-आशथणक पृष्ठभूशम के िोगों
द्वारा हजारों वषों में शिखा गया है । इस प्रकार संस्कृत को, शत्-भाषा के मुख्यधारा शवकल्प के साथ, स्कूि
और उच्चतर शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्ों के शिए एक महत्वपूर्ण, समृद्ध शवकल्प के रूप में पेि शकया
जाएगा। यह उन तरीकों से पढाया जाएगा जो शदिचस्प और अनुभवात्मक होने के साथ-साथ समकािीन
रूप से प्रासंशगक हैं , शजसमें संस्कृत ज्ञान प्रर्ािी का उपयोग िाशमि है , और शविेष रूप से ध्वशन और
उच्चारर् के माध्यम से। फाउं डेिनि और शमशडि स्कूि स्तर पर संस्कृत की पाठ्यपुस्तकों को संस्कृत के

21
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

माध्यम से संस्कृत पढाने (एसटीएस) और इसके अध्ययन को आनंददायी बनाने के शिए सरि मानक
संस्कृत (एसएसएस) में शिखा जा सकता है ।

4.18 भारत में िास्त्रीय तशमि, तेिुगु, कन्नड, मियािम, और ओशडया सशहत अन्य िास्त्रीय भाषाओं में
एक अत्यंत समृद्ध साशहत्य है; इन िास्त्रीय भाषाओं के अशतररि, पाशि, फारसी, प्राकृत और उनके
साशहत्य को भी उनकी समृक्तद्ध के शिए और भावी पीढी के सुख और समृक्तद्ध के शिए संरशक्षत शकया जाना
चाशहए। जैसे ही भारत पूरी तरह से शवकशसत दे ि बनेगा, अगिी पीढी भारत के व्यापक और सुंदर िास्त्रीय
साशहत्य के अध्ययन में भाग िेना और इं सान के रूप में समृद्ध बनना चाहे गी। संस्कृत के अिावा, भारत की
अन्य िास्त्रीय भाषाएं और साशहत्य, शजनमें तशमि, तेिुगु, कन्नड, मियािम, ओशडया, पाशि, फारसी और
प्राकृत िाशमि हैं, स्कूिों में भी व्यापक रूप से छात्ों के शिए शवकल्प के रूप संभवतः ऑनिाइन मॉड्यूि
के रूप में अनुभवात्मक और अशभनव एप्रोच के माध्यम से उपिब्ध होंगे ताशक यह सुशनशित शकया जा सके
शक ये भाषा और साशहत्य जीशवत और जीवंत रहें। सभी भारतीय भाषाओं, जो समृद्ध मौक्तखक और शिक्तखत
साशहत्य, सांस्कृशतक परं पराओं और ज्ञान को अपने में संजोए हए हैं , के शिए भी इसी प्रकार के प्रयास शकए
जाएं गे।

4.19 दे ि के बच्चों के संवधणन के शिए, और इन समृद्ध भाषाओं और उनके किात्मक खजाने के संरक्षर्
के शिए, सावणजशनक या शनजी सभी स्कूिों में सभी शवद्याशथणयों के पास, भारत की िास्त्रीय भाषाओं और
उससे जुडे साशहत्य को कम से कम दो साि सीखने का शवकल्प होगा। अनुभवात्मक और नवीन शवशधयों,
शजनमें प्रौद्योशगकी के एकीकरर् भी िाशमि होंगे, के माध्यम से ग्रेड 6 से 12 तक के शवद्याथी इिें सीख
पाएं गे। शमशडि से सेकेंडरी स्तर तक और यहाुँ तक शक इसके आगे भी इनका अध्ययन करते रहने का
शवकल्प उनके पास होगा।

4.20 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में उच्चतर गुर्वत्ता वािे कोसण के अिावा, शवदे िी भाषाएं , जैसे
कोररयाई, जापानी, थाई, फ्रेंच, जमणन, स्पेशनि, पुतणगािी और रूसी भी माध्यशमक स्तर पर व्यापक रूप से
अध्ययन हेतु उपिब्ध करवाई जाएं गी, ताशक शवद्याथी शवि-संस्कृशतयों के बारे में जानें, और अपनी रुशचयों
और आकांक्षाओं के अनुसार अपने वैशिक ज्ञान को और दु शनया भर में घूमने-शफरने को सहजता से बढा
सकें।

4.21 सभी भाषाओं के शिक्षर् को नवीन और अनुभवात्मक शवशधयों के माध्यम से समृद्ध शकया जाएगा,
शजसमें सरिीकरर् और ऐप्स के माध्यम से, भाषाओं के सां स्कृशतक पहिुओं - जैसे शक शफल्म, शथएटर,
कथावाचन, काव्य और संगीत - को जोडते हए, और शवशभन्न प्रासंशगक शवषयों के साथ और वास्तशवक
जीवन के अनुभवों के साथ संबंधों को शदखाते हए इिें शसखाया जाएगा। इस प्रकार, भाषाओं का शिक्षर् भी
अनुभवात्मक-अशधगम शिक्षर्िास्त्र पर आधाररत होगा।

22
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

4.22 भारतीय साइन िैंग्वेज (आईएसएि) को दे ि भर में मानकीकृत शकया जाएगा, और राष्ट्रीय और राज्य
पाियक्रम सामग्री शवकशसत की जाएगी, जो बशधर शवद्याशथणयों द्वारा उपयोग की जाएगी। जहाुँ संभव और
प्रासंशगक हो वहाुँ स्थानीय सांकेशतक भाषाओं का सम्मान शकया जाएगा और उिें शसखाया जाएगा।

अशनवायव शवषयचं, कौिलचं और क्षमिाओं का शिक्षाक्रमीय एकीकरण

4.23 हािांशक शवद्याशथणयों को अपने व्यक्तिगत पाठ्यक्रम को चुनने में बडी मात्ा में िचीिे शवकल्प शमिने
चाशहए, िेशकन आज की तेजी से बदिती दु शनया में सभी शवद्याशथणयों को एक अच्छे , सफि, अशभनव,
अनुकूिनीय और उत्पादक व्यक्ति बनने के शिए कुछ शवषयों, कौििों और क्षमताओं को सीखना भी
ज़रूरी है। भाषाओं में प्रवीर्ता के अिावा, इन कौििों में िाशमि हैं : वैज्ञाशनक स्वभाव और साक्ष्य
आधाररत सोच; रचनात्मकता और नवीनता; सौंदयणिास्त्र और किा की भावना; मौक्तखक और शिक्तखत
अशभव्यक्ति और संवाद; स्वास्थ्य और पोषर्; िारीररक शिक्षा, शफटनेस, स्वास्थ्य और खेि; सहयोग और
टीम वकण; समस्या को हि करने और ताशकणक शचंतन; व्यावसाशयक एक्सपोज़र और कौिि; शडशजटि
साक्षरता, कोशडं ग और क्प्यूटेिनि शचंतन; नैशतकता और नैशतक तकण, मानव और संवैधाशनक मूल्यों का
ज्ञान और अभ्यास; शिंग संवेदनिीिता; मौशिक कतणव्य; नागररकता कौिि और मूल्य; भारत का ज्ञान;
पयाणवरर् संबंधी जागरूकता, शजसमें पानी और संसाधन संरक्षर्, स्वच्छता और साफ-सफाई िाशमि हैं;
और समसामाशयक मामिों और स्थानीय समुदायों, राज्यों, दे ि और दु शनया द्वारा शजन महत्वपूर्ण मुद्दों का
सामना शकया जा रहा है उनका ज्ञान।

4.24 प्रासंशगक चरर्ों में समसामशयक शवषयों, जैसे आशटण शफशियि इं टेशिजेंस, शडजाइन शथंशकंग,
होशिक्तस्टक हेल्थ, ऑगेशनक शिशवंग, पयाणवरर् शिक्षा, वैशिक नागररकता शिक्षा (जीसीईडी), आशद जैसे
समसामशयक शवषयों की िुरुआत सशहत सभी स्तरों पर छात्ों में इन शवशभन्न महत्वपूर्ण कौििों को
शवकशसत करने हेतु समुशचत शिक्षाक्रमीय और शिक्षर्-िास्त्रीय कदम उिाए जाएं गे।

4.25 यह माना जाता है शक गशर्त और गशर्तीय सोच भारत के भशवष्य और कई आगामी क्षेत्ों और
व्यवसायों में भारत की नेतृत्वकारी भूशमका के शिए बहत महत्वपूर्ण होगी। इन उभरते हए क्षेत्ों में
आशटण शफशियि इं टेशिजेंस, मिीन िशनंग, और डे टा साइं स िाशमि हैं । इस प्रकार गशर्त और
क्प्यूटेिनि सोच को शवशभन्न प्रकार के अशभनव तरीकों के माध्यम से फाउं डेिनि स्तर से िुरू करके
स्कूि की पूरी अवशध के दौरान शवशभन्न तरीकों, शजनमें पहेशियाुँ और गेम का शनयशमत उपयोग िाशमि है
जो गशर्तीय सोच को अशधक आनंददायी और आकषणक बनाते हैं , के माध्यम से शसखाने पर जोर शदया
जाएगा। शमशडि स्कूि स्तर पर कोशडं ग संबंधी गशतशवशधयाुँ िुरू की जाएुँ गी।

4.26 प्रत्येक शवद्याथी ग्रेड 6 और 8 के दौरान राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा तय शकए गए और
स्थानीय कुिि आवश्यकताओं द्वारा मैशपंग के अनुसार एक आनंददायी कोसण करे गा, जो शक महत्वपूर्ण
व्यावसाशयक शिल्प, जैसे शक बढईगीरी, शबजिी का काम, धातु का काम, बागवानी, शमट्टी के बतणनों के

23
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शनमाणर्, आशद का एक जायजा दे गा और अपने हाथों से काम करने का अनुभव प्रदान करे गा। ग्रेड 6-8 के
शिए एक अभ्यास-आधाररत पाठ्यक्रम को एनसीएफएसई 2020-21 को तैयार करते हए एनसीईआरटी
द्वारा उशचत रूप से शडजाइन शकया जाएगा। कक्षा 6 से 8 में पढने के दौरान सभी शवद्याथी एक दस शदन के
बस्ता-रशहत पीररयड में भाग िेंगे जब वे स्थानीय व्यावसाशयक शविेषज्ञों, जैसे बढई, मािी, कुम्हार,
किाकार आशद के साथ प्रशिक्षु के रूप में काम करें गे । इसी तजण पर कक्षा 6 से 12 तक, छु शट्टयों के दौरान
भी, शवशभन्न व्यावसाशयक शवषय समझने के शिए अवसर उपिब्ध कराये जा सकते हैं । ऑनिाइन माध्यम में
भी व्यावसाशयक कोसण उपिब्ध कराये जा सकते हैं । वषण भर में ऐसे बस्ता-रशहत शदनों को शवशभन्न प्रकार की
समृद्ध करने वािी किा, क्तिज, खेि और व्यावसाशयक हस्तकिाओं को प्रोत्साहन शदया जायेगा। बच्चों को
ऐशतहाशसक, सांस्कृशतक और पयणटक महत्व के स्थानों/ स्मारकों का दौरा करने, स्थानीय किाकारों और
शिल्पकारों से शमिने और अपने गांव / तहसीि / शजिा/ राज्य में उच्चतर िैक्षशर्क संस्थानों का दौरा
करने के माध्यम से स्कूि के बाहर की गशतशवशधयों के शिए आवशधक एक्सपोज़र शदया जाएगा।

4.27 "भारत का ज्ञान" में आधुशनक भारत और उसकी सफिताओं और चुनौशतयों के प्रशत प्राचीन भारत
का ज्ञान और उसका योगदान िाशमि होगा, और शिक्षा, स्वास्थ्य, पयाणवरर्, आशद के संबंध में भारत की
भशवष्य की आकांक्षाओं की स्पष्ट् भावना िाशमि होगी। इन तत्वों को पूरे स्कूि पाठ्यक्रम में जहाुँ भी
प्रासंशगक हो वहाुँ वैज्ञाशनक तरीके से और एक सटीक रूप से िाशमि शकया जाएगा। शविेष रूप से
भारतीय ज्ञान प्रर्ािी को आशदवासी ज्ञान एवं सीखने के स्वदे िी और पारं पररक तरीकों सशहत कवर शकया
जाएगा और गशर्त, खगोि शवज्ञान, दिणन, योग, वास्तु किा, शचशकत्सा, कृशष, इं जीशनयररं ग, भाषा शवज्ञान,
साशहत्य, खेि के साथ-साथ िासन, राजव्यवस्था, संरक्षर्, आशद शवषयों में िाशमि शकया जाएगा।
जनजातीय एथनो-औषधीय प्रथाओं, वन प्रबंधन, पारं पररक (जैशवक) फसि की खेती, प्राकृशतक खेती, आशद
में शवशिष्ट् पाठ्यक्रम भी उपिब्ध कराए जाएं गे। भारतीय ज्ञान प्रर्ाशियों पर एक आकषणक पाठ्यक्रम भी
एक वैकक्तल्पक के रूप में माध्यशमक शवद्यािय में छात्ों के शिए उपिब्ध होगा। मस्ती और स्वदे िी खेिों के
माध्यम से शवशभन्न टॉशपक्स और शवषयों को सीखने के शिए स्कूिों में प्रशतयोशगताएं आयोशजत की जा सकती
हैं। पूरे स्कूि पाठ्यक्रम के दौरान शवज्ञान और अन्य क्षेत्ों में प्राचीन और आधुशनक भारत के प्रेरर्ादायक
व्यक्तित्वों पर वीशडयो वृत्तशचत् शदखाए जाएं गे। छात्ों को सांस्कृशतक आदान-प्रदान कायणक्रमों के शहस्से के
रूप में शवशभन्न राज्यों का दौरा करने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा।

4.28 शवद्याशथणयों को कम उम्र में "सही को करने" के महत्व को शसखाया जाएगा, और नैशतक शनर्णय िेने
के शिए एक ताशकणक ढां चा शदया जाएगा I बाद के वषों में, इन मुद्दों को शवशभन्न थीम जैसे धोखाधडी, शहंसा,
साशहक्तत्यक चोरी, गंदगी फैिाना, सशहष्णुता, समानता, समानुभूशत इत्याशद की मदद से शवस्तार शदया जाएगा,
शजसमें बच्चों को अपने जीवन का संचािन करने में नैशतक / नैशतक मूल्यों को अपनाने के शिए सक्षम
बनाने; कई दृशष्ट्कोर्ों से एक नैशतक मुद्दे के बारे में तकण गढने और शनर्णय िेने; और सभी कायों में नैशतक
आचरर् को अपनाने में सक्षम बनाने पर जोर शदया जाएगा। इस तरह शवकशसत हए नैशतक बोध के चिते
पारं पररक भारतीय मूल्यों और सभी बुशनयादी मानवीय और संवैधाशनक मूल्यों (जैसे सेवा, अशहंसा, स्वच्छता,
सत्य, शनष्काम-कमण, िांशत, त्याग, सशहष्णुता, शवशवधता, बहिवाद, नैशतक-आचरर्, िैंशगक संवेदनिीिता,

24
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

बुजुगों के शिए सम्मान, सभी िोगों और उनकी अंतशनणशहत क्षमताओं का सम्मान, पयाणवरर् के प्रशत सम्मान,
मदद करना, शिष्ट्ाचार, धैयण, क्षमा, समानुभूशत, करुर्ा, दे िभक्ति, िोकतांशत्क दृशष्ट्कोर्, अखंडता,
शजम्मेदारी, न्याय, स्वतंत्ता, समानता और बंधुत्व) को शवद्याशथणयों में शवकशसत शकया जा सकेगा। बच्चों को
पंचतंत् की मूि कहाशनयों, जातक, शहतोपदे ि, और अन्य मजेदार दं तकथाओं और भारतीय परं परा से प्रेरक
कहाशनयों को पढने और सीखने का अवसर शमिेगा और वैशिक साशहत्य पर उनके प्रभावों के बारे में भी वे
जानेंगे। भारतीय संशवधान के अंि भी सभी छात्ों के शिए पढना आवश्यक माना जाएगा। स्वास्थ्य में
बुशनयादी प्रशिक्षर् शजसमें शनवारक स्वास्थ्य, मानशसक स्वास्थ्य, अच्छा पोषर्, व्यक्तिगत और सावणजशनक
स्वच्छता, आपदा प्रतितिया और प्राथशमक शचशकत्सा िाशमि है के साथ ही साथ िराब, तम्बाकू और अन्य
मादक पदाथों के हाशनकारक और तिपरीि प्रभावों की वैज्ञाशनक व्याख्या को भी पाठ्यक्रम में िाशमि
शकया जाएगा।

4.29 फाउं डेिनि स्तर से िुरू करके बाकी सभी स्तरों तक, पाठ्यचयाण और शिक्षर्-िास्त्र को एक
मजबूत भारतीय और स्थानीय संदभण दे ने की दृशष्ट् से पुनगणशित शकया जायेगा। इसके अंतगणत संस्कृशत,
परं पराएुँ , शवरासत, रीशत-ररवाज, भाषा, दिणन, भूगोि, प्राचीन और समकािीन ज्ञान, सामाशजक और
वैज्ञाशनक आवश्यकताएं , सीखने के स्वदे िी और पारं पररक तरीके आशद सभी पक्ष िाशमि होंगे शजससे
शिक्षा यथासंभव रूप से हमारे छात्ों के शिए अशधकतम भरोसेमंद, प्रासंशगक, रोचक और प्रभावी बने।
कहाशनयों, किा, खेिों, उदाहरर्ों और समस्याओं आशद का चयन जहाुँ तक संभव हो भारतीय और
स्थानीय भौगोशिक सन्दभों के आधार पर शकया जायेगा। शिक्षा को इस तरह का आधार शमिने पर शनशित
रूप से अमूतण शचंतन, नए शवचारों और रचनात्मकता को शनखरने का अवसर शमिेगा।

स्कूल डिक्षा के डलए राष्ट्रीय पाठ्यचयाा रूपरे खा (एनसीएफएसई)

4.30 स्कूल तिक्षा के तलए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यचयाा रूपरे खा एनसीएिएसई 2020-21,
एनसीईआरटी द्वारा राष्ट्रीय तिक्षा नीति, 2020 के तसिाों ियों, अग्रणी पाठ्यचयाा आिश्यकिाओों के आिार पर
िथा राज्य सरकारयों, मोंत्ालययों, केंद्र सरकार के संबंशधत तिभागयों और अन्य तििेषज्ञ तनकाययों सतहि सभी
तहििारकयों के साथ परामिा करके िैयार तकया जाएगा और इसे सभी क्षेत्ीय भाषाओों में उपलब्ध कराया
जाएगा। उसके बाद एनसीएिएसई दस्तािेज की प्रत्येक 5-10 िषा में महत्पूणा पाठ्यचयाा कय ध्यान में
रखिे हए समीक्षा एवं अद्यतनीकरर् शकया जाएगा।

स्थानीय शवषय-वस्तु और आस्वाद के साथ राष्ट्रीय पाठ्यपुस्तकें

4.31 स्कूिी पाठ्यक्रम के बोझ में कमी, और बढे हए िचीिेपन, और रटकर सीखने के बजाय रचनावादी
तरीके से सीखने पर नए शसरे से जोर के साथ-साथ स्कूि की पाठ्यपुस्तकों में भी बदिाव होने चाशहए।
सभी पाठ्यपुस्तकों में राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जाने वािी आवश्यक मूि सामग्री (चचाण , शवश्लेषर्,
उदाहरर् और अनुप्रयोग के साथ) को िाशमि करना होगा, िेशकन इसके साथ ही स्थानीय संदभों और

25
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

आवश्यकताओं के अनुसार शकसी भी वांशछत बारीशकयों और पूरक सामग्री को भी िाशमि करना चाशहए।
जहाुँ संभव हो, शिक्षकों के पास भी तय पाठ्यपुस्तकों में अनेक शवकल्प होंगे। उनके पास अब ऐसी
पाठ्यपुस्तकों के अनेक से ट होंगे शजसमें अपेशक्षत राष्ट्रीय और स्थानीय सामग्री िाशमि होगी। इसके चिते
वे ऐसे तरीके से पढा सकें जो उनकी अपनी शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी और उनके छात्ों की एवं समुदायों की
ज़रूरत के मुताशबक़ हो।

4.32 छात्ों को और शिक्षा व्यवस्था पर पाठ्यपुस्तक की कीमतों के बोझ को कम करने के शिए इस तरह
की गुर्वत्ता की पाठ्यपुस्तकों को न्यूनतम संभव िागत - उत्पादन / मुद्रर् की िागत- पर मुहैया करवाया
जाएगा। यह उद्दे श्य एससीईआरटी के संयोजन में एनसीईआरटी द्वारा शवकशसत उच्चतर गुर्वत्ता वािी
पाठ्यपुस्तक सामग्री का उपयोग करके पूरा शकया जा सकता है ; अशतररि पाठ्यपु स्तक सामग्री को
सावणजशनक-परोपकारी भागीदारी और क्राउडसोशसंग द्वारा शवत्तपोशषत शकया जा सकेगा शजसका इस्तेमाि
शविेषज्ञों को ऐसी उच्चतर गुर्वत्ता वािी पाठ्यपुस्तकों को िागत-मूल्य पर शिखने के शिए प्रोत्साशहत शकया
जा सकेगा। राज्य अपने स्वयं के पाठ्यक्रम (जो जहाुँ तक संभव हो एनसीईआरटी द्वारा तैयार
एनसीएफएसई पर आधाररत हो सकते हैं ) तैयार करें गे और पाठ्यपु स्तकों (जो जहाुँ तक संभव हो
एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक सामग्री पर आधाररत हो सकते हैं ) को तैयार करें गे, शजसमें स्थानीय आस्वादों
और सामग्री को जरुरत के अनुसार िाशमि शकया जा सकेगा। ऐसा करते समय, यह ध्यान में रखना चाशहए
शक एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय रूप से स्वीकायण मानदं ड के रूप में शिया जाएगा। सभी क्षेत्ीय
भाषाओं में ऐसी पाठ्यपुस्तकों की उपिब्धता सवोच्च प्राथशमकता होगी, ताशक सभी छात्ों को उच्चतर-
गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। स्कूिों में पाठ्य पुस्तकों की समय पर उपिब्धता सुशनशित करने के शिए सभी
प्रयास शकए जाएं गे। पयाण वरर् को संरशक्षत करने और व्यवस्थात्मक बोझ को कम करने के उद्दे श्य से सभी
राज्यों / केंद्रिाशसत प्रदे िों और एनसीईआरटी द्वारा सभी पाठ्यपुस्तकों को डाउनिोड और शप्रंट करने की
सुशवधा उपिब्ध करायी जाएगी।

4.33 पाठ्यक्रम और शिक्षर्िास्त्र में उपयुि पररवतणनों के जररए स्कूि बैग और पाठ्यपुस्तकों के बोझ
को पयाणप्त रूप से कम करने के शिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, स्कूिों और शिक्षकों द्वारा िोस प्रयास
शकए जाएं गे।

शवद्याशथवयचं के शवकास के शलए आकलन में आमूल-चूल पररविवन

4.34 हमारी स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी की संस्कृशत में आकिन के उद्दे श्य को योगात्मक - जो मुख्य रूप से
रटकर याद करने के कौिि को ही जांचता है - से हटाकर शनयशमत रचनात्मक आकिन की ओर िे जाना
होगा - जो अशधक दक्षता-आधाररत है , हमारे शवद्याशथणयों में सीखने और उनके शवकास को बढावा दे ता हैं,
और उनकी उच्चतर-स्तरीय दक्षताओं जैसे शक शवश्लेषर्, ताशकणक शचंतन और अवधारर्ात्मक स्पष्ट्ता को
जांचता है। आकिन का प्राथशमक उद्दे श्य वास्तव में सीखने के शिए होगा - यह शिक्षक और शवद्याथी और
पूरी स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी में मदद करे गा, सभी शवद्याशथणयों के शिए सीखने और शवकास का अनुकूिन करने

26
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

के शिए, शिक्षर् और सीखने की प्रशक्रयाओं को िगातार संिोशधत करने में मदद करे गा। यह शिक्षा के सभी
स्तरों पर मूल्यां कन के शिए अंतशनणशहत शसद्धांत होगा।

4.35 प्रस्ताशवत राष्ट्रीय आकिन केंद्र, एनसीईआरटी और एससीईआरटी के मागणदिणन में


राज्यों/केंद्रिाशसत प्रदे िों द्वारा सभी शवद्याशथणयों के स्कूि आधाररत आकिन के आधार पर तैयार होने वािे
और अशभभावकों को शदए जाने वािे प्रगशत काडण को पूरी तरह से नया स्वरुप शदया जायेगा। यह प्रगशत
काडण एक समग्र, 360-शडग्री, बह-आयामी काडण होगा शजसमें प्रत्येक शवद्याथी के संज्ञानात्मक, भावात्मक,
साइकोमोटर डोमेन में शवकास का बारीकी से शकये गए शवश्लेषर् का शवस्तृत शववरर्, शवद्याथी की
शवशिष्ट्ताओं समेत शदया जायेगा। इसमें स्व-मूल्यां कन, सहपािी मूल्यांकन, प्रोजेक्ट कायण और खोज-
आधाररत अध्ययन में प्रदिणन, क्तिज, रोि प्ले, समूह कायण, पोटण फोशियो आशद शिक्षक मूल्यांकन सशहत
िाशमि होगा। यह समग्र प्रगशत काडण घर और स्कूि के बीच एक महत्वपूर्ण कडी बनेगा और यह माता-
शपता-शिक्षक बैिकों के साथ-साथ अपने बच्चों की समग्र शिक्षा और शवकास में माता-शपता को सशक्रय रूप
से िाशमि करने के शिए होगा। इस प्रगशत काडण के द्वारा शिक्षकों और माता-शपता को बच्चे के बारे में
महत्वपूर्ण जानकारी भी शमिेगी शजससे कक्षा में और कक्षा के बाहर शवद्याथी को मदद उपिब्ध करायी जा
सकेगी। छात्ों द्वारा एआई-आधाररत सॉफ़्टवेयर का शवकास और उपयोग माता-शपता, छात्ों और शिक्षकों
के शिए सीखने के डे टा और इं टरै क्तक्टव प्रश्नाविी के आधार पर उनके स्कूि के वषों के दौरान उनके
शवकास को टर ै क करने में मदद करने के शिए शकया जा सकता है ताशक छात्ों को उनके सामर्थ्ण, रुशच के
क्षेत्ों, फोकस के आवश्यक क्षेत्ों के बारे में बहमूल्य जानकारी प्रदान की जा सके शजससे उिें इष्ट्तम
कॅररयर शवकल्प बनाने में मदद शमि सके।

4.36 बोडण परीक्षा और प्रवेि परीक्षा सशहत माध्यशमक स्कूि परीक्षाओं की वतणमान प्रकृशत - और
पररर्ामस्वरूप आज की कोशचंग संस्कृशत - शविेष रूप से माध्यशमक शवद्यािय स्तर पर बहत नु कसान कर
रही है। इनके चिते शवद्याथी अपना कीमती समय साथणक अशधगम की बजाए परीक्षाओं की तैयारी और
अत्यशधक परीक्षा कोशचंग करने में खचण कर रहे हैं । ये परीक्षाएं शवद्याशथणयों को चुनाव के शवकल्पों में एक
िचीिापन- जो शक भशवष्य की व्यक्ति-केक्तित शिक्षा प्रर्ािी में बहत महत्वपूर्ण होगा - दे ने के बजाय उिें
शकसी ख़ास स्टर ीम में बेहद संकुशचत दायरे में ही तैयारी करने के शिए मजबूर करती हैं ।

4.37 जबशक ग्रेड 10 और 12 के शिए बोडण परीक्षाएं जारी रहेंगी, कोशचंग कक्षाओं की आवश्यकता को
समाप्त करने के शिए बोडण और प्रवेि परीक्षाओं की मौजूदा प्रर्ािी में सुधार शकया जाएगा। वतणमान
मूल्यांकन प्रर्ािी के इन हाशनकारक प्रभावों को उिटने के शिए, बोडण परीक्षाओं को समग्र शवकास को
प्रोत्साशहत करने के शिए शफर से शडजाइन शकया जाएगा; छात् अपने व्यक्तिगत शहतों के आधार पर उन
शवषयों में से कई शवषय चुन सकते हैं शजनमें वे बोडण परीक्षा दे ते हैं । बोडण परीक्षाओं को भी 'आसान' बनाया
जाएगा, इस मायने में शक वे कोशचंग और रटने के बजाय मुख्य रूप से क्षमताओं/योग्यताओं का ही
आकिन करें गी। कोई भी छात् जो स्कूि की कक्षा में जाता है और अपनी ओर से एक बुशनयादी प्रयास
करता है, वह आसानी से शबना शकसी अशतररि प्रयास के संबंशधत शवषय बोडण परीक्षा को पास कर सकेगा

27
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

और अच्छा प्रदिणन कर सकेगा। बोडण परीक्षाओं के ‘उच्चतर जोक्तखम’ पहिू को समाप्त करने के शिए सभी
छात्ों को शकसी भी स्कूि वषण के दौरान दो बार बोडण परीक्षा दे ने की अनुमशत दी जाएगी, एक मुख्य परीक्षा
और यशद वांशछत हो तो एक सुधार के शिए।

4.38 अशधक िचीिेपन, शवद्याथी के शिए चुनाव के शवकल्प, और सवोत्तम-दो-प्रयास वािे आकिन जो
मुख्य रूप से मुख्य क्षमताओं की ही जांच करते हैं - सभी बोडण परीक्षाओं के शिए तत्काि महत्वपूर्ण सुधार
के रूप में दे खे जाने चाशहए। इसी बीच बोडण अपनी बोडण परीक्षाओं के शिए अन्य समुशचत मॉडि भी
शवकशसत कर सकते हैं ताशक कोशचंग संस्कृशत और परीक्षा दबावों को कम शकया जा सके। ऐसी कुछ
संभावनाओं में ये चीज़े िाशमि हो सकती हैं : वाशषणक / सेमेस्टर / मॉड्यूिर बोडण परीक्षाओं की एक प्रर्ािी
शवकशसत की जा सकती है - शजसमे काफी कम सामग्री से ही प्रत्येक टे स्ट शिया जाए, और स्कूि में
संबंशधत कोसण के तुरंत बाद इसे शिया जाए ताशक माध्यशमक स्कूि स्तर में परीक्षा के दबाव बेहतर ढं ग से
शवतररत हों, कम दबाव हो, और प्रत्येक परीक्षा पर बहत कुछ दांव पर ना िगा हो, गशर्त से िुरू करके
सभी शवषय और संबंशधत आकिन दो स्तरों पर उपिब्ध करवाए जा सकते हैं - एक कक्षा के स्तर पर और
कुछ उच्चतर स्तर पर; और कुछ शवषयों में बोडण परीक्षा को दो भागों में तैयार शकया जा सकता है - एक
भाग में बहशवकल्पीय प्रश्न होंगे और दू सरे में वर्णनात्मक प्रश्न होंगे।

4.39 उपरोि सभी के संबंध में एनसीईआरटी द्वारा सभी प्रमुख शहतधारकों, जैसे एससीईआरटी, बोडण
ऑफ़ असेसमेंट(बीओए), प्रस्ताशवत नया राष्ट्रीय आकिन केंद्र(एनएसीएसई) आशद और शिक्षकों के साथ
परामिण के जररये शदिाशनदे ि तैयार शकए जाएं गे, ताशक 2022-23 िैक्षशर्क सत् तक एनसीएफ 2020-21
के समनुरूप आकिन प्रर्ािी को पूरी तरह बदिा जा सके।

4.40 सभी शवद्याियी वषों के दौरान, न शक केवि ग्रेड 10 और 12 के अंत में- प्रगशत को टर ै क करने के
शिए छात्ों, अशभभावकों, शिक्षकों, शप्रंशसपिों के िाभ के शिए और स्कूिों और पूरी स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी में
शिक्षर्-अशधगम प्रशक्रयाओं में सुधार करने के उद्दे श्य से - सभी शवद्याशथणयों को, एक उपयुि प्राशधकरर्
द्वारा संचाशित ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूि की परीक्षा दे नी होगी। ये परीक्षाएुँ रटकर याद करने की बजाए
प्रासंशगक उच्चतर-क्रम के कौििों और वास्तशवक जीवन क्तस्थशतयों में ज्ञान के अनुप्रयोग के साथ-साथ
राष्ट्रीय और स्थानीय पाठ्यक्रम से मूि अवधारर्ाओं और ज्ञान के मूल्यांकन के माध्यम से बुशनयादी शिक्षर्
पररर्ामों की उपिक्तब्ध का परीक्षर् करें गी। शविेष रूप से, ग्रेड 3 की परीक्षा बुशनयादी साक्षरता, संख्या-
ज्ञान और अन्य मूिभूत कौििों का परीक्षर् करे गी। स्कूि परीक्षाओं के पररर्ामों का उपयोग केवि स्कूि
शिक्षा प्रर्ािी के शवकासात्मक उद्दे श्यों के शिए शकया जाएगा- शजसमें स्कूिों द्वारा उनके समग्र छात्
पररर्ामों को (शबना शवद्याशथणयों के नाम शिए) सावणजशनक शकया जाना, साथ ही स्कूिी प्रर्ािी की सतत
शनगरानी और सुधार के शिए शकया जाना िाशमि है ।

4.41 एमएचआरडी के तहत एक मानक-शनधाण रक शनकाय के रूप में एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख
(समग्र तिकास के तलए ज्ञान का प्रदिान मूल्ाों कन, समीक्षा और तिश्लेषण) स्थाशपत शकये जाने का प्रस्ताव

28
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

है जो भारत के सभी मान्यता प्राप्त स्कूि बोडों के शिए शवद्याथी आकिन एवं मूल्यांकन के शिए मानदं ड,
मानक और शदिाशनदे ि बनाने जैसे कुछ मूि उद्दे श्यों को पूरा करे गा। साथ ही साथ यह, स्टे ट अचीवमेंट
सवे (एसएएस) का मागणदिण न और नेिनि अचीवमेंट सवे (एनएएस) का संचािन भी करे गा। इसके अिावा
दे ि में सीखने के पररर्ामों की शनगरानी करना, इस नीशत के घोशषत उद्दे श्यों के अनुरूप 21 वीं सदी की
कौिि आवश्यकताओं को पूरा करने की शदिा में अपने मूल्यांकन पैटनण को बदिने के शिए स्कूि बोडों
की मदद करना भी इसका उद्दे श्य होगा। यह केंद्र नए मूल्यां कन पैटनण और नवीनतम िोधों के बारे में
स्कूि बोडों को भी सिाह दे गा, स्कूि बोडों के बीच सहयोग को बढावा दे गा। सभी स्कूल बयर्ों के बीच
सवोत्तम प्रैक्तक्टस को साझा करने और तिक्षातथाययों के बीच िैक्षतणक मानकयों की समानिा सुतनतिि करने के
तलए सभी स्कूि बोडों के शिए एक उपकरर् बनेगा।

4.42 शविशवद्यािय प्रवेि परीक्षा के शिए शसद्धांत समान होंगे; राष्ट्रीय परीक्षर् एजेंसी (एनटीए) उच्चतर
गुर्वत्ता वािी सामान्य योग्यता परीक्षा, साथ ही शवज्ञान, मानशवकी, भाषा, किा और व्यावसाशयक शवषयों में
हर साि कम से कम दो बार शवशिष्ट् सामान्य शवषय की परीक्षा िेने का काम करे गी। इन परीक्षाओं में
अवधारर्ात्मक समझ और ज्ञान को िागू करने की क्षमता की जांच की जाएगी, और इन परीक्षाओं के शिए
कोशचंग िेने की आवश्यकता को समाप्त करने पर जोर रहे गा। शवद्याथी उन शवषयों का चुनाव कर पाएं गे
शजनमें वे परीक्षा दे ने में रूशच रखते हैं , और प्रत्येक शविशवद्यािय प्रत्येक शवद्याथी के व्यक्तिगत शवषय
पोटण फोशियो को दे ख पाएगा और शवद्याशथणयों की रूशच और प्रशतभाओं के मुताशबक उिें अपने कायणक्रमों में
प्रवेि दे पायेंगे। एनटीए उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अंडरग्रेजुएट और ग्रेजुएट में दाक्तखिे और फैिोशिप के
शिए प्रवेि परीक्षा आयोशजत करने के शिए एक प्रमुख, शविेषज्ञ, स्वायत्त टे क्तस्टंग संगिन के रूप में काम
करे गा। एनटीए टे क्तस्टंग सेवाओं की उच्चतर गुर्वत्ता, रें ज, और िचीिेपन से अशधकांि शविशवद्यािय इन
सामान्य प्रवेि परीक्षाओं का उपयोग करने में सक्षम होंगे- बजाय इसके शक सैंकडों शविशवद्यािय अपनी-
अपनी प्रवेि परीक्षाएं तैयार करें - इसके चिते शविशवद्याियों और कॉिेजों और संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर
बोझ को काफी कम शकया जा सकेगा। यह शनर्णय शविशवद्याियों और कॉिेजों पर छोड शदया जाएगा की
क्ा वे अपने प्रवेि के शिए एनटीए प्रवेि परीक्षाओं को अपनाएं या नहीं।

शविेष प्रशिभा वाले और मेधावी शवद्याशथवयचं के शलए सहायिा

4.43 प्रत्येक शवद्याथी में जन्मजात प्रशतभाएुँ होती हैं , शजिें खोजा जाना चाशहए, उनका पोषर् करना चाशहए,
उिें बढावा दे ना चाशहए और उनका शवकास करना चाशहए। ये प्रशतभाएुँ अिग-अिग रुशचयों, प्रस्तावों और
क्षमताओं के रूप में खुद को व्यि कर सकती हैं। जो छात् शकसी शदए गए दायरे में शविेष रूशच और
क्षमताओं को शदखाते हैं , उिें उस दायरे को सामान्य स्कूिी पाठ्यक्रम से परे भी अध्ययन करने के शिए
प्रोत्साशहत शकया जाना चाशहए। शिक्षक शिक्षा में शवद्याशथण यों की प्रशतभाओं और रुशचयों की पहचान और इिें
बढावा दे ने के तरीके िाशमि होंगे। एनसीईआरटी और एनसीटीई, प्रशतभािािी बच्चों की शिक्षा के शिए
शदिाशनदे ि शवकशसत करें गे। बी.एड. कायणक्रमों में भी प्रशतभािािी बच्चों की शिक्षा में शविेषज्ञता अशजणत
की जा सकेगी।

29
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

4.44 शिक्षकों का उद्दे श्य छात्ों को पूरक संवधणन सामग्री और मागणदिणन और प्रोत्साहन दे कर कक्षा में
उनके एकि शहतों और/या प्रशतभाओं को प्रोत्साशहत करना होगा। शवषय-केंशद्रत और प्रोजेक्ट-आधाररत
क्लब और सकणि, स्कूि कॉ्प्लेक्स, शजिों और उससे आगे के स्तरों पर अत्यशधक प्रोत्साशहत और समशथणत
शकये जाएगे। साइं स सकणि, मैथ सकणि, म्यूशजक परफॉरमेंस सकणि, चेस सकणि, पोएटर ी सकणि, िैंग्वेज
सकणि, डर ामा सकणि, शडबेट सकणि, स्पोट्ण स सकणि, इकय-क्लब, स्वास्थ्य और कल्ाण क्लब / ययग क्लब
इत्याशद इस प्रकार के कुछ उदहारर् हैं। इसी तजण पर, शवशभन्न शवषयों में माध्यशमक शवद्यािय के छात्ों के
शिए उच्चतर गुर्वत्ता वािे राष्ट्रीय आवासीय ग्रीष्मकािीन कायणक्रमों को भी प्रोत्साशहत शकया जाएगा, शजनमें
पूरे दे ि से बहत अच्छे छात्ों और शिक्षकों, शजसमें सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों के शवद्याथी
और शिक्षक भी िाशमि हैं , को आकशषणत करने के शिए गहन मेररट-आधाररत िेशकन समान प्रवेि प्रशक्रया
होगी।

4.45 दे ि भर में शवशभन्न शवषयों में ओिंशपयाड और प्रशतयोशगताओं को आयोशजत शकया जाएगा, शजनमें
स्कूि से िेकर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर जरुरी समिय के जररये यह सुशनशित शकया जाएगा शक सभी
छात् सभी स्तरों पर शजनमें उिोंने िािीफाई शकया हो, उनमे भाग िे सकें। व्यापक भागीदारी सुशनशित
करने के शिए ग्रामीर् क्षेत्ों और क्षेत्ीय भाषाओं में ओिंशपयाड उपिब्ध कराने का प्रयास शकया जाएगा।
सावणजशनक और शनजी शविशवद्यािय, शजनमें आईआईटी और एनआईटी जैसे प्रमुख संस्थान िाशमि हैं , को
राष्ट्रीय और अंतराण ष्ट्रीय ओिंशपयाड के पररर्ामों और अन्य संगत राष्ट्रीय कायणक्रमों के पररर्ामों का
उपयोग दाक्तखिे संबंधी मानदं डों के भाग के रूप में उनके अवरस्नातक कायणक्रमों में प्रवेि दे ने में करने के
शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा।

4.46 एक बार जब इं टरनेट से जुडे स्माटण फोन या टै बिेट सभी घरों और / या स्कूिों में उपिब्ध होंगे, तो
क्तिज़, प्रशतयोशगताओं, आकिन, संवधणन सामग्री वािे ऑनिाइन ऐप और साझा शहतों के शिए ऑनिाइन
समुदाय शवकशसत शकए जाएं गे, और सभी उपरोि चीज़ों को समृद्ध बनाने के शिए काम करें गे जैसे माता-
शपता और शिक्षकों की उशचत दे खरे ख में शवद्याशथणयों के शिए समूह गशतशवशधयां । स्कूि चरर्बद्ध तरीके से
स्माटण कक्षाकक्ष शवकशसत करें गे ताशक शडशजटि शिक्षर्िास्त्र का उपयोग हो सके और उसके द्वारा
ऑनिाइन संसाधनों और सहयोग के साथ सीखने-शसखाने की प्रशक्रया को समृद्ध शकया जा सके।

5. शिक्षक

5.1 शिक्षक वास्तव में बच्चों के भशवष्य को आकार दे ते है , अतः हमारे राष्ट्र के भशवष्य का भी शनमाणर् करते
है। इस नेक योगदान के कारर् ही भारत में शिक्षक समाज के सबसे ज्यादा सम्माशनत सदस्य थे और शसफण
सबसे अच्छे और शवद्वान ही शिक्षक बनते थे। शवद्याशथणयों को शनधाण ररत ज्ञान, कौिि और नैशतक मूल्य प्रदान
करने के शिए समाज शिक्षक या गुरुओं को उनके जरूरत की सभी चीजें प्रदान करता था। अध्यापक-
शिक्षा की गुर्वत्ता, भती, पदस्थापन, सेवा ितें, और शिक्षकों के अशधकारों की क्तस्थशत वैसी नहीं है जैसी

30
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

होनी चाशहए, और इसके पररर्ाम स्वरूप शिक्षकों की गुर्वत्ता और उत्साह वांशछत मानकों का प्राप्त नहीं
कर पाता है। शिक्षकों के शिए उच्चतर दज़ाण और उनके प्रशत आदर और सम्मान के भाव को पुनजीशवत
करना होगा ताशक शिक्षर् व्यवसाय में बेहतर िोगों को िाशमि करने हेतु उिें प्रेररत शकया जा सके।
हमारे छात्यों और हमारे राष्ट्र के तलए सिोत्तम सोंभि भतिष्य सुतनतिि करने के तलए तिक्षकयों की प्रेरणा और
सििीकरण की आिश्यकिा है ।

भिी और पदस्थापन

5.2 उत्कृष्ट् शवद्याथी ही- शविेषकर ग्रामीर् क्षेत् से – शिक्षर् पेिे में प्रवेि कर पाएं यह सुशनशित करने के
शिए एक उत्कृष्ट् 4-वषीय एकीकृत बी. एड. कायणक्रम में अध्ययन के शिए बडी संख्या में मेररट-आधाररत
छात्वृशत्त दे ि भर में स्थाशपत की जाएगी। ग्रामीर् क्षेत् में, कुछ शविेष मेररट आधाररत छात्वृशत को स्थाशपत
शकया जाएगा शजसके तहत चार वषीय बी. एड. शडग्री सफिता पूवणक पूरा करने के बाद स्थानीय इिाकों में
शनशित रोजगार भी िाशमि होगा। इस प्रकार की छात्वृशत स्थानीय शवद्याशथणयों (शविेषकर छात्ाओं) के शिए
स्थानीय नौकररयों के अवसर प्रदान करे गी शजससे शक ये शवद्याथी स्थानीय क्षेत् के रोि मॉडि के रूप में
और उच्चतर-योग्य शिक्षकों के रूप में सेवा कर सकें जो स्थानीय भाषा बोिते हों। उत्कृष्ट् शिक्षकों के शिए
ग्रामीर् क्षेत्ों में शिक्षर् कायण करने के शिए प्रोत्साहन प्रदान शकया जाएगा, शविेष रूप से ऐसे क्षेत्ों में जो
वतणमान में सबसे ज्यादा शिक्षक की कमी का सामना कर रहे हैं और उत्कृष्ट् शिक्षकों की सबसे बडी
जरूरत है। ग्रामीर् स्कूिों में पढाने के शिए एक प्रमुख प्रोत्साहन स्कूि पररसर में या उसके आस-पास
स्थानीय आवास का प्रावधान होगा या ग्रामीर् क्षेत्ों में स्थानीय आवास रखने में मदद करने के शिए आवास
भत्ते में वृक्तद्ध होगी।

5.3 शिक्षक और समुदाय के बीच संबंध बने और वह अपने समुदाय से जुडा रहे शजससे शवद्याशथणयों को रोि
मॉडि और िैशक्षक वातावरर् शमिे सके, इसे सुशनशित करने के शिए अत्यशधक शिक्षक स्थानां तरर् की
हाशनकारक प्रैक्तक्टस पर रोक िगायी जाएगी। राज्य / केंद्रिाशसत प्रदे ि सरकारों द्वारा शनधाण ररत तरीके से
स्थानान्तरर् बहत ही शविेष पररक्तस्थशतयों में शकए जाएं गे। इसके अिावा पारदशिणता बनाये रखने के शिए
स्थानांतरर् एक ऑनिाइन सॉफ्टवेयर आधाररत व्यवस्था के द्वारा शकये जायेंगे।

5.4 शिक्षक पात्ता परीक्षा (टीईटी) सामग्री और शिक्षािास्त्र दोनों के संदभण में बेहतर परीक्षर् सामग्री को
शवकशसत करने के शिए मजबूत शकया जाएगा। स्कूि शिक्षा के सभी स्तरों (बुशनयादी, प्रारं शभक, शमशडि
और माध्यशमक) के शिक्षकों को िाशमि करते हए भी टीईटी को शवस्तृत शकया जाएगा। शवषय शिक्षकों की
भती प्रशक्रया में उनके संबक्तन्धत शवषय में प्राप्त टीईटी या एनटीए परीक्षा के अंको को भी िाशमि शकया
जाएगा। शिक्षर् के प्रशत जोि और उत्साह को जाुँचने के शिए साक्षात्कार या कक्षा में पढाने का प्रदिणन
करना ,स्कूि या स्कूि कॉ्प्लेक्स में शिक्षक भती प्रशक्रया का एक अशभन्न अंग होगा। इन साक्षात्कारों का
उपयोग स्थानीय भाषा में शिक्षर् में सहजता और दक्षता का आकिन करने के शिए शकया जाएगा, शजससे
प्रत्येक स्कूि / स्कूि कॉ्प्लेक्स में कम से कम कुछ शिक्षक हों जो स्थानीय भाषा और छात्ों की अन्य

31
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्रचशित घरे िू भाषाओं में छात्ों के साथ बातचीत कर सकें। शनजी स्कूिों में शिक्षकों को भी टीईटी, कक्षा में
पढाने का प्रदिणन / साक्षात्कार और स्थानीय भाषा के ज्ञान के माध्यम से समान रूप से योग्य होना चाशहए।

5.5 शवषयों में शिक्षकों की पयाणप्त संख्या सुशनशित करने के शिए - शविेष रूप से किा, िारीररक शिक्षा,
व्यावसाशयक शिक्षा और भाषाओं जैसे शवषयों में - शिक्षकों को एक स्कूि या स्कूि कॉ्प्लेक्स में भती शकया
जा सकता है; स्कूिों में शिक्षकों की साझेदारी को राज्य / केंद्रिाशसत प्रदे िों की सरकारों द्वारा अपनाई गई
ग्रुशपंग-ऑफ-स्कूि प्रारूप के अनुसार शकया जा सकता है ।

5.6 स्कूिों / स्कूि कॉ्प्ले क्स को छात्ों को िाभाक्तित करने और स्थानीय ज्ञान और शविेषज्ञता को बढावा
दे ने के शिए, शवशभन्न शवषयों जैसे पारं पररक स्थानीय किा, व्यावसाशयक शिल्प, उद्यशमता, कृशष, या कोई
अन्य शवषय जहाुँ स्थानीय शविेषज्ञता मौजूद है , में स्थानीय प्रशतशष्ठत व्यक्तियों या शविेषज्ञों को 'शविेष
प्रशिक्षक' के रूप में रखने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा।

5.7 अगिे दो दिकों में अपेशक्षत शवषयवार शिक्षकों की ररक्तियों का आकिन करने के शिए एक तकनीक
आधाररत व्यापक शिक्षक-आवश्यकता आयोजना और भावी आवश्यकताओं के अनुमान का कायण प्रत्येक
राज्य द्वारा आयोशजत शकया जाएगा। भती और पदस्थापन में ऊपर बताई गई सभी नयी पहिों को समय
के साथ जरुरत के मुताशबक़ बढाया जाएगा, शजसका उद्दे श्य सभी ररि पदों पर स्थानीय शिक्षकों सशहत
योग्य शिक्षकों को नीचे वशर्णत कॅररयर प्रबंधन और प्रगशत के शिए उपयुि गुर्वत्ता प्रोत्साहन सशहत भती
करना होगा। शिक्षक शिक्षा कायणक्रम और ऑफररं ग्स इस प्रकार अनुमाशनत ररक्तियों के सामंजस्य में होंगे।

सेवाकाल के दौरान कायव-संस्कृशि और वािावरण

5.8 स्कूिों के काम के वातावरर् और संस्कृशतयों में आमूि-चूि पररवतणन करने का प्राथशमक िक्ष्य
शिक्षकों की क्षमताओं को अशधकतम स्तर तक बढाना होगा ताशक वे अपना काम प्रभावी ढं ग से कर सकें
और यह सुशनशित हो सके शक वे शिक्षकों, छात्ों, अशभभावकों, प्रधानाध्यापकों और अन्य सहायक
कमणचाररयों के एक समावेिी समुदाय का शहस्सा बन सकें; शजनका एक कॉमन िक्ष्य यह सुशनशित करना
होगा शक सभी बच्चे सीख रहे हैं।

5.9 इस शदिा में पहिी आवश्यकता स्कूिों में सभ्य और सुखद कायण-क्तस्थशत सुशनशित करने की होगी। यह
सुशनशित करने के शिए स्कूिों में पयाणप्त और सुरशक्षत भौशतक संसाधन, िौचािय, स्वच्छ पेयजि, सीखने
के शिए स्वच्छ और आकषणक स्थान, शबजिी, कंप्यूशटं ग उपकरर्, इं टरनेट, पुस्तकािय और खेि और
मनोरं जन के साधन मुहैया करवाने होंगे ताशक स्कूिों के शिक्षक और छात्, सभी जेंडर के छात्ों और
शदव्यांग बच्चों सशहत, एक सुरशक्षत, समावेिी और प्रभावी शिक्षर् वातावरर् प्राप्त कर सकें और उनके
स्कूिों में पढाने और सीखने के शिए सुशवधाजनक और प्रेररत महसूस करें । सेवाकािीन प्रशिक्षर् में स्कूिों

32
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

में कायणस्थि पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और पयाणवरर् पर इनपुट होंगे ताशक यह सुशनशित शकया जा सके शक सभी
शिक्षक इन आवश्यकताओं के प्रशत संवेदनिीि हों।

5.10 प्रभाविािी स्कूिी प्रिासन, संसाधनों की साझेदारी और समुदाय के शनमाण र् के शिए राज्य/संघ राज्य
क्षेत् की सरकारें स्कूि कॉ्प्लेक्स या स्कूिों के वैज्ञानीकरर्, स्कूिों तक पहुँच को कम शकए शबना, जैसे
उन्नशतिीि प्रारूप अपना सकती हैं । उदाहरर् के शिए, स्कूि कॉ्प्लेक्सों का शनमाणर् जीवंत शिक्षक
समुदायों के शनमाणर् की शदिा में एक िंबा रास्ता तय कर सकता है। स्कूि पररसरों में शिक्षकों को काम
पर रखने से शवद्यािय पररसर में स्कूिों के बीच संबंध स्वतः बन सकते हैं ; यह शिक्षकों के उत्कृष्ट् शवषय-
वार शवतरर् को सुशनशित करने में भी मदद करे गा, शजससे एक अशधक जीवंत शिक्षक-ज्ञान का आधार
बनेगा। बहत छोटे स्कूिों में शिक्षक अब अिग-थिग नहीं रहेंगे और बडे स्कूि कॉ्प्लेक्स समुदायों के
साथ काम कर सकते हैं और सवोत्तम व्यवहारों को एक-दू सरे के साथ साझा कर सकते हैं और सामूशहक
रूप से और सहयोगी रूप से यह सुशनशित करने के शिए काम करें गे शक सभी बच्चे सीख रहे हैं । शिक्षकों
को आगे बढाने और सीखने के शिए प्रभावी सामुदाशयक वातावरर् बनाने में मदद करने के शिए स्कूि
कॉ्प्लेक्स परामिणदाताओं, प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताण ओ,ं तकनीकी और रखरखाव कमणचाररयों आशद
को भी साझा कर सकते हैं ।

5.11 अशभभावकों और अन्य प्रमुख स्थानीय शहत-धारकों के साथ सहयोग से शिक्षक भी स्कूि और स्कूि
कॉ्प्लेक्स के प्रिासन में स्कूि प्रबंधन सशमशत/स्कूि कॉम्पिैक्स प्रबंधन सशमशत के सदस्य के रूप में
अशधक िाशमि होंगे।

5.12 शिक्षकों का ज़्यादातर समय गैर-शिक्षर् गशतशवशधयां करने में व्यतीत होने से रोकने के शिए शिक्षक
को ऐसे कायण जो शिक्षर् से सीधे सबक्तन्धत नही है उनको करने की अनुमशत नही होगी। शविेष रूप से
शिक्षकों को जशटि प्रिासशनक कायण, मध्याह्न भयजन से सोंबोंतिि काया के तलए िकासोंगि न्यूनिम समय से
अतिक समय में िातमल नहीों शकया जाएगा शजससे वे पूरी तरह से शिक्षर् अशधगम कायण में ध्यान दे सकेंगे।

5.13 यह सुशनशित करने के शिए शक स्कूि में सीखने के शिए सकारात्मक वातावरर् हो, प्रधानाचायों और
शिक्षकों की अपेशक्षत भूशमका में यह स्पष्ट् रूप से िाशमि होगा शक वे अपने स्कूिों में प्रभावी अशधगम
और सभी शहतधारकों के िाभाथण एक संवेदनिीि और समावेिी संस्कृशत का शनमाण र् करें ।

5.14 शिक्षकों को पाठ्यक्रम और शिक्षर् के उन पहिुओं को चयशनत करने के शिए ज्यादा स्वायत्तता दी
जाएगी, शजससे वे उन तरीकों से पढा सकें जो उनकी कक्षाओं और समुदाय के शवद्याशथणयों के शिए अशधक
प्रभावी हों। शिक्षक सामाशजक-भावनात्मक पक्षों पर भी ध्यान दें गे जो शक शवद्याथी के सवांगीर् शवकास की
दृशष्ट् से शनतांत आवश्यक पक्ष है। शिक्षकों को ऐसी शिक्षर् शवशध अपनाने के शिए सम्माशनत शकया जाएगा
शजससे कक्षा में शवद्याशथणयों के सीखने के प्रशतफि में वृक्तद्ध हो।

33
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

सिि व्यावसाशयक शवकास (सीपीड्ी)

5.15 शिक्षक को खुद में सुधार करने के शिए और पेिे से संबंशधत आधुशनक शवचार और नवाचार को
सीखने के शिए सतत अवसर शदये जाएं गे। इिें स्थानीय, क्षेत्ीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
कायणिािाओं के साथ-साथ ऑनिाइन शिक्षक शवकास मॉड्यूि के रूप में कई तरीकों में पेि शकया
जाएगा। प्लेटफ़ॉमण (शविेष रूप से ऑनिाइन प्लेटफ़ॉमण) शवकशसत शकए जाएं गे ताशक शिक्षक शवचारों और
सवोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकें। प्रत्येक शिक्षक से अपेशक्षत होगा शक वे स्वयं के व्यावसाशयक शवकास
के शिए स्वेच्छा से प्रत्येक वषण िगभग 50 घंटों के सीपीडी कायणक्रम में शहस्सा िें। सीपीडी के अवसरों में
शविेष रूप से बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के नवीनतम शिक्षर्िास्त्र, अशधगम पररर्ामों के
रचनात्मक और अनुकूि आकिन, योग्यता आधाररत अशधगम और संबंशधत शिक्षर्िास्त्र जैसे
अनुभवात्मक शिक्षर्, किा-एकीकृत, खेि-एकीकृत, और कहानी-आधाररत दृशष्ट्कोर्, आशद को क्रमबद्ध
रूप में सक्तम्मशित शकया जाएगा।

5.16. स्कूि के प्रधानाचायण और स्कूि कॉ्प्लेक्स के प्रमुखों के शिए अपने िीडरशिप और मैनेजमेंट
कौिि को िगातार शवकशसत करने के शिए एक समान मॉड्यूिर िीडरशिप/मैनेजमेंट कायणिािाएुँ और
ऑनिाइन शवकास के अवसर होंगे ताशक वे अपनी सवोत्तम प्रैक्तक्टस को एक दू सरे के साथ साझा कर सकें।
इन संस्था प्रमुखों से भी यह अपेशक्षत है शक वे भी प्रशत वषण 50 घंटो के सीपीडी कायणक्रम में भाग िेंगे। इसमें
योग्यता और पररर्ाम-आधाररत शिक्षा के आधार पर िैक्षशर्क योजनाओं को तै यार करने और िागू करने
को केंशद्रत करते हए िीडरशिप और मैनेजमेंट के साथ-साथ शवषयवस्तु और शिक्षर् िास्त्र संबंधी
कायणक्रम िाशमि होंगे।

कॅररयर मैनेजमेंट और प्रगशि (सीएमपी)

5.17 उत्कृष्ट् प्रदिणन कर रहे शिक्षकों की पहचान की जानी चाशहए और उिें पदोन्नशत और वेतन वृक्तद्ध दी
जानी चाशहए शजससे शक सभी शिक्षकों को अपना बेहतरीन कायण करने के शिए प्रोत्साहन शमिे। अतः एक
सिि मेररट आधाररत कायणकाि, पदोन्नशत, और वेतन व्यवस्था का शनमाणर् शकया जाएगा शजसमें शिक्षकों
का प्रत्येक स्तर बहस्तरीय होगा शजससे बेहतरीन शिक्षकों को प्रोत्साहन और पहचान शमिेगी। शिक्षकों के
प्रदिणन के सही आकिन के शिए राज्य/ केंद्र िाशसत प्रदे िों की सरकार द्वारा मल्टीपि पैरामीटसण की एक
व्यवस्था को स्थाशपत शकया जाएगा जो सहकशमणयों द्वारा की गयी समीक्षा, उपक्तस्थशत, समपणर्, सीपीडी के
घंटे और स्कूि और समुदाय में की गयी अन्य सेवा या पैरा 5.20 में शदए गए एनपीएसटी पर आधाररत है।
इस नीशत में, कॅररयर के संदभण में ‘कायणकाि’ से आिय प्रदिणन और योगदान के आकिन के बाद स्थायी
रोजगार से है जबशक ‘कायणकाि टर ै क’ से आिय स्थायी होने से पूवण पररवीक्षा अवशध से है ।

5.18 इसके अिावा, यह सुशनशित शकया जाएगा शक कॅररयर की वृक्तद्ध (कायणकाि, पदोन्नशत, वेतन वृक्तद्ध,
आशद के संदभण में) एक एकि स्कूि चरर् (यानी, मूिभूत, प्रारं शभक, शमशडि या माध्यशमक) के भीतर

34
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शिक्षकों के शिए उपिब्ध है , और प्रारं शभक अवस्था से बाद के चरर्ों में शिक्षकों के शिए या इसके शवपरीत
(हािांशक चरर्ों में इस तरह के कॅररयर संबंधी कदम उिाने की अनुमशत होगी, बिते शिक्षक के पास इस
तरह के कदम उिाने की इच्छा और योग्यता हो) कॅररयर की प्रगशत से संबंशधत कोई प्रोत्साहन नहीं है । यह
इस तर्थ् का समथणन करने के शिए है शक स्कूिी शिक्षा के सभी चरर्ों में उच्चतम-गुर्वत्ता वािे शिक्षकों
की आवश्यकता होगी, और शकसी भी चरर् को शकसी अन्य की तुिना में अशधक महत्वपूर्ण नहीं माना
जाएगा।

5.19. योग्यता के आधार पर शिक्षकों की वशटण कि मोशबशिटी भी सवणश्रेष्ठ होगी; उत्कृष्ट् शिक्षक शजिोंने
िीडरशिप और मैनेजमेंट के कौििों को दिाण या होगा, उनको समय के साथ प्रशिशक्षत शकया जाएगा
शजससे वे आगे चिकर स्कूि, स्कूि कॉ्प्लेक्स, बीआरसी, सीआरसी, बीआईटीई, डीआईईटी के साथ-साथ
संबंशधत सरकारी शवभाग और मंत्ािय में अकादशमक नेतृत्व कर सकेंगे।

शिक्षकचं के शलए व्यावसाशयक मानक

5.20 राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा पररषद द्वारा एनसीईआरटी, एससीईआरटी, सभी स्तर और क्षेत्ों के शिक्षक,
शिक्षक की तैयारी और शवकास हेतु संस्थानों और उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के साथ परामिण से सामान्य
मानक पररषद (जीईसी) के तहत व्यावसाशयक मानक सेशटं ग बॉडी (पीएसएसबी) के रूप में पुनगणशित
अपने नए स्वरूप में शिक्षकों के शिए राष्ट्रीय व्यावसाशयक मानकों (एनपीएसटी) का एक सामान्य
मागणदिणक सेट 2022 तक शवकशसत शकया जाएगा। मानकों में शविेषज्ञता / रैं क के शवशभन्न स्तरों पर
शिक्षक की भूशमका और उस रैं क के शिए आवश्यक दक्षताओं की अपेक्षाओं को िाशमि शकया जाएगा।
इसमें प्रत्येक रैं क में शकये गए प्रदिणन के मूल्यांकन के शिए मानक भी िाशमि होंगे, जो शक समय-समय
पर शकए जायेंगे। एनपीएसटी सेवा पूवण शिक्षक शिक्षा कायण क्रमों के शडजाइन को भी सूशचत करे गा। तब
जाकर इसे राज्य द्वारा अपनाया जा सकता है और इन मानकों के आधार पर शिक्षकों का कॅररयर मैनेजमेंट
होगा शजसमें कायणकाि, व्यावसाशयक शवकास के प्रयास, वेतन वृक्तद्ध, पदोन्नशत, और अन्य पहचान िाशमि
होंगे। कायणकाि अवशध या वररष्ठता के बजाय शसफण शनधाणररत मानकों के आधार पर पदोन्नशत और वेतन में
वृक्तद्ध होगी। 2030 में राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसाशयक मानकों की समीक्षा और संिोधन शकया जाएगा और
उसके बाद हर दस वषो में व्यवस्था की गुर्वत्ता का सख्त आनुभशवक शवश्लेषर् शकया जाएगा।

शवशिष्ट् शिक्षक

5.21 स्कूि शिक्षा के कुछ क्षेत्ों में अशतररि शवशिष्ट् शिक्षकों की अशत आवश्यकता है। इन शवशिष्ट्
आवश्यकताओं के कुछ उदाहरर्ों में शमशडि और माध्यशमक स्तर में शवकिां ग/शदव्यां ग बच्चों, ऐसे छात्ों
सशहत शजिें सीखने में कशिनाई (िशनंग शडसेशबशिटी) होती है , के शिक्षर् हेतु शवषयों का शिक्षर् िाशमि हैं।
इन शिक्षकों को शसफण शवषय-शिक्षर् ज्ञान और शवषय संबंशधत शिक्षर् के उद्दे श्यों की समझ ही नहीं, बक्ति
शवद्याशथणयों की शविेष आवश्यकताओं को समझने के शिए उपयुि कौिि भी होने चाशहए। इसशिए इन

35
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

क्षेत्ों में शवषय शिक्षकों और सामान्य शिक्षकों को उनके िुरूआती दौर में या शफर सेवा पूवण शिक्षक की
तैयारी होने के बाद शद्वतीयक शविेषज्ञता शवकशसत की जा सकती है । इसके शिए शिक्षकों को सेवाकािीन
और पूवण-सेवाकािीन मोड में, पूर्णकाशिक या अंिकाशिक / शमशश्रत कोसण बहशवषयक महाशवद्याियों और
शविशवद्याियों में उपिब्ध कराये जायेंगे। योग्य शविेष शिक्षकों, जो शवषय शिक्षर् को भी संभाि सकते हों,
की पयाणप्त उपिब्धता सुशनशित करने के शिए एनसीटीई और आरसीआई के पाठ्यक्रम के बीच व्यापक
तािमेि को सक्षम शकया जाएगा।

शिक्षक शिक्षा का दृशष्ट्कचण

5.22 यह मानते हए शक शिक्षकों को उच्चतर-गुर्वत्ता की सामग्री के साथ-साथ शिक्षर्िास्त्र में प्रशिक्षर्


की आवश्यकता होगी, शिक्षक-शिक्षा को धीरे -धीरे वषण 2030 तक बह-शवषयक कॉिेजों और शविशवद्याियों
में िाशमि शकया जाएगा। जैसे-जैसे सभी कॉिेज और शविशवद्यािय बह-शवषयक बनने की शदिा में बढे गे
और उनका िक्ष्य ऐसे उत्कृष्ट् शिक्षा शवभाग स्थाशपत करना होगा जो शिक्षा में बीएड, एमएड और पीएचडी
की शडग्री प्रदान करें गे।

5.23 वषण 2030 तक, शिक्षर् के शिए न्यूनतम योग्यता 4 वषीय एकीकृत बी.एड. शडग्री होगी शजसमें शवस्तृत
ज्ञान सामग्री और अध्यापन सामग्री से शिक्षर् कराया जाएगा इसमें स्थानीय स्कूिों में छात्-शिक्षर् के रूप
में व्यावहाररक अभ्यास प्रशिक्षर् भी िाशमि होगा। 4 वषीय एकीकृत बी.एड. शडग्री प्रदान करने वािे इिी
बह-शवषयक संस्थानों के द्वारा ही 2 वषीय बी.एड. कायण क्रम भी प्रदान शकए जाएं गे और यह केवि उनके
शिए ही आवश्यक होगा जो पहिे से ही अन्य शवशिष्ट् शवषयों में स्नातक की शडग्री प्राप्त कर चुके हैं । इन
बी.एड. कायणक्रमों को एक वषीय बी. एड. कायणक्रमों के रूप में भी समुशचत रूप से शवकशसत शकया जा
सकता है जो केवि उन व्यक्तियों को प्रदान शकया जाएगा शजिोंने चार वषीय बह-शवषयक स्नातक शडग्री
या शकसी शवशिष्ट्ता में परा-स्नातक शडग्री प्राप्त की हो और उस शवशिष्ट् शवषय में शवषय शिक्षक बनना
चाहते हो। इस प्रकार की सभी बी.एड. शडशग्रयाुँ केवि चार वषीय एकीकृत बी.एड. उपिब्ध कराने वािे
मान्यता प्राप्त बह-शवषयक उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा ही प्रदान की जा सकती हैं । चार वषीय एकीकृत
बी.एड. कायणक्रम प्रदान करने वािे वे बह-शवषयक उच्चतर शिक्षा संस्थान, शजनके पास मुि दू रस्थ
शिक्षर् (ओडीएि) की मान्यता भी है , दू र-दराज और दु गणम भौगौशिक स्थानों के शवद्याशथणयों और अपनी
अहणता को बढाने की इच्छा रखने वािे सेवारत शिक्षकों के शिए शमशश्रत या ओडीएि मोड से भी उच्चतर
गुर्वत्ता वािे बी. एड. कायण क्रम प्रदान कर सकते हैं शजसके शिए वे कायण क्रम के व्यावहाररक प्रशिक्षर् और
छात्-शिक्षर् घटक तथा मेंटररं ग हेतु उपयुि और िोस व्यवस्था करें गे ।

5.24 सभी बी.एड. कायणक्रमों में शिक्षर्-िास्त्र की जाुँ ची-परखी तकनीकों के साथ साथ हाि ही में सबसे
नवीनतम तकनीकों में प्रशिक्षर् शदया जाएगा, शजसमें बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान के संबंध में
शिक्षर्-िास्त्र, बहस्तरीय शिक्षर् और मूल्यांकन, शदव्यांग बच्चों को पढाना, शविेष रूशच या प्रशतभा वािे
बच्चों को पढाना, िैशक्षक प्रौद्योशगकी का प्रयोग और शिक्षाथी केंशद्रत एवं सहयोगात्मक शिक्षर् िाशमि है।

36
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

सभी बी.एड. कायणक्रमों में स्थानीय स्कूिों में जाकर कक्षा में शिक्षर् कराने को व्यावहाररक प्रशिक्षर् के
रूप में िाशमि शकया जाएगा। सभी बी.एड. कायणक्रम शकसी भी शवषय को पढाने या शकसी भी गशतशवशध को
करने के दौरान भारतीय संशवधान के मौशिक कतणव्यों (अनुच्छेद 51 A) और अन्य संवेधाशनक प्रावधानों का
पािन करने पर बि शदया जाएगा। इसमें पयाण वरर् के प्रशत जागरूकता और उसके संरक्षर् तथा सतत
शवकास के प्रशत संवेदनिीिता को भी उशचत रूप से एकीकृत शकया जाएगा, ताशक पयाणवरर् शिक्षा स्कूि
पाठ्यचयाण का एक अशभन्न अंग बन सके।

5.25 कुछ शविेष अल्प-अवशध के स्थानीय शिक्षक-शिक्षा कायणक्रम बीआईटीई,डीआईईटी या स्वयं स्कूि
पररसरों में भी उपिब्ध होंगे, शजससे शक स्थानीय व्यवसाय, ज्ञान और कौििों जैसे; स्थानीय किा, संगीत,
कृशष, व्यवसाय, खेि, बढईगीरी और अन्य व्यावसाशयक शिल्प को बढावा दे ने के उद्दे श्य से प्रख्यात स्थानीय
व्यक्तियों को स्कूिों या स्कूि पररसरों में 'मास्टर प्रशिक्षक' के रूप में पढाने के शिए शनयुि शकया जाएगा।

5.26 बह-शवषयक कािेजों और शविशवद्याियों में उन शिक्षकों को बी.एड. के बाद कुछ अल्प-अवशध के
सशटण शफकेट कोसण भी व्यापक रूप से उपिब्ध करवाएं जायेंगे जो शिक्षर् के शवशिष्ट् क्षेत्ों जैसे शक शविेष-
जरुरत वािे शवद्याशथणयों के शिक्षर्, या स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी में नेतृत्व और प्रबंधन के पदो पर, या बुशनयादी,
प्रारक्तिक, उच्चतर प्राथशमक और मध्यशमक स्तरों के बीच एक स्तर से दू सरे स्तर में जाना चाहते हैं ।

5.27 यह मान्य है शक शविेष शवषयों के शिक्षर् के शिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक शिक्षा शवशधयाुँ हो
सकती हैं ; एनसीईआरटी शवशभन्न शवषयों के शिक्षर् की शवशवध शवशधयों का अध्ययन, िोध, प्रिेखन और
समेकन करे गा और शसफ़ाररिें करे गा शक इनमें से क्ा सीखकर भारत में व्यवहार में िायी जा रही शवशधयों
में िाशमि शकया जा सकता है ।

5.28 वषण 2021 तक एनसीटीई द्वारा एनसीईआरटी के परामिण से नई शिक्षा नीशत 2020 के शसद्धां तों के
आधार पर एक नवीन और व्यापक अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचयाण रूपरे खा, एनसीएफटीई
2021 तैयार की जाएगी । यह रूपरे खा राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के संबंशधत मंत्ाियों/शवभागों और
शवशभन्न शविेषज्ञ शनकायों सशहत सभी शहतधारकों से चचाण के बाद तैयार की जाएगी और सभी क्षेत्ीय
भाषाओं में उपिब्ध कराई जाएगी। एनसीएफटीई 2021 में व्यवसाशयक शिक्षा के शिए अध्यापक शिक्षा
पाठ्यचयाण की अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखा जाएगा। तत्पिात, संिोशधत एनसीएफ में पररवतणन और
अध्यापक शिक्षा की उभरती हई अपेक्षाओं को दिाणते हए एनसीएफटीई में प्रत्येक 5-10 वषों में संिोधन
शकया जाएगा।

5.29 अंततः, अध्यापक शिक्षा प्रर्ािी की प्रामाशर्कता को पूर्णतया बनाए रखने के शिए दे ि में चिाए जा
रहे अवमानक स्टैं ड अिोन अध्यापक शिक्षा संस्थानों (टीईआई) के शवरुद्ध कडी कारण वाई की जाएगी
शजसमें यशद ज़रूरी हो तो उिें बंद शकया जाना िाशमि है।

37
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

6. समिामूलक और समावेिी शिक्षा: सभी के शलए अशधगम

6.1 शिक्षा, सामाशजक न्याय और समानता प्राप्त करने का एकमात् और सबसे प्रभावी साधन है ।
समतामूिक और समावेिी शिक्षा न शसफण स्वयं में एक आवश्यक िक्ष्य है , बक्ति समतामू िक और
समावेिी समाज शनमाणर् के शिए भी अशनवायण कदम है , शजसमें प्रत्येक नागररक को सपने सं जोने, शवकास
करने और राष्ट्र शहत में योगदान करने का अवसर उपिब्ध हों । यह शिक्षा नीशत ऐसे िक्ष्यों को िेकर आगे
बढती है शजससे भारत दे ि के शकसी भी बच्चे के सीखने और आगे बढने के अवसरों में उसकी जन्म या
पृष्ठभूशम से संबंशधत पररक्तस्थशतयां बाधक न बन पायें। यह नीशत इस बात की पुनः पुशष्ट् करती है शक स्कूि
शिक्षा में पहुँच, सहभाशगता और अशधगम पररर्ामों में सामाशजक श्रेर्ी के अंतरािों को दू र करना सभी
शिक्षा क्षेत् शवकास कायणक्रमों का मु ख्य िक्ष्य होगा । इस अध्याय को अध्याय 14 के साथ पढा जाए शजसमें
उच्चतर शिक्षा में समता और समावेिन के मुद्दों पर चचाण की गई है ।

6.2 यद्यशप, भारतीय शिक्षा प्रर्ािी और क्रशमक सरकारी नीशतयों ने शवद्याियी शिक्षा व्यवस्था के सभी स्तरों
में शिंग और सामाशजक श्रे शर्यों के अंतरािों को कम करने की शदिा में िगातार प्रगशत की है शकन्तु
असमानता आज भी दे खी जा सकती है - शविेषकर माध्यशमक स्तर पर, हम सामाशजक – आशथणक रूप से
वंशचत ऐसे समूहों को दे ख सकते हैं जो शिक्षा के क्षेत् में भूतकाि से ही पीछे रहे हैं । सामाशजक – आशथणक
रूप से वंशचत (एसईडीजी) इन समूहों को शिंग (शविेष रूप से मशहिा व टर ांस जेंडर व्यक्ति), सामाशजक –
सांस्कृशतक पहचान (जैसे -अनुसूशचत जनजाशत, अनुसूशचत जाशत, ओबीसी और भाषाई और धाशमणक
अल्पसंख्यक), भौगौशिक पहचान ( जैसे – गाुँव, कस्बे व आकां क्षी शजिे के शवद्याथी, शविेष आवश्यकता
(सीखने से संबंशधत अक्षमता सशहत) और सामाशजक – आशथणक क्तस्थशत (जैसे शक प्रवासी समुदाय, शनम्न आय
वािे पररवार, असहाय पररक्तस्थशत में रहने वािे बच्चे, बाि-तस्करी के शिकार बच्चे या बाि-तस्करी के
शिकार बच्चों के बच्चे, अनाथ बच्चे शजनमें िहरों में भीख मां गने वािे व िहरी गरीब भी िाशमि हैं) के
आधार पर वगीकृत शकया जा सकता है । अब जबशक स्कूिों में कक्षा 1 से िेकर कक्षा 12 तक िगातार
नामांकन घट रहा है , नामां कन में यह शगरावट सामाशजक – आशथणक रूप से वंशचत समूहों (एसईडीजी) में
अशधक है और शविेषकर इन एसईडीजी की मशहिा शवद्याशथणयों के सन्दभण में यह और अशधक स्पष्ट् है ।
उच्चतर शिक्षा के क्षेत् में एसईडीजी के नामांकन में यह शगरावट और अशधक है । सामाशजक आशथणक
पहचान में आने वािे एसईडीजी की संशक्षप्त क्तस्थशत अनुवती उपखंडों में दी गई है ।

6.2.1 यू-डीआईएसई 2016-17 के आं कडों के अनुसार, प्राथशमक स्तर पर िगभग 19.6% छात्
अनुसूशचत जाशत के हैं , शकन्तु उच्चतर माध्यशमक स्तर यह प्रशतित कम होकर 17.3% हो गया है।
नामां कनों में ये शगरावट अनुसूशचत जनजाशत के छात्ों (10.6% से 6.8%), और शदव्यां ग बच्चों (1.1% से
0.25%) के शिए अशधक गंभीर हैं । इनमें से प्रत्येक श्रेर्ी में मशहिा छात्ों के शिए इन नामांकनों में और भी
अशधक शगरावट आई है। उच्चतर शिक्षा में नामांकन में शगरावट और भी अशधक है ।

38
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

6.2.2 गुर्वत्तापूर्ण स्कूिों तक पहुँच पाने में कमी, गरीबी, सामाशजक रीशत-ररवाजों और प्रथाओं और भाषा
सशहत अनेक शवशभन्न कारकों से अनुसूशचत जाशतयों के बीच नामांकन और प्रशतधारर् की दरों पर
हाशनकारक प्रभाव पडा है। अनुसूशचत जाशतयों के बच्चों की पहंच, भागीदारी और अशधगम पररर्ामों में इन
अंतरािों को पूरा करना प्रमुख िक्ष्यों में से एक रहे गा। साथ ही, अन्य शपछडा वगण (ओबीसी) शजिें पहिे से
ही सामाशजक और िैक्षशर्क रूप से शपछडे होने के आधार पर पहचाना जाता है , पर भी शविेष ध्यान दे ने
की आवश्यकता है ।

6.2.3 शवशभन्न ऐशतहाशसक और भौगोशिक कारकों के कारर् जनजातीय समुदाय और अनु सूशचत
जनजाशतयों के बच्चे भी कई स्तरों पर प्रशतकूि पररक्तस्थशतयों का सामना करते हैं । आशदवासी समु दायों के
बच्चे अक्सर अपने स्कूिी शिक्षा को सांस्कृशतक और िैक्षशर्क रूप से अप्रासंशगक और शवदे िी पाते हैं ।
हािांशक वतणमान में आशदवासी समुदायों के बच्चों के उत्थान के शिए कई कायण क्रम िुरू शकए जा रहे हैं
और आगे भी शकए जाते रहें गे, यह सुशनशित करने के शिए शविे ष तंत् बनाए जाने की आवश्यकता है शक
जनजातीय समुदायों के बच्चों को इन कायण क्रमों का िाभ शमिे।

6.2.4 स्कूि और उच्चतर शिक्षा में अल्पसंख्यकों का प्रशतशनशधत्व भी अपेक्षाकृत कम हैं । यह नीशत सभी
अल्पसंख्यक समुदायों और शविेष रूप से उन समुदायों के बच्चों की शिक्षा को बढावा दे ने के शिए
हस्तक्षेपों के महत्व को स्वीकार करती है , शजनका िैशक्षक रूप से प्रशतशनशधत्व कम है।

6.2.5 यह नीशत शविेष आवश्यकताओं वािे बच्चों (सीडबल्यू एसएन) या शदव्यां ग बच्चों को शकसी भी अन्य
बच्चे के समान गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर प्रदान करने के शिए सक्षम तंत् बनाने के
महत्व को भी पहचानती है।

6.2.6 स्कूि शिक्षा में सामाशजक श्रेर्ी के अंतराि को कम करने पर ध्यान केंशद्रत करने के शिए अिग
रर्नीशत तैयार की जाएगी, जैसा शक शनम्नशिक्तखत उप-भागों में उल्लेख शकया गया है।

6.3 ईसीसीई, मूिभूत साक्षरता / संख्या ज्ञान और शवद्यािय तक पहुँच / नामां कन / उपक्तस्थशत आशद से
संबंशधत समस्याएं व शसफाररिें शजनकी चचाण अध्याय 1 से 3 में की गयी है शविेष रूप से अल्प प्रशतशनशधत्व
वािे और िाभवशित समूहों के शिए महत्वपूर्ण व प्रासंशगक है। अत: एसईडीजी के सन्दभण में अध्याय 1-3
में शदए गए उपायों को दृढता पूवणक िागू शकया जाएगा ।

6.4 इसके अशतररि, िशक्षत छात्वृशत्त, माता-शपता को अपने बच्चों को स्कूि भेजने के शिए प्रोत्साशहत
करने के शिए सितण नकद हस्तांतरर्, पररवहन के शिए साइशकि प्रदान करना, आशद जैसी शवशभन्न सफि
नीशतयाुँ और योजनाएुँ चिाई गई हैं शजससे कुछ क्षेत्ों में एसईडीजी की भागीदारी स्कूिी शिक्षा प्रर्ािी में
काफी बढी है। इन सफि नीशतयों और योजनाओं को पूरे दे ि में और अशधक सुदृढ शकया जाना चाशहए ।

39
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

6.5 यह भी ध्यान में रखना आवश्यक होगा शक यह पता िगाए शक कौन से उपाय शविेष रूप से कुछ
एसईडीजी के शिए प्रभावी हैं । उदाहरर् के शिए, साइशकि प्रदान करना और स्कूि तक पहुँ चने के शिए
साइशकि व पैदि चिने वािे समूहों का आयोजन करना मशहिा छात्ों की बढती भागीदारी के सन्दभण में
यह शविेष रूप से िक्तििािी तरीके के रूप में उभरा है - यहाुँ तक शक कम दू री वािे स्थानों पर भी
सुरक्षा की दृशष्ट् से और माता-शपता को शमिने वािे सुरक्षा-भाव के कारर् यह काफी प्रभावी तरीका रहा है ।
शदव्यांग बच्चों की पहुँच सुशनशित करने की दृशष्ट् से एक बच्चे के साथ एक शिक्षक, सहपािी शिक्षर्, मुि
शवद्याियी शिक्षा, उशचत बुशनयादी ढांचा और उपयुि तकनीक का प्रयोग शविेष रूप से प्रभावी हो सकता
हैं । जो शवद्यािय गुर्वत्तापूर्ण ढं ग से बचपन की दे खभाि व शिक्षा प्रदान करते हैं वे आशथणक रूप से वंशचत
पररवारों से आने वािे बच्चों के शिए शविेष रूप से िाभकारी हैं । इस बीच यह भी दे खा गया है शक िहरी
गरीब क्षेत्ों में काउं सिर अथवा प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताणओं को जो शक छात्ों, अशभवावकों, स्कूिों व
शिक्षकों के साथ शमिकर काम करते हैं, को काम पर रखना उपक्तस्थशत, सीखने के पररर्ामों को बेहतर
बनाने की दृशष्ट् से शविेष रूप से प्रभावी है ।

6.6 आं कडों से पता चिता है शक कुछ भौगोशिक क्षेत्ों में एसईडीजी का काफी बडा अनुपात है । इसके
अिावा, ऐसे भौगोशिक स्थान भी हैं शजनकी पहचान महत्वाकांक्षी शजिों के रूप में की गई है और शजिें
अपने िैशक्षक शवकास को बढावा दे ने के शिए शविेष हस्तक्षेप की आवश्यकता है । इसशिए, यह शसफाररि
की जाती है शक दे ि के िैशक्षक रूप से वं शचत एसईडीजी की बडी आबादी वािे कुछ क्षेत्ों को शविेष शिक्षा
क्षेत् (एसईज़ेड) घोशषत शकया जाना चाशहए, जहाुँ केंद्र व राज्यों के द्वारा सही मायने में इन क्षेत्ों के िैशक्षक
पररदृश्य को बदिने के शिए अशतररि प्रयासों के माध्यम से उपरोि सभी योजनाओं और नीशतयों को पूरी
तरह से िागू शकया जाना चाशहए ।

6.7 हम दे ख सकते हैं शक अल्पप्रशतशनशधत्व वािे सभी समूहों में आधी सं ख्या मशहिाओं की है।
दु भाणग्यवि, एसईडीजी के साथ होने वािे अन्याय का सामना औरों से ज्यादा इन समूहों की मशहिाओं को
करना पडता है । यह नीशत समाज में मशहिाओं की शवशिष्ट् और महत्वपूर्ण भूशमका, वतणमान व भावी
पीशढयों के आचार – शवचार को आकार दे ने में उनके योगदान को ध्यान में रखते हए मानती है शक
एसईडीजी की िडशकयों के शिए गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था उनकी वतणमान व आने वािी पीशढयों के
िैशक्षक स्तर को उपर उिाने का सवोत्तम तरीका होगा । अत: नीशत इस बात की शसफाररि करती है
एसईडीजी शवद्याशथणयों के उत्थान के शिए बनायीं जा रही नीशतयों और योजनाओं को शविेष रूप से इन
समूहों की बाशिकाओं पर केक्तित होना चाशहए ।

6.8 इसके अिावा, भारत सरकार सभी िडशकयों और साथ ही टर ां सजेंडर छात्ों को गुर्वत्तापूर्ण और
न्यायसंगत शिक्षा प्रदान करने की शदिा में दे ि की क्षमता का शवकास करने हे तु एक 'जेंडर-समावेिी
शनशध' का गिन करे गी । केंद्र सरकार द्वारा शनधाणररत प्राथशमकताओं को िागू करने के शिए राज्यों को यह
सुशवधा उपिब्ध कराने के शिए एक कोष उपिब्ध होगा । मशहिा और टर ां सजेंडर बच्चों तक शिक्षा की पहुँच
सुशनशित करने की दृशष्ट् से यह प्रावधान बेहद महत्वपूर्ण है (जैसे स्वच्छता व िौचािय से संबंशधत सुशवधाएं ,

40
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

साइशकि व सितण नकद हस्तां तरर्, आशद); यह कोष राज्यों को समुदाय आधाररत कायणक्रमों को प्रभावी
बनाने व और उसे बडे स्तर तक िे जाने में सक्षम बनाएगा जो मशहिा व टर ांस जेंडर बच्चों तक गुर्वत्तापूर्ण
शिक्षा की पहुँच सुशनशित करने की शदिा में पररक्तस्थशतजन्य समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करे गा । अन्य
एसईडीजी की शिक्षा तक पहुँच से सम्बंशधत समान समस्याओं के समाधान हेतु इसी प्रकार की ‘समावेिी
शनशध' की व्यवस्था की जायेगी । संक्षेप में, इस नीशत का उद्दे श्य शकसी भी शिंग या अन्य सामाशजक-आशथणक
रूप से वंशचत समूह के बच्चों के शिए शिक्षा (व्यावसाशयक शिक्षा समेत) तक पहुँ च में िेष असमानता को
समाप्त करना है ।

6.9 ऐसे स्थान जहाुँ शवद्यािय तक आने के शिए छात्ों को अशधक दू री तय करनी पडती है वहाुँ जवाहर
नवोदय शवद्याियों के स्तर की तजण पर शनिुि छात्ावासों का शनमाणर् शकया जाएगा । शविेषकर ऐसे बच्चों
के शिए जो सामाशजक – आशथणक रूप से वंशचत पृष्ठभूशम से आते हैं । इन छात्ावासों में सभी बच्चों
शविेषकर िडशकयों की सुरक्षा की उपयुि व्यवस्था की जायेगी । कस्तूरबा गाुँधी बाशिका शवद्याियों को
और मजबूत बनाया जाएगा तथा सामाशजक-आशथणक रूप से शपछडे समूहों की बाशिकाओं की गुर्वत्ता पूर्ण
शिक्षा वािे शवद्याियों (ग्रेड 12 तक) में प्रशतभाशगता बढाने की दृशष्ट् से इिें और अशधक शवस्ताररत शकया
जाएगा । भारत के हर कोने में उच्चतर गुर्वत्ता की शिक्षा के अवसर प्रदान करने की दृशष्ट् से शविेषकर
आकंक्षात्मक शजिों, शविेष शिक्षा क्षेत्ों व वंशचत क्षेत्ों में अशतररि जवाहर नवोदय शवद्यािय व केंद्रीय
शवद्यािय खोिे जायेंगे । कम से कम एक वषण की प्रारक्तिक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा को समाशहत
करते हए केंद्रीय शवद्याियों में व दे ि के अन्य प्राथशमक शवद्याियों में शविेषकर वंशचत क्षेत्ों में प्री -स्कूि वगण
को जोडा जाएगा।

6.10 ईसीसीई में शदव्यांग बच्चों को िाशमि करना और उनकी समान भागीदारी सुशनशित करना भी इस
नीशत की सवोच्च प्राथशमकता होगी । शदव्यां ग बच्चों को प्रारक्तिक स्तर से उच्चतर स्तर तक की शिक्षर्
प्रशक्रयाओं में सक्तम्मशित होने के शिए सक्षम बनाया जाएगा। शदव्यां गजन अशधकार अशधशनयम 2016
(आरपीडबल्यूडी अशधशनयम समावेिी शिक्षा को एक ऐसी व्यवस्था के रूप में पररभाशषत करता है जहाुँ
सामान्य व शदव्यांग, सभी बच्चे एक साथ सीखते हैं तथा शिक्षर् व सीखने की प्रर्ािी को इस प्रकार
अनुकूशित शकया जाता है शक वह प्रत्येक बच्चे की सभी सामान्य अथवा शविेष आवश्यकताओं की पूशतण में
सक्षम हो । यह नीशत आरपीडबल्यूडी अशधशनयम 2016 के सभी प्रावधानों के साथ पूरी तरह से सुसंगत है
तथा स्कूिी शिक्षा के संबंध में इसके द्वारा प्रस्ताशवत सभी शसफाररिों को पूरा करती है । राष्ट्रीय पाठ्यचयाण
रूपरे खा तैयार करते समय एनसीईआरटी द्वारा शदव्यां गजन शवभाग के राष्ट्रीय संस्थानों जैसे शविेषज्ञ
संस्थानों के साथ परामिण सु शनशित शकया जाएगा।

6.11 इसके शिए, शदव्यांग बच्चों के एकीकरर् को ध्यान में रखते हए शवद्यािय व शवद्यािय पररसरों की
शवत्तीय मदद की दृशष्ट् से सुस्पष्ट् व कुिि प्रावधानों की व्यवस्था की जायेगी । इसके साथ यह भी ध्यान शदया
जाएगा शक शवद्यािय व शवद्यािय पररसरों में शदव्यांग बच्चों की आवश्यकता से संबंशधत प्रशिक्षर् प्राप्त
शिक्षकों की शनयुक्ति की जाए । साथ ही, गंभीर अथवा एक से अशधक शविेष आवश्यकता वािे बच्चों के

41
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शिए गाुँव / ब्लाक स्तर, जहाुँ भी आवश्यकता हो पर एक संसाधन केंद्र स्थाशपत शकया जाएगा ।
आरपीडबल्यूडी अशधशनयम के अनुरूप शविेष आवश्यकता वािे बच्चों की भौशतक पहुँच बाधा-मुि
संरचनाओं (भवन इत्याशद) के माध्यम से सुशनशित की जाएगी । शविेष आवश्यकता वािे बच्चों की शवशभन्न
श्रेशर्यों के अनुरूप शवद्यािय अथवा शवद्यािय पररसर कायण करें गें शजससे प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता के
अनुरूप मदद सुशनशित करने हेतु उपयुि प्रर्ािी शवकशसत की जायेगी ताशक कक्षा कक्ष में उनकी पूर्ण
प्रशतभाशगता व समावेिन सुशनशित शकया जाए । कक्षा में शिक्षकों व अन्य सहपाशियों के साथ आसानी से
जुडने के शिए शविेष आवश्यकता वािे बच्चों को कुछ सहायक उपकरर्, उपयुि तकनीक आधाररत
उपकरर्, भाषा उपयुि शिक्षर् सामग्री (जैसे – बडे शप्रंट और ब्रेि प्रारूपों में सुिभ पाठ्य पुस्तकें) पयाण प्त
मात्ा में उपिब्ध करवाएं जायेंगे । यह किा, खेि और व्यावसाशयक शिक्षा सशहत सभी स्कूिी गशतशवशधयों
पर भी िागू होगा । एनआईओएस भारतीय संकेत भाषा शसखाने के शिए और भारतीय संकेत भाषा का
उपयोग करके अन्य बुशनयादी शवषयों को शसखाने के शिए उच्चतर-गुर्वत्ता वािे मॉड्यूि शवकशसत करे गा ।
साथ ही शदव्यांग बच्चों की सुरक्षा पर पयाणप्त ध्यान शदया जाएगा ।

6.12 आरपीडबल्यूडी अशधशनयम 2016 के अनुसार, मूि शदवयां गता वािे बच्चों के पास शनयशमत या
शविेष स्कूिी शिक्षा का शवकल्प होगा । शविेष शिक्षकों के माध्यम से स्थाशपत संसाधन केंद्र, गंभीर अथवा
एक से अशधक शविेष आवश्यकता वािे बच्चों के पुनणवास व शिक्षा से संबंशधत आवश्यकताओं में मदद
करें गे एवं साथ ही उच्चतर गुर्वत्ता की शिक्षा घर में ही उपिब्ध कराने (होम स्कूशिंग) व कौिि शवकशसत
करने की शदिा में उनके माता-शपता / अशभवावकों को भी मदद करें गे । स्कूिों में जाने में असमथण गंभीर
और गहन शदव्यांग्ता वािे बच्चों के शिए गृह-आधाररत शिक्षा के रूप में एक शवकल्प उपिब्ध रहे गा । गृह-
आधाररत शिक्षा के तहत शिक्षा िे रहे बच्चों को अन्य सामान्य प्रर्ािी में शिक्षा िे रहे शकसी भी अन्य बच्चे
के समतुल्य माना जायेगा । गृह- आधाररत शिक्षा की दक्षता व प्रभाविीिता की जांच हेतु समता व अवसर
की समानता के शसद्धां त पर आधाररत ऑशडट कराया जाएगा। आरपीडबल्यूडी अशधशनयम 2016 के
अनुरूप इस ऑशडट के आधार पर गृ ह-आधाररत स्कूिी शिक्षा के शिए शदिाशनदे ि और मानक शवकशसत
शकए जाएं गे । हािां शक यह स्पष्ट् है शक शदव्यां ग बच्चों की शिक्षा राज्य की शजम्मेदारी है इसके शिए माता –
शपता / दे खरे ख करने वािों के उन्मुखीकरर् से िेकर बडे स्तर पर प्राथशमकता के साथ अशधगम सामग्री के
व्यापक प्रचार-प्रसार के प्रौद्योशगकी आधाररत समाधान शकये जायेंगे, शजनके माध्यम से माता – शपता /
दे खरे ख करने वािे अपने बच्चे की आवश्यकता के अनु रूप मदद कर पायें।

6.13 अशधकांि कक्षाओं में ऐसे बच्चे होते हैं शजनमें सीखने की दृशष्ट् से कुछ शवशिष्ट् अक्षमता होती है शजिें
शनरं तर मदद की आवश्यकता होती है । िोध स्पष्ट् करते हैं शक ऐसे मामिों में शजतनी जल्दी मदद िुरू की
जाती है आगे प्रगशत की सिावना उतनी ही बेहतर नजर आती है । शिक्षकों को सीखने से संबंशधत इस
प्रकार की अक्षमताओं की पहचान करने और उनके शनवारर् के शिए योजना बनाने में शविेष रूप से मदद
शमिनी चाशहए । इसके शिए शकये जाने वािे शवशिष्ट् कायों शजनमें उपयुि तकनीकी की मदद से शकये
जाने वािे प्रयास सशहत िाशमि होंगे - बच्चों को अपनी गशत के अनुरूप काम करने की स्वतंत्ता दे ना,
प्रत्येक बच्चे की क्षमताओं का िाभ िेने की दृशष्ट् से पाठ्यक्रम को प्रत्येक के शिए सक्षम व िचीिा बनाना

42
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

तथा साथ ही उपयुि आकिन और प्रमार्न के शिए एक अनुकूि इकोशसस्टम बनाना। परख नामक
प्रस्ताशवत नए राष्ट्रीय मूल्यां कन केंद्र सशहत मूल्यां कन और प्रमार्न एजेंशसयां शदिाशनदे ि बनाएं गी और
बुशनयादी स्तर से िेकर उच्चतर शिक्षा (प्रवेि परीक्षाओं सशहत) के स्तर तक इस तरह के मूल्यां कन के
संचािन के शिए उपयुि तरीकों की शसफाररि करे गी, शजससे सीखने की अक्षमता वािे सभी छात्ों के
शिए समान पहुँच और अवसरों सुशनशित शकए जा सकें।

6.14 शवशिष्ट् शदव्यांगता वािे बच्चों (सीखने से सम्बंशधत अक्षमताओं के साथ ) को कैसे पढाया जाए, इससे
संबंशधत जागरूकता और ज्ञान को सभी शिक्षक प्रशिक्षर्ों का अशनवायण शहस्सा होना चाशहए। साथ ही
िैंशगक संवेदनिीिता व अल्प प्रशतशनशधत्व वािे समूहों के प्रशत संवेदनिीिता शवकशसत की जानी चाशहए
शजससे उनकी प्रशतभाशगता की क्तस्थशत को बेहतर शकया जा सके ।

6.15 स्कूिों के वैकक्तल्पक रूपों को अपनी परं पराओं और वैकक्तल्पक शिक्षर्-िास्त्रीय अभ्यासों को
संरशक्षत करने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा। इसके साथ-साथ उिें अपने शवषयों, शिक्षर् क्षेत्ों व
पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय पाठ्यचयाण के अनुरूप एकीकृत करने में सहायता प्रदान की जायेगी ताशक उच्चतर
शिक्षा के क्षेत्ों में उनके शवद्याशथणयों की कम प्रशतभाशगता को धीरे -धीरे बढाया जा सके । ऐसे शवद्याियों को
शवज्ञान, गशर्त, सामाशजक अध्ययन, शहंदी, अंग्रेजी, राज्य भाषाओं अथवा अन्य प्रासंशगक शवषयों को अपने
पाठ्यक्रम में िाशमि करने के शिए शवत्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जैसा शक िायद इन स्कूिों द्वारा
वांशछत हो सकता है । यह पारं पररक सांस्कृशतक या धाशमणक स्कूिों में पढने वािे बच्चों को ग्रेड 1-12 के
शिए पररभाशषत शकये गए अशधगम पररर्ामों को प्राप्त करने में सक्षम करे गा । इसके अिावा, ऐसे स्कूिों में
छात्ों को एनटीए द्वारा राज्य या अन्य बोडण परीक्षाओं और मूल्यांकन के शिए उपक्तस्थत होने के शिए
प्रोत्साशहत शकया जाएगा, और इस प्रकार उच्चतर शिक्षा संस्थानों में दाक्तखिा शिया जाएगा। शवज्ञान, गशर्त,
भाषा, और सामाशजक अध्ययन के शिक्षर् में शिक्षकों की क्षमताओं को नए िैक्षशर्क अभ्यासों के शिए
उन्मुखीकरर् सशहत शवकशसत शकया जाएगा। पुस्तकाियों और प्रयोगिािाओं को मजबूत शकया जाएगा
और पुस्तकों, पशत्काओं, आशद जैसे पयाणप्त पिन सामग्री और अन्य शिक्षर्-शिक्षर् सामग्री उपिब्ध कराई
जाएगी।

6.16 एसईडीजी के अंतगणत और ऊपर वशर्णत नीशतगत शबन्फ्दुओं के सन्दभण में अनूसूशचत जाशत और
जनजाशतयों के िैक्षशर्क शवकास में असमानताओं को दू र करने पर शविेष ध्यान शदया जायेगा। स्कूि
शिक्षा में भागीदारी बढाने के प्रयासों के तहत, सभी एसईडीजी से प्रशतभािािी और मेधावी छात्ों के शिए
बडे पैमाने पर समशपणत क्षेत्ों में शविेष छात्ावास, शब्रज पाठ्यक्रम और फीस माफ़ करने तथा छात्वृशत्त के
माध्यम से शवत्तीय सहायता शविेषकर माध्यशमक स्तर पर प्रदान की जाएगी ताशक उच्चतर शिक्षा में उनके
प्रवेि को सुशवधाजनक बनाया जा सके।

6.17. रक्षा मंत्ािय के तत्वावधान में राज्य सरकारों को जनजाशत बहि प्रदे िों सशहत अपने माध्यशमक
और उच्चतर माध्यशमक शवद्याियों में एनसीसी शवंग खोिने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाए। इससे छात्ों की

43
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्राकृशतक प्रशतभा और अशद्वतीय क्षमता का उपयोग शकया जा सकेगा शजससे वे रक्षा सेनाओं में सफि
कररयर के शिए प्रेररत होंगे।

6.18 एसईडीजी छात्-छात्ाओं के शिए उपिब्ध छात्वृशत, अवसर और योजनाओं में प्रशतभाग करने की
दृशष्ट् से और समता को बढाने के शिए कुछ सरिीकृत तरीके स्थाशपत शकये जायेंगे जैसे – शकसी ऐसी एकि
एजेंसी या वेबसाइट के माध्यम से आवेदन िेना जो सभी शवद्याशथणयों तक इन योजनाओं, छात्वृशत अथवा
अवसरों की पहुँच सुशनशित करे और शसंगि शवंडो प्रर्ािी के माध्यम से उनका आवेदन सुशनशित करे ।

6.19 उपरोि सभी नीशतयां और उपाय सभी एसईडीजी के शिए पूर्ण समावेि और समता प्राप्त करने के
शिए महत्वपूर्ण तो हैं शकन्तु पयाणप्त नहीं । इसके शिए शवद्यािय की संस्कृशत में बदिाव भी जरूरी है। स्कूि
शिक्षा प्रर्ािी में सभी प्रशतभागी, शजनमें शिक्षक, प्रधानाचायण, प्रिासक, काउं सिर और छात् भी िाशमि हैं ,
सभी छात्ों की आवश्यकताओं, समावेिन और समता की धारर्ाओं और सभी व्यक्तियों के सम्मान, प्रशतष्ठा
और शनजता के प्रशत संवेदनिीि होंगे । इस तरह की िैशक्षक संस्कृशत छात्ों को सिि व्यक्ति बनने में
मदद करने के शिए सबसे अच्छा साधन होगी, जो बदिे में एक ऐसा समाज बनाने में सक्षम होंगे जो अपने
सबसे कमजोर नागररकों के शिए शजम्मेदार है । समावेिन और समता शिक्षक शिक्षा का एक प्रमुख पहिू
बन जाएगा (और स्कूिों में सभी ने तृत्व, प्रिासशनक और अन्य पदों के शिए प्रशिक्षर् में भी); साथ ही सभी
छात्ों के शिए उत्कृष्ट् रोि मॉडि िाने की शदिा में यह प्रयास शकया जाएगा शक एसईडीजी में से उच्चतर
गुर्वत्ता के शिक्षक व नेतृत्वकताण ओं का अशधक से अशधक चयन शकया जाए।

6.20 छात्ों को शिक्षकों और अन्य शवद्यािय कशमणयों (जैसे प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताण और
परामिणदाता) इत्याशद द्वारा िायी गयी इस नई स्कूिी संस्कृशत व पाठ्यक्रम में आये पररवतणनों के माध्यम से
संवेदनिीि बनाया जाएगा । स्कूिी पाठ्यक्रम में प्रारं शभक शिक्षा, मानवीय मूल्यों पर सामग्री, जैसे सभी
व्यक्तियों के शिए सम्मान, सहानुभूशत, सशहष्णुता, मानव अशधकार, िैंशगक समानता, अशहंसा, वैशिक
नागररकता, समावेिन और समता िाशमि होंगे । इसमें शवशभन्न संस्कृशतयों, धमों, भाषाओं, शिंग आधाररत
पहचान इत्याशद के बारे में अशधक शवस्तृत ज्ञान िाशमि होगा, जो शवशवधता के प्रशत सम्मान और
संवेदनिीिता शवकशसत करे गा । स्कूि के पाठ्यक्रम में शकसी भी पूवाणग्रह और रूशढवाशदता को हटा शदया
जाएगा, और ऐसी सामग्री को अशधकता में िाशमि शकया जाएगा जो सभी समुदायों के शिए प्रासंशगक और
संबंशधत है ।

7. स्कूल कॉम्प्लेक्स/कलस्टर के माध्यम से कुिल संसाधन और प्रभावी गवनेंस

7.1 अब समग्र शिक्षा योजना के तहत समाशहत सवण शिक्षा अशभयान(एसएसए) और दे िभर के राज्यों में
होने वािे अन्य प्रयासों द्वारा दे ि के हर बसाहट में प्राथशमक स्कूिों की स्थापना ने प्राथशमक स्कूिों में
िगभग सावणभौशमक पहुँच को सुशनशित करने में तो मदद की है िेशकन इससे कई कम छात् संख्या वािे
स्कूि भी वजूद में आए हैं । यू-डाइज, 2016-17 के आं कडे के अनुसार, भारत के 28% सरकारी प्राथशमक

44
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

स्कूिों और 14.8% उच्चतर प्राथशमक स्कूिों में 30 से भी कम छात् पढते हैं। कक्षा 1 से 8 तक के स्कूिों में
प्रशत कक्षा औसतन 14 छात् हैं जबशक बहत से स्कूिों में तो यह औसत मात् 6 से कम है। वषण 2016-17 में
1,08,017 स्कूि एकि शिक्षक स्कूि थे। इनमें से अशधकां ि (85743) कक्षा 1 से 5 वािे प्राथशमक स्कूि
थे।

7.2 इन कम संख्या वािे स्कूिों के चिते शिक्षकों के शनयोजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण भौशतक संसाधनों
के उपिब्धता की दृशष्ट् से अच्छे स्कूिों का संचािन जशटि होने के साथ-साथ व्यवहाररक नहीं है। शिक्षकों
को अक्सर एक साथ कई कक्षाएं पढानी पडती है , और कई शवषयों को भी शजसमें वह शवषय भी िाशमि हो
सकते हैं शजनमें उनकी पहिे से कोई पृष्ठभूशम नहीं होती है ; जैसे संगीत, किा, खेि जैसे प्रमुख क्षेत् बहत
बार शसखाए नहीं जाते हैं और भौशतक संसाधन जैसे प्रयोगिािा और खेि उपकरर् और पुस्तकािय की
शकताबें स्कूिों में कम ही उपिब्ध हैं।

7.3 छोटे स्कूिों के अिगाव का भी शिक्षा और शिक्षर्-शिक्षर् प्रशक्रया पर नकारात्मक प्रभाव पडता है।
शिक्षक समुदायों और टीमों में सबसे अच्छा काम करते हैं , और इसी प्रकार छात् भी करते हैं। छोटे स्कूि
भी िासन और प्रबंधन के शिए एक प्रर्ािीगत चुनौती पेि करते हैं। भौगोशिक फैिाव, चुनौतीपूर्ण पहंच
की क्तस्थशत और स्कूिों की बहत बडी संख्या सभी स्कूिों तक समान रूप से पहं चना मुक्तिि बना दे ती है।
प्रिासशनक संरचनाओं को स्कूि की संख्या में वृक्तद्ध या समग्र शिक्षा योजना के एकीकृत ढांचे में नहीं जोडा
गया है।

7.4 हािांशक स्कूिों का समेकन एक ऐसा शवकल्प है शजस पर हमेिा चचाण की जाती है , इसे बहत ही सोच
समझकर शकया जाना चाशहए और केवि तभी शकया जाना चाशहए जब यह सुशनशित कर शिया जाए शक
इसकी पहुँच पर कोई प्रभाव न पडे । इस तरह के उपायों के पररर्ामस्वरूप केवि छोटे पैमाने पर समे कन
की संभावना शदखती है , और बडी संख्या में छोटे स्कूिों द्वारा उपजी संरचनात्मक समस्या और चुनौशतयों
का समाधान नहीं होगा।

7.5 इन चुनौशतयों को राज्य/केि िाशसत प्रदे ि की सरकारों द्वारा 2025 तक स्कूिों के समूह बनाने या
उनकी संख्या को समुशचत रूप दे ने के शिए नवीन प्रशक्रया अपनाकर समाधान शकया जाएगा। इस तरह की
प्रशक्रया के पीछे का उद्दे श्य यह सुशनशित करना होगा शक: (क) हर स्कूि में किा, संगीत शवज्ञान, खेि,
भाषा, व्यावसाशयक शवषय, आशद सशहत सभी शवषयों को पढाने के शिए पयाण प्त संख्या में परामिणदाता
(काउं सिर)/प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताण और शिक्षक (साझा या अन्यथा) मौजू द हों; (ख) हर स्कूि में
पयाणप्त संसाधन (साझा या अन्यथा) हों, जैसे शक एक पुस्तकािय, शवज्ञान प्रयोगिािा, कंप्यूटर िैब, कौिि
प्रयोगिािा, खेि के मैदान, खेि उपकरर् जैसी सुशवधाएं , आशद; (ग) शिक्षकों, छात्ों और स्कूिों के
अिगाव को दू र करने के शिए समुदाय के साथ एक समझ बनाकर संयुि व्यवसाशयक शवकास कायणक्रमों,
शिक्षर्-अशधगम सामग्री के साझाकरर्, संयुि सामग्री शनमाणर्, किा और शवज्ञान प्रदिणशनयां , खेि
गशतशवशधयां, क्तिज और शडबेट, और मेिे जैसे संयुि गशतशवशधयों का आयोजन करना; और (घ) शवकिां ग

45
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

बच्चों की शिक्षा के शिए स्कूिों में सहयोग और संबिन; (ड.) स्कूिी व्यवस्था की गवनेंस में सुधार के शिए
शक्रयाियन संबंधी बारीशकयों के शनर्णय स्कूिी समूह के स्तर पर छोड शदए जाएुँ जहाुँ उिें स्थानीय स्तर पर
प्रधानाचायण, शिक्षक और अन्य शहतधारकों द्वारा ही शिया जाये – और फाउं डेिनि स्तर से सेकेंडरी स्तर के
ऐसे स्कूिों के समू ह को एक एकीकृत अधण-स्वायत्त इकाई के रूप में दे खा जाये।

7.6 उपरोि को पूरा करने के शिए एक संभाशवत तंत् स्कूि पररसर नामक एक समू हन संरचना की
स्थापना होगी, शजसमें एक माध्यशमक शवद्यािय होगा शजसमें पांच से दस शकिोमीटर के दायरे में
आं गनवाडी केिों सशहत अपने पडोस में शनचिे ग्रेड की पेिकि करने वािे अन्य सभी शवद्यािय होंगे। यह
सुझाव सवणप्रथम शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शदया गया था िेशकन इसे िागू नहीं शकया गया था। यह
नीशत जहाुँ भी संभव हो, स्कूि पररसर / क्लस्टर के शवचार का दृढता से समथणन करती है। स्कूि पररसर /
क्लस्टर का उद्दे श्य अशधक संसाधन दक्षता और क्लस्टर में स्कूिों के अशधक प्रभावी कामकाज, समिय,
नेतृत्व, िासन और प्रबंधन होगा।

7.7 स्कूि कॉ्प्लेक्स/किस्टर बनने से और कॉ्प्लेक्स में संसाधन के साझे उपयोग से दू सरे भी बहत से
िाभ होंगे, जैसे शदव्यांग बच्चों के शिए बेहतर सहयोग; ज़्यादा शवशवध शवषय पर आधाररत शवद्याथी क्लब और
स्कूि पररसर में अकादशमक/खेि/किा/शिल्प आधाररत कायणक्रमों का आयोजन; किा, संगीत, भाषा और
िारीररक शिक्षा के शिक्षक के साझे उपयोग से कक्षा में वचुणअि कक्षाएं आयोशजत करने के शिए आईसीटी
टू ल्स के उपयोग सशहत इन गशतशवशधयों का ज़्यादा समावेि; सामाशजक कायणकताण और सिाहकारों
(काउं सिर) की मदद से शवद्याशथणयों के शिए बेहतर सहयोग की उपिब्धता और बेहतर नामांकन, उपक्तस्थशत
और उपिक्तब्धयों में सुधार, और स्कूि कॉ्प्लेक्स प्रबंधन सशमशतयों(केवि स्कूि प्रबंधन सशमशतयों के
बजाए) के माध्यम से बेहतर और मज़बूत गवनेंस, शनरीक्षर्, शनगरानी, नवाचार और स्थानीय शहतधारकों
द्वारा उिाए जाने वािे क़दम। स्कूिों, स्कूि प्रमुखों, शिक्षकों, शवद्याशथणयों, सहयोगी स्टाफ, माता-शपता और
स्थानीय नागररकों के बडे और जीवंत समूहों के आधार पर संसाधनों का कुिि उपयोग करते हए पूरी
शिक्षा व्यवस्था उजाणवान और समथण बनेगी।

7.8 स्कूि कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर व्यवस्था से शवद्याियों का गवनेंस भी सुधरे गा और अशधक कुिि बनेगा।
पहिे, डीएसई स्कूि कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर के स्तर पर अशधकार दे गा जो एक अधण -स्वायत्त इकाई के रूप में
कायण करे गा। शजिा शिक्षा अशधकारी(डीईओ) और ब्लॉक शिक्षा अशधकार (बीईओ) हर स्कूि
कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर को एक इकाई मानकर उसके साथ कायण करें गे। कॉ्प्लेक्स डीएसई द्वारा सौंपी जाने
वािी शजम्मेदाररयों को शनभायेंगे और उसके तहत आने वािे प्रत्येक स्कूि समिय करें गे। डीएसई द्वारा
स्कूि कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर को काफी स्वायत्तता प्रदान की जाएगी शजसके बि पर वे, राष्ट्रीय पाठ्यचयाण
फ्रेमवकण (एनसीएफ) और स्टे ट पाठ्यचयाण फ्रेमवकण (एससीएफ) का अनुपािन करते हए, समक्तित शिक्षा
प्रदान करने की शदिा में जरुरी रचनात्मक कदम उिा सकें और पाठ्यचयाण , शिक्षर्-िास्त्र के स्तर पर
प्रयोगधमी हो पायें। इस संगिन के तहत, स्कूि मजबूत होंगे, ज्यादा स्वायत्तता पूवणक कायण कर पाएं गे और

46
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

इससे कॉ्प्लेक्स अशधक नवाचारी और शजम्मेदार बनेगें। इस दौरान, डीएसई बडे स्तर के िक्ष्यों पर ध्यान दे
पायेगा शजससे पूरी शिक्षा व्यवस्था की प्रभाशवता में सुधार हो ।

7.9 इन कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर द्वारा दोनों दीघण काशिक और अल्पकाशिक सन्दभण में एक योजनाबद्ध तरीके से
काम करने की संस्कृशत का शवकास होगा। स्कूि एसएमसी की मदद से अपनी योजनायें (एसडीपी)
बनायेंगे। स्कूिों के प्लान के आधार पर स्कूि कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर शवकास योजना (एससीडीपी) बनाये
जायेंगे। एससीडीपी में कॉ्प्लेक्स से सम्बंशधत अन्य सभी संस्थानों, जैसे व्यावसाशयक शिक्षा संस्थान, के
प्लान िाशमि होंगे और इसे कॉ्प्लेक्स के प्रधानाचायण एवं शिक्षक एससीएमसी की मदद से तैयार करें गे
और इस योजना को सावणजशनक रूप से उपिब्ध भी शकया जायेगा। इस योजना में िाशमि होंगे – मानव
संसाधन, शिक्षर्-अशधगम संसाधन, भौशतक संसाधन और इं फ्रास्टर क्चर, सुधार के शिए िी जाने वािी पहिें,
शवत्तीय संसाधन, स्कूि सं स्कृशत सम्बन्धी पहिें, शिक्षक क्षमता संवधणन योजना और िैक्षशर्क पररर्ामों
सम्बन्धी िक्ष्य। उसमें कॉ्प्लेक्स भर के शिक्षकों और शवद्याशथणयों के समूह को एक जीवंत अशधगम केक्तित
समुदाय के रूप में शवकशसत करने के प्रयासों का ब्यौरा भी होगा। एसडीपी और एससीडीपी वे माध्यम
होंगे शजनसे डीएसई समेत सभी शहतधारक परस्पर जुडाव बनाये रखेंगे। एसएमसी और एससीएमसी,
एसडीपी और एससीडीपी का उपयोग स्कूिों की कायण प्रर्ािी और शदिा पर नज़र रखने के शिए करें गे
और योजनाओं के शक्रयाियन में सहयोग करें गे। डीएसई, बीईओ जैसे उपयुि अशधकारी द्वारा हर स्कूि
कॉ्प्लेक्स के एससीडीपी को स्वीकृशत दें गे। इसके उपरांत, डीएसई इन योजनाओं की सफिता के शिए,
अल्पावशध (एक वषण) और दीघाणवशध (3 से 5 वषण) के शिए संसाधन (शवत्तीय, मानव और भौशतक आशद)
उपिब्ध कराएं गें । िैक्षशर्क उपिक्तब्धयों को हाशसि करने के शिए अन्य प्रासंशगक सहयोग भी उनके द्वारा
प्रदान शकया जायेगा। डीएसई और एससीईआरटी सभी स्कूिों के साथ एसडीपी और एससीडीपी के
शवकास के शिए शविेष मानक (उदाहरर् के शिए शवत्तीय, स्टाफ और प्रशक्रया सम्बन्धी) और फ्रेमवकण
उपिब्ध कराएगी शजिें समय-समय पर संिोशधत शकया जायेगा।

7.10 शनजी और सावणजशनक स्कूिों सशहत सभी स्कूिों के बीच परस्पर सहयोग और सकारात्मक तािमेि
बढाने के शिए दे ि भर में एक शनजी और एक सावण जशनक शवद्यािय को परस्पर सम्बद्ध शकया जायेगा
शजससे ऐसे सम्बद्ध स्कूि एक-दू सरे से शमि/ सीख सकें और संभव हो तो एक-दू सरे के संसाधनों से भी
िाभाक्तित हो सकें। जहाुँ संभव हो, इन दोनों प्रकार के स्कूिों की अच्छी प्रैक्तक्टस का दस्तावेजीकरर् शकया
जायेगा, शवतरर् शकया जायेगा और उिें पक्तब्लक स्कूिों की स्थाशपत प्रशक्रयाओं में िाशमि शकया जायेगा।

7.11 हर राज्य/शजिे को प्रोत्साशहत शकया जायेगा शक वह ‘बाि भवन’ स्थाशपत करे जहाुँ हर उम्र के बच्चे
सप्ताह में एक या अशधक बार (उदाहरर् के शिए सप्ताहांत में) जा सकें और किा, खेि और कररयर
संबंधी गशतशवशधयों में भागीदारी कर सकें। ऐसे बाि भवन जहाुँ संभव हो स्कूि कॉ्प्लेक्स/क्लस्टर के शहस्से
भी हो सकते हैं ।

47
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

7.12 स्कूि पूरे समुदाय के शिए सम्मान का और उत्सव का स्थान होना चाशहए। एक संस्थान के रूप में
स्कूि की प्रशतष्ठा को पुनः स्थाशपत करना चाशहए और स्कूि स्थापना शदवस जैसे महत्वपूर्ण शदवस समुदाय
के साथ शमिकर मनाये जाने चाशहए। इस शदन स्कूि के शवशिष्ट् भूतपूवण शवद्याशथणयों की सूची प्रदशिणत की
जानी चाशहए और उनका सम्मान होना चाशहए। इस्तेमाि में न आने वािे समय अथवा शदनों में स्कूि की
भौशतक सुशवधाओं का उपयोग समुदाय के शिए बौक्तद्धक, सामाशजक और स्वयंसेवी गशतशवशधयों के आयोजन
के शिए और सामाशजक मेिजोि के शिए शकया जाना चाशहए शजससे स्कूि एक ‘सामाशजक चेतना केंद्र’ के
रूप में भी भूशमका शनभाये।

8. स्कूली शिक्षा के शलए मानक शनधावरण और प्रमाणन

8.1 स्कूिी शिक्षा शनयामक प्रर्ािी का िक्ष्य िैशक्षक पररर्ामों में िगातार सुधार करना होगा; यह स्कूिों,
नवाचारों को सीशमत दायरे में नहीं रखेगा, या शिक्षकों, प्रधानाचायों, और शवद्याशथणयों के उत्साह और शहम्मत
में बाधा नहीं पहंचाएगा। कुि शमिाकर, शवशनयमन को स्कूिों और शिक्षकों को शविास के साथ सिि
बनाने का िक्ष्य रखना होगा, शजससे वे उत्कृष्ट्ता के शिए प्रयास कर सकें और अपना सवणश्रेष्ठ प्रदिणन कर
सकें और सभी शवत्त, प्रशक्रयाओं, और िैशक्षक पररर्ामों को पूरी पारदशिणता के साथ सावणजशनक शकये जाने
के माध्यम से प्रर्ािी की अखंडता सुशनशित करें गे।

8.2 वतणमान में स्कूिी शिक्षर् प्रर्ािी में, सावणजशनक शिक्षा के प्रावधान, समस्त िैक्षशर्क संस्थानों के
शनयमन, और नीशतयों के शनमाणर् से संबंशधत कायों को एकि शनकाय अथाणत् स्कूि शिक्षा शवभाग या इसके
अंगों द्वारा संपन्न शकया जाता है , शजसका पररर्ाम िक्ति के सिि केिीकरर् और शहतों के टकराव के
रूप में सामने आता है। इसका एक और पररर्ाम स्कूि प्रर्ािी के अप्रभावी प्रबंधन के रूप में भी सामने
आता है क्ोशक शिक्षा प्रावधानों से संबंशधत प्रयास, स्कूि शिक्षा शवभाग द्वारा आवश्यक रूप से शनभाई जाने
वािी शवशनयमन और इस जैसी अन्य भूशमकाओं के कारर् अक्सर अपनी शदिा भटक जाते हैं ।

8.3 वतणमान शनयामक व्यवस्था जहाुँ एक तरफ िाभ के शिए खोिे गए अशधकतर फॉर-प्रोशफट शनजी
स्कूिों द्वारा बडे पैमाने पर हो रहे शिक्षा के व्यावसायीकरर् और अशभभावकों के आशथणक िोषर् पर
शनयंत्र् नहीं कर सका है, वहीं, दू सरी तरफ़ ये अक्सर ही अनजाने में सावणजशनक शहतों के शिए समशपणत
शनजी/परोपकारी स्कूिों को हतोस्ताशहत करता है । सावणजशनक और शनजी स्कूिों के शिए आवश्यक
शनयामक दृशष्ट्कोर् के बीच बहत अशधक शवषमता रही है , जबशक दोनों प्रकार के स्कूिों का िक्ष्य एक ही
होना चाशहए: गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।

8.4 सावणजशनक शिक्षा प्रर्ािी एक जीवंत िोकताक्तिक समाज का आधार है , और दे ि के शिए उच्चतम
स्तर के िैक्षशर्क पररर्ामों को हाशसि करने के शिए इसके संचािन के तरीके को पररवशतणत और सुदृढ
करना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही शनजी/ परोपकारी स्कूिों को भी एक महत्वपूर्ण और फायदे मंद
भूशमका शनभाने के शिए प्रोत्साशहत और सक्षम शकया जाना चाशहए।

48
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

8.5 स्कूि शिक्षा प्रर्ािी से संबंशधत शज़म्मेदाररयाुँ , और इसके शवशनयमन से संबंशधत दृशष्ट्कोर् के बारे में
इस नीशत के प्रमुख शसद्धां त और ख़ास शसफ़ाररिें इस प्रकार हैं :

क) स्कूि शिक्षा शवभाग, जो स्कूि शिक्षा में सवोच्च राज्य-स्तरीय शनकाय है , सावणजशनक शिक्षा प्रर्ािी के
शनरं तर सुधार के शिए समग्र शनगरानी और नीशत शनधाणरर् के शिए शजम्मेदार होगा; यह सावणजशनक स्कूिों के
सुधार पर ध्यान केंशद्रत करने और शहतों के टकराव को कम करने के शिए स्कूिों के प्रावधान और संचािन
के साथ या स्कूिों के शवशनयमन में िाशमि नहीं होगा।

ख) संपूर्ण राज्य के सावणजशनक शवद्याियी प्रर्ािी के सेवा प्रावधान और िैशक्षक संचािन की शज़म्मेदारी
स्कूि शिक्षा शनदे िािय की होगी (शजसमें डीईओ, बीईओ आशद भी िाशमि हैं )। यह िैशक्षक संचािन और
प्रावधान से संबंशधत नीशतयों को िागू करने का काम स्वतंत् रूप से करे गा।

ग) प्री-स्कूि शिक्षा - शनजी, सावणजशनक और परोपकारी - सशहत आवश्यक गुर्वत्ता मानकों के अनुपािन
को सुशनशित करने के शिए शिक्षा के सभी चरर्ों के शिए एक प्रभावी गुर्वत्ता शवशनयमन या मान्यता प्रर्ािी
स्थाशपत की जाएगी। यह सुशनशित करने के शिए शक सभी स्कूि कुछ न्यूनतम व्यावसाशयक और
गुर्वत्तापूर्ण मानकों का पािन करते हैं , राज्य/केंद्र िाशसत प्रदे ि राज्य शवद्यािय मानक प्राशधकरर्
(एसएसएसए) नामक एक स्वतंत्, राज्य-व्यापी शनकाय की स्थापना करें गे। एसएसएसए कुछ बुशनयादी
मानकों (जैसे बचाव, सुरक्षा, आधारभूत ढांचा, कक्षाओं और शवषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या,
शवत्तीय इमानदारी, और िासन की उपयुि प्रशक्रया) पर न्यूनतम मानकों की स्थापना करे गा, शजसका
पािन सभी स्कूिों द्वारा करना होगा। एससीईआरटी द्वारा शवशभन्न शहतधारकों, शविेष रूप से शिक्षकों और
स्कूिों से परामिण के द्वारा प्रत्येक राज्य के शिए इन मापदं डों की रूपरे खा तैयार की जाएगी।

सावणजशनक शनगरानी और जवाबदे ही के शिए एसएसएसए द्वारा शनधाणररत सभी बुशनयादी शवशनयामक
सूचनाओं का पारदिी सावणजशनक स्व-प्रकटीकरर् बडे पैमाने पर उपयोग शकया जाएगा। शजन आयामों पर
जानकारी का स्व-प्रकटीकरर् शकया जाना है , और प्रकटीकरर् का प्रारूप एसएसएसए द्वारा स्कूिों के
शिए मानक-तय करने की दु शनयाुँ भर में की जा रही बेहतरीन पहिों के अनुसार तय शकया जाएगा। यह
जानकारी सभी स्कूिों द्वारा अपडे ट की जाएं गी और अपनी और सावणजशनक वेबसाइटों शजिें एसएसएसए
द्वारा संचाशित शकया जाता है,, पर मुहैया करवानी होगी। सावणजशनक डोमेन में उिायी गयी या शफर
सावणजशनक जीवन से जुडे शहतधारकों या अन्य िोगों की शकसी भी शिकायत को एसएसएसए द्वारा हि
शकया जाएगा। एक शनयशमत अंतराि पर, कुछ चयशनत छात्ों से ऑनिाइन फीडबैक मंगाए जाएं गे ताशक
शनयशमत अंतराि पर महत्वपूर्ण सुझाव शमि सके। एसएसएसए के सभी कायों में दक्षता और पारदशिणता
सुशनशित करने के शिए प्रौद्योशगकी को उपयुि रूप से इस्तेमाि शकया जाएगा। इससे स्कूिों द्वारा वतणमान
में वहन शकए जाने वािे शनयामक जनादे िों में भारी कमी आएगी।

49
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

घ) राज्य में अकादशमक मानकों और पाठ्यक्रम सशहत िैक्षशर्क मामिे, एससीईआरटी (जो एनसीईआरटी
के साथ परामिण और सहयोग के शिए नज़दीक से जुडा होगा) के नेतृत्व में होंगे, जो शक एक संस्थान के
रूप में सुदृढ शकया जाएगा। एससीईआरटी सभी शहतधारकों के साथ व्यापक परामिण के माध्यम से एक
स्कूि िाशिटी असेसमेंट एं ड एशक्रशडटे िन फ्रेमवकण (एसक्ूएएएफ) तैयार करे गा। सीआरसी, बीआरसी
और डीआईईटी जैसे संस्थानों को पुनजीशवत करने के शिए एससीईआरटी एक “पररवतणन प्रबंधन प्रशक्रया”
के तहत काम करे गा, जो शक 3 वषों के अन्दर शनशित रूप से इनकी क्षमताओं और कायण-संस्कृशत को
बदि कर इिें उत्कृष्ट्ता के जीवंत संस्थान के रूप में स्थाशपत करे गा। इस बीच, स्कूि छोडने वािे स्तर पर
छात्ों की दक्षताओं के प्रमार्न को प्रत्येक राज्य में प्रमार्न / परीक्षा बोडण द्वारा शनयंशत्त शकया जाएगा।

8.6 स्कूिों, संस्थानों, शिक्षकों, अशधकाररयों, समुदायों और अन्य शहतधारकों को सिि बनाने और इिें
संसाधनों से पररपूर्ण बनाने का काम करने वािी संस्कृशत, संरचनाएं , और व्यवस्थाएं इन सबकी जवाबदे ही
को भी सुशनशित करें गी। प्रत्येक शहतधारक और शिक्षा प्रर्ािी में भागीदार िोग उच्चतमस्तर की
ईमानदारी, पूर्ण प्रशतबद्धता और अनुकरर्ीय कायण नीशत के साथ अपनी भूशमका शनभाने के शिए जवाबदे ह
होंगे। व्यवस्था की प्रत्येक भूशमका से क्ा अपेक्षाएं हैं यह स्पष्ट् रूप से व्यि शकया जाएगा और इन
अपेक्षाओं के बरक्स शहतधारकों के काम का मूल्यां कन गहन तरीके से होगा। जवाबदे ही सुशनशित करते हए
मूल्यांकन प्रर्ािी खुद को एक उद्दे श्यपूर्ण और शवकासोन्मुख प्रशक्रया के रूप में शवकशसत करे गी। इसमें
प्रशतशक्रया और मूल्यांकन के कई स्रोत होंगे, प्रदिणन के बारे में पूरी जानकारी सुशनशित करने के शिए (और
उदाहरर् के शिए छात्ों के अंकों के साथ, केवि सरिीकृत रूप से नहीं जोडा जाएगा)। मूल्यांकन से यह
पता चिेगा शक छात्ों की िैशक्षक प्राक्तप्त जैसे पररर्ामों में कई हस्तक्षेप करने वािे चर और बाहरी प्रभाव
होते हैं। यह भी मान्यता दे गा शक शिक्षा के शिए शविेषकर स्कूि के स्तर पर टीमवकण की आवश्यकता होती
है । सभी व्यक्तियों की पदोन्नशत, मान्यता और जवाबदे ही ऐसे प्रदिणन मूल्यांकन पर आधाररत होगी। सभी
अशधकारी यह सुशनशित करने के शिए शजम्मेदार होंगे शक यह 'शवकास, प्रदिणन और जवाबदे ही प्रर्ािी'
उच्चतर अखंडता के साथ, और व्यवक्तस्थत रूप से, उनके शनयंत्र् में रहते हए समुशचत रूप से अपना काम
करती रहे।

8.7 सावणजशनक और शनजी स्कूि (केंद्र सरकार द्वारा प्रबंशधत / सहायता प्राप्त / शनयंशत्त शकए जाने वािे
स्कूिों को छोडकर) का मूल्यांकन और प्रमार्न समान मापदं ड, बेंचमाकों और प्रशक्रयाओं के आधार पर
शकया जाएगा, जो ऑनिाइन और ऑफिाइन सावणजशनक प्रकटीकरर् और पारदशिणता पर जोर दे ते हैं,
ताशक यह सुशनशित शकया जा सके शक सावणजशनक शहत वािे शनजी स्कूिों को प्रोत्साशहत शकया जाए और
शकसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा के शिए शनजी परोपकारी प्रयासों को प्रोत्साशहत
शकया जाएगा – शजससे शक शिक्षा जो सावणजशनक सेवा है सभी को मुहैया हो सके एवं माता-शपता और
समुदायों को ट्यूिन फीस में मनमानी वृक्तद्ध से सुरशक्षत करने के प्रयास भी शकये जायेंगे। स्कूि की
वेबसाइट और एसएसएसए वेबसाइट पर - सावणजशनक और शनजी दोनों स्कूिों की सूचनाओं को
सावणजशनक शकया जाएगा – शजसमें (कम से कम) कक्षाओं, छात्ों, और शिक्षकों की संख्या की जानकारी,
पढाए जाने वािे शवषय, कोई िुि, और एनएएस और एसएएस जैसे मानकीकृत मूल्यांकन के आधार पर

50
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शवद्याशथणयों के समग्र पररर्ाम िाशमि शकये जाएुँ गे। केंद्र सरकार द्वारा शनयंशत्त / प्रबंशधत / सहायता प्राप्त
स्कूिों के शिए, सीबीएसई एमएचआरडी के परामिण से एक फ्रेमवकण तैयार करे गा। सभी िैक्षशर्क संस्थानों
को ‘नॉट फॉर प्रोशफट’ एं शटटी के रूप में िेखापरीक्षा और समान प्रकटीकरर् मानकों के अनुसार माना
जाएगा। अशधिेष, यशद कोई हो, तो िैशक्षक क्षेत् में उसका पुनशनणवेि शकया जाएगा।

8.8 स्कूि शवशनयमन, प्रमार्न और गवनेंस के शिए तय मानक / शवशनयामक ढाुँ चे और सुगम प्रर्ािी की
समीक्षा की जाएगी ताशक शपछिे दिक में प्राप्त की गई सीख और अनुभवों के आधार पर सुधार शकया जा
सके। इस समीक्षा का उद्दे श्य यह सुशनशित करना होगा शक सभी छात्, शविेष रूप से सुशवधाओं से वंशचत
तबकों के छात्ों को उच्चतर- गुर्वत्ता और समतापूर्ण स्कूिी शिक्षा आरं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और
शिक्षा (3 वषण की आयु) से िेकर उच्चतर माध्यशमक शिक्षा (अथाणत, ग्रेड 12 तक) शनिुि और अशनवायण
हो। इनपुट्स पर जोर दे ना, और उनके शवशनदे िों की यांशत्की प्रकृशत - भौशतक और अवसंरचनात्मक - को
बदि शदया जाएगा और आवश्यकताओं को जमीन पर वास्तशवकताओं के शिए अशधक संवेदनिीि बनाया
गया है, उदाहरर् के शिए, भूशम क्षेत्ों और कमरे के आकार, िहरी क्षेत्ों में खेि के मैदानों की
व्यावहाररकता आशद के बारे में। जनादे ि को समायोशजत और शिशथि शकया जाएगा, शजससे संरक्षा, सुरक्षा
और एक सुखद और उत्पादक अशधगम स्थि सुशनशित करने के शिए प्रत्येक स्कूि को स्थानीय
आवश्यकताओं और बाधाओं के आधार पर अपने शनर्णय िेने के शिए उपयुि िचीिापन शमिेगा। िैशक्षक
पररर्ाम और सभी शवत्तीय, िैक्षशर्क और पररचािन मामिों के पारदिी प्रकटीकरर् को उशचत महत्व
शदया जाएगा और स्कूिों के मूल्यां कन में उपयुि रूप से िाशमि शकया जाएगा। इससे सभी बच्चों के शिए
शन: िुि, न्यायसंगत और गुर्वत्तापूर्ण प्राथशमक और माध्यशमक शिक्षा सुशनशित करने के सतत शवकास
िक्ष्य 4 (एसडीजी) को प्राप्त करने की शदिा में भारत की प्रगशत में और सुधार होगा।

8.9 पक्तब्लक-स्कूि शिक्षा प्रर्ािी का उद्दे श्य उच्चतम गुर्वत्ता वािी शिक्षा प्रदान करना होगा ताशक यह
अपने बच्चों को शिशक्षत करने के शिए जीवन के सभी क्षेत्ों से माता-शपता के शिए सबसे आकषणक शवकल्प
बन जाए।

8.10 समय-समय पर समग्र प्रर्ािी की आवशधक जां च-पडताि के शिए, छात्ों के सीखने के स्तरों का
एक नमूना-आधाररत नेिनि अचीवमेंट सवे (एनएएस) प्रस्ताशवत नए राष्ट्रीय मूल्यां कन केंद्र, परख द्वारा
अन्य सरकारी शनकायों जैसे शक एनसीईआरटी के साथ उपयुि सहयोग के साथ शकया जाएगा जो अनेकों
कायों जैसे डे टा शवश्लेषर् के साथ-साथ मूल्यां कन प्रशक्रयाओं में भी सहायता कर सकता है । मूल्यां कन में
सरकारी के साथ-साथ शनजी स्कूिों के छात्ों को भी िाशमि शकया जाएगा। राज्यों को अपने स्वयं के
जनगर्ना-आधाररत ‘राज्य मूल्यांकन सवेक्षर्’ (एसएएस) का संचािन करने के शिए भी प्रोत्साशहत शकया
जाएगा, शजसके पररर्ामों का उपयोग केवि शवकास के उद्दे श्यों के शिए शकया जाएगा, स्कूि शिक्षा प्रर्ािी
के शनरं तर सुधार के शिए उनके समग्र और शवद्याशथणयों की पहचान उजागर शकये शबना उनके पररर्ामों को
स्कूिों द्वारा सावणजशनक शकया जाएगा। प्रस्ताशवत नए मूल्यां कन केंद्र, परख की स्थापना तक एनसीईआरटी
एनएएस को जारी रख सकता है।

51
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

8.11 अंत में, स्कूिों में नामां शकत बच्चों और शकिोरों को इस पूरी प्रशक्रया में नहीं भूिना चाशहए;
आक्तखरकार, स्कूि प्रर्ािी उनके शिए शडज़ाइन की गई है। उनकी सुरक्षा और अशधकारों पर ध्यान दे ना -
शविेष रूप से बाशिकाओं - और शकिोरों द्वारा सामना शकए जाने वािे शवशभन्न गंभीर मुद्दों, जैसे शक मादक
द्रव्यों के सेवन और कई प्रकार के भेदभाव और उत्पीडन की ररपोशटं ग, बच्चों / शकिोरों के अशधकारों या
सुरक्षा के क्तखिाफ शकसी भी तरह के उल्लंघन पर प्रशक्रया के शिए स्पष्ट्, सुरशक्षत और कुिि तंत् के साथ
प्रर्ािी द्वारा सवोच्च महत्व प्रदान शकया जाना चाशहए। ऐसे तंत्ों का शवकास जो सभी छात्ों के शिए प्रभावी,
सामशयक और सवणशवशदत हों, उच्चतर प्राथशमकता वािे होंगे।

भाग II. उच्िर शिक्षा

9. गुणवत्तापूणव शवश्वशवद्यालय एवं महाशवद्यालय: भारिीय उच्िर शिक्षा व्यवस्था हेिु एक नया
और भशवष्यचन्मुखी दृशष्ट्कचण

9.1 उच्चतर शिक्षा मनुष्य और साथ ही सामाशजक कल्यार् के शवकास में अशत आवश्यक भूशमका शनभाती
है। जैसा शक हमारे संशवधान में भारत को एक िोकतांशत्क, न्यायपूर्ण, सामाशजक रूप से सचेत, सांस्काररक
और मानवीय राष्ट्र जहाुँ सभी के शिए न्याय, स्वतंत्ता, समानता, और भाईचारे का भाव हो, एक ऐसे राष्ट्र के
रूप में शवकशसत करने की पररकल्पना की गई है । एक राष्ट्र के आशथणक शवकास और आजीशवकाओं को
स्थाशयत्व दे ने में भी उच्चतर शिक्षा एक महत्वपूर्ण योगदान दे ती है। जैसे-जैसे भारत ज्ञान आधाररत
अथणव्यवस्था और समाज की ओर बढता जा रहा है वैसे-वैसे और अशधक भारतीय युवा उच्चतर-शिक्षा की
ओर बढें गे।

9.1.1 इक्कीसवी सदी की आवश्यकताओं को दे खते हए, गुर्वत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा का ज़रूरी उद्दे श्य,
अच्छे , शचंतनिीि, बहमुखी प्रशतभा वािे रचनात्मक व्यक्तियों का शवकास करना होना चाशहए। यह एक
व्यक्ति को एक या एक से अशधक शवशिष्ट् क्षेत्ों में गहन स्तर पर अध्ययन करने में सक्षम बनाती है , और
साथ ही चररत्, नैशतक और संवैधाशनक मूल्यों, बौक्तद्धक शजज्ञासा, वैज्ञाशनक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की
भावना और शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान, किा, मानशवकी, भाषा, साथ ही व्यावसाशयक, तकनीकी और
व्यावसाशयक शवषयों सशहत शवशभन्न शवषयों में 21 वीं सदी की क्षमताओं को शवकशसत करती है। उच्चतर
गुर्वत्ता वािी शिक्षा द्वारा व्यक्तिगत उपिक्तब्ध और ज्ञान, रचनात्मक सावणजशनक सहभाशगता और समाज में
उत्पादक योगदान को सक्षम करना चाशहए। इसे छात्ों को अशधक साथणक और संतोषजनक जीवन और
कायण भूशमकाओं के शिए तैयार करना चाशहए और आशथणक स्वतंत्ता को सक्षम करना चाशहए।

9.1.2 व्यक्तियों के समग्र शवकास के उद्दे श्य के शिए यह आवश्यक है शक पूवण-शवद्यािय से उच्चतर शिक्षा
तक, सीखने के प्रत्येक चरर् में कौिि और मूल्यों का एक शनधाणररत सेट िाशमि शकया जाएगा।

52
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

9.1.3 सामाशजक स्तर पर, उच्चतर शिक्षा का उद्दे श्य राष्ट्र को प्रबुद्ध, सामाशजक रूप से जागरूक,
जानकार और सक्षम बनाना है जो अपने नागररकों का उत्थान कर सके, और अपनी समस्याओं के शिए
सिि समाधानों को ढू ुँ ढकर िागू कर सके। उच्चतर शिक्षा दे ि में ज्ञान शनमाण र् और नवाचार का आधार
भी बनाती है और इसके चिते राष्ट्रीय अथणव्यवस्था के शवकास में एक महत्वपूर्ण भूशमका शनभाती है।
इसशिए उच्चतर शिक्षा का उद्दे श्य व्यक्तिगत रोज़गार के अवसरों का सृजन करना ही नहीं बक्ति अशधक
जीवंत और सामाशजक रूप से जुडे हए सहकारी समुदायों के साथ शमिकर एक अशधक खुिनुमा,
सामंजस्यपूर्ण, सुसंस्कृत, उत्पादक, अशभनव, प्रगशतिीि और समृद्ध राष्ट्र का प्रशतशनशधत्व करना है।

9.2 वतणमान में, भारत में उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी की कुछे क प्रमुख समस्याओं में शनम्नशिक्तखत िाशमि हैं:

क. गंभीर रूप से खंशडत उच्चतर िैशक्षक पाररक्तस्थशतकी तंत्;


ख. संज्ञानात्मक कौिि के शवकास और सीखने के पररर्ामों पर कम बि;
ग. शवषयों का एक किोर शवभाजन, शवद्याशथणयों को बहत पहिे ही शविेषज्ञ और अध्ययन के
संकीर्ण क्षेत्ों की ओर ढकेि दे ना;
घ. सीशमत पहुँ च, शविेष रूप से सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत क्षेत्ों में जहाुँ कुछ एक ही ऐसे
शविशवद्यािय और महाशवद्यािय हैं जो स्थानीय भाषाओं में पढाते हैं ;
ङ. सीशमत शिक्षक और संस्थागत स्वायत्तता;
च. योग्यता आधाररत कररयर प्रबंधन और संकाय और संस्थागत िीडरों की प्रगशत के शिए
अपयाणप्त तंत्;
छ. अशधकां ि शविशवद्याियों और महाशवद्याियों में िोध पर कम बि और शवषयक अनुिासनों में
पारदिी और प्रशतस्पधी-समीक्षा िोध शनशधयों की कमी;
ज. उच्चतर शिक्षा संस्थानों में गवनेंस और नेतृत्व क्षमता का अभाव;
झ. एक अप्रभावी शवशनयामक प्रर्ािी; और
ञ. बहत सारे संबद्ध शविशवद्यािय, शजनके पररर्ामस्वरूप अवर स्नातक शिक्षा के शनम्न मानक।

9.3 यह नीशत उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी में आमूि-चूि बदिाव और नए जोि के संचार के शिए उपयुि
चुनौशतयों को दू र करने के शिए कहती है। शजससे सभी युवा िोगों को उनकी आकांक्षा के अनुरूप
गुर्वत्तापूर्ण, समान अवसर दे ने वािी एवं समावेिी उच्चतर शिक्षा शमिे। इस नीशत की दृशष्ट् में वतणमान
उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी में शनम्नशिक्तखत प्रमुख पररवतणन िाशमि हैं :
क. ऐसी उच्चतर शिक्षा व्यवस्था की ओर बढना शजसमें शविाि बह-शवषयक शविशवद्यािय और
महाशवद्यािय हों, जहाुँ प्रत्येक शजिे में या उसके पास कम से कम एक और पूरे भारत में अशधकतर
एचईआई ऐसे ही हो, जो स्थानीय / भारतीय भाषाओं में शिक्षा या कायणक्रमों का माध्यम प्रदान
करते हों;
ख. और अशधक बह-शवषयक स्नातक शिक्षा की ओर बढना;
ग. संकाय और संस्थागत स्वायत्तता की ओर बढना;

53
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

घ. शवद्याशथणयों के अनुभव में वृक्तद्ध के शिए पाठ्यचयाण , शिक्षर्-िास्त्र , मूल्यां कन और शवद्याशथणयों को


शदए जाने वािे सहयोग में आमूि-चूि पररवतणन करना;
ङ. शिक्षर्, अनुसंधान और सेवा के आधार पर योग्यता-शनयुक्तियों और कररयर की प्रगशत के माध्यम
से संकाय और संस्थागत नेतृत्व की क्तस्थशत की अखंडता की पुशष्ट् करना;
च. सहकमी द्वारा समीक्षा की गई उत्तम अनुसंधान और शविशवद्याियों और कॉिेजों में सशक्रय रूप से
अनुसंधान की नींव रखने के शिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउं डेिन (एनआरएफ) की स्थापना;
छ. िैक्षशर्क और प्रिासशनक स्वायत्तता वािे उच्चतर-योग्य स्वतंत् बोडों द्वारा एचईआई का गवनेंस;
ज. व्यावसाशयक (प्रोफेिनि) शिक्षा सशहत उच्चतर शिक्षा के सभी एकि शनयामक द्वारा "िचीिा
िेशकन स्थाशयत्व प्रदान करने वािा शवशनयमन;
झ. उपायों की एक श्रृंखिा के माध्यम से पहुँच, समता और समावेिन में वृक्तद्ध: इसके साथ ही उत्कृष्ट्
सावणजशनक शिक्षा के शिए अशधक अवसर; वंशचत और शनधणन छात्ों के शिए शनजी / परोपकारी
शविशवद्याियों द्वारा छात्वृशत्त में पयाणप्त वृक्तद्ध; ओपन स्कूशिंग, ऑनिाइन शिक्षा, और मुि दू रस्थ
शिक्षा (ओडीएि); और शदव्यां ग शिक्षाशथणयों के शिए सभी बुशनयादी ढां चे और शिक्षर् सामग्री की
उपिब्धता और उस तक उनकी पहुँच।

10. संस्थागि पुनगवठन और समेकन

10.1 उच्चतर शिक्षा के बारे में इस नीशत का मुख्य जोर उच्चतर शिक्षा संस्थानों को बडे एवं बह-शवषयक
शविशवद्याियों, कॉिेजों और एचईआई किस्टरों/ नॉिेज हबों में स्थानांतररत करके उच्चतर शिक्षा के
शवखंडन को समाप्त करना है। शजसमें प्रत्येक का िक्ष्य 3,000 या उससे भी अशधक छात्ों का उत्थान करना
होगा। यह पूरी उच्चतर शिक्षा में छात्ों के सीखने के शिए शवद्वानों और साशथयों के जीवंत समुदाय शनमाण र्,
शवषयों की बीच उपजी खाईयों को पाटने, छात्ों को उनके सम्पूर्ण मानशसक और चहमुंखी ( किात्मक,
रचनात्मक, शवश्लेषर्ात्मक और खेि) शवकास करने में सक्षम, सशक्रय अनुसंधान समुदायों अन्तर-
अनुिासशनक अनुसंधान सशहत को शवकशसत करने, और संसाधनों, सामग्री और मनुष्य, की कायण कुििता
की बढोत्तरी में मदद करे गी।

10.2 उच्चतर शिक्षा के ढाुँचे के बारे में, यह नीशत सबसे बडी अनुिंसा बडे एवं बह-शवषयक शविशवद्याियों
और उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) क्लस्टरों के संबंध में करती है। भारतीय प्राचीन शविशवद्याियों
तक्षशििा, नािन्दा, वल्लभी और शवक्रमशििा शजनमें भारत और अन्य दे िों के हजारों छात् जीवंत एवं बह-
शवषयक पररवेि में शिक्षा िे रहे थे, ने बडी सफिता का प्रदिणन शकया जो इस तरह के बडे एवं बह-
शवषयक अनुसंधान और शिक्षर् शविशवद्यािय ही कर सकते थे। भारत को बहमुखी प्रशतभा वािे योग्य और
अशभनव व्यक्तियों को बनाने के शिए इस परम्परा को वापस िाने की आवश्यकता है , शजससे कई दे ि
पहिे से ही िैशक्षक और आशथणक रूप से इस शदिा में पररर्त हो रहे हैं।

54
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

10.3 उच्चतर शिक्षा के इस शवज़न के शिए खासकर एक नई वैचाररक धारर्ा / समझ की ज़रूरत होगी
शजसमें एक उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) अथाण त एक शविशवद्यािय या एक कॉिेज गिन िाशमि है।
शविशवद्यािय से अशभप्राय एक ऐसा बह-शवषयक सं स्थान, जो उच्चतर स्तरीय अशधगम (िशनंग) के शिए
उच्चतर श्रेर्ी के शिक्षर्, िोध और समुदाशयक भागीदारी के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर कायण क्रम
चिाता है। इसशिए अगर शविशवद्यािय को पररभाशषत करें तो कई तरह के संस्थान होंगे जो शिक्षर् और
िोध को बराबर महत्व दे ने वािे होंगे जैसे िोध गहन शविशवद्यािय और ऐसे संस्थान जो गुर्वत्तापूर्ण
शिक्षर् पर अशधक बि दे ने वािे होंगे परं तु महत्वपूर्ण अनुसन्धान का संचािन करने वािे होंगे जैस शिक्षक
गहन शविशवद्यािय। प्राथशमक तौर पर, एक स्वायत्त शडग्री दे ने वािा कॉिेज (एसी) उच्चतर शिक्षा के एक
बडे बह-शवषयक संस्थान को संदशभणत करे गा जो स्नातक की शडग्री प्रदान करता है और मुख्य रूप से
स्नातक शिक्षर् पर केंशद्रत है, हािां शक यह उस तक ही सीशमत नहीं होगा और इसे उस तक सीशमत करने
की आवश्यकता नहीं है और यह आमतौर पर एक शवशिष्ट् शविशवद्यािय से छोटा होगा।

10.4 श्रेर्ीबद्ध मान्यता की एक पारदिी प्रर्ािी के माध्यम से, कॉिेजों को ग्रेडेड स्वायत्तता दे ने के शिए
एक चरर्बद्ध प्रर्ािी स्थाशपत की जाएगी। मान्यता प्राप्त करने के शिए हर स्तर पर जरूरी न्यूनतम
मानकों को पूरा करने के शिए महाशवद्याियों को प्रोत्साहन, मागणदिणन, सहायता, और प्रेररत शकया जाएगा।
कािांतर में धीरे -धीरे सभी महाशवद्यािय या तो शडग्री प्रदान करने वािे स्वायत्त महाशवद्यािय बन जाएं गे, या
शकसी शविशवद्यािय के अंग के रूप में शवकशसत होंगे; शविशवद्यािय के अंग के रूप में वे पूर्ण रूप से
उसका शहस्सा होंगे। अगर वो चाहें तो उपयुि मान्यता के साथ, स्वायत्त शडग्री दे ने वािे कॉिेज अनुसंधान-
गहन या शिक्षर्-गहन शविशवद्याियों में शवकशसत हो सकते हैं।

10.5 यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है शक इन तीन प्रकारों के सं स्थानों का वगीकरर् एक स्पष्ट्, और अिग-
अिग श्रेशर्यां नहीं है , बक्ति एक शनरं तरता के साथ है। एचईआई को अपनी योजनाओं, कायों और
प्रभाविीिता के आधार पर एक श्रेर्ी से दू सरी श्रेर्ी में जाने की स्वायत्तता और स्वतंत्ता होगी। इन
संस्थाओं को शचशह्नत करने के शिए सबसे प्रमुख कायण उनके िक्ष्यों तथा काम का फोकस होगा। प्रत्यायन
प्रर्ािी इस प्रकार के संस्थानों (एचईआई) के शिए उशचत रूप से शभन्न और प्रासंशगक मापदं डों का शवकास
और उपयोग करे गी। हािां शक, सभी प्रकार के संस्थानों (एचईआई) में उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा और
शिक्षर्-अशधगम अपेक्षाएं समान होंगी।

10.6 शिक्षर् और िोध के अिावा, उच्चतर शिक्षा संस्थाएं (एचईआई) अन्य महत्वपूर्ण शजम्मेदाररयां भी
शनभाएं गे, जैसे- अन्य उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) को शवकशसत और स्थाशपत करने में सहयोग,
सामुदाशयक सहभाशगता और सेवा, कायणप्रर्ािी के शवशभन्न क्षेत्ों में योगदान, उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी के शिए
प्रध्यापकों की योग्यता का शवकास और स्कूिी शिक्षा में योगदान, शजिें वे उपयुि संसाधनों, प्रोत्साहनों
और संरचनाओं को मुहैया कराने के माध्यम से शनवणहन करें गे।

55
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

10.7 2040 तक सभी वतणमान उच्चतर शिक्षा संस्थानों (एचईआई) का उद्दे श्य अपने आपको बह-शवषयक
संस्थानों के रूप में स्थाशपत करना होगा। बुशनयादी ढांचे और संसाधनों के इष्ट्तम उपयोग के शिए, और
जीवंत बह-शवषयक समुदायों के शनमाण र् के शिए हजारों की संख्या में छात् नामां कन होंगे। चूंशक इस
प्रशक्रया में समय िगेगा, सभी उच्चतर शिक्षा संस्थान सबसे पहिे 2030 तक बह-शवषयक संस्थान बनने की
योजना बनायेंगे, और शफर धीरे -धीरे छात्ों की नामांकन संख्या वांशछत स्तर तक बढायेंगे।

10.8 वंशचत क्षेत्ों में पूर्ण उपिब्धता, न्यायसंगतता और समावेि के शिए उशचत संख्या में उच्चतर शिक्षा
संस्था स्थाशपत और शवकशसत शकए जायेंगे। 2030 तक प्रत्येक शजिे में या उसके समीप कम से कम एक
बडा बह-शवषयक उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) होगा। श्रेष्ठ गुर्वत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा संस्थान
सावणजशनक और शनजी दोनों को शवकशसत करने की शदिा में िोस कदम उिाए जायेंगे, शजनके शनदे ि का
माध्यम स्थानीय/भारतीय भाषाओं या शद्वभाशषक होगा। इसका उद्दे श्य सकि नामाकंन अनुपात को 2018
में 26.3% से बढाकर वषण 2035 तक 50% करना होगा। हािांशक इन िक्ष्यों को प्राप्त करने के शिए कई
नए संस्थानों का शवकास शकया जा सकता है , िेशकन क्षमता शनमाणर् का एक बडा भाग मौजूदा एचईआई को
समेशकत, महत्वपूर्ण रूप से शवस्ताररत और बेहतर बनाने के माध्यम से प्राप्त शकया जाएगा।

10.9 बडी संख्या में उत्कृष्ट् सावणजशनक संस्थानों के शवकास में जोर दे ने के साथ, सावणजशनक और शनजी
दोनों संस्थानों का शवकास होगा। सावणजशनक उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) के शिए सावणजशनक शवत्त
पोषर् सहायता के स्तर को बढाने के शिए एक शनष्पक्ष और पारदिी प्रर्ािी होगी। यह प्रर्ािी सभी
सावणजशनक संस्थानों के शवकास के शिए समान अवसर दे गी। यह प्रत्यायन प्रर्ािी, प्रत्यायन शनयमों जैसे
पारदशिणता और पूवण-प्रचाररत मानदं डों पर आधाररत होगी। इस नीशत के शनयमों के अनुसार जो उच्चतर
शिक्षा संस्थान (एचईआई) श्रेष्ठतम प्रदिणन करें गें, उिें अपनी क्षमताओं का शवस्तार करके प्रोत्साशहत शकया
जाएगा।

10.10 संस्थानों को अपने कायणक्रमों की सीटें , पहुँच और सकि नामांकन अनुपात बढाने एवं जीवनपयंत
सीखने के अवसरों को मुहैया कराने (एसडीजी4) हेतु मुि दू रस्थ शिक्षा और ऑनिाइन कोसण को
संचाशित करने का अवसर होगा, बितें उिें ऐसा करने के शिए मान्यता प्राप्त हो। सभी मुि दू रस्थ शिक्षा
कायणक्रमों (और उनके घटक) के शकसी भी शडप्लोमा या शडग्री के मानक और गुर्वत्ता, एचईआई के
पररसर में संचाशित उच्चतम गुर्वत्ता कायणक्रमों के समतुल्य होंगे। ओडीएि के शिए मान्यता प्राप्त
बेहतरीन संस्थानों को उच्चतर-गुर्वत्ता वािे ऑनिाइन कोसण शवकशसत करने के शिए प्रोत्साशहत शकया
जाएगा और उनकी सहायता की जाएगी। ऐसे गुर्वत्तापूर्ण ऑनिाइन कोसों को एचईआई के पाठ्यक्रमों
के साथ समक्तित शकया जाएगा और इस प्रकार पाठ्यक्रमों के शमशश्रत स्वरूपों को वरीयता दी जाएगी।

10.11 एक ही स्टर ीम वािे संस्थानों (एचईआई) को समय के साथ जीवंत बह-शवषयक संस्थानों या बह-
शवषयक एचईआई क्लस्टर का अंग के रूप में चरर्बद्ध तरीक़े से पररवशतणत शकया जाएगा। शजिें उच्चतर
गुर्वत्ता बह-शवषयक और अंतर-शवषयक शिक्षर् और अनुसंधान के शिए सक्षम और प्रोत्साशहत शकया

56
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

जायेगा। एक स्टर ीम वािे एचईआई में शवशभन्न शवषयों के संकायों को जोडा जायेगा शजससे वे मजबूत होंगे।
उपयुि प्रत्यायन (एशक्रशडटे िन) उपिक्तब्ध के माध्यम से, सभी उच्चतर शिक्षा संस्थान (एचईआई) धीरे -धीरे
पूर्ण अकादशमक और प्रिासशनक स्वायत्ता की तरफ बढें गे ताशक ऐसी जीवंत संस्कृशत का शनमाणर् हो ।
सावणजशनक संस्थानों की स्वायत्ता को पयाण प्त सावणजशनक शवत्त सहायता से स्थाशयत्व और मजबूती शमिेगी।
शनजी संस्थान जो सावणजशनक शहत के शिए उच्चतर गुर्वत्ता, समतापूर्ण शिक्षा के शिए प्रशतबद्ध हैं उिें
प्रोत्साशहत शकया जायेगा।

10.12 इस नीशत द्वारा कक्तल्पत नई शवशनयामक प्रर्ािी ग्रेडेड ऑटोनोमी के जररये और इसे एक चुनौती की
तरह िेते हए समग्र रूप से इस संस्कृशत को सिक्तिकरर् और स्वायत्तता की ओर नवाचार के शिए बढावा
दे गी। और 15 वषों के अंतराि में धीरे -धीरे संबद्ध (एशफशिएटे ड) कॉिेज की प्रर्ािी समाप्त होगी। प्रत्येक
संबद्ध शविशवद्यािय अपने संबद्ध कॉिेज के मागणदिणन के शिए उत्तरदायी होगा ताशक वे अपनी क्षमताओं
को शवकशसत कर सकें तथा अकादशमक और पाठ्यक्रम संबंधी मामिों में न्यूनतम मानदं ड; शिक्षर् और
मूल्यां कन; गवनेंस सुधार; शवत्तीय मजबूती; और प्रिासशनक दक्षता को प्राप्त कर सकें। वतणमान में
शविशवद्यािय से संबद्ध सभी कॉिेज प्रत्यायन प्राप्त करने और स्वायत्त शडग्री दे ने वािे कॉिेज बनने के शिए
शनधाणररत बेंचमाकण एक समय-अवशध में प्राप्त करें गे; इसे उशचत मेंटररं ग और सरकार के सहयोग सशहत
एक संयुि राष्ट्रीय प्रयास के माध्यम से प्राप्त शकया जाएगा।

10.13 समूचे उच्चतर शिक्षा क्षेत् का िक्ष्य एक एकीकृत उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी में बनना होगा - शजसमें
व्यावसाशयक और पेिेवर शिक्षा िाशमि है। यह नीशत और इसका दृशष्ट्कोर् वतणमान में एचईआई के सभी
स्टर ीम्स पर समान रूप से िागू होंगे जो अंतत: उच्चतर शिक्षा के एक अनुकूि पाररक्तस्थशतकी में शविय हो
जाएं गे।

10.14 व्यापक तौर पर शविशवद्यािय का अथण है , उच्चतर शिक्षा का एक बह-शवषयक संस्थान जो स्नातक,
स्नातकोत्तर और पीएच-डी कायणक्रम चिाता है , और उच्चतर गुर्वत्ता वािे शिक्षर् और अनुसंधान करता
है। अभी दे ि में एचईआई का जशटि नामकरर् ‘समवत शविशवद्यािय’, ‘संबद्ध शविशवद्यािय’, ‘संबद्ध
तकनीकी शविशवद्यािय’, ‘एकात्मक शविशवद्यािय’ है शजसे मानकों के अनुसार मानदं ड को पूरा करने पर
केवि ‘शविशवद्यािय’ के नाम से प्रशतस्थाशपत शकया जाएगा।

11. समग्र और बह-शवषयक शिक्षा की ओर

11.1 भारत में समग्र एवं बह-शवषयक तरीके से सीखने की एक प्राचीन परं परा है , तक्षशििा और नािंदा
जैसे शविशवद्याियों से िेकर ऐसे कई व्यापक साशहत्य हैं जो शवशभन्न क्षेत्ों में शवषयों के संयोजन को प्रकट
करते हैं। प्राचीन भारतीय साशहत्य जैसे बार्भट्ट की कादं बरी शिक्षा को 64 किाओं के ज्ञान के रूप में
पररभाशषत / वशर्णत करती है ; और इन 64 किाओं में न केवि गायन और शचत्किा जैसे शवषय िाशमि हैं ,
बक्ति वैज्ञाशनक क्षेत् जैसे रसायनिास्त्र और गशर्त, व्यावसाशयक क्षेत् जैसे बढई का काम और कपडे

57
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शसिने का कायण, व्यावसाशयक कायण जैसे औषशध तथा अशभयांशत्की और साथ ही साथ सम्प्रेषर्, चचाण और
वाद-संवाद करने के व्यवहाररक कौिि (सॉफ्ट क्तस्कल्स) भी िाशमि हैं । यह शवचार शक इं सानी सृजन के
सभी क्षेत् (शजसमें गशर्त, शवज्ञानं, पेिेवर और व्यावसाशयक शवषय और व्यवहाररक कौिि िाशमि हैं) को
‘किाओं’ के रूप में दे खा जाना चाशहए, भारतीय शचंतन की दे न है। शवशभन्न ‘किाओं के ज्ञान के इस शवचार,
या जैसा शक आधुशनक युग में शजसे 'शिबरि आट्ण स (किाओं का एक उदार नजररया)' कहा जाता है, को
भारतीय शिक्षा में पुनः िाशमि करना ही होगा, चूुँशक यह वही शिक्षा है शजसकी 21वीं िताब्दी में
आवश्यकता होगी।

11.2 आकिन से पता चिता है की, स्नातक शिक्षा के दौरान, ऐसी िैक्षशर्क पद्धशतयाुँ जो एसटीईएम
(शवज्ञान, तकनीकी, अशभयांशत्की और गशर्त) के साथ मानशवकी और किा शिक्षा को समाशहत करती हैं , तो
रचनात्मकता और नवाचार, आिोचनात्मक शचंतन एवं उच्चतर स्तरीय शचंतन की क्षमता, समस्या समाधान
योग्यता, समूह कायण में दक्षता, सम्प्रेषर् कौिि, सीखने में गहराई और पाठ्यक्रम के सभी शवषयों पर
पकड, सामाशजक और नैशतकता के प्रशत जागरूकता आशद जैसे सकारात्मक िैक्षशर्क पररर्ाम प्राप्त हए
हैं और साथ ही, समग्र और बह-शवषयक शिक्षा दृशष्ट्कोर् के माध्यम से अनुसंधान में भी सुधार और
बढोत्तरी हई है।.

11.3 एक समग्र और बह-शवषयक शिक्षा का उद्दे श्य मनुष्य की सभी क्षमताओं- बौक्तद्धक, सौन्दयाणत्मक,
सामाशजक, िारीररक, भावात्मक तथा नैशतक- को एकीकृत तरीके से शवकशसत करना होगा। ऐसी शिक्षा
व्यक्ति के सवांगीर् शवकास: किा, मानशवकी, भाषा, शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान, और व्यावसाशयक,
तकनीकी और व्यावसाशयक क्षेत्ों में महत्वपूर्ण 21 वीं सदी की क्षमता; सामाशजक जुडाव की नैशतकता;
व्यवहाररक कौिि (सॉफ्ट क्तस्कल्स), जैसे सम्प्रेषर्, चचाण , वाद-शववाद; और एक चुने हए क्षेत् या क्षेत्ों में
अच्छी शविेषज्ञता में मदद करे गी। इस तरह की एक समग्र शिक्षा, िंबे समय तक व्यावसाशयक, तकनीकी
और पेिेवर शवषयों सशहत सभी स्नातक कायणक्रमों का दृशष्ट्कोर् होगा।

11.4 एक समग्र और बह-शवषयक शिक्षा, जो शक भारत के इशतहास में सुन्दर ढं ग से वशर्णत की गई है -


वास्तव में आज के स्कूिों की जरूरत है, ताशक हम इक्कीसवीं िताब्दी और चौथी औद्योशगक क्रांशत का
नेतृत्व कर सकें। यहाुँ तक शक अशभयांशत्की संस्थान जैसे आई. आई. टी, किा और मानशवकी के साथ
समग्र और बह-शवषयक शिक्षा की ओर बढें गे। किा एवं मानशवकी के छात् भी शवज्ञान सीखेंगे, कोशिि यही
होगी की सभी व्यावसाशयक शवषय और व्यवहाररक कौििों (सॉफ्ट क्तस्कल्स) को हाशसि करें । किा, शवज्ञान
और अन्य क्षेत्ों में भारत की खास शवरासत इस तरह की शिक्षा की ओर बढने में सहायक होगी।

11.5 कल्पनािीि और िचीिी पाठ्यक्रम संरचनाएं अध्ययन के शिए शवषयों के रचनात्मक संयोजन को
सक्षम करें गी, और कई प्रवेि और शनकास शबन्फ्दुओं के शवकल्प होंगे। इस तरह से आज की किोर
अनुिासनात्मक सीमाओं को हटाकर आजीवन सीखने की संभावनाओं को बढावा शमिेगा। बडे बह-
शवषयक शविशवद्याियों में स्नातक स्तर (मास्टर और डॉक्टरे ट) की शिक्षा, किोर अनुसंधान-आधाररत

58
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शविेषज्ञता प्रदान करने के साथ-साथ अकादशमक (शिक्षा जगत), सरकार और उद्योग सशहत, बह-शवषयक
कायों के अवसर भी प्रदान करे गा।

11.6 बडे बह-शवषयक शविशवद्याियों और कॉिेजों में उच्चतर-गुर्वत्ता की समग्र और बह-शवषयक


शिक्षा की शदिा में कदम बढाए जाएं गे। शवषयों में किोर शविेषज्ञता के अिावा, छात्ों को पाठ्यचयाण में
िचीिापन, नए और रोचक कोसेस के शवकल्प शदए जाएं गे। पाठ्यक्रम शनधाण ररत करने में संकाय और
संस्थागत स्वायत्तता द्वारा इसे प्रोत्साशहत शकया जाएगा। शिक्षािास्त्र में संचार, चचाण , बहस, अनुसंधान और
क्रॉस-शडशसक्तप्लनरी और अंतःशवषयक सोच के अवसरों पर अशधक जोर होगा।

11.7 दे ि के शवशभन्न उच्चतर शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में भाषा, साशहत्य, संगीत, दिणन, भारत-शवद्या,
किा, नृत्य, नाट्यकिा, शिक्षा, गशर्त, सांक्तख्यकी, सैद्धांशतक तथा व्यावहाररक शवज्ञान, समाजिास्त्र,
अथणिास्त्र, खेि, अनुवाद एवं व्याख्या और अन्य ऐसे शवषयों के शवभागों को बह-शवषयक, भारतीय शिक्षा
और वातावरर् को प्रोत्साशहत करने के शिए स्थाशपत और मज़बूत शकया जाएगा। इन शवषयों में सभी स्नातक
उपाशध कायणक्रमों में क्रेशडट शदया जाएगा यशद वे ऐसे शवभागों से या ओडीएि मोड के माध्यम से शकए जाते
हैं, जब उिें एचईआई की कक्षाओं में उपिब्ध नहीं कराया जाता है।

11.8 ऐसी समग्र और बह-शवषयक शिक्षा के शवचार को धराति पर िाने के शिए, सभी एचईआई के
िचीिे और नवीन पाठ्यक्रम में क्रेशडट आधाररत पाठ्यक्रम और सामुदाशयक जुडाव और सेवा, पयाणवरर्
शिक्षा, और मूल्य-आधाररत शिक्षा के क्षेत् िाशमि होंगे। पयाणवरर् शिक्षा में जिवायु पररवतणन, प्रदू षर्,
अपशिष्ट् प्रबंधन, स्वच्छता, जैशवक शवशवधता का संरक्षर्, जैशवक संसाधनों का प्रबंधन और जैव शवशवधता,
वन और वन्यजीव संरक्षर्, और सतत शवकास तथा रहने जैसे क्षेत् िाशमि होंगे। मूल्य आधाररत शिक्षा में
शनम्न िाशमि हैं: मानवीय, नैशतक, संवैधाशनक तथा सावणभौशमक मानवीय मूल्य जैसे सत्य, नेक आचरर्
(dharma), िांशत, प्रेम, अशहंसा, वैज्ञाशनक दृशष्ट्कोर्, नागररक मूल्य और जीवन- कौिि; सेवा तथा
सामुदाशयक कायणक्रमों में सहभाशगता समग्र शिक्षा का अशभन्न अंग होगा। जैसे-जैसे दु शनया तेजी से आपस में
जुडती जा रही है, वैशिक नागररक शिक्षा (जीसीईडी), समकािीन वैशिक चुनौशतयों की प्रशतशक्रया,
शिक्षाशथणयों को वैशिक मुद्दों को समझने और अशधक िांशतपूर्ण, सशहष्णु, समावेिी, सुरशक्षत और सतत
समाज के सशक्रय प्रवतणक बनने के शिए प्रदान की जाएगी। अंतत: समग्र शिक्षा के अंतगणत, उच्चतर शिक्षा
संस्थान अपने ही संस्थानों में या अन्य उच्चतर शिक्षा / िोध संस्थानों में इं टनणशिप के अवसर उपिब्ध
कराएं गे, जैसे- स्थानीय उद्योग, व्यवसाय, किाकार, शिल्पकार आशद के साथ इं टनणशिप और अध्यापकों
और िोधाशथणयों के साथ, िोध इं टनणशिप ताशक छात् सशक्रय रूप से अपने सीखने के व्यावहाररक पक्ष के
साथ जुडें और साथ ही साथ, स्वयं के रोज़गार की संभावनाओं को भी बढा सकें।

11.9 शडग्री कायणक्रमों की अवशध और संरचना में तदनुसार बदिाव शकया जाएगा। स्नातक उपाशध 3 या 4
वषण की अवशध की होगी, शजसमे उपयुि प्रमार्पत् के साथ शनकास के कई शवकल्प होंगे। उदाहरर् के
तौर पर, व्यावसाशयक तथा पेिेवर क्षेत् सशहत शकसी भी शवषय अथवा क्षेत् में 1 साि पूरा करने पर

59
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

सशटण शफकेट या 2 साि पूरा करने पर शडप्लोमा या 3 साि के कायणक्रम के बाद स्नातक की शडग्री। 4 वषीय
स्नातक प्रोग्राम, शजसमें बह-शवषयक शिक्षा को बढावा शदया जाएगा, क्ोंशक इस दौरान यह शवद्याथी की
रूशच के अनुसार चुने हए मेजर और माइनर पर ध्यान केंशद्रत करने के अिावा समग्र तथा बह-शवषयक
शिक्षा का अनुभव िेने के अवसर प्रदान करता है। एक अकादे शमक क्रेशडट बैंक (एबीसी) स्थाशपत शकया
जाएगा जो अिग-अिग मान्यता प्राप्त उच्चतर शिक्षर् संस्थानों से प्राप्त क्रेशडट को शडशजटि रूप से
संकशित करे गा ताशक प्राप्त क्रेशडट के आधार पर उच्चतर शिक्षर् संस्थान द्वारा शडग्री दी जा सके। यशद
छात् एचईआई द्वारा शनशदण ष्ट् अध्ययन के अपने प्रमुख क्षेत् (क्षेत्ों) में एक किोर िोध पररयोजना को पूरा
करता है तो उसे 4 वषीय कायणक्रम में ‘िोध सशहत’ शडग्री भी दी जा सकती है ।

11.10 उच्चतर शिक्षर् संस्थानों (एचईआई) को शवशभन्न प्रारूपों में स्नातकोत्तर कायणक्रमों को मुहैया कराने
की छूट होगी (क) ऐसे शवद्याशथणयों के शिए शजिोंने 3 साि का स्नातक कायणक्रम पूरा शकया हो, उिें 2 वषीय
कायणक्रम प्रदान शकए जा सकते हैं शजसमें शद्वतीय वषण पूरी तरह से िोध पर केक्तित हो; (ख) वे शवद्याथी
शजिोंने 4 वषण का स्नातक कायणक्रम िोध के साथ पूरा शकया है , उनके शिए एक वषण का स्नातकोत्तर
कायणक्रम हो सकता है ; और (ग) 5 वषों का एक एकीकृत स्नातक/स्नातकोत्तर कायणक्रम हो सकता है ।
पीएच-डी के शिए या तो स्नातकोत्तर शडग्री या 4 वषों के िोध के साथ प्राप्त स्नातक शडग्री अशनवायण होगी।
एम.शफि कायणक्रम को बंद कर शदया जाएगा।

11.11 समग्र और बह-शवषयक शिक्षा के शिए आई.आई.टी., आई.आई.एम. आशद की तजण पर, मेरू (बह-
शवषयक शिक्षा और िोध शविशवद्यािय) नामक मॉडि सावणजशनक शविशवद्याियों की स्थापना की जाएगी।
इन शविशवद्याियों का उद्दे श्य, गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा में उच्चतमवैशिक मानकों को अशजणत करना होगा। ये दे ि
भर में बह-शवषयक शिक्षा के उच्चतम मानक भी स्थाशपत करें गे।

11.12 उच्चतर शिक्षर् संस्थान स्टाटण -अप, इन्फ्क्ूबेिन सेंटर, प्रौद्योशगकी शवकास केंद्र, अनुसंधान के प्रमुख
क्षेत्ों के केंद्र, अशधकतम उद्योग-अकादे शमक जुडाव, और मानशवकी और सामाशजक शवज्ञान अनुसंधान
सशहत अंतर-शवषय अनुसंधान की स्थापना करके अनुसंधान और नवाचार पर फोकस करें गे। संक्रामक
रोगों और वैशिक महामाररयों के पररदृश्य को दे खते हए, यह महत्वपूर्ण है शक उच्चतर िैक्षशर्क संस्थान,
संक्रामक रोगों, महामारी शवज्ञान, वायरोिॉजी, डायग्नोक्तस्टक्स, इं स्टूमेंटेिन, वैक्सीनोिॉजी और अन्य
प्रासंशगक क्षेत्ों में अनुसंधान करने की अगुवाई करे । छात् समुदाय के बीच नवाचार को बढावा दे ने के शिए
उच्चतर शिक्षर् संस्थान शवशिष्ट् हैंडहोक्तल्डंग तंत् शवकशसत करे गा। एनआरएफ, उच्चतर शिक्षर् संस्थानों
अनुसंधान प्रयोगिािाओं, और अन्य अनुसंधान संगिनों में इस तरह के एक जीवंत अनुसंधान और
नवाचार संस्कृशत को सक्षम करने और समथणन करने में मदद करने के शिए कायण करे गा।

60
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

12. सीखने के शलए सवोत्तम वािावरण व छात्रचं कच सहयचग

12.1 प्रभावी ढं ग से सीखने के शिए एक व्यापक दृशष्ट्कोर् की आवश्यकता होती है शजसमें उपयुि
पाठ्यक्रम, आकषणक शिक्षर्, शनरं तर रचनात्मक मूल्यां कन और छात्ों का पयाण प्त सहयोग िाशमि होता है
। पाठ्यक्रम रोचक और प्रासंशगक होना चाशहए शजसे समय-समय पर अद्यतन करते रहना चाशहए शजससे
ज्ञान की नवीन आवश्यकताओं व सीखने के प्रशतफिों को प्राप्त शकया जा सके। उच्चतर गुर्वत्ता वािी
शिक्षर् शवधा छात्ों तक पाठ्यक्रम सामग्री को सफितापूवणक िे जाने के शिए आवश्यक है। शिक्षर् के इन
तरीकों से छात्ों के सीखने के अनुभव शनधाणररत होते हैं जो शक सीधे ही सीखने के प्रशतफिों पर प्रभाव
डािते हैं । आकिन के तरीके वैज्ञाशनक होने चाशहए जो शक सीखने में िगातार सुधार व ज्ञान के प्रयोग के
परीक्षर् के शिए बने होने चाशहए। अंत में कुछ ऐसी क्षमताएं जो छात्ों की बेहतरी के शिए आवश्यक हैं जैसे
– शफटनेस, अच्छा स्वास्थ्य, मनो-सामाशजक कल्यार्, बेहतर नैशतक मूल्यों का आधार आशद का भी शवकास
गुर्वत्तापूर्ण ढं ग से सीखने के शिए महत्वपूर्ण है ।

अत: पाठ्यक्रम, अध्यापन, शनरं तर मूल्यांकन और छात्ों की मदद गुर्वत्तापूर्ण ढं ग से सीखने के शिए
आधारशििा हैं। इन आवश्यक शबन्फ्दुओं को सुशनशित करने के शिए उपयुि बुशनयादी ढाुँचा, संसाधन (जैसे
बेहतरीन पुस्तकािय, कक्षा-कक्ष, प्रयोगिािाएुँ , प्रौद्योशगकी, खेि/मनोरं जन के स्थान, छात्ों के संवाद हे तु
स्थान, और भोजन के शिए स्थान) आशद प्रदान करने के साथ-साथ, इन मामिों पर कई पहि करने की
आवश्यकता होगी शजससें सीखने का वातावरर् आकषणक और सहायक बनाया जा सके और सभी छात्ों
को सफि होने के शिए सक्षम बनाया जा सके।

12.2 पहिा, उच्चतर शिक्षा के व्यापक ढाुँ चे में रचनात्मकता को सुशनशित करने के शिए संस्थानों और
संकायों को पाठ्यक्रम, शिक्षर् शवशध और आकिन आशद पर नवाचार करने की स्वायत्ता दे नी होगी, जो शक
सभी संस्थानों, कायणक्रमों, सभी मुि दू रस्थ शिक्षा (ओडीएि), ऑनिाइन और पारम्पररक कक्षा-कक्ष
शिक्षर् में समान रूप से सुशनशित शकया जाएगा। छात्ों को एक बेहतर और आकषणक शिक्षर् अनुभव दे ने
के शिए संस्थानों और प्रेररत संकायों द्वारा इसके अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षर् शवधा को रचा जाएगा और
प्रत्येक कायणक्रम को उसके िक्ष्यों तक पहुँचाने के शिए रचनात्मक आकिन का उपयोग शकया जाएगा।
उच्चतर शिक्षर् संस्थानों द्वारा सभी मूल्यांकन प्रर्ाशियां भी तय की जाएं गी, शजनमें अंशतम रूप से प्रमार्न
भी िाशमि है । नवाचार और िचीिापन िाने के शिए शवकल्प आधाररत क्रेशडट प्रर्ािी (सीबीसीएस) को
संिोशधत शकया जाएगा। उच्चतर शिक्षर् संस्थान एक मानदं ड-आधाररत ग्रेशडं ग प्रर्ािी का शनमाण र् करें गे ,
जो प्रत्येक कायणक्रम के शिए सीखने के िक्ष्यों के आधार पर छात् की उपिक्तब्ध का आकिन करे गा, शजससे
प्रर्ािी शनष्पक्ष बनेगी और पररर्ाम अशधक तुिनीय होंगें। उच्चतर शिक्षर् संस्थान भी हाई-स्टे क परीक्षाओं
से और अशधक सतत और व्यापक मूल्यांकन की ओर बढें गे ।

12.3 दू सरा, प्रत्येक संस्थान अपनी वृहद संस्थागत शवकास योजना (आईडीपी) में िैक्षशर्क योजनाओं को
पाठ्यक्रम सुधार से िेकर कक्षा-कक्ष के गुर्वत्तापूर्ण आदान-प्रदान को एकीकृत करे गा। प्रत्येक संस्थान

61
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

छात्ों के समग्र शवकास के शिए प्रशतबद्ध होगा, इसके शिए एक ऐसी आं तररक प्रर्ािी बनाएगा जो शक
शवशवध प्रकार के छात् समूहों को िैक्षशर्क और सामाशजक क्षेत् में सहयोग करे गा। इसके शिए कक्षा के
भीतर और बाहर औपचाररक अकादे शमक बातचीत को सुशनशित शकया जायेगा। उदाहरर् के शिए सभी
उच्चतर शिक्षर् संस्थानों में छात्ों द्वारा संकाय व अन्य शविेषज्ञों की मदद से शवषय आधाररत क्लब और
गशतशवशधयों जैसे शक शवज्ञान, गशर्त, कशवता, भाषा, साशहत्य, वाद-शववाद, संगीत, खेि आशद के शिए
समशपणत क्लब व कायणक्रम के आयोजन के शिए अवसर व शवत्त की व्यवस्था होगी । समय के साथ – साथ
जब इन गशतशवशधयों के शिए छात्ों की मां ग व संकाय की दक्षता हाशसि हो जाए तो इिें पाठ्यक्रम में
िाशमि शकया जा सकता है । संकाय में इस स्तर का प्रशिक्षर् व क्षमता होनी चाशहए शक वे न केवि शिक्षक
के रूप में अशपतु संरक्षक व मागणदिणक के रूप में छात्ों से जुड सकें।

12.4 तीसरा, सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत पृष्ठभूशम के छात्ों को उच्चतर शिक्षा तक सफितापूवणक
पहचने के शिए शविेष प्रोत्साहन और सहायता की आवश्यकता होती है । इसके शिए शविशवद्याियों और
कॉिेजों को उच्चतर गुर्वत्ता वािे सहायता केंद्र स्थाशपत करने की आवश्यकता होगी और इसे प्रभावी ढं ग
से पूरा करने के शिए उिें पयाणप्त धन और िैक्षशर्क संसाधन शदए जाएं गे। सभी छात्ों के शिए व्यावसाशयक
अकादशमक और कररयर परामिण उपिब्ध होगा, साथ ही साथ उनके िारीररक, मानशसक और
भावनात्मक कल्यार् को सुशनशित करने के शिए भी परामिणदाता होंगे ।

12.5 चौथा, ओडीएि और ऑनिाइन शिक्षा, गुर्वत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा तक पहुँ च सुशनशित करने के
शिए एक प्राकृशतक मागण प्रदान करता है। इसकी पूरी क्षमता का िाभ िेने के शिए ओडीएि को शवस्तार
की शदिा में िोस, साक्ष्य आधाररत प्रयासों के माध्यम से नवीनीकृत शकया जाएगा, साथ ही इसके शिए
शनधाणररत स्पष्ट् मानकों का पािन सुशनशित शकया जाएगा। ओडीएि कायणक्रम उच्चतम गुर्वत्ता वािे इन-
क्लास कायणक्रमों के बराबर होने का िक्ष्य रखेंगे। ओडीएि के प्रर्ािीगत शवकास, शवशनयमन और मान्यता
के शिए मानदं ड, मानक, और शदिाशनदे ि तैयार शकए जाएं गे, और ओडीएि की गुर्वत्ता के शिए एक
रूपरे खा तैयार की जाएगी, जो शक सभी उच्चतर िैक्षशर्क संस्थानों के शिए अनुिंशसत की जाएगी ।

12.6 अंत में सभी कायणक्रमों, पाठ्यक्रम, पाठ्यचयाण , शवषयों में शिक्षर् शवशध, इन-क्लास, ऑनिाइन,
ओडीएि और छात्ों को समथणन जैसे सभी कायणक्रमों का िक्ष्य होगा शक वे गुर्वत्ता के वैशिक मानकों को
प्राप्त कर पाएुँ ।

अंिरावष्ट्रीयकरण

12.7 उपरोि वशर्णत शवशभन्न पहिों से भारत में पढने वािे अंतराण ष्ट्रीय छात्ों की संख्या भी बढे गी और यह
भारत में रह रहे उन छात्ों को ऐसे और अवसर शदिाएगी जो शवदे ि के संस्थानों में िोध करने, क्रेशडट
स्थानांतररत करने, या इसके बाहर िोध करने की इच्छा रखते हैं। और यही सब अंतराण ष्ट्रीय छात्ों के शिए
भारत में भी संभव है । इं डोिॉजी, भारतीय भाषाओं, आयुष शचशकत्सा पद्धशत, योग, किा, संगीत, इशतहास,

62
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

संस्कृशत, और आधुशनक भारत जैसे शवषयों में पाठ्यक्रम और कायणक्रम, शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान और
इससे परे अंतराण ष्ट्रीय स्तर पर प्रासंशगक पाठ्यक्रम, सामाशजक जुडाव, गुर्वत्ता आधाररत आवासीय
सुशवधाएुँ , कैम्पस में सीखने के शिए साथणक अवसर आशद को वैशिक गुर्वत्ता मानकों के िक्ष्य को प्राप्त
करने की शदिा में शवकशसत शकया जाएगा। साथ ही अंतराणष्ट्रीय छात्ों की अशधक संख्या को आकशषणत करने
और 'दे ि में अंतराणष्ट्रीयकरर् ' के िक्ष्य को प्राप्त करने के शिए बढावा शदया जाएगा ।

12.8 भारत को वहनीय िागत पर उच्चतर शिक्षा प्रदान करने वािे वैशिक अध्ययन के गंतव्य के रूप में
बढावा शदया जाएगा, शजससे इसे शवि गुरु के रूप में अपनी भूशमका को बहाि करने में मदद शमिेगी ।
शवदे ि से आने वािे छात्ों के स्वागत और समथणन से संबंशधत सभी मामिों को समक्तित करने के शिए,
शवदे िी छात्ों की मेजबानी करने वािे प्रत्येक उच्चतर शिक्षर् संस्थान में एक अंतराण ष्ट्रीय छात् कायाण िय
स्थाशपत शकया जाएगा। उच्चतर गुर्वत्ता वािे शवदे िी संस्थानों के साथ अनुसंधान / शिक्षर् सहयोग और
संकाय / छात् आदान-प्रदान की सुशवधा को बढाया जाएगा साथ ही शवदे िों के साथ प्रासंशगक पारस्पररक
रूप से िाभप्रद एमओयू पर हस्ताक्षर शकए जाएं गे । उच्चतर प्रदिणन करने वािे भारतीय शविशवद्याियों को
अन्य दे िों में पररसर स्थाशपत करने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा, और इसी तरह, चुशनंदा शविशवद्याियों
(जैसे, दु शनया के िीषण 100 शविशवद्याियों में से) को भारत में संचाशित करने की अनुमशत दी जाएगी । इस
तरह की सुशवधा को सुशनशित करने के शिए एक वैधाशनक फ्रेमवकण शवकशसत शकया जाएगा तथा ऐसे
शविशवद्याियों के शिए भारत के अन्य स्वायत्त संस्थानों की तुिना में शनयमों, िासन और मानदं डो के स्तर
पर कुछ उदारता बरती जाएगी। इसके अिावा, भारतीय संस्थानों और वैशिक संस्थानों के बीच अनुसंधान
सहयोग और छात् आदान-प्रदान को शविेष प्रयासों के माध्यम से बढावा शदया जाएगा। शवदे िी
शविशवद्याियों में अशजणत शकये गए क्रेशडट यहाुँ मान्य होंगे, और यशद वह उस उच्चतर शिक्षर् संस्थान की
आवश्यकताओं के अनुसार हैं तो इिें शडग्री प्रदान करने के शिए भी स्वीकार शकया जाएगा।

छात्र गशिशवशध और भागीदारी

12.9 छात्, शिक्षा-प्रर्ािी में प्रमुख शहतधारक हैं। उच्चतर गुर्वत्तायुि शिक्षर्-अशधगम प्रशक्रयाओं के
शिए जीवंत कैंपस आवश्यक है । इस शदिा में छात्ों को खेि, संस्कृशत / किा क्लब, पयाणवरर्-क्लब,
गशतशवशध क्लब, सामुदाशयक सेवा पररयोजना आशद में िाशमि होने के शिए भरपूर अवसर शदए जाएं गे ।
प्रत्येक शिक्षा संस्थान में तनाव से जूझने और भावनात्मक तारतम्यता बनाने के शिए काउं सशिंग की
व्यवस्था होगी । इसके अिावा, ग्रामीर् पृष्ठभूशम के छात्ों को अपेशक्षत सहायता प्रदान करने के शिए एक
बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी, शजसमें आवश्यकतानुसार छात्ावास की सुशवधाएं बढाना िाशमि है। सभी
उच्चतर शिक्षर् संस्थान अपने संस्थानों में सभी छात्ों के शिए गुर्वत्तापूर्ण शचशकत्सा सुशवधाएं सुशनशित
करें गे।

63
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

छात्रचं के शलए शवत्तीय सहायिा

12.10 छात्ों को शवशभन्न उपायों के माध्यम से शवत्तीय सहायता उपिब्ध कराई जाएगी। अनुसूशचत जाशत,
अनुसूशचत जनजाशत, अन्य शपछडा वगण और आशथणक रूप से कमजोर वगण के अन्य छात्ों की योग्यता को
प्रोत्साशहत करने का प्रयास शकया जाएगा। इन छात्ों की प्रगशत को बढाने, प्रोत्साशहत करने और टर ै क करने
के शिए राष्ट्रीय छात्वृशत्त पोटण ि का शवस्तार शकया जाएगा। शनजी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को अपने छात्ों
को महत्वपूर्ण संख्या में फ्रीशिप और छात्वृशत्त प्रदान करने के शिए प्रोत्साशहत शकया जाएगा ।

13. प्रेररि, सशक्रय और सक्षम संकाय

13.1 उच्चतर शिक्षर् संस्थानों की सफिता का सबसे महत्वपूर्ण कारक यहाुँ कायणरत संकाय सदस्यों की
गुर्वत्ता और संिग्नता है। उच्चतर शिक्षा से जुडे िक्ष्यों को हाशसि करने में संकाय सदस्यों की महत्वपूर्ण
भूशमका को ध्यान में रखते हए, इनकी भती प्रशक्रया में शपछिे वषों में कुछ महत्वपूर्ण कदम उिाए गए हैं। ये
कदम भती और सेवा काि के दौरान कायणस्थि में आगे बढने के अवसरों को व्यवक्तस्थत करने, और संकाय
सदस्यों की भती प्रशक्रया में शवशभन्न समूहों की ओर से न्यायसंगत प्रशतशनशधत्व को सुशनशित करने से
संबक्तन्धत हैं। सावणजशनक संस्थानों के स्थायी सं काय सदस्यों के वेतन भत्तों के स्तरों में भी पयाण प्त वृक्तद्ध की
गयी है। संकाय सदस्यों के व्यावसाशयक शवकास से संबक्तन्धत शवशभन्न अवसरों को सुशनशित करने की शदिा
में भी कई कदम उिाए गए हैं। अकादशमक पेिे की प्रशतष्ठा में शवशभन्न सुधारों और हम सभी को सही अथों
में प्रेररत करने वािे अनुकरर्ीय संकाय सदस्यों की अच्छी संख्या में मौजूदगी के बावजूद भी, उच्चतर
शिक्षा प्रर्ािी को सफि और समुन्नत होंने तथा अपेशक्षत उच्चतमस्तर को प्राप्त करने के शिए आवश्यक
उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के संकाय सदस्यों का प्रदिणन शिक्षर्, अनुसंधान और सेवा काि के मामिे में,
औसत से बहत कम है। संकाय सदस्यों में प्रेरर्ा और उत्साह की कमी से संबंशधत कारर्ों को संबोशधत
शकया जाना चाशहए शजससे शक यह सुशनशित शकया जा सके शक प्रत्येक संकाय सदस्य अपने छात्ों, संस्थान
और पेिे में प्रगशत के शिए पूरे उत्साह के साथ प्रसन्नतापूवणक जुडे हैं । उच्चतर शिक्षर् संस्थानों में सवोत्कृष्ट्,
प्रेररत और सक्षम संकाय सदस्यों को सुशनशित करने के शिए यह नीशत अपनी ओर से शनम्न कदमों की
अनुिंसा करती है ।

13.2 सबसे बुशनयादी कदम के रूप में सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थान स्वच्छ पेयजि, स्वच्छ िौचाियों,
ब्लैकबोडण , कायाणिय, शिक्षर् सामशग्रयाुँ, पुस्तकािय, प्रयोगिािाओं और सुखद कक्षा वातावरर् और
पररसर जैसी आवश्यक बुशनयादी ढांचे और सुशवधाओं से युि होंगे। हर कक्षा में नवीनतम िैक्षशर्क
प्रौरोशगकी तक पहंच होनी चाशहए जो सीखने के बेहतर अनुभवों को सक्षम बनाती है ।

13.3 शिक्षर् का अशतररि बोझ नहीं होगा, छात् – शिक्षक अनुपात भी बहत अशधक नहीं होगा, शजससे शक
शिक्षर् प्रशक्रया एक सुखद गशतशवशध बनी रहे , छात्ों से चचाण करने, िोध करने, और शविशवद्यािय से जुडी
अन्य गशतशवशधयों के शिए पयाणप्त समय शमि सके। प्रत्येक संकाय सदस्य की शनयुक्ति एकि संस्थान में की

64
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

जाएगी और शवशभन्न संस्थानों में इनका सामान्यतः स्थानां तरर् नहीं शकया जाएगा शजससे शक वे अपने संस्थान
और वहाुँ के िोगों के प्रशत सही मायनों में तत्पर, संिग्न और प्रशतबद्ध महसूस कर सकें।

13.4 संकाय सदस्यों को स्वीकृत फ्रेमवकण के भीतर पाठ्यपुस्तकों के चयन तथा असाइनमेंट और आकिन
की प्रशक्रयाओं को शनशमणत करने के साथ ही साथ अपने स्वयं के पाठ्यक्रम संबंधी और िैक्षशर्क प्रशक्रयाओं
को रचनात्मक रूप से शनशमणत करने की स्वतिता दी जाएगी। संकाय सदस्यों को रचनात्मक शिक्षर्, िोध,
और उनके अपने अनुसार बेहतर कायण के शिए प्रेररत और सिि शकया जाना उिें उत्कृष्ट् और रचनात्मक
कायों को करने की ओर प्रेररत करने का सबसे महत्वपूर्ण प्रेरक होगा।

13.5 उत्कृष्ट् कायों को उपयुि पुरस्कार, पदोन्नशत, कायों की सराहना के साथ ही साथ संस्थागत
नेतृत्वकताणओं में उशचत स्थान सुशनशित करके बढावा शदया जाएगा। इसी के साथ ही उन संकाय सदस्यों की
जवाबदे ही भी तय की जाएगी जो शक शनधाणररत बुशनयादी मानदं डों के अनुसार कायण नहीं कर पा रहे।

13.6 उत्कृष्ट्ता को बढावा दे ने से जुडे स्वायत्त संस्थानों के िक्ष्य को ध्यान में रखते हए उच्चतर शिक्षर्
संस्थानों में संकाय सदस्यों की भती से संबंशधत प्रशक्रयाएुँ और मानदं ड स्पष्ट् रूप से पाररभाशषत, स्वतंत् और
पारदिी होंगे। वतणमान शनयुक्ति प्रशक्रया को जारी रखते हए भी उत्कृष्ट्ता को सुशनशित करने के शिए एक
‘कायणकाि-टर ै क’ प्रर्ािी याशन शक उपयुि प्रोबेिन अवशध को जोडा जाएगा। अत्यंत प्रभावी अनुसंधानों
और योगदानों को मान्यता प्रदान करने के शिए एक फास्ट-टर ै क पदोन्नशत प्रर्ािी सुशनशित की जाएगी।
कायों के उशचत मूल्यांकन, `कायणकाि' (यानी पररवीक्षा के बाद स्थायी शनयुक्ति) शनधाणरर्, पदोन्नशत, वेतन में
वृक्तद्ध, मान्यता आशद सशहत, सहकमी द्वारा समीक्षा, छात् समीक्षा, शिक्षर् और शिक्षर्-िास्त्र में नवाचार,
िोध की गुर्वत्ता और प्रभाव, व्यावसाशयक शवकास से जुडी गशतशवशधयां और संस्थान तथा समाज से
संबक्तन्धत कायण के अन्य शवशभन्न रूपों और उनके प्रभावों के उशचत आकिन के शिए मापदण्डों को समाशहत
करती प्रर्ाशियों को सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थान द्वारा शवकशसत शकया जाएगा और इिें संस्थानों की
संस्थागत शवकास योजना (आईडीपी) में स्पष्ट् रूप से शनशदण ष्ट् शकया जाएगा।

13.7 उत्कृष्ट्ता और नवाचारों को बढावा दे ने वािे उत्कृष्ट् और उत्साही संस्थागत नेतृत्वकताणओं की


जरूरत आज के समय की मांग है। एक संस्था और उसके संकाय सदस्यों की सफिता के शिए उच्चतर
गुर्वत्ता युि संस्थाशनक नेतृत्व का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उच्चतर अकादे शमक और सेवा क्रेडें शियल्स
के साथ ही साथ नेतृत्व और प्रबंध कौिि को प्रदशिणत करने वािे शवशभन्न संकाय सदस्यों की समय रहते ही
पहचान की जाएगी, और शफर उिें नेतृत्व से जुडे शवशभन्न पदों से गुजारते हए प्रशिशक्षत शकया जाएगा।
संस्थानों में नेतृत्व से जुडे पद ररि नहीं रहेंगे, बक्ति नेतृत्व में पररवतणन के दौरान एक शनशित ओवरिैशपंग
समयावशध का प्रावधान सभी संस्थानों में होना चाशहए, शजससे शक संस्थानों के सुचारु संचािन को सुशनशित
शकया जा सके। संस्था के नेतृत्वकताण ऐसी उत्कृष्ट्ता की संस्कृशत के शनमाणर् को ध्यान में रखेंगे जो शक सभी
संकाय सदस्यों और उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के नेतृत्वकताणओं को उत्कृष्ट् और नवोन्मेषी शिक्षर्, िोध,
संस्थागत और सामुदाशयक कायों की ओर प्रेररत और प्रोत्साशहत करे ।

65
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

14. उच्िर शिक्षा में समिा और समावेि

14.1 उच्चतर शिक्षा के अनुभवजन्य क्षेत्ों में प्रवेि ऐसी अपार संभावनाओं के द्वार खोि सकता है जो
व्यक्तियों और साथ ही साथ समुदायों को भी प्रशतकूि पररक्तस्थशतयों के कुचक्र से शनकाि सकता है । इसी
कारर् सभी के शिए उच्चतर गुर्वत्ता युि शिक्षा के अवसर उपिब्ध कराना हमारी सवोच्च प्राथशमकताओं
में होना चाशहए। यह नीशत एसईडीजी पर शविेष जोर दे ते हए सभी छात्ों तक गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा की समान
पहुँच सुशनशित करती है।

14.2 डायनेशमक्स और शिक्षा प्रर्ािी से एसईडीजी के बाहर हो जाने से जुडे बहत सारे कारर् भी
शवद्याियी शिक्षा प्रर्ािी और उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी में समान हैं । इसशिए, शवद्याियी शिक्षा और उच्चतर
शिक्षा के क्षेत् में समता, समानता और समावेि से जुडा दृशष्ट्कोर् एक समान होना चाशहए, और इसके साथ
ही साथ स्थायी सुधार सुशनशित करने के शिए इससे जुडे सभी चरर्ों में शनरं तरता होनी चाशहए। अतः
उच्चतर शिक्षा में समता, समानता और समावेिन के िक्ष्यों को पूरा करने के शिए आवश्यक नीशतगत
पहिों को स्कूिी शिक्षा के शिए भी दे खा जाना चाशहए।

14.3 इन समूहों के बाहर हो जाने से जुडे कई पहिू हैं जो स्वयं में कारर् और प्रभाव दोनों हैं और
उच्चतर शिक्षा से शविेष रूप से जुडे हए हैं या शफर उच्चतर शिक्षा के क्षेत् में इनकी जडें बहत गहरी हैं ।
इिें उच्चतर शिक्षा में शविेष रूप से दू र शकया जाना चाशहए, और इसके अंतगणत उच्चतर शिक्षा के अवसरों
की जानकारी का अभाव, उच्चतर शिक्षा ग्रहर् करने के दौरान के समय में िाशमि आशथणक अवसरों की
हाशन, आशथणक बाधाएुँ , प्रवेि प्रशक्रयाएुँ , भौगोशिक बाधाएुँ , भाषायी अवरोध, बहत अशधक उच्चतर शिक्षा
कायणकमों की सीशमत रोजगार क्षमता और शवद्याशथणयों के शिए उपयुि सहायता तंत् की कमी से जुडी
चुनौशतयों को िाशमि शकया जाना चाशहए।

14.4 इस प्रयोजनाथण, सभी सरकारों और उच्चतर शिक्षर् संस्थानों द्वारा उच्चतर शिक्षा शवशिष्ट् अपनाए
जाने वािे कुछ अशतररि कदम इस प्रकार हैं :

14.4.1 सरकार द्वारा उिाए जाने वािे कदम :

क. एसईडीजी की शिक्षा के शिए समुशचत सरकारी शनशध का शनधाणरर्;


ख. उच्चतर जीईआर तथा एसईडीजी के शिए स्पष्ट् िक्ष्यों का शनधाणरर्;
ग. उच्चतर शिक्षर् संस्थानों की प्रवेि प्रशक्रया में जेंडर-संतुिन को बढावा दे ना;
घ. शवकास की ओर उन्मुख शजिों में उच्चतर गुर्वत्तायुि उच्चतर शिक्षर् संस्थान बनाकर और बडी
संख्या में एसईडीजी शिए हए शविेष शिक्षा क्षेत् बनाकर पहुँ च को सुधारना;

66
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

ङ. उच्चतर गुर्वत्ता युि ऐसे उच्चतर शिक्षर् संस्थानों का शनमाणर् और शवकास करना जो स्थानीय /
भारतीय भाषाओं में या शद्वभाषी रूप से शिक्षर् कराएं ;
च. सावणजशनक और शनजी दोनों ही तरह के उच्चतर शिक्षर् संस्थानों में एसईडीजी को अशधक शवत्तीय
सहायता और छात्वृशत्त प्रदान करना;
छ. एसईडीजी के बीच उच्चतर शिक्षा के अवसरों और छात्वृशत्त से जुडी जागरूकता के शिए प्रचार
प्रसार करना;
ज. बेहतर भागीदारी और सीखने के पररर्ामों के शिए प्रौद्योशगकी का शनमाण र् और शवकास।

14.4.2 सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों द्वारा उिाए जाने वािे कदम:

क. उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने से जुडी िागत और इस दौरान हई आशथणक अवसरों की हाशन को कम
करना;
ख. सामाशजक आशथणक रूप से वंशचत छात्ों को अशधक शवत्तीय सहायता और छात्वृशत्त प्रदान करना;
ग. उच्चतर शिक्षा के अवसरों और छात्वृशत्त से जुडी जागरूकता के शिए प्रचार-प्रसार करना
घ. प्रवेि प्रशक्रयाओं को अशधक समावेिी बनाना;
ङ. पाठ्यक्रम को अशधक समावेिी बनाना;
च. उच्चतर शिक्षा कायणक्रमों को अशधक रोजगारपरक बनाना;
छ. भारतीय भाषाओं और शद्वभाषी रूप से पढाए जाने वािे अशधक शडग्री पाठ्यक्रम शवकशसत करना;
ज. यह सुशनशित करना शक सभी संबंशधत इमारतें और अन्य बुशनयादी सुशवधाएं व्हीिचेयर सुिभ और
शदव्यां गजनों के अनुकूि हों;
झ. वंशचत िैशक्षक पृष्ठभूशम से आने वािे शवद्याशथणयों के शिए शब्रज-कोसण शनशमणत करना;
ञ. ऐसे सभी शवद्याशथणयों को उपयुि सिाह और परामिण कायणक्रमों के जररए सामाशजक, भावनात्मक
और अकादे शमक सहायता तथा सिाह प्रदान करना;
ट. पाठ्यक्रम सशहत उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के सभी पहिुओं द्वारा संकाय सदस्यों, परामिणदाताओं
और शवद्याशथणयों को जेंडर और जेंडर-पहचान के प्रशत संवेदनिीि और समावेशित करना;
ि. भेदभाव और उत्पीडन के क्तखिाफ बने सभी शनयमों को सख्ती से िागू करना;
ड. एसईडीजी से बढती भागीदारी को सुशनशित करने से जुडे शवशिष्ट् योजनाओं को िाशमि करते
संस्थागत शवकास योजनाओं का शनमाणर् करना, शजनमें उपरोि शबन्फ्दु िाशमि हों िेशकन इिीं तक
सीशमत न हो।

15. अध्यापक शिक्षा

15.1 अगिी पीढी को आकार दे ने वािे शिक्षकों की एक टीम के शनमाणर् में अध्यापक शिक्षा की भूशमका
महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को तैयार करना एक ऐसी प्रशक्रया है शजसके शिए बह-शवषयक दृशष्ट्कोर् और ज्ञान
की आवश्यकता के साथ ही साथ, बेहतरीन मेंटरों के शनदे िन में मान्यताओं और मूल्यों के शनमाणर् के साथ

67
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

ही साथ उनके अभ्यास की भी आवश्यकता होती है। यह सुशनशित शकया जाना चाशहए शक अध्यापक शिक्षा
और शिक्षर् प्रशक्रयाओं से संबंशधत अद्यतन प्रगशत के साथ ही साथ भारतीय मूल्यों, भाषाओं, ज्ञान,
िोकाचार, और परं पराओं जनजातीय परं पराओं सशहत के प्रशत भी जागरूक रहें।

15.2 उच्चतम न्यायािय द्वारा गशित न्यायमूशतण जे. एस. वमाण आयोग (2012) के अनुसार, स्टैं ड-अिोन
टीईआई, शजनकी संख्या 10,000 से अशधक है , अध्यापक शिक्षा के प्रशत िेिमात् गंभीरता से प्रयास नहीं
कर रहे हैं, बक्ति इसके स्थान पर ऊंचे दामों पर शडशग्रयों को बेच रहे हैं। इस शदिा में अब तक शकए गए
शवशनयामक प्रयास न तो शसस्टम में बडे पैमाने पर व्याप्त भ्रष्ट्ाचार को रोक पाए हैं , और न ही गुर्वत्ता के
शिए शनधाणररत बुशनयादी मानकों को ही िागू कर पाए हैं , बक्ति इन प्रयासों का इस क्षेत् में उत्कृष्ट्ता और
नवाचार पर नकारात्मक प्रभाव पडा है। अतः इस सेक्टर और इसकी शनयामक प्रर्ाशियों में महत्वपूर्ण
कायणवाशहयों के द्वारा पुनरुद्धार की तात्काशिक आवश्यकता है शजससे शक गुर्वत्ता के उच्चतर मानकों को
शनधाणररत शकया जा सके और शिक्षक शिक्षा प्रर्ािी में अखंडता, शविसनीयता, प्रभाशवता और उच्चतर
गुर्वत्ता को बहाि शकया जा सके।

15.3 शिक्षर् पेिे की प्रशतष्ठा को बहाि करने के शिए आवश्यक नैशतकता और शविसनीयता के स्तरों में
सुधार को सुशनशित करने और शफर इसके द्वारा एक सफि शवद्याियी प्रर्ािी सुशनशित करने के शिए,
शनयामक प्रर्ािी को उन शनम्न स्तरीय और बेकार अध्यापक शिक्षा संस्थानों (टीईआई) के क्तखिाफ उल्लंघन
के शिए एक वषण का समय शदये जाने के पिात, किोर कायणवाही करने का अशधकार होगा जो बुशनयादी
िैशक्षक मानदं डों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं । वषण 2030 तक, केवि िैशक्षक रूप से सुदृढ, बह-शवषयक
और एकीकृत अध्यापक शिक्षा कायणक्रम ही कायाणक्तित होंगे।

15.4 चूंशक, अध्यापक शिक्षा के शिए बह-शवषयक / बह-शवषयक इनपुट के साथ ही साथ उच्चतर
गुर्वत्तायुि शवषयवस्तु और िैक्षशर्क प्रशक्रयाओं की आवश्यकता होती है , अतः इसे ध्यान में रखते हए
सभी अध्यापक शिक्षा कायणक्रमों को समग्र बह-शवषयी संस्थानों में ही आयोशजत शकया जाना चाशहए। इसके
शिए, सभी बडे बह-शवषयक शविशवद्याियों के साथ-साथ सभी सावणजशनक शविशवद्यािय और बडे बह-
शवषयक महाशवद्यािय का िक्ष्य होगा शक वे अपने यहाुँ ऐसे उत्कृष्ट् शिक्षा शवभागों की स्थापना और शवकास
करें , जो शक शिक्षा में अत्याधुशनक अनुसंधानो को अंजाम दे ने के साथ ही साथ मनोशवज्ञान, दिणनिास्त्र,
समाजिास्त्र, तंशत्काशवज्ञान, भारतीय भाषाओं, किा, संगीत, इशतहास और साशहत्य के साथ-साथ शवज्ञान
और गशर्त जैसे अन्य शवशिष्ट् शवषयों से संबंशधत शवभागों के सहयोग से भशवष्य के शिक्षकों को शिशक्षत
करने के शिए बी.एड. कायणक्रम भी संचाशित करें गे । इसके साथ ही साथ वषण 2030 तक सभी एकि
शिक्षक शिक्षा के संस्थानों को बह-शवषयक संस्थानों के रूप में बदिने की आवश्यकता होगी क्ोंशक उिें
भी 4-वषीय एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षर् कायणक्रमों को संचाशित करना होगा।

15.5 वषण 2030 तक बह-शवषयक उच्चतर शिक्षर् संस्थानों द्वारा प्रदान शकया जाने वािा यह 4-वषीय
एकीकृत बी.एड. कायणक्रम स्कूिी शिक्षकों के शिए न्यूनतम शडग्री योग्यता बन जाएगा । यह 4-वषीय

68
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

एकीकृत बी.एड. शिक्षा और इसके साथ ही एक अन्य शविेष शवषय जैसे भाषा, इशतहास, संगीत, गशर्त,
कंप्यूटर शवज्ञान, रसायनशवज्ञान, अथणिास्त्र, आशद में एक समग्र ड्युअि मेजर स्नातक शडग्री होगी।
अत्याधुशनक शिक्षा िास्त्र के शिक्षर् के साथ ही साथ शिक्षक-शिक्षा में समाजिास्त्र, इशतहास, शवज्ञान,
मनोशवज्ञान, प्रारं शभक बाल्यावस्था शिक्षा, बुशनयादी साक्षरता और संख्याज्ञान, भारत से जुडे ज्ञान और इसके
मूल्यों / िोकाचार / किा / परं पराएं और भी बहत कुछ िाशमि होगा । 4-वषीय एकीकृत बी.एड. प्रदान
करने वािा प्रत्येक उच्चतर शिक्षर् संस्थान, शकसी एक शवषय शविेष में पहिे से ही स्नातक की शडग्री
हाशसि कर चुके ऐसे उत्कृष्ट् शवद्याथी जो आगे चिकर शिक्षर् करना चाहते हैं , के शिए अपने पररसर में 2-
वषीय बी.एड. कायणक्रम भी शडजाइन कर सकते हैं। शविेष रूप से ऐसे उत्कृष्ट् शवद्याथी शजिोंने शकसी
शविेष शवषय में 4 वषण की स्नातक की शडग्री प्राप्त की है , के शिए 1-वषीय बी.एड. कायणक्रम भी ऑफर
शकया जा सकता है। इन 4-वषीय, 2-वषीय और 1-वषीय बी.एड. कायणक्रमों के शिए उत्कृष्ट् उम्मीद्वारों को
आकशषणत करने के उद्दे श्य से मेधावी शवद्याशथणयों के शिए छात्वृशत्तयों की स्थापना की जाएगी ।

15.6 अध्यापक शिक्षा प्रदान करने वािे उच्चतर शिक्षर् संस्थान, शिक्षा और इससे संबंशधत शवषयों के
साथ ही साथ शविेष शवषयों में शविेषज्ञों की उपिब्धता को सुशनशित करें गे। प्रत्येक उच्चतर शिक्षा संस्थान
के पास सघन जुडाव के साथ काम करने के शिए सावणजशनक और शनजी स्कूिों और स्कूि पररसरों का एक
नेटवकण होगा, जहाुँ भावी शिक्षक अन्य सहायक गशतशवशधयों जैसे सामुदाशयक सेवा, वयस्क और
व्यावसाशयक शिक्षा, आशद में सहभाशगता के साथ शिक्षर् का कायण करें गे।

15.7 शिक्षक शिक्षा के शिए एकसमान मानकों को बनाए रखने के शिए, पूवण-सेवा शिक्षक तैयारी कायणक्रमों
में प्रवेि राष्ट्रीय परीक्षर् एजेंसी द्वारा आयोशजत उपयुि शवषय और योग्यता परीक्षर्ों के माध्यम से होगा,
और दे ि की भाषाई और सांस्कृशतक शवशवधता को ध्यान में रखते हए मानकीकृत शकया जाएगा।

15.8 शिक्षा शवभाग में संकाय सदस्यों की प्रोफ़ाइि में शवशवधता होना एक आवश्यक िक्ष्य होगा। हर शकसी
के शिए पीएच-डी. धारक होना आवश्यक नहीं होगा, िेशकन शिक्षर्/फील्ड / िोध के अनुभवों को महत्ता
प्रदान की जाएगी। सीधे सीधे शवद्याियी शिक्षा से जुडने वािे सामाशजक शवज्ञान के क्षेत्ों (जैसे, मनोशवज्ञान,
बािशवकास, भाषाशवज्ञान, समाजिास्त्र, दिणन, अथणिास्त्र और राजनीशत शवज्ञान) के साथ ही साथ साथ
शवज्ञान शिक्षा, गशर्त शिक्षा, सामाशजक शवज्ञान शिक्षा और भाषा शिक्षा जैसे कायणक्रमों से संबंशधत शवषयों में
प्रशिक्षर् प्राप्त संकाय सदस्यों को शिक्षक शिक्षा संस्थानों में आकशषणत और शनयुि शकया जाएगा, शजससे
शक शिक्षकों की बह-शवषयी शिक्षा को और उनके अवधारर्ात्मक शवकास को मज़बूती प्रदान की जा सके।

15.9 सभी नए पीएच-डी. प्रवेिकताणओ,ं चाहे वे शकसी भी शवषय में प्रवेि िें, से अपेशक्षत होगा शक वे
अपनी डोकटोरि प्रशिक्षर् अवशध के दौरान उनके द्वारा चुने गए पीएच-डी शवषय से संबंशधत शिक्षर्/
शिक्षा/ अध्यापन/िेखन में क्रेशडट आधाररत पाठ्यक्रम िें। उनकी डॉक्टरे ट प्रशिक्षर् अवशध के दौरान उिें
िैक्षशर्क प्रशक्रयाओं, पाठ्यक्रम शनमाण र्, शविसनीय मूल्यांकन प्रर्ािी, और संचार जैसे क्षे त्ों का अनुभव
प्रदान शकया जाएगा, क्ोंशक संभव है शक इनमें से कई िोध शवद्वान अपने चुने हए शवषयों के संकाय सदस्य

69
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

या सावणजशनक प्रशतशनशध / संचारक बनेंगे। पीएच-डी छात्ों के शिए शिक्षर् सहायक और अन्य साधनों के
माध्यम से अशजणत शकए गए वास्तशवक शिक्षर् अनुभव के न्यूनतम घंटे भी तय होंगे। दे िभर के
शविशवद्याियों में संचाशित पीएच-डी. कायणक्रमों का इस उद्दे श्य के शिए पुनरुन्मुखीकरर् शकया जाएगा।

15.10 कॉिेज और शविशवद्यािय के शिक्षकों के शिए सेवारत सतत व्यावसाशयक शवकास का प्रशिक्षर्
मौजूदा संस्थागत व्यवस्था और जारी पहिों के माध्यम से ही जारी रहे गा; हािांशक गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा के
शिए आवश्यक समृद्ध शिक्षर्-अशधगम प्रशक्रयाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के शिए इनका
सुदृढीकरर् और शवस्तार शकया जाएगा। शिक्षकों के ऑनिाइन प्रशिक्षर् के शिए स्वयम/दीक्षा जैसे
प्रौद्योशगकी प्लेटफामों के उपयोग को प्रोत्साशहत शकया जाएगा, ताशक मानकीकृत प्रशिक्षर् कायण क्रमों को
कम समय के भीतर अशधक शिक्षकों को मुहैया कराया जा सके।

15.11 सिाह (मेंटररं ग) के शिए एक राष्ट्रीय शमिन को स्थाशपत शकया जाएगा शजसमें बडी संख्या में वररष्ठ /
सेवाशनवृत्त उत्कृष्ट् संकाय सदस्यों को जोडा जाएगा, इनमें वे संकाय सदस्य भी िाशमि होंगे शजनमें भारतीय
भाषाओं में पढाने की क्षमता है और जो शविशवद्यािय / कॉिेज शिक्षकों को िघु और दीघणकाशिक परामिण
/ व्यावसाशयक सहायता प्रदान करने के शिए तैयार होंगे।

16. व्यावसाशयक शिक्षा का नवीन आकल्पन

16.1 12वीं पंचवषीय योजना (2012-2017) के अनुमान के अनुसार 19-24 आयुवगण में आने वािे भारतीय
कायणबि के अत्यंत ही कम प्रशतित (5% से कम) िोगों ने औपचाररक व्यावसाशयक शिक्षा प्राप्त की;
जबशक संयुि राज्य अमेररका में 52%, जमणनी में 75% और दशक्षर् कोररया में अत्यंत अशधक 96% पर
यह संख्या काफी अशधक है । ये संख्या भारत में व्यावसाशयक शिक्षा के प्रसार में तेजी िाने की आवश्यकता
को पूरी स्पष्ट्ता से रे खांशकत करती हैं ।

16.2 व्यावसाशयक शिक्षा प्राप्त करने वािे छात्ों की कम संख्या होने के पीछे एक प्रमुख कारर् यह तर्थ्
है शक अतीत में व्यावसाशयक शिक्षा मुख्य रूप से कक्षा 11-12 और कक्षा 8 और उससे ऊपर की कक्षा के
डर ॉपआउट् स पर केंशद्रत थी। इसके अिावा, व्यावसाशयक शवषयों के साथ 11वीं-12वीं पास करने वािे
शवद्याशथणयों के पास अक्सर उच्चतर शिक्षा में अपने चुने हए व्यवसाय क्षेत् में आगे बढने का स्पष्ट् मागण नहीं
होता है। सामान्य उच्चतर शिक्षा के शिए प्रवेि मानदं ड भी व्यावसाशयक शिक्षा की योग्यता वािे शवद्याशथणयों
के शिए अवसरों की उपिब्धता को सुशनशित करने की दृशष्ट् से शडज़ाइन नहीं शकए गए थे, फिस्वरूप वे
अपने ही दे ि के अन्य िोगों के सापेक्ष ‘मुख्य धारा की शिक्षा’ या ‘अकादे शमक शिक्षा’ से वंशचत रह जा रहे
थे। इसने व्यावसाशयक शिक्षा के शवषयों से संबंशधत शवद्याशथणयों के शिए शिक्षा में सीधे-सीधे आगे बढने के
रास्तों को पूरी तरह से बंद ही कर शदया, और यह एक ऐसा मुद्दा है शजसे अभी वषण 2013 में राष्ट्रीय कौिि
योग्यता फ्रेमवकण (एनएसक्ूएफ) की घोषर्ा के माध्यम से संबोशधत करने का प्रयास शकया गया है ।

70
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

16.3 व्यावसाशयक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा से कम महत्व की शिक्षा माना जाता है और यह भी


माना जाता है शक यह मुख्य रूप से उन शवद्याशथणयों के शिए है जो मुख्यधारा की शिक्षा के साथ सामंजस्य
नहीं शबिा पाते। यह एक ऐसी धारर्ा है जो आज भी जस की तस बनी हई है , और शवद्याशथणयों द्वारा चुने गए
शवकल्पों को प्रभाशवत करती है । यह एक गंभीर शचंता का शवषय है और इससे शनपटने के इस तर्थ् को
पुनकणक्तल्पत शकए जाने की आवश्यकता है शक भशवष्य में छात्ों के समक्ष व्यावसाशयक शिक्षा की पेिकि
शकस प्रकार की जाती है।

16.4 इस नीशत का उद्दे श्य व्यावसाशयक शिक्षा से जुडी सामाशजक पदानुक्रम की क्तस्थशत को दू र करना है,
और इसके शिए आवश्यक होगा शक समस्त शिक्षर् संस्थान, जैसे - स्कूि, कॉिेज और शविशवद्यािय,
चरर्बद्ध तरीके से व्यावसाशयक शिक्षा के कायणक्रमों को मुख्यधारा की शिक्षा में एकीकृत करें , और इसकी
िुरुआत आरं शभक वषों में व्यावसाशयक शिक्षा के अनुभव प्रदान करने से हो जो शक शफर सुचारु रूप से
उच्चतर प्राथशमक, माध्यशमक, कक्षाओं से होते हए उच्चतर शिक्षा तक जाए । इस तरह से व्यावसाशयक
शिक्षा को एकीकृत करना यह सुशनशित करे गा शक प्रत्येक बच्चा कम से कम एक व्यवसाय से जुडे कौििों
को सीखे और अन्य कई व्यवसायों से इस प्रकार पररशचत हो। ऐसा करने के पररर्ामस्वरूप वो श्रम की
महत्ता और भारतीय किाओं और कारीगरी सशहत अन्य शवशभन्न व्यवसायों के महत्व से पररशचत होगा ।

16.5 वषण 2025 तक, स्कूि और उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी के माध्यम से कम से कम 50% शवद्याशथणयों को
व्यावसाशयक शिक्षा का अनुभव प्रदान शकया जाएगा शजसके शिए िक्ष्य और समयसीमा के साथ एक स्पष्ट्
कायण योजना शवकशसत की जाएगी । यह सतत शवकास िक्ष्यों के िक्ष्य संख्या 4.4 के साथ संगतता रखते है,
और भारत के जनसंख्या-रूपी संसाधन के पूर्ण िाभ को प्राप्त करने में मदद करे गा । जीईआर के िक्ष्यों
को तय करते वक़्त व्यावसाशयक शिक्षा से जुडे शवद्याशथणयों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाएगा।
व्यावसाशयक क्षमताओं का शवकास और ‘अकादे शमक’ या अन्य क्षमताओं का शवकास साथ- साथ होगा।
अगिे दिक में चरर्बद्ध तरीके से सभी माध्यशमक स्कूिों के िैक्षशर्क शवषयों में व्यावसाशयक शिक्षा को
एकीकृत शकया जाएगा। इसके शिए, माध्यशमक शवद्यािय, आईटीआई पॉशिटे क्तिक और स्थानीय उद्योगों
आशद से साथ संपकण और सहयोग करें गे। स्कूिों में हब और स्पोक मॉडि में कौिि प्रयोगिािाएं भी
स्थाशपत और सृशजत की जाएं गी, जहाुँ अन्य स्कूि भी इस सुशवधा का उपयोग कर सकेंगे। उच्चतर शिक्षा
संस्थान स्वयं ही या शफर उद्योगों और गैर-सरकारी सं गिनों के साथ साझेदारी में व्यावसाशयक शिक्षा प्रदान
करें गे। वषण 2013 में िुरू की गई शडग्री बी.वोक पूवण की तरह ही जारी रहेगी, िेशकन इसके अशतररि भी
व्यावसाशयक पाठ्यक्रम अन्य सभी स्नातक शडग्री कायण क्रमों में नामांशकत छात्ों के शिए उपिब्ध होंगे, शजसमें
4-वषीय बह-शवषयक स्नातक कायणक्रम भी िाशमि रहेगा। उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को सॉफ्ट क्तस्कल्स
सशहत शवशभन्न कौििों में सीशमत अवशध के सशटण शफकेट कोसण करने की भी अनुमशत होगी। ‘िोक शवद्या’,
अथाण त् भारत में शवकशसत महत्वपूर्ण व्यावसाशयक ज्ञान से जुडे शवषयों को व्यावसाशयक शिक्षा पाठ्यक्रमों में
एकीकरर् के माध्यम से छात्ों के शिए सुिभ बनाया जाएगा। जहाुँ भी संभव हो, ओडीएि मोड के माध्यम
से भी व्यावसाशयक पाठ्यक्रमों को संचाशित करने की संभावना तिाि की जाएगी।

71
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

16.6 अगिे दिक में व्यावसाशयक शिक्षा को चरर्बद्ध तरीके से सभी स्कूि और उच्चतर शिक्षा संस्थानों
में एकीकृत शकया जाएगा। व्यावसाशयक शिक्षा के फोकस एररया का चुनाव कौिि अंतर शवश्लेषर् (क्तस्कि
गैप एनाशिशसस) और स्थानीय अवसरों के आधार पर शकया जाएगा। मानव संसाधन शवकास मंत्ािय इस
पहि की दे खरे ख के शिए उद्योगों के सहयोग से, व्यावसाशयक शिक्षा के शविेषज्ञों और व्यावसाशयक
मंत्ाियों के प्रशतशनशधयों के साथ शमिकर एक राष्ट्रीय सशमशत नेिनि कमेटी फॉर द इं टीग्रेिन ऑफ
वोकेिनि एजुकेिन (एनसीआईवीई) का गिन करे गा।

16.7 सबसे पहिे इस प्रशक्रया को आरं भ करने वािे संस्थानों के शिए यह आवश्यक है शक वे नवाचार के
माध्यम से ऐसे मॉडि और प्रर्ाशियों की खोज करें जो शक सफि हों और शफर उिें एनसीआईवीई द्वारा
स्थाशपत तंत् के माध्यम से अन्य संस्थानों के साथ साझा करें , ताशक व्यावसाशयक शिक्षा की पहुँच को शवस्तार
दे ने में सहायता शमि सके । व्यावसाशयक शिक्षा और अप्रेंशटसशिप प्रदान करने वािे शवशभन्न मॉडिों को
उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा भी प्रयोग में िाया जाएगा । उद्योगों के साथ साझेदारी के तहत उच्चतर शिक्षा
संस्थानों में इन्फ्क्ूबेिन केंद्र स्थाशपत शकए जाएं गे ।

16.8 राष्ट्रीय कौिि योग्यता फ्रेमवकण (एनएसक्ूएफ) को प्रत्येक शवषय व्यवसाय / रोजगार के शिए
अशधक शवस्तारपूवणक शनशमण त शकया जाएगा । इसके अिावा, भारतीय मानकों को अंतराण ष्ट्रीय श्रम संगिन
द्वारा बनाए गए व्यवसायों के अंतराण ष्ट्रीय मानक वगीकरर् के साथ जोडा जाएगा । यह फ्रेमवकण पूवणवती
शिक्षा की आवश्यकता के शिए आधार प्रदान करे गा । इसके माध्यम से, डर ॉपआउट हो चुके बच्चों के
व्यावहाररक अनुभव को फ्रेमवकण के प्रासंशगक स्तर के साथ जोडकर उिें पुनः औपचाररक प्रर्ािी से
जोडा जाएगा । क्रेशडट आधाररत यह फ्रेमवकण, छात्ों को 'सामान्य' से व्यावसाशयक शिक्षा तक जाने को
सुगम बनाएगा।

17. नवीन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डे िन के माध्यम से सभी क्षेत्रचं में गुणवत्तायुक्त अकादे शमक
अनुसंधान कच उत्प्रेररि करना

17.1 एक बडी और जीवंत अथणव्यवस्था को शवकशसत करने और बनाए रखने में ज्ञान सृजन और अनुसंधान
की महत्वपूर्ण भूशमका होती है शजससे समाज का उत्थान होता है और िगातार राष्ट्र को और भी अशधक
ऊंचाइयों तक िे जाने में इससे प्रेरर्ा शमिती है । शन:संदेह, पूरे इशतहास में सबसे समृद्ध सभ्यताओं (जैसे
भारत, मेसोपोटाशमया, शमस्र, चीन और ग्रीस) से िेकर आधुशनक सभ्यताओं (जैसे संयुि राज्य अमेररका,
जमणनी, इजरायि, दशक्षर् कोररया और जापान) तक, ऐसे समाज थे और हैं शजिोंने अपनी बौक्तद्धक और
भौशतक संपदा को मुख्यतः नए ज्ञान के शिए प्रख्यात एवं आधारभूत योगदान द्वारा प्राप्त शकया है - जैसे
शवज्ञान के साथ-साथ किा, भाषा और संस्कृशत के क्षेत् में -शजसने न केवि अपनी सभ्यताओं को बक्ति
दु शनयाभर की सभ्यताओं को पररष्कृत और उन्नत बनाया है।

72
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

17.2 अनुसंधान का एक मजबूत पाररक्तस्थशतकी तंत् आज दु शनया में तेजी से होने वािे पररवतणनों के साथ
िायद पहिे से कहीं अशधक महत्वपूर्ण हो गया है। उदाहरर् के शिए, जिवायु पररवतणन, जनसांक्तख्यकी
गशतिीिता और प्रबंधन, जैव प्रौद्योशगकी, एक शडशजटि बाजार का शवस्तार, मिीन िशनंग और कृशत्म
बुक्तद्धमत्ता आशद, इस तरह के पररवतणन है। यशद भारत को इन शवषम क्षेत्ों में एक नेतृत्वकताण बनना है और
वास्तव में अपने शविाि प्रशतभा पूि को शफर से एक प्रमुख ज्ञान समाज बनने की क्षमता प्राप्त कराना है तो
आने वािे वषों और दिकों में, राष्ट्र को अपनी अनुसंधान क्षमताओं—संभावनाओं को सभी शवषयों (शडशसप्ले
न्स) में उत्पादन के साथ एक महत्वपूर्ण शवस्तार की आवश्यकता होगी। आज, शकसी भी राष्ट्र के आशथणक,
बौक्तद्धक, सामाशजक, पयाणवरर्ीय और प्रौद्योगीकीय शवकास के शिए िोध का महत्व पहिे से कई अशधक
है।

17.3 इस पक्ष के इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद, भारत में वतणमान समय में अनुसंधान और नवाचार
शनवेि संयुि राज्य अमेररका में 2.8%, इज़राइि में 4.3% और दशक्षर् कोररया में 4.2% की तुिना में
जीडीपी का केवि 0.69% है।

17.4 आज भारत को सामाशजक चुनौशतयों का समाधान करने की आवश्यकता है , जैसे शक अपने सभी
नागररकों के शिए पीने के पानी की स्वच्छता, गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा, बेहतर पररवहन-
गुर्वत्ता वायु, शबजिी और बुशनयादी चीजों की पहुँ च आशद। इसके शिए एक व्यापक दृशष्ट्कोर् और
समाधानात्मक रवैये और शक्रयाियन की जरूरत होगी जो न केवि िीषण-शवज्ञान और प्रौद्योशगकी पर
आधाररत हों बक्ति सामाशजक शवज्ञान और मानशवकी तथा राष्ट्र के शवशभन्न सामाशजक-सांस्कृशतक और
पयाणवरर्ीय आयामों की गहरी समझ पर भी आधाररत हों। इन चुनौशतयों का सामना करने और इनके
समाधान खोजने के शिए शवशभन्न क्षेत्ों में उच्चतर स्तरीय अंतर-शवषयक अनुसंधान करने की स्वयं की
क्षमता का होना महत्वपूर्ण होगा। स्वयं के िोध करने की क्षमता शकसी दे ि को अत्यशधक आसानी से अन्य
दे िों से अनुसंधानों को आयात करने और उनमें से अनुकूि िोध को अपनाने के योग्य बनता है ।

17.5 इसके अशतररि, सामाशजक समस्याओं के हि शनकािने के शिहाज़ से मूल्यवान होने के साथ-
साथ, शकसी दे ि की पहचान, उसकी प्रगशत, आध्याक्तत्मक और बौक्तद्धक संतुशष्ट् और रचनात्मकता को भी
उसके इशतहास, भाषा, किा और संस्कृशत के माध्यम से प्राप्त शकया जा सकता है। इसीशिए शवज्ञान और
सामाशजक शवज्ञान के क्षेत् में नवाचारों के साथ -साथ किा और मानशवकी के क्षेत्ों में अनुसंधान शकसी दे ि
की प्रगशत और प्रबुद्धता हेतु अशत महत्वपूर्ण है।

17.6 भारत में शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार, बहत महत्वपूर्ण है , शविेष रूप से जो उच्चतर
शिक्षा से जुडे हए हैं। पूरे इशतहास में दु शनया के सवणश्रेष्ठ शविशवद्याियों से शमिने वािे साक्ष्यों से पता चिता
है शक उच्चतर शिक्षा के स्तर पर सवोत्तम शिक्षर् और सीखने की प्रशक्रयाएं उस वातावरर् में होती हैं जहाुँ
अनुसंधान और ज्ञान सृजन की एक मजबूत संस्कृशत रही है ; इसके साथ ही, दु शनया के श्रेष्ठ अनुसंधान बह-
शवषयी शविशवद्याियों में हए हैं।

73
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

17.7 भारत में शवज्ञान और गशर्त से िेकर किा, साशहत्य, स्वर शवज्ञान और भाषा से िेकर शचशकत्सा और
कृशष तक के शवषयों में अनुसंधान और ज्ञान सृजन की एक िंबी ऐशतहाशसक परं परा रही है । अब समय की
मांग है शक भारत जल्द से जल्द एक मजबूत और प्रबुद्ध ज्ञान-समाज के रूप में अपनी खोयी हई क्तस्थशत को
िीघ्र ही पुनः प्राप्त करे और मज़बूत और प्रबुद्ध ज्ञान समाज तथा दु शनया की तीन सबसे बडी
अथणव्यवस्थाओं में से एक के रूप में 21 वीं सदी में अनुसंधान और नवाचार का नेतृत्व करने के शिए तैयार
रहे।

17.8 अत: यह नीशत भारत में अनुसंधान की गुर्वत्ता और उनकी मात्ा को बदिने के शिए एक व्यापक
दृशष्ट्कोर् को िागू करती है । नीशत में स्कूिी शिक्षा में शनशित बदिाव िाशमि हैं जैसे सीखने की खोज और
खोज-आधाररत िैिी, वैज्ञाशनक पद्धशत और ताशकणक शचंतन पर बि इनमें िाशमि है । छात् शहतों और
प्रशतभाओं की पहचान करने के शिए स्कूिों में कररयर परामिण, उच्चतर शिक्षा का संस्थागत पुनगणिन जो
शविशवद्याियों में अनुसंधान को बढावा दें , सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों में बह-शवषयी और समग्र शिक्षा
पर बि, स्नातक पाठ्यक्रम में अनुसंधान और इं टनणशिप का समावेि ,संकाय कॅररयर प्रबंधन प्रर्ािी जो
अनुसंधान पर समुशचत बि दे , प्रिासशनक और शवशनयामक पररवतणन जो शिक्षकों की और संस्थागत
स्वायत्तता और नवाचार को प्रोत्साशहत करने वािे हों । ऊपर बताए सभी पहिू दे ि में एक िोध
मानशसकता को मजबूत करने के शिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।

17.9 इन शवशभन्न तत्वों पर सहशक्रयात्मक तरीके से कायण करने के शिए यह नीशत एक राष्ट्रीय अनुसंधान
फाउं डेिन (एनआरएफ) की स्थापना को प्रस्ताशवत करती है शजससे राष्ट्र में गुर्वत्तायुि अनुसंधान को
सही रूप में शवकशसत और उत्प्रेररत शकया जा सके। एनआरएफ का व्यापक िक्ष्य हमारे शविशवद्याियों के
माध्यम से िोध की संस्कृशत को सक्षम बनाना होगा । शविेष रूप से, एनआरएफ योग्यता -आधाररत एवं
शपयर ररव्यु पर आधाररत िोध शनशध का एक शविसनीय आधार प्रदान करे गा, जो उत्कृष्ट् िोध के शिए
उपयुि प्रोत्साहन के माध्यम से दे ि में अनुसंधान की संस्कृशत शवकशसत करने में मदद करे गा । राज्य
शविशवद्याियों और अन्य सावणजशनक संस्थानों में अनुसंधान को स्थाशपत करने साथ इिें शवकशसत करने का
कायण करे गा जहाुँ अनुसंधान संभावनाएं वतणमान में सीशमत ह। एनआरएफ प्रशतस्पधाणत्मक रूप से सभी
बह—शवषयकों में अनुसंधान को फंड दे गा। सफि अनुसंधानों को मान्यता दी जाएगी और प्रासंशगक
सरकारी एजेंशसयों के साथ-साथ उद्योग और शनजी / परोपकारी संगिनों के साथ घशनष्ठ संबंधों के माध्यम
से इसे कायाणक्तित शकया जाएगा ।

17.10 ऐसे संस्थान जो वतणमान में शकसी स्तर पर अनुसंधान को शनशध प्रदान करते हैं , जैसे शवज्ञान और
प्रौद्योशगकी शवभाग (डीएसटी), परमार्ु ऊजाण शवभाग (डीएई), जैव-प्रौद्योशगकी शवभाग (डीबीटी), भारतीय
कृशष अनुसंधान पररषद (आईसीएआर), भारतीय आयुशवणज्ञान अनुसंधान पररषद (आईसीएमआर), भारतीय
इशतहास अनुसंधान पररषद (आईसीएचआर) और शविशवद्यािय अनुदान आयोग (यूजीसी) के साथ-साथ
शवशभन्न शनजी और परोपकारी संगिनों से वे अपनी प्राथशमकताओं और आवश्यकताओं के अनुसार स्वतंत्

74
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

रूप से शनशधगत अनुसंधान जारी रखेंगे। हािांशक, एनआरएफ सघन रूप से अन्य फंशडं ग एजेंशसयों के साथ
समिय स्थाशपत करे गा और शवज्ञान, इं जीशनयररं ग, और अन्य सक्षम अकादे शमयों के साथ काम करे गा।
इसके साथ ही इससे जुडे अपेशक्षत उद्दे श्यों और प्रयासों में तािमेि और दोहराव की कमी को सुशनशित
करने का प्रयास करे गा। एनआरएफ स्वतंत् रूप से सरकार के एक रोटे शटं ग बोडण ऑफ़ गवनणसण द्वारा
िाशसत होगा, शजसमें शवशभन्न क्षेत्ों के बहत ही बेहतरीन िोधकताण और आशवष्कताण िाशमि होंगे।

17.11 एनआरएफ की प्राथशमक गशतशवशधयां इस प्रकार रहें गी :

(क) सभी प्रकार के और शवशभन्न शवषयों में, प्रशतस्पधी और शपयर ररव्यु शकए गए िोध प्रस्तावों के शिए फंड
दे ना
(ख) शिक्षा संस्थानों में शविेषतः शविशवद्याियों में और महाशवद्याियों में जहाुँ अभी अनुसंधान िैिवावस्था में
हैं, इन संस्थानों को परामिण प्रदान करके अनुसंधान िुरू करना, शवकशसत करना और उसके शिए सुशवधा
दे ना
(ग) िोधाशथणयों और सरकार की संबंशधत िाखाओं तथा उद्योगों के बीच संपकण बनाने एवं समियन का
काम करना, शजससे िोधाशथणयों को िगातार अशत तात्काशिक राष्ट्रीय अनुसंधान मुद्दों के बारे में बताया जा
सके और शजससे नीशत शनमाणता भी अनुसंधान के क्षेत् में नवीनतम सफिताओं के प्रशत जागरूक रहें। इससे
इन सफिताओं को सवणश्रेष्ठ तरीके से नीशत और/अथवा उसके शक्रयाियन में दजण शकया जा सकेगा
(घ) उत्कृष्ट् अनुसंधान और उनकी प्रगशत को पहचानना ।

18. उच्िर शिक्षा की शनयामक प्रणाली में आमूल-चूल पररविवन

18.1 दिकों से उच्चतर शिक्षा का शवशनयमन बहत सख्त रहा है ; शजसे बहत कम प्रभाव के साथ
शवशनयशमत करने का प्रयास शकया गया है। शवशनयामक प्रर्ािी का कृशत्म और शवघटनकारी स्वभाव बहत
ही बुशनयादी समस्याओं से प्रभाशवत रहा है — जैसे कुछ ही शनकायों में िक्ति का अत्यशधक केंद्रीयकरर्,
इन शनकायों के बीच स्व—शहतों का टकराव होता रहा है , शजसके पररर्ामस्वरूप जवाबदे ही की कमी
व्याप्त रही है । उच्चतर शिक्षा क्षेत् को शफर से सशक्रय करने और इसे कामयाब करने के शिए शनयामक
प्रर्ािी को पूरी तरह से बदिने की आवश्यकता है।

18.2 उपयुणि मुद्दों को हि करने के शिए, उच्चतर शिक्षा की शनयामक प्रर्ािी में यह सुशनशित करना
होगा शक शवशनयमन, प्रत्यायन, फंशडं ग और िैक्षशर्क मानकों के शनधाणरर् जैसे शविेष कायण, शवशिष्ट्, स्वतंत्
और सिि संस्थाओं/व्यवस्थाओं द्वारा संचाशित शकए जाएं गे। यह शसस्टम में चेक-एं ड-बैिेंस बनाने,
शनकायों के आपसी शहतों में टकराव को कम करने और कुछ शनकायों में िक्तियों के अत्यशधक
केिीयकरर् को खत्म करने के शिए आवश्यक है। यह सुशनशित करने के शिए शक चारों सांस्थाशनक
व्यवस्थाएं जो इन चार आधारभूत कायों को करती हैं स्वतंत् रूप से अपना काम करने के साथ-साथ साझा
उद्दे श्यों की प्राक्तप्त के शिए एक तारतम्यता के साथ काम करें । इन चार संरचनाओं को एक प्रमुख संस्था,

75
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (एचईसीआई) के तहत चार स्वतंत् व्यवस्थाओं के रूप में स्थाशपत शकया
जाएगा।

18.3 एचईसीआई का पहिा अंग राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा शवशनयामक पररषद (एनएचईआरसी) होगा - यह
उच्चतर शिक्षा क्षेत् के शिए एक साझा और शसंगि पॉइं ट रे गुिेटर की तरह काम करे गा शजसमें शिक्षक
शिक्षा िाशमि है शकन्तु शचशकत्सीय एवं शवशधक शिक्षा िाशमि नहीं है , और इस तरह शनयामक प्रशक्रया में
दोहराव और अव्यवस्था को समाप्त करे गा। ऐसा इसशिए होता है क्ोंशक व्यवस्था के भीतर वतणमान में
अनेकों शवशनयामक संस्थान उपक्तस्थत हैं। इस एकि शबंदु शवशनयमन को सक्षम करने के शिए मौजूदा
अशधशनयमों की पुनसंरचना और शनरसन और शवशभन्न मौजूदा शनयामक शनकायों के पुनगणिन की
आवश्यकता होगी। एनएचईआरसी को 'िचीिे िेशकन सख्त' और सुशवधात्मक तरीके से संस्थानों को
शवशनयशमत करने के शिए स्थाशपत शकया जाएगा, शजसका अथण है शक कुछ महत्वपूर्ण मामिे - शविेष रूप से
शवत्तीय इमानदारी, सुिासन और सभी ऑनिाइन और ऑफ़िाइन शवत्त संबंधी मसिों का स्व-प्रकटीकरर्,
ऑशडट, प्रशक्रयाओं, इं फ्रास्टर क्चर, संकाय / कमणचारी, पाठ्यक्रम और िैशक्षक प्रशतफिों को प्रभावी तरीके से
शनयंशत्त शकया जाएगा। यह सूचना सभी उच्चतर-शिक्षा संस्थानों द्वारा अपनी वेबसाइट पर और सावणजशनक
वेबसाइटों जो शक एनएचईआरसी द्वारा संचाशित की जाती हैं , पर मुहैया करवाई जाएं गी और समय-समय
पर इन सूचनाओं को अद्यतन और सटीक रूप से उपिब्ध करवाया जाएगा। सावणजशनक की गयी सूचनाओं
से संबंशधत शहतधारकों और अन्य िोगों द्वारा शकसी भी शिकायत या गुहार को एनएचईआरसी द्वारा सुना
जाएगा और इसका हि शकया जाएगा। एक शनशित समय-अंतराि पर प्रत्येक उच्चतर शिक्षा संस्थान में
रैं डम तरीके से शदव्यांग छात्ों सशहत चुने गए छात्ों के मूल्यवान फीडबैक ऑनिाइन शिए जाएं गे।

18.4 ऐसे शवशनयमन को सक्षम बनाने की प्राथशमक प्रशक्रया प्रत्यायन होगी। इसशिए, एचईसीआई का
दू सरा अंग एक 'मेटा-अक्क्क्रेशडशटं ग' शनकाय होगा, शजसे राष्ट्रीय प्रत्यायन पररषद (एनएसी) के नाम से जाना
जाएगा। संस्थाओं का प्रत्यायन मुख्यत: कुछ बुशनयादी शनयम-कायदों, सावणजाशनक स्व-प्रकटन, मजबूत
गवनेंस, और पररर्ामों के आधार पर होगा। साथ ही यह पूरी प्रशक्रया मान्यता दे ने वािे संस्थानों के एक
स्वतंत् समूह द्वारा पूरी की जाएगी और एनएसी द्वारा इस सबकी शनगरानी की जाएगी और इसका संचािन
शकया जाएगा । एनएसी द्वारा एक समुशचत संख्या में संस्थानों को मान्यता दे ने के अशधकार हे तु कायण शकये
जाएं गे। कम समय में ही ग्रेडेड मान्यता दे ने के शिए एक मजबूत प्रर्ािी को स्थाशपत शकया जाएगा, जो
सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा स्वायत्तता, स्व-प्रिासन, और गुर्वत्ता के तय मानकों को हाशसि करने
के शिए चरर्बद्ध बेंचमाकण तय करे गी । पररर्ामस्वरुप, सभी उच्चतर शिक्षा संस्थान अपनी-अपनी संस्थान
शवकास योजना (आईडीपी) के जररए अगिे 15 वषों में मान्यता के उच्चतमस्तर को प्राप्त करने का उद्दे श्य
तय करें गे और इस तरह ये संसथान एक स्व-संचाशित शडग्री प्रदान करने वािे संस्थानों/क्लस्टर की तरह
बनने के शिए प्रशतबद्ध बनेंगे। आगे चिकर यह प्रशक्रया वैशिक मानकों के अनुसार एक शद्वआधारी प्रशक्रया
बन जाएगी।

76
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

18.5 एचईसीआई का तीसरा अंग उच्चतर शिक्षा अनुदान पररषद (एचईजीसी) का गिन शकया जाएगा जो
पारदिी मानदं डों के आधार पर उच्चतर शिक्षा के फंशडं ग और शवत्तपोषर् का कायण करे गा शजसमें संस्थानों
द्वारा शवकशसत आईडीपी और इनके शक्रयाियन के जररए प्राप्त की गई उन्नशत िाशमि ह। एचईजीसी को
छात्वृशत्त के शवतरर् के शिए और नए फोकस क्षेत्ों को िुरू करने और बह-शवषयी क्षेत्ों में उच्चतर शिक्षा
संस्थानों को गुर्वत्ता कायणक्रमों के प्रस्तावों के साथ उनके शवस्तार के शिए शवकासात्मक शनशधयों का कायण
भार सौंपा जाएगा।

18.6 एचईसीआई का चौथा शवभाग सामान्य शिक्षा पररषद (जीईसी) होगा, यह उच्चतर शिक्षा कायणक्रमों के
शिए अपेशक्षत पररर्ाम तय करे गा, शजिें ' स्नातक पररर्ामों ' के नाम से जाना जाएगा । जीईसी द्वारा एक
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवकण (एनएचईक्ूएफ) तैयार शकया जाएगा जो शक राष्ट्रीय कौिि योग्यता
फ्रेमवकण (एनएसक्ूएफ) से संगत होगा ताशक व्यवसाशयक शिक्षा को उच्चतर-शिक्षा आसानी से समक्तित
शकये जाने में आसानी हो। इस तरह के सीखने के पररर्ामों के संदभण में एनएचईक्ू एफ द्वारा अग्रर्ी
उच्चतर शिक्षा योग्यता का शनदे िन शकया जाएगा जो एक शडग्री / शडप्लोमा / प्रमार्-पत् के रूप में होगा।
इसके अिावा, जीईसी, एनएचईक्ूएफ के माध्यम से क्रेशडट टर ां सफर, समानक आशद मुद्दों के शिए
समानुरूप और सुशवधाजनक मानदं ड स्थाशपत करे गा । जीईसी उन शवशिष्ट् कौिि की पहचान करे गा जो
छात्ों को अपने िैक्षशर्क कायणक्रम के दौरान 21 वीं िताब्दी के कौिि के साथ पूर्ण शवकशसत शिक्षाशथणयों
को तैयार करने के उद्दे श्य से प्राप्त करना चाशहए।

18.7 भारतीय कृशष अनुसंधान पररषद (आईसीएआर),वेटरनरी काउं शसि ऑफ इं शडया (वीसीआई),
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा पररषद (एनसीटीई),आशकणटे क्चर काउं शसि (सीओए), फामेसी काउं शसि ऑफ
इं शडया (पीसीआई),राष्ट्रीय व्यावसाशयक शिक्षा और प्रशिक्षर् पररषद (एनसीवीईटी) आशद का पुनगणिन
व्यावसाशयक मानक सेशटं ग शनकायों (पीएसएसबी) के रूप में शकया जाएगा; वे उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी में एक
महत्वपूर्ण भूशमका शनभाएं गे और उिें जीईसी के सदस्य बनने के शिए आमंशत्त शकया जाएगा। ये शनकाय,
पीएसएसबी के रूप में पुनगणिन के बाद, जीईसी के सदस्यों के रूप में पाठ्यक्रम संरचना, िैक्षशर्क
मानकों को शनधाणररत करने और उनके डोमेन / अध्ययन के शवषय के शिक्षर्, अनुसंधान और शवस्तार के
बीच समिय करना जारी रखेंगे। जीईसी के सदस्यों के रूप में, वे पाठ्यक्रम के ढांचे को शनशदण ष्ट् करने में
मदद करें गे, शजसके आधार उच्चतर शिक्षा संस्थान अपना स्वयं का पाठ्यक्रम तैयार कर सकते हैं। इस
प्रकार, पीएसएसबी शबना शकसी शनयामक भूशमका के िशनंग और प्रैक्तक्टस के शविेष क्षेत्ों में मानकों या
अपेक्षाओं को शनधाणररत करे गा। सभी उच्चतर शिक्षा संस्थान यह तय करें गे शक उनके िैक्षशर्क कायणक्रम
अन्य शवचारों के बीच शकस तरह से तय मानकों पर प्रशतशक्रया दे रहे हैं और यशद आवश्यक हो तो वे
पीएसएसबी/मानक-सेशटं ग शनकायों से सहयोग िेने में भी समथण होंगे।

18.8 इस तरह की संरचना शवशभन्न भूशमकाओं के बीच आपसी शहतों के टकराव को समाप्त करते हए;
प्रत्येक की भूशमका एवं कायों को एक दू सरे से अिग करने के शसद्धां त को कायम करे गी। इसका उद्दे श्य
कुछ बुशनयादी मसिों पर ध्यान दे ते हए उच्चतर शिक्षा संस्थानों को सिि बनाना भी है। इससे जुडी

77
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शजम्मेदाररयां और जवाबदे ही उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के अनुरूप होगी । सावणजशनक और शनजी उच्चतर
शिक्षर् संस्थानों के बीच अपेक्षानुरूप शकसी तरह का भेद नहीं शकया जाएगा ।

18.9 इस तरह के पररवतणन के शिए मौजूदा संरचनाओं और संस्थानों के शिए यह आवश्यकता होगी शक वे
खुद को सुदृढ कर सकें और तरह-तरह की शवकास क्रशमकता से गुजर सकें । कायों के पृथक्करर् का
मतिब होगा शक एचईसीआई के तहत प्रत्येक अंग को एक नई एकि भूशमका पर िे जाया जाएगा जो नई
शनयामक योजना में प्रासंशगक, साथणक और महत्वपूर्ण है।

18.10 शवशनयमन के शिए सभी स्वतंत् संरचनाओं का कायणकरर् शनयमन (एनएचईआरए) मान्यता
(एनएसी), शनशधयन (एचईजीसी) और अकादे शमक मान्यता (जीईसी) एक वृह्द और स्वायत्त शनकाय
(एचईसीआई) सावणजशनक प्रकटीकरर् नीशत पर आधाररत होगा और अपने कायों दक्षता, और पारदशिणता
को सुशनशित करने के शिए और मानव इं टरफेस कम करने के शिए अशधक से अशधक प्रौद्योशगकी का
इस्तेमाि करें गे। बुशनयादी शसद्धां त यह होगा शक प्रौद्योशगकी के इस्तेमाि से पहचान- मुि और पारदिी
शनयामक हस्तक्षेप शकया जा सके। कडे कदम के साथ किोर अनुपािन उपायों को सुशनशित शकया जाएगा,
शजसमें अशनवायण जानकारी के गित प्रकटीकरर् के शिए दं ड की शसफाररि भी िाशमि है , ताशक उच्चतर
शिक्षा संस्थानों को न्यूनतम मानदं डों और मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। एचईसीआई खुद इसके
चारों अंगों के बीच शकसी भी प्रकार के शववाद का शनपटारा करे गा। एचईसीआई एक स्वतंत् शनकाय होगा
शजनमें प्रासंशगक क्षेत्ों में काम कर रहे सत्यशनष्ठ, प्रशतबद्ध उच्चतर श्रेर्ी के शविेषज्ञ होंगे शजनके पास
सावणजाशनक सेवाओं में योगदान दे ने का शवशिष्ट् अनुभव होगा। एचईसीआई का भी खुद का अपना एक
छोटा, स्वतंत् शनकाय होगा शजसमें उच्चतर शिक्षा में प्रशसद्ध सामाशजक सरोकारों वािे शविेषज्ञ िाशमि
होंगे, जो एचईसीआई की सत्यशनष्ठा और प्रभावी कायणकुििता को संचाशित करें गे और इसकी शनगरानी
करें गे। एचईसीआई के भीतर कायण शनष्पादन हेतु उपयुि प्रशक्रया का शनमाण र् शकया जाएगा , शजसमें
अशधशनर्णय भी िाशमि है ।

18.11 नए गुर्वत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को स्थाशपत करना भी बहत आसान हो जाएगा। साथ ही
यह भी सुशनशित करना होगा शक ये जन सेवा के भाव से दीघाणवशध के शिए शवत्तीय सहायता के साथ
स्थाशपत शकए गए हैं। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बेहतरीन प्रदिणन करने वािे उच्चतर शिक्षर् संस्थान
को अपने संस्थानों का शवस्तार करने के शिए मदद शमिेगी, और इससे बडी संख्या में छात्ों और संकायों के
साथ-साथ शवषयों और कायणक्रमों का शवस्तार हो सकेगा। उच्चतर शिक्षर् संस्थानों का गुर्वत्तापूर्ण एवं
उच्चतर—शिक्षा तक पहुँच का शवस्तार करने के उद्दे श्य से उनके शिए सावणजशनक परोपकारी साझेदारी
मॉडि भी िुरू शकए जा सकते हैं ।

78
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

शिक्षा के व्यावसायीकरण कच रचकना

18.12 शनयंत्र् एवं संतुिन से युि शवशवध तंत्, उच्चतर शिक्षा के व्यवसायीकरर् को रोक पाएं गे। यह
शनयामक अशभकरर् की प्रमुख प्राथशमकता होगी । सभी शिक्षर् संस्थान िाभ के शिए नहीं संस्था पर िागू
िेखापरीक्षा और प्रकटीकरर् के मानक व्यवस्था का पािन करें गे। यशद कोई अशधिेष होगा तो उसे शिक्षा
क्षेत् में पुनशनणवेि शकया जाएगा। इन सभी शवत्तीय मामिों का पारदिी सावणजशनक प्रकटीकरर् होगा,
शजसमें आम जनता के शिए शिकायत-शनवारर् तंत् की सहायता िी जाएगी। एनएसी द्वारा शवकशसत
प्रत्यायन प्रर्ािी इस प्रर्ािी पर एक पूरक जांच प्रदान करती है , और एनएचईआरसी इसे अपने शनयामक
उद्दे श्य के प्रमुख आयाम के रूप में दे खेगा।

18.13 सावणजशनक और शनजी सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को इस शनयामक व्यवस्था में बराबर माना
जाएगा। शनयामक व्यवस्था शिक्षा में शनजी परोपकारी प्रयासों को प्रोत्साशहत करे गा। सभी शवधायी
अशधशनयमों के शिए सामान्य राष्ट्रीय शदिाशनदे ि होंगे शजनसे शनजी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों की स्थापना की
जाएगी। ये सामान्य न्यूनतम शदिाशनदे ि ऐसे सभी अशधशनयमों को शनजी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को
स्थाशपत करने में समथण बनाएुँ गे और इस प्रकार शनजी और सावणजशनक उच्चतर शिक्षर् संस्थानों के शिए
सामान्य मानकों को शनयत करें गे । इन सामान्य शदिाशनदे िों में सु िासन, शवत्तीय क्तस्थरता और सुरक्षा,
िैशक्षक पररर्ाम और प्रकटीकरर् की पारदशिणता िाशमि होगी।

18.14 परोपकार और जन शहतैषी मंिा रखने वािे शनजी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को फीस शनधाणरर् के
प्रगशतिीि िासन के माध्यम से प्रोत्साशहत शकया जाएगा। शवशभन्न प्रकार के संस्थानों के शिए, उनके
प्रत्यायन के आधार पर, फीस की एक उच्चतर सीमा को तय करने के शिए एक पारदिी तंत् शवकशसत
शकया जाएगा ताशक शनजी संस्थानों पर प्रशतकूि प्रभाव न पडे । यद्यशप तय शनयमों और वृहद् शनयामक
व्यवस्थाओं के आिोक में, अशधकाशधक छात्ों को फ्रीशिप और छात्वृशत्त प्रदान करने के शिए शनजी
उच्चतर शिक्षा संस्थानों को प्रोत्साशहत शकया जाएगा। शनजी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों द्वारा शनधाण ररत सभी
फीस और िुि पारदिी रूप से और पूरी तरह से बताए जाएं गे, और शकसी भी छात् के नामांकन के
दौरान इस फीस/िुिों में कोई मनमानी वृक्तद्ध नहीं होगी। िुि शनधाणरर् की ये व्यवस्था उच्चतर शिक्षा
संस्थानों को अपनी सामाशजक शजम्मेदाररयों के शनवणहन के साथ कुछ हद तक शनवेि की भरपाई सुशनशित
करनी होगी।

19. उच्िर शिक्षा संस्थानचं के शलए प्रभावी प्रिासन और नेिृत्व

19.1 यह प्रभावी प्रिासन और नेतृत्व ही है जो उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्ट्ता और नवाचार की


संस्कृशत के शनमाणर् में सक्षम बनाता है। भारत सशहत दु शनयाभर में सभी शविस्तरीय संस्थानों की सामान्य
शविेषता वास्तव में मजबूत स्विासन और संस्थागत िीडरों की उत्कृष्ट् योग्यता आधाररत शनयुक्ति रही है,
शजिोंने ऐसी संस्कृशत के शनमाणर् और पोषर् को संभव बनाया ।

79
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

19.2 ग्रेडेड प्रत्यायन और ग्रेडेड स्वायत्तता की एक उपयुि प्रर्ािी के माध्यम से, 15 वषों में एक
चरर्बद्ध तरीके से, भारत के सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों का उद्दे श्य नवप्रवतणन और उत्कृष्ट्ता का
अनुिीिन करने वािे स्वतंत् स्विासी संस्थान बनना होगा। उच्चतमगुर्वत्ता का नेतृत्व सुशनशित करने और
उत्कृष्ट्ता की संस्थागत संस्कृशत को बढावा दे ने के शिए सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों में उपाय शकए
जाएं गे। इस तरह के कदम के शिए तैयार संस्था को उपयुि ग्रेडेड प्रत्यायन प्राप्त होने पर योग्य, सक्षम
और समशपणत व्यक्तियों शजनमें शसद्ध क्षमताएं और प्रशतबद्धता की एक मजबूत भावना होगी, के समूह से
शमिकर बोडण ऑफ गवनणसण (बीओजी) स्थाशपत शकया जाएगा। शकसी संस्था के बीओजी को शकसी भी बाहरी
हस्तक्षेप से मुि संस्था को संचाशित करने, संस्था के प्रमुख सशहत सभी शनयुक्तियां करने और िासन के
संबंध में सभी शनर्णय िेने का अशधकार होगा। ऐसे व्यापक शवधान होंगे जो पहिे के अन्य शवधान के शकसी
भी उल्लंघनकारी प्रावधानों को बदि दें गे शजसमें बीओजी के गिन, शनयुक्ति, कामकाज के शनयमों, शनयमों
और शवशनयमों और बीओजी की भूशमका और शजम्मेदाररयां िाशमि हैं। बोडण के नए सदस्यों की पहचान
बोडण द्वारा शनयुि शविेषज्ञ सशमशत द्वारा की जाएगी; और नए सदस्यों का चयन बीओजी द्वारा ही शकया
जाएगा। सदस्यों का चयन करते समय इक्तिटी के शवचारों का भी ध्यान रखा जाएगा। यह पररकल्पना की
गई है शक इस प्रशक्रया के दौरान सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थानों को प्रोत्साहन, समथणन और सिाह दी
जाएगी और इनका उद्दे श्य वषण 2035 तक स्वायत्त बनना तथा ऐसे सिि बीओजी का गिन करना होगा।

19.3 बीओजी सभी संगत ररकॉडण के पारदिी स्व-प्रकटन के माध्यम से शहतधारकों के शिए शजम्मेदार और
जवाबदे ह होगा। यह राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा शनयामक पररषद (एनएचईआरसी) के माध्यम से एचईसीआई
द्वारा अशनवायण सभी शनयामक शदिाशनदे िों को पूरा करने के शिए शजम्मेदार होगा।

19.4 संस्थानों में सभी नेतृत्वपदों और संस्थान प्रमुखों के शिए उच्चतर िैक्षशर्क योग्यता वािे व्यक्तियों को
चुना जाएगा शजिोंने जशटि पररक्तस्थशतयों में प्रबंधन करने के साथ प्रिासशनक और नेतृत्व क्षमताओं का
प्रदिणन शकया हो। शकसी भी उच्चतर शिक्षर् संस्थान के प्रमुख में संवैधाशनक मूल्यों और संस्था की समग्र
दृशष्ट् के साथ-साथ एक मजबूत सामाशजक प्रशतबद्धता, टीमवकण में शविास, शवशवधता, शवशभन्न िोगों के साथ
काम करने की क्षमता, एक सकारात्मक दृशष्ट्कोर् होना चाशहए । बीओजी द्वारा गशित एक कुिि शविेषज्ञ
सशमशत (ईईसी) के नेतृत्व में एक किोर, शनष्पक्ष, योग्यता आधाररत और क्षमता आधाररत प्रशक्रया के माध्यम
से चयन बीओजी द्वारा शकया जाएगा। एक उपयुि संस्कृशत के शवकास को सुशनशित करने के शिए
कायणकाि की क्तस्थरता महत्वपूर्ण है , साथ ही साथ नेतृत्व के उत्तराशधकार की योजना बनाई जाएगी ताशक
यह सुशनशित शकया जा सके शक शकसी संस्था की प्रशक्रयाओं को पररभाशषत करने वािे अच्छे व्यवहार नेतृत्व
में बदिाव के कारर् समाप्त न हों; नेतृत्व में पररवतणन पयाण प्त ओवर िैप के साथ शकये जाएं गे, और सुचारू
बदिाव सुशनशित करने के शिए पद खािी नहीं रहें गे। उत्कृष्ट् नेतृत्वकताणओं की पहचान की जाएगी और
उिें जल्दी तैयार शकया जाएगा, जो नेतृत्व की भूशमका में एक सीढी-दर-सीढी आगे बढें गे।

80
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

19.5 चरर्बद्ध तरीके से पयाणप्त धन, वैधाशनक सिक्तिकरर् और स्वायत्तता प्रदान शकए जाने के साथ,
सभी उच्चतर शिक्षर् संस्थान, संस्थागत उत्कृष्ट्ता, अपने स्थानीय समुदायों के साथ जुडाव और शवत्तीय
इमानदारी और जवाबदे ही के उच्चतममानकों के प्रशत प्रशतबद्धता प्रदशिण त करें गे । प्रत्येक संस्थान एक
कायणनीशतक संस्थागत शवकास योजना बनाएगा शजसके आधार पर संस्थान अपनी पहिों को शवकशसत
करें गे, अपनी प्रगशत का आकिन करें गे और उसमें शनधाणररत िक्ष्यों तक पहं चेंगे, जो आगे की सावणजशनक
शनशधयन के शिए आधार बन सकते हैं । आईडीपी, बोडण के सदस्यों, संस्थागत िीडरों, संकाय, छात्ों और
कमणचाररयों की संयुि भागीदारी के साथ तैयार शकया जाएगा।

भाग III. अन्य केंद्रीय शवचारणीय मुद्दे

20. व्यावसाशयक शिक्षा

20.1 पेिेवरों को तैयार करने से जुडी शिक्षा के शिए यह अशनवायण है शक उसके पाठ्यक्रम में नैशतकता
और सावणजशनक उद्दे श्य के महत्व का समावेि हो, और इसके साथ ही साथ उस शवषय शविेष की शिक्षा
और व्यावहाररक अभ्यास की शिक्षा को भी िाशमि शकया जाए । अन्य समस्त उच्चतर शिक्षा से जुडे शवषयों
की तरह ही इसके केंद्र में भी ताशकणक और अं तःशवषयी सोच, शवमिण, चचाण , अनुसंधान और नवाचार को
िाशमि शकया जाना चाशहए । इस उद्दे श्य को प्राप्त करने के शिए यह आवश्यक है शक व्यावसाशयक शवकास
से जुडी शिक्षा बाकी शवषयों से कटी या अिग-थिग ना रहे ।

20.2 इस प्रकार व्यावसाशयक शवकास की शिक्षा समग्र उच्चतर शिक्षा प्रर्ािी का एक अशभन्न अंग बन
जाएगी। स्टैं ड-अिोन कृशष शविशवद्याियों, शवशध शविशवद्याियों, स्वास्थ्य शवज्ञान शविशवद्याियों, तकनीकी
शविशवद्याियों और अन्य-शवषयों के स्टैं ड-अिोन शविशवद्याियों का उद्दे श्य अपने आप को एक बह-शवषयक
संस्थान के रूप में शवकशसत करना होना चाशहए जो शक एक समग्र और बह-शवषयक शिक्षा मुहैया करवाए।
व्यावसाशयक या सामान्य शिक्षा प्रदान करने वािे सभी संस्थान वषण 2030 तक समेशकत रूप से दोनों प्रकार
की शिक्षा प्रदान करने वािे संस्थान या संस्थान-समूह बनने के िक्ष्य के साथ कायण करें गे ।

20.3 कृशष शिक्षा और इससे संबद्ध शवषयों को पुनजीशवत शकया जाएगा । यद्यशप दे ि के शविशवद्याियों में
कृशष शविशवद्याियों का प्रशतित 9 है िेशकन कृशष और संबद्ध शवज्ञान शवषयों में नामांकन उच्चतर शिक्षा के
कुि नामां कन के 1% से भी कम है। कुिि स्नातकों और तकनीशियनों, नवीन अनुसंधान और तकनीकी
तथा कायण प्रशक्रयाओं से जुडे बाज़ार आधाररत शवस्तार के माध्यम से कृशष उत्पादकता को बढाने के शिए
यह आवश्यक है शक कृशष और संबद्ध शवषयों की क्षमता और गुर्वत्ता दोनों को बेहतर शकया जाय ।
सामान्य शिक्षा के साथ जुडते कायणक्रमों के माध्यम से कृशष और पिुशचशकत्सा शवज्ञान से जुडे पेिेवरों की
तैयारी में तेजी से वृक्तद्ध की जाएगी । कृशष शिक्षा की प्रशक्रया को ऐसे व्यावसाशयक व्यक्तियों के शवकास के
शिए पररवशतणत शकया जाएगा जो शक स्थानीय ज्ञान, पारं पररक ज्ञान, और उभरती हई तकनीकों को समझ
सकें और उसका उपयोग कर सकें, और इसके साथ ही साथ महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे शक भूशम की शगरती

81
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

उत्पादन िक्ति, जिवायु पररवतणन, हमारी बढती आबादी के शिए पयाणप्त भोजन की आवश्यकता, आशद
को िेकर जागरूक हों । यह आवश्यक है शक कृशष शिक्षा प्रदान करने वािे संस्थानों से स्थानीय समुदाय
सीधे-सीधे िाभाक्तित हों, इसका एक तरीका हो सकता है कृशष प्रौद्योशगकी पाकण की स्थापना करना ताशक
प्रौद्योशगकीय-इन्फ्क्ूबेिन और इसके प्रसार और शटकाऊ तरीकों को बढावा शमि सके।

20.4 शवशधक शिक्षा को वैशिक स्तर पर प्रशतस्पधी बनाने की आवश्यकता है , साथ ही इस क्षेत् से संबक्तन्धत
बेहतरीन प्रशक्रयाओं, कायणप्रर्ाशियों और नयी तकनीकों को अपनाया जाएगा शजससे शक सभी के शिए और
सही समय पर न्याय को सुशनशित शकया जा सके। साथ ही इसे सामाशजक, आशथणक और राजनैशतक न्याय
के संवैधाशनक मूल्यों से संवशधणत एवं उनके आिोक में बनाया जाना चाशहए और िोकति, कानून के
िासन और मानवाशधकारों के माध्यम से राष्ट्रीय पुनशनणमाणर् की शदिा में शनदे शित शकया जाना चाशहए। यह
सुशनशित शकया जाना चाशहए शक शवशधक शिक्षा के पाठ्यक्रम में सामाशजक-सां स्कृशतक संदभों के साथ-साथ
साक्ष्य-आधाररत तरीके से, शवशधक शवचार प्रशक्रया के इशतहास, न्याय के शसद्धांतों, न्यायिास्त्र के अभ्यास
और अन्य संबंशधत शवषयों को उशचत और पयाणप्त प्रशतशनशधत्व हो। शवशधक शिक्षा की पेिकि करने वािे
राज्य संस्थानों को भशवष्य के वकीिों और न्यायाधीिों के शिए शद्वभाषी शिक्षा की पेिकि पर शवचार
करना चाशहए शजसमें एक भाषा अंग्रेजी और दू सरी उस राज्य की भाषा हो शजसमें यह शवशधक शिक्षा संस्था
क्तस्थत है।

20.5 स्वास्थ्य शिक्षा को पुनकणक्तल्पत शकए जाने की आवश्यकता है शजससे शक िैशक्षक कायण क्रमों की अवशध,
संरचना और शडजाइन, स्नातकों द्वारा शनभाई जाने वािी भूशमकाओं के अनुरूप हो सकें। प्राथशमक दे खभाि
और माध्यशमक अस्पतािों में काम करने के शिए मुख्य रूप से अच्छी तरह से पररभाशषत मापदं डों पर
छात्ों का शनयशमत अंतराि पर मूल्यांकन शकया जाएगा। यह दे खते हए शक हमारे िोग स्वास्थ्य सेवा में
बहितावादी शवकल्पों का प्रयोग करते हैं, हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रर्ािी को एकीकृत होना चाशहए – शजसका
अथण है शक, एिोपैशथक शचशकत्सा शिक्षा के सभी छात्ों को आयुवेद, योग और प्राकृशतक शचशकत्सा, यूनानी,
शसद्ध और होम्योपैथी (आयुष) की बुशनयादी समझ होनी चाशहए, और ऐसा ही अन्य सभी प्रकार की
शचशकत्सा से संबक्तन्धत शवद्याशथणयों के शवषय में भी िागू होगा। सभी प्रकार की हेल्थकेयर शिक्षा में शनवारक
स्वास्थ्य दे खभाि (शप्रवेंशटव हेल्थकेयर) और सामुदाशयक शचशकत्सा (कम्यूशनटी मेशडशसन) पर अशधक जोर
शदया जाएगा।

20.6 तकनीकी शिक्षा में शडग्री और शडप्लोमा कायणक्रम िाशमि हैं , उदाहरर् के शिए, इं जीशनयररं ग,
प्रौद्योशगकी, प्रबंधन, वास्तुकिा, टाउन प्लाशनंग, फामे सी, होटि प्रबंधन और कैटररं ग आशद जो भारत के
समग्र शवकास के शिए महत्वपूर्ण हैं । इन क्षेत्ों में न केवि कई दिकों तक पूरी तरह से योग्य व्यक्तियों की
मांग जारी रहेगी, बक्ति इन क्षेत्ों में नवाचार और अनुसंधान सुशनशित करने के शिए संबंशधत उद्योगों और
उच्चतर शिक्षा संस्थानों के बीच घशनष्ठ सहयोग की भी अशधक आवश्यकता होगी। इसके अिावा, समस्त
मानवीय उद्यमों और प्रयासों पर प्रौद्योशगकी के प्रभाव से तकनीकी शिक्षा और अन्य शवषयों के बीच अंतर
समाप्त होने की संभावना बढती जा रही है । इस प्रकार, तकनीकी शिक्षा भी बह-शवषयक शिक्षर् संस्थानों

82
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

और कायणक्रमों के भीतर पेि की जाएगी और अन्य शवषयों के साथ गहराई से जुडने के अवसरों पर नए
शसरे से ध्यान केंशद्रत करे गी। भारत को स्वास्थ्य, पयाणवरर् और दीघणकाशिक स्वस्थ जीवन में इनके
महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के साथ, शजिें युवाओं के शिए रोजगार संवधणन हेतु अवर स्नातक शिक्षा कायणक्रम का
शहस्सा बनाया जाएगा, अत्याधुशनक महत्वपूर्ण क्षेत्ों जैसे शक जीनोशमक अध्ययन, जैव प्रौद्योशगकी, नैनो
प्रौद्योशगकी, न्यूरोसाइं स के साथ ही साथ तेजी से प्रमुखता हाशसि कर रहे आशटण शफशियि इं टेशिजेंस (ए
आई), 3-डी मिीशनंग, बडे डे टा शवश्लेषर्, और मिीन िशनंग क्षेत्ों में पेिेवरों को तैयार करने में भी अग्रर्ी
भूशमका शनभानी चाशहए।

21. प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपयंि सीखना

21.1 बुशनयादी साक्षरता प्राप्त करना, शिक्षा प्राप्त करना और जीशवकोपाजणन का अवसर प्रत्येक नागररक
का मौशिक अशधकार है । साक्षरता और बुशनयादी शिक्षा शकसी व्यक्ति के वैयक्तिक, नागररक, आशथणक और
जीवनपयंत शिक्षा के अवसरों की एक नवीन दु शनया को खोि दे ती है जो व्यक्ति को शनजी और पेिेवराना,
दोनों ही स्तरों पर आगे बढने में मदद करती है। समाज और दे ि के स्तर पर साक्षरता और बुशनयादी
शिक्षा एक ऐसी िक्ति के रूप में काम करती है जो शवकास हेतु शकये जा रहे अन्य सभी प्रयासों की
सफिता को कई गुना बढा दे ती है I वैशिक स्तर पर शवशभन्न दे िों के आं कडे यह दिाणते हैं शक शकसी दे ि
की साक्षरता दर और उसकी प्रशत व्यक्ति जीडीपी में उच्चतर सहसंबंध होता है ।

21.2 साथ ही, एक समुदाय का गैर-साक्षर होने के कारर् असंख्य नुकसान हैं , शजनमें बुशनयादी शवत्तीय
िेनदे न न कर पाना; प्रभाररत मूल्य पर खरीदे गए माि की गुर्वत्ता /मात्ा की तुिना करना ; नौकररयों,
ऋर्, सेवाओं, आशद के शिए आवेदन करने के शिए फ़ॉमण भरना ; समाचार मीशडया में सावणजशनक पररपत्ों
और िेखों को समझना ; व्यापार को संप्रेशषत और संचाशित करने के शिए पारं पररक और इिेक्टरॉशनक मेि
का उपयोग करना ; अपने जीवन और पेिे को बेहतर बनाने के शिए इं टरनेट और अन्य प्रौद्योशगकी का
उपयोग करना ; दवाइयों, सडक आशद पर शदिाओं और सुरक्षा शनदे िों को समझना ; बच्चों को उनकी
शिक्षा में मदद करना ; भारत के नागररक के रूप में शकसी के मूि अशधकारों और शजम्मेदाररयों के बारे में
पता होने; साशहत्य के कायों की सराहना करने; और साक्षरता की आवश्यकता से जुडे मध्यम या उच्चतर
उत्पादकता वािे क्षेत्ों में रोजगार प्राप्त कर पाने में असमथणता िाशमि है। यहाुँ सूचीबद्ध क्षमताएं उन
पररर्ामों की सां केशतक सूची है शजिें प्रौढ शिक्षा के शिए नवाचारी उपायों के रूप में अपनाकर प्राप्त शकया
जा सकता है ।

21.3 भारत एवं शविभर में हए व्यापक िोध अध्ययन और शवश्लेषर् स्पष्ट् तौर पर दिाणते हैं शक
राजनीशतक इच्छािक्ति, संगिनात्मक संरचना, उशचत योजना, पयाण प्त शवत्तीय सहायता और स्वैक्तच्छक
कायणकताणओं का उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण क्षमता संवधणन के साथ-साथ स्वयंसेवा और सामुदाशयक भागीदारी
और एकजुट होना, प्रौढ साक्षरता कायणक्रमों की सफिता के प्रमुख कारक हैं । स्वैक्तच्छक कायणकताणओं पर
आधाररत साक्षरता कायणक्रम के पररर्ामस्वरूप न शसफण समुदाय के वयस्कजनों की साक्षरता में वृक्तद्ध होती

83
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

है बक्ति इससे समुदाय में सभी बच्चों की शिक्षा हे तु मांग भी बढती है . साथ ही सकारात्मक सामाशजक
बदिाव और न्याय के शिए समुदाय की भागीदारी में भी बढोतरी होती है। वषण 1988 में जब राष्ट्रीय
साक्षरता शमिन की िुरुआत की गई तो यह मुख्यतः िोगों की स्वैक्तच्छक भागीदारी और सहयोग पर
आधाररत था, शजसके फिस्वरूप दे ि में 1991-2011 के दिक के दौरान मशहिाओं के बीच साक्षारता
सशहत सम्पूर्ण साक्षरता में उल्लेखनीय वृक्तद्ध हई और तत्कािीन सामाशजक मुद्दों पर चचाण और शवचार शवमिण
भी िुरू हआ।

21.4 प्रौढ शिक्षा के शिए सुदृढ एवं नवाचारी सरकारी पहिकदशमयों, ख़ासकर समुदाय की भागीदारी को
सुगम बनाना तथा प्रौद्योशगकी के सुचारु और िाभकारी एकीकरर् को जल्द से जल्द िागू शकया जाएगा
ताशक 100% साक्षरता के सबसे महत्वपूर्ण उद्दे श्य की प्राक्तप्त िीघ्र हो सके।

21.5 सबसे पहिे एनसीईआरटी के एक नए और सु-समशथणत घटक संगिन द्वारा एक उत्कृष्ट् प्रौड शिक्षर्
पाठ्यचयाण ढांचा शवकशसत शकया जाएगा जो प्रोदा शिक्षा के शिए समशथणत हो ताशक साक्षरता, संख्यात्मकता
बुशनयादी शिक्षर्, व्यावसाशयक कौिि आशद के शिए उत्कृष्ट् पाठ्यचयाण बनाने में एनसीईआरटी की मौजूदा
शविेषज्ञता के प्रशत अनुरूपता शवकशसत और उससे सामंजस्य रखते हए प्रौढ शिक्षा की पाठ्यचयाण ढांचा
तैयार होगा। इस पाठ्यचयाण त्मक ढाुँचे में कम से कम शनम्न पांच प्रकार के कायणक्रम िाशमि होंगे, शजनमें से
प्रत्येक के पररर्ाम स्पष्ट् रूप से पररभाशषत शकये जाएं गे (क) बुशनयादी साक्षरता और संख्या ज्ञान (ख)
महत्वपूर्ण जीवन कौिि (जैसे शवत्तीय साक्षरता, शडशजटि साक्षरता, व्यावसाशयक कौिि, स्वास्थ्य संबंधी
जागरूकता, शििु पािन एवं शिक्षा और पररवार कल्यार्), (ग) व्यावसाशयक कौिि शवकास (स्थानीय
रोज़गार प्राक्तप्त के मद्दे नज़र), (घ) बुशनयादी शिक्षा (प्रारं शभक, माध्यशमक एवं उच्चतर माध्यशमक स्तर के
समकक्ष) एवं (ड) सतत शिक्षा (जैसे किा, शवज्ञान, तकनीकी, संस्कृशत, खेि, मनोरं जन आशद के अिावा
स्थानीय शिक्षाशथणयों की रूशच अथवा िाभ की दृशष्ट् से अन्य शवषयों, उदाहरर् के शिए महत्वपूर्ण जीवन
कौििों पर अशधक उन्नत सामग्री, पर प्रौढ शिक्षा कोसण)। ऐसा करते हए यह ध्यान भी रखा जायेगा शक
कई मामिों में वयस्कों को, बच्चों के साथ इस्तेमाि शकये जाने वािे तरीकों और सामग्री की जगह, शभन्न
प्रकार की शिक्षर्-अशधगम पद्धशतयों और सामग्री की आवश्यकता होगी।

21.6 दू सरा, उपयुि बुशनयादी ढांचा सुशनशित शकया जाएगा ताशक सभी इच्छु क प्रौढो को प्रौढ शिक्षा और
आजीवन अशधगम प्राप्त हो सके । इस शदिा में एक महत्वपूर्ण पहि स्कूि के घंटों के बाद और सप्ताहां त
पर स्कूि / स्कूि पररसरों का उपयोग, प्रौढ शिक्षा पाठ्यक्रमों के शिए सावणजशनक पुस्तकािय स्थान, जो
जहाुँ तक संभव हो आईसीटी से सुसक्तित होंगे और अन्य सामुदाशयक भागीदारी और संवधणन गशतशवशधयों
के शिए शकया जाना होगा। स्कूि शिक्षा, उच्चतर शिक्षा, प्रौढ शिक्षा और व्यावसाशयक शिक्षा के शिए और
अन्य सामुदाशयक और स्वयंसेवी गशतशवशधयों के शिए अवसंरचना का साझाकरर्, भौशतक और मानव, दोनों
संसाधनों के कुिि उपयोग को सुशनशित करने के साथ-साथ इन चार प्रकार की शिक्षा और उससे परे के
बीच तािमेि बनाने के शिए महत्वपूर्ण होगा। इन कारर्ों से, उच्चतर शिक्षर् संस्थानों, व्यावसाशयक

84
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्रशिक्षर् केिों आशद जैसे , आशद अन्य सावणजशनक संस्थानों के भीतर प्रौढ शिक्षा केिो को भी िाशमि
शकया जा सकता है।

21.7 तीसरा, प्रौढ शिक्षा पाठ्यक्रम ढांचे में वशर्णत सभी पांच प्रकार की प्रौढ शिक्षा के शिए पररपि
शिक्षाशथणयों को पाठ्यक्रम की रूपरे खा प्रदान करने के शिए प्रशिक्षकों / शिक्षकों / प्रेरकों की आवश्यकता
होगी। मौजूदा प्रशिक्षकों को प्रौढ शिक्षा केंद्रों में शिक्षर् गशतशवशधयों को व्यवक्तस्थत करने और नेतृत्व करने
के साथ-साथ स्वयंसेवक प्रशिक्षकों और ट्यूटसण के साथ समिय करने के शिए राष्ट्रीय-, राज्य- और शजिा-
स्तरीय संसाधन सहायता संस्थानों द्वारा प्रशिशक्षत शकया जाएगा। समुदाय से योग्य सदस्यों, उच्चतर शिक्षा
संस्थानों के समुदाय से जुडने के शमिन के अंतगणत उच्चतर शिक्षा संस्थानों से भी, को प्रोत्साशहत शकया
जाएगा शक वे िघु अवशध के प्रशिक्षर् कोसण करें और स्वैक्तच्छक कायणकताण के बतौर या तो व्यापक स्तर पर
प्रौढ साक्षरता प्रशिक्षक के रूप में या शफर शनजी शिक्षक/ट्यूटर के रूप में काम करें I राष्ट्र के शिए की गयी
इस महत्वपूर्ण सेवा के शिए उिें सम्माशनत भी शकया जायेगा। राज्य, साक्षरता और प्रौढ शिक्षा की शदिा में
प्रयासों को प्रोत्साशहत करने के शिए गैर-सरकारी संगिनों और अन्य सामुदाशयक संगिनों के साथ भी
काम करें गे।

21.8 चौथा, समुदाय के सदस्य प्रौढ शिक्षा कायणक्रम में भाग िें, यह सुशनशित करने के सभी प्रयास शकये
जायेंगे। जो सामाशजक कायणकताण समुदायों में जा कर गैर-नामांशकत एवं स्कूि छोड दे ने वािे छात्ों का पता
िगाते हैं और उनकी सहभाशगता को सुशनशित करते हैं , उनसे भी ऐसे अशभभावकों, शकिोरों और अन्य
इच्छु क िोगों के आं कडे इकट्ठे करने का अनुरोध शकया जायेगा जो प्रौढ शिक्षा के अवसरों (शिक्षाथी अथवा
प्रशिक्षक /ट्यूटर के बतौर) में रूशच रखते हों; इसके उपरांत सामाशजक/ परामिणदाता कायणकताण इन िोगों
की सूचना स्थानीय प्रौढ शिक्षा केिों को दें गे एवं उिें इससे जोडें गे। शवज्ञापनों और घोषर्ाओं और गैर-
सरकारी संगिनों और अन्य स्थानीय संगिनों की गशतशवशधयों एवं शवशभन्न पहिकदशमयों के माध्यम से भी
प्रौढ शिक्षा के अवसरों का व्यापक प्रचार शकया जायेगा।

21.9 पांचवां , समुदाय एवं शिक्षर् संस्थानों में पढने की आदत शवकशसत करने के शिए पुस्तकों तक पहुँच
और उपिब्धता बेहतर करना आवश्यक है । यह नीशत अनुिंसा करती है शक सभी समुदाय एवं शिक्षर्
संस्थान – शवद्यािय, महाशवद्यािय और शविशवद्यािय ऐसी पुस्तकों की समुशचत आपूशतण सुशनशित करें गे जो
शक सभी शिक्षाशथणयों – शजसमें शनििजन एवं शविेष आवश्यकता वािे शिक्षाथी भी िाशमि हैं , की
आवश्यकताओं और रुशचयों को पूरा करते हों। केंद्र एवं राज्य सरकारें ये सुशनशित करें गी शक पूरे दे ि में
सभी की – शजसमें सामाशजक आशथणक रूप से वंशचत िोगों के साथ साथ ग्रामीर् और दू रदराज के क्षेत्ों में
रहने वािे भी िाशमि हैं, पुस्तकों तक पहुँच हो व पुस्तकों का मूल्य सभी के खरीद सकने की सामर्थ्ण के
अन्दर हो। सावणजशनक एवं शनजी दोनों प्रकार की एजेंशसयां / संस्थान पुस्तकों की गुर्वत्ता एवं आकषणर्
बेहतर बनाने की रर्नीशत बनाने पर काम करें गी। पुस्तकों की ऑनिाइन उपिब्धता बेहतर बनाने एवं
शडशजटि पुस्तकािय को अशधक व्यापक बनाने हेतु कदम उिाये जायेंगे। समुदायों एवं शिक्षर् संस्थानों में
जीवंत पुस्तकाियों को बनाने एवं उनका सफि सिािन सुशनशित करने के शिए, यथोशचत संख्या में

85
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

पुस्तकािय स्टाफ की उपिब्धता हो एवं उनके व्यावसाशयक शवकास के शिए उशचत कररयर मागण बनाने एवं
कररयर प्रबंधन शडजाईन करने की आवश्यकता है । अन्य प्रयासों में िाशमि होंगे – शवद्याियों के
पुस्तकाियों को समृद्ध करना, वंशचत क्षेत्ों में ग्रामीर् पुस्तकाियों एवं पिन कक्षों की स्थापना करना,
भारतीय भाषाओं में पिन सामग्री उपिब्ध कराना, बाि-पुस्तकािय एवं चि-पुस्तकािय खोिना, पूरे
भारत में और शवषयों पर सामाशजक पुस्तक क्लबों की स्थापना व शिक्षर् संस्थानों और पुस्तकाियों में
आपसी सहयोग बढाना।

21.10 अंतत: उपरोि सभी पहिों को मजबू त करने के शिए प्रौद्योशगकी का िाभ उिाया जाएगा।
सरकारी और परोपकारी पहिों के साथ-साथ क्राउडसोशसंग और प्रशतयोशगताओं के माध्यम से प्रौढ शिक्षा
के शिए गुर्वत्तापूर्ण प्रौद्योशगकी-आधाररत शवकल्प, जैसे ऐप, ऑनिाइन कोसण/मॉड्यूि, उपग्रह-आधाररत
टीवी चैनि, ऑनिाइन शकताबें, और आईसीटी से सुसक्तित पुस्तकािय और प्रौढ शिक्षा केंद्र आशद
शवकशसत शकए जाएं गे। कई मामिों में, गुर्वत्तापूर्ण प्रौढ शिक्षा का संचािन ऑनिाइन या शमशश्रत मोड में
शकया जा सकता है।

22. भारिीय भाषाओं, कला और संस्कृशि का संवधवन

22.1 भारत संस्कृशत का समृद्ध भण्डार है – जो हज़ारों वषों में शवकशसत हआ है और यहाुँ की किा,
साशहक्तत्यक कृशतयों, प्रथाओं, परम्पराओं, भाषाई अशभव्यक्तियों, किाकृशतयों, ऐशतहाशसक एवं सांस्कृशतक
धरोहरों के स्थिों इत्याशद में पररिशक्षत होता हआ शदखता है। भारत में भ्रमर्, भारतीय अशतशथ सत्कार का
अनुभव िेना, भारत के ख़ूबसूरत हस्तशिल्प एवं हाथ से बने कपडों को खरीदना, भारत के प्राचीन साशहत्य
को पढना, योग एवं ध्यान का अभ्यास करना, भारतीय दिणनिास्त्र से प्रेररत होना, भारत के अनुपम त्यौहारों
में भाग िेना, भारत के वैशवध्यपूर्ण संगीत एवं किा की सराहना करना और भारतीय शफल्मों को दे खना
आशद ऐसे कुछ आयाम हैं शजनके माध्यम से दु शनया भर के करोडों िोग प्रशतशदन इस सांस्कृशतक शवरासत
में सक्तम्मशित होते हैं , इसका आनन्द उिाते हैं और िाभ प्राप्त करते हैं। यही सांस्कृशतक एवं प्राकृशतक
संपदा है जो भारत के पयणटन स्लोगन के अनुसार भारत को वास्तव में “अिुल्य ! भारि” बनाती है। भारत
की इस सांस्कृशतक संपदा का संरक्षर्, संवधणन एवं प्रसार, दे ि की उच्चतर प्राथशमकता होना चाशहए क्ोंशक
यह दे ि की पहचान के साथ-साथ इसकी अथणव्यवस्था के शिए भी बहत महत्वपूर्ण है।

22.2 भारतीय किा एवं संस्कृशत का संवधणन न शसफण राष्ट्र बक्ति व्यक्तियों के शिए भी महत्वपूर्ण है। बच्चों
में अपनी पहचान और अपनेपन के भाव तथा अन्य संस्कृशतयों और पहचानों की सराहना का भाव पैदा
करने के शिए सांस्कृशतक जागरूकता और अशभव्यक्ति जैसी प्रमुख क्षमताओं को बच्चों में शवकशसत करना
ज़रूरी है। बच्चों में अपने सां स्कृशतक इशतहास, किा, भाषा एवं परं परा की भावना और ज्ञान के शवकास
द्वारा ही एक सकारात्मक सांस्कृशतक पहचान और आत्म-सम्मान बच्चों में शनशमणत शकया जा सकता है। अतः
व्यक्तिगत एवं सामाशजक कल्यार् के शिए सांस्कृशतक जागरूकता और अशभव्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण
है।

86
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

22.3 संस्कृशत का प्रसार करने का सबसे प्रमुख माध्यम किा है। किा- सां स्कृशतक पहचान, जागरूकता
को समृद्ध करने और समुदायों को उन्नत करने के अिावा व्यक्तियों में संज्ञानात्मक और सृजनात्मक
क्षमताओं को बढाने तथा व्यक्तिगत प्रसन्नता को बढाने के शिए जानी जाती है। व्यक्तियों की
प्रसन्नता/कल्यार्, संज्ञानात्मक शवकास और सांस्कृशतक पहचान वह महत्वपूर्ण कारर् हैं शजसके शिए सभी
प्रकार की भारतीय किाएुँ , प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि व शिक्षा से आरि करते हए शिक्षा के सभी
स्तरों पर छात्ों को प्रदान की जानी चाशहए।

22.4 भाषा, शन:संदेह, किा एवं संस्कृशत से अटू ट रूप से जुडी हई है। शवशभन्न भाषाएुँ , दु शनया को शभन्न
तरीके से दे खती हैं इसशिए,मूि रूप से शकसी भाषा को बोिने वािा व्यक्ति अपने अनुभवों को कैसे
समझता है या उसे शकस प्रकार ग्रहर् करता है यह उस भाषा की संरचना से तय होता है। शविेष रूप से,
शकसी संस्कृशत के िोगों का दू सरों के साथ बात करना जैसे पररवार के सदस्यों, प्राशधकार प्राप्त व्यक्तियों,
समकक्षों, अपररशचत आशद भाषा से प्रभाशवत होता है तथा बातचीत के तौर-तरीकों को भी प्रभाशवत करती
है। िहज़ा, अनुभवों की समझ और एक ही भाषा के व्यक्तियों की बातचीत में अपनापन, यह सभी संस्कृशत
का प्रशतशबम्ब और दस्तावेज़ हैं। अतः संस्कृशत हमारी भाषाओं में समाशहत है । साशहत्य , नाटक , संगीत,
शफ़ल्म आशद के रूप में किा की पूरी तरह सराहना करना शबना भाषा के संभव नहीं है । संस्कृशत के
संरक्षर् , संवधणन और प्रसार के शिए , हमें उस संस्कृशत की भाषाओं का संरक्षर् और संवधणन करना होगा।

22.5 दु भाण ग्य से, भारतीय भाषाओं को समुशचत ध्यान और दे खभाि नहीं शमि पाई शजसके तहत दे ि ने
शवगत 50 वषों में ही 220 भाषाओं को खो शदया है । यूनेस्को ने 197 भारतीय भाषाओं को ‘िुप्तप्राय’ घोशषत
शकया है। शवशभन्न भाषाएुँ शविुप्त होने के कगार पर हैं शविेषत: वे भाषाएुँ शजनकी शिशप नहीं है । जब शकसी
समुदाय या जनजाशत के,उस भाषा को बोिने वािे वररष्ठ सदस्य की मृत्यु होती है तो अक्सर वह भाषा भी
उनके साथ समाप्त हो जाती है ; और प्रायः इन समृद्ध भाषाओं/संस्कृशत की अशभव्यक्तियों को संरशक्षत या
उिें ररकॉडण करने के शिए कोई िोस कारण वाई या उपाय नहीं शकए जाते हैं ।

22.6 इसके अिावा, वे भारतीय भाषाएुँ भी, जो आशधकाररक रूप से िुप्तप्राय की सूची में नहीं हैं- जैसे
आिवीं अनुसूची की 22 भाषाएुँ वे भी कई प्रकार की कशिनाइयों का सामना कर रही है। भारतीय भाषाओं
के शिक्षर् और अशधगम को स्कूि और उच्चतर शिक्षा के प्रत्येक स्तर के साथ एकीकृत करने की
आवश्यकता है। भाषाएुँ प्रासंशगक और जीवंत बनी रहें इसके शिए इन भाषाओं में उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण
अशधगम एवं शप्रंट सामग्री का सतत प्रवाह बने रहना चाशहए – शजसमें पाठ्य पुस्तकें, अभ्यास पुस्तकें,
वीशडओ, नाटक, कशवताएुँ , उपन्यास, पशत्काएं आशद िाशमि हैं । भाषाओं के िब्दकोिों और िब्द भण्डार
को आशधकाररक रूप से िगातार अपडे ट अद्यतन होते रहना चाशहए और उसका व्यापक प्रसार भी करना
चाशहए ताशक समसामशयक मुद्दों और अवधारर्ाओं पर इन भाषाओं में चचाण की जा सके। दु शनयाभर के
दे िों द्वारा – अंग्रेजी, फ्रेंच, जमणन, शहब्रू, कोररयाई, जापानी आशद भाषाओं में इस प्रकार की अशधगम
सामग्री, शप्रंट सामग्री बनाने और दु शनया की अन्य भाषाओं की महत्त्वपूर्ण सामग्री का अनुवाद शकया जाता है

87
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

तथा िब्दभंडार को िगातार अद्यतन शकया जाता है । परं तु, अपनी भाषाओं को जीवंत और प्रासंशगक बनाए
रखने में मदद के शिए ऐसी अशधगम सामग्री, शप्रंट सामग्री और िब्दकोि बनाने के मामिे में भारत की
गशत काफ़ी धीमी रही है।

22.7 इसके अशतररि, कई उपाय करने के पिात् भी दे ि में भाषा शसखाने वािे कुिि शिक्षकों की
अत्यशधक कमी रही है। भाषा शिक्षर् में भी सुधार शकया जाना चाशहए ताशक वह अशधक अनुभव-आधाररत
बने और उस भाषा में बातचीत और अन्तःशक्रया करने की क्षमता पर केक्तित हो न शक केवि भाषा के
साशहत्य, िब्दभंडार और व्याकरर् पर। भाषाओं को अशधक व्यापक रूप में बातचीत और शिक्षर्-
अशधगम के शिए प्रयोग में शिया जाना चाशहए।

22.8 स्कूिी बच्चों में भाषा, किा और संस्कृशत को बढावा दे ने के शिए, कई पहिों की चचाण अध्याय 4 में
की जा चुकी है शजसमें – सभी स्कूिी स्तरों पर सं गीत, किा और हस्तकौिि पर बि दे ना; बहभाशषकता
को प्रोत्साशहत करने के शिए शत्भाषा फामूणिा का जल्द शक्रयाियन, साथ ही जब संभव हो
मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षर् तथा अशधक अनुभव-आधाररत भाषा शिक्षर् ; उत्कृष्ट् स्थानीय
किाकारों, िेखकों, हस्तकिाकारों एवं अन्य शविेषज्ञों को स्थानीय शविेषज्ञता के शवशभन्न शवषयों में शवशिष्ट्
प्रशिक्षक के रूप में स्कूिों से जोडना; पाठ्यचयाण , मानशवकी, शवज्ञान, किा, हस्तकिा और खेि में
पारं पररक भारतीय ज्ञान का समावेिन करना, जब भी ऐसा करना प्रासंशगक हो; पाठ्यचयाण में अशधक
िचीिापन, शविेषकर माध्यशमक स्कूि में और उच्चतर शिक्षा में, ताशक शवद्याथी एक आदिण संतुिन कायम
रखते हए अपने शिए कोसण का चुनाव कर सकें शजससे वे स्वयं के सृजनात्मक, किात्मक, सां स्कृशतक एवं
अकादशमक आयामों का शवकास कर सकें आशद िाशमि है।

22.9 उच्चतर शिक्षा एवं उससे आगे की शिक्षा के साथ कदम से कदम शमिाते हए बाद में उक्तल्लक्तखत
प्रमुख पहिों को संभव बनाने के शिए आगे भी कई कदम उिाये जायेंगे। पहिा, ऊपर उक्तल्लक्तखत सभी
कोसण को शवकशसत करना एवं उनका शिक्षर्, शिक्षकों एवं संकाय की उत्कृष्ट् टीम का शवकास करना होगा।
भारतीय भाषाओं, तुिनात्मक साशहत्य, सृजनात्मक िेखन, किा, संगीत, दिणनिास्त्र आशद के सिि
शवभागों एवं कायणक्रमों को दे ि भर में िुरू शकया जाएगा और उिें शवकशसत शकया जाएगा, साथ ही इन
शवषयों में (दोहरी शडग्री चार वषीय बी. एड. सशहत) शडग्री कोसण शवकशसत शकए जाएं गे। ये शवभाग एवं
कायणक्रम, शविेष रूप से उच्चतर योग्यता के भाषा शिक्षकों के एक बडे कैडर को शवकशसत करने में मदद
करे गा, साथ ही साथ किा, संगीत, दिणनिास्त्र एवं िेखन के शिक्षकों को भी तैयार करे गा शजनकी दे ि भर
में इस नीशत को शक्रयाक्तित करने हेतु तुरंत आवश्यकता होगी। एनआरएफ इन क्षेत्ों में गुर्वत्तापूर्ण
अनुसंधान हेतु शवत्त मुहैय्या कराया जाएगा। स्थानीय संगीत, किा, भाषाओं एवं हस्त-शिल्प को प्रोत्साशहत
करने के शिए तथा यह सुशनशित करने के शिए शक छात् जहाुँ अध्ययन कर रहे हों वे वहाुँ की संस्कृशत एवं
स्थानीय ज्ञान को जान सकें, उत्कृष्ट् स्थानीय किाकारों एवं हस्त-शिल्प में कुिि व्यक्तियों को अशतशथ
शिक्षक के रूप में शनयुि शकया जाएगा। प्रत्येक उच्चतर शिक्षर् संस्थान, प्रत्येक स्कूि और स्कूि

88
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

कॉ्प्लेक्स यह प्रयास करे गा शक किाकार वहीुँ शनवास करें शजससे शक छात् किा, सृजनात्मकता तथा
क्षेत्/दे ि की समृक्तद्ध को बेहतर रूप से जान सकें।

22.10 अशधक उच्चतर शिक्षर् संस्थानों तथा उच्चतर शिक्षा के और अशधक कायण क्रमों में
मातृभाषा/स्थानीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में उपयोग शकया जाएगा और / या कायणक्रमों को
शद्वभाशषत रूप में चिाया जाएगा ताशक पहुँच और सकि नामां कन अनुपात दोनों में बढोत्तरी हो सके,
इसके साथ ही सभी भारतीय भाषाओं की मजबूती, उपयोग एवं जीवन्तता को प्रोत्साहन शमि सके;
मातृभाषा/स्थानीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में इस्तेमाि करने और/ या कायणक्रमों को शद्वभाशषत
रूप में चिाने के शिए शनजी प्रशिक्षर् संस्थानों को भी प्रोत्साशहत शकया जाएगा एवं बढावा शदया जाएगा।
चार वषीय बीएड दोहरी शडग्री कायणक्रम को दो भाषाओं में चिाने से भी मदद शमिेगी, जैसे शक दे ि भर के
शवद्याियों में शवज्ञान को दो भाषाओं में पढाने वािे शवज्ञान और गशर्त शिक्षकों के कैडर के प्रशिक्षर् में।

22.11 उच्चतर शिक्षा व्यवस्था के अंतगणत अनुवाद और शववेचना, किा और संग्रहािय प्रिासन, पुरातत्व,
किाकृशत संरक्षर्, ग्राशफ़क शडजाईन एवं वेब शडजाईन के उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण कायणक्रम एवं शडशग्रयों का
सृजन भी शकया जाएगा। अपनी किा एवं संस्कृशत को संरशक्षत करने और बढावा दे ने के शिए शवशभन्न
भारतीय भाषाओं में उच्चतर गुर्वत्ता वािी सामग्री शवकशसत करना, किाकृशतयों का संरक्षर् करना,
संग्रहाियों और शवरासत या पयणटन स्थिों को चिाने के शिए उच्चतर योग्यता प्राप्त व्यक्तियों का शवकास
करना शजससे पयणटन उद्योग को भी काफी मजबूती शमि सके।

22.12 यह नीशत इस बात को स्वीकारती है शक शिक्षाशथणयों को भारत की समृद्ध शवशवधता का प्रत्यक्ष ज्ञान
प्राप्त होना चाशहए । इसका अथण छात्ों द्वारा दे ि के शवशभन्न शहस्सों में भ्रमर् करने जैसी सरि गशतशवशधयों
को िाशमि करना होगा शजससे न केवि पयणटन को बढावा शमिेगा, बक्ति भारत के शवशभन्न शहस्सों की
शवशवधता, संस्कृशत, परं पराओं और ज्ञान की समझ और सराहना होगी । ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत
इस शदिा में दे ि के 100 पयणटन स्थिों की पहचान की जाएगी, जहाुँ शिक्षर् संस्थान छात्ों को इन क्षेत्ों के
बारे में ज्ञानवधणन करने के शिए स्थिों और उनके इशतहास, वैज्ञाशनक योगदान, परं पराओं, स्वदे िी साशहत्य
और ज्ञान आशद का अध्ययन करने के शिए भेजेंगे।

22.13 उच्चतर शिक्षा में किा, भाषा और मानशवकी के क्षेत्ों में ऐसे कायणक्रम बनाने से ऐसे रोजगार के ऐसे
गुर्वत्तापूर्ण अवसर भी पैदा होंगे जो इन योग्यताओं का प्रभावकारी उपयोग कर पायेंगे। अभी भी हजारों
की संख्या में अकादशमयां , संग्रहािय, किा वीशथकाएुँ और धरोहर स्थि हैं शजनको सुचारू रूप से
संचाशित करने के शिए योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता है। जैसे ही योग्य व्यक्तियों से ररि पदों को भरा
जाएगा, एवं अशधक किाकृशतयों को जुटाया जाएगा और संरशक्षत शकया जाएगा, इसके अशतररि संग्रहािय
(शजनमें आभासी (वचुणअि) संग्रहािय / ई-संग्रहाियों सशहत), वीशथकाएुँ और धरोहर स्थि हमारी शवरासत
और भारत के पयणटन उद्योग को संरशक्षत रख पाएुँ गी।

89
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

22.14 भारत िीघ्र ही अनुवाद एवं शववेचना से संबंशधत अपने प्रयासों का शवस्तार करे गा, शजससे
सवणसाधारर् को शवशभन्न भारतीय एवं शवदे िी भाषाओंमें उच्चतर गुर्वत्ता वािा अशधगम सामग्री और अन्य
महत्त्वपूर्ण शिक्तखत एवं मौक्तखक सामग्री उपिब्ध हो सके। इसके शिए एक इं क्तस्टट्यूट ऑफ़ टर ांसिेिन एं ड
इं टरशप्रटे िन (आईआईटीआई) की स्थापना की जायेगी। इस प्रकार का संस्थान दे ि के शिए महत्वपूर्ण सेवा
प्रदान करे गा साथ ही अनेक बह-भाषी भाषा और शवषय शविेषज्ञ तथा अनुवाद एवं व्याख्या के शविेषज्ञों
को शनयुि करे गा शजससे सभी भारतीय भाषाओं को प्रसाररत और प्रचाररत करने में मदद शमिेगी।
आईआईटीआई को अपने अनुवाद और व्याख्या करने के प्रयासों को सुचारू रूप से चिाने के शिए
प्रौद्योशगकी का व्यापक उपयोग करे गा। आईआईटीआई समय के साथ स्वाभाशवक रूप से उन्नशत करें गे
और जैसे जैसे अहणता प्राप्त उम्मीदवारों की मांग बढे गी, संस्थान को उच्चतर शिक्षर् संस्थानों सशहत, दे ि
भर के शवशभन्न स्थानों में खोिा जा सकेगा ताशक अनुसंधान शवभाग के साथ सहभाशगता सुगम हो सके।

22.15 संस्कृत भाषा के वृहद् एवं महत्वपूर्ण योगदान तथा शवशभन्न शवधाओं एवं शवषयों के साशहत्य,
सांस्कृशतक महत्व, वैज्ञाशनक प्रकृशत के चिते संस्कृत को केवि संस्कृत पाििािाओं एवं शविशवद्याियों
तक सीशमत न रखते हए इसे मुख्य धारा में िाया जाएगा - स्कूिों में शत्-भाषा फामूणिा के तहत एक शवकल्प
के रूप में, साथ ही साथ उच्चतर शिक्षा में भी। इसे पृथक रूप से नहीं पढाया जाएगा बक्ति रुशचपूर्ण एवं
नवाचारी तरीकों से एवं अन्य समकािीन एवं प्रासंशगक शवषयों जैसे गशर्त, खगोििास्त्र, दिणनिास्त्र,
नाटक शवधा, योग आशद से जोडा जाएगा। अतः इस नीशत के बाकी शहस्से से संगतता रखते हए, संस्कृत
शविशवद्यािय भी उच्चतर शिक्षा के बडे बहशवषयी संस्थान बनने की शदिा में अग्रसर होंगे; वे संस्कृत शवभाग
जो संस्कृत एवं संस्कृत ज्ञान व्यवस्था के शिक्षर् एवं उत्कृष्ट् अंतरशवषयी अनुसंधान का संचािन करते हैं
उिें सम्पूर्ण नवीन बह-शवषयी उच्चतर शिक्षा व्यवस्था के भीतर स्थाशपत / मजबूत शकया जाएगा। यशद छात्
चाहे तो संस्कृत उच्चतर शिक्षा का स्वाभाशवक शहस्सा बन जाएगा। शिक्षा एवं संस्कृत शवषयों में चार वषीय
बह-शवषयक बी.एड. शडग्री के द्वारा शमिन मोड में पूरे दे ि के संस्कृत शिक्षकों को बडी संख्या में
व्यावसाशयक शिक्षा प्रदान की जायेगी।

22.16 भारत इसी तरह सभी िास्त्रीय भाषाओं और साशहत्य का अध्ययन करने वािे अपने संस्थानों और
शविशवद्याियों का शवस्तार करे गा, और उन हजारों पां डुशिशपयों को इकट्ठा करने, संरशक्षत करने, अनुवाद
करने और उनका अध्ययन करने के मजबूत प्रयास करे गा, शजन पर अभी तक ध्यान नहीं गया है। इसी
प्रकार से सभी संस्थानों एवं शविशवद्याियों, शजनमें िास्त्रीय भाषाओं एवं साशहत्य पढाया जा रहा है , उनका
शवस्तार शकया जाएगा। अभी तक उपेशक्षत रहे िाखों अशभिेखों के संग्रह, संरक्षर्, अनुवाद एवं अध्ययन के
दृढ प्रयास शकये जायेंगे। दे ि भर के संस्कृत एवं सभी भारतीय भाषाओं के संस्थानों एवं शवभागों को
उल्लेखनीय रूप से मजबूत शकया जाएगा, छात्ों के नए बैच को बडी संख्या में अशभिेखों एवं अन्य शवषयों
के साथ उनके अंतसंबंधों के अध्ययन का समुशचत प्रशिक्षर् शदया जाएगा। िास्त्रीय भाषा के संस्थान अपनी
स्वायत्तता को बरकरार रखते हए शविशवद्याियों के साथ सम्बद्ध होने या उनमें शविय का प्रयास करें गे
ताशक एक सुदृढ एवं गहन बहशवषयी कायणक्रम के शहस्से के तौर पर संकाय काम कर सके एवं छात्
प्रशिक्षर् प्राप्त कर सकें। समान उद्दे श्य प्राप्त करने के शिए, भाषाओं को समशपणत शविशवद्यािय भी

90
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

बहशवषयी बनेंगे; जहाुँ प्रासंशगक होगा वे शिक्षा एवं उस भाषा में बी.एड. दोहरी शडग्री प्रदान करे गी ताशक
उस भाषा के उत्कृष्ट् भाषा शिक्षक तैयार हो सकें। इसके अिावा, यह भी प्रस्ताशवत है शक भाषाओं के शिए
एक नया संस्थान स्थाशपत शकया जाएगा। शविशवद्यािय के पररसर में एक पािी, फारसी, एवं प्राकृत भाषा के
शिए एक राष्ट्रीय संस्थान स्थाशपत शकया जाएगा। शजन संस्थानों एवं शविशवद्याियों में भारतीय किा, किा
इशतहास एवं भारत शवद्या का अध्ययन शकया जा रहा है वहाुँ भी इसी प्रकार के कदम उिाये जायेंगे। इन
सभी क्षेत्ों में उत्कृष्ट् अनुसंधानों को एनआरएफ द्वारा सहयोग प्रदान शकया जाएगा।

22.17 िास्त्रीय, आशदवासी और िुप्तप्राय भाषाओं सशहत सभी भारतीय भाषाओं को संरशक्षत और बढावा
दे ने के प्रयास नए जोि के साथ शकए जाएं गे। प्रौद्योशगकी एवं क्राउडसोशसंग, िोगों की व्यापक भागीदारी के
साथ, इन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूशमका शनभाएं गे।

22.18 भारत के संशवधान की आिवीं अनुसूची में उक्तल्लक्तखत प्रत्येक भाषा के शिए अकादमी स्थाशपत की
जायेगी शजनमें हर भाषा से श्रेष्ठ शवद्वान एवं मूि रूप से वह भाषा बोिने वािे िोग िाशमि रहेंगे ताशक नवीन
अवधारर्ाओं का सरि शकन्तु सटीक िब्द भण्डार तय शकया जा सके, तथा शनयशमत रूप से नवीनतम
िब्दकोष जारी शकया जा सके (शवि में कई भाषाओं अन्य कई भाषाओं के सफि प्रयासों के सदृि)। इन
िब्दकोिों के शनमाणर् के शिए ये अकादशमयां एक दु सरे से परामिण िें गी, कुछ मामिों में आम जनता के
सवणश्रेष्ठ सुझावों को भी िेंगी। जब भी संभव हो, साझे िब्दों को अंगीकृत करने का प्रयास भी शकया जाएगा।
ये िब्दकोष व्यापक रूप से प्रसाररत शकये जायेंगे ताशक शिक्षा, पत्काररता, िेखन, बातचीत आशद में
इस्तेमाि शकया जा सके एवं शकताब के रूप में तथा ऑनिाइन उपिब्ध हों। अनुसूची 8 की भाषाओं के
शिए इन अकाशदशमयों को केि सरकार द्वारा राज्य सरकारों के साथ परामिण करके अथवा उनके साथ
शमिकर स्थाशपत शकया जाएगा। इसी प्रकार व्यापक पैमाने पर बोिी जाने वािी अन्य भारतीय भाषाओं की
अकादमी केंद्र अथवा/और राज्य सरकारों द्वारा स्थाशपत की जायेंगी।

22.19 सभी भारतीय भाषाओं और उनसे संबंशधत समृद्ध स्थानीय किा एवं संस्कृशत के संरक्षर् हे तु सभी
भारतीय भाषाओं एवं और उनसे संबंशधत स्थानीय किा एवं संस्कृशत का, वेब आधाररत
प्लेटफामण/पोटण ि/शवकीपीशडया के माध्यम से दस्तावे जीकरर् शकया जाएगा। प्लेटफामण पर शवशडयो,
िब्दकोष, ररकॉशडं ग एवं अन्य सामग्री होगी जैसे िोगों द्वारा भाषा बोिना (शविेषकर बुजुगों द्वारा),
कहाशनयां सुनाना, कशवता पाि करना, नाटक खेिना, िोक गायन एवं नृत्य करना आशद। दे ि भर के िोगों
को इन प्रयासों में योगदान दे ने के शिए आमंशत्त शकया जाएगा शजससे वो इन
प्लेटफामण/पोटण ि/शवकीपीशडया पर प्रासंशगक सामग्री जोड सकेंगे। शविशवद्यािय एवं उनकी िोध टीम एक
दू सरे के साथ तथा दे ि भर के समुदायों के साथ काम करें गी ताशक इन प्लेटफामण को और समृद्ध शकया जा
सके। संरक्षर् के इन प्रयासों तथा इनसे जुडे अनुसंधान पररयोजनाओं, उदाहरर् के शिए इशतहास, पुरातत्व,
भाषा शवज्ञान आशद को एनआरएफ द्वारा शवत्तीय सहायता दी जायेगी।

91
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

22.20 स्थानीय मास्टसण तथा / या उच्चतर शिक्षा व्यवस्था के अंतगणत भारतीय भाषाओं, किा एवं संस्कृशत
के अध्ययन के शिए सभी आयु के िोगों के शिए छात्वृशत्त की स्थापना की जायेगी। भारतीय भाषाओं का
संवधणन एवं प्रसार तभी संभव है जब उिें शनयशमत तौर पर प्रयोग शकया जाए तथा शिक्षर्-अशधगम के शिए
प्रयोग शकया जाए। भारतीय भाषाओं में, शवशभन्न श्रेशर्यों में उत्कृष्ट् कशवताओं एवं गद्य के शिए पुरस्कार की
स्थापना जैसे प्रोत्साहन के कदम उिाये जायेंगे ताशक सभी भारतीय भाषाओुँ में जीवंत कशवतायें, उपन्यास,
पाठ्य पुस्तकें, कथेतर साशहत्य का शनमाण र् एवं पत्काररता जैसे अन्य कायण सुशनशित शकये जा सकें। भारतीय
भाषाओुँ में प्रवीर्ता को रोज़गार अहणता के मानदं डो के एक शहस्से के तौर पर िाशमि शकया जाएगा।

23. प्रौद्यचशगकी का उपयचग और एकीकरण

23.1 भारत, सूचना एवं संचार प्रौद्योशगकी तथा अंतररक्ष जैसे अन्य अत्याधुशनक क्षेत्ों में वैशिक स्तर पर
नेतृत्व कर रहा है । शडशजटि इं शडया अशभयान पूरे दे ि को एक शडशजटि रूप से सिि समाज एवं ज्ञान
आधाररत अथणव्यवस्था में पररवशतणत करने में मदद कर रहा है । इस रूपांतरर् में गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा के
साथ प्रौद्योशगकी भी िैशक्षक प्रशक्रया एवं पररर्ामों के सुधार में महत्वपूर्ण भूशमका शनभाएगी। इस प्रकार,
सभी स्तरों पर प्रौद्योशगकी और शिक्षा के बीच शद्वशदि संबंध है ।

23.2 तकनीक को समझने एवं इस्तेमाि करने वािे शिक्षक व उद्यशमयों , शजनमें छात् उद्यमी भी िाशमि
हैं की वास्तशवक रचनात्मकता के साथ-साथ प्रौद्योशगकी शवकास की तीव्र दर को दे खते हए यह शनशित है
शक प्रौद्योशगकी, शिक्षा को कई मायनों में प्रभाशवत करे गी, शजनमें से वतणमान में शसफण कुछ के बारे में
अंदाजा िगाया जा सकता है। नए प्रौद्योशगकी क्षेत् जैसे शक आशटण फीशियि इं टेशिजेंस, मिीन िशनंग, ब्लॉक
चेन, स्माटण बोडण , हस्त संचाशित कंप्यूशटं ग उपकरर्, छात्ों के शवकास के शिए एडे शिव कंप्यूटर टे क्तस्टंग, और
अन्य प्रकार के सॉफ्टवेयर द्वारा न केवि यह पररवतणन होगा शक छात् क्ा सीखता है वरन यह भी पररवतणन
होगा शक वो कैसे सीखता है। इस प्रकार इन क्षेत्ों में भशवष्य में भी प्रौद्योशगकी एवं िैशक्षक दोनों दृशष्ट् से
व्यापक िोध की आवश्यकता होगी ।

23.3 शिक्षा के शवशभन्न आयामों को बेहतर बनाने के शिए प्रौद्योशगकी के सभी प्रकार के प्रयोग व एकीकरर्
को समथणन शदया जाएगा एवं अंगीकृत शकया जाएगा, बिते शक वृहद् स्तर पर िागू करने से पहिे इनका
प्रासंशगक सन्दभों में िोस एवं पारदिी ढं ग से आं किन शकया गया हो। शवद्याियी एवं उच्चतर शिक्षा दोनों
क्षेत् में शिक्षर्, मूल्यांकन, शनयोजन, प्रिासन आशद में सुधार हेतु प्रौद्योशगकी के उपयोग पर शवचारों के मुि
आदान-प्रदान को एक मंच प्रदान करने के शिए एक स्वायत्त शनकाय के रूप में राष्ट्रीय िैशक्षक प्रौद्योशगकी
मंच (एनईटीएफ) का शनमाण र् शकया जाएगा । एनईटीएफ का उद्दे श्य प्रौद्योशगकी को अपनाये जाने और
शकसी क्षेत् शविेष में उसके उपयोग से संबक्तन्धत शनर्णयों को सुगम बनाना होगा । एनईटीएफ यह कायण,
िैशक्षक संस्थानों के प्रमुखों, केंद्रीय और राज्य सरकारों व अन्य शहतधारकों को, नवीनतम ज्ञान व अनुसन्धान
के साथ ही साथ सवोत्तम कायणप्रर्ाशियों को एक-दू सरे से साझा करने और परामिण के अवसर प्रदान
करके करे गा। एनईटीएफ के शनम्नशिक्तखत कायण होंगे :

92
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

क. प्रौद्योशगकी आधाररत हस्तक्षेप में केंद्र एवं राज्य सरकार की एजेंशसयों को स्वतंत् एवं प्रमार्
आधाररत परामिण उपिब्ध कराना;
ख. िैशक्षक प्रौद्योशगकी में बौक्तद्धक एवं संस्थागत क्षमता का शनमाणर्;
ग. इस क्षेत् में रर्नीशतक रूप से अत्यंत प्रभावी कायों की पररकल्पना करना; और
घ. अनुसंधान एवं नवाचार के शिए नई शदिाओं को स्पष्ट् करना ।

23.4 िैशक्षक प्रौद्योशगकी के तीव्रता से पररवशतणत हो रहे क्षेत् में प्रासंशगक बने रहने के शिए एनईटीएफ
शवशवध स्रोतों से, शजनमें िैशक्षक प्रौद्योशगकी के आशवष्कार को और उस प्रोद्योशगकी को प्रयोग करने वािे
िोग सक्तम्मशित हैं , से प्राप्त प्रमाशर्क डे टा के शनयशमत प्रवाह को बनाए रखेगा और िोधकताणओं के शवशवध
वगण के साथ शमिकर इस डे टा का शवश्लेषर् करे गा। ज्ञान एवं उसके प्रयोग तथा इस शदिा में सतत नए
सृजन को बढावा दे ने के शिए, एनईटीएफ अंतराण ष्ट्रीय िैशक्षक प्रौद्योशगकी िोधकताणओ,ं उद्यशमयों और
प्रौद्योशगकी को उपयोग में िा रहे व्यक्तियों के शवचारों से िाभाक्तित होने के शिए कई क्षेत्ीय और राष्ट्रीय
सम्मेिनों, कायणिािाओं आशद का आयोजन करे गा।

23.5 प्रौद्योशगकी हस्तक्षेपों का मुख्य उद्दे श्य शिक्षर्-अशधगम और आं किन प्रशक्रयाओं को बेहतर बनाना,
शिक्षकों की तैयारी एवं व्यावसाशयक शवकास में सहयोग करना, िैशक्षक पहुँ च को बढाना, िैशक्षक शनयोजन,
प्रबंधन एवं प्रिासन को सरि एवं व्यवक्तस्थत करना शजसमें प्रवेि, उपक्तस्थशत, मूल्यांकन संबंधी प्रशक्रयाएं
आशद सक्तम्मशित हैं।

23.6 उपरोि सभी उद्दे श्यों की प्राक्तप्त हे तु सभी स्तरों पर शिक्षकों और शवद्याशथणयों के शिए बहत से िैशक्षक
सॉफ्टवेयर शवकशसत शकए जाएं गे और उिें उपिब्ध करवाये जायेंगे । ऐसे सभी सॉफ्टवेयर सभी प्रमुख
भारतीय भाषाओं में उपिब्ध होंगे और सुदूर क्षेत्ों में रहने वािे छात्ों, तथा शदव्यांग शवद्याशथणयों समेत सभी
प्रकार के उपयोगकताणओं के शिए उपिब्ध होंगे । सभी राज्यों तथा एनसीईआरटी, सीआईईटी, सीबीएसई,
एनआईओएस एवं अन्य शनकायों / संस्थानों द्वारा शवशभन्न क्षेत्ीय भाषाओं में शवकशसत शिक्षर् एवं अशधगम
संबंधी ई-कंटें ट दीक्षा प्लेटफामण पर अपिोड शकया जाएगा। इस प्लेटफामण पर उपिब्ध ई-कंटें ट का
उपयोग शिक्षकों के व्यावसाय सम्बन्धी शवकास के शिए शकया जा सकता है। दीक्षा के साथ साथ अन्य
िैशक्षक प्रौद्योशगकी संबंधी उपायों के संवधणन एवं प्रसार हेतु सीआईईटी को मजबूत बनाया जाएगा। स्कूिों
में शिक्षकों के शिए उपयुि उपकरर् उपिब्ध कराये जायेंगे ताशक शिक्षक अपने शिक्षर्-अशधगम
अभ्यासों में ई-सामग्री को उपयुि रूप से िाशमि कर सकें। प्रौद्योशगकी आधाररत शिक्षा प्लेटफ़ॉमण, जैसे
दीक्षा/ स्वयम, सम्पूर्ण स्कूिी और उच्चतर शिक्षा में समक्तित शकये जाएं गे, और इसमें उपयोगकताणओं द्वारा
रे शटं ग / समीक्षाएं िाशमि होंगी, ताशक कंटे न्ट शवकासकताण प्रयोिा अनुकूि और गुर्वत्ता पूर्ण कंटे न्ट बना
सकें।

23.7 संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को अशनवायणत: रूप से रूपांतररत करने में तेज़ी से उभरती पररवतणनिीि
प्रौद्योशगकी पर भी शविेष ध्यान दे ने की आवश्यकता है । जब 1986/1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीशत बनायी गयी

93
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

थी, तब इं टरनेट के वतणमान क्रांशतकारी प्रभावों का अनुमान िगाना कशिन था। हमारी वतणमान शिक्षा
प्रर्ािी की इन तीव्र और युगां तरकारी पररवतणनों का सामना करने की असमथणता इस तेजी से प्रशतस्पधी
होती दु शनया में हमें (व्यक्तिगत रूप से और एक राष्ट्र के रूप में) खतरनाक और हाशनकारक क्तस्थशत की
ओर िे जा रही है। उदाहरर् के शिए, आज जब कंप्यू टर ने तर्थ्ात्मक और प्रशक्रयात्मक ज्ञान के मामिे में
मनुष्य को काफी पीछे छोड शदया है, तब भी हमारी शिक्षा व्यवस्था, उच्चतर स्तर की दक्षताओं के शवकास
के स्थान पर, अपने शवद्याशथणयों पर शिक्षर् के सभी स्तरों पर ऐसे ज्ञान का अत्यशधक बोझ डािती रहती है।

23.8 इस नीशत को ऐसे समय में तैयार शकया गया है जब कृशत्म बुक्तद्धमत्ता (आशटण शफ़श्यि इं टेशिजेंस)
3डी/7डी वचुणअि ररएल्टी जैसी शनशित पररवतणनकारी प्रौद्योशगकी का शवकास रहा है। जैसे-जैसे कृशत्म
बुक्तद्धमत्ता-आधाररत पूवाणनुमानों की िागत कम होती जाएगी, वैसे-वैसे कृशत्म बुक्तद्धमत्ता कुिि पेिेवरों की
बराबरी करने िगेगी व उनसे भी आगे शनकि जाएगी और डॉक्टर जैसे अन्य पेिेवरों के शिए, पूवाणनुमान
िगाने के कामों में मूल्यवान सहायक शसद्ध होगी। एआई की पररवतणन िा पाने की क्षमता स्पष्ट् है शजस पर
त्वररत प्रशतशक्रया के शिए शिक्षा व्यवस्था को तैयार रहना होगा। एनईटीएफ के स्थायी कायों में से एक,
उभरती हई प्रौद्योशगशकयों को उनकी क्षमता व पररवतणन िाने की अनुमाशनत समय सीमा के आधार पर
वगीकृत करना और समय-समय पर इन शवश्लेषर्ों को मानव संसाधन शवकास मंत्ािय के समक्ष प्रस्तुत
करना होगा। इन सूचनाओं के आधार पर मानव संसाधन शवकास मंत्ािय औपचाररक रूप से ऐसी
प्रौद्योशगकी को शचशह्नत करे गा शजनके उद्भव के शिए शिक्षा प्रर्ािी से प्रशतशक्रया आवश्यक होगी।

23.9 मानव संसाधन शवकास मंत्ािय द्वारा औपचाररक रूप से नवीन पररवतणनकारी प्रौद्योशगकी को
औपचाररक रूप से स्वीकार करने के प्रशतशक्रयास्वरूप, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउं डेिन द्वारा प्रौद्योशगकी के
क्षेत् में अनुसंधान का प्रारि या शवस्तार शकया जाएगा। कृशत्म बुक्तद्धमत्ता (एआई) के संदभण में, एनआरएफ
शत्-आयामी दृशष्ट्कोर् अपना सकता है : (क) कोर आशटण शफशियि इं टेशिजेंस अनुसंधान को आगे बढाना,(ख)
एक्तप्लकेिन आधाररत अनुसंधान का शवकास और प्रयोग, तथा (ग) स्वास्थ्य, कृशष व जिवायु संकट जैसे
वैशिक संकटों की चुनौशतयों का सामना करने के शिए कृशत्म बुक्तद्धमत्ता का उपयोग करते हए अंतराण ष्ट्रीय
अनुसंधान के प्रयासों को प्रारं भ करना।

23.10 उच्चतर शिक्षर् संस्थान न शसफण पररवतणनकारी प्रौद्योशगकी पर अनुसंधान में सशक्रय भूशमका
शनभाएं गे बक्ति अत्याधुशनक क्षेत्ों में आरं शभक शनदे िात्मक सामग्री और पाठ्यक्रम (ऑनिाइन पाठ्यक्रमों
सशहत) भी तैयार करने के साथ ही साथ व्यावसाशयक शिक्षा जैसे शवशिष्ट् क्षेत्ों में उनके प्रभाव का आकिन
भी करें गे। जब प्रौद्योशगकी एक स्तर की पररपिता प्राप्त कर िेगी, हजारों छात्ों के साथ उच्चतर शिक्षा
संस्थान इस प्रकार के शिक्षर् और कौिि शनमाणर् के कामों को बढाने के शिए आदिण क्तस्थशत में होंगे,
शजसमे रोजगारपरक तैयारी के शिए िशक्षत प्रशिक्षर् के प्रयास भी िाशमि होंगे। पररवतणनकारी प्रौद्योशगकी
कुछ नौकररयों को शनरथणक बना दें गी, अतः रोजगार पैदा करने और उिें बनाए रखने के शिए क्तस्कशिंग
और शड-क्तस्कशिंग के प्रशत प्रभावी और गुर्वत्तापूर्ण दृशष्ट्कोर् महत्वपूर्ण होगा। संस्थानों को कौिि और
उच्चतर शिक्षा के साथ एकीकृत शकये जा सकने वािे प्रशिक्षर् दे ने के शिए संस्थागत और गैर-संस्थागत

94
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

भागीदारों को मंजूरी दे ने की स्वायत्तता होगी, शजसे कौिि और उच्चतर शिक्षर् संबंधी रूपरे खाओं के साथ
एकीकृत शकया जाएगा।

23.11 शविशवद्याियों का उद्दे श्य मिीन िशनंग जैसे मूि क्षेत्ों/ कोर एररया, बह-शवषयक क्षेत्ों “कृशत्म
बुक्तद्धमत्ता + X” और व्यावसाशयक क्षेत्ों (जैसे स्वास्थ्य, कृशष, शवशध) में पीएचडी और स्नातकोत्तर कायणक्रम
प्रदान करना होगा। ये स्वयम जैसे मंचों की सहायता से इन क्षेत्ों में आशधकाररक पाठ्यक्रमों को शवकशसत
कर उनका प्रसार कर सकते हैं। िीघ्रता से अपनाने के शिए उच्चतर शिक्षा संस्थान आरं भ में इन
ऑनिाइन पाठ्यक्रमों को पारं पररक शिक्षर् के स्नातक और व्यावसाशयक पाठ्यक्रमों में सक्तम्मशित कर
सकते हैं। उच्चतर शिक्षा संस्थान कृशत्म बुक्तद्धमत्ता को सहायता प्रदान करने के शिए कम शविेषज्ञता की
मांग वािे क्षेत्ों, जैसे डे टा एनोटे िन, इमेज क्लाशसशफकेिन और स्पीच टर ां सशक्रप्िन, में िशक्षत प्रशिक्षर् भी
दे सकते हैं। स्कूिी शवद्याशथणयों को भाषा शसखाने के प्रयासों को भारत की शवशवध भाषाओं के शिए
स्वाभाशवक भाषा प्रोसेशसंग को बढावा दे ने के प्रयासों के साथ जोडा जाएगा।

23.12 जैसे जैसे पररवतणनकारी प्रौद्योशगशकयाुँ उभर रही हैं , स्कूिी और अशग्रम शिक्षा इनके अत्यंत
िक्तििािी प्रभावों के बारे में आम जनता की जागरूकता बढाने में सहायता करे गी और इसके साथ ही
इससे संबंशधत मुद्दों को भी हि करे गी। इन प्रौद्योशगशकयों से संबंशधत मुद्दों पर एक सुशवचाररत सावणजशनक
सहमशत बनाने के शिए यह जागरूकता आवश्यक है। शवद्यािय स्तर पर अध्ययन हेतु चयाण नैशतक व
समसामशयक मुद्दों में एनईटीएफ़ /एमएचआरडी द्वारा शचशह्नत अत्यंत प्रभाविािी प्रौद्योशगशकयों पर चचाण
को भी िाशमि शकया जाएगा। सतत शिक्षा हेतु उशचत शनदे िात्मक एवं शवमिाणत्मक सामग्री भी तैयार की
जाएगी।

23.13 कृशत्म बुक्तद्धमत्ता आधाररत प्रौद्योशगकी के शिए डाटा एक महत्वपूर्ण ईंधन के समान है , और
गोपनीयता के मुद्दों पर, डाटा-संधारर्, डाटा-संरक्षर् आशद से जुडी सुरक्षा, कानून और मानकों के प्रशत
जागरूकता बढाना अशत आवश्यक है। साथ ही कृशत्म बुक्तद्धमत्ता आधाररत प्रौद्योशगकी के शवकास और
प्रयोग से जुडे नैशतक मुद्दों को उिाना भी आवश्यक है। शिक्षा इन मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के
प्रयासों में महत्वपूर्ण भूशमका शनभाएगी। अन्य पररवतणनकारी प्रौद्योशगकी जैसे स्वच्छ और अक्षय ऊजाण, जि
संरक्षर्, संवहनीय खेती, पयाण वरर् संरक्षर् और अन्य हररत उपाय आशद जो हमारे जीवन जीने तथा छात्ों
को शिक्षा प्रदान करने के तरीके पर प्रभाव डािने की क्षमता रखते है इन पर भी शिक्षा के क्षेत् में प्राथशमक
रूप से ध्यान शदया जाएगा।

24. ऑनलाइन और शड्शजटल शिक्षा - प्रौद्यचशगकी का न्यायसम्मि उपयचग सुशनशिि करना

24.1 नई पररक्तस्थशतयाुँ और वास्तशवकताओं के शिए नई पहिें अपेशक्षत हैं। संक्रामक रोगों और वैशिक
माहामाररयों में हाि ही में वृक्तद्ध को दे खते हए यह ज़रूरी हो गया है शक जब भी और जहाुँ भी शिक्षा के
पारं पररक और शविेष साधन संभव न हों वहाुँ हम गुर्वत्ता पूर्ण शिक्षा के वैकक्तल्पक साधनों के साथ तैयार

95
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

हों। इस संबंध में, नई शिक्षा नीशत, 2020 प्रौद्योशगकी की संभाशवत चुनौशतयों को स्वीकार करते हए उससे
शमिने वािे िाभों के महत्व पर भी ध्यान केंशद्रत है । यह शनधाण ररत करने के शिए शक ऑनिाइन/शडशजटि
शिक्षा की हाशनयों को कम करते हए हम कैसे इससे िाभ उिा सकते हैं , सावधानीपूवणक और उपयुि
रूप से तैयार शकया गया अध्ययन करना होगा। साथ ही,सभी को गुर्वत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने से
संबंशधत वतणमान और भावी चुनौशतयों का सामना करने के शिए मौजूदा शडशजटि प्लेटफॉमण और शक्रयाक्तित
आईसीटी -आधाररत पहिों को अनुकूि और शवस्ताररत करना होगा।

24.2 तथाशप, ऑनिाइन / शडशजटि शिक्षा का िाभ तब तक नहीं उिाया जा सकता जब तक शडशजटि
इं शडया अशभयान और शकफ़ायती कंप्यूशटं ग उपकरर्ों की उपिब्धता जैसे िोस प्रयासों के माध्यम से
शडशजटि अंतर को समाप्त नहीं शकया जाता। यह जरूरी है शक ऑनिाइन और शडशजटि शिक्षा के शिए
प्रौद्योशगकी का उपयोग समानता के सरोकारों को पयाण प्त रूप से संबोशधत शकया जाए ।

24.3 प्रभाविािी ऑनिाइन प्रशिक्षक बनने के शिए शिक्षकों को उपयुि प्रशिक्षर् और शवकास चाशहए।
पहिे से ही यह माना नहीं जा सकता शक पारं पररक कक्षा में एक अच्छा शिक्षक स्वचाशित रूप से चिने
वािी एक ऑनिाइन कक्षा में भी एक अच्छा शिक्षक शसद्ध होगा। अध्यापन में आवश्यक पररवतणनों के
अिावा, ऑनिाइन आकिन के शिए भी एक अिग दृशष्ट्कोर् की आवश्यकता होती है । बडे पैमाने पर
ऑनिाइन परीक्षा आयोशजत करने में कई चुनौशतयां हैं , शजनमें ऑनिाइन पररवेि में पूछे जाने वािे प्रश्नों के
प्रकार से संबंशधत सीमाएं , नेटवकण और शबजिी के व्यवधान से जूझना और अनैशतक प्रथाओं को रोकना
िाशमि हैं। कुछ प्रकार के पाठ्यक्रम / शवषय, जैसे प्रदिणन किा और शवज्ञान व्यावहाररक ऑनिाइन /
शडशजटि शिक्षा क्षेत् में सीमाएं हैं, शजिें नवीन उपायों के साथ कुछ सीमा तक दू र शकया जा सकता है।
इसके अिावा, जब तक ऑनिाइन शिक्षा को अनुभवात्मक और गशतशवशध-आधाररत शिक्षा के साथ शमशश्रत
नहीं शकया जाता, तब तक यह सीखने के सामाशजक, भावात्मक और साइकोमोटर आयामों पर सीशमत
फोकस वािी एक स्क्रीन-आधाररत शिक्षा मात् ही बन जाएगी।

24.4 शडशजटि प्रौद्योशगकी के उद्भव और स्कूि से िेकर उच्चतर शिक्षा तक सभी स्तरों पर शिक्षर्-
अशधगम के शिए प्रौद्योशगकी के उभरते हए महत्व को दे खते हए - यह नीशत शनम्नशिक्तखत प्रमुख पहिों की
शसफाररि करती है :

क. ऑनलाइन शिक्षा के शलए पायलट अध्ययन : ऑनिाइन शिक्षा की हाशनयों को कम करते हए


उसे शिक्षा के साथ एकीकृत करने के िाभों का मूल्यां कन करने के शिए और छात्ों को उपकरर्ों
की आदत, ई-कंटैं ट का सबसे पसंदीदा प्रारूप आशद जैसे संबंशधत शवषयों का अध्ययन करने के
शिए भी इसके साथ साथ प्रमुख अद्यायन संचाशित करने के शिए एनईटीएफ़, सीआईईटी,
एनआईओएस, इग्नू, आईआईटी, एनआईटी आशद जैसी उपयुि एजेंशसयों की पहचान की जाएगी।
इन पायिट अध्ययनों के पररर्ामों को सावणजशनक रूप से सूशचत शकया जाएगा और शनरं तर सुधार
के शिए इनका उपयोग शकया जाएगा।

96
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

ख. शड्शजटल इन्फ्रास्टर क्चर: भारत के क्षेत्फि, शवशवधता, जशटिता और शडवाइस अथणबोध को हि


करने के शिए शिक्षा के क्षेत् में खुिे, परस्पर, शवकशसत, सावणजशनक शडशजटि इन्फ्फ्रास्टर क्चर का
शनमाण र् करने की आवश्यकता है , शजसका उपयोग कई प्लेटफामों और पॉइं ट सॉल्यूिंस द्वारा
शकया जा सकता है। इससे यह सुशनशित होगा शक प्रौद्योशगकी आधाररत समाधान प्रौद्योशगकी में
तेजी से प्रगशत के साथ पुराने न हो जाएं ।

ग. ऑनलाइन शिक्षण मंच और उपकरण: शिक्षाशथणयों की प्रगशत की शनगरानी के शिए शिक्षको को


सहायक उपकरर् के एक संरशचत, उपयोगकताण अनुकूि, शवकशसत सेट प्रदान करने के शिए
स्वयम, दीक्षा जैसे उपयुि मौजूदा ई-िशनंग प्लेटफ़ॉमण का शवस्तार शकया जाएगा। वतणमान महामारी
ने स्पष्ट् कर शदया है शक ऑनिाइन कक्षाओं के आयोजन के शिए दो-तरफ़ा वीशडयो और दो-
तरफ़ा-ऑशडयो इं टरफ़ेस जैसे उपकरर् एक वास्तशवक आवश्यकता है।

घ. सामग्री शनमावण, शड्शजटल ररपॉशजटरी और प्रसार: कोसण वकण, िशनंग गेम्स और शसमुिेिन,
ऑगमेंटेड ररयशिटी और वचुणअि ररयशिटी के शनमाणर् सशहत कंटे न्ट की एक शडशजटि ररपोशजटरी
शवकशसत की जाएगी, शजसमें प्रभाविीिता और गुर्वत्ता के शिए उपयोगकताणओं द्वारा रे शटं ग करने
के शिए एक स्पष्ट् सावणजशनक प्रर्ािी होगी। छात्ों के शिए मनोरं जन आधाररत अशधगम हेतु
उपयुि उपकरर् जैसे ऐप, स्पष्ट् संचािन शनदे ि के साथ कई भाषाओं में भारतीय किा और
संस्कृशत का एकीकरर् आशद भी बनाए जाएं गे। । छात्ों को ई-सामग्री का प्रसार करने के शिए एक
शविसनीय बैकअप तंत् प्रदान शकया जाएगा।

ङ. शड्शजटल अंिर कच कम करना: इस तर्थ् को दे खते हए शक अभी भी जनसंख्या का एक बडा


शहस्सा ऐसा है , शजसकी शडशजटि पहुँच अत्यशधक सीशमत है , मौजूदा जनसंचार माध्यम जैसे
टे िीशवज़न, रे शडयो और सामुदाशयक रे शडयो का उपयोग टे िीकास्ट और प्रसारर् के शिए बडे पैमाने
पर शकया जाएगा। इस तरह के िैशक्षक कायणक्रमों को छात्ों की बदिती आवश्यकताओं को पूरा
करने के शिए शवशभन्न भाषाओं में 24/7 उपिब्ध कराया जाएगा। सभी भारतीय भाषाओं में सामग्री
पर शविेष ध्यान शदया जाएगा और इस पर शविेष बि शदया जाएगा शक जहाुँ तक संभव हो, शिक्षकों
और छात्ों तक शडशजटि सामग्री उनकी सीखने की भाषा में पहंचे ।

च. वचुवअल लैब्स: वचुणअि िै ब बनाने के शिए दीक्षा, स्वयम और स्वयमप्रभा जैसे मौजूदा ई-िशनंग
प्लेटफ़ॉमण का उपयोग शकया जाएगा ताशक सभी छात्ों को गुर्वत्ता पूर्ण व्यावहाररक और प्रयोग-
आधाररत अनुभव का समान अवसर प्राप्त हो। एसईडीजी छात्ों और शिक्षकों को पहिे से िोड
की गई सामग्री वािे टै बिे ट जैसे उपयुि शडशजटि उपकरर् पयाण प्त रूप से दे ने की संभावना पर
शवचार शकया जाएगा और उिें शवकशसत शकया जाएगा।

97
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

छ. शिक्षकचं के शलए प्रशिक्षण और प्रचत्साहन: शिक्षको को शिक्षाथी-केंशद्रत अध्यापन में गहन


प्रशिक्षर् शदया जाएगा और यह भी बताया जाएगा शक वे ऑनिाइन शिक्षर् प्लेटफामों और
उपकरर्ों का उपयोग करके उच्चतर गुर्वत्ता वािी ऑनिाइन सामग्री का स्वयं सृजन करें गे। ई-
सामग्री के साथ साथ छात्ों में आपसी सहयोग स्थाशपत करने के शिए शिक्षक की भूशमका पर जोर
शदया जाएगा।

ज. ऑनलाइन मूल्यांकन और परीक्षाएं : उपयुि शनकाय, जैसे शक प्रस्ताशवत राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र
अथवा ‘परख’, स्कूि बोडण , एनटीए, और अन्य शचशह्नत शनकाय मूल्यांकन रूपरे खाओं का शनधाणरर्
करें गे और कायाणक्तित करें गे, शजसमें दक्षताओं, पोटण फोशियो, रुशब्रक्स, मानकीकृत मूल्यांकन और
मूल्यांकन शवश्लेषर् के शडजाइन िाशमि होंगे। 21 वीं सदी के कौिि पर ध्यान केंशद्रत करते हए
शिक्षा प्रौद्योशगशकयों का उपयोग कर मूल्यांकन के नए तरीकों का अध्ययन शकया जाएगा।

झ. सीखने के शमशिि मॉड्ल: शडशजटि शिक्षा व शिक्षर् को बढावा दे ने के साथ ही, परं परागत
व्यक्तिगत रूप से आमने-सामने सीखने के महत्व को भी पूरी तरह से स्वीकार शकया जाता है।
तदनुसार, शवशभन्न शवषयों के शिए सीखने के शवशभन्न शमशश्रत प्रभावी मॉडि, उपयुि प्रशतकृशत के
शिए शचशह्नत शकए जाएं गे।

ञ. मानकचं कच पूरा करना: जैसे जैसे ऑनिाइन / शडशजटि शिक्षा पर िोध सामने आ रहे हैं,
एनईटीएफ़ और अन्य उपयुि शनकाय ऑनिाइन / शडशजटि शिक्षर्-शिक्षर् के शिए सामग्री,
प्रौद्योशगकी और शिक्षािास्त्र के मानक स्थाशपत करें गे। ये मानक राज्यों, बोडों, स्कूिों और स्कूि
पररसरों, उच्चतर शिक्षर् संस्थानों, आशद द्वारा ई-िशनंग के शिए शदिाशनदे ि तैयार करने में मदद
करें गे।

24.5 शवश्व स्तरीय शड्शजटल इनरास्टर क्चर, िैशक्षक शड्शजटल कंटैं ट सामग्री और क्षमिा का
शनमावण करने के शलए एक समशपवि इकाई का सृजन - शिक्षा में प्रौद्योशगकी कोई गंतव्य न होकर एक
यात्ा के समान है और नीशतगत उद्दे श्यों को िागू करने के शिए शवशभन्न पाररक्तस्थशतक तंत् के क्तखिाशडयों को
तैयार करने हेतु क्षमता की आवश्यकता होगी। स्कूि और उच्चतर शिक्षा दोनों की ई-शिक्षा आवश्यकताओं
पर ध्यान दे ने के शिए मंत्ािय में शडशजटि बुशनयादी ढांचे, शडशजटि सामग्री और क्षमता शनमाणर् की
व्यवस्था करने के उद्दे श्य के शिए एक समशपणत इकाई की स्थापना की जाएगी। चूंशक प्रौद्योशगकी तेजी से
शवकशसत हो रही है, और उच्चतर गुर्वत्ता वािे ई-िशनंग को शवतररत करने के शिए शविेषज्ञों की
आवश्यकता है, इसशिए एक जीवंत पाररक्तस्थशतकी तंत् को ऐसे समाधान के शिए प्रोत्साशहत शकया जाना है
जो न केवि भारत के आकार, शवशवधता, इक्तिटी की चुनौशतयों को हि करें , बक्ति तेजी से हो रहे
प्रौद्योगीकीय बदिावों को ध्यान में रखते हए शवकशसत शकए जाए, शजसका कुछ भाग प्रत्येक बीतने वािे
वषण के साथ पुराना होता जाता है। अत: इस केंद्र में प्रिासन, शिक्षा, िैशक्षक प्रौद्योशगकी, शडशजटि
शिक्षािास्त्र और मूल्यांकन, ई-गवनेंस, आशद के क्षेत् से जुडे शविेषज्ञ िाशमि होंगे।

98
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

भाग IV. शक्रयान्वयन की रणनीशि

25. केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बचड्व का सिक्तक्तकरण

25.1 इस नीशत के सफि शक्रयाियन के शिए राष्ट्रीय, राज्य, संस्थागत और व्यक्तिगत स्तर पर एक
दीघणकाशिक शवज़न, शविेषज्ञता की शनरं तर उपिब्धता और संबंशधत िोगों द्वारा िोस कदम उिाए जाने की
आवश्यकता है । इस संदभण में, यह नीशत केंद्रीय शिक्षा सिाहकार बोडण (केब) के सिक्तिकरर् की
अनुिंसा करती है जो शक ना केवि िैशक्षक एवं सां स्कृशतक शवकास से जुडे मुद्दों पर व्यापक परामिण और
समीक्षा के शिए एक फोरम प्रदान करता हैं बक्ति इसके कहीं अशधक वृहद् उद्दे श्य हैं। एक पुनकणक्तल्पत
और पुनजीशवत केब मानव संसाधन शवकास मंत्ािय और राज्य स्तर पर सदृि इकाइयों/शनकायों के साथ
शमिकर दे ि में शिक्षा के शवज़न को िगातार अनवरत रूप से शवकशसत करने, सुस्पष्ट्ता िाने, उसका
आं किन करने और उसको संिोशधत करने के शिए शज़म्मेदार होगा । इसे ऐसी संस्थागत रूपरे खाओं को
भी िगातार तैयार एवं उनकी समीक्षा करते रहना चाशहए जो इस शवज़न को प्राप्त करने में सहायक होंगी।

25.2 अशधगम और शिक्षा पर एक बार शफर ध्यान केक्तित करने के शिए यह वां छनीय होगा शक मानव
संसाधन शवकास मंत्ािय को शिक्षा मंत्ािय(एमओई) के रूप में पुन:नाशमत शकया जाए।

26. शवत्त पचषण: सभी के शलए वहनीय एवं गुणवत्तापूणव शिक्षा

26.1 यह नीशत िैशक्षक शनवेि में उल्लेखनीय वृक्तद्ध के शिए प्रशतबद्ध है क्ूंशक समाज के भशवष्य हेतु युवाओं
के शिए उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा से बे हतर कोई शनवेि नहीं होता। दु भाणग्य से भारत में शिक्षा पर होने
वािा सावणजशनक व्यय कभी भी सरकारी खचण कभी भी कुि सकि घरे िू उत्पाद के 6% तक नहीं पहुँच
पाया शजसशक 1968 की शिक्षा नीशत में अनुिंसा शक गयी थी और शजसको 1986 की शिक्षा नीशत और
1992 में नीशत समीक्षा में दोहराया गया था। वतणमान में शिक्षा पर सावणजशनक खचण (केंद्र तथा राज्य सरकारों
द्वारा) जीडीपी (बजटीय व्यय आवंटन 2017-18 के शवश्लेषर् के अनुसार) के 4.43% के आस पास है और
सरकारी व्यय का केवि 10% शिक्षा पर शकया जाता है (इकनोशमक सवे 2017-18), यह आं कडा
अशधकाुँि शिशक्षत एवं शवकासिीि दे िों से काफी कम है।

26.2 भारत में उत्कृष्ट्ता के साथ शिक्षा के िक्ष्य को पाने के शिए तथा दे ि एवं अथणव्यवस्था के शिए से जुडे
िाभों की बहिता के कारर् यह शिक्षा नीशत, केंद्र तथा सभी राज्य सरकारों द्वारा, शिक्षा में शनवेि को
पयाणप्त रूप से बढाने का समथणन करती है । केंद्र और राज्य शिक्षा क्षेत् में सावणजशनक शनवेि को बढाने के
शिए जीडीपी के 6% तक जल्द से जल्द पहुँचने के शिए शमिकर काम करें गे । भारत के भावी आशथणक,
सामाशजक, सांस्कृशतक, बौक्तद्धक एवं तकनीकी उन्नशत एवं शवकास के शिए ज़रूरी, उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण एवं
समतापूर्ण सरकारी शिक्षा व्यवस्था के शिए शिक्षा पर इतना शनवेि करना बहत ही महत्वपूर्ण है ।

99
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

26.3 शविेष रूप से शिक्षा से जुडे महत्वपूर्ण मदों और संघटकों के शिए शवत्तीय सहायता प्रदान की जाएगी
जैसे– सभी तक शिक्षा की पहुँ च सुशनशित करना, सीखने के संसाधन, पोषर् सहायता, शवद्याशथणयों की सुरक्षा
एवं स्वास्थ्य, शिक्षकों एवं कमणचाररयों की पयाण प्त संख्या, शिक्षकों का शवकास तथा शपछडे और सामाशजक-
आशथणक रूप से शपछडे समूहों के शिए समतापूर्ण उच्चतर गुर्वत्ता की शिक्षा प्रदान करने के शिए शकये
जाने वािे सभी प्रुमख प्रयास।

26.4 मुख्यतः बुशनयादी सुशवधाओं एवं संसाधन सम्बन्धी एकमुश्त खचों के अिावा यह नीशत एक शिक्षा
प्रर्ािी शवकशसत करने के शिए शवत्त पोषर् हे तु शनम्नशिक्तखत महत्वपूर्ण दीघणकाशिक क्षेत्ों की पहचान करती
है, शजन पर जोर शदया जाना चाशहए: क) गुर्वत्तापूर्ण प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि शिक्षा का सावणभौशमक
प्रावधान; ख) पढने शिखने और गर्ना करने की बुशनयादी क्षमता सुशनशित करना, ग) सभी स्कूि
का्प्लेक्सों/क्लस्टरों के शिए पयाण प्त और उपयुि संसाधन, घ) भोजन एवं पोषर् मुहैय्या कराना(नाश्ता एवं
मध्याहन भोजन), ड.) शिक्षक शिक्षा और शिक्षकों के सतत व्यावसाशयक शवकास में शनवेि, च) उत्कृष्ट्ता
को पोशषत करने के शिए शविशवद्याियों एवं महाशवद्याियों में सुधार, छ)िोध का शवकास और ज)
प्रौद्योशगकी और ऑनिाइन शिक्षा का व्यापक उपयोग।

26.5 शिक्षा के क्षेत् के शिए सीशमत मात्ा में उपिब्ध शवत्त भी अमूमन शजिा/संस्थान के स्तर पर समय पर
व्यय नहीं शकया जाता, शजससे उस राशि के िशक्षत उद्दे श्यों को प्राप्त करने में कशिनाई होती है । अत:
आवश्यकता उपयुि नीशतगत पररवतणनों द्वारा उपिब्ध बजट के उपयोग में दक्षता बढाने की है । शवत्तीय
प्रिासन एवं प्रबंधन इस बात पर ध्यान दे गा शक शनशधयाुँ आसानी से, समय पर एवं उशचत मात्ा में उपिब्ध
हों और उसका व्यय ईमानदारी से शकया जाए। प्रिासशनक प्रशक्रयाओं को संिोशधत और सुव्यवक्तस्थत शकया
जाएगा ताशक संशवतरर् तं त् के कारर् अशधक मात्ा में अव्यशयत िेष न रह सके। सरकारी संसाधनों के
कुिि उपयोग और धन की पाशकंग से बचने के शिए जीएफआर, पीएफएमएस एवं ‘सही समय पर’
आवंटन से संबंशधत प्रावधान को िागू करने वािी कायाण ियन एजेंशसयों के शिए जारी शकया जाएगा। राज्य /
उच्चतर शिक्षा संस्थानों में प्रदिणन-आधाररत शवत्त पोषर् का तंत् तैयार शकया जा सकता है। इसी प्रकार
एसईडीजी के शिए शनधाणररत धन के इष्ट्तम आवंटन और उपयोग के शिए कुिि तंत् सुशनशित शकया
जाएगा। प्रस्ताशवत नवीन शनयामक व्यवस्था, शजसमें भूशमकाओं का शवभाजन एवं पारदिी स्व-प्रकटीकरर्,
संस्थानों का सिक्तिकरर् एवं स्वायत्तता, उत्कृष्ट् एवं योग्य शविेषज्ञों की प्रमुख पदों पर शनयुक्तिआशद
िाशमि है, से शवत्त के आसान, त्वररत एवं पारदिी प्रवाह में मदद शमिेगी। ।

26.6 यह नीशत शिक्षा क्षेत् में शनज़ी परोपकारी गशतशवशधओं को पुनजीशवत करने, सशक्रय रूप से प्रोत्साशहत
करने और समथणन करने की अनुिंसा करती है । शविेष रूप से, बजटीय समथणन के अशतररि जो अन्यथा
उिें प्रदान शकया गया होता है। कोई भी सावणजशनक संस्थान िैशक्षक अनुभवों को बढाने के शिए शनजी
परोपकारी धन जुटाने की शदिा में पहि कर सकता है ।

100
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

26.7 इस नीशत में शिक्षा के व्यावसायीकरर् के मुद्दे से कई मोचों पर शनपटने का प्रयास शकया गया है,
शजसमें ‘सरि शकन्तु किोर’ शनयमन दृशष्ट्कोर् भी िाशमि है , जो शवत्त, प्रशक्रयाओं, कायणपद्धशत, उपिब्ध
पाठ्यक्रमों एवं कायण क्रमों में पूरी पारदशिणता के साथ स्व-प्रकटीकरर्; सावणजशनक शिक्षा में पयाणप्त शनवेि,
सरकारी तथा शनजी सभी संस्थानों में अच्छे प्रिासन और तंत् पर जोर दे ता है। इसी तरह, जरूरतमंद
अथवा योग्य वगों को प्रभाशवत शकए शबना उच्चतर िागत वसूिी के अवसरों का भी पता िगाया जाएगा।

27. शक्रयान्वयन

27.1 शकसी भी नीशत की प्रभाविीिता उसके कायाण ियन पर शनभणर करती है। ऐसे शक्रयाियन के शिए,
कई शनकायों द्वारा समक्तित एवं व्यवक्तस्थत तरीके से बहत सी पहि करनी होंगी और कई कदम उिाने की
ज़रूरत होगी। इसशिए इस नीशत के शक्रयाियन को कई शनकायों, शजनमें एमएचआरडी, केब, केंद्र एवं
राज्य सरकारें , शिक्षा सम्बन्धी मंत्ािय, राज्यों के शिक्षा शवभाग, बोड्ण स, एनटीए, स्कूि एवं उच्चतर शिक्षा के
शनयामक शनकाय, एनसीईआरटी, एससीईआरटी, स्कूि एवं उच्चतर शिक्षर् संस्थान िाशमि हैं , द्वारा शिक्षा
में िाशमि सभी शनकायों में योजना को िेकर आपसी समियन व तािमेि के माध्यम से इसके भाव एवम
प्रयोजन अनुसार सुशनशित करने के शिए नेतृत्व प्रदान शकया जायेगा।

27.2 शक्रयाियन के शिए शनम्नशिक्तखत मागणदिी शसद्धां त होंगे : पहिा, नीशत की भावना और प्रयोजन
शक्रयाियन हेतु सबसे महत्वपूर्ण पहिू हैं। दू सरा, नीशतगत पहिों को चरर्बद्ध तरीके से शक्रयाक्तित करना
महत्वपूर्ण है क्ोंशक नीशत के हर शबंदु में कई कदम हैं और प्रत्येक चरर् इस दृशष्ट् से महत्वपूर्ण होता है
क्ोंशक वह अगिे चरर् के शक्रयाियन का आधार बनता है। तीसरा, प्राथशमकीकरर् द्वारा काम को एक
ऐसे क्रमबद्ध तरीके से शकया जाना संभव होगा शजसमें सबसे महत्वपूर्ण और अशत-आवश्यक कायण पहिे
शकए जाएुँ ताशक एक मजबूत नींव तैयार हो सके। चौथा, शक्रयाियन की व्यापकता महत्वपूर्ण होगी; यह
नीशत एक व्यापक नज़ररया, समग्रता रखती है शजसके अवयव आपस में जुडे हए हैं, अतः टु कडों में प्रयास
करने के बजाय समग्र दृशष्ट्कोर् रखते हए शक्रयाियन करने से ही वांशछत उद्दे श्यों की प्राक्तप्त सुशनशित
होगी। पाुँचवाुँ , क्ोंशक शिक्षा समवती सूची का शवषय है , अतः इसमें केंद्र और राज्यों के बीच सावधानीपूवणक
योजना शनमाणर्, संयुि शनगरानी और समियपूर्ण शक्रयाियन की जरुरत होगी। छिा, संतोषजनक
शनष्पादन के शिए मानव, संरचनागत और शवत्तीय संसाधनों को समय से जुटाना अहम शबंदु है । आक्तखर में,
शक्रयाियन हेतु शकए जाने वािे शवशवध उपायों के बीच परस्पर जुडाव का सावधानीपूवणक शवश्लेषर् और
समीक्षा सभी पहिों के एक-दू सरे से प्रभावी जुडाव को सुशनशित करने की दृशष्ट् से जरुरी होगी। इसमें कुछ
ऐसे कायों में शनवेि िाशमि है (उदाहरर् के शिए प्रारक्तिक बाल्यावस्था शिक्षा का बुशनयादी ढाुँ चा)जो ना
शसफण एक मजबूत नींव बनाने की दृशष्ट् से जरुरी हैं बक्ति भावी कायणक्रमों और कायों के बाधारशहत संचािन
के शिए भी आवश्यक हैं ।

27.3 सम्बद्ध मंत्ाियों के समिय से एवं उनसे परामिण करके केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर शवषयवार
शक्रयाियन शविेषज्ञ सशमशतयों का गिन शकया जाएगा जो इस नीशत के उद्दे श्यों को चरर्बद्ध और स्पष्ट्

101
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

रूप से प्राप्त करने के शिए उपरोि शसद्धां तो के अनुसार एक शवस्तृत शक्रयाियन योजना तैयार करें गीं।
मानव संसाधन शवकास मंत्ािय और राज्यों द्वारा शनशदण ष्ट् टीमों के द्वारा प्रत्येक शक्रयाियन शबंदु के शिए रखे
गए िक्ष्यों के अनुसार नीशत की प्रशत वषण संयुि समीक्षा की जायेगी और केब के साथ साझा की जाएगी।
2030-40 के दिक तक सम्पूर्ण नीशत शक्रयाियन अवस्था में आ चुकी होगी और उसके बाद एक और
व्यापक समीक्षा की जाएगी।

***

102
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

प्रयुक्त संकेिाक्षरचं की सूची

एबीसी अकेडशमक बैंक ऑफ क्रेशडट


एआई आशटण शफशियि इं टेशिजेंस

एसी ऑटोनोमस शडग्री ग्राक्तन्टंग कॉिेज


एईसी प्रौढ शिक्षा केंद्र

एपीआई एप्लीकेिन प्रोग्राशमंग इं टरफ़ेस

आयुष आयुवेद , योग और प्राकृशतक शचशकत्सा, यूनानी , शसद्ध और होम्योपैथी


बीएड बैचिर ऑफ एजुकेिन

बीईओ ब्लॉक शिक्षा अशधकारी


बीआईटीई ब्लॉक इं स्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेिन

बीओए बोडण ऑफ असेसमेंट


बीओजी बोडण ऑफ गवनणसण

बीआरसी ब्लॉक संसाधन केंद्र


बी.वोक. बैचिर ऑफ वोकेिनि एजुकेिन

सीएबीई सेंटरि एडवाइजरी बोडण ऑफ एजुकेिन


सीबीसीएस चॉइस बेस्ड क्रेशडट शसस्टम

सीबीएसई केंद्रीय माध्यशमक शिक्षा बोडण


सीआईईटी सेंटरि इं स्टीट्यूट ऑफ एजुकेिनि टे िोिॉजी

सीएमपी कॅररयर प्रबंधन और प्रगशत


सीओए वास्तुकिा पररषद

सीपीडी सतत व्यावसाशयक शवकास


सीआरसी क्लस्टर संसाधन केंद्र

सीडब्ल्यूएसएन शचल्डरेन शवद स्पेिि नीड् स


डीएई परमार्ु ऊजाण शवभाग
डीबीटी जैव प्रौद्योशगकी शवभाग

103
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

डीईओ शजिा शिक्षा अशधकारी

डीआईईटी शजिा शिक्षा और प्रशिक्षर् संस्थान


दीक्षा शडशजटि इन्फ्फ्रास्टर क्चर फॉर नॉिेज िेयररं ग

डीएसई स्कूि शिक्षा शनदे िािय


डीएसटी शवज्ञान और प्रौद्योशगकी शवभाग

ईसीसीई अिी चाइल्डहड केयर एं ड एजुकेिन


ईईसी प्रख्यात शविेषज्ञ सशमशत

जीसीईडी ग्लोबि शसशटजनशिप एजुकेिन


जीडीपी सकि घरे िू उत्पाद

जीईसी सामान्य शिक्षा पररषद


जीईआर सकि नामां कन अनुपात

जीएफआर सामान्य शवत्तीय शनयम


एचईसीआई भारत का उच्चतर शिक्षा आयोग

एचईजीसी उच्चतर शिक्षा अनुदान पररषद


एचईआई उच्चतर शिक्षा संस्थान

आईसीएआर भारतीय कृशष अनुसंधान पररषद


आईसीएचआर भारतीय ऐशतहाशसक अनुसंधान पररषद

आईसीएमआर भारतीय शचशकत्सा अनुसंधान पररषद


आईसीटी सूचना और संचार प्रौद्योशगकी

आईडीपी संस्थागत शवकास योजना


इग्नू इं शदरा गांधी राष्ट्रीय मुि शविशवद्यािय

आईआईएम भारतीय प्रबंध संस्थान


आईआईटी भारतीय प्रौद्योशगकी संस्थान

आईआईटीआई इं शडयन इं स्टीट्यूट ऑफ टर ांसिेिन एं ड इं टरशप्रटे िन


आईएसएि भारतीय सांकेशतक भाषा

आईटीआई औद्योशगक प्रशिक्षर् संस्थान


एमएड मास्टर ऑफ एजुकेिन

104
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

एमबीबीएस बैचिर ऑफ मेशडशसन एं ड बैचिर ऑफ सजणरी

एमईआरयू बह-शवषयक शिक्षा और अनुसंधान शविशवद्यािय


एमएचएफडब्ल्यू स्वास्थ्य और पररवार कल्यार् मंत्ािय

एमएचआरडी मानव संसाधन शवकास मंत्ािय


एमओई शिक्षा मंत्ािय

एमओओसी मैशसव ओपन ऑनिाइन कोसण


एमओयू समझौता ज्ञापन

एम शफि मास्टर ऑफ़ शफिोसोफी


एमडब्ल्यूसीडी मशहिा और बाि शवकास मं त्ािय

एनएसी राष्ट्रीय प्रत्यायन पररषद


एनएएस नेिनि अचीवमेंट सवे

एनसीसी नेिनि कैडे ट कोर


एनसीईआरटी राष्ट्रीय िैशक्षक अनुसंधान और प्रशिक्षर् पररषद

एनसीऍफ़ राष्ट्रीय पाठ्यचयाण रूपरे खा


एनसीऍफ़एसई स्कूि शिक्षा के शिए राष्ट्रीय पाठ्यचयाण रूपरे खा

एनसीआईवीई व्यावसाशयक शिक्षा के एकीकरर् के शिए राष्ट्रीय सशमशत


एनसीपीएफईसीसीई प्रारं शभक बाल्यावस्था दे खभाि और शिक्षा के शिए राष्ट्रीय पाठ्यचयाण और

शिक्षर्-िास्त्र
एनसीटीई नेिनि काउं शसि फॉर टीचर एजुकेिन

एनसीवीईटी नेिनि काउं शसि फॉर वोकेिनि एजुकेिन एं ड टर े शनं ग


एनईटीएफ राष्ट्रीय िैशक्षक प्रौद्योशगकी फोरम

एनजीओ गैर सरकारी संगिन


एनएचईक्ूएफ राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवकण

एनएचईआरसी राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा शनयामक पररषद


एनआईओएस राष्ट्रीय मुि शवद्याियी शिक्षा संस्थान

एनआईटी राष्ट्रीय प्रौद्योशगकी सं स्थान


एनआईटीआई नेिनि इं स्टीट्यूिन फॉर टर ांसफॉशमंग इं शडया

105
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

एनपीई राष्ट्रीय शिक्षा नीशत

एनपीएसटी शिक्षकों के शिए राष्ट्रीय व्यावसाशयक मानक


एनआरएफ नेिनि ररसचण फाउं डेिन

एनएसक्ूऍफ़ राष्ट्रीय कौिि योग्यता फ्रेमवकण


एनएसएसओ राष्ट्रीय नमूना सवेक्षर् कायाण िय

एनटीए नेिनि टे क्तस्टंग एजेंसी


ओबीसी अन्य शपछडा वगण

ओडीएि ओपन और शडस्टें स िशनंग


परख (PARAKH) समग्र शवकास के शिए प्रदिण न आकिन, समीक्षा और ज्ञान का शवश्लेषर्

पीसीआई फामेसी काउं शसि ऑफ इं शडया


पीऍफ़एमएस सावणजशनक शवत्तीय प्रबंधन प्रर्ािी

पीएचडी डॉक्टर ऑफ़ शफिोसोफी


पीएसएसबी प्रोफेिनि स्टैं डडण सेशटं ग बॉडी

पीटीआर छात् शिक्षक अनुपात


आर एं ड आई ररसचण एं ड इनोवेिन

आरसीआई भारतीय पुनवाण स पररषद


आरपीडब्ल्यूडी शवकिांग व्यक्तियों के अशधकार

एसएएस स्टे ट अचीवमेंट सवे


एससी अनुसूशचत जाशत

एससीडीपी स्कूि पररसर / क्लस्टर शवकास योजनाएं


एससीईआरटी राज्य िैशक्षक अनुसंधान और प्रशिक्षर् पररषद

एससीएफ राज्य पाठ्यक्रम फ्रेमवकण


एससीएमसी स्कूि पररसर प्रबंधन सशमशत

एसडीजी सतत शवकास िक्ष्य


एसडीपी स्कूि शवकास योजना

एसईडीजी सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूह,


एसईजेड स्पेिि एजुकेिन जोन

106
राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020

एसआईओएस राज्य मुि शवद्याियी शिक्षा संस्थान

एसएमसी स्कूि प्रबंधन सशमशत


एसक्ूएएएफ स्कूि गुर्वत्ता मूल्यांकन और प्रत्यायन फ्रेमवकण

एसएसए सवण शिक्षा अशभयान


एसएसएस सरि मानक संस्कृत

एसएसएसए राज्य स्कूि मानक प्राशधकरर्


एसटी अनुसूशचत जनजाशत

एसटीईएम शवज्ञान, प्रौद्योशगकी, इं जीशनयररं ग और गशर्त


एसटीएस संस्कृत के माध्यम से संस्कृत

स्वयम स्टडी वेब्स ऑफ़ एक्तक्टव िशनंग फॉर यं ग एस्पायररं ग माइं डस


टीईआई शिक्षक शिक्षा संस्थान

टीईटी शिक्षक पात्ता परीक्षा


यू-डीआईएसई एकीकृत शजिा शिक्षा सूचना प्रर्ािी

यूजीसी शविशवद्यािय अनुदान आयोग


यूनेस्को संयुि राष्ट्र िैक्षशर्क, वैज्ञाशनक और सांस्कृशतक संगिन

यूटी संघ राज्य क्षेत्


वीसीआई भारतीय पिु शचशकत्सा पररषद

******

107

You might also like