You are on page 1of 2

*" गोपी के नयन "*

एक बार यामसु दर अपना ंग ृ ार कर रहे थे। तभी यामसु दर ने कुछ सोचकर न द गाँव क गो पय को
बल ु ाया और कहा क अभी तम ु बरसाना जाओ और ये पता लगाना क हमार ाण यार ने आज कैसे व
धारण कए ह। आज हम भी वैसा ह पोशाक धारण करगे। आज तो राधे जैसे ह व धारण करके ह नकंु ज म
जायगे और तो हम दे खकर राधा जी अचि भत हो जायगी।
जब न द गाँव से गो पयाँ ी बरसाना पहुँची तो ी कुछ मंज रयाँ ी राधा रानी का ंग ृ ार कर रह थीं। कुछ
मंज रया बाहर खड़ी थीं उ ह ने गो पय को अ दर जाने नह ं दया। तो गो पय ने बहुत अनरु ोध कया क सफ
एक झलक तो यार क नहारने दो फर हम यहाँ से चल जाएगीं। मंजर ने कहा क एक शत है क कोई एक गोपी
ह अ दर जाएगी।
फर एक गोपी अ दर ीराधे क झलक के दशन करने गयी। गोपी बना पलक झपकाए ीराधे क झलक
के दशन करती रह । फर उस गोपी ने तरु त अपने ने ब द कर लए और ब द ने से ह बाहर आकर दस ू र
गोपी को कहा क अ र सखी ! ज द से मझ ु े न द गाँव ले चल। सभी स खय ने कहा क पहले ीराधे के ंग ृ ार का
वणन तो कर सखी। गोपी ने कहा क पहले ज द से मझ ु े यामस ु दर के पास ले चलो वह ं पर बताती हू ँ ।
उस गोपी का हाथ पकडकर स खयाँ न दभवन म ले आयीं। जब स खयाँ नंदगाँव पहुँची तो यामसु दर ने
पछ ु ा क कर लये मेर ीराधे के दशन ? अब ज द से मझ ु े बता कैसे पोषाक धारण कए ह ? कतनी सु दर लग
रह थीं मेर यार ?
तब गोपी ने कहा क हमार ाण यार को बड़े ेम से संभाल कर मेरे इन ने म समां कर लायी हूँ। लो अब
म ने खोल रह हूँ। आप मेरे ने म झांक कर ाण यार का दशन करे ।
अहा ! कतना अ भत ु भाव है । कतना सम पत भाव है । ऐसा अ भत ु और सम पत भाव सफ ज क
गो पकाएँ ह कर सकती ह। तब यामसु दर ने उस गोपी के नयनो म झाँका तो बरसाने म ंग ृ ार करती हुई ीराधे
दखाई द ।ं यामसु दर अपनी ाण यार क झलक पाकर उस गोपी के ने म ह खो गए। अपलक उस गोपी के
ने म ह नहारते रहे । अपना ंग ृ ार करना भी जैसे भल ू गए। एक त भ क तरह जैसे अचेतन हो गए हो। एक
गोपी ने यामसु दर को पक ु ारा तो चेतनव त हुए।
यामसु दर उस गोपी पर ब लहार जाते ह और बोले तू ध य है गोपी और तेरा ेम भी ध य है । तु हारे
ेम ने तो न दभवन म बरसाना दखा दया है ।
फर यामसद ंु र ने ीराधे जैसा ह ंग ृ ार और पोषाक धारण कए। िजस गोपी के ने म ी राधे दे खी थी
उस कहा क अब तम ु अपने ने म मेर छ व को ब द कर लो। उस गोपी ने यामसु दर को भी अपलक नहारा
और थोडी दे र म अपने ने को ब द कर दया। यामसु दर ने एक और गोपी से कहा क इस गोपी को नकंु ज म
ले जाओ जहाँ ीराधे बैठकर मेरा इ तजार कर रह ह। वो सखी उसका हाथ पकडकर नकंु ज म ले आयी जहाँ
ीराधे अपने यामसु दर का इ तजार कर रह थीं।
न द गाँव क गो पय को दे खकर उनसे पछ ू ा क यामसु दर कहाँ ह ?
िजस गोपी के ने ब द थे उसने कहा क यामसु दर मेरे ने म समा गए ह। ऐसा कहकर उस गोपी ने अपने ने
को जैसे ह खोला, तो ीराधे भी उसके ने म झाँककर अचि भत सी हो गयीं। उस गोपी के एक ने म ंग ृ ार
करती हुई बरसाना म ीराधे दखाई दे रह थीं और दस ू रे ने म ंग ृ ार करते हुए न दभवन म यामसु दर दखाई
दे रहे थे। उस गोपी के दोन ने म या यतम दोन दखाई दे रहे थे।

तभी दरू से यामसु दर अपनी बंसी क मधरु धन ु बजाते हुए आते दखे। दोन एक दस ू रे को दे खकर
अचि भत हो रहे ह य क जैसा ंगृ ार उस गोपी के ने म दखाई दे रहा है वैसा ह ंग
ृ ार दोन ने कया है ।
राधाजी उस गोपी को अपना ह रा ज ड़त हार पहना दे ती है और आ लंगन करते हुए कहती ह, तू ध य है
गोपी और तेरा ेम भी ध य ह। तन
ू े तो अपने दोन ने म मझ ु े और यामसु दर दोन को बसा लया है ।

*"... राधे राधे ... "*

*मंजर भाव बहुत सु दर संग*

You might also like