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लाला लाजपत राय - दरू दर्शी

1857 के स्वतं तर् ता सं गर् ाम के कद इस पु ण्यभूमि पर अने क महान विमूतियो ने जन्म लिया और मातृ भमि

की जं जीरो को तोड़ने में सवसर्व कुर्बान कर दिया उदहारण के तोर पर स्वामी विवे कानं द, दयानन्द सरस्वती,
अरविं दो घोष, सु भाष चं दर् बोस, वीर सावरकर, बाल गं गाधर तिलक, विपिनचन्द्र पाल, चाफेकर बं ध,ू
इत्यादि, इसी कड़ी में एक और नाम है लाला लाजपतराय। आज हम लाला लाजपतराय के बारे में बात
करें ग। लाला जी वह नाम है जो पं जाब ही नहीं अपितु दे श भर के लोगो के हरमनप्रिय ने ता थे , किन्तु
आज वह पं जाब का सपूत आज की पीढ़ी से अनजाना है , 'पं जाब के शे र' कहलाने वाले इस ने ता का आज
की पीढ़ी से परिचय करवाना बहुत जरुरी है , क्योंकि उनका योगदान अतु लनीय है ।

28 फरवरी जिला मोगा के दुदीके गां व में पै दा होकर विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाई । लाला जी
बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक थे । महान राष्ट् रत्व , ओजस्वी वक्ता, अव्वल दर्जे के ले खक, नामी
वकील, समाजसे वी दे श के लिए सर्वस्व त्यागने वाले महानु भाव - अने क अलं कार भी उनकी सकशियत को
उजागर करने में असमर्थ है । मात्र 20 साल की आयु में उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस शु रू की। पहले
रोहतक और फिर हिसार। वकालत में उनके बराबर का कोई भारतीय वकील नहीं था, यदि वह जिन्दा होते
तो शायद भगत सिं ह की फांसी रुकवा ले ते।

लाला जी सत्यनिष्ठ व्यक्ति थे , कभी भी उन्हें सच्चाई कहते हुए सं कोच नहीं होता था, २३ वर्ष की आयु
में उन्होंने सर सै यद अहमद खान को खु ले पत्र लिखे , उन पत्रों में उनकी वे वाकि के कारण वह काफी
प्रतिष्ठित हुए। इन पत्रों में उन्होंने सर सै यद को पूछा की जो यह मानते थे की हिन्द ू और मु स्लिम
भारत माता की दो आं खे है , भारत माता का सम्मान करते थे , आज कट् टरवादी इस्लाम के समर्थक बन गए
हो, अं गर् े जो के षड्यंतर् का हिस्सा बन गए हो, यह समूचे भारतवासियो के साथ विश्वासघात है ।

उनका यह पत्र बहुत चर्चा में आया, ऐसे ही ओजस्वी ले खो के कारण कां गर् े स के ने ताओ का ध्यान
उनकी तरफ गया, और कां गर् े स के अखिल भारतीय अधिवे शन, जो इलाहाबाद में हुआ, लाला जी को
विशे ष से आमं त्रित किया गया उस समय लाला जी की आयु मात्र 23 वर्ष थी यह साबित करता है की
लाला जी तीक्ष्ण बु दधि् के स्वामी थे । उस अधिवे शन के लिए महामना मदनमोहन मालवीय जी स्वयं
उनके स्टे शन पर ले ने आये ।

राजनीती में उनके अने को योगदान रहे , 27 वर्ष की आयु में वह हिसार म्यु न्सिपल कमै टी के सदस्य
चु ने गए तथा इसके सचिव (से क्रे टरी) बनाए गए।

1892-९३ में उन्होंने लाहौर को कार्यक्षे तर् बनाया और वह वकालत शु रू की।

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