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‘ यू इं￸डया’ क संक पनाः चुनौ￸तयाँ और संभावनाएँ

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"म लहत आमेज होते ह रयासत के कदम, तू न समझेगा ■सयासत तू अभी नादान है,
कल नुमाइश म िमला वो चीथड़े पहने हुए, मने पूछा नाम तो बोला िक हद ु तान है।"

■स किव द ु यंत कुमार ने ये पंि याँ भारत क आज़ादी के लगभग 30 वष के बाद 80 के दशक म कही थी जो आज़ादी क
पूव सं या पर पं￸डत जवाहरलाल नेह ारा िदये गए ■स भाषण ट ट िवद डे टनी म िकये गए संक प- ■जसम देश से
गरीबी, बेरोज़गारी, िढ़वािदता आिद िमटाने तथा सभी को वा य, ￱श ा, आवास और पेयजल जैसी जीवन क मूलभूत
आव यकताओं को पूरा कराने का संक प लया गया था- को मुँह ￸चढ़ा रही थ तो या आज आज़ादी के लगभग 70 वष बाद
इ सव सदी के दस ू रे दशक म लोग क प र थ￸तयाँ बदल गई ह? या लोग क सारी मूलभूत आव यकताएँ पूरी हो चुक
ह? जवाब है िब कुल नह , लेिकन बहुत कुछ ऐसा है जो बदल गया है और वह है इन सम याओं से िनपटने क भारत क
मता। आज बहुत सारी सकारा मक प र थ￸तयाँ भारत के साथ ह ■जससे हम इस संक प को पूरा कर सकते ह। इसी लये
भारत के सव िवचार मंच नी￸त आयोग तथा भारत सरकार ने एक नए ल य ‘ यू इं￸डया’ क संक पना क है।

िकसी भी िवषयव तु क संक पना वा तव म एक क पना ही होती है। लेिकन यह कोरी क पना नह ब क ता कक व संगत
प र थ￸तय पर आधा रत होती है। अतः यू इं￸डया क संक पना भी एक ता कक संगत प र थ￸तय पर आधा रत संक पना
है। इसम एक ऐसे िव￱श भारत क क पना क गई है ■जसम अभी तक या कोई भी सम याएँ नह होगी व यि एक
गौरवपूण जीवन जी रहा होगा। यू इं￸डया एक ऐसा इं￸डया होगा ■जसम लोग के लये एलपीजी, िबजली, इंटरनेट कने शन तथा
AC व शौचालय यु घर होगा। लोग उ व पूण ￱श￸ त ह गे। अ याधुिनक व िवशाल आधारभूत संरचना का नेटवक होगा।
सभी के पास गािड़याँ (दोपिहया या चारपिहया) ह गी। जो पयावरणीय प से व छ होगा। वहाँ क हवा, पानी, गाँव, शहर
व छ ह गे और वह एक वै￸ क प से भावशाली देश होगा। जो गरीबी बेरोज़गारी, तथा ाचार इ यािद। से मु होगा आज
भारत क जीडीपी लगभग 2.5 िट लयन डॉलर क है जो य शि समता के आधार पर िव क तीसरी सबसे बड़ी
अथ यव था है और यह िव म सवा￸धक तेज़ी से िवकास कर रही अथ यव थाओं म से एक है।

यह एक िवचारणीय है, या उपरो दी गई यू इं￸डया क संक पना इतनी आसानी से मूत प हण कर लेगी? य िक जो
रा ता ■जतना आसान िदखता है वा तव म होता नह है। अतः हम उन चुनौ￸तय पर भी गंभीरता पूवक िवचार कर लेना चािहये
जो यू इं￸डया के ल य को ा करने म बाधक हो सकती ह या सम या उ प कर सकती ह।

यू इं￸डया को मूत प देने म हम जो िवकास दर व अथ यव था का आकार आक षत कर रहा है वा तव म वह एक बड़ी


चुनौती भी है, य िक 2007-08 क आ￰थक मंदी के बाद से िव म संर णवाद क वृ बढ़ती जा रही है। चाहे वह े ज़ट
हो या अमे रका म डोना ड टंप का जीतना। सभी जगह संर णवाद यही मु य मु ा था जो भारत जैसी िवकासशील
अथ यव थाओं के लये अपनी िवकास दर को उ तर पर बनाए रखने म सम या उ प कर सकता है। इसी कार, यिद
िवकास दर क बात क जाए तो यह सही है िक भारत पर मंदी का भाव यादा नह पड़ा तथा वतमान म यह सबसे तेज़ी से
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बढ़ती अथ यव थाओं म एक है, लेिकन या यह िवकास समावेशी है? आज भारत के 10% लोग के पास 90% संप है
जबिक 90% जनता के पास मा 10% और यह असंतुलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यिद मान भी लया जाए िक अगले
15 वष म भारत क अथ यव था 7.5 िट लयन डॉलर क हो जाएगी तो मु य चुनौती यह है िक इसम िकतना ￸तशत भाग
िन न वग के िह से म आएगा ■सफ आं कड़ से कुछ नह होगा और इस लये कहा गया है िक-

"तु हारी फाइल म गाँव का मौसम गुलाबी है,


मगर ये आँ कड़े झूठे ह ये दावा िकताबी है।"

दसू री मुख चुनौती जो यू इं￸डया के सामने है, वह है अपने जनांिकक य लाभांश को कुशल व यो य बनाकर उसका रचना मक
तरीके से इ तम योग करना। भारत लगभग 135 करोड़ आबादी वाला देश है, ■जसक 62 ￸तशत आबादी 59 वष से कम
आयु क है अथात् कायबल म शािमल है। लेिकन इसका लगभग 50% कृिष े म छ बेरोज़गारी के प म अनु पादक
काय म लगकर अपनी बहुमू य मता को न कर रहा है। आज भारत म िव￱भ ￸ड ी या उपा￸धधारक लोग चतुथ ास क
नौक रय के लये दर-दर भटक रहे ह य िक उ ह उनक यो यता के अनुसार कोई काय नह िमल पा रहा है। इसके अलावा,
भारत म 1991 के बाद से ही संगिठत े म लगातार रोज़गार घट रहा है। वैसे भी यह कुल रोज़गार का 10% ही है। भारत
तथा िव के अ य े म तकनीक िवकास मानव म को ￸त थािपत कर रहा है। भारत म ी जॉब डेिफ■सट है ■जसके
तहत कुल रोज़गार, अ छा रोज़गार व मिहला रोज़गार लगातार घट रहा है। भारत म रोज़गार सृजन जो िपछले 6 वष म
िन नतम तर पर है। अतः सभी लोग को रोज़गार देना एक चुनौतीपूण काय है और यह नह कर सके तो यह लाभांश यू
इं￸डया के लये िकसी आपदा से कम नह होगा।

इसी कार, हमारी आधी आबादी अथात मिहलाओं को भारत के िवकास व यू इं￸डया के िनमाण म सहयोगी बनाना भी एक
चुनौतीपूण काय रहेगा, य िक भारत एक िपतृस ा मक समाज है ■जसम अभी तक मिहलाओं को घर क चारदीवारी म से
आज़ाद नह िकया गया है। आज िव म िकसी भी ऐसे देश का उदाहरण नह है जो अपनी मिहलाओं को स मान व बराबरी का
दजा िदये िबना केवल पु ष के बल पर िवक■सत बना हो। शायद इसी लये वामी िववेकानंद जी ने कहा है, "जैसे िकसी प ी के
लये एक पंख से उड़ना आसान नह है उसी कार िबना मिहलाओं क थ￸त म सुधार िकये इस समाज का क याण संभव
नह है।"

यू इं￸डया क संक पना म जहाँ हमने एक तरफ पयावरणीय प से साफ-सुथरे व दषू ण मु शहर क क पना क है, वह
नी￸त आयोग ने अपने यू इं￸डया िवज़न म येक यि के पास दोपिहया, चार पिहया वाहन क बात कही है जो िक पयावरण म
दषू ण के मह वपूण कारण ह, और जब सारा िव सावजिनक प रवहन णाली को बढ़ावा दे रहा है, तब यिद हम यि गत
प रवहन साधन को बढ़ावा दगे तो यू इं￸डया नह बनाएं गे ब क उसके सामने चुनौ￸तयाँ ही खड़ा करगे।

ऊजा िकसी भी देश के िवकास के हर पहलू म सबसे मह वपूण व आव यक होती है लेिकन आज भारत को अपनी ऊजा
आव यकता का 80% के लगभग आयात से पूरा करना पड़ता है ■जससे अ य सामा■जक सुर ा योजनाओं एवं िवकास
प रयोजनाओं क तरफ यान नह दे पाते। अतः नवीकरणीय व गैर-परंपरागत ऊजा संसाधन के मा यम से इस चुनौती का
सामना करने हेतु गंभीर यास करने ह गे।

िगरता ￴लगानुपात (￱शशु ￴लगानुपात 2001 म 927 से 2011 म 916), उ ￱शशु व मृ यु दर ( मशः 41 ￸त हज़ार व 72
￸त लाख), िन न गुणव ा क ￱श ा (क ा 5 का ब ा क ा 2 के सवाल नह लगा पाता एनजीओ थम क रपोट) व िन न
तर क वा य सुिवधाएँ (सबसे यादा कुपोिषत ब े भारत म ड यूएचओ) इ यािद।

इसके साथ ऐसी अ य अनिगनत और चुनौ￸तयाँ है ■जनका समाधान िकये िबना हम यू इं￸डया क संक पना को मूत प नह
दे सकते या उनका सामना यू इं￸डया को करना पड़ेगा। जैसे भारत के आं त रक व बा े म या अशां￸त चाहे वह क मीर
म अलगाववाद, आतंकवाद क सम या हो या भारत के आं त रक े म लगभग 200 िज़ल म फैला न सलवाद। बढ़ती

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असिह णुता (कलबुग , दाभोलकर व पंसारे क ह या), गाँव और शहर के बीच िवकास का असंतु लत तर ■जससे बढ़ता
वसन तथा उसके कारण नगरीय जीवन तथा नगर पर बढ़ता दबाव, बढ़ते लम, कृिष का िपछड़पान ■जससे बढ़ती िकसान
क आ मह याएँ इ यािद। इन सारी चुनौ￸तय को अनदेखा कर हम एक यू इं￸डया का िनमाण कैसे कर सकते ह।

लेिकन ऐसा भी नह है िक िकसी काम म अगर बहुत सारी चुनौ￸तयाँ ह तो उसे िकया नह जा सकता, दिु नया म कोई भी काम
असंभव नह है। बस लगन, मेहनत और ईमानदारी से अगर सही िदशा म िनयो■जत तरीके से यास िकया जाए तो हम िकसी भी
ल य को ा कर सकते ह। इस लये कहा जाता है िक-

“कौन कहता है िक आसमान म छे द नह हो सकता,


अरे एक प थर तो तबीयत से उछालो यारो।”

आज भारत के साथ बहुत सारी सकारा मक प र थ￸तयाँ ह। जो यू इं￸डया क संक पना को साकार करवा सकती ह। जैसे-
मा स के अनुसार आ￰थक ढाँचा ही मूल ढांचा होता है जो अ य सामा■जक-आ￰थक-राजनी￸तक-सां कृ￸तक ढाँचे को आकार
दान करता है। अतः यिद आ￰थक थ￸त अ छी है तो इसक पया संभावना है िक आप अ य प र थ￸तय को अपने
अनुसार अनुकू लत कर सकते ह। आज भारत िव क सवा￸धक तेज़ी से बढ़ती अथ यव थाओं म से एक है ■जसक जीडीपी
2.45 िट लयन डॉलर है और नी￸त आयोग के अनुसार यह अगले 15 वष म 7.5 िट लयन डॉलर के आसपास हो जाएगी तथा
क व रा य का यय वतमान के 38 लाख करोड़ से 92 लाख करोड़ बढ़कर 130 लाख करोड़ हो जाएगा। अतः यू इं￸डया
का सपना साकार होना यादा मु कल नह होगा। िकसी भी देश के लये िवकास का इंजन उसके उ ोग-धंधे अथात् िविनमाण
े होता है। आज भारत िविनमाण के े म मेक इन इं￸डया जैसे इिन￱शएिटव के मा यम से बू मग क थ￸त ा कर रहा है
जो न केवल अ य￸धक मा ा म रोज़गार सृजन कर रहा है। ब क अ￸धकांश देश क सम या बाज़ार क अनुपल धता है जबिक
भारत म एक बहुत बड़ा म यवग इन व तुओं के बाज़ार के प म भारत के आ￰थक िवकास हेतु आधार दान कर रहा है। इसी
को यान म रखते हुए जापानी आ￰थक िव ेषण ने कहा है िक-

'This is the begining of a big bang for India'

यू इं￸डया क संभावना को जो अ य कारक ता कक प से उ￸चत बनाता है वह है भारत के पास उपल ध जनांिकक य लाभ।
आज भारत सबसे युवा देश है, उसक जनसं या क औसत आयु 28 वष है, जबिक इसक 62 ￸तशत आबादी कायबल म
शािमल है जो भारत को एक नई ऊँचाई पर ले जाने को तैयार है। आज िव￱भ देश , जैसे चीन व यूरोपीय देश म वहाँ के लोग
क बढ़ती आयु व महँगा म एक मह वपूण सम या बन रही है। अतः कंपिनयाँ भारत जैसे स ते म धान देश क तरफ ख
कर रही ह, जबिक भारत सरकार िव￱भ योजनाओं, जैसे कल इं￸डया, उ ताद आिद के मा यम से उ ह ￱श￸ त कर इस
अवसर का लाभ उठाने हेतु तैयार कर रही है जो यू इं￸डया क बेरोज़गारी क सम या के समाधान म मददगार होगा।

भारत क जीडीपी म सेवा े का सबसे यादा योगदान जो एक सकारा मक संकेत है य िक इससे भारत को बहुमू य िवदेशी
मु ा ा होती है। भारत म बड़ी सं या म ￱श￸ त अं ेज़ी बोलने वाले युवा केपीओ, BPO के मा यम से न केवल वयं रोज़गार
ा कर रहे ह ब क भारत को एक आई टी हब के प म िव के सामने तुत कर रहे ह।

जहाँ तक ￱श ा क बात है भारत म ाथिमक तर पर तो शत- ￸तशत नामांकन दर हा■सल कर ल है, साथ ही उ तर पर
िव￱भ यावसा￸यक पा म के मा यम से ￱श￸ त व ￱श￸ त मानव संसाधन तैयार कर रहा है। जो यू इं￸डया म उ
जीवन तर के साथ गौरवपूण जीवन जी रहे ह गे। नी￸त आयोग के अनुसार अगले 15 वष म ￸त यि आय जो वतमान म एक
लाख के आसपास है म दो लाख क वृ￸ होकर यह 3 लाख तक पहुँच जाएगी जो देश से गरीबी ख म करने म सबसे मह वपूण
कारक होगा।

इसके अलावा, आज िव￱भ योजनाओं के मा यम से भारत सरकार देश के लोग को िबजली कने शन (दीन दयाल उपा याय
ाम यो￸त योजना), गैस कने शन (उ वला योजना) तथा भारत िनमाण के मा यम से आधारभूत संरचना के िवकास क िदशा
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म तेज़ी से अ सर है। ￸ड■जटल इं￸डया तथा ई गवनस के मा यम से लोग को इंटरनेट कने शन दान िकये जा रहे ह तथा
सरकारी मशीनरी और लोग के बीच इंटरे शन कम करके ाचार को िमटाने क को￱शश क जा रही है। इसी कार व छ
भारत अ￱भयान के मा यम से शहर और गाँव को व छ बनाने के लये जन जाग कता अ￱भयान चलाए जा रहे ह तथा
पयावरण दषू ण कम करने के लये नवीकरणीय ऊजा को मह व िदया जा रहा है।

अतः यू इं￸डया के सामने चुनौ￸तयाँ भी कम गंभीर नह ह लेिकन शु है िक इस बार यह मा एक कोरी क पना ही नह ब क


ता कक व संगत प र थ￸तय पर आधा रत सुिवचा रत संक पना है ■जस पर िव￱भ योजनाओं, प रयोजनाओं, जैसे समावेशी
िवकास के लये जन धन योजना, मानव संसाधन को ￱श￸ त करने के लये कल इं￸डया िमशन, खा सुर ा कुपोषण क
सम या के समाधान हेतु खा सुर ा िमशन तथा एक आकषक यापा रक व यावसा￸यक माहौल बनाने के लये जीएसटी
तथा ाचार को कम करने के लये ई गवनस व ￸ड■जटल इं￸डया जैसी योजनाओं के मा यम से यू इं￸डया के लये यास शु
कर िदया गया है।

अतः उपरो िव ेषण के आधार पर इसम कोई शक नह है िक यू इं￸डया क संक पना वा तव म धरती पर वग बनाने क
संक पना है, लेिकन वा तव म इसे मूत प देना भी िकसी मांझी के काम से कम चुनौतीपूण नह है लेिकन शु है िक मांझी
अपने काम म सफल हुआ था और हम भी इसम अव य सफल ह गे। और अंत म कुमार िवनोद क इन पि य के साथ अपनी
लेखनी को िवराम दगं ू ी-

“मौज द रया क मेरे हक़ म नह तो या हुआ।


क तयाँ भी पाव उ टे चल पड़ी तो या हुआ।
दे खये उसको तनकर खड़ा है आज भी,
आं ￸धय का काम है चलना चल तो या हुआ।
कम-से-कम तुम तो करो खुद पर यक चल ए दो त ,
गर जमाने को नह तुम पर यक न य या हुआ”।

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