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!ीस$&चरणारिव-ा.

ां
ु नमः

ु सव56 जगित :सरतः जनानां :ाणापायकर> कोरोना-नामक> रोगिवशेष> िनवारणाथD,


अधना

EFेरी-जग$&-िवरिचत
ु !ी-Gगा5-परमेHरी-Iो6-पारायणं किरJे ।

EFेरीजग$&िवरिचतम
ु ्


॥ !ीGगा5परमेHरीIो6म ॥

एतावOं समयं

सवा5पPोऽिप रRणं कृ Tा ।

देश> परिमदानV

ताटXं के न वहिस Gगा5Z ॥ १ ॥ इतः परं वा जगदZ जात ु


ु ापदोऽ> ।
देश> रोग:मख

अपराधा ब]शः ख_ ु था कुव5चलां कृ पाम ्


न >I

प6ाणां :ितपदं भवaेव । इh.थ 5नां मे सफलीकु&n ॥ ४ ॥

को वा सहते लोके
् २॥
सवाDIाcातरं िवहाय ैकाम ॥ पापहीनजनतावनदRाः

सिO िनज5रवरा न िकयOः ।

मा भज मा भज Gगf 5 नरRणदRां
पापपूणज
ु ष ु दीन ेष ु ।
ताटXं प6के ु परां न िवलोके ॥ ५ ॥
Tां िवना भिव

के वा गृgिO सतान ्

मा6ा hiाjदािZके लोके ॥ ३ ॥

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