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BSEB Class 8
BSEB Class 8
पन
ु जागरण:-
आधु नक यगु को ज म दे ने वाले अनेक प रवतन क शु आत सबसे पहले यरू ोप म इुई। प हवीं शता द म
इटल म एक नया आंदोलन आरं भ हुआ, िजसे ‘पन ु जागरण’ कहा जाता है ।
पजंू ीवाद:-
पं हवीं शता द के अ त तक यरू ोप म एक नयी सामािजक यव था का ज म हुआ, िजसे ‘पज ंू ीवाद’ कहते ह।
इस नयी सामािजक यव था क मु य वशेषता थी पज ंू ीप तय और मक के दो नये वगा का उदय।
पजंू ीप त यापार के लए तैयार होनेवाल व तओु ं के मा लक थे और उनका मु य उ दे य था मनु ाफा कमाना।
मक लोग व तओु ं का उ पादन करते थे और पज
ंू ीप तय से वेतन ा त करते थे।
आधु नक काल:- ायः अठारहवीं शता द के उ रा ध को (1750 ई. के बाद). आधु नक काल का ारं भ माना
जाता है । आधु नक श द का इ तेमाल जब समय के स दभ म कया जाता है तो इसका अथ अतीत का सबसे
नजद क का ह सा होता है जो पछले लगभग तीन सौ वष से संबं धत है ।
औ यो गक ां त:-
आधु नक यग ु म कपड़े जल
ु ाहे के अ त र त मशीन से भी तैयार कये जाने लगे। मशीनीकरण क यह या
इं लैड म अठारहवीं सद के उ रा ध म शु हुई और फर धीरे -धीरे अ य दे श म भी फैल , िजसे औ यो गक
ाि त का नाम दया
गया।
उप नवेशवाद :-
अठारहवीं शता द के उतरा ध म यह या शु हुई,ए शया, अ का और द ण अमे रका के अ धकांश दे श
को औ यो गक यरू ोपीय दे श के आ थक व राजनी तक नयं ण म ले आयी और शाषण करने लगी,शासन के
फल व प इन दे श के मू य , मा यताओं, पसंद-नापसंद, र त- रवाज और तौर-तर कां म मह वपण ू बदलाव
आए। जब एक दे श पर कसी दस ू रे दे श के दबदबे से इस तरह के राजनी तक,आ थक सामािजक और
सां कृ तक बदलाव आते ह तो इस या को औप नवेशीकरण कहा जाता है और इस अव था को
‘उप नवेशवाद’ कहते ह।
कैमरे का आ व कार:-कर ब 200 साल पहले कैमरे का आ व कार हुआ था। भारत म इसका इ तेमाल 1850 ई.
के दौरान शु हुआ। मगु ल सा ा य के अं तम बादशाह बहादरु शाह वतीय का फोटो उपल ध है । वह पहला
और आ खर मग ु ल बादशाह था िजसक फोटो कैमरे से खींची गई थी।
अ यास- न
न 1. र त थान को भ रए-
(क) पँज
ू ीप तय का मु य उ दे य था अ धक-से-अ धक ……… कमाना।
उ र-मन ु ाफा।
(ख) पं हवीं शता द म एक नये आंदोलन क शु आत हुई िजसे ………….. कहते ह।
उ र-पन ु जागरण।
(ग) मशीन से व तओ ु ं के उ पादन क या को ……….. ां त कहते ह।
उ र-औ यो गक।
(घ) ………. म सरकार द तावेज को सरु त रखा जाता है ।
उ र-अ भलेखागार ।
(ङ) समय के साथ दे श और रा य क ………. सीमाओं म प रवतन होते रहते ह।
उ र-भौगो लक।
न 2.
सह और गलत बताइए।
(क) वै ा नक प ध त का अथ है न तत ु कर योग वारा ान ा त करना।
उ र-सह ।
(ख) अं ेज इ तहासकार जे स मल का भारतीय इ तहास का धम के आधार पर बांटना उ चत था।
उ र-गलत।
(ग) अमर क वतं ता सं ाम’ के बाद वहाँ के लोग ने गणतं णाल क शु आत नह ं क ।
उ र-गलत ।
(घ) ऐ तहा सक ोत से एक आम आदमी के बारे म भी जानकार मलती है ।
उ र-गलत।
(ङ) आजाद के पहले हमारे दे श क जो भौगो लक सीमा क आजाद के बाद भी वह रह गई।
उ र-गलत।
आइए वचार कर
न (i)म यकाल और आधु नक काल के ऐ तहा सक ोत म आप या फक पाते ह । उदाहरण स हत
ल खए।
उ र-म यकाल के ऐ तहा सक ोत जैसे अ भलेख प थर , च टान , ता प , पा डु ल पय क मदद से कुछ
खास लोग , वशेषतः शासक के बारे म कुछ ह जानका रयाँ मलती ह। पर आधु नक काल म ऐ तहा सक
ोत क सं या अ धक व यापक जानकार वाले और अ धक मा णक हो गये । आधु नक यग ु म इन ोत
क सं या और व वधता म और भी व ृ ध एक प ट उदाहरण से इसे समझा जा सकता है । म यकाल म हाथ
से पा डु ल पयां बनती थी िजनक सं या बेहद सी मत होती थी। पर आधु नक यग
ु म छापेखाने ( ेस) के
आ व कार से सरकार वभाग क कारवाइय तक के द तावेज क कई तयां बनना संभव हो गया । इन
मह वपण ू द तावेज क तयाँ को अ भलेखागार एवं पु तकालय म दे खा जा सकता है । अब ये भी बड़े
मह वपण ू ऐ तहा सक ोत सा बत हो रहे ह।
न (ii)
जे स मल ने भारतीय इ तहास को िजस कार काल खंड म बांटा, उससे आप कहाँ तक सहमत ह।
उ र- 1817 ई. म कॉटलड के अथशा ी, इ तहासकार और राजनी तक दाश नक जे स मल ने तीन खंड म
(ह ऑफ टश इं डया) टश भारत का इ तहास नामक एक पु तक लखी । अपनी इस कताब म
जे स मल ने भारत के इ तहास को ह द-ू मिु लम और टश इन तीन काल खंड म बांटा । यह वभाजन
इस वचार पर आधा रत था क शासक का धम ह एकमा मह वपण ू ऐ तहा सक प रवतन होता है ।
कालखंड के इस नधारण को उस व त लोग ने मान भी लया । पर ऐसा करना गलत था। कसी भी थान या
दे श के इ तहास का नधारण मा उस दे श के शासक के धम पर नह ं होता। इसके पीछे कई कारक होते ह
िजनम आ थक, सां कृ तक, वैचा रक और राजनी तक आ द कारण श मल होते ह । जे स मल का भारतीय
इ तहास के कालखंड को बांटने का जो आधार है यानी शासक का धम ह ऐ तहा सक प रवतन का आधार
है -बेहद द कयानस
ू ी वचार है और म ऐसे संक ण वचार से सहमत नह ं हूँ।
न (iii)
सरकार द तावेज को हम कैसे और कहाँ-कहाँ सरु त रख सकते ह ?
उ र- अ भलेखागार एवं पु तकालय म हम सरकार द तावेज को सरु त रख सकते ह। साथ ह तहसील के
द तर, कले टरे ट, क म नर के द तर, कचहर आ द के रकॉड म म भी सरकार द तावेज को सरु त
रखा जाता है । अब तो सीडी बनाकर भी सरकार द तावेज को सरु त रखा जाने लगा है ।
न (iv)
यरू ोप म हुए प रवतन कस कार आधु नक काल के नमाण म सहायक हुए।
उ र- आधु नक काल के नमाण म, यरू ोप म हुए प रवतन ने बहुत मह वपण ू भू मका नभाई । यरू ोप म
‘पनु जागरण’ का आंदोलन फै ला । इसके तहत लाग ने आं
द ोलन कर वतं प से सोचना शु कया और
राजनी तक इसका असर व व के अ य भाग म भी हुआ। िजसके प रणाम व प आधु नक यग ु के कई दे श
म गणतां क सरकार क थापना संभव हुई।साथ ह , यरू ोप म शु हुई औ यो गक ाि त का असर परू े
व व पर पड़ा। लगभग हर दे श इससे भा वत हुआ। इससे अ य दे श म भी लगा और मशीन पर और उससे
बने सामान पर लोग नभर होने लगे । इन यरू ोपीय घटनाओं ने आधु नक काल क ग तशील द ु नया के
नमाण म महती भू मका नभाई।
बंगाल :-
मगु ल सा ा य का एक धनी और बड़ा ांत था। इसम आधु नक बहार और उड़ीसा भी शा मल थे। मग ु ल क
के य स ा क कमजो रय का लाभ उठाते हुए बंगाल के द वान मु शद कुल खाँ ने अपने को एक वतं
शासक घो षत कर लया था। वैसे वे मग ु ल बादशाह को नय मत प से राज व भेजते रहे । मु शद कुल खाँ के
बाद अल वद खाँ 1740 ई. म बंगाल का नवाब बना। उसने बंगाल म कुशल शासन कायम कया। अल वद
खाँ ने यरू ोप के यापा रय को हमेशा अपने नयं ण म रखने का यास कया। उसके बाद उसका नाती
सराजु दौला नवाब बना। सराजु दौला के नवाब बनने पर उसके प रवार के सद य के बीच सािजश और
झगड़े शु हो गए। इन सािजश ने ई ट इं डया कंपनी को बंगाल म ह त ेप करने का अवसर दया।बंगाल म
पहल अं ेजी फै 1651 म हुगल नद के कनारे शु हुई। यापार म व ृ ध होने के साथ-साथ इसके चार
ओर क पनी के अ धकार एवं यापार भी बसने लगे।धीरे -धीरे कंपनी ने इस आबाद के चार तरफ एक कला
बनाना शु कया। इस कले का नाम फोट व लयम रखा गया। कंपनी ने अपने यापार को यादा से यादा
व तार दे ने के लए 1696 म 1200 पये का भग
ु तान करके तीन गाँव क जमींदार यानी लगान एक करने
का अ धकार ा त कर लया। ये तीन गाँव थे गो वंदपरु , सत
ू ानाती और काल काता। तीन गाँव के मलने के
बाद आगे चलकर इ ह कलक ा कहा जाने लगा। अब इसे कोलकाता कहा जाता है ।जन ू , 1757 म मु शदाबाद
के पास पलासी म यु ध हुआ। इस यु ध म नवाब क सेना हार गई। सराजु दौला मारा गया और मीर जाफर
को बंगाल का नवाब बना दया गया। इस लड़ाई के साथ भारत म कंपनी क स ा क थापना क शु आत हुई।
अं ेज और मराठे -
1761 ई. म पानीपत क तीसर लड़ाई म हार के बावजद ू मराठे भारत के बहुत बड़े भाग को नयं त करते थे।
क तु वे आपस म बँटे हुए थे। इनक बागडोर सं धया,होलकर,गायकवाड़ और भ सले जैसे अलग-अलग
राजवंश के हाथ म थी।कंपनी के अ धका रय और फौज ने मराठा मख ु क आपसी लड़ाइय का फायदा
उठाया और एक के बाद एक कई लड़ाइय म मराठ को कमजोर कर दया। अंततः 1817-19 के यु ध म मराठे
परू तरह परािजत हुए और मराठ का े भी कंपनी के भावाधीन हो गया।
पंजाब- अब कंपनी का यान पंजाब के महाराजा रणजीत संह क ओर गया। 1799 ई. से 1839 ई. तक
पंजाब,क मीर और आधु नक हमाचल दे श के कुछ भाग पर इनका शासन था। रणजीत संह के जीवनकाल
म ह उसके रा य के व तार को कंपनी ने रोक दया। ले कन इनके जीवनकाल म कंपनी पंजाब को नयं त
करने म असफल रह । रणजीत संह क म ृ यु के बाद पंजाब म अि थरता आ गई। इस ि थ त का फायदा
उठाकर 1849 म कंपनी ने पंजाब को अपने नयं ण म लया।
वलय नी त :-इस नी त के अ तगत अगर कसी शासक क म ृ यु हो जाती थी और उसका अपना कोई पु नह ं
होता तो उसके रा य को कंपनी अपने नयं ण म ले लेती थी। इस नी त के तहत 1848 ई. से 1856 ई. के बीच
भारत के कई
रा य सतारा, संबलपरु , उदयपरु , नागपरु और झांसी कंपनी के नयं ण म आ गये थे।
अ यास- न
आइए फर से याद कर-
न 1. र त थान को भर:
(क) भारत और यरू ोप के बीच थल माग से होनेवाले यापार म ………. क मह वपण
ू भू मका थी।
उ र-अरब सौदागर ।
(ख) कंपनी वारा खर दा गया माल ………. म रखा जाता था।
उ र-फै टर ।
(ग) एक के बाद एक कई लड़ाइय ने मराठ को ………. कर दया।
उ र-कमजोर।
(घ) ………. अं ेज के साथ सबसे पहले आ थक सहायक सं ध को वीकार कया।
उ र-शजु ाउ दौला और शाह आलम ने ।
(ङ) ………. ने वलय नी त का अनस ु रण कया।
उ र-अं ेज ।
न 2.
सह और गलत बताइए:
1. यरू ोप के यापार भारत म अपना माल बेचने और बदलने म यहाँ – से सोने-चाँद लेने आए थे।
2. ई ट इं डया क पनी को भारत म यापार करने का एका धकार मल गया।
3. भारतीय रा य एकता के अभाव म एक-एक कर अं ेजी शासन के अधीन होते चले गए।
4. कर मु त यापार से बंगाल के राज व का काफ नकु सान हो रहा था।
5. कंपनी क सेना क जीत हुई, य क उनके पास भारतीय सेनाओं से बेहतर तो और बंदक ू थीं।
उ र-
1. गलत
2. सह
3. सह
4. सह
5. सह ।
न (ii)
अं ेज बंगाल पर य अ धकार करना चाहते थे ?
उ र-बंगाल एक बड़ा और धनी ांत था । इसम आधु नक बहार और उड़ीसा भी शा मल थे। बंगाल पर
अ धकार ा त करने का अथ होता क वहां से अ य यरू ोपीय कंप नय को यापार से दरू रखना और कुल
मनु ाफा वयं कमाना । अ धक-से-अ धक मनु ाफा कमाने के लए बंगाल पर राजनी तक अ धकार ा त करना
अं ेज के लए ज र हो गया था। ऐसी ि थ त बन जाने का अथ होता क कंपनी रा य म जो भी माल
खर दती, उस पर उसे कसी भी कार का कोई कर नह ं दे ना पडता । अतः इ ह ं यापा रक कारण से अं ेज
बंगाल पर अ धकार करना चाहते थे।
न (ii)
य और कन प रि थ तय म भारतीय शासक ने सहायक सं ध क शत को वीकार कया?
उ र- 1707 ई० म औरं गजेब क म ृ यु के बाद कई नये वतं े ीय रा य का उदय हुआ थ । इनम आपसी
तालमेल का अभाव था। हर रा य दस ू र के इलाके हड़पकर अपने रा य का व तार चाहता था। उनम एकता के
अभाव क ि थ त को दे खकर अं ेज उ ह अपनी आधु नक सै य सहायता दे ना चाहते थे ता क वे अपने पड़ोसी
रा य से लड़कर आसानी से जीत सक। इसम अं ेज का नजी वाथ तो था ह भारतीय शासक भी इसम
अपना लाभ दे ख रहे थे क उनके रा य े का व तार होगा। साथ ह , जो शासक या रा य अं ेज के
यापा रक लाभ के रा ते म बाधा खडी करता था. अं ेज उसके खलाफ दस ू रे रा य के सहारे यु ध छे ड़कर उसे
हराकर अ य प से उस रा य पर क जा कर लेते थे। अतः हर प रि थ त म भारतीय शासक को अं ेज
क सहायक सं ध क शत को वीकार करना ह पड़ता था।
न (iv)
पलासी और ब सर के यु ध म आप कसे नणायक मानते ह और य ?
उ र- जन ू , 1757 म मु शदाबाद के पास पलासी म बंगाल के नवाब सराजउ ु दौला के कर ब 30,000
सपा हय और अं ेजी सेना के बीच यु ध हुआ था । बना कोई कर दये बंगाल म यापार करने का शाह
फरमान अं ेज ने 1717 ई. म मग ु ल स ाट फ ख सयर से ा त कर लया था िजससे बंगाल के राज व को
काफ त हो रह थी। इसी के खलाफ सराजु दौला ने अं ेज से यु ध कया पर नवाब सराजु दौला मारा
गया। फर उसके सेनाप त मीरजाफर को बंगाल का नवाब बनाकर अं ेज ने भारत म कंपनी क स ा क
थापना क शु आत क । मीरजाफर ने भी जब कंपनी क अनी तय का वरोध कया तो उसे हटाकर अं ेज ने
उसके दामाद मौरका सम को 1760 म बंगाल का नवाब बना दया। बाद म वह भी अं ेज क गलत नी तय के
खलाफ हो गया। उसने मग ु ल शासक शाह आलम और अवध के नवाब शज ु ाउ दौला के साथ मलकर अं ेज
क खलाफत क ।
अंततः, तीन क संयु त सेना क कंपनी क सेना के साथ पि चम बहार के ब सर नामक थान पर 1764 ई०
म यु ध हुआ िजसम भारतीय सेनाओं क हार हो गई। इस हार के प चात ् 1765 ई. म शज ु ाउ दौला और शाह
आलम ने इलाहाबाद म लाइव के साथ समझौत पर ह ता र कए। समझौत के अनस ु ार ई ट इं डया कंपनी
को बंगाल, बहार और उड़ीसा क द वानी मल गई। इससे कंगनी को इन दे श से राज व वसल ू का अ धकार
मल गया। इससे उ ह अ य धक यापा रक फायदा हुआ। अब वे बंगाल वजय के बाद भारत म एक
मह वपण ू राजनै तक शि त के प म उभरे और धीरे -धीरे परू े भारत के आ थक संसाधन पर अपना क जा
जमाने के यास म लग गए। अत: यह प ट है क पलासी क अपे ा ब सर का यु ध अं ेज के लए
नणायक था। यह ं से वे परू े भारत पर अपना अ धकार जमाने म सफल हुए। अत: ब सर का यु ध अ धक
नणायक था।
रै यतवार यव था:-
एक नई यव था द ण और पि चम भारत म रै यतवार यव था के नाम से शु क गई। इसम कसान के
साथ सीधा करार कया गया। इन इलाक म परं परागत प से जमींदार नह ं होते थे इस लए कंपनी सरकार ने
कसी नए यि त को जमींदार बना कर था पत करने क जगह सीधा कसान से ह संबध ं था पत कया।
इस यव था म लगान उपज के आधार पर तय हुआ। पहले जमीन क गण ु व ा दे खी गई, फर पछले कुछ
वष क उपज का औसत नकाला गया, उसम कसान क खेती पर होने वाले खच को काट कर जो बचता था
उसका 50 तशत लगान के प म तय कर दया गया। मगर इसे थायी नह ं बनाया गया। येक 30 वष
बाद लगान क रा श म बदलाव कया जाना तय कया गया। इस यव था म कसान को जमीन का मा लक
माना गया था।
नकद फसल:-नकद फसल ऐसा कृ ष उ पाद होता है िजसे खेत से सीधे यापा रय वारा खर द लया जाता
था। जैसे ग ना, नील, त बाकू, अफ म, इ या द
नील दपण- नील क खेती के कारण कसान को जो क ठनाई हो रह थी उसे उस समय के एक बंगाल नाटक
‘‘नील दपण’’ म बड़े अ छे तर के से दखाया गया है । इस पु तक के लेखक द न बंधु म थे। 1860 म यह
पु तक बना कसी लेखक के नाम के छपी थी ता क अं ेजां के गु से को उ ह झेलना नह ं पड़े।
अ यास- न
आइये फर से याद कर-
न 1.सह वक प को चन ु
न (i) बहार म अं ेज के समय कस तरह क भू म यव था अपनाई गई?
(क) थायी बंदोब त
(ख) रै यतवार यव था
(ग) महालवार यव था
(घ) इनम से कोई नह ं
उ र-(क) थायी बंदोब त
न 2.
न न ल खत के जोड़े बनाएँ-
1. महालवार – (क) 1793
2. नील दपण – (ख) बहार
3. नकद फसल – (ग) द नबंधु म
4. थायी भू म- यव था – (घ) पंजाब
उ र-
1. महालवार – (घ) पंजाब ।
2. नील दपण – (ग) द नबंधु म
3. नकद फसल – (ख) बहार
4. थायी भू म यव था – (क) 1793
आइए वचार कर
न (i)अं ेजी शासन के पहले भारतीय भू म यव था एवं लगान णाल के वषय म आप या जानते ह ?
उ र-अं ेजी शासन के पहले रा य क सच ू ी जमीन का मा लक उस रा य का राजा होता था। उस समय
जमींदार का एक भावशाल वग भी गाँव म रहता था िजनके पास राजा वारा द गई काफ जमीन होती थी।
वे ह गाँव से लगान (कृ ष उपज पर राजा वारा कसान से लया जाने वाला कर) क वसल ू करते थे। इसके
एवज म या फर रा य के अ य काम को दे खने के एवज म इ ह जमीन मलती थीं। राजा या उसके अ धकार
गाँव म यादा दखल नह ं दे ते थे । बस, जमींदार के माफत ( वारा) नधा रत लगान वसल
ू करते थे।
न (ii)
थायी ब दोब त क वशेषताओं को बताएँ।
उ र-1789 के आस-पास कंपनी सरकार ने, जमींदार के साथ एक करार कया। इसके तहत जमींदार के वारा
कंपनी को दया जाने वाला लगान 10 वष के लए तय कर दया गया। यह रा श जमींदार वारा कसान से
वसल ू े गए लगान का 9/10 भग तय कर दया गया। आगे चलकर सन ् 1793 म इसी रा श को हमेशा के लए
नि चत मान – लया गया। इस रा श म भ व य म कोई बढ़ोतर नह ं होनी थी । इस यव था – को ‘ थायी
बंदोब त’ नाम दया गया। – इस यव था के तहत, एक आकलन के अनस ु ार य द कसान क उपज को 100
माना जाए तो अं ेजी सरकार को उसम से लगभग 45 तशत ह सा ा त होता था। जमींदार और उसके
का रंदे अपने लए कर ब 15 तशत ह सा वसल ू ते थे और शेष 40 तशत कसान के पास बचता था। इस
रा श म कोई प रवतन नह ं होना था। पर, जमींदार को लगान क य रा श नय मत त थ को सरु ज डूबने के
पहले सरकार कायालय म जमा करना अ नवाय था । ऐसा नह ं करने पर उनक जमींदार नीलाम कर द जाती
थी। सरकार को इस बात क कोई परवाह नह ं थी क अकाल या बाढ़ के कारण फसल न ट हो गयी है या
पैदावार कम हुई है । जमींदार को हर हाल म तय रा श नयत त थ को जमा कराना ह था।
न (iii)अं ेजी सरकार वारा बार-बार भू म राज व यव था म कये जाने वाले प रवतन को आप कस प
म दे खते ह ? अपने श द म बताएँ।
उ र-अं ेजी सरकार ने गाँव से यादा से यादा धन अपने सा ा य व तार के लए होने वाले खच के लए
ा त करना चाहा। इसके लए उसने पहले थायी बंदोब त यव था क । इसके तहत जमींदार वारा लगान
के प म जमा क जाने वाल रा श हमेशा के लए तय कर द गयी। फर उ ह लगा क यह उ चत नह ं था।
चँ ू क साल दर साल उनके खच तो बढ़ते ह जाएँगे और लगान के प म आने वाल आय वह रहे गी। अतः
उ ह ने फर महालवार यव था क िजसके तहत जमींदार के बदले गाँव के बड़े कसान या प रवार को गाँव
का लगान वसल ू ने का अ धकार दे दया गया इसके तहत अं ेज को 50 तशत लगान मलना था और इसे
मा 30 वष के लए लागू कया गया। जब क रै यतवार यव था के तहत कंपनी सरकार ने सीधा कसान से
संपक कया । कसान को जमीन का मा लक बना दया गया ।
उनसे सीधे 50 तशत लगान जमा करने को कहा गया । पर, इस यव था ‘को थायी नह ं बनाया गया।
येक 30 वष बाद रा श म बदलाव कया जाना तय कया गया । भू म राज व यव था म अं ेजी सरकार ने
बार-बार प रवतन अ धक से अ धक लाभ कमाने के ि टकोण से कया था।
न (v)
नई राज व नी त का भारतीय समाज पर या असर हुआ?
उ र-नई राज व नी त के कारण आधे परु ाने जमींदार क जमींदार उनके हाथ से चल गई य क उ ह ने तय
समय पर लगान जमा नह ं कया था। दरअसल उनके लए कसान से लगान के लए यादा जोर-जबद ती
करना संभव नह ं था। कसान के साथ उनके परु ाने संबध
ं थे। नई राज व यव था म जमीन का मा लक
कसान या जमींदार को बना दया गया।इससे लगान समय पर जमा करने के लए इसे बेचने या बंधक रखने
का चलन शु हो गया। इससे गाँव म महाजन के प म एक भावी समह ू आ गया । ये महाजन जमीन के
एवज म धन दया करते थे। कसान और जमींदार दोन इनसे कज लेते थे । अं ेज सरकार को केवल लगान से
मतलब थी । इस नई राज व नी त का भारतीय समाज पर बरु ा असर पड़ा । शोषण बड़ा, भारतीय कसान क
द र ता बढ़ और भारतीय समाज म असंतोष बढ़ता गया िजसके ।प रणाम व प जगह-जगह पर उप व क
ि थ त उ प न हो गयी।
न (vi)
नील क खेती क मख ु सम याओं क चचा कर।
उ र-भारतीय कसान के ि टकोण से नील क खेती उनके लए फायदे मद ं नह ं थी। मजबरू न, उ ह अपनी
जमीन के एक बेहतर ह से पर इसक खेती करनी पड़ती थी। अं ेज अ धकार इसके लए उ ह बा य करते –
थे। कसान तो हमेशा खा य फसल ह उपजाना चाहते थे। इससे उ ह उस साल के लए खाने का अनाज
मलता था और बरु े दन के लए कुछ अनाज वे बचाकर भी रख लेते थे ।
नील क खेती धान के मौसम म ह क जाती थी इससे धान के फसल म दे र हो जाती थी। साथ ह , िजस खेत म
नील क खेती होती थी उसम फसल कटने के बाद उस साल कोई और फसल नह ं उगायी जा सकती थी। इसका
असर होता क कसान के पास अनाज क कमी हो जाती थी। जब सख ू ा या बाढ़ के कारण फसल का उ पादन
कम होता था तो कसान के पास पहले का रखा अनाज नह ं होता था। ऐसे म या तो महाजन से कज लेते थे या
भखू े रहते थे।
वन वभाग बना:-
तेजी से ख म होते जंगल क सम या हल करने के लए अं ेज सरकार ने सन ् 1864 म ‘वन वभाग’ क
थापना क एवं सन ् 1865 म ‘वन अ ध नयम’ भी बनाया गया। वन वभाग का काम था जंगल क कटाई पर
नगरानी रखना और नए जंगल लगाना। वन आ ध नयम के तहत नए व ृ ारोपण क सरु ा के लए तथा
परु ाने जंगल को बचाने के लए ढे र नयम बनाए गए। इन सबका असर यह हुआ क आम लोग और
आ दवा सय का जंगल पर जो परं परागत अ धकार था वो छनने लगा। वे अब अपनी मज से लकड़ी
काटने,जानवर चराने, फल-फूल इक ठा करने या शकार करने लए जंगल म नह ं जा सकते थे। यहां तक क
उनका जंगल म वेश भी विजत कर दया गया।सन ् 1878 म अं ेज ने एक और कानन ू बनाया। इसके तहत
जंगल को दो भाग म बांटा गया। बड़े जंगल को सरकार जंगल या आर त ( रजव) जंगल धो षत कर के
सरकार ने वहाँ अपना नयं ण था पत कर लया। अब आ दवासी वहाँ लक डयाँ
़ चन ु ने या वन उ पाद को
ा त करने नह ं जा सकते थे। वन वभाग के कमचा रय या यापा रय को ह वहाँ जाने क अनम ु त थी। इसी
काननू के तहत जंगल के बाहर इलाक को तथा कुछ अ य जंगल को संर त जंगल कहा गया िजसम लोग
को जाने क छूट थी।
बंधआ
ु मजदरू :- कज चकु ाने के लए बना वेतन के मा लक के जमीन पर तब तक काम करते रहना जबतक
क कज क रकम सद ू समेत न चक ु जाए।
जनजातीय व ोह का व प:-
उ नीसवीं शता द म भारत के लगभग सभी इलाक म आ दवा सय ने अं ेज एवं उनके सहयोगी गैर
आ दवा सय के घस ु पैठ एवं शोषण के खलाफ लड़ाई शु कर द । भारत म सबसे बड़ी सं या भील जनजा त
क है । गज
ु रात, म य दे श, आं दे श, राज थान, परु ा, कनाटक आ द रा य म इ ह ने महाजन एवं
साहुकार के शोषण का वरोध करते हुए उनके नयम को मानना बंद कर दया। ग डवाना के ग ड लोग ने
अपनी जमीन क सरु ा, अपने उ पाद के लए उ चत मू य के भग ु तान, व भ न वन संबधं ी ग त व धय से
बचौ लए एवं ठे केदार को दरू रखने, साहुकार वारा शोषण को रोकने आ द के लए व ोह आर भ कया।
बरसा मड
ंु ा एवं मड
ंु ा व ोह :-
बरसा मड
ंु ा का ज म 15 नव बर सन ् 1874 ई. को छोटानागपरु मंडल के तमाड़ थाना तगत उ लहातु गाँव
के नकट एक छोटे से े ‘चलकद’ मे हुआ था। उसके पता का नाम सग ु ना मड
ंु ा एवं माता का नाम कदमी
था। बरसा क श ा द ा चाईबासा के एक जमन मशन कूल म हुई थी। शु म कुछ मड ंु ाओं के साथ
मलकर उसने ईसाई धम भी वीकार कया, ले कन बाद म ईसाई धम से असंतु ट होकर फर मड ंु ा बन गया।
उसके मन म अं ेज एवं जमींदार के त आ ोश क भावना ने ह मड ंु ा व ोह को ज म दया।सन ् 1895 ई.
म बरसा को उसके कुलदे वता ‘ संगबोगा’ से एक नये धम के तपादन क ेरणा मल ,िजसके अनस ु ार उसने
अपने आपको भगवान का अवतार घो षत कया और अं ेजीं शासन का अंत करने का बीड़ा उठा लया।
अ यास- न
न 1.सह वक प चन ु
न (i)जनजातीय समाज के लोग आम भाषा म या कहलाते थे?
(क) ह रजन
(ख) आ दवासी
(ग) स ख
(घ) ह द ू
उ र-(ख) आ दवासी
न (iii) बरसा मड
ंु ा कस े के नवासी थे?
(क) छोटानागपरु
(ख) संथाल परगना
(ग) म णपरु ।
(घ) नागालड
उ र-(क) छोटानागपरु
न (iii)
गैर आ दवा सय एवं अं ेज के त आ दवा सय का वरोध य हुआ?
उ र- अं ेज यादा से यादा लगान ा त करने के फेर म जंगल तक भी पहुँच गये । उ ह ने आ दवा सय को
उनक जमीन से बेदखल कर दया । आ दवासी मानते थे क उनके पव ू ज ने जंगल को साफ कर उसे खेती के
लायक बनाया है , इस लए जमीन के मा लक वे वयं ह। इसके लए उ ह कसी को कसी तरह का लगान या
कर दे ने क आव यकता नह ं है । जब क अं ेज ने नई लगान यव थाओं के तहत उनके वारा जोती जाने
वाल जमीन को भी सरकार द तावेज म दज कर लया और उनके ऊपर भी अ य कसान क तरह सलाना
लगान क रा श तय कर द ।लगान क रा श चक ु ाने के लए उनक जमीन नीलाम होने लगी या फर महाजन
के क जे म जाने लगी। अब वे झम ू खेती नह ं कर पाते थे। अलग-अलग जमीन पर खेती करने क उनको
आजाद भी नह ं रह । सरकार कमचा रय के उन तक पहुंचने का भी उन पर बरु ा असर हुआ । कज लेने वाल
क सं या बढ़ने से अब उनके े म गैर आ दवासी सेठ, महाजन एवं सद ू खोर का भी वेश हुआ। ये महाजन
व साहुकार हमेशा इस यास म रहते थे। क कस तरह इनके जमीन को ह थयाया जाए और इ ह बंधआ ु
मजदरू बनाया जाए।अत: गैर आ दवा सय एवं अं ेज वारा अपनायी गयी शोषण व जु म क नी तय के
फल व प आ दवा सय का उनके तरोध हुआ और वे श उठाने को ववश हो गये।
न (iv)वन अ ध नयम’ ने आ दवा सय के कन अ धकार को छ न लया ?
उ र-तेजी से ख म होते जंगल क सम या को हल करने के लए अं ेज सरकार ने सन 1864 म ‘वन वभाग’
क थापना क एवं सन ् 1865 म ‘वन अ ध नयम’ भी बनाया।
वन अ ध नयम के तहत व ृ ारोपण क सरु ा के लए तथा परु ाने जंगल को बचाने के लए ढे र नयम बनाए
गए । इन सबका असर यह हुआ क आम लोग और आ दवा सय का जंगल पर जो परं परागत अ धकार था वो
छनने लगा। वे अब अपनी मज से लकड़ी काटने, जानवर चराने, फल-फूल इक ठा करने या शकार करने के
लए जंगल म नह ं जा सकते थे। यहां तक क जंगल म उनके वेश को भी विजत कर दया गया था । अभी
तक अपनी आव यकताओं क पू त के लए आ दवासी काफ कुछ जंगल पर नभर थे ले कन अब उस पर
अं ेजी सरकार ने तबंध लगा दया था।
न (viii)
जादोनांग कौन था? उसक उपलि धय के वषय म बताइए।
उ र-उ र पव ू भारत म, म णपरु म जेमेई, लयांगमेई एवं रांगमेई नामक नागा जनजा त क बहुलता थी।
जादोनांग रांगमेई जनजा त का नेता था। उसके नेत ृ व म 1920 म जनजातीय लोग ने व ोह का झंडा खड़ा
कया। – उपरो त तीन जनजा तय के नाम पर इस आ दोलन को ‘जे लयारांग
आंदोलन’ का नाम दया गया । जादोनांग ने सव थम इन तीन जनजा तय म एकता था पत कर अं ेज एवं
गैर आ दवा सय को बाहर खदे ड़ने का एक राजनै तक काय म बनाया। खास बात यह थी क इनका
आ दोलन आगे चलकर गाँधीजी वारा चलाए गए स वनय अव ा आ दोलन के साथ जड़ ु गया।
न (x)
जनजातीय समाज क म हलाओं का घरे लू उ योग या था?
उ र-जनजातीय समाज क म हलाएं घर म चटाई बनाने, बन ु ाई करने एवं व बनाने का काम करती थीं । वे
रे शम और लाख उ योग म भी अपने पु ष का परू ा-परू ा साथ दे ती थीं।