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Class 8 History Notes III
Class 8 History Notes III
•सोलहवीं और स हवीं सद म मग ु ल वारा बसाये गए शहर जनसं या के जमाव, वशाल भवन और शहर
सम ृ ध के लए स ध थे। आगरा, द ल , लाहौर जैसे शहर मग ु ल शासन और स ा के मह वपण ू के थे।
इन के म स ाट और अमीर (उ च अ धकार ) जैसे कुल न वग क उपि थ त के कारण वहाँ कई कार क
व श ट सेवाएँ दान करने वाले लोग नवास करते थे। श पकार कुल न वग के लए व श ट ह त श प का
उ पादन करते थे। ामीण े से शहर के नवा सय के लए अनाज लाया जाता था। स ाट एक
कलेबदं महल म रहता था और नगर एक द वार से घरा होता था, िजसम अलग-अलग दरवाज से आने-जाने
का रा ता होता था। कलेबदं शहर के भीतर उ यान (बाग-बगीचे),मं दर, मि जद, मकबरे , व यालय, बाजार
तथा सराय बनी होती थीं।
शहर के म प रवतन:-
अठारहवीं सद म शहर क ि थ त म बदलाव आने लगा। राजनी तक तथा यापा रक ग त व धय म
प रवतन के साथ परु ाने शहर पतनो मख ु हुए और नए शहर का वकास होने लगा। मग ु ल स ा के धीरे -धीरे
कमजोर होने के कारण शासन से संब ध शहर का पतन होने लगा। नई े ीय शासन के -लखनऊ,
है दराबाद, ीरं गप टनम ्, पण
ू ा, नागपरु , बड़ौदा आ द नये शहर के के प म था पत होने लगे। यापार ,
श पकार, कलाकार, शासक तथा अ य व श ट सेवा दान करने वाले लोग इन नये शासन के क ओर
काम तथा संर ण क तलाश म आने लगे।
अठारहवीं सद के अंत म प रवतन का एक नया दौर आरं भ हुआ। जब यापा रक ग त व धयाँ अ य थान पर
केि त होने लगीं तब परु ाने यापा रक के और बंदरगाह अपना मह व खोने लगे।1757 ई. म पलासी के
यु ध के बाद जैसे-जैसे अं ेज ने राजनी तक नयं ण था पत कया और अं ेजी ई ट इं डया कंपनी का
यापार फैलने लगा तब म ास (चे नई), कलक ा (कोलकाता), ब बई (मु बई) का मह व ‘ े सडसी शहर’ के
प म उभरा। नए भवन और सं थान का वकास हुआ तथा शहर को नये तर क से यवि थत कया गया।
नए रोजगार वक सत हुए और लोग शहर क ओर आने लगे।
मि जदः- मस
ु लमान समद
ु ाय का उपासना थल।
खानकाह :- सफ
ू संत के धा मक के ।
ईदगाह :- मस
ु लमान के ईद क नमाज पढ़ने के लए वशेष थल जो सामा यतः खल
ु े मैदान के प म होता
है ।
शासन बंध:-
जब भारत म अं ेजी शासन थायी व प हण करने लगा तब अं ेज ने अपनी स ा को मजबत ू बनाने के
लए दे श म एक नयी शास नक यव था क नींव डाल । उस समय शास नक इकाइय के कायालय शहर
म अवि थत होते थे।1774 ई० म भागलपरु को िजला बनाया गया। िजले का सबसे बड़ा अ धकार ‘कल टर’
कहलाता था। भागलपरु िजले का पहला कल टर ऑग स ि लवलड था। कल टर क सहायता के लए िजले
के सदर द तर म ड ट कल टर, सब ड ट कल टर और अ स टट कल टर होते थे। 1936 तक यह िजला
चार सब ड वजन (भागलपरु सदर, बाँका, मधेपरु ा, सप
ु ौल) म बँटा था। सब ड वजन का सबसे बड़ा अफसर
सब ड वजनल अफसर (एस०डी०ओ०)कहलाता था।िजले म याय वभाग का सबसे बड़ा अफसर डि ट एवं
सेशन जज (िजला एवं स यायाधीश) कहलाता था। द वानी मक ु दम म इनक सहायता के लए सबो डनेट
जज और मंु सफ होते थे। फौजदार मक
ु दम म िजला मिज े ट तथा ड ट एवं सब ड ट मिज े ट इनक
सहायता करते थे।
िजले म पु लस वभाग का सबसे बड़ा अफसर सप ु रंटे डट ऑफ पु लस (एस०पी०) कहलाता था। उसके नीचे
अ स टे ट एवं ड ट सप ु रंटे डट रहते थे। पु लस के काम के लए िजले को 25 भाग म बाँटा गया था। यह
भाग ‘थाना’ कहलाता था। वतं ता के समय तक भागलप शहर के अदं र तीन थाने थाने भागलप शहर,
भागलप मफुि सल आरै नाथ नगर।
थाने का बडा अफसर
़ इसंपेकटर या सब इं पे टर हातेा था, िजसे दरागेा भी कहा जाता था।
नगरपा लका:-
10 वग मील े म व तत ृ भागलपरु शहर के नगरपा लका क थापना 1864 ई. म हुई थी। जनसाधारण
वारा नवा चत एवं सरकार वारा मनोनीत त न धय के वारा इसका बंधन होता था।
शै णक वरासत:-
भागलपरु श ा का मह वपण ू के था। व भ न काल खंड से गज
ु रते हुये भागलपरु ने अपनी शै णक
पहचान को कायम रखा है । ाचीन काल म अंतीचक (भागलपरु के नजद क) का व मशीला व व व यालय
था तो म यकाल म मौलानाचक का खानकाह शहबािजया हुआ करता था। टश काल म ाथ मक श ा,
हायर सेके डर श ा और उ च श ा के चार- सार म यहाँ के जमींदार, बंगाल , मारवाड़ी, ईसाई समद ु ाय
क अहम भू मका रह है ।शहर के थानीय जमींदार तेजनारायण संह ने 1883 ई. म तेजनारायण जब ु ल
कॉलेिजयट हाई कूल तथा 1887 ई. म तेजनारायण जब ु ल कॉलेज क थापना क थी। दोन ह सं थान नया
बाजार मोह ले म चला करते थे।भागलपरु म म हला श ा क दशा म भी मह वपण ू कदम उठाये गये। ी
अर व द घोष के पता ी कृ णाधन घोष ने मो दा बा लका व यालय क थापना 1868 ई. म क । 1868
ई. म ह जनाना मशन कूल भी खोला गया।
सां कृ तक ग त व धय :-
भागलपरु क सां कृ तक ग त व धय क बात कर तो शहर म अनेक नामी गरामी सा ह यकार ,
सां कृ तकम , रं गकम , श पकार , संगीतकार एवं फोटो ाफर का जमघट लगता था।उस समय भागलपरु
के सा ह य पर बं ला सा ह य का बहुत अ धक भाव था। शरतच चटज , वभू त भष ू ण बं योपा याय,
र व नाथ टै गोर भागलपरु वास कर चक ु े थे।इस काल म भागलपरु म ह द सा ह य भी रचा जा रहा था।
डॉ. राधाकृ ण ने भागलपरु म ‘सा ह य गो ठ ’ नामक सं था बनायी।
धा मक थल:-
भागलपरु शहर म गंगा नद के द णी तट पर बढ़ु ानाथ मोह ला म बाबा बढ़
ु ानाथ महादे व मं दर ह दओ ु ं का
स ध उपासना थल है ।जैन धम के बारहव तीथकर बासप ु ू य क ज मभ ू म होने के कारण भागलपरु शहर
जै नय क प व भू म मानी जाती है । स ख स दाय का उपासना थल नया बाजार एवं खाल फा बाग
मोह ला म ि थत ह। ईसाइय ने 1845 ई.म घंटाघर के नकट तथा 1854 ई. म कणगढ़ म गरजाघर का
नमाण कया था।
अ यास- न
न 1.सह या गलत बताएँ
1. भागलपरु शहर का वकास औप नवे शक शहर से भ न पर परागत शहर के प म हुआ।
2. मिु लम काल म भागलपरु शहर सफ ू सं कृ त का के नह ं था।
3. उ नीसवीं सद म भागलपरु म बंगाल और मारवाड़ी समद ु ाय का आगमन हुआ।
4. भारत म आधु नक शहर का वकास औ योगीकरण के साथ हुआ।
5. े सडसी शहर म ‘गोरे ’ और ‘काले’ लोग अलग-अलग इलाक म रहते थे।
उ र-
1. सह
2. गलत
3. सह
4. सह
5. सह
न 2. न न ल खत के जोड़े बनाएँ
1. े सडसी शहर – (क) बरे ल , जमालपरु
2. रे लवे शहर – (ख) ब बई, कलक ा, म ास
3. औ यो गक शहर – (ग) कानपरु , जमशेदपरु
उ र-
1. े सडसी शहर – (ख) ब बई, कलक ा, म ास
2. रे लवे शहर – (क) बरे ल , जमालपरु
3. औ यो गक शहर – (ग) कानपरु , जमशेदपरु
न 3. र त थान को भर
1. भागलपरु नगर पा लका क थापना ………… ई० म हुई थी।
2. भागलपरु म स क कपड़ा उ पादन का के ……….. और था।
3. भागलपरु म सां कृ तक ग त व धय को बढ़ावा दे ने वाले मख ु सं कृ तकम ………….. थे। ।
4. रे लवे टे शन क चे माल का ……… और आया तत व तओ ु ं का …………… था।
5. कालजयी उप यास ………….. क रचना शरतच च टोपा याय ने क थी।
उ र-
1. 1864
2. च पानगर, नाथनगर मोह ला
3. शरतच , अशद ु बाब,ु ह रकंु ज
4. सं ह के , वतरण ब द ु
5. दे वदास ।
आइए वचार कर
न (i)शहर करण का आशय या है ?
उ र- यापा रक एवं राजनी तक कारण से कसी े म होनेवाल – वकास एवं सम ृ ध के उस े म
शहर करण क या शु हो जाती है । धा मक के के प म भी जब कसी े म आस-पास के लोग का
वहां आकर बसना शु हो जाता है तो उस े म शहर करण शु हो जाता है ।
कसी े म जब अमीर वग एवं गर ब वग दोन रहते ह और वहां यापार फलना-फूलना शु हो जाता है तो
उस े म शहर करण क या शु हो जाती है ।
औप नवे शक कला:-
औप नवे शक कला म अनेक यरू ोपीय कलाकार अं ेज यापा रय एवं अ धका रय के साथ भारत आये और
उनके संर ण म अपने कला प का दशन कया। ये कलाकार च कार क नई शै लय , वषय , पर पराओं
एवं तकनीक क भारत म शु आत क । इनके वारा बनाये गये च को यरू ोप के दे श म काफ लोक यता
मल । य क इन च के मा यम से उ ह वदे श म भारत क छ व को दखाने का अवसर मला।
भारत के भू य का च ण:-
कुछ टश च कार ने भारत के भू य क खोज म दे श के व भ न े क या ाएँ क ं दरअसल, ये
च कार भारत को एक आ दम दे श सा बत करने के लए यहाँ क सां कृ तक व वधता को दखाना चाहते थे।
उ ह ने टे न वारा भारत म जीते गये े क कुछ मोहक त वीर बना ।
प च :- कसी यि त का ऐसा च िजसम उसके चेहरे एवं हाव-भाव पर वशेष जोर दया गया हो । इस शैल
के बने च प च कहलाते थे।
कर मच:-गाढ़ा या मोटा कपड़ा िजस पर च उकेरा जाता था, उसे कलाकार कर मच कहते थे।
मधबु नी प टंग:-
इस लोक काल क ओर कला े मय एवं पार खय का यान उस समय आकृ ट हुआ, जब 1942 ई. म लंदन
क आट गैलर म ‘मधब ु नी प टंग’ क दशनी लगाई गई। मधब
ु नी च कला पण ू तया एक म हला च कला
शैल है । वे इस च कला को पीढ़ -दर-पीढ़ वरासत के प म छोड़ती गई। इस कार, घर क द वार तथा
आंगन के फश से कपड़ और कागज पर इसका थानांतरण होता गया। अ य लोक कलाओं क भां त मधब ु नी
च कला भी व भ न पव- यौहार , ववाह, पा रवा रक अनु ठान के साथ जड़
ु ी है । मधब
ु नी च कला के दो प
ह- भ च एवं अ रपन च (भू म च ण)
रा वाद च कला शैल :-
उ नीसवीं सद के अं तम दशक एवं बीसवीं सद के ारं भ म जनसाधारण क त वीर म रा वाद संदेश दये
जाने लगे थे। राजा र व वमा उन च कार म से एक थे, िज ह ने रा वाद कला शैल को वक सत करने म
मह वपण ू योगदान दया। उ ह ने तैल च कार क यरू ोपीय कला शैल को अपने च कार का आधार बनाया।
उ ह ने रामायण, महाभारत और पौरा णक कहा नय के नाटक य य को कर मच पर च ां कत कया।
सा ह य म रा वाद वचार :-
उ नीसवीं सद के अं तम दशक म जब रा वाद वचार उभार लेने लगा, तब व भ न भारतीय भाषाओं के
सा ह यकार ने सा ह य को दे श भि तपण ू उ दे य के लए योग म लाने लगे। दरअसल इनम से अ धकांश
सा ह यकार का यह व वास था क वे गल ु ाम दे श के नाग रक ह। अतः उनका यह कत य है क वे इस कार
के सा ह य का सज
ृ न कर जो उनक े दे श क मिु त का माग श त करे गा। सा ह य म पराधीनता के बोध तथा
वतं ता क ज रत को प ट अ भ यि त मलने लगी थी।
बां ला सा ह य:-
आधु नक बां ला सा ह य के महान ् सा ह यकार बं कम च च टोपा याय (1838-1894) के उप यास अपने
दे शवा सय म दे शभि तपण
ू भावनाओं को जा त करने म लगे हुये थे।‘आ थक रा वाद’ के वतक के प म
व यात रमेश च द (1848-1909) को अपनी रचना क ेरणा उ ह ‘सा हि यक दे शभि त’ से मल
थी।बां ला उप यासकार ताराशंकर बं योपा याय (1898-1971) क 1947 से पव
ू क
रचनाओं पर ि ट डालना काफ उपयोगी होगा। वशेषकर ‘गणदे वता’ एवं ‘पंच ाम’ उप यास म उ ह ने
शोषण एवं औ यो गक करण के कारण ामीण समाज के वघटन को दखाया है
ह द सा ह य:-
भारते द ु (1850-1885) ह द सा ह य म आधु नक यगु के वतक रहे ह। अपने दे श और समाज से लोग को
अवगत कराने के लए उ ह ने व भ न सा हि यक व याओं-क वता,नाटक, नबंध लखा। भारते द ु वारा
सिृ जत सा ह य का एक बड़ा भाग पराधीनता के न से संबं धत है बीसवीं सद के ारं भक दो दशक तक
शोषण, आजाद एवं पराधीनता के त वैचा रक रवैया आम तौर पर वह था, जो उ नीसवीं सद के दौरान
उभरा था। ले कन थम व व यु ध (1914-18) के बाद प रि थ तयाँ तेजी से बदल ।ं ेमचंद ने रा वाद
नेताओं के वाथपरता एवं भोग- वलास का प ट प से पदाफाश कया है । उनका मानना था क य द दे श के
नेता सह नह ं ह गे तो भारत क वाधीनता का या लाभ? ेमचंद के उप यास ‘गबन’ (1931) म इस चंता
के मह व को उजागर कया गया है ले कन रा वाद राजनी त का सबसे नराशाजनक पहलु ‘गोदान’ म
प रल त होता है ।
उद ू भाषा :-
आपने म यकाल के इ तहास को पढ़ते समय यह जाना क एक साझा सं कृ त का दे श म वकास हुआ िजसे
गंगा-जमन ु ा सं कृ त भी कहा जाता है । इसके अनेक उदाहरण म उद ू भाषा भी शा मल है । उद ू भाषा क उ प
पंजाब के े म यारहवीं शता द ई. म हुई और म यकाल म इसका धीरे -धीरे वकास हुआ। अठारहवीं
शता द तक यह एक सा हि यक भाषा बन चक ु थी िजसम फारसी और कुछ भारतीय भाषाओं के श द शा मल
थे। उ नीसवीं शता द के उ रा ध म जब रा य आंदोलन ने जोर पकड़ा तो उ र भारत म सबसे अ धक
च लत भाषा उद ू ह थी, िजसे हम ‘ ह द ु तानी’ भी कहते ह।1857 के संघष के समय द ल से का शत होने
वाले ‘‘दे हल अखबार’’ और लखनऊ से का शत ‘‘ त ल म’’ जैसे अखबार आज मख ु ऐ तहा सक ोत ह।
रा य आंदोलन के मख ु नेता, मौलाना अबल ु कलाम आजाद ने उद ू म कई समाचार-प नकाले िजनम
‘‘अल- हलाल’’ और ‘‘अल-बलाग’’ काफ मह वपण ू थे।बीसवीं शता द के आरं भक वष म अ लामा इकबाल ने
‘‘सारे जहाँ से अ छा ह दो ताँ हमारा’’ क वता क रचना क , तो पटना के बि मल अजीमाबाद ने लखा-
सरफरोशी क तम ना अब हमारे दल म है
दे खना है जोर कतना बाजए ू का तल म है ।
अ यास- न
न 2. र त थान को भर
1. लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाई गई त वीर को ……….. कहा जाता है ।
2. औप नवे शक काल म बनाये गये छ व च ………… होते थे ।
3. अं ेज क वजय को दशाने के लए …………. क च कार क जाती थी।
4. ए शयाई कला आंदोलन को ो सा हत करने वाले ……….. कलाकार थे।
उ र-
1. उ क ण च
2. प च ण
3. यु ध के य
4. जापानी।
न 3. न न ल खत के जोड़े बनाएँ
1. से ल पो ट ऑ फस, कलक ा – (i) गो थक शैल
2. व टो रया ट मनस रे लवे टे शन, ब बई – (ii) इंडो सारसे नक शैल
3. म ास लॉ कोट – (iii) इंडो ीक शैल
उ र-
1. से ल पो ट ऑ फस, कलक ा – (iii) इंडो ीक शैल
2. व टो या ट मनस रे लवे टे शन, ब बई – (i) गो थक शैल
3. म ास लॉ कोट – (ii) इंडो सारासे नक शैल
आइए वचार कर
न (i)मधबु नी प टंग कस कार क कला शैल थी ? इसके अंतगत कन वषय को यान म रखकर च
बनाये जाते थे?
उ र-मधब ु नी प टंग क कला शैल बहार क कला शैल है । इसम कृ त, धम और सामािजक सं कार ,
पा रवा रक अनु ठान जैसे वषय को यान म रखकर च बनाये जाते थे।
रा य आ दोलन 1885-1947:-
बहार के त न ध:-
कां ेस क थापना के समय बहार से कोई त न ध तो शा मल नह ं था ले कन कलक ा के दस ू रे अ धवेशन
1886 म कुल 16000 पये खच हुए िजसम 2500 पये का सहयोग अकेले दरभंगा महाराज ल मे वर संह
वारा कया गया। हथआ ु एवं डुमराँव महाराज ने भी सहयोग दान कया। वतीय अ धवेशन म डेल गेट के
प म बहार से शाल ाम संह एवं वशे वर संह (कु ह डया ़ टे ट) िजनके नाम पर ह बी०एन० कॉलेज है ,
शा मल हुए थे एवं पण
ू द ु नारायण स हा एवं गजाधर साद जो पेशे से वक ल थे।
गोपाल कृ ण गोखले - जहाँ तक हो सके हम यादा से यादा लोग म रा य चेतना पैदा करनी चा हए और
इसे बढ़ावा दे ना चा हए ता क धम, जा त और वग क व भ ताओं को परे रखकर वे एक जट ु हो
सक।ड ल० ू सी० बनज -कां ेस का उ दे य भाईचारे के मा यम से भारतीय जनता के बीच सभी तरह के जा त
वग और े ीय पव ू ा ह को समा त करना और दे श के लए काम करनेवाल के बीच भाईचारे और दो ती का
और मजबत ू बनाना है ।
वराज क चाहत - 19वीं सद के अं तम दशक आते-आते कां ेस के ह बहुत सारे नेता टश-शासन वरोधी
राजनी तक तौर तर क से असहमत दखने लगे थे। वे कां ेस क ाथना और तवेदन क नी त के बल
वरोधी थे। इस तरह क वचारधारा का नेत ृ व बंगाल म ब पन च पाल,पंजाब म लाला लाजपत राय तथा
महारा म बालगंगाधर तलक कर रहे थे।
बंग-भंग एवं वदे शी आ दोलन - लाड कजन ने रा य भावना को कमज़ोर करने के लए 1905 म बंगाल के
वभाजन का आदे श नकाला। उस समय बंगाल के अ तगत बंगलादे श, पि चम बंगाल, उड़ीसा, बहार और
झारख ड के दे श थे। अं ेज का तक था क चँ ू क यह ांत काफ बड़ा है अतः ‘ शास नक सु वधा के लए
बंगाल का वभाजन अ नवाय है ।रा वाद एवं भारतीय रा य कां ेस ने कजन के इस काय का वरोध करने
का नणय लया। 16 अ टूबर 1905 को वभाजन लागू होने के दन समच ू े बंगाल म शोक दवस मनाया
गया।
पथ
ृ क नवाचक मंडल - कसी खास धम और जा त के लोग का चन
ु ाव अपने जा त या धम के लोग वारा
कया जाना।
गांधी का आगमन:-
द ण अ का म स या ह का सफल योग करने के बाद महा मा गांधी 1915 म भारत लौटे । गांधी जी ने
अं ेज क न लभेद नी त के खलाफ अ हंसक आंदोलन चलाकर द ण अ का के लोग के हक क लड़ाई
लड़ी थी। द ण अ का म उनके संघष एवं उनक सफलता ने भारत म उ ह काफ लोक य बना दया
था।गांधी जी ने त काल न प रि थ तय को समझने के लए परू े दे श का दौरा कया और साबरमती आ म
(अहमदाबाद) को था पत कया।
भारत म स या ह का थम योग-चंपारण:-
गांधी जी ने रा य आंदोलन क मु य धारा से जड़
ु ने के पहले थानीय सम याओं को लेकर चंपारण ( बहार),
अहमदाबाद और खेड़ा म आंदोलन का नेत ृ व कया। चंपारण और खेड़ा तो कसान का आंदोलन था ले कन
अहमदाबाद आंदोलन औ यो गक मजदरू से संबं धत था।सबसे सफल कहानी बहार के चंपारण क है ।
रॉलेट स या ह:-
1919 म रॉलेट ऐ ट नामक कानन ू बनाया िजसम स दे ह के आधार पर कसी यि त को अ नि चत समय
तक गर तार कया जा सकता था। गांधी जी ने रॉलेट ऐ ट के वरोध म 6 अ ील 1919 को ‘रा य अपमान
दवस‘ मनाने का नणय लया। रा यापी वरोध एवं दशन हुए। इसी म म पंजाब के दो नेताओं सैफु द न
कचलव ू ं स यपाल को गर तार कर लया गया। पंजाब के लोग वरोध दशन के लए 13 अ ील 1919
(वैशाखी के दन) को बड़ी सं या म जा लयाँवाला बाग (अमत
ृ सर) म जमा हुए। लोग सभा कर ह रहे थे क
पु लस ने बना चेतावनी के भीड़ पर गोल चलानी शु कर द । सैकड़ लोग मारे गए एवं हजार क सं या म
घायल हुए।
खलाफत और असहयोग:-
थम व वयु ध म पराजय के बाद तक ु के खल फा को पद से हटा दया गया था। द ु नया के अ य ह स के
मसु लमान क तरह भारतीय मस ु लमान भी ऑटोमन सा ा य के प व इ ला मक थल पर खल फा का
नयं ण ह दे खना चाहते थे। भारतीय मस
ु लमान ने महु मद अल एवं शौकत अल के नेत ृ व म अं ेज क
वादा खलाफ के व ध खलाफत आंदोलन क शु आत क । गांधी जी ने इसे ह द ू मिु लम एकता के
अवसर के प म दे खते हुए जा लयाँवाला बाग ह याकांड और खलाफत के मामले म हुए अ याचार के व ध
असहयोग आंदोलन चलाकर वराज क मांग का आ वान कया।अग त 1920 को गांधी जी के नेत ृ व म
असहयोग आंदोलन चलाने का नणय लया गया। असहयोग आंदोलन के दर यान सरकार पद वय को
छोड़ने का नणय लया गया। रवी नाथ टै गोर ने ‘नाइट’ एवं महा मा गांधी ने ‘कैसरे - ह द’ क उपा ध याग
द।
खल फा - मस
ु लमान का धा मक एवं राजनी तक प से धान यि त।
झंडा स या ह -
झंडा स या ह का ारं भ 13 अ ील 1923 से शु हुआ जब अं ेजी शासन ने लोग को झंडा लेकर चलने से
रोक दया। कां े सय ने हु म मानने से इ कार करते हुए नागपरु म स या ह करने का न चय
कया। यायाधीश के मनाह पर भी डी०एस०पी० ने भीड़ पर हमला बोल दया। कई लोग गर तार कए गए।
जमनालाल बजाज क मट ने 1 मई 1923 से झंडा स या ह करने का न चय लया इस स या ह म दे श के
अ य ह स के साथ-साथ बहार के लोग भी गए।
यह आंदोलन 109 दन तक चला और 1560 स या हय को सजाएँ हुइंर।् धीरे -धीरे सरकार का ख नरम
हुआ और तरं गा लेकर चलने क आ ा दे द गई।
आजाद ह द फौज - 1942-43 म जब भारत छोड़ो आंदोलन श थल हुआ तब भारत क सीमाओं के बाहर ‘जय
ह द’ और ‘ द ल चलो’ क आवाज गँज
ू उठ , िजसने दे शवा सय को साहस से भर दया। नेताजी सभ ु ाष चं
बोस अं ेज क आँख म धल ू झ ककर 1941 म अफगा न तान के रा ते जमनी पहुँचे। वहाँ से जापान गए और
जलु ाई 1943 म आजाद ह द फौज को फर से संग ठत कया। इसक बागडोर संभालने के बाद अग त 1943
म नेताजी ने आजाद ह द सरकार क थापना क ।
अ यास- न
न 1.सह वक प को चन ु ।
न (i)कां ेस क थापना म कन त व ने मह वपण
ू भू मका नह ं नभायी?
(क) शु आती राजनी तक संगठन ने
(ख) एक रा य सं था क गठन क ज रत ने
(ग) अं ेज क शोषणकार नी त से
(घ) अं ेज का व छ शासन ने
उ र-(क) शु आती राजनी तक संगठन ने
न (ii)रा यता क भावना का वकास हुआ
(क) शास नक एवं या यक एक पता के कारण
(ख) संचार साधन के वकास के कारण
(ग) उपरो त दोन के कारण
(घ) इनम से कसी के कारण नह ं
उ र-(ग) उपरो त दोन के कारण
आइए वचार कर
न (i)कै बनेट मशन ने या सझाव दया?
उ र-अं ेजी सरकार ने पा क तान क मांग और भारत क वतं ता के संबध
ं म अ ययन करने के लए तीन
सद यीय कै बनेट मशन भारत भेजा । कै बनेट मशन ने मिु लम बहुल े को कुछ वाय ता दान करते
हुए ढ ले-ढाले महासंघ के प म अ वभािजत भारत का सझाव दया।
नए सं वधान का नमाण:-
आजाद के पहले ह भारतीय ने कबनटे मशन क चन ु त
ै ी को वीकार करते हएु भारत के लए अपने
सं वधान के नमाण ् क िज मदे ार संभाल एक सं वधान सभा का गठन कया गया िजसके लगभग 300
त न ध दे श भर से चन
ु कर आए थे। इन सद यां◌े के बीच दस बर 1946 से नव बर 1949 तक गंभीर
वचार- वमश के बाद भारत का सं वधान लखा गया। सं वधान के कछु भाग (उपब ध) को 26 नव बर 1949
को ह लागू कर दया गया एवं 26 जनवर 1950 को इसे पण ू प से लागू कया गया।हमारे सं वधान ने रा य
के नाग रक को कुछ मौ लक अ धकार भी दए तथा रा य के त न ठावान बने रहने के उपाय के प म
नाग रक के लए मौ लक कत य भी बताए।सं वधान का नमाण करते समय भारत के नेताओं और जनता के
सामने एक साझे और सश त भारत के भ व य क त वीर थी।
भारत को आ थक प से वक सत :-
करने के लए, आधु नक तकनीक के सहारे कृ ष और उ योग के लए आधार न मत करना सबसे बड़ी चन ु ौती
थी सरकार ने महसस ू कया क बगैर सरकार सहयोग एवं योजना के दे श क आ थक ग त तेजी से नह ं हो
सकती। अतः सरकार ने नी त बनाने एवं लागू करने के लए 1950 म योजना आयोग का गठन कया।सबसे
पहले अ न के े मं◌ेआ म नभरता हा सल करने के लए याजे ना आयागे ने 1951-56 के बीच कृ ष को स
नयाे जत प से सबसे यादा बढा वा ़ दया। दसू र पचं वषीय याजेना (1956-67) म दे श को उ धो डग प से
आ म नभर बनाने के लए बड़े बड़े उधोग के थापना पर बल दया गया।1990 के दशक म तेज आ थक
वकास के साथ-साथ औ यो गक े म ढॉचागत प रवतन हुआ। सच ू ना एवं संचार के े म ां त ने
क यट ू र सा टवेयर एवं हाडवेयर, आधु नक संचार एवं प रवहन के साधन यथा दोप हया एवं चारप हया
वाहन एवं टे ल फोनसेवा आ द के े म अ या शत व ृ ध हुई। क यट ू र सा टवेयर के े म भारत ने एक
नई पहचान बनाई। बंगलोर क पहचान भारत क स लकान वैल के (अमे रका) प म बनी। माइ ोसॉ ट
जैसी कंपनी ने है दरबाद म सॉ टवेयर वकास कन ्◌े क थापना क ।
•गट
ु नरपे ता क नी त-आजाद के समय व व दो बड़े रा अमे रका और सो वयत स के खेम मे वभ त
था। भारत को सबक मदद क ज रत थी। अतः सबके साथ अ छे संबध ं का नवाह करते हुए कसी गटु मन
रहते हुए भारत ने गट
ु नरपे ता क नी त अपनाई तथा भारत जसै ◌े गर ब आरै वकासशील दे श को भी इसी
नी त पर चलने क सलाह द ।
अ यास- न
न 1.सह वक प को चन ु
न (i)“वष पहले हमने भ व य को त ा द थी,” कसके भाषण का अंश है ?
(क) महा मा गांधी
(ख) जवाहरलाल नेह
(ग) राजे साद
(घ) ब लभ भाई पटे ल
उ र-(ख) जवाहरलाल नेह
न (iii)इनम से कौन सह नह ं है ?
(क) आजाद के समय दे श क आबाद लगभग 34.5 करोड़ थी।
(ख) भारत खा या न के े म आ म नभर था
(ग) 90 तशत जनता कृ ष पर नभर थी
(घ) भारत म उ योग क कमी थी ।
उ र-(ख) भारत खा या न के े म आ म नभर था
न (vi) “अगर ह द उनपर थोपी गई तो बहुत सारे लोग भारत से अलग हो जाएँगे” कसने कहा?
(क) राजगोपालाचार
(ख) सरदार पटे ल
(ग) राधाकृ णन
(घ) कृ णमाचार
उ र-(घ) कृ णमाचार
न (vii) ‘ग पण
ू ां त’ का नारा कसने दया?
(क) जय काश नारायण
(ख) वनोबा भावे
(ग) महा मा गांधी
(घ) अ ना हजारे
उ र-(ग) महा मा गांधी
न (viii)भाषायी आधार पर रा य के पन
ु गठन का वरोध कसने कया?
(क) जवाहरलाल नेह
(ख) ब लभ भाई पटे ल
(ग) उपरो त दोन
(घ) कसी ने नह ं
उ र-(ग) उपरो त दोन
आइए वचार कर
न (i) आजाद के समय भारतीय कृ ष कस पर नभर थी?
उ र- आजाद के समय भारतीय कृ ष मौनसन ू (वषा) पर नभर थी। कृ ष पर उस समय 90% जनता नभर
थी। संचाई क यव था वक सत नह ं थी। वषा नह ं होने से कसान को तो अकाल का सामना करना ह
पड़ता था, कृषक पर नभर अ य पेशा के लोग जैसे नाई, बढई, लोहार एवं कार गर वग भी संकट म आ जाते
थे।
इनक मह वपण ू स पा दत पु तक म
1. ह टो रकल म सेलेनी
2. अनरे ट एग ट टश ल इन बहार
3. राइ टं स ए ड पीचेज ऑफ महा मा गांधी रले टंग
टू बहार 1917-47
4. सम फरमा स, स स ऐंड पवानाज़ (1718-1802)
5. इं ोड सन ऑफ बहार आ द मख ु ह।
इसके अ त र त इ ह ने गांधी जी इन बहार (पटना 1969), बायो ाफ ऑफ कँु वर संह ए ड अमर संह,
राजे साद (नई द ल 1970) के साथ-साथ र ले शन ऑन द यू टनी (कलक ा 1966) क भी रचना
क । ये रजनल रकाडस सव क मट क थापना के समय से ह जड़ ु े रहे । इस क मट का वा षक तवेदन
आज शोधा थय के लए ोत तक पहुँचने के साधन के प म काम कर रहा है ।डा० काल कंकर द ने इ तहास
के े म दे श- वदे श क कई सं थाओं क थापना एवं वकास म मह वपण ू भू मका नभाई। के०पी०
जयसवाल शोध सं थान, अ भलेखागार, रिजनल रे कॉडस क मट , ए० एन० स हा समाज अ ययन सं थान
आ द क थापना म इनका मह वपण ू योगदान था।इस कार डा० द अ ययन-अ यापन शोध और लेखन के
उ च मानद ड का नवाह करते हुए 24 माच 1982 को परलोक वासी हो गए।