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अं ेजी शासन एवं शहर बदलाव :-

•सोलहवीं और स हवीं सद म मग ु ल वारा बसाये गए शहर जनसं या के जमाव, वशाल भवन और शहर
सम ृ ध के लए स ध थे। आगरा, द ल , लाहौर जैसे शहर मग ु ल शासन और स ा के मह वपण ू के थे।
इन के म स ाट और अमीर (उ च अ धकार ) जैसे कुल न वग क उपि थ त के कारण वहाँ कई कार क
व श ट सेवाएँ दान करने वाले लोग नवास करते थे। श पकार कुल न वग के लए व श ट ह त श प का
उ पादन करते थे। ामीण े से शहर के नवा सय के लए अनाज लाया जाता था। स ाट एक
कलेबदं महल म रहता था और नगर एक द वार से घरा होता था, िजसम अलग-अलग दरवाज से आने-जाने
का रा ता होता था। कलेबदं शहर के भीतर उ यान (बाग-बगीचे),मं दर, मि जद, मकबरे , व यालय, बाजार
तथा सराय बनी होती थीं।

शहर के म प रवतन:-
अठारहवीं सद म शहर क ि थ त म बदलाव आने लगा। राजनी तक तथा यापा रक ग त व धय म
प रवतन के साथ परु ाने शहर पतनो मख ु हुए और नए शहर का वकास होने लगा। मग ु ल स ा के धीरे -धीरे
कमजोर होने के कारण शासन से संब ध शहर का पतन होने लगा। नई े ीय शासन के -लखनऊ,
है दराबाद, ीरं गप टनम ्, पण
ू ा, नागपरु , बड़ौदा आ द नये शहर के के प म था पत होने लगे। यापार ,
श पकार, कलाकार, शासक तथा अ य व श ट सेवा दान करने वाले लोग इन नये शासन के क ओर
काम तथा संर ण क तलाश म आने लगे।
अठारहवीं सद के अंत म प रवतन का एक नया दौर आरं भ हुआ। जब यापा रक ग त व धयाँ अ य थान पर
केि त होने लगीं तब परु ाने यापा रक के और बंदरगाह अपना मह व खोने लगे।1757 ई. म पलासी के
यु ध के बाद जैसे-जैसे अं ेज ने राजनी तक नयं ण था पत कया और अं ेजी ई ट इं डया कंपनी का
यापार फैलने लगा तब म ास (चे नई), कलक ा (कोलकाता), ब बई (मु बई) का मह व ‘ े सडसी शहर’ के
प म उभरा। नए भवन और सं थान का वकास हुआ तथा शहर को नये तर क से यवि थत कया गया।
नए रोजगार वक सत हुए और लोग शहर क ओर आने लगे।

शहर जीवन और सामािजक प रवेश:-


शहर म स प नता एवं गर बी दोन साथ-साथ दखाई दे ते थे। िजंदगी हमेशा दौड़ती-भागती सी दखाई दे ती
थी। टाउन हॉल, सावज नक पाक, रं गशालाओं और सनेमाघर जैसे सावज नक थान के बनाने से शहर म
लोग को मलने-जल ु ने क नई जगह और अवसर मलने लगे थे। सभी वग के लोग शहर म आने लगे।
लका, श क , वक ल , डॉ टर , इंजी नयर क मांग बढ़ती जा रह थी।शहर म मेहनतकश गर ब एवं
कामगार का एक नया वग उभर रहा था। ामीण े के गर ब रोजगार क तलाश म शहर क ओर आ रहे
थे।

अतीत के आइने म भागलपरु शहर:-


बहार के भागलपरु शहर का अि त व गंगा नद के द ण कनारे पर लगभग 3000 साल से कायम है । इसक
पहचान हमेशा से एक यावसा यक और सां कृ तक के के प म रह है । ाचीन काल म शहर का अि त व
एक उपनगर के प म था जो अंगदे श क राजधानी च पा से सटा था। ले कन समय का तकाजा दे खए, अब
च पा ह उपनगर बनकर च पानगर हो गई और भागलपरु ह शहर का मु य के बन चक
ु ा है ।बारहवीं सद
से अठारहवीं सद के म य इस शहर पर मस ु लमान का शासन था। इस दौर म भागलपरु शहर सफ ू सं कृ त
का एक अहम के हुआ करता था। यहाँ दजन मि जद, दरगाह, मजार, खानकाह, ईदगाह और इमामबाड़े थे।
आधु नक भागलपरु शहर म घम ू ने पर इन के के अवशेष आज भी दे खे जा सकते ह।

मि जदः- मस
ु लमान समद
ु ाय का उपासना थल।

मजार :- कसी े ठ यि त या संत क क अथात दफन करने का थान


मकबरा :- क या मजार पर बनाई गई भ य इमारत।

खानकाह :- सफ
ू संत के धा मक के ।

ईदगाह :- मस
ु लमान के ईद क नमाज पढ़ने के लए वशेष थल जो सामा यतः खल
ु े मैदान के प म होता
है ।

इमामबाड़ा :- शया मिु लम समद


ु ाय के धा मक थल, जहाँ मह
ु रम म शोक सभा (मज लस) का आयोजन
होता है ।

औप नवे शक काल म भागलपरु शहर:-


भागलपरु शहर के हालात दस ू रे औप नवे शक शहर से काफ अलग थे। यह शहर परं परागत भारतीय शहर
जैसा था। यह शहर तीन क ब - च पा, भागलपरु और बरार को मलाकर वक सत हुआ था। जब भागलपरु
नगरपा लका क थापना हुई, तो पहले दो क बे- च पा और भागलपरु इसम शा मल कये गये।उ नीसवीं सद
म आधु नक श ा के सार,भ-ू राज व यव था एवं यवसाय के नये अवसर का नतीजा यह हुआ क
भागलपरु शहर म बां ला भा षय और मारवाड़ी समद ु ाय का आगमन हुआ। शहर क आबाद बढ़ गई,रोजगार
बदल गए और शहर क सं कृ त ब कुल भ न हो गई।उ नीसवीं सद के म य म यापा रक लाभ के उ दे य
से मारवाड़ी, अ वाल, जायसवाल ब नया आ द जा तयां एक ताकतवर यावसा यक समह ू के प म शहर म
उपि थत हुये। ये यापार , एजे ट, बकर और महाजन होते थे और शहर के यवसाय पर इनका नयं ण
था।1862 ई. म रे लवे क शु आत और श ण सं थाओं क थापना ने शहर क
कायापलट कर द ।

यवसाय, यापार और उ योग:-


इस काल म बाहर से आये यावसा यक समद ु ाय के लोग ने भागलपरु शहर को अपना यापा रक ठकाना
बनाया। रे लवे और गंगा नद के कनारे बसे होने के कारण शहर क यापा रक ग त व धय म और भी तेजी
आई। नतीजा यह हुआ क भागलपरु एक मह वपण ू यावसा यक शहर के प म वक सत होने
लगा।भागलपरु शहर का सबसे स ध उ योग तसर स क का कपड़ा तैयार करना था। यह यवसाय बहुत
परु ाने समय से चला आ रहा है । इस लए इस शहर को स क सट भी कहा जाता है । यहां 1810 म कर ब
3275 करघे चल रहे थे रे शम और सत ू क मलावट से ‘बा टा’ तैयार कया जाता था। यहाँ का तैयार कपड़ा
यरू ोपीय दे श को भेजा जाता था, जहाँ इसक बहुत मांग थी।

बा टा :- बा टा एक ह रं ग का रे शमी कपड़े का टुकड़ा होता है , िजसे बन


ु ने के बाद रं गा जाता है । इसका टुकड़ा
20-22 हाथ लंबा एवं 1-1.5 हाथ चौड़ा होता था।

शासन बंध:-
जब भारत म अं ेजी शासन थायी व प हण करने लगा तब अं ेज ने अपनी स ा को मजबत ू बनाने के
लए दे श म एक नयी शास नक यव था क नींव डाल । उस समय शास नक इकाइय के कायालय शहर
म अवि थत होते थे।1774 ई० म भागलपरु को िजला बनाया गया। िजले का सबसे बड़ा अ धकार ‘कल टर’
कहलाता था। भागलपरु िजले का पहला कल टर ऑग स ि लवलड था। कल टर क सहायता के लए िजले
के सदर द तर म ड ट कल टर, सब ड ट कल टर और अ स टट कल टर होते थे। 1936 तक यह िजला
चार सब ड वजन (भागलपरु सदर, बाँका, मधेपरु ा, सप
ु ौल) म बँटा था। सब ड वजन का सबसे बड़ा अफसर
सब ड वजनल अफसर (​एस०डी०ओ०)कहलाता था।िजले म याय वभाग का सबसे बड़ा अफसर डि ट एवं
सेशन जज (िजला एवं स यायाधीश) कहलाता था। द वानी मक ु दम म इनक सहायता के लए सबो डनेट
जज और मंु सफ होते थे। फौजदार मक
ु दम म िजला मिज े ट तथा ड ट एवं सब ड ट मिज े ट इनक
सहायता करते थे।
िजले म पु लस वभाग का सबसे बड़ा अफसर सप ु रंटे डट ऑफ पु लस (एस०पी०) कहलाता था। उसके नीचे
अ स टे ट एवं ड ट सप ु रंटे डट रहते थे। पु लस के काम के लए िजले को 25 भाग म बाँटा गया था। यह
भाग ‘थाना’ कहलाता था। वतं ता के समय तक भागलप शहर के अदं र तीन थाने थाने भागलप शहर,
भागलप मफुि सल आरै नाथ नगर।
थाने का बडा अफसर
़ इसंपेकटर या सब इं पे टर हातेा था, िजसे दरागेा भी कहा जाता था।

नगरपा लका:-
10 वग मील े म व तत ृ भागलपरु शहर के नगरपा लका क थापना 1864 ई. म हुई थी। जनसाधारण
वारा नवा चत एवं सरकार वारा मनोनीत त न धय के वारा इसका बंधन होता था।

शै णक वरासत:-
भागलपरु श ा का मह वपण ू के था। व भ न काल खंड से गज
ु रते हुये भागलपरु ने अपनी शै णक
पहचान को कायम रखा है । ाचीन काल म अंतीचक (भागलपरु के नजद क) का व मशीला व व व यालय
था तो म यकाल म मौलानाचक का खानकाह शहबािजया हुआ करता था। टश काल म ाथ मक श ा,
हायर सेके डर श ा और उ च श ा के चार- सार म यहाँ के जमींदार, बंगाल , मारवाड़ी, ईसाई समद ु ाय
क अहम भू मका रह है ।शहर के थानीय जमींदार तेजनारायण संह ने 1883 ई. म तेजनारायण जब ु ल
कॉलेिजयट हाई कूल तथा 1887 ई. म तेजनारायण जब ु ल कॉलेज क थापना क थी। दोन ह सं थान नया
बाजार मोह ले म चला करते थे।भागलपरु म म हला श ा क दशा म भी मह वपण ू कदम उठाये गये। ी
अर व द घोष के पता ी कृ णाधन घोष ने मो दा बा लका व यालय क थापना 1868 ई. म क । 1868
ई. म ह जनाना मशन कूल भी खोला गया।

सां कृ तक ग त व धय :-
भागलपरु क सां कृ तक ग त व धय क बात कर तो शहर म अनेक नामी गरामी सा ह यकार ,
सां कृ तकम , रं गकम , श पकार , संगीतकार एवं फोटो ाफर का जमघट लगता था।उस समय भागलपरु
के सा ह य पर बं ला सा ह य का बहुत अ धक भाव था। शरतच चटज , वभू त भष ू ण बं योपा याय,
र व नाथ टै गोर भागलपरु वास कर चक ु े थे।इस काल म भागलपरु म ह द सा ह य भी रचा जा रहा था।
डॉ. राधाकृ ण ने भागलपरु म ‘सा ह य गो ठ ’ नामक सं था बनायी।

धा मक थल:-
भागलपरु शहर म गंगा नद के द णी तट पर बढ़ु ानाथ मोह ला म बाबा बढ़
ु ानाथ महादे व मं दर ह दओ ु ं का
स ध उपासना थल है ।जैन धम के बारहव तीथकर बासप ु ू य क ज मभ ू म होने के कारण भागलपरु शहर
जै नय क प व भू म मानी जाती है । स ख स दाय का उपासना थल नया बाजार एवं खाल फा बाग
मोह ला म ि थत ह। ईसाइय ने 1845 ई.म घंटाघर के नकट तथा 1854 ई. म कणगढ़ म गरजाघर का
नमाण कया था।

अ यास- न
न 1.सह या गलत बताएँ
1. भागलपरु शहर का वकास औप नवे शक शहर से भ न पर परागत शहर के प म हुआ।
2. मिु लम काल म भागलपरु शहर सफ ू सं कृ त का के नह ं था।
3. उ नीसवीं सद म भागलपरु म बंगाल और मारवाड़ी समद ु ाय का आगमन हुआ।
4. भारत म आधु नक शहर का वकास औ योगीकरण के साथ हुआ।
5. े सडसी शहर म ‘गोरे ’ और ‘काले’ लोग अलग-अलग इलाक म रहते थे।
उ र-
1. सह
2. गलत
3. सह
4. सह
5. सह

न 2. न न ल खत के जोड़े बनाएँ
1. े सडसी शहर – (क) बरे ल , जमालपरु
2. रे लवे शहर – (ख) ब बई, कलक ा, म ास
3. औ यो गक शहर – (ग) कानपरु , जमशेदपरु
उ र-
1. े सडसी शहर – (ख) ब बई, कलक ा, म ास
2. रे लवे शहर – (क) बरे ल , जमालपरु
3. औ यो गक शहर – (ग) कानपरु , जमशेदपरु

न 3. र त थान को भर
1. भागलपरु नगर पा लका क थापना ………… ई० म हुई थी।
2. भागलपरु म स क कपड़ा उ पादन का के ……….. और था।
3. भागलपरु म सां कृ तक ग त व धय को बढ़ावा दे ने वाले मख ु सं कृ तकम ………….. थे। ।
4. रे लवे टे शन क चे माल का ……… और आया तत व तओ ु ं का …………… था।
5. कालजयी उप यास ………….. क रचना शरतच च टोपा याय ने क थी।
उ र-
1. 1864
2. च पानगर, नाथनगर मोह ला
3. शरतच , अशद ु बाब,ु ह रकंु ज
4. सं ह के , वतरण ब द ु
5. दे वदास ।

आइए वचार कर
न (i)शहर करण का आशय या है ?
उ र- यापा रक एवं राजनी तक कारण से कसी े म होनेवाल – वकास एवं सम ृ ध के उस े म
शहर करण क या शु हो जाती है । धा मक के के प म भी जब कसी े म आस-पास के लोग का
वहां आकर बसना शु हो जाता है तो उस े म शहर करण शु हो जाता है ।
कसी े म जब अमीर वग एवं गर ब वग दोन रहते ह और वहां यापार फलना-फूलना शु हो जाता है तो
उस े म शहर करण क या शु हो जाती है ।

न (ii)अठारहवीं सद म नये शहर के के वकास क या पर काश डाले?


उ र-अठारहवीं सद म शहर क ि थ त म बदलाव आने लगा। राजनी तक तथा यापा रक ग त व धय म
प रवतन के साथ परु ाने शहर पतनो मख ु हुए और नए शहर का वकास होने लगा। मग ु ल स ा के धीरे -धीरे
कमजोर होने के कारण शासन से संब ध शहर का पतन होने लगा। नई े ीय शासन के लखनऊ,
है दराबाद, से रंगापटम, पण
ु ा, नागपरु , बड़ौदा आ द नये शहर के के प म था पत होने लगे। यापार ,
श पकार, कलाकार, शासक तथा अ य व श ट सेवा दान करने वाले लोग इन नये शासक के क ओर
काम तथा संर ण क तलाश म आने लगे । यापा रक यव था म प रवतन के कारण भी शहर के म
बदलाव के च न दे खे गये।यरू ोपीय यापा रक क प नय ने मग ु ल काल म ह व भ न थान पर अपने
यापा रक के था पत कए जैसे पत ु गा लय ने गोवा म, डच ने मछल प टनम म, अं ेज ने म ास
(चे नई) म, ांसी सय ने पां डचेर (पद ु च
ु ेर ) म । यापा रक ग त व धय म व तार के कारण इन यापा रक
के के आस-पास शहर वक सत होने लगे । जब यापा रक ग त व धयां अ य थान पर केि त होने लगीं
तब परु ाने यापा रक के और बंदरगाह अपना मह व खोने लगे
न (iii) ामीण एवं शहर अथ यव था के अंतर को प ट कर?
उ र- गाँव के लोग का मु य काम खेती होता है जब क शहर म अ य तरह के यवसाय कए जाते ह। गाँव म
अ धकांशतः कसान और खेती के काम से जड़ ु े मजदरू व छोटे -मोटे काम करने वाले लोग और छोटे तर पर
सि जयाँ, राशन व अ य दै नक काम म आने वाले व तओ ु ं के छोटे दक
ु ानदार रहते ह। जब क शहर म
छोटे -म यम बड़े यापार , श पकार, शासक तथा ‘अ धकार रहते ह। पहले अ सर शहर क कलेबद ं क
जाती थी, जो ामीण े से इसके अलगाव को चि नत करती थी। शहर का ामीण जनता पर भु व होता
था और वे खेती से ा त कर और अ धशेष के आधार पर फलते-फूलते थे। अत: ामीण एवं शहर
अथ यव था म प ट और बड़ा अंतर था।

न (iv)भागलपरु शहर एक यावसा यक एवं सां कृ तक नगर था। कैसे?


उ र- ाचीन भागलपरु शहर क पहचान एक यावसा यक और ‘सां कृ तक के के प म रह है । घने
मह ु ल और दजन बाजार से घरा भागलपरु एक मह वपण ू सां कृ तक एवं यावसा यक शहर के था।
शायर एवं न ृ य संगीत आमतौर पर मनोरं जन के साधन थे । इस शहर म ऐशो-आराम सफ कुछ अमीर लोग
के ह से म आते थे। अमीर और गर ब के बीच फासला बहुत गहरा था। यहाँ यापार , अ धकार , सरकार
छोटे -बड़े कमचार , कार गर, जलु ाहे , बन
ु कर, मजदरू ; हर वग के लोग रहते थे।
रे लवे का वकास और शहर से सटे रे लवे और गंगा नद के कनारे बसे होने के कारण शहर क यापा रक
ग त व धय म और भी तेजी आई िजससे मह वपण ू यावसा यक शहर के प म इसे वक सत होने का
अवसर ा त हुआ। यहाँ ब कंग, क प नय के व य एजट, ह डी के काम के अ त र त स क, सत ू ी, ऊनी
कपड़े, कराना, अनाज, तेल का थोक यापार होता था। इस शहर का सबसे स ध उ योग तसर स क का
कपड़ा तैयार करना था। यह यवसाय बहुत परु ाने समय से चला आ रहा था। िजसके कारण इसे स क सट
भी कहा जाता है । यहाँ का कपड़ा यरू ोपीय दे श को भेजा जाता था, जहाँ इसक बहुत मांग थी।
भागलपरु क सां कृ तक वरासत भी कम मह वपण ू नह ं रह है । इस शहर म अनेक नामी- गरामी
सा ह यकार , सं कृ तकम , रं गकम , श पकार, संगीतकार एवं फोटो ाफ का जमघट लगा रहता था । नामी
लेखक शरतच , वभू त भष ू ण बंधोपा याय, र व नाथ टै गोर भागलपरु वास कर चक ु े थे। स ध लेखक
बलाई चं मख ु ज उफ बनफूल ने यहाँ लंबे समय तक लेखन काय कया था। सा ह यकार व रं गकम
राधाकृ ण सहाय यह ं के थे िज ह ने कई रचनाओं का बंगला से ह द म अनव ु ाद कया। शरतच ने
कालजयी उप यास ‘दे वदास’, वभू त भष ू ण बं
ध ोपा याय ने ‘पथे र पां चाल ’ का सजृ न भागलपरु म ह रहकर
कया। अतः भागलपरु शहर एक यावसा यक एवं सां कृ तक नगर था।

न (v)भागलपरु को स क सट (रे शमी शहर) कहा जाता है । ‘ य ?


उ र- भागलपरु शहर का सबसे स ध उ योग तसर स क का कपड़ा तैयार करना था। यह यवसाय यहाँ
बहुत परु ाने समय से चला आ रहा था। इस लए इस शहर को स क सट भी कहा जाता है । यहाँ 1810 म
कर ब 3275 करघे चल रहे थे। इस यवसाय का मख ु के च पानगर और नाथनगर मह ु ला था। रे शम और
सत
ू क मलावट से ‘बा टा’ तैयार कया जाता था। यहाँ का कपड़ा यरू ोपीय दे श को भेजा जाता था, जहाँ इसक
बहुत मांग थी। इ ह ं कारण से भागलपरु को स क सट (रे शमी शहर) कहा ‘जाता था।

न (vi)शहर के सामािजक प रवेश को समझाएँ।


उ र- शहर म कई तरह के यवसाय कये जाने से यहाँ हर वग के लोग रहते ह। शहर म यापार , श पकार,
शासक, अ धकार , कामगार, मजदरू , बन
ु कर, जल
ु ाहे ायः हर वग के लोग रहते ह। पर वहाँ मु य तौर पर तीन
वग दखते ह। एक तो बहुत अमीर लोग जो शासन या यापार से जड़ ु े होते ह। दस
ू रे , म य वग जो क शासन से
जड़
ु े अ धकार या कमचार होते ह और तीसरे मजदरू या घर म काम करने वाले कामगार और अ य बेहद
गर ब लोग । अमीर लोग सु वधा स प न घर या आल शान, भवन म रहते ह जब क गर ब लोग
झु गी-झ प ड़य म, जहाँ सु वधा ब कुल नग य होती है ।
कला े म प रवतन:-
भारत क सं कृ त स प न एवं व वध है । ाचीन एवं म यकाल न इ तहास के व भ न काल म भारत के
लोग ने च कला थाप य, न ृ य, संगीत, सा ह य के े म कई मह वपण ू उपलि धयाँ हा सल क थी।

औप नवे शक कला:-
औप नवे शक कला म अनेक यरू ोपीय कलाकार अं ेज यापा रय एवं अ धका रय के साथ भारत आये और
उनके संर ण म अपने कला प का दशन कया। ये कलाकार च कार क नई शै लय , वषय , पर पराओं
एवं तकनीक क भारत म शु आत क । इनके वारा बनाये गये च को यरू ोप के दे श म काफ लोक यता
मल । य क इन च के मा यम से उ ह वदे श म भारत क छ व को दखाने का अवसर मला।

भारत के भू य का च ण:-
कुछ टश च कार ने भारत के भू य क खोज म दे श के व भ न े क या ाएँ क ं दरअसल, ये
च कार भारत को एक आ दम दे श सा बत करने के लए यहाँ क सां कृ तक व वधता को दखाना चाहते थे।
उ ह ने टे न वारा भारत म जीते गये े क कुछ मोहक त वीर बना ।

उ क ण च :- लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाये गये च को उ क ण च कहा गया।

प च :- कसी यि त का ऐसा च िजसम उसके चेहरे एवं हाव-भाव पर वशेष जोर दया गया हो । इस शैल
के बने च प च कहलाते थे।

कर मच:-गाढ़ा या मोटा कपड़ा िजस पर च उकेरा जाता था, उसे कलाकार कर मच कहते थे।

ऐ तहा सक घटनाओं का च ण:-औप नवे शक च कला क एक अ य शैल ‘ िइतहास क च कार ’ थी।


भारत म अं ेज क जीत टश च कार के लए च कार क एक मखु वषयव तु थी।

दरबार कला और थानीय कलाकार:-


भारतीय राजदरबार के संर ण म काम करने वाले थानीय कलाकार ने सा ा यवाद कला शैल को कस
कार चनु ौती द ।मैसरू के शासक ट पू ने अं ेज क सां कृ तक पर पराओं का वरोध करते हुये थानीय
शैल एवं पर पराओं को संर ण दया। उनके महल क द वार थानीय कलाकर वारा बनाये गये भ च
(द वार पर बनाये गये च )सजे होते थे।बंगाल म थानीय कलाकार को, अं ेज क शैल एवं पर परा को
सीखने के लए ो सा हत कया जा रहा था भारत म अं ेजी शासन क थापना हो जाने के बाद थानीय
रयासत के राजे-रजवाड़े और नवाब क ि थ त ऐसी नह ं रह गई थी क वे कलाकार को अपने दरबार क सेवा
म रख सक। ऐसे म च कार भी काम क तलाश एवं रोजी-रोट के लए अं ेज क शरण म जाने लगे। भारत
आए अं ेज अ धकार एवं यापार भी ऐसी त वीर बनवाना चाहते थे, िजससे क वे भारत को समझ सके। इस
कार, हम दे खते ह क थानीय कलाकार ने पौध , जानवर , ऐ तहा सक इमारत , पव- यौहार , यवसाय ,
जा त और समद ु ाय क त वीर बनाने लगे। इन च को ‘क पनी च ’ के नाम से जाना जाता है ।

मधबु नी प टंग:-
इस लोक काल क ओर कला े मय एवं पार खय का यान उस समय आकृ ट हुआ, जब 1942 ई. म लंदन
क आट गैलर म ‘मधब ु नी प टंग’ क दशनी लगाई गई। मधब
ु नी च कला पण ू तया एक म हला च कला
शैल है । वे इस च कला को पीढ़ -दर-पीढ़ वरासत के प म छोड़ती गई। इस कार, घर क द वार तथा
आंगन के फश से कपड़ और कागज पर इसका थानांतरण होता गया। अ य लोक कलाओं क भां त मधब ु नी
च कला भी व भ न पव- यौहार , ववाह, पा रवा रक अनु ठान के साथ जड़
ु ी है । मधब
ु नी च कला के दो प
ह- भ च एवं अ रपन च (भू म च ण)
रा वाद च कला शैल :-
उ नीसवीं सद के अं तम दशक एवं बीसवीं सद के ारं भ म जनसाधारण क त वीर म रा वाद संदेश दये
जाने लगे थे। राजा र व वमा उन च कार म से एक थे, िज ह ने रा वाद कला शैल को वक सत करने म
मह वपण ू योगदान दया। उ ह ने तैल च कार क यरू ोपीय कला शैल को अपने च कार का आधार बनाया।
उ ह ने रामायण, महाभारत और पौरा णक कहा नय के नाटक य य को कर मच पर च ां कत कया।

कलाकार का आधु नक कूल:-


उ नीसवीं सद के म य म भारत को पि चमी श ा से लाभ दलाने क शै णक नी त के अंतगत सरकार ने
कलक ा,ब बई, म ास और लाहौर म कला कूल (आट कूल) क थापना क । इन कूल म कला के
पा चा य तर क को ह अ ययन के वषय के प म रखा गया था। ई.वी. है वेल म ास कूल ऑफ आट म
कला के अ यापक थे। उ ह ने अवनी नाथ टै गोर के सहयोग से भारतीय च कार का एक अलग समह ू
बनाया, िज ह कलाकार का आधु नक कूल कहा गया। बंगाल के रा वाद कलाकार का समह ू इनके साथ
जड़ु ने लगा। इस समह
ू के कलाकार ने वषय के चयन एवं तकनीक म अजंता के भ च , म यकाल न
लघु च एवं ए शयाई कला आंदोलन को ो सा हत करने वाले जापानी कलाकार से ेरणा हण क ।

ए शयाई कला आंदोलन:-


जापानी कलाकार ओकाकुरा काकुजो ने जापानी कला पर शोध कया और एक ऐसे समय म जापानी कला क
परं परागत तकनीक को बचाने क ज रत पर बल दया जो क पि चमी शैल के कारण खतरे म पड़ती जा रह
थी। उ ह ने यह प रभा षत करने का यास कया क आधु नक कला या होती है और परं पराओं को बनाए
रखने तथा आधु नक करण करने के लए या कया जाना चा हए। वह जापानी कला अकादमी के धान
सं थापक थे।

भवन नमाण क नई शैल :-


सावज नक भवन के लए मोटे तौर पर उ ह ने तीन थाप य शै लय का ‘ योग कया। इनम से एक ‘ ीको
रोमन थाप य शैल ’ थी। मल ू प से रोम क इस भवन नमाण शैल को अं ेज ने यरू ोपीय पन ु जागरण के
दौरान पन
ु ज वत कया था । बड़े-बड़े त भ के पीछे रे खाग णतीय संरचनाओं एवं गु बद का नमाण इस
शैल क वशेषता थी। अ य शै लयां थीं—’गॉ थक शैल ’ ऊँची उठ हुई छत, नोकदार, मेहराब,
बार क साज-स जा इस शैल क वशेषता थी। गॉ थक शैल का योग सरकार इमारत शै णक सं थान
एवं गरजाघर म यापक पैमाने पर कया गया एवं ‘इंडो-सारासे नक शैल ’‘इंडो’ श द ह द ू का सं त प
था जब क ‘सारासेन’ श द का योग यरू ोप के लोग मसु लमान को संबो धत करने के लए करते थे। भारत क
म यकाल न इमारत -गंब ु द ,छत रय , जा लय , मेहराब से यह शैल भा वत थी।

सा ह य म रा वाद वचार :-
उ नीसवीं सद के अं तम दशक म जब रा वाद वचार उभार लेने लगा, तब व भ न भारतीय भाषाओं के
सा ह यकार ने सा ह य को दे श भि तपण ू उ दे य के लए योग म लाने लगे। दरअसल इनम से अ धकांश
सा ह यकार का यह व वास था क वे गल ु ाम दे श के नाग रक ह। अतः उनका यह कत य है क वे इस कार
के सा ह य का सज
ृ न कर जो उनक े दे श क मिु त का माग श त करे गा। सा ह य म पराधीनता के बोध तथा
वतं ता क ज रत को प ट अ भ यि त मलने लगी थी।

बां ला सा ह य:-
आधु नक बां ला सा ह य के महान ् सा ह यकार बं कम च च टोपा याय (1838-1894) के उप यास अपने
दे शवा सय म दे शभि तपण
ू भावनाओं को जा त करने म लगे हुये थे।‘आ थक रा वाद’ के वतक के प म
व यात रमेश च द (1848-1909) को अपनी रचना क ेरणा उ ह ‘सा हि यक दे शभि त’ से मल
थी।बां ला उप यासकार ताराशंकर बं योपा याय (1898-1971) क 1947 से पव
ू क
रचनाओं पर ि ट डालना काफ उपयोगी होगा। वशेषकर ‘गणदे वता’ एवं ‘पंच ाम’ उप यास म उ ह ने
शोषण एवं औ यो गक करण के कारण ामीण समाज के वघटन को दखाया है
ह द सा ह य:-
भारते द ु (1850-1885) ह द सा ह य म आधु नक यगु के वतक रहे ह। अपने दे श और समाज से लोग को
अवगत कराने के लए उ ह ने व भ न सा हि यक व याओं-क वता,नाटक, नबंध लखा। भारते द ु वारा
सिृ जत सा ह य का एक बड़ा भाग पराधीनता के न से संबं धत है बीसवीं सद के ारं भक दो दशक तक
शोषण, आजाद एवं पराधीनता के त वैचा रक रवैया आम तौर पर वह था, जो उ नीसवीं सद के दौरान
उभरा था। ले कन थम व व यु ध (1914-18) के बाद प रि थ तयाँ तेजी से बदल ।ं ेमचंद ने रा वाद
नेताओं के वाथपरता एवं भोग- वलास का प ट प से पदाफाश कया है । उनका मानना था क य द दे श के
नेता सह नह ं ह गे तो भारत क वाधीनता का या लाभ? ेमचंद के उप यास ‘गबन’ (1931) म इस चंता
के मह व को उजागर कया गया है ले कन रा वाद राजनी त का सबसे नराशाजनक पहलु ‘गोदान’ म
प रल त होता है ।

उद ू भाषा :-
आपने म यकाल के इ तहास को पढ़ते समय यह जाना क एक साझा सं कृ त का दे श म वकास हुआ िजसे
गंगा-जमन ु ा सं कृ त भी कहा जाता है । इसके अनेक उदाहरण म उद ू भाषा भी शा मल है । उद ू भाषा क उ प
पंजाब के े म यारहवीं शता द ई. म हुई और म यकाल म इसका धीरे -धीरे वकास हुआ। अठारहवीं
शता द तक यह एक सा हि यक भाषा बन चक ु थी िजसम फारसी और कुछ भारतीय भाषाओं के श द शा मल
थे। उ नीसवीं शता द के उ रा ध म जब रा य आंदोलन ने जोर पकड़ा तो उ र भारत म सबसे अ धक
च लत भाषा उद ू ह थी, िजसे हम ‘ ह द ु तानी’ भी कहते ह।1857 के संघष के समय द ल से का शत होने
वाले ‘‘दे हल अखबार’’ और लखनऊ से का शत ‘‘ त ल म’’ जैसे अखबार आज मख ु ऐ तहा सक ोत ह।
रा य आंदोलन के मख ु नेता, मौलाना अबल ु कलाम आजाद ने उद ू म कई समाचार-प नकाले िजनम
‘‘अल- हलाल’’ और ‘‘अल-बलाग’’ काफ मह वपण ू थे।बीसवीं शता द के आरं भक वष म अ लामा इकबाल ने
‘‘सारे जहाँ से अ छा ह दो ताँ हमारा’’ क वता क रचना क , तो पटना के बि मल अजीमाबाद ने लखा-
सरफरोशी क तम ना अब हमारे दल म है
दे खना है जोर कतना बाजए ू का तल म है ।

अ यास- न

न 1.सह या गलत बताएँ


1. सा ह य म पराधीनता के बोध एवं वतं ता क ज रत को प ट अ भ यि त मलने लगी थी।
2. ेमचंद ने ‘आनंदमठ’ क रचना क थी।
3. रमेशच द के उप यास म ह द ू समथक व ृ दे खने क मलती है ।
4. भारते द ु ह र च ने भारतीय धन के लट
ू को नाटक के मा यम से पदाफाश कया है ।
5. वंदे मातरम ्’ गीत, क रचना बं कमच चटज ने क थी।
उ र-
1. सह
2. गलत
3. सह
4. सह
5. सह

न 2. र त थान को भर
1. लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाई गई त वीर को ……….. कहा जाता है ।
2. औप नवे शक काल म बनाये गये छ व च ………… होते थे ।
3. अं ेज क वजय को दशाने के लए …………. क च कार क जाती थी।
4. ए शयाई कला आंदोलन को ो सा हत करने वाले ……….. कलाकार थे।
उ र-
1. उ क ण च
2. प च ण
3. यु ध के य
4. जापानी।

न 3. न न ल खत के जोड़े बनाएँ
1. से ल पो ट ऑ फस, कलक ा – (i) गो थक शैल
2. व टो रया ट मनस रे लवे टे शन, ब बई – (ii) इंडो सारसे नक शैल
3. म ास लॉ कोट – (iii) इंडो ीक शैल
उ र-
1. से ल पो ट ऑ फस, कलक ा – (iii) इंडो ीक शैल
2. व टो या ट मनस रे लवे टे शन, ब बई – (i) गो थक शैल
3. म ास लॉ कोट – (ii) इंडो सारासे नक शैल

आइए वचार कर
न (i)मधबु नी प टंग कस कार क कला शैल थी ? इसके अंतगत कन वषय को यान म रखकर च
बनाये जाते थे?
उ र-मधब ु नी प टंग क कला शैल बहार क कला शैल है । इसम कृ त, धम और सामािजक सं कार ,
पा रवा रक अनु ठान जैसे वषय को यान म रखकर च बनाये जाते थे।

न (ii) टश च कार ने अं ेज क े ठता एवं भारतीय क कमतर है सयत को दखाने के लए कस


तरह के च को दशाया है ?
उ र- टश च कार ने भारत को एक आ दम दे श सा बत करने के लए यहां के गज ु रे जमाने क टूट -फूट
भवन एवं इमारत के खंडहर के च बनाए । ऐसी स यता के अवशेष दखाए जो पतन क ओर अ सर थी। ये
च भारतीय क कमतर है सयत को दखाने के लए बनाये गये । जब क टश या अं ेज क े ठता को
दखाने के लए उनके वारा बनायी गयी चौड़ी सड़क तथा यरू ोपीय शैल म बनाई गई वशाल एवं भ य
इमारत -भवन को यानी उनके आधु नक करण को अपने च म थान दया।

न (iii)“उ नीसवीं सद क इमारत अं ेज क े ठता, अ धकार, स ा क तीक एवं उनक रा वाद


वचार का त न ध व करती ह।” इस कथन के आधार पर थाप य कला शैल क वशेषताओं का वणन कर।
उ र-जब भारत म टश शासन को ि थरता ा त हुई तब उ ह बु नयाद तौर पर र ा, शासन, आवास और
वा ण य जैसी इमारत क पू त के लए भवन एवं इमारत क ज रत होने लगी । ‘उ नीसवीं सद से शहर म
बनने वाल इमारत म कले, सरकार द तर , शै णक सं थान, धा मक, इमारत, यावसा यक भवन आ द
मख
ु थीं। ये इमारत अं ेज क े ठता, अ धकार, स ा क तीक तथा उनक रा वाद वचार का
त न ध व भी करती ह।
सावज नक भवन के लए मोटे तौर पर उ ह ने तीन थाप य शै लय का ‘ योग कया। इनम से एक ‘ ीको
रोमन थाप य शैल ’ थी। मल ू प से रोम क इस भवन नमाण शैल को अं ेज ने यरू ोपीय पन ु जागरण के
दौरान पन ु ज वत कया था । बड़े-बड़े त भ के पीछे रे खाग णतीय संरचनाओं एवं गु बद का नमाण इस
शैल क वशेषता थी। अ य शै लयां थीं—’गॉ थक शैल ’ एवं ‘इंडो-सारासे नक शैल ’।

न (iv)सा हि यक दे शभि त से आप या समझते ह ? वचार कर?


उ र- जब सा ह यकार दे शभि तपण ू उ दे य के लए सा ह य का उपयोग करते ह तो इसे सा हि यक
दे शभि त कहते ह। ऐसे सा ह य म सा ह यकार ने, जनसाधारण को पराधीनता के बोध से प र चत कराया
और वतं ता क ज रत को महसस ू कराया।
न (v) मॉडन कूल ऑफ आ ट स’ से जड़ ु े भारतीय कलाकार ने रा य कला को ो सा हत करने के लए
कन वषय को चयन कया। च 12,13,14 के आधार पर वणन कर।
उ र-‘मॉडन कूल ऑफ आ ट स’ से जड़ ु े भारतीय कलाकार ने रा य कला को ो सा हत करने के लए
यथाथवाद वषय ( च -12, ‘मेर माँ’ – अवनी नाथ टै गोर वारा च त), ऐ तहा सक एवं पौरा णक ‘
वषय को अपनी च कार का वषय बनाया । जैसे च -13 का लदास क .
क वता का नवा सत य , अव नं नाथ वारा बनाया गया यह च जापानी । . जलरं ग क त वीर म दे खा
जा सकता था और च -14 जातगु ह
ृ दाह यानी पांडव के वनवास के दौरान ला ागह ृ के जलने का च । यह
च अज ता के च शैल से भा वत था और न दलाल बोस नामक च कार के वारा बनाया गया था।

रा य आ दोलन 1885-1947:-

भारतीय रा य कां ेस - 28 दस बर 1885:-


1850 के बाद राजनी तक संगठन से जड़ ु े लोग के मन म दे श के त एक सोच वक सत हुई। इन लोग क
नजर म भारत म नवास करने वाले सभी वग, धम, रं ग, जा त, भाषा एवं लंग समह ू के लोग भारतीय ह, और
भारत इन भारतीय का घर है । यहाँ के संसाधन एवं यव था पर भारतीय का हक होना चा हए। जब तक
अं ेज यहाँ से बाहर नह ं जाएँगे भारत, भारतीय का नह ं हो सकता है ।भारत म अं ेजी राज क औप नवे शक
नी तय ने अपनी ज रत को परू ा करने के लए भारत का आ थक शोषण करना शु कया। इंगलै ड ने अपनी
औ यो गक ज रत के लए स ते क चे माल के नयात और तैयार माल के लए बाजार (खर ददार) के प म
भारत का उपयोग शु कया।अं ेज ने संपण ू भारत को अपने हत म राजनी तक प से एक कृत कया।
भारत क राजनी तक एकता ने दे श के हर कोने के लोग को मलने-जल ु ने का अवसर दान कया।अं ेजी
श ा ने भारत म आधु नक रा वाद क भावना को सश त बनाया। पा चा य श ा णल ने संपण ू भारत
को एक नया बु धजीवी वग दया जो पा चा य वचार वतं ता, समानता और ात ृ व क भावना से े रत
थासमाचार प के मा यम से जब अं ेज के अ याचार एवं शोषण का पदाफाश होने लगा तो अं ेज ने
वना यल ू र ेस ए ट (1878) के मा यम से तबंधा मक कारवाई क ता क इनका सार क जाए(दे शी
भाषा) वना यल ू र ेस ए ट (1878) के वारा भारतीय भाषाओं म छपने वाले अखबार पर तबंध लगा दया
गया।28 दस बर 1885 को भारतीय रा य कां ेस क थापना ब बई के गोकुल दास कॉलेज के हॉल म
भारत के व भ न भाग से आए 72 त न धय के वारा क गई।कां ेस के शु आती नेताओं म दादाभाई
नौरोजी, फरोज शाह मेहता, बद द न तैयबजी, ड ल० ू सी० बनज , आर०सी० द और एक साल बाद शा मल
होनेवाले सरु े नाथ बनज जैसे पढ़े - लखे और दरू दश यि त थे। इन नेताओं ने दरू द शता का प रचय दे ते
हुए ए०ओ० यम ू जैसे अवकाश ा त अं ेज अ धकार को अपना मु य संगठन क ा बनाया।

कां ेस के शु आती दन-


कां ेस अपने शु के दन म रा य चेतना के फैलाव का हर संभव यास करना चाहती थी य क
अं ेज- शासक भारत को रा के प म मानते ह नह ं थे। वे सफ भारत को एक भौगो लक श दावल के प
म प रभा षत करते थे य क भारत उनक नजर म अलग-अलग धम , स दाय , जा तय एवं भाषा भा षय
का समह ू था।कां ेस ने अपनी ारं भक अव था म लोकतां क एवं धम नरपे आ दोलन क आधार शला
रखी। जनता म राजनी तक चेतना पैदा क और उसे राजनी तक प से श त कया। अपने थम बीस वष
म कां ेस ने आ दोलन क जमीन तैयार करने का काम कया।

बहार के त न ध:-
कां ेस क थापना के समय बहार से कोई त न ध तो शा मल नह ं था ले कन कलक ा के दस ू रे अ धवेशन
1886 म कुल 16000 पये खच हुए िजसम 2500 पये का सहयोग अकेले दरभंगा महाराज ल मे वर संह
वारा कया गया। हथआ ु एवं डुमराँव महाराज ने भी सहयोग दान कया। वतीय अ धवेशन म डेल गेट के
प म बहार से शाल ाम संह एवं वशे वर संह (कु ह डया ़ टे ट) िजनके नाम पर ह बी०एन० कॉलेज है ,
शा मल हुए थे एवं पण
ू द ु नारायण स हा एवं गजाधर साद जो पेशे से वक ल थे।

गोपाल कृ ण गोखले - जहाँ तक हो सके हम यादा से यादा लोग म रा य चेतना पैदा करनी चा हए और
इसे बढ़ावा दे ना चा हए ता क धम, जा त और वग क व भ ताओं को परे रखकर वे एक जट ु हो
सक।ड ल० ू सी० बनज -कां ेस का उ दे य भाईचारे के मा यम से भारतीय जनता के बीच सभी तरह के जा त
वग और े ीय पव ू ा ह को समा त करना और दे श के लए काम करनेवाल के बीच भाईचारे और दो ती का
और मजबत ू बनाना है ।

वराज क चाहत - 19वीं सद के अं तम दशक आते-आते कां ेस के ह बहुत सारे नेता टश-शासन वरोधी
राजनी तक तौर तर क से असहमत दखने लगे थे। वे कां ेस क ाथना और तवेदन क नी त के बल
वरोधी थे। इस तरह क वचारधारा का नेत ृ व बंगाल म ब पन च पाल,पंजाब म लाला लाजपत राय तथा
महारा म बालगंगाधर तलक कर रहे थे।

बंग-भंग एवं वदे शी आ दोलन - लाड कजन ने रा य भावना को कमज़ोर करने के लए 1905 म बंगाल के
वभाजन का आदे श नकाला। उस समय बंगाल के अ तगत बंगलादे श, पि चम बंगाल, उड़ीसा, बहार और
झारख ड के दे श थे। अं ेज का तक था क चँ ू क यह ांत काफ बड़ा है अतः ‘ शास नक सु वधा के लए
बंगाल का वभाजन अ नवाय है ।रा वाद एवं भारतीय रा य कां ेस ने कजन के इस काय का वरोध करने
का नणय लया। 16 अ टूबर 1905 को वभाजन लागू होने के दन समच ू े बंगाल म शोक दवस मनाया
गया।

अ तवाद ां तकार - टश स ा से असंतु ट यव


ु ा वग म अ तवाद वचार भी पनपने लगा था। यह यवु ा
ां तकार आव यकता पड़ने पर हंसा का रा ता अपनाने को भी तैयार थे। खद
ु राम बोस रा य आंदोलन म
बम क राजनी त का ारं भ करने वाले थम ां तकार थे।

पथ
ृ क नवाचक मंडल - कसी खास धम और जा त के लोग का चन
ु ाव अपने जा त या धम के लोग वारा
कया जाना।

सा दा यकता - कसी स दाय वारा अपने राजनै तक वाथा क ाि त के लए धा मक भावनाओं का


इ तेमाल।

गांधी का आगमन:-
द ण अ का म स या ह का सफल योग करने के बाद महा मा गांधी 1915 म भारत लौटे । गांधी जी ने
अं ेज क न लभेद नी त के खलाफ अ हंसक आंदोलन चलाकर द ण अ का के लोग के हक क लड़ाई
लड़ी थी। द ण अ का म उनके संघष एवं उनक सफलता ने भारत म उ ह काफ लोक य बना दया
था।गांधी जी ने त काल न प रि थ तय को समझने के लए परू े दे श का दौरा कया और साबरमती आ म
(अहमदाबाद) को था पत कया।

स या ह- शोषण एवं अ याय के व ध अ हंसक तर के से याय क मांग।

न ल भेद- शार रक रं ग एवं बनावट के आधार पर लोग के बीच भेदभाव।

भारत म स या ह का थम योग-चंपारण:-
गांधी जी ने रा य आंदोलन क मु य धारा से जड़
ु ने के पहले थानीय सम याओं को लेकर चंपारण ( बहार),
अहमदाबाद और खेड़ा म आंदोलन का नेत ृ व कया। चंपारण और खेड़ा तो कसान का आंदोलन था ले कन
अहमदाबाद आंदोलन औ यो गक मजदरू से संबं धत था।सबसे सफल कहानी बहार के चंपारण क है ।

रॉलेट स या ह:-
1919 म रॉलेट ऐ ट नामक कानन ू बनाया िजसम स दे ह के आधार पर कसी यि त को अ नि चत समय
तक गर तार कया जा सकता था। गांधी जी ने रॉलेट ऐ ट के वरोध म 6 अ ील 1919 को ‘रा य अपमान
दवस‘ मनाने का नणय लया। रा यापी वरोध एवं दशन हुए। इसी म म पंजाब के दो नेताओं सैफु द न
कचलव ू ं स यपाल को गर तार कर लया गया। पंजाब के लोग वरोध दशन के लए 13 अ ील 1919
(वैशाखी के दन) को बड़ी सं या म जा लयाँवाला बाग (अमत
ृ सर) म जमा हुए। लोग सभा कर ह रहे थे क
पु लस ने बना चेतावनी के भीड़ पर गोल चलानी शु कर द । सैकड़ लोग मारे गए एवं हजार क सं या म
घायल हुए।

खलाफत और असहयोग:-
थम व वयु ध म पराजय के बाद तक ु के खल फा को पद से हटा दया गया था। द ु नया के अ य ह स के
मसु लमान क तरह भारतीय मस ु लमान भी ऑटोमन सा ा य के प व इ ला मक थल पर खल फा का
नयं ण ह दे खना चाहते थे। भारतीय मस
ु लमान ने महु मद अल एवं शौकत अल के नेत ृ व म अं ेज क
वादा खलाफ के व ध खलाफत आंदोलन क शु आत क । गांधी जी ने इसे ह द ू मिु लम एकता के
अवसर के प म दे खते हुए जा लयाँवाला बाग ह याकांड और खलाफत के मामले म हुए अ याचार के व ध
असहयोग आंदोलन चलाकर वराज क मांग का आ वान कया।अग त 1920 को गांधी जी के नेत ृ व म
असहयोग आंदोलन चलाने का नणय लया गया। असहयोग आंदोलन के दर यान सरकार पद वय को
छोड़ने का नणय लया गया। रवी नाथ टै गोर ने ‘नाइट’ एवं महा मा गांधी ने ‘कैसरे - ह द’ क उपा ध याग
द।

खल फा - मस
ु लमान का धा मक एवं राजनी तक प से धान यि त।

झंडा स या ह -
झंडा स या ह का ारं भ 13 अ ील 1923 से शु हुआ जब अं ेजी शासन ने लोग को झंडा लेकर चलने से
रोक दया। कां े सय ने हु म मानने से इ कार करते हुए नागपरु म स या ह करने का न चय
कया। यायाधीश के मनाह पर भी डी०एस०पी० ने भीड़ पर हमला बोल दया। कई लोग गर तार कए गए।
जमनालाल बजाज क मट ने 1 मई 1923 से झंडा स या ह करने का न चय लया इस स या ह म दे श के
अ य ह स के साथ-साथ बहार के लोग भी गए।
यह आंदोलन 109 दन तक चला और 1560 स या हय को सजाएँ हुइंर।् धीरे -धीरे सरकार का ख नरम
हुआ और तरं गा लेकर चलने क आ ा दे द गई।

दा डीमाच : जब गांधी नकल पड़े नमक कानन


ू तोड़ने के लए:-
सरकार ने नमक के उ पाद एवं ब पर एका धकार था पत कर टै स लगाया िजससे सरकार को अ छ
आमदनी होती थी। इस कानन ू से दे श का हर यि त (गर ब-अमीर,म हला-पु ष, ऊँच-नीच) भा वत था।
गांधी जी ने नमक कानन
ू को रा यता क भावना से जोड़ा, वे मानते थे क यह कृ त द चीज है और बना
कर के सबके लए सल ु भ होना चा हए। अतः गाँधी जी ने नमक कानन
ू के वरोध म स वनय अव ा का न चय
कया इ हांने अपने स हत 79 सा थय के साथ 12 माच 1930 को साबरमती आ म से दा डी (समु तट के
कनारे ) के लए नमक कानन ू तोड़ने नकल पड़े। 6 अ ील 1930 को दा डी पहुँचकर गांधी जी ने सावज नक
प से नमक इक ठा कर नमक कानन ू को तोड़ा।

अं ेज भारत छोड़ो -1942:-


वतीय व वयु ध से उपजी प रि थ तय म महा मा गांधी ने अं ेज को भारत छोड़ने क चेतावनी द ।
इसके लए गांधी जी ने जनता को ‘करो या मरो’ का नारा दया। हालाँ क गांधी जी ने ब बई के वा लया टक
मैदान से 8 अग त को अ हंसक संघष का ह आ वान कया था।अं ेज ने दमन का सहारा लेते हुए 90,000
लोग को गर तार कर जेल म डाल दया।
हजार लोग पु लस क गोल से मारे गए। बहुत जगह पर हवाई जहाज से भी गो लयाँ बरसाई गइंर,् ले कन
अं ेजी सरकार को आंदोलन ने झक
ु ने पर बा य कर दया।

बहार म भारत छोड़ो-


8 अग त को भारत छोड़ो ताव पा रत होने के अगले दन पटना के िजला धकार ड ल० ू जी० आचर ने
राजे साद को गर तार कर लया। 11 अग त को व या थय के एक जल ु स
ू ने स चवालय भवन के
सामने वधानमंडल के भवनपर रा य झंडा फहराने का यास कया। अ धका रय के आदे श पर पु लस
फाय रंग म सात छा मारे गए और अनके घायल हुए।

आजाद ह द फौज - 1942-43 म जब भारत छोड़ो आंदोलन श थल हुआ तब भारत क सीमाओं के बाहर ‘जय
ह द’ और ‘ द ल चलो’ क आवाज गँज
ू उठ , िजसने दे शवा सय को साहस से भर दया। नेताजी सभ ु ाष चं
बोस अं ेज क आँख म धल ू झ ककर 1941 म अफगा न तान के रा ते जमनी पहुँचे। वहाँ से जापान गए और
जलु ाई 1943 म आजाद ह द फौज को फर से संग ठत कया। इसक बागडोर संभालने के बाद अग त 1943
म नेताजी ने आजाद ह द सरकार क थापना क ।

वतं ता के साथ-साथ वभाजन:-


रा य आंदोलन जैसे-जैसे संग ठत होकर वतं ता क ओर बढ़ रहा था, अं ेज ने ‘फूट डालो’ और राज करो
क नी त का सहारा लया।1946 के ा तीय चन ु ाव म पथ
ृ क नवाचन े म ल ग क बेजोड़ सफलता ने
पा क तान क मांग के त इसे और मख ु र कर दया। सरकार ने पा क तान क मांग और भारत क वतं ता
के संबध
ं म अ ययन करने के लए तीन सद यीय कै बनेट मशन भारत भेजा। कै बनेट मशन ने मिु लम
बहुल े को कुछ वायतता दान करते हुए ढ ले-ढाले महासंघ के प म अ वभािजत भारत का सझ ु ाव
दया।माउ ट बैटेन ने भारतीय वतं ता अ ध नयम 1947 के ावधान के अनस ु ार भारत को वभािजत करते
हुए 14 अग त 1947 को पा क तान एवं 15 अग त 1947 को भारत को वतं कर दया।

अ यास- न
न 1.सह वक प को चन ु ।
न (i)कां ेस क थापना म कन त व ने मह वपण
ू भू मका नह ं नभायी?
(क) शु आती राजनी तक संगठन ने
(ख) एक रा य सं था क गठन क ज रत ने
(ग) अं ेज क शोषणकार नी त से
(घ) अं ेज का व छ शासन ने
उ र-(क) शु आती राजनी तक संगठन ने
न (ii)रा यता क भावना का वकास हुआ
(क) शास नक एवं या यक एक पता के कारण
(ख) संचार साधन के वकास के कारण
(ग) उपरो त दोन के कारण
(घ) इनम से कसी के कारण नह ं
उ र-(ग) उपरो त दोन के कारण

न (iii)आई. सी. एस. क पर ा म शा मल होने के लए उ अव ध 21 वष से घटाकर कतना कया गया?


(क) 18 वष
(ख) 19 वष
(ग) 20 वष
(घ) नह ं घटाई गई
उ र-(ख) 19 वष

न (iv)समाचार प ने कन- कन वचार को लोक य बनाया


(क) त न धया मक यव था
(ख) वतं ता एवं लोकतां क यव था
(ग) सफ क को
(घ) क एवं ख दोन को
उ र-(घ) क एवं ख दोन को

न (v)वना यलू र ेस ए ट के मा यम से या कया गया?


(क) अं ेजी समाचार प पर तबंध लगाया गया
(ख) भारतीय भाषा के समाचार प पर तबंध लगाया गया।
(ग) शोषण क खल ु छूट द गयी
(घ) क और ख दोन पर तबंध लगाया गया ।
उ र-(ख) भारतीय भाषा के समाचार प पर तबंध लगाया गया।

न (vi)बंग-भंग के बाद परू े बंगाल म या हुआ?


(क) शोक दवस मनाया गया
(ख) लोग ने उपवास रखा
(ग) वदे शी व तओु ं का ब ह कार कया
(घ) उपरोक सभी
उ र-(घ) उपरोक सभी

न (vii)महा मा गांधी ने भारत म स या ह का थम योग कहाँ कया ?


(क) अहमदाबाद
(ख) चंपारण
(ग) खेड़ा
(घ) द ल
उ र-(ख) चंपारण

न (viii)रॉलेट ए ट के वरोध म सभा कहाँ हो रह थी?


(क) जा लयाँवाला बाग म
(ख) गाँधी मैदान म
(ग) रामल ला मैदान म
(घ) ग त मैदान म
उ र-(क) जा लयाँवाला बाग म

न (ix)कैसरे - ह द क उपा ध का कसने याग कया ?


(क) रवी नाथ टै गोर ने
(ख) महा मा गांधी ने
(ग) जवाहरलाल नेह ने
(घ) सी. आर. दास ने
उ र-(ख) महा मा गांधी ने

न (x)करो या मरो’ का नारा गांधीजी ने दया


(क) असहयोग आंदोलन के दौरान
(ख) चंपारण म
(ग) भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान
(घ) स वनय अव ा आंदोलन म ।
उ र-(ग) भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान

आइए वचार कर
न (i)कै बनेट मशन ने या सझाव दया?
उ र-अं ेजी सरकार ने पा क तान क मांग और भारत क वतं ता के संबध
ं म अ ययन करने के लए तीन
सद यीय कै बनेट मशन भारत भेजा । कै बनेट मशन ने मिु लम बहुल े को कुछ वाय ता दान करते
हुए ढ ले-ढाले महासंघ के प म अ वभािजत भारत का सझाव दया।

न (ii) य कारवाई दवस य मनाया गया ?


उ र-कै बनेट मशन के कुछ सझ ु ाव पर ल ग और कां ेस को आप थी। इन प रि थ तय म अब दे श का
वभाजन नह ं टाला जा सकता था। मिु लम ल ग ने पा क तान क मांग के समथन म जनता से ‘ य
कारवाई दवस’ 16 अग त 1946 का मनाने का आ वान कया । इसी दन कलक ा म सा दा यक हंसा
भड़क गयी। जो परू े दे श म फैल और करोड़ लोग शरणाथ हो गए । हजार लोग मारे गये।

न (iii)रा यता के उ थान म कन- कन त व ने मह वपण ू भू मका नभाई ?


उ र-अं ेज ने संपण
ू भारत को अपने हत म एक क ृ त कया था। राजनी तक एकता था पत करने के साथ ह
शास नक, एक पता भी कायम क । समच ू े भारत म एक ह तरह क या यक एवं शास नक यव था
था पत क । उ ह ने परू े भारत को सड़क, तार एवं रे लवे के मा यम से एकसू म बाँध दया था। प रवहन के
साधन एवं समाचार प के सार व उनके मा यम से रा य वचारधारा व भावना के सार से लोग को
आपस म मलने-जल ु ने, वचार- वमश करने का परू ा मौका मला । इन सारे त व ने रा यता के उ थान म
मह वपण ू भू मका नभाई।

न (iv)कां ेस के गठन ने रा यता के वकास म मह वपण ू भू मका नभाई। कैसे?


उ र-कां ेस के गठन होने पर उसके नेताओं ने भारत क सां कृ तक व भ नताओं को दे खते हुए
सावधानीपव ू क रा य एकता क को शश क । उसके कायकता संग ठत होकर अ खल भारतीय तर पर
राजनी तक ग त व धयां चलाए । इ ह ने राजनी तक चेतना जगाने और जनमत बनाने के लए म यमवग य
लोग से संपक शु कया जो धीरे -धीरे आम लोग तक पहुँचा । अतः इन सारे काय के कारण कां ेस के गठन
ने रा यता के वकास म मह वपण ू भू मका नभाई।

न (v)बंग-भंग ने परू े भारत को आंदो लत कर दया । कैसे?


उ र-लॉड कजन ने रा य भावना को कमजोर करने के लए 1905 म एक कृत बंगाल के वभाजन का आदे श
नकाला । तब बंगाल भारत क राजनी तक ग त व धय का के था। 16 अ टूबर, 1905 को वभाजन के
खलाफ समच ू े बंगाल म ‘शोक दवस’ मनाया गया। लोग ने उपवास रखे । बंगाल क ग लय म ‘वंदे मातरम ्’
का नारा गंज
ू उठा। लोग ने वदे शी व तओु ं का ब ह कार एवं वदे शी व तओु ं के उपयोग का संक प लया। .
छा ने कूल-कॉलेज तथा वक ल ने यायालय का ब ह कार कया । इसके व ध अं ेज ने आंदोलन को
दमन करने का सहारा लया । इससे बंग-भंग ने परू े भारत को आंदोलन कर दया।

वतं ता के बाद वभािजत भारत का ज म:-


लगभग दो स दय के संघष के बाद भारत 15 अग त 1947 को आजाद हुआ। आजाद के साथ-साथ कई
सम याएँ भी सामने थीं। वभाजन ने लगभग 1 करोड़ शरणा थय को पा क तान से भारत आने पर बा य कर
दया। इनके रहने और काम दे ने क यव था करना सरकार के लए बहुत बड़ी सम या थी। लगभग 500 से
अ धक दे शी रयासत के वलय क सम या भी सामने चन ु ौती के प म खड़ी थी। इन सब के साथ-साथ दे श
को एक ऐसी राजनी तक यव था भी दान करनी थी जो सबके लए उपयोगी एवं उनक उ मीद के अनु प
हो।आजाद भारत के लोग भी कई समद ु ाय , जा तय े एवं भ न- भ न भाषा-भाषी समह ू म बंटे हुए थे।
इनके खान-पान, रहन-सहन बोल-चाल, सोचने एवं समझने के तर क म भी काफ व भ नताएँ थीं।दे श को
संग ठत करने के साथ ह आ थक वकास भी एक बड़ी सम या थी। हमारे सं वधान क सबसे बड़ी खा सयत है
क इसम ‘आम आदमी’ को सवा धकार स प न माना गया है । इसके तहत सबको जो 21 साल क उ परु ा
कर चकु े हो (अब 18 साल ह ) अपनी सरकार चन ु ने का अ धकार अथात ् मतदान करने का अ धकार दया
गयाउस समय दे श क आबाद लगभग 34.5 करोड़ थी। अ न के े म आ म नभर बनने के लए कृ ष के
वकास क ज रत थी। य क कृ ष पर उस समय लगभग 90% जनता नभर थी। कसान गाँव म रहते थे।
इ ह कृ ष के लए मौनसन ू (वषा) पर नभर रहना पड़ा था।आजाद के साथ-साथ वभाजन के कारण धा मक
उ माद (सा दा यकता) ने लगभग संपण ू भारत को अपने चपेट म ले लया था।

नए सं वधान का नमाण:-
आजाद के पहले ह भारतीय ने कबनटे मशन क चन ु त
ै ी को वीकार करते हएु भारत के लए अपने
सं वधान के नमाण ् क िज मदे ार संभाल एक सं वधान सभा का गठन कया गया िजसके लगभग 300
त न ध दे श भर से चन
ु कर आए थे। इन सद यां◌े के बीच दस बर 1946 से नव बर 1949 तक गंभीर
वचार- वमश के बाद भारत का सं वधान लखा गया। सं वधान के कछु भाग (उपब ध) को 26 नव बर 1949
को ह लागू कर दया गया एवं 26 जनवर 1950 को इसे पण ू प से लागू कया गया।हमारे सं वधान ने रा य
के नाग रक को कुछ मौ लक अ धकार भी दए तथा रा य के त न ठावान बने रहने के उपाय के प म
नाग रक के लए मौ लक कत य भी बताए।सं वधान का नमाण करते समय भारत के नेताओं और जनता के
सामने एक साझे और सश त भारत के भ व य क त वीर थी।

रा य का पनु गठन कया गया:-


भारतीय रा य कां ेस ने 1920 के दशक म लोग क भावनाओं को दे खते हुए आजाद के बाद भाषा के
आधार पर रा य के पनु गठन का आ वासन दया। ले कन जब भारत को धम के आधार पर दं ग और
वभाजन के बाद भारत को आजाद मल तो रा य नेताओं के मन म चंता हुई क अगर रा य का पन ु गठन
भाषा के आधार पर कया गया तो और कई पा क तान बन सकते ह रा ट ्रय नेताओं के वारा 1920 के
दशक म कए गए वायदे से मकु रने के कारण ीे य भाषा-भाषी जसै तेलग,ु त मल, मराठ , क नड़ बाले ने
वाल म असंतोष पनपने लगा। वशष ्◌े प से तलेगू भाषी लोग 1952 के थम चन ु ाव म आं दे श क मागं
को लके र काफ उ थ।◌े आं दे श क मागं को लके र गाध◌्ं ावाद नतेा पाटे ी ी रामलू राजू ने भख
ू हड़ताल
कया जसमं◌े 58 दनां◌े के बाद 15 सत बर 1952 को उनक मत ्◌ृ यु हो गइ।र् इनक मत ृ ु के बाद प ◌े
आं छे म अराजकता फलै गइ।◌इस वरोध को क ने गंभीरता से लया आरै इनक मागं ◌े ◌ं मान ल ।◌ं
इस तरह 1 अ टबू र, 1953 को आँ दे श के प मं◌े एक नए रा य का गठन हुआ।सरकार ने े ीय
भाषा-भा षय वारा नए रा य के गठन क मांग को दे खते हुए ‘रा यपनु गठन आयोग’ का गठन कया। इस
आयोग के अ य फजल अल थे। आयोग ने अपनी रपोट 1956 ई. म स प द । इसने त मल, मलयालम,
क नड़, बंगला, उ डया
़ एवं अस मया भाषी लोग के लए अलग-अलग रा य के पन ु गठन क सफा रश
क ।फल व प 1960 म बंबई ांत का, मराठ भाषी महारा एवं गज ु राती भाषी गजु रात म, 1966 म पंजाब
से ह रयाणा को और आगे चलकर 2001 म उ र दे श से उतरांचल को, म य दे श से छ ीसगढ़ को एवं बहार
से झारखंड फर 2014 म आँ दे श से तेलग
ं ाना को अलग कर 29 व रा य के प म गठन कया गया।

भारत को आ थक प से वक सत :-
करने के लए, आधु नक तकनीक के सहारे कृ ष और उ योग के लए आधार न मत करना सबसे बड़ी चन ु ौती
थी सरकार ने महसस ू कया क बगैर सरकार सहयोग एवं योजना के दे श क आ थक ग त तेजी से नह ं हो
सकती। अतः सरकार ने नी त बनाने एवं लागू करने के लए 1950 म योजना आयोग का गठन कया।सबसे
पहले अ न के े मं◌ेआ म नभरता हा सल करने के लए याजे ना आयागे ने 1951-56 के बीच कृ ष को स
नयाे जत प से सबसे यादा बढा वा ़ दया। दसू र पचं वषीय याजेना (1956-67) म दे श को उ धो डग प से
आ म नभर बनाने के लए बड़े बड़े उधोग के थापना पर बल दया गया।1990 के दशक म तेज आ थक
वकास के साथ-साथ औ यो गक े म ढॉचागत प रवतन हुआ। सच ू ना एवं संचार के े म ां त ने
क यट ू र सा टवेयर एवं हाडवेयर, आधु नक संचार एवं प रवहन के साधन यथा दोप हया एवं चारप हया
वाहन एवं टे ल फोनसेवा आ द के े म अ या शत व ृ ध हुई। क यट ू र सा टवेयर के े म भारत ने एक
नई पहचान बनाई। बंगलोर क पहचान भारत क स लकान वैल के (अमे रका) प म बनी। माइ ोसॉ ट
जैसी कंपनी ने है दरबाद म सॉ टवेयर वकास कन ्◌े क थापना क ।

लोकतां क सशि तकरण:-


आजाद के बाद भारत म संसद य लोकतं क थापना हुई। भारत ने सफलातापव ू क आ थक वकास, रा य
का पन
ु गठन, भाषा संबध
ं ी ववाद का नपटारा, सा दा यक शि तय पर नयं ण कया। दे श क वदे श
नी त का संचालन भी गटु नरपे ता क नी त को यान म रखते हुए कया गया।कुछ समय बाद भारत म
लोकतां क आदश कमजोर होने लगे और आपातकाल क घोषणा क गई। दे श म पन ु ः जना दोलन क ि थ त
उ प न हो गई। इसक शु आत बहार एवं गज ु रात से हुई। नेत ृ व जय काश नारायण ने दान कया।
जय कश नारायण ने संपण ू ां त का नारा दया। आपात काल के दौरान धानमं ी क शि त म व ृ ध, ेस
पर नयं ण, नाग रक अ धकार पर तबंध, नसब द वारा ज म दर पर नयं ण, झु गी-झोपड़ी उ मल ू न,
कमचा रय के व ृ ध पर रोक तथा कठोर एवं आलोकतां क कदम उठाए गए। आपात काल के वरोध म
जय काश नारायण ने संपण ू ां त का आ वान कया।

•गट
ु नरपे ता क नी त-आजाद के समय व व दो बड़े रा अमे रका और सो वयत स के खेम मे वभ त
था। भारत को सबक मदद क ज रत थी। अतः सबके साथ अ छे संबध ं का नवाह करते हुए कसी गटु मन
रहते हुए भारत ने गट
ु नरपे ता क नी त अपनाई तथा भारत जसै ◌े गर ब आरै वकासशील दे श को भी इसी
नी त पर चलने क सलाह द ।

नई राजनी तक यव था का ज म गठबंधन एवं मोच क राजनी त-1989 से भारत क जनता ने कसी एक


दल को प ट बहुमत नह ं दया। सबसे पहले वी.पी. संह के नेत ृ व म मोच क (जनता दल, भाजपा एवं
वामपं थय क ) मल जलु सरकार बनी। आपसी खींच-तान के कारण यह सरकार अपना कायकाल परू ा नह ं
कर सक और म याव ध चन ु ाव म दे श को जाना पड़ा। इस चन
ु ाव म कां ेस के नेत ृ व म सरकार बनी।इस
सरकार के सम कई सम याएँ खड़ी थीं। दे श आ थक प से बदहाल के दौर से गज ु र रहा था। अयो या
मं दर-मि जद ववाद और वी.पी. संह सरकार वारा सावज नक े क नौक रय म पछड़ी जा त के लोग
को आर ण दान करने के कारण दे श म कानन ू एवं यव था क सम या उ प न हो गई थी। क मीर
अलगाववा दय क भी ग त व धयाँ बढ़ने लगी थीं। इसी बीच 6 दस बर 1992 को बाबर मि जद वंस क
घटना ने भी परू े दे शवा सय को भा वत कया।

गणतं के साठ वष के बाद:-


वतं ता के बाद 26 जनवर 1950 को हमारा सं वधान लागू हुआ और भारत गणतं बना। इस दौरान भारत
ने लगभग हर े म सफलता के साथ कदम बढ़ाया। हमारे सं वधान ने सरकार एवं दे शवा सय के लए कुछ
मानद ड (आदश ) का नधारण कया जो हमारे सं वधान क तावना म प ट प से ि टगोचर होता है ।
वतं ता के बाद से आज तक हम संसद य लोकतां क मू य के साथ लगातार आगे बढ़ रहे ह। जो हमारे लए
एक महान उपलि ध है ।

अ यास- न

न 1.सह वक प को चन ु
न (i)“वष पहले हमने भ व य को त ा द थी,” कसके भाषण का अंश है ?
(क) महा मा गांधी
(ख) जवाहरलाल नेह
(ग) राजे साद
(घ) ब लभ भाई पटे ल
उ र-(ख) जवाहरलाल नेह

न (ii)आजाद के समय भारत के पास कौन-सी सम या नह ं थी?


(क) दे शी रयासत के वलय
(ख) शरणाथ क सम या
(ग) पनु वास क सम या
(घ) नेत ृ व क सम या
उ र-(घ) नेत ृ व क सम या

न (iii)इनम से कौन सह नह ं है ?
(क) आजाद के समय दे श क आबाद लगभग 34.5 करोड़ थी।
(ख) भारत खा या न के े म आ म नभर था
(ग) 90 तशत जनता कृ ष पर नभर थी
(घ) भारत म उ योग क कमी थी ।
उ र-(ख) भारत खा या न के े म आ म नभर था

न (iv) वभाजन के समय सबसे बड़ी सम या या थी?


(क) धा मक उ माद
(ख) गर बी
(ग) जा तवाद
(घ) बजल
उ र- (क) धा मक उ माद

न (v) भाषा के आधार पर सबसे पहले कस रा य का गठन हुआ ?


(क) उ र दे श
(ख) हमाचल दे श
(ग) आं दे श
(घ) त मलनाडु
उ र- (ग) आं दे श

न (vi) “अगर ह द उनपर थोपी गई तो बहुत सारे लोग भारत से अलग हो जाएँगे” कसने कहा?
(क) राजगोपालाचार
(ख) सरदार पटे ल
(ग) राधाकृ णन
(घ) कृ णमाचार
उ र-(घ) कृ णमाचार

न (vii) ‘ग पण
ू ां त’ का नारा कसने दया?
(क) जय काश नारायण
(ख) वनोबा भावे
(ग) महा मा गांधी
(घ) अ ना हजारे
उ र-(ग) महा मा गांधी

न (viii)भाषायी आधार पर रा य के पन
ु गठन का वरोध कसने कया?
(क) जवाहरलाल नेह
(ख) ब लभ भाई पटे ल
(ग) उपरो त दोन
(घ) कसी ने नह ं
उ र-(ग) उपरो त दोन

न (ix) पोखरण-1 का पर ण कसके धानमं व काल म हुआ?


(क) जवाहरलाल नेह
(ख) इं दरा गांधी
(ग) मोरराजी दे साई
(घ) अटल बहार वाजपेयी
उ र- (ख) इं दरा गांधी

न (x) सं वधान सभा के अ य के प म कसने ह ता र कया ?


(क) जवाहरलाल नेह
(ख) राजे साद
(ग) महा मा गांधी ।
(घ) ब लभ भाई पटे ल
उ र- (क) जवाहरलाल नेह

आइए वचार कर
न (i) आजाद के समय भारतीय कृ ष कस पर नभर थी?
उ र- आजाद के समय भारतीय कृ ष मौनसन ू (वषा) पर नभर थी। कृ ष पर उस समय 90% जनता नभर
थी। संचाई क यव था वक सत नह ं थी। वषा नह ं होने से कसान को तो अकाल का सामना करना ह
पड़ता था, कृषक पर नभर अ य पेशा के लोग जैसे नाई, बढई, लोहार एवं कार गर वग भी संकट म आ जाते
थे।

न (ii) आजाद के समय सबसे बड़ी सम या या थी?


उ र- आजाद के साथ-साथ दे श का वभाजन भी हुआ था। भारत के सामने सबसे बड़ी सम या लगभग 1
करोड़ शरणा थय क थी िज ह दं ग के कारण पा क तान से भारत आने पर बा य होना पड़ा था। इनके रहने
और इनको काम दे ने क यव था करना भारतीय सरकार क सबसे बड़ी सम या थी।

न (iii) ह द भाषा का वरोध कसने कया?


उ र- सं वधान सभा म भाषा के मु दे पर ल बी बहस हुई। अ धकांश लोग अं ेजी क जगह ह द को
अपनाना चाहते थे। ले कन गैर ह द भा षय ने इसका वरोध कया। ट . ट . कृ णमाचार ने द ण के लोग
क ओर से चेतावनी दे ते हुए कहा क अगर उन पर ह द थोपी गई तो बहुत सारे लोग भारत से अलग हो
जाएंगे।

न (iv) भाषायी आधार पर बनने वाले पांच रा य के नाम बताएँ।


उ र- भाषायी आधार पर बनने वाले पाँच रा य के नाम इस कार ह आं दे श, महारा , गज
ु रात, पंजाब,
ह रयाणा

न (v) योजना आयोग का गठन कब कया गया ?


उ र-योजना आयोग का गठन सन ् 1950 ई० म कया गया।

हमारे इ तहासकार काल कंकर द (1905-1982​):-


डा० काल कंकर द का ज म पाकुर िजला के झकरहाट गाँव म 1905 ई० म हुआ था। इनके पता उ च
व यालय के श क थे। अपने पता के व यालय महे शपरु उ च व यालय से ह इ ह ने वे शका (मै क)
क पर ा पास क । इ ह ने 1927 ई० म कलक ा व व व यालय से एम०ए० क पर ा पास क । इ ह ने डा०
एस० सी० सरकार के नदशन म पटना कॉलेज के इ तहास वभाग म बंगाल के आ थक इ तहास पर काम
करना ारं भ कया। इस काय के लए इ ह बहार एवं उड़ीसा सरकार क छा व ृ त भी मल । इसी काय के लए
कलक ा व व व यालय से ेमच छा व ृ त भी 1931 ई० म इ ह ा त हुई। 1930 म ये पटना कॉलेज
इ तहास वभाग म या याता भी नयु त हुए। ‘अल वद ए ड हज टाइ स’ नामक शोध- बंध पर इ ह
कलक ा व व व यालय से पी०एच०डी० क उपा ध मल ।कई पदां पर आसीन होने के बावजद ू डा० द क
त ठा का आधार लेखन एवं शोधकाय ह था। उ ह ने पचास से भी अ धक पु तक का लेखन एवं संपादन
काय कया।इनके वारा ल खत मह वपण ू पु तक म ह ऑफ डम मव ू मट इन बहार, तीन भाग म
(1956-58) पटना से का शत हुई। यह पु तक आजाद क लड़ाई का मु य ोत तो बनी ह , 1857 क ां त
क शता द ंथ भी बन गयी । इस पु तक के मह व को दे खते हुए बहार ह द ंथ अकादमी ने बहार म
वातं य आंदोलन का इ तहास नाम से ह द म अनवु ाद कराया।

इनक मह वपण ू स पा दत पु तक म
1. ह टो रकल म सेलेनी
2. अनरे ट एग ट टश ल इन बहार
3. राइ टं स ए ड पीचेज ऑफ महा मा गांधी रले टंग
टू बहार 1917-47
4. सम फरमा स, स स ऐंड पवानाज़ (1718-1802)
5. इं ोड सन ऑफ बहार आ द मख ु ह।

इसके अ त र त इ ह ने गांधी जी इन बहार (पटना 1969), बायो ाफ ऑफ कँु वर संह ए ड अमर संह,
राजे साद (नई द ल 1970) के साथ-साथ र ले शन ऑन द यू टनी (कलक ा 1966) क भी रचना
क । ये रजनल रकाडस सव क मट क थापना के समय से ह जड़ ु े रहे । इस क मट का वा षक तवेदन
आज शोधा थय के लए ोत तक पहुँचने के साधन के प म काम कर रहा है ।डा० काल कंकर द ने इ तहास
के े म दे श- वदे श क कई सं थाओं क थापना एवं वकास म मह वपण ू भू मका नभाई। के०पी०
जयसवाल शोध सं थान, अ भलेखागार, रिजनल रे कॉडस क मट , ए० एन० स हा समाज अ ययन सं थान
आ द क थापना म इनका मह वपण ू योगदान था।इस कार डा० द अ ययन-अ यापन शोध और लेखन के
उ च मानद ड का नवाह करते हुए 24 माच 1982 को परलोक वासी हो गए।

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