You are on page 1of 17

स्वदेशी पत्रिका

भारतीय संस्कृ तत व आयुवेद को स्थातित करने के लिए प्रयासरत

;g iqLrd lefiZr gS xkSHkäks] Lons'kh çsfe;ks] fdlkuks vkSj yk[kks ukStokuksa dks tks vius ifjokj ds lkFk

jk"Vª dks Hkh fujksxe; cukuk pkgrs gS o gekjs mu lkfFk;ks dks tks iapxO; ds {ks= esa dk;Z dj jgs gS]

vius dk;Z ds lkFk Hkkjrh; laL—fr dk çpkj&çlkj dj jgs gS]

o Hkkjrh; Kku dks tuekul rd ck¡V jgs gS


स्वदे शी पत्रिका

अपिे चचनकत्सक स्र्वयं बिे


“अिनी तदनचयाा में बदिाव , शरीर के सभी रोगों से बचाव”

 सामान्य परिचय

ka
अजवायन का पौधा आमतौर पर सारे भारतवर्ष में पाया जाता है, लेत्रकन पक्षिम बंगाल, दक्षिणी प्रदे श और पंजाब
में अडधकता से पैदा होता है। अजवायन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। िाललयों

tri
पर सफेद फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पककर एवं सूख जाने पर अजवाइन के दानों में पररवर्तित हो जाते हैं। ये दाने
ही हमारे घरों में मसाले के रूप में और और्डधयों में उपयोग त्रकए जाते हैं।
 रंग : अजवाइन का रंग भूरा काला डमला हुआ होता है।
 स्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है। Pa
 स्वरूप : अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समानहोता है।
 स्वभाव : यह गमष व खुष्क प्रकृत्रत की होती है।
hi
 हानिकािक
es

I. अजवाइन त्रपत्त प्रकृत्रत वालों में लसर ददष पैदा करती है।
II. अजवाइन ताजी ही लेनी चात्रहए लयोंत्रक पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश नष्ट हो जाता है जजससे यह
वीयषहीन हो जाती है। काढ़े के स्थान पर रस या फांट का प्रयोग बेहतर है।
ad

III. अजवाइन का अडधक सेवन लसर में ददष उत्पन्न करता है। मािा (खुराक) : अजवाइन 2 से 5 ग्राम, तेल 1 से
3 बूंद तक ले सकते हैं।
Sw

 गुण
अजवाइन की प्रशंसा में आयुवेद में कहा गया है- “एका यमानी शतमन्न पाडचका” अथाषत इसमें सौ प्रकार के
अन्न पचाने की ताकत होती है।
आयुर्वेदिक मतािुसाि:- अजवाइन पाचक, तीखी, रुडचकारक (इच्छा को बढ़ाने वाली), गमष, कड़वी, शुक्राणुओं
के दोर्ों को दूर करने वाली, वीयषजनक (धातु को बढ़ाने वाला), हृदय के ललए त्रहतकारी, कफ को हरनेवाली, गभाषशय को
उत्तेजना दे ने वाली, बुखारनाशक, सूजननाशक, मूिकारक (पेशाब को लाने वाला), कृडमनाशक (कीड़ों को नष्ट करने

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
1
स्वदे शी पत्रिका

वाला), वमन (उल्टी), शूल, पेट के रोग, जोड़ों के ददष में, वादी बवासीर (अशष), प्लीहा (त्रतल्ली) के रोगों का नाश करने
वाली गमष प्रकृत्रत की और्डध है।
यूिािी मतािुसाि:- अजवाइन आमाशय, यकृत, वृलक को ऊष्णता और शलि दे ने वाली, आर्द्षतानाशक,
वातनाशक, कामोद्वीपक (संभोग शलि को बढ़ाने वाली), कब्ज दूर करने वाली, पसीना, मूि, दुग्धवर्द्ष क, मालसक धमषलाने
वाली, तीसरे दजे की गमष और रूि होती है।
र्वैज्ञानिक मतािुसाि:- अजवाइन की रासायत्रनक संरचना में आर्द्षता (नमी) 7.4 प्रत्रतशत काबोहाइड्रेट 24.6,

ka
वसा 21.8, प्रोटीन 17.1, खत्रनज 7.9 प्रत्रतशत, कैक्ल्शयम, फास्फोरस, लौह, पोटै लशयम, सोडियम, ररबोफ्लेत्रवन, थायडमन,
त्रनकोटटत्रनक एलसि अल्प मािा में, आंलशक रूप से आयोिीन, शकषरा, सेपोत्रनन, टे त्रनन, केरोटटन और क्स्थर तेल 14.8
प्रत्रतशत पाया जाता है। इसमें डमलने वाला सुगंडधत तेल 2 से 4 प्रत्रतशत होता है, जजसमें 35 से 60 प्रत्रतशत मुख्य घटक

tri
थाइमोल पाया जाता है। मानक रूप से अजवाइन के तेल में थाइमोल 40 प्रत्रतशत होना चात्रहए।

Pa
नर्वभिन्ि िोगों में अजर्वाइि से उपचाि
1. पेट में कृचम (कीड़े) होिे पि
I. अजवाइन के लगभग आधा ग्राम चूणष में इसी के बराबर मािा में कालानमक डमलाकर सोते समय गमष पानी
hi
से बच्चों को दे ना चात्रहए। इससे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। कृडमरोग में पत्तों का 5 डम.ली. अजवाइन
का रस भी लाभकारी है।
es

II. अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूणष की 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े
समाप्त हो जाते हैं।
ad

III. अजवाइन के बारीक चूणष 4 ग्राम को 1 त्रगलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल की लगभग 7 बूंदों
को प्रयोग करने से लाभ होता है।
IV. अजवाइन को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूंदों को पानी में िालकर सेवन करने आराम डमलता है।
Sw

V. आधे से एक ग्राम अजवाइन का बारीक चूणष करके गुड़ के साथ डमलाकर छोटी-छोटी गोललयां बना लें। इसे
टदन में 3 बार खखलाने से छोटे बच्चों (3 से लेकर 5 साल तक) के पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
VI. अजवाइन का आधा ग्राम बारीक चूणष और चुटकी भर कालानमक डमलाकर सोने से पहले 2 गाम की मािा
में त्रपलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
VII. अजवाइन का चूणष आधा ग्राम, 60 ग्राम छाछ के साथ और बड़ों को 2 ग्राम चूणष और 125 डमलीलीटर छाछ
में डमलाकर त्रपलाने से लाभ होता है। अजवाइन का तेल 3 से 7 बूंद तक दे ने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट
हो जाते हैं।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
2
स्वदे शी पत्रिका

VIII. 25 ग्राम त्रपसी हुई अजवाइन आधा त्रकलो पानी में िालकर रात को रख दें । सुबह इसे उबालें। जब चौथाई
पानी रह जाये तब उतार कर छान लें। ठं िा होने पर त्रपलायें। यह बड़ों के ललए एक खुराक है। बच्चों को
इसकी दो खुराक बना दें । इस तरह सुबह, शाम दो बार पीते रहने से पेट के छोटे -छोटे कृडम मर जाते हैं।
IX. अजवाइन के 2 ग्राम चूणष को बराबर मािा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीणष (पुरानी
कब्ज), जोड़ों के ददष तथा पेट के कीड़ों के कारण उत्पन्न त्रवक्षभन्न रोग, आध्मान (पेट का फूलना और पेट में
ददष आटद रोग ठीक हो जाते हैं।

ka
X. पेट में जो हुकवमष नामक कीिेे़ होते हैं, उनका नाश करने के ललए अजवाइन का बारीक चूणष लगभग आधा
ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार दे ने से और मामूली जुलाब (अरंिी तैल नही दें ) दे ने से पेट के
कीड़े त्रनकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीललया के रोगी और त्रनबषल पर नहीं करना चात्रहए।

tri
2. गदिया (जोड़ों का ििद )
I.
II.
III.
Pa
जोड़ों के ददष में पीडड़त स्थानों पर अजवाइन के तेल की माललश करने से राहत डमलेगी।
गटठया के रोगी को अजवाइन के चूणष की पोटली बनाकर सेंकने से रोगी को ददष में आराम पहुंचता है।
जंगली अजावयन को अरंि के तेल के साथ पीसकर लगाने से गटठया का ददष ठीक होता है।
hi
IV. अजवाइन का रस आधा कप में पानी डमलाकर आधा चम्मच त्रपसी सोंठ लेकर ऊपर से इसे पीलें। इससे
गटठया का रोग ठीक हो जाता है।
es

V. 1 ग्राम दालचीनी त्रपसी हुई में 3 बूंद अजवाइन का तेल िालकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे ददष ठीक होता
है।
ad

3. चमट्टी या कोयला खािे की आित:- एक चम्मच अजवाइन का चूणष रात में सोते समय त्रनयडमत रूप से 3
हफ्ते तक खखलाएं। इससे बच्चों की डमट्टी खाने की आदत छू ट जाती है।
Sw

4. पेट में ििद :- एक ग्राम काला नमक और 2 ग्राम अजवाइन गमष पानी के साथ सेवन कराएं।

5. स्री िोगों में


I. प्रसूता (जो स्िी बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़ डमलाकर टदन में 3
बार खखलाने से कमर का ददष दूर हो जाता है और गभाषशय की शुजर्द् होती है। साथ ही साथ भूख लगती है व
शारीररक शलि में वृजर्द् होती है तथा मालसक धमष की अनेक परेशात्रनयां इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं। िोट:-
प्रसूत्रत (डिलीवरी) के पिात योत्रनमागष में अजवाइन की पोटली रखने से गभाषशय में जीवाणुओं का प्रवेश नहीं

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
3
स्वदे शी पत्रिका

हो पाता और जो जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं वे नष्ट हो जाते है। जीवाणुओं को नष्ट करने के ललए योत्रनमागष से
अजवाइन का धुंआ भी टदया जाता है तथा अजवाइन का तेल सूजन पर लगाया जाता है।

6. खांसी
I. एक चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गमष पानी का सेवन करने से लाभ होता है।
II. रात में लगने वाली खांसी को दूर करने के ललए पान के पत्ते में आधा चम्मच अजवाइन लपेटकर चबाने और

ka
चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा।
III. 1 ग्राम साफ की हुई अजवाइन को लेकर रोजाना रात को सोते समय पान के बीिेे़ में रखकर खाने से खांसी
में लाभ डमलता है।

tri
IV. जंगली अजवाइन का रस, लसरका तथा शहद को एक साथ डमलाकर रोगी को रोजाना टदन में 3 बार दे ने से
पुरानी खांसी, श्वास, दमा एवं कुलकुर खांसी (हूपपिग कफ) के रोग में लाभ होता है।
V.

VI.
बंद हो जाती है।
Pa
अजवाइन के रस में एक चुटकी कालानमक डमलाकर सेवन करें। और ऊपर से गमष पानी पी लें। इससे खांसी

अजवाइन के चूणष की 2 से 3 ग्राम मािा को गमष पानी या गमष दूध के साथ टदन में 2 या 3 बार लेने से भी
hi
जुकाम लसर ददष , नजला, मस्तकशूल (माथे में ददष होना) और कृडम (कीड़ों) पर लाभ होता है।
VII. कफ अडधक त्रगरता हो, बार-बार खांसी चलती हो, ऐसी दशा मेंअजवाइन का बारीक त्रपसा हुआ चूणष लगभग
es

1 ग्राम का चौथा भाग, घी 2 ग्राम और शहद5 ग्राम में डमलाकर टदन में 3 बार खाने से कफोत्त्पत्त कम होकर
खांसी में लाभ होता है।
VIII. खांसी तथा कफ ज्वर यात्रन बुखार में अजवाइन 2 ग्राम और छोटी त्रपप्पली आधा ग्राम का काढ़ा बनाकर 5
ad

से 10 डम.ली. की मािा में सेवन करने से लाभ होता है।


IX. 1 ग्राम अजवाइन रात में सोते समय मुलेठी 2 ग्राम, डचिकमूल 1 ग्राम से बने काढ़े को गमष पानी के साथ
सेवन करें।
Sw

X. 5 ग्राम अजवाइन को 250 डमलीलीटर पानी में पकायें, आधा शेर् रहने पर, छानकर नमक डमलाकर रात को
सोते समय पी लें।
XI. खांसी पुरानी हो गई हो, पीला दुगषन्धमय कफ त्रगरताहो और पाचन त्रक्रया मन्द पड़ गई हो तो अजवाइन का
जूस टदन में 3 बार त्रपलाने से लाभ होता है।

7. नबस्ति में पेशाब कििा:- सोने से पूवष 1 ग्राम अजवाइन का चूणष कुछ टदनों तक त्रनयडमत रूप से खखलाएं।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
4
स्वदे शी पत्रिका

8. बहुमूू़र (बाि-2 पेशाब आिा)


I. 2 ग्राम अजवाइन को 2 ग्राम गुड़ के साथ कूट-पीसकर, 4 गोली बना लें, 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 गोली
पानी से लें। इससे बहुमूि रोग दूर होता है।
II. अजवाइन और त्रतल डमलाकर खाने से बहुमूि रोग ठीक हो जाता है।
III. गुड़ और त्रपसी हुई कच्ची अजवाइन समान मािा में डमलाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार खायें। इससे गुदे का
ददष भी ठीक हो जाता है।

ka
9. मुंहासे:- 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और

tri
सुबह गमष पानी से साफ कर लें।

10.
I.
िांत ििद
Pa
पीडड़त दांत पर अजवाइन का तेल लगाएं। 1 घंटे बाद गमष पानी में 1-1 चम्मच त्रपसी अजवाइन और नमक
डमलाकर कुल्ला करने से लाभ डमलता है।
II. अजवाइन और बच बराबर मािा में लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें। आधा ग्राम लुग्दी (पेस्ट) रात
hi
को सोते समय दाढ़ (जबड़े) के नीचे दबाकर सो जाएं। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं तथा ददष खत्म हो
जाता है।
es

11. अपच, मंिाग्नि:- भोजन के बाद त्रनयडमत रूप से 1 चम्मच ससिकी हुई व सेंधानमक लगी अजवाइन
ad

चबाएं।

12. जू,ं लीख:- 1 चम्मच त्रफटत्रकरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में डमलाकर बालों
Sw

की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे लसर में होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर त्रनकल जाती
हैं।

13. पुिािा बुखाि, मन्ि ज्र्वि:- 15 ग्राम की मािा में अजवाइन लेकर सुबह के समय डमट्टी के बतषन में
1 कप पानी में क्षभगो दें । इस बतषन को टदन में मकान में और रात को खुले आसमान के नीचे ओस में रखें। दूसरे
टदन इसको सुबह के समय छानकर इस पानी को पी लें। यह प्रयोग लगातार 15 टदनों तक करें। यटद बुखार पूरी
तरह से न उतरे तो यह प्रयोग कुछ टदनों तक और भी चालू रखा जा सकता है। इस उपचार से पुराना मन्द ज्वर

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
5
स्वदे शी पत्रिका

ठीक हो जाता है और यटद यकृत और त्रतल्ली बढ़ी हुई हो तो वह भी ठीक हो जाते हैं साथ ही साथ भूख खुलकर
लगने लगती है।

14. बांझपि (गिादशय के ि िहििे) पि:- मालसक-धमष के आठवें टदन से त्रनत्य अजवाइन और डमश्री
25-25 ग्राम की मािा में लेकर 125 ग्राम पानी में रात्रि के समय एक डमट्टी के बतषन में क्षभगों दें तथा प्रात:काल के
समय ठं िाई की भांत्रत घोंट-पीसकर सेवन करें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी त्रबना नमक की लें। इस प्रयोग

ka
से गभष धारण होगा।

15. खटमल:- चारपाई के चारों पायों पर अजवाइन की 4 पोटली बांधने से खटमल भाग जाते हैं।

tri
16. मच्छि:- अजवाइन पीसकर बराबर मािा में सरसों के तेल में डमलाकर उसमें गत्ते के टु कड़ों को तर (क्षभगो) करके
Pa
कमरे में चारों कोनों में लटका दे ने से मच्छर कमरे से भाग जाते हैं।

17. िोज्य पिार्थों के ललए:- पूरी, परांठे आटद कोई भी पकवान हो, उसको अजवाइन िालकर बनाएं। इस प्रकार
hi
के भोजन को खाने से पाचन शलि बढ़ती है और खाई गई चीजें आसानी से पच जाती हैं। पेट के पाचन सम्बन्धी
रोगों में अजवाइन लाभदायक है।
es

18. पाचक चूणद:- अजवाइन और हरष को बराबर मािा में लेकर हींग और सेंधानमक स्वादानुसार डमलाकर अच्छी
ad

तरह से पीसकर सुरक्षित रख लें। भोजन के पिात् 1-1 चम्मच गमष पानी से लें।

19. लसि में ििद होिे पि:-


Sw

I. 200 से 250 ग्राम अजवाइन को गमष कर मलमल के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गमष करके
सूंघने से छींके आकर जुकाम व लसर का ददष कम होता है।
II. अजवाइन को साफ कर महीन चूणष बना लें, इस चूणष को2 से 5 ग्राम की मािा में नस्वार की तरह सूंघने से
जुकाम, लसर का ददष , कफ का नालसका में रुक जाना एवं मस्स्तष्क के कीड़ों में लाभ होता है। >अजवाइन
और अरंि की जड़ को पीसकर माथे पर लेप करने से लसर का ददष खत्म हो जाता है।
III. अजवाइन के पत्तों को पीसकर लसर पर लेप की तरह लगाने से लसर का ददष दूर हो जाता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
6
स्वदे शी पत्रिका

20. कणदशूल (काि ििद ):- 10 ग्राम अजवाइन को 50 डम.ली. त्रतल के तेल में पकाकर सहने योग्य गमष तेल को
2-2 बूंद कान में िालने से कान का ददष डमट जाता है।

21. पेट में पािी की अचिकता होिा (जलोिि)


I. गाय के 1 लीटर पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को क्षभगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मािा में
गौमूि के साथ खाने से जलोदर डमटता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी

ka
िकारें आना बंद हो जाती हैं।
II. अजवाइन को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मािा में हींग डमलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से जलोदर एवं

tri
पेट के अफारे में लाभ होता है।
III. अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मािा में डमलाकर छाछ पीने से जलोदर में लाभ
होता है।
IV. Pa
अजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा, पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर, सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा,
चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल, कूठ, पांचों नमक और बायत्रबण्िग को 10-10 ग्राम की बराबर
मािा में, दन्ती 30 ग्राम, त्रनशोथ और इन्र्द्ायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को डमलाकर अच्छी तरह
hi
बारीक पीसकर चूणष बनाकर बनाकर रख लें। यह चूणष सभी प्रकार के पेट की बीमाररयों में जैसे अजीणष, मल,
गुल्म (पेट में वायु का रुकना), वातरोग, संग्रहणी (पेडचश), मंदात्ग्न, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के जहरों
es

की बीमाररयों को समाप्त करतीहै। इस बने चूणष को 3 से 4 गमष की मािा में त्रनम्न रोगों में इस प्रकार से लें,
जैसे- पेट की बीमाररयों में- छाछ के साथ, मल की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमाररयों में- बेर के
काढ़े के साथ, अजीणष और पेट के फूलने पर-गमष पानी के साथ तथा बवासीर में- अनार के साथ ले सकते हैं।
ad

22. सिी-जुकाम:- पुदीने का चूणष 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम, दे शी कपूर 10 ग्राम, तीनों को एक साफ शीशी में
िालकर अच्छी प्रकार से िॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी दे र में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेगी। इसकी 3-
Sw

4 बूंद रूमाल में िालकर सूंघने से या 8-10 बूंद गमष पानी में िालकर भाप लेने से तुरंत लाभ होता है।

23. उल्टी-िस्त:- पुदीने का चूणष 10 ग्राम, अजवाइन का चूणष 10 ग्राम, दे शी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ
शीशी में िालकर अच्छी प्रकार से िॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी दे र में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी।
इसकी 4-5 बूंदें बताशे में या गमष पानी में िालकर आवश्यकतानुसार दे ने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ
न हो तो थोड़ी-2 दे र में दो-तीन बार दे सकते हैं।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
7
स्वदे शी पत्रिका

24. अनतसाि:- पुदीने का चूणष 10 ग्राम, अजवाइन का चूणष 10 ग्राम, दे शी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी
में िालकर अच्छी प्रकार से िॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी दे र में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5
से 7 बूंद बताशे में दे ने से मरोड़, पेट में ददष , श्वास, गोला, उल्टी आटद बीमाररयों में तुरंत लाभ होता है।

25. कीट िं श:- पुदीने का चूणष 10 ग्राम, अजवाइन का चूणष 10 ग्राम, दे शी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी
में िालकर अच्छी प्रकार से िाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी दे र में तीनों चीजें गलकर पानी बन जायेंगी। इसको

ka
त्रबच्छू , ततैया, भंवरी, मधुमलखी इत्याटद जहरीले कीटों के दं श पर भी लगाने से शांत्रत डमलती है।

tri
26. पेट की गड़बड़, पेट में ििद , अम्लनपत्त
I. 3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक डमलाकर गमष पानी के साथ फंकी लेने से पेट की गैस, पेट का

II.
ददष ठीक हो जाता है।
Pa
अजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूणष को बराबर मािा में डमलाकर एकि कर लें। इसे 1 से 2 ग्राम
की मािा में गमष पानी के साथ सेवन करने से पेट का ददष नष्ट होता है। इस चूणष के साथ वचा, सोंठ, कालीडमचष,
त्रपप्पली का काढ़ा गमष-2 ही रात में पीने से कफ व गुल्म नष्ट होता है।
hi
III. प्रसूता स्त्स्ियों (बच्चे को जन्म दे ने वाली मत्रहला) को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम
की फंकी दे नी चात्रहए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों
es

से बचाव होता है।


IV. भोजन के बाद यटद छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 त्रगरी दोनों को खूब चबा-
चबाकर या कूट-पीस कर खायें।
ad

V. अजवाइन के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें।


VI. अजवाइन 10 ग्राम, काली डमचष और सेंधानमक 5-5 ग्राम गमष पानी के साथ 3-4 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन
करें।
Sw

VII. अजवाइन 80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीडमचष 40 ग्राम, कालानमक 40 ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, कच्चे
पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 त्रकलो नींबू का रस
िालकर धूप में रख दें और बीच-बीच में त्रहलाते रहें। 1 महीने बाद जब त्रबल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूणष को
2 से 4 ग्राम की मािा में पानी के साथ सेवन करने से मंदात्ग्न शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शलि बढ़ती है
तथा अजीणष (अपच), संग्रहणी, अम्लत्रपत्त इत्याटद रोगों में लाभ होता है।
VIII. लशशु के पेट में यटद ददष हो और सफर (यािा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर अजवाइन को रखकर,
लशशु की मां यटद उसके मुंह में चटायें तो लशशु का पेट ददष तुरंत डमट जाता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
8
स्वदे शी पत्रिका

27. िस्त
I. जब मूि बंद होकर पतले-2 दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्राम और नमक लगभग 500 डम.ली. ताजे पानी के
साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार में आराम न हो तो 15-15 डमनट के अंतर पर 2-3 बार
लें।
II. अजवाइन को पीसकर चूणष बनाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मािा में
लेकर मां के दूध के साथ त्रपलाने से उल्टी और दस्त का आना बंद हो जाता है।

ka
III. अजवाइन, कालीडमचष, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आटद को पीसकर चूणष बना लें, त्रफर इसे
एक चम्मच के रूप में पानी के साथ लेने से खाना खाने के ठीक से न पचने के कारण होनेवाले दस्त यानी
पतले ट्टटी को बंद हो जाता है।

tri
28. पेट के िोगों पि
I. Pa
एक त्रकलोग्राम अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन में भरकर
रख दें , व टदन में धूप में रख टदया करें, जब रस सूख जाये तब टदन में सुबह और शाम 1 से4 ग्राम तक सेवन
करने से पेट सम्बन्धी सब त्रवकार दूर होते हैं।
hi
II. 1 ग्राम अजवाइन को इन्र्द्ायण के फलों में भरकर रख दें , जब वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर
इच्छानुसार काला नमक डमलाकर रख लें, इसे गमष पानी से सेवन करने से लाभ डमलता हैं।
es

III. अजवाइन चूणष तीन ग्राम सुबह-शाम गमष पानी से लें।


IV. 1.5 लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीटर रह जाये तब नीचे उतारकर आधा त्रक.ग्रा.
त्रपसी हुई अजवाइन िालकर ढलकन बंद कर दें । जब ठं िा हो जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे
ad

50-50 ग्राम टदन में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करें।


V. पेट में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 डमलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम
कालानमक डमलाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें।
Sw

29. बर्वासीि (अशद)


I. अजवाइन दे शी, अजवाइन जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मािा में लेकर महीन पीस लें और
मलखन में डमलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ टदनों में ही मस्से सूख जाते हैं।
II. अजवाइन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गमष पानी के साथ लें। अजवाइन के चूणष में सेंधानमक
और छाछ (मट्ठा) डमलाकर पीने से कोष्ठबर्द्कता (कब्ज) दूर होती है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
9
स्वदे शी पत्रिका

III. दोपहर के भोजन के बाद एक त्रगलास छाछ में िेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) त्रपसी हुई अजवाइन और एक ग्राम
सैंधानमक डमलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।

30. प्रमेह (र्वीयद नर्वकाि):- अजवाइन 3 ग्राम को 10 डम.ली. त्रतल के तेल के साथ टदन में सुबह, दोपहर और शाम
सेवन करने से लाभ होता है।

ka
31. गुिे का ििद :- 3 ग्राम अजवाइन का चूणष सुबह-शाम गमष दूध के साथ लेने से गुदे के ददष में लाभ होता है।

tri
32. िाि, खाज-खुजली
I. त्वचा के रोगों और घावों पर इसका गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, कीिेे़ युि घाव एवं जले हुए स्थान में

II.
लाभ होता है।
Pa
अजवाइन को उबलते हुए पानी में िालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आटद त्वचा के रोगों
में लाभ होता है।
hi
33. मालसक-िमद सम्बंिी नर्वकाि
I. अजवाइन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50 ग्राम को 200 डमलीलीटर पानी में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने
es

से गभाषशय का मल साफ होता है और रुका हुआ मालसक-धमष त्रफर से जारी हो जाता है।
II. अजवाइन, पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मािा में लेकर लगभग 50 डमलीलीटर की मािा
में मालसक-धमष के समय पीने से आतषव (माहवारी) की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
ad

III. 3 ग्राम अजवाइन चूणष को सुबह-शाम गमष दूध के साथ सेवन करने से मालसक धमष की रुकावट दूर होती है
और मालसकस्राव खुलकर आता है।
Sw

34. िपुंसकता:- 3 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के 10 डमलीलीटर रस में तीन बार 10-10 ग्राम शलकर डमलाकर
सेवन करें। 21 टदन में पूणष लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन व शुक्राणु की कमी के रोग में भी
लाभ होता है।

35. सुजाक (नगिोरिया) के िोग में:- अजवाइन के तेल की 3 बूंदे 5 ग्राम शलकर में डमलाकर सुबह-शाम सेवन
करते रहने से तथा त्रनयमपूवषक रहने से सुजाकमें लाभ होता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
10
स्वदे शी पत्रिका

36. शिाब की आित


I. शरात्रबयों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये तब अजवाइन 10-10 ग्राम की मािा में 2 या 3
बार चबायें।
II. 1/2 त्रकलो अजवाइन 400 डमलीलीटर पानी में पकायें, जब आधा से भी कम शेर् रहे तब छानकर शीशी में
भरकर त्रिज में रखें, भोजन से पहले एक कप काढ़े को शराबी को त्रपलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और
छोड़ नहीं पाते, उनके ललए यह प्रयोग एक वरदान के समान है।

ka
37. मूरकृच्छ (पेशाब कििे में कष्ट) होिा

tri
I. 3 से 6 ग्राम अजवाइन की फंकी गमष पानी के साथ लेने से मूि की रुकावट डमटती है।
II. 10 ग्राम अजवाइन को पीसकर लेप बनाकर पेिू पर लगाने से अफारा डमटता है, शोथ कम होता है तथा
खुलकर पेशाब होता है।

38. बुखाि
Pa
I. अजीणष की वजह से उत्पन्न हुए बुखार में 10 ग्राम अजवाइन, रात को 125 डमलीलीटर पानी में क्षभगों दें ,
hi
प्रात:काल मसल-छानकर त्रपलाने से बुखार आना बंद हो जाता है।
II. शीतज्वर में 2 ग्राम अजवाइन सुबह-शाम खखलायें।
es

III. बुखार की दशा में यटद पसीना अडधक त्रनकले तब 100 से 200 ग्राम अजवाइन को भूनकर और महीन
पीसकर पूरे शरीर पर लगायें।
IV. अजवाइन को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर मलने से अडधक पसीना आकर बुखार में लाभ डमलता है।
ad

V. 10 ग्राम अजवाइन रात को 100 डम.ली. पानी में क्षभगोकर रख दें । सुबह उठकर पानी को छानकर पीने से
बुखार डमटता जाता है।
VI. 5 ग्राम अजवाइन को 50 डम.ली. पानी में उबालकर, छानकर 25-25 ग्राम पानी 2 घण्टे के अतंराल से पीने
Sw

पर बुखार और घबराहट भी कम होती है।

39. इन््लुएन्जा
I. 10 ग्राम अजवाइन को 200 डमलीलीटर गुनगुने पानी में पकाकर या फांट तैयार कर प्रत्येक 2 घंटे के बाद
25-25 डमलीलीटर त्रपलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24 घंटे में ही लाभ हो जाता है।
II. अजवाइन, दालचीनी की 2-2 ग्राम मािा को 50 डमलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसे ठं िाकर-छानकर
सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
11
स्वदे शी पत्रिका

III. 12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा बच जायें तब ठं िा करके छान लें और रोजाना 4
बार पीने से लाभ होता है।

40. चोट लगिे से उत्पन्ि सूजि:- त्रकसी भी प्रकार की चोट पर 50 ग्राम गमष अजवाइन को दोहरे कपड़े की
पोटली में िालकर सेंक करने से आराम आ जाता है। जरूरत हो तो जख्म पर कपड़ा िाल दें तात्रक जले नहीं।
त्रकसी भी प्रकार की चोट पर अजवाइन का सेंक बहुत ही लाभकारी होती है।

ka
41. मलेरिया बुखाि:- मलेररया बुखार के बाद हल्का-2 बुखार रहने लगता है। इसके ललए 10 ग्रा. अजवाइन को

tri
रात में 100 डम.ली. पानी में क्षभगो दें और सुबह पानी गुनगुना कर जरा सा नमक िालकर कुछ टदन तक सेवन
करें।

Pa
42. बच्चों के पैिों में कांटा चुििे पि:- कांटा चुभने के स्थान पर त्रपघले हुए गुड़ में त्रपसी हुई अजवाइन 10
ग्राम डमलाकर थोड़ा गमष कर बांध दे ने से कांटा अपने आप त्रनकल जायेगा।
hi
43. नपत्ती उछलिा:- 50 ग्रा. अजवाइन को 50 ग्राम गुि के साथ अच्छी प्रकार कूटकर 5-6 ग्राम की गोली बना
लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लेने से 1 सप्ताह में ही तमाम शरीर पर फैली हुई त्रपत्ती दूर हो
es

जायेगी।

44. ्लू (जुकाम-बुखाि)


ad

I. 3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी दोनों को उबालकर इनका पानी त्रपलायें।


II. 12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठं िा करके छानकर पीयें। इसी प्रकार रोज 4 बार
Sw

पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।

45. जुकाम
I. अजवाइन की बीड़ी या लसगरेट बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है। अजवाइन को पीसकर एक पोटली
बना लें, उसे टदन में कई बार सूंघे, इससे बंदनाक खुल जाएगी।
II. 6 ग्राम अजवाइन पतले कपड़े में बांधकर हथेली पर रगड़कर बार-बार सूंघें। इससे जुकाम दूर हो जायेगा।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
12
स्वदे शी पत्रिका

III. एक चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक त्रगलास पानी में िालकर उबालें। आधा पानी रहने पर
छान लें तथा गमष-गमष पीकर ओढ़ कर सो जायें। जुकाम में लाभ होगा।

46. आमर्वात:- अजवाइन का रस जोड़ों पर माललश करने से ददष दूर हो जाता है।

47. शलिर्विदक चूणद:- अजवाइन, इलायची, कालीडमचष और सौंठ समान मािा में पी लें। आधा चम्मच सुबह, शाम

ka
पानी के साथ फंकी लें।

tri
48. हृिय शूल:- हृदय के ददष में अजवाइन दे ने से ददष बंद होकर हृदय उत्तेजजत होता है।

Pa
49. फोडेू़, फुन्सी की सूजि:- अजवाइन को नींबू के रस में पीसकर फोड़े और फुन्सी की सूजन में लेप करने से
लाभ डमलता है।

50. सिी प्रकाि का िांत ििद


hi
I. हर प्रकार का दांत ददष अजवाइन के प्रयोग से ठीक होता है। आग पर अजवाइन िालकर ददष करते हुए दांतों
पर धूनी दें ।
es

II. उबलते हुए पानी में नमक और एक चम्मच त्रपसी हुई अजवाइन िाल कर रख दें । पानी जब गुनगुना रहें तो
इस पानी को मुंह में लेकर कुछ दे र रोके, त्रफर कुल्ला करके थूक दें । इस प्रकार कुल्ले करें। अजवाइन की
ad

धुआं और कुल्ले करने के बीच 2 घण्टे का अंतर रखें। इस प्रकार टदन में तीन बार करने से दांत ददष ठीक हो
जाता है। गले में ददष हो तो इसी प्रकार के पानी से गरारे करने लाभ होता है।
Sw

51. गिदिािण किािा


I. मालसक-धमष के प्रारम्भ से 8 टदन तक त्रनत्य 25 ग्राम अजवाइन और 25 ग्राम डमश्री, 125 डम.ली. पानी में
रात को डमट्टी के बतषन में क्षभगों दें । सुबह ठं िाई की तरह पीसकर पीयें। भोजन में मूग
ं की दाल और रोटी
(त्रबना नमक की) लें। इस प्रयोग के दौरान संभोग करने से गभष धारण होगा।
II. मालसक-धमष खत्म होने के बाद 10 ग्राम अजवाइन पानी से 3-4 टदनों तक सेवन करने से गभष की स्थापना में
लाभ डमलता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
13
स्वदे शी पत्रिका

52. आन्रर्वृद्धि:- अजवाइन का रस 20 बूंद और पोदीने का रस 20 बूंद पानी में डमलाकर पीने से आन्िवृजर्द् में
लाभ होता है।

53. श्वास या िमा िोग:-


I. खुरासानी अजवाइन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह-शाम सेवन करने से श्वास नललकाओं का लसकुड़ना
बंद हो जाता है और श्वास लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती है।

ka
II. अजवाइन का रस आधा कप इसमें इतना ही पानी डमलाकर दोनों समय (सुबह और शाम) भोजन के बाद
लेने से दमा का रोग नष्ट हो जाता है।

tri
III. दमा होने पर अजवाइन की गमष पुस्त्ल्टश से रोगी के सीने को सेंकना चात्रहए।
IV. 50 ग्राम अजवाइन तथा मोटी सौंफ 50 ग्राम की मािा में लेते हैं तथा इसमें स्वादानुसार कालानमक डमलाकर
नींबू के रस में क्षभगोकर आपस में चम्मच से डमलाते हैं। त्रफर छाया में सुखाकर इसे तवे पर सेंक लेते हैं जब

Pa
भी बीड़ी, लसगरेट या जदाष खाने की इच्छा हो तो इस चूणष की आधा चम्मच मािा का सेवन (चबाना) करें।
इससे धूम्रपान की आदत छू ट जाती है। इसके साथ-साथ पेट की गैस (वायु) नष्ट होती है, पाचन शलि बढ़ती
है तथा भूख भी बढ़ जाती है। पेट की गैस, वायु त्रनकालने के ललए यह बहुत ही सफल नुस्का (त्रवडध, तरीका)
hi
है।
es

54. र्वात-नपत्त का बुखाि:- अजवाइन 6 ग्राम, छोटी पीपल 6 ग्राम, अिू सा 6 ग्राम और पोस्त का िोिा 6 ग्राम
लेकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पीने से कफ का बुखार, श्वास (दमा) और खांसी दूर हो जाती है।
ad

55. जुकाम के सार्थ हल्का बुखाि:- दे शी अजवाइन 5 ग्राम, सतत्रगलोए 1 ग्राम को रात में 150 डमलीलीटर
पानी में क्षभगोकर, सुबह मसल-छान लें। त्रफर इसमें नमक डमलाकर टदन में 3 बार त्रपलाने से लाभ डमलता है।
Sw

56. फेफड़ों की सूजि:- लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम खुरासानी अजवायन का चूणष शहद के साथ सुबह-
शाम सेवन करने से फेफड़ों के ददष व सूजन में लाभ डमलता है।

57. काली खांसी:- जंगली अजवाइन का रस, लसरका और शहद तीनों को बराबर मािा में डमलाकर 1 चम्मच
रोजाना 2-3 बार सेवन करने से पूरा लाभ डमलता है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
14
स्वदे शी पत्रिका

58. अंजिहािी, गुहेिी:- अजवाइन का रस पानी में घोलकर उस पानी से गुहैरी को धोने से गुहेरी जल्दी ठीक हो
जाती है।

59. बालों को हटािा:- खुरासानी अजवाइन और अफीम आधा-आधा ग्राम लेकर लसरके में घोट लें। इसे बालों में
लगाने से बाल उड़ जाते हैं।

ka
60. र्वायु नर्वकाि
I. 5 ग्राम त्रपसी हुई अजवाइन को 20 ग्राम गुड़ में डमलाकर छाछ (मट्ठे) के साथ लेने से लाभ होता है।

tri
II. एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानमक एक साथ पीसकर इसमें छाछ डमलाकर पीने से पेट की गैस की
लशकायत दूर होती है।

Pa
61. खट्टी डकािें आिा:- अजवाइन, सेंधानमक, सेंचर नमक, यवािार, हींग और सूखे आंवले का चूणष आटद को
बराबर मािा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूणष बना लें। इस चूणष को 1 ग्राम की मािा में सुबह और शाम शहद
के साथ चाटने सेखट्टी िकारें आना बंद हो जाती हैं।
hi
62. आंखों की दृनष्ट के ललए:- आंखों की रोशनी तेज करने के ललए जंगली अजवाइन की चटनी बनाकर खाना
es

चात्रहए।
ad

63. कब्ज:-
I. अजवाइन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मािा में लेकर कूटकर चूणष बना
लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम की मािा में इस चूणष को हल्के गमष पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज
Sw

समाप्त हो जाती है।


II. 5 ग्राम अजवाइन, 10 कालीडमचष और 2 ग्राम पीपलको रात में पानी में िाल दें । सुबह उठकर शहद में
डमलाकर 250 डमलीलीटर पानी के साथ पीने से वायु गोले का ददष ठीक होता है।
III. अजवाइन 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम आटद को पुदीना के लगभग 1 ग्राम का चौथा
भाग रस में कूट लें त्रफर छानकर 5-5 ग्राम सुबह और शाम खाना खाने के बाद गमष पानी के साथ लें।
IV. लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवाइन के बारीक चूणष को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज समाप्त होती
जाती है।

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
15
स्वदे शी पत्रिका

V. अजवाइन और कालानमक को पीसकर चूणष बना लें। इस चूणष को पानी के साथ पीने से पेट के ददष में आराम
दे ता है।

64. मसूढ़ों का िोग:- अजवाइन को भून व पीसकर मंजन बना लें। इससे मंजन करने से मसूढ़ों के रोग डमट जाते
हैं।

ka
65. अचिक िूख लगिा(अनतझुिा):- 20-20 ग्राम अजवाइन और सोंठ, 5 ग्राम नौसादर एक साथ पीस-
छानकर नींबू के रस में मटर की तरह गोली बनाकर छाया में सुखा लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ प्रयोग

tri
करें।

66. पेट की गैस बििा:-


I.
II.
Pa
अजवाइन और कालानमक को छाछ के साथ डमलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
1 चम्मच अजवाइन, 2 लाल इलायची के दानों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में कालानमक
और हींग को िालकर पीने से लाभ हो
hi
es
ad
Sw

श्री राजीव दीक्षित जी के बताए घरेलू नुस्खे की वीडियो दे खने के ललए इस बटन ► पर क्ललक करे
16

You might also like