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स्वदेशी पत्रिका

भारतीय संस्कृ तत व आयुवेद को स्थातित करने के लिए प्रयासरत

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स्वदे शी पत्रिका

अपऩे चचफ्रकत्सक स्वयं बऩे


“अिनी तदनचयाा में बदिाव , शरीर के सभी रोगों से बचाव”

घड़े का पानी गरीबों का फ्रिज घड़े का पानी स्वास््य क़े लिहाज स़े अमृत होता है, ि़ेफ्रकन इस़े ऐस़े ही अमृत नहीं

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बोित़े, बल्कक वास्तव में घड़े का पानी स़ेहत क़े लिहाज स़े बहुत फायद़े मंद है, इसक़े फायदों को जानकर घड़े का
पानी पीना शुरू कर दें ग़े आप।

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 अमृत है घड़े का पानी

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पीढ़ियों से भारतीय घरों में पानी स्टोर करने के ललए डमट्टी के बततन यानी घडे का इस्तेमाल त्रकया जाता है। आज
भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इन्हीं डमट्टी से बने बततनो में पानी पीते है। ऐसे लोगों का मानना है त्रक डमट्टी की भीनी-भीनी खुशबू
के कारण घडे का पानी पीने का आनंद और इसका लाभ अलग है। दरअसल, डमट्टी में कई प्रकार के रोगों से लडने की
िमता पाई जाती है। त्रवशेषज्ञों के अनुसार डमट्टी के बततनों में पानी रखा जाए, तो उसमें डमट्टी के गुण आ जाते हैं। इसललए
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घडे में रखा पानी हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूडमका त्रनभाते हैं।

 चयापचय
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Metabolism को ब़िावा त्रनयडमत रूप से घडे का पानी पीने से प्रत्रतरिा प्रणाली को ब़िावा दे ने में मदद डमलती
है। प्लास्स्टक की बोतलों में पानी स्टोर करने से, उसमें प्लास्स्टक से अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती है और वह पानी को अशुि
कर दे ता है। साथ ही यह भी पाया गया है त्रक घडे में पानी स्टोर करने से शरीर में टे स्टोस्टे रोन का स्तर ब़ि जाता है।
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 पानी में पीएच का संतुिन


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घडे का पानी पीने का एक और लाभ यह भी है त्रक इसमें डमट्टी में िारीय गुण त्रवद्यमान होते है। िारीय पानी की
अम्लता के साथ प्रभात्रवत होकर, उडित पीएि संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एलसडिटी पर अंकुश लगाने
और पेट के ददत से राहत प्रदान पाने में मदद डमलती हैं।

 गि़े को ठीक रख़े


आमतौर पर हमें गर्मियों में ठं िा पानी पीने की तलब होती है और हम त्रिज्र से ठं िा पानी ले कर पीते हैं। ठं िा
पानी हम पी तो लेते हैं लेत्रकन बहुत ज्यादा ठं िा होने के कारण यह गले और शरीर के अंगों को एक दम से ठं िा कर शरीर

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पर बहुत बुरा प्रभात्रवत करता है। गले की कोलशकाओं का ताप अिानक त्रगर जाता है द्धजस कारण व्याडियां उत्पन्न होती
है। गले का पकने और ग्रंलथयों में सूजन आने लगती है और शुरू होता है शरीर की त्रियाओं का त्रबगडना। जबत्रक घिें को
पानी गले पर सूददिग प्रभाव दे ता है।

 गर्भवती मफ्रहिाओं क़े लिए फायद़े मंद


गभतवती को त्रिज में रखे, बेहद ठं िे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती। उनसे कहा जाता है त्रक वे घडे या

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सुराही का पानी त्रपएं। इनमें रखा पानी न लसित उनकी सेहत के ललए अच्छा होता है, बक्कक पानी में डमट्टी का सौंिापन बस
जाने के कारण गभतवती को बहुत अच्छा लगता है।

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 वात को फ्रनयंफ्रित कऱे
गर्मियों में लोग त्रिज का या बित का पानी पीते है, इसकी तासीर गमत होती है। यह वात भी बढाता है। बिीला

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पानी पीने से कब्ज हो जाती है तथा अलसर गला खराब हो जाता है। मटके का पानी बहुत अडिक ठं िा ना होने से वात
नहीं बढाता, इसका पानी संतुत्रि दे ता है। मटके को रंगने के ललए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गमी में शीतलता प्रदान
करता है। मटके के पानी से कब्ज ,गला ख़राब होना आढद रोग नहीं होते।
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 फ्रवषैि़े पदार्भ सोखऩे की शलि
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डमटटी में शुद्धि करने का गुण होता है यह सभी त्रवषैले पदाथत सोख लेती है तथा पानी में सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक
तत्व डमलाती है। इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, ना बहुत अडिक ठं िा ना गमत।
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 कैस़े ठं डा रहता है पानी


डमट्टी के बने मटके में सूक्ष्म डछद्र होते हैं। ये डछद्र इतने सूक्ष्म होते हैं त्रक इन्हें नंगी आंखों से नहीं दे खा जा सकता।
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पानी का ठं िा होना वाष्पीकरण की त्रिया पर त्रनभतर करता है। द्धजतना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी
ठं िा होगा। इन सूक्ष्म डछद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर त्रनकलता रहता है। गमी के कारण पानी वाष्प बन कर उड जाता है।
वाष्प बनने के ललए गमी यह मटके के पानी से लेता है। इस पूरी प्रत्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी
ठं िा रहता है।

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