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स्वदेशी पत्रिका

भारतीय संस्कृ तत व आयुवेद को स्थातित करने के लिए प्रयासरत

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स्वदे शी पत्रिका

अपने चिकित्सि स्वयं बने


“अिनी तदनचयाा में बदिाव , शरीर के सभी रोगों से बचाव”

 सामान्य परिचय
भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अिरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में ककया जाता है। वैसे

ka
तो यह सभी प्रिे शों में पैिा होती है, िेककन अधिकाांश उत्पािन केरि राज्य में ककया जाता है। भूधम के अांिर उगने वािा
कन्ि आर्द्र अवस्था में अिरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहिाता है। गीिी धमट्टी में िबाकर रखने से यह काफी समय तक
ताजा बना रहता है। इसका कन्ि हल्का पीिापन लिए, बहुखांडी और सुगांधित होता है।

tri
 विभिन्न िाषाओं में नाम
 सांस्कृत- आर्द्क, आर्द्रशाक
 हहिंिी- अिरक, आिी, सौंठ
Pa
 मराठी- आिें
 गुजराती- आदु
 बांगािी- आिा, सूांठ
hi

 तेिगू- सल्िम, शोंदठ


 र्द्ाकवड़ी- हधमशोठ
es

 अांग्रेजी- जजिंजर रूट


 िैदटन- जजिंजजबर आकफलशनेि।

 गुण
ad

अिरक में अनेक औषिीय गुण होने के कारण आयुवेि में इसे महाऔषधि माना गया है। यह गमर, तीक्ष्ण, भारी,
पाक में मिुर, भूख बढ़ाने वािा, पाचक, चरपरा, रुधचकारक, कििोष मुक्त यानी वात, कपत्त और कफ नाशक होता है।
Sw

िैज्ञावनकों के मतानुसाि:- अिरक की रसायकनक सांरचना में 80 प्रकतशत भाग जि होता है, जबकक सोंठ में
इसकी मािा िगभग 10 प्रकतशत होती है। इसके अिावा स्टाचर 53 प्रकतशत, प्रोटीन 12.4 प्रकतशत, रेशा (फाइबर) 7.2
प्रकतशत, राख 6.6 प्रकतशत, तात्त्वक तेि 1.8 प्रकतशत तथा औलथयोरेजजन मुख्य रूप में पाए जाते हैं। सोंठ में प्रोटीन,

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नाइट्रोजन, अमीनो एलसड् स, स्टाचर, ग्िूकोज, सुक्रोस, फ्रूक्टोस, सुगांधित तेि, ओलियोरेलसन, जजिंजीवरीन, रैफीनीस,
कैल्ल्शयम, कवटाधमन `B` और `C`, प्रोदटथीलिट एन्जाइम्स और िोहा भी धमिते हैं। प्रोदटथीलिट एन्जाइम के कारण ही
सोंठ कफ हटाने व पाचन सांस्थान में कवशेष गुणकारी लसद्ध हुई है।

 अदिक तत्ि
 मािा प्रोटीन 2.30%
 वसा 0.90%
 जि 80.90%

ka
 सूि 2.40%
 काबोहाइड्रेट 12.30%
 खकनज 1.20%

tri
 कैल्ल्शयम िगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
 फास्फोरस िगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
 िौह िगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
Pa
 सोंठ तत्ि
 जि 9%
 प्रोटीन 15.40%
hi

 सूि 6.20%
 स्टाचर 5.30%
 कुि भस्म 6.60%
es

 उडनशीि तेि 2%,

बाहिी स्िरूप:- यह उवररा और रेत धमश्रित धमट्टी में पैिा होने वािा गुल्म जाकत की वनस्पकत का कन्ि है, इसके पत्ते बाांस
ad

के पत्तों से धमिते-जुिते तथा एक या डेढ़ फीट ऊांचे िगते हैं।

 हावनकािक प्रिाि
Sw

अिरक की प्रकृकत गमर होने के कारण जजन व्यलक्तयों को ग्रीष्म ऋतु में गमर प्रकृकत का भोजन न पचता हो, कुष्ठ,
पीलिया, रक्तकपत्त, घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की ल्स्थकत, मूिकृच्छ, जिन जैसी बीमाररयों में इसका सेवन नहीं करना

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चाकहए। खून की उल्टी होने पर और गमी के मौसम में अिरक का सेवन नहीं करना चाकहए और यदि आवश्यकता हो तो
कम से कम मािा में प्रयोग करना चाकहए।

मात्रा:- अिरक 5 से 10 ग्राम, सोंठ का चूणर 1 से 3 ग्राम, रस 5 से 10 से धमिीिीटर, रस और शबरत 10 से 30 धम.िी.।

अदिक से उपचाि
 वहचकी

ka
I. सभी प्रकार की कहचककयों में अिरक की साफ की हुई छोटी डिी चूसनी चाकहए।
II. अिरक के बारीक टु कड़े को चूसने से कहचकी जल्ि बांि हो जाती है। घी या पानी में सेंिानमक पीसकर
धमिाकर सूांघने से कहचकी बांि हो जाती है।

tri
III. 1 चम्मच अिरक का रस िेकर गाय के 250ml ताजे दूि में धमिाकर पीने से कहचकी में फायिा होता है।
IV. एक कप दूि को उबािकर उसमें आिा चम्मच सोंठ का चूणर डाि िें और ठां डा करके कपिाएां।
Pa
V. ताजे अिरक के छोटे -छोटे टु कड़े करके चूसने से पुरानी एवां नई तथा िगातार उठने वािी कहचककयाां बांि हो
जाती हैं। समस्त प्रकार की असाध्य कहचककयाां दूर करने का यह एक प्राकृकतक उपाय है।

 पेट ददद
I. अिरक और िहसुन को बराबर की मािा में पीसकर एक चम्मच की मािा में पानी से सेवन कराएां।
hi

II. कपसी हुई सोंठ एक ग्राम और जरा-सी हींग और सेंिानमक की फांकी गमर पानी से िेने से पेट ििर ठीक हो
जाता है। एक चम्मच कपसी हुई सोंठ और सेंिानमक एक कगिास पानी में गमर करके पीने से पेट ििर , कब्ज,
es

अपच ठीक हो जाते हैं।


III. अिरक और पुिीना का रस आिा-आिा तोिा िेकर उसमें एक ग्राम सेंिानमक डािकर पीने से पेट ििर में
तुरन्त िाभ होता है।
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IV. अिरक का रस और तुिसी के पत्ते का रस 2-2 चम्मच थोड़े से गमर पानी के साथ कपिाने से पेट का ििर शाांत
हो जाता है।
V. एक कप गमर पानी में थोड़ा अजवायन डािकर 2 चम्मच अिरक का रस डािकर पीने से िाभ होता है।
Sw

VI. अिरक के रस में नींबू का रस धमिाकर उस पर कािीधमचर का कपसा हुआ चूणर डािकर चाटने से पेट के ििर
में आराम धमिता है।

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VII. अिरक का रस 5 धम.िी, नींबू का रस 5 धम.िी, कािीधमचर का चूणर 1 ग्राम को धमिाकर पीने से पेट का ििर
समाप्त होता है।

 मुुंह की दुगदध
I. 1 चम्मच अिरक का रस 1 कगिास गमर पानी में धमिाकर कुल्िा करने से मुख की दुगरन्ि दूर हो जाती है।

 दाुंत का ददद

ka
I. महीन कपसा हुआ सेंिानमक अिरक के रस में धमिाकर ििर वािे िाांत पर िगाएां।
II. िाांतों में अचानक ििर होने पर अिरक के छोट-छोटे टु कड़े को छीिकर ििर वािे िाांत के नीचे िबाकर रखें।
III. सिी की वजह से िाांत के ििर में अिरक के टु कड़ों को िाांतों के बीच िबाने से िाभ होता है।

tri
 िूख की कमी
I. अिरक के छोटे -छोटे टु कड़ों को नींबू के रस में श्रभगोकर इसमें सेंिानमक धमिा िें, इसे भोजन करने से पहिे
कनयधमत रूप से खखिाएां।
Pa
 सदी-जुकाम
I. पानी में गुड़, अिरक, नींबू का रस, अजवाइन, हल्िी को बराबर की मािा में डािकर उबािें और कफर इसे
hi

छानकर कपिाएां।
es

 गला खिाब होना


I. अिरक, िौंग, हींग और नमक को धमिाकर पीस िें और इसकी छोटी-छोटी गोलियाां तैयार करें। दिन में 3-4
बार एक-एक गोिी चूसें।
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 पक्षाघात (लकिा)
I. घी में उड़ि की िाि भूनकर, इसकी आिी मािा में गुड़ और सोंठ धमिाकर पीस िें। इसे िो चम्मच की मािा
Sw

में दिन में 3 बार खखिाएां।


II. उड़ि की िाि पीसकर घी में सेकें कफर उसमें गुड़ और सौंठ पीसकर धमिाकर िड्डू बनाकर रख िें। एक िड्डू
प्रकतदिन खाएां या सोंठ और उड़ि उबािकर इनका पानी पीयें। इससे भी िकवा ठीक हो जाता है।

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 पेट औि सीने की जलन


I. एक कगिास गन्ने के रस में िो चम्मच अिरक का रस और एक चम्मच पुिीने का रस धमिाकर कपिाएां।

 िात औि कमि के ददद :-


I. अिरक का रस नाररयि के तेि में धमिाकर मालिश करें और सोंठ को िे शी घी में धमिाकर खखिाएां।

ka
 पसली ददद
I. 30g सोंठ को आिा ककिो पानी में उबािकर और छानकर 4 बार पीने से पसिी का ििर खत्म हो जाता है।

tri
 चोट लगना, कुचल जाना
I. चोट िगने, भारी चीज उठाने या कुचि जाने से पीधड़त स्थान पर अिरक को पीसकर गमर करके आिा इांच
Pa
मोटा िेप करके पट्टी बॉंि िें । िो घण्टे के बाि पट्टी हटाकर ऊपर सरसो का तेि िगाकर सेंक करें। यह प्रयोग
प्रकतदिन एक बार करने से ििर शीघ्र ही दूर हो जाता है।

 सुंग्रहणी (खूनी दस्त)


I. सोंठ, नागरमोथा, अतीस, कगिोय, इन्हें समभाग िेकर पानी के साथ काढ़ा बनाए। इस काढे े़ को सुबह-शाम
hi

पीने से राहत धमिती है।


es

 ग्रहणी (दस्त)
I. कगिोय, अतीस, सोंठ नागरमोथा का काढ़ा बनाकर 20 से 25 धमिीिीटर दिन में िो बार िें ।
ad

 िूखिर्द्द क
I. िो ग्राम सोंठ का चूणर घी के साथ अथवा केवि सोंठ का चूणर गमर पानी के साथ प्रकतदिन सुबह-सुबह खाने
से भूख बढ़ती है।
Sw

II. प्रकतदिन भोजन से पहिे नमक और अिरक की चटनी खाने से जीभ और गिे की शुजद्ध होती है तथा भूख
बढ़ती है।
III. अिरक का अचार खाने से भूख बढ़ती है।

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IV. सोंठ और कपत्तपापड़ा का पाक (काढ़ा) बुखार में राहत िे ने वािा और भूख बढ़ाने वािा है। इसे पाांच से िस
ग्राम की मािा में प्रकतदिन सेवन करें।
V. सोंठ, धचरायता, नागरमोथा, कगिोय का काढ़ा बनाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है और बुखार में भी
िाभिायक है।

 अजीणद
I. यदि प्रात:काि अजीणर (राकि का भोजन न पचने) की शांका हो तो हरड़, सोंठ तथा सेंिानमक का चूणर जि
के साथ िें। िोपहर या शाम को थोड़ा भोजन करें।

ka
II. अजवायन, सेंिानमक, हरड़, सोंठ के चूणों को बराबर मािा में एककित करें। 1-1 चम्मच प्रकतदिन सेवन करें।
III. अिरक के 10-20 धमिीिीटर रस में समभाग नींबू का रस धमिाकर कपिाने से मांिात्ग्न दूर होती है।

tri
 उदि (पेट के िोग
I. सोंठ, हरीतकी, बहेड़ा, आांविा इनको समभाग िेकर कल्क बना िें। गाय का घी तथा कति का तेि ढाई
Pa
ककिोग्राम, िही का पानी ढाई ककिोग्राम, इन सबको धमिाकर कवधिपूवरक घी का पाक करें, तैयार हो जाने
पर छानकर रख िें। इस घी का सेवन 10 से 20 ग्राम की मािा में सुबह- शाम करने से सभी प्रकार के पेट के
रोगों का नाश होता है।
hi

 बहुमूत्र
I. अरिक के िो चम्मच रस में धमिी धमिाकर सुबह-शाम सेवन करने से िाभ होता है।
es

 बिासीि के कािण होने िाला ददद


I. दुिरभा और पाठा, बेि का गूिा और पाठा, अजवाइन व पाठा अथवा सौंठ और पाठा इनमें से ककसी एक योग
ad

का सेवन करने से बवासीर के कारण होने वािे ििर में राहत धमिती है।

 मूत्रकृच्छ (पेशाब किते समय पिेशानी)


I. सोंठ, कटे िी की जड़, बिा मूि, गोखरू इन सबको िो-िो ग्राम मािा तथा 10 ग्राम गुड़ को 250 धमिीिीटर
Sw

दूि में उबािकर सुबह-शाम पीने से मि-मूि के समय होने वािा ििर ठीक होता है।
II. सोंठ पीसकर छानकर दूि में धमिी धमिाकर कपिाएां।

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 अुंडकोषिृद्धर्द्
I. इसके 10-20 धमिीिीटर रस में िो चम्मच शहि धमिाकर पीने से वातज अांडकोष की वृजद्ध धमटती है।

 कामला (पीललया)
I. अिरक, किफिा और गुड़ के धमिण का सेवन करने से िाभ होता है।

ka
 अवतसाि (दस्त)
I. सोंठ, खस, बेि की कगरी, मोथा, िकनया, मोचरस तथा नेिबािा का काढ़ा िस्तनाशक तथा कपत्त-कफ ज्वर
नाशक है।

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II. िकनया 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम इनका कवधिवत काढ़ा बनाकर रोगी को सुबह-शाम सेवन कराने से िस्त में
काफी राहत धमिती है। Pa
 िातिक्त
I. अांशुमती के काढ़ा में 640 धमिीिीटर दूि को पकाकर उसमें 80 ग्राम धमिी धमिाकर पीने के लिए िें । उसी प्रकार
कपप्पिी और सौंठ का काढ़ा तैयार करके 20 धमिीिीटर प्रात:-शाम वातरक्त के रोगी को पीने के लिए िें ।
hi

 िातशूल
I. सोंठ तथा एरांड के जड़ के काढे े़ में हींग और सौवचरि नमक धमिाकर पीने से वात शूि नष्ट होता है।
es

 सूजन
I. सोंठ, कपप्पिी, जमािगोटा की जड़, धचिकमूि, बायकवडडिंग इन सभी को समान भाग िें और दूनी मािा में
ad

हरीतकी चूणर िेकर इस चूणर का सेवन तीन से छ: ग्राम की मािा में गमर पानी के साथ सुबह करें।
II. सोंठ, कपप्पिी, पान, गजकपप्पिी, छोटी कटे री, धचिकमूि, कपप्पिामूि, हल्िी, जीरा, मोथा इन सभी र्द्व्यों
को समभाग िेकर इनके कपडेे़ से छानकर चूणर को धमिाकर रख िें, इस चूणर को िो ग्राम की मािा में गुनगुने
Sw

पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से कििोष के कारण उत्पन्न सूजन तथा पुरानी सूजन नष्ट होती है।
III. अिरक के 10 से 20 धमिीिीटर रस में गुड़ धमिाकर सुबह-सुबह पी िें। इससे सभी प्रकार की सूजन जल्िी
ही खत्म हो जाती है।

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 शूल (ददद )
I. सोंठ के काढ़े के साथ कािानमक, हींग तथा सोंठ के धमश्रित चूणर का सेवन करने से कफवातज हृियशूि,
पीठ का ििर , कमर का ििर , जिोिर, तथा कवसूधचका आदि रोग नष्ट होते हैं। यदि मि बांि होता है तो इसके
चूणर को जौ के साथ पीना चाकहए।

 सुंधधपीड़ा (जोड़ों का ददद )

ka
I. अिरक के एक कक.ग्रा. रस में 500 धमिीिीटर कति का तेि डािकर आग पर पकाना चाकहए, जब रस
जिकर तेि माि रह जाये, तब उतारकर छान िेना चाकहए। इस तेि की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की
पीड़ा धमटती है।
II. अिरक के रस को गुनगुना गमर करके इससे मालिश करें।

tri
 बुखाि में बाि-बाि प्यास लगना
I.
Pa
सोंठ, कपत्तपापड़ा, नागरमोथा, खस िाि चांिन, सुगन्ि बेिा इन सबको समभाग िेकर बनाये गये काढ़े को
थोड़ा-थोड़ा पीने से बुखार तथा प्यास शाांत होती है। यह उस रोगी को िे ना चाकहए जजसे बुखार में बार-बार
प्यास िगती है।
hi

 कुष्ठ (कोढ़)
I. सोंठ, मिार की पत्ती, अडू सा की पत्ती, कनशोथ, बड़ी इिायची, कुन्िरू इन सबका समान-समान मािा में बने
es

चूणर को पिाश के क्षार और गोमूि में घोिकर बने िेप को िगाकर िूप में तब तक बैठे जब तक वह सूख न
जाए, इससे मण्डि कुष्ठ फूट जाता है और उसके घाव शीघ्र ही भर जाते हैं।
ad

 बुखाि में जलन


I. सोंठ, गन्िबािा, कपत्तपापड़ा खस, मोथा, िाि चांिन इनका काढ़ा ठां डा करके सेवन करने से प्यास के साथ
उल्टी, कपत्तज्वर तथा जिन आदि ठीक हो जाती है।
Sw

 हैजा

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I. अिरक का 10 ग्राम, आक की जड़ 10 ग्राम, इन िोनों को खरि (कूटकर) इसकी कािीधमचर के बराबर गोिी
बना िें। इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ िे ने से हैजे में िाभ पहुांचता है इसी प्रकार अिरक का रस व
तुिसी का रस समान भाग िेकर उसमें थोड़ी सी शहि अथवा थोड़ी सा मोर के पांख की भस्म धमिाने से भी
हैजे में िाभ पहुांचता है।

 इन््लुएुंजा
I. 6 धमिीिीटर अिरक रस में, 6 ग्राम शहि धमिाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें।

ka
 सन्न्नपात ज्िि
I. किकुटा, सेंिानमक और अिरक का रस धमिाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम चटायें।
II. सन्न्नपात की िशा में जब शरीर ठां डा पड़ जाए तो इसके रस में थोड़ा िहसुन का रस धमिाकर मालिश करने

tri
से गरमाई आ जाती है।

 गठठया
Pa
I. 10 ग्राम सोंठ 100 धमिीिीटर पानी में उबािकर ठां डा होने पर शहि या शक्कर धमिाकर सेवन करने से
गदठया रोग दूर हो जाता है।
hi

 िात ददद , कमि ददद तथा जाुंघ औि गृध्रसी ददद


I. एक चम्मच अिरक के रस में आिा चम्मच घी धमिाकर सेवन करने से िाभ होता है।
es

 मालसक-धमद का ददद से होना (कष्टर्त्दि)


I. इस कष्ट में सोंठ और पुराने गुड़ का काढ़ा बनाकर पीना िाभकारी है। ठां डे पानी और खट्टी चीजों से परहेज
ad

रखें।

 प्रदि
Sw

I. 10g सोंठ 250ml पानी में डािकर उबािें और शीशी में छानकर रख िें। इसे 3 सप्ताह तक पीएां।

 हाथ-पैि सुन्न हो जाना

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I. सोंठ और िहसुन की एक-एक गाांठ में पानी डािकर पीस िें तथा प्रभाकवत अांग पर इसका िेप करें। सुबह
खािी पेट जरा-सी सोंठ और िहसुन की िो किी प्रकतदिन 10 दिनों तक चबाएां।

 मसूढ़े फूलना
I. मसूढ़े फूि जाएां तो तीन ग्राम सोंठ को दिन में एक बार पानी के साथ फाांकें। इससे िाांत का ििर ठीक हो जाता
है। यदि िाांत में ििर सिी से हो तो अिरक पर नमक डािकर पीधड़त िाांतों के नीचे रखें।
II. मसूढ़ों के फूि जाने पर 3 ग्राम सूखा अिरक दिन में 1 बार गमर पानी के साथ खायें। इससे रोग में िाभ होता
है। *अिरक के रस में नमक धमिाकर रोजाना सुबह-शाम मिने से सूजन ठीक होती है।

ka
 गला बैठना, श्ाुंस-खाुंसी औि जुकाम
I. अिरक का रस और शहि 30-30 ग्राम हल्का गमर करके दिन में तीन बार िस दिनों तक सेवन करें। िमा-

tri
खाांसी के लिए यह परमोपयोगी है। यदि गिा बैठ जाए, जुकाम हो जाए तब भी यह योग िाभकारी है। िही,
खटाई आदि का परहेज रखें।
Pa
 खाुंसी-जुकाम
I. अिरक को घी में तिकर भी िे सकते हैं। 12 ग्राम अिरक के टु कड़े करके 250 धमिीिीटर पानी में दूि और
शक्कर धमिाकर चाय की भाांकत उबािकर पीने से खाांसी और जुकाम ठीक हो जाता है। घी को गुड़ में डािकर
hi

गमर करें। जब यह िोनों धमिकर एक रस हो जाये तो इसमें 12 ग्राम कपसी हुई सोंठ डाि िें । (यह एक मािा
है) इसको सुबह खाने खाने के बाि प्रकतदिन सेवन करने से खाांसी-जुकाम ठीक हो जाता है।
es

 खाुंसी-जुकाम, लसिददद औि िात ज्िि


I. सोंठ तीन ग्राम, सात तुिसी के पत्ते, सात िाने कािीधमचर 250 धमिीिीटर पानी में पकाकर, चीनी धमिाकर
ad

गमागमर पीने से इन््िुएज


ां ा, खाांसी, जुकाम और लसरििर दूर हो जाता है अथवा एक चम्मच सौंठ, चौथाई
चम्मच सेंिानमक पीसकर चौथाई चम्मच तीन बार गमर पानी से िें।

 गदद न, माुंसपेलशयों एिुं आधे लसि का ददद


Sw

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I. यदि उपरोक्त कष्ट अपच, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए हो तो सोंठ को पीसकर उसमें थोड़ा-सा पानी डािकर
िुग्िी बनाकर तथा हल्का-सा गमर करके पीधड़त स्थान पर िेप करें। इस प्रयोग से आरम्भ में हल्की-सी जिन
प्रतीत होती है, बाि में शाघ्र ही ठीक हो जाएगा।
II. यदि जुकाम से लसरििर हो तो सोंठ को गमर पानी में पीसकर िेप करें। कपसी हुई सौंठ को सूांघने से छीके आकर भी
लसरििर दूर हो जाता है।

 गले का बैठ जाना


I. अिरक में छे ि करके उसमें एक चने के बराबर हींग भरकर कपड़े में िपेटकर सेंक िें। उसके बाि इसको

ka
पीसकर मटर के िाने के आकार की गोिी बना िें। दिन में एक-एक करके 8 गोलियाां तक चूसें।
II. अिरक का रस शहि के रस में धमिाकर चूसने से भी गिे की बैठी हुई आवाज खुि जाती है।
III. आिा चम्मच अिरक का रस प्रत्येक आिा-आिा घांटे के अन्तराि में सेवन करने से खट्टी चीजें खाने के कारण

tri
बैठा हुआ गिा ठीक हो जाता है। अिरक के रस को कुछ समय तक गिे में रोकना चाकहए, इससे गिा साफ
हो जाता है।
Pa
 कफज बुखाि
I. आिा चम्मच कपसी हुई सोंठ 1 कप पानी में उबािें, जब आिा पानी शेष बचे तो धमिी धमिाकर सेवन कराएां।
II. अिरक और पुिीना का काढ़ा िे ने से पसीना कनकिकर बुखार उतर जाता है। शीत ज्वर में भी यह प्रयोग
hi

कहतकारी है। अिरक और पुिीना वायु तथा कफ प्रकृकत वािे के लिए परम कहतकारी है।

 अपच
es

I. ताजे अिरक का रस, नींबू का रस और सेंिानमक धमिाकर भोजन से पहिे और बाि में सेवन करने से अपच
दूर हो जाती है। इससे भोजन पचता है, खाने में रुधच बढ़ती है और पेट में गैस से होने वािा तनाव कम होता
है। कब्ज भी दूर होती है। अिरक, सेंिानमक और कािीधमचर की चटनी भोजन से आिा घांटे पहिे तीन दिन
ad

तक कनरन्तर खाने से अपच नहीं रहेगा।

 पाचन सुंस्थान सम्बन्धी प्रयोग


Sw

I. 6 ग्राम अिरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक िगाकर दिन में एक बार 10 दिनों तक भोजन से पूवर खाएां।
इस योग के प्रयोग से हाजमा ठीक होगा, भूख िगेगी, पेट की गैस कब्ज दूर होगी। मुांह का स्वाि ठीक होगा,
भूख बढे े़गी और गिे और जीभ में धचपका बिगम साफ होगा।

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II. सोंठ, हींग और कािानमक इन तीनों का चूणर गैस बाहर कनकािता है। सोंठ, अजवाइन पीसकर नींबू के रस
में गीिा कर िें तथा इसे छाया में सुखाकर नमक धमिा िें। इस चूणर को सुबह-शाम पानी से एक ग्राम की
मािा में खाएां। इससे पाचन-कवकार, वायु पीड़ा और खट्टी डकारों आदि की परेशाकनयाां दूर हो जाती हैं।
III. यदि पेट फूिता हो, बिहजमी हो तो अिरक के टु कड़े िे शी घी में सेंक करके स्वािानुसार नमक डािकर िो
बार प्रकतदिन खाएां। इस प्रयोग से पेट के समस्त सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं।
IV. अिरक के एक िीटर रस में 100 ग्राम चीनी धमिाकर पकाएां। जब धमिण कुछ गाढ़ा हो जाए तो उसमें िौंग
का चूणर पाांच ग्राम और छोटी इिायची का चूणर पाांच ग्राम धमिाकर शीशे के बतरन में भरकर रखें। एक चम्मच
उबिे दूि या जि के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पाचन सांबिी सभी परेशानी ठीक होती है।

ka
 कणदनाद
I. एक चम्मच सोंठ और एक चम्मच घी तथा 25 ग्राम गुड़ धमिाकर गमर करके खाने से िाभ होता है।

tri
 आुंि
I.
Pa
आांव अथारत् कच्चा अनपचा अन्न। जब यह िम्बे समय तक पेट में रहता है तो अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
सम्पूणर पाचनसांस्थान ही कबगड़ जाता है। पेट के अनेक रोग पैिा हो जाते हैं। कमर ििर , सन्न्िवात, अपच,
नींि न आना, लसरििर आदि आांव के कारण होते हैं। ये सब रोग प्रकतदिन िो चम्मच अिरक का रस सुबह
खािी पेट सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं।
hi

 बाि-2 पेशाब आने की समस्या


I. अिरक का रस और खड़ी शक्कर धमिाकर पीने से बहुमूि रोग की बीमारी नष्ट हो जाती है।
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 शीतवपर्त्
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I. अिरक का रस और शहि पाांच-पाांच ग्रा. धमिाकर पीने से सारे शरीर पर कण्डों की राख मिकर, कम्बि
ओढ़कर सो जाने से शीतकपत्त रोग तुरन्त दूर हो जाता है।
II. अिरक का रस 5 धमिीिीटर चाटने से शीत कपत्त का कनवारण होता है।
Sw

 आधासीसी (आधे लसि का ददद )


I. अिरक और गुड़ की पोटिी बनाकर उसके रस को नाक में डािने से आिासीसी के ििर में िाभ होता है।

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II. आिे लसर में ििर होने पर नाक में अिरक के रस की बूांिें टपकाने से बहुत िाभ होता है।

 गले की खिाश
I. ठां डी के मौसम में खाांसी के कारण गिे में खराश होने पर अिरक के सात-आठ ग्राम रस में शहि धमिाकर,
चाटकर खाने से बहुत िाभ होता है। खाांसी का प्रकोप भी कम होता है।

 अस्थमा के कािण उत्पन्न खाुंसी

ka
I. अिरक के 10 धमिीिीटर रस में 50 ग्राम शहि धमिाकर दिन में तीन-चार बार चाटकर खाने से सिी-जुकाम
से उत्पन्न खाांसी नष्ट होती है। धचककत्सकों के अनुसार अस्थमा के कारण उत्पन्न खाांसी में भी अिरक से िाभ
होता है।

tri
 तेज बुखाि
I. पाांच ग्राम अिरक के रस में पाांच ग्राम शहि धमिाकर चाटकर खाने से बेचैनी और गमी नष्ट होती है।
Pa
 बहिापन
I. अिरक का रस हल्का गमर करके बूांि-बूांि कान में डािने से बहरापन नष्ट होता है।
II. अिरक के रस में शहि, तेि और थोड़ा सा सेंिानमक धमिाकर कान में डािने से बहरापन और कान के अन्य
hi

रोग समाप्त हो जाते हैं।


es

 जलोदि
I. प्रकतदिन सुबह-शाम 5 से 10 धम.िी. अिरक का रस पानी में धमिाकर पीने से जिोिर रोग में बहुत िाभ
होता है।
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 ठुं ड में बाि-बाि मूत्र के ललए जाना


I. िस ग्रा. अिरक के रस में थोड़ा शहि धमिाकर सेवन करने से बहुत िाभ होता है।
Sw

 ज्िि (बुखाि)
I. अिरक का रस पुिीने के क्वाथ (काढ़ा) में डािकर पीने से बुखार में राहत धमिती है।

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II. एक चम्मच शहि के साथ समान मािा में अिरक का रस धमिाकर दिन में 3-4 बार कपिायें।

 ठुं डी के मौसम में आिाज बैठना


I. अिरक के रस में सेंिानमक धमिाकर चाटने से बहुत िाभ होता है।

 सुंधधशोथ (जोड़ों की सूजन)


I. अिरक को पीसकर सांधिशोथ (जोड़ों की सूजन) पर िेप करने से सूजन और ििर जल्ि ही ठीक होते हैं।

ka
II. अिरक का 500 धमिीिीटर रस और 250 धमिीिीटर कति का तेि िोनों को िे र तक आग पर पकाएां। जब
रस जिकर खत्म हो जाए तो तेि को छानकर रखें। इस तेि की मालिश करने से जोड़ों की सूजन में बहुत
िाभ होता है। अिरक के रस में नाररयि का तेि भी पकाकर इस्तेमाि कर सकते हैं।

tri
 अम्लवपर्त् (खट्टी डकािें)
I. अिरक का रस पाांच ग्राम मािा में 100 धमिीिीटर अनार के रस में धमिाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम सेवन
Pa
करने से अम्िकपत्त (खट्टी डकारें) की समस्या नहीं होती है।
II. अिरक और िकनया को बराबर मािा में िेकर पीसकर पानी के साथ पीने से िाभ होता है।
III. एक चम्मच अिरक का रस शहि में धमिाकर प्रयोग करने से आराम धमिता है।
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 िायु विकाि के कािण अुंडकोष िृद्धर्द्


I. वायु कवकार के कारण अांडकोष की वृजद्ध होने पर अिरक के पाांच ग्राम रस में शहि धमिाकर तीन-चार सप्ताह
es

प्रकतदिन सेवन करने से बहुत िाभ होता है।

 दमा
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I. िगभग 1 ग्राम अिरक के रस को 1 ग्राम पानी से सुबह-शाम िेने से िमा और श्वास रोग ठीक हो जाते हैं।
II. अिरक के रस में शहि धमिाकर खाने से सभी प्रकार के श्वास, खाांसी, जुकाम तथा अरुधच आदि ठीक हो
जाते हैं।
III. अिरक के रस में कस्तूरी धमिाकर िे ने से श्वास-रोग ठीक हो जाता है।
Sw

IV. िगभग 1 ग्राम का चौथा भाग जस्ता-भस्म में 6 धम.िी. अिरक का रस और 6 ग्राम शहि धमिाकर रोगी को
िे ने से िमा और खाांसी दूर हो जाती है।

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V. अिरक का रस शहि के साथ खाने से बुढ़ापे में होने वािा िमा ठीक हो जाता है।
VI. अिरक की चासनी में तेजपात और पीपि धमिाकर चाटने से श्वास-निी के रोग दूर हो जाते हैं।
VII. अिरक का धछिका उतारकर खूब महीन पीस िें और छु आरे के बीज कनकािकर बारीक पीस िें। अब इन
िोनों को शहि में धमिाकर ककसी साफ बड़े बतरन में अच्छी तरह से धमिा िेते हैं। अब इसे हाांडी में भरकर
आटे से ढक्कन बांि करके रख िें । जमीन में हाांडी के आकार का गड्ढा खोिकर इस गड्ढे में इस हाांडी को रख
िें और 36 घांटे बाि साविानी से धमट्टी हटाकर हाांडी को कनकाि िें। इसके सुबह नाश्ते के समय तथा रात में
सोने से पहिे एक चम्मच की मािा में सेवन करें तथा ऊपर से एक कगिास मीठा, गुनगुने दूि को पी िेने से
श्वास या िमा का रोग ठीक हो जाता है। इसका िो महीने तक िगातार सेवन करना चाकहए।

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VIII. अिरक का रस, िहसुन का रस, ग्वारपाठे का रस और शहि सभी को 50-50 ग्राम की मािा में िेकर चीनी
या धमट्टी के बतरन में भरकर उसका मुह
ां बांि करके जमीन में गड्ढा खोिकर गाड़कर धमट्टी से ढक िे ते हैं। 3 दिन
के बाि उसे जमीन से बाहर कनकाि िेते हैं। इसे 3-3 ग्रा. की मािा में प्रकतदिन रोगी को सेवन कराने से 15

tri
से 30 दिन में ही यह िमा धमट जाता है।

 ब्रोंकाइठटस
Pa
I. 15 ग्राम अिरक, चार बािाम, 8 मुनक्का- इन सभी को पीसकर सुबह-शाम गमर पानी से सेवन करने से
ब्रोंकाइदटस में िाभ धमिता है।

 गीली खाुंसी
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I. अिरक का रस और शहि बराबर मािा में धमिाकर एक-एक चम्मच की मािा में िेकर थोड़ा सा गमर करके
दिन में 3-4 बार चाटने से 3-4 दिनों में कफ वािी गीिी खाांसी दूर हो जाती है।
es

II. अिरक का रस 14 धमिीमीटर िेकर बराबर मािा में शहि के साथ धमिाकर दिन में िो बार िेना चाकहए।

 काली खाुंसी
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I. अिरक के रस को शहि में धमिाकर 2-3 बार चाटने से कािी खाांसी का असर खत्म हो जाता है।

 बालों के िोग
Sw

I. अिरक और प्याज का रस सेंिानमक के साथ धमिाकर गांजे लसर पर मालिश करें, इससे गांजेपन से राहत
धमिती है।
II. अिरक के टु कडेे़ को गांजे लसर पर मालिश करने से बािों के रोग धमट जाते हैं।

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 साधािण खाुंसी
I. सािारण खाांसी में अिरक का रस कनकािकर उसमें थोड़ा शहि और थोड़ा सा कािा नमक धमिाकर चाटने
से िाभ धमिता है।
II. अिरक का रस और तािीस-पि को धमिाकर चाटने से खाांसी ठीक हो जाती है।
III. कबना खाांसी के कफ बढ़ा हो तो अिरक, नागरबेि का पान और तुिसी के पत्तों का रस कनकािकर उसमें
शहि धमिाकर सेवन करने से कफ दूर हो जाता है।
IV. अिरक के रस में इिायची का चूणर और शहि धमिाकर हल्का गमर करके चाटने से साांस के रोग की खाांसी

ka
दूर हो जाती है।
V. एक चम्मच अिरक के रस में थोड़ा सा शहि धमिाकर चाटने से खाांसी मे बहुत ही जल्ि आराम आता है।

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 इुं्लुएन्जा के ललए
I. अिरक, तुिसी, कािीधमचर तथा पटोि (परवि) के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करें। *3 ग्राम अिरक या
Pa
सोंठ, 7 तुिसी के पत्ते, 7 कािीधमचर, जरा-सी िािचीनी आदि को 250 धमिीिीटर पानी में उबािकर चीनी
धमिाकर गमर- गमर पीने से इां्िुएन्जा, जुकाम, खाांसी और लसर में ििर दूर होता है।

 कफयुक्त खाुंसी, दमा


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I. अिरक का रस रोजाना 3 बार 10 दिन तक कपयें। खाांसी, िमा के लिए यह बहुत उपयोगी होता है। पिहेज:-
खटाई और िही का प्रयोग न करें।
II. 12 ग्राम अिरक के टु कड़े करके एक कगिास पानी में, दूि, शक्कर, धमिाकर चाय की तरह उबािकर पीने
es

से खाांसी, जुकाम ठीक हो जाता है।


III. आठ कािीधमचर स्वािानुसार नमक और गुड़, चौथाई चम्मच कपसी हुई सोंठ एक कगिास पानी में उबािें। गमर
होने पर आिा रहने पर गमर-गमर सुहाता हुआ कपयें। इससे खाांसी ठीक हो जाएगी।
ad

IV. 10 ग्राम अिरक को बारीक-बारीक काट कर कटोरी में रखें और इसमें 20 ग्राम गुड़ डािकर आग पर रख
िें । थोड़ी िे र में गुड़ कपघिने िगेगा। तब चम्मच से गुड़ को कहिाकर-धमिाकर रख िेते हैं। जब अच्छी तरह
कपघिकर िोनों पिाथर धमि जाएां तब इसे उतार िेते हैं। इसे थोड़ा सा गमर रहने पर एक या िो चम्मच चाटने
Sw

से कफयुक्त खाांसी में आराम होता है। इसे खाने के एक घांटे बाि तक पानी नहीं पीना चाकहए या सोते समय
चाटकर गुनगुने गमर पानी से कुल्िा करके मुांह साफ करके सो जाना चाकहए। यह बहुत ही िाभप्रि उपाय है।
V. 5 धमिीिीटर अिरक के रस में 3 ग्राम शहि को धमिाकर चाटने से खाांसी में बहुत ही िाभ धमिता है।

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VI. 6-6 धम.िी. अिरक और तुिसी के पत्तों का रस तथा 6 ग्राम शहि को धमिाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने
से सूखी खाांसी में िाभ धमिता है।

 वनमोवनया
I. एक-एक चम्मच अिरक और तुिसी का रस शहि के साथ िे ने ये कनमोकनया का रोग दूर होता है।
II. अिरक रस में एक या िो वषर पुराना घी व कपूर धमिाकर गमर कर छाती पर मालिश करें।

 अफािा (गैस का बनना)

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I. 3g अिरक, 10g कपसा हुआ गुड़ के साथ सेवन करने से आध्यमान (अफारा, गैस) को समाप्त करता है।

 सदी, जुकाम औि खाुंसी

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I. अिरक की काढ़ा जुखाम, खाांसी, और सिी के दिनों में बहुत िाभप्रि है। तीन ग्राम अिरक और 10 ग्राम गुड़
िोनों को पाव भर पानी में उबािें, 50 धम.िी. शेष रह जाने पर छान िें और थोड़ा गमर-गमर ही पीकर कांबि
Pa
ओढ़कर सो जायें। ध्यान दे :- यह काढ़ा काफी गमर होता है। अत: प्रकतदिन इसका सेवन नहीं करना चाकहए।
सािारण िशा में गुड़ के स्थान पर बूरा या डिश्री डाि सकते हैं तथा दूि भी धमिा सकते हैं।
II. अिरक 10 ग्राम काटकर िगभग 200 धमिीिीटर गमर पानी में उबािकर एक चौथाई रह जाने पर छान िेते
हैं। इसमें खाांड धमिे एक कप कम गमर दूि में धमिाकर सुबह-शाम सेवन करने से जुकाम और खाांसी नष्ट हो
hi

जाती है।

 ितौंधी
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I. अिरक और प्याज का रस धमिाकर सिाई से दिन में 3 बार आांखों में डािने से रतौंिी ठीक हो जाता है।
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 मसूढ़ों से खून आना


I. मसूढ़े में सूजन हो या मसूढ़ों से खून कनकि रहा हो तो अिरक का रस कनकािकर इसमें नमक धमिाकर
प्रकतदिन सुबह-शाम मसूढ़ों पर मिें। इससे खून का कनकिना बांि हो जाता है।
Sw

 कब्ज (कोष्ठबद्वता)
I. अिरक का रस 10 धमिीिीटर को थोड़े-से शहि में धमिाकर सुबह पीने से शौच खुिकर आती है।

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II. एक कप पानी में एक चम्मच भर अिरक को कूटकर पानी में 5 धमनट तक उबाि िें। छानकर पीने से कब्ज
नहीं रहती है।
III. अिरक, फूिा हुआ चना और सेंिानमक धमिाकर सेवन करने से िाभ होता है।

 िमन (उल्टी)
I. एक चम्मच अिरक का रस, एक चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच पानी को धमिाकर पीने से उल्टी आना
बांि हो जाती है।
II. 5 धमिीिीटर अिरक के रस में थोड़ा सा सेंिानमक और कािीधमचर का चूणर धमिाकर पीने से उल्टी आना

ka
बांि हो जाती है।
III. एक चम्मच अिरक का रस िेकर उसमें थोड़ा सा सेंिानमक और कािीधमचर डाि िें और चाटने से उल्टी
आना रुक जाती है। अगर जरूरत पड़े तो 1 घांटे के बाि पहिे की तरह 1 बार और िें।

tri
IV. 10 धम.िी. अिरक के रस में 10 धम.िी. प्याज का रस धमिाकर पीने से जी धमचिाना (उबकाई) और उल्टी
आने का रोग दूर हो जाता है।
V.
Pa
अिरक का रस, तुिसी का रस, शहि और मोरपांख के चांिोवे की राख को एक साथ धमिाकर खाने से उल्टी
आना बांि हो जाती है।
VI. अिरक और प्याज के रस को बराबर मािा में िेकर पीने से उल्टी होना बांि हो जाती है।
VII. 20-20 ग्राम अिरक, प्याज, िहसुन और नींबू के रस को धमिाकर इनका 2 चम्मच रस 125 धमिीिीटर
पानी में धमिाकर इसके अांिर 1 ग्राम मीठा सोड़ा डािकर पीने से उल्टी के रोग में िाभ होता है।"
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 अवतक्षुधा िस्मक (िूख अधधक लगना)


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I. 50-50धम.िी. अिरक, नींबू के रस में िाहौरी नमक कपसा धमिाकर तीन दिन िूप में रख िें । भोजन के बाि
सुबह-शाम 1-1 चम्मच पीने से भूख िगने िगती है और भोजन पच जाता है।
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 गैस
I. अिरक का रस एक चम्मच, नींबू का रस का आिा चम्मच और शहि को डािकर खाने से पेट की गैस में
िीरे-िीरे िाभ होता है।
Sw

 दस्त (अवतसाि)

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I. रात को सोने से पहिे अिरक को पानी में डाि िें , सुबह इसे कनकािकर साफ पानी के साथ पीसकर घोि
बनाकर 1 दिन में 3-4 बार पीने से िस्त समाप्त हो जाता है।
II. एक चम्मच अिरक के रस को उतना गमर करके पीना चाकहए जजतना कपया जा सके ऐसा करने से पतिे िस्त
का आना बांि हो जाता है।
III. अिरक का रस नाश्रभ पर िगाने से िस्त में राहत धमिती है।
IV. एक चम्मच अिरक के रस को आिा कप उबािे हुऐ पानी में डािकर 1 घण्टे के अन्तराि के बाि पीने से
पतिे िस्त का आना बांि हो जाता है।
V. अिरक के रस में सेंिानमक धमिाकर चाटें ।

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VI. 2 धम.िी. अिरक के रस को आिे कप गमर पानी के साथ पीने से िस्त में िाभ धमिता है।
VII. उड़ि के आटे को नाश्रभ के चारों िगाकर उसमें अिरक का रस भरने से रोगी को िाभ धमिता है।

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 गिदिती स्त्री की उल्टी औि जी का धमचलाना
I. अिरक का रस 10 धमिीिीटर, प्याज का रस 10 धमिीिीटर धमिाकर सुबह-शाम सेवन करने से उल्टी और
जी का धमचिाना बांि हो जाता है।
Pa
 कान का ददद
I. अिरक, सहजन की छाि, करेिा, िहसुन में से ककसी भी चीज का रस कनकािकर गुनगुना करके कान में
डािने से कान का ििर ठीक हो जाता है।
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