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Aananas Ke Fayde
Aananas Ke Fayde
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III. भोजन के बाद यदद पेट फूल जाये, बैर्ेनी हो तो अनन्नास के 20-50 ग्राम रस के सेवन से लाभ होता है।
IV. अनन्नास और खजूर के टु कड़े बराबर-2 लेकर उसमें घी और शहद डमलाकर कांर् के बरतन में भरकर रखें।
इसे त्रनत्य 6 या 12 ग्राम की मािा में खाने से बहुमूि रोग दूर होता है और शलि बढ़ती है।
II. अनन्नास के िोटे -िोटे टु कड़ों पर पीपर का र्ूर्च डिड़कर खाने से बहुमूि का रोग दूर हो जाता है। पके
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अनन्नास का डिलका और उसके भीतर का अंश त्रनकालकर शेष भाग का रस त्रनकाल लें त्रफर इसमें जीरा,
जायफल, पीपर कालानमक और थोड़ा-सा अम्बर िालकर पीने से भी बहुमूि का रोग डमटता है।
III. अनन्नास के टु कड़ों पर पीपर का र्ूर्च िालकर खाने से बहुमूि के त्रवकार में बहुत लाभ होता है।
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अनन्नास का मुरब्बा
I. पके अनन्नास के ऊपर का डिलका और बीर् का सख्त त्रहस्सा त्रनकाल लें, उसके बाद फल के िोटे -िोटे
टु कड़े करके उन्हें एक ददन र्ूने के पानी में रखें। दूसरे ददन उन्हें र्ूने के पानी में से बाहर त्रनकालकर सुखा दें ।
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स्वदे शी पत्रिका
उसके बाद र्ीनी की र्ाशनी बनाकर अनन्नास के टु कड़ों को उसमें िाल दें । इसके बाद नीर्े उतार लें और
ठं िा होने पर उसमें थोड़ी-सी इलायर्ी पीसकर, थोड़ा गुलाब जल को िालकर मुरब्बा बनाकर सुरक्षित रख
लें। यह मुरब्बा त्रपत्त का शमन करता है और मन को प्रसन्न करता है।
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रोकहर्ी या कण्ठ रोकहर्ी
I. अनन्नास का रस रोत्रहर्ी की झिल्ली को काट दे ता है, गले को साफ रखता है। इसकी यह प्रमुख प्राकृत्रतक
औषडध है। ताजे अनन्नास में पेप्ससन त्रपत्त का एक प्रधान अंश होता है झजसमें गले की खराश में लाभ होता
है।
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सूजन
I. शरीर की सूजन के साथ पेशाब कम आता हो, एल्बब्युडमन मूि के साथ जाता हो, मंदाग्नन हो, आंखों के आस-
पास और र्ेहरे पर त्रवशेष रूप से सूजन हो तो ऐसी दशा में त्रनत्यप्रत्रत अनन्नास खायें और खाने में लसफच दूध
पर रहें। तीन ससताह में लाभ हो जाएगा।
II. 100 ग्राम की मािा में रोजाना अनन्नास का जूस (रस) पीने से यकृत वृझि के कारर् होने वाली सूजन खत्म
हो जाती है।
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III. रोजाना पका हुआ अनन्नास खाने और भोजन में केवल दूध का प्रयोग करने से पेशाब के कम आने के कारर्,
यकृत बढ़ने के कारर्, भोजन के अपर् आदद कारर्ों से आने वाली सूजन दूर हो जाती है। ऐसा लगभग 21
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शक्तिवर्द्ण क
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स्वदे शी पत्रिका
I. अनन्नास घबराहट को दूर करता है। सयास कम करता है, शरीर को पुष्ट करता है और तरावट दे ता है। खांसी-
जुकाम नहीं करता। ददल और ददमाग को ताकत दे ता है। अनन्नास का रस पीने से शरीर के अस्वस्थ अंग
स्वस्थ हो जाते हैं। गर्मियों में अनन्नास का शबचत पीने से तरी, ताजगी और ठं िक डमलती है, सयास बुिती है,
पेट की गमी शांत होती है, पेशाब खुलकर आता है पथरी में इसीललए यह लाभकारी है।
फुन्न्सयां
I. अनन्नास का गूदा फुप्न्सयों पर लगाने से लाभ होता है।
मोटापा होने पर
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I. प्रत्रतददन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है, लयोंत्रक अनन्नास वसा (र्बी) को नष्ट करता है।
अम्लकपत्त की कवकृकत
I. अनन्नास को िीलकर बारीक-बारीक टु कड़े करके, उनपर कालीडमर्च का र्ूर्च िालकर खाने से अम्लत्रपत्त
की त्रवकृत्रत नष्ट होती है।
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खून की कमी (रिाल्पता)
I. यदद शरीर में खून की कमी हो तो अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है। अनन्नास से रिवृझि
होती है और पार्न त्रिया तीव्र होने से अडधक भूख लगती है।
I. कुि ददनों तक सुबह-शाम अनन्नास का रस त्रपलाएं। इससे कीिेे़ शीघ्र नष्ट होते हैं।
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गुर्दे की पथरी
I. अनन्नास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है।
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स्मरर्शक्ति
I. अनन्नास के रस के सेवन से स्मरर्शलि त्रवकलसत होती है।
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III. अनन्नास के रस में मुलेठी, बहेड़ा और डमश्री डमलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
I. अनन्नास के पत्तों के काढ़े में बहेड़ा और िोटी हरड़ का र्ूर्च डमलाकर दे ने से दस्त और मूि साफ होकर,
जलोदर में आराम होता है।
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