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Akbar and Birbal (Illustrated) (Hindi) (Hindi Edition)
Akbar and Birbal (Illustrated) (Hindi) (Hindi Edition)
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Edition: 2015
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महे शदास ने कहा, “मेरे पास अभी तो कुछ भी नहीं हे | िकंतु म वादा करता ं िक
जो कुछ भी मुझे बादशाह से उपहार के प म िमलेगा, उसम से म तु े आधा दे
दू ं गा |“ दारपाल जानता था िक बादशाह एक उदार ह | वह अकसर उ
दे खने के िलए आने वालों को मंहगे उपहार िदया करते ह | इसिलए दारपाल
ज ी से सहमत हो गया |
“बीरबल ने उतर िदया , जूर ! प के अनुसार यह िपंजरा िबना खोले इसे खाली
करना था | लेिकन यह नहीं कहा गया था िक शेर को बरकरार रखना है | मने बस
यह सोचने की कोिशश की यह लाख का भी बना हो सकता है | ”
बीरबल ने कहा , "जहां पनाह! म कोई मज़ाक नहीं कर रहा| दु िनया की सड़कों के
केवल दो ही मोड होते ह| एक दायीं और दू सरा बायीं और|" यह सुनकर स ाट
ज़ोर से हं स पड़े | यह तो ब त ही आसान सा जवाब था और मने इसके बारे म
सोचा ही नहीं| उ ोंने बीरबल को सुंदर सा उपहार िदया और शाही किव को
फारस के राजा के पास इसका जवाब भेजने को कहा|
असली मां
स ाट का कत पृ ी पर भगवान की छाया के प म काम करते ए अपने
रा म शां ित व था थािपत करना, कमजोरों की र ा करना और दु ों को दं ड
दे ना होता है । अकबर को अपनी िन ता पर गव था। आ खरकार वह शहं शाह
था। दु िनया उसकी शरण म थी।
इस पर दू सरी औरत ने चीखकर अकबर से कहा, "मेरे भगवान! यह झूठ बोल रही
है । यह मेरा पु है और म इसकी मां ं । यह औरत इस तरह की कहािनयां
सुनाकर मेरे पु को ले जाना चाहती है ।"
िकंतु एक िदन जब वह औरत सुबह सोकर उठी तो उसे वह हार कहीं नहीं मोला |
उसने हार को ब त ढू ं ढा, पर हार कहीं िदखाई नहीं िदया | इस कार उसने यह
िन ष िनकाला िक हार चोरी हो गया है |
बीरबल ने कहा, “यहा कोई मामूली छिड़यां नहीं ह | चोर की छड़ी रातभर म दो
इं च बढ़ जाएगी | इसिलए म कल जब तु ारी इन छिड़यों को नापुंगा, तो मुझे पता
चल जाएगा िक चोर कौन है |”
यह सुनकर ापारी है रान हो गया, िक ु उसने कुछ नहीं कहा | अगले िदन
नौकरों ने बीरबल को छिड़यां वापस कर दीं | बीरबल ने एक-एक करके छिड़यों
को नापा और ापारी से कहा, "तु ारा रसोइया चोर है |"
हर कोई है रान था | ापारी ने कहा, "तुम ऐसा कैसे कहा सकते हो |" बीरबल ने
उ र िदया, "मने इसको जो छड़ दी थी, वह दो इं च छोटी है | इसने सोचा ोंिक
यह चोर है , इसिलए इसकी छोड़ी दे इं च बढ़ जाएगी | इसिलए इसने इसे दो इं च
काट िदया तािक पकड़ा न जाए |"
ापारी बोला, "तु ारी िह त कैसे हे मुझे चोर कहने की | यह मेरे पैसों का
थैला है | म दु कान से अपने साथ लाया था |"
कसाई ने कहा,"म तुम पर कैसे िव ास कर लू की तुम ने मेज से मेरा थैला नहीं
िलया है | ापारी ने उ र िदया ,"म तुम पर कैसे िव ास कर लू की तुम मेज पर
थैला छोडकर गए थे| ये सब तुम इसिलए बता रहे हो, तािक म मजबूर होकर
आओना थैला तु दे दू ँ |"
कसाई और ापारी की लड़ाई बाहर तक आ गई| ब त से लोग उनके चारों और
ईकट् ठे हो गये| आ खकर िकसी ने उ बीरबल के पास जाने का सुझाव यह
कहकर िदया िक उसके पास इस सम ा का हल िमल जाएगा| इसिलए ापारी
और कसाई बीरबल के पास गये|
बीरबल ने ान से पैस को जां चा परखा। िफर उसने ापारी से कहा, " ा तुम
खून का ापार करते हो?" ापारी हे रान ता। उसने कहा, "नहीं ीमान म तो
अनाज का ापार करता ं । म ब त ादा खून दे खकर डर जाता ं और मुझे
च र आने लगते ह। म इससे िजतना ादा हो सके दू र रहने की कोिशश करता
ं ।" बीरबल मु राया और उसने थैला कसाई के हाथों म रख िदया। बीरबल ने
कहा, "थैले पर खून के ध े ह। कुछ िस ों पर भी खून के ध े लगे ए ह।
अगर आपको खून से इतना ही डर लगता है , तो यह बैग आपका नहीं हो सकता
है ।"
ायाधीश ने थैला अपने पास रख िलया । मिहला उसने िवदा लेकर तीथया ा पर
चली गई। इक महीने बाद मिहला वापस लौटी , तब वह सीधे ायाधीश के पास
गई और उसने थेला वापस ले िलया । िकंतु जब वापस घर आकर उसने थैले की
सील थोड़ी , तो उसने ढे खा की थैला पा रों से भरा आ था। उसका सोना गायब
था।
अकबर ने ायाधीश को बुलाया और उसे पैसे वापस करने को कहा। िफर उसने
ायाधीश को धोखाधड़ी करने के कारण पचास कोड़े मारने का आदे श िदया।
ापारी ने कहा, "सही कहा मेरे भु। यह िच कहीं से भी मेरे जैसा नहीं लगता।"
बीरबल ने ह रनाथ से कहा, " ठीक है ह रनाथ! तुम इस आदमी का दू सरा िच
बनऔ जैसे की तुमको पसंद हो। िफर वह ापारी की ओर घूमा और बोला,
"कृपया आप कल आना और अपना िच ा कर लेना। िकंतु आपको एक हजार
सोने के िस े अदा करने होंगे, ोंिक मने दे खा है िक ह रनाथ जब कोई िच
बनाता है तो उसम कोई लगती नहीं होती।" ापारी ने सोचा िच कार एक िदन म
जो िच बनाएगा, उसम ब त गलितयां होंगी। मुझे गलितयां ढू ढ़ने म ादा मेहनत
नहीं करनी पड़गी।
वह बोले, "मेरे िपता ने और ा कहा ? मुझे सब कुछ बताओ |" नाई ने कहा,
"जहां पनाह! उ ोंने कहा िक वह ठीक ह, िकंतु थोड़ा ब त ऊब गए ह | वह बोले,
यिद आप बीरबल को वहां भेज दगे तो वह उ ब त खुश रखेगा | वह ग से
बीरबल को दे खते ह और उसकी बु और हा की शंसा करते ह |"
स ाट ने तुरंत आदे श िजया िक नाई को िजंदा दफन करके ग भेजा जाए | नाई
अकबर के पैरों म िगर गया और मा मां गने लगा | इसके बाद उसने सब कुछ
कबूल कर िलया |
अकबर ने यह योजना बनाने वाले सभी मंि यों को िनकाल िदया और नाई को दस
कोड़े मारने का दं ड िदया |
सु र धोखा
एक बार बादशाह अकबर के शहर म एक रहता था | उसके जीने का
तरीका अजीब था | वह लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे कमाता था | एक बार वह
बाजार मेन एक ब त अमीर ापारी से िमला, जो बाहरी दे श से आया आ था |
वह इस शहर म नया था | इसिलए जब धोखेबाज ने उसे अपने घर रात के भोजन
के िलए आमंि त िकया, तो ापारी ने इस उ ीद से आमं ण ीकार कर िलया
िक इस नये शहर म उसके नये दो बन जाएं गे |
ापारी पूरी तरह िमत था | उसने कहा,” म नहीं जानता िक तुम िकस बारे म
बात कर रहे हो |” धोखेबाज बोला,” आपने मेरा हीरा चोरी कर िलया है | म उसे
वापस चाहता ं |” ापारी ने कहा,” िम म नहीं जानता िक तुम िकस हीरे की बात
कर रहे हो | मुझे िब ु ल पता नहीं है |”
नाई ने अपने जीवन म कभी हीरा नहीं दे खा था | उसके िपता ने उसे बताया था िक
नाई का हीरा उसका उ रा होता है | इसिलए उसने िमटटी को उ रो की तरह
आकार दे िदया |"
कलाकर ने कहा, "जहां पनाह! ये गुिड़या बेचने के िलए नहीं ह। बेशक म आपको
ये उपहार के प म दे दू ं गा यिद आपको दरबार म कोई यह बता दे की तीनों म
से अ ी कौन सी है ।" यह एक अजीब पहे ली थी। अकबर ने गुिड़यों को उठाया
और करीब से दे खा। िकंतु तीनों गुिड़यों म इतनी समानता थी िक अकबर यह नहीं
कह सका िक कौन सी अ ी है । तब उसके ेक मं ी ने इस पहे ली को
सुलझाने िक कोिशश की, परं तु वे असफल रहे ।
अकबर ने बीरबल को बुलाकर कहा, "ि य बीरबल तुम ों नहीं कोिशश करते।
मुझे िव ास है िक तुम इस पहे ली को हल कर लोगे।" बीरबल अकबर की ओर
स ान से झुका और गुिड़यों के पास गया। उसने ेक गुिड़या को हाथ म
उठाया और बड़ी बारीकी से उनको दे खा। हर कोई आ यचिकत था। उसने एक
गुिड़या के कान मे फूंक मारी। हवा उसके दू सरे कान से बाहर आ गई। िफर उसने
दू सरी गुिड़या को कान म फूंक मारी, िकंतु इस बार हवा उसके मुंह से िनकली|
जब बीरबल ने तीसरी गुिड़या के कान म फूंक मारी तो हवा कहीं से भी बाहर नहीं
िनकली|
बीरबल ने कहा, "जहां पनाह! यह तीसरी गुिड़या ही इन तीनों म सबसे अ ी है |"
अकबर है रान हो गया| उसने कहा, "तुमने यह कैसे जान िलया?"
जब मने दू सरी गुिड़या के कान म फूंक मारी, तो वह उसके मुंह से बाहर िनकल
गयी| ऐसे ही कुछ जो कुछ सुनते ह, उसे शी ही दू सरे को बता दे ते
ह| ऐसे कभी रह को छु पाकर नही रख सकते| िकंतु जब तीसरी गुिड़या
के कान म फूंक मारी, तो हवा कहीं से भी बाहर नहीं आई| इस तरह के
अ े होते ह, जो रह को छु पकर रखते ह| आप इ कोई भी रह की बात
बता सकते ह|
कलाकार ने कहा, "मने अभी तक केवल बीरबल के बारे म सुना था, िकंतु आज
मने इसे दे ख भी िलया| जहां पनाह, ये गुिड़या आपकी ह|"
तानसेन ने कहा , " मेरे मािलक ! िफर तो आपको मेरे गु ामी ह रदास को
ज र सुनना चािहए । वह मुझसे ब त अ ा गाते ह । "
तानसेन ने कहा, "मेरे मािलक! ामी ह रदास कभी दरबार म नहीं आते है और न
ही वह आपके िलए गायगे। िकंतु यिद आप मेरे साथ उनके घर जाएं गे, तो आप
उनका संगीत सुन सकते ह।“ अकबर, बीरबल तानसेन के साथ ामी ह रदास के
घर जाने को राजी हो गए।
अकबर ामी ह रदास के घर कुछ िदनों तक के िकंतु गु ने उस बीच म कुछ
भी नहीं गाया। अकबर अधीर हो रहे थे। उ ोंने तानसेन को बुलाया और कहा,
“ ामी ह रदास कब गायगे? म यहां चार िदन से ं िकंतु अब तक उ ोंने संगीत
का एक श तक नहीं गाया। लगता है मुझे िबना संगीत सुने ही वापस महल म
जाना होगा।“
बीरबल बोला, "जहां पनाह! ोंिक तानसेन आपको खुश करने के िलए गाता है
और ामी ह रदास भगवान को खुश करने के िलए गाते ह।"
भगवान और भ
अकबर एक मु म शासक थे, परं तु वह समान प से सभी धम का स ान
करते थे और भगवान के बारे म अिधक जानने के िलए उ ुक रहते थे। एक िदन
उ ोंने बीरबल से पूछा, " ा यह सच है िक िहं दू पौरिणक कथाओं म दे वताओं म
से एक दे वता ने हाथी को बचाया था, िजसने मदद के िलए उनसे ाथना की थी?"
राजकुमार अ र अपने एक सेवक के साथ शाम को सैर के िलए जाते थे। बीरबल
ने चतुराई से उस सेवक से दो ी कर ली और उसे िकसी को भी बताने के िलए
मना िकया िक वे दो थे। िफर वह मोम का एक पुतला लेकर आया, जो िब ु ल
राजकुमार की तरह िदखता था। एक शाम जब राजकुमार सो रहा था, तब बीरबल
ने राजकुमार के बजाय सैर के िलए पुतले को ले जाने को सेवक से कहा। सेवक ने
वैसा ने ही िकया, जैसा बीरबल ने कहा था।
थोड़ी दे र बाद वह सेवक अकबर के पास दौड़ते ए आया और बोला, "जहां पनाह!
ज ी चिलए, राजकुमार तालाब म िगर गए ह। वह तैरना नहीं जानते ह। "
अकबर ने नाराज होकर बीरबल से पूछा, "यह िकस तरह का मजाक है ?" बीरबल
ने कहा, "जहां पनाह! आप खुद ों इस तालाब म कूदे ? आप राजकुमार को
बचाने के िलए सेवक को भी भेज सकते थे। आप के पास तो ब त सारे सेवक ह,
ा ऐसा नहीं है ?"
अकबर ने कहा, "इससे बेहतर मुझे कोई और नहीं समझा सकता था। अब म
समझ गया।"
भगवान से महान
एक िदन बादशाहा अकबर ने अपने कुछ खास िम ों को दावत के िलए आमंि त
िकया | बीरबल भी वहां थे | कई कार के लजीज ंजन परोसे गए थे और सभी ने
दावत का लु िलया |
जैसे ही कहानीकार ने यह बात कही, दरबार म स ाटा छा गया | मंि यों ने सोचा,"
ई र से महान? एक हं सन ई र से महान कैसे हो सकता है ?" कहानीकार ने जो
कुछ भी कहा, उसे सुनकर अकबर ब त खुश आ | हालां िक वह जानता था िक
कहानीकार शंसा के साथ कुछ ादा ही बोल गया, पर अपने आसपास के चेहरों
को है रान दे खकर हं सने लगा | उसने कुछ मजा लेने का सोचा |
जब कहानीकार जला गया, तब बादशाह अपने मेहमानों और मंि यों की तरफ
मुड़ा और बोला, "उस आदमी ने जो कुछ भी कहा है , ा आप सभी उससे
सहमत ह? ा आपको लगता है िक म ई र से महान ं ?"
इस कार , भले ही लोग यूसुफ से नफरत कराते थे, पर उसकी कहानी दू र-दराज
तक िस थी | यह अफवाह अकबर के कानों तक भी प ं ची | वह जां चना
चाहता था िक ा लोगों का कहना सच है | उ ोंने यूसुफ को दरबार म बुलाया
और उससे िवन ता से बात िक |लेिकन उसी व एक दू त ने दरबार म आकार
अकबर को सूिचत िकया िक बेगम गंभीर प से बीमार ह | उस दू त ने कहा,
"जहां पनाह! आपसे अनुरोध है िक आप तुरंत रानी सािहबा के क म चल| रानी
सािहबा बेहोश हो गई ह और िचिक कों को इसका कारण समझ नहीं आ रहा है
|"
अकबर बेगम के पास भागे| वे पूरी दोपहर उनके िब र के बगल म बैठे रहे |
शाम को जब रानी सािहबा िफर से बेहतर महसूस करने लगी, तब अकबर दरबार
म लौट आये| यूसुफ अभी भी उनका इं तजार कर रहा था |
यूसुफ को दे खते ही अकबर को गु ा आ गया | वे गरजे, "तो सारी अफवाह सच
ह| तुम वा व म मन स हो| तुमने बेगम को बीमार बना िदया है |" उसने जेल के
पहरे दारों को यूसुफ को ले जाने का आदे श दे िदया|
बेचारे यूसुफ के पास और कोई चारा नहीं था| वह जोर से िच ाया और पहरे दारों
से छोड़ने की वीनती की| बादशाह का िनणय ब त अनुिचत था| लेिकन दरबार म
कोई भी स ाट के िवरोध म कुछ भी कहने की हे त नहीं कर पाया|
अचानक बीरबल वहां गया, जहां यूसुफ खड़ा आ था, और उसके कान म कुछ
फुसफुसाया| यूसुफ बादशाह के सामने झुककर बोला, "जहां पनाह म कैदखाने म
जाने को तैयार ं , पर आप मेरे एक सवाल का जवाब दीिजए, "यिद मेरे चेहरे को
दे खकर रानी बीमार हो गई ह, तो मेरा चेहरा आपने भी दे ख है , तो आप बीमार
ों नहीं ए |" अकबर को अपनी गलती का एहसास हो गया| उसने यूसुफ को
जाने िदया और खजाने म से सोने का एक थैला उसे भट िकया| एक बार िफर
दरबार म बैठे लोगों ने बीरबल के ान और बु की शंसा की|
बीरबल की खचड़ी
अकबर के शहर फतेहपुर िसखरी म सिदयों के दौरान काफी ठं ड पड़ती थी| एक
बार, बादशाह ने यह घोषणा करवा दी िक वह सोने के हजार स े उसे दगे जो
शाही महल के बाहर थत ठं डी झील म पूरी रात खड़े होने की िह त करे गा|
एक िदन घोड़ो का एक ापारी महल म आया। उसके पास बेचने के िलए घोड़ों
का एक समूह था। बादशाह बाहर आए और घोड़ों को दे खा।
"जहां पनाह! ऐसा इसिलए ोंिक आप सभी लोगों म सबसे बड़े मूख ह।" बीरबल
ने कहा।
"तु ारी इतनी िह त कैसे ई.. ?" अकबर ने बीरबल के श ों से आहात होते
ए कहा।
अकबर समझ गया िक बीरबल ा कहना चाहता था | उसने कहा, "अपने माता
– िपता के िलए हर ब ा दे शा म सबसे सुंदर होता है |" बीरबल मु राया और
कहा, "और समय आने पर अपने दादा दादी के िलए भी |"
अनोखा िनमं ण
बादशाह अकबर अ र बीरबल के साथ अपना आपा खो दे ते थे। एसे ही एक
अवसर पर, उ ोंने बीरबल को शाही दरबार छोड़ने को और कभी वािपस न
लौटने को कहा। इससे बीरबल को ब त दु ख आ और एक रात उसने िकसी को
बताए बगैर शहर छोड़ िदया।
अकबर ने सोचा, "बीरबल ने अपना वेश बदल िलया होगा। इसिलए दू त उसे
खोजने म असफल हो रहे ह। बीरबल को खोजने का कुछ और ही रा ा होना
चािहए।
उपयु सजा के िलए कई िवचार आने लगे। जैसे वह चचा म बढ़ते गए सभी मं ी
और भी रचना क होते गए। अकबर और भी मजे के साथ उन सभी की बातों को
सुन रहा था। अंत म उ ोंने बीरबल की तरफ दे खा और कहा, " ों ि य बीरबल,
तुम इतने शा ों हो? तु ारे मुतािबक मेरी दाढ़ी खींचने की िह त करने वाले
के िलए उपयु सजा ा होनी चािहए?"
बीरबल उठा और बादशाह की ओर स ान से िसर झुकाकर बोला, "महाराज।
उस पर चुंबन की बौछार करनी चािहए, उसे गले लगाना चािहए और उसे खाने के
िलए खूब सारी िमठाईया दे नी चािहए।"
यह सुनकर दरबार म सभी एकबार िफर है रान हो गए। एक मं ी ने कहा,
महाराज। बादशाह की दाढ़ी को िमठाईया दी जाय?" अकबर मु रा रहे थे।
उ ोंने बीरबल से पूछा, "आपको ों लगता है िक यह एक उपयु सजा है ?"
बीरबल ने जवाब िदया, "महाराज, आपके पोतों के अलावा आपकी दाढ़ी खींचने
की िह त और कौन करे गा?"
बीरबल सही था।उस सुबह, जब बादशाह अपने पोते के साथ खेल रये थे, तब
उसने शहरारत से अपने दादा की दाढ़ी को खींच िलया था।अकबर ने सोचा, यह
अपने मंि यों की परी ा लेने का एक अ ा िवचार है , इसिलए उ ोंने यह अजीब
सवाल पूछा था।