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भारतीय अर्थव्यवस्था Chapter 2
भारतीय अर्थव्यवस्था Chapter 2
भारतीय अर्थव्यवस्र्ा
Chapter-2
आर्र्थक ववकास एवं आर्र्थक संवद्
ृ र्ि
By Rajveer ( Nitin Arora)
Lecture-7 video link - https://www.youtube.com/watch?v=jqPn3iid-l0&t=1s
अगर आपको लग रहा है की नोट्स मिल जाने से लेक्चर नह ं दे खने पढ़े गे तो आप गलत सोच रहे है , लेक्चर िें हर टॉवपक को
गहराई से सिझाया गया है उदाहरण के सार् जो संभव नह ं की हि वो उदाहरण नोट्स िें दे ...बाकी सिझदार के मलए इशारा
काफी है ...
• ककसी अर्थव्यवस्र्ा िें होने वाले गुणात्िक पररवतथन को आर्र्थक ववकास कहते हैं जजसिें सािाजजक िूल्य (Social
values) ननहहत होते हैं।
• ककसी अर्थव्यवस्र्ा िें होने वाले गुणात्िक पररवतथन को आर्र्थक ववकास कहते हैं जजसिें सािाजजक िूल्य (Social
values) ननहहत होते हैं।
• ककसी दे श के आर्र्थक ववकास िें राष्ट्र य आय िें वद्
ृ र्ि के अनतररक्त इसिें सािाजजक, सांस्कृनतक, राजनीनतक तर्ा
आर्र्थक पररवतथन भी सजमिमलत होते हैं, जो कक भौनतक उन्ननत िें योगदान दे ते हैं।
• इसिें संसािनों की आपूनतथ, पूँज
ू ी ननिाथण की दर जनसंख्या का आकार और बनावट, जीवन स्तर िें सुिार, अच्छी मशक्षा
प्रणाल , बेहतर स्वास््य सुवविाएूँ आहद शामिल होते हैं।
• आर्र्थक ववकास िें आय के सिान ववतरण की अर्िकति सुननजचचतता, रोजगार के अवसरों का अर्िकार्िक सजन करना
एवं ननिथनता उन्िल
ू न कायथक्रिों को परू ा करने का अर्िकति प्रयास ककया जाता है ।
• आर्र्थक ववकास = राष्ट्र य उत्पाद + जीवन की गुणवत्ता िें सि
ु ार = पररिाणात्िक एवं गुणात्िक पररवतथन
Basic
िात्रात्िक
िात्रात्िक िैहरक्स को अक्सर अनुपात, प्रनतशत, औसत, िुद्रा िूल्यों आहद के रूप िें स्पष्ट्ट रूप से व्यक्त ककया जा सकता है , प्रनत
अवर्ि की घटनाओं की संख्या, प्रनत अवर्ि सॉफ्टवेयर खचथ, हे डकाउं ट और प्रनत सेकंड की घटनाएं िात्रात्िक िैहरक्स के सभी
उदाहरण हैं।
गुणात्िक
गुणात्िक डेटा िें इसकी गणना िें एक कारक के रूप िें िानव अनुभव या ननणथय शामिल हो सकते हैं।
गुणात्िक जानकार के आिार पर ननष्ट्कर्षों को डेटा स्रोतों या प्रचन िें व्याख्या द्वारा लाया जा सकता है ।
आर्र्थक ववकास की िल
ू भूत आवचयकता
आवचयकता सूचकांक
हहब्स एवं पाल स्र टन ने िानव ववकास के रूप िें ननमन आिारभूत आवचयकता तर्ा 6 सािाजजक सूचकांकों पर ववचार
ककया।
पूँज
ू ी ननिाथण िानव संसािन
ववकासात्िक ननयोजन
• जजस प्रकार िानव के ववकास का आहदि इनतहास इस त्य को स्पष्ट्ट करता है कक िनुष्ट्य जन्ि के सिय मशश,ु मशशु
से ककशोर, ककशोर से तरूण और कफर जवानी की दहल ज पार करते हुए वद्
ृ िावस्र्ा की ओर अग्रसर होता है , ठीक उसी
प्रकार प्रत्येक दे श को अपने वपछडेपन से ववकास की चरि सीिा तक पहुंचने के मलए अनेक अवस्र्ाओं से होकर गुजरना
पडता है ।
• क्रमिक ववकास की यह व्यवस्र्ा, अपने िें ह इतनी अर्िक सावथभौमिक है कक वतथिान सिय िें ववकमसत कहे जाने वाले
दे शों जैसे अिेररका, ब्रिटे न, रूस, फ्ांस व जापान आहद को भी समपन्नता की िजन्जल पर पहुंचने के मलये अनेक पडावों
को पार करना पडा है ।
• हां ! यह समभव हो सकता है कक कोई दे श अपने सकक्रय प्रयत्नों के फलस्वरूप ववकास की प्रत्येक अवस्र्ा िें पडे रहने
की अवर्ि को कि कर लें , परन्तु यह नािुिककन है कक उसने ववकास की प्रत्येक अवस्र्ा की पररर्ि को छुआ न हो।
प्रो0 फ्ेडररक मलस्ट की आर्र्थक ववकास की अवस्र्ाएं
• प्रमसद्ि जिथन राष्ट्रवाद अर्थशास्त्री फ्ेडररक मलस्ट ने 1844 िें आर्र्थक व्यवस्र्ा के क्रमिक ववकास की ननमन पांच
अवस्र्ाओं का उल्लेख ककया र्ा-
1. जंगल अवस्र्ा
2. चरागाह अवस्र्ा
3. कृवर्ष अवस्र्ा,
4. उद्योग अवस्र्ा,
5. उन्नत अवस्र्ा।
• सन ् 1864 िें जिथन अर्थशास्त्री हहल्डेिांड ने ववकास की तीन अवस्र्ायें बताई र्ीं जो कक इस प्रकार हैं-
1. 1. वस्तु ववननिय अवस्र्ा
2. 2. िुद्रा अवस्र्ा और
3. 3. साख अवस्र्ा
अवस्र्ाएं समबन्िी ितभेद
• अनेक अर्थशाजस्त्रयों ने आर्र्थक ववकास के ऐनतहामसक क्रि को मभन्न-मभन्न अवस्र्ाओं िें ववभाजजत करने का प्रयत्न
ककया है ।
• चूंकक इन सभी अर्थशाजस्त्रयों द्वारा वर्णथत अवस्र्ाओं के दृजष्ट्टकोण, आिार व काल अलग अलग रहे हैं।
• इसमलए उनके ववचारों िें ितभेद का पाया जाना अत्यन्त स्वाभाववक है ।
• ववकास की अवस्र्ाओं का िागथ दशथन करने वालों िें प्रो0 मलस्ट , हहल्डेिांड, बकर, एशले, बच
ू र, शिोलर, कोमलन क्र्लाक,
कालथिाक्र्स तर्ा रोस्टोव आहद प्रिख
ु हैं।
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि (Economic Growth)
• आर्र्थक संवद्
ृ र्ि से आशय सकल घरे लू उत्पाद (जी.डी.पी.) सकल राष्ट्र य उत्पाद (जी.एन.पी.) एवं प्रनत व्यजक्त आय िें
ननरन्तर होने वाल वद्
ृ र्ि से है ।
• आर्र्थक संवद्
ृ र्ि =राष्ट्र य उत्पाद के आकार िें पररवतथन = पररिाणात्िक पररवतथन।
• ककसी अर्थव्यवस्र्ा िें होने वाला िात्रात्िक पररवतथन (Quantitative Changes) ह आर्र्थक संवद्
ृ र्ि है । आर्र्थक संवद्
ृ र्ि
को दो रूपों िें अमभव्यक्त ककया जाता है -
• 1. कुल उत्पादन िें वद्
ृ र्ि,
• 2. प्रनत व्यजक्त उत्पावन िें वद्
ृ र्ि।
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि एवं आर्र्थक ववकास के िापक
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि के िापक आर्र्थक ववकास के िापक
• सकल घरे लू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) • िानव ववकास सूचकांक (Human Development Index - HDI)
• सकल राष्ट्र य उत्पाद (Gross National Product-GNP) • लैंर्गक ववकास सूचकांक (Gender Development index -
GDI)
• ननवल घरे लू उत्पाद (Net Domestic Product - NDP)
• लैर्गक सशजक्तकरण िापन (Gender Empowerment
• ननवल राष्ट्र य उत्पाद (Net National Product -NNP) Measures - GEM)
प्रनत व्यजक्त आय (Per Capita income-PCI) • लैर्गक खश
ु हाल सच
ू कांक (Gender welbeing Index - GWI)
• वैजचवक खश
ु हाल सच
ू कांक (Happy Planet index - HPI)
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि दर (Economic Growth Rate)
• आर्र्थक संवद्
ृ र्ि दर (Economic Growth Rate) : सकल घरे लू उत्पाद (GDP) िें पररवतथन की दर आर्र्थक संवद्
ृ र्ि दर
कहलाती है ।
• आर्र्थक संवद्
ृ र्ि दर = वपछले वर्षथ की तुलना िें वतथिान (चालू) वर्षथ के जीडीपी िें पररवतथन (वद्
ृ र्ि या किी)/वपछले वर्षथ
का जीडीपी x1001
• ववकासशील दे शों िें आर्र्थक संवद्
ृ र्ि दर को वास्तववक ववकास िें पररवनतथत करना अर्थव्यवस्र्ा की सबसे बडी सिस्या
है ।
संवद्
ृ र्ि से जड
ु े िहत्वपण
ू थ शब्द
संवद्
ृ र्ि दर िें किी (Slowdown)
• जब अर्थव्यवस्र्ा िें GDP के बढ़ने की दर िीिी हो जाती है, लेककन वद्
ृ र्ि सकारात्िक ह बनी रहती है , तब उस जस्र्नत
को ववकास दर िें किी कहते हैं।
संकुचन (Contraction)
• जब ककसी वर्षथ की ककसी नतिाह िें संवद्
ृ र्ि दर नकारात्िक (Negative) हो जाती है , तो इस जस्र्नत को संकुचन कहते
हैं। इस जस्र्नत िें GDP वद्
ृ र्ि कि हो जाती है ।
िंद (Recession)
• जब ककसी वर्षथ िें लगातार कि से कि दो नतिाहहयों के मलए संवद्
ृ र्ि दर नकारात्िक (Negative) रहती है , तो इस
जस्र्नत को िंद कहा जाता है ।
अवसाद (Depression)
• इस जस्र्नत िें िंद (Recession) के सार्-सार् अवसाद (वस्तुओं की कीितों का र्गरना) भी आ जाता है । यह
अर्थव्यवस्र्ा के मलए सवाथर्िक गमभीर जस्र्नत होती है , क्योंकक िजदरू के कि होने से बेरोजगार बढ़ती है ।
तीव्र िंद (Meltdown)
• • ववत्त बाजारों का भार िात्रा िें र्गरना।
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि आर्र्थक ववकास
आर्र्थक संवद्
ृ र्ि के संवभथ िें UNDP का दृजष्ट्टकोण
• संयक्
ु त राष्ट्र ववकास कायथक्रि (UNDP) ने रोजगार ववह न संवद्
ृ र्ि को गर बी का प्रिख
ु कारण बताया है । UNDP ने
संवद्
ृ र्ि की चार अवस्र्ाएूँ बतायी हैं, जो ननमनवत हैं-
1. ननष्ट्ठुर संवद्ृ र्ि (Ruthless Growth): इसिें आय एवं संपवत्त के ववतरण िें ववर्षिता बढ़ती है ।
2. स्वरववह न संवद्ृ र्ि (Voiceless Growth): इसिें सिाज के दवे तर्ा वपछडे वगों की जस्र्नत स्वरह नता की हो जाती है ।
3. भववष्ट्य-ववह न संवद्ृ र्ि (Futureless Growth): इसिें पयाथवरण एवं प्राकृनतक संसािनों के आिार नष्ट्ट हो जाते हैं।
4. जडववह न या ननिल
ूथ संवद्
ृ र्ि (Rootless Growth): इसिें स्वस्र् सािाजजक परमपराएूँ एवं सांस्कृनतक पक्षों के िल
ू ािार
नष्ट्ट हो जाते हैं।
▪ आर्र्थक ववकास और भरोसा या ववचवास का संबंि, आर्र्थक साहहत्य िें कई अकादमिक शोि पत्रों का ववर्षय रहा है ।
▪ इस संबंि का पहला क्रिबद्ि अनुिान प्राप्त करने का एक सािान्य तर का है , प्रनत व्यजक्त GDP और नागररकों के
िध्य ववचवास िें सहसंबंिों का अनि
ु ान लगाना। इस संदभथ िें हुए कई शोिों िें यह स्पष्ट्ट रूप से सािने आया है कक
प्रनत व्यजक्त GDP और नागररकों के िध्य ववचवास िें पूणत
थ ः िनात्िक संबंि होता है ।
▪ कई अध्ययनों िें यह भी दे खा गया है कक मशक्षा, आयु और व्यजक्तगत आय को ननयंब्रत्रत करने के बाद भी एक उद्यिी
बनने की संभावना के सार् ववचवास का सकारात्िक संबंि होता है ।
▪ आर्र्थक ववकास को पुनजीववत करने के मलये आवचयक है कक भय और अववचवास की वतथिान जस्र्नत िें पररवतथन लाने
का प्रयास ककया जाए तर्ा नागररकों िें ववचवास एवं भरोसे की भावना कायि की जाए।
▪ ववचलेर्षकों के अनुसार, व्यापाररयों, पूंजी प्रदाताओं और श्रमिकों के मलये भयभीत होने के बजाय आत्िववचवास तर्ा अनत
उत्साह िहसस
ू करना बहुत िहत्त्वपण
ू थ है ।
• िानव 'ववकास सच
ू कांक (HDI)' एक सच
ू कांक है , जजसका उपयोग दे शों को "िानव ववकास" के आिार पर आंकने के मलए
ककया जाता है ।
• यह सच
ू कांक से यह बात का पता चलता है कक कोई दे श ववकमसत है , ववकासशील है , अर्वा अववकमसत है ।
• िानव ववकास सूचकांक (एचडीआई) [जीवन प्रत्याशा], [मशक्षा], और [प्रनत व्यजक्त आय] संकेतकों का एक सिग्र आंकडा है ,
जो िानव ववकास के चार स्तरों पर दे शों को श्रेणीगत करने िें उपयोग ककया जाता है ।
• जजस दे श की जीवन प्रत्याशा, मशक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रनत व्यजक्त अर्िक होती है , उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं।
• िानव ववकास सूचकांक की संकल्पना के प्रनतपादन िें संयुक्त राष्ट्र ववकास कायथक्रि (UNDP) से समबद्ि पाककस्तानी
अर्थशास्त्री िहबूब उल हक तर्ा भारतीय अर्थशास्त्री अित्यथ सेन की िहत्वपूणथ भूमिका रह ।
• एचडीआई का अर्िकति िूल्य 1 तर्ा न्यूनति िूल्य 0 होता है ।
• इसका प्रकाशन UNDP द्वारा वर्षथ 1990 से प्रनतवर्षथ ककया जाता है ।
• ऊपर हदए गए इन तीनों संकेतको का औसत अर्वा ज्यामितीय िाध्य ह िानव ववकास सूचकांक कहलाता है ।
• वर्षथ 2010 के बाद से तीनों सच
ू कांकों को अर्िकति और न्यूनति अंकों िें ववभाजजत करके िानव ववकास की गणना
की जा रह है
• जैसे उत्ति जीवन प्रत्याशा 86.3 वर्षथ और न्यूनति जीवन प्रत्याशा 20 वर्षथ
• मशक्षा सूचकांक िें दो नतहाई हहस्सा उच्च मशक्षा को एक नतहाई प्रार्मिक द्ववतीयक और तत
ृ ीयक स्कूलों िें संयुक्त
नािांकन दर को प्रदान ककया गया है । इसके अंतगथत दो घटकों की गणना की जाती है
• (1) स्कूल जाने की अनुिाननत आयु इसके अंतगथत 5 वर्षीय बच्चे द्वारा स्कूल िें ब्रबताए गए कुल वर्षथ आते हैं ।
• (2)स्कूल जाने की िाध्य आयु इसके अंतगथत 25 वर्षथ के एक व्यस्क द्वारा स्कूल िें ब्रबताए गए वर्षथ अर्वा सिय अवर्ि
की गणना की जाती है ।
• ईआई=वास्तववक मशक्षा स्तर- न्यूनति मशक्षा स्तर उच्चति मशक्षा स्तर – न्यूनति मशक्षा स्तर
(3) प्रनत व्यजक्त सकल राष्ट्र य आय सूचकांक
• इसिें प्रनत व्यजक्त सकल राष्ट्र य आय की गणना की जाती है ।
• जीएन आई= प्रनत व्यजक्त आय – न्यूनति प्रनत व्यजक्त आय
• उच्चति प्रनत व्यजक्त आय-न्यूनति प्रनत व्यजक्त आय
• इस सूचकांक िें कुल 189 दे श र्े जजसिें भारत 129वें स्र्ान पर है । भारत ने वपछले साल के िुकाबले इस बार एक
अंक का सुिार ककया है ।
• भारत के पडोसी दे श पाककस्तान ने इस साल तीन अंकों का सुिार ककया है और बांग्लादे श ने भी भारत से बेहतर प्रदशथन
करके दों अंकों िें सुिार ककया है ।
• पाककस्तान 152वें और बांग्लादे श 135वें स्र्ान पर हैं, जबकक पडोसी दे श नेपाल 147वें , भूटान 134वें, मयांिार 145वें और
श्रीलंका 71वें पायदान पर है ।
• 1990 से 2018 के बीच भारत के िानव ववकास सूचकांक िूल्य िें 50 प्रनतशत का सुिार हुआ है ।
• यह 0.431 से बढ़कर 0.647 हो गया है । यह िध्यि िानव ववकास की श्रेणी िें शामिल दे शों के औसत (0.634) से
अर्िक है ।
• भारत का िानव ववकास सूचकांक िूल्य दक्षक्षण एमशयाई दे शों के औसत िूल्य (0.642) से भी अर्िक है ।
• दस
ू रे शब्दों िें कहें तो िानव ववकास सूचकांक िूल्य के िािले िें भारत की जस्र्नत िें संतोर्षजनक सुिार हुआ है ।
भारत के इस प्रदशथन का क्या अर्थ ननकलता है ?
• एचडीआई िूल्य िें सुिार का अर्थ है कक वपछले तीन दशकों िें जीवन प्रत्याशा िें 11.6 वर्षों का सुिार हुआ है ।
• स्कूल जाने वाले औसत वर्षों िें भी 3.5 साल का सुिार हुआ है । इसके अलावा प्रनत व्यजक्त आय िें भी 250 गुणा
इजाफा हुआ है ।
• कुल मिलाकर कहा जा सकता है कक वपछले तीन दशकों िें जीवन प्रत्याशा, स्कूल जाने के वर्षों और आिदनी के िापदं डों
िें उल्लेखनीय प्रगनत हुई है ।
ररपोटथ भारत िें गर बी पर क्या कहती है ?
• ररपोटथ कहती है कक 2005-06 से 2015-16 के दशक िें भारत िें 27.1 करोड लोग गर बी रे खा से बाहर ननकल आए
हैं।
• हालांकक इसके बावजूद दनु नया के 28 प्रनतशत गर ब भारत िें रह रहे हैं। यानी भारत िें अब भी 36.4 करोड गर ब रह
रहे हैं। दनु नया भर िें गर बों की संख्या 130 करोड है ।
सिूह आिाररत असिानता पर ररपोटथ क्या कहती है ?
• ररपोटथ के अनुसार, प्रगनत के बावजूद भारतीय उपिहाद्वीप िें सिूह आिाररत असिानता पैठ बनाए हुए है और यह
असिानता िहहलाओं और लडककयों को प्रभाववत कर रह है ।
• मसंगापुर िें िहहलाओं के र्खलाफ सबसे कि घरे लू हहंसा हुई है ।
• ररपोटथ यह भी बताती है कक दक्षक्षण एमशया िें 31 प्रनतशत िहहलाएं घरे लू हहंसा की मशकार हैं।
• लैंर्गक ववकास सूचकांक िें भारत की जस्र्नत दक्षक्षण एमशयाई दे शों के औसत से र्ोडी बेहतर है ।
• भारत 2018 िें जार लैंर्गक असिानता सच
ू कांक ररपोटथ िें 122वें स्र्ान पर र्ा। इसिें कुल 162 दे श शामिल ककए गए
र्े।
• बहुआयािी गर बी: दक्षक्षण एमशया िें बहुआयािी गर बी से पीडडत आिी आबाद रहती है
• मशक्षा का उप-िानक स्तर: हालांकक 2005 से आरट ई प्रभावी है , लेककन दे श के बुननयाद ढांचे और
प्रार्मिक मशक्षा प्रणाल के िानक िें बहुत अर्िक वद्
ृ र्ि नह ं हुई है ,
• खराब स्वास््य दे खभाल सेवाएं: स्वास््य दे खभाल एक और िुद्दा है , जहां कुपोर्षण, आईएिआर, एिएिआर
और परु ानी बीिार नई ऊंचाइयों का दावा कर रह है ।
• पयाथप्त अवसरों का अभाव: ग्रािीण लोगों को अवसरों की किी , िुख्यिारा की अर्थव्यवस्र्ा के सार् उनका
एकीकरण भी गंभीर र्चंता का ववर्षय है ।
• ववत्तीय संस्र्ानों का सीमित प्रवेश, ववत्तीय बहहष्ट्कार के मलए अग्रणी
• कानून और व्यवस्र्ा की गंभीर जस्र्नत: आपरार्िक गनतववर्ियों के बढ़ते िािले, बलात्कार की घटनाएं और
आतंकवाद लोगों के िन िें भय पैदा करते हैं और उनकी सुरक्षा पर संदेह करते हैं।
• बढ़ती असिानता: भारत िें आय सिानता बढ़ रह है , और असिानता सिायोजजत एचडीआई 0.624 तक
र्गरती है , मलंग और जानत आिाररत असिानता भी बढ़ रह है ।
• लोगों के प्रनत जजमिेदार अर्िकाररयों िें संवेदनशीलता की किी
भारत िें चुनौनतयां
• िहहलाओं के र्खलाफ हहंसा, बाल वववाह, और िहहलाओं के मलए संसद य सीटों की हहस्सेदार जैसी चुनौनतयां भारत
िें भी स्पष्ट्ट हैं, जहां नीनत और वविायी स्तरों पर काफी प्रगनत के बावजद
ू , िहहलाएं परु
ु र्षों की तल
ु ना िें राजनीनतक,
आर्र्थक और सािाजजक रूप से काफी कि हैं।
• कि िहहलाओं की भागीदार : उदाहरण के मलए, िहहलाओं के पास संसद य सीटों का केवल 14.58 प्रनतशत हहस्सा
है , और केवल 39 प्रनतशत वयस्क िहहलाएं 64 प्रनतशत पुरुर्षों की तुलना िें कि से कि िाध्यमिक मशक्षा तक
पहुंच गई हैं।
• कि िहहला श्रि भागीदार - पुरुर्षों के मलए 78.8 की तुलना िें 27.2 प्रनतशत।
• असिान ववतरण: ररपोटथ के अनुसार, पररणािों का असिान ववतरण न केवल दे शों के बीच, बजल्क प्रत्येक दे श के
भीतर भी हदखाई दे ता है । भारत के िािले िें , 26.8 प्रनतशत की असिानता-सिायोजजत एचडीआई मशक्षा, स्वास््य
और आय तक पहुूँच िें असिान असिानता के कारण है ।
सरकार द्वारा उठाए गए कदि:
Lecture -10
✓ खुशहाल
✓ जीवन प्रत्याशा
✓ पररणािों की असिानता
✓ पाररजस्र्नतक पदर्चह्न
❑ HPI = सन्तमु लत जीवन x जीवन प्रत्याशा/पाररजस्र्नतकी
• सकल राष्ट्र य खुशहाल सूचकांक की अविारणा को भूटान के चौर्े राजा जजग्िें मसंग्िे वांगचुक द्वारा वर्षथ 1972 िें
प्रस्तुत ककया गया र्ा।
वैजचवक भुखिर सच
ू कांक (Global Hunger Index : GHI)
• वैजचवक भुखिर सूचकांक’ को आयरलैंड जस्र्त एक एजेंसी ‘कंसनथ वल्डथवाइड’ (Concern Worldwide) और जिथनी के एक
संगठन ‘वेल्ट हं गर हहल्फे’ (Welt Hunger Hilfe) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार ककया जाता है ।
• GHI स्कोर, चार घटक संकेतकों के आिार पर ननकाला जाता है :
• अल्पपोर्षण (इसका ननिाथरण अपयाथप्त कैलोर लेने की िात्रा के आिार पर ककया जाता है ।)
• चाइल्ड वेजस्टं ग (इसिें ऊूँचाई की तुलना िें कि वजन होता है )
• चाइल्ड स्टं हटंग (यह उम्र की तुलना िें कि ऊूँचाई को दशाथता है )
• बाल ित्ृ यु दर
• इन चार संकेतकों के िूल्यों के आिार पर 0 से 100 तक के पैिाने पर भुखिर को ननिाथररत ककया जाता है जहाूँ 0
सबसे अच्छा संभव स्कोर (भख
ू नह ं) है और 100 सबसे खराब है ।
• प्रत्येक दे श के GHI स्कोर को ननमन से अत्यंत खतरनाक जस्र्नत के रूप वगीकृत ककया जाता है ।
GHI गंभीरता स्केल (GHI Severity Scale)
भारत की जस्र्नत:
• 'वैजचवक भख
ु िर सच
ू कांक- 2020 िें भारत 107 दे शों िें 94वें स्र्ान पर रहा है ।
• वर्षथ 2019 िें भारत 117 दे शों िें से 102वें स्र्ान पर रहा र्ा, जबकक वर्षथ 2018 िें भारत 103वें स्र्ान पर र्ा।
• भारत भख
ु िर सच
ू कांक िें 27.2 के स्कोर के सार् 'गंभीर' (Serious) श्रेणी िें है ।
वैजचवक पररदृचय:
• कुल 107 दे शों िें से केवल 13 दे श भारत से खराब जस्र्नत िें हैं, जजनिें रवांडा (97वें), नाइजीररया (98वें), अफगाननस्तान
(99वें), लाइबेररया (102वें), िोजाजमबक (103वें), चाड (107वें) आहद दे श शामिल हैं।
• GHI- 2020 के स्कोर के अनुसार, 3 दे श- चाड, नतिोर-लेस्ते और िेडागास्कर भुखिर के खतरनाक स्तर पर हैं।
• GHI- 2020 के अनस
ु ार दनु नया भर िें भख
ु िर की जस्र्नत ‘िध्यि’ स्तर पर है ।
क्षेत्रीय पररदृचय:
• भारत इस सच
ू कांक िें श्रीलंका (64वें), नेपाल (73वें), पाककस्तान (88वें), बांग्लादे श (75वें), इंडोनेमशया (70वें) जैसे अन्य
दे शों से पीछे है ।
• स्टं हटंग िुख्यत: बच्चों के बीच केंहद्रत है । गर बी, आहार की वववविता का अभाव, िात ृ मशक्षा का ननमन स्तर सहहत कई
प्रकार की वंचनाओं का होना इसका िुख्य कारण हैं।
• बहुत से दे शों की जस्र्नत िें िीरे -िीरे सुिार हो रहा है , जबकक कई दे शों की जस्र्नत लगातार ब्रबगडती जा रह है ।
• नवीनति GHI अनि
ु ानों से पता चलता है कक 37 दे श वर्षथ 2030 तक भख
ु िर (सतत ् ववकास लक्ष्य'- 2) को ननयंब्रत्रत
करने िें असफल रहें गे।
COVID-19 िहािार का प्रभाव:
• ररपोटथ के अनुसार, वैजचवक स्तर पर लगभग 690 मिमलयन लोग कुपोवर्षत हैं। COVID-19 िहािार , वैजचवक स्तर पर
भुखिर और गर बी को कि करने की हदशा िें हुई प्रगनत को प्रभाववत कर सकती है ।
• COVID-19 ने इस बात को और अर्िक स्पष्ट्ट कर हदया है कक वतथिान िें हिार खाद्य प्रणामलयाूँ, 'ज़ीरो हं गर' जस्र्नत
प्राप्त करने करने के मलये अपयाथप्त हैं।
हररत सकल घरे लू उत्पाद (Green GDP)
• ककसी भौगोमलक सीिा के अन्तगथत पयाथवरण को नुकसान पहुूँचाए ब्रबना अर्ाथत ् पयाथवरण का संरक्षण करते हुए आर्र्थक
ववकास को प्राप्त करना हररत जी.डी.पी. है ।
• हररत अर्थव्यवस्र्ा िें उन उत्पादों की गणना की जाती है जजनकी उत्पादन प्रकक्रया के कारण पयाथवरणीय क्षनत नह ं होती
है । हररत अर्थव्यवस्र्ा RIO +20 का केन्द्र य र्ीि र्ा।
• हररत जी. एन. पी. (Green GNP) दे श के नागररकों को एक ननजचचत सियावर्ि िें प्रनत व्यजक्त उत्पादन की वह िात्रा
है जो कक दे श की प्राकृनतक समपदा को जस्र्र बनाए रखते हुये प्राप्त की जाती है । प्रत्येक 10 वर्षथ इसका िल्
ू यांकन
ककया जाता है ।
ववपन्नता सच
ू कांक (Misery Index)
• इसका ववकास बेरोजगार दर और िुद्रास्फीनत की दर के योग से ककया गया है जो बढ़ती हुई िहूँगाई की, बेरोजगार
जनसंख्या पर पडने वाले प्रनतकूल प्रभाव को िापता है ।
• िद्र
ु ास्फीनत की दर को प्रनत इकाई प्रनतशत कि करने पर सकल घरे लू उत्पाद की सिद्
ृ र्ि दर िें जजतने प्रनतशत की
र्गरावट आएगी, उसे त्यागानुपात कहते हैं।
• यह अन्तराथष्ट्र य िुद्रा कोर्ष व ववचव बैंक (IMF/World Bank) द्वारा ववकमसत अविारणा है , जो ककसी अर्थव्यवस्र्ा की
अंतराथष्ट्र य क्रय शजक्त ककसी अन्य अर्थव्यवस्र्ा के पररप्रेक्ष्य िें आकमलत करती है । वतथिान िें इसे अिेररकी डॉलर ($)
िें ननरूवपत करते हैं।
• इसकी गणना हे तु नई ववननिय दर ननकाल जाती है । यह दे खा जाता है कक, कुछ ननजचचत वस्तुओं की टोकर (Basket)
को U.S. डॉलर ककतने िें खर दता है और उसी टोकर को समबंर्ित दे श की िुद्रा द्वारा ककतने िूल्य िें खर दा जाता है ।
इन दोनों िुद्राओं की िात्रा को बराबर िानकर ववननिय दर प्राप्त की जाती है ।
• जीवन स्तर को व्यक्त करने के मलए प्रयोग िें लाए जाने वाले आिुननकति िाप को क्रय शजक्त सिता (PPP) के नाि
से जाना जाता है । इसके अंतग
थ त व्यापाररक तर्ा गैर-व्यापाररक दोनों प्रकार की वस्तुएूँ सजमिमलत की जाती हैं।
• यह व्यापार िें सजमिमलत वस्तओ
ु ं तर्ा व्यापार िें सजमिमलत नह ं होने वाल वस्तओ
ु ं की (दोनों प्रकार की) कीितों पर
ननभथर करती है । ककसी दे श िें एक अिेररकन डॉलर िें कोई वस्तु मिलती है वह वस्तु अपने दे श िें ककतने रुपये िें
मिल रह है । वस्तु की िात्रा और कीित िें जो भी िौजद
ू होगा उससे हिारे दे श की िद्र
ु ा की कीित तय हो जाएगी।
• इस मसद्िांत के अनुसार, एक िुद्रा का बाह्य िूल्य इसकी आंतररक क्रय शजक्त पर ननभथर करता है । यह मसद्िांत व्यक्त
करता है कक, एक दे श की िद्र
ु ा तर्ा अन्य िद्र
ु ाओं के िध्य ववननिय दर उस स्तर पर संतमु लत होगी,जब उनकी आंतररक
क्रय शजक्तयाूँ उस दर पर सिान हों।।
• डॉलर की क्रय शजक्त = भारत िें कीित सूचकांक,
• रुपये की क्रय शजक्त = अिेररका िें कीित सूचकांक
• 2014 को ववचव बैंक के इंटरनेशनल कमपेररजन प्रोग्राि द्वारा जार ररपोटथ के अनुसार, क्रय शजक्त सिता (PPP-
Purchasing Power Parity) की दृजष्ट्ट से वर्षथ 2011 के आूँकडों के आिार पर भारत अब ववचव की तीसर सबसे बडी
अर्थव्यवस्र्ा बन गया है तर्ा इसने इस सन्दभथ िें जापान को पीछे छोड हदया है ।
• यह जस्र्नत वतथिान िें भी है ।
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