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Ekagati – United We Surge

A Poem by Mr. Pradeep Sangal

एक एक कर एकजुट ए ह हम कई मं िजले बनाने को,

संगिठत और “एकाि त” ह हम अपना ल पाने को !

ढ़ िव ास और “एकागित” से बढ़ रहे ह हम अपना ल पाने को,

हर राहगीर की जो मंिजल बने ऐसा गुलशन बनाने को !

हर कृित पर िजसपे दे श गव करे “एकाि त” ह हम ऐसी सं था बनाने को !!

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