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हवन एवं पू ज न

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ी च गु त जी क पूजन व ध

 
 

ी च गु त पूजन व ध (सरलतम व ध )
पूजा ान को साफ़ कर एक चौक पर कपड़ा वछा कर ी च गु त जी का फोटो ा पत कर य द
च उपल न हो तो कलश को तीक मान कर च गु त जी को ा पत कर
द पक जला कर गणप त जी को च दन ,ह द ,रोली अ त , ब ,पु प व धूप अ पत कर पूजा अचना कर
|

ी च गु त जी को भी च दन ,ह द ,रोली अ त ,पु प व धूप अ पत कर पूजा अचना कर |


फल , मठाई और वशेष प से इस दन के लए बनाया गया पंचामृत ( ध ,घी कु चला अदरक ,गुड़ और
गंगाजल )और पान सुपारी का भोग लगाय |
इसके बाद प रवार के सभी सद य अपनी कताब,कलम,दवात आ द क पूजा कर और च गु त जी के
सम र ख |
अब प रवार के सभी सद य एक सफ़े द कागज पर ए पन (चावल का आंटा,ह द ,घी, पानी )व रोली से
व तक बनाय |उसके नीचे पांच दे वी दे वताव के नाम लख ,जैसे - ी गणेश जी सहाय नमः , ी
च गु त जी सहाय नमः , ी सवदे वता सहाय नमः आ द |
इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दनांक लख और सरी तरफ अपनी आय य का ववरण द
,इसके साथ ही अगले साल के लए आव यक धन हेतु नवेदन कर | फर अपने ह ता र कर |

इस कागज और अपनी कलम को ह द रोली अ त और मठाई अ पत कर पूजन कर |


अब ी च गु त जी का यान करते ए न न ल खत मं का कम से कम ११ बार उ ारण कर - 
मसीभाजन संयु र स वम् ! महीतले |
लेखनी क टनीह त च गु त नमो तुते ||
च गु त ! म तु यं लेखका रदायकं |
काय जा तमासा च गु त ! नामोअ तुते ||
अब सभी सद य ी च गु त जी क आरती गाव |
इसके प ात् ख़ुशी पूवक ी च गु त जी महराज और ी गणेश जी महाराज से अपने और अपने लोग
के लए मंगल आशीवाद ा त करते ए शीश झुकाएं एवं साद का वतरण कर |

ी च गु त जी क आरती -
जय च गु त यमेश तव ,शरणागतम ,शरणागतम|
जय पू य पद प ेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय दे व दे व दया नधे ,जय द नबंधु कृ पा नधे |
कमश तव धमश तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय च अवतारी भो ,जय लेखनीधारी वभो |
जय याम तन च ेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
पु षा द भगवत् अंश जय ,काय कु ल अवतंश जय |
जय श बु वशेष तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय व मं ी धम के , ाता शुभाशुभ कम के |
जय शां तमय यायेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
तव नाथ नाम ताप से ,छू ट जाएँ भय य ताप से |
ह र सव लेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
ह द न अनुरागी ह र, चाह दया तेरी |
क जै कृ पा क णेश तव शरणागतम ,शरणागतम||

 वृहद् पूजन वध-


 

इस वशेष पव पर ी च गु त जी महाराज एवं धमराज के पूजन से पहले पूजा ल पर कलश


ापना (व ण पूजन कर) व ण दे वता का आवाहन कर | फर गणेश अ बका का पूजन कर उनका
आवाहन कर | त प ात ईशान कोण म वेद बनाकर नव ह क ापना कर आवाहन कर | इसके
प ात् दवात,कलम,प -पूजन एवं तलवार क ापना कर नीचे द गयी व ध से पूजन कर |
 

पूजन एवं हवन साम ी -


धूप, द प, च दन, लाल फू ल, ह द , रोली, अ त, दही, ब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम ( बना चरी ई ),
दवात, कागज, पान, सुपारी, गुड़, पांच फल, पांच मठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन
साम ी एवं हवन के लए लकड़ी आ द |
साम ी पर प व जल छड़कते ए भु का मरण कर |
नम ते तु च गु ते, यमपुरी सुरपू जते |
लेखनी-म सपा , ह ते, च गु त नमो तुते ||

व तवाचन -
 

ॐ गणना वां गणप त हवामहे, याणां वां येप हवामहे नधीनां वां न धपते हवामहे वसो मम
आहमजा न गभधामा वमजा स गभधम |
ॐ गणप या द पंचदे वा नव हाः इ ा द द पाला गा द महादे ः इहा ग त वक याम् पूजां हीत
भगवतः च गु त दे व य पूजमं व नर हत कु त |

यान -
त री रा महाबा ः याम कमल लोचनः क वु ीवोगूढ शरः पूण च नभाननः ||
काल द डो तवोवसो ह ते लेखनी प संयुतः | नःम य दशनेत ौ णो वय ज मनः ||
लेखनी खडगह ते च- म स भाजन पु तकः | काय कु ल उ प च गु त नमो नमः ||
मसी भाजन संयु रो स वं महीतले | लेखनी क ठन ह ते च गु त नमो तुते ||
च गु त नम तु यं लेखका र दायक | काय जा त मासा च गु त मनो तुते ||
 
योषा वया लेखन य जी वकायेन न मत | तेषा च पालको य भा तः शा त य मे ||

आवाहन-
 

हे! च गु त जी म आपका आवाहन करता ँ |


ॐ आग भगव दे व ाने चा रौ भव | याव पूजं क र या म ताव वं सा धौ भव |
ॐ भगव तं ी च गु त आवाहया म ापया म ||

आसन-
 

ॐ इदमासनं समपया म |
भगवते च गु त दे वाय नमः ||

पा -
 

ॐ पादयोः पा ं समपया म |
भगवते च गु त दे वाय नमः ||

आचमन-
 

ॐ मुखे आचमनीयं समपया म |


भगवते च गु ताय नमः ||

नान-
ॐ नानातः जलं समपया म |
भगवते ी च गु ताय नमः ||
 

व -
 

ॐ प व व ं समपया म |
भगवते ी च गु त दे वाय नमः ||

पु प-
 

ॐ पु पमालां च समपया म |
भगवते ी च गु तदे वाय नमः ||

धूप-
 

ॐ धूपं माधापयामी |
भगवते ी च गु तदे वाय नमः ||
 

द प-
ॐ द पं दशया म |
भगवते ी च गु त दे वाय नमः II
 

नैवे
ॐ नैवे ं समपया म |
भगवते ी च गु त दे वाय नमः ||
 

ता बूल-द णा
ॐ ता बूलं समपया म
ॐ द णा समपया म
भगवते ी च गु त दे वाय नमः ||

दवात -लेखनी मं
लेखनी न मतां पूव णा परमे ना |
लोकानां च हताथाय त माताम पूजया म||
पु तके च चता दे वी , सव व ा दा भवः |
मदगृहे धन-धा या द-समृ कु सदा ||
लेखयै ते नम ते तु , लाभक य नमो नमः |
सव व ा का श ये , शुभदायै नमो नमः ||
अब प रवार के सभी सद य एक सफ़े द कागज पर ए पन (चावल का आंटा,ह द ,घी, पानी )व रोली से
व तक बनाय |उसके नीचे पांच दे वी दे वताव के नाम लख ,जैसे - ी गणेश जी सहाय नमः , ी
च गु त जी सहाय नमः , ी सवदे वता सहाय नमः आ द |
इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दनांक लख और सरी तरफ अपनी आय य का ववरण द
,इसके साथ ही अगले साल के लए आव यक धन हेतु नवेदन कर | फर अपने ह ता र कर |

इस कागज और अपनी कलम को ह द रोली अ त और मठाई अ पत कर पूजन कर |


अब ी च गु त जी का यान करते ए न न ल खत मं का कम से कम ११ बार उ ारण कर -
मसीभाजन संयु र स वम् ! महीतले |
लेखनी क टनीह त च गु त नमो तुते ||
च गु त ! म तु यं लेखका रदायकं |
काय जा तमासा च गु त ! नामोअ तुते ||

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भी म पतामह ने पुल य मु न से पूछा के हे महामु न संसार म काय नाम से व यात मनु य कस


वंश म उ प ये ह तथा कस वण म कहे जाते ह इसे म जानना चाहता ँ | इस कार के वचन कहकर
भी म पतामह ने पुल य मु न से इस प व कथा को सुनने के इ छा जा हर क पुल य मु न ने स
होकर गंगा पु भी म पतामह से कहा - हे गंगेय म काय उ प क प व कथा का वणन आपसे
करता ँ | जो इस जगत का पालन कता है वही फर नाश करेगा उस अ य शांत पु ष लोक -
पतामह हा ने जस तरह पूव म इस संसार क क पना क है | वही वणन म कर रहा ँ -
मुख से ा हण बा से य, जंघा से वै य, पैर से शू , दो पाँव चार पाँव वाले पशु से लेकर सम त
सपा द जीवो का एक ही समय म च मा, सूया द ह को और ब त से जीवो को उ प कर हा म
सूय के समान तेज वी ये पु को बुलाकर कहा हे सु त तुम य न पूवक इस जगत क र ा करो |
सृ का पालन करने के लये ये पु को आ ा दे कर हा ने एका चत होकर दस हजार सौ वष क
समा ध लगाई अंत म व ांत च ये तदउपरांत उस हा के शरीर से बड़ी भुजाओ वाले याम वण,
कमलवत शंक तु य गदन, च वत तेज वी, अ त बु मान हाथ म कलम-दवात लये तेज वी,
अ तसु दर व च ांग, र ने वाले, एक पु ष अ ज मा जो हा के शरीर से उ प आ है |
भी म उस अ पु ष को नीचे ऊपर दे खकर हा जी ने समा ध छोडकर पूछा हे पु षो म हमारे
सामने त आप कौन ह | हा का यह वचन सुनकर वह पु ष बोला हे वधे म आप ही के शरीर से
उ प आ ँ इसम क चत मा भी संदेह नह है | हे तात अब आप मेरा नाम करण करने यो य ह | सो
क रये और मेरे यो य काय भी क हये | यह वा य सुनकर हा जी नज शरीर रज पु ष से हंसकर स
मु ा से बोले क मेरे शरीर से तुम उ प ये हो इससे तु हारी काय सं ा है | और पृ वी पर च गु त
तु हारा नाम व यात होगा | हे व स धमराज क यमपुरी धमाधम वतार के लये तु हारा न त नवास
होगा | हे पु अपने वण म जो उ चत धम है उसका व ध पूवक पालन करो और संतान उ प करो इस
कार हा जी भार यु वर को दे कर अंत यान हो गये ी पुल य मु न ने कहा है हे कु वंश के वृ
करने वाले भी म च गु त से जो जा उ प ई है | उसका भी वणन करता ँ सु नये - च गु त का
थम ववाह सूयनारायण के बड़े पु ा ादे व मु न क क या नंदनी एरावती से आ इसके चार पु
उ प ये थम भानु जनका नाम धम वज है जसने ीवा तव काय वंश बेल को ज म दया |
तीय पु म तमान जनका नाम समदयालु है | जसने स सेना वंश बेल को ज म दया | तृतीय पु
चा जनका नाम युग र है | जसने माथुर काय वंश बेल को ज म दया | चतुथ पु सुचा जनका
नाम धमयुज है जसने ग ड काय वंश को ज म दया |
 च गु त का सरा ववाह सुशमा ऋ ष क क या शोभावती से आ इनसे आठ पु ये थम पु
क ण जनका नाम सुम त है जसने कण काय को ज म दया | तीय पु च चा जनका नाम
दामोदर है | जसने नगम काय को ज म दया | तृतीय पु जनका नाम भानु काश है | जसने
भटनागर काय को ज म दया जनका नाम युग र है | अ ब काय को ज म दया | पंचम पु
वीयवान जनका नाम द न दयालु है | जसने आ ाना काय को ज म दया शा हम पु जीत य
जनका नाम सदा न द है | जसने कु ल े काय को ज म दया | अ म पु व मानु जनका नाम
राघवराम है जसने बा मीक काय को ज म दया है | हे महामुने च गु त से उ प सभी पु सभी
शा म नपुण उ प ये धमा धम को जानने वाले महामु न च गु त ने सभी पु ो को पृ वी म भेजा
और धम साधना के श ा द और कहा क तु हे दे वता का पूजन पतरो का ा तथा तपण,
ा हण का पालन पोषण और सदे व अ यागतो क य न पूवक ा करनी चा हये | हे पु तीनो लोको
के हत के लये य न कर धम क कामना करके मह षम दनी दे वी का पूजन अव य कर | जो कृ त प
माया च ड मु ड का नाश करने वाली तथा सम त स य को दे ने वाली है उसका पूजन कर जसके
भाव से दे वता लोग भी स य को पाकर वग लोक को गए और वग के अ धकार को पाकर सदे व
य म भाग लेने वाले ये | ऐसी दे वी के लये तुम सब उ म म ाना द समपण करो जससे वह
च डका दे वता क भाँती तुमको भी स दे ने वाली होवे और वै णव धम का अवलंबन कर मेरे वा य
का त पालन करो सभी पु ो को आ ा दे कर च गु त वग लोक चले गये वग जाकर च गु त
धमराज के अ धकार म त ये | हे भी म इस कार च गु त क उ प मने आपसे कही |
अब म उन लोगो का व च इ तहास और च गु त का जैसा भाव उ प आ सो भी कहता ँ सु नये
- ी पु स य मु न बोले क धमाधम को जानते ये न य पाप कम म रत पृ वी पर सौदास नामक राजा
पैदा आ, उस पापी राचारी तथा धम कम से र हत राजा ने जस कार वग म जाकर पु य के फल
का भोग कया वह कथा सुना रहा ँ | राजनी त को नह जानते ये राजा ने अपने रा य म ढडोरा
पटवा दया क दान धम हवन ा तपण अ त थय का स कार जप नयम तथा तप या का साधन मेरे
रा य म कोई ना करे | दे वी आ द क भ म त पर वहां के नवासी ा हण लोग उसके रा य को छोड़
वह से अ य रा य म चले गये | जो रह गये य हवन ा तथा तपण कभी नह करते थे | हे गंगा पु
तबसे उसके रा य म कोई भी य हवन आ द पु य कम नह कर पता था | उस समय पु य उस रा य से
ही बाहर हो गया था | ा हण तथा अ य वण के लोग नाश करने लगे | अब आपको उस राजा का
कम फल सुनाता ँ हे भी म का तक शु ल प क उ म त थ तीय को प व होकर सभी काय
च गु त का पूजन करते थे | वे भ भाव से प रपूण होकर धूपद पा द कर रहे थे दे व योग से राजा
सौदस भी घूमता आ वहां पं चा और पूजन दे खकर पूछने लगा यह कसका पूजन कर रहे हो तब वे
लोग बोले क राजन हम लोग च गु त क शुभ पूजा कर रहे ह | यह सुनकर राजा सौदस ने कहा क म
भी च गु त क पूजा क ँ गा यह कहकर सौदस ने व ध पूवक नाना दकर मन से च गु त क पूजा
क , इस भ यु पूजा करने से उसी ण राजा सौदस पाप र हत होकर वग चला गया इस कार
च गु त का भावशाली इ तहास मने आपसे कहा | अब हे तृप े और या सुनने क आपक इ छा
है | यह सुनकर भी म पतामह ने मह ष पुल य मु न से कहा हे वपे कस व ध से वहां उस राजा
सौदस ने च गु त का पूजन कया जसके भाव से हे मु न राजा सौदस वग लोक को चला गया | ी
पुल य मु न जी बोले - हे भी म च गु त के पूजन क संपूण व ध म आप से कह रहा ँ घृत से बने
नवेध, ऋतुफल, च दन, पु प, रीप तथा अनेक कार के नवेध, रेशमी और व च व से मेरी, शंख
मृदंग, डम डम अनेक बाजे का भ भाव से प तपूण होकर पूजन कर | हे व ान नवीन कलश लाकर
जल से प तपूण कर उस पर श कर भरा कटोरा रख और यतनपूवक पूजन कर ा हण को दान दे व |
पूजन का मं भी इस कार पढ़े - दवात कलम और हाथ म ख ली लेकर पृ वी म घूमने वाले हे च गु त
आपको नम कार हे च गु त आप काय जाती म उ प होकर लेखक को अ र दान करते ह |
जसको आपने लखने क जी वका द है | आप उनका पालन करते ह | इस लये मुझे भी शां त द जए |
हे राजे कु वंश को बढाने वाले हे भी म इन मं ो के संक प पूवक च गु त का पूजन करना चा हये |
इस कार राजा सौदस ने भ भाव से पूजन कर नजरा य का शाशन करता आ कु छ ही समय म
मृ यु को ा त आ हे भारत यम त राजा सौदस को भयानक यमलोक म ले गये | च गु त ने यमराज
से पूछा क यह राचारी पाप कमरत सौदस राजा है | जसने अपनी जा से पापकम करवाया है | इस
कार धमराज से पूछे गये धमाधम को जानने वाले महामु न च गु त जी हंसकर उस राजा के लये धम
वपाक यु शुभ वचन बोले हे धमराज
यह राजा य प पाप कम करने वाला पृ वी म स है | और म आपक स ता से पृ वी म पू य ँ हे
वा मन आपने ही मुझे वह वर दया है | आपका सदे व क याण हो आपको नम कार है | हे दे व आप
भली भाँती जानते है और मेरी भी म त है क यह राजा पापी है तब भी इस राजा ने भ भाव से मेरी
पूजा क है इससे म इससे स ँ | हे इ दे व इस कारण यह राजा बैकुंठ लोक को जाए | च गु त का
यह वचन सुनकर यमराज ने राजा सौदस का बैकुंठ जाने क आ ा द और राजा सौदस बैकुंठ लोक को
चला गया ी पु स य मु न जी ने कहा हे भी म जो कोई सामा य पु ष या काय च गु त जी क
पूजा करेगा वह भी पाप से छू टकर परमग त को ा त करेगा | हे गंगेय आप भी सव व ध से च गु त
क पूजा क रये | जसक पूजा करने से हे राजे आप भी लभ लोक को ा त करगे | पुल य मु न
के वचन सुनकर भी म जी ने भ मन से च गु त जी क पूजा क | च गु त क द कथा को जो
े मनु य भ मन से सुनेगे वे मनु य सम त ा धय से छू टकर द घायु ह गे और मरने पर जहाँ
तप वी लोग जाते है | एसे व णु लोक को जायगे |
 

अब सभी सद य ी च गु त जी क आरती गाव |

इसके प ात् ख़ुशी पूवक ी च गु त जी महराज और ी गणेश जी महाराज से अपने और अपने


लोग के लए मंगल आशीवाद ा त करते ए शीश झुकाएं एवं साद का वतरण कर |
 

 
 
 
 
 

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