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अध्याय -21 द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45)

परिचय
 द्वितीय विश्व युद्ध जो वर्ष 1939 - 45 के दौरान हुआ इसमें दुनिया का लगभग हर हिस्सा शामिल था।
 इस युद्ध के दौरान प्रमुख धुरी शक्तियां जर्मनी, इटली, और जापान थी, और मित्र राष्ट्रों में फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन शामिल थे।
 यह इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष था जो लगभग छह साल तक चला।
 इसके दौरान लगभग 100 मिलियन लोगों का सैन्यीकरण हुआ , और 50 मिलियन लोग मारे गए थे (दुनिया की आबादी का लगभग 3%)

द्वितीय विश्व युद्ध के कारण


1) वर्साय की संधि की विफलता:
 पेरिस में, 1919 में हस्ताक्षरित वर्साय की संधि प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य कारण बनी।
 फ्रांस, इंग्लैंड और अन्य विजेता देशों ने जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर किया था और इस संधि के समझौते जर्मनी पर थोपे गए थे ।

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 इसके तहत जर्मनी ने अपने क्षेत्रों, कालोनियों, कोयला और लोहे की खानों को खो दिया था। इस संधि के कारण जर्मनी के जमीनी क्षेत्र के साथ जर्मनी के सैनिकों और आयुधों में
भी कमी आई ।
 प्रथम विश्व युद्ध के नुकसान के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया था और उसे एक खाली कागज में हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था । उसकी इच्छा के बावजूद
जर्मनी को इस प्रतिशोध से भरी संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े ।
 इस तरह जर्मनी के लोगों के बीच बदले की भावना पैदा हो गई। कु छ समय बाद जर्मनी ने वर्साय की संधि के सभी प्रावधानों की अवहेलना की। इसमें द्वितीय विश्व युद्ध के लिए
आवश्यक कारण मौजूद थे।

2) राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशन्स) की विफलता


 राष्ट्र संघ विश्व शांति बनाए रखने के लिए गठित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन था, जिसकी स्थापना 1919 मे हुई थी।
 इसके उद्देश्य के अनुसार सभी देश इसके सदस्य होने थे और यदि देशों के बीच कोई विवाद होता तो वह बल के बजाय बातचीत से सुलझाया जा सके ।
 राष्ट्र संघ एक अच्छा विचार था, लेकिन यह असफल रहा क्योंकि सभी देश लीग में शामिल नहीं हुए ।
 इसके अलावा, लीग के पास अफ्रीका में इथियोपिया पर इटली के आक्रमण या चीन के मंचूरिया पर जापान के आक्रमण जैसी सैन्य आक्रामकता को रोकने के लिए कोई सेना नहीं
थी ।

3) हिटलर और नाजीवाद/ फ़ासिज़्म:


 वर्साय की संधि के बाद जर्मनी राजनीतिक और आर्थिक रूप से अपंग हो गया था और वहां सार्वजनिक रूप से अशांति और बेरोजगारी फै ल गयी थी । इसी समय, एडॉल्फ
हिटलर जर्मनी का रक्षक बनकर उभरा।
 उसने ' नाजी पार्टी ' की स्थापना की और ' स्वास्तिक का प्रतीक' अपनाया। अपने भाषण से उसने जर्मनी के लोगों को प्रेरित
किया और उनसे जर्मनी के खोए गौरव को वापस लौटाने का वादा किया । उसने अपनी आत्मकथा “मेरा संघर्ष (Mein
Kamf)” में इसके बारे में चर्चा की है।
 जर्मनी के तानाशाह के रूप में हिटलर की गतिविधियां वर्साय की संधि की शर्तों का उल्लंघन कर रही थीं।
 उसने 1935 में जर्मन सेना को पुन: स्थापित किया और अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 800,000 कर दी।
 1936 में, उसने राइनलैंड पर और 1938 में उसने ऑस्ट्रिया पर कब्जा कर लिया और इन्हे जर्मनी मे शामिल कर लिया। इस
तरह जर्मनी की प्रतिष्ठा और बढ़ी।
 हिटलर का उदय द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य कारण था।

4) मुसोलिनी और फासीवाद:
 हालांकि, इटली एक विजेता राष्ट्र था, लेकिन इसे 1919 के पेरिस शांति सम्मेलन में कम करके आंका गया ।
 प्रथम विश्व युद्ध के बाद इटली में बेरोजगारी, श्रम हड़ताल, दंगे, आंदोलन और वर्ग संघर्ष हुए। इस महत्वपूर्ण घटना के कारण बेनिटो मुसोलिनी का उदय हुआ। उन्होंने युद्ध के
पक्ष में घोषणा की और कहा-"युद्ध पुरुष के लिए वही महत्व रखता है, जो एक महिला के लिए ‘मातृत्व’ रखता है" ।
 उसने इटली में प्राचीन रोम के गौरव को दोबारा स्थापित करने का वादा किया। उसने अपनी क्षेत्रीय सीमा बढ़ाने के लिए इटली में फासीवाद की स्थापना की ।
 इसलिए, उन्होंने जर्मनी के तानाशाह हिटलर के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए। इससे पूरे यूरोप में डर का माहौल पैदा हो गया । मुसोलिनी ने इथियोपिया पर कब्जा भी कर
लिया ।

5) 1929 की महामंदी:
 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने यूरोप और एशिया में विभिन्न तरीकों से प्रभाव डाला।
 यूरोप में, राजनीतिक सत्ता कई देशों (जर्मनी, इटली और स्पेन सहित) में तानाशाही और साम्राज्यवादी सरकारों में परिवर्तित हो गई ।
 एशिया में, संसाधनों से वंचित जापान ने आक्रामक रूप से विस्तार करना शुरू किया और चीन पर हमला किया तथा उसने प्रशांत क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए कई पैंतरेबाज़ी
की ।

6) जापान का उद्भव:
 सुदूर पूर्व में जापान का उद्भव द्वितीय विश्व युद्ध का एक और प्रमुख कारण था । प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान ने एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरने की
कोशिश की।
 इसका मुख्य उद्देश्य अपने साम्राज्य का विस्तार करना और उपनिवेशों का अधिग्रहण करना था। 1931 में जापान ने मंचूरिया पर हमला किया और उस पर कब्जा कर लिया ।
फिर इसने चीन के शहरों पर एक के बाद एक कब्जा कर लिया ।

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 जापान की साम्राज्यवादी नीति की सीमा काफी हद तक इसके सम्राट हिरोहितो के शासन काल मे बढ़ी । हिटलर और मुसोलिनी के साथ इसके गठबंधन ने अत्यधिक विस्फोटक
स्थिति पैदा कर दी जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध का मार्ग प्रशस्त हुआ ।

7) विचारधाराओं का संघर्ष:
 प्रथम विश्व युद्ध के बाद, पूरी दुनिया वैचारिक संघर्ष के दौर में प्रवेश कर गयी थी।
 इटली, जर्मनी, जापान और स्पेन तानाशाही और सैन्यीकरण में विश्वास रखते थे। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास रखते
थे। जर्मनी और इटली ने वर्साय की संधि के नियमों का उल्लंघन किया ।
 इस वैचारिक द्वंद्व ने दुनिया को दो गुटों में बांट दिया। इटली के तानाशाह मुसोलिनी ने टिप्पणी की थी कि -" दो दुनियाओं के बीच के संघर्ष पर कोई समझौता नहीं कर सकता
या तो हम या वे " ।
 लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस ने मुसोलिनी की इस विचारधारा का सामना करने के लिए खुद को तैयार किया।

8) तुष्टीकरण की विफल नीति


 हिटलर ने वर्साय की संधि की खुलेआम निंदा की और चुपके से जर्मनी की सेना और हथियारों का निर्माण शुरू कर दिया ।
 हालांकि ब्रिटेन और फ्रांस हिटलर के इन कदमों के बारे में जानते थे, लेकिन उन्हें लगा कि एक मजबूत जर्मनी रूस से साम्यवाद के प्रसार को रोक देगा ।
 तुष्टीकरण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण सितंबर 1938 में हुआ ‘म्यूनिख समझौता’ था। इस समझौते के तहत, ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को चेकोस्लोवाकिया के उन क्षेत्रों में
प्रवेश करने की अनुमति दी जहां जर्मन भाषी रहते थे |
 जर्मनी चेकोस्लोवाकिया के बाकी हिस्सों या किसी अन्य देश पर आक्रमण नहीं करने पर सहमत हुआ । हालांकि, मार्च 1939 में, जर्मनी ने अपना वादा तोड़ दिया और
चेकोस्लोवाकिया के बाकी हिस्सों पर हमला कर दिया।
 इसके बाद भी न तो ब्रिटेन और न ही फ्रांस सैन्य कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं थे।

लड़ाइयाँ और द्वितीय विश्व युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाएँ

शुरुआत
 बढ़ते अंतरराष्ट्रीय तनाव के तीन साल जिसमे स्पेन का गृहयुद्ध, जर्मनी और ऑस्ट्रिया का एकीकरण, सुडेटेनलैंड पर हिटलर के कब्जे
और चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण के कारण धुरी शक्तियाँ और मित्र राष्ट्रों के बीच संबंधों के स्तर में गिरावट आई ।
 हालांकि, 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर जर्मनी का आक्रमण हुआ और दो दिन बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा
कर दी ।
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 यह द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के रूप में जाना जाता है।

वाकयुद्ध - Phoney War


 यह 6 महीने की अवधि तक था, जिसे जाली युद्ध के रूप में जाना जाता है, जिसके दौरान जर्मनी ने पश्चिमी यूरोप के किसी भी हिस्से पर इस उम्मीद में हमला नहीं किया कि
ब्रिटेन और फ्रांस उसे शांतिवार्ता करने के लिए बुलाएंगे ।
 जर्मन जनरल इस अवधि से काफी खुश थे, क्योंकि उन्हें लगा था कि जर्मनी उस समय बड़े पैमाने की लड़ाई लड़ने के लिए उस हद तक मजबूत नहीं था।
 पूर्व में, जब फिनलैंड पर 1939 में सोवियत संघ द्वारा हमला किया गया था तो राष्ट्र संघ ने रूस को निष्कासित कर दिया ।
 फिनलैंड ने रूसी क्रांति और रूसी गृहयुद्ध (क्रमशः 1917, 1918-20) के दौरान रूस से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। रूस ने पूरे फिनलैंड पर कब्जा नहीं किया लेकिन उसने
फ़िनलैंड को अपने क्षेत्र के एक बड़े हिस्से को छोड़ने के लिए मजबूर किया ।
 फिनलैंड से के वल उन क्षेत्रों को छीन लिया गया था, जो रूस को पश्चिम से होने वाले हमले से निपटने में मदद कर सकते थे। 1940 में, रूस ने एस्टोनिया, लातविया और
लिथुआनिया के बाल्टिक राज्यों पर हमला किया और उन पर कब्जा कर लिया। ये राज्य जर्मनी ने ‘ब्रेस्ट लिटोव्स्क की संधि’ (1917) के तहत रूस से ले लिए, और फिर
इन्हे वर्साय की संधि (1920) के तहत स्वतंत्र राज्य बना दिया गया। स्टालिन इन राज्यों को फिर से रूस के अंतर्गत लाना चाहते थे।

रिबेंट्रॉप पैक्ट
 1939 के शुरुआती समय तक जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने पोलैंड पर हमला करने और उस पर कब्जा करने की तैयारी कर ली थी।
 पोलैंड पर यदि जर्मनी हमला करता है तो फ़्रांस और ब्रिटेन से उसे सैन्य मदद मिलनी थी, हालांकि हिटलर ने पोलैंड पर हमला करने का मन बना लिया था लेकिन पहले उसे
इस संभावना से निपटना पड़ा कि सोवियत संघ अपने पश्चिमी पड़ोसी के आक्रमण का विरोध करेगा।
 अगस्त 1939 में गुप्त वार्ता, मास्को में जर्मन-सोवियत गैर-आक्रामकता संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
 इसके अलावा, रूस ने सितंबर में पोलैंड में जर्मनी का साथ दिया और पोलैंड को वर्ष के अंत तक दोनों आक्रमणकारियों के बीच मे विभाजित कर लिया गया।

जर्मनी का पोलैंड पर हमला


 1 सितंबर , 1939 को अधिकांश यूरोपीय विद्वान दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की तारीख मानते है। एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व
में जर्मनी ने कई वर्षों तक यूरोप और संभवतः पूरी दुनिया को जीतने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली सैन्य ताकत को जमा किया।
 हिटलर ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए पोलैंड को लक्ष्य के रूप में चुना और 1 सितंबर को पोलैंड पर जर्मनी का आक्रमण शुरू
हुआ।
 फ्रांस और इंग्लैंड दोनों ने पोलैंड (यदि इस पर हमला होता है) की मदद करने का वादा किया था और इसलिए 3 सितंबर,
1939 को दोनों देशों ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद, जर्मनी के सैनिकों ने डेनमार्क , नॉर्वे, बेल्जियम,
नीदरलैंड और अंततः फ्रांस पर कब्जा कर लिया या उन पर हमला किया।

शीतकालीन युद्ध 1940


 रूस और फिनलैंड के बीच ' शीतकालीन युद्ध ' मार्च में खत्म हुआ और अगले महीने जर्मनी ने डेनमार्क और नॉर्वे पर हमला कर
दिया ।
 डेनमार्क ने तुरंत आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन नॉर्वे ने ब्रिटिश और फ्रांसीसी सहायता के साथ आक्रमण का सामना किया, परंतु जून 1940 में उसने भी आत्मसमर्पण कर
दिया।

ब्रिटेन की लड़ाई 1940


 जून 1940 तक, लगभग पूर्ण पश्चिमी यूरोप नाजी नियंत्रण में था । ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स को दिए भाषण में प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने अपने साथी राजनेताओं से कहा,
फ्रांस की लड़ाई खत्म हो गई है । मैं उम्मीद करता हूं कि ब्रिटेन की लड़ाई शुरू होने वाली है । इसके बाद की लड़ाई मुख्य रूप से हवा में हुई ।
 भारी नुकसान के बावजूद, ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स ने सीधे तीन महीनों तक जर्मन लूफ़्टवाफ़ को टक्कर दी और अंततः जर्मनी के हवाई क्षेत्र मे लड़ाई को ले जाने मे कामयाब हो
गया। गर्मियाँ खत्म होने के साथ ही हिटलर के पास हमले को बंद करने के सिवा कोई चारा नहीं था ।

ऑपरेशन बारबारोसा
 ब्रिटेन में हार का सामना करने के बाद हिटलर ने रिबेंट्रॉप पैक्ट तोड़ दिया और 1941 में रूस पर हमला कर दिया।
 अक्टू बर के अंत में सेबस्टोपोल का पतन, और मॉस्को पर साल के अंत तक हमला होना एक तीव्र घटना थी।
 रूस की कड़ी सर्दियों ने जर्मनी की सेना को अपंग बना दिया जिनका अनुभव नेपोलियन ने भी डेढ़ शताब्दी पहले किया था।
 सोवियत संघ ने दिसंबर में जवाबी हमला किया और पूर्वी मोर्चा वसंत ऋतु तक यथावत रहा।

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पर्ल हार्बर पर जापान का हमला
 हिटलर की सेनाओं ने यूरोप के माध्यम से चढ़ाई की, जापान की सेना दक्षिण पूर्व एशिया में कु छ इसी तरह का प्रयास कर रही थी ।
 7 दिसंबर, 1941 को, जापान द्वारा पर्ल हार्बर में संयुक्त राज्य अमेरिका के नौसेना बेस पर हमले में 20 से अधिक अमेरिकी जहाजों और
300 विमानों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया गया । 4000 से अधिक अमेरिकी मारे गए या घायल हुए । अगले दिन, संयुक्त राज्य
अमेरिका आधिकारिक तौर पर युद्ध में शामिल हो गया।

अमेरिका का युद्ध में प्रवेश


 मिडवे 1942 की लड़ाई के माध्यम से, अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया। इस युद्ध में, अमेरिका के समुद्र-आधारित विमानों ने चार जापानी वाहक और एक क्रू जर
को नष्ट कर दिया। यह द्वितीय विश्व युद्ध की एक महत्वपूर्ण घटना थी।
 नाजियों द्वारा की गयी यहूदी लोगों की सामूहिक हत्याओं की खबर मित्र राष्ट्रों तक पहुंच गयी और अमेरिका ने इन अपराधों का बदला लेने का वचन दिया ।

परमाणु बमबारी और अंत


 जापान पर मित्र देशो द्वारा आक्रमण के लिए योजनाएँ तैयार की जा रही थीं, लेकिन भयंकर प्रतिरोध और बड़े पैमाने पर हताहतों की आशंका ने नए अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन
को जापान के खिलाफ परमाणु बम के उपयोग को मंजूरी देने के लिए प्रेरित किया।
 इस तरह के बम 1942 से विकसित किए जा रहे थे, और 6 अगस्त 1945 को उनमें से एक को जापानी शहर हिरोशिमा पर गिरा दिया गया।
 तीन दिन बाद नागासाकी पर एक और बम गिरा दिया गया।
 कोई भी देश इस तरह के हमलों को झेल नहीं सकता था और जापान ने 14 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया।
 जापान के आत्मसमर्पण के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध आखिरकार खत्म हो गया ।

नाजी जर्मनी का आत्मसमर्पण


 जैसे ही मित्र देशों की सेनाएं बर्लिन के करीब आ गईं, उन्हे असली आतंक देखने को मिला।
 उन्होंने कई यातना शिविरों को मुक्त कराया, जहां सैकड़ों हजारों यहूदी अभी भी कै द किए गए थे । यह बचाव अभियान
बहुत देर से पहुंचा क्योंकि एक अनुमान से 60 लाख लोग पहले ही मारे जा चुके थे।
 जब नाजी नेताओं ने 7 मई 1945 को आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया तो दुनिया भर के लोगों ने सड़कों
पर उतर कर जस्न मनाया। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रू पर ने इसे "के वल आधी जीत" कहा, क्योंकि
ओकिनावा द्वीप पर अमेरिकी सैनिक एक भयंकर लड़ाई मे अभी भी व्यस्त थे।

जापान का आत्मसमर्पण
 अगस्त में, संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना ने जापान पर दो परमाणु बम गिराए (एक हिरोशिमा शहर के ऊपर, दूसरा
नागासाकी के ऊपर)।
 उन्हें आशा थी कि शक्तिशाली नया हथियार जापानी नेताओं को जल्दी आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करेगा और
इसने ऐसा किया भी क्योंकि सम्राट हिरोहितो ने कु छ दिनों बाद ही 2 सितंबर, 1945 को जापानी रेडियो पर युद्ध की आधिकारिक समाप्ति की घोषणा की।
 जापान और जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो गया।

विश्व युद्ध का प्रभाव

व्यापक विनाश
 4 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए जिनमें से आधे रूसी थे । कई लोग बेघर हो गए। जर्मनी के औद्योगिक क्षेत्र और शहर तबाह हो गए। इसी तरह फ्रांस और पश्चिम रूस के शहर
हवाई हमलों से तबाह हो गए। ‘प्रलय’ युद्ध की एक और विशेषता थी ।
 हिटलर ने यातना शिविरों में छह लाख यहूदियों को व्यवस्थित रूप से मौत के घाट उतार दिया। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से अनगिनत जापानी मारे
गए और विकलांग हो गए और आने वाली पीढ़ी पर भी इसके प्रभाव देखे जा सकते है।

उपनिवेशों की समाप्ति की शुरुआत


 युद्ध के बाद ब्रिटेन और फ्रांस को विभिन्न घरेलू और बाहरी समस्याओं का सामना करना पड़ा। वे दोनों अब अपने संबंधित उपनिवेशों पर पकड़ बना कर नहीं रख सकते थे। इस
प्रकार, युद्ध के बाद अफ्रीका और एशिया में उपनिवेशवाद का अंत हुआ।

शक्ति संतुलन

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 द्वितीय विश्व युद्ध के साथ ही विश्व पर यूरोपीय प्रभुत्व समाप्त हो गया और सत्ता का संतुलन यूएसएसआर (USSR) और अमेरिका के पक्ष में चला गया। युद्ध की उच्च लागत
के कारण इटली, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस लगभग दिवालिया होने के कगार पर थे।
 ब्रिटेन अत्यधिक अमेरिकी ऋण के नीचे दबा हुआ था जिसे उसने ‘लेंड-लीज अधिनियम’ (1941) के तहत प्रदान की गई अमेरिकी सहायता से प्राप्त किया था । युद्ध के बाद
ब्रिटेन को एक और अमेरिकी ऋण मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा । साथ ही यूरोपीय निर्यात में भी गिरावट आई ।
 अमेरिका आर्थिक रूप से मजबूत था, जबकि यूएसएसआर के पास सबसे बडी सेना थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया एक द्विध्रुवीय विश्व मे बदल गया था, जो बाद में दो
महाशक्तियों के बीच शीत युद्ध का कारण बना।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना


 युद्ध के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना थी ।
 हालांकि राष्ट्र संघ दुनिया को शांति देने मे विफल रहा था परंतु मानव जाति ने दुनिया को एक सुरक्षित और खुशहाल जगह बनाने की उम्मीद नहीं छोड़ी।
 संयुक्त राष्ट्र चार्टर में मानव जाति की आशाओं और आदर्शों को शामिल किया गया है जिसके आधार पर राष्ट्र स्थायी शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं ।
 हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना पर सहमति अटलांटिक चार्टर के तहत, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति से काफी पहले हो गयी थी।

"तीसरी दुनिया" की अवधारणा का उद्भव


 तीसरी दुनिया का मतलब दोनों विश्व शक्तियों में से किसी भी गुट के साथ शामिल ना होना है। युद्ध के बाद उभरे स्वतंत्र राष्ट्र के नेता 1973 में अल्जीयर्स में इकट्ठे हुए और
उन्होने खुद को तीसरी दुनिया घोषित किया। तीसरी दुनिया को साम्यवाद और पूंजीवाद दोनों पर शक था ।

शीत युद्ध की शुरुआत


 युद्ध की समाप्ति के बाद, शांति संधियों के लिए जर्मनी के पोसडैम में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। हिटलर के साथ लड़ने वाले देशों ने अपने क्षेत्र खो दिये और उन्हे
मित्र देशो को भुगतान करना पड़ा । जर्मनी और उसकी राजधानी बर्लिन को चार हिस्सों में बांट दिया गया था।
 इन क्षेत्रों पर ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और सोवियत संघ का नियंत्रण होना था ।
 तीन पश्चिमी सहयोगियों और सोवियत संघ ने कई बातों पर असहमति जताई और जैसे-जैसे समय बीतता गया, जर्मनी को दो अलग देशों में बाट दिया गया: पूर्वी जर्मनी, जिसमें
साम्यवादी सरकार थी और पश्चिम जर्मनी, जो एक लोकतांत्रिक राज्य था ।
 इसने शीत युद्ध की नींव रखी।

WWII में नौसेना की भूमिका


 धुरी शक्तियों की पराजय में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जापान को हराने में अमेरिकी नौसेना ने अहम भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश नौसेना ने भी मित्र देशों की बहुत मदद
की।
 नौसेना ने सहयोगी दलों के व्यापारिक जहाजों की रक्षा की। इससे भोजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हुई। आर्क टिक के रास्ते रूस को हथियार, विमान और मांस की आपूर्ति
बनाए रखने में ब्रिटिश नौसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
 मित्र देशों की नौसेना ने जर्मन पनडु ब्बियों और सतही हमलावरों को डु बोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 मित्र देशों की नौसेना धुरी राष्ट्रों की आपूर्ति को अवरुद्ध करने में सफल रही।
 इसने उत्तरी अफ्रीका और फिर इटली में सैनिकों को ले जाकर सैन्य स्थानांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 1944 में विची फ्रांस के आक्रमण के दौरान समुद्र और वायु शक्ति महत्वपूर्ण साबित हुई थी।
 ब्रिटिश नौसेना अटलांटिक (1939-45) की लड़ाई में अपनी जीत के लिए सबसे अधिक जानी जाती थी। अटलांटिक की लड़ाई जर्मन यू-बोट्स और ब्रिटिश नौसेना के बीच
संघर्ष था जिसमे जर्मनी ब्रिटेन के वाणिज्य जहाजों को डु बाकर उनके खाद्य और कच्चे माल की आपूर्ति को बाधित करना चाहता था।

मित्र देशों ने निम्नलिखित कई कारणों से अटलांटिक की लड़ाई जीती:


 संघर्ष को रोकना - वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर
 समुद्र में सुरक्षा प्रदान करना - समुद्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए
 अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी - यूनाइटेड किं गडम के सहयोगियों (जैसे नाटो) के साथ संबंधों को मजबूत करने में मदद के लिए
 लड़ने की तत्परता - दुनिया भर में यूनाइटेड किं गडम के हितों की रक्षा के लिए
 अर्थव्यवस्था की रक्षा करना - समुद्र में यूनाइटेड किं गडम और उसके सहयोगियों की आर्थिक समृद्धि की गारंटी के लिए महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की रक्षा करना
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 मानवीय सहायता प्रदान करना - वैश्विक आपदाओं के लिए एक तेज और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए

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