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3e4S महाराष्ट्र के पालघर में गड चिचली  क्षेत्र में दो साधुओं की निर्मम हत्या की घटना ने मानवता को आहत
किया है हत्या किया जाना अपराधियों का बढ़ना और अपराधियों और अपराध पर नियंत्रण रखने की
जिम्मेदारी पुलिस की मानी जाती है पालघर की घटना में पुलिस की भूमिका जन आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं
रही ।पुलिस संरक्षण में व्यक्ति अपने को सुरक्षित महसूस करता है खाकी वर्दी और पुलिस की भूमिका में कार्य
करने वाले व्यक्तियों में आम नागरिक अपनी सुरक्षा का की कल्पना करता है पालघर की घटना का जो
वीडियो, समाचार प्रसारण में दे खा उसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका उनके कर्तव्य बोध को निगलती दिख रही है
।वहां पुलिसिया जवान  सब इंस्पेक्टर एवं  इंस्पेक्टर दोनों ही पुलिस नौकरी के कर्तव्य के पालन में कमजोर
दिखे पुलिस जवानों को जब बाहर की भीड़ का आक्रोश दिख रहा था ।वह अपना विरोध प्रदर्शन करने जिस
तैयारी से आए वह पुलिस जवान समझ नहीं सके और दरवाजे से बाहर ले जाते समय साधु पुलिस जवानों का
हाथ पकड़े था दरवाजे पर निकलते समय किसी व्यक्ति द्वारा 70 वर्षीय साधु को लात मारी तब भी पुलिस
समझ नहीं सकी कि क्या होने वाला है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही पुलिस जवानों ने कर्तव्य पालन 
नहीं करते हुए। साधुओं  को पीटते वक्त पुलिस जवानों मैसे किसी एक ने भी एक बार भी हमलावरों का साधुओं
पर किए जाने वाले हमले का प्रतिकार नहीं किया और अपना मुंह मोड़ लिया अपराधी बेरहमी से लाठी-डंडे
निहत्ये और निर्दोषों पर  चलाते रहे । पुलिस जवानों ने हमलावरों द्वारा निर्दोष साधुओं को  पीटने का बिल्कुल
भी विरोध नहीं   और उनका मुंह मोड़ मुंह मोड़ लेना इनकी भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है   पुलिस की
उपस्थिति में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना ने आम नागरिकों को आहत किया है । इस घटना में
शामिल सभी हमलावरों के साथ नाबालिको ने जो भूमिका निभाई है उन्हें भी पूरी सजा दी जानी चाहिए जिससे
नाबालिक भविष्य में ऐसे अपराधों से दरू रहें गे।                      परू ा दे श कोरोना की महामारी में लोग डाउन की
प्रक्रिया का पालन कर रहा है ऐसे में साधु जो यात्रा कर रहे थे उन्हें पुलिस ने संरक्षण क्यों नहीं दिया अगर साधु
गलत थे तो उन्हें रोका क्यों नहीं गया पुलिस को पता ही नहीं है कि उनके आसपास रहने वाला व्यक्ति किस
प्रवत्ति
ृ का है उनमें अपराध प्रवति
ृ   एक एकदम बढ़ गई और उन्होंने साधुओं की हत्या कर दी। साधु कैसे यात्रा
कर रहे थे यह बात अब प्रमुख नहीं है क्योंकि साधु अब इस दनि
ु या में नहीं है किसी जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा
एक वक्तव्य में कहा गया है कि पुलिस ने साधुओं को हमलावरों से बचाने दो फायर किए वह खाली खोके कहां
है या वो भी अपराधी ले गए ले जाने दो जो व्यक्ति पुलिस की मौजूदगी में तीन जान ले सकता है उनके लिए
खाली खोके ले जाना कोई खास बात नहीं है । जहां फायर कुछ नहीं कर सकते वह खोके के क्या करें गे केवल
पुलिस की अक्षमता को और उजागर करें गे। यह  घटना जहां हुईअत्यंत दर्ग
ु म इलाका था जहां से साधु गुजर रहे
थे इस दर्ग
ु म इलाके में हमला बार अपराध करने खट्टे थे और उन्होंने निर्दोषों की हत्या कर दी। जहां घटना घटी
है वहां कुछ दिनों से रात में चोरों के घूमने की अफवाह फैली हुई थी उस थाने में चोरों के घूमने चोरी करने की
घटनाओं की भी जानकारी इकट्ठी की जाए । इन अफवाहों ने  साधुओं की हत्या कर वास्तविक अपराध कर
दिया संत समाज ही नहीं पूरा दे श इस घटना से आक्रोशित है इस घटना में शामिल अपराधी जिनके फुटे ज
दिखाई दे रहे हैं और जो भी इस घटना में संलग्न है उन्हें ऐसी सजा दी जैन चाहिए जिससे अपराधी भ्रम और
अफवाहों के आधार पर भविष्य में कोई अपराध करने की चेष्टा नहीं करें । अपराधियों से ज्यादा बड़ी सजा इन
पुलिसकर्मियों को मिलनी चाहिए जिन्होंने अपने कर्तव्य पालन में ऐसी मिसाल प्रस्तुत की है जिससे मानवता
कलंकित और शर्मसार हुई है नौकरी से निलंबन इस अपराध की सजा नहीं हो सकती है बिना प्रतिरोध के
निर्दोषों को अपराधियों के हवाले मार ने उन्हें सौंप दिए जाने ने खाकी को कलंकित किया है उन्हें कर्तव्य पालन
नहीं करने और सरकारी कार्य कोअंजाम दे ने में जानबझ
ू कर कोताही बरतने का आरोपी माना जाना चाहिए और
कड़ी सजा दी जानी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसे अपराधों की पन
ु रावत्ति
ृ ना हो। और कर्तव्य पालन में
शिथिलता न बरती जाए

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