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Hindi Worksheet-2020-2021

चिचिया की बच्ची
पाठ का उद्दे श्य
१ शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ पढ़ते हुए कठठन शब्दों कद रे खाोंठकत करना।
२ नए शब्दों के अथथ जानकर उनसे वाक्य बनाएँ गी।
३ प्रश्दों के उत्तर अपने शब्दों में बनाएँ गी।

शब्दार्थ
१ मसनद - बड़ा तठकया
२ प्रकृचि - कुदरत
३ चनहारना - गौर से दे खना
४ सूना - एकाोंत
५ नादान - नासमझ
६ सााँझ - शाम
७ झटपट - जल्दी से
८ उजाला - रदशनी
९ पंजा – हाथ
१० जिन - कदठशश
११ िैन - आराम
१२ िौकन्नी – सजग
प्रश्न १ नीिे चदए गए प्रश्ननं के उत्तर एक वाक्य में चलखिए।
१ सेठ माधवदास ने चिचिया कन कब दे िा ?
उत्तर - सेठ माधवदास ने शाम कद कदठी के बाहर गुलाब की डाली पर ठिठड़या
कद दे खा।
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२ चिचिया के मन कन िैन क्यनं नही ं र्ा ?
उत्तर - ठिठड़या माँ से दू र थी अँधेरा बढ़ रहा था सेठ माधवदास उसे जाने से
रदक रहा था, इसठलए ठिठड़या के मन कद िैन नहीों था।
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३ चिचिया मााँ की गनद में पहाँि कर क्यनं सुबकी ?
उत्तर - ठिठड़या सेठ के गलत इराददों तथा नौकर के कठदर हाथदों के स्पशथ से डर
गई थी इसठलए वह माँ की गदद में पहुँि कर सुबकी।
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प्र ४ " चिचिया की बच्ची " कहानी के लेिक का नाम क्या है ?
उत्तर - " ठिठड़या की बच्ची " कहानी के लेखक का नाम जैनेंद्र कुमार है।

प्रश्न २ चकसने चकससे कहा ।


१ ओ माँ ओ माँ
उत्तर - ठिठड़या ने अपनी माँ से कहा।
२ भदली ठिठड़या तुम कहाँ रहती हद?
उत्तर - माधवदास ने ठिठड़या से कहा।
प्रश्न ३ ररक्त स्र्ान भररए ।
१ यह -------------- मैंने तुम्हारे ठलए ही बनवाया है।
२ माधवदास कद ठिठड़या बड़ी ----------------- लगी।
३ माधवदास ने ठिठड़या कद ---------------------- की डाली पर दे खा।
४ ठिठड़या--------------------- थी।

प्रश्न ४ नीिे चदए गए शब्दनं का वर्थ चवच्छे द कीचजए ।


१ ठिठड़या -------------------------------------------------------------
२ गुलाब --------------------------------------------------------------

प्रश्न ५ वाक्य बनाइए।


१ प्रकृठत २ नादान ३ उजाला ४ जतन

मूल्याधाररि प्रश्न (HOTS)


प्र १ क्या ठकसी कद बहला - फुसलाकर अपना काम ठनकलवाना ठीक है ?
उत्तर - ठकसी कद बहला - फुसलाकर उसके सीधे और भदलेपन का लाभ
उठाकर उससे अपना काम ठनकलवाना ठीक नहीों है। ऐसा नहीों करना िाठहए।
ऐसे लदग स्वयों कद बहुत भदला- भाला ठदखाकर केवल अपने स्वाथथ की पूठतथ
करते हैं। वे दू सरदों की भावनाओों का आदर नहीों करते। आवश्यकता पड़ने पर
ऐसे लदग दू सरदों के कभी काम नहीों आते। वे तद केवल अपना ही ठहत सदिते हैं।

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