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तिथि

चन्द्रमा की एक कला को तिथि माना जाता है | प्रतिदिन सूर्य एवं चन्द्रमा के भ्रमण में १२ अंशों का अंतर होता है|

अमावस्या के उपरान्त प्रतिपदा/एकम् से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष की एवं पूर्णिमा के उपरान्त प्रतिपदा से लेकर अमावस्या की
तिथियाँ कृ ष्ण पक्ष की होती है|

तिथियों के नाम

पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी,
चतुर्दशी, अमावस्या |

नक्षत्र

तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है | ज्योतिष शास्त्र में २७ नक्षत्र होते है एवं नक्षत्रों को सूक्ष्मता से समझने के लिए
नक्षत्रों के भी चार भाग किये गए है जिन्हें चरण कहा गया है|

नक्षत्रों के नाम नक्षत्रों के चरणाक्षर

1. अश्विनी
2. भरणी
3. कृ त्तिका
4. रोहिणी
5. मृगशिरा
6. आर्द्रा
7. पुनर्वसु
8. पुष्य
9. अश्लेशा
10. मघा
11. पूर्वाफाल्गुनी
12. उत्तराफाल्गुनी
13. हस्त
14. चित्रा
15. स्वाति
16. विशाखा
17. अनुराधा
18. ज्येष्ठा
19. मूल
20. पूर्वाषाढ़ा
21. उत्तराषाढ़ा
22. श्रवण
23. धनिष्ठा
24. शतभिषा
25. पूर्वाभाद्रपद
26. उत्तराभाद्रपद
27. रेवती

योग

1. विष्कम्भ
2. प्रीति
3. आयुष्मान
4. सौभाग्य
5. शोभन
6. अतिगंड
7. सुकर्मा
8. धृति
9. शूल
10. गंद
11. वृद्धि
12. ध्रुव
13. व्याघात
14. हर्षण
15. वज्र
16. सिद्धि
17. व्यतिपात
18. वरीयान्
19. परिघ
20. शिव
21. सिद्ध
22. साध्य
23. शुभ
24. शुक्ल
25. ब्रम्ह
26. ऐन्द्र
27. वैधृति

करण
1. बव
2. बालव
3. कौलव
4. तैतिल
5. गर
6. वणिज
7. विष्टि
8. शकु नि
9. चतुष्पद
10. नाग
11. किन्स्तुघ्न
राशियाँ

मेष

पुरुश्जाति, चार संज्ञक, अग्नितत्व, पूर्वा दिशा, मस्तक, प्रश्थोदय, उग्र प्रकृ ति, लाल-पीला वर्ण,
कांतिहीन, क्षत्रियवर्ण, पित्त प्रकृ ति, साहसी, अभिमानी|

वृष

मिथुन

कर्क
सिंह

कन्या

तुला

वृश्चिक

धनु

मकर

कु म्भ

मीन

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