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गाय -भस म योिन बाहर िनकलने क सम या

के .एल. दिहया1, वीण कु मार1 एवं दीप कु मार2


1पशु िच क सक, पशु पालन एवं डेयरी िवभाग, कु े , ह रयाणा।
2छा , बी.वी.एससी. ए ड ए.एच. (इं टन ) आई.आई.वी.ई.आर. रोहतक, ह रयाणा।

मादा गाय एवं भस म योिन का शरीर से बाहर िनकलना, पशु के िलये तो ब त ही


क दायी होता है जब क पशुपालक को भी अपने पशु के इलाज के िलए ब त परे शानी का
सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इस सम या को शरीर दखाना, पीछा िनकालना, फू ल

दखाना, गात दखाना इ या द कहा जाता है ले कन शाि दक प से इस सम या को योिन ंश


कहते ह। समा यतः यह सम या यािभन एवं गैर यािभन पशु म देखने को िमलती है ले कन

यािभन पशु म यादा ही देखने म आती है। कई पशु म तो यह सम या उनके मदकाल के


समय भी देखने को िमलती है। इस सम या से पीिड़त पशु क योिन बैठे ए ही सरक कर शरीर
से बाहर िनकल जाती है जब क कु छ पशु म खड़े-खड़े ही बाहर िनकल जाती है। शु आती
दौर म योिन के सरक कर बाहर आने पर पशु को दद नह होता और कई बार पशु के खड़ा होने
यह अपने आप ही अ दर चली जाती है ले कन जैस-े जैसे सम या बढ़ती है तो पीिड़त पशु गोबर-
पेशाब करते समय जोर मारने लग जाता है और बाहर िनकली ई योिन का िह सा शरीर से
बाहर ही लाल गुबारे क तरह फू ला आ लटकता रहता है। आमतौर पर ऐसे पशु म सम या
बढ़ने पर ब द
े ानी भी उ टकर शरीर से बाहर आ जाती है िजससे सम या और भी यादा
गंभीर हो जाती है। य द समय रहते इस सम या क ओर यान ना दया जाए तो यह एक
गंभीर प ले लेती है िजससे कई बार पशु क जान भी चली जाती है।

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यह सम या यािभन पशु म कसी भी समय हो सकती है ले कन यादातर याने से
कु छ माह पहले से लेकर याने के कु छ दन बाद अिधक देखने को िमलती है। आमतौर पर यह
सम या गाय क तुलना म भस म अिधक होती है। दूधा पशु के इस सम या से िसत होने
क ि थित म उनका दु ध उ पादन कम हो जाता है और देरी से उसका ईलाज करवाने से उसक
गभधारण मता भी कम हो सकती है। बैठते समय पशु के पीछा दखाने पर अवारा कु ारा
बाहर िनकले अंग को भारी नुकसान प ंचा दया जाता है। योिन सरक कर बाहर आने क
िन िलिखत तीन अव थाएं हो होती ह:
1. पहली अव था: इसम पशु जोर नह मारता है िसफ बैठते समय ही के वल उसक योिन
का थोड़ा िह सा ही बाहर िनकलता है जो खड़ा होन पर अपने आप ही अंदर चली जाती
है। थोड़े से इलाज म ही पशु को आराम िमल जाता है।
2. दूसरी अव था: इस दशा म पशु बैठे या खड़े रहते ए ब त जोर मारता है और ब द
े ानी
के मुंह तक का िह सा लाल गुबारे क तरह पीछे िनकल जाता है। इस ि थित म य द
इलाज करवा िलया जाता है तो सम या को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
3. तीसरी अव था: इस अव था म ब द
े ानी का यादातर िह सा बाहर आ जाता है और
योिन और ब द
े ानी पर ज म हो जाते ह िजसक वजह से खून भी बहने लगता है। यह
ब त घातक ि थित है और इसका तुरंत िच क सक से ईलाज करवाना चािहए।
योिन के सरक कर शरीर से बाहर िनकलने के कई कारण ह:
1. असंतिु लत खानपान: पशु के संतुिलत आहार म ोटीन, वसा इ या द तो ज री ह ही

ले कन इसम आव यक त व जैसे क कै ि यम, फा फोरस, आयोिडन, सेनेिनयम और


िवटािमन ई क कमी होना मु य कारण म से ह। यादातर पशु म कै ि यम और
फा फोरस त व का असंतुलन इस रोग का ब त बड़ा कारण है। शरीर म इन त व क
कमी के कारण योिन के आसपास क मांसपेिशयां कमजोर होने के कारण ढीली पड़
जाती ह और योिन अपनी जगह पर नह टक पाने के कारण शरीर से बाहर िनकलने
लगती है।
2. ज मजात: कई पशु म ज म से ही ब ेदानी को अपनी ि थित म रखने वाली
मांसपेिशयां कमजोर होती ह, जो उनम शरीर बाहर िनकालने का एक कारण बनती ह।
ऐसे पशु म यह सम या पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है।
3. ए ोजन हॉरमोन क अिधकता: पशु के शरीर म ोजे टीरोन हॉरमोन क कमी या
ए ोजन क अिधक मा ा होने से यह सम या हो सकती है। पशु को ऐसा हरा चारा
जैसे क बरसीम, यूसन आ द, िजसम ए ोजन हॉरमोन क मा ा अिधक होती है, के
िखलाने से भी इस सम या को बढ़ावा िमलता है। बरसात के मौसम म फफूं दी लगा चारा
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या अनाज भी ए ोजन हॉरमोन जैसा असर दखाता है। मादा पशु के अ डाशय म
िस ट हो जाने पर अिधक मा ा म उ प ए ोजन हॉरमोन भी इसका एक कारण पाया
गया है।
4. सं मण: कई पशु म याने के समय योिन म ज म हो जाते ह या क ठन सव के समय
अ यािधक जोर लगाने पर, गाय-भस क योिन बाहर आने लगती है। याने के बाद य द
ब ेदानी म सूजन या सं मण हो जाए तो पशु जोर मारता है, िजससे मादा पशु शरीर
दखाने लग सकती है।
उपचार एवं रोकथाम
1. ज दी यान देना: योिन बाहर िनकालने क ि थित म इसका तुरंत यान करना चािहए।
बाहर िनकले ए भाग को िम ी, गोबर-पेशाब, पशु-पि य और कु से भी अव य
बचाकर रखना चािहए। शरीर दखाने वाले पशु को खुली जगह क बजाय, साफ-
सुथरी व बंद जगह पर बांधना चािहए। समय पर, हर संभव िच क सक से पीिड़त पशु
का इलाज िबना देरी के करवाना चािहए।
2. ठ डा पानी डालना: शु आती दौर म योिन के सरक कर बाहर आने क ि थित म
लगभग आधा घ टा ठ डा पानी देने से आमतौर पर योिन अपने आप ही अंदर चली
जाती है। उसके बाद िच क सक से उसका इलाज ज र करवा लेना चािहए। बाहर
िनकली ई योिन पर ठ डा पानी डालने से वह िसकु ड़ जाती है िजससे गंदगी तो साफ
हो ही जाती है साथ ही उसे हाथ से अंदर करने म भी आसानी होती है।

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3. योिन अंदर करना: बाहर िनकले ए योिन के भाग को यादा देर तक बाहर नह रहने
देना चािहए। योिन ार से बाहर आए भाग को साफ हाथ से पकड़कर लाल दवाई के
घोल से धोकर वािपस अंदर डाल देना चािहए। िनकले ए शरीर को धीरे -धीरे अपनी
हथेिलय क सहायता से वािपस योिन म हाथ डाल कर अंदर करना चािहए। लाल
दवाई का घोल बनाने के िलए आधी बा टी साफ पानी म आधी चुटक लाल दवाई क
मा ा डालनी चािहए। बाहर आए िह से पर कोई क टाणुनाशक म भी लगाई जा
सकती है। यान रहे, योिन अंदर करने वाले ि के हाथ के नाखून कटे ए होने
चािहए और हाथ साबुन से धोने के बाद ही बाहर िनकले िह से को छू ना चािहए।
4. पेशाब क थैली खाली करना: योिन के बाहर आने क ि थित म मादा पशु म पेशाब
नली म कावट हो जाती है, िजस कारण पेशाब करने के िलए पशु और अिधक जोर
मारने लगता है और उसे ब त अिधक दद भी होता है। ऐसी ि थित म बाहर िनकले ए
योिन के िह से को अंदर धके लने म मुि कल आती है। अतः बाहर िनकली योिन को अंदर
करने से पहले, हाथ या साफ मुलायम कपड़े क सहायता से बाहर िनकली ई योिन को
ऊपर उठाकर पहले पेशाब िनकाल देना चािहए। पेशाब बाहर नह आने क ि थित म
िच क सक क सहायता लेना िब कु ल ना चूक।
5. शरीर के अगले िह से नीचा करना: योिन बाहर िनकलने क ि थित म पीिड़त मादा
गाय या भस के शरीर के िपछले िह से को लगभग आधा फु ट िम ी डालकर ऊँचा कर देने
से सम या को ठीक करने म ब त यादा लाभ िमलता है। ऐसे पीिड़त पशु के बांधने
वाली जगह से अगले पैर वाली जगह से िम ी िनकाल कर भी कया जा सकता है।
6. संतिु लत आहार: इस रोग का संबध
ं खुराक से िमलने वाले त व क कमी से पाया गया
है। अतः इस रोग क रोकथाम के िलए यािभन पशु क खुराक का िवशेष यान
रखना चािहए। गभाव था के दौरान मादा पशु को खिनज िम ण ज र दये जाने
चािहए। ऐसे पशु को एक समय म ही भरपेट चारा भी खाने के िलए ना देकर उनको
थोड़ी-थोड़ी मा ा म दन म कई बार िखलाना चािहए। कभी भी पशु को फफूं द लगा
आ चारा या दाना िब कु ल भी नह देना चािहए।
7. छक लगाना: िजन पशु म योिन सरक कर बाहर आ जाती है तो उनको छक
लगाकर रखनी चािहए।

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8. सं मण का इलाज: याने के बाद य द ब द
े ानी म जेर क गई है या उसम से मवाद या
मैला आ रहा है तो उसका उपचार िबना देरी के नजदीक िच क सक से करवा लेना
चािहए।
9. अ डाशय म िस ट: अ डाशय म िस ट होने क ि थित म पीिड़त पशु का उपचार भी
पशु िच क सक से समय रहते करवा लेना चािहए।
ऐसा कभी ना कर

1. आमतौर पर ऐसा देखने म आता है क जब भी कसी पशु क योिन सरक कर बाहर आ


जाती है तो पशुपालक ारा उसे पांव क जूती के साथ धके ल कर अंदर कर दया जाता
है। पशुपालक को इस बात को समझना चािहए क योिन शरीर का एक नाजुक अंग है
िजसे साफ-सफाई क आव यकता होती है ले कन जूती या गंदे हाथ लगाने से उसक
ि थित और भी यादा गंभीर होने क संभावना रहती है। अतः बाहर िनकली ई योिन
को जूती या गंदे हाथ नह लगाने चािहए।
2. मादा पशु क बाहर िनकली ई योिन पर ि प रट या शराब, नमक, चीनी, पे ोल आ द

भी नह डालना चािहए, इससे ज म बढ़ने के साथ-साथ सम या भी गंभीर हो सकती है।

घरेलु उपचार
आमतौर पर देखने म आता है क पशुपालक ऐसे मादा पशु को इलाज के िलए
िच क सक के पास ब त देरी एवं सम या गंभीर होने क ि थित म लेकर आते ह िजससे उनका
उिचत इलाज भी नह हो पाता है। ब त से पशुपालक परे शान होकर ऐसे पशु को अिधक
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मा ा म स यानाशी के बीज िखला देते ह िजससे कु छ समय के िलए रोग तो ठीक हो जाता है
ले कन स यानाशी के बीज, पशु के जीगर को कमजोर कर देते ह िजससे उसका खाना-पीना
ब त कम होने से वह ब त अिधक कमजोर हो जाता है। अतः स यानाशी के बीज को पीिड़त
पशु को देने से बचना चािहए और अगर देना भी चाहते ह तो कु शल पशु िच क सक क
देखरे ख म ही द।
य द पशुपालक योिन
बाहर िनकालने वाले पशु
को घरे लू दवाई देना चाहते ह
तो पशु िच क सक क सलाह
से बरगद के पेड़ क हवा म
लटकती ई 50 - 60 ाम
ताजी जड़ (िज ह बड़ क
दाढ़ी भी कहते ह), को कू टकर
दूध या पानी या घास, चोकर

म िमलाकर, दन म एक बार,
2 - 3 दन तक दे सकते ह। इ ह िखलाने से ब त अ छे प रणाम देखने को िमलते ह।

Available with www.dkart.in since August 8, 2020.

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