You are on page 1of 4

पाठ -17 : बच्चे काम पर जा रहे हैं

(राजेश जोशी)
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-1  कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से
आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त
कीजिए?
उत्तर- कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन-मस्तिष्क
में ऐसे विवश, लाचार और अभागे बच्चे की तस्वीर उभरती है जिसका
बचपन छिन चुका है l सर्दी और घने कोहरे में छोटे बच्चों द्वारा
काम पर जाना एक चिंता की बात है l इन बच्चों की उम्र खेलने -
कूदने और पढ़ने-लिखने की है परं तु वे अपने परिवार और अपना
भरण-पोषण करने के लिए इस उम्र में काम पर जाने को विवश हैं l
उनके प्रति किसी के मन में हमदर्दी नहीं है l उन्हें कोई दिलासा या
सांत्वना दे ने वाला या प्यार करने वाला कोई नहीं है l 
 
प्रश्न-2  कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक
बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना
चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे
प्रश्न के रूप में क्यों पछ
ू ा जाना चाहिए?
उत्तर- मानव का स्वभाव ऐसा ही है कि वह किसी भी बात को बताए
जाने पर या पढ़ने पर अक्सर भूल जाता है परं तु किसी प्रश्न का
उत्तर खोजने के लिए वह अवश्य प्रेरित होता है l कवि मानता है कि
इस विकट समस्या के प्रति मानव समाज का ध्यान वह कोई विवरण
प्रस्तुत करके नहीं खींच पाएगा और न ही उसका कोई निश्चित
समाधान हो पाएगा l समाज में बालश्रम क्यों है ? यह प्रश्न पूछे जाने
पर व्यक्ति अनत्ु तरित होकर इसका समाधान खोजेगा और एक दिन
बालश्रम नामक भयानक सामाजिक बरु ाई से हमारा समाज अवश्य
मुक्त हो जाएगा l
 
प्रश्न-3 सवि
ु धा और मनोरं जन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर- बच्चे सुविधा और मनोरं जन के उपकरणों से वंचित इसलिए हैं
क्योंकि उनके माता-पिता गरीब हैं l उनके पास रोजगार के साधन
नहीं है l वे दिन भर मजदरू ी करने के बाद अपने परिवार को भरपेट
भोजन नहीं दे पाते l तो ऐसी स्थिति में वे अपने बच्चों के लिए
खिलौने किस प्रकार जुटा सकते हैं l यही कारण है कि उनके बच्चे भी
अपने माता-पिता की सहायता करने और धन कमाने के लिए काम
पर जाते हैं l उन्हें खेलने- कूदने और पढ़ने का अवसर नहीं
मिल पाता l
 
प्रश्न-4 दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते
दे ख रहा/रही है , फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता l इस
उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- दिन-प्रतिदिन बच्चों को काम पर जाता दे ख किसी को कुछ भी
अटपटा नहीं लगता l इस सामाजिक उदासीनता के मुख्य कारण
निम्नलिखित हैं-
1. संवेदनहीनता- जीवन के प्रति भय, संशय, आशंका के चलते मानव
संवेदनहीन हो गया है l वह सिर्फ अपने तथा अपने परिवार के बारे में
सोचता है l
2. सामाजिक स्तर- उच्च वर्ग के लोग निम्नवर्गीय लोगों को हीन
समझते हैं इसलिए वे उनकी कोई परवाह नहीं करते l
3. स्वार्थ एवं पारिवारिक समस्याएँ- अपनी पारिवारिक समस्याओं से
आज का हर व्यक्ति परे शान है इसलिए वह अपने कर्तव्य से विमख

होता जा रहा है l
4. सामाजिक जागरूकता का अभाव- लोगों में बालश्रम के प्रति
जागरूकता नहीं है , वे यह सोचते हैं कि यह सरकार के सोचने का
कार्य है l
 
प्रश्न-5 आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम
करते हुए दे खा है ?
उत्तर- मैंने अपने शहर में बच्चों को अनेक स्थानों पर काम करते
हुए दे खा है l जैसे चाय वाले की दक ु ान पर, ढाबे पर, होटलों पर,
सब्जियों और विभिन्न दक ु ानों पर, समद्ध
ृ घरों में तथा कई बच्चों को
निजी कार्यालयों में भी काम करते हुए दे खा है l
 
प्रश्न-6 बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान
क्यों है ?
उत्तर- बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान
इसलिए है क्योंकि बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हैं और राष्ट्र को
चाहिए कि अपने भविष्य को सुरक्षित एवं प्यार-भरा माहौल दें l उन्हें
सशि
ु क्षित नागरिक बनने का मौका प्रदान करें l अगर ऐसा नहीं होता
है तो इससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा l बच्चों का भविष्य
नष्ट होना किसी बड़े हादसे से कम नहीं है l बच्चों का भविष्य नष्ट
होना दे श का भविष्य नष्ट होने के समान माना जाता है l

रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न-7 काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर आप अपने -आप को
रखकर दे खिए l आपको जो महसस
ू होता है उसे लिखिए l

उत्तर– विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं लिखें गे l (उत्तर पचास


शब्दों में लिखिए)

  

प्रश्न-8 आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना


चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?

उत्तर- मेरे विचार से बच्चों को काम पर नहीं भेजा जाना चाहिए


क्योंकि बच्चे छोटे होते हैं और उनकी नैसर्गिक रुचि खेलने-कूदने की
होती है l बच्चों को खेलने-कूदने का पूरा मौका मिलना चाहिए तथा
उनके बौद्धिक विकास के लिए उन्हें पढ़ने का उचित अवसर मिलना
चाहिए जिससे वे अच्छे नागरिक बन सकें और दे श की समद्धि
ृ में
अपना योगदान दे सकें l किसी ने ठीक ही कहा है कि बच्चे दे श का
भविष्य होते हैं l अगर बच्चों को पढ़ने-लिखने का मौका नहीं मिलेगा
तो वह अपने दे श का नाम कैसे रोशन कर पाएँगे l ऐसा दे श कभी भी
तरक्की नहीं कर सकता जिसके बच्चे अनपढ़ हों l

You might also like