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Indas Amendment Rules 2020 240720 PDF
Indas Amendment Rules 2020 240720 PDF
-33004/99
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सी.जी.-डी.एल.-अ.-24072020-220679
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CG-DL-E-24072020-220679
ऄसाधारण
EXTRAORDINARY
भाग II—खण्ड 3—ईप-खण्ड (i)
PART II—Section 3—Sub-section (i)
प्राजधकार से प्रकाजित
PUBLISHED BY AUTHORITY
सा.का.जन. 463 (ऄ).—कें द्रीय सरकार, कं पनी ऄजधजनयम, 2013 (2013 का 18) की धारा 469 के साथ पठित
धारा 133 द्वारा प्रदत श िजोयक का प्रयोग करते ए ए कं पनी (भारतीय लेखा मानक) जनयम, 2015 में र संिोधन करने के
जलए जनम्नजलजखत जनयम बनाती है, ऄथायत्:-
1. संजिप्त नाम र प्रारम्भ- आन जनयमक का नाम कं पनी (भारतीय लेखा मानक) संिोधन जनयम, 2020 है।
(2) ये राजपत्र में आनके प्रकािन की तारीख से प्रवृत श हकगे।
2. कं पनी (भारतीय लेखा मानक) जनयम, 2015 में “ऄनुलग्नक” में, िीर्यक “ख. भारतीय लेखा मानक आं ड एएस” के
ऄधीन,-
(क) “भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 103” में,-
“3 एक ऄजस्ट्तत्व आस भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस में, दी गयी पठरभार्ा के अधार पर यह जनधायठरत करेगा दक
क्या एक संव्यवहार या ऄन्य घटना एक व्यावसाजयक संयोजन है या नहीं, यह भारतीय लेखा मानक यह ऄपेिा
करता है दक ऄजधग्रहीत की गयी अजस्ट्तयक र ग्रहण दकए गए दाजयत्वक से एक व्यवसाय का गिन होता है। यदद
ऄजधग्रहीत की गयी अजस्ट्तयां एक व्यवसाय नहीं है तो ठरपोर्टटग करने वाला ऄजस्ट्तत्व जविेर् संव्यवहार या ऄन्य
घटना का लेखा एक अजस्ट्त ग्रहण के रूप में करे गा। पैरा ख5-ख12घ एक व्यावसाजयक संयोजन की पहचान
र एक व्यवसाय की पठरभार्ा हेतु ददिा- जनदेि प्रदान करते हैं।”
3271 GI/2020 (1)
2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
“64त व्यवसाय की पठरभार्ा (भारतीय लेखा मानक 103 में संिोधन), के ऄंतगयत पैरा ख7क-ख7ग, ख8क एवं
ख12क-ख12घ जोड़े गए हैं, पठरजिष्ट क में िब्द ‘व्यवसाय’ की पठरभार्ा को संिोजधत दकया गया है,
पैरा 3, ख7-ख9, ख11 व ख12 संिोजधत दकए गए हैं र पैरा ख10 को हटा ददया गया है। एक
ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को ऐसे व्यावसाजयक संयोजनक पर लागू करे गा जजनकी ऄजधग्रहण तारीख 1 ऄप्रैल
2020 को या आसके बाद की तारीख से प्रारं भ होने वाली प्रथम वार्षर्क ठरपोर्टटग ऄवजध के प्रारं भ की
तारीख या बाद की तारीख हो। ये संिोधन ईन अजस्ट्त ऄजधग्रहणक पर भी लागू हकगे जो ईो ऄवजध के
प्रारं भ या बाद की तारीख को ए ए हैं।”
(iii) पठरजिष्ट क में, व्यवसाय की पठरभार्ा को जनम्नजलजखत से प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“ख7 एक व्यवसाय ईन जनवेिक र प्रदक्रयाओं के संयोग से बना होता है जजनका प्रयोग ईत्पाद की
ईत्पजत श के जलए दकया जाता है। एक व्यवसाय के तीन तत्वक की पठरभार्ा आस प्रकार है (व्यवसाय के तत्वक
पर मागयदियन के जलए पैरा ख8-ख12घ का ऄवलोकन करें ):
(क) जनवेि : कोइ भी अर्षथक संसाधन जो एक या ऄजधक प्रदक्रयाओं के प्रयोग द्वारा ईत्पादक की रचना
करता है या दिर ईत्पादक की रचना में ऄंिदान करने की िमता रखता है। ईदाहरणतया गैर चालू
अजस्ट्तयक (ऄमूतय अजस्ट्तयां या गैर चालू अजस्ट्तयक के प्रयोग के ऄजधकारक सजहत) बौजिक सम्पजत श अवश्यक
सामजग्रयक या ऄजधकारक व कमयचाठरयक तक पए ंच की योग्यता।
(ख) प्रदक्रया : कोइ प्रणाली, मानक, नयाचार, पठरपाटी या जनयम, जजसे जब एक जनवेि या जनवेिक पर
लागू दकया जाता है तो वह ईत्पादक की रचना करता है या ईत्पादक की रचना करने के जलए योगदान देने
की योग्यता रखता है। रणनीजतक प्रबंध प्रदक्रयाएं, पठरचालन प्रदक्रयाएं र संसाधन प्रबंध प्रदक्रयाएं,
ईदाहरण में ऄंतःस्ट्थाजपत हैं। ये जवजिष्ट प्रदक्रयाएं सामान्यतया प्रलेजखत होती हैं लेदकन एक संगठित,
कौिल संपन्न, जनयमक व पठरपाठटयक का ऄनुसरण करने वाले संगठित कायय दल की बौजिक िमता भी
ऐसी अवश्यक प्रदक्रयाएं प्रदान कर सकता है जो जनवेिक पर प्रयोग की जा सकती हैं तादक ईत्पादक की
रचना हो सके । (लेखा, जबललग, वेतन वेतन पत्रक र ऄन्य प्रिासकीय काययदल, ईत्पादक की रचना के हेतु
प्रदक्रयाएं नहीं है।
(ग) ईत्पाद : ग्राहकक को वस्ट्तुएं या सेवाएं प्रदान करने, जनवेि पर अय (जैसे दक लाभांि या ब्याज) को
ईत्पन्न करने वाली या दिर, सामान्य गजतजवजधयक से ऄन्य अय को ईत्पन्न करने वाली जनवेिक व
प्रदक्रयाओं पर लागू की गयी प्रदक्रयाएं का पठरणाम ।”
“ख7क पैरा ख7ख में एक वैकजल्पक परीिण (सघनता परीिण) जनधायठरत दकया गया है जो एक सरलीकृ त
मूल्यांकन की ऄनुमजत देता है दक गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक का ऄजधग्रहीत समुच्चय एक व्यवसाय नहीं है।
एक ऄजस्ट्तत्व के जलए आस परीिण के प्रयोग करने या न करने का जवकल्प ईपलब्ध है। ऄजस्ट्तत्व आस चयन
[भाग II—खण्ड 3(i)] भारत का राजपत्र : ऄसाधारण 3
का प्रयोग ऄलग-ऄलग रूप से प्रत्येक संव्यवहार या ऄन्य घटना के जलए कर सकता है। आस सघनता
परीिण के जनम्नजलजखत पठरणाम होते हैं:
(क) यदद सघनता परीिण संपन्न होता हैं र गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक का समुच्चय यह जनधायठरत
करता है दक वह व्यवसाय नहीं है तो अगे के दकसी मूल्यांकन की अवश्यकता नहीं है।
(ख) यदद सघनता परीिण संपन्न नहीं होता है या ऄजस्ट्तत्व यह चयन करता है दक परीिण का प्रयोग
न दकया जाए, तो ऄजस्ट्तत्व पैरा ख8–ख12घ में जनधायठरत मूल्यांकन का जनवायह करे गा।
ख7ख एक सघन परीिण तभी संपन्न होता है जब ऄजधग्रहीत सकल अजस्ट्तयक का ऄजधकांि ईजचत मूल्य एक
आकहरे पहचान योग्य अजस्ट्त या एक प्रकार की पहचान योग्य अजस्ट्तयक का समूह सघजनत हो। सघनता
परीिण के जलएः-
(क) ऄजधग्रहीत सकल अजस्ट्तयक में अस्ट्थजगत कर दाजयत्वक के प्रभावक के पठरणामस्ट्वरूप नकदी व
नकदी-तुल्य अस्ट्थजगत कर अजस्ट्तयां व गुडजवल को ऄंतःस्ट्थाजपत नहीं दकया जाएगा।
(ख) ऄजधग्रहीत सकल अजस्ट्तयक के ईजचत मूल्य में ऄजधग्रहीत िुि पहचान योग्य के ईजचत मूल्य के
उपर ऄन्तठरत प्रजतिल (दकसी ऄजनयंजत्रत ब्याज र पूवय धाठरत ब्याज सजहत) ऄंतःस्ट्थाजपत
हकगे। ऄजधग्रहीत सिल अजस्ट्तयक के ईजचत मूल्य का जनधायरण सामान्यतया ऄन्तठरत प्रजतिल के
ईजचत मूल्य को जोड़कर अयी राजि में (जजसमें ऄजनयंत्रक ब्याज का ईजचत मूल्य ग्रहीत दाजयत्वक
(जजनमें अस्ट्थजगत कर दाजयत्व ऄंतःस्ट्थाजपत नहीं हकगे) र ईप पैरा (क) में पहचानमुद्रा भी
िाजमल नहीं होगी। लेदकन ऄजधग्रहीत सकल अजस्ट्तयक का ईजचत मूल्य ईस जोड़ से ऄजधक है तो
ऄजधक व ईजचत गणना की अवश्यकता होगी।
(ग) एक आकहरी पहचान योग्य अजस्ट्त में एक अजस्ट्त या अजस्ट्तयक का समूह, जजसे एक व्यावसाजयक
संयोजन में एक आकहरी पहचान योग्य अजस्ट्त के रूप में मान्यता दी जाती है र माप दकया
जाता है, ऄंतःस्ट्थाजपत होगा।
(घ) ऐसी अजस्ट्तयां भी आकहरी पहचान योग्य अजस्ट्त की श्रेणी में अएंगी जब एक मूत शय अजस्ट्त दूसरे के
साथ आस तरह से सम्बंजधत है दक ईन्हें (भारतीय लेखा मानक 116, पट्टे, में यथा पठरभाजर्त एक
पट्टे के ऄधीन) र कोइ जविेर् व्यय खचय दकए जबना या ईस अजस्ट्त (ईदाहरण स्ट्वरूप भूजम व
भवन) ईपयोग या ईजचत मूल्य में कोइ ऄजधक िरण ए ए जबना ऄलग न दकया जा सके ।
(ङ) यह जनधायठरत करने के जलए दक अजस्ट्तयां एक जैसी हैं, एक ऄजस्ट्तत्व को प्रत्येक आकहरी पहचान
योग्य अजस्ट्त की प्रकृ जत पर जवचार करना चाजहए। साथ ही वह यह भी जवचार करे दक ईसके
प्रबंधक एवं ईत्पादक के जनमायण से जुड़े कौन से जोजखम हैं (ऄथायत् जोजखम ऄजभलिण)
(च) जनम्नजलजखत प्रकार की अजस्ट्तयां एक-जैसी अजस्ट्तयक की श्रेणी में नहीं अएंगी।
(iii) जवजभन्न श्रेजणयक की पहचान योग्य ऄमूतय अजस्ट्तयां (जैसे दक ब्ांडनाम, लाआसेंस व जवकास के
ऄधीन ऄमूत शय अजस्ट्तयां) ;
ख7ग पैरा ख7ख की ऄपेिाएं भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 38, ऄमूत शय अजस्ट्तयां, में एक जैसी अजस्ट्तयक में
ददए गए मागयदियन का संिोधन नहीं करती है तथा भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 16, सम्पजत श, संयत्र
एवं ईपस्ट्कर, भारतीय लेखा मानक 38 एवं भारतीय लेखा मानक 107, जवत शीय जलखतःप्रकटन, में ददये
गए िब्द ‘श्रेणी’ पर मागयदियन का संिोधन नहीं करती है।”
“व्यवसाय के तत्व
ख8 यद्यजप कारोबारक में अमतौर पर ईत्पाद होते हैं लेदकन एक व्यवसाय की योग्यता के जलए गजतजवजधयक व
अजस्ट्तयक के समजन्वत समुच्चय के जलए ईत्पादक की अवश्यकता नहीं है। एक व्यवसाय की पठरभार्ा में
जनजित प्रयोजन के जलए संचालन व प्रबंध में सिम होने के जलए, गजतजवजधयक एवं अजस्ट्तयक का एकीकृ त
समुच्चय के जलए दो ऄजनवायय तत्वक की अवश्यकता होती है- जनवेिक एवं प्रदक्रयाओं के प्रयोग के जलए
प्रदक्रयाएं। एक व्यवसाय में ईन सभी जनवेिक या ईन प्रदक्रयाओं को ऄंतःस्ट्थाजपत करने की अवश्यकता
नहीं होती जजन्हें एक जवक्रेता व्यवसाय के पठरचालन में प्रयोग में लाता है। दिर भी एक व्यवसाय के जलए
गजतजवजधयक एवं अजस्ट्तयक का एक एकीकृ त समुच्चय में कम से कम एक जनवेि र एक िोस प्रदक्रया
ऄंतःस्ट्थाजपत होनी चाजहए जो दोनक जमलकर ईत्पाद की रचना की िमता सृजजत करती हैं। पैरा ख12-
ख12घ आस बात का जनधायरण करता है दक प्रदक्रया िोस दकस प्रकार होती है।”
“ख8क यदद गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक का ऄजधग्रहीत समुच्चय में ईत्पाद है, राजस्ट्व की जनरं तरता ऄपने अप
में आस बात का संकेत नहीं देती दक जनवेि व िोस प्रदक्रया दोनक ऄजधग्रहीत है।”
“ख9 एक व्यवसाय के तत्वक की प्रकृ जत ईद्योग ऄनुसार र एक ऄजस्ट्तत्व की पठरचालन संरचना के ऄनुसार
बदलती रहती है जजसमें ऄजस्ट्तत्व के जवकास का चरण भी ऄंतःस्ट्थाजपत है। स्ट्थाजपत व्यवसायक में प्रायः
जवजभन्न प्रकार की जनवेिक, प्रदक्रयाएं र ईत्पाद हो सकते हैं जबदक नये व्यवसायक के पास कु छ ही
जनवेिक र प्रदक्रयाएं होती हैं र कभी-कभी ईनके पास के वल एक ही जनवेि होती है। लगभग सभी
व्यवसायक के पास दाजयत्व होते हैं परन्तु एक व्यवसाय के जलए दाजयत्व होने अवश्यक नहीं हैं। आसके
ऄलावा एक गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक के ऄजधग्रहीत समुच्चय, जो दक व्यवसाय नहीं है, ईसके कु छ
दाजयत्व हो सकते हैं।”
(VI) पैरा ख10 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
(VII) पैरा ख11 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“ख11 यह जनधायठरत करने के जलए दक क्या गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक का एक जवजिष्ट समुच्चय एक व्यवसाय
है आस पर अधाठरत होगा दक क्या एकीकृ त समुच्चय एक बाजार प्रजतभागी द्वारा एक व्यवसाय के रूप
में पठरचाजलत र प्रबन्ध दकए जाने के जलए सिम है। आस प्रकार, यह मूल्यांकन करने में दक क्या
एक जवजिष्ट समुच्चय एक व्यवसाय है, यह प्रासंजगक नहीं दक क्या एक जवक्रेता ने समुच्चय को एक
व्यवसाय के रूप में पठरचाजलत दकया है या क्या एक ऄजधग्रहणकत शाय ईस समुच्चय को एक व्यवसाय के
रूप में पठरचाजलत करने का आरादा रखता है।”
(VIII) पैरा ख12 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
ख12 पैरा ख12क-ख12घ यह स्ट्पष्ट करते हैं दक आस बात का जनधायरण कै से दकया जाए दक ऄजधग्रहीत प्रदक्रया
िोस है जब गजतजवजधयक व अजस्ट्तयक का ऄजधग्रहीत समुच्चय के पास में ईत्पाद नहीं है (पैरा ख12ख)
र यदद आसके पास ईत्पाद है (पैरा ख12ग) ।”
“ख12क गजतजवजधयक र अजस्ट्तयक का ऄजधग्रहीत समुच्चय जजसका ऄजधग्रहण की तारीख को कोइ ईत्पाद
नहीं है, ईदाहरण है एक प्रारं जभक चरण ऄजस्ट्तत्व का जजससे राजस्ट्व ईत्पन्न होना िुरू नहीं
ए अ है। आसके ऄलावा, यदद ऄजधग्रहण की तारीख को गजतजवजधयक र अजस्ट्तयक का
ऄजधग्रहीत समुच्चय से राजस्ट्व ईत्पन्न हो रहा था, तो आसे ईस तारीख को ईत्पाद देने वाला
माना जाएगा, भले ही बाद में यह बाह्य ग्राहकक से राजस्ट्व ईत्पन्न होना बंद हो जाये,
ईदाहरण के जलए क्यकदक आसे ऄजधग्रहणकताय द्वारा समेदकत कर जलया जाएगा।
ख12ख यदद गजतजवजधयक र अजस्ट्तयक का समुच्चय ऄजधग्रहण तारीख को ईत्पाद नहीं रखता, ऄजधग्रहीत
प्रदक्रया (या प्रदक्रयाओं का समूह) िोस कहलाएगा, लेदकन के वल तब यददः-
(क) यह ऄजधग्रहीत जनवेि या जनवेिक को ईत्पादक में जवकजसत करने या बदलने की िमता के जलए
ऄहम जविेर् हो;
(ख) ऄजधग्रहीत जनवेिक में संगठित काययदल, जजसके पास ईस प्रदक्रया (या ईन प्रदक्रयाओं के समूह)
करने का अवश्यक कौिल, ज्ञान या ऄनुभव है व ऄन्य जनवेिक जजन्हें संगठित काययदल ईत्पादक में
जवकजसत कर सकते हैं या बदल सकते हैं , दोनक ऄंतःस्ट्थाजपत है। आन ऄन्य जनवेिक में
जनम्नजलजखत ऄंतःस्ट्थाजपत हैः-
(i) बौजिक सम्पजत श जजसे एक वस्ट्तु या सेवा के जवकास के जलए ईपयोग में लाया जा सकता है;
(ii) ऄन्य अर्षथक संसाधन जजन्हें ईत्पादक के सृजन के जलए जवकजसत दकया जा सकता है, ऄथवा
(iii) ऐसे ऄजधकार जजनसे अवश्यक सामग्री तक पए ंच प्राप्त करने या ऐसे ऄजधकार जो भावी
ईत्पादक के सृजन को सिम बनाते हैं।
ईप-पैरा (ख)(i)-(iii) में ईजल्लजखत ईदाहरणक में प्रौद्योजगकी, प्रदक्रयाधीन ऄनुसंधान एवं
पठरयोजनाओं, स्ट्थावर संपदा व खजनज जहत ऄंतःस्ट्थाजपत हैं।
ख12ग यदद गजतजवजधयक र अजस्ट्तयक का समुच्चय ऄजधग्रहण तारीख पर ईत्पाद है तो ऄजधग्रहीत प्रदक्रया
(या प्रदक्रयाओं का समूह) िोस कहलाएगा यदद जब ईसे ऄजधग्रहीत जनवेि या जनवेिक में लागू दकया
जाता है:
(क) यह ईत्पादनक के सृजन को जारी रखने के जलए ऄहम है। साथ ही, ऄजधग्रहीत जनवेिक में वह
संगठित काययदल भी ऄंतःस्ट्थाजपत है जजसके पास ईस प्रदक्रया (ईन प्रदक्रयाओं के समूह) के
कायय-जनष्पादन के जलए अवश्यक कौिल ज्ञान या ऄनुभव है, ऄथवा
(ख) ईत्पादक के सृजन को जारी रखने के जलए महत्त्वपूणय योगदान है, र वह
(क) एक ऄजधग्रहीत संजवदा एक जनवेि है, न दक कोइ िोस प्रदक्रया। आसके बावजूद, एक
ऄजधग्रहीत संजवदा ईदाहरणस्ट्वरूप सम्पजत श का अईटसोसय प्रबंधन ऄथवा अजस्ट्त का
अईटसोसय प्रबंधन एक संगठित काययदल तक पए ंच बना सकती है। एक ऄजस्ट्तत्व आस बात का
6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
जनधायरण करे गा दक संगठित काययदल आस प्रकार की संजवदा द्वारा ऄजस्ट्तत्व के जनयंत्रण में र
ऄजधग्रहीत की िोस प्रदक्रया का कायय जनष्पादन िीक से करता है या नहीं। आस जनधायरण में जो
कारक जवचार में जलये जाते हैं ईनमें ऄवजध व नवीकरण की ितों ऄंतःस्ट्थाजपत हैं।
(ख) एक ऄजधग्रहीत संगठित काययदल को बदलने में अने वाली कठिनाआयां आस बात के प्रजत संकेत
करती हैं दक ऄजधग्रहीत संगठित काययदल एक प्रदक्रया पर कायय करता है जो ईत्पादक के सृजन
की िमता के जलए ऄहम है।
(ग) एक प्रदक्रया (या प्रदक्रयाओं का समूह) तब तक ऄहम नहीं है जब, ईदाहरणस्ट्वरूप, वह ईत्पादक
के सृजन के जलए ऄपेजित सभी प्रदक्रयाओं के संदभय में ऄनुर्ग
ं ीय या लघु है।”
(v) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 6 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“6 जनम्नजलजखत पैरा संख्याओं को अइ एि अर एस 3 में 'हटाए गए' के रूप में ददखाया गया हैं। अइ एि
अर एस 3 के पैरा संख्याओं के साथ ऄनुरूपता बनाए रखने के जलए, पैरा संख्याओं को आं ड ए एस 103 में
बनाए रखा गया है:
(क) पैरा ख10
(ख) ऄजस्ट्तत्व द्वारा प्रबंजधत ब्याज-दर बैंचमाकय सुधार से प्रत्यितया प्रभाजवत जोजखम ‘ऄजभदियन’ की
सीमा;
(ग) वैकजल्पक बैंचमाकय दरक की पठरवतयन-प्रदक्रया का प्रबंधन ऄजस्ट्तत्व दकस प्रकार करता है;
(घ) आन पैरा को लागू करते ए ए ऄजस्ट्तत्व द्वारा की गइ महत्वपूणय ऄवधारणाओं या जनणययक का वणयन
(जैसे दक, जब ब्याज-दर बैंचमाकय सुधार से ईत्पन्न ऄजनजितता ब्याज-दर बैंचमाकय अधाठरत नकदी
प्रवाहक के समय व राजि जवद्यमान नहीं रहती तो ईस बारे में ऄजस्ट्तत्व ऄवधारणाएं रखता है, या
जनणयय लेता है); एवं
44घङ ब्याज-दर बैंचमाकय सुधार (भारतीय लेखा मानक आं ड एएस 109 व भारतीय लेखा मानक आं ड एएस
107 में संिोधन) के ऄन्तगयत श पैरा 24ज व 44घच जोड़े गए हैं। ऄजस्ट्तत्व जब भारतीय लेखा मानक
आं ड एएस 109 के संिोधनक को लागू करता है तो वह आन संिोधनक को भी लागू करे गा।
[भाग II—खण्ड 3(i)] भारत का राजपत्र : ऄसाधारण 7
44घच ईस ठरपोर्टटग ऄवजध जजसमें ऄजस्ट्तत्व ब्याज-दर बैंचमाकय सुधार को प्रथम बार लागू करता है, तो वह
(ऄजस्ट्तत्व) भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 8, लेखा नीजतयां, लेखा प्राक्कलनक में पठरवतयन एवं
त्रुठटयां के पैरा 28(च) द्वारा ऄपेजित मात्रात्मक सूचना नहीं देगा।”
(iii) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 5 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“5 अइ एि अर एस 7 के पैरा 42झ-42ध भारतीय लेखा मानक 107 में ऄंतःस्ट्थाजपत नहीं दकये गए हैं
क्यकदक वे ‘अइ एि अर एस’ 9 के प्रारं जभक प्रयोग से सम्बंजधत हैं र भारतीय सन्दभय में प्रासंजगक
नहीं हैं । आसी तरह प्रभावी तारीख र संक्रमणकाल से सम्बंजधत अइ एि अर एस 7 में ददए गए
पैरा 43-44खख भारतीय लेखा मानक 107 में नहीं ददए गए हैं क्यकदक वह भारतीय सन्दभय में
प्रासंजगक नहीं हैं । दिर भी, ‘अइ एि अर एस’ 7 के पैरा संख्याओं के साथ क्रमबिता बनाए रखने
के जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 107 में रहने ददया गया है। पैरा 44घघ
अइएिअरएस 17 बीमा संजवदा से संबंजधत है, जजसके जलए तद्नुरूप भारतीय लेखा मानक को
तैयार दकया जा रहा है।”
यदद हैलजग के संबंध में जब हैज्ड मद व हैलजग जलखत ईसके भाग हक, पैरा 6.8.11(क) में
जनधायठरत तारीख या पैरा 6.8.11 (ख) में जनधायठरत तारीख आन दोनक तारीखक में जो भी तारीख
पहले अती है ईस पर वह (हैलजग संबंध) समाप्त हो जाता है, तो ऄजस्ट्तत्व अगे के जलए संबंध की
समाजप्त की तारीख से पैरा 6.8.6 को लागू करना बंद कर देगा।
6.8.12 जब एक हैज्ड मद के रूप में एक समूह या हैलजग जलखत के रूप में जवत शीय जलखतक का एक संयोजन
बनाया जाता है तो एक ऄजस्ट्तत्व पैरा 6.8.9, 6.8.10 या 6.8.11, जो भी सुसंगत है, ईसके ऄनुसरण
में अगे के जलए व्यजोगत मद या जवत शीय जलखत पर पैरा 6.8.4-6.8.6 को भावी प्रभाव से लागू
करना तब बंद कर देगा जब ब्याज-दर बैंचमाकय सुधार से ईत्पन्न ऄजनजितता हैज्ड जोजखम र/ऄथवा
ईस मद या जवत शीय जलखत की ब्याज-दर बैंचमाकय अधाठरत नकदी प्रवाहक का समय व राजि जवद्यमान
न हो।”
“7.1.8 ब्याज दर बैंचमाकय सुधार (भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 109 व भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस
107) के ऄन्तगयत श खंड 6.8 जोड़ा गया है एवं पैरा 7.2.26 संिोजधत दकया गया है। कोइ ऄजस्ट्तत्व आन
संिोधन का प्रयोग 1 ऄप्रैल, 2020 से या आसके बाद की तारीख से प्रारं भ होने वाली वार्षर्क ऄवजधयक
के जलए करे गा।”
(iii) पैरा 7.2.26 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“7.2.26 एक ऄजस्ट्तत्व आस भारतीय लेखा मानक के हैज़ लेखा के ऄपेिाओं को भावी प्रभाव के ऄपवादस्ट्वरूप :
(घ) खंड 6.8 की ऄपेिाओं को भूतलिी प्रभाव से लागू करे गा। यह पूवय प्रभावी प्रयोग के वल ईन्हीं हैलजग संबंधक पर
लागू होगा जो ईस ठरपोर्टटग ऄवजध के प्रारं भ में जवद्यमान हैं जजसमें एक ऄजस्ट्तत्व आन ऄपेिाओं को सवयप्रथम
लागू करता है या ईसके पिात् नामोदिष्ट की गइ है तथा नकदी प्रवाह हैज ठरजवय में एकजत्रत राजि पर लागू
होगा जो ईस ठरपोर्टटग ऄवजध के प्रारं भ में जवद्यमान है जजसमें एक ऄजस्ट्तत्व आन ऄपेिाओं को सवयप्रथम लागू
करे गा।”
(v) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 4 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“4. संक्रमणकाल से संबंजधत जनम्नजलजखत पैरा ऄंतःस्ट्थाजपत नहीं दकए गए हैं क्यकदक ये पैरा भारतीय संदभय
में प्रासंजगक नहीं हैं। दिर भी, अइएिअरएस 9 की पैरा संख्याओं के साथ क्रमबिता बनाए रखने के
जलए आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 109 में जारी रखा गया है :-
“46क व्यावहाठरक ईपाय के रूप में एक पट्टेदार यह मूल्यांकन करने का चयन कर सकता है दक क्या पैरा 46ख की ितें
पूरी करने वाली दकराया ठरयायत पट्टे में संिोधन है। आस प्रकार चयन करने वाला पट्टेदार दकराया ठरयायत से पट्टा
भुगतान में होने वाले दकसी पठरवतयन को ईसी प्रकार दजय करे गा जैसे वह आस मानक को लागू करने वाले पठरवतयन को
ईस जस्ट्थजत में दजय करता, यदद पठरवतयन पट्टा संिोधन नहीं होता।
46ख पैरा 46क में ददया गया व्यावहाठरक ईपाय के वल कोजवड-19 महामारी के सीधे प्रभाव से होने वाली दकराया
ठरयायत पर लागू होती है र के वल ईस जस्ट्थजत में जब जनम्नजलजखत ितें पूरी की जाती हैं-
(क) पट्टा भुगतान में पठरवतयन से पट्टे के जलए संिोजधत प्रजतिल प्राप्त होता है जो पठरवतयन से िीक पहले के
प्रजतिल के समान या ईससे कम होता है।
(ख) पट्टा भुगतान में दकसी प्रकार की कमी की जाने पर 30 जून, 2021 को या ईससे पहले मूल रूप के देय
भुगतान प्रभाजवत होते हैं। (ईदाहरण के जलए कोइ दकराया ठरयायत ईसी जस्ट्थजत में आस ितय को पूरा करे गी
जब आससे 30 जून, 2021 या आससे पूवय पट्टा भुगतान में कमी अए र 30 जून, 2021 के बाद पट्टा भुगतान
में वृजि हो); र
(ग) पट्टे की ऄन्य जनबंधन र ितों में कोइ सारभूत पठरवतयन न हो।”।
“60क यदद कोइ पट्टेदार पैरा 46क में ददए गए व्यावहाठरक ईदाहरण को लागू करता है तो वह जनम्नजलजखत का
प्रकटन करे गा ऄथायत् :-
(क) दक ईसने पैरा 46ख की ितें पूरी करने वाली सभी दकराया ठरयायतक पर व्यावहाठरक ईदाहरण लागू दकया है
या, यदद ऐसे सभी दकराया ठरयायतक पर लागू नहीं दकया है तो ईन संजवदाओं की प्रकृ जत के बारे में जानकारी
जजन पर ईसने व्यावहाठरक जनणयय लागू दकया है (पैरा 2 देखें); र
(ख) जजन दकराया ठरयायतक में पट्टेदार द्वारा पैरा 46क के व्यावहाठरक ईपाय लागू दकया गया हो, ईनसे ईत्पन्न
पट्टा भुगतान में पठरवतयन दिायने हेतु ठरपोर्टटग ऄवजध के जलए लाभ र हाजन में मान्यता प्राप्त राजि।”।
“ग1क कोजवड-19 से जुड़ी दकराया ठरयायतें, जोड़े गए पैरा 46क, 46ख, 60क, ग20क र ग20ख जोड़े गए हैं
कोइ पट्टेदार ईस संिोधन को 01 ऄप्रैल, 2020 को या ईसके बाद िुरू होने वाली वार्षर्क ठरपोर्टटग ऄवजध के
जलए लागू करे गा। यदद दकसी पट्टेदार ने आस संिोधन को जारी करने से पूवय जारी करने के जलए जवत शीय जववरणक
को ऄनुमोददत न दकया हो, वैसी जस्ट्थजत में वह 01 ऄप्रैल, 2019 को या ईसके िुरू होने वाली वार्षर्क ठरपोर्टटग
ऄवजध पर लागू की जा सकती है।”।
(i) पैरा 7 में, ‘सारवान’ की पठरभार्ा तथा सम्बंजधत ऄनुछेद को जनम्नजलजखत से प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“सारवानः
सूचना ईस जस्ट्थजत में सारवान कहलाएगी जब ईसके छू टने से, त्रुठटपूणय ईजल्लजखत होने से या दिर ऄस्ट्पष्ट होने से,
तकय पूणय रूप से यह अिा की जा सकती है दक एक जवजिष्ट ठरपोर्टटग ऄजस्ट्तत्व के बारे में जवत शीय सूचना देते समय आस
प्रकार के जवत शीय जववरणक के अधार पर सामान्य प्रयोजन के जवत शीय जववरणक के मुख्य ईपयोगकताय जब कोइ जनणयय
लेते है तो ऐसे जनणयय प्रभाजवत हो सकते हैं।
सारवान सूचना की प्रकृ जत या महत शा या दिर दोनक पर जनभयर करती है । एक ऄजस्ट्तत्व यह अकलन करता है दक
सूचना व्यजोिः (याजन स्ट्वयं में) या दकसी ऄन्य सूचना के साथ आसके समग्र जवत शीय जववरणक के संदभय में सारवान
है या नहीं।
कोइ सूचना ईस जस्ट्थजत में ऄस्ट्पष्ट होगी जब ईसका संप्रेर्ण कु छ आस प्रकार से हो जजसका प्रभाव जवत शीय जववरणक
के मुख्य ईपयोगकतायओं पर कु छ ऐसा ही पड़े जैसे दक सूचना के छू टने या त्रुठटपूणय कथन से पड़ता है। नीचे कु छ ऐसे
ईदाहरणक का ईल्लेख दकया गया है जजन पठरजस्ट्थजतयक में सूचना ऄस्ट्पष्ट हो सकती हैः-
(क) एक सारवान मद, संव्यवहार या ऄन्य घटना के जवर्य में सूचना जो जवत शीय जववरणक में प्रकट की गयी है
लेदकन ईसकी प्रयुो भार्ा ऄस्ट्पष्ट या साि न हो;
(ख) एक सारवान मद, संव्यवहार या ऄन्य घटना की सूचना जवत शीय जववरणक में एक स्ट्थान पर न देकर ऄलग-
ऄलग स्ट्थानक पर जबखेर दी जाती है;
(ग) ऄलग-ऄलग दकस्ट्म की मदक, संव्यवहारक या ऄन्य घटनाओं को ऄनुजचत रूप हो से संकजलत कर ददया गया
हो;
(घ) एक-ही दकस्ट्म की मदक, संव्यवहारक या ऄन्य घटनाओं को ऄनुजचत रूप से ऄलग-ऄलग कर ददया गया हो;
एवं
(ङ) सारवान सूचना के साथ गैर-महत्त्वपूणय सूचना आस सीमा तक जमला दी गयी है जजससे ईपयोगकताय को यह
जनजित कर पाना कठिन हो दक कौन-सी सूचना महत्त्वपूणय है र आस तरह जवत शीय जववरणक की
मात्रा ही कम हो जाए।
आस बात का जनधायरण करना दक एक जवजिष्ट ठरपोर्टटग ऄजस्ट्तत्व के सामान्य प्रयोजन के जवत शीय जववरणक के मुख्य
ईपयोगकत शायओं द्वारा जलये गए जनणयय सूचना द्वारा तकय पूणय रूप से प्रभाजवत होना प्रत्याजित हो सकते हैं, ईस
ऄजस्ट्तत्व को आस बात पर जवचार करना होगा दक ऄजस्ट्तत्व के ऄपने हालात के साथ-साथ ईन ईपयोगकत शायओं की
ऄजभलिण क्या है।
बए त-से वतयमान व संभावी जनवेिक , ऊणदाता एवं ऄन्य लेनदार ठरपोर्टटग ऄजस्ट्तत्व को सीधे सूचना व ऄपेजित
जवत शीय सूचना के जलए सामान्य प्रयोजन के जवत शीय जववरणक पर ही जनभयर रहते हैं। पठरणामस्ट्वरूप, ये ही वे मुख्य
ईपयोगकत शाय हैं जजन्हें सामान्य प्रयोजन के जवत शीय जववरण जनदेजित हैं। ये जवत शीय जववरण के वल ईन्हीं
ईपयोगकत शायओं के जनजमत श तैयार दकए जाते हैं जजन्हें व्यवसाय एवं अर्षथक गजतजवजधयक की सम्यक जानकारी
होती है र वे सूचना की समीिा एवं जवश्लेर्ण ध्यानपूवयक करते हैं। दिर भी, आन जानकार एवं जववेकपूणय
ईपयोगकत शायओं को जवकट अर्षथक गजतजवजधयक जवर्यक सूचना को समझने के जलए दकसी परामियदाता
(सलाहकार) की अवश्यकता पड़ सकती है।”
भारतीय लेखा मानक 8 का पैरा 6 हटाया गया है। ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को भावी प्रभाव से 1 ऄप्रैल
2020 या आसके पिात् की तारीख से प्रारं भ होने वाली ऄवजधयक से लागू करे गा ।”
(iii) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 10 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“10. संक्रमण काल र प्रभावी तारीख से संबंजधत पैरा 139 से 139ड र 139ण-139त को भारतीय लेखा
मानक 1 में िाजमल नहीं दकया गया है क्यकदक ये भारतीय संदभय में प्रासंजगक नहीं हैं। पैरा 139द को
िाजमल नहीं दकया गया है क्यकदक यह अइएिअरएस 17 “बीमा संजवदा से संबंजधत है, जजसके जलए
तद्नुरूप भारतीय लेखा मानक को तैयार दकया जा रहा है। पैरा 139ध को िाजमल नहीं दकया गया है
चूंदक यह अइएिअरएस मानकक के ऄधीन जवत शीय ठरपोर्टटग के जलए संकल्पनात्मक ढांचे के कारण
संिोधनक से संबंजधत है, जजसके जलए तद्नुरूप भारतीय लेखा मानकक के ऄधीन जवत शीय ठरपोर्टटग के जलए
संकल्पनात्मक ढांचे को तैयार दकया जा रहा है। तथाजप, अइएएस 1 की पैरा संख्याओं के साथ ऄनुरूपता
बनाए रखने के जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 1 में बनाए रखा गया है।”;
(i) पैरा 5 में सारवानता की पठरभार्ा के स्ट्थान पर जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत्:-
““सारवानता” की पठरभार्ा भारतीय लेखा मानक 1 के पैरा 7 में दी गयी है र आस लेखा मानक में भी ईसी ऄथय में
आसका ईल्लेख दकया जाएगा।”
“6 [पठरजिष्ट 1 देख]ें ”
54ज सारवानता की पठरभार्ा (भारतीय लेखा मानक 1 एवं भारतीय लेखा मानक 8 में संिोधन) के ऄन्तगयत श
भारतीय लेखा मानक 1 का पैरा 7 एवं भारतीय लेखा मानक 8 का पैरा 5 को संिोजधत दकए गए हैं र
भारतीय लेखा मानक 8 का पैरा 6 हटाया गया है। ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को भावी प्रभाव से 1 ऄप्रैल
2020 या आसके पिात् की तारीख से प्रारं भ होने वाली ऄवजधयक से लागू करे गा ।”
(iv) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 3 के बाद, जनम्नजलजखत ऄंतःस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“4 अइएएस 8 में पैरा 6 हटाया गया प्रतीत होता है। दिर भी, अइएएस 8 के साथ क्रमबिता रखने के
जलए भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 8, में आस पैरा संख्या को जारी रखा गया है।
5 प्रभावी तारीख र संक्रमण काल से संबंजधत अइएएस 8 के पैरा 54-54ङ को भारतीय लेखा मानक 8
में िाजमल नहीं दकया गया है क्यकदक ये भारतीय संदभय में प्रासंजगक नहीं हैं। पैरा 54 -54छ को िाजमल
नहीं दकया गया है क्यकदक यह अइएिअरएस मानकक के ऄधीन जवत शीय ठरपोर्टटग के जलए संकल्पनात्मक
ढांचे के कारण संिोधनक से संबंजधत है, जजसके जलए तद्नुरूप भारतीय लेखा मानकक के ऄधीन जवत शीय
ठरपोर्टटग के जलए संकल्पनात्मक ढांचे को तैयार दकया जा रहा है। तथाजप, अइएएस 8 के पैरा संख्याओं
के साथ क्रमबिता बनाए रखने के जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 8 में बनाए रखा
गया है।”
[भाग II—खण्ड 3(i)] भारत का राजपत्र : ऄसाधारण 13
“21 यदद ठरपोर्टटग ऄवजध के बाद की गैर-समायोज्य घटनाएं सारवान हैं, तो तकय संगत रूप से यह अिा की जा
सकती दक ईनका ऄप्रकटीकरण ईन जनणययक को प्रभाजवत कर सकता है जजन्हें सामान्य प्रयोजन के जवत शीय
जववरणक के मुख्य ईपयोगकताय ईन जवत शीय जववरणक के अधार पर लेते हैं जो एक जवजिष्ट ठरपोर्टटग
ऄजस्ट्तत्व के बारे में जवत शीय सूचना प्रदान करते हैं। तदनुसार, एक ऄजस्ट्तत्व ठरपोर्टटग ऄवजध के बाद गैर-
समायोज्य घटना की प्रत्येक सारवान श्रेणी के जलए जनम्नजलजखत का प्रकटीकरण करे गाः-
(ख) आसके जवत शीय प्रभाव का ऄनुमान ऄथवा यह जववरण दक प्रभाव का ऄनुमान लगाया जाना
संभव नहीं है।”
“प्रभावी तारीख
23ग सारवानता की पठरभार्ा (भारतीय लेखा मानक 1 एवं भारतीय लेखा मानक 8 में संिोधन), के
ऄन्तगयत श पैरा 21 को संिोजधत दकया गया । एक ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को तब प्रयोग में लाएगा जब वह
भारतीय लेखा मानक 1 के पैरा 7 एवं भारतीय लेखा मानक 8 के पैरा 5 व 6 में सारवानता की पठरभार्ा
के संिोधनक को लागू करे गा ।”
(iii) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 2 के बाद, जनम्नजलजखत ऄंतःस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“3. अइ ए एस 10 के प्रभावी तारीख से संबंजधत पैरा 23 से 23ख को भारतीय लेखा मानक 10 में िाजमल नहीं
दकया गया है क्यकदक ये भारतीय संदभय में प्रासंजगक नहीं हैं। तथाजप, अइएएस 10 के पैरा संख्याओं के साथ
क्रमबिता बनाए रखने के जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 10 में बनाए रखा गया है।”
“24 भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 1 सारवान सूचना को पठरभाजर्त करता है र बंद पठरचालनक (ईदाहरण
स्ट्वरूप) सजहत सारवान मदक के ऄलग-से प्रकटन की ऄपेिा करता है जबदक भारतीय लेखा मानक आं ड ए
एस 8, लेखा नीजतयां, लेखा प्राक्कलनक में पठरवतयन एवं त्रुठटयां, लेखा प्राक्कलनक में पठरवतयनक त्रुठटयक एवं
लेखा नीजतयक में पठरवतयन के प्रकटन की ऄपेिा करता है। आन दोनक ही लेखा मानकक में सारवानता का
मात्रात्मक मागदियन समाजवष्ट नहीं है।”
59 सारवानता की पठरभार्ा (भारतीय लेखा मानक 1 एवं भारतीय लेखा मानक 8 में संिोधन), के ऄन्तगयत श
पैरा 24 में संिोधन दकया गया है। एक ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को तब लागू करे गा जब वह भारतीय लेखा
मानक आं ड ए एस 1 के पैरा 7 एवं भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 8 के पैरा 5 व 6 में सारवानता की
पठरभार्ा के संिोधनक को लागू करे गा ।”
14 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
(iii) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 7 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“7 प्रभावी तारीख से संबंजधत पैरा 46-54 र 56-57 को भारतीय लेखा मानक 34 में िाजमल नहीं दकया गया
है क्यकदक ये भारतीय संदभय में प्रासंजगक नहीं हैं। पैरा 58 को िाजमल नहीं दकया गया है क्यकदक यह
अइएिअरएस मानकक के ऄधीन जवत शीय ठरपोर्टटग के जलए संकल्पनात्मक ढांचे के कारण संिोधनक से
संबंजधत है, जजसके जलए तद्नुरूप भारतीय लेखा मानकक के ऄधीन जवत शीय ठरपोर्टटग के जलए संकल्पनात्मक
ढांचे को तैयार दकया जा रहा है। तथाजप, अइएएस 34 के पैरा संख्याओं के साथ क्रमबिता बनाए रखने के
जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 34 में बनाए रखा गया है।”
“75 प्रबंधन या बोडय द्वारा ठरपोर्टटग ऄवजध के ऄंत से पूवय पुनसंरचना संबंधी जलया गया जनणयय ठरपोर्टटग ऄवजध के
ऄन्त में पठरलजित बाध्यता को नहीं दिायता जब तक दक ऄजस्ट्तत्व ठरपोर्टटग ऄवजध के ऄंत से पूवय जनम्नजलजखत
कायय न कर दे -
(ख) पुनसंरचना योजना की मुख्य जविेर्ताओं दक ईन प्रभाजवत पिकारक को स्ट्पष्ट ढंग से की गयी घोर्णा ,
जजस से ईनमे यह जवजधमान्य प्रत्यािा पैदा हो गयी हो दक ऄजस्ट्तत्व पुनसंरचना करे गा।
यदद कोइ ऄजस्ट्तत्व ठरपोर्टटग ऄवजध के पिात् पुनसंरचना योजना प्रारं भ करता है या ईन लोगक/ संगिनक के बीच
ईसकी मुख्य बातक की घोर्णा कर देता है जो आससे प्रभाजवत हकगे तो ईसे भारतीय लेखा मानक आं ड ए एस 10
ठरपोर्टटग ऄवजध के बाद की घटनाओं के ऄन्तगयत प्रकटन ऄपेजित है यदद सारवान है र ऄप्रकटन से सामान्य
प्रयोजन के जवत शीय जववरणक के मुख्य ईपयोग कत शायओं के ईन अर्षथक जनणययक को तकय संगत रूप से प्रभाजवत होने
की अिा की जा सकती हो जो वे ऐसे जवत शीय जववरणक के अधार पर लेते हैं जो एक जवजिष्ट ठरपोर्टटग ऄजस्ट्तत्व
की जवत शीय सूचना ईपलब्ध करवाते हैं।”;
104 सारवानता की पठरभार्ा (भारतीय लेखा मानक 1 एवं भारतीय लेखा मानक 8 का संिोधन) पैरा 75
का संिोधन करता है। एक ऄजस्ट्तत्व आन संिोधनक को तब लागू करे गा जब वह भारतीय लेखा मानक आं ड
ए एस 1 के पैरा 7 एवं भारतीय लेखा मानक (आं ड ए एस 8) के पैरा 5 व 6 में सारवानता की पठरभार्ा
का संिोधन लागू करता है।”
(iii) पठरजिष्ट 1 में, पैरा 4 के स्ट्थान पर, जनम्नजलजखत प्रजतस्ट्थाजपत दकया जाएगा, ऄथायत:् -
“4 संक्रमण काल र प्रभावी तारीख से संबंजधत अइ ए एस 37 के पैरा 93-99 तथा 101 को भारतीय लेखा
मानक 37 में िाजमल नहीं दकया गया है क्यकदक संक्रमण काल से संबंजधत पैरा जहााँ भी ईपयुो
गया है, अइएिअरएस 1 पहली बार ऄंतरायष्ट्रीय जवत शीय ठरपोर्टटग का प्रथम-बार ऄंगीकरण के ऄनुरूप
भारतीय लेखा मानक 101, भारतीय लेखा मानकक का प्रथम-बार ऄंगीकरण, में िाजमल दकए गए हैं र
प्रभावी तारीख से संबंजधत पैरा भारतीय संदभय में प्रासंजगक नहीं हैं। तथाजप, अइएएस 37 के पैरा संख्याओं
के साथ ऄनुरूपता बनाए रखने के जलए, आन पैरा संख्याओं को भारतीय लेखा मानक 37 में बनाए रखा
[भाग II—खण्ड 3(i)] भारत का राजपत्र : ऄसाधारण 15
गया है। पैरा 103 अइएिअरएस 17, बीमा संजवदा से संबंजधत है जजसके जलए समनुरूपी भारतीय लेखा
मानक तैयारी के ऄधीन है।
―64P Definition of a Business (Amendments to Ind AS 103), added paragraphs B7A–B7C, B8A and B12A–
B12D, amended the definition of the term ‗business‘ in Appendix A, amended paragraphs 3, B7–B9,
B11 and B12 and deleted paragraph B10. An entity shall apply these amendments to business
combinations for which the acquisition date is on or after the beginning of the first annual reporting
period beginning on or after the 1st April, 2020 and to asset acquisitions that occur on or after the
beginning of that period.‖;
(iii) in Appendix A, for definition of the term ―business‖, the following definition shall be substituted, namely:-
―business An integrated set of activities and assets that is capable of being conducted and managed
for the purpose of providing goods or services to customers, generating investment income
(such as dividends or interest) or generating other income from ordinary activities.‖;
(including intangible assets or rights to use non-current assets), intellectual property, the ability to
obtain access to necessary materials or rights and employees.
(b) Process: Any system, standard, protocol, convention or rule that, when applied to an input or
inputs, creates outputs or has the ability to contribute to the creations of outputs. Examples include
strategic management processes, operational processes and resource management processes. These
processes typically are documented, but the intellectual capacity of an organised workforce having
the necessary skills and experience following rules and conventions may provide the necessary
processes that are capable of being applied to inputs to create outputs. (Accounting, billing,
payroll and other administrative systems typically are not processes used to create outputs.)
(c) Output: The result of inputs and processes applied to those inputs that provide goods or services
to customers, generate investment income (such as dividends or interest) or generate other income
from ordinary activities.‖;
(II) after paragraph B7, the following shall be inserted, namely:-
―Optional test to identify concentration of fair value
B7A Paragraph B7B sets out an optional test (the concentration test) to permit a simplified assessment of
whether an acquired set of activities and assets is not a business. An entity may elect to apply, or not
apply, the test. An entity may make such an election separately for each transaction or other event.
The concentration test has the following consequences:-
(a) if the concentration test is met, the set of activities and assets is determined not to be a business
and no further assessment is needed;
(b) if the concentration test is not met, or if the entity elects not to apply the test, the entity shall then
perform the assessment set out in paragraphs B8–B12D.
B7B The concentration test is met if substantially all of the fair value of the gross assets acquired is
concentrated in a single identifiable asset or group of similar identifiable assets. For the concentration
test:
(a) gross assets acquired shall exclude cash and cash equivalents, deferred tax assets, and goodwill
resulting from the effects of deferred tax liabilities;
(b) the fair value of the gross assets acquired shall include any consideration transferred (plus the
fair value of any non-controlling interest and the fair value of any previously held interest) in
excess of the fair value of net identifiable assets acquired. The fair value of the gross assets
acquired may normally be determined as the total obtained by adding the fair value of the
consideration transferred (plus the fair value of any non-controlling interest and the fair value of
any previously held interest) to the fair value of the liabilities assumed (other than deferred tax
liabilities), and then excluding the items identified in sub-paragraph (a). However, if the fair
value of the gross assets acquired is more than that total, a more precise calculation may
sometimes be needed;
(c) a single identifiable asset shall include any asset or group of assets that would be recognised and
measured as a single identifiable asset in a business combination;
(d) if a tangible asset is attached to, and cannot be physically removed and used separately from,
another tangible asset (or from an underlying asset subject to a lease, as defined in Ind AS 116,
Leases), without incurring significant cost, or significant diminution in utility or fair value to
either asset (for example, land and buildings), those assets shall be considered a single
identifiable asset;
(e) when assessing whether assets are similar, an entity shall consider the nature of each single
identifiable asset and the risks associated with managing and creating outputs from the assets
(that is, the risk characteristics);
(f) the following shall not be considered similar assets:
(i) a tangible asset and an intangible asset;
(ii) tangible assets in different classes (for example, inventory, manufacturing equipment and
automobiles) unless they are considered a single identifiable asset in accordance with the
criterion in subparagraph (d);
(iii) identifiable intangible assets in different classes (for example, brand names, licences and
intangible assets under development);
(iv) a financial asset and a non-financial asset;
(v) financial assets in different classes (for example, accounts receivable and investments in
equity instruments); and
[भाग II—खण्ड 3(i)] भारत का राजपत्र : ऄसाधारण 17
(vi) identifiable assets that are within the same class of asset but have significantly different risk
characteristics.
B7C The requirements in paragraph B7B do not modify the guidance on similar assets in Ind AS 38,
Intangible Assets; nor do they modify the meaning of the term ‗class‘ in Ind AS 16, Property, Plant
and Equipment, Ind AS 38 and Ind AS 107, Financial Instruments: Disclosures.‖;
(III) for paragraph B8, the following shall be substituted, namely:-
―Elements of a Business
B8 Although businesses usually have outputs, outputs are not required for an integrated set of activities and
assets to qualify as a business. To be capable of being conducted and managed for the purpose
identified in the definition of a business, an integrated set of activities and assets requires two essential
elements—inputs and processes applied to those inputs. A business need not include all of the inputs or
processes that the seller used in operating that business. However, to be considered a business, an
integrated set of activities and assets must include, at a minimum, an input and a substantive process
that together significantly contribute to the ability to create output. Paragraphs B12-B12D specify how
to assess whether a process is substantive.‖;
(IV) after paragraph B8, the following shall be inserted, namely:-
―B8A If an acquired set of activities and assets has outputs, continuation of revenue does not on its own
indicate that both an input and a substantive process have been acquired.‖;
(V) for paragraph B9, the following shall be substituted, namely:-
―B9 The nature of the elements of a business varies by industry and by the structure of an entity‘s operations
(activities), including the entity‘s stage of development. Established businesses often have many
different types of inputs, processes and outputs, whereas new businesses often have few inputs and
processes and sometimes only a single output (product). Nearly all businesses also have liabilities, but a
business need not have liabilities. Furthermore, an acquired set of activities and assets that is not a
business might have liabilities.‖;
(VI) for paragraph B10, the following shall be substituted, namely:-
―B10 [Refer Appendix 1]‖;
(VII) for paragraph B11, the following shall be substituted, namely:-
―B11 Determining whether a particular set of activities and assets is a business shall be based on whether
the integrated set is capable of being conducted and managed as a business by a market participant.
Thus, in evaluating whether a particular set is a business, it is not relevant whether a seller operated
the set as a business or whether the acquirer intends to operate the set as a business.‖;
(VIII) for paragraph B12, the following shall be substituted, namely:-
―Assessing whether an acquired process is substantive
B12 Paragraphs B12A–B12D explain how to assess whether an acquired process is substantive if the
acquired set of activities and assets does not have outputs (paragraph B12B) and if it does have
outputs (paragraph B12C).‖;
(IX) after paragraph B12, the following shall be inserted, namely:-
―B12A An example of an acquired set of activities and assets that does not have outputs at the acquisition
date is an early-stage entity that has not started generating revenue. Moreover, if an acquired set of
activities and assets was generating revenue at the acquisition date, it is considered to have outputs
at that date, even if subsequently it will no longer generate revenue from external customers, for
example because it will be integrated by the acquirer.
B12B If a set of activities and assets does not have outputs at the acquisition date, an acquired process (or
group of processes) shall be considered substantive only if-
(a) it is critical to the ability to develop or convert an acquired input or inputs into outputs; and
(b) the inputs acquired include both an organised workforce that has the necessary skills,
knowledge, or experience to perform that process (or group of processes) and other inputs that
the organised workforce could develop or convert into outputs. Those other inputs could
include-
(i) intellectual property that could be used to develop a good or service;
(ii) other economic resources that could be developed to create outputs; or
(iii) rights to obtain access to necessary materials or rights that enable the creation of future
outputs.
18 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
2
The report, 'Reforming Major Interest Rate Benchmarks', is available at http://www.fsb.org/wpcontent/uploads/r_140722.pdf.
20 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]
relationship. A hedged item that has been assessed at the time of its initial designation in the
hedging relationship, whether it was at the time of the hedge inception or subsequently, is not
reassessed at any subsequent redesignation in the same hedging relationship.
End of application
6.8.9 An entity shall prospectively cease applying paragraph 6.8.4 to a hedged item at the earlier of-
(a) when the uncertainty arising from interest rate benchmark reform is no longer present with
respect to the timing and the amount of the interest rate benchmark-based cash flows of the
hedged item; and
(b) when the hedging relationship that the hedged item is part of is discontinued.
6.8.10 An entity shall prospectively cease applying paragraph 6.8.5 at the earlier of-
(a) when the uncertainty arising from interest rate benchmark reform is no longer present with
respect to the timing and the amount of the interest rate benchmark-based future cash flows
of the hedged item; and
(b) when the entire amount accumulated in the cash flow hedge reserve with respect to that
discontinued hedging relationship has been reclassified to profit or loss.
6.8.11 An entity shall prospectively cease applying paragraph 6.8.6-
(a) to a hedged item, when the uncertainty arising from interest rate benchmark reform is no
longer present with respect to the hedged risk or the timing and the amount of the interest
rate benchmark-based cash flows of the hedged item; and
(b) to a hedging instrument, when the uncertainty arising from interest rate benchmark reform
is no longer present with respect to the timing and the amount of the interest rate
benchmark-based cash flows of the hedging instrument.
If the hedging relationship that the hedged item and the hedging instrument are part of is
discontinued earlier than the date specified in paragraph 6.8.11(a) or the date specified in
paragraph 6.8.11(b), the entity shall prospectively cease applying paragraph 6.8.6 to that
hedging relationship at the date of discontinuation.
6.8.12 When designating a group of items as the hedged item, or a combination of financial
instruments as the hedging instrument, an entity shall prospectively cease applying paragraphs
6.8.4–6.8.6 to an individual item or financial instrument in accordance with paragraphs 6.8.9,
6.8.10, or 6.8.11, as relevant, when the uncertainty arising from interest rate benchmark reform
is no longer present with respect to the hedged risk and/or the timing and the amount of the
interest rate benchmark-based cash flows of that item or financial instrument.‖;
(ii) after paragraph 7.1.7, the following shall be inserted, namely:-
―7.1.8 Interest Rate Benchmark Reform (amendments to Ind AS 109 and Ind AS 107), added Section 6.8 and
amended paragraph 7.2.26. An entity shall apply these amendments for annual periods beginning on
or after the 1st April, 2020.‖;
(iii) after paragraph 7.2.20, the following heading shall be inserted, namely:-
―Transition for hedge accounting (Chapter 6)‖;
(iv) for paragraph 7.2.26, the following shall be substituted, namely:-
―7.2.26 As an exception to prospective application of the hedge accounting requirements of this Standard, an
entity-
decisions that the primary users of general purpose financial statements make on the basis of those
financial statements, which provide financial information about a specific reporting entity.‖;
(ii) after paragraph 102, the following shall be inserted, namely:-
―103 [Refer Appendix 1]
104 Definition of Material (Amendments to Ind AS 1 and Ind AS 8), amended paragraph 75. An entity shall
apply those amendments when it applies the amendments to the definition of material in paragraph 7 of
Ind AS 1 and paragraphs 5 and 6 of Ind AS 8.‖;
(iii) in Appendix 1, for paragraph 4, the following shall be substituted, namely:-
―4. Paragraphs 93-99 and 101 related to Transitional Provisions and Effective date given in IAS 37 have
not been given in Ind AS 37, since all transitional provisions related to Ind ASs, wherever considered
appropriate have been included in Ind AS 101, First-time Adoption of Indian Accounting Standards
corresponding to IFRS 1, First-time Adoption of International Financial Reporting Standards and
paragraphs related to Effective date are not relevant in Indian context. However, in order to maintain
consistency with paragraph numbers of IAS 37, these paragraph numbers are retained in Ind AS 37.
Paragraph 103 relates to IFRS 17, Insurance Contracts, for which corresponding Ind AS is under
formulation.‖;
[F.No.01/01/2009-CL-V (Pt.VIII)]
K.V.R. MURTY, Jt. Secy.
Note: The principal rules were published in the Gazette of India, Extraordinary, Part II, Section 3, Sub-section (i),
dated the 16th February, 2015 vide number G.S.R. 111(E), dated the 16 th February, 2015 and were
subsequently amended vide notifications number G.S.R. 365 (E), dated the 30th March, 2016, number
G.S.R. 258(E), dated the 17th March, 2017, number G.S.R. 310(E), dated the 28th March, 2018, number
G.S.R. 903(E), dated the 20th September, 2018, G.S.R. 273(E), dated the 30 th March, 2019 and number
G.S.R. 274 (E), dated the 30th March, 2019.
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and Published by the Controller of Publications, Delhi-110054. SURENDER Digitally signed by SURENDER
MAHADASAM
MAHADASAM Date: 2020.07.24 21:49:52 +05'30'