Professional Documents
Culture Documents
Arms Act 1959 in Hindi
Arms Act 1959 in Hindi
पर्ारिम्भक
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार और पर्ारम्भ—(1) यह अिधिनयम आयुध अिधिनयम, 1959 कहा जा सके गा ।
(2) इसका िवस्तार सम्पूणर् भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख 2 को पर्वृ होगा, िजसे के न्दर्ीय सरकार शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा िनयत करे ।
2. पिरभाषाएं और िनवर्चन—(1) इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,—
(क) अपने व्याकरिणक रूपभेद और सजातीय पद सिहत “अजर्न” के अन्तगर्त भाडे़ पर लेना, उधार लेना या दान
के रूप म पर्ितगृहीत करना आता है ;
(ख) “गोलाबारूद” से िकसी अग्न्यायुध के िलए गोलाबारूद अिभपर्ेत है तथा इसके अन्तगर्त—
(i) रोकट, बम, गर्ेनेड, गोला 3 [और अन्य अस्तर्,]
(ii) टारपीडो को काम म लाने और अन्त:समुदर्ी सुरंगे िबछाने के िलए पिरकिल्पत वस्तुए,ं
(iii) िवस्फोटक, स्फू जर्नकारी या िवखंडनीय सामगर्ी या अपायकर दर्व, गैस या अन्य ऐसी चीज को
अन्तिवष्ट रखने वाली या अन्तिवष्ट रखने के िलए पिरकिल्पत या अनुकूिलत अन्य वस्तुए,ं चाहे वे अग्न्यायुध के
साथ उपयोग के योग्य ह या न ह ,
(iv) अग्न्यायुध के िलए भरण और ऐसे भरण के िलए उपसाधन,
(v) पलीते और घषर्ण निलकाएं,
(vi) गोलाबारूद के संघटक और उसके िविनमार्ण के िलए मशीनरी, और
(vii) गोलाबारूद के ऐसे संघटक िजन्ह के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा इस
िनिम िविनिदष्ट करे ,
आते ह ;
(ग) “आयुध” से आकर्मण या पर्ितरक्षा के िलए शस्तर् के रूप म पिरकिल्पत या अनुकूिलत िकसी भी वणर्न की
वस्तुएं अिभपर्ेत ह और अग्न्यायुध, ती ण धार वाले और अन्य घातक शस्तर् और आयुध के भाग और उनके िविनमार्ण के िलए
मशीनरी इसके अन्तगर्त आते ह िकन्तु के वल घरेलू या कृ िषक उपयोग के िलए पिरकिल्पत वस्तुएं, जैसे लाठी या मामूली छड़ी
तथा वे शस्तर् जो िखलौन से िभन्न रूप म उपयोग म लाए जाने के िलए या काम के शस्तर् म संपिरवितत िकए जाने के िलए
अनुपयुक्त ह , इसके अन्तगर्त नह आते ह ;
[(घ) िकसी ऐसे क्षेतर् के संबंध म, िजसके िलए पुिलस आयुक्त िनयुक्त िकया गया हो “िजला मिजस्टर्ेट” से उस क्षेतर्
4
का पुिलस आयुक्त अिभपर्ेत है और ऐसे पूणर् क्षेतर् या उसके िकसी भाग पर अिधकािरता का पर्योग करने वाला ऐसा पुिलस
उपायुक्त िजसे राज्य सरकार ऐसे क्षेतर् या भाग के संबंध म इस िनिम िविनिदष्ट करे , इसके अन्तगर्त आता है ;]
1
यह अिधिनयम 1962 के िविनयम सं० 12 की धारा 3 और अनुसूची ारा गोवा, दमण और दीव पर; 1963 के िविनयम सं० 6 की धारा 2 और अनुसूची 1 ारा (1-7-
1965 से) दादरा और नागर हवेली पर; 1963 के िविनयम सं० 7 की धारा 3 और अनुसूची 1 ारा (1-10-1963 से) पांिडचेरी पर; अिधसूचना सं० सा०का०िन०
461(अ), तारीख 21-7-1976 ारा (1-8-1976 से) िसिक्कम राज्य पर िवस्तािरत िकया गया ।
2
1 अक्तूबर, 1962 की अिधसूचना सं० सा० का० िन० 992, तारीख 13-7-1962 के भारत के राजपतर् (अंगर्ेजी) 1962, भाग 2, अनुभाग 3(i), पृ० 1092 पर देिखए ।
3
1988 का अिधिनयम सं० 42 की धारा 2 ारा (27-5-1988 से) पर्ितस्थािपत ।
4
1971 के अिधिनयम सं० 55 की धारा 2 ारा (13-12-1971 से) खंड (घ) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
(ङ) “अग्न्यायुध ” से िकसी िवस्फोटक या अन्य पर्कार की ऊजार् की िकर्या से िकसी भी पर्कार के पर्क्षेप्य या पर्क्षेप्य
को चलाने के िलए पिरकिल्पत या अनुकूिलत िकसी भी वणर्न के शस्तर् अिभपर्ेत ह, तथा,—
(i) तोप, हथगोले, रायट-िपस्तौल या िकसी भी अपायकर दर्व, गैस या अन्य ऐसी चीज को छोड़ने के िलए
पिरकिल्पत या अनुकूिलत िकसी भी पर्कार के शस्तर्,
(ii) िकसी भी ऐसे अग्न्यायुध को चलाने से हुई आवाज या चमक को कम करने के िलए पिरकिल्पत या
अनुकूिलत उसके उपसाधन,
(iii) अग्न्यायुध के भाग और उन्ह िविनिमत करने के िलए मशीनरी, तथा
(iv) तोप को चढ़ाने, उनका पिरवहन करने और उन्ह काम म लाने के िलए गािड़यां, मंच और सािधतर्,
इसके अन्तगर्त आते ह ;
(च) “अनुज्ञापन पर्ािधकारी” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम के अधीन अनुज्ञिप्त का अनुदान या
नवीकरण करनेके िलए सशक्त आिफसर या पर्ािधकारी अिभपर्ेत है, और इसके अन्तगर्त सरकार आती है ;
1
[(चच) “मिजस्टर्ेट” से दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अधीन कायर्पालक मिजस्टर्ेट अिभपर्ेत है ;]
(छ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है ;
(ज) “पर्ितिष गोलाबारूद” से िकसी भी अपायकर दर्व, गैस या अन्य ऐसी चीज को अन्तिवष्ट रखने वाला, या
अन्तिवष्ट रखने के िलए पिरकिल्पत या अनुकूिलत कोई भी गोलाबारूद अिभपर्ेत है और रोकट, बम, गर्ेनेड, गोला, 2 [अस्तर्],
टारपीडो को काम म लाने और अन्त:समुदर्ी सुरंग िबछाने के िलए पिरकिल्पत वस्तुएं और ऐसी अन्य वस्तुएं िजन्ह के न्दर्ीय
सरकार शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा पर्ितिष गोलाबारूद होना िविनिदष्ट करे , इसके अन्तगर्त आती ह ;
(झ) “पर्ितिष आयुध ” से—
(i) वे अग्न्यायुध जो इस पर्कार पिरकिल्पत या अनुकूिलत ह िक यिद घोड़े पर दबाव डाला जाए, तो जब
तक दबाव घोड़े पर से हटा न िलया जाए, या अस्तर् को अन्तिवष्ट रखने वाला मैगजीन खाली न हो जाए, अस्तर्
छू टते रह, अथवा
(ii) िकसी भी वणर्न के वे शस्तर् जो िकसी भी अपायकर, दर्व, गैस या ऐसी ही अन्य चीज को छोड़ने के
िलए पिरकिल्पत या अनुकूिलत ह , अिभपर्ेत ह,
और इनके अन्तगर्त तोप, वायुयान भेदी और टक भेदी अग्नायुध और ऐसे अन्य आयुध आते ह, जैसे के न्दर्ीय सरकार शासकीय राजपतर् म
अिधसूचना ारा पर्ितिष आयुध होना िविनिदष्ट करे ;
(ञ) “लोक सेवक” का वही अथर् है, जो भारतीय दण्ड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 म है ;
(ट) अपने व्याकरिणक रूपभेद और सजातीय पद सिहत, “अन्तरण” के अन्तगर्त भाड़े पर देना, उधार देना, कब्जा
देना और कब्जा िवलग करना आता है ।
(2) इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए अग्न्यायुध की नाल की लम्बाई, नालमुख से लेकर उस िबन्दु तक नापी जाएगी िजस
पर फायर करने पर भरण का िवस्फोट होता है ।
(3) िकसी क्षेतर् के संबंध म िकसी ऐसी िविध के पर्ित, जो उस क्षेतर् म पर्वृ नह है, इस अिधिनयम म िनदश का यह अथर्
लगाया जाएगा िक यिद उस क्षेतर् म कोई तत्स्थानी िविध पर्वृ है तो वह उसके पर्ित िनदश है ।
(4) िकसी क्षेतर् के संबंध म िकसी ऐसे आिफसर या पर्ािधकारी के पर्ित, िजसके पदािभधान का कोई आिफसर या पर्ािधकारी
उस क्षेतर् म नह है, इस अिधिनयम म िनदश का यह अथर् लगाया जाएगा िक वह ऐसे आिफसर या पर्ािधकारी के पर्ित िनदश है जो
के न्दर्ीय सरकार ारा शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा िविनिदष्ट िकया जाए ।
अध्याय 2
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 2 ारा (22-6-1983 से) अन्त:स्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 2 ारा (27-5-1988 से) अन्त:स्थािपत ।
3
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 3 ारा (22-6-1983 से) धारा 3 को उसकी उपधारा (1) के रूप म पुन:संख्यांिकत िकया गया ।
3
परन्तु कोई व्यिक्त स्वयं अनुज्ञिप्त धािरत िकए िबना िकसी अग्न्यायुध या गोलाबारूद की मरम्मत के िलए या अनुज्ञिप्त के
नवीकरण के िलए या ऐसी अनुज्ञिप्त के धारक ारा उपयोग म लाए जाने के िलए, उस अनुज्ञिप्त के धारक की उपिस्थित म या उसके
िलिखत पर्ािधकार के अधीन, लेकर वहन कर सके गा ।
[(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यिक्त, जो उपधारा (3) म िनिदष्ट व्यिक्त से िभन्न है, िकसी भी
1
तीन समय तीन अग्न्यायुध से अिधक न तो अिजत करे गा, न अपने कब्जे म रखेगा और न लेकर चलेगा :
परन्तु ऐसा व्यिक्त िजसके अपने कब्जे म, आयुध (संशोधन) अिधिनयम, 1983 के पर्ारम्भ पर, तीन से अिधक अग्न्यायुध ह,
अपने पास ऐसे अग्न्यायुध म से कोई तीन अग्न्यायुध पर्ितधािरत कर सके गा और शेष अग्न्यायुध को, ऐसे पर्ारम्भ से नब्बे िदन के
भीतर, िनकटतम पुिलस थाने के भारसाधक आिफसर के पास या धारा 21 की उपधारा (1) के पर्योजन के िलए िविहत शत के अधीन
रहते हुए, िकसी अनुज्ञप्त व्यौहारी के पास अथवा जहां ऐसा व्यिक्त संघ के सशस्तर् बल का सदस्य है वहां उस उपधारा म िनिदष्ट
िकसी यूिनट शस्तर्ागार म िनिक्षप्त करे गा ।
(3) उपधारा (2) की कोई भी बात अग्न्यायुध के िकसी व्यौहारी को या ऐसे राइफल क्लब या राइफल संगम के , जो के न्दर्ीय
सरकार ारा अनुज्ञप्त या मान्यतापर्ाप्त है, और िनशाना लगाने के अभ्यास के िलए 22 बोर राइफल या हवाई राइफल का पर्योग करता
है, िकसी सदस्य को लागू नह होगी ।
(4) धारा 21 की उपधारा (2) से उपधारा (6) तक की उपधारा के (िजनके अन्तगर्त ये दोन उपधाराएं भी ह) उपबन्ध,
उपधारा (2) के परन्तुक के अधीन अग्न्यायुध के िकसी िनक्षेप के संबंध म उसी पर्कार लागू ह गे िजस पर्कार वे उस धारा की उपधारा
(2) के अधीन िकसी आयुध या गोलाबारूद के िनक्षेप के सम्बन्ध म लागू होते ह ।]
4. कितपय दशा म िविनिदष्ट वणर्न के आयुध के अजर्न और कब्जे के िलए अनुज्ञिप्त—यिद के न्दर्ीय सरकार की राय हो िक
िकसी क्षेतर् म िव मान पिरस्थितय को ध्यान म रखते हुए, लोक िहत म यह आवश्यक या समीचीन है, अग्न्यायुध से िभन्न आयुध का
भी अजर्न, कब्जे म रखना या वहन िविनयिमत िकया जाना चािहए, तो वह शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा िनदेश दे सके गी िक
अिधसूचना म िविनिदष्ट क्षेतर् को यह धारा लागू होगी और तदुपिर कोई भी व्यिक्त ऐसे वगर् या वणर्न के आयुध, जैसे उस अिधसूचना म
िविनिदष्ट िकए जाएं उस क्षेतर् म तब तक न तो अिजत करे गा, न अपने कब्जे म रखेगा या लेकर चलेगा जब तक िक वह उस अिधिनयम
और तद्धीन बनाए गए िनयम के उपबन्ध के अनुसार दी गई अनुज्ञिप्त इस िनिम धािरत न करता हो ।
5. आयुध और गोलाबारूद के िविनमार्ण, िवकर्य इत्यािद के िलए अनुज्ञिप्त— 2 [(1)] कोई भी व्यिक्त िकसी भी अग्न्यायुध या
ऐसे वगर् या वणर्न के िकन्ह भी अन्य आयुध का, जैसे िविहत िकए जाएं या िकसी गोलाबारूद का तब तक—
(क) न तो, 3 [उपयोग म लाएगा, िविनमार्ण करे गा,] िवकर्य करे गा, अन्तरण, संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या
पिरिसि करे गा ; और
(ख) न िवकर्य या अन्तरण के िलए अिभदशर्न या पर्स्थापन करे गा और न उन्ह िवकर्य, अन्तरण, संपिरवतर्न,
मरम्मत, परख या पिरिसि के िलए अपने कब्जे म रखेगा,
जब तक िक वह इस अिधिनयम और तद्धीन बनाए गए िनयम के उपबंध के अनुसार दी गई अनुज्ञिप्त इस िनिम धािरत न
करता हो ।
4* * * * *
उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, कोई व्यिक्त िकन्ह आयुध या गोलाबारूद का, िजन्ह वह अपने पर्ाइवेट
5 [(2)
उपयोग के िलए िविधपूवर्क अपने कब्जे म रखता है, ऐसे अन्य व्यिक्त को, जो ऐसे आयुध या गोलाबारूद को, इस अिधिनयम या
तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के आधार पर, अपने कब्जे म रखने के िलए हकदार है, या अपने कब्जे म रखने से इस अिधिनयम या
ऐसी अन्य िविध ारा पर्ितिष नह है, इस िनिम अनुज्ञिप्त धारण िकए िबना, िवकर्य या अंतरण कर सके गा :
परन्तु िकसी ऐसे अग्न्यायुध या गोलाबारूद का, िजसके बारे म धारा 3 के अधीन अनुज्ञिप्त अपेिक्षत है और िकन्ह ऐसे आयुध
का, िजनके बारे म धारा 4 के अधीन अनुज्ञिप्त अपेिक्षत है, िकसी व्यिक्त ारा इस पर्कार िवकर्य या अन्तरण तब तक नह िकया
जाएगा, जब तक—
(क) उसने अिधकािरता रखने वाले िजला मिजस्टर्ेट को या िनकटतम पुिलस थाने के भारसाधक आिफसर को ऐसे
अग्न्यायुध , गोलाबारूद या अन्य आयुध का िवकर्य या अन्तरण करने के अपने आशय की और उस व्यिक्त के , िजसे ऐसे
अग्न्यायुध , गोलाबारूद या अन्य आयुध का िवकर्य या अन्तरण करने का वह आशय रखता है, नाम और पते की िलिखत
इि ला न दे दी हो ; और
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 3 ारा (22-6-1983 से) अन्त:स्थािपत ।
2
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 4 ारा (22-6-1983 से) धारा 5 को उपधारा (1) के रूप म पुन:संख्यांिकत िकया गया ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 4 ारा (27-5-1988 से) “िविनमार्ण करे गा” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
4
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 4 ारा (22-6-1983 से) परन्तुक का लोप िकया गया ।
5
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 4 ारा (22-6-1983 से) अन्त:स्थािपत ।
4
1
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 4 ारा (27-5-1988 से) “िविनिमत” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 5 ारा (22-6-1983 से) “सोलह वषर्” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 5 ारा (22-6-1983 से) “छह मास से अन्यून िकसी अविध के िलए” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
4
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 5 ारा (22-6-1983 से) “दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1898” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
(i) िकसी अग्न्यायुध या गोलाबारूद को अिजत करने, अपने कब्जे म रखने या वहन करने से खण्ड (क) के
अधीन पर्ितिष है, अथवा
(ii) ऐसे िवकर्य या अन्तरण या ऐसे संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या पिरिसि के समय िवकृ तिच
का है ।
(2) उपधारा (1) के खण्ड (क) के उपखण्ड (i) म िकसी बात के होते हुए भी िजस व्यिक्त ने िविहत आयु-सीमा पूरी कर ली है
वह िविहत शत के अधीन ऐसे अग्न्यायुध का पर्योग कर सके गा जो ऐसे अग्न्यायुध का उपयोग करने म उसके पर्िशक्षण की चयार् म
िविहत िकए जाएं :
परन्तु िविभन्न पर्कार के अग्न्यायुध के संबंध म िविभन्न आयु-सीमाएं िविहत की जा सकगी ।
10. आयुध आिद के आयात और िनयार्त के िलए अनुज्ञिप्त—(1) कोई भी व्यिक्त िकन्ह भी आयुध या गोलाबारूद को
समुदर्, भूिम या वायु मागर् ारा तब तक न तो भारत म लाएगा न वहां से बाहर ले जाएगा जब तक िक वह इस अिधिनयम और तद्धीन
बनाए गए िनयम के उपबन्ध के अनुसार दी गई अनुज्ञिप्त तिन्निम नह रखता हो :
परन्तु—
(क) वह व्यिक्त, जो कोई आयुध या गोलाबारूद अपने कब्जे म रखने के िलए इस अिधिनयम या िकसी अन्य
तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर हकदार है या इस अिधिनयम या ऐसी अन्य िविध ारा पर्ितिष नह है, वह अपने
पर्ाइवेट उपयोग के िलए युिक्तयुक्त मातर्ा म ऐसे आयुध या गोलाबारूद इस िनिम अनुज्ञिप्त के िबना भारत म ला सके गा या
वहां से बाहर ले जा सके गा ;
(ख) वह व्यिक्त जो वास्तिवक पयर्टक है और िकसी ऐसे देश का है िजसे के न्दर्ीय सरकार शासकीय राजपतर् म
अिधसूचना ारा िविनिदष्ट करे और जो आयुध या गोलाबारूद अपने कब्जे म रखने के िलए उस देश की िविधय ारा
पर्ितिष नह है, वह के वल आखेट के पर्योजन के िलए न िक िकसी अन्य पर्योजन के िलए अपने उपयोग के वास्ते युिक्तयुक्त
मातर्ा म आयुध और गोलाबारूद इस धारा के अधीन वाली अनुज्ञिप्त के िबना िकन्तु ऐसी शत के अनुसार, जैसी िविहत की
जाएं, अपने साथ भारत म ला सके गा ।
स्पष्टीकरण—इस परन्तुक के खण्ड (ख) के पर्योजन के िलए “पयर्टक” शब्द से वह व्यिक्त अिभपर्ेत है, जो भारत का नागिरक
न होते हुए, आमोद-पर्मोद, दृश्य-दशर्न या के न्दर्ीय सरकार ारा बुलाए गए अिधवेशन म या अन्तरराष्टर्ीय सम्मेलन , संगम या अन्य
िनकाय म पर्ितिनिध की हैिसयत म भाग लेने से िभन्न उ ेश्य न रखते हुए छह मास से अनिधक कालाविध के िलए भारत आता है ।
(2) उपधारा (1) के परन्तुक म अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी यह है िक जहां िक उस परन्तुक के खण्ड (क) या खण्ड
(ख) के िकसी ऐसे व्यिक्त को लागू होने के बारे म जो यह दावा करता है िक ऐसा खण्ड, उसे लागू है, या ऐसे खण्ड म िनिदष्ट व्यिक्त के
कब्जे म के आयुध या गोलाबारूद की मातर्ा की युिक्तयुक्तता के बारे म या ऐसे आयुध या गोलाबारूद ऐसे व्यिक्त ारा िजस उपयोग
म लाए जा सकगे उसके बारे म कोई शंका, सीमाशुल्क कलक्टर या के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम सशक्त िकसी अन्य आिफसर को
हो, वहां ऐसे व्यिक्त के कब्जे म के आयुध या गोलाबारूद को तब तक के िलए िनरु कर सके गा जब तक िक वह उनके संबंध म के न्दर्ीय
सरकार के आदेश पर्ाप्त नह कर लेता ।
(3) समुदर् या वायु मागर् ारा या भारत का भाग न होने वाले िकसी मध्यवत राज्यक्षेतर् को पार करके भारत के एक भाग से
दूसरे को ले जाए गए आयुध और गोलाबारूद, इस धारा के अथर् के अन्दर भारत के बाहर ले जाए जाते ह या भारत म लाए जाते ह ।
11. आयुध आिद का आयात या िनयार्त पर्ितिष करने की शिक्त—के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा
ऐसे वग और वणर्न के आयुध या गोलाबारूद को, जैसे अिधसूचना म िविनिदष्ट िकए जाएं, भारत के अन्दर लाने या भारत के बाहर
ले जाने का पर्ितषेध कर सके गी ।
12. आयुध का पिरवहन िनबर्िन्धत या पर्ितिष करने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म
अिधसूचना ारा—
(क) िनदेश दे सके गी िक कोई भी व्यिक्त ऐसे वग और वणर्न के आयुध या गोलाबारूद का, जैसे अिधसूचना म
िविनिदष्ट िकए जाएं, भारत या उसके िकसी भाग पर से पिरवहन तब तक नह करे गा जब तक िक वह इस अिधिनयम या
तद्धीन बनाए गए िनयम के उपबन्ध के अनुसार िनकाली गई अनुज्ञिप्त इस िनिम नह रखता हो, अथवा
(ख) ऐसे पिरवहन का पूणर्त: पर्ितषेध कर सके गी ।
(2) िजन आयुध या गोलाबरूद का भारत के समुदर् प न या िवमान प न म यानान्तरण िकया जाता है, उनका इस धारा के
अथर् के अन्तगर्त पिरवहन िकया जाता है ।
6
भाग 3
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 6 ारा (22-6-1983 से) उपधारा (2) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7
(3) जहांिक अनुज्ञापन पर्ािधकारी िकसी व्यिक्त को अनुज्ञिप्त देने से इन्कार करे वहां वह ऐसे इन्कार के िलए कारण लेखन
ारा अिभिलिखत करे गा और उनका संिक्षप्त कथन मांग िकए जाने पर उस व्यिक्त को उस दशा के िसवाय देगा िजसम अनुज्ञापन
पर्ािधकारी की यह राय हो िक ऐसा कथन देना लोकिहत म नह होगा ।
15. अनुज्ञिप्त की अिस्तत्वाविध और उसका नवीकरण—(1) धारा 3 के अधीन की अनुज्ञिप्त यिद पहले ही पर्ितसंहृत न कर
दी जाए तो वह उस तारीख से, िजसको वह अनुद की जाए, तीन वषर् की कालाविध के िलए पर्वृ बनी रहेगी :
परन्तु ऐसी अनुज्ञिप्त लघुतर कालाविध के िलए अनुद की जा सके गी यिद वह व्यिक्त िजसके ारा वह अनुज्ञिप्त अपेिक्षत है
वैसा चाहे या यिद अनुज्ञापन पर्ािधकारी उन कारण से जो लेखन ारा अिभिलिखत िकए जाएंगे िकसी मामले म यह समझे िक
अनुज्ञिप्त लघुतर कालाविध के िलए अनुदत की जानी चािहए ।
(2) अध्याय 2 के िकसी अन्य उपबन्ध के अधीन की अनुज्ञिप्त यिद पहले ही पर्ितसंहृत न कर दी जाए तो उस तारीख से,
िजसको वह अनुद की जाए, ऐसी कालाविध के िलए पर्वृ बनी रहेगी िजससे अनुज्ञापन पर्ािधकारी हर एक मामले म अवधािरत करे ।
(3) हर अनुज्ञिप्त उस दशा के िसवाय िजसम अनुज्ञिप्त पर्ािधकारी उन कारण से जो लेखन ारा अिभिलिखत िकए जाएंगे
िकसी मामले म अन्यथा िविनिश्चत करे , उतनी ही कालाविध के िलए नवीकरणीय होगी, िजतनी के िलए िक वह अनुज्ञिप्त मूलत:
अनुद की गई थी और समय-समय पर इसी पर्कार नवीकरणीय होगी और धारा 13 और 14 के उपबन्ध अनुज्ञिप्त के नवीकरण को
वैसे ही लागू ह गे, जैसे वे उसके अनुदान को लागू होते ह ।
16. अनुज्ञिप्त के िलए फीस, आिद—वे फीस िजनके संदाय पर, वे शत िजनके अध्यधीन रहते हुए और वह पर्रूप िजसम
अनुज्ञिप्त अनुद या नवीकृ त की जाएगी, ऐसी ह गी या ऐसा होगा, जैसी या जैसा िविहत की जाए या िकया जाए :
परन्तु िविभन्न पर्कार की अनुज्ञिप्तय के िलए िविभन्न फीस, िविभन्न शत और िविभन्न पर्रूप िविहत की जा सकगी या िकए
जा सकगे :
परन्तु यह और भी िक िविहत शत के अितिरक्त ऐसी अन्य शत भी अनुज्ञिप्त म हो सकगी, जो िकसी िविशष्ट मामले म
अनुज्ञापन पर्ािधकारी ारा आवश्यक समझी जाएं ।
17. अनुज्ञिप्तय म फे रफार, उनका िनलम्बन और पर्ितसंहरण—(1) िजन शत के अध्यधीन अनुज्ञिप्त अनुद की गई है उसम
फे रफार अनुज्ञापन पर्ािधकारी उनम से ऐसी शत को छोड़कर कर सके गा जो िविहत की गई है और उस पर्योजन के िलए िलिखत सूचना
ारा अनुज्ञिप्त के धारक से इतने समय के अन्दर िजतना सूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, अनुज्ञिप्त अपने को पिरद करने की अपेक्षा
कर सके गा ।
(2) अनुज्ञिप्त के धारक के आवेदन पर भी, अनुज्ञिप्त की शत म फे रफार अनुज्ञापन पर्ािधकारी उनम से ऐसी शत को छोड़कर
कर सके गा जो िक िविहत की गई ह ।
(3) अनुज्ञापन पर्ािधकारी िलिखत आदेश ारा अनुज्ञिप्त को ऐसी कालाविध के िलए, जैसी वह ठीक समझे, िनलिम्बत कर
सके गा या अनुज्ञिप्त को पर्ितसंहृत कर सके गा,—
(क) यिद अनुज्ञापन पर्ािधकारी का समाधान हो जाए िक अनुज्ञिप्त का धारक, िकसी आयुध या गोलाबारूद को
अिजत करने, अपने कब्जे म रखने या वहन करने से इस अिधिनयम या िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िविध ारा पर्ितिष है या
िवकृ त-िच का है या इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्त के िलए िकसी कारण से अयोग्य है ; अथवा
(ख) यिद अनुज्ञापन पर्ािधकारी अनुज्ञिप्त को िनलंिबत करना या पर्ितसंहृत करना लोक शािन्त की सुरक्षा के िलए
या लोकक्षेम के िलए आवश्यक समझे ; अथवा
(ग) यिद अनुज्ञिप्त ताित्त्वक जानकारी दबाकर या उसके िलए आवेदन करने के समय अनुज्ञिप्त के धारक ारा या
उसकी ओर से िकसी अन्य व्यिक्त ारा दी गई गलत जानकारी के आधार पर अिभपर्ाप्त की गई थी ; अथवा
(घ) यिद अनुज्ञिप्त की शत म से िकसी का भी उल्लंघन िकया गया है, अथवा
(ङ) यिद अनुज्ञिप्त का धारक, अनुज्ञिप्त के पिरदान की अपेक्षा करने वाली उपधारा (1) के अधीन सूचना का
अनुपालन करने म असफल रहा है ।
(4) अनुपालन पर्ािधकारी, अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण उसके धारक के आवेदन पर भी कर सके गा ।
(5) जहां िक अनुज्ञापन पर्ािधकारी उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्त म फे रफार करने वाला आदेश या उपधारा (3) के अधीन
अनुज्ञिप्त को िनलिम्बत करने या पर्ितसंहृत करने वाला आदेश दे, वहां वह इसके िलए कारण लेखन ारा अिभिलिखत करे गा और
उनका संिक्षप्त कथन मांग िकए जाने पर अनुज्ञिप्त के धारक को उस दशा के िसवाय देगा, िजसम अनुज्ञापन पर्ािधकारी की िकसी मामले
म यह राय हो िक ऐसा कथन देना लोकिहत म नह होगा ।
8
(6) वह पर्ािधकारी िजसके अधीनस्थ अनुज्ञापन पर्ािधकारी है, िलिखत आदेश ारा अनुज्ञिप्त को िनलिम्बत या पर्ितसंहृत उस
िकसी भी आधार पर कर सके गा िजस पर िक वह अनुज्ञापन पर्ािधकारी ारा िनलिम्बत या पर्ितसंहृत की जा सकती है, और इस धारा के
पूवर्गामी उपबंध ऐसे पर्ािधकारी ारा अनुज्ञिप्त के िनलंबन या पर्ितसंहरण के संबंध म यावत्शक्य लागू ह गे ।
(7) वह न्यायालय जो िकसी अनुज्ञिप्त के धारक को इस अिधिनयम के या तद्धीन बनाए गए िनयम के अधीन िकसी अपराध
का िस दोष ठहराए, उस अनुज्ञिप्त को िनलिम्बत या पर्ितसंहृत भी कर सके गा :
परन्तु यिद दोषिसि अपील म या अन्यथा अपास्त कर दी जाए तो िनलम्बन या पर्ितसंहरण शून्य हो जाएगा ।
(8) उपधारा (7) के अधीन िनलम्बन या पर्ितसंहरण का आदेश, अपील न्यायालय ारा या उच्च न्यायालय ारा भी, जब िक
वह पुनरीक्षण की अपनी शिक्तय का पर्योग कर रहा हो, िकया जा सके गा ।
(9) के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म आदेश ारा, इस अिधिनयम के अधीन सब या िकन्ह भी अनुज्ञिप्तय को भारत
भर के िलए या उसके िकसी भी भाग के िलए िनलिम्बत या पर्ितसंहृत कर सके गी या िनलिम्बत या पर्ितसंहृत करने के िलए िकसी भी
अनुज्ञापन पर्ािधकारी को िनदेश दे सके गी ।
(10) इस धारा के अधीन अनुज्ञिप्त के िनलम्बन या पर्ितसंहरण पर उसका धारक उस अनुज्ञिप्त को, उस पर्ािधकारी को िजसके
ारा वह िनलिम्बत या पर्ितसंहृत की गई है या िकसी अन्य पर्ािधकारी को जो िनलम्बन या पर्ितसंहरण आदेश म इस िनिम िविनिदष्ट
हो, अिवलम्ब अभ्यिपत करे गा ।
18. अपील—(1) अनुज्ञापन पर्ािधकारी के अनुज्ञिप्त अनुद करने से इन्कार करने वाले या अनुज्ञिप्त की शत म फे रफार करने
वाले आदेश से या अनुज्ञापन पर्ािधकारी के या उस पर्ािधकारी के , िजसके अधीनस्थ अनुज्ञापन पर्ािधकारी है, अनुज्ञिप्त पर्ितसंहृत
करनेवाले आदेश से व्यिथत कोई भी व्यिक्त ऐसे पर्ािधकारी से (िजसे एतिस्मनपश्चात् अपील पर्ािधकारी के रूप म िनिदष्ट िकया गया
है) और ऐसी कालाविध के अन्दर जैसा या जैसी िविहत िकया जाए या िविहत की जाए उस आदेश के िवरु अपील कर सके गा :
परन्तु सरकार ारा या उसके िनदेशाधीन िकए गए िकसी भी आदेश के िवरु कोई भी अपील न होगी ।
(2) कोई भी अपील गर्हण नह की जाएगी यिद वह उसके िलए िविहत कालाविध के अवसान के पश्चात् की जाए :
परन्तु अपील उसके िलए िविहत कालाविध के अवसान के पश्चात् गर्हण की जा सके गी, यिद अपीलाथ अपील पर्ािधकारी का
समाधान कर दे िक उस कालाविध के अन्दर अपील न करने के िलए उसके पास पयार्प्त हेतुक था ।
(3) अपील के िलए िविहत कालाविध की संगणना इिण्डयन िलिमटेशन ऐक्ट, 1908 (1908 का 9) 1 के उन उपबंध के अनुसार
की जाएगी जो उसके अधीन पिरसीमाकाल की संगणना के िलए है ।
(4) इस धारा के अधीन हर अपील िलिखत अज ारा की जाएगी और जहां िक उस आदेश का िजसके िवरु अपील की गई
है करण का कथन अपीलाथ को िदया गया है वहां उनका संिक्षप्त िववरण और ऐसी फीस, जो िविहत की जाए, उसके साथ ह गे ।
(5) अपील िनपटाने म अपील पर्ािधकारी ऐसी पर्िकर्या का अनुसरण करे गा, जैसी िविहत की जाए :
परन्तु कोई भी अपील तब तक नह िनपटाई जाएगी जब तक अपीलाथ को सुनवाई का युिक्तयुक्त अवसर न दे िदया
गया हो ।
(6) िजस आदेश के िवरु अपील की गई है, वह उस दशा के िसवाय, िजसम अपील पर्ािधकारी सशतर् या अशतर् अन्यथा िनदेश
दे तब तक पर्वृ रहेगा जब तक ऐसे आदेश के िवरु अपील का िनपटाया जाना लिम्बत रहता है ।
(7) िजस आदेश के िखलाफ अपील की गई है, उसको पुष्ट करने वाला, उपान्तिरत करने वाला या उलटने वाला अपील
पर्ािधकारी का हर आदेश अिन्तम होगा ।
अध्याय 4
शिक्तयां और पर्िकर्या
19. अनुज्ञिप्त आिद पेश करने की मांग करने की शिक्त—(1) कोई पुिलस आिफसर या के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम
िवशेषत: सशक्त अन्य आिफसर िकसी व्यिक्त से जो कोई आयुध या गोलाबारूद वहन कर रहा हो अपनी अनुज्ञिप्त पेश करने की मांग
कर सके गा ।
(2) यिद वह व्यिक्त िजससे मांग की जाए, अनुज्ञिप्त पेश करने से इन्कार करे , या पेश करने म असफल रहे या यह दिशत
करने से इन्कार करे या करने म असफल रहे िक ऐसे आयुध या गोलाबारूद को अनुज्ञिप्त के िबना वहन करने के िलए वह इस अिधिनयम
या िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर हकदार है, तो सम्पृक्त आिफसर उससे अपना नाम और पता बताने की अपेक्षा कर
1
अब देिखए पिरसीमा अिधिनयम, 1963 (1963 का 36) ।
9
सके गा और यिद ऐसा आिफसर आवश्यक समझे तो उस व्यिक्त से वह आयुध या गोलाबारूद, िजसे वह वहन कर रहा हो अिभगृहीत कर
सके गा ।
(3) यिद वह व्यिक्त अपना नाम और पता देने से इन्कार करे या यिद सम्पृक्त आिफसर को यह संदह े हो िक वह व्यिक्त
िमथ्या नाम या पता दे रहा है या फरार होने का उसका आशय है तो ऐसा आिफसर उसे वारं ट के िबना िगरफ्तार कर सके गा ।
20. संिदग्ध पिरिस्थितय के अधीन आयुध, आिद का पर्वहण करने वाले व्यिक्तय की िगरफ्तारी—जहां कोई व्यिक्त िकन्ह
आयुध या गोलाबारूद को चाहे उनके िलए अनुज्ञिप्त हो या न हो ऐसी रीित म या ऐसी पिरिस्थितय के अधीन वहन करता हुआ या
पर्वहण करता हुआ पाया जाए िजससे यह संदह े करने के न्यायसंगत आधार बनते ह िक उसके ारा वे िकसी िविधिवरु पर्योजन के
िलए पर्युक्त िकए जाने के आशय से ले जाए जा रहे ह या िक वे ऐसे पर्योजन के िलए पर्युक्त िकए जा सकते ह तो कोई मिजस्टर्ेट, कोई
पुिलस आिफसर या कोई अन्य लोक सेवक अथवा िकसी रे ल, िवमान, जलयान, यान या पर्वहण के िकसी भी अन्य साधन म िनयोिजत
या काम करने वाला कोई भी व्यिक्त उसे वारण्ट के िबना िगरफ्तार कर सके गा और ऐसे आयुध या गोलाबारूद उससे अिभगृहीत
कर सके गा ।
21. कब्जा िविधपूणर् न रहने पर आयुध आिद का िनक्षेप—(1) कोई भी व्यिक्त िजसके कब्जे म ऐसे आयुध और गोलाबारूद ह
िजनका कब्जा अनुज्ञिप्त की अिस्तत्वाविध के अवसान या अनुज्ञिप्त के िनलम्बन या पर्ितसंहरण के पिरणामस्वरूप या धारा 4 के अधीन
अिधसूचना के िनकाले जाने से या िकसी भी कारण से, िविधपूणर् न रह गया हो, अनावश्यक िवलम्ब के िबना उन्ह या तो िनकटतम
पुिलस थाने के भारसाधक आिफसर के पास या ऐसी शत के अध्यधीन रहते हुए, जैसी िक िविहत की जाएं, िकसी अनुज्ञप्त व्यौहारी के
पास या जहां िक ऐसा व्यिक्त स्वयं संघ के सशस्तर् बल का सदस्य हो वहां िकसी यूिनट अस्तर्ागार म िनिक्षप्त करे गा ।
स्पष्टीकरण—इस उपधारा म यूिनट अस्तर्ागार के अन्तगर्त भारतीय नौसेना के पोत या स्थापन म का अस्तर्ागार आता है ।
(2) जहां िक आयुध या गोलाबारूद उपधारा (1) के अधीन िनिक्षप्त िकया जा चुका है, वहां िनक्षेपक या उसकी मृत्यु हो जाने
की दशा म उसका िविधक पर्ितिनिध, ऐसी कालाविध के अवसान से पूवर्, जैसी िविहत की जाए, िकसी समय हकदार होगा िक वह—
(क) ऐसी िनिक्षप्त िकसी भी चीज़ को इस अिधिनयम या अन्य िकसी भी तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर उसे
अपने कब्जे म रखने के िलए हकदार हो जाने पर वािपस पाए ; अथवा
(ख) ऐसी िनिक्षप्त चीज़ इस अिधिनयम या िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर उसे अपने कब्जे म रखने
के हकदार या उसे अपने कब्जे म रखने से इस अिधिनयम या ऐसी अन्य िविध ारा अपर्ितिष िकसी व्यिक्त को िवकर्य ारा
या अन्यथा व्ययिनत करे या, व्ययिनत करना पर्ािधकृ त करे और ऐसे िकसी व्ययन के आगम पर्ाप्त करे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात िकसी ऐसी चीज की वापसी या व्ययन पर्ािधकृ त करने वाली नह समझी जाएगी िजसका
अिधहरण धारा 32 के अधीन िनिदष्ट िकया गया हो ।
(3) िनिक्षप्त की गई और उपधारा (2) के अधीन उसम िनिदष्ट कालाविध के अन्दर वापस न ली गई या व्ययिनत न की गई
सब चीज, िजला मिजस्टर्ेट के आदेश से सरकार को समपहृत हो जाएंगी :
परन्तु िकसी अनुज्ञिप्त के िनलम्बन की दशा म चीज की बाबत िजसके िलए अनुज्ञिप्त है कोई भी ऐसा समपहरण िनलम्बन की
कालाविध के दौरान आिदष्ट नह िकया जाएगा ।
(4) उपधारा (3) के अधीन आदेश करने से पूवर् िजला मिजस्टर्ेट िलिखत सूचना ारा िजसकी तामील िनक्षेपक या उसकी मृत्यु
हो जाने की दशा म उसके िविधक पर्ितिनिध पर िविहत रीित म की जाएगी, उससे यह अपेक्षा करे गा िक वह सूचना की तामील से तीस
िदन के अन्दर हेतक
ु दिशत करे िक उस सूचना म िविनिदष्ट चीज क्य न समपहृत कर ली जाएं ।
(5) यथािस्थित, िनक्षेपक या उसके िविधक पर्ितिनिध ारा दिशत उस िकसी हेतुक पर, यिद कोई हो, िवचार करने के पश्चात्
मिजस्टर्ेट ऐसा आदेश देगा जैसा वह ठीक समझे ।
(6) सरकार उन चीज को जो उसे समपहृत हो गई ह या उनके व्ययन के आगम को िनक्षेपक या उसके िविधक पर्ितिनिध को
िकसी भी समय पूणर्त: या भागत: लौटा सके गी ।
22. मिजस्टर्ेट ारा तलाशी और अिभगर्हण—जब कभी िकसी मिजस्टर्ेट के पास यह िवश्वास करने का कारण हो िक—
(क) उसकी अिधकािरता की स्थानीय सीमा के अन्दर िनवास करने वाले िकसी भी व्यिक्त के कब्जे म कोई आयुध
या गोलाबारूद िकसी िविधिवरु पर्योजन के िलए है ; अथवा
(ख) कोई आयुध या गोलाबारूद लोक शािन्त या क्षेम की खतरे म डाले िबना ऐसे व्यिक्त के कब्जे म नह छोड़े जा
सकते, तो वह मिजस्टर्ेट, अपने िवश्वास के कारण को अिभिलिखत करने के पश्चात् उस गृह या पिरसर की तलाशी करा
सके गा िजस पर ऐसे व्यिक्त का अिधभोग हो या िजसकी बाबत मिजस्टर्ेट के पास यह िवश्वास करने का कारण हो िक ऐसा
आयुध या गोलाबरूद वहां पाया जाएगा और ऐसे आयुध या गोलाबारूद को, यिद कोई हो, अिभगृहीत करा सके गा और इतनी
कालाविध के िलए िजतनी वह ठीक समझे सुरिक्षत अिभरक्षा म िनरु कर सके गा भले ही वह व्यिक्त उन्ह इस अिधिनयम या
िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िकसी िविध के आधार पर अपने कब्जे म रखने का हकदार हो ।
10
(2) इस धारा के अधीन हर तलाशी, मिजस्टर्ेट ारा या उसकी उपिस्थित म या के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िवशेषत:
सशक्त आिफसर ारा या उसकी उपिस्थत म की जाएगी ।
23. आयुध आिद के िलए जलयान , यान आिद की तलाशी—कोई मिजस्टर्ेट, कोई पुिलस आिफसर या इस िनिम के न्दर्ीय
सरकार ारा िवशेषत: सशक्त कोई अन्य आिफसर यह अिभिनिश्चत करने के पर्योजन के िलए िक क्या इस अिधिनयम या तद्धीन
बनाए गए िनयम का उल्लंघन िकया जा रहा है, या उसका िकया जाना सम्भाव्य है, िकसी भी जलयान, यान का पर्वहरण के अन्य
साधन को रोक सके गा और उसकी तलाशी ले सके गा और िकसी भी आयुध या गोलाबारूद को जो उसम पाया जाए, ऐसे जलयान, यान
या पर्वहण के अन्य साधन के सिहत अिभगृहीत कर सके गा ।
24. के न्दर्ीय सरकार के आदेश के अधीन अिभगर्हण और िनरोध—के न्दर्ीय सरकार िकसी भी व्यिक्त के कब्जे म के िकन्ह भी
आयुध या िकसी भी गोलाबारूद के अिभगर्हण का आदेश िकसी भी समय, इस बात के होते हुए भी दे सके गी िक ऐसा व्यिक्त उन्ह या
उसके इस अिधिनयम या िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर अपने कब्जे म रखने का हकदार है, और उन्ह इतनी कालाविध
तक िवरु कर सके गी िजतनी वह लोक शािन्त और क्षेम के िलए आवश्यक समझे ।
[24क. िवक्षुब्ध क्षेतर् म अिधसूिचत आयुध के कब्जे के बारे म पर्ितषेध, आिद—(1) जहां के न्दर्ीय सरकार का समाधान हो
1
जाता है िक िकसी क्षेतर् म लोक शािन्त और पर्शािन्त का व्यापक िवक्षोभ है या ऐसे िवक्षोभ का आसन्न संकट है तथा ऐसे क्षेतर् म उन
अपराध के िनवारण के िलए िजसम आयुध का उपयोग िकया जाता है, ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, वहां वह राजपतर् म
अिधसूचना ारा,—
(क) ऐसे क्षेतर् की सीमाएं िविनिदष्ट कर सके गी ;
(ख) यह िनदेश कर सके गी िक अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध के (जो अविध ऐसी तारीख से पर्ारम्भ होने वाली
अविध होगी जो राजपतर् म अिधसूचना के पर्काशन की तारीख के पश्चात् चौथे िदन से पूवर्तर न हो) पर्ारम्भ के पहले पर्त्येक
ऐसा व्यिक्त, िजसके अपने कब्जे म ऐसे क्षेतर् म ऐसे वणर्न के कोई आयुध ह जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकए जाएं (इस
पर्कार िविनिदष्ट आयुध को इस धारा म इसके पश्चात् अिधसूिचत आयुध कहा गया है), ऐसे पर्ारम्भ के पहले उन्ह धारा 21
के उपबन्ध के अनुसार िनिक्षप्त करे गा और इस पर्योजन के िलए, ऐसे व्यिक्त ारा िकन्ह अिधसूिचत आयुध के कब्जे की
बाबत, इस अिधिनयम के िकसी अन्य उपबंध (धारा 41 को छोड़कर) या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के
होते हुए भी, राजपतर् म ऐसी अिधसूचना के पर्काशन की तारीख से ही, यह समझा जाएगा िक वह िविधपूणर् नह रह
गया है ;
(ग) यह घोषणा कर सके गी िक अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध के पर्ारम्भ से उस अविध के अवसान तक िकसी
व्यिक्त के िलए ऐसे क्षेतर् म कोई अिधसूिचत आयुध अपने कब्जे म रखना िविधपूणर् नह होगा ;
(घ) के न्दर्ीय सरकार के या िकसी राज्य सरकार के अधीनस्थ िकसी ऐसे आिफसर को, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट
िकया जाए, पर्ािधकृ त कर सके गी िक वह—
(i) ऐसे क्षेतर् म के या उसम से होकर जा रहे िकसी व्यिक्त की अथवा उसम के िकसी पिरसर की अथवा
उसम के या उसम से होकर जा रहे िकसी पशु, जलयान या यान या िकसी भी पर्कार के अन्य वाहन की अथवा उसम
के िकसी पातर्या िकसी भी पर्कार के अन्य आधान की, अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध के दौरान िकसी समय तब
तलाशी ले, यिद ऐसे आिफसर के पास यह िवश्वास करने का कारण है िक ऐसे व्यिक्त ारा या ऐसे पिरसर म या
ऐसे पशु पर या ऐसे जलयान, यान या अन्य वाहन म ऐसे पातर् या अन्य आधान म िकन्ह अिधसूिचत आयुध को
िछपाया गया है ;
(ii) ऐसे क्षेतर् म िकसी व्यिक्त के कब्जे म के अथवा उपखंड (i) के अधीन तलाशी म पर्कट हुए िकन्ह
अिधसूिचत आयुध का, अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध के दौरान िकसी समय अिभगर्हण कर ले और अिधसूचना
म िविनिदष्ट अविध के दौरान उन्ह िनरु कर ले ।
(2) िकसी क्षेतर् की बाबत उपधारा (1) के अधीन जारी की गई अिधसूचना म िविनिदष्ट अविध पहली बार म नब्बे िदन से
अिधक नह होगी, िकन्तु के न्दर्ीय सरकार ऐसी अविध को समय-समय पर, िकसी ऐसी अविध से बढ़ाने के िलए, जो िकसी एक समय म
अिधक से अिधक नब्बे िदन की होगी, ऐसी अिधसूचना का उस दशा म संशोधन कर सके गी, िजसम उस सरकार की राय म, ऐसे क्षेतर् म
लोक शािन्त और पर्शािन्त का ऐसा िवक्षोभ जो उपधारा (1) म िनिदष्ट है बना हुआ है, अथवा उसका आसन्न संकट बना हुआ है, तथा
ऐसे क्षेतर् म उन अपराध के िनवारण के िलए, िजनम आयुध का उपयोग िकया जाता है, ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है ।
(3) दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के तलािशय और अिभगर्हण से संबंिधत उपबन्ध करना, जहां तक हो सके ,
उपधारा (1) के अधीन की जाने वाली िकसी तलाशी या अिभगर्हण को लागू ह गे ।
(4) इस धारा के पर्योजन के िलए—
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 7 ारा (22-6-1983 से) अन्त:स्थािपत ।
11
अध्याय 5
अपराध और शािस्तयां
25. कु छ अपराध के िलए दंड— [(1) जो कोई—
1
(क) धारा 5 के उल्लंघन म, िकन्ह आयुध या गोलाबारूद का िविनमार्ण, िवकर्य, अन्तरण, संपिरवतर्न, मरम्मत,
परख या पिरिसि करे गा, या उसे िवकर्य या अन्तरण के िलए अिभदिशत या पर्स्थािपत करे गा या िवकर्य, अन्तरण,
संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या पिरिसि के िलए अपने कब्जे म रखेगा ; अथवा
(ख) धारा 6 के उल्लंघन म, िकसी अग्न्यायुध की नाल को छोटी करे गा या नकली अग्न्यायुध को अग्न्यायुध म
संपिरवितत करे गा ; अथवा
2* * * * * *
(घ) धारा 11 के उल्लंघन म, िकसी भी वगर् या वणर्न के िकन्ह आयुध या गोलाबारूद को भारत म लाएगा या
भारत के बाहर ले जाएगा,
वह कारावास से िजसकी अविध तीन वषर् से कम होगी िकन्तु जो सात वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा और जुमार्ने से भी दंडनीय
होगा ।
[(1क) जो कोई धारा 7 के उल्लंघन म िकन्ह पर्ितिष आयुध या पर्ितिष गोलाबारूद को अिजत करे गा, अपने कब्जे म
3
रखेगा या लेकर चलेगा, वह कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् से कम की नह होगी िकन्तु जो दस वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय
होगा और जुमार्ने से भी दण्डनीय होगा ।
(1कक) जो कोई धारा 7 के उल्लंघन म िकन्ह पर्ितिष आयुध या पर्ितिष गोलाबारूद का िविनमार्ण, िवकर्य, अन्तरण,
संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या पिरिसि करे गा या उन्ह िवकर्य या अन्तरण के िलए अिभदिशत या पर्स्थािपत करे गा या उन्ह िवकर्य,
अन्तरण, संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या पिरिसि के िलए अपने कब्जे म रखेगा, वह कारावास से, िजसकी अविध सात वषर् से कम नह
होगी िकन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सके गी, दण्डनीय होगा और जुमार्ने से भी दण्डनीय होगा ।]
[(1ककक)] जो कोई िकन्ह आयुध या गोलाबारूद की धारा 24क के अधीन जारी की गई अिधसूचना के उल्लंघन म अपने
4
कब्जे म रखेगा या धारा 24ख के अधीन जारी की गई अिधसूचना के उल्लंघन म लेकर चलेगा अथवा अन्यथा अपने कब्जे म रखेगा, वह
कारावास से 5 [िजसकी अविध तीन वषर् से कम की नह होगी िकन्तु जो सात वषर् तक की हो सके गी,] दंडनीय होगा और जुमार्ने से भी
दंडनीय होगा ।
(1ख) जो कोई—
(क) धारा 3 के उल्लंघन म, कोई अग्न्यायुध या गोलाबारूद अिजत करे गा, अपने कब्जे म रखेगा या लेकर
चलेगा ; अथवा
(ख) धारा 4 के अधीन अिधसूचना ारा िविनिदष्ट िकसी स्थान म, ऐसे वगर् या वणर्न के जो उस अिधसूचना म
िविनिदष्ट कर िदया गया है, कोई आयुध उस धारा के उल्लंघन म अिजत करे गा, अपने कब्जे म रखेगा या लेकर
चलेगा ; अथवा
(ग) िकसी ऐसे अग्न्यायुध का िवकर्य या अन्तरण करे गा िजस पर िनमार्ता का नाम, िविनमार्ता संख्यांक या अन्य
पहचान िचह्न मुदर्ांिकत या धारा 8 की उपधारा (2) ारा अपेिक्षत रीित से उस पर अन्यथा दिशत न हो, या उस धारा की
उपधारा (1) के उल्लंघन म कोई भी कायर् करे गा ; अथवा
(घ) ऐसा व्यिक्त होते हुए िजसे धारा 9 की उपधारा (1) के खण्ड (क) का उपखण्ड (ii) या उपखण्ड (iii) लागू होता
है, िकसी अग्न्यायुध या गोलाबारूद को उस धारा के उल्लंघन म अिजत करे गा, अपने कब्जे म रखेगा या लेकर
चलेगा ; अथवा
(ङ) धारा 9 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) के उल्लंघन म, िकसी अग्न्यायुध या गोलाबारूद का िवकर्य या अन्तरण
या संपिरवतर्न, मरम्मत, परख या पिरिसि करे गा ; अथवा
(च) धारा 10 के उल्लंघन म िकन्ह आयुध या गोलाबारूद को भारत म लाएगा या भारत से बाहर ले
जाएगा ; अथवा
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 8 ारा (22-6-1983 से) उपधारा (1) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 5 ारा (27-5-1988 से) खंड (ग) का लोप िकया गया ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 5 ारा (27-5-1988 से) अंत:स्थािपत ।
4
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 5 ारा (27-5-1988 से) उपधारा (1क) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
1985 के अिधिनयम सं० 39 की धारा 2 ारा कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
13
(छ) धारा 12 के उल्लंघन म िकन्ह आयुध या गोलाबारूद का पिरवहन करे गा; अथवा
(ज) आयुध या गोलाबारूद को धारा 3 की उपधारा (2) या धारा 21 की उपधारा (1) ारा अपेिक्षत रूप म
िनिक्षप्त करने म असफल रहेगा ; अथवा
(झ) आयुध या गोलाबारूद का िविनमार्ता या व्यौहारी होते हुए, धारा 44 के अधीन बनाए गए िनयम ारा ऐसा
करने की अपेक्षा की जाने पर, अिभलेख या लेखा रखने म या उसम ऐसी सब पर्िविष्टयां करने म, जैसी ऐसे िनयम ारा
अपेिक्षत ह, असफल रहेगा या उसम साशय िमथ्या पर्िविष्ट करे गा या ऐसे अिभलेख या लेखे का िनरीक्षण िकए जाने से या
उसम से पर्िविष्टय की पर्ितिलिपयां बनाई जाने से रोके गा या उसम बाधा पहुंचाएगा या िकन्ह ऐसे पिरसर या अन्य स्थान
म, जहां अग्न्यायुध िविनिमत िकए या रखे जाते ह, या गोलाबारूद िविनिमत िकया जाता है या रखा जाता है, पर्वेश करने से
रोके गा या बाधा पहुंचाएगा या ऐसे आयुध का गोलाबारूद को पर्दिशत करने म साशय असफल रहेगा या उन्ह या उसे
िछपाएगा या वह स्थान जहां वे िविनिमत िकए जाते ह या रखे जाते ह या वह िविनिमत िकया जाता है, या रखा जाता है,
बताने से इन्कार करे गा,
वह कारावास से, िजसकी अविध 1 [एक वषर्] से कम नह होगी िकन्तु जो तीन वषर् तक की हो सके गी, दण्डनीय होगा तथा जुमार्ने से भी
दण्डनीय होगा :
परन्तु न्यायालय िकन्ह पयार्प्त और िवशेष कारण से, जो िनणर्य म अिभिलिखत िकए जाएंगे, कारावास का िजसकी अविध
1
[एक वषर्] से कम होगी, दण्डादेश अिधरोिपत कर सके गा ।]
[(1ग) उपधारा (1ख) म िकसी बात के होते हुए भी, जो कोई िकसी िवक्षुब्ध क्षेतर् म उस उपधारा के अधीन दण्डनीय कोई
2
अपराध करे गा, वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् से कम नह िकन्तु सात वषर् तक की हो सके गी, और जुमार्ने से भी, दण्डनीय
होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए, “िवक्षुब्ध क्षेतर्” से कोई क्षेतर् अिभपर्ेत है जो उपदर्व को दबाने के िलए तथा लोक
व्यवस्था को बहाल करने और बनाए रखने के िलए उपबन्ध करने वाली तत्समय पर्वृ िकसी अिधिनयिमित के अधीन िवक्षुब्ध क्षेतर् के
रूप म घोिषत िकया जाता है और इसके अन्तगर्त कोई ऐसा क्षेतर् है जो धारा 24क या धारा 24ख के अधीन, अिधसूचना ारा िविनिदष्ट
िकया जाता है ।
(2) जो कोई ऐसा व्यिक्त होते हुए, िजसे धारा 9 की उपधारा (1) के खंड (क) का उपखंड (i) लागू होता है उस धारा के
उल्लंघन म कोई अग्न्यायुध या गोलाबारूद अिजत करे गा या अपने कब्जे म रखेगा या वहन करे गा वह कारावास से, िजसकी अविध एक
वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दण्डनीय होगा ।
[(3) जो कोई िकसी अग्न्यायुध, गोलाबारूद या अन्य आयुध का, धारा 5 की उपधारा (2) के परन्तुक के खंड (क) या खंड
3
1
1985 के अिधिनयम सं० 39 की धारा 2 ारा “छह मास” के स्थान पर पर्ितस्थािपत।
2
1985 के अिधिनयमसं० 39 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
3
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 8 ारा (22-6-1983 से) उपधारा (3) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
14
[26. गुप्त उल्लंघन—(1) जो कोई धारा 3, 4, 10 या 12 के उपबंध म से िकसी भी उपबंध के उल्लंघन म कोई कायर् ऐसी
1
रीित से करे गा िजससे यह आशय उपदिशत होता है िक ऐसा कायर् िकसी लोक सेवक को या िकसी रे ल, िवमान, जलयान, यान या
पर्वहण के िकसी भी अन्य साधन म िनयोिजत या काम करने वाले िकसी व्यिक्त को ज्ञात न हो, वह कारावास से िजसकी अविध छह
मास से कम की नह होगी िकन्तु जो सात वषर् तक की हो सके गी, तथा जुमार्ने से भी, दण्डनीय होगा ।
(2) जो कोई धारा 5, 6, 7 या 11 के उपबंध म से िकसी के भी उल्लंघन म कोई कायर् ऐसी रीित से करे गा िजससे यह आशय
उपदिशत होता हो िक ऐसा कायर् िकसी लोक सेवक को या िकसी रे ल, िवमान, जलयान, यान या पर्वहण के िकसी भी अन्य साधन म
िनयोिजत या काम करने वाले िकसी व्यिक्त को ज्ञात न हो, वह कारावास से िजसकी अविध पांच वषर् से कम की नह होगी िकतु जो
दस वषर् तक की हो सके गी, तथा जुमानर् से भी, दण्डनीय होगा ।
(3) जो कोई धारा 22 के अधीन कोई तलाशी ली जाने पर िकन्ह आयुध या गोलाबारूद को िछपाएगा या िछपाने का पर्यत्न
करे गा, वह कारावास से िजसकी अविध दस वषर् तक की हो सके गी, तथा जुमार्ने से भी, दण्डनीय होगा ।]
[27. आयुध को उपयोग म लाने के िलए दंड, आिद—(1) जो कोई धारा 5 के उल्लंघन म िकन्ह आयुध या गोलाबारूद को
2
उपयोग म लाएगा वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् से कम की नह होगी िकन्तु जो सात वषर् तक की हो सके गी, दण्डनीय
होगा, और जुमार्ने से भी, दण्डनीय होगा ।
(2) जो कोई धारा 7 के उल्लंघन म िकन्ह पर्ितिष आयुध या पर्ितिष गोलाबारूद को उपयोग म लाएगा वह कारावास से,
िजसकी अविध सात वषर् से कम की नह होगी िकन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सके गी, दण्डनीय होगा और जुमार्ने से भी
दण्डनीय होगा ।
(3) जो कोई िकन्ह पर्ितिष आयुध या पर्ितिष गोलाबारूद को पर्योग म लाएगा या धारा 7 के उल्लंघन म कोई कायर्
करे गा और ऐसे पर्योग या कायर् के पिरणामस्वरूप िकसी अन्य व्यिक्त की मृत्यु हो जाती है तो वह मृत्युदण्ड से दण्डनीय होगा ।]
28. कितपय दशा म अग्न्यायुध या नकली अग्न्यायुध के उपयोग और कब्जे के िलए दण्ड—जो कोई स्वयं अपनी या िकसी
अन्य व्यिक्त की िविधपूणर् िगरफ्तारी या िनरोध को पर्ितरु करने या रोकने के आशय से िकसी अग्न्यायुध या नकली अग्न्यायुध को
िकसी भी उपेयाग म, चाहे वह कै सा ही क्य न हो, लाएगा या लानेका पर्यत्न करे गा, वह कारावाससे, िजसकी अविध सात वषर् तक की
हो सके गी, 3 [तथा जुमार्ने से] दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा म “नकली अग्न्यायुध” पद का वही अथर् है, जो धारा 6 म है ।
29. जानते हुए अनुज्ञिप्त रिहत व्यिक्त से आयुध आिद कर्य करने के िलए या आयुध आिद ऐसे व्यिक्त को पिरद करने के
िलए जो उन्ह कब्जे म रखने का हकदार न हो, दंड—जो कोई—
(क) िकसी अन्य व्यिक्त से ऐसे वगर् या वणर्न के कोई भी अग्न्यायुध या कोई भी अन्य आयुध, जैसे िविहत िकए
जाएं, या कोई गोलाबारूद यह जानते हुए कर्य करे गा िक ऐसा अन्य व्यिक्त धारा 5 के अधीन अनुज्ञप्त या पर्ािधकृ त नह है;
या
(ख) कोई आयुध या गोलाबारूद िकसी अन्य व्यिक्त के कब्जे म पहले से इस बात का अिभिनश्चय िकए िबना
पिरद करे गा िक ऐसा अन्य व्यिक्त उन्ह इस अिधिनयम या िकसी अन्य तत्समय पर्वृ िविध के आधार पर अपने कब्जे म
रखने का हकदार है और अपने कब्जे म रखने से इस अिधिनयम या ऐसी अन्य िविध ारा पर्ितिष नह है,
वह कारावास से, 4 [िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दण्डनीय होगा] ।
30. अनुज्ञिप्त या िनयम के उल्लंघन के िलए दण्ड—जो कोई अनुज्ञिप्त की िकसी शतर् का या इस अिधिनयम के िकसी उपबंध
का या तद्धीन बनाए गए िकसी िनयम का उल्लंघन करे गा, िजसके िलए इस अिधिनयम म अन्यतर् कोई दण्ड उपबंिधत नह ह, वह
कारावास से, 5 [िजसकी अविध छह मास तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सके गा], या दोन से,
दण्डनीय होगा ।
31. पश्चात्वत अपराध के िलए दण्ड—जो कोई इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध का दोषिस िकए जाने पर इस
अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध का पुन: दोषिस िकया जाएगा वह पश्चात् किथत अपराध के िलए उपबिन्धत शािस्त की दुगुनी
शािस्त से दण्डनीय होगा ।
32. अिधहरण करने की शिक्त—(1) जब कोई व्यिक्त िकसी आयुध या गोलाबारूद के संबंध म अपने ारा िकए गए िकसी
भी अपराध का इस अिधिनयम के अधीन दोषिस िकया जाए तो यह दोषिस करने वाले न्यायालय के िववेक म होगा िक वह यह भी
1
1983 के अिधिनयमसं० 25 की धारा 9 ारा (22-6-1983 से) धारा 26 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1988 के अिधिनयम सं० 42 की धारा 6 ारा (27-5-1988 से) धारा 27 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 10 ारा (22-6-1983 से) “या जुमार्ने से या दोन से” के स्थान पर पर्ितस्थािपत।
4
1983 के अिधिनयमसं० 25 की धारा 11 ारा (22-6-1983 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत।
5
1983 के अिधिनयमसं० 25 की धारा 12 ारा (22-6-1983 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
15
िनदेश दे िक ऐसे समस्त आयुध या गोलाबारूद या उनका कोई पर्भाग और कोई जलयान, यान या पर्वहण के कोई अन्य साधन और कोई
पातर् या चीज िजसम वह आयुध या गोलाबारूद रखा हो या जो उसे िछपाने के िलए पर्योग म लाया गया हो अिधहृत कर िलया जाएं :
परन्तु यिद दोषिसि , अपील पर या अन्यथा समाप्त कर दी जाए, तो अिधहरण का आदेश शून्य हो जाएगा ।
(2) अिधहरण का आदेश, अपील न्यायालय भी या उच्च न्यायालय भी, जब िक वह पुनरीक्षण की अपनी शिक्तय का पर्योग
कर रहा हो, कर सके गा ।
33. कम्पिनय ारा अपराध—(1) जब कभी भी इस अिधिनयम के अधीनअपराध िकसी कम्पनी ारा िकया गया हो तब वह
कम्पनी और साथ ही हर व्यिक्त, जो अपराध िकए जाने के समय उस कम्पनी का भारसाधक था या उस कम्पनी के कारबार के संचालन
के िलए कम्पनी के पर्ित उ रदायी था उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे और अपने िवरु कायर्वाही की जाने और तद्नुसार दिण्डत
िकए जाने के दाियत्व के अधीन ह गे :
परन्तु यिद वह व्यिक्त यह सािबत कर दे िक वह अपराध उसकी जानकारी के िबना िकया गया था और ऐसे अपराध का िकया
जाना िनवािरत करने के िलए उसने समस्त सम्यक् तत्परता पर्युक्त की थी तो इस उपधारा म अन्तिवष्ट कोई बात ऐसे िकसी व्यिक्त को
इस अिधिनयम के अधीन िकसी दण्ड के दाियत्व के अधीन नह बनाएगी ।
(2) उपधारा (1) म अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी जहां िक इस अिधिनयम के अधीन अपराध िकसी कम्पनी ारा
िकया गया हो और यह सािबत कर िदया जाए िक वह अपराध उस कम्पनी के िकसी िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य आिफसर की
सम्मित या मौनानुकूलता से िकया गया है या वह कम्पनी के िकसी िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य आिफसर की िकसी उपेक्षा के
कारण हुआ माना जा सकता है वहां ऐसा िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य आिफसर भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और
अपने िवरु कायर्वाही की जाने पर तद्नुसार दिण्डत िकए जाने के दाियत्व के अधीन होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए—
(क) “कम्पनी” से कोई भी िनगिमत िनकाय अिभपर्ेत है और इसके अन्तगर्त फमर् या व्यिष्टय का अन्य संगम आता
है ; और
(ख) फमर् के संबंध म “िनदेशक” से फमर् का भागीदार अिभपर्ेत है ।
अध्याय 6
पर्कीणर्
34. आयुध के भाण्डागारण के वास्ते के न्दर्ीय सरकार की मंजरू ी— 1 [सीमाशुल्क अिधिनयम, 1962 (1962 का 52)] म
अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी उस अिधिनयम की 2 [धारा 58] के अधीन अनुज्ञप्त भाण्डागार म कोई भी आयुध या गोलाबारूद
के न्दर्ीय सरकार की मंजूरी के िबना िनिक्षप्त नह िकया जाएगा ।
35. पिरसर के अिधभोगी व्यिक्तय का कितपय दशा म आपरािधक उ रदाियत्व—जहां कोई आयुध या गोलाबारूद
िजसके संबंध म इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकया गया हो या िकया जा रहा हो, अनेक व्यिक्तय के संयुक्त अिधभोग या
संयुक्त िनयंतर्ण के अधीन वाले िकसी पिरसर, यान या अन्य स्थान म पाया जाए, वहां उनम से ऐसा व्यिक्त िजसकी बाबत यह िवश्वास
करने का कारण हो िक उसे उस पिरसर, यान या अन्य स्थान म आयुध या गोलाबारूद के िव मान रहने का ज्ञान था, तब के िसवाय
जब िक तत्पर्ितकू ल सािबत कर िदया जाए, उस अपराध के िलए उसी पर्कार दाियत्व के अधीन होगा मानो वह के वल उसी के ारा
िकया गया हो या िकया जा रहा हो ।
36. कितपय अपराध के बारे म इि ला का िदया जाना—(1) हर व्यिक्त, िजसे इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध के
िकए जाने का ज्ञान हो, युिक्तयुक्त पर्ितहेतु के अभाव म, िजसे सािबत करने का भार ऐसे व्यिक्त पर होगा, िनकटतम पुिलस थाने के
भारसाधक आिफसर या अिधकािरता रखने वाले मिजस्टर्ेट को उसकी इि ला देगा ।
(2) िकसी रे ल, िवमान, जलयान, यान या पर्वहण के अन्य साधन म िनयोिजत या काम करने वाला हर व्यिक्त, युिक्तयुक्त
पर्ितहेतु के अभाव म, िजसे सािबत करने का भार ऐसे व्यिक्त पर होगा, िकसी ऐसे बक्से, पैकेज या गांठ के बारे म जो अिभवहन म हो
और िजसकी बाबत उसे संदह े हो, िक उसम ऐसा आयुध या गोलाबारूद रखा है िजसके संबंध म इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध
िकया गया है या िकया जा रहा है, िनकटतम पुिलस थाने के भारसाधक आिफसर को इि ला देगा ।
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 13 ारा (22-6-1983 से) “सागर सीमाशुल्क अिधिनयम, 1878” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 13 ारा (22-6-1983 से) “धारा 16” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
16
1
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 14 ारा (22-6-1983 से) “दंड पर्िकर्या संिहता, 1898” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1983 के अिधिनयम सं० 25 की धारा 15 ारा (22-6-1983 से) “िकसी व्यिक्त या व्यिक्तय के वगर् को छू ट दे सके गी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
17
44. िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए शासकीय
राजपतर् म अिधसूचना ारा िनयम बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िनयम िनम्निलिखत सब िवषय या
उनम से िकसी के िलए उपबंध कर सके गी, अथार्त्—
(क) अनुज्ञापन पर्ािधकािरय की िनयुिक्त, अिधकािरता, िनयंतर्ण, और कृ त्य 1 [िजनके अन्तगर्त वे क्षेतर् तथा आयुध
और गोलाबारूद के वे पर्वगर् भी ह िजनके िलए वे अनुज्ञिप्तयां अनुद कर सकगे] ;
(ख) अनुज्ञिप्त के अनुदान या नवीकरण के िलए आवेदन के पर्रूप और िविशिष्टयां और जहां िक आवेदन अनुज्ञिप्त
के नवीकरण के िलए हो वह समय िजसके अन्दर वह िकया जाएगा ;
(ग) वह पर्रूप िजसम और वे शत िजनके अध्यधीन कोई अनुज्ञिप्त अनुद की जा सके गी, उसके देने से इन्कार िकया
जा सके गा, वह नवीकृ त की जा सके गी, उसम फे रफार िकया जा सके गा या वह िनलिम्बत या पर्ितसंहृत की जा सके गी ;
(घ) जहां िक इस अिधिनयम म कोई भी कालाविध िविनिदष्ट नह की गई है वहां वह कालाविध िजसके िलए कोई
अनुज्ञिप्त पर्वृ बनी रहेगी ;
(ङ) अनुज्ञिप्त के अनुदान या नवीकरण के िकसी आवेदन के बारे म तथा िकसी अनुद या नवीकृ त अनुज्ञिप्त के बारे
म देय फीस और उनके संदाय की रीित ;
(च) वह रीित िजससे अग्न्यायुध के िनमार्ता का नाम, िविनमार्ता संख्यांक या अन्य पहचान-िचह्न उस पर मुदर्ांिकत
या अन्यथा दिशत िकया जाएगा ;
(छ) िकसी भी अग्न्यायुध की परख या पिरिसि के िलए पर्िकर्या ;
(ज) वे अग्न्यायुध जो पर्िशक्षण की चचार् म उपयोग म लाए जा सकगे, उन व्यिक्तय की आयु सीमाएं जो उनका
उपयोग कर सकगे, और ऐसे व्यिक्तय ारा उनके उपयोग की शत ;
(झ) वह पर्ािधकारी िजसको धारा 18 के अधीन अपील की जा सकगी, वह पर्िकर्या िजसका उस पर्ािधकारी ारा
अनुरसरण िकया जाना है और वह कालाविध िजसके अन्दर अपील की जाएंगी, ऐसी अपील की बाबत दी जाने वाली फीस
और ऐसी फीस की वापसी ;
(ञ) धारा 3 या धारा 4 के अधीन की अनुज्ञिप्त से िभन्न अनुज्ञिप्त के अधीन की गई िकसी भी बात के अिभलेख या
लेखा रखने, ऐसे अिभलेख या लेखा के पर्रूप और उनम की जाने वाले पर्िविष्टय के िलए और िकसी पुिलस आिफसर या इस
िनिम सशक्त िकसी सरकारी आिफसर को ऐसे अिभलेख या लेखा का पर्दशर्न ;
(ट) िजस िकसी पिरसर या अन्य स्थान म आयुध या गोलाबारूद िविनिमत िकया जाता है या िजसम आयुध या
गोलाबारूद के िविनमार्ता या व्यौहारी ारा ऐसा आयुध या गोलाबारूद रखा जाता है, उसम िकसी पुिलस आिफसर या इस
िनिम सशक्त िकसी सरकारी आिफसर ारा पर्वेश और िनरीक्षण और ऐसे आिफसर को उनका पर्दशर्न ;
(ठ) वे शत िजनके अध्यधीन रहते हुए आयुध या गोलाबारूद जैसा िक धारा 21 की उपधारा (1) म अपेिक्षत है
िकसी अनुज्ञप्त व्यौहारी के पास या यूिनट शस्तर्ागार म िनिक्षप्त िकया जा सके गा और वह कालाविध िजसके अवसान पर
ऐसी िनिक्षप्त चीज समपहृत की जा सकगी ;
(ड) कोई भी अन्य बात जो िविहत की जानी है या की जाए ।
[(3)इस धारा के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर् संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष जब वह
2
सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो
सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस िनयम म कोई पिरवतर्न
करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत
हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जानाचािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव
होने से उसके पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पडे़गा ।]
45. अिधिनयम का कितपय दशा म लागू न होना—इस अिधिनयम की कोई भी बात, िनम्निलिखत को लागू नह होगी—
(क) आयुध या गोलाबारूद को, जो िकसी समुदर्गामी जलयान या िकसी वायुयान के फलक पर हो या जो ऐसे
जलयान या वायुयान के मामूली आयुधािद या उपस्कर का भाग हो ;
(ख) (i) के न्दर्ीय सरकार के आदेश ारा या के अधीन, या
1
1983 के अिधिनयमसं० 25 की धारा 16 ारा (22-6-1983 से) अन्त:स्थािपत।
2
1983 के अिधिनयमसं० 25 की धारा 15 ारा (22-6-1983 से) उपधारा (3) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
18
(ii) िकसी लोक सेवक ारा ऐसे लोक सेवक के नाते अपने कतर्व्य की चयार् म, या
(iii) राष्टर्ीय कै डेट कोर अिधिनयम, 1948 (1948 का 31) के अधीन समुत्थािपत और बने रखे गए राष्टर्ीय कै डेट
कोर के सदस्य ारा या पर्ादेिशक सेना अिधिनयम, 1948 (1948 का 56) के अधीन समुत्थािपत और बनी रखी गई पर्ादेिशक
सेना के िकसी आिफसर या भत िकए गए व्यिक्त ारा, या िकन्ह भी अन्य बल के , जो िकसी के न्दर्ीय अिधिनयम के अधीन
समुत्थािपत िकए और बने रखे गए ह या जो एतत्पश्चात् समुत्थािपत िकए और बने रखे जाएं िकसी भी सदस्य ारा या ऐसे
अन्य बल के , िजन्ह के न्दर्ीय सरकार शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा िविनिदष्ट करे , िकसी सदस्य ारा ऐसे
सदस्य,आिफसर या भत िकए गए व्यिक्त की हैिसयत म अपने कतर्व्य की चयार् म,
आयुध या गोलाबारूद का अजर्न, कब्जा या वहन करने, उसके िविनमार्ण, मरम्मत, संपिरवतर्न, परख या पिरिसि , िवकर्य या
अन्तरण या आयात या िनयार्त या पिरवहन को ;
(ग) अपर्चिलत पर्कार के या पौरातिनक मूल्य के या बेमरम्मती शस्तर् को, जो चाहे मरम्मत होने पर या िबना
मरम्मत अग्न्यायुध के तौर पर उपयोग म लाए जाने के योग्य न ह ;
(घ) आयुध या गोलाबारूद के क्षुदर् भाग के , जो उस या िकसी अन्य व्यिक्त ारा अिजत या कब्जे म रखे गए पूरक
भाग के साथ उपयोग म लाए जाने के िलए आशियत न ह , िकसी व्यिक्त ारा अजर्न, कब्जा या वहन करने को ।
46. 1878 के अिधिनयम 11 का िनरसन—(1) इिण्डयन आम्सर् ऐक्ट, 1878 एतद् ारा िनरिसत िकया जाता है ।
(2) इिण्डयन आम्सर् ऐक्ट, 1878 (1878 का 11) के िनरसन के होते हुए भी, और साधारण खंड अिधिनयम, 1897 (1897 का
10) की धारा 6 और 24 के उपबंध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना पर्थम विणत अिधिनयम के अधीन अनुद या नवीकृ त और इस
अिधिनयम के पर्ारं भ के व्यविहत पूवर् पर्वृ हर अनुज्ञिप्त, यिद वह पहले की पर्ितसंहृत न कर दी गई हो, ऐसे पर्ारं भ के पश्चात् उस
कालाविध के , िजसके िलए िक वह अनुद या नवीकृ त की गई है, अनविसत भाग के िलए पर्वृ बनी रहेगी ।
______