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िव त

ु अिधिनयम, 2003
(2003 का अिधिनयम संख्यांक 36)
[26 मई, 2003]
िव तु के उत्पादन, पारे षण, िवतरण, व्यापार और उसके उपयोग और साधारणत:
िव त ु उ ोग के िवकास, उसम पर्ितस्पधार् के संवधर्न, उपभोक्ता के िहत के
संरक्षण; और सभी क्षेतर् म िव त ु के पर्दाय, िव त
ु टैिरफ को युिक्तसंगत
बनाने, साहाियिकय के बारे म पारदश नीितयां सुिनिश्चत करने,
दक्ष और पयार्वरण के िलए िहतकर नीितय के संवधर्न, के न्दर्ीय
िव त ु पर्ािधकरण, िविनयामक आयोग के गठन और अपील
अिधकरण की स्थापना म सहायक उपाय करने, से
संबिं धत िविधय का समेकन करने और उनसे
संबिं धत या उनके आनुषिं गक
िवषय के िलए
अिधिनयम
भारत गणराज्य के चौवनव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :––
भाग 1

पर्ारं िभक
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार और पर्ारं भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम िव त
ु अिधिनयम, 2003 है ।
(2) इसका िवस्तार, जम्मू-कश्मीर राज्य के िसवाय, संपूणर् भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को पर्वृ होगा जो के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, िनयत करे :
परन्तु इस अिधिनयम के िभन्न-िभन्न उपबंध के िलए िभन्न-िभन्न तारीख िनयत की जा सकगी और िकसी ऐसे उपबंध म इस
अिधिनयम के पर्ारं भ के पर्ित िकसी िनदश का यह अथर् लगाया जाएगा िक वह उस उपबंध के पर्वतर्न म आने के पर्ित िनदश है ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(1) “अपील अिधकरण” से धारा 110 के अधीन स्थािपत िव ुत अपील अिधकरण अिभपर्ेत है;
(2) “िनयत तारीख” से वह तारीख अिभपर्ेत है िजसे के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, िनयत करे ;
(3) “पर्दाय क्षेतर्” से वह क्षेतर् अिभपर्ेत है िजसके भीतर कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी अपनी अनुज्ञिप्त ारा िव ुत
का पर्दाय करने के िलए पर्ािधकृ त है;
(4) “समुिचत आयोग” से, यथािस्थित, धारा 76 की उपधारा (1) म िनिदष्ट के न्दर्ीय िविनयामक आयोग या
धारा 82 म िनिदष्ट राज्य िविनयामक आयोग या धारा 83 म िनिदष्ट संयुक्त आयोग अिभपर्ेत है;
(5) “समुिचत सरकार” से,––
(क) (i) ऐसी उत्पादन कं पनी के संबंध म, जो पूणर्त: या भागत: उसके स्वािमत्व म हो;
(ii) िव ुत के िकसी अन्तररािज्यक उत्पादन, पारे षण, व्यापार या पर्दाय के संबंध म और िकन्ह खान ,
तेल क्षेतर् , रे ल , राष्टर्ीय राजमाग , िवमानप न , तार, पर्सारण के न्दर् और िकसी रक्षा संकमर्, डॉक याडर्,
परमाणुशिक्त संस्थापन के संबंध म; और
(iii) राष्टर्ीय भार पर्ेषण कदर् तथा पर्ादेिशक भार पर्ेषण कदर् के संबंध म;
(iv) उसके या उसके िनयंतर्णाधीन िकसी संकमर् या िव ुत संस्थापन के संबंध म,
के न्दर्ीय सरकार अिभपर्ेत है;
(ख) िकसी अन्य दशा म, इस अिधिनयम के अधीन अिधकािरता रखने वाली राज्य सरकार अिभपर्ेत है;
(6) “पर्ािधकरण” से धारा 70 की उपधारा (1) म िनिदष्ट के न्दर्ीय िव ुत पर्ािधकरण अिभपर्ेत है;
(7) “बोडर्” से इस अिधिनयम के पर्ारं भ के पूवर्, िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54) की धारा 5 की
उपधारा (1) के अधीन गिठत राज्य िव ुत बोडर् अिभपर्ेत है;
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(8) “आब उत्पादन संयंतर्” से िकसी व्यिक्त ारा पर्ाथिमक रूप से उसके स्वयं के उपयोग के िलए िव ुत का
उत्पादन करने के िलए स्थािपत िव ुत संयंतर् अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त िकसी सहकारी सोसाइटी या व्यिक्त-संगम ारा
ऐसी सहकारी सोसाइटी या संगम के सदस्य के उपयोग के िलए पर्ाथिमक रूप से िव ुत का उत्पादन करने के िलए स्थािपत
िव ुत संयंतर् भी है;
(9) “के न्दर्ीय आयोग” से धारा 76 की उपधारा (1) म िनिदष्ट के न्दर्ीय िव ुत िविनयामक आयोग अिभपर्ेत है;
(10) “के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता” से ऐसी कोई सरकारी कं पनी अिभपर्ेत है, िजसे के न्दर्ीय सरकार धारा 38
की उपधारा (1) के अधीन अिधसूिचत करे ;
(11) “अध्यक्ष” से, यथािस्थित, पर्ािधकरण या समुिचत आयोग या अपील अिधकरण का अध्यक्ष अिभपर्ेत है;
(12) “सह उत्पादन” से ऐसी पर्िकर्या अिभपर्ेत है, जो साथ-साथ दो या अिधक पर्कार की उपयोगी ऊजार्
(िजसके अन्तगर्त िव ुत भी है) उत्पािदत करती है;
(13) “कं पनी” से कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाई गई और रिजस्टर्ीकृ त कं पनी अिभपर्ेत है
और इसके अंतगर्त के न्दर्ीय, राज्य या पर्ांतीय अिधिनयम के अधीन कोई िनगिमत िनकाय भी है;
(14) “संरक्षण” से िव ुत के पर्दाय और उपयोग म दक्षता म वृि के पिरणामस्वरूप िव ुत के उपभोग म कोई
कमी अिभपर्ेत है;
(15) “उपभोक्ता” से कोई ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसे उसके स्वयं के उपयोग के िलए िव त ु का पर्दाय िकसी
अनुज्ञिप्तधारी या सरकार अथवा िकसी ऐसे अन्य व्यिक्त ारा िकया जाता है जो इस अिधिनयम या तत्समय पर्वृ िकसी
अन्य िविध के अधीन जनता को िव ुत का पर्दाय करने के कारबार म लगा हुआ है और इसके अंतगर्त कोई ऐसा व्यिक्त भी है
िजसके पिरसर को िव ुत पर्ाप्त करने के पर्योजन के िलए, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी, सरकार या ऐसे अन्य व्यिक्त के संकमर्
के साथ तत्समय संयोिजत िकया गया है;
(16) “समिपत पारे षण लाइन ” से िकसी िबदु से िबदु तक पारे षण के िलए कोई िव ुत पर्दाय लाइन अिभपर्ेत है,
जो, धारा 9 म िनिदष्ट िव ुत लाइन या िकसी आब उत्पादन संयंतर् के िव ुत संयंतर् या धारा 10 म िनिदष्ट उत्पादन के न्दर्
को, यथािस्थित, िकन्ह पारे षण लाइन या उप-के न्दर् या उत्पादन के न्दर् या भार के न्दर् से संयोजन के पर्योजन के िलए
अपेिक्षत है;
(17) “िवतरण अनुज्ञिप्तधारी” से अपने पर्दाय क्षेतर् म उपभोक्ता को िव ुत का पर्दाय करने के िलए िवतरण
पर्णाली को पर्चािलत करने और उसका रखरखाव करने के िलए पर्ािधकृ त अनुज्ञिप्तधारी अिभपर्ेत है;
(18) “िवतरण मुख्य तार” से, िकसी मुख्य तार का वह पर्भाग अिभपर्ेत है िजसके साथ कोई सेवा लाइन तुरंत
संयोिजत की जाती है या होनी आशियत है;
(19) “िवतरण पर्णाली” से, पारे षण लाइन या उत्पादन के न्दर् संयोजन पर पिरदान िबदु और उपभोक्ता के
संस्थापन के संयोजन िबन्दु के बीच तार और सहयुक्त सुिवधा की पर्णाली अिभपर्ेत है;
(20) “िव ुत लाइन” से ऐसी कोई लाइन अिभपर्ेत है, िजसका उपयोग िकसी पर्योजन के िलए िव ुत ले जाने के
िलए िकया जाता है और इसके अंतगर्त िनम्निलिखत भी ह––
(क) ऐसी िकसी लाइन के िलए कोई सहारा अथार्त् कोई संरचना, टावर, खंभा या ऐसी अन्य चीज
िजसम, िजस पर, िजसके ारा या िजससे िकसी ऐसी लाइन को सहारा िमलता है या वह ले जाई जाती है या
िनलंिबत की जाती है अथवा सहारा िमल सकता है, वह ले जाई जा िनलंिबत की जा सकती है; और
(ख) िव ुत ले जाने के पर्योजन के िलए िकसी ऐसी लाइन से संयोिजत कोई सािधतर्;
(21) “िव तु िनरीक्षक” से धारा 162 की उपधारा (1) के अधीन समुिचत सरकार ारा उस रूप म िनयुक्त व्यिक्त
अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त मुख्य िव ुत िनरीक्षक भी है;
(22) “िव ुत संयंतर्” से ऐसा कोई संयंतर्, उपस्कर, यंतर् या सािधतर् अथवा उसका कोई भाग अिभपर्ेत है िजसका
उपयोग िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण या पर्दाय के िलए या उससे संबंिधत पर्योजन के िलए िकया जाता है, िकन्तु
इसके अन्तगर्त िनम्निलिखत नह ह––
(क) कोई िव ुत लाइन; या
(ख) िकसी पिरसर को पर्दाय की गई िव ुत की मातर्ा अिभिनिश्चत करने के िलए उपयोग िकया गया
कोई मीटर; या
(ग) िकसी उपभोक्ता के िनयंतर्णाधीन कोई िव ुत उपस्कर, यंतर् या सािधतर्;
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(23) “िव ुत” से,––


(क) िकसी पर्येजन के िलए उत्पािदत, पारे िषत, पर्दाय की गई या व्यापार की गई; या
(ख) िकसी संदश
े के पारे षण के िसवाय िकसी पर्योजन के िलए उपयोग की गई,
िव ुत ऊजार् अिभपर्ेत है;
(24) “िव ुत पर्दाय कोड” से धारा 50 म िविनिदष्ट िव ुत पर्दाय कोड अिभपर्ेत है;
(25) “िव ुत पर्णाली” से, यथािस्थित, िकसी उत्पादन कं पनी या अनुज्ञिप्तधारी के िनयंतर्णाधीन कोई पर्णाली
अिभपर्ेत है और िजसके पास एक या अिधक,––
(क) उत्पादन के न्दर्; या
(ख) पारे षण लाइन; या
(ग) िव ुत लाइन और उप-के न्दर् ह,
और जब इसका उपयोग िकसी राज्य या संघ के संदभर् म िकया जाए तो उसके राज्यक्षेतर् के भीतर संपूणर् िव ुत पर्णाली
अिभपर्ेत है;
(26) “िव ुत व्यापारी” से ऐसा कोई व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसे धारा 12 के अधीन िव ुत का व्यापार करने के िलए
कोई अनुज्ञिप्त पर्दान की गई है;
(27) “िवशेषािधकार पर्ाप्त” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसे िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा उसकी ओर से
उसके पर्दाय क्षेतर् के भीतर िकसी िवशेष क्षेतर् म िव ुत के िवतरण के िलए पर्ािधकृ त िकया गया है;
(28) “उत्पादन कं पनी” से अिभपर्ेत है कोई कं पनी या िनगम िनकाय या संगम या व्यिष्टय का िनकाय, चाहे वह
िनगिमत हो या नह , या कृ ितर्म न्याियक व्यिक्त, जो िकसी उत्पादन के न्दर् का स्वामी है या उसे पर्चािलत करता है या उसका
रखरखाव करता है;
(29) “उत्पादन करना” से िकसी पिरसर को पर्दाय करने या इस पर्कार िकए जाने वाले पर्दाय को समथर् बनाने के
पर्योजन के िलए उत्पादन के न्दर् से िव ुत का उत्पादन करना अिभपर्ेत है;
(30) “उत्पादन के न्दर्” या “के न्दर्” से िव ुत उत्पादन करने के िलए कोई के न्दर् अिभपर्ेत है िजसके अंतगर्त उस
पर्योजन के िलए पर्युक्त स्टैप-अप टर्ांसफामर्र िस्वचिगयर, िस्वच याडर् के बल या अन्य अनुलग्न उपस्कर सिहत, यिद कोई ह ,
कोई भवन और संयंतर् तथा उनके स्थल; िकसी उत्पादन के न्दर् के पर्योग के िलए आशियत कोई स्थल और कोई भवन िजसका
उत्पादन के न्दर् के पर्चालक कमर्चािरवृन्द के आवास के िलए उपयोग िकया जाता है और जहां जल शिक्त ारा िव ुत उत्पािदत
की जाती है, िजसके अंतगर्त पेनस्टॉक, आ ोपांत संकमर्, मुख्य और िविनयामक जलाशय, बांध और अन्य जल िव ुत संकमर्
भी ह िकन्तु िकसी भी दशा म, इसके अंतगर्त कोई उप-के न्दर् नह है;
(31) “सरकारी कं पनी” का वही अथर् है जो कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 म उसका है;
(32) “िगर्ड” से अंत:सहयोिजत पारे षण लाइन, उप-के न्दर् और उत्पादन संयंतर् की उच्च वोल्ट वाली आधार पर्णाली
अिभपर्ेत है;
(33) “िगर्ड कोड” से धारा 79 की उपधारा (1) के खंड (ज) के अधीन के न्दर्ीय आयोग ारा िविनिदष्ट िगर्ड कोड
अिभपर्ेत है;
(34) “िगर्ड मानक” से पर्ािधकरण ारा धारा 73 के खंड (घ) के अधीन िविनिदष्ट िगर्ड मानक अिभपर्ेत ह;
(35) “उच्च वोल्टता लाइन” से िकसी ऐसी अिभिहत वोल्टता की िव ुत लाइन या के बल अिभपर्ेत है जो समय-
समय पर, पर्ािधकरण ारा िविनिदष्ट की जाए;
(36) “अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली” के अन्तगर्त िनम्निलिखत ह––
(i) एक राज्य के राज्यक्षेतर् से दूसरे राज्य के राज्यक्षेतर् को मुख्य पारे षण लाइन के माध्यम से िव त
ु के
पर्वहण के िलए कोई पर्णाली;
(ii) िकसी मध्यवत राज्य के राज्यक्षेतर् म से होकर िव ुत का पर्वहण तथा ऐसे राज्य के भीतर पर्वहण जो
िव ुत के ऐसे अंतररािज्यक पारे षण के आनुषंिगक है;
(iii) िकसी राज्य के राज्यक्षेतर् के भीतर, के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता ारा िनिमत, उसके स्वािमत्वाधीन,
उसके ारा पर्चािलत, अनुरिक्षत या िनयंितर्त पर्णाली पर िव ुत का पारे षण;
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(37) “अन्तररािज्यक पारे षण पर्णाली” से अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली से िभन्न िव ुत के पारे षण के िलए कोई
पर्णाली अिभपर्ेत है;
(38) “अनुज्ञिप्त” से धारा 14 के अधीन पर्दान की गई अनुज्ञिप्त अिभपर्ेत है;
(39) “अनुज्ञिप्तधारी” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है, िजसे धारा 14 के अधीन अनुज्ञिप्त पर्दान की गई है;
(40) “लाइन” से ऐसा कोई तार, के बल, ूब, पाइप, िव ुत-रोधक, चालक या अन्य वैसी ही चीज (उसकी के िसग
या कोिटग सिहत) अिभपर्ेत है जो िव ुत ले जाने म उपयोग के िलए िडजाइन या अनुकूिलत की गई है और इसके अंतगर्त ऐसी
कोई लाइन भी है जो पिरवेिष्टत करती है या आलंब देती है या पिरवेिष्टत की गई है या आलंब िदया गया है अथवा उसके
सामीप्य म स्थािपत िकया गया है या िकसी ऐसी लाइन से सहारा िदया गया है या ले जाया गया है या उसके संयोजन म
िनलंिबत िकया गया है;
(41) “स्थानीय पर्ािधकारी” से ऐसी कोई नगर पंचायत, नगर पिरषद्, नगर िनगम, गर्ाम, मध्यवत और िजला
स्तर पर गिठत पंचायत, प न आयुक्त का िनकाय या अन्य पर्ािधकरण अिभपर्ेत है जो िकसी क्षेतर्ीय या स्थानीय िनिध का
िनयतर्ण या पर्बंध करने के िलए िविधत: हकदार है या उसे संघ या िकसी राज्य सरकार ारा ऐसा िनयंतर्ण या पर्बंध स पा
जाता है;
(42) “मुख्य तार” से अिभपर्ेत है कोई िव ुत पर्दाय लाइन िजसके माध्यम से िव ुत-पर्दाय िकया जाता है या िकया
जाना आशियत है;
(43) “सदस्य” से, यथािस्थित, समुिचत आयोग या पर्ािधकरण या संयुक्त आयोग या अपील अिधकरण का सदस्य
अिभपर्ेत है और इसके अन्तगर्त ऐसे आयोग या पर्ािधकरण या अपील अिधकरण का अध्यक्ष भी है;
(44) “राष्टर्ीय िव ुत योजना” से धारा 3 की उपधारा (4) के अधीन अिधसूिचत राष्टर्ीय िव ुत योजना
अिभपर्ेत है;
(45) “राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर्” से धारा 26 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत के न्दर् अिभपर्ेत है;
(46) “अिधसूचना” से राजपतर् म पर्कािशत अिधसूचना अिभपर्ेत है और “अिधसूिचत करना” पद का तद्नुसार अथर्
लगाया जाएगा;
(47) “िनबार्ध पहुंच” से पारे षण लाइन या िवतरण पर्णाली या ऐसी लाइन या पर्णाली सिहत सहयुक्त सुिवधा
के िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उपभोक्ता या समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट िविनयम के अनुसार उत्पादन म लगे िकसी
व्यिक्त ारा उपयोग की अिवभेदकारी व्यवस्था अिभपर्ेत है;
(48) “िशरोपिर लाइन” से ऐसी िव ुत लाइन अिभपर्ेत है जो भूिम के ऊपर और खुली वायु म लगी हुई है िकन्तु
संकषर्ण पर्णाली की िव ुतमय रे ल इसके अंतगर्त नह ह;
(49) “व्यिक्त” के अंतगर्त कोई कं पनी, या िनगम िनकाय या संगम या व्यिष्टय का िनकाय, चाहे वह िनगिमत हो
या नह , या कृ ितर्म िविधक व्यिक्त आता है;
(50) “िव ुत पर्णाली” से िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण और पर्दाय के सभी पहलू अिभपर्ेत ह और इसके
अंतगर्त िनम्निलिखत म से एक या अिधक है––
(क) उत्पादन के न्दर्;
(ख) पारे षण या मुख्य पारे षण लाइन;
(ग) उप-के न्दर्;
(घ) टाई लाइन;
(ङ) भार पारे षण िकर्याकलाप;
(च) मुख्य और िवतरण मुख्य लाइन;
(छ) िव ुत पर्दाय लाइन;
(ज) िशरोपिर लाइन;
(झ) सेवा लाइन;
(ञ) संकमर्;
(51) “पिरसर” के अंतगर्त कोई भूिम, भवन या संरचना है;
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(52) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन समुिचत सरकार ारा बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है;
(53) “सावर्जिनक लैम्प” से ऐसा िव ुत लैम्प अिभपर्ेत है िजसका िकसी मागर् पर पर्काश करने के िलए पर्योग िकया
जाता है;
(54) “वास्तिवक समय पर्चालन” से उसी समय की जाने वाली कारर् वाई अिभपर्ेत है िजस समय िव ुत पर्णाली के
बारे म कोई सूचना संबंिधत पारे षण के न्दर् को उपलब्ध कराई जाती है;
(55) “पर्ादेिशक िव ुत सिमित” से ऐसी सिमित अिभपर्ेत है जो के न्दर्ीय सरकार ारा, संकल्प ारा उस क्षेतर् म
िव ुत पर्णािलय के एकीकृ त पर्चालन को सुकर बनाने के िलए िविनिदष्ट क्षेतर् के िलए स्थािपत की जाती है;
(56) “पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्” से धारा 27 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत के न्दर् अिभपर्ेत है;
(57) “िविनयम” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िविनयम अिभपर्ेत ह :
(58) “िनरिसत िविध” से धारा 185 ारा िनरिसत भारतीय िव ुत अिधिनयम, 1910 (1910 का 9), िव ुत
(पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54) और िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) अिभपर्ेत है;
(59) “िनयम” से इस अिधिनमय के अधीन बनाए गए िनयम अिभपर्ेत ह;
(60) “अनुसूची” से, इस अिधिनयम की अनुसूची अिभपर्ेत है;
(61) “सेवा लाइन” से ऐसी कोई िव ुत पर्दाय लाइन अिभपर्ेत है िजसके माध्यम से िव ुत का पर्दाय––
(क) एकल उपभोक्ता को या तो िवतरण मुख्य लाइन से या सीधे िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के
पिरसर से, या
(ख) उपभोक्ता समूह को मुख्य िवतरण लाइन से एक ही पिरसर पर, अथवा मुख्य िवतरण के उसी िबन्दु
से पर्दाय िकए गए संलग्न पिरसर पर,
िकया जाता है या िकया जाना आशियत है;
(62) “िविनिदष्ट” से इस अिधिनयम के अधीन, यथािस्थित, समुिचत आयोग या पर्ािधकरण ारा बनाए गए
िविनयम ारा िविनिदष्ट अिभपर्ेत है;
(63) “एकल आधार पर्णाली” से ऐसी िव ुत पर्णाली अिभपर्ेत है जो िगर्ड से संयोजन के िबना िकसी िविनिदष्ट क्षेतर्
म िव ुत के उत्पादन और िवतरण के िलए स्थािपत की गई है;
(64) “राज्य आयोग” से धारा 82 की उपधारा (1) के अधीन गिठत राज्य िव त
ु िविनयामक आयोग अिभपर्ेत है
और इसके अंतगर्त धारा 83 की उपधारा (1) के अधीन गिठत संयुक्त आयोग भी है;
(65) “राज्य िगर्ड कोड” से धारा 86 की उपधारा (1) के खंड (ज) के अधीन िविनिदष्ट राज्य िगर्ड कोड अिभपर्ेत है;
(66) “राज्य भार पर्ेषण के न्दर्” से धारा 31 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत के न्दर् अिभपर्ेत है;
(67) “राज्य पारे षण उपयोिगता” से ऐसा बोडर् या सरकारी कं पनी अिभपर्ेत है जो धारा 39 की उपधारा (1) के
अधीन राज्य सरकार ारा इस रूप म िविनिदष्ट की गई है;
(68) “मागर्” के अंतगर्त कोई रास्ता, सड़क, लेन, चौराहा, आंगन, गली, पगडंडी या खुला स्थान अिभपर्ेत है चाहे
वह आम रास्ता हो अथवा नह , िजस पर जनता को आने-जाने का अिधकार होता है और िकसी सावर्जिनक पुल या पुिलया
पर कोई सड़क या पैदल रास्ता भी है;
(69) “उप-के न्दर्” से िव ुत के पारे षण या उसके िवतरण के िलए िव ुत को रूपान्तिरत या संपिरवितत करने के
िलए के न्दर् अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त टर्ांसफामर्र, संपिरवितत, िस्वचगीयर, कै पेिसटर, तुल्यकािलक कन्डेन्सर, संरचनाएं,
के बल और अन्य अनुलग्नक उपस्कर तथा उस पर्योजन के िलए उपयोग िकया जाने वाला कोई भवन और उसका स्थल भी है;
(70) िव ुत के संबंध म “पर्दाय” से, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उपभोक्ता को िव ुत का िवकर्य अिभपर्ेत है;
(71) “व्यापार” से पुनिवकर्य के िलए िव ुत का कर्य िकया जाना अिभपर्ेत है और “व्यापार” पद का तद्नुसार अथर्
लगाया जाएगा;
(72) “पारे षण लाइन” से अिभपर्ेत है ऐसी सभी उच्च दाब के बल और िशरोपिर लाइन (जो िकसी अनुज्ञिप्तधारी
की िवतरण पर्णाली का आवश्यक भाग नह है) जो एक उत्पादन के न्दर् से दूसरे उत्पादन के न्दर् को या उप-के न्दर् को िव ुत का
पारे षण करती ह, ऐसी िकन्ह स्टैप-अप और स्टैप-डाउन टर्ांसफामर्र , िस्वचगीयर और अन्य संकम सिहत जो ऐसी के बल
या िशरोपिर लाइन के िनयंतर्ण के िलए आवश्यक ह और पर्योग िकए जाते ह तथा ऐसे भवन या उनके भाग सिहत जो ऐसे
टर्ांसफामर्र , िस्वचगीयर और अन्य संकम के आवासन के िलए अपेिक्षत ह;
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(73) “पारे षण अनुज्ञिप्तधारी” से ऐसा अनुज्ञिप्तधारी अिभपर्ेत है जो पारे षण लाइन को स्थािपत करने या
पर्चािलत करने के िलए पर्ािधकृ त है;
(74) “पारे षण करना” से िव ुत का पारे षण लाइन के माध्यम से पर्वहण अिभपर्ेत है और “पारे षण” पद का
तद्नुसार अथर् लगाया जाएगा;
(75) “उपयोिगता” से िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त इस अिधिनयम के उपबंध के
अधीन उत्पादक कं पनी या अनुज्ञिप्तधारी के रूप म कायर्रत िकसी व्यिक्त की सभी भूिम, भवन, संकमर् और उनसे संलग्न
सामगर्ी है;
(76) “चकर्ण” से ऐसा पर्चालन अिभपर्ेत है िजसके ारा, यथािस्थित, पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या िवतरण
अनुज्ञिप्तधारी की िवतरण पर्णाली और सहब सुिवधा का उपयोग िकसी अन्य व्यिक्त ारा ऐसे पर्भार के संदाय पर जो
धारा 62 के अधीन अवधािरत िकए जाने ह, िव ुत के पर्वहण के िलए िकया जाना है;
(77) “संकमर्” के अंतगर्त ऐसी िव ुत लाइन और कोई भवन, संयंतर्, मशीनरी, सािधतर् और िकसी भी पर्कार की
ऐसी कोई अन्य चीज जो जनता को िव ुत के पारे षण, िवतरण या पर्दाय और इस अिधिनयम या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य
िविध के अधीन पर्दान की गई िकसी अनुज्ञिप्त या मंजूरी के उ ेश्य को पर्भावी करने के िलए अपेिक्षत है ।
भाग 2

राष्टर्ीय िव त
ु नीित और योजना
3. राष्टर्ीय िव त
ु नीित और योजना––(1) के न्दर्ीय सरकार, समय-समय पर कोयला, पर्ाकृ ितक गैस, नािभकीय पदाथ या
सामगर्ी, जल जैसे संसाधन के और ऊजार् के नवीकरणीय सर्ोत के अिधकतम उपयोग पर आधािरत िव ुत पर्णाली के िवकास के िलए,
राज्य सरकार और पर्ािधकरण के परामशर् से, राष्टर्ीय िव ुत नीित और टैिरफ नीित तैयार करे गी ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, समय-समय पर, राष्टर्ीय िव ुत नीित और टैिरफ नीित को, पर्कािशत करे गी ।
(3) के न्दर्ीय सरकार, समय-समय पर राज्य सरकार और पर्ािधकरण के परामशर् से, उपधारा (1) म िनिदष्ट राष्टर्ीय िव ुत
नीित और टैिरफ नीित का पुनिवलोकन या पुनरीक्षण कर सके गी ।
(4) पर्ािधकरण, राष्टर्ीय िव ुत नीित के अनुसार राष्टर्ीय िव ुत योजना तैयार करे गा और ऐसी योजना को पांच वषर् म एक
बार अिधसूिचत करे गा :
परन्तु पर्ािधकरण, राष्टर्ीय िव ुत योजना को तैयार करते समय, राष्टर्ीय िव ुत योजना का पर्ारूप पर्कािशत करे गा और उस
पर अनुज्ञिप्तधािरय , उत्पादन कं पिनय और जनता से सुझाव और आक्षेप, ऐसे समय के भीतर जो िविहत िकया जाए, आमंितर्त करे गा :
परं तु यह और िक पर्ािधकरण,––
(क) के न्दर्ीय सरकार का अनुमोदन अिभपर्ाप्त करने के पश्चात् योजना को अिधसूिचत करे गा;
(ख) खंड (क) के अधीन अनुमोदन पर्दान करते समय के न्दर्ीय सरकार ारा िदए गए िनदेश , यिद कोई ह , को उसम
सिम्मिलत करते हुए उस योजना का पुनरीक्षण करे गा ।
(5) पर्ािधकरण, राष्टर्ीय िव ुत नीित के अनुसार राष्टर्ीय िव ुत योजना का, पुनिवलोकन या पुनरीक्षण कर सके गा ।
4. गर्ामीण क्षेतर् और गैर-पारं पिरक ऊजार् पर्णािलय के िलए एकल आधार पर्णािलय पर आधािरत राष्टर्ीय नीित––के न्दर्ीय
सरकार, राज्य सरकार से परामशर् के पश्चात्, गर्ामीण क्षेतर् के िलए, एकल आधार पर्णािलय को अनुज्ञात करते हुए, (िजनके अन्तगर्त
वे भी ह जो नवीकरणीय ऊजार् सर्ोत और अन्य गैर-पारं पिरक ऊजार् सर्ोत पर आधािरत ह) एक राष्टर्ीय नीित तैयार करे गी और उसे
अिधसूिचत करे गी ।
5. गर्ामीण क्षेतर् म िव त
ु ीकरण और स्थानीय िवतरण संबध ं ी राष्टर्ीय नीित––के न्दर्ीय सरकार, गर्ामीण िव ुतीकरण के िलए
और गर्ामीण क्षेतर् म पंचायत संस्था , उपयोगकतार् संगम , सहकारी सोसाइिटय , गैर-सरकारी संगठन या िवशेषािधकार पर्ाप्तकतार्
के ारा िव ुत के पर्पुंज कर्य और स्थानीय िवतरण के पर्बंध के िलए राज्य सरकार और राज्य आयोग के परामशर् से, एक राष्टर्ीय नीित
भी बनाएगी ।
[6. गर्ामीण िव त
1
ु ीकरण म राज्य सरकार और के न्दर्ीय सरकार का संयक्ु त उ रदाियत्व––संब राज्य सरकार और के न्दर्ीय
सरकार, सभी क्षेतर् तक, िजनके अन्तगर्त गर्ाम और उपगर्ाम भी ह, गर्ामीण िव ुत अवसंरचना और घर के िव त ु ीकरण के माध्यम से
िव ुत की पहुंच उपलब्ध कराने का संयुक्त रूप से पर्यास करगी ।]

1
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
7

भाग 3

िव त
ु का उत्पादन
7. उत्पादन कं पनी और उत्पादन के न्दर् की स्थापना के िलए अपेक्षा––कोई उत्पादन कं पनी यिद वह धारा 73 के खंड (ख)
म िनिदष्ट िगर्ड से संयोजन से संबंिधत तकनीकी मानक को पूरा करती है तो इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्त पर्ाप्त िकए िबना
िकसी उत्पादन के न्दर् की स्थापना, उसका पर्चालन और रखरखाव कर सकती है ।
8. जल िव तु उत्पादन––(1) धारा 7 म िकसी बात के होते हुए भी, कोई उत्पादन कं पनी, जो जल िव ुत उत्पादन के न्दर्
स्थािपत करने का आशय रखती है, पर्ािधकरण की सहमित के िलए, एक स्कीम तैयार और पर्स्तुत करे गी िजसम ऐसी रािश से, जो
के न्दर्ीय सरकार ारा, समय-समय पर, अिधसूचना ारा िनयत की जाए, अिधक पूंजी व्यय अंतवर्िलत होना पर्ाक्किलत हो ।
(2) पर्ािधकरण, उपधारा (1) के अधीन उसे पर्स्तुत की गई िकसी स्कीम पर सहमित देने से पूवर् इस बात पर िवशेष ध्यान देगा
िक उसकी राय म––
(क) पर्स्थािपत नदी-संकमर् से पेय जल, िसचाई, नौचालन, बाढ़ िनयंतर्ण या अन्य लोक पर्योजन की अपेक्षा से
सुंसगत िव ुत उत्पादन के िलए उक्त नदी या उसकी सहायक निदय के सव म परम िवकास की संभावना पर पर्ितकू ल
पर्भाव पड़ेगा या नह और इस पर्योजन के िलए पर्ािधकरण, राज्य सरकार, के न्दर्ीय सरकार या ऐसे अन्य अिभकरण से,
िजन्ह वह समुिचत समझे परामशर् के पश्चात् अपना यह समाधान करे गा िक बांध और अन्य नदी-संकम की अनुकूलतम
अविस्थित के संबंध म पयार्प्त अध्ययन िकया गया है;
(ख) पर्स्थािपत स्कीम बांध का िडजाइन और सुरक्षा संबंिधत सिन्नयम के अनुसार है या नह ।
(3) जहां िकसी क्षेतर् म िकसी नदी के िवकास के िलए कोई बहुपर्योजन स्कीम पर्वतर्न म है वहां राज्य सरकार और उत्पादन
कं पनी अपने िकर्याकलाप का, ऐसी स्कीम के िलए उ रदायी व्यिक्तय के िकर्याकलाप के साथ, जहां तक वे उनसे अंतसर्ंबंिधत ह,
समन्वय करे गी ।
9. आब उत्पादन––(1) इस अिधिनयम म िकसी बात के होते भी, कोई व्यिक्त िकसी आब उत्पादन संयंतर् या समिपत
पारे षण लाइन का सिन्नमार्ण, अनुरक्षण या पर्चालन कर सके गा :
परं तु िगर्ड के माध्यम से आब उत्पादन संयंतर् से िव ुत का पर्दाय िकसी उत्पादन कं पनी के उत्पादन कदर् की भांित ही
िविनयिमत िकया जाएगा :
[परं तु यह और िक िकसी अनुज्ञिप्तधारी को, इस अिधिनयम और उसके अधीन बनाए गए िनयम और िविनयम के उपबंध
1

के अनुसार और िकसी उपभोक्ता को, धारा 42 की उपधारा (2) के अधीन बनाए गए िविनयम के अधीन रहते हुए, िकसी आब
उत्पादन संयंतर् से उत्पािदत िव ुत के पर्दाय के िलए इस अिधिनयम के अधीन कोई अनुज्ञिप्त अपेिक्षत नह होगी ।]
(2) ऐसे पर्त्येक व्यिक्त को, िजसने आब उत्पादन संयंतर् का सिन्नमार्ण िकया है और ऐसे संयंतर् का अनुरक्षण और पर्चालन
करता है, अपने आब उत्पादन संयंतर् से अपने उपयोग के गंतव्य तक िव ुत ले जाने के पर्योजन के िलए िनबार्ध पहुंच का
अिधकार होगा :
परं तु ऐसी िनबार्ध पहुंच पयार्प्त पारे षण सुिवधा की उपलभ्यता के अधीन रहते हुए होगी और पारे षण सुिवधा की ऐसी
उपलभ्यता का, यथािस्थित, के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता ारा अवधारण िकया जाएगा :
परं तु यह और िक पारे षण सुिवधा की उपलभ्यता से संबंिधत िकसी िववाद का न्यायिनणर्यन समुिचत आयोग ारा
िकया जाएगा ।
10. उत्पादन कं पिनय के कतर्व्य––(1) इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए, िकसी उत्पादन कं पनी के कतर्व्य इस
अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम या िविनयम के उपबंध के अनुसार उत्पादन के न्दर् , जोड़-लाइन , उप-के न्दर् और उनसे
संब समिपत पारे षण लाइन की स्थापना करने, उनका पर्चालन और अनुरक्षण करने ह गे ।
(2) कोई उत्पादन कं पनी, इस अिधिनयम और इसके अधीन बनाए गए िनयम और िविनयम के अनुसार िकसी
अनुज्ञिप्तधारी को िव ुत का पर्दाय कर सके गी और धारा 42 की उपधारा (2) के अधीन बनाए गए िविनयम के अधीन रहते हुए,
िकसी उपभोक्ता को िव ुत का पर्दाय कर सके गी ।
(3) पर्त्येक उत्पादन कं पनी––
(क) अपने उत्पादन कदर् से संबंिधत तकनीकी ब्यौरे , समुिचत आयोग और पर्ािधकरण को पर्स्तुत करे गी;
(ख) अपने ारा उत्पािदत िव ुत के पारे षण के िलए, यथािस्थित, कदर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण
उपयोिगता से समन्वय करे गी ।

1
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
8

11. उत्पादन कं पिनय को िनदेश––(1) समुिचत सरकार, यह िविनिदष्ट कर सके गी िक कोई उत्पादन कं पनी, असाधारण
पिरिस्थितय म, उस सरकार के िनदेश के अनुसार िकसी उत्पादन के न्दर् का पर्चालन और अनुरक्षण करे गी ।
स्पष्टीकरण––इस धारा के पर्योजन के िलए “असाधारण पिरिस्थित” पद से ऐसी पिरिस्थितयां अिभपर्ेत ह जो राज्य की
सुरक्षा, लोक व्यवस्था या िकसी पर्ाकृ ितक िवपि या लोकिहत म उद्भूत अन्य पिरिस्थितय से उत्पन्न ह ।
(2) समुिचत आयोग, उपधारा (1) म िनिदष्ट िनदेश के िकसी उत्पादन कं पनी पर पर्ितकू ल िव ीय पर्भाव का पर्ितकार ऐसी
रीित से कर सके गा जो वह समुिचत समझे ।
भाग 4

अनुज्ञापन
12. पर्ािधकृ त व्यिक्तय ारा िव त
ु का पारे षण, पर्दाय, आिद िकया जाना––(1) कोई भी व्यिक्त––
(क) िव ुत का पारे षण; या
(ख) िव ुत का िवतरण; या
(ग) िव ुत म व्यापार,
तब तक नह करे गा जब तक िक उसे धारा 14 के अधीन जारी की गई अनुज्ञिप्त ारा ऐसा करने के िलए पर्ािधकृ त नह िकया जाता है,
या धारा 13 के अधीन छू ट पर्दान नह कर दी जाती है ।
13. छू ट देने की शिक्त––समुिचत आयोग, समुिचत सरकार की िसफािरश पर, धारा 5 के अधीन िवरिचत राष्टर्ीय नीित के
अनुसार और लोकिहत म, अिधसूचना ारा, यह िनदेश दे सके गा िक ऐसी शत और िनबर्ंधन के , यिद कोई ह , अधीन रहते हुए और
ऐसी अविध या अविधय के िलए, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाएं, धारा 12 के उपबंध िकसी स्थानीय पर्ािधकारी, पंचायत
संस्था, उपयोगकतार् संगम, सहकारी सोसाइटी, गैर-सरकारी संगठन या िवशेषािधकार पर्ाप्त को लागू नह ह गे ।
14. अनुज्ञिप्त पर्दान िकया जाना––समुिचत आयोग, धारा 15 के अधीन उसको िकए गए आवेदन पर िकसी व्यिक्त को, िकसी
ऐसे क्षेतर् म, जो अनुज्ञिप्त म िविनिदष्ट िकया जाए––
(क) पारे षण अनुज्ञिप्तधारी के रूप म िव ुत पारे िषत करने के िलए; या
(ख) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के रूप म िव ुत िवतिरत करने के िलए; या
(ग) िव ुत व्यापारी के रूप म िव ुत का व्यापार करने के िलए,
अनुज्ञिप्त पर्दान कर सके गा :
परन्तु िनयत तारीख को या उसके पूवर् िनरिसत िविधय या अनुसूची म िविनिदष्ट िकसी अिधिनयम के उपबंध के अधीन
िव ुत के पारे षण या पर्दाय के कारबार म लगे िकसी व्यिक्त के बारे म यह समझा जाएगा िक वह इस अिधिनयम के अधीन ऐसी अविध
के िलए, जो अनुसूची म िविनिदष्ट िनरिसत िविधय या अिधिनयम के अधीन उसे अनुद अनुज्ञिप्त, समाशोधन या अनुमोदन म
अनुबंिधत िकया जाए, अनुज्ञिप्तधारी है और ऐसी अनुज्ञिप्त के संबंध म अनुसूची म िविनिदष्ट िनरिसत िविधय या ऐसे अिधिनयम के
उपबंध इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख से एक वषर् की अविध या ऐसी पूवर्तर अविध के िलए, जो अनुज्ञिप्तधारी के अनुरोध पर
समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए, लागू ह गे और उसके पश्चात् इस अिधिनयम के उपबंध ऐसे कारबार को लागू ह गे :
परन्तु यह और िक के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता को इस अिधिनयम के अधीन पारे षण
अनुज्ञिप्तधारी समझा जाएगा :
परं तु यह भी िक यिद समुिचत सरकार, इस अिधिनयम के पर्ारं भ या उसके पश्चात् िव ुत का पारे षण करती है या िव त
ु का
िवतरण करती है या िव ुत म व्यापार करती है तो ऐसी सरकार इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्तधारी मानी जाएगी, िकन्तु उससे
इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्त पर्ाप्त करने की अपेक्षा नह की जाएगी :
परं तु यह भी िक दामोदर घाटी िनगम अिधिनयम, 1948 (1948 का 14) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत
दामोदर घाटी िनगम इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्तधारी समझा जाएगा, िकन्तु उससे इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्त पर्ाप्त
करने की अपेक्षा नह की जाएगी और दामोदर घाटी िनगम अिधिनयम, 1948 के उपबंध, जहां तक वे इस अिधिनयम के उपबंध से
असंगत नह ह, उस िनगम को लागू होते रहगे :
परन्तु यह भी िक सरकारी कं पनी या इस अिधिनयम की धारा 131 की उपधारा (2) म िनिदष्ट कं पनी और अनुसूची म
िविनिदष्ट अिधिनयम के अनुसरण म सृिजत कं पनी या कं पिनय को इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्तधारी समझा जाएगा :
परं तु यह भी िक समुिचत आयोग, एक ही क्षेतर् के भीतर अपनी िवतरण पर्णाली के माध्यम से िव ुत के िवतरण के िलए दो या
अिधक व्यिक्तय को, इन शत के अधीन रहते हुए अनुज्ञिप्त पर्दान कर सके गा िक एक ही क्षेतर् के भीतर अनुज्ञिप्त पर्ाप्त करने के िलए
9

आवेदक, इस अिधिनयम के अधीन ऐसी अन्य शत या अपेक्षा पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, 1 [उन अितिरक्त अपेक्षा
(पूंजी की पयार्प्तता, उधारपातर्ता या आचार-संिहता से संबंिधत) को पूरा करे गा] जो के न्दर्ीय सरकार ारा िविहत की जाएं, और ऐसे
िकसी आवेदक को, जो अनुज्ञिप्त पर्दान करने के िलए सभी शत को पूरा करता है इस आधार पर अनुज्ञिप्त पर्दान करने से इनकार नह
िकया जाएगा िक उसी पर्योजन के िलए उसी क्षेतर् म कोई अनुज्ञिप्तधारी पहले से ही िव मान है :
परं तु यह भी िक उस दशा म, जहां कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी अपने पर्दाय क्षेतर् के भीतर िविनिदष्ट क्षेतर् के िलए िव ुत का
िवतरण अन्य व्यिक्त के माध्यम से करने की पर्स्थापना करता है वहां ऐसे व्यिक्त से संबंिधत राज्य आयोग से कोई पृथक् अनुज्ञिप्त पर्ाप्त
करने की अपेक्षा नह की जाएगी और ऐसा िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, उसके पर्दाय क्षेतर् म िव ुत के िवतरण के िलए उ रदायी होगा :
परं तु यह भी िक जहां कोई व्यिक्त, राज्य सरकार ारा अिधसूिचत िकए जाने वाले िकसी गर्ामीण क्षेतर् म िव ुत का उत्पादन
और िवतरण करने का आशय रखता है वहां ऐसे व्यिक्त से िव ुत के ऐसे उत्पादन और िवतरण के िलए िकसी अनुज्ञिप्त की अपेक्षा नह
की जाएगी िकन्तु वह ऐसे सभी उपाय करे गा जो धारा 53 के अधीन पर्ािधकरण ारा िविनिदष्ट िकए जाएं :
परं तु यह भी िक िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को िव ुत म व्यापार आरं भ करने के िलए िकसी अनुज्ञिप्त की अपेक्षा नह होगी ।
15. अनुज्ञिप्त पर्दान करने की पर्िकर्या––(1) धारा 14 के अधीन पर्त्येक आवेदन ऐसे पर्रूप म और ऐसी रीित से िकया जाएगा
जो समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए और उसके साथ ऐसी फीस होगी जो िविहत की जाए ।
(2) कोई ऐसा व्यिक्त, िजसने अनुज्ञिप्त के िलए आवेदन िकया है, ऐसा आवेदन करने के पश्चात् सात िदन के भीतर ऐसी
रीित म और ऐसी िविशिष्टय के साथ जो िविनिदष्ट की जाएं अपने आवेदन की सूचना पर्कािशत करे गा और अनुज्ञिप्त तब तक पर्दान
नह की जाएगी––
(i) जब तक िक आवेदन के पर्काशन के उ र म समुिचत आयोग ारा पर्ाप्त सभी आक्षेप पर, यिद कोई ह ,
उसके ारा िवचार नह कर िलया गया हो :
परं तु िकसी आक्षेप पर इस पर्कार िवचार तब तक नह िकया जाएगा जब तक िक वह यथापूव क्त सूचना के
पर्काशन की तारीख से तीस िदन समाप्त होने के पूवर् पर्ाप्त नह हो जाता; और
(ii) जब तक िक िकसी ऐसे क्षेतर् के िलए, िजसके अंतगर्त िकसी छावनी, हवाई अ ,े दुगर्, आयुधशाला, डाकयाडर् या
कप या रक्षा पर्योजन के िलए सरकार के अिधभोग म िकसी भवन या स्थान का संपूणर् या कोई भाग है, अनुज्ञिप्त के िलए
आवेदन की दशा म, समुिचत आयोग ने यह अिभिनिश्चत न कर िलया हो िक के न्दर्ीय सरकार की ओर से अनुज्ञिप्त पर्दान
करने पर कोई आक्षेप नह है ।
(3) पारे षण अनुज्ञिप्तधारी के रूप म कायर् करने का इच्छु क कोई व्यिक्त, आवेदन करने पर तुरन्त ऐसे आवेदन की पर्ित
यथािस्थित, के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता को अगर्ेिषत करे गा ।
(4) यथािस्थित, के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता, उपधारा (3) म िनिदष्ट आवेदन की पर्ित के पर्ाप्त
होने के पश्चात्, तीस िदन की अविध के भीतर अपनी िसफािरश, यिद कोई ह , समुिचत आयोग को भेजेगी :
परन्तु ऐसी िसफािरश आयोग पर आब कर नह ह गी ।
(5) समुिचत आयोग, धारा 14 के अधीन अनुज्ञिप्त पर्दान करने के पूवर्––
(क) दो ऐसे दैिनक समाचारपतर् म सूचना पर्कािशत करे गा िजन्ह वह आयोग आवश्यक समझे और उसम उस
व्यिक्त का नाम और पता होगा िजसको उसने अनुज्ञिप्त जारी करने का पर्स्ताव िकया है;
(ख) यथािस्थित, के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता के सभी सुझाव या आक्षेप और
िसफािरश , यिद कोई ह , पर िवचार करे गा ।
(6) जहां कोई व्यिक्त धारा 14 की उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्तधारी के रूप म कायर् करने के िलए आवेदन करता है वहां
समुिचत आयोग, जहां तक साध्य हो, ऐसा आवेदन पर्ाप्त करने के पश्चात् नब्बे िदन के भीतर,––
(क) इस अिधिनयम और उसके अधीन बनाए गए िनयम तथा िविनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए अनुज्ञिप्त
जारी करे गा; या
(ख) आवेदन को, उन कारण से जो लेखब िकए जाएंगे, यिद ऐसा आवेदन इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए
गए िनयम और िविनयम के उपबंध या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के उपबंध के अनुरूप न हो तो नामंजूर करे गा :
परन्तु कोई आवेदन तब तक नामंजूर नह िकया जाएगा जब तक िक आवेदक को सुनवाई का अवसर न िदया
गया हो ।

1
2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
10

(7) समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्त जारी करने के ठीक पश्चात्, अनुज्ञिप्त की एक पर्ित समुिचत सरकार, पर्ािधकरण, स्थानीय
पर्ािधकरण को और ऐसे अन्य व्यिक्त को, िजसे समुिचत आयोग आवश्यक समझे, अगर्ेिषत करे गा ।
(8) अनुज्ञिप्त पच्चीस वषर् की अविध के िलए पर्वतर्न म रहेगी जब तक िक वह पर्ितसंहृत नह कर दी जाती ।
16. अनुज्ञिप्त की शत––समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्त की िकन्ह साधारण या िवशेष शत को जो िकसी अनुज्ञिप्तधारी को या
अनुज्ञिप्तधािरय के िकसी वगर् को लागू होगी, िविनिदष्ट कर सके गा और ऐसी शत अनुज्ञिप्त की शत समझी जाएंगी :
परन्तु समुिचत आयोग, िनयत तारीख से एक वषर् के भीतर, धारा 14 के पहले, दूसरे , तीसरे , चौथे और पांचव परन्तुक म
िनिदष्ट अनुज्ञिप्तय को लागू होने वाली अनुज्ञिप्त की िकन्ह साधारण या िविनिदष्ट शत को, इस अिधिनयम के पर्ारं भ से एक वषर् की
समािप्त के पश्चात्, िविनिदष्ट करे गा ।
17. अनुज्ञिप्तधारी ारा कितपय बात का न िकया जाना––(1) कोई भी अनुज्ञिप्तधारी, समुिचत आयोग के पूवर् अनुमोदन
के िबना,––
(क) िकसी अन्य अनुज्ञिप्तधारी की उपयोिगता को कर्य ारा या गर्हण करके या अन्यथा अिजत करने का कोई
संव्यवहार नह करे गा; या
(ख) अपनी उपयोिगता का िकसी अन्य अनुज्ञिप्तधारी की उपयोिगता के साथ िवलयन नह करे गा :
परं तु इस उपधारा की कोई बात लागू नह होगी यिद अनुज्ञिप्तधारी की उपयोिगता उस राज्य से िभन्न िकसी राज्य
म िस्थत है िजसम खंड (क) या खण्ड (ख) म िनिदष्ट उपयोिगता िस्थत है ।
(2) पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी, उपधारा (1) के अधीन अनुमोदन अिभपर्ाप्त करने से पूवर्, ऐसे पर्त्येक अन्य अनुज्ञिप्तधारी को जो
ऐसे अनुज्ञिप्तधारी के क्षेतर् म, जो ऐसे अनुमोदन के िलए आवेदन करता है िव ुत का पारे षण या िवतरण करता है, एक मास से अन्यून
की सूचना देगा ।
(3) कोई अनुज्ञिप्तधारी, िकसी भी समय, समुिचत आयोग के पूवर् अनुमोदन के िबना, िवकर्य, प े, िविनमय ारा या अन्यथा
अपनी अनुज्ञिप्त को समनुिदष्ट नह करे गा या अपनी उपयोिगता या उसके िकसी भाग का अंतरण नह करे गा ।
(4) उपधारा (1) या उपधारा (3) म िविनिदष्ट िकसी संव्यवहार से संबंिधत कोई करार जब तक िक वह समुिचत आयोग के
पूवर् अनुमोदन से न िकया गया हो, शून्य होगा ।
18. अनुज्ञिप्त का संशोधन––(1) जहां समुिचत आयोग की राय म लोकिहत ऐसा अनुज्ञात करता है वहां वह अनुज्ञिप्तधारी के
आवेदन पर या अन्यथा, उसकी अनुज्ञिप्त के िनबन्धन और शत म ऐसे पिरवतर्न और संशोधन कर सके गा, जो वह ठीक समझे :
परन्तु ऐसे कोई पिरवतर्न या संशोधन अनुज्ञिप्तधारी की सहमित के िबना तब तक नह िकए जाएंगे जब तक िक ऐसी
सहमित, समुिचत आयोग की राय म, अनुिचत रूप से िवधािरत न की गई हो ।
(2) इस धारा के अधीन अनुज्ञिप्त म कोई पिरवतर्न या संशोधन िकए जाने के पूवर्, िनिम्निलिखत उपबन्ध पर्भावी
ह गे, अथार्त् :––
(क) जहां अनुज्ञिप्तधारी ने उपधारा (1) के अधीन अपनी अनुज्ञिप्त म कोई पिरवतर्न या उपान्तरण करने का
पर्स्ताव करते हुए आवेदन िकया है वहां अनुज्ञिप्तधारी, ऐसी रीित से और ऐसी िविशिष्टय के साथ जो िविनिदष्ट की जाएं
ऐसे आवेदन की सूचना पर्कािशत करे गा;
(ख) िकसी छावनी, हवाई अ ा, दुगर्, आयुधशाला, डाकयाडर् या कै म्प के या रक्षा पर्योजन के िलए सरकार के
अिधभोग म के िकसी भवन या स्थान के सभी या िकसी भाग को समािवष्ट करने वाले पर्दाय के क्षेतर् म पिरवतर्न या उपांतरण
का पर्स्ताव करने वाले िकसी आवेदन की दशा म, समुिचत आयोग कोई पिरवतर्न या उपांतरण के न्दर्ीय सरकार की सहमित के
िबना नह करे गा;
(ग) जहां िकसी अनुज्ञिप्त म कोई पिरवतर्न या उपांतरण, अनुज्ञिप्तधारी के आवेदन से अन्यथा करने का पर्स्ताव
िकया जाता है वहां समुिचत आयोग, ऐसी रीित से और ऐसी िवशिष्टय के साथ जो िविहत की जाएं पर्स्तािवत पिरवतर्न या
उपांतरण को पर्कािशत करे गा;
(घ) समुिचत आयोग, कोई पिरवतर्न या उपांतरण तब तक नह करे गा जब तक िक उसने सूचना के पर्थम पर्काशन
की तारीख से तीस िदन के भीतर पर्ाप्त सभी सुझाव या आक्षेप पर िवचार नह कर िलया है ।
19. अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण––(1) यिद समुिचत आयोग का, जांच करने के पश्चात् यह समाधान हो जाता है िक लोकिहत म
ऐसा अपेिक्षत है, तो वह िनम्निलिखत िकसी दशा म िकसी अनुज्ञिप्त को पर्ितसंहृत कर सके गा, अथार्त् :––
(क) जहां अनुज्ञिप्तधारी, समुिचत आयोग की राय म, इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम या
िविनयम ारा या उनके अधीन उससे अपेिक्षत कोई बात करने म जानबूझकर और िवलंिबत व्यितकर्म करता है;
11

(ख) जहां अनुज्ञिप्तधारी अपनी अनुज्ञिप्त के िनबंधन या शत म से िकसी का भंग करता है, िजसका भंग ऐसी
अनुज्ञिप्त ारा उसे पर्ितसंहरण के िलए दायी बनाने के िलए स्पष्ट रूप से घोिषत है;
(ग) जहां अनुज्ञिप्तधारी, अपनी अनुज्ञिप्त ारा इस िनिम िनयत अविध के भीतर या िकसी ऐसी दीघर्तर अविध
के भीतर, जो समुिचत आयोग ने उसके िलए पर्दान की हो,––
(i) समुिचत आयोग के समाधानपर्द रूप म यह दिशत करने म िक वह अपनी अनुज्ञिप्त ारा उस पर
अिधरोिपत कतर्व्य और बाध्यता का पूणर्त: तथा दक्षतापूणर् िनवर्हन करने की िस्थित म है; या
(ii) अपनी अनुज्ञिप्त ारा अपेिक्षत पर्ितभूित का िनक्षेप करने म या उसे देने म या, फीस या अन्य पर्भार
का संदाय करने म,
असफल रहता है;
(घ) जहां समुिचत आयोग की राय म अनुज्ञिप्तधारी की िव ीय िस्थित ऐसी है िक वह अपनी अनुज्ञिप्त ारा उस
पर अिधरोिपत कतर्व्य और बाध्यता का पूणर्त: तथा दक्षतापूणर् िनवर्हन करने म असमथर् है ।
(2) जहां, समुिचत आयोग की राय म, लोकिहत म ऐसा अपेिक्षत है वहां, वह आवेदन पर य अनुज्ञिप्तधारी की सहमित से,
िवतरण या पारे षण या व्यापार के उसके समस्त क्षेतर् या िकसी भाग के बारे म उसकी अनुज्ञिप्त को ऐसे िनबंधन और शत पर, जो वह
ठीक समझे, पर्ितसंहृत कर सके गा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन कोई अनुज्ञिप्त तब तक पर्ितसंहृत नह की जाएगी जब तक िक समुिचत आयोग ने अनुज्ञिप्तधारी
को कम से कम तीन मास की िलिखत सूचना उन आधार को किथत करते हुए न दी हो िजन पर अनुज्ञिप्त को पर्ितसंहृत करने का
पर्स्ताव है और पर्स्तािवत पर्ितसंहरण के िवरु उस सूचना की अविध के भीतर अनुज्ञिप्तधारी ारा दशार्ए गए िकसी कारण पर िवचार
न िकया हो ।
(4) समुिचत आयोग, उपधारा (1) के अधीन िकसी अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण करने के स्थान पर, उसे ऐसे अितिरक्त िनबंधन
और शत के अधीन रहते हुए जो वह अिधरोिपत करना ठीक समझे, पर्वतर्न म बने रहने के िलए अनुज्ञात कर सके गा और इस पर्कार
अिधरोिपत अितिरक्त िनबंधन और शत अनुज्ञिप्तधारी पर आब कर ह गी तथा उसके ारा उनका पालन िकया जाएगा और ऐसे
िनबंधन और शत का वैसा ही बल और पर्भाव होगा मानो वे अनुज्ञिप्त म अंतिवष्ट ह ।
(5) जहां आयोग इस धारा के अधीन िकसी अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण करता है वहां वह अनुज्ञिप्तधारी पर पर्ितसंहरण की
सूचना की तामील करे गा औ वह तारीख िनयत करे गा िजसको पर्ितसंहरण पर्भावी होगा ।
(6) जहां समुिचत आयोग ने उपधारा (5) के अधीन अनुज्ञिप्त के पर्ितसंहरण के िलए सूचना दी है वहां अनुज्ञिप्तधारी, िकसी
ऐसी शािस्त पर, जो अिधरोिपत की जाए या ऐसी अिभयोजन कायर्वाही पर, जो इस अिधिनयम के अधीन पर्ारं भ की जाए, पर्ितकू ल
पर्भाव डाले िबना, उस आयोग के पूवर् अनुमोदन के पश्चात् अपनी उपयोिगता का िकसी ऐसे व्यिक्त को िवकर्य कर सके गा जो उस
आयोग ारा अनुज्ञिप्त पर्दान करने के िलए पातर् पाया जाए ।
20. अनुज्ञिप्तधािरय की उपयोिगता का िवकर्य––(1) जहां समुिचत आयोग धारा 19 के अधीन िकसी अनुज्ञिप्तधारी की
अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण करता है वहां िनम्निलिखत उपबंध लागू ह गे, अथार्त् :––
(क) समुिचत आयोग उस अनुज्ञिप्तधारी की, िजसकी अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण िकया गया है, उपयोिगता को अिजत
करने के िलए आवेदन आंमितर्त करे गा और मुख्यत: उपयोिगता के िलए पर्स्थािपत उच्चतम और सव म कीमत के आधार पर
यह अवधािरत करे गा िक ऐसे आवेदन म से िकसे स्वीकार िकया जाए;
(ख) समुिचत आयोग, िलिखत सूचना ारा, अनुज्ञिप्तधारी से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह अपनी उपयोिगता का
िवकर्य करे और तब अनुज्ञिप्तधारी उस व्यिक्त को (िजसे इस धारा म इसके पश्चात् “कर्ेता” कहा गया है), िजसका आवेदन
उस आयोग ारा स्वीकार िकया गया है, उपयोिगता का िवकर्य करे गा;
(ग) अनुज्ञिप्त के पर्ितसंहरण की तारीख से ही, या उस तारीख से ही, यिद उससे पहले हो, िजसको अनुज्ञिप्तधारी
की उपयोिगता का िवकर्य कर्ेता को िकया जाता है, अनुज्ञिप्तधारी के सभी अिधकार, कतर्व्य, बाध्यताएं और दाियत्व, िसवाय
िकन्ह ऐसे दाियत्व के , जो उस तारीख के पूवर् पर्ोद्भूत हुए ह पूणर् रूप से समाप्त हो जाएंगे;
(घ) समुिचत आयोग उपयोिगता के पर्चालन के संबंध म ऐसी अंतिरम व्यवस्थाएं, िजनके अन्तगर्त पर्शासक की
िनयुिक्त भी है, कर सके गा जो वह उपयुक्त समझे;
(ङ) खंड (घ) के अधीन िनयुक्त पर्शासक ऐसी शिक्तय का पर्योग और ऐसे कृ त्य का िनवर्हन करे गा जो समुिचत
आयोग िनदेश दे ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन िकसी उपयोिगता का िवकर्य िकया जाता है वहां कर्ेता, तय पाई गई रीित म उपयोिगता की
कर्य कीमत अनुज्ञिप्तधारी को संद करे गा ।
12

(3) जहां समुिचत आयोग, उपधारा (1) के अधीन उपयोिगता का िवकर्य करने के िलए अनुज्ञिप्तधारी से अपेक्षा करने वाली
कोई सूचना जारी करता है, वहां वह ऐसी सूचना ारा, अनुज्ञिप्तधारी से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह उपयोिगता को पिरद करे और
तब अनुज्ञिप्तधारी सूचना म िविनिदष्ट तारीख को उपयोिगता को उसकी कर्य कीमत के संदाय पर अिभिहत कर्ेता को पिरद करे गा ।
(4) जहां अनुज्ञिप्तधारी ने कर्ेता को उपधारा (3) म िनिदष्ट उपयोिगता का पिरदान िकया है िकन्तु उसका िवकर्य उस
उपधारा के अधीन जारी की गई सूचना म िनयत तारीख तक पूरा नह िकया गया है, वहां समुिचत आयोग, यिद वह ठीक समझे, तो
आशियत कर्ेता को िवकर्य पूरा होने तक उपयोिगता पर्णाली को पिरचािलत और अनुरिक्षत करने के िलए अनुज्ञात कर सके गा ।
21. कर्ेता म उपयोिगता का िनिहत होना––जहां िकसी उपयोिगता का िवकर्य धारा 20 या धारा 24 के अधीन िकया जाता है
वहां, यथािस्थित, िवकर्य के पूरा होने पर या उस तारीख को, िजसको उपयोिगता का पिरदान आशियत कर्ेता को िकया जाता है, इनम
से जो भी पहले हो––
(क) उपयोिगता, यथािस्थित, कर्ेता या आशियत कर्ेता म िनिहत हो जाएगी, जो अनुज्ञिप्तधारी के या उपयोिगता से
संलग्न िकसी ऋण, बंधक या समरूप बाध्यता से मुक्त होगी :
परन्तु िकसी ऐसे ऋण, बंधक या समरूप बाध्यता को उपयोिगता के स्थान पर कर्य धन से संलग्न कर िदया
जाएगा; और
(ख) उसकी अनुज्ञिप्त के अधीन अनुज्ञिप्तधारी के अिधकार, शिक्तयां, पर्ािधकार, कतर्व्य और बाध्यताएं कर्ेता को
अन्तिरत हो जाएंगे तथा ऐसे कर्ेता को अनुज्ञिप्तधारी समझा जाएगा ।
22. जहां कोई कर्य नह होता है वहां उपबंध––(1) यिद उपयोिगता का धारा 20 या धारा 24 म उपबंिधत रीित से िवकर्य
नह िकया जाता है तो, समुिचत आयोग, उपभोक्ता के िहत की रक्षा करने के िलए या लोकिहत म, ऐसे िनदेश जारी कर सके गा या
ऐसी स्कीम तैयार कर सके गा जो उसे उपयोिगता के पर्चालन के िलए आवश्यक पर्तीत ह ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन समुिचत आयोग ारा कोई िनदेश जारी नह िकए जाते या स्कीम तैयार नह की जाती वहां
धारा 20 या धारा 24 म िनिदष्ट अनुज्ञिप्तधारी उपयोिगता का ऐसी रीित से, िजसे वह ठीक समझे, व्ययन कर सके गा :
परन्तु यिद अनुज्ञिप्तधारी धारा 20 या उपधारा 24 के अधीन पर्ितसंहरण की तारीख से छह मास की अविध के भीतर
उपयोिगता का व्ययन नह करता है तो समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्तधारी के िकसी पथ या सावर्जिनक भूिम म, उसके नीचे, उसके ऊपर,
उसके साथ या उसके आर-पार के संकमर् को हटवा सके गा और ऐसे पर्त्येक पथ या सावर्जिनक भूिम को यथापूवर् कर िदया जाएगा और
अनुज्ञिप्तधारी से ऐसे हटाए जाने और यथापूवर् करने की लागत को वसूल िकया जाएगा ।
23. अनुज्ञिप्तधािरय को िनदेश––यिद समुिचत आयोग की राय है िक िव ुत के दक्षतापूणर् पर्दाय को बनाए रखने, उसका
साम्यापूणर् िवतरण सुिनिश्चत करने और पर्ितस्पधार् बढ़ाने के िलए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, तो वह, आदेश ारा, उसके
पर्दाय, िवतरण, उपभोग या उपयोग को िविनयिमत करने के िलए उपबंध कर सके गा ।
24. िवतरण अनुज्ञिप्त का िनलंबन और उपयोिगता का िवकर्य––(1) यिद समुिचत आयोग की िकसी तरह यह राय है िक––
(क) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी उपभोक्ता को िव ुत की क्वािलटी के संबंध म मानक के अनुरूप िव ुत के
अबािधत पर्दाय को बनाए रखने म लगातार असफल रहा है; या
(ख) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी इस अिधिनयम के उपबंध ारा या उनके अधीन उस पर अिधरोिपत कृ त्य का िनवर्हन
या कतर्व्य का पालन करने म असमथर् है; या
(ग) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ने समुिचत आयोग ारा इस अिधिनयम के अधीन िदए गए िकसी िनदेश का अनुपालन
करने म लगातार व्यितकर्म िकया है; या
(घ) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ने अनुज्ञिप्त के िनबंधन और शत को तोड़ा है,
और लोकिहत म ऐसा करने के िलए पिरिस्थितयां िव मान ह, जो उसे उसके िलए आवश्यक बनाती है तो समुिचत आयोग, उन कारण
से जो लेखब िकए जाएंगे, एक वषर् से अनिधक अविध के िलए िवतरण अनुज्ञिप्तधारी की अनुज्ञिप्त िनलंिबत कर सके गा और अनुज्ञिप्त
के िनबंधन और शत के अनुसार िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के कृ त्य का िनवर्हन करने के िलए एक पर्शासक िनयुक्त कर सके गा :
परन्तु इस धारा के अधीन अनुज्ञिप्त का िनलंबन करने के पूवर्, समुिचत आयोग िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को अनुज्ञिप्त के
पर्स्तािवत िनलम्बन के िवरु अभ्यावेदन करने के िलए उिचत अवसर पर्दान करे गा और िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के अभ्यावेदन पर,
यिद कोई ह , िवचार करे गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्त के िनलबंन पर, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी की उपयोिगताएं एक वषर् से अनिधक अविध या
उस तारीख तक के िलए, िजसको ऐसी उपयोिगता का धारा 20 म अन्तिवष्ट उपबंध के अनुसार िवकर्य िकया जाता है, जो भी बाद
म हो, पर्शासक म िनिहत हो जाएंगी ।
13

(3) समुिचत आयोग, उपधारा (1) के अधीन पर्शासक की िनयुिक्त के एक वषर् के भीतर, या तो धारा 19 म अंतिवष्ट उपबंध
के अनुसार, यथािस्थित, अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण करे गा या अनुज्ञिप्त के िनलंबन का पर्ितसंहरण करे गा और उस िवतरण अनुज्ञिप्तधारी
को उपयोिगता पर्त्यावितत करे गा, िजसकी अनुज्ञिप्त िनलंिबत की गई थी ।
(4) उस दशा म जहां समुिचत आयोग, उपधारा (3) के अधीन अनुज्ञिप्त का पर्ितसंहरण करता है वहां िवतरण अनुज्ञिप्तधारी
की उपयोिगता का धारा 20 के उपबंध के अनुसार अनुज्ञिप्त के पर्ितसंहरण की तारीख से एक वषर् की अविध के भीतर िवकर्य िकया
जाएगा और उपयोिगता के िवकर्य पर पर्शासिनक और अन्य व्यय की कटौती करने के पश्चात् कीमत, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को
िवपर्ेिषत की जाएगी ।
भाग 5

िव त
ु का पारे षण
अंतररािज्यक पारे षण
25. अंतररािज्यक, पर्ादेिशक और अंतर-पर्ादेिशक पारे षण––इस भाग के पर्योजन के िलए, के न्दर्ीय सरकार, देश का पर्देशवार
सीमांकन कर सके गी और समय-समय पर उसम ऐसे उपांतरण कर सके गी जो वह िव ुत के दक्षतापूणर्, िमतव्ययी और समेिकत पारे षण
तथा पर्दाय के िलए, और िविशष्टतया, िव ुत के अंतररािज्यक, पर्ादेिशक और अंतर-पर्ादेिशक उत्पादन तथा पारे षण के िलए सुिवधा
के स्वैिच्छक अंत:संयोजन और समन्वय को सुकर बनाने के िलए आवश्यक समझे ।
26. राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर्––(1) के न्दर्ीय सरकार पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् म िव ुत के अिधकतम िनधार्रण और पर्ेषण के
िलए राष्टर्ीय स्तर पर एक के न्दर् स्थािपत करे गी, िजसे राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर् कहा जाएगा ।
(2) राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर् का गठन और कृ त्य वे ह गे जो के न्दर्ीय सरकार ारा िविहत िकए जाएं :
परं तु राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत ापार के कारबार म नह लगेगा ।
(3) राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर् का पर्चालन िकसी सरकारी कं पनी या िकसी के न्दर्ीय अिधिनयम ारा या उसके अधीन स्थािपत
या गिठत िकसी पर्ािधकरण या िनगम ारा, िजसे के न्दर्ीय सरकार ारा अिधसूिचत िकया जाए, िकया जाएगा ।
27. पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् का गठन––(1) के न्दर्ीय सरकार, इस भाग के अधीन शिक्तय का पर्योग और कृ त्य का िनवर्हन
करने के पर्योजन के िलए, पर्त्येक पर्देश के िलए एक के न्दर् स्थािपत करे गी, िजसे पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् कहा जाएगा, िजसकी
राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता वह होगी जो के न्दर्ीय सरकार ारा धारा 25 के अनुसार अवधािरत की जाए ।
(2) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् का पर्चालन िकसी सरकारी कं पनी या िकसी के न्दर्ीय अिधिनयम ारा या उसके अधीन स्थािपत
या गिठत िकसी पर्ािधकरण या िनगम ारा, िजसे के न्दर्ीय सरकार ारा अिधसूिचत िकया जाए, िकया जाएगा :
परं तु के न्दर्ीय सरकार ारा इस उपधारा म िनिदष्ट सरकारी कं पनी या पर्ािधकरण या िनगम के अिधसूिचत िकए जाने तक,
के न्दर्ीय पारे षण उपयोिगता, पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् का पर्चालन करे गी :
परं तु यह और िक कोई भी पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत उत्पादन या िव ुत व्यापार के कारबार म नह लगेगा ।
28. पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् के कृ त्य––(1) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् संब पर्देश म िव ुत पर्णाली का समाकिलत पर्चालन
सुिनिश्चत करने के िलए शीषर्स्थ िनकाय होगा ।
(2) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत के चकर्ण और अिधकतम िनधार्रण तथा पर्ेषण के संबंध म ऐसे िस ांत , मागर्दशर्क
िस ांत और प ितय का अनुपालन करे गा िजन्ह के न्दर्ीय आयोग, िगर्ड कोड म िविनिदष्ट करे ।
(3) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्––
(क) पर्देश म पर्चालन करने वाले अनुज्ञिप्तधािरय या उत्पादन कं पिनय के साथ की गई संिवदा के अनुसार पर्देश
के भीतर िव ुत के अिधकतम िनधार्रण और पर्ेषण के िलए उ रदायी होगा;
(ख) िगर्ड संिकर्या को मानीटर करे गा;
(ग) पर्ादेिशक िगर्ड के माध्यम से पारे िषत िव ुत की मातर्ा का लेखा रखेगा;
(घ) अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली का पयर्वेक्षण और िनयंतर्ण करे गा; और
(ङ) िगर्ड मानक और िगर्ड कोड के अनुसार पर्ादेिशक िगर्ड के सुरिक्षत और िमतव्ययी पर्चालन के ारा पर्देश के
भीतर िव त
ु के िगर्ड िनयंतर्ण और पर्ेषण के िलए यथािथक समय पर्चालन के िलए उ रदायी होगा ।
(4) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत के अंतररािज्यक पारे षण म लगी उत्पादन कं पिनय या अनुज्ञिप्तधािरय से ऐसी फीस
और पर्भार उद्गृहीत करे गा तथा उनसे संगृहीत कर सके गा जो के न्दर्ीय आयोग ारा िविनिदष्ट िकए जाएं ।
14

29. िनदेश का अनुपालन––(1) पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर्, ऐसे िनदेश दे सके गा और ऐसा पयर्वेक्षण तथा िनयंतर्ण कर सके गा
जो िगर्ड पर्चालन के स्थाियत्व को सुिनिश्चत करने के िलए और उसके िनयंतर्णाधीन पर्देश म िव ुत पर्णाली के पर्चालन म अिधकतम
िमतव्यियता और दक्षता पर्ाप्त करने के िलए अपेिक्षत हो ।
(2) पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी, उत्पादन कं पनी, उत्पादन के न्दर्, उपके न्दर् और िव ुत पर्णाली के पर्चालन से जुड़ा कोई अन्य व्यिक्त,
पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् ारा उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए िनदेश का अनुपालन करे गा ।
(3) पर्ादेिशक भार पर्षण के न्दर् ारा राज्य पारे षण लाइन के िकसी पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या राज्य के िकसी अन्य
अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी (उनसे िभन्न जो अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली से जुड़े हुए ह) या राज्य म उपके न्दर् को जारी िकए
जाने वाले सभी िनदेश, राज्य भार पर्ेषण के न्दर् की माफर् त जारी िकए जाएंगे और राज्य भार पर्ेषण के न्दर् यह सुिनिश्चत करगे िक ऐसे
िनदेश का अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी या उपके न्दर् ारा सम्यक् रूप से अनुपालन िकया जाता है ।
(4) िकसी पर्देश म पर्ादेिशक िव ुत सिमित, समय-समय पर उस पर्देश म समाकिलत िगर्ड के स्थाियत्व और पर्चालन और
िव ुत पर्णाली के पर्चालन म िमतव्यियता तथा दक्षता से संबंिधत िवषय पर अपनी सहमित दे सके गी ।
(5) यिद कोई िववाद, िव ुत की क्वािलटी या पर्ादेिशक िगर्ड के सुरिक्षत, सुिनिश्चत और समाकिलत पर्चालन के संदभर् म या
उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकसी िनदेश के संबंध म उत्पन्न होता है, तो उसे के न्दर्ीय आयोग को िविनिश्चय के िलए िनिदष्ट
िकया जाएगा :
परं तु के न्दर्ीय आयोग का िविनश्चय होने तक, पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् के िनदेश का, यथािस्थित, राज्य भार पर्ेषण के न्दर् या
अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा अनुपालन िकया जाएगा ।
(6) यिद कोई अनुज्ञिप्तधारी, उत्पादन कं पनी या कोई अन्य व्यिक्त, उपधारा (2) या उपधारा (3) के अधीन जारी िकए गए
िनदेश का पालन करने म असफल रहता है तो वह पन्दर्ह लाख रुपय से अनिधक की शािस्त का दायी होगा ।
अंत:रािज्यक पारे षण
30. िकसी राज्य के भीतर पारे षण––राज्य आयोग, िव ुत के िमतव्ययी और दक्षतापूणर् उपयोग ारा िव ुत के पारे षण और
पर्दाय के िलए अपनी राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता के भीतर पारे षण, चकर्ण और अंतरसंयोजन व्यवस्था को सुकर बनाएगा और उनका
संवधर्न करे गा ।
31. राज्य भार पर्ेषण के न्दर् का गठन—(1) राज्य सरकार, इस भाग के अधीन शिक्तय का पर्योग और कृ त्य का िनवर्हन करने
के पर्योजन के िलए एक के न्दर् स्थािपत करे गी, िजसे राज्य भार पर्ेषण के न्दर् कहा जाएगा ।
(2) राज्य भार पर्ेषण के न्दर् का पर्चालन, िकसी सरकारी कं पनी या िकसी राज्य अिधिनयम ारा या उसके अधीन स्थािपत या
गिठत िकसी पर्ािधकरण या िनगम ारा, िजसे राज्य सरकार ारा अिधसूिचत िकया जाए, िकया जाएगा :
परं तु राज्य सरकार ारा, सरकारी कं पनी या िकसी पर्ािधकरण या िनगम के अिधसूिचत िकए जाने तक, राज्य पारे षण
उपयोिगता, राज्य भार पर्ेषण के न्दर् का पर्चालन करे गी :
परं तु यह और िक कोई भी राज्य भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत ापार के कारबार म नह लगेगा ।
32. राज्य भार पर्ेषण के न्दर् के कृ त्य—(1) राज्य भार पर्ेषण के न्दर्, राज्य म िव ुत पर्णाली का समाकिलत पर्चालन सुिनिश्चत
करने के िलए शीषर्स्थ िनकाय होगा ।
(2) राज्य भार पर्ेषण के न्दर्—
(क) राज्य म पर्चालन करने वाले अनुज्ञिप्तधािरय या उत्पादन कं पिनय के साथ की गई संिवदा के अनुसार
राज्य के भीतर िव ुत के अिधकतम िनधार्रण और पर्ेषण के िलए उ रदायी होगा ;
(ख) िगर्ड संिकर्या को मानीटर करे गा ;
(ग) राज्य िगर्ड के माध्यम से पारे िषत िव ुत की मातर्ा का लेखा रखेगा ;
(घ) अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली का पयर्वेक्षण और िनयंतर्ण करे गा ; और
(ङ) िगर्ड मानक और राज्य िगर्ड कोड के अनुसार राज्य िगर्ड के सुरिक्षत और िमत यी पर्चालन के ारा राज्य के
भीतर िव त
ु के िगर्ड िनयंतर्ण और पर्ेषण के िलए यथािथक समय पर्चालन के िलए उ रदायी होगा ।
(3) राज्य भार पर्ेषण के न्दर्, िव ुत के अंतःरािज्यक पारे षण म लगी उत्पादन कं पिनय और अनुज्ञिप्तधािरय पर ऐसी फीस
और पर्भार उद्गृहीत तथा उनसे संगृहीत कर सके गा जो राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट िकए जाएं ।
33. िनदेश का अनुपालन—(1) िकसी राज्य म राज्य भार पर्ेषण के न्दर् ऐसे िनदेश दे सके गा और ऐसा पयर्वेक्षण तथा िनयंतर्ण
कर सके गा जो समाकिलत िगर्ड पर्चालन सुिनिश्चत करने के िलए और उस राज्य म िव ुत पर्णाली के पर्चालन म अिधकतम
िमत ियता और दक्षता पर्ाप्त करने के िलए अपेिक्षत हो ।
15

(2) पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी, उत्पादन कं पनी, उत्पादन कदर्, उपकदर् और िव ुत पर्णाली के पर्चालन से जुड़ा कोई अन्य िक्त,
राज्य भार पर्ेषण कदर् ारा उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए िनदेश का अनुपालन करे गा ।
(3) राज्य भार पर्ेषण कदर् पर्ादेिशक भार पर्ेषण कदर् के िनदेश का अनुपालन करगे ।
(4) यिद कोई िववाद, िव ुत की क्वािलटी या राज्य िगर्ड के सुरिक्षत, सुिनिश्चत और समाकिलत पर्चालन के संदभर् म या
उपधारा (1) के अधीन िदए गए िकसी िनदेश के संबंध म उत्पन्न होता है, तो उसे राज्य आयोग को िविनश्चय के िलए िनिदष्ट
िकया जाएगा :
परं तु राज्य आयोग का िविनश्चय होने तक, राज्य भार पर्ेषण कदर् के िनदेश का अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा
अनुपालन िकया जाएगा ।
(5) यिद कोई अनुज्ञिप्तधारी, उत्पादक कं पनी या कोई अन्य िक्त उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए िनदेश का पालन
करने म असफल रहेगा तो वह पांच लाख रुपय से अनिधक की शािस्त का दायी होगा ।
पारे षण से संबिं धत अन्य उपबंध
34. िगर्ड मानक—पर्त्येक पारे षण अनुज्ञिप्तधारी, िगर्ड मानक के अनुसार पारे षण लाइन के पर्चालन और अनुरक्षण के ऐसे
तकनीकी मानक का अनुपालन करे गा जो पर्ािधकरण ारा िविनिदष्ट िकए जाएं ।
35. मध्यवत पारे षण सुिवधाएं—समुिचत आयोग, िकसी अनुज्ञिप्तधारी के आवेदन पर, आदेश ारा, मध्यवत पारे षण
सुिवधा का स्वािमत्व रखने वाले या पर्चालन करने वाले िकसी अन्य अनुज्ञिप्तधारी से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह, ऐसे
अनुज्ञिप्तधारी के पास उपलब्ध अिधशेष क्षमता की सीमा तक ऐसी सुिवधा के उपयोग की वस्था करे :
परं तु यह िक अनुज्ञिप्तधारी के पास उपलब्ध अिधशेष क्षमता की सीमा से संबंिधत िकसी िववाद का न्यायिनणर्यन समुिचत
आयोग ारा िकया जाएगा ।
36. मध्यवत पारे षण सुिवधा के िलए पर्भार—(1) पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी धारा 35 के अधीन िकसी आदेश के िकए जाने पर
अपनी मध्यवत पारे षण सुिवधाएं ऐसी दर , पर्भार और ऐसे िनबंधन तथा शत पर, जो पारस्पिरक रूप से तय पाई जाएं,
उपलब्ध कराएगा :
परन्तु समुिचत आयोग, रे ट, पर्भार और िनबंधन तथा शत िविनिदष्ट कर सके गा यिद ये अनुज्ञिप्तधािरय ारा पारस्पिरक
रूप से तय न पाई जाएं ।
(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट दर, पर्भार और िनबंधन तथा शत, ऋजु और युिक्तयुक्त ह गी और ऐसी सुिवधा के उपयोग के
अनुपात म आबंिटत की जा सकगी ।
स्पष्टीकरण—धारा 35 और धारा 36 के पर्योजन के िलए, “मध्यवत पारे षण सुिवधा” पद से िकसी अनुज्ञिप्तधारी के
स्वािमत्वाधीन या उसके ारा पर्चािलत िव ुत लाइन अिभपर्ेत ह जहां ऐसी िव ुत लाइन का िव ुत पारे िषत करने के िलए िकसी
अन्य अनुज्ञिप्तधारी के िलए और उसकी ओर से उसके अनुरोध पर और टैिरफ या पर्भार के संदाय पर उपयोग िकया जा सकता है ।
37. समुिचत सरकार ारा िनदेश—समुिचत सरकार, यथािस्थित, पर्ादेिशक भार पर्ेषण कदर् या राज्य भार पर्ेषण कदर् को,
ऐसे उपाय करने के िलए िनदेश जारी कर सके गी जो िकसी पर्देश या राज्य म िव त
ु का िनबार्ध और स्थायी पारे षण और पर्दाय बनाए
रखने के िलए आवश्यक ह ।
38. कदर्ीय पारे षण उपयोिगता और उसके कृ त्य—(1) कदर्ीय सरकार, िकसी सरकारी कं पनी को कदर्ीय पारे षण उपयोिगता के
रूप म अिधसूिचत कर सके गी :
परं तु कदर्ीय पारे षण उपयोिगता, िव ुत के उत्पादन या िव ुत ापार के कारबार म नह लगेगी :
परं तु यह और िक कदर्ीय सरकार, ऐसी कदर्ीय पारे षण उपयोिगता के िव ुत के पारे षण से संबंिधत िकसी संपि , संपि म
िहत, अिधकार और दाियत्व और उसम अंतवर्िलत कािमक को कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन िनगिमत की जाने वाली
िकसी कं पनी या कं पिनय को, पारे षण अनुज्ञिप्तधारी के रूप म कृ त्य करने के िलए भाग 13 के अधीन िविनिदष्ट रीित म बनाई गई
अंतरण स्कीम ारा अंतिरत और उनम िनिहत कर सके गी और ऐसी कं पनी या कं पिनयां, इस अिधिनयम के अधीन पारेषण
अनुज्ञिप्तधारी समझी जाएंगी ।
(2) कदर्ीय पारे षण उपयोिगता के कृ त्य िनम्निलिखत ह गे—
(क) अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली के ारा िव ुत का पारे षण करना;
(ख) िनम्निलिखत के साथ अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली से संबिं धत योजना और समन्वय के सभी कृ त्य का
िनवर्हन करना—
(i) राज्य पारे षण उपयोिगताएं;
16

(ii) कदर्ीय सरकार;


(iii) राज्य सरकार;
(iv) उत्पादन कं पिनयां;
(v) पर्ादेिशक िव ुत सिमितयां;
(vi) पर्ािधकरण;
(vii) अनुज्ञिप्तधारी;
(viii) कदर्ीय सरकार ारा इस िनिम अिधसूिचत कोई अन्य िक्त;
(ग) उत्पादन कदर् से भार कदर् को िव ुत के िनबार्ध पर्वाह के िलए अंतररािज्यक पारे षण लाइन की दक्ष,
समिन्वत और िमत यी पर्णाली का िवकास सुिनिश्चत करना;
(घ) अपनी पारे षण पर्णाली तक अिवभेदकारी िनबार्ध पहुंच,—
(i) िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा पारे षण पर्भार के संदाय पर; या
(ii) िकसी उपभोक्ता ारा जब कभी ऐसी िनबार्ध पहुंच धारा 42 की उपधारा (2) के अधीन राज्य
आयोग ारा पर्दान की जाए, पारे षण पर्भार और उस पर ऐसे अिधभार के संदाय पर जो के न्दर्ीय आयोग ारा
िविनिदष्ट िकया जाए,
उपयोग के िलए पर्दान करना :
परं तु, ऐसे अिधभार का उपयोग, करट लैवल पर्ित-सहाियकी की अपेक्षा को पूरा करने के पर्योजन के िलए
िकया जाएगा :
परं तु यह और िक ऐसे अिधभार और पर्ित-सहाियकी को ऐसी रीित म 1 [उ रो र घटाया जाएगा] जो के न्दर्ीय
आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए :
2
* * * * *
परं तु यह भी िक अिधभार के संदाय और उपयोग की रीित के न्दर्ीय आयोग ारा िविनिदष्ट की जाएगी :
परं तु यह भी िक ऐसा अिधभार उस दशा म उ हणीय नह होगा जब िकसी ऐसे िक्त को िनबार्ध पहुंच पर्दान की
जाती है िजसने अपने उपयोग के गंत तक िव त ु ले जाने के िलए कोई आब उत्पादन संयंतर् स्थािपत िकया है ।
39. राज्य पारे षण उपयोिगता और उसके कृ त्य—(1) राज्य सरकार, बोडर् या िकसी सरकारी कं पनी को राज्य पारे षण
उपयोिगता के रूप म अिधसूिचत कर सके गी :
परं तु राज्य पारे षण उपयोिगता िव ुत ापार के कारबार म नह होगी :
परं तु यह और िक राज्य सरकार, ऐसी राज्य पारे षण उपयोिगता के िव ुत के पारे षण से संबंिधत िकसी संपि , संपि म
िहत, अिधकार और दाियत्व और उसम अंतवर्िलत कािमक को कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन िनगिमत की जाने
वाली िकसी कं पनी या कं पिनय को पारे षण अनुज्ञिप्तधारी के रूप म कृ त्य करने के िलए भाग 13 के अधीन िविनिदष्ट रीित म बनाई
गई अंतरण स्कीम ारा अंतिरत और उनम िनिहत कर सके गी और ऐसी कं पनी या कं पिनयां, इस अिधिनयम के अधीन पारे षण
अनुज्ञिप्तधारी समझी जाएंगी ।
(2) राज्य पारे षण उपयोिगता के कृ त्य िनम्निलिखत ह गे—
(क) अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली के ारा िव ुत का पारे षण करना ;
(ख) िनम्निलिखत के साथ अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली से संबिं धत योजना और समन्वय के सभी कृ त्य का
िनवर्हन करना—
(i) कदर्ीय पारे षण उपयोिगता;
(ii) राज्य सरकार;
(iii) उत्पादन कं पिनयां;

1
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 4 ारा लोप िकया गया ।
17

(iv) पर्ादेिशक िव ुत सिमितयां;


(v) पर्ािधकरण;
(vi) अनुज्ञिप्तधारी;
(vii) राज्य सरकार ारा इस िनिम अिधसूिचत कोई अन्य िक्त;
(ग) उत्पादन के न्दर् से भार के न्दर् को िव ुत के िनबार्ध पर्वाह के िलए अंतःरािज्यक पारे षण लाइन की दक्ष,
समिन्वत और िमत यी पर्णाली का िवकास सुिनिश्चत करना;
(घ) अपनी पारे षण पर्णाली तक अिवभेदकारी िनबार्ध पहुंच, —
(i) िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा पारे षण पर्भार के संदाय पर; या
(ii) िकसी उपभोक्ता ारा जब कभी ऐसी िनबार्ध पहुंच धारा 42 की उपधारा (2) के अधीन राज्य
आयोग ारा पर्दान की जाए, पारे षण पर्भार और उस पर ऐसे अिधभार के संदाय पर जो राज्य आयोग ारा
िविनिदष्ट िकया जाए,
उपयोग के िलए पर्दान करना :
परं तु ऐसे अिधभार का उपयोग करट लैवल पर्ित-सहाियकी की अपेक्षा को पूरा करने के पर्योजन के िलए
िकया जाएगा :
परं तु यह और िक ऐसा अिधभार और पर्ित-सहाियकी को ऐसी रीित म 1 [उ रो र घटाया जाएगा] जो राज्य
आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए :
2
* * * * *
परं तु यह भी िक अिधभार के संदाय और उपयोग की रीित राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट की जाएगी :
परं तु यह भी िक ऐसा अिधभार उस दशा म उ हणीय नह होगा जब िकसी ऐसे िक्त को िनबार्ध पहुंच पर्दान की
जाती है िजसने अपने उपयोग के गंत तक िव त ु ले जाने के िलए कोई आब उत्पादन संयंतर् स्थािपत िकया है ।
40. पारे षण अनुज्ञिप्तधािरय के कतर् —िकसी पारे षण अनुज्ञिप्तधारी का यह कतर् होगा िक वह—
(क) यथािस्थित, दक्ष, समिन्वत और िमत यी अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली या अंतररािज्यक पारे षण पर्णाली का
िनमार्ण करे , उसका अनुरक्षण करे और उसे पर्चािलत करे ;
(ख) यथािस्थित, पर्ादेिशक भार पर्ेषण के न्दर् और राज्य भार पर्ेषण के न्दर् के िनदेश का अनुपालन करे ;
(ग) अपनी पारे षण पर्णाली तक अिवभेदकारी िनबार्ध पहुंच,—
(i) िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा पारे षण पर्भार के संदाय पर; या
(ii) िकसी उपभोक्ता ारा जब कभी ऐसी िनबार्ध पहुंच धारा 42 की उपधारा (2) के अधीन राज्य
आयोग ारा पर्दान की जाए, पारे षण पर्भार और उस पर ऐसे अिधभार के संदाय पर जो के न्दर्ीय आयोग ारा
िविनिदष्ट िकया जाए,
उपयोग के िलए पर्दान करना :
परं तु ऐसे अिधभार का उपयोग करट लैवल पर्ित-सहाियकी की अपेक्षा को पूरा करने के पर्योजन के िलए
िकया जाएगा :
परं तु यह और िक ऐसे अिधभार और पर्ित-सहाियकी को ऐसी रीित म 3 [उ रो र घटाया जाएगा] जो समुिचत
आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए :
4
* * * * * *
परं तु यह भी िक अिधभार के संदाय और उपयोग की रीित समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट की जाएगी :

1
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 5 ारा लोप िकया गया ।
3
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
4
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 6 ारा लोप िकया गया ।
 
18

परं तु यह भी िक ऐसा अिधभार उस दशा म उ हणीय नह होगा जब िकसी ऐसे िक्त को िनबार्ध पहुंच पर्दान की
जाती है िजसने अपने उपयोग के गंत तक िव त ु ले जाने के िलए कोई आब उत्पादन संयंतर् स्थािपत िकया है ।
41. पारे षण अनुज्ञिप्तधारी का अन्य कारबार—पारे षण अनुज्ञिप्तधारी, समुिचत आयोग को पूवर् सूचना देकर अपनी आिस्तय
के अिधकतम उपयोग के िलए िकसी कारबार म लग सके गा :
परं तु ऐसे कारबार से ुत्पन्न राजस्व का एक भाग समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट िकए गए अनुसार पारे षण और चकर्ण
संबंधी अपने पर्भार को कम करने के िलए उपयोग म लाया जाएगा :
परं तु यह और िक पारे षण अनुज्ञिप्तधारी पर्त्येक ऐसे कारबार उपकर्म के िलए पृथक् लेखा यह सुिनिश्चत करने के िलए रखेगा
िक पारे षण कारबार िकसी भी रूप म ऐसे कारबार उपकर्म को न तो सहाियकी पर्दान करता है और न ही ऐसे कारबार को िकसी भी
रूप म सहायता देने के िलए अपनी पारे षण आिस्तय को िवल्लंगिमत करता है :
परं तु यह भी िक कोई पारे षण अनुज्ञिप्तधारी न तो कोई संिवदा करे गा और न ही अन्यथा िकसी िव ुत ापार के कारबार
म लगेगा ।
भाग 6

िव त
ु का िवतरण
िवतरण अनुज्ञिप्तधािरय के बारे म उपबंध
42. िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के कतर् और िनबार्ध पहुंच—(1) िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी का यह कतर् होगा िक वह अपने
पर्दाय क्षेतर् म एक दक्ष, समिन्वत और िमत यी िवतरण िवकिसत करे और उसका अनुरक्षण करे तथा इस अिधिनयम म अंतिवष्ट
उपबंध के अनुसार िव ुत का पर्दाय करे ।
(2) राज्य आयोग िनबार्ध पर्वेश ऐसे चरण म और ऐसी शत के अधीन रहते हुए (िजसके अंतगर्त पर्ित-सहाियकी और अन्य
पर्चालन अवरोध भी ह) आरं भ करे गा जो िनयत तारीख से एक वषर् के भीतर उसके ारा िविनिदष्ट की जाएं और उ रो र चरण म
िनबार्ध पहुंच की सीमा को िविनिदष्ट करने म और चकर्ण के िलए पर्भार का अवधारण करने म, वह सभी सुसंगत तथ्य , िजनके अंतगर्त
ऐसी पर्ित-सहाियकी और अन्य पर्चालन अवरोध भी ह, सम्यक् रूप से िवचार करे गा :
परं तु ऐसी िनबार्ध पहुंच राज्य आयोग ारा यथा अवधािरत चकर्ण के िलए पर्भार के अलावा 1 [िकसी अिधभार का संदाय
करने पर अनुज्ञात की जाएगी :]
परं तु यह और िक ऐसे अिधभार का उपयोग, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के पर्दाय क्षेतर् के भीतर करट लैवल की पर्ित-सहाियकी
की अपेक्षा को पूरा करने के िलए िकया जाएगा :
परं तु यह भी िक ऐसा अिधभार और पर्ित-सहाियकी राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट की गई रीित से उ रो र घटाई
2* * * जाएगी ।
परं तु यह भी िक ऐसा अिधभार ऐसे मामले म उ हणीय नह होगा जहां िनबार्ध पहुंच ऐसे िक्त को पर्दान की जाती है
िजसने िव त
ु को अपने स्वयं के उपयोग के गंत तक ले जाने हेतु आब उत्पादन संयंतर् स्थािपत िकया है :
[परं तु यह भी िक राज्य आयोग, िव ुत (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ की तारीख से पांच वषर् के अपश्चात् ऐसे
3

सभी उपभोक्ता के िलए, जो िव ुत के पर्दाय की अपेक्षा करते ह, वहां ऐसे िनबार्ध पर्वेश का िविनयम ारा उपबंध करे गा जहां
िकसी समय उपलब्ध कराई जाने वाली अिधकतम िव ुत एक मैगावाट से अिधक है ।]
(3) जहां कोई िक्त, िजसका पिरसर िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के (जो िनयत िदन से पूवर् िव ुत के िवतरण के कारबार
म लगा स्थानीय पर्ािधकारी नह है) पर्दाय क्षेतर् के भीतर िस्थत है, ऐसे िवतरण अनुज्ञिप्तधारी से िभन्न िकसी उत्पादन कं पनी या िकसी
अनुज्ञिप्तधारी से िव ुत के पर्दाय की अपेक्षा करता है वहां ऐसा िक्त, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी से, सूचना ारा, राज्य आयोग ारा
बनाए गए िविनयम के अनुसार ऐसी िव ुत के चकर्ण की अपेक्षा कर सके गा और ऐसे पर्दाय की बाबत िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के ऐसे
कतर् ह गे जो िकसी ऐसे साधारण वाहक के ह जो अिवभेदकारी िनबार्ध पहुंच का उपबंध करते ह ।
(4) जहां राज्य आयोग िकसी उपभोक्ता या उपभोक्ता के वगर् को, अपने पर्दाय क्षेतर् के िवतरण अनुज्ञिप्तधारी से िभन्न
िकसी िक्त से िव ुत पर्दाय पर्ाप्त करने के िलए अनुज्ञात करता है वहां ऐसा उपभोक्ता ऐसे िवतरण अनुज्ञिप्तधारी की पर्दाय करने
की बाध्यता से उद्भूत िनयत लागत को पूरा करने के िलए राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट चकर्ण पर्भार पर अितिरक्त अिधभार का
संदाय करने का दायी होगा ।

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 7  ारा पर्ितस्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 7  ारा लोप िकया गया ।
3
 2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 3  ारा अंतःस्थािपत ।
19

(5) पर्त्येक िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, िनयत िदन से या अनुज्ञिप्त मंजरू िकए जाने की तारीख से, इनम जो पूवर्तर हो, छह मास
के भीतर उपभोक्ता की िशकायत को दूर करने के िलए ऐसे मागर्दशर्क िस ान्त के अनुसार, जो राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट िकए
जाएं, एक मंच की स्थापना करे गा ।
(6) ऐसा कोई उपभोक्ता, जो उपधारा (5) के अधीन अपनी िशकायत का पर्िततोष नह िमलने के कारण िथत है,
ऐसे पर्ािधकारी को अपनी िशकायत के पर्िततोष के िलए अभ्यावेदन कर सके गा जो ओम्बुड्समैन के नाम से ज्ञात हो और िजसे राज्य
आयोग ारा िनयुक्त या पदािभिहत िकया जाएगा ।
(7) ओम्बुड्समैन, उपभोक्ता की िशकायत को ऐसे समय के भीतर और ऐसी रीित से तय करे गा जो राज्य आयोग ारा
िविनिदष्ट की जाए ।
(8) उपधारा (5), उपधारा (6) और उपधारा (7) के उपबंध ऐसे अिधकार पर पर्ितकू ल पर्भाव नह डालगे जो उपभोक्ता को
उन उपधारा ारा उसे पर्द अिधकार से अलग ह ।
43. अनुरोध पर पर्दाय करने का कतर् — 1 [(1) इस अिधिनयम म यथा अन्यथा उपबंिधत के िसवाय, पर्त्येक िवतरण]
अनुज्ञिप्तधारी, िकसी पिरसर के स्वामी या अिधभोगी ारा आवेदन िकए जाने पर, ऐसे पिरसर को ऐसे पर्दाय की अपेक्षा करने वाले
आवेदन की पर्ािप्त की तारीख से एक मास के भीतर, िव ुत का पर्दाय करे गा :
परं तु जहां ऐसे पर्दाय म िवतरण मुख्य तार का िवस्तार करना या नए उपके न्दर् आरं भ करना अपेिक्षत है वहां िवतरण
अनुज्ञिप्तधारी ऐसा िवस्तार या आरं भ करने के तुरंत पश्चात् या ऐसी अविध के भीतर, जो समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए,
ऐसे पिरसर को िव ुत का पर्दाय करे गा :
परन्तु यह और िक ऐसे गर्ाम या उपगर्ाम या क्षेतर् की दशा म, िजनम िव ुत पर्दाय के िलए कोई वस्था िव मान नह है,
समुिचत आयोग, उक्त अविध को ऐसी अविध के िलए िवस्तािरत कर सके गा िजसे ऐसे गर्ाम या उपगर्ाम या क्षेतर् के िव ुतीकरण के िलए
वह आवश्यक समझे ।
2 [स्पष्टीकरण—इस
उपधारा के पर्योजन के िलए, “आवेदन” से ऐसा आवेदन अिभपर्ेत है, जो आवश्यक पर्भार के संदाय और
अन्य अनुपालन को दशार्ने वाले दस्तावेज सिहत, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा यथा अपेिक्षत समुिचत पर्रूप म सभी पर्कार से पूणर् है ।]
(2) पर्त्येक िवतरण अनुज्ञिप्तधारी का, यिद अपेिक्षत हो, उपधारा (1) म िविनिदष्ट पिरसर म िव ुत उपलब्ध कराने के िलए
िव ुत संयंतर् या िव ुत लाइन का उपबंध करने का कतर् होगा :
परन्तु कोई िक्त िकसी अनुज्ञिप्तधारी से ऐसे िकसी पिरसर के िलए जहां पृथक् रूप से पर्दाय िकया जाता है, िव ुत पर्दाय
की मांग करने या पर्ाप्त करते रहने का तब तक हकदार नह होगा जब तक िक उसने अनुज्ञिप्तधारी के साथ ऐसी कीमत जो समुिचत
आयोग ारा अवधािरत की जाए, के संदाय का करार न िकया हो ।
(3) यिद कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, उपधारा (1) म िविनिदष्ट अविध के भीतर िव ुत पर्दाय करने म असफल रहता है, तो
वह ऐसी शािस्त के िलए दायी होगा जो ितकर्म के पर्त्येक िदन के िलए एक हजार रुपए तक हो सके गी ।
44. िव त
ु पर्दाय करने के कतर् के अपवाद—धारा 43 की िकसी बात से िकसी पिरसर को िव ुत का पर्दाय करने के िलए
िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी से अपेक्षा नह की जाएगी यिद वह ऐसा करने से चकर्वात, बाढ़, तूफान या उसके िनयंतर्ण से परे अन्य
घटना के कारण िनवािरत हो गया है ।
45. पर्भार को वसूल करने की शिक्त—(1) इस धारा के उपबंध के अधीन रहते हुए, धारा 43 के अनुसरण म उसके िवतरण
अनुज्ञिप्तधारी ारा िव ुत के पर्दाय के िलए पर्भािरत कीमत ऐसे टैिरफ, जो समय-समय पर िनयत िकया जाए और उसकी अनुज्ञिप्त
की शत के अनुसार होगी ।
(2) िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा पर्दाय की गई िव ुत के पर्भार—
(क) ऐसी प ित और िस ांत के अनुसार िनयत िकए जाएंगे जो संबंिधत राज्य ारा िविनिदष्ट िकए जाएं ;
(ख) ऐसी रीित म पर्कािशत िकए जाएंगे िजससे ऐसे पर्भार और कीमत को पयार्प्त पर्चार िमले ।
(3) िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा पर्दाय की गई िव ुत के पर्भार म िनम्निलिखत सिम्मिलत हो सकगे,—
(क) वास्तिवक रूप से पर्दाय की गई िव ुत के िलए पर्भार के अितिरक्त कोई िनयत पर्भार ;
(ख) िव ुत अनुज्ञिप्तधारी ारा उपलब्ध कराए गए िकसी िव ुत मीटर या िव ुत संयंतर् की बाबत कोई िकराया
या अन्य पर्भार ।

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 8  ारा पर्ितस्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 8  ारा अंतःस्थािपत ।
 
20

(4) धारा 62 के उपबंध के अधीन रहते हुए, इस धारा के अधीन पर्भार िनयत करते समय कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी िकसी
िक्त या िक्तय के वगर् को कोई असम्यक् अिधमान नह देगा या पक्षपात नह करे गा ।
(5) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा िनयत पर्भार, इस अिधिनयम के उपबंध और सम्ब राज्य आयोग ारा इस िनिम बनाए
गए िविनयम के अनुसार ह गे ।
46. य वसूल करने की शिक्त—राज्य आयोग, िविनयम ारा, िकसी िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को, धारा 43 के अनुसरण म
िव ुत के पर्दाय की अपेक्षा करने वाले िक्त से उस पर्दाय को देने के पर्योजन के िलए पर्योग की गई िकसी िव ुत लाइन या िव ुत
संयंतर् को उपलब्ध कराने म युिक्तयुक्त रूप से उपगत िकन्ह य को पर्भािरत करने के िलए, पर्ािधकृ त कर सके गा ।
47. पर्ितभूित की अपेक्षा करने की शिक्त—(1) इस धारा के उपबंध के अधीन रहते हुए, कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी िकसी
िक्त से, जो धारा 43 के अनुसरण म िव त ु के पर्दाय की अपेक्षा करता है, उसको ऐसी युिक्तयुक्त पर्ितभूित देने की अपेक्षा कर सके गा
जो ऐसे सभी धन के , जो िनम्निलिखत के िलए, उसको देय हो जाएं, संदाय के िलए िविनयम ारा अवधािरत की जाए—
(क) ऐसे िक्त को पर्दाय की गई िव ुत की बाबत ; या
(ख) जहां ऐसे िक्त को िव ुत पर्दाय के िलए कोई िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् या िव त ु मीटर उपलब्ध
कराया जाना है, वहां ऐसी लाइन या संयंतर् या िव ुत मीटर उपलब्ध कराया जाना है, वहां ऐसी लाइन या संयंतर् या मीटर
की बाबत,
और यिद वह िक्त ऐसी पर्ितभूित देने म असफल रहता है, तो िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, यिद वह ठीक समझे, उस अविध के िलए
िजसके दौरान असफलता जारी रहती है, िव ुत का पर्दाय करने से या लाइन या संयंतर् या मीटर उपलब्ध कराने से इं कार कर सके गा ।
(2) जहां िकसी िक्त ने उपधारा (1) म उिल्लिखत ऐसी पर्ितभूित नह दी है या िकसी िक्त ारा दी गई पर्ितभूित
अिविधमान्य या अपयार्प्त हो गई है, वहां िवतरण अनुज्ञिप्तधारी सूचना ारा, उस िक्त से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह सूचना की
तामील से तीस िदन के भीतर ऐसे सभी धन के संदाय के िलए जो िव ुत के पर्दाय या ऐसी लाइन या संयंतर् या मीटर की बाबत उसको
देय हो जाएं, उसे युिक्तयुक्त पर्ितभूित दे ।
(3) यिद उपधारा (2) म िनिदष्ट िक्त ऐसी पर्ितभूित देने म असफल रहता है तो िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, यिद वह ठीक
समझे, उस अविध के िलए िजसके दौरान असफलता जारी रहती है िव ुत के पर्दाय को रोक सके गा ।
(4) िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, उपधारा (1) म िनिदष्ट पर्ितभूित पर बक दर के बराबर या उससे अिधक ब्याज का, जैसा संब
राज्य आयोग िविनिदष्ट करे , संदाय करे गा और उस िक्त के , िजसने ऐसी पर्ितभूित दी है, अनुरोध पर ऐसी पर्ितभूित लौटा देगा ।
(5) कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, उपधारा (1) के खंड (क) के अनुसरण म पर्ितभूित की अपेक्षा करने का हकदार नह होगा,
यिद पर्दाय की अपेक्षा करने वाला िक्त पूवर् संदाय मीटर के माध्यम से पर्दाय लेने के िलए तैयार हो जाता है ।
48. पर्दाय के अितिरक्त िनबंधन—कोई िवतरण अनुज्ञिप्तधारी िकसी ऐसे िक्त से, जो धारा 43 के अनुसरण म िव ुत के
पर्दाय की अपेक्षा करता है, िनम्निलिखत को स्वीकार करने की अपेक्षा कर सके गा —
(क) कोई िनबर्ंधन, जो िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को धारा 53 के अधीन बनाए गए िविनयम का अनुपालन करने म
समथर् बनाने के पर्योजन के िलए अिधरोिपत िकए जाएं;
(ख) उस िक्त की उपेक्षा के पिरणामस्वरूप हुई आिथक हािन के िलए िजसे िव ुत पर्दाय की गई है, िवतरण
अनुज्ञिप्तधारी के िकसी दाियत्व को िनबर्ंिधत करने वाले कोई िनबंधन ।
49. िव तु के पर्दाय या कर्य की बाबत करार—जहां समुिचत आयोग ने धारा 42 के अधीन कितपय उपभोक्ता को िनबार्ध
पहुंच अनुज्ञात की है वहां ऐसे उपभोक्ता, धारा 62 की उपधारा (1) के खंड (घ) म अंतिवष्ट उपबंध के होते हुए भी, िव ुत के ऐसे
िनबंधन और शत पर (टैिरफ सिहत) जो ऐसे उपभोक्ता ारा ऐसे िक्त के साथ करार की जाए, पर्दाय या कर्य के िलए िकसी
िक्त के साथ करार कर सके गा ।
50. िव तु पर्दाय कोड— 1 [राज्य आयोग, िव ुत पर्भार की वसूली, िव ुत पर्भार के िबल के अंतराल , उसके असंदाय के
िलए िव ुत के पर्दाय की लाइन को काटने, िव ुत पर्दाय के पर्त्यावतर्न, िव ुत संयंतर् या िव ुत लाइन या मीटर को िबगाड़ने, नुकसान
या क्षित को रोकने के िलए उपाय, पर्दाय की लाइन को काटने और मीटर को हटाने के िलए, िवतरण अनुज्ञिप्तधारी या उसकी ओर से
कायर् कर रहे िकसी िक्त के पर्वेश, िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् या मीटर को बदलने, पिरवितत करने या उनके अनुरक्षण के िलए
पर्वेश और ऐसे अन्य िवषय का उपबंध करने के िलए एक िव ुत पर्दाय कोड िविनिदष्ट करे गा ।]
51. िवतरण अनुज्ञिप्तधािरय के अन्य कारबार—िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, समुिचत आयोग को पूवर् पर्ज्ञापना देकर अपनी
आिस्तय के अिधकतम उपयोग के िलए िकसी कारबार म लग सके गा :

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 9  ारा पर्ितस्थािपत ।
21

परं तु ऐसे कारबार से ुत्पन्न राजस्व का एक भाग, संब राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट िकए गए अनुसार, चकर्ण संबंधी
अपने पर्भार को कम करने के िलए उपयोग म लाया जाएगा :
परं तु यह और िक िवतरण अनुज्ञिप्तधारी, ऐसे पर्त्येक कारबार उपकर्म के िलए पृथक् लेखा यह सुिनिश्चत करने के िलए रखेगा
िक िवतरण कारबार िकसी भी रूप म ऐसे कारबार उपकर्म को न तो सहाियकी पर्दान करता है और न ही ऐसे कारबार को िकसी भी
रूप म सहायता देने के िलए अपनी िवतरण आिस्तय को िवल्लंगिमत करता है :
परं तु यह भी इस धारा की कोई बात, इस अिधिनयम के पर्ारं भ के पूवर्, िव ुत के िवतरण के कारबार म लगे िकसी स्थानीय
पर्ािधकरण को लागू नह होगी ।
िव त
ु ापािरय के संबध
ं म उपबंध
52. िव तु ापारी के संबध
ं म उपबंध—(1) धारा 12 के खंड (ग) म अंतिवष्ट उपबंध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना,
समुिचत आयोग, िव ुत ापारी होने के िलए तकनीकी अपेक्षा, पूंजी पयार्प्तता की अपेक्षा और पर्त्यय योग्यता िविनिदष्ट कर सके गा ।
(2) पर्त्येक िव ुत ापारी, िव ुत के पर्दाय और ापार के संबंध म ऐसे कतर् का िनवर्हन करे गा जो समुिचत आयोग ारा
िविनिदष्ट िकए जाएं ।
साधारणतया पर्दाय के संबध
ं म उपबंध
53. सुरक्षा और िव त
ु पर्दाय से संबिं धत उपबंध—पर्ािधकरण, राज्य सरकार के परामशर् से, िनम्निलिखत के िलए उपयुक्त
उपाय िविनिदष्ट कर सके गा—
(क) िव ुत के उत्पादन, पारे षण या िवतरण या ापार से या पर्दाय की गई िव ुत के उपयोग से या िकसी िव ुत
लाइन या िव ुत संयंतर् के संस्थापन, रखरखाव या उपयोग से उत्पन्न खतर से जनता की (िजसके अंतगर्त उत्पादन, पारे षण
या िवतरण या ापार म लगे िक्त भी ह) संरक्षा करना ;
(ख) िकसी िक्त को िक्तगत क्षित के जोिखम या िकसी िक्त की संपि को नुकसान या ऐसी सम्पि के
उपयोग म हस्तक्षेप को दूर करने या कम करने के िलए ;
(ग) ऐसी पर्णाली के माध्यम के िसवाय जो ऐसे िविनदश के अनुरूप हो जो िविनिदष्ट िकए जाएं, िव ुत के पर्दाय
और पारे षण को पर्ितिष करना ;
(घ) दुघर्टना और िव ुत के पर्दाय या पारे षण की असफलता के बारे म समुिचत आयोग और िव ुत िनरीक्षक
को िविनिदष्ट पर्रूप म सूचना देना ;
(ङ) िव ुत के पर्दाय या पारे षण से संबंिधत मानिचतर्, रे खांक और अनुभाग को िकसी उत्पादन कं पनी या
अनुज्ञिप्तधारी ारा रखा जाना ;
(च) पर्ािधकरण ारा पर्ािधकृ त िकसी िक्त ारा या िव ुत िनरीक्षक ारा या िविनिदष्ट फीस से संदाय पर
िकसी िक्त ारा मानिचतर् , रे खांक और अनुभाग का िनरीक्षण ;
(छ) िकसी उपभोक्ता के िनयंतर्णाधीन िकसी िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् या िकसी िव ुत सािधतर् के संबंध म
िक्तगत क्षित के जोिखम या संपि को नुकसान या उसके पर्योग म हस्तक्षेप को दूर करने या कम करने के पर्योजन के िलए
िकए जाने वाली कारर् वाई िविनिदष्ट करना ।
54. िव त ु के पारे षण और पर्योग का िनयंतर्ण—(1) इस अिधिनयम के अधीन अन्यथा छू ट पर्ाप्त के िसवाय, के न्दर्ीय पारे षण
उपयोिगता या राज्य पारे षण उपयोिगता, या िकसी अनुज्ञिप्तधारी से िभन्न िकसी िक्त को,—
(क) िकसी मागर् पर, या
(ख) िकसी ऐसे स्थान पर, —
(i) िजसम 100 या उससे अिधक िक्तय के आमतौर पर जमा होने की संभावना है, या
(ii) जो कारखाना अिधिनयम, 1948 (1948 का 62) के अथार्न्तगर्त कारखाना है या खान अिधिनयम,
1952 (1952 का 35) के अथार्न्तगर्त कोई खान है, या
(iii) िजसको राज्य सरकार, साधारण या िवशेष आदेश ारा इस उपधारा के उपबंध का लागू होना
घोिषत करे ,
पारे षण के आरं भ या िव ुत के पर्योग के पूवर्, यथािस्थित, िव ुत िनरीक्षक और िजला मिजस्टर्ेट या पुिलस आयुक्त को अपने
आशय की िलिखत रूप म कम-से-कम सात िदन की सूचना िदए िबना िजसम िव ुत स्थापन और संयंतर्, यिद कोई हो, की
िविशिष्टयां, पर्दाय की पर्कृ ि और पर्योजन हो और इस अिधिनयम के भाग 17 के ऐसे उपबंध का जो लागू हो सकते ह ,
पालन करता हो, 250 वाट और 100 वोल्ट से अिधक दर पर िव ुत का पारे षण या उपयोग नह करे गा :
22

परं तु इस धारा की कोई बात, रे ल अिधिनयम, 1989 (1989 का 24) के उपबंध के अधीन रहते हुए िकसी रे ल या टर्ाम पर
याितर्य , जीव जन्तु या माल के सावर्जिनक वहन के िलए या िकसी रे ल या टर्ाम के चल स्टाक की िव ुत वस्था या संवातन के िलए
पर्युक्त िव ुत को लागू नह होगी ।
(2) जहां इस बाबत कोई मतभेद या िववाद उत्पन्न होता है िक कोई स्थान ऐसा है या नह जहां 100 या उससे अिधक
िक्तय के सामान्य रूप से जमा होने की संभावना है वहां मामला राज्य सरकार को िनिदष्ट िकया जाएगा और उस पर राज्य सरकार
का िविनश्चय अंितम होगा ।
(3) इस धारा के उपबंध सरकार पर आब कर ह गे ।
55. मीटर का उपयोग, आिद—(1) कोई अनुज्ञिप्तधारी पर्ािधकरण ारा इस िनिम बनाए जाने वाले िविनयम के अनुसार
िकसी सही मीटर के संस्थापन के माध्यम के िसवाय िनयत तारीख से दो वषर् की समािप्त के पश्चात् िव ुत का पर्दाय नह करे गा :
परन्तु अनुज्ञिप्तधारी, उपभोक्ता से मीटर की कीमत के िलए पर्ितभूित देने और उसके िकराए के िलए करार करने की अपेक्षा
कर सके गा, जब तक िक उपभोक्ता मीटर का कर्य करने का िवकल्प न दे :
परन्तु यह और िक राज्य आयोग, अिधसूचना ारा, िक्तय के िकसी वगर् या वग के िलए या ऐसे क्षेतर् के िलए, जो उस
अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, उक्त दो वषर् की अविध को बढ़ा सके गा ।
(2) पर्ािधकरण, िव ुत के उत्पादन, पारे षण और िवतरण या ापार के उिचत लेखा और संपरीक्षा के िलए, उत्पादन कं पनी
या अनुज्ञिप्तधारी ारा िव ुत के उत्पादन, पारे षण या िवतरण या ापार के ऐसे पर्कर्म पर और उत्पादन, पारे षण या िवतरण या
ापार के ऐसे स्थान पर जो वह आवश्यक समझे मीटर के संस्थापन का िनदेश दे सके गा ।
(3) यिद कोई िक्त इस धारा या उपधारा (1) के अधीन बनाए गए िविनयम म अंतिवष्ट उपबंध का अनुपालन करने म
ितकर्म करता है तो समुिचत आयोग, उत्पादन कं पनी या अनुज्ञिप्तधारी ारा या िकसी कं पनी के िकसी अिधकारी ारा या अन्य
संगम या िकसी अन्य िक्त ारा जो ऐसे ितकर्म के िलए दायी है, िकए गए ितकर्म को सुधारने के िलए ऐसे आदेश कर सके गा जो
वह ठीक समझे ।
56. संदाय के ितकर्म पर पर्दाय का िवयोजन—(1) जहां कोई िक्त िव ुत के िलए िकन्ह पर्भार या िव ुत के िलए
पर्भार से िभन्न िकसी रािश को, जो िव ुत के पर्दाय, पारे षण या िवतरण या चकर्ण के संबंध म अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी को
उस ारा देय हो, संदाय करने म उपेक्षा करता है वहां अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ऐसे िक्त को पंदर्ह पूणर् िदन से अन्यून की
िलिखत सूचना देने के पश्चात् और ऐसे पर्भार या अन्य रािश को वाद ारा वसूल करने के उसके अिधकार पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले
िबना, िव ुत के पर्दाय को काट सके गा और उस पर्योजन के िलए िकसी िव ुत पर्दाय लाइन या अन्य संकमर् को, जो ऐसे अनुज्ञिप्तधारी
या उत्पादन कं पनी की संपि है और िजसके माध्यम से िव ुत का पर्दाय, पारे षण या िवतरण या चकर्ण िकया गया हो, िवयोिजत कर
सके गा या काट सके गा तथा पर्दाय को, जब तक ऐसे पर्भार या रािश का, पर्दाय को काटने और पुनःसंयोिजत करने म उसके ारा उपगत
य सिहत, संदाय नह कर िदया जाता तब तक के िलए बन्द रख सके गा, िकन्तु उससे अिधक के िलए नह :
परन्तु यिद ऐसा िक्त अभ्यापि सिहत—
(क) उससे दावा की गई रािश के बराबर रकम का; या
(ख) पूवर्वत छह मास के दौरान उसके ारा संद िव ुत के िलए औसत पर्भार के आधार पर संगिणत पर्त्येक मास
के िलए उससे शोध्य िव ुत पर्भार का,
इनम जो भी कम हो, उसके और अनुज्ञिप्तधारी के बीच िकसी िववाद का िनपटारा होने तक, िनक्षेप कर देता है तो िव ुत पर्दाय बंद
नह िकया जाएगा ।
(2) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, इस धारा के अधीन िकसी उपभोक्ता से शोध्य कोई रािश
उस तारीख से दो वषर् की अविध के पश्चात् तब तक वसूल नह की जाएगी जब ऐसी रािश पहली बार देय हुई थी, जब तक िक ऐसी
रािश, पर्दाय की गई िव ुत के पर्भार के बकाया के रूप म लगातार वसूलनीय दिशत नह की गई हो और अनुज्ञिप्तधारी िव ुत के
पर्दाय को नह काटेगा ।
उपभोक्ता संरक्षण: िनष्पादन के मानक
57. अनुज्ञिप्तधारी के िनष्पादन के मानक—(1) समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्तधािरय और ऐसे िक्तय से िजनके पर्भािवत
होने की संभावना है, परामशर् करने के पश्चात् िकसी अनुज्ञिप्तधारी या अनुज्ञिप्तधािरय के िकसी वगर् के िलए िनष्पादन के मानक
िविनिदष्ट कर सके गा ।
(2) यिद कोई अनुज्ञिप्तधारी, उपधारा (1) के अधीन िविनिदष्ट मानक को पूरा करने म असफल रहता है तो ऐसी शािस्त,
जो अिधरोिपत की जाए या ऐसा अिभयोजन जो आरं भ िकया जाए, पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, वह पर्भािवत िक्त को ऐसा
पर्ितकर देने के िलए दायी होगा जो समुिचत आयोग ारा अवधािरत िकया जाए :
23

परं तु पर्ितकर का अवधारण करने से पूवर् संब अनुज्ञिप्तधारी को सुनवाई का युिक्तयुक्त अवसर िदया जाएगा ।
(3) उपधारा (2) के अधीन अवधािरत पर्ितकर ऐसे अवधारण से नब्बे िदन के भीतर संब अनुज्ञिप्तधारी ारा संद
िकया जाएगा ।
58. अनुज्ञिप्तधारी ारा िनष्पादन के िभन्न-िभन्न मानक—समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्तधारी के िकसी वगर् या वग के िलए
धारा 57 की उपधारा (1) के अधीन िभन्न-िभन्न मानक िविनिदष्ट कर सके गा ।
59. िनष्पादन के स्तर की बाबत जानकारी—(1) पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट अविध के भीतर
आयोग को िनम्निलिखत जानकारी भेजेगा, अथार्त् :—
(क) धारा 57 की उपधारा (1) के अधीन अिभपर्ाप्त िनष्पादन का स्तर;
(ख) धारा 57 की उपधारा (2) के अधीन उन मामल की संख्या िजनम पर्ितकर िदया गया था और पर्ितकर की
कु ल रकम ।
(2) समुिचत आयोग वषर् म कम-से-कम एक बार उपधारा (1) के अधीन उसे भेजी गई ऐसी जानकारी के , ऐसे पर्रूप और रीित
म जो वह समुिचत समझे, पर्काशन की वस्था करे गा ।
60. िवपणन आिधपत्य—यिद ऐसा अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी कोई करार करती है या अपनी पर्धान िस्थित का
दुरुपयोग करती है या िकसी ऐसे समुच्चय म पर्वेश करती है िजससे िव ुत उ ोग म पर्ितस्पधार् पर पर्ितकू ल पर्भाव पड़ने की संभावना है
या पर्ितकू ल पर्भाव पड़ता है तो समुिचत आयोग, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी को ऐसे िनदेश जारी कर सके गा जो वह
समुिचत समझे ।
भाग 7

टैिरफ
61. टैिरफ िविनयमन—समुिचत आयोग, इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए टैिरफ के अवधारण के िलए िनबंधन
और शत िविनिदष्ट करे गा और ऐसा करते समय िनम्निलिखत से मागर्दिशत होगा, अथार्त् :—
(क) उत्पादन कं पिनय और पारे षण अनुज्ञिप्तधािरय को लागू टैिरफ के अवधारण के िलए कदर्ीय आयोग ारा
िविनिदष्ट िस ांत और पर्णाली-िवज्ञान;
(ख) िव ुत उत्पादन, पारे षण, िवतरण और पर्दाय का वािणिज्यक िस ांत पर िकया जाना;
(ग) वे बात जो पर्ितस्पधार्, दक्षता, संसाधन का िमत यी उपयोग, अच्छा कायर् िनष्पादन और अिधकतम
िविनधान को पर्ोत्सािहत कर;
(घ) उपभोक्ता िहत के संरक्षण के साथ-साथ युिक्तयुक्त रीित से िव ुत लागत की वसूली;
(ङ) िनष्पादन म दक्षता को पुरस्कृ त करने वाले िस ांत;
(च) बहु वषर् टैिरफ िस ांत;
1
[(छ) टैिरफ कर्िमक रूप से िव ुत पर्दाय की लागत को पर्ितिबिबत करता है और समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट
रीित म, पर्ितसहाियिकय को भी कम करता है;]
(ज) ऊजार् के नवीकरणीय सर्ोत से िव ुत के सह-उत्पादन और उत्पादन का संवधर्न;
(झ) राष्टर्ीय िव ुत नीित और टैिरफ नीित :
परं तु िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54), िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14)
और अनुसूची म िविनिदष्ट अिधिनयिमितय के अधीन टैिरफ के अवधारण के िलए िनबंधन और शत, जैसी वे िनयत तारीख के ठीक पूवर्
थ , एक वषर् की अविध के िलए या तब तक जब तक िक इस धारा के अधीन टैिरफ के िलए िनबंधन और शत िविनिदष्ट नह की जात ,
इनम से जो पूवर्तर हो, लागू बनी रहगी :
62. टैिरफ का अवधारण—(1) समुिचत आयोग, इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार िनम्निलिखत के िलए टैिरफ का
अवधारण करे गा—
(क) उत्पादन कं पनी ारा िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को िव ुत का पर्दाय :

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 10  ारा पर्ितस्थािपत ।
24

परं तु समुिचत आयोग, िव ुत के पर्दाय म कमी की दशा म, उत्पादन कं पनी और िकसी अनुज्ञिप्तधारी के बीच या
अऩुज्ञिप्तधािरय के बीच िकए गए िकसी करार के अनुसरण म िव ुत के िवकर्य या कर्य के िलए, िव ुत की युिक्तयुक्त कीमत
सुिनिश्चत करने के िलए एक वषर् से अनिधक अविध के िलए टैिरफ की न्यूनतम और अिधकतम सीमा िनयत कर सके गा;
(ख) िव ुत का पारे षण;
(ग) िव त
ु का चकर्ण;
(घ) िव त
ु का खुदरा िवकर्य :
परन्तु एक ही क्षेतर् म दो या अिधक िवतरण अनुज्ञिप्तधािरय ारा िव ुत के िवतरण की दशा म समुिचत आयोग,
िव ुत अनुज्ञिप्तधािरय के बीच पर्ितस्पधार् के संवधर्न के िलए िव ुत के फु टकर िवकर्य के िलए टैिरफ की के वल अिधकतम
सीमा िनयत कर सके गा ।
(2) समुिचत आयोग, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी से ऐसे पृथक् ब्यौरे भेजने की अपेक्षा कर सके गा जो टैिरफ के
अवधारण के िलए उत्पादन, पारे षण और िवतरण के संबंध म िविनिदष्ट िकए जाएं ।
(3) समुिचत आयोग, इस अिधिनयम के अधीन टैिरफ का अवधारण करते समय, िव ुत के िकसी उपभोक्ता के पर्ित अनुिचत
अिधमान दिशत नह करे गा िकतु उपभोक्ता के भार कारक, िव ुत कारक, वोल्टता और िकसी िविनिदष्ट अविध के दौरान िव ुत की
कु ल खपत या वह समय िजसम पर्दाय अपेिक्षत है या िकसी क्षेतर् की भौगोिलक िस्थित, पर्दाय की पर्कृ ित और वह पर्योजन िजसके िलए
पर्दाय अपेिक्षत है, के अनुसार भेद कर सके गा ।
(4) िकसी टैिरफ या उसके िकसी भाग का साधारणतया िकसी िव ीय वषर् म एक बार से अिधक संशोधन नह िकया जाएगा
िसवाय ऐसे पिरवतर्न के संबंध म िजन्ह िकसी ईंधन अिधभार सूतर्, जो िविनिदष्ट िकया जाए, के िनबंधन के अधीन अिभ क्त रूप से
अनुज्ञात िकया गया हो ।
(5) आयोग, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी से यह अपेक्षा कर सके गा िक वह टैिरफ और पर्भार से पर्त्यािशत राजस्व की
गणना के िलए, िजन्ह वसूल करने के िलए उसे अनुज्ञात िकया गया है, ऐसी पर्िकर्या का जो िविनिदष्ट की जाए, पालन करे ।
(6) यिद कोई अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी, इस धारा के अधीन अवधािरत टैिरफ से अिधक कीमत या पर्भार वसूल
करता है तो अनुज्ञिप्तधारी ारा उपगत िकसी अन्य दाियत्व पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना उस िक्त ारा, िजसने ऐसी कीमत या
पर्भार का संदाय िकया है, बक दर के समतुल्य ब्याज सिहत अिधक ली गई रािश वसूल की जा सके गी ।
63. बोली की पर्िकर्या ारा टैिरफ का अवधारण—धारा 62 म अंतिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी, समुिचत आयोग, टैिरफ
को अंगीकार करे गा यिद ऐसा टैिरफ के न्दर्ीय सरकार ारा जारी मागर्दशर्क िस ांत के अनुसार बोली लगाने की पारदश पर्िकर्या ारा
अवधािरत िकया गया है ।
64. टैिरफ आदेश के िलए पर्िकर्या—(1) धारा 62 के अधीन टैिरफ का अवधारण करने के िलए आवेदन, उत्पादन कं पनी या
अनुज्ञिप्तधारी ारा ऐसी रीित म और ऐसी फीस के साथ जो िविनयम ारा अवधािरत की जाए, िकया जाएगा ।
(2) पर्त्येक आवेदक ऐसे संिक्षप्त रूप और रीित म, जो समुिचत आयोग ारा िविनिदष्ट की जाए, आवेदन का
पर्काशन करे गा ।
(3) समुिचत आयोग, उपधारा (1) के अधीन िकसी आवेदन की पर्ािप्त से एक सौ बीस िदन के भीतर जनता से पर्ाप्त सभी
सुझाव और आक्षेप पर िवचार करने के पश्चात्—
(क) ऐसे उपांतरण और ऐसी शत के साथ जो उस आदेश म िविनिदष्ट िकए जाएं, आवेदन को स्वीकार करते हुए
टैिरफ आदेश जारी करे गा;
(ख) यिद ऐसा आवेदन इस अिधिनयम और उसके अधीन बनाए गए िनयम तथा िविनयम या तत्समय पर्वृ
िकसी अन्य िविध के उपबंध के अनुसार नह है तो लेखब िकए गए कारण से आवेदन को नामंजूर करे गा :
परं तु आवेदक को उसका आवेदन नामंजूर करने से पूवर् सुनवाई का युिक्तयुक्त अवसर िकया जाएगा ।
(4) समुिचत आयोग, आदेश िकए जाने के सात िदन के भीतर समुिचत सरकार, पर्ािधकरण और संब अनुज्ञिप्तधािरय तथा
संब िक्त को आदेश की पर्ित भेजेगा ।
(5) भाग 10 म िकसी बात के होते हुए भी, यथािस्थित, िव ुत के िकसी अंतररािज्यक पर्दाय, पारे षण या चकर्ण, जो दो
राज्य के राज्यक्षेतर् के अंतगर्त ह , ऐसे पक्षकार ारा उसे आवेदन करने पर, जो ऐसे पर्दाय, पारे षण या चकर्ण के िलए आशियत ह,
इस धारा के अधीन राज्य आयोग, िजसकी अिधकािरता म वह अनुज्ञिप्तधारी है, जो िव ुत के िवतरण और उसके भुगतान का आशय
रखता है, अवधािरत करे गा ।
25

(6) कोई टैिरफ आदेश, जब तक संशोधन या पर्ितसंहृत न िकया जाए, ऐसी अविध के िलए पर्वृ बना रहेगा जो टैिरफ आदेश
म िविनिदष्ट की जाए ।
65. राज्य सरकार ारा सहाियकी का उपबंध—यिद राज्य सरकार, धारा 62 के अधीन राज्य आयोग ारा अवधािरत टैिरफ
म िकमी उपभोक्ता या उसके वगर् को कोई सहाियकी मंजूर करने की अपेक्षा करती है तो राज्य सरकार ऐसे िकसी िनदेश के होते हुए भी,
जो धारा 108 के अधीन िदया जाए अिगर्म रूप म और ऐसी रीित से जो िविनिदष्ट की जाए, सहाियकी की मंजूरी से पर्भािवत िक्त
को पर्ितकर की रािश का संदाय ऐसी रीित म करे गी, जैसी राज्य आयोग िनदेश दे, जो अनुज्ञिप्त की एक शतर् के रूप म होगी या िकसी
अन्य संब िक्त के िलए राज्य सरकार ारा उपबंिधत सहाियकी को लागू करने के िलए होगी :
परं तु राज्य सरकार का ऐसा कोई िनदेश पर्वतर्न म नह रहेगा यिद संदाय इस धारा म अंतिवष्ट उपबंध के अनुसार नह
िकया गया है और राज्य आयोग ारा िनयत टैिरफ इस संबंध म आयोग ारा जारी िकए गए आदेश की तारीख से लागू होगा ।
66. बाजार का िवकास—समुिचत आयोग, िव ुत बाजार (िजसके अंतगर्त ापार भी है) के िवकास का ऐसी रीित म जो
िविनिदष्ट की जाए, संवधर्न करने का पर्यास करे गा और इस संबंध म, धारा 3 म िनिदष्ट राष्टर्ीय िव ुत नीित से मागर्दिशत होगा ।
भाग 8

संकमर्
अनुज्ञिप्तधािरय के संकमर्
67. माग , रे ल , आिद को खोलने के संबध
ं म उपबंध—(1) अनुज्ञिप्तधारी, समय-समय पर िकतु सदैव अपनी अनुज्ञिप्त के
िनबंधन और शत के अधीन रहते हुए, पर्दाय और पारे षण के अपने क्षेतर् के भीतर या जब पर्दाय के क्षेतर् के बाहर िव ुत पर्दाय लाइन
िबछाने या रखने के िलए उसकी अनुज्ञिप्त के िनबंधन ारा अनुज्ञात िकया जाए, अपने क्षेतर् के बाहर, िनम्न पर्कार के संकमर्
कर सके गा,—
(क) िकसी मागर्, रे लपथ या टर्ामपथ की भूिम और पटरी को खोदना और काटना;
(ख) िकसी मागर्, रे लपथ या टर्ामपथ म या उसके नीचे िकसी सीवर, नाली या सुरंग को खोदना या काटना;
(ग) िकन्ह लाइन , संकम या पाइप की िस्थित, जो मुख्य सीवर पाइप से िभन्न ह, बदलना;
(घ) िव त
ु लाइन , िव ुत संयंतर् और अन्य संकम का िबछाना और िस्थत करना;
(ङ) उनकी मरम्मत करना, पिरवतर्न करना या हटाना;
(च) िव त
ु के पारे षण या पर्दाय के िलए आवश्यक अन्य सभी कायर् करना ।
(2) समुिचत सरकार इस िनिम उसके ारा बनाए गए िनयम ारा िनम्निलिखत िविनिदष्ट कर सके गी :—
(क) वे दशाएं और पिरिस्थितयां िजनम, यथािस्थित, समुिचत सरकार, स्थानीय पर्ािधकारी, स्वामी या अिधभोगी
की िलिखत रूप म सहमित, संकमर् चलाने के िलए अपेिक्षत होगी;
(ख) वह पर्ािधकारी जो उन पिरिस्थितय म अनुज्ञा पर्दान कर सके गा जहां स्वामी या अिधभोगी संकमर् चलाने पर
आक्षेप करता है;
(ग) संकमर् चलाने से पूवर् अनुज्ञिप्तधारी ारा दी जाने वाली सूचना की पर्कृ ित और अविध;
(घ) खंड (ग) म िनिदष्ट सूचना के अनुसार पर्ाप्त आक्षेप और सुझाव पर िवचार करने की पर्िकर्या और रीित;
(ङ) इस धारा के अधीन संकम ारा पर्भािवत िक्तय के िलए पर्ितकर या िकराए का अवधारण और संदाय;
(च) जब आपातिस्थित हो तब की जाने वाली मरम्मत और िकए जाने वाले संकमर्;
(छ) इस धारा के अधीन कितपय संकम को करने के िलए स्वामी या अिधभोगी का अिधकार और उसके संबध
ं म
य का संदाय;
(ज) सीवर , पाइप और अन्य िव ुत लाइन या संकम के िनकट अन्य संकमर् करने के िलए पर्िकर्या;
(झ) पाइप , िव ुत लाइन , िव ुत संयंतर्, तार लाइन , सीवर लाइन , सुरंग , नािलय , आिद की िस्थित म
पिरवतर्न के िलए पर्िकर्या;
(ञ) माग , रे ल पथ , टर्ामपथ , सीवर, नािलय या सुरंग पर कायर् करने से संबंिधत बाड़ लगाने, रक्षा करने,
पर्काश करने और अन्य सुरक्षा उपाय तथा उनके तुरन्त पुनः स्थापन के िलए पर्िकर्या;
(ट) लोक न्यूसस, पयार्वरणीय क्षित और ऐसे संकमर् ारा लोक और पर्ाइवेट संपि के अनावश्यक नुकसान
को बचाना;
26

(ठ) ऐसे संकम को करने की पर्िकर्या िजनकी समुिचत सरकार, अनुज्ञिप्तधारी या स्थानीय पर्ािधकारी ारा मरम्मत
नह की जा सकती है;
(ड) िकसी रे ल पथ, टर्ामपथ, जल मागर्, आिद के पुनःस्थापन के िलए अपेिक्षत रकम जमा करने की रीित;
(ढ) ऐसे संकम ारा पर्भािवत संपि के पुनःस्थापन की रीित और उनका रखरखाव;
(ण) अनुज्ञिप्तधारी ारा संदय
े पर्ितकर जमा करने की पर्िकर्या और पर्ितभूित का िदया जाना; और
(त) ऐसे अन्य िवषय जो इस धारा के अधीन संकम के िविनमार्ण और अनुरक्षण के आनुषंिगक या पािरणािमक ह ।
(3) अनुज्ञिप्तधारी इस धारा और त ीन बनाए गए िनयम ारा पर्द शिक्तय म से िकसी का पर्योग करते हुए, कम से कम
नुकसान, अिहत या असुिवधा, कािरत करे गा और उसके ारा या उसके ारा िनयोिजत िकसी िक्त ारा कािरत िकसी नुकसान,
अिहत या असुिवधा का पूरा पर्ितकर देगा ।
(4) जहां इस धारा के अधीन कोई मतभेद या िववाद [िजसम उपधारा (3) के अधीन पर्ितकर की रकम भी है] उत्पन्न होता है
वहां वह मामला समुिचत आयोग ारा अवधािरत िकया जाएगा ।
(5) समुिचत आयोग, इस धारा के अधीन उद्भूत िकसी मतभेद या िववाद का अवधारण करते समय, उपधारा (3) के अधीन
िकसी पर्ितकर के अितिरक्त, उस उपधारा के अधीन संदय
े पर्ितकर की िकसी रकम से अनिधक कोई शािस्त अिधरोिपत कर सके गा ।
िशरोपिर लाइन के संबध
ं म उपबंध
68. िशरोपिर लाइन —(1) उपधारा (2) के उपबंध के अनुसार समुिचत सरकार के पूवर् अनुमोदन से कोई िशरोपिर लाइन
भूिम के ऊपर संस्थािपत की जाएगी या संस्थािपत रखी जाएगी ।
(2) उपधारा (1) म अन्तिवष्ट उपबंध,—
(क) ऐसी िव त ु लाइन के संबधं म िजसकी अंिकत वोल्टता ग्यारह िकलो वाट से अनिधक है और िजसका उपयोग
एकल उपभोक्ता को पर्दाय करने के िलए िकया जाता है या उपयोग िकए जाने के िलए आशियत है;
(ख) िकसी िव त ु लाइन को उस सीमा तक जो उसके संस्थापन के िलए उ रदायी िक्त के अिधभोग या िनयंतर्ण
वाले पिरसर के भीतर है या होगी; या
(ग) ऐसे अन्य मामल म, जो िविहत िकए जाएं,
लागू नह ह गे ।
(3) समुिचत सरकार, उपधारा (1) के अधीन अनुमोदन मंजूर करते समय ऐसी शत (िजनके अंतगर्त लाइन के स्वािमत्व और
पर्चालन की बाबत शत भी ह) अिधरोिपत कर सके गी, जो उसे आवश्यक पर्तीत ह ।
(4) समुिचत सरकार ारा, ऐसी अविध की समािप्त के पश्चात्, जो उसके ारा मंजूर िकए गए अनुमोदन म अनुबंिधत की
जाए, िकसी भी समय अनुमोदन पिरवितत या पर्ितसंहृत िकया जा सके गा ।
(5) जहां िकसी िशरोपिर लाइन के िनकट खड़े या पड़े कोई वृक्ष या जहां कोई संरचना या अन्य वस्तु जो ऐसी लाइन िबछाने
के पश्चात्वत िकसी िशरोपिर लाइन के िनकट रखी गई या िगर गई है, िव ुत के पर्वहण या पारे षण या िकसी संकमर् के पहुंच मागर् को
अवरु करती है या बाधा डालती है या अवरु करने या बाधा डालने की संभावना है, वहां कायर्पालक मिजस्टर्ेट या समुिचत सरकार
ारा िविनिदष्ट पर्ािधकारी, अनुज्ञिप्तधारी के आवेदन पर उस वृक्ष, संरचना या वस्तु को हटवा सके गा या अन्यथा ऐसी कारर् वाई कर
सके गा जो वह उिचत समझे ।
(6) उपधारा (5) के अधीन िकसी आवेदन का िनपटारा करते समय कायर्पालक मिजस्टर्ेट या उस धारा के अधीन िविनिदष्ट
पर्ािधकारी, िशरोपिर लाइन के लगाने के पूवर् िव मान िकसी वृक्ष की दशा म, उस वृक्ष से िहतब िक्त को उतना पर्ितकर पर्दान
करे गा िजतना वह उिचत समझे और ऐसा िक्त उसे अनुज्ञिप्तधारी से वसूल कर सके गा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए “वृक्ष” पद म कोई झाड़ी, बाड़े, जंगली घास या अन्य पौधे सिम्मिलत ह ।
69. तार पर्ािधकारी को सूचना—(1) कोई अनुज्ञिप्तधारी, िकसी तार लाइन, िव ुत लाइन, िव ुत संयंतर् या अन्य संकम के
जो सेवा लाइन या िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् नह ह, िव मान संकम की मरम्मत, नवीकरण या पिरवतर्न के िलए िजनके स्वरूप
या िस्थित को पिरवितत नह िकया जाना है, दस मीटर के भीतर िबछाए जाने या लगाए जाने के पूवर्—
(क) नए संस्थापन की दशा म, कदर्ीय सरकार ारा अिभिहत पर्ािधकारी को पर्स्ताव पर्स्तुत करे गा और ऐसा
पर्ािधकारी पर्स्ताव पर तीस िदन के भीतर िविनश्चय करे गा;
(ख) िव मान संकमर् की मरम्मत, नवीकरण या पिरवतर्न की दशा म तार पर्ािधकारी को िलिखत रूप म दस िदन से
अन्यून की सूचना िनम्निलिखत को िविनिदष्ट करते हुए देगा,—
27

(i) पर्स्तािवत संकमर् या पिरवतर्न का मागर्;


(ii) वह रीित िजसम संकमर् का उपयोग िकया जाना है;
(iii) पारे िषत की जाने वाली िव त
ु की मातर्ा और पर्कृ ित;
(iv) वह िवस्तार िजस तक और वह रीित िजसम (यिद िकिचत भी हो) भू-पर्त्यावतर्न का उपयोग िकया
जाना है,
और अनुज्ञिप्तधारी, ऐसी युिक्तयुक्त अपेक्षा का अनुसरण साधारण या िवशेष रूप म करे गा जो उस अविध के भीतर तार
पर्ािधकारी ारा िकसी तार लाइन को ऐसे संकमर् या पिरवतर्न के ारा क्षितगर्स्त होने से िनवािरत करने के िलए अिधकिथत
की जाए :
परं तु अनुज्ञिप्तधारी की िकन्ह िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् या अन्य संकमर् म िकसी कमी से उद्भूत आपात की दशा म
(िजसे अनुज्ञिप्तधारी ारा तार पर्ािधकारी को िलिखत रूप म किथत िकया जाएगा), अनुज्ञिप्तधारी से के वल ऐसी सूचना देने की अपेक्षा
की जाएगी जो पर्स्तािवत नए संकमर् या पिरवतर्न की आवश्यकता उद्भूत होने के पश्चात् संभव हो ।
(2) जहां िकसी सेवा लाइन के िबछाए या लगाए जाने के संकमर् का िनष्पादन िकया जाना है, वहां अनुज्ञिप्तधारी कायर् पर्ारं भ
करने के कम-से-कम अड़तालीस घंटे पूवर्, तार पर्ािधकारी पर ऐसे संकमर् को िनष्पािदत करने के अपने आशय की सूचना की िलिखत रूप
म तामील करे गा ।
भाग 9

कदर्ीय िव ुत पर्ािधकरण
पर्ािधकरण का गठन और उसके कृ त्य
70. कदर्ीय िव त
ु पर्ािधकरण का गठन, आिद—(1) ऐसे कृ त्य का िनवर्हन करने के िलए और कतर् का अनुपालन करने के
िलए जो उसे इस अिधिनयम के अधीन स पे जाएं, कदर्ीय िव ुत पर्ािधकरण के नाम से एक िनकाय होगा ।
(2) िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54) की धारा 3 के अधीन स्थािपत और िनयत तारीख से ठीक पूवर् उस रूप
म कायर् कर रहा कदर्ीय िव ुत पर्ािधकरण इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए कदर्ीय िव ुत पर्ािधकरण होगा और उसके अध्यक्ष,
सदस्य, सिचव और अन्य अिधकारी तथा कमर्चारी इस अिधिनयम के अधीन िनयुक्त िकए गए समझे जाएंगे और वे उन्ह िनबंधन और
शत पर पद पर बने रहगे िजन पर वे िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 के अधीन िनयुक्त िकए गए थे ।
(3) पर्ािधकरण म चौदह से अनिधक सदस्य (िजसके अंतगर्त उसका अध्यक्ष भी है) ह गे िजनम से आठ से अनिधक सदस्य
पूणर्कािलक सदस्य ह गे िजन्ह कदर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकया जाएगा ।
(4) कदर्ीय सरकार, िकसी ऐसे िक्त को, जो पर्ािधकरण के सदस्य के रूप म िनयुिक्त के िलए पातर् है, पर्ािधकरण के अध्यक्ष
के रूप म िनयुक्त कर सके गी या पूणर्कािलक सदस्य म से िकसी एक को पर्ािधकरण के अध्यक्ष के रूप म पदािभिहत कर सके गी ।
(5) पर्ािधकरण के सदस्य योग्यता, सत्यािनष्ठा और पर्ितष्ठा वाले ऐसे िक्तय म से िनयुक्त िकए जाएंगे जो इं जीिनयरी,
िव , वािणज्य, अथर्शास्तर् या औ ोिगक िवषय से संबंिधत समस्या का ज्ञान और पर्यार्प्त अनुभव और क्षमता रखने वाले ह और कम
से कम एक सदस्य िनम्निलिखत पर्वग म से पर्त्येक पर्वगर् से िनयुक्त िकया जाएगा, अथार्त् :—
(क) उत्पादन कदर् के िडजाइन, िनमार्ण, पर्चालन और उसके अनुरक्षण म िवशेषज्ञता के साथ इं जीिनयरी;
(ख) िव ुत के पारे षण और पर्दाय म िवशेषज्ञता के साथ इं जीिनयरी;
(ग) िव ुत के क्षेतर् म अनुपर्युक्त गवेषणा;
(घ) अनुपर्युक्त अथर्शास्तर्, लेखा, वािणज्य या िव ।
(6) पर्ािधकरण के अध्यक्ष और सभी सदस्य कदर्ीय सरकार के पर्साद पयर्न्त पद धारण करगे ।
(7) अध्यक्ष, पर्ािधकरण का मुख्य कायर्पालक होगा ।
(8) पर्ािधकरण का मुख्यालय िदल्ली म होगा ।
(9) पर्ािधकरण, मुख्यालय या िकसी अन्य स्थान पर ऐसे समय पर, जो अध्यक्ष िनदेश दे, अिधवेशन करे गा और अपने
अिधवेशन म कारबार के सं वहार के संबंध म (िजसके अंतगर्त इसके अिधवेशन म गणपूित भी है) पर्िकर्या के ऐसे िनयम का पालन
करे गा, जो वह िविनिदष्ट करे ।
28

(10) अध्यक्ष या यिद वह पर्ािधकरण के अिधवेशन म उपिस्थत होने म असमथर् है, तो अध्यक्ष ारा इस िनिम नामिनिदष्ट
कोई अन्य सदस्य और ऐसे नामिनदशन के अभाव म या जहां कोई अध्यक्ष नह है वहां, उपिस्थत सदस्य ारा अपने म से चुना गया
कोई सदस्य अिधवेशन की अध्यक्षता करे गा ।
(11) ऐसे सभी पर्श्न का, जो पर्ािधकरण के िकसी अिधवेशन म उसके समक्ष आते ह उपिस्थत और मत देने वाले सदस्य के
बहुमत ारा िविनश्चय िकया जाएगा और मत बराबर होने की दशा म अध्यक्ष या अध्यक्षता करने वाले सदस्य को िनणार्यक मत देने का
अिधकार होगा ।
(12) पर्ािधकरण के सभी आदेश और िविनश्चय को सिचव या अध्यक्ष ारा इस िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त िकसी अन्य
अिधकारी ारा अिधपर्मािणत िकया जाएगा ।
(13) पर्ािधकरण का कोई कायर् या कायर्वाही के वल इस आधार पर पर्श्नगत नह की जाएगी या अिविधमान्य नह होगी िक
पर्ािधकरण के गठन म कोई िरिक्त या तर्ुिट िव मान है ।
(14) पर्ािधकरण का अध्यक्ष और अन्य पूणर्कािलक सदस्य ऐसा वेतन और ऐसे भ े पर्ाप्त करगे जो कदर्ीय सरकार ारा
अवधािरत िकए जाएं और अन्य सदस्य पर्ािधकरण के अिधवेशन म उपिस्थत होने के िलए ऐसे भ े और फीस पर्ाप्त करगे जो कदर्ीय
सरकार िविहत करे ।
(15) पर्ािधकरण के अध्यक्ष और सदस्य के सेवा के अन्य िनबंधन और शत िजनम उपधारा (6) के उपबंध के अधीन रहते हुए,
उनकी पदाविध भी है वह होगी जो कदर्ीय सरकार िविहत करे ।
71. सदस्य के कितपय िहत न होना—पर्ािधकरण के िकसी सदस्य का, िकसी ऐसी कं पनी या अन्य िनगम िनकाय या
िक्तय के संगम (चाहे िनगिमत हो या नह ) या फमर् म जो िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण और ापार या उसके उत्पादन के
िलए ईंधन के पर्दाय के कारबार म या िव ुत उपस्कर के िविनमार्ण म लगी हुई है, अपने नाम म या अन्यथा कोई शेयर या िहत
नह होगा ।
72. पर्ािधकरण के अिधकारी और कमर्चािरवृन्द—पर्ािधकरण वेतन, पािरशर्िमक, फीस, भ े, पशन, छु ी और उपदान के बारे
म ऐसे िनबंधन पर, जो पर्ािधकरण कदर्ीय सरकार से परामशर् करके िनयत करे , सिचव और उतने अन्य अिधकारी तथा कमर्चारी
िनयुक्त कर सके गा, िजतने इस अिधिनयम के अधीन उसके कृ त्य के पालन के िलए वह आवश्यक समझे :
परं तु सिचव की िनयुिक्त कदर्ीय सरकार के अनुमोदन के अध्यधीन होगी ।
73. पर्ािधकरण के कृ त्य और कतर् —पर्ािधकरण ऐसे कृ त्य और कतर् का पालन करे गा जो कदर्ीय सरकार िविहत करे या
िनदेश दे और िवशेष रूप से,—
(क) राष्टर्ीय िव ुत नीित से संबंिधत िवषय पर कदर्ीय सरकार को सलाह देना, िव ुत पर्णाली के िवकास के िलए
अल्पकािलक और भावी योजनाएं बनाना और राष्टर्ीय अथर् वस्था के िहतसाधन के िलए संसाधन के अनुकूलतम उपयोजन
के िलए योजना अिभकरण के िकर्याकलाप को समिन्वत करना तथा सभी उपभोक्ता को िवश्वसनीय और क्षमतायोग्य
िव ुत उपलब्ध कराना;
(ख) िव ुत संयंतर् , िव ुत लाइन और िगर्ड से संयोजकता के सि मार्ण के िलए तकनीकी मानक िविनिदष्ट करना;
(ग) िव त
ु संयतर्
ं और िव ुत लाइन के सि मार्ण, पर्चालन और अनुरक्षण के िलए सुरक्षा अपेक्षाएं
िविनिदष्ट करना;
(घ) पारे षण लाइन के पर्चालन और अनुरक्षण के िलए िगर्ड मानक िविनिदष्ट करना;
(ङ) िव ुत के पारे षण और पर्दाय के िलए मीटर के संस्थापन की शत िविहत करना;
(च) िव ुत पर्णाली म सुधार लाने और उसके संवधर्न के िलए स्कीम और पिरयोजना को समय पर पूरा िकए
जाने के िलए पर्ोत्साहन देना और उसम सहायता करना;
(छ) िव त
ु उ ोग म लगे हुए िक्तय के कौशल को बढ़ाने के उपाय को पर्ोत्सािहत करना;
(ज) कदर्ीय सरकार को िकसी ऐसे िवषय पर सलाह देना, िजस पर उसकी सलाह मांगी गई है या िकसी िवषय पर
उस सरकार को िसफािरश करना, यिद पर्ािधकरण की राय म ऐसी िसफािरश, िव ुत के उत्पादन, पारे षण, ापार, िवतरण
और उपयोग के सुधार म सहायता पर्दान करे गी;
(झ) िव तु के उत्पादन, पारे षण, ापार, िवतरण और उपयोग से संबंिधत आंकड़े एकितर्त करना और
अिभिलिखत करना तथा लागत, दक्षता, पर्ितस्पधार् और ऐसे ही िवषय से संबंिधत अध्ययन करना;
(ञ) इस अिधिनयम के अधीन समय-समय पर जनता को सूचना उपलब्ध कराना और िरपोट तथा अन्वेषण के
पर्काशन की वस्था करना;
29

(ट) िव त
ु के उत्पादन, पारे षण, िवतरण और ापार पर पर्भाव डालने वाले िवषय पर अनुसंधान को
आगे बढ़ाना;
(ठ) िव त
ु के उत्पादन या पारे षण या िवतरण के पर्योजन के िलए कोई अन्वेषण करना या कराना;
(ड) िकसी राज्य सरकार, अनुज्ञिप्तधािरय या उत्पादन कं पिनय को ऐसे िवषय पर ऐसी सलाह देना, जो उनके
स्वािमत्वाधीन या िनयंतर्णाधीन िव ुत पर्णाली के उन्नत रीित म पर्चालन और अनुरक्षण के और जहां आवश्यक हो,
िकसी ऐसी अन्य सरकार, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी के , िजसके स्वािमत्व या िनयंतर्ण म कोई अन्य िव ुत पर्णाली है,
समन्वयन को समथर् बनाएगा;
(ढ) िव ुत के उत्पादन, पारे षण और िवतरण से संबंिधत सभी तकनीकी िवषय पर समुिचत सरकार और समुिचत
आयोग को सलाह देना; और
(ण) ऐसे अन्य कृ त्य का िनवर्हन करना, जो इस अिधिनयम के अधीन उपबंिधत ह ।
कितपय शिक्तयां और िनदेश
74. आंकड़ और िववरिणय की अपेक्षा करने की शिक्त—अपने स्वयं के उपयोग के िलए िव ुत का उत्पादन करने वाले
पर्त्येक अनुज्ञिप्तधारी, उत्पादन कं पनी या िक्त का यह कतर् होगा िक वह, िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण, ापार और
उपयोग से संबंिधत ऐसे आंकड़े, िववरिणयां या अन्य जानकारी जो पर्ािधकरण ारा अपेिक्षत ह , ऐसे समय पर और ऐसे पर्रूप तथा
रीित म, जो उसके ारा िविनिदष्ट की जाए, पर्ािधकरण को भेजे ।
75. पर्ािधकरण को कदर्ीय सरकार ारा िनदेश—(1) अपने कृ त्य के िनवर्हन म पर्ािधकरण, लोकिहत से संबंिधत नीितगत
िवषय म ऐसे िनदेश ारा मागर्दिशत होगा, जो कदर्ीय सरकार उसे िलिखत रूप म दे ।
(2) यिद इस बारे म कोई पर्श्न उत्पन्न होता है िक ऐसा कोई िनदेश, लोकिहत से संबंिधत नीितगत िवषय है या नह , तो उस
पर कदर्ीय सरकार का िविनश्चय अंितम होगा ।
भाग 10

िविनयामक आयोग
कदर्ीय आयोग का गठन; उसकी शिक्तयां और कृ त्य
76. कदर्ीय आयोग का गठन—(1) कदर्ीय िव ुत िविनयामक आयोग के नाम से ज्ञात एक आयोग इस अिधिनयम के अधीन
उसे पर्द शिक्तय का पर्योग करने के िलए और उसे स पे गए कृ त्य का िनवर्हन करने के िलए होगा ।
(2) िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) की धारा 3 के अधीन स्थािपत और िनयत तारीख से ठीक
पूवर् उस रूप म कायर् कर रहा कदर्ीय िव ुत िविनयामक आयोग उस अिधिनयम के पर्योजन के िलए कदर्ीय आयोग समझा जाएगा और
उसके अध्यक्ष, सदस्य सिचव और अन्य अिधकारी तथा कमर्चारी इस अिधिनयम के अधीन िनयुक्त िकए गए समझे जाएंगे और वे उन्ह
िनबंधन और शत पर पद पर बने रहगे िजन पर वे िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) के अधीन िनयुक्त
िकए गए थे :
परं तु इस अिधिनयम के पर्ारं भ के पूवर्, िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) के अधीन िनयुक्त कदर्ीय
आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्य को के न्दर्ीय सरकार ारा इस अिधिनयम के अधीन िनबंधन और शत के िवकल्प के िलए धारा 78
की उपधारा (1) के अधीन गिठत चयन सिमित की िसफािरश पर अनुज्ञात िकया जा सके गा ।
(3) कदर्ीय आयोग, पूव क्त नाम का शाश्वत उ रािधकार और सामान्य मुदर्ा रखने वाला िनगिमत िनकाय होगा िजसे जंगम
और स्थावर, दोन पर्कार की संपि का अजर्न, धारण और यन करने और संिवदा करने की शिक्त होगी तथा उक्त नाम से वह वाद
लाएगा और उस पर वाद लाया जाएगा ।
(4) कदर्ीय आयोग का पर्धान कायार्लय ऐसे स्थान पर होगा, जो कदर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, िविनिदष्ट करे ।
(5) कदर्ीय आयोग िनम्निलिखत सदस्य से िमलकर बनेगा, अथार्त् :—
(क) अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य;
(ख) पर्ािधकरण का अध्यक्ष जो पदेन सदस्य होगा ।
(6) कदर्ीय आयोग का अध्यक्ष और सदस्य, कदर्ीय सरकार ारा धारा 78 म िनिदष्ट चयन सिमित की िसफािरश पर िनयुक्त
िकए जाएंगे ।
30

77. कदर्ीय आयोग के सदस्य की िनयुिक्त के िलए अहर्ताएं—(1) कदर्ीय आयोग का अध्यक्ष और सदस्य, इं जीिनयरी, िविध,
अथर्शास्तर्, वािणज्य, िव या पर्बंध से संबंिधत समस्या का पयार्प्त ज्ञान, अनुभव और दिशत क्षमता रखने वाले िक्त ह गे और
िनम्निलिखत रीित से िनयुक्त िकए जाएंगे, अथार्त् :—
(क) एक िक्त, जो िव ुत के उत्पादन, पारे षण या िवतरण म िवशेषज्ञता के साथ इं जीिनयरी के क्षेतर् म अहर्ताएं
और अनुभव रखता हो;
(ख) एक िक्त जो िव के क्षेतर् म अहर्ता और अनुभव रखता हो;
(ग) दो िक्त जो अथर्शास्तर्, वािणज्य, िविध या पर्बंध म अहर्ताएं और अनुभव रखते ह :
परं तु खंड (ग) के अधीन एक ही पर्वगर् म से एक से अिधक सदस्य िनयुक्त नह िकए जाएंगे ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, कदर्ीय सरकार ऐसे िक्तय म से िकसी िक्त को अध्यक्ष के रूप म िनयुक्त
कर सके गी जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या िकसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूित है या रहा है :
परं तु इस उपधारा के अधीन कोई िनयुिक्त भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामशर् करने के पश्चात् ही की जाएगी ।
(3) कदर्ीय आयोग का अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य कोई अन्य पद धारण नह करे गा ।
(4) अध्यक्ष कदर्ीय आयोग का मुख्य कायर्पालक होगा ।
78. सदस्य की िसफािरश करने के िलए चयन सिमित का गठन—(1) कदर्ीय सरकार, अपील अिधकरण के सदस्य और
कदर्ीय आयोग के अध्यक्ष और सदस्य का चयन करने के पर्योजन के िलए िनम्निलिखत से िमलकर बनने वाली चयन सिमित का
गठन करे गी—
(क) िव ुत सेक्टर का भारसाधक योजना आयोग का सदस्य ... अध्यक्ष;
(ख) िविध कायर् िवभाग से संबंिधत कदर्ीय सरकार के मंतर्ालय
का भारसाधक सिचव ... सदस्य;
(ग) लोक उ म चयन बोडर् का अध्यक्ष ... सदस्य;
(घ) एक िक्त जो उपधारा (2) के अनुसार कदर्ीय सरकार
ारा नामिनदिशत िकया जाएगा ... सदस्य;
(ङ) एक िक्त जो उपधारा (3) के अनुसार कदर्ीय सरकार
ारा नामिनदिशत िकया जाएगा ... सदस्य;
(च) िव ुत से संबंिधत कदर्ीय सरकार के मंतर्ालय का
भारसाधक सिचव ... सदस्य ।

(2) उपधारा (1) के खंड (घ) के पर्योजन के िलए, कदर्ीय सरकार ऐसे िक्तय म, से जो कं पनी अिधिनयम, 1956
(1956 का 1) की धारा 4क म िविनिदष्ट िकसी लोक िव ीय संस्था म अध्यक्ष या पर्बंध िनदेशक का पद, चाहे वह िकसी भी नाम से
ज्ञात हो, धारण करते ह , नामिनदिशत करे गी ।
(3) उपधारा (1) के खंड (ङ) के पर्योजन के िलए कदर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, इस पर्योजन के िलए िकसी अनुसंधान,
तकनीकी या पर्बंध संस्था के िनदेशक या संस्था के अध्यक्ष का पद, चाहे वह िकसी भी नाम से ज्ञात हो, धारण करने वाले िक्तय म से,
नामिनदशन करे गी ।
(4) िव ुत से संबिं धत कदर्ीय सरकार के मंतर्ालय का भारसाधक सिचव चयन सिमित का संयोजक होगा ।
(5) कदर्ीय सरकार, अपील अिधकरण के िकसी सदस्य या के न्दर्ीय आयोग के अध्यक्ष या िकसी सदस्य की मृत्यु, त्यागपतर् या
उसको हटाए जाने के कारण हुई िकसी िरिक्त की तारीख से एक मास के भीतर और अपील अिधकरण के िकसी सदस्य या के न्दर्ीय
आयोग के सदस्य की अिधविषता या पदाविध की समािप्त से छह मास पूवर् िरिक्त को भरे जाने के िलए चयन सिमित को
िनदश करे गी ।
(6) चयन सिमित, उस तारीख से , िजसको उसे िनदश िकया गया है, तीन मास के भीतर उपधारा (5) म िनिदष्ट अध्यक्ष और
सदस्य के चयन को अंितम रूप देगी ।
(7) चयन सिमित उसको िनिदष्ट पर्त्येक िरिक्त के िलए दो नाम के एक पैनल की िसफािरश करे गी ।
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(8) अपील अिधकरण के सदस्य या कदर्ीय आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म िनयुिक्त के िलए िकसी िक्त की
िसफािरश करने से पूवर् चयन सिमित अपना यह समाधान करे गी िक ऐसे िक्त का कोई िव ीय या ऐसा अन्य िहत नह है िजससे
अध्यक्ष या सदस्य के रूप म उसके कृ त्य पर पर्ितकू ल पर्भाव पड़ने की संभावना है ।
(9) अध्यक्ष या अन्य सदस्य की कोई िनयुिक्त चयन सिमित म िकसी िरिक्त के कारण ही अिविधमान्य नह होगी :
परं तु इस धारा की कोई बात के न्दर्ीय आयोग के अध्यक्ष के रूप म िकसी िक्त की िनयुिक्त को लागू नह होगी जहां ऐसा
िक्त उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूित है या रहा है ।
79. कदर्ीय आयोग के कृ त्य—(1) कदर्ीय आयोग, िनम्निलिखत कृ त्य का िनवर्हन करे गा, अथार्त् :—
(क) कदर्ीय सरकार के स्वािमत्व वाली या उसके ारा िनयंितर्त उत्पादन कं पिनय के टैिरफ का िविनयमन करना;
(ख) खंड (क) म िविनिदष्ट कदर्ीय सरकार के स्वािमत्व वाली या उसके ारा िनयंितर्त उत्पादन कं पिनय से िभन्न
उत्पादन कं पिनय के टैिरफ का िविनयमन करना, यिद ऐसी उत्पादन कं पिनयां एक राज्य से अिधक राज्य म िव ुत के
उत्पादन और िवकर्य के िलए कोई संयुक्त स्कीम बनाती ह या अन्यथा उनकी ऐसी कोई संयुक्त स्कीम है;
(ग) िव त
ु के अंतररािज्यक पारे षण को िविनयिमत करना;
(घ) िव त
ु के अन्तररािज्यक पारे षण के िलए टैिरफ अवधािरत करना;
(ङ) िकन्ह िक्तय को पारे षण अनुज्ञिप्तधारी और उनकी अन्तररािज्यक संिकर्या की बाबत िव ुत ापारी के
रूप म कृ त्य करने के िलए अनुज्ञिप्त जारी करना;
(च) उपयुर्क्त खंड (क) से खंड (घ) तक से संसक्त िवषय के संबंध म उत्पादन कं पिनय या पारे षण
अनुज्ञिप्तधािरय को अंतवर्िलत करने वाले िववाद का न्यायिनणर्यन करना और माध्यस्थम् के िलए िकसी िववाद को
िनिदष्ट करना;
(छ) इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए फीस उद्गृहीत करना;
(ज) िगर्ड मानक को ध्यान म रखते हुए िगर्ड कोड िविनिदष्ट करना;
(झ) अनुज्ञिप्तधािरय ारा सेवा की क्वािलटी, िनरं तरता और िवश्वसनीयता के संबंध म मानक को िविनिदष्ट
और पर्वृ करना;
(ञ) िव ुत के अंतररािज्यक ापार म, यिद आवश्यक समझा जाए, तो ापार अन्तर को िनयत करना;
(ट) ऐसे अन्य कृ त्य का िनवर्हन करना जो इस अिधिनयम के अधीन समनुदिे शत िकए जाएं ।
(2) के न्दर्ीय आयोग, िनम्निलिखत सभी या िकन्ह िवषय पर के न्दर्ीय सरकार को सलाह देगा, अथार्त् :—
(i) राष्टर्ीय िव ुत नीित और टैिरफ नीित का बनाना;
(ii) िव ुत उ ोग के िकर्याकलाप म पर्ितस्पधार्, दक्षता और िमत ियता का संव न
र् ;
(iii) िव ुत उ ोग म िविनधान का संवधर्न;
(iv) सरकार ारा कदर्ीय आयोग को िनिदष्ट कोई अन्य िवषय ।
(3) के न्दर्ीय आयोग, अपनी शिक्तय का पर्योग और अपने कृ त्य का िनवर्हन करते समय पारदिशता सुिनिश्चत करे गा ।
(4) के न्दर्ीय आयोग, अपने कृ त्य के िनवर्हन म, धारा 3 के अधीन पर्कािशत राष्टर्ीय िव ुत नीित, राष्टर्ीय िव ुत योजना और
टैिरफ नीित से मागर्दिशत होगा ।
80. के न्दर्ीय सलाहकार सिमित—(1) के न्दर्ीय आयोग, अिधसूचना ारा, उस तारीख से जो वह उक्त अिधसूचना म िविनिदष्ट
करे , एक सिमित स्थािपत करे गा जो के न्दर्ीय सलाहकार सिमित के नाम से ज्ञात होगी ।
(2) के न्दर्ीय सलाहकार सिमित म वािणज्य, उ ोग, पिरवहन, कृ िष, शर्म, उपभोक्ता, गैर-सरकारी संगठन और िव ुत सेक्टर
म शैक्षिणक और अनुसध ं ान िनकाय के िहत का पर्ितिनिधत्व करने वाले इकतीस से अनिधक सदस्य ह गे ।
(3) के न्दर्ीय आयोग का अध्यक्ष, के न्दर्ीय सलाहकार सिमित का पदेन अध्यक्ष होगा और उक्त आयोग के सदस्य और उपभोक्ता
मामले तथा लोक िवतरण पर्णाली मंतर्ालय या िवभाग का भारसाधक भारत सरकार का सिचव, सिमित के पदेन सदस्य ह गे ।
81. के न्दर्ीय सलाहकार सिमित के उ ेश्य—के न्दर्ीय सलाहकार सिमित का उ ेश्य के न्दर्ीय आयोग को िनम्निलिखत पर सलाह
देना होगा—
(i) नीित संबंधी मुख्य पर्श्न;
32

(ii) अनुज्ञिप्तधािरय ारा पर्दान की गई सेवा की क्वािलटी, िनरं तरता और िवस्तार से संबंिधत िवषय;
(iii) अनुज्ञिप्तधािरय ारा उनकी अनुज्ञिप्त की शत और अपेक्षा का अनुपालन;
(iv) उपभोक्ता िहत का संरक्षण;
(v) िव ुत पर्दाय और उपयोिगता ारा िनष्पादन के समगर् मानदंड ।
राज्य आयोग का गठन, उनकी शिक्तयां और कृ त्य
82. राज्य आयोग का गठन—(1) पर्त्येक राज्य सरकार, िनयत तारीख से छह मास के भीतर अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम
के पर्योजन के िलए राज्य के िलए एक आयोग गिठत करे गी जो (राज्य का नाम) िव ुत िविनयामक आयोग के रूप म ज्ञात होगा :
परं तु िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) की धारा 17 और अनुसूची म िविनिदष्ट अिधिनयिमितय
के अधीन िकसी राज्य सरकार ारा स्थािपत और िनयत तारीख से ठीक पूवर् उस रूप म कायर् कर रहा राज्य िव ुत िविनयामक आयोग,
इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए राज्य आयोग होगा और उसके अध्यक्ष, सदस्य, सिचव और अिधकारी तथा अन्य कमर्चारी उन्ह
िनबंधन और शत पर, िजन पर वे उक्त अिधिनयम के अधीन िनयुक्त िकए गए थे, अपना पद धारण करते रहगे :
परं तु यह और िक िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) के अधीन या अनुसच ू ी म िविनिदष्ट
अिधिनयिमितय के अधीन, इस अिधिनयम के पर्ारं भ से पूवर्, िनयुक्त राज्य आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्य को, संब राज्य
सरकार ारा इस अिधिनयम के अधीन िनबंधन और शत को स्वीकार करने के िलए धारा 85 की उपधारा (1) के अधीन गिठत चयन
सिमित की िसफािरश पर अनुज्ञात िकया जा सके गा ।
(2) राज्य आयोग पूव क्त नाम का एक िनगिमत िनकाय होगा िजसका शाश्वत उ रािधकार और सामान्य मुदर्ा होगी और
िजसे स्थावर और जंगम, दोन ही संपि य का अजर्न, धारण और यन करने तथा संिवदा करने की शिक्त होगी और उक्त नाम से वह
वाद लाएगा या उसके िवरु वाद लाया जाएगा ।
(3) राज्य आयोग का पर्धान कायार्लय उस स्थान पर होगा जो राज्य सरकार अिधसूचना ारा िविनिदष्ट करे ।
(4) राज्य आयोग तीन सदस्य से अनिधक से िमलकर बनेगा िजसम अध्यक्ष सिम्मिलत है ।
(5) राज्य आयोग का अध्यक्ष और सदस्य, राज्य सरकार ारा धारा 85 म िनिदष्ट चयन सिमित की िसफािरश पर िनयुक्त
िकए जाएंगे ।
83. संयक्
ु त आयोग—(1) धारा 82 म अंतिवष्ट िकसी पर्ितकू ल बात के होते हुए भी,—
(क) दो या अिधक राज्य सरकार ारा ; या
(ख) एक या अिधक संघ राज्यक्षेतर् और एक या अिधक राज्य सरकार के संबंध म, के न्दर्ीय सरकार ारा,
िकए गए िकसी करार ारा एक संयुक्त आयोग गिठत िकया जा सके गा और वह इतनी अविध के िलए पर्वृ होगा तथा उतनी और
अविध के िलए, यिद कोई हो, नवीकरण के अधीन होगा, जो करार म अनुबिन्धत है :
परं तु िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14) की धारा 21क के अधीन गिठत और िनयत िदन से ठीक
पूवर् उस रूप म कायर् कर रहा संयुक्त आयोग, इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए संयुक्त आयोग होगा और उसके अध्यक्ष, सदस्य ,
सिचव और अन्य अिधकािरय तथा कमर्चािरय को इस अिधिनयम के अधीन उस पर्कार िनयुक्त िकया गया समझा जाएगा तथा वे
उन्ह िनबंधन और शत पर पद धारण करते रहगे िजन पर िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 के अधीन वे िनयुक्त िकए
गए थे ।
(2) संयुक्त आयोग म भाग लेने वाले राज्य और संघ राज्यक्षेतर् म से पर्त्येक से एक सदस्य होगा और सदस्य म से अध्यक्ष,
सदस्य के मतैक्य से और वैसा न हो सकने पर चकर्ानुकर्म से िनयुक्त िकया जाएगा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन िकसी करार म, संयुक्त आयोग के नाम से, उस रीित से िजसम भाग लेने वाले राज्य संयुक्त
आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के चयन म सहयोिजत िकए जा सकगे, सदस्य की िनयुिक्त की रीित और चकर्ानुकर्म या सवर्सम्मित ारा
अध्यक्ष की िनयुिक्त से, उन स्थान से जहां आयोग बैठक करे गा, संयुक्त आयोग से संबंिधत य का भाग लेने वाले राज्य के बीच
पर्भाजन से, उस रीित से िजसम संयुक्त आयोग और संबं राज्य सरकार के बीच मतवैिभन्य दूर िकए जा सकगे, संबंिधत उपबंध ह गे
और इस अिधिनयम से संगत ऐसे अन्य अनुपूरक, आनुषंिगक तथा पािरणािमक उपबंध भी अंतिवष्ट हो सकगे जो करार को पर्भावी करने
के िलए आवश्यक या समीचीन समझे जाएं ।
(4) संयुक्त आयोग, भाग लेने वाले राज्य या संघ राज्यक्षेतर् की बाबत टैिरफ का अवधारण पृथक् -पृथक् और स्वतंतर् रूप
से करे गा ।
33

(5) इस धारा म िकसी बात के होते हुए भी, के न्दर्ीय सरकार, यिद उसे सभी भाग लेने वाले राज्य ारा इस पर्कार पर्ािधकृ त
िकया गया हो, तो एक संयुक्त आयोग का गठन कर सके गी और उपधारा (3) म िविनिदष्ट सभी या िकन्ह िवषय की बाबत शिक्तय
का और िवशेषतः भाग लेने वाले राज्य ारा इस पर्कार पर्ािधकृ त शिक्तय का पर्योग कर सके गी ।
84. राज्य आयोग के अध्यक्ष, और सदस्य की िनयुिक्त के िलए अहर्ताएं—(1) राज्य आयोग का अध्यक्ष और सदस्य योग्यता,
कतर् िनष्ठा और अनुभव रखने वाले ऐसे िक्त ह गे िजनके पास इं जीिनयरी, िव , वािणज्य, अथर्शास्तर्, िविध या पर्बंध से संबंिधत
समस्या के बारे म कारर् वाई करने का पयार्प्त ज्ञान हो और उन्ह ने उसम क्षमता पर्दिशत की हो ।
(2) उपधारा (1) म अंतिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार, ऐसे िक्तय म से जो उच्च न्यायालय के
न्यायाधीश ह या रहे ह, िकसी िक्त को अध्यक्ष के रूप म िनयुक्त कर सके गी :
परं तु इस उपधारा के अधीन कोई िनयुिक्त उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूित के साथ परामशर् करने के पश्चात् ही की
जाएगी अन्यथा नह ।
(3) राज्य आयोग का अध्यक्ष या कोई सदस्य कोई अन्य पद धारण नह करे गा ।
(4) अध्यक्ष, राज्य आयोग का मुख्य कायर्पालक होगा ।
85. राज्य आयोग के सदस्य का चयन करने के िलए चयन सिमित का गठन—(1) राज्य सरकार, राज्य आयोग के सदस्य का
चयन करने के पर्योजन के िलए, एक चयन सिमित का गठन करे गी िजसम िनम्निलिखत ह गे :—
(क) एक िक्त, जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा है —अध्यक्ष;
(ख) संब राज्य का मुख्य सिचव —सदस्य;
(ग) पर्ािधकरण का अध्यक्ष या के न्दर्ीय आयोग का अध्यक्ष —सदस्य:
परं तु इस धारा की कोई बात अध्यक्ष के रूप म िकसी ऐसे िक्त, जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है, की
िनयुिक्त को लागू नह होगी ।
(2) राज्य सरकार, िकसी अध्यक्ष या सदस्य की मृत्यु, त्यागपतर् या उसके हटाए जाने के कारण हुई िकसी िरिक्त की तारीख से
एक मास के भीतर और िकसी अध्यक्ष या सदस्य की अिधविषता या कालाविध की समािप्त के छह मास पूवर्, िरिक्त को भरने के िलए
चयन सिमित को िनदश करे गी ।
(3) चयन सिमित, उसको िनदश िकए जाने की तारीख से तीन मास के भीतर अध्यक्ष और सदस्य के चयन को अंितम
रूप देगी ।
(4) चयन सिमित, उसे िनदिशत पर्त्येक िरिक्त के िलए दो नाम के एक पैनल की िसफािरश करे गी ।
(5) चयन सिमित, राज्य आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म िनयुिक्त के िलए िकसी िक्त की िसफािरश करने से
पूवर् अपना यह समाधान करे गी िक ऐसे िक्त का ऐसा कोई िव ीय या अन्य िहत नह है िजससे, यथािस्थित, अध्यक्ष या सदस्य के रूप
म उसके कृ त्य पर पर्ितकू ल पर्भाव पड़ने की संभावना है ।
(6) अध्यक्ष या अन्य सदस्य की कोई िनयुिक्त, के वल इस आधार पर अिविधमान्य नह होगी की चयन सिमित म कोई
िरिक्त है ।
86. राज्य आयोग के कृ त्य—(1) राज्य आयोग िनम्निलिखत कृ त्य का िनवर्हन करे गा, अथार्त् :—
(क) राज्य के भीतर, यथािस्थित, थोक, पर्पुंज या फु टकर िव ुत के उत्पादन, पर्दाय, पारे षण और चकर्ण के िलए
टैिरफ अवधािरत करना :
परं तु जहां उपभोक्ता के िकसी पर्वगर् के िलए धारा 42 के अधीन िनबार्ध पहुंच अनुज्ञात की गई है, वहां राज्य
आयोग उपभोक्ता के उक्त पर्वगर् के िलए के वल चकर्ण पर्भार और उस पर अिधभार, यिद कोई हो, का ही
अवधारण करे गा;
(ख) िवतरण अनुज्ञिप्तधािरय की िव ुत कर्य और उपापन पर्िकर्या को िविनयिमत करना िजसके अंतगर्त वह कीमत
भी है िजस पर िव ुत, राज्य म िवतरण और पर्दाय के िलए िव ुत कर्य के करार के माध्यम से उत्पादन कं पिनय या
अनुज्ञिप्तधािरय से या अन्य सर्ोत से उपाप्त की जाएगी;
(ग) िव त
ु के अंतःरािज्यक पारे षण और चकर्ण को सुकर बनाना;
(घ) ऐसे िक्तय को, जो राज्य म अपनी संिकर्या की बाबत पारे षण अनुज्ञिप्तधािरय , िवतरण
अनुज्ञिप्तधािरय और िव ुत ापािरय के रूप म कायर् करने के इच्छु क ह, अनुज्ञिप्तयां जारी करना;
34

(ङ) िकसी िक्त को, िव ुत की िगर्ड के साथ संयोजकता और उसके िवकर्य के िलए उपयुक्त साधन उपलब्ध
कराते हुए ऊजार् के नवीकरणीय सर्ोत से सहउत्पादन और उत्पादन और ऐसे सर्ोत से िव त
ु के कर्य के िलए िकसी िवतरण
अनुज्ञिप्तधारी के क्षेतर् म िव ुत की कु ल खपत का पर्ितशत भी िविनिदष्ट करना;
(च) अनुज्ञिप्तधािरय और उत्पादन कं पिनय के बीच िववाद पर न्यायािनणर्यन करना और िकसी िववाद को
माध्यस्थम् के िलए िनदिशत करना;
(छ) इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए फीस उद्गृहीत करना;
(ज) धारा 79 की उपधारा (1) के खण्ड (ज) के अधीन िविनिदष्ट िगर्ड कोड से संगत राज्य िगर्ड कोड
िविनिदष्ट करना;
(झ) अनुज्ञिप्तधािरय ारा सेवा की क्वािलटी, िनरन्तरता और िवश्वसनीयता की बाबत मानदंड िविनिदष्ट या
पर्वितत करना;
(ञ) िव ुत के अंतररािज्यक ापार म, यिद आवश्यक समझा जाए, तो ापार लाभ माजर्न िनयत करना;
(ट) ऐसे अन्य कृ त्य का िनवर्हन करना, जो इस अिधिनयम के अधीन उसे समनुदिे शत िकए जाएं ।
(2) राज्य आयोग, िनम्निलिखत सभी या िकन्ह िवषय पर राज्य सरकार को सलाह देगा, अथार्त् :—
(i) िव ुत उ ोग के िकर्याकलाप म पर्ितस्पधार्, दक्षता और िमत ियता का संवधर्न;
(ii) िव ुत उ ोग म िविनधान का संवधर्न;
(iii) राज्य म िव ुत उ ोग का पुनगर्ठन और पुनःसंरचना;
(iv) िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण और ापार से संबंिधत िवषय या उस सरकार ारा राज्य
आयोग को िनदिशत कोई अन्य िवषय ।
(3) राज्य आयोग, अपनी शिक्तय का पर्योग और अपने कृ त्य का िनवर्हन करते समय पारदिशता सुिनिश्चत करे गा ।
(4) राज्य आयोग, अपने कृ त्य के िनवर्हन म धारा 3 के अधीन पर्कािशत राष्टर्ीय िव ुत नीित, राष्टर्ीय िव ुत योजना और
टैिरफ नीित से मागर्दिशत होगा ।
87. राज्य सलाहकार सिमित—(1) राज्य आयोग, अिधसूचना ारा, ऐसी तारीख से जो वह िकसी अिधसूचना म िविनिदष्ट
करे , एक सिमित स्थािपत करे गा जो, राज्य सलाहकार सिमित के नाम से ज्ञात होगी ।
(2) राज्य सलाहकार सिमित, वािणज्य, उ ोग, पिरवहन, कृ िष, शर्म, उपभोक्ता, गैर-सरकारी संगठन और िव ुत सेक्टर म
शैक्षिणक तथा अनुसंधान िनकाय के िहत का पर्ितिनिधत्व करने वाले इक्कीस से अनिधक सदस्य से िमलकर बनेगी ।
(3) राज्य आयोग का अध्यक्ष, राज्य सलाहकार सिमित का पदेन अध्यक्ष होगा और राज्य आयोग के सदस्य तथा उपभोक्ता
मामले तथा लोक िवतरण पर्णाली से संबंिधत मंतर्ालय या िवभाग का भारसाधक राज्य सरकार का सिचव, सिमित के पदेन
सदस्य ह गे ।
88. राज्य सलाहकार सिमित के उ ेश्य—राज्य सलाहकार सिमित के उ ेश्य िनम्निलिखत के संबंध म राज्य आयोग को सलाह
देने ह गे—
(i) नीित संबंधी मुख्य पर्श्न;
(ii) अनुज्ञिप्तधािरय ारा पर्दान की गई सेवा की क्वािलटी, िनरं तरता और िवस्तार से संबंिधत िवषय;
(iii) अनुज्ञिप्तधािरय ारा उनकी अनुज्ञिप्तय की शत और अपेक्षा का अनुपालन;
(iv) उपभोक्ता िहत का संरक्षण; और
(v) िव ुत पर्दाय और उपयोिगता ारा िनष्पादन के समगर् मानदंड ।
समुिचत आयोग — अन्य उपबंध
89. सदस्य की पदाविध और सेवा-शत—(1) अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य उस तारीख से, िजसको वह पद गर्हण करता है,
पाँच वषर् की अविध के िलए पद धारण करे गा :
परं तु कदर्ीय आयोग या राज्य आयोग म अध्यक्ष या अन्य सदस्य उस आयोग म अध्यक्ष या सदस्य के रूप म उसी हैिसयत म
पुनिनयुिक्त का पातर् नह होगा िजसम वह पहले उस रूप म पद धािरत करता था :
परं तु यह और िक कोई अध्यक्ष या सदस्य पसठ वषर् की आयु पर्ाप्त कर लेने के पश्चात् उस रूप म पद धारण नह करे गा ।
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(2) अध्यक्ष और सदस्य के वेतन, भ े और सेवा के अन्य िनबंधन और शत वे ह गी जो समुिचत सरकार ारा िविहत
की जाएं :
परन्तु सदस्य के वेतन, भ और सेवा के अन्य िनबंधन और शत म, िनयुिक्त के पश्चात् उनके िलए अलाभकर कोई
पिरवतर्न नह िकया जाएगा ।
(3) पर्त्येक सदस्य, अपना पद गर्हण करने से पूवर्, ऐसे पर्रूप म और ऐसी रीित से तथा ऐसे पर्ािधकारी के समक्ष, जो िविहत
िकया जाए, अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेगा और उस पर हस्ताक्षर करे गा ।
(4) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, कोई सदस्य—
(क) समुिचत सरकार को तीन मास से अन्यून की िलिखत सूचना देकर अपना पद त्याग सके गा; या
(ख) धारा 90 के उपबंध के अनुसार अपने पद से हटाया जा सके गा ।
(5) कोई सदस्य, उस रूप म अपने पद पर न रह जाने पर—
(क) उस तारीख से िजसको वह अपने पद पर नह रह जाता है, दो वषर् की अविध तक कोई वािणिज्यक िनयोजन
स्वीकार नह करे गा ; और
(ख) के न्दर्ीय आयोग या िकसी राज्य आयोग के समक्ष िकसी िक्त का िकसी भी रीित से पर्ितिनिधत्व नह करे गा ।
स्पष्टीकरण—इस उपधारा के पर्योजन के िलए, “वािणिज्यक िनयोजन” से िकसी ऐसे संगठन म जो समुिचत आयोग के समक्ष
िकसी कायर्वाही म कोई पक्षकार रहा है, िकसी हैिसयत म िनयोजन या िव ुत उ ोग म ापार, वािणिज्यक, औ ोिगक या िव ीय
कारबार म लगे हुए िकसी िक्त के अधीन या उसके अिभकरण म िकसी हैिसयत म िनयोजन अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त कं पनी का
िनदेशक या फमर् का भागीदार या ऐसा िक्त भी है, जो स्वतंतर् रूप से या फमर् के भागीदार के रूप म या िकसी सलाहकार या परामश
के रूप म वसाय स्थािपत कर रहा है ।
90. सदस्य का हटाया जाना—(1) िकसी सदस्य को इस धारा के उपबंध के अनुसार के िसवाय पद से नह हटाया जाएगा ।
(2) के न्दर्ीय आयोग के सदस्य की दशा म, कदर्ीय सरकार और राज्य आयोग के सदस्य की दशा म राज्य सरकार, आदेश ारा
िकसी सदस्य को पद से हटा सके गी, यिद वह—
(क) िदवािलया न्यायिनण त िकया गया है;
(ख) िकसी ऐसे अपराध के िलए िस दोष ठहराया गया है िजसम, समुिचत सरकार की राय म नैितक अधमता
अन्तवर्िलत है;
(ग) सदस्य के रूप म कायर् करने म शारीिरक या मानिसक रूप से असमथर् हो गया है;
(घ) उसने ऐसा िव ीय या अन्य िहत अिजत कर िलया है िजससे सदस्य के रूप म उसके कृ त्य पर पर्ितकू ल पर्भाव
पड़ने की संभावना है;
(ङ) अपनी िस्थित का ऐसे दुरुपयोग िकया है िजससे उसके पद पर बने रहने से लोकिहत पर पर्ितकू ल पर्भाव
पड़ेगा; या
(च) वह सािबत कदाचार का दोषी रहा है :
परं तु कोई भी सदस्य, खंड (घ), खंड (ङ) और खंड (च) म िविनिदष्ट िकसी आधार पर अपने पद से तब तक नह हटाया
जाएगा जब तक िक, अपील अिधकरण के अध्यक्ष ने यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ारा इस िनिम उसे िकए गए
िनदश पर ऐसी जांच के पश्चात्, जो उसके ारा के न्दर्ीय सरकार ारा िविहत की गई पर्िकर्या के अनुसार की गई हो, यह िरपोटर् न दी हो
िक उक्त सदस्य को ऐसे आधार या आधार पर पद से हटा िदया जाना चािहए ।
(3) यथािस्थित, के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार अपील अिधकरण के अध्यक्ष के परामशर् से समुिचत आयोग के िकसी ऐसे
सदस्य को िजसके संबंध म, अपील अिधकरण के अध्यक्ष को उपधारा (2) के अधीन िनदश िकया गया है जब तक िक, यथािस्थित,
के न्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार ने ऐसे िनदश पर अपील अिधकरण के अध्यक्ष की िरपोटर् की पर्ािप्त पर आदेश पािरत न िकए ह ,
अध्यक्ष िनलंिबत कर सके गा :
परं तु इस धारा म की कोई बात समुिचत आयोग के ऐसे अध्यक्ष को जो अपनी िनयुिक्त के समय, उच्चतम न्यायालय का
आसीन न्यायाधीश या िकसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूित या िकसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है, लागू नह होगी ।
समुिचत आयोग की कायर्वािहयां और शिक्तयां
91. आयोग के सिचव, अिधकारी और अन्य कमर्चािरवृद ं —(1) समुिचत आयोग, ऐसी शिक्तय का पर्योग और ऐसे कतर् का
पालन करने के िलए, जो िविनिदष्ट िकए जाएं, एक सिचव की िनयुिक्त कर सके गा ।
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(2) समुिचत आयोग, समुिचत सरकार के अनुमोदन से अन्य अिधकािरय और कमर्चािरय की संख्या, पर्कृ ित और पर्वगर्
िविनिदष्ट कर सके गा ।
(3) सिचव, अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय को संदय
े वेतन और भ े तथा सेवा के अन्य िनबंधन और शत वे ह गी जो
समुिचत सरकार के अनुमोदन से िविनिदष्ट की जाएं ।
(4) समुिचत आयोग, आयोग की, उसके कृ त्य के िनवर्हन म सहायता करने के िलए अपेिक्षत परामश को ऐसे िनबन्धन और
शत पर, जो िविनिदष्ट की जाएं िनयुक्त कर सके गा ।
92. समुिचत आयोग की कायर्वािहयां—(1) समुिचत आयोग, पर्धान कायार्लय या िकसी अन्य स्थान पर और ऐसे समय पर
अिधवेशन करे गा जैसा अध्यक्ष िनदेश दे और अपने अिधवेशन म कारबार के सं वहार के संबंध म पर्िकर्या के ऐसे िनयम का पालन
करे गा (िजसम उसके अिधवेशन म गणपूित भी है) जो िविनिदष्ट िकए जाएं ।
(2) अध्यक्ष, या यिद वह समुिचत आयोग के अिधवेशन म उपिस्थत होने म असमथर् है तो अध्यक्ष ारा इस िनिम
नामिनदिशत कोई अन्य सदस्य और ऐसे नामिनदशन के अभाव म या जहां कोई अध्यक्ष नह है वहां उपिस्थत सदस्य ारा अपने म से
चुना गया कोई सदस्य अिधवेशन की अध्यक्षता करे गा ।
(3) ऐसे सभी पर्श्न का जो समुिचत आयोग के िकसी अिधवेशन के समक्ष आएं, उपिस्थत और मत देने वाले सदस्य के बहुमत
ारा िविनश्चय िकया जाएगा और मत बराबर होने की दशा म अध्यक्ष या उसकी अनुपिस्थित म पीठासीन िक्त का ि तीय या
िनणार्यक मत होगा ।
(4) उपधारा (3) म जैसा उपबंिधत है उसके िसवाय, पर्त्येक सदस्य का एक मत होगा ।
(5) समुिचत आयोग के सभी आदेश और िविनश्चय आयोग के सिचव या िकसी अन्य अिधकारी ारा, िजसे अध्यक्ष ारा इस
िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त िकया जाए, अिधपर्मािणत िकए जाएंगे ।
93. िरिक्तय आिद से कायर्वािहय का अिविधमान्य न होना—समुिचत आयोग का कोई कायर् या कायर्वाही के वल इस आधार
पर पर्श्नगत नह की जाएगी या अिविधमान्य नह होगी िक समुिचत आयोग के गठन म कोई िरिक्त या तर्ुिट है ।
94. समुिचत आयोग की शिक्तयां—(1) समुिचत आयोग को इस अिधिनयम के अधीन िकसी जांच या कायर्वािहय के
पर्योजन के िलए वही शिक्तयां पर्ाप्त ह गी जो िनम्निलिखत िवषय के संबंध म िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन
िसिवल न्यायालय म िनिहत ह, अथार्त् :—
(क) िकसी िक्त को समन करना और उसको हािजर कराना और उसकी शपथ पर परीक्षा करना;
(ख) सा य के रूप म पर्स्तुत िकए जाने योग्य िकसी दस्तावेज या अन्य सामगर्ी का पर्कटीकरण और पर्स्तुतीकरण;
(ग) शपथपतर् पर सा य पर्ाप्त करना;
(घ) िकसी लोक अिभलेख की अध्यपेक्षा करना;
(ङ) सािक्षय की परीक्षा के िलए कमीशन िनकालना;
(च) अपने िविनश्चय , िनदेश और आदेश का पुनिवलोकन करना;
(छ) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकया जाए ।
(2) समुिचत आयोग को, समुिचत आयोग के समक्ष िकसी कायर्वाही सुनवाई या िवषय म ऐसा अंतिरम आदेश पािरत करने
की शिक्तयां ह गी िजसे आयोग समुिचत समझे ।
(3) समुिचत आयोग, अपने समक्ष कायर्वािहय म उपभोक्ता के िहत का पर्ितिनिधत्व करने के िलए िकसी ऐसे िक्त को
पर्ािधकृ त कर सके गा िजसे वह ठीक समझे ।
95. आयोग के समक्ष कायर्वािहयां—समुिचत आयोग के समक्ष सभी कायर्वािहयां, भारतीय दंड संिहता (1860 का 45)
की धारा 193 और धारा 228 के अथार्ंतगर्त न्याियक कायर्वािहयां समझी जाएंगी और समुिचत आयोग को दंड पर्िकर्या संिहता, 1973
(1974 का 2) की धारा 345 और धारा 346 के पर्योजन के िलए िसिवल न्यायालय समझा जाएगा ।
96. पर्वेश और अिभगर्हण की शिक्तयां—समुिचत आयोग या आयोग ारा इस िनिम िवशेष रूप से पर्ािधकृ त राजपितर्त
अिधकारी की पंिक्त से अिनम्न कोई अिधकारी, ऐसे िकसी भवन या स्थान म पर्वेश कर सके गा जहां आयोग के पास यह िवश्वास करने
का कारण है िक जांच की िकसी िवषयवस्तु से संबंिधत कोई दस्तावेज वहां पर पाया जा सकता है, और ऐसे िकसी दस्तावेज को
अिभगृहीत कर सके गा या दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 100 के उपबंध के अधीन रहते हुए, जहां तक वह लागू
होती हो, उस दस्तावेज से उ रण या उसकी पर्ितयां ले सके गा ।
97. पर्त्यायोजन—समुिचत आयोग, साधारण या िवशेष िलिखत आदेश ारा ऐसी शत के अधीन, यिद कोई ह , जो इस
आदेश म िविनिदष्ट की जाएं, इस अिधिनयम के अधीन अपनी ऐसी शिक्तय और कृ त्य को (धारा 79 और धारा 86 के अधीन िववाद
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के िनपटारे और धारा 178 या धारा 181 के अधीन िविनयम बनाने की शिक्त को छोड़कर) जो वह आवश्यक समझे, कदर्ीय या राज्य
आयोग के िकसी सदस्य, अिधकारी या िकसी अन्य िक्त को, पर्त्यायोिजत कर सके गा ।
अनुदान, िनिध, लेख,े लेखा-परीक्षा और िरपोटर्
98. के न्दर्ीय सरकार ारा अनुदान और उधार—के न्दर्ीय सरकार, संसद् ारा इस िनिम िकए गए सम्यक् िविनयोग के
पश्चात्, के न्दर्ीय आयोग को ऐसी धनरािशय के अनुदान और उधार दे सके गी जो वह सरकार आवश्यक समझे ।
99. के न्दर्ीय सरकार ारा िनिध की स्थापना—(1) के न्दर्ीय िव ुत िविनयामक आयोग िनिध के नाम से ज्ञात एक िनिध का
गठन िकया जाएगा और उसम िनम्निलिखत जमा िकए जाएंगे :—
(क) धारा 98 के अधीन के न्दर्ीय आयोग को िदया गया कोई अनुदान और उधार;
(ख) इस अिधिनयम के अधीन के न्दर्ीय आयोग ारा पर्ाप्त की गई सभी फीस;
(ग) के न्दर्ीय आयोग ारा ऐसे अन्य सर्ोत से, जो के न्दर्ीय सरकार ारा िविनिश्चत िकए जाएं, पर्ाप्त सभी रािशयां ।
(2) िनिध िनम्निलिखत को पूरा करने के िलए उपयोिजत की जाएगी—
(क) के न्दर्ीय आयोग के अध्यक्ष, सदस्य , सिचव, अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय के वेतन, भ े और अन्य
पािरशर्िमक;
(ख) धारा 79 के अधीन के न्दर्ीय आयोग के कृ त्य के िनवर्हन के खच;
(ग) इस अिधिनयम ारा पर्ािधकृ त उ ेश्य पर और पर्योजन के िलए खचर् ।
(3) के न्दर्ीय सरकार, भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक के परामशर् से, उपधारा (2) के खंड (ख) या खंड (ग) म िविनिदष्ट
य को पूरा करने के िलए िनिध का उपयोजन करने की रीित िविहत कर सके गी ।
100. के न्दर्ीय आयोग के लेखे और लेखापरीक्षा—(1) कदर्ीय आयोग, उिचत लेखे और अन्य सुसंगत अिभलेख रखेगा और
लेखा का एक वािषक िववरण, ऐसे पर्रूप म तैयार करे गा जो कदर्ीय सरकार, भारत के िनयंतर्क-महालेखपरीक्षक के परामशर् से,
िविहत करे ।
(2) कदर्ीय आयोग के लेखा की लेखापरीक्षा भारत का िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक ऐसे अंतराल पर करे गा जो उसके ारा
िविनिदष्ट िकए जाएं और ऐसी लेखापरीक्षा के संबंध म उपगत कोई य, कदर्ीय आयोग ारा भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक को
संदय
े होगा ।
(3) भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक और इस अिधिनयम के अधीन कदर्ीय आयोग के लेखा की लेखापरीक्षा के संबंध म
उसके ारा िनयुक्त िकसी िक्त के उस लेखापरीक्षा के संबंध म वही अिधकार, िवशेषािधकार तथा पर्ािधकार ह गे, जो भारत के
िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक के सरकारी लेखा की संपरीक्षा के संबंध म ह, और उसे िविशष्टतः कदर्ीय आयोग की बिहय , लेखा ,
संबंिधत वाउचर और अन्य दस्तावेज तथा कागज-पतर् को पेश िकए जाने की मांग करने और उसके िकसी भी कायार्लय का िनरीक्षण
करने का अिधकार होगा ।
(4) भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक या इस िनिम उसके ारा िनयुक्त िकसी अन्य िक्त ारा यथापर्मािणत, कदर्ीय
आयोग के लेखे, उनकी लेखापरीक्षा िरपोटर् के साथ वािषक रूप से कदर्ीय सरकार को अगर्ेिषत िकए जाएंगे और वह सरकार, उसके पर्ाप्त
होने पर यथाशीघर् उसे संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष रखवाएगी ।
101. के न्दर्ीय आयोग की वािषक िरपोटर्—(1) कदर्ीय आयोग, पर्त्येक वषर् म एक बार ऐसे पर्रूप म और ऐसे समय पर, जो
िविहत िकया जाए, अपनी वािषक िरपोटर् तैयार करे गा, िजसम पूवर्वत वषर् के दौरान उसके िकर्याकलाप का सारांश होगा और िरपोटर्
की पर्ितयां कदर्ीय सरकार को भेजेगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्ाप्त िरपोटर् की पर्ित, पर्ािप्त के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी ।
102. राज्य सरकार ारा अनुदान और उधार—राज्य सरकार, राज्य िवधान-मंडल ारा इस िनिम िकए गए सम्यक्
िविनयोग के पश्चात्, राज्य आयोग को ऐसी रािशय के अनुदान और उधार दे सके गी जो वह सरकार आवश्यक समझे ।
103. राज्य सरकार ारा िनिध की स्थापना—(1) राज्य िव ुत िविनयामक आयोग िनिध के नाम से ज्ञात एक िनिध का गठन
िकया जाएगा और उसम िनम्निलिखत जमा िकए जाएंगे :—
(क) धारा 102 के अधीन राज्य सरकार ारा राज्य आयोग को िदया गया कोई अनुदान और उधार;
(ख) इस अिधिनयम के अधीन राज्य आयोग ारा पर्ाप्त की गई सभी फीस;
(ग) राज्य आयोग ारा ऐसे अन्य सर्ोत से, जो राज्य सरकार ारा िविनिश्चत िकए जाएं, पर्ाप्त सभी रािशयां ।
(2) िनिध िनम्निलिखत को पूरा करने के िलए उपयोिजत की जाएगी—
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(क) राज्य आयोग के अध्यक्ष, सदस्य , सिचव, अिधकािरय और अन्य कमर्चािरय के वेतन, भ े और अन्य
पािरशर्िमक;
(ख) धारा 86 के अधीन राज्य आयोग के कृ त्य के िनवर्हन के व्यय;
(ग) इस अिधिनयम ारा पर्ािधकृ त उ ेश्य पर और पर्योजन के िलए व्यय ।
(3) राज्य सरकार, भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक के परामशर् से, उपधारा (2) के खंड (ख) या खंड (ग) म िविनिदष्ट
व्यय को पूरा करने के िलए िनिध का उपयोजन करने की रीित िविहत कर सके गी ।
104. राज्य आयोग के लेखे और लेखापरीक्षा—(1) राज्य आयोग, उिचत लेखे और अन्य सुसंगत अिभलेख रखेगा और वािषक
लेखा िववरण, ऐसे पर्रूप म तैयार करे गा जो राज्य सरकार ारा भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक के परामशर् से िविहत िकया जाए ।
(2) राज्य आयोग के लेखा की, भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक ारा ऐसे समय और अन्तराल पर, जो उसके ारा
िविनिदष्ट िकए जाएं, लेखापरीक्षा की जाएगी और ऐसी लेखापरीक्षा के संबंध म उपगत कोई व्यय, राज्य आयोग ारा भारत के
िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक को संदय
े होगा ।
(3) भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक या इस अिधिनयम के अधीन राज्य आयोग के लेखा की लेखापरीक्षा के संबंध म
उसके ारा िनयुक्त िकसी व्यिक्त को ऐसी लेखापरीक्षा के संबंध म वे ही अिधकार, िवशेषािधकार तथा पर्ािधकार ह गे, जो भारत के
िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक को सरकारी लेखा की लेखापरीक्षा के संबंध म साधारणत: पर्ाप्त होते ह और, िविशष्टत: राज्य आयोग की
बिहय , लेखा , संबंिधत वाउचर और अन्य दस्तावेज तथा कागज-पतर् को पेश करने की मांग करने और उसके कायार्लय म से िकसी
का भी िनरीक्षण का अिधकार होगा ।
(4) भारत के िनयंतर्क-महालेखापरीक्षक या उसके ारा इस िनिम िनयुक्त िकए गए िकसी व्यिक्त ारा यथापर्मािणत,
राज्य आयोग के लेखे, उन पर लेखापरीक्षा की िरपोटर् के साथ वािषक रूप से राज्य सरकार को अगर्ेिषत िकए जाएंगे और वह सरकार,
इनके पर्ाप्त होने पर यथाशीघर् उसे राज्य िवधान-मंडन के समक्ष रखवाएगी ।
105. राज्य आयोग की वािषक िरपोटर्—(1) राज्य आयोग पर्ित वषर् एक बार ऐसे पर्रूप म और ऐसे समय पर, जो िविहत
िकया जाए, एक वािषक िरपोटर् तैयार करे गा िजसम पूवर्वषर् के दौरान उसके िकर्याकलाप संक्षेप म ह गे और िरपोटर् की पर्ितयां राज्य
सरकार को अगर्ेिषत की जाएंगी ।
(2) उपधारा (2) के अधीन पर्ाप्त िरपोटर् की पर्ित, पर्ािप्त के पश्चात् यथाशीघर् राज्य िवधान-मंडल के समक्ष रखी जाएगी ।
106. समुिचत आयोग का बजट—समुिचत आयोग, पर्त्येक िव ीय वषर् म ऐसे पर्रूप म और ऐसे समय पर, जो िविहत िकया
जाए, आगामी िव ीय वषर् के िलए अपना बजट तैयार करे गा िजसम उस आयोग की पर्ाक्किलत पर्ािप्तयां और व्यय दिशत ह गे और उसे
समुिचत सरकार को भेजेगा ।
107. के न्दर्ीय सरकार ारा िनदेश—(1) कदर्ीय आयोग, अपने कृ त्य के िनवर्हन नीित संबंधी ऐसे िवषय म िजनम लोकिहत
अंतवर्िलत है, के न्दर्ीय सरकार ारा उसे िलिखत म िदए गए िनदेश से मागर्दिशत होगा ।
(2) यिद इस बाबत कोई पर्श्न उद्भूत होता है िक क्या ऐसा कोई िनदेश नीित संबंधी ऐसे िवषय से संबंिधत है, िजसम
लोकिहत अंतवर्िलत है, तो उस पर के न्दर्ीय सरकार का िविनश्चय अंितम होगा ।
108. राज्य सरकार ारा िनदेश—(1) राज्य आयोग, अपने कृ त्य के िनवर्हन नीित संबंधी ऐसे िवषय म िजनम लोकिहत
अंतवर्िलत है, राज्य सरकार ारा उसे िलिखत म िदए गए िनदेश से मागर्दिशत होगा ।
(2) यिद इस संबंध म कोई पर्श्न उद्भूत होता है िक क्या ऐसा कोई िनदेश नीित संबंधी ऐसे िवषय से संबंिधत है, िजसम
लोकिहत अंतवर्िलत है, तो उस पर राज्य सरकार का िविनश्चय अंितम होगा ।
109. संयक्
ु त आयोग को िनदेश—इस अिधिनयम म िकसी बात के होते हुए भी, जहां धारा 83 के अधीन कोई संयुक्त आयोग
स्थािपत िकया जाता है वहां—
(क) उस राज्य की सरकार, िजसके िलए संयुक्त आयोग स्थािपत िकया गया है, के वल ऐसे मामल म इस
अिधिनयम के अधीन कोई िनदेश देने के िलए सक्षम होगी जहां ऐसा िनदेश राज्य की अनन्य राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता के
भीतर आने वाले िवषय से संबंिधत हो;
(ख) के न्दर्ीय सरकार अके ले ही इस अिधिनयम के अधीन कोई िनदेश देने के िलए समक्ष होगी, जहां ऐसा िनदेश दो
या अिधक राज्य की राज्यक्षेतर्ीय अिधकािरता के भीतर आने वाले िकसी िवषय से या िकसी संघ राज्यक्षेतर् से संबंिधत है, और
भागीदार सरकार िकसी करार पर पहुंचने म असफल रहती ह या भागीदार राज्य या उनकी बहुसंख्या के न्दर्ीय सरकार से
ऐसा िनदेश देने के िलए अनुरोध करती ह ।
39

भाग 11

िव त
ु अपील अिधकरण
110. अपील अिधकरण की स्थापना—के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा 1 [इस अिधिनयम या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य
िविध के अधीन] न्यायिनणर्यन अिधकारी या समुिचत आयोग के आदेश के िवरु अपील की सुनवाई के िलए िव ुत अपील अिधकरण
के नाम से ज्ञात एक अपील अिधकरण की स्थापना करे गी ।
111. अपील अिधकरण को अपील—(1) न्यायिनणर्यन अिधकारी ारा (धारा 127 के अधीन के िसवाय) इस अिधिनयम के
अधीन या समुिचत आयोग ारा इस अिधिनयम के अधीन िकए गए िकसी आदेश से व्यिथत कोई व्यिक्त िव ुत अपील अिधकरण को
अपील कर सके गा :
परं तु यह िक शािस्त उद्गृहीत करने वाले न्यायिनणर्यन अिधकारी के आदेश के िवरु अपील करने वाला कोई व्यिक्त, अपील
करते समय, ऐसी शािस्त की रकम जमा करे गा :
परं तु यह और िक जहां िकसी िविशष्ट मामले म, अपील अिधकरण की यह राय हो िक ऐसी शािस्त का जमा करवाया जाना
ऐसे व्यिक्त के िलए असम्यक् किठनाई उत्पन्न करे गा, वहां वह शािस्त की वसूली को सुरिक्षत करने के िलए जो शत वह अिधरोिपत
करना उिचत समझे, उनके अधीन रहते हुए ऐसे िनक्षेप से अिभमुिक्त पर्दान कर सके गा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक अपील, उस तारीख से िजसको न्यायिनणर्यन अिधकारी या समुिचत आयोग ारा िकए गए
आदेश की पर्ित व्यिथत व्यिक्त ारा पर्ाप्त की जाती है, पतालीस िदन की अविध के भीतर फाइल की जाएगी और वह ऐसे पर्रूप म
होगी, ऐसी रीित से सत्यािपत की जाएगी और उसके साथ उतनी फीस होगी जो िविहत की जाए :
परं तु अपील अिधकरण, पतालीस िदन की उक्त अविध की समािप्त के पश्चात् िकसी अपील को गर्हण कर सके गा यिद उसका
यह समाधान हो जाता है िक उक्त अविध के भीतर फाइल न िकए जाने के िलए पयार्प्त कारण था ।
(3) अपील अिधकरण, उपधारा (1) के अधीन अपील पर्ाप्त करने पर, अपील के पक्षकार को सुनवाई का अवसर देने के
पश्चात् िजस आदेश के िवरु अपील की गई है उसकी पुिष्ट करते हुए, उतांतिरत करते हुए या अपास्त करते हुए ऐसे आदेश पािरत कर
सके गा जो वह ठीक समझे ।
(4) अपील अिधकरण अपने ारा िकए गए पर्त्येक आदेश की एक पर्ित अपील के पक्षकार को और, यथािस्थित, संब
न्यायिनणर्यन अिधकारी को या समुिचत आयोग को भेजेगा ।
(5) उपधारा (1) के अधीन अपील अिधकरण के समक्ष फाइल की गई अपील उसके ारा यथासंभवशीघर् िनपटाई जाएगी और
अपील पर्ाप्त िकए जाने की तारीख से एक सौ अस्सी िदन के भीतर अपील को अंितम रूप से िनपटाने का पर्यास िकया जाएगा :
परं तु जहां कोई अपील एक सौ अस्सी िदन की उक्त अविध के भीतर नह िनपटाई जा सके वहां अपील अिधकरण उक्त
अविध के भीतर अपील नह िनपटाए जाने के िलए कारण को लेखब करे गा ।
(6) अपील अिधकरण, इस अिधिनयम के अधीन, यथािस्थित, न्यायिनणर्यन अिधकारी या समुिचत आयोग ारा िकए गए
िकसी आदेश की िकन्ह कायर्वािहय के संबंध म वैधता, औिचत्य या शु ता की परीक्षा के पर्योजनाथर् स्वपर्ेरणा से या अन्यथा ऐसी
कायर्वािहय के अिभलेख मंगवाएगा और उस मामले म ऐसे आदेश करे गा जो वह ठीक समझे ।
112. अपील अिधकरण की संरचना—(1) अपील अिधकरण म एक अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य ह गे ।
(2) इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए,—
(क) अपील अिधकरण की अिधकािरता का पर्योग उसकी न्यायपीठ ारा िकया जा सके गा;
(ख) अपील अिधकरण के अध्यक्ष ारा, अपील अिधकरण के दो या अिधक सदस्य को िमलकर, जैसा अपील
अिधकरण का अध्यक्ष ठीक समझे, एक न्यायपीठ का गठन िकया जा सके गा :
परं तु इस खंड के अधीन गिठत पर्त्येक न्यायपीठ म कम से कम एक न्याियक सदस्य और एक तकनीकी सदस्य होगा;
(ग) अपील अिधकरण की न्यायपीठ साधारणत: िदल्ली म और ऐसे अन्य स्थान पर अिधिवष्ट ह गी, जो के न्दर्ीय
सरकार, अपील अिधकरण के अध्यक्ष के परामशर् से अिधसूिचत करे ;
(घ) के न्दर्ीय सरकार उन क्षेतर् को अिधसूिचत करे गी िजनके संबंध म अपील अिधकरण की पर्त्येक न्यायपीठ
अिधकािरता का पर्योग कर सके गी ।

1
 2010 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 16 और अनुसूची ारा पर्ितस्थािपत ।

 
40

(3) उपधारा (2) म िकसी बात के होते हुए भी, अपील अिधकरण का अध्यक्ष, अपील अिधकरण के िकसी सदस्य को एक
न्यायपीठ से दूसरे न्यायपीठ म स्थानांतिरत कर सके गा ।
स्पष्टीकरण—इस अध्याय के पर्योजन के िलए,—
(i) “न्याियक सदस्य” से अपील अिधकरण का ऐसा सदस्य अिभपर्ेत है जो धारा 113 की उपधारा (1) के खंड (ख)
के उपखंड (i) के अधीन उस रूप म िनयुक्त िकया गया हो और इसम अपील अिधकरण का अध्यक्ष भी है;
(ii) “तकनीकी सदस्य” से अपील अिधकरण का ऐसा सदस्य अिभपर्ेत है जो धारा 113 की उपधारा (1) के खंड (ख)
के उपखंड (ii) या उपखंड (iii) के अधीन िनयुक्त िकया गया हो ।
113. अपील अिधकरण के अध्यक्ष और सदस्य की िनयुिक्त के िलए अहर्ताएं—(1) कोई व्यिक्त, अपील अिधकरण के अध्यक्ष
या अपील अिधकरण के सदस्य के रूप म िनयुिक्त के िलए तभी अिहत होगा जब वह—
(क) अपील अिधकरण के अध्यक्ष की दशा म उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य
न्यायमूित हो या रहा हो; और
(ख) अपील अिधकरण के सदस्य की दशा म—
(i) उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो या रहा हो या होने के िलए अिहत हो; या
(ii) के न्दर्ीय सरकार के आिथक कायर् या िवषय या अवसंरचना म व्यवहार करने वाले मंतर्ालय या
िवभाग म कम से कम एक वषर् के िलए सिचव हो या रहा हो; या
(iii) ऐसा योग्य और ख्याितपर्ाप्त व्यिक्त हो या रहा हो, िजसे िव ुत उत्पादन, पारे षण और िवतरण
तथा िविनयमन या अथर्शास्तर्, वािणज्य, िविध या पर्बंध संबंधी िवषय से संबंिधत पयार्प्त ज्ञान और अनुभव हो ।
(2) अपील अिधकरण का अध्यक्ष के न्दर्ीय सरकार ारा भारत के मुख्य न्यायमूित के परामशर् से िनयुक्त िकया जाएगा ।
(3) अपील अिधकरण के सदस्य, धारा 78 म िनिदष्ट चयन सिमित की िसफािरश पर के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त
िकए जाएंगे ।
(4) के न्दर्ीय सरकार, अपील अिधकरण के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म िकसी व्यिक्त को िनयुक्त करने से पूवर्, अपना यह
समाधान करे गी िक ऐसे व्यिक्त का ऐसा कोई िव ीय या अन्य िहत नह है िजससे अध्यक्ष या सदस्य के रूप म उसके कृ त्य पर पर्ितकू ल
पर्भाव पड़ने की संभावना है ।
114. पदाविध—अपील अिधकरण का अध्यक्ष या अपील अिधकरण का कोई अन्य सदस्य, उस तारीख से, िजसको वह अपना
पद गर्हण करता है, तीन वषर् की अविध के िलए उस हैिसयत म पद धारण करे गा :
परं तु यह िक ऐसा अध्यक्ष या अन्य सदस्य तीन वषर् की दूसरी पदाविध के िलए पुनिनयुिक्त का पातर् होगा :
परं तु अपील अिधकरण का कोई अध्यक्ष या अपील अिधकरण का अन्य सदस्य,—
(क) अध्यक्ष की दशा म, स र वषर्; और
(ख) अन्य सदस्य की दशा म, पसठ वषर्,
की आयु पर्ाप्त कर लेने के पश्चात् उस हैिसयत म पद धारण नह करे गा ।
115. सेवा के िनबंधन और शत—अपील अिधकरण के अध्यक्ष और अपील अिधकरण के अन्य सदस्य को संदय
े वेतन तथा
उनकी सेवा के अन्य िनबन्धन और शत वे ह गी, जो िविहत की जाएं :
परन्तु अपील अिधकरण के अध्यक्ष के या अपील अिधकरण के िकसी सदस्य के न तो वेतन और भ म और न ही उसकी सेवा
के अन्य िनबंधन और शत म उसकी िनयुिक्त के पश्चात् उसके िलए अलाभकारी पिरवतर्न िकया जाएगा ।
116. िरिक्तयां—यिद अपील अिधकरण के अध्यक्ष या अपील अिधकरण के िकसी सदस्य के पद म, अस्थायी अनुपिस्थित से
िभन्न कारण से कोई िरिक्त होती है तो के न्दर्ीय सरकार, उस िरिक्त को भरने के िलए इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार िकसी अन्य
व्यिक्त को िनयुक्त करे गी और अपील अिधकरण के समक्ष कायर्वािहयां उसी पर्कर्म से जारी रखी जा सकगी िजस पर िरिक्त भरी
जाती है ।
117. पद त्याग और हटाया जाना—(1) अपील अिधकरण का अध्यक्ष या अपील अिधकरण का कोई सदस्य, के न्दर्ीय सरकार
को संबोिधत अपने हस्ताक्षर सिहत िलिखत सूचना ारा अपना पद त्याग सके गा :
परं तु अपील अिधकरण का अध्यक्ष या अपील अिधकरण का कोई सदस्य, जब तक िक के न्दर्ीय सरकार उसे अपना पद पहले
छोड़ने के िलए अनुज्ञात न कर दे, ऐसी सूचना की पर्िप्त की तारीख से तीन मास के समाप्त होने तक या उसके पदो रवत के रूप म
41

सम्यक् रूप से िनयुक्त िकसी व्यिक्त के अपना पद गर्हण करने तक या अपनी पदाविध के समाप्त होने तक, इनम से जो सबसे पहले हो,
पद धारण करता रहेगा ।
(2) अपील अिधकरण के अध्यक्ष या अपील अिधकरण के िकसी सदस्य को उसके पद से, ऐसे व्यिक्त ारा, िजसे कदर्ीय
सरकार इस पर्योजन के िलए िनयुक्त करे , की गई िकसी जांच के पश्चात्, िजसम अपील अिधकरण के संब अध्यक्ष या अपील
अिधकरण के िकसी सदस्य को उसके िवरु आरोप के बारे म सूिचत कर िदया गया हो और ऐसे आरोप के संबंध म सुनवाई का उिचत
अवसर दे िदया गया हो, सािबत कदाचार या असमथर्ता के आधार पर के न्दर्ीय सरकार ारा िकए गए आदेश से हटाया जाएगा,
अन्यथा नह ।
118. कितपय पिरिस्थितय म सदस्य का अध्यक्ष के रूप म कायर् करना—(1) अपील अिधकरण के अध्यक्ष की मृत्यु, पदत्याग
या अन्य कारण से उसके पद म हुई िरिक्त की दशा म अपील अिधकरण का ज्येष्ठतम सदस्य, उस तारीख तक अपील अिधकरण के
अध्यक्ष के रूप म कायर् करे गा िजस तारीख को ऐसी िरिक्त को भरने के िलए इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार िनयुक्त नया अध्यक्ष
अपना पद गर्हण करता है ।
(2) जब अपील अिधकरण का अध्यक्ष अनुपिस्थित, बीमारी या अन्य िकसी कारण से अपने कृ त्य का िनवर्हन करने म असमथर्
है तब अपील अिधकरण का ज्येष्ठतम सदस्य, उस तारीख तक अपील अिधकरण के अध्यक्ष के कृ त्य का िनवर्हन करे गा िजस तारीख को
अपील अिधकरण का अध्य ा अपने कतर्व्य को िफर से संभालता है ।
119. अपील अिधकरण के अिधकारी और अन्य कमर्चारी—(1) के न्दर्ीय सरकार अपील अिधकरण को उतने अिधकारी और
कमर्चारी उपलब्ध कराएगी िजतने वह ठीक समझे ।
(2) अपील अिधकरण के अिधकारी और कमर्चारी अपने कृ त्य का िनवर्हन, यथािस्थित, अपील अिधकरण के अध्यक्ष के
साधारण अधीक्षण के अधीन करगे ।
(3) अपील अिधकरण के अिधकािरय और कमर्चािरय के वेतन और भ े तथा उनकी सेवा की अन्य शत वे ह गी जो िविहत
की जाएं ।
120. अपील अिधकरण की पर्िकर्या और शिक्तयां—(1) अपील अिधकरण, िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) ारा
अिभकिथत पर्िकर्या से आब नह होगा िकतु नैसिगक न्याय के िस ांत ारा मागर्दिशत होगा और इस अिधिनयम के अन्य उपबंध के
अधीन रहते हुए, अपील अिधकरण को अपनी ही पर्िकर्या िविनयिमत करने की शिक्तयां ह गी ।
(2) अपील अिधकरण को, इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य का िनवर्हन करने के पर्योजन के िलए, वही शिक्तयां ह गी
जो िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िकसी वाद का िवचारण करते समय िनम्निलिखत िवषय की बाबत िकसी
िसिवल न्यायालय म िनिहत ह, अथार्त् :—
(क) िकसी व्यिक्त को समन करना और उसे हािजर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) दस्तावेज के पर्कटीकरण और पेश िकए जाने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथपतर् परा सा य गर्हण करना;
(घ) भारतीय सा य अिधिनयम, 1872 (1872 का 1) की धारा 123 और धारा 124 के उपबंध के अधीन रहते हुए,
िकसी कायार्लय से िकसी लोक अिभलेख या दस्तावेज अथवा ऐसे अिभलेख या दस्तावेज की पर्ित की अध्यपेक्षा करना;
(ङ) सािक्षय या दस्तावेज की परीक्षा के िलए कमीशन िनकालना;
(च) अपने िविनश्चय का पुनिवलोकन करना;
(छ) व्यितकर्म म िकसी अभ्यावेदन को खािरज करना या उसका एकपक्षीय रूप से िविनश्चय करना;
(ज) व्यितकर्म म िकसी अभ्यावेदन को खािरज करने के िकसी आदेश या उसके ारा एकपक्षीय रूप से पािरत िकसी
आदेश को अपास्त करना; और
(झ) कोई अन्य िवषय, जो के न्दर्ीय सरकार ारा िविहत िकया जाए ।
(3) अपील अिधकरण ारा इस अिधिनयम के अधीन िकया गया कोई आदेश अपील अिधकरण ारा िसिवल न्यायालय की
िडकर्ी के रूप म िनष्पादनीय होगा और इस पर्योजन के िलए अपील अिधकरण को िसिवल न्यायालय की सभी शिक्तयां ह गी ।
(4) उपधारा (3) म िकसी बात के होते हुए भी, अपील अिधकरण अपने ारा िकए गए िकसी आदेश को स्थानीय अिधकािरता
रखने वाले िकसी ऐसे िसिवल न्यायालय को पारे िषत कर सके गा और ऐसा िसिवल न्यायालय उस आदेश का इस पर्कार िनष्पादन करे गा
माने वह उस न्यायालय ारा की गई कोई िडकर्ी हो ।
42

(5) अपील अिधकरण के समक्ष सभी कायर्वािहयां, भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 193 और धारा 228 के
अथार्न्तगर्त न्याियक कायर्वािहयां समझी जाएंगी और अपील अिधकरण को, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 345 और
धारा 346 के पर्योजनाथर् िसिवल न्यायालय समझा जाएगा ।
[121. अपील अिधकरण की शिक्त—अपील अिधकरण, िकसी समुिचत आयोग या अन्य िहतब पक्षकार, यिद कोई हो, की
1

सुनवाई के पश्चात्, समय-समय पर, िकसी समुिचत आयोग को इस अिधिनयम के अधीन उसके िकन्ह कृ त्य के अनुपालन के िलए ऐसे
आदेश, अनुदश े या िनदेश जारी कर सके गा, जो वह ठीक समझे ।]
122. न्यायपीठ म कारबार का िवतरण और मामल का एक न्यायपीठ से दूसरी न्यायपीठ को अंतरण—(1) जहां न्यायपीठ
का गठन िकया जाता है वहां अपील अिधकरण का अध्यक्ष, समय-समय पर, अिधसूचना ारा, अपील अिधकरण के कायर् के न्यायपीठ
म िवतरण के बारे म उपबंध कर सके गा और उन िवषय के िलए भी उपबंध कर सके गा िजनके बारे म पर्त्येक न्यायपीठ ारा कायर्वाही
की जा सके गी ।
(2) िकसी भी पक्षकार के आवेदन पर और पक्षकार को सूचना िदए जाने के पश्चात् तथा उनम से ऐसे पक्षकार की सुनवाई
करने के पश्चात् िजसे वह सुने जाने की वांछा करे या ऐसी सूचना के िबना स्वपर्ेरणा से, अपील अिधकरण का अध्यक्ष िकसी एक
न्यायपीठ के समक्ष लंिबत िकसी मामले को िनपटारे के िलए िकसी अन्य न्यायपीठ को अन्तिरत कर सके गा ।
123. बहुमत ारा िविनश्चय िकया जाना—यिद दो सदस्य से िमलकर बने अपील अिधकरण के िकसी न्यायपीठ के सदस्य
की िकसी पर्श्न पर राय म िभन्नता है तो वे उस पर्श्न या उन पर्श्न का कथन करगे िजन पर उनका मतभेद है और अपील अिधकरण के
अध्यक्ष को िनदश करगे जो या तो उस पर्श्न या उन पर्श्न की स्वयं सुनवाई करे गा या उस पर्श्न या उन पर्श्न पर अपील अिधकरण के
अन्य सदस्य म से िकसी एक या अिधक सदस्य ारा सुनवाई िकए जाने के िलए मामले को िनदिशत करे गा और ऐसे पर्श्न या पर्श्न का
िविनश्चय अपील अिधकरण के उन सदस्य के बहुमत के अनुसार िकया जाएगा िजन्ह ने मामले की सुनवाई की है िजनके अन्तगर्त वे
सदस्य भी ह िजन्ह ने उसकी पर्थम सुनवाई की थी ।
124. अपीलाथ का िकसी िविध व्यवसायी की सहायता लेने और समुिचत आयोग का पर्स्तुतीकरण अिधकारी िनयुक्त करने
का अिधकार—(1) इस अिधिनयम के अधीन, अपील अिधकरण को अपील करने वाला व्यिक्त, यथािस्थित, अपील अिधकरण के समक्ष
अपना मामला उपस्थािपत करने के िलए या तो स्वयं उपिस्थत हो सके गा या अपनी पसन्द के िकसी िविध व्यवसायी की सहायता
ले सके गा ।
(2) समुिचत आयोग एक या अिधक िविध व्यवसाियय को या अपने अिधकािरय म से िकसी को उपस्थापक अिधकािरय के
रूप म कायर् करने के िलए पर्ािधकृ त कर सके गा और इस पर्कार पर्ािधकृ त पर्त्येक व्यिक्त, यथािस्थित, अपील अिधकरण के समक्ष िकसी
अपील के संबंध म मामला उपस्थािपत कर सके गा ।
125. उच्चतम न्यायालय को अपील—अपील अिधकरण के िकसी िविनश्चय या आदेश से व्यिथत कोई व्यिक्त, अपील
अिधकरण के िविनश्चय या आदेश की उसे संसच ू ना पर्ाप्त होने की तारीख से साठ िदन के भीतर, िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908
(1908 का 5) की धारा 100 म िविनिदष्ट िकसी एक या अिधक आधार पर उच्चतम न्यायालय म अपील फाइल कर सके गा :
परन्तु उच्चतम न्यायालय, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक अपीलाथ को उक्त अविध के भीतर अपील फाइल करने
से पयार्प्त कारण से िनवािरत िकया गया था तो वह उसे साठ िदन से अनिधक की और अविध के भीतर अपील का फाइल िकया जाना
अनुज्ञात कर सके गा ।
भाग 12

अन्वेषण और पर्वतर्न
126. िनधार्रण—(1) यिद िकसी स्थान या पिरसर के िनरीक्षण पर अथवा संयोिजत या पर्युक्त पाए गए उपस्कर , जुगत ,
मशीन , युिक्तय के िनरीक्षण पर अथवा िकसी व्यिक्त ारा अनुरिक्षत अिभलेख के िनरीक्षण के पश्चात् िनधार्रण अिधकारी इस
िनष्कषर् पर पहुंचता है िक वह व्यिक्त िव ुत का अपर्ािधकृ त उपयोग कर रहा है तो वह अपने सव म िनणर्य के अनुसार ऐसे व्यिक्त
ारा या ऐसे उपयोग से लाभािन्वत िकसी अन्य व्यिक्त ारा संदय े िव ुत पर्भार का अनंितम िनधार्रण करे गा ।
(2) अनंितम िनधार्रण का आदेश, उस व्यिक्त पर िजसके अिधभोग म या कब्जे म या पर्भाराधीन उक्त स्थान या पिरसर है,
ऐसी रीित से तामील िकया जाएगा जो िविहत की जाए ।
वह व्यिक्त, िजस पर उपधारा (2) के अधीन आदेश की तामील की गई है, िनधार्रण अिधकारी के समक्ष अनंितम
2 [(3)

िनधार्रण के िवरु आक्षेप, यिद कोई ह , फाइल करने का हकदार होगा, जो उस व्यिक्त को सुनवाई का युिक्तयुक्त अवसर देने के
पश्चात् अनंितम िनधार्रण के ऐसे आदेश की तामील की तारीख से तीस िदन के भीतर ऐसे व्यिक्त ारा संदय
े िव ुत पर्भार के िनधार्रण
का अंितम आदेश पािरत करे गा ।]

1
 2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत ।
43

(4) ऐसा व्यिक्त िजस पर अनंितम िनधार्रण का आदेश तामील हुआ है, उस िनधार्रण को स्वीकार कर सकता है और ऐसे
अनंितम िनधार्रण आदेश के उस पर तामील के सात िदन के भीतर अनुज्ञिप्तधारी के पास िनधार्िरत रकम जमा कर सकता है :
1
* * * * * * *
[(5) यिद िनधार्रण अिधकारी इस िनष्कषर् पर पहुंचता है िक िव ुत का अपर्ािधकृ त उपयोग हुआ है तो उस पूणर् अविध का,
2

िजसके दौरान िव ुत का ऐसा अपर्ािधकृ त उपयोग हुआ है, िनधार्रण िकया जाएगा और यिद, उस अविध को, िजसके दौरान िव ुत का
ऐसा अपर्ािधकृ त उपयोग हुआ है, अिभिनिश्चत नह िकया जा सकता है तो ऐसी अविध, िनरीक्षण की तारीख से ठीक पहले के बारह
मास की अविध तक सीिमत होगी ।]
(6) इस धारा के अधीन िनधार्रण, उपधारा (5) म िविनिदष्ट सेवा के ससंगत पर्वगर् के िलए लागू टैिरफ दर के 2[दोगुन]े के
बराबर िकया जाएगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए,—
(क) “िनधार्रण अिधकारी” से, यथािस्थित, राज्य सरकार या बोडर् या अनुज्ञिप्तधारी का, राज्य सरकार ारा इस
रूप म पदािभिहत कोई अिधकारी अिभपर्ेत है;
(ख) “िव ुत का अपर्ािधकृ त उपयोग” से,—
(i) िकन्ह कृ ितर्म साधन ारा; या
(ii) ऐसे साधन ारा, जो संब व्यिक्त या पर्ािधकारी या अनुज्ञिप्तधारी ारा पर्ािधकृ त नह है; या
(iii) छेड़छाड़ िकए हुए मीटर के माध्यम से; या
2
[(iv) उस पर्योजन से िभन्न पर्योजन के िलए, िजसके िलए िव ुत का उपयोग पर्ािधकृ त था; या
(v) उन पिरसर या क्षेतर् से िभन्न पिरसर या क्षेतर् के िलए, िजनके िलए िव ुत का पर्दाय
पर्ािधकृ त था,]
िव ुत का उपयोग अिभपर्ेत है ।
127. अपील पर्ािधकारी को अपील—(1) धारा 126 के अधीन िकए गए अंितम आदेश से व्यिथत कोई व्यिक्त, उक्त आदेश से
तीस िदन के भीतर, ऐसे अपील पर्ािधकारी को, जो िविहत िकया जाए, ऐसे पर्रूप म, ऐसी रीित से सत्यािपत और ऐसी फीस के साथ
अपील कर सके गा, जो राज्य आयोग ारा िविहत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िकसी िनधार्रण आदेश के िवरु कोई अपील, तब तक गर्हण नह की जाएगी जब तक िक
3 [िनधार्िरत
रकम के आधे] के बराबर रकम अनुज्ञिप्तधारी के पास नकद म या बक डर्ाफ्ट ारा जमा न कर दी गई हो और ऐसे िनक्षेप
का दस्तावेजी सा य अपील के साथ संलग्न न िकया गया हो ।
(3) उपधारा (1) म िनिदष्ट अपील पर्ािधकारी, पक्षकार की सुनवाई के पश्चात्, अपील का िनपटान करे गा और समुिचत
आदेश पािरत करे गा तथा आदेश की पर्ित िनधार्रण अिधकारी और अपीलाथ को भेजेगा ।
(4) उपधारा (1) म िनिदष्ट अपील पर्ािधकारी का उपधारा (3) के अधीन पािरत आदेश अंितम होगा ।
(5) पक्षकार की सहमित से िकए गए अंितम आदेश के िवरु उपधारा (1) म िनिदष्ट अपील पर्ािधकारी को कोई अपील
नह होगी ।
(6) जब कोई व्यिक्त, िनधार्िरत रकम का संदाय करने म व्यितकर्म करता है तो वह िनधार्िरत रकम के अितिरक्त, िनधार्रण
आदेश की तारीख से तीस िदन की समािप्त पर सोलह पर्ितशत पर्ितवषर् की दर से ब्याज की रकम का संदाय करने के िलए भी दायी
होगा जो पर्त्येक छह मास पर सिम्मिशर्त िकया जाएगा ।
128. कितपय िवषय का अन्वेषण—(1) समुिचत आयोग, अपना यह समाधान हो जाने पर िक कोई अनुज्ञिप्तयधारी,
अनुज्ञिप्त की िकन्ह शत का या कोई उत्पादन कं पनी या अनुज्ञिप्तधारी, इस अिधिनयम या त ीन बनाए गए िनयम या िविनयम के
िकन्ह उपबंध का िकसी भी समय अनुपालन करने म असफल रहा है तो वह िलिखत आदेश ारा आदेश म िविनिदष्ट व्यिक्त को
(इस धारा म इसके पश्चात् “अन्वेषण पर्ािधकारी” के रूप म िनिदष्ट) िकसी उत्पादन कं पनी या अनुज्ञिप्तधारी के मामल का अन्वेषण
करने और ऐसे अन्वेषण पर्ािधकारी ारा िकए गए िकसी अन्वेषण पर उस आयोग को िरपोटर् करने का िनदेश दे सके गा :

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 11 ारा लोप िकया गया ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत । 
3
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 12 ारा पर्ितस्थािपत ।
44

परन्तु अन्वेषण पर्ािधकारी, जहां आवश्यक हो इस धारा के अधीन िकसी अन्वेषण म उसकी सहायता करने के पर्योजनाथर्
िकसी लेखापरीक्षक या िकसी अन्य व्यिक्त को िनयोिजत कर सके गा ।
(2) कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) की धारा 235 म अंतिवष्ट िकसी पर्ितकू ल बात के होते हुए भी, अन्वेषण
पर्ािधकारी, िकसी भी समय और समुिचत आयोग ारा ऐसा करने का िनदेश िदए जाने पर, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी
और उसकी लेखा पुस्तक का अपने एक या अिधक अिधकािरय ारा िनरीक्षण करवाएगा और, यथािस्थित, अन्वेषण पर्ािधकारी,
अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी को ऐसे िनरीक्षण की अपनी िरपोटर् की एक पर्ित का पर्दाय करे गा ।
(3) यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी के पर्त्येक पर्बंधक, पर्बंध िनदेशक या अन्य अिधकारी का यह कतर्व्य होगा
िक वह उस अन्वेषण पर्ािधकारी के समक्ष, िजसे उपधारा (1) के अधीन अन्वेषण या उपधारा (2) के अधीन िनरीक्षण करने का िनदेश
िदया गया है, अपनी अिभरक्षा म या शिक्त म की सभी लेखा पुस्तक , रिजस्टर और अन्य दस्तावेज को पर्स्तुत करे और उक्त अन्वेषण
पर्ािधकारी ारा यथापेिक्षत अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी के कायर्कलाप से संबंिधत िकसी िववरण और सूचना को उतने समय के
भीतर पर्स्तुत करे जो उक्त अन्वेषण पर्ािधकारी िनिदष्ट करे ।
(4) कोई अन्वेषण पर्ािधकारी, िजसे उपधारा (1) के अधीन अन्वेषण या उपधारा (2) के अधीन िनरीक्षण करने का िनदेश
िदया गया है, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी के िकसी पर्बंधक, पर्बंध िनदेशक, या अन्य अिधकारी की, उसके कारबार के
संबंध म शपथ पर परीक्षा करे गा और तद्नुसार शपथ िदलवाएगा ।
(5) अन्वेषण पर्ािधकारी, यिद समुिचत आयोग ारा उसे िनरीक्षण करवाने का िनदेश िदया गया हो, और िकसी अन्य मामले
म भी, समुिचत आयोग को, इस धारा के अधीन िकए गए िनरीक्षण के संबंध म िरपोटर् करे गा ।
(6) समुिचत आयोग, उपधारा (1) या उपधारा (5) के अधीन िकसी िरपोटर् की पर्ािप्त पर, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या
उत्पादन कं पनी को उक्त िरपोटर् के संबंध म अभ्यावेदन करने का अवसर देने के पश्चात् जो समुिचत आयोग की राय म युिक्तयुक्त
पर्तीत हो, िलिखत आदेश ारा—
(क) अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी से, िरपोटर् से उद्भूत िकसी मामले की बाबत ऐसी कारर् वाई करने की अपेक्षा
कर सके गा जो समुिचत आयोग ठीक समझे ; या
(ख) अनुज्ञिप्त र कर सके गा; या
(ग) उत्पादन कं पनी को िव ुत के उत्पादन का कारबार बंद करने का िनदेश दे सके गा ।
(7) समुिचत आयोग, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी को युिक्तयुक्त सूचना देने के पश्चात् उपधारा (5)
के अधीन अन्वेषण पर्ािधकारी ारा पर्स्तुत की गई िरपोटर् या उसके िकसी अंश को जो उसे आवश्यक पर्तीत हो पर्कािशत कर सके गा ।
(8) समुिचत आयोग, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा उनकी पुस्तक म अनुरिक्षत की जाने वाली न्यूनतम सूचना, वह
रीित िजसम ऐसी सूचना अनुरिक्षत की जाएगी, इस संबंध म अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा अपनाए जाने वाली जांच और
अन्य सत्यापन तथा उससे आनुषंिगक ऐसे सभी िवषय जो उसकी राय म अन्वेषण पर्ािधकारी को इस धारा के अधीन अपने कृ त्य के
समाधानपर्द रूप म िनवर्हन म समथर् बनाने के िलए आवश्यक हो िविनिदष्ट कर सके गा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजनाथर्, “अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी” पद म भारत म िनगिमत िकसी अनुज्ञिप्तधारी
की दशा म,—
(क) अनन्य रूप से भारत से बाहर िव ुत के उत्पादन या पारे षण या िवतरण या व्यापार का कारबार करने के
पर्योजनाथर् िवरिचत उसकी सभी समनुषंिगयां; और
(ख) उसकी सभी शाखाएं, चाहे वे भारत म िस्थत ह या भारत से बाहर, आती ह ।
(9) इस धारा के अधीन िकए गए अन्वेषण और उसके अनुषंगी सभी व्यय की, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी
ारा पूित की जाएगी और उन्ह अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा देय ऋण पर पूिवकता दी जाएगी और वे भू-राजस्व के बकाया
के रूप म वसूलनीय ह गे ।
129. अनुपालन सुिनिश्चत करने के िलए आदेश—(1) जहां समुिचत आयोग का, अपने कब्जे म की सामगर्ी के आधार पर, यह
समाधान हो जाता है िक अनुज्ञिप्तधारी, अपनी अनुज्ञिप्त म विणत िकसी शतर् या छू ट देने के िलए शत का उल्लंघन कर रहा है या ऐसा
िकए जाने की संभावना है अथवा अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी इस अिधिनयम के िकन्ह उपबंध का उल्लंघन कर रहा/रही है या
ऐसा िकए जाने की संभावना है तो वह आदेश ारा ऐसे िनदेश देगा, जो उस शतर् या उपबंध का अनुपालन सुिनिश्चत करने के
पर्योजनाथर् आवश्यक हो ।
(2) समुिचत आयोग, उपधारा (1) के अधीन िनदेश देते समय, उस सीमा का सम्यक् ध्यान रखेगा िजस तक ऐसे उल्लंघन के
कारण िकसी व्यिक्त को हािन या नुकसान होने की संभावना है ।
45

130. समुिचत आयोग ारा िनदेश जारी िकए जाने के िलए पर्िकर्या—समुिचत आयोग, धारा 129 के अधीन कोई िनदेश जारी
करने से पूवर्—
(क) संब अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी को िविनिदष्ट की जाने वाली रीित से सूचना की तामील करे गा ;
(ख) उन व्यिक्तय , जो उससे पर्भािवत ह या िजनके पर्भािवत होने की संभावना हो, का ध्यान उन िवषय की ओर
आकिषत करने के पर्योजनाथर् िविनिदष्ट की जाने वाली रीित से सूचना पर्कािशत करे गा ;
(ग) संब अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी और ऐसे व्यिक्तय से, जो उससे पर्भािवत ह या िजनके पर्भािवत होने
की संभावना है, पर्ाप्त सुझाव और आक्षेप पर िवचार करे गा ।
भाग 13

बोडर् का पुनगर्ठन
131. बोडर् की संपि का राज्य सरकार म िनिहत होना—(1) उस तारीख से िजसको इस अिधिनयम के उ ेश्य और पर्योजन
को पर्भावी करने के िलए राज्य सरकार ारा तैयार की गई अंतरण स्कीम पर्कािशत की जाती है या ऐसी और तारीख जो राज्य सरकार
ारा िनयत की जाए (िजसे इस भाग म इसके पश्चात् पर्भावी तारीख के रूप म िनिदष्ट िकया गया है), कोई संपि , संपि म िहत,
अिधकार और दाियत्व जो पर्भावी तारीख से ठीक पूवर् राज्य िव ुत बोडर्, (िजसे इसम इसके पश्चात् बोडर् कहा गया है) के थे राज्य
सरकार और बोडर् के बीच करार पाए जाने वाले िनबंधन पर राज्य सरकार म िनिहत ह गे ।
(2) उपधारा (1) के अधीन राज्य सरकार म िनिहत कोई संपि , संपि म िहत, अिधकार और दाियत्व राज्य सरकार ारा,
सरकारी कं पनी या कं पनी या कं पिनय म, इस पर्कार पर्कािशत अंतरण स्कीम के अनुसार, राज्य सरकार की अन्य संपि , संपि म िहत,
अिधकार और दाियत्व के साथ जो ऐसी स्कीम म अनुबंिधत िकए जाएं, ऐसे िनबंधन और शत पर जो राज्य सरकार और ऐसी कं पनी
या कं पिनयां जो, यथािस्थित, राज्य पारे षण उपयोिगता या उत्पादक कं पनी या पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या िवतरण अनुज्ञिप्तधारी है, के
बीच करार पाई जाएं, पुन: िनिहत की जाएंगी :
परं तु इसके अधीन अंतिरत िकन्ह आिस्तय का अंतरण मूल्य, जहां तक हो सके , ऐसी आिस्तय की राजस्व उपयोिगता के
आधार पर ऐसे िनबंधन और शत पर अवधािरत िकया जाएगा जो राज्य सरकार और, यथािस्थित, राज्य पारे षण उपयोिगता या
उत्पादक कं पनी या पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या िवतरण अनुज्ञिप्तधारी के बीच करार पाई जाएं ।
(3) इस धारा म िकसी बात के होते हुए भी, जहां—
(क) अंतरण स्कीम म िकसी ऐसी संपि या ऐसे अिधकार का िकसी व्यिक्त या उपकर्म को अंतरण अंतवर्िलत है,
जो राज्य सरकार के पूणर् स्वािमत्व म नह ह, वहां स्कीम ऐसे अंतरण को अंतिरती ारा राज्य सरकार को संद िकए जाने
वाले उिचत मूल्य के िलए ही पर्भावी करे गी ;
(ख) िकसी पर्कार का संव्यवहार, अंतरण स्कीम के अनुसरण म िकया जाता है वहां तीसरे पक्षकार सिहत सभी
व्यिक्तय पर आब कर होगी, भले ही ऐसे व्यिक्तय या तीसरे पक्षकार ने उस पर अपनी सहमित न दी हो ।
(4) राज्य सरकार, उपधारा (2) म िनिदष्ट ऐसी सरकारी कं पनी या कं पनी या कं पिनयां जो राज्य पारे षण उपयोिगता या
उत्पादक कं पनी या पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या िवतरण अनुज्ञिप्तधारी है, (िजसे इसम इसके पश्चात् अंतरक कहा गया है) से परामशर्
करने के पश्चात् ऐसे अंतरक म, ऐसे िकसी अंतिरकी म, जो कोई उत्पादन कं पनी या पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या िवतरण अनुज्ञिप्तधारी
है, ऐसी संपि , संपि म िहत, अिधकार और दाियत्व के , जो इस धारा के अधीन अंतरक म िनिहत ह, अंतरण के िलए एक अंतरण
स्कीम बनाने और ऐसी स्कीम को इस अिधिनयम के अधीन कानूनी अंतरण स्कीम के रूप म पर्कािशत करने की अपेक्षा कर सके गी ।
(5) इस धारा के अधीन िकसी अंतरण स्कीम म,—
(क) समनुषंिगय , संयुक्त उ म कं पिनय के गठन या उनके िवभाजन, समामेलन, िवलयन, पुनगर्ठन या ठहराव के
िलए उपबंध हो सकगे जो पािरणािमक इकाई की लाभदायकता और व्यवहायर्ता का संवधर्न करगे, आिथक दक्षता सुिनिश्चत
करगे, पर्ितयोिगता को पर्ोत्सािहत करगे और उपभोक्ता के िहत का संरक्षण करगे;
(ख) संपि , संपि म िहत, अिधकार और दाियत्व को पिरभािषत िकया जा सके गा जो—
(i) पर्श्नगत संपि , अिधकार और दाियत्व को िविनिदष्ट करके या उनका वणर्न करके ;
(ii) सभी संपि , संपि म िहत, अिधकार और दाियत्व के पर्ित िनदश से जो अंतरक के उपकर्म के
विणत भाग म समािवष्ट ह; या
(iii) भागत: एक रूप से और भागत: दूसरे रूप से,
आबंिटत िकए जाएंगे;
46

(ग) यह उपबंध िकया जा सके गा िक स्कीम म अनुबंिधत या विणत कोई अिधकार या दाियत्व अंतरक या अंतिरती
ारा या उसके िवरु पर्वतर्नीय ह गे;
(घ) अंतरक पर, िकसी पश्चात्वत अंतिरती के साथ जो स्कीम म अनुबंिधत िकया जाए, ऐसे िलिखत करार करने
या उसके पक्ष म ऐसी अन्य िलखत िनष्पािदत करने का दाियत्व अिधरोिपत िकया जा सके गा;
(ङ) अंतिरती के कृ त्य और कतर्व्य का उल्लेख िकया जा सके गा ;
(च) ऐसे अनुपूरक, आनुषंिगक या पािरणािमक उपबंध िकए जा सकगे जो अंतरक उिचत समझे, िजसके अंतगर्त
आदेश के पर्भावी होने के बारे म उपबंध भी है; और
(छ) यह उपबंध िकया जा सके गा िक अंतरण िनयत अविध तक अनंितम होगा ।
(6) बोडर् ारा, बोडर् के साथ या बोडर् के िलए या राज्य पारे षण उपयोिगता या उत्पादक कं पनी या पारे षण अनुज्ञिप्तधारी या
िवतरण अनुज्ञिप्तधारी ारा, इसके साथ या इनके िलए उपगत सभी ऋण और बाध्यताएं, की गई सभी संिवदाएं, और िनपटाए जाने
वाले सभी िवषय या बात, अंतरण स्कीम के पर्भावी होने से पूवर्, सुसंगत अंतरण स्कीम म िविनिदष्ट सीमा तक, बोडर् ारा या बोडर् के
साथ अथवा राज्य सरकार या अंतिरती के िलए उपगत िकए गए, या की गई समझी जाएंगी और, यथािस्थित, बोडर् या अंतरक ारा या
उनके िवरु संिस्थत सभी वाद या अन्य िविधक कायर्वािहयां, यथािस्थित, राज्य सरकार या संब अंतिरती ारा या उसके िवरु
जारी रह सकगी या संिस्थत की जा सकगी ।
(7) बोडर् को, पर्भावी तारीख को और उसके पश्चात् िकए गए अंतरण के संबंध म कृ त्य और कतर्व्य नह स पे जाएंगे और वह
उनका िनष्पादन नह करे गा ।
स्पष्टीकरण—इस भाग के पर्योजन के िलए,—
(क) “सरकारी कं पनी” से कं पनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन िवरिचत और रिजस्टर्ीकृ त सरकारी
कं पनी अिभपर्ेत है ;
(ख) “कं पनी” से इस भाग के अधीन स्कीम के अनुसार उत्पादन या पारे षण या िवतरण करने के िलए कं पनी
अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन िवरिचत और रिजस्टर्ीकृ त कोई कं पनी अिभपर्ेत है ।
132. बोडर्, आिद के िवकर्य या अंतरण के आगम का उपयोग—उस दशा म िजसम समुिचत सरकार के स्वािमत्वाधीन या
िनयंतर्णाधीन कोई बोडर् या कोई उपयोिगता िकसी ऐसे व्यिक्त को ऐसी रीित म बेचा जाता है या अंतिरत िकया जाता है जो समुिचत
सरकार के स्वािमत्वाधीन या िनयंतर्णाधीन नह है, तो ऐसे िवकर्य या अंतरण के आगम का, अन्य सभी शोध्य से पूिवकता म,
िनम्निलिखत कर्म म उपयोग िकया जाएगा, अथार्त् :—
(क) ऐसे बोडर् या उपयोिगता के अिधकािरय और कमर्चािरय , िजन पर पूव क्त िवकर्य या अंतरण से पर्भाव
पड़ा है, के शोध्य (िजसम शोध्य सेवािनवृि फायदे भी ह); और
(ख) अंतरक के ऋण या अन्य दाियत्व को चुकाना जैसा िक िव मान उधार पर्संिवदा ारा अपेिक्षत है ।
133. अिधकािरय और कमर्चािरय से संबिं धत उपबंध—(1) राज्य सरकार, अंतरण स्कीम ारा, धारा 131 म उपबंिधत के
अनुसार ऐसे अंतिरती म संपि , अिधकार और दाियत्व के िनिहत हो जाने पर, अिधकािरय और कमर्चािरय के , अन्तिरती को
अंतरण के िलए उपबंध कर सके गी ।
(2) अंतरण स्कीम के अधीन ऐसे अंतरण पर, कािमक, अंतिरती के अधीन ऐसे िनबंधन और शत पर जो अंतरण स्कीम के
अनुसार अवधािरत िकए जाएं, पद या सेवा धारण करगे :
परं तु अंतरण पर ऐसे िनबंधन और शत, िकसी भी रूप म उन शत से कम लाभकारी नह ह गे जो उनको तब लागू होते यिद
अंतरण स्कीम के अधीन अंतरक नह होता :
परं तु यह और िक उक्त अंतरण िनयत अविध के िलए अनंितम हो सकता है ।
स्पष्टीकरण—इस धारा और अंतरण स्कीम के पर्योजन के िलए, “अिधकािरय और कमर्चािरय ” पद से ऐसे सभी अिधकारी
और कमर्चारी अिभपर्ेत ह जो स्कीम म िविनिदष्ट तारीख को, यथािस्थित, बोडर् या अंतरक के अिधकारी और कमर्चारी ह ।
134. अंतरण पर पर्ितपूित या नुकसानी का संदाय—औ ोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 (1947 का 14) म या तत्समय पर्वृ
िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी और इस अिधिनयम म िकए गए उपबंध के िसवाय, धारा 133 की उपधारा (1) म
िनिदष्ट अिधकािरय और कमर्चािरय के िनयोजन का अंतरण ऐसे अिधकािरय और कमर्चािरय को इस अिधिनयम या िकसी अन्य
के न्दर्ीय या राज्य िविध के अधीन, अंतरण स्कीम म उपबंिधत के िसवाय, िकसी पर्ितपित या नुकसानी का हकदार नह बनाएगा ।
भाग 14

अपराध और शािस्तयां
47

135. िबजली की चोरी— 1 [(1) जो कोई बेइमानी से,—


(क) यथािस्थित, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् की िशरोपिर, भूिमगत या जल के अंदर की लाइन या के िबल
या सिवस तार या सिवस सुिवधा से कोई टैप करे गा, कनेक्शन करे गा या करवाएगा; या
(ख) मीटर से छेड़छाड़ करे गा, िबगाड़े गए मीटर, धारा पर्त्यावत टर्ांसफामर्र, लूप कनेक्शन या िकसी अन्य युिक्त
या प ित को संस्थािपत करे गा या उसका उपयोग करे गा, िजससे िव ुत धारा के ठीक-ठीक या उिचत रिजस्टर्ीकरण, अंशांकन
या मापने म बाधा पड़ती है या उसका िकसी रीित से अन्यथा पिरणाम िनकलता है, िजससे िव त ु की चोरी होती है या
िव ुत बबार्द होती है; या
(ग) िकसी िव ुत मीटर, सािधतर्, उपस्कर या तार को नुकसान पहुंचाएगा या उसे नष्ट करे गा अथवा उनम से िकसी
को इस पर्कार नुकसान पहुंचवाएगा या नाश करवाएगा या होने देगा, िजससे िक िव ुत के उिचत या ठीक-ठीक मापने म
बाधा पड़ती है; या
(घ) िबगाड़े गए मीटर के माध्यम से िव ुत का उपयोग करे गा; या
(ङ) उन पर्योजन से, िजनके िलए िव ुत का उपयोग पर्ािधकृ त िकया गया था, िभन्न िकसी अन्य पर्योजन के िलए
िव ुत का उपयोग करे गा,
िजससे िक िव ुत िखचती है या उसका उपभोग होता है या उपयोग होता है तो वह, कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो
सके गी या जुमार्ने से या दोन से, दंडनीय होगा :
परं तु जहां ख चा गया, उपभोग िकया गया, उपयोग िकया गया िव ुत भार या ख चे जाने, उपभोग िकए जाने, उपयोग िकए
जाने के िलए, िकए गए पर्यास से िव ुत भार—
(i) 10 िकलोवाट से अिधक नह होता है, वहां पर्थम दोषिसि पर अिधरोिपत जुमार्ना, िव ुत की ऐसी चोरी के
कारण िव ीय अिभलाभ के तीन गुना से कम नह होगा और ि तीय या पश्चात्वत दोषिसि की दशा म, अिधरोिपत
जुमार्ना, िव ुत की ऐसी चोरी के कारण िव ीय अिभलाभ के छह गुना से कम नह होगा;
(ii) 10 िकलोवाट से अिधक नह होता है, वहां पर्थम दोषिसि पर अिधरोिपत जुमार्ना, िव ुत की ऐसी चोरी के
कारण िव ीय अिभलाभ के तीन गुना से कम नह होगा और ि तीय या पश्चात्वत दोषिसि की दशा म, दंडादेश ऐसे,
कारावास का, िजसकी अविध छह मास से कम नह हो सके गी, िकन्तु जो पांच वषर् तक बढ़ाई जा सके गी और जुमार्ने
का होगा, जो िव ुत की ऐसी चोरी के कारण िव ीय लाभ के छह गुना से कम नह होगा :
परन्तु यह और िक िकसी व्यिक्त की ि तीय और पश्चात्वत दोषिसि की दशा म, जहां 10 िकलोवाट से अिधक का भार,
ख चा, उपभोग या उपयोग िकया गया है या ख चने का या उपभोग का या उपयोग का पर्यत्न िकया गया है, वहां ऐसा व्यिक्त, ऐसी
अविध के िलए, जो तीन मास से कम नह होगी, िकन्तु जो दो वषर् तक की हो सके गी, िव ुत के िकसी पर्दाय को पर्ाप्त करने से भी
िवविजत िकया जाएगा और वह िकसी अन्य सर्ोत या उत्पादन कदर् से उस अविध के िलए िव ुत पर्दाय पर्ाप्त करने से भी
िवविजत होगा :
परं तु यह भी िक यिद यह सािबत हो जाता है िक उपभोक्ता के पास ऐसे कृ ितर्म साधन या साधन, यथािस्थित, बोडर् या
अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् ारा पर्ािधकृ त न िकए गए साधन िव ुत के ख चने, उपभोग या उपयोग के िलए िव मान ह तो जब तक
पर्ितकू ल सािबत न हो जाए, यह उपधारणा की जाएगी िक, िव ुत का ख चना, उपभोग या उपयोग ऐसे उपभोक्ता ारा बेईमानीपूवक र्
िकया गया है ।
(1क) इस अिधिनयम के उपबंध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार्, िव ुत की ऐसी
चोरी के पता चलने पर िव ुत के पर्दाय को तुरंत रोक सके गा :
परं तु समुिचत आयोग ारा, इस पर्योजन के िलए यथा पर्ािधकृ त, अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् का के वल ऐसा अिधकारी या
इस पर्कार पर्ािधकृ त पंिक्त से उच्चतर पंिक्त का, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् का कोई अन्य पर्ािधकारी ही िव ुत के पर्दाय
की लाइन को काटेगा :
परं तु यह और िक, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् का ऐसा अिधकारी, ऐसे काटे जाने के समय से, चौबीस घंटे के
भीतर अिधकािरता रखने वाले पुिलस थाने म ऐसे अपराध को िकए जाने के संबंध म िलिखत रूप म एक िशकायत दािखल करे गा :
परं तु यह भी िक, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार्, इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार िनधार्िरत रकम या िव ुत
पर्भार को जमा करने या उसका संदाय करने पर, इस खंड के दूसरे परं तुक म यथा िनिदष्ट िशकायत को दािखल करने की बाध्यता पर
पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे जमा या संदाय के अड़तालीस घंटे के भीतर िव ुत की पर्दाय लाइन को पर्त्यावितत करे गा ।]

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
48

(2) राज्य सरकार ारा इस िनिम 1 [यथािस्थित, पर्ािधकृ त अनुज्ञिप्तधारी या पर्दायकतार् का कोई अिधकारी—]
(क) ऐसे िकसी स्थान या पिरसर म, िजसम उसके पास यह िवश्वास करने का कारण है िक िव ुत का अपर्ािधकृ त
उपयोग 2 [िकया गया है, िकया जा रहा है] पर्वेश कर सके गा, उसका िनरीक्षण कर सके गा, तोड़कर खोल सके गा, या तलाशी
ले सके गा; या
(ख) ऐसी सभी युिक्तय , यंतर् , तार और िकसी अन्य सुकारक या वस्तु की जो िव ुत के अपर्ािधकृ त उपयोग के
िलए पर्योग 1[की गई है, की जा रही है] तलाशी ले सके गा, उसका अिभगर्हण कर सके गा और उसे हटा सके गा;
(ग) ऐसी लेखा पुस्तक या दस्तावेज की परीक्षा कर सके गा या उन्ह अिभगृहीत कर सके गा जो उसकी राय म
उपधारा (1) के अधीन अपराध की बाबत िकन्ह कायर्वािहय के िलए उपयोगी या सुसंगत होगी और ऐसे व्यिक्त को िजसकी
अिभरक्षा से ऐसी लेखा पुस्तक या दस्तावेज अिभगृहीत िकए गए ह, अपनी उपिस्थित म उनकी पर्ितयां बनाने या उनसे
उ रण लेने के िलए अनुज्ञात कर सके गा ।
(3) तलाशी के स्थान का अिधभोगी या उसकी ओर से कोई व्यिक्त, तलाशी के दौरान उपिस्थत रहेगा और ऐसी तलाशी के
अनुकर्म म अिभगृहीत सभी वस्तु की एक सूची तैयार की जाएगी और ऐसे अिधभोगी या व्यिक्त को पिरद की जाएगी जो सूची पर
हस्ताक्षर करे गा :
परन्तु यह िक िकन्ह घरे लू स्थान या घरे लू पिरसर का िनरीक्षण, तलाशी और अिभगर्हण सूयार्स्त और सूय दय के बीच तब
तक नह िकया जाएगा जब तक िक ऐसे पिरसर पर कोई अिधभोगी वयस्क पुरुष उपिस्थत न हो ।
(4) तलाशी और अिभगर्हण से संबंिधत दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध यथासंभव, इस अिधिनयम के
अधीन तलाशी और अिभगर्हण को लागू ह गे ।
136. िव त
ु लाइन और सामगर्ी की चोरी—(1) जो कोई बेईमानी से—
(क) िकसी टावर, पोल, िकसी अन्य संस्थापन या संस्थापन के स्थान या िकसी अन्य स्थान या स्थल, जहां वह
अिधकारपूवर्क या िविधपूवर्क भंडािरत िकया गया, जमा िकया गया, रखा गया, स्टाक िकया गया, िस्थत या अविस्थत हो,
िजसके अंतगर्त पिरवहन के दौरान अविस्थत करना भी है, यथािस्थित, अनुज्ञिप्तधारी या स्वामी की सहमित के िबना कोई
इलेिक्टर्क लाइन, सामगर्ी या मीटर काटेगा या हटाएगा, या ले जाएगा या अन्तिरत करे गा चाहे वह कायर् लाभ या अिभलाभ
के िलए िकया गया हो या नह ; या
(ख) िकसी िव ुत लाइन, सामगर्ी या मीटर को स्वामी की सहमित के िबना भंडािरत करे गा, कब्जे म रखेगा या
अन्यथा अपने पिरसर म, अिभरक्षा म या िनयंतर्ण म रखेगा, चाहे वह कायर् लाभ या अिभलाभ के िलए िकया गया हो
या नह ; या
(ग) िकसी िव त ु लाइन, सामगर्ी या मीटर को स्वामी की सहमित के िबना लादेगा, ले जाएगा, या एक स्थान से
दूसरे स्थान को ले जाएगा, चाहे वह कायर् लाभ या अिभलाभ के िलए िकया गया हो या नह ,
िव ुत लाइन और सामगर्ी की चोरी का अपराध िकया गया कहा जाएगा और वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो
सके गी या जुमार्ने से या दोन से दंडनीय होगा ।
(2) यिद कोई व्यिक्त िजसे, उपधारा (1) के अधीन दंडनीय िकसी अपराध के िलए िस दोष ठहराया गया है, उस उपधारा के
अधीन दंडनीय िकसी अपराध का पुन:दोषी है, तो वह दूसरे और पश्चात्वत अपराध के िलए, कारावास से, िजसकी अविध छह मास से
कम की नह होगी िकन्तु जो पांच वषर् तक की हो सके गी, दंडनीय होगा और जुमार्ने का भी, जो दस हजार रुपए से कम का नह होगा,
दायी होगा ।
137. चुराई गई संपि पर्ाप्त करने के िलए दंड—जो कोई, िकसी चुराई गई िव ुत लाइन या सामगर्ी को यह जानते हुए या
यह िवश्वास करने का कारण रखते हुए िक वह चुराई गई संपि है, बेईमानी से पर्ाप्त करे गा, वह दोन म से िकसी भी भांित के
कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से, दंडनीय होगा ।
138. अनुज्ञिप्तधारी के मीटर या संकम से छेड़छाड़—(1) जो कोई—
(क) िकसी मीटर, सूचक या सािधतर् को िकसी ऐसी िव ुत लाइन से िजसके माध्यम से अनुज्ञिप्तधारी ारा िव ुत
पर्दाय की जाती है, अपर्ािधकृ त रूप से संयोिजत करे गा या उसे ऐसी िव ुत लाइन से िवयोिजत करे गा; या
(ख) िकसी मीटर, सूचक या सािधतर् को, िकसी ऐसी िव त ु लाइन या अन्य संकमर् से, जो िकसी अनुज्ञिप्तधारी की
संपि है, उस समय अपर्ािधकृ त रूप से पुन: संयोिजत करे गा जब उक्त िव त
ु लाइन या अन्य संकमर् काट िदया गया है या
िवयोिजत कर िदया गया है; या

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
 2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
49

(ग) िकन्ह संकम को अनुज्ञिप्तधारी के िकन्ह अन्य संकम के साथ संपकर् के पर्योजन के िलए लगाएगा या
लगवाएगा या संयोिजत करे गा;
(घ) अनुज्ञिप्तधारी के िकसी मीटर, सूचक या सािधतर् को िव ष
े पूवक
र् हािन पहुंचाएगा या ऐसे िकसी मीटर, सूचक
या सािधतर् की अनुकर्मिणका म जानबूझकर या कपटपूवर्क पिरवतर्न, सूचक या सािधतर् सूचकांक को पिरवितत करे गा या
िकसी ऐसे मीटर, सूचक या सािधतर् को सम्यक्त: रिजस्टर करने से िनवािरत करे गा,
वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी या जुमार्न से जो दस हजार रुपए तक हो सके गा, या दोन से और जारी
रहने वाले अपराध की दशा म दैिनक जुमार्ने से, जो पाचं सौ रुपए तक हो सके गा, दंडनीय होगा और यिद यह सािबत कर िदया जाता है
िक ऐसा संयोजन जैसा खंड (क) म िनिदष्ट है या ऐसा पुन: संयोजन जैसा खंड (ख) म िनिदष्ट है या ऐसा संपकर् जैसा खंड (ग) म
िनिदष्ट है करने के िलए या ऐसा पिरवतर्न या िनवारण करने के िलए जैसा खंड (घ) म िनिदष्ट है साधन िव मान है और वह मीटर,
सूचक या सािधतर्, उपभोक्ता की अिभरक्षा म या उसके िनयंतर्ण के अधीन है, चाहे वह उसकी संपि हो या न हो, तो जब तक िक
पर्ितकू ल सािबत नह कर िदया जाता यह उपधारणा की जाएगी िक, यथािस्थित, ऐसा संयोजन, पुन: संयोजन, संपकर् , पिरवतर्न,
िनवारण या अनुिचत उपयोग ऐसे उपभोक्ता ारा जानते हुए और जानबूझकर िकया गया है ।
संकम को उपेक्षापूवक
1 [139. र् तोड़ना या नुकसान पहुंचाना—जो कोई िव ुत के पर्दाय से संयोिजत िकसी सामगर्ी को
उपेक्षापूवर्क तोड़ेगा, क्षित पहुंचाएगा, नीचे फके गा या नुकसान करे गा वह जुमार्ने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सके गा,
दंडनीय होगा ।
140. संकम को साशय क्षित पहुंचाने के िलए शािस्त—जो कोई िव ुत के पर्दाय को काटने के आशय से िकसी िव ुत पर्दाय
लाइन या संकम को काटेगा या क्षित पहुंचाएगा या काटने या क्षित पहुंचाने का पर्यत्न करे गा वह जुमार्ने से, जो दस हजार रुपए तक का
हो सके गा, दंडनीय होगा ।]
141. सावर्जिनक लैम्प का बुझाना—जो कोई िकसी सावर्जिनक लप को िव ष
े पूवर्क बुझाएगा, वह जुमार्ने से, जो दो हजार
रुपए तक का हो सके गा, दंडनीय होगा ।
142. समुिचत आयोग ारा िदए गए िनदेश के अननुपालन के िलए दंड—यिद िकसी व्यिक्त ारा समुिचत आयोग के समक्ष
कोई िशकायत फाइल की जाती है या यिद उस आयोग का समाधान हो जाता है िक िकसी व्यिक्त ने इस अिधिनयम या उसके अधीन
बनाए गए िनयम या िविनयम के िकन्ह उपबंध का या आयोग ारा जारी िकए गए िकन्ह िनदेश का उल्लंघन िकया है, तो समुिचत
आयोग ऐसे व्यिक्त को, मामले म सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, िकसी अन्य शािस्त पर िजसके िलए वह इस अिधिनयम के अधीन
दायी होगा, पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, िलिखत आदेश ारा िनदेश दे सके गा िक ऐसा व्यिक्त शािस्त के रूप म पर्त्येक उल्लंघन के िलए
ऐसी रकम का संदाय करे गा जो एक लाख रुपए से अिधक नह होगी और लगातार असफलता की दशा म ऐसी अितिरक्त शािस्त का,
पर्त्येक ऐसे िदन के िलए, िजसके दौरान ऐसे िनदेश के पर्थम उल्लंघन के पश्चात् असफलता बनी रहती है, संदाय करे गा जो छह हजार
रुपए तक हो सके गी ।
143. न्यायिनणर्यन की शिक्त—(1) इस अिधिनयम के अधीन न्यायिनणर्यन के पर्योजन के िलए, समुिचत आयोग, अपने
सदस्य म से िकसी को, ऐसी रीित म जांच करने के िलए जैसी समुिचत सरकार ारा, संबंिधत िकसी व्यिक्त को, कोई शािस्त
अिधरोिपत करने के पर्योजन के िलए सुनवाई का अवसर िदए जाने के पश्चात् िविहत की जाए, न्यायिनणार्यक अिधकारी
िनयुक्त करे गा ।
(2) जांच करते समय न्यायिनणार्यक अिधकारी को ऐसे िकसी व्यिक्त को, जो मामले के तथ्य और पिरिस्थितय से
पिरिचत ह, समन करने और सा य देने के िलए उसको हािजर कराने या कोई ऐसी दस्तावेज पर्स्तुत कराने, जो न्यायिनणार्यक
अिधकारी की राय म जांच की िवषय-वस्तु के िलए उपयोगी या उससे सुसंगत हो सकती है, की शिक्त होगी और यिद ऐसी जांच पर
उसका यह समाधान हो जाता है िक वह व्यिक्त, धारा 29 या धारा 33 या धारा 43 के उपबंध का पालन करने म असफल रहा है तो
वह ऐसी शािस्त अिधरोिपत कर सके गा, जो वह उन धारा म से िकसी के उपबंध के अनुसार उिचत समझे ।
  144. न्यायिनणार्यक अिधकारी ारा ध्यान म रखी जाने वाली बात—धारा 29 या धारा 33 या धारा 43 के अधीन शािस्त की
मातर्ा का न्यायिनणर्यन करते समय, न्यायिनणार्यक अिधकारी, िनम्निलिखत कारक का सम्यक् रूप से ध्यान रखेगा, अथार्त् :—
(क) व्यितकर्म के पिरणामस्वरूप पर्ाप्त अननुपाितक अिभलाभ या अनुिचत फायद की मातर्ा जहां उसकी गणना की
जा सकती है;
(ख) व्यितकर्म का बार-बार िकया जाना ।
145. िसिवल न्यायालय को अिधकािरता का न होना—िकसी िसिवल न्यायालय को ऐसे िकसी िवषय की बाबत, िजसका
अवधारण करने के िलए धारा 126 म िनिदष्ट िनधार्रण अिधकारी या धारा 127 म िनिदष्ट अपील पर्ािधकारी या इस अिधिनयम के
अधीन िनयुक्त न्यायिनणार्यक अिधकारी को इस अिधिनयम ारा या के अधीन सशक्त िकया गया है, कोई वाद या कायर्वाही गर्हण

1
 2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
50

करने की अिधकािरता नह होगी और इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन पर्द िकसी शिक्त के अनुसरण म की गई या की जाने
वाली िकसी कायर्वाही की बाबत िकसी न्यायालय या अन्य पर्ािधकारी ारा िदया गया कोई व्यादेश अनुद नह िकया जाएगा ।
146. आदेश या िनदेश के अननुपालन के िलए दंड—जो कोई इस अिधिनयम के अधीन िदए गए िकसी आदेश या िनदेश का
ऐसे समय के भीतर जो उक्त आदेश या िनदेश म िविनिदष्ट िकया जाए, अनुपालन करने म असफल रहेगा या इस अिधिनयम या उसके
अधीन बनाए गए िकन्ह िनयम या िविनयम के उपबंध म से िकसी का उल्लंघन करे गा या उल्लंघन करने का पर्यत्न करे गा या दुष्पर्ेरण
करे गा, वह पर्त्येक अपराध की बाबत ऐसे कारावास से, िजसकी अविध तीन मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से जो एक लाख रुपए
तक का हो सके गा या दोन से दंडनीय होगा और िनरं तर असफल रहने की दशा म ऐसे अितिरक्त जुमार्ने से, जो ऐसे पर्त्येक िदन के िलए
िजसके दौरान ऐसी असफलता ऐसे अपराध के पर्थम िस दोष होने के पश्चात् जारी रहती है, पांच हजार रुपए तक का हो सके गा,
दंडनीय होगा :
1 [परं तु यह िक इस धारा की कोई बात धारा 121 के अधीन जारी िकए गए आदेश , अनुदश
े या िनदेश को लागू नह होगी
।]
147. शािस्तय का अन्य दाियत्व को पर्भािवत न करना—इस अिधिनयम के अधीन अिधरोिपत शािस्तयां, पर्ितकर के संदाय
या िकसी अनुज्ञिप्तधारी की दशा म उसकी अनुज्ञिप्त के पर्ितसंहरण के संबंध म िकसी दाियत्व के , जो अपराधी ने उपगत िकया हो,
अितिरक्त ह गी न िक उसके अल्पीकरण म ।
148. शािस्त जहां संकमर् सरकार का है—इस अिधिनयम के उपबंध जहां तक लागू ह , उस दशा म भी लागू समझे जाएंगे
िजसम त ीन दंडनीय कायर् समुिचत सरकार ारा पर्दाय की गई िव ुत या उसके संकम के संबंध म िकए जाते ह ।
149. कं पिनय ारा अपराध—(1) जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी कं पनी ारा िकया गया है वहां ऐसा
पर्त्येक व्यिक्त जो उस अपराध के िकए जाने के समय उस कं पनी के कारबार के संचालन के िलए उस कं पनी का भारसाधक था और
उसके पर्ित उ रदायी था और साथ ही वह कं पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए
जाने और दंिडत िकए जाने के भागी ह गे :
परं तु इस उपधारा की कोई बात िकसी ऐसे व्यिक्त को दंड का भागी नह बनाएगी यिद वह यह सािबत कर देता है िक
अपराध उसकी जानकारी के िबना िकया गया था या उसने ऐसे अपराध के िकए जाने का िनवारण करने के िलए सब सम्यक् तत्परता
बरती थी ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी कं पनी ारा िकया गया है
और यह सािबत हो जाता है िक वह अपराध कं पनी के िकसी िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य अिधकारी की सम्मित या मौनानुकूलता
से िकया गया है या उसकी िकसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसा िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य अिधकारी भी उस
अपराध का दोषी माना जाएगा और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए जाने और दंिडत िकए जाने का भागी होगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए,—
(क) “कं पनी” से कोई िनगिमत िनकाय अिभपर्ेत है और इसके अंतगर्त कोई फमर् या व्यिष्टय का अन्य संगम
भी है; और
(ख) फमर् के संबंध म “िनदेशक” से उस फमर् का कोई भागीदार अिभपर्ेत है ।
150. दुष्पर्ेरण—(1) जो कोई, इस अिधिनयम के अधीन दंडनीय िकसी अपराध का दुष्पर्ेरण करे गा वह भारतीय दंड संिहता
(1860 का 45) म िकसी बात के होते हुए भी, उस अपराध के िलए उपबंिधत दंड से दंिडत िकया जाएगा ।
(2) इस अिधिनयम या तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के अधीन ऐसी कोई शािस्त या जुमार्ना, जो अिधरोिपत िकया जा
सके गा या ऐसी अिभयोजन कायर्वाही, जो आरं भ की जा सके गी, पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, यिद बोडर् का कोई अिधकारी या अन्य
कमर्चारी या अनुज्ञिप्तधारी कोई करार करे गा या िकसी करार के करने म मौन सम्मित देगा, ऐसा कोई कायर् या बात करने से पर्िवरत
रहेगा, अनुज्ञा देगा, िछपाएगा या मौन सहमित देगा िजसके ारा िव ुत की कोई चोरी की जाती है तो वह कारावास से, िजसकी
अविध तीन वषर् तक की हो सके गी या जुमार्ने से, या दोन से दंडनीय होगा ।
धारा 135 की उपधारा (1), धारा 136 की उपधारा (1), धारा 137 और धारा 138 म िकसी बात के होते हुए भी,
2 [(3)

िकसी ऐसे व्यिक्त को, जो िव ुत ठे केदार, पयर्वेक्षक या कायर्कतार् के रूप म कायर् करते हुए, धारा 135 की उपधारा (1), धारा 136 की
उपधारा (1), धारा 137 या धारा 138 के अधीन दंडनीय िकसी अपराध को करने का दुष्पर्ेरण करे गा, इस अिधिनयम के अधीन बनाए
गए या बनाए गए समझे गए िनयम के अधीन जारी की गई अनुज्ञिप्त या सक्षमता पर्माणपतर् या अनुज्ञापतर् या ऐसा अन्य पर्ािधकार,
ऐसे दुष्पर्ेरण के िलए उसकी दोषिसि पर, अनुज्ञापन पर्ािधकारी ारा र भी िकया जा सके गा :
परं तु ऐसे र िकए जाने का कोई आदेश, ऐसे व्यिक्त को सुने जाने का अवसर पर्दान िकए िबना, नह िकया जाएगा ।

1
 2003 के अिधिनयम सं० 57 की धारा 7 ारा अंत:स्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 14 ारा अंत:स्थािपत ।
51

स्पष्टीकरण—इस उपधारा के पर्योजन के िलए “अनुज्ञापन पर्ािधकारी” से ऐसा अिधकारी अिभपर्ेत है, जो तत्समय पर्वृ
ऐसी अनुज्ञिप्त या सक्षमता पर्माणपतर् या अनुज्ञापतर् या ऐसा अन्य पर्ािधकार जारी या नवीकृ त करता है ।]
151. अपराध का संज्ञान—कोई न्यायालय, इस अिधिनयम के अधीन दंडनीय िकसी अपराध का तब के िसवाय संज्ञान नह
लेगा जब, यथािस्थित, समुिचत सरकार या समुिचत आयोग या मुख्य िव ुत िनरीक्षक या िव ुत िनरीक्षक या अनुज्ञिप्तधारी या
उत्पादन कं पनी ने इस पर्योजन के िलए िलिखत म पिरवाद न िकया हो :
1 [परं तु
न्यायालय इस अिधिनयम के अधीन दंडनीय िकसी अपराध का, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा
173 के अधीन फाइल की गई िकसी पुिलस अिधकारी की िरपोटर् पर भी, संज्ञान ले सके गा :
परं तु यह और िक धारा 153 के अधीन गिठत कोई िवशेष न्यायालय, िकसी अिभयुक्त को िवचारण के िलए उसको सुपुदर् िकए
िबना, िकसी अपराध का संज्ञान लेने के िलए सक्षम होगा ।]
अन्वेषण करने की पुिलस की शिक्त—इस अिधिनयम के अधीन दंडनीय िकसी अपराध के अन्वेषण के पर्योजन के
2 [151क.

िलए, पुिलस अिधकारी को, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 12 म यथा उपबंिधत सभी शिक्तयां ह गी ।
151ख. कितपय अपराध का संज्ञय े और अजमानतीय होना—दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म अंतिवष्ट िकसी
बात के होते हुए भी, धारा 135 से धारा 140 तक या धारा 150 के अधीन दंडनीय कोई अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होगा ।]
152. अपराध का शमन—(1) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म अंतिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी, समुिचत
सरकार या उसके ारा इस िनिम पर्ािधकृ त कोई अिधकारी, िकसी उपभोक्ता या व्यिक्त से, िजसने इस अिधिनयम के अधीन दंडनीय
िव ुत की चोरी का अपराध िकया है या िजसके ारा िकए जाने का समुिचत रूप से संदह
े है, अपराध के शमन के रूप म नीचे सारणी म
यथा िविनिदष्ट धनरािश स्वीकार कर सके गा :—

सारणी

सेवा की पर्कृ ित वह दर, िजस पर शमन के िलए धनरािश िनम्न िवभव (एल.टी.) पर्दाय के
िलए पर्ित िकलोवाट/अश्वशिक्त या उसके भाग और उच्च िवभव
(एच.टी.) के िलए संिवदा की गई मांग के पर्ित िकलोवाट एम्पीयर
(के वी ए) पर संगृहीत की जानी है ।
(1) (2)
1. औ ोिगक सेवा बीस हजार रुपए
2. वािणिज्यक सेवा दस हजार रुपए
3. कृ िष सेवा दो हजार रुपए
4. अन्य सेवाएं चार हजार रुपए :

परन्तु समुिचत सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा ऊपर सारणी म िविनिदष्ट दर को संशोिधत कर सके गी ।
(2) उपधारा (1) के अनुसार धनरािश का संदाय कर िदए जाने पर उस अपराध के संबंध म अिभरक्षा म रह रहे व्यिक्त को
िनमुर्क्त कर िदया जाएगा और ऐसे उपभोक्ता या व्यिक्त के िवरु िकसी दांिडक न्यायालय म कोई कायर्वािहयां संिस्थत नह की
जाएंगी या जारी नह रखी जाएंगी ।
(3) उपधारा (1) के अनुसार िकसी अपराध का शमन करने के िलए समुिचत सरकार या इस िनिम पर्ािधकृ त अिधकारी ारा
धनरािश का गर्हण िकया जाना, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 300 के अथार्न्तगर्त दोषमुिक्त मानी जाएगी ।
(4) उपधारा (1) के अधीन िकसी अपराध का शमन, िकसी व्यिक्त या उपभोक्ता के िलए एक ही बार अनुज्ञात
िकया जाएगा ।

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 15 ारा अंत:स्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 16 ारा अंत:स्थािपत ।  
52

भाग 15

िवशेष न्यायालय
153. िवशेष न्यायालय का गठन—(1) राज्य सरकार, 1 [धारा 135 से धारा 140 तक और धारा 150] म िनिदष्ट अपराध के
शीघर् िवचारण का उपबंध करने के पर्योजन के िलए, राजपतर् म अिधसूचना ारा, उतने िवशेष न्यायालय का, िजतने ऐसे क्षेतर् या क्षेतर्
के िलए आवश्यक ह और जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकए जाएं, गठन कर सके गी ।
(2) कोई िवशेष न्यायालय एकल न्यायाधीश से िमलकर बनेगा, जो उच्च न्यायालय की सहमित से राज्य सरकार ारा
िनयुक्त िकया जाएगा ।
(3) कोई व्यिक्त तब तक िवशेष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप म िनयुिक्त के िलए अिहत नह होगा, जब तक ऐसी
िनयुिक्त से ठीक पहले वह अपर िजला और सेशन न्यायाधीश न रहा हो ।
(4) जहां िवशेष न्यायालय के न्यायाधीश का पद िरक्त है या ऐसा न्यायाधीश ऐसे िवशेष न्यायालय की बैठक के सामान्य
स्थान से अनुपिस्थत है या वह बीमारी या अन्य कारण से अपने कतर्व्य के िनष्पादन के िलए असमथर् है वहां िवशेष न्यायाल का कोई
अत्यावश्यक कायर्—
(क) िवशेष न्यायालय की अिधकािरता का पर्योग करने वाले िकसी न्यायाधीश ारा, यिद कोई हो,
(ख) जहां कोई ऐसा अन्य न्यायाधीश उपलब्ध न हो वहां उपधारा (1) के अधीन यथाअिधसूिचत िवशेष न्यायालय
की बैठक के सामान्य स्थान पर अिधकािरता रखने वाले िजला और सेशन न्यायाधीश के िनदेश के अनुसार,
िनपटाया जाएगा ।
154. िवशेष न्यायालय की पर्िकर्या और शिक्त—(1) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म िकसी बात के होते हुए भी,
धारा 135 से धारा 139 तक के अधीन दंडनीय पर्त्येक अपराध के वल ऐसे िवशेष न्यायालय ारा िवचारणीय होगा िजसकी अिधकािरता
के भीतर ऐसा अपराध िकया गया था ।
(2) जहां िकसी जांच या िवचारण के अनुकर्म म, िकसी न्यायालय को यह पर्तीत होता है िक 2 [धारा 135 से धारा 140 तक
और धारा 150] के अधीन दंडनीय कोई अपराध िकसी ऐसे अपराध की बाबत ऐसा मामला है जो ऐसे क्षेतर् म उद्भूत हुआ है जो इस
अिधिनयम के अधीन गिठत िकसी िवशेष न्यायालय ारा िवचारणीय है तो वह ऐसे मामले को ऐसे िवशेष न्यायालय तो अंतिरत करे गा
और तदुपिर ऐसे मामले का इस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार ऐसे िवशेष न्यायालय ारा िवचारण और िनपटारा िकया जाएगा :
परं तु िवशेष न्यायालय के िलए यह िविधपूणर् होगा िक वह ऐसे िकसी सा य पर, यिद कोई हो, कायर् करे , जो िकसी िवशेष
न्यायालय को मामले के अंतरण के पूवर् अिभयुक्त की उपिस्थित म िकसी न्यायालय ारा अिभिलिखत िकया गया हो :
परं तु यह और िक यिद ऐसे िवशेष न्यायालय की यह राय है िक ऐसे साक्षी का, िजसका सा य पहले ही अिभिलिखत कर
िलया गया हो, न्यायिहत म और परीक्षण, पर्ित परीक्षण और पुन: परीक्षण अपेिक्षत है तो वह ऐसे िकसी साक्षी को पुन: समन कर सके गा
और ऐसे अितिरक्त परीक्षण, पर्ित परीक्षण या पुन: परीक्षण, यिद कोई है, करने के पश्चात् जैसा वह अनुज्ञात करे , साक्षी को उन्मोिचत
िकया जाएगा ।
(3) िवशेष न्यायालय, दंड पर्िकया संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 260 की उपधारा (1) या धारा 262 म िकसी बात के
होते हुए भी, 1[धारा 135 से धारा 140 तक और धारा 150] म िनिदष्ट अपराध का, उक्त संिहता म िविहत पर्िकर्या के अनुसार संिक्षप्त
रूप से िवचारण कर सके गा और उक्त संिहता की धारा 263 से धारा 265 तक के उपबंध, जहां तक हो सके , ऐसे िवचारण को
लागू ह गे :
परन्तु यह िक जहां इस उपधारा के अधीन संिक्षप्त िवचारण के अनुकर्म म, िवशेष न्यायालय को यह पर्तीत हो िक मामले की
पर्कृ ित ऐसी है िक ऐसे मामले का संिक्षप्त रूप से िवचारण अवांछनीय होगा वहां िवशेष न्यायालय, िकसी ऐसे साक्षी को पुन: बुलाएगा
िजसका परीक्षण हो चुका हो और ऐसे अपराध के िवचारण के िलए उक्त संिहता के उपबंध म उपबंिधत रीित से मामले की
पुन: सुनवाई करने के िलए अगर्सर होगा :
परन्तु यह और िक इस धारा के अधीन संिक्षप्त िवचारण म िकसी दोषिसि की दशा म, िकसी िवशेष न्यायालय के िलए यह
िविधपूणर् होगा िक वह पांच वषर् से अनिधक अविध के कारावास का दंडादेश पािरत करे ।
(4) कोई िवशेष न्यायालय, िकसी ऐसे अपराध से, पर्त्यक्ष या परोक्ष रूप से सम्ब या संसिगत समझे जाने वाले िकसी व्यिक्त
को, सा य अिभपर्ाप्त करने की दृिष्ट से, उस व्यिक्त को, इस शतर् पर क्षमादान दे सकता है िक वह अपराध के संबंध म और उसके िकए
जाने म या दुष्पर्ेरक के रूप म संब पर्त्येक अन्य व्यिक्त के संबंध म, ऐसी सब पिरिस्थितय का, िजनकी उसे जानकारी हो, पूणर् और

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 17 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 18 ारा पर्ितस्थािपत ।
53

सत्य पर्कटन कर दे और इस पर्कार िकया गया क्षमादान, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 308 के पर्योजन के िलए
उसकी धारा 307 के अधीन पर्दान िकया गया क्षमादान समझा जाएगा ।
(5) 1[िवशेष न्यायालय, िकसी उपभोक्ता या िकसी व्यिक्त के िवरु ऊजार् की चोरी के िलए धन के रूप म िसिवल दाियत्व
का अवधारण करे गा] जो ऐसी रकम से कम नह होगा जो ऊजार् की चोरी के पता लगने की तारीख से पूवर्वत बारह मास की अविध के
िलए या चोरी की सही अविध के िलए, यिद अवधािरत की जाए, इनम से जो भी कम हो, लागू टैिरफ दर के दुगुना के बराबर होगी और
इस पर्कार अवधािरत िसिवल दाियत्व की रकम उसी पर्कार वसूल की जाएगी मानो वह िसिवल न्यायालय की िडकर्ी हो ।
(6) उस दशा म जहां िवशेष न्यायालय ारा अंितम रूप से इस पर्कार अवधािरत िसिवल दाियत्व उस रकम से कम है जो
उपभोक्ता या व्यिक्त ारा िनिक्षप्त की गई है वहां उपभोक्ता या व्यिक्त ारा, यथािस्थित, बोडर् या अनुज्ञिप्तधारी या संबंिधत व्यिक्त
के पास इस पर्कार िनिक्षप्त अिधक रकम, यथािस्थित, बोडर् या अनुज्ञिप्तधारी या संबंिधत व्यिक्त ारा िवशेष न्यायालय के आदेश की
संसूचना की तारीख से चौदह िदन के भीतर, ऐसे िनक्षेप की तारीख से संदाय की तारीख तक की अविध के िलए भारतीय िरजवर् बक की
उधार देने की वतर्मान मूल दर से ब्याज के साथ वापस की जाएगी ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए, िसिवल दाियत्व से 1 [धारा 135 से धारा 140 तक और धारा 150] म िनिदष्ट
िकसी अपराध के करने के कारण, यथािस्थित, बोडर् या अनुज्ञिप्तधारी या संबंिधत व्यिक्त को उपगत हािन या नुकसान अिभपर्ेत है ।
155. िवशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय की शिक्तयां होना—इस अिधिनयम म जैसा अन्यथा उपबंिधत है उसके िसवाय,
दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) जहां तक वह इस अिधिनयम के उपबंध से असंगत न हो, िवशेष न्यायालय के समक्ष
कायर्वािहय को लागू होगी और उक्त अिधिनयिमितय के उपबंध के पर्योजन के िलए िवशेष न्यायालय, सेशन न्यायालय समझा
जाएगा और उसे सेशन न्यायालय की सभी शिक्तयां ह गी तथा िवशेष न्यायालय के समक्ष अिभयोजन का संचालन करने वाले व्यिक्त
को लोक अिभयोजक समझा जाएगा ।
156. अपील और पुनरीक्षण—उच्च न्यायालय, दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 29 और अध्याय 30 ारा
पर्द सभी शिक्तय का, जहां तक वे लागू ह , उसी पर्कार पर्योग करे गा मानो उच्च न्यायालय की अिधकािरता की स्थानीय सीमा के
भीतर िवशेष न्यायालय, उच्च न्यायालय की अिधकािरता की स्थानीय सीमा के भीतर मामल का िवचारण करने वाला, यथािस्थित,
कोई िजला न्यायालय या सेशन न्यायालय हो ।
157. पुनिवलोकन—िवशेष न्यायालय, िकसी यािचका पर या अन्यथा और घोर अन्याय का िनवारण करने की दृिष्ट से,
धारा 154 के अधीन पािरत अपने िनणर्य या आदेश का पुनिवलोकन कर सके गा, िकन्तु ऐसी कोई पुनिवलोकन यािचका ऐसे आधार के
िसवाय गर्हण नह की जाएगी िक वह ऐसा आदेश था जो तथ्य की तर्ुिट, िकसी सारवान्, तथ्य की अनिभज्ञता या अिभलेख के देखने से
ही तर्ुिटपुणर् होने के आधार पर पािरत िकया गया था :
परन्तु यह िक िवशेष न्यायालय, पर्भािवत पक्षकार की, सुनवाई के िबना िकसी पुनिवलोकन यािचका को अनुज्ञात नह करे गा
और अपने पूवार्दश
े या िनणर्य को अपास्त नह करे गा ।
स्पष्टीकरण—इस भाग के पर्योजन के िलए, “िवशेष न्यायालय” से धारा 153 की उपधारा (1) के अधीन गिठत िवशेष
न्यायालय अिभपर्ेत है ।
भाग 16

िववाद समाधान
माध्यस्थम्
158. माध्यस्थम्—जहां इस अिधिनयम के ारा या अधीन कोई मामला माध्यस्थम् ारा अवधािरत िकए जाने के िलए
िनिदष्ट है वहां वह मामला, उस दशा के िसवाय िजसम अनुज्ञिप्तधारी की अनुज्ञिप्त म स्पष्ट रूप से अन्यथा उपबंिधत न हो, ऐसे
व्यिक्त या व्यिक्तय ारा अवधािरत िकया जाएगा िजन्ह दोन म से िकसी भी पक्षकार के आवेदन पर समुिचत आयोग इस िनिम
नामिनिदष्ट करे ; िकन्तु माध्यस्थम्, सभी अन्य बात म माध्यस्थम् और सुलह अिधिनयम, 1996 (1996 का 26) के उपबंध के
अध्यधीन होगा ।
भाग 17

अन्य उपबंध
संरक्षा खंड
159. रे ल पथ , राजमाग , वायुप न और नहर , डाक , घाट और वंगसार की संरक्षा— िव ुत के उत्पादन, पारे षण,
िवतरण, पर्दाय या पर्योग म लगा कोई भी व्यिक्त, िकसी रे ल-पथ, राजमागर्, वायुप न , टर्ामपथ, नहर या जलमागर् अथवा िकसी डॉक,

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 18 ारा पर्ितस्थािपत ।  
54

घाट या वंगसार को जो िकसी स्थानीय पर्ािधकारी म िनिहत हो या उसके ारा िनयंितर्त हो िकसी पर्कार की हािन नह पंहुचाएगा
अथवा िकसी रे ल-पथ, वायु मागर्, टर्ामपथ, नहर या जलमागर् पर यातायात म िवघ्न या बाधा नह डालेगा ।
160. तार, टेलीफोन और िव त ु संकेत लाइन की संरक्षा—(1) िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण, पर्दाय या पर्योग करने
वाला पर्त्येक व्यिक्त (इसके पश्चात् इस धारा म, िजसे “आपरे टर” कहा गया है) अपनी िव ुत लाइन , वै ुत संयंतर् और अन्य संकम
को सिन्निमत करने, िबछाने और लगाने म तथा अपनी पर्णाली के कायर्करण म सब युिक्तयुक्त पूवार्वधािनयां बरतेगा िजससे टेलीगर्ाफ,
टेलीफोन या िव ुत संकेतन संचार के पर्योजन के िलए पर्युक्त िकसी तार या लाइन के कायर्चालन म अथवा ऐसे तार या लाइन की
करे न्ट म चाहे पर्ेषण ारा या अन्यथा हािनकर पर्भाव न पड़े ।
(2) जहां आपेरटर और टेलीगर्ाफ पर्ािधकारी के बीच इस बारे म िक क्या आपरे टर ने उपधारा (1) का उल्लंघन करते हुए
अपनी िव ुत लाइन , िव ुत संकम या अन्य संकम को सिन्निमत िकया, िबछाया या लगाया है अथवा अपनी पर्णाली चािलत की है
अथवा इस बारे म िकसी तार, लाइन या करे न्ट के कायर्चालन को उससे हािनकर पर्भाव पड़ा है या नह , कोई मतभेद या िववाद उत्पन्न
हो जाए तो मामला के न्दर्ीय सरकार को िनिदष्ट िकया जाएगा; और के न्दर्ीय सरकार उस दशा के िसवाय िजसम िक उसकी यह राय है
िक ऐसी िव ुत लाइन , संयंतर् या संकम के सिन्नमार्ण के पश्चात् तार या लाइन, आपरे टर की िव ुत लाइन , िव ुत संयतर्
ं या संकम
के अयुिक्तयुक्त रूप से िनकट लगाई गई है, आपरे टर को िनदेश दे सके गी िक वह अपनी पर्णाली म ऐसे पिरवतर्न या पिरवधर्न करे जैसे
इस धारा के उपबंध के अनुपालन के िलए आवश्यक ह और आपरे टर तद्नुसार ऐसे पिरवतर्न या पिरवधर्न करे गा :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात िकसी िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् की मरम्मत, नवीकरण या संशोधन को लागू नह होगी
जब तक िक उस िव ुत लाइन का मागर् और उसके ारा पारे िषत िव ुत का पिरमाण और स्वरूप पिरवितत नह हो जाता ।
(3) जहां आपरे टर इस धारा की अपेक्षा का अनुपालन करने म व्यितकर्म करता है वहां वह उसके कारण हुई िकसी हािन या
नुकसान के िलए पूरा पर्ितकर देगा और जहां ऐसे पर्ितकर की रकम के बारे म कोई मतभेद या िववाद उत्पन्न होता है वहां मामला
माध्यस्थम् ारा अवधािरत िकया जाएगा ।
स्पष्टीकरण—इस धारा के पर्योजन के िलए कोई तार-लाइन हािनकर रूप म पर्भािवत समझी जाएगी यिद ऐसी लाइन के
ारा टेलीगर्ाफ, टेलीफोन या िव ुत संकेतन संचार, चाहे पर्ेषण से या अन्यथा िकसी िव ुत लाइन या िव ुत संकमर् या अन्य कायर् ारा
अथवा उसके िकसी पर्योग ारा पर्ितकू ल रूप म बािधत हुआ हो ।
161. दुघटर् ना की सूचना और जांच—(1) यिद िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण, पर्दाय या पर्योग के संबंध म अथवा
िकसी व्यिक्त की िव ुत लाइन या वै ुत संयंतर् के िकसी भाग म या उसके संबंध म कोई दुघर्टना होती है और उस दुघर्टना के
फलस्वरूप मानव या पशु जीवन को हािन अथवा िकसी मनुष्य या पशु को कोई क्षित होती है या होनी संभाव्य है तो ऐसा व्यिक्त उस
दुघर्टना के होने की और दुघर्टना से वास्तव म हुई िकसी ऐसी हािन या क्षित की ऐसे पर्रूप म और इतने समय के अंदर, जो िविहत िकया
जाए, सूचना िव ुत िनरीक्षक या पूव क्त िकसी व्यिक्त को और ऐसे अन्य पर्ािधकािरय को देगा िजन्ह समुिचत सरकार साधारण या
िवशेष आदेश ारा िनिदष्ट करे ।
(2) समुिचत सरकार यिद ठीक समझती है तो िकसी िव ुत िनरीक्षक या इस िनिम उसके ारा िनयुक्त िकसी अन्य व्यिक्त
से अपेक्षा कर सके गी िक वह—
(क) लोक क्षेम को पर्भािवत करने वाली िकसी ऐसी दुघर्टना की, जो िव ुत के उत्पादन, पारे षण, िवतरण, पर्दाय
या पर्योग ारा या उसके संबंध म हुई हो जांच करे और िरपोटर् दे, या
(ख) उस रीित और िवस्तार की बाबत िजसम इस अिधिनयम के या त ीन बनाए गए िनयम या िविनयम या
िकसी अनुज्ञिप्त के उपबंध का जहां तक वे उपबंध िकसी व्यिक्त के क्षेम को पर्भािवत करते ह, अनुपालन िकया गया है, जांच
करे और िरपोटर् दे ।
(3) उपधारा (2) के अधीन जांच करने वाले पर्त्येक िव ुत िनरीक्षक या अन्य व्यिक्त को सािक्षय को हािजर कराने और
दस्तावेज तथा भौितक पदाथ को पेश कराने के पर्योजन के िलए िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन िसिवल
न्यायालय की सब शिक्तयां पर्ाप्त ह गी और िव ुत िनरीक्षक ारा अपेिक्षत पर्त्येक व्यिक्त भारतीय दण्ड संिहता (1860 का 45)
की धारा 176 के अथार्न्तगर्त वैसा करने के िलए िविधपूणर्तया आब समझा जाएगा ।
162. मुख्य िव त
ु िनरीक्षक और िव त ु िनरीक्षक की िनयुिक्त—(1) समुिचत सरकार, अिधसूचना ारा, सम्यक्त: अिहत
व्यिक्तय को मुख्य िव ुत िनरीक्षक या िव ुत िनरीक्षक िनयुक्त कर सके गी और इस पर्कार िनयुक्त पर्त्येक िव ुत िनरीक्षक, इस
अिधिनयम के अधीन ऐसे क्षेतर् के भीतर या ऐसे संकमर् तथा िव ुत संस्थापन के वगर् के संबंध म और ऐसे िनबर्ंधन के अधीन रहते हुए,
जो समुिचत सरकार िनदेश दे, मुख्य िव ुत िनरीक्षक या िव ुत िनरीक्षक की शिक्तय का पर्योग और कृ त्य का पालन करे गा या ऐसी
अन्य शिक्तय का पर्योग और ऐसे अन्य कृ त्य का पालन करे गा जो िविहत िकए जाएं ।
(2) इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िकसी िनयम म तत्पर्ितकू ल अिभव्यक्त उपबंध के न होने पर, मुख्य िव ुत
िनरीक्षक या िव ुत िनरीक्षक के िविनश्चय के िवरु अपील, समुिचत सरकार को या यिद समुिचत सरकार, साधारण या िवशेष आदेश
ारा ऐसा िनदेश दे, तो समुिचत आयोग को होगी ।
55

163. अनुज्ञिप्तधारी की, पिरसर म पर्वेश करने की और अनुज्ञिप्तधारी की िफिटग या अन्य सािधतर् को हटाने
की शिक्त—(1) अनुज्ञिप्तधारी या अनुज्ञिप्तधारी ारा सम्यक्त: पर्ािधकृ त कोई अन्य व्यिक्त, युिक्तयुक्त समय पर और अिधभोगी को
अपने आशय की सूचना देकर िकसी ऐसे पिरसर म पर्वेश कर सके गा िजसको उसके ारा िव ुत पर्दाय िकया जाता है या िकया गया है
या िकसी पिरसर या भूिम, उसके नीचे, उसके ऊपर, उसके साथ-साथ, उसके आर-पार, िजससे या िजस पर िनम्निलिखत पर्योजन के
िलए उसके ारा िव ुत पर्दाय लाइन या अन्य संकमर् िविधपूणर् रूप से िबछाए गए या लगाए ह—
(क) अनुज्ञिप्तधारी के िव ुत पर्दाय के िलए िव ुत पर्दाय लाइन , मीटर , िफिटग , संकमर् और सािधतर् के
िनरीक्षण, परीक्षण, मरम्मत या बदलाव के िलए; या
(ख) पर्दाय की गई िव ुत की मातर्ा या पर्दाय म अंतिवष्ट िव त
ु की मातर्ा सुिनिश्चत करने के िलए; या
(ग) जहां िव ुत पर्दाय की अब आवश्यकता नह है या जहां अनुज्ञिप्तधारी ऐसे पर्दाय को वापस लेने और काटने के
िलए पर्ािधकृ त है, वहां अनुज्ञिप्तधारी की िकसी िव ुत पर्दाय लाइन , मीटर , िफिटग , संकमर् या सािधतर् को हटाने के िलए ।
(2) कोई अनुज्ञिप्तधारी या पूव क्त रूप से पर्ािधकृ त कोई व्यिक्त, कायर्पालक मिजस्टर्ेट ारा इस िनिम िकए गए िकसी
िवशेष आदेश के अनुसरण म और अिधभोगी को चौबीस घंटे से अन्यून की िलिखत सूचना देने के पश्चात्—
(क) इसम विणत िकसी पर्योजन के िलए उपधारा (1) म िनिदष्ट िकन्ह पिरसर या भूिम म भी पर्वेश कर सके गा;
(ख) िकसी ऐसे पिरसर म िजसको उसके ारा िव त ु पर्दाय की जानी है, उपभोक्ता की िव ुत तार िफिटग , संकमर्
और िव ुत के पर्योग के िलए सािधतर् की परीक्षा या परीक्षण के पर्योजन के िलए भी पर्वेश कर सके गा ।
(3) जहां उपभोक्ता, िकसी अनुज्ञिप्तधारी या यथापूव क्त िकसी पर्ािधकृ त व्यिक्त को उपधारा (1) या उपधारा (2)
के उपबंध के अनुसरण म उसके पिरसर या भूिम म पर्वेश की अनुमित देने से इं कार करता है या जब ऐसा अनुज्ञिप्तधारी या व्यिक्त इस
पर्कार पर्वेश कर लेता है तब उसे िकसी ऐसे कायर् को िजसका िनष्पादन करने के िलए वह उक्त उपधारा के अधीन पर्ािधकृ त है, करने
की अनुमित देने से इं कार कर देता है या ऐसे पर्वेश या िनष्पादन के िलए युिक्तयुक्त सुिवधाएं पर्दान करने म असफल रहता है वहां
अनुज्ञिप्तधारी, उपभोक्ता को िलिखत सूचना की तामील के चौबीस घंटे के पयर्वसान के बाद, उपभोक्ता का िव ुत पर्दाय, उस समय
तक के िलए काट सके गा जब तक ऐसा इं कार या असफलता जारी रहती है, िकन्तु उससे अिधक नह ।
164. कितपय मामल म टेलीगर्ाफ पर्ािधकारी की शिक्तय का पर्योग—समुिचत सरकार िव ुत लाइन िबछाने या िव ुत
पारे षण के िलए िव ुत संयंतर् लगाने के िलए या संकमर् के उिचत समन्वयन के िलए आवश्यक टेलीफोन या तार संचार के पर्योजन के
िलए िलिखत रूप म आदेश ारा, िकसी लोक अिधकारी, अनुज्ञिप्तधारी या इस अिधिनयम के अधीन िव ुत पर्दाय करने के कारबार म
लगे िकसी अन्य व्यिक्त को ऐसी शत और िनबंधन के , यिद कोई ह , जो समुिचत सरकार अिधरोिपत करना ठीक समझे और भारतीय
तार अिधिनयम, 1885 (1885 का 13) के उपबंध के अधीन रहते हुए, सरकार ारा टेलीगर्ाफ के पर्योजन के िलए स्थािपत या अनुरिक्षत
िकया गया हो या इस पर्कार स्थािपत या अनुरिक्षत िकया जाना हो, कोई ऐसी शिक्तयां पर्दान कर सके गा जो टेलीगर्ाफ पर्ािधकारी को
टेलीगर्ाफ लाइन िबछाने और खंभे लगाने की बाबत, उस अिधिनयम के अधीन पर्ाप्त ह ।
165. 1894 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 40 और धारा 41 का संशोधन—(1) भूिम अजर्न अिधिनयम, 1894 की धारा 40
की उपधारा (1) के खंड (ख) और धारा 41 की उपधारा (5) म शब्द “कायर्” म सिन्नमार्ण िकए जाने वाले कायर् के माध्यम से पर्दाय की
गई या पर्दाय की जाने वाली िव त
ु को भी सिम्मिलत समझा जाएगा ।
(2) समुिचत सरकार, इस िनिम समुिचत आयोग की िसफािरश पर, यिद वह ठीक समझती है, तो िकसी व्यिक्त के आवेदन
पर, जो कं पनी नह है और जो अपने पर्योजन के िलए िकसी भूिम को पर्ाप्त करने की इच्छा रखता है, िनदेश दे सके गी िक वह भूिम
अजर्न अिधिनयम, 1894 (1894 का 1) के उपबंध के अधीन ऐसी भूिम को उसी रीित और उन्ह शत पर अिजत कर सके गा िजन पर
िक वह कं पनी होने पर अिजत कर सकता था ।
भाग 18

पर्कीणर्
166. समन्वय मंच—(1) के न्दर्ीय सरकार, देश म िव ुत पर्णाली के अबाध और समिन्वत िवकास के िलए एक समन्वय मंच
का गठन करे गी िजसम के न्दर्ीय आयोग का अध्यक्ष, और उसके सदस्य, पर्ािधकरण का अध्यक्ष, िव ुत के अंतरराज्यीय पारे षण म लगी
उत्पादक कं पिनय और पारे षण अनुज्ञिप्तधािरय के पर्ितिनिध ह गे ।
(2) के न्दर्ीय सरकार एक िविनयामक मंच का भी गठन करे गी िजसम के न्दर्ीय आयोग का अध्यक्ष और राज्य आयोग
के अध्यक्ष ह गे ।
(3) के न्दर्ीय आयोग का अध्यक्ष, उपधारा (2) म िनिदष्ट िविनयामक के मंच का अध्यक्ष होगा ।
(4) राज्य सरकार, राज्य म िव ुत पर्णाली के अबाध और समिन्वत िवकास के िलए एक समन्वय मंच का गठन करे गी िजसम
राज्य आयोग का अध्यक्ष, और उसके सदस्य, उक्त राज्य म िव त ु के उत्पादन, पारे षण और िवतरण म लगी उत्पादक कं पिनय ,
पारे षण अनुज्ञिप्तधािरय और िवतरण अनुज्ञिप्तधािरय के पर्ितिनिध ह गे ।
56

(5) पर्त्येक िजले म समुिचत सरकार ारा गिठत एक सिमित िनम्निलिखत के िलए होगी :—
(क) पर्त्येक िजले म िव ुतीकरण के िवस्तार का समन्वय और पुनिवलोकन करना;
(ख) िव ुत पर्दाय की क्वािलटी और उपभोक्ता-संतुिष्ट का पुनिवलोकन करना;
(ग) ऊजार् दक्षता और उसके संरक्षण का संवधर्न करना ।
167. कितपय मामल म िव त ु लाइन या िव त ु संयतर्
ं को कु क से छू ट—जहां कोई िव ुत लाइन या िव त ु संयंतर् जो
अनुज्ञिप्तधारी का है, िकसी ऐसे पिरसर या भूिम म या उसके ऊपर लगाया गया है जो अनुज्ञिप्तधारी के कब्जे म नह है वहां ऐसी
िव ुत लाइन या िव ुत संयंतर् िकसी िसिवल न्यायालय की िकसी पर्िकर्या के अधीन िनष्पादन म या ऐसे व्यिक्त के िवरु िजसके कब्जे
म वह है, िदवािलयापन की कायर्वािहय म, िलए जाने के िलए दायी नह होगा ।
168. स ावपूवकर् की गई कारर् वाई के िलए संरक्षण—इस अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम या िविनयम के
अधीन स ावपूवर्क की गई या की जाने के िलए आशियत िकसी बात के िलए कोई भी वाद, अिभयोजन या अन्य कायर्वाही समुिचत
सरकार या अपील अिधकरण या समुिचत आयोग या समुिचत सरकार के िकसी अिधकारी या अपील अिधकरण के िकसी सदस्य,
अिधकारी या अन्य कमर्चारी या समुिचत आयोग के िकसी सदस्य, अिधकािरय या अन्य कमर्चािरय या िनधार्रण अिधकारी या लोक
सेवक के िवरु नह होगी ।
169. अपील अिधकरण, और समुिचत आयोग के सदस्य , अिधकािरय , आिद का लोक सेवक होना—अपील अिधकरण के
अध्यक्ष, अिधकारी और अन्य कमर्चारी और समुिचत आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, सिचव, अिधकारी और अन्य कमर्चािरय तथा
धारा 126 म िनिदष्ट िनधार्रण अिधकारी के बारे म जब वे इस अिधिनयम के िकन्ह उपबंध के अनुसरण म कायर् कर रहे ह या उनका
कायर् करना तात्पियत है, यह समझा जाएगा िक वे भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथर् के अन्तगर्त लोक सेवक ह ।
170. अिधिनयम के अधीन संदय े शािस्त की वसूली—इस अिधिनयम के अधीन िकसी व्यिक्त ारा संदय
े कोई शािस्त, यिद
उसका संदाय नह िकया गया है, तो उसी पर्कार वसूल की जा सके गी मानो वह भू-राजस्व की बकाया हो ।
171. सूचना , आदेश या दस्तावेज की तामील—(1) इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन िकसी व्यिक्त को संबोिधत
िकए जाने के िलए अपेिक्षत या पर्ािधकृ त पर्त्येक सूचना, आदेश या दस्तावेज, उसके िलए हस्ताक्षिरत अिभस्वीकृ ित रसीद अिभपर्ाप्त
करने के पश्चात् उसे पिरद करके या रिजस्टर्ीकृ त डाक ारा या पिरदान के ऐसे साधन ारा, जो िविहत िकया जाए,—
(क) जहां समुिचत सरकार, पर्ेिषती हो वहां ऐसे अिधकारी के कायार्लय म, जो समुिचत सरकार इस िनिम
िविहत करे ;
(ख) जहां समुिचत आयोग पर्ेिषती हो वहां समुिचत आयोग के कायार्लय म;
(ग) जहां कोई कं पनी पर्ेिषती हो वहां कं पनी के रिजस्टर्ीकृ त कायार्लय म या कं पनी का रिजस्टर्ीकृ त कायार्लय भारत
म न होने की दशा म, भारत म कं पनी के पर्धान कायार्लय म;
(घ) जहां कोई अन्य व्यिक्त पर्ेिषती हो वहां उस व्यिक्त के िनवास करने या कारबार के पर्ाियक या अंितम ज्ञात
स्थान पर,
तामील िकया जा सके गा ।
(2) इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन अपेिक्षत या पर्ािधकृ त पर्त्येक सूचना, आदेश या दस्तावेज के बारे म, जो िकसी
पिरसर के स्वामी या अिधभोगी को संबोिधत हो, यह समझा जाएगा िक उसे समुिचत रूप से संबोिधत है यिद उसे पिरसर के
(पिरसर का नाम देते हुए) स्वामी या अिधभोगी का वणर्न देकर संबोिधत है तो पिरद करके या पिरसर म िकसी व्यिक्त को उसकी
सत्य पर्ितिलिप देकर तामील िकया जा सके गा या यिद पिरसर म कोई व्यिक्त नह है िजसको उिचत तत्परता से पिरद िकया जा सके
तो पिरसर के िकसी सहज-दृश्य भाग पर िचपका कर उसे तामील िकया जा सकता है ।
172. संकर्मणकालीन उपबंध—इस अिधिनयम म अंतिवष्ट तत्पर्ितकू ल िकसी बात के होते हुए भी,—
(क) िनरिसत िविधय के अधीन गिठत िकसी राज्य िव ुत बोडर् को इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन िनयत िदन
या ऐसी पूवर्तर तारीख से जो राज्य सरकार अिधसूिचत करे , एक वषर् की अविध के िलए राज्य पारे षण उपयोिगता और
अनुज्ञिप्तधारी समझा जाएगा और वह इस अिधिनयम और इसके अधीन बनाए गए िनयम तथा िविनयम के उपबंध के
अनुसार राज्य पारे षण उपयोिगता और अनुज्ञिप्तधारी के कतर्व्य और कृ त्य का पालन करे गा :
परन्तु राज्य सरकार, अिधसूचना ारा, राज्य िव ुत बोडर् को राज्य पारे षण उपयोिगता या अनुज्ञिप्तधारी के रूप
म एक वषर् की उक्त अविध के पश्चात् ऐसी और अविध के िलए, जो के न्दर्ीय सरकार और राज्य सरकार ारा पारस्पिरक रूप
से िविनिश्चत की जाए, कृ त्य करते रहने के िलए पर्ािधकृ त कर सके गी;
(ख) िनरिसत िविधय के उपबंध के अधीन अनुद सभी अनुज्ञिप्तयां, पर्ािधकार, अनुमोदन, समाशोधन और
अनुज्ञाएं िनयत तारीख या ऐसी पूवर्तर अविध से एक वषर् से अनिधक अविध के िलए जो समुिचत सरकार अिधसूिचत करे ,
57

पर्वतर्न म बनी रहगी, मानो िनरिसत िविधयां, यथािस्थित, ऐसी अनुज्ञिप्तय , पर्ािधकार , अनुमोदन , समाशोधन और
अनुज्ञा की बाबत पर्वृ रही ह और तत्पश्चात् ऐसी अनुज्ञिप्त, पर्ािधकार, अनुमोदन, समाशोधन और अनुज्ञा के बारे म यह
समझा जाएगा िक वे इस अिधिनयम के अधीन अनुज्ञिप्तयां, पर्ािधकार, अनुमोदन, समाशोधन और अनुज्ञा ह और इस
अिधिनयम के सभी उपबंध ऐसी अनुज्ञिप्तय , पर्ािधकार , अनुमोदन , समाशोधन और अनुज्ञा को तद्नुसार लागू ह गे ;
(ग) िव त
ु (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54) की धारा 5 के अधीन स्थािपत राज्य िव ुत बोड के उपकर्म,
खंड (क) म िविनिदष्ट अविध की समािप्त के पश्चात्, इस अिधिनयम के भाग 13 के उपबंध के अनुसार अंतिरत िकए
जा सकगे;
(घ) राज्य सरकार, अिधसूचना ारा यह घोिषत कर सके गी िक इस अिधिनयम के कोई या सभी उपबंध उस राज्य
म ऐसी अविध तक जो िनयत तारीख से अिधसूचना ारा अनुबंिधत की जाए, छह मास से अिधक की नह होगी,
लागू नह ह गे ।
173. िविधय म असंगतताएं—इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िकसी िनयम या िविनयम अथवा इस अिधिनयम
के आधार पर पर्भाव रखने वाली िकसी िलखत म िकसी बात के होते हुए भी, िनयम या िविनयम का, जहां तक वह उपभोक्ता संरक्षण
अिधिनयम, 1986 (1986 का 68) या परमाणु ऊजार् अिधिनयम, 1962 (1962 का 33) या रे ल अिधिनयम, 1989 (1989 का 24) के
िकन्ह अन्य उपबंध से असंगत है, पर्भाव होगा ।
174. अिधिनयम का अध्यारोही पर्भाव—धारा 173 म अन्यथा उपबंिधत के िसवाय, तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म या
िकसी ऐसी िलखत म िजसका इस अिधिनयम से िभन्न िकसी िविध के आधार पर पर्भाव है, अंतिवष्ट िकसी असंगत बात के होते हुए
भी, इस अिधिनयम के उपबंध का पर्भाव होगा ।
175. इस अिधिनयम के उपबंध का अन्य िविधय के अितिरक्त होना न िक उनके अल्पीकरण म—इस अिधिनयम के उपबंध
तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के अितिरक्त ह न िक उनके अल्पीकरण म ।
176. के न्दर्ीय सरकार की िनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार, अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के उपबंध को
कायार्िन्वत करने के िलए, िनयम बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबंध हो सके गा, अथार्त् :—
(क) वह समय िजसके भीतर पर्ारूप राष्टर्ीय िव ुत योजना के संबंध म आक्षेप और सुझाव धारा 3 की उपधारा (4)
के परं तुक के अधीन, पर्ािधकरण ारा आमंितर्त िकए जाएंगे;
(ख) धारा 14 के छठे परं तुक के अधीन 1 [पूंजी पयार्प्तता, उधार पातर्ता या आचार संिहता से संबंिधत
अितिरक्त अपेक्षाएं;]
(ग) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्त पर्दान करने के िलए आवेदन की फीस का संदाय;
(घ) धारा 26 की उपधारा (2) के अधीन राष्टर्ीय भार पर्ेषण के न्दर् का गठन और उसके कृ त्य;
(ङ) धारा 67 की उपधारा (2) के अधीन स्वामी या अिधभोगी की संपि को पर्भािवत करने वाले अनुज्ञिप्तधािरय
के संकमर्;
(च) ऐसे अन्य मामले जो धारा 68 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अधीन िविहत िकए जाएं;
(छ) धारा 70 की उपधारा 14 के अधीन पर्ािधकरण के अिधवेशन म उपािस्थत होने के िलए अन्य सदस्य को संदय

भ े और फीस;
(ज) धारा 70 की उपधारा (15) के अधीन पर्ािधकरण के अध्यक्ष और सदस्य की सेवा के अन्य िनबंधन और शत;
(झ) धारा 73 के अधीन के न्दर्ीय िव ुत पर्ािधकरण के कृ त्य और कतर्व्य;
(ञ) धारा 89 की उपधारा (2) के अधीन के न्दर्ीय आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के वेतन, भ े और सेवा की
अन्य शत;
(ट) धारा 89 की उपधारा (3) के अधीन वह पर्रूप और रीित िजसम और वे पर्ािधकारी िजनके समक्ष पद और
गोपनीयता की शपथ ली जाएगी;
(ठ) धारा 90 की उपधारा (2) के पंरतुक के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा िविहत की जाने वाली पर्िकर्या;
(ड) धारा 94 की उपधारा (1) के खंड (छ) के अधीन िविहत िकए जाने के िलए अपेिक्षत कोई अन्य िवषय;

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 19 ारा पर्ितस्थािपत ।
58

(ढ) वह पर्रूप िजसम के न्दर्ीय आयोग धारा 100 की उपधारा (1) के अधीन अपना वािषक लेखा िववरण
तैयार करे गा;
(ण) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब के न्दर्ीय आयोग धारा 101 की उपधारा (1) के अधीन अपनी वािषक
िरपोटर् तैयार करे गा;
(त) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब के न्दर्ीय आयोग धारा 106 के अधीन अपना बजट तैयार करे गा;
(थ) धारा 111 की उपधारा (2) के अधीन अपील फाइल करने का पर्रूप, ऐसे पर्रूप के सत्यापन की रीित और
उसकी फीस;
(द) धारा 115 के अधीन अपील अिधकरण के अध्यक्ष और अपील अिधकरण के सदस्य को संदय
े वेतन और भ े
और उनकी सेवा के अन्य िनबंधन और शत;
(ध) धारा 119 की उपधारा (3) के अधीन अपील अिधकरण के अिधकािरय और कमर्चािरय के वेतन और भ े
तथा सेवा की अन्य शत;
(न) वे अितिरक्त िवषय िजनकी बाबत अपील अिधकरण, धारा 120 की उपधारा (2) के खंड (i) के अधीन िसिवल
न्यायालय की शिक्तय का पर्योग कर सके गा;
(प) वह पर्ािधकारी, िजसको धारा 127 की उपधारा (1) के अधीन अपील की जाएगी;
(फ) धारा 143 की उपधारा (1) के अधीन िकसी न्यायिनणार्यक अिधकारी ारा जांच करने की रीित;
(ब) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब धारा 161 की उपधारा (1) के अधीन िकसी पर्योजन के िलए िकसी
व्यिक्त को या के न्दर्ीय सरकार को सूचना की तामील की जाएगी;
(भ) धारा 162 की उपधारा (1) के अधीन िनरीक्षक ारा पर्योग की जाने वाली शिक्तयां और पालन िकए जाने
वाले कृ त्य;
(म) धारा 171 की उपधारा (1) के अधीन तामील िकए जाने वाली पर्त्येक सूचना, आदेश या दस्तावेज के पिरदान
की रीित;
(य) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकया जाना अपेिक्षत है या िविहत िकया जाए ।
177. पर्ािधकरण की िविनयम बनाने की शिक्तयां—(1) पर्ािधकरण, अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के उपबंध को,
साधारणतया कायार्िन्वत करने के िलए ऐसे िविनयम बना सके गा, जो इस अिधिनयम और िनयम से संगत ह ।
(2) िविशष्टतया और उपधारा (1) ारा पर्द शिक्तय की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िविनयम म
िनम्निलिखत िकन्ह या सभी िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त्:—
(क) धारा 34 के अधीन िगर्ड मानक;
(ख) धारा 53 के अधीन सुरक्षा और िव ुत पर्दाय से संबंिधत उिचत उपाय;
(ग) धारा 55 के अधीन मीटर का संस्थापन और पर्चालन;
(घ) धारा 70 की उपधारा (9) के अधीन कारबार के संव्यवहार के िलए पर्िकर्या के िनयम;
(ङ) धारा 73 के खंड (ख) के अधीन िव ुत संयंतर् और िव ुत लाइन के तथा िगर्ड से संयोजकता के सिन्नमार्ण के
िलए तकनीकी मानक आंकड़े;
(च) वह पर्रूप और रीित िजसम और वह समय जब राज्य सरकार और अनुज्ञिप्तधारी, धारा 74 के अधीन आंकड़े,
िववरिणयां या अन्य जानकारी दगे; और
(छ) कोई अन्य िवषय िजसे िविनिदष्ट िकया जाना है या िकया जा सके गा ।
(3) इस अिधिनयम के अधीन पर्ािधकरण ारा बनाए गए सभी िविनयम पूवर् पर्काशन की शत के अध्यधीन ह गे ।
178. के न्दर्ीय आयोग की िविनयम बनाने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय आयोग, अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के उपबंध को
साधारणतया कायार्िन्वत करने के िलए इस अिधिनयम और िनयम से सुसंगत िविनयम बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और उपधारा (1) म अन्तिवष्ट शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िविनयम म
िनम्निलिखत सभी या िकन्ह िवषय का उपबंध हो सके गा, अथार्त् :—
(क) धारा 14 के पर्थम पंरतुक के अधीन िविनिदष्ट की जाने वाली अविध;
59

(ख) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन आवेदन का पर्रूप और रीित;


(ग) धारा 15 की उपधारा (2) के अधीन सूचना की रीित और िविशिष्टयां;
(घ) धारा 16 के अधीन अनुज्ञिप्त की शत;
(ङ) धारा 18 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन सूचना की रीित और िविशिष्टयां;
(च) धारा 18 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अधीन अनुज्ञिप्त म िकए जाने वाले पिरवतर्न या संशोधन
का पर्काशन;
(छ) धारा 28 की उपधारा (2) के अधीन िगर्ड संिहता;
(ज) धारा 28 की उपधारा (4) के अधीन उत्पादन कं पिनय या पारे षण, उपयोिगता या अनुज्ञिप्तधािरय से फीस
और पर्भार का उ हण और संगर्हण;
(झ) धारा 36 के परं तुक के अधीन मध्यक्षेपी पारे षण पर्सुिवधा की बाबत दर, पर्भार और िनबंधन और शत;
(ञ) धारा 38 की उपधारा (2) के खंड (घ) के उपखंड (ii) के अधीन पारे षण पर्भार और अिधभार का संदाय;
(ट) धारा 38 की उपधारा (2) खंड (घ) के उपखंड (ii) के दूसरे परन्तुक के अधीन अिधभार और पर्ित सहाियकी
म कटौती 1 * * *;
(ठ) धारा 40 के खंड (ग) के उपखंड (ii) के अधीन पारे षण पर्भार और िकसी अिधभार का संदाय;
(ड) धारा 40 के खंड (ग) के उपखंड (ii) के दूसरे परन्तुक के अधीन अिधभार और पर्ित सहाियकी
म कटौती 1* * *;
(ढ) धारा 41 के परं तुक के अधीन पारे षण और चकर्ण पर्भार को कम करने के िलए उपयोग म लाए जाने वाले अन्य
कारबार से राजस्व का अनुपात;
(ण) धारा 52 की उपधारा (2) के अधीन िव ुत व्यापारी के कतर्व्य;
(त) धारा 57 की उपधारा (1) के अधीन िकसी अनुज्ञिप्तधारी या अनुज्ञिप्तधािरय के वगर् के िनष्पादन के मानक;
(थ) वह अविध िजसके भीतर धारा 59 की उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्तधारी ारा जानकारी दी जानी है;
2
[(द) धारा 61 के खंड (छ) के अधीन पर्ितसहाियिकयां कम करने की रीित;]
(ध) धारा 61 के अधीन टैिरफ के अवधारण के िलए िनबंधन और शत;
(न) धारा 62 की उपधारा (2) के अधीन अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा िदए जाने वाले ब्यौरे ;
(प) धारा 62 की उपधारा (5) के अधीन टैिरफ और पर्भार से पर्त्यािशत राजस्व की संगणना के िलए पर्िकर्याएं;
(फ) धारा 64 की उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय आयोग के समक्ष आवेदन करने की रीित और उसके िलए
संदय
े फीस;
(ब) धारा 64 की उपधारा (2) के अधीन आवेदन के पर्काशन की रीित;
(भ) धारा 64 की उपधारा (4) के अधीन उपांतरण या शत सिहत टैिरफ आदेश, जारी करना;
(म) धारा 66 के अधीन िविनिदष्ट वह रीित िजसके ारा िव ुत म बाजार का िजसके अंतगर्त व्यापार भी है,
िवकास िकया जाएगा;
(य) धारा 91 की उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय आयोग के सिचव की शिक्तयां और कतर्व्य;
(यक) धारा 91 की उपधारा (3) के अधीन के न्दर्ीय आयोग के सिचव, अिधकािरय और अन्य कमर्चािरवृन्द की सेवा
के िनबंधन और शत;
(यख) धारा 92 की उपधारा (1) के अधीन कारबार के संव्यवहार के िलए पर्िकर्या के िनयम;
(यग) िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा रखी जाने वाली न्यूनतम जानकारी और ऐसी जानकारी रखने
की रीित जो धारा 128 की उपधारा (8) के अधीन रखी जानी है;
(यघ) धारा 130 के अधीन सूचना की तामील और पर्काशन की रीित;

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 20 ारा लोप िकया गया ।
2
2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 20 ारा पर्ितस्थािपत ।
60

(यङ) कोई अन्य िवषय जो िविनयम ारा िविनिदष्ट िकया जाना है या िकया जाए ।
(3) के न्दर्ीय आयोग ारा इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए सभी िविनयम पूवर् पर्काशन की शत के अध्यधीन ह गे ।
179. िनयम और िविनयम का संसद् के समक्ष रखा जाना—के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम, पर्ािधकरण
ारा बनाया गया पर्त्येक िविनयम और के न्दर्ीय आयोग ारा बनाया गया पर्त्येक िविनयम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघर्, संसद् के
पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह ऐसी कु ल तीस िदन की अविध के िलए सतर् म हो, जो एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर्
म पूरी हो सके गी रखा जाएगा और यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस
िनयम या िविनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं िक वह िनयम या िविनयम नह बनाया जाना चािहए तो ऐसा
िनयम या िविनयम, यथािस्थित, तत्पश्चात् के वल ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा या उसका कोई पर्भाव नह होगा, तथािप उस
िनयम या िविनयम के ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से पहले उसके अधीन की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव
नह पड़ेगा ।
180. राज्य सरकार की िनयम बनाने की शिक्तयां—(1) राज्य सरकार, अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के उपबंध को
कायार्िन्वत करने के िलए िनयम बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्तय की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत िकन्ह या
सभी िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
(क) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्त मंजूर करने के िलए आवेदन की फीस का संदाय;
(ख) धारा 67 की उपधारा (2) के अधीन अन्य व्यिक्तय की संपि को पर्भािवत करने वाले अनुज्ञिप्तधािरय
के संकमर्;
(ग) ऐसे अन्य िवषय जो धारा 68 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अधीन िविहत िकए जा सकगे;
(घ) धारा 89 की उपधारा (2) के अधीन राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के वेतन, भ े और उनकी सेवा के
अन्य िनबंधन और शत;
(ङ) वह पर्रूप और रीित िजसम तथा वह पर्ािधकारी िजसके समक्ष धारा 89 की उपधारा (3) के अधीन पद और
गोपनीयता की शपथ ली जाएगी;
(च) कोई अन्य िवषय जो धारा 94 की उपधारा (1) के खंड (छ) के अधीन राज्य आयोग ारा िविहत िकया जाना
अपेिक्षत है;
(छ) धारा 103 की उपधारा (3) के अधीन िनिध के उपयोजन की रीित;
(ज) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब राज्य आयोग धारा 104 की उपधारा (1) के अधीन अपना वािषक लेखा
तैयार करे गा;
(झ) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब राज्य आयोग धारा 105 की उपधारा (1) के अधीन अपनी वािषक िरपोटर्
तैयार करे गा;
(ञ) वह पर्रूप िजसम और वह समय जब राज्य आयोग धारा 106 के अधीन अपना बजट तैयार करे गा;
(ट) धारा 126 की उपधारा (2) के अधीन िनधार्रण के अनिन्तम आदेश की तामील की रीित;
(ठ) धारा 143 की उपधारा (1) के अधीन िकसी न्यायिनणार्यक अिधकारी ारा जांच करने की रीित;
(ड) वह पर्रूप, िजसम और वह समय िजस पर धारा 161 की उपधारा (1) के अधीन िकसी वै ुत िनरीक्षक को
सूचना की तामील की जानी है;
(ढ) धारा 171 की उपधारा (1) के अधीन पर्त्येक सूचना, आदेश या दस्तावेज के पिरदान की रीित; और
(ण) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकए जाने के िलए अपेिक्षत है या िविहत िकया जाए ।
181. राज्य आयोग की िविनयम बनाने की शिक्तयां—(1) राज्य आयोग, अिधसूचना ारा, साधारणतया, इस अिधिनयम के
उपबंध को कायार्िन्वत करने के िलए ऐसे िविनयम बना सकगे, जो इस अिधिनयम और िनयम से संगत ह ।
(2) िविशष्टतया और उपधारा (1) म अन्तिवष्ट शिक्तय की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िविनयम म
िनम्निलिखत िकन्ह या सभी िवषय के िलए उपबंध िकया जा सके गा, अथार्त् :—
(क) धारा 14 के पर्थम परं तुक के अधीन िविनिदष्ट की जाने वाली अविध;
(ख) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन आवेदन का पर्रूप और रीित;
61

(ग) धारा 15 की उपधारा (2) के अधीन पर्कािशत की जाने वाली अनुज्ञिप्त के िलए आवेदन की रीित और
िविशिष्टयां;
(घ) धारा 16 के अधीन अनुज्ञिप्त की शत;
(ङ) धारा 18 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन सूचना की रीित और िविशिष्टयां;
(च) धारा 18 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अधीन अनुज्ञिप्त म िकए जाने वाले पिरवतर्न या संशोधन का
पर्काशन;
(छ) धारा 32 की उपधारा (3) के अधीन उत्पादन कं पिनय या अनुज्ञिप्तधािरय से फीस और पर्भार का उ हण
और संगर्हण;
(ज) धारा 36 के पंरतुक के अधीन मध्यक्षेपी पारे षण पर्सुिवधा की बाबत दर, पर्भार तथा िनबंधन और शत;
(झ) धारा 39 की उपधारा (2) के खंड (घ) के उपखंड (ii) के अधीन पारे षण पर्भार और अिधभार का संदाय;
(ञ) धारा 39 की उपधारा (2) के खंड (घ) के उपखंड (ii) के दूसरे परन्तुक के अधीन अिधभार और पर्ितसहाियकी म
कटौती 1* **
(ट) धारा 39 की उपधारा (2) के खंड (घ) के उपखंड (ii) के चौथे परं तुक के अधीन अिधभार के संदाय की रीित
और उपयोग;
(ठ) धारा 40 के खंड (ग) के उपखंड (ii) के अधीन पारे षण पर्भार और िकसी अिधभार का संदाय;
(ड) धारा 40 के खंड (ग) के उपखंड (ii) के दूसरे परन्तुक के अधीन अिधभार और पर्ितसहाियकी म कटौती 1* * *
(ढ) धारा 40 के खंड (ग) के उपखंड (ii) के चौथे परं तुक के अधीन अिधभार के संदाय की रीित;
(ण) धारा 41 के परं तुक के अधीन पारे षण और चकर्ण पर्भार को कम करने के िलए पर्युक्त िकए जाने वाले अन्य
कारबार से राजस्व का अनुपात;
(त) धारा 42 की उपधारा (2) के तीसरे परं तुक के अधीन अिधभार और पर्ितसहाियिकय म कटौती 1* * *
(थ) धारा 42 की उपधारा (4) के अधीन चकर्ण पर्भार पर अितिरिक्त पर्भार का संदाय;
(द) धारा 42 की उपधारा (5) के अधीन मागर्दशर्क िस ांत;
(ध) धारा 42 की उपधारा (7) के अधीन िशकायत के िनपटारे का समय और उसकी रीित;
(न) धारा 43 की उपधारा (1) के अधीन िविनिदष्ट पर्योजन के िलए राज्य आयोग ारा िविनिदष्ट की जाने
वाली अविध;
(प) धारा 45 की उपधारा (2) के अधीन वह प ित और िस ान्त िजसके ारा िव ुत के िलए पर्भार िनयत
िकए जाएंगे;
(फ) धारा 47 की उपधारा (1) के अधीन िवतरण अनुज्ञिप्तधारी को संदय
े युिक्तयुक्त पर्ितभूित;
(ब) धारा 47 की उपधारा (4) के अधीन पर्ितभूित पर ब्याज का संदाय;
(भ) धारा 50 के अधीन िव ुत पर्दाय संिहता;
(म) धारा 51 के परन्तुक के अधीन चकर्ण पर्भार को कम करने के िलए पर्युक्त िकए जाने वाले अन्य कारबार से
राजस्व का अनुपात;
(य) धारा 52 की उपधारा (2) के अधीन िव ुत व्यापारी के कतर्व्य;
(यक) धारा 57 की उपधारा (1) के अधीन िकसी अनुज्ञिप्तधारी या िकसी वगर् के अनुज्ञिप्तधािरय ारा िनष्पादन
के मानक;
(यख) वह अविध िजसके भीतर धारा 59 की उपधारा (1) के अधीन अनुज्ञिप्तधारी ारा जानकारी दी जानी है;
2
[(यग) धारा 61 के खंड (छ) के अधीन पर्ितसहाियिकयां कम करने की रीित;]
(यघ) धारा 61 के अधीन टैिरफ के अवधारण के िलए िनबंधन और शत;

1
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 21 ारा लोप िकया गया ।
2
 2007 के अिधिनयम सं० 26 की धारा 21 ारा पर्ितस्थािपत ।
62

(यङ) धारा 62 की उपधारा (2) के अधीन अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा िदए जाने वाले ब्यौरे ;
(यच) धारा 62 की उपधारा (5) के अधीन टैिरफ और पर्भार से पर्त्यािशत राजस्व की संगणना करने के िलए कायर्
प ितयां और पर्िकर्याएं;
(यछ) धारा 64 की उपधारा (1) के अधीन राज्य आयोग के समक्ष आवेदन करने की रीित और उसके िलए
संदय
े फीस;
(यज) धारा 64 की उपधारा (3) के अधीन उपान्तरण या शत के साथ टैिरफ आदेश का जारी करना;
(यझ) धारा 66 के अधीन िविनिदष्ट वह रीित िजसके ारा िव ुत बाजार, िजसके अंतगर्त व्यापार भी है, का
िवकास िकया जाएगा;
(यञ) धारा 91 की उपधारा (1) के अधीन राज्य आयोग के सिचव की शिक्तयां और कतर्व्य;
(यट) धारा 91 की उपधारा (2) के अधीन राज्य आयोग के सिचव, अिधकािरय और अन्य कमर्चािरवृन्द की सेवा के
िनबंधन और शत;
(यठ) धारा 92 की उपधारा (1) के अधीन कारबार के संव्यवहार की पर्िकर्या के िनयम;
(यड) धारा 128 की उपधारा (8) के अधीन िकसी अनुज्ञिप्तधारी या उत्पादन कं पनी ारा रखी जाने वाली न्यूनतम
जानकारी और ऐसी जानकारी रखने की रीित;
(यढ) धारा 130 के अधीन सूचना की तामील और पर्काशन की रीित;
(यण) धारा 127 की उपधारा (1) के अधीन अपील का पर्रूप तथा वह रीित िजसम ऐसा पर्रूप सत्यािपत िकया
जाएगा और ऐसी अपील करने के िलए फीस; और
(यत) कोई अन्य िवषय जो िविनिदष्ट िकया जाना है या िविहत िकया जाए ।
(3) इस अिधिनयम के अधीन राज्य आयोग ारा बनाए गए सभी िविनयम पूवर् पर्काशन की शतर् के अध्यधीन ह गे ।
182. िनयम और िविनयम का राज्य िवधान-मंडल के समक्ष रखा जाना—राज्य सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम
और राज्य आयोग ारा बनाया गया पर्त्येक िविनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, जहां िवधान-मंडल दो सदन से िमलकर बना है
वहां पर्त्येक सदन के समक्ष और जहां ऐसे िवधान-मंडल म एक सदन है वहां उस सदन के समक्ष रखा जाएगा ।
183. किठनाइय को दूर करने की शिक्त—(1) यिद इस अिधिनयम के उपबंध को पर्भावी करने म कोई किठनाई उत्पन्न
होती है तो के न्दर्ीय सरकार, पर्कािशत आदेश ारा ऐसे उपबंध बना सके गी जो इस अिधिनयम के उपबंध से असंगत न ह और किठनाई
को दूर करने के िलए आवश्यक पर्तीत ह :
परन्तु इस धारा के अधीन ऐसा कोई आदेश, इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख से दो वषर् की समािप्त के पश्चात् नह
िकया जाएगा ।
(2) इस धारा के अधीन िकया गया पर्त्येक आदेश उसके िकए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष
रखा जाएगा ।
184. कितपय मामल म अिधिनयम के उपबंध का लागू न होना—इस अिधिनयम के उपबंध रक्षा, परमाणु ऊजार् से
संव्यवहार करने वाले के न्दर्ीय सरकार के मंतर्ालय या िवभाग अथवा ऐसे अन्य समरूप मंतर्ालय या िवभाग या उपकर्म या बोड या
संस्था को जो ऐसे मंतर्ालय या िवभाग के िनयंतर्णाधीन ह जो के न्दर्ीय सरकार ारा अिधसूिचत िकए जाएं, लागू नह ह गे ।
185. िनरसन और व्यावृि —(1) इस अिधिनयम म जैसा उपबंिधत है उसके िसवाय भारतीय िव ुत अिधिनयम, 1910
(1910 का 9) िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 (1948 का 54) और िव ुत िविनयामक आयोग अिधिनयम, 1998 (1998 का 14)
इसके ारा िनरिसत िकए जाते ह ।
(2) ऐसे िनरसन के होते हुए भी,—
(क) िनरिसत िविधय के अधीन की गई कोई बात या कारर् वाई या िकए जाने के िलए तात्पियत कोई बात या
कारर् वाई, िजसके अन्तगर्त बनाया गया कोई िनयम या जारी की गई कोई अिधसूचना या िकया गया िनरीक्षण, आदेश या
िनकाली गई सूचना या की गई कोई िनयुिक्त, पुिष्ट या घोषणा या मंजूर की गई कोई अनुज्ञिप्त, अनुज्ञा, पर्ािधकार या छू ट या
िनष्पािदत िकया गया कोई दस्तावेज या िलखत या िदया गया कोई िनदेश, जहां तक वह इस अिधिनयम के उपबंध से
असंगत नह है, इस अिधिनयम के तत्स्थानी उपबंध के अधीन िकया गया समझा जाएगा ;
(ख) भारतीय िव ुत अिधिनयम, 1910 (1910 का 9) की धारा 12 से धारा 18 तक और उनके अधीन बनाए गए
िनयम म अंतिवष्ट उपबंध तब तक पर्भावी रहगे जब तक इस अिधिनयम की धारा 67 से धारा 69 के अधीन िनयम नह
बनाए जाते ह;
63

(ग) भारतीय िव तु अिधिनयम, 1910 (1910 का 9) की धारा 37 के अधीन बनाए गए भारतीय िव ुत िनयम,
1956 जैसे िक वे िनरसन के पूवर् िव मान इस अिधिनयम की धारा 53 के अधीन िविनयम के बनाए जाने तक पर्वतर्न म
बने रहगे;
(घ) िव ुत (पर्दाय) अिधिनयम, 1948 की धारा 69 की उपधारा (1) के अधीन बनाए गए सभी िनयम तब तक
पर्वृ बने रहगे जब तक ऐसे िनयम का, यथािस्थित, िवखंडन या उपांतरण नह कर िदया जाता है;
(ङ) अनुसच
ू ी म िविनिदष्ट अिधिनयिमितय के अधीन िकसी राज्य सरकार ारा इस अिधिनयम के पर्ारं भ के पूवर्
जारी िकए गए सभी िनदेश उस अविध के िलए लागू रहगे, िजसके िलए राज्य सरकार ारा ऐसे िनदेश जारी िकए गए थे ।
(3) अनुसच
ू ी म िविनिदष्ट अिधिनयिमितय के उपबंध, जो इस अिधिनयम के उपबंध से असंगत नह ह, उन राज्य को लागू
ह गे िजनम ऐसी अिधिनयिमितयां लागू ह ।
(4) के न्दर्ीय सरकार, जब कभी आवश्यक समझे, अिधसूचना ारा अनुसूची का संशोधन कर सके गी ।
(5) उपधारा (2) म यथा अन्यथा उपबंिधत के िसवाय, उस धारा म िविशष्ट िवषय के उल्लेख से यह नह माना जाएगा िक
उससे िनरसन के पर्भाव के संबंध म, साधारण खंड अिधिनयम, 1897 (1897 का 10) की धारा 6 के साधारण रूप म लागू होने पर
पर्ितकू ल पर्भाव डालेगा या पर्भाव पड़ता है ।

अनुसूची
अिधिनयिमितयां
[धारा 185 की उपधारा (3) देिखए]
1. उड़ीसा िव ुत सुधार अिधिनयम, 1995 (1995 का उड़ीसा अिधिनयम सं० 2)
2. हिरयाणा िव ुत सुधार अिधिनयम, 1997 (1997 का हिरयाणा अिधिनयम सं० 10)
3. आंधर् पर्देश िव ुत सुधार अिधिनयम, 1998 (1998 का आंधर् पर्देश अिधिनयम सं० 30)
4. उ र पर्देश िव ुत सुधार अिधिनयम, 1999 (1999 का उ र पर्देश अिधिनयम सं० 24)
5. कनार्टक िव ुत सुधार अिधिनयम, 1999 (1999 का कनार्टक अिधिनयम सं० 25)
6. राजस्थान िव ुत सुधार अिधिनयम, 1999 (1999 का राजस्थान अिधिनयम सं० 23)
7. िदल्ली िव ुत सुधार अिधिनयम, 2000 (2001 का िदल्ली अिधिनयम सं० 2)
8. मध्य पर्देश िव ुत सुधार अिधिनयम, 2000 (2001 का मध्य पर्देश अिधिनयम सं० 4)

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