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मकर सं ां ित सकरात के नेग िनयम बय - Makar Sankranti Neg Niyam https://www.dadimakenuskhe.

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सकरात के नेग और िनयम

कृपया ान दे : िकसी भी लाल रं ग से िलखे श पर ीक करके उसके बारे म िव ार से जान सकते

सासु जी को सीढ़ी चढ़ाना

मकर सं ां ित के िदन ब सासुजी को सीढ़ी चढाती ह। सासू माँ को सीढ़ी पर रखकर पए , कपड़े उपहार
िकया जाता है ।

इसकी िविध और तरीका िव ार से जानने के िलए क कर –सासू जी को सीढ़ी कैसे चढ़ाते ह

सू ती से ज जगाना

सकरात के शुभ अवसर पर ब अपने ससुरजी को जगाती है । उनके नया िब र , िमठाई , व आिद दे कर
है। सूती सेज जगाने का तरीका िव ार पूवक जानने के िलए क कर – सूती सेज कैसे जगाते ह

गु ड़ की भे ली

ब ससुर जी को गुड़ की भेली दे ती है और कहती है –

” लीिजये पापा गुड़ की भेली , िदखाओ अपनी थैली “।

मे वा मठरी

ब सास को फल , मे वा , मठरी आिद दे ती है और कहती है –

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” लीिजये म ी मठरी , िदखाओ अपनी गठरी “ ।

पित को छु हारे

प ी पित को छु हारे दे ती है और कहती है –

” लो सैयां जी छु हारे , सदा रहो हमारे “ ।

दे वर को बादाम

भाभी चलनी म दे वर को बादाम रखकर दे ती है और कहती है –

” लो दे वर जी बादाम , बनना हमारे गु लाम “ ।

ननद को बताशे

भाभी ननद को कपड़े और बताशे दे ती है कर कहती है –

” लो ननिदया बताशे , िदखाओ अपने तमाशे “ ।

िचिड़या मु ी

12 महीने तक एक मु ी चावल िचिड़यों को रोज दे ने का िनयम िलया जाता है । रोज दे ना संभव ना हो तो 31


वाली सं ां ित को िचिड़यों को दे ते ह। बारह महीने पूरे होने पर बड़ी सं ांित पर उजमन करके एक चां दी
पर हाथ फेरकर अपनी सासु जी को पां व छूकर दे ते ह।

कोठी मु ी

एक बड़े बतन म चावल लेते ह। उसमे से रोजाना चावलों की मु ी थाली म भर लेते है । थाली के चावलों को
माह की सं ां ित ितिथ के िदन ा णों को दे ते ह। िफर मकर सं ां ित के िदन िविधपूवक उजमन िकया जाता

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चावल और पये रखकर हाथ फेरकर सासुजी को पां व छूकर िदये जाते ह।

( मकर सं ां ित सकरात के नेग िनयम बय ……..)

भगवान के पट खुलवाना

िकसी भी मंिदर म भगवान के िलए पदा िभजवाया जाता है। पुजारी से पदा हटवाकर एक थाली म िमठाई
समिपत िकये जाते ह। भगवान से सुख समृ का आशीवाद माँगा जाता है ।

थाल परोसना

ताऊ ससुर , चाचा ससु र , मामा ससु र , दादा ससुर , ससुर जी , जेठ जी म से िकसी के आगे या सभी के
कर रखी जाती है । इसके बाद सभी लोग ब को पये दे ते ह।

ठी ई सासु जी को मनाना

सं ां ित के िदन सासु जी गु ा होकर अपने कमरे को छोड़कर िकसी दू सरे कमरे म जाकर बैठ जाती ह।
है , कपड़े , िमठाई और पये दे कर पांव छूती है । सासु जी से वापस अपने कमरे म चलने को कहती है

ठो मत सासुजी , खाओ िमठाई का गास !

म सेवा क ँ तु ारी , तुम रखो हमारी लाज !!

तब सासु जी वापस अपने कमरे म आकर ब को आशीवाद दे ती है।

सासु जी को तीयल कपड़े पहनाना

मकर सं ाित के िदन ब एँ सासु जी को कपड़े दे ती ह , पैर छूकर पये दे ती ह।

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जेठ जे ठािन के िलए भट

एक थाली म िमठाई और पये रखकर जे ठ जी के आगे रखे जाते है। जेठानी के िलए घेवर और पये दे कर
को पये या िग ी दे ती है ।

दे वर को घे वर और दे वरानी को चूड़ी

घेवर पर पये रखकर दे वर को िदए जाते ह और दे वरानी को साड़ी और चूड़ी दी जाती है।

आवल चावल खूँ टी चीर

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चावल बनाकर ननदों को भोजन कराया जाता है। ननदों को कपड़े चूड़ी आिद िदए जाते ह। आले म सवा
कहती है –

” आवल चावल खूँटी चीर , िदखाओ बाई जी थांको बीर “।

तब ननद भाभी ारा िदए गए व चूड़ी आिद खूँटी पर टांगकर भाई भाभी को िदखाती ह िफर उ ले लेती
कहती है –

” ले िलए चावल , ओढ़ िलया चीर , ये दे खो भाभी मेरा बीर ”

भाभी बड़ी ननद को पै र छूकर पये दे ती है ।

ननदोई का झोला भरना

ननदोई के घर जाकर गीत ( गारी ) गाते ह। ननदोई को पांच कपड़े शट , पट , बिनयान , माल , तौिलया
ना रयल और पये दे ते ह। बड़ी ननद के पै र छूकर उ पये दे ते ह।

छींके भोजन

एक छींके पर िमठाई , मेवा और पये रख दे ते ह। उस छीक


ं े से जेठ या ससुर सामान लेते ह और ब को

जेब भरना

जे ठ की लड़की , कुवांरी ननद , दे वर या भां जी की जेब म मे वे और पये भरे जाते ह और कपड़े िदए जाते

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जले बी और पान का ने ग

एक ना रयल म िग ी या पये रखकर पित को िदए जाते ह। ना रयल के ऊपर चार जलेबी और पान रखा

पित को मलाई रबड़ी खलाना

एक चां दी की कटोरी म रबड़ी या मलाई भरकर पित को खलाई जाती है । इसके बाद उ शॉल , या पांच
माल तौिलया आिद िदए जाते ह और पैर छूते ह।

पित के पै र धोना

एक चां दी के बतन म पित के पैर धोये जाते ह िफर उ मोज़े पहनाये जाते ह। पैर छूकर उ पये दे ते

सासु जी की पीठ मलना

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सासु की की पीठ मली जाती है । उ साड़ी ाउज आिद कपड़े िदए जाते ह। उनके आगे मेवा , िमठाई
छूकर उनका आशीवाद ले ते ह।

दोघड़ लाना

िजसके पु उ हो वह अपनी माँ के यहाँ से दो घड़े लाती ह। एक िम ी के घड़े म पानी भरकर उस पर


िजसमे एक िस ा डाला जाता है। घड़े पर साितया बना कर पूजा की जाती है ।

घड़े को िकसी ा ण या सेवक के कंधे पर रखकर अपने साथ ससुराल ले जाती ह। रा े मे घड़े म मे वा और
म चां दी की घंटी बजाते ह। मायके की यां गीत गाते ए साथ चलती ह।

ससुराल प ँ चने पर घड़ा लाने वाले को पये दे कर िवदा िकया जाता है । लड़की की माँ भी साथ हो तो वह
पये और ना रयल दे ती ह।

ा णी को भट

ा णी के िसर म ते ल लगाया जाता है । उसे तेल की शीशी , कंघी , शीशा , िसंदूर , मांग टीका आिद भट
हाथों म मे हंदी लगाकर उसे अंगूठी दी जाती है या ा णी के पैर धोकर पायजेब व चुटकी पहनाई जाती है
लोटा , बा ी , तौिलया व साबुन आिद िदए जाते है। उनके नहाने के बाद उ साड़ी, ाउज , पेटीकोट
ही पैर छूकर दि णा दे ते ह।

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ा ण को भट

चौदह जगह दे ने के िलए भट तैयार की जाती है िजसमे पु ष , मिहला और उनके ब ों के िलए कपड़े , तुलसी
आिद रखते ह। चौदह ा णो को दे ते ह। दि णा दे कर पैर छूकर आशीवाद लेते ह।

चौदह ा ण ा णी को भट और भोजन

चौदह ा ण को गे ं िदए जाते है । चौदह ा णी को सुहाग िपटारी दी जाती है । भोजन करवाकर दि णा

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सौ से री

बड़ी सं ां ित से एक सेर एक िकलो व ु दान करने का सं क िलया जाता है । इसम दाल , मसाले , अनाज
की व ुएं शािमल की जाती ह। ये चीज एक साल , दो साल या पां च साल तक दे सकते ह।

इनके अलावा भी कई कार के नेग होते ह। यह सब करने वाले की िच और ा पर िनभर होता है । जो


कोिशश की जानी चािहए।

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