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पंचगव्य और उसकी उपयोगिता
पंचगव्य और उसकी उपयोगिता
पंचगव्य दे सी गाय ं से प्राप्त पां च गव्य ं का मिश्रण है । ये गव्य हैं दू ध, घी, दही, िूत्र और ग बर। सभी
गव्य ं क सिान अनुपात िें मिलाना ह गा।
पंचगव्य क आयुवेद िें औषमध के रूप िें िान्यता प्राप्त है । अगर गाय ं से हिें ज पां च चीजें मिलती हैं ,
उन्हें एक साथ मिलाकर इस्तेिाल मकया जाता है , त यह हिारे स्वास्थ्य और कल्याण के मलए रािबाण है ।
पंचगव्य शरीर की र ग प्रमतर धक क्षिता क बढाकर र ग ं क दू र करता है । ये सभी अलग-अलग हैं और
एक संय जन के रूप िें सबसे अच्छा औषधीय गुण हैं , वह भी मबना मकसी दु ष्प्रभाव के। इसके अलावा,
अगर हि क ई अन्य दवा ले रहे हैं , त पंचगव्य उत्प्रेरक का काि करता है ।
पंचगव्य का प्रत्येक अवयव पूणा और िहत्वपूणा गुण ं से संपन्न है और चित्कारी है । आइए मवस्तार से जानें,
प्रत्येक घटक क व्यक्तिगत रूप से, उनके लाभ ं और उपय ग ं के रूप िें।
गाय का ग बर (गौिय)
ग बर द शब् ं का आधार है ; गौ (दे सी गाय) और वर (श्रेष्ठ)। यह दे सी गाय से प्राप्त ह ने वाला सबसे
उपय गी गव्य है ।
गाय का ग बर एक उत्कृष्ट बीज रक्षक है । यह कीट ं से बीज क बचाने िें िदद करता है । पुराने सिय िें ,
हिारे पूवाज फशा के मलए गाय के ग बर का उपय ग करते थे। इससे यह सुमनमित ह ता था मक िक्तियााँ
फशा पर नहीं बैठेंगी, कीडे और सरीसृप घर िें प्रवेश न करें । गाय का ग बर एक बेहतरीन एं टीसेमिक है ।
गाय का ग बर अन्य ग बर से बेहतर है क् मं क यह एं टीसेमिक है और इसिें र गमनर धी (र ग मनवारक) गुण
हैं । यह सूक्ष्मजीव ं क नष्ट कर दे ता है ज बीिारी, मकण्वन और पुटपन का कारण बनते हैं । अन्य ग बर क
शुद्ध करने के मलए खाद बनाने की आवश्यकता है । यह ध्यान िें रखा जाना चामहए मक ताजा गाय का ग बर
शुद्ध है , लेमकन एक बार जब यह जिीन पर रख मदया जाता है , त यह बदलना शुरू ह जाता है ।
संक्षेप िें, दे सी गाय का ग बर एं टीसेमिक एजेंट है ; कीटनाशक और उवारक; भारत िें, सूखे ग बर का
उपय ग चारक ल की तरह मकया जाता है ; यह ऊजाा बनाने वाली िीथेन गैस का भी एक रूप है ।
गौिूत्र
गौिूत्र िानव कल्याण और स्वास्थ्यरक्षक रसायन िें उपय ग मकया जाता है । यह एक स्वस्थ व्यक्ति के
स्वास्थ्य क बनाए रखता है , खतरनाक बीिाररय ं के कीटाणुओं क िारता है । गौिूत्र कफ, उदर र ग ,ं नेत्र
र ग ,ं और िूत्राशय के र ग ,ं काठ, कास, श्वसन र ग ,ं सू जन, यकृत र ग ं के मलए एक एं टीड ट के रूप िें
काया करता है । मचमकत्सा िें इसका उपय ग आं तररक और बाहरी उपय ग के रूप िें मकया जाता है । यह
कई पुराने और असाध्य र ग ं िें बेहद उपय गी है । यूररया र गाणुओं क ख़त्म करता है । प टे मशयि
क्षुधावधाक, रिचाप मनयािक है । स मडयि द्रव की िात्रा और तंमत्रका शक्ति क मनयंमत्रत करता है ।
िैग्नीमशयि और कैक्तशशयि हृदय गमत क मनयंमत्रत करते हैं ।
दे सी गाय का िूत्र गैस के मवकार क र कता है ; बलगि, मपत्त और गैस से पैदा ह ने वाली बीिाररय ं क
ठीक करता है ; अम्लता, पेट की बीिारी और अमधक के साथ िदद; कुष्ठ और अन्य त्वचा र ग ं क दू र
करता है । ग िूत्र मवष या मवष के कारण ह ने वाले र ग क नष्ट करता है । ग िूत्र िानव शरीर िें प्रमतर धक
शक्ति बढाकर र ग प्रमतर धक क्षिता प्रदान करता है । बीिारी से पहले मनयमित रूप से ग िूत्र का सेवन
करने से हि इतनी प्रमतर धक क्षिता हामसल कर लेते हैं मक बीिाररय ं का क ई भी हिला ह वह इसे नष्ट
कर सकता है ।
उपचार के दौरान, गौिूत्र सिस्या के िूल कारण क अमधकति प्रभाव से ठीक करता है । उदाहरण के
मलए, त्वचा पर चकत्ते नकारात्मक ऊजाा के कारण ह ते हैं । गौिूत्र का एकिात्र नुकसान इसकी गंध या
स्वाद है ; हालां मक, फायदे इस एक नुकसान से कहीं अमधक हैं । वैज्ञामनक ं ने इसके स्वास्थ्य लाभ क दे खते
हुए इसे पाउडर के रूप िें बदल कर और इसे कैप्सूल िें डाल के भी इस्तेिाल करने य ग्य बना मदया है ।
गाय के िूत्र िें 700 से अमधक उपय गी रसायन पाए जाते हैं । उनिें से कुछ हैं –
क्रम रासायमनक र ग का प्रभाव
संख्या नाि
16 लैक्ट स संत ष दे ता है ।
Lactose –
-हृदय और िुंह क िजबूती दे ता है ।
C6H12O6
-प्यास और घबराहट दू र करता है ।-
मकसी भी अन्य जानवर या इं सान के िूत्र िें इतनी सािग्री नहीं ह ती मजतनी दे सी गाय ं िें ह ती है । गौिूत्र
क उबालने पर हिें गाढा घ ल मिलता है ज खमनज, मवटामिन से भरा ह ता है और मवमभन्न बीिाररय ं के
मलए उपय ग मकया जाता है । मडक्तिल्ड ग िूत्र फ्लू, गमठया, बैक्टीररयल र ग ,ं भ जन की मवषािता, अपच,
सूजन और कुष्ठ र ग के इलाज िें प्रभावी है ।
संक्षेप िें, दे सी गाय का िूत्र गैस मवकार ं क र कता है ; बलगि, मपत्त और गैस से पैदा ह ने वाली सभी
बीिाररय ं क ठीक करता है ; अम्लता, पेट की बीिारी िें िदद करता है ; कुष्ठ और अन्य त्वचा र ग ं क दू र
करता है । ग िूत्र जहरनाशक है , यह मवष या मवष के कारण ह ने वाले र ग क नष्ट करता है । ग िूत्र िानव
शरीर िें प्रमतर धक शक्ति बढाकर र ग प्रमतर धक क्षिता प्रदान करता है ।
दे सी गाय का दू ध प्राचीन काल से हिारे (भारतीय उपिहाद्वीप) आहार का महस्सा रहा है । गाय के दू ध जैसा
क ई पौमष्टक और संतुमलत आहार नहीं है । इसे अिृत िाना जाता है । यह पाचन के मलए बहुत ही उपयुि
है और स्वाद िें िीठा, ठं डा, वात शािक है । पहले हर घर के आं गन िें गाय हुआ करती थी। दे सी गायें
अपने प षक दू ध से पररवार का भरण प षण करती थीं। आयुवेद दे सी गाय ं के दू ध क िीठा, ठं डा और
हिारे िहत्वपूणा अंग ं क उच्च पौमष्टक िूल्य प्रदान करने के रूप िें वमणात करता है । दे सी गाय का दू ध
िन क शां त करने वाले गुण ं से भरपूर ह ता है , "सत गुना" के सुधार (अच्छी गुणवत्ता, ख़ामसयत, मवशेषता
या प्रवृमत्त) और िनुष् ं िें सकारात्मक ऊजाा के मलए इसकी सराहना की जाती है ।
भारतीय नस्ल की गाय ं के दू ध िें उच्च प षण िूल्य ह ता है और इसिें कई र ग ं के क्तखलाफ उपचारात्मक
शक्ति ह ती है । भारतीय नस्ल की गाय के दू ध क A2 दू ध कहा जाता है ।
1. गवटागमन।
इसमें गवटागमन डी ोता ै जो शरीर को कैल्शशयम और फॉस्फोरस को बढ़ने ,दां त और
गियााँ को ताकत दे ता ै
राइबोफ्लेगवन ऊजाा के गिए काबो ाइडरेट प्रदान करता ै ।
िाि रक्त कोगशका के गनमाा ण के गिए गवटागमन बी 12 म त्वपूणा ै
इसमें प्रगतरक्षा और दृगि के गिए आवश्यक गवटागमन ए ोता ै
2. खगनज
ए. स्वस्थ दां त, मजबूत गियों के गिए आवश्यक कैल्शशयम। रक्तचाप और मां सपेगशयों के काया के गिए
भी म त्वपूणा ै ।
बी. फॉस्फोरस स्वस्थ दां तों और मजबूत गियों के गनमाा ण में स ायता करता ै । साथ ी, प्रोटीन के
उत्पादन में स ायता करता है और कोगशका और ऊतक वृल्ि के गिए लाभकारी है ।
सी. पोटे गशयम शरीर के अं गों, ऊतकों और कोगशकाओं के स्वस्थ कामकाज के गिए आवश्यक ै । इसके
अिावा,य रक्त के तापमान को गनयंगत्रत करने में मदद करता ै ।
3. प्रोटीन
A2 दू ध A2 प्रोटीन के सेवन का उगचत स्रोत ै ।
संक्षेप में, गौ-दू ध में प्रत्येक पोषक तत्व ोता ै जो मानव शरीर के गवकास के गिए आवश्यक ोता ै । यह
िनुष् की शारीररक, िानमसक और आध्याक्तत्मक शक्ति क बढाता है । यह एक सम्पूणा भ जन है । यह उम्र
बढने की प्रमक्रया क धीिा करता है और बुक्तद्ध और शक्ति क बढाता है । यह जीवन की अवमध क
मनयंमत्रत करता है और बढाता है ।
गाय का घी (ग घृत)
दे सी गाय का घी, मजसे पमिि िें मवशुद ििन के रूप िें भी जाना जाता है , कई लाभ ं से भरा ह ता है ,
मजसिें हिारे पेट क साफ करना और हिारे शरीर क मडटॉक्स करना जैसे गुण शामिल है । यह पाचन
तंत्र क प्रभावी ढं ग से ऊजाा वान बनता है , मवशेष रूप से हरी घास खाने वाली गाय ं से प्राप्त घी। किज र
पाचन वाले ल ग ं क अपने भ जन िें घी क दै मनक आधार पर ज डना चामहए। यह शरीर की पाचन क्षिता
क कि मकए मबना मत्रद ष क संतुमलत करता है । घी आवश्यक प षक तत्व ,ं फैटी एमसड, एं टी-
बैक्टीररयल, एं टी-फंगल, एं टी-ऑक्सीडें ट और एं टी-वायरल गुण ं से भरपूर ह ता है । यह शां त, िीठा और
संतृप्त वसा से भरपूर ह ता है । घी का सेवन तरल अवस्था िें करना चामहए। घी मजतना पुराना ह गा, उसका
औषधीय िूल्य उतना ही अमधक ह गा।
एक आदशा क्तस्थमत िें, हिें एक मगलास दू ध िें एक चम्मच घी और एक चुटकी हल्दी मिलानी चामहए और
मबस्तर पर जाने से पहले इसका सेवन करना चामहए। यह आपके पाचन क बढाएगा और सुबह पेट क
साफ करे गा। गाय का घी आं ख ं के मलए मवशेष रूप से उपय गी है । घी का उपय ग शरीर की क्षिता बढाने
और िानमसक मवकास के मलए लाभकारी है । इसके सेवन से शरीर िें तेज आता है ।
मजन ल ग ं क तनाव, मचंता की क्तस्थमत रहती है , घी उनके पाचन िें सुधार करने िें िदद करता है । ज ल ग
मकसी भी बीिारी से उबर रहे हैं उनके मलए घी बहुत बमढया है । मकसी भी मवषहरण (डीटॉक्स) कायाक्रि के
अंत िें, सभी क घी से भरपूर भ जन मदया जाना चामहए। यह शरीर िें सभी अवयव ं क ज ड दे ता है और
मफर से ताकत के सृजन िें िदद करता है ।
बाजार िें उपलब्ध घी मसफा दू ध क अत्यमधक तेज गमत से िंथन करके तैयार मकया जाता है । यह प्रमक्रया
दू ध से घी क अलग करती है , हालााँ मक, इसिें क ई गंध या स्वाद नहीं ह ता। इसे बेचने के उद्दे श्य के मलए,
इसिें सार और स्वाद बढाने वाले तत्व ं क आवश्यकतानुसार ज डा जाता है ।
सुबह-सुबह घी खाने के ढे र सारे फायदे हैं । आयुवेद के अनुसार, घी एक 'रस' के रूप िें काया करता है ।
रस एक आवश्यक प षक तत्व है ज खाली पेट सेवन करने पर हिारे शरीर की सभी क मशकाओं क
प षण प्रदान करता है । घी त्वचा क प्राकृमतक रूप से िॉइस्चराइज करता है और त्वचा क शुष्क ह ने से
र कता है । इससे त्वचा िें प्राकृमतक चिक आती है । यह ज ड ं के ददा और गमठया क र क सकता है
क् मं क इसिें ओिेगा -3 फैटी एमसड ह ता है ज हमिय ं के स्वास्थ्य क बढाकर ऑक्तिय प र मसस क
र क सकता है ।
गाय का दही
दही क एक क्रमिक प्रमक्रया िें दू ध क जिा करके प्राप्त मकया जाता है मजसे दही कहा जाता है । मनम्बू का
रस या मसरका जैसे मकसी भी खाद्य अम्लीय पदाथा क ज डने और मफर लेप करने की अनुिमत दे ने के
कारण जिावट ह सकती है । बढी हुई अम्लता दू ध प्र टीन (कैमसइन) क ठ स द्रव्यिान या दही िें बदलने
का कारण बनती है । दू ध ज खट्टे के मलए छ ड मदया गया है (अकेले कच्चा दू ध या ज डा हुआ लैक्तक्टक
एमसड बैक्टीररया के साथ पािराइज्ड दू ध), वह स्वाभामवक रूप से दही क स्वास्थ्यप्रद बनाता है ज एक
व्यक्ति उपभ ग कर सकता है ।
भारतीय उपिहाद्वीप िें दही पारं पररक ह ििेड य गटा क संदमभात करता है , जबमक पनीर और छे ना का
उपय ग दही के दू ध क दशाा ने के मलए मकया जाता है । हालां मक ल ग अक्सर दही और य गटा क एक
सिान िानते हैं , द न ं के बीच अंतर की एक पतली रे खा है ।) दही की तैयारी के मलए लैक्ट बैमसलस
बैक्टीररया की आवश्यकता ह ती है , जबमक य गटा लैक्ट बैमसलस नािक बैक्टीररया के द मवमशष्ट उपभेद ं
Lactobacillusdelbrueckii subsp. bulgaricus और Streptococcus thermophilus
बैक्टीररया का उपय ग करके बनाया जाता है । लैक्तक्टक एमसड बैक्टीररया के अन्य उपभेद ं क भी ज डा जा
सकता है ।
दे सी गाय का दही भी सिान रूप से सिृद्ध है । इसिें सुपाच्य प्र टीन और फायदे िंद बैक्टीररया ह ते हैं ज
भूख बढाने िें िदद करते हैं । गाय के दही से बनी छाछ पचाने िें आसान ह ती है और मपत्त क खत्म करती
है । प्राचीन काल से भारतीय संस्कृमत िें दू ध क मवमभन्न तरीक ं से उपय ग मकया जाता रहा है ।
1 तक्र 1:1
2 िठ्ठा 1:2
3 छास 1:3
4 िमजगा 1:4
5 िर 1:5