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पंचगव्य और उसकी उपयोगगता

पंचगव्य दे सी गाय ं से प्राप्त पां च गव्य ं का मिश्रण है । ये गव्य हैं दू ध, घी, दही, िूत्र और ग बर। सभी
गव्य ं क सिान अनुपात िें मिलाना ह गा।

आइए हि प्रत्येक गव्य के कुछ और पयाा यवाची शब् ं पर एक नजर डालें:

गव्य संस्कृत ग ं दी अंग्रेजी पयाा यवाची

1 दू ध दु ग्ध दू ध Milk पेय, अम्रत, पपयुष, मपर, बलसत्रिी, सौम्य,


(LatinLactus) स्वारी, सतिी
2द ी दधी द ी Curdled milk दधी, पयस्य, तक्रजन्म, नवनीत द्भव, िाां गल्य
3 घी घृत घी Ghee अमपधार, जीवनीतज, आधार, सपप, हपव,
पपवत्र
4 मूत्र गौमूत्र गौ का मूत्र Cow Urine स्त्रवण, सुररीजल, ग जल, ग अम्भ, ग द्रव,
ग पानीय, िेहन, िूत्र, ग झरण
5 गोबर गौमय गोबर Cow Dung ग पवट् , ग शकृत, ग पुरीषि्, ग पवष्ठा,
ग िलि्
औषधीय म त्व

पंचगव्य क आयुवेद िें औषमध के रूप िें िान्यता प्राप्त है । अगर गाय ं से हिें ज पां च चीजें मिलती हैं ,
उन्हें एक साथ मिलाकर इस्तेिाल मकया जाता है , त यह हिारे स्वास्थ्य और कल्याण के मलए रािबाण है ।
पंचगव्य शरीर की र ग प्रमतर धक क्षिता क बढाकर र ग ं क दू र करता है । ये सभी अलग-अलग हैं और
एक संय जन के रूप िें सबसे अच्छा औषधीय गुण हैं , वह भी मबना मकसी दु ष्प्रभाव के। इसके अलावा,
अगर हि क ई अन्य दवा ले रहे हैं , त पंचगव्य उत्प्रेरक का काि करता है ।

पंचगव्य का प्रत्येक अवयव पूणा और िहत्वपूणा गुण ं से संपन्न है और चित्कारी है । आइए मवस्तार से जानें,
प्रत्येक घटक क व्यक्तिगत रूप से, उनके लाभ ं और उपय ग ं के रूप िें।

गाय का ग बर (गौिय)
ग बर द शब् ं का आधार है ; गौ (दे सी गाय) और वर (श्रेष्ठ)। यह दे सी गाय से प्राप्त ह ने वाला सबसे
उपय गी गव्य है ।
गाय का ग बर एक उत्कृष्ट बीज रक्षक है । यह कीट ं से बीज क बचाने िें िदद करता है । पुराने सिय िें ,
हिारे पूवाज फशा के मलए गाय के ग बर का उपय ग करते थे। इससे यह सुमनमित ह ता था मक िक्तियााँ
फशा पर नहीं बैठेंगी, कीडे और सरीसृप घर िें प्रवेश न करें । गाय का ग बर एक बेहतरीन एं टीसेमिक है ।
गाय का ग बर अन्य ग बर से बेहतर है क् मं क यह एं टीसेमिक है और इसिें र गमनर धी (र ग मनवारक) गुण
हैं । यह सूक्ष्मजीव ं क नष्ट कर दे ता है ज बीिारी, मकण्वन और पुटपन का कारण बनते हैं । अन्य ग बर क
शुद्ध करने के मलए खाद बनाने की आवश्यकता है । यह ध्यान िें रखा जाना चामहए मक ताजा गाय का ग बर
शुद्ध है , लेमकन एक बार जब यह जिीन पर रख मदया जाता है , त यह बदलना शुरू ह जाता है ।
संक्षेप िें, दे सी गाय का ग बर एं टीसेमिक एजेंट है ; कीटनाशक और उवारक; भारत िें, सूखे ग बर का
उपय ग चारक ल की तरह मकया जाता है ; यह ऊजाा बनाने वाली िीथेन गैस का भी एक रूप है ।

गौिूत्र
गौिूत्र िानव कल्याण और स्वास्थ्यरक्षक रसायन िें उपय ग मकया जाता है । यह एक स्वस्थ व्यक्ति के
स्वास्थ्य क बनाए रखता है , खतरनाक बीिाररय ं के कीटाणुओं क िारता है । गौिूत्र कफ, उदर र ग ,ं नेत्र
र ग ,ं और िूत्राशय के र ग ,ं काठ, कास, श्वसन र ग ,ं सू जन, यकृत र ग ं के मलए एक एं टीड ट के रूप िें
काया करता है । मचमकत्सा िें इसका उपय ग आं तररक और बाहरी उपय ग के रूप िें मकया जाता है । यह
कई पुराने और असाध्य र ग ं िें बेहद उपय गी है । यूररया र गाणुओं क ख़त्म करता है । प टे मशयि
क्षुधावधाक, रिचाप मनयािक है । स मडयि द्रव की िात्रा और तंमत्रका शक्ति क मनयंमत्रत करता है ।
िैग्नीमशयि और कैक्तशशयि हृदय गमत क मनयंमत्रत करते हैं ।
दे सी गाय का िूत्र गैस के मवकार क र कता है ; बलगि, मपत्त और गैस से पैदा ह ने वाली बीिाररय ं क
ठीक करता है ; अम्लता, पेट की बीिारी और अमधक के साथ िदद; कुष्ठ और अन्य त्वचा र ग ं क दू र
करता है । ग िूत्र मवष या मवष के कारण ह ने वाले र ग क नष्ट करता है । ग िूत्र िानव शरीर िें प्रमतर धक
शक्ति बढाकर र ग प्रमतर धक क्षिता प्रदान करता है । बीिारी से पहले मनयमित रूप से ग िूत्र का सेवन
करने से हि इतनी प्रमतर धक क्षिता हामसल कर लेते हैं मक बीिाररय ं का क ई भी हिला ह वह इसे नष्ट
कर सकता है ।
उपचार के दौरान, गौिूत्र सिस्या के िूल कारण क अमधकति प्रभाव से ठीक करता है । उदाहरण के
मलए, त्वचा पर चकत्ते नकारात्मक ऊजाा के कारण ह ते हैं । गौिूत्र का एकिात्र नुकसान इसकी गंध या
स्वाद है ; हालां मक, फायदे इस एक नुकसान से कहीं अमधक हैं । वैज्ञामनक ं ने इसके स्वास्थ्य लाभ क दे खते
हुए इसे पाउडर के रूप िें बदल कर और इसे कैप्सूल िें डाल के भी इस्तेिाल करने य ग्य बना मदया है ।

दे सी गौमूत्र और इलाज की रासायमनक सािग्री:

गाय के िूत्र िें 700 से अमधक उपय गी रसायन पाए जाते हैं । उनिें से कुछ हैं –
क्रम रासायमनक र ग का प्रभाव
संख्या नाि

1 -रि असािान्यताओं और मवषाि पदाथों क


नाइटर जन --एन मनकालता है ।
2
-िूत्र-िागा का प्राकृमतक उत्तेजना-वधाक ।
Nitrogen – N2
-मकडनी क समक्रय करता है और िूत्रवधाक है
(िूत्र के मनकलने िें वृक्तद्ध का कारक )।

2 - बडी आं त िें ि शन क सुचारु करता है ।


सल्फर --एस
- रि साफ करता है ।
Sulphur - S
3 अि मनआ -- -शरीर के मपत्त, श्लेष्मा और वायु क क्तस्थर करता है ।
एनएच 3
-खून के गठन क क्तस्थर करता है ।
Ammonia –
NH3

4 कॉपर --सीयू अवां मछत वसा क मनयंमत्रत करता है ।


Copper - Cu
5 -संतुलन बनाए रखता है और लाल रि क मशकाओं
आयरन -- और हीि ग्ल मबन के उत्पादन िें िदद करता है ।
ऍफ़ इ
-काि करने की शक्ति क क्तस्थर करता है ।
Iron - Fe
6 यूररआ -रि असािान्यताओं और मवषाि पदाथों क
Urea – मनकालता है ।
CO(NH2)2 -िूत्र-िागा का प्राकृमतक उत्तेजना-वधाक ।

-मकडनी क समक्रय करता है और िूत्रवधाक है


(िूत्र के मनकलने िें वृक्तद्ध का कारक )।

7 यूररक एमसड -मदल की सूजन और जलन क दू र करता है ।


Uric Acid –
-यह िूत्रवधाक भी है ।
C5H4N4O3
8 फ स्फेट --पी - िूत्र पथ से पथरी क मनकलने िें िदद-कारक है ।
Phosphate - P
9 स मडयि--एनए -खून साफ करता है ।
Sodium - Na
-एं टामसड।

10 प टामसयि --के -वंशानुगत गमठया ठीक करता है ।


Potassium - K
-भूख िें वृक्तद्ध करता है ।

-िां सपेमशय ं की किज री और आलस्य क दू र


करता है ।

11 िैंगनीज--एिएन - कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है ।


Manganese -
-गैंग्रीन की वजह से सडन क र कता है ।
Mn
काबोमलक - कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है ।
एमसड
-गैंग्रीन की वजह से सडन क र कता है ।
Carbolic Acid -
HCOOH
13 कैक्तशशयि--सीए -खून साफ करता है ।
Calcium - Ca
-हमियां िजबूत करता है ।

-कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है ।


14 साल्ट--एन ए सी -शरीर की अम्लीय सािग्री क कि करता है ।
आई
कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है ।
Salt - NaCl
15 मवटामिन --ए बी - मवटामिन ऊजाा वान जीवन के समक्रय तत्व हैं ।
सी डी इ
Vitamins –
-यह घबराहट और प्यास से बचाता है ।
A,B,C,D,E
-ऊजाा वान जीवन के मलए हमिय ं और प्रजनन
अवयव ं क िजबूत बनाता है ।

16 लैक्ट स संत ष दे ता है ।
Lactose –
-हृदय और िुंह क िजबूती दे ता है ।
C6H12O6
-प्यास और घबराहट दू र करता है ।-

17 एं जाइि -स्वास्थयकारी पाचक रस ं क बनाता है , प्रमतर धक


Enzymes क्षिता बढाता है ।

वाटर--एच 2 ओ -रि की तरलता बनाए रखता है ।


Water – H2O
-शरीर के तापिान क बनाए रखता है ।

महप्यूररक एमसड -िूत्र से मवषाि पदाथों क मनकालता है .


Hipuric Acid -
CgNgNox
20 मक्रएमटमनन - कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है ।
Creatinin –
C4HgN2O2
21 ऑरि - कीटाणुओं की वृक्तद्ध क र कता है , प्रमतर धक क्षिता
हाइडर ऑक्साइड बढाता है ।
Aurum
-यह अत्यमधक एं टीबाय मटक और एं टीटॉक्तक्सक है ।
Hydroxide -
AuOH

मकसी भी अन्य जानवर या इं सान के िूत्र िें इतनी सािग्री नहीं ह ती मजतनी दे सी गाय ं िें ह ती है । गौिूत्र
क उबालने पर हिें गाढा घ ल मिलता है ज खमनज, मवटामिन से भरा ह ता है और मवमभन्न बीिाररय ं के
मलए उपय ग मकया जाता है । मडक्तिल्ड ग िूत्र फ्लू, गमठया, बैक्टीररयल र ग ,ं भ जन की मवषािता, अपच,
सूजन और कुष्ठ र ग के इलाज िें प्रभावी है ।
संक्षेप िें, दे सी गाय का िूत्र गैस मवकार ं क र कता है ; बलगि, मपत्त और गैस से पैदा ह ने वाली सभी
बीिाररय ं क ठीक करता है ; अम्लता, पेट की बीिारी िें िदद करता है ; कुष्ठ और अन्य त्वचा र ग ं क दू र
करता है । ग िूत्र जहरनाशक है , यह मवष या मवष के कारण ह ने वाले र ग क नष्ट करता है । ग िूत्र िानव
शरीर िें प्रमतर धक शक्ति बढाकर र ग प्रमतर धक क्षिता प्रदान करता है ।

गाय का दू ध (गौ-दु ग्ध)

दे सी गाय का दू ध प्राचीन काल से हिारे (भारतीय उपिहाद्वीप) आहार का महस्सा रहा है । गाय के दू ध जैसा
क ई पौमष्टक और संतुमलत आहार नहीं है । इसे अिृत िाना जाता है । यह पाचन के मलए बहुत ही उपयुि
है और स्वाद िें िीठा, ठं डा, वात शािक है । पहले हर घर के आं गन िें गाय हुआ करती थी। दे सी गायें
अपने प षक दू ध से पररवार का भरण प षण करती थीं। आयुवेद दे सी गाय ं के दू ध क िीठा, ठं डा और
हिारे िहत्वपूणा अंग ं क उच्च पौमष्टक िूल्य प्रदान करने के रूप िें वमणात करता है । दे सी गाय का दू ध
िन क शां त करने वाले गुण ं से भरपूर ह ता है , "सत गुना" के सुधार (अच्छी गुणवत्ता, ख़ामसयत, मवशेषता
या प्रवृमत्त) और िनुष् ं िें सकारात्मक ऊजाा के मलए इसकी सराहना की जाती है ।
भारतीय नस्ल की गाय ं के दू ध िें उच्च प षण िूल्य ह ता है और इसिें कई र ग ं के क्तखलाफ उपचारात्मक
शक्ति ह ती है । भारतीय नस्ल की गाय के दू ध क A2 दू ध कहा जाता है ।

आगेमनक क ल िर ि िानव शरीर क एक गहन िौमलक स्तर पर पुनमनामिात करता है । क ल िर ि दू ध के


स्वास्थ्य लाभ ं क इन िहत्वपूणा यौमगक ं जैसे फैटी एमसड, सभी आवश्यक अिीन एमसड आमद के मलए
मजम्मेदार ठहराया जा सकता है । स्वाभामवक रूप से आईजीएफ -1 (जैसे इं सुमलन ग्र थ फैक्टर 1 के मलए
ह ता है ) क छु पा हुआ हीरा िाना जाता है क् मं क इससे िानव दीघाा यु क्षिता प्राप्त करता है । कच्चे
क ल िर ि िें लैक्ट बैमसलस एमसड मफलस स्वस्थ बैक्टीररया का एक िर े न है ज िानव प्रमतरक्षा प्रणाली
का एक िहत्वपूणा महस्सा है । आगेमनक क ल िर ि िें प्रीबाय मटक्स ह ते हैं ज स्वाभामवक रूप से ह ने वाले
एमसड मफलस के साथ-साथ आपके शरीर िें पहले से िौजूद अच्छे बैक्टीररया के मकसी भी िर े न क
फीड करते हैं ।
दू ध में िौजूद कुछ पोषक तत्व :

1. गवटागमन।
 इसमें गवटागमन डी ोता ै जो शरीर को कैल्शशयम और फॉस्फोरस को बढ़ने ,दां त और
गियााँ को ताकत दे ता ै
 राइबोफ्लेगवन ऊजाा के गिए काबो ाइडरेट प्रदान करता ै ।
 िाि रक्त कोगशका के गनमाा ण के गिए गवटागमन बी 12 म त्वपूणा ै
 इसमें प्रगतरक्षा और दृगि के गिए आवश्यक गवटागमन ए ोता ै

2. खगनज
ए. स्वस्थ दां त, मजबूत गियों के गिए आवश्यक कैल्शशयम। रक्तचाप और मां सपेगशयों के काया के गिए
भी म त्वपूणा ै ।
बी. फॉस्फोरस स्वस्थ दां तों और मजबूत गियों के गनमाा ण में स ायता करता ै । साथ ी, प्रोटीन के
उत्पादन में स ायता करता है और कोगशका और ऊतक वृल्ि के गिए लाभकारी है ।
सी. पोटे गशयम शरीर के अं गों, ऊतकों और कोगशकाओं के स्वस्थ कामकाज के गिए आवश्यक ै । इसके
अिावा,य रक्त के तापमान को गनयंगत्रत करने में मदद करता ै ।

3. प्रोटीन
A2 दू ध A2 प्रोटीन के सेवन का उगचत स्रोत ै ।

संक्षेप में, गौ-दू ध में प्रत्येक पोषक तत्व ोता ै जो मानव शरीर के गवकास के गिए आवश्यक ोता ै । यह
िनुष् की शारीररक, िानमसक और आध्याक्तत्मक शक्ति क बढाता है । यह एक सम्पूणा भ जन है । यह उम्र
बढने की प्रमक्रया क धीिा करता है और बुक्तद्ध और शक्ति क बढाता है । यह जीवन की अवमध क
मनयंमत्रत करता है और बढाता है ।

गाय का घी (ग घृत)

दे सी गाय का घी, मजसे पमिि िें मवशुद ििन के रूप िें भी जाना जाता है , कई लाभ ं से भरा ह ता है ,
मजसिें हिारे पेट क साफ करना और हिारे शरीर क मडटॉक्स करना जैसे गुण शामिल है । यह पाचन
तंत्र क प्रभावी ढं ग से ऊजाा वान बनता है , मवशेष रूप से हरी घास खाने वाली गाय ं से प्राप्त घी। किज र
पाचन वाले ल ग ं क अपने भ जन िें घी क दै मनक आधार पर ज डना चामहए। यह शरीर की पाचन क्षिता
क कि मकए मबना मत्रद ष क संतुमलत करता है । घी आवश्यक प षक तत्व ,ं फैटी एमसड, एं टी-
बैक्टीररयल, एं टी-फंगल, एं टी-ऑक्सीडें ट और एं टी-वायरल गुण ं से भरपूर ह ता है । यह शां त, िीठा और
संतृप्त वसा से भरपूर ह ता है । घी का सेवन तरल अवस्था िें करना चामहए। घी मजतना पुराना ह गा, उसका
औषधीय िूल्य उतना ही अमधक ह गा।

एक आदशा क्तस्थमत िें, हिें एक मगलास दू ध िें एक चम्मच घी और एक चुटकी हल्दी मिलानी चामहए और
मबस्तर पर जाने से पहले इसका सेवन करना चामहए। यह आपके पाचन क बढाएगा और सुबह पेट क
साफ करे गा। गाय का घी आं ख ं के मलए मवशेष रूप से उपय गी है । घी का उपय ग शरीर की क्षिता बढाने
और िानमसक मवकास के मलए लाभकारी है । इसके सेवन से शरीर िें तेज आता है ।

घी का बहुत ही उच्च फ्राइं ग मबंदु है । इसमलए घी िें भ जन पकाने से यह सुमनमित ह गा मक घी की खूमबयां


बरकरार है । 5 वषा से कि उम्र के बच्च ं क घी मदया जाना चामहए क् मं क इससे उनकी शारीररक वृक्तद्ध क
बल मिलेगा, मवशेष रूप से िक्तस्तष्क की वृक्तद्ध ज इस उम्र िें ह ती है । लैक्ट ज असमहष्णुता और कैमसइन
असमहष्णुता वाले ल ग भी घी का सेवन कर सकते हैं । घी सेवन का सबसे अच्छा तरीका है मक इसे ताजा
लें। न्यूनति एक टी-स्पून एक मदन और अमधकति 4 टी-स्पून एक मदन। बुजुगा ल ग ं के मलए, घी बहुत
फायदे िंद है । वे आितौर पर भूलने की बीिारी, तंमत्रका मवकार, सूजन आमद से पीमडत ह ते हैं । घी िें
ब्यूमटररक एमसड ह ता है , एक छ टी श्रृंखला फैटी एमसड की ह ती है , ज आं त ं की क मशकाओं
का प षण करती है ।

मजन ल ग ं क तनाव, मचंता की क्तस्थमत रहती है , घी उनके पाचन िें सुधार करने िें िदद करता है । ज ल ग
मकसी भी बीिारी से उबर रहे हैं उनके मलए घी बहुत बमढया है । मकसी भी मवषहरण (डीटॉक्स) कायाक्रि के
अंत िें, सभी क घी से भरपूर भ जन मदया जाना चामहए। यह शरीर िें सभी अवयव ं क ज ड दे ता है और
मफर से ताकत के सृजन िें िदद करता है ।

बाजार िें उपलब्ध घी मसफा दू ध क अत्यमधक तेज गमत से िंथन करके तैयार मकया जाता है । यह प्रमक्रया
दू ध से घी क अलग करती है , हालााँ मक, इसिें क ई गंध या स्वाद नहीं ह ता। इसे बेचने के उद्दे श्य के मलए,
इसिें सार और स्वाद बढाने वाले तत्व ं क आवश्यकतानुसार ज डा जाता है ।

सुबह-सुबह घी खाने के ढे र सारे फायदे हैं । आयुवेद के अनुसार, घी एक 'रस' के रूप िें काया करता है ।
रस एक आवश्यक प षक तत्व है ज खाली पेट सेवन करने पर हिारे शरीर की सभी क मशकाओं क
प षण प्रदान करता है । घी त्वचा क प्राकृमतक रूप से िॉइस्चराइज करता है और त्वचा क शुष्क ह ने से
र कता है । इससे त्वचा िें प्राकृमतक चिक आती है । यह ज ड ं के ददा और गमठया क र क सकता है
क् मं क इसिें ओिेगा -3 फैटी एमसड ह ता है ज हमिय ं के स्वास्थ्य क बढाकर ऑक्तिय प र मसस क
र क सकता है ।

गाय का दही

दही क एक क्रमिक प्रमक्रया िें दू ध क जिा करके प्राप्त मकया जाता है मजसे दही कहा जाता है । मनम्बू का
रस या मसरका जैसे मकसी भी खाद्य अम्लीय पदाथा क ज डने और मफर लेप करने की अनुिमत दे ने के
कारण जिावट ह सकती है । बढी हुई अम्लता दू ध प्र टीन (कैमसइन) क ठ स द्रव्यिान या दही िें बदलने
का कारण बनती है । दू ध ज खट्टे के मलए छ ड मदया गया है (अकेले कच्चा दू ध या ज डा हुआ लैक्तक्टक
एमसड बैक्टीररया के साथ पािराइज्ड दू ध), वह स्वाभामवक रूप से दही क स्वास्थ्यप्रद बनाता है ज एक
व्यक्ति उपभ ग कर सकता है ।

भारतीय उपिहाद्वीप िें दही पारं पररक ह ििेड य गटा क संदमभात करता है , जबमक पनीर और छे ना का
उपय ग दही के दू ध क दशाा ने के मलए मकया जाता है । हालां मक ल ग अक्सर दही और य गटा क एक
सिान िानते हैं , द न ं के बीच अंतर की एक पतली रे खा है ।) दही की तैयारी के मलए लैक्ट बैमसलस
बैक्टीररया की आवश्यकता ह ती है , जबमक य गटा लैक्ट बैमसलस नािक बैक्टीररया के द मवमशष्ट उपभेद ं
Lactobacillusdelbrueckii subsp. bulgaricus और Streptococcus thermophilus
बैक्टीररया का उपय ग करके बनाया जाता है । लैक्तक्टक एमसड बैक्टीररया के अन्य उपभेद ं क भी ज डा जा
सकता है ।

यह आितौर पर ताजा ह ता है और कई दे श ं िें उपलब्ध ह ता है । दही तैयार ह ने के बाद, हि उसी क


िथते हैं और द उप-उत्पाद प्राप्त करते हैं । एक है ििन, और दू सरा है छाछ। यहां , इस बात पर मवशेष
ध्यान मदया जाना चामहए मक िंथन, मिक्सर के मवपरीत, द न ं मदशाओं िें ह ना चामहए। मिक्सर िें ब्लेड
केवल एक मदशा िें चलता है , ज छाछ बनाने के मलए अच्छा नहीं है । यह िलाईदार उत्पाद है ज वसा
ग्ल ब्यूल्स के बाद ििन बनाने के मलए एक साथ रहता है । तीखा तरल ज बच जाता है वह स्वाभामवक
रूप से वसा रमहत ह ता है और इसिें डायमसटाइल ह ता है , ज यौमगक ििनयु ि सुगंध दे ता है । छाछ
एक कि वसा वाला पेय है ज प्र टीन, प टे मशयि और मवटामिन बी से सिृद्ध ह ता है । लैक्ट ज-असमहष्णु
ल ग ं के मलए, यह मबना मकसी परे शानी के आसानी से पच जाता है ।

दे सी गाय का दही भी सिान रूप से सिृद्ध है । इसिें सुपाच्य प्र टीन और फायदे िंद बैक्टीररया ह ते हैं ज
भूख बढाने िें िदद करते हैं । गाय के दही से बनी छाछ पचाने िें आसान ह ती है और मपत्त क खत्म करती
है । प्राचीन काल से भारतीय संस्कृमत िें दू ध क मवमभन्न तरीक ं से उपय ग मकया जाता रहा है ।

तामलका: दही / छाछ से प्राप्त ह ने वाले मवमभन्न उत्पाद

क्रम मववरण अनुपात (दही :


संख्या पानी)

1 तक्र 1:1
2 िठ्ठा 1:2
3 छास 1:3
4 िमजगा 1:4
5 िर 1:5

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