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मनी मैचबॉ स

राहुल कुमार
पा :
पता/ सभ
ु ाष
माँ/ शीला
इंद/ू मौसी
वनोद(बड़ा बेटा)
संजय(छोटा बेटा)
यो त/बहू/ वनोद क प नी
फरोज़/ वनोद का दो त
चायवाला

य एक

मंच पर एक कमरे सेटप लगा हुआ है , दे खने से कमरा एक न न म यम वग का लगता है । कमरे क हालत बहूत
ह खराब है , मंच के एक तरफ कमरे मे वेश करने के लए दरवाज़ा है , िजसपे एक फटा परु ाना पदा बस जैसे तैसे
लटका हुआ है । दरवाजे के ह बगल मे घस
ु लखाना है । मंच के पीछे वाले कोने पे एक खल
ु रसोई है िजसका समान
बखरा पड़ा है । मंच के म य म एक पलंग है , िजस बछे ब तर बगड़े हुये ह, कुछ ब तर पलंग के पास म ऐसे ह
पड़े ह। साथ म एक कुस भी रखी है िजसपे कुछ कपड़े भी पड़े ह। मंच के एक कोने पे एक टे बल है िजसम कुछ
छोट -छोट दराज ह। टे बल पे एक अध पया पानी का गलास है और कुछ परु ाने ह द के अखबार है । मंच पे ह
एक चटाई बछ हुई है ।
परू ा कमरा पहल नज़र म उजड़ा हुआ सा महसस
ू होता है , परू ा कमरे मे धल
ू जमी हुई है । मंच के पीछे एक द वार पे
एक टाइम-टे बल टं गा हुआ है जो थोड़ा सा फटा हुआ है ।

एक आदमी का वेश होता है , उसने एकदम चकाचक कपड़े पहने हुये ह, उसके हाथ मे एक डायर है । जैसे जैसे वो
वेश करता है काश होना शु होता है । वो पहले परू े कमरे म घम
ू ता है , उसको दे खता है (इस दौरान संगीत बज रहा
है ) फर अपनी बात शु करता है .... अपनी बात के अंत तक आते आते कमरा अंधेरे मे डूब जाता है और काश
सफ आदमी पर रहा होता है ।

आदमी : अ.... म ...... समझ नह ं आ रहा क कहां से शु क ँ और या कहूँ? च लए प रचय से शु करते ह।


आप सब दशक है और म ...... ? मेरे बहुत से नाम है , जैसे ...... खैर छो ड़ए, वैसे भी नाम मे या रखा है और
आजकल तो काम से काम रखने का ज़माना है ना। काम के बाद नाम भल
ू जाने का ज़माना है । म भी बात को कहाँ
से कहाँ ले गया।
वैसे म हूं बड़ी काम क चीज। परु ातन काल से लेकर वतमान समय म भी मेरे लए संघष होता रहा है । मेरे लए बड़े
बड़े यो धा आपस मे भी लड़ पड़े और न जाने मेरे लए या या हुआ। वो बात भी छो ड़ए …
असल म म भी नह ं जानता क म हूँ कौन य क व त और चाहत के हसाब से लोग ने मझ
ु े ढाल लया है । बस
म, केट क ट म म, रोजगार क भीड़ म, िजसे दे खो मझ
ु े तलाश रहा है । हर तरफ मारा-मार है ।
मेरे पीछे ये कमरा दे ख रहे ह, पहले ये कैसा था ये तो म आपको नह ं बताऊंगा पर हाँ, कुछ साल पहले यहाँ से भी
मेरे पास कुछ अिज़याँ आने वाल थी, वो या थी वो तो आप लोग नाटक दे ख कर ह जान पाएंगे।
(आदमी कुछ ण के लए अपनी डाइर चेक करने लगता है , संगीत फर बजना शु होता है और काश धीरे -धीरे
बंद हो जाता है )

( काश होने पर वह कमरा है , ले कन इस बार कमरा सस


ु ि जत लग रहा है । हर चीज़ अपनी-अपनी जगह पर सह
तर के से रखी गयी है । पलंग के पास रखे टे बल पर एक परु ाने ज़माने का रे डयो रखा हुआ है । पलंग पर वनोद
चादर तान के सो रहा है ।
दाद का वेश होता है , वो सीधा जाकर रे डयो का बटन दबाती है और नीचे बछ चटाई पे आकार बैठ जाती है ,
अपने माल क छोट पोटल को नकालती है और उसम से एक भगवान क त वीर नकलती है और भजन जो
रे डयो मे बज रहा है उसमे म न होकर भगवान क अचना करने लगती है । भजन क व न से वनोद क नींद टूट
जाती है और वो चादर से अपना सर बाहर नकालकर दाद को दे खने लगता है पर दाद अपने भजन मे म न है ।
माँ का वेश होता है , माँ जो अभी काम से लौट कर आ रह है , ककर दाद को दे खती है , ले कन दाद पज
ू ामम न
है , माँ रे डयो को धीमा करती है और रसोई क तरफ बढ़ जाती है और घर समेटने लगती है । वनोद माँ को दे खकर
फर सो जाता है ।)

माँ: वनोद... अरे ओ वनोद। चल उठ जा। लाइ र नह ं जाना या। दे ख तो 9.30 हो ने को आए है ।


वनोद: या माँ? अभी तो मेरा टाइम शु हुआ था।
माँ: एक तो इनके टाइम टे बल ने सबका जीना हराम कया हुआ है (द वार पे टं गे टाइम टे बल को दे खकर बोलती है ),
कसी को चैन ह नह ं है , जाने उनको कैसे चैन आ जाता है । ऊपर से ये घर, परू ा का परू ा आकार मझ
ु पर ह टूटता है ,
कसी को अपनी िज़ मेदा रय का एहसास ह नह ं है । वो तो अ छा है क वनोद क नौकर लग गयी वरना जाने
या होता,
( वनोद उठ कर घस
ु ल खाने क तरफ चला जाता है )
अब तो बस संजय क ह चंता है , पता नह ं कहाँ डोलता रहता है परू ा दन। बड़ी मिु कल से तो ड ी पास क है
उसने, कसी काम धंधे म भी तो उसका मन लगता नह ं... रामजाने इस लड़के का या होगा...

(संजय का वेश होता है , बाल बखरे हुये है और कपड़े अ त य त है , वो माँ को दे ख के दरवाजे पे ह क जाता है
और माँ उसको दे खते दे खते ह चप
ु हो जाती है । माँ को कुछ दे र दे खने के बाद वो पलंग पे लेट जाता है )

माँ : अगर तेर यह आदत रह ं है ना तो फर दे ख लयो…


संजय: अब या हुआ? अपने टाइम पे तो आया हूँ यहाँ? मने तो कुछ कया भी नह ं (पलंग पे जाकर बैठ जाता है )
माँ: कया नह ं तो बता कहाँ भटकता रहता है तू रात भर?
संजय: इससे तु ह या मतलब, और वैसे भी टाइम टे बल के हसाब से तो मेर ह ते क 5 रात तो घर के बाहर ह
लखी है , फर इससे तु ह या क म रात घर के दरवाज़े पे सोकर काटूँ या बाहर भटक के…
माँ: पर ये आज से तो नह ं हो रहा ना, तू तब तो कुछ नह ं बोलता था
संजय: तब और अब म या अंतर है ये तम
ु भी अ छ तरह जानती हो माँ, और इस मनी-मा चस क ड बी म
रहने वाल हर त ल भी।
माँ: कभी अपने बाप को भी बोल दया कर ये बात जो मझ
ु े ह सन
ु ाता रहता है
संजय: बोल दं ग
ू ा उनसे भी, कभी आमना-सामना हुआ तो
दाद : लगता है आजकल बहुत फ म दे ख रहा है ( दाद पज
ू ा ख म करते हुये बोलती है और बाहर चले जाती है )
माँ: जाने या होगा इस लड़के या?
संजय: उसक तु ह चंता करने क कोई ज़ रत नह ं है । अब इतना बड़ा हो गया हूँ क अपना भला-बरु ा जानता हूँ
माँ: तू इतना कड़वा य बोलता है संजय? कभी तो यार से बात कर लया कर।
संजय: यार....(झठ
ू हँसी हँसता है । उठता है और कुस पे रखी स
ै हुई शट पहनने लगता है )
माँ: दे ख ये तो वनोद क ऑ फस क शट है , तू इसे पहन लेगा तो वो या पहनेगा?
संजय: वनोद क शट ( शट उतार के रख दे ता है और अपनी शट उठा कर चल दे ता है )
वनोद : माँ कुस पे मेर कमीज़ रखी है दो ना( घस
ु ल खाने से आवाज़ लगाता है )
माँ: जाने या हो गया है , इसे कुछ बोलता भी तो नह ं ढं ग से, कुछ पछ
ू ो तो सीधा जवाब भी नह ं दे ता।
वनोद: तम
ु चंता मत करो, म क ं गा उस से बात
(मां संजय को दे खती चल जाती है , इसी बीच वनोद घस
ु लखाने से नकलकर ऑ फस जाने को तैयार होता है । घर
के अंदर पता का वेश होता है िजन क द वार नगाह बाहर दरवाजे पर है )

पता: यह संजय ऐसे तमतमाता य बाहर गया है ?


माँ: य ? तम
ु पछ
ू नह ं सकते थे या?
पता: अरे तम
ु तो जानती हो ना, वह वैसे ह मझ
ु से नज़र चरु ाता है बात या खाक करे गा। पछल बार क ह बात
ले लो कतना कहा था उसको क कोई नौकर कर ले पर उसके कान पर तो कोई जंू तक नह ं रगी।
माँ: वैसे ह जैसे आपके नह ं रगती।
( वनोद तैयार होकर नकल जाता है )

पता: अरे ! अब मने या कया


माँ: आपने कुछ नह ं कया, सारा कया धरा इस टाइम टे बल का है । पता नह ं मेर कौन सी क मत फूट थी जो ये
टाइम टे बल मेरे प ले आकर पड़ा।
पता: अब इसम म या क ं । इस 12 बाय 8 के कमरे के लए टाइम टे बल नह ं तो या एक और कमरा बनाऊं?
माँ: यह तो पहले सोचना चा हए था, जब बगल वाला कमरा बक रहा था। खर द लया होता तो ये टाइम टे बल….
पता: कतनी बार तो कह चक
ु ा हूं क हो गई गलती और वैसे भी पैसे कहां से आते? पेड़ पर तो उगते नह ं ।
माँ: जए
ु के लए शायद पेड़ पर ह उगते ह।
पता: तम
ु फर से शु मत हो जाना।
माँ: 30 साल से यह तो धमक सन
ु ते आ रह हूं?
पता: कसने कहा था 30 साल इंतजार करने के लए छोड़ य नह ं दया?
माँ: अ माजी लहाज ना होता तो कब का छोड़ दया होता तु ह।
(इसी बीच इंद ू का वेश होता है उसके हाथ म ट ल का एक बंटा है िजसको वह जाकर रसोई म रख दे ती है और
फर बैठ कर माँ-बाप क एक बहस का मज़ा लेने लगती है )

पता: दे ख रह है इंद ू दे ख रह है कैसे तेर बहन बात कर रह है मझ


ु से
मां : इंद ू को बीच म य लाते हो? वो या कर लेगी। वैसे इंद ू से ह पछ
ू लो कतने अ छे र ते आए थे मेरे लए।
इंद:ू ( हां म सर हलाती है )
पता: बोल तो ऐसे रह हो जैसे टाटा- बरला के यहाँ से र ता आए थे तेरे लए।
मां: राम संह टाटा- बरला से कम था या? आज दे खो…
(नेप य थे दाद क आवाज़ आती है और फर बाद म दाद का वेश होता है दाद मां क बात को आधा ह काट दे ती
है )

दाद : अरे …., ये या लगा रखा है ?


पता: समझाओ अपनी बहू को अ मा जाने कहां क बात कहां ले जाती है
मां: बता य नह ं दे ते क कहां क बात कहां ले गई थी
पता: अ मा का तो लहाज़ रखो बोले जा रह हो
मां : वह तो कह रह हूँ, अ मा का ह तो लहाज़ था अब तक…
दाद : बहू… सभ
ु ाष(वह आवाज़ ऊंची करके कहती है ) 30 साल से यादा हो रहे अभी तक झगड़ते आ रहे हो।
पता: ले कन अ मा…
दाद : सभ
ु ाष चप
ु । और तू या खी-खी करे जा रह है । कोई काम-धाम नह ं है या ( इंद ू से)
(इंद ू रसोई म चले जाती है , माँ झाडू करने लगती है पता एक तरफ बैठ जाते ह और दाद वह अपनी माला जपने
लगती है ।
काश धीरे -धीरे म यम होकर अंधेरे म ल न हो जाता है और फर आदमी का वेश होता है , इस बार आदमी क
वेशभष
ू ा थोड़ी सी अ त- य त है )

आदमी: यह तो था एक प रवार, वैसा ह जैसा सबका होता है ह का सा फु का सा। हां, मानता हूं कुछ असहम तयां
है घर के लोग के बीच, रसोई म चार बतन ह गे तो खड़कगे ह ।
वैसे भी र त म अगर शकायत नह ं होगी तो र ते ह कैसे। आ खर यह शकायत ह तो है जो हमारे बीच संवाद
का कारण बनती है और जहां शकायत ख म वहां संवाद कैसा। तो च लए आगे बढ़ते ह।

( काश म यम होते होते आदमी नकल जाता है वापस से जब काश होता है तो कमरे म दाद बैठ हुई है और
अपना कुछ काम कर रह है माँ का वेश होता है जो अभी अभी काम पर से वापस लौट है )

माँ: राम राम अ मा (सीधा रसोई म चल जाती है )


दाद : आ गई बहू? आज बड़ी दे र हो गई तझ
ु े
माँ: हां अ मा वह आज माल कन के बेटे का ज म दन था तो इस लए दे र हो गई।
दाद : तो या या बनाया था खाने म आज और यह इंद ू कहां रह गई? तेरे साथ ह थी ना?
माँ: अरे कुछ नह ं बनाया था सब बाहर से आडर कया था । और इंद…
ू .
(माँ साथ लाए थैले म से बि कट और केक के टुकड़े नकालकर एक लेट मे रखकर दाद के सामने रख दे ती है )

दाद : लग तो एकदम ब ढ़या रहा है ।


(इंद ू का वेश होता है । दोन इंद ू को दे खते ह)

दाद : कहां रह गई थी रे इंद?



( इंद ू अनसन
ु ा कर दे ती है और दाद के पास राखी लेट क तरफ हाथ बढ़ा दे ती है )
इंद:ू म कहां जाऊंगी अ मा जी? बस यह ं थी नीचे
माँ: नीचे या कर रह थी? आई तो मेरे साथ ह थी ना
इंद:ू वह मकान मा लक है ना अपना ( खाते हुए बोलती है )
माँ: कौन? वो प प?

इंद:ू वह मल गया था नीचे उसने ह रोक लया था
माँ: या कहता था?
इंद:ू वह कराए के लए बोलता था
माँ: ले कन इस मह ने का तो दे दया था ना
इंद:ू वह तो मना कर रहा था और कह रहा था क अगले मह ने से और हजार पए बढ़ा रहा है
दाद : हाय राम! या होगा इस द ु नया का? सब पैस के पीछे भाग रहे ह। य बहू तन
ू े कराया नह ं दया था या?
माँ: या बात करती हो अ मा? कल ह तो ₹7000 वनोद के पापा को दए थे अब जाने कहां….
दाद : कह ं वो फर से….
इंद:ू या बात करती हो अ मा, याद नह ं आपको वनोद जब नौकर लगा था तो उ ह ने वचन दया था आपको।
माँ: अरे इंद ू तू नह ं जानती वचन तो मझ
ु े भी दए थे याह के व त।
दाद : पर है कहां वो? अब तक तो उसक यट
ू ख म हो जाती है न?
इंद ू और मां: हां वह तो…
(कमरे म संजय का वेश होता है और थोड़ा ज द म ह)

संजय: माँ… माँ…. पताजी आए या?


दाद : बैठ तो जा रे पहले।
संजय: अ मा पताजी है क नह ?

माँ: हुआ या बतायेगा?
संजय: आपके मतलब क बात नह ं है और वैसे भाई कब तक आएगा?
माँ: वनोद तो आने वाला होगा पर बात या है ?
दाद : हां रे संजय, बता बात या हुई?
माँ: रहने दे अ मा ये हम नह ं बताएगा
संजय: माँ तम
ु फर मत शु हो जाना।
माँ: मने शु कया ?
संजय: मेरे पास बहस करने का व त नह ं है ।
( ये कहकर वनोद उठता ह और थान कर जाता है )

दाद : मझ
ु े तो समझ म नह ं आता जाने कौन सा गु सा है जो 24सौ घंटे तक तमतमाया हुआ रहता है ।
इंद:ू तम
ु फकर ना करो ना एक बार जब याह हो जाएगा ना सारा गु सा पानी हो जाएगा।
( वनोद का वेश होता है जो द तर से वापस लौटा है अभी अभी)

वनोद: अरे मासी कसके याह क बात कर रह हो? और इस संजय को या हुआ है ?


इंद:ू तू ह तो है घर म शाद के लायक।
वनोद: अरे या बात करती हो मौसी, दाद या कसीसे काम है या?
दाद : नासपीटे कह ं के, अनाब शनाब बकते हो।
वनोद: पर संजय को ….?
माँ: पता नह ,ं अभी तो आया था। तेरे और पताजी के बारे म पछ
ू रहा था।
वनोद: य या हुआ?
इंद:ू पता नह ं, तू तो जानता है ना संजय को।
वनोद: वैसे पताजी को मने दे खा था बाहर। वलास भी था साथ म।
माँ: तो कहां है वो?
वनोद: य अब तक पहुंचे नह ं या?
दाद : अभी तक तो नह ं आया।
वनोद: मझ
ु े लगता है वो नकल गए ह गे वलास के साथ।
इंद:ू य वलास ने या कया?
वनोद: तु ह नह ं पता या, वो वलास स टा खेलता है ।
दाद : ये स टा या है रेे वनोद।
माँ: अ माजी जआ
ु होता है । जआ
ु ।
दाद : हाय राम! पर उसने तो वचन दया…..
इंद:ू अ मा अब तो वचन गया पानी म।
माँ: चप
ु कर इंद ू कुछ भी बोलती है
वनोद: माँ म दे ख कर आता हूं
( वनोद चला जाता है )

इंद:ू द द मझ
ु े तो लगता है वह कराए के पैसे कह ं जीजा ने स टे म तो नह ं लगा दए
माँ: चप
ु कर फर बकवास कर रह है
दाद : नह ं बहू मझ
ु े तो लगता है इंद ू सह कह रह है
इंद:ू अ छा म चलती हूं
(इंद ू जाने को होती है )

माँ: तू कहां चल
इंद:ू यट
ू पर।
दाद : रात को?
इंद:ू हां अ मा, मने रात का टाइम करवा लया है । वैसे भी रात तो घर के बाहर ह गज़
ु ारनी पड़ती है रात। अब रात
को काम कर लया क ं गी और दन म आराम।
दाद : हां, अ छा है
इंद:ू वैसे भी अ मा इस टाइम टे बल क वजह से तो जीना दभ
ू र हो गया है ।
(इंद ू कहते कहते नकल जाती है और कुछ दे र बाद पता वनोद और संजय का वेश होता है । पता का सर झक
ु ा
हुआ है वह आकर अ मा जी के बगल म बैठ जाते ह वनोद चारपाई पर और संजय एक तरफ खड़ा हो जाता है )

दाद : कहां था ये? ( वनोद और संजय क तरफ दे खते हुए)


संजय: इनसे ह पू छए कहां थे ये?
दाद : य रे सभ
ु ाष कहां था त?

पता: वो…. वलास ले गया था मझ
ु े
माँ: य
पता: ऐसे ह
संजय: ऐसे ह या स टा खेलने।
वनोद: संजय तू चप
ु कर, माँ बात कर रह है ना
संजय: मां से बात ह तो करती आ रह है अब तक
वनोद: संजय….(संजय को चप
ु कराता है )
माँ: और क ं भी या? समझा ह सकती हो ना म तो
संजय: ले कन कतना समझाओगी माँ?
माँ: तू कहना या चाहता है ?
संजय: वह जो तम
ु सन
ु नह ं सकती
माँ: तो अपने बाप को य नह ं सन
ु ाता।
संजय: उनको भी सन
ु ा दं ग
ू ा।
पता: सन
ु रहे हो तम
ु ?
संजय: सब सन
ु रहे है कोई बेहरा नह ं है यहां
वनोद: संजय….( वनोद को जोरदार थ पड़ मारता है )
(एक पल के लए सब त ध हो जाते ह संजय वनोद को दे खता रह जाता है और उसे दे खते हुए बोलता है पर
वनोद नज़र नीचे झक
ु ा लेता है )

संजय: माँ तम
ु पछ
ू रह थी ना क म य पताजी और भैया को य पछ
ू रहा था पछ
ू रहा था। बस इतना कहना था
क नीचे वाला म बक रहा है उसे हम खर द लेते ह। ले लगे तो यह टाइम टे बल का झंझट नह ं रहे गा कसी क
रात बेरात नह ं होगी। यह कुछ पैसे है जो मने काम करते हुये बचाए थे अगर मन हो तो……
वैसे इन हालात से तो मझ
ु े नह ं लगता क इस टाइम टे बल का कुछ हो पाएगा। और हम इस मा चस क ड बी मे
हो रह जाएँगे
( इतना कहकर वो नकल जाता है , फर वनोद भी बाहर चला जाता है , और मौसी का वेश होता है )

इंद:ू हाय अ मा! अपने कारण अजन


ु को या हुआ?
दाद : तू तो काम पे गई थी ना
इंद:ू अरे जा ह रह थी रा ते म संजय को दे खा बड़ा गु से म लग रहा था पछ
ू ा तो कुछ बोला भी नह ं इस लए पछ
ू ने
को आ गई वापस
माँ: यादा गु से म था या
इंद:ू द द वो…. अरे आ गए जीजा
दाद : य या हुआ
इंद:ू नह ं वो वलास पछ
ू रहा था इनको
माँ: तन
ू े या कहा?
इंद:ू यह क तु हारे साथ ह तो था। पर मझ
ु े या पता था क ये आ गए ह गे घर।
दाद : य र सभ
ु ाष कर या रहा था उसके साथ।
पता: नह ं जाऊंगा अ मा। माफ़ करदे ।
दाद : और तेर पगार मलने वाल थी। ना आज
पता: वो अ मा वलास के यहां….
दाद : सब उड़ा दया?
पता : कहा ना। अब नह ं जाऊंगा
माँ: अ छा वो… संजय क बात का या करना है ?
पता: कौन सी बात?
माँ: अरे वह , नीचे वाला कमरा लेने क
पता: को अभी, अभी तो वनोद का याह कराना है
दाद : ये याह क बात कहां से आई
पता: वो मने बात क है एक जगह। बहुत अ छ लड़क ह अ मा। म तो कहता हूं तम
ु सब भी दे ख लो एक बार।
माँ: इस मा चस के ड बे म वैसे ह जगह नह ं है और आपको नह ं लगता क
पता: तम
ु चप
ु करो म दे ख लग
ंू ा
दाद : दे ख रे सभ
ु ाष, जब तक तू ये स टा लगाना नह ं छोड़ेगा, तब तक वनोद का याह नह ं होगा
पता: उसम या है । लो अभी छोड़ दे ता हूं
इंद:ू वो कैसे?
पता: अभी अ मा क कसम खा लेता हूँ और तेर बहन को वचन दे ता हूँ
माँ: व वास न करना अ मा इनक बात पे, वचन तो इनक जेब म रहते है जब चाहे तब दे ते ह
दाद : बहू तू चंता मत कर ये मेर कसम झठ
ू नह ं खाएगा
पता :हाँ अ मा, लो अभी खा लेता हूँ
( पता अपनी जेब टटोलने लगता है , जैसे कुछ ढूँढ रहा हो, पर जेब से सफ बीड़ी और कुछ कागज़ नकलते है वो
इ द ु क तरफ दे खता है )

इ द:ु लो जीजाजी (इ द ु उसे लाइटर दे ती है , सब इ द ु को दे खने लगते है )


दाद : ये लाइटर या कर रहा है तेरे पास
इ द:ु कुछ नह ं बस ऐसे ह ।
दाद : बहू म ना कहती थी क इसक आंखे कुछ धँस सी गयी है ।
माँ: जी अ मा, तभी म सोचँ ू क आजकल मकानमा लक तझ
ु ेह य हर बात बताता है
इ द:ु द द या बोले जा रह हो.... मतलब कुछ भी.....( हच कचाना शु कर दे ती है )
दाद : साफ साफ बता या है ये सब?
इ द:ु यट
ू पे रात को जागने के लए कभी कभी पी लेती हूँ, अब और या कहूँ?
दाद : नास पट , एक तू ह है जो ए ल काम करती है , बाक लोग या झक मारते है
(माँ उठती है और उसे पीटने को होती है इ द ु सभ
ु ाष के पीछे जाकर छुप जाती है )
इ द:ु जीजा, समझा ले अपनी लग
ु ाई को।
दाद : ज़ब
ु ान तो दे खो इसक
( पता उठता है रसोई मे जाकर कटोर मे नमक न लाता है और दाद के पास आकर बैठ जाता है और बहस का मज़ा
लेने लगता है )

इ द ु : वैसे अ मा कौन सा गलत कया मने, रात को जागने के लए और क ँ भी या?


माँ : मत कर यट
ू । घर पर बैठ
इ द ु : और घर पे बैठकर या क । जब रात बाहर ह गज़
ु ारनी है तो यट
ू करके य नह ं
माँ : बाहर?
इ द:ु हाँ बाहर , परू रात बाहर ह तो काल होती है , मेरे नसीब मे कहाँ कमरे का आराम लखा है । और वैसे भी अब
तो दम घट
ु ता है मेरा यहाँ।
माँ: दम घट
ु ता है तो चले य नह ं जाती यहाँ से
इ द:ु अब तो यह सन
ु ना बाक रे ह गया था। सब मतलब जो नकल गया ना
माँ: मतलब?
इ द ु : हाँ मतलब, मतलब न होता तो याह न करा दया होता मेरा। वदा न हो जाती म।
माँ: तझ
ु े याह करना है न, क अभी। प पू .....अरे ओ प पू
इ द ु : अब तो न जाने से रह म। जब तक सील-ब टे मे धार ह ना तब तक यह ं रहूँगी। लखा के लेल मझ
ु से। और
वैसे भी अपने लाला का याह करा के ह जाऊँगी ( ये कहते हुये इ द ु नकल जाती है )

दाद : बहू तम
ु भी न बात को खींचती चल जाती हो। कम नह ं हो तम
ु भी।
माँ: अ मा जी आप तो कभी मेर साइड लेना ह मत। जो दे खो मेरे म थे आकार पड़ जाता है ।
पता: और कौन या कह गया तु ह
माँ: वह ं तु हारा लाडला
पता: अब संजय ने या कया?
माँ: उससे ह य नह ं पछ
ू लेत?

पता: कर लँ ग
ू ा, मौका लगते ह बात कर लँ ग
ू ा।
माँ: हाय राम ! दोन एक जैसे ह
पता: अ छा वो सब छोड़ो, मेर कसं तो परू करलो।
दाद : कौन सी कसम?
पता: भल
ू गयी अ मा? अरे वह , वनोद का याह। मेर स टे बाजी। तु हार कसम लेनी थी न
माँ: इ द ु से लाइटर मांगा था। सब जानते थे ये इ द ु के बारे म
पता: अरे कुछ दे र छुप भी रहो (लाइटर जलता है , कसम खाता है ) अ मा तु हार कसम वनोद क शाद के बाद
सब बरु आदत छोड़ दं ग
ू ा। (लाइट एक दम से बझ
ु जाती है सफ लाइटर जल रहा है )
माँ: इस लाइट को भी अभी जाना था या
दाद : बहू मेरा च मा दे ख कहा है , कुछ दख नह ं रहा है ।
पता : अब तो आप दोन खश
ु हो
माँ: अरे आप ज़रा मोमब ी ढूँढग। एक तो इस घर मे कोई चीज़ समय पर मलती ह नह ं है ।
दाद : बहू
(लाइटर बझ
ु जाता है और एक काश के पॉट के साथ आदमी का वेश होता है , इस बार उसक वेशबश
ु और
यादा अ त य त हो चक
ु है )

आदमी: बात बड़ी ह अजीब सी है । घर िजतना छोटा हो चीज़े उतनी ह बखरती चल जाती है और व त आने पर
कोई चीज़ मलती ह नह ं और जब मलती है तब तक उसक ज़ रत मट चक
ु होती है । पर इंसान को इसक
समझ न पहले आई थी और शायद ह कभी आएगी ......पर हमारा काम है उ मीद लगाना सो तो हमने लगाई हुई
है

( काश बझ
ु जाता है , वापस जब काश होता है , तब कमरा सह
ु ागरात के लए सजा हुआ है , दरवाज़े क दे हर पे
चावल का लौटा रखा हुआ है । नेप य म मंगलगीत बज रहे ह। बह का गह
ृ वेश होता है , सब नए जोड़े के पीछे पीछे
कमरे म घस
ु ते है सफ संजय नह ं है । द ु हन पलंग पे बैठ है । वनोद कुस पी बैठा है । बाक सब नीचे चटाई पे बैठे
है ।)

दाद : चलो सब ठ क से हो गया


मां: पर संजय….
इंद:ू पता नह ं कहां होगा?
पता: अरे परू रात यह ं बैठने का इरादा है या। चलो।
( सब कमरे से चले जाते ह)

वनोद: वो आपका नाम या है ?


बहू: य आपको शाद काड नह ं मला था या
वनोद: फर भी बता दे ती तो….
बहू: यो त। और आपका
वनोद: वनोद। सन
ु ो अब हम दोन क शाद हो चक
ु है तो म नह ं चाहता क तम
ु से कुछ छुपे। तम
ु को कुछ बताना
चाहता हूं अपने घर के बारे म।
( लड़क कमरे म घम
ू ने लगती है , हर चीज दे खने लगती है )
बहू: म जानती हूं।
वनोद: जानती हो! मतलब तम
ु सब जानती हो
बहू: हां
वनोद: या बताया ?
बहू: यह ं क बहुत अ छा प रवार है , तु हार प क नौकर है ।
वनोद: और…
बहू: और या।
वनोद: इस घर बारे म….
बहू: बताया था ना
वनोद: या?
बहू: क बहुत बड़ा कमरा है , रानी बनकर रहोगी।
वनोद: और….
बहू: ये बार बार घड़ी य दे ख रहे हो
वनोद: बस ऐसे ह ।
बहू: ये या है ( टाइम टे बल को दे ख को)
वनोद: टाइम टे बल
बहू: टाइम टे बल? य ? वो भी घर म
वनोद: अरे छोड़ो ना इसे
बहू: यहां रात के 3 बजे तु हारा नाम लखा है । मतलब?
वनोद: अभी पता चल जाएगा।
बहू: मतलब
वनोद: अभी 5 मनट है
बहू: या के रहे हो, चलो शु करते है
वनोद: तीन, दो ,एक अब हुई ( दरवाज़े पे द तक होती है )
बहू: ये इस व त कौन होगा?
वनोद: खद
ु ह दे ख लो
(बहू दरवाज़ा खोलती है , बाहर सब खड़े हुए है )

बहू: आप? इस व त।
पता: हां बहू। रात बहुत हो गई है , ठं ड भी बहुत है चलो से जाओ।
(सब अंदर घस
ु जाते है और अपनी अपनी जगह सो जाते है । बहू वनोद को दे खती है , वनोद पलंग पे उकड़ून
बनकर बैठ जाता है , अंधेरा होता है , फर काश होता है )
( मंच पर जब फर काश होता है तो पलंग पे बहू बैठ हुई है और मौसी को दे ख रह है जो कुस पे बैठ कर अपने
नाखन
ू काट रह है , दोन के बीच कोई संवाद नह ं हो रहा है कुछ दे र क शां त के बाद कमरे म संजय का वेश होता
है । मौसी उसे दे खती है , वो सीधा रसोई मे जाता है और पानी पीता है )

इ द:ु तू आया य नह ं रे वनोद के याह पे ।


संजय : य , मेरे आने से या होता ?
इ द ु : अरे तेरा भाई का याह था
संजय : तो....
(इ द ु फर चप
ु हो जाती है , बहू इ द ु से इशारे म पछ
ू ती है क ये कौन है , इ द ु इशारे मे उसे समझाती है । थोड़ी दे र के
लए फर सब शांत हो जाते ह। तभी संजय क नज़र टाइम तबले पर पड़ती है । उसमे अपनी जगह यो त (बहू) का
नाम दे खकर वो मौसी से पछ
ू ता है )

संजय : मौसी : ये यो त कौन है ?


इ द:ु अरे तेर भाभी, वनोद क घर वाल (इशारा करके बताती है )
वनोद: (अनमने मन से नम ते करता है ) पताजी कहाँ है ?
इ दु : य या हुआ ?
संजय : उनसे कुछ बात करनी है ?
( पताजी का वेश होता है , संजय को दे खकर बोलते ह )

पताजी: ओह, आज संजय साहब आए हुये है


(संजय मह
ंु बनाता है )
संजय : ये मेरा नाम कसने हटाया टाइम टे बल म से
पताजी : मने हटाया, य या हुआ ?
संजय : अब म कहाँ जाऊंगा?
पताजी : तू घर पर रहता ह कौन सा है जो जाएगा। वैसे भी जगह कम पड़ रह थी न वनोद क बहू के लए
इस लए थोड़ा एडज ट कर दया ।
संजय : कम पड़ रह थी या थी ह नह ं जगह।
पताजी : अब तो कुछ नह ं हो सकता ।
संजय : हो य नह ं सकता, आप अभी मेरा नाम वापस से लख लो।
पताजी : कैसी बात करते हो, अब जगह कहाँ है ?
संजय : जगह नह ं है तो ये शाद य कर ।
पताजी : वो म कुछ नह ं जानता

संजय : तो ठ क है ......
(यह कहकर संजय बाहर नकल जाता है , इ द ु संजय को रोकने क को शश करती है ...)

इ द ु : जीजा ये तम
ु ने ठ क नह ं कया...
पता : तेरा नाम भी हटा दँ ू या॥?
इ द ु : मेरा नाम है भी उसम।
( वनोद का वेश होता है , जो अभी द तर से वापस आता है )

वनोद : ( पता को दे ख कर ) पताजी आपसे कुछ बात करनी है मझ


ु े
पता : या बात करनी है ? बोल
वनोद : आपको नह ं लगता क हमारे इस टाइम टे बल मे कुछ बदलाव होने चा हए।
पता : आज सब टाइम टे बल के पीछे य पड़े ह और या बदलना है तझ
ु े इसम? सब ठ क तो है
वनोद : मेरा मतलब अब रात के व त ये कमरा मझ
ु े मलना चा हए
पता : तझ
ु े?
वनोद : मेरा मतलब मझ
ु े और यो त से था
पता : ऐसा बोल न । ठ क है अब से हमारे साथ तम
ु भी सो जाना
वनोद : आपके साथ ?
पता : हाँ हाँ ... एक तरफ म और तेर माँ सो जाएंगे और एक तरफ तम
ु सो जाना
वनोद : पर पताजी अभी तो मेर नयी नयी शाद हुई है
पता : जानता हूँ बेटा पर सरु ा नाम क भी चीज़ होती है क नह ं
वनोद : ह.... खैर छो ड़ए। एक और बात करनी है आपसे
पता : ज द बोल मझ
ु े कह ं जाना है काम से
वनोद: आपको नह ं लगता क हम एक नया कमरा कराए पे ले लेना चा हये ?
पता : अब ये कमरा य ?
वनोद : मेर अभी शाद हुई है , कल फर आपके पोता पोती ह गे, उनके लए भी तो जगह चा हए होगी पताजी
पता : अरे या बात कर रहा है ? जब मेर शाद हुई थी न तब तेरे दादा दाद के साथ साथ तेरे चाचा भी थे रहते थे
इस घर म। फर उ ह ं के सामने तेरा और संजय का ज म हुआ था। बात करता है । और कुछ कहना है
वनोद : (न मे सर हलाता है )
( पता थान कर जाते है , अंधेरा होता है )
(मंच पर काश वापस होता है तो, एक लाइ र का सेटप लगा हुआ है । मंच के म य म एक बोड पे लखा है
"लाइ र " मंच के एक तरफ एक ऑ फस एड मन का टे बल लगा है िजसके साथ लगी कुस पे फरोज़ बैठा है । मंच
के दस
ू र तरफ एक टे बल और लगी है , िजसपर कुछ लोग बैठकर पढ़ रहे ह। तभी मंच पर वनोद का वेश होता है ,
वनोद थोड़ा परे शान लग रहा, वो मह
ंु लटकाकर आता है ।)

फरोज: और वनोद, आज सब
ु ह ना ता नह ं कया था या ?
वनोद: घम
ू ा फरा के य बात करते हो फरोज भाई? वैसे ह दमाग खराब है ।
फरोज: अरे वो सब
ु ह-सब
ु ह बड़े बाबू क डांट जो खा ल ।
वनोद: अभी मझ
ु े परे शान मत क िजये, वैसे ह कम द कत नह ं है ?
फरोज: अरे , बड़े बाबू क बात का य बरु ा मानते हो। वो तो बस ऐसे ह कहते ह।
वनोद : खैर वो सब छो ड़ए। आप बता रहे थे न के आपके साले के यहाँ एक जगह खाल है । म वह ं चला जाऊंगा।
फरोज: पर... वो तो मब
ंु ई म है ।
वनोद: तो या हुआ ? कम से कम यहाँ क तरह मारा मार तो नह ं होगी।
फरोज: ले कन वनोद, अभी तो नयी नयी शाद हुई है और अभी से घर से दरू जाने क बात करते हो
वनोद: ये आप नह ं समझगे। आप बस बताइये
फरोज: असल बात या है ? बताओगे
वनोद: कुछ नह ं।
फरोज: खैर छोड़ो, तु ह नह ं बताना तो मत बताओ। अ छा ये बताओ क तु हार गह
ृ थी कैसी चल रह है ।
वनोद: पछ
ु ो मत बस
फरोज: अब या हुआ? तम
ु कह ं ........? चलो अभी बाबा के पास चलो। एक चरू न मे सब ठ क हो जाएगा ।
वनोद : या बात करते हो फरोज भाई। कहाँ क बात कहाँ ले जाते हो
फरोज: तो बताओ ना, क कहाँ क बात कहाँ ले जानी है
वनोद : आप तो जानते है न अपने यहाँ कमर क या हालत है । एक कमरे म 6-7 लोग रहते ह
फरोज: हाँ
वनोद: एक 12 बाय 8 के कमरे म ..... कोई कैसे.... पास आए । और तब जब कमरे 8 लोग हो।
फरोज: तम
ु परे शान मत हो, चाय पीते-पीते बात करते है (फेरोज फोन पे चाय के लए बोलता है )। तम
ु अपने
पताजी से बात य नह ं करते
वनोद: आपको या लगता है , मने बात नह ं क होगी।
(चाय आ जाती है , एक लड़का चाय लेकर आता है )

फरोज़: इस लए मब
ंु ई जाना चाहते हो। पर मब
ंु ई तो बहुत महं गा शहर है । यहाँ के 20,000 वहाँ के 40,000 के
बराबर है ।
वनोद: तो आप बताओ म या क ँ ?
फरोज: मेरे याल से तो तू यह ं एक कमरा लेले। और उससे पहले भाभी के साथ थोड़ा व त बता।
वनोद: अरे , 24 घंटे घर पर कोई न कोई होता है , फर कैसे …
फरोज: परे शान य होता है , कभी प चर पे ले जा भाभी को। तम
ु दोन को व त भी मल जाएगा और कोई
ड टब भी नह ं करे गा
वनोद: ये सह रहे गा। वैसे कौन सी लगी है आज कल
फरोज: अरे तु ह प चर से या लेना दे ना.... और हाँ कोने वाले सीट लेना
वनोद: ( वनोद सोचने लगता है ) ...... समझ गया
( अंधेरा हो जाता है )

( काश होता है तो वनोद और यो त का वेश होता है , वनोद ने यो त का हाथ पकड़ा हुआ है , यो त अपना
हाथ छुड़ा लेती है और आगे बढ़ जाती है । मंच के एक कोने पर वनोद क जाता है । यो त आगे जाकर दस
ू रे कोने
पर कती है । दोन के ऊपर काश के दो पॉट पड़ने लगते ह और फर बाक तरफ अंधेरा हो जाता है )

वनोद: तो कैसा लगा तु ह आज ?


बहू: ठ क ठाक था ?
वनोद: प चर हाल कैसा था ?
बहू : तु ह समझ य नह ं आता, प चर हाल प चर हाल ह होता है , एक कमरा तो नह ं बन सकता ना ।
वनोद: पर ऐसा य कहती हो? आ खर हुआ या है ?
बहू : हुआ या है : बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कुछ जानते ह नह ं हो?
वनोद: बताओ ना, या हुआ ?
बहू : ऐसा कब तक चलता रहे गा ? कब तक हम यंू ह छुप छुप के मलते रहगे?
ु से कहाँ तो है क मौका दे खते ह बात कर लँ ग
वनोद: फर वह बात, तम ू ा
बहू: पछले आठ मह ने से यह तो सन
ु ती आ रह हूँ
वनोद: वह तो म कह रहा हूँ। इतना व त हो गया और तम
ु अबतक एक ह बात को पकड़ के बैठ हो
बहू: य न पकड़ूँ? मझ
ु े अंधेरे मे जो रखा गया था। झठ
ू कहा गया था मझ
ु से
वनोद: अरे अब ये झठ
ू कहाँ से आया ?
बहू: झठ
ू ह तो था, बहुत अ छे लोग है , बहुत बड़ा कमरा है और नाजाने या- या ?
वनोद: अरे तो ये भी बताओ न क ये सब कसने कहा था। तु हारे माँ बाप ने ह तो कहा था
बहू: पर तम
ु भी तो कब से झठ
ू बोल रहे हो
वनोद: तो य कर इस झठ
ू े से शाद ?
बहू : जबद ती हुई थी मेरे साथ। पता होता तो बागी हो जाती। ना करती ये शाद
वनोद: बोल तो ऐसे रह हो जैसे म बहुत खश
ु हूँ
बहू: खश
ु नह ं हो तो बात य नह ं करते
वनोद: फर वह बात, बोला न कर लँ ग
ू ा
बहू: कब करोगे, जब बु ढे हो जाओगे?
वनोद: या फालतू क बाते करती हो ?
बहू: काम क बात तम
ु से होती नह ,ं तो और बताओ म या क ँ । ऐसा करते ह म खद
ु ह बात कर लेती हूँ
वनोद: तम
ु या बात करोगी?
बहू: यह क ये घर बहुत छोटा है और हम नया कमरा ले रहे ह
वनोद: तु ह पता है तम
ु या कह रह हो ?
बहू: अ छ तरह से जानती हूँ वरना म चले जाऊँगी
वनोद : कहाँ
बहूँ: वो तो तु ह बाद म ह पता चलेगा

( काश होता है , कमरा अ त य त पड़ा हुआ है । इस समय कमरे म कोई नह ं है । हड़बड़ी मे वनोद का वेश होता
है )

वनोद: यो त..... यो त.... लगता है वह हुआ िजसका डर था। यो त यो त ......


( पता का वेश होता है )

पता : या हुआ वनोद? य आवाज़ लगा रहा है ?


वनोद : आपने यो त को कह ं दे खा? सब
ु ह से फोन भी कर रहा हूँ, पर उठा ह नह ं रह है ।
पता : मने भी उसको आज सब
ु ह के बाद से नह ं दे खा। वैसे यह ं कह ं होगी तू ज़रा ठ क से दे ख
वनोद : अब या पलंग के नीचे दे ख।ूँ इतना ह है आपका घर जो शु होने से पहले ह ख म हो जाता है ।
पता : ख म हो जाता है ...? ऐसा य कहता है । चल वो सब छोड़ एक बार और मला के दे ख फोन उसे ।
( वनोद फोन मलता है , पर फोन नह ं लगता)

पता: या हुआ ?
वनोद: होगा या? बंद आ रहा है ?
पता : को शश करता रह बेटा य क को शश करने वालो क हार नह ं होती.....
वनोद: ( पता को रोकते हुये ह बोलता है ) आपका लै चर सन
ु ने का व त नह ं है मेरे पास
(दाद का वेश होता है )

दाद : य रे सभ
ु ाष, ये लोग ने बाहर भीड़ य लगा राखी है ?
पता : या आवाज़ बाहर तक जा रह है ?
दाद : हुआ या है बताएगा?
पता : अ मा तम
ु ने बहू को कह ं दे खा है ?
दाद : सब
ु ह दे खा था, तेर माँ उसके साथ कह ं जाने वाल थी
वनोद: पर मान तो काम पे गयी है ना
पता : अपनी माँ को फोन करके दे खा, या पता उसके ह साथ हो
( वनोद माँ को फोन मलाता है )

वनोद: है लो माँ
माँ(नेप य से ): हाँ वनोद, बोल या हुआ?
वनोद: माँ वो यो त तु हारे साथ है या ?
माँ(नेप य से ): नह ं तो, य या हुआ?
वनोद: अभी आप कहाँ है ?
माँ(नेप य से ): म तो बास घर पहुँचने वाल हूँ, बस रा ते ने हूँ। पर हुआ या बताएगा?
( वनोद फोन रख दे ता है )

वनोद : उनके साथ भी नह ं है


दाद : म तो कहती हूँ पु लस म रपोट लखा आ वननोद
पता : हाँ, कह ं कोई उं च नीच हो गयी तो
वनोद : अभी कए ज़रा, माँ और मौसी को आ जाने द िजये। उनसे भी पछ
ू लेने दो एक बार फर।
(माँ का वेश होता है )

माँ: या हुआ रे वनोद?


वनोद: माँ वो यो त मल नह ं रह है , फोन भी नह ं उठा रह है
माँ : या? पर उसने तो कहा था क वो तेरे साथ है
वनोद: मेरे साथ? कब कहा कहा उसने?
माँ: उसको मेरे साथ कह ं जाना था, मने कहाँ मझ
ु े बाहर ह मलना बस टॉप पे
वनोद: फर
माँ: मने उसको फोन कया तो उसने कहाँ क वो तेरे साथ है कसी काम से और शाम को चलने के लए बोला
दाद : तो…
माँ: जब शाम को फोन कया तो उसका फोन बंद आ रहा था, और ये फोन उठा नह ं रहे थे
पता : ले कन मझ
ु े तो कोई फोन नह ं आया
माँ: ये फर झठ
ू झठ
ू बोल रहे ह
पता : तम
ु मेर हर बात को झठ
ू समझती हो
माँ: और क ँ भी या?
पता : तम
ु कुछ कर भी नह ं सकती…
( वनोद दोन के ऊपर चीखता है उनसे चप
ु होने के लए कहता है )

वनोद : आप दोन चप
ु हो जाइए। जब दे खो तब लड़ते -झगड़ते रहते है । बचपन से बस यह ं एक चीज़ है जो
लगातार दे खता आ रहा हूँ। आप लोग को तो बस बहाना चा हए आपस मे लड़ने का, आस पास दे खा नह ं बस
झगड़ना शु हो जाता है आप लोगो का।
दाद : इन दोन से तो म भी तंग आ गयी हूँ, समझाते समझाते बढ़
ू हो पर इ ह अ ल नह ं आई। रामजाने या
होगा इनका।
(इ द ु का वेश होता है , उसके हाथ म कुछ खाने के चीज़ है वो उसे खाते हुये आ रह है )

इ द ु : या आमा जब दे खो तब भगवान को परे शान करती रहती हो


दाद : तझ
ु े इस घर से तो कुछ लेना-दे ना है नह ं?
इ द:ु अब या हो गया अ मा? या कर दया मने?
पता : कुछ नह ं बस वो यो त लापता है शायद
इ द:ु कसने कहा लापता है ?
वनोद : फर कहाँ है वो
इ द ु : अपने मायके
माँ: तु ह कैसे पता?
इ द ु : कैसे पता या ? उसने बताया था मझ
ु े
वनोद: ले कन मायके य ? आपने पछ
ू ा नह ं उससे
इ द ु : पछ
ू ा तो कुछ बोल नह ं वो । कुछ गु से म दख रह थी
माँ: ये लो, इस घर म हर कोई गु सा नाक पे लेकर घम
ू ता है । एक म ह ....
वनोद: माँ तम
ु थोड़ी दे र चप
ु रहोगी.... पताजी आप उसके मायके फोन करके दे खये न
पता : अभी मलाता हूँ
( पता फोन मलता है )

पता: नम कार, राकेश जी, म बोल रहा हूँ


(नेप य से राकेश): नम कार सभ
ु ाष जी, बताइये कैसे फोन कया?
पता: इतना जानना था क या यो त वहाँ आई है या /
(नेप य से राकेश): यो या हुआ ?
पता: कसी से कुछ कहा नह ं, बताया नह ं। जाने कहाँ चले गयी है ? कम से कम वनोद को तो बताना चा हये था।
फोन भी बंद आ रहा है । यहाँ सब बहुत परे शान है ।
(नेप य से राकेश):आप सब चंता न कर, यो त यह ं पर है , सह सलामत है ।
पता : च लये शु है , वापस कब आएगी ?
(नेप य से राकेश): दे खये सभ
ु ाष जी , बात कुछ ऐसी है क अब शायद ह यो त वहाँ वापस आए।
पता : य ? ऐसा या हो गया है ?
(नेप य से राकेश): ये आप अपने बेटे से ह पछ
ू ले तो बेहतर होगा, ध यवाद
(फोन रख दे ता है )

वनोद: या कहा उ होने? यो त है ना वहाँ ?


पता : हाँ वह ं है , ठ क ठाक है और अब वह ं रहे गी।
माँ: ऐसा य बोल रहे है आप ?
पता: ये म नह ं राकेश जी बोल रहे है ?
माँ: तो आपने कुछ कहा नह ं ?
पता : कहूँगा, पर उससे पहले अपने लाडले से तो पछ
ू लो
वनोद: या पछ
ू ना है ?
पता : वो तो तम
ु बताओगे क या छुपा रहे हो हमसे ?
वनोद: मने या छुपाया है ? कुछ भी तो नह ं
पता : दे ख वनोद, साफ साफ बता दे क या बात है ?
वनोद : आप जानना चाहते ह न क मने या छुपया है , तो सु नए, उसको नह ं रहना था इस घर म, घ न आती
थी उसको इस घर से और इस घर म रहने वाले हर एक आदमी से। नह ं रहना था वहाँ जहां पे िज़ंदगी क ड़े-मकोड़
से भी यादा बदतर हो।
पता : य ? ऐसी या बरु ाई है इस घर म ?
वनोद : आपको तो कभी कुछ नज़र नह ं आयेगा पताजी। इस मा चस क ड बी म और कतनी ति लय को
ठुसोगे आप?
पता : मा चस क ड बी? अरे यह कभी तु हारे लए कभी केट का मैदान हो जाता था, िजसे तम
ु मा चस क
ड बी बोल रहे ह
वनोद: जानता हूँ। पर आप लोग के ये बात य नह ं समझ मे आती क अब हम बड़े हो गए ह और नह ं चल
सकते आपके टाइम तबले के हसाब से
पता : पर अब तक तो सब ठ क था
वनोद : या खाक ठ क था। शाद हुई थी मेर , पर आपने तो उसे मज़ाक ह बना दया। सह
ु ाग रात के दन ह ....
( क जाता है )
दाद : तो बेटा उस रात ह कह दया होता
वनोद: कैसे बोलता अ मा, सोचा क आप लोग समझ जाएँगे, पर........ (झठ
ू ा हं स दे ता है )
दाद : तू चंता न कर बेटा म बहू को माना लाऊँगी ।
वनोद : वो अब यहाँ नह ं आएगी
पता; तू बड़ा जानता है
वनोद: जानता हूँ य क उसको यहाँ रहना ह नह ं है । उसको अलग कमरा चा हए।
पता : तभी वो दलाल नामदे व तझ
ु े आए दन पछ
ू रहा था
वनोद; तो आपने या कहा उससे ?
पता : य ? आरती उतारनी थी उसक , भगा दया साले को
वनोद : एक बार पछ
ू तो लया होता
पता : अब ये व त आ गया क कोई काम करने से पहले पछ
ू ना पड़े
माँ: अगर पछ
ू लया होता तो कुन स पहाड़ टूट जाता ?
पता: ठ क है । अ छा पछ
ू लेता तो या हो जाता।
वनोद : आज एक और कमरा होता अपने पास।
पता : अपने पास या तेरे पास। साफ एसएफ़ य नह ं कहता क तू ये घर छोडना चाहता है
दाद : या बोले जा रहा है सभ
ु ाष,
पता : सह कह रहा हूँ अ मा। ज़रा से बड़े या हो गए हुमेन अपना द ु मन समझने लगे है है ये ।
माँ: दे ख रह हो माँ या बोले जा रहे है ये ?
पता: अपनी माँ को बीच मे य लाता है ? मझ
ु से बात कर ना
(तभी संजय का वेश होता है , उसके हाथ मे एक बैग है )

संजय: माँ, ये बाहर भीड़ कैसी है ?


पता : लो आ गए ये छोटे नवाब, बड़े को तो है ह अब इनसे भी पछ
ू लो इ हे भी कोई द कत है क नह ं ?
दाद : सभ
ु ाष, तू चप
ु होता है क नह ं
संजय: आप कहना या चाहते है ?
पता : तझ
ु े भी द कत थी न इस घर के टाइम टे बल से
संजय : थी पर अब नह ं रहे गी(बैग म अपने कपड़े भरने लगता है )
इ द:ु अब तू कहाँ चला?
संजय :(कुछ नह ं बोलता )
माँ: बोलता य नह ं , बता कहाँ जा रहा है ?
संजय : म जा रहा हूँ माँ, छोड़ रहा हूँ ये घर
दाद : ये या बोल रहा है तू ?
पता : य अब तझ
ु े या हुआ?
संजय: इससे आपको या ?
पता : दे ख तेरा बाप हूँ , अपनी माँ मत सम झय । इस लए सह से बात कर।
संजय : यह तो द कत है इस घर म, सब कहते तो है पर सह बात कोई सन
ु ना नह ं चाहता।
पता : साफ -साफ य नह ं कहता
संजय : मझ
ु े अब कुछ नह ं कहना
इ द ु : पर संजय हुआ या है ?
संजय : रहने दे मौसी, मत रोक मझ
ु ।े मने रहने ह नह ं है इस मा चस म। जहां सब टाइम टे बल से जीते हो पर
कसी के पास एक दस
ू रे के लए टाइम ह न हो ।
पता : तू ये य नह ं कहता क तझ
ु े ह सा चा हए।
संजय : मेरे ह से तो वैसे भी कभी कुछ आया ह नह ं। और वैसे भी ह सा उ हे द िजये िज ह ह से क ज़ रत
है ( वनोद को दे खते हुये बोलता है )
वनोद: तू कहना या चाहता है ( वनोद संजय के सामने आ जाता है )
संजय : यह क मेरे जाने के बाद टाइम टे बल का एक खाना और खाल हो जाएगा उसम अपना और अपनी बीवी
का नाम लख लेना।
वनोद: मने कब तेरा टाइम मांगा ?
संजय : ले कन अपना बंदोब त तो कर लया न
वनोद : तो तझ
ु े या है ? खद
ु कमाया है
संजय : मने कब कहा चोर कया है , पर हाँ काम तो चोर से कया है
वनोद : ( वनोद आवेश मे आकार संजय का गरे बान पकड़ लेता है )..... संजय
(सब त ध हो जाते है , कुछ दे र बार संजय झटका दे कर अपना गरे बान छुड़ाता है )
संजय : पताजी अब आप मेरा परू ा नाम मटा दे ना टाइम टे बल म से ...( ये कहकर वो वहाँ से नकाल जाता है )

(सब अपनी अपनी जगह त ध हो जाते है , काश धीरे धीरे करके बंद हो जाता है )

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