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27-02-2021 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

“मीठे ब े - बाप आये ह तु रावण रा से लबरेट कर स ित दे ने, नकवा सयों को गवासी बनाने''
ः- बाप ने तुम भारतवासी ब ों को कौनसी-कौनसी ृित िदलाई है?
उ र:- हे भारतवासी ब े! तुम गवासी थे। आज से 5 हज़ार वष पहले भारत ग था, हीरे सोने के महल थे।
तुम सारे िव के मा लक थे। धरती आसमान सब तु ारे थे। भारत शवबाबा का ापन िकया आ
शवालय था। वहाँ पिव ता थी। अब िफर से ऐसा भारत बनने वाला है।
गीत:- नयन हीन को राह िदखाओ भू........

ओम शा । मीठे -मीठे हानी ब ों (आ ाओं) ने यह गीत सुना। िकसने कहा? आ ाओं के हानी बाप ने। तो हानी बाप
को हानी ब ों ने कहा िक हे बाबा। उनको ई र भी कहा जाता है, िपता भी कहा जाता है। कौन सा िपता? परमिपता
ोंिक बाप दो ह - एक लौिकक, दूसरा पारलौिकक। लौिकक बाप के ब े पारलौिकक बाप को पुकारते ह - हे बाबा। अ ा
बाबा का नाम? शव। वह तो िनराकार पूजा जाता है। उनको कहा जाता है सु ीम फादर। लौिकक बाप को सु ीम नहीं कहा
जाता। ऊंच ते ऊंच सभी आ ाओं का बाप एक ही है। सभी जीव आ ाय उस बाप को याद करती ह। आ ाय यह भूल गयी
ह िक हमारा बाप कौन है? पुकारते ह ओ गॉड फादर हम नयनहीन को नयन दो तो हम अपने बाप को पहचान। भि माग क
ठोकरों से छु ड़ाओ। स ित के लए तीसरा ने लेने लए, बाप से िमलने लए पुकारते ह ोंिक बाप ही क -क भारत म
आकर भारत को ग बनाते ह। अभी क लयुग है, क लयुग के बाद सतयुग आना है। यह है पु षो म सं गमयुग। बेहद का
बाप आकर जो पितत ाचारी बन गये ह उ ों को पु षो म बनाते ह। यह (ल ी-नारायण) पु षो म भारत म थे। ल ी-
नारायण क िडनाय ी का रा था। आज से 5 हज़ार वष पहले सतयुग म ी ल ी-नारायण का रा था। यह ब ों को
ृित िदलाते ह। तुम भारतवासी आज से 5 हज़ार वष पहले गवासी थे। अब तो सब नकवासी ह। आज से 5 हज़ार वष
पहले भारत हेिवन था। भारत क ब त मिहमा थी, हीरे-सोने के महल थे। अभी तो कु छ भी नहीं है। उस समय और कोई
धम नहीं था, सफ सूयवं शी ही थे। च वं शी भी पीछे आते ह। बाप समझाते ह तुम सूयवं शी िडनाय ी के थे। अभी तक भी
इन ल ी-नारायण के म र बनाते रहते ह। पर ु ल ी-नारायण का रा कब था, कै से पाया, यह िकसको पता नहीं है।
पूजा करते ह, जानते नहीं। तो ाइ फेथ आ ना। शव क , ल ी-नारायण क पूजा करते ह, बायो ाफ को भी नहीं
जानते। अभी भारत-वासी खुद कहते ह - हम पितत ह। हम पिततों को पावन बनाने वाला बाबा आओ। आकर हमको दु:खों
से, रावण रा से लबरेट करो। बाप ही आकर सबको लबरेट करते ह। ब े जानते ह सतयुग म बरोबर एक रा था। बापू
जी भी कहते थे िक हमको िफर से रामरा चािहए, गृह धम जो पितत बन गया है सो पावन चािहए। हम गवासी बनने
चाहते ह। अभी नकवा सयों का ा हाल है, दे ख रहे हो ना। इसको कहा जाता है हेल, डेिवल व ड। यही भारत डीटी व ड
था। बाप बैठ समझाते ह तुमने 84 ज लए ह, न िक 84 लाख। बाप समझाते ह तुम असुल शा धाम के रहने वाले हो।
तुम यहाँ पाट बजाने आये हो। 84 ज ों का पाट बजाया है। पुनज तो ज र लेना पड़े ना। पुनज 84 होते ह।

अब बेहद का बाप आये ह तुम ब ों को बेहद का वसा दे ने। बाप तुम ब ों (आ ाओं) से बात कर रहे ह। और सतसं गों म
मनु , मनु ों को भि माग क बात सुनाते ह। आधाक भारत जब ग था तो एक भी पितत नहीं था। इस समय एक भी
पावन नहीं। यह है ही पितत दुिनया। गीता म कृ भगवानुवाच लख िदया है। उसने तो गीता सुनाई नहीं। ये लोग अपने
धमशा को भी नहीं जानते। अपने धम को ही भूल गये ह। िह ू कोई धम नहीं है। धम मु ह चार। पहले ह आिद
सनातन दे वी-दे वता धम। सूयवं शी और च वं शी दोनों को िमलाकर कहा जाता है दे वी-दे वता धम, डीटी । वहाँ दु:ख का
नाम नहीं था। 21 ज तो तुम सुखधाम म थे िफर रावण रा , भि माग शु होता है। भि माग है ही नीचे उतरने का।
भि है रात, ान है िदन। अभी है घोर अं धयारी रात। शव जय ी और शवराि , दोनों अ र आते ह। शवबाबा कब आते
ह? जब राि होती है। भारतवासी घोर अ यारे म आ जाते ह तब बाप आते ह। गुिड़यों क पूजा करते रहते ह, एक क भी
बायो ाफ नहीं जानते। यह भि माग के शा भी बनने ही ह। यह डामा, सृि च को भी समझना है। शा ों म यह नॉलेज
नहीं है। वह है भि का ान, िफलॉसॉफ । वह कोई स ित माग का ान नहीं है। बाप कहते ह - म आकर तुमको ा ारा
यथाथ ान सुनाता ँ। पुकारते भी ह, हमको सुखधाम, शा धाम का रा ा बताओ। बाप कहते ह आज से 5 हज़ार वष
पहले सुखधाम था, जसम तुम सारे िव पर रा करते थे। सूयवं शी िडनाय ी का रा था। बाक सब आ ाय शा धाम
म थीं। वहाँ 9 लाख गाये जाते ह। तुम ब ों को आज से 5 हज़ार वष पहले ब त सा कार बनाया था। इतना धन िदया िफर
तुमने वह कहाँ गँ वाया? तुम िकतने सा कार थे। भारत कौन सडावे (कहलाये)। भारत ही सबसे ऊंच ते ऊंच ख है। सभी
का वा व म यह तीथ है, ोंिक पितत-पावन बाप का ज ान है। जो भी धम वाले ह, सभी क बाप आकर स ित करते
ह। अभी रावण का रा सारी सृि म है, सफ लं का म नहीं था। सभी म 5 िवकार वेश ह। जब सूयवं शी रा था तो यह
ह। अभी रावण का रा सारी सृि म है, सफ लं का म नहीं था। सभी म 5 िवकार वेश ह। जब सूयवं शी रा था तो यह
िवकार ही नहीं थे। भारत वाइसलेस था। अभी िवशश है। सतयुग म दै वी स दाय थी। वह िफर 84 ज भोग अभी आसुरी
स दाय बने ह िफर दै वी स दाय बनते ह। भारत ब त सा कार था। अब गरीब बना है इस लए भीख मांग रहे ह।

बाप कहते ह तुम िकतने सा कार थे। तु ारे जैसा सुख िकसको भी िमल नहीं सकता। तुम सारे िव के मा लक थे, धरती
आसमान सब तु ारे थे। बाप ृित िदलाते ह, भारत शवबाबा का ापन िकया आ शवालय था। वहाँ पिव ता थी, उस
नई दुिनया म दे वी-दे वताय रा करते थे। भारतवासी तो यह भी नहीं जानते िक राधे-कृ का आपस म ा सं बं ध है? दोनों
अलग-अलग राजधानी के थे िफर यं वर के बाद ल ी-नारायण बने ह। यह ान कोई मनु म नहीं है। परमिपता परमा ा
ही ान का सागर है, वही तु यह हानी ान दे ते ह, यह ीचुअल नॉलेज सफ एक बाप ही दे सकते ह। अब बाप कहते
ह - आ -अ भमानी बनो। मुझ अपने परमिपता परमा ा शव को याद करो। याद से ही सतो धान बनगे। तुम यहाँ आते ही
हो मनु से दे वता अथवा पितत से पावन बनने। अभी यह है रावण रा । भि माग म रावण रा शु होता है। रावण ने
कोई एक सीता को नहीं चुराया है। तुम सब भि करने वाले, रावण के च े म हो। सारी सृि 5 िवकारों पी रावण क कै द
म है। सभी शोक वािटका म दु:खी ह। बाप आकर सबको लबरेट करते ह। अब बाप िफर से ग बना रहे ह। ऐसे नहीं िक
अभी जनको धन ब त है, वह ग म ह। नहीं, अभी है ही नक। सभी पितत ह इस लए गं गा म जाकर ान करते ह,
समझते ह गं गा पितत-पावनी है। पर ु पावन तो कोई बनते नहीं ह। पितत-पावन तो बाप को ही कहा जाता है, न िक निदयों
को। यह सब है भि माग। बाप ही यह बात आकर समझाते ह। अब तुम यह तो जानते हो एक है लौिकक बाप, दूसरा िफर
जािपता ा है अलौिकक बाप और वह पारलौिकक बाप। तीन बाप ह। शवबाबा, जािपता ा ारा ा ण धम ापन
करते ह। ा णों को दे वता बनाने के लए राजयोग सखलाते ह। एक ही बार बाप आकर आ ाओं को राजयोग सखलाते ह।
आ ाय पुनज लेती ह। आ ा ही कहती है - म एक शरीर छोड़ दूसरा लेती ँ। बाप कहते ह अपने को आ ा समझ मुझ
बाप को याद करो तो तुम पावन बनगे। कोई भी दे हधारी को याद नहीं करो। अभी यह है मृ ुलोक का अ । अमरलोक क
ापना हो रही है। बाक सब अनेक धम खलास हो जायगे। सतयुग म एक ही दे वता धम था। िफर ेता म च वं शी राम-
सीता। तुम ब ों को सारे च क याद िदलाते ह। शा धाम, सुखधाम क ापना करते ही ह बाप। मनु , मनु को
स ित दे नहीं सकते। वह सब ह भि माग के गु । भि माग म मनु अनेक कार के च बनाए पूजा कर िफर जाकर
कहते ह डू ब जा, डू ब जा। ब त पूजा करते, खलाते िपलाते, अब खाते तो ा ण लोग ह। इसको कहा जाता है गुिड़यों क
पूजा। िकतनी अ ा है। अब उ ों को कौन समझाये।

बाप कहते ह अभी तुम हो ई रीय स ान। तुम अभी बाप से राजयोग सीख रहे हो। यह राजधानी ापन हो रही है। जा तो
ब त बननी है। कोटों म कोई राजा बनते ह। सतयुग को कहा जाता है फूलों का बगीचा। अभी है कांटों का जं गल। अभी
रावण रा बदल रहा है। यह िवनाश होना ही है। यह नॉलेज अभी सफ तुम ा णों को िमलती है। ल ी-नारायण को भी
यह ान नहीं रहता। यह ान ाय:लोप हो जाता है। भि माग म कोई भी बाप को जानते ही नहीं। बाप ही रचता है।
ा-िव ु-शं कर भी रचना ह। परमा ा सव ापी कहने से सब बाप हो जाते। वस का हक नहीं रहता। बाप तो आकर सभी
ब ों को वसा दे ते ह। सव का स ित दाता एक ही बाप है। यह भी समझाया है 84 ज वह लेते ह जो पहले-पहले सतयुग
म आते ह। ि यन लोग के ज िकतने होंगे? करके 40 ज होंगे। यह िहसाब िनकाला जाता है। एक भगवान को ढूँ ढने
के लए िकतने ध े खाते ह। अभी तुम ध े नहीं खायगे। तुमको सफ एक बाप को याद करना है। यह है याद क या ा। यह
है पितत-पावन गॉड फादरली युिनव सटी। तु ारी आ ा पढ़ती है। साधू स िफर कह दे ते ह आ ा िनलप है। अरे आ ा को
ही कम अनुसार दूसरा ज लेना पड़ता है। आ ा ही अ ा वा बुरा काम करती है। इस समय तु ारा कम िवकम होता है।
सतयुग म कम अकम होते ह। वहाँ िवकम होता नहीं। वह है पु आ ाओं क दुिनया। यह सब समझने और समझाने क
बात ह। अ ा!

मीठे -मीठे सक लधे न रवार पु षाथ अनुसार कांटे से फूल बनने वाले ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुड-
मॉिनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।

धारणा के लए मु सार:-

1) कांटे से फूल बन फूलों का बगीचा (सतयुग) ापन करने क सेवा करनी है। कोई भी बुरा कम नहीं करना है।

2) हानी ान जो बाप से सुना है वही सबको सुनाना है। आ -अ भमानी बनने क मेहनत करनी है। एक बाप को ही याद
करना है, िकसी दे हधारी को नहीं।
वरदान:- सदा अपने रॉयल कु ल क ृित ारा ऊंची े ज पर रहने वाले गुणमूत भव
जो रॉयल कु ल वाले होते ह वह कभी धरती पर, िम ी पर पांव नहीं रखते। यहाँ दे ह-अ भमान िम ी है,
इसम नीचे नहीं आओ, इस िम ी से सदा दूर रहो। सदा ृित रहे िक ऊंचे से ऊंचे बाप के रॉयल फैिमली
के , ऊंची े ज वाले ब े ह तो नीचे नज़र नहीं आयेगी। सदै व अपने को गुणमूत दे खते ए ऊंची े ज पर
त रहो। कमी को दे खते ख करते जाओ। उसे बार-बार सोचगे तो कमी रह जायेगी।
ोगन:- रॉयल वह है जो अपने हिषतमुख ारा ो रटी क रायॅ ी का अनुभव कराये।

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