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बी. ई. एस.

१२२: समकालीन भारत और शिक्षा

प्रत्र्ेक प्रश्न का उत्तर लगभग ५०० िब्दों में दें.

सभी प्रश्न अशनवार्य हैं.

१. भारतीर् संशवधान में समाशहत शिक्षा सम्बन्धी शवशवध प्रावधानों की चचाय कीशजर्े. अपने उत्तर की

पुशि शवशभन्न अनुच्छेदों का उदाहरर् देकर कीशजर्े.

२. पहाँच, पाठ्यचर्ाय एवं शिक्षक की भूशमका के शवशिि सन्दभय में प्राचीन भारतीर् शिक्षा व्यवस्था पर

प्रकाि डाशलए.

३. समुदार्, शिक्षा के एक अशभकरर् के रूप में कै से कार्य करता है? शवद्यालर् और समुदार् के मध्र्

अन्तःसम्बन्धों की व्याख्र्ा उदाहरर् देते हए कीशजए.


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ASSIGNMENT SOLUTIONS GUIDE (2020-21)

BES-122
ledkyhu Hkkjr vkSj f'k{kk

9
17
BES-122/ TMA/ 2020-21
Disclaimer/Special Note: These are just the sample of the Answers/Solutions to some of the Questions
given in the Assignments. These Sample Answers/Solutions are prepared by Private

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answers as these are based on the knowledge and capability of Private Teacher/Tutor. Sample
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given in the assignment. As these solutions and answers are prepared by the private teacher/tutor so
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and solution. Student should must read and refer the official study material provided by the
university.
-9

iz'u 1- Hkkjrh; laf oèkku esa lekfgr f'k{kk lEcUèkh fofoèk izk oèkkuksa dh ppkZ dhft;s] vius mÙkj dh
AY

iqf "V fofHkUu vuqP Ns nksa dk mnkgj.k nsd j dhft;sA


mÙkjµ �श�ा जो एक संवैधा�नक अ�धकार था शुरू म� अब एक मौ�लक अ�धकार का दजार् प्राप्त है ।
अ�धकार क� �श�ा के �लए �वकास इस तरह हुआ है : भारत के सं�वधान क� शुरुआत म� , �श�ा का
AJ

अ�धकार अनच्
ु छे द 41 के तहत राज्य के नी�त �नद� शक �सद्धांत� के तहत मान्यता द� गई थी िजसके
अनस
ु ार,
"राज्य अपनी आ�थर्क �मता और �वकास क� सीमाओं के भीतर, �श�ा और बेरोजगार�, वद्ध
ृ ावस्था,
बीमार� और �वकलांगता के मामले म� सावर्ज�नक सहायता करने के �लए काम करते ह�, सह� हा�सल
करने के �लए प्रभावी व्यवस्था करने और नाहक के अन्य मामल� म� चाहते ह� ".
मफ्
ु त और अ�नवायर् �श�ा का आश्वासन राज्य के नी�त �नद� शक अनच्
ु छे द 45, जो इस प्रकार चलाता
है के तहत, �सद्धांत� के तहत �फर से �कया गया था, "राज्य के �लए प्रदान करने का प्रयास, दस साल
क� अव�ध के भीतर होगा मुफ्त और अ�नवायर् �श�ा के �लए इस सं�वधान के सभी बच्च� के �लए
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प्रारं भ से जब तक वे चौदह वषर् क� आयु पूणर् कर� ." इसके अलावा, �श�ा प्रदान करने के साथ 46 लेख
भी संबं�धत जा�तय� अनुसूची करने के �लए, जनजा�तय� और समाज के अन्य कमजोर वग�
अनुसूची. तथ्य यह है �क �श�ा का अ�धकार 3 लेख म� �कया गया है साथ ह� सं�वधान के भाग IV के
तहत �नपटा बताते ह� �क कैसे महत्वपूणर् यह सं�वधान के �नमार्ताओं द्वारा माना गया है । 29 लेख
और आलेख �श�ा के अ�धकार के साथ 30 समझौते और अब, हम अनुच्छे द 21A है , जो एक मजबूत
तर�के से आश्वासन अब दे ता है ।
सं�वधान (�छयासीवां संशोधन) अ�ध�नयम, 2002 ने भारत के सं�वधान म� अंत: स ्था�पत अनच
ु ्छे द
21-क, ऐसे ढं ग से जैसा�क राज ्य कानन
ू द्वारा �नधार्�रत करता है , मौ�लक अ�धकार के रूप म� छह से
चौदह वषर् के आयु समह
ू म� सभी बच ्च� को मफ्
ु त और अ�नवायर् �श�ा का प्रावधान करता है । �न:शल
ु ्क

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और अ�नवायर् बाल �श�ा (आरट�ई) अ�ध�नयम, 2009 म� बच ्च� का अ�धकार, जो अनच
ु ्छे द 21क के

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तहत प�रणामी �वधान का प्र�त�न�धत ्व करता है , का अथर् है �क औपचा�रक स ्कूल, जो क�तपय
अ�नवायर् मानदण ्ड� और मानक� को परू ा करता है , म� संतोषजनक और एकसमान गण
ु वत ्ता वाल�
पण
ू क
र् ा�लक प्रांर�भक �श�ा के �लए प्रत ्येक बच ्चे का अ�धकार है ।

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अनुच ्छे द 21-क और आरट�ई अ�ध�नयम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। आरट�ई अ�ध�नयम के शीषर्क
म� ''�न:शुल ्क और अ�नवायर्'' शब ्द सिम्म�लत ह�। '�न:शुल ्क �श�ा' का तात ्पयर् यह है �क �कसी बच ्चे
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िजसको उसके माता-�पता द्वारा स ्कूल म� दा�खल �कया गया है , को छोड़कर कोई बच ्चा, जो उ�चत
सरकार द्वारा सम�थर्त नह�ं है , �कसी �कस ्म क� फ�स या प्रभार या व ्यय जो प्रारं �भक �श�ा जार�
रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के �लए उत ्तरदायी नह�ं होगा। 'अ�नवायर् �श�ा' उ�चत
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सरकार और स ्थानीय प्रा�धका�रय� पर 6-14 आयु समूह के सभी बच ्च� को प्रवेश, उपिस्थ�त और
प्रारं �भक �श�ा को पूरा करने का प्रावधान करने और सु�निश्चत करने क� बाध ्यता रखती है । इससे
भारत अ�धकार आधा�रत ढांचे के �लए आगे बढ़ा है जो आरट�ई अ�ध�नयम के प्रावधान� के अनुसार
-9

सं�वधान के अनुच ्छे द 21-क म� यथा प्र�तष ्ठा�पत बच ्चे के इस मौ�लक अ�धकार को �क्रयािन्वत करने
के �लए केन ्द्र और राज ्य सरकार� पर कानूनी बाध ्यता रखता है ।
AY

आरट�ई अ�ध�नयम �नम ्न�ल�खत का प्रावधान करता है :


• �कसी पड़ौस के स ्कूल म� प्रारं �भक �श�ा पूर� करने तक �न:शुल ्क और अ�नवायर् �श�ा के �लए
बच ्च� का अ�धकार।
AJ

• यह स ्पष ्ट करता है �क 'अ�नवायर् �श�ा' का तात ्पयर् छह से चौदह आयु समूह के प्रत ्येक
बच ्चे को �न:शुल ्क प्रारं �भक �श�ा प्रदान करने और अ�नवायर् प्रवेश, उपिस्थ�त और प्रारं �भक
�श�ा को पूरा करने को सु�निश्चत करने के �लए उ�चत सरकार क� बाध ्यता से है । '�न:शुल ्क'
का तात ्पयर् यह है �क कोई भी बच ्चा प्रारं �भक �श�ा को जार� रखने और पूरा करने से रोकने
वाल� फ�स या प्रभार� या व ्यय� को अदा करने का उत ्तरदायी नह�ं होगा।
• यह गैर-प्रवेश �दए गए बच ्चे के �लए उ�चत आयु क�ा म� प्रवेश �कए जाने का प्रावधान करता है ।
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• यह �न:शुल ्क और अ�नवायर् �श�ा प्रदान करने म� उ�चत सकार�, स ्थानीय प्रा�धकार� और


अ�भभावक� कतत ्र् व ्य� और दा�यत ्व� और केन ्द्र तथा राज ्य सरकार� के बीच �वत ्तीय और
अन ्य िजम ्मेदा�रय� को �व�न�दर् ष ्ट करता है ।
• यह, अन ्य� के साथ-साथ, छात्र-�श�क अनुपात (पीट�आर), भवन और अवसंरचना, स ्कूल के
कायर् �दवस, �श�क के कायर् के घंट� से संबं�धत मानदण ्ड� और मानक� को �नधार्�रत करता है ।
• यह राज ्य या िजले अथवा ब ्लॉक के �लए केवल औसत क� बजाए प्रत ्येक स ्कूल के �लए रखे
जाने वाले छात्र और �श�क के �व�न�दर् ष ्ट अनप
ु ात को स�ु निश्चत करके अध ्यापक� क�
तैनाती के �लए प्रावधान करता है , इस प्रकार यह अध ्यापक� क� तैनाती म� �कसी शहर�-
ग्रामीण संतल
ु न को स�ु निश्चत करता है । यह दसवष�य जनगणना, स ्थानीय प्रा�धकरण,

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राज ्य �वधान सभा और संसद के �लए चन
ु ाव और आपदा राहत को छोड़कर गैर-शै��क कायर्

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के �लए अध ्यापक� क� तैनाती का भी �नषेध करता है ।
• यह उपयक
ु ् त रूप से प्र�श��त अध ्यापक� क� �नयिु क्त के �लए प्रावधान करता है अथार्त
अपे��त प्रवेश और शै��क योग ्यताओं के साथ अध ्यापक।

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• यह (क) शार��रक दं ड और मान�सक उत ्पीड़न; (ख) बच ्च� के प्रवेश के �लए अनुवी�ण
प्र�क्रयाएं; (ग) प्र�त व ्यिक्त शल
ु ्क; (घ) अध ्यापक� द्वारा �नजी ट्यश
ू न और (ड.) �बना
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मान ्यता के स ्कूल� को चलाना �न�षद्ध करता है ।
• यह सं�वधान म� प्र�तष ्ठा�पत मूल ्य� के अनुरूप पाठ्यक्रम के �वकास के �लए प्रावधान करता
है और जो बच ्चे के समग्र �वकास, बच ्चे के �ान, संभाव ्यता और प्र�तभा �नखारने तथा बच ्चे
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क� �मत्रवत प्रणाल� एवं बच ्चा केिन्द्रत �ान क� प्रणाल� के माध ्यम से बच ्चे को डर, चोट और
�चंता से मक
ु ् त बनाने को स�ु निश्चत करे गा।
-9

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AY

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mÙkjµ भारत क� प्राचीन �श�ा पद्ध�त म� हम� अनौपचा�रक तथा औपचा�रक दोन� प्रकार के
शै��णक केन्द्र� का उल्लेख प्राप्त होता है । औपचा�रक �श�ा मिन्दर, आश्रम� और गुरुकुल� के
माध्यम से द� जाती थी। ये ह� उच्च �श�ा के केन्द्र भी थे। जब�क प�रवार, पुरो�हत, पिण्डत,
AJ

सन्यासी और त्यौहार प्रसंग आ�द के माध्यम से अनौपचा�रक �श�ा प्राप्त होती थी।
�व�भन्न धमर्सूत्र� म� इस बात का उल्लेख है �क माता ह� बच्चे क� श्रेष्ठ गुरु है । कुछ �वद्वान�
ने �पता को बच्चे के �श�क के रुप म� स्वीकार �कया है । जैसे-जैसे सामािजक �वकास हुआ
वैसे-वैसे शै��णक संस्थाएं स्था�पत होने लगी। वै�दक काल म� प�रषद, शाखा और चरण जैसे
संघ� का स्थापन हो गया था, ले�कन व्यविस्थत �श�ण संस्थाएं सावर्ज�नक स्तर पर बौद्ध�
द्वारा प्रारम्भ क� गई थी।[1]
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गुरुकुल� क� स्थापना प्रायः वन�, उपवन� तथा ग्राम� या नगर� म� क� जाती थी। वन� म�
गुरुकुल बहुत कम होते थे। अ�धकतर दाशर्�नक आचायर् �नजर्न वन� म� �नवास, अध्ययन तथा
�चन्तन पसन्द करते थे। वाल्मी�क, सन्द�प�न, कण्व आ�द ऋ�षय� के आश्रम वन� म� ह� िस्थत
थे और इनके यहाँ दशर्न शास्त्र� के साथ-साथ व्याकरण, ज्यो�तष तथा नाग�रक शास्त्र भी
पढ़ाये जाते थे। अ�धकांश गरु
ु कुल गांव� या नगर� के समीप �कसी वाग अथवा वा�टला म�
बनाये जाते थे। िजससे उन्ह� एकान्त एवं प�वत्र वातावरण प्राप्त हो सके। इससे दो लाभ थे;
एक तो गहृ स्थ आचाय� को सामग्री एक�त्रत करने म� सु�वधा थी, दस
ू रे ब्रह्मचा�रय� को
�भ�ाटन म� अ�धक भटकना नह�ं पड़ता था। मनु के अनुसार `ब्रह्मचार� को गुरु के कुल म� ,

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अपनी जा�त वाल� म� तथा कुल बान्धव� के यहां से �भ�ा याचना नह�ं करनी चा�हए, य�द

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�भ�ा योग्य दस
ू रा घर नह�ं �मले, तो पूव-र् पूवर् गह
ृ � का त्याग करके �भ�ा याचना करनी
चा�हये। इससे स्पष्ट होता है �क गुरुकुल गांव� के सिन्नकट ह� होते थे। स्वजा�तय� से �भ�ा

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याचना करने म� उनके प�पात तथा ब्रह्मचार� के गह
ृ क� ओर आकषर्ण का भय भी रहता था
अतएव स्वजा�तय� से �भ�ा-याचना का पूणर् �नषेध कर �दया गया था। बहुधा राजा तथा
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सामन्त� का प्रोत्साहन पाकर �वद्वान ् पिण्डत उनक� सभाओं क� ओर आक�षर्त होते थे और
अ�धकतर उनक� राजधानी म� ह� बस जाते थे, िजससे वे नगर �श�ा के केन्द्र बन जाते थे।
इनम� त��शला, पाट�लपुत्र, कान्यकुब्ज, �म�थला, धारा, तंजोर आ�द प्र�सद्ध ह�। इसी प्रकार तीथर्
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स्थान� क� ओर भी �वद्वान ् आकृष्ट होते थे। फलत: काशी, कनार्टक, ना�सक आ�द �श�ा के
प्र�सद्ध केन्द्र बन गये।
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leqnk; vUr% lEcUèkksa dh O;k[;k mnkgj.k nsrs gq, dhft,A
mÙkjµ समुदाय’ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘कम्यू�नट�’ (Community) शब्द का �हन्द� रूपान्तर है जो�क

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लै�टन भाषा के ‘कॉम’ (Com) तथा ‘म्य�ू नस’ (Munis) शब्द� से �मलकर बना है । लै�टन म� ‘कॉम’

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शब्द का अथर् ‘एक साथ’ (Together) तथा ‘म्य�ू नस’ का अथर् ‘सेवा करना’ (To serve) है , अत:
‘समद
ु ाय’ का शािब्दक अथर् ह� ‘एक साथ सेवा करना’ है । समद
ु ाय व्यिक्तय� का वह समह
ू है िजसम�
उनका सामान्य जीवन व्यतीत होता है । समद
ु ाय के �नमार्ण के �लए �निश्चत भ-ू भाग तथा इसम� रहने

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वाले व्यिक्तय� म� सामुदा�यक भावना होना अ�नवायर् है ।समुदाय व्यिक्तय� का एक �व�शष्ट समूह है
जो�क �निश्चत भौगो�लक सीमाओं म� �नवास करता है । इसके सदस्य सामुदा�यक भावना द्वारा
परस्पर संग�ठत रहते ह�। समुदाय म� व्यिक्त �कसी �व�शष्ट उद्देश्य क� अपे�ा अपनी सामान्य
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आवश्यकताओं क� पू�तर् हे तु प्रयास करते रहते ह�।
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97

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