You are on page 1of 1

श्री-गुरु-वंदना

श्री गुरु-चरण-पद्म के वल भकति सद्म


बंदॊ मुयि सावधान मते
जाहार प्रसादे भाइ ए भव तोरिया जाइ
कृ ष्ण-प्राप्ति होय् जाहा ह’ते

गुरु-मुख-पद्म-वाक्य, चित्तेतॆ कॊरिया ऐक्य


आर् ना कोरिहो मने आशा
श्री गुरु-चरणे रति, ऎइ से उत्तम-गति,
जे प्रसादे पूरे सर्व आशा

चखु-दान् दिलो जेइ जन्मे जन्मे प्रभु सेइ


दिव्य-ज्ञान् हृदे प्रॊकाशितो
प्रेम-भक्ति जाहा होइते अविद्या विनाश जाते
वेदॆ गाय् जाहार चरितो

श्री गुरु करुणासिंधु, अधम जनर बंधु


लोकनाथ् लोके र जीवन
हा हा प्रभु कोरो दोया, देहो मोरे पद-छाया,
एबे जश घुषुक् त्रिभुवन

You might also like