Professional Documents
Culture Documents
Kamayini
Kamayini
कौन हो तु म? सं सृति-जलनिधि
और चं चल मन का आलस्य"
और दे खा वह सुं दर दृश्य
दिखाई दे ता हो छविधाम।
एक ज्वालामु खी अचे त
और, उस पर वह मु सक्यान
रक्त किसलय पर ले विश्राम
हँ सी का मदविह्वल प्रतिबिं ब
आह वै सा ही हँ ू पाषं ड।
और जड़ता की जीवन-राशि,
ू
"कौन हो तु म बं सत के दत
मु क्त-व्योम-तल नित्य,
बढ़ा मन और चले ये पै र,
आँ ख की भूख मिटी यह दे ख
भाग-2
तपस्वी क्यों हो इतने क्लांत?
वे दना का यह कैसा वे ग?
लालसा की निश्शे ष?
दुख के डर से तु म अज्ञात
ईश का वह रहस्य वरदान,
पु रातनता का यह निर्मोक
नित्य नूतनता का आं नद
आज से यह जीवन उत्सर्ग
हमारा हृदय-रत्न-निधि
तु म्हीं से फैले गी वह बे ल,
सु मन के खे लो सुं दर खे ल।"
विधाता का मं गल वरदान-
् ,
अग्रसर है मं गलमय वृ दधि
् ।
खिं ची आवे गी सकल समृ दधि
दे व-असफलताओं का ध्वं स
पड़ा है बन मानव-सम्पत्ति
पूर्ण हो मन का चे तन-राज।
विश्व के हृदय-पटल पर
आज से मानवता की कीर्ति
द्वीफ-कच्छप डू बें-उतरायें ।