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जीरा

जीरा का लैिटन नाम- यूिमनम साइिमनम ह। यह अपच


और दद को ख म करता है । जीरा एक वािद ट मसाला है और
औषिधय म भी जीरे का ब त उपयोग िकया जाता है । जीरा
भारत म ब त होता है । यह 3 कार का होता है - सफेद जीरा,
शाह जीरा या काला जीरा और कल जी जीरा। इनके गुण एक
जैसे ही होते ह। तीन ही जीरे खे और तीखे होते ह। ये
मलावरोध, बुि वधक, िप कारक, िचकारक, बल द,
कफनाशक और ने के िलए लाभकारी ह।

सफेद जीरा दाल-स जी छ कने और मसाल के काम म


आता है तथा शाह जीरे का उपयोग िवशेष प से दवा के प
ंजीरा ये 2 व तुएं
म िकया जाता है । ओथमी जीरा और शख
जीरे से एकदम िभ न है । ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा
ईसबगोल कहते ह।

िविभ न भाषाओ ं
म जीरे के नाम :
संकृत जी ।

िह दी जीरा, सफेद जीरा।

े ी यूिमसीड।
अ ज

गुजराती जी ।

मराठी िजर।

ंाली जीरा।
बग

फारसी जीरए सफेद।

तेलगू जीलकरी।

अरबी क मून, अ यज।

िविभ न रोग म उपयोग :

1. द त का दद:
काले जीरे के उबले ए पानी से कु ला करने से द त का दद
दरू होता है ।

3 ाम जीरे को भूनकर चूण बना ल तथा उसम 3 ाम


ंन बना ल। इस मज
सधानमक िमलाकर बारीक पीसकर मज ंन
को मसूढ़ पर मलने से सूजन और द त का दद ख म होता है ।

2. पेशाब का बार-बार आना: जीरा, जायफल और काला नमक


2-2 ाम की मा ा म कूट पीसकर चूण बना ल, िफर इस िम ण
को अन नास के 100 िमलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ
िमलता है ।

ंकी बदबू: मुह


3. मुह ंम बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर
ंकी बदबू दरू हो जाती है ।
खाए।ंइस योग से मुह

4. मलेिरया का बुखार:

एक च मच जीरे को पीसकर, 10 ाम गुड़ म िमला द। इसकी 3


खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से पहले, सुबह, दोपहर और शाम
को द।

1 च मच जीरा िबना सका आ पीस ल। इसका 3 गुना गुड़


इसम िमलाकर 3 गोिलय बना ल। िन चत समय पर ठ ड
लगकर आने वाले मलेिरया के बुखार के आने से पहले 1-1
घ टे के बीच गोली खाएं
कुछ िदन रोज इसका योग कर।
इससे मलेिरया का बुखार ठीक हो जाता है ।

काला जीरा, एलुआ, स ठ, कालीिमच, बकायन के पेड़ की


ंौली तथा करज
िनब ंवे की म गी को पीसकर छोटी-छोटी गोिलय
ंे के अ तर से 1-1 गोली खाने से
बना ल। इसे िदन म 3-3 घट
मलेिरया का बुखार दरू हो जाता है ।

5. पुराना बुखार: क चा िपसा आ जीरा 1 ाम इतने ही गुड़ म


िमलाकर िदन म 3 बार लगातार सेवन कर। इससे पुराना से
पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है ।

6. पाचक चूरन: जीरा, स ठ, सधानमक, पीपल, कालीिमच


येक सभी को समान मा ा म लेकर बारीक पीसकर चूण बना
ल। इस चूण को 1 च मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के
साथ खाने से भोजन ज दी पच जाता है ।
7. खूनी बवासीर: जीरा, स फ, धिनया को एक-एक च मच
लेकर 1 िगलास पानी म उबाल, जब आधा पानी बच जाये तो
इसे छान ल, िफर इसम 1 च मच देशी घी िमलाकर सुबह-शाम
सेवन करने से बवासीर म र ंहो जाता है । यह
िगरना बद
गभवती ंहोता है ।
य के बवासीर म यादा फायदेमद

8. चेहरा साफ करने के िलए: जीरे को उबालकर उस पानी से


ंधोएं
मुह इससे चेहरे की सु दरता बढ़ जाती है ।

9. खुजली और िप ी: जीरे को पानी म उबालकर, उस पानी से


शरीर को धोने से शरीर की खुजली और िप ी िमट जाती है ।

10. पथरी, सूजन व मु ावरोध: इन क ट म जीरा और चीनी


समान मा ा म पीसकर 1-1 च मच भर ताजे पानी से रोज 3
बार खाने से लाभ होता है ।

ू िपलाने वाली मिहलाओ ं


11. तन म ग ठे : दध के तन म ग ठ
पड़ जाये तो जीरे को पानी म पीसकर तन पर लगाय। फायदा
प च
ंगे ा।

12. तन का जमा आ दध
ू िनकालना: जीरा 50 ाम को गाय
के घी म भून पीसकर इसम ख ड 50 ाम की मा ा म िमला देते
ू के साथ योग करना
ह। इसे 5-5 ाम की मा ा म सुबह दध
चािहए। इससे गभ शय भी शु हो जाता है और छाती म दध

भी बढ़ जाता है ।

13. तन म दध
ू की वृि :

सफेद जीरा, स फ तथा िम ी तीन का अलग-अलग चूण


समान मा ा म िमलाकर रख ल। इसे एक च मच की मा ा म
ू के साथ िदन म तीन बार देने से सूता
दध ी के दध
ू म
अिधक वृि होती है ।

सफेद जीरा तथा स ठी के चावल को दध


ू म पकाकर पीने से
कुछ ही िदन म तन का दध
ू बढ़ जाता है ।

125 ाम जीरा सककर उसम 125 ाम िपसी ई िम ी िमला


ल। इसको 1 च मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन कर।
इससे तन म दध
ू की वृि होती है ।

14. अजीण: 3 से 6 ाम भुने जीरे एवं


सधानमक के चूण को
गम पानी के साथ िदन म 3 बार ज र ल। इससे अजीण का
रोग समा त हो जाता है ।

15. पेिचश: सूखे जीरे का 1-2 ाम पाउडर, 250 िमलीलीटर


म खन के साथ िदन म चार बार ल। इससे पेिचश ठीक हो
जाती है ।

16. ख टी डकार: 5-10 ाम जीरे को घी म िमलाकर गम कर


ल, इसे भोजन के समय चावल म िमलाकर खाने से ख टी
ंहो जाती ह।
डकारे आना बद

17. ख सी: जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दान को चबाकर


खाने से ख सी एवं
कफ दरू होता है ।
18. रत धी:

जीरा, आं
वला और कपास के प को िमलाकर ठ डे पानी म
पीसकर लेप बना ल। कुछ िदन तक लगातार इस लेप को िसर
पर लगाकर प टी ब धने से रत धी दरू होती है ।

जीरे का चूण बनाकर सेवन करने से रत धी (रात म िदखाई न


देना) म लाभ होता है ।

19. िब छू का जहर: जीरे और नमक को पीसकर घी और


शहद म िमलाकर थोड़ा-सा गम करके िब छू के डं
क पर
लगाय।

20. बुखार: जीरे का 5 ाम चूण पुराने गुड़ के साथ िमलाकर


गोिलय बनाकर खाने से बुखार व जीण बुखार उतर जाता है ।

21. अ लिप के कारण सीने म जलन: अ लिप के कारण


भोजन के बाद होने वाली छाती की जलन म धिनया और जीरे
का चूण एक साथ लेने से लाभ िमलता है ।
22. आं
ख की रोशनी: जीरे को रोज खाने से गम दरू होती ह
और आं
ख की रोशनी भी बढ़ाती है ।

23. िवष: जीरा और श कर पानी म िभगोकर 7 िदन तक


सेवन करने से हरताल का िवष न ट होता है । हरताल, सोमल,
ंहै ।
मन:िशला आिद के िवष पर जीरे का उपयोग फायदेमद

ंकोष की सूजन:
24. अड

10-10 ाम जीरा, कालीिमच पीसकर पानी म उबालकर उस


पानी से अ डकोष को धोने से सूजन िमट जाती है ।

10-10 ाम जीरा और अजवायन पानी म पीसकर थोड़ा गम


ंकोष पर लेप करने से अड
कर अड ंकोष की वृि क जाती है ।

ंकोष की जलन: सफेद जीरा के चूण को शराब म


25. अड
ंकोष की जलन, सूजन और दद म
िमलाकर लेप करने से अड
आराम िमलता है ।

26. दमा का रोग: दमा होने पर जीरा, कालीिमच, नमक और


म ठा िमलाकर सेवन करना चािहए।

27. डकार आना: 1 च मच िपसा आ जीरा सककर, 1 च मच


शहद म िमलाकर खाना खाने के बाद चाटने से डकार म लाभ
होता है ।

28. गभ शय का बढ़ा आ म स: काला जीरा और हाथी के नख


को महीन पीसकर एर ड (अर डी) के तेल िमला ल। िफर
उसम ई का फोहा िभगोकर तीन िदन तक योिन म रखना
चािहए। इससे गभ शय का बढ़ा आ म स ठीक हो जाता है ।

29. ब झपन दरू करना:

अगर औरत की कमर म दद हो रहा हो समझ लेना चािहए िक


उसके गभ शय के अ दर का म स बढ़ गया है । इसके िलए
हाथी के खुर को पूरी तरह जलाकर िब कुल बारीक पीसकर
चूण बना ल, िफर 5 ाम चूण को काला जीरा के साथ िमलाकर
इसमे अर डी का तेल भी िमला ल। इस तेल को एक ई के
ंपर लगातार 3 िदन
फोये म लगाकर योिन म गभ शय के मुह
तक रखने से ब झपन दरू होता है ।

यिद ी के पेट म दद हो तो समझना चािहए िक गभ शय म


जाला है । इसके िलए काला जीरा, सुहागा भुना आ, बच, कूट
5-5 ाम लेकर बारीक पीस ल, िफर इस एक ाम दवा को पानी
तरकर ंपर तीन िदन
ई म लगाकर योिन म गभ शय के मुह
तक लगातार रखना चािहए।

30. क ज (को ठब ता):

भुना जीरा 120 ाम, धिनया भुना आ 80 ाम, कालीिमच 40


ाम, नमक 100 ाम, दालचीनी 15 ाम, न बू का रस 15
िमलीलीटर, देशी ख ड 200 ाम आिद को बारीक पीसकर चूण
बना ल, इसम से दो ाम की खुराक बनाकर सुबह के समय
सेवन करने से क ज न ट होती है और भूख बढ़ती है ।
25 ाम काला और सफेद भुना आ जीरा, पीपल 25 ाम,
स ठ 25 ाम, कालीिमच 25 ाम और कालानमक 25 ाम को
िमलाकर पीसकर रख ल, बाद म 10 ाम भुनी ई ह ग को
पीसकर िमला द। िफर इस बने चूण म न बू का रस िमलाकर
छोटी-छोटी बराबर गोिलय बनाकर सुखाकर खाना खाने के
बाद दो गोिलय खुराक के प म सेवन कर। इससे क ज दरू
होती है ।

31. पेट की गैस बनना: जीरा, स ठ, बच और भुनी ह ग को


पीसकर चूण बनाकर रख ल। इस बने चूण को 6 ाम की मा ा
म पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है ।

32. वमन (उ टी):

कदम के छाल के रस को अगर जीरे और िम ी के साथ


िपलाया जाए तो उ टी के साथ-साथ बुखार और द त हो तो
वह भी ठीक हो जाता है ।

एक च मच भुने जीरे के बारीक चूण म एक च मच शहद को


िमलाकर रोजाना खाना खाने से बाद ल। इससे उ टी ठीक
होती है ।

ंके छाले: जीरा को भूनकर और सधानमक जीरे के


33. मुह
ंम लगाने से छाले ठीक होते
बराबर िमलाकर पीस ल। इसे मुह
ह।

34. द त:

सफेद जीरा के बारीक चूण को आधा से 2 ाम की मा ा म दही


के साथ रोजाना 2 से 3 बार खाय। इससे द त, भोजन का न
पचना और भूख के कम लगने की बीमारी ठीक होती है ।

सके ए जीरे म आधी च मच की मा ा म शहद को डालकर


रोजाना 1 िदन म चाट।

पतले द त होने पर जीरे को सक कर, पीसकर आधा च मच


शहद म िमलाकर 4 बार रोज चाट।

खाना खाने के बाद छाछ म सका आ जीरा, कालानमक


ंहो जाएग
िमलाकर पीए।ंइससे द त बद ं।े
ंा आ जीरा को काले नमक म
खाना खाने के बाद छाछ म िसक
डालकर खाने से द त म लाभ िमलता है ।

एक च मच जीरा, 2 कली लहसुन की पुती, एक च मच स ठ,


एक च मच स फ, 2 ल ग और अनार के फल के 4 दान को
डालकर भूनकर पीस ल, िफर इस बने चूण को आधी च मच
की मा ा म एक िदन म 3 बार सेवन करने से द त म लाभ
िमलता है ।

जीरा और चीनी को बारीक पीसकर चूण बनाकर 1 च मच की


मा ा म छाछ के साथ िपलाने से अितसार का बार-बार आना
ंहो जाता है ।
बद

35. िहचकी का रोग:

आधा से 2 ाम सफेद जीरा सुबह-शाम घी के साथ सेवन करने


से िहचकी की बीमारी दरू होती है ।

ंहो जाती है ।
जीरे की बीड़ी बनाकर पीने से िहचकी बद

िसरका म जीरा डालकर उबाल ल। इसे छानकर पीय। इससे


िहचकी म लाभ होता है ।
जीरे और िप पली को पीसकर पाउडर बना ल। इसम थोड़ा
ं भ म िमला ल। इसे लगभग 2 ाम शहद के साथ
मोरपख
ंहो जायेगा।
सेवन कर। इससे िहचकी आना बद

आधे से 2 ाम सफेद जीरा घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने


से िहचकी म लाभ होता है । इसका धू पान भी िहचकी म
लाभदायक होता है ।

36. गभपात करना: काला जीरा 320 िमली ाम से 640


िमली ाम की मा ा म पीसकर गम पानी के साथ पीने से की
ई माहवारी शु हो जाती है इसे अिधक मा ा म देने से
गभपात हो जाता है ।

ंके रोग: मुह


37. मुह ंके छाले म काला जीरा, कूठ एवं
इ जौ इन
ंके छाले, मुह
सब को िमलाकर चबाने से मुह ंका घाव तथा
दग
ु ध दरू होती है ।

ंकी दग
38. मुह ंव स स की
ु ध: जीरा को भूनकर खाने से मुह
बदबू ख म हो जाती है ।
39. गभवती ी की उ टी: जीरे को रेशमी कपड़े म लपेटकर
ं सूघ
ब ी बना ल। इसे जलाकर इसका धुआ ंने से पुरानी उ टी
ंहो जाती है ।
भी बद

40. मू के साथ खून आना: सफेद जीरा आधे से 2 ाम की


मा ा म िम ी के साथ पानी म घ टकर रोज 2-3 बार लेने से
लाभ होता है ।

ू के साथ
41. कान से कम सुनाई देना: थोड़े से जीरे को दध
फ कने से कम सुनाई देने का रोग दरू हो जाता है ।

42. जी िमचलाना: जीरे को न बू के रस म िभगोकर छाया म


सुखा लेते ह। इसके बाद इसके सेवन से गभवती ी का जी
ंहो जाता है ।
िमचलाना बद

43. बवासीर (अश):


याहजीरा (काला जीरा) का काढ़ा बनाकर इससे बवासीर के
म से को धोने से बवासीर म लाभ होता है ।

जीरा और िम ी को कूटकर पानी के साथ खाने से बवासीर


(अश) के दद म आराम रहता है ।

जीरा, स फ और धिनया 1-1 च मच लेकर 1 िगलास पानी म


िमलाकर आधा पानी ख म होने तक उबाल, िफर पानी को
छानकर उस म 1 च मच घी िमलाकर ितिदन सुबह-शाम पीने
से बवासीर रोग म आराम िमलता है ।

काली जीरी (काला जीरा) 25 ाम को भूनकर उसम िबना भूनी


काली जीरी 25 ाम िमलाकर कूट-छान कर चूण बना ल। यह
3 ाम चूण रोज सुबह पानी के साथ ल।

44. संहणी: 5 ाम जीरा, छोटी हरड़, लहसुन की भुनी ई


पुती तीन को तवे पर भूनकर पीस ल। इसे गम पानी से या
म ठा (ल सी) के साथ सेवन करने से संहणी अितसार के
रोगी का रोग दरू हो जाता है ।

45. गुद के रोग: काला जीरा 20 ाम, अजवायन 10 ाम,


काला नमक 5 ाम पीसकर िसरके म िमलाकर 3-3 ाम सुबह-
शाम ल।

ंी परेशािनय :
46. मािसक-धम स बध

काला जीरा 5 ाम, अर डी का गूदा 10 ाम, स ठ 5 ाम तीन


को बारीक पीसकर लेप तैयार कर ल। इसे प ह िदन तक पेट
पर लेप करना चािहए। यह उपचार प ह िदन तक ितिदन
करना चािहए। इससे मािसक-धम खुलकर आने लगता है तथा
इससे नस की पीड़ा भी न ट हो जाती है ।

काला जीरा 6 ाम, दालचीनी 6 ाम, स ठ, िच क (चीता),


स फ 6-6 ाम की मा ा म लेकर 100 िमलीलीटर म उस समय
तक उबाल जब 25 िमलीमीटर की मा ा म शेष रह जाए। इसे
30 से 50 िमलीमीटर की मा ा म िदन म दो-तीन बार सेवन
करने से मािसक-धम म दद नह होता है ।

47. आं
वर (पेिचश): 3 ाम काला जीरा और अनार के प
को पानी म डालकर पीने से खूनी पेिचश के रोगी का रोग दरू
हो जाता है ।
48. अ नमा (हाजमे की खराबी):

10 ाम जीरा, 10 ाम स ठ, 15 दाने पीपल और 20 दाने


कालीिमच को बारीक पीसकर चूण बना ल। इसम थोड़ा-सा
सधानमक िमलाकर आधा-आधा च मच की मा ा म सुबह
और शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है ।

2 च मच जीरे को पानी म उबाल ल, जब पानी एक कप आधा


रह जाए, तो इसे िदन म 3 बार खुराक के प म लेने से लाभ
होता है ।

जीरा, स ठ, बच, भुनी ह ग, कालीिमच, ल ग को 10-10 ाम की


मा ा म लेकर पीसकर चूण बना ल, िफर इस चूण म से चुटकी
भर चूण पानी के साथ सेवन कर।

जीरा 10 ाम, सधानमक 10 ाम या स जीखार 10 ाम, स ठ


10 ाम, पीपल 10 ाम, िमच 10 ाम, काला नमक 10 ाम,
अजमोद 10 ाम, ह ग 10 ाम और हरड 10 ाम की मा ा म
लेकर पीसकर बारीक चूण बना ल, इस बने चूण म 40 ाम
िनशोथ िमलाकर 3-3 ाम गम पानी से िदन म दो बार सेवन
करने से पेट की पाचनशि बढ़ती है ।
49. दर रोग:

2 ाम सफेद जीरे का चूण और 1 ाम िम ी के चूण को कडु वे


नीम की छाल के काढे◌़ म िमलाकर शहद के साथ सेवन करने
से ेत दर न ट होता है ।

जीरा और िम ी को बराबर मा ा म पीसकर चूण बनाकर रख


ल, िफर इस चूण को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से
ेत दर म लाभ िमलता है ।

1 च मच जीरा लेकर तवे पर भून ल। िफर इसे पीसकर थोड़ी-


सी चीनी िमलाकर फ क ल। इससे ेत दर िमट जाता है ।

50. पथरी: जीरे और चीनी को बराबर मा ा म लेकर पीसकर


चूण बना ल। 1-1 च मच चूण िदन म तीन बार ठ डे पानी के
साथ फ की लेने से पथरी ठीक होती है ।

51. अ लिप :
जीरा, धिनया और िम ी तीन को बराबर मा ा म पीसकर
िमलाकर 2-2 च मच सुबह और शाम भोजन के बाद ठ डे पानी
से फं
की लेने से अ लिप ठीक हो जाता है ।

जीरे के 5 ाम चूण को गुड़ के साथ िमलाकर सेवन कर।

1 ाम जीरे म 1 ाम धिनया िमलाकर, थोड़ी-सी मा ा म िम ी


िमलाकर लेने से अ लिप ठीक हो जाता है ।

जीरा और चीनी को िमलाकर चूण बना ल। इस चूण को आधा


ू के साथ सेवन कर।
च मच की मा ा म दध

40 ाम सफेद जीरा और 40 ाम धिनया लेकर पानी के साथ


पीसकर 320 ाम घी म िमलाकर पका ल। इस िम ण को 6
ाम से 20 ाम तक की मा ा म सेवन करने से अ लिप की
िशकायत िमट जाती है ।

सफेद जीरा, काला जीरा, बच, भुनी ह ग और कालीिमच को


बराबर मा ा म पीसकर चूण बनाकर आधा-आधा च मच चूण
पानी के साथ सेवन कर।

52. दद व सूजन: दद होने पर दो च मच जीरा एक िगलास


पानी म डालकर गम करके सक करने से लाभ होता है । सक के
बाद जीरा को पीसकर दद वाली जगह लेप करने से लाभ होता
है ।

53. गम अिधक लगना: जीरा, िम ी, रीठा की फ ट आिद


िमलाकर शबत की तरह घ टकर ितिदन दो तीन बार सेवन
करने से शरीर की जलन, यास और गम आिद से शा त
िमलती है । इससे पेशाब खुलकर व साफ आता है । िजसके
कारण शरीर की गम भी िनकल जाती है ।

54. शीतिप :

जीरे को पानी म उबालकर उस पानी से नहाने से बदन की


खुजली और िप ी िमट जाती है ।

जीरा, धिनया और स ठ को 5-5 ाम मा ा म लेकर पानी म


उबालकर काढ़ा बना ल और इस काढे◌़ को पीने से शीत िप
ज दी ही ख म होता है ।

नान करते समय पानी म दो च मच जीरे का चूण या एक न बू


िनचोड़कर नहाना चािहए। कड़वे जीरा का चूण गुड़ के साथ
खाने से ब त ही लाभ होता है ।

55. तन का दद और सूजन: सफेद जीरे को शराब के साथ


पीसकर तन पर लगाने से तन का दद और सूजन समा त
हो जाती है ।

े के रोग: 10 ाम काला जीरा, 10 ाम िमच तथा


56. मधुमह
तुलसी के 10-12 प े लेकर इ ह पीसकर चूण बना ल। इसम
थोड़ी सी कालीिमच डालकर चने के बराबर की गोिलय बना
ल। इसकी 2-2 गोिलय रोजाना पानी के साथ सुबह के समय
े रोग म लाभ होता है ।
सेवन करने से मधुमह

57. तन का उभार: काला जीरा आधे से 2 ाम की मा ा म


लेकर थोड़ी-सी िम ी को डालकर पीने से तन पूरी तरह से
िवकिसत हो ह।

58. िग टी ( यूमर): जीरा, हाऊबेर, कड़वा कूट, गे ं


और बेर-
इनको क जी म पीसकर लेप करने से रोग म लाभ िमलता है ।
59. पेट के कीड़े:

काले जीरा का चूण शहद के साथ िमलाकर पीने से पेट के कीड़े


समा त हो जाते ह।

याह जीरे को उबालकर काढ़ा बना ल, इस काढ़े को पीने से


पेट के कीड़े िमट जाते ह।

60. सभी कार के दद: सफेद जीरा 40 ाम, अ लवेत 20 ाम,


काला नमक 10 ाम और कालीिमच 80 ाम को बारीक
पीसकर चूण बनाकर रख ल, िफर इस चूण को न बू के रस म
िमलाकर छोटी-छोटी गोिलय बनाकर िदन म 2 बार गम पानी
के साथ लेने से सभी दद म लाभ होता है ।

61. नाक के रोग: जीरे का चूण, घी और श कर को एक साथ


िमलाकर खाने से पीनस (जुकाम) दरू हो जाता है ।
62. ेत दर: जीरा और िम ी को बराबर मा ा म पीसकर
चूण बनाकर रख ल, िफर इस चूण को चावल के धोवन के साथ
योग करने से ेत दर म लाभ िमलता है ।

63. पेट म दद:

िपसा आ जीरा 2 ाम को शहद के साथ गुनगुने पानी म


िमलाकर पीने से पेट के दद म आराम होता है ।

सफेद जीरा को शराब के साथ पीसकर पेट पर लेप करने से


पेट के दद म आराम होता है ।

बारीक िपसा आ जीरा 3-3 ाम को गम के पानी के साथ िदन


म दो बार सेवन करने से बदन दद और पेट के दद से छु टकारा
िमलता है ।

भुना काला जीरा 120 िमली ाम शहद के साथ सेवन करने से


लाभ होता ह।

64. तन के आकार म वृि : काला जीरा ( याह जीरा) आधा


से 2 ाम की मा ा म एक िदन म सुबह और शाम खाने से
तन के आकार म वृि होती है ।

65. तन के रोग: सफेद जीरा 20 ाम, इलायची के बीज 10


ाम, खीरे की म गी 20 तथा क ू के बीज की म गी 20 नग।
इन सभी को कूट-पीसकर 4-6 ाम की मा ा म जल अथवा
ू के साथ सेवन करने से तन का दध
दध ू बढ़ जाता है तथा
अशु दध
ू शु हो जाता है । शीतऋतु म यह चूण 3 ाम की
मा ा म लेकर उसम िपसी ई िम ी िमलाकर फ क लेते ह और
ऊपर से बकरी का दध
ू पीना चािहए इससे ब त लाभ िमलता
है ।

66. ए जमा: 1 िमली ाम भुना आ जीरा, 10 ाम िम ी के


साथ न बू का रस िमलाकर और पीसकर रोजाना सुबह और
शाम पीने से ए जमा समा त हो जाता है ।

67. मू रोग: सफेद जीरा 10 ाम, कलमीशोरा 2 चुटकी,


ंचीनी आधा च मच। एक िगलास पानी म घोलकर छान
रेवद
ल। इसम िम ी िमलाकर रख ल इसको िदन भर म चार बार
पीने से मू रोग न ट हो जाता है ।

68. योिन रोग: जीरा, काला जीरा, पीपल, कल जी, सुग धव


बच, अडूसा, सधानमक, जवाखार और अजवायन को लेकर
पीसकर चूण बना ल, िफर इसम ख ड (क ची चीनी) को
िमलाकर ल डू बनाकर खाने से योिन के रोग दरू हो जाते ह।

69. गिठया रोग: गिठया म 25 ाम स ठ, 25 ाम कालीिमच,


15 ाम पीपल, 10 ाम लहसुन और 20 ाम सफेद जीरा
आिद सभी को िमलाकर पीसकर चूण बना ल। इसम से दो
चुटकी चूण सुबह को शहद के साथ सेवन करने से गिठया म
लाभ िमलता है ।

70. फोड़ा: पानी म काले जीरे को पीसकर फोड़े पर लगाने से


फोड़ा ठीक हो जाता है ।

71. वचा के रोग: जीरा, मोम, क च, शहद और हरड़ को


बराबर की मा ा म लेकर पीस ल। इसे गाय के घी म िमलाकर
फोड़े और फुं
िसय पर लगाने से लाभ होता है ।

72. खाज-खुजली: जीरे को पानी म उबालकर उस पानी से


नहाने से शरीर की खुजली और िप ी (गम ) िमट जाती है ।

ु लता: जीरा सफेद िपसा 10 ाम को 100 ाम


73. दय की दब
पानी म रात को िभगोय। सुबह छानकर इसम ख ड िमलाकर
पी ल।

74. चेचक (बड़ी माता): 100 ाम क चा धिनया और 50 ाम


ं तक पानी म भीगने के िलए रख द। िफर दोन
जीरा को 12 घट
को पानी म अ छी तरह से िमला ल और इस पानी को छानकर
बोतल म भर ल। चेचक के रोग म ब चे को बार-बार यास
लगने पर यही पानी िपलाने से लाभ होता है ।

75. तुिं
डका शोथ (ट िसल): 3 ाम जीरी और 2 ाम गे को
एक साथ पीसकर पानी के साथ गले पर लेप करने से गले की
सूजन और दद दरू हो जाती है ।
76. िवसप-फुं
िसय का दल बनना: गम पानी के साथ जीरे को
पीसकर खुजली, फुं
सी, जलन, दद आिद वचा के रोग म लेप
करने से लाभ होता है ।

77. सफेद दाग:

10-10 ाम खािदर के वृ की छाल (क था के पेड़ की खाल),


काला जीरा, हरीतकी को लेकर बारीक चूण बना ल। इस 3
ाम चूण को खािदरसार के साथ भोजन करने के बाद सेवन
करने से सफेद दाग न ट हो जाता है ।

3 ाम काली जीरी को पीसकर 25 ाम श कर के साथ खाने


से सफेद दाग ठीक हो जाते ह।

ंपर
78. जल जाना: जीरे को पानी के साथ पीसकर जले अग
लेप करने से लाभ िमलता है ।
ंदोष: 10-10 ाम कपूर, जीरा, जािव ी, ल ग और
79. िलग
कपूर सभी को एक साथ पीसकर इसम 40 ाम ख ड िमला ल।
ंकी
इसे 5 ाम लेकर बासी पानी के साथ सेवन करने से िलग
इ य के दोष दरू हो जाते ह।

80. क ठमाला:

50 ाम कालीजीरी, 10 ाम शु तेल, 50 ाम ग धक-


आं
वलासार को पीसकर और कपड़े म छानकर उसम 30 ाम
वैसलीन िमलाकर रख द। इसे क ठमाला की बहती ई
िग टय (ग ठ म से मवाद बहना) म लगाने से लाभ िमलता
है ।

6-6 ाम िनिवषी, काली जीरी और 35 ाम अमलतास के गूदा


को पीसकर पानी म गम कर लगाए।ंऊपर से एर ड का प ा
ब ध द।

81. शरीर म सूजन: जीरा और चीनी को बराबर मा ा म लेकर


पीस ल, और 1-1 च मच तीन बार फं
की के प म रोजाना लेने
से सूजन दरू हो जाती है ।
82. ब च को यास अिधक लगना: अगर ब चे को िसफ बार-
बार यास लगने का रोग हो, तो अनार के दाने, जीरा और
नागकेसर को बारीक पीसकर इनके चूण म िम ी और शहद
िमलाकर चटाने से ब च की यास कम हो जाती है ।

83. गला बैठना: आधे से 2 ाम सफेद जीरे को रोजाना दो बार


ं(बैठा आ गला) ठीक हो जाता है ।
चबाने से वरभग

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