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Saber Mantra Hindi Book PDF
Saber Mantra Hindi Book PDF
वड ु ल व या और काला जाद ू
[Vudoo spell ,Putli Vidya and Black Magic]
================================== [[ भाग -१ ]]
वूडू एक ऐसी व या है जो एक धम का प ले चुक है |यह जादग
ू र के धम के प म जानी जाती है और मूल प से इसका नाम
अ का के आ दवा सय से स ब ध रखता है |वुडू नाम ह अ का से स बं धत होता है ,जब क इस तरह के जादू से समबि धत
ायो गक धम द ु नया के हर ह से म भ न प से आ दम जनजा तय म पाए जाते ह |हर दे श और े म इसका नाम और
ायो गक तर का थोड़े बहुत फेरबदल के साथ अलग हो सकता है ले कन मूलतः यह जादू -टोने ,झाड़ -फूंक , थानीय दे वता और
थानीय परं परा से स बं धत होता है |
इसे पूरे अ का का धम माना जा सकता है , ले कन केर बी वीप समूह म आज भी यह जादू क धा मक परं परा िजंदा है और यहाँ इसे
वा त वक माना जाता है । इसे यहां वूडू कहा जाता है ।इसी के नाम पर पुतल व या को लोग वुडू के नाम से जानने लगे | हाल-
फलहाल बनीन देश का उइदा गांव वूडू बहुल े है । यहां सबसे बड़ा वूडू मं दर है , जहां व च दे वताओं के साथ रखी है जाद-ू टोने क
व तए
ु ं। धन-धा य, यापार और ेम म सफलता क कामना लए अ का के कोने-कोने से यहां लोग आते ह। कई गांव म वूडू को
दे वता माना जाता है . दे वता से मनोकामना पूर करने क मांग क जाती है . एक वू डू दे वता का नाम जपाटा है या न प ृ वी का
दे वता.दे वताओं क पूजा के दौरान ए कोहल, बीयर और सगरे ट भी चढ़ाई जाती है . कुछ जगह पर मु ग या बकरे क ब ल भी द जाती
है . लोग मानते ह क हर दे वता का खुश होने का अपना टाइल है .जो लोग भ व य जानना चाहते ह, वे फा कहे जाने वाले ओझाओं से
मलते है . कोई भी सवाल नह ं कया जा सकता. अपनी मृ यु के बारे म सवाल करना विजत है ..
वूडू कृ त के पंचत व पर व वास करते ह। जैसा क भारत के आ दवा सय म समूह म गाने और नाचने क परं परा है वैसा ह वूडू
नतक परं परागत ढोल-डम ओं क ताल पर नाच कर दे वताओं का आ वान करते ह। ये ाथनागत नाच गाना कई घंट तक चलता है ।
इस तरह क परंपरा को अं ेजी म टे बू कह सकते ह। यह आज भी द ु नया भर म िजंदा है । नाम कुछ भी हो पर इसे आप आ दम धम
कह सकते ह। इसे लगभग 6000 वष से भी यादा पुराना धम माना जाता है । ईसाई और इ लाम धम के चार- सार के बाद इसके
मानने वाल क सं या घटती गई और आज यह पि चम अ का के कुछ इलाक म ह समट कर रह गया है । हालां क वूडू को आप
बंजार , आ दवा सय , जंगल म रहने वाल का का प नक या पछड़ का धम मानते ह, ले कन गहराई से अ ययन करने पर पता
चलता है क वूडू क परं परा आज के आधु नक धम म भी यू लुक के साथ मौजद
ू है । भारत म तां क और शा त का धम कुछ-कुछ
ऐसा ह माना जा सकता है । या चच म भूत भगाने के उप म नह ं कए जाते? मं दर म भूत - ेत का नवारण नह ं होता ,तां क म
आ दम म का योग और आ दम प तय का योग नह ं होता |यह सब ाचीन इ ह पर पराओं से थान वशेष के साथ थोडा
थोडा बदलते हुए सद
ू ूर े तक जाकर अलग प ले लेता है |
वुडू क मु य वशेषता इसम इ तेमाल होने वाले जानवर के शर र के ह से व पुतले ह | इसम जानवर के अंग से सम या समाधान
का दावा कया जाता है । इस जादू से पूवज क आ मा कसी शर र म बुलाकर भी अपना काम करवा सकते ह। इसके अलावा दूर बैठे
इंसान के रोग व परे शानी के इलाज के लए पुतले का भी उपयोग कया जाता है । वू डू जानने वाल का मानना है क इस धरती पर
मौजद
ू हर जीव शि त से प रपूण है । इस लए उनक ऊजा का उपयोग करके बीमा रय को ठ क कया जा सकता है । काला जादू के
वशेष के अनुसार यह वो ऊजा (शि त) है िजसका इ तेमान नह ं होता।भारतीय वै दक परं परा और तं शा दोन म पुतल
नमाण क अवधारणा रह है और इसका भ न प म उपयोग भी वै दक काल से ह रहा है जब क वै दक काल लाख वष पूव का
माना जाता है ,य य प या और पदाथ भ न हो जाते ह |ए शया क आ दम जनजा तय म यह या अलग प म पाने जाती है
और अलग धम म अलग प म |इसे यहाँ वुडू क तरह धम का प तो नह ं ा त क तु इसका योग हमेशा से होता आया है |जैसे
कसी खोये यि त के न मलने पर उसे मत
ृ क मान उसका पुतला बनाकर आ वान कर उसका शव दाह करना |पूजन म व भ न
खा य व तुओं से व भ न जंतु अथवा शर र क आकृ त का नमाण कर व वध उपयोग करना | मटट के पुतले आ द का नमाण कर
उसपर व भ न याएं करना ,धातु के पुतल का उपयोग आ द |यह वै दक और पुरातन काल से हो रहा अथात वुडू से भी ाचीन
व या यह हमारे सं कृ त म ह |[Tantra Marg लॉग के लए ल खत लेख - मशः ]
वुडू को लोग काला जादू मानते ह ,पुतल व या को लोग काला जादू मानते ह जब क ऐसा बलकुल भी नह ं है |दोन म ह मू ल
अवधारणा लोग क भलाई ह थी क तु िजस कार तं का उपयोग वाथ हे तु करने से वह दु पयोग हो गया वैसा ह वुडू के साथ हुआ
और हर कार क ऐसी याओं के साथ हुआ |कारण यह क यह व या ऊजा उपयोग और ऊजा ेपण क है िजसको इ छानु सार
योग कया जाता है |जब यह इ छा वाथ हो तो द ु पयोग हो जाती है और जब यह इ छा लोगो क भलाई क हो तो सद ुपयोग हो
जाती है |वा तव म वुडू ,पुतल नमाण अथवा ऐसी सम त व याएँ तं व ान के अंतगत आती ह िजनका अपना नि चत व ान
होता है जो आज के व ान से भी बहुत आगे ह |यह एक बहुत ह दल
ु भ या है िजसे बहुत ह वशेष प रि थ तय म अंजाम दया
जाता है । इसे करने के लए उ च तर क वशेष ता क ज रत होती है ।कु छ ह लोग इसे करने म स म होते ह। इस या म
गु ड़या जैसी मू त का इ तेमाल होगा है । यह गु ड़या कई तरह क खाने क चीज जैसे बेसन, उड़द के आटे ,कपडे ,धातु ,लकड़ी ,बाल
,वन प त ,पौधे अथवा उनके अवयव आ द से बनाया जाता है ,जैसी े वशेष अथवा समुदाय वशेष क परं परा हो अथवा जैसी
ज रत हो । इसम वशेष मं से जान डाल जाती है । उसके बाद िजस यि त पर जादू करना होता है उसका नाम लेकर पुतले को
जागत
ृ कया जाता है । इस या को सीखने के लए यि त को वशेष ाथना और पूजा पाठ करनी पड़ती है । कड़ी तप या के बाद ह
यह स ा त होती है |
काला जादू हो या सफ़ेद जादू अथवा कोई भी यि त वशेष पर आधा रत तां क या यह और कुछ नह ं बस एक सं गृ हत ऊजा है ।
जो एक थान से दस
ू रे थान तक भेजा जाता है या कह एक इं सान के वारा दस
ू रे इंसान पर भेजा जाता है। व ान क भाषा म ऊजा
को न तो बनाया जा सकता है , न ख म कया जा सकता है , उसे सफ एक प से दूसरे प म बदला जा सकता है । य द ऊजा का
सकारा मक इ तेमाल है , तो नकारा मक इ तेमाल भी है । ऊजा सफ ऊजा होती है , वह न तो पॉजी टव होती है , न नेगे टव। आप
उससे कुछ भी कर सकते ह।वुडू अथवा पुतल व या यि त वशेष अथवा कसी एक मू ल यि त पर ह मू ल प से आधा रत व या
है जब क भारतीय मूल तं आ द बहु आयामी योग पर आधा रत ह |वुडू आ द जैसी व याओं म थानीय म , थानीय व तुओं
का उपयोग होता है जैसे हमारे यहाँ मूलतः यि त आधा रत ामीण याओं म शाबर म का उपयोग होता है |ऐसा ह हर जाती
,जनजा त ,धम , े म होता है और इसम मु य शि त भी थानीय दे वता ह होता है | पुतले से कसी इंसान को तकल फ पहुंचाना
इस जादू का उ े य नह ं है । इसे भगवान शव ने अपने भ त को दया था भा रय परं परा और तं म ,जब क अ य जगह इसे वहां का
थानीय दे वता अपने लोग क भलाई के लए दया अथवा बताया होता है । पुराने समय म इस तरह का पुतला बनाकर उस पर योग
सफ कह ं दरू बैठे रोगी के उपचार व परे शा नयां द रू करने के लए कया जाता था। कुछ समय तक ऐसा करने पर तकल फ ख म हो
जाती थी। मगर समय के साथ-साथ इसका द ु पयोग होने लगा।वुडू म भी यह पर परा रह और हर कार के पुतला नमाण म भी
|वै दक पुतला नमाण बलकुल अलग या थी िजसमे इसे मुि त और मो तक जोड़ा गया है |
कुछ वाथ लोग ने इस ाचीन वधा को समाज के सामने गलत प म था पत कया। तभी से इसे काला जादू नाम दया जाने
लगा। दरअसल, उ ह ने अपनी ऊजा का उपयोग समाज को नुकसान पहुंचाने के लए कया। गौरतलब है िजस तरह जादू क सहायता
से सकारा मक या धना मक ऊजा पहुंचाकर कसी के रोग व परे शानी को दरू कया जा सकता है । ठ क उसी तरह सुई के मा यम से
कसी तक अपनी नकारा मक ऊजा पहुंचाकर। उसे तकल फ भी द जा सकती है । जब यह कसी को क ट दे ती है अथवा हा न
प हुचाती है तब यह काला जादू कहलाती है ,और जब लाभ पहुचाती है तो सफ़ेद जादू ,य य प यह दोन ह नाम बस म ह ,जादू कोई
भी न काला होता है न सफ़ेद |यह तो बस ऊजा का उपयोग और उसका एक थान से दुसरे थान तक थाना तरण और व प
प रवतन मा है |सद ुपयोग -द ु पयोग दोन उसी या से हो सकता है जो करता क इ छा पर नभर करता है |..........[ मशः
][[अगला अंक -पुतल व या अथवा वुडू कैसे काय करता है ]]...............................................................हर -हर महादे व
शर र क कमजोर ,च कर आना,B P हाई या low होना ::
°°°°°°°°°°°°°’°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
★ दमाग म Blood पया त मा ा म न पहुंचने पाने पर या फर लड ेशर कम या अ धक हो जाने पर च कर आने लगते है , िजसे
vertigo कहते है च कर आने के कारण शर र म खून क कमी, कान म सं मण होना, माई ेन, धूप म रहना, आंख क सम या,
गम , सर क ताजा चोट, दय के रोग, अ धक संभोग करना, अबुद, खून म कैि शयम का तर बगड जाना और म हलओं म मा सक
धम क खराबी हो जाना ये आम बात हो गई है ।
इसके लए ये उपाय करे ::
★ 10 ाम गेहूं,
★ 5 ाम पो तदाना,
★ 7 बादाम,
★ 7क ू के बीज
---इन सबको लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पे ट बनाल। अब कढाई म थोडा सा गाय का घी गरम कर और इसम 2-3 ल ग
पीसकर डाल द। अब बनाया हुआ पे ट इसम डालकर एक मनट आंच द। इस म ण को एक गलास दध
ू म घोलकर पय। च कर आने
म असरदार वा द ट नु खा है ।
★ हमेशा करे ,,
परहेज करे ::
पूणस य---सोयाबीन सूअर का आहार है मनु य के खाने लायक नह ं है ! भारत म अ न क कमी नह ं है , इसे सूअर आसानी से पचा
सकता है , मनु य नह ! िजन दे श म 8 -9 मह ने ठ ड रहती है वहां सोयाबीन जैसे आहार चलते है ।
पूणस य---बुढ़ ापे म मि त क, आँत और सं धय (joints) म खापन आने लगता है , इस लए घी खाना बहुत ज र होता है !और
भारत म घी का अथ दे शी गाय के घी से ह होता है ।
पूणस य---(ष यं चार ) ता क लोग घी खाना बंद कर द और अ धक से अ धक गाय मांस क मं डय तक पहुंचे, जो यि त पहले
पतला हो और बाद म मोटा हो जाये वह घी खाने से पतला हो जाता है
पूणस य---डेयर उ योग -मांस उ योग है ! यंहा बछड़ो और बैल को, कमजोर और बीमार गाय को, और दूध दे ना बंद करने पर व थ
गाय को क लखान म भेज दया जाता है ! द ध
ू डेय र का गौण उ पाद है ।
पूणस य--- आयोडाइज नमक का कोई इ तहास नह ं है , ये पि चम का कंपनी ष यं है आयडाइज आयोडीन नह ं पोटे शयम आयोडेट
होता है जो भोजन पकाने पर गम करते समय उड़ जाता है वदे शी जागरण मंच के वरोध के फल व प
सन ्2000 म भाजपा सरकार ने ये तब ध हटा लया था, ले कन कां ेस ने स ता म आते ह इसे फर से लगा दया ता क लूट तं
चलता रहे और वदे शी क प नयाँ पनपती रहे ।
पूणस य--- श कर (चीनी ) का कारखाना इस नाम क आड़ म चलने वाला शराब का कारखाना श कर इसका गौण उ पाद है ।
पूणस य--- रासाय नक या के कारण कारखान म बनी सफ़ेद श कर(चीनी) जहर है ! प परागत श कर एकदम सफ़ेद नह ं होती
! थोडा ह का भूरा रं ग लए होती है !
पूणस य--- ज म आहार ताज़ा दखता है पर होता नह ं है जब ज का अ व कार नह ं हुआ था तो इतनी दे र रखे हुए खाने को बासा
/ सडा हुआ खाना कहते थे ।
अधस य---एलोपैथी वा य व ान है !
पूणस य--- दवाई कंप नय ने बहुत तर क क है ! एलोपैथी म मूल दवाइयां 480-520 है जब क बाज़ार म 1 लाख से अ धक दवाइयां
बक रह है ।
पूणस य--- शर र म बै ट रया वायरस के लायक वातावरण तैय ार होने पर रोग होते ह !
पूणस य--- माक टंग का नह ं ठगी का वकास हो गया है ! माल गुणव ता के आधार पर नह ं व भ न लोभन व जुए के वारा बेचा
जाता है !
जैसे म गोरा बनाती है !भाई कोई भस को गोरा बना के दखाओ !
पूणस य--- टू थपे ट करने वाले यूरोप म हर तीन म से एक के दांत ख़राब ह दं तमंजन करने से दांत साफ होते ह मंजन -मांजना, या
बतन श से साफ होते ह ? मसूड़ क मा लश करने से दांत क जड़ मजबूत भी होती ह !
पूणस य--- साबुन म ि थत के मकल (काि टक सोडा, एस. एल. एस.) और चब वचा को नुकसान पहुंचाते ह, और डा टर इसी लए
चम रोग होने पर साबुन लगाने से मना करते ह ! साबुन म गौ क चब पाए जाने पर वरोध होने से पहले हंद ु तान ल वर हर साबुन म
गाय क चब का उपयोग करती थी।
अब समझ आया क हमार माँ अ सर ध नये क चटनी य बनाती थी और हम आज उनको old fashion कहते ह।
अि न शि त मु ा :: सर दद -माइ ेन हटाये
=============================
दोन हाथ के अंगूठे को बाहर कर अंगू लय क मु ी बना ल। दोन हाथ के अं गूठे के शीष आपस म मला ल। हथे लयाँ नीचे क ओर रख।
अि न शि त मु ा 15 से 45 मनट तक लगाई जा सकती है ।
लाभ :
अि न शि त मु ा सर दद व माई ेन म लाभदायक है।
अि न शि त मु ा न न र त चाप से जुड़ी सभी सम याओं के लए लाभकार है। ............................................................हर हर कह ं
आपक उ न त रोक तो नह ं जा रह
============================
आप यथासंभ व पूर मेहनत करते ह ,पूर यो यता है आपम क आप अ छ ि थ त म पहच
ुं ,आप अ छ बु , मता रखते ह फर भी आप उ न त नह ं कर
पा रहे |आप अ छे प ृ ठभू म से ह पर आप उसे भी बरकरार नह ं रख पा रहे |जो बाप-दादाओं ने बनाया उसे भी नह ं संभल पा रहे ,जब क आपम सार मताएं
ू न न ि थ त म जीने को ववश ह ,जब क आपके आसपास अथवा प रवार म ह कोई
और यो यताएं ह |आप अ छ श ा , मता ,यो यता के बावजद
अ य लगातार उ न त करता जा रहा ,हर तरफ वकास करता जा रहा |अनाव यक कभी रोग तो कभी हा न ,कभी कलह तो कभी लड़ाई झगड़े ,कभी कज तो
कभी दघ
ु टनाएं ,कभी ब च क सम याएं तो कभी माता - पता क ,कभी नौकर म सम या तो कभी यवसाय म ,कभी पा रवा रक ववाद /मतभेद तो कभी
मक
ु दमे लगातार कुछ न कुछ लगा ह रहता है ,जब क आप य द एका हो कर कसी भी े म जुट जाएँ तो आप सफल हो जायगे ,पर आप एका हो ह
नह ं पा रहे ,पूरा समय ल य पर दे ह नह ं पा रहे |इन सबके पीछे कुछ नकारा मक ऊजा का भाव हो सकता है |आप माने या न माने पर ऐसा होता है |
यह नकारा मक ऊजा ह दोष के कारण हो सकती है |वा तु दोष के कारण हो सकती है | थान अथवा भू म दोष के कारण हो सकती है |आपके यहाँ प दोष
के कारण हो सकती है |आपके कुलदेवता /दे वी क असंतुि ट के कारण हो सकती है |कह ं से आये भत
ू - ेत - म -िज न के कारण हो सकती है | कसी के
वारा भेजे गए भत
ू - ेत के कारण हो सकती है | कसी के वारा आपके व कसी तां क से अ भचार कराने के कारण हो सकती है |आपके कसी नजद क
वारा समय समय पर आपके व टोटके कये जाने के कारण हो सकती है |आपके यावसा यक त वंद अथवा द ु मन या वरोधी वारा आपके व
अ भचार कराने के कारण हो सकती है |नौकर के कसी सहकम अथवा कसी प र चत वारा आपक उ न त न दे ख पाने से कोई या कराने के कारण हो
सकती है |
इन नकारा मक या द ू षत भाव के कारण ,आपक उ न त क जाती है ,आपका पतन होने लगता है | वभाव म खराबी आ जाती है | यवहार व ् बताब
बगड़ने लगता है |समय पर काय म बाधा आती है |आपके नणय गलत होने लगते ह |आल य और माद घेरने लगता है | नराशा और ड ेसन होने लगता
है |कभी वभाव म उ ता आती है कभी ह न भावना , ोभ और वत ृ णा रहती है |बुरे व न आ सकते ह |अशुभ ल ण दख सकते ह |रात म या सन
ु सान म
भय सा महसस
ू हो सकता है |कभी ऐसा लग सकता है क कमरे म आपके अ त र त भी कोई है क तु आपको द खता नह ं |कभी सोते समय कोई आपके
ऊपर आ सकता है |लग सकता है क कोई आपको दबा रहा है |कभी कोई अ य शि त आपसे यौनाचार भी कर सकती है ,यह शि त अलग अलग चेहरे भी
दखा सकती है या चेहरा वह न भी हो सकती है |कभी अचानक आग लग सकती है जब क कोई कारण न समझ आये |बार बार घर प रवार अथवा खुद पर
बीमार आ सकती है |घर या कमरे से दग
ु ध महसस
ू हो सकती है |कभी अ य सी आँख दख सकती ह |सीलन भरा वातावरण बन सकता है |घर म
ु दमे , ववाद श ु हो सकते ह | बना कारण नौकर जा सकती है | बना
अनायास कलह हो सकता है ,बे वजह मारपीट क नौबत आ सकती है | बना मतलब मक
कारण यवसाय म हा न हो सकती है |पूर हनत के बाद भी यवसाय दन पर दन कम हो सकता है |सारे यास के बाद भी नौकर नह ं लग रह या
उपयु त नह ं मल रह |अगर ऐसा कुछ है तो आप नकारा मक उजा से भा वत हो रहे ह |[ alaukikshaktiya,com के लए ल खत लेख ]
अगर आपके घर म घस
ु ते समय आपका सर भार हो जाए अथवा आपके काय यवसाय क जगह पहुचते ह सर भार हो जाए अथवा दोन जगह सर भार हो
|अनायास अश ुभ ल ण बार बार दखे |कभी कभी कंकत य वमूढ़ सी ि थ त हो अथवा कभी लगे क दमाग वचारश ू य हो गया है या सोचने समझने क
मता कम हो जाए |कह ं ठ क से मन न लगे |तनाव और मान सक भार पन महसस
ू हो |सर गम रहे |अनजाना सा भय महसस
ू हो |पसीने से बदबू बढ़ जाए
ु पर से ह व वास कम हो जाए |प रवार म साड़ी यव था होने पर भी शां त न हो
|बे वजह वचा रोग आ द बार बार हो |अचानक हा न हो |झगड़े हो जाएँ |खद
अथवा कलह का वातावरण हो |बे वजह कमजोर महसस
ू हो |कुछ करने का मन न करे |आल य हो पर नींद भी ठ क से न आये |अ न ा अथवा अ त य तता
ू ा -पाठ का मन न करे तो आप नकारा मक ऊजा से भा वत हो सकते ह और इनके वारा आपक उ न त रोक जा रह है |
हो |साफ़ -सफाई ,पज
इस कार क नकारा मक उजाओं का भाव टोटक से नह ं समा त कया जा सकता |इस तरह क सम याओं को सोसल मी डया और टोटक /उपाय क
कताब से पढ़कर अथवा नीम हक म यो तषी -तां क से सन
ु कर करके नह ं हटाया जा सकता , यो क इ ह तो खद
ु इनक तक नक ,समय ,मह
ु ू त ,पण
ू
या ,इसके व ानं ,उजाओं क समझ नह ं होती न जानकार होती है |यह खुद यहाँ वहां लखे अथवा पो ट कये हुए उपाय अथवा टोटके उठाकर बता दे ते ह
|कैसे ,कब ,कहाँ , कस तरह और य कये जा रहे उपाय अथवा टोटके जानकार नह ं होती ,इनके पीछे या व ान काय करता है ,कैसे ऊजा समीकरण
बनते और बनाये जाते ह इ ह खद
ु नह ं पता |इसी लए लाख लोग ऐसे उपाय ,टोटके करके कोई लाभ नह ं पाते और इनका व वास यो तष और तं से उठ
जाता है ,इ ह लगता है सब ठग ह और केवल यह सब ठग व या है |वा तव म यहाँ बस वा त वक पकड़ क बात होती है |तलवार क जहाँ ज रत है वहां सई
ु
चभ
ु ोने से काम नह ं होता अ पतु नकारा मक ऊजा और उ हो अ धक न ु सान करती है | कसी को छे ड़कर अथवा लाठ मार के छोड़ द िजये तो वह और उ
हो त या करता है |ऐसा ह कुछ नकारा मक उजा के साथ होता है | यो तषीय उपाय भी अगर पण
ू और भावी नह ं कये जाएँ तो कोई भाव नह ं दे पाते
|टोटके केवल सामा य प रि थ त म ह भाव डालते ह |नकारा मक ऊजा अगर शि तशाल हुई तो टोटक पर उलट ह त या सामने आती है |यह सब
कारण है क यहाँ वहां से लोग उपाय जानकर करते रहते ह और परेशान के परेश ान ह रहते ह |
नकारा मक ऊजा पर साि वक और सौ य शि तय का बहुत भाव नह ं पड़ता |हाँ यह घर और यि त पर सकारा मक ऊजा बढ़ा ज र देती ह िजससे
नकारा मकता क मा ा का बैलस ज र कम हो जाता है पर वह न समा त होती है न कम होती है |जो अ छे या शभ
ु प रणाम द खते ह वह सकारा मकता
बढने के कारण होते ह |नकारा मक ऊजा तो यथावत बनी ह रहती है और गाहे बगाहे अपना असर दखाती ह रहती है |
नकारा मक उजाओं को हटाने के लए उ शि तय का ह सहारा लेना पड़ता है |इसी लए तां क और उ महा व याओं ,भैरव आ द के साधक इन काय म
ु ी ,तारा ,धम
अ धक सफल होते ह |नकारा मकता हटाने के लए उ महाशि तय यथा काल ,बगलामख ू ावती ,हनम
ु ान ,काल भैरव ,न ृ स ंह ,दग
ु ा
, छ नमि तका , आ द क साधना -उपासना और हवन अ धक भावी होते ह |इन नकारा मक शि तय से कसी भी तरह भा वत य तय को
उपरो त उ शि तय के य ,कवच म धारण करने चा हए और इन शि तय क ह उपासना करनी चा हए | प ट छाया या वाय य बाधाओं से त
यि तय को खुद उपाय न करके कवच धारण करना चा हए और कसी अ छे तां क या महा व या साधक से संपक करना चा हए |
इस तरह क नकारा मक ऊजा के भाव म यं गरा , वपर त यं गरा ,बगला यं गरा ,बजरं ग बाण ,काल सह नाम ,बगला सह नाम ,सद
ु शन
कवच ,दे वी कवच ,बगला -काल -घम
ू ावती कवच ,गाय ी हवन आ द के लाभदायक भाव पड़ते ह |घर म काश क उपयु त यव था के साथ सीलन
,ग दगी पर वशेष यान दे ना चा हए |गग ु -कपरू -लोबान आ द जलाने चा हये | यवसाय थल पर उ शि तय के ाण
ु ल ति ठत -अ भमं त यं
लगाकर त दन धप
ु -द प करते रहने चा हए |खुद भी इ ह अ छे और स बं धत शि त के ह साधक से बनवाकर धारण करना चा हए | कसी अ छे
जानकार से ह परामश करना चा हए और उसके बताये माग का ह अनस
ु रण करना चा हए |यहाँ वहां से उपाय दे खकर और सन
ु कर नह ं करना चा हए
, यो क इनका अपना व ानं होता है और हर व तु ऊजा व प है ,िजसका उपयोग उ चत ढं ग से न होने पर या तो लाभ होगा नह ं अथवा नक
ु सान भी संभ व
है |तां क उपाय म तो और भी वशेष सावधानी बरतनी चा हए | .......[ अ धक जानकार के लए हमारे वेबसाईट alaukikshaktiya,com का अवलोकन
कर और वहां पो ट लेख पढ़ ]......................................................................हर-हर महादेव
ई वर या शि त को बल
ु ाना आसान है ,पर संभालना बे हद मिु कल है
==========================================
हम रोज पज
ू ा -आराधना -साधना अनु ठान करते ह ,अपने ई ट या कामानानस
ु ार देवता को बल
ु ाने के लए |अ सर असफलता मलती है ,कभी कभी पण
ू
सफलता मल जाती है |कभी कुछ अनभ
ु व तो होता है पर वशेष उपलि ध सोचने पर दखती नह ं ,कभी कभी बहुत समय तक यथा ि थ त बनी रहती है कोई
ू नह ं होता |कभी प रवतन न दखने पर व वास भी हल जाता है क वा तव म कुछ है या नह ं ,या सब झूठ ह कहा और लखा गया है
नया प रवतन महसस
|
हम आपसे कहना चाहगे क सब स य लखा और कहा गया है ,ई वर मल सकता है ,वह आ सकता है ,उसे बुलाया जा सकता है ,पर सब कुछ मान सक
ु ू त-वातावरण सब केवल सहायक मा होते ह |म ु य भ ू मका मान सक ि थ त क होती है |ई वर मान सक
ि थ त पर नभर होता है ,मं -उपाय-कमकांड-मह
तरंग और मान सक ऊजा के आकषण से जुड़कर आता है ,अ य सभी कुछ उसक ऊजा को बढ़ाने अथवा उसे रोकने-स हत करने के मा यम होते ह
|मान सक तरं ग नि चत दशा और नि चत भाव -गण
ु म न ल त ह तो ई वर य ऊजा उससे नह ं जुड़ पाती | फर चाहे वष तक जप कये जाते रह कोई
प रणाम नह ं मलने वाला |
ई वर को बुल ाना आसान है क तु सबसे मिु कल उसके आने पर उसे संभालना ह होता है , नयं त करना और अपने से जोड़े रखना ह होता है |जब आप
कसी नि चत भाव-गण ू एका ता के साथ उसके मं का जप करते ह ,स बं धत साम ी का उपयोग करते ह तो इन सब के
ु -आकृ त के ई ट म डूबते ह ,पण
संयोग और मान सक ऊजा से उ प न तरं गो का प
े ण वातावरण म होने लगता है ,िजसके फल व प सामान कृ त क ऊजा आक षत होने लगती है और
उसका संघनन साधक के आसपास होने लगता है ,अथात वह ई वर आने को उ यत होने लगता है |अब सबसे मह वपण
ू हो जाता है क या साधक क
मान सक-शार रक ि थ त उसे सँभालने क है |
साधक बेहद भावक
ु और भी दय है ,अपनी आव यकतापत
ू के लए साधना काल क करने लगा ,काल क ऊजा का अवतरण हो गया और साधक अपने
वभावानस
ु ार डर गया या रोने लगा ,उसक ह मत जबाब दे गयी उनके भयानक ऊजा को महसस
ू करके ,अथवा उसक शार रक ि थ त कमजोर है और
वह काल क ऊजा को सहन करने लायक ह नह ं है |ऐसे म साधक क दय ग त क सकती है ,शार रक ऊजा संरचना या पावर स कट न ट हो सकता है
,मान सक संतु लन बगड़ सकता है |अथवा वह भावक
ु ता म बहने लगा ,ऐसे म काल क ऊजा उससे जुड़ ह नह ं पाएगी और पुनः बखर जायेगी , यि त
असफल हो जायेग ा |ऐसा भी होता है क य द वभाव म अ त कोमलता है और काल क उ साधना कर रहे ह तो वह शि त साधक क और आक षत ह न
ू , ताम सक भाव होना चा हए ,शार रक प से मजबत
हो |काल के लए तो उ ,मजबत ू ी रखनी चा हए , ह मत होना चा हए ,भय बलकुल नह ं होना चा हए
|
इसी कार अगर मान सक भाव का संतुलन सा धत क जाने वाल शि त से नह ं बैठता तो वह शि त आकर भी साधक से नह ं जुड़ पाती , यो क उसे अपने
अनक
ु ू ल मान सक भाव नह ं ा त होता है |िजस शि त या ई ट क साधना क जा रह हो उसके अनुकूल वातावरण के साथ ह उसके अनुकूल मान सक भाव
भी होना चा हए ,,तदनु प शार रक ि थ त और दय क ि थ त भी बनानी होती है ,तभी स बं धत शि त आकर जुड़ पाती है |अ सर साधना-अनु ठान
करने पर स बं धत काय तो हो सकता है ,पर स बं धत शि त जुडी रह जाए ज र नह ं होता |यह सामा य का य अनु ठान म होता है ,जब क यि त य द
यान दे तो यहाँ भी आने वाल शि त जुडी रह सकती है |शि त वशेष क साधना म भी अ सर स बं धत शि त नह ं जुड़ पाती साधक से फलतः असफलता
मलती है या कम सफलता मलती है |इसका भी कारण आई हुई शि त को उसक कृ त -गण
ु - वभाव के अनस
ु ार थान न दे पाना या नयं त न कर पाना
होता है |
ई ट या शि त तो साधना ार भ होते ह आक षत होने लगता है ,पर जुड़ता वह भाव और शि त के अनस
ु ार ह है |उसे आने पर संभालना और यथायो य
थान दे ना ह मिु कल होता है |यह सबसे अ धक गु क आव यकता होती है |साधना-पूजा-अनु ठान तो बहुतेरे करते ह पर सफलता बहुत कम को ह मल
पाती है , यो क उ चत प त-मागदशन और जानकार का ह अभाव होता है | दशा कोई ,शि त कोई, भाव कोई होता है |इनमे आपसी तालमेल नह ं होता
ु ूत-साम ी-कमकांड पु तक म मल जाते ह ,पर आई शि त को संभाल कैसे यह
|फलतः कहते मल जाते ह इतना कया कुछ नह ं हुआ |मं -प त-मह
पु तक नह ं बता पाते ,इसके लए यो य गु क आव यकता होती है |पु तक तो पुराने शा को खोजकर लख द जाती है ,पर लखने वाले साधक ह बहत
ु
मिु कल होता है ,साधक पु तक नह ं लखता | लखने वाला अगर साधक हुआ भी तो वषयव तु क गोपनीयता के कारण यह नह ं बता सकता क कैसे आई
ऊजा या शि त को संभाल या नयं त कर |
आज के समय म अ धकतर क असफलता का यह कारण है क ऊजा तो पु तक को पढ़कर ,मं जपकर ,अनु ठान करके बल
ु ा ल जाती है पर उसे संभ ाले
कैसे ,उसे नयं त कैसे कर ,उसे कैसे थान द अ धकतर नह ं जानते |बताने वाला नह ं मलता |जो मलते ह खुद आधे-अधरू े ान वाले वयंभ ू ानी होते ह
|फलतः आई ऊजा बखर जाती है |अनु ठान -साधना पर भी अपे त प रणाम नह ं द खता |अतः इस हेतु स गु खोजना ह सबसे पहले ज र होता है
|इसी लए गु को सवा धक मह व दया गया है साधना े म |वह बताता है क कैसे और कब कस उजा को कस कार नयं त कया जाए ,िजससे वह
आपके लए क याणकार हो सके ,आपके साथ जुड़ सके |वह बताता है क आपको कस कार क उजा क आव यकता है ,आप कसे संभल पाएंग े ,आपक
कृ त के अनुकूल कौन है | कससे आपका क याण संभव है |.[ यि तगत वचार ]...[अ धक जानकार के लए हमार वेबसाईट alaukikshaktiya com का
अवलोकन कर ]................................................................हर-हर महादेव
ती आकषण साधना
==============
आज के दौर म कौन नह ं चाहता आकषण से यु त होना । हर कोई चाहता है क जब वो बात करे तो दस
ू रे उसक बात यान से सुन ।
पर या ऐसा होता है वो भी हर कसी के साथ नह ं होता? हमारे भीतर अनंत मांड और द य शि तय का भंडार है िज हे अगर कोई
जागत
ृ कर ले तो असंभव को संभव कर सकता है । हमारे भौ तक जीवन क सफलता इस बात पर नभर करती है क हमारे अ दर
कतना आकषण है और मनु य तो या आपके अ दर इतना आकषण होना चा हए क जब भी आप कसी दे वता को य करने के
लए साधना कर तो वो दे वता बना वलंब कए त काल आपके सामने उपि थत हो जाए । कई मेरे भाई बहन ऐसा यापार करते ह
िजसम दस
ू रे लोग को अपना सामान खर दने के लए े रत करना पढ़ता है और इस काम के लये वो अथक प र म करते ह पर उनके
अ दर आकषण क कमी के कारण उनसे कोई सामान लेना पस द नह ं करता और वो लोग हमेशा घाटे म ह जीते ह । चाहे फौज म
चयन क बात हो, ेम संबंध क बात हो, प त - प नी म माधुय क या फर Interview म सफलता क अगर आपके अ दर आकषण है
तो कामयाबी झक मारकर आपके पीछे आएगी और आप िज दगी के उस मुकाम पर ह गे िजसके आप सफ सपने ह दे खा करते थे ।
॥ साधना व ध ॥
============
दन कोई भी, अव ध – 5 दन, समय- हममुहूत, आसन एवं व – सफेद या पीला, द पक – गाय के दे सी घी का, पुन: साधना करने क
अव ध – 1 साल बाद।
साधक को चा हए क सव थम नान करे और इसके बाद सफेद या पीले व धारण करे और आसन तथा बाजोट पर भी एक ह रं ग के
व बछाए । फर अपने सामने एक घी का द पक जगाए तथा गु पूजन एवं गणेश पूजन स प न करे । अब साधक को अपनी आँख
ब द करके अपना यान सह ार पे क त करना चा हए और पूरे 1 घंटे तक मन ह मन इसी अव था म न न म का जप करे ।
॥म ॥
=======
ॐ नमो चैत याय हूं
साधक को यह योग बना माला के 5 दन करना चा हए । साधना के दौरान आपको अपने अ दर कई अ ुत य दखाई दगे और
साधना के बाद साधक खुद ह अनुभव करे गा क उसके अ दर एक चंड आकषण शि त व ट हो चुक है । अगर आप सफलता के
मायने जानते ह और जीवन के हर एक े म सफल होना चाहते ह तो इस साधना को अव य स प न कर और इसे 1 साल म एक बार
ज र कर ता क आपक आकषण शि त ीण ना हो और आप सदा सुखी रह ॥
उपरो त गोर गाय ी का जाप सभी पाप से मुि त दलाने मे सव े ठ शाबर मं है । ात:काल म ा क माला से एक माला जाप
कर, गु गोर नाथ जी क एक त वीर रखकर दे शी घी का द पक जला कर जाप कर, आपके सभी ताप और पाप का नाश होता है ।
व ध :- इस म क साधना शु करने से पहले इक तीस दन पहले ह चय का पालन और साि वकता बरते फर अनु टान का ारंभ
करे ..इस साधना को घर म न करे ..ये साधना रा काल न साधना है ..इसेकृ ण प के श नवार से आरं भ करनी है ..एक कोनी काला
प थर ले कर उसे व छ पानी से धोकर उस पर स दूर और तील के तेल से लेपन कर ले ..प चात ् पान का बीड़ा, लेव,े सात लॉ ग का
जोड़ा धर. लोबान धुप और सरस के तेल का दया जल लेवे चमेल के फूल रख लेवे पूजा के समय ... फर एक ीफल क ब ल दे कर
...गु पूजन करके गणेश पूजन कर .बाबा महाकाल या न ( महादे व से मं स के लए आशीवाद मांगे ) और अनु ठान आर भ करे
..इकताल स दन तक न य इकताल स पाठ इस मं क करे .....हर रॊज जप समाि त पर एक वशेष साम ी से हवंन करले ये हवंन
रोज म समाि त के बाद करना है . .( साम ी है कपूर केशर लवंग )
थम दन और अं तम दन भोग के लए ..उड़द के पकोड़े और बेसन के ल डू भोग म रख लेवे ..द ध
ू और थोडा सा गुड भी रख लेवे
..इनका शाद गर बो म बाट दे वे ....सातवे दन से ह आपको अनुभव होने लगेगा क आप के सामने कोई खड़ा है .....भैरवजी का प
डरावना है इस लए सावधान ..क जोर दल वाले इस साधना को न करे ..अं तम दन भैरवजी गट हो जायगे ...उनसे फर आप मनचाहा
.वर मांगले
|| काल प च वाण ||
थम वाण
------------
ॐ नमः काल कंकाल महाकाल
मुख सु दर िजए याल
चार वीर भैर चौरासी
बीततो पुजू पान ऐ मठाई
अब बोलो काल क दह
ु ाई !
वतीय वाण
---------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
मुख सु दर िजए वाला वीर वीर
भै चौरासी बता तो पुजू पान मठाई !
अब बोलो काल क दह
ु ाई !
ततृ ीय वाण
-------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
सकल संद
ु र जीहा बहालो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पुजू पान मठाई
अब बोलो काल क दह
ु ाई !
चतुथ वाण
-------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
सव सुंद र िजए बहाल
चार वीर भै चौरासी
तण तो पुजू पान मठाई
अब राज बोलो काल क दुहाई !
पंच म वाण
-------------
ॐ नमः काल कंकाल महाकाल
मख सु दर िजए काल
चार वीर भै चौरासी
तब राज तो पुजू पान मठाई
अब बोलो काल क दोहाई !
|| व ध ||
इस म को स करने क कोई आव यकता नह ं है ! यह म वयं स है केवल माँ काल के सामने अगरबती जलाकर 11 बार सुबह
और 11 बार शाम को जप कर ले ! म एक दम शु है भाषा के नाम पर हेर फेर न करे !शाबर म जैसे लखे हो वैसे ह पढने पर फल
दे ते है शु करने पर न फल हो जाते है !
समय पर अपनी िज मेदा रय को पूरा करने क इ छा के कारण माता- पता व भावी वर-वधू भी चाहते है क अनुकुल समय पर ह
ववाह हो जाय. कु डल म ववाह वल ब से होने के योग होने पर ववाह क बात बार-बार यास करने पर भी कह ं बनती नह ं है . इस
कार क ि थ त होने पर शी ववाह के उपाय करने हतकार रहते है . उपाय करने से शी ववाह के माग बनते है . तथा ववाह के
माग क बाधाएं द रू होती है .
उपाय करते समय यान म रखने यो य बात (Precautions while doing Jyotish remedies)
1. कसी भी उपाय को करते समय, यि त के मन म यह वचार होना चा हए, क वह जो भी उपाय कर रहा है , वह ई वर य कृ्पा से
अव य ह शुभ फल दे गा.
1. ह द के योग से उपाय - ववाह योग लोग को शी ववाह के लये येक गु वार को नहाने वाले पानी म एक चुट क ह द
डालकर नान करना चा हए. भोजन म केसर का सेवन करने से ववाह शी होने क संभावनाएं बनती है .
2. पीला व धारण करना - ऎसे यि त को सदै व शर र पर कोई भी एक पीला व धारण करके रखना चा हए.
3. व ृ ् ो का स मान करना - उपाय करने वाले यि त को कभी भी अपने से बड व वृ ् का अपमान नह ं करना चा हए.
4. गाय को रोट दे ना - िजन यि तय को शी ववाह क कामना ह उ ह गु वार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी ह द लगाकर
खलाना चा हए. तथा इसके साथ ह थोडा सा गुड व चने क पील दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है .
5. शी ववाह योग - इसके अलावा शी ववाह के लये एक योग भी कया जा सकता है . यह योग शु ल प के थम गु वार
को कया जाता है . इस योग म गु वार क शाम को पांच कार क मठाई, हर ईलायची का जोडा तथा शु घी के द पक के साथ जल
अ पत करना चा हये. यह योग लगातार तीन गु वार को करना चा हए.
6. केले के व ृ ् क पूजा - गु वार को केले के वृ ् के सामने गु के 108 नाम का उ चारण करने के साथ शु घी का द पक जलाना
चा हए. अथा जल भी अ पत करना चा हए.
7. सूखे ना रयल से उपाय - एक अ य उपाय के प म सोमवार क रा के 12 बजे के बाद कुछ भी हण नह ं कया जाता, इस उपाय
के लये जल भी हण नह ं कया जाता. इस उपाय को करने के लये अगले दन मंगलवार को ात: सू य दय काल म एक सू खा
ना रयल ल, सूखे ना रयल म चाकू क सहायता से एक इंच ल बा छे द कया जाता है . अब इस छे द म 300 ाम बूरा (चीनी पाऊडर)
तथा 11 पये का पंचमेवा मलाकर ना रयल को भर दया जाता है . यह काय करने के बाद इस ना रयल को पीपल के पेड के नीचे
ग डा करके दबा दे ना. इसके बाद ग डे को म ी से भर दे ना है . तथा कोई प थर भी उसके ऊपर रख दे ना चा हए. यह या लगातार 7
मंगलवार करने से यि त को लाभ ा त होता है . यह यान रखना है क सोमवार क रात 12 बजे के बाद कुछ भी हण नह ं करना
है .
8. मांग लक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga) - अगर कसी का ववाह कु डल के मांग लक योग के कारण नह ं हो
पा रहा है , तो ऎसे यि त को मंगल वार के दन चि डका तो का पाठ मंगलवार के दन तथा श नवार के दन सु दर का ड का पाठ
करना चा हए. इससे भी ववाह के माग क बाधाओं म कमी होती है .
9. छुआरे सरहाने रख कर सोना - यह उपाय उन यि तय को करना चा हए. िजन यि तय क ववाह क आयु हो चुक है . पर तु
ववाह संप न होने म बाधा आ रह है . इस उपाय को करने के लये शु वार क रा म आठ छुआरे जल म उबाल कर जल के साथ ह
अपने सोने वाले थान पर सरहाने रख कर सोय तथा श नवार को ात: नान करने के बाद कसी भी बहते जल म इ ह वा हत कर
द.
कुछ ह के अशुभ भाव के कारण क या के ववाह म वलंब हो तो इस कार के उपाय वयं क या वारा करवाने से ववाह बाधाएं
दरू होती है –
का याय न महामाये महायो ग यधी व र नंद गोपसुतं दे वप तं म कु ने नम: । माँ का याय न दे वी या पावती देवी के फोटो को
सामने रखकर जो क या पूजन कर इस का याय न मं क 1 माला का जाप त दन करती है , उस क या क ववाह बधा शी दरू
होती है ।
य द क या क शाद म कोई कावट आ रह हो तो पूजा वाले 5 ना रयल ल ! भगवान शव क मूत या फोटो के आगे रख कर “ऊं ीं
वर दाय ी नामः” मं का पांच माला जाप कर फर वो पांच ना रयल शव जी के मं दर म चढा द ! ववाह क बाधाय अपने आप द ूर
होती जांयगी !
येक सोमवार को क या सुबह नहा-धोकर शव लंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू मले जल को चढाये और वह ं
मं दर म बैठ कर ा क माला से इसी मं का एक माला जप करे ! ववाह क स भावना शी बनती नज़र आयेगी
रोजगार ाि त साधना
==============
य क जीवन के लए उ तम होना ज र है ले कन यि त क का ब लयत होने पर भी अपने काय े म उसको यो य पद नह ं मल
पाता है , कई कार क बाधाएं आती ह, कह ं यो य जगह मलती है तो वेतन नह ं मलता । इस साधना का मु य उ े य है क उ ह
यथा-यो य काम मले जो क भ व य म उनक ग त के लए एक आधार तंभ बने । इस साधना से काम मलने म आने वाल
सम त अड़चन द रू होती ह, इस साधना से नौकर से संबं धत सम त यवधान सम या दरू होती ह ।
इस साधना से 110 पसट आपको सफलता मल सकती है अगर यह व ध वधान से क जाती है तो।
हम मं दे रहे है इस मं क पांच माला रात को 10:00 बजे के बाद 21 दन तक करनी है संक प के साथ ।
इन साधना म रा म भोजन करने से पहले थोड़ा खाने का पदाथ गाय को खलाना चा हए ऐसा करने के बाद ह भोजन कर अगर यह
संभव नह ं हो तो रा म भोजन ना कर इस साधना को संप न करने के बाद माला को वसिजत नह ं करना चा हए तथा माला को गले म
धारण रखना चा हए।
मँ :--
।।ॐ सोमाबती भगवती बरकत दे ह उ तीण सव बाधा तंभय र शीणी इ छा पू त कु कु कु सव व यं कु कु कु हूं तोशीणी
नमः।।
आपक मनोकामना पूण हो इस आशा के साथ हमने आपको इस मं का जाप बताया है , बताई हुई व ध के साथ पूण करने पर
आशातीत फल ा त होता है इसमे कोई संदे ह नह ं है ।
व ध : 40 दन तक 108 बार त दन जाप कर – योग के समय पढ़कर 3 बार ज़ोर से ताल बजाए । जहां तक ताल क आवाज
जाएगी, दु मन का कोई वार या भूत- ेत असर नह ं करे गा ।
इस मं का जाप कोई भी कर सकता है 40 दन मं जपने क जगह न बदले एक ह थान न चय करे और लगातार 40 दन करना है
बीच मे कावट न डाले । उपरो त मं के कए लाल मूंगा या ा क माला का योग कर ।
1. अक मात घर क चलती हुई घ ड़यां बंद हो जाएं तो समझ ल िजए क आपके बनते हुए काम बगड़ सकते ह।
2. घर क छत पर च ड़या कबूतर आ द प ी मरे हुए मल तो समझ ल िजए क आपके ब च क त बयत बगड़ सकती है ।
3. घर क द वार पर अगर सीलन आने लगे तो समझ ल िजए क आपके मन क शां त छ नने वाल है ।
4. घर म पड़े हुए नमक न पदाथ म अगर चीं टयां पड़ जाएं तो समझ ल िजए क आपके यवसाय या नौकर म द कत आने वाल है।
6. तेल के जार म से तेल गर फश पर पानी क तरह बह जाए तो समझ ल िजए क लाभ के रा ते क जाएं गे।
8. घर म लगा हुआ तुलसी का पौधा जल जाए अथवा अकारण सूख जाए तो ये संकेत ह क कुछ अशुभ होगा।
9. द ध
ू बार-बार उफान करके बहे तो समझ ल िजए के कोई बहुत यादा बीमार पड़ने वाला है ।
10. घर म शाद शुद ा बहन, बेट , बुआ, साल , मौसी अगर बन बुलाए ठहरने हेतु आ जाए तो समझ ल िजए के दभ
ु ा य द तक दे रहा है ।
11. सरकार कागज़ात जैसे क वल, रिज म द मक लग जाए अथवा गुम हो तो सरकार वारा दं डत होने के संकेत ह।
12. बार-बार कपड़ का जलना अथवा फट जाना आपक सामािजक बदनामी और फ़ज़ीहत क ओर संकेत दे ता है ।
13. कांच अथवा चीनी- म ी के बतन म दरार आना हॉि पटल के बल बढ़ने के संकेत दे ता है ।
शाबर म
=======
|| ॐ नमो आदे श गु को शयाम बरत शयाम गु पवत म बड़ बड़ म कुआ कुआ म तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़
सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमंत मार करे गा भसमंत फुरो म इ वरो वाचा ||
शाबर म
=======
||ॐ अ गाल बंग ाल अताल पताल गद मद आदर ददार फट फट उ कट ॐ हुं हुं ठा ठा ||
आधा सर दद
---------------
आधा सर दद और माई ेन एक बहुत बड़ी सम या है । उसके लए एक मह वपूण म दे रहे है । इसे भी हण काल, द पावल आ द पर
उपर वाले तर के से स कर ल। योग के व त एक छोट नमक क डल ले कर उस पर ७ बार म पढ़ और पानी म घोल कर माथे पर
लगा द, आधे सर क दद फ़ौरन बंद हो जाएगी।
शाबर म
========
|| को करता कुडू करता बाट का घाट का हांक दे ता पवन बंदना योगीराज अचल सचल ||
दाड दद का एक मह व पूण मं
-----------------------------------
दाड दद िजसे हो वह जानता है । कई बार तो दाड नकालने क नौबत आ जाती है । इस दद से नजात पाने का एक बहुत ह मह वपूण
म दे रहे है । इसे सूय हण, द पावल आ द म १०८ बार जप कर स कर ल। योग के व त नीम क डाल से झाडा कर द।
शाबर म
========
|| ॐ नमो आदे श गु को वन म वहाई अंजनी िजस जाया हनुमंत क ड़ा मकोड़ा माकडा यह तीनो भसमंत गु क शि त मेर भगती
फुरो मं इ वरो वाचा ||
यह सभी साधनाएं योग अजमाए हुए ह। एक बार स कर लेने से जब चाहे काम ले सकते ह। जप से पहले अगर आप एक माला अपने
गु म का जाप करके स करे तो इसका भाव दग
ु ना हो जाता है ।
आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से ज और थ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जड़
ु े रहे और दस
ू र को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
जानकार आपको हमारे ज रये मलेगी।
कृपया इस जानकार को यादा से यादा शेयर कर ता क यादा से यादा लोग इसका लाभ उठा सके । ऐसी बहुत से मह वपूण
जानकार के लए हमसे जुड़े रहे और नीचे द हुई लंक पर ि लक करके लाभ उठाए ।
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(नीचे वाल लंक मे केवल द त नाथ जी ह जुड़ सकते है )
ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।
योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा
यापार वृ योग - 2
===============
-: मं :-
वधी :- उपरो त म स कंु िजका तो म से ह । कुछ शु गुलाब म से बनी अगरब ती लेकर उपरो त म 108 बार जप कर
अगरब ती अ भमं त कर ल िजए । उसके बाद उन अगरब ती म से 5 अगरब ती लेकर व लत करे । उसके बाद अपने पुरे यवसाय
थल म एंट लोक वाइस (घडी क उलट दशा म) घुमाले और एक जगह लगादे और फर दे खे आपका यापार कैसे नह ं चलता । यह
योग पूण ामा णक एवं कई बार प र ीत ह । माँ भगवती ने चाहा तो आप यापार को लेकर ज द ह चंता मु त हो जायगे !!
महाकाल का शाबर मं
----------------------------
महाकाल का शाबर मं अ यंत दल ु भ और ती भावशाल है । इस मं को पूण ा और व वास के साथ व ध पूवक जपकर स
कर लया जाये तो साधक क सभी मनोकामनाय पूण हो जाती है , और साधक सं पूण सुख, सौभा य, ऐ वय एवं धन-धा य से प रपू ण
हो जाता है । साथ ह साथ सम त कार क बाधाय भी वतः ह द रू हो जाती है ।
शाबर मं –
---------------
"सात पुनम कालका, बारह बरस वांर।
एको दे व जा नए, चौदह भुव न वार।।
व-प े नम लए, तेरह दे वन दे व।
अ टभुजी परमे वर , यारह सेव ।।
सोलह कला स पुण , तीन नयन भरपुर।
दश वार तू ह माँ, पांच बाजे नूर।।
नव- न ध ष -दशनी, पं ह त थ जान।
चार युग मे काल का कर काल क याण।।"
इस मं के वारा जन क याण तथा परोपकार भी कया जा सकता है । साधक इस मं के वारा कसी भी बाधा त यि त जैसे भूत
ेतबाधा, आ थक बाधा, नजर दोष, शार रक मान सक बाधा इ या द को आसानी से मटा सकता है ।
योग वधी:-
--------------
कसी भी होल , द पावल , नवरा , अथवा हण काल म इस योग को स करना चा हए। सव थम न न साम ीयाँ जट
ु ा ल।
महाकाल यं , महाकाल च , कनेर का पीला फूल, भटकटै या का फूल, ल ग, इलायची, 3 नंबू, स द रू , काले केवाच के 108 बीज धूप,
द प, ना रयल, अगरब ती इ याद ।
माता काल के मं दर म या कसी एका त थान म इस साधना को स कये जा सकते ह। सव थम नान आ द से नवृत होकर एक
लकड़ी के त ते पर लाल व बछाकर महाकाल च तथा यं को था पत कर त प चात घी का चैमुखा दया जलाकर गु गणेश का
यान कर गु थापन मं तथा आ मर ा मं का योग कर। फर भोजप पर न न चैतीसा यं का नमाण कर तथा महाकाल यं ,
महाकाल च स हत चतीसा यं का पंचोपचार या षोड़शोपचार से पू जन करे ।
पूजन के समय कनेर, भटकटै या के फूल को यं च पर चढ़ाय, ना रयल इलायची, पंचमेवा का भोग लगाय, फर तीन न बूओं को
काटकर स दूर का ट का लगाकर अ पत कर त प चात हाथ म एक-एक केवाच के बीज को लेकर उ त मं को पढ़ते हुए काल के च
के सामने चढ़ाते जाय इस तरह 108 बार मं जपते हुए केवाच के बीज को चढ़ाय। मं जप पुण होने पर उसी मं से 11 बार हवन कर।
एक ा हण को भोजन कराय तथा यथाशि त दान द णा द। फर इस मं का योग कसी भी इ छत काय के लये कर सकते ह।
योग नीचे लखे अनुसार कर :-
-------------------------------------
1. भत
ू - ेत बधा नवारण:- हवन के राख से कसी भी भूत- ेत त रोगी को सात बार मं पढ़ते हुए झाड़ द तथा हवन के राख का ट का
लगा द फर भोजप पर चै तसा यं को अ टगंध से लख कर तांबे के ताबीज म भर कर पहना द तो भूत ेत बाधा सदा के लए द रू हो
जाता है ।
2. श ु बाधा नवारण:- अमाव या के दन एक़ नं बू लेकर उस पर संद ुर से श ु का नाम लखकर महाकाल मं का उ चारण करते
हुये 21 बार 7 सुइयां चुभाये फर उसे मशान मे ले जाकर गाड़ द तथा उस पर शराब क धार चढ़ाय ऐसा करने से 3 दन मे श ु बाधा
समा त हो जाती है ।
3. आ थक बाधा नवारण:- महाकाल यं के सामने घी का द पक जलाकर महाकाल शाबर मं का 21 बार जाप 21 दन तक करने से
आ थक बाधा समा त हो जाता है ।
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ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।
योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा ।
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नो तर ( पुनज म वषय पर ) :-
(8) न :- ज म या होता है ?
उ तर :- जीवा मा का अपने करण ( सू म शर र ) के साथ कसी पंचभौ तक शर र म आ जाना ह ज म कहलाता है ।
(9) न :- मृ यु या होती है ?
उ तर :- जब जीवा मा का अपने पंचभौ तक थूल शर र से वयोग हो जाता है, तो उसे ह मृ यु कहा जाता है । पर तु मृ यु केवल
सथूल शर र क होती है , सू म शर र क नह ं । सू म शर र भी छूट गया तो वह मो कहलाएगा मृ यु नह ं । मृ यु केवल शर र बदलने
क या है , जैसे मनु य कपड़े बदलता है । वैसे ह आ मा शर र भी बदलता है ।
(10) न :- मृ यु होती ह य है ?
उ तर :- जैसे कसी एक व तु का नर तर योग करते रहने से उस व तु का साम य घट जाता है , और उस व तु को बदलना
आव यक हो जाता है , ठ क वैसे ह एक शर र का साम य भी घट जाता है और इि याँ नबल हो जाती ह । िजस कारण उस शर र को
बदलने क या का नाम ह मृ यु है ।
(11) न :- मृ यु न होती तो या होता ?
उ तर :- तो बहुत अ यव था होती । प ृ वी क जनसं या बहुत बढ़ जाती । और यहाँ पैर धरने का भी थान न होता ।
(21) न :- मो क अव ध कब तक होती है ?
उ तर :- मो का समय ३१ नील १० खरब ४० अरब वष है , जब तक आ मा मु त अव था म रहती है ।
(22) न :- मो क अव था म थूल शर र या सू म शर र आ मा के साथ रहता है या नह ं ?
उ तर :- नह ं मो क अव था म आ मा पूरे मा ड का च कर लगाता रहता है और ई वर के आन द म रहता है , बलकुल ठ क वैसे
ह जैसे क मछल पूरे समु म रहती है । और जीव को कसी भी शर र क आव य ता ह नह ं होती।
(38) न :- तो स क जीए ?
उ तर :- जैसा क आपको पहले बताया गया है क मृ यु केवल थूल शर र क होती है , पर सू म शर र आ मा के साथ वैसे ह आगे
चलता है , तो हर ज म के कम के सं कार उस बु म समा हत होते रहते ह । और कभी कसी ज म म वो कम अपनी वैसी ह
प रि थती पाने के बाद जा त हो जाते ह ।
इसे उदहारण से समझ :- एक बार एक छोटा सा ६ वष का बालक था, यह घटना ह रयाणा के सरसा के एक गाँव क है । िजसम उसके
माता पता उसे एक कूल म घुमाने लेकर गये िजसम उसका दा खला करवाना था और वो ब चा केवल ह रयाणवी या ह द भाषा ह
जानता था कोई तीसर भाषा वो समझ तक नह ं सकता था । ले कन हुआ कुछ यूँ था क उसे कूल क Chemistry Lab म ले जाया
गया और वहाँ जाते ह उस ब चे का मूँह लाल हो गया !! चेहरे के हावभाव बदल गये !! और उसने एकदम फराटे दार French भाषा
बोलनी शु कर द !! उसके माता पता बहुत डर गये और घबरा गये , तुरंत ह ब चे को अ पताल ले जाया गया । जहाँ पर उसक बात
सुनकर डाकटर ने एक दुभा षये का ब ध कया । जो क French और ह द जानता था , तो उस दुभा षए ने सारा वत
ृ ा त उस
बालक से पूछा तो उस बालक ने बताया क " मेरा नाम Simon Glaskey है और म French Chemist हूँ । मेर मौत मेर योगशाला
म एक हादसे के कारण ( Lab. ) म हुई थी । "
{ नोट :- यह पुनज म पर सं त लेख था, इसको व तार से जानने के लए वेद, दशन, उप नषद, स याथ काश आ द थ का
वचारपूव क वा याय कर । }
ओ३म ् तत ् सत ् ।।
Ap
हो सकता है क समयाभाव से आप पूरा नो ी न पढ सके क तु कम से कम सभी न अव य एकबार पढ ल
ध यवाद
शवजी क पूजा म यान रखने यो य बात शव पुराण के अनुसार भगवान शव को कौन सी चीज़ चढाने से मलता है या फल कसी
भी दे वी-दे वता का पूजन करते व त उनको अनेक चीज़ अ पत क जाती है । ायः भगवान को अ पत क जाने वाल हर चीज़ का फल
अलग होता है । शव पुराण म इस बात का वणन मलता है क भगवान शव को अ पत करने वाल अलग-अलग चीज़ का या फल
होता है । शव पुराण के अनुसार जा नए कौन सा अनाज भगवान शव को चढ़ाने से या फल मलता है :
• वर (बुखार) होने पर भगवान शव को जलधारा चढ़ाने से शी लाभ मलता है । सुख व संतान क वृ के लए भी जलधारा वारा
शव क पूजा उ तम बताई गई है ।
• नपुंसक यि त अगर शु घी से भगवान शव का अ भषेक करे , ा मण को भोजन कराए तथा सोमवार का त करे तो उसक
सम या का नदान संभव है।
• तेज दमाग के लए श कर म त दध
ू भगवान शव को चढ़ाएं।
• सुगं धत तेल से भगवान शव का अ भषेक करने पर समृ म वृ होती है ।
• शव लंग पर ईख (ग ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंद क ाि त होती है ।
• शव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मो दोन क ाि त होती है ।
• मधु (शहद) से भगवान शव का अ भषेक करने से राजय मा (ट .बी) रोग म आराम मलता है ।
शव पुराण के अनुसार जा नए भगवान शव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका या फल मलता है -
• लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शव का पूजन करने पर भोग व मो क ाि त होती है ।
• चमेल के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मलता है ।
• अलसी के फूल से शव का पूजन करने से मनु य भगवान व णु को य होता है ।
• शमी प (प त ) से पूजन करने पर मो ा त होता है ।
• बेला के फूल से पूजन करने पर सुंद र व सुशील प नी मलती है ।
• जूह के फूल से शव का पूजन कर तो घर म कभी अ न क कमी नह ं होती।
• कनेर के फूल से शव पूजन करने से नए व मलते ह।
• हर संगार के फूल से पूजन करने पर सुख-स प त म वृ होती है ।
• धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयो य पु दान करते ह, जो कुल का नाम रोशन करता है ।
• लाल डंठल वाला धतरू ा पूजन म शुभ माना गया है ।
ू ा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है ।
• दव
ब व वृ के बारे मे जानकार
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ॐ नमः शवाय
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ी रामच रत मानस के स ‘म ’
**************************************
नयम-
मानस के दोहे-चौपाईय को स करने का वधान यह है क कसी भी शुभ दन क रा को दस बजे के बाद अ टांग हवन के वारा
म स करना चा हये। फर िजस काय के लये म -जप क आव यकता हो, उसके लये न य जप करना चा हये। वाराणसी म
भगवान ् शंकरजी ने मानस क चौपाइय को म -शि त दान क है -इस लये वाराणसी क ओर मुख करके शंकरजी को सा ी बनाकर
ा से जप करना चा हये।
जानने क बात-
***************
िजस उ े य के लये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है , उसको स करने के लये एक दन हवन क साम ी से
उसके वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चा हये। यह हवन केवल एक दन करना है । मामूल शु म ी क वेद
बनाकर उस पर अि न रखकर उसम आहु त दे दे नी चा हये। येक आहु त म चौपाई आ द के अ त म ‘ वाहा’ बोल दे ना चा हये।
येक आहु त लगभग पौन तोले क (सब चीज मलाकर) होनी चा हये। इस हसाब से १०८ आहु त के लये एक सेर (८० तोला)
साम ी बना लेनी चा हये। कोई चीज कम- यादा हो तो कोई आपि त नह ं। प चमेवा म प ता, बादाम, कश मश ( ा ा), अखरोट
और काजू ले सकते ह। इनम से कोई चीज न मले तो उसके बदले नौजा या म ी मला सकते ह। केसर शु ४ आने भर ह डालने से
काम चल जायेगा।
हवन करते समय माला रखने क आव यकता १०८ क सं या गनने के लये है । बैठने के लये आसन ऊन का या कुश का होना
चा हये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ प व होना चा हये।
म स करने के लये य द लंकाका ड क चौपाई या दोहा हो तो उसे श नवार को हवन करके करना चा हये। दस
ू रे का ड के चौपाई-
दोहे कसी भी दन हवन करके स कये जा सकते ह।
स क हुई र ा-रे खा क चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे ह , वहाँ अपने आसन के चार ओर चौकोर रे खा जल या कोयले से खींच
लेनी चा हये। फर उस चौपाई को भी ऊपर लखे अनुसार १०८ आहु तयाँ दे कर स करना चा हये।
र ा-रे खा न भी खींची जाये तो भी आपि त नह ं है । दूसरे काम के लये दूसरा म स करना हो तो उसके लये अलग हवन करके
करना होगा।
एक दन हवन करने से वह म स हो गया। इसके बाद जब तक काय सफल न हो, तब तक उस म (चौपाई, दोहा) आ द का
त दन कम-से-कम १०८ बार ातःकाल या रा को, जब सु वधा हो, जप करते रहना चा हये।
कोई दो-तीन काय के लये दो-तीन चौपाइय का अनु ठान एक साथ करना चाह तो कर सकते ह। पर उन चौपाइय को पहले अलग-
अलग हवन करके स कर लेना चा हये।
१॰ वपि त-नाश के लये
================
“रािजव नयन धर धनु सायक। भगत बप त भंजन सुखदायक।।”
२॰ संकट-नाश के लये
===============
“ज भु द न दयालु कहावा। आर त हरन बेद जसु गावा।।
जप हं नामु जन आरत भार । मट हं कुसंकट हो हं सुखार ।।
द न दयाल ब रद ु संभार । हरहु नाथ मम संकट भार ।।”
४॰ व न शां त के लये
===============
“सकल व न याप हं न हं तेह । राम सुकृपाँ बलोक हं जेह ॥”
६॰ च ता क समाि त के लये
====================
“जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥”
९॰ वष नाश के लये
==============
“नाम भाउ जान सव नीको। कालकूट फलु द ह अमी को।।”
१६॰ ल मी ाि त के लये
=================
“िज म स रता सागर महुँ जाह । ज य प ता ह कामना नाह ं।।
त म सुख संप त बन हं बोलाएँ। धरमसील प हं जा हं सुभाएँ ।।”
१७॰ पु ाि त के लये
===============
“ ेम मगन कौस या न स दन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालच रत कर गान।।’
१८॰ स पि त क ाि त के लये
=====================
“जे सकाम नर सुन ह जे गाव ह।सुख संपि त नाना व ध पाव ह।।”
२०॰ सव-सख
ु - ाि त के लये
===================
सुन हं बमु त बरत अ बषई। लह हं भग त ग त संप त नई।।
३४॰ व या ाि त के लये
==================
गु गह
ृ ँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल व या सब आई॥
३५॰ उ सव होने के लये
================
“ सय रघुबीर बबाहु जे स ेम गाव हं सुन हं।
त ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु।।”
४५॰ भि त क ाि त के लये
===================
“भगत क पत नत हत कृपा संधु सुखधाम।
सोइ नज भग त मो ह भु दे हु दया क र राम।।”
४७॰ मो - ाि त के लये
================
“स यसंध छाँड़े सर ल छा। काल सप जनु चले सप छा।।”
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कसी भी उपाय को करने से कसी तां क वारा कए गए कोई भी अ भकम से छुटकारा मलता है ।
शाबर मं को जगाने क व ध
******************************
वापर युग म भगवान ी कृ ण क आ ा से अजन
ु ने पशुप त अ क ाि त के लए भगवान शव का तप कया! एक दन भगवान
शव एक शकार का भेष बनाकर आये और जब पूजा के बाद अजन
ु ने सुअर पर बाण चलाया तो ठ क उसी व त भगवान शव ने भी
उस सुअर को तीर मारा, दोन म वाद ववाद हो गया और शकार पी शव ने अजन
ु से कहा, मुझसे यु करो जो यु म जीत जायेगा
सुअर उसी को द या जायेगा! अजन
ु और भगवान शव म यु शु हुआ, यु दे खने के लए माँ पावती भी शकार का भेष बना वहां आ
गयी और यु दे खने लगी! तभी भगवान कृ ण ने अजुन से कहा िजसका रोज तप करते हो वह शकार के भेष म सा ात ् खड़े है !
अजन
ु ने भगवान शव के चरण म गरकर ाथना क और भगवान शव ने अजन
ु को अपना असल व प दखाया!
अजुन भगवान शव के चरण म गर पड़े और पशुप त अ के लए ाथना क ! शव ने अजुन को इि छत वर द या, उसी समय माँ
पावती ने भी अपना असल व प दखाया! जब शव और अजन
ु म यु हो रहा था तो माँ भगवती शकार का भेष बनाकर बैठ थी
और उस समय अ य शकार जो वहाँ यु दे ख रहे थे उ ह ने जो मॉस का भोजन कया वह भोजन माँ भगवती को शकार समझ कर
खाने को दया! माता ने वह भोजन हण कया इस लए जब माँ भगवती अपने असल प म आई तो उ ह ने ने भी शकार ओं से
स न होकर कहा ”हे करात ! म स न हूँ, वर मांग ो!” इसपर शकार ओं ने कहा ”हे माँ हम भाषा याकरण नह ं जानते और ना ह हम
सं कृत का ान है और ना ह हम ल बे चौड़े व ध वधान कर सकते है पर हमारे मन म भी आपक और महादे व क भि त करने क
इ छा है , इस लए य द आप स न है तो भगवान शव से हम ऐसे मं दलवा द िजये िजससे हम सरलता से आप का पूजन कर सके!
माँ भगवती क स नता दे ख और भील का भि त भाव दे ख कर आ दनाथ भगवान शव ने शाबर मं क रचना क ! यहाँ एक बात
बताना बहुत आव यक है क नाथ पंथ म भगवान शव को ”आ दनाथ” कहा जाता है और माता पावती को ”उदयनाथ” कहा जाता है !
भगवान शव जी ने यह व या भील को दान क और बाद म यह व या दादा गु म ये नाथ को मल , उ ह ने इस व या का
बहुत चार सार कया और करोड़ो शाबर मं क रचना क ! उनके बाद गु गोरखनाथ जी ने इस पर परा को आगे बढ़ाया और नव
नाथ एवं चौरासी स ो के मा यम से इस व या का बहुत चार हुआ! कहा जाता है क योगी का नफनाथ जी ने पांच करोड़ शाबर मं
क रचना क और वह चपटनाथ जी ने सोलह करोड़ शाबर मं क रचना क ! मा यता है क योगी जालंधरनाथ जी ने तीस करोड़
शाबर मं क रचना क ! इन यो गय के बाद अन त को ट नाथ स ो ने शाबर मं क रचना क !यह शाबर मं क व या नाथ पंथ
म गु श य पर परा से आगे बढ़ने लगी, इस लए शाबर मं चाहे कसी भी कार का य ना हो उसका स ब ध कसी ना कसी
नाथ पंथी योगी से अव य होता है ! अतः यह कहना गलत ना होगा क शाबर मं नाथ स ो क दे न है !
3. बराट शाबर मं – इस कार के शाबर मं म दे वता को भट आ द ना दे कर उनसे बलपू वक काम करवाया जाता है ! यह मं वयं
स होते है पर गु -मुखी होने पर ह अपना पूण भाव दखाते है ! इस कार के मं म साधक याचक नह ं होता और ना ह सौदा
करता है ! वह देवता को आदे श दे ता है क मेरा अमुक काय तुरंत करो! यह म मु य प से योगी का नफनाथ जी के कापा लक मत
म अ धक च लत है ! कुछ योग म योगी अपने जत
ु े पर मं पढ़कर उस जत
ु े को जोर-जोर से नीचे मारते है तो दे वता को चोट लगती
है और मजबूर होकर दे वता काय करता है !
4. अढै या शाबर मं – इस कार के शाबर मं बड़े ह बल माने जाते है और इन मं के भाव से य ीकरण बहुत ज द होता है !
य ीकरण इन म क मु य वशेषता है और यह मं लगभग ढ़ाई पंि तय के ह होते है ! अ धकतर अढै या म म द ुहाई और
धमक का भी इ तेमाल नह ं कया जाता पर फर भी यह पूण भावी होते है !
5. डार शाबर मं – डार शाबर मं एक साथ अनेक दे वताओं का दशन करवाने म स म है िजस कार “बारह भाई मसान” साधना म
बारह के बारह मसान देव एक साथ दशन दे जाते है ! अनेक कार के दे वी दे वता इस मं के भाव से दशन दे जाते है जैसे “चार वीर
साधना” इस माग से क जाती है और चार वीर एक साथ कट हो जाते है ! इन म क िजतनी शंसा क जाए उतना ह कम है , यह
द य स य को दे ने वाले और हमारे इ ट दे वी दे वताओं का दशन करवाने म पूण प से स म है ! गु अपने कुछ वशेष श य को
ह इस कार के म का ान दे ते है !
नाथ पंथ क महानता को दे खकर बहुत से पाखंडी लोग ने अपने आपको नाथ पंथी घो षत कर दया है ता क लोग उनक बात पर
व वास कर ले! ऐसे लोग से य द यह पूछा जाये क आप बारह प थो म से कस पंथ से स ब ध रखते है ? आपक द ा कस पीठ से
हुयी है ? आपके गु कौन है ? तो इन लोग का उ तर होता है क म बताना ज र नह ं समझता य क इन लोग को इस वषय म
ान ह नह ं होता , पर आज के इस युग म लोग बड़े समझदार है और इन धूत को आसानी से पहचान लेते है !
ऐसे महापाखंडीयो ने ह चार कया है क सभी शाबर मं ”गोरख वाचा” है अथात गु गोरखनाथ जी के मु ख से नकले हुए है पर मेरा
ऐसे लोग से एक ह न है या जो म का नफनाथ जी ने रचे है वो भी गोरख वाचा है ? या जालंधरनाथ जी के रचे म भी गोरख
वाचा है ? इन मं क बात अलग है पर या मुि लम शाबर मं भी गोरख वाचा है ? ऐसा नह ं है मुि लम शाबर मं मुि लम फक र
वारा रचे गए है !
|| व ध ||
**********
इस म को त दन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गूग ल डाले और इस म का १०८ बार जाप करे ! जब तक म जाप हो गूगल
सुलगती रहनी चा हये ! यह या आपको २१ दन करनी है , अ छा होगा आप यह म अपने गु के मुख से ले या कसी यो य
साधक के मुख से ले! गु कृपा ह सव प र है कोई भी साधना करने से पहले गु आ ा ज र ले!
|| योग व ध ||
***************
जब भी कोई साधना करे तो इस म को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समा त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े म का भाव बढ़
जायेगा! य द कोई म बार-बार स करने पर भी स न हो तो कसी भी मंगलवार या र ववार के दन उस म को भोजप या
कागज़ पर केसर म गंगाजल मलाकर अनार क कलम से या बड के पेड़ क कलम से लख ले! फर कसी लकड़ी के फ े पर नया लाल
व बछाएं और उस व पर उस भोजप को था पत करे ! घी का द पक जलाये, अि न पर गूगल सुलगाये और शाबर देवी या माँ
पावती का पूजन करे और इस म को १०८ बार जपे फर िजस म को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फर इसी म का
१०८ बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे! िजस लाल कपडे पर भोजप था पत कया गया
है उस लाल कपडे को घड़े के अ दर रखे और भोजप को भी घड़े के अ दर रखे! दस
ू रे लाल कपडे से भोजप का मुह बांध दे और दोबारा
उस कलश का पूजन करे और शाबर माता से म जगाने के लए ाथना करे और उस कलश को बहते पानी म बहा दे! घर से इस
कलश को बहाने के लए ले जाते समय और पानी म कलश को बहाते समय िजस म को जगाना है उसका जाप करते रहे! यह या
एक बार करने से ह भाव दे ती है पर फर भी इस या को ३ बार करना चा हये मतलब र ववार को फर मंग लवार को फर दोबारा
र ववार को ! भगवान आ दनाथ और माँ शाबर आप सबको म स दान करे !
धन ाि त के लए शाबर मं
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आज धन अभाव भी एक वकराल सम या बन चुका है । धन कसे नह ं चा हये होता है , चाहे गह
ृ थी हो या नाथ जी या कसी भी
स दाय से जड
ु े संत? बना धन के साधना भी नह ं हो सकती और साधना बगै र शि त कैसे ा त हो? कहते है क मह ष जै मनी सभी
काय मं के बल पर ह करने लगे थे, मा जी ने औढरदानी शव से कहाँ भगवन मह ष जै मनी नै वाद को बढ़ावा दे रहे है। य द ऐसा
ह चलता रहा तो लोग ई वर को मानना ह बंद कर दगे। मा क बात को उ चत जान महादे व ने मं को क लत कर दया।
कालांतर मे वयं शव ने करात प धारण कर शाबर मं क रचना क और नाथ आचाय ने इनके संवधन म भार योगदान दया।
आम बोलचाल क भाषा म च लत ये मं शी ह स होते है और यवहार म भी खरे उतरते है और सबसे बडी बात क ये क लत भी
नह ं है , ऐसा ह एक शाबर मं धन ाि त के लये दया जा रहा है , इसके भाव से बंद पडे काम खुलते है व धन आगमन का माग
नि चत प से बनता है । हमने अनेक साधक को यह दया है और पूण नतीजे ा त हुये है ।
मं :
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ी शु ले महाशु ले कमलदल नवासे ी महाल मी नमो नमः। ल मी माई स त क सवाई, आओ चेतो करो भलाई। ना करो तो सात
समु ो क दह
ु ाई। ऋ -- स खाओगी तो नौ नाथ चौरासी स ो क द ह
ु ाई।।
स करने क व ध:
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नीचे एक यं दया जा रहा है , एक चौक या पा टये को गंगाजल से साफ कर लाल व बछाकर, दे शी घी का दया जला, लाल चंदन को
घसकर, अनार क कलम से सफेद कागज पर लखे। सभी रे खाये नीचे से ऊपर क ओर व बाये से दाय क ओर खची जायेगी। अंक
चढते कम से लखे जायगे अथात पहले सबसे छोटा फर बडा आ खर म सबसे बडा । यं को े म कर इसी चौक पर पि चमा भमुख
वराजमान करे । नवरा मे रोज नहा धोकर धुले कपडे पहन लाल रं ग का ऊनी आसन बछा उ तर क तरफ मुँह कर बैठ जाये । दे शी घी
क द पक जला कमल ग ा या लाल चंद न या फ टक क माला से एक माला रोज जप करे और यारह आहु त कमल पु प या गुलाब के
पु प क दे ऐसा नवरा मे सभी दन करने से स होता है ।।
” व धः- सव- थम कसी र ववार को गुगल, धूप, द पक स हत उपयु त म का प ह हजार जप कर उसे स करे । फर
आव यकतानुसार इस म का १०८ बार जप कर एक ल ग को अ भमि त ल ग को, िजसे वशीभूत करना हो, उसे खलाए।
2. “ॐ नमो काला गोरा भै ं वीर, पर-नार सूँ दे ह सीर। गुड़ प रद यी गोरख जाणी, गु ी पकड़ दे भ आणी, गुड़, र त का ध र ास, कदे
न छोड़े मेरा पाश। जीवत सवै दे वरो, मूआ सेवै मसाण। पकड़ पलना यावे। काला भ न लावै, तो अ र दे वी का लका क आण। फुरो
म , ई वर वाचा।
व धः- उ त म को सात बार पढ़कर पीपल के प ते को अ भमि त करे । फर म को उस प ते पर लखकर, िजसका वशीकरण
करना हो, उसके घर म फक दे वे। या घर के पछवाड़े गाड़ दे । यह या ‘ छतवन’ या ‘फुरहठ’ के प ते वारा भी हो सकती है ।
कृपया याद रहे बेवजह कसी को न सताए अ यथा आप पाप के भागीदार बन सकते है !!
शर र क पीड़ा के झाड़े का मं
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ॐ गु जी बंग ाल ख ड काम दे श क कामा ा देवी।
जहाँ बसे ई माइल योगी। ई माइल योगी के सात चेल ।
सातो हचार ।
कपूर धो बन कान झाड़े, कपाल झाड़े लोना चमार ।
फुला मा लन कंठ झाड़े, गला झाड़े स रया कु हार ।
गांगल ते लन कलेजा झाड़े, पेट झाड़े लाल लुहार ।
प ड ाण क र ा करे माया म छं नाथ।
घट प ड को झाड़े आसो मेहतरानी।
कु भकण क औंधी खोपड़ी मरघ टया मसान।
प ड क सार पीड़ा भ म कर दे काल भैरव नह तो तझ
ु े माता का लका देवी क आन।
श द साँचा प ड काँचा। फुरो मं गु गोर नाथ वाचा।
सतनाम आदे श गु का।
इस मं को 108 बार कसी भी अमावशया या पु णमा के दन जाप करने से स हो जाता है । 7 बार मोर पंख के झाड़न से झाड़ा देवे रोगी
को आराम मलेगा । जाप से पहले गु मं क एक माला और िजनके गु नह ं है वो ॐ नमो शवाय क एक माला जाप करके मं को
स कर । अचूक और पूण लाभकार है ।
• एक सफेद मोटे पेज पर हरे पेन से उन लोग के नाम लखे िजनसे कज़ा लेना है ।
• हर नाम के साथ उसके पता का नाम, उसके घर का सह पता लखे।
• नाम के साथ उसक फोटो भी लगाये, साथ म मोबाइल न बर भी लखे।
• मंगलवार क सुबह 4 बजे जागकर नहा धोकर रात का रखा पानी पीकर, लाल कपड़े पहनकर उस पेज के ऊपर वि तक का नशान
बनाये।
• नशान बनाने के लये कपूर को जला कर ऊपर बरतन उलटा कर दे , जो भाग काला पड़ जायेगा उससे बनाना है नशान।
• उस पेज को हनुमान जी के चरण म रख दे और हनुमान चाल सा का पाठ कर।
• हनुमान चाल सा के पाठ के पहले “ ं कृ णाय नमः” मं का जाप कर।
फ़र हनुमान चाल सा पाठ करने के बाद हनुमान जी के सामने ाथना करनी है । हे पवन दे व, ये लोग गर ब है , इनका काम सह नह ं चल
रहा है , इनको हे पवन देव इस यो य करो क ये सबके कज उतार कर कज मु त हो जाये और कज के पाप से मु त हो जाय। िजतने
लोग से पैसा लेना है। उनके नाम को भी छूना मतलब नशान भी लगाना है , उसी काल का लख से िजससे नशान बनाया था। हर ह ते
नया पेज बनाने क ज़ रत होगी, पुराने पेज को चलते पानी म बहा दे , उस पर लगी फोटो उतार ल नये पेज पर लगाने के लये यान दे ने
क बात ये है क एक बार भी ये नह ं कहना क मेरा कज उतारना है , हमेशा दस
ू रे का ह कज मु त करने को कहना है । दस
ू र को लेकर
क गयी ाथना हमेशा सफल होती है , हमने कई बार ये उपाय आज़माकर अ छे नतीजे लये है । अ य दन म सुबह शाम श न चाल सा
का पाठ करना है , बाजार म दो तरह क कताब मलती है --- एक लाल रं ग क , दस
ू र काल रं ग क हमने काले रं ग क लेनी है श न
चाल सा जो क 10/- म आती है । इसका पाठ सुबह शाम नहा धोकर ज़मीन पर बैठ कर करना है , मंगलवार को हनुमान चाल सा साथ म
जो या जो ऊपर बताई है वो भी कर, बाक दन श न चाल सा ये कम से कम 21 ह ते कर, एक अनोखा उपाय जैसे क हम पता है क
हर चीज़ क एक क मत होती है , ये उपाय हमारा का हुआ धन लेकर आयेगा, जो पैसा दे ने को भूल भी चुके है उनको भी याद करायेगा।
जैसे क ये उपाय हमारा है तो आपको हम इसक क मत दे नी होगी मतलब आप ये उपाय हमारे से उधार या मु त म नह ं ल सकते, नह ं
तो ये बेकार स होगा। अब ये क मत मेर तरफ़ से फ स नह ं है , जो भी आप अपनी और लेने वाले पैसे क क मत माने उसके हसाब
से दे सकते है । शु आत 11/--21/- से भी कर सकते है , हमारे ऊपर ये शत है क हम मोल-भाव नह ं कर सकता, अगर हम मोल-भाव
करते है तो ये उपाय बेअसर हो जायेगा। इसम दे ने वाला चाहे 11/-21/- दे या 11000/- हम कुछ नह ं कह सकते ये दे ने वाले क ा है ,
बस आप ने ये उपाय हमारे से कोई भी क मत दे कर ह मोल लेना है , अगर ऐसे ह उठा के योग करगे तो उलटा भी पड सकता है ।
इस लए आप सब को ये बताना चाहते है क इसका योग करने से पहले इसक क मत ज र द।
|| व ध ||
इस म को त दन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गुगल डाले और इस म का १०८ बार जाप करे ! जब तक म जाप हो गुगल
सुलगती रहनी चा हये ! यह या आपको २१ दन करनी है , अ छा होगा आप यह म अपने गु के मुख से ले या कसी यो य साधक
के मुख से ले ! गु कृपा ह सव प र है कोई भी साधना करने से पहले गु आ ा ज र ले !
|| योग व ध ||
जब भी कोई साधना करे तो इस म को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समा त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े म का भाव बढ़
जायेगा ! य द कोई म बार बार स करने पर भी स न हो तो ...
दो लाल कपडे[आधा-आधा मीटर का ] मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे ! कसी भी मंगलवार या र ववार के दन उस
म [िजसे स करना है ] को भोजप या कागज़ पर केसर म गंगाजल मलाकर अनार क कलम से या बड के पेड़ क कलम से लख ले
!
फर कसी लकड़ी के चौक /फ े पर एक लाल व बछाएं और उस व पर उस भोजप को था पत करे ! घी का द पक जलाये ,
अि न पर गुगल सुलगाये और शाबर दे वी [ माँ पावती] का पूजन करे !
उपरो त म को १०८ बार जपे.अब िजस म को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फर उपरो त म का १०८ बार जप करे !
िजस लाल कपडे पर भोजप था पत कया गया है उस लाल कपडे म ह भोजप को लपेट कर घड़े के अ दर रखे!
दस
ु रे लाल कपडे से भोजप का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबर माता से म जगाने के लए ाथना करे !
उस कलश को बहते पानी म बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लए ले जाते समय और पानी म कलश को बहाते समय िजस म
को जगाना है उसका जाप करते रहे !
शेष गु इ छा ...
बध
ु ह शाबर गाय ी मं
=================
ॐ गु जी
बुध ह स त गु जी दनी बु I
ववरो काया पावो स ।
शव धीरज धरे शि त उनमनी नीर चढे ।
एता गुण बुध ह करै ।
बुध ह जाती का ब नया ।
ह रत हर गो य मगध दे श थापना थापलो लो पुजा गणेश जी क करै , सत ् फुरै सत ् वाचा फुरै , ी नाथ जी के संहासन ऊपर पान फुल
क पुजा चढै हमारे आसन पर ऋ स धरै , भ डार भरै
७ वार, २७ न , ९ ह, १२ रा श, १५ तथी सोम, र व, शु , श न, मंगल, गु , राहु, केतु सख
ु करै दख
ु हरै । खाल वाचा कभी ना पडै।
ॐ बुध मं गाय ी जाप र ा करे ी श भुजती गु गोर नाथ ।
ॐ बुधाय नमो नमः वाहा
हवन साम ी - गोघृत तथा अपामाग क लकड़ी
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श
उपरो त शाबर मं का जाप बुध ह क शां त के लए कया जाता है , इस मं का जाप कोई भी कर सकता है , ा क माला से जाप
करे 108 बार और लगातार 9 बुध वार को करे , बुध ह के ताप से छुटकारा मटा है ।
इस मं का 108 बार जप कर। फर इसे छोट -सी पु डया मे डाल कर काले कपड़े म बांध कर काले रे शमी धागे से ब चे के गले म बाँधने
पर बुर नजर नह ं लगती।
कण मातंगी साधना मं
================
ऐं नमः ी मातं ग अमोघे स यवा द न मककण अवतर अवतर स यं कथय ए ये ह ी मातं यै नमः।
या
ऊं नमः कण पशा चनी अमोघ स यवा दनी मम कण अवतर अवतर अतीत अनागत वतमाना न दशय दशय मम भ व यं कथय कथय
ं कण पशा चनी वाहा।
स टोटके और उपाय
===============
1. आ थक सम या के छुटकारे के लए : य द आप हमेशा आ थक सम या से परे शान ह तो इसके लए आप 21 शु वार 9 वष से कम
आयु क 5 क याय को खीर व म ी का साद बांट !
2. घर और काय थल म धन वषा के लए : इसके लए आप अपने घर, द क
ु ान या शो म म एक अलंका रक फ वारा रख ! या एक
मछल घर िजसम 8 सुनहर व एक काल म ल हो रख ! इसको उ तर या उ तरपूव क ओर रख ! य द कोई म ल मर जाय तो उसको
नकाल कर नई म ल लाकर उसम डाल द !
3. परे शानी से मुि त के लए : आज कल हर आदमी कसी न कसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पा म
जल भर कर उसम थोडा सा लाल चंदन मला द ! उस पा को सरहाने रख कर रात को सो जांय ! ातः उस जल को तुलसी के पौधे पर
चढा द ! धीरे -धीरे परे शानी दूर होगी !
१. य द क या क शाद म कोई कावट आ रह हो तो पूजा वाले 5 ना रयल ल ! भगवान शव क मू त या फोटो के आगे रख कर “ऊं
ीं वर दाय ी नामः” मं का पांच माला जाप कर फर वो पांच ना रयल शव जी के मं दर म चढा द ! ववाह क बाधाय अपने आप
दरू होती जांयगी !
२. येक सोमवार को क या सुब ह नहा-धोकर शव लंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू मले जल को चढाये और
वह ं मं दर म बैठ कर ा क माला से इसी मं का एक माला जप करे ! ववाह क स भावना शी बनती नज़र आयेगी
5. यापार बढाने के लए :
१. शु ल प म कसी भी दन अपनी फै या दक
ु ान के दरवाजे के दोन तरफ बाहर क ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख द ! यान
रहे ऐसा करते हुए आपको कोई दे खे नह !
२. पूजा घर म अ भमं त ्र यं रख !
३. शु वार क रात को सवा कलो काले चने भगो द ! दूसरे दन श नवार को उ ह सरस के तेल म बना ल ! उसके तीन ह से कर ल !
उसम से एक ह सा घोडे या भसे को खला द ! दस
ू रा ह सा कु ठ रोगी को दे द और तीसरा ह सा अपने सर से घडी क सूई से उ टे
तरफ तीन बार वार कर कसी चौराहे पर रख द ! यह योग 40 दन तक कर ! कारोबार म लाभ होगा !
१. य द कसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रह हो तो आक क जड लेकर उसे कसी कपडे म कस कर
बांध ल ! फर उस कपडे को रोगी के कान से बांध द ! बुखार उतर जायगा !
२. इतवार या गु वार को चीनी, दध
ू , चावल और पेठा (क -ू पेठा, स जी बनाने वाला) अपनी इ छा अनुसार ल और उसको रोगी के सर
पर से वार कर कसी भी धा मक थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर द !
३. य द कसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे त दन एक ना रयल पानी पलाय ! कुछ ह दन म आराम हो जायगा !
7. नौकर जाने का खतरा हो या ांसफर कवाने के लए : पांच ाम डल वाला सु रमा ल ! उसे कसी वीरान जगह पर गाड द ! याल
रहे क िजस औजार से आपने जमीन खोद है उस औजार को वा पस न लाय ! उसे वह ं फक द द स
ू र बात जो यान रखने वाल है वो
यह है क सुरमा डल वाला हो और एक ह डल लगभग 5 ाम क हो ! एक से यादा ड लयां नह ं होनी चा हए !
8. कारोबार म नुकसान हो रहा हो या काय े म झगडा हो रहा हो तो : य द उपरो त ि थ त का सामना हो तो आप अपने वज़न के
बराबर क चा कोयला लेकर जल वाह कर द ! अव य लाभ होगा !
9. मुकदम म वजय पाने के लए : य द आपका कसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसम वजय पाना चाहते ह तो थोडे से
चावल लेकर कोट/कचहर म जांय और उन चावल को कचहर म कह ं पर फक द ! िजस कमरे म आपका मुकदमा चल रहा हो उसके
बाहर फक तो यादा अ छा है ! परं तु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोट म फकते समय कोई दे खे नह ं वरना लाभ नह ं होगा ! यह
उपाय आपको बना कसी को पता लगे करना होगा !
11. मान सक परे शानी द रू करने के लए : रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चाल सा का पाठ कर ! येक श नवार को श न
को तेल चढाय ! अपनी पहनी हुई एक जोडी च पल कसी गर ब को एक बार दान कर !
12. ब चे के उ तम वा य व द घायु के लए :
१. एक काला रे शमी डोरा ल ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे म थोडी थोडी दरू पर सात गांठ लगाय !
उस डोरे को ब चे के गले या कमर म बांध द !
२. येक मंगलवार को ब चे के सर पर से क चा दध
ू 11 बार वार कर कसी जंगल कु ते को शाम के समय पला द ! ब चा द घायु
होगा !
13. कसी रोग से सत होने पर : सोते समय अपना सरहाना पूव क ओर रख ! अपने सोने के कमरे म एक कटोर म सधा नमक के
कुछ टु कडे रख ! सेहत ठ क रहेगी !
15. नौकर न टके या परे शान करे तो : हर मंगलवार को बदाना (मीठ बूंद ) का शाद लेकर मं दर म चढा कर लड कय म बांट द !
ऐसा आप चार मंगलवार कर !
16. बनता काम बगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो : हर मंगलवार को हनुमान जी के चरण म बदाना (मीठ
बूंद ) चढा कर उसी शाद को मं दर के बाहर गर ब म बांट द !
१. कुएं म द ध
ू डाल! उस कुएं म पानी होना च हए !
२. काला क बल कसी गर ब को दान द !
३. 6 मुखी ा क माला 108 मनक वाल माला धारण कर िजसम हर मनके के बाद चांद के टु कडे परोये ह !
23. माई ेन या आधा सीसी का दद का उपाय : सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर कसी चौराहे पर जाकर द णक
ओर मुंह करके खडे हो जांय ! गुड को अपने दांत से दो ह स म काट द िजए ! गुड के दोनो ह स को वह ं चौराहे पर फक द और
वा पस आ जांय ! यह उपाय कसी भी मंगलवार से शु कर तथा 5 मंगलवार लगातार कर ! ले कन….ले कन यान रहे यह उपाय
करते समय आप कसी से भी बात न कर और न ह कोई आपको पुकारे न ह आप से कोई बात करे ! अव य लाभ होगा !
24. फंसा हुआ धन वा पस लेने के लए : य द आपक रकम कह ं फंस गई है और पैसे वा पस नह ं मल रहे तो आप रोज़ सु बह नहाने
के प चात सरू ज को जल अपण कर ! उस जल म 11 बीज लाल मच के डाल द तथा सूय भगवान से पैसे वा पसी क ाथना कर !
इसके साथ ह “ओम आ द याय नमः “ का जाप कर !
नोट :
1. सभी उपाय दन म ह करने चा हए ! अथात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !
2. स चाई व शु भोजन पर वशेष यान दे ना चा हए !
3. कसी भी उपाय के बीच मांस, म दरा, झूठे वचन, पर ी गमन क वशेष मनाह है !
4. सभी उपाय पूरे व वास व ा से कर, लाभ अव य होगा !
5. एक दन म एक ह उपाय करना चा हए ! य द एक से यादा उपाय करने ह तो छोटा उपाय पहले कर ! एक उपाय के दौरान दस
ू रे
उपाय का कोई सामान भी घर म न रख !
6. जो भी उपाय शु कर तो उसे पूरा अव य कर ! अधूरा न छोड !
साबर म
=======
|| ॐ नमो अदे स गु को शयाम बरत शयाम गु पवत म बड़ बड़ म कुआ कुआ म तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़
सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमत मार करे गा भसमंत फुरो म इ वरो वाचा ||
साबर म
=======
||ॐ अ गाल बंग ाल अताल पताल गद मद आदर ददार फट फट उ कट ॐ हुं हुं ठा ठा ||
आधा सर दद
=========
* आधा सर दद और माई ेन एक बहुत बड़ी सम या है | उसके लए एक मह वपूण म दे रहा हूँ | इसे भी हण काल, द पावल आ द
पर उपर वाले तर के से स कर ल | योग के व त एक छोट नमक क डल ले कर उस पर ७ बार म पढ़ और पानी म घोल कर माथे
पर लगा द , आधे सर क दद फ़ौरन बंद हो जाएगी |
साबर म
=======
|| को करता कुडू करता बाट का घाट का हांक दे ता पवन बंदना योगीराज अचल सचल ||
दाड दद का एक मह व पूण मं
===================
* दाड दद िजसे हो वह जानता है | कई बार तो दाड नकालने क नौबत आ जाती है | इस दद से नज़ात पाने का एक बहुत ह मह वपूण
म दे रहा हूँ | इसे सूय हण, द पावल आ द म १०८ बार जप कर स कर ल | योग के व त नीम क डाल से झाडा कर द |
साबर मं
======
|| ॐ नमो आदे श गु को वन म वहाई अंजनी िजस जाया हनुमंत क ड़ा मकोड़ा माकडा यह तीनो भसमंत गु क शि त मेर भगती
फुरो मं इ वरो वाचा ||
यह सभी साधनाएं योग अजमाए हुए ह | एक बार स कर लेने से जब चाहे काम ले सकते ह |जप से पहले अगर आप एक माला अपने
गु म का जाप करके स करे तो इसका भाव दग
ु ना हो जाता है .
1. सफेद गाय :- सनातन ध मय क गौ माता िजसे कुछ लोग केवल राजनी तक मु ा ह समझते ह गे, उ ह हम बता द यह आ थक
सु ढ़ करण का भी तीक है . अब अगल बार जब भी आपके खेत म या गाडन म गाय आ कर चरने लग जाये, तो समझ जाइएगा
सा ात ल मी जी ने संदे शा भेजा है ।
2. ना रयल :- ना रयल को वैसे भी भारतीय सामािजक पर परा म शुभ माना जाता है. तो अब ये भी जान लो अगल बार जब भी कभी
आपको सुबह उठते ह इस ीफल के दशन ह , तो समझ जाना अ छ खबर आने वाल है ।
3. या ा के दौरान मलने वाले संकेत :- जब कभी भी या ा करते समय आपको अपनी दायीं तरफ़ कोई ब दर, कु ता, सांप दखे तो,
समझ जाना यह भी आपके पास आने वाले धन का संकेत आपको दे रहे ह।
4. सुनहरा सांप :- अगर रात को आपको सोते समय सपने म सफेद या सुनहरे रं ग का सांप नज़र आये, तो यह भी खुलने वाल क मत
का इशारा होता है ।
5. ह रयाल :- सपने म हरे -भरे ाकृ तक नजारे दखना भी शुभ संकेत माना जाता है . ह रयाल अगर पानी के कसी ोत के पास हो
तो यह उससे भी अ छा संकेत होता है ।
6. द ूध के बने उ पाद :- सुबह-सुबह उठते ह दह और दध
ू जैसे पदाथ का दखाई दे जाना भी आने वाल अ छ क मत का संकेत
होता है।
7. ग ना :- सुबह घर से अपने काम पर जाते व त या मॉ नग वॉक करते समय ग ने का दखाई दे जाना भी यह संकेत दे ता है क
आज आपको कह से पैसे मलने वाले ह।
8. लयब संगीत :- सुबह उठते समय आपको अपने आसपास कसी मि दर से शंख, घं टय या कसी मधुर भजन क आवाज़ सुनाई
दे ना भी शा म आने वाले अ छे भा य का संकेत माना जाता है ।
9. नव- ववा हता का दखाई दे जाना :- आपको रा ते म अगर सोलह ं ग
ृ ार कये कोई नई-नई द ु हन नज़र आ जाये तो इसे भी आने
वाल अ छ क मत का संकेत माना जाता है ।
10. आपके घर म चमगादड़ वारा घर बनाना :- द ु नया म अ धकतर मा यताओं के अनुसार आपके घर म कसी चमगादड़ का आना
अशुभ संकेत माना जाता है . ले कन हम आपको बता द, वह चमगादड़ अगर आपके घर म ककर अपना घर बना ल तो इसे एक शुभ
संकेत माना जाता है ।
11. शुभ दन पर पैसे आना :- हम सब क िज़ दगी म कोई न कोई शुभ दन या स ताह होता है उस समय अगर आपको कह ं से धन
क ाि त हो जाये तो, इसका मतलब है अभी और धन आने वाला है ।
12. प य का बीट करना :- बहुत ह कम लोग ऐसे होते ह िजनके ऊपर उनक िज़ दगी म कसी प ी ने बीट क हो और अगर क भी
हो तो लोग झ ला जाते ह। पर आपको बता द, यह भी एक शुभ संकेत माना जाता है ।
13. मकड़ी का जाला :- गु सा मत होइये हम भी पता है , मकड़ी के जाले का घर म पाया जाना अशुभ माना जाता है । अब काम क बात
यह है क अगल बार अगर कोई जाला दखाई दे और उसम आपको अपने नाम का पहला अ र बना हुआ नज़र आये तो वह भी एक
शुभ संकेत माना जाता है ।
14. टूटते तारे का नज़र आना :- इस संकेत को पूर द ु नया म मा यता ा त है . पूवज कहते आए ह टूटते तारे सो जो भी मांगो आपको
आने वाले 30 दन म सच हो जाता है । इस लए सोच समझ कर मांगना।
15. गलती से उलटे कपड़े पहन लेना :- जब भी हम कह ं जाने क ज द होती है तो हम ज दबाजी म कपड़े उलटे पहन लेते ह और जब
दे खते ह तो अपने आप पर गु सा भी होते ह। भ व य म दोबारा अगर ऐसा आपके साथ हो तो समझ लेन ा मामला गु से का नह ं ख़ुश
होने का है । उलटे कपड़े पहन लेना भी आने वाल सम ृ का तीक होता है ।
16. शुभ चीज का मलना :- आपको रा ते म कह ं घोड़े क नाल, चार पि तय वाल घास या कोई स का मल जाये तो उसे
स हालकर अपने पास रख लेन ा चा हए। यह भी आने वाले भा य के नदशक होते ह।
17. कु ते का घर पर रहने आना :- कोई कु ता अगर आपके घर पर रहने के लए छत क तलाश म आ जाये तो यह भी भ व य म आने
वाले धन का संकेत होता है ।
18. गाडन एचस का दखना :- बा रश के बाद अगर आपको अपने बगीचे म मढ़क, बीटल, ट ड का शोर सुनाई द, तो यह भी एक
अ छा संकेत होता है । अगल बार इ रटे ट होने क बजाय उस संगीत का आनंद ल िजये।
19. बा रश म सूरज का चमकना :- ऐसा बहुत ह कम होता है जब आपको बा रश म भीगते समय सामने आसमान म चमकता सूरज
दखाई दे । य द ऐसा कभी होता है तो समझ जाइये आप ज द ह मालामाल होने वाले ह।
20. हाथ म खुजल होना :- इससे तो आप सभी वा कफ ह ह गे। हमारे यहां हाथ म खुजल होने को आने वाले धन के संकेत के प म
दे खा जाता है ।
21. कछुआ :- कछुए को पूर द ु नया म अ छे भा य का तीक माना जाता है । इसका कसी भी प म दखाई दे जाना, कोई न कोई
अ छ खबर ज़ र लाता है।
22. डॉल फन :- डॉल फन को वैसे भी इनसान का अ छा दो त कहा जाता है । यह भी जान ह लो यह दो त सच म अ छा होता है ।
डॉल फन को भी आने वाले अ छे भा य का तीक माना जाता है ।
23. सूअर :- सूअर को भी दु नया भर म अ छा भा य लाने वाला माना जाता है । अब आप समझ ह गये ह गे पगी बक का राज़।
24. मोती :- स यताएं पानी के कनारे पनपी है। कसी समय तो आभूषण के प म इनका खूब उपयोग होता था। इन मो तय को
अ छे भा य का तीक भी माना जाता है ।
25. झींगुर :- नाम पढ़ते ह हं सी आई होगी ना, तो कए मत! झींगुर का शोर सुनाई दे ना या इसका दखाई दे जाना भी आप के बुरे
दन के ख म होने का संकेत होता है ।
तो अब आपको पता चल गया है क कौन से ऐसे संकेत है िजनके दखाई दे जाने पर आपक क मत बदल जाएगी। तो अगल बार
जब भी ये दखाई द, तो आपके अ छे दन आये या नह ,ं हम कमे ट करके ज़ र बताना। तब तक टाइम पास के लए मेहनत करते
र हए, इस व वास के साथ क दे ने वाला जब भी दे गा छ पर फाड़ कर दे गा।
वशीकरण साधना
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वशीकरण के लए यह साधना बहुत ह उ च को ट क साधना है । इस साधना को कसी भी सोमवार रात म 11 बजे के बाद शु कया
जा सकता है । साधना शु करने से पहले नान करके लाल कपड़े धारण कर ल। आप पहले लोहे या ट ल क बनी हुई एक लेट ल।
अब इसके अंद र पू र तरह काजल लगा द और मं ‘ऊं अघोरे य घोरे य नम:’ को लखे यानी काजल को इस कार हटाए क काजल
म लखा हुआ मं साफ नजर आएं। अब लेट के ऊपर िजस भी यि त का वशीकरण करना है उसके व का टुकड़ा बछा द।
जप पूरा होने पर या कर
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जब जप क 51 माला पूर हो जाएं तो आप ऋ ष मुंड केश और भगवान अघोरे वर से अपनी साधना म सफलता दान करने के लए
ाथना कर। साधना करने के दौरान आपको कुछ अजीब या आ चय जनक अनुभव हो सकता है ।
ले कन इससे परे शान या चं तत न हो। यह ल ण है क आपक साधना सफल हो रह है । साधना शु करने के कुछ दन बाद ह
आपको प रणाम मलने शु हो सकते ह।
कसी को वश म करने से जड़
ु ा तां क उपाय :-
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इस उपाय को करने के लए आपको सफेद आंकड़े के फूल क आव यकता पड़ेगी। सफेद आंकड़े के फूल को लेकर उसे छाया म सूखने
दे । इसके प चात आंकड़े के सूखे फूल को क पला गाय क दध
ू म या न क सफेद रं ग के गाय के द ध
ू म पीस ले और इसका तलक उस
यि त के सर म लगाए िजस यि त को आप अपने वश म करना चाहते है ।
वह यि त आप के वश म होकर आपक सभी बातो को मानने लगेगा। पर तु यान रहे क इस तां क या का कोई द ु पयोग न
हो।
कसी को वश म करना वशीकरण कहलाता है । इसके लए वशीकरण मं का योग कया जाता है । वशीकरण मं िजसके लए पढ़ा
जाता है , वह मनु य मं पढ़ने वाले के वश म आ जाता है । कभी आपने सोचा है क इस बात म कतना सच है ?
मनु य चाँद पर पहुँच चुका है और मंगल तक यान भेज चुका है । ले कन मनु य आ म व वास क कमी के कारण कुछ भी कर गुज़रने
को तैयार। वो ढ गी बाबाओं क पास जाता है जहाँ उसके समय, धन और मान-स मान सबक हा न होती है । जाने वो यह य भूल
जाता है क “होइ ह सोइ जो राम र च राखा”; अथात ् ई वर क इ छा से सबकुछ स प न होता है । ले कन आज यि त समय से दौड़
लगा रहा है और उसे जो चीज़ उसे आक षत करे वह उसे पाना चाहता है । चाहे इसके लए उसे कोई भी क़ मत य न चुकानी पड़े।
बजरङग वशीकरण म
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“ॐ वीर बजर गी, राम ल मण के स गी।
जहां-जहां जाए, फतह के ड के बजाय।
‘अमुक’ को मोह के, मेरे पास न लाए,
तो अ जनी का पूत न कहाय।
दह
ु ाई राम-जानक क ।
दह
ु ाई गु गोर नाथ क । "
योग के समय दध
ू या द ध
ू न मत पदाथ पर ११ बार म पढ़कर खला या पला दे ने से, वशीकरण होगा।
स वशीकरण म
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“बारा राखौ, बरै नी, मूँह म राख का लका। च डी म राख मो हनी, भुजा म राख जोहनी। आगू म राख सलेमान, पाछे म राख
जमादार। जाँघे म राख लोहा के झार, प डर म राख सोखन वीर। उ टन काया, पु टन वीर, हाँक दे त हनुम ता छुटे । राजा राम के
परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौक । क र करे बीट बरा करे, मो हनी-जो हनी सात ब हनी। मोह देबे जोह दे बे, चलत म प रहा रन मोह ।
मोह बन के हाथी, ब तीस मि दर के दरबार मोह । हाँक परे भरहा मो हनी के जाय, चेत स हार के। सत गु साहेब।”
व ध- उ त म वयं स है तथा हमारे वारा अनुभूत है । फर भी शुभ समय म १०८ बार जपने से वशेष फलदायी होता है ।
ना रयल, नींब,ू अगर-ब ती, स दरू और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार म जपे।
म का योग कोट-कचहर , मुकदमा- ववाद, आपसी कलह, श ु-वशीकरण, नौकर -इ टर यू , उ च अधीका रय से स पक करते
समय करे । उ त म को पढ़ते हुए इस कार जाँए क म क समाि त ठ क इि छत यि त के सामने हो।
ा शाबर मं
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अकल सकल सुमे क छाया शव शि त मल वृ लगाया ।
एक डाल अगम को गई - एक डाल उ तर को गई ।
एक डाल पि चम को गई - एक डाल द ण को गई ।
एक डाल आकाश को गई - एक डाल पाताल को गई ।
उसी पेड़ के फल लगा ा का ।
एक मुखी ा उकार को बरणे ।
दो मुखी ा सूय च को बरणे ।
तीन मुखी ा तीन दे व को बरणे ।
चार मुखी ा चार वेद को बरणे ।
पांच मुखी ा पांच पांडव को बरणे ।
छः मुखी ा छः दशन (ज त) को बरणे ।
सात मुखी ा सात सायर (स त) को बरणे ।
आठ मुखी ा आठ कुल पवत को बरणे ।
नौ मुखी ा नौ कुल नाग को बरणे ।
दस मुखी ा दस अवतार को बरणे ।
यारह मुखी ा यारह शंकर को बरणे ।
बारह मख
ु ी ा बारह पंथ को बरणे ।
तेरह मुखी ा तेरह र न को बरणे ।
चौदह मुखी ा चौदह व याओं को बरणे ।
पं ह मुखी ा पं ह त थय को बरणे ।
सोलह मुखी ा सोलह कलाओं को बरणे ।
स ह मुखी ा सीता सतवं ती को बरणे ।
अठारह मुखी ा अठारह भार वन प त को बरणे ।
उ नीस मुखी ा शव पावती गणेश को बरणे ।
बीस मुखी ा व वासु मु न साधु को बरणे ।
इ क स मुखी ा एक अलख को बरणे ।
हाथ बांधे हतनापुर का राज पावे, कान के बांधे कनकापु र का राज पावे, कंठ गले के बांधे सात वप का राज पावे, म तक के बांधे
कैलाशपुर का राज पावे । नह ं जाने ा जाप अ तर गऊ का लागे पाप, बांधे ा जाणे जाप ज म ज म का पाप समा त ।
ा जाप समा त हुआ शव यान म द ता ेय महाराज ने कहा । ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श ।
गभ धारण करने के लए
================
अगर आपको कसी कारणवश गभ धारण नह ं हो रहा हो तो मंगलवार के दन कु हार के घर आएं और उसम ाथना कर म ी के
बतन वाला डोरा ले आएं । उसे कसी गलास म जल भरकर डाल द। कुछ समय प चात डोरे को नकाल ल और वह पानी प त-प नी
दोन पी ल। यह या केवल मंगलवार को ह करनी है अगर संभव हो तो उस दन प त-प नी अव य ह रमण कर। गभ क ि थ त
बनते ह उस डोरे को हनुमानजी के चरण म रख द।
अघोरे वर महादे व क साधना उन लोग को करनी चा हए जो सम त सांसा रक बंधन से मु त होकर शव गण बनने क इ छा रखते
ह.
इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे वरि त होनी शु हो जायेगी इस लए ववा हत और ववाह सुख के अ भलाषी लोग को यह
साधना नह ं करनी चा हए.
यह दगंबर साधना है .
माला या य क आव यकता नह ं है .
जप क सं या अपने मता के अनुसार तय कर.
आँख बंद करके दोन ने के बीच वाले थान पर यान लगाने का यास करते हुए जाप कर.
य द एकांत उपल ध हो तो पूरे साधना काल म दगंबर रह. य द यह संभव न हो तो काले रं ग का व पहन.
आदल चले बादल चले जाय परे सीता के वा र ! सीता द हनी शाप ! जाय परा समु के पार ! वाचा महुआ वाचे चार , हाके हनु ,वरावे
भीम ! और न परे हमारे सीम ! इ वर महादे व क दह
ु ाई ॐ नमः शवाय !
त ठान क ब बढ़ाने के लए
***********************************
अगर आप चाहते ह क आपके त ठान म ब यादा हो तो यह कर
आप अपने यापार म अ धक पैसा ा त करना चाहते ह और चाहते ह क आपके यापार क ब बढ़ जाए तो आप वट वृ क लता
को श नवार के दन जाकर नमं ण दे आएं । (व ृ क जड़ के पास एक पान, सुपार और एक पैसा रख आएं) र ववार के दन ातः काल
जाकर उसक एक जटा तोड़ लाएं, पीछे मुड़कर न दे ख। उस जटा को घर लाकर गु गल क धूनी द तथा 101 बार इस मं का जप कर-
ॐ नमो च ड अलसुर वाहा।
क या के ववाह म वल ब होने पर
************************************
अगर आपक क या के ववाह म वल ब हो रहा हो या क या के लए यो य वर क तलाश पूर नह ं हो रह हो तो कसी भी गु वार के
दन ातःकाल नहा धोकर बेसन के ल डू वयं बनाएं। उनक गनती 109 होनी चा हए। फर पीले रं ग क टोकर म पीले रं ग का
कपड़ा बछाकर उन ल डूओं को उसम रख द तथा अपनी ानुसार कुछ द णा रख द। पास के कसी शव मं दर म जाकर ववाह
हेतु ाथना कर घर आ जाएं ।
गभ धारण करने के लए
**************************
अगर आपको कसी कारणवश गभ धारण नह ं हो रहा हो तो मंगलवार के दन कु हार के घर आएं और उसम ाथना कर म ी के
बतन वाला डोरा ले आएं । उसे कसी गलास म जल भरकर डाल द। कुछ समय प चात डोरे को नकाल ल और वह पानी प त-प नी
दोन पी ल। यह या केवल मंगलवार को ह करनी है अगर संभव हो तो उस दन प त-प नी अव य ह रमण कर। गभ क ि थ त
बनते ह उस डोरे को हनुमानजी के चरण म रख द।
अपने घर-गह
ृ थी को बनाएं सुखी
***********************************
अ सर हम ग ृह थ जीवन म दे खते ह तो गहृ थ का सामान टूट-फूट जाता है या सामान चोर हो जाता है । जो भी आता है असमय ह
ख़ म हो जाता है । रसोई म बरकत नह ं रहती है तो ऐसी ि याँ भोजन बनाने के बाद शेष अि न को न बुझाएं और जब सब जलकर
राख हो जाए तो राख को गोबर म मलाकर रसोई को ल प द। फश हो तो उस राख को पानी म घोलकर उसी पानी से फश डाल। यह
या कई बार कर। घर-गह
ृ थी का छोटा-मोटा सामान, गलास, कटोर , च मच आ द सदै व बने रहगे ।
इ छा के व काय करना पड़ रहा हो तो
***********************************************
अगर आपको कसी कारणवश कोइ काय अपनी इ छा के वपर त करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाल ल ग एक साथ
जलाकर दो-तीन दन म थोड़ी-थोड़ी खा ल। आपक इ छा के वपर त काय होना बंद हो जाएगा।
भय को द ूर कर ऐसे
**********************
अगर आपको बना कारण भय रहता हो या सांप- ब छू या व य पशुओं का भय रहता हो तो यह कर : बांस क जड़ जलाकर उसे कान
पर धारण करने से भय मट जाता है । नगु डी क जड़ अथवा मोर पंख घर म रख दे ने से सप कभी भी घर म वेश नह ं करता। र व-
पु य योग म ा त सफ़ेद चादर क जड़ लाकर दा भुजा पर बाँधने से व य पशुओं का भय नह ं रहता है साथ ह अि न भय से भी
छुटकारा मल जाता है। केवड़े क जड़ कान पर धारण करने से श ु भय मट जाता है।
पा रवा रक सुख-शां त के लए
********************************
अगर आपके प रवार म अशां त रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो त दन थम रोट के चार भाग कर, िजसका एक गाय को,
दस
ू रा काले कु ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टु कड़ा कसी चौराहे पर रखवा द तो इसके भाव से सम त दोष समा त होकर
प रवार क शां त तथा स बढ़ जाती है ।
आप सबका क याण हो
जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।
संजोग से य द मरा हुआ कछुआ मले तो कछुआ का दांत सावधानी से नकाल ले कछुए के दांत को चांद के ताबीज म डालकर पहने और
यह मं का 108 बार जाप करके 108 मं क आहु त द हवन साम ी म कमलग ा होना चा हए हवन क भभूत और कछुए का दांत चांद
के तावीज म डाल कर पहने और यह मं का रोज 11 बार जपे आजमाया हुआ योग है नि चत ह आप के कज मु ि त के माग खुलेगे ।
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श।
1. सबसे पहल मु य वषेशता, ये मं खुद स होते है इनके लया साधक को क ठन अनु ठान करने क आव यकता नह ं है । बस जो
आसान सी व धयां द गयी है वो कर और मं का परभाव खद
ु सा ा कार कर।
2. स कम (दे वता, पीर पैग बर, वीर, िज न आ द कट करना) - अगर आप अ य धक िज ासु साधक है और अपने दे वी दे वता, पीर
पैग बर, वीर, िज न, भूत, पर आ द से सा ात ् होना चाहते है या उनसे अपना काम करवाना चाहते है । तो इन शाबर म से बढ़कर
कोई दस
ू रा सहायक नह ं हो सकता।
3. शां त कम (तां क कम, काला जादू , या कया कराये क काट ) - अगर आपको लगता है क आप पर कोई तां क कम, काला जादू ,
या कया कराये का भाव है तो आपको कसी तां क या औघड़ बाबा के चकर म आने क ज रत नह ं है । स शाबर म से आप
अपना व ् अपने प रवार के सुर ा च बना सकते है िजस से वो सारा भाव ख़तम हो जायेगा। इसके अलावा आप दस
ू र पर से भी झाड़ा
लगा कर उनको ठ क कर सकते है ।
4. व वेषण कम (गलत ेम या बूर लड़क या लड़के को द रू करना ) - अगर आपको लगता है क आपका लड़का या लड़क और भाई या
बहन कसी गलत या कसी बूर लड़क या लड़के के साथ ेम चल रहा है । तो ब चे ऐसे मामल म बड़ो क नह ं सुनते बि क अगर बोलो
और टोको तो वो या तो खुदखुशी या उनके साथ भाग जाते है और दोन ह मामल म घर क इज़ज़त और जान हा न पर बन जाती है ।
उनको यार से समझाओ और व वेषण स मं योग कर वो गलत लड़क या लड़का खुद आपके ब च का पीछा छोड दे गा और कभी
बात करना भी पसंद नह ं करे गा। आप भी खुश और ब चे भी।
5. रोगनाशक कम (बीमार या रोग द रू करना)- आप स शाबर म से व भ न परकार क रोग भी मटा सकते है ब कुल जड़ से।
ले कन यहाँ कुछ मेहनत यादा करनी पड़ती है ।
6. वशीकरण योग (शोसन के खलाफ और धम के लए) - आजकल चार और टाचार और काला बाजार फ़ैल गयी है । और ाइवेट
जॉ स म भी बॉस अपने ए लाइज को सैलर कम दे ते है और काम जयादा करवाते है । यहाँ पर हम अपने हक़ के लए वशीकरण कम का
योग कर करगे य क अपने हक़ के लए लड़ना भी धम है । अगर ेम के लए वशीकरण योग करो तो यान रहे ेम न वाथ और
स चा होना चा हए। वशीकरण का गलत योग करना मानवता का नरादर करना है और भगवान ् उसको कभी माफ़ नह ं करते।
इसी लए इसको हमेशा मानवता क भलाई के लया ह योग कर।
7. त भन कम (श ु को रोकना)- अगर आपका कोई श ु आपको परे शान कर रहा है , तो उसको रोकने के लए आप त भन योग कर
सकते है ।
जैसे कोई आपक स प त और कसी भी व तु को जबद ती ह थयाना चाहता है या आपको आपके घर म ह आकर परे शान करता है तो
इस तरह के म से परे शान करने वाल को भगाया जा सकता है ।
सावधान - स शाबर मं 100% काय करते है और कभी भी न फल नह ं होते इसी लए अ छ तरह और कई बार सोच समझ कर ह
इनका योग करना चा हए।
मं :
कसी भी रोग म औष ध को उ त म से अ भमि त कर ल, तब सेवन कर। औष ध शी एवं पूण लाभ करे गी। यह अनुभूत मं है ।
जय ी महा वनायक गणेश जी को नमो आदे श आदे श ।
जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श ।
कसी भी मं का जाप आसन लगा कर ह कया जाता है , ये आसन मं है कसी जाप के पहले इस मं का जाप कर। कसी भी शुभ घड़ी
मे 108 बार जाप करने ये स हो जाता है ।
२॰ नमक, राई के दाने, पील सरस , मच, पुरानी झाडू का एक टु कड़ा लेकर ‘नजर’ लगे यि त पर से ‘आठ’ बार उतार कर अि न म
जला द। ‘नजर’ लगी होगी, तो मच क धांस नह आयेगी।
३॰ िजस यि त पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे यि त पर उससे हाथ फरवाने से लाभ होता है ।
४॰ पि चमी दे श म नजर लगने क आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फन चर को छू लेता है । ऐसी मा यता है क उसे नजर
नह ं लगेगी।
६॰ इ लाम धम के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अ डा’ या ‘जानवर क कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख द। दरगाह या क से फूल
और अगर-ब ती क राख लाकर ‘नजर’ वाले के सरहाने रख द या खला द।
७॰ एक लोटे म पानी लेकर उसम नमक, खड़ी लाल मच डालकर आठ बार उतारे । फर थाल म दो आकृ तयाँ- एक काजल से, दस
ू र
कुमकुम से बनाए। लोटे का पानी थाल म डाल द। एक ल बी काल या लाल र ग क ब द लेकर उसे तेल म भगोकर ‘नजर’ वाले पर
उतार कर उसका एक कोना चमटे या सँडसी से पकड़ कर नीचे से जला द। उसे थाल के बीचो-बीच ऊपर रख। गरम-गरम काला तेल
पानी वाल थाल म गरे गा। य द नजर लगी होगी तो, छन-छन आवाज आएगी, अ यथा नह ं।
९॰ चाकू से जमीन पे एक आकृ त बनाए। फर चाकू से ‘नजर’ वाले यि त पर से एक-एक कर आठ बार उतारता जाए और आठ बार
जमीन पर बनी आकृ त को काटता जाए।
१०॰ गो-मू पानी म मलाकर थोड़ा-थोड़ा पलाए और उसके आस-पास पानी म मलाकर छड़क द। य द नान करना हो तो थोड़ा नान
के पानी म भी डाल द।
११॰ थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मच लेकर, िजसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सर पर सात बार घुमाकर
आग म डाल द। ‘नजर’-दोष होने पर मच जलने क ग ध नह ं आती।
१२॰ पुराने कपड़े क सात चि दयाँ लेकर, सर पर सात बार घुमाकर आग म जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है ।
१३॰ झाडू को चू हे / गैस क आग म जला कर, चू हे / गैस क तरफ पीठ कर के, ब चे क माता इस जलती झाडू को 7 बार इस तरह
पश कराए क आग क तपन ब चे को न लगे। त प चात ् झाडू को अपनी टाग के बीच से नकाल कर बगै र दे खे ह , चू हे क तरफ
फक द। कुछ समय तक झाडू को वह ं पड़ी रहने द। ब चे को लगी नजर दूर हो जायेगी।
१४॰ नमक क डल , काला कोयला, डंडी वाल 7 लाल मच, राई के दाने तथा फटकर क डल को ब चे या बड़े पर से 7 बार उबार कर,
आग म डालने से सबक नजर दूर हो जाती है ।
१५॰ फटकर क डल को, 7 बार ब चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर आग म डालने से नजर तो दरू होती ह है , नजर लगाने वाले क
धुंधल -सी श ल भी फटकर क डल पर आ जाती है ।
१६॰ तेल क ब ती जला कर, ब चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर दोहाई बोलते हुए द वार पर चपका द। य द नजर लगी होगी तो तेल
क ब ती भभक-भभक कर जलेगी। नजर न लगी होने पर शांत हो कर जलेगी।
इस मं को 108 बार कसी भी अमावशया या पु णमा के दन जाप करने से स हो जाता है । 9 बार जाप करने से सार बाधा दरू होती है
। जाप से पहले गु मं क एक माला और िजनके गु नह ं है वो ॐ नमो शवाय क एक माला जाप करके मं को स कर । अचूक
और पूण लाभकार है ।
जय शं भू-ज त गु गोर नाथ जी महाराज को नमो आदे श आदे श।
उपाय—-
1. तुलसी के पौधे को त दन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का द पक
लगाएं।
2. र ववार को पु य न म वेत आक क जड़ लाकर उससे ीगणेश क
तमा बनाएं फर उ ह खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा
चंद न आ द के उनक पूजा कर। त प चात गणेशजी के बीज मं (ऊँ गं)
के अंत म नम: श द जोड़कर 108 बार जप कर।
3. सुबह गौर -शंकर ा शवजी के मं दर म चढ़ाएं।
4. सब
ु ह बेल प ( ब ब) पर सफेद चंदन क बंद लगाकर मनोरथ
बोलकर शव लंग पर अ पत कर।
5. बड़ के प ते पर मनोकामना लखकर बहते जल म वा हत करने से भी
मनोरथ पू त होती है । मनोकामना कसी भी भाषा म लख सकते ह।
6. नए सूती लाल कपड़े म जटावाला ना रयल बांधकर बहते जल म
वा हत करने से भी मनोकामनाएं पूर हो जाती ह।
सभी चाहते ह क उसके जीवन म खुशहाल रहे और सुख-शां त बनी रहे पर हर यि त के साथ ऐसा नह ं होता। जीवन म सु ख और
शां त का बना रहना काफ मुि कल होता है । ऐसे समय म उसे अपना जीवन नरक लगने लगता है । य द आपके साथ भी यह सम या है
तो आप नीचे लखे साधारण उपाय को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते ह। यह उपाय इस कार ह-
1. सब
ु ह घर से काम के लए नकलने से पहले नय मत प से गाय को
रोट द।
2. एक पा म जल लेकर उसम कंु कुम डालकर बरगद के व ृ पर
नय मत प से चढ़ाएं।
3. सब
ु ह घर से नकलने से पहले घर के सभी सद य अपने माथे पर च दन
तलक लगाएं।
4. मछ लय क आटे क गोल बनाकर खलाएं ।
5. चीं टय को खोपरे व शकर का बूरा मलाकर खलाएं ।
6. शु क तूर को चमक ले पीले कपड़े म लपेटकर अपनी तजोर म
रख।
अ ववा हत व अ धक उ क क या के ववाह के लए
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अगर आपक लडक अ ववा हत है या उसक उ बहुत यादा हो चुक है इसके कारण ववाह होने म कावट आ रह हो तो इसके लए
एक उपाय है : दे वो थान एकादशी कच और दे वयानी क म ी क मू रत बनाकर उन मू तय म ह द , चावल, आते का घोल लगाकर
उनक पूजा करके उ ह एक लकड़ी के फ े से ढक लेते ह. फर उस फ े पर कुमार क या को बठा दया जाता है तो उसका ववाह हो
जाता है ।
राई से कर द र ता नवारण
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पैस का कोइ जग
ु ाड़ न बन रहा हो तथा घर म द र ता का वाश हो तो यह कर: एक पानी भरे घड़े म राई के प ते डालकर इस जल को
अ भमं त करके िजस भी कसी यि त को नान कराया जाएगा उसक द र ता रोग न ट हो जाते ह।
व न म भ व य जान इस तरह भी
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अगर आप व न म भ व य क बात मालूम करना चाहते ह तो जंगल म जाकर िजस वृ पर अमर बेल हो, उसक सात प र मा कर
अमर बे यु त एक लकड़ी को तोड़ लाएं । फर उस लकड़ी को धुप दे कर जला द तथा लता को सरहाने रखकर वचार करते हुए सो जाएं
तो व न म भ व य क बात मालूम हो जाती है ।
ल मी ाि त के टोटके
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ावण के मह ने म 108 ब व प पर च दन से नमः शवाय लखकर इसी मं का जप करते हुए शवजी को अ पत कर। 31 दन
तक यह योग कर, घर म सुख-शां त एवं स आएगी, रोग, बाधा, मुकदमा आ द म लाभ एवं यापार म ग त होगी व नया
रोजगार मलेगा। यह एक अचूक योग है । भगवान ् को भोग लगाई हुई थाल अं तम आदमी के भोजन करने तक ठाकुरजी के सामने
रखी रहे तो रसोई बीच म ख़ म नह ं होती है ।
घर म सुख-शां त के लये
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1. मंगलवार को चना और गुड बंदर को खलाएं ।
2. आठ वष तक के ब च को मीठ गो लयां बाँट।
3. श नवार को गर ब व भखा रय को चना और गुड द अथवा भोजन कराएं।
4. मंगलवार व श नवार को घर म सु दरका ड का पाठ कर या कराएं।
ह के दे वता
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1. सूय के देवता व ण,ु च के दे वता शव, बुध क दे वी दग
ु ा, ह प त के दे वता मा, शु क दे वी ल मी, श न के दे वता शव, राहु
के दे वता सप और केतु के दे वता गणेश। जब भी इन ह का कोप हो तो इन दे वताओं क उपासना करनी चा हए।
2. मनोकामना क पूत हेतु होल के दन से शु करके त दन हनम
ु ान जी को पांच पु प चढाएं, मनोकामना शी पूण होगी।
3. होल क ातः बेलप पर सफ़ेद च दन क बंद लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शव लंग पर स चे मन से अ पत कर। बाद
म सोमवार को कसी मि दर म भोलेनाथ को पंचमेवा क खीर अव य चढाएं, मनोकामना पूर होगी।
दघ
ु टना से बचाव के लये
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हो लका दहन से पव
ू पांच काल गंुजा लेकर होल क पांच प र मा लगाकर अंत म हो लका क ओर पीठ करके पाँच गु जाओं को सर
के ऊपर से पांच बार उतारकर सर के ऊपर से होल म फक द।
होल के दन ातः उठते ह कसी ऐसे यि त से कोई वा तु न ल, िजससे आप वेष रखते ह । सर ढक कर रख। कसी को भी अपना
पहना व या माल नह ं द। इसके अ त र त इस दन श ु या वरोधी से पान, इलायची, ल ग आ द न ल। ये सारे उपाय सावधानी
पूव क कर, द घ
ु टना से बचाव होगा।
वैसे तो और भी परे शानी हो सकती है ! मगर ये मु य प से दे खने को मलती है ! आज कल बहुत यादा लोग पत ृ दोष से पी ड़त
मलते है ! य क आज के बदलते, माहौल क वजह से हम अपने बड़ का आदर-स मान करना भू ल है ! य द आपको भी इनम से कसी
परे शानी का सामना बार-बार करना पड़ता है तो कसी व वान से, पत ृ दोष के बारे म दखावा लेना चा हए ! य द आपको इनम से कोई
परे शानी है ! तो आप यहाँ दए गए, उपाए भी कर सकते है ! ये उपाए बहुत ह स ते और सरल है ! ले कन इनका भाव बहुत होता है !
बस आपको ा और नयम के साथ ये उपाए करने है !
आपका क याण हो
जय ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।
अपने पूव जो के नाम स त अनाज आटे के प ड बनाकर उतने क घी योत लगाये, पूजन करे , मटट के मटके म गंगा जल पंचामत
ृ
स मुख रखे।
इस म का १५१ बार जप करे और शंख वारा प डो को ५-५ बार जल चढ़ाये। उ ह खीर, हलवा, पुर इ याद पंच पकवान का भोग
लगाये, यजमान या साधू को भोग साद दे वे, व दान करे , पत ृ घर, मकान को छोड़कर मुि त को जायगे तथा पतर क कृपा ि ट
सदै व अपने पर बनी रहेगी।
म -
सत नमो आदे श | गु जी को आदे श | ॐ गु जी
ॐ स ह का सकल पसारा, अ य योगी सबसे यारा
स ांला तोड़ चौदह चौक यम क तोड़ हंसा याऊ
मोड़ हं सा तो ला कहा धरे अलष पु ष क सीम,
हं स तो नभय भया काल गया सर फोड़
नराकार के जोत मे रती न ख डी-ख डी हो,
कौन कौन साधू भया हा- व ण-ु महेश,
वे साधू ऐसे भये यम ने पकडे केश,
मो गाय ी जाप स पूण भया, ी माँ कामा या आदे श।
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श।
नरशंु य से आया बाबा शंु य शंु य मेरा काम..।
अलख नरं जन मेरा धाम
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श।
व ध : हण काल म १०८ (108 एक माला) बार जप करे ! लाल मूँगे या ा क माला का योग कर। ऐसा करने पर मं स हो
जायेगा !
आप सबका क याण हो
ी नव हो का मं
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सम त जीव-जगत ् पर सौर-मंडल के नव ह का भाव त ण पड़ता रहता है । मानव के जीवन म जो भी प रि थ तयां और
घटनाओं आती है , उनके मूल म नव ह क ि थ त होती है । खगोल- व ान के मतानुसार उन सभी ह क करण यि त को
भा वत करती है । पौरा णक और यो तषीय-मा यता के अनुसार ह व तुतः दै वी-शि तय से स प न है । अतः उनके भौ तक प
से साम ज य के लये र न-धारण और दै वक- प से अनुकूलन के लये मं जाप करना चा हये । य नव- ह का पूजन- वधान
शा ीय प से बहुत व तार से व णत है , पर वह सामा य-जन के लए सहज सा य नह ं है । अतः यहाँ मा ा को अवल ब बना
कर, कुछ ऐसे सरल वधान दये जा रहे है , ऐसे मं लखे जा रहे है , िजनके नय मत-जप से बहुत लाभ होता है । लाख आ थावान ्
आज भी इन मं ो के जप वारा अपने ह क कृपा ा त कर रह है ।
ी सूय दे वता का मं
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शार रक ौज, तेज, यश, काि त, व या, स प त-वैभव, सौभा य, वाक् - स तथा ने क यो त बढाने म सू ्यदे वता क कृपा परम
सहायक होती है । यह नह , भौ तक-जीवन क सम त समृ -- अ न, धन, पश,ु कृ ष, पु , प नी, पुरजन-प रजन आद से स प न
रखने मे भी भगवान भा कर क कृपा का वषेश मह व है । य द कोई यि त न य ातःकाल भगवान भा कर को अ य दे कर ईस
मं क ऐक माला जपता रहे, तो उसक दै नक-चया बहुत ह आन द द, नरापद और समृ कार रहेगी । कुल जप 10000 होना
चा हए ।
मं
ऊँ ं घृ णः सूयआ द य ीं
ऊँ ां ं सः सूयाय नमः
ऊँ नमः भवे भा कराय अ माकं (....नाम...) सव हणं पीडा नाशनं कु क वाहा ।
ीच दे व का मं
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िजस यि त क कंु डल म च दे व क ि थ त क ट द हो, उसे इस मं का जप (28 हजार) करना चा हये
स सोमाय नमः
ऊँ ां ीं ू ँ सः च ाय नमः ।
ी मंगल मं
--------------
मंगल- ह-ज नत पीड़ा से ाण पाने के लए मंगल का मं (18000) जपने से क ट दरू हो जाता है ।
मं
ऊँ हा्ं ं सः खं खः
ऊँ ां ं ूँ सः भोमाय नमः ।
ी बुध मं
-------------
बौ क शि त के संतु न और स ब न म बुघ ह का मह वपूण योग रहता है । उनक कृपा पाने के लए मं का 18000 जाप
लाभ द होता है ।
मं
ऊँ ां ीं सः बुधाय नमः ।
ी बह
ृ प त मं
------------------
संतान-सुख, ान, त ठा के लए गु दे व क कृपा ईस मं वारा 36000 जाप कर अिजत क जा सकती है ।
ऊँ बं ृ बह
ृ पतये नमः
ऊँ ां ीं सः गु वे नमः ।
ी शु मं
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कला, श प-सौ दय, बौ क-समृ , भाव, ान, राजनी त, समाज- े और मान- त ठा -- यह सभी भौ तक- वधान शु दे वता
क कृपा से 20000 जाप करके पाया जा सकता है ।
ऊँ ां ं सः शु ाय नमः ।
ऊँ व ं मे दे ह शु ाय वाहा ।
ी श न मं
--------------
श न दे वता का कोप व व- व दत है । सामा य दे वता ह नह , बि क इ राज भी उनसे भयभीत रहते है । य द श नदे व कृपालु हो
जाये तो व व क सम त सख
ु -स पदा भ त को दान कर सकते है । य प ऐसा कम ह होता है , तो भी 10000 मं जप के वारा
उनक तकुलता शा त हो जाती है ।
ऊँ शं शनै चराय नमः
ऊँ ां ीं सः शनै चराय नमः ।
राहु मं
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21000 जाप शु वार के दन वरोधी-ग त को शा त करने हे तु
ऊँ ां ीं सः राहवे नमः ।
केतु मं
------------
20000 जाप शु वार के दन वरोधी-ग त को शा त करने हे तु
ऊँ ां ीं सः केतवे नमः
उपाय-टोटके ह थ जीवन के लए
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अपने घर-गह
ृ थी को बनाएं सुखी
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अ सर हम ग ह
ृ थ जीवन म दे खते ह तो गह
ृ थ का सामान टू ट-फूट जाता है या सामान चोर हो जाता है । जो भी आता है असमय ह
ख़ म हो जाता है । रसोई म बरकत नह ं रहती है तो ऐसी ि याँ भोजन बनाने के बाद शेष अि न को न बुझाएं और जब सब जलकर
राख हो जाए तो राख को गोबर म मलाकर रसोई को ल प द। फश हो तो उस राख को पानी म घोलकर उसी पानी से फश डाल। यह
या कई बार कर। घर-गह
ृ थी का छोटा-मोटा सामान, गलास, कटोर , च मच आ द सदै व बने रहगे ।
इ छा के व काय करना पड़ रहा हो तो
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अगर आपको कसी कारणवश कोइ काय अपनी इ छा के वपर त करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाल ल ग एक साथ
जलाकर दो-तीन दन म थोड़ी-थोड़ी खा ल। आपक इ छा के वपर त काय होना बंद हो जाएगा।
भय को द ूर कर ऐसे
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अगर आपको बना कारण भय रहता हो या सांप- ब छू या व य पशुओं का भय रहता हो तो यह कर : बांस क जड़ जलाकर उसे कान
पर धारण करने से भय मट जाता है । नगु डी क जड़ अथवा मोर पंख घर म रख दे ने से सप कभी भी घर म वेश नह ं करता। र व-
पु य योग म ा त सफ़ेद चादर क जड़ लाकर दा भुजा पर बाँधने से व य पशुओं का भय नह ं रहता है साथ ह अि न भय से भी
छुटकारा मल जाता है। केवड़े क जड़ कान पर धारण करने से श ु भय मट जाता है।
पा रवा रक सुख-शां त के लए
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अगर आपके प रवार म अशां त रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो त दन थम रोट के चार भाग कर, िजसका एक गाय को,
दस
ू रा काले कु ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टु कड़ा कसी चौराहे पर रखवा द तो इसके भाव से सम त दोष समा त होकर
प रवार क शां त तथा स बढ़ जाती है ।
दस महा व या के शाबर म :
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सत नमो आदे श । गु जी को आदे श । ॐ गु जी ।
ॐ सोऽहं स क काया, तीसरा ने कुट ठहराया । गगण म डल म अनहद बाजा।
वहाँ दे खा शवजी बैठा, गु हुकम से भतर बैठा, शु य म यान गोरख दठा।
यह यान तपे महेशा, यह यान माजी ला या, यह यान व णु क माया।
ॐ कैलाश ग र से आई पावती दे वी, जाकै स मुख बैठे गोर योगी
दे वी ने जब कया आदे श । नह ं लया आदे श, नह ं दया उपदे श ।
सती मन म ोध समाई, दे खु गोरख अपने माह ,
नौ दरवाजे खुले कपाट, दशवे वारे अि न जाले, जलने लगी तो पार पछताई।
राखी राखी गोरख राखी, म हूँ तेर चेल , संसार सृि ट क हूँ म माई ।
कहो शव-शंकर वामीजी, गोरख योगी कौन है दठा ।
यह तो योगी सबम वरला, तसका कौन वचार ।
हम नह ं जानत, अपनी करणी आप ह जानी । गोरख दे खे स य क ि ट।
ि ट दे ख कर मन भया उनमन, तब गोरख कल बच कहाया ।
हम तो योगी गु मुख बोल , स का मम न जाने कोई ।
कहो पावती दे वीजी अपनी शि त कौन-कौन समाई।
तब सती ने शि त क खेल दखाई, दश महा व या क गटल यो त।
थम यो त महाकाल गटल
=====================
ॐ नरं जन नराकार अवगत पु ष तत-सार, तत-सार म ये योत, योत म ये परम- योत, परम- योत म ये उ प न भई माता
श भु शवानी काल ॐ काल काल महाकाल , कृ ण वण , शव वा हनी, क पोषणी, हाथ ख पर खडग धार , गले मु डमाला हंस
मुखी । िज वा वाला द त काल । म यमांस कार मशान क राणी । मांस खाये र त पीवे । भ म ती माई जहां पाई तहां लगाई।
सत क नाती धम क बेट इ क साल काल क काल जोग क जोगन, नाग क नागन मन माने तो संग रमाई नह ं तो मशान
फरे अकेल चार वीर अ ट भैर , घोर काल अघोर काल अजर बजर अमर काल भख जन
ू नभय काल बला भख, द ु ट को भख, काल
भख पापी पाख डी को भख जती सती को रख, ॐ काल तुम बाला ना वृ ा, दे व ना दानव, नर ना नार दे वीजी तुम तो हो पर मा
काल ।
मं - ॐ ं ीं फ ,
ॐ ऐं ं ीं हूँ फ ।
तत
ृ ीय यो त पुर सु दर गटल
=======================
ॐ नर जन नराकार अवधू मूल वार म ब ध लगाई पवन पलटे गगन समाई, यो त म ये योत ले ि थर हो भई ॐ म याः
उ प न भई उ पुरा सु दर शि त आवो शवधर बैठो, मन उनमन, बुध स च त म भया नाद । तीन एक पुर सु दर भया
काश । हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । ने ा अभय मु ा योग भोग क मो दा यनी । इडा पंगला सुष ना दे वी नागन जोगन
पुर सु दर । उ बाला, बाला तीन मपुर म भया उिजयाला । योगी के घर जोगन बाला, मा व णु शव क माता ।
मं - ं
प चम यो त छ नम ता गटल
=====================
सत का धम सत क काया, म अि न म योग जमाया । काया तपाये जोगी ( शव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छ नम ता, च द
सूर म उपजी सु मनी दे वी, कुट महल म फरे बाला सु दर , तन का मु डा हाथ म ल हा, दा हने हाथ म ख पर धाया । पी पी पीवे
र त, बरसे कुट म तक पर अि न जाल , वेत वण मु त केशा कैची धार । दे वी उमा क शि त छाया, लयी खाये सिृ ट सार ।
च डी, च डी फरे मा डी भख भख बाला भख द ु ट को मु ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठ , ी श भुजती गु
गोरखनाथजी ने भाखी । छ नम ता जपो जाप, पाप क ट ते आपो आप, जो जोगी करे सु मरण पाप पु य से यारा रहे । काल ना
खाये ।
ष टम यो त भैरवी गटल
==================
ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन ने तारा कुटा, गले म माला मु डन क । अभय मु ा पीये धर नाशव ती !
काला ख पर हाथ खंजर कालापीर धम धूप खेव ते वासना गई सातव पाताल, सातव पाताल म ये परम-त व परम-त व म जोत,
जोत म परम जोत, परम जोत म भई उ प न काल-भैरवी, पुर- भैरवी, समपत- दा-भैरवी, कौलेश- भैरवी, स ा-भैरवी, व वं शनी-
भैरवी, चैत य-भैरवी, कमे वर -भैरवी, षटकुटा-भैरवी, न या-भैरवी, जपा-अजपा गोर जप ती यह म म ये नाथजी को सदा
शव ने कहायी । ऋ फूरो स फूरो सत ीश भज
ु ती गु गोरखनाथजी अन त कोट स ा ले उतरे गी काल के पार, भैरवी भैरवी खड़ी
िजन शीश पर, द रू हटे काल जंजाल भैरवी म बैकु ठ वासा । अमर लोक म हुवा नवासा ।
मं ; ॐ स ं ौः
स तम यो त धूमावती गटल
====================
ॐ पाताल नरं जन नराकार, आकाश म डल धु धुकार, आकाश दशा से कौन आये, कौन रथ कौन असवार, आकाश दशा से
धूमाव ती आई, काक वजा का रथ अ वार आई थरै आकाश, वधवा प ल बे हाथ, ल बी नाक कु टल ने द ु टा वभाव, डम बाजे
भ काल , लेश कलह कालरा । डंका डंकनी काल कट कटा हा य कर । जीव र ते जीव भ ते जाजा जीया आकाश तेरा होये ।
धूमाव तीपुर म वास, न होती देवी न देव तहा न होती पू जा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये ीश भुजती गु गोरखनाथ
आप भयी अतीत ।
अ टम यो त बगलामुखी गटल
=====================
ॐ सौ सौ सुता समु दर टापू, टापू म थापा संहासन पीला । संहासन पीले ऊपर कौन बसे । संहासन पीला ऊपर बगलामुखी बसे,
बगलामुखी के कौन संगी कौन साथी । क ची-ब ची-काक-कू तया- वान- च ड़या, ॐ बगला बाला हाथ मु -गर मार, श ु दय पर
सवार तसक िज वा ख चै बाला । बगलामुखी मरणी करणी उ चाटण धरणी, अन त कोट स ने मानी ॐ बगलामुखी रमे
मा डी म डे च दसुर फरे ख डे ख डे । बाला बगलामुखी नमो नम कार ।
मं : ॐ ं ल ं कमला दे वी फ वाहा ।
सुनो पावती हम म ये पूता, आ दनाथ नाती, हम शव व प उलट थापना थापी योगी का योग, दस व या शि त जानो, िजसका
भेद शव शंकर ह पायो । स योग मम जो जाने वरला तसको स न भयी महाका लका । योगी योग न य करे ातः उसे वरद
भुवने वर माता । स ासन स , भया मशानी तसके संग बैठ बगलामुखी । जोगी खड दशन को
कर जानी, खुल गया ताला मा ड भैरवी । नाभी थाने उडी यान बांधी मनीपुर च म बैठ , छ नम ता रानी । ॐकार यान
ला या कुट , गट तारा बाला सु दर । पाताल जोगन (कं ु ड लनी) गगन को चढ़ , जहां पर बैठ पुर सु दर । आलस मोड़े, न ा
तोड़े तसक र ा दे वी धूमाव ती कर । हंसा जाये दसव वारे दे वी मातंगी का आवागमन खोजे । जो कमला दे वी क धूनी चेताये
तसक ऋ स से भ डार भरे । जो दस व या का सु मरण करे । पाप पु य से यारा रहे । योग अ यास से भये स ा आवागमन
नवरते । म पढ़े सो नर अमर लोक म जाये । इतना दस महा व या म जाप स पूण भया । अन त कोट स म, गोदावर
य बक े अनुपान शला, अचलगढ़ पवत पर बैठ ीश भुजती गु गोरखनाथजी ने पढ़ कथ कर सुनाया ीनाथजी गु जी को
आदे श । आदे श ।।
ये दस महा व याओं के शाबर मं दे रहे है जो सव पाप-ताप को हरने क मता रखते है । नीचे द गई फोटो के सामने घी या तल के
तेल का द पक जला कर आप इसका एक पाठ रोज 41 दन तक करने से लाभ मलेगा। सूखे म टान (ल डू-बफ ) या मेवा का भोग
साद माता को अपण कर । इस पाठ के बाद गु गोर नाथ जी क गाय ी का जाप कर । आपका समाधान ज र होगा ।
ॐ शव गोर
ी शंभू य त गु गोर नाथ जी क जय
25-05-2017 वार ग ु वार श न जयंती और जये ठ अमाव या दोन एक ह दन मे पड़ रहे है । आप लोग जो कसी न कसी क ट मे घरे है उनके लए हम
छोट सी व ध बता रहे है िजसके करने से आप सभी अपने क ट से छुटकारा पा सक गे ।
आप कसी भी श न मं दर मे जाकर श न के ऊपर सरस के तेल से अ भषेक कर और मौल (लाल धागा जो हाथ मे कलावे के प मे बांधते है ) अपने सर से
पाव के माप का लेक र उसमे एक आम का प ता बांध कर अपने ऊपर से वार कर कसी नद या सरोवर मे वा हत कर द ।
आपक सार वपदाएं दरू ह गी और आपके पास धन-आगमन का ोत बनेगा । कृपा जाप के समय यान केवल जाप मे ह लगाए ता क आपको उसका पण
ू
लाभ मल सके ।
नौ नाथ का शाबर मं
------------------------
ॐ गु जी
उपरो त मं का जाप ा क माला से एक माला नरं तर जाप करने से सभी क टो का शमन होता है और सारे बगड़े काय बनाने
लगते है । कृपा करके सुब ह हम महूरत मे उपरो त मं का जाप करे ।
ी नव नाथ गाय ी और मं
===================
( 1) ओकार आ दनाथ जी क गाय ी –
मं - ऊँ ी उदयनाथाय नम:
मं - ऊँ ी स यनाथाय नम:
( 4 ) संतोषनाथ ( व णु व पा ) क गाय ी –
मं - ऊँ ी संतोषनाथाय नम:
मं - ऊँ ी ग हुँ फट वाहा
ऊँ ी ग गोर हुँ फट वाहा
ऊँ ी ग गोर नरं जना मने हुँ फट वाहा
ऊँ शव गोर नाथाय नम:
ऊँ शव गोर योगी
सभी पाठक से अनुरोध है क उपरो त गाय ीय का पाठ कर अपने जीवन मे आए क ट से छुटकारा पाएँ
गु गोर नाथ जी के वादश नाम जाप
========================
ॐ गु जी
ी शंभुजती गु गोर नाथ जी के वादश नाम तै कौन-कौन बो लए ।
ॐ गु जी
थमे ी नरं जननाथ जी,
वतीय ी सुधबुधनाथ जी,
तत
ृ ीय ी कले वरनाथ जी,
चतुथ ी स चौरं गीनाथ जी,
पंच मे ी लाल वालनाथ जी,
ष टमे ी वमलनाथ जी,
स तमे ी सवागनाथ जी,
अ टमे ी स यनाथ जी,
नवमे ी गोपालनाथ जी,
दशमे ी े नाथ जी,
एकादशे ी भूचरनाथ जी,
वादशे ी गु गोर नाथ जी,
ॐ नमो: नमो: गु देव को नमो: नमो: सुखधाम ।
नाम लए से नर उबरे, कोट -कोट णाम ॥
इ त ी शंभुजती गु गोर नाथ जी के वादश नाम पठ ते हर ते पाप मो मु ि त पदे -पदे ।
नादमु ा यो त वाला प ड ान काशते ॥
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श ।
रोजाना एक पाठ सब
ु ह-शाम कर और ये पाठ करने के बाद नवनाथ व प का पाठ कर ।
३. गऊ, लोचन व तगर थोड़ी सी मा ा म लाकर लाल कपड़े म बांधकर अपने घर म पूजा थान म रख द। शव कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर समा त हो
जाएगा।
५. कई बार ऐसा होता है क श ु आपक सफलता व तर क से चढ़कर तां क वारा अ भचार कम करा दे ता है। इससे यवसाय बाधा एवं गहृ लेश होता है
अतः इसके द ु भाव से बचने हे तु सवा 1 कलो काले उड़द, सवा 1 कलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े म बांधकर अपने ऊपर से २१ बार घम
ु ाकर
श नवार के दन बहते जल म वसिजत कर व मन म हनम
ु ान जी का यान कर। ऐसा लगातार ७ श नवार कर। तां क अ भकम पूण प से समा त हो
जाएगा।
६. य द आपको ऐसा लग रहा हो क कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के २१ बीज लेक र शव मं दर जाएं व शव लंग पर क चा दध
ू चढ़ाकर धप
ू ब ती
कर तथा शव लंग के नकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रख। अपना नाम, गौ उ चा रत करके भगवान ् शव से अपनी र ा क गह
ु ार कर व एक माला
ुं य मं क जप तथा बीज को एक त कर तांबे के ताबीज म भरकर गले म धारण कर ल।
महामृ यज
७. श ु अनाव यक परे शान कर रहा हो तो नींब ू को ४ भाग म काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इ ट दे व का यान करते हुए चार दशाओं म एक-एक भाग
को फक द व घर आकर अपने हाथ-पांव धो ल। तां क अ भकम से छुटकारा मलेगा।
८. श ु ल प के बध
ु वार को ४ गोमती च अपने सर से घम
ु ाकर चार दशाओं म फक द तो यि त पर कए गए तां क अ भकम का भाव ख म हो जाता है ।
ा का चम का रक रह य
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ा को मनु य जा त के लए चम कार पूण तथा वरदान व प बताया गया है। इसक उ प ती मानव मा के क याण के लए
भगवान शंकर ने अपने अ ुओं से कया है। कहा जाता है क ा धारण करने वाला यि त भगवान शव को अ यंत य होता है।
ा क माला को तं शा म अ य धक मह व पूण एवं चम का रक माना गया है । इसे धारण करने वाले यि त को द घायु
जीवन क ाि त होती है तथा उसक अकाल मृ यु कभी नह हो सकती।
जो मनु य ा धारण करता है उसे जीवन म धम, अथ, काम, तथा मो क ाि त सहज ह हो जाती है , साथ ह साथ मनु य के
अनेक शार रक, मान सक तथा आ थक सम याओं का समाधान होने लगता है तथा मन म अ सम शां त का अनुभव होने लगता है ।
जो यि त कसी भी प म ा धारण कर लेता है उसके सारे सम याओं का नराकरण वतः ह होने लगता है , तथा वह सम त
कार के संकट से बचा रहता है।
ा क माला को तं शा म अ य धक मह व पूण एवं चम का रक माना गया है । इसे धारण करने वाले यि त को द घायु
जीवन क ाि त होती है तथा उसक अकाल मृ यु कभी नह हो सकती। जो मनु य ा धारण करता है उसे जीवन म धम, अथ,
काम, तथा मो क ाि त सहज ह हो जाती है , साथ ह साथ मनु य के अनेक शार रक, मान सक तथा आ थक सम याओं का
समाधान होने लगता है तथा मन म अ सम शां त का अनुभव होने लगता है ।
ा धारण करने वाले यि त के उपर भुत- ेत, जाद-ू टोना, तथा कए-कराए का कोइ आर नह पड़ता। ा धारण करने वाला
यि त तु य हो जाता है उसके पाप, ताप, संताप पूणतः समा त हो जाते ह। चाहे कोई संयासी हो अथवा गह
ृ थ सभी के लए
ा सामान प से उपयोगी माना गया है । िजस घर म न य ा का पूजन कया जाए उस घर म हमेशा सुख शां त बनी रहती है
तथा उसके घर म अचल ल मी का सदा वास होता है ।
ा के मुख के अनुसार पुराण मे इसका मह व तथा उपयो गता का उ लेख मलता है । मु यतः एक मुख से लेकर इि कस मुखी
तक ा ा त होता है तथा येक ा का अपना अलग-अलग मह व तथा उपयो गता होती है ।
एकमुखी ा
*****************
पुराण मे एकमुखी ा को सा ात का व प कहा गया है यह चैत य व प पार म का तक है । एकमुखी ा को अ यंत
दल
ु भ तथा अ व तय माना गया है य क सौभा य शाल मनु य को ह एक मुखी ा ा त होता है ।
इसे धारण करने वाले यि त के जीवन म कसी कार का अभाव नह रहता तथा जीवन म धन, यश, मान-स मान, क ाि त होती
रहती है तथा ल मी चर थाई प से उसके घर म नवास करती है । एकमुखी ा को धारण करने से सभी कार के मान सक एवं
शार रक रोग का नाश होने लगता है तथा उसक सम त मनोकामनाएं वतः पूण होने लगती ह।
परं तु यान रख गोलाकार एकमुखी ा को ह सव े ठ माना गया है यह अ यंत दल
ु भ है। काजू दाने क आकार वाल एकमुखी
ा सरलता से त होती है परं तु यह कम भावी होता है ।
दोमुखी ा
****************
शा म दोमुखी ा को अधना र वर का तक माना गया है । यह शव भ त के लए उ चत एवं उपयोगी माना गया है । इसे
धारण करने से मन म शां त तथा चŸ◌ा म एका ता आने से आ या मीक उ नती तथा सौभा य म व ृ होती है ।
तीनमुखी ा
******************
तीनमुखी ा को सा ात अि न व प माना गया है। इस ा म गुणा मक शि तयाँ समा हत होती ह। इसे धारण करने वाला
यि त अि न के समान तेज वी हो जाता है उसके सभी मनोरथ शी पुरे हो जाते ह। तथा घर म धन-धा य, यश, सौभा य क व ृ
होने लगती है ।
तीनमुखी ा धारण करने से पर ा, इ टर यु, नौकर तथा रोजगार के े म पू ण प से सफलता ा त होती है ।
चारमुखी ा
*****************
चारमुखी ा को म व प माना जाता है । यह श ा के े म पूण प से सफलता दलाने म समथ है । इसे धारण करने वाले
यि त क वाक शि त खर तथा मरण शि त ती हो जाती है और श ा के े म यि त अ णी हो जाता है ।
पाँचमुखी ा
******************
पाँचमुखी ा को सा ात व प है । यह ावतार हनुमान का त न ध व करता है । इसे काला नी नाम से भी जाना जाता है ,
यह या त मा ा म उपल ध होता है ।
माला के लए इसी ा का उपयोग कया जाता है । पंच मुखी ा को कसी भी साधना म स एवं पूण सफलता दायक माना
गया है ।
इसे धारण करने से सांप, ब छु, भुत- ेत जाद-ू टोने से र ा होती है तथा मान सक शां त और फु लता दान करते हुए मनु य के
सम त कार के पाप तथा रोग को न ट करने म समथ है ।
छःमुखी ा
****************
इसे भगवान का तकेय का व प माना गया है । छःमुखी ा को धारण करने से मनु य क खोई हुई शि तयाँ पुनः जागत
ृ होने
लगती ह।
मरण शि त बल तथा बु ती होती है । छःमुखी ा धारण करने से मह या से भी बड़ा पाप न ट हो जाता है । तथा धम, यश
तथा पु य ा त होता है ।
इसे धारण करने से दय रोग, चमरोग, ने रोग, हि टर या तथा दर रोग जैसे वकार न ट हो जाते ह।
सातमुखी ा
*****************
सातमुखी ा स तऋ षय के व प है। इसे धारण करने से धन, संप त, क त और वजय क ाि त होती है तथा काय यापार म
नरं तर बढ़ोतर होती है ।
स तमुखी ा को दघ
ु टना तथा अकाल मृ यु को हरण करने वाला तथा पूण संसा रक सख
ु दान करने वाला बताया गया है ।
अ टमुखी ा
******************
इसे अ टभुजी दे वी माँ दग
ु ा का व प माना गया है । इसे धारण करने से द य ान क ाि त, च त म एका ता तथा केश मुकदम
म सफलता ा त होती है ।
अ टमुखी ा को धारणा करने से आँख मे अजीब सा स मोहन शि त आ जाती है िजससे सामने वाले यि त को भा वत कया
जा सकता है ।
इसके मा यम से कु ड लनी शि त को भी जागत
ृ कया जा सकता है ।
नौमु खी ा
****************
नौमु खी ा नवदुग ा, नव ह, तथा नवनाथ का तक माना जाता है । इसे धारण करने से सम त कार क साधनाओं म सफलता
ा त होती है।
यह अकाल मृ यु नवारक, श ु ओं को परा त करने, मुकदम म सफलता दान करने तथा धन, यश तथा क त दान करने म समथ
है ।
दसमुखी ा
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दसमुखी ा को दसो दशाओं का सुचक तथा द पाल का तक है। इसे धारण करने से सभी कार के लौ कक तथा पारलौ कक
कामनाओं क पू त होती है।
सम त कार के व न बाधाओं तथा तां क बाधाओं से र ा करते हुए सुख-सौभा य क ाि त होती है ।
यारहमुखी ा
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यारहमुखी ा को हनुमान व प माना गया है । इसे धारण करने पर कसी भी चीज का अभाव नह रहता तथा सभी कार के
संकट और क ट दरु हो जाते ह।
इसे धारण करने से सं ामक रोग का नाश होता है । य द बं या ी को भी इसे धारण कराया जाए तो न चय ह उसक संताने पैदा हो
जाती है ।
बारहमुखी ा
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बारह मुखी ा को आ द य व प माना गया है । इसे धारण करने वाला यि त तेज वी तथा शि तशाल बनता है ।
उसके चेहरे पर हमेशा ओज और तेज झलकता रहता है साथ ह सभी कार के शार रक तथा मान सक या धय से मुि त मल जाती
है ।
इसे धरण करने से आँख क रोशनी बढ़ जाती है तथा आँख म स मोहन शि त बढ़ती है ।
तेरहमुखी ा
******************
इसे इ व प माना गया है । इसे धारण करने से सम त कार के स य मे सफलता ा त होती है ।
शार रक सौ दय मे वृ तथा जीवन म यश, मान स मान, पद त ठा क ाि त होती है ।
चैद हमुखी ा
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इसे सा ात पुरार व प माना गया है। इसे धारण करने से वा य लाभ शार रक, मान सक तथा यापा रक उ नती मे सहायक
होता है।
यह म त कार के आ या मीक तथा भौ तक सुख को दान करने म समथ है ।
गौर शंकर ा
*******************
इसे शव तथा शि त का म ीत व प माना गया है । यह ाकृ तक प से व ृ पर ह जड़
ु ा हुआ उ प न होता है । इसे धारण करने पर
शव तथा शि त क संयु त कृपा ा त होती है ।
यह आ थक ि ट से पूण सफलता दायक होता है । पा रवा रक सामंज य आकषण तथा मंगल कामनाओं क स म सहायक होने के
साथ-साथ लड़का-लड़क के ववाह म आ रह बाधाओं को समा त कर वर अथवा बधू क ाि त मे भी सहायक है ।
दभ
ु ा य नाशक य
---------------
यद प सौभा य और दभ
ु ा य मनु य को उसके पव
ू कम के अनुसार ा त होता है , तो भी उसमे अनेक बा य-कारक, जैसे - हदशा,
पा रवा रक- ि त थ और सामािजक- प रवेश, दे श-काल-वातावरण आ द भी भावशाल रहते है | ऐसे बा य-कारक को भा वत करने
( उ ह शश त और नमल बनाने )
म यं साधना नि चत प से भाव डालती है | नीचे लखा यं ऐसा ह है | इसक रचना और साधना के भाव से मनु य के दभ
ु ा य
ीण हो कर सौभा य म बदल जाता है | दष
ु ्ट और दख
ु द प रि थ तय को न ट करके, वह सुख-सु वधा और शां त का वातावरण तुत
कर दे ता है |
यं को बनाने क व ध
-----------------
कसी अ छे म मुहत म केले के प ते या भोजप पर इस यं क रचना कर कपूर, कुमकुम और गोरोचन क याह तथा जायफल क
लकड़ी क कलम से लखे | समरण रहे क लखते समय पूव-पि चम और उ तर-द ण होना चा हए | ( यान रहे क यं ो का दशा
नदश भूगोल के मान च
के म से न होकर इस कार होते है , ऊपर का भाग पूव - नीचे का पि चम - बाई और उ तर और दा हनी और द ण, अतः यं को इसी
अनुसार ह
रचना कर |
इस यं का भाव अनेक कार के व न , संकट को द ूर करके सौभा य को व ृ करता है | बाँझ ी को इसके भाव से संतान उ प त
होती है , पारवा रक और दांप य जीवन सुखमय होता है |
यं का च
----------
॥ गाय ीम ाः ॥
10 ॐ ीरपु ाय व हे अमत
ृ वाय धीम ह त न च ः चोदयात ् ॥
12 अ गारक, भौम, म गल, कुज ॐ वीर वजाय व हे व नह ताय धीम ह त नो भौमः चोदयात ् ॥
16 बध
ु ॐ गज वजाय व हे सुखह ताय धीम ह त नो बध
ु ः चोदयात ् ॥
19 गु ॐ वष
ृ भ वजाय व हे ु नह ताय धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥
20 ॐ सुराचायाय व हे सुर े ठाय धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥
22 ॐ रजदाभाय व हे भग
ृ ुसुताय धीम ह त नः शु ः चोदयात ् ॥
25 ॐ शनै चराय व हे सय
ू पु ाय धीम ह त नो म दः चोदयात ् ॥
32 प ृ वी ॐ पृ वी दे यै व हे सह म य च धीम ह त नः प ृ वी चोदयात ् ॥
57 ॐ महाशू ल यै व हे महादग
ु ायै धीम ह त नो भगवती चोदयात ् ॥
58 ॐ ग रजायै च व हे शव यायै च धीम ह त नो द ग
ु ा चोदयात ् ॥
65 ल मी ॐ महाल मी च व हे व णप
ु नी च धीम ह त नो ल मीः चोदयात ् ॥
69 राधा ॐ वष
ृ भानुजायै व हे कृ ण यायै धीम ह त नो राधा चोदयात ् ॥
70 अ नपूणा ॐ भगव यै च व हे माहे वय च धीम ह त न अ नपूणा चोदयात ् ॥
73 ॐ पु ष य व हे सह ा य धीम ह त नो ः चोदयात ् ॥
82 ष मख
ु ॐ ष मुखाय व हे महासेनाय धीम ह त नः क दः चोदयात ्॥
121 दग
ु ा ॐ का याय यै व हे क याकुमाय धीम ह त नो दग
ु ा चोदयात ् ॥
122 ॐ महादे यै च व हे द ग
ु ायै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥
शां तः
तं क मा यता है इस मांड म कई लोक ह। सभी लोक के अलग-अलग दे वी दे वता ह जो इन लोक म रहते ह । प ृ वी से इन सभी लोक क दरू अलग-
अलग है । मा यता है नजद क लोक म रहने वाले दे वी-दे वता ज द स न होते ह, य क लगातार ठ क दशा और समय पर कसी मं वशेष क साधना
करने पर उन तक तरं गे ज द पहुचं ती ह। यह कारण क य , अ सरा, क नर आ द क साधना ज द पूर होती है, य क इनके लोक प ृ वी से पास ह।
आ दकाल म मख ु प से ये रह यमय जा तयां थीं। दे व,दै य,दानव, रा स,य ,गंधव,अ सराएं, पशाच, क नर, वानर, र झ,भ ल, करात, नाग आ द। ये
सभी मानव से कुछ अलग थे। इन सभी के पास रह यमय ताकत होती थी और ये सभी मानव क कसी न कसी प म मदद करते थे। दे वताओं के बाद
दे वीय शि तय के मामले म य का ह नंबर आता है ।
िजस तरह मख
ु 33 दे वता होते ह, उसी तरह 64 य और य णयां भी होते ह। इनमे से न न 8 य णयां मख
ु मानी जाती है
1.स रु स ु दर य णी
2.मनोहा रणी य णी
3.कनकावती य णी
4.कामे वर य णी
5.र त या य णी
6.प नी य णी
7.नट य णी
8.अनरु ा गणी य णी
& & . ( )
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Yakshini और ह दू के प म बु और बौ धम के प म है । Yakshini (य ी) पु ष के प म य -ऊ ष ्-
य होते ह और वे कुबेर क उपि थ त ह. को ाय: संद
ु र और voluptuous के प म च त कया जाता है और व तत
ृ
waists के साथ, संक ण waists और अ तरंिजत सीने है . त म तीस तथा अनु ठान ेि शंज स हत-छह
का वणन कया जाता है . तं म और क एक समान सूची द जाती है , जहाँ यह कहते
ह क ये लोग जो भी चाहते ह, वह दे नेवाले है .
एड करने के लये बहोत बहोत ध यवा मे लाल कताब और वै दक यो तश का व या थ हु और जो भ मेने शखा है ,जाना है वो
लोग सरल त रके से जाने और समज मे आये ए स भाशा मे रखने का पयाश कया है उसमे कोइ भुल हो तो ज र बताये,जो भ पो ट
कया है वो शेर ज र करे ◌ े एसा करने से ये यान लोगो मे पहुचे और लोगो उसका लाभ उठा शके जय माता द . लाल कताब मे सब के
लये जनरल नयम है ,उसका पालन करने से ८०% सम या का हल हो जाता है .तो क सी भी इलाज श करने से पहले ये परहे ज का
पालन करे .बाद मे कसी भ लालक ताब यो तष से परामश ले और उ का ह उपाय करे जो आपका बना कहे िजवन का आज तक का
ववरण दे र मे से ग ल लकद जग ्ं लगा लोहा कबाजेसे कल ् बो ब ध इलेक क साधन या
इलेक ोनी स साधन,कोइ भ इलेक क साधन या इलेक ोनी स साधन का उपयोग ह ते मे ए बार ज र करे लगातार ब ध ना रखा
करे , र क छत या सडी उपर और नीचे साफ सुथरा रखे,कोइ भ कबाड य़ा ब डी ग मट र य स ना रखे,तुट हुइ चारपाई या मेज-
कुश -रोट बेलने का च ा ना रखे,कु डा ल अनुसार वा तु कराये , बना परामश र मे तो -फोड य़ा मरामत ना करे या मकान ना
ले,पुजा-पाठ या हवन -म गल काय ना करे योक एसा करने से सम या हो शकती है , पराई औरत से या मद से शार र क स बध ना
बनाये, शाद शुद ा कपल दन मे शा र रक स बध ना बनाये, नला -काला-हरा र ग से परहेज करे ,शराब- मट-अ डा क़ा सेवन ना
करे , र साफ् -शुथरा रखे, ्र मे फटा व या बेड शट ना रखे,उतरे कपडे को मु त ना दे , र मे खु बु वाला माहोल रखे खासकर परफुम
का उपयोग करे ,दान कोइ भ करे अपनी क़ू डल अनुसार सलाह लेकर करे , र क पहेल रोट गौ-कुते-कौए को दे ,अपने कु बे मे और
पडोसी से अ छे र ते रखे, क स क मजाक म कर ना करे , क स का बुरा ना करे या ना सोचे,अपने पुवजो के दे व दे वता ाहमन को
ना बदले,अपने पुव जो के प ु न मत जो वधान है वो ब ध ना करे ,जय माता द JAY MATA DI KI लोगो को जानका र मले
इस लये मेरा पेज लाईक करे और उ मे जो पो ट द है वो लोगो मे शेर करे िजि क वजह से लोग बना इलाज के सफ परहेज का
पालन करके सुख पा शकते है जय माता द
चेतावनी:-इस लेख म व णत सभी नयम ,सू एवं या याए,एवं त य हमार नजी अनुभ ू तयो के तर पर है अतः हमार मौ लक संपि त है। व व म कह
भी, कसी भी भाषा म ये इस प म उपल ध नह ं है |लेख को पढ़कर कोई भी योग बना माग दशन के न करे । तं -मं ा द क ज टल एवं पण
ू व वास से
साधना- स ग ु मागदशन म होती है अतः बना ग ु के नदशन के साधनाए ना करे। बना लेखक क ल खतअनम
ु त के लेख के कसी भी अंश का कह भी
का षत करना विजत है। यायलय े दग
ु छ तीसगढ़(©कॉपी राइट ए ट 1957)
JSM OSGY
वामी राम कृ ण परमहं स ,बाम गु वामा, वामी ववेकान द ,क वराज गोपीनाथ , वामी भावान द ,आ द माता को क णामयी
ब स य से भरपूर मानते है ।
कांची कामकोट म कामा ी ,केरल म कुमा रका ,गुजरात मव अ बा ,काम प म कामा या , याग म ल लता, वं याचल म
वं यवा सनी, वाराणसी म वशाला ी ,गया म मंगलावती,बंग ाल म सुंद र ,नेपाल गु ये वर ,आ द भ न भ न थानो पर वह महामाई
सव मंगल करने वाल सवाथ भ ा रका वह महभगवती साधको एवम भ तो का क याण करने हेतु वराजमान है ।।
मशः
सम पत ी गु दे व ।
ॐ।
ी राधे
जय माँ तारा।।
जय माँ काम या क ।
1. येक श नवार को पीपल के व ृ पर जल, क चा दध
ू थोड़ा चढ़ाकर, सात प र मा करके सूय, शंकर, पीपल- इन तीन क स व ध
पूजा कर तथा चढ़े जल को ने म लगाएं और पत ृ दे वाय नम: भी 4 बार बोल तो राहु+केत,ु श न+ पत ृ दोष का नवारण होता है .
2. ात:काल उठते ह माता- पता, गु एवं व ृ जन को णाम कर और उनका आि मक आशीवाद ा त करके दन को सफल बनाएं.
इसके साथ ह 5 सुगं धत अगरब ती लगाकर दन क शु आत कर.
3. न य त गाय को गुड़-रोट द. हो सके तो गाय का पूजन करके 'आज के दन यह कामधेनु वां छत काय करेगी' ऐसी ाथना मन
म कर.
4. न य त कु त को रोट खलानी चा हए और प य को दाना भी डाल तो शु भ है . 5. घर आए मेहमान क सेव ा न काम भाव से
करनी चा हए क् य क अ त थ को भगवान तुल ्य माना गया है .
6. हमेशा ात:काल भोजन बनाते समय माताएं-बहन एक रोट अि नदे व के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बह
ृ प त भगवान को
अ पत कर तो घर म वा तु पु ष को भोग लग जाता है . इससे अ नपूणा भी स न रहती ह.
7. ात: नान करके भगवान शंकर के शव लंग पर जल चढ़ाकर 108 बार 'ॐ नम: शवाय मं क पूजा से यु त दं डवत नम कार
करना चा हए।। ी राधे ।गु कृपा ।।
ॐ
ी राधे
जय माँ तारा
जय माँ काम या क ।
वै दक र ा सू हे थ के लए बहुत ब ढ़या है आजमाकर दे खे लाभ मलेगा िजसको लगता हो मेरे प रवार म कसी ने कुछ कया है तो
कसी भी दन यह काय कर सकते है इस से आप के जीवन म आने वाल मु सीबत टल जायेगी यह तां ो त योग है :इसके लए 5
व तुओं क आव यकता होती है –(१) दूव ा (घास) (२)अ त (चावल) (३) केसर (४) च दन (५) सरस के दाने ।
इन ५ व तुओं को रे शम के कपड़े म लेकर उसे बांधद या सलाई कर द, फर उसे
कलावा म परो द, इन पांच व तुओक
ं ा मह व –(१) दव
ू ा - िजस कार दव
ू ा का एक अंकुर बो दे ने पर तेज़ी से फैलता है और
हज़ार क सं या म उग जाता है , उसी कार मेरे बेटे या प त का वंश और उसमे सदगुण
का वकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन क प व ता ती ता से बदता जाए । द व
ू ा
गणेश जी को य है अथात हम िजसे हमबाँधरहे ह, उनके जीवन म व न
का नाश हो जाए ।(२) अ त - हमार गु दे व के त ा कभी त- व त ना हो सदा अ त
रहे ।(३) केसर - केसर क कृ त तेज़ होती है अथात हम िजसे हम सू बाँध रहे ह, वह
तेज वी हो । उनके जीवन म आ याि मकता का तेज, भि त कातेज कभी कम ना हो ।(४) च दन - च दनक कृ त तेज होती है और
यह सुगंध दे ता है । उसी कार
उनके जीवन म शीतलता बनी रहे, कभीमान सक तनाव ना हो । साथ ह उनके जीवन म परोपकार, सदाचार और संयम क सुगंध
फैलती रहे ।(५) सरस के दाने- सरस क कृ त ती ण होती है अथात इससे यह संकेत
मलता है क समाज के द ग
ु ु ण को, कंटक कोसमा त करने म हम ती ण बन
येन ब ो ब ल राजा, दानवे ोमहाबलः ।तेन वाम र ब ना म, र े माचल माचल: ।।। ी राधे।। गु कृपा केवलं।।