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ु ू योग ,पत

वड ु ल व या और काला जाद ू
[Vudoo spell ,Putli Vidya and Black Magic]
================================== [[ भाग -१ ]]
वूडू एक ऐसी व या है जो एक धम का प ले चुक है |यह जादग
ू र के धम के प म जानी जाती है और मूल प से इसका नाम
अ का के आ दवा सय से स ब ध रखता है |वुडू नाम ह अ का से स बं धत होता है ,जब क इस तरह के जादू से समबि धत
ायो गक धम द ु नया के हर ह से म भ न प से आ दम जनजा तय म पाए जाते ह |हर दे श और े म इसका नाम और
ायो गक तर का थोड़े बहुत फेरबदल के साथ अलग हो सकता है ले कन मूलतः यह जादू -टोने ,झाड़ -फूंक , थानीय दे वता और
थानीय परं परा से स बं धत होता है |
इसे पूरे अ का का धम माना जा सकता है , ले कन केर बी वीप समूह म आज भी यह जादू क धा मक परं परा िजंदा है और यहाँ इसे
वा त वक माना जाता है । इसे यहां वूडू कहा जाता है ।इसी के नाम पर पुतल व या को लोग वुडू के नाम से जानने लगे | हाल-
फलहाल बनीन देश का उइदा गांव वूडू बहुल े है । यहां सबसे बड़ा वूडू मं दर है , जहां व च दे वताओं के साथ रखी है जाद-ू टोने क
व तए
ु ं। धन-धा य, यापार और ेम म सफलता क कामना लए अ का के कोने-कोने से यहां लोग आते ह। कई गांव म वूडू को
दे वता माना जाता है . दे वता से मनोकामना पूर करने क मांग क जाती है . एक वू डू दे वता का नाम जपाटा है या न प ृ वी का
दे वता.दे वताओं क पूजा के दौरान ए कोहल, बीयर और सगरे ट भी चढ़ाई जाती है . कुछ जगह पर मु ग या बकरे क ब ल भी द जाती
है . लोग मानते ह क हर दे वता का खुश होने का अपना टाइल है .जो लोग भ व य जानना चाहते ह, वे फा कहे जाने वाले ओझाओं से
मलते है . कोई भी सवाल नह ं कया जा सकता. अपनी मृ यु के बारे म सवाल करना विजत है ..
वूडू कृ त के पंचत व पर व वास करते ह। जैसा क भारत के आ दवा सय म समूह म गाने और नाचने क परं परा है वैसा ह वूडू
नतक परं परागत ढोल-डम ओं क ताल पर नाच कर दे वताओं का आ वान करते ह। ये ाथनागत नाच गाना कई घंट तक चलता है ।
इस तरह क परंपरा को अं ेजी म टे बू कह सकते ह। यह आज भी द ु नया भर म िजंदा है । नाम कुछ भी हो पर इसे आप आ दम धम
कह सकते ह। इसे लगभग 6000 वष से भी यादा पुराना धम माना जाता है । ईसाई और इ लाम धम के चार- सार के बाद इसके
मानने वाल क सं या घटती गई और आज यह पि चम अ का के कुछ इलाक म ह समट कर रह गया है । हालां क वूडू को आप
बंजार , आ दवा सय , जंगल म रहने वाल का का प नक या पछड़ का धम मानते ह, ले कन गहराई से अ ययन करने पर पता
चलता है क वूडू क परं परा आज के आधु नक धम म भी यू लुक के साथ मौजद
ू है । भारत म तां क और शा त का धम कुछ-कुछ
ऐसा ह माना जा सकता है । या चच म भूत भगाने के उप म नह ं कए जाते? मं दर म भूत - ेत का नवारण नह ं होता ,तां क म
आ दम म का योग और आ दम प तय का योग नह ं होता |यह सब ाचीन इ ह पर पराओं से थान वशेष के साथ थोडा
थोडा बदलते हुए सद
ू ूर े तक जाकर अलग प ले लेता है |
वुडू क मु य वशेषता इसम इ तेमाल होने वाले जानवर के शर र के ह से व पुतले ह | इसम जानवर के अंग से सम या समाधान
का दावा कया जाता है । इस जादू से पूवज क आ मा कसी शर र म बुलाकर भी अपना काम करवा सकते ह। इसके अलावा दूर बैठे
इंसान के रोग व परे शानी के इलाज के लए पुतले का भी उपयोग कया जाता है । वू डू जानने वाल का मानना है क इस धरती पर
मौजद
ू हर जीव शि त से प रपूण है । इस लए उनक ऊजा का उपयोग करके बीमा रय को ठ क कया जा सकता है । काला जादू के
वशेष के अनुसार यह वो ऊजा (शि त) है िजसका इ तेमान नह ं होता।भारतीय वै दक परं परा और तं शा दोन म पुतल
नमाण क अवधारणा रह है और इसका भ न प म उपयोग भी वै दक काल से ह रहा है जब क वै दक काल लाख वष पूव का
माना जाता है ,य य प या और पदाथ भ न हो जाते ह |ए शया क आ दम जनजा तय म यह या अलग प म पाने जाती है
और अलग धम म अलग प म |इसे यहाँ वुडू क तरह धम का प तो नह ं ा त क तु इसका योग हमेशा से होता आया है |जैसे
कसी खोये यि त के न मलने पर उसे मत
ृ क मान उसका पुतला बनाकर आ वान कर उसका शव दाह करना |पूजन म व भ न
खा य व तुओं से व भ न जंतु अथवा शर र क आकृ त का नमाण कर व वध उपयोग करना | मटट के पुतले आ द का नमाण कर
उसपर व भ न याएं करना ,धातु के पुतल का उपयोग आ द |यह वै दक और पुरातन काल से हो रहा अथात वुडू से भी ाचीन
व या यह हमारे सं कृ त म ह |[Tantra Marg लॉग के लए ल खत लेख - मशः ]
वुडू को लोग काला जादू मानते ह ,पुतल व या को लोग काला जादू मानते ह जब क ऐसा बलकुल भी नह ं है |दोन म ह मू ल
अवधारणा लोग क भलाई ह थी क तु िजस कार तं का उपयोग वाथ हे तु करने से वह दु पयोग हो गया वैसा ह वुडू के साथ हुआ
और हर कार क ऐसी याओं के साथ हुआ |कारण यह क यह व या ऊजा उपयोग और ऊजा ेपण क है िजसको इ छानु सार
योग कया जाता है |जब यह इ छा वाथ हो तो द ु पयोग हो जाती है और जब यह इ छा लोगो क भलाई क हो तो सद ुपयोग हो
जाती है |वा तव म वुडू ,पुतल नमाण अथवा ऐसी सम त व याएँ तं व ान के अंतगत आती ह िजनका अपना नि चत व ान
होता है जो आज के व ान से भी बहुत आगे ह |यह एक बहुत ह दल
ु भ या है िजसे बहुत ह वशेष प रि थ तय म अंजाम दया
जाता है । इसे करने के लए उ च तर क वशेष ता क ज रत होती है ।कु छ ह लोग इसे करने म स म होते ह। इस या म
गु ड़या जैसी मू त का इ तेमाल होगा है । यह गु ड़या कई तरह क खाने क चीज जैसे बेसन, उड़द के आटे ,कपडे ,धातु ,लकड़ी ,बाल
,वन प त ,पौधे अथवा उनके अवयव आ द से बनाया जाता है ,जैसी े वशेष अथवा समुदाय वशेष क परं परा हो अथवा जैसी
ज रत हो । इसम वशेष मं से जान डाल जाती है । उसके बाद िजस यि त पर जादू करना होता है उसका नाम लेकर पुतले को
जागत
ृ कया जाता है । इस या को सीखने के लए यि त को वशेष ाथना और पूजा पाठ करनी पड़ती है । कड़ी तप या के बाद ह
यह स ा त होती है |
काला जादू हो या सफ़ेद जादू अथवा कोई भी यि त वशेष पर आधा रत तां क या यह और कुछ नह ं बस एक सं गृ हत ऊजा है ।
जो एक थान से दस
ू रे थान तक भेजा जाता है या कह एक इं सान के वारा दस
ू रे इंसान पर भेजा जाता है। व ान क भाषा म ऊजा
को न तो बनाया जा सकता है , न ख म कया जा सकता है , उसे सफ एक प से दूसरे प म बदला जा सकता है । य द ऊजा का
सकारा मक इ तेमाल है , तो नकारा मक इ तेमाल भी है । ऊजा सफ ऊजा होती है , वह न तो पॉजी टव होती है , न नेगे टव। आप
उससे कुछ भी कर सकते ह।वुडू अथवा पुतल व या यि त वशेष अथवा कसी एक मू ल यि त पर ह मू ल प से आधा रत व या
है जब क भारतीय मूल तं आ द बहु आयामी योग पर आधा रत ह |वुडू आ द जैसी व याओं म थानीय म , थानीय व तुओं
का उपयोग होता है जैसे हमारे यहाँ मूलतः यि त आधा रत ामीण याओं म शाबर म का उपयोग होता है |ऐसा ह हर जाती
,जनजा त ,धम , े म होता है और इसम मु य शि त भी थानीय दे वता ह होता है | पुतले से कसी इंसान को तकल फ पहुंचाना
इस जादू का उ े य नह ं है । इसे भगवान शव ने अपने भ त को दया था भा रय परं परा और तं म ,जब क अ य जगह इसे वहां का
थानीय दे वता अपने लोग क भलाई के लए दया अथवा बताया होता है । पुराने समय म इस तरह का पुतला बनाकर उस पर योग
सफ कह ं दरू बैठे रोगी के उपचार व परे शा नयां द रू करने के लए कया जाता था। कुछ समय तक ऐसा करने पर तकल फ ख म हो
जाती थी। मगर समय के साथ-साथ इसका द ु पयोग होने लगा।वुडू म भी यह पर परा रह और हर कार के पुतला नमाण म भी
|वै दक पुतला नमाण बलकुल अलग या थी िजसमे इसे मुि त और मो तक जोड़ा गया है |
कुछ वाथ लोग ने इस ाचीन वधा को समाज के सामने गलत प म था पत कया। तभी से इसे काला जादू नाम दया जाने
लगा। दरअसल, उ ह ने अपनी ऊजा का उपयोग समाज को नुकसान पहुंचाने के लए कया। गौरतलब है िजस तरह जादू क सहायता
से सकारा मक या धना मक ऊजा पहुंचाकर कसी के रोग व परे शानी को दरू कया जा सकता है । ठ क उसी तरह सुई के मा यम से
कसी तक अपनी नकारा मक ऊजा पहुंचाकर। उसे तकल फ भी द जा सकती है । जब यह कसी को क ट दे ती है अथवा हा न
प हुचाती है तब यह काला जादू कहलाती है ,और जब लाभ पहुचाती है तो सफ़ेद जादू ,य य प यह दोन ह नाम बस म ह ,जादू कोई
भी न काला होता है न सफ़ेद |यह तो बस ऊजा का उपयोग और उसका एक थान से दुसरे थान तक थाना तरण और व प
प रवतन मा है |सद ुपयोग -द ु पयोग दोन उसी या से हो सकता है जो करता क इ छा पर नभर करता है |..........[ मशः
][[अगला अंक -पुतल व या अथवा वुडू कैसे काय करता है ]]...............................................................हर -हर महादे व
शर र क कमजोर ,च कर आना,B P हाई या low होना ::
°°°°°°°°°°°°°’°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
★ दमाग म Blood पया त मा ा म न पहुंचने पाने पर या फर लड ेशर कम या अ धक हो जाने पर च कर आने लगते है , िजसे
vertigo कहते है च कर आने के कारण शर र म खून क कमी, कान म सं मण होना, माई ेन, धूप म रहना, आंख क सम या,
गम , सर क ताजा चोट, दय के रोग, अ धक संभोग करना, अबुद, खून म कैि शयम का तर बगड जाना और म हलओं म मा सक
धम क खराबी हो जाना ये आम बात हो गई है ।
इसके लए ये उपाय करे ::

★ 10 ाम गेहूं,
★ 5 ाम पो तदाना,
★ 7 बादाम,
★ 7क ू के बीज

---इन सबको लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पे ट बनाल। अब कढाई म थोडा सा गाय का घी गरम कर और इसम 2-3 ल ग
पीसकर डाल द। अब बनाया हुआ पे ट इसम डालकर एक मनट आंच द। इस म ण को एक गलास दध
ू म घोलकर पय। च कर आने
म असरदार वा द ट नु खा है ।

★ हमेशा करे ,,

(1) ना रयल का पानी रोज पीने से च कर आना बंद हो जाते ह।


(2) खरबूजे के बीज क गर गाय के घी म भुन ल। इसे पीसकर रख ल। 5 ाम क मा ा म सुबह शाम लेने से च कर आने क सम या
से मुि त मल जाती है ।
(3) 15 ाम मुन का दे शी घी म भुनकर उस पर सधा नमक बुरककर सोते समय खाने से च कर आने का रोग मट जाता है ।
(4) सूखा आंवला पीस ल। दस ाम आंवला चूण और 10 ाम ध नया का पावडर एक गलास पानी म डालकर रात को रख द। सुबह
अ छ तरह मलाकर छानकर पी जाएं । च कर आने म आशातीत लाभ होगा।
(5) अदरक लगभग 20 ाम क मा ा म बार क काटकर पानी म उबाल आधा रह जाने पर छानकर पीय। अदरक का रस भी इतना ह
उपकार है ।स जी बनाने म भी अदरक का भरपू र उपयोग कर। चाय बनाने म अदरक का योग कर।अदरक कसी भी तरह खाएं च कर
आने के रोग म आशातीत लाभकार है ।
(6) तुलसी के 20 प ते पीसकर शहद मलाकर चाटने से च कर आने क सम या काफ़ हद तक नयं ण म आ जाती है ।
(7) काल - मच चबाने से जी नह ं मचलाता और च कर नह ं आते।

परहेज करे ::

★★. चाय,काफ़ और तल गल मसालेदार चीज से परहेज करना आव यक है ।

आइये समाज म फैले कुछ ष यं पर काश डाल :-


अधस य ---फलां फलां तेल म कोले ोल नह ं होता है !

पूणस य --- कसी भी तेल म कोले ोल नह ं होता ये केवल यकृत म बनता है ।

अधस य ---सोयाबीन म भरपूर ोट न होता है !

पूणस य---सोयाबीन सूअर का आहार है मनु य के खाने लायक नह ं है ! भारत म अ न क कमी नह ं है , इसे सूअर आसानी से पचा
सकता है , मनु य नह ! िजन दे श म 8 -9 मह ने ठ ड रहती है वहां सोयाबीन जैसे आहार चलते है ।

अधस य---घी पचने म भार होता है

पूणस य---बुढ़ ापे म मि त क, आँत और सं धय (joints) म खापन आने लगता है , इस लए घी खाना बहुत ज र होता है !और
भारत म घी का अथ दे शी गाय के घी से ह होता है ।

अधस य---घी खाने से मोटापा बढ़ता है !

पूणस य---(ष यं चार ) ता क लोग घी खाना बंद कर द और अ धक से अ धक गाय मांस क मं डय तक पहुंचे, जो यि त पहले
पतला हो और बाद म मोटा हो जाये वह घी खाने से पतला हो जाता है

अधस य---घी दय के लए हा नकारक है !

पूणस य---दे शी गाय का घी दय के लए अमत


ृ है , पंचग य म इसका थान है ।
अधस य---डेयर उ योग द ु ध उ योग है !

पूणस य---डेयर उ योग -मांस उ योग है ! यंहा बछड़ो और बैल को, कमजोर और बीमार गाय को, और दूध दे ना बंद करने पर व थ
गाय को क लखान म भेज दया जाता है ! द ध
ू डेय र का गौण उ पाद है ।

अधस य---आयोडाईज नमक से आयोडीन क कमी पूर होती है !

पूणस य--- आयोडाइज नमक का कोई इ तहास नह ं है , ये पि चम का कंपनी ष यं है आयडाइज आयोडीन नह ं पोटे शयम आयोडेट
होता है जो भोजन पकाने पर गम करते समय उड़ जाता है वदे शी जागरण मंच के वरोध के फल व प
सन ्2000 म भाजपा सरकार ने ये तब ध हटा लया था, ले कन कां ेस ने स ता म आते ह इसे फर से लगा दया ता क लूट तं
चलता रहे और वदे शी क प नयाँ पनपती रहे ।

अधस य--- श कर (चीनी ) का कारखाना !

पूणस य--- श कर (चीनी ) का कारखाना इस नाम क आड़ म चलने वाला शराब का कारखाना श कर इसका गौण उ पाद है ।

अधस य---श कर (चीनी ) सफ़ेद जहर है !

पूणस य--- रासाय नक या के कारण कारखान म बनी सफ़ेद श कर(चीनी) जहर है ! प परागत श कर एकदम सफ़ेद नह ं होती
! थोडा ह का भूरा रं ग लए होती है !

अधस य--- ज म आहार ताज़ा होता है !

पूणस य--- ज म आहार ताज़ा दखता है पर होता नह ं है जब ज का अ व कार नह ं हुआ था तो इतनी दे र रखे हुए खाने को बासा
/ सडा हुआ खाना कहते थे ।

अधस य--- चाय से ताजगी आती है !


पूणस य--- ताजगी गरम पानी से आती है ! चाय तो केवल नशा( नको टन) है ।

अधस य---एलोपैथी वा य व ान है !

पूणस य---एलोपैथी वा य व ानं नह ं च क सा व ान है !

अधस य---एलोपैथी व ानं ने बहुत तर क क है !

पूणस य--- दवाई कंप नय ने बहुत तर क क है ! एलोपैथी म मूल दवाइयां 480-520 है जब क बाज़ार म 1 लाख से अ धक दवाइयां
बक रह है ।

अधस य--- बै ट रया वायरस के कारण रोग होते ह !

पूणस य--- शर र म बै ट रया वायरस के लायक वातावरण तैय ार होने पर रोग होते ह !

अधस य--- आज के युग म माक टंग का बहुत वकास हो गया है !

पूणस य--- माक टंग का नह ं ठगी का वकास हो गया है ! माल गुणव ता के आधार पर नह ं व भ न लोभन व जुए के वारा बेचा
जाता है !
जैसे म गोरा बनाती है !भाई कोई भस को गोरा बना के दखाओ !

अधस य--- ट वी मनोरंजन के लए घर घर तक पहुँचाया गया है !

पूणस य--- जब ट वी नह ं था तब लोग का जीवन दे खो और आज दे खो जो आज इ टरनेट पर बैठे सुलभता से जीवन जी रहे ह !उ ह


अहसास नह ं होगा कंप नय का माल बकवाने और प रवार यव था को तोड़ने,पहुँचाया जाता है !

अधस य--- टू थपे ट से दांत साफ होते ह !

पूणस य--- टू थपे ट करने वाले यूरोप म हर तीन म से एक के दांत ख़राब ह दं तमंजन करने से दांत साफ होते ह मंजन -मांजना, या
बतन श से साफ होते ह ? मसूड़ क मा लश करने से दांत क जड़ मजबूत भी होती ह !

अधस य--- साबुन मैल साफ कर वचा क र ा करता है !

पूणस य--- साबुन म ि थत के मकल (काि टक सोडा, एस. एल. एस.) और चब वचा को नुकसान पहुंचाते ह, और डा टर इसी लए
चम रोग होने पर साबुन लगाने से मना करते ह ! साबुन म गौ क चब पाए जाने पर वरोध होने से पहले हंद ु तान ल वर हर साबुन म
गाय क चब का उपयोग करती थी।

★ कडनी को साफ़ कर वह भी सफ 5 पये म।


हमार कडनी एक बेहतर न फ टर ह जो साल से हमारे खून क गंदगी को साफ़ करने का काम करती ह मगर हर फ टर क
तरह इसको भी साफ़ करने क ज रत ह ता क ये और भी अ छा काम कर।
आज हम आपको बता रहे ह इसक सफाई के बारे म और वह भी सफ 5 पये म।
एक मु ी भर ध नया ल िजए इसको छोटे छोटे टुकड़ म काट ल और अ छ तरह धुलाई कर ले। फर एक बतन म १ ल टर पानी
डाल कर इन टुकड़ को डाल दे , 10 मनट तक धीमी आँच पर पकने दे , बस अब इसको छान ल और ठं डा होने दो अब इस क
ं को हर
रोज़ एक गलास खाल पेट पएँ। आप दे खगे के आपके पेशाब के साथ सार गंदगी बाहर आ रह ह।

NOTE : - इसके साथ थोड़ी से अजवायन डाल ल तो सोने पे सुहागा हो जाए।

अब समझ आया क हमार माँ अ सर ध नये क चटनी य बनाती थी और हम आज उनको old fashion कहते ह।

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महाशि तशाल बगलामख
ु ीय /कवच
==========================
सावभौम उ न त ,लाभ द ऊजा वाह और नकारा मकता ,भत
ू - ेत के शमन हेत ु
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भगवती बगलामख ु ी दस महा व याओं म से एक मख ु महा व या और शि त ह ,िज ह मा व या या शि त भी कहा जाता है |यह परम तेजोमय
शि त है िजनक शि त का मल
ू स ू - ाण स ू है | ाण स ू , येक ाणी म स ु त अव था म होता है जो इनक साधना से चैत य होता है ,इसक चैत यता
से सम त ष कम भी स हो सकते है ,,बगलामख
ु ी को स व या भी कहा जाता है ,मल
ू तः यह त भन क दे वी है पर सम त ष कम इनके वारा स
होते है और अंततः यह मो दान करने म स म है …
,ताबीज आ द म एक बह
ृ द उजा व ानं काम करता है ,जो मांडीय उजा संरचना , या ,तरं ग ,उनसे न मत भौ तक इकाइय क उजा संरचना का व ानं
है ,,,इस उजा संरचना को ह तं कहा जाता है |इसक तकनीक कृ त क वाभा वक तकनीक है ,,,यह तकनीक तं ,योग , स ,साधना म य ु त क
जाती है ,-ताबीज म ाणी के शार र और कृ त क उजा संरचना ह काय करती है ,,इनका म ु या आधार मान सक शि त का क करण और भावना होता है
ु म एक उजा प रपथ काय करता है ,म ृ यु के बाद भी इनमे तरंगे काय करती है ,,,,इनमे व भ न तरं गे
,,,, कृ त म उपि थत वन प तय और ज तओ
वीकार क जाती है और न का सत क जाती है |जब कसी वा त ु या पदाथ पर मान सक शि त और भावना को क कृत करके व श ट या क जाती है
तो उस पदाथ से तरं ग का उ सजन होने लगता है ,,,,िजस भावना से उनका योग िजसके लए कया जाता है ,वह इि छत थान पर वैसा काय करने लगता
है ,,ताबीज बनाने वाला जब अपने ई ट म सचमच
ु डूबता है तो वह अपने ई ट के अनस
ु ार भाव को ा त होता है ,,भाव गहन है तो मान सक शि त एका
होती है ,िजससे वह शि तशाल होती है ,यह शि तशाल हुई तो उसके उजा प रपथ का आंत रक तं शि तशाल होता है और शि तशाल तरंगे उ सिजत
करता है |ऐसा यि त य द कसी वशेष समय,ऋत-ू मॉस म वशेष तर के से , वशेष पदाथ को लेक र अपनी मान सक शि त और म से उसे स करता है
तो वह ताबीज धारक यि त को उस भाव क तरंग से ल त कर देता है |यह सम त या शार र के उजा च को भा वत करती है और तदनस
ु ार यि त
को उनका भाव दखाई दे ता है ,साथ ह इनका भाव आस पास के वातावरण पर भी पड़ता है यो क तरंग का उ सजन आसपास भी भा वत करता है |
बगलामख
ु ीय माता बगलामख
ु ी का नवास माना जाता है िजसमे वह अपने अंग व याओ ,शि तय ,दे व के साथ नवास करती है ,अतः य के साथ
इन सबका जुड़ाव और सा न य ा त होता है ,,य के अनेक उपयोग है ,यह धातु अथवा भोजप पर बना हो सकता है ,पूजन म धातु के य का ह
अ धकतर उपयोग होता है ,पर स यि त से ा त भोजप पर न मत य बेहद भावकार होता है ,,धारण हेत ु भोजप के य को धातु के खोल म
बंदकर उपयोग करते है ,,जब यि त वयं साधना करने म स म न हो तो य धारण मा से उसे सम त लाभ ा त हो सकते है ,|
य /कवच धारण से लाभ
---------------------------------..
१. बगलामख ु ी क कृपा से यि त क सावभौम उ न त होती है |,
२. श ु परािजत होते है ,सव वजय मलती है |
३. ,मक
ु दमो म वजय मलती है ,वाद ववाद म सफलता मलती है |
४. अ धकार वग क अनक
ु ू लता ा त होती है ,|
५. वरोधी क वाणी ,ग त का त भन होता है |,
६. श ु क बु ट हो जाती है ,उसका वयं वनाश होने लगता है |,,
७. ऐ वय क ाि त होती है ,|हर काय और थान पर सफलता बढ़ जाती है |
८. यि त के आभामंडल म प रवतन होने से लोग आक षत होते है |,
९. भावशा लता बढ़ जाती है ,वाय य बाधाओं से सरु ा होती है |,
१०. तां क याओं के भाव समा त हो जाते है ,स मान ा त होता है ,|
११. ,पर ा , तयो गता आ द म सफलता बढ़ जाती है |,
१२. भत
ू - ेत-वाय य बाधा क शि त ीण होती है यो क इसम से नकलने वाल सकारा मक तरंगे उनके नकारा मक ऊजा का ास करते ह और उ ह
क ट होता है |,
१३. मांग लक और उ दे वी होने से नकारा मक शि तयां इनसे दरू भागती ह |
१४. मांग लक ,पा रवा रक काय म आ रह कावट दरू होती है |
१५. धारक पर से कसी भी तरह के नकारा मक दोष दरू होते ह |
१६. शर र म सकारा मक ऊजा वाह बढने से आ मबल और कायशीलता म व ृ होती है |
१७. आल य , माद का ास होता है | यि त क सोच म प रवतन आता है ,उ साह म व ृ होती है |
१८. कसी भी यि त के सामने जाने पर सामने वाला भा वत हो बात मानता है और उसका वरोध ीण होता है |,
१९. घर -प रवार म ि थत नकारा मक ऊजा क शि त ीण होती है |
२०. नौकर , यवसाय ,काय म था य व ा त होता है |
यह सम त भाव य धारण से भी ा त होते है और साधना से भी ,साधना से यि त म वयं यह शि त उ प न होती है |,य धारण से य के कारण
यह उ प न होता है |,य म उसे बनाने वाले साधक का मान सक बल ,उसक शि त से अवत रत और ति ठत भगवती क पारलौ कक शि त होती है जो
वह स पण
ू भाव दान करती है जो साधना म ा त होती है |,अतः आज के समय म यह साधना अथवा य धारण बेहद उपयोगी है
|..............................................................हर-हर महादेव

:::::::::: :::बगलाम ुख ी [ मा व या ]महासाधना और भाव ::::::::::::::::


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...................महा व या ी बगलामख
ु ी दश महा व या के अंतगत ी कुल क महा व या है ,िजनक पूजा साधना से सवाभी ट क ाि त होती है ,, ह दोष
,श ु बाधा ,रोग-शोक-द ु ट भाव ,वाय य बाधा से मिु त मलती है ,सव ु दमे म वजय मलती है
वजय ,स मान ,ऐ वय ा त होता है ,वाद- ववाद ,मक
,अ धकार वग वशीभत
ू होता है ,सामने वाले का वाक् त भन होता है और साधक को वाक् स ा त होती है ,,इनक साधना से लौ कक और अलौ कक
फलो क ाि त होती है ,,
ु ी क साधना दि शना नाय अथवा उ वा नाय से होती है ,,दि सना नाय म इनक दो भज
...........महा व या ी बगलामख ु ाये मानी जाती है और मं म
ि म बीज का योग होता है ,,उ वा नाय म इनक चार भज
ु ाये मानी जाती है और इनका व प मा व पणी बगला का हो जाता है ,इस व प म
ं बीज का योग होता है ,,.
.........बगलामख
ु ी साधना म इनके मं का सवा लाख जप ,दशांश हवन ,तपण ,माजन , ा मण भोजन का वधान है इनक साधना म सभी व तुए पील ह
उपयोग म लाने का वधान है यथा पीले फुल ,फल ,व , म ठा न आ द ,जप ह द क माला पर कया जाता है ,,.
........साधना के ारं भ के लए सव तम महु ूत कृ ण चतुदशी और मंगलवार का संयोग होता है ,, क तु कृ ण चतद
ु शी ,नवरा ,चतुथ ,नवमी [श न-मंग ल-
भ ा योग ]अथवा कसी शभ
ु मह ु ार १५,२१,अथवा ४१ दन म साधना पण
ु ू त म साधना ारं भ क जा सकती है ,,अपने साम य के अनस ू क जा सकती है ,मं
सं या त दन बराबर होनी चा हए ,साधना म श ु चता ,श ु ता , मचय का पालन आव यक है ,.
..... मा व पणी बगला का पूण मं ""ओउम ं बगलामख
ु ी सवद ु ट|नाम वाचं मख
ु म पदम त भय िज वां क लय बु वनाशय ं ओउम वाहा
""होता है ..
......िजस दन साधना ारं भ करे सव थम नाना द से नव ृ त हो आचमन- ाणायाम -प व ी करण के बाद बगलामख
ु ी दे वी का च था पत करे ,एक २
फ ट लंब-े चौड़े लकड़ी के त ते या चौक पर पीला कपडा बछाकर उस पर रं गे हुए पीले चावल से बगलामख
ु ीय बनाए |बगलामख
ु ीय के सामने पीले
गंधक क सात ढे रया बनाकर येक पर दो दो ल ग रखे ,,अब गणेश-गौर ,नव ह,कलश,अ यपा था पत करे ,,शाि त पाठ, संक प के बाद एक अखंड
द प [जो संकि पत दन तक जलता रहे गा ]दे वी के सामने रखे ,चौक पर बने य के सामने ता - वण या रजत प पर बना बगलाम ख
ु ी यं था पत करे
,,अब भोजप पर अपनी आव यकतानस
ु ार अ टगंध से कने र क कलम से बगला यं बनाकर चौक पर रखे ,इसके बाद यासाद कर गु यं , कलश,नव ह
,दे वी पज
ू न ,यं ो क ाण त ठा ,यं पज
ू न ,आ द करे ,,इस या म कसी जानकार क मदद ले सकते है क तु जप आप वयं करेगे ,,,पज
ू नोपरांत जप
ू न म आप पंचोपचार या दशोपचार पज
ह द क माला पर नि चत सं या म नि चत दन तक होगा , त दन के पज ू न अपनी साम य के अनस
ु ार कर
सकते है ,, त दन जप के बाद दशांश जप महामृ यज
ुं य का करे ,जप रा ी म करे , थम दन पूजन षोडशोपचार करे ,, नि चत दन और सं या तक जप
होने पर हवंन या पण
ू करे ,हवन के बाद तपण-माजा- ा मण भोजन या दान करे,धात ु य को पूजा थान पर था पत कर भोजप यं को ताबीज म
भर ले ,,अब साधना म ुट के लए मा माँगते हुए वसजन करे ..अब आपक साधना पूण होती है ,,,कलाशाद को हटाकर शेष साम ी बहते जल म
वा हत कर दे ,,..
.....अ त र त भोजप यं ो को ताबीज म भरकर आप िजसे भी दान करेगे उसे बगला कृपा ा त होगी ,उसके काम बनने लगेग े , वजय -सफलता बढ़
जायेगी , ह दोष -द ु भाव समा त होगे ,,वाय य बाधा से मिु त,मक
ु दमे म वजय,श -ु वरोधी क पराजय ,अ धकार वग का समथन , वरोधी का वाक्
त भन होगा ,ऐ वय व ृ होगी ,सभी दोष समा त हो सख
ु ी होगा, उसका क याण होगा ,,आपको उपरो त प रणाम वयमेव ा त होगे ,,,,,,आप भ व य
म कसी श भ
ु मह ू म बगला यं भोजप पर बनाकर पूजन कर २१०० जपा द कर ताबीज म भर िजसे भी दान करेग े ,दे वी कृपा उसको उपरो त फल ा त
ु त
होगे ,उसका क याण होगा ,,...........................
..[यह सम त या वानभ
ु त
ू है ,और वयं वारा पूण क हुई है ,कह से कापी-पे ट नह ं क गयी है ,साधना म यो य यि त का मागदशन और पूजना द
हेतु अ छ पु तक क मदद ल जानी चा हए , ][ स बगलामख
ु ीय के लए हमसे संपक कया जा सकता है मेसेज बॉ स म
].......................................................हर-हर महादे व

अि न शि त मु ा :: सर दद -माइ ेन हटाये
=============================
दोन हाथ के अंगूठे को बाहर कर अंगू लय क मु ी बना ल। दोन हाथ के अं गूठे के शीष आपस म मला ल। हथे लयाँ नीचे क ओर रख।
अि न शि त मु ा 15 से 45 मनट तक लगाई जा सकती है ।
लाभ :
अि न शि त मु ा सर दद व माई ेन म लाभदायक है।
अि न शि त मु ा न न र त चाप से जुड़ी सभी सम याओं के लए लाभकार है। ............................................................हर हर कह ं
आपक उ न त रोक तो नह ं जा रह
============================
आप यथासंभ व पूर मेहनत करते ह ,पूर यो यता है आपम क आप अ छ ि थ त म पहच
ुं ,आप अ छ बु , मता रखते ह फर भी आप उ न त नह ं कर
पा रहे |आप अ छे प ृ ठभू म से ह पर आप उसे भी बरकरार नह ं रख पा रहे |जो बाप-दादाओं ने बनाया उसे भी नह ं संभल पा रहे ,जब क आपम सार मताएं
ू न न ि थ त म जीने को ववश ह ,जब क आपके आसपास अथवा प रवार म ह कोई
और यो यताएं ह |आप अ छ श ा , मता ,यो यता के बावजद
अ य लगातार उ न त करता जा रहा ,हर तरफ वकास करता जा रहा |अनाव यक कभी रोग तो कभी हा न ,कभी कलह तो कभी लड़ाई झगड़े ,कभी कज तो
कभी दघ
ु टनाएं ,कभी ब च क सम याएं तो कभी माता - पता क ,कभी नौकर म सम या तो कभी यवसाय म ,कभी पा रवा रक ववाद /मतभेद तो कभी
मक
ु दमे लगातार कुछ न कुछ लगा ह रहता है ,जब क आप य द एका हो कर कसी भी े म जुट जाएँ तो आप सफल हो जायगे ,पर आप एका हो ह
नह ं पा रहे ,पूरा समय ल य पर दे ह नह ं पा रहे |इन सबके पीछे कुछ नकारा मक ऊजा का भाव हो सकता है |आप माने या न माने पर ऐसा होता है |
यह नकारा मक ऊजा ह दोष के कारण हो सकती है |वा तु दोष के कारण हो सकती है | थान अथवा भू म दोष के कारण हो सकती है |आपके यहाँ प दोष
के कारण हो सकती है |आपके कुलदेवता /दे वी क असंतुि ट के कारण हो सकती है |कह ं से आये भत
ू - ेत - म -िज न के कारण हो सकती है | कसी के
वारा भेजे गए भत
ू - ेत के कारण हो सकती है | कसी के वारा आपके व कसी तां क से अ भचार कराने के कारण हो सकती है |आपके कसी नजद क
वारा समय समय पर आपके व टोटके कये जाने के कारण हो सकती है |आपके यावसा यक त वंद अथवा द ु मन या वरोधी वारा आपके व
अ भचार कराने के कारण हो सकती है |नौकर के कसी सहकम अथवा कसी प र चत वारा आपक उ न त न दे ख पाने से कोई या कराने के कारण हो
सकती है |
इन नकारा मक या द ू षत भाव के कारण ,आपक उ न त क जाती है ,आपका पतन होने लगता है | वभाव म खराबी आ जाती है | यवहार व ् बताब
बगड़ने लगता है |समय पर काय म बाधा आती है |आपके नणय गलत होने लगते ह |आल य और माद घेरने लगता है | नराशा और ड ेसन होने लगता
है |कभी वभाव म उ ता आती है कभी ह न भावना , ोभ और वत ृ णा रहती है |बुरे व न आ सकते ह |अशुभ ल ण दख सकते ह |रात म या सन
ु सान म
भय सा महसस
ू हो सकता है |कभी ऐसा लग सकता है क कमरे म आपके अ त र त भी कोई है क तु आपको द खता नह ं |कभी सोते समय कोई आपके
ऊपर आ सकता है |लग सकता है क कोई आपको दबा रहा है |कभी कोई अ य शि त आपसे यौनाचार भी कर सकती है ,यह शि त अलग अलग चेहरे भी
दखा सकती है या चेहरा वह न भी हो सकती है |कभी अचानक आग लग सकती है जब क कोई कारण न समझ आये |बार बार घर प रवार अथवा खुद पर
बीमार आ सकती है |घर या कमरे से दग
ु ध महसस
ू हो सकती है |कभी अ य सी आँख दख सकती ह |सीलन भरा वातावरण बन सकता है |घर म
ु दमे , ववाद श ु हो सकते ह | बना कारण नौकर जा सकती है | बना
अनायास कलह हो सकता है ,बे वजह मारपीट क नौबत आ सकती है | बना मतलब मक
कारण यवसाय म हा न हो सकती है |पूर हनत के बाद भी यवसाय दन पर दन कम हो सकता है |सारे यास के बाद भी नौकर नह ं लग रह या
उपयु त नह ं मल रह |अगर ऐसा कुछ है तो आप नकारा मक उजा से भा वत हो रहे ह |[ alaukikshaktiya,com के लए ल खत लेख ]
अगर आपके घर म घस
ु ते समय आपका सर भार हो जाए अथवा आपके काय यवसाय क जगह पहुचते ह सर भार हो जाए अथवा दोन जगह सर भार हो
|अनायास अश ुभ ल ण बार बार दखे |कभी कभी कंकत य वमूढ़ सी ि थ त हो अथवा कभी लगे क दमाग वचारश ू य हो गया है या सोचने समझने क
मता कम हो जाए |कह ं ठ क से मन न लगे |तनाव और मान सक भार पन महसस
ू हो |सर गम रहे |अनजाना सा भय महसस
ू हो |पसीने से बदबू बढ़ जाए
ु पर से ह व वास कम हो जाए |प रवार म साड़ी यव था होने पर भी शां त न हो
|बे वजह वचा रोग आ द बार बार हो |अचानक हा न हो |झगड़े हो जाएँ |खद
अथवा कलह का वातावरण हो |बे वजह कमजोर महसस
ू हो |कुछ करने का मन न करे |आल य हो पर नींद भी ठ क से न आये |अ न ा अथवा अ त य तता
ू ा -पाठ का मन न करे तो आप नकारा मक ऊजा से भा वत हो सकते ह और इनके वारा आपक उ न त रोक जा रह है |
हो |साफ़ -सफाई ,पज
इस कार क नकारा मक उजाओं का भाव टोटक से नह ं समा त कया जा सकता |इस तरह क सम याओं को सोसल मी डया और टोटक /उपाय क
कताब से पढ़कर अथवा नीम हक म यो तषी -तां क से सन
ु कर करके नह ं हटाया जा सकता , यो क इ ह तो खद
ु इनक तक नक ,समय ,मह
ु ू त ,पण

या ,इसके व ानं ,उजाओं क समझ नह ं होती न जानकार होती है |यह खुद यहाँ वहां लखे अथवा पो ट कये हुए उपाय अथवा टोटके उठाकर बता दे ते ह
|कैसे ,कब ,कहाँ , कस तरह और य कये जा रहे उपाय अथवा टोटके जानकार नह ं होती ,इनके पीछे या व ान काय करता है ,कैसे ऊजा समीकरण
बनते और बनाये जाते ह इ ह खद
ु नह ं पता |इसी लए लाख लोग ऐसे उपाय ,टोटके करके कोई लाभ नह ं पाते और इनका व वास यो तष और तं से उठ
जाता है ,इ ह लगता है सब ठग ह और केवल यह सब ठग व या है |वा तव म यहाँ बस वा त वक पकड़ क बात होती है |तलवार क जहाँ ज रत है वहां सई

चभ
ु ोने से काम नह ं होता अ पतु नकारा मक ऊजा और उ हो अ धक न ु सान करती है | कसी को छे ड़कर अथवा लाठ मार के छोड़ द िजये तो वह और उ
हो त या करता है |ऐसा ह कुछ नकारा मक उजा के साथ होता है | यो तषीय उपाय भी अगर पण
ू और भावी नह ं कये जाएँ तो कोई भाव नह ं दे पाते
|टोटके केवल सामा य प रि थ त म ह भाव डालते ह |नकारा मक ऊजा अगर शि तशाल हुई तो टोटक पर उलट ह त या सामने आती है |यह सब
कारण है क यहाँ वहां से लोग उपाय जानकर करते रहते ह और परेशान के परेश ान ह रहते ह |
नकारा मक ऊजा पर साि वक और सौ य शि तय का बहुत भाव नह ं पड़ता |हाँ यह घर और यि त पर सकारा मक ऊजा बढ़ा ज र देती ह िजससे
नकारा मकता क मा ा का बैलस ज र कम हो जाता है पर वह न समा त होती है न कम होती है |जो अ छे या शभ
ु प रणाम द खते ह वह सकारा मकता
बढने के कारण होते ह |नकारा मक ऊजा तो यथावत बनी ह रहती है और गाहे बगाहे अपना असर दखाती ह रहती है |
नकारा मक उजाओं को हटाने के लए उ शि तय का ह सहारा लेना पड़ता है |इसी लए तां क और उ महा व याओं ,भैरव आ द के साधक इन काय म

ु ी ,तारा ,धम
अ धक सफल होते ह |नकारा मकता हटाने के लए उ महाशि तय यथा काल ,बगलामख ू ावती ,हनम
ु ान ,काल भैरव ,न ृ स ंह ,दग
ु ा
, छ नमि तका , आ द क साधना -उपासना और हवन अ धक भावी होते ह |इन नकारा मक शि तय से कसी भी तरह भा वत य तय को
उपरो त उ शि तय के य ,कवच म धारण करने चा हए और इन शि तय क ह उपासना करनी चा हए | प ट छाया या वाय य बाधाओं से त
यि तय को खुद उपाय न करके कवच धारण करना चा हए और कसी अ छे तां क या महा व या साधक से संपक करना चा हए |
इस तरह क नकारा मक ऊजा के भाव म यं गरा , वपर त यं गरा ,बगला यं गरा ,बजरं ग बाण ,काल सह नाम ,बगला सह नाम ,सद
ु शन
कवच ,दे वी कवच ,बगला -काल -घम
ू ावती कवच ,गाय ी हवन आ द के लाभदायक भाव पड़ते ह |घर म काश क उपयु त यव था के साथ सीलन
,ग दगी पर वशेष यान दे ना चा हए |गग ु -कपरू -लोबान आ द जलाने चा हये | यवसाय थल पर उ शि तय के ाण
ु ल ति ठत -अ भमं त यं
लगाकर त दन धप
ु -द प करते रहने चा हए |खुद भी इ ह अ छे और स बं धत शि त के ह साधक से बनवाकर धारण करना चा हए | कसी अ छे
जानकार से ह परामश करना चा हए और उसके बताये माग का ह अनस
ु रण करना चा हए |यहाँ वहां से उपाय दे खकर और सन
ु कर नह ं करना चा हए
, यो क इनका अपना व ानं होता है और हर व तु ऊजा व प है ,िजसका उपयोग उ चत ढं ग से न होने पर या तो लाभ होगा नह ं अथवा नक
ु सान भी संभ व
है |तां क उपाय म तो और भी वशेष सावधानी बरतनी चा हए | .......[ अ धक जानकार के लए हमारे वेबसाईट alaukikshaktiya,com का अवलोकन
कर और वहां पो ट लेख पढ़ ]......................................................................हर-हर महादेव

ई वर या शि त को बल
ु ाना आसान है ,पर संभालना बे हद मिु कल है
==========================================
हम रोज पज
ू ा -आराधना -साधना अनु ठान करते ह ,अपने ई ट या कामानानस
ु ार देवता को बल
ु ाने के लए |अ सर असफलता मलती है ,कभी कभी पण

सफलता मल जाती है |कभी कुछ अनभ
ु व तो होता है पर वशेष उपलि ध सोचने पर दखती नह ं ,कभी कभी बहुत समय तक यथा ि थ त बनी रहती है कोई
ू नह ं होता |कभी प रवतन न दखने पर व वास भी हल जाता है क वा तव म कुछ है या नह ं ,या सब झूठ ह कहा और लखा गया है
नया प रवतन महसस
|
हम आपसे कहना चाहगे क सब स य लखा और कहा गया है ,ई वर मल सकता है ,वह आ सकता है ,उसे बुलाया जा सकता है ,पर सब कुछ मान सक
ु ू त-वातावरण सब केवल सहायक मा होते ह |म ु य भ ू मका मान सक ि थ त क होती है |ई वर मान सक
ि थ त पर नभर होता है ,मं -उपाय-कमकांड-मह
तरंग और मान सक ऊजा के आकषण से जुड़कर आता है ,अ य सभी कुछ उसक ऊजा को बढ़ाने अथवा उसे रोकने-स हत करने के मा यम होते ह
|मान सक तरं ग नि चत दशा और नि चत भाव -गण
ु म न ल त ह तो ई वर य ऊजा उससे नह ं जुड़ पाती | फर चाहे वष तक जप कये जाते रह कोई
प रणाम नह ं मलने वाला |
ई वर को बुल ाना आसान है क तु सबसे मिु कल उसके आने पर उसे संभालना ह होता है , नयं त करना और अपने से जोड़े रखना ह होता है |जब आप
कसी नि चत भाव-गण ू एका ता के साथ उसके मं का जप करते ह ,स बं धत साम ी का उपयोग करते ह तो इन सब के
ु -आकृ त के ई ट म डूबते ह ,पण
संयोग और मान सक ऊजा से उ प न तरं गो का प
े ण वातावरण म होने लगता है ,िजसके फल व प सामान कृ त क ऊजा आक षत होने लगती है और
उसका संघनन साधक के आसपास होने लगता है ,अथात वह ई वर आने को उ यत होने लगता है |अब सबसे मह वपण
ू हो जाता है क या साधक क
मान सक-शार रक ि थ त उसे सँभालने क है |
साधक बेहद भावक
ु और भी दय है ,अपनी आव यकतापत
ू के लए साधना काल क करने लगा ,काल क ऊजा का अवतरण हो गया और साधक अपने
वभावानस
ु ार डर गया या रोने लगा ,उसक ह मत जबाब दे गयी उनके भयानक ऊजा को महसस
ू करके ,अथवा उसक शार रक ि थ त कमजोर है और
वह काल क ऊजा को सहन करने लायक ह नह ं है |ऐसे म साधक क दय ग त क सकती है ,शार रक ऊजा संरचना या पावर स कट न ट हो सकता है
,मान सक संतु लन बगड़ सकता है |अथवा वह भावक
ु ता म बहने लगा ,ऐसे म काल क ऊजा उससे जुड़ ह नह ं पाएगी और पुनः बखर जायेगी , यि त
असफल हो जायेग ा |ऐसा भी होता है क य द वभाव म अ त कोमलता है और काल क उ साधना कर रहे ह तो वह शि त साधक क और आक षत ह न
ू , ताम सक भाव होना चा हए ,शार रक प से मजबत
हो |काल के लए तो उ ,मजबत ू ी रखनी चा हए , ह मत होना चा हए ,भय बलकुल नह ं होना चा हए
|
इसी कार अगर मान सक भाव का संतुलन सा धत क जाने वाल शि त से नह ं बैठता तो वह शि त आकर भी साधक से नह ं जुड़ पाती , यो क उसे अपने
अनक
ु ू ल मान सक भाव नह ं ा त होता है |िजस शि त या ई ट क साधना क जा रह हो उसके अनुकूल वातावरण के साथ ह उसके अनुकूल मान सक भाव
भी होना चा हए ,,तदनु प शार रक ि थ त और दय क ि थ त भी बनानी होती है ,तभी स बं धत शि त आकर जुड़ पाती है |अ सर साधना-अनु ठान
करने पर स बं धत काय तो हो सकता है ,पर स बं धत शि त जुडी रह जाए ज र नह ं होता |यह सामा य का य अनु ठान म होता है ,जब क यि त य द
यान दे तो यहाँ भी आने वाल शि त जुडी रह सकती है |शि त वशेष क साधना म भी अ सर स बं धत शि त नह ं जुड़ पाती साधक से फलतः असफलता
मलती है या कम सफलता मलती है |इसका भी कारण आई हुई शि त को उसक कृ त -गण
ु - वभाव के अनस
ु ार थान न दे पाना या नयं त न कर पाना
होता है |
ई ट या शि त तो साधना ार भ होते ह आक षत होने लगता है ,पर जुड़ता वह भाव और शि त के अनस
ु ार ह है |उसे आने पर संभालना और यथायो य
थान दे ना ह मिु कल होता है |यह सबसे अ धक गु क आव यकता होती है |साधना-पूजा-अनु ठान तो बहुतेरे करते ह पर सफलता बहुत कम को ह मल
पाती है , यो क उ चत प त-मागदशन और जानकार का ह अभाव होता है | दशा कोई ,शि त कोई, भाव कोई होता है |इनमे आपसी तालमेल नह ं होता
ु ूत-साम ी-कमकांड पु तक म मल जाते ह ,पर आई शि त को संभाल कैसे यह
|फलतः कहते मल जाते ह इतना कया कुछ नह ं हुआ |मं -प त-मह
पु तक नह ं बता पाते ,इसके लए यो य गु क आव यकता होती है |पु तक तो पुराने शा को खोजकर लख द जाती है ,पर लखने वाले साधक ह बहत

मिु कल होता है ,साधक पु तक नह ं लखता | लखने वाला अगर साधक हुआ भी तो वषयव तु क गोपनीयता के कारण यह नह ं बता सकता क कैसे आई
ऊजा या शि त को संभाल या नयं त कर |
आज के समय म अ धकतर क असफलता का यह कारण है क ऊजा तो पु तक को पढ़कर ,मं जपकर ,अनु ठान करके बल
ु ा ल जाती है पर उसे संभ ाले
कैसे ,उसे नयं त कैसे कर ,उसे कैसे थान द अ धकतर नह ं जानते |बताने वाला नह ं मलता |जो मलते ह खुद आधे-अधरू े ान वाले वयंभ ू ानी होते ह
|फलतः आई ऊजा बखर जाती है |अनु ठान -साधना पर भी अपे त प रणाम नह ं द खता |अतः इस हेतु स गु खोजना ह सबसे पहले ज र होता है
|इसी लए गु को सवा धक मह व दया गया है साधना े म |वह बताता है क कैसे और कब कस उजा को कस कार नयं त कया जाए ,िजससे वह
आपके लए क याणकार हो सके ,आपके साथ जुड़ सके |वह बताता है क आपको कस कार क उजा क आव यकता है ,आप कसे संभल पाएंग े ,आपक
कृ त के अनुकूल कौन है | कससे आपका क याण संभव है |.[ यि तगत वचार ]...[अ धक जानकार के लए हमार वेबसाईट alaukikshaktiya com का
अवलोकन कर ]................................................................हर-हर महादेव

ती आकषण साधना
==============
आज के दौर म कौन नह ं चाहता आकषण से यु त होना । हर कोई चाहता है क जब वो बात करे तो दस
ू रे उसक बात यान से सुन ।
पर या ऐसा होता है वो भी हर कसी के साथ नह ं होता? हमारे भीतर अनंत मांड और द य शि तय का भंडार है िज हे अगर कोई
जागत
ृ कर ले तो असंभव को संभव कर सकता है । हमारे भौ तक जीवन क सफलता इस बात पर नभर करती है क हमारे अ दर
कतना आकषण है और मनु य तो या आपके अ दर इतना आकषण होना चा हए क जब भी आप कसी दे वता को य करने के
लए साधना कर तो वो दे वता बना वलंब कए त काल आपके सामने उपि थत हो जाए । कई मेरे भाई बहन ऐसा यापार करते ह
िजसम दस
ू रे लोग को अपना सामान खर दने के लए े रत करना पढ़ता है और इस काम के लये वो अथक प र म करते ह पर उनके
अ दर आकषण क कमी के कारण उनसे कोई सामान लेना पस द नह ं करता और वो लोग हमेशा घाटे म ह जीते ह । चाहे फौज म
चयन क बात हो, ेम संबंध क बात हो, प त - प नी म माधुय क या फर Interview म सफलता क अगर आपके अ दर आकषण है
तो कामयाबी झक मारकर आपके पीछे आएगी और आप िज दगी के उस मुकाम पर ह गे िजसके आप सफ सपने ह दे खा करते थे ।

॥ साधना व ध ॥
============
दन कोई भी, अव ध – 5 दन, समय- हममुहूत, आसन एवं व – सफेद या पीला, द पक – गाय के दे सी घी का, पुन: साधना करने क
अव ध – 1 साल बाद।
साधक को चा हए क सव थम नान करे और इसके बाद सफेद या पीले व धारण करे और आसन तथा बाजोट पर भी एक ह रं ग के
व बछाए । फर अपने सामने एक घी का द पक जगाए तथा गु पूजन एवं गणेश पूजन स प न करे । अब साधक को अपनी आँख
ब द करके अपना यान सह ार पे क त करना चा हए और पूरे 1 घंटे तक मन ह मन इसी अव था म न न म का जप करे ।

॥म ॥
=======
ॐ नमो चैत याय हूं

साधक को यह योग बना माला के 5 दन करना चा हए । साधना के दौरान आपको अपने अ दर कई अ ुत य दखाई दगे और
साधना के बाद साधक खुद ह अनुभव करे गा क उसके अ दर एक चंड आकषण शि त व ट हो चुक है । अगर आप सफलता के
मायने जानते ह और जीवन के हर एक े म सफल होना चाहते ह तो इस साधना को अव य स प न कर और इसे 1 साल म एक बार
ज र कर ता क आपक आकषण शि त ीण ना हो और आप सदा सुखी रह ॥

गु गोर नाथ गाय ी


-------------------------
ॐ गु जी
ओंकारे शव पी सं या ने साध पी म याने हं स पी, हं स-परमहं स व अ र गु तो गोर - काया तो गाय ी, ॐ तो म-सह
तो शि त, शू य तो माता, अवग त पता, अभय पंथ, अचल पदवी, नरं जन गौ , अल ल वण, वहंगम जा त, असं य वर, अनंत
शाखा, सू म वेद, आ म ानी, म ानी

" ी ॐ गो गोर नाथाय व ाहे शू य पु ाय धीमह त नो गोर नरं जन चोदयात "

इतना गोर गाय ी पा य ते हरते पाप ुयते स न चय । जप ते परम ान अमत


ृ ानंद मनु यते । नाथजी गु जी को आदे श
आदे श ।

उपरो त गोर गाय ी का जाप सभी पाप से मुि त दलाने मे सव े ठ शाबर मं है । ात:काल म ा क माला से एक माला जाप
कर, गु गोर नाथ जी क एक त वीर रखकर दे शी घी का द पक जला कर जाप कर, आपके सभी ताप और पाप का नाश होता है ।

महाकाल भैरव महा मं


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साधक म ो म आज आपको एक ऐसा म दे रहा हूँ ..िजसके स करने के बाद असफल कुछ भी नह ं रहता ..साधक म ो ये एक
ऐसा मं है इसे स करने के बाद कुछ भी नह ं शेष रहता ....बस आवशकता है तो क ठन अ यास और एका ता और ढ़ इ छाशि त
के साधना क ....इस मं को स करने के लए आप का दै नक यवहार साि वक न कसी को गलत बोलना न गलत सु ना .और
वषय भोग का याग ..कुछ ह दन म आपको पता चल जायेगा या प रवतन हो रहा है ...! ये सव काय स मं है ..( ये दे हात भाषा
म साबर मं है इसके याकरण को बदलने का यास न करे ) ये मूल भाषा म ह मं है ..!

महाकाल भैरव अमोघ मं माला


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ॐ गु जी काला भै क पला केश ,काना मदरा भगवा भेस मार मार काल पु बरह कोस क मार भूता हाथ कलेजी खुहां गे डया जहाँ
जाऊं भे ं साथ ,बारह कोस क स यावो, चौबीस कोस क स यावो सूती होय तो जगाय यावो बैठा होय तो उं य यावो अनंत
केसर क भार यावो गौरा पारवती क ब छया यावो गे यां कर तान मोह कुवे क प नहार मोह बैठा म नया मोह घर क बैठ
ब नयानी मोह ,राजा क रजवाड मोह ,म हला बैठ रानी मोह, डा कनी को शा कनी को भूतनी को प लतनी को ओपर को पराई को, लाग
कंू लापत कंू ,धूम कू, ध का कंू , प लया कूं, चौड कंू चौगट कंू , काचा कुण, कालवा कं ू भू त कं ू पा लत कं ू िजन कं ू , रा स कं ू ,बै रयो से बर
करदे ,नजरा जड़ दे ताला ..इ ता भैरव नह ं करे तो .. पता महादे व क जाता तोड़ तागड़ी करे माता पावती का चीर फाड़ लंगोट करे ..चल
डा कनी शा कनी ..चौडूं मैल ा बकरा दे युं मद क धार भर सभा म यूं आने म कहाँ लगा बार ,ख पर म खाय मसान म लोटे ऐसे काल
भे क कुन पूजा मटे राजा मटे राज से जाय जा मटे दध
ू पूत से जाये जोगी मटे यान से जाये ..श द साँचा ह वाचा चलो म
इ वरो वाचा ...!

व ध :- इस म क साधना शु करने से पहले इक तीस दन पहले ह चय का पालन और साि वकता बरते फर अनु टान का ारंभ
करे ..इस साधना को घर म न करे ..ये साधना रा काल न साधना है ..इसेकृ ण प के श नवार से आरं भ करनी है ..एक कोनी काला
प थर ले कर उसे व छ पानी से धोकर उस पर स दूर और तील के तेल से लेपन कर ले ..प चात ् पान का बीड़ा, लेव,े सात लॉ ग का
जोड़ा धर. लोबान धुप और सरस के तेल का दया जल लेवे चमेल के फूल रख लेवे पूजा के समय ... फर एक ीफल क ब ल दे कर
...गु पूजन करके गणेश पूजन कर .बाबा महाकाल या न ( महादे व से मं स के लए आशीवाद मांगे ) और अनु ठान आर भ करे
..इकताल स दन तक न य इकताल स पाठ इस मं क करे .....हर रॊज जप समाि त पर एक वशेष साम ी से हवंन करले ये हवंन
रोज म समाि त के बाद करना है . .( साम ी है कपूर केशर लवंग )
थम दन और अं तम दन भोग के लए ..उड़द के पकोड़े और बेसन के ल डू भोग म रख लेवे ..द ध
ू और थोडा सा गुड भी रख लेवे
..इनका शाद गर बो म बाट दे वे ....सातवे दन से ह आपको अनुभव होने लगेगा क आप के सामने कोई खड़ा है .....भैरवजी का प
डरावना है इस लए सावधान ..क जोर दल वाले इस साधना को न करे ..अं तम दन भैरवजी गट हो जायगे ...उनसे फर आप मनचाहा
.वर मांगले

|| काल प च वाण ||

आज के इस युग म येक यि त अ छे रोजगार क ाि त म लगा हुआ है पर बहुत य न करने पर भी अ छ नौकर नह ं मलती है !


यह मं योग करके दे ख | छोटा सा योग है िजसके अनुकूल होगा उसको सफलता मलेगी.
इस म का त दन 11बार सुबह और 11बार शाम को जप करे !

थम वाण
------------
ॐ नमः काल कंकाल महाकाल
मुख सु दर िजए याल
चार वीर भैर चौरासी
बीततो पुजू पान ऐ मठाई
अब बोलो काल क दह
ु ाई !

वतीय वाण
---------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
मुख सु दर िजए वाला वीर वीर
भै चौरासी बता तो पुजू पान मठाई !
अब बोलो काल क दह
ु ाई !

ततृ ीय वाण
-------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
सकल संद
ु र जीहा बहालो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पुजू पान मठाई
अब बोलो काल क दह
ु ाई !

चतुथ वाण
-------------
ॐ काल कंकाल महाकाल
सव सुंद र िजए बहाल
चार वीर भै चौरासी
तण तो पुजू पान मठाई
अब राज बोलो काल क दुहाई !

पंच म वाण
-------------
ॐ नमः काल कंकाल महाकाल
मख सु दर िजए काल
चार वीर भै चौरासी
तब राज तो पुजू पान मठाई
अब बोलो काल क दोहाई !

|| व ध ||
इस म को स करने क कोई आव यकता नह ं है ! यह म वयं स है केवल माँ काल के सामने अगरबती जलाकर 11 बार सुबह
और 11 बार शाम को जप कर ले ! म एक दम शु है भाषा के नाम पर हेर फेर न करे !शाबर म जैसे लखे हो वैसे ह पढने पर फल
दे ते है शु करने पर न फल हो जाते है !

ववाह के उपाय (Remedies and Upay to avoide late marriage)----

समय पर अपनी िज मेदा रय को पूरा करने क इ छा के कारण माता- पता व भावी वर-वधू भी चाहते है क अनुकुल समय पर ह
ववाह हो जाय. कु डल म ववाह वल ब से होने के योग होने पर ववाह क बात बार-बार यास करने पर भी कह ं बनती नह ं है . इस
कार क ि थ त होने पर शी ववाह के उपाय करने हतकार रहते है . उपाय करने से शी ववाह के माग बनते है . तथा ववाह के
माग क बाधाएं द रू होती है .

उपाय करते समय यान म रखने यो य बात (Precautions while doing Jyotish remedies)

1. कसी भी उपाय को करते समय, यि त के मन म यह वचार होना चा हए, क वह जो भी उपाय कर रहा है , वह ई वर य कृ्पा से
अव य ह शुभ फल दे गा.

2. सभी उपाय पूणत: साि वक है तथा इनसे कसी के अ हत करने का वचार नह ं है .

3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले यय को लेकर चि तत नह ं होना चा हए.

4. उपाय से संबि धत गोपनीयता रखना हतकार होता है .

5. यह मान कर चलना चा हए, क ा व व वास से सभी कामनाएं पूण होती है .

आईये शी ववाह के उपाय को समझने का यास कर (Remedies for a late marriage)------

1. ह द के योग से उपाय - ववाह योग लोग को शी ववाह के लये येक गु वार को नहाने वाले पानी म एक चुट क ह द
डालकर नान करना चा हए. भोजन म केसर का सेवन करने से ववाह शी होने क संभावनाएं बनती है .

2. पीला व धारण करना - ऎसे यि त को सदै व शर र पर कोई भी एक पीला व धारण करके रखना चा हए.

3. व ृ ् ो का स मान करना - उपाय करने वाले यि त को कभी भी अपने से बड व वृ ् का अपमान नह ं करना चा हए.

4. गाय को रोट दे ना - िजन यि तय को शी ववाह क कामना ह उ ह गु वार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी ह द लगाकर
खलाना चा हए. तथा इसके साथ ह थोडा सा गुड व चने क पील दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है .

5. शी ववाह योग - इसके अलावा शी ववाह के लये एक योग भी कया जा सकता है . यह योग शु ल प के थम गु वार
को कया जाता है . इस योग म गु वार क शाम को पांच कार क मठाई, हर ईलायची का जोडा तथा शु घी के द पक के साथ जल
अ पत करना चा हये. यह योग लगातार तीन गु वार को करना चा हए.

6. केले के व ृ ् क पूजा - गु वार को केले के वृ ् के सामने गु के 108 नाम का उ चारण करने के साथ शु घी का द पक जलाना
चा हए. अथा जल भी अ पत करना चा हए.

7. सूखे ना रयल से उपाय - एक अ य उपाय के प म सोमवार क रा के 12 बजे के बाद कुछ भी हण नह ं कया जाता, इस उपाय
के लये जल भी हण नह ं कया जाता. इस उपाय को करने के लये अगले दन मंगलवार को ात: सू य दय काल म एक सू खा
ना रयल ल, सूखे ना रयल म चाकू क सहायता से एक इंच ल बा छे द कया जाता है . अब इस छे द म 300 ाम बूरा (चीनी पाऊडर)
तथा 11 पये का पंचमेवा मलाकर ना रयल को भर दया जाता है . यह काय करने के बाद इस ना रयल को पीपल के पेड के नीचे
ग डा करके दबा दे ना. इसके बाद ग डे को म ी से भर दे ना है . तथा कोई प थर भी उसके ऊपर रख दे ना चा हए. यह या लगातार 7
मंगलवार करने से यि त को लाभ ा त होता है . यह यान रखना है क सोमवार क रात 12 बजे के बाद कुछ भी हण नह ं करना
है .
8. मांग लक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga) - अगर कसी का ववाह कु डल के मांग लक योग के कारण नह ं हो
पा रहा है , तो ऎसे यि त को मंगल वार के दन चि डका तो का पाठ मंगलवार के दन तथा श नवार के दन सु दर का ड का पाठ
करना चा हए. इससे भी ववाह के माग क बाधाओं म कमी होती है .

9. छुआरे सरहाने रख कर सोना - यह उपाय उन यि तय को करना चा हए. िजन यि तय क ववाह क आयु हो चुक है . पर तु
ववाह संप न होने म बाधा आ रह है . इस उपाय को करने के लये शु वार क रा म आठ छुआरे जल म उबाल कर जल के साथ ह
अपने सोने वाले थान पर सरहाने रख कर सोय तथा श नवार को ात: नान करने के बाद कसी भी बहते जल म इ ह वा हत कर
द.

कुछ ह के अशुभ भाव के कारण क या के ववाह म वलंब हो तो इस कार के उपाय वयं क या वारा करवाने से ववाह बाधाएं
दरू होती है –

कसी भी माह क शु ल प क चतुथ से चांद क छोट कटोर म गाय का द ध


ू लेकर उसम श कर एवं उबलेहुए चांवल मलाकर
चं ोदय के समय चं मा को तुलसी क प ती डालकर यह नेवै य बताएं व द णा कर, इस कार यह नयम 45 दन तक कर ,45
घ न दन पूण होने पर एक क या को भोजन करवाकर व और महद दान कर, ऐसाकरने से सुयो य वर क ाि त होकर शी
मांग लक काय संप न होता है ।

गु वार के दन ात:काल न यकम से नवतत


ृ होकर ह द यु त रो टयां बनाकर येक रोट पर गुड़ रख व उसे गाय को खलाएं ।7
गु वार नय मत प से यह व ध करने से शी ववाह होता है ।

मंगलवार के दन दे वी -मं दर म लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं पज


ू न कर एवं मंगलवार का त रख । यह काय नौ मंगलवार तक करे ।
अं तम मंगलवार को9 ख़ ् वष क नौ क याओं को भोजन करवाकर लाल व , महद एवं यथाशि त द ण द, शी फल क ाि त
होगी ।

का याय न महामाये महायो ग यधी व र नंद गोपसुतं दे वप तं म कु ने नम: । माँ का याय न दे वी या पावती देवी के फोटो को
सामने रखकर जो क या पूजन कर इस का याय न मं क 1 माला का जाप त दन करती है , उस क या क ववाह बधा शी दरू
होती है ।

य द क या क शाद म कोई कावट आ रह हो तो पूजा वाले 5 ना रयल ल ! भगवान शव क मूत या फोटो के आगे रख कर “ऊं ीं
वर दाय ी नामः” मं का पांच माला जाप कर फर वो पांच ना रयल शव जी के मं दर म चढा द ! ववाह क बाधाय अपने आप द ूर
होती जांयगी !

येक सोमवार को क या सुबह नहा-धोकर शव लंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू मले जल को चढाये और वह ं
मं दर म बैठ कर ा क माला से इसी मं का एक माला जप करे ! ववाह क स भावना शी बनती नज़र आयेगी

ववाह बाधा दरू करने के लए-----क या को चा हए क वह बह


ृ प तवार को त रखे और ब ह
ृ प त क मं के साथ पूजा करे । इसके
अ त र त पुखराज या सुनैला धारण करे । छोटे ब चे को बह
ृ प तवार को पीले व दान कर◌े। लड़के को चा हए क वह ह रा या
अमे रकन जकन धारण करे और छोट ब ची को शु वार को वेत व दान करे ।

रोजगार ाि त साधना
==============
य क जीवन के लए उ तम होना ज र है ले कन यि त क का ब लयत होने पर भी अपने काय े म उसको यो य पद नह ं मल
पाता है , कई कार क बाधाएं आती ह, कह ं यो य जगह मलती है तो वेतन नह ं मलता । इस साधना का मु य उ े य है क उ ह
यथा-यो य काम मले जो क भ व य म उनक ग त के लए एक आधार तंभ बने । इस साधना से काम मलने म आने वाल
सम त अड़चन द रू होती ह, इस साधना से नौकर से संबं धत सम त यवधान सम या दरू होती ह ।

यह साधना सोमवार से ारंभ करनी होती है रात के 10:00 बजे के बाद।


दशा उ तर होती है रा म नान करके सफेद कपड़े धारण कए जाते ह और सर ढका जाता है हाथ म कलावा, माथे पर तलक लगाया
जाता है , आसन लाल रहता ह ।

इस साधना म कसी भी र ा मं क कोई ज रत नह ं होती है ।


सव थम गणेश जी का यान करके उनक पूजा क जाती है िजनके गु ह वह गु मं क 21 जाप कर, िजनके गु नह ं है वह शव जी
का पूजन करके "ओम नमः शवाय:" क एक माला जाप कर माला ा पांच मुखी होगी ।

इस साधना से 110 पसट आपको सफलता मल सकती है अगर यह व ध वधान से क जाती है तो।

हम मं दे रहे है इस मं क पांच माला रात को 10:00 बजे के बाद 21 दन तक करनी है संक प के साथ ।

इन साधना म रा म भोजन करने से पहले थोड़ा खाने का पदाथ गाय को खलाना चा हए ऐसा करने के बाद ह भोजन कर अगर यह
संभव नह ं हो तो रा म भोजन ना कर इस साधना को संप न करने के बाद माला को वसिजत नह ं करना चा हए तथा माला को गले म
धारण रखना चा हए।

मँ :--
।।ॐ सोमाबती भगवती बरकत दे ह उ तीण सव बाधा तंभय र शीणी इ छा पू त कु कु कु सव व यं कु कु कु हूं तोशीणी
नमः।।

आपक मनोकामना पूण हो इस आशा के साथ हमने आपको इस मं का जाप बताया है , बताई हुई व ध के साथ पूण करने पर
आशातीत फल ा त होता है इसमे कोई संदे ह नह ं है ।

जय ी शंभूज त गु गोर नाथ जी महाराज क ।

द ु मन और भुत ेत का असर ख म करने क व ध और म –


==========================================
शाबर मं
=======
“काल काल महाकाल – इ क बेट – मा क साल ।
पीती भर-भर र त याल – उड़ बैठ पीपल क डाल – दोन हाथ बजाए ताल ।
जहां जाए व क ताल – वहाँ न आए द ु मन हाल ।
दह
ु ाई काम कामा या नैना यो गनी क ,
ई वर महादे व गौरा पावती क , दुहाई वीर मसान क ।

व ध : 40 दन तक 108 बार त दन जाप कर – योग के समय पढ़कर 3 बार ज़ोर से ताल बजाए । जहां तक ताल क आवाज
जाएगी, दु मन का कोई वार या भूत- ेत असर नह ं करे गा ।

इस मं का जाप कोई भी कर सकता है 40 दन मं जपने क जगह न बदले एक ह थान न चय करे और लगातार 40 दन करना है
बीच मे कावट न डाले । उपरो त मं के कए लाल मूंगा या ा क माला का योग कर ।

अशुभ संकेत दशाते ह ये सब

1. अक मात घर क चलती हुई घ ड़यां बंद हो जाएं तो समझ ल िजए क आपके बनते हुए काम बगड़ सकते ह।

2. घर क छत पर च ड़या कबूतर आ द प ी मरे हुए मल तो समझ ल िजए क आपके ब च क त बयत बगड़ सकती है ।

3. घर क द वार पर अगर सीलन आने लगे तो समझ ल िजए क आपके मन क शां त छ नने वाल है ।

4. घर म पड़े हुए नमक न पदाथ म अगर चीं टयां पड़ जाएं तो समझ ल िजए क आपके यवसाय या नौकर म द कत आने वाल है।

5. सड़क का कु ता घर क तरफ मुंह करके रोने लगे तो समझ ल िजए क द घ


ु टना होने के संकेत ह।

6. तेल के जार म से तेल गर फश पर पानी क तरह बह जाए तो समझ ल िजए क लाभ के रा ते क जाएं गे।

7. घर म से सोने के आभूषण ग़ायब या चोर हो जाए तो बड़ी धन हा न क ओर इशारा है।

8. घर म लगा हुआ तुलसी का पौधा जल जाए अथवा अकारण सूख जाए तो ये संकेत ह क कुछ अशुभ होगा।
9. द ध
ू बार-बार उफान करके बहे तो समझ ल िजए के कोई बहुत यादा बीमार पड़ने वाला है ।

10. घर म शाद शुद ा बहन, बेट , बुआ, साल , मौसी अगर बन बुलाए ठहरने हेतु आ जाए तो समझ ल िजए के दभ
ु ा य द तक दे रहा है ।

11. सरकार कागज़ात जैसे क वल, रिज म द मक लग जाए अथवा गुम हो तो सरकार वारा दं डत होने के संकेत ह।

12. बार-बार कपड़ का जलना अथवा फट जाना आपक सामािजक बदनामी और फ़ज़ीहत क ओर संकेत दे ता है ।

13. कांच अथवा चीनी- म ी के बतन म दरार आना हॉि पटल के बल बढ़ने के संकेत दे ता है ।

रोग नाशक शाबर मं


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शाबर मं आम ामीण बोलचाल क भाषा म ऐसे वयं स मं ह, िजनका भाव अचूक होता है । थोड़े से जाप से भी ये मं स हो
जाते ह, तथा अ य धक भाव दखाते ह। इन मं का भाव थायी होता है तथा कसी भी मं से इनक काट संभव नह ं है । शाबर
मं ो का भी एक अलग व ान है कुछ श द का चयन इस कार है िजसका कोई अथ नह ं होता मगर दे वताओं को उस काय को करने
को े रत कया जाता है और एक द ह
ु ाई या कसम द जाती है कुछ छट-पुट रोग के लए हमने इसे आज़माया है और बलकुल सट क
पाया है कई बीमा रय से इससे नजात पाई जा सकती है । तो आपके लए यह एक सरल साधना पो ट कर रहा है ।

उदर रोग का एक मह वपूण योग


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इस साधना को करने से पेट क तमाम बीमा रय से नजात पाई जा सकती है । बदह मी, पेट गैस, दद और आंव का पूण इलाज हो जाता
है । इसे हण काल, द पावल और होल आ द शुभ मुहुरत म कभी भी स कया जा सकता है। आप दन या रात म कभी भी कर सकते
ह। इस मं को १०८ बार जप कर स कर ल। योग के व त ७ बार पानी पर म पढ़ फूँक मारे और रोगी को पला द, ज द ह फ़ायदा
होगा।

शाबर म
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|| ॐ नमो आदे श गु को शयाम बरत शयाम गु पवत म बड़ बड़ म कुआ कुआ म तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़
सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमंत मार करे गा भसमंत फुरो म इ वरो वाचा ||

ने रोग क मह वपूण साधना


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आंखे मनु य के लए अनमोल र न ह। कई बार यि त अकारण वश ने रोग से पी ड़त हो जाते ह। िजससे बहुत परे शानी का सामना
करना पड़ता है । यह बहुत ह ती ण म है , इससे तमाम ने रोग से नजात पाई जा सकती है । इसे भी हण काल, होल , द पावल
आ द शुभ मुहुरत म १०८ बार जाप कर स कर ल और योग के व त इसको ७ बार पढ़कर कुषा से झाडा कर द, तमाम ने दोष दूर हो
जाते ह।

शाबर म
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||ॐ अ गाल बंग ाल अताल पताल गद मद आदर ददार फट फट उ कट ॐ हुं हुं ठा ठा ||

आधा सर दद
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आधा सर दद और माई ेन एक बहुत बड़ी सम या है । उसके लए एक मह वपूण म दे रहे है । इसे भी हण काल, द पावल आ द पर
उपर वाले तर के से स कर ल। योग के व त एक छोट नमक क डल ले कर उस पर ७ बार म पढ़ और पानी म घोल कर माथे पर
लगा द, आधे सर क दद फ़ौरन बंद हो जाएगी।

शाबर म
========
|| को करता कुडू करता बाट का घाट का हांक दे ता पवन बंदना योगीराज अचल सचल ||
दाड दद का एक मह व पूण मं
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दाड दद िजसे हो वह जानता है । कई बार तो दाड नकालने क नौबत आ जाती है । इस दद से नजात पाने का एक बहुत ह मह वपूण
म दे रहे है । इसे सूय हण, द पावल आ द म १०८ बार जप कर स कर ल। योग के व त नीम क डाल से झाडा कर द।

शाबर म
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|| ॐ नमो आदे श गु को वन म वहाई अंजनी िजस जाया हनुमंत क ड़ा मकोड़ा माकडा यह तीनो भसमंत गु क शि त मेर भगती
फुरो मं इ वरो वाचा ||

यह सभी साधनाएं योग अजमाए हुए ह। एक बार स कर लेने से जब चाहे काम ले सकते ह। जप से पहले अगर आप एक माला अपने
गु म का जाप करके स करे तो इसका भाव दग
ु ना हो जाता है ।

सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi (पाट - 6)


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सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दस
ू रे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दस
ू रे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह
|
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सुबह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता
है ) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो युक बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के
असर से आते ह|

४५० जंगल दे खना क ट दूर हो


४५१ जटाधार साधु दे खना अ छे समय क शु आत
४५२ जटाधार साधु दे खना शुभ ल ण
४५३ जड़े दे खना शुभ व न
४५४ जप करना वजय
४५५ जमघट दे खना काय क शंसा मलेगी
४५६ जमीन खोदना क ठनाई से लाभ हो
४५७ जमीन पर ब तर लगाना द घायु और सुख म वृ
४५८ जयकार सुनना संकट म पड़ना
४५९ जल दे खना संकट आएगा
४६० जलता घर दे खना बीमार परे शानी बढे
४६१ जलता मुद ा दे खना शुभ समाचार
४६२ जलता हुआ द या दे खना आयु म वृ
४६३ जलना मान स मान क ाि त
४६४ जलूस दे खना नौकर म उ न त हो
४६५ जलेबी खाना सुख सु वधा बढे
४६६ जवाहरात दे खना आशाय पूण हो
४६८ जहाज दे खना दूर क या ा होगी
४७२ जाद ू दे खना या करना धन हा न
४७३ जामुन खाना कोई सम या दरू होना
४७४ जामन
ु खाना या दे खना या ा पर जाना पड़े
४७५ जाल दे खना मुकदमे म हा न
४७६ जाल दे खना ( मचल का ) संकट का संकेत
४७७ जाल दे खना (मकडी का ) शुभ ल ण
४७८ जुआ खेलना यापार म लाभ
४८० जग
ु नू दे खना बुरे समय क शु आत
४८१ जए
ू दे खना या मारना मान सक चंता
४८२ जत
ू े से पीटना मान स मान बढे
४८३ जत
ू े से वयं पीटना मान स मान मलेगा
४८४ जेब काटना यापार म घाटा
४८५ जेब खाल दे खना अशुभ है
४८६ जेब भर दे खना खच अ धक होने का सूचक
४८७ जेल दे खना जग हँसी हो
४८८ जेल से छूटना काय म सफलता
४८९ जोकर दे खना समय बबाद हो
४९० यो तष दे खना संतान को क ट
४९१ वालामुखी दे खना थान प रवतन क पूव सूचना
४९२ झंडा दे खना धम म आ था बढ़े गी
४९३ झंडा दे खना पीला बीमार आये
४९४ झंडा दे खना सफेद या मं दर का शुभ समाचार
४९५ झंडा दे खना हरा या ा म क ट
४९६ झगडा दे खना शुभ समाचार
४९८ झ डा दे खना धम क वृ हो
४९९ झरना दे खना दख
ु का अंत होना
५०० झरना दे खना (गम पानी का ) बीमार आये
५०१ झरना दे खना (ठं डे पानी का ) शुभ है
५०२ झाडू लगाना घर म चोर हो
५०३ झुनझन
ु ा दे खना प रवार म ख़ुशी हो
५०४ टं क खाल दे खना शुभ ल ण
५०५ टं क भर दे खना अशुभ घटना का संकेत
५०६ टाई रं गीन दे खना शुभ
५०७ टाई सफेद दे खना अशुभ
५०८ ट डा दल दे खना यापार म हा न
५०९ टू टा हुआ छ पर दे खना गड़े धन क ाि त के योग
५१० टे ल फोन करना म क सं या म वृ
५११ टोकर खाल दे खना शुभ ल ण
५१२ टोकर भर दे खना अशुभ घटना का संकेत
५१३ टोपी उतारना मान स मान बढे
५१४ टोपी सर पर रखना अपमान हो
५१५ ठ ड म ठठु रना सुख मले
५१६ डंडा दे खना द ु मन से सावधान रहे
५१७ डफल बजाना घर म उ सव क सूचना
५१८ डाक खाना दे खना बुरा समाचार मले
५१९ डाकघर दे खना यापार म उ न त
५२० डा कया दे खना द ूर के र तेदार से मलना
५२१ डा कया दे खना शुभ सूचना मले
५२२ डाकू दे खना धन व ृ हो
५२३ डॉ टर को दे खना वा य संबंधी सम या
५२४ डॉ टर दे खना नराशा मले
५२५ ढोल दखाई दे ना कसी दघ
ु टना क आशंका
५२६ त कया दे खना मान स मान बढे
५२७ तप वी दखाई देना दान करना
५२८ तप वी दे खना मन शांत हो
५२९ तबला बजाना जीवन सुखपूवक गुजरे
५३० तमाचा मारना श ु पर वजय
५३२ तरबूज खाते हुए दे खना कसी से द ु मनी होगी
५३३ तरबूज दे खना धन लाभ
५३४ तराजू दे खना काय न प पूण हो
५३५ तराजू म तुलना भयंकर बीमार हो
५३६ तपण करते हुए दे खना प रवार म कसी बुजुग क मृ यु
५३७ तलवार दे खना श ु पर वजय
५३९ तला पकवान खाना शुभ समाचार मले
५४० तलाक दे ना धन व ृ हो
५४१ तवा खाल दे खना अशुभ ल ण
५४२ तवे पर रोट सकना संपि त बढे
५४३ तहखाना दे खना या उमसे वेश करना तीथ या ा पर जाने का संकेत
५४४ तांगा दे खना सुख मले, सवार का लाभ हो
५४५ तांबा दे खना गु त रह य पता लगना
५४६ तावीज दे खना शुभ समय का आगमन
५४७ तावीज बांधना काम म हा न हो
५४८ ता बा दे खना सरकार से लाभ मले
५४९ तारा दे खना अशुभ
५५० तारामंडल दे खना सौभा य क व ृ
५५१ ताला दे खना चलते काम म कावट
५५२ तालाब म तैरना वा य लाभ
५५३ तालाब म नहाना श ु से हा न
५५४ ताल दे खना बगडे काम बनगे
५५६ ताश दे खना म अथवा पडोसी से लडाई हो
५५७ तजोर टूटती दे खना कारोबार म बढ़ोतर
५५८ तजोर बंद करना धन वृ हो
५५९ ततल उड़ कर दरू जाना दांप य जीवन म लेश हो
५६० ततल दे खना ववाह हो या े मका मले
५६१ ततल पकड़ना नई संतान हो
५६२ तराहा दे खना लडाई झगडा हो
५६३ तल खाना दोष लगना
५६४ तल दे खना कारोबार म लाभ
५६५ तलक करना यापार बढे
५६६ तीतर दे खना स मान म वृ
५६७ तीर चलाना इ छा पूण होना
५६८ तीर दखाई दे ना ल य क ओर बढऩा
५६९ तूफान दे खना या उमसे फँसना संकट से छुटकारा मले
५७० तेल पीना कसी भयंकर रोग क आशंका
५७१ तेल या तेल दे खना सम या बढे
५७२ त द बढ़ दे खना पेट म परे शानी हो
५७३ तोता दखाई दे ना सौभा य म वृ
५७४ तोता दे खना ख़ुशी मले
५७५ तोप दे खना श ु न ट होना
५७७ तोलना महं गाई बढे
५७८ तो लया दे खना वा य लाभ हो
५७९ मू त दे खना सरकार नौकर मले
५८१ शूल दे खना अ छा माग दशन मले
५८२ थक जाना काय म सफलता मले
५८३ थ पर खाना काय म सफलता
५८४ थ पर मारना झगडे म फँसना
५८५ थर थर कंपना मान स मान बढे
५८६ थाल खाल दे खना सफलता मले
५८७ थाल भर दे खना अशुभ
५८८ थूक दे खना परे शानी म पडऩा
५८९ थूकना मान स मान बढे
५९० थैल खाल दे खना जमीन जायदाद म झगडा हो
५९१ थैल भर दे खना जमीन जायदाद म वृ

आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से ज और थ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जड़
ु े रहे और दस
ू र को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
जानकार आपको हमारे ज रये मलेगी।
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ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।
योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा
यापार वृ योग - 2
===============
-: मं :-

"धां धीं धूं धूजटे प नीं वां वीं वुं वागधी वर 


ां ं ंू का लका दे ये शां शीं शुं म शुभम कु ॥"

वधी :- उपरो त म स कंु िजका तो म से ह । कुछ शु गुलाब म से बनी अगरब ती लेकर उपरो त म 108 बार जप कर
अगरब ती अ भमं त कर ल िजए । उसके बाद उन अगरब ती म से 5 अगरब ती लेकर व लत करे । उसके बाद अपने पुरे यवसाय
थल म एंट लोक वाइस (घडी क उलट दशा म) घुमाले और एक जगह लगादे और फर दे खे आपका यापार कैसे नह ं चलता । यह
योग पूण ामा णक एवं कई बार प र ीत ह । माँ भगवती ने चाहा तो आप यापार को लेकर ज द ह चंता मु त हो जायगे !!

महाकाल का शाबर मं
----------------------------
महाकाल का शाबर मं अ यंत दल ु भ और ती भावशाल है । इस मं को पूण ा और व वास के साथ व ध पूवक जपकर स
कर लया जाये तो साधक क सभी मनोकामनाय पूण हो जाती है , और साधक सं पूण सुख, सौभा य, ऐ वय एवं धन-धा य से प रपू ण
हो जाता है । साथ ह साथ सम त कार क बाधाय भी वतः ह द रू हो जाती है ।

शाबर मं –
---------------
"सात पुनम कालका, बारह बरस वांर।
एको दे व जा नए, चौदह भुव न वार।।
व-प े नम लए, तेरह दे वन दे व।
अ टभुजी परमे वर , यारह सेव ।।
सोलह कला स पुण , तीन नयन भरपुर।
दश वार तू ह माँ, पांच बाजे नूर।।
नव- न ध ष -दशनी, पं ह त थ जान।
चार युग मे काल का कर काल क याण।।"

इस मं के वारा जन क याण तथा परोपकार भी कया जा सकता है । साधक इस मं के वारा कसी भी बाधा त यि त जैसे भूत
ेतबाधा, आ थक बाधा, नजर दोष, शार रक मान सक बाधा इ या द को आसानी से मटा सकता है ।

योग वधी:-
--------------
कसी भी होल , द पावल , नवरा , अथवा हण काल म इस योग को स करना चा हए। सव थम न न साम ीयाँ जट
ु ा ल।
महाकाल यं , महाकाल च , कनेर का पीला फूल, भटकटै या का फूल, ल ग, इलायची, 3 नंबू, स द रू , काले केवाच के 108 बीज धूप,
द प, ना रयल, अगरब ती इ याद ।

माता काल के मं दर म या कसी एका त थान म इस साधना को स कये जा सकते ह। सव थम नान आ द से नवृत होकर एक
लकड़ी के त ते पर लाल व बछाकर महाकाल च तथा यं को था पत कर त प चात घी का चैमुखा दया जलाकर गु गणेश का
यान कर गु थापन मं तथा आ मर ा मं का योग कर। फर भोजप पर न न चैतीसा यं का नमाण कर तथा महाकाल यं ,
महाकाल च स हत चतीसा यं का पंचोपचार या षोड़शोपचार से पू जन करे ।

पूजन के समय कनेर, भटकटै या के फूल को यं च पर चढ़ाय, ना रयल इलायची, पंचमेवा का भोग लगाय, फर तीन न बूओं को
काटकर स दूर का ट का लगाकर अ पत कर त प चात हाथ म एक-एक केवाच के बीज को लेकर उ त मं को पढ़ते हुए काल के च
के सामने चढ़ाते जाय इस तरह 108 बार मं जपते हुए केवाच के बीज को चढ़ाय। मं जप पुण होने पर उसी मं से 11 बार हवन कर।
एक ा हण को भोजन कराय तथा यथाशि त दान द णा द। फर इस मं का योग कसी भी इ छत काय के लये कर सकते ह।
योग नीचे लखे अनुसार कर :-
-------------------------------------
1. भत
ू - ेत बधा नवारण:- हवन के राख से कसी भी भूत- ेत त रोगी को सात बार मं पढ़ते हुए झाड़ द तथा हवन के राख का ट का
लगा द फर भोजप पर चै तसा यं को अ टगंध से लख कर तांबे के ताबीज म भर कर पहना द तो भूत ेत बाधा सदा के लए द रू हो
जाता है ।

2. श ु बाधा नवारण:- अमाव या के दन एक़ नं बू लेकर उस पर संद ुर से श ु का नाम लखकर महाकाल मं का उ चारण करते
हुये 21 बार 7 सुइयां चुभाये फर उसे मशान मे ले जाकर गाड़ द तथा उस पर शराब क धार चढ़ाय ऐसा करने से 3 दन मे श ु बाधा
समा त हो जाती है ।

3. आ थक बाधा नवारण:- महाकाल यं के सामने घी का द पक जलाकर महाकाल शाबर मं का 21 बार जाप 21 दन तक करने से
आ थक बाधा समा त हो जाता है ।

सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi (पाट - 3)


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सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दस
ू रे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दस
ू रे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह
|
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सुबह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता
है ) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो युक बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के
असर से आते ह|

१५२ कंगन दे खना अपमान हो


१५३ कंघा दे खना चोट लगना , दांत या कान म दद
१५४ कछुआ दे खना धन आशा से अ धक मलना
१५५ कटा सर दे खना श मदगी उठानी पड़ेगी
१५६ कटोरा दे खना बनते काम बगडना
१५७ क ल करना वयं का अ छा सपना है , बुरे काम से बचे
१५८ कद अपना छोटा दे खना अपमान सहना , परे शानी उठाना
१५९ कद अपना बड़ा दे खना भार संकट आना
१६० कद घटना अपमान हो
१६१ कद ल बा दे खना मृ यु तु य क ट हो
१६२ कदू दे खना पेट दद
१६३ कन तर खाल दे खना शुभ
१६४ कन तर भरा दे खना अशुभ
१६५ क या को घर म आते दे खना मां ल मी क कृपा मलना
१६६ क या दे खना धन व ृ हो
१६७ कपडा धोना पहले कावट , फर लाभ
१६८ कपडा बेचते दे खना यापार म लाभ
१६९ कपडे पर खून के दाग यथ बदनामी
१७० कपास दे खना सुख, समृ ध घर आये
१७१ कपूर दे खना यापार नौकर म लाभ
१७२ कफन दे खना ल बी उ
१७३ कबाडी दे खना अ छे दन क शु आत
१७४ कबूतर दखाई दे ना रोग से छुटकारा
१७५ कबूतर दे खना े मका से मलना
१७६ कबूतर का झुंड शुभ समाचार मले
१७७ क खोदना मकान का नमाण करना
१७८ क तान दे खना समाज म त ठा
१८० कमंडल दे खना प रवार के कसी सद य से वयोग
१८१ कमल ककडी दे खना साि वक भोजन म आनंद, ख़ुशी मले
१८२ कमल का फूल ान क ाि त
१८३ कमल का फूल दे खना रोग से छुटकारा
१८४ क बल दे खना बीमार आये
१८५ करवा चौथ औरत दे खे तो आजीवन सधवा, पु ष दे खे तो धन धा य सं पूण
१८६ कर खाना वधवा से ववाह, वधुर से ववाह
१८७ कजा दे ना खुशहाल आये
१८८ कजा लेना यापार म हा न
१८९ कलम दे खना व या धन क ाि त
१९० कलश दे खना सफलता
१९१ कला कृ तया दे खना मान समान बढे
१९२ कल दे खना वा य खराब हो
१९३ कसम खाते दे खना संतान का दःु ख भोगना
१९४ कसरत बीमार आने क सूचना
१९५ काउं टर दे खना लेन दे न म लाभ
१९६ कागज कोरा शुभ
१९७ कागज लखा दे खना अशुभ
१९८ काजू खाना नया यापार शु हो
१९९ कान कट जाना अपन से वयोग
२०० कान दे खना शुभ समाचार
२०१ कान साफ करना अ छ बात का ान
२०२ काना यि त दे खना अनुकूल समय नह ं
२०३ कारखाना दे खना दघ
ु टना म फंसने क सूचना
२०४ काला कु ता दे खना काय म सफलता
२०५ काला रं ग दे खना शभ
ु फल
२०६ काल आँख दे खना यापार म लाभ
२०७ काल ब ल दे खना लाभ हो
२०८ कला दे खना ख़ुशी ा त हो
२०९ कसी ऊंचे थान से कूदना असफलता
२१० कसी र तेदार को दे खना उ तम समय क शु आत
२११ कसी से लड़ाई करना स नता ा त होना
२१२ क डा दे खना शि त का तीक
२१३ क ल दे खना / ठोकना प रवार म बटवारा हो
२१४ कंु डल पहने दे खना संकट हो
२१५ कुआं दे खना स मान बढऩा
२१६ कुएं म पानी दे खना धन लाभ
२१७ कु ता झपटे श ु क हार
२१८ कु ता दे खना पुराने म से मलन
२१९ कु ता भ कना लोग वारा मजाक उड़ना
२२० कुबडा दे खना काय म व न
२२१ कुमकुम दे खना काय म सफलता
२२२ कु हार दे खना शुभ समाचार
२२३ कुरान सुख शां त क भावना बढे
२२४ कुस खाल दे खना नौकर मले
२२५ कुस पर अ य को बैठे दे खना अपमान
२२६ कुस पर वयं को बैठे दे खना नया पद, पदोनती
२२७ कु हाडी दे खना प र म अ धक, लाभ कम
२२८ कूड़े का ढे र दे खना क ठनाई के बाद धन मले
२२९ कृपाण धम काय पूण होने क सूचना
२३० कृ ण ेम संबंध म व ृ
२३१ केक दे खना अ छ व तु मले
२३२ केतल दे खना दांप य जीवन म शां त हो
२३३ केला खाना / दे खना ख़ुशी हो
२३४ केला दे खना या खाना शुभ समाचार
२३५ केश संवारना तीथ या ा
२३६ कची अकारण कसी से वाद
२३७ कची दे खना घर म कलह होना
२३८ कैमरा दे खना अपने भेद छपा कर रखे
२३९ कोठ दे खना दःु ख मले
२४० कोढ़ दे खना धन का लाभ
२४१ कोयल दे खना उ तम वा यक ाि त
२४२ कोयल दे खना / सुनना शुभ समाचार
२४३ कोयला दे खना यथ ववाद म फंसना
२४४ कोयला दे खना ेम के जाल म फँस कर दःु ख पाए
२४५ कोया दे खना शुभ संकेत
२४६ कोट-कचहर दे खना ववाद म पडऩा
२४७ कोहरा संकट समा त हो
२४८ कौआ दखाई दे ना बुर सूचना मलना
२४९ कौआ दे खना कसी क मृ यु का समाचार मलना

आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से अ और आ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जड़
ु े रहे और दस
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ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।
योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा ।

सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi (पाट - 4)


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सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दस
ू रे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दूसरे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह
|
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सु बह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता
है ) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो युक बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के
असर से आते ह|

२५० ख चर दखाई दे ना धन संबंधी सम या


२५१ खटमल दे खना जीवन म संघष
२५२ खटमल मारना क ठनाई से छुटकारा
२५३ खटाई खाना धन हा न हो
२५४ ख़त पढ़ना शुभ समाचार
२५५ खरगोश दे खना औरत से बेवफाई
२५६ खरबूजा दे खना सफलता मले
२५७ खर च लगना शर र व थ हो
२५८ ख लहान दे खना स मान बढ़े
२५९ खाई दे खना धन और स क ाि त
२६० खाल खाट दे खना बीमार पड़ने क सूचना
२६१ खाल जंजीर दे खना इ जाम लगेगा
२६२ खाल थाल दे खना धन ाि त के योग
२६३ खाल बतन दे खना काम म हा न
२६४ खाल बैलगाड़ी दे खना नुकसान होना
२६५ खल खलाना द ख
ु द समाचार मलने का संकेत
२६६ खलौना दे खना आँख को सुख मले
२६७ ख ल उडाना लोग से नराशा मले
२६८ खुजल होना रोग से छुटकारा पाने का संकेत
२६९ खुला दरवाजा दे खना कसी यि त से म ता होगी
२७० खश
ु बू लगाना स मान बढे
२७१ ख़ुशी दे खना परे शानी बढे
२७२ खून क वषा दे खना दे श म अकाल पड़े
२७३ खून खराबा सौभा य व ृ
२७४ खून दे खना धन मले
२७५ खून म लोटना धन
२७६ खेत काटते दे खना प नी से मन मुट ाव होना
२७७ खेत दे खना या ा हो , व या व ् धन क वृ
२७८ खेत म पके गेहूं दे खना धन लाभ होना
२७९ खेल कूद म भाग लेन ा भा य उ न ती होना
२८० खोपडी दे खना बौ धक काय म सफलता
२८१ गंजा सर दे खना पर ा म पास हो, स मान बड़े
२८२ गड़ा धन दखाना अचानक धन लाभ
२८३ गधा दे खना यार मले
२८४ गधा लदा हुआ दे खना यापार म लाभ हो
२८५ गधे क चीख सुनना दख
ु हो
२८६ गधे क सवार करना शुभ समाचार मले
२८७ गमला दे खना खाल दे खने पर झंझट , फूल खले दे खने पर शुभ
२८८ गरम पानी दे खना बुखार या अ य बीमार आये
२८९ ग लया दे ते दे खना बदनामी हो
२९० गल दे खना सुनसान गल दे खने से लाभ , भीड़ वाल गल दे खने से मृ यु का समाचार
२९१ गल चा दे खना या उस पर बैठना शोक म शा मल होना
२९२ गवाह दे ना अपराध म फंसना
२९३ गाजर दे खना फसल अ छ हो
२९४ गाड़ी दे खना या ा साथक हो
२९५ गाय का बछड़ा दे खना कोई अ छ घटना होना
२९६ गाय दे खना धन लाभ हो
२९७ गाय या बैल पीले रं ग क दे खना महामार आने के ल ण
२९८ गाय ी पाठ करना दल
ु भ व न मान स मान बड़े
२९९ गनती करना काम म हा न
३०० गर गट दे खना झगडे म फंसने का संकेत
३०१ गलहर दे खना बहुत शुभ
३०२ गलास दे खना घरेलू खच म कमी होगी
३०३ गीता क ट द ूर हो
३०४ गीता दे खना दल
ु भ समय
३०५ गीदड दे खना श ु से भय मले
३०६ गील व तु दे खना ल बी बीमार आने के संकेत
३०७ गुठल खाना या फकना काफ धन आने क सूचना
३०८ गुड़ खाते हुए दे खना अ छा समय आने के संकेत
३०९ गु डया दे खना ज द ववाह का संकेत
३१० गुड खाना सफलता मले
३११ गु दखाई दे ना सफलता मलना
३१२ गु - वारा दे खना ान क ाि त हो
३१३ गुलाब दे खना स मान म व ृ
३१४ गद दे खना परेशानी होना
३१५ गदे का फूल दे खना मान सक अशां त
३१६ गेहूँ दे खना काफ मेहनत कर के कमाई होना
३१७ गे आ व दे खना समय शुभ है
३१८ गोबर दखाई दे ना पशुओं के यापार म लाभ
३१९ गोबर दे खना पशुओं के यापार म लाभ
३२० थ सा हब धा मक काय म च हो
३२१ वाला / वा लन दे खना शुभ फल
३२२ घंट ाघर दे खना अशुभ समाचार
३२३ घंटे क आवाज़ सुनना चोर होने का संकेत
३२४ घडा भरा दे खना धन लाभ हो
३२५ घडी गुम हो जाना या ा का काय म थ गत होना
३२६ घडी दे खना या ा पर जाना
३२७ घर दे खना (खंडहर ) संपि त म लाभ
३२८ घर दे खना (सजा हुआ ) संपि त म हा न
३२९ घर बनाना स मलना
३३० घर म आग दे खना सरकार से लाभ हो
३३१ घर म कसी और का वेश दे खना श ु पर वजय
३३२ घर लोहे का दे खना मान स मान बढे गा
३३३ घर सोने का दे खना घर म आग लगने का संकेत
३३४ घाट दे खना तीथ या ा पर जाने का संकेत
३३५ घायल दे खना संकट से छुटकारा
३३६ घास का मैद ान दे खना धन लाभ के योग
३३७ घास दे खना लाभ होगा
३३८ घी दे खना धन दौलत बढे
३३९ घुंघ क आवाज सुनना मान स मान बढे गा
३४० घुट ने टे कना वाद ववाद म सफलता मले
३४१ घूंघट दे खना नया यापार शु हो
३४२ घोड़ा काला दे खना मान स मान बढे गा
३४३ घोड़ा दे खना संकट दरू होना
३४४ घोड़ा या हाथी पर चढ़ना उ नि त हो
३४५ घोड़ा सजा हुआ दे खना काय म हा न
३४६ घोड़े पर चढऩा यापार म उ न त होना
३४८ घोड़े से गरना यापार म हा न होना

आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से ख और घ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जुड़े रहे और दूसर को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
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ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।

योगी नौमी नाथ


रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा

सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi (पाट - 5)


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सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दस
ू रे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दस
ू रे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह
|
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सुबह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता
है ) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो युक बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के
असर से आते ह|

३४९ चंचल आँख दे खना बीमार आने क सूचना


३५० चंदन दे खना शुभ समाचार मलना
३५१ चं हण दे खना रोग होना
३५२ चं मा को टूटते हुए दे खना कोई सम या आना
३५३ चं मा दे खना स मान मलना
३५५ च क दे खना मान स मान बढे गा
३५६ चटनी खाना दख
ु ो म वृ
३५७ च ान दे खना (काल ) शुभ
३५८ च ान दे खना (सफेद ) अशुभ
३५९ च हण दे खना सभी काय बगडे
३६० च मा दे खना त ठा ा त होना
३६१ चपत खाना शुभ फल क ाि त
३६२ चपत मारना धन हा न हो
३६३ च पल दे खना या ा पर जाना
३६४ च पल पहनना या ा पर जाना
३६५ चबू तरा दे खना मान स मान बढे गा
३६६ चमगादड़ उड़ता दे खना ल बी या ा हो
३६७ चमगादड़ लटका दे खना अशुभ संकेत
३६८ चमडा दे खना दःु ख हो
३६९ च मच दे खना नजद क यि त धोखा दे
३७० चरखा चलाना मशीनर खराब हो
३७१ चरबी दे खना आग लगने का संकेत
३७२ चच दे खना मान सक शां त बढे
३७३ चलता प हया दे खना कारोबार म उ नि त हो
३७४ चलना आसमान पर बीमार आने का संकेत
३७५ चलना जमीन पर नया रोजगार मले
३७६ चलना पानी पर कारोबार म हा न
३७७ च मा खोना चोर के संकेत
३७८ च मा लगाना ान म बढ़ो तर
३७९ चांद का सामान दे खना गह
ृ लेश बढे
३८० चांद के बतन म द ध
ू पीना संपि त म व ृ हो
३८१ चांद दे खना धन लाभ होना
३८२ चाकू दे खना अंत म वजय
३८३ चादर दे खना बदनामी के योग
३८४ चादर मैल दे खना धन लाभ हो
३८५ चादर शर र पर लपेटना गह
ृ लेश बढे
३८६ चादर समेट कर रखना चोर होने का संकेत
३८७ चाबुक दखाई दे ना झगड़ा होना
३८८ चाय दे खना धन व ृ हो
३८९ चारपाई दे खना हा न हो
३९० चावल दे खना कसी से श ु ता समा त होना
३९२ च डय़ा को रोते दे खता धन-संपि त न ट होना
३९३ च डय़ा दखाई दे ना नौकर म पदो न त
३९४ च डय़ा दे खना मेहमान आने का संकेत
३९५ च दे खना पुराने म से मलन हो
३९६ चीं टयाँ बहुत अ धक दे खना परेशानी आये
३९८ चींट दे खना धन लाभ हो
३९९ चींट मारना तुरंत सफलता मले
४०० चील दे खना श ु ओं से हा न
४०१ चील दे खना बदनामी हो
४०२ चुंगी दे ना चलते काम म कावट
४०३ चुंगी लेना आ थक लाभ
४०४ चुट क काटना प रवार म लेश
४०५ चुडैल दे खना धन हा न हो
४०६ चुनर दखाई दे ना सौभा य क ाि त
४०७ चु बन दे ना म ता बढे
४०८ चु बन लेना आ थक समृ ध हो
४०९ च डय़ा तोड़ना प त द घायु हो (औरत के लए )
४१० चूड़ी दखाई दे ना सौभा य म व ृ
४११ चूड़ी दे खना सौभा य म व ृ
४१२ चूरन खाना बीमार म लाभ
४१३ चू हा दे खना उ तम भोजन ा त हो
४१४ चूहा चूहे दानी से नकलते दे खना क ट से मिु त
४१५ चूहा दे खना औरत से धोखा
४१६ चूहा फंसा दे खना शर र को क ट
४१७ चूहा मरा दे खना धन लाभ
४१८ चूहा मारना धन हा न
४१९ चेक लखकर दे ना वरासत म धन मलना
४२० चेचक नकलना धन क ाि त
४२१ च च वाला प ी दे खना यवसाय म लाभ
४२२ चोकलेट खाना अ छा समय आने वाला है
४२३ चोट पर वयं को दे खना हा न हो
४२४ चोर पकड़ना धन आने क सूचना
४२५ चोराहा दे खना या ा म सफलता
४२६ चौक दार दे खना अचानक धन आये
४२७ चौथ का चाँद दे खना बहुत अशुभ
४२८ छड़ी दे खना संतान से लाभ हो
४२९ छत दे खना मकान बने
४३० छतर लगाकर चलना मुसीबत से छुटकारा मलना
४३१ छ दे खना राज दरबार म स मान मले
४३२ छम छम क आवाज़ आये मेहमान आये
४३३ छलनी दे खना यापार म हा न
४३४ छलांग लगाना असफलता हाथ लगे
४३५ छ ला पहनना श ा म व ृ
४३६ छाछ पीना धन लाभ हो
४३७ छाज दे खना स मान बढे
४३८ छाती दे खना ी वश म हो
४४० छा का समूह दे खना श ा म लाभ
४४१ छापाखाना दे खना धन लाभ
४४२ छपकल दखाई दे ना घर म चोर होना
४४३ छपकल दे खना द ु मन से क ट
४४४ छ ंक आना अशुभ ल ण
४४५ छुआरा खाना धन लाभ हो
४४६ छुरा दे खना द ु मन से भय हो
४४७ छुर दखना संकट से मुि त
४४८ छोटा जूता पहनना कसी ी से झगड़ा
४४९ छोटे ब चे दे खना इ छा पूरण हो

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कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जड़
ु े रहे और दस
ू र को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
जानकार आपको हमारे ज रये मलेगी।
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(नीचे वाल लंक मे केवल द त नाथ जी ह जड़
ु सकते है )
ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः
भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।
योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
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यमुना नगर, ह रयाणा

नो तर ( पुनज म वषय पर ) :-

(1) न :- पुनज म कसको कहते ह ?


उ तर :- जब जीवा मा एकv शर र का याग करके कसी दस
ू रे शर र म जाती है तो इस बार बार ज म लेने क या को पन
ु ज म
कहते ह ।

(2) न :- पुनज म य होता है ?


उ तर :- जब एक ज म के अ छे बुरे कम के फल अधुरे रह जाते ह तो उनको भोगने के लए दस
ू रे ज म आव यक ह ।

(3) न :- अ छे बुरे कम का फल एक ह ज म म य नह ं मल जाता ? एक म ह सब नपट जाये तो कतना अ छा हो ?


उ तर :- नह ं जब एक ज म म कम का फल शेष रह जाए तो उसे भोगने के लए दस
ू रे ज म अपे त होते ह ।

(4) न :- पुनज म को कैसे समझा जा सकता है ?


उ तर :- पुनज म को समझने के लए जीवन और मृ यु को समझना आव यक है । और जीवन मृ यु को समझने के लए शर र को
समझना आव यक है ।

(5) न :- शर र के बारे म समझाएँ ?


उ तर :- हमारे शर र को नमाण कृ त से हुआ है ।
िजसम मूल कृ त ( स व रजस और तमस ) से थम बु त व का नमाण हुआ है ।
बु से अहं कार ( बु का आभाम डल ) ।
अहं कार से पांच ानेि याँ ( च ,ु िज वा, ना सका, वचा, ो ), मन ।
पांच कमि याँ ( ह त, पाद, उप थ, पायु, वाक् ) ।

शर र क रचना को दो भाग म बाँट ा जाता है ( सू म शर र और थूल शर र ) ।

(6) न :- सू म शर र कसको बोलते ह ?


उ तर :- सू म शर र म बु , अहं कार, मन, ानेि याँ । ये सू म शर र आ मा को सिृ ट के आर भ म जो मलता है वह एक ह
सू म शर र सिृ ट के अंत तक उस आ मा के साथ पूरे एक सिृ ट काल ( ४३२००००००० वष ) तक चलता है । और य द बीच म ह
कसी ज म म कह ं आ मा का मो हो जाए तो ये सू म शर र भी कृ त म वह ं ल न हो जायेगा ।

(7) न :- थूल शर र कसको कहते ह ?


उ तर :- पंच कमि याँ ( ह त, पाद, उप थ, पायु, वाक् ) , ये सम त पंचभौ तक बाहर शर र ।

(8) न :- ज म या होता है ?
उ तर :- जीवा मा का अपने करण ( सू म शर र ) के साथ कसी पंचभौ तक शर र म आ जाना ह ज म कहलाता है ।

(9) न :- मृ यु या होती है ?
उ तर :- जब जीवा मा का अपने पंचभौ तक थूल शर र से वयोग हो जाता है, तो उसे ह मृ यु कहा जाता है । पर तु मृ यु केवल
सथूल शर र क होती है , सू म शर र क नह ं । सू म शर र भी छूट गया तो वह मो कहलाएगा मृ यु नह ं । मृ यु केवल शर र बदलने
क या है , जैसे मनु य कपड़े बदलता है । वैसे ह आ मा शर र भी बदलता है ।

(10) न :- मृ यु होती ह य है ?
उ तर :- जैसे कसी एक व तु का नर तर योग करते रहने से उस व तु का साम य घट जाता है , और उस व तु को बदलना
आव यक हो जाता है , ठ क वैसे ह एक शर र का साम य भी घट जाता है और इि याँ नबल हो जाती ह । िजस कारण उस शर र को
बदलने क या का नाम ह मृ यु है ।
(11) न :- मृ यु न होती तो या होता ?
उ तर :- तो बहुत अ यव था होती । प ृ वी क जनसं या बहुत बढ़ जाती । और यहाँ पैर धरने का भी थान न होता ।

(12) न :- या मृ यु होना बुर बात है ?


उ तर :- नह ं, मृ यु होना कोई बुर बात नह ं ये तो एक या है शर र प रवतन क ।

(13) न :- य द मृ यु होना बुर बात नह ं है तो लोग इससे इतना डरते य ह ?


उ तर :- य क उनको मृ यु के वै ा नक व प क जानकार नह ं है । वे अ ानी ह । वे समझते ह क मृ यु के समय बहुत क ट
होता है । उ ह ने वेद, उप नषद, या दशन को कभी पढ़ा नह ं वे ह अंधकार म पड़ते ह और मृ यु से पहले कई बार मरते ह ।

(14) न :- तो मृ यु के समय कैसा लगता है ? थोड़ा सा तो बताय ?


उ तर :- जब आप ब तर म लेटे लेटे नींद म जाने लगते ह तो आपको कैसा लगता है ?? ठ क वैसा ह मृ यु क अव था म जाने म
लगता है उसके बाद कुछ अनुभव नह ं होता । जब आपक मृ यु कसी हादसे से होती है तो उस समय आमको मूछा आने लगती है ,
आप ान शू य होने लगते ह िजससे क आपको कोई पीड़ा न हो । तो यह ई वर क सबसे बड़ी कृपा है क मृ यु के समय मनु य ान
शू य होने लगता है और सुषु◌ ु ताव था म जाने लगता है ।

(15) न :- मृ यु के डर को दरू करने के लए या कर ?


उ तर :- जब आप वै दक आष थ ( उप नषद, दशन आ द ) का ग भीरता से अ ययन करके जीवन,मृ यु, शर र, आ द के व ान
को जानगे तो आपके अ दर का, मृ यु के त भय मटता चला जायेगा और दूसरा ये क योग माग पर चल तो वं य ह आपका
अ ान कमतर होता जायेगा और मृ यु भय द रू हो जायेगा । आप नडर हो जायगे । जैसे हमारे ब लदा नय क गाथाय आपने सुनी
ह गी जो रा क र ा के लये ब लदान हो गये । तो आपको या लगता है क या वो ऐसे ह एक दन म ब लदान दे ने को तै यार हो
गये थे ? नह ं उ होने भी योगदशन, गीता, साँ य, उप नषद, वेद आ द पढ़कर ह नभयता को ा त कया था । योग माग को जीया
था, अ ानता का नाश कया था । महाभारत के यु म भी जब अजन
ु भी म, ोणा दक क मृ यु के भय से यु क मंशा को याग
बैठा था तो योगे वर कृ ण ने भी तो अजुन को इसी सां य, योग, न काम कम के स ा त के मा यम से जीवन मृ यु का ह तो
रह य समझाया था और यह बताया क शर र तो मरणधमा है ह तो उसी शर र व ान को जानकर ह अजन ु भयमु त हुआ । तो इसी
कारण तो वेदा द थ का वा याय करने वाल मनु य ह रा के लए अपना शीश कटा सकता है , वह मृ यु से भयभीत नह ं होता ,
स नता पूवक मृ यु को आ लंग न करता है ।

(16) न :- कन कन कारण से पुनज म होता है ?


उ तर :- आ मा का वभाव है कम करना, कसी भी ण आ मा कम कए बना रह ह नह ं सकता । वे कम अ छे करे या फर बुरे, ये
उसपर नभर है , पर कम करे गा अव य । तो ये कम के कारण ह आ मा का पुनज म होता है । पुनज म के लए आ मा सवथा
ई वराधीन है ।

(17) न :- पुनज म कब कब नह ं होता ?


उ तर :- जब आ मा का मो हो जाता है तब पुनज म नह ं होता है ।

(18) न :- मो होने पर पुनज म य नह ं होता ?


उ तर :- य क मो होने पर थू ल शर र तो पंचत व म ल न हो ह जाता है , पर सू म शर र जो आ मा के सबसे नकट होता है , वह
भी अपने मूल कारण कृ त म ल न हो जाता है ।

(19) न :- मो के बाद या कभी भी आ मा का पु नज म नह ं होता ?


उ तर :- मो क अव ध तक आ मा का पुनज म नह ं होता । उसके बाद होता है ।

(20) न :- ले कन मो तो सदा के लए होता है , तो फर मो क एक नि चत अव ध कैसे हो सकती है ?


उ तर :- सी मत कम का कभी असी मत फल नह ं होता । यौ गक द य कम का फल हम ई वर य आन द के प म मलता है , और
जब ये मो क अव ध समा त होती है तो दब
ु ारा से ये आ मा शर र धारण करती है ।

(21) न :- मो क अव ध कब तक होती है ?
उ तर :- मो का समय ३१ नील १० खरब ४० अरब वष है , जब तक आ मा मु त अव था म रहती है ।
(22) न :- मो क अव था म थूल शर र या सू म शर र आ मा के साथ रहता है या नह ं ?
उ तर :- नह ं मो क अव था म आ मा पूरे मा ड का च कर लगाता रहता है और ई वर के आन द म रहता है , बलकुल ठ क वैसे
ह जैसे क मछल पूरे समु म रहती है । और जीव को कसी भी शर र क आव य ता ह नह ं होती।

(23) न :- मो के बाद आ मा को शर र कैसे ा त होता है ?


उ तर :- सबसे पहला तो आ मा को क प के आर भ ( सिृ ट आर भ ) म सू म शर र मलता है फर ई वर य माग और औष धय क
सहायता से थम प म अमैथुनी जीव शर र मलता है , वो शर र सव े ठ मनु य या व वान का होता है जो क मो पी पु य को
भोगने के बाद आ मा को मला है । जैसे इस वाल सिृ ट के आर भ म चार ऋ ष व वान ( वायु , आ द य, अि न , अं गरा ) को
मला िजनको वेद के ान से ई वर ने अलंका रत कया । य क ये ह वो पु य आ माय थीं जो मो क अव ध पूर करके आई थीं ।

(24) न :- मो क अव ध पूर करके आ मा को मनु य शर र ह मलता है या जानवर का ?


उ तर :- मनु य शर र ह मलता है ।

(25) न :- य केवल मनु य का ह शर र य मलता है ? जानवर का य नह ं ?


उ तर :- य क मो को भोगने के बाद पु य कम को तो भोग लया , और इस मो क अव ध म पाप कोई कया ह नह ं तो फर
जानवर बनना स भव ह नह ं , तो रहा केवल मनु य ज म जो क कम शू य आ मा को मल जाता है ।

(26) न :- मो होने से पुनज म य ब द हो जाता है ?


उ तर :- य क योगा यास आ द साधन से िजतने भी पूव कम होते ह ( अ छे या बुरे ) वे सब कट जाते ह । तो ये कम ह तो
पुनज म का कारण ह, कम ह न रहे तो पुनज म य होगा ??

(27) न :- पुनज म से छूटने का उपाय या है ?


उ तर :- पुनज म से छूटने का उपाय है योग माग से मुि त या मो का ा त करना ।

(28) न :- पुनज म म शर र कस आधार पर मलता है ?


उ तर :- िजस कार के कम आपने एक ज म म कए ह उन कम के आधार पर ह आपको पुनज म म शर र मलेगा ।
(29) न :- कम कतने कार के होते ह ?
उ तर :- मु य प से कम को तीन भाग म बाँटा गया है :- साि वक कम , राज सक कम , ताम सक कम ।
(१) साि वक कम :- स यभाषण, व या ययन, परोपकार, दान, दया, सेवा आ द ।
(२) राज सक कम :- म याभाषण, डा, वाद लोलुपता, ीआकषण, चल च आ द ।
(३) ताम सक कम :- चोर , जार , जआ
ू , ठ गी, लूट मार, अ धकार हनन आ द ।

और जो कम इन तीन से बाहर ह वे द य कम कलाते ह, जो क ऋ षय और यो गय वारा कए जाते ह । इसी कारण उनको हम


तीन गुण से परे मानते ह । जो क ई वर के नकट होते ह और द य कम ह करते ह ।

(30) न :- कस कार के कम करने से मनु य यो न ा त होती है ?


उ तर :- साि वक और राज सक कम के मलेजल
ु े भाव से मानव दे ह मलती है , य द साि वक कम बहुत कम है और राज सक
अ धक तो मानव शर र तो ा त होगा पर तु कसी नीच कुल म , य द साि वक गुण का अनुपात बढ़ता जाएगा तो मानव कुल उ च
ह होता जायेगा । िजसने अ य धक साि वक कम कए ह गे वो व वान मनु य के घर ह ज म लेगा ।

(31) न :- कस कार के कम करने से आ मा जीव ज तुओं के शर र को ा त होता है ?


उ तर :- ताम सक और राज सक कम के फल प जानवर शर र आ मा को मलता है । िजतना ताम सक कम अ धक कए ह गे उतनी
ह नीच यो न उस आ मा को ा त होती चल जाती है । जैसे लड़ाई वभाव वाले , माँस खाने वाले को कु ता, गीदड़, संह, सयार
आ द का शर र मल सकता है , और घोर ताम सक कम कए हुए को साँप, नेवला, ब छू, क ड़ा, काकरोच, छपकल आ द । तो ऐसे
ह कम से नीच शर र मलते ह और ये जानवर के शर र आ मा क भोग यो नयाँ ह ।

(32) न :- तो या हम यह पता लग सकता है क हम पछले ज म म या थे ? या आगे या ह गे ?


उ तर :- नह ं कभी नह ,ं सामा य मनु य को यह पता नह ं लग सकता । य क यह केवल ई वर का ह अ धकार है क हम हमारे
कम के आधार पर शर र दे । वह सब जानता है ।
(33) श ्न :- तो फर यह कसको पता चल सकता है ?
उ तर :- केवल एक स योगी ह यह जान सकता है , योगा यास से उसक बु । अ य त ती हो चुक होती है क वह मा ड एवं
कृ त के मह वपूण रह य़ अपनी योगज शि त से जान सकता है । उस योगी को बा य इि य से ान ा त करने क आव यकता
नह ं रहती है
वह अ तः मन और बु से सब जान लेता है । उसके सामने भूत और भ व य दोन सामने आ खड़े होते ह ।

(34) न :- यह बताय क योगी यह सब कैसे जान लेता है ?


उ तर :- अभी यह लेख पुनज म पर है , यह ं से न उ तर का ये म चला दगे तो लेख का बहुत ह व तार हो जायेगा । इसी लये हम
अगले लेख म यह वषय व तार से समझायगे क योगी कैसे अपनी वक सत शि तय से सब कुछ जान लेता है ? और वे शि तयाँ
कौन सी ह ? कैसे ा त होती ह ? इसके लए अगले लेख क ती ा कर ।

(35) न :- या पुनज म के कोई माण ह ?


उ तर :- हाँ ह, जब कसी छोटे ब चे को दे खो तो वह अपनी माता के तन से सीधा ह दध
ू पीने लगता है जो क उसको बना सखाए
आ जाता है य क ये उसका अनुभव पछले ज म म दध
ू पीने का रहा है , वना बना कसी कारण के ऐसा हो नह ं सकता । दस
ू रा यह
क कभी आप उसको कमरे म अकेला लेट ा दो तो वो कभी कभी हँसता भी है , ये सब पुराने शर र क बात को याद करके वो हँ सता है
पर जैसे जैसे वो बड़ा होने लगता है तो धीरे धीरे सब भूल जाता है ।

(36) न :- या इस पुनज म को स करने के लए कोई उदाहरण ह ?


उ तर :- हाँ, जैसे अनेक समाचार प म, या TV म भी आप सुनते ह क एक छोटा सा बालक अपने पछले ज म क घटनाओं को
याद रखे हुए है , और सार बात बताता है जहाँ िजस गाँव म वो पैद ा हुआ, जहाँ उसका घर था, जहाँ पर वो मरा था । और इस ज म म
वह अपने उस गाँव म कभी गया तक नह ं था ले कन फर भी अपने उस गाँव क सार बात याद रखे हुए है , कसी ने उसको कुछ
बताया नह ,ं सखाया नह ,ं द रू दरू तक उसका उस गाँव से इस ज म म कोई नाता नह ं है । फर भी उसक गु त बु जो क सू म
शर र का भाग है वह घटनाएँ संजोए हुए है जा त हो गई और बालक पुराने ज म क बात बताने लग पड़ा ।

(37) न :- ले कन ये सब मनघड़ंत बात ह, हम व ान के युग म इसको नह ं मान सकते य क वै ा नक प से ये बात बेकार स


होती ह, या कोई ता कक और वै ा नक आधार है इन बात को स करने का ?
उ तर :- आपको कसने कहा क हम व ान के व इस पुनज म के स ा त का दावा करगे । ये वै ा नक प से स य है , और
आपको ये हम अभी स करके दखाते ह ।

(38) न :- तो स क जीए ?
उ तर :- जैसा क आपको पहले बताया गया है क मृ यु केवल थूल शर र क होती है , पर सू म शर र आ मा के साथ वैसे ह आगे
चलता है , तो हर ज म के कम के सं कार उस बु म समा हत होते रहते ह । और कभी कसी ज म म वो कम अपनी वैसी ह
प रि थती पाने के बाद जा त हो जाते ह ।
इसे उदहारण से समझ :- एक बार एक छोटा सा ६ वष का बालक था, यह घटना ह रयाणा के सरसा के एक गाँव क है । िजसम उसके
माता पता उसे एक कूल म घुमाने लेकर गये िजसम उसका दा खला करवाना था और वो ब चा केवल ह रयाणवी या ह द भाषा ह
जानता था कोई तीसर भाषा वो समझ तक नह ं सकता था । ले कन हुआ कुछ यूँ था क उसे कूल क Chemistry Lab म ले जाया
गया और वहाँ जाते ह उस ब चे का मूँह लाल हो गया !! चेहरे के हावभाव बदल गये !! और उसने एकदम फराटे दार French भाषा
बोलनी शु कर द !! उसके माता पता बहुत डर गये और घबरा गये , तुरंत ह ब चे को अ पताल ले जाया गया । जहाँ पर उसक बात
सुनकर डाकटर ने एक दुभा षये का ब ध कया । जो क French और ह द जानता था , तो उस दुभा षए ने सारा वत
ृ ा त उस
बालक से पूछा तो उस बालक ने बताया क " मेरा नाम Simon Glaskey है और म French Chemist हूँ । मेर मौत मेर योगशाला
म एक हादसे के कारण ( Lab. ) म हुई थी । "

तो यहाँ दे खने क बात यह है क इस ज म म उसे पुरानी घटना के अनुकूल मलती जल


ु ती प रि थ त से अपना वह सब याद आया जो
क उसक गु त बु म दबा हुआ था । या न क वह पुराने ज म म उसके साथ जो योगशाला म हुआ, वैसी ह योगशाला उस दस
ू रे
ज म म दे खने पर उसे सब याद आया । तो ऐसे ह बहुत सी उदहारण से आप पुनज म को वै ा नक प से स कर सकते हो ।

(39) न :- तो ये घटनाएँ भारत म ह य होती ह ? पूरा व व इसको मा यता य नह ं दे ता ?


उ तर :- ये घटनाय पूरे व व भर म होती रहती ह और व व इसको मा यता इस लए नह ं दे ता य क उनको वेद ानुसार यौ गक ि ट
से शर र का कुछ भी ान नह ं है । वे केवल माँस और ह डय के समूह को ह शर र समझते ह , और उनके लए आ मा नाम क कोई
व तु नह ं है । तो ऐसे म उनको न जीवन का ान है , न मृ यु का ान है , न आ मा का ान है , न कम का ान है , न ई वर य
यव था का ान है । और अगर कोई पुनज म क कोई घटना उनके सामने आती भी है तो वो इसे मान सक रोग जानकर उसको
Multiple Personality Syndrome का नाम दे कर अपना पीछा छुड़ा लेते ह और उसके कथनानुसार जाँच नह ं करवाते ह ।

(40) न :- या पुनज म केवल पृ थवी पर ह होता है या कसी और ह पर भी ?


उ तर :- ये पुनज म पूरे मा ड म य त होता है , कसने असं य सौरम डल ह, कतनी ह पथ
ृ ी वयाँ ह । तो एक पथ
ृ ीवी के जीव
मरकर मा ड म कसी दस
ू र पथ
ृ ीवी के उपर कसी न कसी शर र म भी ज म ले सकते ह । ये ई वर य यव था के अधीन है ।
(41) न :- पर तु यह बड़ा ह अजीब लगता है क मान लो कोई हाथी मरकर म छर बनता है तो इतने बड़े हाथी क आ मा म छर के
शर र म कैसे घुसेगी ?

उ तर :- यह तो म है आपका क आ मा जो है वो पूरे शर र म नह ं फैल होती । वो तो दय के पास छोटे अणु प म होती है । सब


जीव क आ मा एक सी है । चाहे वो हेल मछल हो, चाहे वो एक क ड़ी हो ।

{ नोट :- यह पुनज म पर सं त लेख था, इसको व तार से जानने के लए वेद, दशन, उप नषद, स याथ काश आ द थ का
वचारपूव क वा याय कर । }

ओ३म ् तत ् सत ् ।।
Ap
हो सकता है क समयाभाव से आप पूरा नो ी न पढ सके क तु कम से कम सभी न अव य एकबार पढ ल
ध यवाद

ावण माह मे शवजी का पूजन

शवजी क पूजा म यान रखने यो य बात शव पुराण के अनुसार भगवान शव को कौन सी चीज़ चढाने से मलता है या फल कसी
भी दे वी-दे वता का पूजन करते व त उनको अनेक चीज़ अ पत क जाती है । ायः भगवान को अ पत क जाने वाल हर चीज़ का फल
अलग होता है । शव पुराण म इस बात का वणन मलता है क भगवान शव को अ पत करने वाल अलग-अलग चीज़ का या फल
होता है । शव पुराण के अनुसार जा नए कौन सा अनाज भगवान शव को चढ़ाने से या फल मलता है :

• भगवान शव को चावल चढ़ाने से धन क ाि त होती है।


• तल चढ़ाने से पाप का नाश हो जाता है ।
• जौ अ पत करने से सुख म व ृ होती है ।
• गेहंू चढ़ाने से संतान वृ होती है । यह सभी अ न भगवान को अपण करने के बाद गर ब म वत रत कर दे ना चा हए।

शव पुराण के अनुसार जा नए भगवान शव को कौन सा रस ( य) चढ़ाने से उसका या फल मलता है :

• वर (बुखार) होने पर भगवान शव को जलधारा चढ़ाने से शी लाभ मलता है । सुख व संतान क वृ के लए भी जलधारा वारा
शव क पूजा उ तम बताई गई है ।
• नपुंसक यि त अगर शु घी से भगवान शव का अ भषेक करे , ा मण को भोजन कराए तथा सोमवार का त करे तो उसक
सम या का नदान संभव है।
• तेज दमाग के लए श कर म त दध
ू भगवान शव को चढ़ाएं।
• सुगं धत तेल से भगवान शव का अ भषेक करने पर समृ म वृ होती है ।
• शव लंग पर ईख (ग ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंद क ाि त होती है ।
• शव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मो दोन क ाि त होती है ।
• मधु (शहद) से भगवान शव का अ भषेक करने से राजय मा (ट .बी) रोग म आराम मलता है ।
शव पुराण के अनुसार जा नए भगवान शव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका या फल मलता है -
• लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शव का पूजन करने पर भोग व मो क ाि त होती है ।
• चमेल के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मलता है ।
• अलसी के फूल से शव का पूजन करने से मनु य भगवान व णु को य होता है ।
• शमी प (प त ) से पूजन करने पर मो ा त होता है ।
• बेला के फूल से पूजन करने पर सुंद र व सुशील प नी मलती है ।
• जूह के फूल से शव का पूजन कर तो घर म कभी अ न क कमी नह ं होती।
• कनेर के फूल से शव पूजन करने से नए व मलते ह।
• हर संगार के फूल से पूजन करने पर सुख-स प त म वृ होती है ।
• धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयो य पु दान करते ह, जो कुल का नाम रोशन करता है ।
• लाल डंठल वाला धतरू ा पूजन म शुभ माना गया है ।
ू ा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है ।
• दव

ब व वृ के बारे मे जानकार

1. ब व वृ के आसपास सांप नह ं आते।


2. अगर कसी क शव या ा ब व वृ क छाया से होकर गुजरे तो उसका मो हो जाता है ।
3. वायुमंडल म या त अशु य को सोखने क मता सबसे यादा ब व वृ म होती है ।
4. चार पांच छः या सात प त वाले ब व प क पाने वाला परम भा यशाल और शव को अपण करने से अनंत गुना फल मलता है ।
5. बेल वृ को काटने से वंश का नाश होता है । और बेल वृ लगाने से वंश क वृ होती है ।
6. सुबह शाम बेल वृ के दशन मा से पाप का नाश होता है ।
7. बेल वृ को सींचने से पतर त ृ त होते है ।
8. बेल वृ और सफ़ेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट ल मी क ाि त होती है ।
9. बेल प और ता धातु के एक वशेष योग से ऋ ष मु न वण धातु का उ पादन करते थे।
10. जीवन म सफ एक बार और वो भी य द भूल से भी शव लंग पर बेल प चढ़ा दया हो तो भी उसके सारे पाप मु त हो जाते है ।
11. बेल वृ का रोपण, पोषण और संवधन करने से महादे व से सा ा कार करने का अव य लाभ मलता है । कृपया ब व प का पेड़
ज र लगाये । ब व प के लए पेड़ को त न पहुँचाएँ ।

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(नीचे वाल लंक मे केवल द त नाथ जी ह जुड़ सकते है )

ॐ नमः शवाय
ॐ शवगोर नाथाय नमः

भगवान शव और गु गोर नाथ जी आपका क याण कर ।


योगी नौमी नाथ
रामे वरम शव मं दर,
मलकड़ा गाँव, मुगलवाल कूल के पास,
कपाल मोचन रोड, बलासपुर,
यमुना नगर, ह रयाणा ।
सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दस
ू रे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दूसरे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह
|
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सु बह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता
है ) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो युक बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के
असर से आते ह|
य द कसी रोगी को सपने आते है तो उसका स भा वत ् फल न न कार हो सकता है |
1. य द रोगी सर मंुडाएं ,लाल या काले व धारण कए कसी ी या पु ष को सपने म दे खता है या अंग-भंग यि त को दे खता है
तो रोगी क दशा अ छ नह ं है ।
2. य द रोगी सपने म कसी ऊँचे थान से गरे या पानी म डूबे या गर जाए तो समझे क रोगी का रोग अभी और बड़ सकता है ।
3. य द सपने म ऊँट ,शेर या कसी जंग ल जानवर क सवार कर या उस से भयभीत हो तो समझे क रोगी अभी कसी और रोग से भी
त हो सकता है ।
4. य द रोगी सपने म कसी ा मण, दे वता, राजा, गाय, याचक या म को दे खे तो समझे क रोगी ज द ह ठ क हो जाएगा ।
5. य द कोई सपने म उड़ता है तो इस का अ भ ाय यह लगाया जाता है क रोगी या सपना दे खने वाला च ताओं से मु त हो गया है ।
6. य द सपने म कोई मास या अपनी कृ त के व ध भोजन करता है तो ऐसा नरोगी यि त भी रोगी हो सकता है ।
7. य द कोई सपने म साँप दे खता है तो ऐसा यि त आने वाले समय म परे शानी म पड़ सकता है ।या फर मनौती आ द के पूरा ना
करने पर ऐसे सपने आ सकते ह।
व न यो तष के अनुसार नींद म दखाई दे ने वाले हर सपने का एक ख़ास संकेत होता है , एक ख़ास फल होता है । यहाँ हम आपको
कुछ सपन का व न यो तष के अनुसार संभा वत फल बता रहे है ।
मांक व न व न फल
१ अँधा दे खना काय म कावट आये
२ अँधेरा दे खना वपि त आये
३ अंक दे खना वषम शुभ
४ अंक दे खना सम अशुभ
५ अंग कटे दे खना वा य लाभ
६ अंग दान करना उ वल भ व य , पुर कार
७ अंग र क दे खना चोट लगने का खतरा
८ अंगार पर चलना शार रक क ट
९ अंगीठ जलती दे खना अशुभ
१० अंग ीठ बुझी दे खना शुभ
११ अंगुल काटना प रवार म लेश
१२ अंगूठा चूसना पा रवा रक स प त म ववाद
१३ अंगूठ पहनना सुंदर ी ा त करना
१४ अंगूर खाना वा य लाभ
१५ अंजन दे खना ने रोग
१६ अंडे खाना पु ाि त
१७ अख़बार पढ़ना, खर दना वाद ववाद
१८ अखरोट दे खना भरपूर भोजन मले तथा धन वृ हो
१९ अगर ब ती अ पत करना शुभ
२० अगर ब ती जलती दे खना दघ
ु टना हो
२१ अगर ब ती दे खना धा मक अनु ठान हो
२२ अचार खाना , बनाना सर दद, पेट दद
२३ अजगर दखाई दे ना यापार म हा न
२४ अजगर दे खना शुभ
२५ अजनबी मलना अ न ट क पूव सूचना
२६ आजवयन खाना वा य लाभ
२७ अजीब व तु दे खना यजन के आने क सूचना
२८ अ हास करना दुखद समाचार मले
२९ अदरक खाना मान स मान बढे
३० अ य बनना मान हा न
३१ अ ययन करना असफलता मले
३२ अ यापक दे खना सफलता मले
३३ अ च दे खना औरत से सहयोग मले
३४ अनाज दे खना चंता मले
३५ अनानास खाना पहले परेशानी फर राहत मले
३६ अनार का रस पीना चुर धन ा त होना
३७ अनार के प ते खाना शाद शी हो
३८ अनार खाना (मीठा ) धन मले
३९ अनार दे खना धन ाि त के योग
४० अ तेि त दे खना प रवार म मांग लक काय
४१ अ य रंग का कुरता दे खना अशुभ
४२ अपठनीय अ र पढना दख
ु द समाचार मले
४३ अपने आप को अकेला दे खना ल बी या ा
४४ अपने को आकाश म उड़ते दे खना सफलता ा त हो
४५ अपने दांत गरते दे खना बंधूँ बांधव को क ट हो
४६ अपने पर दस
ू रौ का हमला दे खना ल बी उ
४७ अपहरण दे खना ल बी उ
४८ अ सरा दे खना धन और मान स मान क ाि त
४९ अ भमान करना अपमा नत होना
५० अम द खाना धन मले
५१ अमलतास के फूल पी लया या कोढ़ का रोग होना
५२ अमाव या होना दुःख संकट से छुटकारा
५३ अरबी दे खना सर दद या पेट दद
५४ अरहर खाना पेट म दद
५५ अरहर दे खना शुभ
५६ अथ दे खना बीमार से छुटकारा
५७ अथ दे खना धन लाभ हो
५८ अलमार खल
ु दे खना धन हा न हो
५९ अलमार बंद दे खना धन ाि त हो
६० अ दे खना संकट से र ा
६१ अ श दे खना मुकदमे म हार
६२ अ से वयं को कटा दे खना शी क ट मले
६३ अि थ दे खना संकट टलना
६४ आँचल दे खना तयो गता म वजय
६५ आँचल म मुँह छपाना मान समान क ाि त
६६ आँचल से आंसू प छना अ छा समय आने वाला है
६७ आंख म काजल लगाना शार रक क ट होना
६८ आंधी दे खना संकट से छुटकारा
६९ आंधी म गरना सफलता मलेगी
७० आंधी-तूफान दे खना या ा म क ट होना
७१ आंवला खाते दे खना मनोकामना पूण होना
७२ आंवला दे खना मनोकामना पूण न होना
७३ आंसू दे खना प रवार म मंगल काय हो
७४ आईना दे खना इ छा पूरण हो , अ छा दो त मले
७५ आईना म अपना मुंह दे खना नौकर म परे शानी , प नी म परे शानी
७६ आइस म खाना सुख शां त मले
७७ आक दे खना शार रक क ट
७८ आकाश क ओर उड़ना ल बी या ा हो
७९ आकाश दे खना पु ाि त
८० आकाश म उडऩा लंबी या ा करना
८१ आकाश म बादल दे खना ज द तर क होना
८२ आकाश से गरना संकट म फंसना
८३ आग जला कर भोजन बनाना धन लाभ , नौकर म तर क
८४ आग दे खना गलत तर के से धन क ाि त हो
८५ आग से कपडा जलना अनेक द ख
ु मले , आँख का रोग
८६ आजाद होते दे खना अनेक च ताओं से मुि त
८७ आटा दे खना काय पूरा हो
८८ आ मह या करना या दे खना ल बी आयु
८९ आभूषण दे खना कोई काय पूण होना
९० आम खाते दे खना धन और संतान का सुख
९१ आम खाना धन ा त होना
९२ आरा चलता हुआ दे खना संकट शी समा त होगे
९३ आरा का हुआ दे खना नए संकट आने का संकेत
९४ आडू दे खना सनता क ाि त
९५ आ लंगन दे खना औरत का औरत से धन ाि त का संकेत
९६ आ लंगन दे खना औरत का पु ष से प त से बेवफाई क सूचना
९७ आ लंगन दे खना पु ष का औरत से काम सुख क ाि त
९८ आ लंगन दे खना पु ष का पु ष से श ुता बढ़ना
९९ आलू दे खना भरपूर भोजन मले
१०० आवाज सुन ना अ छा समय आने वाला है
१०१ आवारागद करना धन लाभ हो नौकर मले
१०२ आवेदन करना या लखना ल बी या ा हो
१०३ आ म दे खना यापार म घाटा
१०४ आसमान दे खना ऊँचा पद ा त हो
१०५ आसमान म बजल दे खना काय- यवसाय म ि थरता
१०६ आसमान म वयं को गरते दे खना यापार म हा न
१०७ आसमान म वयं को दे खना अ छ या ा का संकेत

आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से अ और आ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जड़
ु े रहे और दस
ू र को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
जानकार आपको हमारे ज रये मलेगी।

ी रामच रत मानस के स ‘म ’
**************************************
नयम-
मानस के दोहे-चौपाईय को स करने का वधान यह है क कसी भी शुभ दन क रा को दस बजे के बाद अ टांग हवन के वारा
म स करना चा हये। फर िजस काय के लये म -जप क आव यकता हो, उसके लये न य जप करना चा हये। वाराणसी म
भगवान ् शंकरजी ने मानस क चौपाइय को म -शि त दान क है -इस लये वाराणसी क ओर मुख करके शंकरजी को सा ी बनाकर
ा से जप करना चा हये।

अ टांग हवन साम ी


*********************
१॰ च दन का बुरादा, २॰ तल, ३॰ शु घी, ४॰ चीनी, ५॰ अगर, ६॰ तगर, ७॰ कपूर, ८॰ शु केसर, ९॰ नागरमोथा, १०॰ प चमेवा, ११॰ जौ
और १२॰ चावल।

जानने क बात-
***************
िजस उ े य के लये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है , उसको स करने के लये एक दन हवन क साम ी से
उसके वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चा हये। यह हवन केवल एक दन करना है । मामूल शु म ी क वेद
बनाकर उस पर अि न रखकर उसम आहु त दे दे नी चा हये। येक आहु त म चौपाई आ द के अ त म ‘ वाहा’ बोल दे ना चा हये।

येक आहु त लगभग पौन तोले क (सब चीज मलाकर) होनी चा हये। इस हसाब से १०८ आहु त के लये एक सेर (८० तोला)
साम ी बना लेनी चा हये। कोई चीज कम- यादा हो तो कोई आपि त नह ं। प चमेवा म प ता, बादाम, कश मश ( ा ा), अखरोट
और काजू ले सकते ह। इनम से कोई चीज न मले तो उसके बदले नौजा या म ी मला सकते ह। केसर शु ४ आने भर ह डालने से
काम चल जायेगा।

हवन करते समय माला रखने क आव यकता १०८ क सं या गनने के लये है । बैठने के लये आसन ऊन का या कुश का होना
चा हये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ प व होना चा हये।

म स करने के लये य द लंकाका ड क चौपाई या दोहा हो तो उसे श नवार को हवन करके करना चा हये। दस
ू रे का ड के चौपाई-
दोहे कसी भी दन हवन करके स कये जा सकते ह।

स क हुई र ा-रे खा क चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे ह , वहाँ अपने आसन के चार ओर चौकोर रे खा जल या कोयले से खींच
लेनी चा हये। फर उस चौपाई को भी ऊपर लखे अनुसार १०८ आहु तयाँ दे कर स करना चा हये।

र ा-रे खा न भी खींची जाये तो भी आपि त नह ं है । दूसरे काम के लये दूसरा म स करना हो तो उसके लये अलग हवन करके
करना होगा।

एक दन हवन करने से वह म स हो गया। इसके बाद जब तक काय सफल न हो, तब तक उस म (चौपाई, दोहा) आ द का
त दन कम-से-कम १०८ बार ातःकाल या रा को, जब सु वधा हो, जप करते रहना चा हये।

कोई दो-तीन काय के लये दो-तीन चौपाइय का अनु ठान एक साथ करना चाह तो कर सकते ह। पर उन चौपाइय को पहले अलग-
अलग हवन करके स कर लेना चा हये।
१॰ वपि त-नाश के लये
================
“रािजव नयन धर धनु सायक। भगत बप त भंजन सुखदायक।।”

२॰ संकट-नाश के लये
===============
“ज भु द न दयालु कहावा। आर त हरन बेद जसु गावा।।
जप हं नामु जन आरत भार । मट हं कुसंकट हो हं सुखार ।।
द न दयाल ब रद ु संभार । हरहु नाथ मम संकट भार ।।”

३॰ क ठन लेश नाश के लये


===================
“हरन क ठन क ल कलष
ु कलेसू। महामोह न स दलन दनेसू॥”

४॰ व न शां त के लये
===============
“सकल व न याप हं न हं तेह । राम सुकृपाँ बलोक हं जेह ॥”

५॰ खेद नाश के लये


=============
“जब त राम या ह घर आए। नत नव मंगल मोद बधाए॥”

६॰ च ता क समाि त के लये
====================
“जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥”

७॰ व वध रोग तथा उप व क शाि त के लये


===============================
“दै हक दै वक भौ तक तापा।राम राज काहू हं न ह यापा॥”

८॰ मि त क क पीड़ा दरू करने के लये


=========================
“हनूमान अंगद रन गाजे। हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।”

९॰ वष नाश के लये
==============
“नाम भाउ जान सव नीको। कालकूट फलु द ह अमी को।।”

१०॰ अकाल मृ यु नवारण के लये


======================
“नाम पाह दवस न स यान तु हार कपाट।
लोचन नज पद जं त जा हं ान के ह बाट।।”

११॰ सभी तरह क आपि त के वनाश के लये / भूत भगाने के लये


===========================================
“ नवउँ पवन कुमार,खल बन पावक यान घन।
जासु दयँ आगार, बस हं राम सर चाप धर॥”

१२॰ नजर झाड़ने के लये


=================
“ याम गौर संद
ु र दोउ जोर । नरख हं छ ब जननीं तन
ृ तोर ।।”
१३॰ खोयी हुई व तु पुनः ा त करने के लए
============================
“गई बहोर गर ब नेवाज।ू सरल सबल सा हब रघुराज।ू ।”

१४॰ जी वका ाि त के लये


==================
“ ब व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।”

१५॰ द र ता मटाने के लये


==================
“अ त थ पू य यतम पुरा र के। कामद धन दा रद दवा र के।।”

१६॰ ल मी ाि त के लये
=================
“िज म स रता सागर महुँ जाह । ज य प ता ह कामना नाह ं।।
त म सुख संप त बन हं बोलाएँ। धरमसील प हं जा हं सुभाएँ ।।”

१७॰ पु ाि त के लये
===============
“ ेम मगन कौस या न स दन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालच रत कर गान।।’

१८॰ स पि त क ाि त के लये
=====================
“जे सकाम नर सुन ह जे गाव ह।सुख संपि त नाना व ध पाव ह।।”

१९॰ ऋ -स ा त करने के लये


========================
“साधक नाम जप हं लय लाएँ । हो हं स अ नमा दक पाएँ।।”

२०॰ सव-सख
ु - ाि त के लये
===================
सुन हं बमु त बरत अ बषई। लह हं भग त ग त संप त नई।।

२१॰ मनोरथ- स के लये


==================
“भव भेषज रघुनाथ जसु सुन हं जे नर अ ना र।
त ह कर सकल मनोरथ स कर हं सरा र।।”

२२॰ कुशल- ेम के लये


===============
“भुवन चा रदस भरा उछाहू। जनकसुता रघुब ीर बआहू।।”

२३॰ मुकदमा जीतने के लये


==================
“पवन तनय बल पवन समाना। बु ध बबेक ब यान नधाना।।”

२४॰ श ु के सामने जाने के लये


====================
“कर सारं ग सािज क ट भाथा। अ रदल दलन चले रघुनाथा॥”

२५॰ श ु को म बनाने के लये


=====================
“गरल सध
ु ा रपु कर हं मताई। गोपद संधु अनल सतलाई।।”
२६॰ श ु तानाश के लये
===============
“बय न कर काहू सन कोई। राम ताप वषमता खोई॥”

२७॰ वातालाप म सफ़लता के लये


======================
“ते ह अवसर सु न सव धनु भंगा। आयउ भग
ृ ुकुल कमल पतंगा॥”
२८॰ ववाह के लये
=============
“तब जनक पाइ व श ठ आयसु याह सािज सँवा र कै।
मांडवी ुतक र त उर मला, कुँअ र लई हँका र कै॥”

२९॰ या ा सफ़ल होने के लये


===================
“ ब स नगर क जै सब काजा। दयँ रा ख कोसलपु र राजा॥”

३०॰ पर ा / श ा क सफ़लता के लये


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“जे ह पर कृपा कर हं जनु जानी। क ब उर अिजर नचाव हं बानी॥
मो र सुधा र ह सो सब भाँती। जासु कृपा न हं कृपाँ अघाती॥”

३१॰ आकषण के लये


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“जे ह क जे ह पर स य सनेहू। सो ते ह मलइ न कछु संदे हू॥”

३२॰ नान से पु य-लाभ के लये


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“सु न समुझ हं जन मु दत मन म ज हं अ त अनुराग।
लह हं चा र फल अछत तनु साधु समाज याग।।”

३३॰ न दा क नविृ त के लये


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“राम कृपाँ अवरेब सुधार । बबुध धा र भइ गुनद गोहार ।।

३४॰ व या ाि त के लये
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गु गह
ृ ँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल व या सब आई॥
३५॰ उ सव होने के लये
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“ सय रघुबीर बबाहु जे स ेम गाव हं सुन हं।
त ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु।।”

३६॰ य ोपवीत धारण करके उसे सुर त रखने के लये


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“जग
ु ु त बे ध पु न पो हअ हं रामच रत बर ताग।
प हर हं स जन बमल उर सोभा अ त अनुराग।।”

३७॰ ेम बढाने के लये


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सब नर कर हं पर पर ीती। चल हं वधम नरत ु त नीती॥
३८॰ कातर क र ा के लये
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“मोर हत ह र सम न हं कोऊ। ए हं अवसर सहाय सोइ होऊ।।”

३९॰ भगव मरण करते हुए आराम से मरने के लये


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रामचरन ढ ी त क र बा ल क ह तनु याग ।
सुमन माल िज म कंठ त गरत न जानइ नाग ॥

४०॰ वचार शु करने के लये


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ु पद कमल मनाउँ । जासु कृपाँ नरमल म त पावउँ ।।”
“ताके जग

४१॰ संशय- नविृ त के लये


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“राम कथा सुंद र करतार । संसय बहग उड़ाव नहार ।।”

४२॰ ई वर से अपराध मा कराने के लये


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” अनु चत बहुत कहेउँ अ याता। छमहु छमा मं दर दोउ ाता।।”

४३॰ वरि त के लये


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“भरत च रत क र नेमु तुलसी जे सादर सुन हं।
सीय राम पद ेमु अव स होइ भव रस बर त।।”

४४॰ ान- ाि त के लये


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“ छ त जल पावक गगन समीरा। पंच र चत अ त अधम सर रा।।”

४५॰ भि त क ाि त के लये
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“भगत क पत नत हत कृपा संधु सुखधाम।
सोइ नज भग त मो ह भु दे हु दया क र राम।।”

४६॰ ीहनुमान ् जी को स न करने के लये


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“सु म र पवनसुत पावन नामू। अपन बस क र राखे रामू।।”

४७॰ मो - ाि त के लये
================
“स यसंध छाँड़े सर ल छा। काल सप जनु चले सप छा।।”

४८॰ ी सीताराम के दशन के लये


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“नील सरो ह नील म न नील नीलधर याम ।
लाज ह तन सोभा नर ख को ट को ट सत काम ॥”

४९॰ ीजानक जी के दशन के लये


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“जनकसुता जगजन न जानक । अ तसय य क ना नधान क ।।”

५०॰ ीरामच जी को वश म करने के लये


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“केह र क ट पट पीतधर सुष मा सील नधान।
दे ख भानुकुल भूषन ह बसरा स ख ह अपान।।”

५१॰ सहज व प दशन के लये


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“भगत बछल भु कृपा नधाना। ब वबास गटे भगवाना।।”

सपन का मतलब और उनका फल ( व न फल) - Dream Interpretation in Hindi (पाट - 2)


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सपने कई कार के होते ह एक वो जो हम खुल आँख से दे खते है , दूसरे वो जो हम बंद आँख से दे खते है | जगती आँख से दे खे गये
सपने हमारे मन क अधूर इ छाएं होती है जो हमारे अंतमन के कसी कोने म दबी होती ह | उनका सफ एक ह मतलब होता है क
हमार अंतरा मा या चाहती है |
दस
ू रे सपने वो होते है जो हम बंद आँख से दे खते ह, ये रा के अलग अलग पहर म आने वाले सपन का अलग अलग मतलब होता ह |
उ ह ं सपन का मतलब पता करना ठ क रहता है जो हमने भोर के समय दे खे हो (सुबह ४ बजे से ६-७ बजे तक का समय भोर कहलाता है
) और व न दे खने वाला पूण प से व थ हो यु क बीमार यि त को सपने उसके ता का लक शार रक क ट और दवाइय के असर
से आते ह|
१०८ इं जन चलता दे खना या ा हो , श ु से सावधान
१०९ इं धनुष दे खना उ तम वा य
११० इ का दे खना ट का क टकारक ि थ त
१११ इ का दे खना चड़ी का गह
ृ लेश ,अ त थ आने क सू चना
११२ इ का दे खना पान का पा रवा रक लेश
११३ इ का दे खना हु म का दःु ख व ् नराशा मले
११४ इडल सा भर खाते दे खना सभी से सहयोग मले
११५ इ लगाना अ छे फल क ाि त, मान स मान बढे गा
११६ इ धनुष दे खना संकट बढे , धन हा न हो
११७ इमल खाते दे खना औरत के लए शुभ ,पु ष के लए अशुभ
११८ इमारत दे खना मान स मान बढे , धन लाभ हो
११९ इलायची दे खना – मान स मान क ाि त
१२० इ तहार पढना धोखा मले, चोर हो
१२१ इ ट दे व क मू त चोर होना मृ यु तु य क ट आये
१२२ ट दे खना क ट मलेगा
१२३ ऊँचे से गरना हा न हो, क ट होना
१२५ उछलते दे खना दख
ु द समाचार मलने का संकेत
१२६ उजले कपडे दे खना इ जत बढे , ववाह हो
१२७ उजाड़ दे खना द ूर थान क या ा हो
१२८ उजाला दे खना भ व य म सफलता का संकेत
१२९ उठना और गरना संघष बढे गा
१३० उ सव मनाते हुए दे खना शोक होना
१३१ उ घाटन दे खना अशुभ संकेत
१३२ उदास दे खना शुभ समाचार मले
१३३ उधार लेन ा या दे ना धन लाभ का संकेत
१३४ उपवन दे खना बीमार क पूव सूचना
१३५ उबासी लेन ा द ःु ख मले
१३६ उलझे बाल या धागे दे खना परेशा नयाँ बढे गी
१३७ उलटे कपडे पहनना अपमान हो
१३८ उ लू दे खना धन हा न होना
१३९ उ लू दे खना दख
ु का संकेत
१४० उ तरा दे खना धन हा न , चोर का भय
१४१ उ तरा योग करना या ा म धन लाभ हो
१४२ ऊँचाई से गरना परे शानी आना
१४३ ऊँट क सवार रोग त होना
१४४ ऊँट को दे खना धन लाभ
१४५ ऊंघना धन हा न , चोर का भय
१४६ ऊंचाई पर अपने को दे खना अपमा नत होना
१४७ ऊंचे पहाड़ दे खना काफ मेहनत के बाद काय स होना
१४८ ऊंचे वृ दे खना मनोकामना पूर होने म समय लगना
१४९ ऊन दे खना धन लाभ हो
१५० ऐनक लगते दे खना व या मले, ख़ुशी इ जत मले

आगे आपको और भी पो ट करं गे अ फबेट के हसाब से इ से ऊ का पहले पो ट कया है । थोड़ा थोड़ा रोज पो ट करते रहगे यो क
कर बन 2000 के लगभग वपन-फल का ववरण है । कृपया जुड़े रहे और दूसर को भी जोड़े । नीचे हमारा लंक दया है बहुत सी
जानकार आपको हमारे ज रये मलेगी।

तां क अ भकम से तर ण हेतु उपाय


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1. पील सरस , गु गल, लोबान व गौघृत इन सबको मलाकर इनक धूप बना ल व सूया त के 1 घंटे भीतर उपले जलाकर उसम डाल
द। ऐसा २१ दन तक कर व इसका धुआं पूरे घर म कर। इससे नकारा मक शि तयां दरू भागती ह।
2. जा व ी, गाय ी व केसर लाकर उनको कूटकर गु गल मलाकर धूप बनाकर सुबह शाम २१ दन तक घर म जलाएं। धीरे -धीरे
तां क अ भकम समा त होगा।
3. गऊ-लोचन व तगर थोड़ी सी मा ा म लाकर लाल कपड़े म बांधकर अपने घर म पूजा थान म रख द। शव कृपा से तमाम टोने-टोटके
का असर समा त हो जाएगा।
4. घर म साफ सफाई रख व पीपल के प ते से ७ दन तक घर म गौमू के छ ंटे मार व त प चात ् शु गु गल का धप
ू जला द।
5. कई बार ऐसा होता है क श ु आपक सफलता व तर क से चढ़कर तां क वारा अ भचार कम करा दे ता है । इससे यवसाय बाधा
एवं गह
ृ लेश होता है अतः इसके द ु भाव से बचने हेतु सवा 1 कलो काले उड़द, सवा 1 कलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े म
बांधकर अपने ऊपर से २१ बार घुमाकर श नवार के दन बहते जल म वसिजत कर व मन म हनुमान जी का यान कर। ऐसा लगातार ७
श नवार कर। तां क अ भकम पूण प से समा त हो जाएगा।
6. य द आपको ऐसा लग रहा हो क कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के २१ बीज लेकर शव मं दर जाएं व शव लंग पर क चा
दध
ू चढ़ाकर धूप ब ती कर तथा शव लंग के नकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रख। अपना नाम, गौ उ चा रत करके भगवान ्
शव से अपनी र ा क गुहार कर व एक माला महाम ृ यंु जय मं क जप तथा बीज को एक त कर तांबे के ताबीज म भरकर गले म
धारण कर ल।
7. श ु अनाव यक परे शान कर रहा हो तो नींबू को ४ भाग म काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इ ट दे व का यान करते हुए चार
दशाओं म एक-एक भाग को फक द व घर आकर अपने हाथ-पांव धो ल। तां क अ भकम से छुटकारा मलेगा।
8. शु ल प के बुधवार को ४ गोमती च अपने सर से घुमाकर चार दशाओं म फक द तो यि त पर कए गए तां क अ भकम का
भाव ख म हो जाता है ।

कसी भी उपाय को करने से कसी तां क वारा कए गए कोई भी अ भकम से छुटकारा मलता है ।

जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।


अगर आप चाहते ह क आपके त ठान म ब यादा हो तो यह कर
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आप अपने यापार म अ धक पैसा ा त करना चाहते ह और चाहते ह क आपके यापार क ब बढ़ जाए तो आप वट वृ क लता
को श नवार के दन जाकर नमं ण दे आएं ।
(वृ क जड़ के पास एक पान, सुपार और एक पैसा रख आएं) र ववार के दन ातः काल जाकर उसक एक जटा तोड़ लाएं, पीछे
मुड़कर न दे ख। एक बलात (हथेल के िजतनी बड़ी) जटा ले आए और उसे अपने कैश बॉ स मे रखे, नीचे लखे मं क धु न दे कर।
उस जटा को घर लाकर गु गल क धूनी द तथा 101 बार इस मं का जप कर-
"ॐ नमो च ड अलसुर वाहा।"

ा और व वास के साथ कर आपक मनोकामना पूण होगी।

जय ी शंभु-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श ।

शाबर मं को जगाने क व ध
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वापर युग म भगवान ी कृ ण क आ ा से अजन
ु ने पशुप त अ क ाि त के लए भगवान शव का तप कया! एक दन भगवान
शव एक शकार का भेष बनाकर आये और जब पूजा के बाद अजन
ु ने सुअर पर बाण चलाया तो ठ क उसी व त भगवान शव ने भी
उस सुअर को तीर मारा, दोन म वाद ववाद हो गया और शकार पी शव ने अजन
ु से कहा, मुझसे यु करो जो यु म जीत जायेगा
सुअर उसी को द या जायेगा! अजन
ु और भगवान शव म यु शु हुआ, यु दे खने के लए माँ पावती भी शकार का भेष बना वहां आ
गयी और यु दे खने लगी! तभी भगवान कृ ण ने अजुन से कहा िजसका रोज तप करते हो वह शकार के भेष म सा ात ् खड़े है !
अजन
ु ने भगवान शव के चरण म गरकर ाथना क और भगवान शव ने अजन
ु को अपना असल व प दखाया!

अजुन भगवान शव के चरण म गर पड़े और पशुप त अ के लए ाथना क ! शव ने अजुन को इि छत वर द या, उसी समय माँ
पावती ने भी अपना असल व प दखाया! जब शव और अजन
ु म यु हो रहा था तो माँ भगवती शकार का भेष बनाकर बैठ थी
और उस समय अ य शकार जो वहाँ यु दे ख रहे थे उ ह ने जो मॉस का भोजन कया वह भोजन माँ भगवती को शकार समझ कर
खाने को दया! माता ने वह भोजन हण कया इस लए जब माँ भगवती अपने असल प म आई तो उ ह ने ने भी शकार ओं से
स न होकर कहा ”हे करात ! म स न हूँ, वर मांग ो!” इसपर शकार ओं ने कहा ”हे माँ हम भाषा याकरण नह ं जानते और ना ह हम
सं कृत का ान है और ना ह हम ल बे चौड़े व ध वधान कर सकते है पर हमारे मन म भी आपक और महादे व क भि त करने क
इ छा है , इस लए य द आप स न है तो भगवान शव से हम ऐसे मं दलवा द िजये िजससे हम सरलता से आप का पूजन कर सके!

माँ भगवती क स नता दे ख और भील का भि त भाव दे ख कर आ दनाथ भगवान शव ने शाबर मं क रचना क ! यहाँ एक बात
बताना बहुत आव यक है क नाथ पंथ म भगवान शव को ”आ दनाथ” कहा जाता है और माता पावती को ”उदयनाथ” कहा जाता है !
भगवान शव जी ने यह व या भील को दान क और बाद म यह व या दादा गु म ये नाथ को मल , उ ह ने इस व या का
बहुत चार सार कया और करोड़ो शाबर मं क रचना क ! उनके बाद गु गोरखनाथ जी ने इस पर परा को आगे बढ़ाया और नव
नाथ एवं चौरासी स ो के मा यम से इस व या का बहुत चार हुआ! कहा जाता है क योगी का नफनाथ जी ने पांच करोड़ शाबर मं
क रचना क और वह चपटनाथ जी ने सोलह करोड़ शाबर मं क रचना क ! मा यता है क योगी जालंधरनाथ जी ने तीस करोड़
शाबर मं क रचना क ! इन यो गय के बाद अन त को ट नाथ स ो ने शाबर मं क रचना क !यह शाबर मं क व या नाथ पंथ
म गु श य पर परा से आगे बढ़ने लगी, इस लए शाबर मं चाहे कसी भी कार का य ना हो उसका स ब ध कसी ना कसी
नाथ पंथी योगी से अव य होता है ! अतः यह कहना गलत ना होगा क शाबर मं नाथ स ो क दे न है !

शाबर मं के मु य पांच कार है –


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1. बल शाबर मं – इस कार के शाबर मं काय स के लए योग होते है , इन म य ीकरण नह ं होता! केवल िजस मंशा से
जप कया जाता है वह इ छा पूण हो जाती है ! इ ह काय स मं कहना गलत ना होगा! यह मं सभी कार के कम को करने म
स म है ! अतः इस कार के मं म यि त दे वता से काय- स के लए ाथना करता है , साधक एक याचक के प म दे वता से
याचना करता है !
2. बभर शाबर मं – इस कार के शाबर मं भी सभी कार के काय को करने म स म है पर यह बल शाबर मं से अ धक ती
माने जाते है ! बभर शाबर मं म साधक दे वता से याचना नह ं करता अ पतु दे वता से सौदा करता है ! इस कार के मं म दे वता को
गाल , ाप, दह
ु ाई और धमक आ द दे कर काम करवाया जाता है ! दे वता को भट द जाती है और कहा जाता है क मेरा अमुक काय होने
पर म आपको इसी कार भट दूंगा! यह मं बहुत यादा उ होते है !

3. बराट शाबर मं – इस कार के शाबर मं म दे वता को भट आ द ना दे कर उनसे बलपू वक काम करवाया जाता है ! यह मं वयं
स होते है पर गु -मुखी होने पर ह अपना पूण भाव दखाते है ! इस कार के मं म साधक याचक नह ं होता और ना ह सौदा
करता है ! वह देवता को आदे श दे ता है क मेरा अमुक काय तुरंत करो! यह म मु य प से योगी का नफनाथ जी के कापा लक मत
म अ धक च लत है ! कुछ योग म योगी अपने जत
ु े पर मं पढ़कर उस जत
ु े को जोर-जोर से नीचे मारते है तो दे वता को चोट लगती
है और मजबूर होकर दे वता काय करता है !

4. अढै या शाबर मं – इस कार के शाबर मं बड़े ह बल माने जाते है और इन मं के भाव से य ीकरण बहुत ज द होता है !
य ीकरण इन म क मु य वशेषता है और यह मं लगभग ढ़ाई पंि तय के ह होते है ! अ धकतर अढै या म म द ुहाई और
धमक का भी इ तेमाल नह ं कया जाता पर फर भी यह पूण भावी होते है !

5. डार शाबर मं – डार शाबर मं एक साथ अनेक दे वताओं का दशन करवाने म स म है िजस कार “बारह भाई मसान” साधना म
बारह के बारह मसान देव एक साथ दशन दे जाते है ! अनेक कार के दे वी दे वता इस मं के भाव से दशन दे जाते है जैसे “चार वीर
साधना” इस माग से क जाती है और चार वीर एक साथ कट हो जाते है ! इन म क िजतनी शंसा क जाए उतना ह कम है , यह
द य स य को दे ने वाले और हमारे इ ट दे वी दे वताओं का दशन करवाने म पूण प से स म है ! गु अपने कुछ वशेष श य को
ह इस कार के म का ान दे ते है !

नाथ पंथ क महानता को दे खकर बहुत से पाखंडी लोग ने अपने आपको नाथ पंथी घो षत कर दया है ता क लोग उनक बात पर
व वास कर ले! ऐसे लोग से य द यह पूछा जाये क आप बारह प थो म से कस पंथ से स ब ध रखते है ? आपक द ा कस पीठ से
हुयी है ? आपके गु कौन है ? तो इन लोग का उ तर होता है क म बताना ज र नह ं समझता य क इन लोग को इस वषय म
ान ह नह ं होता , पर आज के इस युग म लोग बड़े समझदार है और इन धूत को आसानी से पहचान लेते है !

ऐसे महापाखंडीयो ने ह चार कया है क सभी शाबर मं ”गोरख वाचा” है अथात गु गोरखनाथ जी के मु ख से नकले हुए है पर मेरा
ऐसे लोग से एक ह न है या जो म का नफनाथ जी ने रचे है वो भी गोरख वाचा है ? या जालंधरनाथ जी के रचे म भी गोरख
वाचा है ? इन मं क बात अलग है पर या मुि लम शाबर मं भी गोरख वाचा है ? ऐसा नह ं है मुि लम शाबर मं मुि लम फक र
वारा रचे गए है !

भगवान शव ने सभी मं को क लत कर दया पर शाबर मं क लत नह ं है ! शाबर मं क लयुग म अमत


ृ व प है ! शाबर मं को
स करना बड़ा ह सरल है न ल बे व ध वधान क आव यकता और न ह कर यास और अंग यास जैसी ज टल याएँ! इतने
सरल होने पर भी कई बार शाबर मं का पूण भाव नह ं मलता य क शाबर मं सु त हो जाते है ऐसे म इन मं को एक वशेष
या वारा जगाया जाता है!

शाबर मं के सु त होने के मु य कारण –


****************************************
1. य द सभा म शाबर मं बोल दए जाये तो शाबर मं अपना भाव छोड़ दे ते है !
2. य द कसी कताब से उठाकर म जपना शु कर दे तो भी शाबर मं अपना पूण भाव नह ं दे त!े
3. शाबर मं अशु होते है इनके श द का कोई अथ नह ं होता य क यह ामीण भाषा म होते है य द इ ह शु कर दया जाये तो
यह अपना भाव छोड़ दे ते है !
4. दशन के लए य द इनका योग कया जाये तो यह अपना भाव छोड़ दे ते है !
5. य द केवल आजमाइश के लए इन मं का जप कया जाये तो यह म अपना पूण भाव नह ं दे ते !

ऐसे और भी अनेक कारण है ! उ चत यह रहता है क शाबर मं को गु मुख से ा त करे य क गु सा ात शव होते है और शाबर


मं के ज मदाता वयं शव है ! शव के मुख से नकले म असफल हो ह नह ं सकते !

शाबर मं के सु त होने का कारण कुछ भी हो इस व ध के बाद शाबर म पूण प से भावी होते है !


|| म ||
**********
सत नमो आदे श! गु जी को आदे श! ॐ गु जी! डार शाबर बभर जागे, जागे अढै या और बराट, मेरा जगाया न जागे तो तेरा नरक कं ु ड म
वास! द ह
ु ाई शाबर माई क ! दह
ु ाई शाबरनाथ क ! आदे श गु गोरख को!

|| व ध ||
**********
इस म को त दन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गूग ल डाले और इस म का १०८ बार जाप करे ! जब तक म जाप हो गूगल
सुलगती रहनी चा हये ! यह या आपको २१ दन करनी है , अ छा होगा आप यह म अपने गु के मुख से ले या कसी यो य
साधक के मुख से ले! गु कृपा ह सव प र है कोई भी साधना करने से पहले गु आ ा ज र ले!

|| योग व ध ||
***************
जब भी कोई साधना करे तो इस म को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समा त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े म का भाव बढ़
जायेगा! य द कोई म बार-बार स करने पर भी स न हो तो कसी भी मंगलवार या र ववार के दन उस म को भोजप या
कागज़ पर केसर म गंगाजल मलाकर अनार क कलम से या बड के पेड़ क कलम से लख ले! फर कसी लकड़ी के फ े पर नया लाल
व बछाएं और उस व पर उस भोजप को था पत करे ! घी का द पक जलाये, अि न पर गूगल सुलगाये और शाबर देवी या माँ
पावती का पूजन करे और इस म को १०८ बार जपे फर िजस म को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फर इसी म का
१०८ बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे! िजस लाल कपडे पर भोजप था पत कया गया
है उस लाल कपडे को घड़े के अ दर रखे और भोजप को भी घड़े के अ दर रखे! दस
ू रे लाल कपडे से भोजप का मुह बांध दे और दोबारा
उस कलश का पूजन करे और शाबर माता से म जगाने के लए ाथना करे और उस कलश को बहते पानी म बहा दे! घर से इस
कलश को बहाने के लए ले जाते समय और पानी म कलश को बहाते समय िजस म को जगाना है उसका जाप करते रहे! यह या
एक बार करने से ह भाव दे ती है पर फर भी इस या को ३ बार करना चा हये मतलब र ववार को फर मंग लवार को फर दोबारा
र ववार को ! भगवान आ दनाथ और माँ शाबर आप सबको म स दान करे !

धन ाि त के लए शाबर मं
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आज धन अभाव भी एक वकराल सम या बन चुका है । धन कसे नह ं चा हये होता है , चाहे गह
ृ थी हो या नाथ जी या कसी भी
स दाय से जड
ु े संत? बना धन के साधना भी नह ं हो सकती और साधना बगै र शि त कैसे ा त हो? कहते है क मह ष जै मनी सभी
काय मं के बल पर ह करने लगे थे, मा जी ने औढरदानी शव से कहाँ भगवन मह ष जै मनी नै वाद को बढ़ावा दे रहे है। य द ऐसा
ह चलता रहा तो लोग ई वर को मानना ह बंद कर दगे। मा क बात को उ चत जान महादे व ने मं को क लत कर दया।
कालांतर मे वयं शव ने करात प धारण कर शाबर मं क रचना क और नाथ आचाय ने इनके संवधन म भार योगदान दया।
आम बोलचाल क भाषा म च लत ये मं शी ह स होते है और यवहार म भी खरे उतरते है और सबसे बडी बात क ये क लत भी
नह ं है , ऐसा ह एक शाबर मं धन ाि त के लये दया जा रहा है , इसके भाव से बंद पडे काम खुलते है व धन आगमन का माग
नि चत प से बनता है । हमने अनेक साधक को यह दया है और पूण नतीजे ा त हुये है ।

मं :
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ी शु ले महाशु ले कमलदल नवासे ी महाल मी नमो नमः। ल मी माई स त क सवाई, आओ चेतो करो भलाई। ना करो तो सात
समु ो क दह
ु ाई। ऋ -- स खाओगी तो नौ नाथ चौरासी स ो क द ह
ु ाई।।

स करने क व ध:
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नीचे एक यं दया जा रहा है , एक चौक या पा टये को गंगाजल से साफ कर लाल व बछाकर, दे शी घी का दया जला, लाल चंदन को
घसकर, अनार क कलम से सफेद कागज पर लखे। सभी रे खाये नीचे से ऊपर क ओर व बाये से दाय क ओर खची जायेगी। अंक
चढते कम से लखे जायगे अथात पहले सबसे छोटा फर बडा आ खर म सबसे बडा । यं को े म कर इसी चौक पर पि चमा भमुख
वराजमान करे । नवरा मे रोज नहा धोकर धुले कपडे पहन लाल रं ग का ऊनी आसन बछा उ तर क तरफ मुँह कर बैठ जाये । दे शी घी
क द पक जला कमल ग ा या लाल चंद न या फ टक क माला से एक माला रोज जप करे और यारह आहु त कमल पु प या गुलाब के
पु प क दे ऐसा नवरा मे सभी दन करने से स होता है ।।

योग व ध : यापार थल पर एक माला येक दन करने से अव य काम खल


ु ता है । िजनके पास यापार थल नह ं है वो घर मे ह
काम शु होने क कामना से जप करे तो न चय ह काम शु हो धन क आवक होती है संदे ह ना करे ।

संल न : यं का व प इस यं मे भी एक मं का उ ार हुआ है इसे उपरो त व ध से ह स व योग कर सकते है ।

1. “ॐनमो ाय, क पलाय, भैरवाय, लोक-नाथाय, ॐ ंफ वाहा।

” व धः- सव- थम कसी र ववार को गुगल, धूप, द पक स हत उपयु त म का प ह हजार जप कर उसे स करे । फर
आव यकतानुसार इस म का १०८ बार जप कर एक ल ग को अ भमि त ल ग को, िजसे वशीभूत करना हो, उसे खलाए।

2. “ॐ नमो काला गोरा भै ं वीर, पर-नार सूँ दे ह सीर। गुड़ प रद यी गोरख जाणी, गु ी पकड़ दे भ आणी, गुड़, र त का ध र ास, कदे
न छोड़े मेरा पाश। जीवत सवै दे वरो, मूआ सेवै मसाण। पकड़ पलना यावे। काला भ न लावै, तो अ र दे वी का लका क आण। फुरो
म , ई वर वाचा।

” व धः- 21,००० जप। आव यकता पड़ने पर 21 बार गुड़ को अ भमि त कर सा य को खलाए।

3.“ॐ ां ां भूँ भैरवाय वाहा। ॐ भं भं भं अमुक-मोहनाय वाहा।”

व धः- उ त म को सात बार पढ़कर पीपल के प ते को अ भमि त करे । फर म को उस प ते पर लखकर, िजसका वशीकरण
करना हो, उसके घर म फक दे वे। या घर के पछवाड़े गाड़ दे । यह या ‘ छतवन’ या ‘फुरहठ’ के प ते वारा भी हो सकती है ।

कृपया याद रहे बेवजह कसी को न सताए अ यथा आप पाप के भागीदार बन सकते है !!

गु द ा ले चुके साधक ह अपने गु से अनुम त लेकर इस साधन को कर.

जाप से पहले कम से कम १ माला गु म का जाप अ नवाय है .

शर र क पीड़ा के झाड़े का मं
=====================
ॐ गु जी बंग ाल ख ड काम दे श क कामा ा देवी।
जहाँ बसे ई माइल योगी। ई माइल योगी के सात चेल ।
सातो हचार ।
कपूर धो बन कान झाड़े, कपाल झाड़े लोना चमार ।
फुला मा लन कंठ झाड़े, गला झाड़े स रया कु हार ।
गांगल ते लन कलेजा झाड़े, पेट झाड़े लाल लुहार ।
प ड ाण क र ा करे माया म छं नाथ।
घट प ड को झाड़े आसो मेहतरानी।
कु भकण क औंधी खोपड़ी मरघ टया मसान।
प ड क सार पीड़ा भ म कर दे काल भैरव नह तो तझ
ु े माता का लका देवी क आन।
श द साँचा प ड काँचा। फुरो मं गु गोर नाथ वाचा।
सतनाम आदे श गु का।

इस मं को 108 बार कसी भी अमावशया या पु णमा के दन जाप करने से स हो जाता है । 7 बार मोर पंख के झाड़न से झाड़ा देवे रोगी
को आराम मलेगा । जाप से पहले गु मं क एक माला और िजनके गु नह ं है वो ॐ नमो शवाय क एक माला जाप करके मं को
स कर । अचूक और पूण लाभकार है ।

जय शं भू-ज त गु गोर नाथ जी महाराज को नमो आदे श आदे श।


फंसा का डूब ा हुआ धन नकालने के मं उपाय
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अनोखा और असरदार उपाय जो कतनी ह बार कतने ह लोग ने सफलता पूवक योग कया है फर से आप सब के लए यहाँ पो ट
कर रहे है ।

• एक सफेद मोटे पेज पर हरे पेन से उन लोग के नाम लखे िजनसे कज़ा लेना है ।
• हर नाम के साथ उसके पता का नाम, उसके घर का सह पता लखे।
• नाम के साथ उसक फोटो भी लगाये, साथ म मोबाइल न बर भी लखे।
• मंगलवार क सुबह 4 बजे जागकर नहा धोकर रात का रखा पानी पीकर, लाल कपड़े पहनकर उस पेज के ऊपर वि तक का नशान
बनाये।
• नशान बनाने के लये कपूर को जला कर ऊपर बरतन उलटा कर दे , जो भाग काला पड़ जायेगा उससे बनाना है नशान।
• उस पेज को हनुमान जी के चरण म रख दे और हनुमान चाल सा का पाठ कर।
• हनुमान चाल सा के पाठ के पहले “ ं कृ णाय नमः” मं का जाप कर।

फ़र हनुमान चाल सा पाठ करने के बाद हनुमान जी के सामने ाथना करनी है । हे पवन दे व, ये लोग गर ब है , इनका काम सह नह ं चल
रहा है , इनको हे पवन देव इस यो य करो क ये सबके कज उतार कर कज मु त हो जाये और कज के पाप से मु त हो जाय। िजतने
लोग से पैसा लेना है। उनके नाम को भी छूना मतलब नशान भी लगाना है , उसी काल का लख से िजससे नशान बनाया था। हर ह ते
नया पेज बनाने क ज़ रत होगी, पुराने पेज को चलते पानी म बहा दे , उस पर लगी फोटो उतार ल नये पेज पर लगाने के लये यान दे ने
क बात ये है क एक बार भी ये नह ं कहना क मेरा कज उतारना है , हमेशा दस
ू रे का ह कज मु त करने को कहना है । दस
ू र को लेकर
क गयी ाथना हमेशा सफल होती है , हमने कई बार ये उपाय आज़माकर अ छे नतीजे लये है । अ य दन म सुबह शाम श न चाल सा
का पाठ करना है , बाजार म दो तरह क कताब मलती है --- एक लाल रं ग क , दस
ू र काल रं ग क हमने काले रं ग क लेनी है श न
चाल सा जो क 10/- म आती है । इसका पाठ सुबह शाम नहा धोकर ज़मीन पर बैठ कर करना है , मंगलवार को हनुमान चाल सा साथ म
जो या जो ऊपर बताई है वो भी कर, बाक दन श न चाल सा ये कम से कम 21 ह ते कर, एक अनोखा उपाय जैसे क हम पता है क
हर चीज़ क एक क मत होती है , ये उपाय हमारा का हुआ धन लेकर आयेगा, जो पैसा दे ने को भूल भी चुके है उनको भी याद करायेगा।
जैसे क ये उपाय हमारा है तो आपको हम इसक क मत दे नी होगी मतलब आप ये उपाय हमारे से उधार या मु त म नह ं ल सकते, नह ं
तो ये बेकार स होगा। अब ये क मत मेर तरफ़ से फ स नह ं है , जो भी आप अपनी और लेने वाले पैसे क क मत माने उसके हसाब
से दे सकते है । शु आत 11/--21/- से भी कर सकते है , हमारे ऊपर ये शत है क हम मोल-भाव नह ं कर सकता, अगर हम मोल-भाव
करते है तो ये उपाय बेअसर हो जायेगा। इसम दे ने वाला चाहे 11/-21/- दे या 11000/- हम कुछ नह ं कह सकते ये दे ने वाले क ा है ,
बस आप ने ये उपाय हमारे से कोई भी क मत दे कर ह मोल लेना है , अगर ऐसे ह उठा के योग करगे तो उलटा भी पड सकता है ।
इस लए आप सब को ये बताना चाहते है क इसका योग करने से पहले इसक क मत ज र द।

शेष गु इ छा ...... आपका मनोरथ सफल हो, और आप का क याण हो ।

जय ी शंभूय त गु गोर नाथ को नमो आदे श। आदे श। आदे श।

साबर मं ो का शि तवधन या जागरण


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|| शाबर जागरण म ||
सत नमो आदे श ! गु जी को आदे श !
ॐ गु जी !
ड़ार शाबर बभर जागे ,
जागे अढै या और बराट
मेरा जगाया न जागे
तो तेरा नरक कुंड म वास !
दह
ु ाई शाबर माई क !
दह
ु ाई शाबरनाथ क !
आदे श गु गोरख को !

|| व ध ||
इस म को त दन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गुगल डाले और इस म का १०८ बार जाप करे ! जब तक म जाप हो गुगल
सुलगती रहनी चा हये ! यह या आपको २१ दन करनी है , अ छा होगा आप यह म अपने गु के मुख से ले या कसी यो य साधक
के मुख से ले ! गु कृपा ह सव प र है कोई भी साधना करने से पहले गु आ ा ज र ले !

|| योग व ध ||
जब भी कोई साधना करे तो इस म को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समा त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े म का भाव बढ़
जायेगा ! य द कोई म बार बार स करने पर भी स न हो तो ...

दो लाल कपडे[आधा-आधा मीटर का ] मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे ! कसी भी मंगलवार या र ववार के दन उस
म [िजसे स करना है ] को भोजप या कागज़ पर केसर म गंगाजल मलाकर अनार क कलम से या बड के पेड़ क कलम से लख ले
!
फर कसी लकड़ी के चौक /फ े पर एक लाल व बछाएं और उस व पर उस भोजप को था पत करे ! घी का द पक जलाये ,
अि न पर गुगल सुलगाये और शाबर दे वी [ माँ पावती] का पूजन करे !

उपरो त म को १०८ बार जपे.अब िजस म को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फर उपरो त म का १०८ बार जप करे !

िजस लाल कपडे पर भोजप था पत कया गया है उस लाल कपडे म ह भोजप को लपेट कर घड़े के अ दर रखे!

दस
ु रे लाल कपडे से भोजप का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबर माता से म जगाने के लए ाथना करे !

उस कलश को बहते पानी म बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लए ले जाते समय और पानी म कलश को बहाते समय िजस म
को जगाना है उसका जाप करते रहे !

यह या एक बार करने से ह भाव दे ती है पर फर भी इस या को ३ बार करना चा हये मतलब र ववार को फर मंगलवार को फर


दोबारा र ववार को !
भगवान ् आ दनाथ और माँ शाबर आप सबको यो यतानुसार म स दान करे !

शेष गु इ छा ...

बध
ु ह शाबर गाय ी मं
=================
ॐ गु जी
बुध ह स त गु जी दनी बु I
ववरो काया पावो स ।
शव धीरज धरे शि त उनमनी नीर चढे ।
एता गुण बुध ह करै ।
बुध ह जाती का ब नया ।
ह रत हर गो य मगध दे श थापना थापलो लो पुजा गणेश जी क करै , सत ् फुरै सत ् वाचा फुरै , ी नाथ जी के संहासन ऊपर पान फुल
क पुजा चढै हमारे आसन पर ऋ स धरै , भ डार भरै
७ वार, २७ न , ९ ह, १२ रा श, १५ तथी सोम, र व, शु , श न, मंगल, गु , राहु, केतु सख
ु करै दख
ु हरै । खाल वाचा कभी ना पडै।
ॐ बुध मं गाय ी जाप र ा करे ी श भुजती गु गोर नाथ ।
ॐ बुधाय नमो नमः वाहा
हवन साम ी - गोघृत तथा अपामाग क लकड़ी
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श
उपरो त शाबर मं का जाप बुध ह क शां त के लए कया जाता है , इस मं का जाप कोई भी कर सकता है , ा क माला से जाप
करे 108 बार और लगातार 9 बुध वार को करे , बुध ह के ताप से छुटकारा मटा है ।

जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी महाराज को नमो आदे श आदे श ।

छोटे ब च को नजर लगने पर


====================
ब चो को नजर लगना आम बात है , अगर आप चाहते ह क छोटे ब च को नजर न लगे इसके लए हाथ म चुटक भर भभूत (धुने क )
लेकर ह प तवार के दन

'ॐ चैत य गोरखनाथ नमः'

इस मं का 108 बार जप कर। फर इसे छोट -सी पु डया मे डाल कर काले कपड़े म बांध कर काले रे शमी धागे से ब चे के गले म बाँधने
पर बुर नजर नह ं लगती।

जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

कण मातंगी साधना मं
================
ऐं नमः ी मातं ग अमोघे स यवा द न मककण अवतर अवतर स यं कथय ए ये ह ी मातं यै नमः।

या

ऊं नमः कण पशा चनी अमोघ स यवा दनी मम कण अवतर अवतर अतीत अनागत वतमाना न दशय दशय मम भ व यं कथय कथय
ं कण पशा चनी वाहा।

ऐं बीज से षडंग यास कर।


पुर चरण के लए आठ हजार क सं या म जप कर।
कई बार तकूल ह ि थ त रहने पर जप सं या थोड़ी बढ़ानी भी पड़ती है ।
41 दन मे साधना पूण होती है ।
दोन मे से कसी एक मं का जाप कर सकते है ।
लाल च दन क या मूँगे या ा क माला मं जाप के लए े ठ है ।
जप के दौरान शार रक प व ता क ज रत नह ं है ले कन मान सक प से प व होना आव यक है ।
इसम हवन भी आव यक नह ं है।
खीर को साद प म माता को चढ़ा कर उससे हवन करना अ त र त ताकत दे ता है ।
इसके साधक को माता कण मातंगी भ व य म घटने वाल शुभ-अशुभ घटनाओं क जानकार व न म दे ती ह।
इ छुक साधक को माता से न का जवाब भी मल जाता है । भि त-पूव क एवं न काम साधना करने पर माता साधक का पथ- दशन
करती ह।

कसी भी साधना को करने के लए गु क आव यकता होती है गु के सा न य मे क हुई साधना ज द और लाभकार होती है । गु मं


क एक माला का जाप साधना के आरं भ मे कर ।

साधना काल मे नशे और नार संग सवथा विजत है ।

स टोटके और उपाय
===============
1. आ थक सम या के छुटकारे के लए : य द आप हमेशा आ थक सम या से परे शान ह तो इसके लए आप 21 शु वार 9 वष से कम
आयु क 5 क याय को खीर व म ी का साद बांट !
2. घर और काय थल म धन वषा के लए : इसके लए आप अपने घर, द क
ु ान या शो म म एक अलंका रक फ वारा रख ! या एक
मछल घर िजसम 8 सुनहर व एक काल म ल हो रख ! इसको उ तर या उ तरपूव क ओर रख ! य द कोई म ल मर जाय तो उसको
नकाल कर नई म ल लाकर उसम डाल द !

3. परे शानी से मुि त के लए : आज कल हर आदमी कसी न कसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पा म
जल भर कर उसम थोडा सा लाल चंदन मला द ! उस पा को सरहाने रख कर रात को सो जांय ! ातः उस जल को तुलसी के पौधे पर
चढा द ! धीरे -धीरे परे शानी दूर होगी !

4. कंु वार क या के ववाह हेतु :

१. य द क या क शाद म कोई कावट आ रह हो तो पूजा वाले 5 ना रयल ल ! भगवान शव क मू त या फोटो के आगे रख कर “ऊं
ीं वर दाय ी नामः” मं का पांच माला जाप कर फर वो पांच ना रयल शव जी के मं दर म चढा द ! ववाह क बाधाय अपने आप
दरू होती जांयगी !
२. येक सोमवार को क या सुब ह नहा-धोकर शव लंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू मले जल को चढाये और
वह ं मं दर म बैठ कर ा क माला से इसी मं का एक माला जप करे ! ववाह क स भावना शी बनती नज़र आयेगी

5. यापार बढाने के लए :

१. शु ल प म कसी भी दन अपनी फै या दक
ु ान के दरवाजे के दोन तरफ बाहर क ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख द ! यान
रहे ऐसा करते हुए आपको कोई दे खे नह !
२. पूजा घर म अ भमं त ्र यं रख !
३. शु वार क रात को सवा कलो काले चने भगो द ! दूसरे दन श नवार को उ ह सरस के तेल म बना ल ! उसके तीन ह से कर ल !
उसम से एक ह सा घोडे या भसे को खला द ! दस
ू रा ह सा कु ठ रोगी को दे द और तीसरा ह सा अपने सर से घडी क सूई से उ टे
तरफ तीन बार वार कर कसी चौराहे पर रख द ! यह योग 40 दन तक कर ! कारोबार म लाभ होगा !

6. लगातार बुखार आने पर :

१. य द कसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रह हो तो आक क जड लेकर उसे कसी कपडे म कस कर
बांध ल ! फर उस कपडे को रोगी के कान से बांध द ! बुखार उतर जायगा !
२. इतवार या गु वार को चीनी, दध
ू , चावल और पेठा (क -ू पेठा, स जी बनाने वाला) अपनी इ छा अनुसार ल और उसको रोगी के सर
पर से वार कर कसी भी धा मक थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर द !
३. य द कसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे त दन एक ना रयल पानी पलाय ! कुछ ह दन म आराम हो जायगा !

7. नौकर जाने का खतरा हो या ांसफर कवाने के लए : पांच ाम डल वाला सु रमा ल ! उसे कसी वीरान जगह पर गाड द ! याल
रहे क िजस औजार से आपने जमीन खोद है उस औजार को वा पस न लाय ! उसे वह ं फक द द स
ू र बात जो यान रखने वाल है वो
यह है क सुरमा डल वाला हो और एक ह डल लगभग 5 ाम क हो ! एक से यादा ड लयां नह ं होनी चा हए !

8. कारोबार म नुकसान हो रहा हो या काय े म झगडा हो रहा हो तो : य द उपरो त ि थ त का सामना हो तो आप अपने वज़न के
बराबर क चा कोयला लेकर जल वाह कर द ! अव य लाभ होगा !

9. मुकदम म वजय पाने के लए : य द आपका कसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसम वजय पाना चाहते ह तो थोडे से
चावल लेकर कोट/कचहर म जांय और उन चावल को कचहर म कह ं पर फक द ! िजस कमरे म आपका मुकदमा चल रहा हो उसके
बाहर फक तो यादा अ छा है ! परं तु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोट म फकते समय कोई दे खे नह ं वरना लाभ नह ं होगा ! यह
उपाय आपको बना कसी को पता लगे करना होगा !

10. धन के ठहराव के लए : आप जो भी धन मेहनत से कमाते ह उससे यादा खच हो रहा हो अथात घर म धन का ठहराव न हो तो


यान रख को आपके घर म कोई नल ल क न करता हो ! अथात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा द ध
ू या चाय उबलनी
नह ं चा हये ! वरना आमदनी से यादा खच होने क स भावना र ती है !

11. मान सक परे शानी द रू करने के लए : रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चाल सा का पाठ कर ! येक श नवार को श न
को तेल चढाय ! अपनी पहनी हुई एक जोडी च पल कसी गर ब को एक बार दान कर !

12. ब चे के उ तम वा य व द घायु के लए :
१. एक काला रे शमी डोरा ल ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे म थोडी थोडी दरू पर सात गांठ लगाय !
उस डोरे को ब चे के गले या कमर म बांध द !
२. येक मंगलवार को ब चे के सर पर से क चा दध
ू 11 बार वार कर कसी जंगल कु ते को शाम के समय पला द ! ब चा द घायु
होगा !

13. कसी रोग से सत होने पर : सोते समय अपना सरहाना पूव क ओर रख ! अपने सोने के कमरे म एक कटोर म सधा नमक के
कुछ टु कडे रख ! सेहत ठ क रहेगी !

14. ेम ववाह म सफल होने के लए : य द आपको ेम ववाह म अडचने आ रह ह तो : शु ल प के गु वार से शु करके व णु


और ल मी मां क मूत या फोटो के आगे “ऊं ल मी नारायणाय नमः” मं का रोज़ तीन माला जाप फ टक माला पर कर ! इसे शु ल
प के गु वार से ह शु कर ! तीन मह ने तक हर गु वार को मं दर म शाद चढांए और ववाह क सफलता के लए ाथना कर !

15. नौकर न टके या परे शान करे तो : हर मंगलवार को बदाना (मीठ बूंद ) का शाद लेकर मं दर म चढा कर लड कय म बांट द !
ऐसा आप चार मंगलवार कर !

16. बनता काम बगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो : हर मंगलवार को हनुमान जी के चरण म बदाना (मीठ
बूंद ) चढा कर उसी शाद को मं दर के बाहर गर ब म बांट द !

17. य द आपको सह नौकर मलने म द कत आ रह हो तो :

१. कुएं म द ध
ू डाल! उस कुएं म पानी होना च हए !
२. काला क बल कसी गर ब को दान द !
३. 6 मुखी ा क माला 108 मनक वाल माला धारण कर िजसम हर मनके के बाद चांद के टु कडे परोये ह !

18. अगर आपका मोशन नह ं हो रहा तो :

१. गु वार को कसी मं दर म पील व तय


ु े जैसे खा य पदाथ, फल, कपडे इ या द का दान कर !
२. हर सुबह नंगे पैर घास पर चल !

19. प त को वश म करने के लए : यह योग शु ल प म करना चा हए ! एक पान का प ता ल ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर


मला कर रख ! फर दग
ु ा माता जी क फोटो के सामने बैठ कर दग
ु ा तु त म से चँ डी ोत का पाठ 43 दन तक कर ! पाठ करने के
बाद चंदन और केसर जो पान के प ते पर रखा था, का तलक अपने माथे पर लगाय ! और फर तलक लगा कर प त के सामने जांय !
य द प त वहां पर न ह तो उनक फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया ल जो क साबुत हो कह ं से कटा फटा न हो ! रोज़
योग कए गए पान के प ते को अलग कसी थान पर रख ! 43 दन के बाद उन पान के प त को जल वाह कर द ! शी सम या
का समाधान होगा !

20. य द आपको धन क परेशानी है , नौकर मे द कत आ रह है , मोशन नह ं हो रहा है या आप अ छे क रयर क तलाश म है तो


यह उपाय क िजए : कसी द क
ु ान म जाकर कसी भी शु वार को कोई भी एक ट ल का ताला खर द ल िजए ! ले कन ताला खर दते
ु ानदार को खोलने द ताले को जांचने के लए भी न खोल ! उसी तरह से ड बी म
व त न तो उस ताले को आप खुद खोल और न ह दक
ब द का ब द ताला दुकान से खर द ल ! इस ताले को आप शु वार क रात अपने सोने के कमरे म रख द ! श नवार सु बह उठकर नहा-
धो कर ताले को बना खोले कसी मि दर, गु वारे या कसी भी धा मक थान पर रख द ! जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपक
क मत का ताला खुल जायगा !

21. य द आप अपना मकान, दक


ु ान या कोई अ य ापट बेचना चाहते ह और वो बक न रह हो तो यह उपाय कर : बाजार से 86
( छयासी) साबुत बादाम ( छलके स हत) ले आईए ! सुबह नहा-धो कर, बना कुछ खाये, दो बादाम लेकर मि दर जाईए ! दोनो बादाम
मि दर म शव- लंग या शव जी के आगे रख द िजए ! हाथ जोड कर भगवान से ापट को बेचने क ाथना क िजए और उन दो
बादाम म से एक बादाम वा पस ले आईए ! उस बादाम को लाकर घर म कह ं अलग रख द िजए ! ऐसा आपको 43 दन तक लगातार
करना है ! रोज़ दो बादाम लेजाकर एक वा पस लाना है ! 43 दन के बाद जो बादाम आपने घर म इक ा कए ह उ ह जल- वाह (बहते
जल, नद आ द म) कर द ! आपका मनोरथ अव य पूरा होगा ! य द 43 दन से पहले ह आपका सौदा हो जाय तो भी उपाय को अधूरा
नह छोडना चा हए ! पूरा उपाय करके 43 बादाम जल- वाह करने चा हए ! अ यथा काय म कावट आ सकती है !
22. य द आप लड ेशर या ड ेशन से परे शान ह तो : इतवार क रात को सोते समय अपने सरहाने क तरफ 325 ाम दध
ू रख कर
स ए ! सोमवार को सुबह उठ कर सबसे पहले इस दध
ू को कसी क कर या पीपल के पेड को अ पत कर द ! यह उपाय 5 इतवार तक
लगातार कर ! लाभ होगा !

23. माई ेन या आधा सीसी का दद का उपाय : सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर कसी चौराहे पर जाकर द णक
ओर मुंह करके खडे हो जांय ! गुड को अपने दांत से दो ह स म काट द िजए ! गुड के दोनो ह स को वह ं चौराहे पर फक द और
वा पस आ जांय ! यह उपाय कसी भी मंगलवार से शु कर तथा 5 मंगलवार लगातार कर ! ले कन….ले कन यान रहे यह उपाय
करते समय आप कसी से भी बात न कर और न ह कोई आपको पुकारे न ह आप से कोई बात करे ! अव य लाभ होगा !

24. फंसा हुआ धन वा पस लेने के लए : य द आपक रकम कह ं फंस गई है और पैसे वा पस नह ं मल रहे तो आप रोज़ सु बह नहाने
के प चात सरू ज को जल अपण कर ! उस जल म 11 बीज लाल मच के डाल द तथा सूय भगवान से पैसे वा पसी क ाथना कर !
इसके साथ ह “ओम आ द याय नमः “ का जाप कर !

नोट :
1. सभी उपाय दन म ह करने चा हए ! अथात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !
2. स चाई व शु भोजन पर वशेष यान दे ना चा हए !
3. कसी भी उपाय के बीच मांस, म दरा, झूठे वचन, पर ी गमन क वशेष मनाह है !
4. सभी उपाय पूरे व वास व ा से कर, लाभ अव य होगा !
5. एक दन म एक ह उपाय करना चा हए ! य द एक से यादा उपाय करने ह तो छोटा उपाय पहले कर ! एक उपाय के दौरान दस
ू रे
उपाय का कोई सामान भी घर म न रख !
6. जो भी उपाय शु कर तो उसे पूरा अव य कर ! अधूरा न छोड !

अथ गौर गणेश स वन शाबर मं


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ॐ गु जी
ॐ कंठ बसे सर वती दय दे व महेश भुला अ र ान का जोत कला काश,
स गौर न द गणेश बुध को वनायक सम रये बल को सम रये हनुमंत , ऋ - स को ी ई वर महादे व जी सम रये, ी गंगा
गौर पावती माई जी तु हारे क त उमा दे वी गौरजा पावती भ म ती दे वी हरख मन अगर कंु कुम केशर क तुर मला कू पया त ते
भया, एक ट का अमर सचो जी जीव सं चया श त व पी हाथ ध रया नाम धा रयो ी गणपतनाथ पू ता जी तुम बैठो थान म जावा
नहावण आवण-जावण कसी को न द िजये अंकुश मारपर संग ल िजये । बण ख ड म ये से आए ी ई वर महादे व छूट ललकार ई वर
दे ख बालक ोप भ रया यो घत
ृ बस तर ध रया शवजी आ ण मन सा र स फरयो च ले गयो शीश तीन भवन से भई हलूल ी गंगा
गौरजा पावती माई जी आ कहने लगी वामी जी पु मा रया तसका कौन वचार दे वी जी मै नह ं जानो तुमरा पूत मै जानो कोई दै य न
दत
ू गज ह ती का शीश लयाऊं, काट आन अलख नरं जन के पास बठाऊं, शंकर जी याये ह ती का शीश ी गंगा गौरजा पावती माई
जी कर असीस जब गनपट उठ ते खेल कर ते, म हमा उवर ते गणपत बैठे थान मकान उ तर द ण पूव पि चम याये ी गंगा
गौरजा पावती माई जी के आगे वामी जी तुम तो समरे सोची मोची तेल तंबोल ठठ हरा ग नहारा लुहारा े समरे े पाल अजुनी
शंभू समरे महाकाल ला बी सूँड बालक भेष थमे समरो आद गणेश पाँच कोस ऋ उ तर से याऊं, पाँच कोस ऋ द ण से याऊं,
पाँच कोस ऋ पूव से याऊं, पाँच कोस ऋ पि चम से याऊं, दस कोस ऋ अज गायब से याऊं, इतनी ऋ - स दये बना न जाऊँ
ी गंगा गौरजा पावती माई जी तु हार माया थमे एक द त, वतीय मेघवण, तत
ृ ीय गज करण, चतुथ लंबोधर, पंचमे व नहरण,
ष टमे धू प, स तमे वनायक, अ टमे भालचं , नवमे शील संतोष, दशमे ह तमुख, एकादशे वारपाल, वादशे वरदायक एते
गणपत गणेश नाम वादश स पूण भया । ी नाथ जी गु जी को आदे श आदे श ।

ल मी-सर वती-ऋ - स के लए अमोघ मं है 108 बार ा क माला से जाप कर । शव प रवार और सर वती, ल मी जी क


फोटो लगाकर शु दे शी घी का द पक जला कर कसी भी शुभ महूरत म सुबह भोर वेला म इसका पाठ करना चा हये । इस पाठ के करने
से हर मनोवां छत फल ा त होता है ।
शाबर मं आम ामीण बोलचाल क भाषा म ऐसे वयं स मं ह िजनका भाव अचूक होता है । थोड़े से जाप से भी ये मं स हो
जाते ह तथा अ य धक भाव दखाते ह। इन मं का भाव थायी होता है तथा कसी भी मं से इनक काट संभव नह ं है । शाबर
मं ो का भी एक अलग व ान है कुछ श द का चयन इस कार है िजसका कोई अथ नह ं होता मगर दे वताओं को उस काय को करने
को े रत कया जाता है और एक दुहाई या कसम द जाती है कुछ छट-पुट रोग के लए हमने इसे आजमाया है और बलकुल सट क
पाया है कई बीमा रय से इससे नजात पाई जा सकती है |

तो आपके लए यह एक सरल साधना पो ट कर रहा हूँ .

उदर रोग का एक मह वपूण योग


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* इस साधना को करने से पेट क तमाम बीमा रय से नज़ात पाई जा सकती है | बदह मी, पेट गैस, दद और आंव का पूण इलाज हो
जाता है | इसे हण काल, द पावल और होल आ द शुभ मह
ु ु रत म कभी भी स कया जा सकता है | आप दन या रात म कभी भी कर
सकते ह | इस मं को १०८ बार जप कर स कर ल | योग के व त ७ बार पानी पर म पढ़ फूँक मार और रोगी को पला द , ज द ह
फ़ायदा होगा |

साबर म
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|| ॐ नमो अदे स गु को शयाम बरत शयाम गु पवत म बड़ बड़ म कुआ कुआ म तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़
सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमत मार करे गा भसमंत फुरो म इ वरो वाचा ||

ने रोग क मह वपूण साधना


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* आंखे मनु य के लए अनमोल र न ह | कई बार यि त अकारण वश ने रोग से पी ड़त हो जाते ह | िजससे बहुत परे शानी का सामना
करना पड़ता है | यह बहुत ह ती ण म है , इससे तमाम ने रोग से नज़ात पाई जा सकती है | इसे भी हण काल, होल , द पावल
आ द शुभ मुहुरत म १०८ बार जाप कर स कर ल और योग के व त इसको ७ बार पढ़कर कुषा से झाडा कर द , तमाम ने दोष दरू हो
जाते ह |

साबर म
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||ॐ अ गाल बंग ाल अताल पताल गद मद आदर ददार फट फट उ कट ॐ हुं हुं ठा ठा ||

आधा सर दद
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* आधा सर दद और माई ेन एक बहुत बड़ी सम या है | उसके लए एक मह वपूण म दे रहा हूँ | इसे भी हण काल, द पावल आ द
पर उपर वाले तर के से स कर ल | योग के व त एक छोट नमक क डल ले कर उस पर ७ बार म पढ़ और पानी म घोल कर माथे
पर लगा द , आधे सर क दद फ़ौरन बंद हो जाएगी |

साबर म
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|| को करता कुडू करता बाट का घाट का हांक दे ता पवन बंदना योगीराज अचल सचल ||

दाड दद का एक मह व पूण मं
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* दाड दद िजसे हो वह जानता है | कई बार तो दाड नकालने क नौबत आ जाती है | इस दद से नज़ात पाने का एक बहुत ह मह वपूण
म दे रहा हूँ | इसे सूय हण, द पावल आ द म १०८ बार जप कर स कर ल | योग के व त नीम क डाल से झाडा कर द |

साबर मं
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|| ॐ नमो आदे श गु को वन म वहाई अंजनी िजस जाया हनुमंत क ड़ा मकोड़ा माकडा यह तीनो भसमंत गु क शि त मेर भगती
फुरो मं इ वरो वाचा ||

यह सभी साधनाएं योग अजमाए हुए ह | एक बार स कर लेने से जब चाहे काम ले सकते ह |जप से पहले अगर आप एक माला अपने
गु म का जाप करके स करे तो इसका भाव दग
ु ना हो जाता है .

समय आने पे कुछ और शाबर मं ो क या या अव य क ँ गा ...!

जब भी नज़र आय ये 25 शुभ संकेत तो समझ जाइएगा, ‘अ छे दन’ ज द आने वाले ह


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अकसर मने लोग को अपने बदनसीब होने का रोना रोते दे खा है . सभी का यह सोचना होता है क दु नया म कुछ ह ऐसे लोग ह, िज ह
भा यशाल होने का सौभा य मला है . कुछ लोग मानते ह क सब कुछ कड़ी मेहनत करने से ह मलता है , जब क कुछ ऐसे भी मल
जाते ह, जो िज़ दगी म हर चीज़ के लए क मत का बलवान होना क पलसर समझते ह. भारतीय होने के नाते हम लोग का अपने
शा पर कुछ यादा ह यक न होता है . आज हम आपके लए शा के अ दर व णत चु न दा ऐसे संकेत लेकर आये ह, जो अगर
आपको दख तो समझ लेना मामू...फटे हाल िज़ दगी म रौनक आने वाल है . ये सभी संबल गु ड लक के साइन माने जाते ह. अब बना
इंतज़ार के आप भी दे ख ह लो इ ह...

1. सफेद गाय :- सनातन ध मय क गौ माता िजसे कुछ लोग केवल राजनी तक मु ा ह समझते ह गे, उ ह हम बता द यह आ थक
सु ढ़ करण का भी तीक है . अब अगल बार जब भी आपके खेत म या गाडन म गाय आ कर चरने लग जाये, तो समझ जाइएगा
सा ात ल मी जी ने संदे शा भेजा है ।
2. ना रयल :- ना रयल को वैसे भी भारतीय सामािजक पर परा म शुभ माना जाता है. तो अब ये भी जान लो अगल बार जब भी कभी
आपको सुबह उठते ह इस ीफल के दशन ह , तो समझ जाना अ छ खबर आने वाल है ।
3. या ा के दौरान मलने वाले संकेत :- जब कभी भी या ा करते समय आपको अपनी दायीं तरफ़ कोई ब दर, कु ता, सांप दखे तो,
समझ जाना यह भी आपके पास आने वाले धन का संकेत आपको दे रहे ह।
4. सुनहरा सांप :- अगर रात को आपको सोते समय सपने म सफेद या सुनहरे रं ग का सांप नज़र आये, तो यह भी खुलने वाल क मत
का इशारा होता है ।
5. ह रयाल :- सपने म हरे -भरे ाकृ तक नजारे दखना भी शुभ संकेत माना जाता है . ह रयाल अगर पानी के कसी ोत के पास हो
तो यह उससे भी अ छा संकेत होता है ।
6. द ूध के बने उ पाद :- सुबह-सुबह उठते ह दह और दध
ू जैसे पदाथ का दखाई दे जाना भी आने वाल अ छ क मत का संकेत
होता है।
7. ग ना :- सुबह घर से अपने काम पर जाते व त या मॉ नग वॉक करते समय ग ने का दखाई दे जाना भी यह संकेत दे ता है क
आज आपको कह से पैसे मलने वाले ह।
8. लयब संगीत :- सुबह उठते समय आपको अपने आसपास कसी मि दर से शंख, घं टय या कसी मधुर भजन क आवाज़ सुनाई
दे ना भी शा म आने वाले अ छे भा य का संकेत माना जाता है ।
9. नव- ववा हता का दखाई दे जाना :- आपको रा ते म अगर सोलह ं ग
ृ ार कये कोई नई-नई द ु हन नज़र आ जाये तो इसे भी आने
वाल अ छ क मत का संकेत माना जाता है ।
10. आपके घर म चमगादड़ वारा घर बनाना :- द ु नया म अ धकतर मा यताओं के अनुसार आपके घर म कसी चमगादड़ का आना
अशुभ संकेत माना जाता है . ले कन हम आपको बता द, वह चमगादड़ अगर आपके घर म ककर अपना घर बना ल तो इसे एक शुभ
संकेत माना जाता है ।
11. शुभ दन पर पैसे आना :- हम सब क िज़ दगी म कोई न कोई शुभ दन या स ताह होता है उस समय अगर आपको कह ं से धन
क ाि त हो जाये तो, इसका मतलब है अभी और धन आने वाला है ।
12. प य का बीट करना :- बहुत ह कम लोग ऐसे होते ह िजनके ऊपर उनक िज़ दगी म कसी प ी ने बीट क हो और अगर क भी
हो तो लोग झ ला जाते ह। पर आपको बता द, यह भी एक शुभ संकेत माना जाता है ।
13. मकड़ी का जाला :- गु सा मत होइये हम भी पता है , मकड़ी के जाले का घर म पाया जाना अशुभ माना जाता है । अब काम क बात
यह है क अगल बार अगर कोई जाला दखाई दे और उसम आपको अपने नाम का पहला अ र बना हुआ नज़र आये तो वह भी एक
शुभ संकेत माना जाता है ।
14. टूटते तारे का नज़र आना :- इस संकेत को पूर द ु नया म मा यता ा त है . पूवज कहते आए ह टूटते तारे सो जो भी मांगो आपको
आने वाले 30 दन म सच हो जाता है । इस लए सोच समझ कर मांगना।
15. गलती से उलटे कपड़े पहन लेना :- जब भी हम कह ं जाने क ज द होती है तो हम ज दबाजी म कपड़े उलटे पहन लेते ह और जब
दे खते ह तो अपने आप पर गु सा भी होते ह। भ व य म दोबारा अगर ऐसा आपके साथ हो तो समझ लेन ा मामला गु से का नह ं ख़ुश
होने का है । उलटे कपड़े पहन लेना भी आने वाल सम ृ का तीक होता है ।
16. शुभ चीज का मलना :- आपको रा ते म कह ं घोड़े क नाल, चार पि तय वाल घास या कोई स का मल जाये तो उसे
स हालकर अपने पास रख लेन ा चा हए। यह भी आने वाले भा य के नदशक होते ह।
17. कु ते का घर पर रहने आना :- कोई कु ता अगर आपके घर पर रहने के लए छत क तलाश म आ जाये तो यह भी भ व य म आने
वाले धन का संकेत होता है ।
18. गाडन एचस का दखना :- बा रश के बाद अगर आपको अपने बगीचे म मढ़क, बीटल, ट ड का शोर सुनाई द, तो यह भी एक
अ छा संकेत होता है । अगल बार इ रटे ट होने क बजाय उस संगीत का आनंद ल िजये।
19. बा रश म सूरज का चमकना :- ऐसा बहुत ह कम होता है जब आपको बा रश म भीगते समय सामने आसमान म चमकता सूरज
दखाई दे । य द ऐसा कभी होता है तो समझ जाइये आप ज द ह मालामाल होने वाले ह।
20. हाथ म खुजल होना :- इससे तो आप सभी वा कफ ह ह गे। हमारे यहां हाथ म खुजल होने को आने वाले धन के संकेत के प म
दे खा जाता है ।
21. कछुआ :- कछुए को पूर द ु नया म अ छे भा य का तीक माना जाता है । इसका कसी भी प म दखाई दे जाना, कोई न कोई
अ छ खबर ज़ र लाता है।
22. डॉल फन :- डॉल फन को वैसे भी इनसान का अ छा दो त कहा जाता है । यह भी जान ह लो यह दो त सच म अ छा होता है ।
डॉल फन को भी आने वाले अ छे भा य का तीक माना जाता है ।
23. सूअर :- सूअर को भी दु नया भर म अ छा भा य लाने वाला माना जाता है । अब आप समझ ह गये ह गे पगी बक का राज़।
24. मोती :- स यताएं पानी के कनारे पनपी है। कसी समय तो आभूषण के प म इनका खूब उपयोग होता था। इन मो तय को
अ छे भा य का तीक भी माना जाता है ।
25. झींगुर :- नाम पढ़ते ह हं सी आई होगी ना, तो कए मत! झींगुर का शोर सुनाई दे ना या इसका दखाई दे जाना भी आप के बुरे
दन के ख म होने का संकेत होता है ।

तो अब आपको पता चल गया है क कौन से ऐसे संकेत है िजनके दखाई दे जाने पर आपक क मत बदल जाएगी। तो अगल बार
जब भी ये दखाई द, तो आपके अ छे दन आये या नह ,ं हम कमे ट करके ज़ र बताना। तब तक टाइम पास के लए मेहनत करते
र हए, इस व वास के साथ क दे ने वाला जब भी दे गा छ पर फाड़ कर दे गा।

वशीकरण साधना
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वशीकरण के लए यह साधना बहुत ह उ च को ट क साधना है । इस साधना को कसी भी सोमवार रात म 11 बजे के बाद शु कया
जा सकता है । साधना शु करने से पहले नान करके लाल कपड़े धारण कर ल। आप पहले लोहे या ट ल क बनी हुई एक लेट ल।

अब इसके अंद र पू र तरह काजल लगा द और मं ‘ऊं अघोरे य घोरे य नम:’ को लखे यानी काजल को इस कार हटाए क काजल
म लखा हुआ मं साफ नजर आएं। अब लेट के ऊपर िजस भी यि त का वशीकरण करना है उसके व का टुकड़ा बछा द।

य द संभव न हो पुराना कपड़ा


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लेट पर पुराना कपड़ा बछाना संभव नह ं हो सके तो कोई भी नया कपड़े का टु कड़ा उस लेट पर बछा द। अब उस पर संद ूर से उस
यि त का नाम लख द, िजस पर यह योग करना है । अपने सामने भगवान शव क त वीर रख ।

य द संभव न हो पुराना कपड़ा


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संभव हो सके तो िजसका वशीकरण करना है उसक त वीर भी रख। रा म यान लगाकर ा क माला से ‘ शवे व ये हुं व ये
अमुक व ये हुं व ये शवे व ये व मे व मे व मे फट’ मं का जाप कर। यह जाप एक रात म 51 माला करना है । मं म अमुक क
जगह यि त का नाम उ चा रत करना है ।

जप पूरा होने पर या कर
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जब जप क 51 माला पूर हो जाएं तो आप ऋ ष मुंड केश और भगवान अघोरे वर से अपनी साधना म सफलता दान करने के लए
ाथना कर। साधना करने के दौरान आपको कुछ अजीब या आ चय जनक अनुभव हो सकता है ।

ले कन इससे परे शान या चं तत न हो। यह ल ण है क आपक साधना सफल हो रह है । साधना शु करने के कुछ दन बाद ह
आपको प रणाम मलने शु हो सकते ह।

त काल फल दे ती है अघोर साधना


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अघोर साधना क ठन ले कन त काल फल दे ने वाल होती है । साधना से पूव मोह-माया का याग ज र है । अघोर मानते ह क जो
लोग दु नयादार और गलत काम के लए तं साधना करते ह अंत म उनका अ हत ह होता है ।
मशान म शव का वास है उनक उपासना हम मो क ओर ले जाती है । सभी तरह के वैरा य को ा त करने के लए अघोर साधु
मशान म कुछ दन गुजारने के बाद हमालय या जंगल म चले जाते ह।

कसी को वश म करने से जड़
ु ा तां क उपाय :-
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इस उपाय को करने के लए आपको सफेद आंकड़े के फूल क आव यकता पड़ेगी। सफेद आंकड़े के फूल को लेकर उसे छाया म सूखने
दे । इसके प चात आंकड़े के सूखे फूल को क पला गाय क दध
ू म या न क सफेद रं ग के गाय के द ध
ू म पीस ले और इसका तलक उस
यि त के सर म लगाए िजस यि त को आप अपने वश म करना चाहते है ।

वह यि त आप के वश म होकर आपक सभी बातो को मानने लगेगा। पर तु यान रहे क इस तां क या का कोई द ु पयोग न
हो।

कसी को वश म करना वशीकरण कहलाता है । इसके लए वशीकरण मं का योग कया जाता है । वशीकरण मं िजसके लए पढ़ा
जाता है , वह मनु य मं पढ़ने वाले के वश म आ जाता है । कभी आपने सोचा है क इस बात म कतना सच है ?

मनु य चाँद पर पहुँच चुका है और मंगल तक यान भेज चुका है । ले कन मनु य आ म व वास क कमी के कारण कुछ भी कर गुज़रने
को तैयार। वो ढ गी बाबाओं क पास जाता है जहाँ उसके समय, धन और मान-स मान सबक हा न होती है । जाने वो यह य भूल
जाता है क “होइ ह सोइ जो राम र च राखा”; अथात ् ई वर क इ छा से सबकुछ स प न होता है । ले कन आज यि त समय से दौड़
लगा रहा है और उसे जो चीज़ उसे आक षत करे वह उसे पाना चाहता है । चाहे इसके लए उसे कोई भी क़ मत य न चुकानी पड़े।

आपके यादातर काय असफल हो रहे ह तो यह कर


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आप चाहते ह क आपके वारा कये गए काय सफल हो ले कन काय के ार भ होते ह उसम व न आ जाते ह और वह असफल हो
जाते ह इसके लए आप यह कर: ातःकाल क चा सूत लेकर सूय के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं । फर सूय दे व को नम कार करके
'ॐ ह ं ण सूय आ द य ीम' मं बोलते हुए सू य दे व को जल चढ़ाएं। जल म रोल , चावल, चीनी तथा लाल पु प डाल ल। इसके
प चात क चे सूत को सूय दे व क तरफ करते हुए गणेशजी का मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके प चात इस सूत को कसी
खोल म रखकर अपनी कमीज क जेब म रख ल, आपके बगड़े काय बनाने लगगे।

बजरङग वशीकरण म
================
“ॐ वीर बजर गी, राम ल मण के स गी।
जहां-जहां जाए, फतह के ड के बजाय।
‘अमुक’ को मोह के, मेरे पास न लाए,
तो अ जनी का पूत न कहाय।
दह
ु ाई राम-जानक क ।
दह
ु ाई गु गोर नाथ क । "

अमुक क जगह नाम लखे ।

व ध- ४१ दन तक ११ माला उ त म का जप कर इसे स कर ले। ‘राम-नवमी’ या ‘हनुमान-जय ती’ शुभ दन है ।

योग के समय दध
ू या द ध
ू न मत पदाथ पर ११ बार म पढ़कर खला या पला दे ने से, वशीकरण होगा।

जय ी हनुमान-य त (बीरबं क नाथ) जी को आदे श आदे श।


जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को आदे श आदे श।

स वशीकरण म
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“बारा राखौ, बरै नी, मूँह म राख का लका। च डी म राख मो हनी, भुजा म राख जोहनी। आगू म राख सलेमान, पाछे म राख
जमादार। जाँघे म राख लोहा के झार, प डर म राख सोखन वीर। उ टन काया, पु टन वीर, हाँक दे त हनुम ता छुटे । राजा राम के
परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौक । क र करे बीट बरा करे, मो हनी-जो हनी सात ब हनी। मोह देबे जोह दे बे, चलत म प रहा रन मोह ।
मोह बन के हाथी, ब तीस मि दर के दरबार मोह । हाँक परे भरहा मो हनी के जाय, चेत स हार के। सत गु साहेब।”

व ध- उ त म वयं स है तथा हमारे वारा अनुभूत है । फर भी शुभ समय म १०८ बार जपने से वशेष फलदायी होता है ।
ना रयल, नींब,ू अगर-ब ती, स दरू और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार म जपे।

म का योग कोट-कचहर , मुकदमा- ववाद, आपसी कलह, श ु-वशीकरण, नौकर -इ टर यू , उ च अधीका रय से स पक करते
समय करे । उ त म को पढ़ते हुए इस कार जाँए क म क समाि त ठ क इि छत यि त के सामने हो।

ा शाबर मं
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अकल सकल सुमे क छाया शव शि त मल वृ लगाया ।
एक डाल अगम को गई - एक डाल उ तर को गई ।
एक डाल पि चम को गई - एक डाल द ण को गई ।
एक डाल आकाश को गई - एक डाल पाताल को गई ।
उसी पेड़ के फल लगा ा का ।
एक मुखी ा उकार को बरणे ।
दो मुखी ा सूय च को बरणे ।
तीन मुखी ा तीन दे व को बरणे ।
चार मुखी ा चार वेद को बरणे ।
पांच मुखी ा पांच पांडव को बरणे ।
छः मुखी ा छः दशन (ज त) को बरणे ।
सात मुखी ा सात सायर (स त) को बरणे ।
आठ मुखी ा आठ कुल पवत को बरणे ।
नौ मुखी ा नौ कुल नाग को बरणे ।
दस मुखी ा दस अवतार को बरणे ।
यारह मुखी ा यारह शंकर को बरणे ।
बारह मख
ु ी ा बारह पंथ को बरणे ।
तेरह मुखी ा तेरह र न को बरणे ।
चौदह मुखी ा चौदह व याओं को बरणे ।
पं ह मुखी ा पं ह त थय को बरणे ।
सोलह मुखी ा सोलह कलाओं को बरणे ।
स ह मुखी ा सीता सतवं ती को बरणे ।
अठारह मुखी ा अठारह भार वन प त को बरणे ।
उ नीस मुखी ा शव पावती गणेश को बरणे ।
बीस मुखी ा व वासु मु न साधु को बरणे ।
इ क स मुखी ा एक अलख को बरणे ।
हाथ बांधे हतनापुर का राज पावे, कान के बांधे कनकापु र का राज पावे, कंठ गले के बांधे सात वप का राज पावे, म तक के बांधे
कैलाशपुर का राज पावे । नह ं जाने ा जाप अ तर गऊ का लागे पाप, बांधे ा जाणे जाप ज म ज म का पाप समा त ।
ा जाप समा त हुआ शव यान म द ता ेय महाराज ने कहा । ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श ।

गभ धारण करने के लए
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अगर आपको कसी कारणवश गभ धारण नह ं हो रहा हो तो मंगलवार के दन कु हार के घर आएं और उसम ाथना कर म ी के
बतन वाला डोरा ले आएं । उसे कसी गलास म जल भरकर डाल द। कुछ समय प चात डोरे को नकाल ल और वह पानी प त-प नी
दोन पी ल। यह या केवल मंगलवार को ह करनी है अगर संभव हो तो उस दन प त-प नी अव य ह रमण कर। गभ क ि थ त
बनते ह उस डोरे को हनुमानजी के चरण म रख द।

अघोर साधनाएं जीवन क सबसे अ ुत साधनाएं ह

अघोरे वर महादे व क साधना उन लोग को करनी चा हए जो सम त सांसा रक बंधन से मु त होकर शव गण बनने क इ छा रखते
ह.

इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे वरि त होनी शु हो जायेगी इस लए ववा हत और ववाह सुख के अ भलाषी लोग को यह
साधना नह ं करनी चा हए.

यह साधना अमाव या से ारंभ होकर अगल अमाव या तक क जाती है .

यह दगंबर साधना है .

एकांत कमरे म साधना होगी.

ी से संपक तो दरू क बात है बात भी नह ं करनी है .

भोजन कम से कम और खुद पकाकर खाना है .

यथा संभव मौन रहना है .

ोध, ववाद, लाप, न करे .

गोबर के कंडे जलाकर उसक राख बना ल.

नान करने के बाद बना शर र पोछे साधना क म वेश कर.

अब राख को अपने पूरे शर र म मल ल.

जमीन पर बैठकर मं जाप कर.

माला या य क आव यकता नह ं है .
जप क सं या अपने मता के अनुसार तय कर.

आँख बंद करके दोन ने के बीच वाले थान पर यान लगाने का यास करते हुए जाप कर.

जाप के बाद भू म पर सोय.

उठने के बाद नान कर सकते ह.

य द एकांत उपल ध हो तो पूरे साधना काल म दगंबर रह. य द यह संभव न हो तो काले रं ग का व पहन.

साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक य और आवाज आ सकती ह.

इस लए कमजोर मन वाले साधक और ब चे इस साधना को कसी हालत म न कर.

गु द ा ले चुके साधक ह अपने गु से अनुम त लेकर इस साधन को कर.


जाप से पहले कम से कम १ माला गु म का जाप अ नवाय है .

आदल चले बादल चले जाय परे सीता के वा र ! सीता द हनी शाप ! जाय परा समु के पार ! वाचा महुआ वाचे चार , हाके हनु ,वरावे
भीम ! और न परे हमारे सीम ! इ वर महादे व क दह
ु ाई ॐ नमः शवाय !

उपाय और टोटके सुखी जीवन के लए


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भर ल अपने भ डार गह ृ
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िजस थान पर होल जलाई जाती रह हो, वहां पर होल जलने से एक दन पहले क रा ी म एक मटक म गाय का घी, तल का तेल,
गेहूं और वार तथा एक ता बे का पैसा रखकर मटक का मुंह बंद करके गाड़ आएं । रा म जब होल जल जाए, तब दस
ू रे दन सुबह
उसे उखाड़ लाएं । फर इन सब व तुओं को पोटल म बांधकर िजस वा तु म रख दया जाएगा, वह वा तु यय करने पर भी उसम
नरं तर व ृ होती रहेगी, और आपके भंडार भरे हुए रहगे ।

त ठान क ब बढ़ाने के लए
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अगर आप चाहते ह क आपके त ठान म ब यादा हो तो यह कर
आप अपने यापार म अ धक पैसा ा त करना चाहते ह और चाहते ह क आपके यापार क ब बढ़ जाए तो आप वट वृ क लता
को श नवार के दन जाकर नमं ण दे आएं । (व ृ क जड़ के पास एक पान, सुपार और एक पैसा रख आएं) र ववार के दन ातः काल
जाकर उसक एक जटा तोड़ लाएं, पीछे मुड़कर न दे ख। उस जटा को घर लाकर गु गल क धूनी द तथा 101 बार इस मं का जप कर-
ॐ नमो च ड अलसुर वाहा।

छोटे ब च को नजर लगने पर


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अगर आप चाहते ह क छोटे ब च को नजर न लगे इसके लए हाथ म चुट क भर र ा लेकर ह प तवार के दन 'ॐ चैत य
गोरखनाथ नमः’ मं का 108 बार जप कर। फर इसे छोट -सी पु डया म डालकर काले रेशमी धागे से ब चे के गले म बाँधने पर बुर
नजर नह ं लगती।

क या के ववाह म वल ब होने पर
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अगर आपक क या के ववाह म वल ब हो रहा हो या क या के लए यो य वर क तलाश पूर नह ं हो रह हो तो कसी भी गु वार के
दन ातःकाल नहा धोकर बेसन के ल डू वयं बनाएं। उनक गनती 109 होनी चा हए। फर पीले रं ग क टोकर म पीले रं ग का
कपड़ा बछाकर उन ल डूओं को उसम रख द तथा अपनी ानुसार कुछ द णा रख द। पास के कसी शव मं दर म जाकर ववाह
हेतु ाथना कर घर आ जाएं ।

आपके यादातर काय असफल हो रहे ह तो यह कर


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आप चाहते ह क आपके वारा कये गए काय सफल हो ले कन काय के ार भ होते ह उसम व न आ जाते ह और वह असफल हो
जाते ह इसके लए आप यह कर: ातःकाल क चा सूत लेकर सूय के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं । फर सूय दे व को नम कार करके
'ॐ ह ं ण सूय आ द य ीम' मं बोलते हुए सूय दे व को जल चढ़ाएं। जल म रोल , चावल, चीनी तथा लाल पु प डाल ल। इसके
प चात क चे सूत को सूय दे व क तरफ करते हुए गणेशजी का मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके प चात इस सू त को कसी
खोल म रखकर अपनी कमीज क जेब म रख ल, आपके बगड़े काय बनाने लगगे।

गभ धारण करने के लए
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अगर आपको कसी कारणवश गभ धारण नह ं हो रहा हो तो मंगलवार के दन कु हार के घर आएं और उसम ाथना कर म ी के
बतन वाला डोरा ले आएं । उसे कसी गलास म जल भरकर डाल द। कुछ समय प चात डोरे को नकाल ल और वह पानी प त-प नी
दोन पी ल। यह या केवल मंगलवार को ह करनी है अगर संभव हो तो उस दन प त-प नी अव य ह रमण कर। गभ क ि थ त
बनते ह उस डोरे को हनुमानजी के चरण म रख द।

अपने घर-गह
ृ थी को बनाएं सुखी
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अ सर हम ग ृह थ जीवन म दे खते ह तो गहृ थ का सामान टूट-फूट जाता है या सामान चोर हो जाता है । जो भी आता है असमय ह
ख़ म हो जाता है । रसोई म बरकत नह ं रहती है तो ऐसी ि याँ भोजन बनाने के बाद शेष अि न को न बुझाएं और जब सब जलकर
राख हो जाए तो राख को गोबर म मलाकर रसोई को ल प द। फश हो तो उस राख को पानी म घोलकर उसी पानी से फश डाल। यह
या कई बार कर। घर-गह
ृ थी का छोटा-मोटा सामान, गलास, कटोर , च मच आ द सदै व बने रहगे ।
इ छा के व काय करना पड़ रहा हो तो
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अगर आपको कसी कारणवश कोइ काय अपनी इ छा के वपर त करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाल ल ग एक साथ
जलाकर दो-तीन दन म थोड़ी-थोड़ी खा ल। आपक इ छा के वपर त काय होना बंद हो जाएगा।

दा प य जीवन से झगड़े द रू कर ऐसे


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अगर आपका दा प य जीवन अशांत है तो आप रा ी म शय न करते समय प नी अपने पलंग पर देशी कपूर तथा प त के पलंग पर
का मया स दूर रख. ातः सूयदे के समय प त दे शी कपू र को जला द और प नी स दूर को भवन म छटका द। इस टोटके से कुछ ह
दन म कलह समा त हो जाती है।

भा योदय करने के लए कर यह उपाय


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अपने सोए भा य को जगाने के लए आप ात सुबह उठकर जो भी वर चल रहा हो, वह हाथ दे खकर तीन बार चूम, त प चात वह
पांव धरती पर रख और वह कदम आगे बाधाएं। ऐसा न य- त दन करने से नि चत प से भा योदय होगा।

वचा रोग होने पर यह कर


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वचा संबंधी रोग केतु के दु भाव से बढ़ते ह। य द वचा संबंधी घाव ठ क न हो रहा हो तो सायंकाल म ी के नए पा म पानी रखकर
उसम सोने क अंगू ठ या एनी कोइ आभूषण दाल द। कुछ दे र बाद उसी पानी से घाव को धोने के बाद अंगूठ नकालकर रख ल तथा
पाने कसी चौराहे पर फक आएं । ऐसा तीन दन कर तो रोग शी ठ क हो जाएगा।

मंद से छुटकारा पाएं ऐसे


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अगर आपके यापार म मंद आ गयी है या नौकर म मंद आ गयी है तो यह कर। कसी साफ़ शीशी म सरस का तेल भरकर उस शीशी
को कसी तालाब या बहती नद के जल म डाल द। शी ह मंद का असर जाता रहेगा और आपके यापार म जान आ जाएगी।

भय को द ूर कर ऐसे
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अगर आपको बना कारण भय रहता हो या सांप- ब छू या व य पशुओं का भय रहता हो तो यह कर : बांस क जड़ जलाकर उसे कान
पर धारण करने से भय मट जाता है । नगु डी क जड़ अथवा मोर पंख घर म रख दे ने से सप कभी भी घर म वेश नह ं करता। र व-
पु य योग म ा त सफ़ेद चादर क जड़ लाकर दा भुजा पर बाँधने से व य पशुओं का भय नह ं रहता है साथ ह अि न भय से भी
छुटकारा मल जाता है। केवड़े क जड़ कान पर धारण करने से श ु भय मट जाता है।

अगर आपके प रवार म कोई रोग त हो तो यह कर


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अगर वा य म सुधर न होता हो तो यह उपाय कर: एक दे शी अखं डत पान, गुलाब का फूल और कुछ बताशे रोगी के ऊपर से 31 बार
उतार तथा चौराहे पर रख द। इसके भाव से रोगी क दशा म शी ता से सुधार होगा।

पा रवा रक सुख-शां त के लए
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अगर आपके प रवार म अशां त रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो त दन थम रोट के चार भाग कर, िजसका एक गाय को,
दस
ू रा काले कु ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टु कड़ा कसी चौराहे पर रखवा द तो इसके भाव से सम त दोष समा त होकर
प रवार क शां त तथा स बढ़ जाती है ।

आप सबका क याण हो
जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

कज से मुि त पाने के लए कुबेर गाय ी शाबर मं


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सत नमो आदे श गु जी को आदे श ॐ गु जी
ॐ सोहम आकाश ड बी पाताल काट -
धरती का चू हा क ं आकाश को ड़ाया
नवनाथ स होने बैठ कर भंडार कया
चढ़े ड बे उतरे र - स
काल -पील सर जटा माई पावती का उपदे श
शव मुख आवे शि त मुख जावे
शव मुख जावे हाथ खड़क तूतन क माला
जाप जपे ी सूया वाला
ऋ पूरे हर घत
ृ पुरे गणेश
अल ल पुरे मा माया पूरे महाकाल
ह रा पूरे हंगलाज नवखंड म जोत जगाई
ऋ लावो भंडार माई
ऋ खट
ु े सदा शव का जड़ाव टुटे
ऋ खुटे माता सीता सतवंती का स य छुटे
ऋ खूटे माता पावती का कंगन टू टे
ऋ खुटे मान धन का मान टू टे
चं सूय दे व लाखी इतना कुबेर भंडार गाय ी जाप संपूण भया। ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श।

संजोग से य द मरा हुआ कछुआ मले तो कछुआ का दांत सावधानी से नकाल ले कछुए के दांत को चांद के ताबीज म डालकर पहने और
यह मं का 108 बार जाप करके 108 मं क आहु त द हवन साम ी म कमलग ा होना चा हए हवन क भभूत और कछुए का दांत चांद
के तावीज म डाल कर पहने और यह मं का रोज 11 बार जपे आजमाया हुआ योग है नि चत ह आप के कज मु ि त के माग खुलेगे ।
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श।

जय ी शंभू-ज त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।


आप सबका क याण हो ।
असल ाचीन स शाबर व या क शि तयां । इन क सहायता से आप या या कर सकते है ?

1. सबसे पहल मु य वषेशता, ये मं खुद स होते है इनके लया साधक को क ठन अनु ठान करने क आव यकता नह ं है । बस जो
आसान सी व धयां द गयी है वो कर और मं का परभाव खद
ु सा ा कार कर।

2. स कम (दे वता, पीर पैग बर, वीर, िज न आ द कट करना) - अगर आप अ य धक िज ासु साधक है और अपने दे वी दे वता, पीर
पैग बर, वीर, िज न, भूत, पर आ द से सा ात ् होना चाहते है या उनसे अपना काम करवाना चाहते है । तो इन शाबर म से बढ़कर
कोई दस
ू रा सहायक नह ं हो सकता।

3. शां त कम (तां क कम, काला जादू , या कया कराये क काट ) - अगर आपको लगता है क आप पर कोई तां क कम, काला जादू ,
या कया कराये का भाव है तो आपको कसी तां क या औघड़ बाबा के चकर म आने क ज रत नह ं है । स शाबर म से आप
अपना व ् अपने प रवार के सुर ा च बना सकते है िजस से वो सारा भाव ख़तम हो जायेगा। इसके अलावा आप दस
ू र पर से भी झाड़ा
लगा कर उनको ठ क कर सकते है ।

4. व वेषण कम (गलत ेम या बूर लड़क या लड़के को द रू करना ) - अगर आपको लगता है क आपका लड़का या लड़क और भाई या
बहन कसी गलत या कसी बूर लड़क या लड़के के साथ ेम चल रहा है । तो ब चे ऐसे मामल म बड़ो क नह ं सुनते बि क अगर बोलो
और टोको तो वो या तो खुदखुशी या उनके साथ भाग जाते है और दोन ह मामल म घर क इज़ज़त और जान हा न पर बन जाती है ।
उनको यार से समझाओ और व वेषण स मं योग कर वो गलत लड़क या लड़का खुद आपके ब च का पीछा छोड दे गा और कभी
बात करना भी पसंद नह ं करे गा। आप भी खुश और ब चे भी।

5. रोगनाशक कम (बीमार या रोग द रू करना)- आप स शाबर म से व भ न परकार क रोग भी मटा सकते है ब कुल जड़ से।
ले कन यहाँ कुछ मेहनत यादा करनी पड़ती है ।

6. वशीकरण योग (शोसन के खलाफ और धम के लए) - आजकल चार और टाचार और काला बाजार फ़ैल गयी है । और ाइवेट
जॉ स म भी बॉस अपने ए लाइज को सैलर कम दे ते है और काम जयादा करवाते है । यहाँ पर हम अपने हक़ के लए वशीकरण कम का
योग कर करगे य क अपने हक़ के लए लड़ना भी धम है । अगर ेम के लए वशीकरण योग करो तो यान रहे ेम न वाथ और
स चा होना चा हए। वशीकरण का गलत योग करना मानवता का नरादर करना है और भगवान ् उसको कभी माफ़ नह ं करते।
इसी लए इसको हमेशा मानवता क भलाई के लया ह योग कर।

7. त भन कम (श ु को रोकना)- अगर आपका कोई श ु आपको परे शान कर रहा है , तो उसको रोकने के लए आप त भन योग कर
सकते है ।

8. उ चाटन कम (श ु को भगाना)- कसी भी तरह क कोई भी सम या वो इस तरह के म से दरू क जा सकती है ।

जैसे कोई आपक स प त और कसी भी व तु को जबद ती ह थयाना चाहता है या आपको आपके घर म ह आकर परे शान करता है तो
इस तरह के म से परे शान करने वाल को भगाया जा सकता है ।

सावधान - स शाबर मं 100% काय करते है और कभी भी न फल नह ं होते इसी लए अ छ तरह और कई बार सोच समझ कर ह
इनका योग करना चा हए।

रोग नवारणाथ औष ध खाने का म


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आपको एक छोटा सा मं दे रहे है , िजनको दवा का असर ठ क से नह ं होता वो इस मं का जाप करके दवा ले तो दवा का असर पूर
तरह से होता है :

मं :

‘ॐ नमो महा- वनायकाय अमत


ृ ंर र , मम फल स ं दे ह, -वचनेन वाहा’’

कसी भी रोग म औष ध को उ त म से अ भमि त कर ल, तब सेवन कर। औष ध शी एवं पूण लाभ करे गी। यह अनुभूत मं है ।
जय ी महा वनायक गणेश जी को नमो आदे श आदे श ।
जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श ।

आसन का शाबर मं :----


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सत नमो आदे श, गु जी को आदे श, ॐ गु जी,
आसन मार संहासन बैठू, बैठू-बैठू गु क छाया
पाँच महे वर आ ा कर तो सबद गुरां से पाया
ि थर कर आसन ि थर कर यान
सत-सत ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी बैठे गाद वान
गाद मा गाद इ गाद बैठे गु गो ब द
आओ बाल-गोपाल स अब तम
ु लगा पांव
तब तुम पूजो मा- ान
मा क कूँची महादे व का ताला
नर संग वीर भैरव रखवाला इ त गाद आसन मं स पूण भया
ी नाथ जी गु जी को आदे श आदे श ।

कसी भी मं का जाप आसन लगा कर ह कया जाता है , ये आसन मं है कसी जाप के पहले इस मं का जाप कर। कसी भी शुभ घड़ी
मे 108 बार जाप करने ये स हो जाता है ।

ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

नजर उतारने के उपाय:-


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१॰ ब चे ने दध
ू पीना या खाना छोड़ दया हो, तो रोट या दध
ू को ब चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कु ते या गाय को खला द।

२॰ नमक, राई के दाने, पील सरस , मच, पुरानी झाडू का एक टु कड़ा लेकर ‘नजर’ लगे यि त पर से ‘आठ’ बार उतार कर अि न म
जला द। ‘नजर’ लगी होगी, तो मच क धांस नह आयेगी।

३॰ िजस यि त पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे यि त पर उससे हाथ फरवाने से लाभ होता है ।

४॰ पि चमी दे श म नजर लगने क आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फन चर को छू लेता है । ऐसी मा यता है क उसे नजर
नह ं लगेगी।

५॰ गरजाघर से प व -जल लाकर पलाने का भी चलन है ।

६॰ इ लाम धम के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अ डा’ या ‘जानवर क कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख द। दरगाह या क से फूल
और अगर-ब ती क राख लाकर ‘नजर’ वाले के सरहाने रख द या खला द।

७॰ एक लोटे म पानी लेकर उसम नमक, खड़ी लाल मच डालकर आठ बार उतारे । फर थाल म दो आकृ तयाँ- एक काजल से, दस
ू र
कुमकुम से बनाए। लोटे का पानी थाल म डाल द। एक ल बी काल या लाल र ग क ब द लेकर उसे तेल म भगोकर ‘नजर’ वाले पर
उतार कर उसका एक कोना चमटे या सँडसी से पकड़ कर नीचे से जला द। उसे थाल के बीचो-बीच ऊपर रख। गरम-गरम काला तेल
पानी वाल थाल म गरे गा। य द नजर लगी होगी तो, छन-छन आवाज आएगी, अ यथा नह ं।

८॰ एक नींबू लेकर आठ बार उतार कर काट कर फक द।

९॰ चाकू से जमीन पे एक आकृ त बनाए। फर चाकू से ‘नजर’ वाले यि त पर से एक-एक कर आठ बार उतारता जाए और आठ बार
जमीन पर बनी आकृ त को काटता जाए।
१०॰ गो-मू पानी म मलाकर थोड़ा-थोड़ा पलाए और उसके आस-पास पानी म मलाकर छड़क द। य द नान करना हो तो थोड़ा नान
के पानी म भी डाल द।

११॰ थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मच लेकर, िजसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सर पर सात बार घुमाकर
आग म डाल द। ‘नजर’-दोष होने पर मच जलने क ग ध नह ं आती।

१२॰ पुराने कपड़े क सात चि दयाँ लेकर, सर पर सात बार घुमाकर आग म जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है ।

१३॰ झाडू को चू हे / गैस क आग म जला कर, चू हे / गैस क तरफ पीठ कर के, ब चे क माता इस जलती झाडू को 7 बार इस तरह
पश कराए क आग क तपन ब चे को न लगे। त प चात ् झाडू को अपनी टाग के बीच से नकाल कर बगै र दे खे ह , चू हे क तरफ
फक द। कुछ समय तक झाडू को वह ं पड़ी रहने द। ब चे को लगी नजर दूर हो जायेगी।

१४॰ नमक क डल , काला कोयला, डंडी वाल 7 लाल मच, राई के दाने तथा फटकर क डल को ब चे या बड़े पर से 7 बार उबार कर,
आग म डालने से सबक नजर दूर हो जाती है ।

१५॰ फटकर क डल को, 7 बार ब चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर आग म डालने से नजर तो दरू होती ह है , नजर लगाने वाले क
धुंधल -सी श ल भी फटकर क डल पर आ जाती है ।

१६॰ तेल क ब ती जला कर, ब चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर दोहाई बोलते हुए द वार पर चपका द। य द नजर लगी होगी तो तेल
क ब ती भभक-भभक कर जलेगी। नजर न लगी होने पर शांत हो कर जलेगी।

आप सभी का क याण हो।

जय ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी महाराज को नमो आदे श आदे श।

कसी भी कार क बाधा को दरू करने का शाबर मं


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ॐ गु जी उ ट खोपड़ी फुल कया मसान।
बाँध दे काल भैरव द ग
ु ा माई क आन।
आधी खोपड़ी खाने दे , जा त का मरघ टया मसान।
सुवर को खाने वाला सेवड़ा मनसाराम।
काम दे श का मनसाराम सेवड़ा,
इस घट प ड से पीरो के सांया को,
कामणगार के कामण को,
िज नात शैतान के सांये को।
नह हटाये तो शव शंकर जी लाख लाख आन।
श द साँचा प ड काँचा।
फुरो मं गु गोर नाथ वाचा।
सतनाम आदे श गु का।

इस मं को 108 बार कसी भी अमावशया या पु णमा के दन जाप करने से स हो जाता है । 9 बार जाप करने से सार बाधा दरू होती है
। जाप से पहले गु मं क एक माला और िजनके गु नह ं है वो ॐ नमो शवाय क एक माला जाप करके मं को स कर । अचूक
और पूण लाभकार है ।
जय शं भू-ज त गु गोर नाथ जी महाराज को नमो आदे श आदे श।

आइये जाने मनोकामना पू त के अचूक गु त उपाय(टोने-टोटके)—-


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हर मनु य क कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता दे ते ह तो कुछ नह ं बताते। चाहते सभी ह क कसी
भी तरह उनक मनोकामना पूर हो जाए। ले कन ऐसा हो नह ं पाता। य द आप चाहते ह क आपक सोची हर मुराद पूर हो जाए तो
नीचे लखे योग कर। इन टोटक को करने से आपक हर मनोकामना पूर हो जाएगी।

उपाय—-
1. तुलसी के पौधे को त दन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का द पक
लगाएं।
2. र ववार को पु य न म वेत आक क जड़ लाकर उससे ीगणेश क
तमा बनाएं फर उ ह खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा
चंद न आ द के उनक पूजा कर। त प चात गणेशजी के बीज मं (ऊँ गं)
के अंत म नम: श द जोड़कर 108 बार जप कर।
3. सुबह गौर -शंकर ा शवजी के मं दर म चढ़ाएं।
4. सब
ु ह बेल प ( ब ब) पर सफेद चंदन क बंद लगाकर मनोरथ
बोलकर शव लंग पर अ पत कर।
5. बड़ के प ते पर मनोकामना लखकर बहते जल म वा हत करने से भी
मनोरथ पू त होती है । मनोकामना कसी भी भाषा म लख सकते ह।
6. नए सूती लाल कपड़े म जटावाला ना रयल बांधकर बहते जल म
वा हत करने से भी मनोकामनाएं पूर हो जाती ह।

इन योग को करने से आपक सभी मनोकामनाएं शी ह पू र हो जाएं गी।


इन उपाय से आएगी जीवन म खुशहाल —

सभी चाहते ह क उसके जीवन म खुशहाल रहे और सुख-शां त बनी रहे पर हर यि त के साथ ऐसा नह ं होता। जीवन म सु ख और
शां त का बना रहना काफ मुि कल होता है । ऐसे समय म उसे अपना जीवन नरक लगने लगता है । य द आपके साथ भी यह सम या है
तो आप नीचे लखे साधारण उपाय को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकते ह। यह उपाय इस कार ह-
1. सब
ु ह घर से काम के लए नकलने से पहले नय मत प से गाय को
रोट द।
2. एक पा म जल लेकर उसम कंु कुम डालकर बरगद के व ृ पर
नय मत प से चढ़ाएं।
3. सब
ु ह घर से नकलने से पहले घर के सभी सद य अपने माथे पर च दन
तलक लगाएं।
4. मछ लय क आटे क गोल बनाकर खलाएं ।
5. चीं टय को खोपरे व शकर का बूरा मलाकर खलाएं ।
6. शु क तूर को चमक ले पीले कपड़े म लपेटकर अपनी तजोर म
रख।

इन उपाय को पूण ा के साथ करने से जीवन म समृ ी व खुशहाल आने लगती है ।

गु जी आपक मनोकामना पूण कर, आपका क याण हो

जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

उपाय और टोटके सुखी जीवन के लए


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अपनाएं सुखी रहने के कुछ नु खे
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1. ह प तवार या मंगलवार को सात गाँठ ह द तथा थोड़ा-सा गुड इसके साथ पीतल का एक टु कड़ा इन सबको मलाकर पोटल म
बांध तथा ससुराल क दशा म फक द तो वहां हर कार से शां त व सुख रहता है ।
2. क या अपनी ससुराल म रहते हुए यह कर। मेहँद तथा साबुत उरद िजस दशा म वधु का घर हो, उसी दशा म फकने से वर-वधु म
ेम बढ़ता है ।
3. कसी वशेष काय के लए घर के नकलते समय एक साबु त नीबू लेकर गाय के गोबर म दबा द तथा उसके ऊपर थोड़ा-सा का मया
स दरू छड़क द तथा काय बोलकर चले जाएं तो काय नि चत ह बन जाता है ।
4. सावन के मह ने म जब पहल बरसात हो तो बहते पानी म ववाह करने से दुभा य दूर हो जाता है ।

अ ववा हत व अ धक उ क क या के ववाह के लए
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अगर आपक लडक अ ववा हत है या उसक उ बहुत यादा हो चुक है इसके कारण ववाह होने म कावट आ रह हो तो इसके लए
एक उपाय है : दे वो थान एकादशी कच और दे वयानी क म ी क मू रत बनाकर उन मू तय म ह द , चावल, आते का घोल लगाकर
उनक पूजा करके उ ह एक लकड़ी के फ े से ढक लेते ह. फर उस फ े पर कुमार क या को बठा दया जाता है तो उसका ववाह हो
जाता है ।

राई से कर द र ता नवारण
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पैस का कोइ जग
ु ाड़ न बन रहा हो तथा घर म द र ता का वाश हो तो यह कर: एक पानी भरे घड़े म राई के प ते डालकर इस जल को
अ भमं त करके िजस भी कसी यि त को नान कराया जाएगा उसक द र ता रोग न ट हो जाते ह।

व न म भ व य जान इस तरह भी
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अगर आप व न म भ व य क बात मालूम करना चाहते ह तो जंगल म जाकर िजस वृ पर अमर बेल हो, उसक सात प र मा कर
अमर बे यु त एक लकड़ी को तोड़ लाएं । फर उस लकड़ी को धुप दे कर जला द तथा लता को सरहाने रखकर वचार करते हुए सो जाएं
तो व न म भ व य क बात मालूम हो जाती है ।

पांव को जगाने का टोटका


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बहुधा दे खा गया है क ाणी कह ं दे र तक बैठा हो तो हाथ-पैर सु न हो जाते ह। जो अंग सु न हो गया हो, उस पर उं गल से 27 का अंक
लख द िजये, अंग ठ क हो जाएगा।

मृ यु क आशंका से बचने के उपाय


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1. काले तल और जौ का आटा तेल म गंूथकर एक मोट रोट बनाएं और उसे अ छ तरह सक। गुड को तेल म म त करके िजस
यि त क मरने क आशंका हो, उसके सर पर से 7 बार उतार कर मंगलवार या श नवार को भस को खला द।
2. गुड के गुलगुले सवाएं लेकर 7 बार उतार कर मंग लवार या श नवार व इतवार को चील-कौए को डाल द, रोगी को तुरंत राहत
मलेगी।
3. महामृ युंजय मं का जप कर। ोव, शहद और तल म त कर शवजी को अ पत कर। 'ॐ नमः शवाय' षडा र मं का जप भी
कर, लाभ होगा।

ल मी ाि त के टोटके
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ावण के मह ने म 108 ब व प पर च दन से नमः शवाय लखकर इसी मं का जप करते हुए शवजी को अ पत कर। 31 दन
तक यह योग कर, घर म सुख-शां त एवं स आएगी, रोग, बाधा, मुकदमा आ द म लाभ एवं यापार म ग त होगी व नया
रोजगार मलेगा। यह एक अचूक योग है । भगवान ् को भोग लगाई हुई थाल अं तम आदमी के भोजन करने तक ठाकुरजी के सामने
रखी रहे तो रसोई बीच म ख़ म नह ं होती है ।

बालक क द घायु के लये


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1. बालक को ज म के नाम से मत पुकार।
2. पांच वष तक बालक को कपडे मांगकर ह पहनाएं ।
3. 3 या 5 वष तक सर के बाल न कटाएं।
4. उसके ज म दन पर बालक को द ूध पलाएं।
5. ब चे को कसी क गोद म दे द और यह कहकर चार कर क यह अमुक यि त का लड़का है ।

घर म सुख-शां त के लये
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1. मंगलवार को चना और गुड बंदर को खलाएं ।
2. आठ वष तक के ब च को मीठ गो लयां बाँट।
3. श नवार को गर ब व भखा रय को चना और गुड द अथवा भोजन कराएं।
4. मंगलवार व श नवार को घर म सु दरका ड का पाठ कर या कराएं।

ह के दे वता
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1. सूय के देवता व ण,ु च के दे वता शव, बुध क दे वी दग
ु ा, ह प त के दे वता मा, शु क दे वी ल मी, श न के दे वता शव, राहु
के दे वता सप और केतु के दे वता गणेश। जब भी इन ह का कोप हो तो इन दे वताओं क उपासना करनी चा हए।
2. मनोकामना क पूत हेतु होल के दन से शु करके त दन हनम
ु ान जी को पांच पु प चढाएं, मनोकामना शी पूण होगी।
3. होल क ातः बेलप पर सफ़ेद च दन क बंद लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शव लंग पर स चे मन से अ पत कर। बाद
म सोमवार को कसी मि दर म भोलेनाथ को पंचमेवा क खीर अव य चढाएं, मनोकामना पूर होगी।

दघ
ु टना से बचाव के लये
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हो लका दहन से पव
ू पांच काल गंुजा लेकर होल क पांच प र मा लगाकर अंत म हो लका क ओर पीठ करके पाँच गु जाओं को सर
के ऊपर से पांच बार उतारकर सर के ऊपर से होल म फक द।
होल के दन ातः उठते ह कसी ऐसे यि त से कोई वा तु न ल, िजससे आप वेष रखते ह । सर ढक कर रख। कसी को भी अपना
पहना व या माल नह ं द। इसके अ त र त इस दन श ु या वरोधी से पान, इलायची, ल ग आ द न ल। ये सारे उपाय सावधानी
पूव क कर, द घ
ु टना से बचाव होगा।

महाकाल भैरव महा मं


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साधक म ो म आज आपको एक ऐसा म दे रहा हूँ ..िजसके स करने के बाद असफल कुछ भी नह ं रहता ..साधक म ो ये एक
ऐसा मं है इसे स करने के बाद कुछ भी नह ं शेष रहता ....बस आवशकता है तो क ठन अ यास और एका ता और ढ़ इ छाशि त
के साधना क ....इस मं को स करने के लए आप का दै नक यवहार साि वक न कसी को गलत बोलना न गलत सु ना .और
वषय भोग का याग ..कुछ ह दन म आपको पता चल जायेगा या प रवतन हो रहा है ...! ये सव काय स मं है ..( ये दे हात भाषा
म साबर मं है इसके याकरण को बदलने का यास न करे ) ये मूल भाषा म ह मं है ..!

महाकाल भैरव अमोघ मं माला


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ॐ गु जी काला भै क पला केश ,काना मदरा भगवा भेस मार मार काल पु बरह कोस क मार भूता हाथ कलेजी खह
ु ां गे डया जहाँ
जाऊं भे ं साथ ,बारह कोस क स यावो, चौबीस कोस क स यावो सूती होय तो जगाय यावो बैठा होय तो उं य यावो अनंत
केसर क भार यावो गौरा पारवती क ब छया यावो गे यां कर तान मोह कुवे क प नहार मोह बैठा म नया मोह घर क बैठ
ब नयानी मोह ,राजा क रजवाड मोह ,म हला बैठ रानी मोह, डा कनी को शा कनी को भू तनी को प लतनी को ओपर को पराई को, लाग
कंू लापत कंू ,धूम कू, ध का कंू , प लया कूं, चौड कंू चौगट कंू , काचा कुण, कालवा कं ू भूत कं ू पा लत कं ू िजन कं ू , रा स कं ू ,बै रयो से बर
करदे ,नजरा जड़ दे ताला ..इ ता भैरव नह ं करे तो .. पता महादे व क जाता तोड़ तागड़ी करे माता पावती का चीर फाड़ लंगोट करे ..चल
डा कनी शा कनी ..चौडूं मैल ा बकरा दे युं मद क धार भर सभा म यूं आने म कहाँ लगा बार ,ख पर म खाय मसान म लोटे ऐसे काल
भे क कुन पूजा मटे राजा मटे राज से जाय जा मटे दध
ू पूत से जाये जोगी मटे यान से जाये ..श द साँचा ह वाचा चलो म
इ वरो वाचा ...!
व ध :- इस म क साधना शु करने से पहले इक तीस दन पहले ह चय का पालन और साि वकता बरते फर अनु टान का ारंभ
करे ..इस साधना को घर म न करे ..ये साधना रा काल न साधना है ..इसेकृ ण प के श नवार से आरं भ करनी है ..एक कोनी काला
प थर ले कर उसे व छ पानी से धोकर उस पर स दरू और तील के तेल से लेपन कर ले ..प चात ् पान का बीड़ा, लेव,े सात लॉ ग का
जोड़ा धर. लोबान धुप और सरस के तेल का दया जल लेवे चमेल के फूल रख लेवे पूजा के समय ... फर एक ीफल क ब ल दे कर
...गु पूजन करके गणेश पूजन कर .बाबा महाकाल या न ( महादे व से मं स के लए आशीवाद मांगे ) और अनु ठान आर भ करे
..इकताल स दन तक न य इकताल स पाठ इस मं क करे .....हर रॊज जप समाि त पर एक वशेष साम ी से हवंन करले ये हवंन
रोज म समाि त के बाद करना है . .( साम ी है कपूर केशर लवंग )
थम दन और अं तम दन भोग के लए ..उड़द के पकोड़े और बेसन के ल डू भोग म रख लेवे ..द ध
ू और थोडा सा गुड भी रख लेवे
..इनका शाद गर बो म बाट दे वे ....सातवे दन से ह आपको अनुभव होने लगेगा क आप के सामने कोई खड़ा है .....भैरवजी का प
डरावना है इस लए सावधान ..क जोर दल वाले इस साधना को न करे ..अं तम दन भैरवजी गट हो जायगे ...उनसे फर आप मनचाहा
.वर मांगले

पत ृ दोष के साधारण उपाए


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हमारे जीवन म हर चीज़ का बहुत मह व होता है ! इसी कम म आते है ! हमारे पत ृ , पतरो को दे वता तु य माना गया है ! हमारे पूवज
ह हमारे पत ृ होते है ! हमारे पूवज क आ माओ म कुछ ऐसी, आ माये होती ह , िजनको कसी न कसी वजह से शां त नह ं मल
पाती ! मृ यु के बाद भी , उनका नेह अपने प रवार के साथ जड़
ु ा रहता है ! और जब हम, उनक आ मा क शां त के लए कोई उपाए
नह ं करते तो ! वो आ माये हमको वो काय याद दलाने के लए ! मु ि कल उ प न करती रहती है ! िजनमे से मु य है !

१. शार रक कोई परेशानी न होते हुए भी , संतान का न होना !


२. बार-बार गभ का गर जाना ! या स तान उ पन करने म परे शानी !
३. हर काम म मुि कल का सामना करना !
४. घर म हर व त, कलह का होते रहना !
५. कसी क या या लड़के क शाद म बार-बार अड़चन आना !
६. बुरे व न जादा आना !
७. समाज म मान-स मान क कमी !

वैसे तो और भी परे शानी हो सकती है ! मगर ये मु य प से दे खने को मलती है ! आज कल बहुत यादा लोग पत ृ दोष से पी ड़त
मलते है ! य क आज के बदलते, माहौल क वजह से हम अपने बड़ का आदर-स मान करना भू ल है ! य द आपको भी इनम से कसी
परे शानी का सामना बार-बार करना पड़ता है तो कसी व वान से, पत ृ दोष के बारे म दखावा लेना चा हए ! य द आपको इनम से कोई
परे शानी है ! तो आप यहाँ दए गए, उपाए भी कर सकते है ! ये उपाए बहुत ह स ते और सरल है ! ले कन इनका भाव बहुत होता है !
बस आपको ा और नयम के साथ ये उपाए करने है !

१. अपने बढ़ो का आदर-स मान करना सीखो !


२. कभी कसी का दल न द ख
ु ाओ !
३. कसी ओरत को गलत नज़र से न दे खो !
४. घर क द ण द वार पर , अपने पूवज क त वीर लगा कर ! उनको हर रोज़ णाम करो !
५.अपने वग य प रजन क नवाण त थ पर ज रतमंद अथवा गु णी ा मण को भोजन कराए। भोजन म मत
ृ ा मा क कम से कम
एक पसंद क व तु अव य बनाएं।
६. गम म पानी का नल लगवाये ! राहगीर को शीतल जल पलाने से भी पतद
ृ ोष से छुटकारा मलता है ।
७. कंु डल म पतद
ृ ोष होने से कसी गर ब क या का ववाह या उसक बीमार म सहायता करने पर भी लाभ मलता है ।
८. त दन इ ट दे वता व कुल दे वता क पूजा करने से भी पत ृ दोष का शमन होता है ।
९. पीपल के व ृ पर दोपहर म जल, पु प, अ त, दध
ू , गंगाजल, काले तल चढ़ाएं और वग य प रजन का मरण कर उनसे
आशीवादले !
१०. हर अमाव या को कसी बबूल के पेड़ पर . याम के व त रोट पर कुछ मीठा रख कर, पेड़ पर रोट रख आय !
नोट- अपने बड़ो का आदर- स मान करने से ह , जीवन क बहुत सी मुि कल आसन हो जाती है ! इस लए सदा उनका स मान करना
चा हए !

आपका क याण हो
जय ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

पतर क कृपा पाने के लए के लए शाबर मं


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अपने पतर क कृपा पाने के लए अ य तत
ृ ीया के दन यह योग कर सभी के काम बनगे घर म य द कोई बीमार हो बहुत साल से
नह ं पीछा छोड़ रह हो तो यह योग करने से कैसे नजात मलती है ।

अपने पूव जो के नाम स त अनाज आटे के प ड बनाकर उतने क घी योत लगाये, पूजन करे , मटट के मटके म गंगा जल पंचामत

स मुख रखे।

इस म का १५१ बार जप करे और शंख वारा प डो को ५-५ बार जल चढ़ाये। उ ह खीर, हलवा, पुर इ याद पंच पकवान का भोग
लगाये, यजमान या साधू को भोग साद दे वे, व दान करे , पत ृ घर, मकान को छोड़कर मुि त को जायगे तथा पतर क कृपा ि ट
सदै व अपने पर बनी रहेगी।

म -
सत नमो आदे श | गु जी को आदे श | ॐ गु जी
ॐ स ह का सकल पसारा, अ य योगी सबसे यारा
स ांला तोड़ चौदह चौक यम क तोड़ हंसा याऊ
मोड़ हं सा तो ला कहा धरे अलष पु ष क सीम,
हं स तो नभय भया काल गया सर फोड़
नराकार के जोत मे रती न ख डी-ख डी हो,
कौन कौन साधू भया हा- व ण-ु महेश,
वे साधू ऐसे भये यम ने पकडे केश,
मो गाय ी जाप स पूण भया, ी माँ कामा या आदे श।
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श।
नरशंु य से आया बाबा शंु य शंु य मेरा काम..।
अलख नरं जन मेरा धाम
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श आदे श।

जय ी शंभू-य त गु गौर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

आपका क याण हो और आपक मनोकामना पूण हो॥

प त प नी के आपसी र ते कड़वाहट म बदल जाते है !


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कई बार पु ष पराई ी के चंगुल म फंस जाते है और अपनी प नी ब चो तक को भूल जाते है ! इसी कार ि याँ भी अपने प त को
भूल पर-पु ष के जाल म फंस जाती है ! केवल प त प नी ह नह ं पता पु के र ते म भी व वेषण आ द तां क योग वारा
कडवाहट पैदा हो जाती है ! ऐसे म वशीकरण मं ह इस कडवाहट को ख म करने का सबसे सरल उपाएँ है ! तत
ु मं वारा
आप अपनी इस कार क सभी सम याओं का नवारण कर सकते है ! इतना ह नह ं इस मं वारा आप अपने मा लक का वशीकरण
कर सकते है और नौकर का भी ! इसके अलावा ेमी े मका और सगे स बि धय का वशीकरण कर उनसे इि छत काय करवाया जा
सकता है ! हम यहाँ वशीकरण से स बं धत एक सरल योग दे रहे है ता क आपको यह ना लगे क हम जानबूझकर क ठन योग दे ते है
िजसका आम आदमी योग भी ना कर पाय !
|| मं ||

सत नमो आदे श ! गु जी को आदे श ! ॐ गु जी !


ॐ कौल आई मात क ल जे दो कर जोड़
आगे पांच महे वर पीछे दे वी दे वता तैतीस को ट
करे कौल मुखे बाला दय जपो तपो ी सुंद र बाला
ॐ कौल आवे कौल जावे कौल गत गंगा म समावे
सगुरा होके कौल चेते इको तर सौ पु षा ले उतरे पार,
नगुरा होके कौल चेत े गत गंगा के भार
आई लेजा बरसे धत नपजे आकाश
सांधा पार जुठ आद शि त महामाई !
ी नाथजी गु जी को आदे श ! आदे श ! आदे श।

व ध : हण काल म १०८ (108 एक माला) बार जप करे ! लाल मूँगे या ा क माला का योग कर। ऐसा करने पर मं स हो
जायेगा !

योग व ध : इस मं को २१ बार पढ़कर कसी भी व तु को अ भमं त करे और इि छत यि त को खला दे ! आपका काय स हो


जायेगा।

जय ी बाला सुंद र माई को नमो आदे श आदे श।


जय ी शंभू-य त गु गोर नाथ जी को नमो आदे श आदे श।

आप सबका क याण हो

ी नव हो का मं
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सम त जीव-जगत ् पर सौर-मंडल के नव ह का भाव त ण पड़ता रहता है । मानव के जीवन म जो भी प रि थ तयां और
घटनाओं आती है , उनके मूल म नव ह क ि थ त होती है । खगोल- व ान के मतानुसार उन सभी ह क करण यि त को
भा वत करती है । पौरा णक और यो तषीय-मा यता के अनुसार ह व तुतः दै वी-शि तय से स प न है । अतः उनके भौ तक प
से साम ज य के लये र न-धारण और दै वक- प से अनुकूलन के लये मं जाप करना चा हये । य नव- ह का पूजन- वधान
शा ीय प से बहुत व तार से व णत है , पर वह सामा य-जन के लए सहज सा य नह ं है । अतः यहाँ मा ा को अवल ब बना
कर, कुछ ऐसे सरल वधान दये जा रहे है , ऐसे मं लखे जा रहे है , िजनके नय मत-जप से बहुत लाभ होता है । लाख आ थावान ्
आज भी इन मं ो के जप वारा अपने ह क कृपा ा त कर रह है ।

ी सूय दे वता का मं
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शार रक ौज, तेज, यश, काि त, व या, स प त-वैभव, सौभा य, वाक् - स तथा ने क यो त बढाने म सू ्यदे वता क कृपा परम
सहायक होती है । यह नह , भौ तक-जीवन क सम त समृ -- अ न, धन, पश,ु कृ ष, पु , प नी, पुरजन-प रजन आद से स प न
रखने मे भी भगवान भा कर क कृपा का वषेश मह व है । य द कोई यि त न य ातःकाल भगवान भा कर को अ य दे कर ईस
मं क ऐक माला जपता रहे, तो उसक दै नक-चया बहुत ह आन द द, नरापद और समृ कार रहेगी । कुल जप 10000 होना
चा हए ।
मं
ऊँ ं घृ णः सूयआ द य ीं
ऊँ ां ं सः सूयाय नमः
ऊँ नमः भवे भा कराय अ माकं (....नाम...) सव हणं पीडा नाशनं कु क वाहा ।

ीच दे व का मं
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िजस यि त क कंु डल म च दे व क ि थ त क ट द हो, उसे इस मं का जप (28 हजार) करना चा हये
स सोमाय नमः
ऊँ ां ीं ू ँ सः च ाय नमः ।

ी मंगल मं
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मंगल- ह-ज नत पीड़ा से ाण पाने के लए मंगल का मं (18000) जपने से क ट दरू हो जाता है ।
मं
ऊँ हा्ं ं सः खं खः
ऊँ ां ं ूँ सः भोमाय नमः ।

ी बुध मं
-------------
बौ क शि त के संतु न और स ब न म बुघ ह का मह वपूण योग रहता है । उनक कृपा पाने के लए मं का 18000 जाप
लाभ द होता है ।
मं
ऊँ ां ीं सः बुधाय नमः ।

ी बह
ृ प त मं
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संतान-सुख, ान, त ठा के लए गु दे व क कृपा ईस मं वारा 36000 जाप कर अिजत क जा सकती है ।
ऊँ बं ृ बह
ृ पतये नमः
ऊँ ां ीं सः गु वे नमः ।

ी शु मं
---------------
कला, श प-सौ दय, बौ क-समृ , भाव, ान, राजनी त, समाज- े और मान- त ठा -- यह सभी भौ तक- वधान शु दे वता
क कृपा से 20000 जाप करके पाया जा सकता है ।
ऊँ ां ं सः शु ाय नमः ।
ऊँ व ं मे दे ह शु ाय वाहा ।

ी श न मं
--------------
श न दे वता का कोप व व- व दत है । सामा य दे वता ह नह , बि क इ राज भी उनसे भयभीत रहते है । य द श नदे व कृपालु हो
जाये तो व व क सम त सख
ु -स पदा भ त को दान कर सकते है । य प ऐसा कम ह होता है , तो भी 10000 मं जप के वारा
उनक तकुलता शा त हो जाती है ।
ऊँ शं शनै चराय नमः
ऊँ ां ीं सः शनै चराय नमः ।

राहु मं
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21000 जाप शु वार के दन वरोधी-ग त को शा त करने हे तु
ऊँ ां ीं सः राहवे नमः ।

केतु मं
------------
20000 जाप शु वार के दन वरोधी-ग त को शा त करने हे तु
ऊँ ां ीं सः केतवे नमः
उपाय-टोटके ह थ जीवन के लए
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अपने घर-गह
ृ थी को बनाएं सुखी
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अ सर हम ग ह
ृ थ जीवन म दे खते ह तो गह
ृ थ का सामान टू ट-फूट जाता है या सामान चोर हो जाता है । जो भी आता है असमय ह
ख़ म हो जाता है । रसोई म बरकत नह ं रहती है तो ऐसी ि याँ भोजन बनाने के बाद शेष अि न को न बुझाएं और जब सब जलकर
राख हो जाए तो राख को गोबर म मलाकर रसोई को ल प द। फश हो तो उस राख को पानी म घोलकर उसी पानी से फश डाल। यह
या कई बार कर। घर-गह
ृ थी का छोटा-मोटा सामान, गलास, कटोर , च मच आ द सदै व बने रहगे ।
इ छा के व काय करना पड़ रहा हो तो
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अगर आपको कसी कारणवश कोइ काय अपनी इ छा के वपर त करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाल ल ग एक साथ
जलाकर दो-तीन दन म थोड़ी-थोड़ी खा ल। आपक इ छा के वपर त काय होना बंद हो जाएगा।

दा प य जीवन से झगड़े द रू कर ऐसे


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अगर आपका दा प य जीवन अशांत है तो आप रा ी म शय न करते समय प नी अपने पलंग पर देशी कपूर तथा प त के पलंग पर
का मया स द रू रख. ातः सूयदे के समय प त दे शी कपूर को जला द और प नी स द रू को भवन म छटका द। इस टोटके से कुछ ह
दन म कलह समा त हो जाती है।

भा योदय करने के लए कर यह उपाय


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अपने सोए भा य को जगाने के लए आप ात सुबह उठकर जो भी वर चल रहा हो, वह हाथ दे खकर तीन बार चूम, त प चात वह
पांव धरती पर रख और वह कदम आगे बाधाएं। ऐसा न य- त दन करने से नि चत प से भा योदय होगा।

वचा रोग होने पर यह कर


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वचा संबंधी रोग केतु के द ु भाव से बढ़ते ह। य द वचा संबंधी घाव ठ क न हो रहा हो तो सायंकाल म ी के नए पा म पानी रखकर
उसम सोने क अंगूठ या एनी कोइ आभूषण दाल द। कुछ दे र बाद उसी पानी से घाव को धोने के बाद अंगूठ नकालकर रख ल तथा
पाने कसी चौराहे पर फक आएं । ऐसा तीन दन कर तो रोग शी ठ क हो जाएगा।

मंद से छुटकारा पाएं ऐसे


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अगर आपके यापार म मंद आ गयी है या नौकर म मंद आ गयी है तो यह कर। कसी साफ़ शीशी म सरस का तेल भरकर उस शीशी
को कसी तालाब या बहती नद के जल म डाल द। शी ह मंद का असर जाता रहेगा और आपके यापार म जान आ जाएगी।

भय को द ूर कर ऐसे
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अगर आपको बना कारण भय रहता हो या सांप- ब छू या व य पशुओं का भय रहता हो तो यह कर : बांस क जड़ जलाकर उसे कान
पर धारण करने से भय मट जाता है । नगु डी क जड़ अथवा मोर पंख घर म रख दे ने से सप कभी भी घर म वेश नह ं करता। र व-
पु य योग म ा त सफ़ेद चादर क जड़ लाकर दा भुजा पर बाँधने से व य पशुओं का भय नह ं रहता है साथ ह अि न भय से भी
छुटकारा मल जाता है। केवड़े क जड़ कान पर धारण करने से श ु भय मट जाता है।

अगर आपके प रवार म कोई रोग त हो तो यह कर


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अगर वा य म सुधर न होता हो तो यह उपाय कर: एक दे शी अखं डत पान, गुलाब का फूल और कुछ बताशे रोगी के ऊपर से 31 बार
उतार तथा अंतोक चौराहे पर रख द। इसके भाव से रोगी क दशा म शी ता से सुधार होगा।

पा रवा रक सुख-शां त के लए
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अगर आपके प रवार म अशां त रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो त दन थम रोट के चार भाग कर, िजसका एक गाय को,
दस
ू रा काले कु ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टु कड़ा कसी चौराहे पर रखवा द तो इसके भाव से सम त दोष समा त होकर
प रवार क शां त तथा स बढ़ जाती है ।

अपनाएं सुखी रहने के कुछ नु खे


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1. ह प तवार या मंगलवार को सात गाँठ ह द तथा थोड़ा-सा गुड
इसके साथ पीतल का एक टु कड़ा इन सबको मलाकर पोटल म
बांध तथा ससुराल क दशा म फक द तो वहां हर कार से शां त व
सुख रहता है ।
2. क या अपनी ससुराल म रहते हुए यह कर। मेहँद तथा साबुत उरद
िजस दशा म वधु का घर हो, उसी दशा म फकने से वर-वधु म ेम
बढ़ता है।
3. कसी वशेष काय के लए घर के नकलते समय एक साबु त नीबू
लेकर गाय के गोबर म दबा द तथा उसके ऊपर थोड़ा-सा का मया
स दरू छड़क द तथा काय बोलकर चले जाएं तो काय नि चत ह
बन जाता है ।
4. सावन के मह ने म जब पहल बरसात हो तो बहते पानी म ववाह
करने से दभ
ु ा य दरू हो जाता है ।

दस महा व या के शाबर म :
====================
सत नमो आदे श । गु जी को आदे श । ॐ गु जी ।
ॐ सोऽहं स क काया, तीसरा ने कुट ठहराया । गगण म डल म अनहद बाजा।
वहाँ दे खा शवजी बैठा, गु हुकम से भतर बैठा, शु य म यान गोरख दठा।
यह यान तपे महेशा, यह यान माजी ला या, यह यान व णु क माया।
ॐ कैलाश ग र से आई पावती दे वी, जाकै स मुख बैठे गोर योगी
दे वी ने जब कया आदे श । नह ं लया आदे श, नह ं दया उपदे श ।
सती मन म ोध समाई, दे खु गोरख अपने माह ,
नौ दरवाजे खुले कपाट, दशवे वारे अि न जाले, जलने लगी तो पार पछताई।
राखी राखी गोरख राखी, म हूँ तेर चेल , संसार सृि ट क हूँ म माई ।
कहो शव-शंकर वामीजी, गोरख योगी कौन है दठा ।
यह तो योगी सबम वरला, तसका कौन वचार ।
हम नह ं जानत, अपनी करणी आप ह जानी । गोरख दे खे स य क ि ट।
ि ट दे ख कर मन भया उनमन, तब गोरख कल बच कहाया ।
हम तो योगी गु मुख बोल , स का मम न जाने कोई ।
कहो पावती दे वीजी अपनी शि त कौन-कौन समाई।
तब सती ने शि त क खेल दखाई, दश महा व या क गटल यो त।

थम यो त महाकाल गटल
=====================
ॐ नरं जन नराकार अवगत पु ष तत-सार, तत-सार म ये योत, योत म ये परम- योत, परम- योत म ये उ प न भई माता
श भु शवानी काल ॐ काल काल महाकाल , कृ ण वण , शव वा हनी, क पोषणी, हाथ ख पर खडग धार , गले मु डमाला हंस
मुखी । िज वा वाला द त काल । म यमांस कार मशान क राणी । मांस खाये र त पीवे । भ म ती माई जहां पाई तहां लगाई।
सत क नाती धम क बेट इ क साल काल क काल जोग क जोगन, नाग क नागन मन माने तो संग रमाई नह ं तो मशान
फरे अकेल चार वीर अ ट भैर , घोर काल अघोर काल अजर बजर अमर काल भख जन
ू नभय काल बला भख, द ु ट को भख, काल
भख पापी पाख डी को भख जती सती को रख, ॐ काल तुम बाला ना वृ ा, दे व ना दानव, नर ना नार दे वीजी तुम तो हो पर मा
काल ।

मं : ं ं ं हूं हूं ं ंद णे का लके ं ं हूं हूं ं ं वाहा ।

वतीय यो त तारा कुटा तोतला गटल


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ॐ आ द योग अना द माया जहाँ पर मा ड उ प न भया । मा ड समाया आकाश म डल तारा कुटा तोतला माता तीन बसै
म काप ल, जहाँ पर मा- व ण-ु महेश उ पि त, सूरज मुख तपे चंद मुख अ मरस पीवे, अि न मुख जले, आद कं ु वार हाथ ख ग
गल मु ड माल, मुद ा मार ऊपर खड़ी दे वी तारा । नील काया पील जटा, काल द त म िज वा दबाया । घोर तारा अघोर तारा, दध
ू पूत
का भ डार भरा । पंच मुख करे हां हां ऽऽकारा, डा कनी शा कनी भू त प लता सौ सौ कोस दूर भगाया । च डी तारा फरे मा डी तुम
तो ह तीन लोक क जननी ।

मं - ॐ ं ीं फ ,
ॐ ऐं ं ीं हूँ फ ।

तत
ृ ीय यो त पुर सु दर गटल
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ॐ नर जन नराकार अवधू मूल वार म ब ध लगाई पवन पलटे गगन समाई, यो त म ये योत ले ि थर हो भई ॐ म याः
उ प न भई उ पुरा सु दर शि त आवो शवधर बैठो, मन उनमन, बुध स च त म भया नाद । तीन एक पुर सु दर भया
काश । हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । ने ा अभय मु ा योग भोग क मो दा यनी । इडा पंगला सुष ना दे वी नागन जोगन
पुर सु दर । उ बाला, बाला तीन मपुर म भया उिजयाला । योगी के घर जोगन बाला, मा व णु शव क माता ।

मं - ीं ं ल ं ऐं सौः ॐ ं ीं कएईल ं हसकहल ं सकल ं सोः ऐं ल ं ं ीं ।

चतुथ यो त भुवने वर गटल


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ॐ आ द यो त अना द योत योत म ये परम योत परम यो त म ये शव गाय ी भई उ प न, ॐ ातः समय उ प न भई दे वी
भुवने वर । बाला सु दर कर धर वर पाशांकुश अ नपूण द ध
ू पूत बल दे बालका ऋ स भ डार भरे , बालकाना बल दे जोगी को
अमर काया । चौदह भुव न का राजपाट संभाला कटे रोग योगी का, दु ट को मु ट, काल क टक मार । योगी बनख ड वासा, सदा संग
रहे भुवने वर माता ।

मं - ं

प चम यो त छ नम ता गटल
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सत का धम सत क काया, म अि न म योग जमाया । काया तपाये जोगी ( शव गोरख) बैठा, नाभ कमल पर छ नम ता, च द
सूर म उपजी सु मनी दे वी, कुट महल म फरे बाला सु दर , तन का मु डा हाथ म ल हा, दा हने हाथ म ख पर धाया । पी पी पीवे
र त, बरसे कुट म तक पर अि न जाल , वेत वण मु त केशा कैची धार । दे वी उमा क शि त छाया, लयी खाये सिृ ट सार ।
च डी, च डी फरे मा डी भख भख बाला भख द ु ट को मु ट जती, सती को रख, योगी घर जोगन बैठ , ी श भुजती गु
गोरखनाथजी ने भाखी । छ नम ता जपो जाप, पाप क ट ते आपो आप, जो जोगी करे सु मरण पाप पु य से यारा रहे । काल ना
खाये ।

मं : ीं ल ं ं ऐं व वै रोचनीये हूं हूं फ वाहा।

ष टम यो त भैरवी गटल
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ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन ने तारा कुटा, गले म माला मु डन क । अभय मु ा पीये धर नाशव ती !
काला ख पर हाथ खंजर कालापीर धम धूप खेव ते वासना गई सातव पाताल, सातव पाताल म ये परम-त व परम-त व म जोत,
जोत म परम जोत, परम जोत म भई उ प न काल-भैरवी, पुर- भैरवी, समपत- दा-भैरवी, कौलेश- भैरवी, स ा-भैरवी, व वं शनी-
भैरवी, चैत य-भैरवी, कमे वर -भैरवी, षटकुटा-भैरवी, न या-भैरवी, जपा-अजपा गोर जप ती यह म म ये नाथजी को सदा
शव ने कहायी । ऋ फूरो स फूरो सत ीश भज
ु ती गु गोरखनाथजी अन त कोट स ा ले उतरे गी काल के पार, भैरवी भैरवी खड़ी
िजन शीश पर, द रू हटे काल जंजाल भैरवी म बैकु ठ वासा । अमर लोक म हुवा नवासा ।

मं ; ॐ स ं ौः

स तम यो त धूमावती गटल
====================
ॐ पाताल नरं जन नराकार, आकाश म डल धु धुकार, आकाश दशा से कौन आये, कौन रथ कौन असवार, आकाश दशा से
धूमाव ती आई, काक वजा का रथ अ वार आई थरै आकाश, वधवा प ल बे हाथ, ल बी नाक कु टल ने द ु टा वभाव, डम बाजे
भ काल , लेश कलह कालरा । डंका डंकनी काल कट कटा हा य कर । जीव र ते जीव भ ते जाजा जीया आकाश तेरा होये ।
धूमाव तीपुर म वास, न होती देवी न देव तहा न होती पू जा न पाती तहा न होती जात न जाती तब आये ीश भुजती गु गोरखनाथ
आप भयी अतीत ।

मं : ॐ धूं धूं धूमावती वाहा ।

अ टम यो त बगलामुखी गटल
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ॐ सौ सौ सुता समु दर टापू, टापू म थापा संहासन पीला । संहासन पीले ऊपर कौन बसे । संहासन पीला ऊपर बगलामुखी बसे,
बगलामुखी के कौन संगी कौन साथी । क ची-ब ची-काक-कू तया- वान- च ड़या, ॐ बगला बाला हाथ मु -गर मार, श ु दय पर
सवार तसक िज वा ख चै बाला । बगलामुखी मरणी करणी उ चाटण धरणी, अन त कोट स ने मानी ॐ बगलामुखी रमे
मा डी म डे च दसुर फरे ख डे ख डे । बाला बगलामुखी नमो नम कार ।

मं : ॐ ल ं मा ाय व हे त भन-बाणाय धीम ह त नो बगला चोदयात ् ।

नवम यो त मातंगी गटल


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ॐ शू य शू य महाशू य, महाशू य म ओंकार, ओंकार मे शि त, शि त अप ते उहज आपो आपना, सुभय म धाम कमल म व ाम,
आसन बैठ , संहासन बैठ पूजा पूजो मातंगी बाला, शीश पर श श अमीरस याला हाथ ख ग नील काया। ब ला पर अ वार उ
उ म त मु ाधार , उद गु गल पाण सुप ार , खीरे खा डे म य मांसे घत
ृ कु डे सवागधार । बँद
ू मा ेन कडवा याला, मातंगी माता
त ृ य ते त ृ य ते। ॐ मातंगी, सुंद र , पव ती, धनव ती, धनदाती, अ नपूण , अ नदाती, मातंगी जाप म जपे काल का तुम काल
को खाये । तसक र ा श भुजती गु गोरखनाथजी करे ।

मं : ॐ ं ल ं हूं मातं यै फ वाहा ।

दसवीं यो त कमला गटल


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ॐ अयो न शंकर ॐकार प, कमला दे वी सती पावती का व प । हाथ म सोने का कलश, मुख से अभय मु ा । वेत वण सेवा पूजा
करे , नारद इ ा । दे वी दे व या ने कया जय ॐकार। कमला दे वी पू जो केशर, पान, सुपार , चकमक चीनी फतर तल गु गल सह
कमल का कया हवन । कहे गोरख, म जपो जाप जपो ऋ -स क पहचान गंगा गौरजा पावती जान । िजसक तीन लोक म
भया मान । कमला दे वी के चरण कमल को आदे श ।

मं : ॐ ं ल ं कमला दे वी फ वाहा ।

सुनो पावती हम म ये पूता, आ दनाथ नाती, हम शव व प उलट थापना थापी योगी का योग, दस व या शि त जानो, िजसका
भेद शव शंकर ह पायो । स योग मम जो जाने वरला तसको स न भयी महाका लका । योगी योग न य करे ातः उसे वरद
भुवने वर माता । स ासन स , भया मशानी तसके संग बैठ बगलामुखी । जोगी खड दशन को
कर जानी, खुल गया ताला मा ड भैरवी । नाभी थाने उडी यान बांधी मनीपुर च म बैठ , छ नम ता रानी । ॐकार यान
ला या कुट , गट तारा बाला सु दर । पाताल जोगन (कं ु ड लनी) गगन को चढ़ , जहां पर बैठ पुर सु दर । आलस मोड़े, न ा
तोड़े तसक र ा दे वी धूमाव ती कर । हंसा जाये दसव वारे दे वी मातंगी का आवागमन खोजे । जो कमला दे वी क धूनी चेताये
तसक ऋ स से भ डार भरे । जो दस व या का सु मरण करे । पाप पु य से यारा रहे । योग अ यास से भये स ा आवागमन
नवरते । म पढ़े सो नर अमर लोक म जाये । इतना दस महा व या म जाप स पूण भया । अन त कोट स म, गोदावर
य बक े अनुपान शला, अचलगढ़ पवत पर बैठ ीश भुजती गु गोरखनाथजी ने पढ़ कथ कर सुनाया ीनाथजी गु जी को
आदे श । आदे श ।।

ये दस महा व याओं के शाबर मं दे रहे है जो सव पाप-ताप को हरने क मता रखते है । नीचे द गई फोटो के सामने घी या तल के
तेल का द पक जला कर आप इसका एक पाठ रोज 41 दन तक करने से लाभ मलेगा। सूखे म टान (ल डू-बफ ) या मेवा का भोग
साद माता को अपण कर । इस पाठ के बाद गु गोर नाथ जी क गाय ी का जाप कर । आपका समाधान ज र होगा ।
ॐ शव गोर
ी शंभू य त गु गोर नाथ जी क जय

श न जयंत ी और जये ठ अमाव या


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25-05-2017 वार ग ु वार श न जयंती और जये ठ अमाव या दोन एक ह दन मे पड़ रहे है । आप लोग जो कसी न कसी क ट मे घरे है उनके लए हम
छोट सी व ध बता रहे है िजसके करने से आप सभी अपने क ट से छुटकारा पा सक गे ।

आप कसी भी श न मं दर मे जाकर श न के ऊपर सरस के तेल से अ भषेक कर और मौल (लाल धागा जो हाथ मे कलावे के प मे बांधते है ) अपने सर से
पाव के माप का लेक र उसमे एक आम का प ता बांध कर अपने ऊपर से वार कर कसी नद या सरोवर मे वा हत कर द ।

श न मं दर मे 7 माला जाप ा क माला से न न ल खत मं का जाप कर : -

"ॐ श शनै चराय नम:" ("OM SH SANSHCHRAYE NAMAH")

आपक सार वपदाएं दरू ह गी और आपके पास धन-आगमन का ोत बनेगा । कृपा जाप के समय यान केवल जाप मे ह लगाए ता क आपको उसका पण

लाभ मल सके ।

जय ी श ननाथ महाराज को आदे श आदेश


जय ी शंभ-ू ज त गु गोर नाथ जी महाराज को आदेश आदेश

आप सबका क याण हो एवं आप सब सख


ु ी और सम
ु ृ हो यह कामना श न जयंत ी के दन करते है ।

नौ नाथ का शाबर मं
------------------------
ॐ गु जी

ओंकार आ दनाथ ओंकार यो त व प बो लए ।


उदयनाथ पावती धरती व प बो लए ।
स यनाथ हमा जी जल व प बो लए ।
संतोषनाथ व णु जी ख ड-खांडा तेज व प बो लए ।
अचल अचंभे नाथ जी शेष / वायु व प बो लए ।
गजबेल गज कंथड नाथ गणेश जी गजहि त व प बो लए ।
ान पारखी स चौरं गी नाथ जी चं मा/ अठारह भार वन प त व प बो लए । माया व पी दादा मछे दर नाथ जी माया व प
बो लए ।
घटे - पंड े नव- नरं तरे स पूण र ा कर ते शंभू य त गु गौर नाथ जी शव बाल व प बो लए ।
ी नाथ जी गु जी को आदे श आदे श ।

उपरो त मं का जाप ा क माला से एक माला नरं तर जाप करने से सभी क टो का शमन होता है और सारे बगड़े काय बनाने
लगते है । कृपा करके सुब ह हम महूरत मे उपरो त मं का जाप करे ।
ी नव नाथ गाय ी और मं
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( 1) ओकार आ दनाथ जी क गाय ी –

ऊँ ी एँ आ दनाथाय व हे ओकार व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ओकार आ दनाथाय नम:

( 2 ) उदयनाथ ( पावती व पा ) का गाय ी –

ऊँ ी ऊँ उदयनाथाय व हे धरती व पाय धीम ह त नो पराशि त चोदयात

मं - ऊँ ी उदयनाथाय नम:

( 3 ) स यनाथ ( हमा व पा ) का गाय ी –

ऊँ ी सँ स यनाथाय व हे हमा व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी स यनाथाय नम:

( 4 ) संतोषनाथ ( व णु व पा ) क गाय ी –

ऊँ ी सँ संतोषनाथाय व हे व णु व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी संतोषनाथाय नम:

( 5 ) अचल अच भनाथ (आकश/शेष व पा) क गाय ी –

ऊँ ी एँ अच भनाथाय व हे शेष व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी अचल अच भनाथाय नम:

( 6 ) गजबे ल गजकंथडनाथ ( गजह ती व पा) क गाय ी –

ऊँ ी गँ गजकंथडनाथाय व हे गणेश व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी गजबे ल गजकंथडनाथाय नम:

( 7 ) स चौरं गीनाथ ( चं /वन प त व पा) क गाय ी –

ऊँ ी च चौरंगीनाथाय व हे चं व पाय धीम ह त नो नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी स योगी चौरं गीनाथाय नम:

( 8 ) दादा गु म य नाथ ( माया व पा) क गाय ी –

ऊँ ी मँ म य नाथाय व हे माया व पाय धीम ह त नो नरं जनः


चोदयात

मं - ऊँ ी स योगी म य नाथाय नम:

( 9 ) गु गोर नाथ ( शव व पा ) क गाय ी –

ऊँ ी ग गोर नाथाय व हे शु य पु ाय व पाय धीम ह त नो गोर नरं जनः चोदयात

मं - ऊँ ी ग हुँ फट वाहा
ऊँ ी ग गोर हुँ फट वाहा
ऊँ ी ग गोर नरं जना मने हुँ फट वाहा
ऊँ शव गोर नाथाय नम:
ऊँ शव गोर योगी

सभी पाठक से अनुरोध है क उपरो त गाय ीय का पाठ कर अपने जीवन मे आए क ट से छुटकारा पाएँ
गु गोर नाथ जी के वादश नाम जाप
========================
ॐ गु जी
ी शंभुजती गु गोर नाथ जी के वादश नाम तै कौन-कौन बो लए ।
ॐ गु जी
थमे ी नरं जननाथ जी,
वतीय ी सुधबुधनाथ जी,
तत
ृ ीय ी कले वरनाथ जी,
चतुथ ी स चौरं गीनाथ जी,
पंच मे ी लाल वालनाथ जी,
ष टमे ी वमलनाथ जी,
स तमे ी सवागनाथ जी,
अ टमे ी स यनाथ जी,
नवमे ी गोपालनाथ जी,
दशमे ी े नाथ जी,
एकादशे ी भूचरनाथ जी,
वादशे ी गु गोर नाथ जी,
ॐ नमो: नमो: गु देव को नमो: नमो: सुखधाम ।
नाम लए से नर उबरे, कोट -कोट णाम ॥
इ त ी शंभुजती गु गोर नाथ जी के वादश नाम पठ ते हर ते पाप मो मु ि त पदे -पदे ।
नादमु ा यो त वाला प ड ान काशते ॥
ी नाथजी गु जी को आदे श आदे श ।

रोजाना एक पाठ सब
ु ह-शाम कर और ये पाठ करने के बाद नवनाथ व प का पाठ कर ।

तां क अ भकम से तर ण हे त ु उपाय


---------------------------------------------
१. पील सरस , गु गल, लोबान व गौघत ृ इन सबको मलाकर इनक धप
ू बना ल व सय
ू ा त के 1 घंटे भीतर उपले जलाकर उसम डाल द। ऐसा २१ दन तक
कर व इसका धआ
ु ं पूरे घर म कर। इससे नकारा मक शि तयां दरू भागती ह।

२. जा व ी, गाय ी व केसर लाकर उनको कूटकर गु गल मलाकर धप


ू बनाकर सब
ु ह शाम २१ दन तक घर म जलाएं। धीरे -धीरे तां क अ भकम समा त
होगा।

३. गऊ, लोचन व तगर थोड़ी सी मा ा म लाकर लाल कपड़े म बांधकर अपने घर म पूजा थान म रख द। शव कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर समा त हो
जाएगा।

४. घर म साफ सफाई रख व पीपल के प ते से ७ दन तक घर म गौम ू के छ ंटे मार व त प चात ् श ु ग ु गल का धूप जला द।

५. कई बार ऐसा होता है क श ु आपक सफलता व तर क से चढ़कर तां क वारा अ भचार कम करा दे ता है। इससे यवसाय बाधा एवं गहृ लेश होता है
अतः इसके द ु भाव से बचने हे तु सवा 1 कलो काले उड़द, सवा 1 कलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े म बांधकर अपने ऊपर से २१ बार घम
ु ाकर
श नवार के दन बहते जल म वसिजत कर व मन म हनम
ु ान जी का यान कर। ऐसा लगातार ७ श नवार कर। तां क अ भकम पूण प से समा त हो
जाएगा।

६. य द आपको ऐसा लग रहा हो क कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के २१ बीज लेक र शव मं दर जाएं व शव लंग पर क चा दध
ू चढ़ाकर धप
ू ब ती
कर तथा शव लंग के नकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रख। अपना नाम, गौ उ चा रत करके भगवान ् शव से अपनी र ा क गह
ु ार कर व एक माला
ुं य मं क जप तथा बीज को एक त कर तांबे के ताबीज म भरकर गले म धारण कर ल।
महामृ यज
७. श ु अनाव यक परे शान कर रहा हो तो नींब ू को ४ भाग म काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इ ट दे व का यान करते हुए चार दशाओं म एक-एक भाग
को फक द व घर आकर अपने हाथ-पांव धो ल। तां क अ भकम से छुटकारा मलेगा।

८. श ु ल प के बध
ु वार को ४ गोमती च अपने सर से घम
ु ाकर चार दशाओं म फक द तो यि त पर कए गए तां क अ भकम का भाव ख म हो जाता है ।

ा का चम का रक रह य
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ा को मनु य जा त के लए चम कार पूण तथा वरदान व प बताया गया है। इसक उ प ती मानव मा के क याण के लए
भगवान शंकर ने अपने अ ुओं से कया है। कहा जाता है क ा धारण करने वाला यि त भगवान शव को अ यंत य होता है।

ा क माला को तं शा म अ य धक मह व पूण एवं चम का रक माना गया है । इसे धारण करने वाले यि त को द घायु
जीवन क ाि त होती है तथा उसक अकाल मृ यु कभी नह हो सकती।

जो मनु य ा धारण करता है उसे जीवन म धम, अथ, काम, तथा मो क ाि त सहज ह हो जाती है , साथ ह साथ मनु य के
अनेक शार रक, मान सक तथा आ थक सम याओं का समाधान होने लगता है तथा मन म अ सम शां त का अनुभव होने लगता है ।

जो यि त कसी भी प म ा धारण कर लेता है उसके सारे सम याओं का नराकरण वतः ह होने लगता है , तथा वह सम त
कार के संकट से बचा रहता है।

ऐसे यि त क कभी भी आक मीक दघ


ु टना नह ं होती वह हर कार के अला-बलाओं से मु त रहता है । ा धारण करने वाले
यि त के पाप का य होता है चाहे वह गोह या अथवा म ह या जैसा पाप ह य न हो।

ा क माला को तं शा म अ य धक मह व पूण एवं चम का रक माना गया है । इसे धारण करने वाले यि त को द घायु
जीवन क ाि त होती है तथा उसक अकाल मृ यु कभी नह हो सकती। जो मनु य ा धारण करता है उसे जीवन म धम, अथ,
काम, तथा मो क ाि त सहज ह हो जाती है , साथ ह साथ मनु य के अनेक शार रक, मान सक तथा आ थक सम याओं का
समाधान होने लगता है तथा मन म अ सम शां त का अनुभव होने लगता है ।

ा धारण करने वाले यि त के उपर भुत- ेत, जाद-ू टोना, तथा कए-कराए का कोइ आर नह पड़ता। ा धारण करने वाला
यि त तु य हो जाता है उसके पाप, ताप, संताप पूणतः समा त हो जाते ह। चाहे कोई संयासी हो अथवा गह
ृ थ सभी के लए
ा सामान प से उपयोगी माना गया है । िजस घर म न य ा का पूजन कया जाए उस घर म हमेशा सुख शां त बनी रहती है
तथा उसके घर म अचल ल मी का सदा वास होता है ।

ा के मुख के अनुसार पुराण मे इसका मह व तथा उपयो गता का उ लेख मलता है । मु यतः एक मुख से लेकर इि कस मुखी
तक ा ा त होता है तथा येक ा का अपना अलग-अलग मह व तथा उपयो गता होती है ।

एकमुखी ा
*****************
पुराण मे एकमुखी ा को सा ात का व प कहा गया है यह चैत य व प पार म का तक है । एकमुखी ा को अ यंत
दल
ु भ तथा अ व तय माना गया है य क सौभा य शाल मनु य को ह एक मुखी ा ा त होता है ।
इसे धारण करने वाले यि त के जीवन म कसी कार का अभाव नह रहता तथा जीवन म धन, यश, मान-स मान, क ाि त होती
रहती है तथा ल मी चर थाई प से उसके घर म नवास करती है । एकमुखी ा को धारण करने से सभी कार के मान सक एवं
शार रक रोग का नाश होने लगता है तथा उसक सम त मनोकामनाएं वतः पूण होने लगती ह।
परं तु यान रख गोलाकार एकमुखी ा को ह सव े ठ माना गया है यह अ यंत दल
ु भ है। काजू दाने क आकार वाल एकमुखी
ा सरलता से त होती है परं तु यह कम भावी होता है ।

दोमुखी ा
****************
शा म दोमुखी ा को अधना र वर का तक माना गया है । यह शव भ त के लए उ चत एवं उपयोगी माना गया है । इसे
धारण करने से मन म शां त तथा चŸ◌ा म एका ता आने से आ या मीक उ नती तथा सौभा य म व ृ होती है ।
तीनमुखी ा
******************
तीनमुखी ा को सा ात अि न व प माना गया है। इस ा म गुणा मक शि तयाँ समा हत होती ह। इसे धारण करने वाला
यि त अि न के समान तेज वी हो जाता है उसके सभी मनोरथ शी पुरे हो जाते ह। तथा घर म धन-धा य, यश, सौभा य क व ृ
होने लगती है ।
तीनमुखी ा धारण करने से पर ा, इ टर यु, नौकर तथा रोजगार के े म पू ण प से सफलता ा त होती है ।

चारमुखी ा
*****************
चारमुखी ा को म व प माना जाता है । यह श ा के े म पूण प से सफलता दलाने म समथ है । इसे धारण करने वाले
यि त क वाक शि त खर तथा मरण शि त ती हो जाती है और श ा के े म यि त अ णी हो जाता है ।

पाँचमुखी ा
******************
पाँचमुखी ा को सा ात व प है । यह ावतार हनुमान का त न ध व करता है । इसे काला नी नाम से भी जाना जाता है ,
यह या त मा ा म उपल ध होता है ।
माला के लए इसी ा का उपयोग कया जाता है । पंच मुखी ा को कसी भी साधना म स एवं पूण सफलता दायक माना
गया है ।
इसे धारण करने से सांप, ब छु, भुत- ेत जाद-ू टोने से र ा होती है तथा मान सक शां त और फु लता दान करते हुए मनु य के
सम त कार के पाप तथा रोग को न ट करने म समथ है ।

छःमुखी ा
****************
इसे भगवान का तकेय का व प माना गया है । छःमुखी ा को धारण करने से मनु य क खोई हुई शि तयाँ पुनः जागत
ृ होने
लगती ह।
मरण शि त बल तथा बु ती होती है । छःमुखी ा धारण करने से मह या से भी बड़ा पाप न ट हो जाता है । तथा धम, यश
तथा पु य ा त होता है ।
इसे धारण करने से दय रोग, चमरोग, ने रोग, हि टर या तथा दर रोग जैसे वकार न ट हो जाते ह।

सातमुखी ा
*****************
सातमुखी ा स तऋ षय के व प है। इसे धारण करने से धन, संप त, क त और वजय क ाि त होती है तथा काय यापार म
नरं तर बढ़ोतर होती है ।
स तमुखी ा को दघ
ु टना तथा अकाल मृ यु को हरण करने वाला तथा पूण संसा रक सख
ु दान करने वाला बताया गया है ।

अ टमुखी ा
******************
इसे अ टभुजी दे वी माँ दग
ु ा का व प माना गया है । इसे धारण करने से द य ान क ाि त, च त म एका ता तथा केश मुकदम
म सफलता ा त होती है ।
अ टमुखी ा को धारणा करने से आँख मे अजीब सा स मोहन शि त आ जाती है िजससे सामने वाले यि त को भा वत कया
जा सकता है ।
इसके मा यम से कु ड लनी शि त को भी जागत
ृ कया जा सकता है ।
नौमु खी ा
****************
नौमु खी ा नवदुग ा, नव ह, तथा नवनाथ का तक माना जाता है । इसे धारण करने से सम त कार क साधनाओं म सफलता
ा त होती है।
यह अकाल मृ यु नवारक, श ु ओं को परा त करने, मुकदम म सफलता दान करने तथा धन, यश तथा क त दान करने म समथ
है ।
दसमुखी ा
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दसमुखी ा को दसो दशाओं का सुचक तथा द पाल का तक है। इसे धारण करने से सभी कार के लौ कक तथा पारलौ कक
कामनाओं क पू त होती है।
सम त कार के व न बाधाओं तथा तां क बाधाओं से र ा करते हुए सुख-सौभा य क ाि त होती है ।

यारहमुखी ा
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यारहमुखी ा को हनुमान व प माना गया है । इसे धारण करने पर कसी भी चीज का अभाव नह रहता तथा सभी कार के
संकट और क ट दरु हो जाते ह।
इसे धारण करने से सं ामक रोग का नाश होता है । य द बं या ी को भी इसे धारण कराया जाए तो न चय ह उसक संताने पैदा हो
जाती है ।

बारहमुखी ा
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बारह मुखी ा को आ द य व प माना गया है । इसे धारण करने वाला यि त तेज वी तथा शि तशाल बनता है ।
उसके चेहरे पर हमेशा ओज और तेज झलकता रहता है साथ ह सभी कार के शार रक तथा मान सक या धय से मुि त मल जाती
है ।
इसे धरण करने से आँख क रोशनी बढ़ जाती है तथा आँख म स मोहन शि त बढ़ती है ।

तेरहमुखी ा
******************
इसे इ व प माना गया है । इसे धारण करने से सम त कार के स य मे सफलता ा त होती है ।
शार रक सौ दय मे वृ तथा जीवन म यश, मान स मान, पद त ठा क ाि त होती है ।

चैद हमुखी ा
******************
इसे सा ात पुरार व प माना गया है। इसे धारण करने से वा य लाभ शार रक, मान सक तथा यापा रक उ नती मे सहायक
होता है।
यह म त कार के आ या मीक तथा भौ तक सुख को दान करने म समथ है ।

गौर शंकर ा
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इसे शव तथा शि त का म ीत व प माना गया है । यह ाकृ तक प से व ृ पर ह जड़
ु ा हुआ उ प न होता है । इसे धारण करने पर
शव तथा शि त क संयु त कृपा ा त होती है ।
यह आ थक ि ट से पूण सफलता दायक होता है । पा रवा रक सामंज य आकषण तथा मंगल कामनाओं क स म सहायक होने के
साथ-साथ लड़का-लड़क के ववाह म आ रह बाधाओं को समा त कर वर अथवा बधू क ाि त मे भी सहायक है ।

दभ
ु ा य नाशक य
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यद प सौभा य और दभ
ु ा य मनु य को उसके पव
ू कम के अनुसार ा त होता है , तो भी उसमे अनेक बा य-कारक, जैसे - हदशा,
पा रवा रक- ि त थ और सामािजक- प रवेश, दे श-काल-वातावरण आ द भी भावशाल रहते है | ऐसे बा य-कारक को भा वत करने
( उ ह शश त और नमल बनाने )
म यं साधना नि चत प से भाव डालती है | नीचे लखा यं ऐसा ह है | इसक रचना और साधना के भाव से मनु य के दभ
ु ा य
ीण हो कर सौभा य म बदल जाता है | दष
ु ्ट और दख
ु द प रि थ तय को न ट करके, वह सुख-सु वधा और शां त का वातावरण तुत
कर दे ता है |

यं को बनाने क व ध
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कसी अ छे म मुहत म केले के प ते या भोजप पर इस यं क रचना कर कपूर, कुमकुम और गोरोचन क याह तथा जायफल क
लकड़ी क कलम से लखे | समरण रहे क लखते समय पूव-पि चम और उ तर-द ण होना चा हए | ( यान रहे क यं ो का दशा
नदश भूगोल के मान च
के म से न होकर इस कार होते है , ऊपर का भाग पूव - नीचे का पि चम - बाई और उ तर और दा हनी और द ण, अतः यं को इसी
अनुसार ह
रचना कर |

इस यं का भाव अनेक कार के व न , संकट को द ूर करके सौभा य को व ृ करता है | बाँझ ी को इसके भाव से संतान उ प त
होती है , पारवा रक और दांप य जीवन सुखमय होता है |

यं का च
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॥ गाय ीम ाः ॥

1 सूय ॐ भूभुवः वः त स वतव


ु रे यं भग दे व य धीम ह धयो यो नः चोदयात ् ॥

2 ॐ आ द याय व हे सह करणाय धीम ह त नो भानुः चोदयात ् ॥

3 ॐ भाकराय व हे दवाकराय धीम ह त नः सूयः चोदयात ् ॥

4 ॐ अ व वजाय व हे पाशह ताय धीम ह त नः सूयः चोदयात ् ॥

5 ॐ भा कराय व हे मह यु तकराय धीम ह त न आ द यः चोदयात ् ॥

6 ॐ आ द याय व हे सह कराय धीम ह त नः सूयः चोदयात ् ॥

7 ॐ भा कराय व हे महातेजाय धीम ह त नः सूयः चोदयात ् ॥

8 ॐ भा कराय व हे महा यु तकराय धीम ह त नः सूयः चोदयात ् ॥

9च ॐ ीरपु ाय व हे महाकालाय धीम ह त न च ः चोदयात ् ॥

10 ॐ ीरपु ाय व हे अमत
ृ वाय धीम ह त न च ः चोदयात ् ॥

11 ॐ नशाकराय व हे कलानाथाय धीम ह त नः सोमः चोदयात ् ॥

12 अ गारक, भौम, म गल, कुज ॐ वीर वजाय व हे व नह ताय धीम ह त नो भौमः चोदयात ् ॥

13 ॐ अ गारकाय व हे भू मपालाय धीम ह त नः कुजः चोदयात ् ॥

14 ॐ च पु ाय व हे लो हता गाय धीम ह त नो भौमः चोदयात ् ॥

15 ॐ अ गारकाय व हे शि तह ताय धीम ह त नो भौमः चोदयात ् ॥

16 बध
ु ॐ गज वजाय व हे सुखह ताय धीम ह त नो बध
ु ः चोदयात ् ॥

17 ॐ च पु ाय व हे रो हणी याय धीम ह त नो बुधः


चोदयात ् ॥

18 ॐ सौ य पाय व हे वाणेशाय धीम ह त नो बुधः चोदयात ् ॥

19 गु ॐ वष
ृ भ वजाय व हे ु नह ताय धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥
20 ॐ सुराचायाय व हे सुर े ठाय धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥

21 शु ॐ अ व वजाय व हे धनुह ताय धीम ह त नः शु ः चोदयात ् ॥

22 ॐ रजदाभाय व हे भग
ृ ुसुताय धीम ह त नः शु ः चोदयात ् ॥

ृ ु सुताय व हे द यदे हाय धीम ह त नः शु ः चोदयात ् ॥


23 ॐ भग
24 शनी वर, शनै चर, शनी ॐ काक वजाय व हे ख गह ताय धीम ह त नो म दः चोदयात ् ॥

25 ॐ शनै चराय व हे सय
ू पु ाय धीम ह त नो म दः चोदयात ् ॥

26 ॐ सूयपु ाय व हे मृ यु पाय धीम ह त नः सौ रः चोदयात ् ॥

27 राहु ॐ नाक वजाय व हे प ह ताय धीम ह त नो राहुः चोदयात ् ॥

28 ॐ शरो पाय व हे अमृतश


े ाय धीम ह त नो राहुः चोदयात ् ॥

29 केतु ॐ अ व वजाय व हे शूलह ताय धीम ह त नः केतुः चोदयात ् ॥

30 ॐ च वणाय व हे सप पाय धीम ह त नः केतुः चोदयात ् ॥

31 ॐ गदाह ताय व हे अमत


ृ श
े ाय धीम ह त नः केतःु चोदयात ् ॥

32 प ृ वी ॐ पृ वी दे यै व हे सह म य च धीम ह त नः प ृ वी चोदयात ् ॥

33 मा ॐ चतुमुखाय व हे हं सा ढाय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

34 ॐ वेदा मनाय व हे हर यगभाय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

35 ॐ चतुमुखाय व हे कम डलुधराय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

36 ॐ परमे वराय व हे परमत वाय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

37 व णु ॐ नारायणाय व हे वासुदेव ाय धीम ह त नो व णुः चोदयात ् ॥

38 नारायण ॐ नारायणाय व हे वासुदे वाय धीम ह त नो व णुः चोदयात ् ॥

39 वे कटे वर ॐ नर जनाय व हे नरपाशाय (?) धीम ह त नः ी नवासः चोदयात ् ॥

40 राम ॐ रघुवं याय व हे सीताव लभाय धीम ह त नो रामः चोदयात ् ॥

41 ॐ दाशरथाय व हे सीताव लभाय धीम ह त नो रामः चोदयात ् ॥

42 ॐ भरता जाय व हे सीताव लभाय धीम ह त नो रामः चोदयात ् ॥

43 ॐ भरता जाय व हे रघुन दनाय धीम ह त नो रामः चोदयात ् ॥

44 कृ ण ॐ दे वक न दनाय व हे वासुदेवाय धीम ह त नः कृ णः चोदयात ् ॥

45 ॐ दामोदराय व हे ि मणीव लभाय धीम ह त नः कृ णः चोदयात ् ॥

46 ॐ गो व दाय व हे गोपीव लभाय धीम ह त नः कृ णः चोदयात ् ।

47 गोपाल ॐ गोपालाय व हे गोपीजनव लभाय धीम ह त नो गोपालः चोदयात ् ॥

48 पा डुर ग ॐ भ तवरदाय व हे पा डुर गाय धीम ह त नः कृ णः चोदयात ् ॥

49 नृ संह ॐ व नखाय व हे ती णदं ाय धीम ह त नो नार स हः चोदयात ् ॥

50 ॐ नृ संहाय व हे व नखाय धीम ह त नः संहः चोदयात ् ॥

51 परशुराम ॐ जामद याय व हे महावीराय धीम ह त नः परशुरामः चोदयात ् ॥

52 इ ॐ सह ने ाय व हे व ह ताय धीम ह त न इ ः चोदयात ् ॥

53 हनुमान ॐ आ जनेयाय व हे महाबलाय धीम ह त नो हनूमान ् चोदयात ् ॥

54 ॐ आ जनेयाय व हे वायुपु ाय धीम ह त नो हनूमान ् चोदयात ् ॥

55 मा ती ॐ म पु ाय व हे आ जनेयाय धीम ह त नो मा तः चोदयात ् ॥

56 दुगा ॐ का यायनाय व हे क यकुमार च धीम ह त नो दुगा चोदयात ् ॥

57 ॐ महाशू ल यै व हे महादग
ु ायै धीम ह त नो भगवती चोदयात ् ॥
58 ॐ ग रजायै च व हे शव यायै च धीम ह त नो द ग
ु ा चोदयात ् ॥

59 शि त ॐ सवसं मो ह यै व हे व वजन यै च धीम ह त नः शि तः चोदयात ् ॥

60 काल ॐ का लकायै च व हे मशानवा स यै च धीम ह त न अघोरा चोदयात ् ॥

61 ॐ आ यायै च व हे परमे वय च धीम ह त नः काल ः चोदयात ् ॥

62 दे वी ॐ महाशू ल यै च व हे महादुग ायै धीम ह त नो भगवती चोदयात ् ॥

63 ॐ वा दे यै च व हे कामरा ै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

64 गौर ॐ सुभगायै च व हे काममा ल यै च धीम ह त नो गौर चोदयात ् ॥

65 ल मी ॐ महाल मी च व हे व णप
ु नी च धीम ह त नो ल मीः चोदयात ् ॥

66 ॐ महादे यै च व हे व णुप यै च धीम ह त नो ल मीः चोदयात ् ॥

67 सर वती ॐ वा दे यै च व हे व रि चप यै च धीम ह त नो वाणी चोदयात ् ॥

68 सीता ॐ जनकनि द यै व हे भू मजायै च धीम ह त नः सीता चोदयात ् ॥

69 राधा ॐ वष
ृ भानुजायै व हे कृ ण यायै धीम ह त नो राधा चोदयात ् ॥
70 अ नपूणा ॐ भगव यै च व हे माहे वय च धीम ह त न अ नपूणा चोदयात ् ॥

71 तुलसी ॐ तुलसीदे यै च व हे व णु यायै च धीम ह त नो ब ृ दः चोदयात ् ॥

72 महादे व ॐ त पु षाय व हे महादे वाय धीम ह त नो ः चोदयात ् ॥

73 ॐ पु ष य व हे सह ा य धीम ह त नो ः चोदयात ् ॥

74 ॐ त पु षाय व हे महादे वाय धीम ह त नो ः चोदयात ् ॥

75 श कर ॐ सदा शवाय व हे सह ा याय धीम ह त नः सा बः चोदयात ् ॥

76 नि दके वर ॐ त पु षाय व हे नि दके वराय धीम ह त नो वष


ृ भः चोदयात ् ॥
77 गणेश ॐ त कराटाय व हे हि तमु खाय धीम ह त नो द ती चोदयात ् ॥

78 ॐ त पु षाय व हे व तु डाय धीम ह त नो दि तः चोदयात ् ॥

79 ॐ त पु षाय व हे हि तमुखाय धीम ह त नो द ती चोदयात ् ॥

80 ॐ एकद ताय व हे व तु डाय धीम ह त नो दि तः चोदयात ् ॥

81 ॐ ल बोदराय व हे महोदराय धीम ह त नो दि तः चोदयात ् ॥

82 ष मख
ु ॐ ष मुखाय व हे महासेनाय धीम ह त नः क दः चोदयात ्॥

83 ॐ ष मुखाय व हे महासेनाय धीम ह त नः ष ठः चोदयात ् ॥

84 सु म य ॐ त पु षाय व हे महासेनाय धीम ह त नः ष मुखः चोदयात ् ॥

85 ॐ ॐ ॐकाराय व हे डम जात य धीम ह! त नः णवः चोदयात ् ॥

86 अजपा ॐ हं स हंसाय व हे सोऽहं हं साय धीम ह त नो हं सः चोदयात ् ॥

87 द णामू त ॐ द णामूतये व हे यान थाय धीम ह त नो धीशः चोदयात ् ॥

88 गु ॐ गु दे वाय व हे पर मणे धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥

89 हय ीव ॐ वागी वराय व हे हय ीवाय धीम ह त नो हं सः चोदयात ् ॥

90 अि न ॐ स तिज वाय व हे अि नदे वाय धीम ह त न अि नः चोदयात ् ॥

91 ॐ वै वानराय व हे लाल लाय धीम ह त न अि नः चोदयात ् ॥


92 ॐ महा वालाय व हे अि नदे वाय धीम ह त नो अि नः चोदयात ् ॥

93 यम ॐ सूयपु ाय व हे महाकालाय धीम ह त नो यमः चोदयात ् ॥

94 व ण ॐ जल ब बाय व हे नीलपु षाय धीम ह त नो व णः चोदयात ् ॥

95 वै वानर ॐ पावकाय व हे स तिज वाय धीम ह त नो वै वानरः चोदयात ् ॥

96 म मथ ॐ कामदे वाय व हे पु पवनाय धीम ह त नः कामः चोदयात ् ॥

97 हं स ॐ हं स हं साय व हे परमहं साय धीम ह त नो हं सः चोदयात ् ॥

98 ॐ परमहं साय व हे मह त वाय धीम ह त नो हं सः चोदयात ् ॥

99 न द ॐ त पु षाय व हे च तु डाय धीम ह त नो नि दः चोदयात ् ॥

100 ग ड ॐ त पु षाय व हे सुवणप ाय धीम ह त नो ग डः चोदयात ् ॥

101 सप ॐ नवकुलाय व हे वषद ताय धीम ह त नः सपः चोदयात ् ॥

102 पा चज य ॐ पा चज याय व हे पावमानाय धीम ह त नः श खः चोदयात ् ॥

103 सुद शन ॐ सुदशनाय व हे महा वालाय धीम ह त न च ः चोदयात ् ॥

104 अि न ॐ ने ाय व हे शि तह ताय धीम ह त नो वि नः चोदयात ् ॥

105 ॐ वै वानराय व हे लालल लाय धीम ह त नोऽि नः चोदयात ् ॥

106 ॐ महा वालाय व हे अि नमथनाय धीम ह त नोऽि नः चोदयात ् ॥

107 आकाश ॐ आकाशाय च व हे नभोदे वाय धीम ह त नो गगनं चोदयात ् ॥

108 अ नपूणा ॐ भगव यै च व हे माहे वय च धीम ह त नोऽ नपूणा चोदयात ् ॥

109 बगलामुखी ॐ बगलामु यै च व हे ति भ यै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

110 बटु कभैरव ॐ त पु षाय व हे आपदु ारणाय धीम ह त नो बटुकः चोदयात ् ॥

111 भैरवी ॐ पुरायै च व हे भैर यै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

112 भुवने वर ॐ नाराय यै च व हे भुवने वय धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

113 मा ॐ प ो वाय व हे दे वव ाय धीम ह त नः टा चोदयात ् ॥

114 ॐ वेदा मने च व हे हर यगभाय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

115 ॐ परमे वराय व हे परत वाय धीम ह त नो मा चोदयात ् ॥

116 च ॐ ीरपु ाय व हे अमृतत वाय धीम ह त न च ः चोदयात ् ॥

117 छ नम ता ॐ वैरोच यै च व हे छ नम तायै धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

118 द णामू त ॐ द णामूतये व हे यान थाय धीम ह त नो धीशः चोदयात ् ॥

119 देवी ॐ दे यै मा यै व हे महाश यै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

120 धूमावती ॐ धूमाव यै च व हे संहा र यै च धीम ह त नो धूमा चोदयात ् ॥

121 दग
ु ा ॐ का याय यै व हे क याकुमाय धीम ह त नो दग
ु ा चोदयात ् ॥

122 ॐ महादे यै च व हे द ग
ु ायै च धीम ह त नो दे वी चोदयात ् ॥

123 गणेश ॐ त पु षाय व हे व तु डाय धीम ह त नो द ती चोदयात ् ॥

124 ॐ एकद ताय व हे व तु डाय धीम ह त नो द ती चोदयात ् ॥

125 ग ड ॐ वैनतेयाय व हे सुवणप ाय धीम ह त नो ग डः चोदयात ् ॥


126 ॐ त पु षाय व हे सुवणपणाय (सुवणप ाय) धीम ह त नो ग डः चोदयात ् ॥

127 गौर ॐ गणाि बकायै व हे कम स यै च धीम ह त नो गौर चोदयात ् ॥

128 ॐ सुभगायै च व हे काममालायै धीम ह त नो गौर चोदयात ् ॥

129 गोपाल ॐ गोपालाय व हे गोपीजनव लभाय धीम ह त नो गोपालः चोदयात ् ॥

130 गु ॐ गु दे वाय व हे पर माय धीम ह त नो गु ः चोदयात ् ॥

131 हनुमत ् ॐ रामद ूताय व हे क पराजाय धीम ह त नो हनु मान ् चोदयात ् ॥

132 ॐ अ जनीजाय व हे वायुपु ाय धीम ह त नो हनुमान ् चोदयात ् ॥

133 हय ीव ॐ वागी वराय व हे हय ीवाय धीम ह त नो हं सः चोदयात ् ॥

134 इ ,श ॐ दे वराजाय व हे व ह ताय धीम ह त नः श ः चोदयात ् ॥

135 ॐ त पु षाय व हे सह ा ाय धीम ह त न इ ः चोदयात ् ॥

136 जल ॐ ं जल ब बाय व हे मीनपु षाय धीम ह त नो व णुः चोदयात ् ॥

137 ॐ जल ब बाय व हे नीलपु षाय धीम ह त न व बु चोदयात ् ॥

138 जानक ॐ जनकजायै व हे राम यायै धीम ह त नः सीता चोदयात ् ॥

139 जयद ुगा ॐ नाराय यै व हे दग


ु ायै च धीम ह त नो गौर चोदयात ् ॥

140 काल ॐ का लकायै व हे मशानवा स यै धीम ह त नोऽघोरा चोदयात ् ॥

141 काम ॐ मनोभवाय व हे क दपाय धीम ह त नः कामः चोदयात ् ॥

142 ॐ म मथेशाय व हे कामदे वाय धीम ह त नोऽन गः चोदयात ् ॥

143 ॐ कामदे वाय व हे पु पबाणाय धीम ह त नोऽन गः चोदयात ् ॥

144 कामकलाकाल ॐ अन गाकुलायै व हे

145 ॐ दामोदराय व हे वासुदेवाय धीम ह त नः कृ णः चोदयात ् ॥

146 ॐ दे वक न दनाय व हे वासुदेवाय धीम ह त नः कृ ण: चोदयात ्।

शां तः

Maa Kali Sadhak

2 ଜୁ ଲାଇ ତାରିଖ 10:14 PM ସମୟେର

तं क मा यता है इस मांड म कई लोक ह। सभी लोक के अलग-अलग दे वी दे वता ह जो इन लोक म रहते ह । प ृ वी से इन सभी लोक क दरू अलग-
अलग है । मा यता है नजद क लोक म रहने वाले दे वी-दे वता ज द स न होते ह, य क लगातार ठ क दशा और समय पर कसी मं वशेष क साधना
करने पर उन तक तरं गे ज द पहुचं ती ह। यह कारण क य , अ सरा, क नर आ द क साधना ज द पूर होती है, य क इनके लोक प ृ वी से पास ह।
आ दकाल म मख ु प से ये रह यमय जा तयां थीं। दे व,दै य,दानव, रा स,य ,गंधव,अ सराएं, पशाच, क नर, वानर, र झ,भ ल, करात, नाग आ द। ये
सभी मानव से कुछ अलग थे। इन सभी के पास रह यमय ताकत होती थी और ये सभी मानव क कसी न कसी प म मदद करते थे। दे वताओं के बाद
दे वीय शि तय के मामले म य का ह नंबर आता है ।
िजस तरह मख
ु 33 दे वता होते ह, उसी तरह 64 य और य णयां भी होते ह। इनमे से न न 8 य णयां मख
ु मानी जाती है

1.स रु स ु दर य णी
2.मनोहा रणी य णी
3.कनकावती य णी
4.कामे वर य णी
5.र त या य णी
6.प नी य णी
7.नट य णी
8.अनरु ा गणी य णी

Maa Kali Sadhak

2 ଜୁ ଲାଇ ତାରିଖ 09:50 PM ସମୟେର

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Yakshini और ह दू के प म बु और बौ धम के प म है । Yakshini (य ी) पु ष के प म य -ऊ ष ्-
य होते ह और वे कुबेर क उपि थ त ह. को ाय: संद
ु र और voluptuous के प म च त कया जाता है और व तत

waists के साथ, संक ण waists और अ तरंिजत सीने है . त म तीस तथा अनु ठान ेि शंज स हत-छह
का वणन कया जाता है . तं म और क एक समान सूची द जाती है , जहाँ यह कहते
ह क ये लोग जो भी चाहते ह, वह दे नेवाले है .

Aum jay mata. Bhagavati. Kali.


Muladhara vasini.
Tantra sadhana me. Ma. Kali ka sthan pratham avem sarvopari hai
Yani mahatwa purna hai.
Mata muladhara vasini hai.
Dasha maha vidyaa. Ke antargat
----panditji
Jyotishacharya. ( gold medalist. )
Hasta rekha shastri
Vedic jyotisha shastra ke aadhar par marg darshan
Mob. 09933116909. // 08337856577
Kharagpur town
West bengal
India near calcutta
Yaha rahane ke liye lodge hai
Mandir hai. Havan kund hai
Aap swagat ho

एड करने के लये बहोत बहोत ध यवा मे लाल कताब और वै दक यो तश का व या थ हु और जो भ मेने शखा है ,जाना है वो
लोग सरल त रके से जाने और समज मे आये ए स भाशा मे रखने का पयाश कया है उसमे कोइ भुल हो तो ज र बताये,जो भ पो ट
कया है वो शेर ज र करे ◌ े एसा करने से ये यान लोगो मे पहुचे और लोगो उसका लाभ उठा शके जय माता द . लाल कताब मे सब के
लये जनरल नयम है ,उसका पालन करने से ८०% सम या का हल हो जाता है .तो क सी भी इलाज श करने से पहले ये परहे ज का
पालन करे .बाद मे कसी भ लालक ताब यो तष से परामश ले और उ का ह उपाय करे जो आपका बना कहे िजवन का आज तक का
ववरण दे र मे से ग ल लकद जग ्ं लगा लोहा कबाजेसे कल ् बो ब ध इलेक क साधन या
इलेक ोनी स साधन,कोइ भ इलेक क साधन या इलेक ोनी स साधन का उपयोग ह ते मे ए बार ज र करे लगातार ब ध ना रखा
करे , र क छत या सडी उपर और नीचे साफ सुथरा रखे,कोइ भ कबाड य़ा ब डी ग मट र य स ना रखे,तुट हुइ चारपाई या मेज-
कुश -रोट बेलने का च ा ना रखे,कु डा ल अनुसार वा तु कराये , बना परामश र मे तो -फोड य़ा मरामत ना करे या मकान ना
ले,पुजा-पाठ या हवन -म गल काय ना करे योक एसा करने से सम या हो शकती है , पराई औरत से या मद से शार र क स बध ना
बनाये, शाद शुद ा कपल दन मे शा र रक स बध ना बनाये, नला -काला-हरा र ग से परहेज करे ,शराब- मट-अ डा क़ा सेवन ना
करे , र साफ् -शुथरा रखे, ्र मे फटा व या बेड शट ना रखे,उतरे कपडे को मु त ना दे , र मे खु बु वाला माहोल रखे खासकर परफुम
का उपयोग करे ,दान कोइ भ करे अपनी क़ू डल अनुसार सलाह लेकर करे , र क पहेल रोट गौ-कुते-कौए को दे ,अपने कु बे मे और
पडोसी से अ छे र ते रखे, क स क मजाक म कर ना करे , क स का बुरा ना करे या ना सोचे,अपने पुवजो के दे व दे वता ाहमन को
ना बदले,अपने पुव जो के प ु न मत जो वधान है वो ब ध ना करे ,जय माता द JAY MATA DI KI लोगो को जानका र मले
इस लये मेरा पेज लाईक करे और उ मे जो पो ट द है वो लोगो मे शेर करे िजि क वजह से लोग बना इलाज के सफ परहेज का
पालन करके सुख पा शकते है जय माता द

52 वीर एवम वीर कंगन साधना


**********************************
वीर मलू प से भैरवी के अनय ु ायी होते है और भगवान भैरव क उपासना करके उनके गण कहलाते है जैसे भगवान भैरव महादे व महाकाल के गण है उसी
ू भी कहलाते है ,जब भी आप श ु के सवनाश के लए
कार वीर भैरव के गण कहलाते है ।भैरव भगवती काल के पु है इसी कारण वीर दे वी महाकाल के दत
महाकाल का कोई अनु ठान करते है तो सव थम श ु पर वीर चलाकर एक बार चेतावनी दे ने का वधान है इस चेतावनी के बाद ह काल क शि त श ु पे काय
करती है ।
ु ह गु त है वीर साधना 61 दन तक एक कमरे म बंद हो कर करनी पड़ती है जहां साधक का मख
वीर साधना का वधान बहत ु 61 दन तक ग ु के अलावा कोई
नह दे ख सकता ,साधना काल मे महाकाल एवं भैरव-हनम
ु ान क तमा के अलावा 52 पत
ु लय क आव यकता होती है।काला व एवं आसान का उपयोग
होता है इस साधना काल ने 61 दन ,दाँत ो को साफ करना,बाल काटना,बालो म तेल लगाना,नहाना,खाना खाने के बाद मख
ु शोधन करना,कपडे बदलना या
ू े बतन को धोना,िजन बतन म भोजन साम ी बनाई जाती है उस बतन को धोना इ या द सब मना होता
धोना,नाखून-बाल काटना,नाक-कान साफ करना,झठ
ू होती है कंत ु मशान म 61 दन नरंतर साधना करना सामा य साधको के लए स ल
है ।यह साधना मशान म यादा फल भत ु भ नह होता ऐसे म साधको को
मशान से म ी या भ म ( नयम व ध)पूवक लाकर कमरे म था पत कर ,कमरे को मशान समझते हुए 61 दन करनी होती है।इस साधना का एक गु त
मं है िजसमे 52 वरो के नाम का स बोधन कया जाता है उनका आ वाहन कया जाता है ये साधना बहुत द ु कर है सभी वरो का भोजन अलग अलग होता है
और साधक को ये भोग वंय बनाकर दे वताओ को अ पत करना होता है।1994 म ग ु देव के शव शंकर नाथ जी के सा न य म इस साधना को मने कया था
कंतु ये साधना उस समय स पूण नह हो पाई थी िजस कमरे पे साधना क जा रह थी उस थान कमरे के पास रहने वाल दो क याओं पे अचानक दे वयो का
ू ा थान पे पहुँच जाती थी और गा लयां देती हुई कमरे के दरवाज पे प थर इटे मारना श ु कर देती थी इससे
आवेश आ गया था और वो दोन क याये पज
थानीय लोग भयभीत हो गए थे िजससे 43 दन क साधना के उपरांत साधना को ठं डा करना पड़ा था कालांतर म ग ु देव के समा ध लेने के बाद , व न म
गु दे व का आदे श मलने पर 2007 म यह साधना भलाई से 43 कलोमीटर दरू शवनाथ नद के तट पर स प न क गई थी।िजसमे सफलता ा त हुई थी
क तु बार-बार वरो को काय दे ने म स म ना होने के कारण मने उनका वसजन इस वचन के साथ कर दया था क जब भी म उनका आ वाहन क उनको
आना होगा ।
कुछ लोग इस साधना वारा वीर कंगन एवं वीर म ु का का नमाण कर वरो को कंगन या मु का म थान दे दे त े है कंतु इस कंगन को स हालना सबके बस
क बात नह होती है।इन साधनाओ को करने के बाद मने जाना क इन साधनाओ से लाभ कम समाज क हा न यादा है य क यहां सहायता के लए साधना
कौन करता है सभी का कोई ना कोई वाथ ह होता है ।
चामडुं ा जी के सेवक इस साधना को आसानी से कर सकते है ।
ये पण
ू प से तां क शा त मत क साधना है तां को को इसमे सफलता ा त होती है।इस साधना को करने के पव
ू साधक को गु के शरण मे रहकर
शि तशाल शर र र ा मं को स करना होता है इस शर र र ा क स पहले ह 43 दन म कर लेनी चा हए ,शर र र ा के लए मने गु मख
ु से ा त
"साबर ल मण रे खा मं " का योग कया था जो ल मण जी ने सीता जी क स रु ा के लए उपयोग कया था िजसको तोड़ पाना महा तापी रावण के बस म
भी नह था।इस साधना को एक बार स करने के बाद समाज के क याणाथ बहत
ु से वीर कंगन या म ु का बनाई जा सकती है इसम साम ी कोई यादा
म ू यवान नह होती क तु म ू य 61 दन के समय एवं जो खम का हो सकता है।
साधक चाहे तो ग ु आदे श से एक-एक वीर क 7 दवसीय साधना भी कर के भी स ा त कर सकता है कंतु ऐसे म सवा वष का समय लगता है और सवा
वष नयम पालन करना सबके बस क बात नह होती।
52 वरो के नाम
***************
थान एवं जाती भेद के अनस
ु ार इनके नामो म भेद हो सकता है ।
01. े पाल वीर
02. क पल वीर
03. बटुक वीर
04. नृ स ंह वीर
05. गोपाल वीर
06. भैरव वीर
07. ग ढ़ वीर
08. महाकाल वीर
09. काल वीर
10. वण वीर
11. र त वण वीर
12. दे वसेन वीर
13. घंटापथ वीर
14.... वीर
15. तेरासंघ वीर
16. व ण वीर
17. कंधव वीर
18. हं स वीर
19. लौ क डया वीर
20. व ह वीर
21. य म वीर
22. का वीर
23. अ य वीर
24. व लभ वीर
25. व वीर
26. महाकाल वीर
27. महालाभ वीर
28. तग
ुं भ वीर
29. व याधर वीर
30. घंटाकण वीर
31. बै यनाथ वीर
32. वभीषण वीर
33. फाहेतक वीर
34. पत ृ वीर
35. ख ग वीर
36. नाघ ट वीर
37. द ु न वीर
38. मशान वीर
39...भ दग वीर
40. काकेलेकर वीर
41. कं फलाभ वीर
42. अि थमख
ु वीर
43. रे तोवे य वीर
44. नकुल वीर
45. शौनक वीर
46. कालमख

47. भत
ू बैरव वीर
48. पैश ाच वीर
49. मख
ु वीर
50. डचक वीर
51. अ लाद वीर
52. वास म वीर
(इस पो ट म 52 वरो का नामो का संकलन कया गया है)

यि तगत अनुभू त एवं। वचार©₂₀₁₇


।। महाकाल राहुलनाथ।।™
भलाई,छ तीसगढ़,भारत
पेज लंक:-https://www.facebook.com/rahulnathosgybhilai/
0 9 1 9 8 2 7 3 7 4 0 7 4

चेतावनी:-इस लेख म व णत सभी नयम ,सू एवं या याए,एवं त य हमार नजी अनुभ ू तयो के तर पर है अतः हमार मौ लक संपि त है। व व म कह
भी, कसी भी भाषा म ये इस प म उपल ध नह ं है |लेख को पढ़कर कोई भी योग बना माग दशन के न करे । तं -मं ा द क ज टल एवं पण
ू व वास से
साधना- स ग ु मागदशन म होती है अतः बना ग ु के नदशन के साधनाए ना करे। बना लेखक क ल खतअनम
ु त के लेख के कसी भी अंश का कह भी
का षत करना विजत है। यायलय े दग
ु छ तीसगढ़(©कॉपी राइट ए ट 1957)
JSM OSGY

सिृ टि थतसंहार मेलन पेयं तुर या सं व ार का


त ति ि टयादया दभेदनुदवमंती सहर ती च सदा पूणा च कृशा
चोभय पा चानुभय पा चा ममेव सफुरि त ि थता

वधः पु ष परम ् हं स अव था मे शशु भाव धारण कर इस महाशि त को मातृ प म मानते है

वामी राम कृ ण परमहं स ,बाम गु वामा, वामी ववेकान द ,क वराज गोपीनाथ , वामी भावान द ,आ द माता को क णामयी
ब स य से भरपूर मानते है ।

(( दय पयो ध भरे वामी जी यहा कहते है माता आपके दय म अमत


ृ भरा है ))
वह महामाया इतना व तार लेती है परम ् शि त क माया से मो हत संसार के ाणी उस परम परमे वर क माया को समझ ह नह
पाते ।

सदा सवदा उनके सवा पूजन फलदायक सरल अ य कोई है ह नह ।

जो ाणी िजस भाव से महा शि त को पूजन करता है वह उसी भाव से फल को ा त करता है ।

वह भ न थान पर भ न नामो से जानी जाती है वह परमा शि त

कांची कामकोट म कामा ी ,केरल म कुमा रका ,गुजरात मव अ बा ,काम प म कामा या , याग म ल लता, वं याचल म
वं यवा सनी, वाराणसी म वशाला ी ,गया म मंगलावती,बंग ाल म सुंद र ,नेपाल गु ये वर ,आ द भ न भ न थानो पर वह महामाई
सव मंगल करने वाल सवाथ भ ा रका वह महभगवती साधको एवम भ तो का क याण करने हेतु वराजमान है ।।

मशः

सम पत ी गु दे व ।

दस महा वदानुस धान व सार क .


साकेत धाम ी अयो या जी
Aum jay mata bhagavati KALI
One should follow puja system. Step by step
It is called as. " kram "
It is by sanskrit sacred mantra
In the long. Run
.by samhar mudra
Puja will be. Ended
Nb ( i will explained what is samhar mudraa. Later on. )
After puja ending
I pray to mother from my heart.
Aavahanam na. Janaami. Na jaanami pujanam visarjanam na janaami. Kshamashwa parameshwaree. ""
To pranaam to mata kali
It is modesty. No feel proud in my puja..
Pujaaree should think he or. She. Is. Child
Ma kali is mother of us
We should surrender to mother
Just as. Chiild
"" sharaana gati. "
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Aum tat. Sat
अनुवाद दे ख

ॐ।
ी राधे
जय माँ तारा।।
जय माँ काम या क ।
1. येक श नवार को पीपल के व ृ पर जल, क चा दध
ू थोड़ा चढ़ाकर, सात प र मा करके सूय, शंकर, पीपल- इन तीन क स व ध
पूजा कर तथा चढ़े जल को ने म लगाएं और पत ृ दे वाय नम: भी 4 बार बोल तो राहु+केत,ु श न+ पत ृ दोष का नवारण होता है .
2. ात:काल उठते ह माता- पता, गु एवं व ृ जन को णाम कर और उनका आि मक आशीवाद ा त करके दन को सफल बनाएं.
इसके साथ ह 5 सुगं धत अगरब ती लगाकर दन क शु आत कर.
3. न य त गाय को गुड़-रोट द. हो सके तो गाय का पूजन करके 'आज के दन यह कामधेनु वां छत काय करेगी' ऐसी ाथना मन
म कर.
4. न य त कु त को रोट खलानी चा हए और प य को दाना भी डाल तो शु भ है . 5. घर आए मेहमान क सेव ा न काम भाव से
करनी चा हए क् य क अ त थ को भगवान तुल ्य माना गया है .
6. हमेशा ात:काल भोजन बनाते समय माताएं-बहन एक रोट अि नदे व के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बह
ृ प त भगवान को
अ पत कर तो घर म वा तु पु ष को भोग लग जाता है . इससे अ नपूणा भी स न रहती ह.
7. ात: नान करके भगवान शंकर के शव लंग पर जल चढ़ाकर 108 बार 'ॐ नम: शवाय मं क पूजा से यु त दं डवत नम कार
करना चा हए।। ी राधे ।गु कृपा ।।


ी राधे
जय माँ तारा
जय माँ काम या क ।
वै दक र ा सू हे थ के लए बहुत ब ढ़या है आजमाकर दे खे लाभ मलेगा िजसको लगता हो मेरे प रवार म कसी ने कुछ कया है तो
कसी भी दन यह काय कर सकते है इस से आप के जीवन म आने वाल मु सीबत टल जायेगी यह तां ो त योग है :इसके लए 5
व तुओं क आव यकता होती है –(१) दूव ा (घास) (२)अ त (चावल) (३) केसर (४) च दन (५) सरस के दाने ।
इन ५ व तुओं को रे शम के कपड़े म लेकर उसे बांधद या सलाई कर द, फर उसे
कलावा म परो द, इन पांच व तुओक
ं ा मह व –(१) दव
ू ा - िजस कार दव
ू ा का एक अंकुर बो दे ने पर तेज़ी से फैलता है और
हज़ार क सं या म उग जाता है , उसी कार मेरे बेटे या प त का वंश और उसमे सदगुण
का वकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन क प व ता ती ता से बदता जाए । द व
ू ा
गणेश जी को य है अथात हम िजसे हमबाँधरहे ह, उनके जीवन म व न
का नाश हो जाए ।(२) अ त - हमार गु दे व के त ा कभी त- व त ना हो सदा अ त
रहे ।(३) केसर - केसर क कृ त तेज़ होती है अथात हम िजसे हम सू बाँध रहे ह, वह
तेज वी हो । उनके जीवन म आ याि मकता का तेज, भि त कातेज कभी कम ना हो ।(४) च दन - च दनक कृ त तेज होती है और
यह सुगंध दे ता है । उसी कार
उनके जीवन म शीतलता बनी रहे, कभीमान सक तनाव ना हो । साथ ह उनके जीवन म परोपकार, सदाचार और संयम क सुगंध
फैलती रहे ।(५) सरस के दाने- सरस क कृ त ती ण होती है अथात इससे यह संकेत
मलता है क समाज के द ग
ु ु ण को, कंटक कोसमा त करने म हम ती ण बन
येन ब ो ब ल राजा, दानवे ोमहाबलः ।तेन वाम र ब ना म, र े माचल माचल: ।।। ी राधे।। गु कृपा केवलं।।

म म ुहूत म उठने क परं परा य ?


म म ुहूत या है ? म मह
ु ू त म उठने के वै ा नक लाभ या ह ? म मह
ु ूत का ह वशेष मह व य ? रा के अं तम हर को म मह
ु ूत कहते ह। हमारे
ऋ ष म ु नय ने इस मह
ु ूत का वशेष मह व बताया है । उनके अनस
ु ार यह समय न ा याग के लए सव तम है। म मह ु ूत म उठने से स दय, बल, व या,
बु और वा यक ाि त होती है । सय
ू दय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घ टे ) पूव म मह
ु ूत म ह जग जाना चा हये। इस समय सोना शा न ष है ।
म का मतलब परम त व या परमा मा। मह
ु ू त यानी अनक
ु ू ल समय। रा का अं तम हर अथात ात: 4 से 5.30 बजे का समय म मह
ु ूत कहा गया है।
“ ममहु ू त या न ा सा पु य यका रणी”।
( ममह ु ूत क न ा पु य का नाश करने वाल होती है ।) सख धम म इस समय के लए बेहद स ु दर नाम है-’अमृत वेला , िजसके वारा इस समय का मह व
वयं ह सा बत हो जाता है । ई वर भि त के लए यह मह व वयं ह सा बत हो जाता है। ईवर भि त के लए यह सव े ठ समय है। इस समय उठने से
मनु य को स दय, ल मी, बु , वा यआ दक ाि त होती है। उसका मन शांत और तन प व होता है। म मह
ु ूत म उठना हमारे जीवन के लए बहुत
लाभकार है । इससे हमारा शर र व थ होता है और दनभर फू त बनी रहती है। व थ रहने और सफल
होने का यह ऐसा फामला
ू है िजसम खच कुछ नह ं होता। केवल आल य छोड़ने क ज रत है। ात: काल उठने के प चात ह त दशन का भी शा ीय वधान है
। करा े वस त ल मी, करम ये सर वती । कर म ल
ू े ि थत मा, भाते कर दशनम ् ॥
भगवान के मरण के बाद दह , घी, आईना, सफेद सरस , बैल, फूलमाला के दशन भी इस काल म बहत
ु पु य देते ह।
ु ा बक माता सीता को ढूंढते हुए ीहनम
पौरा णक मह व - वा मी क रामायण के मत ु ान ममहु ूत म ह अशोक वा टका पहुंचे। जहां उ ह ने वेद व य के
ाताओं के मं उ चारण क आवाज स ुनी। शा म भी इसका उ लेख है-
वण क त म तं ल मीं वा यमायु च वदि त।
ा मे महु ूत संजा ि छ वा पंकज यथा॥
- भाव काश सार-93
अथात- म मह
ु ू त म उठने से यि त को सद
ंु रता, ल मी, बु , वा य, आयु आ द क ाि त होती है। ऐसा करने से शर र कमल क तरह सद
ंु र हो जाता है ।
अ छे वा य का रह य
हमारे धम थ ं म म मह ु ू त म उठने का सबसे बड़ा लाभ अ छा वा य बताया गया है। या है इसका रह य? दरअसल सब
ु ह चार बजे से साढ़े पांच बजे तक
वायम
ु डं ल म यानी हमारे चार ओर आ सीजन अ धक होती है । वै ा नक खोज से पता चला है क इस समय आ सीजन 41 तशत, कर ब 55 तशत
नाइ ोजन और 4 ू दय के बाद वायम
तशत काबन डाईआ साइड गैस रहती है । सय ु ड
ं ल म आ सीजन कम
और काबन डाईआ साइड बढ़ती है । आ सीजन हमारे जीवन का आधार है। शा म इसे ाणवायु कहा
गया है । यादा आ सीजन मलने से हमारा शर र व थ रहता है। म मह
ु ूत और कृ त म मह
ु ूत और कृ त का गहरा नाता है। इस समय म
पश-ु प ी जाग जाते ह। उनका मधरु कलरव श ु हो जाता है । कमल का फूल भी खल उठता है। मग
ु बांग
दे ने लगते ह। एक तरह से कृ त भी म मह
ु ू त म चैत य हो जाती है। यह तीक है उठने, जागने का। कृ त
हम संदेश दे ती हैम महु ू त म उठने के लए। इस लए मलती है सफलता व समृ आयव ु द के अनुसार म मह
ु ूत म उठकर टहलने से शर र म
संज ीवनी शि त का संचार होता है । यह कारण है क इस समय बहने वाल वायु को अमत
ृ त ु य कहा गया
ु ह जब हम उठते ह तो शर र तथा
है । इसके अलावा यह समय अ ययन के लए भी सव तम बताया गया है य क रात को आराम करने के बाद सब
मि त क म भी फू त व ताजगी बनी रहती है ।
मख
ु मं दर के पट भी म मह
ु ू त म खोल दए जाते ह तथा भगवान का ग
ृं ार व पूजन भी म मह
ु ूत म
कए जाने का वधान है । ममहु ू त के धा मक, पौरा णक व यावहा रक
ु घड़ी म जागना श ु कर तो बेहतर नतीजे मलगे।
पहल ुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शभ ु ूत म उठने वाला यि त सफल, सख
म मह ु ी और
समृ होता है , य ? य क ज द उठने से दनभर के काय और योजनाओं को बनाने के लए पया त
समय मल जाता है । इस लए न केवल जीवन सफल होता है । शार रक और मान सक प से व थ रहने
वाला हर यि त सख
ु ी और समृ हो सकता है । कारण वह जो काम करता है उसम उसक ग त होती है।
जय हो भ,ु
आज ब ृ ममहु त म आपक नींद खराब हुई तो दस
ू र क य जान लेने पर तल
ु े हो,
जो रात को 1 बजे सोयेगा, उसका ब ृ ममह
ु त ? बताने का क ट कर.
जय हो भ,ु
रात को 1 बजे सोयेग ा, उसका ब ृ ममहु त समय ? बताने का क ट कर।
क तु मजबुर ह, मेर म ुझसे मल
ु ाकात ह 9 बजे के बाद होती ह, उससे पहले तो िज दगी पशु समान यं वत चलती रहती ह, अब म अपने से भी मल
ु ाकात के
लये समय ना नकाल पांऊ तो जीवन तो यथ ह हुआ ना ?
दन भर के अपने काय कलाप का आंकलन मानव य द चाहे तो रा ी म ह कर सकता ह और अपने आज के आंकलन से आने वाला कल म अपने कायकलाप
म सध
ु ार कर सकता ह ।
ये एक बार उठने का ान आपको मब ु ने क बाते ह कुछ हा सल नह ं होता हम कम करने
ु ारक, कई बार उठकर दे खा, कोई मतलब नह नकलता, सब कहते सन
वाले लोग ह और हमार दनचया कम पर आधार त होती ह, ना क पोथी पुराण के उस समय के आंकलन के अनस
ु ार.
ु त क पर क पना उस पर ि थ त म साथक थी जब रा ी के काश के सम या थी, वतमान पर ि थ त के पर पे य म
और जहां तक मेरा वचार ह बृ ममह
शहर म रा ी 9 बजे से दनचया ारं भ होती ह, या कहगे आप ?
आलसीपनः-हमार और आपसी आलसी क पर भाषा अलग अलग ह, स ब
ु ह उठने से आपक पर भाषा म आलसी होना ह हमार पर भाषा म ज द सोना
आलसी क पर भाषा ह.
झठ
ु ः- अब यह बृ ममहु त म झठ
ु कहां से आ गया ? ात: पाँच बजे, मठार दे व बाबा पर गग पायी जाती थी उसम हमारा भी नाम था ।
वैसे सर एक बात तो आप भी मानगे जैसे जैसे सेवा नव ृ त का समय कर ब आने लगता ह मानव कुछ यादा ह ब च को ान दे न लगता ह, यह ान उसके
जीवन भर का नचोड भले ह ना हो, क तु जीवन म जो उसने खोया कोई दस
ू रा उसका अपना उस चीज को ना खो पाये यह उसक मंश ा रहती ह, यह गलत भी
नह ं कहा जा सकता यो कं यह सं कार वह अपने ब च म दे खना चाहता ह, जो शायद उ चत भी ह क तु उस बुजुग के सं कार उसक उस समय क
ता का लक पर ि थ त के मान से तो सह थे क तु वतमान म उनम से कई चीज म प रि थ त के अनुसार मेर नजर म कुछ मौ लक प रवतन आव यक ह,
इसम हम अपनी अगल पढ ऐसे सं कार से वमख ु ह यह भी नह ं कह सकते, सं कार म प रि थ त अनस ु ार प रवतन का तो म प धर हूं क तु घर,
पर वार, समाज को गत म ले जाने तक के पर वतन का भी प धर नह , मने बैरागी कुल म पैदा होकर कई गलत सं कार , पर पा टय का वरोध कया ह,
क तु ऐसा कोई काय मैने या मेरे ब च ने नह ं कया िजससे घर, पर वार पर कोई उं गल उठा कर नीचा दखा सके, यह म अपने जीवन क बडी उपलि ध
मानता हूं, यह सोच और अपनी सोच को याि वत करने के लये मझ
ु े अपने आप से कुछ सवाल जवाब करने होते ह िजसके लये मेरे पास समय नह ं ह, जाने
य बचपन से एक आदत ह दन भर के वचार पर मंथन और आने वाले कल क राह तय करने का समय रा ी 9:00 बजे के बाद ह मलता ह, जहां सवाल भी
मेरे होते ह और जवाब भी मेरे, उस समय जब म अपनी अंतरा मा के साथ वचार वमश कर रहा होता हूं तो मझ
ु े अपने वयं के भलो बुरे के आंकलन के लये
कसी तीसरे क आव यकता नह ं होती, और यह वचार मंथन से नकला अमृत मेरे जीवन का सार बन जाता ह, वह य द म ममह ु त म उठता हूं तो वचार
श ू य रहता हूं और इस अव था म वयं का आकलन बहत
ु कठ न हो जाता ह क त ु यह म भी मानता हू ं क ब ृ ममहु त म मानव परमा मा क पूजा का
कमकांड कर सकता ह क तु अंतरा मा से वयं का सा ा कार जब तक ना हो कोई भी पूजा का कमकांड सफल नह ं माना जा सकता, सव थम वयं क
आ मा से सा ा कार ज र ह, म भगवान का वरोधी नह ं क तु उसे कसी ने नह ं दे खा, महसस
ू ज र कया ह कई प म क तु सर यह आ मा तो म जब से
अि त व म आया तब से मेरे साथ ह मझ
ु े भगवान से यादा अ छ तरह महसस
ु होती ह, यह मेरा माग श त करती रह ह रनीग 60 तक तो कया ह और
आगे भी करती रहे गी यह मेरा व वास ह, य जब तक आ मा ह शर र म तब तक इस शर र का अि त व ह उसी आ मा ने उ तम कम हेत ू इस शर र म
अपना घर बनाया ह, जब वह चल जायेगी तो यह शर र तो वैसे भी म ी ह और म ी म ह मल जायेगा, फर म कहां रह गया जो अंदर ह वह बाहर ह यह मेर
सोच ह, म वैसा नह ं हूं क अंदर कुछ बाहर कुछ और इसी तालमेल को उ चत प से संमप न करने के लये मझ
ु े मेरे लये समय चा हये अतः आपके नदश का
ु त म उठना चा हये क तु नौकर से मिु त के प चात यह यास पुनः ारंभ क ं गा, यह दनचया का
नकारने क घ ृ टता कर रहा हूं, हां यह सह ह क ब ृ म मह
छोटा सा बदलाव ह, जो कोई मिु कल काय नह ं ह, क तु वतमान समय म दनचया का यह पर वतन मझ
ु े अपनी कायशैल म बदलाव क अनम
ु त नह ं दे ता,
क तु भ व य म, म आव य इस धारणा को स य सा बत क ं गा क, बृ ममहु त म उठना मानव को नये रा ते पर ले जाने का उ तम माग ह।

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