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Azaan - e - Bilal Aur Suraj (Hindi)
Azaan - e - Bilal Aur Suraj (Hindi)
इस र्रवायत की हिीित :
1
ये र्रवायत मौज़ू व मनघड़त है जैसा बक अल्लामा अिुल अहमि, मुहम्मि अली
रज़ा िािरी अशरफ़ी हाफफज़हुल्लाह ललखते हैं बक अल्लामा इब्ने कसीर फ़रमाते
हैं बक इस र्रवायत की कोई असल नहीं है।
(5443ر،139ص،5ج،)ادبلاہیوااھنلہی
अल्लामा सखवी रहीमहुल्लाह अल्लामा जमालुद्दीन मूज़ी के हवाले से ललखते
हैं बक ये र्रवायत आवाम की ज़ुिानों पर तो मशहूर है लेबकन हमने इसे बकसी
बकताि में नहीं पाया।
(221ر،120ص،)ااقملدصاہنسحل
अल्लामा सखवी मज़ीि ललखते हैं बक अल्लामा इब्ने कसीर कहते हैं बक इस
र्रवायत की कोई असल नहीं।
(582ر،255ص،)اًاضی
अल्लामा अब्दल
ु वह्हाि शारानी रहीमहुल्लाह ने भी इस र्रवायत के िारे में
ललखा है बक इसकी कोई असल नहीं।
(915ر،117ص،)ادبلرارینمل
आप रहीमहुल्लाह मज़ीि ललखते हैं बक अल्लामा इब्ने कसीर कहते हैं बक इसकी
कोई असल नहीं।
(1378ر،186ص،)اًاضی
इमाम मुल्ला अली िारी रहीमहुल्लाह ने भी इस र्रवायत को मौज़ू िरार दिया
है ।
2
(524،257ر،)اوملوضاعتاریبکل
अल्लामा ििरुद्दीन ज़रकशी रहीमहुल्लाह ने अल्लामा जमालुद्दीन मूज़ी और
शैख िुरहानुद्दीन ससफिसी का िौल नक़्ल बकया है बक ये मशहूर तो है लेबकन
बकतािों में ऐसा कुछ भी नहीं है।
(208،207ص،)اآللیلاوثنملرۃیفاالاحدثیاوہشملرۃ
अल्लामा इब्ने मुिरि मुिद्दसी ने भी अल्लामा जमालुद्दीन मूज़ी के हवाले से
ललखा बक बकतािों में इस का वुजूि नहीं है।
(554ر،109ص،)ارختلجیاریغصل
अल्लामा इस्माईल बिन मुहम्मि अलजूनी ने मुल्ला अली िारी, इमाम सुयूती
और अल्लामा जमालुद्दीन मूज़ी के हवाले से ललखा है बक इसकी कोई असल
नहीं।
(694ر،203ص،1ج،اخل...)فشکاافخلء
अल्लामा अलजूनी मज़ीि ललखते हैं बक इब्ने कसीर कहते हैं बक इस र्रवायत
की कोई असल नहीं।
(1518ر،411ص،)اًاضی
इस र्रवायत को और भी कई बकतािों में तनिीि का बनशाना िनाया गया है।
(اینسااطملبلوریغہ،اوفلادئللکریم،ادلررویسللیط،ذترکۃاوملوضاعتللھندی،زییمتابیطلنمالخبیث:)دےیھکی
3
शारेह िुखारी, हज़रत मुफ्ती शरीफुल हि अमजिी अलैहहरतहमा ललखते हैं बक
तमाम मुहद्दद्दसीन का इस पर इफिफाि है बक ये र्रवायत मौज़ू मनघड़त और
बिल्कु ल झूट है।
(38ص،2ج،اتفویاشرحاخبری:)ارظن
िहरुल उलूम, हज़रत अल्लामा मुफ्ती अब्दल
ु मन्नान आज़मी रहीमहुल्लाह
ललखते हैं बक हज़रत बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु को अज़ान से माज़ूल
करने का ज़ज़क्र हम को नहीं फमला िल्कल्क "अयनी" में है बक हज़रत बिलाल
रदिअल्लाहु त'आला अन्हु सफर और हज़र हर िो हाल में अज़ान दिया करते थे।
(109ص،1ج،اتفویرحباولعلم:)ارظن
फतावा मरकज़े तरबियत -ए- इफ्ता में है बक ये र्रवायत मौज़ू व मनघड़त है।
(647ص،2ج،اتفویرمزکرتتیبااتف:)ارظن
हज़रत बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की फसाहत :-
चुनाूँचे,
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،798ص،1ج،واًاضی-1835ر،733ص،1ج،واننسلاربکلی-189ر،69ص،ااجلعمارتلذمی:(ارظن
،43ص،4ج،ودنسمااممادمح-20948ر،283ص،7ج،وزنکاامعلل-672ص،2ج،وادسااغلہب-2006ر
،واننسلاالنبامہج-499ر،111ص،واننسلالیبداؤد-1679ر،532ص،وحیحصانبابحن-16592ر
،واننسلدللارینطق-1187ر،286ص،1ج،واننسلدللاریم-373ر،1ج،وحیحصانبزخہمی-706ر،122ص
)؛ہبوحاہلامجلالبل241ص،1ج
(255ص،)ااقملدصاہنسحل
अल्लामा हाफ़फ़ज़ इब्ने कसीर ललखते हैं बक हज़रत बिलाल रदिअल्लाहु त'आला
अन्हु फसीहुल ललसान थे।
(139ص،5ج،)ادبلاہیوااھنلہی
अल्लामा सालही िफमश्क़ी ने भी हज़रते बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की
फसीहत का ज़ज़क्र बकया है।
(415ص،11ج،)لبسادہلیوارلاشد
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अल्लामा अलजूनी ने भी आपकी फसीहुल ललसानी का ज़ज़क्र बकया है।
(1518ر،411ص،1ج،اخل...)فشکاافخلء
मज़कू रा िलाइल से ये िात बिल्कु ल वाज़ेह हो जाती है बक हज़रते बिलाल
रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की आवाज़ िहत प्यारी थी। अगर आपकी ज़ुिान में
लुक्नत होती तो निी -ए- करीम ﷺआप को अज़ान िेने का हुक्म इरशाि ना
फरमाते। एक हिीस में हुज़ूर ﷺका इरशाि -ए- पाक है बक अज़ान फमयाना
रवी और सहूलत के साथ पढ़ने का नाम है चुनाूँचे अगर तुम्हारी अज़ान में ये
िोनों िातें नही तो तुम अज़ान ना िो।
وننس-20948ر،283ص،7ج،وزنکاامعلل-88ص،8ج،ولبسادہلیوارلاشد-166ص،5ج،(دمعۃااقلری
)دارینطق
यहाूँ आप िेखें बक हुज़ूर -ए- अकरम ﷺखुि इरशाि फ़रमा रहे हैं बक अज़ान
िेने वाले को कैसा होना चाहहये और अगर उस में ये िातें ना हों तो वो अज़ान
ना िे और इमाम ििरुद्दीन अयनी फरमाते हैं बक ये हिीस उसके ललये है ज़जसके
लहजे में फसाहत ना हो। जि खुि मेरे आिा ﷺये हुक्म िे रहे हैं तो कैसे
मुमबकन है बक आप ﷺएक ऐसे शख्स को अज़ान िेने का हुक्म िें ज़जस की
ज़ुिान में लुक्नत हो ललहाज़ा मानना पड़ेगा बक हज़रते बिलाल रदिअल्लाहु
त'आला अन्हु की ज़ुिान में लुक्नत नहीं थी।
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इस र्रवायत में जो ियान बकया गया है बक जि हज़रते बिलाल रदिअल्लाहु
त'आला अन्हु ने अज़ान नहीं िी तो सूरज नहीं बनकला, इस पर कुछ इश्कलात
पैिा होते हैं मसलन,
(2) अज़ान और इिामत में कभी कभी ऐसा भी होता था बक हज़रते बिलाल
रदिअल्लाहु त'आला अन्हु अज़ान दिया करते और हज़रते इब्ने उम्मे मकतूि
इिामत कहा करते तो कभी इसके िर अक्स हज़रते इब्ने उम्मे मकतूि अज़ान
दिया करते और हज़रते बिलाल इिामत कह दिया करते।
(423ص،2ج،واقبطتانبدعس-245ص،1ج،)فنصمانبایبہبیش
अि हमें कोई ये िताये बक जि हज़रते बिलाल अज़ान िेते थे ति तो ठीक मगर
जि हज़रते इब्ने उम्मे मकतूि अज़ान िेते थे तो सूरज कैसे बनकल जाता था?
(3) गज़वा -ए- खैिर से वापसी पर ऐसा भी हुआ बक रात के वक़्त एक जगह
पड़ाव डाला गया और हुज़ूर ﷺने हज़रते बिलाल को हुक्म दिया बक जागते
रहना मगर थकावट की वजह से हज़रते बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की
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भी आूँख लग गई हिा बक सूरज बनकल आया। जि सूरज बनकल आया तो
सिसे पहले हुज़ूर ﷺकी आूँख मुिारक खुली और फफर िस
ू रे मिाम पर िज़ा
अिा की गई।
و-واوبداؤد-ودنسمادمحنبلبنح-90ص،8ج،ولبسادہلیوارلاشد-1560ر،275ص،حیحصملسم:(ارظن
یجم
)و عازلوادئ-واقبطتانبدعس-وانبایبہبیش-وداللئاوبنلۃ-وننساربکلی-وانبامہج-رتذمی
अि ये समझ से परे है बक उस दिन सूरज कैसे बनकल आया हालाूँबक हज़रते
बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु ने उस दिन अज़ान ही नहीं िी।
()اموخذازامجلالبلریضاہللاعتٰیلہنع
मज़कू रा िलाइल और इश्कलात की रौशनी में ये िात सूरज की तरह रौशन हो
गई बक हज़रते बिलाल रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की तरफ मंसूि ये वाबिया िे
असल और मनघड़त है।
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िामन नहीं छोड़ा अगचे इसकी वजह से उन्हें कई मुसीितों और कई लोगों की
मुखाललफत का सामना करना पड़ा। अल्लाह त'आला हम गुनहगारों के ऊपर
गुयूर उलमा -ए- अहले सुन्नत का आसमान िाइम रखे। (आमीन)
अब्दे मुस्तफ़ा