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चिंताः बच्चों को बिगाड़ते कार्टून

दो-चार बच्चे जब कहीं मिल जाते हैं तो उनके बीच के वार्तालाप के विषय अक्सर
कार्टून होते हैं। बच्चों के मनोरं जन के लिए जो कार्टून फिल्में बनाई जा रही है , उसमें
दो ही तरह के चरित्र दे खे जा रहे हैं। पहला जो सकारात्मक किरदार होता है या यों
कहें कि जो हीरो होता है और दस
ू रा जो नकारात्मक किरदार होता है या खलनायक
होता है । दोनों ही किरदारों के साथ सहनायक या सहखलनायक के किरदार जुड़े होते
हैं। इन सभी के बीच कथा का विस्तार दे कर मार-धाड़ दिखाई जाती है । छोटी-छोटी
बातों के लिए मारपीट का दृश्य बेहद डरावना होता है । क्या ऐसी कार्टून फिल्मों या
धारावाहिकों में मार-पीट के दृश्य बच्चों को हिंसक नहीं बनाते? आज बच्चे भी कोरी-
कल्पना और चमत्कार में खोते जा रहे हैं। उसे लगता है कि काश! वह भी समोसा
खाता, तो उसमें अथाह शक्ति आ जाती। उसके पास भी ऐसी साइकिल होती जो उड़
सकती, पानी पर तैरती हुई चलती जाती। ऐसी अनावश्यक कल्पना से हम आखिर
बच्चों को क्या दे ने पर उतारू हैं? कुछ लोग मानते हैं कि बच्चों को यथार्थ नहीं
दिखाया जा सकता है , उसे तो कल्पना के पंख ही फैलाने दीजिए। लेकिन हमें इस
बात पर भी ध्यान दे ना चाहिए कि इन चरित्रों को दे खने की इतनी ललक बच्चों में
प्रवेश कर गई है कि वे अब ड्राइंग-रूम से बाहर गलियों में , पार्कों में या खेल के
मैदानों में आने से कतराने लगे हैं। घर में बैठे-बैठे फरमाइश करते हुए वे फास्ट-फूड
मांग रहे हैं। मम्मी-पापा भी बच्चों की जिद के सामने बेबस नजर आते हैं। टीवी और
फास्ट-फूड बच्चों को शक्तिहीन बनाने के खतरनाक माध्यम बन चक
ु े हैं। खेल के
मैदानों में आने से जहां बच्चे शारीरिक तौर पर मजबत
ू बनते थे, धल
ू -मिट्टी और घास
के खेल मैदानों में दौड़ने-भागने से उनके अंदर जो स्फूर्ति बनी रहती थी, उसकी जगह
शारीरिक शिथिलता ने ले ली है ।
आज तरह-तरह के सुपरमैन ने भारतीय लोकनायकों के चरित्रों को धध
ुं ला कर दिया
है । बच्चे राम, कृष्ण, गांधी, गौतम, महावीर, दयानंद, विवेकानंद, सभ
ु ाष, मौलाना
आजाद, कलाम आदि के चारित्रिक पहलुओं की ओर नहीं भागते, उन्हें तो आज बस
टॉम, जैरी, आगी, मोटू, बेन टे न, पतलू, बबलू, डबलू, डोरा, जॉन, झटका जैसे
किरदारों की कहानियां खूब याद है । ऐसा किसके कारण है ? क्या सिर्फ ये चैनल ही
दोषी हैं? क्या ये बाजार ही दोषी है ? क्या हम दोषी नहीं?
http://www.jansatta.com/sunday-magazine/worry-column-effects-of-
cartoon/289461/

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