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A

Vedic
Mantra
Dilip Rajeev
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥

आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।


न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥

आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।


न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥
आ कृ॒ ष्णेनृ॒ रज॑ स ृ॒ वर्तम॑ नो ननवेृ॒शय॑न्नृ॒मर्ृ॒ मर्त्य ॑ च ।
न ृ॒ रृ॒ण्यये न
॑ सनवृ॒र् रथेृ॒न देृ॒ वो य ॑ नर्ृ॒ भुव॑न ननृ॒ पश्य॑न् ॥

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