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Rahul Maheshwari - 9009805569

“DEPARTMENT GRAH –PDF 4”

ग्रहो के दो डिपार्टमर्ें होते है पहला होता है देव गुरु वाला


डिपार्टमर्ें डिसके गुरु ब्रहस्पडत होते है उसमे *सूर्,ट चंद्र, मङ्गल,
गुरु , के तु* र्े पांच ग्रह होते है, इन ग्रहो के र्ीचर गुरु है ।

दूसरा डिपार्टमर्ें होता है दैत्र् गुरु शुक्र का उसमे *बुध, शुक्र,


शडन, राहु ,* र्े चार ग्रह होते है , इन ग्रहो के र्ीचर शुक्र है ।

शुक्र और गुरु दोनो ही नव ग्रहो में डशक्षक है मंत्री है सभी ग्रह


इन दोनों की बाते सुनते है र्ा ऐसा बोले र्े दोनों ग्रह
रािदरबार में गुरु की पदवी पर होते है िैसे एक रािा अपने
श्रेष्ठ मंडत्रर्ों की सलाह लेकर ही कु छ काम करता है अके ला
डनर्टर् नही लेता , िैसे मोदी ने नोर्ेबन्दी करर तो उसमें उसके
मुख्र् सलाहकार ओर मंडत्रर्ों की सौची समझी प्लाननंग रही है
बस र्े मंत्री(डमडनस्र्र) ओर सलाहकार ही गुरु शुक्र होते है आि
के िमाने मे रािा के दरबार मे सांसद, ग्रह मंत्री, डवत्तमंत्री,
डशक्षा मंत्री, डिसके पीछे भी मंत्री लगा वो गुरु और शुक्र ही
है............!!

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(1)सूर्ट - Central Govt (कें द्र सरकार)

(2)चंद्र - State Govt(राज्र् सरकार)

(3)मङ्गल - अडधकारी वगट, IAS अडधकारी, IPS अडधकारी,


कलेक्र्र , पुडलस डिपार्टमर्ें , िो सूर्ट और चन्द्र के कहने पर चले
मतलब सरकार के कहे अनुसार कार्ट करे देश की सुरक्षा की
बागिोर सम्भलते हो ,िो अपनी शरीर की बाहरी कला कौशल
से आगे बढ़ते हो िैसे क्रक्रके र्र, एक्र्र ऐसे लोग अपनी कला के
दम पर नाम कमाते है।

(4) बुध:- बुडि िीवी लोग,डशक्षा वगी लोग, अपना स्वर्म का


काम , व्यापार, अपनी बुडि का उपर्ोग करके अच्छे अडधकारी
बनना िहा डसर्ट मेन्र्ल वकट हो िैसे CA, CS, मीडिएर्र,
कम्र्ुडनके शन वगट से िुड़े लोग, बातचीत की कला से िुड़े
लोग(इं र्नटल कला)...........

(5) गुरु/शुक्र :- मंत्री, उच्च पद वाले लोग, डसर्ट अपने गुर्ों से


आगे बढ़ने वाले लोग पद प्रडतष्ठा वाले लोग,डवधार्क , सांसद ,
ओर उच्च वगीर् लोग िैसे डिनका बड़ा लम्बा व्यापार हो , िो
अपने क्रदमाग़ी गुर्ों से आगे बढ़ते हो डशक्षा का र्हााँ ताल्लुक कम

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रहता है गुर् प्रधान व्यडि होना चाइए........!!शुक्र इं र्नटल


प्लेनर्े होता है और गुरु एक्सर्नटल प्लेनर्े होता इसडलए शुक्र
आंतररक खुशी का ओर गुरु बाहरी समृडि का रोल डनभाता है ।

िैसे बुध और मङ्गल का रोल होता है बुध आंतररक कला,


मङ्गल बाहरी कला....!!

(6) शडन :- सेवक वगट नोकर शाही लोग , मिदूर वगट, मेहनती
लोग, पुराने डिपार्टमर्ें से िुड़े हुए पुराने काम से िुड़े हुवे, चाहे
क्रकतना ही बड़े पद पर क्र्ो न हो वहां लक्सरी िैसा नही हो
पाता छोर्ो लोगो से ही सम्बि रहता है ।

राहु शडन की तरह ओर के तु मङ्गल की तरह , राहु के तु उन ग्रहो


का भी र्ल दे सकते है डिनसे र्े र्ुडत दृष्ट्री में होते है ।

इन दोनों डिपार्टमर्ें ओर ग्रह के डपतामाह है डत्रदेव.......….

*डत्रदेव*

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(1) ब्रह्मा

(2) डवष्र्ु

(3) महेश

हम सभी िानते है ब्रह्म देव का काम सृष्ट्री का डनमाटर् करना ही


है ।

सृष्ट्री का संहार करने का काम भगवान महेश(डशव) का होता है


िब िब भी उनका तीसरा नेत्र खुलता है बहुत तबाही होती है।

सबसे अहम रोल में बने हुए है भगवान डवष्र्ु िो इस संसार का


पालन पोषर् करते है वो हमारे डलए साक्षात डपता ही है िो हम
सभी िीवात्माओ का पालन कर रहे है हम सभी िानते है सबसे
बड़ा िन्म देने वाला नही ओर नही संहार करने वाला होता है
सबसे बड़ा वो ही होता है िो पालन करता है भगवान डवष्र्ु
समस्त िगत के पालनहार है........

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*Note:- भगवान ब्रह्मा डवष्र्ु महेश वास्तडवकता में अलग


अलग है ही नही र्ह डत्रदेव है डिनका एक ही िीव है एक ही
आत्मा है एक ही परमात्मा है िो अलग अलग रूप में डवख्र्ात है
।*

चारो डत्रकोर् के मुख्र् डपल्लर कें द्र में ही आते है बस इसको ही


डवष्र्ु भाव कहते है।

िैसे धमट डत्रकोर् का भाव 1

अर्ट डत्रकोर् का भाव 10

काम डत्रकोर् का भाव 7

मोक्ष डत्रकोर् का भाव 4

र्ह सभी कें द्र में आ रहे है इसे ही डवष्र्ु भाव कहते है।

बस र्ही वो भाव है िो परमडपता डवष्र्ु के है र्ह डसर्ट र्े


बताता है डवष्र्ु भगवान सभी को चलाने वाले र्ा सभी िगह
वो बैठे हुए है हर िगह

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हमारी वैक्रदक ज्र्ोडतष पूरी इस चार डत्रकोर् पर ही रर्की हुई


है ।

धमट डत्रकोर् िो लग्न से बना हुआ है क्र्ो उसको इतना महत्वपूर्ट


बतार्ा गर्ा है आइर्े समझने का प्रर्ास करते है............

हमारी आत्मा एक ऐसा सोसट है िो भैडतक िीव को बदल रही है


हर बार िन्म िन्मांतर से वो तो एक ही है बस अलग अलग
र्ोडनर्ों में िन्म लेकर अपने शरीर ही बदल रही है आत्मा अिर
अमर अडवनाशी है डिसको न कार्ा िा सकता है न िलार्ा िा
सकता है न ओर कु छ इसका डसर्ट एक ही सॉल्र्ुशन हमारे कमट
को भुगतान करना इसडलए बार बार हमको क्रकसी न क्रकसी रूप
में िन्म लेना पड़ रहा है बस आत्मा अगर कही समाडहत हो
सकती है तो है *परम् डपता परमेश्वर भगवान डवष्र्ु* बस र्ही
इसका लक्ष्र् है हम र्ही हाडसल करने ही र्हां सभी आर्े है और
र्हां होता हमारे िन्म कुं िली मे भाव 5 िो पुनिटन्म का होता है
िीव का िन्म आत्मा से ही है बस र्ही प्रारब्ध है र्ही धमट
डत्रकोर् का सबसे पहला डपल्लर है िहााँ से हमारी आत्मा ने
प्रवेश क्रकर्ा है...........

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उसके बाद हमारा लग्न होता है िो आत्मा हमारे शरीर मे धारर्


हो चुकी है बस इस शरीर के ऊपर ही सब कु छ है िो उस आत्मा
को उसके मुख्र् लक्ष्र् पर पहुचा दे आत्मा पूरी तरह उसके इस
िन्म के शरीर पर आधाररत है शरीर सही है तो वो आत्मा को
उसके सही स्र्ान पहुचा सकता है । *बस र्ही हमारा मुख्र्
डपल्लर है डिस पर पूरा िीवन रर्का है र्हां तक आत्मा तक लग्न
पर आधाररत है ।*

अब आते है नवम भाव पर नवम भाव वो भाव है िो हमारे


संडचत कमट से बंधा है हमारा िन्म कहा होना हमे कोनसा
पररवार डमलेगा हमारे डपता कै से होंगे क्रकतने सपोर्ट करते है र्ह
सब नवम भाव ही है िहां से हमे एक क्रदशा डमलती है आगे बढ़ने
की पहली क्रदशा...….....!!

र्ह तीनों भाव एक ही क्रदशा में होते है इसडलए र्े तीनो आपस
मे िुड़े है इसे लक्ष्मी भाव इसडलर्े कहा िाता है क्रक िहा धमट

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कमट भडि ,दर्ा ,करुर्ा, भाव, प्रेम , सदभवना, बुडि, अच्छे कार्ट
,दान, नीडत अच्छी सौच होगी वही मााँ लक्ष्मी स्र्ाई रूप से
रहती है उसके डसवार् दूसरी िगह कभी कभार ही दृष्ट्री िालती
है....….........!!

लग्न के प्रकार :- लग्न 3 प्रकार के होते है......

(1) चर लग्न

(2) डस्र्र लग्न

(3) डिस्वभाव लग्न

(1) चर लग्न:- प्रर्म भाव मे 1-4-7-10 नम्बर वाली राडश आती


है र्ा ऐसे बोले मेष, ककट , तुला र्ा मकर राडश भाव 1 मे आ
िार्े तो वह चर लग्न होता है........…......!!

(2) डस्र्र लग्न:-प्रर्म भाव मे 2-5-8-11 नंबर आ िार्े र्ा ऐसे


बोले वषटभ, नसंह, वृडिक, कुं भ राडश आ िार्े तो उसे डस्र्र लग्न
कहते है।

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(3) डिस्वभाव लग्न:- अगर प्रर्म भाव मे 3,6,9,12 नम्बर आ


िार्े र्ा ऐसे बोले डमर्ुन, कन्र्ा, धनु, मीन राडश आ िार्े तो
उसे डिस्वभाव लग्न कहते है ।

चर लग्न में बाधक भाव -11

डस्र्र लग्न में बाधक भाव -9

डिस्वभाव लग्न में बाधक भाव -7

मारक भाव सभी मे 2&7 है

*(1) धमटडत्रकोर् :-*

ज्र्ोडतष में 1-5-9 भाव को धमट डत्रकोर् कहा गर्ा है र्ह सबसे
मुख्र् डत्रकोर् है इसी डत्रकोर् के सहारे बड़े से बड़े रािर्ोग र्ा
ऐसे कहे उच्च पद बनते है ।

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भाव - 1 (लग्न/हम स्वर्ं)

भाव -5 सौचने समझने की ताकत/प्रारब्ध

भाव -9 उच्च डशक्षा, नीडतज्ञ

*(2) अर्ट डत्रकोर्:-*

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ज्र्ोडतष में िन्मकुं िली के भाव 2,6,10 भाव को अर्टडत्रकोंर् की


संज्ञा दी गर्ी है , धन कमाई करना, मेहनत से धन कमाने के
प्रर्ास, सम्मान,प्रडतस्ठा सब कु छ इसी डत्रकोर् से देखा िाता है
धन है तो बहुत कु छ हो सकता है।

भाव- 2 बचत पररवार का धन का

भाव-6 हमारे प्रर्ास से कमार्ा धन

भाव -10 हमारा कमट ,गुिडवल

10 - मुख्र् भाव

2&6 - सहर्ोगी भाव

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*(3) काम डत्रकोर्:-*

काम का शाडब्दक अर्ट होता है इच्छा , हमारी डितनी भी इच्छा


पूर्तट होगी सब काम डत्रकोर् के बलाबल पर ही है भाव
(3,7,11) काम डत्रकोर् में आते है र्ह भाव सामाडिक िीवन को
बताते है, समाि मे हमारा व्यहार, हमारी प्रगडत, शादी िहा से
हम ग्रहस्र् िीवन मे प्रवेश करते है , सभी तरह के भौडतक सुख,

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भोग के डलए र्े डत्रकोर् बहुत कारगर होता है , ज्ञान लेने के


बाद, धन कमाने के बाद र्े तीसरा डत्रकोर् है िो सभी सांसाररक
चीज़ों की इच्छाओं की पूर्तट वाला होता है।

7 - मुख्र् भाव

3,11 - सहर्ोगी भाव

*(4) मोक्ष डत्रकोर् :-*


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मोक्ष डत्रकोर् का सीधा मतलब है समपटर् होना/समर्पटत होना


बस ऐसे ही मोक्ष कहा िाता है, िब भी अपना सुख दुख दुसरो
के सुख दुख में क्रदखने लग िाए बस समझ लीडिए वही से
समपटर् की भावना िग गर्ी है इसे ही मोक्ष न्र्ोछावर कहते है,
र्ही मोक्ष डत्रकोर् होता है ।

4 - मुख्र् भाव

8&12 - सहर्ोगी भाव

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1-5-9 (धमट)

2-6-10 (अर्ट)

3-7-11 (काम)

4-8-12 (मोक्ष)

1-4-7-10 (डवष्र्ु)

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डवष्र्ु भाव मे सभी डत्रकोर् में कोई न कोई भाव आर्ा है

लक्ष्मी कहा रहती है िहां धमट हो नीडतर्ां हो, डवष्र्ु अपने भि


का सार् कभी नही छोड़ते है र्ह डत्रकोर् में डवष्र्ु समाए है ।

*# कें द्र भाव (डवष्र्ु भाव) :-*

1-5-9 (धमट)

2-6-10 (अर्ट)

3-7-11 (काम)

4-8-12 (मोक्ष)

1-4-7-10 (डवष्र्ु)

डवष्र्ु भाव मे सभी डत्रकोर् में कोई न कोई भाव आर्ा है

लक्ष्मी कहा रहती है िहां धमट हो नीडतर्ां हो, डवष्र्ु अपने भि


का सार् कभी नही छोड़ते है र्ह डत्रकोर् में डवष्र्ु समाए है ।

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*सूत्र -- " र्ोगकारक ग्रह "*

*(1) ऐसा ग्रह िो कें द्र ओर डत्रकोर् दोनो का स्वामी बनकर आर्े
वह र्ोगकारक कहलाता है ।*

*(2) अगर डनर्म - (1) वाला सूत्र नही लगता है क्रकसी लग्न में
तो िो ग्रह पंचम भाव का स्वामी हो वही र्ोगकारक कहलाता है
।*

*मेष लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

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1- मेष - मंगल

5-नसंह - सुर्ट

9-धनु - गुरु

1 - मेष (मंगल)

4 - ककट (चंद्र)

7- तुला(शुक्र)

10- मकर(शडन)

र्ोगकारक ग्रह - सूर्ट

*वृष लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-वृष - शुक्र
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5-कन्र्ा- बुध

9-मकर- शडन

प्रर्म भाव - वृष(शुक्र)

4 - नसंह(सूर्)ट

7- वृडिक(मंगल)

10- कु म्भ(शडन)

र्ोगकारक ग्रह - शडन

*डमर्ुन लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-डमर्ुन - बुध

5-तुला- शुक्र
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9-कु म्भ- शडन

प्रर्म भाव - डमर्ुन(बुध)

4 - कन्र्ा(बुध)

7- धनु(गुरु)

10- मीन(गुरु)

र्ोगकारक ग्रह - शुक्र

*ककट लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-ककट - चंद्र

5-वृडिक- मंगल

9-मीन- गुरु

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प्रर्म भाव - ककट (चंद्र)

4 - तुला(शुक्र)

7- मकर(शडन)

10-मेष(मंगल)

र्ोगकारक - मंगल

*नसंह लग्न* - example

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-नसंह - सूर्ट

5-धनु - गुरु

9-मेष - मंगल

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अब कें द्र में कोनसी राडश आती ओर उन राडश का स्वामी कोंन


है र्ह देखते है -

(1-4-7-10 ) भाव की राडश नसंह लग्न में -

1 - नसंह (सूर्)ट

4 - वृडिक (मंगल)

7- कुं भ (शडन)

10- वृषभ (शुक्र)

र्ोगकारक - मंगल

*कन्र्ा लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-कन्र्ा- बुध

5-मकर- शडन
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9-वृष- शुक्र

प्रर्म भाव - कन्र्ा(बुध)

4 - धनु(गुरु)

7- मीन(गुरु)

10-डमर्ुन(बुध)

र्ोगकारक ग्रह - शडन

*तुला लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-तुला- शुक्र

5-कुं भ- शडन

9-डमर्ुन- बुध

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प्रर्म भाव - तुला(शुक्र)

4 - मकर(शडन)

7- मेष(मंगल)

10-ककट (चंद्र)

र्ोगकारक ग्रह -शडन

*वृडिक लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-वृडिक- मंगल

5-मीन- गुरु

9-ककट - चंद्र

प्रर्म भाव - वृडिक(मंगल)


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4 -कु म्भ (शडन)

7- वृष(शुक्र)

10-नसंह(सूर्)ट

र्ोगकारक ग्रह - गुरु

*धनु लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-धनु- गुरु

5-मेष- मंगल

9-नसंह- सूर्ट

प्रर्म भाव - धनु(गुरु)

4 -मीन (गुरु)
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7- डमर्ुन(बुध)

10-कन्र्ा(बुध)

र्ोगकारक ग्रह - मंगल

*मकर लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-मकर- शडन

5-वृष- शुक्र

9-कन्र्ा- बुध

प्रर्म भाव मकर(शडन)

4 -मेष(मंगल)

7- ककट (चंद्र)
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10-तुला(शुक्र)

र्ोगकारक ग्रह - शुक्र

*कुं भ लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-कुं भ- शडन

5-डमर्ुन- बुध

9-तुला- शुक्र

प्रर्म भाव कुं भ(शडन)

4 -वृष(शुक्र)

7- नसंह(सूर्)ट

10-वृडिक(मंगल)
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र्ोगकारक ग्रह - शुक्र

*मीन लग्न* -

डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-


9)

1-मीन- गुरु

5-ककट - चंद्र

9-वृडिक- मंगल

प्रर्म भाव मीन(गुरु)

4 -डमर्ुन(बुध)

7- कन्र्ा(बुध)

10-धनु(गुरु)

र्ोगकारक ग्रह - चंद्र


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भाव डस्र्र कारक ग्रह --

प्रर्म भाव - सूर्ट

डितीर् भाव - गुरु

तृतीर् भाव - मंगल

चतुर्ट भाव - चंद्र

पंचम भाव - गुरु

षष्ट भाव - मंगल/राहु

सप्तम भाव - शुक्र

अष्टम भाव - शडन

नवम भाव - गुरू

दशम भाव - मंगल , बुध , गुरु , शडन

एकादश भाव - गुरु

िादश भाव - शडन/के तु

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डवशेष - गुरु अके ला 5 भाव का डस्र्र कारक हो िाता है इसडलए


गुरु की डस्र्डत मिबूत हो तो िीवन मे हर काम समर् से ओर
आसानी से हो िाता है ।

Rahul Maheshwari, MANASA Dist - Neemuch (MP)


Falit Jyotish –Research
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