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मार्च 2021

इस अंक में
अनुक्रमणिका
1.आपके णिए
(क) पाठकों के पत्र
संस्थापक (ख) रर्ना आमत्रं ण
राजेंद्र कुमार शास्त्री"गुरु"
2.स्तम्भ
अक
ं -10, वर्ष-1, (क) सम्पादकीय- राजेंद्र कुमार शास्त्री “गुरु”
मार्ष 2021 (ख) चर्चकत्सकीय परामशच- डॉ. अपणाच चमश्रा

सम्पादक 3. कथा साणित्य


राजेन्द्र कुमार शास्त्री "गुरु" (अ) किाणनयााँ
(क) लूडो- सद्ध
ु ा गोयल
सह-सपं ादक (ख) मयूरी- ऋचद्धका आर्ायच
क्षिक्षिज जैन "अनघ"
(ब) िघुकथाएाँ
काव्य साहहत्य सपं ाहदका ववं सकं हषिकका (क) पररचर्त- डॉ. मचिमा श्रीवास्तव
ज्योक्षि क्षमश्रा (ख) खज़ाना- डॉ. र्ंद्रशे छतलानी

4. काव्य साणित्य
शायकी सपं ाहदका
* संपाणिका की ओर से- (द्वंद्व) ज्योणत णमश्रा
नीटू कुमार "नीिा"
(क ) चजन्दगी कब जगं िै?- कमल यादव
(ख) किााँ िो तुम?- िरदीप सबरवाल
गद्य साहहत्य सम्पादन सहयोग
(ग) मोबाइल से कब तक खेलूाँ? (बालगीत)- चिज राज चकशोर
क्षिद्या शमाा
“रािगीर”
(घ) सती- दीचि सारस्वत “प्रचतमा”
तकनीकी हवभागाध्यषिक 5. आिेख
धमेन्द्र क्ष िंह "धमाा" (क) अज्ञेय जी के काव्य में वैयचिक र्ेतना- तरुण कुमार दाधीर्
sahityahunt@gmail.com
(ख) रामराज्य- दीपक दीचित
(ग) नया भारत जानता िै र्ीन को झक ु ाना- रंजना चमश्रा
https://sahityahunt.com/
6. समीक्षा
(क) चदमाग वालो सावधान- डॉ. प्रदीप उपाध्याय
मार्च 2021
इस अक
ं में
पाठकों के पत्र
7. शायरी साणित्य
(क) ग़ज़लें- चनज़ाम फतेिपुरी सम्पादन मण्डल को नमस्कार,
(ख) िादसा (नज़्म)- मोिम्मद ममु ताज िसन साचित्य िटं के फरवरी अंक को पढ़ने
का सौभाग्य प्राि िुआ। पचत्रका में
लगातार उत्कृष्ट रर्नाओ ं को पढ़ने का
नोट:- आप िमारी णकसी णिशेष सच ू ना को प्राप्त मौका चमलता िै। आपकी पचत्रका की
करने के णिए िमारी िेबसाइट ख़ास बात यिी िै चक एक ओर जिााँ
(http://sahtiyahunt.com) को णनरंतर णिणजट करते इसमें सतं ोष श्रीवास्तव जैसी नामी
रिें। इसके अणतररक्त आप िमारे फे सबुक पेज लेखक- लेचखकाओ ं की रर्नाओ ं को
(Sahityahunt) को भी फोिो और िाइक कर िेिें। पढ़ने का मौका चमलता िै तो विीं
ताणक नई अपडेट आपको णमिती रिे। नवोचदत लेखकों की रर्नाओ ं को पढ़ने
का भी अवसर प्राि िोता िै। लेचकन एक
सच ू ना बात इस पचत्रका की कभी निीं बदलती
चप्रय पाठको, और वो िै इसकी रर्नाओ ं के र्यन में
इस अंक में आपको साचित्य िटं के सि-सम्पादक (चिचतज की गई चनष्पिता। इतने अक ं आने के
जैन `अनघ` जी) का रर्ना तत्व उनकी अस्वस्थता के बाद मैंने ये तो जान िी चलया िै चक
र्लते पढ़ने को निीं चमलेगा। आपकी पचत्रका अपने अंकों में उसे िी
सम्पािक स्थान देती िै जो सर् में उत्कृष्ट
साचित्यकार िो। आगे भी आपकी
पचत्रका का स्तर कभी ना चगरे इसी
आशा के साथ।
आपका
मनोज कुमार (उदयपुर, राजस्थान)

मार्च 2021 3
रर्ना आमन्त्रण

रर्ना आमत्रं ण

“ चप्रय साचिचत्यक चमत्रों!


आप सभी को सचू र्त करते िुए अत्यतं िषच िो रिा िै चक साचित्य िटं के अप्रेल 2021
अंक के चलए सभी चवधाओ ं की रर्नाएाँ आमंचत्रत की जा रिी िैं। लेखक अब िमें माि
की चकसी भी चतचथ को रर्नाएाँ प्रेचषत कर सकते िैं, चजनके प्रकाशन की सर्ू ना
सम्पादन मण्डल की ओर से दे दी जाएगी।
िमारा ईमेल िै- sahityahunt@gmail.com रर्ना के साथ मौचलकता प्रमाण पत्र
िोना अचनवायच िै।
-धमेन्द्द्र णसंि “धमाा ”
+918865999573
(Whatsapp)


सूचना:
पाठक हमें इस अंक की अपनी प्रहतहियावं (sahityahunt@gmail.com) पक भेजें।
सम्पादन मण्डल

मार्च 2021 5
सम्पादकीय
देश की तरक्की में यवु ाओ ं की भागीदारी
बात की पचु ष्ट की िै चक चजस देश में आबादी का
राजेंद्र कुमार शास्त्री “गरुु ” बड़ा चिस्सा कायचशील जनसंख्या का िै उसकी
प्रधान सम्पादक जी.डी.पी. काफी सदृु ढ़ िै। ये सभी तथ्य पेश
(साचित्य िटं ) करने के पश्चात ये बात तो स्पष्ट िो गई िै चक
Email: कायचशील जनसख्ं या मतलब देश की तरक्की।
Sahityahunt@gmail.com चकन्तु दो दशक बीत जाने के बाद भी िमारा देश
आज भी चवकासशील देशों की श्रेणी में आता िै,
अक्सर देश के राजनेताओ ं के मख
ु से सनु ने को जनसख्ं या में एक बिुत बड़ा चिस्सा यवु ाओ ं का
चमलता िै चक िमारा देश यवु ाओ ं का देश िै जो िोने के बावजदू भी देश आज भी चवश्वपटल पर
चक एक बड़ा सर् भी िै और यि भी चकसी से उतनी तरक्की निीं कर पाया िै चजतनी करनी
चछपा िुआ निीं िै चक चकसी भी देश की तरक्की र्ाचिए थी। तो कमी किााँ िै? क्या चकसी देश की
के पीछे सबसे बड़ा िाथ िोता िै कायचशील तरक्की के चलए बीस साल पयाचि निीं िैं? क्या
जनसंख्या का। यवु ावगच उसी कायचशील जनसख्ं या चकसी देश का चवकास करने में यवु ावगच अिम
का प्रचतचनचधत्व करता िै। िमारे देश भारत की भचू मका अदा निीं करता िै?
जनसख्ं या में भी बिुत बड़ा चिस्सा यवु ावगच का ये सभी वो प्रश्न िैं चजनके जवाब खोजने के चलए
िै। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार कुल िमें यि बात जाननी पड़ेगी चक िमारे देश के
आबादी में से 18 से 35 वषच की उम्र के व्यचियों यवु ाओ ं की मनोवचृ ि चकस प्रकार की िै। अक्सर
का प्रचतशत 31.27% िै अथाचत् देश की कुल िमारे देश के राजनेता अपने भाषणों में यवु ाओ ं
आबादी में से करीब 38 करोड़ यवु ा िैं। जो का चजक्र बड़े िी शान से करते िैं। चजसका मख्ु य
चवश्वभर के चवकचसत देशों के मक ु ाबले बिुत औचर्त्य भाषणों को प्रभावी बनाने के अचतररि
अचधक िैं और िाल िी के वषों में यवु ाओ ं की और कुछ निीं िोता िै। यवु ाओ ं को कमचठ बोला
संख्या में और भी इजाफा िुआ िै। ऐसा निीं िै चक जाता िै। देश की तरक्की की धरु ी किा जाता िै
देश की आबादी के कुल चिस्से में से यवु ाओ ं के लेचकन क्या ये सर् िै? यि बिुत बड़ा प्रश्न
प्रचतशत में वचृ द्ध 2011की जनगणना में िी दजच िै। अगर इस प्रश्न की ति तक जाया जाए तो
िुई िै बचकक 2001 की जनगणना में भी भारत की पता र्लेगा चक इस देश में यवु ाओ ं की सख्ं या
कुल आबादी में से एक बड़ा चिस्सा यवु ाओ ं का कम निीं िै बचकक कामकाजी यवु ाओ ं की
था। चवश्वभर में चकए गए सैंकड़ों शोधों ने भी इस संख्या बिुत कम िै। ऐसे यवु ाओ ं की संख्या बिुत
कम िै जो सबु ि से शाम तक अपने काम में व्यस्त
मार्च 2021 6
सम्पादकीय
रिते िैं। जो अपने कायच के प्रचत पूणच रूप से की आस िोती िै चक उनके बेटे या बेटी को कोई
समचपचत रिते िैं। ऐसे यवु ाओ ं ने अपनी मेिनत और सरकारी नौकरी चमल िी जाएगी। लेचकन
लगन के दम पर चवश्व पटल पर के वल अपना िी आसमान छूता कोचर्गं सस्ं थाओ ं का शकु क,
निीं बचकक िमारे देश का नाम भी दजच करवाया िै। रिन-सिन और खाने-पीना का खर्ाच घरवालों की
लेचकन ऐसे यवु ाओ ं की अब सख्ं या साल दर साल कमर तोड़ देता िै। चफर जब कभी सरकार भती
कम िी िोती जा रिी िै और उन यवु ाओ ं की संख्या चनकालकर रिम कर भी देती िै तो भी अगले पार्ं
में बढ़ोिरी िो रिी िै जो घरवालों के लाखों रूपये साल तक घर का कजाच निीं उतरता िै और कजे
पढ़ाई पर खर्च करने के बाद भी िाथ पर िाथ धरे के उतरने के बाद उसकी शादी, अगर लड़की िै
घर में बैठे रिते िैं। सालों साल इधर-उधर सरकारी तो चफर दिेज़ भी देना पड़ेगा, वरना तो चबरादरी में
नौकररयों की तलाश में भटकते रिते िैं और जब नाक कट जायेगी! उफ़! अथाचत् चफर से लाखों
सरकारी नौकरी निीं चमलती िै तो अपने बढ़ू े मााँ- रुपयों का खर्ाच। लेचकन ठिररये! ये बात तो ऐसे
बाप के चलए घर का बोझ बन जाते िैं। पढ़ाई करने यवु ाओ ं की िै जो जैसे-तैसे करके पांर्-छ: साल
या पढ़ाई के नाम पर अपने सालों बबाचद करने वाले में नौकरी िाचसल कर लेते िैं, पर ज़रा उनके बारे
ये यवु ा जब घर आते िैं तो अपने माता-चपता के में भी जान लीचजए चजन्िोंने पढ़ाई के नाम पर
घरे लू व्यवसाय या खेती-बाड़ी में भी िाथ बटं ाने से लाखों रूपये खर्च कर चदए और जब सरकारी
कतराते िैं। ऐसे यवु ाओ ं की संकीणच मानचसकता के नौकरी की तैयारी में लगने का वि आता िै तो
र्लते ये पुरखों के चनजी व्यवसायों, खेत-बाड़ी को तैयारी करने की बजाय सोशल मीचडया पर
अपने स्तर का निीं मानते िैं और चफर जब उन्िें राजनीचत, धमच और बॉलीवडु की बेचफजल ू की
घरे लू धधं ों एवं कायों में िाथ बटं ाने के चलए किा दचु नया में घसु कर अपना वि बबाचद करना शरू ु
जाता िै तो अपनी चडग्री या पढ़ाई का धौंस जमाकर कर देते िैं। सिी को गलत और गलत को सिी
अपने घरवालों की बोलती बंद कर देते िैं। आज करने के चलए गटु ों में कायच करते िैं। ऐसे यवु ा चदन
िर दसू रे घर में कोई ना कोई ऐसा यवु ा चमल िी के आठ से दस घटं े सोशल मीचडया पर इसी में
जाएगा चजसके पास दस िजार की माचसक वेतन वि जाया करने में लगे रिते िैं चक कौन मचु स्लम
वाली नौकरी भी निीं िै और उसके घरवालों ने िै, कौन चिन्दू िै और चकसके अचधकारों का
उसकी पढ़ाई पर दस लाख से भी ज्यादा खर्च कर शोषण िो रिा िै? उसके धमच या चबरादरी के
चदए िैं। बावजदू इसके घरवाले उसके भचवष्य को अचभनेता, लेखक या डायरे क्टर ने उसके धमच
सदृु ढ़ बनाने के चलए उसे मिगं े कोचर्ंग संस्थाओ ं में या चबरादरी का पि चलया िै या निीं! अगर निीं
पढ़ाई करने के चलए भेजते िैं क्योंचक उन्िें इस बात चलया िै तो #बायकॉट फलाना या ढीमकाना
शरू ु । ये अपने आपको कचथत मिाज्ञानी
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सम्पादकीय
समझकर देश की िर छोटी-बड़ी बातों का चवश्ले ष्ण और अन्य चफजल ू के मद्दु ों में अपना वि जाया
सोशल मीचडया पर अपनी पोस्ट्स के जररये व्यि करके अपने और अपने देश के चवकास में सबसे
करते िैं। सबसे बड़ी चवडम्बना तो अब ये िै चक बड़ा रोड़ा बन रिे िैं। अगर वि रिते भारतीय
ऐसे चनकम्मे यवु ाओ ं की संख्या में चदन-ब-चदन यवु ाओ ं ने अपनी इन बरु ी आदतों को निीं सधु ारा
बढ़ोिरी िो रिी िै। लड़चकयां र्दं लाइक्स और तो चफर वो चदन दरू निीं जब एक चदन भारत चफर
कमेन्ट के चलए देश और घर की सभ्यता और से गल ु ाम िो जाएगा। बस अतं र ये िोगा चक वो
संस्कृचत को ताक पर रख देती िैं तो विीं लड़के गलु ाम सोशल मीचडया का िोगा! वो गल ु ाम
ऐसी पोस्ट्स का मानो इतं जार िी कर रिे िोते चगरी िुई और संकीणच मानचसकता का िोगा! वो
िैं। िाल िी के कुछ वषों में ऐसे यवु ाओ ं की सख्ं या गल ु ाम फ़ोन का िोगा चजसे िमने अपनी सचु वधा
में भी बिुत इजाफा िुआ िै जो कामक ु पोस्ट्स के चलए बनाया था।
और वेबसीरीज के भद्दे दृश्यों की कड़ी आलोर्ना
करते िैं। इनकी आलोर्ना करने के दौरान चकस -राजे न्द्द्र कुमार शास्त्री “गरुु ”
तरि के शब्दों का र्यन चकया जाता िै इसके बारे में
बात ना की जाए तो िी अच्छा िै। अब यिााँ ये
बड़ा प्रश्न आकर खड़ा िोता िै चक अगर ऐसे
यवु ा सर् में सभ्य िैं तो चफर ऐसी पोस्ट्स या दृश्यों
को देखते िी क्यों िैं...? अगर िकीकत में ये सब
सभ्य िोते तो ऐसी र्ीजों से दरू ी िी बनाकर
रखते क्योंचक ये तो आज के जमाने में सभी जानते
िैं चक सोशल साइट्स या इन्टरनेट आपको विी
चदखाता िै चजसमें आप रूचर् रखते िो। खैर, इतना
सब जानने के बाद अब ये तो सवाल निीं रिा िै चक
दशक बीत जाने के बाद भी िमारा देश
चवकासशील िी क्यों िै। क्योंचक िमारे देश के यवु ा
भ्रचमत िो गए िैं। क्योंचक उन्िें इस बात का भान
निीं िै चक वो अपने मनोरंजन के र्क्कर में
के वल अपने घर का िी निीं बचकक अपने देश का
भी अनजाने में नक ु सान कर रिे िैं। क्योंचक वे धमच,

मार्च 2021 8
किानी लडू ो
पीट पाती तो िमें र्ाल बतातीं और िमारे द्वारा
सुधा गोयल उनकी गोटें चपटवा देती।
२९०-ए, कृ ष्णानगर,डा.दिा अपनी छः वषीय बालक बचु द्ध में उनकी र्ालें
लेन, बल
ु दं शिर-२०३००१
ईमेल-
किां आती थीं। िम सोर्ते पापा-मम्मी बड़े िैं,
sudhagoyal0404@ gma र्ाल ठीक िी बता रिे िैं। लेचकन िमें र्ाल
il.com बताकर वे अपना रास्ता साफ करते थे। अपनी
नासमझी के कारण िम अक्सर मात खा बैठते
मझु े बर्पन के वे चदन कभी निीं भल ू े जब मैं, और चफर बड़ी खीज िोती।
बीन,ू मम्मी और पापा चमल कर लडू ो खेलते थे। बीनू तो खीज कर सारा खेल िी चबगाड़ देती।
बड़ा मज़ा आता था। खेल में अक्सर पापा िी खेलने से पिले उसे अच्छी तरि समझा चदया
जीतते थे और िम सब चमलकर ताली बजाकर जाता चक चर्ढ़ कर खेल न चबगाड़े वरना उसे निीं
खश ु ी िोते थे। पापा-मम्मी की गोचटयां खबू पीटते। चखलाएगं े। बीनू खेल के लालर् में उस समय तो
कभी- कभी मम्मी भी जीत जाती लेचकन खेल में िां कर देती, लेचकन बाद में रुआंसी िो जाती।
िमारा नम्बर तीसरा या र्ौथा रिता। मम्मी के जब मम्मी की गोट पापा के घर के सामने
जीतते िी बाजी खत्म िो जाती जबचक पापा के पिुर्ं ती,मम्मी िसं कर कितीं- "अब चनकलेगी
जीतने तक मम्मी अंत तक साथ देंती। आपकी गोट गोटों को भी सगु धं आने लगी िै"।
असली खेल तो मम्मी पापा खेलते थे। िम तो उनकी बातों का व्यग्ं य िम किां समझ पाते? बस
मोिरे भर थे। चफर भी मैं िमेशा लाल गोटी लेता िसं ी में उनका साथ देते और खल ु कर िसं ते।
क्योंचक मेरे साथी अक्सर किा करते थे- 'िरी खेलते-खेलते बर्पन के चदन कब चनकल गये।
िराए, लाल चजताए, नीली पीली टक्कर खाए'ं आंखें तो तब खल ु ी जब यिी गोटी का खेल
चफर भी मैं िार जाता। यद्यचप मम्मी-पापा की जीवन में खेला जाने लगा। मम्मी-पापा एक दसू रे
गोचटयां नीली-पीली िी िोती और उनमें खबू को मात देने की कोचशश में अपनी- अपनी
टक्कर िोती। पता निीं क्यों खेल में िमेशा एक गोचटयां चफट करना र्ािते थे और िम मोिरे बने
बात िोती,पापा की गोट तभी बािर चनकलती जब र्पु र्ाप देख रिे थे। मम्मी जो भी कि देती, पापा
मम्मी की गोट उनके घर के सामने से चनकल भी िां में िां चमलाते। िम जैसे अचस्तत्व िीन िो
जाती। आधा सफर तय की िुई गोट को पापा गये थे, उनकी मजी में िमारी मजी थी।
एकदम पीट देत।े अब समझता ि,ं यि पापा की उनकी नजरों में िम अभी भी विी बच्र्े थे
एक र्ाल थी लेचकन जब मम्मी-पापा की गोट न चजन्िें गोटी र्लने की तमीज निीं थी और अब
भी वे अपनी तरि िी र्ाल र्लनी र्ािते।
मार्च 2021 9
किानी
अजीब खींर्ा-तानी मर्ी थी। कोई यि समझने को पता निीं यि र्क्र कब से र्ल रिा था। एक चदन
तैयार िी न था चक िमें भी अपनी गोट र्लनी मम्मी बाज़ार सामान लेने गई थी और लौटते
आती िै। मन करता पापा से कि-ं आप गलत र्ाल वि उन्िोंने पापा को दोपिर का शो देखकर,
र्ल रिे िैं! मात खा जाएंगे, मम्मी जरा धीरे र्लो! उवचशी से िाथ में िाथ डाले चनकलते देख चलया
किीं ठोकर न लग जाए या चफर ऐसा न िो चक िम था। मैं सोर्ता-इसमें इतना शोरगल ु मर्ाने की
सब भटक जाएं और अलग-अलग चदशाओ ं में क्या जरूरत िै वैसे सिी अथच मझु े भी मालमू न
र्लने लगें। था। मैंने अपने एक दोस्त से पूछा तो वि बोला-
कभी कोई चदन ऐसा न आ जाए चक िम "तम्ु िारे पापा नयी मम्मी ला रिे िैं।" सनु कर
अपनी िी पिर्ान खो दें और एक दसू रे को थोड़ा अजीब लगा चक जब िमारा काम एक
पिर्ान न पाए। िमारी सलाि मानकर देखो! मम्मी से र्ल जाता िै तो भला दसू री की क्या
कभी-कभी बच्र्ों की बताई र्ाल से भी बाजी जरूरत? मैंने बीनू से किा।
पलट जाती िै। पर मन मसोस कर रि जाते, इतनी वि बोली- "अरे ! बस इतनी सी बात िै? मैं
चिम्मत किां थी चक, बड़ों के सामने मंिु खोल मम्मी को बोलगंू ी चक आप भी एक नये पापा ले
सकें । किना बिुत कुछ था, लेचकन जबु ान तालू से आए,ं बस लड़ाई खत्म और चिसाब बराबर िो
चर्पक जाती। मम्मी की िर वि की बकबक और जाएगा।” मझु े भी बीनू की बात सिी लगी लेचकन
रोना, मौन में तब्दील िो गया। समय से घर लौटने ये नये पापा और नयी मम्मी कै से िोंगे? िमारा
वाले पापा देर सबेर या कई-कई चदन बाद घर क्या काम करें गे? िमारी लडू ो में तो र्ार िी घर
लौटने लगे। पता निीं पापा किां रिते थे और क्या िैं इन दोनों को कै से चखलाएंग?े घर में इतनी
खाते थे। लेचकन घर में व्याि मौन तफ ू ान आने से भीड़ क्या अच्छी लगेगी? आचखर बीनू ने अपने
पूवच की शाचं त जैसा था। िसं ी के फव्वारे बंद िो गये मन की बात कि िी दी। सनु कर मम्मी ने एक
थे। िमें बड़ी झझंु लािट िोती, लगता-चकन्िीं जोरदार तमार्ा जड़ चदया चफर स्वंय भी रोने
अदृश्य िाथों ने िसं ी के गल ु दस्ते िमसे छीन चलए लगी। बीनू तो गला फाड़कर र्ीख रिी थी। मैं भी
िैं और िम उन्िें पाने के चलए छटपटा रिे िैं। निीं समझ पा रिा था चक बीनू ने ऐसी क्या ग़लत
एक चदन मामाजी घर आए तो मम्मी उनके बात कि दी चक मम्मी ने उसे मारा, मझु े मम्मी पर
सामने फूट-फूटकर रोने लगीं। खबू गस्ु सा आया। मैं जब मम्मी को रोते देखता
उन्िोंने रोते-रोते बताया चक पापा चकसी और के तो मझु े उनपर तरस आ जाता। पापा मम्मी को
र्क्कर में पड़ गये िैं। वि मचिला पापा के आचफस इतना क्यों सताते िैं? पिले की तरि दफ्तर से
में िी काम करती िै और तलाकशदु ा िै। लौटकर सीधे घर क्यो निी आते? यचद गलती
की िै तो माफी मागं लेनी र्ाचिए, िमें तो
मार्च 2021 10
किानी
सब यिी चसखाते िैं चक माफी मांगने से कोई छोटा बीनू भी चर्ड़चर्ड़ी और गंदी लड़की िो गई थी,
निीं िो जाता। पापा भी मम्मी से माफी मागं लेंगे तो िर वि मैली सी फ्राक पिने गली में बच्र्ों के
क्या...? चफर भी िमारे पापा िी रिेंगे। एक चदन साथ खेला करती ,जरा भी किना निीं मानती।
डरते- डरते पापा के गले में बािें डाल कर किा- पापा को घर आए चबना दो मिीने िो गए। एक
"पापा ,आज िम सब चफर लडू ो खेलें?” सनु ते िी चदन मामाजी िम सबको अपने साथ ले गए।
पापा ने चझड़क कर गले से बािें चनकाल दी .और उसके बाद िम कभी अपने घर निीं गये। मामाजी
र्पु र्ाप अपने कमरे में र्ले गए। पापा की चझड़की के घर में मझु े जरा भी अपनापन निीं लगता था।
मम्मी के कानों में भी पड़ गई थी चफर दोनों में खबू जब चर्ंटू- चपंटू मामाजी से पापा- पापा किकर
वाक् यद्ध ु िुआ। मैं अपनी प्रताड़ना के दःु ख को चलपट जाते तब मझु े अपने पापा की बिुत याद
भल ू कर चवस्मय से देख रिा था। ये मम्मी पापा कै से आती। िमें यिां आए एक साल िो गया था।
िो गए िैं? सारे चदन झगड़ते रिते िैं। पापा पिले तो पापा की न तो कोई चर्ट्ठी आई न पापा चमलने
ऐसे निीं थे , मारते भी निीं थे प्यार करते थे। मम्मी आए। अब तो मझु े भी लगने लगा चक पापा पिले
िी कभी पीट देती थीं तब पापा मम्मी को डांटते वाले पापा निीं रिे। मेरे जन्मचदन पर कोई उपिार
और िम दोनों को अपने साथ बाजार ले जाते, भी निीं भेजा। क्या उन्िें िम लोगों की जरा भी
र्ाकलेट चदलाते , पाकच में घमु ाते। याद निीं आती? मम्मी भी अब नौकरी करने
लेचकन अब मम्मी न प्यार करतीं िैं न मारती लगीं िैं। मैं और बीनू स्कूल से थके िारे लौटते
िैं। न जाने कै से खोई- खोई सी रिती िैं साड़ी भी और र्पु र्ाप घर में अके ले पड़े रिते। मम्मी के
ढ़गं से निीं बाधं तीं। र्ेिरा भी चकतना खराब िो पीछे घर में अके ले कुछ भी अच्छा निीं लगता।
गया िै पर पिले मेरी मम्मी सभी दोस्तों की मम्मी तभी एक चदन मामाजी ने आकर बताया चक
से संदु र लगती थीं। नोचटस आ गया िै , तलाक का मक ु दमा शरूु िो
उस चदन चकतने उत्साि में भरकर घर लौटा था गया िै। तलाक का अथच जानने के चलए मझु े चफर
अपनी किा में प्रथम जो आया था। सोर् रिा था से दोस्त की मदद लेनी पड़ी। अब धीरे -धीरे सारी
चक काडच देखते िी मम्मी उछल पड़ेंगी ,खबू प्यार बातें समझ में आने लगी थीं। मम्मी को अक्सर
करें गी और शाबाशी भी देंगी और मोिकले के छुट्टी लेकर कर्िरी जाना पड़ता। मेरे मन में पापा
बच्र्ों में चमठाई भी बाटं ेगी। लेचकन मम्मी ने काडच से चमलने की बड़ी इच्छा थी। एक चदन चबना
देखकर र्पु र्ाप एक तरफ रख चदया , किा कुछ चकसी को बताए र्ोरी-र्ोरी र्पु र्ाप मम्मी के
भी निीं। मझु े बिुत बरु ा लगा! यचद एक बार प्यार पीछे पीछे र्ल चदया। कर्िरी के बािर िी
से र्मू िी लेती तो इनका कुछ चबगड़ जाता? मामाजी चमल गये। मम्मी उनसे बात करने लगी
तभी मेरी नज़र पापा पर पड़ी वे एक काले कोट
मार्च 2021 11
किानी
वाले से बात कर रिे थे, मैं दौड़कर उनके पास की कायचवािी शरू ु िो गई। मम्मी पापा का
पिुर्ं ा और धीरे से पक ु ारा-"पापा" आवाज सनु कर तलाक िो गया था। तभी जज सािब ने मेरा और
पापा ने मड़ु कर देखा और मझु े र्मू चलया। मैंने बीनू का नाम लेकर पूछा- "बच्र्ों! तमु अपनी
पापा की आंखों में झाक ं ा और बोला-"आप िमारे मम्मी के साथ रिना र्ािोगे या पापा के साथ?"
साथ क्यो निी रिते पापा? िमें आपसे अलग रिना िमने बारी-बारी से दोनों की ओर देखा। दोनों
जरा भी अच्छा निीं लगता।” की नजरें िम पर लगीं थीं। मैंने और बीनू ने एक
"मैं कोचशश कर रिा िं चक तमु और बीनू मेरे साथ साथ मम्मी के पि में अपना चनणचय सनु ा चदया
िी रिो!" पापा ने किा। आज मम्मी को जीत चमली थी और पापा िार
“और मम्मी?” मैंने बीर् में िी बात काटकर पछू ा। गए थे। पापा का वि मरु झाया र्ेिरा िर वि मेरे
“तम्ु िारी मम्मी िमारे साथ निीं रिेंगी"-पापा के सामने रिता िै। लेचकन मम्मी भी फै सला सनु कर
मिंु से सनु कर बड़ा गस्ु सा आया। "मम्मी साथ निीं िम दोनों को पकड़कर चससक उठी थीं। तभी
रिेंगी तो िम भी निीं रिेंगे" गस्ु से में किकर भाग पापा को विां से गजु रते देखकर मैंने झट साथ
आया था, मझु े पापा पर बिुत गस्ु सा आ रिा था। लाई लडू ो उन्िें पकड़ा दी-"पापा! अपना लडू ो
उस चदन मम्मी बिुत उदास थीं कि रिीं थीं- सभं ाचलए ,जब खेलने वाले िी निीं रिे तो इसको
"बीन!ू तम्ु िें और तम्ु िारे भैया को भी कल कर्िरी रखकर क्या करुंगा?” और चबना उनकी ओर देखे
र्लना िै, देंखे फै सला चकसके पि में िोना िै।" मम्मी के साथ लौट आया था। लडू ो का एक
मझु े अब समझ आ गई थी। फै सला मेरा और कोना फट गया था और गोचटयां चबखर गयी
बीनू का िोना था। मैंने चनश्चय कर चलया चक थीं...
गोचटयों के इस खेल में कल मम्मी को िी चजतवाना -सध
ु ा गोयि
िै। पापा का समय तो बािर आराम से कट जाता
िै, लेचकन िमारे न िोने से मम्मी अके ली कै से
रिेंगी? मम्मी सारे चदन रोती रिेगी तो कौन किेगा-
"मम्मी रोती क्यों िो? तम्ु िारे पास तम्ु िारा बेटा
िै।"और मैं अपनी शटच से मम्मी के आसं ू पोंछे दगंू ा
तो मम्मी मस्ु करा उठें गी। अगले चदन मैं और बीनू
मम्मी के साथ कर्िरी गये। मामाजी भी साथ थे,
पापा भी आए थे। शायद पापा कुछ किना र्ािते
थे लेचकन मैंने उधर से दृचष्ट चफरा ली तभी अदालत

मार्च 2021 12
किानी मयरू ी
िो? ऊपर से िी िाथ चिला रिे िो ? सल ु ोर्न
लगभग दौड़ता िुआ नीर्े आया लेचकन मयरू ी
पररर्य- ऋचद्धका आर्ायच स्कूटी स्टैण्ड से उतारकर जाने लगी।
पत्रु ी- एडवोके ट बसंत आर्ायच "कमाल करती िो मेडम! मैं आया और आप
तेलीवाड़ा र्ौक, बीकानेर। र्लती बनी।" सल ु ोर्न ने किा तो स्कूटी स्टाटच
करती िुई मयरू ी बोली- "सल ु ोर्न ! आज मेरा
इटं रव्यू िै, एक ऑटोमोबाइल कम्पनी िै । यिी
"ये झरना,ये मिल और यिां नीर्े जल में अपनी
बताना था और मझु े आधे घण्टे में विााँ पिुर्ं ना
परछाई देख मस्ु कुराते फूल। इन उड़ते पंचछयों को
भी िै तो बाए!
तो देखो ! मानो जता रिे िो चक िवा चकतनी
अचन्तम शब्द "बाय" उसकी स्कूटी की
स्वच्छ और चनमचल िै। वाि मयरू ी!ये क्या बना
आवाज़ में िी दब गया। सल ु ोर्न मंिु लटकाए
चदया तमु ने ? असख्ं य भावों से भरे तम्ु िारे नेत्रों सा
खड़ा रिा तभी अदं र से गजू ती िुई आवाज़
यि दृश्य, िर दृचष्ट पर एक अलग रंग चदखाता िै।
दरवाज़े तक पिुर्ं ी - "बेटा ! मयरू ी के चबना घर,
इतना सबकुछ रर्कर तो आप इतरा सकती िैं
घर निीं क्या?"
चर्त्रकार साचिबा।"
"आया आटं ी।" किकर सल ु ोर्न अदं र र्ला
सल ु ोर्न की बात परू ी िुई निीं चक साचिबा भौंिे गया।
र्ढाकर ा़ सर् में नाज़ चदखा बैठी और अगले िण उधर मयरू ी कम्पनी के ऑचफस पिुर्ं ी।अगला
चखलचखलाकर िसं दी। चर्त्र को देखते िुए मयरू ी
इटं रव्यू उसी का था, र्ंद चमनटों में उसे अदं र
बोली-"यि झरना प्रेम का िै जो सब के चलए िै,ये
बल ु ाया गया।
मेरे सपनो का मिल , ये फूल सदा चखले रिेंगे
बड़े िॉल के ठीक बीर् में एक मिीला बैठी
ख़चु शयों के जो िैं । और ये मेरे मन को कै नवास पर
थी- "चमस मयरू ी?" मचिला ने पूछा तो मयरू ी
उंडेलने वाले मेरी ककपनाओ ं के पंछी।" सल ु ोर्न बोली - "जी! मैं िी ि।ं " वि मचिला िसं कर
िककी मस्ु कान के साथ मयरू ी को देखता रिा।
बोली- "मयरू ी जी! िमने आपके सारे ड्रॉकोमैन्ट्स
अगले चदन,सबु ि के आठ बजे थे, मयरू ी को
र्ेक चकए िैं।िमें आपकी काचबचलयत पर कोई
इटं रव्यू के चलए जाना था। जैसे िी घर से चनकली
शक निीं िैं, बस िमें आप चदन के 12 घटं े पणू च
सामने अपने घर की बालकॉनी में खड़े सल ु ोर्न ने समपचण के साथ दीचजए।" मयरू ी ने िां में चसर
मयरू ी को िाय चकया।मयरू ी ने दोनो िाथ कमर पर
चिला चदया।
रखे और तनकर बोली-,"बिुत बड़े स्टार िो गए
"ठीक िै! चफर परसों जल ु ाई का पिला चदन िै
आप ज्वॉइन कर सकतीं िैं।" मचिला ने किा तो
मार्च 2021 13
किानी
मयरू ी िककी मस्ु कान के साथ बोली- "थैंक्यू मेम।" परू ा चदन ऑचफस में मन ना लगा। शाम के
एक तारीख़ से मयरू ी का काम शरू ु िुआ।काम करीब 7 बजे िोंगे मयरू ी कुछ सोर्ते िुए पेपरवेट
कम्प्यटू र पर एन्री का था, सबु ि 9 बजे ऑचफस को घमु ाती रिी।उदासीनता में डूबी मयरू ी के िाथ
और रात को नौ बजे घर, बड़ी लगन से मयरू ी की से पेपरवेट चफसला और पास पड़े इक ं पाॅट से
जॉब शरू ु िुई।चजतना समय था उससे ज़्यादा काम टकराया ,लाल और नीले रंग की दो स्यािी वाला
पर मयरू ी खबू मेिनत करती। इक
ं पाॅट चगर पड़ा। चर्ंतन के साथ मयरू ी की
िफ्ते बीते, मिीने बीते, दो साल बीत गए। उंगचलयां घमू ने लगी और कब स्यािी के दो धब्बे
मयरू ी का कमरा यानी चक "रंग-मिल" रॉफीज़ की राधा और कृष्ण का चर्त्र बन गए उसे पता भी ना
दकु ान बन गया। र्ला। शायद वो इन्िीं के सिारे इस जड़ता को पार
"ये लो! 73वीं रॉफी! जय िो मयरू ी जी की।" कर जाना र्ािती थी।
सल ु ोर्न ने ताली बजाते िुए किा तो मयरू ी "वॉव मयरू ी!इट्स टू गडु ! " जागचृ त र्ौंककर
मस्ु कुरा दी। मयरू ी की आख ं ो में झाक
ं ते िुए सल
ु ोर्न बोली जो चपछले दस चमनट से फाइल िाथ में
बोला "अरे !आज वो नाज़ किााँ गया?" नज़रें र्रु ाते चलए उसके पास खड़ी थी।
िुए मयरू ी ने उिर चदया- "क्या? तमु भी ना कै सी मयरू ी ने जागचृ त की तरफ देखा और िकके से
अजीब बातें करते िो ?" मस्ु कुराई।चफर विी पााँर् शब्द उसके कानों में गजंू
"निीं मयरू ी ! तमु बदल गई।" सल ु ोर्न की बात उठे -"निीं मयरू ी ! तमु बदल गई।"
सनु कर मयरू ी किीं खो गई। मयरू ी झंझु लाकर उठी,ऑचफस से बािर
अगली सबु ि मयरू ी ऑचफस के चलए तैयार िुई, चनकली और पास बने पाकच में टिलने लगी। वो
र्ाबी घमु ाती िुई घर से बािर चनकली। "मयरु ी..." ख़दु से बचतयाना र्ािती थी,कुछ सोर्ती इससे
सल ु ोर्न ने बालकॉनी में से आवाज़ दी तो मयरू ी ने पिले सन्न की आवाज़ उसके कानों में गजंू ने
ऊपर देखा। लगती । बड़ी मशक्कत के बाद मन कुछ िकका
"कै सी िो?" सल ु ोर्न ने किा। लगा तो वि एक बेंर् पर बैठी और गिरी सासं ली
, तभी उसकी नज़र अपने स्यािी लगे िाथों पर
मयरू ी मस्ु कुराई और स्कूटी स्टाटच कर जाने लगी पड़ी। र्ेिरे पर मस्ु कान यों चखली मानो संवरने के
,उसे कल की बात याद आई "निीं मयरू ी ! तमु बाद आईना देखा िो।
बदल गई ! " रास्तेभर ये पांर् शब्द उसके कानों में मयरू ी घर आई ,अपने कमरे का दरवाज़ा
गंजू ते रिे।"निीं मयरू ी, तमु बदल गई।" वो इतनी खोला और लाईट जलाई । आज उसका ध्यान
याचं त्रक कै से िो गई! अपने कमरे के रंगों पर गया ,उसने ख़दु िी तो
अपने िाथों से कलर चकया था इसे "रंग-मिल"
मार्च 2021 14 के ये रंग इतने चदन किां थे?ये रंग आज उसकी
किानी पररचर्त: लघक
ु था
चज़दं गी की ऊब और पिाड़ी पर बने, उस प्रचसद्ध मचन्दर तक पिुर्ं ने िेत,ु द्रुत गचत से
उदासीनता की तचपश में, मैं सीचढ़यााँ र्ढ़ गई। सााँझ ढलने को थी व र्ारों ओर मनोरम
ख्वाचिशों की बाररश से लगे। दृश्यावली थी।
मयरू ी ने बािर जाकर मााँ को आज का चदन वैसे भी चवशेष था। कलकिा से, मेरी
कसके गले लगाया।वो िसं े जा चकशोरावस्था का सखा, अनेक वषों बाद मेरे शिर आया िुआ
रिी थी- "अरे वाि!आज मााँ था। फे सबकु आचद से मैं उसके लगातार सपं कच में थी। इतना व्यस्त
उच्र् अचधकारी िोने के उपरााँत भी उसने कचवता व शायरी करना
की याद कै से आई?रोज़ तो बस
निीं त्यागी थी, इस बात से मैं अत्यंत प्रभाचवत थी। अनेक रर्नायें
आई,खाना खाया न खाया
उसने मेरे साथ साझा कर पररर्य सेतु बना चलया था। जब मैंने
और शिज़ादी सो पड़ी।" मााँ ने
उससे चमलने की इच्छा प्रगट की तो उसने बताया चक वि इस
किा तो मयरू ी पुर्कारती िुई
मचन्दर के दशचन िेतु आ रिा िै व अपने व्यस्त कायचक्रम में से ये िी
बोली- "अले तमु तो मेली मााँ
समय मुझसे चमलने का चनकाल सकता िै। पच्र्ीस वषच के
िो, कै छे भल ू ंू तम्ु िें? बस थोड़ी अतं राल के बाद उससे चमलने को मैं बिुत उत्सक ु थी। कुछ परु ानी
चबज़ी थी इतने चदन।" तभी
कोमल भावनायें मन को तरंचगत कर रिीं थीं। तभी सामने से वि
बािर से गज़ु रती टैक्सी में गाना आता चदखा।
बजा इतने वषों बाद भी मैंने उसे तरु ं त पिर्ान चलया व उमंग से
"मैं मस्ु काई, जीवन मेरा उसकी तरफ बढ़ी। उसने मझु े लगभग अपररर्य की दृचष्ट से देखा,
चखलकर िसं पड़ा! मयरू ी कुछ औपर्ाररक बातें करीं व मचन्दर में प्रवेश कर गया। बािर
नार्ने लगी।मााँ पास लगी कुसी चनकलने पर मैंने उसके साथ सीचढ़यााँ उतरना र्ािा पर वि मुझसे
पर बैठ गई और ठोडी पर चवदा चलये चबना, मझु े पीछे छोड़ धड़धड़ाता सीचढ़यां उतर गया।
िथेली रखे मयरू ी को देखती उसके साथ एक परु ाना चमत्र था जो मेरा भी पररचर्त था चकन्तु
रिी। उसने भी आज अवज्ञा सी चदखाई, एक छोटे शिर की मास्टरनी के
प्रचत।
-ऋणिका आचाया तभी मचन्दर के बािर, एक गोल- मटोल बालक ने मेरे चनकट
आ मेरी कुती का छोर खींर्ा। मैं उसकी तरफ उन्मख ु िुई तो मेरी
िथेली पर स्नेि से, मस्ु कुराते िुए, उसने मचं दर का, मट्ठु ी भर प्रसाद
रख चदया। मैं सोर्ने पर चववश िो गई चक पररचर्त कौन था और
अपररचर्त कौन?
-डॉ. मणिमा श्रीिास्ति

मार्च 2021 15
लघक
ु था खज़ाना

“ चपता के अचं तम सस्ं कार के बाद शाम को दोनों बेटे घर के बािर आगं न में, अपने ररश्तेदारों
और पड़ोचसयों के साथ बैठे िुए थे। इतने में बड़े बेटे की पत्नी आई और उसने अपने पचत के कान
में कुछ किा। बड़े बेटे ने अपने छोटे भाई की तरफ अथचपणू च नजरों से देखकर अदं र आने का
इशारा चकया और खड़े िोकर विां बैठे लोगों से िाथ जोड़कर किा, “अभी पार्
ं चमनट में आते
िैं”।
चफर दोनों भाई अदं र र्ले गये। अदं र जाते िी बड़े भाई ने फुसफुसा कर छोटे से किा, "बक्से
में देख लेते िैं, निीं तो कोई िक जताने आ जाएगा।" छोटे ने भी सिमती में गदचन चिलाई ।
चपता के कमरे में जाकर बड़े भाई की पत्नी ने अपने पचत से किा, "बक्सा चनकाल लीचजये,
मैं दरवाज़ा बदं कर देती ि।ाँ " और वि दरवाज़े की तरफ बढ़ गयी।
दोनों भाई पलगं के नीर्े झक
ु े और विां रखे िुए बक्से को खींर् कर बािर चनकाला। बड़े भाई की
पत्नी ने अपने पकलू में खौंसी िुई र्ाबी चनकाली और अपने पचत को दी।
बक्सा खल
ु ते िी तीनों ने बड़ी उत्सक
ु ता से बक्से में झााँका, अदं र र्ालीस-पर्ास चकताबें रखी
थीं। तीनों को सिसा चवश्वास निीं िुआ। बड़े भाई की पत्नी, चनराशा भरे स्वर में बोली, "मझु े तो
परू ा चवश्वास था चक बाबजू ी ने कभी अपनी दवाई तक के रुपये निीं चलये, तो उनकी बर्त के
रुपये और गिने इसी बक्से में रखे िोंगे, लेचकन इसमें तो...?"
इतने में छोटे भाई ने देखा चक बक्से के कोने में चकताबों के पास में एक कपड़े की थैली रखी िुई
िै, उसने उस थैली को बािर चनकाला। उसमें कुछ रुपये थे और साथ में एक कागज़। रुपये देखते
िी उन तीनों के र्ेिरे पर चजज्ञासा आ गयी। छोटे भाई ने रुपये चगने और उसके बाद कागज़ को
पढ़ा, उसमें चलखा था, “मेरे अचं तम सस्ं कार का खर्च”
-डॉ. र्द्रं शे छतलानी
मार्च 2021 16
काव्य सपं ाचदका की ओर से
द्वद्वं
भेद काचलमा पीर सभी अकिड़ कंटकों का सजा ताज
मि ु व्याचध झंझाओ ं को । भावाश्रु भरा क्याँू हृदयों में?
श्वेत वारर सा बिता र्ल मधु स्वप्नों से नेत्र भरे
र्ीर वि चशलाओ ं को । क्याँू प्रेम भरा िै कण-कण में?
अंतर भर उज्जवल तरंग उषा लाचलमा वचणचत कर प्रभु
चसंचर्त कर दे सम्पूणच सचृ ष्ट क्यों ऐसा उपिास चकया?
जीवन से लड़ जीवन में चर्ि साधना का वर दे
जीतने, सभी चदशाओ ं को।। क्याँू तष्ृ णा भर दी अंतमचन में।।

व्यथच टोिता पग-पग पर मग्ु ध स्वप्न में भटक ध्येय से


पुचष्पत पंख,उन्मि
ु उड़ान। मचदरारुण उन्मादों में।
अंतनचभ पर श्रम झंकारों ने कस्तरू ी पररमल प्रवाि क्याँू
छे ड़ा िो जब मधरु तान । खोज रिा कंदराओ ं में?
नीरव रजनी की छाती पर अचभशाचपत कानन का तू
आचदत्य जलायेगा ज्योचत िै एकमात्र धवल प्रदीप
दष्ु कर िो चकतना चकन्तु यिी कमों के प्रमाचणक छंद
िै सत्य,यिी चवचध का चवधान।। क्याँू बााँध रिा संवादों में।।

ओढ़ र्नु र नैराश्य वणच अंचतम चर्त्र की आस चलए


क्याँू भार निीं ढो पाता िै? प्रथम न अचं कत कर पाता।
अंगारों का चलए जलन काल का यि व्यापार िै पंथी
क्याँू अचभमानो से नाता िै? िण-िण का िण से नाता।
िाय! पंथी तझु को अपने िी ररिकोष में चवभाचबंदु भर
चनज पंथों का ज्ञान निीं मकरंदों की धार बिा
अम्बर छूने की इचष्ट चलए िाट मध्य िो खड़ा तू चकतना
चमट्टी से ना जड़ु पाता िै।। एक अके ला िी जाता।।

-ज्योणत णमश्रा
मार्च 2021 17
काव्य साचित्य
चज़न्दगी कब जगं िै?
तेरे स्वयं से तकरार में, तेरे ख़्वाचिशों की तान िै ,
तेरी जीत में तेरी िार में। बजता िुआ मदृ गं िै।
इक ज्योचत पंजु सी चलए, चज़न्दगी कब जंग िै?
संचिि से तेरे सार में।
िर पल िी तेरे संग िै, िचणक सी व्यथा में डूब,
चज़न्दगी, कब जगं िै? क्याँू काल गोद सो रिा।
िर - िण तेरा अचस्तत्व िै,
िर व्यथा को आड़ दे, क्य,ाँू जीवन पर रो रिा।
जो काल को लताड़ दे। चज़न्दगी से दामन छुड़ाता,
चवपदाओ ं के कातं ार में, मनुज, खदु अपंग िै।
जो चसंि बन दिाड़ दे। चज़न्दगी कब जंग िै..
चजसके कमों का शौयच देख, चज़न्दगी कब जगं िै..
मत्ृ यु भी खदु दगं िै।
चज़न्दगी कब जंग िै? -कमि यािि

र्ाितों के उपवनों में,


पुष्प सा प्रसार िै।
खश ु ी - खशु ी तू लटू ले,
इसकी चफजा बिार िै।
यि खदु का रंगमर् ं िै,
अचभनय का एक ढंग िै।
चज़न्दगी कब जंग िै?

तू मंद- मंद चलख इसे,


तेरा चप्रय प्रगीत िै।मधरु ता का धनु बना,
िर िण सरु चभ सगं ीत िै।

मार्च 2021 18
काव्य साचित्य
किााँ िो तुम?
अक्सर वि भेजता िै तस्वीरें , और मन में उस काले सिपाठी को एक भारी गाली
अपने दोस्तों और ररश्तेदारों की देता ि,ाँ
इस तरि के शीषचक के साथ, जब मेरे चपता मझु े अपने दरू के र्र्ेरे भाई के पुत्र के
"ऑस्रेचलया में", "कनाडा में", नए बने बंगले के बारे में बताते िैं
"पेररस में", "चिटेन में", मैं यि बताने लगता िाँ चक कै से चिचटश साम्राज्य ने
और िैरान िोता िै, किााँ िो तमु ? भारत के धन को लटू चलया
अल-बरुनी ने एक बार किा, और भारतीय प्रणाली को भ्रष्ट बनाया,
"भारतीय इचतिास के बारे में कुछ भी निीं जानते", जैसे चक यि मेरे घर के परु ाने फनीर्र के पीछे
और जब उन्िें बलपूवचक पूछा जाता िै, एकमात्र कारण था।
वे पौराचणक किाचनयााँ बयान करने लगते िैं। जब मेरी बेटी मझु े गले लगाती िै और पूछती िै,
"उसी तरि, उन संदश े ों के मेरे जवाबों का, इस बार आप किााँ अपने जन्मचदन को मनाएगं े,
इससे कोई लेना देना निीं चक "मैं किााँ ि!ाँ " मैं आईने में अपना र्ेिरा देखते िुए
थक कर वि चलखता िै, "एमके ऐस", मझु े चर्ढ़ाने के मस्ु कुराता िाँ और कुछ रंगिीन बाल स्पशच करता ि।ाँ
चलए, मेरी पत्नी का सझु ाव िै चक मझु े अपने बाल रंगने
और किता िै, ये तीन शब्द िैं, र्ाचिए, जो रंग को खो रिे िैं,
जो एक सिपाठी ने मेरे बारे में किे थे लेचकन मैंने उसे मेरी आंटी के बारे में बताया,
और उनमें से दो शब्द गाचलयााँ िैं, जो किा आठ में फे ल िो गई थी और
और पांर् सौ रुपये की पेशकश करता िै, नोचटस बोडच के सामने रोना शरू ु कर चदया था,
अगर मैं बताऊाँ तब उसके चप्रंचसपल ने किा, "अब कुछ भी निीं िो
मैं इन शब्दों को जानता िाँ लेचकन मैं जवाब निीं दगाँू ा सकता िै लक्ष्मी कौर।"
क्योंचक मझु े पता िै चक वि मझु े पांर् सौ देने निीं जा रिा "अब कुछ निीं िो सकता िै!"
िै, और मैं इस साल र्ालीस िोने जा रिा ि,ाँ मैंने सोर्ा
यद्यचप वि इस दचु नया में एकमात्र व्यचि िै चसफच तब, जब मेरी बिन आती िै और
जो एक बार पछ ू े चबना मझु े एक लाख दे सकता िै, "तमु मैं उससे किता ि,ाँ अगर आप ऐसे देश में पैदा िोते
कब लौटाओगे?", िो,
इसके बजाय मैं अपना बदला लेने के चलए "जेएमआर" तो आपका आधा जीवन यंू िी बबाचद िो जाता िै,
चलखता िाँ "बेितर िै िम अफगाचनस्तान या सोमाचलया में पैदा
निीं िुए िैं," वि िाँसते िुए किती िै।
अगली बार जब कोई मझु से पूछेगा,
मार्च 2021 19
काव्य साचित्य

"किााँ िो तमु ?" बालगीत


यि स्वाभाचवक िोगा यचद मैं कि,ाँ (मोबाइल से कब तक खेलाँ?ू )
मैं तीसरी दचु नया के लोगों में किीं भी िो सकता ि,ाँ
जो जीवन के रूप में जीवन जीना र्ािते िैं, सभी दोस्तों ने ले ली िै,
मैं िो सकता िाँ 'लाइव' िोने की अाँगड़ाई।
कनाडा को जाते जिाज पर, संदसे ा चमल जाता पिले,
कोमा-गाटा-मारू पर, फ़लााँ समय प्रकटूाँगा भाई।
मैचक्सको और अमेररकी सीमा पार करते मचु श्कल में ि,ाँ चकस-चकस को मैं,
मारे गए लोगो में से कोई एक, किााँ-किााँ तक, चकतना झेलाँ?ू
सब सिारा देशों से कोई अवैध प्रवासी,
खाड़ी में यौन शोषण का सामना करने वाली एक भख ू निीं िै जब प्रर्ार की,
दचिण एचशयाई नसच, ज़्यादा निीं प्रचसद्धी पाना।
माकटा जिाज में डूबे अप्रवाचसयों में, पढ़ने-चलखने में िी खश ु ि,ाँ
सीररया के एक बच्र्े की तरि, जो प्रवास का भी अथच मझु े निीं र्ेिरा र्मकाना।
निीं जानता था, चबना चकसी तष्ृ णा के साधो,
या उन सभी लोगों में, जो खदु की तस्करी कर रिे िैं, मैं क्याँू ऐसे पापड़ बेलाँ?ू
एकता, स्वतत्रं ता और समानता शब्दों में
किीं बसा िुआ, इसी समय का सदपु योग कर,
और इन शब्दों को किीं बािर खोजता, कई चकताबें पढ़ सकता ि।ाँ
यिााँ िाँ मैं......... चर्न्तन और मनन की सीढ़ी
पर, कुछ ऊपर र्ढ़ सकता ि।ाँ
-िरिीप सबरिाि चकसी मनीषी के र्रणों में
बैठूाँ और ज्ञानधन ले लाँ।ू ।
( िरदीप जी की अंग्रेजी कचवता "Where Are
You?” का चिदं ी अनुवाद ) -बृज राज णकशोर 'रािगीर'

मार्च 2021 20
काव्य साचित्य
सती
मिससू चकया मैंने राचनयों सा ऐश्वयचपूणच निीं
चकले में मेिरानगढ़ के आम सा िै इक्कीसवीं सदी में
रानी का चमला ये कचथत आधचु नक जीवन
सती िो जाना... ना वैसे कोई
पत्थर की दीवार पर चजम्मेदाररयों के बंधन
उके रे गए िैं उनके िाथ चफर भी
चमलाए मैंने आगे बढ़ मत्ृ यु तो दरू
उनके िाथ से िाथ िम र्नु ते िैं क्या
चजस दिकती अचग्न में जीवन भी स्वेच्छा से...?
चकया िोगा प्रवेश उन्िोंने अचग्न, अचग्न, अचग्न
वि भभक उठी अर्ानक समा र्क ु ी िै अब
मेरे भीतर चर्ताचग्न
बताया गया... िाँसी में, रुदन में
सती िोना िोती थी स्वेच्छा... सख ु में, दख ु में
जौिर ; मजबरू ी... शांचत में, चवप्लव में
सामने की दीवार पर जीवन में, मरण में
अनेक... जब से चमलाया िै
अनेक थे सती स्त्री के िाथ से िाथ
कुछ वयस्क तो कुछ स्वेच्छा से...
नन्िीं नन्िीं जी िााँ स्वेच्छा से
िथेचलयों के चनशान उसी िण से
कांप उठा कलेजा राजा मान चसंि का िो र्क ु ा िै
कै सा चदखा िोगा सामान्यीकरण ।
उन वयस्क और अवयस्क चस्त्रयों को
अपना शािी जीवन -िीणप्त सारस्ित “प्रणतमा”
जो स्वेच्छा से र्नु ली उन्िोंने...
चर्ता की धधकती आग

मार्च 2021 21
आलेख
अज्ञेय जी के काव्य में वैयचिक र्ेतना
चक मेरा काव्य व्यचिगत िै। उसमें व्यचिवादी
लेखन एवं प्रेषण- भावनाएं और उसी प्रकार का चर्तं न अचभव्यि
तरुण कुमार दाधीर् िुआ िै। व्यचिवाद को एक प्रकार से कचव की
36,सवचररतु चवलास, आत्मचनष्ठता भी कि सकते िैं। कचवता का प्रारंभ
मेन रोड, उदयपरु व्यचिवाद से प्रारंभ िुआ िै चकंतु कचवता के अंत
(राज०) 313001 तक पिुर्ं ते-पिुर्ं ते सामाचजकता चमल गई िै। इस
प्रकार व्यचिवाद से सामाचजकता की ओर बढ़ना
अज्ञेय जी नई कचवता के प्रवतचक एवं प्रमख ु उनके काव्य की प्रमख ु चवशेषता िै।
कचव माने जाते िैं। उन्िोंने छायावाद के बाद काव्य नई कचवता की एक प्रमख ु प्रवचृ ि यि भी िै
को नवीन चदशा प्रदान करने में चवशेष भचू मका चक उसमें लघु मानव के और उसकी लघु चस्थचत
चनभाई। 1943 में 'तारसिक' नामक काव्य सग्रं ि के प्रचत आस्था व्यि की गई िै। जब नई कचवता
प्रस्ततु करके अज्ञेय जी ने प्रयोगवाद का सत्रू पात प्रर्लन में आई थी तब अनेक नये कचवयों ने लघु
चकया। इस सत्रू पात में कचव ने यि घोषणा करी चक मानव पर चवशेष र्र्ाच की थी और उन सभी
परु ाना काव्य बासी िो र्क ु ा िै तथा परु ाने शब्दों, र्र्ाचओ ं का मित्व इतना िी था चक आदमी
प्रतीकों, उपमानों और परु ानी मान्यताओ ं का अब चकतना िी छोटा िो,चकतने िी चपछड़े िुए और
कोई औचर्त्य निीं रि गया िै।ऐसी चस्थचत में सभी चनम्न वगच का िो,उसका अपना मित्व िोता िै।
कचवयों को नये भाव-बोध और कला-बोध को नये कचवयों ने इसी आधार पर लघु मानव और
काम में लेना र्ाचिए। लघत्ु व के प्रचत आस्था प्रकट की िै। ऐसी
अज्ञेय जी की कचवता में न के वल नयापन िै भावनाएं अज्ञेय जी के काव्य में चदखाई पड़ती िै।
अचपतु जीवन को सिी रूप में प्रस्ततु करते िुए नई कचवता में िण की अनभु चू तयों का
भारतीय पररवेश में व्याि चर्तं न को भी वाणी चर्त्रण व्यापक पैमाने पर चकया गया िै। अज्ञेय जी
प्रदान की गई िै। अज्ञेय जी के काव्य की अनेक की कचवता में भी इस प्रकार की अनुभचू तयों को
चवशेषताएं िैं। स्थान चमला िै। िण का दशचन अज्ञेय जी को
अज्ञेय जी की कचवता वैयचिक र्ेतना से भोगवादी चसद्ध कर देता िै। इस चवशेषता की
प्रारंभ िुई िै। उनकी 'चर्ंता','भग्नदतू ' और 'स्लम' अचभव्यचि के मल ू में यि भावना काम कर रिी िै
जैसी कृचतयों में इसी व्यचिवादी स्वर को देखा जा चक मनुष्य के जीवन में प्रत्येक िण का मित्व
सकता िै। अज्ञेयजी ने स्वयं यिी स्वीकार चकया िै िोता िै। अतः उसे र्ाचिए चक वि िर एक िण
को ठीक से पकड़े और भोगे।
मार्च 2021 22
आलेख
अज्ञेय जी ने अपनी कचवताओ ं में इस बात पर चमलते िैं।
जोर चदया िै चक कचव को सतत् सत्य का अन्वेषण अज्ञेय जी ने जीवन में चजतने अनभु व चकए
करते रिना र्ाचिए। कारण यि चक कोई भी सत्य उन सभी से कुछ न कुछ प्राि चकया िै। यिी कारण
अंचतम सत्य निीं िोता िै। जब िम चकसी एक सत्य िै चक जीवन में आने वाले दख ु से भी उन्िोंने
को प्राि कर लेते िैं तो िमें यि भी सोर्ना र्ाचिए जीवन की सच्र्ाई को अनभु व चकया िै। एक ऐसी
चक आगे भी कोई दसू रा सत्य िो सकता िै। इससे चस्थचत िोती िै जब मनुष्य दख ु से प्रेरणा लेता िै
यि भी चसद्ध िोता िै चक सत्यान्वेषण की प्रचक्रया और आगे का मागच तय कर लेता िै। अज्ञेय जी ने
चनरंतर र्लती रिती िै। दख ु को दख ु वाद बना चदया िै। इस प्रकार उन्िोंने
मौन की अचभव्यचि सपं ूणच नई कचवता की अपनी कचवताओ ं में दख ु वाद को प्रकट चकया िै।
चवशेषता निीं िै। यि चवशेषता अज्ञेय जी कचवता में अज्ञेय जी की कचवताओ ं में सामाचजक
िी चमलती िै। वास्तव में अज्ञेय जी मौन में िी चवषमताओ ं और यगु के यथाथच को भी
अपनी अनभु चू तयों को अचभव्यि करते रिते िैं। वे अचभव्यचि प्राि िुई िै। अज्ञेय जी ने अन्य
यि मानते िैं चक जीवन के बिुत से अनुभव और प्रगचतशील और प्रयोगशाली कचवयों की तरि
बिुत सी स्थचतयां ऐसी िोती िैं चजन्िें शब्दों के द्वारा सामाचजक जीवन के चर्त्र प्रस्ततु निीं चकए िैं।
प्रकट निीं चकया जा सकता िै। इस बात को इस उन्िोंने तो सामाचजक चवषमताओ ं और
प्रकार भी किा जा सकता िै चक प्रत्येक शब्द में असंगचतयों को देखा िै, भोगा िै और साक ं े चतक
अथवा कई बार शब्दों में इतनी िमता निीं िोती शैली द्वारा प्रकट चकया िै। किीं किीं पर अज्ञेय
चक वे मनष्ु यों द्वारा सोर्े िुए को प्रकट कर सके । जी ने नागररक जीवन और उसकी चस्थचत पर तीखे
अज्ञेय जी ने इसी आधार पर मौन को िी एवं गंभीर व्यंग्य चकए िैं।
अचभव्यंजना माना िै। 'आंगन के द्वार पार' की अज्ञेय जी की कचवता में जीवन जीने के प्रचत
कचवताओ ं में इसी मौन की अचभव्यजं ना िुई िै। एक प्रकार की ललक चदखाई देती िै। अज्ञेय जी
अज्ञेय जी की कचवताओ ं में सौंदयच चर्त्रण की मान्यता िै चक जीवन में प्रवेश करना िी काफी
बड़ी कुशलता से चकया गया िै। उनकी अचधकांश निीं िै। उसके चलए आवश्यक िै चक जीवन को
कचवताओ ं में इस प्रवचृ ि को देखा जा सकता िै। पूरी तरि से चजया जाय। चजस व्यचि में जीवन को
उनका सौंदयच चर्त्रण दो प्रकार से सामने आया िै। जीने की तीव्र इच्छा िोती िै विी जीवन के प्रचत
एक तो प्रकृचत के संदु र दृश्यों के रूप में और दसू रे आस्थावान िो सकता िै। इसी आस्था भावना को
नारी के आकषचण के रूप में वणचन द्वारा। अज्ञेय जी उन्िोंने जीचवका किा िै। जीवन के प्रचत आस्था
की कचवताओ ं में दोनों िी वणचन सिज रूप में उनके काव्य में सदंु रता के साथ अचभव्यि िुई िै।
अज्ञेय जी अनुभचू त से चर्ंतन की ओर
मार्च 2021 23
आलेख
अग्रसर िुए िैं। यिी कारण िै चक उन्िोंने ग़ज़ल- 2122 2122 2122 212
चर्ंतन को चवराट र्ेतना से जोड़ने का अरकान- फ़ाइलातनु फ़ाइलातनु फ़ाइलातनु फ़ाइलुन
प्रयास चकया िै। कुछ समीिकों ने अज्ञेय
जी के इस स्वरूप को नव रिस्यवाद किा ग़म चमटाने की दवा सनु ते िैं मयख़ाने में िै।
िै और कुछ ने उनके चर्तं न का चनष्कषच आओ र्ल कर देख लें क्या र्ीज़ पैमाने में िै।।
किा िै। 'आंगन के द्वार पार' में यि
रिस्यानुभचू त र्क्रांत चशलाखडं की िुस्न की शम्मा का र्क्कर सब लगाते िैं मगर।
कचवताओ ं में सवचत्र व्यि िुई िै। जान दे देने चक चिम्मत चसफच परवाने में िै।।
चनष्कषच रूप में िम कि सकते िैं चक
अज्ञेय जी का काव्य नई कचवता का मय कदे में कौन सनु ता िै चकसी की बात को।
प्रचतचनचध काव्य िै। उसमें नई कचवता की िर कोई मशग़ल ू इक दजू े को समझाने में िै।।
चवशेषताएं तो चमलती िी िैं, साथ िी
उनकी चर्तं नगत चवशेषताएं भी चमलती र्ार चदन जीना मगर जीना जिााँ में शान से।
िैं। यिी कारण िै चक उनके काव्य में सौ बरस चज़कलत से जीना अच्छा मर जाने में िै।।
जीवन की चवचवध अनभु चू तयों को
अचभव्यचि प्राि िुई िै। एक मयकश से जो पछ ू ा चकस चलए पीते िो तमु ।
िाँस के बोला पी के देखो दम तो आजमाने में िै।।
-तरुि कुमार िाधीच
िम तो बरसों से खड़े बस इक झलक को ऐ सनम।
आपको इतना तककलफ़ ु बाम पर आने में िै।।

एक चदन साकी की मिचफ़ल में गया जब ये चनज़ाम।


पी गया बोतल सभी क्या मौज पी जाने में िै।।

-णनजाम फतेिपुरी
ग्राम ि पोस्ट मिोकीपुर
णजिा-फतेिपुर (उत्तर प्रिेश)

मार्च 2021 24
आलेख
रामराज्य
नतीजे का इतं ज़ार करती िैं तो ऐसा लगता िै यि
िीपक िीणक्षत रामराज्य चक चस्थचत िी तो िै। यिी अनुभव िोता
चनवास : चसकंदराबाद िै जब सरकारी और बर्ाव पि के वकील
अपनी-अपनी दलीलें देने के बाद जज सािब के
(तेलगं ाना)
फै सले का इतं ज़ार करते िैं । या चफर जब संसद में
सम्प्रचत : स्वतंत्र लेखन पि और प्रचत-पि अपने-अपने तकच प्रस्ततु करके
मतदान करता िै और सब लोग सभापचत के
मैंने अपने दादाजी से सनु ा था चक िज़ारों साल चनणचय का इतं जार करते िैं।
पिले रामराज्य था और उसमें शेर और बकरी एक आप सोर्ेंगे चक अम्पायर कई बार गलत फै सला
साथ एक िी नदी से पानी पीते थे। शायद उन्िोंने भी करते िैं और चखलाड़ी भी कई बार खेल
भी यि चकस्सा अपने दादाजी से सनु ा िो और न भावना को ताक पर रख देते िैं ; अदालतों में और
जाने चकतनी िी पीचढ़यों से यि बात किी जा रिी उनके बािर वकील और प्रभावशाली लोग िर
िोगी, न चसफच मेरे घर में बचकक चकतने िी और घरों तरि के गलत िथकंडे अपनाते िैं और कई बार
में। भतू काल की अच्छी चस्थचत का गणु गान करने जज भी पिपात पणू च फै सला सनु ा डालते िै; या
वाले लोगों की यि बात सिी निीं लगती चक पिले चफर सरकार र्ालाकी से जनता को सताने वाला
सब कुछ अच्छा था और अब चस्थचत चबगड़ती जा काननू पास करा लेती िै। आपका सोर्ना सिी िै।
रिी िै । अगर पिले सब कुछ ठीक था तो उस पर ऐसा सोर्ते समय शायद आप भल ू जाते िैं
समय के पैगम्बर, साध-ु संत और अवतार चकसको चक रामराज्य के साथ िी रावणराज भी उसी समय
अच्छा बनने की चशिा और उपदेश दे रिे थे? पर घचटत िो रिा था।
जब मैं बच्र्ा था तो रामराज्य को एक जादईु घटना वास्तव में अच्छी और बरु ी चस्थचत दोनों सदा से
समझता था, चजसके चकस्से िज़ारों साल बाद भी िी िमारे सामने िर काल में एक साथ मौजदू
बखान चकये जा रिे िैं। पर अब चज़न्दगी के कई रिती आई िै। पर चफकमों और किाचनयों को
सालों के रंग-चबरंगे ,खट्टे-मीठे अनुभवों से गजु र रोर्क और कोतिु लपूणच बनाने के चलए और
कर अक्सर मिससू करता िाँ चक यि कोई जादईु सनु नेवाले लोगों में अच्छी बातों के प्रचत लगाव
बात निीं िै। मैंने खदु कई बार ऐसा िोते देखा िै। पैदा करने के चलए कुछ लोगों के र्ररत्र की
जब भारत और पाचकस्तान की टीम के रोमार्ं क अच्छी बातों को उभार कर पेश चकया जाता िै
मैर् में अपील िोने के बाद दोनों टीम अम्पायर के और इस क्रम में वे र्ररत्र िमारे नायक या नाचयका
बन जाते िै।
मार्च 2021 25
आलेख
इनमें से एक र्ररत्र को परू े समय पीचड़त और सघं षच- चसफच बरु ाई िी िोती नज़र आती िै ।
रत चदखा कर दसू रे को परू े समय िावी िोता या मयाचचदत रामराज्य को स्थाचपत करना र्नु ौती पणू च
जीतता चदखा कर अक्सर अंत में बाजी पलट कर िोता िैं और रावणराज्य एक आसान चवककप।
चदखा दी जाती िै चजससे सत्य की असत्य पर जीत शायद िमारे पवू चजों को अपने बाद आने वाले
स्थाचपत की जा सके । पर असल चज़न्दगी में िम न सखु -सचु वधापणू च जीवन का आभास था और
तो िर समय परू ी तरि से पीचड़त िोते िैं और न िी अच्छे जीवन मकू यों को बर्ाने के इरादे से उन्िोंने
अपराधी। इन दोनों चस्थचतयों के बीर् में िम झल ू ते रामराज्य के चकस्से घड़े िोंगे।
से रिते िैं और इनकी चवभाजन रे खा बेिद पतली आज आवश्यकता िैं एक अनश ु ाचसत जीवनशैली
सी िोती िै जो भावावेश में कई बार नज़र िी निीं की। योग की प्रार्ीन चवद्या इसमें िमारी सिायता
आती, पर चकसी घटना में इसके लााँघ जाने के बाद कर सकती िै। एक योगी चशव की तरि राम और
उसका ज्ञान िोने पर पछतावा िोता िै। पल भर में रावण को आग्रि और चवकार रचित समदृचष्ट से
इस अनश ु ासनिीनता की सजा िम वषों तक भोगते देखता िैं इसी चलए दोनों एक दसू रे से यद्ध
ु करते
िैं। समय भी चशव की िी आराधना करते िैं। राम
अच्छाई िमारे आस पास िर समय घट रिी िोती िै और रावण दोनों िी िमारे भीतर िी पलते िैं एक
और थोड़ी सी बरु ाई उसमें िी घल ु ी चमली िोती िै िी समय में। अब ये र्नु ाव तो िमारा िैं चक िम
जैसे खाने में नमक। पर अगर खाने में नमक न िो तो अपनी दचु नया में राम का या रावण का राज्य
वि स्वादिीन िो जाता िै और िम उसे ढूढं ने के स्थाचपत करें ।
चलए बेर्नै िो उठते िैं। कोई भी गलत या ख़राब -िीपक िीणक्षत
बात िमारा ध्यान बड़ी जकदी आकृष्ट कर लेती िै
और चफर काफी समय तक वि चदमाग पर िावी
रिती िै, और ऐसे में उस समय िोने वाली आस-
पास की अच्छी घटनाएं पष्ठृ भचू म में धके ल दी जाती
िैं।
यंू तो पिले भी ऐसा िी िोता था पर आजकल
चवज्ञान और तकनीक की ताकत के र्लते िम िर
जगि की घटनाएं बड़ी आसानी से देख सनु सकते
िैं और इलेक्रॉचनक-मीचडया अक्सर बरु ी घटनाओ ं
को र्टपटा बना कर बेर् डालती िैं चजससे िमें

मार्च 2021 26
आलेख
नया भारत जानता िै र्ीन को झक
ु ाना
कर दी। दोनों देशों की फौजों के बीर् झड़पें भी
िुई,ं गोली भी र्ली, िमारे 20 जवान शिीद िो
रंजना चमश्रा गए, जबचक र्ीन के भी बिुत से फौचजयों को
अपनी जान से िाथ धोना पड़ा, लेचकन अब इस
कानपरु , उिर प्रदेश
चववाद का अंत िोता चदखाई दे रिा िै।
वास्तव में एलएसी चफंगर 8 तक िै, लेचकन
र्ीन इसे मानने से इक ं ार कर रिा था। भारत ने
अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख में भारतीय सीमा में रणनीचतक और राजनीचतक िर मोर्े पर ड्रैगन को
घसु पैठ की कोचशश करने वाले र्ीन के सैचनक सबक चसखाने का सफल प्रयास चकया। र्ीन ने
अब अपनी परु ानी र्ौचकयों की ओर लौट रिे िैं। जब अप्रैल में पिले वाली चस्थचत लागू करने से
र्ट्टानी इरादों और भारतीय रणबांकुरों के शौयच के इक
ं ार कर चदया तो भारत ने भी एलएसी पर
आगे आचखरकार ड्रैगन को डरना िी पड़ा और इस अपनी सेना की मौजदू गी बढ़ा दी।र्ीन ने जब
तरि करीब 10 मिीने से जारी भारत और र्ीन के करीब 10 िजार जवानों की तैनाती की तो भारत
बीर् का सीमा चववाद अब समाचि की ओर बढ़ ने भी इतने िी जवानों को एलएसी पर लगा चदया,
र्ला िै। र्ीन अपनी चवस्तारवाद की नीचत के इतना िी निीं मई के मिीने में भारत की ओर से
र्लते दसू रे देशों की जमीन िड़पने की साचजशें र्ीन सीमा पर टैंकों की भी तैनाती कर दी गई।
रर्ा करता िै, चकंतु इस बार उसे भारत से मिंु की चसतबं र-अक्टूबर तक फौचजयों की तादाद करीब
खानी पड़ी। 60 िजार तक पिुर्ं गई।
र्ीन की चजद के र्लते इस चववाद की शरुु आत अगस्त में जब र्ीन के सैचनकों ने पैंगोंग सो
चपछले साल अप्रैल मिीने में िुई थी, तब र्ीन ने के दचिणी इलाके में घसु पैठ की कोचशश की तो
पैंगोंग लेक के पास एलएसी को पार करने की भारत ने इस बार करारा पलटवार चकया। 29 और
चिमाकत की थी। र्ीन परु ानी एलएसी को मानने से 30 अगस्त की रात को भारत के वीर जवानों ने
इक
ं ार कर रिा था और चफंगर 4 तक आ र्क ु ा था, साउथ पेंगोंग सो में कै लाश रें ज की मगर चिल,
यिां तक चक उसने विां कैं प बनाने भी शरू ु कर गरुु ं ग चिल, रे जागं ला, रे चर्न ला, िेलमेट टॉप
चदए थे। इसके बाद लाइन आफ एक्र्अ ु ल कंरोल और ब्लैक टॉप जैसी कई अिम र्ोचटयों पर
पर दोनों देशों के बीर् जबरदस्त तनाव पैदा िो मोर्ाचबंदी कर ली। इन र्ोचटयों पर कब्जे से र्ीन
गया। दोनों देशों ने यिां िजारों जवानों की तैनाती के रणनीचतक चठकाने भारत के चनशाने पर आ गए
और उसकी अकड़ ढीली िो गई।
मार्च 2021 27
आलेख
र्ीन का मोकडो सैचनक अड्डा इन र्ोचटयों पर पिले तो भारत ने र्ीन को सैन्य मोर्े पर
बैठे भारतीय जवानों के डायरे क्ट चनशाने पर था। करारा जवाब चदया, एलएसी पर भारत ने परू ी तरि
कै लाश रें ज में दोनों देशों के सैचनक लगभग 300 से नाके बंदी कर दी, इसके अलावा कई र्ीनी ऐप
मीटर की दरू ी पर आमने-सामने थे। लगभग साढे पर बैन लगा चदया, साथ िी भारत के कई बड़े
300 चकलोमीटर लबं ी कै लाश रें ज चतब्बत के प्रोजेक्ट्स से र्ीनी कंपचनयों को िाथ िोना पड़ा
मानसरोवर झील तक जाती िै, यिां से चतब्बत और और र्ीनी चनवेश के मसले पर देश में भी चवरोध
चशनचजयागं को जोड़ने वाला र्ीन का िाईवे नंबर की िवा बन गई, यिी वजि रिी चक चसफच देश में
219 भी ज्यादा दरू निीं था। भारतीय जवानों के िी निीं बचकक परू े चवश्व में र्ीन के प्रचत एक
मोर्े पर डटे रिने के कारण र्ीन की मचु श्कलें बढ़ती अलग मािौल सा बन गया और उस पर
जा रिी थीं, अब उसकी र्ौचकयां डायरे क्ट इचं डया कूटनीचतक दबाव पड़ने लगा।
के चनशाने पर थीं। र्ीन ने अक्टूबर में चडसइगं ेजमेंट का नया
इस तनाव के र्लते भारत ने टाइप 15 लाइट प्रस्ताव भारत के सामने रखा, चजसमें र्रणबद्ध
टैंक्स, इनफैं री फाइचटंग व्िीककस, ए एर् 4 तरीके से सैचनकों को पीछे िटाने का प्रस्ताव था।
िॉचवत्जर गन्स, एर् जे-12 एंटी टैंक्स, गाइडेड अपने इस नए प्रस्ताव में र्ीन ने स्वयं के चलए
चमसाइल, एन ए आर-751 लाइट मशीनगन, चफंगर 5 तक पीछे िटने का और भारत के चलए
डब्कय-ू 85 िेवी मशीनगन्स बॉडचर पर तैनात कर चदए चफंगर 3 तक पीछे िटने का प्रस्ताव रखा था। चकंतु
थे।उधर लद्दाख के आसमान में तेजस, राफे ल, चमग, भारत ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा कर यि मांग
अपार्े रखी चक र्ीन के सैचनक पेंगोंग सो में चफंगर 8 के
, चर्नूक जैसे फ्लाइगं मशीन गरजते रिे, चजससे पीछे वापस जाएं। कै लाश रें ज में भारत की चस्थचत
र्ीन को सख्त संदश े गया। बेिद मजबतू थी और सचदचयां चसर पर थीं
भारत ने र्ीन को न चसफच सैन्य मोर्े पर आचखरकार र्ीन चफंगर 8 से पीछे िटने को राजी
पटकनी दी, बचकक उसके इदच-चगदच ऐसा चशकंजा िो गया। चडसइगं ेजमेंट के बाद र्ीनी सैचनक चफंगर
कस चदया चक उसके पास घटु ने टेकने के अलावा 8 के उस पार र्ले जाएगं े और भारतीय सैचनक भी
कोई रास्ता िी निीं बर्ा। भारत ने ताकत के नशे में चफंगर 4 से िटकर चफंगर 3 पर आ जाएगं े जिां
उड़ते िुए र्ीन को जमीन पर लाने के चलए तीन मेजर धनचसिं थापा पोस्ट िै। चफंगर 3 से लेकर
तरफा घेराबंदी की और इसी का नतीजा िै चक चफंगर 8 तक का इलाका नो पेरोचलंग जोन रिेगा।
दचु नया ने आज लाल सेना के टैंकों को उकटे पावं दचिण पेंगोंग के इलाके में र्ीन ने कुछ चनमाचण भी
लौटते िुए देखा। चकए थे र्ीन उन्िें भी िटाएगा।
पिले तो सरकार ने फौज को खल ु ी छूट दी
मार्च 2021 28
आलेख
और इस मसले को सैन्य लेवल पर िी ग़ज़ल- 221 2121 1221 212
सलु झाने पर जोर चदया चकंतु जब सैन्य अरकान- मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ु ाईल फ़ाइलुन
लेवल पर बात निीं बनी तब र्ीन मामले
के चवशेषज्ञ किे जाने वाले एनएसए चशकवा चगला चमटाने का त्योिार आ गया।
अजीत डोभाल ने मोर्ाच सभं ाला, साथ िी दश्ु मन भी िोली खेलने को यार आ गया।।
चवदेश मंत्री और रिा मंत्री के लेवल पर
भी सरकार ने अपनी ओर से बातर्ीत परदेसी सारे आ गए परदेस से यिााँ।
की। कें द्र ने सवचदलीय बैठक की और इस अपना भी मझु को रंगने मेरे द्वार आ गया।।
बीर् प्रधानमंत्री ने अर्ानक लद्दाख का
दौरा कर जवानों के िौसले बल ु ंद कर चदए रंग्गे गल
ु ाल उड़ रिा था र्ारों ओर से।
और विीं से यि साफ कर चदया चक अब नफ़रत चमटा के देखा तो बस प्यार आ गया।।
चवस्तार वाद का दौर खत्म िो र्क ु ा िै।
ठंडाइ भागं की चमली िमने जो पी चलया।
-रंजना णमश्रा बैठा था घर में र्ैन से बाज़ार आ गया।।

मजनू पड़े िैं पीछे मझु े रंगने के चलए।


धोखा िुआ पिन के जो सलवार आ गया।।

सब लोग चमल रिे गले इक दजू े से यिााँ।


लगता िै मरु ली वाले के दरबार आ गया।।

खेलो चनज़ाम रंग भल


ु ा कर के सारे ग़म।
सबको गले लगाने ये चदलदार आ गया।।

-चनज़ाम फतेिपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपरु
चज़ला-फतेिपरु (उिर प्रदेश)

मार्च 2021 29
समीिा
चदमाग वालो सावधान
सतं ाप का बोध निीं िोता तब तक कोई नत्ृ य निीं
पुस्तक : हदमाग वालो सावधान कर सकता।" र्ाँचू क धमच जी कचव हृदय िैं तो
(व्यंग्य सग्रं ह) चनचश्चत िी सवं ेदना की धरा पर उनका पि प्रबल
लेखक : धमषपाल महेन्द्र जैन िी िोगा। उनके व्यग्ं यों में सामाचजक, राजनीचतक,
प्रकाशक : हकताबगंज प्रकाशन, धाचमचक, आचथचक, शैिचणक यानी सभी िेत्रों में
गंगापुक हसटी, काजस्थान व्याि चवसंगचतयों, चवद्रूपताओ,ं चवकृचतयों के
चवरुद्ध आक्रोश स्पष्टतः पररलचित िोता िै।
दशको से व्यंग्य लेखन की परम्परा रिी िै। मध्य धमचपाल मिेंद्र जैन की पुस्तक 'चदमाग वालो
की कालावचध में मिससू चकया जाने लगा था चक सावधान' जब मेरे िाथों में आई तो मझु े सबसे
व्यग्ं य लेखन में ठिराव सा आ गया िै लेचकन ज्यादा इस बात ने प्रभाचवत चकया चक व्यग्ं य सग्रं ि
िररशंकर परसाई, शरद जोशी की परम्परा को आगे में लेखक ने चकसी अग्रज-चदग्गज से कोई भचू मका
बढ़ाते िुए वतचमान समय में व्यंग्य चवधा ने बिुत निीं चलखवाई और न िी अपने मन की बात किी
तेजी पकड़ी िै। आज के दौर में धमचपाल जैन बतौर िै। अथाचत पाठक चबना चकसी आग्रि-पवू ाचग्रि के
व्यग्ं य लेखक जाना-पिर्ाना नाम िै, उनके व्यग्ं य आलेखों से सािात्कार करने लगता िै।
आलेख देश-चवदेश के चिदं ी समार्ार पत्र- 'चदमाग वालो सावधान' व्यंग्य संग्रि चवचवधता
पचत्रकाओ ं में यत्र-तत्र देखने को चमल िी जाते िैं। चलये िुए िैं। व्यंग्य क्यों और कै से चलखा जाता िै,
धमच जी के चवचवधतापणू च व्यग्ं य आलेख पाठकों को इस बात को उन्िोंने अपने व्यग्ं य 'आते िो क्या
प्रभाचवत कर िी रिे िैं। उनके आलेखों में प्रकट व्यंग्यकार बनने' में बिुत िी खबू सरू ती से बयां
चवर्ार वतचमान समाज की गचतचवचधयों और चकया िै-" व्यंग्यकार आत्मा को चनर्ोड़कर
पररदृश्यों से प्रभाचवत िोकर गजु रते से पररलचित चलखता िै तो व्यग्ं य उपजता िै। जब उसके व्यग्ं य
िोते िैं। चनशाने पर लगते िैं तो घायल लोग आि भरते िैं
धमच जी एक व्यंग्यकार के साथ कचव भी िैं। उनके और शेष लोग वाि-वाि करते िैं, ठिाके लगाते
लेखन पर अपनी बात किने के पवू च मैं यिााँ प्रख्यात िैं। व्यंग्य की साथचकता तभी िै जब आि भरने
शास्त्रीय कथक नतचक चबरजू मिाराज जी को उद्धतृ वाले घायल, कलमकार की कलम तोड़ने की
करना र्ािगाँ ा। उन्िोंने एक जगि चलखा िै चक-" इच्छा करें और वाि-वाि करने वाले उसकी
भाव बोध का िोना जरूरी िै। जब तक भाव बोध कलम र्मू लें।"
निीं िोगा अथाचत सख ु -द:ु ख, आनंद, चवरि, और आगे उन्िोंने चलखा िै- "सबको िाँसाना
तेज, जोकर का काम िै, व्यंग्यकार का निीं। शब्दों में
मार्च 2021 30
समीिा
क्या रखा िै? आप शब्दों को कै से रखते िैं, उसमें ऊाँ र्ा रिे िमारा' में चलखी इन पंचियों में सिज
सब रखा िै, व्यग्ं य रखा िै, कचवता रखी िै। आप तो देखा जा सकता िै - "िमें इस बात की खश ु ी िोना
शब्दों का पराक्रम परखो, व्यंग्य स्वतः पैना िो र्ाचिए चक झडं े में के सररया, सफे द और िरे रंग के
जाएगा। व्यंग्यकार को र्ीखने-चर्कलाने या मटक- पट्टे एक दसू रे के बराबर रखे गए। राजनीचत ने
मटक कर श्रोताओ ं को ररझाने की जरुरत निीं िोती। के सररया और िरे रंग को इतना र्टख बना चदया
आपके शब्दों में दम िो तो श्रोता का चदमाग खदु िी िै चक दसू रे सब रंग इनमें दब जाते िैं और सफे द
टनटनाटन बजने लगता िै।" तो ऐसा िो गया िै चक सबको सोख लेता िै।"
अब बातें उनके कुछ व्यग्ं यों पर भी कर लें। लोकतत्रं में र्नु ाव की अचनवायचता तो िै लेचकन
धमचस्थलों पर भी नारी के साथ भेदभाव िोने पर वे जब र्नु ाव राजनेताओ ं के चलए बसतं और
आक्रोचशत िोकर गिरे प्रश्न उपचस्थत करते िुए तंज आमजन के चलए पतझड़ िोने लगे तब लोकतंत्र
करते िैं -"िमें तलाशना िोगा चक वाकई स्त्री की देि पर िी प्रश्नचर्न्ि लगने लगते िैं। इसकी बानगी
अपचवत्र िै या गदं गी परुु ष के चदमाग में भरी िै। 'र्नु ाव के बसतं में' देखी जा सकती िै। व्यग्ं यकार
रजस्वला स्त्री की देि गंदी िोती तो भगवान ने तो चलखते िैं - "समंदर में लिरें उठ रिी िै, चनदचचलयों
बिुतरे े अवतार चलए िैं, वे कचथत गंदी जगि से क्यों की नौकाएाँ पलट रिी िैं, जाचतवाचदयों के जिाज
चलए? रजस्वला को अपचवत्र घोचषत करने वाले ये मस्तल ू कबाड़ रिे िैं। सचख, वादे िी इतनी तबािी
पचवत्र लोग किााँ से जन्में?" मर्ा रिे िैं तो आगे क्या िोगा!" देश में
आज के कुकुरमिु ा साचित्य के प्रचत भी धमच जी की नौकरशािी और राजनीचत का गठजोड़ सारी
चर्तं ा व्यग्ं य आलेख 'साचित्य की सिी रे चसपी' में बरु ाइयों की जड़ िै। वे चलखते िैं- "सर् िै
स्पष्टतः झलकती िै। उन्िोंने चलखा िै -" इन चदनों राजनीचत और नौकरशािी में आपसी समझदारी
साचित्य में रस निीं रिा, चनर्ड़ु गया िै। साचित्य िो तो प्रजा को टोपी पिनाना सरल िो जाता िै।
चक्वटं लों में छप रिा िै और सौ-दो सौ ग्राम के पैकेट सािब के इतने दरू दशी चदमाग की प्रशसं ा िमेशा
में चबक रिा िै। जगि-जगि पस्ु तक मेलों में चबक िोना र्ाचिए। धन्य िै सािब का चदमाग, सािब
रिा िै पर रचसकों को मजा निीं आ रिा िै। साचित्य निीं िोते तो प्रजातंत्र में न कोई राजा िोता और न
को सवचग्रािी िोना र्ाचिए, समोसे जैसा िोना िी कोई प्रजा िोती, दचु नया अजायबघर बन गई
र्ाचिए।" िोती।"
राजनीचतज्ञों ने समाज में धमच और सम्प्रदाय के नाम सरकार की कायचप्रणाली में अदरू दचशचता और
पर चकतनी कटुता, वैमनस्य उत्पन्न कर चवष बेल चववेकिीनता भी पररलचित िोती िै। इसी को
चवकचसत की िै इसको उनके व्यग्ं य आलेख 'झडं ा दृचष्टगत रखते िुए सरकार की प्राथचमकताओ ं पर
भी धमच जी ने गिरा कटाि चकया िै। 'गंगा गगंू ी
मार्च 2021 31
समीिा
िै', में वे चलखते िैं चक - "यचद राजनीचत इतनी
उज्जवल िोती तो बैंकों की बजाय नदी-नाले साफ
िो गए िोते।”
नज़्म - िादसा
बेशमु ार िादसों से गज़ु रा िाँ मैं!
धमचपाल जैन के व्यग्ं य आलेख, शैली और चशकप वक़्त से इसचलए सिमा िाँ मैं!
दोनों िी दृचष्ट से उकलेखनीय िैं। कुल जमा धमच जी ने
अपने व्यंग्य संग्रि में 51 व्यंग्य आलेख सचम्मचलत लि - लि चजस्म िै रूि के साथ,
चकए िैं चजनमें चवषय वैचवध्य िै। उनकी दृचष्ट अिले जवानी झकु सा गया िाँ मैं!
र्िुओ ं र समाज में व्याि चवषमताओ,ं चवद्रूपताओ ं
और चवकृचतयों को खोजकर अपनी व्यंजना शचि मस्ु कुरािट ने छीन चलया र्ेिरा ,
के माध्यम से आक्रोश को अचभव्यचि देती िै। ओढ़ कर सारे ददच र्ल रिा िाँ मैं!
उनकी व्यग्ं य अचभव्यचि में कई स्थानों पर उनका
कचवत्व पि िावी िोता िै तो अगले िी िण तन्िा - तन्िा चबयाबां तन्िा चज़ंदगी
व्यंग्यकार अपनी धारा में लौट आता िै। व्यंग्यकार से,
की अपनी किन शैली िै। व्यग्ं य सग्रं ि का आवरण जाने क्या - क्या अब ढूंढता िाँ मैं!
पष्ठृ प्रभावी िै। साज-सज्जा और मद्रु ण के चलिाज
से भी पुस्तक आकचषचत करती िै। चनःसंदिे पाठकों अिसास की चशद्दत कम निीं िोती,
को यि सग्रं ि आकृष्ट करे गा और पस्ु तक पाठक वगच चफर बेवफ़ा से पनाि मांगता िाँ मैं!
का भरपूर प्रचतसाद भी पाएगी।
परछाईयााँ मझु से डरने लगी िैं,
समीक्षक अंदर िी अंदर क्या िो गया िाँ मैं!
-डॉ. प्रिीप उपाध्याय
16, अचम्बका भवन, उपाध्याय नगर, -मोिम्मद ममु ताज़ िसन
मेंढ़की रोड, देवास, म.प्र. 455001 ररकाबगंज, गया (चबिार)
ईमेल : pradeepru21@gmail.com

मार्च 2021 32
चर्चकत्सकीय परामशच
बच्र्ों में दधू का मित्व
'इटं रनेशनल डेयरी जनचल' में प्रकाचशत एक
अध्ययन के अनुसार, रोज कम से कम एक
डॉ. अपणाच चमश्रा
चगलास दधू पीने से न चसफच बच्र्ों को प्रमख ु
स्थाई स्तम्भकार पोषक तत्व प्राि िोते िैं बचकक यि उनकी
(साचित्य िटं ) याददाश्त को भी दरुु स्त रखने में मददगार िै ।
मां का दधू िो या बािरी, दधू एक ऐसा
आवश्यक तरल िै चजसमें कै चकशयम, फास्फोरस
दोस्तों िम सभी जानते िैं चक बच्र्ों के जन्म के और चवटाचमन डी पयाचि मात्रा में पाया जाता िै
साथ िी दधू उनका मख्ु य आिार बन जाता िै । जो बच्र्ों की िड्चडयों और दातों को मजबतू ी
चवदेशों में तो बच्र्ों को अन्य आिार भी चदए जाते देता िै तथा बच्र्ों के शरीर के चवकास के चलए
िैं लेचकन िमारे भारतवषच में बच्र्े के जन्म के साथ यि सारे तत्व बेिद आवश्यक िोते िैं।
िी आगामी 6 मिीने तक उसे चसफच और चसफच मां दधू एक ऐसा आिार िै चजसमें थोड़ी मात्रा में िर
का दधू िी चदया जाता िै । उसके बाद भी जब एक पोषक तत्व पाया जाता िै र्ािे काबोिाइड्रेट
उसके भोजन में अन्य र्ीजों का समावेश चकया िो, प्रोटीन िो, आयरन िो, फास्फोरस िो या
जाता िै जैसे , फलों का रस , दाल का पानी पतले कै चकशयम, इन सभी पोषक तत्वों का सिी
फुलके , सजू ी की खीर इत्याचद तब भी उसके साथ संतल ु न दधू में पाया जाता िै इसीचलए बच्र्ों के
भारतीय माताएं अपने बच्र्ों को दधू अवश्य देती चलए दधू संपूणच आिार माना जाता िै।
िैं । 6 मिीने तक बालक को मां का दधू देने के बाद
बच्चों को िूध िेने के बिुत से कारि िै- बािर का दधू या फॉमचल ू ा चमकक भी चदया जाना
दधू को सपं ूणच आिार भी माना जाता िै शरू ु चकया जाता िै । अन्य जानवरों से प्राि दधू
इसीचलए छि माि की आयु तक चसफच दधू देने से के गणु भी अलग-अलग िोते िैं जैसे गाय का दधू
भी बच्र्े का संपूणच पोषण िो जाता िै । दधू में बेिद िकका एवं सपु ाच्य िोता िै तथा छोटे
उपचस्थत लौि तत्व, प्रोटीन, चवटाचमसं इत्याचद बच्र्ों और बीमारों के चलए बेिद उपयि ु रिता
बालकों में सभी तरि के आवश्यक पोषक तत्वों िै तो विीं भैंस का दधू चनद्रा जनन यानी चक नींद
की कमी को दरू करते िैं । दधू और दधू से बने लाने में सिायक िोता िै । बकरी का दधू िकका
प्रोडक्ट बच्र्ों में पौचष्टकता का अभाव निीं िोने और सपु ाच्य िोने के साथ कई जचटल बीमाररयों
देते। में लाभदायक िोता िै । किते िैं बकरी के दधू में
36 रोगों से लड़ने की िमता िोती िै चजनके भी
मार्च 2021 33
चर्चकत्सकीय परामशच
पार्न तत्रं में कोई खराबी िो या पार्न की समस्या र्श्मा भी जकदी से निीं देखा जाता। ऐसे बच्र्ों
िो उन्िें बकरी का दधू चदया जा सकता िै। यक्ष्मा की याददाश्त तेज िोती िै और ये जकदी िी पढ़ी
यानी चक टीवी के मरीजों में बकरी का दधू िुई र्ीजों को याद रखते िैं , इसके साथ िी इनकी
लाभदायक िोता िै। आजकल माके ट में तरि-तरि चकसी भी कायच को करने की िमता भी अन्य
के दधू चमलने लगे िैं जैसे सोया चमकक , कोकोनट बच्र्ों की तल ु ना में अचधक िोती िै । रात में
चमकक, राइस चमकक आचद। गनु गनु ा दधू पीकर सोने से नींद अच्छी आती िै
बाजारों में चमलने वाले इस तरि के दधू को और अगले चदन सबु ि आप का पार्न तंत्र साफ
चवशेष रूप से ऐसे चनचमचत चकया जाता िै चजनमें िो जाता िै ।
अलग से प्रोटीन चवटाचमन लवण आचद इनमें बच्र्ों को दधू की चकतनी मात्रा दी जानी
समाचित चकए जाते िैं चजससे शरीर में अनुपलब्ध र्ाचिए यि सवाल आमतौर पर बच्र्ों की माओ ं ं
पोषक तत्वों की कमी को यि दधू दरू कर सकें । के मन में उठता िै।
ऐसा निीं िै चक दधू चसफच िड्चडयों को मजबतू डॉक्टरों के मतानुसार 1 साल तक के बच्र्े में
करता िै , दधू शरीर की बढ़त में और सभी अगं ों के लगभग 500ml दधू और 2 साल तक के बच्र्े
सर्ु ारू रूप से चवकास में भी सिायक िोता िै। दधू में लगभग 700 एमएम तक दधू चदया जा सकता
पर्ने मे िकका और सपु ाच्य िोता िै िालाचं क कुछ िै। एक सामान्य चकशोर वय के बच्र्े के चलए
ऐसे लोग चजनमें दधू में उपचस्थत लेक्टोजन के चलए सबु ि एक चगलास और रात में एक चगलास दधू
संवेदनशीलता िोती िै उन्िें दधू को पर्ाने में पयाचि िै । अगर बच्र्ा इतना दधू निीं पीना र्ािे
कचठनाई का सामना करना पड़ता िै, ऐसे लोगों के तब भी 10- 11 साल की उम्र से चदन भर में कम
चलए दधू का कै चकशयम या फास्फोरस पाने का से कम एक चगलास दधू देना आवश्यक िोता िै।
जररया िै दधू की बजाए दधू से बने प्रोडक्ट, जैसे
की दिी, छाछ या पनीर का सेवन करना। दधू का गाय का िूध :-
लेक्टोजन दिी बनने पर के सीन में बदल जाता िै मां के दधू के बाद बच्र्ों में चदया जाने वाला
और यि अपेिाकृत और भी अचधक िकका िो सवाचचधक लोकचप्रय गाय का दधू िै गाय का दधू
जाता िै। दधू के चनयचमत प्रयोग से बच्र्ों की बढ़ने िकका और सपु ाच्य िोता िै तथा तब सभी जरूरी
की िमता, लंबाई, वजन आचद सतं चु लत रिते िैं पोषक तत्वों से यिु िोता िै । बच्र्े को 6 मिीने
इसके साथ िी दधू का चनरंतर सेवन करने वाले का िोने के बाद जब िलका आिार देना शरूु करें
बच्र्ों में दांतो से संबंचधत रोग अममू न निीं पाए तभी थोड़ी मात्रा में गाय का दधू शरू ु चकया जा
जाते । दधू का सेवन करने वाले बच्र्ों में आख
ं ों में सकता िै और बच्र्े के 12 मिीने िोते िोते उसे
लगभग 500ml दधू देना शरू ु चकया जा सकता
मार्च 2021 34
चर्चकत्सकीय परामशच
िै। आवश्यक िै चजन बच्र्ों में गाय के दधू को पर्ाने
आयु बढ़ने के साथ िी दधू की मात्रा को की िमता निीं िोती जो बच्र्े लेक्टोजन
कुछ कम कर अन्य आिारों को बढ़ाया जा सकता इनटोलरें स िोता िैं ,उनमें सोया चमकक काफी
िै। लाभप्रद िै। सोया चमकक बनाने के चलए सोया को
उबालकर छानकर सख ु ा चलया जाता िै इसके
भैंस का िूध:- बाद थोड़े तेल और पानी के साथ पीसा जाता
भैंस के दधू में फै ट की मात्रा बाकी अन्य दधू जाता िै। इस प्रकार से बने दधू में लेक्टोजन की
की अपेिा सबसे ज्यादा िोती िै । कै चकशयम, मात्रा काफी कम िोती िै । सोया चमकक सपु ाच्य
फास्फोरस आचद तत्व भी भैंस के दधू में अचधक िोता िै और इसके साथ िी इसमें कै चकशयम,
पाया जाता िै। बच्र्ों के चलए बनाए जाने वाले फास्फोरस आचद तत्वों की मात्रा भी गाय के दधू
आिार में इसीचलए भैंस के दधू का प्रयोग अचधक की अपेिा कम पाई जाती िै। बाजार में चवचभन्न
मात्रा में चकया जाता िै । यि पर्ने में गाय के दधू के तरि के सोया चमकक उपलब्ध िै । इन्िें लेते समय
अपेिा थोड़ा भारी िोता िै और कफवधचक िोता िै। यि ध्यान रखें चक यि सोया चमकक फै ट आचद से
और इसीचलए भैंस के दधू को पीने के बाद बच्र्ों में यिु िो क्योंचक बच्र्ों के चलए दधू में उपचस्थत
नींद ना आने की समस्या दरू िोती िै। फै ट भी चदमाग बढ़ाने के चलए आवश्यक िोता िै।
इसमें लैक्टोज की मात्रा गाय, भैंस के मक
ु ाबले
बकरी का िूध:- कम िोती िै और इसमें एंटीऑचक्सडेंट ,
गाय के दधू की अपेिा बकरी का दधू अचधक चसलेचनयम तथा कै चकशयम, चवटाचमन B6,
िकका और सपु ाच्य िोता िै । बच्र्ों में 12 मिीने चवटाचमन A, की मात्रा िोती िै।
के बाद बकरी का दधू चदया जा सकता िै। बकरी के नाररयल का दधू :- नाररयल का दधू गाय के दधू
दधू में फोचलक एचसड की मात्रा काफी कम िोती िै का चवककप निीं माना जाता इसीचलए सामान्यता
इसीचलए चजन बच्र्ों को बकरी का दधू चदया जाता डॉक्टर बच्र्ों में नाररयल के दधू के प्रयोग के
िै उन्िें इस दधू के साथ फलों का रस, नट्स , ड्राई चलए मना िी करते िैं । नाररयल के दधू में
फ्रूट्स तथा ऐसे आिार-चविार देना आवश्यक िै कै चकशयम , फास्फोरस तथा अन्य पोषक तत्व भी
चजससे फोचलक एचसड की कमी उसके शरीर में ना गाय के दधू की अपेिा काफी कम िोते िैं ।
िो। नाररयल का दधू मख्ु य रूप से फ्लाइट से भरा
िोता िै और इसका प्रयोग अममू न चवचभन्न तरि
सोया चमकक:- सोया चमकक उन बच्र्ों के चलए के खाद्य सामचग्रयों को बनाने के चलए चकया जाता
िै । नाररयल के दधू को इसीचलए संपूणच आिार
मार्च 2021 35
चर्चकत्सकीय परामशच
निीं माना जा सकता क्योंचक यि डेरी प्रोडक्ट निीं िै।
ऊंटनी का दधू एकमात्र ऐसा दधू िै चजसमें लवण की मात्रा पाई जाती िै अथाचत ऊंटनी
का दधू अपेिाकृत थोड़ा गाढ़ा और स्वाद में कुछ नमकीन िोता िै।
इसी प्रकार भेड़ का दधू गाढ़ा िोता िै तथा ठंडे प्रदेशों में रिने वाले लोगों के चलए िी
लाभप्रद िोता िै।
आजकल बिुत से बच्र्े दधू पीने से कतराते िैं तथा डब्बा बंद खाद्य पदाथों को अचधक
मित्व देते िैं । यिां माता - चपता का कतचव्य िै चक वि शरू
ु से िी बच्र्ों को दधू के गणु ों
के बारे में बताएं और उन्िें चकसी न चकसी रूप में दधू का सेवन अवश्य करवाएं ताचक
उनका संपूणच चवकास िो सके ।

-डॉ. अपिाा णमश्रा

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Dharmendra Singh “Dharma”
Head of technical department (Sahitya Hunt)
Email: dsingh59995@gmail.com

मार्च 2021 36

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